आज शगुन अपने पापा का एक नया रूप देख रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था वह शत-प्रतिशत सत्य था,,,, अपनी ही सेक्रेटरी के साथ चुदाई का खेल खेल रहे अपने पापा को देखकर से कम इतना तो समझ गई थी कि इसके पापा रंगीन मिजाज के हैं,,,, लेकिन वह यह सोच में पड़ गई कि इतनी खूबसूरत सुंदर सेक्सी बीवी होने के बावजूद भी उसके पापा दूसरी औरतों के साथ इस तरह के संबंध क्यों बनाते हैं,,, इसका जवाब शगुन को खुद ही मिल गया था धीरे-धीरे वह मर्दों की फितरत से वाकिफ होने लगी थी वह समझने लगी थी कि हर औरत को देखकर मर्द का खड़ा हो जाता है,,।
जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे शगुन की बुर कुछ ज्यादा ही फुदकने लगी थी,,, आखिरकार इसमें उसका बिल्कुल भी दोस्त नहीं था यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है और वह भी वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और तो और अपनी आंखों से अपनी मां बाप के साथ साथ अपने बाप और अपने बाप की सेक्रेटरी के बीच चुदाई का गरमा गरम खेल जो देख चुकी थी,, इसलिए तो उसके बदन की गर्मी उसे और ज्यादा परेशान कर रही थी,,।
ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह,,, शगुन उठी,,,वह बिस्तर में एकदम नंगी सोई हुई थी,,, उठकर वह तुरंत फ्रॉक पहन ली,,, ना तो वह फ्रॉक के नीचे ब्रा पहनी और ना ही पेंटिं,,, फ्रॉक के नीचे में पूरी तरह से नंगी थी और वो भी फ्रॉक इतनी छोटी की,,,, बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों का घेराव उससे छुप पा रहा था,, लेकिन शगुन इस कपड़े में अपने आप को बेहद सहज महसूस कर रही थी,,, आज उसका टेस्ट था जिसकी तैयारी करना बहुत जरूरी था,,, टेस्ट दोपहर से शुरू होने वाले थे,, उसके पास अभी भी काफी समय था इसलिए वह वैसे ही बिना फ्रेश हुए बिस्तर पर किताब खोल कर बैठ गई और पढ़ने लगी,,।
उसे एक चैप्टर समझ में नहीं आ रहा था,,, अपने कमरे से बाहर आई और सीढ़ियों पर खड़ी होकर नीचे डाइनिंग टेबल की तरफ नजर घुमाई जहां पर उसके पापा नाश्ता कर रहे थे उन्हें देखते ही शगुन बोली,,,।
पापा आज मेरा टेस्ट है,,, और मुझे चैप्टर समझ में नहीं आ रहा है आप आकर समझा देते तो अच्छा होता,,,
ठीक है मैं अभी नाश्ता करके आता हूं,,,(संजय एक ही नजर में सीढ़ीयों के पास खड़ी शगुन के खूबसूरत बदन का जायजा ले लिया,,, छोटे से फ्रॉक में उसकी चिकनी मांसल जांघें साफ नजर आ रही थी जिसे देखते ही संजय के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,। संजय नाश्ता करते हुए हैं शगुन को जाते हुए देखने लगा छोटे से फ्रॉक में उसकी गोलाकार गांड बहुत खूबसूरत लग रही थी,,, शगुन वापस अपने कमरे में चली गई,, और वापस जाकर बिस्तर पर बैठ गई पन्नों को इधर-उधर पलटते हुए वह टेस्ट के बारे में ही सोच रही थी,,,, उसके दिमाग में अभी ऐसा कुछ भी नहीं था,,,
दूसरी तरफ संजय नाश्ता करके तुरंत सीढ़ीयो के रास्ते ऊपर जाने लगा,,, शगुन के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था संजय दरवाजे पर खड़ा होकर पहले बिस्तर पर बैठी शगुन को देखने लगा,, उसकी चिकनी जांघें उसकी नंगी टांगे बड़े आराम से नजर आ रही थी,,, जिसे देख कर संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, दरवाजे पर खड़े अपने पापा को देखकर शगुन बोली,,।
आओ ना पापा यह वाला चैप्टर मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है,,,,
कोई बात नहीं मैं अभी समझा देता हूं,,,(इतना कहकर संजय कमरे के अंदर प्रवेश किया और एहतियात के रूप में दरवाजे को बंद कर दिया लेकिन लोक नहीं किया,,, संजय भी बिस्तर पर बैठ गया था,,,,, संचय उसे उस चैप्टर के बारे में समझाने लगा,,, संजय की नजर अपनी बेटी की चिकनी टांगों पर घूम रही थी और उसकी चिकनी टांग को देखकर संजय का मन फिसल रहा था,,,। संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी देख कर संजय की पेंट में गुबार उठ रहा था,। सगुन अपने पापा के प्रति पूरी तरह से आकर्षित थी लेकिन ऐसे में इसका पूरा ध्यान से कुछ एक्टर को समझने में लगा हुआ था उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि जाने-अनजाने में उसकी चिकनी नंगी टांग को उसके पापा प्यासी नजरों से देख रहे हैं,,।
उत्तेजना रहित होने के बावजूद भी संजय बड़े अच्छे से शकुन कोर्स चैप्टर के बारे में समझा रहा था ताकि टेस्ट में उसके मार्क कम ना आवे,,,,थोड़ी ही देर में संजय अच्छी तरह से सगुन को उस चैप्टर के बारे में समझा दिया,,,, उसका समय हो रहा था इसलिए वह बोला,,,।
अच्छी तरह से समझ ली हो ना,,,
हां,,, पापा,,,
कोई दिक्कत तो नहीं है ना,,,।
नहीं कोई भी दिक्कत नहीं है,,,,
ठीक है मेरा समय हो रहा है मैं चलता हूं,,,, (इतना कहकर संजय बिस्तर पर से उठ गया लेकिन जैसे ही वहशगुन की दोनों टांगों के बीच रखी हुई किताब पर से अपनी नजर हटाने वाला था कि तभी उसकी नजर ऐसी खास जगह पर पहुंच गई जिसे देखते ही वो एकदम से सन्न रह गया,,,उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,। अपनी बेटी की बुर देख कर संजय की आंखों में चमक आ गई थी,,, संजय ललचाए आंखों से अपनी बेटी की बुर को देख रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे जिंदगी में उसने इस तरह की खूबसूरत बुर को कभी नहीं देखा है हालांकि वो अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी बुर के दर्शन कर चुका था और भोग भी चुका था लेकिन शायद अपनी बेटी की बुर को देखना उसके लिए सबसे अध्भुत नजारा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,
शगुन को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी बुर दिखाई दे रही है वह तो अपना पूरा ध्यान चैप्टर को समझने में लगाई हुई थी,,,, पर संजय अपना पूरा ध्यान अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच लगाया हुआ था,,,संजय अपने मन में अपनी बेटी की बुर को देखकर नहीं सोच रहा था कि वाकई में उसकी बेटी की बुर कितनी खूबसूरत है,,, एकदम चिकनी बालों का नामोनिशान नहीं था संजय इतना समझ गया था कि उसकी बेटी रोज क्रीम लगाकर साफ करती है तभी तो उसकी बुर ईतनी चिकनी है,,, एक दम दाग रहीत ,,,
संजय को अपनी बेटी की बुर के रूप में केवल एक पतली दरार ही नजर आ रही थी,,, एकदम अनछुई,,, इस अद्भुत नजारे को देख कर संजय के मुंह में पानी आ गया,,, साथ ही उसके लंड में भी,,,,जो कि इस बेहद खूबसूरत नजारे को देखकर धीरे-धीरे अपनी औकात में आ रहा था,,,
संजय की हालत खराब हो रही थी अपनी बेटी की रसीली बुर को देखकर वह यह भी भूल गया कि वह किसी गैर लड़की की नहीं बल्कि अपनी ही बेटी की बुर को देख रहा है,,,, संजय का मन शगुन की बुर में अपना लंड डालने को कर रहा था,,, क्योंकि शगुन की दोनों टांगों के बीच का अद्भुत नजारा संजय के दिलो-दिमाग पर छा चुका था,,,।
संजय अपनी बेटी की बुर को छुना चाहता था,, उसे अपनी हथेली में दबाना चाहता था,,, लेकिन इतनी हिम्मत अभी उसमे नहीं थी,,, तभी चैप्टर को समझ रही शगुन का ध्यान अब तक खड़े अपने पापा पर गया तो वह अपने पापा की तरफ देखते हुए बोली,,,।
पापा ,,, आप अभी तक,,,,, यहां,,,,,,,,(इतना कहना था कि,, शगुन अपने पापा की तरफ देखी और उनकी नजर के सिधान की दिशा को जैसे ही समझी वह पूरी तरह से चौक गई,,, वह झटके से अपने पापा की तरफ और फिर अपनी दोनों टांगों की तरफ देखकर स्तब्ध रह गई उसे अब जाकर इस बात का आभास हुआ कि दोनों पानी फैलाने की वजह से उसकी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी,,, यह देखते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,,,, सगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, क्योंकि उसके पापा उसकी बुर को खा जाने वाली नजर से देख रहे थे,,, सगुन को अपने पापा की आंखों वासना साफ नजर आ रही थी,,, सगुन अपने पापा की नजरों को देखकर साफ समझ रही थी कि,, उसके पापा उसे चोदने वाली नजर से देख रही थी और यह ख्याल इस बात का आभास शगुन को होते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,,
ना जाने क्यों शर्मसार होने के बावजूद भी कुछ देर तक शगुन जानबूझकर अपनी बुर को अपने पापा को देखने का मौका दे रही थी और संजय भी इस मौके का पूरा फायदा उठा रहा था,,, लेकिन देखते ही देखते उसके पैंट में अच्छा खासा तंबू बन चुका था,,, और अपने पापा के पेंट में बने तंबू पर सगुन की नजर जा चुकी थी,,,यह नजारा शगुन के लिए भी बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ था क्योंकि शगुन इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,, उसके पापा का लंड उसकी बुर को देखकर ही खड़ा हुआ है,,,,,, लेकिन अब इस नजारे पर परदा डालना बेहद जरूरी हो चुका था ,,,क्योंकि काफी समय हो चुका था और उसकी मम्मी किसी भी समय कमरे में आ सकती थी,,, इसलिए शगुन अपने कपड़ों के साथ-साथ खुद को ठीक तरह से कर ली,,, अब संजय के लिए भी ज्यादा देर तक वहां खड़ा रहना ठीक नहीं था लेकिन जाते जाते दोनों की नजरें एक दूसरे से टकरा गई दोनों की आंखों में एक दूसरे को पाने की ललक और उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,,, लेकिन शगुन अपने पापा की आंखों में एक अद्भुत चमक देखकर शरमा गई और अपनी नजरों को शर्मा कर नीचे कर ली,,, संजय कमरे से बाहर जा चुका था,,, लेकिन उसके तन बदन में शगुन ने अपनी जवानी से आग लगा चुकी थी,,,
अपने पापा के बाहर जाते ही,,, शगुन उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों टांगों के बीच अपना हाथ ले जाकर अपनी हथेली को जोर से अपनी बुर पर रगड़ ते हुए लंबी आह भरी और वापस टेस्ट की तैयारी करने लगी,,,।