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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Naik

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शगुन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी सब कुछ हैरान कर देने वाला था अपने भाई और अपनी मां के बीच इस तरह से एक दूसरे को उत्तेजित करने वाली क्रिया को देख कर उसे अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी मां और अपने भाई के बीच के इस उत्तेजनात्मक क्रीया को लेकर उत्सुकता के साथ साथ मादकता और आकर्षण का भी एहसास हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब मम्मी भाई को रिझाने के लिए कपड़े धोने के बहाने मशीन खराब होने का बहाना करके बाथरूम में उसके साथ उत्तेजना भरा मटरगश्ती कर सकती हैं उसे रिझाने के लिए अपने बदन पर पानी डालकर अपने अंगों को दिखा सकती है तो वह क्यों नहीं कर सकती,,, जिस तरह का तंबू उसने अपने भाई के पजामे में देखी थी उसे देखकर इतना तो वह समझ गई थी कि मां की बस मस्त जवानी देखकर उसका आकर्षण देगा तो उसका भाई पागल हो चुका था तभी तो उसका मूड खराब हो गया था वरना आकर के मन में मां को लेकर गंदी विचार ना होते तो उसका लंड खड़ा नहीं होता और वह छत पर कपड़े सूखाने के बहाने मम्मी और उसकी खुद की पेंटिं अपने लंड पर ना रगडता ,,, यह सब सोचकर शगुन की हालत खराब होने लगी थी और बार बार उसकी पैंटी गीली होती जा रही थी,,,

दूसरे दिन शगुन सिर्फ चेक करने के लिए वॉशिंग मशीन चालू की तो वहां चालू हो गया था बिना किसी रूकावट के वह तुरंत वाशिंग मशीन बंद कर दी और सारा माजरा समझ में आ गया था,,,अब से पक्का यकीन हो गया था कि उसकी मां और आपके भाई के बीच कुछ चल जरूर रहा है जैसा कि उसके खुद के और ऊसके पापा के बीच चल रहा था,,,
अब वह अपनी मां और अपने भाई पर बराबर ध्यान देने लगी थी उनकी हर एक हरकतों को बारीकी से निरीक्षण करती थी,,, शगुन अपनी आंखें हमेशा खुली रखने लगी थी जब भी उसकी मां और भाई एक साथ होते तो वह दोनों को उनकी हरकतों को देखती रहती थी,,। सोनू की नजर उसे हमेशा अपनी मां की गांड पर उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर घूमती नजर आती थी,,, यह देख कर उसे भी उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,, अपनी मां पर भी नजर रखने पर उसे पता चला कि उसकी मां भी कोई ना कोई बहाना उसेअपना खूबसूरत बदन दिखाने की भरपूर कोशिश करती थी हालांकि वह अपने कपड़ों को उतारकर नंगी होकर अपने अंगों को नहीं दिखा पाती थी,,,लेकिन फिर भी कभी अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी भरपूर चुचियों की गहरी दरार दिखाकर तो कभी झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड भले ही वह साड़ी के अंदर कैद रहती थी लेकिन फिर भी अपना पूरा असर दिखाती थी,,,यह देखकर उसका भाई जिस तरह से उत्तेजित होता था उसे देखकर सगुन की हालत खराब हो जाती थी,,,। कुछ दिन पहले ही अपनी सहेली से उसे इस बात का पता चला था कि लड़की ने जिस तरह से अपने आप को शांत करने के लिए अपनी बुर में उंगली डालकर अपना पानी निकालती है उसी तरह से जब लड़कों का मन करता है उनका लंड खड़ा हो जाता है तो वो अपने हाथ से हिला कर अपने लंड का पानी निकाल देते हैं,,,,, और अपने भाई के पजामे में बने तंबू को देखकर शगुन को इस बात का एहसास था कि उसके भाई का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, अपने आप को शांत करने के लिए अपने हाथ से ही हीलाता होगा जैसा कि वह खुद जब गर्म हो जाती है तो उसे अपनी उंगली को अपनी बुर में डालना ही पड़ता है,,, यही सोचकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी,,,और फिर वह अपने पापा के बारे में सोचने लगी कि उसके पापा भी तो उसे देखकर उत्तेजित हो जाते हैं उनका भी तो खड़ा हो जाता है,,,,,उसे पूरा विश्वास था कि उसके पापा का खड़ा हो जाने के बाद वह अपने हाथ से हिला कर अपना पानी नहीं निकालते होंगे,, क्योंकि उनके पास दुनिया की सबसे खूबसूरत और जो थी उनकी बीवी मतलब जिसकी खूबसूरत रोटी जैसी फुली हुई बुर में लंड डालकर अपनी सारी गर्मी निकाल देते होंगे,,,।

सगुन अपने कमरे में बैठकर यही सब सोच रही थी,,, उसका दिमाग खराब हो रहा था यह सोच कर कि क्या उसका भाई अपनी सगी मां को चोदना चाहता है और क्या उसकी मां खुद अपने बेटे से चुदवाना चाहती है,,, दोनों की हरकतें देखकर तो ऐसा ही लग रहा था,,,, सगुन यही सोच रही थी कि अगर मौका मिले तो उसका भाई मां की चुदाई करने से पीछे नहीं देगा और उसकी मां की मौके का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगी,,,यह सब सोचते ही सब उनको तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, यह सब विचार मन में लाकर वह अपने आप को धिक्कारती भी थी,,, लेकिन ना जाने क्यों इस तरह के विचार उसके तन बदन में अजीब सा सुकून पैदा करते थे,,,। इस तरह के गंदे विचारों से अपना ध्यान हटाने के लिए वह पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी,,,।


दूसरी तरफ हॉस्पिटल में रुबी का बढ़ता हुआ वर्चस्व देखकर संजना से रहा नहीं जा रहा था,,, वह बार-बार इस बारे में संजय से बात भी कर चुकी थी लेकिन संजय इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि संजय को क्या चाहिए और किस लिए रुबी को ज्यादा वर्चस्व दे रहा है,,,। इसलिए 1 दिन दोपहर में जब पेशेंट कीआवाजाही बिल्कुल भी नहीं थी तब संजना सीधे संजय के केबिन में चली गई संजय किसी फाइल को देख रहा था,,,, वह फाइलों की अलमारी के लग खड़ा था,,, और फाइल देख रहा था,,,।


क्या बात है सर आजकल रूबी पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे हैं,,, रूबी मुझसे ज्यादा मजा देती है क्या,,,?


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,(एक नजर संजना पर डाल कर वापिस फाइल को देखते हुए बोला)


नहीं लगता है कि मेरी जवानी अब आपको कम पड़ने लगी है,,,


नहीं सर ऐसी कोई भी बात नहीं है वह तो इसलिए कि तुम पर काम का बहुत ज्यादा रहता है,,, तुम्हारा काम का बोझ कम हो जाए इसके लिए,,,


और इसीलिए आप सारा बोझ अपने नीचे लेने लगे हैं,,,।

( संजना के कहने का मतलब को संजय अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए बोला कुछ नहीं,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला)

संजना मेरे लिए तुम आज भी वैसी हो जैसा कि इस हॉस्पिटल को शुरू करते समय थी तुम्हारे बिना मैं यह हॉस्पिटल को ऊंचाई तक नहीं ले जा सकता था,,


तो फिर अब भेदभाव क्यों,,, रूबी एकदम जवान है इसलिए एक बात समझ लीजिए संजय सर,,, उम्र मायने नहीं रखती तजुर्बा मायने रखता है,,,और जिस काम के लिए आप रूपी को इतना महत्व दे रहे हैं उसका हमने मेरा तजुर्बा कुछ ज्यादा ही है देखना चाहते हैं,,,,
(संजय कुछ बोल पाता इससे पहले ही संजना,,, उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और तुरंत संजय की पेंट कीजिए संजय कुछ समझ पाता इससे पहले संजना पेंट की जीप के अंदर अपनी तो उंगली डालकर टटोल ते हुए संजय की अंडरवियर के आगे वाले छेद में से अपनी दोनों उंगलियों को डाल कर उसके अधखडे लंड को बाहर निकाल ली,,,और उसे अपनी मुट्ठी में भरकर हल्के हल्के हीलाते हुए संजय की आंखों में देखने लगी पलभर में ही संजय की आंखो में खुमारी छाने लगी,.,,, देखते ही देखते मानो पिचके हुए गुब्बारे में हवा भरने लगी हो इस तरह से संजय का मुरझाया लंड खिलने लगा था,,और देखते ही देखते हैं कब वह पूरी अपनी औकात में आ गया यह संजय को भी पता नहीं चला,,,लेकिन संजना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि संजय किस तरह से और कैसे उत्तेजित होता है और अपनी औकात पर आता है,,, क्योंकि बरसों से ही वह संजय के साथ इस तरह का खेल खेलते आ रही थी,,, संजय कुछ बोल नहीं पा रहा था काफी दिन हो गए थे समझे ना के साथ पल बिताए हुए,,, संजना‌अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी,,, क्योंकि संजय का लंड अपनी औकात दिखा रहा था,,, संजना संजय की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी जीत के छोर से वह संजय के खड़े लंड के छोटे से छेद को चाटना शुरू कर दी,,,, संजना की यह हरकत संजय की हालत खराब कर देती थी,,, संजना के हाथों और उसकी जीभ का जादू संजय के लंड के ऊपर अब भी बरकरार था,,,संजना की हरकत की वजह से सन से पूरी तरह से उत्तेजित होने लगा उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, वह अपनी जीभ को नुकीली करके संजय के छेद पर कब आने लगी जिससे उसके लंड का छेद हल्का-हल्का खुलने लगा,,,, एहसास संजय को हवा में लिए उड़ रहा था,,,, अभी तो संजना ने सिर्फ संजय के लंड को जीभ से चाटना भर शुरू की थी,,,, तो भी संजय का बुरा हाल था,,,

देखते ही देखते समझना संजय को पर बिजलियां गिराते हुए उसके लंड के सुपाड़े को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,,,,आहहहहहहहह,,, की गरम सिसकारी संजय के मुंह से फुट पड़ी,,, संजय कमजोर पड़ता जा रहा था संजना की हरकत की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,। थोड़ी देर तक संजना संजय के लंड के सुपाड़े को बेकरी के क्रीम कि तरह मुंह में भर कर उसके स्वाद का मजा लेती रही,,

सससहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहहह,,,,,,संजय कीमत भरी आवाज एक बार फिर से संजना के कानों में पड़ी जो कि संजना को इस बात का एहसास दिला रही थी कि उसकी हरकत संजय को उसके सामने घुटनों के बल बैठने पर मजबूर कर रही है,,,, संजना अब संजय के पूरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,।वह संजय कैलेंडर को पूरा का पूरा मुंह में लेकर उसे चूसने का मजा ले रही थी और संजय को दे रही थी और अपने दोनों हाथों से संजय के पेंट की बटन खोलने लगी और अगले ही पल वह संजय की पेंट के बटन को खोल कर उसे नीचे खींच कर उसके घुटनों से नीचे ला दी,,,, संजय के लंड कि वह हमेशा से दीवानी रही थी उसे पूरा यकीन था कि उसके बीवी के बाद संजय के ऊपर उसका पूरा हक है लेकिन कुछ दिनों से रूबी के ऊपर संजय ज्यादा ध्यान दे रहा था जो कि संजना से देखा नहीं जा रहा था और इस कार्य में संजना ने संजय से बात भी की थी लेकिन संजय इसका जवाब नहीं दे पा रहा था बस बात को टाल रहा था रूबी की तरफ बढ़ते झुकाव संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि किस वजह से है,,, रूबी एकदम जवान लड़की की जवानी की दहलीज पर कदम रख कर इस मुकाम पर पहुंची थी,,, और संजय की सबसे बड़ी कमजोरी थी जवान खूबसूरत कसी हुई बुर जो कि रूबी के पास बखूबी थी,,, संजना किसी भी तरह से संजय का ध्यान रूबी पर से अपने ऊपर लाना चाहती थी इसलिए वह आज संजय के केबिन में उसे स्वर्ग का सुख दे रही थी,,,,

संजना अपने आप ही संजय के समूचे लंड को अपने गले तक उतार कर मजे ले रही थी और अपनी उंगलियों का जादू उसके लंड के नीचे के गोटियो को पकड़कर चला रही थी,,,,,, संजय को संजना की हर एक हरकत कामुकता से भरी हुई लग रही थी उसे स्वर्ग का सुख नहीं रहा था मानो जैसे वह हवा में उड़ रहा हो,,,,,

सजना की स्कर्ट पहनी हुई थी काले रंग की स्कर्ट में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था संजय के लैंड को मुंह में लेकर चूसते हुए वहां अपने दोनों हाथों से अपनी स्कर्ट को बैठे बैठे अपनी कमर तक उठा दी थी,,। लाल रंग की पैंटी में वह अपना हाथ डालकर अपनी गुलाबी बुर की पंखुड़ियों को मसल रही थी,,,। संजय को संजय की यह हरकत पागल बना रही थी संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है इसलिए वह घुटनों के बल से खड़ी हुई और उसी तरह से झुके हुए ही वह संजय के लंड को मुंह में ही रह गई,,, संजय के एक हाथ दूरी पर संजना की गोरी गोरी गांड नजर आ रही थी और संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है,,,और संजना के सोचने के मुताबिक संजय अपना हाथ आगे बढ़ाकर संजना की गांड को एक हाथ से पकड़ कर उसे दबाने लगा,,,, और उस पर चपत लगाने लगा,,,, कुछ देर तक यह खेल ऐसे ही चलता रहा,,। संजना भी काफी गर्म हो चुकी थी उसे भी अपनी बुर के अंदर संजय के लंड को लेने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,। इसलिए वह संजय के लंड को मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हुई,,,।इतना मोटा तगड़ा लंड मुंह में लेने की वजह से उसकी सांसे भारी चल रही थी,,


कैसा लगा,,,,?(मादक अदाओं से संजय की तरफ देखते हुए बोली)


बहुत अच्छा संजना,,,


क्या रूबी इतना मजा देती है,,,
(संजय संजना के सवाल का जवाब नहीं दे पाया,,, लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि संजना के जैसा मजा रुबी नहीं दे पाती थी,,, वह सिर्फ इतना ही बोला।)


तुम बहुत अच्छी हो संजना,,,,,,


तो फिर मेरे पर क्यों काट रहे हैं,,,,(संजना उत्तेजना आत्मक तरीके से अपनी पेंटी में हाथ डालते हुए बोली यह देख कर संजय की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,)

मैं कहां पर काट रहा हूं संजना,,,,


लगता तो ऐसा ही है रुबी मेरी बात नहीं मानती,,,


मानेगी संजना मानेगी,,,, मैं आज ही उसे बुलाकर अपने सीनियर से इजाजत लेने की कहुंगा,,,(इतना सुनते ही संजना के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे,,,) अब मुझसे रहा नहीं जाता मेरी जान,,,,
(और इतना कहने के साथ ही,,, संजय उतावलापन दिखाते हुएसंजना को पकड़कर उसे टेबल पर चुका दिया तो उसकी पेंट को खींच कर नीचे घुटनों तक कर दिया,,, सजना की गोरी गोरी गांड देखकर और उसकी गुलाबी छेद को देखकर संजय पागल हो गया और अगले ही पल अपने खड़े लंड को संजना की गुलाबी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीया संजना खुश नजर आ रही थी संजय लगातार टेबल पर संजना को झुका कर उसकी चुदाई कर रहा था और तभी सहज रूप से दरवाजा खुला और अंदर का नजारा देखकर शगुन की हालत खराब हो गई उसके हाथ पैर सुन्न हो गए वह उस नजारे को देखती ही रह गई,,,

शगुन यहां से गुजर रही थी तो सोची हॉस्पिटल से होकर घर जाएंगी और इसीलिए,, वह हॉस्पिटल में अपने पापा के केबिन में उनसे मिलने आई थी लेकिन यहां का नजारा ही कुछ और था शगुन ज्यादा से ज्यादा 15 सेकंड तक इस नजारे को देखती रही और इस 15 सेकंड में उसने सब कुछ देख ली,,, उसके पापा और संजना चुदाई में इतने मजबूर हो गए थे कि दरवाजा खुलने का उन्हें अहसास तक नहीं हुआ,,, और शगुन दरवाजे को फिर से बंद करके वहां से वापस लौट गई,,,,।
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
 
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Punnu

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Punnu

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Bathroom wala seen bhut hot hone wala tha . Dost ek raye haa. Maa bete ka seen secret rehne do . Osme hee maza ha . Baki apki marji
Ye baat to hai brother....maa bete or baap beti agr chup chupke maze lete to jyada maza aata pr ab to shagun ko sab pata hai kon kiske piche hai...
 
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Guri006

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Jabardast update bhai, keep writing ✍
 

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शगुन जो कुछ भी अपनी आंखों से देखी थी सब कुछ हैरान कर देने वाला था अपने भाई और अपनी मां के बीच इस तरह से एक दूसरे को उत्तेजित करने वाली क्रिया को देख कर उसे अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन ना जाने क्यों अपनी मां और अपने भाई के बीच के इस उत्तेजनात्मक क्रीया को लेकर उत्सुकता के साथ साथ मादकता और आकर्षण का भी एहसास हो रहा था,,, वह अपने मन में यही सोच रही थी कि जब मम्मी भाई को रिझाने के लिए कपड़े धोने के बहाने मशीन खराब होने का बहाना करके बाथरूम में उसके साथ उत्तेजना भरा मटरगश्ती कर सकती हैं उसे रिझाने के लिए अपने बदन पर पानी डालकर अपने अंगों को दिखा सकती है तो वह क्यों नहीं कर सकती,,, जिस तरह का तंबू उसने अपने भाई के पजामे में देखी थी उसे देखकर इतना तो वह समझ गई थी कि मां की बस मस्त जवानी देखकर उसका आकर्षण देगा तो उसका भाई पागल हो चुका था तभी तो उसका मूड खराब हो गया था वरना आकर के मन में मां को लेकर गंदी विचार ना होते तो उसका लंड खड़ा नहीं होता और वह छत पर कपड़े सूखाने के बहाने मम्मी और उसकी खुद की पेंटिं अपने लंड पर ना रगडता ,,, यह सब सोचकर शगुन की हालत खराब होने लगी थी और बार बार उसकी पैंटी गीली होती जा रही थी,,,

दूसरे दिन शगुन सिर्फ चेक करने के लिए वॉशिंग मशीन चालू की तो वहां चालू हो गया था बिना किसी रूकावट के वह तुरंत वाशिंग मशीन बंद कर दी और सारा माजरा समझ में आ गया था,,,अब से पक्का यकीन हो गया था कि उसकी मां और आपके भाई के बीच कुछ चल जरूर रहा है जैसा कि उसके खुद के और ऊसके पापा के बीच चल रहा था,,,
अब वह अपनी मां और अपने भाई पर बराबर ध्यान देने लगी थी उनकी हर एक हरकतों को बारीकी से निरीक्षण करती थी,,, शगुन अपनी आंखें हमेशा खुली रखने लगी थी जब भी उसकी मां और भाई एक साथ होते तो वह दोनों को उनकी हरकतों को देखती रहती थी,,। सोनू की नजर उसे हमेशा अपनी मां की गांड पर उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो पर घूमती नजर आती थी,,, यह देख कर उसे भी उत्तेजना का एहसास होने लगा था,,, अपनी मां पर भी नजर रखने पर उसे पता चला कि उसकी मां भी कोई ना कोई बहाना उसेअपना खूबसूरत बदन दिखाने की भरपूर कोशिश करती थी हालांकि वह अपने कपड़ों को उतारकर नंगी होकर अपने अंगों को नहीं दिखा पाती थी,,,लेकिन फिर भी कभी अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर अपनी भरपूर चुचियों की गहरी दरार दिखाकर तो कभी झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड भले ही वह साड़ी के अंदर कैद रहती थी लेकिन फिर भी अपना पूरा असर दिखाती थी,,,यह देखकर उसका भाई जिस तरह से उत्तेजित होता था उसे देखकर सगुन की हालत खराब हो जाती थी,,,। कुछ दिन पहले ही अपनी सहेली से उसे इस बात का पता चला था कि लड़की ने जिस तरह से अपने आप को शांत करने के लिए अपनी बुर में उंगली डालकर अपना पानी निकालती है उसी तरह से जब लड़कों का मन करता है उनका लंड खड़ा हो जाता है तो वो अपने हाथ से हिला कर अपने लंड का पानी निकाल देते हैं,,,,, और अपने भाई के पजामे में बने तंबू को देखकर शगुन को इस बात का एहसास था कि उसके भाई का भी लंड खड़ा हो जाता है,,, अपने आप को शांत करने के लिए अपने हाथ से ही हीलाता होगा जैसा कि वह खुद जब गर्म हो जाती है तो उसे अपनी उंगली को अपनी बुर में डालना ही पड़ता है,,, यही सोचकर वह और भी ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थी,,,और फिर वह अपने पापा के बारे में सोचने लगी कि उसके पापा भी तो उसे देखकर उत्तेजित हो जाते हैं उनका भी तो खड़ा हो जाता है,,,,,उसे पूरा विश्वास था कि उसके पापा का खड़ा हो जाने के बाद वह अपने हाथ से हिला कर अपना पानी नहीं निकालते होंगे,, क्योंकि उनके पास दुनिया की सबसे खूबसूरत और जो थी उनकी बीवी मतलब जिसकी खूबसूरत रोटी जैसी फुली हुई बुर में लंड डालकर अपनी सारी गर्मी निकाल देते होंगे,,,।

सगुन अपने कमरे में बैठकर यही सब सोच रही थी,,, उसका दिमाग खराब हो रहा था यह सोच कर कि क्या उसका भाई अपनी सगी मां को चोदना चाहता है और क्या उसकी मां खुद अपने बेटे से चुदवाना चाहती है,,, दोनों की हरकतें देखकर तो ऐसा ही लग रहा था,,,, सगुन यही सोच रही थी कि अगर मौका मिले तो उसका भाई मां की चुदाई करने से पीछे नहीं देगा और उसकी मां की मौके का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटेगी,,,यह सब सोचते ही सब उनको तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी थी,,, यह सब विचार मन में लाकर वह अपने आप को धिक्कारती भी थी,,, लेकिन ना जाने क्यों इस तरह के विचार उसके तन बदन में अजीब सा सुकून पैदा करते थे,,,। इस तरह के गंदे विचारों से अपना ध्यान हटाने के लिए वह पढ़ाई में ध्यान लगाने लगी,,,।


दूसरी तरफ हॉस्पिटल में रुबी का बढ़ता हुआ वर्चस्व देखकर संजना से रहा नहीं जा रहा था,,, वह बार-बार इस बारे में संजय से बात भी कर चुकी थी लेकिन संजय इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा था संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि संजय को क्या चाहिए और किस लिए रुबी को ज्यादा वर्चस्व दे रहा है,,,। इसलिए 1 दिन दोपहर में जब पेशेंट कीआवाजाही बिल्कुल भी नहीं थी तब संजना सीधे संजय के केबिन में चली गई संजय किसी फाइल को देख रहा था,,,, वह फाइलों की अलमारी के लग खड़ा था,,, और फाइल देख रहा था,,,।


क्या बात है सर आजकल रूबी पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रहे हैं,,, रूबी मुझसे ज्यादा मजा देती है क्या,,,?


नहीं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है,,,(एक नजर संजना पर डाल कर वापिस फाइल को देखते हुए बोला)


नहीं लगता है कि मेरी जवानी अब आपको कम पड़ने लगी है,,,


नहीं सर ऐसी कोई भी बात नहीं है वह तो इसलिए कि तुम पर काम का बहुत ज्यादा रहता है,,, तुम्हारा काम का बोझ कम हो जाए इसके लिए,,,


और इसीलिए आप सारा बोझ अपने नीचे लेने लगे हैं,,,।

( संजना के कहने का मतलब को संजय अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए बोला कुछ नहीं,,, थोड़ी देर खामोश रहने के बाद वह बोला)

संजना मेरे लिए तुम आज भी वैसी हो जैसा कि इस हॉस्पिटल को शुरू करते समय थी तुम्हारे बिना मैं यह हॉस्पिटल को ऊंचाई तक नहीं ले जा सकता था,,


तो फिर अब भेदभाव क्यों,,, रूबी एकदम जवान है इसलिए एक बात समझ लीजिए संजय सर,,, उम्र मायने नहीं रखती तजुर्बा मायने रखता है,,,और जिस काम के लिए आप रूपी को इतना महत्व दे रहे हैं उसका हमने मेरा तजुर्बा कुछ ज्यादा ही है देखना चाहते हैं,,,,
(संजय कुछ बोल पाता इससे पहले ही संजना,,, उसके सामने घुटनों के बल बैठ गई और तुरंत संजय की पेंट कीजिए संजय कुछ समझ पाता इससे पहले संजना पेंट की जीप के अंदर अपनी तो उंगली डालकर टटोल ते हुए संजय की अंडरवियर के आगे वाले छेद में से अपनी दोनों उंगलियों को डाल कर उसके अधखडे लंड को बाहर निकाल ली,,,और उसे अपनी मुट्ठी में भरकर हल्के हल्के हीलाते हुए संजय की आंखों में देखने लगी पलभर में ही संजय की आंखो में खुमारी छाने लगी,.,,, देखते ही देखते मानो पिचके हुए गुब्बारे में हवा भरने लगी हो इस तरह से संजय का मुरझाया लंड खिलने लगा था,,और देखते ही देखते हैं कब वह पूरी अपनी औकात में आ गया यह संजय को भी पता नहीं चला,,,लेकिन संजना यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि संजय किस तरह से और कैसे उत्तेजित होता है और अपनी औकात पर आता है,,, क्योंकि बरसों से ही वह संजय के साथ इस तरह का खेल खेलते आ रही थी,,, संजय कुछ बोल नहीं पा रहा था काफी दिन हो गए थे समझे ना के साथ पल बिताए हुए,,, संजना‌अब बिल्कुल भी देर नहीं करना चाहती थी,,, क्योंकि संजय का लंड अपनी औकात दिखा रहा था,,, संजना संजय की कमजोरी को अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपनी जीभ को बाहर निकाल कर अपनी जीत के छोर से वह संजय के खड़े लंड के छोटे से छेद को चाटना शुरू कर दी,,,, संजना की यह हरकत संजय की हालत खराब कर देती थी,,, संजना के हाथों और उसकी जीभ का जादू संजय के लंड के ऊपर अब भी बरकरार था,,,संजना की हरकत की वजह से सन से पूरी तरह से उत्तेजित होने लगा उसके तन बदन में हलचल होने लगी,,, वह अपनी जीभ को नुकीली करके संजय के छेद पर कब आने लगी जिससे उसके लंड का छेद हल्का-हल्का खुलने लगा,,,, एहसास संजय को हवा में लिए उड़ रहा था,,,, अभी तो संजना ने सिर्फ संजय के लंड को जीभ से चाटना भर शुरू की थी,,,, तो भी संजय का बुरा हाल था,,,

देखते ही देखते समझना संजय को पर बिजलियां गिराते हुए उसके लंड के सुपाड़े को मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दी,,,,,आहहहहहहहह,,, की गरम सिसकारी संजय के मुंह से फुट पड़ी,,, संजय कमजोर पड़ता जा रहा था संजना की हरकत की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,। थोड़ी देर तक संजना संजय के लंड के सुपाड़े को बेकरी के क्रीम कि तरह मुंह में भर कर उसके स्वाद का मजा लेती रही,,

सससहहहहहह,,,,,आहहहहहहहहहह,,,,,,संजय कीमत भरी आवाज एक बार फिर से संजना के कानों में पड़ी जो कि संजना को इस बात का एहसास दिला रही थी कि उसकी हरकत संजय को उसके सामने घुटनों के बल बैठने पर मजबूर कर रही है,,,, संजना अब संजय के पूरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,।वह संजय कैलेंडर को पूरा का पूरा मुंह में लेकर उसे चूसने का मजा ले रही थी और संजय को दे रही थी और अपने दोनों हाथों से संजय के पेंट की बटन खोलने लगी और अगले ही पल वह संजय की पेंट के बटन को खोल कर उसे नीचे खींच कर उसके घुटनों से नीचे ला दी,,,, संजय के लंड कि वह हमेशा से दीवानी रही थी उसे पूरा यकीन था कि उसके बीवी के बाद संजय के ऊपर उसका पूरा हक है लेकिन कुछ दिनों से रूबी के ऊपर संजय ज्यादा ध्यान दे रहा था जो कि संजना से देखा नहीं जा रहा था और इस कार्य में संजना ने संजय से बात भी की थी लेकिन संजय इसका जवाब नहीं दे पा रहा था बस बात को टाल रहा था रूबी की तरफ बढ़ते झुकाव संजना को अच्छी तरह से मालूम था कि किस वजह से है,,, रूबी एकदम जवान लड़की की जवानी की दहलीज पर कदम रख कर इस मुकाम पर पहुंची थी,,, और संजय की सबसे बड़ी कमजोरी थी जवान खूबसूरत कसी हुई बुर जो कि रूबी के पास बखूबी थी,,, संजना किसी भी तरह से संजय का ध्यान रूबी पर से अपने ऊपर लाना चाहती थी इसलिए वह आज संजय के केबिन में उसे स्वर्ग का सुख दे रही थी,,,,

संजना अपने आप ही संजय के समूचे लंड को अपने गले तक उतार कर मजे ले रही थी और अपनी उंगलियों का जादू उसके लंड के नीचे के गोटियो को पकड़कर चला रही थी,,,,,, संजय को संजना की हर एक हरकत कामुकता से भरी हुई लग रही थी उसे स्वर्ग का सुख नहीं रहा था मानो जैसे वह हवा में उड़ रहा हो,,,,,

सजना की स्कर्ट पहनी हुई थी काले रंग की स्कर्ट में उसका गोरा बदन और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था संजय के लैंड को मुंह में लेकर चूसते हुए वहां अपने दोनों हाथों से अपनी स्कर्ट को बैठे बैठे अपनी कमर तक उठा दी थी,,। लाल रंग की पैंटी में वह अपना हाथ डालकर अपनी गुलाबी बुर की पंखुड़ियों को मसल रही थी,,,। संजय को संजय की यह हरकत पागल बना रही थी संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है इसलिए वह घुटनों के बल से खड़ी हुई और उसी तरह से झुके हुए ही वह संजय के लंड को मुंह में ही रह गई,,, संजय के एक हाथ दूरी पर संजना की गोरी गोरी गांड नजर आ रही थी और संजना जानती थी कि संजय क्या करना चाहता है,,,और संजना के सोचने के मुताबिक संजय अपना हाथ आगे बढ़ाकर संजना की गांड को एक हाथ से पकड़ कर उसे दबाने लगा,,,, और उस पर चपत लगाने लगा,,,, कुछ देर तक यह खेल ऐसे ही चलता रहा,,। संजना भी काफी गर्म हो चुकी थी उसे भी अपनी बुर के अंदर संजय के लंड को लेने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी,,। इसलिए वह संजय के लंड को मुंह से बाहर निकाल कर खड़ी हुई,,,।इतना मोटा तगड़ा लंड मुंह में लेने की वजह से उसकी सांसे भारी चल रही थी,,


कैसा लगा,,,,?(मादक अदाओं से संजय की तरफ देखते हुए बोली)


बहुत अच्छा संजना,,,


क्या रूबी इतना मजा देती है,,,
(संजय संजना के सवाल का जवाब नहीं दे पाया,,, लेकिन यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि संजना के जैसा मजा रुबी नहीं दे पाती थी,,, वह सिर्फ इतना ही बोला।)


तुम बहुत अच्छी हो संजना,,,,,,


तो फिर मेरे पर क्यों काट रहे हैं,,,,(संजना उत्तेजना आत्मक तरीके से अपनी पेंटी में हाथ डालते हुए बोली यह देख कर संजय की हालत और ज्यादा खराब होने लगी,,,)

मैं कहां पर काट रहा हूं संजना,,,,


लगता तो ऐसा ही है रुबी मेरी बात नहीं मानती,,,


मानेगी संजना मानेगी,,,, मैं आज ही उसे बुलाकर अपने सीनियर से इजाजत लेने की कहुंगा,,,(इतना सुनते ही संजना के चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे,,,) अब मुझसे रहा नहीं जाता मेरी जान,,,,
(और इतना कहने के साथ ही,,, संजय उतावलापन दिखाते हुएसंजना को पकड़कर उसे टेबल पर चुका दिया तो उसकी पेंट को खींच कर नीचे घुटनों तक कर दिया,,, सजना की गोरी गोरी गांड देखकर और उसकी गुलाबी छेद को देखकर संजय पागल हो गया और अगले ही पल अपने खड़े लंड को संजना की गुलाबी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दीया संजना खुश नजर आ रही थी संजय लगातार टेबल पर संजना को झुका कर उसकी चुदाई कर रहा था और तभी सहज रूप से दरवाजा खुला और अंदर का नजारा देखकर शगुन की हालत खराब हो गई उसके हाथ पैर सुन्न हो गए वह उस नजारे को देखती ही रह गई,,,

शगुन यहां से गुजर रही थी तो सोची हॉस्पिटल से होकर घर जाएंगी और इसीलिए,, वह हॉस्पिटल में अपने पापा के केबिन में उनसे मिलने आई थी लेकिन यहां का नजारा ही कुछ और था शगुन ज्यादा से ज्यादा 15 सेकंड तक इस नजारे को देखती रही और इस 15 सेकंड में उसने सब कुछ देख ली,,, उसके पापा और संजना चुदाई में इतने मजबूर हो गए थे कि दरवाजा खुलने का उन्हें अहसास तक नहीं हुआ,,, और शगुन दरवाजे को फिर से बंद करके वहां से वापस लौट गई,,,,।
Lagta hai ki shagun ki chut jyada fadak rahi hai to use bhai se hi chudwa do bhai sanjay to bahar muh mar hi raha hai.aur shagun ne use dekh bhi liya to bhai se hi chudwa do jisse use seal pack chut mile. Phir sandhya ka number lagao.
Awesome update bhai
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rohnny4545

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आज शगुन अपने पापा का एक नया रूप देख रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखों ने देखा था वह शत-प्रतिशत सत्य था,,,, अपनी ही सेक्रेटरी के साथ चुदाई का खेल खेल रहे अपने पापा को देखकर से कम इतना तो समझ गई थी कि इसके पापा रंगीन मिजाज के हैं,,,, लेकिन वह यह सोच में पड़ गई कि इतनी खूबसूरत सुंदर सेक्सी बीवी होने के बावजूद भी उसके पापा दूसरी औरतों के साथ इस तरह के संबंध क्यों बनाते हैं,,, इसका जवाब शगुन को खुद ही मिल गया था धीरे-धीरे वह मर्दों की फितरत से वाकिफ होने लगी थी वह समझने लगी थी कि हर औरत को देखकर मर्द का खड़ा हो जाता है,,।

जैसे जैसे दिन गुजर रहा था वैसे वैसे शगुन की बुर कुछ ज्यादा ही फुदकने लगी थी,,, आखिरकार इसमें उसका बिल्कुल भी दोस्त नहीं था यह उम्र ही कुछ ऐसी होती है और वह भी वह पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और तो और अपनी आंखों से अपनी मां बाप के साथ साथ अपने बाप और अपने बाप की सेक्रेटरी के बीच चुदाई का गरमा गरम खेल जो देख चुकी थी,, इसलिए तो उसके बदन की गर्मी उसे और ज्यादा परेशान कर रही थी,,।


ऐसे ही एक दिन सुबह सुबह,,, शगुन उठी,,,वह बिस्तर में एकदम नंगी सोई हुई थी,,, उठकर वह तुरंत फ्रॉक पहन ली,,, ना तो वह फ्रॉक के नीचे ब्रा पहनी और ना ही पेंटिं,,, फ्रॉक के नीचे में पूरी तरह से नंगी थी और वो भी फ्रॉक इतनी छोटी की,,,, बड़ी मुश्किल से उसके नितंबों का घेराव उससे छुप पा रहा था,,‍ लेकिन शगुन इस कपड़े में अपने आप को बेहद सहज महसूस कर रही थी,,, आज उसका टेस्ट था जिसकी तैयारी करना बहुत जरूरी था,,, टेस्ट दोपहर से शुरू होने वाले थे,, उसके पास अभी भी काफी समय था इसलिए वह वैसे ही बिना फ्रेश हुए बिस्तर पर किताब खोल कर बैठ गई और पढ़ने लगी,,।

उसे एक चैप्टर समझ में नहीं आ रहा था,,, अपने कमरे से बाहर आई और सीढ़ियों पर खड़ी होकर नीचे डाइनिंग टेबल की तरफ नजर घुमाई जहां पर उसके पापा नाश्ता कर रहे थे उन्हें देखते ही शगुन बोली,,,।


पापा आज मेरा टेस्ट है,,, और मुझे चैप्टर समझ में नहीं आ रहा है आप आकर समझा देते तो अच्छा होता,,,


ठीक है मैं अभी नाश्ता करके आता हूं,,,(संजय एक ही नजर में सीढ़ीयों के पास खड़ी शगुन के खूबसूरत बदन का जायजा ले लिया,,, छोटे से फ्रॉक में उसकी चिकनी मांसल जांघें साफ नजर आ रही थी जिसे देखते ही संजय के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,। संजय नाश्ता करते हुए हैं शगुन को जाते हुए देखने लगा छोटे से फ्रॉक में उसकी गोलाकार गांड बहुत खूबसूरत लग रही थी,,, शगुन वापस अपने कमरे में चली गई,, और वापस जाकर बिस्तर पर बैठ गई पन्नों को इधर-उधर पलटते हुए वह टेस्ट के बारे में ही सोच रही थी,,,, उसके दिमाग में अभी ऐसा कुछ भी नहीं था,,,

दूसरी तरफ संजय नाश्ता करके तुरंत सीढ़ीयो के रास्ते ऊपर जाने लगा,,, शगुन के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था संजय दरवाजे पर खड़ा होकर पहले बिस्तर पर बैठी शगुन को देखने लगा,, उसकी चिकनी जांघें उसकी नंगी टांगे बड़े आराम से नजर आ रही थी,,, जिसे देख कर संजय की हालत खराब हो रही थी,,,, दरवाजे पर खड़े अपने पापा को देखकर शगुन बोली,,।


आओ ना पापा यह वाला चैप्टर मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है,,,,


कोई बात नहीं मैं अभी समझा देता हूं,,,(इतना कहकर संजय कमरे के अंदर प्रवेश किया और एहतियात के रूप में दरवाजे को बंद कर दिया लेकिन लोक नहीं किया,,, संजय भी बिस्तर पर बैठ गया था,,,,, संचय उसे उस चैप्टर के बारे में समझाने लगा,,, संजय की नजर अपनी बेटी की चिकनी टांगों पर घूम रही थी और उसकी चिकनी टांग को देखकर संजय का मन फिसल रहा था,,,। संजय की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,,,, अपनी बेटी की मदमस्त जवानी देख कर संजय की पेंट में गुबार उठ रहा था,। सगुन अपने पापा के प्रति पूरी तरह से आकर्षित थी लेकिन ऐसे में इसका पूरा ध्यान से कुछ एक्टर को समझने में लगा हुआ था उसे इस बात का भी आभास नहीं था कि जाने-अनजाने में उसकी चिकनी नंगी टांग को उसके पापा प्यासी नजरों से देख रहे हैं,,।

उत्तेजना रहित होने के बावजूद भी संजय बड़े अच्छे से शकुन कोर्स चैप्टर के बारे में समझा रहा था ताकि टेस्ट में उसके मार्क कम ना आवे,,,,थोड़ी ही देर में संजय अच्छी तरह से सगुन को उस चैप्टर के बारे में समझा दिया,,,, उसका समय हो रहा था इसलिए वह बोला,,,।


अच्छी तरह से समझ ली हो ना,,,


हां,,, पापा,,,


कोई दिक्कत तो नहीं है ना,,,।


नहीं कोई भी दिक्कत नहीं है,,,,


ठीक है मेरा समय हो रहा है मैं चलता हूं,,,, (इतना कहकर संजय बिस्तर पर से उठ गया लेकिन जैसे ही वहशगुन की दोनों टांगों के बीच रखी हुई किताब पर से अपनी नजर हटाने वाला था कि तभी उसकी नजर ऐसी खास जगह पर पहुंच गई जिसे देखते ही वो एकदम से सन्न रह गया,,,उस नजारे को देखकर संजय को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह कोई सपना देख रहा है,,,,,,, बेहद अद्भुत रमणीय अतुल्य और मादकता से भरा हुआ दृश्य था,,, संजय बस देखता ही रह गया,,। उसे देर हो रही थी लेकिन वह रुका रह गया वहीं खड़ा रह गया,,, संजय जाना चाहता था लेकिन वहां से अपने पैरों को पीछे नहीं ले पा रहा था,,, कर भी क्या सकता था उसकी आंखों के सामने दृश्य जो ऐसा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,, फ्रॉक छोटी होने की वजह से और शकूर अपनी दोनों टांगों को मोड़कर टांगों के बीच में किताब रख कर पढ़ रही थी जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की वह पतली दरार ,,, जिसे बुर कहां जाता है वह पूरी तरह से उजागर हो कर अपना वर्चस्व दिखा रही थी,,,। अपनी बेटी की बुर देख कर संजय की आंखों में चमक आ गई थी,,, संजय ललचाए आंखों से अपनी बेटी की बुर को देख रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे जिंदगी में उसने इस तरह की खूबसूरत बुर को कभी नहीं देखा है हालांकि वो अपनी जिंदगी में ना जाने कितनी बुर के दर्शन कर चुका था और भोग भी चुका था लेकिन शायद अपनी बेटी की बुर को देखना उसके लिए सबसे अध्भुत नजारा था,,, एकदम मादकता से भरा हुआ,,,

शगुन को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसकी बुर दिखाई दे रही है वह तो अपना पूरा ध्यान चैप्टर को समझने में लगाई हुई थी,,,, पर संजय अपना पूरा ध्यान अपनी बेटी की दोनों टांगों के बीच लगाया हुआ था,,,संजय अपने मन में अपनी बेटी की बुर को देखकर नहीं सोच रहा था कि वाकई में उसकी बेटी की बुर कितनी खूबसूरत है,,, एकदम चिकनी बालों का नामोनिशान नहीं था संजय इतना समझ गया था कि उसकी बेटी रोज क्रीम लगाकर साफ करती है तभी तो उसकी बुर ईतनी चिकनी है,,, एक दम दाग रहीत ,,,
संजय को अपनी बेटी की बुर के रूप में केवल एक पतली दरार ही नजर आ रही थी,,, एकदम अनछुई,,, इस अद्भुत नजारे को देख कर संजय के मुंह में पानी आ गया,,, साथ ही उसके लंड में भी,,,,जो कि इस बेहद खूबसूरत नजारे को देखकर धीरे-धीरे अपनी औकात में आ रहा था,,,
संजय की हालत खराब हो रही थी अपनी बेटी की रसीली बुर को देखकर वह यह भी भूल गया कि वह किसी गैर लड़की की नहीं बल्कि अपनी ही बेटी की बुर को देख रहा है,,,, संजय का मन शगुन की बुर में अपना लंड डालने को कर रहा था,,, क्योंकि शगुन की दोनों टांगों के बीच का अद्भुत नजारा संजय के दिलो-दिमाग पर छा चुका था,,,।
संजय अपनी बेटी की बुर को छुना चाहता था,, उसे अपनी हथेली में दबाना चाहता था,,, लेकिन इतनी हिम्मत अभी उसमे नहीं थी,,, तभी चैप्टर को समझ रही शगुन का ध्यान अब तक खड़े अपने पापा पर गया तो वह अपने पापा की तरफ देखते हुए बोली,,,।

पापा ,,, आप अभी तक,,,,, यहां,,,,,,,,(इतना कहना था कि,, शगुन अपने पापा की तरफ देखी और उनकी नजर के सिधान की दिशा को जैसे ही समझी वह पूरी तरह से चौक गई,,, वह झटके से अपने पापा की तरफ और फिर अपनी दोनों टांगों की तरफ देखकर स्तब्ध रह गई उसे अब जाकर इस बात का आभास हुआ कि दोनों पानी फैलाने की वजह से उसकी बुर एकदम साफ नजर आ रही थी,,, यह देखते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई,,,,,, सगुन को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, क्योंकि उसके पापा उसकी बुर को खा जाने वाली नजर से देख रहे थे,,, सगुन को अपने पापा की आंखों वासना साफ नजर आ रही थी,,, सगुन अपने पापा की नजरों को देखकर साफ समझ रही थी कि,, उसके पापा उसे चोदने वाली नजर से देख रही थी और यह ख्याल इस बात का आभास शगुन को होते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,,,,
ना जाने क्यों शर्मसार होने के बावजूद भी कुछ देर तक शगुन जानबूझकर अपनी बुर को अपने पापा को देखने का मौका दे रही थी और संजय भी इस मौके का पूरा फायदा उठा रहा था,,, लेकिन देखते ही देखते उसके पैंट में अच्छा खासा तंबू बन चुका था,,, और अपने पापा के पेंट में बने तंबू पर सगुन की नजर जा चुकी थी,,,यह नजारा शगुन के लिए भी बेहद अद्भुत और मादकता से भरा हुआ था क्योंकि शगुन इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि,, उसके पापा का लंड उसकी बुर को देखकर ही खड़ा हुआ है,,,,,, लेकिन अब इस नजारे पर परदा डालना बेहद जरूरी हो चुका था ,,,क्योंकि काफी समय हो चुका था और उसकी मम्मी किसी भी समय कमरे में आ सकती थी,,, इसलिए शगुन अपने कपड़ों के साथ-साथ खुद को ठीक तरह से कर ली,,, अब संजय के लिए भी ज्यादा देर तक वहां खड़ा रहना ठीक नहीं था लेकिन जाते जाते दोनों की नजरें एक दूसरे से टकरा गई दोनों की आंखों में एक दूसरे को पाने की ललक और उत्सुकता साफ नजर आ रही थी,,,, लेकिन शगुन अपने पापा की आंखों में एक अद्भुत चमक देखकर शरमा गई और अपनी नजरों को शर्मा कर नीचे कर ली,,, संजय कमरे से बाहर जा चुका था,,, लेकिन उसके तन बदन में शगुन ने अपनी जवानी से आग लगा चुकी थी,,,
अपने पापा के बाहर जाते ही,,, शगुन उत्तेजित अवस्था में अपनी दोनों टांगों के बीच अपना हाथ ले जाकर अपनी हथेली को जोर से अपनी बुर पर रगड़ ते हुए लंबी आह भरी और वापस टेस्ट की तैयारी करने लगी,,,।
 
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