Behad zaberdast shaandaar update bhaiदूसरी तरफ संजय और शगुन कार से आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, संजय के मन में ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के प्रति कामुक ख्याल आ रहे थे,,, उसकी आंखों के सामने उसकी गोरी गोरी सुडोल गांड नाच रही थी,,, संजय को अच्छी तरह से याद था वह पल जब वह अनजाने में ही अचानक कार के पीछे बैठकर पेशाब कर रही शगुन को उठते हुए और अपनी सलवार कमर तक लाते हुए देखा था बस कुछ ही सेकंड का वह दृश्य था लेकिन उस छोटे से पल में संजय अपनी बेटी की मांसल चिकनी गोल-गोल गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,,,वह बात अच्छी तरह से जानता था कि जो कुछ भी वह सोच रहा है उसके मन में जो ख्याल आ रहे हैं वह बिल्कुल गलत है ऐसा उसे सपने में भी नहीं सोचना चाहिए था लेकिन ख्यालों पर किसका बस रहता है ख्याल ही कल्पना को जन्म देते हैं और कल्पना में संजय अपनी बेटी के साथ उसके जवान खूबसूरत जिस्म के साथ सभी प्रकार से क्रीडा कर चुका था,,, यही हाल शगुन का भी था,,,अपने बाप के करीब रहते हैं उसके तन बदन में अजीब सी उलझन पैदा होने लगती थी उसका बदन कसमसाने लगता था सबसे ज्यादा असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होती थी,,, मन ही मन में वह आपने बाप को हीरो समझने लगी थी,,,,,, और वैसे भी वह अपने पापा को चुदाई करते हुए अपनी आंखों से देख चुकी थी एक तो अपनी मां के साथ और दूसरा हॉस्पिटल में,,,, तब से ना जाने क्यों वह अपने पापा के मर्दाना अंग को अपने अंदर महसूस करने के लिए तड़प रही थी,,, हालांकि वह संभोग सुख से बिल्कुल भी परिचित नहीं थे संभोग क्रिया के बारे में कैसे किया जाता है मुझे उसे बिल्कुल भी समझ नहीं था लेकिन उस पल को अपने अंदर महसूस करने की लालच उसके अंदर पनपने लगी थी,,,।
कब तक पहुंच जाएंगे पापा,,,,
शाम को तो पहुंच ही जाएंगे,,,, वैसे भी जिस जगह पर हम जा रहे हैं वह टूरिस्ट स्पॉट है बहुत मजा आएगा,,,।
(शगुन अपने पापा की बात सुनकर खुश हो गई लेकिन ना जाने क्यों उसके अंदर अपने पापा की बात सुनकर मदहोशी सी छाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी एग्जाम देने के लिए नहीं बल्कि हनीमून के लिए जा रही हो,,, संजय और शगुन दोनों के मन में पहले से कोई भी प्लान नहीं था कि वहां जाकर क्या करना है बस एक ही बात मालूम थी कि वहां जाकर एग्जाम देना है,,, लेकिन दोनों के मन में अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं आशा की किरण जरूर नजर आ रही थी कि वहां जाकर दोनों के बीच कुछ ना कुछ जरूर होगा इसी आशा के साथ शगुन मन ही मन में खुश हो रही थी,,, कार अपनी रफ्तार से चली जा रही थी,,,,)
और दूसरी तरफ सोनू जोकि अपनी मां की मस्त जवानी को अपनी दोनों हाथों में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था उसका बस चलता तो छत पर ही अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,, अपने से भी ज्यादा खुश किस्मत उस लड़के को समझ रहा था जो झाड़ियों में अपनी मां को छुपा कर उसकी चुदाई कर रहा था उसकी मां की मजे लेकर अपने बेटे का लंड को अपने बुर में डलवा कर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,वह मन ही मन अपनी मां से गुस्सा भी हो रहा था बार-बार वह अपनी मां को उस लड़के की मां से तुलना कर रहा था जो कि अपने बेटे के सुख के लिए उसके लिए अपनी दोनों टांगें खोल दी थी,,, और एक उसकी मां की जो उसके लिए अभी तक कुछ भी नहीं करी थी,,,,
छत पर जो कुछ भी हुआ था सोनू उसके लिए काफी उत्तेजित हो चुका था,,, सोनू की मां संध्या अपने काम में लगी हुई थी लेकिन सोनू का मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में कैद नजर आ रही थी,,, लेकिन एक बात सेवा पूरी तरह से उत्सुकत था की मालिश करने के बहाने उसे अपनी मां के खूबसूरत बदन को छूने का मौका मिलेगा,,, और वह इस इंतजार में घड़ियां गिन रहा था लेकिन दोनों टांगों के बीच इस तरह की हलचल हो रही थी उसे शांत करना बेहद जरूरी था इसलिए वह बाथरूम में घुस गया अपने सारे कपड़े उतार के एकदम नंगा हो गया,,,,
उत्तेजना के मारे सोनू का लंड लोहे के रोड की तरह एकदम टाइट हो गया था और एकदम गरम,,,,इस अवस्था में अगर कोई औरत उसके लंड को देख ले तो उसके लंड की दीवानी हुए बिना ना रह सकेगी,,,,,, सोनू को अपने लंड पर बहुत ज्यादा गर्व था क्योंकि वह मोबाइल में इंटरनेट के जरिए एक से एक मोटे तगड़े लंड को देख चुका था और उनमें से ही एक उसका भी लंड था,,,, हालांकि अभी तक उसने कीसी के साथ संभोग नहीं किया था लेकिन उसे अपने ऊपर और अपने लंड पर पूरा विश्वास था कि,,, जिस किसी की भी बुर में वह लंड डालेगा पूरी तरह से उसे संतुष्ट करके ही बाहर आएगा,,, और इस तरह के अनुभव के लिए उसकी नजर अपनी मां पर ही थी क्योंकि ऐसा दूसरी और कोई नहीं था जिसकी बुर में वह लंड डाल सके क्योंकि उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी,,,,,,, और वैसे भी उसे अपनी मां की खूबसूरती पर पूरी तरह से गर्व था क्योंकि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, उसका बदन बेहद कटीला और कसाव वाला था,,,,,, दोनों दशहरी आम रस से भरे हुए थे और उभारदार गांड किसी के भी होश उड़ा देने के लिए काफी है इसलिए वह अपनी मां का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था इसीलिए तो अपनी मां के ख्यालों में पूरी तरह से उत्तेजित होकर वह बाथरूम में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपने खड़े लंड को देखकर बार-बार उसकी आंखों के सामने,,, उसे अपनी मां नजर आ रही थी वह अपनी मां के बारे में कल्पना करते हुए अपनी आंखों को बंद कर लिया और कल्पना करते हुए अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हिलाने लगा उसकी कल्पना भी बेहद रंगीन थी,,, और कल्पना कर रहा था कि जैसे वह बाथरूम में है और उसकी मां पेशाब करने के लिए बाथरूम का दरवाजा जैसे ही खोली उसे लंड खिलाता हुआ देखकर दरवाजे पर ही खड़ी की खड़ी रह गई वह उसे डांटती इससे पहले उसकी नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ गई जिसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उससे रहा नहीं गया और वह बाथरूम का दरवाजा बंद कर के अंदर आ गई,,,,,, सोनू अपनी मां की कल्पना करते हुए पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,,।
कल्पना में संध्या बिना कुछ सोचे समझे अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बेटे के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चुसना शुरू कर दी,,,, इस तरह की कल्पना करते हुए सोनु एकदम मदहोश हुआ जा रहा था,,,, और संध्या पूरा का पूरा उसे अपनी मुंह में लेकर चूस रही थी,,,, सोनू का लंड अभी पानी नहीं छोड़ा था इसलिए कल्पना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक इसी तरह से लैंड चूसने के बाद उसकी मां खड़ी हुई और टॉयलेट पोट कर अपना एक पैर रखकर अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की तरफ कर ली दोनों की आंखों में खुमारी छाई हुई थी और संध्या धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस दी वह पेंटी नहीं पहनी थी,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देख कर,,,
संध्या अपने बेटे को ऊंगली से ईसारा कर रही थी उसकी आंखों में मदहोशी छाई हुई थी,,, सोनू से रहा नहीं गया वह एक कदम आगे बढ़करअपनी मां की गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे फैलाते हुए उसकी गुलाबी बुर को अपनी आंखों से देखने लगा,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर देखकर पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, सोनू से रहा नहीं गया और वह कल्पना में मस्त होता हुआ अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रख दिया और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड अपनी मां की बुर में गहराई तक डाल दिया संध्या के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अपनी कल्पना को मस्त करते हुए सोनू जोर-जोर से अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, उसकी कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि बहुत ही जल्द उसके लंड से पानी का फावारा छूट पड़ा जो कि सामने की दीवार में लगी टाइल्स पर गिरने लगा,,, सपनों की दुनिया से बाहर आते ही वो थोड़ा शांत होगा और अपने मन ही मन में यह दुआ करने लगा की काश यह कल्पना सच हो जाए,,,।
शाम होने वाली थी और सोनू को रात का इंतजार था जब सारे काम खत्म करके उसकी मां सोने के लिए जाती है,,, लेकिन रात होने में अभी बहुत समय था और घर पर मालिश करने के लिए मूव क्रीम भी नहीं थी,,, इसलिए वहां अपनी मां से बोला,,,।
चलो ना मम्मी आज मार्केट घूम कर आते हैं और वैसे भी घर पर सिर्फ हम दोनों जने हैं तो आज खाना मत बनाना बाहर ही खा कर आते हैं,,,
क्या बात है आज तो एकदम हीरोगिरी दिखा रहा है,,,(संध्या अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए बोली,,)
नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं होनी और वैसे भी आपकी मर्जी जो करना है और घर पर कोई क्रीम भी नहीं है इसी बहाने क्रीम भी खरीद लेंगे,,,,
हां क्रीम से याद आया मुझे भी अपने लिए क्रीम खरीदना है,,,
कौन सी क्रीम मम्मी,,,
अरे है कोई क्रीम मैं खरीद लूंगी चल में जल्दी से तैयार हो जाती हूं,,,,(पर इतना कहकर संध्या अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई,,, और सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगा,,,, क्रीम वाली बात पर सोनू का दिमाग बड़ी तेजी से करने लगा था उसे लगने लगा था कि कहीं उसकी मां बालों को साफ करने वाली क्रीम की बात तो नहीं कर रही है क्योंकि उसने उसे नाम भी नहीं बताई थी बालों को साफ करने वाली क्रीम के बारे में सोचते ही वह अपने मन में अपनी मां की क्रीम से साफ हुई चिकनी बुर के बारे में सोचने लगा और अपनी मां की बुर के बारे में सोचते ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया,,,।
थोड़ी ही देर में उसकी मा तैयार होकर आ गई वह अपनी मां को देखते ही रह गया तैयार होने के बाद वह और ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी,,,,,, सोनू अपनी बाइक निकालकर बाहर स्टार्ट करके खड़ा हो गया और उसकी मां दरवाजे पर लॉक लगाकर उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक के पीछे बैठ गई,,, और सोनू एक्सीलेटर देखकर बाइक आगे बढ़ा दिया,,,।
भाईदूसरी तरफ संजय और शगुन कार से आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, संजय के मन में ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के प्रति कामुक ख्याल आ रहे थे,,, उसकी आंखों के सामने उसकी गोरी गोरी सुडोल गांड नाच रही थी,,, संजय को अच्छी तरह से याद था वह पल जब वह अनजाने में ही अचानक कार के पीछे बैठकर पेशाब कर रही शगुन को उठते हुए और अपनी सलवार कमर तक लाते हुए देखा था बस कुछ ही सेकंड का वह दृश्य था लेकिन उस छोटे से पल में संजय अपनी बेटी की मांसल चिकनी गोल-गोल गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,,,वह बात अच्छी तरह से जानता था कि जो कुछ भी वह सोच रहा है उसके मन में जो ख्याल आ रहे हैं वह बिल्कुल गलत है ऐसा उसे सपने में भी नहीं सोचना चाहिए था लेकिन ख्यालों पर किसका बस रहता है ख्याल ही कल्पना को जन्म देते हैं और कल्पना में संजय अपनी बेटी के साथ उसके जवान खूबसूरत जिस्म के साथ सभी प्रकार से क्रीडा कर चुका था,,, यही हाल शगुन का भी था,,,अपने बाप के करीब रहते हैं उसके तन बदन में अजीब सी उलझन पैदा होने लगती थी उसका बदन कसमसाने लगता था सबसे ज्यादा असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होती थी,,, मन ही मन में वह आपने बाप को हीरो समझने लगी थी,,,,,, और वैसे भी वह अपने पापा को चुदाई करते हुए अपनी आंखों से देख चुकी थी एक तो अपनी मां के साथ और दूसरा हॉस्पिटल में,,,, तब से ना जाने क्यों वह अपने पापा के मर्दाना अंग को अपने अंदर महसूस करने के लिए तड़प रही थी,,, हालांकि वह संभोग सुख से बिल्कुल भी परिचित नहीं थे संभोग क्रिया के बारे में कैसे किया जाता है मुझे उसे बिल्कुल भी समझ नहीं था लेकिन उस पल को अपने अंदर महसूस करने की लालच उसके अंदर पनपने लगी थी,,,।
कब तक पहुंच जाएंगे पापा,,,,
शाम को तो पहुंच ही जाएंगे,,,, वैसे भी जिस जगह पर हम जा रहे हैं वह टूरिस्ट स्पॉट है बहुत मजा आएगा,,,।
(शगुन अपने पापा की बात सुनकर खुश हो गई लेकिन ना जाने क्यों उसके अंदर अपने पापा की बात सुनकर मदहोशी सी छाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी एग्जाम देने के लिए नहीं बल्कि हनीमून के लिए जा रही हो,,, संजय और शगुन दोनों के मन में पहले से कोई भी प्लान नहीं था कि वहां जाकर क्या करना है बस एक ही बात मालूम थी कि वहां जाकर एग्जाम देना है,,, लेकिन दोनों के मन में अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं आशा की किरण जरूर नजर आ रही थी कि वहां जाकर दोनों के बीच कुछ ना कुछ जरूर होगा इसी आशा के साथ शगुन मन ही मन में खुश हो रही थी,,, कार अपनी रफ्तार से चली जा रही थी,,,,)
और दूसरी तरफ सोनू जोकि अपनी मां की मस्त जवानी को अपनी दोनों हाथों में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था उसका बस चलता तो छत पर ही अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,, अपने से भी ज्यादा खुश किस्मत उस लड़के को समझ रहा था जो झाड़ियों में अपनी मां को छुपा कर उसकी चुदाई कर रहा था उसकी मां की मजे लेकर अपने बेटे का लंड को अपने बुर में डलवा कर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,वह मन ही मन अपनी मां से गुस्सा भी हो रहा था बार-बार वह अपनी मां को उस लड़के की मां से तुलना कर रहा था जो कि अपने बेटे के सुख के लिए उसके लिए अपनी दोनों टांगें खोल दी थी,,, और एक उसकी मां की जो उसके लिए अभी तक कुछ भी नहीं करी थी,,,,
छत पर जो कुछ भी हुआ था सोनू उसके लिए काफी उत्तेजित हो चुका था,,, सोनू की मां संध्या अपने काम में लगी हुई थी लेकिन सोनू का मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में कैद नजर आ रही थी,,, लेकिन एक बात सेवा पूरी तरह से उत्सुकत था की मालिश करने के बहाने उसे अपनी मां के खूबसूरत बदन को छूने का मौका मिलेगा,,, और वह इस इंतजार में घड़ियां गिन रहा था लेकिन दोनों टांगों के बीच इस तरह की हलचल हो रही थी उसे शांत करना बेहद जरूरी था इसलिए वह बाथरूम में घुस गया अपने सारे कपड़े उतार के एकदम नंगा हो गया,,,,
उत्तेजना के मारे सोनू का लंड लोहे के रोड की तरह एकदम टाइट हो गया था और एकदम गरम,,,,इस अवस्था में अगर कोई औरत उसके लंड को देख ले तो उसके लंड की दीवानी हुए बिना ना रह सकेगी,,,,,, सोनू को अपने लंड पर बहुत ज्यादा गर्व था क्योंकि वह मोबाइल में इंटरनेट के जरिए एक से एक मोटे तगड़े लंड को देख चुका था और उनमें से ही एक उसका भी लंड था,,,, हालांकि अभी तक उसने कीसी के साथ संभोग नहीं किया था लेकिन उसे अपने ऊपर और अपने लंड पर पूरा विश्वास था कि,,, जिस किसी की भी बुर में वह लंड डालेगा पूरी तरह से उसे संतुष्ट करके ही बाहर आएगा,,, और इस तरह के अनुभव के लिए उसकी नजर अपनी मां पर ही थी क्योंकि ऐसा दूसरी और कोई नहीं था जिसकी बुर में वह लंड डाल सके क्योंकि उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी,,,,,,, और वैसे भी उसे अपनी मां की खूबसूरती पर पूरी तरह से गर्व था क्योंकि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, उसका बदन बेहद कटीला और कसाव वाला था,,,,,, दोनों दशहरी आम रस से भरे हुए थे और उभारदार गांड किसी के भी होश उड़ा देने के लिए काफी है इसलिए वह अपनी मां का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था इसीलिए तो अपनी मां के ख्यालों में पूरी तरह से उत्तेजित होकर वह बाथरूम में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपने खड़े लंड को देखकर बार-बार उसकी आंखों के सामने,,, उसे अपनी मां नजर आ रही थी वह अपनी मां के बारे में कल्पना करते हुए अपनी आंखों को बंद कर लिया और कल्पना करते हुए अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हिलाने लगा उसकी कल्पना भी बेहद रंगीन थी,,, और कल्पना कर रहा था कि जैसे वह बाथरूम में है और उसकी मां पेशाब करने के लिए बाथरूम का दरवाजा जैसे ही खोली उसे लंड खिलाता हुआ देखकर दरवाजे पर ही खड़ी की खड़ी रह गई वह उसे डांटती इससे पहले उसकी नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ गई जिसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उससे रहा नहीं गया और वह बाथरूम का दरवाजा बंद कर के अंदर आ गई,,,,,, सोनू अपनी मां की कल्पना करते हुए पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,,।
कल्पना में संध्या बिना कुछ सोचे समझे अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बेटे के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चुसना शुरू कर दी,,,, इस तरह की कल्पना करते हुए सोनु एकदम मदहोश हुआ जा रहा था,,,, और संध्या पूरा का पूरा उसे अपनी मुंह में लेकर चूस रही थी,,,, सोनू का लंड अभी पानी नहीं छोड़ा था इसलिए कल्पना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक इसी तरह से लैंड चूसने के बाद उसकी मां खड़ी हुई और टॉयलेट पोट कर अपना एक पैर रखकर अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की तरफ कर ली दोनों की आंखों में खुमारी छाई हुई थी और संध्या धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस दी वह पेंटी नहीं पहनी थी,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देख कर,,,
संध्या अपने बेटे को ऊंगली से ईसारा कर रही थी उसकी आंखों में मदहोशी छाई हुई थी,,, सोनू से रहा नहीं गया वह एक कदम आगे बढ़करअपनी मां की गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे फैलाते हुए उसकी गुलाबी बुर को अपनी आंखों से देखने लगा,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर देखकर पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, सोनू से रहा नहीं गया और वह कल्पना में मस्त होता हुआ अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रख दिया और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड अपनी मां की बुर में गहराई तक डाल दिया संध्या के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अपनी कल्पना को मस्त करते हुए सोनू जोर-जोर से अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, उसकी कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि बहुत ही जल्द उसके लंड से पानी का फावारा छूट पड़ा जो कि सामने की दीवार में लगी टाइल्स पर गिरने लगा,,, सपनों की दुनिया से बाहर आते ही वो थोड़ा शांत होगा और अपने मन ही मन में यह दुआ करने लगा की काश यह कल्पना सच हो जाए,,,।
शाम होने वाली थी और सोनू को रात का इंतजार था जब सारे काम खत्म करके उसकी मां सोने के लिए जाती है,,, लेकिन रात होने में अभी बहुत समय था और घर पर मालिश करने के लिए मूव क्रीम भी नहीं थी,,, इसलिए वहां अपनी मां से बोला,,,।
चलो ना मम्मी आज मार्केट घूम कर आते हैं और वैसे भी घर पर सिर्फ हम दोनों जने हैं तो आज खाना मत बनाना बाहर ही खा कर आते हैं,,,
क्या बात है आज तो एकदम हीरोगिरी दिखा रहा है,,,(संध्या अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए बोली,,)
नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं होनी और वैसे भी आपकी मर्जी जो करना है और घर पर कोई क्रीम भी नहीं है इसी बहाने क्रीम भी खरीद लेंगे,,,,
हां क्रीम से याद आया मुझे भी अपने लिए क्रीम खरीदना है,,,
कौन सी क्रीम मम्मी,,,
अरे है कोई क्रीम मैं खरीद लूंगी चल में जल्दी से तैयार हो जाती हूं,,,,(पर इतना कहकर संध्या अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई,,, और सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगा,,,, क्रीम वाली बात पर सोनू का दिमाग बड़ी तेजी से करने लगा था उसे लगने लगा था कि कहीं उसकी मां बालों को साफ करने वाली क्रीम की बात तो नहीं कर रही है क्योंकि उसने उसे नाम भी नहीं बताई थी बालों को साफ करने वाली क्रीम के बारे में सोचते ही वह अपने मन में अपनी मां की क्रीम से साफ हुई चिकनी बुर के बारे में सोचने लगा और अपनी मां की बुर के बारे में सोचते ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया,,,।
थोड़ी ही देर में उसकी मा तैयार होकर आ गई वह अपनी मां को देखते ही रह गया तैयार होने के बाद वह और ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी,,,,,, सोनू अपनी बाइक निकालकर बाहर स्टार्ट करके खड़ा हो गया और उसकी मां दरवाजे पर लॉक लगाकर उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक के पीछे बैठ गई,,, और सोनू एक्सीलेटर देखकर बाइक आगे बढ़ा दिया,,,।
Hot update bhai sahabदूसरी तरफ संजय और शगुन कार से आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, संजय के मन में ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के प्रति कामुक ख्याल आ रहे थे,,, उसकी आंखों के सामने उसकी गोरी गोरी सुडोल गांड नाच रही थी,,, संजय को अच्छी तरह से याद था वह पल जब वह अनजाने में ही अचानक कार के पीछे बैठकर पेशाब कर रही शगुन को उठते हुए और अपनी सलवार कमर तक लाते हुए देखा था बस कुछ ही सेकंड का वह दृश्य था लेकिन उस छोटे से पल में संजय अपनी बेटी की मांसल चिकनी गोल-गोल गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,,,वह बात अच्छी तरह से जानता था कि जो कुछ भी वह सोच रहा है उसके मन में जो ख्याल आ रहे हैं वह बिल्कुल गलत है ऐसा उसे सपने में भी नहीं सोचना चाहिए था लेकिन ख्यालों पर किसका बस रहता है ख्याल ही कल्पना को जन्म देते हैं और कल्पना में संजय अपनी बेटी के साथ उसके जवान खूबसूरत जिस्म के साथ सभी प्रकार से क्रीडा कर चुका था,,, यही हाल शगुन का भी था,,,अपने बाप के करीब रहते हैं उसके तन बदन में अजीब सी उलझन पैदा होने लगती थी उसका बदन कसमसाने लगता था सबसे ज्यादा असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होती थी,,, मन ही मन में वह आपने बाप को हीरो समझने लगी थी,,,,,, और वैसे भी वह अपने पापा को चुदाई करते हुए अपनी आंखों से देख चुकी थी एक तो अपनी मां के साथ और दूसरा हॉस्पिटल में,,,, तब से ना जाने क्यों वह अपने पापा के मर्दाना अंग को अपने अंदर महसूस करने के लिए तड़प रही थी,,, हालांकि वह संभोग सुख से बिल्कुल भी परिचित नहीं थे संभोग क्रिया के बारे में कैसे किया जाता है मुझे उसे बिल्कुल भी समझ नहीं था लेकिन उस पल को अपने अंदर महसूस करने की लालच उसके अंदर पनपने लगी थी,,,।
कब तक पहुंच जाएंगे पापा,,,,
शाम को तो पहुंच ही जाएंगे,,,, वैसे भी जिस जगह पर हम जा रहे हैं वह टूरिस्ट स्पॉट है बहुत मजा आएगा,,,।
(शगुन अपने पापा की बात सुनकर खुश हो गई लेकिन ना जाने क्यों उसके अंदर अपने पापा की बात सुनकर मदहोशी सी छाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी एग्जाम देने के लिए नहीं बल्कि हनीमून के लिए जा रही हो,,, संजय और शगुन दोनों के मन में पहले से कोई भी प्लान नहीं था कि वहां जाकर क्या करना है बस एक ही बात मालूम थी कि वहां जाकर एग्जाम देना है,,, लेकिन दोनों के मन में अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं आशा की किरण जरूर नजर आ रही थी कि वहां जाकर दोनों के बीच कुछ ना कुछ जरूर होगा इसी आशा के साथ शगुन मन ही मन में खुश हो रही थी,,, कार अपनी रफ्तार से चली जा रही थी,,,,)
और दूसरी तरफ सोनू जोकि अपनी मां की मस्त जवानी को अपनी दोनों हाथों में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था उसका बस चलता तो छत पर ही अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,, अपने से भी ज्यादा खुश किस्मत उस लड़के को समझ रहा था जो झाड़ियों में अपनी मां को छुपा कर उसकी चुदाई कर रहा था उसकी मां की मजे लेकर अपने बेटे का लंड को अपने बुर में डलवा कर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,वह मन ही मन अपनी मां से गुस्सा भी हो रहा था बार-बार वह अपनी मां को उस लड़के की मां से तुलना कर रहा था जो कि अपने बेटे के सुख के लिए उसके लिए अपनी दोनों टांगें खोल दी थी,,, और एक उसकी मां की जो उसके लिए अभी तक कुछ भी नहीं करी थी,,,,
छत पर जो कुछ भी हुआ था सोनू उसके लिए काफी उत्तेजित हो चुका था,,, सोनू की मां संध्या अपने काम में लगी हुई थी लेकिन सोनू का मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में कैद नजर आ रही थी,,, लेकिन एक बात सेवा पूरी तरह से उत्सुकत था की मालिश करने के बहाने उसे अपनी मां के खूबसूरत बदन को छूने का मौका मिलेगा,,, और वह इस इंतजार में घड़ियां गिन रहा था लेकिन दोनों टांगों के बीच इस तरह की हलचल हो रही थी उसे शांत करना बेहद जरूरी था इसलिए वह बाथरूम में घुस गया अपने सारे कपड़े उतार के एकदम नंगा हो गया,,,,
उत्तेजना के मारे सोनू का लंड लोहे के रोड की तरह एकदम टाइट हो गया था और एकदम गरम,,,,इस अवस्था में अगर कोई औरत उसके लंड को देख ले तो उसके लंड की दीवानी हुए बिना ना रह सकेगी,,,,,, सोनू को अपने लंड पर बहुत ज्यादा गर्व था क्योंकि वह मोबाइल में इंटरनेट के जरिए एक से एक मोटे तगड़े लंड को देख चुका था और उनमें से ही एक उसका भी लंड था,,,, हालांकि अभी तक उसने कीसी के साथ संभोग नहीं किया था लेकिन उसे अपने ऊपर और अपने लंड पर पूरा विश्वास था कि,,, जिस किसी की भी बुर में वह लंड डालेगा पूरी तरह से उसे संतुष्ट करके ही बाहर आएगा,,, और इस तरह के अनुभव के लिए उसकी नजर अपनी मां पर ही थी क्योंकि ऐसा दूसरी और कोई नहीं था जिसकी बुर में वह लंड डाल सके क्योंकि उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी,,,,,,, और वैसे भी उसे अपनी मां की खूबसूरती पर पूरी तरह से गर्व था क्योंकि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, उसका बदन बेहद कटीला और कसाव वाला था,,,,,, दोनों दशहरी आम रस से भरे हुए थे और उभारदार गांड किसी के भी होश उड़ा देने के लिए काफी है इसलिए वह अपनी मां का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था इसीलिए तो अपनी मां के ख्यालों में पूरी तरह से उत्तेजित होकर वह बाथरूम में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपने खड़े लंड को देखकर बार-बार उसकी आंखों के सामने,,, उसे अपनी मां नजर आ रही थी वह अपनी मां के बारे में कल्पना करते हुए अपनी आंखों को बंद कर लिया और कल्पना करते हुए अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हिलाने लगा उसकी कल्पना भी बेहद रंगीन थी,,, और कल्पना कर रहा था कि जैसे वह बाथरूम में है और उसकी मां पेशाब करने के लिए बाथरूम का दरवाजा जैसे ही खोली उसे लंड खिलाता हुआ देखकर दरवाजे पर ही खड़ी की खड़ी रह गई वह उसे डांटती इससे पहले उसकी नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ गई जिसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उससे रहा नहीं गया और वह बाथरूम का दरवाजा बंद कर के अंदर आ गई,,,,,, सोनू अपनी मां की कल्पना करते हुए पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,,।
कल्पना में संध्या बिना कुछ सोचे समझे अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बेटे के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चुसना शुरू कर दी,,,, इस तरह की कल्पना करते हुए सोनु एकदम मदहोश हुआ जा रहा था,,,, और संध्या पूरा का पूरा उसे अपनी मुंह में लेकर चूस रही थी,,,, सोनू का लंड अभी पानी नहीं छोड़ा था इसलिए कल्पना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक इसी तरह से लैंड चूसने के बाद उसकी मां खड़ी हुई और टॉयलेट पोट कर अपना एक पैर रखकर अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की तरफ कर ली दोनों की आंखों में खुमारी छाई हुई थी और संध्या धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस दी वह पेंटी नहीं पहनी थी,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देख कर,,,
संध्या अपने बेटे को ऊंगली से ईसारा कर रही थी उसकी आंखों में मदहोशी छाई हुई थी,,, सोनू से रहा नहीं गया वह एक कदम आगे बढ़करअपनी मां की गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे फैलाते हुए उसकी गुलाबी बुर को अपनी आंखों से देखने लगा,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर देखकर पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, सोनू से रहा नहीं गया और वह कल्पना में मस्त होता हुआ अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रख दिया और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड अपनी मां की बुर में गहराई तक डाल दिया संध्या के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अपनी कल्पना को मस्त करते हुए सोनू जोर-जोर से अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, उसकी कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि बहुत ही जल्द उसके लंड से पानी का फावारा छूट पड़ा जो कि सामने की दीवार में लगी टाइल्स पर गिरने लगा,,, सपनों की दुनिया से बाहर आते ही वो थोड़ा शांत होगा और अपने मन ही मन में यह दुआ करने लगा की काश यह कल्पना सच हो जाए,,,।
शाम होने वाली थी और सोनू को रात का इंतजार था जब सारे काम खत्म करके उसकी मां सोने के लिए जाती है,,, लेकिन रात होने में अभी बहुत समय था और घर पर मालिश करने के लिए मूव क्रीम भी नहीं थी,,, इसलिए वहां अपनी मां से बोला,,,।
चलो ना मम्मी आज मार्केट घूम कर आते हैं और वैसे भी घर पर सिर्फ हम दोनों जने हैं तो आज खाना मत बनाना बाहर ही खा कर आते हैं,,,
क्या बात है आज तो एकदम हीरोगिरी दिखा रहा है,,,(संध्या अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए बोली,,)
नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं होनी और वैसे भी आपकी मर्जी जो करना है और घर पर कोई क्रीम भी नहीं है इसी बहाने क्रीम भी खरीद लेंगे,,,,
हां क्रीम से याद आया मुझे भी अपने लिए क्रीम खरीदना है,,,
कौन सी क्रीम मम्मी,,,
अरे है कोई क्रीम मैं खरीद लूंगी चल में जल्दी से तैयार हो जाती हूं,,,,(पर इतना कहकर संध्या अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई,,, और सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगा,,,, क्रीम वाली बात पर सोनू का दिमाग बड़ी तेजी से करने लगा था उसे लगने लगा था कि कहीं उसकी मां बालों को साफ करने वाली क्रीम की बात तो नहीं कर रही है क्योंकि उसने उसे नाम भी नहीं बताई थी बालों को साफ करने वाली क्रीम के बारे में सोचते ही वह अपने मन में अपनी मां की क्रीम से साफ हुई चिकनी बुर के बारे में सोचने लगा और अपनी मां की बुर के बारे में सोचते ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया,,,।
थोड़ी ही देर में उसकी मा तैयार होकर आ गई वह अपनी मां को देखते ही रह गया तैयार होने के बाद वह और ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी,,,,,, सोनू अपनी बाइक निकालकर बाहर स्टार्ट करके खड़ा हो गया और उसकी मां दरवाजे पर लॉक लगाकर उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक के पीछे बैठ गई,,, और सोनू एक्सीलेटर देखकर बाइक आगे बढ़ा दिया,,,।
Bahut dino baad bahut badhiya updateदूसरी तरफ संजय और शगुन कार से आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,, संजय के मन में ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के प्रति कामुक ख्याल आ रहे थे,,, उसकी आंखों के सामने उसकी गोरी गोरी सुडोल गांड नाच रही थी,,, संजय को अच्छी तरह से याद था वह पल जब वह अनजाने में ही अचानक कार के पीछे बैठकर पेशाब कर रही शगुन को उठते हुए और अपनी सलवार कमर तक लाते हुए देखा था बस कुछ ही सेकंड का वह दृश्य था लेकिन उस छोटे से पल में संजय अपनी बेटी की मांसल चिकनी गोल-गोल गांड देखकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,,,,वह बात अच्छी तरह से जानता था कि जो कुछ भी वह सोच रहा है उसके मन में जो ख्याल आ रहे हैं वह बिल्कुल गलत है ऐसा उसे सपने में भी नहीं सोचना चाहिए था लेकिन ख्यालों पर किसका बस रहता है ख्याल ही कल्पना को जन्म देते हैं और कल्पना में संजय अपनी बेटी के साथ उसके जवान खूबसूरत जिस्म के साथ सभी प्रकार से क्रीडा कर चुका था,,, यही हाल शगुन का भी था,,,अपने बाप के करीब रहते हैं उसके तन बदन में अजीब सी उलझन पैदा होने लगती थी उसका बदन कसमसाने लगता था सबसे ज्यादा असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच महसूस होती थी,,, मन ही मन में वह आपने बाप को हीरो समझने लगी थी,,,,,, और वैसे भी वह अपने पापा को चुदाई करते हुए अपनी आंखों से देख चुकी थी एक तो अपनी मां के साथ और दूसरा हॉस्पिटल में,,,, तब से ना जाने क्यों वह अपने पापा के मर्दाना अंग को अपने अंदर महसूस करने के लिए तड़प रही थी,,, हालांकि वह संभोग सुख से बिल्कुल भी परिचित नहीं थे संभोग क्रिया के बारे में कैसे किया जाता है मुझे उसे बिल्कुल भी समझ नहीं था लेकिन उस पल को अपने अंदर महसूस करने की लालच उसके अंदर पनपने लगी थी,,,।
कब तक पहुंच जाएंगे पापा,,,,
शाम को तो पहुंच ही जाएंगे,,,, वैसे भी जिस जगह पर हम जा रहे हैं वह टूरिस्ट स्पॉट है बहुत मजा आएगा,,,।
(शगुन अपने पापा की बात सुनकर खुश हो गई लेकिन ना जाने क्यों उसके अंदर अपने पापा की बात सुनकर मदहोशी सी छाने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी एग्जाम देने के लिए नहीं बल्कि हनीमून के लिए जा रही हो,,, संजय और शगुन दोनों के मन में पहले से कोई भी प्लान नहीं था कि वहां जाकर क्या करना है बस एक ही बात मालूम थी कि वहां जाकर एग्जाम देना है,,, लेकिन दोनों के मन में अंदर ही अंदर कहीं ना कहीं आशा की किरण जरूर नजर आ रही थी कि वहां जाकर दोनों के बीच कुछ ना कुछ जरूर होगा इसी आशा के साथ शगुन मन ही मन में खुश हो रही थी,,, कार अपनी रफ्तार से चली जा रही थी,,,,)
और दूसरी तरफ सोनू जोकि अपनी मां की मस्त जवानी को अपनी दोनों हाथों में लेकर पूरी तरह से मदहोश हो चुका था उसका बस चलता तो छत पर ही अपनी मां की साड़ी कमर तक उठाकर उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई कर दिया होता,,, अपने से भी ज्यादा खुश किस्मत उस लड़के को समझ रहा था जो झाड़ियों में अपनी मां को छुपा कर उसकी चुदाई कर रहा था उसकी मां की मजे लेकर अपने बेटे का लंड को अपने बुर में डलवा कर चुदाई का मजा लूट रही थी,,,वह मन ही मन अपनी मां से गुस्सा भी हो रहा था बार-बार वह अपनी मां को उस लड़के की मां से तुलना कर रहा था जो कि अपने बेटे के सुख के लिए उसके लिए अपनी दोनों टांगें खोल दी थी,,, और एक उसकी मां की जो उसके लिए अभी तक कुछ भी नहीं करी थी,,,,
छत पर जो कुछ भी हुआ था सोनू उसके लिए काफी उत्तेजित हो चुका था,,, सोनू की मां संध्या अपने काम में लगी हुई थी लेकिन सोनू का मन बिल्कुल भी नहीं लग रहा था बार बार उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज में कैद नजर आ रही थी,,, लेकिन एक बात सेवा पूरी तरह से उत्सुकत था की मालिश करने के बहाने उसे अपनी मां के खूबसूरत बदन को छूने का मौका मिलेगा,,, और वह इस इंतजार में घड़ियां गिन रहा था लेकिन दोनों टांगों के बीच इस तरह की हलचल हो रही थी उसे शांत करना बेहद जरूरी था इसलिए वह बाथरूम में घुस गया अपने सारे कपड़े उतार के एकदम नंगा हो गया,,,,
उत्तेजना के मारे सोनू का लंड लोहे के रोड की तरह एकदम टाइट हो गया था और एकदम गरम,,,,इस अवस्था में अगर कोई औरत उसके लंड को देख ले तो उसके लंड की दीवानी हुए बिना ना रह सकेगी,,,,,, सोनू को अपने लंड पर बहुत ज्यादा गर्व था क्योंकि वह मोबाइल में इंटरनेट के जरिए एक से एक मोटे तगड़े लंड को देख चुका था और उनमें से ही एक उसका भी लंड था,,,, हालांकि अभी तक उसने कीसी के साथ संभोग नहीं किया था लेकिन उसे अपने ऊपर और अपने लंड पर पूरा विश्वास था कि,,, जिस किसी की भी बुर में वह लंड डालेगा पूरी तरह से उसे संतुष्ट करके ही बाहर आएगा,,, और इस तरह के अनुभव के लिए उसकी नजर अपनी मां पर ही थी क्योंकि ऐसा दूसरी और कोई नहीं था जिसकी बुर में वह लंड डाल सके क्योंकि उसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी,,,,,,, और वैसे भी उसे अपनी मां की खूबसूरती पर पूरी तरह से गर्व था क्योंकि उसकी मां बेहद खूबसूरत थी,,, उसका बदन बेहद कटीला और कसाव वाला था,,,,,, दोनों दशहरी आम रस से भरे हुए थे और उभारदार गांड किसी के भी होश उड़ा देने के लिए काफी है इसलिए वह अपनी मां का पूरी तरह से दीवाना हो चुका था इसीलिए तो अपनी मां के ख्यालों में पूरी तरह से उत्तेजित होकर वह बाथरूम में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और अपने खड़े लंड को देखकर बार-बार उसकी आंखों के सामने,,, उसे अपनी मां नजर आ रही थी वह अपनी मां के बारे में कल्पना करते हुए अपनी आंखों को बंद कर लिया और कल्पना करते हुए अपने लंड को मुट्ठी में भरकर हिलाने लगा उसकी कल्पना भी बेहद रंगीन थी,,, और कल्पना कर रहा था कि जैसे वह बाथरूम में है और उसकी मां पेशाब करने के लिए बाथरूम का दरवाजा जैसे ही खोली उसे लंड खिलाता हुआ देखकर दरवाजे पर ही खड़ी की खड़ी रह गई वह उसे डांटती इससे पहले उसकी नजर अपने बेटे के लंड पर पड़ गई जिसे देखकर उसके होश उड़ गए,,,, उससे रहा नहीं गया और वह बाथरूम का दरवाजा बंद कर के अंदर आ गई,,,,,, सोनू अपनी मां की कल्पना करते हुए पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था और अपने लंड को जोर-जोर से मुठीया रहा था,,,।
कल्पना में संध्या बिना कुछ सोचे समझे अपने घुटनों के बल बैठ गई और अपनी बेटे के लंड को पकड़ कर अपने मुंह में डालकर लॉलीपॉप की तरह चुसना शुरू कर दी,,,, इस तरह की कल्पना करते हुए सोनु एकदम मदहोश हुआ जा रहा था,,,, और संध्या पूरा का पूरा उसे अपनी मुंह में लेकर चूस रही थी,,,, सोनू का लंड अभी पानी नहीं छोड़ा था इसलिए कल्पना बढ़ती जा रही थी कुछ देर तक इसी तरह से लैंड चूसने के बाद उसकी मां खड़ी हुई और टॉयलेट पोट कर अपना एक पैर रखकर अपनी मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की तरफ कर ली दोनों की आंखों में खुमारी छाई हुई थी और संध्या धीरे-धीरे अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे की आंखों के सामने परोस दी वह पेंटी नहीं पहनी थी,,, सोनू पूरी तरह से मदहोश हो चुका था अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देख कर,,,
संध्या अपने बेटे को ऊंगली से ईसारा कर रही थी उसकी आंखों में मदहोशी छाई हुई थी,,, सोनू से रहा नहीं गया वह एक कदम आगे बढ़करअपनी मां की गांड को दोनों हाथों से थाम लिया और उसे फैलाते हुए उसकी गुलाबी बुर को अपनी आंखों से देखने लगा,,,, अपनी मां की गुलाबी बुर देखकर पूरी तरह से उत्तेजना से भर गया,,, सोनू से रहा नहीं गया और वह कल्पना में मस्त होता हुआ अपने लंड को अपनी मां की बुर पर रख दिया और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड अपनी मां की बुर में गहराई तक डाल दिया संध्या के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अपनी कल्पना को मस्त करते हुए सोनू जोर-जोर से अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया,,,, उसकी कल्पना इतनी जबरदस्त थी कि बहुत ही जल्द उसके लंड से पानी का फावारा छूट पड़ा जो कि सामने की दीवार में लगी टाइल्स पर गिरने लगा,,, सपनों की दुनिया से बाहर आते ही वो थोड़ा शांत होगा और अपने मन ही मन में यह दुआ करने लगा की काश यह कल्पना सच हो जाए,,,।
शाम होने वाली थी और सोनू को रात का इंतजार था जब सारे काम खत्म करके उसकी मां सोने के लिए जाती है,,, लेकिन रात होने में अभी बहुत समय था और घर पर मालिश करने के लिए मूव क्रीम भी नहीं थी,,, इसलिए वहां अपनी मां से बोला,,,।
चलो ना मम्मी आज मार्केट घूम कर आते हैं और वैसे भी घर पर सिर्फ हम दोनों जने हैं तो आज खाना मत बनाना बाहर ही खा कर आते हैं,,,
क्या बात है आज तो एकदम हीरोगिरी दिखा रहा है,,,(संध्या अपने बेटे की तरफ मुस्कुराते हुए बोली,,)
नहीं ऐसी कोई भी बात नहीं होनी और वैसे भी आपकी मर्जी जो करना है और घर पर कोई क्रीम भी नहीं है इसी बहाने क्रीम भी खरीद लेंगे,,,,
हां क्रीम से याद आया मुझे भी अपने लिए क्रीम खरीदना है,,,
कौन सी क्रीम मम्मी,,,
अरे है कोई क्रीम मैं खरीद लूंगी चल में जल्दी से तैयार हो जाती हूं,,,,(पर इतना कहकर संध्या अपनी बड़ी बड़ी गांड मटकाते हुए अपने कमरे की तरफ चली गई,,, और सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को सहलाने लगा,,,, क्रीम वाली बात पर सोनू का दिमाग बड़ी तेजी से करने लगा था उसे लगने लगा था कि कहीं उसकी मां बालों को साफ करने वाली क्रीम की बात तो नहीं कर रही है क्योंकि उसने उसे नाम भी नहीं बताई थी बालों को साफ करने वाली क्रीम के बारे में सोचते ही वह अपने मन में अपनी मां की क्रीम से साफ हुई चिकनी बुर के बारे में सोचने लगा और अपनी मां की बुर के बारे में सोचते ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया,,,।
थोड़ी ही देर में उसकी मा तैयार होकर आ गई वह अपनी मां को देखते ही रह गया तैयार होने के बाद वह और ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी,,,,,, सोनू अपनी बाइक निकालकर बाहर स्टार्ट करके खड़ा हो गया और उसकी मां दरवाजे पर लॉक लगाकर उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक के पीछे बैठ गई,,, और सोनू एक्सीलेटर देखकर बाइक आगे बढ़ा दिया,,,।