Inte dino bad story ka update dete ho to yaad nahi aata ...nice update ... waiting more
Behtarren update bhidu......bada majedar update tha dekhte hai aage kya majedar hota haiसोनू अपनी मां को बाइक के पीछे बिठाकर मार्केट की तरफ लिए चला जा रहा था और संध्या अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर उससे जानबूझकर चिपकी हुई थी उसकी दाईं चूची बराबर सोनू की पीठ पर दबाव डाल रही थी और सोनू को अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची अपनी पीठ पर दबाव बनाती हुई महसूस भी हो रही थी,,,,,इसलिए सोनू जानबूझकर रह-रहकर ब्रेक लगा दे रहा था जिससे उसकी मां पूरी तरह से उसकी पीठ पर झुक जा रही थी सोनू को मजा आ रहा था और साथ ही उत्तेजना भी,,,,,, सोनू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,, संध्या अपने बेटे से बात करते हुए बोली,,,।
आज मैं सोच रही हूं कि घर पर खाना ना बनाओ यहीं से कुछ खा कर चलते हैं,,,,
मैं भी यही सोच रहा था मम्मी,,,, खामखा परेशान हो जाओगी,,,,
मेरा अब ज्यादा ख्याल रखने लगा है,,,
अरे मम्मी तुम्हारा ख्याल में नहीं रखूंगा तो और कौन रखेगा,,,
सही बात है रखना भी चाहिए वैसे भी एक बेटे का फर्ज होता है अपनी मम्मी का हर हाल में ख्याल रखना,,,( संध्या खुश होते हुए बोली,,,,,, और इस बार वह अपना हाथ अपने बेटे के कंधे पर से हटा कर अपने बेटे के कमर पर रख दी,,, अपनी मम्मी के कोमल हथेली को अपनी कमर पर महसूस करते ही सोनू पूरी तरह से बाहर गया एक अद्भुत सुख के एहसास से उसका पूरा बदन कांप उठा,,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
तेरे साथ बाइक पर बैठकर कहीं भी जाने में मुझे बहुत अच्छा लगता है,,, कार में मजा नहीं आता जितना तेरी बाइक पर आता है,,,
तो बोलना चाहिए ना मम्मी मैं हमेशा तुम्हें बाइक पर बिठाकर मार्केट लेकर आता,,,
अरे इतना समय कहां होता है,,,, आज समय मिला है तो,,, आ गई तेरे साथ,,,
चलो कोई बात नहीं आगे से मैं हमेशा तुम्हें मार्केट लेकर आया करूंगा,,,,,
(संध्या को अपने बेटे की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी न जाने क्यों उसे अपने बेटे में उसे अपना प्रेमी नजर आया ऐसा लग रहा था कि जैसे सोनू उसका बेटा ना हो करके उसका प्रेमी हो और उसे बाइक पर बिठाकर शेर सपाटा करा रहा है,,, इस ख्याल से ही संध्या का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, वह अपने बेटे के खयालो में पूरी तरह से खोई हुई थी कि तभी अचानक सोनू ने ब्रेक लगा दिया और हड़बड़ाहट में उसका हाथ कमर से फिसल कर सीधा उसके पेंट में बने तंबू पर चला गया और वह अपने आप को बचाने के चक्कर में पेंट में बने तंबू को कस के अपने हाथों से पकड़ ली,,,,,,कुछ पल के लिए तू संध्या को समझ में नहीं आया कि वह क्या पकड़ी है लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह अनजाने में अपने आप को बचाने के चक्कर में अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर उसका सहारा लेकर अपने आप को संभाले हुए हे तो वह पूरी तरह से हक्की बक्की रह गई,,,,, हथेली में अपने बेटे के मोटे तगड़े फूले हुए लंड को वह अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी,,,,,,पल भर में ही संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो गई अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को पकड़ने के एहसास से ही उसकी बुर गीली होने लगी,,, 7 8 सेकंड तक अपने बेटे के लंड़ को पकड़े रहने के बाद वह झटके से उसे छोड़कर वापस कमर थाम ली,,,, यह सब बहुत जल्दी ही हुआ था सोनू जब तक यह समझ पाता कि उसकी मां अपने हाथों से उसके लंड को पेंट से ऊपर पकड़ी हुई है तब तक उसकी मां उसके लंड को छोड़ चुकी थी,,, इस पल भर के उन्मादक एहसास से सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, उसकी बाइक का आगे वाला पहिया पानी भरे गड्ढे में उतर चुका था संध्या और सोनू दोनों गिरते-गिरते बचे थे सही समय पर सोनू ने ब्रेक लगा दिया था वरना दोनों पलटी खा जाते इसलिए बचे जाने पर सोनू राहत की सांस लेते हुए बोला,,,,,,
बाप रे बाल बाल बचे वरना अभी तो गिर जाते,,,
सही कह रहा है बेटा अभी तो ना जाने क्या हो जाता,,,,
कुछ नहीं मम्मी जब तक मेरे हाथों में बाइक है तब तक चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,
मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है,,,,(संध्या खुश होते हुए बोली उसकी खुशी में अपने बेटे के लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ लेने की मदहोशी भी छाई हुई थी,,, और सोनू इस बात से खुश हो रहा था कि उसकी मां ने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ रखी थी,, सोनू दोनों पैरों को जमीन पर रखकर सहारा देते हुए बाइक के पिछले पहिए को उस छोटे से गड्ढे में से बाहर निकाला संध्या अपने बेटे की कोशिश को देखकर उतर जाने के लिए बोल रही थी लेकिन वह उसे मना कर दिया और बड़े आराम से उस छोटे से खड्डे में से बाइक निकाल दिया,,, एक्सीलेटर देकर उसे आगे बढ़ा दिया,,, पल भर के इस अचानक लंड पकड़ने की क्रिया से दोनों मां-बेटे पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे संध्या तो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,, उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,, देखते ही देखते मार्केट आ गया उस दिन की तरहआज भी सोनू अपनी बाइक को सी जगह पर खड़ा किया जहां पर उस दिन खड़ा किया था और जहां पर दो लड़के संध्या को देखकर भक्ति आकाश रहे थे उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी बड़ी बड़ी चूची यों के बारे में मजे लेकर बोल रहे थे और उनकी उसी गंदी बातों को सुनकर संध्या का नजरिया अपने बेटे के प्रति बदलने लगा था,,,आज उसी का पर पहुंचने पर संध्या की नजरें उन दोनों लड़कों को ढूंढने लगी थी लेकिन इस समय वहां कोई नहीं था,,,, सोनू बाइक को स्टैंड पर लगा रहा था तभी संध्या बोली,,,!
मार्केट आ ही गए हैं तो थोड़ी सब्जियां भी खरीद लेती हूं कल काम आएगी,,,
ठीक है मम्मी तुम सब्जियां खरीदो मैं आता हूं,,,
(संध्या सब्जियां खरीदने लगी और थोड़ी देर में सोनू भी उसके पास आ गया और दोनों मिलकर सब्जियां खरीदने लगे,,, सोनू सब्जी बेचने वालों के दो अर्थ वाली बातों को अच्छी तरह से समझ रहा था और शायद वहां पर सब्जियां खरीदने आई हुई औरतें भी समझ रही होंगी लेकिन बोलती कुछ नहीं थी,,,, ईस बात का एहसास सोनू को तब हुआ जब उसकी मां आलू के ढेर में से बड़े-बड़े अच्छे-अच्छे आलू निकालकर तराजू में रख रही थी और वह सब्जी वाला उसकी मां की बड़ी बड़ी छातियों को घुरती हुआ जोर जोर से बोल रहा था,,,।)
ले लो गोल-गोल बड़े-बड़े आलू बहुत स्वादिष्ट है,,, एकदम पोस्टिक बड़े-बड़े आलू,,, ले लो मैडम जी बड़े बड़े हैं,,,
(सोनू सब्जी वाले के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था पता नहीं उसकी मां समझ रही थी कि नहीं इस बात का अंदाजा सोनू को बिल्कुल भी नहीं था लेकिन वहां पर जितने भी सब्जी वाले हैं सब लोग इसी तरह से अपने अपने सब्जियों के साईज को लेकर के दो अर्थ वाली बातें करते सब्जियां बेच रहे थे,,,, संध्या सब्जियां खरीद चुकी थी,,,, सोनू अपनी मां से बोला,,,)
सब्जियां हो गई ना,,,
हां दो-तीन दिन की सब्जियां मैं खरीद ली हूं,,,
ठीक है मम्मी तो चलो आयोडेक्स खरीद लेते हैं,,,।
हां हां चलो उस मेडिकल पर मिलेगी,,,(संध्या हाथ से इशारा करके मेडिकल दिखाते हुए बोली,,,दोनों मां बेटे उस मेडिकल पर पहुंच गए जहां पर तीन-चार कस्टमर पहले से ही मौजूद थे,,, मेडिकल का मालिक काउंटर पर बैठकर बिल बना रहा था और पैसे काट रहा था उसके दो सहायक काम करने वाले दवा निकाल निकाल कर काउंटर पर रख रहे थे दोनों मां बेटी काउंटर पर खड़े हो गए थे अभी उन दोनों ने कुछ बोला भी नहीं था कि तभी मेडिकल में काम करने वाला एक लड़का सोनू के आगे माचिस के साइज का एक डिब्बा रख दिया और बोला,,।
80 रुपए,,,,(इतना कहकर वो दूसरी दवाइयां निकालने लगा,,, अनजाने में ही सोनू उस पैकेट को अपने हाथ में ले लिया संध्या भी उस पैकेट को देखी लेकिन वह पहचान गई थी,,, लेकिन पल भर के लिए उसे भी कुछ समझ में नहीं आया सोनू उस पैकेट को लेकर उसके ऊपर छपे हुए नाम को पड़ा था उसे इस बात का एहसास हो गया कि वह अनजाने में किस पैकेट को पकड़ लिया है,,, उस पैकेट पर ड्यूरेक्स कंडोम लिखा हुआ था सोनू निगम से हड़बड़ा कर अपनी मां की तरफ देखा संध्या भी अपने बेटे की तरफ देखो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए थे सोनू ने तुरंत उस पैकेट को अपने हाथ से आगे कर दिया,,,, अपने बेटे की हड़बड़ाहट को देखकर संध्या मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, लेकिन अपने बेटे से अपने चेहरे को छुपा कर दूसरी तरफ देखने लगी थी तभी वह मेडिकल में काम करने वाला आया और फिर से बोला,,)
लाईए सर ₹80 निकालिए,,,
जी,,,जी,,,, यह मेरा नहीं है,,,,, मुझे तो आयोडेक्स चाहिए,,,,,(सोनू हड बडाते हुए बोला,,, अपने बेटे की इस हड़बड़ाहट को देखकर संध्या मन ही मन में मुस्कुरा रही थी लेकिन उसे अपने बेटे की इस नादानी पर गुस्सा भी आ रहा था,, क्योंकि संध्या की नजर में सोनू मॉडर्न लड़का था और आज के जमाने का लड़का होने के बावजूद भी कंडोम के नाम पर उसके माथे से पसीना टपकने लगे थे अपने मन में यही सोच रही थी कि जब यह कंडोम के नाम पर इतना डर रहा है तो चोदेगा कैसे,,,,, सोनू की बात सुनकर उस मेडिकल वाले को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और वह,,, माफी मांगते हुए बोला,,)
सॉरी,,, अरे वह भाई साहब कहां चले गए,,,,
(इतना कहना था कि तभी फोन पर बात कर रहा एक सक्स हाथ उपर करते हुए बोला,,)
अरे यह मेरा है लाओ दो इधर,,,,(वह लगभग सोनू के ही उम्र का लड़का था जोकि एकदम बिंदास होकर मेडिकल से कंडोम खरीद रहा था उस मेडिकल वाले ने उसके हाथ में ड्यूरेक्स कंडोम का पैकेट थमा दिया,,, जिसे वह बेझिझक अपने हाथ में लिए हुए था और उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था,,, फोन काट कर मोबाइल को अपने जेब में रखकर वह अपने बटुए से पैसे निकालकर उस मेडिकल वाले को थमा दिया,,,, और वापस ₹20 लेकर उसे बटुए में रखकर अपनी जींस के पीछे वाले जेब में रख दिया,,, और उस कंडोम को रखने के लिए दुकान वाले से पॉलीथिन की थैली भी लिया,,,, मेडिकल पर खड़े बाकी कस्टमर अपने-अपने काम में लगे हुए थे,, लेकिन सोनू और संध्या का ध्यान उस लड़के पर था,,, उस लड़के को देखकर सोनु मन ही मन उसकी हिम्मत को दाद दे रहा था और संध्या अपने बेटे के उम्र के उस लड़के के बिंदास पन को देखकर पूरी तरह से बागबाग हो गई थी,,, अपने मन में सोच रही थी कि काश उसका बेटा भी उस लड़के की तरह बिंदास होता,,,, दोनों मां-बेटे उस लड़के को देखकर अपने अपने मन में धारणा बना ही रहे थे कि वह लड़का बड़े आराम से अपनी बाइक तक गया जहां पर एक संध्या की ही उम्र की औरत को देखकर दोनों मां बेटे चौक गए,,, वह लड़का उस औरत को कंडोम की थैली पकड़ा दिया था जिसे वह मुस्कुराते हुए अपने हाथ में पकड़ ली थी लेकिन एक बार अपनी तसल्ली के लिए पॉलिथीन को खोल कर अंदर नजर मारी थी और अंदर अपने मतलब की चीज देख कर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई थी,,,,,, इसके बाद वह लड़का बाइक स्टार्ट कर दिया और वह औरत उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक पर बैठ गई और वह लड़का बड़ी तेजी से निकल गया,,, उन दोनों को देखकर संध्या एकदम पक्के तौर पर अपने मन में यह बात कह रही थी कि वह लड़का कंडोम लेकर उस औरत को चोदने के लिए ही गया था,,,, दोनों की उम्र के बीच के अंतर को देखकर संध्या अपने और अपने बेटे के बीच के अंतर को समझने लगी वह लड़का और वह औरत भी मां बेटे के उम्र के ही लग रहे थे,,,
संध्या अपने मन में सोचने लगी कि दोनों के बीच कौन सा रिश्ता होगा वह औरत कौन हो सकती है उसकी भाभी चाची मामी या कोई और या फिर उसकी मां भी हो सकती है,,,, ,, संध्या और दोनों के बीच के रिश्ते की कल्पना अपने मन में करने लगी और अपने आप से ही बोलने लगी कि क्या वह लड़का कंडोम लेकर अपनी मां को ही चोदने के लिए जा रहा था क्या मां बेटे के पवित्र रिश्ते के बीच ऐसा संभव हो सकता है फिर अपने आपके सवाल का जवाब भी वह खुद देते हुए बोली,,,।
क्यों नहीं हो सकता हो सकता है इससे पहले भी वह बगीचे में मां बेटे के बीच के नाजायज रिश्ते को दोनों के बीच के सारे संबंध को अपनी आंखों से देख चुकी है जो कि खुशी खुशी एक मां अपने बेटे से चुदवाने का आनंद लूट रही थी और उसका बेटा भी एकदम मस्ती के साथ अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,
सोनू का भी माथा चकरा रहा था,,, उस औरत की उम्र को देखकर सोनू की समझ गया था कि वह उसकी मां की उम्र की औरत है जैसा कि उसकी खुद की मां वह भी अपने मन में नहीं सोचने लगा कि वह लड़का कंडोम लेकर अपनी मां को चोदने के लिए ही जा रहा है लेकिन वह लड़का कितना बिंदास था तुझे कंडोम खरीदा और कंडोम की थैली को उस औरत के हाथों में थमा कर आराम से बाइक पर बैठा कर ले गया सोनू अपने मन में यह कल्पना करके एकदम मस्त हो रहा था कि वह लड़का उस औरत को कहां ले जाकर चोदेगा,,, अपने ही घर में या किसी होटल में,,, हो सकता है अपने ही घर में क्योंकि जिस तरह से उसे घर में एकांत मिला है मौका मिला है हो सकता है उसे भी अपने घर में मौका मिला हो,,,, वह अपने मन में यह सब सोच रहा था कि तभी वह मेडिकल वाला काउंटर पर आयोडेक्स,, रखते हुए बोला,,,,
लाइए सर जल्दी पैसे दीजिए,,,,
ओ,,, हा,,,,(उस मेडिकल वाले की आवाज सुनते ही जैसे सोनू की तंद्रा भंग हुई हो इस तरह से वह हक लाते हुए बोला ,,, और अपने बटुए से पैसे निकाल कर उस मेडिकल वाले को थमा दिया,,,,,,सोनू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसे मुंह में लेना था लेकिन हड़बड़ाहट में उसके मुंह से आयोडेक्स निकल गया था इसलिए वह आयोडेक्स ले चुका था,,, आयोडेक्स लेकर वह मेडिकल की सीढीया नीचे उतर गया लेकिन संध्या जैसे ही उसका बेटा सीढ़ियों से नीचे उतरा अपने पर्स में से,,, सो का नोट निकालकर उस मेडिकल वाले को थमाते हुए धीरे से वीट क्रीम मांगी,,, वह मेडिकल वाला संध्या के हाथों से पैसा लेते हुए वीट क्रीम के नाम से मुस्कुराने लगा क्योंकि क्रीम के नाम से ही और संध्या की खूबसूरती को देखकर वह अपने मन में संध्या की चिकनी बुर की कल्पना करने लगा,,,, संध्या मेडिकल वाले को मुस्कुराता देख कर कुछ बोली नहीं लेकिन जानती थी कि वह अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,, संध्या वीट क्रीम लेकर उसे अपने पर्स में रख ली,,,, और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी,,,,)
तुम क्या लेने लगी थी मम्मी,,,
कुछ नहीं तेरे काम की नहीं है,,,,
मेरे काम की क्या नहीं है,,,,
अरे क्रीम ली थी तेरे काम की नहीं है,,,
अरे यह तो बता सकती हो कौन सी क्रीम,,,
(सोनू की बात सुनकर संध्या को भी बताने का मन कर रहा था लेकिन वह इसकी जा रही थी लेकिन फिर भी अपने बेटे के द्वारा इस तरह से पूछे जाने पर वह बोली)
वीट क्रीम ली थी वह क्या है कि खत्म हो गई ना इसलिए,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा अपने बेटे की मुस्कुराहट के मतलब को संध्या भी अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि सब मर्द एक जैसे ही होते हैं औरत के अंतर्वस्त्र से लेकर उनके लगाने वाली क्रीम तक की बात सुनते ही वह आपने मन में उस औरत के साथ साथ उनके अंगों के बारे में कल्पना करते ही हैं,,,संध्या क्षेत्र से समझ रही थी कि वीत क्रीम का नाम सुनते ही उसका बेटा उसके अंदर के बारे में मन में कल्पना कर रहा होगा और इस बात का एहसास से संध्या फिर से उत्तेजना से सिहर उठी,,,, तभी आगे बढ़ते हुए सोनू पानी पुरी के ठेले पर रुक गया और अपनी मम्मी से बोला,,,)
मम्मी पानी पूरी खा लेते हैं,,,
मैं भी तुझसे यही कहने वाली थी,,, वैसे भी पानीपुरी मुझे बहुत पसंद है लेकिन खा नहीं पाती,,,।
तो चलो आज दिल के सारे अरमान पूरे कर लो,,,,
(संध्या अपनी बेटे की इस बात पर हंस दी,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसे उसके मन की मुराद पूरी करने का नहीं उठा दे रहा हो,,,दोनों मां बेटी पानीपुरी के ठेले पर खड़े हो गए और पानी पुरी वाला दोनों को पानी पुरी बनाकर खिलाने लगा,,,,)
भैया थोड़ी सी तीखी चटनी ज्यादा मिला देना,,,, जब तक मम्मी के मुंह से सीईईईई,,,सीईईईईईई,,, की आवाज नहीं निकलती तब तक मम्मी को मजा नहीं आता,,,(सोनू पानीपुरी खाते हुए बोला,,, सोनू यह बात दूसरे काम के लिए बोला था ,,,, लेकिन संध्या अपने बेटे की यह बात समझ नहीं पाई थी,,, उसे ऐसा ही लगा था कि पीछे पन के कारण मुंह से निकलने वाली आवाज के बारे में बोल रहा है,,,, सोनू चार पांच पानीपुरी ही खाया,,,,इसके बाद वह अपनी मां को पानी पूरी खत्म हुआ देखने लगा जिस तरह से बड़ी बड़ी पानीपुरी को संध्या अपना पूरा मुंह खोल कर मुंह में ले रही थी सोनू कल्पना करने लगा था कि इसी तरह से उसकी मां उसके मोटे तगड़े लंड को अपना पूरा मुंह खोल कर अपने मुंह में गप्प गप्प लेगी,,,, संध्या पानी पूरी खाते हुए बेहद खूबसूरत लग रही थी पानी पुरी में से पानी नीचे ना गिर जाए इसलिए वह थोड़ा सा आगे की ओर झुकी हुई थी जिससे उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए मचलने लगे थे जिस पर पानी पुरी वाले की नजर बार-बार चली जा रही थी,,,सोनू अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां की बड़ी बड़ी चूची को देखकर पानीपूरीवाला ललचा रहा है,,,,,,परसों ने यह बात अच्छी तरह से समझता था कि इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी क्योंकि उसकी मां थी ही इतनी सेक्सी और खूबसूरत कि उसको देखकर ही ना जाने कितने लोगों का लंड खड़ा हो जाता था,,,,,, सोनु यह बात सोचते हुए एक नजर अपनी मां की भारी-भरकम उभरी हुई गांड पर डाला जो की कसी हुई साड़ी में बेहद खूबसूरत कहर ढा रही थी,,, अपने मन में सोचने लगा कि अगर कोई भी मर्द ज्यादा कुछ नहीं बस पीछे से भले ही साड़ी के ऊपर से ही अगर उसे सिर्फ अपना लंड ही छुआने को मिल जाए तो भी उसके लंड से पानी निकल जाए,,,, सोनू को इसीलिए अपनी मां की मदमस्त भरावदार गोल गोल गांड पर गर्व होता था,,, देखते ही देखते संध्या एक के बाद एक के बाद एक कुल मिलाकर 30 पानी पुरी गप्प कर गई थी,,,, आज जी भर कर संध्या पानी पुरी खाई थी,,,, तीखे पन की वजह से उसके गोरे गोरे गाल एकदम लाल हो गए थे उसकी कनपटी भी लाल हो चुकी थी और अपनी मां के लाल लाल कश्मीरी सेव की तरह गाल को देखकर सोनू का लंड खड़ा हो रहा था,,,, अब ऐसा बार बार होता था दिन में ना जाने कितनी बार अपनी मां की झलक भर देख कर ही उसका लंड खड़ा होने लगता था,,,।
धीरे-धीरे शाम ढल रही थी अभी भी दोनों मार्केट में घूम रहे थे,,,, संध्या बार-बार मेडिकल वाले वाक्ये के बारे में सोच रही थी,,,,, ना जाने किस के मन में हो रहा है विकास उसका बेटा भी कंडोम का पैकेट रख लिया होता तो हो सकता है दोनों के बीच कुछ हो जाए,,, तो कंडोम काम आता,,,,, संध्या यही सोच रही थी कि,, एक अच्छी सी रेस्टोरेंट के सामने दोनों खड़े हो गए तो सोनू बोला,,,।
चलो मम्मी आज तो खाना बनाने का प्रोग्राम है नहीं तो यहीं पर कुछ खा लेते हैं,,,
नहीं सोनू मुझसे तो इसमें बिल्कुल भी खाया नहीं जाएगा एक काम कर तू खाना पैक करा लें घर पर ही जाकर खाएंगे,,,
हां मम्मी यह ठीक रहेगा,,,,,, तुम यहीं रुको मैं खाना पैक करा कर लाता हूं,,,
(इतना कहकर सोनू रेस्टोरेंट में खाना पेक कराने के लिए चला गया और संध्या वही रुकी रही,,, थोड़ी ही देर में खाना पैक करा कर सोनू वापस आ गया तो दोनों,,, बाइक के पास आ गए सोनू बाइक स्टार्ट कर दिया और संध्या बाइक पर बैठ गई आज उसे बहुत मजा आया था अपने बेटे के साथ मार्केट में आना उसे बहुत अच्छा लग रहा था ऐसा नहीं थाकि आज वह पहली बार अपनी बेटी के साथ मार्केट आ गई थी पहले भी वह कई बार मार्केट में आ चुके थे लेकिन आज की बात कुछ और थी क्योंकि आज उसे अपने बेटे को देखने का नजरिया जो बदल गया था ना जाने क्यों उसे अपने बेटे में एक नौजवान प्रेमी नजर आने लगा था जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था,,,, देखते ही देखते घर आ गया,,,, अभी अंधेरा नहीं हुआ था,,,, और घर में प्रवेश करते ही,,, संध्या बोली,,,।
मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,,,,,,,,,(इतना कहकर वह अपना पर्स टेबल पर रख दी और बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, जैसे ही वह बाथरूम में घुसी,,, सोनू तुरंत अपनी मां का पर्स तलाशने लगा वह देखना चाहता था कि वाकई में उसकी मां ने कौन सी क्रीम खरीदी है,,, वैसे तो संध्या खुद अपने मुंह से बता चुकी थी लेकिन फिर भी वह अपनी तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए पर्स की चैन खोलकर अंदर की तरह खंगालने लगा लेकिन पर्स में उसे कोई भी क्रीम नहीं मिली तो उसे यकीन हो गया कि उसकी मां उस क्रीम को बाथरूम में अपने साथ ले गई है,,,किस बात का एहसास होता है कि सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और पल भर में उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां बाथरूम में अपनी बुरपर वह क्रीम लगाकर उसे चिकनी करेगी,,, जो कि वह पहले से ही अपनी बुर को चिकनी रखती है यह बात सोनू अच्छी तरह से जानता था जब उसकी मां खुद उसे अपनी पेंटी दिखा रही थी,,,, लेकिन सोनू बाथरूम में उसकी मां क्या कर रही होगी इस बारे में पूरी तरह से कल्पना करने लगा था और वही कुर्सी पर बैठ गया था,,,।
बाथरूम में संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,, खास करके मेडिकल वाले वाक्ये को याद करके वह बाथरूम में घुसते ही,, अपनी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट उतारकर एकदम नंगी हो गई थी,,,, उससे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वह एक साथ अपनी दो उंगली अपनी बुर में डालकर से अंदर बाहर करते हुए अपने बेटे की कल्पना करने लगी,,, और कुछ ही मिनटों में झड़ गई,,, इसके बाद वह वीट क्रीम निकाल कर अपनी बुर की गुलाबी लकीर के इर्द-गिर्द पूरी तरह से लगा ली और थोड़ी देर बाद उसे टावल से साफ कर दी,,,, इसके बाद तो उसकी बुर मक्खन की तरह चमकने लगी फिसलने लगी अपनी बुर को देखकर एक बार खुद संध्या भी अपनी बुर पर मोहित हो गई उसे पूरा यकीन था कि अगर उसका बेटा उसकी बुर को देखेगा तो उसमें अपना लंड डाले बिना नहीं रह पाएगा,,, इसलिए वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपने नंगे बदन के साथ-साथ अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी,,,,पहले तो वह सावर चालू करके नहाना शुरू कर दी,,, उसके नंगे चिकने बदन पर पानी की बुंदे मोतियों के दाने की तरह फिसल रही थी,,,,,,दूसरी तरफ बाहर सोनू की हालत खराब हो रही थी वह अपनी मां के बारे में ना जाने कैसे-कैसे कल्पना करके मस्त हुआ जा रहा था,,,,,,,, वह अपनी मां के कमरे में जाकर बैठ गया क्योंकि उसे मालूम था कि नहाने के बाद उसकी मां कमरे में ही आएगी वह अपनी मां की खूबसूरत है पानी से भीगे हुए बदन को देखना चाहता था उसके गीले बालों से उठ रही मादक खुशबू को अपने अंदर महसूस करना चाहता था,,,,,,
संध्या नहा चुकी थी और जानबूझकर अपने कपड़े को बाथरूम में नहीं लाई थी इसलिए निकलते समय एक टावर लपेट ली जो कि उसकी चुचियों के आधे भाग के साथ-साथ उसकी बड़ी बड़ी गांड को भी सिर्फ आधी ही ढंक पा रही थी,,,, वह बाथरूम से बाहर निकल गई वह अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा ड्राइंग रूम में ही बैठा होगा लेकिन बाहर उसे ना देख कर वह सोचने लगी कि उसका बेटा कहां चला गया क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपना नंगा बदन दिखाना चाहती,, थी,,, कुछ देर तक वह वही खड़ी होकर इधर-उधर अपने बेटे को देखने लगी,,, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आया तो निराश होकर अपने कमरे की तरफ चल दी,,,,,,ऊसे लगने लगा कि इस हाल में वह अपनी बेटी को अपनी नंगी खूबसूरत बदन के दर्शन नहीं करा पाएगी,,,लेकिन जैसे ही वह अपने कमरे के दरवाजे तक पहुंची तो उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और अंदर से ट्युब लाइट की रोशनी आ रही थी,,, वह समझ गई कि उसका बेटा अंदर है,,,,,,उसका दिमाग बड़ी तेजी से दौड़ने लगा उसे अच्छी तरह से पता था कि कमरे में दाखिल होते ही उसे क्या करना है,,,, वह अपनी टावल को थोड़ा सा ढीला कर ली,,, ताकि दो कदम चलते ही उसकी टावल खुद-ब-खुद नीचे गिर जाए,,, और ऐसा ही हुआ अनजान बनते हुए जैसे ही संध्या अपने कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश की वैसे ही अपने बेटे को बेड पर बैठा हुआ पाकर चौक ने का नाटक करते हुए एकदम से हड़बड़ा गई और इसी हड़बड़ाहट में उसकी टावर छूटकर नीचे उसके कदमों में गिर गई और वह अपने बेटे की आंखों के सामने संपूर्ण रूप से एकदम नंगी हो गई,,,,सोनू अपनी मां को अपनी आंखों के सामने इस तरह से एकदम नंगी देखकर पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया उसे उम्मीद नहीं थी की उसे उम्मीद से ज्यादा देखने को मिल जाएगा वह आंखें फाड़े अपनी मां के नंगे बदन को ऊपर से नीचे की तरफ घूरने लगा,,, पल भर में ही सोनू की आंखें अपनी मां की खूबसूरत बदन के हर एक कोने को नापने लगी अपनी मां की मदमस्त खरबूजे जैसी गोल गोल चुचियों को देखकर वहां पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, उसकी नजर बड़ी तेजी से नीचे की तरफ चल रही थी और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी लकीर को देखते ही सोनू उत्तेजना से भर गया और उसका लंड अपनी मां की मदमस्त जवानी को सलामी भरने लगा,,,, संध्या जानबूझकर कुछ सेकेंड तक इसी तरह से अपने नंगे बदन का रसपान अपने बेटे को कराती रही,,, और जैसे कीवह होश में आई हो इस तरह से तुरंत नीचे झुका कर टावर उठा लिया और उसे नंगे बदन पर लपेट ली और शर्माने का नाटक करते हुए बोली,,,।
ओहह,,, सॉरी बेटा,,,, टावल गिर गया,,,,
(सोनू के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे वह अपनी मां को आंखें फाड़े अभी भी देखें जा रहा था,,, और वह भी जैसे होश में आया हो इस तरह से,,, बेड पर से खड़ा हुआ और वह भी अपनी मां को सॉरी बोल कर कमरे से बाहर निकल गया लेकिन कमरे से बाहर निकलते निकलते एक नजर टॉवल में लिपटी हुई अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर नजर मारता,,,गया,,,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबते चली जा रही थी बड़ी हिम्मत करके उसने अपने बेटे के सामने जानबूझकर टावल गिराने का नाटक की थी,,,, पल भर में ही अपने बेटे को अपने नंगे बदन का दर्शन करा कर,,, उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,।
दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी और संजय अभी भी अपनी मंजिल से 15 किलोमीटर की दूरी पर था लेकिन तभी उसकी गाड़ी बंद हो गई,,,।
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Mast update hai bhaiसोनू अपनी मां को बाइक के पीछे बिठाकर मार्केट की तरफ लिए चला जा रहा था और संध्या अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर उससे जानबूझकर चिपकी हुई थी उसकी दाईं चूची बराबर सोनू की पीठ पर दबाव डाल रही थी और सोनू को अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची अपनी पीठ पर दबाव बनाती हुई महसूस भी हो रही थी,,,,,इसलिए सोनू जानबूझकर रह-रहकर ब्रेक लगा दे रहा था जिससे उसकी मां पूरी तरह से उसकी पीठ पर झुक जा रही थी सोनू को मजा आ रहा था और साथ ही उत्तेजना भी,,,,,, सोनू का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,,,, संध्या अपने बेटे से बात करते हुए बोली,,,।
आज मैं सोच रही हूं कि घर पर खाना ना बनाओ यहीं से कुछ खा कर चलते हैं,,,,
मैं भी यही सोच रहा था मम्मी,,,, खामखा परेशान हो जाओगी,,,,
मेरा अब ज्यादा ख्याल रखने लगा है,,,
अरे मम्मी तुम्हारा ख्याल में नहीं रखूंगा तो और कौन रखेगा,,,
सही बात है रखना भी चाहिए वैसे भी एक बेटे का फर्ज होता है अपनी मम्मी का हर हाल में ख्याल रखना,,,( संध्या खुश होते हुए बोली,,,,,, और इस बार वह अपना हाथ अपने बेटे के कंधे पर से हटा कर अपने बेटे के कमर पर रख दी,,, अपनी मम्मी के कोमल हथेली को अपनी कमर पर महसूस करते ही सोनू पूरी तरह से बाहर गया एक अद्भुत सुख के एहसास से उसका पूरा बदन कांप उठा,,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
तेरे साथ बाइक पर बैठकर कहीं भी जाने में मुझे बहुत अच्छा लगता है,,, कार में मजा नहीं आता जितना तेरी बाइक पर आता है,,,
तो बोलना चाहिए ना मम्मी मैं हमेशा तुम्हें बाइक पर बिठाकर मार्केट लेकर आता,,,
अरे इतना समय कहां होता है,,,, आज समय मिला है तो,,, आ गई तेरे साथ,,,
चलो कोई बात नहीं आगे से मैं हमेशा तुम्हें मार्केट लेकर आया करूंगा,,,,,
(संध्या को अपने बेटे की बातें बड़ी अच्छी लग रही थी न जाने क्यों उसे अपने बेटे में उसे अपना प्रेमी नजर आया ऐसा लग रहा था कि जैसे सोनू उसका बेटा ना हो करके उसका प्रेमी हो और उसे बाइक पर बिठाकर शेर सपाटा करा रहा है,,, इस ख्याल से ही संध्या का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,,, वह अपने बेटे के खयालो में पूरी तरह से खोई हुई थी कि तभी अचानक सोनू ने ब्रेक लगा दिया और हड़बड़ाहट में उसका हाथ कमर से फिसल कर सीधा उसके पेंट में बने तंबू पर चला गया और वह अपने आप को बचाने के चक्कर में पेंट में बने तंबू को कस के अपने हाथों से पकड़ ली,,,,,,कुछ पल के लिए तू संध्या को समझ में नहीं आया कि वह क्या पकड़ी है लेकिन जैसे ही उसे इस बात का एहसास हुआ कि वह अनजाने में अपने आप को बचाने के चक्कर में अपने बेटे के खड़े लंड को पकड़ कर उसका सहारा लेकर अपने आप को संभाले हुए हे तो वह पूरी तरह से हक्की बक्की रह गई,,,,, हथेली में अपने बेटे के मोटे तगड़े फूले हुए लंड को वह अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी,,,,,,पल भर में ही संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो गई अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को पकड़ने के एहसास से ही उसकी बुर गीली होने लगी,,, 7 8 सेकंड तक अपने बेटे के लंड़ को पकड़े रहने के बाद वह झटके से उसे छोड़कर वापस कमर थाम ली,,,, यह सब बहुत जल्दी ही हुआ था सोनू जब तक यह समझ पाता कि उसकी मां अपने हाथों से उसके लंड को पेंट से ऊपर पकड़ी हुई है तब तक उसकी मां उसके लंड को छोड़ चुकी थी,,, इस पल भर के उन्मादक एहसास से सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया,,,, उसकी बाइक का आगे वाला पहिया पानी भरे गड्ढे में उतर चुका था संध्या और सोनू दोनों गिरते-गिरते बचे थे सही समय पर सोनू ने ब्रेक लगा दिया था वरना दोनों पलटी खा जाते इसलिए बचे जाने पर सोनू राहत की सांस लेते हुए बोला,,,,,,
बाप रे बाल बाल बचे वरना अभी तो गिर जाते,,,
सही कह रहा है बेटा अभी तो ना जाने क्या हो जाता,,,,
कुछ नहीं मम्मी जब तक मेरे हाथों में बाइक है तब तक चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,
मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है,,,,(संध्या खुश होते हुए बोली उसकी खुशी में अपने बेटे के लंड को पैंट के ऊपर से पकड़ लेने की मदहोशी भी छाई हुई थी,,, और सोनू इस बात से खुश हो रहा था कि उसकी मां ने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ रखी थी,, सोनू दोनों पैरों को जमीन पर रखकर सहारा देते हुए बाइक के पिछले पहिए को उस छोटे से गड्ढे में से बाहर निकाला संध्या अपने बेटे की कोशिश को देखकर उतर जाने के लिए बोल रही थी लेकिन वह उसे मना कर दिया और बड़े आराम से उस छोटे से खड्डे में से बाइक निकाल दिया,,, एक्सीलेटर देकर उसे आगे बढ़ा दिया,,, पल भर के इस अचानक लंड पकड़ने की क्रिया से दोनों मां-बेटे पूरी तरह से उत्तेजित हो चुके थे संध्या तो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी,, उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,,, देखते ही देखते मार्केट आ गया उस दिन की तरहआज भी सोनू अपनी बाइक को सी जगह पर खड़ा किया जहां पर उस दिन खड़ा किया था और जहां पर दो लड़के संध्या को देखकर भक्ति आकाश रहे थे उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी बड़ी बड़ी चूची यों के बारे में मजे लेकर बोल रहे थे और उनकी उसी गंदी बातों को सुनकर संध्या का नजरिया अपने बेटे के प्रति बदलने लगा था,,,आज उसी का पर पहुंचने पर संध्या की नजरें उन दोनों लड़कों को ढूंढने लगी थी लेकिन इस समय वहां कोई नहीं था,,,, सोनू बाइक को स्टैंड पर लगा रहा था तभी संध्या बोली,,,!
मार्केट आ ही गए हैं तो थोड़ी सब्जियां भी खरीद लेती हूं कल काम आएगी,,,
ठीक है मम्मी तुम सब्जियां खरीदो मैं आता हूं,,,
(संध्या सब्जियां खरीदने लगी और थोड़ी देर में सोनू भी उसके पास आ गया और दोनों मिलकर सब्जियां खरीदने लगे,,, सोनू सब्जी बेचने वालों के दो अर्थ वाली बातों को अच्छी तरह से समझ रहा था और शायद वहां पर सब्जियां खरीदने आई हुई औरतें भी समझ रही होंगी लेकिन बोलती कुछ नहीं थी,,,, ईस बात का एहसास सोनू को तब हुआ जब उसकी मां आलू के ढेर में से बड़े-बड़े अच्छे-अच्छे आलू निकालकर तराजू में रख रही थी और वह सब्जी वाला उसकी मां की बड़ी बड़ी छातियों को घुरती हुआ जोर जोर से बोल रहा था,,,।)
ले लो गोल-गोल बड़े-बड़े आलू बहुत स्वादिष्ट है,,, एकदम पोस्टिक बड़े-बड़े आलू,,, ले लो मैडम जी बड़े बड़े हैं,,,
(सोनू सब्जी वाले के कहने का मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था पता नहीं उसकी मां समझ रही थी कि नहीं इस बात का अंदाजा सोनू को बिल्कुल भी नहीं था लेकिन वहां पर जितने भी सब्जी वाले हैं सब लोग इसी तरह से अपने अपने सब्जियों के साईज को लेकर के दो अर्थ वाली बातें करते सब्जियां बेच रहे थे,,,, संध्या सब्जियां खरीद चुकी थी,,,, सोनू अपनी मां से बोला,,,)
सब्जियां हो गई ना,,,
हां दो-तीन दिन की सब्जियां मैं खरीद ली हूं,,,
ठीक है मम्मी तो चलो आयोडेक्स खरीद लेते हैं,,,।
हां हां चलो उस मेडिकल पर मिलेगी,,,(संध्या हाथ से इशारा करके मेडिकल दिखाते हुए बोली,,,दोनों मां बेटे उस मेडिकल पर पहुंच गए जहां पर तीन-चार कस्टमर पहले से ही मौजूद थे,,, मेडिकल का मालिक काउंटर पर बैठकर बिल बना रहा था और पैसे काट रहा था उसके दो सहायक काम करने वाले दवा निकाल निकाल कर काउंटर पर रख रहे थे दोनों मां बेटी काउंटर पर खड़े हो गए थे अभी उन दोनों ने कुछ बोला भी नहीं था कि तभी मेडिकल में काम करने वाला एक लड़का सोनू के आगे माचिस के साइज का एक डिब्बा रख दिया और बोला,,।
80 रुपए,,,,(इतना कहकर वो दूसरी दवाइयां निकालने लगा,,, अनजाने में ही सोनू उस पैकेट को अपने हाथ में ले लिया संध्या भी उस पैकेट को देखी लेकिन वह पहचान गई थी,,, लेकिन पल भर के लिए उसे भी कुछ समझ में नहीं आया सोनू उस पैकेट को लेकर उसके ऊपर छपे हुए नाम को पड़ा था उसे इस बात का एहसास हो गया कि वह अनजाने में किस पैकेट को पकड़ लिया है,,, उस पैकेट पर ड्यूरेक्स कंडोम लिखा हुआ था सोनू निगम से हड़बड़ा कर अपनी मां की तरफ देखा संध्या भी अपने बेटे की तरफ देखो दोनों एकदम से हड़बड़ा गए थे सोनू ने तुरंत उस पैकेट को अपने हाथ से आगे कर दिया,,,, अपने बेटे की हड़बड़ाहट को देखकर संध्या मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, लेकिन अपने बेटे से अपने चेहरे को छुपा कर दूसरी तरफ देखने लगी थी तभी वह मेडिकल में काम करने वाला आया और फिर से बोला,,)
लाईए सर ₹80 निकालिए,,,
जी,,,जी,,,, यह मेरा नहीं है,,,,, मुझे तो आयोडेक्स चाहिए,,,,,(सोनू हड बडाते हुए बोला,,, अपने बेटे की इस हड़बड़ाहट को देखकर संध्या मन ही मन में मुस्कुरा रही थी लेकिन उसे अपने बेटे की इस नादानी पर गुस्सा भी आ रहा था,, क्योंकि संध्या की नजर में सोनू मॉडर्न लड़का था और आज के जमाने का लड़का होने के बावजूद भी कंडोम के नाम पर उसके माथे से पसीना टपकने लगे थे अपने मन में यही सोच रही थी कि जब यह कंडोम के नाम पर इतना डर रहा है तो चोदेगा कैसे,,,,, सोनू की बात सुनकर उस मेडिकल वाले को भी अपनी गलती का एहसास हुआ और वह,,, माफी मांगते हुए बोला,,)
सॉरी,,, अरे वह भाई साहब कहां चले गए,,,,
(इतना कहना था कि तभी फोन पर बात कर रहा एक सक्स हाथ उपर करते हुए बोला,,)
अरे यह मेरा है लाओ दो इधर,,,,(वह लगभग सोनू के ही उम्र का लड़का था जोकि एकदम बिंदास होकर मेडिकल से कंडोम खरीद रहा था उस मेडिकल वाले ने उसके हाथ में ड्यूरेक्स कंडोम का पैकेट थमा दिया,,, जिसे वह बेझिझक अपने हाथ में लिए हुए था और उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था,,, फोन काट कर मोबाइल को अपने जेब में रखकर वह अपने बटुए से पैसे निकालकर उस मेडिकल वाले को थमा दिया,,,, और वापस ₹20 लेकर उसे बटुए में रखकर अपनी जींस के पीछे वाले जेब में रख दिया,,, और उस कंडोम को रखने के लिए दुकान वाले से पॉलीथिन की थैली भी लिया,,,, मेडिकल पर खड़े बाकी कस्टमर अपने-अपने काम में लगे हुए थे,, लेकिन सोनू और संध्या का ध्यान उस लड़के पर था,,, उस लड़के को देखकर सोनु मन ही मन उसकी हिम्मत को दाद दे रहा था और संध्या अपने बेटे के उम्र के उस लड़के के बिंदास पन को देखकर पूरी तरह से बागबाग हो गई थी,,, अपने मन में सोच रही थी कि काश उसका बेटा भी उस लड़के की तरह बिंदास होता,,,, दोनों मां-बेटे उस लड़के को देखकर अपने अपने मन में धारणा बना ही रहे थे कि वह लड़का बड़े आराम से अपनी बाइक तक गया जहां पर एक संध्या की ही उम्र की औरत को देखकर दोनों मां बेटे चौक गए,,, वह लड़का उस औरत को कंडोम की थैली पकड़ा दिया था जिसे वह मुस्कुराते हुए अपने हाथ में पकड़ ली थी लेकिन एक बार अपनी तसल्ली के लिए पॉलिथीन को खोल कर अंदर नजर मारी थी और अंदर अपने मतलब की चीज देख कर उसके होठों पर मुस्कुराहट आ गई थी,,,,,, इसके बाद वह लड़का बाइक स्टार्ट कर दिया और वह औरत उसके कंधे का सहारा लेकर बाइक पर बैठ गई और वह लड़का बड़ी तेजी से निकल गया,,, उन दोनों को देखकर संध्या एकदम पक्के तौर पर अपने मन में यह बात कह रही थी कि वह लड़का कंडोम लेकर उस औरत को चोदने के लिए ही गया था,,,, दोनों की उम्र के बीच के अंतर को देखकर संध्या अपने और अपने बेटे के बीच के अंतर को समझने लगी वह लड़का और वह औरत भी मां बेटे के उम्र के ही लग रहे थे,,,
संध्या अपने मन में सोचने लगी कि दोनों के बीच कौन सा रिश्ता होगा वह औरत कौन हो सकती है उसकी भाभी चाची मामी या कोई और या फिर उसकी मां भी हो सकती है,,,, ,, संध्या और दोनों के बीच के रिश्ते की कल्पना अपने मन में करने लगी और अपने आप से ही बोलने लगी कि क्या वह लड़का कंडोम लेकर अपनी मां को ही चोदने के लिए जा रहा था क्या मां बेटे के पवित्र रिश्ते के बीच ऐसा संभव हो सकता है फिर अपने आपके सवाल का जवाब भी वह खुद देते हुए बोली,,,।
क्यों नहीं हो सकता हो सकता है इससे पहले भी वह बगीचे में मां बेटे के बीच के नाजायज रिश्ते को दोनों के बीच के सारे संबंध को अपनी आंखों से देख चुकी है जो कि खुशी खुशी एक मां अपने बेटे से चुदवाने का आनंद लूट रही थी और उसका बेटा भी एकदम मस्ती के साथ अपनी मां की चुदाई कर रहा था,,,,
सोनू का भी माथा चकरा रहा था,,, उस औरत की उम्र को देखकर सोनू की समझ गया था कि वह उसकी मां की उम्र की औरत है जैसा कि उसकी खुद की मां वह भी अपने मन में नहीं सोचने लगा कि वह लड़का कंडोम लेकर अपनी मां को चोदने के लिए ही जा रहा है लेकिन वह लड़का कितना बिंदास था तुझे कंडोम खरीदा और कंडोम की थैली को उस औरत के हाथों में थमा कर आराम से बाइक पर बैठा कर ले गया सोनू अपने मन में यह कल्पना करके एकदम मस्त हो रहा था कि वह लड़का उस औरत को कहां ले जाकर चोदेगा,,, अपने ही घर में या किसी होटल में,,, हो सकता है अपने ही घर में क्योंकि जिस तरह से उसे घर में एकांत मिला है मौका मिला है हो सकता है उसे भी अपने घर में मौका मिला हो,,,, वह अपने मन में यह सब सोच रहा था कि तभी वह मेडिकल वाला काउंटर पर आयोडेक्स,, रखते हुए बोला,,,,
लाइए सर जल्दी पैसे दीजिए,,,,
ओ,,, हा,,,,(उस मेडिकल वाले की आवाज सुनते ही जैसे सोनू की तंद्रा भंग हुई हो इस तरह से वह हक लाते हुए बोला ,,, और अपने बटुए से पैसे निकाल कर उस मेडिकल वाले को थमा दिया,,,,,,सोनू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसे मुंह में लेना था लेकिन हड़बड़ाहट में उसके मुंह से आयोडेक्स निकल गया था इसलिए वह आयोडेक्स ले चुका था,,, आयोडेक्स लेकर वह मेडिकल की सीढीया नीचे उतर गया लेकिन संध्या जैसे ही उसका बेटा सीढ़ियों से नीचे उतरा अपने पर्स में से,,, सो का नोट निकालकर उस मेडिकल वाले को थमाते हुए धीरे से वीट क्रीम मांगी,,, वह मेडिकल वाला संध्या के हाथों से पैसा लेते हुए वीट क्रीम के नाम से मुस्कुराने लगा क्योंकि क्रीम के नाम से ही और संध्या की खूबसूरती को देखकर वह अपने मन में संध्या की चिकनी बुर की कल्पना करने लगा,,,, संध्या मेडिकल वाले को मुस्कुराता देख कर कुछ बोली नहीं लेकिन जानती थी कि वह अपने मन में क्या सोच रहा होगा,,,, संध्या वीट क्रीम लेकर उसे अपने पर्स में रख ली,,,, और सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी,,,,)
तुम क्या लेने लगी थी मम्मी,,,
कुछ नहीं तेरे काम की नहीं है,,,,
मेरे काम की क्या नहीं है,,,,
अरे क्रीम ली थी तेरे काम की नहीं है,,,
अरे यह तो बता सकती हो कौन सी क्रीम,,,
(सोनू की बात सुनकर संध्या को भी बताने का मन कर रहा था लेकिन वह इसकी जा रही थी लेकिन फिर भी अपने बेटे के द्वारा इस तरह से पूछे जाने पर वह बोली)
वीट क्रीम ली थी वह क्या है कि खत्म हो गई ना इसलिए,,,,,
(अपनी मां की बात सुनते ही सोनू अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुराने लगा अपने बेटे की मुस्कुराहट के मतलब को संध्या भी अच्छी तरह से समझ रही थी वह जानती थी कि सब मर्द एक जैसे ही होते हैं औरत के अंतर्वस्त्र से लेकर उनके लगाने वाली क्रीम तक की बात सुनते ही वह आपने मन में उस औरत के साथ साथ उनके अंगों के बारे में कल्पना करते ही हैं,,,संध्या क्षेत्र से समझ रही थी कि वीत क्रीम का नाम सुनते ही उसका बेटा उसके अंदर के बारे में मन में कल्पना कर रहा होगा और इस बात का एहसास से संध्या फिर से उत्तेजना से सिहर उठी,,,, तभी आगे बढ़ते हुए सोनू पानी पुरी के ठेले पर रुक गया और अपनी मम्मी से बोला,,,)
मम्मी पानी पूरी खा लेते हैं,,,
मैं भी तुझसे यही कहने वाली थी,,, वैसे भी पानीपुरी मुझे बहुत पसंद है लेकिन खा नहीं पाती,,,।
तो चलो आज दिल के सारे अरमान पूरे कर लो,,,,
(संध्या अपनी बेटे की इस बात पर हंस दी,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसे उसके मन की मुराद पूरी करने का नहीं उठा दे रहा हो,,,दोनों मां बेटी पानीपुरी के ठेले पर खड़े हो गए और पानी पुरी वाला दोनों को पानी पुरी बनाकर खिलाने लगा,,,,)
भैया थोड़ी सी तीखी चटनी ज्यादा मिला देना,,,, जब तक मम्मी के मुंह से सीईईईई,,,सीईईईईईई,,, की आवाज नहीं निकलती तब तक मम्मी को मजा नहीं आता,,,(सोनू पानीपुरी खाते हुए बोला,,, सोनू यह बात दूसरे काम के लिए बोला था ,,,, लेकिन संध्या अपने बेटे की यह बात समझ नहीं पाई थी,,, उसे ऐसा ही लगा था कि पीछे पन के कारण मुंह से निकलने वाली आवाज के बारे में बोल रहा है,,,, सोनू चार पांच पानीपुरी ही खाया,,,,इसके बाद वह अपनी मां को पानी पूरी खत्म हुआ देखने लगा जिस तरह से बड़ी बड़ी पानीपुरी को संध्या अपना पूरा मुंह खोल कर मुंह में ले रही थी सोनू कल्पना करने लगा था कि इसी तरह से उसकी मां उसके मोटे तगड़े लंड को अपना पूरा मुंह खोल कर अपने मुंह में गप्प गप्प लेगी,,,, संध्या पानी पूरी खाते हुए बेहद खूबसूरत लग रही थी पानी पुरी में से पानी नीचे ना गिर जाए इसलिए वह थोड़ा सा आगे की ओर झुकी हुई थी जिससे उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए मचलने लगे थे जिस पर पानी पुरी वाले की नजर बार-बार चली जा रही थी,,,सोनू अच्छी तरह से समझ रहा था कि उसकी मां की बड़ी बड़ी चूची को देखकर पानीपूरीवाला ललचा रहा है,,,,,,परसों ने यह बात अच्छी तरह से समझता था कि इसमें उसकी कोई भी गलती नहीं थी क्योंकि उसकी मां थी ही इतनी सेक्सी और खूबसूरत कि उसको देखकर ही ना जाने कितने लोगों का लंड खड़ा हो जाता था,,,,,, सोनु यह बात सोचते हुए एक नजर अपनी मां की भारी-भरकम उभरी हुई गांड पर डाला जो की कसी हुई साड़ी में बेहद खूबसूरत कहर ढा रही थी,,, अपने मन में सोचने लगा कि अगर कोई भी मर्द ज्यादा कुछ नहीं बस पीछे से भले ही साड़ी के ऊपर से ही अगर उसे सिर्फ अपना लंड ही छुआने को मिल जाए तो भी उसके लंड से पानी निकल जाए,,,, सोनू को इसीलिए अपनी मां की मदमस्त भरावदार गोल गोल गांड पर गर्व होता था,,, देखते ही देखते संध्या एक के बाद एक के बाद एक कुल मिलाकर 30 पानी पुरी गप्प कर गई थी,,,, आज जी भर कर संध्या पानी पुरी खाई थी,,,, तीखे पन की वजह से उसके गोरे गोरे गाल एकदम लाल हो गए थे उसकी कनपटी भी लाल हो चुकी थी और अपनी मां के लाल लाल कश्मीरी सेव की तरह गाल को देखकर सोनू का लंड खड़ा हो रहा था,,,, अब ऐसा बार बार होता था दिन में ना जाने कितनी बार अपनी मां की झलक भर देख कर ही उसका लंड खड़ा होने लगता था,,,।
धीरे-धीरे शाम ढल रही थी अभी भी दोनों मार्केट में घूम रहे थे,,,, संध्या बार-बार मेडिकल वाले वाक्ये के बारे में सोच रही थी,,,,, ना जाने किस के मन में हो रहा है विकास उसका बेटा भी कंडोम का पैकेट रख लिया होता तो हो सकता है दोनों के बीच कुछ हो जाए,,, तो कंडोम काम आता,,,,, संध्या यही सोच रही थी कि,, एक अच्छी सी रेस्टोरेंट के सामने दोनों खड़े हो गए तो सोनू बोला,,,।
चलो मम्मी आज तो खाना बनाने का प्रोग्राम है नहीं तो यहीं पर कुछ खा लेते हैं,,,
नहीं सोनू मुझसे तो इसमें बिल्कुल भी खाया नहीं जाएगा एक काम कर तू खाना पैक करा लें घर पर ही जाकर खाएंगे,,,
हां मम्मी यह ठीक रहेगा,,,,,, तुम यहीं रुको मैं खाना पैक करा कर लाता हूं,,,
(इतना कहकर सोनू रेस्टोरेंट में खाना पेक कराने के लिए चला गया और संध्या वही रुकी रही,,, थोड़ी ही देर में खाना पैक करा कर सोनू वापस आ गया तो दोनों,,, बाइक के पास आ गए सोनू बाइक स्टार्ट कर दिया और संध्या बाइक पर बैठ गई आज उसे बहुत मजा आया था अपने बेटे के साथ मार्केट में आना उसे बहुत अच्छा लग रहा था ऐसा नहीं थाकि आज वह पहली बार अपनी बेटी के साथ मार्केट आ गई थी पहले भी वह कई बार मार्केट में आ चुके थे लेकिन आज की बात कुछ और थी क्योंकि आज उसे अपने बेटे को देखने का नजरिया जो बदल गया था ना जाने क्यों उसे अपने बेटे में एक नौजवान प्रेमी नजर आने लगा था जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था,,,, देखते ही देखते घर आ गया,,,, अभी अंधेरा नहीं हुआ था,,,, और घर में प्रवेश करते ही,,, संध्या बोली,,,।
मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,,,,,,,,,(इतना कहकर वह अपना पर्स टेबल पर रख दी और बाथरूम की तरफ जाने लगी,,, जैसे ही वह बाथरूम में घुसी,,, सोनू तुरंत अपनी मां का पर्स तलाशने लगा वह देखना चाहता था कि वाकई में उसकी मां ने कौन सी क्रीम खरीदी है,,, वैसे तो संध्या खुद अपने मुंह से बता चुकी थी लेकिन फिर भी वह अपनी तसल्ली कर लेना चाहता था इसलिए पर्स की चैन खोलकर अंदर की तरह खंगालने लगा लेकिन पर्स में उसे कोई भी क्रीम नहीं मिली तो उसे यकीन हो गया कि उसकी मां उस क्रीम को बाथरूम में अपने साथ ले गई है,,,किस बात का एहसास होता है कि सोनू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और पल भर में उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया क्योंकि वह जानता था कि उसकी मां बाथरूम में अपनी बुरपर वह क्रीम लगाकर उसे चिकनी करेगी,,, जो कि वह पहले से ही अपनी बुर को चिकनी रखती है यह बात सोनू अच्छी तरह से जानता था जब उसकी मां खुद उसे अपनी पेंटी दिखा रही थी,,,, लेकिन सोनू बाथरूम में उसकी मां क्या कर रही होगी इस बारे में पूरी तरह से कल्पना करने लगा था और वही कुर्सी पर बैठ गया था,,,।
बाथरूम में संध्या पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,, खास करके मेडिकल वाले वाक्ये को याद करके वह बाथरूम में घुसते ही,, अपनी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट उतारकर एकदम नंगी हो गई थी,,,, उससे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए वह एक साथ अपनी दो उंगली अपनी बुर में डालकर से अंदर बाहर करते हुए अपने बेटे की कल्पना करने लगी,,, और कुछ ही मिनटों में झड़ गई,,, इसके बाद वह वीट क्रीम निकाल कर अपनी बुर की गुलाबी लकीर के इर्द-गिर्द पूरी तरह से लगा ली और थोड़ी देर बाद उसे टावल से साफ कर दी,,,, इसके बाद तो उसकी बुर मक्खन की तरह चमकने लगी फिसलने लगी अपनी बुर को देखकर एक बार खुद संध्या भी अपनी बुर पर मोहित हो गई उसे पूरा यकीन था कि अगर उसका बेटा उसकी बुर को देखेगा तो उसमें अपना लंड डाले बिना नहीं रह पाएगा,,, इसलिए वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपने नंगे बदन के साथ-साथ अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी,,,,पहले तो वह सावर चालू करके नहाना शुरू कर दी,,, उसके नंगे चिकने बदन पर पानी की बुंदे मोतियों के दाने की तरह फिसल रही थी,,,,,,दूसरी तरफ बाहर सोनू की हालत खराब हो रही थी वह अपनी मां के बारे में ना जाने कैसे-कैसे कल्पना करके मस्त हुआ जा रहा था,,,,,,,, वह अपनी मां के कमरे में जाकर बैठ गया क्योंकि उसे मालूम था कि नहाने के बाद उसकी मां कमरे में ही आएगी वह अपनी मां की खूबसूरत है पानी से भीगे हुए बदन को देखना चाहता था उसके गीले बालों से उठ रही मादक खुशबू को अपने अंदर महसूस करना चाहता था,,,,,,
संध्या नहा चुकी थी और जानबूझकर अपने कपड़े को बाथरूम में नहीं लाई थी इसलिए निकलते समय एक टावर लपेट ली जो कि उसकी चुचियों के आधे भाग के साथ-साथ उसकी बड़ी बड़ी गांड को भी सिर्फ आधी ही ढंक पा रही थी,,,, वह बाथरूम से बाहर निकल गई वह अपने मन में यही सोच रही थी कि उसका बेटा ड्राइंग रूम में ही बैठा होगा लेकिन बाहर उसे ना देख कर वह सोचने लगी कि उसका बेटा कहां चला गया क्योंकि वह किसी भी तरह से अपने बेटे को अपना नंगा बदन दिखाना चाहती,, थी,,, कुछ देर तक वह वही खड़ी होकर इधर-उधर अपने बेटे को देखने लगी,,, लेकिन वह कहीं नजर नहीं आया तो निराश होकर अपने कमरे की तरफ चल दी,,,,,,ऊसे लगने लगा कि इस हाल में वह अपनी बेटी को अपनी नंगी खूबसूरत बदन के दर्शन नहीं करा पाएगी,,,लेकिन जैसे ही वह अपने कमरे के दरवाजे तक पहुंची तो उसके होठों पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था और अंदर से ट्युब लाइट की रोशनी आ रही थी,,, वह समझ गई कि उसका बेटा अंदर है,,,,,,उसका दिमाग बड़ी तेजी से दौड़ने लगा उसे अच्छी तरह से पता था कि कमरे में दाखिल होते ही उसे क्या करना है,,,, वह अपनी टावल को थोड़ा सा ढीला कर ली,,, ताकि दो कदम चलते ही उसकी टावल खुद-ब-खुद नीचे गिर जाए,,, और ऐसा ही हुआ अनजान बनते हुए जैसे ही संध्या अपने कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश की वैसे ही अपने बेटे को बेड पर बैठा हुआ पाकर चौक ने का नाटक करते हुए एकदम से हड़बड़ा गई और इसी हड़बड़ाहट में उसकी टावर छूटकर नीचे उसके कदमों में गिर गई और वह अपने बेटे की आंखों के सामने संपूर्ण रूप से एकदम नंगी हो गई,,,,सोनू अपनी मां को अपनी आंखों के सामने इस तरह से एकदम नंगी देखकर पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया उसे उम्मीद नहीं थी की उसे उम्मीद से ज्यादा देखने को मिल जाएगा वह आंखें फाड़े अपनी मां के नंगे बदन को ऊपर से नीचे की तरफ घूरने लगा,,, पल भर में ही सोनू की आंखें अपनी मां की खूबसूरत बदन के हर एक कोने को नापने लगी अपनी मां की मदमस्त खरबूजे जैसी गोल गोल चुचियों को देखकर वहां पूरी तरह से मदहोश हो चुका था,,, उसकी नजर बड़ी तेजी से नीचे की तरफ चल रही थी और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की उस गुलाबी लकीर को देखते ही सोनू उत्तेजना से भर गया और उसका लंड अपनी मां की मदमस्त जवानी को सलामी भरने लगा,,,, संध्या जानबूझकर कुछ सेकेंड तक इसी तरह से अपने नंगे बदन का रसपान अपने बेटे को कराती रही,,, और जैसे कीवह होश में आई हो इस तरह से तुरंत नीचे झुका कर टावर उठा लिया और उसे नंगे बदन पर लपेट ली और शर्माने का नाटक करते हुए बोली,,,।
ओहह,,, सॉरी बेटा,,,, टावल गिर गया,,,,
(सोनू के पास बोलने के लिए कोई शब्द नहीं थे वह अपनी मां को आंखें फाड़े अभी भी देखें जा रहा था,,, और वह भी जैसे होश में आया हो इस तरह से,,, बेड पर से खड़ा हुआ और वह भी अपनी मां को सॉरी बोल कर कमरे से बाहर निकल गया लेकिन कमरे से बाहर निकलते निकलते एक नजर टॉवल में लिपटी हुई अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर नजर मारता,,,गया,,,,, संध्या पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबते चली जा रही थी बड़ी हिम्मत करके उसने अपने बेटे के सामने जानबूझकर टावल गिराने का नाटक की थी,,,, पल भर में ही अपने बेटे को अपने नंगे बदन का दर्शन करा कर,,, उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,।
दूसरी तरफ शाम ढल चुकी थी और संजय अभी भी अपनी मंजिल से 15 किलोमीटर की दूरी पर था लेकिन तभी उसकी गाड़ी बंद हो गई,,,।
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