शाम ढलने वाली थी और संजय की गाड़ी बंद पड़ गई थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,,,,,,।
क्या हुआ पापा,,,?
पता नहीं क्या हुआ गाड़ी बंद हो गई है,,,,(संजय कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकलते हुए बोला,,,,,, हाईवे के किनारे केवल एक ढाबा भर था,,, संजय एकदम से परेशान हो गया था वह खुद ही,,, कार की बोनेट चढ़ाकर खुद से प्रयास करने लगा लेकिन उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था,,,,,, यह जगह से कुछ ठीक नहीं लग रही थी क्योंकि ढाबे पर अधिकतर शराबी लोग ही नजर आ रहे थे जो कि उन्हें ही घूर घूर कर देख रहे थे,,,,,, संजय को थोड़ी चिंता हो रही थी क्योंकि कार में उसकी बेटी थी,,,,, अपने पापा को प्रयास करता हुआ देखकर वह कार से बाहर निकल गए क्योंकि यह बात संजय को अच्छे नहीं लगी लेकिन फिर भी कुछ बोल नहीं पाया,,,,।
क्या हुआ पापा,,,, चालू तो हो जाएगी ना,,,,
कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,, और आसपास कोई गैराज भी नहीं है,,,(अपने चारों तरफ नजर दौड़ाता हुआ बोला,,,) रुको मैं ढाबे पर जाकर थोड़ी पूछताछ करके आता हूं शायद कोई मैकेनिक मिल जाए,,,(इतना कहने के साथ ही संजय ढाबे की तरफ आगे बढ़ गया,,,,,, ढाबे पर पहुंचकर उसने मैकेनिक के बारे में पूछताछ किया तो पास के ही गांव में एक मैकेनिक रहता है इस बारे में जानकारी दिया,,, और वह उसे ले जाने के लिए तैयार भी हो गया,,,,वैसे तो संजय जाना नहीं चाहता था उसे पैसे देकर बुला लेना चाहता था लेकिन,,, वह साथ में उसे ले गया,,, संजय को सगुन की चिंता हो रही थी लेकिन मजबूरी थी जाना भी जरूरी था वरना इस अनजान सुनसान जगह पर उन्हें रात बितानी पड़ जाती तब और भी ज्यादा दिक्कत बढ़ सकती थी,,,,,,
15 मिनट जैसा समय गुजर चुका था शगुन को बड़े चोरों की प्यास लगी हुई थी और गाड़ी बंद होने की वजह से बाहर गर्मी भी बहुत लग रही थी,,,,,,, ढाबे पर भीड़भाड़ कम होने लगी थी,,, उसे ढाबे पर तीन-चार औरतें भी नजर आ रही थी इसलिए वह हिम्मत करके ढाबे की तरफ आगे बढ़ी,,,,,,, ढाबे पर पहुंचकर उसने पानी की बोतल खरीदी और वहीं बैठ कर पीने लगी,,,, थोड़ी दूर पर खड़ी औरतें उसे ही घूर कर देख रही थी,,,,,,,,, लेकिन वह उन औरतों को अनदेखा कर रही थी,,,,
अभी थोड़ी देर बाद एक बाइक वाला आकर उसके पास ही बाइक रोककर उससे बोला,,,,
चलेगी क्या,,,,
क्या,,,,?(शगुन आश्चर्य से बोली)
अरे चलना है क्या,,,,
कहां,,,,(फिर आश्चर्य से बोली उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था)
यही पास में,,,,
(शगुन फिर उसे आश्चर्य से उसे देखने लगी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,)
अरे बोलना कितना लेगी नखरे क्यों कर रही है,,,,( वह बाइक वाला शगुन की खूबसूरती और उसकी मदमस्त जवानी पर मोहित हो चुका था,,, इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) 3000 5000 कि 10000 लेगी पूरी रात का,,, बोलना नखरे क्यों दिखा रही हैं,,, मक्खन जैसी है तभी तो मक्खन जैसा भाव भी दे रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह बाइक वाला आदमी शगुन के गोरे गाल पर अपनी उंगली फेर दिया,,,, सगुन एकदम से घबरा गई,,, घबराते हुए बोली,,,,)
मुझे कहीं नहीं जाना और इस तरह से मेरे साथ बात मत करो,,,, भागो यहां से वरना मैं अपने पापा को बुला दूंगी,,,
(दाल गलती ना देख कर वह आदमी समझ गया कि यह धंधे वाली नहीं है लेकिन फिर भी उसकी खूबसूरती देखकर वह पूरी तरह से मोहित हो गया था इसलिए गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)
तो मादरचोद यहां क्यों बैठी है चल जा कहीं और,,,( और इतना कहने के साथ ही वह उन औरतों की तरफ बाइक लेकर चल दिया उसके जाते ही सगुन राहत की सांस ली,,, लेकिन 5 मिनट बाद फिर एक बाइक वाला आया और एक ही बाइक पर दो लोग बैठे हुए थे,,,, पीछे वाला बाइक को शगुन के पास खड़ी रखने के लिए बोला और बाइक के खड़ी होते ही वह पीछे वाला बाइक से नीचे उतर गया और शगुन से बोला,,,)
और जानेमन चलने का इरादा है एक साथ दो दो,,,
एक साथ दो दो मतलब,,,
अरे मतलब की तू और हम दोनों,,,(अपने दोस्त की तरफ इशारा करते हुए)
देखिए मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पा रही हूं,,,,(शगुन आश्चर्य जताते हुए बोली,,)
अरे मेरा मतलब है कि तेरे को हम दोनों एक साथ चोदेंगे,,, एतराज ना हो तो एक तेरी बुर में और दूसरा तेरी गांड में,,,और गांड में नहीं लेना हो तो बारी-बारी से तेरी बुर में
(इतना सुनते ही शगुन के हाथ पांव कांपने लगी,,, उसे समझते देर नहीं लगी कि वह दोनों से क्या समझ रहे थे वह जो बाइक वाला गया है वह क्या समझ रहा था,,, शगुन एकदम से घबरा चुकी थी,,, एकदम से घबराहट भरे स्वर में बोली,,,)
देखो मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं,,,
अरे मैं जानता हूं तु हाई क्लास है,,, तभी तो तुझे अच्छी सी होटल में ले चलेंगे खाना पीना सब कुछ हमारा और काम खत्म होने के बाद तुझे बख्शीश भी देंगे,,,,,,
माइंड योर लैंग्वेज,,,, मैं कब से कह रही हूं जो तुम लोग समझ रहे हो मैं वह नहीं हूं,,,,,,, फिर भी समझ नहीं आ रहा है तुमको,,,( शगुन एकदम से चिल्लाते हुए बोली,,, तो वह एकदम से घबरा गया,,,,तब तक संजय भी वहां पहुंच चुका था साथ में मैकेनिक लेकर अपनी बेटी को इस तरह से चिल्लाते हुए देखा तो भागते हुए उसके करीब आया तब तक वह लड़का बाइक चालू करके वहां से नौ दो ग्यारह हो चुका था,,,)
क्या हुआ वह बाइक वाला कौन था,,,,
वो,,,वो,,,(अपने पापा को देखकर सगुन राहत की सांस लेते हुए बोली लेकिन वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही उसके साथ आया हुआ मैकेनिक बोला)
वो लड़के इन्हें धंधे वाली लड़की समझ रहे थे,,,,
क्या,,,,?(संजय आश्चर्य से अपनी बेटी की तरफ देखते हुए बोला तो शगुन शर्मिंदा होते हुए अपनी नजरें नीचे झुका कर हां में सिर हिला दी)
वह क्या है ना साहब शाम ढलते ही यहां पर धंधे वाली औरतें आना शुरू हो जाती है वो औरतें देख रहे हो,(उंगली से पास में खड़ी चार पांच औरतों की तरफ इशारा करते हुए) वह औरतें वही है पर यहां पर आपकी बेटी भी बैठी हुई थी इसलिए बोलो इन्हें भी वही समझ रहे थे,,,।
ओहह,,,गोड,,,, अच्छा हुआ मै सही समय पर आ गया,,, तुम जल्दी से मेरी कार ठीक कर दो यह जगह ठीक नहीं है और वैसे भी रात हो रही है,,,।
ठीक है साहब,,,,
(इतना कहकर वह तीनों कार के करीब आ गए और वह मैकेनिक अपने काम में लग गया तकरीबन 15 मिनट में ही उसने कार को ठीक कर दिया कुछ प्रॉब्लम की वजह से कार बंद पड़ गई थी लेकिन अब आराम से स्टार्ट हो रही थी,,,उसमें कैनिक ने संजय से ₹500 मांगे थे लेकिन संजय मौके की नजाकत को देखते हुए उसे हजार रुपया दिया था जिसे पाकर वह मैकेनिक एकदम खुश हो गया था,,, संजीय शगुन वापस ने कार में बैठ गए थे और संजय कार स्टार्ट करके आगे बढ़ा दिया,,, मंजिल बेहद करीब थी,,,, शगुन को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि कोई उसे धंधे वाली लड़की समझ लेगा इसलिए जो कुछ भी हुआ था उस पर यकीन नहीं कर पा रही थी संजय भी सहमा हुआ था उसे इस बात से चिंता थी की अगर उसकी बेटी के साथ कुछ गलत हो जाता तो इसलिए वह मन ही मन भगवान को धन्यवाद दे रहा था,,,।
संजय कार को तेज रफ्तार से नहीं बल्कि बड़े आराम से ही ले जा रहा था लेकिन उसका दिमाग डोलने लगा था ना चाहते हुए भी उसके मन में अजीब अजीब से ख्याल आने लगे थे अपने मन में सोच रहा था कि वह लड़की उसकी बेटी से क्या कहें होंगे,, उसे भाव पूछें होगे कि कितना लेती है,,,, क्या भाव है पूरी रात का क्या नाम है घंटे का क्या भाव है,,, आगे से देती है या पीछे से भी,,,,।अपनी बेटी के बारे में यह सोचते ही संजय का लंड खड़ा होने लगा,,,, अपनी बेटी से पूछना नहीं चाहता था लेकिन जो कुछ भी हुआ था उससे वह काफी उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,, एक पल के लिए कार में बैठे-बैठे उस घटना के बारे में सोचते हुए शगुन भी ना जाने क्यों उत्तेजना का अनुभव कर रही थी क्योंकि वह कभी सपने में भी नहीं सोचा कि कि कोई उसे धंधे वाली लड़की समझ लेगा और उससे उसका भाव पूछेगा बार-बार उस लड़के की बात उसे याद आ रही थी,,, जब वह उसे से दो दो लड़कों को एक साथ लेने के लिए बोल रहा था एक बुर में एक गांड में,,,, यह बात याद आते ही ना जाने क्यों उसकी बुर से मदन रस की बूंद टपकने लगी,,,,,,, वह उत्तेजित होने लगी थी,,,।
वहां क्या हुआ था शगुन,,,( सब कुछ जानते हुए भी समझे जानबूझकर यह सवाल पूछ रहा था)
वो वो, वो लोग मुझे गंदी लड़की समझ रहे थे,,,
लेकिन ऐसा क्यों,,,,?(उसने कहने के लिए संजय को साफ साफ शब्दों में बताया था फिर भी संजय या जानबूझकर पूछ रहा था और अपने बाप के सवाल पर शगुन को भी आश्चर्य हुआ था लेकिन फिर भी वह बोली)
क्योंकि वहां और भी औरतें इकट्ठा थी,,,,
किस लिए इकट्ठा थी,,,,
धंधा करने के लिए,,,(अपनी नजरों को नीचे झुकाते हुए बोली)
तुमसे वह लड़के क्या बोल रहे थे,,,?
(अपने पापा के इस सवाल पर शगुन थोड़ा सा झेंप गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था अपने पापा के सवाल का क्या जवाब दें जबकि उसके पापा को अच्छी तरह से मालूम था कि वहां पर क्या हो रहा था,,, लेकिन धीरे-धीरे उसके बदन में भी धंधे वाली लड़की की बात को लेकर खुमारी छाने लगी थी,,, और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर अपने घर से दूर इधर कुछ करना है तो शर्म को दूर करना और अपने पापा के सवालों का जवाब देना होगा इसलिए वह थोड़ी देर बाद बोली,,,)
मैं वहां पानी पीने के लिए बैठी थी,,, पहले एक बाइक वाला आया,,,,,
फिर,,,,(संजय अपनी आंखों को सड़क पर स्थिर किए हुए था लेकिन उसके कान अपनी बेटी की बातों को सुनने के लिए चौंक्कने थे,,,)
फिर वो लड़का मेरे पास आकर बाइक खड़ी किया और बाइक से उतरे बिना ही बोला,,, चलेगी क्या,,,?
क्या ऐसा कहा उसने,,,
हा पापा,,, मैं तो उसकी बात को समझ ही नहीं पाई,,,, वह बार-बार कह रहा था कितना लेगी 3000 5000 10000,,, लेकिन फिर भी मैं उसकी बात को समझ नहीं पाई,,,।
फिर क्या हुआ,,,,,(संजय उत्सुकता जगाते हुए बोला अपनी बेटी की बातों को सुनकर उसके लंड में सनसनाहट हो रही थी और यही हाल सगुन का भी था,,, उसे अपनी पेंटी गीली होती हुई महसूस हो रही थी,,,।)
फिर वह इतने गंदे शब्दों में मुझे बोला कि मैं हैरान रह गई मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं इस तरह के शब्द कभी सुनूंगी,,,।
क्यों क्या कहा उसने,,,,(संजय को भी बेहद जल्दी थी अपनी बेटी की बात सुनने के लिए और सगुन को जल्दी थी अपनी बात सुनाने के लिए वह अपने पापा के चेहरे को अच्छी तरह से पढ़ पा रही थीशगुन को साफ पता चल रहा था कि उसकी बातों को सुनकर उसके पापा को अंदर ही अंदर मजा आ रहा है,,,)
उसने कहा,,, उसने कहा कि,,,,,अब कैसे बताऊं मुझे तो शर्म आ रही है,,,,।
अरे इसमें शर्माने वाली कौन सी बात है,,,,, बता दो क्या कहा उसने,,,,
लेकिन आपके सामने,,,,,
तो क्या हुआ मुझे अब अपना दोस्त ही समझो,,,,
लेकिन पापा वह बहुत गंदी बात बोला था,,,,
वही तो मैं सुनना चाहता हूं कि,,,, तुम्हें धंधेवाली समझकर वह क्या बोला था,,,,,,,
(कुछ देर की खामोशी के बाद शगुन बोली)
वैसे तो पापा मैं तुम्हें पता नहीं वाली नहीं थी लेकिन तुम कह रहे हो कि मुझे अपना दोस्त समझो तो मैं बताती हूं,,,, जब मैं उसे बोली कि मुझे तुम्हारी बात समझ में नहीं आ रही है कि तुम क्या कर रहे हो तो वह बोला,,, चुदवाने का कितना पैसा लेगी,,,
(अपनी बेटी के मुंह से चुदवाने वाली बात सुनते ही संजय के लंड ने अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया,,,, और सब उनकी भी हालत खराब हो गई थी जब उसके मुंह से चुदवाने वाली बात निकलेगी जिंदगी में पहली बार उसने इस शब्द का प्रयोग की थी और वह भी अपने पापा के सामने इसलिए उसकी बुर पानी कुछ ज्यादा ही छोड़ने लगी थी,,, अपनी बेटी की बातें सुनकर अफसोस जताते हुए बोला,,,)
बाप रे ये कहा उसने अगर मुझे मालूम होता तो मैं तुम्हें वहां अकेली नहीं छोड़ता,,, उसकी बात सुनकर तुमने क्या कि,,,
मैं तो एकदम से घबरा गई,,, बार-बार मुझे कह रहा था कि तू मक्खन जैसी जैसी के मक्खन जैसा भाव भी दे रहा हूं,,,
(अपनी बेटी की बात सुनकर संजय अपने मन में कहने लगा कि वाकई में उसकी बेटि एकदम मक्खन की तरह चीकनी है,,,)
फिर तुम क्या कहीं,,,
मुझे बार-बार यह समझा रही थी कि भी गंदी लड़की नहीं है मै ऐसा वैसा काम नहीं करती,,,, तब जाकर वह माना जाते जाते मुझे गाली दे गया,,,,
क्या वह तुम्हें गाली दिया,,,,
एकदम गंदी,,,,
कौन सी गाली,,,,?
अब ये भी बताऊं,,,,
तो क्या हुआ बता दो ना,,,,
मादरचोद,,,,,
ओहहहहह,,,वह, लड़का वाकई में बहुत हारामी था,,,
कुछ मत पापा मेरे दिल पर क्या गुजर रही थी,,,
मैं समझ सकता हूं सगुन,,,, साला मादरचोद बोलकर गया,,,, समझती हो इसका मतलब,,,,
(शगुन बोली कुछ नहीं लेकिन अपने पापा की बात सुनकर ना मैं सिर हिला दी,,,वह अपने पापा के चेहरे के भाव को पढ़ रही थी ऐसा लग रहा है कि जैसे उसकी आपबीती सुनकर उसके पापा को मजा आ रहा था और उत्तेजना का अनुभव हो रहा था तभी तो वह मादरचोद गाली के मतलब को समझाने के लिए उत्सुकता दर्शा रहे थे,,)
मादरचोद उसे कहते हैं जो अपनी मां को चोदता है,,,
(अपने बाप के मुंह से उस गाली का मतलब सुनते ही शगुन एकदम सन्न रह गई उस मतलब की बात सुनकर नहीं बल्कि अपने पापा की उत्सुकता देखकर कितनी गंदी बात वहां कितने आराम से उसके सामने कह रहे थे लेकिन ना जाने क्यों अपने पापा के मुंह से मादरचोद का शब्द का अर्थ समझते हुए उसे उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसकी बुर ऊतेजना के मारे फुल पीचक रही थी,,,, जानबूझकर वह अपने पापा के सामने उस गालई का मतलब समझते ही आश्चर्य से अपना मुंह खुला छोड़ दी,,,, संजय कोअपनी बेटी से इस तरह से बातें करने में बहुत उत्तेजना का अनुभव हो रहा था और उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था जिसे वह बार-बार अपने हाथों से एक्सेस कर रहा था और उसकी यह हरकत शगुन की नजर से बच नहीं पा रही थी और उसे अपने पापा के लिए हरकत बेहद कामुक लग रही थी,,, कुछ देर तक कार में एकदम शांति छा गई ओर ईस शांति को खुद शगुन भंग करते हुए बोली,,,)
इसके बाद वही 2 लड़के आए जो भाग खड़े हुए थे,,,
क्या दो लड़के भी,,,,
हां पापा उन दोनों की बातें तो मुझे और डरावनी लग रही थी,,,।
डरावनी क्यो,,,,?
क्योंकि वह दोनों एक साथ चोदने की बात कर रहे थे,,,,
(चोदना शब्द कहकर एक बार फिर से सगुन की सांस ऊपर नीचे हो गई और यह शब्द सुनकर संजय की हालत खराब हो गई,,,)
क्या एक साथ,,,
हां पापा वह कह रहा था कि एक बबबबब,,बुर में देगा और दूसरा गांड में,,,,,
(यह शब्द कहते हुए खुद सगुन की बुर से पानी की धारा फूट पड़ी और संजय तो झरते झरते बचा,,, बुर और गांड शब्द कहने में,,, शगुन को जितनी हिम्मत जुटाने के लिए मशक्कत करनी पड़ी थी कितनी मशक्कत उसे और कोई काम करने में आज तक नहीं पड़ी थी,,,, संजय तू अपनी बेटी के मुंह से यह शब्द सुनकर पूरी तरह से बावला हो गया था,,,,)
बाप रे में तो कभी सोच भी नहीं सकता,,,,
मैं तो रो देने वाली थी कि तभी तुम आ गए,,,।
अच्छा हुआ कि मैं सही समय पर आ गया वरना आज ना जाने क्या हो जाता,,,,।
(कुछ देर के लिए कार में पूरी तरह से खामोशी छा गई सगुन हैरान थे कि वह अपने पापा के सामने इतनी गंदी शब्दों में बात कर रही थी और उसके पापा भी मजे ले कर उसकी बात को सुन रहे थे और गंदी गंदी बातें भी कर रहे थे दोनों के बीच ऐसा लग रहा था कि दूरियां कम होने लगी थी दोनों के बीच की दीवार धीरे-धीरे रहने लगी थी जिसकी शुरुआत हो चुकी थी ,,, थोड़ी ही देर में एक आलीशान होटल आ गया और होटल के पार्किंग में कार खड़ी करके संजय और सगुन दोनों कार से बाहर आ गए,,,।)