और वह धीरे से अपने होठों को अपनी मां के दोनों टांगों के बीच उसकी बुर वाली जगह पर हल्के से दबाते हुए गहरी सांस लेने लगा मानो कि वह अपनी मां की बुर की मादक खुशबू को अपने अंदर नथुनों के द्वारा उतार लेना चाहता हो,,,,अपने बेटे की हरकत की वजह से संध्या के तन बदन में आग लगने लगी और पल भर मे ही उसकी बुर से,,, पानी की धार फुट पड़ी,,,,। संध्या को यकीन नहीं हो रहा था कि वह अपने बेटे की हरकत की वजह से पल भर में ही चरम सुख पाते हुए अपना पानी छोड़ दी है,,,। सोनू के पेंट में गदर मचा हुआ था उसका लंड पूरी औकात में आ चुका था,,, संध्या हाथ ऊपर करके अलमारी खोलकर घी के डिब्बे को अपने हाथ में ही लिए रह गई थी,,, पल भर में वह सब कुछ भूल चुकी थी,,,अपने बेटे की हरकत की वजह से उसे चरम सुख के साथ-साथ अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था वो कभी सपने में भी नहीं सोचते कि अपने बेटे की इस तरह की हरकत से वह पल भर में स्खलित हो जाएगी,,,। बुर में से पानी की धार फूटने की वजह से,, मदन रस की खुशबू उसकी नाक मैं बड़े ही आराम से पहुंच रही थी अद्भुत माधव खुशबू का अहसास उसके तन बदन को और ज्यादा मदहोश कर रहा था सोनू की आंखों में नशा छाने लगा था,,, और उसके तन बदन में अजीब सी हलचल के साथ-साथ ताकत का संचार होने लगा था क्योंकि अभी तक वह अपनी मां को इस तरह से उठाया हुआ था लेकिन उसे बिल्कुल भी थकान महसूस नहीं हो रहा था,,, दिल की धड़कन बड़ी रफ्तार से चल रही थी संध्या को अपने नितंबों के इर्द-गिर्द अपने बेटे के बाहों का कसाव बेहद आनंददायक लग रहा था,,,। सोनू की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसके मन में यह हो रहा था कि काश यह साड़ी कमर तक उठी होती तो वह अपनी मां की बुर पर अपने होंठ रख कर उसे चाटने का सुख भोग पाता,,, वह अत्यधिक उत्तेजना के मारे अपनी मां के नितंबों को अपनी बाहों में लेकर कस के दबोचे हुआ था,,,सोनू इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था और चुदवासा कि उसे ऐसा लगने लगा था कि कहीं उसके लंड से पानी की बौछार ना फूट पड़े,,,,, जिस तरह की इच्छा सोनू के मन में हो रही थी उसी तरह की इच्छा संध्या के मन में भी जागरूक हो रही थी वह भी अपने बेटे के होठों को अपनी प्यासी बुर पर महसूस करना चाहती थी,,,,। संध्या पानी छोड़ चुके हैं लेकिन उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर बरकरार थी लेकिन काफी समय से वह अपने बेटे की भुजाओं के सारे ऊपर उठी हुई थी मानो किसी सीढ़ी पर चढ़ी हो,,, इसलिए वहां अब नीचे उतरना चाहती थी घी का डब्बा भी उसके हाथों में ही था,,, इसलिए वह अपने बेटे से बोली,,,।
अब उतारे का भी या ऐसे ही पकड़े रहेगा,,, देख घी के चक्कर में एक रोटी भी जल गई,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का एहसास हुआ कि वाकई में तवे पर रखी हुई रोटी जलने लगी थी,,,इसलिए वह अपनी मम्मी को नीचे उतारने लगा वैसे तो उसका मन बिल्कुल भी नहीं हो रहा था अपनी मां को अपनी बाहों से दूर करने के लिए लेकिन फिर भी मजबूरी थी,,,)
संभाल के बेटा छोड़ मत देना वरना गिर जाऊंगी,,,,
चिंता मत करो मम्मी मैं गिरने नहीं दूंगा,,,,,(इतना कहने के साथ ही,,, सोनू आराम आराम से अपनी मां को नीचे की तरफ सरकाने,,, जैसे-जैसे सोनू अपनी मां को नीचे की तरफ जा रहा था वैसे वैसे संध्या के बदन पर उसका कसाव बढ़ता जा रहा था और यह संध्या को भी अच्छा लग रहा है ना देखते ही देखते सोनू अपनी मां को जब नीचे उतार दिया लेकिन अभी भी वह उसकी बाहों में कसी हुई थी और उत्तेजना के मारे सोनू का लंड पूरी तरह से खड़ा था,,। और जैसे ही वह अपनी मां को जमीन पर उतारा और अपनी बाहों में कसे होने की वजह से सोनू का खड़ा लंड जोकी पेंट में होने के बावजूद भी पूरी तरह से उत्तेजना के मारे तंबू सा बन चुका थावह सीधे जाकर संध्या की दोनों टांगों के बीच साड़ी के ऊपर से ही उसकी गुलाबी मखमली बुर पर ठोकर मारने लगा,,, अपनी मखमली बुर के ऊपर एकदम सीधे हुए सोनू के लंड के हमले से वह पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गई,,,अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के ऊपर महसूस करते ही वह पूरी तरह से उत्तेजना के मारे गनगना गई,,,,उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी सोनू को ईस बात का एहसास था कि उसका लंड सीधा उसकी मां की बुर के ऊपर ठोकर मार रहा है इसलिए वह भी अत्यधिक उत्तेजना से भर चुका था,,,। सोनू अपनी मां को अपनी बाहों के कैद से आजाद नहीं करना चाहता था उसे अपनी मां की बुरर कर अपने लंड की ठोकर अत्यधिक उत्तेजना का एहसास करा रही थी उसे अच्छा लग रहा था,,,। संध्या को भी अच्छा लग रहा था लेकिन वह पूरी तरह से शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,,, संध्या खुद अपने आपको अपने बेटे की बाहों से आजाद करते हुए बोली,,,।
अब छोड मुझे रोटी पर घी लगाना है तुझे नाश्ता भी करना है,,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपने बेटे से अलग हुई और रोटी पर डिब्बे से निकालकर घी लगाने लगी,,, सोनू तो एकदम खामोश हो चुका था इस बात का एहसास था कि उसकी हरकत उसकी मां को जरूर पता चल गया जी लेकिन फिर भी वह वहीं खड़ा रहा और फ्रीज में से पानी की बोतल निकाल कर पीने लगा,,, अभी भी पेंट में उसका तंबू बना हुआ था जिसे संध्या तिरछी नजरों से देख ले रही थी और मन ही मन मुस्कुरा रही थी,,,,। दोनों के बीच खामोशी छाई हुई थी कुछ देर की खामोशी के बाद संध्या दोनों की चुप्पी को तोड़ते हुए बोली,,,।)
सोनू तेरे में बहुत दम है वरना मुझे इस तरह से उठा पाना किसी के बस की बात नहीं है,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर दोनों मुस्कुराने लगा लेकिन जवाब में कुछ बोला नहीं क्योंकि उसकी नजर अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड पर टिकी हुई थी और इस बात का एहसास संध्या को भी हो चुका था क्योंकि बातें करते हुए वह उसे देख ले रही थी और उसकी नजरो के शीधान को भी अच्छी तरह से समझ पा रही थी ,,,,लेकिन अपने बेटे की प्यासी नजरों को अपनी गांड पर महसूस करते ही वह पूरी तरह से उत्तेजना से भर जा रही थी,,,। संध्या ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)
बेटा देख फिर से चुभने लगी ना मुझे लगता है कि मुझे बदलनी पड़ेगी,,,,
क्या,,,,?
पेंटी और क्या,,,,?
पर मुझे तो नहीं लगता मम्मी,,,,,
तुझे नहीं लग रहा है लेकिन मुझे जालीदार पैंटी कुछ अजीब लग रही है क्योंकि मैंने आज तक कभी पहनी नहीं हूं इसलिए,,,,,
पापा को अच्छी लगी क्या,,,,?
क्या,,,,,?(संध्या आश्चर्य से अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली,,, संध्या अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में बोल रहा है लेकिन फिर भी वह अपनी तसल्ली के लिए पूछ बैठी थी,,,)
कुछ नहीं बस ऐसे ही,,,,(सोनू बात को डालना के उद्देश्य से बोला,,,)
नहीं ऐसे ही नहीं कुछ तो बोला तू,,,,
मेरा मतलब है कि मम्मी पापा ने तो देखे होंगे उन्हें कैसे लगी,,,
कैसी लगी अच्छी लगी होगी बोले थोड़ी ना,,,,।
क्या पापा कुछ भी नहीं बोले,,,,
हां कुछ भी नहीं बोले,,,,
कमाल है,,,,,, मुझे लगा था कि पापा तारीफ किए होंगे आपके पसंद की,,,,।
नहीं ऐसा कुछ भी नहीं हुआ लेकिन तुझे कैसे मालूम कि पापा देखे होंगे,,,
बस ऐसे ही,,,,,(सोनू शरमाते हुए बोला)
ऐसे ही नहीं अब तु बड़ा हो गया है,,, शैतान हो गया है तु,,,(संध्या रोटी पर घी लगाते हुए अपने बेटे की तरफ देखकर बोली,,,, संध्या की बातों में भी शरारत थी,,,ना जाने क्यों दोनों में से कोई एक दूसरे को किस किस तरह से आगे बढ़ने से रोक नहीं रहा था दोनों के बीच धीरे-धीरे इस तरह की खुली हुई बातें होने लगी थी,,, संध्या के मन में ऐसा हो रहा था कि काश उसका बेटा पहले ही नहीं उसे देखने के लिए बोले लेकिन ऐसा हो नहीं रहा था और संध्या अपने बेटे को अपनी जालीदार पेंटिं,,,दिखाने के बहाने बहुत कुछ दिखाना चाहती थी,,,,)
मम्मी मुझे भूख लगी है जल्दी से नाश्ता तैयार कर दो कॉलेज जाना है,,,,
हां बेटा तैयार हो गया है बस 2 मिनट,,,,(इतना कहकर संध्या नाश्ते की प्लेट लेकर नाश्ता रखने लगी और सोनू किचन से बाहर चला गया संध्या का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा मौका शायद उसे दोबारा ना जाने कब मिलने वाला था आज माहौल पूरी तरह से गर्म था ,, वह चाहती थी कि उसका बेटा उसे पेंटी देखने के बहाने उसके खूबसूरत हुस्न को देखें इसके लिए वह अपने मन में उसे अपनी पेंटी दिखाने की युक्ति सोचने लगी,,,, सोनू बाहर डायनिंग टेबल पर बैठ चुका था घर में संध्या और सोनू के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था वह बेसब्री के नाश्ते का इंतजार कर रहा था और संध्या के मन में कुछ और ही चल रहा था वह नाश्ते की प्लेट लेकर किचन के बाहर चली गई हो डायनिंग टेबल पर रखते हुए बोली,,,।)
नहीं सोनू अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है मुझे निकालना ही होगा,,,(संजय जानबूझकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर वाली जगह को खुजलाते हुए बोली,,,इस बार अपनी मां को भी इस तरह से अपनी बुर खुजलाते हुए देखकर सोनू से रहा नहीं गया और उसके मुंह से निकल गया,,,)
लाओ अच्छा दिखाओ तो मैं भी देखूं ईतनी खूबसूरत पैंटी इतना तंग क्यों कर रही है,,,,!
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनते ही,,, संध्या का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके अरमान मचलने लगे,,, और वह थरथराते स्वर में बोली,,,,)
ले तू भी देख ले तुझे विश्वास नहीं हो रहा है,,,,(इतना कहते हुए ना जाने कहां के संजय के अंदर की बेशर्मी आ गई थी कि वह अपने ही बेटे की आंखों के सामने अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी और देखते ही देखते उसे अपनी कमर तक उठा दीसोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था जैसे-जैसे सोनू अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ ऊठते हुए देख रहा था वैसे-वैसे सोनू की आंखों में उसकी मां की नंगी टांग ऊपर की तरफ धीरे-धीरे नंगी होती चली जा रही थी,,, और अपनी मां की चिकनी टांग का नंगापन उसकी आंखों में वासना का तूफान उठा रहा था,,,, और जैसे ही संध्या की साड़ी उसकी कमर तक आई सोनू अपनी मां के खूबसूरत मोटी मोटी दुधिया चिकनी जांघों को देखता ही रह गया,,,।सोनू को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही है वह वास्तविक है या कोई सपना देख रहा है,,, लेकिन जो कुछ भी उसकी आंखें देख रही थी वह शत प्रतिशत सच था लेकिन फिर भी किसी कल्पना से कम नहीं था इतना खूबसूरत नजारे के बारे में शायद उसने कभी ना तो कल्पना किया था और ना ही सपने में देखा था,,, अपनी मां की मोटी मोटी नंगी जांघों को देखकरउसका मन मचल रहा था उसका लंड अंगड़ाई लेना था और जैसे उसकी नजर अपनी मां की जालीदार पहनती पर पड़ी तो उसके होश उड़ गए वाकई में जालीदार पहनती है उसकी मां के खूबसूरत बदन पर बेहद खूबसूरत लग रही थी,,,गौर से देखने के बाद उसे इस बात का अहसास लड़की जालीदार पेंटी में से उसकी मां की बुर साफ साफ नजर आ रही थी जिसे आज तक उसने सिर्फ मोबाइल में ही देखा था आज उसकी आंखों के सामने वास्तविक मे किसी औरत की बुर देख रहा था और वह भी खुद की मां की,,, सोनू एकदम साफ साफ देख पा रहा था कि उसकी मां की बुर एकदम चिकनी और एकदम साफ थी और समय वह कचोरी की तरह फूली हुई थी,,,, सोनू की आंखें एकदम चोडी हो चुकी थी उसका मुंह खुला का खुला रह गया था,,, संध्या अपने बेटे के आश्चर्य में पड़े चेहरे को देखकर मन ही मन खुश हो रही थी अपने बेटे के चेहरे पर उत्तेजना के भाव उसे साफ नजर आ रहे थे उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी बुर को देखकर उसके बेटे की हालत खराब हो गई है,,,वह कुछ बोल नहीं रही थी बस अपनी साड़ी को कमर तक उठाई अपने बेटे को अपनी मदमस्त जवानी का झलक दिखा रही थी,,,,सोनू का मन अपनी मां की बुर को स्पर्श करने को हो रहा था उसे अपनी उंगली से छुने का मन हो रहा था,,,,इसमें उत्तेजना के मारे उसके मन में किसी भी प्रकार का डर नहीं था इसलिए वह अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए पैंटी के ऊपर से अपनी मां की फूली हुई बुर को उंगली के सहारे स्पर्स करते हुए बोला,,,।
वाह मम्मी तुम कितनी खूबसूरत हो,,,, लाजवाब एकदम बेमिसाल,,,,,(संध्या को अपने बेटे की उंगली का स्पर्श अपनी फूली हुई बोरकर बेहद आनंददायक और ऊतेजनात्मक महसूस हो रही थी,,,, अपने बेटे की हरकत की वजह से उसकी सांसे उत्तेजना के मारे गहरी चलने लगी थी वह कुछ बोल नहीं रही थी बस अपने बेटे की हरकत को महसूस कर रही थी उसे देख रही थी कि किस कदर उसका बेटा उसकी मद मस्त जवानी को देखकर मदहोश हो चुका है,,,,)
मम्मी पापा को शायद ठीक से नजर नहीं आया होगा आप ही जालीदार पैंटी में स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही है,,,(सोनू अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया और जब आपको सुनने को शायद तैयार नहीं था इसलिए खुद ही बोले जा रहा था और खुद ही अपनी उंगलियों से हरकत कर रहा था इसलिए वह अपनी उंगली को जालीदार पैंटी की जाली में से धीरे से अंदर की तरफ उतारा और अपनी मां की मदमस्त रसीली फुली हुई बुर की दरार के ऊपर रखकर उसे हल्के से दबाते हुए बोला,,,)
मम्मी तुम खूबसूरत हो यह बात तो मैं जानता ही हूं लेकिन इतनी ज्यादा खूबसूरत होगी आज पहली बार पता चल रहा है,,,,
(सोनू अपनी मां की मद भरी जवानी के आगोश में पूरी तरह से खोते हुए बोला,,,,इस तरह से वह बदहवास और मदहोश हो चुका था कि उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि वह अपनी मां के साथ किस तरह की हरकत कर रहा है लेकिन उसकी मां भी उसे इस तरह की हरकत करने से रोक नहीं रही थी बल्कि उसकी हरकत का पूरी तरह से आनंद ले रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसकी आंखें बंद होने लगी थी वह अपने हाथों में अपनी साड़ी को पकड़कर उसी तरह से किसी पुतले की तरह खड़ी की खड़ी रह गई थी और अपनी मां की तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया को होती हुई ना देख कर सोनू की हिम्मत बढ़ती जा रही थी और इस बार वह पूरी तरह से मदहोश होते हुएअपनी एक उंगली को अपनी मां की बुर की दरार पर रखकर उसे हल्के से अंदर की तरफ दबाने लगा,,, धीरे-धीरे सोनू की प्यासी उंगली उसकी मां की मदन रस में गीली होते हुए अंदर की तरफ सरक रही थी,,, संध्या को इस बात का एहसास था कि उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर डालने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह उसे रोक नहीं रही थी,,,, बल्कि उसकी खुद की हालत खराब होती जा रही थी सोनू पूरी तरह से नशे में मदहोश होकर धीरे-धीरे अपनी मां की बुर में उंगली डालने लगा जैसे जैसे उसकी नौकरी अंदर खुश रही थी वैसे भी उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकलने लगी थी,,, पहली बार सोनू के मुंह से इस तरह से उत्तेजना आत्मक आवाज निकल रही थी,,,,।
ससससहहहहहह,आहहहहहहहह,,, मम्मी,,,,,,,(इतना कहने के साथ ही जैसे सोनू की आधी उंगली बुर के अंदर गई वैसे ही संध्या को थोड़ा दर्द का एहसास हुआ उसकी आंखें बंद थी लेकिन दर्द का एहसास होते ही उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल गई,,,,,)
ऊईईईईई,,,ममममा,,,,,,
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की आवाज सुनते ही जैसे उसे होश आया हो और वह तुरंत अपनी ऊंगली को अपनी मां की बुर से बाहर निकाल दिया,,,वह,, एकदम से शर्मिंदा हो चुका था संध्या को भी जैसे होश आया हूं और वह अपने बेटे की ऊंगली अपनी बुर के अंदर से बाहर निकलते ही,,,शर्म से पानी पानी हो गई और तुरंत अपनी साडी को कमर से नीचे की तरफ छोड़कर तुरंत वहां से अपने कमरे की तरफ भाग गई सोनू को इस बात का अहसास हो चुका था कि उसके हाथों गलत हो चुका है,,, और वह भी बिना कुछ खाए अपना बैग लेकर घर से बाहर निकल गया,,,।)