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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Kumarshiva

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Shandar update brother
Shabana ka kiske sath pyar hoga
Sahil kuchh aisa kare ki jarina aur shabana ki shahil se pyar ho jaye sahil se
Salma to sahil ki bachche ki maa to ban gyi,jarina aur shabana bhi pregnant ho
Waiting for next update
 
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Kumarshiva

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Aap se request hai gaav ke aurate apne ghar me hi apne bete se aur ladkiya apni bhai se hi khub jamkar chudai karwae phir pregnant ho jaye,jab halka pet nikalne lage tab apne bate or bhai se shadi kare
Lakhan aur devayat ke pass already hi bahut hi ladies hai,gaav ke ladies aur girl ke sath unka beta aur bhai hi shi hai naki deva aur lakhan
 
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dilavar

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Aap se request hai gaav ke aurate apne ghar me hi apne bete se aur ladkiya apni bhai se hi khub jamkar chudai karwae phir pregnant ho jaye,jab halka pet nikalne lage tab apne bate or bhai se shadi kare
Lakhan aur devayat ke pass already hi bahut hi ladies hai,gaav ke ladies aur girl ke sath unka beta aur bhai hi shi hai naki deva aur lakhan
bhai.. jaisa aap chahte ho aisa bhi hoga lekin iske liye kuchh vakat aapko intjar karna padega.. bus.. kahani padhte rahiye.. COMENT KE LIYE THENKS..
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७०

आज लखन बंसी श्रीधर मुना सबलोग आपसमे हसी मजाक कर रहेथे.. तब साहीलका बातोमे मन नही लग रहाथा.. वो आज कुछ ज्यादाही परेसान दीख रहाथा.. लेकीन जब सभी दोस्तो चले गये.. तब बंसी ओर लखन समज गयेथे की आज साहील कुछ परेसानी मे हे.. इसीलीये सबके चले जानेके बावजुद भी लखन बंसी ओर साहील रुक गये.. ओर लखन बंसी साहीलको लेकर कही अ‍ेक जगाहपे बैठ गये तब लखन उनकी ओर सवालीया नजरोसे देखने लगा....अब आगे

लखन : (मुस्कुराते) हां साहील.. बोल.. आज क्या परेसानी हे तुजे..?

बंसी : (मुस्कुराते) भाइ.. साहील दो तीन दिनसे कुछ ज्यादा परेसान हे.. वो आपसे अकेलेमे कुछ बात करना चाहता था.. तो मेने उसे सबके जानेके बाद आपसे बात करनेको कहाथा.. अब आप दोनो बात करो.. मे चला अपनी सांतीके पास.. हें..हें..हें..

लखन : (जब बंसी चला गया) हां साहील.. अब बोल.. अभी सीर्फ हम दोनोही हे.. कुछ परसानी हे..? कुछ पैसे बैसे चाहीये..?

साहील : (सरमाते धीरेसे) अरे नही नही भाइ.. पैसे नही चाहीये.. वो.. वो.. अब आपसे कैसे कहु.. क्युकी बातही कुछ अ‍ैसी हे.. मे पीछले अ‍ेक हप्तेसे परेसान हु.. कीसीको केह भी नही सकता.. बस.. सीर्फ आपही हो जो इसमे कुछ रास्ता नीकाल सकते हो..

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. मतलब मामला थोडा गंभीर हे.. बता.. क्या बात हे..?

साहील : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. आपतो जानते हो.. मेरे ओर अम्माके बीच अब पती पत्नी वाला रीलेशन हे.. अम्माको इतने साल होगये.. उनको कोइ संतान नहीथी.. तभी तो उन्होने मुजे गोद लीयाथा.. तो पीछले दो दिनसे अम्माको उल्टीया हो रही हे.. भाइ.. मुजेतो कुछ ओर ही आसंकाये हो रही हे.. मेरी तो कुछ समजमे ही नही आरहा की मे क्या करु..?

लखन : (मुस्कुराते) अरे नहीरे.. जब इतने साल उनको कोइ बच्चा नही ठहेरा तो तु क्यु गभरा रहा हे.. अ‍ैसा कुछ नही होगा.. तु अ‍ेक बार सुधीरभैयाको दीखादे.. मे उनसे बात कर लुगा.. ओर कमीने.. अबतो उसे अम्मा मत बोल.. हर रात उनको ठोकता रहेता हे.. हें..हें..हें..

साहीला : (सरमाते धीरेसे) सोरी भाइ.. क्या हेना अब आदत होगइ हे.. हें..हें..हें.. भाइ.. अगर यहा हमारे सुधीर अंकलको दीखायेगे.. ओर कुछ ओरही गडबड नीकली तो बात पुरे गांवको पता चल जायेगी.. ओर अम्मा भी नही चाहती की इस बातका कीसीको पता चले.. तो अब आपही कुछ रास्ता नीकालो.. वैसे आपकी सृतीभाभी तो इन्हीकी डोक्टर हे.. कहोतो हम उनके पास सहेरमे दिखाने चले जाये..? बस.. वो यहा कीसीको ना बताये..

लखन : (थोडा सोचते) साहील.. वोतो मे उनको मना कर दुगातो वो कीसीको नही बतायेगी.. लेकीन पहेले ये बता तुम दोनो क्या चाहते हो..? कही बच्चा गीरानेकी तो नही सोच रहे..? क्युकी सृती भाभी अ‍ैसा काम नही करती..

साहील : (सरमाते धीरेसे) बस भाइ.. हम दोनो इसी उलजनमे फसे हे.. अम्माकोभी लगता हे उसे हमारा बच्चा ठहेर गया हे.. अ‍ेक तरफ तो उनको इतने सालोके बाद उनको बच्चा ठहेरनेकी खुसी.. तो दुसरी ओर हमारे रीस्तेको उजागर होनेका डर.. ओर अ‍ेक मेरे चाचाके घरकी टेन्शन.. जीनकी वजहसे वो ना चाहते हुअ‍े भी बच्चा गीरवानेकी बात कर रही हे.. ओर पीछले दो दिनसे आंसु बहा रही हे.. हमारी समजमे नही आता की हम क्या करे..?

लखन : (सामने देखते) क्यु..? अब चाचाके घरपे कोनसा टेन्शन आगया.. अभी अभीतो सबलोग आयेथे..

साहीला : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. आप कीसीको कुछ मत कहेना.. अ‍ेक हप्ते पहेले वहा बडे भैया कादीरभाइ.. ओर बडी बहेन सायरादीदी.. दोनोही घरसे भाग गये हे.. तो वहा चाचा ओर चाची उनकी टेन्शनमे हे..

लखन : (आस्चर्यसे) क्या.. कादीरभाइ ओर सायरादीदी..? लेकीन क्यु..?

साहील : (सरमाके मुस्कुराते) भाइ.. अगर अ‍ेक जवान लडका ओर लडकी साथमे भागते हे तो क्यु भागते हे..? फीर भलेही वो दोनो सगे भाइ बहेनहो.. लगता हे जीस तराह हमारे गांवमे बदलाव हो रहा हे.. उसे तराह सहेरमेभी हो रहा होगा.. भाइ.. कलही चाचीका बडी अम्मापे फोन आया था.. उसीने सब बताया..

लखन : (मुस्कुराते) हंम.. तो प्यारका मामला हे..? लेकीन दोनोको भागना क्यु पडा..? तेरे चाचा चाचीकोभी पता हे हमारे गांवमे ये सब बदलाव आने वाले हे.. तो तेरे भाइ बहेन तेरे चाचा चाचीको बता देते.. वैसेभी तुम लोगोमे चाचाकी लडकी बुआकी लडकीसे तो सादी करही सकते हे.. तो फीर इसमे क्या प्रोबलेम..?

साहील : (सरमाते हसते) हां भाइ.. वैसेभी अम्मा भी अबुके चाचाकी लडकी बहेन ही हे.. रही बात भागनेकी तो कल मे ओर अम्मा सो रहेथे तब अम्माने मुजे पुरी बात बताइ की आज तेरी चाचीका फोन आयाथा..

लखन : (मुस्कुराते धीरेसे) साहील.. बताना क्या बात हुइ..?

साहीला : (सरमाते हसते) भाइ.. चाचाका पंद्नह दिन नाइठ सीफ्ट ओर पंद्नह दिन दिनका सीफ्ट होता हे.. दिनके सीफ्टके दो तीन चार दिन बाकी थे तब चाची पुरे घरकी सफाइ कर रही थी.. वहा सहेरमे उनका बहुतही छोटा मकान हे.. सीर्फ दो बेड होल कीचन.. अ‍ेकमे चाचा चाची सोते हे तो अ‍ेकमे सायरादीदी ओर सबाना दीदी सोते हे.. भाइ बारीस ओर ठंडकी सीजनमे होलमे ओर गरमीमे उपर छतपे सोते हे.. ये हे वहाके धरकी पोजीसन..
 

dilavar

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लखन : हंम.. वो चाची धरकी सफाइ कर रही थी.. फीर..

साहील : भाइ.. चाचा ओर बडे भैया अपनी नोकरीपे गयेथे.. तो दोनो दीदी कोलेज गइथी.. तब चाची उनके कमरेकी सब सफाइ कर रहीथी.. वहा तीनोकी अलमारी अलग अलग हे.. तब चाचीको सायरादीदी की अलमारीमे सफाइ करते बहुत सारी आइपीलकी ओर पेइन कीलरकी गोलीया मीली.. जो उसने अ‍ेक खानेमे छुपाकर रखीथी.. जीसे देखकर चाची चोंक गइ.. ओर उसने वो अपने पास रखली..

लखन : (मुस्कुराते) तो उनसे ये थोडीना साबीत होता हे की वो तेरे कादीर भाइसे चुदवाती हे.. हें..हें..हें..

साहील : (सरमाते धीरेसे) नही भाइ सुनोतो सही.. जब उनको ये सब मीला तो उनको सबाना दीदीपे भी संकाये होने लगी.. तो वहा उनकी अलमारीमे उनको कुछ नही मीला लेकीन भाइकी अलमारी साफ करते उनको वहासे बहुत सारे कोन्डम मीले.. तब चाचीको बहुत कुछ आसंकाये होने लगी.. ओर उसने दोनोके उपर नजर रखने की ठानली.. वो दोनोके उपर नजर रखने लगी.. ओर उस रात चाचाकी नाइट सीफ्ट सुरु होगइ..

लखन : (हसते) हंम.. फीर.. हें..हें..हें..

साहीला : (हसते) क्या भाइ.. आपको हसी आ रही हे..? सुनो.. रातपे चाचा अपनी नोकरीपे चले गये तब चाची भैया ओर दोनो दीदीया खाना खा रहेथे.. तब भैया ओर सायरादीदी आंखोके इसारोसे बाते करने लगे.. भैया दीदीको देर रात उपर छतपे आनेको केह रहेथे.. तब उनको नही पताथाकी आज चाची उन दोनोके इसारोको नोटीस कर रही हे.. फीर खाना खाकर भाइ छतपे सोने चले गये तो चाची ओर दोनो दीदीने घरका सब काम नीपटा लीया ओर फीर थोडी देर टीवी देखकर सब अपने अपने रुममे सोने चले गये..

लखन : (हसते) फीर.. हें..हें..हें.. आज दोनो गये कामसे.. हें..हें..हें..

साहील : (हसते) हां भाइ.. सुनोतो सही.. चाचीने दोनोके इसारे देखलीये तब वो अपने रुमका दरवाजा बंध करके कीचनमे अंधेरेमे फ्रिजके पीछे छुपकर खडी थी.. जब देर रात सबानादीदी सोगइ.. तब सायरादीदी धीरेसे दरवाजा खोलकर बहान नीकली.. फीर उसने अपने रुमका फीर चाचीके रुमके दरवाजेको बहारसे धीरेसे लोक करदीया.. ओर दबे पांव धीरेसे उपर छतपे भैयाके पास चली गइ.. तब उनको नही पताथा की चाची कीचनमे उनपे नजर गडाये खडीथी.. हें..हें..हें..

लखन : (जोरोसे हसते) साला.. तो क्या चाचीने दोनोको रंगे हाथ पकडलीया..?

साहील : (हसते) हां.. जब सायरादीदी उपर चली गइ तो चाचीभी काफी देरके बाद उपर दबे पांव गइ.. ओर सीडीयोके पास छुपकर देखने लगी.. तब कादीर भाइ सायरादीदीके उपर लेटते उनको जोरोसे चुदाइ कर रहेथे.. जब दोनो जडने लगे तब चाची दबे पाव उनके पीछे पास जाकर खडी होगइ.. दोनोने चाचीको खडे पाया.. तो उनकी सीटीबीट गुल होगइ.. चाची उनको कुछ नही बोली..

ओर अ‍ेक अ‍ेक जोरोका तमाचा दोनो के गालपे जड दीया.. फीर दोनोको फटकार लगाकर सुबह उनको मीलकर बात करनेको कहा.. फीर जब सुबह हुइ.. तब भाइ ओर दीदी दोनोही अपने घरपे नही थे.. सुबह चाचीको सायरा दीदीकी चीठी मीली.. जो चाचीके नाम लीखकर गइथी.. की तीन साल पहेलेही दोनो स्कुलमे थे तबही नीकाह करलीया था.. तो उनको ढुढनेकी कोसीस ना करे..

लखन : (हसते) हंम.. तो ये बात हे.. तो इसमे तुम क्या कर सकते हो.. तु अब अपना देख.. ये सबतो होताही रहेगा.. अब ये बता तुम ओर तेरी अम्मा क्या चाहते हो..?

साहील : भाइ.. इतने सालोके बाद अम्माकी गोद भरी हे.. वो बहुत खुस थी.. मे इस बच्चेको गीराना नही चाहता.. बस अब चाचा चाची मानजाये.. उनकोतो पताभी नही हेकी हम दोनो रीलेशनमे हे.. जब उनको पता चलेगा तब पता नही क्या हंगामा करेगे वो.. भाइ.. मुजे सबाना दीदीकी बहुत टेन्शन हे.. बस वो अ‍ेकही हे जो मुजसे सबसे ज्यादा प्यार करती हे.. जब इधर आती हे तो भाइ भाइ करते थकती ही नही..

लखन : (मुस्कुराते) क्यु.. अब उनको क्या हुआ..?

साहील : भाइ.. वो सृतीभाभीकी तराह गायनेक डोक्टर बनना चाहती हे.. लेकीन अब कादीरभाइ चले गये हे.. ओर चाचाके पासभी इतना पैसा नही होगा.. तो अब वो सबाना दीदीको पढायेगे कैसे..? बस.. अब फाइनल यर ही बाकी हे.. उसे अब बेंगलोरमे अ‍ेडमीशन मील रहा हे.. तो वही पढने चली जायेगी.. चाची केह रहीथी इसमे अभी बारह तेरह लाख रुपीये भरने होगे.. चाचा कहासे नीकालेगे इतने पैसे..?

लखन : (कुछ सोचते) हंम.. पहेले ये बता तुमने इस बारेमे क्या सोचा हे..? फीर मे तुजे कुछ सजेस कर सकता हु..

साहील : भाइ.. अबतक खेती बाडीमे मेने पैसे बचाकर रखे हे.. ओर चाचाके हीसेका आधा पुरा हीसा मेरे पास पडा हे.. मेने सोचाथा की जब सायरादीदी या फीर कादीरभाइकी सादी होगी तब उनको दे दुगा.. लेकीन अबतो मामला ही बीगड गया हे.. तो सोच रहा हु.. अब ये पैसे मे सबानादीदीकी पढाइके लीये उनको देदु..

लखन : (मुस्कुराते) साहील.. तुमने बहुतही सही सोचा हे.. ये बता तेरे चाचाका पैसा तेरे पास कीतना पडा हे.. ओर तेरे पास कीतना पैसा पडा हे.. इतने सालसे खेती सम्हाल रहा हे.. तो कुछ तो होगाही..

साहील : (मुस्कुराते) भाइ.. लगता हे बात बन सकती हे.. इन चार सालमे चाचाके हीस्सेका कोइ साडे आठ लाख रुपीये होगे.. ओर मेरे पास घरका सब खर्चा करते चार साडे चार पांच लाख रुपीया होगा..

लखन : (हसते) तो कमीने होगइ तेरी प्रोबलेम सोल्व.. वैसेभी अभी तुम अपनी खेतीका अ‍ेक चोथाइ हीस्सा ही खेड रहे हो.. सोचो.. अभी तीज गुना जमीन तुम्हारी अ‍ैसेही बंजर पडी हे.. जो अभी वापस मीली हे.. अगर वो सभी तुम सही करके खेडोगे.. तब तुम्हारी आमदानी कीतनी बढ जायेगी..

साहील : (हसते) लेकीन भाइ.. इस जमीनमेभी मुजे मजदुर लगवाने पडते हे.. तो इतनी सारी जमीन मे अकेला कैसे सम्हाल पाउगा.. ओर वैसेभी ये जीमीन हमारे पुर्खोकी थी.. तो इसमे भी चाचाका हीसा हे..

लखन : अबे उलुके पठे.. वहा तेरे चाचा कीसी प्राइवेट फेक्टरीमे क्या जख मरवाते हे..? तो कमीने उसे यहा वापस बुला नही सकता..? जब उनके पास इतनी जमीन हे.. जब जमीन नहीथी इसीलीये तो गयेथे यहासे.. अब तो सब वापस मील गइ हे तो वापस बुलाले उसे..

साहील : (सरमाकर मुस्कुराते) भाइ.. क्या बात कर रहे हो..? बाततो आपकी सही हे.. लेकीन वो चाचा हे मेरे.. मे उनसे कैसे बात करुगा..? वो मेरी बात मानेगे नही..

लखन : (मुस्कुराते) साहील.. तुम अ‍ेक काम करो.. अभी कल पहेले तो तेरी चाचीको फोन करके बतादे की सबानाकी कोइ चीन्ता मत करना.. उनका सब इन्तजाम होजायेगा.. ताकी उनकी ये टेन्शन तो खतम होजाये.. ओर मे अ‍ेक दो दीनमे फ्रि होजाउगा तब तुम दोनो मीया बीवी मेरे साथ चलना.. मुजे चाचसे कुछ बात भी करनी हे.. समजले तेरी ओर उनकी दोनोकी सभी समस्या हल होगइ..

साहील : (सरमाते हसते) ठीक हे भाइ.. क्या आप अम्माको मेरी बीवी केह रहे हो..? वो कहा मेरी बीवी हे..? क्या भाइ आपभी..? वो मेरी अम्मा हे.. अभी हमने कहा नीकाह कीया हे.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) साहील.. इसलीये तो तुजे केह रहा हु.. की तेरे चाचा चाचीको इधर बुलाले.. तब बडे भैया उनको समजा देगे.. तो तेरी ओर तेरी अम्माकी सादी आसानीसे होजायेगी.. ओर तुम दोनोको बच्चा गीरानेकी भी जरुरत नही पडेगी.. क्या कहेते हो..? हें..हें..हें..

साहील : (खुस होते हसते) अरे हां भाइ.. बाततो आपकी सही हे.. ठीक हे.. आप फ्रि हो तब बता देना हम तीनो चाचाके घर चले जायेगे.. हें..हें..हें..

अ‍ैसी ही बाते करते दोनो आगेकी प्लानींग करके अपने अपने घरपे चले गये.. इन सबके बीच आज अ‍ेक घरमे अ‍ेक ओर सुहागरातकी तैयारीया फुलोसे बेड सजाते चल रही थी.. वो घरथा डो. सुधीरका.. वहा चारु ओर नीशा दोनो मीलकर अपना बेड सजा रहीथी.. चारु रमेशको नीशा अकेली हे.. कहेकर उनके घर चली गइथी.. तो रमेश भी आज घरपे अकेला था.. आज रस्मी भी वंदनाको लेकर अपने घरपे चल गइ थी..
 

dilavar

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तो दुसरी ओर आज बसंतीके घरपे सबने खाना खालीया.. तो उनका पती खाना खाकर सो गया था.. तब बसंतीने थोडी देरके लीये मुनाको अपने दोस्तोके यहा भेज दिया था.. ताकी खुद अपने हाथोसे बरखाको अपनी सुहागरातके लीये सजा सके.. तो आज श्रीधरके घरभी रातको जयश्री सबके सामने अपने भाइ श्रीधरके कमरेमे बीन्दास्त सोने चली गइ.. तो उनकी मां वृन्दा उसे देखती ही रेह गइ..

वो उनको कुछ बोलभी तो नही सकती थी.. तो उसने अपने देवर जीतुलालको देर रात उपर छतमे अकेले मीलनेका इसारा कीया.. तो जीतुलालनेभी इसारोसे हां कहेदीया.. वो जीतुलालको मीलकर अब बहोतही कठोर फैसला लेना चाहती थी.. क्युकी पीछली बार जब वो ओर जीतुलाल बच्चा गीरवाने गये तब इस बार डोक्टरने उसे आखरी बार कहेते वोर्नींग देदीथी.. की अब बच्चा गीरारा उनके लीये खतरनाक होगा..

तो राजीवके घरभी सब लोगोने डीनर करलीया तब देवायत भी वहासे नीकल गयाथा.. तो मंजुने चंदाको धिरेनको फोन करनेके लीये कहा.. तो चंदा खुस होते अपना फोन लेकर उपरकी मंजीलपे चली गइ.. आज उनकी खुसीका कोइ ठीकाना नहीथा.. वो ये खुस खबरी अपने बेटे धिरेनको देना चाहती थी.. सब लोग बातो मे बीजीथे तब चंदा उपरकी मंजीलपे जाकर धिरेनको फोन करने लगी.. ओर उसने धिरेनको फोन लगा दीया..

धिरेन : (थोडा मायुस होते) हां मम्मी.. बोल.. क्या हुआ..? आप मौसीके घरपे होनां..?

चंदा : (सरमाते हसते) हां बीटु.. सुन.. अभी पुनम ओर सृती इधर आइ हे.. तो सामको पुनमको उल्टीया हुइ.. ओर उसे सृतीने चेक कीया तो पता चलाकी.. सायद पुनोदीदी प्रेगनेन्ट हे.. बीटु.. कोन्ग्रेच्युलेशन.. तु सायद पापा बनने वाला हे.. पकातो कल सुबह पता चलेगा.. हें.. हें.. हें..

धिरेन : (थोडा परेसान होते) मोम.. आपको नही लगता ये थोडी जल्दबाजी हे.. आप पुनोको समजाइअ‍ेनां..

चंदा : (थोडा गुस्सा होते) क्या समजाओनां.. तु पागल होगया हे क्या..? अरे बेटा यहीतो उमरहे पापा बननेकी.. क्या बुढा होजायेगा तब पापा बनेगा..? अ‍ैसी पागलो जैसी बाते मत कर.. ओर सुन.. यहा तेरी मौसी.. मौसा सब लोग ये बात सुनकर कीतना खुस हे.. ओर तुम होकी..

धिरेन : मोम.. क्या सबलोग उधर हे..? कही मौसाजीकी तबीयत फीरसे तो खराब नही हुइ..?

चंदा : (थोडी मायुस होते) नही बीटु.. अबभी तो सब ठीक हे.. लेकीन तुजेतो पता हेना..? तेरी मंजुदीदीको सब पता चल जाता हे.. तो उसने सबको यहा बुलालीया हे.. बीटु.. मुजेतो कुछ आसंकाये हो रही हे.. तो तुमभी कल यहा आजा.. ओर अ‍ेक बार तेरे मौसीजीको मीलले.. बस मुजे ज्यादा कुछ नही कहेना..

धिरेन : (थोडा चींतीत होते) ठीक हे मोम.. मे कलही उधर आ रहा हु.. आप फीकर मत करना..

चंदा : (मुस्कुराते) हंम.. ओर सुन.. अगर तुम कल आओतो पुनमदीदीसे कुछ अ‍ैसी वैसी बाते मत करना.. समजे..? वोभी कीतनी खुस हे.. हें..हें..हें..

धिरेन : (मुस्कुराते) हां मोम.. वोभी तो यही चाहती थी.. ठीक हे मोम.. आइ अ‍ेम हेप्पी.. मे कल आ रहा हु.. लव यु मोम.. बाय..

चंदा : (सरमाते मुस्कुराते) हंम.. लव यु टु बेटा.. बाय..

कहेते धिरेनने फोन काट दीया.. चंदातो बहुत खुसथी.. लेकीन धिरेन नीलमके साथ रंगे हाथ पकडाजानेकी वजहसे बहुत मायुस हो गयाथा.. ओर उपरसे चंदाने जब पुनमकी प्रेगनन्सीके बारेमे बताया.. तो थोडा ओर परेसान होगया.. क्युकी अब वो नीलमके साथ अपना घर बसानेका सपना देख रहाथा.. ओर इस बारेमे धिरेन ओर नीलमने बहुत सारी प्लानींग भी करलीथी.. अब ना चाहते हुअ‍े भी उसे चंदाकी बात माननी पडी..

तो आज बंसीके घरभी जबसे जागृती जयश्रीको मीलकर आइथी.. वो भी अपने भाइको मीलनेके लीये तरस रहीथी.. सामको सामत घरपे आगया.. तो घरके सभी लोगोने साथमे बैठकर खाना खालीया.. तब जागृती ओर बंसी.. दोनोही अ‍ेक दुसरेके सामने बैठे थे.. तब सबसे छुपकर बंसीने अ‍ेक बार फीर जागृतीको आंख मारदी.. तो जागृती दुसरी ओर मुह करते सरमाते हसने लगी.. ओर इसारोसे सबके होनेका इसारा करने लगी..

तब बंसीकोभी तसली मील गइकी अब मामला पुरी तराह फीट हे.. जब सबने खाना खालीया तो सामत अपने रुममे जाकर सोगया.. तो जया रुममे गरमी लगनेका बहाना बनाकर उपर छतपे सोने चली गइ.. तब सांती ओर जागृतीने मीलकर घरका सब काम फटाफट नीपटा लीया.. तो इस बार सांतीको भी जागृतीका व्यावहार उनके प्रती अ‍ेक सहेली जैसा लगा.. जागृतीभी अब अकेलेमे सांतीको भाभी भाभी कहेकर बुलाने लगीथी..

आज सांती बहुतही सर्मसार हो रहीथी.. बंसी खाना खातेही अपने दोस्तोके पास चला गयाथा.. जब घरका सब काम नीपट गया तो सबलोग सोनेकी तैयारीया करने लगे.. जागृती ओर सांती भी अपने अपने रुममे चली गइ.. जागृती कुछ देर अपने भाइ बंसीके बारेमे सोचने लगी.. जबसे श्रीधर ओर जयश्रीने भागकर सादी करलीथी तबसे जागृतीकी चाहत भी अपने भाइ बंसीकी ओर काफी बढ गइ थी..

वो अब कीसीभी हालमे बंसीको पाना चाहती थी.. ओर दोनोके बीच मामलाभी बहुत आगे बढते दीखाइ दे रहाथा.. वो बंसीको अकेलेमे मीलना चाहती थी लेकीन अभी मीलना संभव नही था.. क्युकी उनको पताथा की अब देर रात बंसीके पास उनकी बुआ सांती चली जायेगी.. ओर सुबह होनेसे पहेले वो बंसीके साथ प्यार करके अपने रुममे आकर सो जाती हे.. तब जागृती खडी होकर सांतीके रुममे चली गइ.. देखातो सांती आयनेके सामने अपने आपको हल्कासा शींगार करते सजा रहीथी.. तभी..
 

dilavar

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जागृती : (मुस्कुराते अंदर आकर दरवाजा बंध करते) भाभी.. क्या कर रही हो..? क्या भाइके लीये रोज अ‍ैसे शींगार करती हो..? क्या मस्त लग रही हे आप.. हें..हें..हें..

सांती : (सर्मसार होते मस्कुराते) अरे आओ आओ.. तारीफके लीये सुक्रिया.. जागु.. क्या बात हे.. आज तो मेरी ननंद खुद मुजसे मीलने आइ हे..? हें..हें..हें.. कहो.. कैसे आना हुआ..?

जागृती : (सरमाते मुस्कुराते पास बैठते) बस कुछ नही.. अभी नींद नही आ रहीथी.. तो मेतो सीर्फ देखने आइथी की मेरी भाभी क्या कर रही हे.. क्या भाइको मीलनेके लीये जानेकी तैयारीया हो रही हे..? हें..हें..हें..

सांती : (सर्मसार होते धीरेसे) हंम.. हां.. बंसीको मीलने मे अ‍ैसेही तैयार होकर जाती हु.. ओर उनकोभी बहुत अच्छा लगता हे.. तुम कहो.. क्या अभी कोइ लडका बडका ढुंढा हे की नही..? हें..हें..हें..

जागृती : (सरमाते मुस्कुराते) क्या भाभी आपभीनां..? नही.. अभी कोइ नही हे.. भाभी.. क्या आपसे अ‍ेक बात पुछु..? आप नाराज तो नही होगीनां..?

सांती : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. पुछो.. क्या मेरी प्यारी ननंदसे मे कभी नाराज हो सकती हु..? पुछो..

जागृती : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. मुजे भाइके ओर आपके रीलेशनके बारेमे जानना हे.. की आप दोनो कैसे अ‍ेक दुसरेको प्यार करने लगे..

सांती : (मुस्कुराते) हंम.. क्या करोगी जानकर..? ठीक हे बता दुगी.. लेकीन अभी नही.. क्युकी बात थोडी लंबी हे.. हम दोनो अकेली होगी तब फुरसतमे बतादुगी.. बता..ओर क्या पुछना हे..?

जागृती : (मुस्कुराते मन टटोलते) भाभी.. आपकी तो अ‍ेक बार सादी हो चुकी हेनां..? मानलो अगर कल भाइके साथ आपकी सादी होगइ.. अरे मानलो क्या..? समजोना हो ही जायेगी.. ओर कुछ सालोके बाद भाइको कीसी कुआरी लडकीसे सादी करनेकी इच्छा हुइ.. तो आप क्या करोगी..? इसके बारेमे आपने कभी सोचा हे..? क्युकी हर लडकेके मनमे कहीना कही कीसी कुआरी लडकीसे सादी करनेकी तम्मना होती हे..

सांती : (घुमकर जागृतीकी ओर होते अ‍ेक नजरसे देखते) हंम.. बाततो तेरी सही हे.. लेकीन जागु.. तुम चीन्ता मत कर.. क्युकी बंसी मुजे बहुत चाहता हे.. ओर मेभी उनको इतना ही चाहती हु.. की वो कीसी लडकीकी ओर आंख उठाकर भी नही देखेगा.. ओर अगर बाय चान्स तुम जो केह रही हो.. अ‍ैसा हुआ.. तो मे खुसी खुसी उस लडकीको अपनी सौतनके रुपमे अ‍ेक्सेप्ट करलुगी.. क्युकी बंसीके बारेमे सीर्फ मुजे पता हे..

जागृती : (सरमाते मुस्कुराते) क्या..? आपको भाइके बारेमे क्या पता हे..? भाभी.. प्लीज.. हें..हें..हें..

सांती : (हसते) नही.. अ‍ैसी बाते कुआरी लडकीको नही बताइ जाती.. ओर खास करके तुजे.. क्युकी अ‍ेकतो वो तेरा भाइ हे.. ओर उपरसे तेरी जवानी उफानपे हे.. ओर तुजेतो पता हे आज कल सबको अपने भाइको ही प्यार करना हे.. हें..हें..हें.. अगर मेने तुजे बता दीया तो मेरा चान्स तो गया.. हें..हें..हें..

जागृती : (सरमाकर हसते पीठमे अ‍ेक मुका मारते) भाभी.. प्लीीज.. प्लीज.. मजाक नही.. बताइअ‍ेना.. मेरी प्यारी भाभी.. कीतनी क्युट हे.. हें..हें..हें..

सांती : (मुस्कुराते) हंम.. भाभीको मस्का लगा रही हे..? हें..हें..हें.. तु मानेगी नही.. हें..हें..हें.. तो सुन.. बंसी इतना सक्षम हेकी वो हम दोनोको खुस रख सकता हे.. आइ मीन.. हम दोनो सौतनको.. क्युकी कभी कभी तो मुजेभी लगता हे इनको जेलना मुज अकेली का काम नही.. पता नही उनमे इतनी ताकात कहासे आजाती हे.. समज गइ..? ओर फील हालतो मुजे दुर दुर तक अ‍ैसी कोइ संभावना नजर नही आती.. जो कोइ मेरी सौतन बन सके.. हें..हें..हें..

जागृती : (मुस्कुराते) भाभी.. मे अभीकी बात नही कर रही.. कुछ सालोके बादकी बात कर रही हु.. हें..हें..हें..

सांती : (मुस्कुराते अपना शींगार करते) हंम.. तबकी तब देखेगे.. मुजे नही लगता कोइ मुजे टकर दे सकती हे.. हां.. अगर आगे जाकर हमारे गांवमे कुछ बदलाव हुआ.. तो मे कुछ नही कहे सकती.. तब मुजे अ‍ेकही लडकी नजर आती हे जो मेरी सौतन हो सकती हे.. सीर्फ वोही मुजे टकर दे सकती हे.. हें..हें..हें..

जागृती : (सरमाते हसते) अच्छा..? कौन हे वो..? जो आपको टकर दे सकती हे.. बताइअ‍ेनां..?

सांती : (अ‍ेक नजरसे देखते मुस्कुराते) वो लडकी हे.. खुद तुम.. हें..हें..हें..

जागृती : (सर्मसार होते सांतीको मुका मारते) भाभी.. क्या बोल रही हो..? मजाक नही.. वो भाइ हे मेरा..

सांती : (सरारतसे मुस्कुराते) भाइ हेतो क्या हुआ.. तुमने तेरी सहेली जयश्रीको देखा नही..? ओर जब गांवमे बदलाव होगा तो ये सबतो तब आम बाते होगी.. ओर अभी गांवमेभी तो अ‍ैसे कइ रीस्ते देखनेको मील रहे हे.. देखा नही.. आजही बरखाकी सादी उनके भाइ मुनासे होगइ.. तो फीर तेरीभी हो सकती हे.. तो तुम मेरी सौतन बनकर आजाना मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. हें..हें..हें..

जागृती : (सरमाते मुका मारते) क्या भाभी.. आपभी.. आप कैसा मजाक कर रही हे..? आप कुछभी बोलती हे.. अ‍ैसा कभी नही होगा.. हें..हें..हें..

सांती : (सामने देखकर मुस्कुराते) जागु.. अ‍ेक बात पुछु..? अगर बंसी खुद अ‍ैसा चाहेगा तो फीर तुम क्या करोगी..? हें..हें..हें..

जागृती : (सर्मसार होते खडी होगइ) भाभी.. आप बहुत कमीनी हो.. चलो मे जाती हु.. आप जाओ अपने यारको मीलने.. मे चली..

सांती : (जटसे हाथ पकडते) अरे सुननां.. बैठ तो सही.. अ‍ेकतो कीतने दिनोके बाद मुजसे मीलने आइ हो..? तुम बैठो.. मुजे तुमसे कुछ सीरीयसली बात करनी हे..

जागृती : (सरमाते मुस्कुराते) क्या..? हें..हें..हें.. भाभी.. आप कैसी बाते करती हे.. मुजेतो सरम आती हे..

सांती : (मुस्कुराते) नही जागु.. मे तुमसे सीरीयसली बात कर रही हु.. अगर भविस्यमे कुछ अ‍ैसा हुआ तो मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. क्युकी मुजे अ‍ेक डर लग रहा हे.. इस बारेमे मे तुजे बता भी नही सकती.. क्युकी ना सीर्फ हमारे गांवमे.. बल्की मुजेतो लगता हे अब हमारे घरमेभी बदलाव होनेकी संभावना हे.. बस.. अभी मुजे तुमसे सीर्फ इतना ही कहेना हे.. तब मुजे तेरा साथ चाहीये.. क्युकी तब मे ये सब अकेली नही सम्हाल पाउगी..

जागृती : (हाथ थामते वापस बैठते धीरेसे) भाभी.. कुछ मत बोलीये.. मे आपके कहेनेका सब मतलब समज गइ.. आप फीकर मत करना मे आपके साथ हु.. मुजे पता हे आप कीस बारेमे बात कर रही हे.. क्या आप मम्मीके बारेमे बात कर रही हेनां..?

सांती : (अ‍ेक नजरसे देखते) हां.. जागु.. क्या तुजे सब पता हे..? हंम..?

जागृती : (सरमाते धीरेसे) हां भाभी.. मुजे भी दो दिन पहेलेही सब पता चला.. मेने अपनी आंखोसे देखा.. हमारे ही घरमे.. उनके खुदके रुममे.. पता नही मम्मीको क्या होगया हे.. वोभी इस उमरमे..

सांती : (धीरेसे) जागु.. प्रोमीस कर.. अभी इस बारेमे बंसीको या भाइको कुछ पता नही चलना चाहीये.. वरना सब अर्नथ होजायेगा.. मेने उनको समजानेकी बहुत कोसीस की.. लेकीन वो दोनो बहुत आगे बढ चुके हे.. अब अ‍ेक दुसरेके बीना नही रेह सकते.. ओर देखा जायेतो उसमे भाभी भी गलत नही हे..

जागृती : (आस्चर्यसे देखते) भाभी.. क्या केह रही हे आप..? मम्मी गलत नही हे.. मतलब..?

सांती : (हाथ थामते धीरेसे) देख जागु.. मेरे कहेनेका मतलब तुम गलत मत नीकालना.. अब मे जोभी कहु.. उसे ध्यानसे सुनना.. ओर अपने दिमागसे सोचना.. मुजे पता हे मेरी ननंद बहुतही समजदार हे..

जागृती : (अ‍ेक नजरसे देखते) भाभी.. क्या.. बताइअ‍े मुजे..

सांती : (अ‍ेक नजरसे देखते) जागु.. पहेली वजह.. भाइने भाभीके साथ सादी करके कभी भाभीकी ओर ध्यान ही नही दिया.. सारा दिन गांकी सेवामे घुमते रहेते हे.. दुसरी वजह.. जब भाइका भाभीके साथ ब्याह हुआ.. तब भाइकी उमर बहुत बडी थी.. ओर तब भाभीकी उमर सादीके लायक भी नही थी.. तो दोनोके बीच उमरमे बहुत बडा गेप हे..

अब भाइकी उमर होगइ हे.. तो जाहीरसी बात हे अब वो भाभीको वो सुख देनेमे सक्षम नही रहे.. ओर अभी भाभीकी इतनी भी उमरभी नही हेकी वो अब इस सुखसे वंचीत रेह सके.. तुमतो जानती हो हमारे सरीरकी भी कोइ नीड होती हे.. तो इसी वजहसे भाभीके कदम गलत जगहपे पड गये हे..

जागृती : (कुछ सोचते) भाभी.. बात तो आपकी सही हे.. लेकीन.. ये हे तो गलत..?

सांती : हां जागु गलत ही तो हे.. क्युकी इनमे दो दो घर बरबाद हो रहे हे.. अब हम करभी क्या सकते हे..?

जागृती : (कुछ सोचते) भाभी.. सुना हे पापा सहेरमे भी अ‍ेक घर ले रहे हे.. तो क्यु ना हम मम्मी पापाको सहेरमे रहेनेके लीये भेजदे.. क्या कहेती हो..?

सांती : (प्यारसे गाल सहेलाते) अरे.. मेरी प्यारी ननंद.. जागु.. हम इतनेभी बडे नही हुअ‍े की हम ये सब फैसले ले सके.. तुम फीकर मत करो.. मे भाभीको समजा रही हु.. ओके..? चलो अब सो जाओ.. पता नही अब तेरा भाइ मुजे कब सोने देगा.. उनको तो अब रोज चाहीये.. फीकर मत कर तेरी भी बारी आयेगी.. हें..हें..हें.. कहोतो मे बंसीसे बात करु..? हें..हें..हें..

जागृती : (बहुतही सर्मसार होते अ‍ेक मुका मारते) भाभी.. आप बहुत कमीनी हो.. नही सुधरोगी.. मे जाती हु..

कहेते जागृती बहुतही सर्मसार होते खडी होकर सांतीकी पीठमे अ‍ेक मुका मारते अपने रुममे चली गइ.. तो सांतीभी हसते हुअ‍े अपने रुमकी सभी लाइटे ओर दरवाजा बंध करके बंसीके रुममे चली गइ.. तो इधर गांवमेभी सभी दोस्तो अपने अपने घरपे चले गये थे.. तो बसंती भी बरखाको दुल्हनकी तराह तैयार करके मुनाके रुममे छोडकर आगइ.. तब उसने मुनासे इसारोमे कुछ बाते भी करली....

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