तो दुसरी ओर आज साम श्रीधर जयश्री ओर मुना बरखा भी अपना छोटा हनीमुन मनाकर घर वापस लौट रहे थे तब दोनो कपल सहेर मे ही उतर गये.. ओर सीधा अपनी बीवीओको लेकर सृतीकी क्लीनीकपे चले गये.. तो सृती चारोको पहेचान गइ.. की ये दोनो लखनके दोस्त हे जीन्होने अपनी बहेनसे ही सादी करली हे.. फीर कुछ औपचारीक बात करके सृतीने बारी बारी जयश्री ओर बरखाको चेक करलीया.. तभी..
सृती : (मुस्कुराते) श्रीधरभैया.. मुनाभैया.. दोनोकी बीवीओका रीपोर्ट अभी तक मस्त हे.. बस आप अैसेही दोनोका खयाल रखीये.. ओर टाइमपे जो लीखके दीहे वोही दवाइ पीलाइअे.. अगर खतम होगइ हे.. तो यहा मेडीकस स्टोरसे लेकर जाइये.. बाकी अगले महीने आकर दीखा देना.. ओर तीसरे महीने दोनोका अेक ओर टेस्ट करना हे.. बस.. बाकी कुछ नही..
श्रीधर : (मुस्कुराते पैसे देते) भाभीजी.. आपकी फीस..
सृती : (हसते) हां.. लेलुगी.. लेलुगी.. लेकीन अभी नही.. जब इन दोनोकी डीलीवरी करुगी तब डीलीवरीका देदेना.. बाकी कुछ नही चाहीये.. वरना आपका वो कमीना दोस्त मुजे कच्ची खाजायेगा.. हें..हें..हें.. वैसे इधर ही सहेरमे हे.. अभी फोन करती हु आजायेगा.. आज कल वो मेरी सेवामे हे.. हें..हें..हें..
श्रीधर : (हसते) क्या..? वो कुता इधर ही हे..?
सृती : (जोरोसे हसते) अेय.. मेरे देवरको गाली मत दो.. बता दुगी उनको.. हें..हें..हें..
मुना : (हसते) भाभी.. देवर होगा आपका.. हमारा तो बहुत बडा कमीना दोस्त हे.. कहा हे वो..?
सृतस : (लखनसे फोनपे बात करके) मुना भैया.. मैने सुना हे आप दोनो मीया बीवी इधर सहेरमे ही पढते थे..? क्या पढाइ की हे आपने..?
मुना : (मुस्कुराते) भाभीजी.. मैने आयुर्वेदमे डोक्टरी की हे.. ओर बरखाने नर्सींगकी पढाइ की हे..
सृती : (हसते) अरे वाह.. तो तुम डोक्टर हो.. हें..हें..हें.. तभी अपने दोस्तोको देसी जडी बुटी पीलाइ हे.. हें..हें..हें.. तुम सबके सब दोस्त कमीने हो.. सभी अपनी बहेनोके पीछे ही पडे हे.. हें..हें..हें..
कहा तो बरखा ओर जयश्री बहुत ही सर्मसार होते हसने लगी.. तभी मुना सरमाते
मुना : (हसते) भाभी.. इस चाहत को आप नही समज पाओगी.. कास लखन भैया भी इस मामलेमे हमारी टीममे सामील होते.. इस मामलेमे सीर्फ वो ही बाकात रेह गये.. हें..हें..हें..
तभी सृतीका जानेकाभी समय हो गया था.. ओर उसने लखनको फोन भी करदीया था.. तो कुछ ही देरके बाद लखन भी क्लीनीकपे आगया.. ओर वहा श्रीधर मुनाको देखकर खुस होगया.. ओर दोनोके गले लग गया.. तब जयश्री बरखा ओर सृती सरमाते मुस्कुराती रही.. फीर सबलोग नीकलने लगे.. तो कारमे सबलोग नही जासकते ओर साथमे सामान ज्यादा होनेकी वजहसे वो दोनो अपनी बीवीओको लेकर बसमे नीकल गये.. तो सृती ओर लखनभी अपनी कारमे गांवकी ओर जाने लगे.. तब..
सृती : (सरमाते हसते) लखन भैया.. अभी मुनासे बहुत कुछ बाते हुइ.. क्या उसने भी सब दोस्तोको जडी बुटीका कोर्स करवाया हेनां..?
लखन : (सामने देखकर हसते) भाभी.. ये आपको कीसने कहा..? क्या मुना ने कहा..?
सृती : (सामने देखकर मुस्कुराते) नही देवरजी.. मेरी इस बारेमे पुनोदीदीसे बात हुइ थी.. तो आज मैने मुना भैयाको भी सब पुछ लीया.. तो उसने भी हां कहेदी.. मुजे तो आज ही पता चला की उसने भी आयुर्वेदीक डोकटरकी पढाइ की हे.. ओर उनकी बहेनने भी नर्सींगकी पढाइ की हे.. वो दोनो हमारी होस्पीटलके लीये बहुत कुछ काम आ सकते हे..
लखन : (मुस्कुराते) हां भाभी.. ये सच हे.. मुना जडी बुटीओके बारेमे बहुत कुछ जानता हे.. ओर दोनो भाइ बहेन यही कोलेजमे पढते थे.. ओर आपको पता हे..? जब दोनो कोलेजमे साथ आये.. तब ही दोनो रीलेशनमे आ गये थे.. ओर अब जाके सादी हुइ..
सृती : (हसते) हां वो भी बात हुइ.. मेने उनको पुछा भी की सब दोस्तो अपनी बहेन को ही क्यु प्यार करते हे..? तो कहेने लगे.. की भाभी आप इस चाहतको नही समजेगी.. तब आपका भी जीक्र हुआ.. हें..हें..हें..
लखन : (चोंकते धीरेसे) मेरा जीक्र..? कीस बारेमे..? भाभी.. तो फीर क्या कहा मुनाने..?
सृती : (हसते) कुछ नही.. कहेने लगेकी आप भाइ बहेनकी चाहतको नही समजोगी.. इस मामलेमे हम सभी दोस्तोमे सीर्फ लखन भैयाही बाकात रेह गये.. हें..हें..हें..
कहातो लखन थोडा गंभीर हो गया.. तब अनायास ही उनकी आंख गीली होने लगी.. जैसे कीसीने उनकी दुखती नब्सको पकडली हो.. तब सृती लखनकी ओर मुस्कुराते देखती रही.. तब लखनने सृतीकी ओर देखा.. तो सृती अेक नजरसे उनकी ओर देखे जा रही थी.. तब लखनने मुस्कुराते अपनी आंखोको पोछ लीया.. ओर हसने लगा.. तो सृतीको भी कुछ आसंकाअे होने लगी.. ओर वो मुस्कुराते गहेरी सोचमे डुब गइ..
तो आज जवेरीलालने भी वकीलको बुलाकर घरके सब कागजात ब्रीन्दा ओर श्रीधरके नाम करने दे दीये.. तो जीतुलालभी दुकानके कामके बहाने दुसरे वकीलके पास चला गया.. ओर उनके ओर ब्रीन्दाके डीवोर्स पेपर तैयार करवा लीया.. इधर लखन सृतीको लेकर घरपे आगया तो.. कुछ ही देरके बाद श्रीधर मुना भी अपनी बीवीओको लेकर अपने अपने घर आगये.. तो आतेही बरखा बसंतीके गले लग गइ..
तब मुना उनके पीछे खडा रहेते बसंतीकी ओर देखते आंख मारके हसने लगा.. तो बसंती बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर मुनाको बरखाकी ओर आंखसे इसारा करते कोइ सरारत ना करनेके लीये मना करने लगी.. तो दुसरी ओर श्रीधर ओर जयश्री भी अपने घरपे आगये.. तब जयश्रीकी मम्मी वृन्दा अकेली ही होलमे बैठकर टीवी देख रहीथी तो ब्रीन्दा अपने रुममे आराम कर रही थी..
जैसेही श्रीधर ओर जयश्री अंदर आये.. तो वृंन्दा उनकी ओर देखते घुरने लगी.. श्रीधर ओर जयश्री आतेही उनके पाव पडे.. तो वृन्दा खडी होकर बीना कुछ बोले अपने रुममे चली गइ.. तो जयश्री अपनी मां वृन्दाका बेरुखा व्यवहार देखकर उनको मुह फाडके देखती ही रही.. ओर उनकी आंखसे आसु टपक गये.. तब श्रीधर उनके आंसु पोछने लगा.. ओर उनका हाथ पकडकर अपने मम्मीके रुममे चला गया..
तो ब्रीन्दा दोनोको देखतेही खुस होते हसने लगी.. ओर जटसे बैडसे खडी होगइ.. ओर जयश्रीको जोरोसे अपने गले लगा लीया.. फीर उनका सर चुमलीया तो जयश्री भी खुस होकर मुस्कुराने लगी.. तब श्रीधर ओर जयश्री दोनोने ब्रीन्दाके पाव छुअे.. तब ब्रीन्दाने श्रीघरकी पीठमे मुका जड दीया.. ओर सरमाते हसने लगी.. जैसे श्रीधरको केह रही हो.. की पती अपनी पत्नीके पैर नही छुते..
तो श्रीधर भी सबकुछ समज गया.. ओर जटसे खडे होकर ब्रीन्दाके गले लग गया.. तब ब्रीन्दाने श्रीधरको जोरोसे बाहोमे भीचते गले लगा लीया.. ओर श्रीधरके गालको चुम लीया.. तब जयश्री मां बेटे दोनोका प्यार देखकर सरमाती मुस्कुराने लगी.. तब उनको नही पताथा की ये मां बेटेका मीलन नही अेक मीया बीवीका मीलन हे.. अैसी मां जो अपने बेटेसे सादी करके उनकी सीक्रेट बीवी बनकर अबतक कइ बार उनका बीस्तर गरम कर चुकी हे.. तभी..
जयश्री : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. लगता हे मोम.. अबभी हम दोनोसे नाराज हे.. हमे आशीर्वाद भी नही दीया.. ओर खडी होकर अपने रुममे चली गइ..
श्रीधर : हां मोम.. अबतो सबने हमारे रीस्तेको कबुल करलीया हे.. तो फीर मौसी अब भी हमारे साथ अैसा व्यवहार क्यु कर रही हे..?
ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) मेरी वजहसे.. बेटा.. तुम दोनो उनका बुरा मत मानना.. क्युकी आज यहा बहुत कुछ हो गया हे.. लेकीन ये सब बाते अभी नही.. जाओ पहेले दोनो थोडा फ्रेस ब्रेस होजाओ.. फीर थोडा आराम भी करलो.. हम इस बारेमे कल बात करेगे..
श्रीधर : मोम.. हम दोनो अभी फ्रेस होकर आतेहे.. हमे सब आज ही जानना हे.. बसमे बैठकर आरामही तो कीया हे.. अब सीधा डीनर करके सोजायेगे..
जयश्री : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. हम आते वक्त वो.. वो.. सृती भाभीको दीखाकर आये हे.. सब नोर्मल हे..
ब्रीन्दा : (खुस होते मुस्कुराते) अच्छा..? अरे मेरी बच्ची.. ठीक हे.. अब तुम अपना खयाल रखना ओर तुजे जोभी खानेका मन करे मुजे बता देना.. खाने पीनेमे ओर दवाइआ लेनेमे अब कोइ लापरवाही मत करना.. समजी..?
जयश्री : (सरमाते हसते) जी मम्मी.. हम अभी आते हे.. फीर आरामसे बैठकर बाते करेगे.. चलीये..
कहेते जयश्री ब्रीन्दाकी ओर देखते हसते हुअे श्रीधरको हाथ पकडकर खीचकर लेजाने लगी.. तो ब्रीन्दा भी इस दोनोका प्यार देखते खुस होते मुस्कुराने लगी.. आज सुबहसे ही ब्रीन्दाको श्रीघरकी सख्त जरुरत महेसुस होरही थी.. जीस तराह आज जीतुलाल ओर उनकी भाभी वृन्दा.. जीवनभर साथ रहेनेके लीये जो चाल चलेथे.. उसी चालका सहारा लेकर आज ब्रीन्दाने भी हमेसाके लीये श्रीघरके साथ रहेनेका उल्लु सीधा करलीया था..