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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८३

दोनोही बाते कर रही थी.. तभी घरमे सामत ओर रमेश आजाते हे.. दोनोकी आवाज सुनते ही जया खुस होते अपने रुमसे बहार नीकल जाती हे.. ओर रमेशकी ओर कातील नजरोसे देखकर मुस्कुराने लगती हे.. फीर उनको बैठनेके लीये कहेते उनके लीये पानी लेने कीचनमे चली गइ.. तब सांती ओर जागृती भी उनकी आवाज सुनकर चौकनी होजाती हे.. ओर अ‍ेक दुसरेके सामने देखते जटसे खडी होकर अपने अपने कपडे फटाफट पहेनकर बहार नीकल जाती हे.. तभी....अब आगे

जया : (पानी देते मुस्कुराते) कहो देवरजी.. हो गया दोनोके मकानका रजीस्ट्रेशन.. हें..हें..हें..

रमेश : (पानी लेते) हां भाभी.. रजीस्ट्रेशनका काम भी हो गया ओर हमे होस्पीटलके लीये हमे जमीन भी मील गइ.. अब कुछ ही दिनोमे स्कुलके साथ होस्पीटलका काम भी सुरु होजायेगा..

सामत : (हसते) जया हम दोनोके लीये मस्त चाइ बनादे.. ओर ये ले मीठाइ.. मेने मकान सांती ओर मेरी जागुके नाम करदीया हे.. ओर हमे उनकी चाबी भी मील गइ हे.. अब यहा छोटा मोटा काम करवा लेगे तो सब कंपलीट हो जायेगा..

जया : (मीठाइआ लेते रमेशके मुह मे देते) लीजीये देवरजी पहेले आप ही मुह मीठा कीजीये.. मे सांती बहुको कहेती हु चाइ बनादेगी..

रमेश : (मुस्कुराते मुह खोलते) वाह भाभी आपके हाथकी मीठाइ.. हें..हें..हें.. (अपनी मीठाइ नीकालते) लीजीये मेने भी ली हे आप भी मुह मीठा कीजीये.. हें..हें..हें..

जया : (कामुक नजरोसे मुह खोलते) अरे हां बाबा दीजीये.. आपकी मीठाइमे बात ही कुछ ओर हे.. (पीछे मुडतेही सांतीको देखते) अरे बेटी.. इधर ही हे.. जा जरा दो कप चाइ बनादे..

सांती : (सरमाते) जी भाभी.. (धीरेसे) चल जागु मेरे साथ..

जागृती : (अंदर कीचनमे जातेही धीरेसे) आगया कमीना.. देखो.. कैसे अ‍ेक दुसरेको मीठाइ खीला रहे हे.. ओर ये मेडम भी उनके साथ कैसे हस हसके बाते कर रही हे.. ठरकी कहीकी.. जीतो चाहता हे अभी इसे चाइमे जहेर मीलाकर देदु.. कमीना कहीका.., यहा सीर्फ मम्मीको मीलनेके लीये ही आता हे.. ओर पापा भी इतने भोले हे.. दोनोकी डबल मीनींग बात भी नही समजते ओर इनके साथ घुमते रहेते हे.. इनको तो पताही नही होगा.. की इनकी बीवीको ये कमीना ठोकता हे.. ओर उसे पेटसे भी करदीया हे..

सांती : (चाइ बनाते धीरेसे) जागु.. क्या तुम इन दोनोको रोक सकती हे..? नहीनां.. तो फीर क्यु खामखा दिमाग खराब कर रही हे.. तुम बस.. सादी तक रुकजा.. सभी रास्ता अपने आपही नीकल आयेगा..

जया : (पास चीपककर बैठकर मुस्कुराते) देवरजी.. अच्छा हुआ मकान लेलीया.. देखना अबतो हम बंसी ओर सांतीकी सादी करके वही कुछ दिन रहेने चले जायेगे.. हें..हें..हें..

रमेश : (कामुक मुस्कुराते) हां भाभी.. आपने सही सोचा हे.. सामतभाइ का हवा पानी भी बदल जायेगा.. ध्यान रखीयेगा इनकी तबीयत कुछ ठीक नही हे.. रास्तेमे थोडा उल्टी जैसा हुआ था..

सामत : (रमेशकी ओर आंख बडी करते) रमेश.. क्यु सबको बता रहा हे.. सबलोग खामखा चीन्ता करेगे.. गरमीकी वजहसे कुछ उल्टी हो गइ होगी.. अब सब ठीक हे..

जया : (जुठ मुठ चीन्ता करते) क्युजी.. क्या हुआ आपको..? तो वहा डोक्टरको दीखाना चाहीयेनां..

जागृती : (चाय लाते रमेशकी ओर घुरते) पापा.. क्यु गरमीमे घुम रहे हो..? ओर ज्यादा तबीयत खराब होजाती तो..? (चाइ देते) रमेश अंकल.. अब सादी तक पापाको कही मत लेजाना.. कुछ तो आप ही उनकी घुमा घुमा कर तबीयत बीगाड रहे हो..

सामत : (थोडी सख्तीसे) जागु बेटा.. क्या बोल रही हो..? इसमे बेचारे रमेशकी क्या गलती हे..? क्या बडोसे इस तराह बात करते हे..?

जागृती : (रमेशकी ओर घुरते) सोरी अंकल..

रमेश : (कमीनी मुस्कानसे चाइ पीते) कोइ बात नही बेटा.. सामतभाइ.. बोलने दीजीये इसे.. डांटीये मत.. बेटी हेनां..? अ‍ेक बेटीको बापकी चीन्ता नही होगी तो कीसको होगी.. ओर वैसे भी अब सादी तक कोइ खास काम नही हे.. तो आप आराम कीजीये.. मे चला.. हें..हें..हें..

चाइ खतम होते ही रमेश जागृतीकी ओर देखते फटाफट वहासे नीकल गया.. जीस तराह जागृती उनके सामने देखकर घुर रही थी.. तब रमेशको भी यहीन हो गया.. की उनके ओर जयाके बारेमे जागृतीको सब पता चल गया हे.. आगे कीसी ओरको पता चले इनसे पहेलेही रमेशने इस मामलेको नीपटानेकी ठानली.. बस.. उसे अब बंसी ओर सांतीकी सादी तक इन्तजार करना था.. वो इस बारेमे जल्दसे जल्द जयाको मीलकर बात करलेना चाहता था..

तो दुसरी ओर रमेशके जाते ही जया भी गुस्सेसे जागृतीकी ओर घुरने लगी.. तो जागृती भी बीना डर जयाको खा जाने वाली नजरोसे घुरती रही.. तब जयाको भी यकीन हो गयाकी जागृतीको उनके ओर रमेशके बारेमे सब पता चल गया हे.. ओर वो उठकर अपने रुममे चली गइ.. तो सामतभाइ भी खडे होकर अकेले देवायतके पास मीलने उनके खेतपे चले गये.. तब जागृती भी सब चाइके खाली बर्तन लेकर कीचनमे चली गइ.. तो सांती उजकी ओर देखती रही.. ओर धीरेसे कहा..

सांती : जागु.. क्यु खामखा पंगा ले रही हे..? हंम..? तुजे कुछ भी बोलनेको मना कीयाथानां..? क्या मेरा भी भरोसा तोडेगी..?

जागुती : (हग करते) भाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. क्या हेना पापाकी बात सुनकर थोडा गुस्स आ गया..

सांती : (सरारतसे मुस्कुराते धीरेसे) हंम.. चल कोइ बात नही.. अब आगे ध्यान रखना.. अभी इस गुस्सेको तेरे भाइके लीये सम्हालके रख.. उनके साथ बीस्तमे नीकालनां.. हें..हें..हें..

जागृती : (सर्मसार होकर अ‍ेक मुका पीठमे मारते मुस्कुराते धीरेस) भाभी.. आप बहुत कमीनी हो.. अ‍ेक मारुगीनां आपको.. कुछ तो सरम करो.. कोइ भाभी ननंदके साथ अ‍ैसी मस्तीया करते हे..? हें..हें..हें..

सांती : (हसते धीरेसे) हां जागु.. अब तुम सीर्फ मेरी ननंद ही नही मेरी छोटी बहेन भी हो.. मेने तो अभीसे तुजे मेरी सौतनके रुपमे अ‍ेक्सेप्ट करलीया हे..

जागृती : (अ‍ेक दम सर्मसार होकर गले मीलते) भाभी.. प्लीज.. मुजे बहुत सरम आ रही हे.. मत कीजीये अ‍ैसी बाते.. अभी तो आपकी भी सादी नही हुइ..

दोनो ननंद भाभी अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया कर रही थी.. तो दुसरी ओर सहेरमे लखन भी साम तक अपनी नइ बीवी यानीकी राधीकाके बातोके साथ मस्ती मजाक करते टाइम नीकालता रहा.. साम तक लखन अपने ओर पुनमके साथ साथ घरके सभी सदस्योके बारेमे ओर नीलम धिरेनके बारेमे राधीकाको सबकुछ बता दीया.. स्कुल छुटनेको लेकर अपनी सादी फीर मंजु पुनमको मीली सब शक्तिओके बारेमे बात करता रहा.. जीसे सुनकर राधीका भी दंग रेह गइ..
 
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dilavar

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तो दुसरी ओर आज साम श्रीधर जयश्री ओर मुना बरखा भी अपना छोटा हनीमुन मनाकर घर वापस लौट रहे थे तब दोनो कपल सहेर मे ही उतर गये.. ओर सीधा अपनी बीवीओको लेकर सृतीकी क्लीनीकपे चले गये.. तो सृती चारोको पहेचान गइ.. की ये दोनो लखनके दोस्त हे जीन्होने अपनी बहेनसे ही सादी करली हे.. फीर कुछ औपचारीक बात करके सृतीने बारी बारी जयश्री ओर बरखाको चेक करलीया.. तभी..

सृती : (मुस्कुराते) श्रीधरभैया.. मुनाभैया.. दोनोकी बीवीओका रीपोर्ट अभी तक मस्त हे.. बस आप अ‍ैसेही दोनोका खयाल रखीये.. ओर टाइमपे जो लीखके दीहे वोही दवाइ पीलाइअ‍े.. अगर खतम होगइ हे.. तो यहा मेडीकस स्टोरसे लेकर जाइये.. बाकी अगले महीने आकर दीखा देना.. ओर तीसरे महीने दोनोका अ‍ेक ओर टेस्ट करना हे.. बस.. बाकी कुछ नही..

श्रीधर : (मुस्कुराते पैसे देते) भाभीजी.. आपकी फीस..

सृती : (हसते) हां.. लेलुगी.. लेलुगी.. लेकीन अभी नही.. जब इन दोनोकी डीलीवरी करुगी तब डीलीवरीका देदेना.. बाकी कुछ नही चाहीये.. वरना आपका वो कमीना दोस्त मुजे कच्ची खाजायेगा.. हें..हें..हें.. वैसे इधर ही सहेरमे हे.. अभी फोन करती हु आजायेगा.. आज कल वो मेरी सेवामे हे.. हें..हें..हें..

श्रीधर : (हसते) क्या..? वो कुता इधर ही हे..?

सृती : (जोरोसे हसते) अ‍ेय.. मेरे देवरको गाली मत दो.. बता दुगी उनको.. हें..हें..हें..

मुना : (हसते) भाभी.. देवर होगा आपका.. हमारा तो बहुत बडा कमीना दोस्त हे.. कहा हे वो..?

सृतस : (लखनसे फोनपे बात करके) मुना भैया.. मैने सुना हे आप दोनो मीया बीवी इधर सहेरमे ही पढते थे..? क्या पढाइ की हे आपने..?

मुना : (मुस्कुराते) भाभीजी.. मैने आयुर्वेदमे डोक्टरी की हे.. ओर बरखाने नर्सींगकी पढाइ की हे..

सृती : (हसते) अरे वाह.. तो तुम डोक्टर हो.. हें..हें..हें.. तभी अपने दोस्तोको देसी जडी बुटी पीलाइ हे.. हें..हें..हें.. तुम सबके सब दोस्त कमीने हो.. सभी अपनी बहेनोके पीछे ही पडे हे.. हें..हें..हें..

कहा तो बरखा ओर जयश्री बहुत ही सर्मसार होते हसने लगी.. तभी मुना सरमाते

मुना : (हसते) भाभी.. इस चाहत को आप नही समज पाओगी.. कास लखन भैया भी इस मामलेमे हमारी टीममे सामील होते.. इस मामलेमे सीर्फ वो ही बाकात रेह गये.. हें..हें..हें..

तभी सृतीका जानेकाभी समय हो गया था.. ओर उसने लखनको फोन भी करदीया था.. तो कुछ ही देरके बाद लखन भी क्लीनीकपे आगया.. ओर वहा श्रीधर मुनाको देखकर खुस होगया.. ओर दोनोके गले लग गया.. तब जयश्री बरखा ओर सृती सरमाते मुस्कुराती रही.. फीर सबलोग नीकलने लगे.. तो कारमे सबलोग नही जासकते ओर साथमे सामान ज्यादा होनेकी वजहसे वो दोनो अपनी बीवीओको लेकर बसमे नीकल गये.. तो सृती ओर लखनभी अपनी कारमे गांवकी ओर जाने लगे.. तब..

सृती : (सरमाते हसते) लखन भैया.. अभी मुनासे बहुत कुछ बाते हुइ.. क्या उसने भी सब दोस्तोको जडी बुटीका कोर्स करवाया हेनां..?

लखन : (सामने देखकर हसते) भाभी.. ये आपको कीसने कहा..? क्या मुना ने कहा..?

सृती : (सामने देखकर मुस्कुराते) नही देवरजी.. मेरी इस बारेमे पुनोदीदीसे बात हुइ थी.. तो आज मैने मुना भैयाको भी सब पुछ लीया.. तो उसने भी हां कहेदी.. मुजे तो आज ही पता चला की उसने भी आयुर्वेदीक डोकटरकी पढाइ की हे.. ओर उनकी बहेनने भी नर्सींगकी पढाइ की हे.. वो दोनो हमारी होस्पीटलके लीये बहुत कुछ काम आ सकते हे..

लखन : (मुस्कुराते) हां भाभी.. ये सच हे.. मुना जडी बुटीओके बारेमे बहुत कुछ जानता हे.. ओर दोनो भाइ बहेन यही कोलेजमे पढते थे.. ओर आपको पता हे..? जब दोनो कोलेजमे साथ आये.. तब ही दोनो रीलेशनमे आ गये थे.. ओर अब जाके सादी हुइ..

सृती : (हसते) हां वो भी बात हुइ.. मेने उनको पुछा भी की सब दोस्तो अपनी बहेन को ही क्यु प्यार करते हे..? तो कहेने लगे.. की भाभी आप इस चाहतको नही समजेगी.. तब आपका भी जीक्र हुआ.. हें..हें..हें..

लखन : (चोंकते धीरेसे) मेरा जीक्र..? कीस बारेमे..? भाभी.. तो फीर क्या कहा मुनाने..?

सृती : (हसते) कुछ नही.. कहेने लगेकी आप भाइ बहेनकी चाहतको नही समजोगी.. इस मामलेमे हम सभी दोस्तोमे सीर्फ लखन भैयाही बाकात रेह गये.. हें..हें..हें..

कहातो लखन थोडा गंभीर हो गया.. तब अनायास ही उनकी आंख गीली होने लगी.. जैसे कीसीने उनकी दुखती नब्सको पकडली हो.. तब सृती लखनकी ओर मुस्कुराते देखती रही.. तब लखनने सृतीकी ओर देखा.. तो सृती अ‍ेक नजरसे उनकी ओर देखे जा रही थी.. तब लखनने मुस्कुराते अपनी आंखोको पोछ लीया.. ओर हसने लगा.. तो सृतीको भी कुछ आसंकाअ‍े होने लगी.. ओर वो मुस्कुराते गहेरी सोचमे डुब गइ..

तो आज जवेरीलालने भी वकीलको बुलाकर घरके सब कागजात ब्रीन्दा ओर श्रीधरके नाम करने दे दीये.. तो जीतुलालभी दुकानके कामके बहाने दुसरे वकीलके पास चला गया.. ओर उनके ओर ब्रीन्दाके डीवोर्स पेपर तैयार करवा लीया.. इधर लखन सृतीको लेकर घरपे आगया तो.. कुछ ही देरके बाद श्रीधर मुना भी अपनी बीवीओको लेकर अपने अपने घर आगये.. तो आतेही बरखा बसंतीके गले लग गइ..

तब मुना उनके पीछे खडा रहेते बसंतीकी ओर देखते आंख मारके हसने लगा.. तो बसंती बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर मुनाको बरखाकी ओर आंखसे इसारा करते कोइ सरारत ना करनेके लीये मना करने लगी.. तो दुसरी ओर श्रीधर ओर जयश्री भी अपने घरपे आगये.. तब जयश्रीकी मम्मी वृन्दा अकेली ही होलमे बैठकर टीवी देख रहीथी तो ब्रीन्दा अपने रुममे आराम कर रही थी..

जैसेही श्रीधर ओर जयश्री अंदर आये.. तो वृंन्दा उनकी ओर देखते घुरने लगी.. श्रीधर ओर जयश्री आतेही उनके पाव पडे.. तो वृन्दा खडी होकर बीना कुछ बोले अपने रुममे चली गइ.. तो जयश्री अपनी मां वृन्दाका बेरुखा व्यवहार देखकर उनको मुह फाडके देखती ही रही.. ओर उनकी आंखसे आसु टपक गये.. तब श्रीधर उनके आंसु पोछने लगा.. ओर उनका हाथ पकडकर अपने मम्मीके रुममे चला गया..

तो ब्रीन्दा दोनोको देखतेही खुस होते हसने लगी.. ओर जटसे बैडसे खडी होगइ.. ओर जयश्रीको जोरोसे अपने गले लगा लीया.. फीर उनका सर चुमलीया तो जयश्री भी खुस होकर मुस्कुराने लगी.. तब श्रीधर ओर जयश्री दोनोने ब्रीन्दाके पाव छुअ‍े.. तब ब्रीन्दाने श्रीघरकी पीठमे मुका जड दीया.. ओर सरमाते हसने लगी.. जैसे श्रीधरको केह रही हो.. की पती अपनी पत्नीके पैर नही छुते..

तो श्रीधर भी सबकुछ समज गया.. ओर जटसे खडे होकर ब्रीन्दाके गले लग गया.. तब ब्रीन्दाने श्रीधरको जोरोसे बाहोमे भीचते गले लगा लीया.. ओर श्रीधरके गालको चुम लीया.. तब जयश्री मां बेटे दोनोका प्यार देखकर सरमाती मुस्कुराने लगी.. तब उनको नही पताथा की ये मां बेटेका मीलन नही अ‍ेक मीया बीवीका मीलन हे.. अ‍ैसी मां जो अपने बेटेसे सादी करके उनकी सीक्रेट बीवी बनकर अबतक कइ बार उनका बीस्तर गरम कर चुकी हे.. तभी..

जयश्री : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. लगता हे मोम.. अबभी हम दोनोसे नाराज हे.. हमे आशीर्वाद भी नही दीया.. ओर खडी होकर अपने रुममे चली गइ..

श्रीधर : हां मोम.. अबतो सबने हमारे रीस्तेको कबुल करलीया हे.. तो फीर मौसी अब भी हमारे साथ अ‍ैसा व्यवहार क्यु कर रही हे..?

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) मेरी वजहसे.. बेटा.. तुम दोनो उनका बुरा मत मानना.. क्युकी आज यहा बहुत कुछ हो गया हे.. लेकीन ये सब बाते अभी नही.. जाओ पहेले दोनो थोडा फ्रेस ब्रेस होजाओ.. फीर थोडा आराम भी करलो.. हम इस बारेमे कल बात करेगे..

श्रीधर : मोम.. हम दोनो अभी फ्रेस होकर आतेहे.. हमे सब आज ही जानना हे.. बसमे बैठकर आरामही तो कीया हे.. अब सीधा डीनर करके सोजायेगे..

जयश्री : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. हम आते वक्त वो.. वो.. सृती भाभीको दीखाकर आये हे.. सब नोर्मल हे..

ब्रीन्दा : (खुस होते मुस्कुराते) अच्छा..? अरे मेरी बच्ची.. ठीक हे.. अब तुम अपना खयाल रखना ओर तुजे जोभी खानेका मन करे मुजे बता देना.. खाने पीनेमे ओर दवाइआ लेनेमे अब कोइ लापरवाही मत करना.. समजी..?

जयश्री : (सरमाते हसते) जी मम्मी.. हम अभी आते हे.. फीर आरामसे बैठकर बाते करेगे.. चलीये..

कहेते जयश्री ब्रीन्दाकी ओर देखते हसते हुअ‍े श्रीधरको हाथ पकडकर खीचकर लेजाने लगी.. तो ब्रीन्दा भी इस दोनोका प्यार देखते खुस होते मुस्कुराने लगी.. आज सुबहसे ही ब्रीन्दाको श्रीघरकी सख्त जरुरत महेसुस होरही थी.. जीस तराह आज जीतुलाल ओर उनकी भाभी वृन्दा.. जीवनभर साथ रहेनेके लीये जो चाल चलेथे.. उसी चालका सहारा लेकर आज ब्रीन्दाने भी हमेसाके लीये श्रीघरके साथ रहेनेका उल्लु सीधा करलीया था..
 
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तो दुसरी ओर आज साम श्रीधर जयश्री ओर मुना बरखा भी अपना छोटा हनीमुन मनाकर घर वापस लौट रहे थे तब दोनो कपल सहेर मे ही उतर गये.. ओर सीधा अपनी बीवीओको लेकर सृतीकी क्लीनीकपे चले गये.. तो सृती चारोको पहेचान गइ.. की ये दोनो लखनके दोस्त हे जीन्होने अपनी बहेनसे ही सादी करली हे.. फीर कुछ औपचारीक बात करके सृतीने बारी बारी जयश्री ओर बरखाको चेक करलीया.. तभी..

सृती : (मुस्कुराते) श्रीधरभैया.. मुनाभैया.. दोनोकी बीवीओका रीपोर्ट अभी तक मस्त हे.. बस आप अ‍ैसेही दोनोका खयाल रखीये.. ओर टाइमपे जो लीखके दीहे वोही दवाइ पीलाइअ‍े.. अगर खतम होगइ हे.. तो यहा मेडीकस स्टोरसे लेकर जाइये.. बाकी अगले महीने आकर दीखा देना.. ओर तीसरे महीने दोनोका अ‍ेक ओर टेस्ट करना हे.. बस.. बाकी कुछ नही..

श्रीधर : (मुस्कुराते पैसे देते) भाभीजी.. आपकी फीस..

सृती : (हसते) हां.. लेलुगी.. लेलुगी.. लेकीन अभी नही.. जब इन दोनोकी डीलीवरी करुगी तब डीलीवरीका देदेना.. बाकी कुछ नही चाहीये.. वरना आपका वो कमीना दोस्त मुजे कच्ची खाजायेगा.. हें..हें..हें.. वैसे इधर ही सहेरमे हे.. अभी फोन करती हु आजायेगा.. आज कल वो मेरी सेवामे हे.. हें..हें..हें..

श्रीधर : (हसते) क्या..? वो कुता इधर ही हे..?

सृती : (जोरोसे हसते) अ‍ेय.. मेरे देवरको गाली मत दो.. बता दुगी उनको.. हें..हें..हें..

मुना : (हसते) भाभी.. देवर होगा आपका.. हमारा तो बहुत बडा कमीना दोस्त हे.. कहा हे वो..?

सृतस : (लखनसे फोनपे बात करके) मुना भैया.. मैने सुना हे आप दोनो मीया बीवी इधर सहेरमे ही पढते थे..? क्या पढाइ की हे आपने..?

मुना : (मुस्कुराते) भाभीजी.. मैने आयुर्वेदमे डोक्टरी की हे.. ओर बरखाने नर्सींगकी पढाइ की हे..

सृती : (हसते) अरे वाह.. तो तुम डोक्टर हो.. हें..हें..हें.. तभी अपने दोस्तोको देसी जडी बुटी पीलाइ हे.. हें..हें..हें.. तुम सबके सब दोस्त कमीने हो.. सभी अपनी बहेनोके पीछे ही पडे हे.. हें..हें..हें..

कहा तो बरखा ओर जयश्री बहुत ही सर्मसार होते हसने लगी.. तभी मुना सरमाते

मुना : (हसते) भाभी.. इस चाहत को आप नही समज पाओगी.. कास लखन भैया भी इस मामलेमे हमारी टीममे सामील होते.. इस मामलेमे सीर्फ वो ही बाकात रेह गये.. हें..हें..हें..

तभी सृतीका जानेकाभी समय हो गया था.. ओर उसने लखनको फोन भी करदीया था.. तो कुछ ही देरके बाद लखन भी क्लीनीकपे आगया.. ओर वहा श्रीधर मुनाको देखकर खुस होगया.. ओर दोनोके गले लग गया.. तब जयश्री बरखा ओर सृती सरमाते मुस्कुराती रही.. फीर सबलोग नीकलने लगे.. तो कारमे सबलोग नही जासकते ओर साथमे सामान ज्यादा होनेकी वजहसे वो दोनो अपनी बीवीओको लेकर बसमे नीकल गये.. तो सृती ओर लखनभी अपनी कारमे गांवकी ओर जाने लगे.. तब..

सृती : (सरमाते हसते) लखन भैया.. अभी मुनासे बहुत कुछ बाते हुइ.. क्या उसने भी सब दोस्तोको जडी बुटीका कोर्स करवाया हेनां..?

लखन : (सामने देखकर हसते) भाभी.. ये आपको कीसने कहा..? क्या मुना ने कहा..?

सृती : (सामने देखकर मुस्कुराते) नही देवरजी.. मेरी इस बारेमे पुनोदीदीसे बात हुइ थी.. तो आज मैने मुना भैयाको भी सब पुछ लीया.. तो उसने भी हां कहेदी.. मुजे तो आज ही पता चला की उसने भी आयुर्वेदीक डोकटरकी पढाइ की हे.. ओर उनकी बहेनने भी नर्सींगकी पढाइ की हे.. वो दोनो हमारी होस्पीटलके लीये बहुत कुछ काम आ सकते हे..

लखन : (मुस्कुराते) हां भाभी.. ये सच हे.. मुना जडी बुटीओके बारेमे बहुत कुछ जानता हे.. ओर दोनो भाइ बहेन यही कोलेजमे पढते थे.. ओर आपको पता हे..? जब दोनो कोलेजमे साथ आये.. तब ही दोनो रीलेशनमे आ गये थे.. ओर अब जाके सादी हुइ..

सृती : (हसते) हां वो भी बात हुइ.. मेने उनको पुछा भी की सब दोस्तो अपनी बहेन को ही क्यु प्यार करते हे..? तो कहेने लगे.. की भाभी आप इस चाहतको नही समजेगी.. तब आपका भी जीक्र हुआ.. हें..हें..हें..

लखन : (चोंकते धीरेसे) मेरा जीक्र..? कीस बारेमे..? भाभी.. तो फीर क्या कहा मुनाने..?

सृती : (हसते) कुछ नही.. कहेने लगेकी आप भाइ बहेनकी चाहतको नही समजोगी.. इस मामलेमे हम सभी दोस्तोमे सीर्फ लखन भैयाही बाकात रेह गये.. हें..हें..हें..

कहातो लखन थोडा गंभीर हो गया.. तब अनायास ही उनकी आंख गीली होने लगी.. जैसे कीसीने उनकी दुखती नब्सको पकडली हो.. तब सृती लखनकी ओर मुस्कुराते देखती रही.. तब लखनने सृतीकी ओर देखा.. तो सृती अ‍ेक नजरसे उनकी ओर देखे जा रही थी.. तब लखनने मुस्कुराते अपनी आंखोको पोछ लीया.. ओर हसने लगा.. तो सृतीको भी कुछ आसंकाअ‍े होने लगी.. ओर वो मुस्कुराते गहेरी सोचमे डुब गइ..

तो आज जवेरीलालने भी वकीलको बुलाकर घरके सब कागजात ब्रीन्दा ओर श्रीधरके नाम करने दे दीये.. तो जीतुलालभी दुकानके कामके बहाने दुसरे वकीलके पास चला गया.. ओर उनके ओर ब्रीन्दाके डीवोर्स पेपर तैयार करवा लीया.. इधर लखन सृतीको लेकर घरपे आगया तो.. कुछ ही देरके बाद श्रीधर मुना भी अपनी बीवीओको लेकर अपने अपने घर आगये.. तो आतेही बरखा बसंतीके गले लग गइ..

तब मुना उनके पीछे खडा रहेते बसंतीकी ओर देखते आंख मारके हसने लगा.. तो बसंती बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर मुनाको बरखाकी ओर आंखसे इसारा करते कोइ सरारत ना करनेके लीये मना करने लगी.. तो दुसरी ओर श्रीधर ओर जयश्री भी अपने घरपे आगये.. तब जयश्रीकी मम्मी वृन्दा अकेली ही होलमे बैठकर टीवी देख रहीथी तो ब्रीन्दा अपने रुममे आराम कर रही थी..

जैसेही श्रीधर ओर जयश्री अंदर आये.. तो वृंन्दा उनकी ओर देखते घुरने लगी.. श्रीधर ओर जयश्री आतेही उनके पाव पडे.. तो वृन्दा खडी होकर बीना कुछ बोले अपने रुममे चली गइ.. तो जयश्री अपनी मां वृन्दाका बेरुखा व्यवहार देखकर उनको मुह फाडके देखती ही रही.. ओर उनकी आंखसे आसु टपक गये.. तब श्रीधर उनके आंसु पोछने लगा.. ओर उनका हाथ पकडकर अपने मम्मीके रुममे चला गया..

तो ब्रीन्दा दोनोको देखतेही खुस होते हसने लगी.. ओर जटसे बैडसे खडी होगइ.. ओर जयश्रीको जोरोसे अपने गले लगा लीया.. फीर उनका सर चुमलीया तो जयश्री भी खुस होकर मुस्कुराने लगी.. तब श्रीधर ओर जयश्री दोनोने ब्रीन्दाके पाव छुअ‍े.. तब ब्रीन्दाने श्रीघरकी पीठमे मुका जड दीया.. ओर सरमाते हसने लगी.. जैसे श्रीधरको केह रही हो.. की पती अपनी पत्नीके पैर नही छुते..

तो श्रीधर भी सबकुछ समज गया.. ओर जटसे खडे होकर ब्रीन्दाके गले लग गया.. तब ब्रीन्दाने श्रीधरको जोरोसे बाहोमे भीचते गले लगा लीया.. ओर श्रीधरके गालको चुम लीया.. तब जयश्री मां बेटे दोनोका प्यार देखकर सरमाती मुस्कुराने लगी.. तब उनको नही पताथा की ये मां बेटेका मीलन नही अ‍ेक मीया बीवीका मीलन हे.. अ‍ैसी मां जो अपने बेटेसे सादी करके उनकी सीक्रेट बीवी बनकर अबतक कइ बार उनका बीस्तर गरम कर चुकी हे.. तभी..

जयश्री : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. लगता हे मोम.. अबभी हम दोनोसे नाराज हे.. हमे आशीर्वाद भी नही दीया.. ओर खडी होकर अपने रुममे चली गइ..

श्रीधर : हां मोम.. अबतो सबने हमारे रीस्तेको कबुल करलीया हे.. तो फीर मौसी अब भी हमारे साथ अ‍ैसा व्यवहार क्यु कर रही हे..?

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) मेरी वजहसे.. बेटा.. तुम दोनो उनका बुरा मत मानना.. क्युकी आज यहा बहुत कुछ हो गया हे.. लेकीन ये सब बाते अभी नही.. जाओ पहेले दोनो थोडा फ्रेस ब्रेस होजाओ.. फीर थोडा आराम भी करलो.. हम इस बारेमे कल बात करेगे..

श्रीधर : मोम.. हम दोनो अभी फ्रेस होकर आतेहे.. हमे सब आज ही जानना हे.. बसमे बैठकर आरामही तो कीया हे.. अब सीधा डीनर करके सोजायेगे..

जयश्री : (सरमाते धीरेसे) मम्मी.. हम आते वक्त वो.. वो.. सृती भाभीको दीखाकर आये हे.. सब नोर्मल हे..

ब्रीन्दा : (खुस होते मुस्कुराते) अच्छा..? अरे मेरी बच्ची.. ठीक हे.. अब तुम अपना खयाल रखना ओर तुजे जोभी खानेका मन करे मुजे बता देना.. खाने पीनेमे ओर दवाइआ लेनेमे अब कोइ लापरवाही मत करना.. समजी..?

जयश्री : (सरमाते हसते) जी मम्मी.. हम अभी आते हे.. फीर आरामसे बैठकर बाते करेगे.. चलीये..

कहेते जयश्री ब्रीन्दाकी ओर देखते हसते हुअ‍े श्रीधरको हाथ पकडकर खीचकर लेजाने लगी.. तो ब्रीन्दा भी इस दोनोका प्यार देखते खुस होते मुस्कुराने लगी.. आज सुबहसे ही ब्रीन्दाको श्रीघरकी सख्त जरुरत महेसुस होरही थी.. जीस तराह आज जीतुलाल ओर उनकी भाभी वृन्दा.. जीवनभर साथ रहेनेके लीये जो चाल चलेथे.. उसी चालका सहारा लेकर आज ब्रीन्दाने भी हमेसाके लीये श्रीघरके साथ रहेनेका उल्लु सीधा करलीया था..
 
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तो दुसरी ओर सामतभाइ अपनी बाइक लेकर देवायतके खेतोपे चले गये थे.. तो वहा जातेही वो थोडी देर रामुकाकाके पास बैठ गये.. जो रामुकाका अपनी खटीयापे बैठकर भानुभाइ से बाते कर रहे थे.. तीनोही गांवके बदलावके बारेमे बाते करने लगे.. फीर सामत भाइ दोनोका मुह मीठा करवाके उठकर गोडाउनकी ओफीसमे चले गये.. जहा देवायत फोनपे सोदे बाजी कर रहा था.. ओर सामतभाइ उनके सामने जाकर बैठ गये.. तभी..

देवायत : (फोन कट करते ही मुस्कुराते) अरे.. आइअ‍े आइअ‍े सामतभाइ.. आगये आप दोनो..? कहो.. दोनोके मकानका रजीस्ट्रेशनका काम होगया..?

सामत : (मुस्कुराते) हां भाइ.. रजीस्ट्रेशनका काम भी होगया.. ओर हमारी होस्पीटलका काम भी होगया.. सरकारने हमारी जमीन सेन्सन करदी हे.. वोभी पुरी पचीस अ‍ेकर.. बस.. दो तीन दिनमे हमे मील जायेगी.. लीजीये इस बातपे मीठाइ खाइअ‍े.. ओर मुह मीठा कीजीये..

देवायत : (खुस होकर हसते) अरे वाह.. तो फीर वो कमीना रमेश कीधर गया.. आज साथ नही आया..?

सामत : (मुस्कुराते) भाइ लगता हे वो आज काफी थक गया हे.. वैसे भी आज वो कुछ ज्यादाही टेन्शनमे लग रहा था.. तो मेरे घर चाइ पीकर सीधा अपने घर चला गया..

देवायत : (मुस्कुराते) सामतभाइ.. थका हुआ वो नही आप लग रहे हे.. कल भी आप बहुत टेन्शनमे थे.. पर मुजे केह नही पाये.. बताइअ‍े आपको क्या प्रोबलेम हे.. कुछ सादीके लीये पैसे बैसेकी चीन्ता तो नही..?

सामत : (फीकी मुस्कानसे) अरे नही नही.. पैसेकी कोइ चीन्ता नही.. बस.. आपको कुछ कहेने आया था..

देवायत : (सीरीयस होते) हां सामतभाइ.. कहीये.. क्या बात करनी हे..?

सामत : (आंख गीली करते) बस.. भाइ कुछ नही.. सीर्फ यही कहेना थाकी.. अगर कल मुजे कुछ होजाये.. तो आप मेरे घरका ओर खास करके मेरे बंसीका खयाल रखीयेगा.. वो अभी बहुत छोटा हे.. उसने दुनीया दारी देखी नही..

देवायत : (हाथ थामते) सामतभाइ.. क्यु कर रहे हे अ‍ैसी बाते..? बताइअ‍े आपको क्या हुआ हे..? कोइ बीमारी हे क्या..? जो आप अ‍ैसी बहेकी बहेकी बाते कर रहे हे.. बताइअ‍े मुजे..

सामत : (धीरेसे आंसु बहाते) हां.. हां भाइ.. मुजे ब्लड केन्सर हे.. मेने आजतक कीसीको मालुम नही होने दीया.. आज जब रास्तेमे मुजे खुनकी उल्टी हुइ तब रमेशको पता चला.. वरना मेने उनको भी मालुम नही होने दीया था.. बस.. अब जल्दीसे मेरे बंसी ओर सांतीकी सादी होजाये तो गंगा नहाये..

देवायत : (सोक्ट होते अ‍ेक नजरसे) सामतभाइ.. आप घरकी ओर बंसीकी चीन्ता मत करना.. वो भी मेरा छोटा भाइ जैसा हे.. आज मुजे सब सच बताना.. कीतने दिनोसे आपकी ये बीमारी हे..? ओर अभी क्या पोजीसन हे..? डोक्टरको दीखाया..? क्या कहेते हे डोक्टर..?

सामत : (आंख गीली करते) भाइ.. अभी छे मीहने पहेलेही जब डोक्टकरको दीखाया तब पता चला.. अभी लास्ट स्टेजपे हे.. डोक्टरने कहा था.. की जब खुनकी उल्टीया होने लगे.. तब कभी भी कुछभी हो सकता हे.. इसीलीये आज मे आपको कहेने आया हु..

देवायत : सामतभाइ.. आप फीकर मत करना हम आपका देसी इलाज करवायेगे.. हम कल सुबह ही आश्रमपे बाबाके पास जा रहे हे.. हम उनको पुछते हे.. उनके पास इनका कोइ तो हल होगा..

सामत : भाइ.. जीस दिन मे आप ओर रमेश आश्रमपे गये थे.. तब आप दोनो मंदिरकी ओर गये थे.. तब मेने बाबाको सब पुछलीया था.. तो उसने सीर्फ इतना ही कहा.. की तेरे बेटे ओर तेरी विधवा बहेनकी सादी जल्द ही आपसमे करवादे.. बस.. मुजे सीर्फ इतना ही कहेना हे..

भाइ.. मे तब ही समज गया था.. की मेरे पास बहुत ही कम वक्त हे.. आज खुनकी उल्टी होगइ हे.. तो अब कभी भी कुछ भी हो सकता हे.. बस.. आपसे अ‍ेकही बीनंती हे.. अभी इस बातका कीसीको पता नही चलना चाहीये.. खास करके मेरे घरपे.. वरना सब लोग टुट जायेगे..

देवायत : (भारी मनसे) ठीक हे सामतभाइ.. समजलो मुजे कुछ मालुम ही नही.. ओर आप बंसीकी चीन्तातो बीलकुल मत करना.. वो अब काफी होशीयार होगया हे.. पुरे घरको सम्हाल सकता हे.. फीर भी मे घरका खयाल रखुगा.. आप सादी की तैयारीया सुरु कर दीजीये.. मेरे ससुरका मे देख लुगा.. आपको इनकी वीधीका इन्तजार करनेकी जरुरत नही हे.. हम बडोको छोडकर सब लोग सादीमे आयेगे.. आप फीकर मत करना.. हम बंसीकी सादी बडी ही धुमधामसे करेगे..

सामत : (मुस्कुराते) भाइ.. आज अ‍ेक दिलका बोज हल्का होगया.. मेरी जागुका तो पता नही.. लेकीन मेरी बहेनका कन्यादान मे खुद अपने हाथोसे करना चाहता हु.. तो सोच रहा हु.. दो दिनके बाद ही सादीका नीपटालु.. कल बंसी सांती ओर जागुको सहेर सादीकी खरीदी करने भेजता हु.. कमसे कम वो हपने सादीके कपडे तो लेले..

देवायत : सामतभाइ.. वैसे भी आज कल लखन भी उनकी भाभीको छोडने लेने उनकी भाभी की कारको लेकर जाता हे.. ओर वही सहेरमे ही रहेता हे.. तो आप बंसीको कहेना लखनकी जीप लेकर सहेर चले जाये.. यहा अ‍ैसे ही पडी हे.. वहा लखन भी होगा तो दोनो दोस्त सब खरीदी कर लेगे.. ओर सामको सब काम नीपटाकर साथमे वापस आजायेगे.. मे आज ही घर जाकर लखनसे बात करलेता हु..

फीर कुछ ओपचारीक बाते करके सामतभाइ अपने घर चले जाते हे.. तो रमेश भी घरपे जाता हे तो वहा चारुके साथ नीशा भी थी.. जो दोनो हस हसके सुधीरकी बाते कर रही थी.. जैसे ही रमेश घरपे आयातो नीशा उनको नमस्ते करते सरमाकर हसने लगी.. तब रमेश भी नीशाको नमस्ते करते अपने रुममे चला गया.. तो चारु नीशाका हाथ पकडकर उनको वंदनाके रुममे लेगइ.. ओर दोनो वहा बैठकर बाते करने लगी..

तो उसी वक्त भानुके घर भी रमा रातके खानेकी तैयारीया कर रही थी.. तब नीलम उनके पास बैठकर सब्जीया काट रही थी.. आजकल सरलाचाची देवायतके घरपे थी.. तो मां बेटी दोनो ही दिनमे अकेली रहेती हे.. नीलमने रमाके फोनसे अ‍ेक दो बार धिरेनको फोन कीयाथा.. तो नीलमने रमाके फोनमे धिरेनका नंबर ढुंढनेकी बहुत ट्राइ करली.. लेकीन उनको धिरेनका नंबर याद नही थातो ढुंढ नही पाइ.. तभी..

रमा : (आटा गुंदते धीरेसे) नीलु.. अब दो चार दिनमे तेरे लखन जीजु ओर लता दीदी तुजे लेकर सहेर चले जायेगे.. तो वहा मन लगाकर पढना.. ओर मेने जो भी कहा हे.. उनपे गौर करना.. तु फायदे मे रहेगी..

नीलम : (सरमाकर मुस्कुराते) मम्मी.. आपकी सभी बाते सही हे.. लेकीन इनमे बहुत ही खतरा हे.. अगर इस बातकी लता दीदीको थोडीसी भनक भी लग गइ तो बात बीगड जायेगी.. तो फीर मे कहीकी नही रहुगी.. ओर मेरी बदनामी होगी वो अलग..

रमा : (सरमाते धीरेसे समजाते) नीलु.. इसीलीये तो केह रही हु.. तुम सब ध्यान रखके करना.. जब तुम दोनो अकेले हो तब.. समज गइनां..? जब अ‍ेक बार तेरे लखन जीजु तेरा हाथ हमसे मांगले.. फीर कोइ दिकत नही.. बस.. तुम अब लखनके साथ आगे बढने की अपनी राय बतादे.. तुमने सोचनेमे बहुत वक्त लेलीया हे.. मे तुजे पीछले तीन दिनसे यही सब समजा रही हु.. अब तो बतादे.. फीर देख वहा तुम कैसे राज करती हो.. वहा रानी बनकर रहोगी..

नीलम : (समस्सार होते धीरेसे) मम्मी.. मेने इस बारेमे बहुत कुछ सोचलीया हे.. आपकी सभी बाते सही हे.. ठीक हे.. मे आप की सभी बात मान लेती हु.. पर याद रखना.. वो प्यारके मामलेमे मे मेरे हीसाबसे आगे बढुगी.. ओर बायचान्स मे जीजुके साथ प्यार करते पकडी गइ.. तो फीर तुम मुजे कुछ भी नही कहोगी.. ओर पापाको भी सम्हाल लोगी.. ये मे तुमसे अभीसे केह देती हु.. अगर ये बात आपको मंजुर हे तभी मे आगे बढुगी..

रमा : (मनमे खुस होते) अरे हां बाबा हां.. मे वादा करती हु.. तुमको कुछ भी नही कहुगी.. ओर तेरे पापाको भी मे समजा दुगी.. बस..? नीलु.. तुमने मेरा कीतना बोज हल्का करदीया तुजे पता ही नही हे.. आजसे तुम मुजे अपनी मां नही अ‍ेक सहेली समज.. बस.. अ‍ेक बार तुम उस हवेलीकी रानी बनजा..

फीर देख.. मे जैसा कहु करती जाना.. हमारे पास बहुत पैसे आयेगे.. तेरे दादाने उनकी खुब सेवा की.. तेरा बाप भी उधर पडा रहेता हे.. उन्होने तो कुछ नही कीया.. इमानदारीकी पुछ जो हे.. कमसे कम तुम तो मेरे साथ हो.. देखना अब हम दोनोकी जींदगी सवर जायेगी..

नीलम : (सरमाकर हसते) मम्मी.. आपको यकीन हे.. इस बातके लीये लखन जीजु मान जायेगे..?

रमा : (मुस्कुराते) अरे बेटी.. तुम इस मर्द जातको जानती नही हो.. कमीनोके साथ अ‍ेक बार क्या हसकर बाते करलो.. वो कुछ ओर ही समजने लगते हे.. तुम नइ नइ जवान हो.. खुबसुरत हो.. बस.. अ‍ेक बार मस्त तैयार होकर तेरे जीजुको अपने बदनके जलवे दीखादे.. फीर देख.. वो कैसे तेरे पीछे लटु होकर पड जाते हे.. बस.. इसी तराह धीरे धीरे आगे बढना.. वो जरुर सामनेसे तुजे प्रपोज करेगे.. तब अ‍ेक दमसे हां मत केहदेना.. थोडे ना नुकुर करके नखरे करना.. फीर उनका प्यार कबुल करना.. हें..हें..हें..

नीलम : (सरमाते धीरेसे हसते) मम्मी.. लगताहे इस मामलेमे आपको काफी तजुर्बा हे.. हें..हें..हें.. क्या आपने भी पापाके साथ अ‍ैसा ही कीया था..? हें.. हें..हें..

रमा : (सर्मसार होते हसते) कमीनी.. तु मेरी बात छोड.. अपनी मांसे अ‍ैसा पुछकर तुजे सरम भी नही आती.. हें..हें..हें.. हां नीलु.. मेने भी वही कीयाथा.. लेकीन हम दोनोका मामला थोडा अलग था.. फीर भी देख.. आज तेरे पापा कैसे मेरी उंगली पे नाचते हे..

येतो उनकी दुसरी बीवीकी वजहसे मुजपे कुछ खास ध्यान नही देते.. वरना उनसे तो मे जो चाहु करवा सकती थी.. तो तुजे ये सब करनेको मे थोडीना कहेती..? ओर सुन.. तुजे अ‍ेक खास बात कहेनी हे.. अभी तेरी पढाइ तक तुजे खास खयाल रखना हे.. तु समज गइनां..?

नीलम : (सामने देखते) मम्मी.. कैसा खयाल..? मे कुछ समजी नही..

रमा : (सरमाते नजरे चुराते) अब कैसे समजउ तुजे..? लेकीन अ‍ेक सहेली तो दुसरी सहेलीसेको सबकुछ समजा सकती हे.. हें..हें..हें.. सुन.. हो सकता हे.. तेरे जीजु कुछ ज्यादाही आगे बढे.. जब तुम दोनो प्यार करने लगो.. ओर प्यारमे आगे बढो तब गोली खाना मत भुलना.. मे नही चाहती जबतक तेरी पढाइ खतम ना होजाये तबतक कुछ गडबड होजाये.. समज गइनां..? तुम जाओगी तब मे तुजे वो थीडीसी गोलीया दे दुंगी.. उसे तेरे पास छुपाकर रखना.. ओर जरुरत पडे तब उनमेसे अ‍ेक खालेना.. ताकी कोइ खतरा ना रहे..

रमा नीलमको सेक्सका ज्ञान दे रही थी.. तब उनको नही पता था की नीलम वहा आनेसे पहेले दो दिन धिरेनके साथ रहेकर सब कुछ कर चुकी थी.. ओर सेक्सका सारा ज्ञान धिरेनके साथ सेक्स करते ले चुकी थी.. ओर गर्भ नीरोधक गोलीया भी खा चुकी थी.. फीर भी नीलम रमाके सामने सेक्सके बारेमे अन्जान बनकर अपनी मां रमाकी बातोका मजा ले रही थी.. तब..
 
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नीलम : (जानते भी अनजान बनते बातोका मजा लेते) मोम.. आप पहेलीया मत बुजाओ.. जोभी कहेना हो साफ साफ कहो.. आप ही कहेती हो अब हम दोनो सहेली जैसी हे.. तो कहीये.. कैसी गोली..? कीसकी गोली..? क्युकी इस मामलेमे मे कुछ ज्यादा नही जानती.. हें..हें..हें..

रमा : (सर्मसार होते अपना सर पीटते) हे.. भ--न.. अब मे तुजे सब कैसे समजाउ..? (सरमाते धीरेसे) नीलु.. लगता हे तुजे इस बारेमे सबकुछ खुलकर ही बताना पडेगा.. नीलु.. जब तुम दोनोके बीच प्यार होजाये तब तेरे जीजु तुजे अ‍ैसेही उपर उपरसे प्यार करनेमे नही मानेगे.. वो तेरे साथ सोनेके लीये तुमसे नीचेसे प्यार करनेकी डीमांड करेगे.. तब तुम उनको कुछ भी करनेको मना मत करना.. वो जो करना चाहे उसे करने देनां.. जब तुम दोनो अच्छेसे मीललो.. उसके बाद तुम अ‍ेक गोली खा लेना..

नीलम : (सबकुछ पता होनेके बावजुद भी बातोका मजा लेते) मोम.. नीचेसे प्यार करनेकी डीमांड करेगे मतलब..? मे कुछ समजी नही.. ओर इसमे गोली खानेकी क्या जरुरत हे..? हें..हें..हें..

रमा : (गहेरी सांस लेते) हंम.. कमीनी जानती हो फीर भी सब मेरे मुहसे उगलवाना चाहती हे.. तुम तो अब सहेरमे पढती हो.. तो क्या इसके बारेमे नही जानती..?

नीलम : (मुस्कुराते धीरेसे) मोम.. आप पागल हो क्या..? मे वहा पढाइके लीये गइ थी.. प्यार करने नही समजी..? नही जानती इसीलीये ये सब पुछ रही हु.. अब बताना होतो बताओ वरना रहेने दो..

रमा : (सरमाते हसते) ठीक हे ठीक हे.. बताती हु.. अब ये भी सब तुजे बताना पडेगा..? सुन बेटी.. जब अ‍ेक मर्द ओर अ‍ेक ओरत अकेले साथमे सोते हे तब दोनो नीचेसे मीलन करते प्यार करते हे.. मतलब मर्द अपनी सुसु करनेकी चीजको ओरतकी सुसु करनेकी जगहपे घुसा देता हे.. उसे आपसमे सेक्स करना कहेते हे.. ओर प्यार करके जब दोनोही संतुस्ट होजाते हे..

तब मर्दकी सुसु करनेकी जगहसे गाढा थोडा सफेद पानी नीकलता हे.. जो ओरतकी सुसु करनेकी जगहमे जाते उनके गर्भके अंदर चला जाता हे.. ओर उनके बीजके साथ मील जाता हे.. तब उसे बच्चा ठहेर जाता हे.. ओर ओरत पेटसे होजाती हे.. जो ठीक नौ महिनेके बाद उस ओरत बच्चेको जन्म देती हे.. बस.. ये बच्चा ना ठहेरे इसीलीये ये गोली खानी पडती हे..

नीलम : (सर्मसार होते) ओह.. मीन्स प्रेगनेन्ट.. मोम.. मे सब समज गइ.. लेकीन क्या जीजुके साथ सेक्स करना जरुरी हे..? मे उसे साथ सोनेके लीये मना करदुगी.. कहुगी अ‍ैसेही उपर उपरसे प्यार करलो.. ताकी कोइ खतरा ही नाहो..

रमा : (थोडी परेसान होते धीरेसे) नीलु.. कमीनी अ‍ैसा मत करना.. अ‍ैसा कहोगीतो हो सकता हे वो तुमसे नाराज होजायेगे.. ओर तुमारे साथ रीलेशन खतम करलेगे.. तो बात बीगड सकती हे.. ओर हमारा सारा प्लान चोपट होजायेगा.. देखना तु मेरे प्लानके उपर पानी मत फीराना.. मे तुजे टाइम आयेगा तब कहुगी.. जब पढाइमे तेरा लास्ट साल होगा मे तुजे बता दुगी.. बस.. उसी दिनसे तुजे गोली खाना बंध करना हे.. समज गइनां..?

नीलम : (चोंकते धीरेसे) मोम.. कही आप पागल तो नही.. तब तो बहुत बडी गडबड हो सकती हे.. आप बहुत बडा रीस्क ले रही हे.. आपको पता हेना..? अगर आप केह रही हे अ‍ैसा होता हे.. ओर मेने गोली खाना बंध कीयातो मे प्रेगनेन्ट भी हो सकती हु.. अगर मुजे बच्चा ठहेर गया तो..?

रमा : (कातील मुस्कानसे) हां नीलु.. यही तो मे चाहती हु.. की तेरा लखनजीजु तुजे प्रेगनेन्ट करदे.. अगर लखनजीसे तुजे बच्चा ठहेर गया.. तो तुजे सादी भी तो उनके साथ करनी हे.. तो फीर उनसे प्रेगनेन्ट होनेमे क्या दीकत हे.. फीर तो अगर वो तेरे साथ सादी करना नाभी चाहे.. तो भी उनको तेरे साथ सादी करनी पडेगी..

तुम उनके बडे भाइको जानती नही.. वो बहुत ही असुल वाले हे.. अ‍ेक बार उनको पता चल जाये की तेरे पेटमे तेरे लखन जीजुका बच्चा हे.. तो वो खुद तेरी सादी उनसे करवा देगे.. बस.. हमे यही तो चाहीये.. ओर सुन.. इस बातकी कीसीको कानो कान भनक भी नही लगनी चाहीये.. समजी..?

नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) ठीक हे मोम.. क्या दिमाग पाया हे आपने.. लेकीन याद रखना.. अगर हम पकडे गये तो इस सबकी जीम्वेवार मे अकेली नही रहुगी.. ओर मे उन पैसोसे अपने लीये जीतना खर्च करना चाहु कर सकती हु.. अगर ये सब आपको मंजुर हे.. तो ही मे ये सब करनेको तैयार हु.. वरना नही..

रमा : (मनमे खुस होते) अरे हां मेरी मां.. तुजे जोभी खर्च करना हो करना.. तेरे ही जरीये तो हमारे पास पैसे आयेगे.. फीकर मत करना हमारे पास बहुत पैसे आयेगे.. लेकीन सब ध्यान रखकर करना.. ये सब तुजे लता दीदीसे छुपकर करना हे.. ताकी पकडे जानेका कोइ खतरा ही ना हो..

ओर मेभी तो वहा आती जाती रहुगी.. ताकी तुजे समग समयपे गाइड करती रहु.. तुजे वहा मुजसे डरने की कोइ जरुरत नही.. तु अपने काममे लगी रहेना.. बस.. कीसी भी हालमे अ‍ेक बार तेरी सादी तेरे लखन जीजुके साथ होनी चाहीये.. बाकी सब मे सम्हाल लुगी..

नीलम : (सरमाते हसते) ठीक हे मोम.. तो फीर मे आपने जो भी कहा हे वो सबकुछ करनेके लीये रेडी हु..

रमा : (खुसीके मारे नीलमको हग करते) साबास मेरी बेटी.. मुजे मालुम था.. की मेरी बेटी मेरा साथ जरुर देगी.. नीलु.. फीर तुम देखना.. हम दोनो कीतनी पैसे वाली होजायेगी.. फीरतो तुम ओर मे.. जीस तराहकी जींदगी जीना चाहेगी जी सकती हे.. मे तुजपे कोइ पाबंधी नही लगाउगी.. तुम अपनी जींदगी अपने तरीकेसे जीनेके लीये आजाद हो.. ओर मेभी अपनी जींदगी अपने तरीकेसे जीयुगी.. हम दोनो अ‍ेक दुसरेकी जींदगीमे कोइ दखल नही देगे..

नीलम : (मुस्कुराते) मोम.. लगता हे आपने भी अपनी जींदगीके बारेमे बहुत कुछ प्लानींग करली हे.. हें..हें..हें..

रमा : (सरमाकर मुस्कुराते) नीलु.. अभी नही.. सही समय आनेदे.. तब मे भी तुजे सबकुछ बता दुगी.. हम दोनो अ‍ेक दुसरेके बारेमे कुछ भी नही छीपायेगे.. ठीक हे..?

नीलम : (सरमाते हसते) ठीक हे मोम.. आजसे हम दोनो ही पकी सहेलीया.. हें..हें..हें..

दोनोही मां बेटी अ‍ेक दुसरेसे खुलकर बाते करते प्लान करती रही.. ओर खाना बनाती रही.. उन दोनोको ही नही पताथा की.. इनकी अ‍ेक अ‍ेक बाते मंजु ओर पुनम जान चुकी हे.. अपनी शक्तिीओके माध्यमसे दोनोकी बात सुनकर मंजुका गुस्सा तो सातवे आसमानपे चला गया था.. तो पुनमको भी बहुत ही गुस्सा आ रहा था.. लेकीन करेभी तो क्या करे..? तब मंजुको पुनमका लखनको लेकर जोभी डीसीजन था.. उसे सही लगा..
 
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अ‍ैसेही साम ढल गइ.. भानु भी अपने घर जा चुकाथा.. तो देवायत भी हवेलीपे आगया.. तब सृती उनको देखकर सरमाके हसने लगी.. देवायत फ्रेस होने रुममे चला गया तो मंजु ओर सृतीभी उनके पीछे चली गइ.. तब चंदा वीजयको दुध पीलाकर जुलेमे सुला रही थी.. तो तीनोको अंदर आते देखकर वो सरमाकर हसने लगी.. तो देवायत सीधा ही बाथरुममे धुस गया.. ओर कुछ देरके बाद फ्रेस होकर बहार आगया..

चंदा : देवु.. अब कोइ सरारत कीये बगैर सीधे ही खानेके लीये चले जाओ.. देखा नही दोनो कैसे लटु होकर आपके पीछे आगइ.. हें..हें..हें..

मंजुला : (जुठे गुस्सेसे मुका मारते) तो आप क्यु जल रही हे..? आप हमारे पतीपे ध्यान तो नही देती.. ओर हम उनका खयाल रखती हे तो जलती हे.. देवु.. आज रात आप पहेले दीदीको प्यारसे समजा देना.. हें..हें..हें..

चंदा : (जटसे सरमाते) नही नही.. देवु.. प्लीज.. इनकी बातोपे ध्यान नही देना.. मेतो बस अ‍ैसेही केह रही थी.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमाकर हसते) बडीदीदी.. जीतनीभी मनते करलो.. हमारा जो होना हे वोतो होकर ही रहेगा.. हें..हें..हें..

देवायत : (चंदाको बाहोमे भीचते होठ चुमते) अरे डार्लींग फीकर मत करो.. आज प्यारसे करुगा.. हें...हें..हें..

चंदा : (हसते) हां.. हमने देखा हे आपका प्यार.. लेकीन देवु.. प्लीज.. आज कुछ भी नही.. मुजे अभी भी नीचे जलन हो रही हे.. आप अ‍ैसे ही हमे प्यार करते हो.. कल रात आपने हम दोनोको कीतनी बेह रहेमीसे चोद लीयाथा.. कोइ बीवीके साथ अ‍ैसा करता हे..? हें..हें..हें..

देवायत : (मुस्कुराते) ठीक हे डार्लींग.. लेकीन क्या करु..? मे मेरी कीसीभी बीवीको प्यार करता हु.. तो जोस अ‍ैसे ही बढ जाता हे.. अब चलो.. चलना नही हे क्या..? तुमको भुख नही लगी..?

चंदा : (सरमाते हसते) हां चल रही हु.. बस.. ये विजय अभी सो जायेगा.. मे आ रही हु.. आप तीनो चलो..

मंजुला : (हसते) दीदी.. अ‍ैसा लगता हे.. विजयने मेरी नही.. आपकी कोखसे जन्म लीया हे.. आपके साथ कीतना घुलमील गया हे.. लव यु दीदी..

चंदा : (मुस्कुराते) मंजु.. फीकर मतकर.. अब विजय सीर्फ मेरा ही बेटा हे.. मुजे इनसे बहुत लगाव हो गया हे.. मेरे धिरेनसेभी ज्यादा.. अगर तुजे कोइ ओर बेटा चाहीये तो दुसरा पैदा करले.. हें..हें..हें..

सृती : (बहार जाते मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. तो फीर आप ही पैदा करलोनां.. आप अभी भी जवान हो.. बच्चे भी पैदा कर सकती हो.. मुजे लगता हे अब आपकोभी अ‍ेक बच्चा करलेना चाहीये.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते हाथ पकडकर खीचकर लेजाते) अरे हां बाबा.. तुम चल.. मेने ओर दीदीने कुछ प्लान बनाया हे.. बस.. अब वो दिन दुर नही दीदी भी अ‍ेक बच्चेकी मा बन जायेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (मंजुके साथ बहार जाते धीरेसे) मंजु.. क्या सचमे दीदी प्रेगनेन्ट होने वाली हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते धीरेसे) हां.. लेकीन अभी नही.. वो सब मे तुजे बादमे बताउगी..

सबलोग अ‍ेक साथ नीचे खानेके लीये बैठ गये.. तब रजीया दया चंपाभाभी लता ओर पुनम सबको खाना देने लगी.. तो जैसे ही पुनम ओर लता लखनके पास आइ.. तो लखन लता ओर पुनमकी ओर देखते मुस्कुराने लगा.. तब लता ओर पुनम बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर मुस्कुराते आगे चली गइ.. तब खाना खाते सृती ओर मंजु.. दोनो ही लखनकी मस्तीया करते उनकी टांग खीचाइ करती रही..ओर सब लोग हसते रहे..

तो दुसरी ओर रमेश ओर चारुके बीच जयाको लेकर बहुत जगडा हुआ.. ओर दोनोके रीलेशन खतम होनेकी कगारपे आ गये.. तब चारुने कुछ दिनके लीये वंदनाको रश्मीके साथ ही रहेनेको केह दीया था.. तो आज नीशा भी चारुको मीलने उनके घर गइ.. तब सुधीरके बारेमे उसे सबकुछ बता दीया था.. जीसे सुनकर चारुभी हेरान रेह गइ.. ओर उसने नीशाको उनके साथ होस्पीटलपे चलने की सहमती देदी.. तो आज चारुभी नीशाके घर सोने जाने वाली थी.. क्युकी अब नीशाभी अपने रुममे अकेली ही सो रही थी..

तो दुसरी ओर मुनाके घरपे भी सामको सबलोग इकठे बैठकर खाना खा रहे थे.. तब बरखा भी नइ नवेली दुल्हनकी तराह सारी पहेनकर सरपे पलु डालकर सबको खाना परोस रही थी.. जीसे देखकर उनके बापु वीभुको भी कुछ अजीब लगा.. बरखाने बालोके अंदर अपनी मांग ओर ब्लाउसमे अपना मंगलसुत्र छुपाके रखा था.. ताकी उनके बापुकी नजरमे ना आये.. लेकीन तभी जुककर खाना परोसते बरखाका मंगलसुत्र बहार नीकल गया....

कन्टीन्यु
 
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