तो दुसरी ओर आज सहेरमे भी सातभाइ ओर रमेशको पंचायतकी ओफीससे होस्पीटलके लीये जमीनका अेप्रुवल मील जाता हे.. फीर दोनोही अपने अपने मकानका रजीस्ट्रेशन करवा लेते हे.. इस खुसीमे सामतभाइ ओर रमेश दोनोही मीठाइकी दुकानसे मीठाइया ले लेते हे.. ओर दोनो वापस गांवकी ओर चलते हे.. तब बीच रास्तेमे अेक जगाहपे सामतभाइ रमेशसे बाइक रुकवाते हे..
ओर वो जटसे बाइकसे उतरकर अपने मुहपे हाथ रखते थोडा दुर चले जाते हे.. ओर उल्टीया करने लगे.. तब रमेशभी थोडा गरभराते बाइकसे उतरकर साथमे पानीकी बोटल लेकर उनके पास चला गया.. देखातो सामतभाइको खुनकी उल्टीया हो रही थी.. तो देखतेही रमेश ओर गभरा गया.. ओर उनकी पीठ सहेलाने लगा.. जब उल्टीया होगइ तब रमेशने उनको पानी दीया ओर सामतभाइने अपना मुह साफ करलीया.. तब..
सामत : रमेश.. इस बातको तुम छुपालेना.. कीसीको मत कहेना तुजे मेरी कसम हे..
रमेश : (थोडा वीचलीत होते) लेकीन.. सामतभाइ येतो आपको खुनकी उल्टीया हुइ हे..
सामत : रमेश.. पता हे मुजे.. अब अेक दिनतो वही सब होनेही वाला था.. मुजे मेरे बंसीकी सादी जल्द करवानी पडेगी..
रमेश : सामतभाइ.. चलो हम वापस जाते हे.. कीसी डोक्टरको दीखाकर आजायेगे.. वैसे क्या हुआ हे आपको..? इस बातको आप हमे कबसे छुपा रहे हे..? क्या इसीलीये वो डोक्टरके पास आप दवाइ लेने जा रहेथेनां..?
सामत : हां.. रमेश.. अब डोक्टरके पास जानेका कोइ फायदा नही हे.. इस बीमारीका कोइ इलाज नही.. बस.. दवाइसे कुछ दिन रोक सकते थे तो रोक लीया.. बाकी कुछ नही हो सकता.. तु कीसीको कहेना मत.. खास करके मेरे घरपे..
रमेश : लेकीन क्यु..? आपको इतनी बडी बीमारी हे.. यहा तक मुजसे भी छीपाया.. कमसे कम आपका इलाज तो हम करवा सकते हे.. क्या बीमारी हे आपको..?
सामत : (रमेशकी ओर देखते धीरेसे) बल्ड केन्सर.. रमेश.. मुजे ब्लड केन्सर हे.. इसका कोइ इलाज नही.. बस जीतना दिन जीना था जी लीया.. आज उल्टी हो गइ हे.. तो अब कुछ नही केह सकते.. इसीलीये मे मेरी बहेन ओर बंसीकी सादी जल्दी कर देना चाहता हु.. तु ये बात कीसीको मत कहेना तुजे मेरी कसम.. वरना मेरा बंसी मेरे इलाजके लीये पानीकी तराह पैसा बहायेगा.. ओर फायदा कुछ भी नही.. बसे इसीलीये मे सबसे बात छुपा रहा था.. चल..
कहेते सामतभाइ बाइककी ओर चले जाते हे.. तब रमेशभी भारी मनसे उनके पीछे चला गया.. ओर बाइक चालु करदीया तो सामतभाइ उनके पीछे बैठ गये.. ओर दोनो गांवकी ओर चल पडे.. तब रमेशका दिमाग घोडेकी तराह चलने लगा.. अेक तरफ रमेशको आज सामत भाइकी इतनी बडी बीमारीके बारेमे सुनकर दुख हुआ.. तो दुसरे ही पल उनके मनमे खुसी छागइ... उसे अब जया हमेसाके लीये मीलनेके आसार नजर आने लगे..
रमेश : (मनमे खुस होते) हंम.. मतलब अब सामतभाइ ज्यादा दिनके महेमान नही हे.. तो जया अकेली होजायेगी.. तो मेरे साथ हमेसाके लीये आसानीसे आ सकती हे.. वैसे भी चारुके साथ रीस्ता खतम ही हो गया हे.. वो भलेही जहा चुदवाना चाहती हे चुदवाये.. मे जयाको लेकर सहेरही चला जाउगा.. ओर वहा कोइ धंधा करलुगा..
ओर इस घरको डीवोर्स के बदलेमे चारु ओर वंदनाको दे दुगा.. ओर चारुसे छुटकारा पालुगा.. वैसे भी चारुके कहेनेके मुताबीक वंदनाको अब देवु सम्हाल लेगा.. तो उनकीभी चीन्ता नही हे.. फीर मे ओर जया सहेरमे रहेकर हमारा नया घर संसार चलायेगे.. क्या मस्त माल मीला हे मुजे मुजसे हर वक्त चुदवाने तैयारही होती हे.. मुजे कभी मना नही करती.. ओर अेक चारु हे.. कमीनी मुजे हाथ भी लगाने नही देती..
रमेशका सैतानी दिमाग यही सब सोच रहा था की तभी गांव आगया.. ओर सामतको लेकर सीधाही उनके घरपे चला गया.. तो आज सुबह सामतके घरपे जब वो रमेशके साथ चला गया था.. तब जयाकी प्रेगनन्सीकी बात सांतीके सामने उजागर होगइ थी.. तब सांतीने बडी ही सीफततासे जागृती ओर जया दोनोको सम्हाल लीया था.. फीर सांतीने आज बंसीको भी जगा दीया.. ओर वो बंसीकी सब देख भाल करने लगी..
जीनकी वजहसे आज जागृतीको बंसीसे मीलनेका मौका नही मीला.. जागृतीके मनमे अब भी सांतीने उनको सुबह अपने रुममे जबरदस्तीसे भेज दीया था.. ओर बादमे कुछ बात करनेको कहा था वोही बात घुम रही थी.. दोपहरका खाना खाकर सबलोग आराम कर रहे थे.. बंसी खेतोपे था तब जया आज अपने रुममे आराम कर रही थी.. तो जागृती ओर सांतीभी अपने अपने रुममे सभी काम नीपटाकर आराम कर रही थी..
सांती आज उनकी भाभी जयाकी प्रेगनन्सीकी वजहसे कुछ ज्यादाही परेसान थी.. लेकीन जयाने उसे कीसीको ना कहेनेकी कसम भी खीलवाइ थी.. तो वो बहुतही बैचेन होने लगी.. की इस बातको वो कैसे हेन्डल करेगी.. तभी उसे जागृतीका खयाल आया.. तो वो जटसे खडी होकर धीरेसे दरवाजा बंध करके जागृतीके पास उनके रुममे चली गइ.. ओर दरवाजा बंध करके जागृते पास बेडपे जाकर उनकी बगलमे लेट गइ..
जागृती : (हसते उनकी ओर करवट लेते) क्या बात हे भाभी.. आज तो खुद मेरे पास आगइ.. लगता हे अब आपको भी भाइके बीना आराम करना अच्छा नही लगता.. हें..हें..हें..
सांती : (सरमाकर हसते) जागु.. अगर तेरा भाइ साथ होता हे.. तो वो मुजे आराम थोडीना करने देता हे.. हें..हें..हें.. बस.. उनकोतो सीर्फ अेकही जीच करनी होती हे.. पता नही उनमे इतना जोस कहासे आजाता हे.. कभी कभीतो लगता हे उनको जेलनेके लीये मुज अकेलीका काम नही हे.. हें..हें..हें..
जागृती : (हसते हुअे सरकते थोडी नजदीक आते धीरेसे) अच्छा..? भाभी.. आप अपने ओर भाइके बारेमे कुछ ओर बाते बताइअेना.. दोनो कैसे रीलेशनमे आये..? सुनकर बहुत मजा आता हे.. हें..हें..हें..
सांती : (सरमाकर हसते) जागु.. जब अेक कुआरी लडकीकी इन सब बातोमे दिलचस्पी बढती हेनां..? तो हमे उनकी सादी जल्दही करवा देनी चाहीये.. तो लगता हे अब हमे तेरी भी सादी जल्द करवानी पडेगी.. हें..हें..हें.. फीकर मत कर.. तुजे भी अैसाही लडका मील जायेगा.. जैसे मुजे मीला हे.. हें..हें..हें..
जागृती : (बातको टटोलते) क्या भाभी आपभीनां.. अगर आपके जैसा लडका नही मीलातो..? आप बातको टाल रही हे.. अगर नही बताना हो तो मत बताओ.. वैसे भी सुबह भी मुजसे कुछ बतानेको कहेकर गइ थी.. सुबह आप इतनी गभराइ हुइ क्यु थी..? कुछ हुआथा क्या..?
सांती : (थोडा सीरीयस होते धीरेसे) हां जागु.. बात हही कुछ अैसी थी.. मे तुजे केह भी नही सकती.. क्युकी भाभीने मुजे कसम दीहे.. ओर मे तुमसे कुछ छुपाना भी नही चाहती.. मेने तुजे कहाथाना अब इस घरको सीर्फ हम दोनोको ही सम्हालना हे.. तो मुजे लगता हे अब वो वक्त बहुत ही जल्द आने वाला हे.. बस.. सीर्फ हमारी सादी तक इन्तजार करले.. तुजे सभी बातोका खुद ब खुद सब पता चल जायेगा..
जागृती : (सांतीकी कमरपे हाथ रखते धीरेसे) भाभी.. पता चल जायेगा नही मुजे सब पता चल गया हे.. वोभी आपसे पहेले.. क्या मम्मी इस वक्त प्रेगनेन्ट हेनां..? वोभी रमेशभाइसे..
सांती : (सोक्ट होते आस्चर्यसे देखते धीरेसे) हां जागु.. ये सब तुजे कैसे पता..? हंम..? हां.. ये सच हे.. मे तुमसे यही बात कहेने वाली थी.. इसीलीये तो मे इधर आइ हु.. बताना तुजे सब कैसे मालुम हुआ..?
तब जागृती उसे दो दिन पहेलेकी सभी धटनाये बता देती हे.. की उनकी मां कैसे छतसे होकर रमेशके घर चली गइ थी.. ओर वहा उनसे चुदवाते दोनो कौन कौनसी बाते कर रहेथे.. ये सब सुनक सांती चौंक जाती हे.. ओर अपने भाइको लेकर उनको चीन्ता होने लगती हे.. ओर सांतीकी आंखसे आंसु छलग गये.. तब जागृतीने उनके आंसु पोछकर उनको सांत कीया.. तब सांती लेटेही जागृतीको हग करलेती हे..
सांती : (धीरेसे आंसु बहाते) जागु.. मे ये सब अकेली नही सम्हाल पाउगी.. मुजे तेरी सख्त जरुरत हे.. मे ये सब सहेन नही करपाउगी.. तुम बहुत स्ट्रोंग हो.. जो इतनी गंभीर बाते अपने दिलमे छुपाके रखती हो..
जागृती : (प्यारसे सरको सहेलाते) भाभी.. सांत होजाइअे.. मे आपके साथ ही हु.. अच्छा हुआ आप भाइसे सादी कर रही हे.. मुजे इतनी समजदार भाभी ओर कहा मीलेगी.. जो हम सबकी चीन्ता करती हे.. कमीने उस रमेशभाइने भी मम्मीमे अैसा क्या देख लीया.. जो चारुभाभी जैसे खुबसुरत बीवीको धोखा दे रहा हे..
सांती : (सीनेमे सर छुपाते) जागु.. ये साली आगही अैसी हे.. इसमे बेचारे पुरुष करे भी तो क्या करे..? वो बहुत डरपोक होते हे.. अेक सादीसुधा मर्दको कोइ ओर ओरत पसंद आती हेनां.. तो बेचारा उनसे बात करनेमे सो बार सोचता हे.. ओर यही बात कीसी सादीसुधा ओरतकी करे तो वो दुसरे मर्दको पानेके लीये बीना डर कीसी भी हद तक जा सकती हे..
ना वो अपना घर देखती हे ना अपने बच्चोको.. ना उसे अपने पतीकी परवाह होती ना उसे अपने खानदानकी.. बस.. वो ओरत उस मर्दको पाकर ही रहेती हे.. अैसेही ओरतमे अेक तेरी मम्मी हे.. जागु.. भाभी बहुतही कामी ओरत हे.. बस.. तुम अपना खयाल रखना..
जागृती : (सरमाकर धीरेसे) भाभी.. सच कहा आपने.. आप कैसे अेक मर्द ओर ओरतको अच्छी तराह जानती हे.. आपकी भी सादी होगइ थी.. ओर विधवा होकर वापस आगइ.. मेने सुना हे जब लडकी अेक बार कीसी मर्दसे सबंध बना लेती हे.. तो फीर उनको हर दिन मर्दके प्यारकी आदत होजाती हे.. तो फीर आप विधवा होकर भी इतने दिन बीना मर्द कैसे रेह पाइ.. मुजे आपके ओर भाइके बीच रीलेशन होनेकी बात बताइअेनां..