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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १८२

कहेते पुनमने फोन काट दीया.. तो राधीकाने सरमाते हसते हुअ‍े लखनको फोन वापस देदीया.. फीर वो खडी होकर ओर ज्यादा खाना पेक करवाने कीचमे चली गइ.. ओर दो टीफीन पेक करवाके लेलीया.. फीर वो ओर लखन ओफीस बंध करके कारमे बैठ गये.. ओर कारको लखनने राधीकाके घरकी ओर जाने दी.. जो महज कुछ ही दुरी पर था.. पुरे रास्ते राधीका मुस्कुराते हुअ‍े लखनकी ओर देखती रही....अब आगे

दोनोही घरपे पहोच गये ओर अंदर चले गये.. तो लखन सीधेही राधीकाकी मम्मीके रुममे चला गया.. जो वो अपने बेडपे लेटी हुइ थी.. तो लखनको देखतेही खुसके मारे बेडसे उठनेका प्रयत्न करते अपना हाथ लंबा करके लखनको अपने पास बुलाने लगी.. तो लखनभी मुस्कुराते उनके पास चला गया ओर बेडपे बैठकर आंटीके पैर छुकर उनको हग करने लगा.. तब राधीका की मम्मीने उसे गले लगा लीया ओर लखनके सरको सहेलाने लगी..

आंटी : (मुस्कुराते) बेटा.. तुमतो स्कुल छोडकर गायब ही होगये.. बहुत दिनोके बाद आये हो.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते राधीकाकी ओर देखते) आंटी मेतो आता ही रहेता हु.. आपकी बेटी मुजे इधर लाये तब आउगाना..? हें..हें..हें..

राधीका : (हृसते लखनको पीठमे मुका जडते) जुठ मत बोलो.. मम्मी.. ये मुजे भी कीतने दिनोके बाद मीले हे.. आप इनकी खबर लो.. मे आपका खाना नीकालती हु.. फीर मे ओर लखन खा लेगे..

कहेथे राधीका अ‍ेक बार फीर लखनको मारके चली गइ.. तो लखन ओर आंटी दोनो ही हसने लगे.. फीर आंटी ओर लखनने उन भाइ बहेनकी सादीको लेकर बहुत सारी बाते करली.. बातो ही बातोमे आंटीने राधीकाके अकेलापन ओर सादीको लेकर चींता जाहीरकी.. ओर उनकी आंखसे आंसु बहेने लगे.. तो लखनने अपने हाथोसे उनके आंसु पोछ दिये.. ओर आंटीकी ओर देखते मुस्कुराता रहा..

आंटी : (मुस्कुराते) बेटा.. क्यु हस रहा हे.. तुम्हारी तो अच्छी दोस्त हे.. ओर तुजे बहुत मानती हे.. अब तुम ही उनको समजाओ.. सादी करले.. मेरी तो अ‍ेक भी नही सुनती.. कहेती हे अब सादी नही करनी.. अब मेरा क्या भरोसा.. कब उपर चली जाउ..

लखन : (मुस्कुराते) आंटी.. अगर आप कहोतो मे उनसे सादी करलु..? आप दे दीजीये मुजे उनका हाथ..

आंटी : (सोक्ट होते) बे..टा.. क्या केह रहे हो..? वो तुमसे उमरमे काफी बडी हे.. ओर वैसे भी तुम्हारी सादी तो होगइ हे.. तो क्या दुसरी सादी करोगे..? तुम बहुत सरारती हो.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) आंटी.. मे मजाक नही कर रहा.. सच कहेता हु.. आपको तो पता हे हम अ‍ेक रोयल फेमीली हे.. हमारे खानदानमे दो क्या तीन चार सादी करलो तो भी कीसीको अ‍ेतराज नही.. बडे भैयाने खुद तीन सादीया की हे.. ओर आप राधुकी चीन्ता मत करना.. वो वही आपके पास ही रहेगी.. उनकी सारी जींदगी की जीम्वेवारी मेरी.. क्या कहेती हो..?

आंटी : (आस्चर्यसे देखते मुस्कुराते) बेटा.. इतना प्यार करता हे मेरी राधुको..? देखले वो मानेगी नही.. अगर मान गइतो मे जींदगीभर तेरी अहेसान मंद रहुगी.. कमसे कम चेइनकी मोत तो मरुगी..

राधीका : (खाना अंदर लेकर आते) मम्मी.. क्यु मरनेकी बात कर रही हो..? अ‍ेकतो कीतने दिनोके बाद ये घरपे आया हे.. तो मरनेकी बात करके इसे क्यु डरा रही हो.. हें..हें..हें.. लीजीये खाना आगया.. चलो खीलाती हु.. फीर हम दोनो भी खा लेगे..

आंटी : (लखनकी ओर देखते मुस्कुराते) कुछ नही बेटी.. हम तेरी सादीकी बात कर रहे थे.. हें..हें..हें..

राधीका : (खाना खीलाते) मम्मी आप फीर सुरु होगइ..? अरे बाबा अब मुजे नही करनी सादी..

लखन : (हसते) राधु.. क्या मुजसे भी सादी नही करनी..?

राधीका : (अ‍ेक नजरसे देखते) लखन प्लीज.. अभी मजाक नही.. मुजे मम्मीको खीलाने दो..

आंटी : नही बेटी.. लखन मजाक नही कर रहा.. मुजेभी ये लडका पसंद हे.. तुजे प्यार भी तो बहुत करता हे.. करले इनसे सादी.. कबतक अ‍ैसे अकेली घुट घुटके जीयेगी.. अभी तेरी उमर ही क्या हे..? ओर मे भी कब तक जीयुगी..? वरना कहेदे तु इसे प्यार नही करती.. मे आजके बाद तुजे कभी सादीके लीये नही कहुगी..

कहा तो राधीका उनकी मम्मीको खाना खीला रही.. ओर खाना खीलाते उनके आंसु छलकने लगे.. ओर वो चुपचाप आंसु बहाते खाना खीलाती रही.. लखन ओर राधीकाकी मम्मी राधीकाको देखते रहे.. तीनो ही नीसब्द बैठे रहे.. पुरे रुममे खामोसी छाइ रही.. ओर राधीकाने खाना खीला दीया.. तो वो खाली बर्तन लेकर कीचनमे चली गइ.. तब लखन आंटीके कानमे कुछ कहेता हे.. तो आंटी मुस्कुराने लगी.. तभी राधीका रुममे आइ तो वहा लखन नही था..

राधीका : (देखतेही गभराते) मम्मी.. कहा गया लखन..? उनको खाना खाने बुलाने आइ हु..

आंटी : (जुठ बोलते) बेटी.. वोतो तुम कुछ नही बोली तो चला गया.. कुछ कहेकर भी नही गया..

राधीका : (बहारकी ओर दोडते जोरोसे) ल..ख..न..

राधीका लखनको जोरोसे आवाज देकर बहारकी ओर दोड पडी.. बहार देखातो लखन कही नही दीख रहा था.. तो वो आंगनसे बहार दोडकर चली गइ.. तभी उनको लखनकी कार वही पडी नजर आइ तो वो वापस दोडकर घरमे आगइ.. ओर चारो ओर देखने लगी.. लखन कही नजर नही आया.. तब उनकी आंखसे आंसु नीकल गये.. ओर वो वापस अपने मम्मीके पास आगइ..

राधीका : (अंदर आतेही जटसे) मम्मी.. लखन बहार कही नही हे.. घरमे भी नही हे.. उनकी कार हे.. तो कीधर गया..? क्या आपको कुछ कहेकर नही गया..? मुजे भी बताकर नही गया..

आंटी : अरे तुजे क्यु बतायेगा..? तुम होती हो कौन उनकी..? जो तुजे बताकर जायेगा.. चला गया होगा अपने घर.. ओर तुम उनके लीये इतना पगला क्यु हो रही हो..? जा जाकर खाना खाले..

राधीका : मम्मी.. चुप होजाओ.. मे प्यार करती हु उसे.. वो मुजे बताये बगैर कभी नही जा सकता..

तभी लखन मुस्कुराते अपने हाथोको पोछते बाथरुसे बहार नीकला.. तो राधीका उनको देखते ही दोडकर उनके गले लग गइ.. ओर आंसु बहाने लगी.. उनको अपनी मम्मीका भी खयाल नही आयाकी वो भी वही हे.. तब आंटी जोरोसे हसने लगी.. तो लखन भी हसने लगा.. तब राधीका समज गइकी दोनोने मीलकर उसे उलु बनाया हे.. ओर वो सरमाकर हसते लखनके सीनेमे मुका मारने लगी.. तभी..

आंटी : (हसते) बेटी.. देखा.. तुमसे लखनकी इतनीसी जुदाइ भी सहेन नही होती.. यही बात जताती हे तुम लखनको कीतना प्यार करती हो.. करले इनसे सादी.. मेरा लखन बेटा तुजे बहुत खुस रखेगा..

लखन : (प्यारसे गाल सहेलाते) हां राधु.. कहेते हे भगवानसे भी बडा होदा हमारे मां बापका होता हे.. तो इधर मां भी हे.. यहा मंदिर भी हे.. करले मुजसे सादी.. मे सब तैयारीया करके आया हु.. मे कल जब तुजे मीला तब ही तैय करलीया था.. की मे तुमसे सादी करके ही रहुगा.. तुम पुछ रहीथीनां इसमे क्या हे..? देखले..

कहेते लखनने केरी बेगसे दो सादीके लीये फुलोका हार नीकाला.. फीर अ‍ेक छोटीसी डीबी ओर अ‍ेक छोटासा ज्वेलेरी बोक्ष नीकाला.. तो आंटी ओर राधीका उसे मुह फाडते देखती ही रही.. ओर लखन राधीकाको हाथ पकडकर मंदिरके सामने ले गया.. ओर अ‍ेक हार राधीकाको हाथमे थमाते दुसरा हार खुदने रख लीया.. तब आंटीकी खुसीका कोइ ठीकाना नही था.. वो मुस्कुराते ये सब तमासा देखती रही.. तभी..
 
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राधीका : (सरमाकर धीरेसे) लखन पागल मत बनो.. अ‍ेक बार फीर सोचलो.. ये जींदगी भरका बंधन हे.. फीर मे आपके बीना नही रेह पाउगी..

लखन : (मुस्कुराते) ओर मे तुजे अकेली रहेने भी नही दुगा.. राधु.. मुजे सब पता हे.. मे जींदगी भर तेरी ओर आंटीकी जीम्वेवारी उठानेको तैयार हु.. तुम सादीके बादभी मेरी बीवी बनकर यही आंटीके पास रहोगी.. अब मे सहरमे रहेने आ रहा हु.. ओर सुन.. अभी इस बातकी सीर्फ पुनोको खबर हे.. की मे तुमसे सादी कर रहा हु.. फीर मे तुजे मेरे परीवारमे भी सामील कर लुगा.. अगर तुम सबके साथ रहेना चाहो तो भी रेह सकती हो..

राधीका : (सरमाकर मुस्कुराते) लखन.. इसकी कोइ जरुरत नही हे.. मे सीर्फ आपको परख रही थी.. आप काफी मेच्योर हो गये हो.. वैसे मे यहा अ‍ैसे ही खुस हु.. ओर हमारा होस्टेल भी बहुत अच्छा चलता हे.. आपको मेरी जीम्वेवारी उठानेकी जरुरत नही हे.. बस.. हमेतो आपका प्यार चाहीये.. कमसे कम अब मे आपकी सुहागनतो कहेलाउगी..

आंटी : (जोरोसे हसते) तो फीर क्यु नखरे कर रही थी.. अब तो पहेनादे हार.. हें..हें..हें..

उनकी मम्मीने कहातो राधीका सर्मसार होगइ.. ओर नजर जुकाते मुस्कुराते लखनको हार पहेना देती हे तब लखन भी अपना हार राधीकाके गलेमे डाल देता हे.. फीर डीबीसे अ‍ेक चुटकी सींदुर लेकर राधीकाकी मांगको भर देता हे.. तब राधीकाके आंसु छलक गये.. ओर वो चुपचाप नजरे जुकाये खडी रही.. तभी आंटीने दोनोको जींदगी भर अ‍ेक दुसरेको साथ नीभानेकी कसमे खीलवाइ.. ओर आखीर लखनने बोक्षमेसे मंगलसुत्र नीकालाकर राधीकाके गलेमे डाल दीया.. तब राधीकाका सब्रका बांध टुट गया..

वो अपनी दोनो हथेलीमे मुह छुपाकर सरको लखनके सीनेपे रख देती हे.. ओर फुटफुटके रोने लगती हे.. तब लखन मुस्कुराते उनको अपनी बाहोमे भरके उनकी पीठ सहेलाता रहा.. जीसे देखकर आंटीकी आंख भी गीली होगइ.. फीर लखन राधीकाको सांत करता हे.. ओर उसे पानी पीलाता हे.. फीर दोनोही भगवानके सामने हाथ जोडकर आशीार्वद लेते हे.. ओर साथमे आकर आंटीके पांव छुते हे.. तब आंटी आंसु बहाते दोनोको आशीर्वाद देती हे..

आंटी : (मुस्कुराते) दोनो खुस रहो.. लखन बेटा.. आज तुमने इस बुढीयाकी लाज रखली.. तुमने मेरी मोतको सुधार दीया.. जीते रहो.. दोनो.. बस.. मेरी राधुको खुस रखना.. हमे ओर कुछ नही चाहीये..

लखन : (उनके पैरोके पास बैठकर) मम्मी.. अब मे आपको आंटी नही कहुगा.. आजसे आप मेरी सास नही मेरी भी मां होगइ हे.. मे वादा करता हु.. आपकी राधुको हमेसा खुस रखुगा.. आइ प्रोमीस..

आंटी : (हसते) देखा बेटी.. आज मुजे दामादके रुपमे बेटा मील गया हे.. आज तो आपने मेरी जींदगी खुसीओसे भरदी हे.. दोनो खुस रहो.. ओर अपनी जींदगी खुसीसे जीओ..

राधीका : (सरमाकर हसते) लखन.. अब आप चलीयेनां.. मुजेतो जोरोकी भुख लगी हे.. हें..हें..हें..

आंटी : (हसते) अबतो तेरा पती हो गया हे.. अबतो उसे नाम लेकर मत बुलाओ.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) नही मम्मी.. नाम लेने दीजीये.. अब जमाना बदल गया हे.. सुकर मनाइअ‍े अब मुजे आप.. आप.. कहेकर बुलाने लगी हे.. वरना तो मेरे साथ तु तु करते बाते करती थी.. हें..हें..हें..

कहातो राधीका सरमा गइ.. ओर हसते हुअ‍े लखनकी पीठमे अ‍ेक मुका मारकर उनका हाथ पकडकर खीचकर बहार चली गइ.. ओर अपने रुममे आकर फटाफट दरवाजा बंध करदेती हे.. ओर दरवाजा बंध करते ही जटसे लखनकी बाहोमे समा गइ.. ओर उनके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. फीर रुककर मुस्कुराते लखनकी आंखोमे देखने लगी.. ओर कुछ ही पलमे दोनोके होठ मील गये..

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राधीका : (होठ छोडते सरमाते) बस.. बस.. लखन रहेने दीजीये.. मे बहेक जाउगी.. फीर हम कंट्रोल नही कर पायेगे.. आपने तो मुजे गरम करदी.. आप कहे रहेथेनां ये दो दिन कुछ नही करना.. हंम..?

लखन : (मुस्कुराते) हां राधु.. लेकीन फीकर मत करना.. दो दिनके बाद जब हमारी सुहागरात होगी.. वो बहुत ही स्पेसीयल होगी.. इसी घरमे.. अभी तो मुजे मेरी बीवीको प्यार करनेदे.. उसे गरम भी कर दुगा ओर ठंडी भी करदुगा..

कहेते लखन फीरसे राधीकाके होठोको चुमते उनके उरोजोको मसलने लगा.. तब कुछही देरमे दोनो चुमते चुमते बेडपे चले गये.. ओर दोनोके अ‍ेक अ‍ेक वस्त्र नीकलते गये.. दोनोही पुरी तराह नंगे अ‍ेक दुसरेके अंगोके साथ खेलने लगे.. आज राधीका मांगमे सीदुर ओर गलेमे मंगलसुत्रके साथ सुहागन होकर कयामत लग रही थी.. दोनो ही बेडपे लेट गये.. तब लखन राधीकाके बुब्सको मुहमे लेकर चुमने लगा..

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ओर उनकी चुतको सहेलाते अ‍ेक उगली चुतमे घुसा देता हे.. ओर जोरोसे हीलाते राधीकाको उनकी मंजीलकी ओर लेजाने लगा.. तब कुछही देरमे राधीकाकी चुतसे अ‍ेक फवारा नीकल गया.. ओर वो अपनी सासंको दुसरस्त करते मुस्कुराने लगी.. तब लखन उसे गोदमे उठाकर बाथरुममे ले गया.. तो राधीका लखनके गलेमे हाथ डालकर उसे प्यार भरी नजरोसे देखते मुस्कुराती रही.. वहा दोनोने सावर लीया ओर नहाकर बहार आगये.. फीर दोनोने अपने अपने वस्त्र पहेनलीये.. तभी राधीका लखनकी बाहोमे समा गइ..

राधीका : (मुस्कुराते) जानु.. आपको पता नही आज आपने हमे कीतनी खुसी दी हे.. आज मेरी जींदगीका सबसे अनमोल दीन हे.. मे इस दिनको कभी नही भुलुगी.. ओर नाही मम्मी..

लखन : (मुस्कुराते) राधु.. मे बहुत जल्द यहा रहेनेके लीये आ रहा हु.. तो आजसे ये भी मेरा दुसरा घर हे.. तुम फीकर मत करना मे अब आये दिन तुमसे मीलनेके लीये आजाउगा.. अभी हमारी सादीके बारेमे सीर्फ पुनोको ही पता हे.. ओर सायद मंजु भाभीको.. क्युकी वो ओर पुनोदीदी सबकुछ जान जाती हे..

राधीका : (सामने अ‍ेक नजरसे देखते) जानु.. अ‍ेक बात पुछु..? जब आपने पुनोको हमारी सादीके बारेमे कहा तो वो कुछ नही बोली..? हंम..? क्या उसे पता हे आप उनको प्यार करते थे..?

लखन : (मुस्कुराते) हां राधु.. इस बारेमे आज ही उनसे बात हुइ.. तुजे पता हे..? पुनोको मेरे बारेमे ओर मेरी फीलींग्सके बारेमे सबकुछ पताथा.. की मे उसे प्यार करता था.. तो आज मेने भी हिमत करके उनको सबकुछ खुलकर बता दीया.. की मे आपसे प्यार करता था ओर आपसे सादी करना चाहता था..

राधीका : (सीरीयस होते सामने देखते) तो फीर.. वो कुछ नही बोली..? हंम..?

लखन : राधु.. हमारी सादीके बाद बहुत कुछ बदल गया हे.. आज इस बारेमे पुनो दीदीसे बहुत कुछ बाते हुइ.. लेकीन अभी नही.. हम दोनो होस्टेलमे आरामसे बैठकर बाते करेगे.. अभी तो चल मुजे जोरोकी भुख लगी हे.. हें..हें..हें..

राधीका : (हसते) अरे.. मेरे पतीको भुख लगी हे..? चलो चलो.. आजतो मे अपने हाथोसे खीलाउगी.. हें..हें..हें..

ओर राभीका लखनको लेकर बहार आगइ.. आकर दोनो खानेके लीये बैठ गये.. आज राधीका बडेही प्यारसे लखनको अपने हाथोसे खीला रही थी.. तो लखनभी राधीकाको अपने हाथोसे खीलाने लगा.. जब खाना खतम होगया तो दोनोही वापस होस्टेल जानेके लीये तैयार होगये.. लखन अ‍ेक बार फीर आंटीके पास चला गया ओर उनके पैर छुकर जानेकी इजाजत लेकर बहार आगया.. फीर दोनोही अपनी कारमे वापस होस्टेलपे आगये..
 
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तो दुसरी ओर आज सहेरमे भी सातभाइ ओर रमेशको पंचायतकी ओफीससे होस्पीटलके लीये जमीनका अ‍ेप्रुवल मील जाता हे.. फीर दोनोही अपने अपने मकानका रजीस्ट्रेशन करवा लेते हे.. इस खुसीमे सामतभाइ ओर रमेश दोनोही मीठाइकी दुकानसे मीठाइया ले लेते हे.. ओर दोनो वापस गांवकी ओर चलते हे.. तब बीच रास्तेमे अ‍ेक जगाहपे सामतभाइ रमेशसे बाइक रुकवाते हे..

ओर वो जटसे बाइकसे उतरकर अपने मुहपे हाथ रखते थोडा दुर चले जाते हे.. ओर उल्टीया करने लगे.. तब रमेशभी थोडा गरभराते बाइकसे उतरकर साथमे पानीकी बोटल लेकर उनके पास चला गया.. देखातो सामतभाइको खुनकी उल्टीया हो रही थी.. तो देखतेही रमेश ओर गभरा गया.. ओर उनकी पीठ सहेलाने लगा.. जब उल्टीया होगइ तब रमेशने उनको पानी दीया ओर सामतभाइने अपना मुह साफ करलीया.. तब..

सामत : रमेश.. इस बातको तुम छुपालेना.. कीसीको मत कहेना तुजे मेरी कसम हे..

रमेश : (थोडा वीचलीत होते) लेकीन.. सामतभाइ येतो आपको खुनकी उल्टीया हुइ हे..

सामत : रमेश.. पता हे मुजे.. अब अ‍ेक दिनतो वही सब होनेही वाला था.. मुजे मेरे बंसीकी सादी जल्द करवानी पडेगी..

रमेश : सामतभाइ.. चलो हम वापस जाते हे.. कीसी डोक्टरको दीखाकर आजायेगे.. वैसे क्या हुआ हे आपको..? इस बातको आप हमे कबसे छुपा रहे हे..? क्या इसीलीये वो डोक्टरके पास आप दवाइ लेने जा रहेथेनां..?

सामत : हां.. रमेश.. अब डोक्टरके पास जानेका कोइ फायदा नही हे.. इस बीमारीका कोइ इलाज नही.. बस.. दवाइसे कुछ दिन रोक सकते थे तो रोक लीया.. बाकी कुछ नही हो सकता.. तु कीसीको कहेना मत.. खास करके मेरे घरपे..

रमेश : लेकीन क्यु..? आपको इतनी बडी बीमारी हे.. यहा तक मुजसे भी छीपाया.. कमसे कम आपका इलाज तो हम करवा सकते हे.. क्या बीमारी हे आपको..?

सामत : (रमेशकी ओर देखते धीरेसे) बल्ड केन्सर.. रमेश.. मुजे ब्लड केन्सर हे.. इसका कोइ इलाज नही.. बस जीतना दिन जीना था जी लीया.. आज उल्टी हो गइ हे.. तो अब कुछ नही केह सकते.. इसीलीये मे मेरी बहेन ओर बंसीकी सादी जल्दी कर देना चाहता हु.. तु ये बात कीसीको मत कहेना तुजे मेरी कसम.. वरना मेरा बंसी मेरे इलाजके लीये पानीकी तराह पैसा बहायेगा.. ओर फायदा कुछ भी नही.. बसे इसीलीये मे सबसे बात छुपा रहा था.. चल..

कहेते सामतभाइ बाइककी ओर चले जाते हे.. तब रमेशभी भारी मनसे उनके पीछे चला गया.. ओर बाइक चालु करदीया तो सामतभाइ उनके पीछे बैठ गये.. ओर दोनो गांवकी ओर चल पडे.. तब रमेशका दिमाग घोडेकी तराह चलने लगा.. अ‍ेक तरफ रमेशको आज सामत भाइकी इतनी बडी बीमारीके बारेमे सुनकर दुख हुआ.. तो दुसरे ही पल उनके मनमे खुसी छागइ... उसे अब जया हमेसाके लीये मीलनेके आसार नजर आने लगे..

रमेश : (मनमे खुस होते) हंम.. मतलब अब सामतभाइ ज्यादा दिनके महेमान नही हे.. तो जया अकेली होजायेगी.. तो मेरे साथ हमेसाके लीये आसानीसे आ सकती हे.. वैसे भी चारुके साथ रीस्ता खतम ही हो गया हे.. वो भलेही जहा चुदवाना चाहती हे चुदवाये.. मे जयाको लेकर सहेरही चला जाउगा.. ओर वहा कोइ धंधा करलुगा..

ओर इस घरको डीवोर्स के बदलेमे चारु ओर वंदनाको दे दुगा.. ओर चारुसे छुटकारा पालुगा.. वैसे भी चारुके कहेनेके मुताबीक वंदनाको अब देवु सम्हाल लेगा.. तो उनकीभी चीन्ता नही हे.. फीर मे ओर जया सहेरमे रहेकर हमारा नया घर संसार चलायेगे.. क्या मस्त माल मीला हे मुजे मुजसे हर वक्त चुदवाने तैयारही होती हे.. मुजे कभी मना नही करती.. ओर अ‍ेक चारु हे.. कमीनी मुजे हाथ भी लगाने नही देती..


रमेशका सैतानी दिमाग यही सब सोच रहा था की तभी गांव आगया.. ओर सामतको लेकर सीधाही उनके घरपे चला गया.. तो आज सुबह सामतके घरपे जब वो रमेशके साथ चला गया था.. तब जयाकी प्रेगनन्सीकी बात सांतीके सामने उजागर होगइ थी.. तब सांतीने बडी ही सीफततासे जागृती ओर जया दोनोको सम्हाल लीया था.. फीर सांतीने आज बंसीको भी जगा दीया.. ओर वो बंसीकी सब देख भाल करने लगी..

जीनकी वजहसे आज जागृतीको बंसीसे मीलनेका मौका नही मीला.. जागृतीके मनमे अब भी सांतीने उनको सुबह अपने रुममे जबरदस्तीसे भेज दीया था.. ओर बादमे कुछ बात करनेको कहा था वोही बात घुम रही थी.. दोपहरका खाना खाकर सबलोग आराम कर रहे थे.. बंसी खेतोपे था तब जया आज अपने रुममे आराम कर रही थी.. तो जागृती ओर सांतीभी अपने अपने रुममे सभी काम नीपटाकर आराम कर रही थी..

सांती आज उनकी भाभी जयाकी प्रेगनन्सीकी वजहसे कुछ ज्यादाही परेसान थी.. लेकीन जयाने उसे कीसीको ना कहेनेकी कसम भी खीलवाइ थी.. तो वो बहुतही बैचेन होने लगी.. की इस बातको वो कैसे हेन्डल करेगी.. तभी उसे जागृतीका खयाल आया.. तो वो जटसे खडी होकर धीरेसे दरवाजा बंध करके जागृतीके पास उनके रुममे चली गइ.. ओर दरवाजा बंध करके जागृते पास बेडपे जाकर उनकी बगलमे लेट गइ..

जागृती : (हसते उनकी ओर करवट लेते) क्या बात हे भाभी.. आज तो खुद मेरे पास आगइ.. लगता हे अब आपको भी भाइके बीना आराम करना अच्छा नही लगता.. हें..हें..हें..

सांती : (सरमाकर हसते) जागु.. अगर तेरा भाइ साथ होता हे.. तो वो मुजे आराम थोडीना करने देता हे.. हें..हें..हें.. बस.. उनकोतो सीर्फ अ‍ेकही जीच करनी होती हे.. पता नही उनमे इतना जोस कहासे आजाता हे.. कभी कभीतो लगता हे उनको जेलनेके लीये मुज अकेलीका काम नही हे.. हें..हें..हें..

जागृती : (हसते हुअ‍े सरकते थोडी नजदीक आते धीरेसे) अच्छा..? भाभी.. आप अपने ओर भाइके बारेमे कुछ ओर बाते बताइअ‍ेना.. दोनो कैसे रीलेशनमे आये..? सुनकर बहुत मजा आता हे.. हें..हें..हें..

सांती : (सरमाकर हसते) जागु.. जब अ‍ेक कुआरी लडकीकी इन सब बातोमे दिलचस्पी बढती हेनां..? तो हमे उनकी सादी जल्दही करवा देनी चाहीये.. तो लगता हे अब हमे तेरी भी सादी जल्द करवानी पडेगी.. हें..हें..हें.. फीकर मत कर.. तुजे भी अ‍ैसाही लडका मील जायेगा.. जैसे मुजे मीला हे.. हें..हें..हें..

जागृती : (बातको टटोलते) क्या भाभी आपभीनां.. अगर आपके जैसा लडका नही मीलातो..? आप बातको टाल रही हे.. अगर नही बताना हो तो मत बताओ.. वैसे भी सुबह भी मुजसे कुछ बतानेको कहेकर गइ थी.. सुबह आप इतनी गभराइ हुइ क्यु थी..? कुछ हुआथा क्या..?

सांती : (थोडा सीरीयस होते धीरेसे) हां जागु.. बात हही कुछ अ‍ैसी थी.. मे तुजे केह भी नही सकती.. क्युकी भाभीने मुजे कसम दीहे.. ओर मे तुमसे कुछ छुपाना भी नही चाहती.. मेने तुजे कहाथाना अब इस घरको सीर्फ हम दोनोको ही सम्हालना हे.. तो मुजे लगता हे अब वो वक्त बहुत ही जल्द आने वाला हे.. बस.. सीर्फ हमारी सादी तक इन्तजार करले.. तुजे सभी बातोका खुद ब खुद सब पता चल जायेगा..

जागृती : (सांतीकी कमरपे हाथ रखते धीरेसे) भाभी.. पता चल जायेगा नही मुजे सब पता चल गया हे.. वोभी आपसे पहेले.. क्या मम्मी इस वक्त प्रेगनेन्ट हेनां..? वोभी रमेशभाइसे..

सांती : (सोक्ट होते आस्चर्यसे देखते धीरेसे) हां जागु.. ये सब तुजे कैसे पता..? हंम..? हां.. ये सच हे.. मे तुमसे यही बात कहेने वाली थी.. इसीलीये तो मे इधर आइ हु.. बताना तुजे सब कैसे मालुम हुआ..?

तब जागृती उसे दो दिन पहेलेकी सभी धटनाये बता देती हे.. की उनकी मां कैसे छतसे होकर रमेशके घर चली गइ थी.. ओर वहा उनसे चुदवाते दोनो कौन कौनसी बाते कर रहेथे.. ये सब सुनक सांती चौंक जाती हे.. ओर अपने भाइको लेकर उनको चीन्ता होने लगती हे.. ओर सांतीकी आंखसे आंसु छलग गये.. तब जागृतीने उनके आंसु पोछकर उनको सांत कीया.. तब सांती लेटेही जागृतीको हग करलेती हे..

सांती : (धीरेसे आंसु बहाते) जागु.. मे ये सब अकेली नही सम्हाल पाउगी.. मुजे तेरी सख्त जरुरत हे.. मे ये सब सहेन नही करपाउगी.. तुम बहुत स्ट्रोंग हो.. जो इतनी गंभीर बाते अपने दिलमे छुपाके रखती हो..

जागृती : (प्यारसे सरको सहेलाते) भाभी.. सांत होजाइअ‍े.. मे आपके साथ ही हु.. अच्छा हुआ आप भाइसे सादी कर रही हे.. मुजे इतनी समजदार भाभी ओर कहा मीलेगी.. जो हम सबकी चीन्ता करती हे.. कमीने उस रमेशभाइने भी मम्मीमे अ‍ैसा क्या देख लीया.. जो चारुभाभी जैसे खुबसुरत बीवीको धोखा दे रहा हे..

सांती : (सीनेमे सर छुपाते) जागु.. ये साली आगही अ‍ैसी हे.. इसमे बेचारे पुरुष करे भी तो क्या करे..? वो बहुत डरपोक होते हे.. अ‍ेक सादीसुधा मर्दको कोइ ओर ओरत पसंद आती हेनां.. तो बेचारा उनसे बात करनेमे सो बार सोचता हे.. ओर यही बात कीसी सादीसुधा ओरतकी करे तो वो दुसरे मर्दको पानेके लीये बीना डर कीसी भी हद तक जा सकती हे..

ना वो अपना घर देखती हे ना अपने बच्चोको.. ना उसे अपने पतीकी परवाह होती ना उसे अपने खानदानकी.. बस.. वो ओरत उस मर्दको पाकर ही रहेती हे.. अ‍ैसेही ओरतमे अ‍ेक तेरी मम्मी हे.. जागु.. भाभी बहुतही कामी ओरत हे.. बस.. तुम अपना खयाल रखना..

जागृती : (सरमाकर धीरेसे) भाभी.. सच कहा आपने.. आप कैसे अ‍ेक मर्द ओर ओरतको अच्छी तराह जानती हे.. आपकी भी सादी होगइ थी.. ओर विधवा होकर वापस आगइ.. मेने सुना हे जब लडकी अ‍ेक बार कीसी मर्दसे सबंध बना लेती हे.. तो फीर उनको हर दिन मर्दके प्यारकी आदत होजाती हे.. तो फीर आप विधवा होकर भी इतने दिन बीना मर्द कैसे रेह पाइ.. मुजे आपके ओर भाइके बीच रीलेशन होनेकी बात बताइअ‍ेनां..
 
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सांती : (सर उठाकर जागृतीकी आंखमे मुस्कुराते देखकर) हंम.. ये बात सच हे.. लेकीन ये सब बाते जानकर तुम क्या करेगी..? मत जानो सब.. फीर ना तुम रेह नही पाओगी.. ना मेह रेह पाउगी..

जागृती : (जुठमुठ नाराज होते दुसरी ओर मुह करते) जाओ.. मत बताओ मुजे.. मे आपकी कोन होती हु..

सांती : (चहेरा पकडकर अपनी ओर करते) अरे.. मेरी ननंदतो मुजसे नाराज होगइ..? हें..हें..हें.. ठीक हे.. चल इधर आजा मे आज तुजे सबकुछ बता देती हु.. फीर बाथरुममे जाकर वहा बैठी रहेना.. हें..हें..हें..

जागृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते) भाभी.. मजाक नही.. प्लीज बताइअ‍ेना..

सांती : (मुस्कुराते जागृतीको बाहोमे भरते) हंम.. सुन.. जब मे विधवा होकर आइ तब प्यार करनेका बहुत मन करता था.. लेकीन क्या करती..? बस.. बाथरुममे जाकर अपनी उंगलीसे हीलाकर अपने आपको सांत करती.. भले ही मेरा पती जैसा भी था.. वो मुजे संतुस्ट नही करपाता था लेकीन मुजे प्यार करता था.. उनके गुजर जानेके बाद मुजेभी अ‍ेक मर्दकी सख्त कमी महेसुस होने लगी.. लेकीन ये तनकी आग अ‍ैसे ही नही मीटती.. ओर ये आग इतनी बढ गइ की.. उसी वक्त मुजे कोइभी मर्द आकर चोदले.. मे उसे मना नही करती..

जागृती : (मुस्कुराते) तो क्या आप भाइके साथ सामनेसे गइ..?

सांती : (सरमाते मुस्कुराते) नही जागु.. तब मुजे नही पताथा की बंसीभी मुजे प्यार करने लगा हे.. क्युकी तब मे मेरी आगकी वजहसे हर दीन सजधजके रहेने लगी थी.. ताकी मे कीसी भी मर्दको अपनी ओर आकर्सीत कर सकु.. ओर उसीका नतीजा हे बंसी.. वो मुजे अ‍ैसे ही सज सवरके देखते प्यार करने लगे थे.. लेकीन बडे भाइके डरकी वजहसे मुजसे अपना प्यार जतानेकी हीमत नही करपाये.. बस.. वो मुजे देखते ही रहेते थे.. हें..हें..हें..

फीर तो मेभी उनकी नजरोको पहेचान चुकी थी.. तो उनको मेरी ओर आकर्सीत करनेके लीये उनसे हस हसके बाते करने लगी.. धीरे धीरे हम दोनो ही हर तराहकी खुलके बाते करते आगे बढने लगे.. ओर बाते अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करने तक चली गइ.. बंसी मुजे बहुत अच्छा लगने लगा..

फीरतो हम दोनो अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया करने अ‍ेक दुसरेके अंगोको छुने लगे.. ओर बंसी मेरी मस्तीया करते यहा वहा छु लेता.. कभी मेरा नीतंब दबा लेता तो कभी मेरा उरोज छु लेता.. तब मुजे बहुत ही अच्छा लगता.. सायद मे भी मन ही मन बंसीको चाहने लगी थी..

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जागृती : (हसते) अच्छा.. तो फीर भाइने प्यारकी सुरुआत की..

सांती : नही जागु.. हम दोनो बाते करके खुल गये थे.. अ‍ेक दिन मे उनको छेडकर भागने लगी तब उसने मुजे पीछेसे पकडकर दबोच लीया.. ओर मेरे दोनो उरोज उनके हाथमे थे.. ओर वो धीरेसे मसलने लगा.. तब मे उनसे जोरोसे हसते छुटनेकी कोसीस कर रही थी.. तब मे ओर बंसी बहुत ही उतेजीत हो चुके थे.. ओर मेने हसते हुअ‍े बंसीसे हार मानली ओर मेने उनसे छुटनेकी कोसीस छोडदी.. तब वो हुआ जो मे दिलसे चाहती थी..

जागृती : (हसते) भाभी.. बताइअ‍ेना क्या हुआ..

सांती : (सर्मसार होते मुस्कुराते) जागु.. तभी अचानक बंसीने मुजे पलटकर बाहोमे भीच लीया.. ओर आइ लव यु कहेते मेरे होठोको चुमलीया.. ओर मुजे छोड दीया.. तब मे बहुत ही सर्मसार होगइ थी.. ओर सरमाकर हसते हुअ‍े अपने रुममे भाग गइ.. बस.. यहीसे प्यारकी सुरुआत होगइ..

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बस.. उसी रात सबलोग सो गये तो देर रात बंसी हीमत करके मेरे कमरेमे घुस आये.. तब मे भी सो रही थी.. तो दरवाजा खुलनेकी आहट सुनकर जाग गइ.. देखातो बंसी दरवाजा बंध कर रहेथे.. तो मे जटसे बेडपे बैठ गइ.. ओर सरमाते थोडी गभराने लगी.. तबतक बंसी मेरे पास आचुके थे.. ओर मुजे कंधेसे पकडकर सीधेही मेरे होठोको चुमने लगे..

जागृती : (धीरेसे हसते) क्या..? डायरेक्ट अ‍ेटेक.. हें..हें..हें..

सांती : (सरमाकर हसते) हां.. ओर होठोको चुमते मेरे उरोजोको मसलने लगे.. तब मेरी आग ओर भडक गइ.. मे उनसे सरमाते हसते हुअ‍े ना नुकुर करते बचने की कोसीस करने लगी.. लेकीन दिलके अ‍ेक कोनेमे अ‍ैसा लगता था की बंसी आज मुजे पुरी तराह मसलदे.. वो सबकुछ करले जो मे कइ दिनोसे चाहती थी.. फीर भी हम हेतो अ‍ेक ओरत.. मे सीर्फ दिखावेके लीये विरोध कर रही थी.. लेकीन बंसी मेरी कामुक नजरोको पहेचान गया.. ओर उसने आगे बढनेकी ठानली..

जागृती : (हसते) अच्छा.. भाइ आपके साथ जबरदस्ती करने लगे.. फीर..

सांती : (सरमाते धीरेसे) फीर क्या.. मे उसे रोकती उनसे पहेलेही मेरा गाउन खीचकर फाडके नीकाल दीया दीया.. ओर मुजे पुरी नंगी करदी.. फीर मुजे धका मारकर बेडपे लीटा दीया.. मे फीरसे खडी होपाउ उनसे पहेलेही अपना हथीयार पेन्ट नीचे करके नीकाल दीया.. ओ बापरे.. मेने पहेली बार इतना बढा हथीयार देखा..

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इतना तो मेरे पतीका भी नही था.. ओर मे कुछ समज पाउ उनसे पहेले ही वो मेरे उपर चड गये.. उनका बडा हथीयार मेरी मुनीयाके उपर ठोकर मारने लगा.. ओर वो मेरे होठोको ओर मेरे दुधुको जबरदस्तीसे चुमने लगे.. तुजे तो पता हे.. मे इतने दिनोसे बीना मर्दके आगसे जल रही थी.. तो मेरी मुनीया भी पानी बहाने लगी..

जागृती : (हसते) मुनीया मतलब..? क्या आपकी चुतसे हेनां..? हें..हें..हें..

सांती : (हसते) छी.. कीतना गंदा बोलती हे.. हां वोही चु..त.. हें..हें..हें.. सुन.. मे लगातार बंसीको अपने बुआ भतीजेके रीस्तेका वास्ता देते उनसे छुटनेकी कोसीस करती रही.. ओर मे कुछ समजु इनसे पहेलेकी मेरे होठोको चुमते उसने अपना बडा हथीयार मेरी चुतमे घुसा दीया.. तभी मेरी जोरोकी चीख नीकल गइ.. ओर बंसीके मुहमेही दब गइ.. वरना उस दिन मेरी चीख सुनकर सबलोग जाग जाते ओर बंसी जरुर पकडे जाते..

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जागृती : (हसते) फीर..?

सांती : (हसते) फीर क्या.. फीरतो मे बंसके नीचे लेटी थी ओर आपका भाइ मुजे धनाधन कमर हीलाते चोदने लगे.. ओर मे उनसे छुटनेकी कोसीस करते छटपटाती रही.. क्युकी नीचे बहुत जलन हो रही थी.. मैने इतना बडा हथीयार पहेली बार मेरी चुतमे लीया था.. तब उस दिन पता चला असली चुदाइ क्या होती हे.. फीर तो मुजेभी मजा आने लगा.. ओर मेने उनसे छुटनेकी कोसीस छोडदी.. ओर बंसीका साथ देने लगी.. उस रात आपके भाइने बडीही बेहरेहमीसे मुजे चोद लीया..

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जागृती : (सरमाकर हसते धीरेसे होठ चुमते) भाभी.. मस्त स्टोरी हे आपकी.. फीर..?

सांती : (सरमाकर हसते) फीर क्या.. बंसी मुजे भी दो बार जडाके खुद भी मेरी चुतमे जड गये.. ओर मेरे सीनेपे सर रखके ढेर होगये.. तब मेभी पुरी तराह चुदवाकर टुट चुकी थी.. क्युकी मे बंसीसे पहेली बार चुदवाकर दो दो बार जडी थी.. फीरतो हीलने की स्थीतीमे भी नही थी..

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जागु.. सच कहु..? मुजे अ‍ैसा लगा की उस रात मेने पहेली बार सुहागरात मनाइ हो.. बंसीने मुजे पुरी तराहसे तृप्त करदीया था.. मेरी चुतमे इतना पानी पहेली बार गया था.. जब हम दोनो जड गये तब मेने भी बंसीको कसके बाहोमे भीच लीया था..

जागृती : भाभी.. भाइने अ‍ैसे जबर दस्तीसे क्यु कीया..? येतो बलात्कार हुआ.. वो प्यारका इजहार तो कर चुके थे.. तो दोनो अ‍ेक दुसरेकी सहमतीसे भी ये सब कर सकते थे..

सांती : हां जागु.. उसने भले ही मेरे साथ जबरदस्ती की.. लेकीन इसमे मेरी भी मुक रजामंदी थी.. फीर खडे होकर वो मुजसे बार बार अपने प्यारका इजहार करने लगे.. ओर मे रोती रही.. उसने मेरे साथ सादी करके जींदगीभर साथ नीभानेकी कसम खाइ.. ओर इस बारेमे कीसीको ना कहेनेकी कसम देकर चले गये.. फीर कुछ देरके बाद मे जब बेडसे उठी तो नही उठपाइ.. जैसे पहेली बार मेरा कौमार्य भंग हुआ हो.. मेरे बेडपे खुनके धब्बेके साथ हम दोनोका कामरस भी था..

जागृती : (आस्चर्यसे) भाभी.. तो फीर क्या आप तब भी वर्जीन थी..?

सांती : (सरमाकर मुस्कुराते) पता नही जागु.. बस.. अ‍ेकतो मे इतने दिनोसे बीना मर्दके जींदगी बीता रही थी.. ओर दुसरा.. मेरे पहेले वाले पतीसे बंसीका हथीयार बहुत बडा था.. उसी दिन मुजे पता चलाकी मर्दका हथीयार इतना भी बडा हो सकता हे.. बस.. तबसे मेरे तनकी आग ओर भडकने लगी..

मुजे पता था.. वो मुजसे बहुत प्यार करते थे.. लेकीन उनका प्यार जतानेका तरीका गलत था.. मुजे अपना प्यारतो जता चुके थे.. अगर मुजसे मीलन करनेकी बात कहेते तो मेउसेकभी मना नही करती.. फीर तो बंसी भी मुजसे नजरे चुराने लगे.. ओर मेभी उनको जान बुजकर इग्नोर करने लगी..

जागृती : (मुस्कुराते) तो फीर आप दोनो दुबारा कब मीले..?

सांती : हां.. आगे सुनो.. जब भी हम अकेले मीलते मुजे मनानेकी कोसीस करते.. ओर अपने प्यारका इजहार करते.. ओर मुजे भी अ‍ेक बंसी जैसे मर्दके सहारेकी सख्त जरुरत थी.. मे उनको कुछ दिन मेरे प्यारमे तडपते देखना चाहती थी.. ओर आखीर मेने आपके भाइका प्यार कबुल करलीया.. बस.. उसी रात फीर हम दोनो अ‍ेक दुसरेकी सहमतीसे मील गये.. उस रात बंसीने मुजे दो बार चोदलीया..

जागृती :(धीरेसे मुस्कुराते) भाभी.. अब तो हर रात दोनो मीलते हेनां..?

सांती : (सरमाते हसते) हां जागु.. उस रात दो बार मीलनेके बाद फीर तो ये सीलसीला चलता गया.. हम दोनो हप्तेमे दो बार उनके या मेरे रुममे देर रात मीलने लगे.. हप्तेमे दोसे तीन दिन.. फीर यही करते हम हर रात मीलने लगे.. ओर आज भी ये सीलसीला जारी हे.. मेने अब आपके भाइको अपने पतीके रुपमे अ‍ेक्सेप्ट करलीया हे.. तो यही हे मेरे ओर आपके भाइकी प्रेम कहानी.. हें..हें..हें..
 
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जागुती : (सरमाते गाल चुमते) भाभी.. बहुत मस्त स्टोरी हे आपकी.. आइ लव यु..

सांती : (सरमाते धीरेसे) हंम.. मेरी प्यारी ननंद.. अब आइ लव यु मुजे नही.. कीसी ओर लडकेको कहीये.. हें..हें..हें..

जागृती : (सरमाते हसते) क्या भाभी.. मुजेतो बहुत सरम आती हे.. सबलोग आपकी तराह नसीब वाली थोडीना होती हे.. जो बंसीभाइ जैसे लडकेको पा लेती हे.. क्या भाइका हथीयार वाकइ बहुत बडा हे..? पता नही मेरे नसीबमे कैसा लडका होगा..

सांती : (अ‍ेक नजरसे देखते) हां.. उनका बहुत बडा हे..

कहेते सांती प्यारसे अ‍ेक नजरसे जागृतीको देखती रही.. फीर अचानक ही जागृतीके होठोपे होठ रख दीया.. ओर उनके उरोजोको थामकर उसे चुमने लगी.. तो जागृतीभी थोडी देरके लीये सख्तेमे आगइ.. ओर वोभी उतेजीत होकर सांतीका होठ चुमते उनका साथ देने लगी.. तब सांतीने जागृतीकी चुतपे हाथ रखदीया ओर उसे सहेलाने लगी.. तो जागृतीका नीकर बंसी सांतीकी लव स्टोरी सुनकर बहुत गीला हो चुका था..

सांती : (कामुक नजरोसे चुत सहेलाते) जागु.. येतो बहुत गीली होगइ हे.. क्या बंसीकी बात सुनकर गीली हो गइनां..? अ‍ेक बात कहु.. बनजा मेरी छोटी बहेन.. बंसी हम दोनोको जींदगी भर खुस रख सकता हे.. मे उनकी क्षमता अच्छी तराह जानती हु.. करले अपने भाइ बंसीसे सादी.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

जागृती : (सीसकारीया करते सरमाते) सीसस... भा..भी.. प्ली..ज.. वो.. भाइ हे मेरा.. मे कैसे.. सादी कर सकती हु..? आइइइ.. भाभी.. धीरेसे करोनां.. बहुत मजा आता हे.. आपने तो मुजेभी गरम करदीया..

सांती : (जागृतीकी चुतमे उगली घुसाते हीलाते) जागु.. भाइ हेतो क्या हुआ..? हंम..? मेभी तो उनकी बुआ थी.. फीर भी उसने मुजे चोदलीया.. ओर अब हर रात अ‍ेक बीवीकी तराह मेरी चुदाइ करता हे.. ओर मुजे चोद चोदके थका देता हे.. ओर वैसे भी आज कल गांवमे तो सभी लडके अपनी बहेनको प्यार करते हे.. ओर उनके साथ चुदाइ करते हे.. तो फीर तुजे क्या प्रोबलेम हे..? हंम..? करले अपने भाइसे सादी.. बंसीको अकेला जेलना मेरे बसका नही हे.. हम दोनो साथमे मीलकर उनसे चुदवायेगी.. क्या मस्त चुदाइ करता हे..

जागृती : (सर्मसार होते धीरेसे होठ चुमते) भाभी.. आपही उनसे चुदवाओ.. मुजे भाइसे नही चुदवाना.. कीसीको पता चलतो..? अगर सबको पता चल गयानां.. तो हमारी बदनामी होगी..

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सांती : (जोरोसे उंगली हीलाते) अरे नही होगी बदनामी.. कीसीको कुछ पता नही चलेगा.. कमीनी.. ज्यादा नखरे मत कर.. मेरे अलावा कीसीको पता नही चलेगा.. मे सामनेसे केह रही हुनां.. इनसे अच्छा मौका तुजे ओर कही नही मीलेगा.. वरना मे मेरी तराह तेरा भी बंसीसे बलात्कार करवा दुगी.. हें..हें..हें..

जागृती : (कामुक्तासे सीसकारीया करते) भाभी.. धीरेसे करयेनां.. बहुत मजा आता हे.. अगर बदनामीका डर नही होता.. तो.. मेने.. आपसे.. पहेले.. भाइसे.. चुदवालीया.. होता.. भाभी.. मेने कइ बार आप दोनोकी चुदाइ देखी हे.. भाइ बहुत मस्त आपकी चुदाइ करता हे.. हें..हें..हें..

सांती : (होंठ चुमते खडी होते) जागु.. तो फीर क्या प्रोबलेम हे.. तुम भी आजा.. अभी भी कुछ नही बीगडा.. अ‍ेक बार चुदवाले बंसीसे.. जब अ‍ेक बार उनका लंड अपनी चुतमे ले लेगीनां.. फीर मेरी तराह तुम भी उनकी दिवानी होजायेगी..

कहेते सांतीने फटाफट जागृतीके ओर खुदके भी सब कपडे नीकाल दीये.. ओर जागृतीके उपर चड गइ.. ओर उनके होठोको चुमते फीरसे अ‍ेक उंगली जागृतीकी चुतमे घुसा देती हे.. ओर बहुतही कामुक तरीकेसे जागृतीकी चुतमे जोरोसे उगली अंदर बहार करने लगी.. तब सांतीके साथ जागृती भी अपना सब होस गवा चुकी थी.. ओर आधी आंख चडाकर पुरी तराह मदहोस होते ना जाने दोनो क्या क्या बडबडा रही थी.. आज दोनो पहेली बार साथमे लेस्बीयनका खेल खेल रही थी..

जागुती चदर पकडकर छटपटाते अपनी कमर उछाल रही.. तब मनमे बहुत खुस हो रही थी.. क्युकी जीस बातके लीये उनको डर था वोही बात आज सांती उनको सामनेसे केह रही थी.. ओर कुछही देरमे सांतीने जागृतीको जडा दीया.. तब जागृतीने धडाम करते अपनी कमरको बेडपे पटक दीया.. ओर अपनी सांस दुरस्त करते सांतीकी ओर देखते सरमाकर मुस्मुराती रही.. ओर कुछ ही देरमे दोनो सांत होगइ तब..

जागृती : (सर्मसार होते कामुक स्माइल करते धीरेसे) भाभी.. आज आपको क्या हो गया था..? आप कैसी कैसी बाते कर रही थी..? मुजेतो बहुत सरम आ रही थी..

सांती : (मुस्कुराते) क्यु..? मुजे आज मेरी प्यारीसी ननंदपे बहुत प्यार आ रहा था.. क्यु तुजे मजा नही आया..? हंम..? जागु.. मेने जोभी बात तुमसे कही हे.. उनपे गौर करना.. मे तुजे अपनी ननंद नही.. मेरी छोटी बहेन बनाना चाहती हु.. करले मेरे बंसीसे सादी.. हम दोनोही अ‍ेकही बीस्तरमे मजा करेगी..

जागृती : (सर्मसार होते धीरेसे नजरे चुराते) भाभी.. प्लीज.. मत करीये अ‍ैसी बाते.. ये पोसीबल नही हे.. मुजे मम्मीकी नही पर पापाकी इजतका खयाल आता हे.. वरना मे आपकी सब बाते मान लेती.. पता नही उनको कोनसी बीमारी हे.. हम उसे पुछ भी तो नही सकते.. ओर इस कमीनी मम्मी इनपे ध्यान भी तो नही देती.. ओर बहार रमेश भाइसे चुदवाती रहेती हे..

सांती : (सामने देखकर धीरेसे) जागु.. अभी इस वक्त जोभी हो रहा हेनां..? मुजे बहुत कुछ आंकाये होने लगी हे.. हो सकता हे आगे जाकर सीर्फ हम दोनोको ही इस घरको सम्हालना पडे..

जागृती : (कुछ सोचते धीरेसे) भाभी.. मुजे भी अ‍ैसा ही लगता हे.. उन दोनोकी बातोसे लग रहा हे अभी वो आपकी ओर भाइकी सादीका इन्तजार कर रहे हे.. सादी होते ही वो दोनो भाग जायेगे.. तब हमे ही इस घरको सम्हालना पडेगा..

सांती : (गाल सहेलाते) जागु.. इसीलीये मे तुमसे केह रही हु.. बनजा मेरी सौतन.. हम दोनो इस घरको सम्हाल लेगे.. मुजे तेरा साथ चाहीये..

जागृती : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) भाभी.. आप तो मेरे पीछे ही पड गइ हे.. ठीक हे.. मुजे आपकी सादी तब सोचनेका वक्त दीजीये.. तबतक आप दोनो अपनी सुहागरात ओर हनीमुन अच्छेसे मनालो.. अगर सीचुअ‍ेशन कुछ अ‍ैसी हुइ.. तो मे आपकी बात मान लुगी.. लेकीन अभी इस बारेमे कीसीको कुछ मत कहेना.. खास करके भाइको.. समज गइनां..? वरना वोतो अभीसे मेरे पीछे पड जायेगे.. हें..हें..हें..

सांती : (खुसीके मारे हग करते) ओह.. जागु.. थेन्क्यु.. थेन्क्यु वेरी मच.. बस.. यही होगा जो तुम चाहती हो.. ठीक हे.. मे अभी इस बातका जीक्र कीसीसे नही करुगी.. बस..?

दोनोही बाते कर रही थी.. तभी घरमे सामत ओर रमेश आजाते हे.. दोनोकी आवाज सुनते ही जया खुस होते अपने रुमसे बहार नीकल जाती हे.. ओर रमेशकी ओर कातील नजरोसे देखकर मुस्कुराने लगती हे.. फीर उनको बैठनेके लीये कहेते उनके लीये पानी लेने कीचनमे चली गइ.. तब सांती ओर जागृती भी उनकी आवाज सुनकर चौकनी होजाती हे.. ओर अ‍ेक दुसरेके सामने देखते जटसे खडी होकर अपने अपने कपडे फटाफट पहेनकर बहार नीकल जाती हे.. तभी....

कन्टीन्यु
 
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