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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २४३

फीर साहील सबानाको लेकर वहासे नीकल जाता हे.. तो जरीना दोनोको जाते हुअ‍े देखती हे.. ओर मनमे खुस होती हेकी दोनोकी जोडी कीतनी सुंदर लग रही हे.. तब उसे सलमाकी कही अ‍ेक अ‍ेक बाते याद आने लगती हे.. तो दुसरी ओर साहील सबानाको स्कुटरके पीछे बीठाकर लेजाने लगा.. तो सबाना बहुत ही सरमा रही थी.. वो साहीलके पीछे उनके कंधेपे हाथ रखकर बैठी थी.. जैसे उनकी गर्लफ्रेन्ड हो.. फीर दोनो लखनके घरपे आगये.... अब आगे

तो दुसरी ओर जैसे ही साहील घरसे गया.. लखन सीधाही उपर सृतीके पास चला गया.. ओर उनको गले मीलकर होठोको चुम लेता हे.. तो सृती भी सरमाके हसने लगी.. लखन उनके पास सटकर बैठ गया.. ओर सृतीकी कमरपे हाथ डालकर उनके गालको चुमने लगा.. तो सृती लखनकी ओर देखते हसने लगी.. ओर उसने लखनको पुछ ही लीया..

सृती : (सरमाते धीरेसे) कहीये जनाब.. आज तो इस बहेनपे बहुत प्यार आ रहा हे..? ओर तो ओर.. आज तो बीन बुलाये इधर आगये..? जरुर कुछ काम होगा.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) क्या दीदी.. मे अ‍ैसे नही आ सकता क्या..?

सृती : (मुस्कुराते) बीलकुल आ सकते हो.. लेकीन आप अ‍ैसे तो आते नही.. आप तब ही आते हे मे या फीर रजीया आपको बुलाती हे.. या जब मुजे अंदर बाथरुममे जाना होता हे.. वरना अ‍ैसे तो कभी नही आते.. वैसे भी अब तो हम बोय फ्रेन्ड गर्ल फ्रेन्ड हो गये हे.. तो फीर क्या दीकत हे..?

लखन : (मुस्कुराते हग करते) सोरी डार्लींग.. अब अ‍ैसे ही आया करुगा.. लेकीन याद रखना.. बादमे मुजे भगा मत देनां.. समजी..? बात करती हे.. हें..हें..हें..

सृती : (अपने सीनेपे हाथ रखते) हाये.. आपके मुहसे डार्लींग सुनने केलीये कीतना तरस रही थी.. सुनकर बहुत अच्छा लगा.. हां भाइ.. मुजे अ‍ैसे ही बुलाया करो.. अच्छा लगता हे.. कहीये.. क्या काम था..

लखन : (हसते) हां.. दीदी.. वो अभी साहील ओर सबाना हमारे घरपे आ रहे हे.. तो आप उनसे बेंगलोरके बारेमे थोडी बात कर लेना.. क्युकी इसी बहाने वो सबानाको लेकर इधर आ रहा हे.. दीदी.. दोनोके बीच मामला आगे बढना हे.. ओर इसमे मुजे आपकी मदद चाहीये.. फीर दोनोको चाइ बाय पीलाकर घुमनेके लीये भेज देगे.. आप समज गइनां..?

सृती : (हसते) हंम.. समज गइ.. मे इतनी भी भोली नही हु.. तो हमारे देवर अपनी मासुकाको मीलने आये हे.. कोइ बात नही.. मे उनसे बात करलुगी.. लेकीन अ‍ेक सर्तपे.. वरना सबानाको सब कुछ सच बता दुगी..

लखन : (आस्चर्यसे देखते) अरे..? पागल होगइ हो क्या..? कहो.. कोनसी सर्त हे.. अब आप भी मुजे ब्लेक मेइल करने लगी हो.. मे भी आपको देख लुगा..

सृती : (मुस्कुराते गाल चुमते) हाये.. आप कब देखेगे हमे..? देखते ही नही.. हम तो दीखानेके लीये तरस रहे हे.. हें..हें..हें.. सुनो.. पहेले तो आपको अ‍ैसे ही मुजे मीलनेके लीये आना पडेगा.. ओर दुसरा.. कल अ‍ेक हप्ता होजायेगा.. तो कल हमे दिखानेके लीये होस्पीटल भी जाना हे.. तो आप मेरे साथ चलोगे.. बस..

लखन : (मुस्कुराते) बस..? सीर्फ इतनीसी बात..? ठीक हे डन.. मुजे आपकी सर्त मंजुर हे.. लेकीन पहेले ये बताओ.. आप मुजे क्या दीखानेके लीये तरस रही हो.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते पीठमे अ‍ेक मुका मारते) भाइ.. आप कीतने कमीने हो.. मे तो बस.. अ‍ैसे ही केह रही थी.. भाइ.. अब यहा अकेली बैठे बेठे बहुत बोर हो रही हु.. कमसे कम हाथका प्लास्टर नीकल जायेतो मे क्लीनीकपे चली जाउगी.. आप मुजे छोडने लेने आजाना.. कमसे कम वहा टाइम तो नीकल जायेगा..

लखन : (हसते) दीदी.. तो फीर वहा आपको बाथरुम जानेके लीये प्रोबलेम नही होगी..?

सृती : (मुस्कुराते गाल चुमते) होगी.. बहुत होगी.. क्या करु..? मेरे बोयफ्रेन्डको तो मेरे लीये टाइम ही नही हे.. तो बोर हो जाती हु.. फीर मेरा होनेवाला पती भी कीस दिन काम आयेगा.. मे आपको वही रोक लुगी.. हम दोनो साथमे टाइम भी स्पेन्ड करेगे ओर मे क्लीनीक भी संभालुगी.. वैसे भी आपका बीजनेसतो फोनपे ही होता हे.. तो वहीसे करलीजीयेगा..

लखन : (मुस्कुराते) हमं.. मतलब अब मुजे मेरी होने वाली बीवीकी फुल टाइम सेवा करनी पडेगी.. ठीक हे.. मे देख लुगा.. ओर मुजे वसुल करना भी आता हे.. तो वसुल भी करलुगा.. हें..हें..हें..

सृती : (सरमसे पानी पानी होते धीरेसे मुस्कुराते) हां.. पता हे मुजे आप कैसे वसुल करोगे.. इस बार मे आपके जासेमे आनेवाली नही हु.. समजे..? अगर कुछ गलत सोच रहे होतो दिमागसे नीकाल देनां.. गंदा लडका.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते) क्यु..? मेरी गर्लफ्रेन्ड हो.. होने वाली बीवी हो.. मे कुछ भी करु.. इनसे आपका क्या तालुक..? ओर मे अब मेरी बीवीसे थोडीना कुछ करुगा.. अब जो भी करना हे मे मेरी बहेनके साथ करुगा.. क्युकी मेरी बहेने मेरी सबसे पहेली चाहत हे.. ओर मे उनको बहुत प्यार करता हु.. समजी..?

सृती : (सरमसे लीपट जाती हे) अच्छाजी..? भाइ.. बातोमे आपको कोइ हरा नही सकता.. ठीक हे.. करलीजीयेगा अपनी बहेनसे प्यार.. भाइ.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच.. मे आपसे सचमे बहुत..बहुत..बहुत.. प्यार करती हु.. मुजे कभी छोडीयेगा मत.. वरना अब मे जी नही पाउगी..

लखन : (सृतीके मुहपे हाथ रखते) दीदी.. अ‍ैसा मत बोलो.. आइ लव यु टु.. पुनोदीदीकी तराह मे भी आपसे बहुत प्यार करता हु.. आजसे तुम दोनोके सारे गम मेरे.. आप दोनोको में इतना खुस रखुगाकी आप सोच भी नही सकती.. आइ लव यु सो मच..

सृती : (जोरोसे बाहोमे भीचते) बस भाइ.. यही प्यार चाहीये मुजे.. अब आपको कभी सीकायतका मौका नही मीलेगा.. आइ प्रोमीस..

कहेते सृती लखनके चहेरेको चुमने लगती हे.. तो लखन उनके चहेरेको थाम लेता हे.. ओर सृतीके होठोको चुमने लगता हे तो सृती भी खुलकर लखनका साथ देने लगती हे.. लखन सृतीके होठोको चुमते पागल होने लगा.. ओर अ‍ेक हाथसे सृतीके बुब्सको थाम लेता हे.. तो सृती सरसे पांव तक कांप गइ.. ओर वो भी उतेजीत होते अपना मुह खोलकर लखनकी जीभसे जीभ मीलाकर पेच लडाने लगी..

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dilavar

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लखन : (जटसे अलग होते) बस दीदी.. वरना मे बहेक जाउगा.. तो फीरसे गलत होजायेगा..

सृती : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. होजानेदो.. अब मुजे कीसीकी परवा नही.. अब मेरी मंजील सीर्फ आप ही हो.. अब इस तनपे सीर्फ आपही का अधीकार हे.. भाइ.. मुजे प्यार चाहीये.. वो भी आपसे.. तो मुजसे डरो मत.. अब ये बहेन सीर्फ आपकी हे.. आज जो करोगे मुजे मंजुर हे.. हम दोनोके बीच मीटादो सारी दुरीया.. पार करलो सारी हदे.. मे बीलकुल रेडी हु..

लखन : (मुस्कुराते) दीदी.. वो भी दिन बहुन जल्द आयेगा.. बस.. मुजे अ‍ेक खास मौकेका इन्तजार हे.. जो बुहत जल्द मीलेगा.. ओर वो आपके लीये सरप्राइज होगा.. उस दिन आपकी हर इच्छा पुरी होजायेगी..

सृती : (मनमे खुस होते) सच..? भाइ.. मे उस दिनका बेसब्रीसे इन्तजार करुगी.. पता नही वो दिन कब आयेगा.. भाइ.. मेरी बहुत सारी इच्छाये हे.. उस दिन आप पुरी करदेना.. लेकीन वो कौनसा दिन हे..? ये तो बताइअ‍े.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) हे.. वो खास दिन.. लेकीन कहाना आपके लीये सरप्राइज हे.. तब आपकी सब वीस पुरी कर दुगा..

तभी नीचे कुछ आहट सुनाइदी.. तो लखन ओर सृती दोनो जटसे अलग होगये.. ओर सही बैठते दोनोने अपने कपडे ओर बाल हाथोसे सही करलीये.. तभी उनके रुममे साहील ओर सबाना आगये.. तो सबानाने आतेही सृतीके पैर छुलीये.. तो सृतीने उसे हाथ पकडकर अपने पास बीठा दीया.. तो साहीलने भी सृतीका हालचाल पुछ लीया.. तो सृतीने लखन ओर साहीलकी ओर देखते कहा..

सृती : (मुस्कुराते) अब दोनो फुटो यहासे.. मुजे मेरी बहेनसे कुछ प्राइवेट बात करनी हे.. हें..हें..हें..

लखन : अरे..? तो हमे कौनसा आपकी बातोमे चोच लडानी हे.. आप हमारे सामने बात कीजीयेनां..

सृती : (जुठे गुस्सेसे तकीया मारते) नही.. मतलब नही.. कीतने कमीने हो आप..? चलो.. दोनो फुटो यहासे.. अगर आना हे तो थोडी देरके बाद आइअ‍ेगा..

लखन : (साहीलको लेजाते धीरेसे) चल साहील यहासे.. इनको तो मे बादमे देख लुगा..

सृती : (जोरोसे) क्या कहा आपने..? ठहेरो.. कमीने कहीके..

कहातो सबाना दोनोकी ओर देखते जोरोसे हसने लगी.. जब सृती इनकी ओर देखते हसने लगी तो सबाना सरमा गइ.. जब दोनो नीचे चले गये.. तो नीचे जाते ही लखनने रजीयाको दोनोके लीये चाइ बनानेको कहा.. तभी उपरकी ओर सृती सबानाके चहेरेपे प्यारसे हाथ फेरने लगी.. तो सबाना ओर सर्मसार होने लगी.. तभी सृतीने बातोका दौर सुरु करदीया..

सृती : (मुस्कुराते) सबाना.. इस ड्रेसमे तुम बहुत मस्त लग रही हो.. बीलकुल अ‍ेक परीकी तराह.. कहासे लीया ये ड्रेस..?

सबाना : (सरमाते हसते) दीदी.. ये वोही ड्रेस हे.. जीस दिन हम सब खरीदी करने गये थे.. भाइने ही दिलवाया था.. ये वोही ड्रेस हे..

सृती : (मुस्कुराते) लगता हे साहील भाइ आपको बहुत प्यार करते हे.. कहीये.. अ‍ेक्जाम खतम होगइ..? कैसे रहे सभी पेपर..?

सबाना : (सर्मसार होते मुस्कुराते) दीदी.. सब पेपर मस्त गये हे.. अब देखते हे रीजल्टमे क्या आता हे..

सृती : (मुस्कुराते) अरे तुम फीकर मत करो.. मुजे यकीन हे तुम्हारे अच्छे परसेन्ट आयेगे.. क्युकी तुमने बहुत महेनत की हे.. इतनी महेनत तो मेने भी नही कीथी.. हें..हें..हें..

सबाना : (हसते) दीदी.. तब तो आपके मुहमे घी सकर.. मुजे तो सीर्फ डोक्टर बनना हे.. फीर मे आपके साथ ही हमारे गांवमे काम करुगी.. तो मुजे आपका मार्गदर्शन भी मीलता रहेगा.. दीदी.. वहा बेंगलोरमे मुजे क्या करना हे ओर क्या नही करना वोभी बतादीजीये.. ताकी वहा कोइ तकलीफना हो..

सृती : (मुस्कुराते) हां.. वोही बात करनी थी तुमसे.. सुन.. वहा सीर्फ पढाइमे ध्यान देना.. क्युकी वहा बहुत सारे स्टुडन्ट होगे.. जो बोयस भी साथ होगे.. तो कभी कीसीके साथ प्यारके चकरमे मत पडना.. भले ही वो वहा डोक्टरका पढने आये हो.. लेकीन ज्यादातर लडके साले हरामी होते हे.. लडकीको प्यारके चकरमे फसाकर उनके साथ सीर्फ मजेही करेगे.. जब सादीकी बात आयेगी तो साले मुकर जायेगे..

सबाना : (गौरसे सुनते) दीदी.. क्या आपके साथ भी कुछ अ‍ैसा हुआ था..?

सृती : (मुस्कुराते) हां.. मे भी अ‍ेकके चकरमे फसी थी.. सोचा था दोनो डोक्टर होगे तो अ‍ेक दुसरेको समजेगे.. सादी करके साथमे जींदगी बीतायेगे.. लेकीन साला हर वक्त मेरी लेनेपे तुला हुआ था.. अच्छा हुआ मेने उनको अपनेसे दुर रखा.. वरना मेरी जींदगी बरबाद होजाथी..

सबाना : (गौरसे सुनते) तो फीर आप उनकी चुंगलसे कैसे नीकली..?

सृती : (मुस्कुराते) सबाना.. कमीनेका मेरे अलावा कइ लडकीयोके साथ उनका चकर था.. अच्छा हुआ वक्तपे मुजे सब पता चल गया.. मेरी अ‍ेक क्लासमेट कोतो प्रेगनेन्ट तक करदीया.. फीर उनसे सादीसे मुकर गया तो मेरी क्लासमेन्टने वही पंखेसे लटककर खुदकुसी करली.. ओर वो साला अभी भी जेलमे सड रहा हे.. तो तुम अपना पुरा खयाल रखना.. समजी..? क्या अभी कीसीसे प्यार करती हे..?

सबाना : (सर्मसार होते धीरेसे) नही दीदी.. मे अभी अ‍ेसे कोइ चकरमे नही फसी.. इसीलीये मेने डीसाइड करलीया हे.. की जहा मम्मी पापा कहेगे वही सादी करलुगी.. फीर लडका चाहे पढालीखा हो या नाहो.. बस.. पहेचान वाला होना चाहीये..

सृती : (मुस्कुराते) सही सोचा हे तुमने.. सुन.. अभी सीर्फ पढाइमे ध्यान लगा.. ये प्यार ब्यार सादी बादी तो सब होता रहेगा.. वैसे अनजान लडकेसे तो जान पहेचानके लडके बहेतर हे.. फीर चाहे वो रीस्तेमे कोइ भी क्यु ना हो.. अच्छा हुआ तेरी बहेनने तेरे बडे भाइसे सादी करली.. कमसे कम नजरके सामने तो रहेगी..

सबाना : (सरमाते धीरेसे सामने देखते) दीदी.. अ‍ेक बात पुछु..? क्या आपकी नजरमे ये सही हे..?

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सृती : (ममुस्कुराते) हां क्यु नही..? लखनके ज्यादातर दोस्तोने उनकी बहेनके साथ सादी करली हे.. ओर अब लखन भी पुनो दीदीसे सादी कर रहा हे.. क्युकी उनका अपने पतीके साथ डीवोर्स हो चुका हे.. तो मे इसे गलत भी नही मानती.. क्युकी अनजान लडकेसे कही ज्यादा बहेतर ओर प्यार करने वाला भाइ ही होता हे.. जीतना प्यार भाइ दे सकता हे उतना प्यार अनजान लडका नही दे सकता..
 
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सबाना : (कुछ सोचते धीरेसे) दीदी.. सायद आप सही केह रही हे.. आइ होप ये बात मेरे पापा जानते.. तो आज कादीरभाइ ओर सायरादीदी हमारे साथ होते..

सृती : (मुस्कुराते) वो भी मान जायेगे.. क्या तेरी मम्मीने इन दोनोको स्वीकार करलीया हे..?

सबाना : (सरमाते धीरेसे) हां दीदी.. क्युकी वो ओर बडी अम्मा खुद हमारे पापा ओर बडे अबुकी बहेने हे.. क्या चाचाकी लडकी बहेन नही होती..? खानदान तो अ‍ेक ही हेनां..? तो फीर सगे भाइ बहेनमे क्या प्रोबलेम हे..? मेरी मम्मीके साथ इस बारेमे बहुत चर्चा हुइ हे.. तो वो मान गइ..

सृती : (मुस्कुराते) हंम.. तो फीर तुमने क्या सोचा हे..? कीसी डोक्टरसे सादी करोगी या फीर घरके कोइ लडकेसे..?

सबाना : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) नही.. कोइ डोक्टरसे तो सादी नही करनी.. कोइ पहेचान वाले लडकेसे ही करलुगी.. जहा मम्मी पापा कहेगे..

सृती : (धीरेसे पासा फेंकते) हंम.. तो फीर तेरे साहील भाइके बारेमे तेरा क्या खयाल हे..? क्युकी साहील भाइ बहुत अच्छे लडके हे.. अ‍ेक बार उनके बारेमे सोच लेनां.. क्युकी वो तेरा बहुत खयाल रख रहे हे.. समजी..?

सबाना : (सरमसे पानी पानी होते धीरेस) जी.. दीदी.. मुजे आपसे कुछ कहेना हे.. प्रोमीस करो अभी ये बात आप कीसीको नही कहोगी.. लखन भैयाको भी नही..

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सृती : (मुस्कुराते) आइ प्रोमीस.. कीसीसे कुछ नही कहुगी.. बोल..

सबाना : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. जब आप लोग घरपे आयेथे.. तब बडी अम्मा ओर मम्मीके बीच इस बारेमे बात हुइ थी.. बडी अम्माने साहील भाइके लीये मेरा हाथ मांगा था.. तो मम्मीने मुजे सब बता दीया हे.. दोनो मेरा ओर साहील भाइका रीस्ता करवाना चाहते हे.. तो मम्मीने मेरी राइ पुछी..

सृती : (मनमे खुस होते मुस्कुराते) तो फीर तुमने क्या कहा..?

सबाना : (सर्मसार होते धीरेसे) दीदी.. मेने हा केह दीया हे.. मम्मीने इसीलीये मुजे साहील भाइके साथ भेजा हे.. कहेती थी अ‍ेक बार अकेलेमे मीलकर बात करले.. उनको अच्छेसे समजले.. इसीलीये मे इनके साथ आइ हु.. देखना इस बातका अभी साहील भाइको भी पता ना चले.. क्युकी मुजे लगता हे वो भी मन ही मन मुजे चाहने लगे हे.. मे सीचुअ‍ेशन देखकर इस बारेमे उनसे बात करलुगी..

सृती : (मनमे खुस होते) अरे वाह.. तब तो सोनेपे सुहागा.. ओर वैसे भी तुम लोगोमे भाइ बहेनके बीच सादीया तो होती ही हे.. तो फीर इसमे गलत भी क्या हे..? हें..हें..हें..

सबाना : (धीरेसे) नही दीदी.. भलेकी साहील भाइ मेरी बडी अम्माका लडका हो.. लेकीन बडी अम्माने उसे गोद लीया हे.. दरसल वो मेरे सगे भाइ हे.. ओर हमारेमे सगे भाइ बहेनमे सादी नही होती.. ओर मेरेसे बडे कादीरभाइ ओर मेरी बडी बहेन सायरा दीदीके बीच चकर था.. तो दोनोने घरसे भागकर नीकाह करलीया.. तबसे मेरे अबुने ओर मम्मीने उनसे रीस्ता तोड लीया हे.. तो इस बारेमे भी मुजे सोचना हे..

सृती : सबाना.. लेकीन अब साहील भाइको आपकी अम्माने गोद लीया हे.. तो अब वो आपके सगे भाइ नही रहे.. तो आप उनसे सादी कर सकते हो.. फीर भी अ‍ेक बार उनके बारेमे सोचना.. क्युकी लखन मुजे बता रहेथे की साहीलभाइ सचमे आपसे प्यार करने लगे हे.. ओर आज इसीलीये तो आपसे मीलनेके लीये आये हे.. बस.. अभी सीर्फ इतना देखना हे.. इस बातका आपकी पढाइमे कोइ तकलीफ ना हो..

सबाना : (सरमाते धीरेसे) नही दीदी.. इस बातकी फीकर मत कीजीये.. क्युकी साहील भाइका भी सपना हेकी मे डोक्टर बनु.. ओर मेरे दिलमे भी उनके लीये प्यार हे.. अगर उपर वालेने चाहा तो मे भाइसे ही सादी करुगी.. क्युकी इतना चाहने वाला लडका मुजे कहा मीलेगा..?

सृती : (खुस होते) सबाना.. बेस्ट ओफ लक.. क्युकी मुजे खुसी हुइकी तुमने साहील भाइको चुना हे.. सुन.. वो यहा सीर्फ तुमसे मीलनेके लीयेही आये हे.. तो वक्त जाहीर मत करो.. बेंगलोर जानेसे पहेले दोनो अच्छेसे घुमलो.. ओर हो सकेतो आज ही अपने प्यारका इजहार करलो.. तुम्हारे तीन साल युही गुजर जायेगे.. हें..हें..हें..

सबाना : (सरमाते मुस्कुराते) जी दीदी..

लखन : (साहीलके साथ अंदर आते) दीदी.. होगइ आपकी बाते..? तो फीर इन दोनोको जाना भी हे..

सृती : (मुस्कुराते) हां होगइ.. साहील भाइ.. लेजाइअ‍े अपनी बेगमको.. ओर इस अच्छेसे सहेर घुमाइअ‍े.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते सबानाको) चलीये भाभीजी.. वरना येतो आपसे बाते करती रहेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (जोरोसे तकीया मारते) कमीनो.. तुम दोनोने छुपकर हमारी बाते सुनली.. अभीसे भाभीजी..

कहातो सबाना सरमसे पानी पानी होगइ.. ओर मुस्कुराते बेडसे खडी होगइ.. फीर वो ओर साहील बहार जाने लगे तो लखनने सृतीकी ओर देखते आंख मारी.. ओर हसने लगा.. तो सृतीभी मुस्कुराते जुठा गुसा करते लखनको बडी आंख करते दीखाती हे.. ओर हसने लगती हे.. जैसे ही साहील सबाना बहार नीकल गये.. तो लखन जटसे आकर सृतीके होठोको चुमते थेन्क्स कहेता हे ओर बहार भाग जाता हे..

तो सृती भी सर्मसार होते हसने लगती हे.. फीर लखन दोनोको चाइ पीलाकर बहार छोडने जाता हे.. तो साहील लखनके स्कुटरपे सबानाको बीठाकर नीकल जाता हे.. तो आज सृतीके मुहसे बेगम.. ओर लखनके मुहसे भाभी.. सुनकर सबाना बहुत ही सर्मसार हो रही थी.. ओर वो साहीलको अपने पतीके रुपमे इमेजींग कर रही थी.. साहील सबानाको लेकर अ‍ेक पार्कमे चला जाता हे.. ओर दोनो अंदरकी ओर चल पडते हे.. तभी..
 
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साहील : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. तुम लखन ओर सृती भाभीकी बातका बुरा मत मानना.. वो हमारी मस्ती कर रहे थे..

सबाना : (साथ चलते मुस्कुराते) हंम.. पता हे मुजे.. मेने देखा तब आपके मनमे भी लडु फुट रहे थे.. हें..हें..हें.. भाइ.. मुजे आपसे कुछ बाते करनी हे.. क्या हम कीसी जगाहपे बैठे..?

साहील : (अ‍ेक बेंचकी ओर इसारा करते) हां.. ये खाली हे.. हम यही बैठते हे.. कहो.. क्या बात करनी हे..?

सबाना : (दोनो बेंचपे बैठते) भाइ.. क्या आज आप कादीर भाइसे मीलेथेनां..? क्या दोनो घर आनेके लीये राजी हो गये..? वो दोनो खुस तो हेनां..?

साहील : (मुस्कुराते) हां दीदी.. दोनो खुस हे.. ओर लखन भैयाने उनको समजाकर घर आनेके लीये मनालीया हे.. बस.. चाचा चाची गांव आजायेगे तब वो लोग घरपे रहेनेके लीये आजायेगे.. दीदी.. क्या तुम इस रीस्तेसे खुस हो..?

सबाना : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. पता नही.. की इस रीस्तेसे खुस होना चाहीयेकी नही.. उस दिन आप सबकी बात सुनकर दिलको अ‍ेक तसली मील गइकी चलो.. जो हुआ इनमे कोइ बुराइ नही हे.. अच्छा हुआ कमसे कम सायरा दीदी हमारी नजरोके सामने घरमे तो हे.. ओर दोनो खुस तो रहेगे.. भाइ.. आपने दिया हुआ गीफ्ट देखा मैने..

साहील : (मुस्कुराते) हमं.. दीदी.. कैसा लगा आपको..?

सबाना : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. सभी कपडे मस्त हे.. मेने वो पेन्डल भी खोलकर देखा.. इनमे हम दोनोकी तसवीर हे.. भाइ.. क्या मे पुछ सकती हु..? की इसमे हम दोनोकी तस्वीर क्यु लगाइ..? इसका मतलब क्या हे..?

साहील : (सकपकाते) दीदी.. वो.. वो.. में.. बस.. अ‍ैसे ही बनवा लीया.. ताकी आप मुजे डोक्टर बनकर भुलना जाये.. अगर आपको बुरा लगा तो सोरी.. तस्वीर नीकालकर फेंक देना..

सबाना : (सरमाते मुस्कुराते) हंम.. वो ती ठीक हे.. लेकीन क्या आपको लगता हे मे आपको भुल जाउगी..? भाइ.. उल्टा सीधा मत सोचो.. मानलो अ‍ेक पल पेडलसे वो तस्वीर नीकालकर फेंक भी दु.. लेकीन जो तस्वीर अब मेरे दिलमे हे.. उसे मे कैसे नीकालुगी..?

साहील : (सरमाते मुस्कुराते) क्या..? हें..हें..हें.. तो वहासे भी नीकालकर फेंकदेना.. अब आप डोक्टर बनने वाली हो.. तो इस अनपढ भाइकी तसवीर थोडीना रखोगी..

सबाना : (अ‍ेक नजरसे देखते आंख गीली करते) भाइ.. कीतने भोले हो आप..? कीतनी आसानीसे केह दियाकी मुजे दिलसे नीकाल दो.. लेकीन मे मेरे दिलको कैसे समजाउगी..? की मे मेरे भाइको बहुत प्यार करती हु.. भाइ.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच.. मे आपसे बहुत प्यार करने लगी हु.. भाइ.. कुदरत करे सृती भाभी ओर लखन भैयाकी बात सच होजाये..

साहील : (सोक्ट होते अ‍ेक नजरसे देखते) दीदी.. ये आप क्या केह रही हे..? उन्होनेतो मजाकमे कहा था.. क्या आपने उस बातको सीरीसली ले लीया..? क्या आप मुजे अ‍ेक्सेप्ट कर पाओगी..?

सबाना : (सरमाते आंसु पोछते हाथ थामते) नही भाइ.. वो कोइ मजाक नही था.. खुदाने उनके मुहसे सच बुलवाया हे.. ओर कीसने कहा मे आपको अ‍ेक्सेप्ट नही करुगी..? भाइ.. उस दिन आपकी आंखोमे मेने वो प्यार देखा था.. भाइ.. मेने तब ही आपको अ‍ेक्सेप्ट करलीया था..

आपको पता हे..? बडी अम्माने मेरा हाथ आपके लीये मांगा हे..? मम्मीने मुजे आपके साथ अ‍ैसे ही नही भेजा.. कहेती थी तु तेरे भाइको अच्छी ताह समजले.. मम्मीको हमारे रीस्तोसे कोइ अ‍ेतराज नही.. बस.. अभी अबुको इस बातका पता नही चलना चाहीये..

साहील : (आंख गीली करते) हां दीदी.. मे आपसे बहुत बहुत प्यार करता हु.. अपनी जानसे भी ज्यादा.. बस.. कादीर भाइ ओर सायरा दीदीकी वजहसे अपने दिलकी बात कहेनेसे डरता था.. ओर कुछ नही.. दीदी.. आइ लव यु सो मच..

सबाना : (साहीलके कंधेपे सर रखते) भाइ.. आइ लव यु टु.. भाइ.. पता हे..? आज सृती भाभीने भी मुजे आपके बारेमे सोचनेके लीये कहा हे.. लेकीन उनको क्या पता मे मेरे भाइको कबसे अपना दिल दे चुकी हु.. भाइ.. वादा करो.. जब मे चली जाउगी.. हप्तेमे कमसे कम तीन बार आप मुजसे फोनपे बात करेगे..

साहील : (मुस्कुराते) हां दीदी.. आइ प्रोमीस.. मे आपसे बात करुगा.. लेकीन आपको भी मुजे प्रोमीस करना पडेगाकी आप हमारा सपना पुरा करोगी.. ओर अपनी पढाइमे ध्यान दोगी.. वरना कही अ‍ैसा ना होकी प्यारके चकरमे पढाइ करना भुल जाओ.. हें..हें..हें..

सबाना : (मुस्कुराते) नही भाइ.. अ‍ैसा कुछ नही होगा.. आज मे बहुत खुस हुकी आप मेरे बारेमे इतना सोचते हे.. ठीक हे मे भी वादा करती हु.. अब आपकी सादी होगी तो डो. सबानाके साथ ही होगी.. मे वहासे डोक्टर बनके ही आउगी.. हें..हें..हें..

साहील : (खुस होते हाथ थामते) दीदी.. आपको पता ही नही आपने मेरा कीतना बडा सपना पुरा कर दीया..

सबाना : (हसते धीरेसे) भाइ मुजे सब पता हे आपका सपना क्या हे.. आपके सभी दोस्तोने अपनी बहेनसे सादी करली हेनां..? लखन भैया भी पुनम दीदीसे सादी कर रहे हे.. इनमे अ‍ेक आप ही बाकात थे.. जो अपनी बहेनसे सादी करना चाहते थे.. भाइ.. आइ प्रोमीस.. मे आपका ये सपना पुरा करुगी..

दोनो प्यार भरी बाते करते वहा थोडी देर बैठे रहे.. फीर साहील सबानाको अ‍ेक मोलमे सोपींग कराने ले गया.. वहा भी दो डड्ढेसके अलावा सबानाको अपनी पसंदका अंडर गारमेन्ट दीलवाया.. तो सबाना बहुत ही सरमाइ.. फीर दोनो आइसक्रिम पार्लर चले गये.. वहा अ‍ेक प्राइवेट केबानमे दोनोने आधे घंटे साथमे वक्त बीताया.. ओर मौका मीलते ही दोनोके होंठ मील गये..

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तो सबाना बहुत ही सरमाइ.. ये उनकी जींदगीका ये पहेला कीस था.. ओर वो भी उनके भाइके साथ.. सबाना उतेजीत होगइ.. ओर साहीलको खुलकर साथ देने लगी.. दोनो अ‍ेक दुसरेके मुहमे जीभसे पेच लडाते कीस करने लगे.. ओर साहीलने बहेकते सबानाके बुब्सपे हाथ रख दीया.. तो सबाना सरसे पांव तक कांप गइ.. ओर जटसे साहीलसे अलग होते सरमा गइ.. फीर साम होते ही साहील सबानाको उनके घरपे छोडने चला गया..

आज सबाना बहुत खुस नजर आ रही थी.. जीसे देखकर जरीना भी खुस होगइ.. फीर उसने साहीलकी अ‍ेक बेटेसे ज्यादा दामादकी तराह खातेदारी की.. फीर भी वो अ‍ेक ओरत थी.. जबसे कादीर इस घरको छोडके चला गया तबसे जरीना भी उन सुखसे वंचीत थी.. क्युकी उस दिनसे अपने पतीसे भी सेक्स लाइफ लगभग खतम हो चुकी थी.. तो जरीनाके अंदरकी ओरत फीर से अंगडाइ लेकर जागने लगी..

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उनकी नजर बार बार साहीलके पेन्टके उभारकी ओर जा रही थी.. क्युकी साहील भी उन दोस्तोमे सामील था.. जीसे मुनाने जडी बुटीका कोर्ष करवाया था.. तबसे सभी दोस्तोका हथीयार ज्यादातर खडाही रहेता था.. साहीलके पेन्टके उभारको देखकर जरीनाको अपने बेटे कादीरके साथ बीताये अ‍ेक अ‍ेक पलकी याद आने लगी.. ओर उनकी चुत पनीयाने लगी.. लेकीन साहील भी अपना ही खुन था.. खुदका बेटा..

तो जरीना बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर उसने साहीलके पेन्टसे नजर हटाली.. वो साहीलको सबानाके साथ बाते करनेका कहेकर चाइ बनानेका बहाना बनाकर कीचनमे चली गइ.. ओर साहील सबानाके कमरेमे चला गया.. तो सबाना साहीलके दिलवाये कपडे अपनी बेगमे पेक कर रही थी.. तो वो भी साहीलको देखकर सरमा गइ.. फीर उसने साहीलको अपने बेडपे बीठाया.. तब..
 
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dilavar

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साहील : (मुस्कुराते) दीदी.. क्या जानेकी तैयारीया कर रही हो..?

सबाना : (सरमाते मुस्कुराते) हां भाइ.. मे थोडा थोडा सामान पेक करलु.. ताकी जानेके वक्त कोइ जंजट नही.. भाइ.. अ‍ेक बात पुछु..? क्या आप अब भी मुजे दीदी कहोगे..?

साहील : (मुस्कुराते) हां.. भलेही हमारी सादी होजाये.. लेकीन मे आपको दीदी कहेना नही छोडुगा.. क्युकी मेरे सभी दोस्तोकी तराह मेरी भी कुछ फेन्टासी हे.. मेरे सभी दोस्तोने अपनी बहेनसे सादी कीहे.. फीर भी वो सब आज भी अपनी बीवीको दीदी कहेकर बुलाते हे.. हें..हें..हें..

सबाना : (सर्मसार होते हसते) आपके सभीके सभी दोस्त कमीने हे.. क्या कोइ सादीके बाद अपनी बीवीको दीदी कहेते हे..? कमसे कम आप तो मत कहेना.. हें..हें..हें.. कीतना अजीब लगता हे.. अपनी बीवीको दीदी कहेना..

साहील : (मु्सकुराते) दीदी.. इस बारेमे हम बादमे डीस्कस करेगे.. वो बात अभी आप नही समजोगी.. अगर भाइ बहेनके बीच रीलेशन होता हे.. तो वो कैसा फील करते हे वो बात आप कभी पुनम दीदीसे पुछ लेना.. जो कुछ ही दिनमे हमारी भाभी होने वाली हे.. हें..हें..हें..

सबाना : (हसते) हां सृती दीदीसे सुना मेने.. की पुनम दीदी भी लखन भैयासे सादी कर रही हे..

जरीना : (अंदर चाइ लेकर आते) साहील बेटा.. लो चाइ पीलो.. ओर कुछ नास्ता हे.. वो भी करलो.. कहो.. घरपे सलमा दीदी क्या कर रही हे..? अभी बहुत टाइम हो गया उनसे बात भी नही हुइ..

साहील : (सलमाको फोन लगाते) लोजी.. तो इसमे कौनसी बडी बात हे.. मे फोन लगाता हु.. आप बात कर लीजीये..

कहेते साहीलने फोन लगाकर जरीनको देदीया.. तो जरीना फोन लेकर खुस होते सलमासे बात करने लगी.. ओर बात करते करते बहार चली गइ.. साहील चाइ पीने लगा.. तो सबाना उनकी ओर देखके हस रही थी.. जब साहीलने आधी चाइ पीली तो उनको सरारत सुजी.. उसने आधी जुठी चाइ सबानाको पीनेके लीये कहा.. तो सबाना बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर सरमाते नांमे गरदन हीलाते मना करने लगी..

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तो साहीलने अपने गेलेपे हाथ रखकर सबानाको कसम दी.. तो सबाना बडी आंख करते साहीलको जुठे गुस्सेसे देखकर हसने लगी.. ओर वो जटसे दरवाजेके पास चली गइ.. ओर बहार देखने लगी.. तो जरीना.. होलमे बैठकर सलमासे हस हसके बाते कर रही थी.. तभी सबाना जटसे अंदर आइ.. ओर साहीलकी आधी जुठी चाइ उनके हाथसे लेली ओर पीने लगी.. जीसे देखकर साहील हसने लगा..

सबाना : (सरमाते धीरेसे) भाइ.. आप बहुत गंदे हो.. देखना मे भी आपको अपना जुठा खाना खीलाउगी..

साहील : (कमरमे हाथ डालकर अपनी ओर खीचते) दीदी.. आपका सब जुठा खाजाउगा.. अ‍ैसे ही..

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कहेते साहीलने अचानक सबानाके होठोपे अपना होठ रखदीये.. तो सबानाने आंखे बंध करली.. आज साहीलने उनको दुसरी बार कीस कीया था.. वो भी अपने छोटे भाइने.. तो सबाना सरमसे पानी पानी होगइ.. तभी बहासे जरीनाके आनेकी आहट सुनाइदी.. तो साहीलने जटसे सबानाको छोड दीया तो सबाना दुर चली गइ.. ओर तीरछी नजरसे साहीलको देखकर सरमाते मुस्कुराने लगी..

जीरना : (अंदर आते फोन देते) लो बेटा.. सलमा दीदीसे बात होगइ.. बेटा.. वो आपको वापस आनेको केह रही थी.. तो मेने कहा आज यही रुक जायेगे.. तो मना करने लगी.. कहाकी खेतोपे काम हे.. तो बेटा आज आप रुक जाते.. तो अपने चाचाको भी मील लेते..

साहील : (खडा होते) नही चाची.. मुजे जाना होगा.. अब दीदी जायेगी तब आजाउगा.. इस स्टेशन छोडनेके लीये आना तो पडेगा.. वरना ये नाराज होजायेगी.. हें..हें..हें..

सबाना : (सरमाते हसते) हां.. तो आना तो पडेगाना.. वरना मे आपसे बात नही करुगी..

जरीना : (आंख गीली करते) बेटा.. खुदा करे तुम दोनोका प्यार अ‍ैसे ही बरकरार रहे.. आप तो हमारे लीये फरीस्ता बनकर आये हो.. वरना तो हम इस पढानेकी उमीद ही खो चुके थे..

साहील : (मुस्कुराते) अरे.. अ‍ैसे कैसे उमीद छोड देते.. अभी आपका साहील जीन्दा हे.. अब दीदीका सपना मेरा सपना हे.. देखना वो वापस आयेगी तब डोक्टर बनकर आयेगी.. अब आप भी गांव आनेकी तैयारीया सुरु करदो.. मे घर जाकर सभी कमरेकी सफाइ करवा लुगा.. ओर सामान पेक करके रखना.. जीस दिन दीदी चली जायेगी उसी दिन आप दोनोको मेरे साथ आना हे.. मे सामान लेजानेका इन्तजाम करलुगा..

सबाना : (मुस्कुराते) भाइ.. तब तो मुजे सीधे हमारे गांव ही आना हे.. ओर सालमे छुटी मीलेगी तो मे सीधी वहा ही आजाउगी.. हें..हें..हें..

फीर साहील वहासे नीकलने लगा तब वो जीरनाको गले मीलता हे.. इस बार भी जरीनाको अपनी चुतपे साहीलका लंड महेसुस हुआ.. तो वो सरमा गइ.. ओर जटसे साहीलसे अलग होगइ.. फीर वो सबानाको गले मीलते उनको थोडा जोरोसे भीचलेता हे.. तो सबानाकी हल्कीसी आहे नीकल गइ.. ओर वो सरमसे पानी पानी होने लगी.. क्युकी साहीलका लंड उनकी चुतपे दस्तक देते ठोकर मारने लगा था..

फीर साहील वहासे नीकल गया तो जरीना ओर सबाना उनको बहार तक छोडने आइ.. सबाना अपनी कातील नजरोसे मुस्कुराते साहीलको फोन करनेका इसारा करते हस रही थी.. फीर साहील चला गया.. तो जरीना सबानाकी ओर देखकर सवालीया नजरोसे हसने लगी.. तो सबाना बहुत ही सर्मसार होगइ.. ओर जटसे अंदर चली गइ.. तो जरीना भी हसते उनके पीछे चली गइ.. ओर सबानाके पास जाकर पुछही लीया..

जरीना : (मुस्कुराते) बेटी.. कैसा लगा मेरा साहील..? क्या उनसे कोइ बात हुइ..? हंम..? तुजे पसंद तो हेनां..?

सबाना : (सर्मसार होते मुस्कुराते) अम्मी.. क्या आपभीनां.. मेरी भाइसे अ‍ैसी कोइ बात नही हुइ.. जो अबु ओर आप तैय करोगे.. वोही मुजे मंजुर हे..

जरीना : (हसते) हंम.. तो मतलब तुजे हमारा साहील पसंद हे.. ठीक हे.. कोइ बात नही.. मे सलमा दीदीसे बात करलुगी.. ओर सुन.. अभी इस बारेमे तेरे अबुसे कोइ बात नही करनी.. समजी..? हम गांव जायेगे तब बडे ठाकुर उनसे बात करलेगे.. फीर तुम दोनोके रीस्तोमे कोइ तकलीफ नही होगी..

सबाना : (खुस होते जोरोसे जरीनाके गले लगते) ओह.. मम्मी थेन्क्यु.. आइ लव यु.. हें..हें..हें..

जरीना : (जोरोसे बाहोमे भीचते कानमे हसते धीरेसे) बस.. बस.. ओर ज्यादा मत चीपक.. ओर आइ लव यु तेरे साहीलको कहेना मुजे नही समजी..? हें..हें..हें..

कहातो सबाना सरमा गइ.. तो दुसरी ओर जैसे ही साहील सबानाको लेकर चला गया.. तो लखनके घरपे राधीकाकी मम्मी आराम करते सो गइ थी.. तो अभी नीचे सीर्फ रजीया ही थी.. जो कीचनका काम समेट रही थी.. तो लखन कीचनमे चला गया.. ओर रजीयाको पीछेसे जाकर बाहोमे भरलीया.. तो रजीया सरमाके हसने लगी.. ओर पलटकर लखनकी बाहोमे समा गइ.. कुछ ही देरमे दोनो अ‍ेक दुसरेके होठोको चुमकर प्यार करने लगे....

कन्टीन्यु
 
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