रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ७
कहातो चंदा अेक बार फीर देवायकी बाहोमे समा गइ फीर दोनोके होंठ मील गये तब सामका अंधेरा छाने लगाथा ओर देवायत बहार आगया ओर अपनी कार लेके चला गया तब चंदाभी सब दरवाजा बंध करके उपर सोने चली गइ ओर बेडपे लेटतेही नींदकी आगोसमे चली गइ, जब देवायत हवेलीपे आगया उस रात वो अकेलाथा तब उसने रजीया ओर दयाको अपने कमरेमे देर रात बुला लीया ओर रातमे दोनोको रगड रगडके चोदलीया दोनोकी चुतको अेक अेक बार भरके दोनोसे चीपकके ही सो गया उनके बा बापुजीकी उमर हो चुकीथी वो उपर नही आ सकतेथे तब देवायत पुरी रात दोनोको रगडके साथ मेही सो गया....अब आगे
सुबह देर तक सोता रहा जब उठा तभी उसे मंजुलाका फोन आगया ओर उनको लेजानेकी याद दीलाने लगी ओर येभी कहाकी साथमे भानुभाइको भी लेकर आये ताकी उनके बा बापुजी उनको देखले ओर सामको टाइमपे आनेकी अेक बार फीर बातकी, यही सब बात करके वो फोन रख देती हे तब देवायत सुबह ही अपने यार भानुके घर चला गया, क्युकी अभी तक रीस्तेके बारेमें भानुसे ओर नाही उनकी मां से बात कीथी.., तो वहा दरवाजा बंध था तो उसने धीरेसे खटखटाया तब उनकी मां सरलाने आके दरवाजा खोल दीया..
जेसेही देवायतको देखा आंखोमे चमक आगइ ओर हटते देवायतको अंदर आनेका रास्ता दीया जेसेही देवायत अंदर आया तब उसने वापस गेइटको बंध करदीया ओर देवायतके सामने देखे बीनाही अंदर अपने कमरेकी ओर चल पडी तो देवायत इधर उधर देखने लगा उसे भानु ओर उनकी बहेन लता नजर नही आइ तब वो सरलाके रुमकी ओर बढ गया जेसेही अंदर गया वहा अंधेरा छाया हुआ था तब उनको आवाज आइ..
सरला : (बेडपे पीठके बल लेटे हुअे) भानु ओर लता सहेर गये हे, कुछ लताके कपडे लेने दो पहर तक आजायेगे.., मे अकेलीही हु..आजाओ.., कीतने दीन हो गये.., हम नही मीले..
जब देवायत पासमे गया तब भानुकी मा रसीला अपनी सारी कमर तक उची करके लेटी हुइथी तब देवायतने उनकी रसीली बुर देखली..तो उनका लंड फडफडाके तन गया, उसने कुछ बोले बगैरही पेन्ट नीचे करली ओर अपना लंड नीकालके सीधे रसीलाके पैरके बीच बैठ गया ओर चुतपे घीसके सीधाही रसीलाकी बुरमे घुसा दीया तब रसीलाकी हल्कीसी आवाज आइ ओर देवायत हाथके बल लेटते उसे धनाधन चोदने लगा, रसीलाके दोनो उरोज उछलने लगे..
सरला : (कामुक आवाजमे) सीइइइइइ देवा..तुमतो आते..हहीहीही नही..इइइइइ आह..आह..आइइइइइ धीरे..
देवायत : (जोरोसे सोट मारते) आउगा..बहोत खुजली हो रही हे क्या..? तो बुलाना चाहीयेनां.. आजाता..
सरला: (चुदाइ करवाते) कहासे बुलाती..लता भानु घरपेही होते हे..वहा तो बहुत सारे कमरे हे..कभी मन नही होता..? मे आजाती..बहाना बनाके..थोडा जोरसे करोनां..उइइइइइ सीइइइइइइ आह..फच..फच..फच..
तब थोडीही देरमे देवायत सरलाकी जबरदस्त चुदाइ कर लेता हे, देवायत उनकी चुतको अपने पानीसे सीच देता हे दोनोही अपने लंड ओर चुत साफ करके बहार आजाते हे तब सरला अपने बालोका जुडा बनाते देवायतको बीठाती हे ओर देवायतको पानी पीलाती हे फीर उनके लीये दुध लेकर आतीहे ओर खुद उनसे चीपकके बेठ जाती हे तब देवायतका लंड अबभी खडा होते हरकत कर रहा था तब सरला उसे देखते खुब सरमाइ ओर देवायतके लंडपे हाथ रखते सहेलाने लगती हे ओर उनकी ओर देखते बात करने लगी..
सरला : (सरमाते हसते) देवा कैसा लगताहे अपनेही दोस्तकी मां को चोदते..मजा आता हेकी नही..
देवायत : (सरमाते हसते) क्या..आपभी इस उमरमे भी आप जवान दीखती हो.., तो कीसीकाभी मन होगा..
रसीला : (हसते) ४४ की हुइ हु, क्या येभी कोइ उमर हे..? मुजे कीसीकाभी नही सीर्फ तेराही लंड चाहीये.., कीतना दमदार हे.., जब पहेली बार तुजे यहा मुतते हुअे देखा तबसे मेने देखलीया था, मेतो इनकी दीवानी होगइ..हुं, ओर तभी मेने ठानलीथी कीसीभी तराह तुमसे चुदवाउगी ओर भगवानने मेरी सुनली.., अब तक कीतनी ओरतोको चोद चुका हे? हें..हें..हें..
देवायत : (जुठ बोलते) बस मेरी बीवी मंजु ओर दुसरी आप..हें..हें..हें..
सरला : (हसते) चल जुठा कहीका..इतनी मस्त बोडी हे.., तुजपेतो कोइभी लटु होजायेगी..मेरी लता छोटी हे वरना उनकी सादी तुमसेही कर देती.., खेर छोडो..ये बता कीस लीये आये थे..,भानुसे मीलने..?
देवायत : हां दरसल मेरी अेक साली हे.., भावना नाम हे उसका.., सीर्फ दोनो बहेनेही हे.., मे चाहता हु भानुकी सादी इनसे करवादु.., तो भानुको सामको लेके जाना हे..मंजुने बात चलाइ हे..अगर आपको अेतराज ना होतो.., पहेले भानुको दीखादु.. दोनोने अेक दुसरेको पसंद कीयातो.. आगे बात करेगे..
सरला: (खुसीसे हसते) अरे..नेकी..ओर पुछ पुछ..लेजा.., मेरे भानुकाभी घर बस जायेगा.., कीतना अच्छा होगा तुम दोनो भाइ.. ओर वो दोनो बहेने..मुजे ये रीस्ता मंजुर हे तुम बातको आगे बढाओ..
देवायत : (उठते) तो चलो मे चलता हु..भानुको तीन बजे मेरे घर भेज देना..
सरला : (उनका हाथ पकडके बीठाते) अरे बैठोना कहा जाना हे.., इतने दीनके बाद आयेहो..,क्या अपनी काकी को अेसेही छोडके जाओगे.., बैठोना..चलो अंदर अेक बार ओर करते हे फीर चले जाना..
देवायत : (हसते) काकी तुम कीतनी ठरकी हो गइ हो..अेक बार मे तेरा दीलही नही भरता..हें..हें..हें..
सरला : (सरमाते हसते) तु आताभी तो कम हे..ओर आताहे तो हमे मौका कहा मीलता.., चलनां..
कहेके देवायतका हाथ पकडके उसे वापस अंदर लेजाती हे ओर खटीयापे हाथ टीकाते अपनी सारी कमर तक उची करते वही जुकके खडी हो जाती हे तब देवायत उनके पीछे चला गया ओर पेन्ट नीचे करते उनकी कमर पकडली ओर पीछेसेही लंडको चुतमे घुसा दीया ओर कमरको जटके मारते उसे धनाधन चोदने लगा जब दोनो जड गये तब सरला अपनी चुतको कपडेसे साफ करते खडी होगइ फीर देवायतको बाहोमे भरके उनके होंठ चुमलीया फीर दोनो बहार आगये..ओर देवायत अपने घर चला गया..
सरला बहुतही कामुक ओरत थी वो अपनी सादीसे पहेले अपने सगे भाइके साथ नाजायज रीस्ता रखते उनसे चुदवाती थी ओर अेक बार वो प्रेगनेन्ट हो गइ.. जब उसे उल्टीया होने लगी तब उनकी मांको उनपे सक हो गया ओर वो उसे लेकर होस्पीटल चेक करवाने लेगइ तब पता चला वो पेटसे हो गइ हे..धर आके उनकी मांने उसे खुब मारा..लेकीन अपने भाइका नाम नही लीया..,
तब उनकी माने उनका बच्चा गीरवा दीया.. ओर अपने पतीसे कहेके उनकी भानुके पीतासे जल्दी सादी करवादी.., तब सरलाको पहेली रातमे ही पता चल गया उनका पती उसे ठीकसे नही चोद पाता ओर वो उनके पतीके खास दोस्त यानी देवायतके पीतासेही नाजायज सबंध रखलीये.., ओर उनसे आये दीन चुदवाने लगी.., फीर उनसे चुदवाते चुदवाते उन्हीसे प्रेगनेन्ट हो गइ ओर भानुका जन्म हुआ..
फीरभी देवायतके पीतासे सबंध जारी रखा अबतो देवायतके पीताभी सरलाको अपनी रखैलकी तराह इस्तेमाल करने लगे आये दीन भानुके पीताको कामके बहाने दो दो तीन तीन दीन बहार गांव भेजते..ओर उतने दीन वो सरलाके साथ दीन ओर राते रंगीन करते रहे..अेसा नही थाकी सरला रंडी हो गइथी..ओर रंडीसे कमभी नही थी..बस उनको अब आदतसी हो गइथी की हर दीन अपनी चुतमे लंड चाहीये..
जो जरुरत वो देवायतके पीतासे चुदाइ करवाते पुरी करने लगी.., जब देवायत ओर भानु टीनअेजर होगये तब देवायतके बापुने सरलाको फीरसे प्रेगनेन्ट करदीया.., तब भानुके पीता कइ महीनोसे सरलाको हाथ तक नही लगाया था तो सरलाके पेटसे होनेपर उन पर सक होगया ओर उनपे नजर रखने लगा तब अेक दीन सरला ओर उनके दोस्त यानी देवायतके पीताको चुदाइका खेल खेलते अपनी आंखोसे देख लीया..
उनको अपने दोस्तके धोखेसे भारी सदमा लगा ओर पेरेलीसीस हो गया.., जबतक लताका जन्म नही हुआ तबतकत तोवो इस दुनीयासे जा चुके थे.., अबतो सरलाको कीसीकाभी डर नही था देवायतके पीता उनकी मददके बहाने आये दीन सरलाके घर आने लगे ओर दोनोकी चुदाइकी रासलीला चलती रही..जबजक वो बुढे नही होगये तबतक ये सीलसीला चलता रहा.., अब वो सरलाको वो सुख नही देपाते थे..
तब देवायत ओर भानु जवान हो गयेथे..अेक दीन देवायत उनके गायोकी गमारमे जोरोसे पेसाब लगीथीतो वहा मुतने लगा तब सरला गायोका दुध नीकाल रहीथी उसने तबही देवायतका दमदार ओर मोटा लंड देखलीया ओर हसने लगी.., उसने अब देवायतके लंडसे अपनी प्यास बुजानेकी ठानली..ओर आयेदीन अपनी जवानीका जलवा देवायतके सामने जान बुजके देखाने लगी..
कभी कामके बहाने अपनी सारीका पलु गीरा देती ओर देवायतको अपने उरोजोके दर्शन करवाती, तो कभी उनको कामके बहानेसे छुनेकी कोसीस करती वो देवायतको रीजानेका हर प्रयास करती.., आखीर अेक दीन देवायतसे रहा नही गया ओर सरलाको मोका देखते कीचनमे ही पकड लीया.. थोडी नानुकुरके बाद वही पहेली बार देवायतने खडे खडे ही सरलाकी चुतमे लंड उतार दीया तब सरलाकी की हालत पतली हो गइ थी..
देवायतकी सादीसे पहेले ही उनसे चुदवाने लगी थी जब देवायतके बापु बुढे हो गये तब सरलाने देवायतको पकड लीया ओर तबसे उनसे चुदवाती हे ये बात सीर्फ वे दोनोही जानते थे.., लेकीन उनको नही पताथा की अेक बार भानुकी छोटी बहेन जो अभी अभी नइ जवान हुइ हे वो देवायत ओर उनकी मां सरला की चुदाइ देख चुकी हे., तबसे वोभी अपनी मांकी तराह ठरकी होने लगी थी.. उसने देवायतका दमदार लंडभी देखाथा ओर अपने भाइ भानुको अपनी भाभीको चोदते उनकाभी लंड देखलीया था..
तीन बजे भानु देवायतके घर आगया ओर दोनो कार लेके उनके ससुरके घर चले गये दोनोका बहोत अच्छेसे स्वागत हुआ फीर मंजुके बा बापुजीको भानु पसंद आगया ओर भावना ओर भानुकी अकेलेमे बात चीतभी हुइ.. भावनाको तो सीर्फ देवायतसे मतलब था.., ओर अेक बार सरलासे बात करके सब रीस्तेका तैय होगया तब भावना बहुत सरमा रहीथी.. ओर बार बार देवायतको चोर नजरसे देखती रहेती थी..
उनको अब अपने जीजाजीके करीब रहेनेका मौका मील गयाथा ओर मनही मन काफी कुछ प्लान करके देवायतसे रीस्तेमे आनेका मन बना चुकीथी.. फीर वहा सबने खाना खाया ओर देर साम देवायत मंजुलाको लेके भानुके साथ सीधे उनके घर चले गये तब मंजुलाने सरलाके पैर छुअे ओर उनसे सब बाते करली तब सरला खुस होते देवायतकी ओर देखते हसने लगी ओर दोनोका मुह मीठा करवाया..
फीर कुछ दीनोके बाद भानु ओर भावनाकी सगाइ ओर सादीभी होगइ तब देवायतने खुब दोडधामकी कभी अपने ससुरके घर तो कभी अपने दोस्त भानुके धर.., इसी बीच मौका मीलतेही दो बार सरलाने देवायतसे जबरदस्त चुदाइ करवाली ओर देवायतकी साली भावना आखीर भानुके घर सादी करके आ गइ, ओर उसी रात सुहागरात मेही भानुने उनकी सील तोडदी ओर भावनाकी दो बार जबरदस्त चुदाइ करली भानुने ओर भावनाने तीन महीने तक खुब मजे कीये ओर आखीर भानुने भावनाको प्रेगनेन्ट करदीया..
ओर नौ महीनेके बाद भावेसका जन्मभी हो गया.., ओर इसी बीच आयेदीन देवायत चंदाके घर जाता रहेता ओर उनकी चुदाइ करता रहेता कभी कभीतो दोनो सहेर होटेलमे रुम रखके मीलने लगे.. जबभी मौका मीलता चंदा उसे बुला लेती ओर अपनी जबरदस्त चुदाइ करवा लेती.., यही सब सोचते देवायत आंख बंध करते गहेरी नींदमे चला गया तब कोइ उनको हीलाके उठा रहा था..
(फ्लेसबेक खतम)
रामुकाका : (देवायतको जगाते) देवु बेटा..ओ बेटा..उठो..कीतनी देरसे सोये हो..? इतना काम मत करो.., साम होगइ हे..घ घर नही जाना क्या..?
देवायत : (जागते) जी काका..वो जरा आंख लग गइ थी..क्या सब चले गये..?
रामुकाका : हां बेटा सबतो कबसे चले गये..कीतना सोये तुम..साम होगइ..,थक गये थे क्या..? घर नही जाना..? खानाभी नही खाया होगा..
देवायत : (हसते) नही काका सोचमे डुबा हुआथा कब नींद आ गइ पताही नही चला.., चलो चलता हु.., आपने खाना खा लीया..?
रामुकाका : हां बेटा आज वो दया टीफीन दे गइथी तो खा लीया.., अब तुम घर जाओ..
तब देवायत हवेलीपे आगया तो सामने मंजुला पैट फुलाके उनके सामने हसती हुइ आ रहीथी, तो जातेही वो मंजुलाका हाथ पकडके उसे होलमे जाके बीठा दीया.. ओर खुद फ्रेस होने चला गया तब मंजुलाने दयाको खाना नीकालने कहा जब देवायत आ गया तब देवायत मंजुको लेके डाइनींगपे आ गया ओर रजीयाने दोनोको खाना परोसा..तब मंजुने खाना खाते बात की..
मंजुला : सुनीयेजी..आज मौसीका फोन आया था उनको पता चल गया की मे पेटसे हु.., कीसने बताया होगा..? सायद भावनासे या घरपे बासे बात हुइ होगी.., कही आपनेतो नही बताया..?
देवायत : (हसते खाना खाते) अरे नही.., क्या केह रही हे मौसी.., मंजु मुजे कल सहेर जाना हे..
मंजुला : देवु..क्या आते वक्त आप मौसीको लेकर आओगे..? वो धिरन आज सामको स्कुलके प्रवास गया हे तो मौसी तीन चार दीन अकेली हे..तो यहा आना चाहती हे.., मेरी खबर पुछ लेगी ओर तीन चार दीन इधरही रुकेगी.., कहेतीथी तेरी डीलेवरीमे मे आजाउगी..हें..हें..हें.., मेरी खास सहेली भी हे..
देवायत : (हसते) चलो ठीक हे मेरी टेन्सन खतम.., मौसी आ रहीहे तो कोइ दीकत नही.., होस्पीटलमे उसेही लेजायेगे.., आपकी डीलेवरी तक रहेगीतो कीसीको बुलाना नही पडेगा.., क्या कहेती हो..?
मंजुला : (खुस होते) हां..वोभी यही केह रहीथी..कीतनी अच्छी हे मेरी तो मौसी कम ओर सहेली ज्यादा हे हें..हें..हें.., मेरी बहुत केर करती हे..वहाभी बहुत करती थी..बस बेचारी जवानीमेही विधवा हो गइ..
देवायत : (सीरीयस मुह बनाते) मंजु हम क्या कर सकते हे.., पता नही गावमे ये कैसा रीवाज हे..की विधवा दुसरी सादी नही कर सकती.., उनकीतो रीवाजने ही जींदगी बरबाद करदी..
मंजुला : (गभराते) देवु..अेक बात कहु..भविस्यमे अगर हमारे बच्चोके साथ अेसा हुआतो हम क्या करेगे..?
देवायत : तुम क्यु अैसा उल्टा सीधा सोचती हो..? हम अेसी परंपराको नही मानेगे, हम रीवाज तोड देगे.. बस.. हम अैसा कभी नही होने देगे.. देखा नही बाबाने क्या कहाथा..
मंजुला : (खुस होते हसते) गुड बोय..हें..हें..हें., .देवु..हम अेसे कुरीवाजोको नही मानेगे, अबतो बा बापुजी भी नही हे सब डीसीजन आपको लेना हे, इनसेतो अच्छा वो हीमाचलके राजाथे..वो कीसीभी रीस्तोमे सादीकी परंपरा सुरु कीथी..कास यहाभी अेसा होता..तो कोइ विधवा या त्यकताही नही रहेती..सब सुहागन..हें..हें..हें..
देवायत : (सीरीयस होते) मंजु..बस वोही राजा हमारे घर हमारे पोतेके रुपमे आने वाला हे.., अेसा बाबाने मुजसे कहा था.., ओर सायद हमारे घरसेही सब सुरुआत होगी..क्या तुम्हे अच्छा लगेगा..?
मंजुला : (हसते) वो --का अंस भीतो होगा.., पता नही हमने कोनसे पुन्य कीये होगे.., देवु मे सब अेक्सेप्ट करलुगी.., मुजे कोइ अेतराज नही.., बस अेक बार बाबाको मीलना हे..सादीके बाद दो बार ही मीली हु..
देवायत : अब अगली बार जाउगा तब लेकर जाउगा..
मंजुला : (जोरोसे हसते) हें..हें..हें.., इस हालतमे लेजाओगे..? बाबु अब टाइम नजदीक आगया हे.. ओर वो कमीनी भावुको भी लेकर जाना हे, पता नही वो कोनसी रात थी, जो दोनो भाइने अेक साथही हम दोनो बहेनोको पेटसे करदीया.., मुजसे छोटी हे फीरभी कमीनी दुसरी बार प्रेगनेन्ट हो गइ., पता नही भानुभाइको कीतने बच्चे चाहीये..
देवायत : (हसते) छोड उनको उनकी मां बहुतही पुराने खयालकी हे कहेती हे चार पांच बच्चेतो होनाही चाहीये..हें..हें..हें.., मुजसेभी केह रहीथी अेक बच्चेसे बच्चे वाले नही कहेलाते कमसे कम चार पांचतो करनाही..
मंजुला : (आस्र्चसे हसते) चार..पांच..? ओ बापरे.., तबतो बेचारी भावनाकी हालत अराब हो जायेगी हें..हें..हें.., देवु हमतो अेकही करेगे..में इनसब बातोको नही मानती..उसे अच्छेसे पालतो सकेगे..
अेसीही बाते करते दोनो खाना खाके बहार आंगनमे टहेलने लगे ओर दोनो बाबाकी बाते करने लगे..
मंजुला : देवु..हम दोनोही बाबासे मीलेगे तब मे उनसे सब कुछ खुलके पुछ लुगी..मुजे सब जानना हे..
देवायत : मंजु..देखना तु विचलीत हो सकती हे.., मतलब तब कोइ रीस्ते नातेको नही मानते होगे.., इनका मतलबभी जानती हे..? सब आपसी रीस्तेमेही लगे रहेगे.., पता नही हमे क्या क्या देखनेको मीलेगा..
मंजुला : (हसते) हां..जानती हु..इतनी भी बुध्धु नही हु में.., मेने वो राजाकी बुक पढी हे, कोइ भी कीसीभी रीस्तेमे सादी कर सकता हे.., सपोज..मानलोनां की तुम अपनी बुआसे, मामीसे चाचीसे, यहा तक अपनी बहेनसेभी सादी कर सकते हो.., फीर वो बहेन चाहे कोइभी रीस्तेसे हो..वो बुआकी या मामीकी लडकीभी..
देवायत : (हसते) मतलब तुम सब कुछ जानती हो.., तुजे पता हे अब हमारे घरमे वोही सब होने वाला हे..
मंजुला : (हसते) देवु कीतना रोमांचक होगा.., मेतो सोचके ही..पागल होजाउगी..हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) चलो देखते हे.., अब जोभी होगा सब हमे अेक्सेप्ट करना होगा..,लेकीन अेक बात हे.. हमारे घर खुद --का अंस आ रहा हे.., पता नही तब हमे सब देख पायेगेकी नही..
मंजुला : देवु जोभी हो.. हमे अबभीसे अेसे रीस्तेको अपनाना पडेगा..अब हम अैसा कुछ सुनेतो माइन्ड मे नही लेना.., वेसे तुजे अेक बात कहु..? पता नही तुम्हे कहेनी चाहीयेकी नही..हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) क्या..कुछ सीक्रेट जानती हो क्या..? हें..हें..हें.., कहो क्या बात हे..
मंजुला : (सरमाके हसते) जानु मेने सुना हेकी हमारे बापुजीका नाजायज रीस्ता माजीके साथ.. मतलब हमारे भानुभाइ की मां के साथ था.., सायद लता उनहीकी संतान हे..हें..हें..हें..इसीलीयेतो उनके पीता चल बसे..
देवायत : (हसते) देखा.., तो इस नाते लता हमारी सौतेली बहेन हुइ ओर हमने उनका लखनसे रीस्ता तैय करलीया तो दोनो होगयेने भाइ बहेन.., बाबाने सही कहाथा.. इनकी सुरुआत हमारी पीढीसे ही होगइ.., हें..हें..हें..
मंजुला : (जोरोसे हसते) देवु..जो होता हे होने दे..,देखना हमारा लखन उनकीही बहेनको ठोकेगा..हें..हें..हें..
देवायत ओर मंजुला बाबाकी बाते करते आगेकी प्लानींग करने लगे ओर दोनोने तैय करलीयाकी जोभी होता हे होने दे वो कोइ अेतराज नही करेगे.., दोनोने मीलके सब अेक्सेप्ट करनेका फैसला करलीया.., उस दीन मंजुने देवायतको उनके साथ सेक्स ना करपानीके वजहसे दुसरी ओरतसे सेक्स करनेकी परमीशन देदी.., फीर दोनो थोडी देर बाते करते टहेलते रहे फीर अपने कमरेमे सोनेके लीये चले गये..
इस रात मंजुके साथ देवायतने सीर्फ ओरल सेक्सही कीया जब मंजुको जडादीया तब वो देवायतके सीनेमे सर रखके गहेरी नींदमे सो गइ.., तब देवायतभी कल अपनी दुसरी बीवी चंदाके बारेमे सोचते नींदकी आगोसमे चला गया..
तब बाजुके गांवमे भानुकी मां अपने रुममें सो गइथी तब बाजुके रुममे लता भावनाके बच्चे भावेशको जुलेमे डालके सोनेकी तैयारी कर रहीथी अेसा नही थाकी भानु ओर भावना अपने बच्चेको अपने साथ सुलाना नही चातेथे बस भावेश उनके साथ सोता तो पुरी
रात रोताही रहेता वो लताकोही अपनी मां मानता था ओर उनके साथही सोताथा, लता ओर भानुके रुममें अंदरकी ओर बीचमे अेक दरवाजा लगा हुआथा जो हमेसा बंधही रहेताथा उनमे अेक छोटासा छेदभी था जो लता उनमे कइ बार भाइ भाभीकी चुदाइ देखती रहेती थी..
तब उनके बगल वाले रुममें भानु ओर भावना मस्तीया कर रहेथे उनकी आवाज सुनाइ दी तो वो धीरेसे उठके दरवाजेके पास चली गइ ओर उन दोनोकी मस्तीया छेदमे आंख लगाके देखने लगी.., वो कइ बार भानुके खडे लंडको अपनी भाभीकी चुतमे डालते हुअे देख चुकीथी, तब आजभी भानु पीठके बल लेटाथा ओर भावना उनके पैरके पास जुकके भानुके लंडको मुहमें भरके अंदर बहार कर रही थी..
तब भानु आंख बंध करते सीसकारीया करताथा थोडीही देरमे भावना के मुहमे जड गया तब भावनाका पुरा मुह भर गया ओर वो उठके बाथरुममें चली गइ तब भानुका लंड अबभी हवामे लेहराते मुरजाने लगा जीसे देखके लता खुब सरमाइ ओर अपनी चुत सहेलाते बेडपे आ गइ.., फीर सलवार नीकालके अपना नीकर नीचे करलीया ओर बेठे बेठेही हाथकी अेक उंगली अपनी चुतमे घुसादी ओर आंख बंध करते भानुको इमेजींग करते उंगली अंदर बहार करने लगी ओर थोडीही देरमे वो जड गइ..
तबसे लताके लीये ये सब रुटीन हो गया.., फीर अपने आपको साफ करके लेट गइ ओर सोचने लगीकी कास भाइका लंड कभी अपनी चुतमे डलवाती..तो कीतना मजा आता.., जबतक मेरी लखनसे सादी नही होजाती तबतक मुजेही कुछ करना होगा, मां भीतो देवायतभाइसे चुदवाती हे, ओर मुजपे पाबंधी लगाती हे.., मुजे कीसीभी तराह भाइको रीजाना हे.., कोइ भाइ बहेनका रीस्ता नही होता..
सीर्फ लंड ओर चुतकाही रीस्ता होता हे.. देवायतभाइका लंडभी भानुभाइके लंडसे बडा हे.., कीतना मोटा ओर लंबा हे, तभीतो मां इनके पीछे लटु हे.., कीसीको इस रीस्तेके बारेमे पता नही.., अच्छा हुआ अेक बार मुजे देखनेका मोका मील गया, बस इसी बातका फायदा उठाना हे मुजे कीसीभी तराह लंड चाहीये वरना मेरी जवानी युही बरबाद हो जायेगी.., यही सब सोचके लता नींदकी आगोसमे चली गइ....
कन्टीन्यु