रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १२
उस रातभी खाना खाके सब अपने अपने रुममे सो जातेहे आजभी देर रात १२ बजे देवायत चंदाके पास चला जाता हे ओर दोनो सुबह ४ बजे तक प्यारकी आगोसमे गोते लगाते रहेते हे इस रात देवायत चंदाकी चुतमे दो बार छलक गया ओर चंदाकी चुतको हरी भरी करदी.. दोनोने साथमे नहातेभी अेक बार खडे खडेही चुदाइ करली फीर देवायत मंजुके पास आके सो गया..तब मंजु गहेरी नींद ले रही थी....अब आगे
दुसरे दीन देवायत ७ बजे उठ गया बहारकी ओर चंदा कंपलीट तैयार होके बेठीथी तब मंजु कपडे देनेके बहाने देवायतके पास चली गइ वहा दोनोने अेक दुसरेकी बाहोमे अेक दुसरेके होंठ चुमते उपर उपरसे ही प्यार कीया.. फीर दोनोही बहार आगये सबने साथमे चाइ नास्ता करलीया ओर कुछ सगाइकी प्लानींगकी बाते करली तब मंजुने बात छेडदी.. जो चंदाने सोचाभी नही था.. तो सुनके सरमाइ..
मंजुला : देवु..बच्चोके कपडे लेने हे धिरेनके लीयेभी हमारी ओरसे कुछ लेना हे.., ओर जरुरी सामन गहनेभी लेने हे तो इस हालतमेतो मे ओर भावु नही आसकती..तो आप मौसीकोही लेजाओ.. तब धिरेनभी आ चुका होगा.. दोनो मां बेटेको साथमे लेजाना पुरे दीन सब नीपटाके वापस आजाना..क्या कहेते हो..?
देवायत : (मनमे खुस होते) हां वोही ठीक रहेगा.., मौसी पुनमका फोन आतेही हम नीकल जायेगे..
चंदा : (सरमाते हीचकीचाते) मे..? पर.. मे केसे आसकती हु.. मंजु.. तुभी..
मंजुला : (हसते) मौसी हमारी समधीतो आप बादमे हे.. पहेले आप मेरी मौसी हे ओर मेरी सहेली भी.. ओर हम घरकेही लोग हे..तो फीर जानेमे क्या हर्ज.., आप होगी तो सगाइकी सब खरीदी अच्छेसे होजायेगी.. ओर धिरेनभीतो साथमे होगा.., ओर तुम्हे मेरे देवुके साथ कोइ खतरा नही.., हें..हें..हें..
चंदा : (अेकदम सरमाते हसते) मंजु.. कुछभी.. तुमभीनां.. इनकीतो सरम कर..
देवायत : (हसते) मौसी..अबतो हमभी मंजुकी मस्तीके आदी होगये हे.. इन्होनेतो हमारा घरका माहोलही बदल दीया.., ओर मुजेभी.. हें..हें..हें.. बस बा बापुजी थे तब सब कंट्रोलमे थे.. अबतो..हें..हें..हें..
मंजुला : (खुस होते हसते) तो फीर..मौसी तुमतो जानती हो.. मेतो अैसी ही हु..बीन्दास..हें..हें..हें..
देवायत : (टेबलसे उठते) चलो मे चलता हु..
मंजुला : देवु..आजतो खानाके लीये आओगेना..? आजाना बाबु.. कुछ कामभीतो हे.. हम बादमे बात करेगे
देवायत : ठीकहे..लेकीन कुछ देर होगी.., तुम दोनो टाइमपे खा लेना मे आजाउगा..चलो बाय..
कहेते देवायत कार लेके बहार नीकल गया ओर सीधेही अपने गोडाउनमे आगया तब भानु अभी तक नही आया था, वो अभी आके बेठाही थाकी बहार बुलेटकी आवाज आइ..तो देवायत अपनी खुरसीपे बेठते बहारकी ओर देखने लगा तभी अंदर रमेश आता दीखाइ दीयातो देवायतके चहेरेपे स्माइल आगइ..ओर रमेशनेभी आकर हाथ मीलाया ओर सामनेकी खुरशीपे बेठ गया.. तब देवायतने रामु काकाको आवाज लगाइ
रामुकाका : (अंदर आते) काका वो मालतीसे कहेके दो कप चाइ भेजदो ओर पानीभी मंगवालो..ओर सुनो.. कोइ आयेतो थोडी देर बहारही बीठाना..
रमेश : (हसते) ठाकुरसाहब अब उस लडकेकी तबीयत केसी हे..?
देवायत : रमेश..अबतो बेचारेको आरामही करना हे कहा चल सकता हे.. कमीनेने टांगजो तोडदी हे.. यार उनके बारेके कुछ सोचा.. मादर-- अेक बार हाथ लगजाये..वही जमीनमे गाड दुगा..(गुसेसे)
रमेश : (हसते) ठाकुरसाब आपने मुजे अपना दोस्त माना हे..लीजीये..ये दारुकी बोटल..उन तक पहोंचा दीजीये.. बस ये कीसीको नही पता चलना चाहीये मेने आपको दी हे.., आपका काम हो जायेगा..
देवायत : (जटसे टेबलके खानेमे अलग रखते) रमेश क्याहे ये..तु ओर दारु..? तुमतो कभी हाथभी नही लगाते.. अंदर दारु ही हेना..? की कुछ ओरही हे.., खुस्बुतो दारुकी आ रही हे..
मालती : (अंदर चाइ पानी लाते टेबलपे रखते) लीजीये ठाकुरसाब.. मे बादमे लेजाउगी..
रमेश : (जब मालती चली गइ तब पानी पीते) हां ठाकुरसाब..मे नही पीता.. लेकीन घरमे कभी महेमानके लीये रखता हु.. तो घरपेही पडी थी..अेसे काममे कीसीसे मंगवाना ठीक नही सक होजाता हे..
देवायत : (चाइका कप लेते) ले पहेले चाइ ले..
रमेश : (चाइ पीते धीरेसे) ठाकुरसाब वो सरपंच रोज सामको वो पंचायतका मुनीम हेना उनके घर जाता हे.., वो दारुका बहोत सौकीन हे.. कभी सरपंचके पास दारु आताहेतो लेके वहा चला जाता हे ओर मुनीमके पास आता हेतो वो सरंपको बुला लेता हे फीर दोनो साथमे बेठके पीते हे.. दोनो खास दोस्त जो हे हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) काहेका दोस्त.., यार मेने सुना हे मुनीमकी बीवी चंपाको सरपंच ठोकता हे.. हें..हें..हें..
रमेश : (हसते) बस दारुतो अेक बहाना हे.. मुनीमको दो पेग ज्यादा पीलादो उसे होस ही नही रहेता.., फीर सरपंच उनकी बीवी चंपाको चोदने अंदर चला जाता हे ओर दोनो खुब चुदाइ करते रहेते हे.., इसके लीये सरपंचकी बीवी रश्मीभाभी चंपा ओर मुनीमके साथ जगडे करके भी आइ हे.., रश्मीभाभीकोभी पता हे उनका पती चंपाको चोदनेही इधर जाता हे, हें..हें..हें.. बस कीसीभी तराह ये बोटल मुनीम तक पहोंचादो.. आपका काम होजायेगा.. ओर मेराभी.. मादर--, साला.., मेरी बेटीपे बुरी नजर रखता हे..(गुसा करते)
देवायत : रमेश अब तु भुलभी जा तुने मुजे कुछ दीया हे.., लेकीन इसमे हे क्या..?
रमेश : (हसते) भाइ कुछ राज राजही रहेने दो.., आपकोतो पता हे मेरे बापु वैद थे.., भाइ इससेतो आप सरपंच होतेतो अच्छा था.. आपने बंदरके हाथ सता सोंपदी..
देवायत : चलो ठीक हे.., रमेश.. अब तु सरपंचके लीये तैयार होजा.. इनके बाद तुजेही सरपंच बनना हे..
रमेश : (हसते) भाइ मेरा काम नही..मे व्यापार करुगाकी लोगोकी सेवा..
देवायत : (हसते) यार तु व्यापारके साथ सेवाभीतो करता हे.., अब सब लीगल करले.. क्या फर्क पडता हे.. कमसे कम गांववालोको अेक इमानदार ओर सेवाभावी सेवकतो मीलेगा बाकी मे तेरे साथ हु.. जबभी कोइ जरुरत पडे केह देना.. दोनो मीलके करेगे..
फीर कुछ ओर बाते करके रमेश चला गया तब भानु जीप लेके आगया फीर खेतोपे कुछ कामका जायजा लेके वोभी देवायतके पास आगया ओर उनके साथ बेठ गया तब भानु उनकी ओर देखके हसने लगा..
भानु : (हसते) भाइ कल थोडी ज्यादा होगइ थी..सुबह सुबह ही सास बहुकी खुब खरी खोटी सुनके आया हु हें..हें..हें.., वो भावु कुछ केह रहीथी, आपही खरीदी करने ओर लखन पुनमको लेने जा रहे हो.. तो फीर लताको भी साथमे लेकर जाना.. मे मेरे साथ ही उनको लेकर इधर आजाउगा..
देवायत : भानु वो सब छोड वोतो पुनमका फोन आयेगा तभी जाना हे.., तु अेक काम कर..(दारुकी बोटल नीकालके अेक केरी बेगमे डालते) ये..ले.., इसे तु मुनीम तक पहोचा दे.. तुम खुद मत जाना कीसी अन्जान आदमी जो मुनीम उनको पहेचानता हो उनके हाथ भेज देना.. समज गया..
भानु : (बेग लेते) यार क्या बात हे.., तु उनको पुरी बोतल दे रहा हे..?
देवायत : (हसते) अरे सुन.., तुम इनमेसे अेक बुंदभी मत चखना ये हमारे सरपंचके लीये हे.., समज गया..
फीर देवायत उसे सारी बात रमेशका नाम लीये बीनाही बता देता हे तब सुनके भावु खुस होगया..
भानु : (हसते) अच्छा.., समज गया.., मतलब तुने पुरा इन्तजाम करलीया हे.. ठीक हे पहोंचा दुगा..
देवायत : (धीरेसे) भानु सुन.., ना सरपंचको ओर नाही मुनीमको.., कीसीको पता नही चलना चाहीयेकी ये बोतल हमने भीजवाइ हे समज गया.. ये काम बडीही सावधानीसे करना हे..ओर आज ही..
भानु : (हसते बहार जाते) यार तो नेक काममे देरही क्यु.., अभी अेक आदमीको देके आता हु.. मुनीमके घरके पासही रहेता हे मेरा दोस्त हे.., उसे आधे दाममेही बेचेगा तो मुनीम फटसे लेलेगा..चल मे देके आता हु..
कहेके भानु फटाफट बुलेट लेकर चला गया ओर मुनीमके घरके पास उनके दोस्तके वहा चला गया तो उनका दोस्त जीवा बहारही खटीयापे बेठे बीडी पी रहा था जो भानुके देखते खुस हो गया..
जीवा : अरे भानुभाइ इधरका रास्ता केसे भुल गये.. कुछ इधर काम था क्या..
भानु : अरे जीवा..सुन मुजे अेक आदमी मीलाथा आधे से कम दाममेही बोटल दे गया हे लेकीन मेरे पास हे.. तुजेतो पता हे मे कभी कभार ही पीता हु तो मुजे नही चाहीये.. कीसीको चाहीयेतो बोलना.. इपोर्टेड हे..
जीवा : (हसते) क्या भानुभाइ.. साला सबसे बडा कस्टमरतो मेरे पासही रहेता हे..कमीना वो ओर सरपंच रोज इधर दारु पीते हे ओर सरपंच दारु पीके रोज मुनीमकी बीवी चंपाको ठोकता हे.. कमीनेने सारा महोला खराब करके रखा हे.., देदो उनकोही बेच दुगा मुजेभी कुछ पैसे मील जायेगे..
भानु : सुन..जीवा..इनके सीवा कीसी ओरको मत देना ओर मेरा नामतो कतइ मत लेना.. समज गया.., इनमे तुजे जीतना कमाना हो कमा लेना ओर कम पडेतो मुजसे कहेना पर देना मुनीमकोही हे.. समज गया..
जीवा : समज गया भाइ कीसीभी तराह ये बोतल मुनीमको देनी हे.. बस यहीना..दे दुगा..ओर आपने क्या कम मददकी हे मेरी.. मेरी बीवीकी डीलेवरीमे आप साथही थे सारा खर्चा आपनेही तो दीयाथा.. आप फीकर मत करो काम हो जायेगा.. आइअेना चाइपानी पीके जाना..मेरी बीवी आपको देखते खुस हो जायेगी..
भानु : यार तु मेरा यारभी तो हे.., यारीमे ये सब चलता हे.., ओर भाभीको कहेना फीर कभी चाइ पीने आउगा.. चल मे चलता हु.. सहेरभी जाना हे खाद लेने.. तु चलेगा..?
जीवा : नही भाइ आज आपही होकर आओ.. मुजे गाडीका (टेम्पो) काम कराना हे.. चलो बाय..
तब भानु मनमे खुस होते वापस आजाते हे ओर सीधेही देवायतके पास जाके बेठ जाता हे ओर हसने लगता हे.. तो देवायतभी समज जाता हे भानु काम करके आ गया.. तो प्रस्नार्थ नजरसे उसे देखता हे..
भानु : (हसते) यार काम हो गया..वो जीवा मील गया.. हमारे यहा ज्यादा माल होताहे तब टेम्पो लेके नही आता..? उनके ही पास रहेता हे.. उनको सब समजाके आगया..
देवायत : (हसते) साले देखना.., कही तेरा नाम ना बकदे.. खतराभीतो हे..
भानु : (कुटील मुस्कानसे) नही लेगा भाइ.. उनकी बीवीको डीलेवरीमे होस्पीटल लेके गया था.. हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) तो इसमे हसनेकी क्या बातथ हे.., कुछ गडबड लगती हे हें..हें..हें..
भानु : (जोरोसे हसते) क्या यार.., बस सब खर्चा मेने दे दीयाथा.. तो मेरा अहेसान मानता हे.., पर.., हें..हें..हें..
देवायत : (जोरोसे हसते) कमीने अब बताभी दे..हकीकत क्या हे, हें..हें..हें..
भानु : भाइ.. अब तुमसे क्या छीपाउ.., जीवातो गाडी लेके दुसरे सहेरमे घुमताही रहेता हे..बस उनकी बीवीको पैसेकी जरुरत होतीतो मुजे फोन करके कहेता.. तब मे पहोचा देता.. ओर कामभी करदेता था.. इस सीलसीलेमे उनके साथ बहोत मुलाकात होतीथी.. बस..टाका भीड गया.., मीलने लगे.. मेरा ही बच्चा था.. हें..हें..हें..
देवायत : (जोरोसे हसते) कीतने कमीने हो.. पता नही कहा कहा बच्चा देके आया हे, हें..हें..हें..
अेसीही बाते करते दोपहर होजाती हे..इसी बीच देवायत कुछ सौदा करते बीजनेसभी करलेता हे ओर खानेके टाइम हवेली पहोच जाता हे.. इसी बीच मुनीमभी घर खानेके लीये आता हे तब उसे जीवा बहारही मील जाता हे ओर इन्पोर्टेड दारुकी बात करता हेतो मुनीम लाळ टपकाने लगताहे तब जीवाके साथ हा..ना.. करते कीमत तैय करता हे ओर जीवा उसे बोतल पकडा देता हे..
तब मुनीमभी खुस होजाता हेकी चलो आधे दाममे अच्छा माल मील गया ओर जीवाभी खुस होताहे क्युकी उसेभी ३०० रुपीये ज्यादा मील गये थे.. दोनोही खुस होते घरमे चले गये..तब मुनीमने खाना खाया.. फीर सीधाही सरपंचको फोन करके बतादीयाकी वीदेसी माल आगया हे सामको चले आना.. तब सरपंचभी खुस हो जाता हे ओर वोभी घर जाते रास्तेसे कोन्डमके पेकेट लेजाता हे..
उसेतो दारुसे ज्यादा चंपाको चोदनेमे मजा आता था.. ओर चंपा भी सरपंचके लंडकी आदी हो चुकी थी.., लेकीन अबवो सरपंचको बीना कोन्डम नही चोदने देतीथी क्युकी वो.. सरपंचसे अेक बार प्रेगनेन्ट हो चुकीथी.., बडी मुस्कीलसे दोनो बच्चेका नीकाल करके आये थे.. तबसे बीना कोन्डम नही चुदवाती थी.. उधर सरपंचभी खाना खाके सोने लगा..तब उनकी बीवी रश्मी इनके पास आती हे ओर कहेती हे..
रश्मी : सुनीयेजी.., आप सहेर जाओतो मुजेभी साथ लेजाओनां.. दोनो चेक करवा लेते हे..कमी कीसमे हे..
सरपंच : (गुसा करते) कोइ जरुरत नही जब देखो बच्चा..बच्चा.. रट लगाती रहेती हे.., कमीनी कमी मुजमे होगी तो क्या दुसरोसे चुदवायेगी..? बात करती हे.. चल जा सोने दे..दीमाग खराब करदीया..
रश्मी : (थोडा गुसा करते) तो भडकते क्यु हो..जब देखो जगडाही करते हो.., मेने कब कहा दुसरोसे चुदवा लुगी.., सरमभी नही आइ.., आपसे अच्छेतो वो ठाकुर हे..देखीये केसे अपनी बीवीके साथ पेस आते हे.. कभी उची आवाजमे बातभी नही करते..ओर अेक आप हो..
सरपंच : (देवायतका नाम सुनतेही गुसा सातवे आसमानपे चला गया) मादर--, जा उनसेही चुदवाले.., खबरदारजो उस कमीनेका नामभी लीया.. इनकोतो मे देख लुगा.. बस अेक बार मोका मीलने दे.. उनकी गांड मारताहु की नही.., कमीनी.. सारा दीन उनके नामकी ही माला जपती हे.. मादर---..,
तब रश्मी आंसु बहाते रुमकी बहार चली जाती हे.., आज उसे देवायतसे संबंध रखनेका कोइ दुख नही हुआ ओर नाही लगाकी मेरे पतीको धोखा दे रही हु.. आज इनको सरपंचपे बहोत गुसा आगया.. अेक पलतो लगाकी कुतेको अभीके अभी डीवोर्स देदु.., ओर सारी जींदगी देवायतसे चुदवाती रहु.. लेकीन वो.. गुसेको पी गइ.. ओर दुसरे रुममे जाके बेडपे लेटते आंसु बहाती रही ओर अपनी कीस्मतको कोसती रही..
इधर देवायत आगया तो चंदा ओर मंजु उसे देखतेही खुस होगइ फीर सब साथमे मीलके खाना खाते बाते करने लगे.. तब चंदा देवायतको उनके बीजनेसके बारेमे बाते करने लगीकी क्या करते हो.. फीर इस गांवकीभी बाते होने लगी तब चंदा सबकुछ पुछती रही.. बस उनके दीमागमे अेक खास मकसद चल रहाथा जो धीरे धीरे करते उनपे बाते करते अमल कर रहीती थी उसेतो अब देवायतसे नजदीक रहेना था..
चंदा : (हसते) देवायतजी इस गांवमे कीतना मजा आता हे..यहा सब मीलने आतेहे.. वहातो अकेली बोर होजाती हु..हें..हें..हें.., मेने कभी खेतो ओर आपका बीजनेसभी नही देखा.. कभी घुमाने तो लेजाओ..
मंजुला : (हसते) लोजी..इसमे कोनसी बडी बात हे..? मौसी मेरी मानो वहा सब बेचके आप इधरही गांवमे रहेने आजाओ..मेतो कहेतीहु हमारी हवेली बहोत बडी हे यहाही रहेलो.. मुजेभी कंपनी मीलेगी.., ओर रही खेतोकी बाद तो खानेके बाद कुछ ये आराम करेगे फीर जायेगे तब उनके साथही चली जाओ.. सब देखके साथही वापस आजाना.. क्यु देवु..?
देवायत : (हसते) हा..हा.. क्यो नही.., वेसेभी आज कोइ खास कामभी नही हे..सब खेतो दीखा दुगा..
चंदा : (हसते) वेसे कीतनी जमीन हे आपके पास..? सब खेतोका केह रहे हो..
मंजुला : (हसते) सब मीलाके तकरीबन..२०० अेकर.., देवु इतनीतो होगीनां..?
चंदा : (आस्चर्यसे) २०० अेकर..? इतनी बडी..?
देवायत : (हसते) मौसी हमारे पुर्खो यहा राज करतेथे.. तब बहोत जमीन होगी.. पता नही क्या हुआ.., सोनाभी इतना था.. पुरा बडा संदुक भरा हुआथा..वो पुराने जमानेमे बडे बडे नही हुआ करताथा वोही.. सब कहा गया पताही नही चला.. बापुजी कहेतेथे आजभी हे..पर अता पता नही हे..
चंदा : वाव.., तबतो आपको ढुंढना चाहीये..हें..हें..हें.. पता नही आपको मील जाये.. हें..हें..हें.., तबतो देखनी पडेगी आपकी जमीन.., मंजु मे सोचतीहु सब बेचके इधरही रहेने आजाउ..यहा छोटा मोटा घर बना लगे..
मंजुला : बेसक सब बेचदो..पर घर नही बनाना..यहा हमारे साथही रहेने आजाना.हें..हें..हें..
चंदा : (सरमाते हसते) नही..लोग क्या कहेगे.. समधीको साथमे रखा हे..हें..हें..हें.., फीर वो धिरेनको भीतो पुछना पडेगा.. देखतीहु क्या कहेता हे वो..
फीर सब खाना खालेते हे तब सब अपने रुममे अेक घंटे आराम करते हे तब रुममे जातेही मंजु लेटती हे ओर देवायतको खीचके अपने पास लीटा देती हे ओर उसे होठोपे कीस करने लगती हे..
मंजुला : देवु अब ये बच्चा आजायेतो अच्छा हे..कीतने दीन होगये हमने प्यार नही कीया.., बाबा बहोत मुस्कील लगता हे आपके इस लंडके बीना.., आदतजो पड गइ हे.. रोज इसे अंदर चाहीये..
देवायत : (हसते) बीलकुल पागल हो.. तो फीर सोच मौसीकी क्या हालत होती होगी..बेचारी..
मंजुला : (सरमाके हसते धीरेसे) देवु सुन.., बेचारी अपनी उंगलीसे काम चलाती हे.., अब कुछ करतो नही सकती.., इजतका सवाल हे.. बेचारी रो रही थी.. अगर ये रीवाज नही होता तो वो दुसरी सादी करलेती.. आज मुजे बता रहीथी.. तबतो धिरेनभी छोटा था.. अब कुछ नही होसकता.. क्या हम इनके लीये कुछ नही कर सकते..?
देवायत : मंजु सायद इसीलीये पुराने जमानेमे दो दो तीन तीन बीवीया रखनेकी परंपरा थी.. जो अब कानुनन खत्म होगइ.. वरना तब देवरभी अपने बडे भाइकी मोतके बाद अपनी भाभीको पत्नी बनाके अपना लेता था.. सब परंपरा खत्म होगइ पता नही ये विधवा सादी नही कर सकती ये रीवाज केसे आगया..
मंजुला : (देवुके सीनेपे सर रखते) बाबु कुछभी हो..हम ये पुराने रीवाज नही मानेगे..जीसमे जीनेकी चाह ही खतम हो जाये.., भले ही दो तीन सादीया करना पडे वो अच्छा था.., देवु अेक बात कहु..आप मौसीसे सादी करलो..हें..हें..हें..(जोरोसे हसते)
देवायत : (हसते) अच्छा मजाक करलेती हो.. अब हमारी समधन होगइ हे.. सुनेगी तो यहासे भाग जायेगी..
मंजुला : (हसते) अरे बाबा मजाक कर रही हु.., कास अेसा हो पाता..देवु पता हे..तो मे अेतराज नही करती..
देवायत : चल अब सोजा बहोत मजाक करलीया.., पता नही उन लोगोकी परीक्षा कब खतम होगी.., क्या लखन या पुनमका फोन आया था..?
मंजुला : (हसते) हां..आपकी लाडलीका फोन आया था.., वो लडकेके बारेमे पुछ रहीथी तो मेने कहा तेरे भाइको ही पुछले.., तो कहेतीथी उसे नही पुछना बस..अभीतो परीक्षा चल रही हे..
फीर दोनोकी बाते करते आंख लग गइ ओर मंजुने मुजे चार बजे उठादीया तो फ्रेस होके बहार आगया मंजु ओर चंदा दोनोही मेरा वेइट करते बेठी थी आज चंदा अच्छेसे तैयार होगइथी मेरे साथ जो आने वालीथी फीर हमने चाइ नास्ता कीया ओर हम चलने लगे..तब चंदा सरमाते मेरे साथ कारमे बेठ गइ तब मंजु बहोत खुस होते हस रहीथी ओर चंदा उसे देखते सरमसे पानीपानी होते मुस्कराती रही.. ओर हम चल पडे..
चंदा : (मेरी ओर सरारतसे हसते) तो आखीर बीवीको लेकर घुमाने नीकलही गये..हें..हें..हें..
देवायत : चंदा..बस तु खुस रहे.., ओर तेरा इधर रहेनेका आइडीया मस्त हे.. सब बेचके आजा.. मेरे साथ रानी बनाके रखुगा.., मंजुभी राजी हे.. हें..हें..हें.. देख तुजे मेरे साथ भेजते केसे खुस हो रही थी
चंदा : (सीरीयस होते) नही देवु..वो अपनी मौसीको रखने राजी हे..सौतनको नही..
देवायत : अरे उसे कहा पता तु उनकी मौसी बनके रहेती हेकी मेरी बीवी.. हम मेनेज करलेगे..
चंदा : (देवुकी ओर देखते) देवु..आर..यु सीरीयस.., क्या वाकइ तुम चाहते हो मे इधर आजाउ..?
देवायत : हां चंदा अब तेरे बीना रहेना बहुत मुस्कील लगता हे.. अभीतो ये डीलीवरी फीर बच्चे छोटे होने तकतो ठीक हे बादमे मुजे मुस्कील हो जायेगी.. तब मे तेरे बीना क्या करुगा..
चंदा : देवु..आइ लव यु..सो..मच.., मुजे नही पताथा तुम मुजे इतना चाहोगे.., मेरीभी हालत कुछ आपके जैसीही हे.. पता नही अब मेभी आपके बीना केसे रेह पाउगी..,इसके लीये मुजे धिरेनको तैयार करना पडेगा..
देवायत : चंदा सब होजायेगा.., बस अेक बार तु हां कहेदे.., फीर देख मे कुछना कुछ जुगाड करलुगा.. बस अेक बार बाबाको मीलने जाना हे.. देखता हु वो क्या कहेते हे..वेसेभी उनको सब पता चलही जाता हे..
अेसीही बाते करते दोनो पहोच जातेहे तब देवातत रामुकाका को चंदाका परीचय करवाते हे ओर काका को अपने पीताके खास दोस्त कहेके परीचय करवाता हे तब चंदा उनके पाव छुती हे तब रामुकाका खुसीसे गदगद होजाते हे.. फीर देवायत उनको पुरा खेतर अपनी खुली जीपमे बीठाते दीखाता हे.. तब चंदा सब देखते दंग ही रेह जाती हे फीर दोनो अपने गाडाउनमे ओफीसमे आके बेठते हे.. तब चंदाको वहाभी सब दीखाता हे..
देवायत : ओर ये मेरा पर्सनल रुम..जब सीजन होती हे तब मे यही आराम करते सोता हु.. सादीसे पहेले यही पडा रहेता था तीन तीन चार चार दीन घरही नही जाता था..हें..हें..हें..
चंदा : (हसते) अच्छा इसीलीये यहा फ्रिज ब्रीज टीवी सब रखा हे.. हें..हें..हें.. ओर बेडभी मस्त हे..
देवायत : (कमरसे पकडके खीचते) चल आजा आज इसकाभी उद्घाटन करही देते हे..हें..हें..हें..
चंदा : (सरमाते हसते छुटनेकी कोसीस करते धीरेसे) पागल हो गयेहो क्या..? कोइ देख लेगा..छोड..
देवायत : नही बेबी यहा कीसीकोभी आनेकी परमीसन नही जब मे आवाज देके बुलाउ तभी सब आते हे..
चंदा : नही देवु मेरे कपडे खराब हो जायेगे..वो मंजु देखेगी..तो.. सक करेगी.. प्लीज..मेरा अच्छा बेबी.. हम रातमे करेगेना.. तब मेरे बेबीको खुब प्यार करने दुगी..बस.. देखो दरवाजाभी खुला हे..
देवायत : (दरवाजा बंध करने जाते) बेबी अभी बंध करता हु..ओर सुन ये मेरा पर्सनल रुम हे यहा कोइ नही आता..,चल बीना कपडे नीकालकेही करेगे.. यहा जुकके खडी होजा..
तब चंदा बहुतही सरमाइ उनको पता था देवायत उनको चोदे बीना नही मानने वाला, तब वो हसते हुअे खडीथी तभी देवायत उनके पीछे चला गया ओर पीछेसे चंदाको बाहोमे भरते उनकी गरदन चुमते उनकी सारी नीकालने लगा तब चंदा मदहोस होने लगी ओर सब कपडे नीकालके बडीही सावधानीसे अेक जगह कपडे रख दीये तभी देवायतभी कपडे नीकालके उसे पीछेसे बाहोमे भरते उनकी गरदनको चुमने लगा तब चंदा मदहोस होते बेडपे हाथ टीकाके खडी होगइ ओर सरमाते हसने लगी..
तब देवायतका लंड हवामे लेहराते चंदाकी चुतको देखते जटके मारने लगा तब चंदाने पीछे मुह करते देखलीया..लंडको देखतेही वो सरमसे पानीपानी होगइ ओर सर जुकाके खडी रही, तब देवायतने उनकी कमर दोनो हाथसे पकडली ओर लंडको पकडके पीछे चुतपे लगा दीया तब चंदाकी चुत पानी बहाते काफी गीली हो गइथी ओर देवायतने अेकही जटका मारा.. पुरा लंड चंदाकी चुतमे समा गया तब चंदाकी हल्की चीख नीकल गइ ओर उनकी आंख नसीली होने लगी वो देवायतकी ओर पीछे मुह करते कामुक नजरसे देखने लगी..
तब देवायत कमरको आगे पीछे करते जटके मारने लगा तब हर धकेके साथ चंदाकी आहे नीकलने लगी ओर जोरोसे सीसकारीया करती रही तब थोडीही देरमे वोभी कमरको पीछे धकेलते देवायतका साथ देने लगी ओर दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगी.. तब चंदा अचानक बेडपे सर रखके जुक गइ ओर हाथको नीचे लेजाते अपनी चुतको सहेलाने लगी ओर जोरोसे सीसकारीया करते अकडते जडने लगी..
तबभी देवायत उसे जोरोसे पीछेसे चोदेही जा रहाथा तब वो अेक बार फीरसे कामुक होते हाथके बल बेडसे खडी होगइ ओर अेक हाथसे अपना बुब्स खुद मसलती रही तब देवायतने स्पीड बढादी ओर चंदाकी चुतमे जोरोसे जटके मारने लगा ओर उसने लंडको चुतमे जड तक घुसा दीया..ओर अपने गरम लावासे चंदाकी चुतको भरने लगा.. तब चंदाभी अेक बार फीरसे साथमे जड गइ..
तब वो जटसे खडी होते सीधी होगइ तो देवायतका लंड फच..आवाजके साथ बहार नीकल गया तब दोनोका काम रस चंदाकी चुतसे नीकलते उनके पैरसे नीचेकी ओर सरकने लगा तब चंदा जटसे अेक हाथसे अपने रुमालसे अपनी चुतको साफ करने लगी..
तभी देवायत उसे अंदर बाथरुममे लेगया जहा चंदाने अच्छेसे चुतको पानीसे साफ कीया ओर देवायतके लंडको पानीसे साफ करदीया फीर दोनोही फ्रेस होके बहार आने लगे तब चंदा कातील ओर कामुक मुस्कान करते देवायतकी ओर तीरछी नजरसे देखते मुस्कराती रही ओर दोनो दरवाजा खोलके बहार ओफीसमे आगये ओर दोनोही सोफेपे ीाथमे बेठ गये तब बेठते चंदाने कहा..
चंदा : (हसते) आप बहोत बदमास हो..आखीर अपने मनकी करही ली.. क्या मेरी भांजीके साथभी अैसा करते हो..?
देवायत : (जोरोसे हसते) नही..तेरी भांजी मेरे साथ अेसा करती हे..हें..हें..हें..
चंदा : (जोरोसे हसते) तुम बहोत कमीने हो..मेरी भांजी अैसी नही हे..मे उसे अच्छी तराह जानती हु..
देवायत : हां बेबी वोभी तुम्हारी तराह ही हे.. मुजसे बहोत प्यार करती हे.., तभीतो अपने पापासे बगावत पे उतर गइ थी.. फीर हमारी सगाइ करदी गइ.. क्या तुजे कभी नही बताया..? तेरीतो सहेली भी हे..
चंदा : (सरमाते) जी..मुजे सब पता हे..इन्फेक्ट मेनेही उसे कहाथाकी जीजुसे खुलके बात करले.. हें..हें..हें.., जानु तुम बाबाके बारेमे कुछ केह रहेथे मुजे सब जाना हे..अभी.., हमारे पास टाइम हे..ओर हम अकेले भी हे..
देवायत : हां बताता हु..पहेले ये बताओ क्या पीओगी.. चाइ या ठंडा..
चंदा : (सरारतसे नसीली नजरसे मुस्कराते) कुछ नही..अभीतो तुमने ज्युस पीलाया नीचे.. हें..हें..हें..
देवायत : (गाल चुमते हसते) वेरी फनी.., बोलाना..
चंदा : अरे मेरा बेबी सरमाताभी हे हें..हें..हें.., चाइही मंगवालो..हें..हें..हें..
तब देवायत हरीयाको आवाज देते चाइके लीये बोलता हेतो हरीया चला जाता हे तब देवायत कहेता हे
देवायत : चंदा.. क्या तुम वो मंदिरके बारेमे जानती हो..? जो हिमाचलमे हे प्रसीध्ध वहांका मंदिर जीनके दीनमे कइ कलर चेन्ज होते हे.., क्या वो मंदिर कभी देखा हे..?
चंदा : हां..देखा हे.., हम सादी करके हनीमुनके लीये वहीतो गये थे तब देखके आयेथे.. वहाके कीसी राजाने बनवाया था.. उनकी कइ रानीयाथी जो उनके खुदकी सगी बहेने ओर चाची उनकी दादीभी उनकी राानी थी.. उसने वहा अेक सादीकी परंपराभी सुरु कीथी.., जो आज तक चली आ रही हे.., तो उससे क्या..?
देवायत : बस वोही राजा.., बाबा केह रहेथे मेरा पोता होगा वो इश्वरका अंस होगा.. वोही राजा जन्म लेके मेरे पोतेके रुपमे आने वाला हे.., मुजे ज्यादा नही पता पर बाबा केह रहेथे वही यहा आके बहोत बडा बदलाव करेगा.., यहाभी वो अेसे कइ रीस्तेको नीभायेगा.. तब हमारे यहा कोइ रीस्ताही नही बचेगा.. वो सब प्रकृती को मानने वाले होगे.. बस इतनाही पता हे.. मुजे बाबासे बहोत कुछ जानना हे..
चंदा : (सीरीयस होते) क्या बाबा की बाते सच होती हे..? तुम सब मानते हो अेसी बातेको..?
देवायत : पता नही..अेसी बाते सच होतीभी हे या नही.., पर अेक बात हे..उसने जोभी हमारे बारेमे अबतक कहा वो सब बाते सच होती हे.., मेने मेरी ओर मंजुकी सादीके बारेमे पुछाथा तो कहा होजायेगी.. ओर मेरीभी तीन सादीकी बात कीथी.. तो अेक डरसा लगता हे.., मे मेरी मंजुको ओर तुमको धोखा देना नही चाहता..
चंदा : (गंभीर होते) देवु..तबतो तुम्हारी दो सादीतो होगइ.. दुसरी मेरे साथ.., हमने मंदिरमे फेरे लीये..मंगलसुत्र पहेनाया..मेरी मांग सींदुरसे भरी.. यहीतो सादी हे.. जो मेने तुमको उसी पल अपने आपको समर्पीत करदीया था.. तो क्या अेक सादी ओरभी बाकी हे..? कीससे.., देवु मुजे बाबासे मीलना हे..
देवायत : बेबी अेक दीन हम जायेगे.. सीर्फ हम दोनो.. मे ये बात मंजुसे छुपाना चाहता हु.. क्युकी वो मेरी तीन सादीकी बात सुनके दुखी होजायेगी.. मे तुम दोनोसे बहोत प्यार करता हु..
मालती : (अंदर चाइ लेके आते) लीजीये मेमसाब चाइ पीजीये फीर बरतन बादमे लेजाउगी..
फीर मालती चाइ रखके चली गइ ओर देवायतने चंदाको पानी पीलाया फीर दोनोने अेक अेक उठालीया ओर चाइकी चुस्की मारते बाते करते रहे तब चंदाने फीरसे बातोका दोर सम्हाल लीया..
चंदा : जानु.. मुजे उनकी बातचीतसे लगता हे वो सबकुछ जानती हे.., वो बहुतही स्ट्रोंग हे.., अभी परसो साम धिरेन आयेगा तब उनको लेने जाना हे तो मुजे लगताहे तब हम बाबाको मील सकते हे हम दोपहर खाना खाके सीधेही बाबाके पास चले जायेगे.. फीर वापसीमे धिरेनको लेके आजायेगे..क्या कहेते हो..?
देवायत : क्या धिरेनका फोन आया था..?
चंदा : हां..सुबही आयाथा..केह रहाथा परसो सामको आजाउगा.. जीजुको लेने भेज देना..हें..हें..हें..
देवायत : (हसते) हां.. अब वोभीतो मेरा जीजु होजायेगा..हें..हें..हें..
चंदा : (सरमाते हसते) हां.. साला भी.., जीजा भी..ओर..बेटा भी..
देवायत : चंदा अेक बात पुछु..? अगर धिरेनके सामने तुजे अपनाना पडेतो तु क्या करेगी..?
चंदा : (हसते) इम्पोसीबल..अेसा कभी होने वाला नही.. फीरभी अपनाना पडेतो मे धिरेनकी परमीशन चाहुगी..जो वो कभी नही देगा..भीरभी परमीशन देदी तो फीर मे खुसी खुसी तुमको अपना लुगी.. आइ प्रोमीस.., फीर आपके लीये सबकुछ करुगी.., इनफेक्ट हमारा बच्चा भी.., अगर तुम चाहोतो..
देवायत : बस तेरे मुहसे यही सुनना चाहता था.., चंदा मेरा दील केह रहा हे अेक दीन सबकुछ होगा जो अभी तुमने बोला हे.. पता नही मेरी अंतरआत्माकी आवाज आ रही हे..
चंदा : (सरमाते) तबतो आपके मुहमे घी सकर..कास अैसा सब होपाता.., पर अगले जन्मके लीये आपकी बुकींग पकी हे..हें..हें..हें.. हम दोनोही मौसी भांजी आपको छोडने वाली नही हे..हें..हें..हें..
अेसेही बाते करते दोनोको पताही नही चला साम ढलनेको आइ हे फीर दोनोही अचानक खडे हो जातेहे ओर हवेलीकी ओर नीकल जातेहे तब दोनोही रास्तेमे मस्ती मजाक करते पहोंच जातेहे तब मंजु उनको देखके खुस हो जातीहे.. फीर दोनो फ्रेस होके अंदर आजाते हे ओर होलमे सोफेपे बेठ जातेहे तब मंजु देवायतसे चीपकके बेठ गइ ओर उनकी कमरमे हाथ डालके देवायतके गाल चुमलीये तब चंदा हसने लगी..
चंदा : (हसते मजाक करते) देखले.., तेरे पतीको सही सलामत सोंप रही हुं हें..हें..हें..
मंजुला : (वोभी हसते मजाकमे) मौसी मुजे कोइ गम या अेतराज नही, बस मेरे लीयेतो यही काफी हे आप सही सलामत वापस लोट आइ..हें..हें..हें..
तब चंदा सरमसे पानीपानी होगइ ओर दांत पीसते हसते चंदाको मुका मारदीया.. तब तीनोही हसने लगे..,तभी दुसरी ओर सरपंच सामको उठतेही फ्रेस होगया तो रश्मीने सरपंचपे गुसेसे चाइ नही बनाइ थी तो सरपंच उनपे भडक गया ओर रश्मीको दो चांटा जड दीया तब रश्मी सोक्ट होगइ ओर रोने लगी..,तो सरपंच अपनी जीप लेके मुनीमके घरकी ओर चला गया..उसे आज चाइकी तलप हुइ.. जब वो वहा पहोच गया तब मुनीम उनका बेसब्रीसे इन्तजार कर रहाथा तो सरपंचको देखतेही अंदर लेगया....
कन्टीन्यु