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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ११

अ‍ेसेही मस्ती मजाक करते दोनो फीरसे गरम होगये ओर अ‍ेक बार फीर प्यारका खेल होने लगा इस बार चंदाको देवायतने बहुतही कामुक तरीकेसे चोदलीया तब चंदा तृप्त हो चुकीथी..दोनोही पसीने पसीने हो गयेथे तब देवायत ओर चंदा साथमे नहाये ओर वहाभी देवायतने चंदाको खडे खडे चोद लीया फीर देवायत उनको कीस करके कपडे पहेनके अपने रुममे चला गया ओर चंदाभी नाइटगाउन पहेनके सो गइ....अब आगे

सुबह देवायत थोडी देरसे उठा तबतक चंदा ओर मंजु तैयार होके होलमे बेठीथी ओर बाते कर रहीथी.. तब देवायतभी आगया ओर सबने साथमे चाइ नास्ता कीया फीर देवायत मंजुसे कहेके अपनी कारमे अपने गोडाउनकी ओर चल पडा तब गांवके चोराहेपे कुछ लोगोकी भीड दीखी तो देवायतने उनके पास जाके अपनी कार रोकली तब अ‍ेक मजदुर आदमी नीचे जमीनपे अपना पैर पकडके बेठाथा.. ओर रो रहा था..

देवायत : (कारसे नीचे उतरते जोरोसे) अरे क्या हुआ..? ये क्यु चीला रह हे..?

ठाकुर देवायतकी आवाज सुनतेही लोग इधर उधर होने लगे तब रमेश दुकानसे बहार आगया ओर देवायतसे हाथ मीलाया तब देवायतने उनकी ओर सवालीया नजरोसे देखा..

रमेश : ठाकुरसाब अंदर दुकानमे आइअ‍े..आपको बताता हु..

देवायत : (दुकानमे जाते) हां रमेश बता क्या हुआ इसे..कीसका मजदुर हे..?

रमेश : (थोडा गभराते) माफ कीजीये ठाकुरसाब मेरा नाम ना आये.., इनको सरपंच (राघव)ने मारा हे..

देवायत : (थोडे उचेसे) लेकीन..क्यु..? क्या कीया हे इसने..? बेचारा..अभीभी रो रहा हे..लगताहे पेरमे कुछ हुआ हे..कही टुट बुटतो नही गया..? देखतो सही.. चल पहेले इनको होस्पीटल ले चलतेहे वहा बात करेगे..

कहेते देवायत जटसे बहार नीकल गया तब पीछे रमेशशभी उनके आदमीको कहेके बहार आगया तब ओर लोगभी मदद करने आगये ओर मजदुरको उठाके पीछे कारमे डाल दीया तब बेचारा बहुत चीलाया ओर देवायतने कार सीधी ही डोक्टरके पास जानेदी तब रमेश जटसे उतरके होस्पीटलके अंदर चला गया ओर थोडीही देरमे डोक्टरको बहार बुलाके आगया तब डोक्टरभी दोडके आगया ओर सीधेरी कारमे पीछे पडे आदमीके पैरको चेक करने लगा फीर देवायतके पास आके उनसे हाथ मीलाया ओर कहा..

डो.सुधीर : देवायतजी लगता हे इनके पैरकी हडी टुट गइ हे.., क्या हुआ इसे..?

देवायत : (सीरीयस होते) सुधीरजी..क्य होगा..हमारे गांवमे अ‍ेकही कमीना आदमी हे.., वो सरपंच..बेचारेको उन्हीने मारा हे.., अब क्या करु..? यहा इलाज होजायेगा..?

डो.सुधीर : अरे नही.. वहा अ‍ेसी सुवीधा कहा.. में चीठी लीख देता हु.. इसे वो हमारे नजदीक सहेर ---हे वही होस्पीटल लेजाइअ‍े..इनमे प्लास्टर आयेगा.., देवायतजी अ‍ेक बात कहु..अब आपही सरपंच होजाइअ‍े.., ताकी इस गांवके लोगोको इस जंजटसे छुटकारा मील जाये..

रमेश : (हसते) ठीक कहा आपने डाक्टर साहब.., अब आपही कुछ कहीये..हमारी कहा सुनते हे..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अरे मेरे धंधेसेही फुरसत नही मीलती.. इसीलीयेतो इस कमीनेको सरपंच बनाया था..अब आगे देखते हे..कुछ ओर सोचना पडेगा..चलीये सुक्रिया..इनको सहेरभीतो लेजाना पडेगा.. आपकी फीस..?

डो.सुधीर : (हसते) अरे आप इनको जानते नही फीरभी इनकी सेवा करते हे तो काहेकी फीस..हें..हें..हें..

देवायत : ठीक हे..सुक्रिया..(रमेशकी ओर देखते) चलो रमेश..अब तुजेभीतो आना पडेगा इनको सहेरही ले चलते हे..चलो..

फीर दोनोही सहेरकी ओर नीकल जाते हे तब पीछे मजदुर अपने दोनो हाथसे सख्तीसे अपने पैर पकडके बेठाथा ओर उनके पास उनका छोटा लडकाभी बेठा था जो बडाही मासुम ओर डरा हुआ लगता था..

देवायत : (कार चलाते पीछे देखते) अरे सुनो..क्या नाम हे तेरा..कहा काम करता हे..?

छोटु (मजदुर) : मालीक मुजे सब छोटु कहेते हे..वो अभी अ‍ेक हप्ते पहेले भानुभाइके खेतमेही कामपे लगा हु.. बस वही जा रहाथा.. इधर मेरा सामान लेने आयाथा तो सरपंचने मारा..(रोने लगता हे)

देवायत : (चोंकते) क्या..भानुके वहा..मतलब हमारे यहा काम करता हे..? तुजे कभी देखातो नही..

छोटु : (रोते) जी..अ‍ेक हप्ते पहेलेही आयाहु.., पहेले सरपंचके यहाही काम करता था.. मे खेतमे काम करताथा ओर मेरी बीवी उनके घरमे.., हमे अ‍ेकही पगार देताथा..

देवायत : (आगे देखते) तो फीर तुने वहा नोकरी क्यु छोडदी..?

छोटु : (हीचकीचाते) जी..वो..वो..

रमेश : अरे बोलनां..सब घरकेही हे.. तु इनके यहाही काम करता हे भानुभाइ ओर ठाकुरसाब अ‍ेकही हे..

छोटु : (धीरेसे) जी..वो..वो..मेरी बीवीने सरपंचसे कुछ उधार पैसे लीये थे..तो नही चुका पाइ..बस इन्ही बातोका सरपंच फायदा उठाने लगा.. तो छोडके आगये..सामानभी नही दीया..लेने गयेथे तो मारा..

देवायत : (गुसा होते) मादर--, अब इनका कुछ इलाज करना पडेगा.. पानी सरसे उपर चला गया..

रमेश : ठाकुरसाहब माफ कीजीये सीर्फ ये छोटुही नही हे..हमारे गांवकी कीतनी ओरते ओर लडकीया हे..जो इन्हीकी तराह उधार पैसे देकर फायदा उठाता रहेता हे.., बस बात आप तक नही पहोचती..

देवायत : (कुछ सोचते) रमेश.. तु मेरा दोस्तभी हे.., ओर बनीयाभी हे.. तो अगर तुजे इस मुसीबतको हटाना होता तो क्या करता..? मुजे पताहे तु इनके साथ जगडा करनेतो कभी नही जागेगा..तो केसे हेन्डल करता..?

रमेश : (हसते) फसादीयाने..मुजे..हें..हें..हें.., ठाकुरसाहब हम दुसरी तराह मारते सापभी मर जाये ओर लाठी भी ना टुटे..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां..बस वोही.., भाइ हम अकेलेमे मीलेगे सीर्फ हम दोनो, तबतक कुछ सोचके रख..अ‍ेसा सोचकी कमीना खटीयाही पकडले हम कल मीलेगे मेरे गोडाउनमे आजाना हम वही बात करेगे..

फीर वो सहेरमे आगये ओर छोटुका अ‍ेक्सरे वगेरे सबकुछ कीया ओर पावमे प्लास्टर लगवाके वापस आने लगे..तब रास्तेमे सबने खानाभी खाया ओर बच्चेको नास्ताभी दीलवाया तब जाके उनके चहेरेपे डरका भाव चला गया.. फीर सब वापस आनेके लीये कारमे बेठेही थे तभी भानुका फोन आगया..

भानु : (फोन उठाते) अबे कहा हे तु.., सुन वो सरपंचने हमारे अ‍ेक मजदुरको मारा हे..

देवायत : (हसते) अरे सांत होजा.., बस उनके इलाजके लीये सहेरही गये थे आ रहे हे.. अभी आधे घंटेमे पहोच जायेगे फीर आकर मीलता हु.. कुछ बातभी करनी हे.. चल रखता हु..

फीर वो सब वापस गांवमे आजाते हे वही रमेश उतर जाता हे फीर देवा मजदुरको लेके अपने खेतमे चला जाता हे वही रामुकाकाने उसे अ‍ेक रुम दे रखीथी वही उनको उतारता हे तब उनकी बीवीभी दोडके आ गइ ओर छोटुको देखके रोने लगी तब रामुकाका ओर देवायत उसे सांत करते हे तबतक भानुभी आगया ओर सब पुछताछ करने लगा तब देवायतने उनको कुछ नही पुछनेको इसारा कीया ओर कुछ पैसे देकर दोनो गोडाउनमे आके बेठ गये तब भानु उनकी ओर प्रस्नार्थ भरी नजरोसे देखने लगा..

देवायत : भानु अब इस सरपंचका कुछ इलाज करना पडेगा..बस इनकी बीवीको पैसे देके उनकी मजबुरीका लाभ उठाता हे.. बेचारोका सामानभी रख लीयाथा लेने गया तो बेचारेकी टांग तोडदी..

भानु : (गुसेसे) मादर--, भाइ क्या करना हे बतादो..रातको उठाले..? सालेको ठीकाने लगा देगे..कीसीको कानोकान खबरभी नही होगी.. बस आप बोलो..

देवायत : यार इस बार जगडा नही करना, हमने कुछ ओर सोचलीया हे बस कल तक राह देखले..फीर कुछ करते हे.., इस बार अ‍ेसे मारेगे.. कमीना हमारे बारेमे सोचभी नही सकता.. इस बार हम उसे बुध्धीसे मारेगे.. फीर उनकी बीवीको उन मादर--के सामनेही चोदुगा.., दुसरेकी बीवीया चोदनेका बहोत सोक हेना..? अब देख.. सालेको..मेने दुसरे सरपंचकाभी सोच लीया हे..

भानु : यार वो सबतो ठीक हे..अब भाभी ओर भावनाका वक्त नजदीक आ गया हे..कुछ सोचा हे..? दोनोको कभीभी लेजाना पडे.. बस १० १२ दीन बचे हे..फीरभी सही टाइमका अंदाजा नही लगा सकते..

देवायत : भानु अब तु अ‍ेक कार लेजा.. तेरे पासही रख.. मेरे पासतो हेही.. इस खटारा कारमे कहा लेजायेगा.. मेरी टेन्शनतो मेरी मौसीजीने लेली.. वोही मंजुके साथ होस्पीटल आयेगी.., अरे सुन भानु..हमने हमारी पुनमका रीस्ता धिरेनके साथ तैय करलीया हे.., आजही सब कंन्फर्म हुआ.. पहेले तुजे बता रहा हु..

भानु : (खुस होते) यार क्या खबर सुनाइहे तुने..हें..हें..हें..चल सब टेन्शन खतम..इसी खुसीमे अ‍ेक अ‍ेक पेग हो जाये..हें..हें..हें.., देखना सीर्फ अ‍ेक पेग.. वरना कोइ मजदुरन गइ कामसे हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) नही यार..अब कोइ मजदुरन नही..तो फीर क्या फर्क रेह जाता हे उस सरपंच मे ओर हममे.., बस जीतनी अपनी मरजीसे आतीहे वोही हमारे लीये काफी हे.. तु सही था हमे मजबुरीका फायदा नही उठाना.. बस मेरे लीयेतो मेरी जमीला दया रजीया ओर ये सरपंचकी बीवीही सही हे..

भानु : (हसते) भाइ क्या वो सरपंचकी बीवीको लाइनमे लेलीया..?

देवायत : (हसते) हां..बहुत चाइ पानीका केह रहीथी.. अ‍ेक बार मोका मील गया.. सरपंच दो दीन नही था..सहेर गया था..तब काम तमाम करके आगया..साली क्या गदराया माल हे.. मेरीतो दीवानी हो गइ..मेरे लीये सरपंचको छोडनेको केह रही थी..कमीनीको बडी मुस्कीलसे समजाया.., यार अ‍ेक उलजन मे हु..

भानु : (हसते) अब कोनसी उलजन हे.. कुछ हुआ क्या..?

देवायत : (सीरीयस होते) भानु.. तुजेतो पता हे वो बांज हे.. मुजे बच्चेके लीये फोर्स करती हे..क्या करु..?

भानु : (हसते) यार कोइ खतरा नही हेतो देदो.., कीसीको क्या पता चलेगा.. बस वो कीसीको बोलनी नही चाहीये.. बाकीतो ये पुन्यका काम हे हें..हें..हें.., ओर मुजे नही लगता ये गलत काम हे..

देवायत : (हसते) तु बहोत कमीना हे हें..हें..हें.., लगता हे तुने अ‍ैसा कोइ पुन्यका काम कीया हे.. हें..हें..हें.. बता कीसका कीया हे.., तभीतो अ‍ैसी बोल रहा हे..

भानु : (सरमाते हसते) क्या यार..तुभी बात कहा लेजाता हे..हें..हें..हें..अ‍ेसा कुछ नही हे यार..(सरमाते)

देवायत : (हसते) कमीने.., सरमातो बहुत रहा हे.. बता वो कोन हे..वरना कसमभी दे सकता हु..

भानु : (हसते) क्यु पीछे पडा हे यार तुजे पता हेना मे कसम नही तोड सकता..कुछ राज राजही रहेने दे यार..

देवायत : भानु..क्या हमने कभी अ‍ेक दुसरेका राज छीपाया हे..? ओर कभी कीसीको बताया हे..? तो फीर तुने इतना बडा राज केसे छुपा लीया.. क्या मुजपे विस्वास नही रहा..? लानत हे अ‍ेसी दोस्तीपे यार..

भानु : यार तु समज कीसीकी इजतका सवाल हे..? चल ठीक हे यार..अब कुछभी नही छीपाउगा बस.., दोस्तीपे सक मत कर यार.., बस ये बात हम दोनोके बीचकी हे कीसीको नही पता..मुजसे बहुत प्यार करती हे..ओर हमारा अ‍ेक बच्चाभी हे..उनको नही हो रहाथा तो मुजसे करलीया..तबसे सब चल रहा हे..

देवायत : (सरारतसे हसते) अच्छा..कोन हे वो खुसनसीब जीनका दील मेरे यारपे आ गया..

भानु : (सरमाते हसते) वो..मेरी बडी मामी.., मेने खुब पेला हे यार.. ओर अभीभी पेल रहा हु.. उनकी लडकी.. हमारीही लडकी हे..अबतो १२ सालकी हो गइ..पढ रही हे..ओर मामी आजभी मुजसे प्यार करती हे..

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देवायत : (हसते) कमीने..इसका मतलब तेरी सादीसे पहेलेही सबकुछ चल रहा हे ओर मुजेही नही पता..

भानु : सोरी यार..तुमसे सब छुपाया.., तुजेतो पता हे जब मामाका अ‍ेक्सीडन्ट हुआ तबसेही वो कामके नही रहे.. ओर तब मेही वहा उनके पास था..तब हम नजदीक आगये..ओर अ‍ेक रात नानी मामाके पास होस्पीटल रुक गइ ओर मे मामीको लेकर घर आगया..बस उसी रात हम मील गये, ओर सबकुछ करलीया.. तबसे वो मेरी दीवानी होगइ ओर मुजे पती मानके मुजसे अपनी मांग भरवाके मेरी बीवीकी तराह ही पेस आती हे..
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देवायत : (हसते) साले..उनकी मांग भरीहेतो उनको अच्छेसे नीभाना.. तु जानताभी हेना अ‍ेक बार ओरत कीसीको पती मानलेतो उनपे जानभी छीडकने नही हीचकीचाती..तु उनका खयाल रखना..

भानु : (आंख गीली करते) थेन्क्स भाइ.., अब उनकी हर जरुरत पुरी करुगा..

देवायत : (हसते) क्या नाम हे तेरी बेटी का..उनको सहेर भेजदे पढनेके लीये..पैसेकी चीन्ता मत कर..

भानु : अब कीतना मेरे लीये करेगा..? यार अ‍ेसे पैसे लेना अच्छा नही लगता.., उनका नाम नीलम हे..ओर मामीकोतो तुम जानतेही हो रमा..मुजे दीलोजानसे चाहती हे अ‍ेक पत्नीकी तराह.. हमारी सादीमे बहुत काम कीया.. जबतक मेरे घर रही हर रात हमने साथ गुजारी पती पत्नीकी तराह..

देवायत : (सीरीयस होते) देख भानु मेने तुजे कभी अपना यार नही माना..तुजे हमेसा भाइही माना हे..क्या मेरा छोटा भाइ होतातो मे उनके लीये नही करता..? यही समजले तु मेरा छोटा भाइही हे.. तो केसी उलजन..

भानु : (हसते) चल ठीक हे इस साल दाखला करवा दुगा..अबतो खुस..चल यार बोटल नीकाल..

तब भानु हसते हुअ‍े टेबलके खानेसे बोटल ओर दो ग्लास नीकालता हे ओर दोनोका पेग भरता हे तब देवायत हरीयाके कहेके चखना मंगवा लेता हे तब थोडीही देरमे हरीयाकी बीवी मालती चखना देने आतीहे ओर देवायतको कातील स्माइल देते चखना देतीहे तब देवायतभी उनकी ओर हस देता हे ओर वो चली जाती हे.. तब दोनोही सगाइकी बाते करते आगेकी प्लानींग करते रहेते हे..

भानु : भाइ वो सगाइके लीये कपडे पबडेभी लेने जाना पडेगा.. सब कब करना हे..?

देवायत : (अ‍ेक घुट लगाते) भानु..अभीतो लखन ओर पुनमकी परीक्षा चल रही हे..जब वो खतम होयी तब उनको लेने सहेर जाना हे तब सब खरीदी करके आयेगे.. तु लताकोभी साथ लेले उनकी पसंदका सब आजायेगा.. अब इस हालतमे भावना ओर मंजुतो नही आ सकती..देखता हु कीसको लेजाये.. वो धिरेनकोभी लेजाना हे.. देखतेहे मौसी आतीहेकी नही..वहा लखन पुनमकीभी सब खरीदी होजायेगी.. क्या कहेते हो..?

भानु : भाइ तुम लता कोही लेजाना.. जाना हो तब भेज दुगा.. वहा पुनमतो हेही..वो दोनोही सब लेलेगी.. फीर सबको लेके आजाना.. फीर ये दोनोकी डीलेवरी होजाये.. फीर सगाइका सोचेगे..

देवायत : हां यार..वही ठीक रहेगा हम अ‍ेसाही करेगे..तुजे जीतने लोग बुलाना हे बुला लेना..तेरी भाभी केह रहीथी.. चारोकी सगाइ साथमेही रखेगे हमारी हवेलीपे.. बहुत जगा हे.. मौसीकातो कोइ नही हे..

भानु : (थोडे नसेमे) भाइ मौसी ओर भाभी सहेलीही हे दोनोकी उम्रमे ज्यादा कुछ फर्कभी नही सीर्फ चार पांच सालकाही फर्क हे.., बेचारी जवानीमेही विधवा हो गइ.., साला ये गांवका रीवाजभी अजीब हे इससेतो अच्छा सहेर वाले होते हे..वो अ‍ेसी कीसीभी बातको नही मानते.. बेचारीका घरतो बस जाता.., साला अकेलापन.. दीमककी तराह होता हे..,बस अंदरही अंदर आदमीको खाये जाते हे.., यार इसमे तुम कुछ नही कर सकते..?

देवायत : (नसेमे) भानु..तुजेतो पता हे.. बाबाने क्या कहा हे.. बस कुछ वक्त इन्तजार करले फीर हमने सोचाभी नही होगा अ‍ेसा दीखनेको मीलेगा.., बहेन--, कोइ रीस्ताही नही बचेगा.., तुजे पता हे खुद --वान का अंस हमारे घरमे पैदा होगे.., बस वोही सब करेगा.., पता नही तब हम होगेकी नही..

भानु : (लडखडाती आवाजमे) होगे..भा..इइइ.क्यु..नननहीइइइ. होगे..हम.. सब..दे..खेगे..

देवायत : (बोटल अंदर रखते) बस कर यार बहोत हो गइ.. अबतो धरभी नही जा सकते..मंजु सुनायेगी..

भानु : भाइ..भा..भी..अच्छी हे.., ओर ये..कमीनी..भावना..उसे..रोज..लंड चाहीये.. अरे आदमी..चोदेगाभी तो कीतना.. सालीको संतोषही नही..हो..ता.. बस पुरी रात..लंड डा..लके..हीक..हीक.. पडा..रहो..हीक..

देवायत : चल यार इधरही सोजा.. रातको चले जाना.. चल पहेले कुछ खा लेते हे..(जोरोसे) हरीया..

हरीया ओर उनकी बीवी मालती जो कबीलेमे रहेते हे ओर देवायतके खेतोमे भी काम करता हे जब काम नही होता तब कबीलेमे चले जाते हे इस गांवसे आधे घंटेकी दुरी परही हे मालती भी देवायतकी दीवानी हे जो हर वक्त देवायतके नीचे लेटनेको तैयार रहेती हे.. जबभी देवायत दारु पीता हे तब वोहीतो देवायतको सम्हालती हे जीसे हरीयाकोभी कोइ अ‍ेतराज नहीथा क्युकी कबीलेके लोगोमे ये सब आम बात थी..

हरीया : (दोडके आते) जी ठाकुरसाब..

देवायत : यार..वो खाना बाना लगा.. फीर इनको अंदर दुसरे रुममे सुला देना..

हरीया : जी..अभी मालतीको भेजताहु खीला देगी..

कहेके वो मालतीके हाथ दोनोका खाना भेज देताहे तबब दोनो खा लेते हे..भानुकोतो होसही नही था जेसे तेसे करते दोनो खा लेतेहे फीर मालती भानुको सहारा देके दुसरे रुममे सुला देतीहे ओर वापस आके सब बरतन समेटने लगती हे तब देवायत उनका हाथ पकड लेता हे तो मालती हसते हुअ‍े कहेती हे..

मालती : (हसते) मालीक पहेले इनकोतो सब रखने दीजीये..आप जाइअ‍े अपने रुममे..सब समेटके आती हु..

तब देवायत लडखडाते अपने रुममे चला जाता हे थोडीही देरमे मालतीभ आजाती हे ओर दरवाजा बंध करते अपने सब कपडे नीकालने लगती हे फीर नंगी होके देवायतकी बगलमे बेठते देवायतकेभी कपडे नीकालने लगती हे जेसे तेसे करते उनकी पेन्ट ओर चडी नीकाल लेती हे तब देवायतका लंड फडफडाते जटके मारने लगता हे जेसे वो मालतीकी चुतको भलीभांती जानता हो.., तब मालती पीठके बल लेट जाती हे..

तब देवायत उनको भाहोमे भरते अ‍ेक टांग उची करते कमरपे डालते उनके उपर चडके लेट जाता हे ओर मालतीभी देवायतके लंडको देखके कामुक होजाती हे ओर उनकी चुत गीली होजातीहे तो देवायतके लंडकोभी जेसे अपने बीलमे जानेकी जल्दी हो वो मालतीकी चुतपे जोरोसे ठोकरे मारते अपना रास्ता ढुंढते मालतीकी चुतमे चला जाता हे जेसे उनको इस चुतमे घुसनेकी जल्दी हो..

तभी देवायत हाथके बल उचाहोते मालतीको जोरोसे सोट मारते चोदने लगता हे तब मालतीथी कमर उछालते देवायतका साथ देने लगी वो चुदवाते हुअ‍े लगातार देवायतकी आंखोमे देखे ही जा रहीथी.. थोडीही देरकी घमासान चुदाइके बाद मालती अकडने लगती हे ओर आंखे नसीली करते आधी चडाते जडने लगती हे ओर कमरको पटकते दोनो हाथोसे चदरको कसके पकड लेती हे.. फीर सांत होजाती हे..

तब देवायत लंड नीकालके साइडमे हो जाता हे ओर मालतीको पकडके घोडी बनाके लंडको पीछेसे उनकी चुतमे उतार देता हे तब मालतीकी हल्की चीख नीकल जाती हे ओर वो बरदास्त नही करपाती तब देवायत अ‍ेक हाथसे उनकी गरदन पकडके उसे धनाधन चोदने लगता हे तब मालती चुदवाते चुदवाते बेडपे गीरती हे ओर देवायत उनकी कमरको पकडते जोरोसे चोदने लगता हे तभी थोडीही देरमे अपना सारा माल मालतीकी चुतमे डालते चुतको पुरी भरदेता हे ओर उनकी पीठमे लेटके ढेर हो जाता हे..

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तब मालतीकी हालत खराब हो जातीहे ओर वोभी अ‍ेसेही पडी रहेती हे, लंड चुतमे होनेके बावजुदभी मालतीकी चुतसे दोनोका कामरस अपना रास्ता बनाते मालतीकी चुतसे बहार गीरने लगता हे.., जब दोनो नोर्मल हो गये तब देवायत साइडमे होकर लुढकके सोने लगता हे ओर मालती धीरे धीरे बेडसे उतरके खडी हो जातीहे ओर अपनी चुतको कपडेसे साफ करके अपने कपडे पहेनने लगतीहे फीर धीरे धीरे लंगडाती चालसे बहारकी ओर जाने लगती हे आज वाकइ देवायतने उनकी हालत खराब करदीथी.. वो दरवाजा बंध करके अपने रुममे जाके अपनी खटीयामे गीर जातीहे ओर बेहोस जेसी हालतमे सो जाती हे..

सामको देवायत बहुत देरसे ६ बजे उठा, देखातो भानु अभीभी सो रहाथा वो अभीभी थोडे नसेमे था तो उनको जगाया तो रातमे यही सोनेको कहेके वापस सोने लगा, तब देवायतने हरीयाकी मददसे उनको देवायतकी गाडी मे पीछे डाला ओर उनको छोडने उनके गांवकी ओर चल पडा देवायत भानुको अ‍ेसे कइ बार छोडने जाता हे, तो उनके घरवालेको भी पता होताहे की भानुने आज ज्यादा दारु पीली होगी.. ओर उनको सुलाके वापस आजाता..

वहा पहोचके उनको सहारा देते उनके रुमकी ओर चल पडातो भावना देवायतको देखतेही खुस होगइ तो उनकी सास सरलाभी भानुको देखते कातीलाना हसने लगी, ओर लतातो उनको देखतेही सरमाके भावेशको लेके रुममे चली गइ आखीर देवायत उनके जेठजो थे.. तब भावनाभी दुसरी ओर भानुका हाथ पकडके देवायतके साथ रुममे छोडने साथमे जाने लगी ओर भानुको सहारा देनेके बहाने देवायतके हाथको छुने लगी..तब अ‍ेक बार हाथको दबाभी दीया तो देवायत हसने लगा तब वो बहुत सरमाइ ओर हसने लगी..

भावना : (भानुको बेडपे सुलाते) जीजु..क्या बहुत पीली हे..? कीस खुसीमे पार्टी कर रहे थे..हें..हें..हें..

देवायत : कुछ नही भावु..बस पुनम धिरेनके रीस्तेके बारेमे सुनके खुस हो गया..?

भावना : (खुस होते) क्या..? दोनोका रीस्ता तैय होगया..? सगाइ कब रखी हे..?

देवायत : (हसते) बस कलही बात तैय हुइहे वो मौसी आइहे घर.., पहेले आपको बताया.. अब इस हालतमे तुम धर केसे आओगी.. नहीतो तुजे ले चलता..

भावना : (धीरेसे) जीजु कभी अकेले मीलोना.. कुछ बात करनी हे.. सीर्फ आपको.. मंजुदीको मत कहेना..

देवायत : (सामने देखते) क्या बात हे भावु..? कुछ परेसानीतो नही..? तो बता.. कुछ पैसे बैसे चाहीये..?

भावना : (धीरेसे) अरे नही..नही..? कुछ ओर बात हे..? आपके ओर मेरे बीचकी बात.. समज गये..

देवायत : (आसचर्यसे) हम दोनोके बीचकी बात..? क्या बात हे..? कुछ सीरीयस मेटरतो नही..? मतलब मुजे दारु पीनेके बाद होस नही रहेता..तो..मेने तेरे साथ कुछ गलततो नही करदीया..?

भावना : (सरमाके हसते) नही..वो बात नही..अ‍ेसा कुछ नही हुआ..बस..कुछ ओर बात हे..जो बादमे हमे अकेले मीलनेका मोका मीलेगा तब बता दुगी..मेरी सादीके पहेलेकी बात हे..आप टेन्शन मत लेना..

देवायत : ठीक हे भावु हम मीलेगे तब बता देना..जरुर कोइ सीक्रेट बात होगी.. अब चलो बहार वरना तेरी सासु सक करेगी की सालीको छेडते होगे..हें..हें..हें..

भावना : (सरमके मारे हसते मुका मारते) वेरी फनी.. जीजु आप बहोत बदमास हो..चलीये..(सरारतसे धीरेसे) वेसेभी सालीभीतो आधी घरवाली होती हे.. आपका छेडनेका पुरा हक हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां.. तो तैयार रहेना.. अब मौका मीलातो जरुर छेडुगा.. हें..हें..हें..

तब भानु गहेरी नींदमे सोयाथा ओर देवायत भावना बाते करते बहार आगये तब भावना रसोइमे चली गइ ओर देवायतके लीये चाइ बनाने लगी तब देवायत सरलाके पास जाके बेठ गया तब वो रसोइकी ओर देखते सरमाके बोली..

सरला : (हसते) आइअ‍े समधीजी..हें..हें..हें.. अंदर बहोत देर करदी.. कही सालीपेतो दील नही आ गया..?

देवायत : (धीरेसे हसते) अगर आप जेसी हसीना हेतो मुजे सालीकी क्या जरुरत हे.. कहो.. आप कब अकेली होगी..? आजाउगा..

सरला : (सरमाके हसते धीरेसे) क्या इतनी पसंद हु.., अबतो बुढी होने लगी हु..तो फीर आता क्यु नही..? तुम अ‍ेक काम कर सगाइकी खरीदी करने भानुको भेजदे मे तेरे गोडाउनमे चली आउगी.. फीर खुब मजे करेगे.. क्या दमदार हथीयार हे तेरा.. जो अ‍ेक बार देखलेगी.. तेरीतो दीवानी हो जायेगी..

भावना : (चाइपानी लाते) माजी..हमारी पुनम ओर मौसीके लडके धिरेनका रीस्ता तैय हो गया हे..

सरला : (हसते) क्या..? तुमने तो बताया नही.., रीस्ता कब कीया..?

देवायत : (चाइ पीते) बस कलही तैय कीया.. चारोकी साथमे सगाइ करेगे हमारी हवेलीपे.. तैयारी सुरु करदो.., आप सबको उधरही आना हे आपके सब रीस्तेदारको बुलाना..

सरला : अब कहा हे रीस्तेदार..बस आप ओर भानुके ससुर ओर भानुके मामा लोगही हे.. वहासे रमा ओर नीलमही आयेगे.. उनका मामा तो कही दारु पीके पडा होगा.. वो कहा आता हे.. दोनो मा बेटीको भेजते हे

भावना : जीजु भानु केह रहेथे इन बच्चोके लीये खरीदी करने जाना हे..आप लताको लेजाना..हम भेज देगे.. अब ब्याह करके उसे उधर हीतो आना हे थोडी सबके साथ घुल मील जायेगी..

सरला : (गहेरी सांस लेते) हां..भाइ..अब जमाना बदल गया हे.. अच्छाहे आपतो घरकेही लोग हे.. वरना मेरी सगाइतो इतनी ज्लदी करदी मुजे लडकेका मुहभी देखनेको नसीब नही हुआ.. बस सादीके बाद इस घरमे आइ तबही तेरे काका का मुह देख पाइ.. कास हमारे जमानेभी आजके जेसा होता..

भावना : (हसते) क्या माजी.. बापुजीभी तो अच्छे थे.. मेने सुना हे..हें..हें..हें..

देवायत : (खडा होते) चलो काकी चलता हु.. सुबहसे घरभी नही गया.. आपकी बहु डाटेगी.. हें..हें..हें..

सरला : (हसते) चल जुठा.. मेरी मंजु बहुत अच्छी हे मेरी भावुकी तराह.. दोनो बहेने बहुत संस्कारी हे..

फीर देवायत अपनी कार लेके हवेलीपे आजाता हे तब मंजु ओर चंदा दोनोही बाते करती हे.. देवायतको आते देखतेही दोनोके चहेरे पे खुसीसे हसी आजाती हे तब देवायत सीधेही बाथरुममे नहाने घुस जाता हे तब चंदा उनकी ओर देखते मंजुसे कहेती हे..

चंदा : मंजु सारा दीन कहा रहेते हे..? खाना खानेभी नही आये.. कीतनी महेनत करते हे..

मंजुला : मौसी..अब हामारा कारोबारभीतो इतना बडा हे..वहा रामुकाका हरीया उनकी बीवी सब हेना..जब ज्यादा काम होता हे वोही खाना बना देते हे तो वही खा लेते हे.. अच्छा हुआ भानुभाइ आगये..

चंदा : मंजु कीतना अच्छा हे.., तुजे.. साम होतेही पतीकी याद आती हे..उनका वेइट करती हे.. कीतना अच्छा लगगता हे.. (नीरास होते) बस मुजे सीर्फ अपनाही देखना हे.. ना कीसीका वेइट.. नाही..

मंजुला : (बीचमेही चंदाका हाथ दबाते) मौसी प्लीज.., अ‍ेसे दुखी मत हो.. आपकी बात मे समज सकती हु.., मुजे पता हे हम ओरतोकी कुछ नीड होती हे.., कमीना ये रीवाज कहासे आगया.. वरना आपकी उमरही क्या हे..? मौस्ी मेने ओर देवुनेतो डीसाइड

करलीया हे हम अ‍ेसे कीसीभी रीवाजको नही मानेगे.., भाडमे जाये दुनीया.., ओर बाबानेभी हमे बहुत कुछ कहा हे.. अब देखते हे आगे क्या होता हे.. कास इनमे मे आपकी कोइ मदद कर सकती..
(मनमे - मौसी कास मे आपकी जरुरतको मेरे देवुसेही कहेके पुरी करवाती)

चंदा : मंजु..मुजेभी अ‍ेक बार वो बाबासे मीलना हे.. देवायतभी कुछ बात कर रहे थे बस ज्यादा नही बोले..

तब मंजुला चंदाको इनसोर्ट सब बता देती हे की आने वाले वक्तमे हमारे घर रीस्तोकी कोइ अहेमीयत नही रहेगी.. मेरा पोता कोन होगा वगैरे.. तब सुनके चंदा सोक्ट होते मनही मन खुस होने लगती हे ओर उसे आशाकी अ‍ेक कीरण नजर आने लगती हे.. वो अपने आपको इस हवेलीमे देवायतकी बीवीके रुपमे इमेजींग करने लगती हे तब देवायत नहाके बहार आगया ओर सीधे अपने रुममे चला गया तब मंजु उठके उनके पास चली जातीहे ओर उनके कपडे देके वही बेडपे बेठ जातती हे ओर देवायतसे पुछती हे..

मंजुला : जानु कहाथे? पुरे दीन नही आये..भुख बुख नही लगीथी क्या..?

देवायत : (कपडे पहेनते) अरे वो मालतीने खाना बना दीयाथा ओर अ‍ेक लफडेमे फसे थे हमारे मजदुरकी वो सरपंचने टांगे तोडदी बस उसी चकरमे फसे थे..

मंजुला : देवु वो सरपंचतो बडा हरामी हे.., हमारी रजीया ओर दयापे भी बुरी नजर रखता हे..

देवायत : क्या..? बस अब उनका इलाज कर लेगे तु टेन्शन मत ले, चल खाना नीकाल तुम लोगोने खा लीया..? मौसीको यहा अच्छातो लगता हेना..?

मंजुला : (हसते) अरे अच्छा..? वोतो यहा बहुत खुस लग रही हे..अ‍ेसे काम करतीहे की वो यहा महेमान नही इस बरकी बहु हो.. हें..हें..हें..


देवायत : (मनमे) मंजु अब तुजे क्या बताउ.. वो इस घरकी बहु ही हे.. तेरी सैतन..

मंजु : (हसते) अरे क्या सोचमे पड गये.., चलो हमनेभी नही खाया कीतनी देर करदी..

देवायत : (बाहोमे भरते) बेबी..आप लोगोको तो खाना खालीया करो.. मे देरसे आता तो..

मंजु : (गालपे चुमते) बस.. बाबु अब खा लेगे..चलो मौसी अकेली बेठी हे..

उस रातभी खाना खाके सब अपने अपने रुममे सो जातेहे आजभी देर रात १२ बजे देवायत चंदाके पास चला जाता हे ओर दोनो सुबह ४ बजे तक प्यारकी आगोसमे गोते लगाते रहेते हे इस रात देवायत चंदाकी चुतमे दो बार छलक गया ओर चंदाकी चुतको हरी भरी करदी.. दोनोने साथमे नहातेभी अ‍ेक बार खडे खडे ही चुदाइ करली फीर देवायत मंजुके पास आके सो गया..तब मंजु गहेरी नींद ले रही थी....

कन्टीन्यु
 
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
देवायत सरपंच के खिलाफ कोनसी चाल चलाके उसे नंगा कराता हैं और उसकी बिबी को उसके सामने चोदता हैं देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ११

अ‍ेसेही मस्ती मजाक करते दोनो फीरसे गरम होगये ओर अ‍ेक बार फीर प्यारका खेल होने लगा इस बार चंदाको देवायतने बहुतही कामुक तरीकेसे चोदलीया तब चंदा तृप्त हो चुकीथी..दोनोही पसीने पसीने हो गयेथे तब देवायत ओर चंदा साथमे नहाये ओर वहाभी देवायतने चंदाको खडे खडे चोद लीया फीर देवायत उनको कीस करके कपडे पहेनके अपने रुममे चला गया ओर चंदाभी नाइटगाउन पहेनके सो गइ....अब आगे

सुबह देवायत थोडी देरसे उठा तबतक चंदा ओर मंजु तैयार होके होलमे बेठीथी ओर बाते कर रहीथी.. तब देवायतभी आगया ओर सबने साथमे चाइ नास्ता कीया फीर देवायत मंजुसे कहेके अपनी कारमे अपने गोडाउनकी ओर चल पडा तब गांवके चोराहेपे कुछ लोगोकी भीड दीखी तो देवायतने उनके पास जाके अपनी कार रोकली तब अ‍ेक मजदुर आदमी नीचे जमीनपे अपना पैर पकडके बेठाथा.. ओर रो रहा था..

देवायत : (कारसे नीचे उतरते जोरोसे) अरे क्या हुआ..? ये क्यु चीला रह हे..?

ठाकुर देवायतकी आवाज सुनतेही लोग इधर उधर होने लगे तब रमेश दुकानसे बहार आगया ओर देवायतसे हाथ मीलाया तब देवायतने उनकी ओर सवालीया नजरोसे देखा..

रमेश : ठाकुरसाब अंदर दुकानमे आइअ‍े..आपको बताता हु..

देवायत : (दुकानमे जाते) हां रमेश बता क्या हुआ इसे..कीसका मजदुर हे..?

रमेश : (थोडा गभराते) माफ कीजीये ठाकुरसाब मेरा नाम ना आये.., इनको सरपंच (राघव)ने मारा हे..

देवायत : (थोडे उचेसे) लेकीन..क्यु..? क्या कीया हे इसने..? बेचारा..अभीभी रो रहा हे..लगताहे पेरमे कुछ हुआ हे..कही टुट बुटतो नही गया..? देखतो सही.. चल पहेले इनको होस्पीटल ले चलतेहे वहा बात करेगे..

कहेते देवायत जटसे बहार नीकल गया तब पीछे रमेशशभी उनके आदमीको कहेके बहार आगया तब ओर लोगभी मदद करने आगये ओर मजदुरको उठाके पीछे कारमे डाल दीया तब बेचारा बहुत चीलाया ओर देवायतने कार सीधी ही डोक्टरके पास जानेदी तब रमेश जटसे उतरके होस्पीटलके अंदर चला गया ओर थोडीही देरमे डोक्टरको बहार बुलाके आगया तब डोक्टरभी दोडके आगया ओर सीधेरी कारमे पीछे पडे आदमीके पैरको चेक करने लगा फीर देवायतके पास आके उनसे हाथ मीलाया ओर कहा..

डो.सुधीर : देवायतजी लगता हे इनके पैरकी हडी टुट गइ हे.., क्या हुआ इसे..?

देवायत : (सीरीयस होते) सुधीरजी..क्य होगा..हमारे गांवमे अ‍ेकही कमीना आदमी हे.., वो सरपंच..बेचारेको उन्हीने मारा हे.., अब क्या करु..? यहा इलाज होजायेगा..?

डो.सुधीर : अरे नही.. वहा अ‍ेसी सुवीधा कहा.. में चीठी लीख देता हु.. इसे वो हमारे नजदीक सहेर ---हे वही होस्पीटल लेजाइअ‍े..इनमे प्लास्टर आयेगा.., देवायतजी अ‍ेक बात कहु..अब आपही सरपंच होजाइअ‍े.., ताकी इस गांवके लोगोको इस जंजटसे छुटकारा मील जाये..

रमेश : (हसते) ठीक कहा आपने डाक्टर साहब.., अब आपही कुछ कहीये..हमारी कहा सुनते हे..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अरे मेरे धंधेसेही फुरसत नही मीलती.. इसीलीयेतो इस कमीनेको सरपंच बनाया था..अब आगे देखते हे..कुछ ओर सोचना पडेगा..चलीये सुक्रिया..इनको सहेरभीतो लेजाना पडेगा.. आपकी फीस..?

डो.सुधीर : (हसते) अरे आप इनको जानते नही फीरभी इनकी सेवा करते हे तो काहेकी फीस..हें..हें..हें..

देवायत : ठीक हे..सुक्रिया..(रमेशकी ओर देखते) चलो रमेश..अब तुजेभीतो आना पडेगा इनको सहेरही ले चलते हे..चलो..

फीर दोनोही सहेरकी ओर नीकल जाते हे तब पीछे मजदुर अपने दोनो हाथसे सख्तीसे अपने पैर पकडके बेठाथा ओर उनके पास उनका छोटा लडकाभी बेठा था जो बडाही मासुम ओर डरा हुआ लगता था..

देवायत : (कार चलाते पीछे देखते) अरे सुनो..क्या नाम हे तेरा..कहा काम करता हे..?

छोटु (मजदुर) : मालीक मुजे सब छोटु कहेते हे..वो अभी अ‍ेक हप्ते पहेले भानुभाइके खेतमेही कामपे लगा हु.. बस वही जा रहाथा.. इधर मेरा सामान लेने आयाथा तो सरपंचने मारा..(रोने लगता हे)

देवायत : (चोंकते) क्या..भानुके वहा..मतलब हमारे यहा काम करता हे..? तुजे कभी देखातो नही..

छोटु : (रोते) जी..अ‍ेक हप्ते पहेलेही आयाहु.., पहेले सरपंचके यहाही काम करता था.. मे खेतमे काम करताथा ओर मेरी बीवी उनके घरमे.., हमे अ‍ेकही पगार देताथा..

देवायत : (आगे देखते) तो फीर तुने वहा नोकरी क्यु छोडदी..?

छोटु : (हीचकीचाते) जी..वो..वो..

रमेश : अरे बोलनां..सब घरकेही हे.. तु इनके यहाही काम करता हे भानुभाइ ओर ठाकुरसाब अ‍ेकही हे..

छोटु : (धीरेसे) जी..वो..वो..मेरी बीवीने सरपंचसे कुछ उधार पैसे लीये थे..तो नही चुका पाइ..बस इन्ही बातोका सरपंच फायदा उठाने लगा.. तो छोडके आगये..सामानभी नही दीया..लेने गयेथे तो मारा..

देवायत : (गुसा होते) मादर--, अब इनका कुछ इलाज करना पडेगा.. पानी सरसे उपर चला गया..

रमेश : ठाकुरसाहब माफ कीजीये सीर्फ ये छोटुही नही हे..हमारे गांवकी कीतनी ओरते ओर लडकीया हे..जो इन्हीकी तराह उधार पैसे देकर फायदा उठाता रहेता हे.., बस बात आप तक नही पहोचती..

देवायत : (कुछ सोचते) रमेश.. तु मेरा दोस्तभी हे.., ओर बनीयाभी हे.. तो अगर तुजे इस मुसीबतको हटाना होता तो क्या करता..? मुजे पताहे तु इनके साथ जगडा करनेतो कभी नही जागेगा..तो केसे हेन्डल करता..?

रमेश : (हसते) फसादीयाने..मुजे..हें..हें..हें.., ठाकुरसाहब हम दुसरी तराह मारते सापभी मर जाये ओर लाठी भी ना टुटे..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां..बस वोही.., भाइ हम अकेलेमे मीलेगे सीर्फ हम दोनो, तबतक कुछ सोचके रख..अ‍ेसा सोचकी कमीना खटीयाही पकडले हम कल मीलेगे मेरे गोडाउनमे आजाना हम वही बात करेगे..

फीर वो सहेरमे आगये ओर छोटुका अ‍ेक्सरे वगेरे सबकुछ कीया ओर पावमे प्लास्टर लगवाके वापस आने लगे..तब रास्तेमे सबने खानाभी खाया ओर बच्चेको नास्ताभी दीलवाया तब जाके उनके चहेरेपे डरका भाव चला गया.. फीर सब वापस आनेके लीये कारमे बेठेही थे तभी भानुका फोन आगया..

भानु : (फोन उठाते) अबे कहा हे तु.., सुन वो सरपंचने हमारे अ‍ेक मजदुरको मारा हे..

देवायत : (हसते) अरे सांत होजा.., बस उनके इलाजके लीये सहेरही गये थे आ रहे हे.. अभी आधे घंटेमे पहोच जायेगे फीर आकर मीलता हु.. कुछ बातभी करनी हे.. चल रखता हु..

फीर वो सब वापस गांवमे आजाते हे वही रमेश उतर जाता हे फीर देवा मजदुरको लेके अपने खेतमे चला जाता हे वही रामुकाकाने उसे अ‍ेक रुम दे रखीथी वही उनको उतारता हे तब उनकी बीवीभी दोडके आ गइ ओर छोटुको देखके रोने लगी तब रामुकाका ओर देवायत उसे सांत करते हे तबतक भानुभी आगया ओर सब पुछताछ करने लगा तब देवायतने उनको कुछ नही पुछनेको इसारा कीया ओर कुछ पैसे देकर दोनो गोडाउनमे आके बेठ गये तब भानु उनकी ओर प्रस्नार्थ भरी नजरोसे देखने लगा..

देवायत : भानु अब इस सरपंचका कुछ इलाज करना पडेगा..बस इनकी बीवीको पैसे देके उनकी मजबुरीका लाभ उठाता हे.. बेचारोका सामानभी रख लीयाथा लेने गया तो बेचारेकी टांग तोडदी..

भानु : (गुसेसे) मादर--, भाइ क्या करना हे बतादो..रातको उठाले..? सालेको ठीकाने लगा देगे..कीसीको कानोकान खबरभी नही होगी.. बस आप बोलो..

देवायत : यार इस बार जगडा नही करना, हमने कुछ ओर सोचलीया हे बस कल तक राह देखले..फीर कुछ करते हे.., इस बार अ‍ेसे मारेगे.. कमीना हमारे बारेमे सोचभी नही सकता.. इस बार हम उसे बुध्धीसे मारेगे.. फीर उनकी बीवीको उन मादर--के सामनेही चोदुगा.., दुसरेकी बीवीया चोदनेका बहोत सोक हेना..? अब देख.. सालेको..मेने दुसरे सरपंचकाभी सोच लीया हे..

भानु : यार वो सबतो ठीक हे..अब भाभी ओर भावनाका वक्त नजदीक आ गया हे..कुछ सोचा हे..? दोनोको कभीभी लेजाना पडे.. बस १० १२ दीन बचे हे..फीरभी सही टाइमका अंदाजा नही लगा सकते..

देवायत : भानु अब तु अ‍ेक कार लेजा.. तेरे पासही रख.. मेरे पासतो हेही.. इस खटारा कारमे कहा लेजायेगा.. मेरी टेन्शनतो मेरी मौसीजीने लेली.. वोही मंजुके साथ होस्पीटल आयेगी.., अरे सुन भानु..हमने हमारी पुनमका रीस्ता धिरेनके साथ तैय करलीया हे.., आजही सब कंन्फर्म हुआ.. पहेले तुजे बता रहा हु..

भानु : (खुस होते) यार क्या खबर सुनाइहे तुने..हें..हें..हें..चल सब टेन्शन खतम..इसी खुसीमे अ‍ेक अ‍ेक पेग हो जाये..हें..हें..हें.., देखना सीर्फ अ‍ेक पेग.. वरना कोइ मजदुरन गइ कामसे हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) नही यार..अब कोइ मजदुरन नही..तो फीर क्या फर्क रेह जाता हे उस सरपंच मे ओर हममे.., बस जीतनी अपनी मरजीसे आतीहे वोही हमारे लीये काफी हे.. तु सही था हमे मजबुरीका फायदा नही उठाना.. बस मेरे लीयेतो मेरी जमीला दया रजीया ओर ये सरपंचकी बीवीही सही हे..

भानु : (हसते) भाइ क्या वो सरपंचकी बीवीको लाइनमे लेलीया..?

देवायत : (हसते) हां..बहुत चाइ पानीका केह रहीथी.. अ‍ेक बार मोका मील गया.. सरपंच दो दीन नही था..सहेर गया था..तब काम तमाम करके आगया..साली क्या गदराया माल हे.. मेरीतो दीवानी हो गइ..मेरे लीये सरपंचको छोडनेको केह रही थी..कमीनीको बडी मुस्कीलसे समजाया.., यार अ‍ेक उलजन मे हु..

भानु : (हसते) अब कोनसी उलजन हे.. कुछ हुआ क्या..?

देवायत : (सीरीयस होते) भानु.. तुजेतो पता हे वो बांज हे.. मुजे बच्चेके लीये फोर्स करती हे..क्या करु..?

भानु : (हसते) यार कोइ खतरा नही हेतो देदो.., कीसीको क्या पता चलेगा.. बस वो कीसीको बोलनी नही चाहीये.. बाकीतो ये पुन्यका काम हे हें..हें..हें.., ओर मुजे नही लगता ये गलत काम हे..

देवायत : (हसते) तु बहोत कमीना हे हें..हें..हें.., लगता हे तुने अ‍ैसा कोइ पुन्यका काम कीया हे.. हें..हें..हें.. बता कीसका कीया हे.., तभीतो अ‍ैसी बोल रहा हे..

भानु : (सरमाते हसते) क्या यार..तुभी बात कहा लेजाता हे..हें..हें..हें..अ‍ेसा कुछ नही हे यार..(सरमाते)

देवायत : (हसते) कमीने.., सरमातो बहुत रहा हे.. बता वो कोन हे..वरना कसमभी दे सकता हु..

भानु : (हसते) क्यु पीछे पडा हे यार तुजे पता हेना मे कसम नही तोड सकता..कुछ राज राजही रहेने दे यार..

देवायत : भानु..क्या हमने कभी अ‍ेक दुसरेका राज छीपाया हे..? ओर कभी कीसीको बताया हे..? तो फीर तुने इतना बडा राज केसे छुपा लीया.. क्या मुजपे विस्वास नही रहा..? लानत हे अ‍ेसी दोस्तीपे यार..

भानु : यार तु समज कीसीकी इजतका सवाल हे..? चल ठीक हे यार..अब कुछभी नही छीपाउगा बस.., दोस्तीपे सक मत कर यार.., बस ये बात हम दोनोके बीचकी हे कीसीको नही पता..मुजसे बहुत प्यार करती हे..ओर हमारा अ‍ेक बच्चाभी हे..उनको नही हो रहाथा तो मुजसे करलीया..तबसे सब चल रहा हे..

देवायत : (सरारतसे हसते) अच्छा..कोन हे वो खुसनसीब जीनका दील मेरे यारपे आ गया..

भानु : (सरमाते हसते) वो..मेरी बडी मामी.., मेने खुब पेला हे यार.. ओर अभीभी पेल रहा हु.. उनकी लडकी.. हमारीही लडकी हे..अबतो १२ सालकी हो गइ..पढ रही हे..ओर मामी आजभी मुजसे प्यार करती हे..

56
देवायत : (हसते) कमीने..इसका मतलब तेरी सादीसे पहेलेही सबकुछ चल रहा हे ओर मुजेही नही पता..

भानु : सोरी यार..तुमसे सब छुपाया.., तुजेतो पता हे जब मामाका अ‍ेक्सीडन्ट हुआ तबसेही वो कामके नही रहे.. ओर तब मेही वहा उनके पास था..तब हम नजदीक आगये..ओर अ‍ेक रात नानी मामाके पास होस्पीटल रुक गइ ओर मे मामीको लेकर घर आगया..बस उसी रात हम मील गये, ओर सबकुछ करलीया.. तबसे वो मेरी दीवानी होगइ ओर मुजे पती मानके मुजसे अपनी मांग भरवाके मेरी बीवीकी तराह ही पेस आती हे..
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देवायत : (हसते) साले..उनकी मांग भरीहेतो उनको अच्छेसे नीभाना.. तु जानताभी हेना अ‍ेक बार ओरत कीसीको पती मानलेतो उनपे जानभी छीडकने नही हीचकीचाती..तु उनका खयाल रखना..

भानु : (आंख गीली करते) थेन्क्स भाइ.., अब उनकी हर जरुरत पुरी करुगा..

देवायत : (हसते) क्या नाम हे तेरी बेटी का..उनको सहेर भेजदे पढनेके लीये..पैसेकी चीन्ता मत कर..

भानु : अब कीतना मेरे लीये करेगा..? यार अ‍ेसे पैसे लेना अच्छा नही लगता.., उनका नाम नीलम हे..ओर मामीकोतो तुम जानतेही हो रमा..मुजे दीलोजानसे चाहती हे अ‍ेक पत्नीकी तराह.. हमारी सादीमे बहुत काम कीया.. जबतक मेरे घर रही हर रात हमने साथ गुजारी पती पत्नीकी तराह..

देवायत : (सीरीयस होते) देख भानु मेने तुजे कभी अपना यार नही माना..तुजे हमेसा भाइही माना हे..क्या मेरा छोटा भाइ होतातो मे उनके लीये नही करता..? यही समजले तु मेरा छोटा भाइही हे.. तो केसी उलजन..

भानु : (हसते) चल ठीक हे इस साल दाखला करवा दुगा..अबतो खुस..चल यार बोटल नीकाल..

तब भानु हसते हुअ‍े टेबलके खानेसे बोटल ओर दो ग्लास नीकालता हे ओर दोनोका पेग भरता हे तब देवायत हरीयाके कहेके चखना मंगवा लेता हे तब थोडीही देरमे हरीयाकी बीवी मालती चखना देने आतीहे ओर देवायतको कातील स्माइल देते चखना देतीहे तब देवायतभी उनकी ओर हस देता हे ओर वो चली जाती हे.. तब दोनोही सगाइकी बाते करते आगेकी प्लानींग करते रहेते हे..

भानु : भाइ वो सगाइके लीये कपडे पबडेभी लेने जाना पडेगा.. सब कब करना हे..?

देवायत : (अ‍ेक घुट लगाते) भानु..अभीतो लखन ओर पुनमकी परीक्षा चल रही हे..जब वो खतम होयी तब उनको लेने सहेर जाना हे तब सब खरीदी करके आयेगे.. तु लताकोभी साथ लेले उनकी पसंदका सब आजायेगा.. अब इस हालतमे भावना ओर मंजुतो नही आ सकती..देखता हु कीसको लेजाये.. वो धिरेनकोभी लेजाना हे.. देखतेहे मौसी आतीहेकी नही..वहा लखन पुनमकीभी सब खरीदी होजायेगी.. क्या कहेते हो..?

भानु : भाइ तुम लता कोही लेजाना.. जाना हो तब भेज दुगा.. वहा पुनमतो हेही..वो दोनोही सब लेलेगी.. फीर सबको लेके आजाना.. फीर ये दोनोकी डीलेवरी होजाये.. फीर सगाइका सोचेगे..

देवायत : हां यार..वही ठीक रहेगा हम अ‍ेसाही करेगे..तुजे जीतने लोग बुलाना हे बुला लेना..तेरी भाभी केह रहीथी.. चारोकी सगाइ साथमेही रखेगे हमारी हवेलीपे.. बहुत जगा हे.. मौसीकातो कोइ नही हे..

भानु : (थोडे नसेमे) भाइ मौसी ओर भाभी सहेलीही हे दोनोकी उम्रमे ज्यादा कुछ फर्कभी नही सीर्फ चार पांच सालकाही फर्क हे.., बेचारी जवानीमेही विधवा हो गइ.., साला ये गांवका रीवाजभी अजीब हे इससेतो अच्छा सहेर वाले होते हे..वो अ‍ेसी कीसीभी बातको नही मानते.. बेचारीका घरतो बस जाता.., साला अकेलापन.. दीमककी तराह होता हे..,बस अंदरही अंदर आदमीको खाये जाते हे.., यार इसमे तुम कुछ नही कर सकते..?

देवायत : (नसेमे) भानु..तुजेतो पता हे.. बाबाने क्या कहा हे.. बस कुछ वक्त इन्तजार करले फीर हमने सोचाभी नही होगा अ‍ेसा दीखनेको मीलेगा.., बहेन--, कोइ रीस्ताही नही बचेगा.., तुजे पता हे खुद --वान का अंस हमारे घरमे पैदा होगे.., बस वोही सब करेगा.., पता नही तब हम होगेकी नही..

भानु : (लडखडाती आवाजमे) होगे..भा..इइइ.क्यु..नननहीइइइ. होगे..हम.. सब..दे..खेगे..

देवायत : (बोटल अंदर रखते) बस कर यार बहोत हो गइ.. अबतो धरभी नही जा सकते..मंजु सुनायेगी..

भानु : भाइ..भा..भी..अच्छी हे.., ओर ये..कमीनी..भावना..उसे..रोज..लंड चाहीये.. अरे आदमी..चोदेगाभी तो कीतना.. सालीको संतोषही नही..हो..ता.. बस पुरी रात..लंड डा..लके..हीक..हीक.. पडा..रहो..हीक..

देवायत : चल यार इधरही सोजा.. रातको चले जाना.. चल पहेले कुछ खा लेते हे..(जोरोसे) हरीया..

हरीया ओर उनकी बीवी मालती जो कबीलेमे रहेते हे ओर देवायतके खेतोमे भी काम करता हे जब काम नही होता तब कबीलेमे चले जाते हे इस गांवसे आधे घंटेकी दुरी परही हे मालती भी देवायतकी दीवानी हे जो हर वक्त देवायतके नीचे लेटनेको तैयार रहेती हे.. जबभी देवायत दारु पीता हे तब वोहीतो देवायतको सम्हालती हे जीसे हरीयाकोभी कोइ अ‍ेतराज नहीथा क्युकी कबीलेके लोगोमे ये सब आम बात थी..

हरीया : (दोडके आते) जी ठाकुरसाब..

देवायत : यार..वो खाना बाना लगा.. फीर इनको अंदर दुसरे रुममे सुला देना..

हरीया : जी..अभी मालतीको भेजताहु खीला देगी..

कहेके वो मालतीके हाथ दोनोका खाना भेज देताहे तबब दोनो खा लेते हे..भानुकोतो होसही नही था जेसे तेसे करते दोनो खा लेतेहे फीर मालती भानुको सहारा देके दुसरे रुममे सुला देतीहे ओर वापस आके सब बरतन समेटने लगती हे तब देवायत उनका हाथ पकड लेता हे तो मालती हसते हुअ‍े कहेती हे..

मालती : (हसते) मालीक पहेले इनकोतो सब रखने दीजीये..आप जाइअ‍े अपने रुममे..सब समेटके आती हु..

तब देवायत लडखडाते अपने रुममे चला जाता हे थोडीही देरमे मालतीभ आजाती हे ओर दरवाजा बंध करते अपने सब कपडे नीकालने लगती हे फीर नंगी होके देवायतकी बगलमे बेठते देवायतकेभी कपडे नीकालने लगती हे जेसे तेसे करते उनकी पेन्ट ओर चडी नीकाल लेती हे तब देवायतका लंड फडफडाते जटके मारने लगता हे जेसे वो मालतीकी चुतको भलीभांती जानता हो.., तब मालती पीठके बल लेट जाती हे..

तब देवायत उनको भाहोमे भरते अ‍ेक टांग उची करते कमरपे डालते उनके उपर चडके लेट जाता हे ओर मालतीभी देवायतके लंडको देखके कामुक होजाती हे ओर उनकी चुत गीली होजातीहे तो देवायतके लंडकोभी जेसे अपने बीलमे जानेकी जल्दी हो वो मालतीकी चुतपे जोरोसे ठोकरे मारते अपना रास्ता ढुंढते मालतीकी चुतमे चला जाता हे जेसे उनको इस चुतमे घुसनेकी जल्दी हो..

तभी देवायत हाथके बल उचाहोते मालतीको जोरोसे सोट मारते चोदने लगता हे तब मालतीथी कमर उछालते देवायतका साथ देने लगी वो चुदवाते हुअ‍े लगातार देवायतकी आंखोमे देखे ही जा रहीथी.. थोडीही देरकी घमासान चुदाइके बाद मालती अकडने लगती हे ओर आंखे नसीली करते आधी चडाते जडने लगती हे ओर कमरको पटकते दोनो हाथोसे चदरको कसके पकड लेती हे.. फीर सांत होजाती हे..

तब देवायत लंड नीकालके साइडमे हो जाता हे ओर मालतीको पकडके घोडी बनाके लंडको पीछेसे उनकी चुतमे उतार देता हे तब मालतीकी हल्की चीख नीकल जाती हे ओर वो बरदास्त नही करपाती तब देवायत अ‍ेक हाथसे उनकी गरदन पकडके उसे धनाधन चोदने लगता हे तब मालती चुदवाते चुदवाते बेडपे गीरती हे ओर देवायत उनकी कमरको पकडते जोरोसे चोदने लगता हे तभी थोडीही देरमे अपना सारा माल मालतीकी चुतमे डालते चुतको पुरी भरदेता हे ओर उनकी पीठमे लेटके ढेर हो जाता हे..

15
तब मालतीकी हालत खराब हो जातीहे ओर वोभी अ‍ेसेही पडी रहेती हे, लंड चुतमे होनेके बावजुदभी मालतीकी चुतसे दोनोका कामरस अपना रास्ता बनाते मालतीकी चुतसे बहार गीरने लगता हे.., जब दोनो नोर्मल हो गये तब देवायत साइडमे होकर लुढकके सोने लगता हे ओर मालती धीरे धीरे बेडसे उतरके खडी हो जातीहे ओर अपनी चुतको कपडेसे साफ करके अपने कपडे पहेनने लगतीहे फीर धीरे धीरे लंगडाती चालसे बहारकी ओर जाने लगती हे आज वाकइ देवायतने उनकी हालत खराब करदीथी.. वो दरवाजा बंध करके अपने रुममे जाके अपनी खटीयामे गीर जातीहे ओर बेहोस जेसी हालतमे सो जाती हे..

सामको देवायत बहुत देरसे ६ बजे उठा, देखातो भानु अभीभी सो रहाथा वो अभीभी थोडे नसेमे था तो उनको जगाया तो रातमे यही सोनेको कहेके वापस सोने लगा, तब देवायतने हरीयाकी मददसे उनको देवायतकी गाडी मे पीछे डाला ओर उनको छोडने उनके गांवकी ओर चल पडा देवायत भानुको अ‍ेसे कइ बार छोडने जाता हे, तो उनके घरवालेको भी पता होताहे की भानुने आज ज्यादा दारु पीली होगी.. ओर उनको सुलाके वापस आजाता..

वहा पहोचके उनको सहारा देते उनके रुमकी ओर चल पडातो भावना देवायतको देखतेही खुस होगइ तो उनकी सास सरलाभी भानुको देखते कातीलाना हसने लगी, ओर लतातो उनको देखतेही सरमाके भावेशको लेके रुममे चली गइ आखीर देवायत उनके जेठजो थे.. तब भावनाभी दुसरी ओर भानुका हाथ पकडके देवायतके साथ रुममे छोडने साथमे जाने लगी ओर भानुको सहारा देनेके बहाने देवायतके हाथको छुने लगी..तब अ‍ेक बार हाथको दबाभी दीया तो देवायत हसने लगा तब वो बहुत सरमाइ ओर हसने लगी..

भावना : (भानुको बेडपे सुलाते) जीजु..क्या बहुत पीली हे..? कीस खुसीमे पार्टी कर रहे थे..हें..हें..हें..

देवायत : कुछ नही भावु..बस पुनम धिरेनके रीस्तेके बारेमे सुनके खुस हो गया..?

भावना : (खुस होते) क्या..? दोनोका रीस्ता तैय होगया..? सगाइ कब रखी हे..?

देवायत : (हसते) बस कलही बात तैय हुइहे वो मौसी आइहे घर.., पहेले आपको बताया.. अब इस हालतमे तुम धर केसे आओगी.. नहीतो तुजे ले चलता..

भावना : (धीरेसे) जीजु कभी अकेले मीलोना.. कुछ बात करनी हे.. सीर्फ आपको.. मंजुदीको मत कहेना..

देवायत : (सामने देखते) क्या बात हे भावु..? कुछ परेसानीतो नही..? तो बता.. कुछ पैसे बैसे चाहीये..?

भावना : (धीरेसे) अरे नही..नही..? कुछ ओर बात हे..? आपके ओर मेरे बीचकी बात.. समज गये..

देवायत : (आसचर्यसे) हम दोनोके बीचकी बात..? क्या बात हे..? कुछ सीरीयस मेटरतो नही..? मतलब मुजे दारु पीनेके बाद होस नही रहेता..तो..मेने तेरे साथ कुछ गलततो नही करदीया..?

भावना : (सरमाके हसते) नही..वो बात नही..अ‍ेसा कुछ नही हुआ..बस..कुछ ओर बात हे..जो बादमे हमे अकेले मीलनेका मोका मीलेगा तब बता दुगी..मेरी सादीके पहेलेकी बात हे..आप टेन्शन मत लेना..

देवायत : ठीक हे भावु हम मीलेगे तब बता देना..जरुर कोइ सीक्रेट बात होगी.. अब चलो बहार वरना तेरी सासु सक करेगी की सालीको छेडते होगे..हें..हें..हें..

भावना : (सरमके मारे हसते मुका मारते) वेरी फनी.. जीजु आप बहोत बदमास हो..चलीये..(सरारतसे धीरेसे) वेसेभी सालीभीतो आधी घरवाली होती हे.. आपका छेडनेका पुरा हक हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां.. तो तैयार रहेना.. अब मौका मीलातो जरुर छेडुगा.. हें..हें..हें..

तब भानु गहेरी नींदमे सोयाथा ओर देवायत भावना बाते करते बहार आगये तब भावना रसोइमे चली गइ ओर देवायतके लीये चाइ बनाने लगी तब देवायत सरलाके पास जाके बेठ गया तब वो रसोइकी ओर देखते सरमाके बोली..

सरला : (हसते) आइअ‍े समधीजी..हें..हें..हें.. अंदर बहोत देर करदी.. कही सालीपेतो दील नही आ गया..?

देवायत : (धीरेसे हसते) अगर आप जेसी हसीना हेतो मुजे सालीकी क्या जरुरत हे.. कहो.. आप कब अकेली होगी..? आजाउगा..

सरला : (सरमाके हसते धीरेसे) क्या इतनी पसंद हु.., अबतो बुढी होने लगी हु..तो फीर आता क्यु नही..? तुम अ‍ेक काम कर सगाइकी खरीदी करने भानुको भेजदे मे तेरे गोडाउनमे चली आउगी.. फीर खुब मजे करेगे.. क्या दमदार हथीयार हे तेरा.. जो अ‍ेक बार देखलेगी.. तेरीतो दीवानी हो जायेगी..

भावना : (चाइपानी लाते) माजी..हमारी पुनम ओर मौसीके लडके धिरेनका रीस्ता तैय हो गया हे..

सरला : (हसते) क्या..? तुमने तो बताया नही.., रीस्ता कब कीया..?

देवायत : (चाइ पीते) बस कलही तैय कीया.. चारोकी साथमे सगाइ करेगे हमारी हवेलीपे.. तैयारी सुरु करदो.., आप सबको उधरही आना हे आपके सब रीस्तेदारको बुलाना..

सरला : अब कहा हे रीस्तेदार..बस आप ओर भानुके ससुर ओर भानुके मामा लोगही हे.. वहासे रमा ओर नीलमही आयेगे.. उनका मामा तो कही दारु पीके पडा होगा.. वो कहा आता हे.. दोनो मा बेटीको भेजते हे

भावना : जीजु भानु केह रहेथे इन बच्चोके लीये खरीदी करने जाना हे..आप लताको लेजाना..हम भेज देगे.. अब ब्याह करके उसे उधर हीतो आना हे थोडी सबके साथ घुल मील जायेगी..

सरला : (गहेरी सांस लेते) हां..भाइ..अब जमाना बदल गया हे.. अच्छाहे आपतो घरकेही लोग हे.. वरना मेरी सगाइतो इतनी ज्लदी करदी मुजे लडकेका मुहभी देखनेको नसीब नही हुआ.. बस सादीके बाद इस घरमे आइ तबही तेरे काका का मुह देख पाइ.. कास हमारे जमानेभी आजके जेसा होता..

भावना : (हसते) क्या माजी.. बापुजीभी तो अच्छे थे.. मेने सुना हे..हें..हें..हें..

देवायत : (खडा होते) चलो काकी चलता हु.. सुबहसे घरभी नही गया.. आपकी बहु डाटेगी.. हें..हें..हें..

सरला : (हसते) चल जुठा.. मेरी मंजु बहुत अच्छी हे मेरी भावुकी तराह.. दोनो बहेने बहुत संस्कारी हे..

फीर देवायत अपनी कार लेके हवेलीपे आजाता हे तब मंजु ओर चंदा दोनोही बाते करती हे.. देवायतको आते देखतेही दोनोके चहेरे पे खुसीसे हसी आजाती हे तब देवायत सीधेही बाथरुममे नहाने घुस जाता हे तब चंदा उनकी ओर देखते मंजुसे कहेती हे..

चंदा : मंजु सारा दीन कहा रहेते हे..? खाना खानेभी नही आये.. कीतनी महेनत करते हे..

मंजुला : मौसी..अब हामारा कारोबारभीतो इतना बडा हे..वहा रामुकाका हरीया उनकी बीवी सब हेना..जब ज्यादा काम होता हे वोही खाना बना देते हे तो वही खा लेते हे.. अच्छा हुआ भानुभाइ आगये..

चंदा : मंजु कीतना अच्छा हे.., तुजे.. साम होतेही पतीकी याद आती हे..उनका वेइट करती हे.. कीतना अच्छा लगगता हे.. (नीरास होते) बस मुजे सीर्फ अपनाही देखना हे.. ना कीसीका वेइट.. नाही..

मंजुला : (बीचमेही चंदाका हाथ दबाते) मौसी प्लीज.., अ‍ेसे दुखी मत हो.. आपकी बात मे समज सकती हु.., मुजे पता हे हम ओरतोकी कुछ नीड होती हे.., कमीना ये रीवाज कहासे आगया.. वरना आपकी उमरही क्या हे..? मौस्ी मेने ओर देवुनेतो डीसाइड

करलीया हे हम अ‍ेसे कीसीभी रीवाजको नही मानेगे.., भाडमे जाये दुनीया.., ओर बाबानेभी हमे बहुत कुछ कहा हे.. अब देखते हे आगे क्या होता हे.. कास इनमे मे आपकी कोइ मदद कर सकती..
(मनमे - मौसी कास मे आपकी जरुरतको मेरे देवुसेही कहेके पुरी करवाती)

चंदा : मंजु..मुजेभी अ‍ेक बार वो बाबासे मीलना हे.. देवायतभी कुछ बात कर रहे थे बस ज्यादा नही बोले..

तब मंजुला चंदाको इनसोर्ट सब बता देती हे की आने वाले वक्तमे हमारे घर रीस्तोकी कोइ अहेमीयत नही रहेगी.. मेरा पोता कोन होगा वगैरे.. तब सुनके चंदा सोक्ट होते मनही मन खुस होने लगती हे ओर उसे आशाकी अ‍ेक कीरण नजर आने लगती हे.. वो अपने आपको इस हवेलीमे देवायतकी बीवीके रुपमे इमेजींग करने लगती हे तब देवायत नहाके बहार आगया ओर सीधे अपने रुममे चला गया तब मंजु उठके उनके पास चली जातीहे ओर उनके कपडे देके वही बेडपे बेठ जातती हे ओर देवायतसे पुछती हे..

मंजुला : जानु कहाथे? पुरे दीन नही आये..भुख बुख नही लगीथी क्या..?

देवायत : (कपडे पहेनते) अरे वो मालतीने खाना बना दीयाथा ओर अ‍ेक लफडेमे फसे थे हमारे मजदुरकी वो सरपंचने टांगे तोडदी बस उसी चकरमे फसे थे..

मंजुला : देवु वो सरपंचतो बडा हरामी हे.., हमारी रजीया ओर दयापे भी बुरी नजर रखता हे..

देवायत : क्या..? बस अब उनका इलाज कर लेगे तु टेन्शन मत ले, चल खाना नीकाल तुम लोगोने खा लीया..? मौसीको यहा अच्छातो लगता हेना..?

मंजुला : (हसते) अरे अच्छा..? वोतो यहा बहुत खुस लग रही हे..अ‍ेसे काम करतीहे की वो यहा महेमान नही इस बरकी बहु हो.. हें..हें..हें..


देवायत : (मनमे) मंजु अब तुजे क्या बताउ.. वो इस घरकी बहु ही हे.. तेरी सैतन..

मंजु : (हसते) अरे क्या सोचमे पड गये.., चलो हमनेभी नही खाया कीतनी देर करदी..

देवायत : (बाहोमे भरते) बेबी..आप लोगोको तो खाना खालीया करो.. मे देरसे आता तो..

मंजु : (गालपे चुमते) बस.. बाबु अब खा लेगे..चलो मौसी अकेली बेठी हे..

उस रातभी खाना खाके सब अपने अपने रुममे सो जातेहे आजभी देर रात १२ बजे देवायत चंदाके पास चला जाता हे ओर दोनो सुबह ४ बजे तक प्यारकी आगोसमे गोते लगाते रहेते हे इस रात देवायत चंदाकी चुतमे दो बार छलक गया ओर चंदाकी चुतको हरी भरी करदी.. दोनोने साथमे नहातेभी अ‍ेक बार खडे खडे ही चुदाइ करली फीर देवायत मंजुके पास आके सो गया..तब मंजु गहेरी नींद ले रही थी....

कन्टीन्यु
Nice story 👌👌👌
 
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Mahesh007

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ११

अ‍ेसेही मस्ती मजाक करते दोनो फीरसे गरम होगये ओर अ‍ेक बार फीर प्यारका खेल होने लगा इस बार चंदाको देवायतने बहुतही कामुक तरीकेसे चोदलीया तब चंदा तृप्त हो चुकीथी..दोनोही पसीने पसीने हो गयेथे तब देवायत ओर चंदा साथमे नहाये ओर वहाभी देवायतने चंदाको खडे खडे चोद लीया फीर देवायत उनको कीस करके कपडे पहेनके अपने रुममे चला गया ओर चंदाभी नाइटगाउन पहेनके सो गइ....अब आगे

सुबह देवायत थोडी देरसे उठा तबतक चंदा ओर मंजु तैयार होके होलमे बेठीथी ओर बाते कर रहीथी.. तब देवायतभी आगया ओर सबने साथमे चाइ नास्ता कीया फीर देवायत मंजुसे कहेके अपनी कारमे अपने गोडाउनकी ओर चल पडा तब गांवके चोराहेपे कुछ लोगोकी भीड दीखी तो देवायतने उनके पास जाके अपनी कार रोकली तब अ‍ेक मजदुर आदमी नीचे जमीनपे अपना पैर पकडके बेठाथा.. ओर रो रहा था..

देवायत : (कारसे नीचे उतरते जोरोसे) अरे क्या हुआ..? ये क्यु चीला रह हे..?

ठाकुर देवायतकी आवाज सुनतेही लोग इधर उधर होने लगे तब रमेश दुकानसे बहार आगया ओर देवायतसे हाथ मीलाया तब देवायतने उनकी ओर सवालीया नजरोसे देखा..

रमेश : ठाकुरसाब अंदर दुकानमे आइअ‍े..आपको बताता हु..

देवायत : (दुकानमे जाते) हां रमेश बता क्या हुआ इसे..कीसका मजदुर हे..?

रमेश : (थोडा गभराते) माफ कीजीये ठाकुरसाब मेरा नाम ना आये.., इनको सरपंच (राघव)ने मारा हे..

देवायत : (थोडे उचेसे) लेकीन..क्यु..? क्या कीया हे इसने..? बेचारा..अभीभी रो रहा हे..लगताहे पेरमे कुछ हुआ हे..कही टुट बुटतो नही गया..? देखतो सही.. चल पहेले इनको होस्पीटल ले चलतेहे वहा बात करेगे..

कहेते देवायत जटसे बहार नीकल गया तब पीछे रमेशशभी उनके आदमीको कहेके बहार आगया तब ओर लोगभी मदद करने आगये ओर मजदुरको उठाके पीछे कारमे डाल दीया तब बेचारा बहुत चीलाया ओर देवायतने कार सीधी ही डोक्टरके पास जानेदी तब रमेश जटसे उतरके होस्पीटलके अंदर चला गया ओर थोडीही देरमे डोक्टरको बहार बुलाके आगया तब डोक्टरभी दोडके आगया ओर सीधेरी कारमे पीछे पडे आदमीके पैरको चेक करने लगा फीर देवायतके पास आके उनसे हाथ मीलाया ओर कहा..

डो.सुधीर : देवायतजी लगता हे इनके पैरकी हडी टुट गइ हे.., क्या हुआ इसे..?

देवायत : (सीरीयस होते) सुधीरजी..क्य होगा..हमारे गांवमे अ‍ेकही कमीना आदमी हे.., वो सरपंच..बेचारेको उन्हीने मारा हे.., अब क्या करु..? यहा इलाज होजायेगा..?

डो.सुधीर : अरे नही.. वहा अ‍ेसी सुवीधा कहा.. में चीठी लीख देता हु.. इसे वो हमारे नजदीक सहेर ---हे वही होस्पीटल लेजाइअ‍े..इनमे प्लास्टर आयेगा.., देवायतजी अ‍ेक बात कहु..अब आपही सरपंच होजाइअ‍े.., ताकी इस गांवके लोगोको इस जंजटसे छुटकारा मील जाये..

रमेश : (हसते) ठीक कहा आपने डाक्टर साहब.., अब आपही कुछ कहीये..हमारी कहा सुनते हे..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अरे मेरे धंधेसेही फुरसत नही मीलती.. इसीलीयेतो इस कमीनेको सरपंच बनाया था..अब आगे देखते हे..कुछ ओर सोचना पडेगा..चलीये सुक्रिया..इनको सहेरभीतो लेजाना पडेगा.. आपकी फीस..?

डो.सुधीर : (हसते) अरे आप इनको जानते नही फीरभी इनकी सेवा करते हे तो काहेकी फीस..हें..हें..हें..

देवायत : ठीक हे..सुक्रिया..(रमेशकी ओर देखते) चलो रमेश..अब तुजेभीतो आना पडेगा इनको सहेरही ले चलते हे..चलो..

फीर दोनोही सहेरकी ओर नीकल जाते हे तब पीछे मजदुर अपने दोनो हाथसे सख्तीसे अपने पैर पकडके बेठाथा ओर उनके पास उनका छोटा लडकाभी बेठा था जो बडाही मासुम ओर डरा हुआ लगता था..

देवायत : (कार चलाते पीछे देखते) अरे सुनो..क्या नाम हे तेरा..कहा काम करता हे..?

छोटु (मजदुर) : मालीक मुजे सब छोटु कहेते हे..वो अभी अ‍ेक हप्ते पहेले भानुभाइके खेतमेही कामपे लगा हु.. बस वही जा रहाथा.. इधर मेरा सामान लेने आयाथा तो सरपंचने मारा..(रोने लगता हे)

देवायत : (चोंकते) क्या..भानुके वहा..मतलब हमारे यहा काम करता हे..? तुजे कभी देखातो नही..

छोटु : (रोते) जी..अ‍ेक हप्ते पहेलेही आयाहु.., पहेले सरपंचके यहाही काम करता था.. मे खेतमे काम करताथा ओर मेरी बीवी उनके घरमे.., हमे अ‍ेकही पगार देताथा..

देवायत : (आगे देखते) तो फीर तुने वहा नोकरी क्यु छोडदी..?

छोटु : (हीचकीचाते) जी..वो..वो..

रमेश : अरे बोलनां..सब घरकेही हे.. तु इनके यहाही काम करता हे भानुभाइ ओर ठाकुरसाब अ‍ेकही हे..

छोटु : (धीरेसे) जी..वो..वो..मेरी बीवीने सरपंचसे कुछ उधार पैसे लीये थे..तो नही चुका पाइ..बस इन्ही बातोका सरपंच फायदा उठाने लगा.. तो छोडके आगये..सामानभी नही दीया..लेने गयेथे तो मारा..

देवायत : (गुसा होते) मादर--, अब इनका कुछ इलाज करना पडेगा.. पानी सरसे उपर चला गया..

रमेश : ठाकुरसाहब माफ कीजीये सीर्फ ये छोटुही नही हे..हमारे गांवकी कीतनी ओरते ओर लडकीया हे..जो इन्हीकी तराह उधार पैसे देकर फायदा उठाता रहेता हे.., बस बात आप तक नही पहोचती..

देवायत : (कुछ सोचते) रमेश.. तु मेरा दोस्तभी हे.., ओर बनीयाभी हे.. तो अगर तुजे इस मुसीबतको हटाना होता तो क्या करता..? मुजे पताहे तु इनके साथ जगडा करनेतो कभी नही जागेगा..तो केसे हेन्डल करता..?

रमेश : (हसते) फसादीयाने..मुजे..हें..हें..हें.., ठाकुरसाहब हम दुसरी तराह मारते सापभी मर जाये ओर लाठी भी ना टुटे..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां..बस वोही.., भाइ हम अकेलेमे मीलेगे सीर्फ हम दोनो, तबतक कुछ सोचके रख..अ‍ेसा सोचकी कमीना खटीयाही पकडले हम कल मीलेगे मेरे गोडाउनमे आजाना हम वही बात करेगे..

फीर वो सहेरमे आगये ओर छोटुका अ‍ेक्सरे वगेरे सबकुछ कीया ओर पावमे प्लास्टर लगवाके वापस आने लगे..तब रास्तेमे सबने खानाभी खाया ओर बच्चेको नास्ताभी दीलवाया तब जाके उनके चहेरेपे डरका भाव चला गया.. फीर सब वापस आनेके लीये कारमे बेठेही थे तभी भानुका फोन आगया..

भानु : (फोन उठाते) अबे कहा हे तु.., सुन वो सरपंचने हमारे अ‍ेक मजदुरको मारा हे..

देवायत : (हसते) अरे सांत होजा.., बस उनके इलाजके लीये सहेरही गये थे आ रहे हे.. अभी आधे घंटेमे पहोच जायेगे फीर आकर मीलता हु.. कुछ बातभी करनी हे.. चल रखता हु..

फीर वो सब वापस गांवमे आजाते हे वही रमेश उतर जाता हे फीर देवा मजदुरको लेके अपने खेतमे चला जाता हे वही रामुकाकाने उसे अ‍ेक रुम दे रखीथी वही उनको उतारता हे तब उनकी बीवीभी दोडके आ गइ ओर छोटुको देखके रोने लगी तब रामुकाका ओर देवायत उसे सांत करते हे तबतक भानुभी आगया ओर सब पुछताछ करने लगा तब देवायतने उनको कुछ नही पुछनेको इसारा कीया ओर कुछ पैसे देकर दोनो गोडाउनमे आके बेठ गये तब भानु उनकी ओर प्रस्नार्थ भरी नजरोसे देखने लगा..

देवायत : भानु अब इस सरपंचका कुछ इलाज करना पडेगा..बस इनकी बीवीको पैसे देके उनकी मजबुरीका लाभ उठाता हे.. बेचारोका सामानभी रख लीयाथा लेने गया तो बेचारेकी टांग तोडदी..

भानु : (गुसेसे) मादर--, भाइ क्या करना हे बतादो..रातको उठाले..? सालेको ठीकाने लगा देगे..कीसीको कानोकान खबरभी नही होगी.. बस आप बोलो..

देवायत : यार इस बार जगडा नही करना, हमने कुछ ओर सोचलीया हे बस कल तक राह देखले..फीर कुछ करते हे.., इस बार अ‍ेसे मारेगे.. कमीना हमारे बारेमे सोचभी नही सकता.. इस बार हम उसे बुध्धीसे मारेगे.. फीर उनकी बीवीको उन मादर--के सामनेही चोदुगा.., दुसरेकी बीवीया चोदनेका बहोत सोक हेना..? अब देख.. सालेको..मेने दुसरे सरपंचकाभी सोच लीया हे..

भानु : यार वो सबतो ठीक हे..अब भाभी ओर भावनाका वक्त नजदीक आ गया हे..कुछ सोचा हे..? दोनोको कभीभी लेजाना पडे.. बस १० १२ दीन बचे हे..फीरभी सही टाइमका अंदाजा नही लगा सकते..

देवायत : भानु अब तु अ‍ेक कार लेजा.. तेरे पासही रख.. मेरे पासतो हेही.. इस खटारा कारमे कहा लेजायेगा.. मेरी टेन्शनतो मेरी मौसीजीने लेली.. वोही मंजुके साथ होस्पीटल आयेगी.., अरे सुन भानु..हमने हमारी पुनमका रीस्ता धिरेनके साथ तैय करलीया हे.., आजही सब कंन्फर्म हुआ.. पहेले तुजे बता रहा हु..

भानु : (खुस होते) यार क्या खबर सुनाइहे तुने..हें..हें..हें..चल सब टेन्शन खतम..इसी खुसीमे अ‍ेक अ‍ेक पेग हो जाये..हें..हें..हें.., देखना सीर्फ अ‍ेक पेग.. वरना कोइ मजदुरन गइ कामसे हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) नही यार..अब कोइ मजदुरन नही..तो फीर क्या फर्क रेह जाता हे उस सरपंच मे ओर हममे.., बस जीतनी अपनी मरजीसे आतीहे वोही हमारे लीये काफी हे.. तु सही था हमे मजबुरीका फायदा नही उठाना.. बस मेरे लीयेतो मेरी जमीला दया रजीया ओर ये सरपंचकी बीवीही सही हे..

भानु : (हसते) भाइ क्या वो सरपंचकी बीवीको लाइनमे लेलीया..?

देवायत : (हसते) हां..बहुत चाइ पानीका केह रहीथी.. अ‍ेक बार मोका मील गया.. सरपंच दो दीन नही था..सहेर गया था..तब काम तमाम करके आगया..साली क्या गदराया माल हे.. मेरीतो दीवानी हो गइ..मेरे लीये सरपंचको छोडनेको केह रही थी..कमीनीको बडी मुस्कीलसे समजाया.., यार अ‍ेक उलजन मे हु..

भानु : (हसते) अब कोनसी उलजन हे.. कुछ हुआ क्या..?

देवायत : (सीरीयस होते) भानु.. तुजेतो पता हे वो बांज हे.. मुजे बच्चेके लीये फोर्स करती हे..क्या करु..?

भानु : (हसते) यार कोइ खतरा नही हेतो देदो.., कीसीको क्या पता चलेगा.. बस वो कीसीको बोलनी नही चाहीये.. बाकीतो ये पुन्यका काम हे हें..हें..हें.., ओर मुजे नही लगता ये गलत काम हे..

देवायत : (हसते) तु बहोत कमीना हे हें..हें..हें.., लगता हे तुने अ‍ैसा कोइ पुन्यका काम कीया हे.. हें..हें..हें.. बता कीसका कीया हे.., तभीतो अ‍ैसी बोल रहा हे..

भानु : (सरमाते हसते) क्या यार..तुभी बात कहा लेजाता हे..हें..हें..हें..अ‍ेसा कुछ नही हे यार..(सरमाते)

देवायत : (हसते) कमीने.., सरमातो बहुत रहा हे.. बता वो कोन हे..वरना कसमभी दे सकता हु..

भानु : (हसते) क्यु पीछे पडा हे यार तुजे पता हेना मे कसम नही तोड सकता..कुछ राज राजही रहेने दे यार..

देवायत : भानु..क्या हमने कभी अ‍ेक दुसरेका राज छीपाया हे..? ओर कभी कीसीको बताया हे..? तो फीर तुने इतना बडा राज केसे छुपा लीया.. क्या मुजपे विस्वास नही रहा..? लानत हे अ‍ेसी दोस्तीपे यार..

भानु : यार तु समज कीसीकी इजतका सवाल हे..? चल ठीक हे यार..अब कुछभी नही छीपाउगा बस.., दोस्तीपे सक मत कर यार.., बस ये बात हम दोनोके बीचकी हे कीसीको नही पता..मुजसे बहुत प्यार करती हे..ओर हमारा अ‍ेक बच्चाभी हे..उनको नही हो रहाथा तो मुजसे करलीया..तबसे सब चल रहा हे..

देवायत : (सरारतसे हसते) अच्छा..कोन हे वो खुसनसीब जीनका दील मेरे यारपे आ गया..

भानु : (सरमाते हसते) वो..मेरी बडी मामी.., मेने खुब पेला हे यार.. ओर अभीभी पेल रहा हु.. उनकी लडकी.. हमारीही लडकी हे..अबतो १२ सालकी हो गइ..पढ रही हे..ओर मामी आजभी मुजसे प्यार करती हे..

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देवायत : (हसते) कमीने..इसका मतलब तेरी सादीसे पहेलेही सबकुछ चल रहा हे ओर मुजेही नही पता..

भानु : सोरी यार..तुमसे सब छुपाया.., तुजेतो पता हे जब मामाका अ‍ेक्सीडन्ट हुआ तबसेही वो कामके नही रहे.. ओर तब मेही वहा उनके पास था..तब हम नजदीक आगये..ओर अ‍ेक रात नानी मामाके पास होस्पीटल रुक गइ ओर मे मामीको लेकर घर आगया..बस उसी रात हम मील गये, ओर सबकुछ करलीया.. तबसे वो मेरी दीवानी होगइ ओर मुजे पती मानके मुजसे अपनी मांग भरवाके मेरी बीवीकी तराह ही पेस आती हे..
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देवायत : (हसते) साले..उनकी मांग भरीहेतो उनको अच्छेसे नीभाना.. तु जानताभी हेना अ‍ेक बार ओरत कीसीको पती मानलेतो उनपे जानभी छीडकने नही हीचकीचाती..तु उनका खयाल रखना..

भानु : (आंख गीली करते) थेन्क्स भाइ.., अब उनकी हर जरुरत पुरी करुगा..

देवायत : (हसते) क्या नाम हे तेरी बेटी का..उनको सहेर भेजदे पढनेके लीये..पैसेकी चीन्ता मत कर..

भानु : अब कीतना मेरे लीये करेगा..? यार अ‍ेसे पैसे लेना अच्छा नही लगता.., उनका नाम नीलम हे..ओर मामीकोतो तुम जानतेही हो रमा..मुजे दीलोजानसे चाहती हे अ‍ेक पत्नीकी तराह.. हमारी सादीमे बहुत काम कीया.. जबतक मेरे घर रही हर रात हमने साथ गुजारी पती पत्नीकी तराह..

देवायत : (सीरीयस होते) देख भानु मेने तुजे कभी अपना यार नही माना..तुजे हमेसा भाइही माना हे..क्या मेरा छोटा भाइ होतातो मे उनके लीये नही करता..? यही समजले तु मेरा छोटा भाइही हे.. तो केसी उलजन..

भानु : (हसते) चल ठीक हे इस साल दाखला करवा दुगा..अबतो खुस..चल यार बोटल नीकाल..

तब भानु हसते हुअ‍े टेबलके खानेसे बोटल ओर दो ग्लास नीकालता हे ओर दोनोका पेग भरता हे तब देवायत हरीयाके कहेके चखना मंगवा लेता हे तब थोडीही देरमे हरीयाकी बीवी मालती चखना देने आतीहे ओर देवायतको कातील स्माइल देते चखना देतीहे तब देवायतभी उनकी ओर हस देता हे ओर वो चली जाती हे.. तब दोनोही सगाइकी बाते करते आगेकी प्लानींग करते रहेते हे..

भानु : भाइ वो सगाइके लीये कपडे पबडेभी लेने जाना पडेगा.. सब कब करना हे..?

देवायत : (अ‍ेक घुट लगाते) भानु..अभीतो लखन ओर पुनमकी परीक्षा चल रही हे..जब वो खतम होयी तब उनको लेने सहेर जाना हे तब सब खरीदी करके आयेगे.. तु लताकोभी साथ लेले उनकी पसंदका सब आजायेगा.. अब इस हालतमे भावना ओर मंजुतो नही आ सकती..देखता हु कीसको लेजाये.. वो धिरेनकोभी लेजाना हे.. देखतेहे मौसी आतीहेकी नही..वहा लखन पुनमकीभी सब खरीदी होजायेगी.. क्या कहेते हो..?

भानु : भाइ तुम लता कोही लेजाना.. जाना हो तब भेज दुगा.. वहा पुनमतो हेही..वो दोनोही सब लेलेगी.. फीर सबको लेके आजाना.. फीर ये दोनोकी डीलेवरी होजाये.. फीर सगाइका सोचेगे..

देवायत : हां यार..वही ठीक रहेगा हम अ‍ेसाही करेगे..तुजे जीतने लोग बुलाना हे बुला लेना..तेरी भाभी केह रहीथी.. चारोकी सगाइ साथमेही रखेगे हमारी हवेलीपे.. बहुत जगा हे.. मौसीकातो कोइ नही हे..

भानु : (थोडे नसेमे) भाइ मौसी ओर भाभी सहेलीही हे दोनोकी उम्रमे ज्यादा कुछ फर्कभी नही सीर्फ चार पांच सालकाही फर्क हे.., बेचारी जवानीमेही विधवा हो गइ.., साला ये गांवका रीवाजभी अजीब हे इससेतो अच्छा सहेर वाले होते हे..वो अ‍ेसी कीसीभी बातको नही मानते.. बेचारीका घरतो बस जाता.., साला अकेलापन.. दीमककी तराह होता हे..,बस अंदरही अंदर आदमीको खाये जाते हे.., यार इसमे तुम कुछ नही कर सकते..?

देवायत : (नसेमे) भानु..तुजेतो पता हे.. बाबाने क्या कहा हे.. बस कुछ वक्त इन्तजार करले फीर हमने सोचाभी नही होगा अ‍ेसा दीखनेको मीलेगा.., बहेन--, कोइ रीस्ताही नही बचेगा.., तुजे पता हे खुद --वान का अंस हमारे घरमे पैदा होगे.., बस वोही सब करेगा.., पता नही तब हम होगेकी नही..

भानु : (लडखडाती आवाजमे) होगे..भा..इइइ.क्यु..नननहीइइइ. होगे..हम.. सब..दे..खेगे..

देवायत : (बोटल अंदर रखते) बस कर यार बहोत हो गइ.. अबतो धरभी नही जा सकते..मंजु सुनायेगी..

भानु : भाइ..भा..भी..अच्छी हे.., ओर ये..कमीनी..भावना..उसे..रोज..लंड चाहीये.. अरे आदमी..चोदेगाभी तो कीतना.. सालीको संतोषही नही..हो..ता.. बस पुरी रात..लंड डा..लके..हीक..हीक.. पडा..रहो..हीक..

देवायत : चल यार इधरही सोजा.. रातको चले जाना.. चल पहेले कुछ खा लेते हे..(जोरोसे) हरीया..

हरीया ओर उनकी बीवी मालती जो कबीलेमे रहेते हे ओर देवायतके खेतोमे भी काम करता हे जब काम नही होता तब कबीलेमे चले जाते हे इस गांवसे आधे घंटेकी दुरी परही हे मालती भी देवायतकी दीवानी हे जो हर वक्त देवायतके नीचे लेटनेको तैयार रहेती हे.. जबभी देवायत दारु पीता हे तब वोहीतो देवायतको सम्हालती हे जीसे हरीयाकोभी कोइ अ‍ेतराज नहीथा क्युकी कबीलेके लोगोमे ये सब आम बात थी..

हरीया : (दोडके आते) जी ठाकुरसाब..

देवायत : यार..वो खाना बाना लगा.. फीर इनको अंदर दुसरे रुममे सुला देना..

हरीया : जी..अभी मालतीको भेजताहु खीला देगी..

कहेके वो मालतीके हाथ दोनोका खाना भेज देताहे तबब दोनो खा लेते हे..भानुकोतो होसही नही था जेसे तेसे करते दोनो खा लेतेहे फीर मालती भानुको सहारा देके दुसरे रुममे सुला देतीहे ओर वापस आके सब बरतन समेटने लगती हे तब देवायत उनका हाथ पकड लेता हे तो मालती हसते हुअ‍े कहेती हे..

मालती : (हसते) मालीक पहेले इनकोतो सब रखने दीजीये..आप जाइअ‍े अपने रुममे..सब समेटके आती हु..

तब देवायत लडखडाते अपने रुममे चला जाता हे थोडीही देरमे मालतीभ आजाती हे ओर दरवाजा बंध करते अपने सब कपडे नीकालने लगती हे फीर नंगी होके देवायतकी बगलमे बेठते देवायतकेभी कपडे नीकालने लगती हे जेसे तेसे करते उनकी पेन्ट ओर चडी नीकाल लेती हे तब देवायतका लंड फडफडाते जटके मारने लगता हे जेसे वो मालतीकी चुतको भलीभांती जानता हो.., तब मालती पीठके बल लेट जाती हे..

तब देवायत उनको भाहोमे भरते अ‍ेक टांग उची करते कमरपे डालते उनके उपर चडके लेट जाता हे ओर मालतीभी देवायतके लंडको देखके कामुक होजाती हे ओर उनकी चुत गीली होजातीहे तो देवायतके लंडकोभी जेसे अपने बीलमे जानेकी जल्दी हो वो मालतीकी चुतपे जोरोसे ठोकरे मारते अपना रास्ता ढुंढते मालतीकी चुतमे चला जाता हे जेसे उनको इस चुतमे घुसनेकी जल्दी हो..

तभी देवायत हाथके बल उचाहोते मालतीको जोरोसे सोट मारते चोदने लगता हे तब मालतीथी कमर उछालते देवायतका साथ देने लगी वो चुदवाते हुअ‍े लगातार देवायतकी आंखोमे देखे ही जा रहीथी.. थोडीही देरकी घमासान चुदाइके बाद मालती अकडने लगती हे ओर आंखे नसीली करते आधी चडाते जडने लगती हे ओर कमरको पटकते दोनो हाथोसे चदरको कसके पकड लेती हे.. फीर सांत होजाती हे..

तब देवायत लंड नीकालके साइडमे हो जाता हे ओर मालतीको पकडके घोडी बनाके लंडको पीछेसे उनकी चुतमे उतार देता हे तब मालतीकी हल्की चीख नीकल जाती हे ओर वो बरदास्त नही करपाती तब देवायत अ‍ेक हाथसे उनकी गरदन पकडके उसे धनाधन चोदने लगता हे तब मालती चुदवाते चुदवाते बेडपे गीरती हे ओर देवायत उनकी कमरको पकडते जोरोसे चोदने लगता हे तभी थोडीही देरमे अपना सारा माल मालतीकी चुतमे डालते चुतको पुरी भरदेता हे ओर उनकी पीठमे लेटके ढेर हो जाता हे..

15
तब मालतीकी हालत खराब हो जातीहे ओर वोभी अ‍ेसेही पडी रहेती हे, लंड चुतमे होनेके बावजुदभी मालतीकी चुतसे दोनोका कामरस अपना रास्ता बनाते मालतीकी चुतसे बहार गीरने लगता हे.., जब दोनो नोर्मल हो गये तब देवायत साइडमे होकर लुढकके सोने लगता हे ओर मालती धीरे धीरे बेडसे उतरके खडी हो जातीहे ओर अपनी चुतको कपडेसे साफ करके अपने कपडे पहेनने लगतीहे फीर धीरे धीरे लंगडाती चालसे बहारकी ओर जाने लगती हे आज वाकइ देवायतने उनकी हालत खराब करदीथी.. वो दरवाजा बंध करके अपने रुममे जाके अपनी खटीयामे गीर जातीहे ओर बेहोस जेसी हालतमे सो जाती हे..

सामको देवायत बहुत देरसे ६ बजे उठा, देखातो भानु अभीभी सो रहाथा वो अभीभी थोडे नसेमे था तो उनको जगाया तो रातमे यही सोनेको कहेके वापस सोने लगा, तब देवायतने हरीयाकी मददसे उनको देवायतकी गाडी मे पीछे डाला ओर उनको छोडने उनके गांवकी ओर चल पडा देवायत भानुको अ‍ेसे कइ बार छोडने जाता हे, तो उनके घरवालेको भी पता होताहे की भानुने आज ज्यादा दारु पीली होगी.. ओर उनको सुलाके वापस आजाता..

वहा पहोचके उनको सहारा देते उनके रुमकी ओर चल पडातो भावना देवायतको देखतेही खुस होगइ तो उनकी सास सरलाभी भानुको देखते कातीलाना हसने लगी, ओर लतातो उनको देखतेही सरमाके भावेशको लेके रुममे चली गइ आखीर देवायत उनके जेठजो थे.. तब भावनाभी दुसरी ओर भानुका हाथ पकडके देवायतके साथ रुममे छोडने साथमे जाने लगी ओर भानुको सहारा देनेके बहाने देवायतके हाथको छुने लगी..तब अ‍ेक बार हाथको दबाभी दीया तो देवायत हसने लगा तब वो बहुत सरमाइ ओर हसने लगी..

भावना : (भानुको बेडपे सुलाते) जीजु..क्या बहुत पीली हे..? कीस खुसीमे पार्टी कर रहे थे..हें..हें..हें..

देवायत : कुछ नही भावु..बस पुनम धिरेनके रीस्तेके बारेमे सुनके खुस हो गया..?

भावना : (खुस होते) क्या..? दोनोका रीस्ता तैय होगया..? सगाइ कब रखी हे..?

देवायत : (हसते) बस कलही बात तैय हुइहे वो मौसी आइहे घर.., पहेले आपको बताया.. अब इस हालतमे तुम धर केसे आओगी.. नहीतो तुजे ले चलता..

भावना : (धीरेसे) जीजु कभी अकेले मीलोना.. कुछ बात करनी हे.. सीर्फ आपको.. मंजुदीको मत कहेना..

देवायत : (सामने देखते) क्या बात हे भावु..? कुछ परेसानीतो नही..? तो बता.. कुछ पैसे बैसे चाहीये..?

भावना : (धीरेसे) अरे नही..नही..? कुछ ओर बात हे..? आपके ओर मेरे बीचकी बात.. समज गये..

देवायत : (आसचर्यसे) हम दोनोके बीचकी बात..? क्या बात हे..? कुछ सीरीयस मेटरतो नही..? मतलब मुजे दारु पीनेके बाद होस नही रहेता..तो..मेने तेरे साथ कुछ गलततो नही करदीया..?

भावना : (सरमाके हसते) नही..वो बात नही..अ‍ेसा कुछ नही हुआ..बस..कुछ ओर बात हे..जो बादमे हमे अकेले मीलनेका मोका मीलेगा तब बता दुगी..मेरी सादीके पहेलेकी बात हे..आप टेन्शन मत लेना..

देवायत : ठीक हे भावु हम मीलेगे तब बता देना..जरुर कोइ सीक्रेट बात होगी.. अब चलो बहार वरना तेरी सासु सक करेगी की सालीको छेडते होगे..हें..हें..हें..

भावना : (सरमके मारे हसते मुका मारते) वेरी फनी.. जीजु आप बहोत बदमास हो..चलीये..(सरारतसे धीरेसे) वेसेभी सालीभीतो आधी घरवाली होती हे.. आपका छेडनेका पुरा हक हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां.. तो तैयार रहेना.. अब मौका मीलातो जरुर छेडुगा.. हें..हें..हें..

तब भानु गहेरी नींदमे सोयाथा ओर देवायत भावना बाते करते बहार आगये तब भावना रसोइमे चली गइ ओर देवायतके लीये चाइ बनाने लगी तब देवायत सरलाके पास जाके बेठ गया तब वो रसोइकी ओर देखते सरमाके बोली..

सरला : (हसते) आइअ‍े समधीजी..हें..हें..हें.. अंदर बहोत देर करदी.. कही सालीपेतो दील नही आ गया..?

देवायत : (धीरेसे हसते) अगर आप जेसी हसीना हेतो मुजे सालीकी क्या जरुरत हे.. कहो.. आप कब अकेली होगी..? आजाउगा..

सरला : (सरमाके हसते धीरेसे) क्या इतनी पसंद हु.., अबतो बुढी होने लगी हु..तो फीर आता क्यु नही..? तुम अ‍ेक काम कर सगाइकी खरीदी करने भानुको भेजदे मे तेरे गोडाउनमे चली आउगी.. फीर खुब मजे करेगे.. क्या दमदार हथीयार हे तेरा.. जो अ‍ेक बार देखलेगी.. तेरीतो दीवानी हो जायेगी..

भावना : (चाइपानी लाते) माजी..हमारी पुनम ओर मौसीके लडके धिरेनका रीस्ता तैय हो गया हे..

सरला : (हसते) क्या..? तुमने तो बताया नही.., रीस्ता कब कीया..?

देवायत : (चाइ पीते) बस कलही तैय कीया.. चारोकी साथमे सगाइ करेगे हमारी हवेलीपे.. तैयारी सुरु करदो.., आप सबको उधरही आना हे आपके सब रीस्तेदारको बुलाना..

सरला : अब कहा हे रीस्तेदार..बस आप ओर भानुके ससुर ओर भानुके मामा लोगही हे.. वहासे रमा ओर नीलमही आयेगे.. उनका मामा तो कही दारु पीके पडा होगा.. वो कहा आता हे.. दोनो मा बेटीको भेजते हे

भावना : जीजु भानु केह रहेथे इन बच्चोके लीये खरीदी करने जाना हे..आप लताको लेजाना..हम भेज देगे.. अब ब्याह करके उसे उधर हीतो आना हे थोडी सबके साथ घुल मील जायेगी..

सरला : (गहेरी सांस लेते) हां..भाइ..अब जमाना बदल गया हे.. अच्छाहे आपतो घरकेही लोग हे.. वरना मेरी सगाइतो इतनी ज्लदी करदी मुजे लडकेका मुहभी देखनेको नसीब नही हुआ.. बस सादीके बाद इस घरमे आइ तबही तेरे काका का मुह देख पाइ.. कास हमारे जमानेभी आजके जेसा होता..

भावना : (हसते) क्या माजी.. बापुजीभी तो अच्छे थे.. मेने सुना हे..हें..हें..हें..

देवायत : (खडा होते) चलो काकी चलता हु.. सुबहसे घरभी नही गया.. आपकी बहु डाटेगी.. हें..हें..हें..

सरला : (हसते) चल जुठा.. मेरी मंजु बहुत अच्छी हे मेरी भावुकी तराह.. दोनो बहेने बहुत संस्कारी हे..

फीर देवायत अपनी कार लेके हवेलीपे आजाता हे तब मंजु ओर चंदा दोनोही बाते करती हे.. देवायतको आते देखतेही दोनोके चहेरे पे खुसीसे हसी आजाती हे तब देवायत सीधेही बाथरुममे नहाने घुस जाता हे तब चंदा उनकी ओर देखते मंजुसे कहेती हे..

चंदा : मंजु सारा दीन कहा रहेते हे..? खाना खानेभी नही आये.. कीतनी महेनत करते हे..

मंजुला : मौसी..अब हामारा कारोबारभीतो इतना बडा हे..वहा रामुकाका हरीया उनकी बीवी सब हेना..जब ज्यादा काम होता हे वोही खाना बना देते हे तो वही खा लेते हे.. अच्छा हुआ भानुभाइ आगये..

चंदा : मंजु कीतना अच्छा हे.., तुजे.. साम होतेही पतीकी याद आती हे..उनका वेइट करती हे.. कीतना अच्छा लगगता हे.. (नीरास होते) बस मुजे सीर्फ अपनाही देखना हे.. ना कीसीका वेइट.. नाही..

मंजुला : (बीचमेही चंदाका हाथ दबाते) मौसी प्लीज.., अ‍ेसे दुखी मत हो.. आपकी बात मे समज सकती हु.., मुजे पता हे हम ओरतोकी कुछ नीड होती हे.., कमीना ये रीवाज कहासे आगया.. वरना आपकी उमरही क्या हे..? मौस्ी मेने ओर देवुनेतो डीसाइड

करलीया हे हम अ‍ेसे कीसीभी रीवाजको नही मानेगे.., भाडमे जाये दुनीया.., ओर बाबानेभी हमे बहुत कुछ कहा हे.. अब देखते हे आगे क्या होता हे.. कास इनमे मे आपकी कोइ मदद कर सकती..
(मनमे - मौसी कास मे आपकी जरुरतको मेरे देवुसेही कहेके पुरी करवाती)

चंदा : मंजु..मुजेभी अ‍ेक बार वो बाबासे मीलना हे.. देवायतभी कुछ बात कर रहे थे बस ज्यादा नही बोले..

तब मंजुला चंदाको इनसोर्ट सब बता देती हे की आने वाले वक्तमे हमारे घर रीस्तोकी कोइ अहेमीयत नही रहेगी.. मेरा पोता कोन होगा वगैरे.. तब सुनके चंदा सोक्ट होते मनही मन खुस होने लगती हे ओर उसे आशाकी अ‍ेक कीरण नजर आने लगती हे.. वो अपने आपको इस हवेलीमे देवायतकी बीवीके रुपमे इमेजींग करने लगती हे तब देवायत नहाके बहार आगया ओर सीधे अपने रुममे चला गया तब मंजु उठके उनके पास चली जातीहे ओर उनके कपडे देके वही बेडपे बेठ जातती हे ओर देवायतसे पुछती हे..

मंजुला : जानु कहाथे? पुरे दीन नही आये..भुख बुख नही लगीथी क्या..?

देवायत : (कपडे पहेनते) अरे वो मालतीने खाना बना दीयाथा ओर अ‍ेक लफडेमे फसे थे हमारे मजदुरकी वो सरपंचने टांगे तोडदी बस उसी चकरमे फसे थे..

मंजुला : देवु वो सरपंचतो बडा हरामी हे.., हमारी रजीया ओर दयापे भी बुरी नजर रखता हे..

देवायत : क्या..? बस अब उनका इलाज कर लेगे तु टेन्शन मत ले, चल खाना नीकाल तुम लोगोने खा लीया..? मौसीको यहा अच्छातो लगता हेना..?

मंजुला : (हसते) अरे अच्छा..? वोतो यहा बहुत खुस लग रही हे..अ‍ेसे काम करतीहे की वो यहा महेमान नही इस बरकी बहु हो.. हें..हें..हें..


देवायत : (मनमे) मंजु अब तुजे क्या बताउ.. वो इस घरकी बहु ही हे.. तेरी सैतन..

मंजु : (हसते) अरे क्या सोचमे पड गये.., चलो हमनेभी नही खाया कीतनी देर करदी..

देवायत : (बाहोमे भरते) बेबी..आप लोगोको तो खाना खालीया करो.. मे देरसे आता तो..

मंजु : (गालपे चुमते) बस.. बाबु अब खा लेगे..चलो मौसी अकेली बेठी हे..

उस रातभी खाना खाके सब अपने अपने रुममे सो जातेहे आजभी देर रात १२ बजे देवायत चंदाके पास चला जाता हे ओर दोनो सुबह ४ बजे तक प्यारकी आगोसमे गोते लगाते रहेते हे इस रात देवायत चंदाकी चुतमे दो बार छलक गया ओर चंदाकी चुतको हरी भरी करदी.. दोनोने साथमे नहातेभी अ‍ेक बार खडे खडे ही चुदाइ करली फीर देवायत मंजुके पास आके सो गया..तब मंजु गहेरी नींद ले रही थी....

कन्टीन्यु
 
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १२

उस रातभी खाना खाके सब अपने अपने रुममे सो जातेहे आजभी देर रात १२ बजे देवायत चंदाके पास चला जाता हे ओर दोनो सुबह ४ बजे तक प्यारकी आगोसमे गोते लगाते रहेते हे इस रात देवायत चंदाकी चुतमे दो बार छलक गया ओर चंदाकी चुतको हरी भरी करदी.. दोनोने साथमे नहातेभी अ‍ेक बार खडे खडेही चुदाइ करली फीर देवायत मंजुके पास आके सो गया..तब मंजु गहेरी नींद ले रही थी....अब आगे

दुसरे दीन देवायत ७ बजे उठ गया बहारकी ओर चंदा कंपलीट तैयार होके बेठीथी तब मंजु कपडे देनेके बहाने देवायतके पास चली गइ वहा दोनोने अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे अ‍ेक दुसरेके होंठ चुमते उपर उपरसे ही प्यार कीया.. फीर दोनोही बहार आगये सबने साथमे चाइ नास्ता करलीया ओर कुछ सगाइकी प्लानींगकी बाते करली तब मंजुने बात छेडदी.. जो चंदाने सोचाभी नही था.. तो सुनके सरमाइ..

मंजुला : देवु..बच्चोके कपडे लेने हे धिरेनके लीयेभी हमारी ओरसे कुछ लेना हे.., ओर जरुरी सामन गहनेभी लेने हे तो इस हालतमेतो मे ओर भावु नही आसकती..तो आप मौसीकोही लेजाओ.. तब धिरेनभी आ चुका होगा.. दोनो मां बेटेको साथमे लेजाना पुरे दीन सब नीपटाके वापस आजाना..क्या कहेते हो..?

देवायत : (मनमे खुस होते) हां वोही ठीक रहेगा.., मौसी पुनमका फोन आतेही हम नीकल जायेगे..

चंदा : (सरमाते हीचकीचाते) मे..? पर.. मे केसे आसकती हु.. मंजु.. तुभी..

मंजुला : (हसते) मौसी हमारी समधीतो आप बादमे हे.. पहेले आप मेरी मौसी हे ओर मेरी सहेली भी.. ओर हम घरकेही लोग हे..तो फीर जानेमे क्या हर्ज.., आप होगी तो सगाइकी सब खरीदी अच्छेसे होजायेगी.. ओर धिरेनभीतो साथमे होगा.., ओर तुम्हे मेरे देवुके साथ कोइ खतरा नही.., हें..हें..हें..

चंदा : (अ‍ेकदम सरमाते हसते) मंजु.. कुछभी.. तुमभीनां.. इनकीतो सरम कर..

देवायत : (हसते) मौसी..अबतो हमभी मंजुकी मस्तीके आदी होगये हे.. इन्होनेतो हमारा घरका माहोलही बदल दीया.., ओर मुजेभी.. हें..हें..हें.. बस बा बापुजी थे तब सब कंट्रोलमे थे.. अबतो..हें..हें..हें..

मंजुला : (खुस होते हसते) तो फीर..मौसी तुमतो जानती हो.. मेतो अ‍ैसी ही हु..बीन्दास..हें..हें..हें..

देवायत : (टेबलसे उठते) चलो मे चलता हु..

मंजुला : देवु..आजतो खानाके लीये आओगेना..? आजाना बाबु.. कुछ कामभीतो हे.. हम बादमे बात करेगे

देवायत : ठीकहे..लेकीन कुछ देर होगी.., तुम दोनो टाइमपे खा लेना मे आजाउगा..चलो बाय..

कहेते देवायत कार लेके बहार नीकल गया ओर सीधेही अपने गोडाउनमे आगया तब भानु अभी तक नही आया था, वो अभी आके बेठाही थाकी बहार बुलेटकी आवाज आइ..तो देवायत अपनी खुरसीपे बेठते बहारकी ओर देखने लगा तभी अंदर रमेश आता दीखाइ दीयातो देवायतके चहेरेपे स्माइल आगइ..ओर रमेशनेभी आकर हाथ मीलाया ओर सामनेकी खुरशीपे बेठ गया.. तब देवायतने रामु काकाको आवाज लगाइ

रामुकाका : (अंदर आते) काका वो मालतीसे कहेके दो कप चाइ भेजदो ओर पानीभी मंगवालो..ओर सुनो.. कोइ आयेतो थोडी देर बहारही बीठाना..

रमेश : (हसते) ठाकुरसाहब अब उस लडकेकी तबीयत केसी हे..?

देवायत : रमेश..अबतो बेचारेको आरामही करना हे कहा चल सकता हे.. कमीनेने टांगजो तोडदी हे.. यार उनके बारेके कुछ सोचा.. मादर-- अ‍ेक बार हाथ लगजाये..वही जमीनमे गाड दुगा..(गुसेसे)

रमेश : (हसते) ठाकुरसाब आपने मुजे अपना दोस्त माना हे..लीजीये..ये दारुकी बोटल..उन तक पहोंचा दीजीये.. बस ये कीसीको नही पता चलना चाहीये मेने आपको दी हे.., आपका काम हो जायेगा..

देवायत : (जटसे टेबलके खानेमे अलग रखते) रमेश क्याहे ये..तु ओर दारु..? तुमतो कभी हाथभी नही लगाते.. अंदर दारु ही हेना..? की कुछ ओरही हे.., खुस्बुतो दारुकी आ रही हे..

मालती : (अंदर चाइ पानी लाते टेबलपे रखते) लीजीये ठाकुरसाब.. मे बादमे लेजाउगी..

रमेश : (जब मालती चली गइ तब पानी पीते) हां ठाकुरसाब..मे नही पीता.. लेकीन घरमे कभी महेमानके लीये रखता हु.. तो घरपेही पडी थी..अ‍ेसे काममे कीसीसे मंगवाना ठीक नही सक होजाता हे..

देवायत : (चाइका कप लेते) ले पहेले चाइ ले..

रमेश : (चाइ पीते धीरेसे) ठाकुरसाब वो सरपंच रोज सामको वो पंचायतका मुनीम हेना उनके घर जाता हे.., वो दारुका बहोत सौकीन हे.. कभी सरपंचके पास दारु आताहेतो लेके वहा चला जाता हे ओर मुनीमके पास आता हेतो वो सरंपको बुला लेता हे फीर दोनो साथमे बेठके पीते हे.. दोनो खास दोस्त जो हे हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) काहेका दोस्त.., यार मेने सुना हे मुनीमकी बीवी चंपाको सरपंच ठोकता हे.. हें..हें..हें..

रमेश : (हसते) बस दारुतो अ‍ेक बहाना हे.. मुनीमको दो पेग ज्यादा पीलादो उसे होस ही नही रहेता.., फीर सरपंच उनकी बीवी चंपाको चोदने अंदर चला जाता हे ओर दोनो खुब चुदाइ करते रहेते हे.., इसके लीये सरपंचकी बीवी रश्मीभाभी चंपा ओर मुनीमके साथ जगडे करके भी आइ हे.., रश्मीभाभीकोभी पता हे उनका पती चंपाको चोदनेही इधर जाता हे, हें..हें..हें.. बस कीसीभी तराह ये बोटल मुनीम तक पहोंचादो.. आपका काम होजायेगा.. ओर मेराभी.. मादर--, साला.., मेरी बेटीपे बुरी नजर रखता हे..(गुसा करते)

देवायत : रमेश अब तु भुलभी जा तुने मुजे कुछ दीया हे.., लेकीन इसमे हे क्या..?

रमेश : (हसते) भाइ कुछ राज राजही रहेने दो.., आपकोतो पता हे मेरे बापु वैद थे.., भाइ इससेतो आप सरपंच होतेतो अच्छा था.. आपने बंदरके हाथ सता सोंपदी..

देवायत : चलो ठीक हे.., रमेश.. अब तु सरपंचके लीये तैयार होजा.. इनके बाद तुजेही सरपंच बनना हे..

रमेश : (हसते) भाइ मेरा काम नही..मे व्यापार करुगाकी लोगोकी सेवा..

देवायत : (हसते) यार तु व्यापारके साथ सेवाभीतो करता हे.., अब सब लीगल करले.. क्या फर्क पडता हे.. कमसे कम गांववालोको अ‍ेक इमानदार ओर सेवाभावी सेवकतो मीलेगा बाकी मे तेरे साथ हु.. जबभी कोइ जरुरत पडे केह देना.. दोनो मीलके करेगे..
फीर कुछ ओर बाते करके रमेश चला गया तब भानु जीप लेके आगया फीर खेतोपे कुछ कामका जायजा लेके वोभी देवायतके पास आगया ओर उनके साथ बेठ गया तब भानु उनकी ओर देखके हसने लगा..

भानु : (हसते) भाइ कल थोडी ज्यादा होगइ थी..सुबह सुबह ही सास बहुकी खुब खरी खोटी सुनके आया हु हें..हें..हें.., वो भावु कुछ केह रहीथी, आपही खरीदी करने ओर लखन पुनमको लेने जा रहे हो.. तो फीर लताको भी साथमे लेकर जाना.. मे मेरे साथ ही उनको लेकर इधर आजाउगा..

देवायत : भानु वो सब छोड वोतो पुनमका फोन आयेगा तभी जाना हे.., तु अ‍ेक काम कर..(दारुकी बोटल नीकालके अ‍ेक केरी बेगमे डालते) ये..ले.., इसे तु मुनीम तक पहोचा दे.. तुम खुद मत जाना कीसी अन्जान आदमी जो मुनीम उनको पहेचानता हो उनके हाथ भेज देना.. समज गया..

भानु : (बेग लेते) यार क्या बात हे.., तु उनको पुरी बोतल दे रहा हे..?

देवायत : (हसते) अरे सुन.., तुम इनमेसे अ‍ेक बुंदभी मत चखना ये हमारे सरपंचके लीये हे.., समज गया..

फीर देवायत उसे सारी बात रमेशका नाम लीये बीनाही बता देता हे तब सुनके भावु खुस होगया..

भानु : (हसते) अच्छा.., समज गया.., मतलब तुने पुरा इन्तजाम करलीया हे.. ठीक हे पहोंचा दुगा..

देवायत : (धीरेसे) भानु सुन.., ना सरपंचको ओर नाही मुनीमको.., कीसीको पता नही चलना चाहीयेकी ये बोतल हमने भीजवाइ हे समज गया.. ये काम बडीही सावधानीसे करना हे..ओर आज ही..

भानु : (हसते बहार जाते) यार तो नेक काममे देरही क्यु.., अभी अ‍ेक आदमीको देके आता हु.. मुनीमके घरके पासही रहेता हे मेरा दोस्त हे.., उसे आधे दाममेही बेचेगा तो मुनीम फटसे लेलेगा..चल मे देके आता हु..

कहेके भानु फटाफट बुलेट लेकर चला गया ओर मुनीमके घरके पास उनके दोस्तके वहा चला गया तो उनका दोस्त जीवा बहारही खटीयापे बेठे बीडी पी रहा था जो भानुके देखते खुस हो गया..

जीवा : अरे भानुभाइ इधरका रास्ता केसे भुल गये.. कुछ इधर काम था क्या..

भानु : अरे जीवा..सुन मुजे अ‍ेक आदमी मीलाथा आधे से कम दाममेही बोटल दे गया हे लेकीन मेरे पास हे.. तुजेतो पता हे मे कभी कभार ही पीता हु तो मुजे नही चाहीये.. कीसीको चाहीयेतो बोलना.. इपोर्टेड हे..

जीवा : (हसते) क्या भानुभाइ.. साला सबसे बडा कस्टमरतो मेरे पासही रहेता हे..कमीना वो ओर सरपंच रोज इधर दारु पीते हे ओर सरपंच दारु पीके रोज मुनीमकी बीवी चंपाको ठोकता हे.. कमीनेने सारा महोला खराब करके रखा हे.., देदो उनकोही बेच दुगा मुजेभी कुछ पैसे मील जायेगे..

भानु : सुन..जीवा..इनके सीवा कीसी ओरको मत देना ओर मेरा नामतो कतइ मत लेना.. समज गया.., इनमे तुजे जीतना कमाना हो कमा लेना ओर कम पडेतो मुजसे कहेना पर देना मुनीमकोही हे.. समज गया..

जीवा : समज गया भाइ कीसीभी तराह ये बोतल मुनीमको देनी हे.. बस यहीना..दे दुगा..ओर आपने क्या कम मददकी हे मेरी.. मेरी बीवीकी डीलेवरीमे आप साथही थे सारा खर्चा आपनेही तो दीयाथा.. आप फीकर मत करो काम हो जायेगा.. आइअ‍ेना चाइपानी पीके जाना..मेरी बीवी आपको देखते खुस हो जायेगी..

भानु : यार तु मेरा यारभी तो हे.., यारीमे ये सब चलता हे.., ओर भाभीको कहेना फीर कभी चाइ पीने आउगा.. चल मे चलता हु.. सहेरभी जाना हे खाद लेने.. तु चलेगा..?

जीवा : नही भाइ आज आपही होकर आओ.. मुजे गाडीका (टेम्पो) काम कराना हे.. चलो बाय..

तब भानु मनमे खुस होते वापस आजाते हे ओर सीधेही देवायतके पास जाके बेठ जाता हे ओर हसने लगता हे.. तो देवायतभी समज जाता हे भानु काम करके आ गया.. तो प्रस्नार्थ नजरसे उसे देखता हे..

भानु : (हसते) यार काम हो गया..वो जीवा मील गया.. हमारे यहा ज्यादा माल होताहे तब टेम्पो लेके नही आता..? उनके ही पास रहेता हे.. उनको सब समजाके आगया..

देवायत : (हसते) साले देखना.., कही तेरा नाम ना बकदे.. खतराभीतो हे..

भानु : (कुटील मुस्कानसे) नही लेगा भाइ.. उनकी बीवीको डीलेवरीमे होस्पीटल लेके गया था.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) तो इसमे हसनेकी क्या बातथ हे.., कुछ गडबड लगती हे हें..हें..हें..

भानु : (जोरोसे हसते) क्या यार.., बस सब खर्चा मेने दे दीयाथा.. तो मेरा अहेसान मानता हे.., पर.., हें..हें..हें..

देवायत : (जोरोसे हसते) कमीने अब बताभी दे..हकीकत क्या हे, हें..हें..हें..

भानु : भाइ.. अब तुमसे क्या छीपाउ.., जीवातो गाडी लेके दुसरे सहेरमे घुमताही रहेता हे..बस उनकी बीवीको पैसेकी जरुरत होतीतो मुजे फोन करके कहेता.. तब मे पहोचा देता.. ओर कामभी करदेता था.. इस सीलसीलेमे उनके साथ बहोत मुलाकात होतीथी.. बस..टाका भीड गया.., मीलने लगे.. मेरा ही बच्चा था.. हें..हें..हें..

देवायत : (जोरोसे हसते) कीतने कमीने हो.. पता नही कहा कहा बच्चा देके आया हे, हें..हें..हें..

अ‍ेसीही बाते करते दोपहर होजाती हे..इसी बीच देवायत कुछ सौदा करते बीजनेसभी करलेता हे ओर खानेके टाइम हवेली पहोच जाता हे.. इसी बीच मुनीमभी घर खानेके लीये आता हे तब उसे जीवा बहारही मील जाता हे ओर इन्पोर्टेड दारुकी बात करता हेतो मुनीम लाळ टपकाने लगताहे तब जीवाके साथ हा..ना.. करते कीमत तैय करता हे ओर जीवा उसे बोतल पकडा देता हे..

तब मुनीमभी खुस होजाता हेकी चलो आधे दाममे अच्छा माल मील गया ओर जीवाभी खुस होताहे क्युकी उसेभी ३०० रुपीये ज्यादा मील गये थे.. दोनोही खुस होते घरमे चले गये..तब मुनीमने खाना खाया.. फीर सीधाही सरपंचको फोन करके बतादीयाकी वीदेसी माल आगया हे सामको चले आना.. तब सरपंचभी खुस हो जाता हे ओर वोभी घर जाते रास्तेसे कोन्डमके पेकेट लेजाता हे..

उसेतो दारुसे ज्यादा चंपाको चोदनेमे मजा आता था.. ओर चंपा भी सरपंचके लंडकी आदी हो चुकी थी.., लेकीन अबवो सरपंचको बीना कोन्डम नही चोदने देतीथी क्युकी वो.. सरपंचसे अ‍ेक बार प्रेगनेन्ट हो चुकीथी.., बडी मुस्कीलसे दोनो बच्चेका नीकाल करके आये थे.. तबसे बीना कोन्डम नही चुदवाती थी.. उधर सरपंचभी खाना खाके सोने लगा..तब उनकी बीवी रश्मी इनके पास आती हे ओर कहेती हे..

रश्मी : सुनीयेजी.., आप सहेर जाओतो मुजेभी साथ लेजाओनां.. दोनो चेक करवा लेते हे..कमी कीसमे हे..

सरपंच : (गुसा करते) कोइ जरुरत नही जब देखो बच्चा..बच्चा.. रट लगाती रहेती हे.., कमीनी कमी मुजमे होगी तो क्या दुसरोसे चुदवायेगी..? बात करती हे.. चल जा सोने दे..दीमाग खराब करदीया..

रश्मी : (थोडा गुसा करते) तो भडकते क्यु हो..जब देखो जगडाही करते हो.., मेने कब कहा दुसरोसे चुदवा लुगी.., सरमभी नही आइ.., आपसे अच्छेतो वो ठाकुर हे..देखीये केसे अपनी बीवीके साथ पेस आते हे.. कभी उची आवाजमे बातभी नही करते..ओर अ‍ेक आप हो..

सरपंच : (देवायतका नाम सुनतेही गुसा सातवे आसमानपे चला गया) मादर--, जा उनसेही चुदवाले.., खबरदारजो उस कमीनेका नामभी लीया.. इनकोतो मे देख लुगा.. बस अ‍ेक बार मोका मीलने दे.. उनकी गांड मारताहु की नही.., कमीनी.. सारा दीन उनके नामकी ही माला जपती हे.. मादर---..,

तब रश्मी आंसु बहाते रुमकी बहार चली जाती हे.., आज उसे देवायतसे संबंध रखनेका कोइ दुख नही हुआ ओर नाही लगाकी मेरे पतीको धोखा दे रही हु.. आज इनको सरपंचपे बहोत गुसा आगया.. अ‍ेक पलतो लगाकी कुतेको अभीके अभी डीवोर्स देदु.., ओर सारी जींदगी देवायतसे चुदवाती रहु.. लेकीन वो.. गुसेको पी गइ.. ओर दुसरे रुममे जाके बेडपे लेटते आंसु बहाती रही ओर अपनी कीस्मतको कोसती रही..

इधर देवायत आगया तो चंदा ओर मंजु उसे देखतेही खुस होगइ फीर सब साथमे मीलके खाना खाते बाते करने लगे.. तब चंदा देवायतको उनके बीजनेसके बारेमे बाते करने लगीकी क्या करते हो.. फीर इस गांवकीभी बाते होने लगी तब चंदा सबकुछ पुछती रही.. बस उनके दीमागमे अ‍ेक खास मकसद चल रहाथा जो धीरे धीरे करते उनपे बाते करते अमल कर रहीती थी उसेतो अब देवायतसे नजदीक रहेना था..

चंदा : (हसते) देवायतजी इस गांवमे कीतना मजा आता हे..यहा सब मीलने आतेहे.. वहातो अकेली बोर होजाती हु..हें..हें..हें.., मेने कभी खेतो ओर आपका बीजनेसभी नही देखा.. कभी घुमाने तो लेजाओ..

मंजुला : (हसते) लोजी..इसमे कोनसी बडी बात हे..? मौसी मेरी मानो वहा सब बेचके आप इधरही गांवमे रहेने आजाओ..मेतो कहेतीहु हमारी हवेली बहोत बडी हे यहाही रहेलो.. मुजेभी कंपनी मीलेगी.., ओर रही खेतोकी बाद तो खानेके बाद कुछ ये आराम करेगे फीर जायेगे तब उनके साथही चली जाओ.. सब देखके साथही वापस आजाना.. क्यु देवु..?

देवायत : (हसते) हा..हा.. क्यो नही.., वेसेभी आज कोइ खास कामभी नही हे..सब खेतो दीखा दुगा..

चंदा : (हसते) वेसे कीतनी जमीन हे आपके पास..? सब खेतोका केह रहे हो..

मंजुला : (हसते) सब मीलाके तकरीबन..२०० अ‍ेकर.., देवु इतनीतो होगीनां..?

चंदा : (आस्चर्यसे) २०० अ‍ेकर..? इतनी बडी..?

देवायत : (हसते) मौसी हमारे पुर्खो यहा राज करतेथे.. तब बहोत जमीन होगी.. पता नही क्या हुआ.., सोनाभी इतना था.. पुरा बडा संदुक भरा हुआथा..वो पुराने जमानेमे बडे बडे नही हुआ करताथा वोही.. सब कहा गया पताही नही चला.. बापुजी कहेतेथे आजभी हे..पर अता पता नही हे..

चंदा : वाव.., तबतो आपको ढुंढना चाहीये..हें..हें..हें.. पता नही आपको मील जाये.. हें..हें..हें.., तबतो देखनी पडेगी आपकी जमीन.., मंजु मे सोचतीहु सब बेचके इधरही रहेने आजाउ..यहा छोटा मोटा घर बना लगे..

मंजुला : बेसक सब बेचदो..पर घर नही बनाना..यहा हमारे साथही रहेने आजाना.हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते) नही..लोग क्या कहेगे.. समधीको साथमे रखा हे..हें..हें..हें.., फीर वो धिरेनको भीतो पुछना पडेगा.. देखतीहु क्या कहेता हे वो..

फीर सब खाना खालेते हे तब सब अपने रुममे अ‍ेक घंटे आराम करते हे तब रुममे जातेही मंजु लेटती हे ओर देवायतको खीचके अपने पास लीटा देती हे ओर उसे होठोपे कीस करने लगती हे..

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मंजुला : देवु अब ये बच्चा आजायेतो अच्छा हे..कीतने दीन होगये हमने प्यार नही कीया.., बाबा बहोत मुस्कील लगता हे आपके इस लंडके बीना.., आदतजो पड गइ हे.. रोज इसे अंदर चाहीये..

देवायत : (हसते) बीलकुल पागल हो.. तो फीर सोच मौसीकी क्या हालत होती होगी..बेचारी..

मंजुला : (सरमाके हसते धीरेसे) देवु सुन.., बेचारी अपनी उंगलीसे काम चलाती हे.., अब कुछ करतो नही सकती.., इजतका सवाल हे.. बेचारी रो रही थी.. अगर ये रीवाज नही होता तो वो दुसरी सादी करलेती.. आज मुजे बता रहीथी.. तबतो धिरेनभी छोटा था.. अब कुछ नही होसकता.. क्या हम इनके लीये कुछ नही कर सकते..?

देवायत : मंजु सायद इसीलीये पुराने जमानेमे दो दो तीन तीन बीवीया रखनेकी परंपरा थी.. जो अब कानुनन खत्म होगइ.. वरना तब देवरभी अपने बडे भाइकी मोतके बाद अपनी भाभीको पत्नी बनाके अपना लेता था.. सब परंपरा खत्म होगइ पता नही ये विधवा सादी नही कर सकती ये रीवाज केसे आगया..

मंजुला : (देवुके सीनेपे सर रखते) बाबु कुछभी हो..हम ये पुराने रीवाज नही मानेगे..जीसमे जीनेकी चाह ही खतम हो जाये.., भले ही दो तीन सादीया करना पडे वो अच्छा था.., देवु अ‍ेक बात कहु..आप मौसीसे सादी करलो..हें..हें..हें..(जोरोसे हसते)

देवायत : (हसते) अच्छा मजाक करलेती हो.. अब हमारी समधन होगइ हे.. सुनेगी तो यहासे भाग जायेगी..

मंजुला : (हसते) अरे बाबा मजाक कर रही हु.., कास अ‍ेसा हो पाता..देवु पता हे..तो मे अ‍ेतराज नही करती..

देवायत : चल अब सोजा बहोत मजाक करलीया.., पता नही उन लोगोकी परीक्षा कब खतम होगी.., क्या लखन या पुनमका फोन आया था..?

मंजुला : (हसते) हां..आपकी लाडलीका फोन आया था.., वो लडकेके बारेमे पुछ रहीथी तो मेने कहा तेरे भाइको ही पुछले.., तो कहेतीथी उसे नही पुछना बस..अभीतो परीक्षा चल रही हे..

फीर दोनोकी बाते करते आंख लग गइ ओर मंजुने मुजे चार बजे उठादीया तो फ्रेस होके बहार आगया मंजु ओर चंदा दोनोही मेरा वेइट करते बेठी थी आज चंदा अच्छेसे तैयार होगइथी मेरे साथ जो आने वालीथी फीर हमने चाइ नास्ता कीया ओर हम चलने लगे..तब चंदा सरमाते मेरे साथ कारमे बेठ गइ तब मंजु बहोत खुस होते हस रहीथी ओर चंदा उसे देखते सरमसे पानीपानी होते मुस्कराती रही.. ओर हम चल पडे..

चंदा : (मेरी ओर सरारतसे हसते) तो आखीर बीवीको लेकर घुमाने नीकलही गये..हें..हें..हें..

देवायत : चंदा..बस तु खुस रहे.., ओर तेरा इधर रहेनेका आइडीया मस्त हे.. सब बेचके आजा.. मेरे साथ रानी बनाके रखुगा.., मंजुभी राजी हे.. हें..हें..हें.. देख तुजे मेरे साथ भेजते केसे खुस हो रही थी

चंदा : (सीरीयस होते) नही देवु..वो अपनी मौसीको रखने राजी हे..सौतनको नही..

देवायत : अरे उसे कहा पता तु उनकी मौसी बनके रहेती हेकी मेरी बीवी.. हम मेनेज करलेगे..

चंदा : (देवुकी ओर देखते) देवु..आर..यु सीरीयस.., क्या वाकइ तुम चाहते हो मे इधर आजाउ..?

देवायत : हां चंदा अब तेरे बीना रहेना बहुत मुस्कील लगता हे.. अभीतो ये डीलीवरी फीर बच्चे छोटे होने तकतो ठीक हे बादमे मुजे मुस्कील हो जायेगी.. तब मे तेरे बीना क्या करुगा..

चंदा : देवु..आइ लव यु..सो..मच.., मुजे नही पताथा तुम मुजे इतना चाहोगे.., मेरीभी हालत कुछ आपके जैसीही हे.. पता नही अब मेभी आपके बीना केसे रेह पाउगी..,इसके लीये मुजे धिरेनको तैयार करना पडेगा..

देवायत : चंदा सब होजायेगा.., बस अ‍ेक बार तु हां कहेदे.., फीर देख मे कुछना कुछ जुगाड करलुगा.. बस अ‍ेक बार बाबाको मीलने जाना हे.. देखता हु वो क्या कहेते हे..वेसेभी उनको सब पता चलही जाता हे..

अ‍ेसीही बाते करते दोनो पहोच जातेहे तब देवातत रामुकाका को चंदाका परीचय करवाते हे ओर काका को अपने पीताके खास दोस्त कहेके परीचय करवाता हे तब चंदा उनके पाव छुती हे तब रामुकाका खुसीसे गदगद होजाते हे.. फीर देवायत उनको पुरा खेतर अपनी खुली जीपमे बीठाते दीखाता हे.. तब चंदा सब देखते दंग ही रेह जाती हे फीर दोनो अपने गाडाउनमे ओफीसमे आके बेठते हे.. तब चंदाको वहाभी सब दीखाता हे..

देवायत : ओर ये मेरा पर्सनल रुम..जब सीजन होती हे तब मे यही आराम करते सोता हु.. सादीसे पहेले यही पडा रहेता था तीन तीन चार चार दीन घरही नही जाता था..हें..हें..हें..

चंदा : (हसते) अच्छा इसीलीये यहा फ्रिज ब्रीज टीवी सब रखा हे.. हें..हें..हें.. ओर बेडभी मस्त हे..

देवायत : (कमरसे पकडके खीचते) चल आजा आज इसकाभी उद्घाटन करही देते हे..हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते छुटनेकी कोसीस करते धीरेसे) पागल हो गयेहो क्या..? कोइ देख लेगा..छोड..

देवायत : नही बेबी यहा कीसीकोभी आनेकी परमीसन नही जब मे आवाज देके बुलाउ तभी सब आते हे..

चंदा : नही देवु मेरे कपडे खराब हो जायेगे..वो मंजु देखेगी..तो.. सक करेगी.. प्लीज..मेरा अच्छा बेबी.. हम रातमे करेगेना.. तब मेरे बेबीको खुब प्यार करने दुगी..बस.. देखो दरवाजाभी खुला हे..

देवायत : (दरवाजा बंध करने जाते) बेबी अभी बंध करता हु..ओर सुन ये मेरा पर्सनल रुम हे यहा कोइ नही आता..,चल बीना कपडे नीकालकेही करेगे.. यहा जुकके खडी होजा..

तब चंदा बहुतही सरमाइ उनको पता था देवायत उनको चोदे बीना नही मानने वाला, तब वो हसते हुअ‍े खडीथी तभी देवायत उनके पीछे चला गया ओर पीछेसे चंदाको बाहोमे भरते उनकी गरदन चुमते उनकी सारी नीकालने लगा तब चंदा मदहोस होने लगी ओर सब कपडे नीकालके बडीही सावधानीसे अ‍ेक जगह कपडे रख दीये तभी देवायतभी कपडे नीकालके उसे पीछेसे बाहोमे भरते उनकी गरदनको चुमने लगा तब चंदा मदहोस होते बेडपे हाथ टीकाके खडी होगइ ओर सरमाते हसने लगी..
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तब देवायतका लंड हवामे लेहराते चंदाकी चुतको देखते जटके मारने लगा तब चंदाने पीछे मुह करते देखलीया..लंडको देखतेही वो सरमसे पानीपानी होगइ ओर सर जुकाके खडी रही, तब देवायतने उनकी कमर दोनो हाथसे पकडली ओर लंडको पकडके पीछे चुतपे लगा दीया तब चंदाकी चुत पानी बहाते काफी गीली हो गइथी ओर देवायतने अ‍ेकही जटका मारा.. पुरा लंड चंदाकी चुतमे समा गया तब चंदाकी हल्की चीख नीकल गइ ओर उनकी आंख नसीली होने लगी वो देवायतकी ओर पीछे मुह करते कामुक नजरसे देखने लगी..
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तब देवायत कमरको आगे पीछे करते जटके मारने लगा तब हर धकेके साथ चंदाकी आहे नीकलने लगी ओर जोरोसे सीसकारीया करती रही तब थोडीही देरमे वोभी कमरको पीछे धकेलते देवायतका साथ देने लगी ओर दोनोके बीच घमासान चुदाइ होने लगी.. तब चंदा अचानक बेडपे सर रखके जुक गइ ओर हाथको नीचे लेजाते अपनी चुतको सहेलाने लगी ओर जोरोसे सीसकारीया करते अकडते जडने लगी..

तबभी देवायत उसे जोरोसे पीछेसे चोदेही जा रहाथा तब वो अ‍ेक बार फीरसे कामुक होते हाथके बल बेडसे खडी होगइ ओर अ‍ेक हाथसे अपना बुब्स खुद मसलती रही तब देवायतने स्पीड बढादी ओर चंदाकी चुतमे जोरोसे जटके मारने लगा ओर उसने लंडको चुतमे जड तक घुसा दीया..ओर अपने गरम लावासे चंदाकी चुतको भरने लगा.. तब चंदाभी अ‍ेक बार फीरसे साथमे जड गइ..
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तब वो जटसे खडी होते सीधी होगइ तो देवायतका लंड फच..आवाजके साथ बहार नीकल गया तब दोनोका काम रस चंदाकी चुतसे नीकलते उनके पैरसे नीचेकी ओर सरकने लगा तब चंदा जटसे अ‍ेक हाथसे अपने रुमालसे अपनी चुतको साफ करने लगी..

तभी देवायत उसे अंदर बाथरुममे लेगया जहा चंदाने अच्छेसे चुतको पानीसे साफ कीया ओर देवायतके लंडको पानीसे साफ करदीया फीर दोनोही फ्रेस होके बहार आने लगे तब चंदा कातील ओर कामुक मुस्कान करते देवायतकी ओर तीरछी नजरसे देखते मुस्कराती रही ओर दोनो दरवाजा खोलके बहार ओफीसमे आगये ओर दोनोही सोफेपे ीाथमे बेठ गये तब बेठते चंदाने कहा..

चंदा : (हसते) आप बहोत बदमास हो..आखीर अपने मनकी करही ली.. क्या मेरी भांजीके साथभी अ‍ैसा करते हो..?

देवायत : (जोरोसे हसते) नही..तेरी भांजी मेरे साथ अ‍ेसा करती हे..हें..हें..हें..

चंदा : (जोरोसे हसते) तुम बहोत कमीने हो..मेरी भांजी अ‍ैसी नही हे..मे उसे अच्छी तराह जानती हु..

देवायत : हां बेबी वोभी तुम्हारी तराह ही हे.. मुजसे बहोत प्यार करती हे.., तभीतो अपने पापासे बगावत पे उतर गइ थी.. फीर हमारी सगाइ करदी गइ.. क्या तुजे कभी नही बताया..? तेरीतो सहेली भी हे..

चंदा : (सरमाते) जी..मुजे सब पता हे..इन्फेक्ट मेनेही उसे कहाथाकी जीजुसे खुलके बात करले.. हें..हें..हें.., जानु तुम बाबाके बारेमे कुछ केह रहेथे मुजे सब जाना हे..अभी.., हमारे पास टाइम हे..ओर हम अकेले भी हे..

देवायत : हां बताता हु..पहेले ये बताओ क्या पीओगी.. चाइ या ठंडा..

चंदा : (सरारतसे नसीली नजरसे मुस्कराते) कुछ नही..अभीतो तुमने ज्युस पीलाया नीचे.. हें..हें..हें..
saqib-saleem
देवायत : (गाल चुमते हसते) वेरी फनी.., बोलाना..

चंदा : अरे मेरा बेबी सरमाताभी हे हें..हें..हें.., चाइही मंगवालो..हें..हें..हें..

तब देवायत हरीयाको आवाज देते चाइके लीये बोलता हेतो हरीया चला जाता हे तब देवायत कहेता हे

देवायत : चंदा.. क्या तुम वो मंदिरके बारेमे जानती हो..? जो हिमाचलमे हे प्रसीध्ध वहांका मंदिर जीनके दीनमे कइ कलर चेन्ज होते हे.., क्या वो मंदिर कभी देखा हे..?

चंदा : हां..देखा हे.., हम सादी करके हनीमुनके लीये वहीतो गये थे तब देखके आयेथे.. वहाके कीसी राजाने बनवाया था.. उनकी कइ रानीयाथी जो उनके खुदकी सगी बहेने ओर चाची उनकी दादीभी उनकी राानी थी.. उसने वहा अ‍ेक सादीकी परंपराभी सुरु कीथी.., जो आज तक चली आ रही हे.., तो उससे क्या..?

देवायत : बस वोही राजा.., बाबा केह रहेथे मेरा पोता होगा वो इश्वरका अंस होगा.. वोही राजा जन्म लेके मेरे पोतेके रुपमे आने वाला हे.., मुजे ज्यादा नही पता पर बाबा केह रहेथे वही यहा आके बहोत बडा बदलाव करेगा.., यहाभी वो अ‍ेसे कइ रीस्तेको नीभायेगा.. तब हमारे यहा कोइ रीस्ताही नही बचेगा.. वो सब प्रकृती को मानने वाले होगे.. बस इतनाही पता हे.. मुजे बाबासे बहोत कुछ जानना हे..

चंदा : (सीरीयस होते) क्या बाबा की बाते सच होती हे..? तुम सब मानते हो अ‍ेसी बातेको..?

देवायत : पता नही..अ‍ेसी बाते सच होतीभी हे या नही.., पर अ‍ेक बात हे..उसने जोभी हमारे बारेमे अबतक कहा वो सब बाते सच होती हे.., मेने मेरी ओर मंजुकी सादीके बारेमे पुछाथा तो कहा होजायेगी.. ओर मेरीभी तीन सादीकी बात कीथी.. तो अ‍ेक डरसा लगता हे.., मे मेरी मंजुको ओर तुमको धोखा देना नही चाहता..

चंदा : (गंभीर होते) देवु..तबतो तुम्हारी दो सादीतो होगइ.. दुसरी मेरे साथ.., हमने मंदिरमे फेरे लीये..मंगलसुत्र पहेनाया..मेरी मांग सींदुरसे भरी.. यहीतो सादी हे.. जो मेने तुमको उसी पल अपने आपको समर्पीत करदीया था.. तो क्या अ‍ेक सादी ओरभी बाकी हे..? कीससे.., देवु मुजे बाबासे मीलना हे..

देवायत : बेबी अ‍ेक दीन हम जायेगे.. सीर्फ हम दोनो.. मे ये बात मंजुसे छुपाना चाहता हु.. क्युकी वो मेरी तीन सादीकी बात सुनके दुखी होजायेगी.. मे तुम दोनोसे बहोत प्यार करता हु..

मालती : (अंदर चाइ लेके आते) लीजीये मेमसाब चाइ पीजीये फीर बरतन बादमे लेजाउगी..

फीर मालती चाइ रखके चली गइ ओर देवायतने चंदाको पानी पीलाया फीर दोनोने अ‍ेक अ‍ेक उठालीया ओर चाइकी चुस्की मारते बाते करते रहे तब चंदाने फीरसे बातोका दोर सम्हाल लीया..

चंदा : जानु.. मुजे उनकी बातचीतसे लगता हे वो सबकुछ जानती हे.., वो बहुतही स्ट्रोंग हे.., अभी परसो साम धिरेन आयेगा तब उनको लेने जाना हे तो मुजे लगताहे तब हम बाबाको मील सकते हे हम दोपहर खाना खाके सीधेही बाबाके पास चले जायेगे.. फीर वापसीमे धिरेनको लेके आजायेगे..क्या कहेते हो..?

देवायत : क्या धिरेनका फोन आया था..?

चंदा : हां..सुबही आयाथा..केह रहाथा परसो सामको आजाउगा.. जीजुको लेने भेज देना..हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) हां.. अब वोभीतो मेरा जीजु होजायेगा..हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते) हां.. साला भी.., जीजा भी..ओर..बेटा भी..

देवायत : चंदा अ‍ेक बात पुछु..? अगर धिरेनके सामने तुजे अपनाना पडेतो तु क्या करेगी..?

चंदा : (हसते) इम्पोसीबल..अ‍ेसा कभी होने वाला नही.. फीरभी अपनाना पडेतो मे धिरेनकी परमीशन चाहुगी..जो वो कभी नही देगा..भीरभी परमीशन देदी तो फीर मे खुसी खुसी तुमको अपना लुगी.. आइ प्रोमीस.., फीर आपके लीये सबकुछ करुगी.., इनफेक्ट हमारा बच्चा भी.., अगर तुम चाहोतो..

देवायत : बस तेरे मुहसे यही सुनना चाहता था.., चंदा मेरा दील केह रहा हे अ‍ेक दीन सबकुछ होगा जो अभी तुमने बोला हे.. पता नही मेरी अंतरआत्माकी आवाज आ रही हे..

चंदा : (सरमाते) तबतो आपके मुहमे घी सकर..कास अ‍ैसा सब होपाता.., पर अगले जन्मके लीये आपकी बुकींग पकी हे..हें..हें..हें.. हम दोनोही मौसी भांजी आपको छोडने वाली नही हे..हें..हें..हें..

अ‍ेसेही बाते करते दोनोको पताही नही चला साम ढलनेको आइ हे फीर दोनोही अचानक खडे हो जातेहे ओर हवेलीकी ओर नीकल जातेहे तब दोनोही रास्तेमे मस्ती मजाक करते पहोंच जातेहे तब मंजु उनको देखके खुस हो जातीहे.. फीर दोनो फ्रेस होके अंदर आजाते हे ओर होलमे सोफेपे बेठ जातेहे तब मंजु देवायतसे चीपकके बेठ गइ ओर उनकी कमरमे हाथ डालके देवायतके गाल चुमलीये तब चंदा हसने लगी..

चंदा : (हसते मजाक करते) देखले.., तेरे पतीको सही सलामत सोंप रही हुं हें..हें..हें..

मंजुला : (वोभी हसते मजाकमे) मौसी मुजे कोइ गम या अ‍ेतराज नही, बस मेरे लीयेतो यही काफी हे आप सही सलामत वापस लोट आइ..हें..हें..हें..

तब चंदा सरमसे पानीपानी होगइ ओर दांत पीसते हसते चंदाको मुका मारदीया.. तब तीनोही हसने लगे..,तभी दुसरी ओर सरपंच सामको उठतेही फ्रेस होगया तो रश्मीने सरपंचपे गुसेसे चाइ नही बनाइ थी तो सरपंच उनपे भडक गया ओर रश्मीको दो चांटा जड दीया तब रश्मी सोक्ट होगइ ओर रोने लगी..,तो सरपंच अपनी जीप लेके मुनीमके घरकी ओर चला गया..उसे आज चाइकी तलप हुइ.. जब वो वहा पहोच गया तब मुनीम उनका बेसब्रीसे इन्तजार कर रहाथा तो सरपंचको देखतेही अंदर लेगया....

कन्टीन्यु
 
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