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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Mahesh007

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Vandana ko to devayat me intarest he aur punam us ko jarur devayat se milaye gi jese dr suriti ko manju ne
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ९३

कहेते तीनो हसते हुअ‍े खडी होगइ ओर बाबाके पैर छुकर आपसमे हस हसके बाते करते बहारकी ओर जाने लगी.. ओर तीनोही खुस होकर हसती हुइ भोजन खंडकी ओर चली गइ.. तब वहा सब भोजन कर रहेथे.. तो तीनोभी सबके साथ बैठ गइ.. ओर सभी भोजन करने लगे.. तब भोजन करते सृती बार बार चोर नजरसे देवायतकी ओर देखते सरमाती रही.. अब देवायतमे उसे मंजुका पती नही.. पर खुदका पती नजर आ रहाथा.. तभी पुनमकी नजर धिरेनकी ओर चली गइ तो धिरेनके पास नीलक बैठीथी ओर दोनो हस हसकर धीरेसे बाते कर रहेथे.. जब सबने भोजन करलीया तब सभी होलमे आगये.. तब देवायत बाबाको मीलने ओर दक्षीणा देने उनके रुममे चला गया.. तभी....अब आगे

बाबा : (हसते) आओ बेटा.. मेने तेरी सब बीवीओके साथ बात चीत करली हे अब तुम लोग जाओ वरना रातमे आनेकी देरी होजायेगी..

देवायत : (दक्षीणा देते) जी बाबा हम नीकलही रहे हे.. ओर कोइ आज्ञा होतो कहीये..

बाबा : (हसते) बस कुछ नही ये सादीका सब काम नीपटाकर तु अ‍ेक बार अकेले आजाना.. अब तुजे सब बतानेमे कोइ दिकत नही.. मे तेरे सारे सवालोके जवाब दुंगा.. जो तुम मेरी बेटीको पुछ रहाथा.. यहीना की मे अ‍ेक साधु होकर अ‍ैसा काम क्यु करवा रहा हु.. यही प्रस्नथानां तेरे मनमे..? मे सबका उतर दुंगा.. ओर तुजे पुरी बात बता दुंगा ताकी आगे जाकर तेरे मनमे कोइ संचय ही ना रहे.. ओर तु अपना कर्तव्य पुरा कर सके..

देवायत : (हसते) जी.. बाबा.. क्या आपको सब पता चल गया..? मे पुनोकी सादीके बाद अकेला मीलने आउगा.. तब हम बात करेगे.. अब आज्ञा दिजीये हमे..

बाबा : (हसते) हां जाओ आरामसे जाना.. कोइ जल्दबाजी मत करना.. ओर कभी टाइम मीलेतो अ‍ेक बार वो कबीलेमे चले जाना.. वहा तेरी दिवानी तेरा इन्तजार कर रही हे.. बेचारी तेरे पीछे बीलकुल पागल हे..

देवायत : (सरमाते हसते) जी बाबा.. मे उसे मील लुंगा.. अब चलता हु.. प्रणाम..

कहेते देवात हसते हुअ‍े वहासे नीकल गया ओर सबके पास चला गया.. तबतक मंजुने भावना ओर सरलासे लता ओर नीलमको साथ लेजानेकी बात करली.. तब भानु देवायतके पास आगया..

भानु : भाइ वो बाबाको दक्षीज्ञा देनी हे..

देवायत : वो सब मेने दे दीया हे.. अब हम लोग नीकलते हे.. क्या तुम लोगोको आना हे..?

भानु : नही भाइ हम कलही सब खरीदी कर चुके हे.. आप लता ओर नीलमको साथ लेजा रहे हो तो रातमे आनेकी देरी होजायेतो इनको वही रोक लेना.. कल मे खेतोपे आउगा तब वापसीमे दोनो मेरे साथ चली आयेगी.. आप उनको घर छोडनेकी टेन्शन मत लेना.. चलो हमतो अब घर चलते हे आप जाओ सहेर..

देवायत : (हसते) चलो यार ठीक हे.. अभी सब खरीदी करनी हेतो देरतो होजायेगी.. देखते हे अब..

कहेते दोनोने सबको जानेके लीये केह दीया तो सब खडे होगये ओर बहारकी ओर अपनी अपनी कारकी ओर चलने लगे.. भानु सरला भावना ओर रमा सब अपनी कारमे बैठने लगे तब कारमे बैठते भावना मंजुकी ओर देखती रही.. तब मंजुने आंखोके इसारोसे कुछ बाते करली तब भावुके चहेरेपे स्माइल आगइ.. ओर सब अपनी अपनी कारमे बेठ गये सृतीकी कार धिरेनने लेली ओर उनमे लखन लता पुनम ओर निलम बैठ गइ..

ओर बाकीके सब देवायतकी बडी गाडी मे बेठ गये.. तभी सृतीने सबको पहेले अपने घर आनेकी बात कहेदी.. ओर सब सहेरकी ओर नीकल गये.. भानुने कारको अपने गांवकी ओर मोडदी.. मंजु देवायतकी बगल वाली सीटमे बच्चेको लेकर बेठीथी तो उनके पीछे भुमीका चंदा ओर सृती बैठेथे तब सृती बार बार सेन्ट्रल मीररसे देवायतकी ओर देखती रही.. तब देवायत इन सब बातोसे बीलकुल अन्जान था.. ओर सब आधे पोने घंटेकी ड्राइवके बाद सृतीके बंगलोपे आगये..

भुमीका : (कारसे उतरते) आइअ‍े सब.. चाइ नास्ता करके जीनको खरीदी करने जाना हो चले जाना.. फीर रातको डनर इधरही करना हे.. फीर घर जाना होतो चले जाना.. वरना रात इधरही रुकजाना..

चंदा : (हसते) बडी दीदी.. खानेकी तकललीफ क्यु लेते हो.. हम बहारही खाना खा लेगे.. पता नही वहा मार्केटमे कीतनी देर लगे..

सृती : (हसते) मौसीजी जीतनीभी देर लगे खानातो इधरही खाकर जाना हे.. कीतने दिनोके बादतो सब आये हे.. हमेभी नये दुल्हा दुल्हनकी खातीरदारीका कुछ मौका दीजीये.. हें..हें..हें.. ओर आजतो आप दोनोकी सादी हुइ हे.. तो दुल्हा दुल्नको भोजन करनातो बनताही हे.. हें..हें..हें..

कहातो चंदा सरमाकर हसने लगी तब सृती घरका ताला खोलने लगी ओर सभी लोग बंगलेमे आने लगे.. तब अंदर आतेही सब घरको देखने लगे.. क्युकी सृतीका घर अ‍ेक आलीसान बंगलेमे तबदील हो गयाथा.. ओर ये बंगलाभी उसे देवायतनेही दिलवाया था.. सब अंदर सोफेपे बेठ गये.. तब मंजु चंदाको सृती अपने रुममे ले गइ.. तब अंदर जातेही मंजु बच्चेको दुध पीलाने लगी.. ओर सृती सबको पानी देने चली गइ.. तब..

चंदा : (हसते) मंजु सृतीने घरतो बडा लेलीया हे.. क्या तुम इधर पहेले आइ हो..?

मंजुला : (हसते) हां दीदी.. ये बंगला देवुनेही दिलवाया हे.. इन मां बेटीका हेही कोन..? भुमी आंटी देवुको अपना बेटा मानती हे.. ओर इनकी सब प्रोर्पटीको देवुही देखता हे..

चंदा : (हसते) मंजु हमारा देवु सबका खयाल रखता हे.. वो बडी दीदीकाभी अ‍ैसे खयाल रखता हेनां..?

मंजुला : हां दीदी.. पता नही सबके साथ उनका कैसा रुणानुबंध हे.. दीदी आज हम तीनो बाबाको मीलने गइ थी.. अब मे उनकी कसमसे मुक्त होगइ हु.. अब मे आपको फुरसतमे सब बाते बता दुगी.. की ये सब क्यु हो रहा हे.. बस इतना जानलो हम सब कोइ सामान्य ओरते नही हे..

चंदा : (हसते) हां मेने देखा.. तुम पुनो ओर साथमे सृतीभी आइथी.. अब उनके मनमे क्या प्रस्न थे..?

मंजुला : (हसते) दीदी अभीके लीये ये बात कहेना थोडी जल्दबाजी होगी.. फीरभी आपको बता रही हु.. ये जो सृती हेनां.. वो आगे जाके हमारी सौतन होजायेगी.. अ‍ैसा बाबाने कहा हे.. बस अब सब देखती जाओ..

चंदा : (हसते) मंजु अबतो ये सब सुनके मुजे कुछभी अजीब नही लगता.. ओर तुमभी तो सब काफी कुछ जान जाती हो.. क्या तुम्हे इस बातका पता नही था..?

मंजुला : (हसते बच्चेको दुध पीलाते) जी.. मुजे सब पता था.. ओर बहुत कुछ पता हे जो सायद कोइ नही जानता.. लेकीन अभी इन बातोका कोइ मतलब नही हे.. क्युकी समय समयपे सब होकरही रहेगा.. तो आप कीसीभी बातोसे कभीभी विचलीत मत होना.. क्युकी आगे जाकर आपको बहुत कुछ दिखनेको मीलेगा.. क्युकी सब प्रकृतीका खेल हे ओर वो सब होकरही रहेगा..

चंदा : (हसते) हां अब तुम्हारे साथ रहेकर मे इतनातो जान ही चुकी हु.. की हम सब कोइ सामान्य ओरते नही हे.. कोइभी कीसीना कीसी मकस्दसे हमारे देवुके साथ जुडी हे.. अब इन बातोका मुजपे कोइ असर नही पडता.. बस मुजे इतना पता हे हम सभी हमारे देवुसे ओर देवु हम सबको खुब प्यार करते हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) हां दीदी.. मेभी इसी बातको मानके चल रही हु.. आपभी ये मानके चलीये..

चंदा : मंजु अ‍ेक बात समजमे नही आइ.. ये भानुने अचानक सादीका क्यु सोचा..? क्या हमारी भावुसे तो कोइ प्रोबलेम नही..? अचानक उनकी दुसरी सादीसे मुजेतो सोक्ट लगा.. कीसीको पताही नही था..

मंजुला : नही दीदी.. भानुभाइसे अ‍ेकही गलती हुइ हे.. उनको भावुके साथ सादी करनेसे पहेले देवुको सब सच बाते बता देनी चाहीये थी.. की उनका उनकी मामीके साथ सादीसे पहेलेही रीलेशन हे.. बस यही बात भावुको अच्छी नही लगी.. इसीलीये वो अभी थोडी भानुभाइसे नाराज हे.. ओर ये सादी सरलाचाचीने करवाइ हे.. मुजे भावुकी चीन्ता नही हे.. उसे हमारे पतीही समजा देगे..

चंदा : उन लोगोका भी कुछ समजमे नही आता.. खैर जानेदे.. बस मुजे बडी दीदी ओर भैयाकी चीन्ता हे..

मंजुला : दीदी सायद आज पापाको होस्पीटलसे छुटी मील जायेगी.. मे चाहती हु कल देवुसे कहुगी उन दोनोको कुछ दिनोके लीये हमारे घर लेआये.. तब सादीमे बीजी होजायेगे ओर नया माहोलमे रहेगे तो उनकोभी अच्छा लगेगा.. अबतो इनको हमारे यहा आनेमे कोइ प्रोबलेम नही हे..

दोनोही अ‍ैसी बाते करते सृतीके रुममे बेठीथी तब बहारकी ओर सृती पानी देने चली गइ तब उनकी मदद करने लता ओर पुनमभी कीचनमे चली गइ तो सृतीके चहेरेपे स्माइल आगइ ओर दोनो सबके लीये पानी लेकर चली गइ फीर सृती चाइ नास्ता बनाने लगी.. तब देवायत भुमीका लखन धिरेन नीलम सब सोफेपे बेठकर भुमीका ओर देवायतकी बाते सुन रहेथे.. तब भुमीका देवायतको ना आनेका कारण पुछ रही थी..

भुमीका : देवु बेटा मेने कीतनी बार सृतीसे कहा की तुमको बुलाये लेकीन मेने सुना तुम आजकल बहुत काममे फसे हो..? क्या इतना काम बढ गया हे..?

देवायत : हां आंटी.. आप कहीयेना क्या कामथा.. बस अ‍ेकके बाद अ‍ेक काम नीकलता गया तो कामेही फसाथा.. ये चारोकी सगाइ फीर भानुमे मामा गुजर गये.. ओर देखोना लास्टमे दो दीनोसे मे मेरे सुसरके पास होस्पीटलमे हु..

भुमीका : हां.. तुमने कहा राजीवको प्रोबलेम हो गइहे.. लेकीन क्या हुआ राजीवको..? नीर्मलाका फोन भी नही आया..

देवायत : आंटी उनको ब्रेइनमे स्ट्रोक आ गयाथा जीनकी वजहसे उनको पेरेलीसीस होगया.. अब कुछ ठीक हुआ हे सायद आज उनको होस्पीटलसे छुटी मीलजाये..

भुमीका : (अफसोस करते) हे भगवान.. तबतो मुजेही नीमुसे फोनपे बात करनी पडेगी.. बेचारी वहा अकेली क्या करेगी..

देवायत : नही आंटी मे दो दीनसे वही था.. आजभी जाने वाला था लेकीन मंजुने सब प्रोग्राम फीक्स करलीया था.. ओर अभी इन चारोकी अ‍ेक हप्तेके बाद सादीभी हे ओर सब खरीदीभी बाकीथी तो सब आगये.. आजही सब खरीदी नीपटा लेगे.. आप दोनोकोभी वहा सादीमे आना हे..

भुमीका : हां जरुर आयेगे.. बेटा अच्छा कीया तुम यहा सब आगये.. आज हमे बुहत अच्छा लगा.. कीतने सालोके बाद बाबाके दर्शनभी हुअ‍े.. देखा इतने सालोके बादभी मुजे कैसे पहेचान गये.. हम सभी दोस्तोको अ‍ेक बार तेरे पापा ले गयेथे.. हम कोलेजमे थे अबतक हम सब वहा अ‍ेक दो बार जा चुके हे.. ओर तबभी बाबा अ‍ैसे ही दीखतेथे जो आज दीख रहे हे.. अ‍ैसा लगता हे.. उनकी उमरमे तो कोइ फर्कही नही आया..

देवायत : (हसते) आंटी पीछली चार पीढीसे वही हमारे कुलगुरु हे.. पता नही कोनसा मक्सद लेकर आये हे.. मेभी बचपनसे उनको अ‍ैसेही देखता आ रहा हु..

भुमीका : बेटा जब हम तेरे पापाके साथ उनको मीलने जातेथे तब तेरे पापा हमे बताते थे की बाबाने कहा हे मेरे बेटेकी कइ रानीया होगी.. ओर अ‍ैसी बहुतसी बाते तेरे पापा कहेतेथे.. ओर मुजे आज उनकी सब बाते सच होते दीख रही हे.. अच्छा हुआ तुमने चंदासे सादी करली.. अ‍ेक विधवाको सम्हालके तुमने बहुत बडे पुन्यका काम कीया हे.. कास मेरी सृतीकी जींदगीभी अ‍ैसे संवर जाये.. पता नही ये लडकी कब सादी करेगी..

सृती : (पुनम लताके साथ चाइ नास्ता लाते) मोम.. आप फीर वोही बाते लेकर बैठ गइ..?

भुमीका : (हसते) अरे नही मेतो सीर्फ देवुसे बात कर रही थी.. क्या बन गया चाइ नास्ता..? तो सबको इधर ही बुलाले.. हम सब यही नीचे ही बेठ जाते हे.. चलो बच्चो आजाओ..

पुनम : सृतीदीदी आप सबको देना सुरु करो मे दोनो भाभीओको बुलाकर आती हु हें..हें..हें.. पता नही दोनो अंदर घुसके कबसे क्या बाते कर रही हे.. हें..हें..हें..

कहेते पुनम हसती हुइ सृतीके रुममे चली गइ ओर थोडी देरके बाद तीनोही सबके साथ आकर बैठ गइ ओर सब चाइ नास्ता करने लगे.. ओर बाते करते रहे. .मंजुने अपने बच्चेको वही सृतीके बेडपे सुला दीयाथा.. जब सबने चाइ नास्ता खतम कीया तब सब खरीदी करने जानेकी तैयारीया करने लगे पुनम लता चंदा नीलम सब फ्रेस होकर तैयार होने लगी.. तब मंजु सृती ओर भुमीका घरपे रहेने वाली थी.. ओर देवायत ओर चंदा सबको लेकर जा रहे थे.. थोडी ही देरमे सभी तैयार होकर बहार आगये..

पुनम : (हसते मंजुको) भाभी आप ओर सृतीदीदीभी चलोनां बडा मजा आयेगा.. आप भी कुछ लेलेनां..

मंजुला : (हसते) नही बीटु.. तुम सब चले जाओ विजय अभी छोटा हे.. ओर भुमी आंटी अकेली इनको कैसे संभालेगी.. फीर तुम सबका डीनरभी तो बनाना हे.. तो मे ओर सृती इधरही हे आप लोग आरामसे सब खरीदी कर लेना.. तबतक हम दोनो आप लोगोके लीये खाना बनालेगी..

चंदा : हां पुनम बेटा.. तेरी भाभी भलेही इधर रहेती हम उन दोनोके लीये कपडे ले लेगे.. तुम चलो.. वरना आनेमेभी देर होजायेगी..

कहातो पुनम चंदाके साथ हसते हुअ‍े चलने लगी.. ओर सभी कारमे बेठने लगे.. सभी लोग देवायतकी बडी कारमे अ‍ेडजेस्ट होते बेठ गये ओर देवायतने कारको मार्केटकी ओर जानेदी.. तब मंजु ओर सृती सब खाली बर्तन लेकर कीचनमे चली गइ.. जब दोनोने बर्तन वोसमे रख दीया तब मंजुने घरपे फोन लगा दीया ओर अपने रुममे कुछ तैयारीया करनेकी दयाको सुचना देदी.. फीर फोन रखतेही सृतीकी ओर मुस्कराते देखती हे.. दोनो अ‍ेक दुसरेकी आंखोमे देखने लगी.. ओर अचानक दोनोने अ‍ेक दुसरेको गले लगा लीया..

तब सृतीकी आंखसे खुसीके मारे आंसु नीकल गये.. तब मंजुने हसते हुअ‍े अपने हाथोसे सृतीके आंसु पोछ लीया.. ओर सृतीसे अलग होतेही उनके चहेरेको अपनी हथेलीओमे थाम लीया.. तब सृतीने सरमाकर अपनी नजरे जुकाली.. ओर अ‍ैसेही खडी रही.. तब सृती ज्यादा देर मंजुकी नजरोका सामना नही करपाइ ओर वो फीरसे मंजुके गले लग गइ.. तब मंजु उनकी पीठ सहेलाती रही फीर उनसे अलग होते उनका दोनो हाथ अपने हाथोमे थामलीया..

मंजुला : (हसते) सृती आज मे बहोत खुस हुं.. क्यु.. मेरे देवुका हाथ तु थामेगीनां..? देखना वो तुजे बहुत खुस रखेगा.. आइ प्रोमीस..

सृती : (सरमाते धीरेसे) मंजु.. आइ नो.. बाबाने अचानक क्या केह दीया.. मुजेतो अभीभी अ‍ेक स्वप्नकी तराह लग रहा हे.. क्या ये सब पोसीबल हे.. ओर उनकीतो तीन तीन सादीया होचुकी हे.. क्या पुनमसेभी सादी कर चुके हेनां..? ओर आज चंदामौसी.. क्या तुम लोगोको बुरा नही लगता.. खासतो तुमको..? हंमम..

मंजुला : (दोनो हाथ थामते) नही सृती.. अभी सीर्फ तुजे बता रही हु.. बाबाकी दी हुइ शक्तिओके माध्यमसे मे अपने आपको पुर्ण पहेचान चुकी हु.. कुछ राजकी बाते हे जो अभी सीर्फ तुजे ओर मेरी पुनोकोही बताउगी.. क्युकी तब तुम चंदामौसी ओर पुनमही इस बातकी साक्षी होगी.. सृती.. आगे जाकर बहुत कुछ होने वाला हे..

सृती : (मुस्कुराते) मंजु अगर तुजे अ‍ैतराज ना होतो क्या मुजे थोडा बहुत बता सकती हे..? प्लीज..

मंजुला : सृती.. में तुजे सीर्फ मेरी सहेलीही नही मेरी बहेनभी मानती हु.. वो क्यु.. तुजे बादमे पता चल जायेगा.. अगर ये बाते में तुजे नही बताउगीतो कीसको बताउगी.. अबतो बाबानेभी बतानेकी परमीसन देदी हे.. मे तुजे ओर मेरी पुनोको सबकुछ बता दुगी.. पर अभी नही.. हम जब खाना बनायेगी तब सीर्फ हम दोनोही कीचनमे होगी.. तब हम बाते करेगे अभीतो बहार चल.. मुजे आंटीसे कुछ जरुरी बाते करनी हे.. क्या तु चलेगी..?

सृती : हां मंजु मुजेभी मम्मीसे कुछ बाते करनीहे जो आज हमे बाबाने कही हे.. चल.. बहार..

तब मंजु ओर सृती दोनोही भुमीकासे बात करनेके लीये उत्सुक थी.. ओर दोनोही बहार आकर भुमीकाके पास अगल बगलमे सोफेपे बैठ गइ.. तब भुमीका प्यारसे मंजुके सरमे हाथ घुमाते प्यार करने लगी..

भुमीका : मेरी बच्ची.. क्या अब अपनी मम्मीसे बात करती हेकी नही..? की अभी भी दोनो रुठी हुइ हो.. हें..हें..हें.. मेरा देवु ओर तुम दोनोही बहुत बदमास हो.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) नही आंटी.. अब मम्मीकी देवुसे सब गीले सीकवे दुर होगये हे.. अब उनसे रुबरु मीलुगी तब मेभी बात करुगी.. फोनपेतो बात होती रहेती हे.. आंटी आपको मेरी मम्मी मीलीथीनां..? आप बता सकती हे दोनोके बीच क्या बाते हुइ..? प्लीज.. क्युकी आज बाबासे हमारी भी बहुत कुछ बाते हुइ.. कहेतेथे सृतीकी मम्मीको सब मालुम हे..

भुमीका : (हसते) हां.. जब तुम दोनो पहेली बार आयेथे ओर सादी करके गये.. तब कुछही दिनोके बाद अ‍ेक दिन अचानक मुजे ढुंढते नीमु इधर आगइ.. तब हम कीतने सालोके बाद मीलथे.. तब हम दोनोने खुब आंसु बहाये.. फीर तेरी ओर देवुके बारेमे सारी बात मेने बताइ.. ओर मेने उसे केहदिया की तुम दोनोने सादी करली हे.. फीर हम दोनोके बीच बहुत सारी बाते हुइ..

मंजुला : अच्छा तो सब आपके यहासे मालुम हुआ.. फीर..?

भुमीका : तब वो खुब रोइ.. क्युकी उसने मुजे जो सचाइ बताइ.. वो मे तुजे नही बता सकती..

मंजुला : (हसते) आंटी मुजे सब पता हे आपकी उनके साथ क्या बाते हुइ.. यहीनां की वास्तवमे मे ओर देवु आपसमे भाइ बहेन हे..? मे सब जानती हु..

भुमीका : (आस्चर्यसे हसते) हां.. यही कहा मुजे.. क्या इस बारेमे तुजे सब पता था..? फीरभी तुमने देवुसे सादी करली..?

मंजुला : नही आंटी.. जब मे देवुसे प्यार करतीथी तब मुजे इस बातका पता नही था.. लेकीन जब मे यहासे देवुके साथ आश्रममे सादी करने गइ तब वहा बाबाने मुजे कुछ शक्तिया दी.. जो इस बारेमे मुजे धिरे धिरे करते सब ज्ञात होने लगा.. ओर आज मे सबके बारेमे सबकुछ जान जाती हु.. अब मुजे आप सबकी पुरी कोलेज लाइफके बारेमे सब कुछ पता हे.. ओर मुजे येभी पता हे मेरे असली पीता मेरे ससुर ही हे..

भुमीका : (आस्चर्यसे हसते) क्या..? तुम हम सबके बारेमे सबकुछ जानती हो..? अगर तुजे सबकुछ पता हे.. तो फीर तु तेरे सास ससुर ओर मम्मी पापाके बारेमेभी सब जानती होगी.. इनफेक्ट मेरे बारेमे भी सब जानती होगी.. तो फीर मुजसे सब क्यु पुछ रही हे..? क्या तुजे हम सबकी सचाइ जानकर बुरा नही लगा..?

मंजुला : (हसते) नही आंटी.. अगर मे आप सबके बारेमे जानती हुतो मेरे बारेमे भी मुजे सब पता हे.. अगर मे खुदको नही पहेचानती तो सायद मुजे बुरा लगता.. लेकीन अब कुछभी बुरा नही लगता.. ये सब प्रकृतीका खेल हे.. जो मे उसे भली भांती पहेचान गइ हुं.. ओर मे कुछ राज सीर्फ मेरे तकही सीमीत रखुगी.. आप चीन्ता मत कीजीये ओर मुजपे यकीन कीजीये..

सृती : (हसते) मम्मी कुछ बाते हे जो मंजुतो जानती हे लेकीन मुजे आपसेभी कुछ सचाइ जाननी हे जो आपने मुजेभी नही बताइ.. मुजे आपके सब दोस्तोके बारेमे सब जानना हे.. प्लीज.. बताइअ‍ेनां..

भुमीका : (जोरोसे हसते) अरे.. तो फीर तेरी सहेलीसे ही सब जानलेती.. मेरे पीछे क्यु पडी हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) आंटी आज आपसे अ‍ेक बात कहेनी थी.. जो हमे बाबाने आज बताइ हे.. हमे आपसे मुहसे कुछ बाते जाननी हे फीर मे आपको कुछ बाते बताती हुं.. क्युकी इनमे आपकी राय जानना बहुत जरुरी हे..

भुमीका : (हसते) अच्छा अच्छा.. कहो क्या जानना हे..?

सृती : (हसते) मम्मी आपके सब दोस्तोके बारेमे.. खास करके किशन अंकलके बारेमे.. कोनथे वो..?

भुमीका : (गहेरी सांस लेते आंखमे आंसु छलकते) कीशन.. मेरे जीगरका टुकडा.. मेरा भाइ.. मेरा सबकुछ.. उस गांवके राजा.. सृती तुजे पता हे..? जब उनकी बहेन नही थी.. तब वो मुजसे राखी बंधवाते थे.. मेरा सगा भाइतो नही था.. पर सगे भाइसे बढकर था.. जब हम कोलेजमे थे तबसे मुजे बहेन मानते थे.. ओर मेरी हर जरुरतको पुरी करतेथे..

सृती : (हसते) मोम.. किशन अंकल ओर नीमु मौसीके बारेमे बताइअ‍ेनां.. हें..हें..हें..

भुमीका : (हसते) तुजे उन दोनोकी बातोमे बडा इन्ट्रेस हे.. हें..हें..हें.. सुन.. तब वो ओर नीर्मला दोनो खुब प्यार करते थे.. इस बातकी सीर्फ मेही साक्षी थी.. जबभी नीमु उनको मीलने जाती मुजे हमेसा अपने साथ रखती.. ताकी कीसी ओरको नीमुपे सक ना हो.. ओर दोनो आपसमे सादी भी करने वाले थे.. लेकीन कीस्मतको कुछ ओरही मंजुर था.. ओर दोनो सादी नही करपाये.. क्युकी तभी उनकी असली बहेन विमलाको उनके माता पीता आश्रमसे वापस लेकर आगये.. जो उसे बचपनमे ही आश्रममे छोडके आगये थे..

सृती : (हसते) मम्मी तो क्या उस टाइम किशन अंकलको नही पताथाकी ये उनकी बहेन हे..?

भुमीका : नही.. किशनतो क्या.. इस बातका गांवमेभी कीसीको नही पताथा की ये किशनकी बहेन हे.. ओर उनके आनेके बाद कुछही हप्तोमे अ‍ेक दीन किशनके माता पीता दोनोकी रहस्यमय तरीकेसे मोत होगइ.. ओर ये राज सीर्फ किशन ओर उनकी बहेन विमला तकही सीमीत रेह गया.. ओर वो किशन ओर नीर्मलाके रीस्तोके बीच खाइ बन गइ.. क्युकी उनको पताथाकी किशन मेरा सगा भाइ हे.. फीरभी वो किशनको चाहने लगीथी..

सृती : (हसते) मोम.. विमलाको पताथाकी ये मेरा भाइ हे फीरभी उनकी ओर कैसे आकर्सीत होगइ..?

भुमीका : (सरमाते हसते) अब तुजे क्या बताउ.. तब मेरा किशनका आकर्सणही इतना था.. वो तब बहुतही हेन्डसम दीखता था.. जैसे आज मेरा देवु दिखता हे.. बीलकुल मेरे देवुकी तराह.. कोलेजमेभी कइ लडकीया उनको प्रपोज कर चुकी थी.. तो विमलाभी कम नही थी..

उनका जोबन.. उनकी खुबसुरती.. वो नीर्मलाकोभी टकर दे सकती थी.. फीर धीरे धीरे करते विमला अपने जलवे दिखाकर किशनको अपने जालमे फसाकर अपना सबकुछ उनपे लुटा चुकी.. ओर हर रात दोनो मीया बीवीकी तराह साथमे गुजारने लगे.. तब नीर्मला को नही पताथाकी वो ओल रेडी किशनसे प्रेगनेन्ट हो चुकीहे.. फीर कुछ दिनोके बाद विमलाभी प्रेगनेन्ट होगइ.. दोनोही किशनसे प्रेगनेन्ट होगइ थी.. ओर विमलाने नीर्मलाको छलसे जुठ बोलके अपने रास्तेसे हटाकर किशनसे सादी करली..

सृती : मोम तो फीर किशन अंकलको पता नही चलाकी ये उनकी बहेन हे..?

भुमीका : हां.. उनको सब बाते आश्रमसे पता चली तबतक बहुत देर होचुकी थी.. वो दोनो भाइ बहेन सारीरीक सबंधमे कइ बार बंध चुके थे ओर काफी आगे बढ चुके थे.. तब किशनभी विमलाके पीछे बीलकुल पागल हो चुकाथा.. तब उनकोभी सीर्फ उनकी बहेन विमलाही दीखती थी.. उनको कोइ फर्क नही पडाकी ये मेरी बहेन हे.. ओर दोनो भाइ बहेन होकरभी वासनामे अंधे हो चुके थे..

सृती : (सीरीयस होते) मोम.. क्या किशन अंकल अपनीही बहेनके साथ.. उन्होने कुछभी नही सोचा..?

भुमीका : (हसते) नही बेटा.. क्युकी तब बाबानेभी कहाकी ये सब होनेही वालाथा.. ओर किशनको येभी बतादीया की उनके माता पीताभी भाइ बहेनही थे.. तब किशनने सब अ‍ेक्सप्ट करलीया था.. इसीलीये वो विमलाको खुलकर प्यार करने लगा.. यहा तक की उनके माता पीताभी ये बात जान चुकेथे..

तब उनके पास विमलासे सादी करनेके अलावा कोइ चारा नही था.. उसी समय मे ओर तेरे पापा भी आपसमे प्यार करते थे.. तब मुजे नही पताथाकी भानुके पीता विरजीभी मुजे चाहने लगेथे.. ओर मेने उनका तेरे पापाकी वजहसे प्यार ठुकरा दीया.. हमारे गृपमे सबसे सनकी आदमी वोही था.. ओर ये बात वो बरदास्त नही करपाया.. ओर इसी बीच मेरे साथ अ‍ेक हादसा होगया.. जब किशनको इस बातका पता चला तब उनहोने विरजीको खुब मारा.. ओर विरजीको अपनी गलतीका अहेसास होगया..

सृती : (सोक्ट होते) क्या.. आपके साथ..? क्या.. भानुभाइके पीताने.. आपके साथ जबरदस्तीकी..?

भुमीका : हां बेटी.. अच्छा हुआ तुम्हारे पीताको कहीसे पता चल गया ओर किशनको कहेकर मुजे बचालीया.. तब किशनने विरजीको खुब मारा.. फीर विरजी मेरे पैर पकडके मुजसे माफी मांगने लगा.. तब नरेशके कहेनेपे मेने उसे माफ करदीया.. फीर किशनने मेरी ओर नरेशकी सादी करवादी..

तबसे में कीसीको नही मीली.. बस अ‍ेक किशनकोही मेरे बारेमे सब पताथा की मे ओर नरेश कहा रहेते हे.. ओर वो अक्शर हमे मीलने आता वो हर साल मेरे घर मुुजसे राखी बंधवाने आजाता.. ओर सबकी खबर मुजे सुनाता.. तब अ‍ेक दिन मुजे पता चलाकी नीर्मलाने अ‍ेक बच्ची यानी मंजुको जन्म दीया हे.. ओर उसनेभी अपने भाइके साथ सादी करली हे..

सृती : (हसते) मम्मी ये बात तो समजमे आइ..की किशन अंकलके घरमे तो भाइ बहेनके बीच सादी करेनेका कुछ रीजनथा.. लेकीन निमु आंटीने उनके भाइके साथ क्यु सादी करली..? राजीवअंकल उनके भाइ हेनां..? हें..हें..हें..

भुमीका : (हसते) बेटी.. अब तुजे क्या कहु..? हम ओरत जब जीदपे आजाती हे तब हम अच्छे बुरेका कुछभी नही सोचती.. उनके मनमे अ‍ेकही बातथी की किशनको पताथा फीरभी किशनने उनकी बहेनसे क्यु सादी करली..? बहेनकी खातीर उसे कीशनको छोडना पडा..

उसने सोचा जब किशन उनकी बहेनके साथ सादी कर सकता हे तो मे क्यु अपने भाइके साथ सादी नही कर सकती..? बस यही सोचकर उसनेभी अपने भाइके साथ सादी करली.. ओर दुसरी वजाह.. वो तुम दोनोभी जानती हो.. जब जवानी उफानपे होती हे.. तब ओरतको भी अ‍ेक साथीकी कमी महेसुस होती हे.. ओर नीमुने अपने भाइसे ही सादी करके वो कमी पुरी करली.. ओर अपने भाइके साथ अपना घर बसा लीया.. ओर उनसेभी अ‍ेक बेटी पैदा करली.. हमारी भावु..

सृती : (हसते) मोम.. तो फीर विरजी अंकलका क्या हुआ..? मेने सुनाथाकी वोभी किशन अंकलके साथ धंधेमे खेतोमे आगये थे.. अंकलने उसे इतना मारा फीरभी उनके साथ काम करते थे..?

भुमीका : (हसते) बेटी हम सबको पताथा वो सनकी था.. लेकीन दिलका बुरा नही था.. वो अच्छाभी था.. ओर किशनकी बहुत रीस्पेक्ट करता था.. उनकी ओर किशनकी वजहसे कोलेजमे हमारे सामने कोइ देखताभी नही था.. हम दोनोके लीये वो कइ बार अपनी जानकी परवाह कीये बगैर दुसरोके साथ लडाइ करलेता था.. मेरे साथ हादसेके बाद उनकीभी सरलासे सादी होगइ.. फीर क्या हुआ मे तुजे नही बता सकती..

कभी मंजु बेटी बताना चाहेतो उनसे पुछ लेना.. क्युकी अबतो येभी उनके बारेमे सब जानती होगी.. किशनने हमारी बहुत मदद कीहे.. ओर तेरी पढाइकाभी पुरा खर्चा किशननेही कीया हे.. ओर देखो.. खुनतो आखीर खुनही होता हे.. मेरा देवुभी उनके बापसे बढकर नीकला.. जब वो मंजुके साथ पहेली बार यहा आया तब मुजे पताही नही थाकी देवु किशनका बेटा हे.. लेकीन वो सब जानता था.. उसने हमे तब जुठ बोला जब तुम दोनो यहा सादी करके आयेथे.. ये बात तो मुजे नीमु मीली तब पता चली.. की देवु मेरे कीशनका बेटा हे..

मंजुला : (हसते) आंटी.. अगर किशन अंकल आपके भाइ हे.. तबतो आप रीस्तेमे हमारी बुआ होगइ.. हें..हें..हें..

भुमीका : हां.. तु भी मेरे किशनकी बेटी हे.. ओर मेरा देवुभी.. तो में तुम दोनोकी बुआ ही हु.. हें..हें..हें.. लेकीन मंजु.. तुम भी मुजे कुछ बाते बताने वाली थी.. बतानां.. कोनसी बात कहेना चाहतीथी..?

मंजुला : (हसते) आंटी.. ओह.. सोरी.. सोरी.. बुआजी.. हें..हें..हें.. बात दरसल येहे की आज बाबाने भोजनके समय मुजे पुनम ओर सृतीको अपने रुममे बुलायाथा.. तब उनसे ढेर सारी बाते हुइ.. तो अ‍ेक बात उसने अ‍ैसी कही की मुजे इस बारेमे आपसे बात करना जरुरी लगा..

सृती : (सर्मसार होते मुस्कराते) मंजु.. प्लीज.. ये बात अभी मम्मीसे कहेना जरुरी हे..?

मंजुला : (हसते) हां सृती.. आज इश्वरने मुजे मेरी बुआ दे दीहे.. तो बुआसे बात करनेमे अब काहेका संकोच.. आज बतानेदे..

भुमीका : (हसते) अरी बतानां.. दोनो कबसे कीस बारेमे बात कर रहीहो.. बता मुजे.. वरना डांटुगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) नही बुआ.. आपतो जानती हो.. वो हिमाचलके राजाकी कहानी..
(ये केसी अनुभुती) कभी सुना हे इस बारेमे..?

भुमीका : अरे हां.. किशन अक्सर इनके बारेमे हमसे बाते करता रहेता था.. कहेताथा वो राजा अ‍ेक दिन मेरे घरमे जन्म लेकर आयेगा.. ओर तब उनकी बहुत सारी रानीयाभी आयेगी.. अ‍ैसा उसे बाबाने कहाथा.. ओर हम सभी दोस्त अक्सर इस बारेमे बाते करते रहेते थे..

मंजुला : हां.. बुआ वोही.. वोही राजा अब मेरा पोता बनके आयेगा.. ओर उनकी बहुत सारी रानीयाभी होगी.. ओर उनकी सुरुआत देवुसे तीन पीढी पहेलेही सुरु होगइ हे.. तभीतो देवुके दादा फीर उनके पीता ओर अब खुद देवुने उनकी बहेनसे सादी करली हे.. आपतो जानती हे मेभी देवुकी बहेनही हु..

भुमीका : (आस्चर्यसे) अरे हां.. ये बातपे तो मेने गौरही नही कीयाथा.. बाबाकी सब बाते सच होगइ.. तो फीर बाबाने आज तुमसे क्या कहा..? क्या मुजे बता सकती हो..?

मंजुला : हां.. बुआ जीस तराह उस राजाकी बहुत सारी रानीयाथी उसी तराह मेरे देवुकीभी कइ सादीया होगी.. आज उसने मौसीके साथ सादी करली हे.. ओर उनके जीवनमे अ‍ेक ओर बीवी आने वाली हे..

भुमीका : (हसते) अरे मेरा देवुतो राजा हे.. उनमे कोनसी नइ बात हे.. अगर वो राजा मेरे देवुका पौत्र होगातो ये सब बाते तो लाजमी हे.. इस बारेमे तो हम सभी दोस्त जानते थे.. बस ये नही पताथाकी वो राजा मेरे देवुका पोता होगा.. क्या बाबाने ये बात कही हे..?

मंजुला : (मंजु धीरे धीरे बातको आगे बढाते.. तब सृती सरमाते हस रहीथी) नही बुआ.. बाबने आज देवुकी तीसरी बीवीके बारेमे बातकी.. ओर उसने उनकी तीसरी बीवीके बारेमे हमे बता दीया..

भुमीका : (जोरोसे हसते) अच्छा..? कोन हे वो खुसनसीब जो मेरे देवुसे सादी करेगी.. हें..हें..हें.. वो तो मेरे देवुकी रानी होकर धन्य होजायेगी.. बतानां.. कोन हे वो खुसनसीब लडकी..

मंजुला : (सरमाते हसते धीरेसे) वो.. बुआ.. वो.. हमारी सृती हे..

भुमीका : (चोंकते) क्या..? मेरी सृती..? नही.. नही.. क्या बाबाने सृतीके बारेमे तुमसे बातकी..? मेरे देवुकी रानी.. मेरी सृती हे..? (कुछ सोचते) मेरी सृती.. देवुकी रानी.. वो.. मंजु बेटी.. तुजेतो सब पता चल जाता हेनां..? तो फीर..

मंजुला : (भुमीका दोनो हाथ थामते) हां बुआ.. हमारी सृती.. प्लीज बुआ.. मे आज मेरे देवुके लीये हमारी सृतीका हाथ आपसे मांगती हु.. प्लीज मना मत करना.. मुजे पता हे आपके मनमे क्या उलजन हे.. लेकीन सृतीकी कीस्मतमे मेरा देवुही हे.. तो प्लीज.. आप हां कहेदो..

इतना सुनतेही भुमीका अपने दोनो हाथोमे अपना चहेरा छुपाके जोरोसे रोने लगी.. जीसे देखकर अ‍ेक बारतो मंजु ओर सृती दोनोही डरने लगी.. ओर विचलीत होने लगी.. तब सृती जटसे खडी होगइ ओर पानी लेने कीचनमे चली गइ.. तबतक मंजु भुमीकाकी पीठको सहेलाते उनके सामने देखती रही..

तभी सृती पानी लेकर आगइ ओर अपनी मम्मीको पानी दीया.. तब भुमीकाने पानी पीकर ग्लास सृतीको वापस दीया ओर सृती ग्लास रखने चली गइ फीर वापस आकर अपनी जगाहपे बैठ गइ तब भुमीका उनके सामने देखती रही.. फीर मंजुका हाथ थामते उनके सामने देखकर मंजुके हाथको उठाकर अपने सरपे रखके जुक गइ.. फीर....

कन्टीन्यु
 
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