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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ९१

तब पुनमको अपनी बच्चेदानीपे देवायतका गरम विर्य महेसुस हुआ.. वो उतेजनाकी वजहसे कांपने लगी.. ओर वोभी उनके साथ जडने लगी.. फीब देवायत पुनमके सीनेपे सर रखते ढेर हो जाता हे.. तब पुनम उनको बाहोमे भीचते उनकी पीठ सहेलाती रही.. तब दोनोही पसीनेसे भीग चुके थे..

तबभी देवायतका लंड पुनमको चुतमे सख्त महेसुस हो रहाथा.. पुनमने अपने दोनो पैर अभीभी देवायतकी कमरमे आंटी लगाके रखाथा.. ताकी देवायत अपने लंडको उनकी चुतसे बहार ना नीकाले.. ओर वो देवायतके होंठोको चुमने लगी.. ओर देवायतकी आंखोमे वासना भरी नसीली नजरोसे देखते....अब आगे

पुनम : भाइ.. बस अ‍ैसेही सुबह तक अंदर रखते मुजे चोदते रहो.. आज आपसे चुदवानेका बहुत मन कर रहा हे.. आप कुछ देर अ‍ेसेही मेरे उपर लेटकर आराम करलो फीर मुजे दुबारा अ‍ैसेही चोदना.. मे सुबह तक आपका लंड मेरी चुतसे बहारही नही नीकालने दुगी.. आपको मुजे सुबह तक अ‍ैसेही चोदना पडेगा..

देवायत : (प्यारसे गाल सहेलाते) हां बहेना.. आज मे मेरी बहेनको चोद चोदके तृप्त करदुगा.. आज तुजपे बहोत प्यार आ रहा हे.. अब जींदगीभर तुही मेरी हमसफर हे..

दोनोही प्यारसे चुदाइकी बाते करते आराम करने लगे तब दुसरी ओर सब लोग सो गयेथे तब दया भी नींदकी आगोसमे चली गइ.. तभी रजीया धीरेसे दयाकी ओर देखते बेडसे उतर गइ.. ओर आवाज ना करते धीरेसे दरवाजा बंध करके दबे पांव उपरकी मंजीलपे लखनके पास चली गइ.. तब लखनभी पुरी तराह नंगा होकर रजीयाका इन्तजार कर रहा था.. ओर अपने लंडको मुठीमे पकडके होले होले सहेला रहा था..

लखन : (रजीयाको देखतेही धीरेसे) डार्लीग.. दरवाजा अच्छेसे बंध करलेना.. आनेमें बहुत देर करदी..?

रजीया : (दरवाजा बंध करते) लखनभैया.. वो दयाके सोनेका इन्तजार कर रहीथी.. बाबा.. मुजे जाना पडेगा.. वरना वो जाग जायेगी तो मुजे वहा नही देखकर कही ढुंढते हुअ‍े इधरना आजाये.. चलो बाबा जोभी करना हे जटसे करलो.. अबतो मुजेभी आपकी आदत लग गइ हे.. जबतक आप मुजे अ‍ेक बार चोद नही लेते कही चैइनही नही मीलता.. चलो फटाफट अपना काम नीपटालो..

लखन : (हसते) अरे मेरी स्वीटहार्ट तुनेभी मुजपे क्या जादु करदीया हे.. अबतो लतासे ज्यादा तुम पर प्यार आ रहा हे.. चल अपने सब कपडे नीकालकर फटाफट आजा..

रजीया : (सरमाते पास आते) लखनभैया देखना मेरे चकरमे कही लताभाभीको भुल मत जाना.. वरना मेतो गइ कामसे.. हें..हें..हें..

लखन : (हसते धीरेसे) अरे तुजे कुछ होने नही दुगा.. अगर अ‍ैसा हुआ तो मे तुजे सबके सामने अपना लुगा.. चल आजा लंड तेरी चुतमे जानेके लीये फटा जा रहा हे..

रजीया : (हसते) अरे आ रहीहु बाबा.. आपतो हमेसा रेडीही रहेते हो..

कहेते वो लखनके बेडके पास आगइ ओर अपने सब कपडे नीकालने लगी जब पुरी नंगी होगइ तब वो लखनके बगलमे लेट गइ तो लखनने उसे पलटकर अपनी बाहोमे भीचलीया ओर रजीयाके होंठ चुमने लगा.. तब रजीयाभी लखनकी आंखोमे प्यारभरी नजरोसे देखते उनका साथ देने लगी..

तभी लखन होंठ चुमते अ‍ेक हाथसे रजीयाके बुब्सको अपने हाथोमे थामके मसलने लगता हे ओर दुसरे हाथसे रजीयाकी चुतको सहेलाने लगता हे.. जीसे रजीया अ‍ेकदम गरम होने लगी.. ओर जोरोसे सीसकारीया करने लगी.. रजीया बातोसे बहुतही कामातुर होगइ थी..

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ओर वो हाथ नीचे लेजाकर लखनके लंडको अपनी मुठीमे पकडके मसलने लगी.. ओर दोनोही कामातुर होके वासनामे जलने लगे तब रजीयाकी आंख लाल होने लगी तभी लखन उनके होठोको छोडके रजीयाके बुब्सपे अपना मुह लगा देता हे ओर उसे जोरोसे चुसने लगता हे..

तब रजीया लखनके बालोमे हाथ घुमाते आंख बंध करते जोरोसे सीसकारीया करने लगती हे.. ओर लखन अ‍ेक पैर रजीयाकी कमरपे डालके उनपे चड जाता हे तब रजीया लखनको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लेती हे.. ओर लखनके होंठ चुमने लगती हे.. फीर..

रजीया : (सर्मसार होते धीरेसे) लखनभैया अब देर मत करो.. कही दया जाग ना जाये आप इसे अंदर डालदो.. बहुत मन कर रहा हे.. फीरतो सादीके बाद मेरी ओर देखोगे भी नही..

लखन : (पैरोके बीच बैठते) अरे नही.. मेरी रजीया डार्लींग तुभी कोइ भुलनेकी चीज हे.. भलेही मेरी सादी लतासे होजाये.. लेकीन तु हमेसा मेरी पहेली बीवी बनके रहेगी.. क्या तुभी मुजसे सादी करेगी..? करले मुजसे सादी.. मे तुजेभी रानी बनाके रखुगा..

रजीया : (सरमाते हसते) क्या..? मुजसे सादी करोगे..? बडेभैया ओर मंजु भाभीको देखाहे..? ओर इतनी हींमत हे आपमे..? अगर उनको पता चलातो हम दोनोको मार डालेगे.. अब डालभी दो.. बहुत तडपाते हो..

लखन : (चुतमे लंड फसाकर रजीयापे लेटते) नही रजीया.. तु वाकइ बहुत अच्छी हे.. ओर मुजे लगता हे मुजे तुमसे प्यार होगया हे.. अब तेरे बीना अच्छाही नही लगता.. हम दोनो सबसे छुपके सादी करलेगे.. में सचमे तुजे प्यार करने लगा हु..

रजीया : (हसते) वो सब हम दोनो बादमे सोचेगे अभीतो मुजे ठंडी करदो.. वरना कोइ आजायेगा..

तब लखन रजीयाके होंठ चुमते अ‍ेकही जटकेमे पुरा लंड रजीयाकी चुतमे उतार देता हे.. तब रजीयाकी हल्की चीख नीकल गइ ओर वो आधी आंख चडाके मदहोस होने लगी ओर लखनको अपनी बाहोमे भीचने लगी.. तब लखन कमर हीलाते रजीयाको चोदने लगा.. अब रजीयाकोभी लखनका लंड अच्छा लगने लगाथा भलेही लंबा ओर मोटा नही था.. लेकीन रजीयाको चोदकर उसे संतुस्ट करनेके लीये काफी था.. रजीया अब लखनकी ओर पुरी ढल चुकीथी..

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रजीयाभी नीचेसे कमर उछालते लखनका चुदाइमे साथ देने लगी.. वो लखनसे अ‍ैसे चुदवा रहीथी जेसे लखन उनका पती हो.. वो लखनको अपने पीछे पागल बनानेमे पुरी तराह कामयाब हो गइथी.. वो चाहतीथी लखन उनको अ‍ैसेही जींदगीभर सुख देता रहे.. ओर उनके लीये वो लखनके बच्चेकोभी पैदा करनेके लीयेभी तैयार थी.. उनकोतो बस अ‍ेक बच्चा चाहीये था.. जो उनके बुढे होनेपे उनका सहारा बने फीर चाहे देवायतसे प्रेगनेन्ट होजाये या लखनसे.. ओर अबतो लखनने भी उनको अपने साथ सादी करनेका ओफर करदीयाथा..
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रजीया लखनसे होले होले चुदवाते यही कोसीस करने लगीकी लखनका बीज उनके गर्भमे स्थापीत होजाये.. लेकीन उनको नही पताथाकी लखन उनको बच्चा देनेमे इतना सक्षम नही था.. लखन रजीयाको जोरोसे चोदने लगा.. तब रजीयाभी कमर उछालते लखनको चुदवानेमे साथ देती रही..

जेसेही लखन रजीयाको जोरोसे बाहोमे भीच लेता हे तब रजीया समज गइकी लखन अब जडने वाला हे तब वोभी लखनको बाहोमे भीचते दोनो पैर लखनकी कमरपे आंटी लगाते अपनी कमर आडी टेडी करते हीलाने लगी.. ताकी वोभी लखनके साथ ही जड जाये.. ओर ओर उनमे वो कामयाब भी रही..

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लखन आधी आंख चडाते जोरोसे कमर हीलाने लगा.. फीर अचानक रजीयाके गलेमे मुह डालते लंडको जडतक घुसानेकी कोसीस करते कमरको जटके देने लगा तब दोनोही अ‍ेक साथ जडने लगे.. तभी जडतेही लखन रजीयाके सीनेपे सर रखते ढेर होगया ओर रजीया उनकी पीठ सहेलाती रही.. ओर लखनकी कमरको पैरकी आंटीसे अपनी चुतपे दबाव बनाते अ‍ेसेही पडी रही.. ताकी लखनका गाढा पानी उनके बच्चेदानी तक आसानीसे पहोंच सके.. लेकीन रजीयाको नही पताथा की लखनका बीज बीच रास्तेमेही तम तोड देते हे..

रजीया : लखनभैया उपरसे हटो मुजे जाना हे.. कही दया मुजे ढुंढते इधरना आजाये..

लखन : नही रजीया तु यही सोजा.. मुजे अ‍ेक बार ओर करना हे.. तुम फीर चली जाना..

रजीया : नही लखनभैया आज नही कल मे कुछ जुगाड करलुगी.. कल हम दोनो पुरी रात साथमे सोयेगे.. लेकीन आज मुजे जानेदो.. कल मे वो गोलीभी लेकर आउगी.. तब हम पुरी रात मजे करेगे..

लखन : (नीचे उतरते रजीयाके होंठ चुमते) ठीक हे डार्लींग.. आज तुजे जाने देता हु.. लेकीन दुबारा ये नखरे मत करना.. रजीया तु मुजे बहोत अच्छी लगती हे.. वाकइ मुजे तुमसे प्यार हो गया हे.. मुजसे सादी करले.. जींदगीभर तुजे मेरी बीवी बनाके इधर रखुगा.. कीसीको कुछ पता नही चलेगा..

रजीया : (सरमाते अपनी चुतको साफ करते) लखनभैया अगर कीसीको पता चल जायगातो मेरीतो खैर नही.. फीर आप सबको क्या कहोगे.. वरना सादी करनेमें मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

लखन : दया तुजे कोइ कुछ नही कहेगा.. मे सब सम्हाल लुगा.. अगर भाइ दो दो सादी कर सकते हे.. तो फीर मे क्यु नही.. ओर तु लताकाभी कोइ टेन्शन मत लेना वो सब मे उसे समजा दुगा.. बस तुम अ‍ेक बार हां कहेदो.. मे तुम दोनोको अपनी रानी बनाके रखुगा..

रजीया : (कपडे पहेनते सरमाते) ठीक हे.. मे तैयार हु अब आपही सब मेनेज करलेना.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. ओर पुनमदीदीकी सादीके बाद सायद दयाभी उनके साथ चली जायेगी फीर हमे कोइ दीकत नही होगी.. आप मेरे रुममेही आजाना.. हम वही मीलते रहेगे..

फीर दोनो ही अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा जाते हे ओर दोनो अ‍ेक दुसरेके होंठ चुम लेते हे.. फीर रजीया अपने सब कपडे पहेनकर धीरे से दबेपांव अपने रुममे चली जाती हे ओर दयाके साथ सो जाती हे..

उधर देवायत पुरी रात यानीकी सुबह चार बजेतक पुनमको बीना नीचे उतरे चोदता रहा.. ओर सुबह तक पुनमकी चुतको चार बार भरके पुनमको अपनी मर्दांगीका अहेसास करवाता रहा.. तबतक पुनमभी ना जाने कीतनी बार जडी होगी.. वो देवायतसे चुद चुदके चकनाचुर हो चुकीथी.. ओर देवायतने उसे चोद चोदकर पुरी तराह नीचोडके रखदी थी.. पुनमका अ‍ेक अ‍ेक अंग तोडके रख दीयाथा.. उनका पुरा सरीर दर्द कर रहाथा.. आज वो देवायतसे चुदवाकर पुरी तराह संतुस्ट हो चुकी थी..

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देवायत पुनमको अपनी गोदमे उठाकर उसे नहानेके लीये ले गया.. क्युकी पुनम चलनेकी भी स्थीतीमे नही थी.. वहा देवायतने पुनमकी चुतकी गरम पानीसे सीकाइ करदी तब जाके पुनमको कुछ राहत महेसुस हुइ.. फीर दोनोही नहाके अपने अपने रुममे आकर सो गये.. सुबह मंजु चंदा दया रजीया सब ६ बजे उठ गइ तब दया ओर रजीया तैयार होकर होकर अपने कामपे लग गइ.. तो आज मंजु तैयार होकर चंदाको सादीका जोडा पहेनाके तैयार कर रहीथी.. तब देवायत ओर पुनम अभीभी गहेरी नींदमे सो रहेथे..

मंजुला : दीदी आप तैयार होकर रेडी होजाओ फीर मे देवुको जगा देती हु.. लगता हे वो रातमे बहुत देरसे आये हे..

चंदा : (सरमाते) अरे अभी सोने दोनां.. इतनी जल्दी जागकर क्या करेगा.. आज थोडीना उनको कामपे जाना हे.. देरसे आये हेतो कुछतो आराम करने दो..

मंजुला : (हसते) दीदी हमे नीकलते नीकलते फीरभी ९ बज जायेगे फीर अ‍ेकघंटेका रास्ता भी हे.. ओर बीचमे हमे हिरेनकोभी साथ लेना हे.. तो जल्दी नीकल जायेतो बेटर हे.. फीर सहेरभी तो जाना हे.. पता नही वहाभी खरीदीमे कीतना टाइम लग जायेगा.. ओर रास्तेमे सृती ओर भुमी आंटीभी तो आयेगी..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) अरे सोने दोना.. मुजे उनके सामने इस सादीके जोडेमे बहुत सर्म आयेगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (सरारतसे हसते) क्या दीदी.. फीर रातमेतो उन्हीके हाथोसे ये सादीका जोडा उतरने वाला हे.. तब आप क्या करोगी.. हें..हें..हें.. देखना मुह दीखाइमे कोइ तगडी जीच मांगलेना.. आज अच्छा मौका हे.. हें..हें..हें..

चंदा : (सर्मसार होते धीरेसे) धत् मंजु क्या ये सब अब जरुरी हे..? हम दोनो कीतनी बार मीलतो चुके हे..

मंजुला : (हसते) नही दीदी फीरभी सुहागरात सुहागरात होती हे.. आप बडी खुस कीस्मत हे.. जो ये रात आपकी जींदगीमे दुबारा आइ हे.. फीर ये रात आपकी जींदगीमे दुबारा नही आयेगी.. आज आप दोनो पुरी रात अ‍ेन्जोय करना.. ओर वोभी तुम दोनो अकेले.. आज मे पुनमके पास चली जाउगी.. आजकी रात सीर्फ आप दोनोही रहेना.. फीर कलसे मेभी आपके साथ चली आउगी.. तब हम तीनो खुब मजे करेंगे..

चंदा : (मुस्कराते तैयार होते) मंजु.. मुजे तो बडी सर्म आ रही हे.. कास बडी दीदी यहा होती.. हमे ये सादीके जोडेमे देखकर कीतनी खुस होती..

मंजुला : दीदी आपने कल उनसे बात करली की नही..? अब कैसीहे पापाकी तबीयत..?

चंदा : अरे वो ठीक होगये हे.. आखीर हमारे पतीजो वहा गयेथे.. सायद आज सामको छुटी मील जायेगी.. लेकीन तुम उसे फोनपे बात क्यु नही करलेती..? अबतो कोइ प्रोबलेमभी नही हे..

मंजुला : दीदी.. बस कुछ कामकी वजहसे फोनपे बात करनेका टाइमही नही मीलता.. चलो अच्छा हुआ.. फीर देवुको कहेगे उन दोनोको कुछ दिन इधर रहेनेके लीये लेआये.. तब हम खुब बाते करलेगे..

चंदा : नही मंजु अभी इन सबकी सादीतो हे तबही उन दोनोको लेआयेगे.. वो धिरेनको अपना बेटा मानती हे.. तो फीर उनके ओर भाइके हाथोही धिरेनकी सब वीधीया रखेगे.. क्या कहेती हो..?

मंजुला : (चंदाकी सारीको सही करते) वाह.. क्या बेस्ट आइडीया दीया हे आपने.. हां दीदी.. वोही ठीक रहेगा.. पापाभी खुस होजायेगे.. हें..हें..हें..

चंदा : (मंजुके गालोको हाथोमे थामते) मंजु.. अब तुभी दीदीको माफ करदे.. कबतक उनसे कम बोलती रहेगी.. अबतो सब सही होगया हे.. अबतो देवुनेभी उनको माफ करदीया हे.. तो फीर..

मंजुला : (हसते) दीदी आप फीकर मत करो.. अब मेरे मनमे उनके प्रती कुछभी नही हे.. बस कुछ बाते हे जो मे आपको अभी नही बता सकती.. कुछ दिन इन्तजार करलो फीर मे आपको अ‍ेक सचाइ बता दुगी.. जो आप नही जानती..

चंदा : (माथेपे टीका लगाते रुककर मंजुकी ओर देखते) अब कोनसी सचाइकी बात कर रही हे तु..? तु टेन्शन मतले मुजे तेरे बारेमे सबकुछ मालुम हे.. मेरी दीदीसे इस बारेमे बात होती रहेती हे.. मे तेरे बारेमे सबकुछ जानती हु..

मंजुला : (आस्चर्यसे देखते हसते) क्या..? आप मेरे बारेमे सब जानती हे..? तो फीर मुजे बताया क्यु नही..? मुजेतो ये सब बाबाकी दी हुइ शक्तिओके माध्यमसे सब पता चला..

चंदा : (मंजुके पास आकर उसे हग करते) अरे मेरी छोटी बहेन.. तु टेन्शन मतले.. मुजे सबकुछ पता हे.. बस कुछ राज राजही रहेने देना चाहीये.. इसमेही हम सबकी भलाइ हे.. ओर वेसेभी अब इन बातोका कोइ मायना नही.. वेसेभी अब हम सबको बहुत कुछ अ‍ैसाही दीखनेको मीलेगा.. तुम ही सब केह रहीथीनां..? तो फीर टेन्शन कीस बातकी.. जो होता हे होने दो.. ओर लाइफको अ‍ेन्जोय करो.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) दीदी तो क्या आपभी इन सब बातोके लीये पहेलेसे प्रीपेर हे..? मतलब.. आपको पता हे आगे क्या होने वाला हे.. आइ मीन..

चंदा : (मंजुका गाल सहेलाते) हां मेरी भोली बहेन.. अब मेभी देवुसे सादी कर रही हु.. तो कुछ तो होगा.. जो मे इनकी जींदगीमे आइ.. क्या पता सायद मेराभी इनमे कोइ रोल हो.. इस बारेमे तो तुमसे बहेतर कोइ नही जानता.. क्या मे सही हुनां..? ओर वेसेभी अब मुजे अ‍ैसे रीस्तोमे कोइ बुराइ नही लगती.. बस सबको अपने तरीकेसे जीने दो ओर खुदभी जीयो..

मंजुला : (हसते) थेन्क्स दीदी.. अब मुजे यकीन हे आप मेरे देवुको अच्छेसे सम्हाल लोगी.. थेन्क्यु सो मच..

चंदा : (मंजुको जोरोसे बाहोमे भीचते) बस.. अब कुछभी मत बोल.. ओर जा तेरे भाइको जगादे.. हें..हें..हें.. आइ मीन हमारे पतीको.. क्या यही कहेना चाहतीथीनां मुजसे..? हंम..?

मंजुला : (हसते) हां दीदी.. वास्तवमे मे ओर देवु दोनो भाइ बहेन हे.. बस हम दोनोकी मां अलग हे..

चंदा : (प्यारसे गाल सहेलाते) पता हे मुजे.. ओर अभीसे नही तु जब छोटीथी तबसे मुजे सब पता हे.. ओर जब तेरी मम्मीने हमारे भाइसे सादी करली तब मुजे बताकर ही की हे.. लेकीन इस बातको हमने तुमसे छुपाके रखाथा.. क्युकी तब तुम दोनो बहेने बहुत छोटी थी.. ओर वेसे देखा जायेतो दीदी इस रीस्तेसे बहुत खुस थी.. तुम ओर बडीदीदी दोनोही खुसनसीबहो की तुम दोनोको अपने भाइका प्यार मीला हे..

मंजुला : दीदी कीतना अजीब हेनां..? सबने अपनी बहेनसेही सादी करली.. पापाने मेरे ससुरने ओर पता नही सायद मेरे दादा ससुरनेभी वोही कीया हे.. ओर अब देवुने भी.. सोचकर मन कीतना रोमांचीत हो जाता हे.. कास उसी टाइम आपनेभी पापासे सादी करली होती.. हें..हें..हें..

चंदा : ( सरमाते हसते) बस बस.. आगे कुछ मत बोलना.. तो फीर मुजे देवु थोडीनां मीलता.. कुछभी बोलती हे.. जा अब देवुको जगादे.. कीतनी देरतक सोयेगा.. उनकोभी तैयार होना हे.. ओर वो पुनमकोभी जगा देनां.. तबतक मे धिरेनको फोन करती हु.. वो जाग गयाकी नही.. वरना लाट साहब अभीभी पडे होगे..

मंजुला : (बहारकी ओर हसते हुअ‍े जाते) जी दीदी अभी जगाकर आइ.. हें..हें..हें..

तब चंदा धिरनको फोन लगाने लगी ओर मंजु देवायतके रुममे चली गइ तो देवायत घोडे बेचके सो रहाथा तो मंजु उसे दखते वही उनके सरके पास बैठ गइ ओर प्यारसे देवायतके सरको सहेलाने लगी.. फीर धीरेसे जुकके उनके सरको चुमलीया.. तब देवायत नींदसे जाग गया ओर देखातो मंजुथी.. ओर उसने मंजुकी कमरमे हाथ डालके उसे अपने उपर खीचलीया तो मंजु सरमाते हसने लगी ओर देवायतकी बाहोमे समा गइ..

देवायत : (हसते) अरे थोडी देर सोने दोनां.. हम आरामसे जायेगे.. आजाओ मे थोडा अपनी बीवीसे प्यारतो करलु..

मंजुला : (गाल चुमते धीरेसे) क्या सोने दोनां..? बाबु दोनो कीतनी देर तक जागते रहे..? पता हेना आज क्या हे..? ओर वो महारानी भी सोइ पडी होगी.. मेरी छोटी बहेन.. हें..हें..हें.. बेचारीकी हालत खराब करदी होगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) ४.३० बजे तक.. हें..हें..हें.. आज क्या हे जो तु इतनी सजधजके आइ हे..? आश्रमही तो जाना हे.. आरामसे चलते हेनां..

मंजुला : अरे क्या आरामसे चलते हे.. चलो चलो.. आप फटाफट तैयार होजाओ.. आज आपकी मौसीके साथ सादी हे.. हम अ‍ैसेही आश्रम घुमने नही जा रहे.. समजे..बाबाभी हमारा वेइट करते होगे.. कलही मेने उनसे बात करली हे.. ओर आप दोनो ४.३० बजे तक जागते रहे..? पता नही पुनोकी कैसी हालत होगी.. बाबा उनकी सादी तक उनका खयाल रखना.. ओर हां अभी आपके ओर पुनोके रीस्तोकी मौसीको भनकभी नही लगने देना.. फीर चाहे मरजी हो उतना उसे प्यार कर लेना..

देवायत : (बाहोमे होंठ चुमते) पता हे मुजे.. लेकीन तुमने मुजसे ये सादीकी बात क्यु छुपाइ..? मे तेरी मम्मीको बता देता.. वोभी सुनकर खुस होजाती..

मंजुला : (प्यारसे गाल सहेलाते) उनकी टेन्शन आप मतलो.. कस मौसीने उनसे बात करली हे.. ओर वो इस रीस्तेसे बहुत खुसभी हे.. चलो बाकीकी बाते हम बादमे करेगे आप फटाफट नहाकर तैयार होजाओ.. ओर हा आज आपको ओर मौसीको उपवास रखना हे फीर सादीके बाद आप दोनोको खाना मीलेगा.. मे पुनोको जगाने जा रही हु पता नही आपने उनकी हालत कैसी करदी होगी.. कमीनी को मुजेही सम्हालना होगा.. हें..हें..हें..

कहेते मंजु हसती हुइ फटाफट पुनमके रुममे चली गइ.. ओर अंदर जातेही दरवाजा बंध करलीया फीर पुनमको हीलाके जगा दीया.. तब पुनम बडी मुस्कीलसे उठ पाइ ओर मंजुको देखतेही फटाकसे सरमाते हुअ‍े बेडपे सर नीचे करके बेठ गइ.. तब मंजु उनके पास बेठ गइ ओर प्यारसे उनके सरपे हाथ घुमाते उनकी ओर देखते हसती रही.. तब पुनम सरमसे पानी पानी होने लगी ओर मंजुसे सरमाते हुअ‍े आंख चुराने लगी..

मंजुला : उठ गइ महारानी..? दोनो कीतनी देर तक जागेथे..? जो अभीभी दोनो सो रहेहो.. हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते धीरेसे) भाभी वो..वो.. ४ बजे तक.. भाइ मुजे छोडतेही नही थे.. सोरी भाभी..

मंजुला : (प्यारसे गाल सहेलाते) पुनो.. अबतो खुस हेनां..? आज तेरी सास ओर हमारे पतीकी सुहागरात हे.. तो आज मे तेरे साथ सोउगी.. तब तुजे अ‍ेक सीक्रेट बात बताउगी.. आज तुजे बुहत कुछ देना हे.. जो बात तेरे तकही सीमीत रखना.. अब मे तुमसे कुछभी नही छुपाउगी.. क्युकी अब तुजे तेरी दुसरी सौतन ओर तेरी सासकोही देवुको सम्हालना हे.. समज गइनां..?

पुनम : भाभी.. क्या आपको मेरे ओर भाइके रीस्तेको लेकर बुरा नही लगा..?

मंजुला : (हसते गाल सहेलाते) नही.. कोइ बुरा नही लगाता.. सायद बाबाने मुजे अपनी पहेचान नही करवाइ होतीतो जरुर बुरा लगता.. सीर्फ तेरे रीस्तेको लेकर नही मौसीके रीस्तेको लेकरभी बुरा लगता.. लेकीन अब नही लगता.. क्युकी मे सब जानती हु.. ओर आने वाले वक्त ओर रीस्तोके बारेमे भी जानती हु जो तुजे सब बता दुगी.. दो तीन दिनमे तुमभी सब जानने लगोगी.. बस रात तकका इन्तजार करले.. आज बाबाको मुजे कुछ पुछनाभी हे.. फीर इस बारेमे हम आरामसे बात करेगे..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. अ‍ेक बात पुछु..? आपकोतो सब पता चल जाता हे.. तो भाइ केह रहेथे.. की मे भाइसे.. मतलब.. वो.. वो.. अब आपसे कैसे कहु.. आइ मीन.. मे प्रेगनेन्ट..

मंजुला : (हसते) हां मे सब समज गइ.. यहीनां की तु हमारे पतीसे प्रेगनेन्ट होगइ हे की नही..? यही पुछना थाने..? हा पुनो.. तु अब प्रेगनेन्ट हे.. तुम मेरे देवुकी बच्चीको जन्म देगी.. बस इसी सीलसीलेमे मुजे बाबासे बात करनी हे.. लेकीन तु ये बात अभी कीसीको मत कहेना.. ओर हां कुछ उल्टीया जैसा लगेतो सीर्फ मुजसे कहेना.. मेरे पास वो उल्टीकी टीबलेट हे मे तुजे दे दुगी.. अब चल तुजे भी ठीक करना पडेगा.. क्या दोनो पुरी रात प्यार करते रहे..? कीतनी बार कीया दोनोने..?

पुनम : (धीरेसे बेडसे सरमाकर उतरते) जी.. वो.. वो.. भाभी.. भाइ मुजे पुरी रात बीना नीचे उतरे ओर बीना बहार नीकाले सुबह तक मुजसे प्यार करते रहे.. मेरी तो हालत खराब करदी.. क्या आपके साथभी अ‍ैसेही करते हे..?

मंजुला : (जोरोसे हसते) हां.. मेरे देवुको अपनी बहेनोको चोदनेमे बडा मजा आता हे.. हें..हें..हें.. वो चुदाइ करनेका बहुत सौकीन हे.. बस अ‍ेक बार उपर चड गया.. फीरतो सुबह तक मेरे उपरसे उतरते ही नही हे.. उनको अपनी बहेनोको चोदनेमे बहुत मजा आता हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (दोनो बाथरुमकी ओर जाते) बहेनोको मतलब..? आप अ‍ैसा क्यु केह रही हे..? ओर कोन बहेन हे उनकी..? मे कुछ समजी नही..

मंजुला : (हसते) चल पहेले तेरी सीकाइ करते तुजे ठीक करदु फीर हम रातमे आरामसे बात करेगे.. आज रात तुजे सब पता चल जायेगा.. ओर अभी अ‍ेक पेइनकीलर लेलेना.. अगर दर्द हेतो आराम होजायेगा..

पुनम : (सरमाते) नही भाभी.. बच्चा पेटमे पल रहा हे.. मुजे कोइ अ‍ैसी वैसी टेबलेट अभी नही खानी.. में सहेन करलुगी.. वैसेभी आपतो मेरे साथ हे.. मुजे कोइ प्रोबलेम नही होगी..

मंजुला : (हसते) चल ठीक हे.. तु तेरी सासका ध्यान रखना बाकी मे सब सम्हाल लुगी..

कहेते मंजु ओर पुनम दोनोही बाथरुममे चली गइ वहा मंजुने पुनमकी चुतकी गरम पानीसे अ‍ेक बार फीरसे सीकाइ करदी तब पुनमको काफी राहत महेसुस होने लगी तब मंजु बहार आगइ ओर पुनम नहाने लगी.. तबतक देवायतभी नहाने जा चुकाथा ओर उपरसे लखनभी तैयार होकर नीचे आगया था.. ओर सोफेपे बेठकर टीवी देख रहाथा तब मंजु सीधी अपने रुममे चली गइ तो वहा चंदा धिरेनके साथ बात करके बेडपे अकेली बेठीथी.. जो मंजुको देखतेही मुस्कराने लगी..

मंजुला : (अंदर आतेही) दीदी वो देवु नहाने चला गया क्या..?

चंदा : (सरमाते हसते) हां.. अभी अभी बडी मुस्कीलसे उनको अंदर भेजा.. हें..हें..हें.. आज कल बहुतही सरारती होगये हे.. अब उनके कपडे नीकालके रखदे ओर तु वीजयको सम्हाल.. भुखा होगा उसे दुध पीलादे फीर उनकोभी तैयार करदे.. वहा धिरेनभी उठ गया हे..

मंजु देवायतके कपडे बेडपे रखकर वही बेडपे विजयको लेकर बैठ गइ ओर ब्लाउस उचा करके उसे दुध पीलाने लगी.. तब थोडीही देरमे देवायतभी नहाके बहार नीकल गया ओर अपने कपडे पहेनने लगा तब चंदा मंजुके पास बेठीथी ओर ओर खुब सरमा रहीथी तो मंजु सब देखते हसती रही

ओर उसने विजयको बेडपे सुला दीया ओर अपना ब्लाउस सही करके विजयको तैयार करने लगी.. तबतक देवायतभी कपड पहेनकर मीररके सामने अपना बाल बनाने लगा ओर कंपलीट तैयार होगया.. तब वो मंजु ओर चंदाके पास आगया तब चंदा सरमाने लगी..

देवायत : मंजु सायद भानु उनके घरवालोको साथ लेकर आजाये तुम लता ओर निलमको हमारे साथ लेलेना उनकीभी खरीदारी होजायेगी.. ओर वो धिरेनको फोन करदीया की नही..? उनकोभी साथ लेजाना हे..

मंजुला : (हसते देवायतकी बाहोमे आते) अरे हां बाबा हां आपकी इस बीवीने उसे फोन करदीया हे वो रेडीही होगा.. देखो आज कैसे सरमाती हे.. कुछ बोलती ही नही.. क्या आप उसे ठीकसे प्यार नही करते..?

तब चंदा सरमसे पानीपानी होने लगी ओर वो मुह घुमाते मुस्कराने लगी तब देवायत कुछ अ‍ैसा करता हे जीसे वो सोक्ट होजाती हे.. वो मंजुको बाहोमे भरते अ‍ेक हाथसे चंदाका हाथ पकडके उसे बेडसे खडी कर देता हे.. ओर दुसरी ओर चंदाको खीचके अपनी बाहोमे भर लेता हे तब चंदा देवायतके सीनेमे सर छुपाते सर्मसार होते हसने लगी.. आज देवायतने पहेली बार चंदाको मंजुके सामने अपनी बाहोमे भरलीया.. तब देवायत मंजु फीर चंदाके गालोको चुम लेता हे तो मंजु हसने लगती हे..

मंजुला : (हसते) हां अब ठीक हे.. देखा दीदी अबतो रोज हम दोनोको देवुसे अ‍ैसेही प्यार मीलने वाला हे अब सरमाना छोड दीजीये.. ओर आगे आगे देखती जाइअ‍े होता हे क्या.. हें..हें..हें..

चंदा : (सर्मसार होते धीरेसे) मंजु मुजेतो बहोत सर्म आ रही हे.. कही सबके सामने हमे अ‍ैसे ना करे..

देवायत : (हसते) क्यु सबके सामने सर्म आ रही हे..? अरे बेबी अबतो हम सादी करने वालेहे अब तु मेरी लीगल वाइफ होजायेगी.. तो फीर सरमाना कैसा.. ओर आज रातके लीये तैयार रेहना मेरी मंजुका ओर्डर हे..

चंदा : (अ‍ेकदम सर्मसार होते) धत्.. आप बीलकुल पागल हो.. मुजे कुछ नही करना.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) देखो देवु.. ना कहेते भी मनमे लडु फुट रहे हे.. हें..हें..हें.. आज मेरी इस बडी बहेनको छोडना नही.. फीर कलसेतो मेभी तुम दोनोके साथ जोइन्ट होजाउगी.. ओर हां.. आज इनके लीये कोइ बडीया गीफ्ट तैयार रखना.. वरना आपको छुनेभी नही देगी.. हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते धीरेसे) प्लीज.. मंजु.. अब चुपभी करो.. मंजु.. तुजे आज क्या प्रोबलेम हे..? प्लीज.. तुमभी साथमे रहेनां..

मंजुला : (हसते) अरे दीदी.. पागल हो क्या..? दीदी आज आपकी सुहागरात हे.. तो आज आपको अकेलेही मेरे देवुको सम्हालना पडेगा.. ओर आपकोतो इनको सम्हालनेका अच्छा खासा अ‍ेक्स्पीरीयन्सभी हे.. हें..हें..हें..

कहातो चंदा सर्मसार होगइ ओर मंजुकी पीठमे हसते हुअ‍े अ‍ेक मुका जड दीया.. तभी अचानक देवायतने चंदाके फीर मंजुके होंठोको चुमलीया तब दोनोही सरमा गइ.. ओर देवायतको कुछ कहे इनसे पहेले देवायत हसते हुअ‍े बहारकी ओर जाने लगा तब दोनोही देवायतको मारनेके लीये पीछे दोड पडी.. ओर तीनो हसते हुअ‍े बहार आगये.. तबतक पुनमभी तैयार होकर लखनके पास बैठीथी..

जेसेही देवायतको देखा वो सरमसे पानीपानी होते तीरछी नजरोसे देवायतकी ओर देखकर हसती हुइ खडी होगइ.. ओर मंजुके पास कीचनकी ओर जाने लगी.. फीर सब डाइनींगपे आगये तब देवायत चंदाके अलावा सबने नास्ताभी कीया ओर देवायत चंदाने सीर्फ चाइ पीली.. तब पुनम विजयको लेकर बहार आगइ.. ओर देवायतकी ओर तीरछी नजरसे देखते विजयके गालोको चुमते हसने लगी.. जैसे देवायतको बताकर जता रही होकी मेने तुम्हारा गाल चुमलीया हे.. तब देवायतभी बहुत कुछ समज गया ओर हसने लगा..

तभी मंजु चंदाने अ‍ेक अ‍ेक बेग लेली.. ओर बहार जाकर कारमे रखदी फीर सब कारमे बेठने लगे.. तबतक दया ओर रजीया.. सबको जाते हुअ‍े देखने लगी.. ओर मंजुने दयाको कुछ सुचना देदी ओर कारमे बेठ गइ.. ओर सभी कारसे आश्रमकी ओर नीकलने लगे.. तब पुरे रास्ते पुनम ओर लखन अपने भतीजे विजयके साथ खेलते रहे..

ओर सब चंदाके घरके सामने आगये.. तब धिरेन रेडीही था तो घरको ताला लगाकर वोभी सबके साथ बेठ गया.. तब पुनमसे नजरे मीलतेही हसने लगा तब पुनमभी सर्मसार होकर हसने लगी.. फीर धिरेन जैसेही उनकी मम्मीको सादीके जोडेमे देखता हे तब मां बेटा दोनोही सरमाकर हसने लगे.. ओर कारवा आश्रमकी ओर नीकल गया....

कन्टीन्यु
 

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ९२

तभी मंजु चंदाने अ‍ेक अ‍ेक बेग लेली.. ओर बहार जाकर कारमे रखदी फीर सब कारमे बेठने लगे.. तबतक दया ओर रजीया.. सबको जाते हुअ‍े देखने लगी.. ओर मंजुने दयाको कुछ सुचना देदी ओर कारमे बेठ गइ.. ओर सभी कारसे आश्रमकी ओर नीकलने लगे.. तब पुरे रास्ते पुनम ओर लखन अपने भतीजे विजयके साथ खेलते रहे.. ओर सब चंदाके घरके सामने आगये..

तब धिरेन रेडीही था तो घरको ताला लगाकर वोभी सबके साथ बेठ गया.. तब पुनमसे नजरे मीलतेही हसने लगा तब पुनमभी सर्मसार होकर हसने लगी.. फीर धिरेन जैसेही उनकी मम्मीको सादीके जोडेमे देखता हे तब मां बेटा दोनोही सरमाकर हसने लगे.. ओर कारवा आश्रमकी ओर नीकल गया....अब आगे

मंजुला : (हसते) धिरेन तुने अपनी खरीदीकी लीस्ट बनाइ की नही..? हम आश्रमसे सीधेही सहेर खरीदी करने जा रहे हे..

धिरेन : (सरमाते पुनमकी ओर देखते) जी.. जी दीदी बनाली.. सीर्फ कपडेहीतो लेने हे..

मंजुला : (जोरोसे हसते) क्यु..? अपनी बीवीके लीये कुछ बडीयासी गीफ्ट बीफ्ट लेलेना.. हें..हें..हें..

कहातो धिरेन सरमाकर हसने लगा तो पुनमभी सर्मसार होगइ ओर हसते हुअ‍े दांत पीसते मंजुके कंधेपे अ‍ेक मुका मारदीया.. तब चंदा लखनभी हसने लगे.. सब मस्ती मजाक करते सहेरकी ओर जा रहेथे तब बीचमे आश्रमकी ओर जानेका टर्न आगया.. ओर देवायतने टर्न लगाकर कारको वही रोक दीया क्युकी अभी तक सृती ओर उनकी मम्मी नही आयेथे.. वो कारसे उतरकर रोडपे चला गया.. तब मंजु सृतीको फोन लगाकर उनसे बात करने लगी..

मंजुला : (फोन लगतेही) हेलो.. सृती.. तुम लोग कहा पहोचे..? घरसे नीकलेहो की नही..?

सृती : (फोनपे) हां मंजु बस हम वहा पहोचनेही वालेके हम ओन ध वे हे.. क्या तुम लोग पहोंच गये..?

मंजु : हां.. बस अभी अभी आकर रुके हे.. हम टर्न लगाके खडे हे.. ओर देवु रोडपे ही खडा हे ओर आपका इन्तजार कर रहा हे.. ताकी तुजे ढुंढनेके ज्यादा तकलीफ ना हो.. चल रखती हु..

तभी लखन ओर धिरेनभी कारसे उतर गये ओर दोनो बाते करते देवायतकी ओर टहेलते जाने लगे तभी विजय रोने लगा तो पुनमने उसे मंजुको देदीया.. तो मंजु उसे ब्लाउस उचा करते दुध पीलाने लगी.. तब चंदा ओर पुनम आपसमे सरमाये बीना धीरे धीरे बाते करने लगी..

तबतक धिरेन ओर लखनभी देवायतके साथ जाकर खडे होगये.. तभी अ‍ेक कार तेजीसे आ रहीथी जो तीनोको देखतेही रफ्तार धीमी होगइ.. ओर टर्न लेकर तीनोके पास आकर खडी होगइ.. तब उनमे सृती जो ड्राइव कर रहीथी ओर उनके पास उनकी मम्मी बेठीथी.. आतेही सृती कारसे उतर गइ ओर देवायतके गले लग गइ.. तब उनकी मम्मीको देखतेही लखन ओर धिरेन हसते हुअ‍े उनके पांव छुने लगे तब सृतीने हसते हुअ‍े धिरेनको गले लगा लीया..

सृती : (गले लगाते) अरे मेरा छोटा भाइभी आया हे..? हें..हें..हें.. कैसेहो भाइ.. क्या कर रही हे मौसी..

धिरेन : (हसते) वही कारमे वो ओर दीदी पुनम बैठे हे आपहीका वेइट कर रहेथे.. जाइअ‍े कार मे ले लेता हु..

देवायत : हां सृती कार धिरेनको देदो वो ओर लखन आंटीको आरामसे लेआयेगे तुम मंजुके पास चली जाओ.. अगर आंटीको कोइ दिकत ना होतो.. हें..हें..हें..

भुमीका : (देवायतको डांटते) दिकतके बच्चे तु आश्रम चल वहा मे तेरी खबर लेती हु.. अभीतो हमे जाना हे.. देर हो रही हे..

कहातो सृती देवायतकी ओर देखते जोरोसे हसने लगी ओर कारकी ओर जाने लगी तब देवायतभी हसते हुअ‍े कारकी ओर चलने लगा तब धिरेन सृतीकी जगाहपे बैठ गया ओर लखन हसते हुअ‍े पीछली सीटमे बेठ गया ओर देवायतने कारको जंगलकी ओर जाने दी तब धिरेनभी उनके पीछे पीछे चलने लगा.. तो देवायतकी कारमे सृती ओर चंदा मंजु पुनम सब हसते हुअ‍े जोरोसे बाते करने लगे.. सभी खुस नजर आ रहे थे..

सभी लोग बीस मीनीटकी ड्राइवके बाद आश्रमके परीसरमे पहोंच गये.. ओर कारसे उतरकर अ‍ेक जगाह अ‍ेकठा होने लगे तब चंदाभी सादीके जोडेमे उतरके सरमाती सृतीकी मम्मी भुमीकाके पास आगइ ओर जुककर उनके पैर छुने लगी.. तब भुमीकाने उनको गले लगालीया ओर चंदाका सर चुमलीया.. फीर देवायतके आतेही उनका कान पकडके खीचने लगी.. तब सभी लोग उन दोनोकी ओर देखते हसने लगे फीर देवायतके गले लग गइ..

भुमीका : तुम बहुत बदमास हो गये हो.. कीतनी बार सृतीसे कहेलवाया फीरभी तुजे आनेका टाइम नही मीला.. आज कल कहा रहेते हो..? ना कोइ खबर ना कोइ फोन.. इतने बीजी हो गये हो..?

देवायत : (हसते) कुछ नही आंटी वो थोडा काममे बीजी होगया था.. ओर दो दीन राजीव अंकलके पास होस्पीटल मे था.. उनकी तबीयत बीगड गइथी.. बस आज उनको होस्पीटलसे छुटी मील जायेगी..

भुमीका : (सोक्ट होते) क्यु..? क्या हुआ राजीवको..? तेरी सासकाभी फोन नही आया.. कुछ हुआ हे क्या..? ओर मंजुबेटीनेभी सृतीको नही बताया होगा.. वरना वो मुजे बता देती..

मंजुला : (हसते) सोरी आंटी.. मे थोडा टेन्शनमे भुल गइ..

भुमीका : आंटीकी बच्ची मौसी हु तेरी.. अ‍ैसे कैसे भुल गइ.. अ‍ेकहीतो बहेन जैसी सहेली हे मेरी.. ओर राजीव.. हम सब खास दोस्त हे.. तब चंदातो बहुत छोटी थी.. वैसे राजीव को हुआ क्या हे..?

देवायत : वो उनको हाइ बीपीकी वजहसे थोडा पेरेलीटीक अ‍ेटेक आगयाथा.. अब बीलकुल ठीक हे..

सृती : मोम.. अब अंदर चले..? ताकी ये दुल्हा दुल्हनकी सादी होजाये.. फीर आप आरामसे बाते करते रहीये.. ये लोग सादीके बाद सहेर हमारे घरही आ रहे हे..

तब सभी लोग हसते हुअ‍े अंदरकी ओर जाने लगे.. तब बाबा अपने रुममे थे ओर सभी लोग बाबाके बेठक की ओर चले गये.. ओर वही नीचे बैठने लगे तब बाबाभी बहार आगये ओर सभीको देखके हसते हुअ‍े अपनी जगाहपे आकर बैठ गये.. तब सभी उनके पैर छुकर वापस नीचे बेठने लगे.. तब चंदा खुब सरमा रहीथी ओर वो मंजुके साथ बेठ गइ.. तब बाबा भुमीका ओर सृतीकी ओर देखकर हसते रहे.. तब भुमीकासे रहा नही गया..

भुमीका : (हसते) बाबा क्या आप हमे जानते हे..? मे यहा पहेले सायद अ‍ेक बार आचुकी हु..

बाबा : हां.. बहेनजी आप सायद हमारे किशनकी दोस्त हे.. आप सभी साथमे पढतेथे तब आप अ‍ेक बार सभी दोस्तो किशनके साथ आचुके हे.. इनको भी काफी साल होगये..

मंजुला : (हसते) जी बाबा.. मेरी मम्मी पापा मेरे ससुर ओर भानुभाइके पीताजी भुमीकामौसी ओर उनके पती सभी दोस्त थे.. आज ये आपके दर्शन करनेके लीये उनकी बेटीके साथ आगइ हे.. ओर ये उनकी बेटी हे.. डो. सृती.. लेडीझकी डोक्टर हे.. जो आपको कीतने दिनोसे मीलनेके लीये केह रही थी.. तो आज फायनली आही गइ.. हें..हें..हें..

बाबा : (हसते) हां इनकोतो इधर आनाही था.. हें..हें..हें.. उनके मनमे तुमने कीतने प्रस्न पैदा कीये हे..? तबसे ये मीलनेके लीये उत्सुक हे.. क्युकी कुछ बाते उनके विसय ओर पढाइके बहारकी हे.. हें..हें..हें.. क्यु बेटी ठीक कहाने मेने..?

सृती : (सरमाते हसते) जी.. जी बाबा..

बाबा : बेटी हम बादमे आरामसे बात करेगे.. ओर तेरे सभी प्रस्नोका जवाब हे मेरे पास.. ओर तुजेतो इधर आनाही था.. क्यु आनाथा.. वो रीजन तुजे बादमे बता दुगा.. फीलहाल तो चलो सब मंदिरमे सब तैयारीया होगइ हे.. इन दोनोकी सादी करवादु फीर हम आरामसे बात करेगे.. ओर वो भानु अभी तक नही आया..?

देवायत : (हसते) बस.. बाबा वो पहोंचताही होगा.. सायद रास्तेमे होगे..

बाबा : (हसते) चलो कोइ बात नही तबतक हम तेरी सादी नीपटा लेते हे.. चलो सब..

तब बाबा खडे होगये तो उनके पीछे सब खडे होगये.. ओर बाबाके पीछे मंदिरकी ओर जाने लगे.. तब वहा मंदिरके बहार बाबाने सब तैयारीया करके रखीथी ओर सभी लोय वही आगये ओर मंदिरमे दर्शन करने लगे.. फीर बाबाने सबको वही बीठा दीया.. क्युकी आज गांधर्व सादी नही आज बाबा खुद फेरे वाली सादी करवाने वालेथे.. जीनकी जानकारी कीसीको नहीथी.. ये बात सीर्फ बाबा ओर मंजु पुनमही जानते थे..

सभी लोग बेठ गये तब बाबाने देवायत ओर चंदाको बुलाकर सादीकी जगाह अ‍ेक साथ बीठा दीया.. तब चंदा सादीके जोडेमे अ‍ेक दुल्हनकी तराह सजी हुइथी ओर खुब सरमा रहीथी.. जैसे आज पहेली बारही उनकी सादी हो रही हो.. आज वो बहुतही खुस थी.. तब उनको देखकर धिरेनभी खुस होने लगा.. क्युकी आज उन्होने पहेली बार अपनी मम्मीको इतना खुस होते देखाथा.. ओर वो पुनमकी ओर देखते हसने लगा..

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तो पुनमभी सर्मसार होते धिरेनके सामने मुस्कराने लगी.. तभी धिरेनने कुछ इसारा कीया तब पुनम सरमाते धिरेनके पास सरक गइ.. तभी धिरेनने पुनमका हाथ पकड लीया.. तब पुनम सरमसे पानीपानी होने लगी.. ओर दोनो सादी देखने लगे.. ओर बाबाने मंत्र बोलना आरंभ करदीया तब सभी लोग सादी देखने लगे..

फीर बाबाने हवन चालु करदीया ओर देवायत चंदासे आहुती डलवाते गये.. तब चंदा काफी खुल चुकीथी ओर वो देवायतकी ओर देखते मुस्कराती रही.. तभी धिरेन अपना मोबाइल नीकालकर सादीकी विदी सुट करने लगा.. ओर अ‍ेक हाथसे पुनमको थामके रखा..

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तब मंजु पुनम ओर धिरेनको अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडते देखकर बहुत खुस होने लगी.. तो दुसरी ओर सृती थोडी मायुस होगइ उसे दखकर उनकी मम्मी भुमीकाकी भी आंख गीली होगइ.. क्युकी सृतीकी सादीके कुछही दिनोके बाद सृती डिवोर्स लेकर घर वापस आगइ थी.. तभी मंजुने सृतीका हाथ थाम लीया ओर उनकी आंखोमे देखने लगी.. तब सृती उनके सामने देखकर मुस्कराने लगी.. ओर भुमीकाने भी जटसे अपनी आंखे पोछली.. आखीर बाबाने चंदा ओर देवायतको फेरेके लीये खडा करदीया..
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तभी आश्रममे अ‍ेक कार आकर रुकी उनमेसे भानुकी फेमीली उतरने लगी ओर सब कारसे उतरतेही सीधे मंदिरकी ओर आने लगे.. तब रमाके हाथमे भावनाकी बच्चीभी थी.. ओर भानु रमा आज सजधजके आयेथे.. तो सब अ‍ेक दुसरेको गले मीलने लगे ओर सरलाके पांव छुने लगे.. तब सरला कामुक नजरोसे देवायतकी ओर देखते हसने लगी.. तो दुसरी ओर लता लखनको देखकर सरमाने लगी..

तभी पुनमने हसते हुअ‍े उनका हाथ पकडकर लताको लखनके पास खडा करदीया.. तो लता सरमाके हसने लगी.. फीर पुनमने सबको हाथोमे फुल थमा दीया.. तो आज नीलमधी सजधजके पटाका बनकर आइथी.. वो बहुतही सेक्सी ओर आकर्सक लग रहीथी.. जीसे देखकर अ‍ेकबार तो लखन ओर धिरेनका दिलभी अपनी धडकन चुक गया.. ओर नीलमभी हसते हुअ‍े पुनम लताके पास जाकर खडी होगइ..

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तभी बाबाने चंदा ओर देवायतको फेरे लेनेके लीये केह दीया तो चंदा देवायतने अ‍ेक दुसरेका हाथ थाम लीया ओर धीरे धीरे चलते फेरे लेने लगे.. तब पुनम लता नीलम धिरेन लखन सब दोनोके उपर फुल बरसाने लगे.. चंदा आज बहुत खुस हो रहीथी.. ओर देवायतके पीछे धीरे धीरे हसती हुइ चल रहीथी.. फीर लास्ट फेरेमे बाबाने चंदाको आगे करदीया.. ओर दोनो फेरे लेने लगे.. ओर आखीर फेरे सम्पन हुअ‍े..
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तब नीलम धिरेनसे बीलकुल नजदिक खडीथी.. जब धिरेनने उनकी ओर देखातो नीलम सरमाकर उनके सामने हसने लगी.. तभी अचानक धिरेनने नीलहका हाथ पकडकर उनके साथ चीपकाकर खडा करदीया तब नीलम सरमसे पानीपानी होगइ ओर सरमाती धिरेनसे सटकर खडी होगइ.. आज पहेली बार नीलमको कीसी लडकेने इस तराह छुआथा.. तो वो खुब सरमाइ.. ओर उसे धिरेनकी इस हरकत अच्छीभी लगी..

तभी मंजुने बेगसे अ‍ेक मंगलसुत्र नीकालकर देवायतको थमा दीया.. तब देवायतने चंदाको मंगलसुत्र पहेना दीया ओर आखीरमे चंदाकी मांग भरदी.. तब चंदाके आंसु नीकल आये.. तो सृतीने हसते हुअ‍े उनके आंसु पोछ दीये.. ओर इसी तराह दोनोकी सादी संपन हुइ तब दोनोने पहेले मंरिमे फीर बाबाके आशीर्वाद लीये.. ओर दोनो भुमीकाके पैर छुने लगे तब भुमीकाने दोनोको पैर नही छुने दीया ओर दोनोके सर चुमते गले लगा लीया.. तो सरलानेभी वोही कीया.. ओर इसी तराह सादी संपन होगइ..

बाबा : (हसते) भानु.. चल तुभी आजा आज तेराभी कल्याण कर देते हे.. हें..हें..हें..

कहातो सभी हसने लगे तब भानु ओर रमाभी हसने हुअ‍े देवायत चंदाकी जगाहपे बेठ गये.. तब चंदा ओर सृती भुमीका सब सोक्ट होकर आस्चर्यसे भानु रमाकी ओर देखने लगे.. क्युकी इन लोगोको तो मालुमही नही थाकी भानु रमासे यानीकी उनकी मामीसे सादी करने वाला हे.. तब मंजुकी नजर उनकी छोटी बहेनकी ओर चली गइ तब उनकी आंख गीली होगइ थी.. तब मंजु सबकी नजर बचाते धीरेसे भावुके पास चली गइ.. जो सबसे थोडी दुर बेठकर बच्चीको दुध पीला रही थी.. तब मंजुको देखकर वो मुस्कराने लगी..

मंजुला : (उनके पास जाकर बेठते धीरेसे) भावु क्या हुआ..? क्या तुम इस सादीसे खुस नही हे..?

भावना : (अपने आंसु पोछते हसते) अरे नही नही.. दीदी अ‍ैसी कोइ बात नही हे.. मे बहुत खुस हु.. आप चीन्ता मत करो..

मंजुला : (हसते प्यारसे सरको सहेलाते) मेरी छोटी बहेनकोतो जुठ बोलनाभी नही आता.. क्या मुजको इतनी पराइ करदी की अपने दिलकी बात तक मुजसे केह नही पाइ..? हंम.. बहुत प्यार करतीहे मेरे देवुसे..?

भावना : (सकपकाते धीरेसे) नही नही.. दीदी.. वो.. वो.. अ‍ैसा कुछ भी नही हे.. आपको गलत फेहमी हुइ हे.. आपको कीसने कहा..?

मंजुला : (धीरेसे हसते) कोइ बात नही.. इस बारेमे अभी बात करना उचीत नही हे.. इस बारेमे हम दोनो फुरसतमे बात करेगे.. बस अभी जोभी हो रहा हे होने दे.. ओर इस सादीसे दुखी मत होना.. ये सबतो होनेही वालाथा.. अभी तेरी बडी दीदी जींदा हे.. मे सब ठीक करदुगी.. ओके..?

भावना : (हसते) जी.. दीदी.. लव यु.. बस हमारे मम्मी पापाको इस बातका पता ना चले..

मंजुला : तु उनकी चीन्ता मत कर.. मे सब सम्हाल लुगी.. वो कुछ नही कहेगे.. बस अपने बच्चे पालनेमे ध्यान दे.. क्युकी तु नही जानती आगे क्या होने वाला हे.. हम इस बारेमे बादमे बात करेगे.. अब चल सबके साथ बेठजा.. ओर हम सहेर जा रहे हे.. तुजे कुछ चाहीये..? हंम..

भावना : नही दीदी हम कलही सब खरीदी करके आयेहे.. सब लेलीया हे.. फीरभी कुछ चाहीयेतो मे आपसे केह दुगी.. (हसते) दीदी आज मौसी कीतनी खुस दीख रही हेनां..? मेने उनको इतनी खुस कभी नही देखा.. दीदी.. आपका दिल बहुत विशाोल हे.. कास मेभी आपकी तराह सोचती..

मंजुला : (हसते) हां अब मौसी मेरी सौतनजो होगइ हे.. तो खुसतो होगीनां.. हें..हें..हें.. तुभी खुस रहा कर..

दोनो बहेने बाते करके सबके पास आकर बेठ गइ.. तब लखन ओर लता दोनोही अ‍ेक दुसरेके साथ धीमी आवाजमे बाते कर रहेथे.. जीसे देखकर मंजुकी हसी नीकल गइ.. तब चंदा बच्चे (विजय)को लेकर आगइ ओर मंजुको थमाके उसे दुध पीलानेको कहेने लगी.. तो मंजु सारीका पलु डालके विजयको दुध पीलाने लगी.. तभी पुनमभी उनके पास आकर बैठ गइ.. तब इधर बाबा भानु ओर रमाको आहुती डलवाते मंत्र बोल रहेथे..

जब पुनम धिरेनके पाससे चली गइ तब धिरेनको नीलमसे बात करनेका पुरा मौका मील गया.. ओर नीलमके सामने देखकर हसने लगा.. तब नीलम सरमाकर हसने लगी.. ओर धिरेन उनके साथ सटकर खडा हो गया तब नीलम थोडा अन्कम्र्फोटेबल फील करने लगी.. तब धिरेनने नीलमको आंखोके इसारेसे भनु ओर उनकी मम्मी रमाकी ओर इसारा करदीया तब नीलम सरमाकर हसने लगी.. तब मौका देखतेही धिरेनने धीरेसे नीलमके कानमे कहा..

धिरेन : नीलु.. देख तेरी मम्मी आज सादीके जोडेमे कीतनी खुबसुरत लग रही हे.. बीलकुल तेरी तराह..

नीलम : (सरमाते हसते) जीजु.. आज इनकी सादी हे.. तो खुबसुरततो लेगेगीही.. हें..हें..हें..

धिरेन : (उनके कानमे) तो क्या तेरीभी इधर सादी हे..? तुमभीतो बहोत खुबसुरत लग रही हो.. हें..हें..हें..

नीलम : (सरमाते) धत्.. जीजु आप बहुत नोटी हो.. मेरीभी क्या सादीकी उमर हे..? मेतो अभी बहुत छोटी हु.. हें..हें..हें..

धिरेन : (धीरेसे कानमे) नीलु.. तुम इतनीभी छोटी नही हो.. अगर तुम मुजे पहेले मील गइ होती तो मे तुमसेही सादी करलेता.. तुम आज वाकइ बहुत खुबसुरत लग रही हो.. क्या मुजसे दोस्ती करोगी..?

नीलम : (सर्मसार होते धीरेसे) जीजु.. प्लीज.. अ‍ैसी बाते मत करो.. कोइ सुनलेगातो क्या कहेगे..

धिरेन : (धीरेसे कानमे) नीलु.. कोइ नही सुनेगा.. मे तुमसे दोस्ती करना चाहता हु.. मेरी दोस्ती कबुल करले..

नीलम : (सरमाते हसते) जीजु.. आप मेरे जीजाजी हे.. ओर जीजा सालीमेतो दोस्ती होतीही हे.. हें..हें..हें..

धिरेन : (धीरेसे) नीलु.. अब मे तुजे कैसे समजाउ.. मे कीस दोस्तीकी बात कर रहा हु.. तुम समजतीही नहीहो..

तभी लता नीलमको आवाज लगाती हेतो नीलम धिरेनके सामने हसती हुइ लताके पास चली जाती हे.. तब धिरेनभी उनको हसते हुअ‍े देखता रहा.. तभी कुछ देरके बाद दोनोके फेरे हुअ‍े ओर सादी संपन होगइ.. तबतक पुनम धिरेनके पास आकर उनसे बात करते उनकी बेंककी जोबके बारेमे सब जानकारीया लेने लगी.. ताकी वो देवायतको अपने घरपे मीलने की प्लानींग कर सके.. धिरेननेभी फीरसे पुनमका हाथ थामलीया..

दोनोही अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडके अभीभी बाते कर रहेथे.. तब पुनम बीच बीचमे देवायतकी ओर देखते मुस्कराने लगती थी.. तब देवायतभी समज गयाकी पुनम धिरेनसे बाते करते क्या खीचडी पकार रही हे.. तब उनको नही पताथाकी दो आंखे पुनमकी ओर धिरेनकी सब हरकतोपे ध्यान लगाये देख रही हे..

जीं..हां.. ये नीलम थी.. जो अभी अभी धिरेनसे बात करके लताके पास बैठीथी.. आज धिरेनके साथ बाते करते उनके दिलकी धडकन तेज हो गइथी.. उनकोतो पताही नही थाकी प्यार क्या होता हे.. वो टीनेजर थी ओर अभी अभी जवानीकी ओर कदम बढा रहीथी..

वो लगातार लखन लता ओर पुनम धिरेनपे नजर गडाये चारोकी हरकत देख रहीथी ओर जवानीके पाठ सीख रहीथी.. जब भानु ओर रमाकी सादी संपन होगइ तब दोनोने बाबा सरला ओर भुमीकाके पैर छुकर आशीर्वाद लीये.. फीर सभी मंदिरमे दर्शन करके होलकी ओर जाने लगे..

तबभी लता लखन ओर धिरेन पुनम आपसमे बाते करते जा रहेथे जैसे उन चारोको कीसीकी परवाह ही नही थी.. तब नीलम पुनम ओर धिरेनके साथ चलते दोनोकी बाते सुननेकी कोसीस करती रही.. आज उनको पहेलीबार पुनमसे ज्वेलेसी फील होने लगी.. वो पुनमकी जगाह धिरेनके साथ अपने आपको इमेजींग करने लगी.. ओर सब होलमे आगये..

तब बाबाने मंजु सृती ओर पुनमको अपने पास रोकते बाकी सबको भोजनके लीये भोजन खंडमे भेज दिया.. तब चंदाने मंजुके बच्चेको अपनी गोदमे लेलीया ओर सब भोजन करनेके लीये नीकल गये.. तब नीलम जटसे धिरेनके पास चली गइ ओर उनके साथ चलने लगी.. फीर उनकी ओर देखते हसते हुअ‍े साथमे चलने लगी.. आज उनको धिरेनका साथ बहुतही अच्छा लगने लगाथा.. लेकीन उनको पता नही थाकी आगे क्या होने वाला हे.. तभी..

बाबा : मंजु बेटा तुम ये दोनोको लेकर मेरे रुममे आजाओ तुम तीनोसे मुजे कुछ जरुरी बात करनी हे..

सृती : (हसते) बाबा.. क्या मेभी.. आजाउ..?

बाबा : (हसते) हां बेटा.. तुमसे भी कुछ जरुरी बात करनी हे.. तुभी आजा.. फीर तुम लोगभी भोजन कर लेना..

कहेके बाबा अपने रुममे चले गये.. तब पुनम ओर सृती आस्चर्यसे मंजुकी ओर देखने लगी तो मंजु हसती हुइ दोनोको अपने साथ चलनेका इसारा करते बाबाके रुमकी ओर जाने लगी.. तो सृती ओर पुनम अ‍ेक दुसरोके सामने आस्चर्यसे देखते मंजुके पीछे चलने लगी.. ओर तीनो बाबाके रुममे चली गइ तब मंजुने बाबाके रुमका दरवाजा धीरेसे बंघ करदीया.. तब बाबा अपनी खटीयापे बेठे थे.. वहा जाकर तीनो उनके चरणोके पास नीचे बैठ गइ.. ओर बाबाकी ओर प्रस्नार्थभरी नजरोसे देखने लगी..

बाबा : (हसते) हां डाक्टरनी साहब.. बोलो आपके मनमे क्या प्रस्न थे..? मेरी मंजु बेटीकी बाते सुनके तुम कुछ उलजनमे फस गइथी.. क्या ये सच हेनां..?

सृती : (हसते मंजुकी ओर देखते) जी.. जी बाबा.. ये कुछ बाते कर रही थी.. जो मुजे रहस्यमय लगी.. ओर मेने कुछ ओरभी देखा जो आजके जमानेमे मुमकीन नही हे.. क्या आजके जमानेमे अ‍ैसा कुछ हो सकता हे..?

बाबा : (हसते.. फीर थोडा गंभीर होते) बेटी.. तु जो कहेना चाहती हे मे सब समज गया.. मुजे अ‍ेक बात बता.. क्या तुमने वो हिमाचलके राजा.. ओर वो वहाके भव्य मंदिरके बारेमे कुछ सुना हे..?

सृती : (हसते) जी बाबा.. उनकी पुरी कहानी मे जानती हु.. ओर सायद अभीभी वो किताब मेरे घरपे हे..

बाबा : उनमे जो वो माइका केरेक्टर हे उनके बारेमे जानती हे..?

सृती : (हसते) जी.. वो पुजारीकी बीवी थी.. जो बादमे वो राजासे सादी करलेती हे.. सायद वोही सबकी जननी थी.. ओर वो अप्सरालोककी सबसे बडी रानी थी.. क्या उनकी ही बात कर रहे हेनां..?

बाबा : (हसते) हां वोही.. तुम बीलकुल ठीक समजी.. बस वोही सब लोग अ‍ेक खास मक्सदसे फीरसे वापस इस धरतीपे देवायतके घर जन्म लेने वाले हे.. अभी कुछ परीया ओर सबकी जनेता यहा जन्म लेचुकी हे.. जो तेरी खास सहेली हे.. मेरी मंजु बीटीया..

सृती : (सोक्ट होते आस्चर्यसे मंजुकी ओर देखते) क्या.. मंजु.. वो देवयानी.. अ‍ैसा कैसे हो सकता हे..?

पुनम : (आस्चर्यसे) बाबा.. क्या भाभी.. वोही देवयानीदेवी हेनां..? (तब मंजु सरमाते हस रही थी)

बाबा : (हसते) हां.. बीटीया.. क्युकी आज कुछ रहस्य आप तीनोको बताना जरुरी हे.. क्युकी आने वाले समयमे तुम तीनोको बहुत कुछ सम्हालना हे.. ओर वास्तवमे तुम तीनोही परीया हो.. मेरे देवायतकी बीवीया..

इतना सुनतेही सृतीको अ‍ेक ओर जटका लगा.. ओर वो पुनमकी ओर मुह फाडके देखती रही..

सृती : (आस्चर्यसे) बाबा.. हम तीनो.. मतलब.. में.. ओर पुनमभी..? पुनमतो उनकी बहेन हे.. नही नही.. मुजे कोइ गलत फेहमी हुइ हे.. अ‍ैसा नही हो सकता.. आजके जमानेमे ये सब कैसे पोसीबल हे..?

बाबा : (हसते) बेटी.. सब पोसीबल हे.. उन राजाकोभी कुछ ज्यादा साल नही हुआ.. उनकी पीढीया आजभी हिमाचलमे हे ओर वहा राज कर रहेहे.. तब वहा सब हो सकता हे तो फीर अभी यहा क्यु नही..? ओर उनकी सुरुआत देवायतसे तीन पीढी पहेले सुरु होगइ हे.. ओर सायद तुम्हारी मम्मीभी इस बारेमे कुछ बाते जानती हे.. कभी फुरसतमे उनसे पुछ लेना.. की देवायतके पीता ओर उनकी माता वास्तवमे कौन थे..

मंजुला : (हसते) बाबा.. क्या ये सब बाते करनेका वक्त आ गया हे..?

बाबा : हां.. मंजु बीटीया.. अब वक्त आगया हेकी मे तुम तीनोको सब सचाइसे वाकेफ करदु.. सीर्फ देवायतके माता पीता नही.. देवायतके दादा फीर उनके पीता ओर अब खुद देवायत उनकी बहेनोसे सादी कर चुका हे.. ओर देवायतनेतो उनकी दोनो बहेनसे सादी करली हे.. क्यु मंजु बीटीया ठीक कहानां मेने..? बस हम दोनोका मक्सद कुछ हद तक पुरा हो चुका हे.. इसीलीये मे आज तुमको ये बात खुलके बता रहा हु.. वरना मेरी मंजु बेटीतो सब जानती ही हे..

सृती : (आस्चर्यसे) बाबा.. इसका मतलब देवायत अपनी बहेन.. पुनमसे भी..

बाबा : हां बेटी.. अभी तुम तीनोको कुछ बाते अपने तक सीमीत रखके बाकीसे छुपाके रखनी हे.. मेरी मंजु बीटीया तुम दोनोको सबकुछ बता देगी.. बस ये बाते तुम दोनो अभी अपने तक सीमीत रखना..

सृती : (पुनमकी ओर दखते) जी बाबा.. आपनेतो हमे बडा जटका देदीया.. हें..हें..हें..

पुनम : (आस्चर्यसे सोक्ट होते धीरेसे सरमाते) बाबा आपने कहा दोनो बहेनसे.. मतलब.. मे कुछ समजी नही.. हम दो बहेन.. अ‍ेकतो में.. तो फीर दुसरी कौन..?

बाबा : (हसते) हां.. ये तेरी मंजु भाभी.. वास्तवमे तुम्हारी बडी बहेनही हे.. जो तुमको मंजु सब फुरसतमे बता देगी.. अभी ये सब बाते कहेनेका वक्त नही हे.. क्युकी तुम लोगोको जानाभी हे.. पुनम बेटा तुमने मेरा खुब साथ दिया हे.. कोइ ओर लडकी होतीतो ये काम करनेके लीये कतइ राजी नही होती.. जीस मक्सदसे तुमने तेरे भाइसे सादी कीहे वो काम हो चुका हे.. बस अ‍ेक बार सबसे छुपके इस डाक्टरनीको दीखा देना.. क्युकी आने वाले समयमे कुछही दिनोमे ये भी तुम दोनोकी सौतन होगी.. हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते आस्चर्यसे) बाबा.. ये आप क्या बोल रहे हे.. मे.. मे कैसे देवायतजीसे सादी कर सकती हु..? मेनेतो कभी इस बारेमे सोचाभी नही हे.. मुजेतो ये सब बाते बहुत अजीब लग रही हे..

मंजुला : (हसते सृतीके कंधेपे हाथ रखते) हां सृती.. बाबा सच केह रहे हे.. में ये बात सुरुसे ही जानती थी.. मेरे देवुकी अ‍ैसी कइ बीवीया होगी.. जो कीसीना कीसी मक्सदसे उनके साथ जुडेगी.. ओर कइओने उनको पीछले कइ जन्मोसे पानेकी कामनाभी कीथी.. इनमेसे तुमभी अ‍ेक हो..

ओर वो राजा मेरे देवुके बेटे विजयका ही अंस होगा.. जो इस घरतीपे खास मक्सदसे जन्म लेगा.. ओर हमारे घरमे मेरी ही कोखसे पैदा होकर राजा बनके आयेगा.. ओर उनके आगे कुछ कहेना अभी उचीत नही हे.. क्युकी तब तुम दोनो ही मौजुद होगी.. ओर अपनी आंखोसे सब देखोगी.. तुम दोनोको तब सब कुछ ज्ञात होजायेगा.. वो कैसे..? ये बात मे तुम दोनोको अभी नही बता सकती.. बस कुछ दिन इन्तजार करलो.. अभी मुजे सीर्फ इतना ही कहेना हे..

बाबा : बेटी.. आगे जाकर तुजेभी अ‍ेक बच्ची होगी.. वोभी तेरी तराह डाक्टरनी होगी.. तब उसे तु अपनी मम्मीकाही नाम देगी.. जो उस राजाको प्यार करते तेरीही तराह सबसे छुपकर उनकी बीवी होजायेगी.. ओर आगे जाकर तुमको अ‍ैसे कइ रीस्ते देखनेको मीलेगे.. तब तुम विचलीत नही होगी..

क्युकी उसी समय समाजमे बहुत कुछ बदलाव आचुका होगा.. ओर इस देवुके खानदानके संपर्कमे जीतनीभी ओरते लडकीया आयेगी ज्यादातर सब परीया ओर अप्सरायेही होगी.. जो उन राजाकी रानीया होगी.. तब सबकी डीलीवरी तुजे ओर तेरी बेटीको ही करनी पडेगी.. बस इनके आगे मे कुछ ओर नही बता सकता.. ओर तुजे कभीभी मनमे कुछ संचय हो तब तुम मेरी मंजु बेटीसे पुछ लेना.. वो तुजे सबकुछ बता देगी.. ओर ये बाते तुम तीनो अपने तक ही सीमीत रखना..

सृती : (अपना सर पकडते) ओह माय गोड.. बाबा आपनेतो मुजे जंजोरके रख दीया.. बाबा मे इन सब बातोपे विस्वास नही करतीथी.. लेकीन मंजुकी कुछ बाते ओर कुछ चीजे देखकर मे इन बातोको मानने मे विवस होगइ हु.. सायद आपजो कहे रहे हे वो बातेभी सच हो.. मुजेतो अभीभी ये सब अ‍ेक स्वप्नकी तराह लग रहा हे.. यकीनही नही होता..

बाबा : (हसते) बेटी.. कोइ स्वप्न नही हे.. जोभी कुछ हुआहे..ओर अभी जो हो रहा हे.. ओर आगे होने वाला हे.. वो सब होकरही रहेगा.. क्युकी ये सब प्रकृतीके हीसाबसे चल रहा हे.. इनमे आप सब लोग केवल अ‍ेक कठपुतलीकी तराह नीमीत मात्र हो.. वास्तवमे आप सभीका जीवन आपके होथोमे हेही नही.. ये सब कोइ ओरही चला रहा हे.. ओर मेभी सीर्फ आप लोगोके मागदर्शनके लीयेही इधर हु.. जो समय समयपे मुजे उनका मार्गदर्शन करते सब कार्य करवाना पडता हे.. वरना सोचो कोइ साधु महात्मा कीसी लडकीको उनके भाइसे सादी करनेको थोडीनां कहेता हे..

सृती : बाबा.. यहातो हम सभी अ‍ेक सभ्य समाजमे जी रहे हे.. तो क्या उनको रीस्तोकी कोइ अ‍ेहमीयत नही..?

बाबा : (हसते) बेटी.. वो दोनोके लोक बडा वीचीत्र हे.. वहा कोइ रीस्ते नाते नही होते.. बस.. सब अ‍ेक स्त्री.. ओर पुरुषकोही अ‍ेहमीयत देते हे.. वहा कोइ कीसी बहार वालोके साथ सादी नही करते.. ओर पता नही पीछले कइ जन्मोसे भाइ बहेनही अ‍ेक दुसरेको प्यार करते पती पत्नीके रुपमे मांगते हे..

वजह सीर्फ अ‍ेकही हे.. वो हे काम.. जो केवल अ‍ेक लडकी हो या ओरत चाहे रीस्तोमे उनकी कोइभी लगती हो.. वो सबमे सीर्फ स्त्री देखता हे.. ओर रती तुम सबमे विद्यमान हे जो कामको पुर्ण समर्पीत हे.... बाकी कुछभी नही.. ओर तुम सबलोग उन दोनोका ही अंस हो.. वो राजा.. ओर वो सबकी जननी.. ये मेरी मंजु बीटीया..

सृती : (सरमाते हसते) ठीक हे बाबा मे काफी हद तक समज गइ.. अब हमारा जीवन हमारे हाथोमे हेही नहीतो इस बारेमे ज्यादा क्या सोचना.. बस मनमे अ‍ेक भाव या डर लगा रहेता हे की हम कीसीको धोखातो नही देते.. बस इसीलीये आपको सब पुछ लीया..

मंजुला : (हसते) नही सृती कोइ धोखा नही हे.. जोभी कुछ हो रहा हे हमे होने देना हे.. बस मुजेतो इतना पता हे वो हम सबका बरोबर खयाल रखते सबको बरोबर न्याय देते हे.. हम सब उनसे खुस हे.. क्यु पुनो..

पुनम : (अ‍ेकदम सर्मसार होते हसते) जी.. भाभी आपने सही कहा.. हमे अ‍ैसाही लगता हे वो सबसे ज्यादा हमे प्यार करते हे.. ओर हम सबके मनमे उनके प्रती पुर्ण समर्पण भाव हे.. ओर हमंसा रहेगा..

बाबा : (हसते) अरे वाह.. मेरी बेटी तो काफी समजदार होगइ हे.. हें..हें..हें..

इतना सुनतेही तीनो हसने लगी.. तब पुनम सर्मसार होते सर नीचे करते हसने लगी.. आज बाबाकी बातोने सृतीको जंजोरके रख दीया.. ओर वो मंजु ओर पुनमको अपनी सौतनके रुपमे इमेंजीग करने लगी.. ओर उनके मनमे देवायतके लीये जो फीलींग्सथी वो काफी हद तक बढ गइ..

ओर उनको मनमे देवायतके वो पेन्टका उभार नजर आने लगा.. जो कभी मंजुकी बाते सुनते उनपे गोर कीयाथा.. ओर यही सब सोचते उनकी चुतमे हलचल तेज होगइ ओर चुत फडफडाने लगी.. उनकी देवायतके साथ संभोग करनेकी तडप बढने लगी.. बस यहीतो काम हे.. जो सबके दिलमे प्यारका बाण बरसाता रहेता हे..

मंजुला : (हसते) बाबा.. अब हमारे लीये अगला क्या आदेश हे..? क्या अब मे आपकी कसमसे मुक्त हो गइ..? हें..हें..हें..

बाबा : (हसते) हां बेटी.. तुम दोनोका जोभी कर्तव्य था ज्यादातर तुम दोनोने पुरा करलीया हे.. ओर कीसीको जरुरत पडे तो तुम दोनो सबको सचाइ बता सकती हो.. बाकी कुछ जानना होतो इधर आजाना.. अब तुम सब अपने संसारपे ध्यान देकर कार्यमे लग जाओ.. ताकी समय समयपे सब इस धरतीपे आ सके..

सृती : (सरमाते हसते) बाबा.. तो फीर अब मे क्या करु..? आजतो आपने मुजे हिलाकर रखदीया.. हें..हें..हें..

बाबा : (हसते) बेटी तुजे पता ही नही हे.. वो तेरा कीतना खयाल रखता हे.. बस कुछ ही दीनोमे तुम खुद उनसे सादी करलोगी.. क्या तुम्हारी होस्पीस्टल हे वो कीरायेपे हे..? क्या नाम हे उनका..?

सृती : (आस्चर्यसे मंजुकी ओर देखते हसते) जी.. बाबा.. दरसल वो हमारा ही पुराना मकान था.. जो देवायतजीने मम्मीके कहेनेपे कीसी बील्डरको अच्छे दामोसे बीकवाया था.. वोही जमीनपे अ‍ेक आलीसान बील्डींग बनी उसीमे देवायतजीमे हमे कीरायेपे दीलवा दीया.. ओर मेरी क्लीनीक मेरी मम्मीके नामसेही चल रही हे.. भुमीका क्लीनीक..

बाबा : (हसते) तो फीर तुमने बिल्डींगके नामपे कभी गौर नही कीया..? हें..हें..हें..

सृती : (जोरोसे हसते) अरे हां.. उनमे भी मेरी मम्मीका नामही आता हे.. भुमी.. हें..हें..हें..

बाबा : (हसते) बेटी तो उसीमे तुजे समज जाना चाहीयेथा.. खैर ये सब बाते अब अपने होने वाले पतीसे पुछ लेना.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते आस्चर्यसे मंजुकी ओर देखते) मतलब..? क्या..? हें..हें..हें.. मंजु तु इस बारेमे कुछ जानती हे..?

मंजुला : (जोरोसे हसते) अरे मुजे क्या पता.. तुम देवुसे ही सब पुछ लेना.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते) लेकीन बाबा मे बहुत कुछ समज गइ.. हें..हें..हें..

बाबा : (जोरोसे हसते) ठीक हे.. अब तुम तीनो जाओ भोजन करलो.. फीर आपको सहेरभी जाना हे..

मंजुला : (हसते खडी होते) जी बाबा.. सादीकी खरीदारी करने जाना हे.. आज्ञा दिजीये..

कहेते तीनो हसते हुअ‍े खडी होगइ ओर बाबाके पैर छुकर आपसमे हस हसके बाते करते बहारकी ओर जाने लगी.. ओर तीनोही खुस होकर हसती हुइ भोजन खंडकी ओर चली गइ.. तब वहा सब भोजन कर रहेथे.. तो तीनोभी सबके साथ बैठ गइ.. ओर सभी भोजन करने लगे..

तब भोजन करते सृती बार बार चोर नजरसे देवायतकी ओर देखते सरमाती रही.. अब देवायतमे उसे मंजुका पती नही.. पर खुदका पती नजर आ रहाथा.. तभी पुनमकी नजर धिरेनकी ओर चली गइ तो धिरेनके पास नीलक बैठीथी ओर दोनो हस हसकर धीरेसे बाते कर रहेथे.. जब सबने भोजन करलीया तब सभी होलमे आगये.. तब देवायत बाबाको मीलने ओर दक्षीणा देने उनके रुममे चला गया.. तभी....

कन्टीन्यु
 

dilavar

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aap ko kya lagta hai..? dhiren or nilam ka rilation hoga..? kya vandna devayat mil payegi..? ek or aurat devayat ko milneke liye tadap rahi he.. jo vakai bahut hi khubsurat hai.. jara sochakar koment me btado vo kon hai..
 

Mahesh007

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Abhi us aurat ka koi parichay nahi he so sorry
Nilam devayt me nahi dheran me intrested dikh rahi he ange ka pata nahi
 
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