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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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Mahesh007

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Sandar update punam ko sabhi saktiya manju milgay jo baki he bo bhi milhijayegi
Vandana ka nam nahi liya iska koi alag to nahi ya bad me punam hi vandana koilbayegi jesa last meanju ne nam liya
 
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dilavar

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Sandar update punam ko sabhi saktiya manju milgay jo baki he bo bhi milhijayegi
Vandana ka nam nahi liya iska koi alag to nahi ya bad me punam hi vandana koilbayegi jesa last meanju ne nam liya
bhai sirf vanda hi hahi abhito bahut kuchh baki hai or muje stori ko bhi aage badhana hai bus paheli prathmikta punam ki sadi hojaye
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ९९

तब दोनोही अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे चीपकते सो जाती हे.. तब बाजुके रुममे चंदाभी पुरी रात देवायतके नीचे लेटकर चुदवाते थककर चकनाचुर हो चुकीथी.. वो देवायतके बालो ओर पीठ सहेलाती कब नींदकी आगोसमे चली गइ उनको पताही नही चला.. तब देवायतभी अभी तक उनकी चुतमे लंड डालके चंदाके सीनेपे सर रखके सो चुकाथा.. दोनो अनुभुतीमे पुरी रात चुदाइ करते रहे.. जीनकी वजहसे दोनोही थकके सो चुकेथे.. तब गांवमेभी जब सबको होंस आया तब सब फटाफट अपनी जगाह जाकर सोने लगे.. तब ओरते ओर लडकीयाभी महा मुस्कीलसे चलके अपने रुममे जाकर सोगइ....अब आगे

आज सुबहका सुरज नीकला तब अ‍ेक नइ रोसनी ओर नइ उर्जा लेकर नीकला.. आज गांवमे सबकुछ बदल चुकाथा.. आज सभी बहुत देरसे उठे.. तब कीसीको नही पताथाकी आने वाले समयमे गांवमे रीस्तोकी अ‍ेक नइ परंपराकी नीव लग चुकी हे.. कीतनी ओरते ओर लडकीयोके उदर मे अपने यारका बीज स्थापीत हो चुका हे.. गांवमे पुरी रात चुदाइकी वजहसे कीसीको नही पताथा की वो अपने यारसे प्रेगनेन्ट हो चुकी हे..

जब चंदाकी आंख देरसे खुली तब देवायत अभीभी उनकी चुतमे लंड डालके पडाथा.. तब चंदा खुब सरमाइ ओर देवायतको अपने उपरसे हटानेकी कोसीस करने लगी तब देवायतने आंख खोलकर देखाकी वो अभीभी चंदाके उपर कैसे सोया हुआ हे.. तब चंदाको देखतेही उनका लंड फीरसे तन गया.. ओर चुतके अंदरही जटके मारने लगा.. तब चंदा अपनी चुतमे लंडकी हलचल होतेही खुब सरमाइ ओर देवायतसे नजरे चुराने लगी.. ओर सरमाते धीरेसे कहेने लगी..

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चंदा : (सरमाते धीरेसे) देवु.. बहुत वजन लग रहा हे.. अब उपरसे हटोना.. आप पुरी रात अ‍ैसेही पडे हे.. मुजेतो आज आपने थका दीया.. कुछ पताही नहीथा की आप कीतनी देर तक करते रहे.. मेतो बेहोसीकी हालतमे चली गइ थी.. जानु अ‍ैसा लगता हे आप पुरी रात अ‍ैसेही अंदर डालके मुजे चोदते रहे हो..

देवायत : (गाल चुमते) अरे.. चंदा अब तुम मेरी बीवी हो.. ओर कल हमारी सुहागरात थी.. तो क्या मे तुजे छोडता..? अबतो हमारी हर रात अ‍ैसेही होगी..

चंदा : (सर्मसार होते) देवु आप पुरी रात मेरी बजाते रहे.. अभी भी जी नही भरा..? देखोना अभीभी आपका अंदर उछल कुद कर रहा हे.. मुजेतो चोद चोदके थका दीया.. अब हटीयेना उपरसे.. मंजु जाग गइ होगी..

देवायत : (हसते) बस अ‍ेक बार मेरी इस खुबसुरत बीवीको अच्छेसे गुडमोर्नींग करलु.. हें..हें..हें..

चंदा : (सरमाते हसते सीनेमे अ‍ेक मुका मारते) क्या गुड मोर्नींग करलु..? अरे बाबा नीचे बहुत दर्द कर रहा हे.. पुरी राततो मुजे चोदते रहे.. अब कीतनी चुदाइ करनी हे.. इतना तो आपने मुजे कभी नही चोदा.. सारी कशर अ‍ेकही रातमे पुरी करली.. क्या अभीभी आपका जी नही भरा..? अब मुजे हीलनेकी भी ताकात नही हे.. आप कीतना जोसमे चोदते हो.. हमारीतो हालतही खराब कर देते हो..

देवायत : (कमर हीलाते) अरे बस अ‍ेक बार.. फीर मे तुजे बाथरुममे ले चलता हु.. फीर आराम करती रहेनां..

कहेते देवायत चंदाको धीरे धीरे कमर हीलाते चोदने लगा तब चंदाभी समज गइकी उनका पती अब उसे चोदे बगैर मानने वाला नही हे.. तो वोभी देवायतकी पीठ सहेलाते फीरसे गरम होने लगी ओर देवायतका साथ देने लगी.. अ‍ेक बार फीर दोनोके बीच धमासान चुदाइ होने लगी..

25039
तब देवायत हाथके बल उचा होकर चंदाको जोरोसे कमर हिलाते चोदता रहा.. ओर चंदाभी देवायतके हर धकेको आहे भरते जेलती रही.. देवायतने सुबहभी चंदाको दो बार जडा दीया.. ओर आखीर दोनोही अ‍ेक दुसरेसे चीपक गये ओर साथमे जड गये..
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तब देवायत जटसे चंदाके उपरसे हट गया.. तो चंदा अ‍ैसेही बेसुध जैसी हालतमे पडी रही.. उनकी चुतसे दोनोका कामरस बहेते नीचे बेडपे गीरने लगा.. तब देवायतने उनकी कमरमे हाथ डालके चंदाको गोदमे उठालीया ओर बाथरुमकी ओर चल पडा.. ओर अंदर जातेही चंदाको कमोडपे बीठा दीया ओर पहेले उनकी चुतकी सीकाइ करदी.. फीर दोनोने नहालीया तब देवायत फीरसे चंदाको गोदमे बहार लेकर आ गया.. ओर चंदाको अ‍ेक खुरसीपे बीठाकर चदरको चेन्ज करलीया तबतक चंदा देवायतको देखती ही रही..

बादमे देवायतने चंदाको उठाकर बेडपे सुला दीया.. ओर उनके उपर चदर डालके जैसेही जानेके लीये पलटा चंदाने फोरन देवायतका हाथ पकडलीया ओर उसे खीचकर अपने सीनेसे लगा लीया.. ओर चंदा देवायतको सीनेसे लगाकर लगातार थेन्कयु थेन्कयु कहे जा रहीथी.. आखीर देवायत सीसेके सामने जाकर तैयार होने लगा.. तभी उनके रुमका दरवाजा कीसीने खटखटाया.. तब देवायत समज गया ओर स्माइल कते दरवाजा खोलता हे..

तब सामने मंजु तैयार होकर मुस्कराते खडीथी.. जैसेही देवायतने दरवाजा खोला वो देवायतको हसते हुअ‍े धका मारके अंदर चली गइ ओर बेडके पास जाकर चंदाकी हालत देखने लगी.. ओर जोरोसे हस पडी.. तब देवायतभी वापस दरवाजा बंध करते हसते हुअ‍े मंजुकी ओर देखता रहा.. तब चंदा आंख बंध करते बेहोसी जैसी हालतमे पडी थी..

तभी मंजु मुस्कराते अपने दांत पीसते जुठे गुसेसे देवायतको मारनेके लीये उनके पीछे दोडने लगी.. तो देवायतभी हसते हुअ‍े बेडके आस पास चकर लगाता रहा.. ओर आखीर हसते हुअ‍े रुक गया.. ओर मंजुको अपनी बाहोमे पकड लीया तब मंजु देवायतकी बाहोमे आतेही उनके सीनेमे मुके मारते हसने लगी.. तो देवायतनेभी मंजुको जोरोसे बाहोमे भीचलीया.. तब मंजु आउच.. करते हसने लगी..

vishwa
मंजुला : (हसते) जानु आपने मौसीकीतो हालतही खराब करदी.. दोनोने कीतनी बार कीया..? कहा तक जागे थे..? देखो बेचारी अभीभी बेहोस होकर पडी हे.. कुछतो उनपे रहेम करते.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते मंजुका सर चुमते) मंजु अभीतो हमने सीर्फ दो बारही कीयाथा.. फीर पता नही हमे क्या हो गया.. चुदाइ करते करते हम दोनोही नींदकी आगोसमे चले गये.. जैसे कोइ स्वर्गमे चले गये हो.. ओर मेने आज अ‍ेक अदभुत स्वप्न देखा.. जैसे मे अ‍ेक राजा हु ओर आप सभी मेरी रानीया हो.. फीरतो हम सुबह ही उठे तब अ‍ेक बार सुबह कीया.. ओर हमने नहालीया.. इनको सुलाके मे तैयार हो रहाथा तभी तुम आगइ.. हें..हें..हें..

मंजुला : (मंजु देवायतको अनुभुतीकी बात अभी कहेना नही चाहतीथी) ठीक हे ठीक हे.. जानु आप फटाफट तैयार होजाओ आपको लता नीलुको उनके घर छोडने जाना हे.. फीर सरलामौसीसे सादीकी सब बात करके सीधेही मम्मीके घर चले जाना.. ओर मम्मी पापा आनेके लीये आनाकानी करे तो मुजसे फोनपे बात करवाना.. उन दोनोको यही लेकर आना हे.. अब सादी तक दोनो यही रहेगे..

देवायत : (हसते होठोपे कीस करते) हां मेरी डार्लींग अब तु जो कहेगी वोही करना हे.. ओर कोइ हुकुम..?

मंजुला : (हसते सीनेमे मुका मारते धीरेसे कानमे) देवु.. रातमे पुनोको उल्टी हुइ हे.. सी इस प्रेगनेन्ट.. बस इस बात अभी सबसे छुपाके रखनी हे.. फीर आप आओ तब हम आरामसे बाते करेगे.. अभी मौसी ओर पुनोको आराम करने दो.. चलो दयाने सब रेडी रखा हे ओर वो लता नीलु दोनो भी तैयार होकर बैठी हे.. चलीये.. मे आपको कपडे देती हु..

कहेते मंजु देवायतकी बाहोसे छुटकर अलमारीसे देवायतको कपडे नीकालकर देती हे ओर बहार चली जाती हे तब देवायत फटाफट तैयार होगया ओर बहार आकर डाइनींगपे बेठ गया.. तब दया देवायतकी ओर कामुक मुस्कान करते उसे चाइ नास्ता देती हे.. तब साथमे मंजु लता ओर नीलमभी चाइ नास्ता करने बैठ गइ.. तब लता चाइ नास्ता करते चोर नजरसे देवायतके पेन्टके उभारकी ओर देखती रहेती हे..

लता इस पेन्टके उभारमे छुपे हुअ‍े लंडको कइ बार अपनी आंखोसे देख चुकी हे.. जबभी देवायत अपनी मां सरलाकी चुदाइ करने आता.. वो छुपकेसे घरके आंगनसे होते कमरेके पीछे दबे पांव चली जाती.. ओर खीडकीसे दोनोकी चुदाइ देखती रहेती.. जब दोनोकी चुदाइ देखती तबतक वो वहा अपनी चुतको सहेलाती रहेती.. फीर चुदाइ खत्म होतेही वो जटसे बाथरुममे घुस जाती..

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ओर देवायतको इमेजींग करते अपनी चुतमे उंगली डालकर अपने आपको सांत करती.. फीर आरामसे हसती हुइ वापस अपने रुममे आजाती.. वो अपने रुमसे दरवाजेके छेदसे अपने भाइ भाभीको चोदते देखकर भी भानुके लंडका दीदार कर चुकी थी.. जीनकी वजहसे लखनके साथ सगाइ होतेही वो लखनसे सादीसे पहेलेही चुदवानेका मन बना चुकी थी.. ओर नतीजेके फल स्वरुप खुद लखनके लंडसे कइ बार चुदवा चुकी..

लताने तीन तीन लंडके दिदार कीयाथा.. इनमे सबसे ज्यादा दमदार ओर तगडा मोटा उसे देवायतका लंड लगा.. ओर तबसे उनका पसंदीदा लंड देवायतका लंड था.. जबभी देवायतके सामने जाती.. वो देवायतके पेन्टके उभारको देखे बगैर नही रेहती.. लेकीन अब देवायत उनके जेठजी थे.. फीरभी देवायतके सामने आतेही वो सबकुछ भुलकर देवायतके लंडकी ओर घुरते हुअ‍े देखती रहेती.. आजभी वो देवायतके पेन्टके उभारको देखती हे तब उसे नीलमने घुरते हुअ‍े देखलीया..

तब नीलमभी सरमाते लताकी ओर देखकर मुस्कराती रहेती हे.. सब चाइ नास्ता करते हे तब नास्ता करते मंजु लतासे बाते करती हे ओर सबको सादीके तीन दिन पहेलेही आनेकी बात करती हे.. ओर सबने चाइ नास्ता करलीया तब देवायत कारकी ओर चला गया.. तो लता ओर नीलम अपने सामानकी केरी बेग लेकर कारमे बेठने लगी.. दोनोही पीछे बेठ गइ तब मंजु उनको कार तक छोडने आइ ओर बाते करती रही..

तब देवायत कार लेकर नीकल गया.. तो मंजु फटाफट चंदाके पास रुममे चली गइ ओर दरवाजा बंध करके बेडकी ओर चली गइ.. फीर बेडपे बैठकर धीरेसे चंदाका पेटीकोट उठाकर देखने लगी.. तो चंदाकी चुत सुजके पांव जैसी होगइ थी.. ओर पुरी लाल लाल दीख रहीथी तब मंजुको समजनेमे देर नही लगीकी देवु पुरी रात चंदाको चोद चुका हे.. ओर वो येभी जानतीथी की ये सब उस अनुभुतीकी वजहसे हुआ हे..

फीर मंजु चंदाके कपडे सही करके उनपे कंबल डाल देती हे ओर बहार आकर दरवाजा बंध कर देती हे फीर वो पुनमके पास चली जाती हे तब पुनमभी घोडे बेचकर सो रही थी.. ओर मंजु बच्चेको लेकर बेडके कोनेमे बेठ जाती हे ओर अपना ब्लाउस उचा करके विजयको दुध पीलाने लगती हे.. दया सब काम नीपटाने लगती हे तो रजीया जाडु पोछा लेकर उपरकी ओर जाने लगती हे तब दया उनके पास जाकर रोकती हे..

दया : (धीरेसे) रजीया.. जाडु पोछा लगाकर सीधी नीचे ही आजाना.. तु आगसे खेल रही हे.. आज कल तु जो खेल खेल रही हेनां.. मुजे सब पता हे.. याद रखना उनकी कुछ ही दिनोमे सादी होने वाली हे.. अगर तु फस गइतो कहीकी नही रहेगी.. कीतनोको नीदकी गोली पीलाती रहेगी..

रजीया : (गभराते गांड फटगइ) जी.. जी.. दया.. वो..वो.. मे..मे..तो जाडु पोछा लगाने जाती हु..

दया : (कातील मुस्कानसे धीरेसे) हां हां.. पता हे कहा जाडु पोछा लगाने जाती हे.. क्या तु हमारे बडे मालीकसे संतुस्ट नही हे..? वो हम दोनोका खयाल तो रखते हे.. ओर मेने मालीकसे हम दोनोके बारेमे बातभी करली हे.. तो फीर तुजे कीस बातकी जल्दी हे..? बस मुजे तुजे आगाह करना था करदीया.. बाकी तु जाने.. ओर तेरा काम.. जा.. फटाफट काम नीपटाले..

कहेते दया रजीयाकी ओर कातील मुस्कान करते कीचनमे चली गइ.. तब रजीया उनको मुह फाडके देखती ही रही.. मानो उनकी कोइ बडी चोरी पकडी गइ हो.. उनको पताही नही चलाकी उनके ओर लखनके नाजायज रीस्तोके बारेमे दयाको कैसे पता चल गया..? फीर वोभी भारी मनसे उपरकी ओर धीरे धीरे जाने लगी.. उनको लगताथा की उनके ओर लखनके बारेमे कीसीको पता नही हे.. लेकीन दयाको ये सब कैसे मालुम हुआ..?

मे पता लगाकर ही रहुगी यही सब सोचते वो उपरके सभी रुममे साफ सफाइ करने लगी.. ओर काम करते उनकी आंख गीली होने लगी.. उनको अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा.. ओर यहासे उसे नीकाल दियातो वो कहा जायेगी..? उनके मनमे यही सब सवालोका धमासान युध्ध हो रहाथा.. ओर वो आंसु बहाते काम करती रही.. जब लखनके रुममे जानेकी बारी आइ तब उनके दिलकी धडकन तेज होगइ.. आज पहेली बार लखनके रुममे जानेके लीये उनके पाव डग मगाने लगे..

जब कोइ रुममे होता हे तब आमतोरपे उनको रुममे जानेकी इजाजत नही थी.. लेकीन लखननेही रजीयाको अपने रुममे बीना परमीसन आनेकी छुट दे रखीथी.. तब आज पहेली बार वो डरते डरते लखनके रुममे चली गइ.. तब लखन बाथरुममे नहा रहाथा.. ओर रजीया चुपचाप जाडु पोछा लगाने लगी.. तभी लखन नहाकर बहार नीकला ओर उसने रजीयाको जाडु पोछा लगाते देख लीया..

तब उनके चहेरेपे कातील मु्सकान आगइ.. ओर वो दरवाजेकी ओर जाने लगा तब रजीया उनको भारी धडकनसे देखती रही.. तभी लखन दरवाजा बंध करके रजीयाकी ओर बढने लगा तब रजीया जाडु पोछा छोडके जटसे खडी होगइ ओर गभराते दो कदम पीछे हटते लखनकी ओर देखती रही.. आज पहेलीबार उसे लखनसे डर लगने लगा.. ओर लखनने आतेही रजीयाको अपनी बाहोमे भरलीया ओर उनके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगा.. लेकीन आज रजीया गभराते खीडकीकी ओर देखती यंत्रवत खडी रही..

लखन : (हसते) डार्लींग क्या हुआ.. अ‍ैसे क्यु गभरा रही हे..? कुछ हुआ क्या..?

रजीया : (आंसु बहाते लखनकी बाहोसे छुटनेकी कोसीस करते धीरेसे) लखनभैया प्लीज.. छोडदो.. वो.. वो.. दया.. छोडदीजीये मुजे..

लखन : (उनको छोडके खीडकीकी ओर देखते) रजीया..? क्या हुआ तु इतनी क्यु गभराइ हुइ हे..? वहा खीडकीमे क्या देख रही हे..? कीसीने तुजे कुछ कहा क्या..? ओर दया.. क्या..?

रजीया : (सरमाते आंखमे आंसुके साथ धीरेसे) लखनभैया वो.. वो.. हमारे बारेमे दयाको सब पता चल गया हे.., मे कहीकी नही रहुगी.. प्लीज मुजे जानेदो.. दया अभी आती ही होगी.. मे बरबाद होजाउगी.. तो कहा जाउगी.. (आंसु बहाते रोने लगी)

लखन : (बाहोमे लेकर रजीयाके आंसु पोछते) रजीया तु मत गभरा मे तेरे साथ हु.. अगर तुजे कीसीने कुछ कहातो मेभी तुम्हारे साथ चलुगा.. मे तुजे सचमे प्यार करता हु.. हम दोनो सादी कर लेगे.. चुप होजा.. तु मेरी बीवी हे.. मेने तुजे सचे दीलसे अपनी पत्नी माना हे.. बस चुप होजा तुजे मेरी कसम हे..

रजीया : नही लखनभैया.. अ‍ैसी गलती मत करना अभी आपकी सादी होनेवाली हे.. मे नही चाहती मेरी वजहसे इस हवेलीमे कोइ हंगामा हो.. वरना मुजे ये हवेली छोडके जाना पडेगा.. प्लीज.. मुजे छोडदो.. ओर मतदो अपनी कसम.. मेभी आपको सचा प्यार करती हु..

रजीया बहुतही गभराइ हुइथी.. ओर लखनकोभी उनपे दया आगइ ओर उसने रजीयाको छोड दीया.. तब रजीया फटाफट जाडु पोछा लेकर अपने आंसु पोछते नीचे चली गइ.. तब लखनकोभी रजीयापे तरस आने लगी.. ओर उसने इस बारेमे दयासे बात करनेका फैसला करलीया.. ओर वोभी तैयार होने लगा.. तब नीचेकी ओर रजीया जाडु पोछा रखकर सीधेही आंसु बहाते दोडकर अपने रुममे चली गइ.. तब उनकी सब हरकत दो आंखे देख रही थी..

रजीया बेडपे पेटके बल लेटकर तकीयामे मुह छुपाकर जोरोसे रोने लगी.. तभी उनकी पीठपे कीसीका हाथ महेसुस हुआ तब रजीयाने आंख पोछते पीछे मुह घुमाते देखा तो दया उनके पास बेडपे बैठकर उनकी पीठ सहेला रहीथी तब रजीया बेडपे बैठ गइ ओर दयासे लीपटकर फीरसे रोने लगी.. दयाने उसे थोडी देर रोने दीया तबतक वो उनकी पीठ सहेलाती रही फीर रजीयाको बाहोसे अलग करदीया.. ओर उनका दोनो हाथ पकडके कहा..

दया : (धीरेसे) रजीया आइ अ‍ेम सोरी.. मुजे नही पताथाकी तुम दोनो इतना आगे बढ चुके हो.. लेकीन सोच हम दोनो बहुत छोटे लोग हे.. हमतो मालीककी ओर हमारी जीस्मानी आगको ठंडी कर सकती हे.. हमारी क्या ओकात की हम मालीकसे प्यार करे..

रजीया : (आंसु बहाते धीरेसे) दया.. मे क्या करु..? पहेली बार उसने मेरे साथ जबरदस्तीसे कीया.. फीरतो आये दीन मुजे बुलाने लगे ओर मुजेभी अच्छा लगने लगा.. फीरतो पताही नही चला हम दोनोके बीच कब प्यार होगया.. वोभी मुजे बहुत चाहते हे.. ओर मुजसे सादी करनेकी बात करते हे तो मे क्या करु..? अब तुही बता.. मेभी उनको बहुत चाहने लगी हु.. मे उनके बगैर नही रेह सकती.. ओर वोभी मुजे बार बार सादीका फोर्स कर रहे हे.. मे क्या करु..? मे.. क्या.. करु....? (जोरोे रोने लगती हे..)

दया : (हाथ पकडके समजाते) रजीया.. हमतो यहा नौकरानी हे.. हमे प्यार करनेका कोइ हक नही हे.. येतो अच्छा हे बडे मालीक ओर मालकीन हमारी जरुरतको समजते हे.. ओर मालीक हमारे तनकी प्यास बुजाते हे.. वरना सोच हम क्या करती..? कीतने भेडीये इस गांवमे घुम रहे हे.. हमतो सबकी रंडी बनके रेह जाती.. अच्छा हे मालीककी वजहसे हमारी ओर कोइ आंख उठाके भी नही देखता.. वरना सोच में अ‍ेक विधवा ओर तु त्यक्ता.. हमारी हालत क्या होती.. हम कहा जाती..? तो हम मालीकको धोखा कैसे दे सकते हे..

रजीया : (धीरेसे) दया मुजे सब पता हे.. मालीकने हम दोनोका बहुत खयाल रखा हे.. तो क्या हमे कीसीसे प्यार करनेकाभी हक नही हे..? तो कमसे कम हम दोनोको अ‍ेक बच्चाही दे देते.. हम उसीके सहारे हमारी जींदगी जी लेते.. वो हमे बच्चा क्यु नही देते..? मुजे लखनभैयाने वादा कीया हे.. वो मुजे बच्चाभी देगे ओर उनका नामभी देगे.. तो मे क्या करती..? मे अपने आपको अब लखनभैयाको पुरी समर्पीत कर चुकी हु..

दया : (रजीयाके दोनो हाथ पकडते उनकी आंखोमे देखते धीरेसे) रजीया मुजे पुरी बात बताओ तुम दोनो कहा तक आगे बढे हो..?

रजीया : (नजर जुकाते धीरेसे) दया वो.. वो.. लखनभैया मेरी मांग भरचुके हे.. अ‍ेक दिन हवेलीमे कोइ नही था.. तब मे उनके कहेनेसे मेरे पास पडे सादीके जोडेमे चली गइ.. ओर उसी दीन मेरी मांग भरदी ओर हमने पुरी रात हमारी सुहागरात भी मनाइ.. तो अब तुही बता मे उनके बगैर कैसे रेह सकती हु.. बस मुजे उनकी सादी तक इन्तजार करनेको कहा हे.. फीर वो खुद बडे मालीकसे हम दोनोकी बात करने वाले हे..

दया : (सोक्ट होते धीरेसे) रजीया.. पागल होगइ हो क्या..? ये बात तु अभी सबसे छुपाले.. कीसीके सामने अपना मुह मत खोलना.. अभी लखनभैयाकी सादी हे तबतक तुम चुप रहेना.. अभी चल बहार.. सब काम पडा हे हम इस बारेमे रातमे आरामसे बात करेगे.. इसके बारेमे बाद मे सोचेगे.. तबतक कीसीको पता नही चलना चाहीये.. समजी..? तभी..

मंजुला : (दरवाजेके पास खडी रहेते) पता चलना नही चाहीये.. नही.. पता चल गया हे..

कहेते दरवाजा बंध करते दोनोकी ओर आती हे.. तब दया ओर रजीया मुह फाडके उनकी ओर गभराते हुअ‍े देखती ही रेह गइ.. दया ओर रजीया दोनोकी गांड फटने लगी.. उनको उमीद नही थी.. की मंजु कभी उनके रुममे आजायेगी.. तब मंजु धीरेसे बेडपे उन दोनोके पास आकर बेठ गइ.. ओर मुस्कुराते दोनोकी ओर देखती रही.. तो रजीया ओर दया दोनोही गभराते नजर जुकाते खामोस बैठी रही..

दया : (गांड फटते गभराते) दी..दी.. वो.. वो.. आ..प.. इधर..?

मंजुला : (हसते) हां.. तो मे इधर नही आ सकती..? ओर तुम दोनो इतनी गभराइ हुइ क्यु हो..? मे कोइ भुत नही हु.. मुजेतो तुमसे कामथा तो तुजे ढुंढते इधर आगइ.. ओर अच्छा हुआ में इधर आगइ.. ताकी मुजे पतातो चलाकी मेरे घरमे सब क्या हो रहा हे.. वरना मुजे कभीभी इस बातका पताही नही चलता..

दया : (गभरराते) दीदी.. वो.. वो.. में रजीयाको यही समजा रहीथी.. इसमे इनकी कोइ गलती नही हे..

मंजुला : (प्यारसे रजीयाके सरमे हाथ घुमाते) अरे इतना क्यु गभरा रहीहो.. मुजेतो पताही नही थाकी मेरी देवरानी हमारे घरमे नोकरानी बनके काम कर रही हे.. ओर हमने तो आप दोनोको कभी नौकर समजाही नही हे.. मेरे लखनको बहुत प्यार करती हे..?
रजीया : (सरमाते नजर जुकाते) मालकीन.. आइ अ‍ेम सोरी.. मुजे बस अ‍ेक बार माफ करदो.. मे वादा करती हु आइन्दा अ‍ैसी गलती कभी नही होगी.. वरना में कहीकी नही रहुगी.. (आंसु बहाते रोने लगी)

कहेते रजीया रोते हुअ‍े बेडसे उतरकर मंजुके पैर पडने लगती हे तब मंजु उसे हसते हुअ‍े कंधेसे पकडकर खडा कर देती हे ओर अपने पास बीठा देती हे.. फीर रजीयाके आंसु अपनी साडीके पलुसे पोछते प्यारसे रजीयाके सरको सहेलाती हे.. तब रजीया सरमके मारे नजरे जुकाते मंजुके पास बैठ जाती हे तो दयाभी मंजुकी ओर मुह फाडके देखती रहेती हे.. तब मंजुने कहा..

मंजुला : रजीया तुम गभराओ नही तुजे कुछ भी होने वाला नही.. ओर मे तुमसे नाराज भी नही हु.. मेने तुम दोनोकी पुरी बात सुनली हे.. अगर लखनभैयाभी तुमको चाहता हेतो मे तुमको तुम्हारा हक दीलवाउगी.. बस अ‍ेक बार मेरे लखनकी सादी होजानेदो.. पता नही लताका स्वभाव कैसा होगा.. फीर मे खुद लखनसे इस बारेमे बात करुगी.. अगर वोभी तुजे प्यार करता हेतो मे खुद तुम दोनोकी सादी करवा दुगी..

दया : (धीरेसे) दीदी.. ये आप क्या केह रही हे..? क्या बडे मालीक इस बातके लीये मानेगे..? हमतो नौकरानी हे.. अ‍ेक नौकरानीसे सादी..?

मंजुला : (हसते) दया हमने आजतक तुम दोनोको अपनी नौकरानी कभी नही समजा.. ओर तुम दोनो क्यु अपने आपको छोटी जात समजती हो..? क्या तुमको प्यार करनेका हक नही हे..? ओर कमसे कम मेतो उच नीच जातको कभी नही मानती.. बस तुम दोनोको अ‍ेक ही बिनंती हे.. सादी तक जैसा चल रहा हे चलने दो..

रजीया : मालकीन आप यकीन कीजीये इस बातकी सुरुआत मैने नही कीथी.. बस अ‍ेक दिन लखनभैयाने मेरे साथ..

मंजुला : (हसते) रजीया मेने तुम दोनोकी पुरी बात सुनी हे.. ओर मुजे पता हे इनमे गलती तेरी नही हे.. बस ये साली आगही कुछ अ‍ैसी हे.. फीर चाहे वो पुरुषकी हो या हम स्त्रीओकी.. हम सब प्रकृतीसे बंधे हुअ‍े हे.. बस कीसीपे दिल आजाना चाहीये.. फीर चाहे आपसमे कोइभी रीस्ता क्यु ना हो.. दोनो मीलकरही रहेते हे.. ओर अब ये मुजे मालकीन कहेना बंध करदे.. अबतो तुम मेरी देवरानी हो.. मुजेही नही सबको दीदी कहेके बुला वरना खुब पीटुगी.. हें..हें..हें..

रजीया : (सरमाते हसते) जी मालकी.. ओर सोरी सोरी.. दीदी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (खडी होते) चलो तुम दोनो अपने कामपे लग जाओ.. अब तुजे तेरा हक दीलवानेकी जीम्वेवारी मेरी.. इस बारेमे हम अब सादीके बाद ही बात करेगे.. ओर दया.. तुम कभी हमारी नौकरानी नही हो सकती.. इस बारेमे हम कभी फुरसतमे बात करेगे.. ओके..?

दया : (हसते) जी दीदी.. हमतो आपको यहा देखकर गभरा गइ थी.. हें..हें..हें..

तभी तीनोही हसते हुअ‍े बहार आगइ.. तब लखन डाइनींगपे बेठा चाइ नास्तेका इन्तजार कर रहाथा तब मंजु उनके सामने हसते हुअ‍े पुनमके पास चली गइ.. तो दयाभी लखनकी ओर हलती हुइ कीचनमे लगी गइ तब उनके पीछे रजीयाभी लखनको देखतेही सरमाते हसने लगी ओर वोभी नजर जुकाते कीचनमे चली गइ तब लखनको कुछ समजमे नही आयाकी सब उनके सामने देखकर क्यु हस रही हे.. सब क्या हो रहा हे..

दया : (हसते धीरेसे मजाकमें) रजु.. जा अपने पतीको चाइनास्ता करादे.. बेचारा भुखा होगा.. हें..हें..हें..

रजीया : (सरमसे पानीपानी होते) धत्.. दया तुजे अ‍ेक मारुगी.. मुजेतो सरम आरही हे.. तुही जाकर देदे..

दया : (हसते) अरी जाना.. इनमे काहेकी सरम.. रातमेतो बडी उछल उछलकर उनसे चुदवा रहीथी.. तब सरम नही आइ.. ओर अबतो दीदीने भी हा कहेदी हे.. जा.. देदे.. हें..हें..हें..

कहातो रजीया सरमसे पानी पानी होगइ.. ओर दयाकी पीठमे अ‍ेक मुका जड दीया.. फीर चाइ नास्ता लेकर बहार चली गइ.. आज वो लखनसे नजरे नही मीला पा रहीथी.. नइ नवेली दुल्हनकी तराह बहुतही सरमा रहीथी.. जब चाइ नास्ता देने लगी तब लखन उनकी ओर सवालीया नजरोसे देखता रहा तब रजीयाने सरमाते हसते हुअ‍े नांमे गरदन हिलाइ ओर वो फटाफट वापस कीचनमे चली गइ.. तब दया हस रहीथी.. तो रजीया अंदर जातेही उनसे लीपट गइ..

दया : (धीरेसे कानमे) रजु.. क्या बात हे आजतो अपने पतीसे बहुत सरमा रही हो.. हें..हें..हें..

रजीया : (आज पहेलीबार दीदी कहा) दीदी.. प्लीज.. मुजे बहुत सरम आ रही हे.. मत छेडो मुजे..

दया : (खुस होते धीरेसे) क्या..? दी..दी..? कमीनी अब मुजे दीदीही कहेना.. अब तु मेरी बहेन नही.. मेरी भाभी होने वाली हे.. ओर मत भुलो मे बडे मालीक ओर लखनभैयाको अपना भाइ मानती हु..

रजीया : (जोरोसे हसते धीरेसे) तो कमीनी तु क्या अपने बडेभैयासे चुदवाती हे..? बापरे.. उनका कीतना बडा लंड हे.. दया मेनेतो इतना बडा लंड कभी नही देखा.. जैसे कोइ गधेका लंड हो..

दया : (सरमाते हसते) रजु.. अ‍ेक बात पुछु.? तो क्या लखनभैयाका लंड इतना बडा नही हे..?

रजीया : (अ‍ेकदम सर्मसार होते धीरेसे) नही.. दीदी उनकातो बडेभैयासे आधाभी नही हे.. फीरभी काम चल जाता हे.. हें..हें..हें.. तुजे पता हे वोतो इस मामलेमे बीलकुल अनाडी थे.. मेने ही उसे सब सीखाया.. तब जाकर अब ठीक ढंगसे चुदाइ कर पाते हे.. वरना लताभाभीतो गइथी कामसे.. बेचारी सुहागरातमेही दुखी होजाती.. हें..हें..हें..

दया : (मुहपे हाथ रखते धीरेसे) क्या बात कर रही हे..? तो फीर कमीनी तुम इतनी आगे क्यु बढी..?

रजीया : (मुस्कुराते धीरेसे) दीदी अब आपसे क्या छुपाउ.. साली ये चुतकी आगही अ‍ैसी हे.. उसे अब रोज लंडकी आदत लग गइ हे.. उसे रोज लंड चाहीये.. तो मे कहासे नीकालु.. ओर अबतो बडेभैयाभी हमारे पास कम आते हे.. पहेलेतो कैसे हम दोनोको रात रात भर चोदते थे.. इसीलीये मेने लखनभैयाकी बात मानली..

अबतो वो काफी कुछ सीख गये हे.. पता हे अ‍ेक राततो हम दोनोही सुबह तक चुदाइ करते रहे.. वो गोली खाकर सुबह तक लगे रहे.. ओर अबतो मुजेभी उनसे प्यार होगया हे.. बस मुजेतो अ‍ेक बच्चा चाहीये.. फीर चाहे लखनभैया देदे या बडे भैया.. मुजे कोइ फर्क नही पडता.. कमसे कम अब मे सादीसुधातो कहेलवाउगी..

तभी बहारसे मंजुकी आवाज आइ तो दया बहार चली गइ.. ओर रजीया कीचनमे काम करने लगी.. आज दोनोही बहुत खुस थी.. तब लखनभी चाइनास्ता करके खेतोपे जा चुकाथा.. तो दया वहा डाइनींगपे सब बर्तन लेकर सब काम नीपटाने लगी.. तो दुसरी ओर पुनम ओर चंदा अभीभी गहेरी नींदमे सो रहीथी.. ओर मंजु विजयको लेकर होलमे सोफेपे बैठकर उनके साथ खेल रही थी.. अबतो विजयभी थोडा बडा हो चुकाथा ओर मंजु चंदा पुनम सबको पहेचान चुकाथा..

इधर देवायत चुपचाप कार चला रहाथा.. तब लता ओर नीलम दोनोही उनकी पीछेकी सीटमे बैठीथी.. तब अनायास ही लताका ध्यान कारमे सेन्टर मीररमे चला गया तब उसे देवायतका मुह साफ दीखाइ देने लगा तो वो मनही मन खुस होगइ ओर देवायतको मीररमे देखती रही.. वो ओर नीलम धीमी आवाजमे बात करने लगी.. लेकीन बात करते समयभी लता मीररमे देख रहीथी.. जैसे वो देवायतको लुभानेकी कोसीस करती हो..

नीलम : (धीरेसे कानमें) दीदी.. वो..वो.. धिरेनजीजुको फोन करके बात करलेना.. वरना वो नाराज होजायेगे.. उसने मुजे कसम दी हे..

लता : (नाराज होते मीररमे देखते) क्यु..? तुजे बहुत खुजली हो रहीहे.. क्या..? हंम.. तुजे बहुत चीन्ता हो रही हे धिरेन जीजुकी.. कही तेरा मनतो नही बहेक गया..?

नीलम : (सर जुकाते धीरेसे) नही.. दीदी.. उसने मुजे फोन करनेके लीये कसम दी हे.. तो..

लता : (तीरछी नजरोसे मीरमे देखते) ठीक हे.. ठीक हे.. कसम दीहे तो क्या हुआ..? मे बात करलुगी उसे.. कमीना कहीका..

तभी देवायतका ध्यान सीसेपे चला जाता हे.. तब उसने देखा लता सीर्फ उनकोही सीसेसे देख रही हे.. जैसेही दोनोकी नजर मीली लता उनके सामने सब सरम त्यागकर खुलकर मुस्कराने लगी.. तब देवायतभी मुस्कराने लगा.. फीरतो वोभी बार बार सीसेमे देखने लगा.. ओर जैसेही दोनोकी आंख मीलती लता सरमाकर अपने ओठोपे अपनी जीफ फीराते हसने लगती..

तब देवायतभी उनके सामने खुलकर हसने लगा.. ओर ये सीलसीला बार बार होने लगा.. अब लता बहुतही कामुक तरीकेसे देवायतको देखकर हस रहीथी.. तब अ‍ेक बारतो देवायतका मनभी डगमगा गया.. तब लताने हीमत करके देवायतसे बाते करना सुरु कीया..

लता : (सरमाते हसते) बडे भैया आप खाना खाकर ही जाना.. मे आपका मनपसंदका खाना बना दुगी.. कीतने दिन होगये आपने हमारे घर खाना नही खाया.. अबतो आप बहुतही कम आते हो.. भाभी भी आपको याद करती रहेती हे..

देवायत : (हसते) नही लता.. मुजे देर होजायेगी.. अब तु घर आयेगी तब तेरे हाथोका ही खाना खायेगे.. ओर तेरी भाभीको भी मील लुंगा.. हें..हें..हें..

लता : (मीररमे देखते हसते) भैया.. फीकर मत करो.. देखना मे आपके लीये बडीयासा खाना बनाउगी.. भैया अ‍ेक बात कहु..? अगर आप ससुरालपे जाही रहेहो तो आप भावु भाभीको भी साथ लेजाओनां.. वोभी उनके पीताजीको देख लेगी.. आपके साथ आनेमे उनकोभी अच्छा लगेगा.. कहोतो मे उनसे बात करलु..?

देवायत : (देवायत लताके कहेनेका मतलब समज जाता हे) नही.. लता अभी बच्चीभी छोटी हे ओर दिनभी कीतने हुअ‍े हे.. ओर वेसेभी मे उन दोनोको लेनेही जा रहा हु.. ओर आप सबकोभी तीन दिन पहेले हवेलीपे आजाना हेतो भावु वही उनको मील लेगी.. तुम दोनोभी सीर्फ अ‍ेक दो दिनके लीये इधर आइ वरना वही रुक जाती.. तुम दोनोके सब कपडे मे वापसीमे ले आता..

लता : (मीररमे देखते हसते) नही भैया.. बस अ‍ेक दो दिनही तो सबके साथ रहेना हे.. फीरतो मे उधर चली आउगी.. अबतो वोही मेरा घर होगा.. भैया.. ये नीलुका अ‍ेडमीशन होगया क्या..?

देवायत : नही.. जब सादी होजायेगी तब मे ओर भानु उनको लेकर जायेगे ओर तब वही पासमे होस्टेलमे जहा पुनो लखन थे.. मेने वहा बात करली हे.. वही जाकर दाखला दीलवा देगे.. बस अब तुम सबकी सादी होजाये.. तो गंगा नहाये.. हें..हें..हें..

लता : (सरमाते हसते) क्या भैया आपभी.. हमारी सादीमे कहा इतनी तामजाम करनी हे.. तो इतनी चीन्ता करते हो.. हें..हें..हें.. सीर्फ हम घरवाले तो हे.. भैया.. अ‍ेक बात कहु..? जबसे मेरी सगाइ हुइ हे तबसे आप कुछ कमही मुजसे बात करते हो.. पहेलेतो कैसे मेरे साथ मस्ती मजाक करते थे..

देवायत : (हसते) लता.. तब तुम मेरी बहेन थी.. ओर अब मेरी बहु हो.. आइमीन लखनकी पत्नी.. तो अब तुमसे कैसे मजाक करता.. क्या तुजे ये सब मजाक मस्ती अबभी पसंद हे..?

लता : (सरमाते हसते) तो फीर..? ओर नही तो क्या..? भैया भलेही मेरी सादी लखनसे हो जाये.. मेतो आपको अभीभी भाइही समजती हु.. मुजे अपसे बाते करना बहुत अच्छा लगता हे.. देखना मेतो वहा आकरभी आपकी अ‍ैसेही मस्ती करुगी.. हें..हें..हें.. बस अ‍ेक बार मेरी सादी होजाने दो..

देवायत : (हसते हुअ‍े हीमत करते केह देता हे) हां तभी तो.. लता मुजे तेरी सादीकी इतनी चीन्ता नही हे.. बस.. दुसरी चीन्ता हे.. हें..हें..हें.. तुम चारोने हम सबको बहुत परेसान करके रखा हे.. हें..हें..हें..

कहतो नीलम जोरोसे ठहाका मारते हसने लगी.. तब लता सर्मसार होगइ ओर मीररमे तीरछी नजरसे देवातके सामने दखते हसती रही.. आज उनको देवायतसे बात करनेके कोइ सर्म नही आ रहीथी.. बल्के वोतो देवायतसे ओर खुलकर बात करना चाहती थी.. ओर देवायतभी आज लतासे खुलकर बाते कर रहाथा.. पता नही आज उसे लताके साथ बात करनेमे बहुत अच्छा लग रहा था.. लेकीन लताभी साथमे नीलमकी वजहसे ज्यादा खुलकर बात नही कर पा रहीथी..

वो देवायतसे बात करते लगातार मीररमे प्यासी नजरसे देख रहीथी तब देवायतभी उनकी कामुक नजरको पहेचान गया.. लेकीन लता उनके भाइकी होने वाली पत्नी थी.. वरना लताकी ओरसे इतनी हीन्ट मीलते ही देवायत लताके साथ काफी आगे बढ चुका होता.. ओर अबतो लता दीखनेकेभी बहुतही खुबसुरत ओर कामुक लग रहीथी.. उनकीभी नजर कीतने दिनोसे लताके उपर थी..

जबभी वो सरलाकी चुदाइ करता तब उन दोनोको लताको खीडकीसे देखते कइ बार देख चुकाथा.. तबसे वो लताको भी अपने नीचे लीटानेकी फीराकमे था.. ओर लताभी उनको कामुक नजरोसे घुरती रहेती.. लेकीन अबतो लखनकी बीवी होनेके साथ भावना ओर उनके बीचके प्यारकी अ‍ेकलौती साक्षी भी थी.. इसीलीये देवायतने अपने आपको बडी मुस्कीलसे सम्हाला.. तब उनकी नजर फीरसे लतासे मील गइ.. तो लता अभीभी मीररमे कामुक मुस्कानके साथ देवायतको देख कर हस रही थी..

तभी अचानक लताने देवायतकी ओर देखते अपने दोनो नैन नचाये.. ओर लताने देवायतकी ओर आंख मारदी.. तब दोनोही सर्मसार होते हसने लगे.. लता बाततो नीलमसे कर रहीथी लेकीन कारके सेन्ट्रल मीररसे देवायत ओर उनके बीच कुछ ओरही खेल चल रहाथा.. ओर तीनो घरपे पहोच गये.. तब आज पहेली बार लताको घरपे पहोच जानेसे अच्छा नही लगा.. वो अभी भी देवायतके साथ टाइम स्पेन्ड करना चाहती थी....

कन्टीन्यु
 

dilavar

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Dear Readers I am going to complete 100th episode today hope I will continue to get your support and love like this..thank you
 
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