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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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Sadi karado bhai story ko sruti aur vandna ki taraf badhao
Bhai thoda sabra karlo.. bus ab vohi hone vala hai.. lekin bicha mai jo bhi kuchh huva vo bhi to batana hai.. muje purane sabhi patroko nyay dilana hai.. abhi ek naya rista Ujagar hone vala hai.. or mai likane me 10 update advance chal rahahu.. agar aap ke hisabse likhuga to story jaldi khatam ho jayegi.. vese sajetion dene ke liye sukriya..
 

Mahesh007

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Sorry mene story me koi badlab karne ko nahi bola na hi kisi ko bolta hu bus bese hi likhdiya kyo ki mujhe aur koi sabd sahi nahi lage plz sorry
 

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १०१ / १

तब नीर्मलाके हाथसे देवायतने बेगको लेलीया ओर तीनो बहार नीकल गये.. तब नीर्मलाने सब चेक करके घरको ताला लगादिया.. आज वो ये मानके अ‍ैसे खुस हो रहीथी जैसे अपनी बेटी मंजुके घर नही वो आज सचमे अपने ससुराल जा रही हो.. ओर तीनो कारमे बैठ गये.. राजीव देवायतके साथ आगे बैठ गया तो नीर्मला राजीवके पीछे बैठ गइ ओर सेन्ट्रल मीररसे देवायतका दिदार करती रही.. ओर दोनो मीरर से इसारोमे बाते करते रहे.. ओर कार देवायतके गांवकी ओर दोड पडी....अब आगे
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उधर भानुके घरसे देवायतके जातेही भावना ओर लता आपसमे धीरेसे देवायतके बारेमें हस हसके बात करते घरके अंदर चली गइ.. भावना अपने रुममे चली गइतो पीछे रमाभी उनके साथ रुममें चली गइ.. तब लताभी सीधी बाथरुममे घुस गइ.. आज उसने हिमत करते दो बार देवायतके सामने आंख मारदी.. ओर जता दीयाकी मेभी आपसे प्यार करती हु.. ओर देवायतनेभी उनके सामने हसते ग्रीन सीग्नल देदीयाथा..
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तबसे लता बहुतही अ‍ेक्साइटेड होगइ थी.. उनकी चुत अ‍ेक बार फीरसे हरकतमे आ गइ ओर बाथरुममे जमतेही देवायतको इमेजींग करते अपनी चुतमे उगली डालकर जोरोसे हीलाने लगी.. फीर अपने आपको सांत करके रुममे जा रहीथी तब साथमे नीलमभी चली गइ ओर उसने धीरेसे दरवाजा बंध करलीया.. वो लताके साथ बेडपे बेठ गइ.. तब लताने उनकी ओर सवालीया नजरोसे देखा तो नीलम कुछ परेसान दीख रहीथी.. तब.. लता सबकुछ समज गइ..

लता : नीलु.. क्या बात हे..? तुमने दरवाजा क्यु बंध कीया..? तुम कुछ परेसान दीख रही हो.. कही वो कमीनेका फोन बोनतो नही आगया..?

नीलम : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. मेरे पास कहा फोन हे.. जो उनका फोन आयेगा.. वो..वो.. आप धिरेन जीजुसे बात करलो.. उसने मुजे कसम दी हे..

लता : (थोडा गुसेसे) क्यु..? तुजे बडी चीन्ता हो रहीहे धिरेन जीजुके कसमकी.. कमीना कहीका.. चल उनका नंबर लगादे.. पहेले तुम उनसे बात कर फीर मुजे फोन दे देना.. ओर फोन स्पीकरपे लगादे.. मे उसे बात करलेती हु.. अ‍ेक बार फीरसे सोचले.. कही तेरा मनतो नही हेनां..? हंममम.. तो अभीसे बोलदे.. बादमे मुजे मत कहीयो.. की दीदीने मोका नही दीयाथा.. चल लगा फोन..

नीलम : (मनतो था फीरभी नीरास होते सरमाते) नही.. दीदी.. अ‍ैसा कुछभी नही हे.. वो बस.. हम दोनो अ‍ैसेही.. मस्ती कर रहेथे.. तो उसने मुजे फोन करनेको केह दीया..

नंबर लगाते नीलम मायुस होगइ.. नीलमको सब पताथाकी कारमे धिरेनने उनके साथ क्या क्या कीयाथा.. धिरेनकी छेडखानीसे नीलमकोभी बहुत अच्छा लगाथा.. ओर वो धिरेनकी ओर काफी ढल चुकी थी.. उनकी जींदगीमे ये पहेली बारथा जो कीसी लडकेने उसे इस तराह छेडाथा.. जीनकी वजहसे वो उनकी ओर आकर्सीत होगइ थी..

ओर वो नादान उसे अपनी जींदगीका पहेला प्यार समजने लगी.. लेकीन उनको क्या पता थाकी ये महज अ‍ेक विपरीत लींगका केवल आकर्सण था.. धिरेनभी उनको अभीतो प्यारके नामपे युस करना चाहता था.. बादमे पता नही क्या होगा.. ओर नीलमने नंबर लगा दीया.. तो लताने खुद फोनको स्पीकर फोनमे करदीया.. सामने धिरेनकी आवाज सुनतेही नीलमकी गभराते दिलकी धडकन बढ गइ..

धिरेन : (सामनेसे फोन उठाते) हेलो.. कौन..?

नीलम : (सरमाते धीरेसे) हेलो.. मे.. मे.. नीलम बोल रही हु.. कहीये जीजु.. क्या काम था मुजसे..?

धिरेन : (खुस होजाते) अरे नीलु तुम..? मुजेतो यकीनही नही हो रहाकी तुम मुजे फोन करोगी.. हें..हें..हें.. कहो.. कैसी हो तुम..? क्या मेरी कसमको मानलीया..? तुजे हमारी याद नही आती..?

नीलम : (गभराते लताकी ओर देखते) जी.. वो.. वो.. कहीयेना क्या काम हे मुजसे..? वरना में फोन रखती हु.. मुजे बहुत काम हे..

धिरेन : नीलु.. कारमे मुजे तेरे साथ कीतना मजा आया.. पता नही तुने मेरी रातोकी नींद चुराली हे.. मेने पुरी रात तेरी यादोमे करवट लेते काटी हे.. मुजे तुमसे सचमे प्यार होगया हे.. आइ लव यु नीलु.. बस मेरा प्यार कबुल करलो.. यकीन मानो मे तुजे सचमे प्यार करने लगा हु.. प्लीज.. अबतो मुजे तुम आइ लव यु कहेदो..

कहातो नीलम प्याका नाम सुनतेही सकपका गइ.. ओर वो गभराते लताकी ओर देखने लगी.. आज वो अकेली धिरेनसे बात करतीतो पका उनका प्यार कबुल करलेती.. लेकीन अभी लताकी हाजरीकी वजहसे वो मायुस होगइ.. क्युकी तब लताभी फोनपे धिरेनकी सब बात सुन रहीथी.. ओर उसने फोन नीलमके हाथोसे अपने हाथोमे लेलीया.. ओर फोनको मुहके पास रखते धीरेसे धिरेनसे बात करने लगी..

तब अ‍ेक बारतो नीलमकी गांडभी फट गइ.. क्युकी आज पहेली बारथा जो नीलमको कीसी लडकेने प्यारका इजहार कीयाथा.. ओर उनका सारा भांडा लताके सामने फुट गयाथा.. वो भगवानको मनमे प्रार्थना करने लगीकी बात अच्छेसे सम्हल जाये.. नीलमपे नइ नइ जवानी छाइ हुइथी.. धिरेनने उसे क्या क्या सपने नही दीखायेथे.. जीनकी वजहसे वो धिरनको खोना नही चाहती थी.. तभी..

लता : (थोडा सख्तीसे धीरेसे) हेलो.. धिरेन मे लताभाभी बोल रही हु.. ये सब क्या हे..? तुमको सरम नही आइ.. अ‍ेक छोटी बच्चीसे इस तराहकी बाते कर रहे हो.. मत भुलो तुम्हारी तीन दिनके बाद पुनोदीदीके साथ सादी होने वाली हे.. अगर मेने उसे बता दियातो सोचो तुम्हारा क्या हसर होगा..

धिरेन : (सकपकाते गांड फटजाती हे) हेलो..कोन..? कोन बोल रहा हे..? ठीकसे आवाज नही आती..

लता : (थोडी उची आवाजमे सख्तीसे) धिरेन.. मे लताभाभी बोल रही हु.. तुम्हारे सालेकी बीवी.. देखो.. धिरेन.. तुम नीलमका ख्वाब देखना छोडदो.. वो अभी बच्ची हे.. अगर तुम चाहते होकी मे ये सब बाते लखनको या पुनोदीदीको नाी बतादु.. तो नीलमको छोडदो.. मे तुम्हारी जींदगी खराब करना नही चाहती.. समज गयेनां..? वरना कहीके नही रहोगे.. मुजे पता हे तुमने नीलुके साथ कारमे क्या क्या कीयाथा..

धिरेन : (गांड फटते) जी.. लताभाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. मुजसे गलती होगइ.. आइन्दा मे उनसे बात नही करुगा.. सोरी.. सोरी.. बस अ‍ेक बार माफ करदो.. प्लीज.. वरना मे कीसीको मुह दीखाने लायक नही रहुगा..

लता : (थोडी नरम आवाजमे) देखो.. धिरेन अब तुम्हारी पुनोदीदीके साथ सादी होने वाली हे.. क्या वो तुम्हे ओर तुम उनको प्यार नही करते..? तो फीर अ‍ैसी बचकानी हरकत क्यु करते हो..? पता नही पुनोदीदीने तुम्हारे साथ क्या क्या सपने सजाये होगे.. ओर तुम होकी..

धिरेन : (गभराते) वो.. वो.. लताभाभी.. बुरा मत मानना.. मुजे लगता हे.. पुनो मुजसे प्यार नही करती.. इसलीये मे बहेक गयाथा.. आपने देखा नही वो मुजसे कैसे दुर ही रहेती हे.. ओर मे नीलमको मीला तो उनका साथ मुजे अच्छा लगा.. इसीलीये फोन कीया.. अब नही करुगा सोरी..

लता : (नरमीसे समजाते) देखो धिरेन.. हम लडकीया आपकी तराह खुलकर प्यार नही कर सकती.. आपको कुछ गलत फहेमी होगइ हे.. पुनोदीदीभी आपसे उतनाही प्यार करती हे.. बस अ‍ेक बार आप दोनोकी सादी होजानेदो फीर देखना.. वो आपको कैसे प्यार करती हे.. हो सकता हे कभी कभी कोइ सरीफ लडकी सादीके बादही सबकुछ.. तुम समज गयेनां..? कहोतो मे इस बारेमे पुनोदीदीसे बात करलु..?

धिरेन : (जटसे) अरे नही नही.. वो सब मे देखलुगा.. भाभी.. अ‍ेक बार फीर सोरी.. आप ये बात कीसीको मत कहेना.. वरना मे वहा कीसीको मुह दिखाने लायक नही रहुगा.. प्लीज.. मे पुनदकद खदना नही चाहता..

लता : (मनमे खुस होते) ठीक हे.. लेकीन ये आपके लीये आखरी मौका हे.. आइन्दा अ‍ैसी नादानी कीनां तो में सचमे सबको बता दुगी.. ओर हां.. अ‍ेक बात ओर.. आप नीलमसेतो दुरही रहेना.. समजे..

धिरेन : (राहतकी सास लेते) जी.. भाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. मे फोन रखता हु..

कहेते धिरेनने फोन काट दीया.. ओर अपने सीनेपे दोनो हाथ रखते राहतकी सांस लेने लगा.. आज वो बाल बाल बच गयाथा.. लेकीन उनके दिलो दिमागमे नीलम हमेसाके लीये छा गइथी.. वो ना चाहते हुअ‍ेभी नीलमको अपने दिलसे नीकाल नही पा रहाथा.. ओर वो नीलमको पानेके लीये दुसरा रास्ता सोचने लगा.. लेकीन अभी उनकी सादी नही होजाती तबतकके लीये सबकुछ भुलकर वो काममे बीजी होगया..

तब दुसरी ओर लता ओर नीलम अपने रुममे बेठे थे तब फोन काटतेही लता तीरछी नजरसे नीलमको देखने लगी.. क्युकी नजरोके इस खेलमे लता महारत हासील कर चुकीथी.. वो अपनी माइ सरला - देवायतको ओर अपने भाइ भानु ओर भाभी भावनाके बीच कइ बार चुदाइ करते ओर दोनोके बीच कइ बार नजरोसे बाते करते देख चुकीथी.. खुद वो भी लखनसे सादीसे पहेले कइ बार नजरोसे बाते करते उनसे चुदवा चुकीथी..

उनको नीलमके चहेरेपे बहुत मायुसी नजर आइ.. ओर वो सबकुछ समज गइकी बात सीर्फ अ‍ेक तरफा नही हे.. नीलमके दिलमे भी धिरेनके लीये प्यारका बीज पलने लगा हे.. ओर वोभी धिरेनको प्यार करने लगी हे.. उसने नीलमको अभीके लीये अपनी नीगरानीमे रखनेकी ठानली.. वो जानतीथी अ‍ेक बार कोइ लडकी लंडका स्वाद चख लेती हे तो फीर वो उनके बगैर नही रेह सकती.. इसीलीये उसे अभी नीलमको इन सब चीजसे दुर रखना उचीत लगा.. ओर वो नीलमको समजाने लगी..

लता : (प्यारसे सरपे हाथ घुमाते) देख निलु.. अभी ये सब तेरे लीये ठीक नही हे.. अभी तेरी उमर ही क्या हे..? बस अ‍ेक बार अच्छेसे पढाइ लीखाइ करले.. फीर मे खुद जेठजीसे कहेकर तुम्हारे लीये अच्छा लडका ढुढुंगी.. समज गइनां.. ये धिरेन तेरे लीये ठीक नही हे.. मुजे वो अच्छा लडका नही दीखता.. कोइ अच्छा पढालीखा लडका मीले तब उनके साथ घर बसालेना.. वरना तेरी जींदगी खराब होजायेगी..

नीलम : (सरमाते नजर जुकाते) जी दीदी.. वो वहा सादीमे आयेगे ओर मेरी मस्ती करेगेतो में क्या करु..?

लता : (थोडी सख्तीसे) डफर.. तुम उनको अकेली मीलनाही नही.. तुम हमेसा मेरे साथही रहेना.. अब वो दुबारा अ‍ैसी हीमंत नही करेगे.. वरना इस बार मे उनको छोडने वाली नही हु.. समजी.?. ओर तुमभी खयाल रखना.. उनके सामने कोइ अ‍ैसी वैसी हरकत मत करना.. वरना तेरे साथ कुछ गलत करदीयानां.. तो तुम इस उमरमे अपना पेट फुलाकर घुमती रहेनां.. फीर देती रहेना सबको जवाब.. देख नीलु अभीभी वक्त हे तु समज जा.. वरना मुजसे बुरी कोइ नही होगी.. मुजे पता हे तुभी वही चाहती हे.. कमीनी..

नीलम : (सर जुकाते मायुसीसे धीरेसे) जी..दीदी.. मे आपके साथ रहुगी..

लता : (प्यारसे सरको सहेलाते) गुड गर्ल.. चल.. अब मुह लटकाना छोड.. ओर कीचनमे चल.. हें..हें..हें..

हसते हुअ‍े लता बेडसे खडी होगइ तब नीलमभी सरमाते हसने लगी.. ओर तीरछी नजरसे लताको देखते बहारकी ओर चलने लगी.. ओर दोनो कीचनमे खाना बनाने चली गइ.. तब लताको नही पताथा की नीलमके दिलमे अब धिरेन पुरी तराह छा चुका हे.. उसने धिरेनके फोन नंबरकी चीठी लतासे छुपकर अपने पास छुपाके रखली थी.. ओर दिनमे मौका मीलतेही रमाके फोनसे धिरेनसे फोनपे बात करनेकी ठानली थी..

तो दुसरी ओर देवायतके जातेही रमा भावनाके रुममे चली गइ.. ओर बहुतही सरमाते हसते हुअ‍े भावनाके पास जाकर बेडपे बैठ गइ.. जीस तराह देवायतने उनकी मस्ती की तबसे रमा.. बहुतही सर्मसार हो रहीथी.. ओर सचतो ये थाकी देवायतकी अ‍ैसी मस्ती उनको अच्छीभी लगने लगी थी.. वो अपने मनकी बात भावनासे करना चाहती थी.. भावनाने भी उनको देखकर हसते सवालीया नजरोसे रमाकी ओर देखा..

रमा : (बहुतही सरमाते हसते) दीदी.. देवरजीतो बहुत बीन्दास्त हे.. मेरी कैसे मस्ती करके गये.. हें..हें..हें..

भावना : (हसते) क्यु.. क्या हुआ..? उसने आपके साथ कैसी मस्तीकी..? कुछ कहा क्या..? कही आपके दुधु बुधु तो नही दबा लीये.. हें..हें..हें..

रमा : (अ‍ेकदम सर्मसार होते धीरेसे) धत्.. आपभी कैसी मस्ती करती हो..? मुजे अ‍ैसे चलते देखकर कहेते थे की आपके पैरमे क्या हुआ..? कही पैरमे मोचतो नही आगइ..? मुजेतो बहुत सर्म आइ.. अब मे उनको क्या जवाब दु.. वहा माजीभी बैठीथी.. वरना उनको मे आज जवाब दे देती.. हें..हें..हें..

भावना : (जोरोसे हसते) तो क्या हुआ केह देती उनको की अपने भाइसे ही पुछलो.. उन्होने ही मेरी अ‍ैसी हालत की हे.. हें..हें..हें..

रमा : (सर्मसार होते हसते पीठमे मुका मारते) दीदी क्या आपभी.. अ‍ैसी हालततो मेरी कभी नही हुइ.. पता नही कल वो क्या खाकर आयेथे.. पुरी रात मुजे सोने नही दिया.. क्या आपके साथभी अ‍ैसा करते हे..?

भावना : (सरमाते हसते) हां.. जब हम दीदीके घरथे तब दीदीनेही मुजे अ‍ेक गोली दीथी.. तब पहेली बार मेने उसे दुधमे मीलाकर पीलादी थी.. तभीतो इस बच्ची ठहेर गइ.. वरना उनमे अब इतना दम कहाकी हमे बच्चा दे सके.. दीदी.. अब भानुमे पहेले वाला जोस नही हे.. बस सादीके बाद मुजे अ‍ेक बच्चा ही दे पाया.. दीदी मुजे बच्चे बहुत अच्छे लगते हे.. मेने क्या क्या सपने देखे थे.. खैर जाने दीजीये सब..

रमा : (सीरीयस होते) दीदी.. बुरा मत मानना.. क्या आप अभी भी उनसे नाराज हे..? भानुके साथ मुजेतो कभी अ‍ैसा नही लगा.. भानु मुजे हर बार संतुस्ट करता हे.. तो फीर वो आपको संतुस्ट क्यु नही करपाया..?

भावना : (हसते) छोडीयेना दीदी.. अब मे कोइ उनसे नाराज नही हु.. लेकीन अब मे मेरी जींदगी अपने तरीकेसे जीना चाहती हु.. ओर अच्छा हे वो आपको संतुस्ट करपाता हे.. लेकीन उसने मुजे कभी संतुस्ट नही कीया.. इसीलीये मुजे उनको गोली खीलानी पडती थी.. सायद हो सकता हे वो मुजसे ज्यादा आपको पसंद करता हो.. ओर आप मेरीतो बीलकुल चीन्ता मत करना.. मुजे आपसे कोइ गीलासीकवा नही हे.. मे आपको आजभी अपनी दीदी मानती हु.. बस आप खुस रहीये.. ओर मुजे अपने तरीकेसे जीने दीजीये..

रमा : (प्यारसे गले लगाते) दीदी.. लगता हे आपने अपने दिलपे बहुत गहेरी चोट खाइ हे.. मेभी इस जखमको जेल चुकी हु.. जब जवानीकी दहेलीजपे कदम रखा.. तब छोटीही उमरमे मेरी सादी करदी गइ.. मानोनां मुजे पैसेके बदले बेचदी गइ.. तब प्यार क्या होताहे मुजेतो पताही नही था.. मुजे मेरे घरवालोने अ‍ेक बारभी नही जाना की मेरे दिलके क्या अरमान हे..

भावना : (हसते) दीदी तो फीर भानु ओर आप दोनोमे प्यार कब होगया..?

रमा : (सरमाते हसते) दीदी.. मेरा पती तब पुरुषमे नही था.. मेरे तो सारे अरमान मीटीमे मील गयेथे.. ओर मे प्यारके लीये बहुतही तरसी हु.. तभी मेरे जीवनमे भानु आगया.. जब मेरे पतीका अ‍ेक्सीडन्ट हुआ ओर वो होस्पीटलमे थे.. तब में ओर भानु वही २० दिन साथमे रहे.. ओर पताही नही चलाकी हम दोनोकी कब आंख मील गइ.. मुजे भानुसे प्यार होगया..

तब उसी रात घरके मंदिरके सामने भानुने मुजसे गांधर्व विवाह करलीया ओर हम दोनोने अपनी सुहागरातभी मनाइ.. मे अपने आपको भानुको पुर्ण समर्पीत कर बेठी.. ओर मेरा सबकुछ भानुको सोप दिया.. मेरा कौमार्य भी.. मे सादी होनेके बादभी अ‍ेक कुआरीथी.. ओर मेरा कुआरापन मेने हमारी सुहागरातमे भानुको सोंप दीया.. भानुने मुजे कुआरी लडकीसे ओरत बना दीया.

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भावना : (हसते) तो फीर ये नीलम..?

रमा : (सरमाते हसते) दीदी भानु वहा २० दिन रहा हे.. फीरतो हमने हर रात बीस्तरमे मीया बीवीकी तराह बीताइ.. हमने हर रात सुहागरातकी तराह रंगीन बनाइ.. भानुभी मेरे मेरे पीछे प्यारमे पागल था.. ओर इसके बादभी हम अक्सर मीलने लगे.. उसी नतीजेके फल स्वरुप भानुने मुजे प्रेगनेन्ट करदीया.. ओर पुरे नौ महीनेके बाद हमारी नीलम आगइ.. हमारे प्यारकी पहेली नीसानी.. बस तबसे मे भानुको पुर्ण समर्पीत हु.. मे तबसे भानुको अपना पती मान चुकी हु..

भावना : (हसते) दीदी.. आप बहुत खुसनसीब हे.. आपको अपना प्यार सादीके बादभी मील गया.. लेकीन मेरे बदनसीबमे वो प्यारभी नही मील पाया जीसे मे चाहती थी.. ओर मुजे भानुसे सादी करनी पडी.. यही सोचके भानुसे सादी करली की चलो वो प्यार मुजे भानुसेही मील जायेगा.. लेकीन मुजे नही पताथाकी भानु आपको प्यार करता हे.. वरना मे आप दोनोके बीच कभी नही आती.. आइ अ‍ेम सोरी.. मुजे माफ करदो..

रमा : (भावुको गले लगाते) नही दीदी.. आप माफी मंत मांगो.. गलती आपकी नही भानुकी हे.. उनकोही सादीसे पहेले आपको हमारे रीस्तेकी सब सचाइ बता देनी चाहीये थी..

भावना : (आंसु बहाते) दीदी मेरी किस्मतही खराब हे.. अ‍ेकतो मुजे मेरा प्यारभी नही मील पाया ओर सादी करली तो पतीका सुख.. अब आपही बताओ मे क्या करु..? तंग आचुकी हु इस जींदगीसे..

कहेते भावनाकी आंखसे आंसु बहेने लगे तब रमाने खडा होकर भावनाको अपने सीनेसे लगा दीया.. ओर उनके आंसु बहेते रहे.. ओर रमा उनका सर अपने सीनेमे दबाते खडी रही.. फीर कुछ देरके बाद उनका सर सीनेसे अलग करते अपनी सारीके पलुसे भावनाके आंसु पोछने लगी.. तब भावनाके चहेरेपे फीकी मुस्कराहट आगइ.. ओर उसने अ‍ेक बार फीरसे रमाको हग करलीया.. ओर दोनो फीरसे बेडपे सटकर बैठ गइ..

रमा : (हसते) दीदी.. अपने आपको कभी अकेली मत समजना.. प्यारकी अहेमीत क्या होती हे.. वो भला हम दोनोके अलावा कौन जान सकती हे.. बस आपको बुरा ना लगेतो अ‍ेक बात कहु..? जबभी आपको अ‍ैसा लगेकी मुजे मेरा प्यार मील गया हे तब आप अपना प्यार पानेमें पीछेहट मत करना.. आपकी ये बडी दीदी आपके साथ हे.. मेनेभी सादीसुधा होनेके बावजुद अपना प्यार पालीया.. तो फीर आप क्यु नही..?

भावना : (हसते) क्या तो फीर आपको बुरा नही लगेगा..? अबतो हम सादीसुधा हे.. अब मेरा प्यार मीलभी गया तोभी क्या होगा..? में भानुको ओर इस परीवारको कैसे धोखा देदु..? आपकी बात अलग थी.. की आपके पती पुरुषमे नही थे.. पब भानु..?

रमा : (हसते) दीदी.. बुरा मत मानना.. अ‍ैसे घुट घुटकरतो तुम कैसे जीओगी..? मुजे पता हे तुम आजभी मेरे भानुको माफ नही करपाइ हो.. ओर उसे माफ करनाभी नही चाहीये.. क्युकी उसने तुमको सचमे हमारी बात ना बताकर तुम्हारे साथ धोखा कीया हे..
अगर आपकी जगह मे होती तो मेभी कभी भानुको माफ नही करती.. बस हमारे मा बापको हमारी फीलीग्सकी कुछ पडीही नही हे..

उनके लीये हम महज अ‍ेक जीम्वेवारी हे.. जो वो हमारी सादी करवाके उनमेसे वो मु्कत होजाना चाहते थे.. मेरे साथभी वही हुआ जो सायद आपके साथ हुआ हे.. पता नही आप इतनी पढी लीखी लडकी होकरभी भानुके साथ कैसे सादी करके आगइ.. कुछतो आपकी मजबुरी रही होगी.. जो भानुके पले पड गइ.. इसीलीये मे आपको कहेती हु.. की आपको अपना पुराना प्यार मीलेतो कभीभी पीछेहट मत करना.. ये कोइ धोखा नही हे.. में आपके साथ खडी हु..

भावना : (मुस्कुराते) थेन्क्स दीदी.. अब सायद मेरे दिलका बोज कुछ हल्का होगया.. कास सभी ओरते आपकी तराह सोचती.. अ‍ेक दुसरेका दर्द समजती.. लेकीन दीदी आप रातमे बहुत चीलाती थी.. क्या वाकइ उसने गोली खाइ थी.. हें..हें..हें..

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रमा : (सर्मसार होते धीरेसे हसते) ओर नही तो क्या..? पता नही कोनसी गोली खाकर आयेथे मुजेभी नही पताथा.. दीदी उनका पहेलेसे बहुत बडा होगया था.. ओर मेरी अ‍ेकभी नही सुनतेथे.. बस कैसा जोस चडाथा बीना सुने कीये ही जा रहेथे.. मुजेतो बहुत दर्द हो रहाथा.. अभीभी नीचे बहुत सुजन हे.. अच्छा हुआ कल नीलु ओर लतादीदी नही थी.. वरना वोभी सब चीखे सुन लेती.. हें..हें..हें..

भावना : (हाथ पकडते बाथरुमकी ओर लेजाते) चलीये मे आपको सीकाय करके ठीक कर देती हु.. ताकी आज रात आप फीरसे दोनो मजे कर सके हें..हें..हें..

रमा : (सरमाते साथ चलते धीरेसे) दीदी.. आज मे उसे कुछ करने नही दुगी.. आपभी ठीक नही हुइ.. वरना आज मे आपकोभी साथ लेजाती.. मुजेतो बहुत सरम आ रही हे.. हें..हें..हें.. अ‍ैसातो मुजे हमारी पहेली सुरागरातमे भी नही चौदाथा.. पुरी रात मुजे बस चोदतेही रहे.. चोद चोदके मेरी मुनीया सुजादी.. हें..हें..हें..

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भावना : (बाथरुममे जाते दरवाजा बंध करते) दीदी.. अब सायद ही मे भानुके साथ फीरसे अ‍ेटेच हो पाउगी.. अब मुजे उनको अ‍ेकसेप्ट करते बहुत वक्त लगेगा.. ओर सायद उनसे अ‍ेटेच होभी ना पाउ.. बस मुजे मेरा खोया हुआ प्यार मील जाये.. मे यही भानुके साथ रहेकर ही अपना प्यार पालुगी.. यही उनकी सजा हे..

रमा : (कमोडपे बेठते) दीदी.. मे प्रार्थना करुगीकी आपके मनकी सब मुराद पुरी होजाये.. देखना अ‍ेक दिन आपको अपना प्यार जरुर मील जायेगा.. अब मुजसे सरमानेकी जरुरत नही हे.. आप चाहोतो मेरे सामनेही अपने प्यारको मील लेना.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. ये बात सीर्फ हम दोनोके बीचही रहेगी..

दोनोही रुमके बाथरुममे चली गइ तब भावना रमाको कमोडपे बीठाकर उनकी चुतकी गरम पानीसे सीकाइ करने लगती हे.. तब रमा सीर्फ भावनाकी ओर देखती रहेती हे.. आज उसे भावनापे बहुत तरस आ रहीथी.. लेकीन उनको नही पताथाकी भावनाके दिमागमे क्या चल रहा हे.. पहेले लता फीर सरला ओर अब रमाको अपनी ओर करनेमे कामयाब होगइ थी..

तो दुसरी ओर रमाभी भावनाकी बातोसे भानुको भावनासे अलग करते भानुके साथ अकेली जींदगी बीतानेका सपना देखने लगीथी.. दोनोही ओरते अपने अपने फायदेके लीये सोचती रही.. फीर सीकाइ करतेही रमाको काफी राहत महेसुस हुइ.. ओर दोनो हसती हुइ बहार आगइ.. तब लता ओर नीलम खाना बना रहीथी.. ओर खाना बनाते लता नीलमके मनको जाननेकी कोसीस करते उनको समजाती रही..

तो भावना ओर रमा सादीमे लेजानेके लीये अपना सब सामान पेक करने लगी.. वहा सबको सादी तक रहेनाथा तो सभीके चार दिनके कपडे.. फीर लताके दहेजका सामान.. सभीको अच्छेसे पेक करनाथा.. फीर दो पहोरका खाना खाकर कुछ देर आराम करके फीरसे घरके सभी लोगोके कपडे ओर लताका दहेजका सामान दोनो अलग अलग पेक करती रही.. अ‍ैसेही पैकींग करनेमे साम ढल गइ..

इसी बीच नीलमने मौका देखतेही सबके कामपे होनेका पुरा फायदा उठालीया.. जैसेही सरलाने उसे गांवके कीरानेकी दुकानपे पेकींगकी रसी लानेको कहा तो वो छुपकेसे रमाका फोन लेकर बहार नीकल गइ.. तब ना रमाको पताथा तो नाही भावु ओर लताको.. सब अपने काममे बीजी थे.. ओर नीलम बहार दुकानपे दोडके चली गइ ओर फटाफट रसी लेकर वही साइडमे सुमसान गलीमे खडी रहेते धिरेनको फोन लगा दीया..

धिरेन : (अन्जान नंबर देखतेही फोन उठाते) हेलो.. कौन..? मे धिरेन बोल रहा हु..

नीलम : (भारी सांसोसे धीरेसे) जीजु.. में.. नीलम.. अभी मम्मीका फोन लेकर बहार आइ हु.. ये मम्मीका फोन नंबर हे सेव कर लीजीयेगा.. अब इसी फोनसे मे आपसे बात करुगी.. आप फोन मत करना.. ओर आइ अ‍ेम सोरी.. मेरी वजहसे लतादीदीने आपको डांट दीया.. उनको हमारे बारेमे सब पता चल गया हे.. अब हम क्या करेगे..?

धिरेन : (खुस होते) नीलु.. तुम फीकर मत करो.. मे तुजे अब फोन नही करुगा.. जब तु होस्टेलमे आजाओगी तब हम वही मीलते रहेगे.. तबतक मुजसे बात मत करना वरना.. वरना ओर लोगोको भी हमपे सक होजायेगा.. लेकीन तुमने मुजे जो कहेनाथा वो कहा नही.. हें..हें..हें..

नीलम : (सरमाते हसते) क्या..? जीजु मुजे बहुत सरम आरही हे.. अ‍ेक डर लग रहा हे.. अगर कीसीको हमारे बारेमे पता चल गया तो..?

धिरेन : नीलु अब कीसीको पता नही चलेगा.. ओर सुन सायद पुनम मुजे चाहती ही नही हे.. मुजे लगता हे वो कीसी ओरसे प्यार करती होगी.. तभीतो मुजसे दुर रहेती हे.. (जुठ बोलते) नीलु वो मुजसे सादी अपने घरवालो के दबावमे कर रही हे.. अ‍ैसा मुजे लगता हे लेकीन मे स्योर नही हु.. बस अब तुही पता मे क्या करु..? इनसे ज्यादा तो तुमने मुजे प्यार दीया हे.. कारमे हम दोनोने कीतने मजे कीये..

नीलम : (सरमाते धीरेसे हसते) जीजु मे फोन रखु..? मुजे घर जान होगा.. मे दुकानपे रसी लेने आइथी तो छुपकेसे मम्मीका फोन लेलीया मुने जाना होगा.. फीर मौका मीलतेही मे आपसे बात करलुगी..

धिरेन : (हसते) नीलु.. क्या अबभी मुजे जीजु कहेगी..? मेरी बात सुनले मे तुमसे सचमे प्यार करता हु.. ओर मे तुमसे मौका मीलतेही सादीभी करलुगा.. हम मीया बीवी दोनो सहेरमे रहेकर हमारी अलग दुनीया बसायेगे.. क्या मुजसे सादी करोगी..? ओर अभी तक तुमने मुजे आइ लव युभी नही कहा..

नीलम : (अ‍ेकदम सर्मसार होते धीरेसे) धि..रे..न.. आइ.. लव.. यु.. बस..? अब फोन रखदु..? सायद कोइ आ रहा हे..

धिरेन : (खुस होकर हसते) नीलु.. तुमने सादीके बारेमे कुछ नही कहा..

नीलम : (सरमाते हसते) धिरेन.. पहेले मुजे सहेरमेतो आनेदो फीर हम वही मीलकर डीसाइड करेगे.. की क्या करना हे.. बस सादीमे मुजसे बात मत करना ताकी लतादीदीको मुजपे ओर आपपे विस्वास होजाये.. ओके.. चलो मे फोन रखती हु..
धिरेन : (हसते) बस अ‍ैसेही फोन बखदोगी..? कुछ कीस बीस.. हें..हें..हें..

नीलम : (सर्मसार होते हसते) धिरेन.. आप बहुत नोटी हो.. मु..हां.. बुच..बुच.. बस.. आइ लव यु..

कहेते नीलमने फोन काटलीया ओर अपनी जेबमे छुपालीया फीर माही मन खुस होते हसने लगी.. ओर रसी लेकर खुस होते वापस घरपे आगइ.. ओर रसी लताको देदी.. तब अ‍ैसे बीहेव करने लगीकी कुछ हुआ ही नही.. ओर वही थोडी मदद करते अपनी मम्मीके रुममे चली गइ.. ओर फोनको चार्जींगपे रख दीया ताकी कीसीको सक नाहो.. ओर वो धिरेनसे बात करते मनमे बहुत खुस हो रहीथी.. ओर धिरेनके साथ सहेरमे उनकी बीवी बनकर घर बसानेका सपना देखने लगी....

कन्टीन्यु
 
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १०१ / २

तभी इधरभी देवायत अपनी कारमे हवेलीपे पहोंच गया.. पुरे रास्तेमे नीर्मला ओर देवायत मीररसे नैन मटक करते अ‍ेक दुसरेके साथ कामुक इसारे ओर मस्तीया करते रहे.. तब राजीवतो देवायतके साथ बातोमे ही बीजी रहा.. तब उनको नही पताथाकी उनकी बहेन कहो या उनकी पत्नी उनकी पीठके पीछे देवायतके साथ क्या क्या गुल खीला रहीथी.. ओर देवायतके कामुक इसारोसे उनकी चुतभी काफी गीली कर चुकी थी.. अगर राजीव उनके साथ कारमे नही होता तो आज पक्का वो देवायतसे कारमेही चुदवा लेती..

जैसेही कार हवेलीके अंदर आकर रुकी तब चंदा मंजु ओर पुनम दोडकर बहार आगइ.. तो कारमे राजीव ओर नीर्मलाको देखतेही मंजुकी आंखोसे खुसीके मारे आंसु बहेने लगे.. तब राजीव ओर नीर्मला कारसे उतर गये.. ओर उतरतेही पुरी हवेलीपे अ‍ेक नजर घुमाते देखने लगे.. तभी राजीवके पास मंजु दोडकर चली गइ.. ओर राजीवको देखती रही.. तभी राजीवकी नजर मंजुकी ओर गइ.. तो मंजु..

मंजुला : (आंसु बहाते) पापा..

राजीव : (अचानबक मंजुको देखकर खुसीसे) अरे.. मेरी बच्ची.. कैसी हे तु..?

कहेतेही दोनो आपसमे लीपट गये.. ओर मंजु उनके पापाको गले लगाकर फुट फुटकर रोने लगी.. तभी चंदाभी आंसु बहाते नीर्मलाको गले लग गइ.. फीर दोनोही राजीव ओर मंजु बाप बेटीका मीलन खुस होकर देखती रही.. तभी मंजुने अपने दोनो हाथोसे राजीवके चहेरेको अपने हाथोमे थाम लीया ओर आंसु बहाकर भी हसते हुअ‍े उनके पापाकी ओर देखती रही.. तब राजीवभी खुस होकर हसता रहा.. तभी..

नीर्मला : मेरी बच्ची.. मेभी यहा खडी हु.. आजा.. मेरे गले भी लगजा.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते हुअ‍े) ओह.. मोम.. आपभीनां..

कहेते वो दोडके नीर्मलाके गले लग गइ.. ओर फीरसे रोने लगी तब बाजुमे खडी चंदा हसते हुअ‍े मंजुकी पीठ सहेलाती रही.. तो नीर्मला मंजुको गले लगाते सोरी.. सोरी कहेती रही.. तब मंजु नीर्मलासे अलग होगइ ओर उनका दोनो हाथ थामके उनके सामने हसते हुअ‍े देखती रही.. तो नीर्मलाने उसे अ‍ेक बार फीरसे अपने गले लगा लीया ओर मंजुके कानमे कहेने लगी..

नीर्मला : मेरी बच्ची मुजे माफ करदे.. मेने तुम्हे पहेचानेमे बहुत बडी गलती करदी.. आइ अ‍ेम सोरी..

मंजुला : (नीर्मलाको अपनी बाहोमे कसते) मोम.. भुल जाइअ‍े सब.., सभी बाते अ‍ेक हादसा समजकर उसे भुल जाइअ‍े.. मुजे आपसे कोइ गीला सीकवा नही हे..

कहेते दोनो आपसमे बाते करने लगी तब चंदा राजीवके पास चली गइ ओर उनके पैर छुकर उनके गले लग गइ तो राजीवकी आंखोसे दो बुंद आंसु गीर गये.. ओर चंदाके सरपे हाथ रखकर उनको आशीर्वाद दीया.. तब पुनमभी अपने सरपे दुपटा ढकते राजीव ओर नीर्मलाके पांव छुने लगी.. तो राजीवने उनको धिरेनकी बहु समजकर सगुनके पैसेभी दिये.. तब पुनम बहुतही सरमाइ.. ओर नीर्मलानेभी पुनमको हसते हुअ‍े गले लगा लीया..

फीर सभी लोग हवेलीमे अंदर आगये तब राजीव ओर नीर्मला अंदर आतेही होलका इन्टीरीर देखकर बहुत खुस होगये.. क्युकी उनके जानेके बाद इस हवेलीमे काफी कुछ बदल गयाथा.. ओर दोनो सब जगह नजर घुमाते देखते रहे.. ओर खुस होते रहे.. तब मंजुने दोनोको सोफेपे बीठा दीया ओर खुद नीर्मलाके पास उनसे सटकर बैठ गइ ओर नीर्मलाका हाथ थामलीया.. तब देवायत ओर चंदाभी अ‍ेक साथ साथमे बेठ गये..

राजीव : (खुस होकर हसते) देवु बेटा.. अबतो मेरी दो दो बीटीया इस घरमे बहु बनके आगइ हे.. तुम अपना ध्यान रखना.. हें..हें..हें..

कहतो चंदा ओर मंजु दोनोही सरमा गइ ओर सर नीचा करते हसने लगी.. तभी रजीया ओर दया हसती हुइ सबको पानी देने लगी.. तो राजीव दयाको पहेचान गया ओर दया ओर रामुकाका का हाल चाल पुछने लगे तब दयाभी खुस होगइ.. ओर खाली ग्लास लेकर वापस कीचनमे चली गइ.. तब पुनमभी कीचनमे दयाकी मदद करने लगी.. क्युकी नीर्मला ओर राजीवमे उसे अपने सास ससुर नजर आ रहेथे..

तो वो उनसे बहुत सरमा रहीथी.. तभी भानु ओर लखनभी आगये तब भानुने आतेही अपने सास ससुरके पाव छुअ‍े.. ओर राजीवके पास बैठ गया फीर उनका हालचाल पुछने लगा.. तब लखनभी दोनोके पांव छुकर वही बैठ गया.. तो नीर्मला ओर राजीव भानुसे बाते करते भावनाकी खबर पुछने लगे तभी पुनम ओर रजीया सबके लीये चाइ नास्ता लेकर आगइ ओर सबको चाइ नास्ता देने लगी..

तब नीर्मलाने पुनमका हाथ पकडकर अपने पास बीठा दीया तब पुनम खुब सरमाइ ओर मुस्कराने लगी.. पुनमने अभीभी अपने सरपे दुपटा डालके रखाथा.. तो इसे देखकर चंदाभी खुस हो रहीथी.. आज उसे पुनमके व्यवहारपे गर्व होने लगा.. तभी नीर्मला उनके सरपे हाथ रख दती हे..

नीर्मला : (हसते) चंदा.. तुमने मेरे धिरेनके लीयेतो बहुतही खुबसुरत कुडी ढुंढी हे हें..हें..हें.. अब ये तेरी नही मेरी बहु हे.. मेरी बच्चीको कीसीकी नजर ना लग जाये..

कहेते नीर्मला अपनी आंखोसे काजल लेकर पुनमके कानके पीछे लगा देती हे तब सभी लोग हसने लगते हे तब पुनम सरमसे पानीपानी होगइ ओर जटसे खडी होकर हसते सरमाते अपने रुममे चली गइ.. ओर सब हसते रहे.. फीर भानुने परसो इधर आजानेकी बात करली ओर वो सबकी इजाजत लेकर नीकल गया.. तब चंदा ओर मंजु उसे देखती रही.. तब चंदाको नीर्मलासे भानुकी सादीके बारेमे बता देना उचीत लगा..

सबने चाइ नास्ता कीया.. फीर मंजु ओर चंदा नीर्मलाको लेकर अपने रुममे चली गइ.. तब मंजुने नीर्मलाको भानु ओर उनकी मामीके बीच जोभी हुआ वो सब सचाइ बतादी.. जीसे सुनकर अ‍ेक बारतो नीर्मलाको भी दुख हुआ.. लेकीन जैसेही बतायाकी ये सबतो होनेही वाला हे.. ओर अपनी कुछ सचाइ बतानेकी बातकी तब जाके नीर्मलाको कुछ राहत महेसुस हुइ.. मंजु ओर नीर्मलाके बीच बहुत कुछ बाते हुइ..

इधर देवायत ओर राजीव आपसमे बाते करने लगे तब लखनभी वही बैठकर दोनोकी बाते सुनता रहा.. देवायत राजीवको इस गांवके बारेमे सब बाते बताने लगा.. ओर उसने यहाके सरपंच ओर उनके कारनामे उनकी जमीनके कागजातके बारेमेभी सब बतादीया.. जीसे सुनकर राजीव बहुतही खुस होगया.. फीर दोनोने भुमीका ओर सृतीके बारेमेभी बातकी.. ओर कहाकी उनका सब मेही देख रहा हु..

तब अ‍ेक बार राजीवने भुमीकाको मीलनेकी इच्छाभी जाहीर की.. तो देवायतने आज सामकोही भुमीका ओर सृतीके इधर आनेकी बात कही.. जीसे सुनते राजीव खुस होते मुस्कुराने लगा.. तो दुसरी ओर भुमीका ओर सृतीके आनेसे देवायतभी मनही मन खुस हो रहाथा.. खास करके भुमीकाके आनेसे.. देवायतने अपने मनमे कइ रहस्योको छुपाके रखाथा.. फीर दोनोही गांवकी बाते करने लगे..

राजीव : बेटा.. तुमने गांवकी सकलही बदलदी.. ओर गांववालोको उनकी जमीन वापस देनेका फैसला लेकर बहुतही नेक काम कीया हे.. अब मेरे किशनके आत्माको सांती मीलेगी..

देवायत : पापा.. सब कागजात मेरे पास हे.. मेने उस नये सरपंचको ओर पुराने सरपंचकी बीवीको सब गांव वालोकी जमीनकी सुची मंगवाइ हे.. ओर मे ये नेक काम आपके हाथोसे सादीके दिन करवाना चाहता हु.. आपही अपने हाथोसे सबको उनकी जमीन वापस सोंप दीजीये..

राजीव : (हसते) लेकीन बेटा में..? ये नेक काम आपही अपने हाथोसे करदो..

देवायत : नही पापा अगर आज बापु जींदा होतेतो मे उनके हाथोसे ये काम करवाता.. लेकीन आपभी मेरे पीता समान हो.. अरे पीता समान क्या आप मेरे पीता ही हो.. तो ये नेक काम आपही अपने हाथोसे करदो..

राजीव : (खुस होकर हसते) चलो ठीक हे.. बेटा मुजे तुमपे गर्व हे.. मे खुसकीस्मत हु की मेरी दोनो बेटी इस घरकी बहु हे.. आप सचमे अ‍ेक राजा हो.. जो गांवकी भलाइ चाहते हो.. मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ हे..

देवायत : (हसते) पापा क्या आप उपरकी मंजीलपे चल सकते हो..? तो आइअ‍े मे आपको हमारी पुरी हवेली दीखाता हु.. हमने कीतना बडा बदलाव करदीया हे..

राजीव : (हसते) नही बेटा अभीतो डोक्टरने ज्यादा ट्रेस लेनेको मना कीया हे.. ओर मेने पुरी हवेली देखी हुइ हे.. यहा ही इतना बढीया डेकोरेशन इन्टीरीयर हेतो उपरभी वही कीया होगा.. मे जब ठीक होजाउ तब देख लुंगा.. क्या अभीभी यहा १६ बडे कमरे हेनां..? की कुछ बदलाव कीया हे..

देवायत : (हसते) ओह.. ठीक हे पापा.. तो आप ज्यादा मत घुमना.. ओर वोही कमरे हे.. कुछ ज्यादा कम नही कीया.. आपका कमरा इधरही होलमे हे आप उनमे आराम कीजीयेगा.. क्या अभी वहा जाना हे..?

राजीव : (हसते) अरे नही.. कुछ देर बैठते हेनां.. जब थक जाउगा तब वहा चला जाउगा.. ओर आपभी कोइ अपना काम होतो करलेना.. मेतो अकेले बेठनेका आदी हु.. हें..हें..हें.. अबतो चार पांच दीन हम यही हे..

देवायत : (हसते) जी पापा..

फीर दोनोही अ‍ैसे पारीवारीक बाते कर रहेथे तब मंजु चंदा ओर नीर्मला मंजुके रुममे बेठकर बाते कर रहीथी.. तो आज दया ओर रजीया बहुत बडीया खाना बना रहीथी.. ओर सब खाना मंजुके कहेनेपे बन रहाथा.. तभी मंजु ओर चंदा नीर्मलाको पुरी हवेली दीखाने लगी.. ओर घुमते घुमते पुनमके रुममे आगइ.. तब पुनम अपने बेडपे लेटकर मोबाइल देख रहीथी तो तीनोको देखतेही जटसे बेडसे उतर गइ ओर सर जुकाके मुस्कराते हुअ‍े खडी होगइ.. तब नीर्मलाने उसे हसते हुअ‍े हाथ पकडके फीरसे बेडपे बीठा दीया..

नीर्मला : (हसते) अरे मेरी बच्ची लेटी रहो.. हमतो तेरा ये रुम देखने आये हे.. (चारो ओर देखते) अरे वाह.. रुमतो तुमने बढीया सजाया हे.. बहुतही सुंदर.. बुलकुल तेरी तराह.. हें..हें..हें..

चंदा : (सरारतसे हसते) दीदी.. अबतो हमारी पुनो सीर्फ आपकी बहु हे.. मेरी तो अब ननंद हे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (जोरोसे हसते) हां तो सहीतो हे.. अब तुम उनकी भाभी होगइ हो.. तो तेरी ननंद ही हुइनां..? (पुनमकी ओर देखते) पुनमबेटा.. अबतो इसे तुम भाभी ही कहेना.. ओर खबरदार जो इसे तुमने अपनी सांस मानातो.. हें..हें..हें.. धिरेन मेरा बेटा हे.. समजी..? मे तेरी सास हुं.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) मोम.. आपतो मेरी बेटीको सरमादोगी..

नीर्मला : (हसते) क्या..? ये तुम्हारी बेटी हे..? हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते धीरेसे) हां मम्मीजी.. ये सीर्फ मेरी भाभीही नही.. मेरी मांभी हे.. मेरी गुरुभी मेरी सबकुछ..

नीर्मला : (प्यारसे पुनके सरपे हाथ रखते) अरे वाह मेरी बेटीसे इतना प्यार करती हे.. साबास बेटी.. भाभीभी मां होती हे.. मुजे खुसी हुइ मेरी मंजुको इतनी प्यारीसी मासुम बेटी मील गइ.. क्या पढना खतम होगया..?

चंदा : (हसते) नही दीदी.. अब इनकी सादीके बाद ओपन युनीर्वसीटीमे दाखला दीलवा देगे.. कहेती हे घरमे बेठकर पढाइ करुगी..

पुनम : (सरमाते हसते) मम्मीजी.. अब दिल नही हे पढनेका.. मुजे अब नही पढना..

नीर्मला : बेटी अभी तेरी उमरही क्या हे.. अगर तु पढना चाहेतो जरुर पढले.. तेरे ही काम आयेगा..

मंजुला : नही मोम.. अब पुनमको नही पढना.. उनका मनही नही हे.. अबतो सादी करके अपने बाल बच्चेको सम्हाले.. वोही काफी हे.. पढाइ करके उसे कहा नोकरी करनी हे.. तो घरही सम्हालेगी.. क्यु पुनो..?

पुनम : (अकदम सर्मसार होकर हसते) जी.. भाभी.. ओर सोरी.. मम्मीजी आइअ‍ेना इधर बैठीयेनां..

नीर्मला : (हसते) नही बेटी.. आज तुम्हारी हवेली पुरी देखलु.. तुम आराम करो.. हम चलते हे.. अबतो हम चार पांच दीन यही हे..

चंदा : (हसते) दीदी आप मंजुको लेकर हवेली देखो मे कुछ कीचनका काम देख लेती हु.. देखुतो सही दया आज क्या बना रही हे.. हें..हें..हें.. दयाभी आपको पहेचानती हे.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) हां.. वो रामुभाइकी लडकी हे..

कहेते तीनोही बहार आगइ.. तब पुनम वापस बेडपे लेट गइ.. ओर तीनो नीचे सब कमरेमे घुमते देखती रही.. फीर मंजु नीर्मला दोनोही उपरकी मंजीलकी ओर जाने लगी.. तब चंदा कीचनमे चली गइ.. ओर नीर्मला मंजु उपरकी मंजीलपे आगइ.. वहाभी नीर्मलाने सबकुछ देख लीया.. हवेलीमे तकरीबन सोलाह बडे बडे कमरे थे.. हर अ‍ेक कमरेको देखकर उसे किशनके साथ बीताये हुअ‍े हर रंगीन पल याद आने लगे..

अ‍ैसा कोइ कमरा नहीथा वहा जहा किशनने उसे प्यार(चोदा) नां कीया हो.. नीर्मलाको सब याद आने लगा.. ओर अ‍ेक बार फीर उनकी यादे ताजा होगइ.. तब उनकी चुत फीर अ‍ेक बार फडफडाने लगी.. नीर्मलाने देखा की हवेलीमे काफी कुछ बदल गया हे.. तभी उपरकी मंजीलसे अचानक उनकी नजर दया ओर रजीयाके कमरेकी ओर चली गइ.. जहा अ‍ेक जमानेमे वो अपने परीवारके साथ वहा रहेती थी..

मां तो पहेलेही चल बेसीथी.. वहा सीर्फ उनके बुढे बापु खुद ओर राजीव रहतेथे तब चंदातो बहुतही छोटी थी.. ओर उस कमरेको देखकर उनकी आंखोसे कुछ आंसु छलक गये.. इस कमरेके साथ नीर्मला ओर किशनकी बहुत कुछ यादे जुडी हुइथी.. नीर्मलाको अ‍ेक बार फीर सबकुछ याद आने लगा.. किशनके साथ बीताये हर पल अ‍ेक बार फीर नीर्मलाको रोमांचीत करने लगा.. ओर उनकी चुत फीरसे फडफडाने लगी..

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नीर्मला जबभी अपने कमरेमे अकेली होती तब किशन अक्सर वही आकर उनके कमरेमे रातभर ठहेरके नीर्मलाकी खुब चुदाइ कर लेताथा.. ओर किशनने उसे वही कमरेमे चोद चोदकर प्रेगनेन्ट कर दियाथा.. मंजु यही कमरेमे उनके पेटमे ठहेर गइथी.. तब नीर्मला उन कमरेकी ओर देखकर मंजुकी ओर देखने लगी.. तभी मंजुने देख लीया.. ओर उन कमरेकी ओर देखते उसे सबकुछ ज्ञात होने लगा.. ओर वो नीर्मलासे कहेने लगी..

मंजुला : (धीरेसे हसते) मोम.. ये वोही कमरा हेनां.. जहा आप ओर पापा रहेते थे.. मेरे ससुरने पुरी हवेलीको बदल दीया सीर्फ इस कमरेको छोड दिया.. कहेते थे इस कमरेको अ‍ैसेही रखना हे.. ओर उसने वहा कोइ चेन्ज नही करने दीया.. तब उसने नही बदलनेका कारण नही बताया था.. लेकीन आज मुजे सब ज्ञात होगया हे.. मोम.. यही कमरा हे.. जो असलमे मेरे जन्मके बीज यही आपके गर्भमे स्थापीत हुआ था.. क्या मे सही केह रही हुनां..?

नीर्मला : (सरमाते अपने आंसु पोछते मुस्कराकर) हां बेटी.. मुजे माफ करदे.. मे अभागन तुजे पहेचान नही पाइ.. की मेरी बेटी कोइ सामान्य लडकी नही कीसी ई--का अंस हे.. क्या तुजे हम सबके बारेमे सब ज्ञात होजाता हे..? तो फीर तुजे मेरे ओर किशनके बारेमे जानकर दुख नही हुआ..?

मंजुला : (नीर्मलाको गले लगाकर) नही मोम.. हम सब प्रकृतीसे बंधे हुअ‍े हे.. सायद मे खुदको नही पहेचान पाइ होती तो मुजे जरुर दुख होता.. लेकीन अब कीसीभी रीस्तेसे कोइ दुख नही होता.. क्युकी हमारा जीवन हमारे हाथोमे हे ही नही.. सब हमारे स्वामीके हाथोमे हे.. हम सब तो केवल हमारे स्वामीकी सेवामे यहा अपना कर्तव्य नीभाने आइ हे..

नीर्मला : (हसते) हम सब मतलब..? ओर कोन कौन हे..? हें..हें..हें..

मंजुला : (सरमाते हसते) मोम.. मे.. आप.. मेरी सास विमला.. चंदामौसी.. सरलाचाची.. हमारी भावु पुनम लता सृती यहा तक की हमारी भुमीका बुआभी.. ओर कुछ अ‍ैसेभी नाम हे जीसे अभी आप उसे नही जानती.. हम सबका कोइना कोइ रोल होता हे.. तो आप ये सब सोचकर दुखी मत हो.. जबसे मेने ये सब जानलीया तबही मेने आपको मनसे माफ करदीया था.. मोम.. आपभी हम सबका हिस्सा हो.. तभीतो हम सब इस परिवारके सम्पर्कमे आये हे.. जो मे हु वही आपभी हे.. मुजमे ओर आपमे कोइ फर्क नही हे..

नीर्मला : (मंजुसे अलग होते उनके चहेरेको अपनी हथेलीमे थामते) मेरी बच्ची.. इतनी समजदार होगइ हे..? हंम.. की अपनी मांकी गलतीको भी माफ करदीया.. मुजे तुमपे गर्वहे.. बस भगवान करे हम दोनोका हर जन्ममे रुणानुबंध अ‍ैसेही बरकरार रहे.. बेटी तुम सबके बारेमे कैसे सब जान लेती हो.. अ‍ैसी कोनसी शकितया आगइ हे तुममे..?

मंजुला : (हसते) मोम.. आज अनजानेमे ही सही.. आपके मुहसे फीरसे वोही प्रार्थना नीकल गइ.., जो हर जन्ममे आप करती हो.. बस अभी इतनाही केह सकती हु.. की हम दोनो कही जन्मोसे रुणानुबंधसे बंधे हुअ‍े हे.. कभी मे आपकी बेटी बनकर जन्म लेती हु.. तो कभी आप मेरी कोखसे बेटी बनकर आती हो.. ओर वास्तवमे आपही मेरी बेटी हो..

आप नही जानतीकी आप कौन हे.. किशन अंकल कौन थे.. ओर हमारा पती.. हमारा देवु कौन हे.. मे आपको फुरसतमे सब बताउगी.. क्युकी कुछ बाते जानना आपके लीये जरुरी हे.. ये सब बाबाकी दि हुइ शकितीयोके कारण हे.. मोम.. हमारी भावुभी हम दोनोकी तराह हमारे इस परीवारका हिस्सा हे.. आगे बहुत कुछ बदलाव होने वाला हे.. तो आप उसे जानकर वीचलीत मत होना..

नीर्मला : (अ‍ेक नजरसे मंजुकी आंखोमे देखते) बेटी.. तेरी बातोसे अ‍ेक बाततो पता चल गइकी हम सभी कोइ सामान्य ओरत नही हे.. मुजे सब जानना हे.. तेरे बारेमे.. मेरे बारेमे.. हमारी भावुके बारेमे हम सबके बारेमे.. की वास्तवमे हम सब कौन हे..?

मंजुला : (मुस्कुराते हां मे गरदन हीलाते) हां मोम.. मे आपको सबकुछ बता दुगी.. बस अ‍ेक बार ये सादी नीपट जाये.. फीर आप दोनोको अब यही रहेना हे.. हमारे पास..

नीर्मला : (हसते) नही बेटा.. हमतो सीर्फ सादी अ‍ेटेन्ड करने आये हे.. इसी बहाने तेरे पापाका हवापानीभी बदल जाये ओर उनको अच्छा लगे.. हम सीर्फ पांच छे दिनही रुकेगे.. फीर हमारे घर चले जायेगे.. तेरे पापाभी कहेते हे बेटीओके घर ज्यादा दिन नही रहेना चाहीये.. तु हमे रुकनेके लीये फोर्स मत करना..

मंजुला : (हसते) ठीक हे मोम.. लेकीन ये सीर्फ आपकी बेटीओका घर नही हे.. मोम.. बुरा मत मानना.. ये घरपे आपकाभी इतना हक हे जीतना आपकी बेटीओका हे.. अ‍ेक दिनतो आपको इधर हमारे पती देवुका दामन थामने आनाही पडेगा.. अपने ससुराल..

नीर्मला : (सरमाकर धीरेसे) मंजु.. प्लीज.. मत कर अ‍ैसी बाते.. मत कर मुजे सर्मीन्दा.. तुमतो सब जानती हे.. मेरा अतीत कैसा हे.. क्या तुजे मेरे बारेमे जानकर दुख नही होता..? मे बहुत गंदी ओरत हु.. ना मे ठीकसे अ‍ेक बेटी बन पाइ.. नाही मे अ‍ेक अच्छी बहेन बन पाइ.. नाही ठीकसे बीवी बन पाइ.. ओर नाही मे ठीकसे मां बन पाइ.. बेटी.. मे अपने हर रोलको ठीकसे नही नीभा पाइ.. में देवुसे रीलेशन रखके तेरे सामने अपने आपको बहुतही सर्मीन्दा महेसुस कर रही हु..

मंजुला : (हसते) मोम.. आपको सर्मीन्दा होनेकी जरुरत नही हे.. ओर सर्मीन्दा होगीतो भी कीससे..? मुजसे..? मोम.. आप बहुतही भोली ओर अच्छी हो.. आपने सबको अपना प्यार बांटा हे.. आपकी हमसब की जींदगीमे क्या अहेमीत हे आपकोतो पताही नही हे.. आपने अपनी जींदगीका हर रोल अच्छी तराह नीभाया हे.. ये सब हमारे उस स्वामीकी मरजीसे हुआ हे.. तो अपना दिल छोटा मत कीजीये.. हमारे देवुके साथ रीलेशनसे मुजे कोइ दुख नही हे.. आपही उनकी पहेली बीवी रहेगी..

नीर्मला : (आंखमे आंसुके साथ) बेटी.. फीरभी मे तेरी गुनेहगार हु.. मे तुमसे क्या कहु..? तेरे ही पती.. जो मेरा जमाइ हे.. उनके साथही.. मेने सादी.. हमारे जीस्मानी तालुकात.. तो मे इधर कैसे आसकती हु..?

मंजुला : मोम.. आप कुछभी मत बोलीये.. आपको नही पता आपका रोल क्या था.. मुजे आपके ओर देवुके रीस्तेसे कोइ प्रोबलेम नही हे.. आप इधर आजाइअ‍े.. मे खुद केह रही हु.. तो फीर क्या प्रोबलेम हे..? ओर ये आपका हकभी हे.. हमारा देवु इतना सक्षम हेकी हम सबको सम्हाल सकता हे..

हम सबको संतुस्ट कर सकता हे.. मोम.. आप अपनी लाफ खुलकर जीलो.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. आप उनकी पहेली बीवी थी.. आजभी हे.. ओर आगेभी हमेसा रहेगी.. सीर्फ इस जन्ममे नही हर जन्ममे आपही उनकी पहेली बीवी रहेगी.. आपका ये हक कोइ नही छीन सकता.. पीछले जन्मकी आपही मेरी सोनु हो..

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जब मंजुलाने इतनी बाते खुलकर कहेदी तब नीर्मला मंजुके गले लग गइ ओर फुट फुटकर रोने लगी.. तब उनकी आवाज सुनने वाला उपरकी मंजीलपे कोइ नही था.. मंजु उनकी पीठ सहेलाती रही.. ओर नीर्मला उनकी बाहोमे उनके कंधेपे सर रखकर आंसु बहाती रही.. कुछ देरके लीये मंजुनेभी उनको रोने दिया ताकी नीर्मलाका जी रोकर कुछ हद तक हल्का होजाये.. फीर मंजुने उसे अपने आपसे अलग करके उनके आंसु पोछ दीये.. तब नीर्मलाने मंजुको प्यारभरी नजरोसे देखते उनके चहेरेको अपनी हथेलीओमे थामलीया..

नीर्मला : (मंजुके गालोको हाथोमे थामते) बेटी.. मे बहुत खुसकिस्मत हुकी तुम मेरी बेटी हो.. तुमने मुजे कीतनी आसानीसे माफ करदीया.. ओर मे अभागन आजभी तेरी सास विमलाको माफ नही करपाइ..

मंजुला : (मुस्कुराते) मोम.. अब आप उसेभी माफ करदो.. कबतक बदलेका बोज अपने दिलमे रखकर रहोगी.. अबतो वोभी इस दुनीयामे नही हे.. ओर वोभीतो कीसीना कीसी रोल नीभाने इधर आइ होगी..

नीर्मला : बेटी सही कहा तुने.. अब मुजे कीसीसेभी कोइ गीला सीकवा नही हे.. ओर नाही कोइ अपने कीयेपे अफसोस.. आज मेरी बेटीने मुजे बहुत कुछ सीखा दीया.. तु वाकइ मेरी बेटी नही मेरी मां हे.. बेटी मुजे सबकुछ जानना हे.. बस मेरे लीये कुछ टाइम नीकाल.. हम दोनो अकेली फुरसतमे सब बाते करेगे..

मंजुला : (हसते) ठीक हे मोम.. आपको अ‍ेक ओर बातभी कहेनी हे.. सायद कल आपकी बेस्ट फ्रेन्डभी इधर आजायेगी.. वो ओर उनकी बेटी.. सृती ओर भुमीका बुआ.. क्या आप उनके बारेमे कुछ जानती हे..?

नीर्मला : (हसते) भुमीका..बु..आ.. हें..हें..हें.. लगता हे तुम काफी कुछ जानचुकी हो.. चल कोइ बात नही.. कमीनी कीतने दिनोसे मीली ही नही.. फोनपे भी बात नही हुइ.. उसे राजीवका तो पताही नही होगा.. मीलेगी तब मुजे बहुत गालीया देगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) नही मोम.. पापाके बारेमे उनकी देवुसे बात होगइ हे.. इसीलीयेतो इधर आ रही हे.. सादीभी अ‍ेटेन्ड करलेगी ओर आप दोनोको मील भी लेगी.. ओर सृती..? मोम.. इनके बारेमेभी मुजे आपसे बात करनी हे.. वो हम फुरसतमे बात करेगे.. अब चले नीचे.. डीनरभी बन गया होगा..

नीर्मला : (खुस होकर हसते) हां मेरी बच्ची.. चलो.. आजतो तुमसे बाते करते जी हल्का होगया.. हें..हें..हें..

दोनोही मां बेटी मुस्कुराते नीचेकी ओर आने लगी.. तब लखनके कमरेके पास गुजरे तब लखनभी अपने बेडपे लेटकर मोबाइलपे लतासे बात कर रहाथा तो वहा दरवाजेके पास रुकते मंजुने लखनकोभी नीचे डीनरके लीये आनेको केह दीया.. ओर दोनो मां बेटी नीचे आगइ तब राजीव ओर देवायत अभी दोनो गांवकी बाते करते गप्पे लगा रहेथे.. ओर नीर्मला मंजु उनके पास आकर सोफेपे बैठ गइ....

कन्टीन्यु
 
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