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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - २३९

जबतक मंजु नहाकर कंपलीट होगइ.. तबतक पुनमने लखनको फोन करदीया था.. तो लखन भी अभी अभी सोया था तो वोभी पुनमकी बात सुनकर थोडा गभरा गया.. ओर वो भी रेडी होने बाथरुममे चला गया.. इधर सब कंपलीट हो गये.. तो मंजुने विजयको सम्हालनेके लीये पुनमको देदीया.. ओर चंदा मंजु नीर्मला ओर भुमीको लेकर देवायत सहेरकी ओर नीकल गया.... अब आगे

रास्तेमे देवायतने लखनसे बात करली.. तो लखन राधीका ओर रजीयाको सभी बात बताकर उसी मल्टी स्पेसीयालीस्ट होस्पीटलमे पहोंच गया.. ओर इमरजन्सीमे बात करते लखनने डोक्टरको भी बुला लीया था.. बीस पचीस मीनीटके बाद देवायत भी सबको लेकर पहोंच गया.. तब सुबह साडे सात बजनेको आये थे.. पुरे रास्ते चंदा कुछना कुछ बडबडाती रही.. यहा पहोंचकर लखनने सब कंपलीट रखा था..

चंदाकी ट्रीटमेन्ट सुरु होगइ.. वहा लखनने अ‍ेक स्पेसीयइ रुम ले रखा था.. चंदाके सभी तराहके टेस्ट हुअ‍े.. उनका अ‍ेम आर आइ भी हुआ.. फीर चंदाको दवाइ पीलाइ ओर वो गहेरी नींदमे सो गइ.. अब चंदाके सभी रीपोर्ट आनेका इन्तजार था.. जो इसमे थोडा टाइम लगने वाला था.. अ‍ैसे ही साडे नव बज गये.. कीसीने कुछ खाया पीया नही था..

तो लखनने वही सबके लीये चाइ नास्तेका इन्तजाम कीया.. इसी बीच सुबह जब सृती नहाकर कंपलीट होगइ.. ओर अपनी क्लीनीकपे जा रही थी.. तब बीच रास्ते उन्होने अ‍ैसे ही पुनमको फोन कीया.. तो मंजुके मना करनेके बावजुद भी पुनमने सृतीको चंदाके बारेमे सब कुछ बता दीया.. सुनकर सृती भी थोडी वीचलीत होगइ.. ओर उसने फौरन अपनी कार वहीसे वापस घुमाइ..

कार होस्पीटलकी ओर लेजाते सृतीने लखनको फोन करदीया.. तो बहार मेडीकल स्टोरसे दवाइ ले रहा था.. लखनने उसे कोनसी होस्पीटलमे अ‍ेडमीट हे वो बता दीया.. ओर सृती कार लेकर सीधी वही पहोंच गइ.. तो चंदा गहेरी नींद सो रही थी.. ओर नीर्मला भुमीका ओर मंजु चुदाके पास बैठी थी.. देवायत बहार बैठकर कीसीसे फोनपे बाते कर रहा था.. तभी उसने भी सृतीको आते ही जटसे अंदर जाते देखलीया..

फीर भी वो वही बैठकर बाते करता रहा.. तबतक सृती रीसेप्नीस्टसे पुछकर कमरेमे चली गइ जहा चंदाका रुम था.. तो अंदर जाते ही सबको देखकर उनकी आंखोसे आंसु बहेने लगे.. ओर वो मंजुकी ओर देखते ही हाथ जोडती हे.. ओर भुमीके पैरमे गीरते मांफी मांगते रोने लगती हे.. तो भुमीका भी दिल पीगल गया.. ओर वो भी आंसु बहाते सृतीके सरपे हाथ घुमाने लगी.. तभी अचानक मंजुने उनका हाथ पकडकर खडा करदीया..

मंजुला : (थोडा गुस्सेमे धीरेसे) क्यु आइ हे इधर..? तमासा करने..? देखती नही ये होस्पीटल हे..

सृती : (मंजेके पैर पकडपे आंसु बहाते) दीदी.. मुजे माफ करदो.. मुजसे बहुत बडी गलती होगइ.. मे आपको पहेचान ना सकी.. बस.. सीर्फ अ‍ेक बार माफ करदो मुजे..

मंजुला : (सामने देखते) क्यु..? अब क्यु माफी मांग रही हे..? तुजे कहाथानां मुजे अपनी सकल मत दीखाना.. मेने तुजे कीतना समजाया था.. तबतो हमारी अ‍ेक नही सुनी.. ओर अब माफी मांग रही हे..? तुजे तेरी सहेलीने समजाया थानां..?

सृती : (रोते आंसु पोछते) हां दीदी.. प्लीज.. मुजे सीर्फ अ‍ेक बार माफ करदो.. मे वादा करती हु.. आइन्दा अ‍ैसी गलती कभी नही करुगी.. प्लीज.. प्लीज..

मंजुला : (थोडा सांत होते) देख सृती.. मे अभी यहा तुमसे कोइ बात करना नही चाहती.. तुम तो हम सबसे रीस्ता तोडके गइ थीनां..? ओर गइ तो सीधे अपने घर..? मेरा बेटा भी तुजे लेने आयाथानां..? तो फीर उनके साथ क्यु नही आइ..?

सृती : (गीडगीडाते) दीदी.. कहानां मुजसे बहुत बडी गइती होगइ.. मुजे माफ करदो.. प्लीज.. ओर क्या हुआ हे चंदा दीदीको..? कीसीने मुजे कुछ बताया भी नही.. मे अ‍ेक डोक्टर हु.. इनको कुछ होने नही दुगी..

मंजुला : (सामने देखते) तेरी सहेलीने तुजे बता दीया.. तभी तो आइ हो इधर.. ओर सुन.. मे यहा अभी कुछ भी बात करनेके मुडमे नही हु.. जब हम घरपे चले जाये तब बात करने आजाना.. अभी यहा होस्पीटलमे मे कोइ तमासा करना नही चाहती.. समजी..? यहा डोक्टर हे इनको देखनेके लीये.. जा यहासे..

सृती : (आंसु बहाते) दीदी.. प्लीज.. मे चंदा दीदीका सब देख लुगी.. इसे कुछ होने नही दुगी.. मुजे यहा रहेने दीजीये..

मंजुला : (दुसरी ओर मुह करते थोडा सख्त लहेजेमे) नही सृती.. मेने कहानां तु अभी यहासे चलीजा.. हम इस बारेमे फीर कभी बात करेगे.. ओर हां.. बात करनी होतो अपनी सहेलीसे बात करके सब जान लेना.. लेकीन अभी यहासे चलीजा..

सृती : (आंसु पोछते) ठीक हे दीदी.. अभी तो मे जा रही हु.. देखना आपको मुजे माफ करना ही पडेगा..

कहेते सृती आंसु बहाते वहासे चली गइ.. वो जटसे अपनी कारमे बैठ गइ.. ओर कारको भगाके वहासे चली गइ.. लखनने दवाइआ लेकर वापस आते हुअ‍े सृतीको जाते हुअ‍े देखलीया.. ओर लखन सीधा ही देवायतके पास चला गया फीर दोनो भाइ अंदर रुममे आ गये.. तो लखनने सृतीके जानेकी बात कही.. मंजुने देवायत ओर लखनको सब कुछ बता दीया..
 

dilavar

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तो इधर सृती अपनी कार फास्ट चलाते अपनी क्लीनीककी ओर जा रहीथी.. उसे अब अपने कीयेपे बहुत पछतावा हो रहाथा.. वो सोचने लगी.. जब लखन उनको लेने आया तब उसे लखनके साथ की हुइ मस्ती याद आने लगी.. उसे पुनमकी कही अ‍ेक अ‍ेक बात याद आ रही थी.. पुनमने उसे आगाह भी कीया था.. की लखन लेने आये तो चली जाना.. वरना मस्तीया करते लेनेके देने ना पड जाये..

ओर वो चालु कारसे अपने फोनपे पुनमको फोन करने लगी.. उनका ध्यान फोनमे होनेकी वजहसे नही रहा.. ओर अचानक अ‍ेक ओरत अपने बच्चेको लेकर थोडी बीचमे आगइ.. जैसे ही सृतीका ध्यान उधर गया वो जोरोसे चीला उठी ओर अपना स्टेरींग जटसे घुमाते रोडसे उतर गइ.. वो अपनी कारको ब्रेक मारते कंट्रोल करती उनसे पहेले ही उनकी कार अ‍ेक साइडमे बंध पडे ट्रकसे टकरा गइ..

ओर ध..डा..म..करते जोरसे आवाज आइ.. तो लोग कारकी ओर दोडने लगे.. कारका अगला सीसा टुट गया था.. ओर लोगोने बडी मुस्कीलसे सृतीको बहार नीकाला.. सृती अ‍ेक दम गभराते कांप रही थी.. तभी उसे अपने सरपे कुछ गरम महेसुस हुआ.. वो सरपे हाथ सगाकर देखने लगी.. तो सरसे खुन नीकल रहा था.. तभी उसने दुसरा हाथ उठाया तो हाथमे बहुत दर्द करने लगा..

कीसीने पुलीसको फोन कीया तो कीसीने अ‍ेम्युलन्सको फोन करदीया.. तभी अ‍ेक आदमी कारसे उनका पर्स ओर मोबाइल लेकर सृतीके पास आने लगा.. ओर उसे कुछ याद आया तो मोबाइलपे लास्ट कीये हुअ‍े कोलको लगा दीया.. तो वो कोइ पुनमका था.. ओर उसने पुनमसे बात करली.. तो पुनमने तुरंत लखनको कोल करदीया.. लखन पुनमका फोन देखते ही मुस्कुराते रुमसे बहार नीकल गया..

उसे लगाकी पुनमने उसे चंदा भाभीकी खबर पुछनेके लीये फोन कीया होगा.. तो कुछ प्यारकी बाते भी होजायेगी.. उसने रुमसे बहार नीकलते ही फोन उठालीया.. तो पुनमने लखनको सृतीके अ‍ेक्सीडन्टके बारेमे सब जानकारीया देदी.. ओर उसे फौरन वहा जानेको कहा.. लखन सुनते ही थोडा गभरा गया.. फीर बीना कुछ सोचे समजे कीसीको कहे बगैर अपनी बाइक लेकर वहासे नीकल गया..

लखन सृतीकी क्लीनीककी ओर जाने लगा.. बीच रास्ते उसे अ‍ेक जगाहपे लोगोकी भीड दीख गइ.. ओर लखन वही पहोंच गया.. तो लोग सृतीको अ‍ेम्ब्युलन्समे सीफ्ट कर रहे थे.. सृती दर्दके मारे अ‍ेक पैर पकडकर चीला रही थी.. तो लखन फौरन सृतीके पास आया ओर उसे देखने लगा.. सृतीकी हालत देखते ही लखनकी आंखसे आंसु नीकल गये.. तभी सृतीने लखनको आंसु बहाते देखलीया.. उनको लखनको देखकर थोडी तसली मीली..

सृती : (गभराते रोते) लखन भैया..

लेडीस : (बच्चेके साथ अ‍ेम्बुलन्समे बेठते) मेडम गभराइअ‍े नही मे आपके साथ चलती हु..

लखन : जोरोसे दीदी.. मे भी पीछे पीछे आ रहा हु.. गभराना नही..

फीर वोही लेडीस अपने बच्चेको लेकर सृतीके साथ बैठ गइ.. ओर लखन सृतीको उनके पीछे आ रहा हे कहेते अ‍ेम्ब्युलंन्सके पीछे चलने लगा.. अ‍ेम्ब्युलंन्स सीधी सरकारी होस्पीटलपे पहोंच गइ.. वहा इमरजन्सीमे सृतीकी ट्रीटमेन्ट सुरु होगइ.. उनके सरपे मलम पटी लगादी.. फीर सृतीको ओर जगाहपे भी चेक करलीया.. फीर सृतीको वहासे ओर्थोपेडीक वोर्डमे सीफ्ट करदीया..

तबतक वो लेडीस अपने बच्चेको लेकर सृती लखनके साथ साथ घुमती रही.. वो बार बार लखनकी ओर देखते गभरा रही थी.. लखनने वहा भी अ‍ेक स्पेसीयल रुम रख लीया.. तो वहाके डोक्टर ओर नर्स इनको पैसे वाले समजकर अच्छेसे ट्रीटमेन्ट देने लगे.. फीर वहा सृतीके हाथ ओर पैरका अ‍ेक्सरे नीकाला तब पता चला सृतीके पैरमे ओर हाथमे माइनोर फेक्चर हुआ हे..

हाथ मे तो बहुत नही था.. लेकीन पैरमे थोडा ज्यादा फेक्चर हुआ था.. सृतीके पैरमे प्लास्टर लगा दीया.. ओर हाथमे भी कोनीकी जगाह थोडा प्लास्टर लगा दीया.. जो सृतीका हाथ पटी बांधर गलेमे लटका दीया.. फीर सृतीको छे घंटेके लीये वहा रुकनेको कहा.. तभी वो लेडीस अपने बच्चेको लेकर आइ.. ओर सृतीका धन्यवाद करते उनकी माफी मांगने लगी.. तो दो पोलीस वाले भी वहा आगये..

फीर वो लेडीसने सारा वक्या सुनाया की सृतीने उनके बच्चेकी जान बचाइ हे जो उनकी नजर चुकाके रोडपे चला गया था.. क्युकी गलकी उनके बच्चेकी थी.. जो उसे सम्हालनेके चकरमे वोभी बीच रास्तेपे आगइ थी.. ओर सृतीने उनकी जान बचाइ.. तो सृतीने उसे माफ करदीया.. पुलीस वाले भी सृतीका जवाब लीखकर वहासे चले गये.. फीर सृतीने वो लेडीसको भी जानेके लीये केह दीया.. अब रुममे सीर्फ सृती ओर लखन ही थे.. तभी लखनके फोनकी रींग बजने लगी..
 

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लखन : (फोन उठाते) हां दीदी.. हम होस्पीटल मे ही हे.. दीदीको हाथ ओर पैरमे थोडा फैक्चर हो गया हे.. ओर अभी सब कंपलीट ट्रीटमेन्ट होगइ हे..

पुनम : (फोनपे) भाइ.. मेने मंजुदीदीसे बात करली हे.. क्या मेरा वहा आना जरुरी हे..? कहा हे वो..? क्या वो बात कर सकती हे..?

लखन : (मुस्कुराते) हां दीदी.. कर सकती हे.. मे देता हु दीदी को..

कहेते लखनने सृतीको फोन देदीया.. ओर सृती दुसरे हापसे फोनको लेकर पुनमसे बात करने लगी..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. कैसी हे आपकी तबीयत..? कहा थानां कल सम्हालके रहेना..

सृती : (धीरेसे मुस्कुराते) क्या दीदी.. आप ओर आपकी बाते.. अब क्या बताउ..? मुजे क्या पता आप इस हादसेकी बात कर रहीथी.. अगर मुजमे इतनी समज होती तो ये सब थोडीनां होता..? कहीये कैसी हे आप..? बस.. चंदादीदीको होस्पीटलपे देखने गइ थी.. ओर वापस आ रहीथी.. आपको फोन लगानेमे ध्यान नही रहा ओर ये सब हो गया.. बाकी आपको तो सब पता हे वहा क्या हुआ..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. अब जो होना था होगया.. चला गया तुफान.. अब सीधे हमारे घरपे ही चली जाना.. (धीरेसे) दीदी.. क्या लखन भैयासे कोइ बात हुइ..?

सृती : (लखनके सामने देखते धीरेसे) नही.. अभी कहा.. वोतो आते ही मेरी सेवामे दोडधाम करने लगे.. कभी इधर कभी उधर.. देखो अभी भी मेरे सामने नही देखते.. दुर खडे होते भी कैसे घुर रहे हे मुजे.. जैसे अभी कच्ची चबा जायेगे मुजे.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते) दीदी.. आप भीनां.. अभी भी अपनी हकरतोसे बाज नही आओगी.. अरे यही तो मौका हे.. जरा प्यारसे बात कीजीये उनसे.. हो सकता हे आपसे बात करने लगे.. क्या वहा सबको पता हेकी नही..?

सृती : (धीरेसे) नही.. सायद मंजु दीदीको सब पता चल गया होगा.. लगता हे अब हमारा भाइ फ्रि होगया हे.. तो अब बात कर लेगा.. दीदी.. अच्छा हुआ लखन भैया आगये.. वरना मे अकेली क्या करती..?

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) दीदी.. टेन्शन मत लीजीये मेने मंजुदीसे बात करली हे.. अब भुल जाइअ‍े पीछला सबकुछ.. अब तो वहा हमारा भाइ हे.. जो अब हम दोनोके सैया होने वाले हे.. कहा हे वो..? फोन दीजीये जरा..

सृती : (मुस्कुराते) लीजीये.. दीदी बात करना चाहती हे आपसे.. बात कीजीये..

लखन : (फोन लेते थोडा दुर जाते धीरेसे) हां दीदी.. कहीये..

पुनम : भैया.. मेने मंजु दीदीको इस अ‍ेक्सीडन्टके बारेमे बता दीया हे..? क्या आपने फोन कीया..?

लखन : नही दीदी.. फोन करनेका टाइम ही नही मीला.. आपका फोन आते ही मे सीधा बहारसे ही चला आया.. मे अभी भाभीमां से बात करलेता हु.. क्या आप आ रही हो इधर..?

पुनम : (मुस्कुराते) नही भाइ.. सबलोग वहा हे.. तो यहा भी कोइ नही हे.. विजय मेरे पास छोडकर गये हे.. भाइ.. सुनो.. मुजे आपसे अकेलेमे बात करजी हे.. तो बादमे मुजे फोन करना.. ओके.. चलो रखती हु..

लखन : (जटसे) दीदी.. सुनो.. सुनो.. सुनो.. मे अकेला ही हु.. बहार चला जाता हु.. कहीयेनां क्या बात करनी हे..? कुछ खास बात हे क्या..?

पुनम : (मुस्कुराते) हां.. खास बात हे.. लेकीन अभी नही.. जब आप फ्रि होकर घर चले जाओ तब फोन करना.. मे आपको सब कुछ बता दुगी.. ओके..? बाय..

फीर पुनमका फोन कट होते ही लखनने देवायतसे फोनपे बात करके सब जानकारी देदी.. तो देवायतने अभी लखनको सृतीके पास ही रहेनेकी ओर सृतीको अपने घरपे लेजानेकी बात कही.. लेकीन फीर भी मंजुको सब पता चल चुका था.. फीर भी वो खामोस रही.. नीर्मलाने ज्यादा समय लखनको नही देखा तो लखनके बारेमे पुछ ही लीया.. तो मंजुने लखन कामसे बहार गया हे कहेकर बातको टालदी..

फीर दोपहोरके खानेका देवायतने वही इन्तजाम करलीया.. तो लखन भी वहीसे खानेका इन्तजाम करके सृतीके पास आगया.. सृती अपने फोनसे क्लीनीकपे बात करते सब अ‍ेपोटमेन्ट अ‍ेक हप्तेके लीये केन्शल कर देती हे.. सृतीके दायने पैर ओर बायने हाथपे प्लास्टर लगा हुआ था.. तो उनको खानेमे कोइ दिकत होने वाली नही थी.. ओर लखनने दोनोका खाना नीकाला.. ओर सृतीको देदीया.. तब..

सृती : (सामने देखते) भाइ.. देखोनां.. हाथमे प्लास्टर लगा हुआ हे.. तो मे कैसे खाउगी..?

लखन : (सामने देखते) ज्यादा नाटक मत करो.. प्लास्टर दाये हाथमे नही बाये हाथमे लगा हे.. तो चुपचाप नखरे कीये बगैर अपने हाथसे खालो..

सृती : (थोडी रुहासी आवाजमे) यार.. इस हाथमे भी थोडा दर्द कर रहा हे.. तो अपने हाथोसे खीलाओनां.. मेरे अच्छे भैया.. प्ली..ज..

लखन : (सामने देखते खाना खीलाते) नौटंकी बाज..

सृती : (हसते) हें..हें..हें..

सामने देकर मुस्कुराते लखन सृतीको अपने हाथसे खीलाने लगा.. तो सृती प्यार भरी नजरोसे सीर्फ लखनको ही देखती रही.. जब सृतीने खाना खालीया तो लखनने उनका मुह साफ करदीया.. फीर वो भी खाने लगा.. तो सृतीने अ‍ेक नीवाला उठा लीया.. ओ लखनको खीलाने उनके मुहके पास रखदीया.. तो लखन सारा माजरा समज गया.. की सृती उनके साथ दुसरे हाथमे दर्दका नाटक कर रही थी.. तभी..
 

dilavar

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लखन : (थोडे गुस्सेमे) ये सब क्या हे..? हाथमे तो दर्द हो रहाथानां..? तो फीर..?

सृती : (मुस्कुराते रीक्वेस्ट करते) लखन भैया.. प्ली..ज.. खालोनां मेरे हाथसे.. मे तो मजाक कर रही थी..

लखन : (सामने देखते) दीदी.. अ‍ैसा मजाक मत कीया करो.. मुजे अच्छा नही लगता.. अ‍ेक तो हाथमे दर्द हे.. ओर..

सृती : (आंख गीली करते) ओह.. सोरी.. सोरी.. सोरी.. अब नही करुगी.. लेकीन खालो तो सही..

लखन : (मुस्कुराते सृतीका नीवाला खाते धीरेसे) भाभीमां सही केह रही थी.. जीतो चाहता हे अ‍ेक खीचके कानके नीचे लगाउ.. सारा मजाक भुल जाओगी..

सृती : (मुस्कुराते अपना चहेरा आगे करते) हंम.. तो फीर खीचके अ‍ेक मारलो.. हम अभी होस्पीटलमे ही हे.. मे गालपे भी मलम पटी लगवा लुगी.. हें..हें..हें..

लखन : (मुस्कुराते) आप नही सुधरोगी.. अब आप मेरी भाभी नही बडी दीदी हो.. तो अब अ‍ैसा मजाक मत कीया करो.. अब देख क्या रही हो..? खीलाओ मुजे.. क्या आप सुरुसे ही अ‍ैसी हे..?

सृती : (कामुक नजरोसे मुस्कुराते) नही.. जब आप मेरे सामने होतो.. मुजे आपके साथ मस्तीया करनेमे बहुत मजा आता हे.. पता हे मे आपकी कौन लगती हु..?

लखन : (सरमाकर मुस्कुराते) हां.. पुनो दीदीने सब कुछ बताया मुजे.. आप भी मेरी बहेन होनां..?

सृती : (मुस्कुराते खाना खीलाते) हां.. अब मुजे दीदी ही कहेना.. अब आपकी भाभी आपकी भुमी आंटी हे.. समजे..? मे तो अब आपको भाइ ही कहुगी..

लखन : (मुस्कुराते) फीर देखना.. अगर बहेन होगइ तो फीर फस जाओगी.. आपको तो हमारे खानदानके बारेमे.. आपको सब पता हेनां..?

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे) हां.. पता हे.. कोइ बात नही.. मे फसनेके लीये तैयार हु.. फसा लीजीये मुजे..

लखन : (मुस्कुराते) फसनेके लीये तैयार हो..? फसनेका मतलब भी जानती होनां..?

सृती : (सर्मसार होते मुस्कुराते धीरेसे) हां.. बहुत अच्छी तराह.. जैसे पुनो दीदीको फसालीया हे.. आपको पता हे..? आपकी भाभीमां.. तुम दोनोकी सादी करवाना चाहती हे..

लखन : (सरमाकर मुस्कुराते) हां.. अभी अभी पुनो दीदीने बताया मुजे.. दीदी.. आप भाइकी अमानत थी.. तो अ‍ेक डरसा लग रहा था.. तभी तो उस दिन आपको मना कीया था..

सृती : (मुस्कुराते) भाइ.. अब तो नही हुनां..? अब मे बहेन हु आपकी.. मेने देवुके साथ पती पत्नीके सारे रीस्ते खतम करलीये हे.. क्या मां ओर बेटी.. दोनो अ‍ेक ही आदमीसे रीलेशन रख सकती हे..?

लखन : (सामने देखते धीरेसे) हां.. क्यु नही..? भाभीमां.. ओर नीर्मला आटी.. उनकी अच्छी मीसाल हे.. क्या वो दोनो मां बेटी भाइकी बीवीया नही हे..?

सृती : (मुस्कुराते) होगी.. लेकीन मे अ‍ैसा रीलेशन रखना नही चाहती.. मुजे अब मेरे इस भाइसे मतलब हे.. रीलेशन रखुगी तो मेरे इस क्युट भाइसे वरना सारी जींदगी अ‍ैसे अकेले काटलुगी..

लखन : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. मेरे साथ रीलेशन रखना हेतो अ‍ेक बार फीर सोचलो.. क्युकी अब मे आपकी नाराजगी ओर नही जेल सकता..? कोइ मुजसे रुठता हे तो बहुत दुख होता हे..

सृती : (मुस्कुराते हाथ थामते) सोरी भाइ.. मेने सबकुछ सोच समजके फैसला लीया हे.. अब अ‍ैसा कभी नही होगा.. आइ प्रोमीस.. हम दोनो बहेने रेडी हे.. अपनालो हमे.. मे फसनेके लीये तैयार हु.. लेकीन इस बार अ‍ैसा फसाना.. की मे कही छुट ना पाउ.. प्यार होगया हे मुजे आपसे.. मे आपसे बहुत प्यार करती हु..

लखन : (मुस्कुराते) इतना प्यार करती हो मुजसे..?

सृती : (कातील नजरोसे मुस्कुराते) हां.. कोइ सक..? मेरी जानसे भी ज्यादा.. प्लीज.. कबुल करलो मेरा प्यार.. आइ प्रोमीस.. मे जींदगी भर आपका साथ नही छोडुगी.. फीर चाहे कुछ भी होजाये..

लखन : (सरमाकर मुस्कुराते) ठीक हे दीदी.. मे इस बारेमे पुनो दीदी ओर भाभीमासे पहेले बात करलेता हु.. अगर दोनो मुजे परमीशन देगी.. तो फीर मुजे कोइ अ‍ेतराज नही..

सृती : (मनमे खुस होते मुस्कुराते) ठीक हे भाइ.. पुछलेना.. मे आपके जवाबका इन्तजार कर लुगी..

कहेते सृती खुस होगइ.. ओर लखनको अपने हाथोसे खीलाने लगी.. क्युकी सृतीको खुसीतो इस बातकी थी.. की अब लखन उनके साथ बोलने लगा था.. ओर उसे अपनानेको भी तैयार था.. तो दुसरी ओर पुनम ओर मंजु भी इन दोनोके उपर नजर जमाये हुइ थी.. तो सृती लखनका प्यार देखकर मंजु भी मुस्कुराने लगी.. फीर अ‍ैसे ही साम होगइ.. सृतीको पंद्नह दिन बीस्तरसे ना उठनेकी ओर अ‍ेक हप्तेके बाद दीखानेकी सुचना देकर होस्पीटलसे छुटी देदी गइ.. तो इधर लखनने टेक्सी करली.. ओर सृतीको गोदमे उठालीया..

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लखन : (गोदमे उठाते) ओ बापरे.. दीदी आप कीतनी भारी भरखम हो.. मेरी तो कमर टुट जायेगी..

सृती : (हसते गलेमे हाथ डालते) तो क्या हुआ..? आप मेरी सेवा करना.. मे तुम्हारी कमरकी मालीस करते तुम्हारी सेवा कर दुगी.. आखीर आप मेरे बोयफ्रेन्ड जो हो गये हो.. तो गर्लफ्रेन्ड इतना तो कर सकती हे..

लखन : (मुस्कुराते) देखना बोयफ्रेन्ड गर्लफ्रेन्डके चकरमे कुछ गलत ना होजाये..

सृती : (गाल चुमते) होजाने दो.. मे इसके लीये रेडी हु..

लखन : (सरमाते धीरेसे टेक्सीमे बीठाते) दीदी.. आपतो बडी फास्ट जा रही हो.. पहेले घरपे तो चलो.. कहा छोडदु..? आपके घरपे या हमारे घरपे.. हें..हें..हें..

सृती : (जुठा गुस्सा करते) ताने मार रहे हो..? मेरे बोयफ्रेन्डके घरपे छोडदो.. अब वही मेरा घर हे..

लखन : (साथ बैठते) बडी जल्दी अकल आगइ मेरी गर्लफ्रेन्डको.. चलो..

फीर लखन भी अपनी बाइक वही छोडकर सृतीके साथ टेक्सीमे बैठ जाता हे.. ओर अपने घरपे आजाता हे.. फीर टेक्सीका कीराया देकर वापस सृतीको गोदमे उठाकर सीधा उपरकी मंजीलपे उनके रुममे छोड देता हे.. ओर फोन करके देवायतको बता देता हे.. की वो सृतीको लेकर घरपे आगया हे.. तबतक चंदाका भी सभी रीपोर्ट आगया था.. तो अ‍ेम आइ आर मे भी कोइ खास तकलीफ नही नीकली..

ओर तारण ये नीकलाकी चंदाको गहेरे सदमेकी वजहसे ये सब हुआ हे.. फीर डोक्टरने उनको दिमागको ज्यादा ट्रेस ना देनेकी सुचना देकर होस्पीटलसे डीस्चार्ज करदीया.. ओर अ‍ेक घंटेके बाद देवायत भी सबको लेकर लखनके घरपे आगया.. ओर सबलोग अंदर आजाते हे.. रजीया राधीका ओर नीलम भी सबको देखकर चंदाकी खबर पुछते हे..

तो मंजु नीर्मला ओर भुमीका राधीकाको देखते ही उनको गले लगाते हे.. राधीका भी सबके पैर छुकर सरमाते हसती रहेती हे.. फीर सबलोग होलमे सोफेपे बैठ जाते हे.. तो नीर्मला भुमीका मंजु ओर देवायत आपसमे बाते करने लगे.. रजीया राधीका ओर नीलम तीनो मीलकर खाना बनानेकी तैयारीया करने लगी.. फीर कुछ देरके बाद लखन ओर देवायत अपनी कार लेकर बहार चले गये..

लखनने होस्पीटलसे अपनी बाइक लेली.. फीर दोनो सृतीकी कारका अ‍ेक्सीडन्ट हुआ था वहा चले गये.. तो देवायतने फोन करके कीसी मीकेनीकको बुला लीया.. फीर मीकेनीकल दुसरी कारके पीछे बांधकर अपने गेरेजपे लेगया.. तो लखन देवायत वापस घरपे आगये.. घर आते ही कल देवायतने लखनको दुसरी कार लेनेको कहा.. दोनो चले गये तब इसी बीच रजीयाने सबको राधीकाकी मम्मीके बारेमे बताया..

तो सुनते ही मंजु नीर्मला ओर भुमीका उनका हाल चाल पुछने रुममे चले गये.. ओर उनके पास बैठे ही थे.. तब राधीकाकी मम्मी नीर्मला ओर भुमीकाको देखकर चोंक गइ.. ओर गभराते उनकी ओर देखने लगी.. नीर्मला ओर भुमीकाने भी उनकी ओर देखते गौर कीया.. तो वो दोनो भी राधीकाकी मम्मीको देखकर पहेचान गइ.. तो मंजु सब कुछ समज गइ.. नीर्मला ओर भुमीका उनको गले लग गइ..

ओर राधीकाकी मम्मी खुसीके मारे आंसु बहा रही थी.. ओर तीनो बाते करने लगी.. तब बातो ही बातोमे राधीकाकी मम्मी दोनोको उनके अतीतके बारेमे राधीकाको ना कहेनेकी मनते करने लगी.. तो तीनोने भी कीसीको कुछ नही बतानेका वादा कीया.. फीर तीनो हस हसके अपने अतीतकी बाते करती रही.. मंजुने अपनी शक्तिओके माध्यमसे राधीकाके अतीतके बारेमे सबकुछ जानलीया..

तभी वहा राधीका भी अपना हाथ पोछते आगइ.. तो नीर्मलाने उनसे अपनी बेटी मंजुका परीचय करवाया.. मंजुने राधीकाकी मम्मीके पैर छुलीये.. तो राधीकाकी मम्मीने मंजुको देखकर आंसु बहाते हाथ जोड लीये.. जीसे देखकर राधीकाकी आंखोमे खुसीके आंसु आगये.. सबलोग राधीकाकी मम्मीसे बाते कर रहे थे.. तभी मंजु सबकी नजर बचाते धीरेसे उपरकी मंजीलपे चली गइ..

ओर सीधे सृतीके कमरेमे जाकर दरवाजा बंध कर लेती हे.. तो सृती लेटे आराम कर रही थी.. मंजुको देखते ही बेडपे बैठ गइ.. ओर मंजु सृतीके पास आकर बैठ जाती हे.. तो सृती मंजुको देखते ही आंसु बहाने लगी.. ओर हाथ जोडकर मंजुसे माफी मांगने लगी.. मंजुने भी सृतीको जोरोसे अपनी बाहोमे भरलीया.. तो सृती फुटफुटके रोने लगी.. तो मंजुने उनको जटसे सांत कीया....

कन्टीन्यु
 
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