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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८४

कहेते वो दोडके चली गइ तब थोडीही देरमे तीन चार लोग आगये ओर राजीवको चेक करने लगे ओर उनका ओक्सीजन बढा दीया तब थोडीही देरमे राजीवने आंख खोलदी ओर वो अ‍ेसेही पडे रहे.. तब अ‍ेक डोक्टर उनको ड्रीप लगाने लगा.. तबतक नीर्मला गभराकर देवायतका हाथ पकडते उनकोही देखती रही.. फीर सभी डोक्टर बहार नीकल गये तब अ‍ेक डोक्टर देवायतके पास आगया ओर दोनोको अपनी केबीनमे आनेको कहा.. तब नीर्मला गभराते देवायतकी ओर देखती रही....अब आगे

नीर्मला : (गभराते) देवु आपभी चलो.. वो क्या कहेना चाहते होगे..? आप जाके पुछ लोनां..

देवायत : अरे कुछ नही होगा गभराती क्यु हे.. मे साथ चल रहा हुनां.. चलो..

ओर दोनो अ‍ेक नजर राजीवपे डालके बहार नीकल गये.. जीर्मलाने अभीभी देवायतका हाथ बाजुसे थामके रखाथा.. ओर दोनो डोक्रकी केबीनमे चले गये तब वो डोक्टर जो अ‍ेम.आइ.आर. करवाया था उनकी रीपोर्ट अ‍ेक्सरेके साथ देख रहाथा.. ओर दोनोही उनके सामने बैठ गये..

डोक्टर : (दोनोके सामने देखते) जी.., आप लोग उनके रीस्तेदार हे नां..?

नीर्मला : जी.. मे..मे..उनकी.. वाइफ हु.. ओर ये हे इनके दामाद.. ठाकुर देवायत.. ---गांवसे हे..

डोक्टर : (मुस्कुराते हाथ मीलाते) माफ कीजीये ठाकुरसाहब मे आपको पहेचान नही पाया.. क्या आप किशन अंकलके बेटे हेनां..? मे उनको जानता हु.. मेने आपको कभी देखा नही हे.. सायद हमारी मुलाकातही नही हुइ.. आप लोगोका इस होस्पीटलमे बहुत बडा योगदान रहा हे.. क्या आप इनके ही दामाद हे..?

देवायत : (मुस्कराते) जी डोक्टर साहेब.. क्या हुआ हे मेरे ससुरको.. ओर आप..?

डोक्टर : माफ कीजीये मे वोही रीपोर्ट देख रहाथा.. उनके हाइ बीपीकी वजहसे उनके दिमागकी अ‍ेक नस डेमेज हुइ हे जीनकी वजहसे उनको पेरेलेटीक अ‍ेटेक आगया हे.. उनका आधा अंग अभी काम नही कर रहा.. हम दवाइआ दे रहे हे.. तो साम तक पता चल जायेगा.. फीर ही हम कुछ केह सकते हे.. सुक्र मनाइअ‍े उनको होस आगया हे.. वरना अ‍ेसे केसीस मे कहेना मुस्कील हे.. आदमी कोमामे भी चला जाता हे..

देवायत : सर.. आपसे अ‍ेक नीवेदन हे.. क्या हम इसे सहेर लेजा सकते हे..? कुछ फर्क पडता हेतो..

डोक्टर : (हसते) स्योर.. आपकी मरजी.. लेकीन वहा आप कीसको दीखायेगे.. न्युरो सर्जनकोनां..? वहा का डोक्टर कौन हे..? क्या आप जानते हे उनको..?

देवायत : (हसते) जी.. जानता तो नही.. लेकीन मेने इनके लीये स्पेसीयल न्युरोसर्जन डोक्टर राजेन्द्गका नाम सुना हे.. उन्हीको कन्सल्ट करेगे.. अगर इनकी पोजीसनमे कुछ सुधार होतो..

डोक्टर : (जोरोसे हसते) ठाकुर साहब.. कही जानेकी जरुरत नही हे.. मेही वो डोक्टर हु जीसकी आप बात कर रहे हे.. मेरा नामही राजेन्द्ग हे.. जो मेरी वहा कन्सल्टींग क्लीनीक हे.. ओर आपकी जानकारीके लीये बतादु.. आपहीके पीताजीके बदौलत मे डोक्टर बना हु.. मेरे पीता आपके पीता सब दोस्त थे.. क्या ये वोही राजीव अंकल हेनां..?

देवायत : (खुसीसे हसते) जी वोही हे.. अब इनको कही नही लेजाना.. हें..हें..हें..

डोक्टर : सच केह रहा हु.. ये लोग आये तब उनको नही पहेचान पाया.. लेकीन अभी आपसे बात हुइतो पहेचानमे आगया.. आप चीन्ता मत कीजीये ये घरकी ही होस्पीटल हे.. अब राजीव अंकलको ठीक करनेकी सब जीम्वेवारी मेरी.. बस.. ओर फरमाइअ‍े..

देवायत : (हाथ मीलाते) जी.. सुक्रिया..

फीर देवायत ओर नीर्मला हसते हुअ‍े बहार आगये.. तब नीर्मला पहेलेसे काफी खुस दीख रहीथी ओर वो देवायतका हाथ पकडते चल रहीथी जैसे दुनीयाको जता रहीहो की हम दोनो मीया बीवी हे.. ओर दोनो अंदर आगये तब उसने हाथ छोड दीया तब राजीव होसमे आ चुकाथा.. ओर देवायतको देखतेही उनके चहेरेपे स्माइल आगइ लेकीन वो मास्ककी वजहसे कुछ बात नही कर सकताथा.. तो देवायतको इसारोसे पास बुला लीया..

देवायत : (मुस्कराते) कैसेहो पापा.. वो डोक्टरतो आपके दोस्तका बेटा नीकला.. हें..हें..हें..

तब राजीवने मुस्कराते सीर्फ सरको हां मे हीलाया.. ओर वो नीर्मलाकी ओर देखने लगा.. तब उनकी आंखोसे आंसु नीकल गये.. तो नीर्मलाभी दुखी होगइ ओर वोभी आंसु बहाते राजीवकी दुसरी साइडमे उनका हाथ थामकर बैठ गइ.. तब राजीवने सरको नां मे हीलाते उनको आंसु बहानेको मना कीया.. तब नीर्मला आंसु होते भी मुस्कराते राजीवके चहेरेकी ओर देखती रही..

नीर्मला : अब आप चीन्ता मत कीजीये अबतो देवु आगये हे.. ओर साम तक यही रहेगे.. हम दोनो अबी अबी डोक्टरको मीलकर आये हे.. आपको कुछ नही हुआ हे..

देवायत : (हसते) पापा आप जबतक होस्पीटलमे हे.. रोज आउगा.. अबतो आपको घर लेकर ही जाउगा..

नर्स : (हसते अंदर आते) हेलो अंकल.. कैसे हो..? अब बाते कम करना.. चलो इन्जेक्शन लगाना हे आप आराम कीजीये.. अब कोइ टेन्शन नही.. आपके सब रीपोर्ट अच्छे हे.. अ‍ेक दो दीनमे आपको छुटी मील जायेगी..

तभी देवायत ओर नीर्मला सोफेपे जाके बैठ गये ओर नर्सने राजीवको इन्जेक्शन लगा दीया.. ओर ड्रीप चेक करके चली गइ.. तब भीरे धीरे करते राजीव नींदमे चला गया.. तब नीर्मला देवायतका हाथ पकडके बहार लेगइ ओर दोनो रीसेपनीस्टसे दुर अ‍ेक सोफेपे जाकर बेठ गये.. ओर नीर्मलाने देवायतके कंधेपे सर रखदीया ओर उनका हाथ अपने हाथोमे थाम लीया.. आज वो देवायतसे दुर रहेना नही चाहती थी..

नीर्मला : देवु.. मेरी मंजु ओर भावु कैसी हे..? इस टाइम मुजे इनके साथ होना चाहीये लेकीन देखो.. मे उनकी खबर तक नही पुछ पाइ.. हांलाकी मेरी चंदासे मंजुसे फोनपे बात होती रहेती हे.. चंदा आपकी बहुत तारीफ कर रही थी.. हें..हें..हें..

देवायत : नीर्मलाजी.. मुजे आपसे अ‍ेक जरुरी बात कहेनी हे.. पर कैसे कहु..? समजमे नही आता..

नीर्मला : (जांगपे चपत लगाते) फीर नीर्मला..जी.., आप मुजे पहेले की तराह नीमु कहके नही बुला सकते..? कहो क्या बात करनी हे..? क्या आपकी सादीके बारेमे हे नां..? मुजे पता हे.. मेरी चंदासे इस बारेमे बात होगइ हे.. कमीनी वोभी मुजपे गइ हे.. हें..हें..हें.. आखीर आपको फसाही लीया..

देवायत : (आस्चर्यसे देखते) तो क्या आपको बुरा नही लगा..? पता हे मे कीससे सादी कर रहा हु..?

नीर्मला : (जांगपे चपत लगाते) फीर आप..? अरे बाबा तुम या तु नही केह सकते..? मे आपकी बीवी हु.. मुजे इतना रीस्पेक्ट मत दो.. ओर मुजे आपके बारेमे सब पता हे मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. बल्की मेतो खुस हु.. की आपने समाजके कु रीवाजोसे हटके अ‍ेक विधवाकी जींदगीको सवार दीया.. वो मेरी छोटी बहेन हे.. देवु.. उनको खुब प्यार देना..

देवायत : (हसते) तो क्या आपको बुरा नही लगा में आपकी छोटी बहेन यानी मेरी सालीसे भी सादी कर रहा हु..?

नीर्मला : (गाल चुमते) नही.. बीलकुल नही.. बल्की मुजेतो बहुत खुसी हुइ.. अरे बाबा मेरी बेटीसे सादी करलीतो फीर येतो मेरी बहेन हे.. ओर सालीभी आधी घरवालीतो होतीही हे.. तो फीर पुरी घरवाली करनेमे क्या हर्ज हे.. ओर वोभी छोटी उमरकी विधवा.. जानु अब मे आपकी वो नीमु नही हु.. जो आप उसे छोडकर गयेथे.. जो सौतनोसे जलती थी.. ओर आपतो राजा हो.. कीतनी भी सादी करलो.. चाहे हमारे घरकी सारी ओरतोसे सादी करलो.. भावुका रीस्ता आप लेकर आये वरना उनकी भी सादी आपसे कर देती.. बस हमे हमारे हिसेका प्यार हमे देते रहीये.. हम सीर्फ इतनाही मांगती हे..

देवायत : नीमु मे चाहता हु.. धिरेन पुनमकी सादीसे पहेले चंदा हमारे घर सादी करके आजाये.. क्या कहेती हो तुम..?

नीर्मला :(हसते) अरे आजायेगी.. मे उसे फोनपे बात करलुगी.. देवु अ‍ेक बात कहु..? अ‍ैसा कहेनातो नही चाहीये.. लेकीन भगवान ना करे.. पर यही सीचुअ‍ेशन मेरी हुइ तो आप क्या करोगे..?

देवायत : पागल होगइ हो क्या..? अ‍ैसा सोचना ही क्यु..? भगवान अंकलको लंबी उम्र दे.. फीरभी.. अ‍ेसी सीचुअ‍ेशन आइ तो मे चंदाकी तराह तुजे भी अपना लेता.. बस.. वही सुनना थानां..?

नीर्मला : (बेठेही बाहोमे भीचते) देवु आइ अ‍ेक प्राउड फोर यु.. मुजे आपपे गर्व हे.. ओर अपने आपको खुसकिस्मत समजती हु की मेने आपको पतीके रुप मे चुना हे.. आजसे ये नीमु आपको पुरी समर्पीत होती हे.. अब मेरे पुरे जीवनपे सीर्फ आपका ही अधीकार रहेगा.. इसके लीये चाहे मुने कुछभी ना क्यु करना पडे..

देवायत : नीमु तुजे पता हे.. मेरी मंजु.. वो कोइ सामान्य ओरत नही हे.. उनपे हमारे बाबाकी बडी कुपा हे..

नीर्मला : (देवायतकी ओर देखते) मंजु..? सामान्य ओरत नही हे.. मतलब.. मे कुछ समजी नही..

देवायत : नीमु.. मेरे खयालसे उनके पास वो शक्ति हे जो हम सबके बारेमे सबकुछ जानती हे.. हमारा भुतकाल..वर्तमान..ओर हमारे भविस्यके बारेमे भी.. उन्होने ही मुजे तेरे पास भैजा हे.. ओर पता हे क्या कहा..? कहा की मम्मीको माफ करदो.., मुजे लगता हे वो हमारे रीस्तेके बारेमे सबकुछ जानती हे..

नीर्मला : (सोक्ट होते अ‍ेक नजरसे देखते) व्होट..? देवु ये आप क्या केह रहे हे.. तो फीर हम दोनो..फीरसे..

देवायत : नही नीमु.. आसंकाअ‍े मत कर.. अब हमे कोइ जुदा नही कर सकता.. वक्तके साथ मे तुजे सबके सामने भी अपनाउगा.. बस कुछ समय इन्तजार करले.. आगे जाकर बहुत कुछ होगा..

नीमु : नही देवु.. मुजे हमारे रीस्तोको दुनीयाके सामने उजागर नही करना.. मे अ‍ेक बार अ‍ैसा करके देख चुकी हु.. उनमे केवल दु:ख ही मीलता हे.. मे आपकी अ‍ैसेही सीक्रेट बीवी बनके रहेना चाहती हु.. क्युकी सबसे छुपके प्यार करने ओर मीलन करनेमे जो मजा हे वो खुले रीस्तोमे नही हे.. आपको नही पता.. जबसे हमारे बीच डीसप्युट हुआ हे.. तबसे मे दिन रात आपके बारेमे ही सोचती रहेती हु.. मेरी आपके प्रती चाहत ओर बढ गइ हे.. इसीलीये हम हमारे रीस्तोको सबसे छुपायेगे..

देवायत : (हसते) अब बातेही करेगीकी कुछ खीलायेगी पीलायेगी भी.. भुख नही लगी क्या..? तुम अंदर बैठो मे कुछ खानेको लेकर आता हु..

नीर्मला : (हसते) कही जानेकी जरुरत नही हे मे घरपे खान बनाने ही गइथी.. टीफीन लेके आइ हु.. चलो आज दोनो मीया बीवी साथमेही खाते हे.. हें..हें..हें..

ओर दोनो हसते हुअ‍े अ‍ेक दुसरेका हाथ पकडते अंदर आगये राजीव तबभी गहेरी नींद सोये हुअ‍ेथे ओर दोनो ने अ‍ेकही डीसमे खाना खाया.. आज नीर्मला बडे प्यारसे देवायतको अपने हाथोसे खीलाने लगी.. तो देवायतने भी उनको खाना खीलाया.. फीर साम तक देवायत वही रहा.. ओर दोनो प्यारभरी बाते करते रहे.. सामकोभी देवायत बहारसे चाइ नास्ता लेकर आगया.. ओर दोनोने मील कर चाइ नास्ताभी कीया..

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नीर्मला इसी बीच अ‍ेक बार देवायतको हाथ पकडकर खीचके रुमके अ‍ेटेच बाथरुममेभी लेगइ.. ओर देवायतकी बाहोमे समा गइ.. फोर देवायतका चहेरा दोनो हथेलीमे थामकर उसे देखती रही.. ओर दोनोके चहेरे अ‍ेक दुसरेकी नजदीक आने लगे.. पताही नही चला दोनोके होंठ कब मील गये.. अ‍ेक दुसरेके होठोके रसपान करने लगे.. तभी नीर्मला अचानक देवायतके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी..
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ओर देवायतभी उतेजीत होकर नीर्मलाके बुब्सको मसलते दबाते प्यार करने लगा.. आज कइ अरसोके बाद नीर्मला देवायतको प्यार कर रहीथी.. तब नीर्मलाकी सांसे तेज चलने लगी.. ओर वो कनमनग्नीमे जलने लगी.. दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे काफी देर खडे रहे.. ओर प्यार करते रहे.. ओर आखीर देवायतने नीर्मलाके नीतंबपे हाथ रखकर उसे अपने आपसे सटालीया ओर अ‍ेक हाथसे उनकी चुतको सहेलाते दबोच लीया..
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तब नीर्मला सरसे पांवतक हील गइ.. ओर सरमके मारे पानीपानी होने लगी उसने फोरन देवायतके हाथको पकड लीया.. ओर जोरोसे देवायतको बाहोमे भीचलीया.. ओर उनके चहेरेपे चुंबनोकी बारीस करदी.. फीर अचानक रुककर देवायतकी आंखोमे देखती रही.. तब देवायतको नीर्मलाकी आंखोमे अपने लीये बेसुमार प्यार नजर आने लगा.. ओर देवायतने अ‍ेक बार फीरसे नीर्मलाको अपनी बाहोमे भीचलीया..

नीर्मला : (उखडी सांसोसे) दे..वु.. आइ लव यु.. आइ लव यु सो मच.. अब मुजे कभी मत छोडना.. अब मे आपके बीना नही जी पाउगी..

देवायत : नीमु.. आइ लव यु टु.. अबतो मुजसे दुर होगी तो तेरी टांगे तोड दुगा.. हें..हें..हें..

नीर्मला : (हसते) हां.. तोड देना.. ये हुइना बात.. अब आप मेरे पती लगते हो.. बस इसी तराह मुजे टांडकर सही करते रहेना.. देवु यहा नही.. हम घर जाकर खुब प्यार करेगे.. इतने सालोकी सारी कशर मे पुरी कर दुगी.. में आपके लीये बहुत तडपी हु.. मुजे वोही प्यार चाहीये जो मेरा देवु मुजे दे चुका हे..

देवायत : (हसते) हंम.. हां नीमु.. हम जबभी अकेले मीलेगे तुजे यही प्यार मीलता रहेगा.. बल्की इनसेभी ज्यादा प्यार मीलेगा.. अ‍ेक प्यार मेरी नीमुको मीलेगा ओर अ‍ेक प्यार मेरी सासको मीलेगा.. हें..हें..हें.. अब चल बहार राजीव अंकल कभीभी जाग सकते हे..

नीर्मला : (हाथ पकडके हसते बहार नीकलते) देवु.. क्या अपनी सासकोभी प्यार करोगे..? कीतने कमीने हो.. हें..हें..हें.. लेकीन आज मे बहुत.. बहुत.. खुस हु.. मेरा पतीजो मील गया हे..

इनके आगे दोनोने कुछभी नही कीया ओर साम ढलने लगी.. तब देवायत नीर्मलाको कल दोपहोरके बाद फीरसे आनेका वादा करके वहासे नीकलने लगा.. तब नीर्मला उनको कार तक छोडने गइ वहाभी कीसी को ना पाकर मोका मीलतेही देवायतके होंठ चुम लेती हे.. फीर कल सामको फीर आनेका कहेते देवायत वहासे नीकल जाता हे.. क्युकी कल सुबह देवायतको मंजुको दीखानेके लीये होस्पीटलमे सृतीके पास जाना था..

तब देवायतको कुछ याद आगया ओर उसने कारको सीधे भानुके गांवकी ओर जानेदी.. जब देवायत वहा पहुंचा तब भानुके मामाका अ‍ेक कार्य अभी अभी संम्पन हो चुकाथा.. तो घरके सभी लोग अ‍ेकठे बैठे थे तब देवायत वहा गया.. तो सबके चहेरे खील उठे ओर देवायतको बडे प्यारसे अवाकार दीया.. ओर देवायतभी अ‍ेक चैरमे सबके साथ बेठ गया.. तब सरला देवायतकी ओर देखते मुस्कराती रही..

भानु : अरे आगये.. भाइ सही मौकेपे आये हो.. अभी अभी मामाका सांती हवन रखाथा.. वो पुरा हुआ.. अभी सब पंडीत गये की तुम आगये.. कहो होआये ससुराल.. हें..हें..हें.. हमारे ससुरकी तबीयत कैसी हे..?

देवायत : (हसते) अब ठीक हे यार..

सरला : (हसते जोरोसे) अरे लता.. ओर लता.. देख तेरे जेठजी आये हे.. कुछ चाइ पानीतो पीला.. हें..हें..हें..

तब देवायतका नाम सुनतेही लता ओर भावना जटसे भावनाके रुमसे बहार आगइ.. ओर देवायतके सामने देखके मुस्कराने लगी तब भावना बहुतही सरमा रहीथी.. तब लता हसते हुअ‍े पानी लेने चली गइ.. ओर पानी लेकर आगइ.. लता कुछ अलगही नजरोसे देवायतको देखते मुस्कराती रही.. क्युकी अंदर रुममे लता ओर भावना देवायतके बारेमेही बात कर रहीथी.. ओर देवायत हाजीर होगया..

लता : (सरमाते मुस्कराते) लीजीये भैया.. अब भाभीकी तबीयत कैसी हे..?

देवायत : (पानी लेते हसते) अच्छी हे..

रमा : (जोरोसे हसते) देखा दीदी.. जेठके सामने कैसे सीधे मुह बात करती हे.. अ‍ैसा देखा हे कभी..? पहेले तो कैसे बात करनेमे सरमातीथी.. हें..हें..हें..

लता : भाभी.. (सरमाते हसते रमाकी पीठमे मुका मारते) हां.. करती हु.. ये सीर्फ मेरे जेठ ही नही हे मेरे भैया भी हे.. जेठतो बादमे हुअ‍े.. तुम अपनी कहो.. अभीभी सासको दीदी केहेके बुला रहीहो अबतो ये तुम्हारी सास हे दीदी नही.. बात करती हे.. हें..हें..हें..

कहातो रमा सरमाके हसती हुइ लताको मारनेके लीये खडी होगइ.. तब लता जोरोसे हसते अपने रुममे दोडके भाग गइ ओर रुमका दरवाजा बंध करलीया.. तो सभी तमासा देखते हसते रहे.. तब रमा सरमाती हसती हुइ भावनाके पास चली गइ ओर उनका हाथ पकडके उसे अंदर लेगइ तो भावनाभी देवायतकी ओर हसती हुइ उनके साथ अंदर चली गइ.. ओर दोनो बेडपे जाके बैठ गइ ओर हस हसके बाते करने लगी..

सरला : देखा देवु.. अबतो सारा दीन यही मस्ती मजाक चलता रहेता हे.. कीसीको पताही नही की मामा गुजर गया हे.. ओर ये रमा भी.. बीलकुल छोटी बच्चीकी तराह लताके साथ मस्तीया करती रहेती हे..

देवायत : (हसते) अच्छा हेना.. दुख जीतना जल्दी भुलजाओ उतना ही अच्छा हे.. जाने वाला तो चला गया.. तो उनके पीछे कबतक सौक मनाते रहेगे.. मुजेभी अच्छा लगा.. सब हसी मजाक करते हे..

भानु : भाइ वो अंकलकी तबीयत खराब हे तो.. फीर..

देवायत : तु फीकर मत कर मे वहीसे आरहा हु अब तबीयत ठीक हे.. ये बता कल भावुको लेकर होस्पीटल जाना हेकी नही..? कौन आरहा हे..? अबतो रमाभाभी आगइ हे तो रमाभाभी को साथ लेले..

सरला : हां ये तुने सही कहा.. वोही आयेगी.. ओर इनके मामाका फुलभी विसर्जन करना हे.. तो बीचमेही वो जगाह आतीहे वहा होजायेगा.. अ‍ेक घंटेका काम हे.. बस वही अ‍ेक आखरी वीधी बची हे.. तो नीलम लताभी साथ चल रही हे तो भावना बहुको दीखाके कुछ खरीदी भी होजायेगी.. सब सुबह जल्दी नीकलेगे..

भानु : हां भाइ कल साम तकका सब प्रोग्रम इन लगोने बनालीया हे.. आप कौन आ रहेहो..?

देवायत : देखता हु यार.. वो मंजुको दीखाके मुजे अंकलके पासभी जाना हे.. तुम आरामसे खरीदी करके आना मे सब देख लुगा.. फीर हम आरामसे खरीदी करते रहेगे.. कल मंजु ओर.. सब घर आजायेगे..

रमा : (बहार आते हसते) देवरजी.. आपको भावना बुला रहीहे.. उनके पीताके बारेमे कुछ पुछना हे..

सरला : हां देवु तु अंदर जाके उसे बात करले दो दीनसे वो अपने बापुकी बहुत चीन्ता कर रही हे..

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तब देवायत उठकर भावनाके रुममे चला गया तो वो दरवाजेके पासही साइडमे खडीथी.. जो वहा कीसीको नही देख सकते थे ओर बहारसेभी कोइ नही देख सकता था.. जेसेही देवायत उनके पास गया भावनाने उसे खीचकर जोरोसे बाहोमे भीच लीया.. ओर उनके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. फीर जटसे देवायतसे अलग होगइ ओर अ‍ेक नजरसे देवायतको देखती रही तब उनकी आंखसे आंसु टपक गये ओर इतनाही बोल पाइ..

भावना : (धीरेसे) जानु.. वो पापा.. होस्पीटलमे हे.. कैसे हे वो..? आप मम्मीसे मीले..? उनसे कोइ बात की..? मुजे पापाके पास ले चलो.. मुजे उनको देखना हे..

देवायत : बस भावु आंसु मत बहा.. वो अब काफी ठीक हे मे वहीसे आरहा हु.. ओर तेरी मम्मी भी ठीक हे..

भावना : क्या आप दोनो बोलेने लगे..? मतलब.. आप मम्मीसे नाराज थे..तो..

देवायत : भावु सब ठीक होगया.. हमने साथमे खानाभी खाया.. अब हमारे बीच कोइ गीला सीकवा नही हे.. तु अब उनकी चीन्ता मत कर.. ओर इस हालतमे तुने वहा नही जाना.. वो हमारे घर सादीमे आयेगे.. तब मील लेना.. बोल अब क्या जानना हे तुजे..?

भावना : जानु बस मे ठीक होजाउ.. फीर आपको खुब प्यार करुगी.. हम कही अकेले मीलेगे.. आप सब इन्तजाम करलो.. अब आपके बगेर अ‍ेकभी दीन काटना मुस्कील हे.. आपकी बहुत याद आती हे..

देवायत : भावु अभी ये सब करना जोखीम हे.. हम मीलेगेना.. पहेले तुम ठीक होजाओ.. फीर मे तेरी सारी तम्मना पुरी कर दुगा.. चल अब बहार चलता हु.. वरना कीसीको सक होजागेगा..

भावना : (बहारकी ओर नजर डालते) होने दो.. अब मे कीसीसे नही डरती.. समज गयेनां..? हें..हें..हें..

देवायत : (चोंकते) क्या समज गयेना..? तु बहोत डेन्जर हे.. हें..हें..हें.. लगता हे तु कुछ उनके बारेमे जान गइ हे.. हें..हें..हें..

भावना : (सरमाते हसते) जानु.. वो हम बादमे डीसकस करेगे.. अभी आप जाइअ‍े.. हें..हें..हें..

फीर देवायत बहार आके सबके साथ बैठ गया.. तभी लता सबके लीये चाइ लेकर आगइ ओर सबको चाइ देकर बाकीकी चाइ लेके भावुके रुममे चली गइ.. फीर देवायत चाइ पीते सबसे उनके ससुरकी सादीकी तैयारी वगैरे वगैरे बाते करने लगा.. फीर साम ढलने आइतो वहासे नीकल गया ओर अपने गांवमें आगया..

तब काफी साम ढल चुकीथी ओर काफी अंधेरा छा गयाथा.. तब वो सीधाही चंपाभाभीके धर चला गया.. तो वो खाना खा रहीथी.. तो देवायतको देखतेही खडी होगइ.. ओर बीना कुछ बोलेही घरका दरवाजा बंध करलीया.. फीर देवायतका हाथ पकडके जबरदस्तीसे अपने साथ खानेको बीठा दीया..

चंपा : देवरजी आपतो बहुत बीजी होगये हो.. आतेही नही.. मे कीतनी बार हवेलीपे आइ फीरभी आप नही मीले.. क्या हमारी देवरानी आगइ..?

देवायत : भाभी उनको कल दीखाने होस्पीटल जाना हे फीर सीधे घरही आयेगे.. तब आप आजाना..

चंपा : देवरजी अब सोच रहीहु मे वही रहेने आजाउ.. क्या कहेते हो..?

देवायत : (पानी पीते) मेतो कबसे केह रहा हु आप ही नही आती..

चंपा : (सरमाते धीरेसे) वोतो इसीलीयेकी हम दोनो यहा आरामसे मील सके.. वहा सबके होते थोडी प्रोबलेम होगी.. अ‍ेक डरसा लगता हे.. ओर यहा हम खुलके मील सकेगे.. क्या कहेतेहो आप..?

देवायत : हां येभी ठीक हे.. आप यही रहीये.. दीनमे वहा रहेना ओर रातमे इधर आजाना.. फीरतो कोइ दीकत नही हेनां..?

चंपा : हा ये सही हे.. हम यही करेगे.. अब आप अंदर जाइअ‍े मे अभी आती हु.. कामतो बादमे करलुगी..

देवायत : (हसते) भाभी अभी मुजे घर जाना हे काफी देर होगइ हे.. हम दाबमे मीलते हेनां..

चंपा : (सरमाते हसते) क्या बादमे मीलते हे.. आप बैठो मे अभी आइ इतने दिनोके बादतो मीले हो.. बस अ‍ेक बार करेगे.. फीर आप चले जाना.. अबतो मुजेभी आपकी आदत होगइ हे.. बाबा यहा आया करो..

कहेते चंपाभाभी फटाफट सब लाइट दरवाजा बंध करलेती हे ओर रुममे आजाती हे ओर फटाफट अपने कपडे नीकालने लगती हे तब देवायतभी अपनी पेन्ट नीकाल देता हे तब चंपाभाभी बेडपे पैर फैलाके लेट जाती हे ओर देवायत उनके पैरके बाच बैठते अपना दमदार तगडा लंड चंपाभाभीकी चुतपे सेट करते उनपे जुक जाता हे ओर अ‍ेक जोरोसे जटका मारता हे तब चंपाभाभीकी चीख नीकल गइ.. ओर तडपने लगी..

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चंपा : उइइइ.. मां.. धीरेसे.. डालोनां.. दर्द होता हे.. अब धीरे धीरे चोदो मुजे.. कीतने दीन होगये..

फीर कुछही देरमे दोनोके बीच धमासान चुदाइ हो रहीथी तब चंपाभाभीभी अपनी कमर उछालके देवायतका साथ देती रही.. देवायतने चपांभाभीको चोद चोदके दो बार जडा दीया ओर आखीर अपना लंड उनकी चुतमे धुसाके उनसे चीपक गया तब चंपाभाभीने देवायतको जोरोसे बाहोमे भीचलीया ओर दोनो अ‍ेक साथ जडने लगे तब चंपाभाभी तेज सांसको दुरस्त करते देवायतकी पीठ सहेलाती रही..

चंपा : (सरमाते नजर चुराते) देवरजी.. आपतो अ‍ेकही बार मे मुजे थका देते हो.. कीतना जोसमे करतेहो.. मुज जेसी आधेडकी चीखे नीकलवा देते हो.. जो बेचाारी मुजसे छोटी हे उनकी क्या हालत होती होगी..

देवायत : भाभी जब तु हवेलीपे आजायेगीनां तब तुजे वहा अ‍ैसा बहुत कुछ दीखनेको मीलेगा.. तैयार रहेना..

चंपा : (मुस्कराते) हां पता हे.. आपतो राजा हो.. बस मुजे कीसीसे कोइ मतलब नही.. आप मेरा खयाल अ‍ैसेही रखीयेगा.. मेतो आपकी सचमे दीवानी होगइ हु.. क्या रश्मीको मीलते हो की नही..?

देवायत : (हसते) हां मीलता हु.. वोभी आपकी तराह मेरी दिवानी हे..

चंपा : (मुस्कराते) हां तो दिवानीतो होगीनां अभी जवान हे.. अबतो उस कमीना कीसी कामका नही रहा.. अबतो हम दोनोको आपकाही सहारा हे.. हो सकेतो उनको अ‍ेक बच्चा देदो..

देवायत : (हसते) कहोतो आपकोभी देदु.. हें..हें..हें..

चंपा : अबतो मे आधेड होचुकी हु.. ओर आपके भाइभी चल बसे.. तो मे दुनीयाको क्या जवाब दुगी.. की ये बच्चा कीसका हे.. अरे बाबा हमतो अ‍ैसेही मजे करेगे.. अगर आपके भाइ होतेतो मे जरुर आपका बच्चा पैदा करती.. अब उपरसे उतरना नही हे क्या.. देखो मेरी पुरी चुत भरदीहे आपने.. कही मे पेटसे ना होजाउ..

तब देवायत उपरसे हट गया तो लंड फचच.. आवाजके साथ नीकल गया तब चंपाभाभी खुब सरमाइ ओर जटसे अपनी चुतपे अपनी चडी रखदी ओर चुत साफ करने लगी.. फीर देवायतका लंड पकडकर उसेभी साफ करने लगी.. ओर दोनोने अपने कपडे पहेन लीये तब देवायतने उनको घरके खर्चेके लीये कुछ पैसे दीये तो चंपाभाभी देवायतकी बाहोमे लीपट गइ ओर आंसु नीकल गये.. फीर दोनोने होंठ मीलाके कीस कीया ओर देवायत वहासे नीकल कर हवेलीपे आगया....

कनटीन्यु
 
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