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Incest लालटेन

लालटेन कैसी स्टोरी होनी चाहिए


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Ghritachi

अर्थात - मोटी चिकनी मक्खन जैसी
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हैलो दोस्तो, मैं एक बार फिर से आप सभी के समक्ष एक नई कहानी लेकर हाज़िर हुआ हूं। उम्मीद करता हूं कि इस बार देवनागरी में लिखी हुई ये कहानी आप सभी को पसंद आएगी। आप सभी का साथ एवं सहयोग मेरे लिए बेहद अनिवार्य है क्योंकि बिना आप सबके सहयोग और प्रोत्साहन के कहानी को अपने अंजाम तक पहुंचाना मेरे लिए मुश्किल ही होगा। इस लिए अपना साथ और सहयोग बनाए रखियेगा और साथ ही कहानी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया भी देते रहिएगा।

आवश्यक सूचना
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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। कहानी में मौजूद किसी भी पात्र या किसी भी घटना से किसी के भी वास्तविक जीवन का कोई संबंध नहीं है। कहानी में दिखाया गया समस्त कथानक सिर्फ और सिर्फ लेखक की अपनी कल्पना है जिसका उद्देश्य फक़त अपने पाठकों का मनोरंजन करना है।

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Aarambh k liye badhai
 

Ghritachi

अर्थात - मोटी चिकनी मक्खन जैसी
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अपडेट २


अब जैसे ही राजू को अहसास होता है की उसकी मां रो रही है तो वह अपनी मां को अपने गले से दूर करता है और अपनी मां के आंसुओ को पोछते हुए उससे कहता है।

अब आगे....

राजू...माई तू रो क्यों रही है भला वह सोनू मेरा कुछ भी बिगाड़ पाता नहीं माई, अब तू रोना बंद कर नहीं तो फिर मुझे भी रोना आ जायेगा।

राधा...तू मेरे आंखों में आंसू नहीं देख सकता तो फिर मेरी बात क्यूं नहीं मानता अगर अब तूने मुझे परेशान किया तो फिर मैं भी तेरे बापू की तरह तुझसे दूर हो जाऊंगी।

राजू... नही माई अब मैं कभी किसी से नहीं झगडूंगा बस तू मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाएगी और राजू ने अपने काम पकड़ते हुए अपनी माई को मानने लगा और वैसे भी तू बाद में आके मुझे उससे माफी मांगने को बोलती ही है तो अब मैं लड़ाई होने से पहले ही माफी मांग लिया करूंगा अब तो तू चुप हो जा ना माई।

राधा को राजू की बात पर हसी आ जाती है और वह हस्ते हुए अपने बेटे के बालों को सहलाते हुए कहती है...मेरा राजा बेटा तो बहुत समझदार हो गया है।

राजू भी अब अपनी माई की प्यारी मुस्कान को देख कर वह उसे और भी खुश करना चाहता है इसलिए वह अपनी माई के गाल को चूम लेता है।

राजू इस माहौल को और भी रंगीन करने के लिए वह अपनी माई से बोलता है।

राजू... अरे देख माई मैं भी अब बड़ा हो गया हूं तू मुझे अपना पति बना ले फिर तू देखना माई मैं अपनी पत्नी को रानी बनाकर रखूंगा उसकी आंख में कभी आंसू नहीं आने दूंगा और इतना कह कर वह घर की ओर भागने लगता है।

राधा को राजू की बात पर हसी आ जाती है और वह हस्ते हुए अपने बेटे को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़ती है...

राधा.... रुक बदमाश!! रुक तू तुझे अभी बताती हूं तू अपनी माई को अपनी पत्नी बनाएगा अपनी माई को ही छेड़ता है और क्या तू सिर्फ अपनी पत्नी को ही रानी की तरह रखेगा अपनी इस बुड्ढी माई को नहीं।

राजू अपनी गर्दन को पीछे घुमाते हुए रुककर कहता है अरे बूढ़े होए तेरे दुश्मन मेरी माई तो अभी नई नवेली दुल्हन है और माई मुझसे कभी दूर ना हो इसलिए तो मैं बस तुझसे ही अपना ब्याह रचूंगा, और फिर से राधा के आगे आगे तेज कदमों से चलने लगता है।

राधा...चल तू घर चल आज के आज ही मैं तेरा ब्याह रचा दूंगी।

राधा के होंठो पर एक मधुर सी मुस्कान फैल गई थी और फिर राधा अपने आप से बड़बड़ाती हुई (पागल लड़का मुझे अपनी बीबी बनाएगा...) राजू के साथ घर आ जाती है।

राधा जब घर आई तब उसे होश आया की उसने आज फिर से गोबर के उपले नहीं बनाए तो वह राजू से थोड़ा नाराज हुई और राजू को आवाज देते हुए बुलाया।

राजू जल्दी से मेरे पास आओ....

राजू....क्या हुआ माई आप ऐसे क्यूं डांट रही है मुझे....

राधा... तेरी वजह से आज फिर से मैं गाय के गोबर के उपले नहीं बना पाई अब कल तू मेरे साथ उपले बनवाएगा और अभी जल्दी से जाकर कुआ से पानी निकाल ला मुझे खाना बनाना है नहीं तो दिन छिप गया तो फिर अंधेरे में मुझे बहुत दिक्कत होती है।

गांव में उस वक्त बिजली नहीं हुआ करती थी लोग लालटेन या दीपक का ही इस्तेमाल किया करते थे लेकिन कभी कभी उसमे भी दिक्कत हो जाया करती थी क्यूंकी दीपक या लालटेन जलाने वाला तेल तो सरकार देती थी लेकिन कोटेदार बीच में ही उसे बेंचकर पैसे खा जाया करता था तो सबको सिर्फ उतना ही तेल मिल पाता था एक दीपक या लालटेन पूरे महीने चल पाए कभी ज्यादा जला दिया तो महीना होने से पहले ही खत्म हो जाता था इसलिए इस गांव में अक्सर औरते तेल बचाने के लिए खाना सूर्य के अस्त होने से पहले ही बना लेती थी।

राजू एक स्टील का बना घड़ा अपने सर रखता है और गुनगुनाते हुए

मेरी चढ़ती जवानी मेरी चाल मस्तानी
मेरी चढ़ती जवानी मेरी चाल मस्तानी
तूने मेरी कदर ना जानी हाय रामा
रामा ओ हाय रामा रामा.........

अपनी कमर को ऐसे मटकाता है जैसे कोई लड़की इतराते हुए जा रही हो जिसे देख राधा खिलखिला कर हस देती है और बोलती है ये लड़का भी पता नहीं कब बड़ा होगा....

अब राजू घर से बाहर निकल आता है और वह उसी प्रकार गुनगुनाते हुए कुआ की ओर चल देता है, अभी वह कुछ दूर ही चला था की उसे लता भाभी मिल जाती है जो उसी के घर के पीछे रहती है और वह अपने देवर की चाल देखकर खिलखिला कर हस्ते हुए बोलती है।

लता... अरा रे किस अनाड़ी ने इतनी निर्दयता से मेहनत कर दी की मेरी बन्नो की चाल ही बिगड़ गई देखो तो मेरी ननद रानी की कमर में कैसी लचक आ गई है भला ऐसा क्या अंदर ले लिया तूने बोल मेरी रानी और लता ने एक हाथ राजू की गांड़ पर चपेट लगाते हुए हसने लगती है।

राजू...अरे लता डार्लिंग आप कब आ गई।

लता...जब तू अपनी कमर को नागिन की तरह लहरा रहा था मैं तभी आई।

राजू भी लड़कियों की तरह सरमाने की नकल करता है जिसे लता देखकर एक बार फिर से हसने लगती है।

राजू...अरे ओ लुगाई मैने सुना है तूने अपना पेट फुला लिया है लेकिन मुझे एक बात समझ ना आई लुगाई तू मेरी और मेरे बिना तूने पेट कैसे फुला लिया...।

लता को भी राजू से डबल मीनिग बात करने में हमेशा मजा आता था.. और इसलिए वह राजू से खुलकर हसी मज़ाक करती थी।

लता...अब मैं क्या करती जब मेरा ये अनाड़ी मरद मुझे कभी प्यार ही नही करने आया तो फिर मुझे किसी ना किसी से तो अपना पेट फुलवाना ही था मेरी सास मुझे रोज ताने मारती थी इसलिए फिर मुझे भी एक अंजान आदमी से तेरी BMW पर मेहनत करवानी पड़ी और अभी देखो तुम्हे मेहनत भी नहीं करनी पड़ी और तू बाप भी बन गया।

राजू...अच्छा ऐसा है तो फिर मुझे देखना पड़ेगा कही मेरी BMW में कोई नुकसान तो नहीं आ गया कहीं उस आदमी ने ज्यादा तो मेहनत नहीं कर दी और मेरी BMW की परफॉर्मेस ही बिगाड़ दी हो...

वैसे कभी मेरी लुगाई ने मेरी BMW के बारे में कुछ बताया नहीं शादी से पहले वह कैसी चलती थी और कितनी तेज दौड़ती थी किस किस ने मेरी BMW की सवारी की ओर किसने पहली बार इसकी चाल खोली।

लता... हाय री मर जाऊं मैं गन्ना खाके मेरे तो भाग्य ही फूट गए मेरे भोंदू पति की BMW का तो सब सत्यानाश हो गया और इसे अब उसकी याद आई तेरी BMW जबसे चली है तो फिर रुकने का नाम नहीं लिया है जब पहली बार चली तब पच्च पच्च की आवाज आती थी और अब तो फच्च फच्च की आवाज आने लगी है।

राजू... और कितने ड्राइवर बदले है मेरी इस BMW ने अभी तक....

लता...ड्राइवर तो एक ही है लेकिन उसी ने इसकी हालत खराब कर दी..

और फिर राजू ने अपना एक हाथ लता की गांड़ पर फेरा जिससे लता चिहुंक गई और राजू की तरफ देखने लगी....

राजू...लुगाई मेरी BMW की दिग्गी तो अभी टाइट है मैं इसकी दिग्गी से ही अपना काम चला लूंगा।

लता एक टक राजू को देखती रही क्यूंकि इससे पहले राजू सिर्फ लता से हसी मज़ाक ही करता आया था आज पहली बार राजू ने लता के गुप्तांगों को हाथ लगाया था।

अब लता चुप हो गई और कुआ भी पास आ गया था और कुआ के पास गांव की अन्य भी औरते पानी भरने आई थी।
Gaon ka pura drishya bana diya aapne 👍
 
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ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित व्यभिचार सम्बंधित कहानियाँ बहुत ही कम देखने को मिलती है । गांव के परिवेश का सटीक वर्णन , गांव की बोलचाल की भाषा , ग्रामीण वेशभूषा , एक अभावग्रस्त जीवन , संयुक्त परिवार का फैमिली ड्रामा , गांव के भीतर पनप रहे अवैध संबंध का सटीक वर्णन और पारिवारिक व्यभिचार - इन सब का सटीक वर्णन करना बहुत बहुत कठिन काम होता है ।

लेकिन आपने बेहतर प्रयास किया । आप की स्टोरी मे गांव की झलक दिखाई देती है । संवाद द्वी- अर्थी लिखा है आपने जो इस स्टोरी को कामुक बनाती है ।
" लालटेन " शायद आज के दौर मे बहुत ही कम गाँवो मे इस्तेमाल होता है । अभी यह सब वहीं इस्तेमाल किया जाता है जहां इलेक्ट्रिक अबतक न पहुंची हो। शायद इस कहानी का समयकाल साठ - सत्तर के दशक के आसपास का होना चाहिए ।
इस कहानी मे पात्रों की तादाद भी काफी ज्यादा है । फैमिली के लोग , गांव और पड़ोस के लोगों को देखकर प्रतीत होता है कहानी काफी बड़ी और अधिक दिनों तक चलने वाली है।

शायद आप की स्टोरी फोरम की एक यादगार स्टोरी बन जाए । बशर्ते स्टोरी पुरी हो और एक मजबूत पटकथा हो।

अबतक के सभी अपडेट्स काफी बढ़िया लिखा है आपने। आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट डियर ।
 

Sanju@

Well-Known Member
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अपडेट ५


इधर राजू भी अपने सर पर हाथ मरते हुए..अरे बुड़बक आज बच गया अगर माई ने सुन लिया होता तो आज तेरी ऐसी पिटाई होती की तू ये लता का इश्क भूल जाता और फिर राजू अपने मिट्टी के बने कच्चे मकान में घुस जाता है ।

अब आगे...

जब राजू घर पहुंचा तो उसकी माई बर्तन को उठा कर बाथरूम में रख रही थी,और जैसे ही राधा ने राजू को देखा तो राधा ने बर्तन को जल्दी से आंगन में बने बाथरूम में रख दिया और राजू को खाना देने के लिए किचेन में आ गई और राजू से बोली...
बेटा राजू जल्दी से हाथ मुंह धोकर आजा खाना खाकर हमे खेत भी चलना है वैसे ननखी ताई ने क्या कहां पानी देने के लिए।

राजू...माई ननखी ताई के घर सिर्फ लता भाभी थी बाकी पूरा घर सुबह से खेतो में है अब जब ताई आयेगी तभी पता लगेगा कि आज हमे पानी मिलेगा या नहीं ।

राधा सोच में पड़ जाती है उसके खेतो की फसल सूख रही थी खेतो में समय से पानी नहीं लगा तो पूरी मेहनत बेकार हो जायेगी..

राजू अपनी माई को ऐसे सोचते हुए देख बोल पड़ा.. ऐ माई तू ऐसे बुत बनी क्या सोच रही है क्या हुआ आज नहीं तो कल देख लेंगे।

राधा नहीं बेटा हम अपनी फसल को ऐसे सूखने नहीं दे सकते तू एक काम कर जल्दी खाना खा ले फिर हम दोनो वही खेत पर चलते है अगर पानी मिल गया तो आज के आज ही खेतो में सिंचाई कर देंगे नहीं तो फिर भगवान कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।

वैसे माई कल किसका दिन है?

कल से दूसरे गांव वालों के खेत में सिंचाई चालू हो जायेगी तो फिर हम नाले से पानी नहीं ले जा सकते हैं।

ठीक है माई तू जल्दी से सारे काम निपटा ले तब तक मैं एक चक्कर खेतो की ओर लगा के आता हूं और ननखी ताई से भी पूछता आऊंगा अगर पानी मिल जाता है तो मैं आकर तुझे साथ ले जाऊंगा।

राधा थोड़ी सी उलझन में रहती है लेकिन उसे राजू पर विश्वास था आखिर राजू ने ही अपनी छोटी उम्र से खेतो पर काम करना चालू कर दिया था।

राधा..बेटा कहीं किसी की बातों में ना उलझ जाना नहीं तो अपनी फसल सूख जायेगी अब लो जल्दी से खाना खाओ और जाओ।

राजू जल्दी जल्दी अपना खाना खाता है और फिर अपने कंधे पर एक चादर डालता है और एक हाथ में लालटेन और दूसरे हाथ में एक डंडा लेके खेतों की ओर निकल जाता है।

राजू सीधा ननखी ताई के खेतो की ओर अपनी ही धुन में मगन बढ़ता जा रहा था और अब अब मुखिया काका के खेत के पास पहुंच ही चुका था की उसे पास की एक झाड़ी से कुछ आवाज सी आई ये आवाज बहुत ही सुरीली और सुनी सुनी सी लग रही थी राजू एक बार इस आवाज को देखने के लिए उस झाड़ी की ओर मुड़ गया और जब उसने झाड़ी के पीछे देखा तो पाया कि ननखी ताई बैठकर मूत रही है ननखी ताई का पिछवाड़ा राजू की ओर था जिस वजह से ननखी ताई को राजू के आने का पता ना चल सका।

अब राजू ननखी ताई का पिछवाड़ा ताड़ने में लगा था लेकिन अभी उसका आधा पिछवाड़ा साड़ी से छिपा हुआ था लेकिन राजू के कानो में जो सुरूली आवाज आ रही थी वह ही काफी थी और अब उसका मोटा लैंड उसके पैंट में अंगड़ाई लेने लगा था।

इधर जब ननखी का मूतना हो गया तब वह उठने लगी और जैसे ही वह उठी राजू को एक पल के लिए ननखी का पूरा पिछवाड़ा नजर आ गया राजू उसकी बड़ी और चौड़ी गद्देदार गांड़ देखकर मदहोश होने लगा ।

इधर ननखी भी मूतने के बाद अपनी साड़ी नीचे कर देती है लेकिन साड़ी के नीचे वह अभी भी नंगी ही थी क्यूंकि गांव की अधिक से अधिक औरते साड़ी के नीचे और ब्लाउज के अंदर ब्रा और पैंटी जैसा कुछ नहीं पहनती अब ननखी अपने खेतो की ओर जाने लगती है और जैसे ही राजू ताई को जाते हुए देखता है वह भी दौड़कर उसके पास आकर उससे कहता है।

राजू..ताई मुझे मां ने भेजा है मुझे भी अपने खेतो में सिंचाई करनी है तो क्या आज आपकी रवल मुझे मिल जायेगी।

ननखी..बेटा अभी तो मेरा खेत अधूरा है अभी उसे ही भरने में बहुत समय लग जायेगा उसके बाद ही मैं तुझे कुछ कह पाऊंगी।

राजू..कोई बात नही काकी मैं यही तेरी झोपड़ी में सो जाता हूं जब तेरे खेत में पानी लग जाए तब मुझे जगा देना।

ननखी..ठीक है राजू बेटा तू वही पर जाकर सो जा अगर खाना ना खाकर आया तो सोनम भी वही पर है उससे खाना लेकर खा लेना।

राजू..वैसे काकी मैने देखा है आपका खेत बहुत बड़ा और बहुत चौड़ा है इसमें तो पानी लगाते समय मुखिया काका भी थक जाते होंगे।

अब राजू ननखी ताई से डबल मीनिंग में बात कर रहा था उसके खेतो का मतलब ननखी की मोटी गांड़ से था।

ननखी.. हां राजू बेटा तेरे काका अब बूढ़े हो गए है अब उनमें वो ताकत नहीं बची जो पहले हुआ करती थी और ये जमीन तो नए मर्दों को मांगती है वैसे अब तेरा भाई ही इन खेतो पर मेहनत करता है तेरे काका तो बस उसकी मदद ही करते है।

राजू.. हां काकी आप सही कह रही हैं मुझे भी लगता है आपके खेत अभी भी बहुत टाईट है काका की अब बस की बात नहीं है तू कहे तो मैं तेरे खेतों में पानी लगा दूं अभी मैं जवान भी हूं और मैं काका से ज्यादा अच्छी मेहनत भी कर सकता हूं, मुखिया काका तो तेरे खेत की हरियाली में ही खो जाते होंगे।

ननखी की भी अब काफी उमर हो गई थी उसने राजू जैसे अनेकों लडको को अपनी गोद में खिलाया था भला उसे कैसे न पता लगता की राजू उसके किस खेत की बात उससे कर रहा हैं।

ननखी ने तुरंत राजू का कान पकड़ लिया और बोली..अच्छा तो अब मैं समझी तू मेरे किन खेतों की बात मुझसे कर रहा था बेटा मैंने तुझ जैसे न जाने कितनों को अपनी गोद में खिलाया है और तू मुझे छेड़ रहा है।

राजू…आई...ई काकी मैं तो मजाक कर रहा था लेकिन आप कुछ भी कहो मैने अभी अभी आपका बड़ा चौड़ा सा खेत देखा है जिसको सच में पानी की जरूरत है आप कहो तो मैं अपने मोटे नलका से भर दूं।

ननखी थोड़ा सा शर्माती है लेकिन वह राजू को जाहिर नहीं होने देना चाहती और फिर...

ननखी थोड़ा तेजी से राजू के कान को मोड़ते हुए बोलती है..राजू बेटा बड़े बड़े खेत तो तेरे भी घर में तेरी दोनो माई के है उसके खेतों में भी पानी की बहुत जरूरत है बता उनके खेतों में तू कब पानी लगायेगा।

राजू..आई काकी कान छोड़ दे दुख रहे हैं और काकी तू उनकी छोड़ अपनी बता तेरे खेतों में पानी कब से नहीं लगा काका का नलका तेरे खेतों तक तो पहुंच भी नहीं पाता होगा....और राजू जोर जोर से हसने लगता है।

ननखी..रुक तेरी छोटी माई को ही बताना पड़ेगा की तेरा लल्ला अब बड़ा हो गया है उसे या तो अपने खेत दिखा दे नहीं तो कोई खेत वाली ढूंढकर ला दे।

राजू..अरे माई क्यूं काकी मैं तो अपनी प्यारी काकी से मजाक कर रहा था और तू तो गुस्सा हो गई अच्छा काकी मुझे माफ करदे और जब तेरे ये फसल वाले खेत भर जाए तो मुझे जगा देना तब तक मैं तेरी झोपड़ी में सो रहा हूं।

और राजू अपने कान छुड़ाकर वहां से भागता बना।

जिसे देख ननखी खिलखिलाकर हस पड़ी और बोली अरे राजू बेटा मेरे खेतों में पानी तो लगा जा...

राजू..अरे काकी फिर कभी अभी तो तू बस रहन दे...

अब राजू ननखी की झोपड़ी की ओर चल देता है जहां सोनम मुखिया काका और कलुआ को खाना खिला रही थी।
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
राजू और ननखी ताई के बीच हुई चटपटी बातें बहुत ही मजेदार थी
 

Fuker

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ग्रामीण पृष्ठभूमि पर आधारित व्यभिचार सम्बंधित कहानियाँ बहुत ही कम देखने को मिलती है । गांव के परिवेश का सटीक वर्णन , गांव की बोलचाल की भाषा , ग्रामीण वेशभूषा , एक अभावग्रस्त जीवन , संयुक्त परिवार का फैमिली ड्रामा , गांव के भीतर पनप रहे अवैध संबंध का सटीक वर्णन और पारिवारिक व्यभिचार - इन सब का सटीक वर्णन करना बहुत बहुत कठिन काम होता है ।

लेकिन आपने बेहतर प्रयास किया । आप की स्टोरी मे गांव की झलक दिखाई देती है । संवाद द्वी- अर्थी लिखा है आपने जो इस स्टोरी को कामुक बनाती है ।
" लालटेन " शायद आज के दौर मे बहुत ही कम गाँवो मे इस्तेमाल होता है । अभी यह सब वहीं इस्तेमाल किया जाता है जहां इलेक्ट्रिक अबतक न पहुंची हो। शायद इस कहानी का समयकाल साठ - सत्तर के दशक के आसपास का होना चाहिए ।
इस कहानी मे पात्रों की तादाद भी काफी ज्यादा है । फैमिली के लोग , गांव और पड़ोस के लोगों को देखकर प्रतीत होता है कहानी काफी बड़ी और अधिक दिनों तक चलने वाली है।

शायद आप की स्टोरी फोरम की एक यादगार स्टोरी बन जाए । बशर्ते स्टोरी पुरी हो और एक मजबूत पटकथा हो।

अबतक के सभी अपडेट्स काफी बढ़िया लिखा है आपने। आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट डियर ।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद मुझे आशा की मैं आप सबके सहयोग से अपनी इस देवनागरी हिंदी कथापट को जरूर पूर्ण कर पाऊंगा।
 
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