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Erotica लेडीज - गर्ल्स टॉक [ गर्ल्स व् लेडीज की आपसी बातचीत ]

कितने पुरुष पाठको ने अपनी पत्नी को या अपनी महिला मित्र को ब्रा या पेंटी ला कर दी है बिना उसको बताये

  • खुश हुई

    Votes: 4 40.0%
  • आश्चर्य चकित .... आपसे उम्मीद नहीं थी .. सही साइज़ ले आओगे

    Votes: 1 10.0%
  • मेरी साइज़ आपको याद रही

    Votes: 1 10.0%
  • शुक्रिया लाये तो ... पर साइज़ ठीक नहीं या कलर पसंद नहीं आया

    Votes: 0 0.0%
  • इतने नखरे है ..... कौन लाये ...

    Votes: 2 20.0%
  • एक तो लाओ फिर सरदर्दी वापस बदलवाने कि

    Votes: 2 20.0%

  • Total voters
    10
  • Poll closed .

Niharika

Member
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929
94
सभी पाठको / पाठिकाओं को
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार !

जी ,
आपने सही कहा ... अब क्या हुआ ..?

सोचा तो था कि सब ठीक हो गया है, किन्तु ..... एक बार फिर कोरोना का कहर .... उसके आफ्टर इफेक्ट्स ...

मेरी रिश्तेदार लड़की ... जो मेरे घर पर आई थी जिसे कोरोना होकर ठीक हुआ था , एक बार फिर वो बीमार पड़ गयी और फिर यहाँ आ गयी थी.

डॉक्टर को दिखाया फिर पता चला कि उसके लीवर मैं कुछ इन्फेक्शन हुआ है कोरोना कि वजह से ... उसके पिता भी घर पर ही थे कुछ दिन .... मैंने उसे रोक लिया कि कुछ दिन घर मैं रहे तो आराम मिल जायेगा और अगर डॉक्टर कि जरुरत पड़े तो यही शहर मैं hi है. उसे वापस नहीं आना पड़ेगा.

उफ़ , सारा दिन ... बस काम ..... और उसकी देखभाल ..... एक बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है ..... आप सभी कि याद तो बहुत आती है पर समय नहीं निकाल पाती , आज दिन तीन बजे वो सोयी तो सोचा आज अपने ऑनलाइन परिवार से मिल आउ.

उम्मीद है आप सभी ठीक होंगे ... अपना व् परिवार का पूरा ध्यान रखे ....

जल्दी मिलती हूँ ............
 

SKYESH

Well-Known Member
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सभी पाठको / पाठिकाओं को
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार !

जी ,
आपने सही कहा ... अब क्या हुआ ..?

सोचा तो था कि सब ठीक हो गया है, किन्तु ..... एक बार फिर कोरोना का कहर .... उसके आफ्टर इफेक्ट्स ...

मेरी रिश्तेदार लड़की ... जो मेरे घर पर आई थी जिसे कोरोना होकर ठीक हुआ था , एक बार फिर वो बीमार पड़ गयी और फिर यहाँ आ गयी थी.

डॉक्टर को दिखाया फिर पता चला कि उसके लीवर मैं कुछ इन्फेक्शन हुआ है कोरोना कि वजह से ... उसके पिता भी घर पर ही थे कुछ दिन .... मैंने उसे रोक लिया कि कुछ दिन घर मैं रहे तो आराम मिल जायेगा और अगर डॉक्टर कि जरुरत पड़े तो यही शहर मैं hi है. उसे वापस नहीं आना पड़ेगा.

उफ़ , सारा दिन ... बस काम ..... और उसकी देखभाल ..... एक बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है ..... आप सभी कि याद तो बहुत आती है पर समय नहीं निकाल पाती , आज दिन तीन बजे वो सोयी तो सोचा आज अपने ऑनलाइन परिवार से मिल आउ.

उम्मीद है आप सभी ठीक होंगे ... अपना व् परिवार का पूरा ध्यान रखे ....

जल्दी मिलती हूँ ............





🙏 with :love:
 

Niharika

Member
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सभी पाठको / पाठिकाओं को
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार !

उम्मीद है कि आप सभी कुशल मंगल से होंगे

कहेने को तो सब पहेले जैसा हो गया है ... बाजार मैं रौनक लौट आई है लेकिन खतरा टला नहीं है .... आप आपना और अपने परिवार का ध्यान रखना जी .

नंदिता को स्वस्थ लाभ हुआ है ... पहेले से काफी ठीक है .... खा - पी भी रही है ... और जल्दी ही अपने घर लौट जाएगी .... तब जाकर मेरी जान मैं जान आ पायेगी .

उफ़ , भगवन ही बचाए इस कोरोना के कहर से !

जी हाँ , कुछ आराम आया है .. मेरे अंतर मन को ... और मैं आप लोगो के सामने उपस्थित हूँ ... अपनी कहै को गति देने कि भरपूर कोशिश रहेगी ... बस कुछ देर और ...

आपकी निहारिका
 
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SKYESH

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निहारिका का प्यार भरा नमस्कार !

उम्मीद है कि आप सभी कुशल मंगल से होंगे

कहेने को तो सब पहेले जैसा हो गया है ... बाजार मैं रौनक लौट आई है लेकिन खतरा टला नहीं है .... आप आपना और अपने परिवार का ध्यान रखना जी .

नंदिता को स्वस्थ लाभ हुआ है ... पहेले से काफी ठीक है .... खा - पी भी रही है ... और जल्दी ही अपने घर लौट जाएगी .... तब जाकर मेरी जान मैं जान आ पायेगी .

उफ़ , भगवन ही बचाए इस कोरोना के कहर से !

जी हाँ , कुछ आराम आया है .. मेरे अंतर मन को ... और मैं आप लोगो के सामने उपस्थित हूँ ... अपनी कहै को गति देने कि भरपूर कोशिश रहेगी ... बस कुछ देर और ...

आपकी निहारिका

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सभी पाठको / पाठिकाओं को
निहारिका का प्यार भरा नमस्कार !

उम्मीद है कि आप सभी कुशल मंगल से होंगे

कहेने को तो सब पहेले जैसा हो गया है ... बाजार मैं रौनक लौट आई है लेकिन खतरा टला नहीं है .... आप आपना और अपने परिवार का ध्यान रखना जी .

नंदिता को स्वस्थ लाभ हुआ है ... पहेले से काफी ठीक है .... खा - पी भी रही है ... और जल्दी ही अपने घर लौट जाएगी .... तब जाकर मेरी जान मैं जान आ पायेगी .

उफ़ , भगवन ही बचाए इस कोरोना के कहर से !

जी हाँ , कुछ आराम आया है .. मेरे अंतर मन को ... और मैं आप लोगो के सामने उपस्थित हूँ ... अपनी कहै को गति देने कि भरपूर कोशिश रहेगी ... बस कुछ देर और ...

आपकी निहारिका
बाजार में रौनक ! मुझे नहीं लगता है आने वाले दस बीस सालों तक भी लौटने वाली है । आधे से भी अधिक लोग बेरोजगारी के कगार पे है तो फिर काहे की रौनक !
आप के अपडेट्स आ जाए तो शायद उसे ही रौनक समझ के मन बहला लें । :D
 
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Ristrcted

Now I am become Death, the destroyer of worlds
Staff member
Moderator
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hind section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 25th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

komaalrani

Well-Known Member
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कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन वसंत?
प्रेम रंग फागुन रंगे, प्रीत कुसुंभ वसंत।

चूड़ी भरी कलाइयाँ, खनके बाजू-बंद,
फागुन लिखे कपोल पर, रस से भीगे छंद।



रंग -पर्व होली की असीम कोटिशः शुभकामनाएं
 
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फिर एक कुर्ती के नीचे, अपनी ब्रा और पैंटी डाली, और एक पेटिकोट के नीचे माँ की पैंटी डाल दी सूखेने , माँ को भी ऐसे ही देखा था , ब्रा - पैंटी ढक कर सूखाते हुए, सो मैंने भी वही किया।

अलग से सुखाते हुए शर्म आ रही थी, पड़ोस वाली भाभी देख लेंगी तो क्या सोचेंगी।
फिर जल्दी से, अंदर आ गयी,
सोचा अब नहा लेती हु,
..............

प्रिय सहेलिओं ,


निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

हम्म , आज लिखते हुए यह सोच रही थी, आज भी मेरी वो ही आदत है , पेटीकोट के निचे ब्रा और पैंटी सूखाने की, जवानी से आज तक यही होता आया है , हिम्मत ही नहीं हुई की ब्रा - पैंटी अलग से सूखा दू, अगर सिर्फ ब्रा - पैंटी धोकर रखती हु तो बाथरूम मैं ही, बाहर डालने ही हिम्मत नहीं होती।


सभी, महिला पाठको से गुंजारिश, क्या आप भी मेरी जैसे , - कपड़ो [जैसे - पेटीकोट या साड़ी ] के नीचे सुखाती है हाँ या न , प्लीज शेयर करे यदि नहीं, तो मेरा सलाम है आपको, पर यह जरूर बताये की इतनी हिम्मत कहाँ से ला पायी आप.


फिर, अपनी दुनिया से बीती यादो मैं। ..... एक सफर सुनहरी यादो का।

बाथरूम मैं आकर, दरवाजा बंद किया , जल्दी से फिर उतारी कुर्ती जो काफी भीग गयी थी फिर सलवार भी उसका भी वो ही हाल था, गीली। दोनों को "निरमा" डाल दी, ब्रा खोली फिर आईने मैं अपने जोबन को देखा एकदम उठे हुए , गोल हल्का भूरा कलर था निप्पल का , फिर माँ की बात याद आयी "शादी" की , "सच्ची" निप्पल कड़े व् खड़े हो गए थे और वो "नीचे वाली" एक करंट सा अहसास हुआ था , पता नहीं क्या हुआ था. फिर मैंने पैंटी उतार दी, देखा "चाशनी " से भरी हुई थी, उफ़, इतना हाय यह क्या।

फिर , कुछ होश आया, पागल अभी नहाना भी है, कुर्ती भी धोनी है. जल्दी कर नहीं तो माँ की आवाज आने वाली है.

फिर , जल्दी से "रिन" लगाया कपड़ो [ कुर्ती,सलवार, -ब्रा पैंटी] मैं, निकले साफ़ पानी से और टांग दिए खूंटी पर फिर बालो मैं शैम्पू लगया, पाउच था "सिनसिल्क" का खोला उसे, फिर झाग से खेलना ही , ही। ....

बाल्टी से पानी लिया , आँख बंद और लगी बाल धोने , फिर बालो का हल्का जुड़ा बनाया और साबुन लिया, "संतूर" था, हाँ , माँ को वो ही पसंद था, अक्सर वो यही लाया करती थी, मुझे लक्स, या लिरिल पसंद था पर कभी - कभी ही ला पाती थी.
लगाने लगी "संतूर" जोबन पर , उफ़,क्या अहसास था , साबुन जब जोबन पर उतरता व् चढ़ता था , क्या बताऊ कैसा लगता था , करीब पांच मिनिट्स थक यही करती रही. फिर पीठ और पैर पर लगाने लगी, जहंघो के बीच "वहां" ,सब साफ़ था , अक्सर पीरियड्स से पहले "वीट " से सब साफ़.

साबुन हाथ मैं मला और लगाने लगी "वहां" नीचे आज तो कुछ अजीब ही था , करंट चल रहा हो जैसे , हर बार हात लगते हुए जोबन तक.

उफ़, क्या परेशानी है ये , फिर जल्दी से पानी डाला बदन पर , कुछ करंट कम हुआ, फिर नहा कर जैसे उठी देखा,

"
टॉवल" उफ़,वो तो लायी ही नहीं। अब , मुश्किल , सुनो माँ के भजन.

दो मिनिट्स तक, खड़ी रही "निप्पल" भी खड़े थे ठंडी से, हलके कड़क भी थे , फिर हिम्मत कर के माँ को आवाज लगायी।

मैं - माँ, माँ , आना जरा इधर।

कुछ देर मैं माँ आयी, बाथरूम के दरवाजे के बाहर , बोली।

माँ - क्या हुआ, निहारिका , सब ठीक.

मैं है, माँ , सब ठीक, पर मैं "टॉवल" लाना भूल गयी , ला दो न।

माँ - पा
गल लड़की , ऐसे कोई जाता है बाथरूम मैं नहाने को, बिना टॉवल के. सुधर ले अपनी आदतों को , जवान हो गई , शादी के लायक और ये हरकत , उफ़ भगवान जाने क्या होगा इस लड़की का.

और भी " सुवचन" "भजन" जो अब शायद दिन भर ही सुनने थे , कुछ - कुछ बोलती चली गयी, कुछ सुनाई दिया कुछ नहीं। फिर टॉवल देकर बोली, जल्दी आ.

मैं - हाँ, माँ.

फिर गड़बड़, अब तो पीटना ही है माँ के हाथ से, निहारिका गयी आज तो तू.

कपडे नहीं लायी, कैसे भूल गई, ओह, कपडे सुखाने के बाद शर्म से सीधा बाथरूम मैं भाग आयी, कोई ब्रा - पैंटी न सूखाते देख ले.

फिर सुखाया बदन को, जोबन पर लपेटा , आईने मैं देखा "
सेक्सी" लग रही थी, निप्पल फिर कड़े हो गए , धत्त, अब बाहर यह सोच कर धीरे से दरवाजा खोला बाथरूम का , देखा माँ नहीं दिखी , बच गए।

तेज़ी से , अपने रूम मैं भागी। किया दरवाजा बंद , पीछे मुड़ी

सांस ऊपर की उप्पर और निचे की नीचे , माँ खड़ी थी सामने , हाथ मैं नयी बेडशीट लेकर खड़ी थी, शायद चेंज करनी आयी थी।


माँ - निहारिका। ....................
में तो अलग से ही सुखाती हु आंटी
 
हम्म, तो दोनों बाते कर रही थी, और मैं चुपचाप खाना खा रही थी, और मैं टेंशन - ए - पैंटी मैं थी. अचानक , सहेली बोली -

सहेली - निहारिका, तू बोलती क्यों नहीं कुछ, अरे कल के फंक्शन के बारे मैं, सुमन भाभी के बारे मैं ,

मैं - हम्म, बड़ी याद आ
रही है "सुमन भाभी" की.

.......................

प्रिय सहेलिओं ,


निहारिका का प्यार भरा नमस्कार ,

अब आगे ,

हम्म, मेरा ध्यान खाने मैं नहीं था ,
उस कमिनी की बातो पर था कही वो बातो - बातो मैं मेरी पैंटी की बात न कह दे. कोई भरोसा नहीं था. और जब माँ या सुमन भाभी के साथ मिल जाती तो उफ़, घंटो बीत जाते, उस दौरान मुझे कम ही साथ बैठते थे , बच्ची जो थी उन सब के लिए.

हाँ , बचपना गया तो नहीं था , पर जवानी आ गयी थी, पूरी। जो एक बार देख ले उसकी नज़र दुबारा पड ही जाती थी, और यही देख कर इतरा कर हंसती और दुपट्टा ठीक कर लेती, जोबन पर.

पर जो आज हुआ , मैं पैंटी उतरने पर मजबूर हो गयी थी , इतना गीला पन वो भी एकदम एक - तार की चाशनी जैसा ऐसा पहेली बार ही हुआ है. हाँ, कुछ तो निकलता था ही , चिकना सा। पैंटी की बीच वाली जगह गीली रहती थी अक्सर।

फिर वो मूवी, मूड्स। और मेरा ध्यान टुटा, और मैं बोली - बड़ी याद आ रही है "सुमन भाभी" की.

मे
री सहेली और मेरी माँ दोनों एक दूसरे को देखने लगे, फिर हंस दिए। और मैं झल्ली कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था.

मैं - क्या हुआ , क्यों हंस रही हो दोनों।

माँ - कुछ नहीं, तू खाना खा.

मैं - हम्म, बस हो गया , खा लिया।

सहेली - अ
ब तो तुझे नींद आ रही होगी, हैं न. ऐसा कर तू जा , और जा कर सो. मैं जा रही हूँ सुमन भाभी से मिलने।

माँ - रुक , न। मैं भी चलती हूँ.

मैं - अच्छा जाओ.

मैंने सोचा ,
अच्छा है, दोनों गए , एक तो मैं पैंटी वहां से हटा दू, और दूसरी पेहेन लेती हूँ, नहीं तो फिर मौका न मिले।

दूसरा अगर यह दोनों अगर सुमन भाभी के साथ बातो मैं लग गए तो मुझे काफी समय मिल जायेगा , वो मूवी देखने का.

यह सोच कर मैं अपने कमरे मैं चल दी, और हल्का दरवाजा बंद कर लिया।
अब जोबन और जवानी ढक कर ही रखी जाती हैं न.

मैं मुझे दरवाजा बंद होने की आवाज आयी और दोनों के जाने की भी. फिर भी मैंने उठ कर चेक किया की गयी या नहीं, देखा तो कोई नहीं था. कुछ शांति मिली।

मैं, भागकर गयी बाथरूम मैं अपनी पैंटी लेने ,
उफ़ कहाँ गयी? यही तो थी.

ओह, साली कमीनी , उसका ही काम है. अब ?

तभी मेरी सहेली वापस आयी, और मैं बस बाथरूम से निकली ही थी, मुझे देखा और हंसने लगी.

मैं -
ला दे, मुझे।

सहेली - क्या, दू? मूवी डाल तो दी तेरे मोबाइल मैं, "निहारिका " फोल्डर मैं है.

मैं - जायदा
भोली मत बन, जल्दी ला. मुझे धोना भी है.

पैंटी को.

सहेली - फिर तो नहीं मिलेगी।

मैं - तू पागल है क्या , पता है कितनी गीली हैं. कहाँ रखी है. बता।


तब सहेली ने अपनी ब्रा मैं से , मेरी पैंटी निकली और दिखाई।

यह मैं तो तुझे नहीं देती अगर मैं सुमन भाभी के नहीं जा रही होती, और सुमन भाभी ने अगर इसे देख ली होती तो मेरे साथ यहाँ आ जाती और तेरी खैर नहीं थी फिर.

मैं - समझी नहीं।

सहेली -
समझ जाएगी। ही, ही,

ले , मेरी पेंटी को खोल कर उसे सूंघते हुए बोली, क्या नशा है, निहारिका तू एटम बम्ब है. बस तुझे नहीं पता.

मैं - पागल, गन्दी, ला, जल्दी दे। पता नहीं क्या कर रही है.

सहेली - साली,
सच्ची, पागल तो कर ही दिया है. इस खुशबू ने.

मैंने उसके हाथ से पानी पैंटी ली और सीधा बाथरूम मैं, सहेली जाते हुए बोली -

सहेली ० - जा रही हूँ, अभी दो - चार घंटे लग जायेंगे हमे सुमन भाभी के यहाँ, तू देख लेना "
वो"।

मैं - तू जा तो सही, सोचूंगी।

फिर वो हँसते हुए निकल जाती है, दरवाजा बंद करने की आवाज से कुछ शांति मिली, और
अब मैंने पैंटी को खोल कर देखा तो सारी चाशनी गायब थी. बस हल्का निशान ही बाकी रह गया था.

अरे , "वो" सब कहाँ गया ? इतनी जल्दी तो नहीं सूखता , ...........
-----

. एक पहेली -

कोई महिला पाठक बता सकती हैं की क्या हुआ होगा मेरी पैंटी के साथ?
----


वैसे सवाल तो बचकाना है, आज के हिसाब से। पर उस समय। ..... एक सवाल था मेरे लिए।


..................................
आंटी चाट ली आपकी पैंटी उसने
 
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Reactions: shubham akotkar
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