Pandora
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superb, awesome, extraordinary updateपर उस रात के बाद तो जैसे सब कुछ बदल गया
सब पहले जैसा हो गया
उसका प्यार से बुलाना
मेरा मनपसंद खाना बनाना और आते जाते मुझे प्यार से देखना
और रात को मुझसे चिपक कर सोना, जैसे वो पहले किया करती थी
ऐसा करने से हमारे बीच सैक्स भी काफ़ी ज़्यादा होने लगा
और जब भी मेरा लॅंड शिथिल पड़ने लगता , मैं अपनी बेटी की उस गुलाबी चूत के बारे में सोच लेता
हालाँकि शुरू में मुझे मेरे मन ने काफ़ी धिक्कारा भी था
पर अपने शरीर को मिलने वाले मज़े के बाद वो सब नॉर्मल सा लगने लगा था मुझे
उस दिन के बाद चंदा को उस तरह से देखने का मौका फिर कभी नही मिला
पर उसे अब मैं पहले से ज़्यादा लाड प्यार करने लगा था
प्यार तो मैं अपनी दूसरी बेटी से भी करता था पर वो चंदा से ज़्यादा चालाक थी
मेरी नज़रों को भाँप कर उसने घर में भी चुन्नी लेनी शुरू कर दी थी
अपने लॅंड को कड़क बनाए रखने के लिए मैं कई बार बाथरूम में घुसकर चंदा की ब्रा पेंटी को उठाकर अपने लॅंड पर रगड़ता
और उसका असर भी ठीक उस रात जैसा ही होता जब मैने उसे पहली बार मूतते हुए देखा था
फिर तो मैं अक्सर रात को पहले बाथरूम में जाता
उसकी ब्रा को अपने लॅंड पर रखकर उसे तब तक मसलता जब तक वो कड़क ना हो जाए और उसकी सुगंधित कच्छी को अपनी नाक से लगाकर उस पल को याद करता, ऐसा करते हुए मेरा लॅंड एकदम स्टील रोड जैसा हो जाता
और वहां से निकलकर मैं सीधा अपने बेडरूम में जाकर रागिनी को चोद देता
रागिनी को इस बात का कोई एहसास नही था की ये सब मैं कैसे कर रहा हूँ
उसे तो बस मेरे कड़क लॅंड और अपनी चुदाई से मतलब था जो उसे अब भरपूर मात्रा में मिल रहा था
पर ये सब करते-2 मैं चंदा के बारे में हद से ज़्यादा सोचने लगा था
जब भी मौका मिलता, उसे अपनी गोद में बिठाकर उसके नर्म कुल्हो का दबाव अपनी जाँघ पर महसूस करता
उसके नर्म पेट पर उंगलिया फेरकर उसकी रेशमी त्वचा को महसूस करता
एक दो बार तो उसके कड़क स्तनो को भी छू लिया पर वो बेचारी उसे अंजाने में किया हुआ स्पर्श ही समझ सकी
मैं उसे अक्सर पैसे देने लगा ताकि वो इसी तरह मेरे साथ खुलकर रहा करे
उसके बदन की महक भी महसूस करता था मैं
ऐसा करते-2 कब मेरे दिल में उसके शरीर को भोगने का ख़याल आने लगा, मुझे भी पता नही चला
पर एक पिता होने के नाते ऐसा करना बिल्कुल ग़लत था
मैंने गलती से भी कोई गलत हरकत की या अपने विचार उसपर जाहिर कर दिए तो मेरे और मेरी बेटी के बीच की ये नज़दीकिया भी ख़त्म हो जानी थी
हालाँकि मुझे सैक्स की कमी नही थी
रागिनी के अलावा मैं अक्सर दूसरे गाँव की एक औरत के पास भी जाया करता था
रज्जो , जो पैसो के लिए ये काम करती थी
उसने भी मेरे पहले और बाद वाले लॅंड का फ़र्क महसूस किया था
और अब तो वो अक्सर कहा करती थी की पूरे गाँव में मेरे जैसा लॅंड और चुदाई करने का तरीका किसी के पास नही है
जब मेरे पास गाँव का सबसे शानदार लंड है तो मेरी बेटी इससे क्यों वंचित रहे
और इसी कारण अब मैं इस लॅंड का मज़ा अपनी प्यारी बेटी को देना चाहता था
वो कहते है ना जब किसी चीज़ के बारे में शिद्दत से सोचो तो उसे पाने की राह अपने आप दिखाई देने लग जाती है
ऐसा ही एक दिन मेरे साथ हुआ जब मुझे मेरे बचपन का दोस्त घनश्याम मिला
जिसे हम प्यार से घेसू कहते थे
वो सालो पहले साधुओ की टोली में शामिल होकर घर से भाग गया था
वहां से वो हरिद्वार के एक आश्रम पहुँच गया
और वहां रहकर साधु सन्यासियो जैसा बन चूका था
और अब उसका नाम था घनकमंडल बाबा..
मैं उसके साथ बैठकर अक्सर उसके किस्से कहानियां सुनता
अपने और गाँव के बारे में बताता
वो चिलम पीता रहता था
और कई तरह के नशे भी करता था
मुझे भी उसने वो आदत डलवा दी
एक दिन उसी के नशे में मैने उसे अपने दिल की बात कह डाली
जिसे सुनकर वो काफ़ी देर तक तो हंसता रहा
और फिर उसने मुझे समझाया की इस तरह के संसारिक बंधनो को वो काफ़ी पीछे छोड़ आया है
और उसके अनुसार तो ये बिल्कुल भी ग़लत नही है
मैने भी अभी तक की सारी बातें उसे बिना झिझक के बता डाली और अपने मन की परेशानी भी बताई की मैं आगे क्यो नही बढ़ पा रहा हूँ
और फिर उसने मुझे वशीकरण के बारे में बताया
ये एक ऐसी विद्या थी जिसके बाद आप किसी भी इंसान को अपने वश में कर सकते हो और उस से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कार्य करवा सकते हो
सुनने में तो काफ़ी अच्छा लग रहा था वो
पर उसे करना उतना ही कठिन था
उसने मुझे एक किताब भी दी, जिसमें उस विद्या से संबंधित कई बाते लिखी थी
कई सारे मंत्र भी थे
किसी को वश में करने के लिए क्या-2 करना पड़ता है
और उसपर कब तक उसका असर रहेगा
ये सब विस्तार से लिखा था उसमें
मैने पहले भी इसके बारे मे सुना था, पर विश्वास नही था की ऐसा सच में संभव हो सकता है
अगर हो जाए तो मेरी सारी परेशानी दूर हो सकती है
मैं अपनी बेटी को वश में करके उसके साथ कुछ भी मनमानी कर सकता हूँ
और अगर ऐसा हो पाए तो फिर चंद्रिका के उपर भी इस वशीकरण का इस्तेमाल किया जा सकता है
एक से भले दो
वैसे तो वो अपने उपर हाथ भी नही रखने देती थी
उसे वश में करने के बाद मैं उसके साथ कुछ भी कर सकता था
उस दिन के बाद मेरी दोस्ती घेसू के साथ और भी ज़्यादा घनिष्ट हो गयी
उस किताब के अनुसार मुझे जिसपर वशीकरण प्राप्त करना था, उसका प्रतिबिंब बनाकर सुबह के 4 बजे नहाने के बाद मंत्र पढ़कर उसपर अपने वीर्य का छिड़काव करना था
और अगले 2 दिन वही प्रक्रिया फिर से करनी थी
और अगर हो सके तो वीर्या का छिड़काव उस इंसान पर सोते हुए भी किया जा सकता था, वो ज्यादा असरदार रहेगा
दोस्तो
अब तो आप समझ गये होंगे की सुमेर सिंह ऐसा क्यों कर रहा था
अब वापिस कहानी का मुख चंदा की तरफ मोड़ते है
जो अपने पिता की इस पुस्तक के ज़रिए ये जान चुकी थी की उसके पिताजी उन दोनो बहनो पर वशीकरण कर रहे है
दो दिन की क्रिया तो उसने भी पढ़ ली थी, और तीसरे और आखिरी दिन का खेल और बचा था
यानी आज का
अब कहानी का मुख एक बार फिर से चंदा की तरफ मोड़ते है और उसके नजरिये से कहानी आगे बढ़ाते है
चंदा की ज़ुबानी
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वश मे करने के बाद की भी कई बाते थी जिसे पढ़ने में पूरा दिन लगने वाला था
और इतना टाइम उसके पास नही था
पर इतना तो वो पढ़ ही चुकी थी की वो प्रक्रिया आज भी करेंगे
क्योंकि 3 बार करने के बाद ही वो प्रक्रिया पूरी होनी थी
एक बार फिर से रात वाली बात का सोचकर उसकी बुर गीली हुए जा रही थी
मन तो उसका कर रहा था की अपनी उँगलियाँ डालकर उसे रगड़ डाले
पर सबसे पहले उसे वो किताब वापिस रखनी थी, क्योंकि पिताजी को इसी में से देखकर वो मन्त्र पढ़ने थे
आज की रात और भी ज्यादा मजेदार होने वाली थी
Thanks a lotEkdum mast aur jabardast update