• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest वशीकरण

komaalrani

Well-Known Member
22,471
58,743
259
मैंने माँ के साथ घर का सारा काम निपटाया पिताजी को नाश्ता भी दिया
मैं पिताजी के करीब जब भी जा रही थी या जब भी उन्हें देख रही थी, मुझे रात वाली सारी बातें याद आ रही थीं
मेरी कच्छी का गीला होना तो आम बात हो गई थी आजकल
कल रात भर गीली रही थी वह
और आज सुबह से भी बिना बात के गीली हुई जा रही थी

एक बात अब मैंने नोट करनी शुरू कर दी थी
पिताजी की नजरें मुझे ही देखने में लगी रहती थीं
मेरे उभार और मेरे पिछवाड़े को देखते हुए मैंने उन्हें कई बार पकड़ा

पर मुझे गुस्सा नहीं आ रहा था, इसमें तो एक रोमांच था
उनकी आँखें मेरे शरीर को जब भी बेधती तो मेरा शरीर झनझना कर रह जाता

ऐसा लगता जैसे मेरे नंगे शरीर को वह अपनी साँसों की हवा दे रहे हैं
मेरा पूरा शरीर मानो बाँसुरी हो और वो उसमें अपनी गर्म आहैं भरकर मेरे शरीर से मादक ध्वनि निकालने का प्रयास कर रहे है



नाश्ता करने के बाद पिताजी तैयार होकर बैंक के काम से बाहर निकल गए
और अब वक़्त था मेरी जासूसी का
ने झाड़ू लिया और माँ को ये कहते हुए उनके कमरे में घुस गई कि आज मैं उनके रूम को पूरा साफ करूँगी
वह कुछ नहीं बोली
बिना कहे मैं काम जो कर रही थी उनके कमरे की सफाई का

वह किचन में काम करती रही और मैं उनके कमरे में पहुंच कर चारों तरफ देखने लगी
पहले मैंने पिताजी की अलमारी को छान मारा
उनके कपड़ों के सिवा कुछ नहीं था

लॉकर भी खोलकर देखा, क्योंकि मुझे पता था कि वो चाबी कहाँ रखते हैं
उसमें भी जरूरी कागजात और पैसों के सिवा कुछ नहीं था
फिर मैंने माँ की अलमारी भी छानी , उसमें भी कुछ नहीं मिला

थक हारकर मैं बेड पर जा बैठी और तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे नीचे कुछ है
मैंने जल्दी से उठकर गद्दा उठाया और नीचे मुझे एक किताब मिली
मेरी आँखें चमक उठी
यही तो मैं ढूंढ रही थी
वो एक 150 पेज की किताब थी,
और उसका शीर्षक था
"वशीकरण"



और ये किताब मैं इसलिए ढूंढ रही थी क्योंकि कल रात जब पिताजी वो मंत्र पढ़ रहे थे तो उनकी गोद में ये किताब थी,
ज़्यादा अंधेरे की वजह से मैं सही से देख नहीं पाई थी, पर मुझे एहसास हो गया था की हलकी रौशनी में वो कुछ देखकर ही वो मन्त्र पढ़ रहे है

पर अब इसे देखकर विश्वास हो गया था कि वो किताब से देखकर ही वो मंत्र पढ़ रहे थे
मैंने जल्दी से वो किताब अपने पेट में ठोंसी और बाहर निकल आई

और अपने रूम में जाकर अंदर से कुंडी लगाकर आराम से उसे पढ़ने लगी
वो किताब किसी तांत्रिक टाइप के इंसान द्वारा लिखी गई थी,
जिसमें वशीकरण करने की विधि और उसके परिणाम कब और कैसे मिलेंगे उसके बारे में विस्तार से बताया गया था
मुझे इसे पढ़ने में कोई खास इंटरेस्ट नहीं था

पर मैं पढ़ना चाहती थी कि आखिर वशीकरण करने के बाद क्या सच में उस इंसान के शरीर को वश में किया जा सकता है
जैसा कि मुझे अब तक समझ आ रहा था कि पिताजी हम दोनों बहनों के शरीर को वश में करके उसका फायदा उठाना चाहते थे

दोस्तो
आगे की कहानी ,चंदा के नज़रिए से देखने से पहले मैं आपको कहानी का दूसरा चेहरा यानी सुमेर सिंह का नज़रिया भी बताना चाहता हूँ , ताकि जो सवाल चंदा के दिलो दिमाग़ में इस वक़्त चल रहे है वो कम से कम आप पाठको को तो पता हो
इसलिए चंदा के पिताजी का नज़रिया जानते है की आख़िर उन्होने ये किसलिए और कैसे किया, फिर हम वापिस चंदा की तरफ आ जाएँगे

सुमेर सिंह
**********
ये करीब 3 साल पहले की बात है
एक रात जब मैं रात को पेशाब करने के लिए उठा तो देखा मेरे से पहले मेरी छोटी बेटी चंदा नींद में ऊंघति हुई सी अपने कमरे से निकली और बाथरूम की तरफ चली जा रही है
उसने एक बड़ी सी टी शर्ट पहनी हुई थी जो उसकी जाँघो तक आ रही थी
रात को अक्सर वो ऐसे ही ढीले कपड़े पहनकर सोती थी
मेरे सामने तो वो टांगो को ढक कर रखती थी पर शायद सोते वक़्त उसने अपनी ट्रेक पेंट उतार दी थी

बाहर काफ़ी अंधेरा था इसलिए वो मुझे तो नही देख पाई पर जब वो अंदर जाकर पेशाब करने बैठी तो मैं उसे सॉफ देख पा रहा था
आँखे बंद थी उसकी पर दरवाजा बंद किए बिना वो बैठ गयी थी
बचपन से उसकी यही आदत थी
वो तो जवान होते-2 उसकी माँ ने ये आदत छुड़वा दी थी वरना कई बार तो वो नहाते वक़्त भी दरवाजा बंद नही करती थी
पर वो सालो पहले की बात थी

आज वो 18 की थी और मुझे उसे इस हालत में देखकर काफी अजीब लगा
ना चाहते हुए भी मैं उसे मूतते हुए देखने का लोभ छोड़ नही पाया
कितनी प्यारी लग रही थी उसकी मुनिया
एकदम गोरी
कसी हुई चमड़ी और भींचे हुए उसके होंठ



मेरे होंठ सूख रहे थे, मैने उनपर जीभ फेरी
अचानक मेरे लॅंड ने खड़ा होना शुरू कर दिया
मैने धोती के उपर से हाथ लगाया तो देखा की आज करीब 5 साल बाद ऐसा कड़कपन आया था उसमें
मैं ये मौका खोना नही चाहता था
इसलिए उल्टे पैर वापिस आया और अपनी सोती हुई बीबी के उपर जा चड़ा

पहले तो वो एकदम से घबरा गयी की मुझे कौनसा भूत चढ़ गया रात के वक़्त जो ऐसी हरकत करने लगा
पर वो भी सालो से प्यासी थी मेरे लॅंड की
पिछले कुछ सालो में वो पहले जैसा कड़कपन नही रह गया था मेरे लंड में
वो जितनी भी कोशिश करती उसे खड़ा करने की , ढीलापन फिर भी रह जाता था उसमें
उसे भी चुदाई में वो पहले जैसा मज़ा नही मिल पा रहा था और ना ही मुझे

पर आज अपनी जवान बेटी की बुर देखकर ना जाने मेरे अंदर कौनसा चमत्कार हो गया था की जवानी के दिनों जैसा कठोर और कड़क हो गया था मेरा लॅंड
उसपर हाथ लगते ही रागिनी की आँखे चमक उठी

वो बोली : “ये आज एकदम से क्या हो गया चंदा के पापा, कोई हकीम की दवाई ली है क्या, ऐसा कड़कपन महसूस किए तो सालो हो गये”
वो बोलती जा रही थी और अपनी घाघरा चोली उतारती जा रही थी
मुझसे ज़्यादा सैक्स की भूखी थी वो
आज उसकी चूत को बढ़िया वाली चुदाई मिलने वाली थी
पूरे कपड़े उतारकर जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तो मैं उसके नशीले बदन को देखता ही रह गया
कोई कह नही सकता था की वो 3 जवान बच्चों की माँ है



मैने भी अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और आनन फानन में उसकी चूत पर अपना लॅंड लगाकर उसे अंदर धकेल दिया

“आआआआआआहह……… उफफफफफफफफफफफफ्फ़….. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…………. चंदा के पापा……आज तो मार ही डालोगे…..”

मैने उसके मोटे स्तनो को अपने मुँह में दबाया और उन्हे चूसते हुए उपर से धक्के लगाकर उसकी चूत मारने लगा
हर धक्के से मेरा लॅंड उसकी गुलकंद जैसी चूत के अंदर घुसकर अंदर की मिठास को बाहर निकाल ला रहा था
फ़चा फॅच की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था



और मैं आँखे बंद किए अपनी बेटी की उस सुनहरी बुर को देख रहा था जिसके कारण आज ये एहसास फिर से महसूस हुआ था मुझे
और आप यकीन नही करेंगे
मेरे जहन में जब तक चंदा की बुर से मूत निकलता रहा, मेरे लॅंड की घिसाई रागिनी की चूत में उतनी देर तक ही चलती रही
करीब 5 मिनट तक मैने उसकी चुदाई की

और अंत मे जब रुकना मुश्किल हो गया तो मेरे लॅंड ने ढेर सारा रस मेरी बीबी रागिनी की चूत में उड़ेलना शुरू कर दिया

“ऊऊऊऊहह चौधराइनssssssss …….मैं तो गया…….अहहsssssss ”

वो तो कब से झड़ चुकी थी
और आँखे मूंदे मेरे झड़ने का इंतजार कर रही थी
आज सालो बाद उसके चेहरे पर पहले जैसा सकून था

भले ही ये रात के 2 बजे मिला था उसे पर आज की रात वो बहुत खुश थी

खुश तो मैं भी था
पिछले कुछ सालो से वैध हकीमो के चक्कर लगा-लगाकर कोई फ़र्क नही पड़ा था और आज वो काम अपने आप हो गया
उसके बाद रागिनी और मैं उसी तरह नंगे लेटे -2 काफ़ी देर तक बाते भी करते रहे

औरत को अपने हिस्से का शारीरिक सुख ना मिले तो उसका प्रभाव निजी जिंदगी में भी देखने को मिलता है
वो मुझसे चिड़कर बाते करती थी
खाना भी अपनी मर्ज़ी से कुछ भी बना देती थी
रात को मेरे हाथ लगते ही तुनककर पीछे हो जाती और ताने मार देती थी
जिस से रही सही हिम्मत की भी धज्जिया उड़ जाती थी
बहुत बढ़िया अपडेट, दोनों ओर की बात बताकर आपने सुमेर सिंह की समस्या और उनके मन की बात भी बता दी,

वशीकरण तो छोटी वाली गुड़िया चंदा की मुनिया ने असल में सुमेर सिंह पर किया और आपने एक लाइन में कैसे वो बात कह दी

" न चाहते हुए भी उसे मैं मूतते हुए देखने का लोभ नहीं संवरण कर पाया

कितनी प्यारी लग रही थी उसकी मुनिया,
कसी हुयी चमड़ी और उसके भींचे हुए होंठ "

और रही सही बात उसके साथ लगी पिक ने पूरी कर दी

जो काम वैद्य हकीम न कर पाए वो छोटी गुड़िया की मुनिया ने बस दिखा के कर दी तो आगे जो कुछ हुआ वो होना ही था लेकिन उसे इस तरह लिखना सिर्फ आप के ही बस का है कभी लगता है हम चंदा की नजर से देख रहे हैं कभी सुमेर सिंह की नजर से
 

Jlodhi35

New Member
69
98
33
Nice
 
  • Like
Reactions: Ashokafun30

Ashokafun30

Active Member
1,474
6,096
159
दाम्पत्य जीवन मे , उम्र के किसी भी पड़ाव पर सेक्स की भुमिका काफी महत्वपूर्ण होती है । सेक्स के प्रति उदासीनता दाम्पत्य जीवन मे आई कड़वाहट का कारण भी बनती है ।
यही कारण है कि एक औरत तीस चालीस वर्ष तक पतिव्रता रहने के बाद भी बेवफा हो जाती है और मर्द का तो कहना ही क्या ! वह दुनियाभर की हर खुबसूरत औरत के साथ अंतरंग रिश्ते बनाने की कल्पना करता है ।

सुमेर साहब की अवस्था कुछ कुछ ऐसी ही थी । पत्नि से विमुख इन्सेस्टियस जर्नी के राह पर निकल पड़े ।
और इस जर्नी के मंजिल तक पहुंचने के लिए वशीकरण मंत्र की साधना करने लगे ।

लेकिन इस वशीकरण मंत्र का निष्कर्ष क्या रहा ?
चंदा पके हुए आम की तरह उनके गोद मे गिरने को तैयार है और इस के लिए वशीकरण मंत्र तो बिल्कुल ही उत्तरदायी नही है ।

लेकिन चंद्रिका ने जरूर उनकी मंशा भांपकर अपने शरीर पर एक और कवच रूपी वस्त्र धारण कर लिया है । वशीकरण मंत्र कितना प्रभावी और असरदार है यह चंद्रिका के मन की बात जानने के बाद ही पता चलेगा ।

वैसे ऐसा प्रतीत होता है कि इस वशीकरण मंत्र और गुड्डा गुड्डी की खेल के आड़ मे चंदा और सुमेर साहब के बीच काफी कुछ सिडक्सन का दौर चलेगा । शायद कुछ हाॅट और कुछ कुल ।

आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट अशोक भाई ।
thanks bro
chanda god me girti hai ya kuch aur karti hai ye to aane wala waqt hi batayega
par maje ki poori guarantee hai
बहुत बढ़िया अपडेट, दोनों ओर की बात बताकर आपने सुमेर सिंह की समस्या और उनके मन की बात भी बता दी,

वशीकरण तो छोटी वाली गुड़िया चंदा की मुनिया ने असल में सुमेर सिंह पर किया और आपने एक लाइन में कैसे वो बात कह दी

" न चाहते हुए भी उसे मैं मूतते हुए देखने का लोभ नहीं संवरण कर पाया

कितनी प्यारी लग रही थी उसकी मुनिया,
कसी हुयी चमड़ी और उसके भींचे हुए होंठ "

और रही सही बात उसके साथ लगी पिक ने पूरी कर दी

जो काम वैद्य हकीम न कर पाए वो छोटी गुड़िया की मुनिया ने बस दिखा के कर दी तो आगे जो कुछ हुआ वो होना ही था लेकिन उसे इस तरह लिखना सिर्फ आप के ही बस का है कभी लगता है हम चंदा की नजर से देख रहे हैं कभी सुमेर सिंह की नजर से
thanks komaal bhabhi
aapke pyar bhare shabdo ka aur aapka swagat hai
kahani suljhi rahe isliye saare pehlu paathko ko pata hone chahiye
baaki chanda, sumer singh aur dusre patro ke beech kavashikaran to chalta hi rahega
keep reading and commenting
 
Last edited:

Ashokafun30

Active Member
1,474
6,096
159
superb, awesome, extraordinary update
thanks shanu4u
have fun
 
  • Like
Reactions: Ajju Landwalia

Sonieee

Active Member
826
1,789
139
Waiting for next update
 
  • Like
Reactions: Ashokafun30

1112

Well-Known Member
5,041
7,366
188
ये कहानी है एक ऐसी लड़की की जो अपनी उम्र की हर दूसरी लड़कियों की तरह जवानी में कदम रखते ही सपनो की रंगीन दुनिया में खो जाती है
इस लड़की का नाम है चंदा



और अपने नाम की तरह ही एकदम चाँद जैसा चेहरा है इसका
चेहरा ही नही बल्कि इसका पूरा शरीर ही साँचे मे ढला हुआ है
32 के साइज़ के बूब्स और 34 के भरे हुए हिप्स उसकी सुंदरता बयान करते थे
मेरठ में रहने वाला चंदा का परिवार ज़्यादा बड़ा भी नही था
एक बड़ा भाई सूरज जो अपने पिता सुमेर सिंह के साथ खेतीबाड़ी में उनका साथ देता था
चंदा की बड़ी बहन चन्द्रिका जो पास के एक स्कूल में टीचर थी
और उसकी प्यारी माँ रागिनी जो घर की देखभाल और अपने परिवार का पूरा ध्यान रखती थी
कुल मिलाकर इन पाँच लोगो का परिवार काफ़ी मिलनसार भाव से रहता था

पर एक रात के वाक्ये ने चंदा की जिंदगी और उसका दुनिया देखने का नज़रिया बदल कर रख दिया
चंदा हमेशा की तरह अपने कॉलेज की पड़ाई करके सोई तो आधी रात को अचानक पेशाब के प्रेशर ने उसकी नींद खोल दी
टाइम देखा तो रात के 4 बज रहे थे

वो उठी और अपने कमरे से निकल कर बाहर आँगन में बने बाथरूम तक गयी और बिना दरवाजा लगाए टॉयलेट सीट के पर मोरनी बनकर बैठ गयी और गाड़े सुनहरी रंग के झरने को बाहर फेंकने लगी

अभी वो आधा ही कर पाई थी की अचानक अंदर से कोई आया और बाहर बने नलके से पानी निकालने लगा
उसके बाथरूम की लाइट बंद थी और वो अंदर बिना दरवाजा बंद किए बैठी थी
उसकी तो हलक सूख गयी
पर गनीमत थी की अंधेरे की वजह से उसे बाहर से कोई देख नही सकता था
वो अपने आप को कोस रही थी की दरवाजा क्यों बंद नही किया
वो या तो उसके पापा थे या उसका भाई
क्योंकि डील डोल मर्दो वाला ही था

कुछ देर तक तो वो बैठी रही पर फिर उसका बैठना मुश्किल हो रहा था सो वो चुपचाप उठी और अपनी सलवार को बाँध कर दरवाजे तक आई
बाहर देखा तो उसके पापा ही थे, जो नलके के किनारे एक छोटी सी चटाई पर बैठ कर एक छोटे से पीतल के थाल में पानी भरकर कुछ कर रहे थे
उसने देखने की कोशिश की पर उसे समझ नही आया की वो क्या कर रहे है
इतनी सुबह उन्हे भला ऐसा क्या काम
वो बर्तन धो रहे है क्या
पर वो भला ऐसा क्यों करेंगे

उसने गोर से देखा तो वो हाथ जोड़कर कोई मंत्र बुदबुदा रहे थे
अब उसके मन में कुछ शंका सी हुई
उसने देखा की थाल में ऐसा क्या है

तो उसने देखा की 2 छोटी प्लास्टिक की गुड़िया थी उसमें
जो छोटे बच्चे हाथ में लेकर गली-2 घूमते है



वो भला उसका क्या कर रहे है
कुछ देर तक वो वैसे ही मंत्र बुदबुदाते रहे और फिर अचानक वो उठे और अपना कुर्ता उतार कर साइड में रख दिया और फिर अपनी धोती भी उतार दी
मैं कुछ समझ पाती इस से पहले ही मेरे पिताजी मेरे सामने पूर्ण रूप से नग्न खड़े थे
मेरी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी
ये मेरी लाइफ का पहला मौका था जब मैं किसी मर्द को नंगा देख रही थी
और वो भी अपने खुद के पिता को

स्कूल कॉलेज में मेरी सहेलियां ऐसी बातें करती रहती थी
एक दो बार मस्तराम की कहानियां भी पढ़ी थी और कुछ अश्लील चित्र भी देखे थे
पर ऐसे शादी से पहले मुझे किसी मर्द को नंगा देखने का मौका मिलेगा
ये मैं नही जानती थी

पर इसके बावजूद की वो मेरे पिता है
मैने उन्हे देखना बंद नही किया
बल्कि आँखे फाड़े उन्हे घूर-2 कर देख रही थी

उनकी चौड़ी छाती और कसा हुआ शरीर जो उन्होने खेती बाड़ी करके बनाया था इस बात का प्रमाण था की उम्र का उनपर कोई असर नही पड़ रहा है



और उनका लिंग
उफ़फ्फ़
वो उनकी टॅंगो के बीच ऐसे झूल रहा था जैसे मैने एक बार अपने बैल हीरा का देखा था
करीब 5 इंच का था उनका मोटा सा लिंग जो टॅंगो के बीच झूल रहा था
जब अकड़ कर खड़ा होगा तो कितना बड़ा हो जाएगा ये
यही सोचकर मुझे कुछ-2 होने लगा

पर फिर मैने उस विचार को झटक दिया
छीssss ये भला क्या सोचने लगी मैं अपने ही पिताजी के बारे में
मैं कुछ बोल भी नही सकती थी
बाहर भी नही निकल सकती थी

फिर उन्होने उन दोनो गुड़िया को अपने हाथ में उठाया
तब मैने नोट किया की वो दोनो आपस में बँधी हुई है एक धागे से जो करीब २-3 फ़ीट का था
फिर उन्होने उन धागे से बँधी हुई गुडियों को गमछे की तरह अपने गले में लटका लिया
अब वो दोनों गुड़िया उनके लिंग से टकरा रही थी

फिर उन्होंने उस पीतल के बड़े से थाल को उठाया और उसका पानी अपने सिर पर डाल लिया
सुबह की ठंडक में इतने ठंडे पानी से नहाकर उनके शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी
झुरजुरी तो मेरे शरीर में भी दौड़ी
क्योंकि उनका लिंग जो इतनी देर से शिथिल अवस्था में लटका पड़ा था, ठंडे पानी की वजह से उसमें तनाव आने लगा था
फिर उनका हाथ अपने तने हुए लिंग पर आया और वो उसे मसलने लगे



मुझे अंदाज़ा तो नही था की वो ऐसा क्यों कर रहे है पर ये पता था की इसका मतलब क्या है
उन्हे ऐसा करता देखकर ना जाने क्यो मेरी जाँघो के बीच भी कुछ-2 होने लगा
मैं 21 साल की थी
पर आज तक मैने ऐसा कुछ भी नही किया था जिसकी वजह से मेरे शरीर में ऐसा कुछ भी एहसास हो
पर आज पहली बार ऐसा एहसास हो रहा था मुझे
पर मैं उस एहसास का पूरा मज़ा भी नही ले पा रही थी
कारण था की ये एहसास मुझे अपने खुद के पिता को देखकर हो रहा था

मैं दम साधे उनका ये क्रियाकलाप देख रही थी
और मेरे देखते ही देखते उनका लिंग अपने पूरे आकार में आ गया
वो अब करीब 7-8 इंच का बन चुका था
और मोटा इतना जैसे कोई खीरा

फिर उन्होने अपने लिंग पर घिसाई की तेज़ी को और बड़ा दिया और करीब 1 मिनट में ही उनके लिंग से सफेद रंग का गाड़ा पानी निकलने लगा
मुझे तो लगा था की मर्द के लिंग से सिर्फ पेशाब ही निकलता है
ये क्या बला है ?

कहीं ये वो वीर्य तो नही जो बायोलॉजी की क्लास में बताया था मेडम ने
पर वो तो सैक्स करने से निकलता है
और वो भी औरत की योनि में

पर पिताजी उसे ऐसे ही क्यो निकाल रहे है
मेरा भोला भाला दिमाग़ उन सब बातो से अंजान अपनी ही उधेड़बुन में लगा हुआ था
और तब मैने कुछ अजीब सा होते देखा
पिताजी ने अपने गले में लटक रही गुड़िया के जोड़े को अपने लिंग से निकल रहे गाड़े पानी से नहला दिया
दोनो गुड़िया उनके लिंग से निकले गाड़े और सफेद पानी से रंग कर सराबोर हो गयी
देखने में मुझे बड़ा अजीब सा लगा की आख़िर ये पिताजी करना क्या चाहते है
पहले तो मुझे लगा था की ये कोई पूजा करने के लिए उठे है शायद सुबह
पर ऐसी पूजा भला कौन करता है
ये मेरी समझ से परे था
कुछ देर बाद वो अपने कपड़े पहन कर अंदर चले गये
मैने भी चैन की साँस ली क्योंकि मैं भी करीब 30 मिनट से अंदर क़ैद थी
पिताजी मुझे देख लेते तो मैं उनका सामना भला कैसे कर पाती
मैं चुपचाप अपने बेड पर आकर सो गयी
मेरी दीदी गहरी नींद में मेरे करीब ही सो रही थी
मैं कुछ देर तक अपने पिताजी के बारे मे सोचती रही और फिर कब मुझे नींद आ गयी, मुझे भी पता नही चला

पर आने वाले समय में इस घटना का मेरी जिंदगी में क्या असर पड़ना था वो अगर मैं जान लेती तो कभी वहां रुककर वो सब देखने की जुर्रत ना करती
Nice start and congrats🎉🎉🎉 for your effort.
 

1112

Well-Known Member
5,041
7,366
188
अगली सुबह रविवार था, मेरी और दीदी की छुट्टी थी
माँ ने हम दोनो को आकर उठाया और हम दोनो बहने नहा धोकर नीचे किचन में आकर माँ की मदद करने लगी
पिताजी को नाश्ता देते वक़्त मेरा दिल धाड़ -2 करके बज रहा था

पिताजी हम दोनो बहनो को बहुत प्यार करते थे,
ख़ासकर मुझे
क्योंकि मैं घर में सबसे छोटी थी इसलिए मेरी बात को कभी भी मना नही करते थे वो
माँ अक्सर मुझे डाँटती रहती पर मैं पिताजी की गोद में बैठकर अपनी बातें मनवा लेती थी

पिताजी ने मुझे आते देखा तो अख़बार साइड में रखकर मुझे देखने लगे
मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था की आज उनकी नज़रों में कुछ अलग किस्म की चाह है
वो शायद पहले से थी
जो मैने आज से पहले कभी नोट नही की थी

मैं नाश्ते की प्लेट रखकर वापिस जाने लगी तो उन्होने मुझे पुकारा : “ओ चंदा, मेरी लाडो, ऐसे गुमसुम सी होकर क्यों घूम रही है, किसी ने कुछ कहा क्या ?”

मैं : “न…नही…पिताजी…..मैं तो बस….ऐसे ही..”

पिताजी ने अपनी दाँयी बाजू मेरी तरफ फैलाई और मुझे अपनी तरफ बुलाया : “अच्छा ….यहाँ आ…मेरे पास “

वो एकटुक सी होकर अपने पिताजी को देखे जा रही थी



और कोई दिन होता तो मैं उछलकर उनकी गोद में जा चड़ती
क्योंकि पिताजी जब खुद अपने पास बुलाते थे तो मुझे जेब खर्ची के लिए कुछ ना कुछ पैसे अलग से मिलते थे
आज भी वैसा ही दिन था
पर रात की बातें याद करके मेरे दिल में उथल पुथल मची हुई थी
मेरी नज़रें उनकी गोद की तरफ थी, जिसके नीचे उनका वो भयानक काला नाग सो रहा था जिसे मैने कल रात विकराल रूप में देखा था

मुझे डर था की मेरे बैठने से वो कहीं वो पिचक ना जाए….
या शायद कहीं फिर से अपना फन ना उठा ले
नही ….नही….ऐसे कैसे….
कोई अपनी ही बेटी को देखकर भला क्यो उत्तेजित होगा
मैने अपने दिमाग़ में आए विचारों को झटका और धीरे-2 चलकर उनकी गोद में जाकर बैठ गयी
उन्होने अपना हाथ घुमा कर मेरे पेट पर रख दिया और मुझे अपनी छाती से सटा लिया

पिताजी : “अब बोल, क्या हुआ, कुछ चाहिए क्या, कॉलेज के लिए कुछ लेना है क्या, कपड़े लत्ते वगेरह “
मैने ना में सिर हिला दिया
वो मुस्कुराए और उन्होने अपने कुर्ते की जेब से 500 का नोट निकाल कर मुझे दे दिया
पर नोट निकालते वक़्त उनके हाथ मेरे स्तनों को छू गये
मेरे पुर शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गयी

कोई और मौका होता तो शायद मैं सिर्फ़ उन 500 रुपय को देखकर उछाल पड़ती और उनके गले लग जाती, पर कल रात की घटना के बाद मैं बँधी हुई सी महसूस कर रही थी
और शायद इसी वजह से मुझे उनका स्पर्श भी ‘जान बूझकर’ किया हुआ महसूस हुआ

पर ऐसा तो पहले भी कई बार हो चुका है
आज से पहले मैने कभी ध्यान नही दिया था
उल्टा मैं खुद उनके गले लगकर अपने स्तनों को उनके गले पर रखकर दबा सी देती थी
पर वो सिर्फ़ एक बाप बेटी वाला आलिंगन होता था मेरी तरफ से
मेरे कंपन को पिताजी ने भी महसूस किया
और उनकी गोद में बैठे हुए मैने अचानक उनके लिंग को अपने नितंब पर
मेरे माथे पर पसीने की बूंदे उभर आई
वो मेरे चेहरे को देखकर कुछ पढ़ने की कोशिश कर रहे थे
और साथ ही साथ मेरे पेट के नर्म माँस पर अपनी उंगलियां चला रहे थे
दूसरे हाथ से वो मेरी जांघ को सहला रहे थे
मैं तुरंत उनकी गोद से उठी और उन्हे थॅंक यू कहकर अंदर भाग गयी

मैं सीधा अपने रूम में गयी और दरवाजा बंद कर लिया, मेरी साँसे तेज़ी से चल रही थी
गला सूख रहा था
और…और…मेरी जाँघो के बीच चिपचिपाहट सी महसूस हो रही थी
ये ठीक वैसी ही थी जैसे कल रात हुई थी
पिताजी का लिंग देखने के बाद
मैने अपनी पायज़ामी का नाड़ा खोलकर उसे नीचे गिरा दिया
और कच्छी में झाँकर देखा, मेरा अंदाज़ा सही था
अंदर गाड़े रंग का द्रव्या निकल कर मुझे भिगो रहा था
क्या ये मेरा वीर्य है
नही
वो तो मर्दो का निकलता है
फिर औरतों का क्या निकलता है

मैने झट्ट से अपना मोबाइल उठाया और गूगल खोलकर उसमें लिखा
“मर्दों का वीर्य निकलता है तो औरतों का क्या निकलता है ?”
तो गूगल में लिखा हुआ आया
'जी नही योनीं से वीर्य नहीं निकलता बल्कि एक अलग प्रकार का स्राव होता है जो महिलाओं के शरीर में निर्माण होता है. यह मासिक स्राव से अलग होता है और सम्भोग उत्तेजना के समय निकलता है जो एक प्रकार से लुब्रिकंट का कार्य करता है. इससे सम्भोग में परेशानी नहीं होती और लिंग का प्रवेश आसान हो जाता है'

लिंग का प्रवेश योनि में



उफफफ्फ़
वो भला कैसे
वो तो इतना बड़ा था
मेरी इस योनि मे कैसे जाएगा
इसमें तो
उम्म्म्म
मेरी उंगली भी नही जा रही पूरी

ऐसा सोचते-2 मेरी उंगली अंदर जाने का प्रयास करने लगी
और मेरी आँखे आश्चर्य से फैलती चली गयी जब वो अपने आप अंदर तक घुसती चली गयी
ये आज से पहले कभी नही हुआ था
मैने पहले एक–दो बार कोशिश की थी पर वो इतनी टाइट थी की मुझे दर्द सा होने लगता था
पर आज
आज तो वो अंदर फिसलती चली जा रही थी
जैसे कोई अदृशय शक्ति मेरी उंगली को अंदर खींच रही हो
निगल रही हो
और उपर से मुझे मज़ा भी आ रहा था
जो तरंगे कुछ देर पहले मेरे शरीर से निकल रही थी, उनके तार तो मेरी योनि में छुपे थे
जिनपर मेरी उंगलिया लगते ही वो तरंगे मेरे शरीर को एक बार फिर से लहराने लगी

मुझे मेरा शरीर हवा में उड़ता हुआ सा महसूस हो रहा था
मेरी ऊँगली जितना अंदर जा रही थी, मेरा शरीर उतना ही ऊपर उड़ रहा था

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… अहह………. ऑहहहह मम्मीईीईईईईई……… कितना मज़ा आ रहा है……आहह”

मैने उन उंगलियों को बाहर निकाल कर देखा तो वो मेरे रस मे भीगकर एक मकड़ी का जाल बना रही थी मेरी हथेलियों पर
मैने उसे सूँघा तो बड़ी नशीली सी सुगंध लगी वो मुझे

मैने एक उंगली को थोड़ा सा चाट कर देखा तो मेरे पुर मुँह में शहद सा घुलता चला गया
मेरी योनि से निकलने वाला रस इतना मीठा है, मुझे पता भी नही था
इतने सालों से मैं शहद की हांडी लिए घूम रही हूँ और मुझे इसका अंदाजा भी नहीं है

मैने झट्ट से अपनी हथेली को चाट-चाटकार सॉफ कर दिया
जाँघो के बीच अभी भी सुरसुरी सी हो रही थी
पर वो कैसे शांत होगी, मुझे समझ नही आया

तब तक बाहर से माँ की आवाज़ें आने लगी

'काम के वक़्त कहां मर गयी ये निगोड़ी '

बाहर पिताजी माँ को समझा रहे थे की उनकी प्यारी बेटी को ऐसे सुबह -2 ना डांटे
दोनो आपस में हल्की फुल्की बहस करने में लगे थे
तब तक मैं वापिस माँ के पास पहुँच गयी
और जल्दी-2 परांठे बनाने लगी
उन्ही ‘मीठे’ हाथो से

अगला परांठा जब उन्हे देने गयी तो कुछ देर तक मैं वहां खड़ी रही
जब तक उन्होने उसका निवाला अपने मुँह में नही डाल लिया
पता नही क्यों पर मुझे अजीब सी खुशी का एहसास हुआ की मेरी 'मिठास' को पिताजी ने चख लिया

कुछ देर बाद पिताजी जब बाहर जाने लगे तो चंद्रिका दीदी ने उनसे पूछा
“पिताजी, ये खिलोने कहाँ से आए….”

बाथरूम की दीवार पर लगे कील पर लटकी दोनो गुड़िया उतारकर वो उनसे पूछ रही थी
ओह्ह माय गॉड
ये तो वही गुड़िया है जो पिताजी के हाथ में थी कल रात
और जिसपर उन्होने अपने …..अपने लिंग से निकला….वीर्य लगाया था
उसके बारे में तो मैं भूल ही गयी थी

वो बाहर की दीवार पर ही लटकी पड़ी थी कल रात से और मुझे दिखाई भी नही दी

पिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा : “अर्रे….यो, यो ते कल टिल्लू ने जबरसती पकड़ा दी थी , बोलेया अपनी छोरियों वास्ते लेते जाओ ताऊ, मैने केया की म्हारी छोरियाँ अब इत्ती भी छोटी ना रही, पर वो मानेया ही नही, ज़बरदस्ती पकड़ा दी मन्ने , ले लो अब दोनो एक-2 गुड़िया, खेलते रहना”
इतना कहकर वो हंसते हुए बाहर निकल गये

टिल्लू हमारे दूर ले चाचा के बेटे का नाम है, जिसकी सदर बाजार में खिलोनो की दुकान है
आज तक तो उसने ऐसा कुछ दिया नही फिर अब कैसे दे दिया ये तोहफा

और उपर से पिताजी ने जो रात उनके साथ किया था, उसके बाद तो मुझे और भी हैरानी हो रही थी उन खिलोनो को देखकर

दीदी ने एक गुड़िया मुझे दे दी और दूसरी अपनी बगल में दबा कर अंदर चल दी, जैसे कोई छोटा बच्चा करता है, ठीक वैसे ही
शायद उस छोटे से खिलोने को देखकर उन्हे अपना बचपन याद आ गया था
मैने उस गुड़िया को देखा तो पाया की उसपर सफेद सी पपड़ी जमी है

यानी ये वही पिताजी का वीर्य है, जो उन्होने बिना धोए उसपर लगा रहने दिया था
रात भर मे सूखकर वो पपड़ी जैसा बन चुका था
मैने उस पपड़ी को कुरेदा और अपनी उंगलियो से मसलकर देखा
एक ही पल में वो मोम की तरह पिघलकर मेरी उंगलियो में चिपचिपा सा एहसास देने लगा

उंगली और अंगूठे को जब दूर किया तो एक रेशम की महीन सी तार बन गयी
ठीक वैसे ही जैसे कुछ देर पहले मेरी योनि से निकले पानी से मेरी हथेली पर बन रही थी
और तभी मुझे याद आया की मेरे हाथो में अभी तक मेरी योनि का पानी लगा है
और अब उसी हाथ से मैं अपने पिताजी के वीर्य को भी मसल रही थी
तो क्या इस मिलन से बच्चा हो सकता है
तर्क तो यही कहता है
पर ऐसे कैसे होगा, मेरी हथेली पर थोड़े ही आ टपकेगा एकदम से वो बच्चा

अपनी बचकानी बात पर मैं खुद ही मुस्कुरा दी

हमारे स्कूल में सैक्स शिक्षा को ज़्यादा महत्व नही दिया जाता
शायद इसलिए मैं ऐसी बेफ़िजूल की बातें सोच रही थी
और ना ही मेरी सहेलियों को ज़्यादा जानकारी थी इस बारे में
हमे तो यही सिखाया गया था की सब अपने आप सीख जाओगी शादी के बाद

पर एक ही दिन में इतना कुछ देखने को और सीखने को मिल रहा था की अब मेरा मन और भी ज़्यादा सीखने को लालायित हो गया
इसलिए मैने भी वो गुड़िया अपनी बगल में दबोची और किसी बच्चे की तरह उछलती हुई अपने कपड़े की तरफ चल दी

मैने सोच लिया था की अब इस ज्ञान को अर्जित करके ही रहूंगी
इसलिए मैने अपने मोबाइल में गूगल से हर वो बात पूछी जिसका मुझे आज तक सिर्फ़ थोड़ा सा ही पता था
और वो सब पढ़ते -2 और उनमें आ रही तस्वीरों को देखते-2 कब मेरा हाथ एक बार फिर से मेरी पायजामी में घुस कर मेरी योनि से खेलने लगा , मुझे भी पता नही चला
और इस बार वो मज़ा पहले से काई ज़्यादा था
शायद इसलिए भी क्योंकि मैने पिछली बार वो खेल बीच में ही छोड़ दिया था
मैने अपनी टांगो के बीच फंसी कच्छी और पयज़ामी नीचे खिसकायी
और अपनी कुर्ती को ऊपर करके ब्रा से अपने स्तन भी बाहर निकाल लिए
और फिर अपनी योनि को रगड़ने लगी



उसमे अपनी 2 लंबी-2 उंगलियां डालकर उससे मिल रहे मज़े का आनंद लेने लगी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….आआआआआआआआआआआआआहह……उम्म्म्ममममममममममममममम…………”

अचानक मेने अपने हाथ मे पकड़ी उस गुड़िया को अपनी योनि पर लगाया और उसे रगड़ने लगी
और अंदर ही अंदर मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो गुड़िया नही बल्कि मेरे पिताजी का लिंग है

इस एहसास मात्र से ही मेरे पूरे शरीर में एक ऐंठन सी हुई और मेरी योनि से भरभराकर गाड़ा पानी निकल आया
मेरी चादर पूरी भीग गयी

मैं तो डर गयी एकदम से की इतना पानी कैसे निकला
गूगल पर तो लिखा था की चिकनाहट भर होती है जब स्त्री उत्तेजित हो या वो झड़े
पर यहा तो ऐसा लग रहा था जैसे मैने पेशाब कर दिया हो अपने बिस्तर पर

बरसों से जो शहद अपनी हांडी में लिए फिर रही थी मैं, आज वो टूट गयी थी

शायद ये मेरा पहला हस्तमैथुन था इसलिए
जैसा की मोबाइल मे लिखा था
तभी ये रस इतना गाड़ा और इतनी ज़्यादा मात्रा में है

मेरी आँखे बोझिल सी हो रही थी
मैं उस गुड़िया को अपनी गांघो के बीच दबाए वैसे ही सो गयी
Bhout hi behtreen update👍👍
 
Top