komaalrani
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बहुत बढ़िया अपडेट, दोनों ओर की बात बताकर आपने सुमेर सिंह की समस्या और उनके मन की बात भी बता दी,मैंने माँ के साथ घर का सारा काम निपटाया पिताजी को नाश्ता भी दिया
मैं पिताजी के करीब जब भी जा रही थी या जब भी उन्हें देख रही थी, मुझे रात वाली सारी बातें याद आ रही थीं
मेरी कच्छी का गीला होना तो आम बात हो गई थी आजकल
कल रात भर गीली रही थी वह
और आज सुबह से भी बिना बात के गीली हुई जा रही थी
एक बात अब मैंने नोट करनी शुरू कर दी थी
पिताजी की नजरें मुझे ही देखने में लगी रहती थीं
मेरे उभार और मेरे पिछवाड़े को देखते हुए मैंने उन्हें कई बार पकड़ा
पर मुझे गुस्सा नहीं आ रहा था, इसमें तो एक रोमांच था
उनकी आँखें मेरे शरीर को जब भी बेधती तो मेरा शरीर झनझना कर रह जाता
ऐसा लगता जैसे मेरे नंगे शरीर को वह अपनी साँसों की हवा दे रहे हैं
मेरा पूरा शरीर मानो बाँसुरी हो और वो उसमें अपनी गर्म आहैं भरकर मेरे शरीर से मादक ध्वनि निकालने का प्रयास कर रहे है
नाश्ता करने के बाद पिताजी तैयार होकर बैंक के काम से बाहर निकल गए
और अब वक़्त था मेरी जासूसी का
ने झाड़ू लिया और माँ को ये कहते हुए उनके कमरे में घुस गई कि आज मैं उनके रूम को पूरा साफ करूँगी
वह कुछ नहीं बोली
बिना कहे मैं काम जो कर रही थी उनके कमरे की सफाई का
वह किचन में काम करती रही और मैं उनके कमरे में पहुंच कर चारों तरफ देखने लगी
पहले मैंने पिताजी की अलमारी को छान मारा
उनके कपड़ों के सिवा कुछ नहीं था
लॉकर भी खोलकर देखा, क्योंकि मुझे पता था कि वो चाबी कहाँ रखते हैं
उसमें भी जरूरी कागजात और पैसों के सिवा कुछ नहीं था
फिर मैंने माँ की अलमारी भी छानी , उसमें भी कुछ नहीं मिला
थक हारकर मैं बेड पर जा बैठी और तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे नीचे कुछ है
मैंने जल्दी से उठकर गद्दा उठाया और नीचे मुझे एक किताब मिली
मेरी आँखें चमक उठी
यही तो मैं ढूंढ रही थी
वो एक 150 पेज की किताब थी,
और उसका शीर्षक था
"वशीकरण"
और ये किताब मैं इसलिए ढूंढ रही थी क्योंकि कल रात जब पिताजी वो मंत्र पढ़ रहे थे तो उनकी गोद में ये किताब थी,
ज़्यादा अंधेरे की वजह से मैं सही से देख नहीं पाई थी, पर मुझे एहसास हो गया था की हलकी रौशनी में वो कुछ देखकर ही वो मन्त्र पढ़ रहे है
पर अब इसे देखकर विश्वास हो गया था कि वो किताब से देखकर ही वो मंत्र पढ़ रहे थे
मैंने जल्दी से वो किताब अपने पेट में ठोंसी और बाहर निकल आई
और अपने रूम में जाकर अंदर से कुंडी लगाकर आराम से उसे पढ़ने लगी
वो किताब किसी तांत्रिक टाइप के इंसान द्वारा लिखी गई थी,
जिसमें वशीकरण करने की विधि और उसके परिणाम कब और कैसे मिलेंगे उसके बारे में विस्तार से बताया गया था
मुझे इसे पढ़ने में कोई खास इंटरेस्ट नहीं था
पर मैं पढ़ना चाहती थी कि आखिर वशीकरण करने के बाद क्या सच में उस इंसान के शरीर को वश में किया जा सकता है
जैसा कि मुझे अब तक समझ आ रहा था कि पिताजी हम दोनों बहनों के शरीर को वश में करके उसका फायदा उठाना चाहते थे
दोस्तो
आगे की कहानी ,चंदा के नज़रिए से देखने से पहले मैं आपको कहानी का दूसरा चेहरा यानी सुमेर सिंह का नज़रिया भी बताना चाहता हूँ , ताकि जो सवाल चंदा के दिलो दिमाग़ में इस वक़्त चल रहे है वो कम से कम आप पाठको को तो पता हो
इसलिए चंदा के पिताजी का नज़रिया जानते है की आख़िर उन्होने ये किसलिए और कैसे किया, फिर हम वापिस चंदा की तरफ आ जाएँगे
सुमेर सिंह
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ये करीब 3 साल पहले की बात है
एक रात जब मैं रात को पेशाब करने के लिए उठा तो देखा मेरे से पहले मेरी छोटी बेटी चंदा नींद में ऊंघति हुई सी अपने कमरे से निकली और बाथरूम की तरफ चली जा रही है
उसने एक बड़ी सी टी शर्ट पहनी हुई थी जो उसकी जाँघो तक आ रही थी
रात को अक्सर वो ऐसे ही ढीले कपड़े पहनकर सोती थी
मेरे सामने तो वो टांगो को ढक कर रखती थी पर शायद सोते वक़्त उसने अपनी ट्रेक पेंट उतार दी थी
बाहर काफ़ी अंधेरा था इसलिए वो मुझे तो नही देख पाई पर जब वो अंदर जाकर पेशाब करने बैठी तो मैं उसे सॉफ देख पा रहा था
आँखे बंद थी उसकी पर दरवाजा बंद किए बिना वो बैठ गयी थी
बचपन से उसकी यही आदत थी
वो तो जवान होते-2 उसकी माँ ने ये आदत छुड़वा दी थी वरना कई बार तो वो नहाते वक़्त भी दरवाजा बंद नही करती थी
पर वो सालो पहले की बात थी
आज वो 18 की थी और मुझे उसे इस हालत में देखकर काफी अजीब लगा
ना चाहते हुए भी मैं उसे मूतते हुए देखने का लोभ छोड़ नही पाया
कितनी प्यारी लग रही थी उसकी मुनिया
एकदम गोरी
कसी हुई चमड़ी और भींचे हुए उसके होंठ
मेरे होंठ सूख रहे थे, मैने उनपर जीभ फेरी
अचानक मेरे लॅंड ने खड़ा होना शुरू कर दिया
मैने धोती के उपर से हाथ लगाया तो देखा की आज करीब 5 साल बाद ऐसा कड़कपन आया था उसमें
मैं ये मौका खोना नही चाहता था
इसलिए उल्टे पैर वापिस आया और अपनी सोती हुई बीबी के उपर जा चड़ा
पहले तो वो एकदम से घबरा गयी की मुझे कौनसा भूत चढ़ गया रात के वक़्त जो ऐसी हरकत करने लगा
पर वो भी सालो से प्यासी थी मेरे लॅंड की
पिछले कुछ सालो में वो पहले जैसा कड़कपन नही रह गया था मेरे लंड में
वो जितनी भी कोशिश करती उसे खड़ा करने की , ढीलापन फिर भी रह जाता था उसमें
उसे भी चुदाई में वो पहले जैसा मज़ा नही मिल पा रहा था और ना ही मुझे
पर आज अपनी जवान बेटी की बुर देखकर ना जाने मेरे अंदर कौनसा चमत्कार हो गया था की जवानी के दिनों जैसा कठोर और कड़क हो गया था मेरा लॅंड
उसपर हाथ लगते ही रागिनी की आँखे चमक उठी
वो बोली : “ये आज एकदम से क्या हो गया चंदा के पापा, कोई हकीम की दवाई ली है क्या, ऐसा कड़कपन महसूस किए तो सालो हो गये”
वो बोलती जा रही थी और अपनी घाघरा चोली उतारती जा रही थी
मुझसे ज़्यादा सैक्स की भूखी थी वो
आज उसकी चूत को बढ़िया वाली चुदाई मिलने वाली थी
पूरे कपड़े उतारकर जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तो मैं उसके नशीले बदन को देखता ही रह गया
कोई कह नही सकता था की वो 3 जवान बच्चों की माँ है
मैने भी अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और आनन फानन में उसकी चूत पर अपना लॅंड लगाकर उसे अंदर धकेल दिया
“आआआआआआहह……… उफफफफफफफफफफफफ्फ़….. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…………. चंदा के पापा……आज तो मार ही डालोगे…..”
मैने उसके मोटे स्तनो को अपने मुँह में दबाया और उन्हे चूसते हुए उपर से धक्के लगाकर उसकी चूत मारने लगा
हर धक्के से मेरा लॅंड उसकी गुलकंद जैसी चूत के अंदर घुसकर अंदर की मिठास को बाहर निकाल ला रहा था
फ़चा फॅच की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था
और मैं आँखे बंद किए अपनी बेटी की उस सुनहरी बुर को देख रहा था जिसके कारण आज ये एहसास फिर से महसूस हुआ था मुझे
और आप यकीन नही करेंगे
मेरे जहन में जब तक चंदा की बुर से मूत निकलता रहा, मेरे लॅंड की घिसाई रागिनी की चूत में उतनी देर तक ही चलती रही
करीब 5 मिनट तक मैने उसकी चुदाई की
और अंत मे जब रुकना मुश्किल हो गया तो मेरे लॅंड ने ढेर सारा रस मेरी बीबी रागिनी की चूत में उड़ेलना शुरू कर दिया
“ऊऊऊऊहह चौधराइनssssssss …….मैं तो गया…….अहहsssssss ”
वो तो कब से झड़ चुकी थी
और आँखे मूंदे मेरे झड़ने का इंतजार कर रही थी
आज सालो बाद उसके चेहरे पर पहले जैसा सकून था
भले ही ये रात के 2 बजे मिला था उसे पर आज की रात वो बहुत खुश थी
खुश तो मैं भी था
पिछले कुछ सालो से वैध हकीमो के चक्कर लगा-लगाकर कोई फ़र्क नही पड़ा था और आज वो काम अपने आप हो गया
उसके बाद रागिनी और मैं उसी तरह नंगे लेटे -2 काफ़ी देर तक बाते भी करते रहे
औरत को अपने हिस्से का शारीरिक सुख ना मिले तो उसका प्रभाव निजी जिंदगी में भी देखने को मिलता है
वो मुझसे चिड़कर बाते करती थी
खाना भी अपनी मर्ज़ी से कुछ भी बना देती थी
रात को मेरे हाथ लगते ही तुनककर पीछे हो जाती और ताने मार देती थी
जिस से रही सही हिम्मत की भी धज्जिया उड़ जाती थी
वशीकरण तो छोटी वाली गुड़िया चंदा की मुनिया ने असल में सुमेर सिंह पर किया और आपने एक लाइन में कैसे वो बात कह दी
" न चाहते हुए भी उसे मैं मूतते हुए देखने का लोभ नहीं संवरण कर पाया
कितनी प्यारी लग रही थी उसकी मुनिया,
कसी हुयी चमड़ी और उसके भींचे हुए होंठ "
और रही सही बात उसके साथ लगी पिक ने पूरी कर दी
जो काम वैद्य हकीम न कर पाए वो छोटी गुड़िया की मुनिया ने बस दिखा के कर दी तो आगे जो कुछ हुआ वो होना ही था लेकिन उसे इस तरह लिखना सिर्फ आप के ही बस का है कभी लगता है हम चंदा की नजर से देख रहे हैं कभी सुमेर सिंह की नजर से