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Incest वशीकरण

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अगर कहानी के टाइटल की माने तो बुजुर्ग महोदय वशीकरण मंत्र की सिद्धी करने मे लिप्त है ।
और बुजुर्ग महोदय यानि सुमेर साहब जिस प्रकार का और जिन लोगों के समक्ष चोरी छुपे यह तंत्र मंत्र साध्य रहे है , उससे यही लगता है कि इस वशीकरण मंत्र का प्रयोग चंदा और चन्द्रिका पर ही आजमाया जाने वाला है ।

चंदा की हालात जिस तरह की हो गई है , उससे यह भी प्रतीत होता है कि वह वगैर तंत्र मंत्र के ही सुमेर साहब पर न्यौछावर होने को तैयार है । कोई जरूरत ही नही थी इस बाला को वश मे करने के लिए किसी प्रकार के वशीकरण मंत्र की ।

देखते हैं , सुमेर साहब का यह तंत्र मंत्र विद्या कितना कारगर सिद्ध होता है !
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट अशोक भाई ।
 

komaalrani

Well-Known Member
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शाम को पिताजी और भाई घर आए तो रोजाना की तरह सभी एक साथ आंगन में बैठकर बातें करते रहे,
भाई अक्सर जल्दी खाना खाकर सो जाता था क्योंकि पूरा दिन खेतों की मेहनत से उसका शरीर जवाब दे जाता था शाम तक
पिताजी खेत का बाकी का सारा काम देखते थे
जैसे मंडी जाना
आढ़तीयों से मोल भाव करना
बीज और खाद की खरीदारी करना
सरकारी काम काज करवाना इत्यादि
और जो समय खाली मिलता वो भी भाई का साथ देने खेतों में पहुंच जाते

मेरी नज़रें पिताजी पर ही जमी थी

क्योंकि उनकी कल रात की हरकत की वजह से मैं अब जासूस बनकर उस बात का पता लगाना चाहती थी कि आखिर उन्होंने कल रात वाला वो खेल आखिर क्यों खेला।



और इसके लिए मुझे आज रात जागकर निकालनी थी
हालांकि अगले दिन मेरा कॉलेज था पर मैंने सोच लिया था कि एक दिन की छुट्टी मारनी पड़े चाहे, मैं इसका पता लगाकर रहूंगी।

रात भर मैं मोबाइल पर कुछ न कुछ नया चेक करती रही ताकि मैं सो न जाऊं,
सोने से पहले चंद्रिका दीदी ने भी मुझसे जल्दी सोने के लिए कहा क्योंकि मैं उनके साथ उनकी स्कूटी पर ही कॉलेज के लिए जाती थी
मेरा कॉलेज उनके स्कूल के रास्ते में ही पड़ता था

करीब 3 बजे तक तो मैं जागती रही पर उसके बाद नींद की खुमारी ने मुझे ऐसा घेरा कि मैं चाह कर भी अपनी आँखें खोलकर नहीं रख पाई
पर आंखें बंद करने के बाद भी मैं अंदर से कोशिश कर रही थी कि जागती रहूं

पर नींद पर भला किसका जोर चला है।
मैं भी कुछ देर में सो गई

अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरा नाम पुकार रहा है
मैंने आँखें खोलने की कोशिश की पर नाकाम रही
पर ऐसा करने से मेरी नींद जरूर टूट गई

अब वो आवाज़ चंद्रिका दीदी को बुला रही थी
मैंने अंधेरे में देखने का प्रयास किया
वो पिताजी ही थे जो हमारे कमरे में आकर शायद पहले मुझे उठा रहे थे
और फिर चंद्रिका दीदी को

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि कल तो नहा रहे थे
आज ये सीधा यहाँ क्यों आ गए
दीदी तो मुझसे भी ज्यादा गहरी नींद में सोने वालों में से थीं
वो नहीं उठी

तो कुछ देर तक वो खड़े होकर हमें पुकारते रहे और फिर उन्होंने हमारे बेड पर ही पालती लगा ली
हमारी टांगों के बीच

और कल रात की तरह ही कुछ मंत्र बुदबुदाने लगे



एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूं
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |

अब तो सच में मुझे डर लगने लगा था
कहीं पिताजी कोई काला जादू तो नहीं कर रहे हमारे ऊपर
कल वो गुड़िया और अब ये

मेरा बदन पसीने से भीग गया ये सोचकर ही
क्योंकि काला जादू का मतलब मुझे सिर्फ ये पता था कि इसमें बलि चढ़ाई जाती है
मैं चिल्लाना चाहती थी पर किसी ठोस सबूत के बिना ऐसा करना भी सही नहीं था
और वैसे भी मेरी आवाज ही नहीं निकल रही थी

पिताजी के पास तो कोई हथियार भी नहीं था हमारी बलि चढ़ाने के लिए
इसलिए मैं उनका वो खेल चुपचाप लेटकर देखती रही

और अचानक पिताजी ने हथियार निकाल लिया
ये कुछ और नही उनका खुद का लिंग था

कल तो नहाते वक़्त उन्होने कपड़े निकाल दिए थे और फिर अपना लिंग हिलाया था
आज तो बिना कपड़े निकाले ही सिर्फ़ अपनी धोती को साइड करके अपना लिंग बाहर निकाल कर उसे रगड़ रहे थे
मेरी आँखे आधी खुली थी और अंधेरे में देखने के लिए अब तक अभ्यस्त हो चुकी थी
उनका मोटा और लंबा लिंग मेरी आँखो से कुछ ही दूरी पर था
और मेरे हाथ से तो सिर्फ़ एक फीट की दूरी पर



पिताजी जो घर्षण कर रहे थे उसकी गर्मी मुझे अपने हाथ तक महसूस हो रही थी
मन तो कर रहा था की अपना हाथ उसपर रखकर उसकी कठोरता का अनुभव करलूं
और शायद पिताजी मना भी ना करते

क्योंकि अब तक मैं इतना तो जान ही चुकी थी की पिताजी जो भी कर रहे है उसके पीछे हम दोनों बहनों के जिस्म से मज़े लेना तो पक्का शामिल है
वरना कोई पिता अपनी जवान बेटियो के सामने ऐसी हरकत भला क्यों करेगा

कल भी इन्होने उन दोनो गुड़िया के उपर अपना वीर्य निकाल कर अगले दिन उसे हम दोनो बहनो को दे दिया था
और अब हमारे बीच बेधड़क होकर बैठे है और अपने लिंग को हिला रहे है
पर इसे हिलाने से तो इनका वीर्य निकलेगा
कल तो पिताजी ने गुड़िया के उपर उडेल दिया था वो सफेद पानी
तो क्या आज वो हमारे उपर..
नही नही…
ऐसा कौन करता है भला
इतनी गंदी बात थोड़े ही करेंगे मेरे पिताजी

मैं ये सोच ही रही थी की अचानक पिताजी का कठोर हाथ मेरी जाँघ पर आ लगा
मेरा तो पूरा बदन सिहर गया
वो अपने कठोर हाथ से मेरी जाँघ को ज़ोर से दबा रहे थे
शायद उनके बदन में कोई ऐंठन सी हो रही थी
उनके चेहरे को देखकर तो यही पता चल रहा था
फिर उन्होने उस हाथ से मेरी दीदी को सहलाना शुरू कर दिया
दीदी का पिछवाड़ा मेरी तरफ था, इसलिए वो उसके फेले हुए कूल्हे मसलने लगे

ये मर्दों को कूल्हे मसलना पसंद होता है क्या, मोबाइल में जो वीडियो देखे थे, उसमे भी मर्द सिर्फ स्तनों और कूल्हों को मसलने में ही लगे थे
मेरे कूल्हे तो दीदी से भी ज्यादा बड़े थे, यानी इन्हे कोई मैलेगा तो ज्यादा मजा आएगा
ये विचार आते ही मेरे पिछवाड़े में एक अजीब सी सुरसुरी दौड़ गयी

अंधेरा ज्यादा था
एक बार तो मुझे लगा शायद वो उसके गुदा द्वार को भी मसल रहे है
पर शायद वो मेरा वहम होगा

मैं तो उनके हाथ के स्पर्श से थर-2 काँप रही थी
मेरे रोंगटे खड़े हो चुके थे
और जाँघो के बीच वही चिर परिचित सी चिपचिपाहट अपने आप आ गयी
मेरा मन कर रहा था की अपनी उंगलियो से मैं अपनी योनि को सहला दूँ
पर पिताजी के सामने कैसे करती

उनकी साँसे अब तेज हो रही थी
उनकी जीभ बाहर निकल रही थी
मुँह में एक तनाव सा हो रहा था
आँखे चढ़ गयी थी
कही उन्हे हार्ट आटेक तो नही आ रहा

पर मैं कुछ और समझ पाती
मेरे चेहरे पर कुछ टपका

मेरी नज़र पिताजी की तरफ गयी तो वो अपने लिंग से वीर्य की बौछार कर रहे थे हम दोनों बहनों के ऊपर
कभी वो लिंग मेरी तरफ करते और कभी चंद्रिका दीदी की तरफ
दीदी की तो पीठ और कूल्हे पर बौछार हो रही थी
पर मेरे तो चेहरे और छाती पर वो गाड़ा और गीला वीर्य गिर रहा था

कुछ देर बाद उनकी गन से गोलियां निकलनी बंद हो गयी
और उनकी गहरी साँसे भी सामानया होने लगी
एक बूँद मेरे होंठो पर आ गिरी थी
मैने हिम्मत करके उसे चाट लिया
ये वही सौंधा सा स्वाद था जिसे मैने गुड़िया को चाट कर महसूस किया था
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की ये ताज़ा था
और ताजे माल में स्वाद भी ज़्यादा था
और नशा सा प्रदान करने वाली महक

मेरे निप्पल्स खड़े हो चुके थे
पिताजी भी अब बेड से उतर कर अपना हुलिया ठीक कर रहे थे
अपने कपड़े ठीक करने के बाद वो चुपके से बाहर निकल गये
उनके जाते ही मैने खुल कर साँस ली
ऐसा लग रहा था जैसे कोई दुश्मन घुस आया था मेरे घर और मैं दम साधे पड़ी थी तब से

अब मैं अपने हाथो को आराम से अपने शरीर पर फिरा सकती थी
पर जब हाथ फेराया तो उपर से नीचे तक पिताजी के लिंग से निकले वीर्य से सन गये
उसका गीलापन मेरे कपड़ो से होता हुआ मेरे नंगे शरीर तक पहुँच चुका था
ऐसा लग रहा था जैसे मैं बारिश में नहा कर आई हूँ अभी

मैंने अपना टॉप निकाल दिया
अब मैं उपर से नंगी होकर बेड पर लेटी थी
पिताजी दोबारा आ जाए तो मेरे पास कपड़े पहनने का भी समय नही होता
मैं अपने हाथों से उस गाड़ी क्रीम को अपने पूरे शरीर पर मलने लगी



पता नही क्या नशा सात था उसमें
मैं हाथ फेरती और उपर लाकर अपनी उंगलियो को चाट जाती
मैंने तो दीदी के पिछवाड़े पर गिरी क्रीम को भी इकठ्ठा करके चाट लिया

और जब मेरे हाथ अपनी योनि पर पहुँचे तो मैं सिसक कर रह गयी
क्योंकि जितना गीलापन मेरे शरीर पर था
उस से कही ज्यादा मेरी योनि से निकल कर मेरी चादर को तर कर रहा था

मैने अपना पंजा जाँघो के बीच दबा दिया और ज़ोर से सिसकार उठी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .उम्म्म्ममममममममममममममममममममममम……आआआअहह…..पिताआआआआअजीीइईईईईई”

और इतना कहने के साथ ही मेरे शरीर में फिर से वही ऐंठन हुई जो दिन के समय हुई थी और मेरी योनि से ढेर सारा पानी निकल कर बाहर गिरने लगा

जो तापमान मेरे शरीर को इतनी देर से गर्म कर रहा था, वो धीरे-2 उतरने लगा
मैंने टॉप पहना और अपनी उंगलियो को अपनी योनि पर दबाए हुए सो गयी

अगली सुबह दीदी ने मुझे उठाया पर मैने कॉलेज जाने से मना कर दिया
वो बड़बड़ाती हुई तैयार होकर स्कूल के लिए निकल गयी

करीब 1 घंटे बाद माँ ने आकर अपने चिर परिचित अंदाज में मुझे उठाया

“उठा जा री महारानी, कॉलेज से तो छुट्टी कर ली है, घर के काम काज से भी छुट्टी करनी है क्या”

मैं जानती थी की माँ के इन तानो से बचने के लिए मुझे उठना ही पड़ेगा
मेरे शरीर पर लगा वीर्य अब सूख कर पपड़ी सा बन चुका था
जैसा कल गुड़िया के उपर बना था

मैं बाथरूम में गयी और कपड़े निकाल कर नंगी हो गयी
मैने शीशे मे देखा तो मेरा चेहरा और स्तन आज पहले के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही चमक रहे थे
शायद पिताजी के वीर्य का कमाल था ये



और आज तो पिताजी भी घर पर ही थे
मैं आज उनके मंत्र उच्चारण के रहस्य का पता लगा लेना चाहती थी
जबरदस्त

आपने स्त्री वशीकरण मंत्र पूरा का पूरा प्रस्तुत कर दिय। मैंने पहले भी कहा था की गुड़िया का इस्तेमाल सुमेर सिंह जी अपनी दोनों प्यारी गुड़ियाओं को वश में करने के लिए कर रहे हैं और चंदा पर तो उसका असर पड़ना शुरू भी हो गया।

और इस बार स्त्री वशीकरण मंत्र के साथ वीर्य का इस्तेमाल भी जादू टोने में इस्तेमाल होता है और वो भी आपने दिखाया।

अब तय है कम से कम चंदा इस जादू से नहीं बच सकती लेकिन गलती बेचारे सुमेर सिंह की भी नहीं है, जिन्हे दो जवान होती बेटियों की अंगड़ाई और उठते, भरे जोबन ने वशीकृत कर रखा था की वह रिश्तों को भूल कर उन्हें वशीकृत करने की कोशिश कर रहे हैं,

और गलती हम पाठक पाठिकाओं की भी नहीं जो आपके कहानी से हरदम वशीकृत रहते है। कभी वह वशीकरण मंत्र भी शेयर करिये।

बहुत से लिखने वालों का भला होगा। जिस तरह से अपने एक एक पल का वर्णन किया, चंदा के तन और मन दोनों पर उसका क्या असर पड़ा ये दिखाया, बहुत ही अद्भुत था।

और चंदा की सोच में आपने सुमेर सिंह के वीर्य का जादू दिखा दिया
मैने शीशे मे देखा तो मेरा चेहरा और स्तन आज पहले के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही चमक रहे थे
शायद पिताजी के वीर्य का
 

Ashokafun30

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जबरदस्त

आपने स्त्री वशीकरण मंत्र पूरा का पूरा प्रस्तुत कर दिय। मैंने पहले भी कहा था की गुड़िया का इस्तेमाल सुमेर सिंह जी अपनी दोनों प्यारी गुड़ियाओं को वश में करने के लिए कर रहे हैं और चंदा पर तो उसका असर पड़ना शुरू भी हो गया।

और इस बार स्त्री वशीकरण मंत्र के साथ वीर्य का इस्तेमाल भी जादू टोने में इस्तेमाल होता है और वो भी आपने दिखाया।

अब तय है कम से कम चंदा इस जादू से नहीं बच सकती लेकिन गलती बेचारे सुमेर सिंह की भी नहीं है, जिन्हे दो जवान होती बेटियों की अंगड़ाई और उठते, भरे जोबन ने वशीकृत कर रखा था की वह रिश्तों को भूल कर उन्हें वशीकृत करने की कोशिश कर रहे हैं,

और गलती हम पाठक पाठिकाओं की भी नहीं जो आपके कहानी से हरदम वशीकृत रहते है। कभी वह वशीकरण मंत्र भी शेयर करिये।

बहुत से लिखने वालों का भला होगा। जिस तरह से अपने एक एक पल का वर्णन किया, चंदा के तन और मन दोनों पर उसका क्या असर पड़ा ये दिखाया, बहुत ही अद्भुत था।

और चंदा की सोच में आपने सुमेर सिंह के वीर्य का जादू दिखा दिया
मैने शीशे मे देखा तो मेरा चेहरा और स्तन आज पहले के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही चमक रहे थे
शायद पिताजी के वीर्य का
THANKS KOMAAL BHABHI
kamaal to aap jaise pathko ka hai jo kahani se jyada comments ke thru isme chaar chaand laga dete hai
ek naye subjext par story likhi hai, par theme incest hi rakhi hai kyonki is theme me itni gehrayi hai ki aap aur mai chahe jitna bhi likh le, kam hi padega
apne yogdaan ko aap sabhi ke liye yaha samarpit kar raha hu
aasha karta hu aagey bhi ye pyar milta rahega
 

Ashokafun30

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अगर कहानी के टाइटल की माने तो बुजुर्ग महोदय वशीकरण मंत्र की सिद्धी करने मे लिप्त है ।
और बुजुर्ग महोदय यानि सुमेर साहब जिस प्रकार का और जिन लोगों के समक्ष चोरी छुपे यह तंत्र मंत्र साध्य रहे है , उससे यही लगता है कि इस वशीकरण मंत्र का प्रयोग चंदा और चन्द्रिका पर ही आजमाया जाने वाला है ।

चंदा की हालात जिस तरह की हो गई है , उससे यह भी प्रतीत होता है कि वह वगैर तंत्र मंत्र के ही सुमेर साहब पर न्यौछावर होने को तैयार है । कोई जरूरत ही नही थी इस बाला को वश मे करने के लिए किसी प्रकार के वशीकरण मंत्र की ।

देखते हैं , सुमेर साहब का यह तंत्र मंत्र विद्या कितना कारगर सिद्ध होता है !
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट अशोक भाई ।
thanks sanju bhai
sahi kaha aapne, ye vashikaran wo apni betiyo ke upar hi kar raha hai
aane wala waqt batayega ki iska asar kitna hota hai
keep reading
 

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूं
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |
 
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Ashokafun30

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मैंने माँ के साथ घर का सारा काम निपटाया पिताजी को नाश्ता भी दिया
मैं पिताजी के करीब जब भी जा रही थी या जब भी उन्हें देख रही थी, मुझे रात वाली सारी बातें याद आ रही थीं
मेरी कच्छी का गीला होना तो आम बात हो गई थी आजकल
कल रात भर गीली रही थी वह
और आज सुबह से भी बिना बात के गीली हुई जा रही थी

एक बात अब मैंने नोट करनी शुरू कर दी थी
पिताजी की नजरें मुझे ही देखने में लगी रहती थीं
मेरे उभार और मेरे पिछवाड़े को देखते हुए मैंने उन्हें कई बार पकड़ा

पर मुझे गुस्सा नहीं आ रहा था, इसमें तो एक रोमांच था
उनकी आँखें मेरे शरीर को जब भी बेधती तो मेरा शरीर झनझना कर रह जाता

ऐसा लगता जैसे मेरे नंगे शरीर को वह अपनी साँसों की हवा दे रहे हैं
मेरा पूरा शरीर मानो बाँसुरी हो और वो उसमें अपनी गर्म आहैं भरकर मेरे शरीर से मादक ध्वनि निकालने का प्रयास कर रहे है



नाश्ता करने के बाद पिताजी तैयार होकर बैंक के काम से बाहर निकल गए
और अब वक़्त था मेरी जासूसी का
ने झाड़ू लिया और माँ को ये कहते हुए उनके कमरे में घुस गई कि आज मैं उनके रूम को पूरा साफ करूँगी
वह कुछ नहीं बोली
बिना कहे मैं काम जो कर रही थी उनके कमरे की सफाई का

वह किचन में काम करती रही और मैं उनके कमरे में पहुंच कर चारों तरफ देखने लगी
पहले मैंने पिताजी की अलमारी को छान मारा
उनके कपड़ों के सिवा कुछ नहीं था

लॉकर भी खोलकर देखा, क्योंकि मुझे पता था कि वो चाबी कहाँ रखते हैं
उसमें भी जरूरी कागजात और पैसों के सिवा कुछ नहीं था
फिर मैंने माँ की अलमारी भी छानी , उसमें भी कुछ नहीं मिला

थक हारकर मैं बेड पर जा बैठी और तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे नीचे कुछ है
मैंने जल्दी से उठकर गद्दा उठाया और नीचे मुझे एक किताब मिली
मेरी आँखें चमक उठी
यही तो मैं ढूंढ रही थी
वो एक 150 पेज की किताब थी,
और उसका शीर्षक था
"वशीकरण"



और ये किताब मैं इसलिए ढूंढ रही थी क्योंकि कल रात जब पिताजी वो मंत्र पढ़ रहे थे तो उनकी गोद में ये किताब थी,
ज़्यादा अंधेरे की वजह से मैं सही से देख नहीं पाई थी, पर मुझे एहसास हो गया था की हलकी रौशनी में वो कुछ देखकर ही वो मन्त्र पढ़ रहे है

पर अब इसे देखकर विश्वास हो गया था कि वो किताब से देखकर ही वो मंत्र पढ़ रहे थे
मैंने जल्दी से वो किताब अपने पेट में ठोंसी और बाहर निकल आई

और अपने रूम में जाकर अंदर से कुंडी लगाकर आराम से उसे पढ़ने लगी
वो किताब किसी तांत्रिक टाइप के इंसान द्वारा लिखी गई थी,
जिसमें वशीकरण करने की विधि और उसके परिणाम कब और कैसे मिलेंगे उसके बारे में विस्तार से बताया गया था
मुझे इसे पढ़ने में कोई खास इंटरेस्ट नहीं था

पर मैं पढ़ना चाहती थी कि आखिर वशीकरण करने के बाद क्या सच में उस इंसान के शरीर को वश में किया जा सकता है
जैसा कि मुझे अब तक समझ आ रहा था कि पिताजी हम दोनों बहनों के शरीर को वश में करके उसका फायदा उठाना चाहते थे

दोस्तो
आगे की कहानी ,चंदा के नज़रिए से देखने से पहले मैं आपको कहानी का दूसरा चेहरा यानी सुमेर सिंह का नज़रिया भी बताना चाहता हूँ , ताकि जो सवाल चंदा के दिलो दिमाग़ में इस वक़्त चल रहे है वो कम से कम आप पाठको को तो पता हो
इसलिए चंदा के पिताजी का नज़रिया जानते है की आख़िर उन्होने ये किसलिए और कैसे किया, फिर हम वापिस चंदा की तरफ आ जाएँगे

सुमेर सिंह
**********
ये करीब 3 साल पहले की बात है
एक रात जब मैं रात को पेशाब करने के लिए उठा तो देखा मेरे से पहले मेरी छोटी बेटी चंदा नींद में ऊंघति हुई सी अपने कमरे से निकली और बाथरूम की तरफ चली जा रही है
उसने एक बड़ी सी टी शर्ट पहनी हुई थी जो उसकी जाँघो तक आ रही थी
रात को अक्सर वो ऐसे ही ढीले कपड़े पहनकर सोती थी
मेरे सामने तो वो टांगो को ढक कर रखती थी पर शायद सोते वक़्त उसने अपनी ट्रेक पेंट उतार दी थी

बाहर काफ़ी अंधेरा था इसलिए वो मुझे तो नही देख पाई पर जब वो अंदर जाकर पेशाब करने बैठी तो मैं उसे सॉफ देख पा रहा था
आँखे बंद थी उसकी पर दरवाजा बंद किए बिना वो बैठ गयी थी
बचपन से उसकी यही आदत थी
वो तो जवान होते-2 उसकी माँ ने ये आदत छुड़वा दी थी वरना कई बार तो वो नहाते वक़्त भी दरवाजा बंद नही करती थी
पर वो सालो पहले की बात थी

आज वो 18 की थी और मुझे उसे इस हालत में देखकर काफी अजीब लगा
ना चाहते हुए भी मैं उसे मूतते हुए देखने का लोभ छोड़ नही पाया
कितनी प्यारी लग रही थी उसकी मुनिया
एकदम गोरी
कसी हुई चमड़ी और भींचे हुए उसके होंठ



मेरे होंठ सूख रहे थे, मैने उनपर जीभ फेरी
अचानक मेरे लॅंड ने खड़ा होना शुरू कर दिया
मैने धोती के उपर से हाथ लगाया तो देखा की आज करीब 5 साल बाद ऐसा कड़कपन आया था उसमें
मैं ये मौका खोना नही चाहता था
इसलिए उल्टे पैर वापिस आया और अपनी सोती हुई बीबी के उपर जा चड़ा

पहले तो वो एकदम से घबरा गयी की मुझे कौनसा भूत चढ़ गया रात के वक़्त जो ऐसी हरकत करने लगा
पर वो भी सालो से प्यासी थी मेरे लॅंड की
पिछले कुछ सालो में वो पहले जैसा कड़कपन नही रह गया था मेरे लंड में
वो जितनी भी कोशिश करती उसे खड़ा करने की , ढीलापन फिर भी रह जाता था उसमें
उसे भी चुदाई में वो पहले जैसा मज़ा नही मिल पा रहा था और ना ही मुझे

पर आज अपनी जवान बेटी की बुर देखकर ना जाने मेरे अंदर कौनसा चमत्कार हो गया था की जवानी के दिनों जैसा कठोर और कड़क हो गया था मेरा लॅंड
उसपर हाथ लगते ही रागिनी की आँखे चमक उठी

वो बोली : “ये आज एकदम से क्या हो गया चंदा के पापा, कोई हकीम की दवाई ली है क्या, ऐसा कड़कपन महसूस किए तो सालो हो गये”
वो बोलती जा रही थी और अपनी घाघरा चोली उतारती जा रही थी
मुझसे ज़्यादा सैक्स की भूखी थी वो
आज उसकी चूत को बढ़िया वाली चुदाई मिलने वाली थी
पूरे कपड़े उतारकर जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तो मैं उसके नशीले बदन को देखता ही रह गया
कोई कह नही सकता था की वो 3 जवान बच्चों की माँ है



मैने भी अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और आनन फानन में उसकी चूत पर अपना लॅंड लगाकर उसे अंदर धकेल दिया

“आआआआआआहह……… उफफफफफफफफफफफफ्फ़….. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…………. चंदा के पापा……आज तो मार ही डालोगे…..”

मैने उसके मोटे स्तनो को अपने मुँह में दबाया और उन्हे चूसते हुए उपर से धक्के लगाकर उसकी चूत मारने लगा
हर धक्के से मेरा लॅंड उसकी गुलकंद जैसी चूत के अंदर घुसकर अंदर की मिठास को बाहर निकाल ला रहा था
फ़चा फॅच की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था



और मैं आँखे बंद किए अपनी बेटी की उस सुनहरी बुर को देख रहा था जिसके कारण आज ये एहसास फिर से महसूस हुआ था मुझे
और आप यकीन नही करेंगे
मेरे जहन में जब तक चंदा की बुर से मूत निकलता रहा, मेरे लॅंड की घिसाई रागिनी की चूत में उतनी देर तक ही चलती रही
करीब 5 मिनट तक मैने उसकी चुदाई की

और अंत मे जब रुकना मुश्किल हो गया तो मेरे लॅंड ने ढेर सारा रस मेरी बीबी रागिनी की चूत में उड़ेलना शुरू कर दिया

“ऊऊऊऊहह चौधराइनssssssss …….मैं तो गया…….अहहsssssss ”

वो तो कब से झड़ चुकी थी
और आँखे मूंदे मेरे झड़ने का इंतजार कर रही थी
आज सालो बाद उसके चेहरे पर पहले जैसा सकून था

भले ही ये रात के 2 बजे मिला था उसे पर आज की रात वो बहुत खुश थी

खुश तो मैं भी था
पिछले कुछ सालो से वैध हकीमो के चक्कर लगा-लगाकर कोई फ़र्क नही पड़ा था और आज वो काम अपने आप हो गया
उसके बाद रागिनी और मैं उसी तरह नंगे लेटे -2 काफ़ी देर तक बाते भी करते रहे

औरत को अपने हिस्से का शारीरिक सुख ना मिले तो उसका प्रभाव निजी जिंदगी में भी देखने को मिलता है
वो मुझसे चिड़कर बाते करती थी
खाना भी अपनी मर्ज़ी से कुछ भी बना देती थी
रात को मेरे हाथ लगते ही तुनककर पीछे हो जाती और ताने मार देती थी
जिस से रही सही हिम्मत की भी धज्जिया उड़ जाती थी
 
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