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abhi to aur bhi jyada rochak banegiBahut hi shandar update he Ashokafun30 Bhai,
Ye kahani to din ba din aur bhi rochak hoti ja rahi he...............
Keep posting Bhai
bas aap sath banaye rakhiye
abhi to aur bhi jyada rochak banegiBahut hi shandar update he Ashokafun30 Bhai,
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जबरदस्तशाम को पिताजी और भाई घर आए तो रोजाना की तरह सभी एक साथ आंगन में बैठकर बातें करते रहे,
भाई अक्सर जल्दी खाना खाकर सो जाता था क्योंकि पूरा दिन खेतों की मेहनत से उसका शरीर जवाब दे जाता था शाम तक
पिताजी खेत का बाकी का सारा काम देखते थे
जैसे मंडी जाना
आढ़तीयों से मोल भाव करना
बीज और खाद की खरीदारी करना
सरकारी काम काज करवाना इत्यादि
और जो समय खाली मिलता वो भी भाई का साथ देने खेतों में पहुंच जाते
मेरी नज़रें पिताजी पर ही जमी थी
क्योंकि उनकी कल रात की हरकत की वजह से मैं अब जासूस बनकर उस बात का पता लगाना चाहती थी कि आखिर उन्होंने कल रात वाला वो खेल आखिर क्यों खेला।
और इसके लिए मुझे आज रात जागकर निकालनी थी
हालांकि अगले दिन मेरा कॉलेज था पर मैंने सोच लिया था कि एक दिन की छुट्टी मारनी पड़े चाहे, मैं इसका पता लगाकर रहूंगी।
रात भर मैं मोबाइल पर कुछ न कुछ नया चेक करती रही ताकि मैं सो न जाऊं,
सोने से पहले चंद्रिका दीदी ने भी मुझसे जल्दी सोने के लिए कहा क्योंकि मैं उनके साथ उनकी स्कूटी पर ही कॉलेज के लिए जाती थी
मेरा कॉलेज उनके स्कूल के रास्ते में ही पड़ता था
करीब 3 बजे तक तो मैं जागती रही पर उसके बाद नींद की खुमारी ने मुझे ऐसा घेरा कि मैं चाह कर भी अपनी आँखें खोलकर नहीं रख पाई
पर आंखें बंद करने के बाद भी मैं अंदर से कोशिश कर रही थी कि जागती रहूं
पर नींद पर भला किसका जोर चला है।
मैं भी कुछ देर में सो गई
अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरा नाम पुकार रहा है
मैंने आँखें खोलने की कोशिश की पर नाकाम रही
पर ऐसा करने से मेरी नींद जरूर टूट गई
अब वो आवाज़ चंद्रिका दीदी को बुला रही थी
मैंने अंधेरे में देखने का प्रयास किया
वो पिताजी ही थे जो हमारे कमरे में आकर शायद पहले मुझे उठा रहे थे
और फिर चंद्रिका दीदी को
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि कल तो नहा रहे थे
आज ये सीधा यहाँ क्यों आ गए
दीदी तो मुझसे भी ज्यादा गहरी नींद में सोने वालों में से थीं
वो नहीं उठी
तो कुछ देर तक वो खड़े होकर हमें पुकारते रहे और फिर उन्होंने हमारे बेड पर ही पालती लगा ली
हमारी टांगों के बीच
और कल रात की तरह ही कुछ मंत्र बुदबुदाने लगे
एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूं
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |
अब तो सच में मुझे डर लगने लगा था
कहीं पिताजी कोई काला जादू तो नहीं कर रहे हमारे ऊपर
कल वो गुड़िया और अब ये
मेरा बदन पसीने से भीग गया ये सोचकर ही
क्योंकि काला जादू का मतलब मुझे सिर्फ ये पता था कि इसमें बलि चढ़ाई जाती है
मैं चिल्लाना चाहती थी पर किसी ठोस सबूत के बिना ऐसा करना भी सही नहीं था
और वैसे भी मेरी आवाज ही नहीं निकल रही थी
पिताजी के पास तो कोई हथियार भी नहीं था हमारी बलि चढ़ाने के लिए
इसलिए मैं उनका वो खेल चुपचाप लेटकर देखती रही
और अचानक पिताजी ने हथियार निकाल लिया
ये कुछ और नही उनका खुद का लिंग था
कल तो नहाते वक़्त उन्होने कपड़े निकाल दिए थे और फिर अपना लिंग हिलाया था
आज तो बिना कपड़े निकाले ही सिर्फ़ अपनी धोती को साइड करके अपना लिंग बाहर निकाल कर उसे रगड़ रहे थे
मेरी आँखे आधी खुली थी और अंधेरे में देखने के लिए अब तक अभ्यस्त हो चुकी थी
उनका मोटा और लंबा लिंग मेरी आँखो से कुछ ही दूरी पर था
और मेरे हाथ से तो सिर्फ़ एक फीट की दूरी पर
पिताजी जो घर्षण कर रहे थे उसकी गर्मी मुझे अपने हाथ तक महसूस हो रही थी
मन तो कर रहा था की अपना हाथ उसपर रखकर उसकी कठोरता का अनुभव करलूं
और शायद पिताजी मना भी ना करते
क्योंकि अब तक मैं इतना तो जान ही चुकी थी की पिताजी जो भी कर रहे है उसके पीछे हम दोनों बहनों के जिस्म से मज़े लेना तो पक्का शामिल है
वरना कोई पिता अपनी जवान बेटियो के सामने ऐसी हरकत भला क्यों करेगा
कल भी इन्होने उन दोनो गुड़िया के उपर अपना वीर्य निकाल कर अगले दिन उसे हम दोनो बहनो को दे दिया था
और अब हमारे बीच बेधड़क होकर बैठे है और अपने लिंग को हिला रहे है
पर इसे हिलाने से तो इनका वीर्य निकलेगा
कल तो पिताजी ने गुड़िया के उपर उडेल दिया था वो सफेद पानी
तो क्या आज वो हमारे उपर..
नही नही…
ऐसा कौन करता है भला
इतनी गंदी बात थोड़े ही करेंगे मेरे पिताजी
मैं ये सोच ही रही थी की अचानक पिताजी का कठोर हाथ मेरी जाँघ पर आ लगा
मेरा तो पूरा बदन सिहर गया
वो अपने कठोर हाथ से मेरी जाँघ को ज़ोर से दबा रहे थे
शायद उनके बदन में कोई ऐंठन सी हो रही थी
उनके चेहरे को देखकर तो यही पता चल रहा था
फिर उन्होने उस हाथ से मेरी दीदी को सहलाना शुरू कर दिया
दीदी का पिछवाड़ा मेरी तरफ था, इसलिए वो उसके फेले हुए कूल्हे मसलने लगे
ये मर्दों को कूल्हे मसलना पसंद होता है क्या, मोबाइल में जो वीडियो देखे थे, उसमे भी मर्द सिर्फ स्तनों और कूल्हों को मसलने में ही लगे थे
मेरे कूल्हे तो दीदी से भी ज्यादा बड़े थे, यानी इन्हे कोई मैलेगा तो ज्यादा मजा आएगा
ये विचार आते ही मेरे पिछवाड़े में एक अजीब सी सुरसुरी दौड़ गयी
अंधेरा ज्यादा था
एक बार तो मुझे लगा शायद वो उसके गुदा द्वार को भी मसल रहे है
पर शायद वो मेरा वहम होगा
मैं तो उनके हाथ के स्पर्श से थर-2 काँप रही थी
मेरे रोंगटे खड़े हो चुके थे
और जाँघो के बीच वही चिर परिचित सी चिपचिपाहट अपने आप आ गयी
मेरा मन कर रहा था की अपनी उंगलियो से मैं अपनी योनि को सहला दूँ
पर पिताजी के सामने कैसे करती
उनकी साँसे अब तेज हो रही थी
उनकी जीभ बाहर निकल रही थी
मुँह में एक तनाव सा हो रहा था
आँखे चढ़ गयी थी
कही उन्हे हार्ट आटेक तो नही आ रहा
पर मैं कुछ और समझ पाती
मेरे चेहरे पर कुछ टपका
मेरी नज़र पिताजी की तरफ गयी तो वो अपने लिंग से वीर्य की बौछार कर रहे थे हम दोनों बहनों के ऊपर
कभी वो लिंग मेरी तरफ करते और कभी चंद्रिका दीदी की तरफ
दीदी की तो पीठ और कूल्हे पर बौछार हो रही थी
पर मेरे तो चेहरे और छाती पर वो गाड़ा और गीला वीर्य गिर रहा था
कुछ देर बाद उनकी गन से गोलियां निकलनी बंद हो गयी
और उनकी गहरी साँसे भी सामानया होने लगी
एक बूँद मेरे होंठो पर आ गिरी थी
मैने हिम्मत करके उसे चाट लिया
ये वही सौंधा सा स्वाद था जिसे मैने गुड़िया को चाट कर महसूस किया था
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की ये ताज़ा था
और ताजे माल में स्वाद भी ज़्यादा था
और नशा सा प्रदान करने वाली महक
मेरे निप्पल्स खड़े हो चुके थे
पिताजी भी अब बेड से उतर कर अपना हुलिया ठीक कर रहे थे
अपने कपड़े ठीक करने के बाद वो चुपके से बाहर निकल गये
उनके जाते ही मैने खुल कर साँस ली
ऐसा लग रहा था जैसे कोई दुश्मन घुस आया था मेरे घर और मैं दम साधे पड़ी थी तब से
अब मैं अपने हाथो को आराम से अपने शरीर पर फिरा सकती थी
पर जब हाथ फेराया तो उपर से नीचे तक पिताजी के लिंग से निकले वीर्य से सन गये
उसका गीलापन मेरे कपड़ो से होता हुआ मेरे नंगे शरीर तक पहुँच चुका था
ऐसा लग रहा था जैसे मैं बारिश में नहा कर आई हूँ अभी
मैंने अपना टॉप निकाल दिया
अब मैं उपर से नंगी होकर बेड पर लेटी थी
पिताजी दोबारा आ जाए तो मेरे पास कपड़े पहनने का भी समय नही होता
मैं अपने हाथों से उस गाड़ी क्रीम को अपने पूरे शरीर पर मलने लगी
पता नही क्या नशा सात था उसमें
मैं हाथ फेरती और उपर लाकर अपनी उंगलियो को चाट जाती
मैंने तो दीदी के पिछवाड़े पर गिरी क्रीम को भी इकठ्ठा करके चाट लिया
और जब मेरे हाथ अपनी योनि पर पहुँचे तो मैं सिसक कर रह गयी
क्योंकि जितना गीलापन मेरे शरीर पर था
उस से कही ज्यादा मेरी योनि से निकल कर मेरी चादर को तर कर रहा था
मैने अपना पंजा जाँघो के बीच दबा दिया और ज़ोर से सिसकार उठी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .उम्म्म्ममममममममममममममममममममममम……आआआअहह…..पिताआआआआअजीीइईईईईई”
और इतना कहने के साथ ही मेरे शरीर में फिर से वही ऐंठन हुई जो दिन के समय हुई थी और मेरी योनि से ढेर सारा पानी निकल कर बाहर गिरने लगा
जो तापमान मेरे शरीर को इतनी देर से गर्म कर रहा था, वो धीरे-2 उतरने लगा
मैंने टॉप पहना और अपनी उंगलियो को अपनी योनि पर दबाए हुए सो गयी
अगली सुबह दीदी ने मुझे उठाया पर मैने कॉलेज जाने से मना कर दिया
वो बड़बड़ाती हुई तैयार होकर स्कूल के लिए निकल गयी
करीब 1 घंटे बाद माँ ने आकर अपने चिर परिचित अंदाज में मुझे उठाया
“उठा जा री महारानी, कॉलेज से तो छुट्टी कर ली है, घर के काम काज से भी छुट्टी करनी है क्या”
मैं जानती थी की माँ के इन तानो से बचने के लिए मुझे उठना ही पड़ेगा
मेरे शरीर पर लगा वीर्य अब सूख कर पपड़ी सा बन चुका था
जैसा कल गुड़िया के उपर बना था
मैं बाथरूम में गयी और कपड़े निकाल कर नंगी हो गयी
मैने शीशे मे देखा तो मेरा चेहरा और स्तन आज पहले के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही चमक रहे थे
शायद पिताजी के वीर्य का कमाल था ये
और आज तो पिताजी भी घर पर ही थे
मैं आज उनके मंत्र उच्चारण के रहस्य का पता लगा लेना चाहती थी
THANKS KOMAAL BHABHIजबरदस्त
आपने स्त्री वशीकरण मंत्र पूरा का पूरा प्रस्तुत कर दिय। मैंने पहले भी कहा था की गुड़िया का इस्तेमाल सुमेर सिंह जी अपनी दोनों प्यारी गुड़ियाओं को वश में करने के लिए कर रहे हैं और चंदा पर तो उसका असर पड़ना शुरू भी हो गया।
और इस बार स्त्री वशीकरण मंत्र के साथ वीर्य का इस्तेमाल भी जादू टोने में इस्तेमाल होता है और वो भी आपने दिखाया।
अब तय है कम से कम चंदा इस जादू से नहीं बच सकती लेकिन गलती बेचारे सुमेर सिंह की भी नहीं है, जिन्हे दो जवान होती बेटियों की अंगड़ाई और उठते, भरे जोबन ने वशीकृत कर रखा था की वह रिश्तों को भूल कर उन्हें वशीकृत करने की कोशिश कर रहे हैं,
और गलती हम पाठक पाठिकाओं की भी नहीं जो आपके कहानी से हरदम वशीकृत रहते है। कभी वह वशीकरण मंत्र भी शेयर करिये।
बहुत से लिखने वालों का भला होगा। जिस तरह से अपने एक एक पल का वर्णन किया, चंदा के तन और मन दोनों पर उसका क्या असर पड़ा ये दिखाया, बहुत ही अद्भुत था।
और चंदा की सोच में आपने सुमेर सिंह के वीर्य का जादू दिखा दिया
मैने शीशे मे देखा तो मेरा चेहरा और स्तन आज पहले के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही चमक रहे थे
शायद पिताजी के वीर्य का
thanks sanju bhaiअगर कहानी के टाइटल की माने तो बुजुर्ग महोदय वशीकरण मंत्र की सिद्धी करने मे लिप्त है ।
और बुजुर्ग महोदय यानि सुमेर साहब जिस प्रकार का और जिन लोगों के समक्ष चोरी छुपे यह तंत्र मंत्र साध्य रहे है , उससे यही लगता है कि इस वशीकरण मंत्र का प्रयोग चंदा और चन्द्रिका पर ही आजमाया जाने वाला है ।
चंदा की हालात जिस तरह की हो गई है , उससे यह भी प्रतीत होता है कि वह वगैर तंत्र मंत्र के ही सुमेर साहब पर न्यौछावर होने को तैयार है । कोई जरूरत ही नही थी इस बाला को वश मे करने के लिए किसी प्रकार के वशीकरण मंत्र की ।
देखते हैं , सुमेर साहब का यह तंत्र मंत्र विद्या कितना कारगर सिद्ध होता है !
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट अशोक भाई ।