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Incest वशीकरण

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दोपहर को करीब 12 बजे मेरी नींद खुली तो माँ दरवाजा पीट रही थी
उनके बड़बड़ाने की आवाज़ें अंदर तक आ रही थी

“घोड़ी होती जा रही है, और सोने से फ़ुर्सत नही है, पराए घर जाएगी तो कैसे निभाएगी, घर का सारा काम पड़ा है अभी, खुद ने नाश्ता भी नही किया और महारानी अंदर जाकर सो गयी है”

मैने जल्दी से अपना हुलिया ठीक किया, चादर को देखा तो वहां कोई निशान नही था
जादुई पानी उड़ चूका था
गुड़िया अब पहले से ज़्यादा गंदी हो चुकी थी
मैने उसे साइड में रखा और दरवाजा खोल दिया
10 मिनट तक सर झुकाए माँ की डांट खाती रही और फिर बाहर जाकर नाश्ता किया और फिर उनके साथ सारा काम निपटाया

माँ हमेशा मुझे ही दांती थी,डांटती थी , भैय्या और दीदी को कुछ नही कहती थी
शायद इसलिए की दीदी जॉब करती थी और भाई खेतो में मेहनत
मैं ही निकम्मी थी उनकी नज़रों में
जिसपर वो अपना गुस्सा निकालती रहती थी
पर पिताजी हमेशा मेरा बचाव करते थे
जैसा आज सुबह किया था उन्होने

पर ये गुड़िया वाला चक्कर मुझे समझ नही आ रहा था
कल रात वो आख़िर ऐसा क्यों कर रहे थे उसके साथ

पर जो भी था
कल की घटना के बाद मुझे ऐसा एहसास होने लगा था की मैं अब सचमुच जवान हो गयी हूँ



काम ख़त्म करने के बाद मैं अपने कॉलेज की बुक्स लेकर बैठ गयी
पर मेरा ध्यान अभी भी सुबह वाली बातों की तरफ ही था
बीच-2 में मैं गूगल पर कुछ न कुछ नया टॉपिक टाइप करके जानकारिया लेती रहती थी
अचानक मुझे एक एडल्ट वेबसाइट का लिंक मिल गया
और जब मैने क्लिक किया तो नंगी वीडियो से पूरी स्क्रीन भरी हुई थी
औरत और मर्द एक दूसरे के साथ सैक्स कर रहे थे
मैने एक वीडियो प्ले किया तो मेरी साँसे उखड़ने लगी
इसमे 2 कॉलेज के लड़के लड़की की कहानी थी
वो लड़की उस लड़के का लिंग अपने मुँह में भरकर चूस रही थी




और बाद में वो लड़का भी उसकी योनि को चूसने लगा
मेरे लिए ये सब नया था
भला ऐसी जगह को कोई कैसे चूस सकता है
पर फिर मुझे ख्याल आया की मेरी योनि का रस इतना मीठा था, शायद सभी का ऐसा ही होता होगा और तभी लड़को को उसे चूसने में मज़ा मिलता है
और इसी प्रकार लड़को का वीर्य भी कोई स्वाद लिए होता होगा तभी उसे इस तरह चूस्कर पी रही थी ये लड़की

मैं मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल करके सैक्स की गहराई में उतरती जा रही थी
अगले करीब 1 घंटे तक मैने करीब 8-10 वीडियो देख डाली
किसी में सैक्स कर रहे थे
किसी में लड़का पिछले गुदा द्वार में अपना लिंग डाल रहा था

[/url
]

पर हर वीडियो में दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था
यानी सैक्स कैसा भी हो, एक बार नंगे हो जाओ तो सब बढ़िया ही होता है
इस विचार ने मेरे मन में घर कर लिया था

तभी मेरी नज़र उस गुड़िया पर पड़ी
जिसपर अभी तक पिताजी के वीर्य की पपड़ी जमी हुई थी
मैने उसे उठाया और धीरे-2 उसे अपने होंठो तक ले गयी
ऐसा करते हुए मेरा दिल एक बार फिर से धाड़-2 कर रहा था

और फिर मैने उस गुड़िया का हाथ अपने मुँह में लेकर चूस डाला
जो वीर्य कुछ देर पहले सिर्फ़ मेरी छुवन मात्र से पिघल गया था
मेरे मुख की गर्मी पाकर तो वो टपकने सा लगा

जैसे फ्रिज से बर्फ निकालने के बाद वो पिघल कर पानी बन जाती है
ठीक वैसे ही वो वीर्य पिघल कर मेरे मुँह में अपना स्वाद घोल गया
वो मीठा तो नही था
पर मेरी योनि रस की तरह एक मादक सी सुगंध थी उसमें भी

उसके बाद तो मैने उस गुड़िया को पूरा चाट मारा
उसकी टांगो के बीच चटाई करते हुए मुझे महसूस हो रहा था जैसे मैं किसी लेस्बियन की तरह किसी और लड़की की योनि को चाट रही हूँ
ऐसा मैने आज तक नही सोचा था

पर ये ख़याल आते ही ना जाने क्यो मेरे सामने अपने आप चंद्रिका दीदी का चेहरा आ गया

वो गुड़िया अब मुझे आपनी बड़ी बहन लग रही थी
जिसके छोटे-2 कपड़े मैं नोच कर उतार रही थी
फिर उसके नन्हे स्तन और योनि को मैने चूस चूस्कर उसमें फँसा रस पी डाला
और ऐसा करते हुए मेरी योनि से लगातार रस बहे जा रहा था
और उस लबाबदार योनि में अपनी उंगलिया फिराते हुए मुझे असीम सुख की प्राप्ति हो रही थी

उफफफफ्फ़sssssss



ये सैक्स और इसकी बातों से जुड़ा हर एहसास कितना सुखद है
काश कोई मर्द होता मेरे सामने
जिसका लिंग मैं चूस पाती
जैसा इन वीडियो में दिखाया गया है

मैं आँखे बंद करके ऐसा कुछ सोचने की कोशिश करने लगी
पर चाहकर भी मैं पिताजी को इमेजीन नही कर पा रही थी
शायद उतना खुद को आज़ाद नही कर पाई थी मैं अभी

फिर मैंने एक बार फिर से अपने बिस्तर पर मची गंदगी को समेटा, नहाने के बाद कपड़े चेंज किए
इस बार मैने अंडरगार्मेंट्स नही पहने
क्योंकि मुझे पता था की हालात आज रात भी मेरे हाथ काबू में नही रहेंगे
Awesome update👌👌
 

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शाम को पिताजी और भाई घर आए तो रोजाना की तरह सभी एक साथ आंगन में बैठकर बातें करते रहे,
भाई अक्सर जल्दी खाना खाकर सो जाता था क्योंकि पूरा दिन खेतों की मेहनत से उसका शरीर जवाब दे जाता था शाम तक
पिताजी खेत का बाकी का सारा काम देखते थे
जैसे मंडी जाना
आढ़तीयों से मोल भाव करना
बीज और खाद की खरीदारी करना
सरकारी काम काज करवाना इत्यादि
और जो समय खाली मिलता वो भी भाई का साथ देने खेतों में पहुंच जाते

मेरी नज़रें पिताजी पर ही जमी थी

क्योंकि उनकी कल रात की हरकत की वजह से मैं अब जासूस बनकर उस बात का पता लगाना चाहती थी कि आखिर उन्होंने कल रात वाला वो खेल आखिर क्यों खेला।



और इसके लिए मुझे आज रात जागकर निकालनी थी
हालांकि अगले दिन मेरा कॉलेज था पर मैंने सोच लिया था कि एक दिन की छुट्टी मारनी पड़े चाहे, मैं इसका पता लगाकर रहूंगी।

रात भर मैं मोबाइल पर कुछ न कुछ नया चेक करती रही ताकि मैं सो न जाऊं,
सोने से पहले चंद्रिका दीदी ने भी मुझसे जल्दी सोने के लिए कहा क्योंकि मैं उनके साथ उनकी स्कूटी पर ही कॉलेज के लिए जाती थी
मेरा कॉलेज उनके स्कूल के रास्ते में ही पड़ता था

करीब 3 बजे तक तो मैं जागती रही पर उसके बाद नींद की खुमारी ने मुझे ऐसा घेरा कि मैं चाह कर भी अपनी आँखें खोलकर नहीं रख पाई
पर आंखें बंद करने के बाद भी मैं अंदर से कोशिश कर रही थी कि जागती रहूं

पर नींद पर भला किसका जोर चला है।
मैं भी कुछ देर में सो गई

अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरा नाम पुकार रहा है
मैंने आँखें खोलने की कोशिश की पर नाकाम रही
पर ऐसा करने से मेरी नींद जरूर टूट गई

अब वो आवाज़ चंद्रिका दीदी को बुला रही थी
मैंने अंधेरे में देखने का प्रयास किया
वो पिताजी ही थे जो हमारे कमरे में आकर शायद पहले मुझे उठा रहे थे
और फिर चंद्रिका दीदी को

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि कल तो नहा रहे थे
आज ये सीधा यहाँ क्यों आ गए
दीदी तो मुझसे भी ज्यादा गहरी नींद में सोने वालों में से थीं
वो नहीं उठी

तो कुछ देर तक वो खड़े होकर हमें पुकारते रहे और फिर उन्होंने हमारे बेड पर ही पालती लगा ली
हमारी टांगों के बीच

और कल रात की तरह ही कुछ मंत्र बुदबुदाने लगे



एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपतिनि सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूं
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |

अब तो सच में मुझे डर लगने लगा था
कहीं पिताजी कोई काला जादू तो नहीं कर रहे हमारे ऊपर
कल वो गुड़िया और अब ये

मेरा बदन पसीने से भीग गया ये सोचकर ही
क्योंकि काला जादू का मतलब मुझे सिर्फ ये पता था कि इसमें बलि चढ़ाई जाती है
मैं चिल्लाना चाहती थी पर किसी ठोस सबूत के बिना ऐसा करना भी सही नहीं था
और वैसे भी मेरी आवाज ही नहीं निकल रही थी

पिताजी के पास तो कोई हथियार भी नहीं था हमारी बलि चढ़ाने के लिए
इसलिए मैं उनका वो खेल चुपचाप लेटकर देखती रही

और अचानक पिताजी ने हथियार निकाल लिया
ये कुछ और नही उनका खुद का लिंग था

कल तो नहाते वक़्त उन्होने कपड़े निकाल दिए थे और फिर अपना लिंग हिलाया था
आज तो बिना कपड़े निकाले ही सिर्फ़ अपनी धोती को साइड करके अपना लिंग बाहर निकाल कर उसे रगड़ रहे थे
मेरी आँखे आधी खुली थी और अंधेरे में देखने के लिए अब तक अभ्यस्त हो चुकी थी
उनका मोटा और लंबा लिंग मेरी आँखो से कुछ ही दूरी पर था
और मेरे हाथ से तो सिर्फ़ एक फीट की दूरी पर



पिताजी जो घर्षण कर रहे थे उसकी गर्मी मुझे अपने हाथ तक महसूस हो रही थी
मन तो कर रहा था की अपना हाथ उसपर रखकर उसकी कठोरता का अनुभव करलूं
और शायद पिताजी मना भी ना करते

क्योंकि अब तक मैं इतना तो जान ही चुकी थी की पिताजी जो भी कर रहे है उसके पीछे हम दोनों बहनों के जिस्म से मज़े लेना तो पक्का शामिल है
वरना कोई पिता अपनी जवान बेटियो के सामने ऐसी हरकत भला क्यों करेगा

कल भी इन्होने उन दोनो गुड़िया के उपर अपना वीर्य निकाल कर अगले दिन उसे हम दोनो बहनो को दे दिया था
और अब हमारे बीच बेधड़क होकर बैठे है और अपने लिंग को हिला रहे है
पर इसे हिलाने से तो इनका वीर्य निकलेगा
कल तो पिताजी ने गुड़िया के उपर उडेल दिया था वो सफेद पानी
तो क्या आज वो हमारे उपर..
नही नही…
ऐसा कौन करता है भला
इतनी गंदी बात थोड़े ही करेंगे मेरे पिताजी

मैं ये सोच ही रही थी की अचानक पिताजी का कठोर हाथ मेरी जाँघ पर आ लगा
मेरा तो पूरा बदन सिहर गया
वो अपने कठोर हाथ से मेरी जाँघ को ज़ोर से दबा रहे थे
शायद उनके बदन में कोई ऐंठन सी हो रही थी
उनके चेहरे को देखकर तो यही पता चल रहा था
फिर उन्होने उस हाथ से मेरी दीदी को सहलाना शुरू कर दिया
दीदी का पिछवाड़ा मेरी तरफ था, इसलिए वो उसके फेले हुए कूल्हे मसलने लगे

ये मर्दों को कूल्हे मसलना पसंद होता है क्या, मोबाइल में जो वीडियो देखे थे, उसमे भी मर्द सिर्फ स्तनों और कूल्हों को मसलने में ही लगे थे
मेरे कूल्हे तो दीदी से भी ज्यादा बड़े थे, यानी इन्हे कोई मैलेगा तो ज्यादा मजा आएगा
ये विचार आते ही मेरे पिछवाड़े में एक अजीब सी सुरसुरी दौड़ गयी

अंधेरा ज्यादा था
एक बार तो मुझे लगा शायद वो उसके गुदा द्वार को भी मसल रहे है
पर शायद वो मेरा वहम होगा

मैं तो उनके हाथ के स्पर्श से थर-2 काँप रही थी
मेरे रोंगटे खड़े हो चुके थे
और जाँघो के बीच वही चिर परिचित सी चिपचिपाहट अपने आप आ गयी
मेरा मन कर रहा था की अपनी उंगलियो से मैं अपनी योनि को सहला दूँ
पर पिताजी के सामने कैसे करती

उनकी साँसे अब तेज हो रही थी
उनकी जीभ बाहर निकल रही थी
मुँह में एक तनाव सा हो रहा था
आँखे चढ़ गयी थी
कही उन्हे हार्ट आटेक तो नही आ रहा

पर मैं कुछ और समझ पाती
मेरे चेहरे पर कुछ टपका

मेरी नज़र पिताजी की तरफ गयी तो वो अपने लिंग से वीर्य की बौछार कर रहे थे हम दोनों बहनों के ऊपर
कभी वो लिंग मेरी तरफ करते और कभी चंद्रिका दीदी की तरफ
दीदी की तो पीठ और कूल्हे पर बौछार हो रही थी
पर मेरे तो चेहरे और छाती पर वो गाड़ा और गीला वीर्य गिर रहा था

कुछ देर बाद उनकी गन से गोलियां निकलनी बंद हो गयी
और उनकी गहरी साँसे भी सामानया होने लगी
एक बूँद मेरे होंठो पर आ गिरी थी
मैने हिम्मत करके उसे चाट लिया
ये वही सौंधा सा स्वाद था जिसे मैने गुड़िया को चाट कर महसूस किया था
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की ये ताज़ा था
और ताजे माल में स्वाद भी ज़्यादा था
और नशा सा प्रदान करने वाली महक

मेरे निप्पल्स खड़े हो चुके थे
पिताजी भी अब बेड से उतर कर अपना हुलिया ठीक कर रहे थे
अपने कपड़े ठीक करने के बाद वो चुपके से बाहर निकल गये
उनके जाते ही मैने खुल कर साँस ली
ऐसा लग रहा था जैसे कोई दुश्मन घुस आया था मेरे घर और मैं दम साधे पड़ी थी तब से

अब मैं अपने हाथो को आराम से अपने शरीर पर फिरा सकती थी
पर जब हाथ फेराया तो उपर से नीचे तक पिताजी के लिंग से निकले वीर्य से सन गये
उसका गीलापन मेरे कपड़ो से होता हुआ मेरे नंगे शरीर तक पहुँच चुका था
ऐसा लग रहा था जैसे मैं बारिश में नहा कर आई हूँ अभी

मैंने अपना टॉप निकाल दिया
अब मैं उपर से नंगी होकर बेड पर लेटी थी
पिताजी दोबारा आ जाए तो मेरे पास कपड़े पहनने का भी समय नही होता
मैं अपने हाथों से उस गाड़ी क्रीम को अपने पूरे शरीर पर मलने लगी



पता नही क्या नशा सात था उसमें
मैं हाथ फेरती और उपर लाकर अपनी उंगलियो को चाट जाती
मैंने तो दीदी के पिछवाड़े पर गिरी क्रीम को भी इकठ्ठा करके चाट लिया

और जब मेरे हाथ अपनी योनि पर पहुँचे तो मैं सिसक कर रह गयी
क्योंकि जितना गीलापन मेरे शरीर पर था
उस से कही ज्यादा मेरी योनि से निकल कर मेरी चादर को तर कर रहा था

मैने अपना पंजा जाँघो के बीच दबा दिया और ज़ोर से सिसकार उठी

“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .उम्म्म्ममममममममममममममममममममममम……आआआअहह…..पिताआआआआअजीीइईईईईई”

और इतना कहने के साथ ही मेरे शरीर में फिर से वही ऐंठन हुई जो दिन के समय हुई थी और मेरी योनि से ढेर सारा पानी निकल कर बाहर गिरने लगा

जो तापमान मेरे शरीर को इतनी देर से गर्म कर रहा था, वो धीरे-2 उतरने लगा
मैंने टॉप पहना और अपनी उंगलियो को अपनी योनि पर दबाए हुए सो गयी

अगली सुबह दीदी ने मुझे उठाया पर मैने कॉलेज जाने से मना कर दिया
वो बड़बड़ाती हुई तैयार होकर स्कूल के लिए निकल गयी

करीब 1 घंटे बाद माँ ने आकर अपने चिर परिचित अंदाज में मुझे उठाया

“उठा जा री महारानी, कॉलेज से तो छुट्टी कर ली है, घर के काम काज से भी छुट्टी करनी है क्या”

मैं जानती थी की माँ के इन तानो से बचने के लिए मुझे उठना ही पड़ेगा
मेरे शरीर पर लगा वीर्य अब सूख कर पपड़ी सा बन चुका था
जैसा कल गुड़िया के उपर बना था

मैं बाथरूम में गयी और कपड़े निकाल कर नंगी हो गयी
मैने शीशे मे देखा तो मेरा चेहरा और स्तन आज पहले के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही चमक रहे थे
शायद पिताजी के वीर्य का कमाल था ये



और आज तो पिताजी भी घर पर ही थे
मैं आज उनके मंत्र उच्चारण के रहस्य का पता लगा लेना चाहती थी
Mast update baap toh bhout chalo hai betiyon ko jadu se phasana chata hai. Nice story👍👍
 

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मैंने माँ के साथ घर का सारा काम निपटाया पिताजी को नाश्ता भी दिया
मैं पिताजी के करीब जब भी जा रही थी या जब भी उन्हें देख रही थी, मुझे रात वाली सारी बातें याद आ रही थीं
मेरी कच्छी का गीला होना तो आम बात हो गई थी आजकल
कल रात भर गीली रही थी वह
और आज सुबह से भी बिना बात के गीली हुई जा रही थी

एक बात अब मैंने नोट करनी शुरू कर दी थी
पिताजी की नजरें मुझे ही देखने में लगी रहती थीं
मेरे उभार और मेरे पिछवाड़े को देखते हुए मैंने उन्हें कई बार पकड़ा

पर मुझे गुस्सा नहीं आ रहा था, इसमें तो एक रोमांच था
उनकी आँखें मेरे शरीर को जब भी बेधती तो मेरा शरीर झनझना कर रह जाता

ऐसा लगता जैसे मेरे नंगे शरीर को वह अपनी साँसों की हवा दे रहे हैं
मेरा पूरा शरीर मानो बाँसुरी हो और वो उसमें अपनी गर्म आहैं भरकर मेरे शरीर से मादक ध्वनि निकालने का प्रयास कर रहे है



नाश्ता करने के बाद पिताजी तैयार होकर बैंक के काम से बाहर निकल गए
और अब वक़्त था मेरी जासूसी का
ने झाड़ू लिया और माँ को ये कहते हुए उनके कमरे में घुस गई कि आज मैं उनके रूम को पूरा साफ करूँगी
वह कुछ नहीं बोली
बिना कहे मैं काम जो कर रही थी उनके कमरे की सफाई का

वह किचन में काम करती रही और मैं उनके कमरे में पहुंच कर चारों तरफ देखने लगी
पहले मैंने पिताजी की अलमारी को छान मारा
उनके कपड़ों के सिवा कुछ नहीं था

लॉकर भी खोलकर देखा, क्योंकि मुझे पता था कि वो चाबी कहाँ रखते हैं
उसमें भी जरूरी कागजात और पैसों के सिवा कुछ नहीं था
फिर मैंने माँ की अलमारी भी छानी , उसमें भी कुछ नहीं मिला

थक हारकर मैं बेड पर जा बैठी और तभी मुझे महसूस हुआ कि मेरे नीचे कुछ है
मैंने जल्दी से उठकर गद्दा उठाया और नीचे मुझे एक किताब मिली
मेरी आँखें चमक उठी
यही तो मैं ढूंढ रही थी
वो एक 150 पेज की किताब थी,
और उसका शीर्षक था
"वशीकरण"



और ये किताब मैं इसलिए ढूंढ रही थी क्योंकि कल रात जब पिताजी वो मंत्र पढ़ रहे थे तो उनकी गोद में ये किताब थी,
ज़्यादा अंधेरे की वजह से मैं सही से देख नहीं पाई थी, पर मुझे एहसास हो गया था की हलकी रौशनी में वो कुछ देखकर ही वो मन्त्र पढ़ रहे है

पर अब इसे देखकर विश्वास हो गया था कि वो किताब से देखकर ही वो मंत्र पढ़ रहे थे
मैंने जल्दी से वो किताब अपने पेट में ठोंसी और बाहर निकल आई

और अपने रूम में जाकर अंदर से कुंडी लगाकर आराम से उसे पढ़ने लगी
वो किताब किसी तांत्रिक टाइप के इंसान द्वारा लिखी गई थी,
जिसमें वशीकरण करने की विधि और उसके परिणाम कब और कैसे मिलेंगे उसके बारे में विस्तार से बताया गया था
मुझे इसे पढ़ने में कोई खास इंटरेस्ट नहीं था

पर मैं पढ़ना चाहती थी कि आखिर वशीकरण करने के बाद क्या सच में उस इंसान के शरीर को वश में किया जा सकता है
जैसा कि मुझे अब तक समझ आ रहा था कि पिताजी हम दोनों बहनों के शरीर को वश में करके उसका फायदा उठाना चाहते थे

दोस्तो
आगे की कहानी ,चंदा के नज़रिए से देखने से पहले मैं आपको कहानी का दूसरा चेहरा यानी सुमेर सिंह का नज़रिया भी बताना चाहता हूँ , ताकि जो सवाल चंदा के दिलो दिमाग़ में इस वक़्त चल रहे है वो कम से कम आप पाठको को तो पता हो
इसलिए चंदा के पिताजी का नज़रिया जानते है की आख़िर उन्होने ये किसलिए और कैसे किया, फिर हम वापिस चंदा की तरफ आ जाएँगे

सुमेर सिंह
**********
ये करीब 3 साल पहले की बात है
एक रात जब मैं रात को पेशाब करने के लिए उठा तो देखा मेरे से पहले मेरी छोटी बेटी चंदा नींद में ऊंघति हुई सी अपने कमरे से निकली और बाथरूम की तरफ चली जा रही है
उसने एक बड़ी सी टी शर्ट पहनी हुई थी जो उसकी जाँघो तक आ रही थी
रात को अक्सर वो ऐसे ही ढीले कपड़े पहनकर सोती थी
मेरे सामने तो वो टांगो को ढक कर रखती थी पर शायद सोते वक़्त उसने अपनी ट्रेक पेंट उतार दी थी

बाहर काफ़ी अंधेरा था इसलिए वो मुझे तो नही देख पाई पर जब वो अंदर जाकर पेशाब करने बैठी तो मैं उसे सॉफ देख पा रहा था
आँखे बंद थी उसकी पर दरवाजा बंद किए बिना वो बैठ गयी थी
बचपन से उसकी यही आदत थी
वो तो जवान होते-2 उसकी माँ ने ये आदत छुड़वा दी थी वरना कई बार तो वो नहाते वक़्त भी दरवाजा बंद नही करती थी
पर वो सालो पहले की बात थी

आज वो 18 की थी और मुझे उसे इस हालत में देखकर काफी अजीब लगा
ना चाहते हुए भी मैं उसे मूतते हुए देखने का लोभ छोड़ नही पाया
कितनी प्यारी लग रही थी उसकी मुनिया
एकदम गोरी
कसी हुई चमड़ी और भींचे हुए उसके होंठ



मेरे होंठ सूख रहे थे, मैने उनपर जीभ फेरी
अचानक मेरे लॅंड ने खड़ा होना शुरू कर दिया
मैने धोती के उपर से हाथ लगाया तो देखा की आज करीब 5 साल बाद ऐसा कड़कपन आया था उसमें
मैं ये मौका खोना नही चाहता था
इसलिए उल्टे पैर वापिस आया और अपनी सोती हुई बीबी के उपर जा चड़ा

पहले तो वो एकदम से घबरा गयी की मुझे कौनसा भूत चढ़ गया रात के वक़्त जो ऐसी हरकत करने लगा
पर वो भी सालो से प्यासी थी मेरे लॅंड की
पिछले कुछ सालो में वो पहले जैसा कड़कपन नही रह गया था मेरे लंड में
वो जितनी भी कोशिश करती उसे खड़ा करने की , ढीलापन फिर भी रह जाता था उसमें
उसे भी चुदाई में वो पहले जैसा मज़ा नही मिल पा रहा था और ना ही मुझे

पर आज अपनी जवान बेटी की बुर देखकर ना जाने मेरे अंदर कौनसा चमत्कार हो गया था की जवानी के दिनों जैसा कठोर और कड़क हो गया था मेरा लॅंड
उसपर हाथ लगते ही रागिनी की आँखे चमक उठी

वो बोली : “ये आज एकदम से क्या हो गया चंदा के पापा, कोई हकीम की दवाई ली है क्या, ऐसा कड़कपन महसूस किए तो सालो हो गये”
वो बोलती जा रही थी और अपनी घाघरा चोली उतारती जा रही थी
मुझसे ज़्यादा सैक्स की भूखी थी वो
आज उसकी चूत को बढ़िया वाली चुदाई मिलने वाली थी
पूरे कपड़े उतारकर जब वो मेरे सामने खड़ी हुई तो मैं उसके नशीले बदन को देखता ही रह गया
कोई कह नही सकता था की वो 3 जवान बच्चों की माँ है



मैने भी अपने सारे कपड़े निकाल फेंके और आनन फानन में उसकी चूत पर अपना लॅंड लगाकर उसे अंदर धकेल दिया

“आआआआआआहह……… उफफफफफफफफफफफफ्फ़….. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…………. चंदा के पापा……आज तो मार ही डालोगे…..”

मैने उसके मोटे स्तनो को अपने मुँह में दबाया और उन्हे चूसते हुए उपर से धक्के लगाकर उसकी चूत मारने लगा
हर धक्के से मेरा लॅंड उसकी गुलकंद जैसी चूत के अंदर घुसकर अंदर की मिठास को बाहर निकाल ला रहा था
फ़चा फॅच की आवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था



और मैं आँखे बंद किए अपनी बेटी की उस सुनहरी बुर को देख रहा था जिसके कारण आज ये एहसास फिर से महसूस हुआ था मुझे
और आप यकीन नही करेंगे
मेरे जहन में जब तक चंदा की बुर से मूत निकलता रहा, मेरे लॅंड की घिसाई रागिनी की चूत में उतनी देर तक ही चलती रही
करीब 5 मिनट तक मैने उसकी चुदाई की

और अंत मे जब रुकना मुश्किल हो गया तो मेरे लॅंड ने ढेर सारा रस मेरी बीबी रागिनी की चूत में उड़ेलना शुरू कर दिया

“ऊऊऊऊहह चौधराइनssssssss …….मैं तो गया…….अहहsssssss ”

वो तो कब से झड़ चुकी थी
और आँखे मूंदे मेरे झड़ने का इंतजार कर रही थी
आज सालो बाद उसके चेहरे पर पहले जैसा सकून था

भले ही ये रात के 2 बजे मिला था उसे पर आज की रात वो बहुत खुश थी

खुश तो मैं भी था
पिछले कुछ सालो से वैध हकीमो के चक्कर लगा-लगाकर कोई फ़र्क नही पड़ा था और आज वो काम अपने आप हो गया
उसके बाद रागिनी और मैं उसी तरह नंगे लेटे -2 काफ़ी देर तक बाते भी करते रहे

औरत को अपने हिस्से का शारीरिक सुख ना मिले तो उसका प्रभाव निजी जिंदगी में भी देखने को मिलता है
वो मुझसे चिड़कर बाते करती थी
खाना भी अपनी मर्ज़ी से कुछ भी बना देती थी
रात को मेरे हाथ लगते ही तुनककर पीछे हो जाती और ताने मार देती थी
जिस से रही सही हिम्मत की भी धज्जिया उड़ जाती थी
Kya tonic mila tha bhai. Mast update👍👍.
 

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पर उस रात के बाद तो जैसे सब कुछ बदल गया
सब पहले जैसा हो गया
उसका प्यार से बुलाना
मेरा मनपसंद खाना बनाना और आते जाते मुझे प्यार से देखना
और रात को मुझसे चिपक कर सोना, जैसे वो पहले किया करती थी
ऐसा करने से हमारे बीच सैक्स भी काफ़ी ज़्यादा होने लगा

और जब भी मेरा लॅंड शिथिल पड़ने लगता , मैं अपनी बेटी की उस गुलाबी चूत के बारे में सोच लेता

हालाँकि शुरू में मुझे मेरे मन ने काफ़ी धिक्कारा भी था
पर अपने शरीर को मिलने वाले मज़े के बाद वो सब नॉर्मल सा लगने लगा था मुझे

उस दिन के बाद चंदा को उस तरह से देखने का मौका फिर कभी नही मिला
पर उसे अब मैं पहले से ज़्यादा लाड प्यार करने लगा था

प्यार तो मैं अपनी दूसरी बेटी से भी करता था पर वो चंदा से ज़्यादा चालाक थी
मेरी नज़रों को भाँप कर उसने घर में भी चुन्नी लेनी शुरू कर दी थी

अपने लॅंड को कड़क बनाए रखने के लिए मैं कई बार बाथरूम में घुसकर चंदा की ब्रा पेंटी को उठाकर अपने लॅंड पर रगड़ता
और उसका असर भी ठीक उस रात जैसा ही होता जब मैने उसे पहली बार मूतते हुए देखा था

फिर तो मैं अक्सर रात को पहले बाथरूम में जाता

उसकी ब्रा को अपने लॅंड पर रखकर उसे तब तक मसलता जब तक वो कड़क ना हो जाए और उसकी सुगंधित कच्छी को अपनी नाक से लगाकर उस पल को याद करता, ऐसा करते हुए मेरा लॅंड एकदम स्टील रोड जैसा हो जाता

और वहां से निकलकर मैं सीधा अपने बेडरूम में जाकर रागिनी को चोद देता
रागिनी को इस बात का कोई एहसास नही था की ये सब मैं कैसे कर रहा हूँ
उसे तो बस मेरे कड़क लॅंड और अपनी चुदाई से मतलब था जो उसे अब भरपूर मात्रा में मिल रहा था

पर ये सब करते-2 मैं चंदा के बारे में हद से ज़्यादा सोचने लगा था
जब भी मौका मिलता, उसे अपनी गोद में बिठाकर उसके नर्म कुल्हो का दबाव अपनी जाँघ पर महसूस करता
उसके नर्म पेट पर उंगलिया फेरकर उसकी रेशमी त्वचा को महसूस करता

एक दो बार तो उसके कड़क स्तनो को भी छू लिया पर वो बेचारी उसे अंजाने में किया हुआ स्पर्श ही समझ सकी
मैं उसे अक्सर पैसे देने लगा ताकि वो इसी तरह मेरे साथ खुलकर रहा करे

उसके बदन की महक भी महसूस करता था मैं
ऐसा करते-2 कब मेरे दिल में उसके शरीर को भोगने का ख़याल आने लगा, मुझे भी पता नही चला

पर एक पिता होने के नाते ऐसा करना बिल्कुल ग़लत था
मैंने गलती से भी कोई गलत हरकत की या अपने विचार उसपर जाहिर कर दिए तो मेरे और मेरी बेटी के बीच की ये नज़दीकिया भी ख़त्म हो जानी थी

हालाँकि मुझे सैक्स की कमी नही थी
रागिनी के अलावा मैं अक्सर दूसरे गाँव की एक औरत के पास भी जाया करता था
रज्जो , जो पैसो के लिए ये काम करती थी
उसने भी मेरे पहले और बाद वाले लॅंड का फ़र्क महसूस किया था
और अब तो वो अक्सर कहा करती थी की पूरे गाँव में मेरे जैसा लॅंड और चुदाई करने का तरीका किसी के पास नही है

जब मेरे पास गाँव का सबसे शानदार लंड है तो मेरी बेटी इससे क्यों वंचित रहे
और इसी कारण अब मैं इस लॅंड का मज़ा अपनी प्यारी बेटी को देना चाहता था

वो कहते है ना जब किसी चीज़ के बारे में शिद्दत से सोचो तो उसे पाने की राह अपने आप दिखाई देने लग जाती है
ऐसा ही एक दिन मेरे साथ हुआ जब मुझे मेरे बचपन का दोस्त घनश्याम मिला
जिसे हम प्यार से घेसू कहते थे
वो सालो पहले साधुओ की टोली में शामिल होकर घर से भाग गया था
वहां से वो हरिद्वार के एक आश्रम पहुँच गया
और वहां रहकर साधु सन्यासियो जैसा बन चूका था
और अब उसका नाम था घनकमंडल बाबा..

मैं उसके साथ बैठकर अक्सर उसके किस्से कहानियां सुनता
अपने और गाँव के बारे में बताता
वो चिलम पीता रहता था
और कई तरह के नशे भी करता था

मुझे भी उसने वो आदत डलवा दी
एक दिन उसी के नशे में मैने उसे अपने दिल की बात कह डाली
जिसे सुनकर वो काफ़ी देर तक तो हंसता रहा
और फिर उसने मुझे समझाया की इस तरह के संसारिक बंधनो को वो काफ़ी पीछे छोड़ आया है
और उसके अनुसार तो ये बिल्कुल भी ग़लत नही है

मैने भी अभी तक की सारी बातें उसे बिना झिझक के बता डाली और अपने मन की परेशानी भी बताई की मैं आगे क्यो नही बढ़ पा रहा हूँ
और फिर उसने मुझे वशीकरण के बारे में बताया
ये एक ऐसी विद्या थी जिसके बाद आप किसी भी इंसान को अपने वश में कर सकते हो और उस से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कार्य करवा सकते हो
सुनने में तो काफ़ी अच्छा लग रहा था वो
पर उसे करना उतना ही कठिन था

उसने मुझे एक किताब भी दी, जिसमें उस विद्या से संबंधित कई बाते लिखी थी
कई सारे मंत्र भी थे
किसी को वश में करने के लिए क्या-2 करना पड़ता है
और उसपर कब तक उसका असर रहेगा
ये सब विस्तार से लिखा था उसमें
मैने पहले भी इसके बारे मे सुना था, पर विश्वास नही था की ऐसा सच में संभव हो सकता है
अगर हो जाए तो मेरी सारी परेशानी दूर हो सकती है

मैं अपनी बेटी को वश में करके उसके साथ कुछ भी मनमानी कर सकता हूँ
और अगर ऐसा हो पाए तो फिर चंद्रिका के उपर भी इस वशीकरण का इस्तेमाल किया जा सकता है
एक से भले दो
वैसे तो वो अपने उपर हाथ भी नही रखने देती थी
उसे वश में करने के बाद मैं उसके साथ कुछ भी कर सकता था

उस दिन के बाद मेरी दोस्ती घेसू के साथ और भी ज़्यादा घनिष्ट हो गयी
उस किताब के अनुसार मुझे जिसपर वशीकरण प्राप्त करना था, उसका प्रतिबिंब बनाकर सुबह के 4 बजे नहाने के बाद मंत्र पढ़कर उसपर अपने वीर्य का छिड़काव करना था
और अगले 2 दिन वही प्रक्रिया फिर से करनी थी
और अगर हो सके तो वीर्या का छिड़काव उस इंसान पर सोते हुए भी किया जा सकता था, वो ज्यादा असरदार रहेगा

दोस्तो
अब तो आप समझ गये होंगे की सुमेर सिंह ऐसा क्यों कर रहा था
अब वापिस कहानी का मुख चंदा की तरफ मोड़ते है
जो अपने पिता की इस पुस्तक के ज़रिए ये जान चुकी थी की उसके पिताजी उन दोनो बहनो पर वशीकरण कर रहे है
दो दिन की क्रिया तो उसने भी पढ़ ली थी, और तीसरे और आखिरी दिन का खेल और बचा था
यानी आज का

अब कहानी का मुख एक बार फिर से चंदा की तरफ मोड़ते है और उसके नजरिये से कहानी आगे बढ़ाते है


चंदा की ज़ुबानी
******************
वश मे करने के बाद की भी कई बाते थी जिसे पढ़ने में पूरा दिन लगने वाला था
और इतना टाइम उसके पास नही था
पर इतना तो वो पढ़ ही चुकी थी की वो प्रक्रिया आज भी करेंगे
क्योंकि 3 बार करने के बाद ही वो प्रक्रिया पूरी होनी थी

एक बार फिर से रात वाली बात का सोचकर उसकी बुर गीली हुए जा रही थी
मन तो उसका कर रहा था की अपनी उँगलियाँ डालकर उसे रगड़ डाले
पर सबसे पहले उसे वो किताब वापिस रखनी थी, क्योंकि पिताजी को इसी में से देखकर वो मन्त्र पढ़ने थे
आज की रात और भी ज्यादा मजेदार होने वाली थी
Mast update👍👍.
 

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वश मे करने के बाद की भी कई बाते थी जिसे पढ़ने में पूरा दिन लगने वाला था , और इतना टाइम उसके पास नही था
पर इतना तो वो पढ़ ही चुकी थी की वो प्रक्रिया आज भी करेंगे, क्योंकि 3 बार करने के बाद ही वो प्रक्रिया पूरी होनी थी

एक बार फिर से रात वाली बात का सोचकर उसकी बुर गीली हुए जा रही थी ,मन तो उसका कर रहा था की अपनी उँगलियाँ डालकर उसे रगड़ डाले

पर सबसे पहले उसे वो किताब वापिस रखनी थी, क्योंकि पिताजी को इसी में से देखकर वो मन्त्र पढ़ने थे ,आज की रात और भी ज्यादा मजेदार होने वाली थी

अब आगे
**********

किताब वापिस रखने के बाद मैने कमरे की सॉफ सफाई का काम भी निपटाया
क्योंकि मैं नही चाहती थी की माँ को मुझे ताने मारने का कोई और मौका मिल सके

फिर आराम से अपने कमरे में आकर लेट गयी, मोबाइल में मैने किताब के कई पन्नो की तस्वीर भी खींच ली थी
ताकि बाद में उस विद्या को और गहराई से समझ सकूँ
जिसका फायदा उठाकर पिताजी अपनी जवान बेटियो से मज़े लेने का सोच रहे थे

आज मुझे ऐसा एहसास हो रहा था जैसे परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र लीक होकर मेरे हाथ लग गया हो
और आने वाली परीक्षा का अब मैं उसी प्रकार से अभ्यास करने वाली थी जैसा प्रश्नपत्र था

दोपहर को पिताजी आए और खाना खाने के बाद रोज की तरह अपने कमरे में कुछ देर तक सुस्ताने के लिए चले गये
मैं बाहर वाली खिड़की से छुप कर देख रही थी, वो अपने बेड पर लेटकर उसी पुस्तक को पढ़ रहे थे
यानी आज रात की तैयारी चल रही थी

मेरी योनि में एक सुरसुरी सी होने लगी
माँ पड़ोस वाली चाची के घर गयी हुई थी गप्पे मारने
मैं पिताजी के पास चल दी अंदर, कुछ मज़े लेने

पिताजी ने जैसे ही मुझे आते देखा, झट से उस किताब को तकिये के नीचे छुपा दिया, मैं मुस्कुरा दी, क्योंकि जब सच पता हो तो सामने वाले की हरकत अक्सर ऐसी मुस्कान ले आती है चेहरे पर



पिताजी भी जानते थे की माँ पड़ोस में गयी है और इस वक़्त सिर्फ़ हम दोनो ही है घर पर
वो अपनी बाहें फेला कर बोले

पिताजी : “आजा मेरी लाडो….अच्छा हुआ आज कॉलेज नही गयी, बाहर लू सी चल री है आज तो, मेरी बच्ची काली पड़ जाती”
मैं : “रहने दो पिताजी, इतनी भी गोरी नही हूँ मैं , दीदी तो मुझे कालो-2 कहकर बुलाती रहती है”
पिताजी : “अर्रे, पागल है वो चोरी तो…देख तो कैसे केसर दूध जैसा रंग है मेरी बेटी है, एकदम हेरोइन जैसी लगती है”

तब तक मैं आकर उनके बेड के किनारे पर बैठ गयी, वो चेयर पर होते तो पक्का मुझे गोद मे बिठा लेते
पर यहाँ भी उन्होने मुझे स्पर्श करने का अवसर नही छोड़ा

मेरे पेट पर अपनी बाहो का आलिंगन बनाकर मुझे अपनी तरफ खींचकर चिपका लिया
अपनी तारीफ सुनकर अब मेरे चेहरे और आँखो में एक चमक आ चुकी थी
तारीफ आख़िर किसे पसंद नही होती

मैं : “पिताजी, सिर्फ़ आप ही हो पूरे घर में जो मुझसे इतना प्यार करते हो, वरना माँ का तो आपको पता ही है”

पिताजी दूसरे हाथ से मेरी कमर को सहलाते हुए बोले : “अर्रे तू उसकी फ़िक्र ना किया करे, मैने उसको समझा रखा है की मेरी चाँद सी बच्ची को ज़्यादा परेशान ना किया करे, वरना मुझसे बुरा कोई ना होवेगा “

कहते हुए उनके हाथ अचानक मेरी ब्रा के हुक्स पर आकर रुक गये

मेरे दिल की धड़कन तेज हो गयी क्योंकि आज तक मैने किसी को भी इतना करीब नही आने दिया था की कोई मेरी ब्रा के स्ट्रेप्स को भी टच कर सके

पर यहाँ मैं अंजान बनने का नाटक करती हुई उनसे बात करने में मशगूल रही
जैसे उस छोटी से बात से मुझे कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था

पर पिताजी के अनुभवी हाथ बता रहे थे की वो उंगली और अंगूठे को क्लिच करेंगे तो एक पल में वो ब्रा खुल जाएगी
मेरी तो साँसे रुक गयी ये सोचकर की पिताजी ने ये कर दिया तो मैं कैसे रिएक्ट करूँगी
पर उन्होने ऐसा कुछ नही किया

पिताजी : “अच्छा वो सब छोड़, तुझे नींद तो अच्छे से आ रही है ना आजकल “

मेरी आँखे गोल हो गयी ये सुनकर
फिर समझी की आख़िर पिताजी ये क्यो पूछ रहे है

मैं : “हां पिताजी, आजकल तो मैं भी दीदी की तरहा कुंभकरण की नींद सोने लगी हूँ , कॉलेज से आकर इतना थक जाती हूँ की रात को होश ही नही रहता की कहाँ पड़ी हूँ , ऐसे में तो कोई मुझे उठाकर भी ले जाए तो मुझे पता ना चले हा हा”

पिताजी मुस्कुरा दिए
उनकी आँखे चमक उठी थी ये सुनकर और शायद रात वाले प्रोग्राम में कुछ एक्सट्रा होने वाला था

तभी माँ आ गयी, और मैं दरवाजा खोलने भागी
उनके आलिंगन से निकलते हुए उनका हाथ एक बार फिर से मेरे स्तनो को छू गया

और इस बार तो मैने उनकी उंगलियो की हल्की सी पकड़ को भी महसूस किया अपने स्तन पर

पर मैं भागी ही ऐसी तेज़ी से थी की वो मेरे चेहरे पर आए उस एहसास को ना देख पाए जिसे महसूस करके मेरे होंठो से एक सिसकारी निकल गयी थी

ये पिताजी मेरी जान लेकर रहेंगे
दरवाजा खोला तो मैं हाँफ सी रही थी
माँ की नजरें सबसे पहले मेरे ढोँकनी की चल से चल रहे सीने पर गयी और बोली

“दिन ब दिन जवान हुए जा रही है पर अकल ढेले भर की भी नही है, गले में चुन्नी लेकर घूमा कर, देख ज़रा, बटन चमकाए फिर रही है”

मैने नीचे देखा तो माँ सच कह रही थी, मेरे निप्पल ब्रा पहने होने के बावजूद चमक कर टी शर्ट से बाहर दिख रहे थे



अब उन्हे कौन समझाए की पहली बार की छुवन का एहसास ही ऐसा है
वो तो निप्पल बेचारे मेरे सीने से बँधे हुए है, वरना इनका बस चले तो फाड़ कर बाहर निकल आए और पूरे गाँव को इस एहसास से अवगत करवाए

मैं वापिस अपने कमरे में चली गयी, माँ अंदर गयी तो पिताजी को सोते हुए पाया
पिताजी भी शायद नही चाहते थे की उनकी वजह से माँ को किसी भी प्रकार के शक का मौका मिले

करीब एक घंटे बाद पिताजी उठे और खेतो में भाई के पास चले गये
मैं भी तब तक सामान्य होकर बाहर आ चुकी थी
दीदी भी स्कूल से आ गयी थी तब तक

शाम को हर दिन की तरह मैने माँ के साथ किचन में उनकी मदद की

और फिर वो पल भी आ गया जिसका मैं सुबह से इंतजार कर रही थी
खाना खाकर मैं दीदी के साथ अपने रूम में आ गयी

रात के वक़्त मुझे दीदी के साथ चिपकने में और मस्ती करने में मज़ा आता था
जब उनका मूड होता तो वो भी मस्ती करती और जब थकी हुई होती तो मुझे डाँटकर पीछे करती और सो जाती

आज दीदी का मूड अच्छा था
मैं उनसे लिपटी तो ये एहसास हो गया की उन्होने ब्रा नही पहनी है
उनके बूब्स मेरे से ज़्यादा बड़े है, माँ के जितने

इसलिए उन मोटे स्तनो को छूने का एहसास काफ़ी अक्चा था
वो मुझे अक्सर ऐसा करने से रोकती पर मैं नही मानती थी



कुछ देर बाद की मस्ती के बाद दीदी सो गयी, उन्हे स्कूल भी जाना था
जाना तो मेरा भी ज़रूरी था कॉलेज पर मैं आज रात मिलने वाले मज़े को खोना नही चाहती थी

अब तक मुझे टाइम का तो पता चल ही चूका था
4 बजे से पहले नही आने वाले थे पिताजी
इसलिए मैने अपने कान के पास मोबाइल में अलार्म लगा कर रख लिया ताकि नींद आधा घंटा पहले खुल जाए

और जब अलार्म बजा तो मैं एकदम बदहवास सी होकर उठी और जल्दी से अलार्म बंद किया ताकि उसे कोई और ना सुन ले
करीब 10 मिनट में मैं सामान्य हो गयी, अब मेरी नींद पूरी तरह से खुल चुकी थी

दीदी को मैने हिला डुलाकर देखा, वो तो घोड़े बेचकर सो रही थी हमेशा की तरह
मैने चेक करने के लिए उनके बूब्स को पकड़ कर दबाया पर उनकी नींद में कोई खलल नही पड़ा
फिर मैंने एक हाथ उनकी शॉर्ट्स में डालकर उनकी मखमली गांड को भी सहलाया और नीचे लेजाकर उनकी योनि को भी छुआ
मैं आश्चर्यचकित रह गयी ये देखकर की उन्होने अपनी योनि के बाल सॉफ कर रखे है

और एक मैं हूँ , मैने आज तक वहां शेव करने की सोची ही नही थी
घना जंगल था मेरी योनि पर



और तभी हमारे रूम का दरवाजा खुला
मैने अपना हाथ वापिस खींच लिया और पीठ के बल सामने मुँह करके सोने का नाटक करने लगी
मैं अपना चेहरा पिताजी की तरफ रखना चाहती थी ताकि मैं उनकी हरकतें देख सकूँ

वो कल की तरह हमारे बेड पर आकर बैठ गये और अपने हाथ में पकड़ी किताब को उन्होने खोल कर अपनी गोद में रख लिया
सिर्फ़ ज़ीरो वॉट का बल्ब जल रहा था कमरे में
पर पिताजी की नज़रें उसमें भी पढ़ सकने में समर्थ थी
मैं भी हैरान थी

खैर, मंत्र पढ़ने के बाद उन्होने अपनी धोती से अपना लिंग बाहर निकाला
वो पहले से अकड़ कर खड़ा हुआ था

मैने मूंदी आँखो से उसे देखा, आज तो वो कल से ज़्यादा कड़क और सुंदर लग रहा था
भले ही काला था पर मन कर रहा था की उसे हाथ में पकड़ कर उससे खेलूं
उसे अपने बूब्स से टच करवाऊं
 

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सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स
इस एहसास ने मेरी योनि को एक पल में गीला कर दिया
अब वो अपने लिंग को उपर नीचे करने लगे
हर बार जब वो अपने हाथ को उस लिंग की चमड़ी से खींचकर नीचे करते तो उसका लाल रंग का टोपा चमक कर बाहर निकल आता और ना जाने क्यो मेरे मुँह से उस दृशय को देखकर पानी निकलने लगा

मन कर रहा था की मुँह से निकलने वाले पानी से इस टोपे को नहला दूँ
जैसा कुछ वीडियोस में देखा था मैने

उन्हे देखते वक़्त तो उबकाई सी आ रही थी
पर इस वक़्त वही सब करने की इच्छा मात्र से मेरा बदन जल सा रहा था

अचानक पिताजी के हाथ कल रात की तरह मेरी जाँघ पर आ लगे

और कल की तरह आज भी मेरे काँप रहे शरीर को देखकर वो कुछ पल के लिए मेरे चेहरे को देखकर ये कन्फर्म करने लगे की मैं जाग तो नही रही

फिर शायद उन्हे मेरी सुबह वाली बात याद आ गयी की मैं तो आजकल गहरी नींद सोती हूँ
फिर क्या था
उनका हाथ नाग बनकर मेरे शरीर के हर हिस्से को डसने लगा
और मैं अभागन उस दंश की पीड़ा से कराह भी नही सकती थी

अचानक पिताजी का हाथ सीधा मेरी योनि पर आ टीका
वो तो पहले से ही गीली थी
उन्हे भी नमीं का एहसास हुआ
वो उसे बेदर्दी से रगड़ने लगे

उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
मेरी योनि पर पहला स्पर्श और वो भी इतनी बेदर्दी से
काश कोई फरिश्ता आकर पिताजी के कान में ये कहदे की प्यार से करो, अपनी ही बच्ची है

पर पिताजी ठहरे ठेठ देहाती
उन्हे प्यार से क्या मतलब
फिर उनके हाथ थोड़ा उपर आकर मेरे पेट पर कुछ टटोलने लगे
मैं भी हैरान की यहाँ क्या होता है भला

फिर उन्होने अपनी उंगली से मेरी नाभि को कुरेदना शुरू कर दिया
अब तो मुझे गुदगुदी सी होने लगी



क्योंकि इस नाभि को कुरेदकर मस्ती करने का काम तो मैं दीदी के साथ अक्सर किया करती थी
इसमे भला क्या मिलता है
ये मेरी समझ से परे था

पर कुछ देर तक जब उन्होने नाभि को सहलाया तो मेरे शरीर में हर जगह वहां से निकल रही तरंगो का प्रवाह होने लगा
नाभि से लेकर मेरी योनि तक
और उपर की तरफ मेरे दोनो वक्षो पर भी

और वो तरंगे वहीं नही रुकी
मेरी गर्दन से होती हुई वो मेरे पूरे शरीर और मस्तिष्क को भी झनझना रही थी

और फिर पिताजी का हाथ थोड़ा और उपर आया
अब मेरा दिल जोरों से धक् -2 करने लगा
क्योंकि अगला स्टेशन मेरे स्तन थे
और वही हुआ

उनके हाथ का मुसाफिर सीधा आकर मेरे उस स्टेशन पर उतरा और उसे अपने पंजो में जकड़ लिया
मेरी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी
उनके बाएँ हाथ में मेरा दाँया स्तन था
पूरा का पूरा
मेरे कड़क हो चुके निप्पल उनकी हथेली पर चुभ रहे थे
पर मज़ाल थी की वो अपना हाथ हटा लेते
उपर से वो उसे दबाने लगे
जैसे वो कोई बॉल हो



हाआआआआआयययययययययययययी
क्या उत्तेजक एहसास था ये
इस वक़्त पिताजी अगर फिर से मेरी योनि को छू लेते तो उन्हे ऐसा लगता जैसे किसी चाशनी में हाथ दे मारा हो
इतना पानी निकल रहा था वहां से

पर उन्हे तो खेलने के लिए जैसे कोई खिलोना मिल गया था
वो उस बॉल को दबाकर, निचोड़कर और हर तरह से महसूस करके देख रहे थे
शायद उन्होने मेरी गहरी नींद वाली बात को कुछ ज़्यादा ही गंभीरता से ले लिया था

इतना स्तन मर्दन तो कोई मुझे नींद में भी करता तो मेरी गहरी से गहरी नींद भी खुल जाती
यहाँ तो मैं पूरी जाग रही थी

फिर पिताजी ने अपना हाथ वहां से हटा लिया और उस हाथ से अपने लिंग को घिसने लगे
फिर जो हाथ इतनी देर से घिसाई कर रहा था उस हाथ से वो दीदी को टटोलने लगे
मैने अधखुली आँखो से देखा, उसे तो वो मेरे से भी ज़्यादा रगड़ रहे थे
पर मज़ाल थी की दीदी जाग जाती
वो उसी प्रकार खर्राटे मारती हुई सोती रही

फिर वो पल भी आ गया जब उनकी साँसे गहरी होने लगी
मैं समझ गयी की मौसम बिगड़ रहा है
किसी भी समय बारिश हो सकती है
मेरा अंदाज़ा सही निकला
पिताजी के लिंग से सफेद बूंदे बारिश बनकर हम दोनो बहनो के शरीर को भिगोने लगी



पिताजी की आँखे बंद थी
वो तो बस अपना पाइप कभी इधर और कभी उधर करके हम दोनो को बराबर मात्रा में भिगो रहे थे

पर मैं आँखे खोलकर और साथ ही अपना मुँह खोलकर उन बूँदो को अपने मुँह में भरकर उनका सेवन करने मे लगी थी

कुछ ही पलों में वो अध्यात्मिक खेल ख़त्म हो गया
और पिताजी ने अपना तान तपूरा समेटा और वहां से निकल गये

और मैने कल रात की तरह अपने और दीदी के शरीर पर लगी उस स्वादिष्ट मलाई को इकट्ठा करके चाट लिया
आज पिताजी के 3 दिन की साधना संपन्न हो चुकी थी
अब देखना ये था की इसका क्या फायदा मिलता है उन्हे

क्या सच में इसके बाद वो हम दोनो को अपने वश में कर पाएँगे
ये तो आने वाला कल ही बताएगा
 

Veer

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Fantastic and wonderful update
 
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Anjana Mehra

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Ekdum super hot kahaani
 
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