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सारे कैदी खाना खा रहे हैं l अचानक टीवी पर न्यूज स्क्रोलींग चलने लगा -
ब्रेकिंग न्यूज - आज शाम धउली गिरी के पास एडवोकेट श्री xxxxx और एक गैंगस्टर xxxxx के बीच दस करोड़ रुपये की लेन देन होते हुए दर दबोचे गए l अब मिली हुई रकम को ईडी ने अपने कब्जे में लेकर पूछताछ कर रही है l
यह खबर सुनकर यश के हाथों से थाली छुट जाता है l थाली के गिरने से सबका ध्यान यश के तरफ हो जाता है l यश खुद को संभालता है और अपनी थाली उठा कर वॉश रूम चला जाता है l वहाँ अपना हाथ मुहँ को बार बार धोने लगता है l फिर वह डायनिंग हॉल में नजर घुमाता है तो देखता है लेनिन उसे गुस्से से घूर रहा है l वह फिर विश्व को ढूंढने लगता है I विश्व उसे एक कोने में अपना खाना खाते दिखता है l यश उसके सामने बैठ जाता है l
यश - अब तो... किस्मत भी दगा कर रहा है... विश्वा मैं क्या करूं अब...
विश्व - (खाना खाते हुए) तुम्हारे पास टाइम अभी कुछ और है... फिरसे कोशिश कर सकते हो...
यश - तुम समझ नहीं रहे हो... (तभी वहाँ पर लेनिन आकर बैठ जाता है) यह केस अब ईडी के हाथ चला गया है... (वह लेनिन को देखने लगता है)
लेनिन - (विश्व से) देखा विश्वा भाई.... कैसा लोचा हो गया...
विश्व - पहली बात... इस टेबल पर कोई सीन नहीं होनी चाहिए.... दुसरी बात... यश बाबु... जो रकम जप्त की गई है... वह आपकी दौलत की दरिया का छोटी सी बूंद भी नहीं है.... और लेनिन... तेरा आदमी पकड़ा गया है... तो वजह कुछ और भी हो सकता है... इसके लिए कोई हल्ला नहीं... क्यूंकि वहाँ कोई... बेकसूर गिरफ्तार नहीं हुआ है...
यश - विश्वा तुम समझ नहीं रहे हो... अब ईडी पैसों की सोर्स का पता लगाएगी... तब मैं और भी मुश्किल में आ जाऊँगा... मुझे अब हर हाल में बाहर जाना होगा... नहीं तो कुछ भी ठीक नहीं होगा... मैं बाहर जाते ही सब संभाल सकता हूँ...
विश्व - तुमसे संभला नहीं... तभी तो अंदर आए हो... वैसे भी तुम अरब या खरब पति हो... बहुत बड़े बिजनेसमैन हो... फिर किस सोर्स की बात कर रहे हो...
यश - ( जेब से एक च्वींगम निकाल कर चबाने लगता है) विश्व... (एक हल्का सा सांस लेता है) पैसा हमेशा एक ही सोर्स से नहीं आता... जरा सोचो... किसीके कहने पर दस करोड़ रुपये सामने लाया गया... कैसे... कहाँ से... यहीं पर सब पेच है... जितना व्हाइट मनी... उसके बैकअप के लिए उससे कहीं ज्यादा ब्लैक मनी....
लेनिन - मतलब... तुम्हारे पास पैसों का झाड़ होगा... हिलाओ तो झड़ने लगेगा...
यश - (चुप रहता है)
विश्व - पैसा... दुनिया में जिनके पास पैसे नहीं होते... वह लोग.. हाय पैसा.. हाय पैसा करते-करते मरते हैं... और जिनके पास पैसा ही पैसा होता है... वह लोग उफ पैसा.. ओह पैसा... कर मर रहे हैं... पैसों की भुख... कितना कमा लो... फिर भी... पैसों की भुख मरने के वजाए बढ़ती ही जा रही है...
यश - (होठों पर हल्की सी हँसी झलकती है) पैसा है ही ऐसा... कम हो... मन नहीं भरता और ज्यादा हो तो दिल नहीं भरता... पैसा खुदा ना सही पर खुदा से कम भी तो नहीं है....
विश्व - और पैसा जहां जरूरत से ज्यादा होता है... वहाँ पैसा अपना इज़्ज़त खो देता है... वरना पैसा खुदा के बराबर हो सकता है... खैर अब जो भी है... वह तुम लोगों को... करनी है... (यश से) तुमको बाहर बस (लेनिन को दिखा कर) यही आदमी निकाल सकता है... (लेनिन से) तुम्हारे पैसों की जरूरत (यश को दिखा कर) यही पूरा कर सकता है... इसलिए तुम दोनों अब एक हो कर सोचो.... कहाँ गलती हो गई... कहाँ तुम चूक गए... तभी तुम क़ामयाब हो सकते हो...
विश्व यह कह कर वहाँ से अपना थाली उठा कर वॉशरुम चला जाता है l यश और लेनिन वहीँ पर बैठे रह जाते हैं l
अगले दिन
सेंट्रल जैल की स्किल डिवेलपमेंट सेंटर में
विश्व एक गाड़ी की इंजिन में लगा हुआ है l तभी उसके पीछे यश आकर खड़ा होता है l विश्व बिना पीछे मुड़े ही
विश्व - क्या है यश बाबु... कैसे आना हुआ...
यश - आज मैंने अपने दुसरे कॉन्टेक्ट के जरिए... रिमांड और सात दिन बढ़ाने के लिए कह दिया है...
विश्व - हम्म... क्यूँ बढ़ाया अपना रिमांड...
यश - इसलिए के तुम झूठे ना हो जाओ....
विश्व - कैसा झूठ...
यश - यही... के तुमने कहा था... की यह स्टे... मेरा आखिरी स्टे होगा...
विश्व - हाँ पहले तो थैंक्स... मुझे तुमने झूठा होने से बचा लिया... और सॉरी... पुलिस ने तुम्हारी किस्मत पर भाजी मारी...
यश - इटस् ओके... मेरी फ्रस्ट्रेशन लेवल बढ़ती जा रही है... दिमाग में आइडियास् आ नहीं रहे हैं... (कह कर एक च्वींगम का पैकेट फाड़ कर उनमें से चार पाँच च्वींगम एक साथ चबाने लगता है) क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा है...
विश्व - क्या तुम जब भी नर्वस होते हो... ऐसे ही च्वींगम चबाते हो...
यश - हाँ... यह मुझे शांत रखते हैं...
विश्व - यह च्वींगम पहली बार देख रहा हूँ...
यश - यह मार्केट के लिए नहीं है... यह मेरे लिए है... इसे मैंने बनाया है...
विश्व - जब खतम हो जाएगी...
यश - मेरे पास पहुँचा दिया जाएगा...
विश्व - अच्छा... तुम अपने पिताजी के जरिए... बाहर मांडवाली क्यूँ नहीं करते...
यश - अभी इलेक्शन नजदीक है... मेरी गिरफ्तारी पर जोश जोश में कह दिया था... इसमें किसी प्रकार की... इंटरफेरेंश नहीं करेंगे... अब वह अगर इस मामले में घुसे... और मीडिया में तूल पकड़ा... तो हो सकता है... उनको टिकट भी ना मिले... इसलिए... वह चाहते हैं... की इलेक्शन खतम होने तक मैं रिमांड में रहूँ.... पर... मैं जैल में नहीं रह सकता... बिल्कुल भी नहीं...
विश्व - ह्म्म्म्म... क्या नसीब है... जब जरूरत पड़ी... ना बाप काम आ रहा है... ना पैसा... जब कि दोनों ही पास मौजूद हैं... पर साथ नहीं...
यश - (और एक च्वींगम चबाता है) वह एक कहावत है.... जब तकदीर हो गांडु... तब क्या करेगा पाण्डु...
विश्व - तो अब तुमने क्या डिसाइड किया...
यश - अब मैं पैसे के लिए... किसके पास संदेशा भेजना चाहता हूँ...
विश्व - तो भेजो...
यश - पर कैसे... किसके जरिए....
विश्व - देखो इस मामले में... लेनिन ही तुम्हारा मदत कर सकता है... मैंने तुम दोनों को मिला दिया है... तुम भी जानते हो... बाहर का नेटवर्क लेनिन अपनी जेब में रखता है...
यश - ठीक है... अगर मैं मदत के लिए तुम्हारे आया... तो...
विश्व - मैं अपनी जुबान दी है... तुम यहाँ से अबकी बार जो जाओगे... फिर कभी लौट कर ना आओगे...
यश - थैंक्स... दोस्त थैंक्स...
विश्व अपनी पलकें झपका कर यश का थैंक्स स्वीकार करता है l यश वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद एक संत्री विश्व के पास पहुंचता है
संत्री - विश्वा...
विश्व - जी कहिए... कैसे आना हुआ...
संत्री - वह कपड़े साफ करते हुए... बालू का पैर फ़िसल गया है... उसने खबर भिजवाया है... क्या तुम...
विश्व - (बीच में टोक कर) हाँ हाँ क्यूँ नहीं...
फिर विश्व संत्री के साथ चल कर कपड़े साफ करने वाली पानी की टंकी के नीचे पहुँचता है l वहाँ बालू को एक संत्री और उसके दो चेले उठा कर ले जा रहे हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर बचे हुए कपड़े धोने के लिए पत्थर के पास पहुँचता है l वहाँ पर जिलु पहले से ही कपड़े निचोड़ रहा है l
विश्व - संत्री जी आप जाइए... मैं जिलु के साथ कपड़े धो दूँगा...
संत्री - पक्का...
विश्व - आप जानते हैं... संत्री जी...
संत्री - आरे मैं तो मजाक कर रहा था... मैं आधे घंटे बाद आता हूँ...
विश्व - जी... (संत्री के जाते ही, जिलु से) यह तुमने किया...
जिलु - हाँ विश्व भाई.. मैंने ही बालू को गिरा दिया... बेचारा जान नहीं पाया....
विश्व - ह्म्म्म्म....(कपड़ा उठा कर पत्थर पर पटकता है) तो फिर बोलो क्या खबर है...
जिलु - जैसा आपने कहा था... सीलु ने उनके दिमाग में.. वैसा ही बो दिया है...
विश्व - अच्छा... पर बड़ा मासूम बन कर मेरे पास आया था... वह यश...
जिलु - हाँ गया होगा... आपको शीशे में उतारने के लिए...
विश्व - तो अब वह लोग क्या करने वाले हैं...
जिलु - वह तो मालुम नहीं... पर जब सीलु ने यह कहा कि... उनका पैसा पकड़े जाने के पीछे विश्व हो सकता है... तब से आपसे बदला लेने के लिए... दोनों कोई ना कोई खिचड़ी पकाने वाले हैं...
विश्व - गुड... बहुत अच्छे...
जिलु - अब आगे क्या करना है....
विश्व - करना उन्हें है... मुझे साथ देना है...
जिलु - ठीक है भाई... बेस्ट ऑफ लक...
उसी दिन शाम को
डायनिंग हॉल डिनर के वक़्त और एक बुरी खबर आती है l सभी थाली लेकर हॉल में बैठ कर खाना खा रहे होते हैं तभी नभ वाणी न्यूज चैनल में रिपोर्टर प्रवीण रथ कहता है - मेरे राज्य वासियों... हमारी युवा पीढ़ी... जिसे यूथ आईकॉन समझ कर पुज रहा है... असल में वह अपने पिता की राजनीतिक पदवी का दुरूपयोग कर यहाँ तक पहुँचे हैं... चूँकि स्वस्थ्य व्यवस्था उनके आधीन आता है... इसीलिए बाप और बेटा मिलकर स्वस्थ्य का व्यापार और स्वस्थ से खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया... हाँ दोस्तों मैं किसी और की नहीं... राज्य के स्वस्थ्य मंत्री श्री ओंकार चेट्टी और उनके सुपुत्र यश वर्धन चेट्टी जी के विषय में कह रहा हूँ... अभी हमारे हाथ में वाइआइसी फार्मास्युटिकल के दवाओं की सरकारी जाँच रिपोर्ट है... जिसमें साफ लिखा है कि उनके द्वारा वितरित किए गए दवाओं में.... प्रतिबंधित दवाओं का मात्र मिला है... जी हाँ दर्शकों आपने ठीक सुना है...विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा प्रतिबंधित दवाओं का मिश्रण पाया गया है... इस खबर और रिपोर्ट की पुष्टि होते ही... फूड सैफटी एंड ड्रग्स अथॉरिटी वालों से तुरंत कारवाई करते हुए.... वाइआइसी फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को सीज कर दिया है...
यह ख़बर सुनने के बाद सारे कैदी यश के तरफ देखने लगते हैं l यश वहाँ से उठ कर अपने सेल की ओर चला जाता है l सारे कैदी अब यश के खिलाफ खुसुर-पुसुर करने लगते हैं l विश्व सब सुनता है और मन ही मन अपने आप से यह कहते हुए हँसने लगता है
"वाह रे ऊपर वाले... तेरे खेल गजब और निराले... यह कैद खाना एक हमाम है... सब कैदी यहाँ नंगे हैं... फिरभी जो पहले उठा... उँगलियाँ उस पर उठाई गई.... वह देखो... वह हमसे ज्यादा नंगा है भाई...
अगले दिन
सेंट्रल जैल के लाइब्रेरी में विश्व अपनी किताबों में खोया हुआ है l उसे एहसास हो जाता है के दरवाजे पर यश खड़ा है l
विश्व - आइए यश बाबु... आइए...
यश - (अंदर आते हुए) क्यूँ विश्वा... पहले दिन तु जा... फिर तुम आओ... आज आइए... हाँ भाई... तुम भी ताने मार लो...
विश्व - कपड़े उतारे जाने पर नंगा पन का एहसास होता है.... पर असली नंगा पन यही होता है... कपड़ों से भी ढका नहीं जा सकता है... मैं इस दौर से गुजर चुका हूँ...
यश - ह्म्म्म्म... तब तो तुम मेरे दर्द को समझ सकते हो...
विश्व - (अपनी किताबें रख देता है और यश को बैठने के लिए इशारा करता है) कहिए... मैं अब आपके लिया क्या कर सकता हूँ... जब कि मैं अच्छी तरह से जानता हूँ... की आप भी अच्छी तरह से जानते हैं... मैं आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकता....
यश - नहीं विश्वा नहीं... (गिड़गिड़ाते हुए) तुम मेरी आखिरी उम्मीद हो... जानते हो... उस दिन जब मेरा वकील और लेनिन का आदमी पकड़े गए... तो वह लड़का... क्या नाम है उसका... हाँ सीलु.. सीलु ने लेनिन के कान भरे थे... के.. हो ना हो... उन पैसों के पकड़े जाने के पीछे तुम्हारा ही हाथ है...
विश्व - व्हाट... और लेनिन ने मान लिया... और तुम...
यश - ना... मुझे पहले भी तुम पर भरोसा था.. और अब भी है...
विश्व - पर अब मैं आपके किस काम आ सकता हूँ..
यश - सिर्फ तुम ही आ सकते हो...
विश्व - क्या... क्या काम आ सकता हूँ...
यश - देखो विश्वा... अब मेरे अकाउंट सब फ्रिज कर दिया गया है... मेरे वकील अब ईडी के रेडार पर है... इसलिए मैं अब लेनिन के लिए पैसा भी अरेंज नहीं कर सकता...
विश्व - किस्मत कैसे पलट गया देखो.... ऊफ पैसा से... हाय पैसा तक के सफर पर पहुँचा दिया... पर यश बाबु... पैसे तो मेरे पास नहीं है...
यश - बात पैसे की नहीं है....
विश्व - तो...
यश - देखो विश्व... मुझे सिर्फ़ लेनिन ही मदत कर सकता है... यह तो मानते हो ना तुम...
विश्व - हाँ...
यश - तो उसने मुझसे एक... काम करने के लिए कहा है....
विश्व - तो करो...
यश - एक्चुएली... वह तुमसे एक बार...
विश्व - (चेयर पर सीधा हो कर बैठता है) हाँ मुझसे... एक बार... क्या..
यश - देखो.... मैं यह... घुमा फिरा कर बात नहीं कर सकता... वह तुम्हें एक बार हराना चाहता है...
विश्व - ओ... तो वह... मुझे...... हराना चाहता है... हम्म... क्या फाइट में...
यश - नहीं...
विश्व - तो फिर... किसमें...
यश - वह... हँसना मत...
विश्व - नहीं.. बिल्कुल नहीं...
यश - कबड्डी में...
विश्व - क्या... क्या मैंने सही सुना...
यश - हाँ... कबड्डी में...
विश्व - अच्छा... तो अकेले अकेले में कबड्डी मैच खेलेगा मुझसे....
यश - नहीं... लेनिन की टीम... वर्सेस... विश्वा की टीम...
विश्व - और तुम क्या... रेफरी बनोगे...
यश - नहीं... मैं भी टीम में हूँ... पर लेनिन के...
विश्व - ओ... तो तुम लोगों ने... टीम भी बना लिया है...
यश - हाँ... मेरे उसके टीम में होने से... उसको जितने का ग्यारंटी मिल जाएगा...
विश्व - अच्छा ऐसा क्यूँ...
यश - चूंकि मैं तुम्हारे अगेंस्ट खेलुंगा... तो तुम मुझे हारने नहीं दोगे...
विश्व - ह्म्म्म्म ऐसा तुमने सोच लिया... या...
यश - नहीं... यह मैंने सोचा है...
विश्व - ठीक है... पर पहले बताओ... कभी पहले भी कबड्डी खेला है...
यश - नहीं... पर कालेज बहुत बार... रग्बी खेला है... और मेरे हिसाब से... कबड्डी रग्बी का देशी वर्जन है...
विश्व - वाह... क्या बात है.... चलो यह बात आज मुझे पता चला... की कबड्डी... रग्बी का देशी वर्जन है... खैर उनकी बात छोड़ो... क्या तुम खेल पाओगे... इसमे सांस पर बहुत कंट्रोल करना पड़ता है... ताकत के साथ साथ स्टेमिना और स्फूर्ति की जरूरत पड़ती है... तुम्हारा फील्ड में क्या काम... कम से कम तुम खुद को... इस खेल से दूर रखना चाहिए...
यश - (अपनी दाँतों को चबा कर) तुम मुझे बहुत कम आंक रहे हो...
विश्व - जाहिर सी बात है... चौबीसों घंटे ऐसी में रहने वाले... कभी भी पसीना ना बहाने वाले... वह क्या कहते हैं.... अरे हाँ... ना बेटा...(खिल्ली उड़ाते हुए) तुमसे ना हो पाएगा...
यश - (अपने चेयर से उठ खड़ा होता है) तुमने मुझे बहुत कम आंका है... इसका ज़वाब तुम्हें मैदान में दूँगा... (फ़िर खुद को संभाल कर) देखो दोस्त तैस में आकर कह दिया... दिल पर मत ले लेना... हार जरूर जाना... प्लीज....
विश्व - ठीक है... जाओ तैयारी करो...
यश - थैंक्स...
कह कर वापस मुड़ जाता है, और लाइब्रेरी से बाहर निकल कर जाने लगता है l उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है पर वह नहीं देख पाया विश्व के चेहरे पर भी वैसी ही मुस्कान आकर गायब हो जाती है l यश लाइब्रेरी से निकल कर गेम हॉल में पहुँचता है l गेम हॉल में लेनिन और उसके पट्ठे कैरम खेल रहे हैं l उसके पास ही सीलु और जिलु खड़े होकर खेल देख रहे हैं l यश को देख कर दोनों उसे चीयर करते हैं l यश एक स्टूल खिंच कर वहाँ बैठ जाता है l लेनिन उसे देखता है तो यश अपना सर हिला कर हाँ में इशारा करता है l लेनिन मुस्कराते हुए एक शॉट मारता है लाल गोटी गिर जाता है l सब ताली बजाते हैं l
लेनिन - देखा... आखिर लाल गोटी गिर गया ना...
सीलु - कैसे नहीं गिरेगा लेनिन भाई... आखिर बॉस ने उसे शीशे में उतार जो लिया है..
यश - पर... लेनिन... यह कैसा शर्त... उसके साथ कबड्डी खेलना है... क्यूँ...
लेनिन - यश बाबु... तुम जानते नहीं हो... विश्वा ग़ज़ब का फाइटर है... हमेशा अकेला रहता है... किसी से उसकी दोस्ती नहीं है... दुश्मनी से घबराता नहीं है... इस जैल में हम जैसा... जो भी आता है... वह बाप बनने की कोशिश करता है... पर विश्वा सबका बाप बना हुआ है...और है भी... मैंने उसे चैलेंज किया था... सिर्फ़ एक मिनट... पूरा महीना लगा था.. ठीक होने में... सिर्फ़ एक मिनट में... मैं नीचे गिरा पड़ा था... तब से उसे टपकाने कई प्लान किया... पर बहुत ही ढीठ जान है उसकी....
यश - तुम मुझे बाहर भेज कर भी पैसे ले सकते थे...
लेनिन - हाँ... पर वह कहावत है ना... यह मुहँ और मसूर की दाल... (लेनिन यश की और देखता है, यश के जबड़े सख्त हो गए हैं) तुम्हारे पास सिर्फ फटा हुआ ढोल ही होगा... क्यूंकि.. (एक शॉट मारते हुए) तुम्हारे सारे अकाउंट तो फ्रिज हैं... तुम पैसे लाओगे कहाँ से...
यश - मेरे पास दुसरे भी सोर्स हैं...
लेनिन - हाँ तुम्हारा वह वकील... अभी भी... अंदर ही है ना... (यश कुछ नहीं कहता, बस कसमसा कर रह जाता है, यशकी हालत देख कर) अच्छा छोड़ो यह बात... क्या क्या बातें हुई... यह तो बताओ...
यश बताता है कैसे उसने विश्व को तैयार किया l सब सुनने के बाद लेनिन कुछ सोचने लगता है l उसे सोचता देख कर यश पूछता है
यश - किस सोच में पड़ गए...
लेनिन - बात तो उसने सही कहा है... तुम क्या उसी ताकत और स्टेमिना लेकर खेल सकते हो...
लेनिन - तुम ही जबरदस्ती मुझे खेलने के लिए कह रहे हो...
लेनिन - ऑए... कबड्डी का आइडिया मेरा नहीं था... यह तेरा चमचा सीलु... इसी ने आइडिया दिया था... पर मेरे को भा गया... मेरा बदला पुरा हो सकता है... तुझे अपना इंश्योरेंस बना कर अपनी टीम में रखा है... तु रहेगा तो... मेरे इरादों पर विश्व को शक़ नहीँ होगा....
यश - गुस्सा क्यूँ हो रहे हो... हम एक दूसरे के काम तो आ रहे हैं ना... पर अगर मैं पूरी ताकत से ना खेला तो प्रॉब्लम क्या है...
लेनिन - पहली बात... विश्व को थोड़ा थकाना है... तब अपना प्लान को काम में लाना है... तुमको थोड़ा दम लगा कर खेलना होगा... क्यूंकि देखने वालों की हूटिंग और ताने सुनने पड़ेंगे... बर्दास्त कर सको तो कोई बात नहीं...
जिलु - हाँ बॉस... दो चार च्वींगम मुहँ में ठूँस लेना... फिर दम लगा देना बॉस...
सीलु - हाँ भाई... मेरा मतलब है बॉस... आप आप नर्वस फिल मत करना...
यश - हूँ... (कुछ सोचते हुए अपना सर हिलाता है) ठीक है... तो मैं ऐसे खेलुंगा के विश्व भी हैरान रह जाएगा... (खड़ा हो जाता है) घबराओ मत.... अब टाइम आ गया है... असली यश को बाहर लाने की... (लेनिन को देख कर) मैच कब रखेंगे....
लेनिन - तीन दिन बाद....
दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन में घुस पर सैल्यूट देता है और पूछता है
दास - आपने मुझे बुलाया सर...
अशोक बेहरा टेंपररी इनचार्ज अपना सर उठा कर देखता है और कहता है
बेहरा - हाँ दास... देखो मैं यहाँ टेंपररी इनचार्ज हूँ... इस जैल के बारे में और यहाँ के कैदियों के बारे में तुम मुझसे ज्यादा जानते हो... अभी अभी यश वर्धन चेट्टी आया था... तीन दिन बाद इस जैल में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन के लिए कह रहा था...
दास - सर अचानक... कबड्डी... कुछ समझ में नहीं आ रहा...
बेहरा - मैंने भी यश से यही सवाल किया... पर जवाब में उसने कहा कि... यह उसका लास्ट स्टे है... इसे यादगार बना कर जाना चाहता है...
दास - क्या सर आप भी... वह रिमांड पर है... अगर कंवीक्शन प्रुव हुआ तो परमानेंटली यहीं रहेगा...
बेहरा - आरे यार उसे हमें क्या लेना देना... अगर नहीं राजी हुए... तो कल उसका बाप यहाँ पर ड्रामा करेगा...
दास - धमकी दी है क्या उसने...
बेहरा - दी तो नहीं पर... कल उसका बाप आ रहा है... यश से मिलने... कहीं बखेड़ा ना खड़ा कर दे...
दास - ओ.. तो यह बात है... सर अगर यश प्रपोजल दिया है... तो क्या टीम भी बना लिया है...
बेहरा - हाँ... दो टीम... यह देखो...
कह कर एक काग़ज़ दास की ओर बढ़ा देता है l दास देखता है पहली टीम में लेनिन, यश और लेनिन के पाँच हट्टे कट्टे आदमी l दुसरी टीम में सिर्फ़ विश्व और उसके साथ औने-पौने छह आदमी l टीम देख कर दास को हैरानी होती है l
दास - (काग़ज़ लौटाते हुए) ठीक है सर... हमें क्या करना है...
बेहरा - तैयारी.. हमें.. कैदियों के मनोरंजन के लिए... तैयारी करनी है... तुम कुछ स्टाफस् को रेडी करो रेफरी और लाइन मैन बानो...
दास - ओके.. ओके सर...
सैल्यूट मार कर दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन से निकल कर अपनी घड़ी देखता है फिर जगन को भेज कर विश्व को अपने कैबिन में बुलाने को कहता है I दास अपने कैबिन में विश्व का इंतजार कर रहा है l थोड़ी देर बाद विश्व उसके कैबिन में पहुँच जाता है l
दास - यह क्या है विश्व... तुम एक टीम लेकर लेनिन और यश के खिलाफ कबड्डी में उतरोगे...
विश्व - यश अपनी विदाई को यादगार बनाना चाहता है... इसलिए मुझसे कबड्डी मैच के लिए कहा... मैंने भी हाँ कर दिया...
दास - पता नहीं क्यूँ मुझे... उसके और लेनिन के इंटेंशन मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं... ऐसा लगता है... उनके मन में कुछ और ही चल रहा है...
विश्व - अच्छा... तो आपको ऐसा लग रहा है.... मतलब हर कोई अपने मन में अपनी अपनी इंटेंशन पाले हुए हैं... पर दास सर... यह खेल है... यहाँ टाइमिंग और टेक्निक मायने रखते हैं... जो खेल गया... वह जीत गया...
दास - ह्म्म्म्म... कह तो तुम ठीक रहे हो.... पर... खैर... मैं वहाँ रेफरी बन कर साथ रहूँगा... (हाथ बढ़ाता है) ऑल द बेस्ट...
विश्व - थैंक्यू सर... (हाथ मिला कर)
उसी दिन शाम को डिनर के समय डायनिंग हॉल में
यश सीलु और जिलु के साथ अंदर आता है l विश्व वहाँ अपनी रेगुलर कोने में बैठा खाना खा रहा है l वहीँ दुसरे कोने में लेनिन अपने पट्ठों के बीच बैठा खाना खा रहा है l जैसे ही लेनिन यश को देखता है अपना सर हिला कर इशारे से कुछ कहता है l यश भी अनुरूप अपना सर हिला कर इशारे से जवाब देता है l ठीक उसी समय विश्व सीलु को अपना बायाँ भवां उठा कर हल्का इशारा करता है, ज़वाब में सीलु अपने दाएँ हाथ की अंगूठे से नाक खुजा कर इशारा करता है l यश डायनिंग हॉल के बीच में एक टेबल पर खड़ा हो जाता है और कहना शुरू करता है
यश - सुनो.. सुनो... यहाँ पर जो भी हैं गौर से सुनो... आज से तीन दिन बाद हमारे जैल के ग्राउंड में... एक कबड्डी मैच का आयोजन किया गया है.... एक टीम है... लेनिन पोद्दार की... और दुसरी टीम है... विश्व प्रताप महापात्र की... हमारे पास तैयारी के लिए दो दिन है... सो कलसे हम जमकर तैयारी करेंगे और प्रैक्टिस करेंगे...
यह घोषणा सुन कर सब एक दुसरे के मुहँ ताकने लगते हैं l यह देख कर सीलु सबसे पहले ताली मारता है l उसके देखा देखी सभी ताली बजाने लगते हैं l
यश - सो दोस्तों इस मैच को... मेरा फ़ेरवेल समझ कर... सब देखने जरूर आयें... पहली बार विश्वा हारेगा... (सब की ताली रुक जाती है) हाँ.. हा हा हा... हाँ हाँ हाँ... आपका विश्वा भाई... इसबार हारने वाला है... सो फॉर नाउ एंजॉय द नाइट...
कह कर विश्व को आँख मारते हुए यश अपना थाली लेने काउन्टर पर जाता है l सब कैदी विश्व के तरफ चोर नजर से देखने लगते हैं l विश्व किसी की ओर ध्यान दिए वगैर अपना खाना जारी रखता है l
तीन दिन बाद गेम हॉल से सटे ग्राउंड में सारे कैदी आयताकार में जमे हुए हैं l पहली बार ऐसा खेल हो रहा था इसलिए एक ट्रायपड पर दास अपनी मोबाइल को मैच की रिकॉर्डिंग के लिए सेट कर दिया है l दास खुद रेफरी बना हुआ है और चार संत्री लाइन मेन बने हुए हैं l दोनों तरफ बारह बारह प्लेयरस् चुने गए हैं l जज के रूप में खुद अशोक बेहरा बैठा हुआ है l
मैदान में दोनों ग्रुप के सात सात खिलाड़ी उतरते हैं l दास खेल शुरु करा देता है l खेल ज्यूं ज्यूं आगे बढ़ने लगती है खिलाडियों के साथ साथ दर्शकों का भी खुन गरमाने लगती है l दर्शक भी अब दो हिस्सों में बंट चुके हैं l जब कोई स्कोर करता है पक्ष के दर्शक चीयर करने लगते हैं और विपक्ष के दर्शक चिढ़ाने लगते हैं l ऐसा माहौल ना लेनिन के लिए नया था ना ही विश्व के लिए l पर धीरे धीरे यश की खीज बढ़ रही थी l ऐसे में हाफ टाइम होता है l स्कोर था विश्व ग्रुप 48 और लेनिन ग्रुप 36 l हाफ टाइम में विश्व के पास यश आता है l विश्व देखता है यश बहुत थका थका लग रहा है l
यश - यह क्या विश्व.. तुम्हारा स्कोर हमसे ज्यादा है...
विश्व - यह सेकंड हाफ में मेक अप हो जाएगा... पर मैंने तुमसे पहले ही कहा था... तुमको बाहर देखने वालों में होना चाहिए था... एक काम करो... तुम सबस्टीच्युट लेलो और बाहर बैठ जाओ...
यश - अभी हाफ टाइम हुआ है... और आधा खेल बाकी है... मैंने बड़बोलेपन से सही तुम्हें हराने की बात कह दी थी... अब इज़्ज़त का सवाल है... प्लीज विश्वा हार जाओ...
विश्व - ठीक है... सेकंड हाफ में... मैं शांत हो जाता हूँ... तुम्हें स्कोर मेक अप करने में तकलीफ़ नहीं होगी... ठीक आखिरी मोमेंट में... तुम्हारे पास मौका होगा... स्कोर उपर ले जाने के लिए...
यश - ठीक है...
इतना कह कर यश बाथरूम चला जाता है l उसके आने के बाद फ़िर से खेल शुरु हो जाता है l इस बार स्कोर विश्व के 70 और लेनिन के 72 हो चुका है l अब विश्व के साइड में विश्व के साथ और एक बंदा है पर लेनिन के साइड में सिर्फ यश और दो बंदे हैं l अंतिम दौर शुरू होती है, विश्व अब कबड्डी कबड्डी रटते हुए आगे बढ़ता है l यश विश्व के पैरों पर छलांग लगा कर उसे गिरा देता है, फिर विश्व के उपर आकर विश्व के गले में बांह की फाँस बना कर कसने लगता है l विश्व की साँसे घुटने लगती हैं l
यश - (दांतों को चबा चबा कर विश्व के कानों में) विश्व... यार आज तु मेरे हाथों से मर जा... क्यूंकि लेनिन मेरे लिए आदमी इसी शर्त पर देने वाला है... तुझे मारने के लिए... मैंने स्टेरॉयड और ड्रग्स ली है... आज मेरे फंदे से तु बच नहीं पाएगा... तेरा एहसान होगा मुझ पर... तु अगर मर गया... तो वादा करता हूँ... तेरा बदला... मेरा बदला... मैं उन क्षेत्रपालों को तेरा नाम ले लेकर बरबाद करुंगा... इसलिए आज मेरे हाथों से... तु... कुत्ते की मौत मर जा...
विश्व - (आवाज़ को मुस्किल से हलक से निकालते हुए) मैं जानता हूँ... हराम जादे... पर आज मेरी नहीं... तेरी मौत होगी... और नर्क में... क्षेत्रपालों का इंतजार करना... तेरे पीछे पीछे मैं ही उन्हें भेजूंगा...
कह कर विश्व अपने बाएं हाथ को वहाँ लेता है जहाँ यश ने ग्रीप बनाया था I फिर किसी तरह उसके हाथ की छोटी उंगली पकड़ उल्टा मोड़ देता है l यश चिल्ला कर ग्रीप लूज कर देता है ऐसे में विश्व लकीर की ओर घिसटते हुए आगे बढ़ने लगता है, यश विश्व को पकड़ कर पलट जाता है l अब यश नीचे पीठ के बल और विश्व पीठ के बल उसके ऊपर, पर यश और जोर से अपनी बांह कस लेता है और चिल्लाता है
- लेनिन... आओ पकड़ लो इसे... मेरे पकड़.... छूट रहा है... यह... छूट गया तो.. तू गया...
लेनिन और उसके साथी सब एक साथ दोनों के उपर छलांग लगा देते हैं l ऐन वक़्त पर विश्व घुम जाता है l जब सब लोग उन दोनों पर गिरते हैं तब विश्व नीचे होता है और यश ऊपर होता है l इसे फाउल करार देकर दास व्हीसल बजाता है l सभी लाइन मेन और दुसरे कैदी आकर लेनिन और उसके साथियों को उन दोनों के ऊपर से हटाते हैं l पर दो लोग वैसे ही पड़े रहते हैं l नीचे मुहँ के विश्व और उसके ऊपर यश l दास मुस्किल से यश के हाथों को विश्व के गले से अलग करता है l यश का शरीर बेज़ान हो चुका है और वह एक तरफ लुढ़क जाता है l उसके होंठ और नाक के पास खुन आकर जमा हुआ है l पर विश्व वैसे ही मुहँ के बल पड़ा हुआ है l दास उसे पलटता है, विश्व की सांस देखता है, विश्व के चेहरे पर थप्पड़ पर थप्पड़ मारने लगता है l फिर अचानक से एक गहरी सांस लेते हुए विश्व उठाता है और खांसने लगता है l फिर खांसते खांसते अपने बगल में देखता है यश मरा पड़ा है l
खान अपनी बात को यहीं रोक देता है, चुप हो कर दोनों को देखने लगता है l
प्रतिभा - हाँ तो इसमे हत्या कहाँ है... यह तो हादसा हुआ ना... आपने कहाँ और कैसे ऑब्जर्व कर लिया...
खान - उस मैदान में उस दिन जो हुआ... वहाँ सिर्फ दो लोग ही जानते थे... वह हादसा नहीं मर्डर था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... चूंकि जिस वक़्त सारे खिलाड़ी विश्व को मारने के लिए उस पर कुदे थे... तभी विश्व पलट गया था... उसकी कोहनी ठीक यश के छाती के नीचे खड़ा कर रखा था... जब सभी उस पर गिरे तो यश की पसलियाँ टुट गईं थीं... जिसके कारण उसकी सांस रुक गई... और यश दम तोड़ दिया l
तापस - तुमने अभी भी जो कहा... वह एक्सीडेंट ही है... मर्डर नहीं... उल्टा यश विश्व का गला दबा कर मारने कोशिश किया था...
खान - हाँ... वीडियो रिकॉर्डिंग में तो यही जाहिर हुआ... यश के पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट में... रेस्ट्रीक्टेड ड्रग्स और स्टेरॉयड की ओवर डोज मिला था... जिसके वजह से वह खेल के दौरान वायलेंट हो गया था... यह सब उसके बाप ने उसे मुहैया कराया था... जब वह मिलने आया था... पर यह सब लेने का आइडिया यश को इनडायरेक्टली... विश्व और उसके जासूसों ने दिया था... यश जिस तरह से विश्व का गला दबाया था... उसे फाइट रिंग में चोक कहते हैं... डैनी ने उसे पक्का सिखाया होगा... चोक से कैसे बचा जाए...
तापस - फिर भी तुम अंदाजा लगा रहे हो... साबित कुछ नहीं कर सकते...
खान - मैंने कहा था.. मैं लॉजिक बिठा रहा हूँ...
तापस - हत्या कहने की वजह...
खान - जैसा कि मैंने पहले ही कहा था... उस दिन सिर्फ दो लोगों को ही मालुम था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... उस दिन के बाद लेनिन विश्व से दूर रहने लगा... और रिहा होने के बाद फिर कभी भुवनेश्वर में नहीं दिखा.... यश एक राज नेता का बेटा था... बॉर्न वीथ गोल्डेन स्पून इन माउथ... उसने कभी लाइफ में रॉफ पैचेस नहीं देखे थे... इसलिए जैल में उसकी सोचने समझने की काबलियत को विश्व ने हाइजैक कर लिया था.... यश वही सब करता गया... जो विश्व ने उससे करवाया... विश्व ने उसका पैसा पकड़वाया... उसकी फार्मास्यूटिकल्स कंपनी पर रैड भी करवाया....
तापस - रैड ना तो विश्व ने करवाया ना ही हमने... यह तुक्का तुम्हारा गलत है....
खान - ठीक है... पर उस वक़्त जो भी हुआ... वह विश्व के मुताबिक और यश के खिलाफ होता गया.... लेनिन के बाद इसे कत्ल जानने और समझने वाले... तीसरे शख्स थी भाभीजी...
प्रतिभा - (बिदक कर) यह... यह आप कैसे कह सकते हैं... खान भाई साहब...
तापस - खान तुम बेवजह अंधेरे में तीर चला रहे हो... और वक़्त खामखा बर्बाद कर रहे हो...
खान - दिल्ली में आपको खबर मिलती है... यश की जान चली गई है... सेनापति सारी डिटेल्स दास से लेकर भुवनेश्वर आते हो.... तब भाभीजी विश्व से अकेले में मिलती हैं...
फ्लैशबैक में
लाइब्रेरी में
प्रतिभा विश्व के हाथ अपने सर पर रख कर
प्रतिभा - तु मेरी कसम खा कर बोल... यश कैसे मरा...
विश्व अपने हाथ खिंच लेता है l जिससे प्रतिभा को गुस्सा आता है और वह एक चांटा मार देती है l
प्रतिभा - तुने यह सिला दिया... मैंने तुझे अपने दिल से बेटा माना है.. पर लगता है... तुने मुझे दिल से माँ नहीं माना...
विश्व - (प्रतिभा के दोनों हाथों को पकड़ लेता है) ऐसी बात मत करो माँ... चाहो तो और मार लो... मगर यह गाली मत दो...
प्रतिभा - उसे मारते वक़्त तुझे... जयंत सर याद नहीं आए... अरे उन्होंने तुझे कानून की राह पकड़ने के लिए अपनी पूंजी तेरे हवाले कर दी... ताकि तु बदले की आग में कभी... कानून की राह ना छोड़े... आज उनकी आत्मा को कितनी तकलीफ़ पहुंची होगी सोचा भी है तुमने...
विश्व - क्या करूँ माँ... काश के उस वक्त तुम मेरे पास होती... साथ होती... तो शायद यह हरगिज नहीं होता...पर जब जब उसे देखता था... मैं तड़प उठता था... कैसे जयंत सर भरी अदालत में चल बसे... कैसे प्रत्युष हमारे बीच नहीं है... बस बर्दास्त नहीं हुआ... तब डैनी भाई की एक बात याद आई... दिखाओ कुछ... लोग देखें कुछ... बताओ कुछ... लोग समझें कुछ... करवाओ कुछ... और हो जाए कुछ... जिस कानून और सिस्टम को उसने अपनी करनी से बेबस कर दिया था... उसी बेबस कानून और सिस्टम को उसकी मौत का गवाह बना दिया...
प्रतिभा - (अपनी जबड़े भींच लेती है)
विश्व - माँ.. तुम कुछ भी सजा दे दो माँ... प्लीज मुझसे बात करो... प्लीज (विश्व के आँखों में आँसू आ जाती है)
प्रतिभा - ठीक है... मुझे वचन दे... तु... चाहे किसी से भी बदला लेगा तब भी... खुदको कानून की दायरे में रख कर... उसे कानून की सजा देगा... वचन दे...
विश्व - (प्रतिभा के सर पर हाथ रख कर) मैं वचन देता हूँ... अब जिसे भी सजा देनी होगी... उसे कानून की सजा कानून से दिलवाउंगा...
फ्लैशबैक खतम
प्रतिभा - यह... यह बात आपको कैसे मालुम हुआ... यह तो मेरे और प्रताप के बीच की बातेँ थीं...
खान - एक दिन मैं.... अपने पुलिस हॉस्टल में विश्व की फाइल को ले जा कर.... उसकी प्रोफाइल चेक कर रहा था... उस दिन जगन मेरे साथ था... मेरे मुहँ से निकल गया कि... यह जैल से निकलने के बाद भी... क्रिमिनल बनेगा... तब जगन ने कहा था... की विश्व ने आपसे से वादा किया है... कभी क्राइम नहीं करेगा... मैंने पूछा कब... जगन ने कहा था दो साल पहले... इसलिए मैं सभी लॉजिक बिठा पाया...
इतना कह कर खान चुप हो जाता है l प्रतिभा और तापस भी चुप हो जाते हैं l कुछ देर ख़ामोशी के बाद
तापस - तुम अब क्या करोगे खान...
खान - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं... क्यूंकि भाभी जी ने उसे अपनी कसम दे कर कानून के खिलाफ जाने से रोका है... इसलिए मैंने कुछ कहा नहीं और तुमने कुछ सुना नहीं....
प्रतिभा और तापस के चेहरे पर रौनक आ जाती है l खान अपनी जेब से विश्व का AIBE एक्जाम एंट्रेंस की एडमिट कार्ड और लेटर निकाल कर प्रतिभा की ओर बढ़ाता है l प्रतिभा उसे ले लेती है l
खान - भाभी यह रहा आपके बेटे का AIBE एंट्रेंस लेटर... आप फिक्र ना करें... आपने एक बेटा खोया है... तो एक अच्छा बेटा पाया भी है... प्रत्युष सिर्फ़ शरीर के रोगों का इलाज कर सकता था... पर आपका प्रताप तो समाज के रोगों का इलाज करने वाला है... आप यूँ समझ लीजिए... आपका बेटा अभी उसके मामा के यहाँ मेहमान है... अगले शनिवार सुबह आकर अपने प्रताप को पेरोल में ले जाइए... और इतवार शाम को लौटा दीजियेगा...
प्रतिभा - (खुशी से चहकते हुए) शुक्रिया.. शुक्रिया खान भाई... शुक्रिया...
सारे कैदी खाना खा रहे हैं l अचानक टीवी पर न्यूज स्क्रोलींग चलने लगा -
ब्रेकिंग न्यूज - आज शाम धउली गिरी के पास एडवोकेट श्री xxxxx और एक गैंगस्टर xxxxx के बीच दस करोड़ रुपये की लेन देन होते हुए दर दबोचे गए l अब मिली हुई रकम को ईडी ने अपने कब्जे में लेकर पूछताछ कर रही है l
यह खबर सुनकर यश के हाथों से थाली छुट जाता है l थाली के गिरने से सबका ध्यान यश के तरफ हो जाता है l यश खुद को संभालता है और अपनी थाली उठा कर वॉश रूम चला जाता है l वहाँ अपना हाथ मुहँ को बार बार धोने लगता है l फिर वह डायनिंग हॉल में नजर घुमाता है तो देखता है लेनिन उसे गुस्से से घूर रहा है l वह फिर विश्व को ढूंढने लगता है I विश्व उसे एक कोने में अपना खाना खाते दिखता है l यश उसके सामने बैठ जाता है l
यश - अब तो... किस्मत भी दगा कर रहा है... विश्वा मैं क्या करूं अब...
विश्व - (खाना खाते हुए) तुम्हारे पास टाइम अभी कुछ और है... फिरसे कोशिश कर सकते हो...
यश - तुम समझ नहीं रहे हो... (तभी वहाँ पर लेनिन आकर बैठ जाता है) यह केस अब ईडी के हाथ चला गया है... (वह लेनिन को देखने लगता है)
लेनिन - (विश्व से) देखा विश्वा भाई.... कैसा लोचा हो गया...
विश्व - पहली बात... इस टेबल पर कोई सीन नहीं होनी चाहिए.... दुसरी बात... यश बाबु... जो रकम जप्त की गई है... वह आपकी दौलत की दरिया का छोटी सी बूंद भी नहीं है.... और लेनिन... तेरा आदमी पकड़ा गया है... तो वजह कुछ और भी हो सकता है... इसके लिए कोई हल्ला नहीं... क्यूंकि वहाँ कोई... बेकसूर गिरफ्तार नहीं हुआ है...
यश - विश्वा तुम समझ नहीं रहे हो... अब ईडी पैसों की सोर्स का पता लगाएगी... तब मैं और भी मुश्किल में आ जाऊँगा... मुझे अब हर हाल में बाहर जाना होगा... नहीं तो कुछ भी ठीक नहीं होगा... मैं बाहर जाते ही सब संभाल सकता हूँ...
विश्व - तुमसे संभला नहीं... तभी तो अंदर आए हो... वैसे भी तुम अरब या खरब पति हो... बहुत बड़े बिजनेसमैन हो... फिर किस सोर्स की बात कर रहे हो...
यश - ( जेब से एक च्वींगम निकाल कर चबाने लगता है) विश्व... (एक हल्का सा सांस लेता है) पैसा हमेशा एक ही सोर्स से नहीं आता... जरा सोचो... किसीके कहने पर दस करोड़ रुपये सामने लाया गया... कैसे... कहाँ से... यहीं पर सब पेच है... जितना व्हाइट मनी... उसके बैकअप के लिए उससे कहीं ज्यादा ब्लैक मनी....
लेनिन - मतलब... तुम्हारे पास पैसों का झाड़ होगा... हिलाओ तो झड़ने लगेगा...
यश - (चुप रहता है)
विश्व - पैसा... दुनिया में जिनके पास पैसे नहीं होते... वह लोग.. हाय पैसा.. हाय पैसा करते-करते मरते हैं... और जिनके पास पैसा ही पैसा होता है... वह लोग उफ पैसा.. ओह पैसा... कर मर रहे हैं... पैसों की भुख... कितना कमा लो... फिर भी... पैसों की भुख मरने के वजाए बढ़ती ही जा रही है...
यश - (होठों पर हल्की सी हँसी झलकती है) पैसा है ही ऐसा... कम हो... मन नहीं भरता और ज्यादा हो तो दिल नहीं भरता... पैसा खुदा ना सही पर खुदा से कम भी तो नहीं है....
विश्व - और पैसा जहां जरूरत से ज्यादा होता है... वहाँ पैसा अपना इज़्ज़त खो देता है... वरना पैसा खुदा के बराबर हो सकता है... खैर अब जो भी है... वह तुम लोगों को... करनी है... (यश से) तुमको बाहर बस (लेनिन को दिखा कर) यही आदमी निकाल सकता है... (लेनिन से) तुम्हारे पैसों की जरूरत (यश को दिखा कर) यही पूरा कर सकता है... इसलिए तुम दोनों अब एक हो कर सोचो.... कहाँ गलती हो गई... कहाँ तुम चूक गए... तभी तुम क़ामयाब हो सकते हो...
विश्व यह कह कर वहाँ से अपना थाली उठा कर वॉशरुम चला जाता है l यश और लेनिन वहीँ पर बैठे रह जाते हैं l
अगले दिन
सेंट्रल जैल की स्किल डिवेलपमेंट सेंटर में
विश्व एक गाड़ी की इंजिन में लगा हुआ है l तभी उसके पीछे यश आकर खड़ा होता है l विश्व बिना पीछे मुड़े ही
विश्व - क्या है यश बाबु... कैसे आना हुआ...
यश - आज मैंने अपने दुसरे कॉन्टेक्ट के जरिए... रिमांड और सात दिन बढ़ाने के लिए कह दिया है...
विश्व - हम्म... क्यूँ बढ़ाया अपना रिमांड...
यश - इसलिए के तुम झूठे ना हो जाओ....
विश्व - कैसा झूठ...
यश - यही... के तुमने कहा था... की यह स्टे... मेरा आखिरी स्टे होगा...
विश्व - हाँ पहले तो थैंक्स... मुझे तुमने झूठा होने से बचा लिया... और सॉरी... पुलिस ने तुम्हारी किस्मत पर भाजी मारी...
यश - इटस् ओके... मेरी फ्रस्ट्रेशन लेवल बढ़ती जा रही है... दिमाग में आइडियास् आ नहीं रहे हैं... (कह कर एक च्वींगम का पैकेट फाड़ कर उनमें से चार पाँच च्वींगम एक साथ चबाने लगता है) क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा है...
विश्व - क्या तुम जब भी नर्वस होते हो... ऐसे ही च्वींगम चबाते हो...
यश - हाँ... यह मुझे शांत रखते हैं...
विश्व - यह च्वींगम पहली बार देख रहा हूँ...
यश - यह मार्केट के लिए नहीं है... यह मेरे लिए है... इसे मैंने बनाया है...
विश्व - जब खतम हो जाएगी...
यश - मेरे पास पहुँचा दिया जाएगा...
विश्व - अच्छा... तुम अपने पिताजी के जरिए... बाहर मांडवाली क्यूँ नहीं करते...
यश - अभी इलेक्शन नजदीक है... मेरी गिरफ्तारी पर जोश जोश में कह दिया था... इसमें किसी प्रकार की... इंटरफेरेंश नहीं करेंगे... अब वह अगर इस मामले में घुसे... और मीडिया में तूल पकड़ा... तो हो सकता है... उनको टिकट भी ना मिले... इसलिए... वह चाहते हैं... की इलेक्शन खतम होने तक मैं रिमांड में रहूँ.... पर... मैं जैल में नहीं रह सकता... बिल्कुल भी नहीं...
विश्व - ह्म्म्म्म... क्या नसीब है... जब जरूरत पड़ी... ना बाप काम आ रहा है... ना पैसा... जब कि दोनों ही पास मौजूद हैं... पर साथ नहीं...
यश - (और एक च्वींगम चबाता है) वह एक कहावत है.... जब तकदीर हो गांडु... तब क्या करेगा पाण्डु...
विश्व - तो अब तुमने क्या डिसाइड किया...
यश - अब मैं पैसे के लिए... किसके पास संदेशा भेजना चाहता हूँ...
विश्व - तो भेजो...
यश - पर कैसे... किसके जरिए....
विश्व - देखो इस मामले में... लेनिन ही तुम्हारा मदत कर सकता है... मैंने तुम दोनों को मिला दिया है... तुम भी जानते हो... बाहर का नेटवर्क लेनिन अपनी जेब में रखता है...
यश - ठीक है... अगर मैं मदत के लिए तुम्हारे आया... तो...
विश्व - मैं अपनी जुबान दी है... तुम यहाँ से अबकी बार जो जाओगे... फिर कभी लौट कर ना आओगे...
यश - थैंक्स... दोस्त थैंक्स...
विश्व अपनी पलकें झपका कर यश का थैंक्स स्वीकार करता है l यश वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद एक संत्री विश्व के पास पहुंचता है
संत्री - विश्वा...
विश्व - जी कहिए... कैसे आना हुआ...
संत्री - वह कपड़े साफ करते हुए... बालू का पैर फ़िसल गया है... उसने खबर भिजवाया है... क्या तुम...
विश्व - (बीच में टोक कर) हाँ हाँ क्यूँ नहीं...
फिर विश्व संत्री के साथ चल कर कपड़े साफ करने वाली पानी की टंकी के नीचे पहुँचता है l वहाँ बालू को एक संत्री और उसके दो चेले उठा कर ले जा रहे हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर बचे हुए कपड़े धोने के लिए पत्थर के पास पहुँचता है l वहाँ पर जिलु पहले से ही कपड़े निचोड़ रहा है l
विश्व - संत्री जी आप जाइए... मैं जिलु के साथ कपड़े धो दूँगा...
संत्री - पक्का...
विश्व - आप जानते हैं... संत्री जी...
संत्री - आरे मैं तो मजाक कर रहा था... मैं आधे घंटे बाद आता हूँ...
विश्व - जी... (संत्री के जाते ही, जिलु से) यह तुमने किया...
जिलु - हाँ विश्व भाई.. मैंने ही बालू को गिरा दिया... बेचारा जान नहीं पाया....
विश्व - ह्म्म्म्म....(कपड़ा उठा कर पत्थर पर पटकता है) तो फिर बोलो क्या खबर है...
जिलु - जैसा आपने कहा था... सीलु ने उनके दिमाग में.. वैसा ही बो दिया है...
विश्व - अच्छा... पर बड़ा मासूम बन कर मेरे पास आया था... वह यश...
जिलु - हाँ गया होगा... आपको शीशे में उतारने के लिए...
विश्व - तो अब वह लोग क्या करने वाले हैं...
जिलु - वह तो मालुम नहीं... पर जब सीलु ने यह कहा कि... उनका पैसा पकड़े जाने के पीछे विश्व हो सकता है... तब से आपसे बदला लेने के लिए... दोनों कोई ना कोई खिचड़ी पकाने वाले हैं...
विश्व - गुड... बहुत अच्छे...
जिलु - अब आगे क्या करना है....
विश्व - करना उन्हें है... मुझे साथ देना है...
जिलु - ठीक है भाई... बेस्ट ऑफ लक...
उसी दिन शाम को
डायनिंग हॉल डिनर के वक़्त और एक बुरी खबर आती है l सभी थाली लेकर हॉल में बैठ कर खाना खा रहे होते हैं तभी नभ वाणी न्यूज चैनल में रिपोर्टर प्रवीण रथ कहता है - मेरे राज्य वासियों... हमारी युवा पीढ़ी... जिसे यूथ आईकॉन समझ कर पुज रहा है... असल में वह अपने पिता की राजनीतिक पदवी का दुरूपयोग कर यहाँ तक पहुँचे हैं... चूँकि स्वस्थ्य व्यवस्था उनके आधीन आता है... इसीलिए बाप और बेटा मिलकर स्वस्थ्य का व्यापार और स्वस्थ से खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया... हाँ दोस्तों मैं किसी और की नहीं... राज्य के स्वस्थ्य मंत्री श्री ओंकार चेट्टी और उनके सुपुत्र यश वर्धन चेट्टी जी के विषय में कह रहा हूँ... अभी हमारे हाथ में वाइआइसी फार्मास्युटिकल के दवाओं की सरकारी जाँच रिपोर्ट है... जिसमें साफ लिखा है कि उनके द्वारा वितरित किए गए दवाओं में.... प्रतिबंधित दवाओं का मात्र मिला है... जी हाँ दर्शकों आपने ठीक सुना है...विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा प्रतिबंधित दवाओं का मिश्रण पाया गया है... इस खबर और रिपोर्ट की पुष्टि होते ही... फूड सैफटी एंड ड्रग्स अथॉरिटी वालों से तुरंत कारवाई करते हुए.... वाइआइसी फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को सीज कर दिया है...
यह ख़बर सुनने के बाद सारे कैदी यश के तरफ देखने लगते हैं l यश वहाँ से उठ कर अपने सेल की ओर चला जाता है l सारे कैदी अब यश के खिलाफ खुसुर-पुसुर करने लगते हैं l विश्व सब सुनता है और मन ही मन अपने आप से यह कहते हुए हँसने लगता है
"वाह रे ऊपर वाले... तेरे खेल गजब और निराले... यह कैद खाना एक हमाम है... सब कैदी यहाँ नंगे हैं... फिरभी जो पहले उठा... उँगलियाँ उस पर उठाई गई.... वह देखो... वह हमसे ज्यादा नंगा है भाई...
अगले दिन
सेंट्रल जैल के लाइब्रेरी में विश्व अपनी किताबों में खोया हुआ है l उसे एहसास हो जाता है के दरवाजे पर यश खड़ा है l
विश्व - आइए यश बाबु... आइए...
यश - (अंदर आते हुए) क्यूँ विश्वा... पहले दिन तु जा... फिर तुम आओ... आज आइए... हाँ भाई... तुम भी ताने मार लो...
विश्व - कपड़े उतारे जाने पर नंगा पन का एहसास होता है.... पर असली नंगा पन यही होता है... कपड़ों से भी ढका नहीं जा सकता है... मैं इस दौर से गुजर चुका हूँ...
यश - ह्म्म्म्म... तब तो तुम मेरे दर्द को समझ सकते हो...
विश्व - (अपनी किताबें रख देता है और यश को बैठने के लिए इशारा करता है) कहिए... मैं अब आपके लिया क्या कर सकता हूँ... जब कि मैं अच्छी तरह से जानता हूँ... की आप भी अच्छी तरह से जानते हैं... मैं आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकता....
यश - नहीं विश्वा नहीं... (गिड़गिड़ाते हुए) तुम मेरी आखिरी उम्मीद हो... जानते हो... उस दिन जब मेरा वकील और लेनिन का आदमी पकड़े गए... तो वह लड़का... क्या नाम है उसका... हाँ सीलु.. सीलु ने लेनिन के कान भरे थे... के.. हो ना हो... उन पैसों के पकड़े जाने के पीछे तुम्हारा ही हाथ है...
विश्व - व्हाट... और लेनिन ने मान लिया... और तुम...
यश - ना... मुझे पहले भी तुम पर भरोसा था.. और अब भी है...
विश्व - पर अब मैं आपके किस काम आ सकता हूँ..
यश - सिर्फ तुम ही आ सकते हो...
विश्व - क्या... क्या काम आ सकता हूँ...
यश - देखो विश्वा... अब मेरे अकाउंट सब फ्रिज कर दिया गया है... मेरे वकील अब ईडी के रेडार पर है... इसलिए मैं अब लेनिन के लिए पैसा भी अरेंज नहीं कर सकता...
विश्व - किस्मत कैसे पलट गया देखो.... ऊफ पैसा से... हाय पैसा तक के सफर पर पहुँचा दिया... पर यश बाबु... पैसे तो मेरे पास नहीं है...
यश - बात पैसे की नहीं है....
विश्व - तो...
यश - देखो विश्व... मुझे सिर्फ़ लेनिन ही मदत कर सकता है... यह तो मानते हो ना तुम...
विश्व - हाँ...
यश - तो उसने मुझसे एक... काम करने के लिए कहा है....
विश्व - तो करो...
यश - एक्चुएली... वह तुमसे एक बार...
विश्व - (चेयर पर सीधा हो कर बैठता है) हाँ मुझसे... एक बार... क्या..
यश - देखो.... मैं यह... घुमा फिरा कर बात नहीं कर सकता... वह तुम्हें एक बार हराना चाहता है...
विश्व - ओ... तो वह... मुझे...... हराना चाहता है... हम्म... क्या फाइट में...
यश - नहीं...
विश्व - तो फिर... किसमें...
यश - वह... हँसना मत...
विश्व - नहीं.. बिल्कुल नहीं...
यश - कबड्डी में...
विश्व - क्या... क्या मैंने सही सुना...
यश - हाँ... कबड्डी में...
विश्व - अच्छा... तो अकेले अकेले में कबड्डी मैच खेलेगा मुझसे....
यश - नहीं... लेनिन की टीम... वर्सेस... विश्वा की टीम...
विश्व - और तुम क्या... रेफरी बनोगे...
यश - नहीं... मैं भी टीम में हूँ... पर लेनिन के...
विश्व - ओ... तो तुम लोगों ने... टीम भी बना लिया है...
यश - हाँ... मेरे उसके टीम में होने से... उसको जितने का ग्यारंटी मिल जाएगा...
विश्व - अच्छा ऐसा क्यूँ...
यश - चूंकि मैं तुम्हारे अगेंस्ट खेलुंगा... तो तुम मुझे हारने नहीं दोगे...
विश्व - ह्म्म्म्म ऐसा तुमने सोच लिया... या...
यश - नहीं... यह मैंने सोचा है...
विश्व - ठीक है... पर पहले बताओ... कभी पहले भी कबड्डी खेला है...
यश - नहीं... पर कालेज बहुत बार... रग्बी खेला है... और मेरे हिसाब से... कबड्डी रग्बी का देशी वर्जन है...
विश्व - वाह... क्या बात है.... चलो यह बात आज मुझे पता चला... की कबड्डी... रग्बी का देशी वर्जन है... खैर उनकी बात छोड़ो... क्या तुम खेल पाओगे... इसमे सांस पर बहुत कंट्रोल करना पड़ता है... ताकत के साथ साथ स्टेमिना और स्फूर्ति की जरूरत पड़ती है... तुम्हारा फील्ड में क्या काम... कम से कम तुम खुद को... इस खेल से दूर रखना चाहिए...
यश - (अपनी दाँतों को चबा कर) तुम मुझे बहुत कम आंक रहे हो...
विश्व - जाहिर सी बात है... चौबीसों घंटे ऐसी में रहने वाले... कभी भी पसीना ना बहाने वाले... वह क्या कहते हैं.... अरे हाँ... ना बेटा...(खिल्ली उड़ाते हुए) तुमसे ना हो पाएगा...
यश - (अपने चेयर से उठ खड़ा होता है) तुमने मुझे बहुत कम आंका है... इसका ज़वाब तुम्हें मैदान में दूँगा... (फ़िर खुद को संभाल कर) देखो दोस्त तैस में आकर कह दिया... दिल पर मत ले लेना... हार जरूर जाना... प्लीज....
विश्व - ठीक है... जाओ तैयारी करो...
यश - थैंक्स...
कह कर वापस मुड़ जाता है, और लाइब्रेरी से बाहर निकल कर जाने लगता है l उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है पर वह नहीं देख पाया विश्व के चेहरे पर भी वैसी ही मुस्कान आकर गायब हो जाती है l यश लाइब्रेरी से निकल कर गेम हॉल में पहुँचता है l गेम हॉल में लेनिन और उसके पट्ठे कैरम खेल रहे हैं l उसके पास ही सीलु और जिलु खड़े होकर खेल देख रहे हैं l यश को देख कर दोनों उसे चीयर करते हैं l यश एक स्टूल खिंच कर वहाँ बैठ जाता है l लेनिन उसे देखता है तो यश अपना सर हिला कर हाँ में इशारा करता है l लेनिन मुस्कराते हुए एक शॉट मारता है लाल गोटी गिर जाता है l सब ताली बजाते हैं l
लेनिन - देखा... आखिर लाल गोटी गिर गया ना...
सीलु - कैसे नहीं गिरेगा लेनिन भाई... आखिर बॉस ने उसे शीशे में उतार जो लिया है..
यश - पर... लेनिन... यह कैसा शर्त... उसके साथ कबड्डी खेलना है... क्यूँ...
लेनिन - यश बाबु... तुम जानते नहीं हो... विश्वा ग़ज़ब का फाइटर है... हमेशा अकेला रहता है... किसी से उसकी दोस्ती नहीं है... दुश्मनी से घबराता नहीं है... इस जैल में हम जैसा... जो भी आता है... वह बाप बनने की कोशिश करता है... पर विश्वा सबका बाप बना हुआ है...और है भी... मैंने उसे चैलेंज किया था... सिर्फ़ एक मिनट... पूरा महीना लगा था.. ठीक होने में... सिर्फ़ एक मिनट में... मैं नीचे गिरा पड़ा था... तब से उसे टपकाने कई प्लान किया... पर बहुत ही ढीठ जान है उसकी....
यश - तुम मुझे बाहर भेज कर भी पैसे ले सकते थे...
लेनिन - हाँ... पर वह कहावत है ना... यह मुहँ और मसूर की दाल... (लेनिन यश की और देखता है, यश के जबड़े सख्त हो गए हैं) तुम्हारे पास सिर्फ फटा हुआ ढोल ही होगा... क्यूंकि.. (एक शॉट मारते हुए) तुम्हारे सारे अकाउंट तो फ्रिज हैं... तुम पैसे लाओगे कहाँ से...
यश - मेरे पास दुसरे भी सोर्स हैं...
लेनिन - हाँ तुम्हारा वह वकील... अभी भी... अंदर ही है ना... (यश कुछ नहीं कहता, बस कसमसा कर रह जाता है, यशकी हालत देख कर) अच्छा छोड़ो यह बात... क्या क्या बातें हुई... यह तो बताओ...
यश बताता है कैसे उसने विश्व को तैयार किया l सब सुनने के बाद लेनिन कुछ सोचने लगता है l उसे सोचता देख कर यश पूछता है
यश - किस सोच में पड़ गए...
लेनिन - बात तो उसने सही कहा है... तुम क्या उसी ताकत और स्टेमिना लेकर खेल सकते हो...
लेनिन - तुम ही जबरदस्ती मुझे खेलने के लिए कह रहे हो...
लेनिन - ऑए... कबड्डी का आइडिया मेरा नहीं था... यह तेरा चमचा सीलु... इसी ने आइडिया दिया था... पर मेरे को भा गया... मेरा बदला पुरा हो सकता है... तुझे अपना इंश्योरेंस बना कर अपनी टीम में रखा है... तु रहेगा तो... मेरे इरादों पर विश्व को शक़ नहीँ होगा....
यश - गुस्सा क्यूँ हो रहे हो... हम एक दूसरे के काम तो आ रहे हैं ना... पर अगर मैं पूरी ताकत से ना खेला तो प्रॉब्लम क्या है...
लेनिन - पहली बात... विश्व को थोड़ा थकाना है... तब अपना प्लान को काम में लाना है... तुमको थोड़ा दम लगा कर खेलना होगा... क्यूंकि देखने वालों की हूटिंग और ताने सुनने पड़ेंगे... बर्दास्त कर सको तो कोई बात नहीं...
जिलु - हाँ बॉस... दो चार च्वींगम मुहँ में ठूँस लेना... फिर दम लगा देना बॉस...
सीलु - हाँ भाई... मेरा मतलब है बॉस... आप आप नर्वस फिल मत करना...
यश - हूँ... (कुछ सोचते हुए अपना सर हिलाता है) ठीक है... तो मैं ऐसे खेलुंगा के विश्व भी हैरान रह जाएगा... (खड़ा हो जाता है) घबराओ मत.... अब टाइम आ गया है... असली यश को बाहर लाने की... (लेनिन को देख कर) मैच कब रखेंगे....
लेनिन - तीन दिन बाद....
दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन में घुस पर सैल्यूट देता है और पूछता है
दास - आपने मुझे बुलाया सर...
अशोक बेहरा टेंपररी इनचार्ज अपना सर उठा कर देखता है और कहता है
बेहरा - हाँ दास... देखो मैं यहाँ टेंपररी इनचार्ज हूँ... इस जैल के बारे में और यहाँ के कैदियों के बारे में तुम मुझसे ज्यादा जानते हो... अभी अभी यश वर्धन चेट्टी आया था... तीन दिन बाद इस जैल में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन के लिए कह रहा था...
दास - सर अचानक... कबड्डी... कुछ समझ में नहीं आ रहा...
बेहरा - मैंने भी यश से यही सवाल किया... पर जवाब में उसने कहा कि... यह उसका लास्ट स्टे है... इसे यादगार बना कर जाना चाहता है...
दास - क्या सर आप भी... वह रिमांड पर है... अगर कंवीक्शन प्रुव हुआ तो परमानेंटली यहीं रहेगा...
बेहरा - आरे यार उसे हमें क्या लेना देना... अगर नहीं राजी हुए... तो कल उसका बाप यहाँ पर ड्रामा करेगा...
दास - धमकी दी है क्या उसने...
बेहरा - दी तो नहीं पर... कल उसका बाप आ रहा है... यश से मिलने... कहीं बखेड़ा ना खड़ा कर दे...
दास - ओ.. तो यह बात है... सर अगर यश प्रपोजल दिया है... तो क्या टीम भी बना लिया है...
बेहरा - हाँ... दो टीम... यह देखो...
कह कर एक काग़ज़ दास की ओर बढ़ा देता है l दास देखता है पहली टीम में लेनिन, यश और लेनिन के पाँच हट्टे कट्टे आदमी l दुसरी टीम में सिर्फ़ विश्व और उसके साथ औने-पौने छह आदमी l टीम देख कर दास को हैरानी होती है l
दास - (काग़ज़ लौटाते हुए) ठीक है सर... हमें क्या करना है...
बेहरा - तैयारी.. हमें.. कैदियों के मनोरंजन के लिए... तैयारी करनी है... तुम कुछ स्टाफस् को रेडी करो रेफरी और लाइन मैन बानो...
दास - ओके.. ओके सर...
सैल्यूट मार कर दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन से निकल कर अपनी घड़ी देखता है फिर जगन को भेज कर विश्व को अपने कैबिन में बुलाने को कहता है I दास अपने कैबिन में विश्व का इंतजार कर रहा है l थोड़ी देर बाद विश्व उसके कैबिन में पहुँच जाता है l
दास - यह क्या है विश्व... तुम एक टीम लेकर लेनिन और यश के खिलाफ कबड्डी में उतरोगे...
विश्व - यश अपनी विदाई को यादगार बनाना चाहता है... इसलिए मुझसे कबड्डी मैच के लिए कहा... मैंने भी हाँ कर दिया...
दास - पता नहीं क्यूँ मुझे... उसके और लेनिन के इंटेंशन मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं... ऐसा लगता है... उनके मन में कुछ और ही चल रहा है...
विश्व - अच्छा... तो आपको ऐसा लग रहा है.... मतलब हर कोई अपने मन में अपनी अपनी इंटेंशन पाले हुए हैं... पर दास सर... यह खेल है... यहाँ टाइमिंग और टेक्निक मायने रखते हैं... जो खेल गया... वह जीत गया...
दास - ह्म्म्म्म... कह तो तुम ठीक रहे हो.... पर... खैर... मैं वहाँ रेफरी बन कर साथ रहूँगा... (हाथ बढ़ाता है) ऑल द बेस्ट...
विश्व - थैंक्यू सर... (हाथ मिला कर)
उसी दिन शाम को डिनर के समय डायनिंग हॉल में
यश सीलु और जिलु के साथ अंदर आता है l विश्व वहाँ अपनी रेगुलर कोने में बैठा खाना खा रहा है l वहीँ दुसरे कोने में लेनिन अपने पट्ठों के बीच बैठा खाना खा रहा है l जैसे ही लेनिन यश को देखता है अपना सर हिला कर इशारे से कुछ कहता है l यश भी अनुरूप अपना सर हिला कर इशारे से जवाब देता है l ठीक उसी समय विश्व सीलु को अपना बायाँ भवां उठा कर हल्का इशारा करता है, ज़वाब में सीलु अपने दाएँ हाथ की अंगूठे से नाक खुजा कर इशारा करता है l यश डायनिंग हॉल के बीच में एक टेबल पर खड़ा हो जाता है और कहना शुरू करता है
यश - सुनो.. सुनो... यहाँ पर जो भी हैं गौर से सुनो... आज से तीन दिन बाद हमारे जैल के ग्राउंड में... एक कबड्डी मैच का आयोजन किया गया है.... एक टीम है... लेनिन पोद्दार की... और दुसरी टीम है... विश्व प्रताप महापात्र की... हमारे पास तैयारी के लिए दो दिन है... सो कलसे हम जमकर तैयारी करेंगे और प्रैक्टिस करेंगे...
यह घोषणा सुन कर सब एक दुसरे के मुहँ ताकने लगते हैं l यह देख कर सीलु सबसे पहले ताली मारता है l उसके देखा देखी सभी ताली बजाने लगते हैं l
यश - सो दोस्तों इस मैच को... मेरा फ़ेरवेल समझ कर... सब देखने जरूर आयें... पहली बार विश्वा हारेगा... (सब की ताली रुक जाती है) हाँ.. हा हा हा... हाँ हाँ हाँ... आपका विश्वा भाई... इसबार हारने वाला है... सो फॉर नाउ एंजॉय द नाइट...
कह कर विश्व को आँख मारते हुए यश अपना थाली लेने काउन्टर पर जाता है l सब कैदी विश्व के तरफ चोर नजर से देखने लगते हैं l विश्व किसी की ओर ध्यान दिए वगैर अपना खाना जारी रखता है l
तीन दिन बाद गेम हॉल से सटे ग्राउंड में सारे कैदी आयताकार में जमे हुए हैं l पहली बार ऐसा खेल हो रहा था इसलिए एक ट्रायपड पर दास अपनी मोबाइल को मैच की रिकॉर्डिंग के लिए सेट कर दिया है l दास खुद रेफरी बना हुआ है और चार संत्री लाइन मेन बने हुए हैं l दोनों तरफ बारह बारह प्लेयरस् चुने गए हैं l जज के रूप में खुद अशोक बेहरा बैठा हुआ है l
मैदान में दोनों ग्रुप के सात सात खिलाड़ी उतरते हैं l दास खेल शुरु करा देता है l खेल ज्यूं ज्यूं आगे बढ़ने लगती है खिलाडियों के साथ साथ दर्शकों का भी खुन गरमाने लगती है l दर्शक भी अब दो हिस्सों में बंट चुके हैं l जब कोई स्कोर करता है पक्ष के दर्शक चीयर करने लगते हैं और विपक्ष के दर्शक चिढ़ाने लगते हैं l ऐसा माहौल ना लेनिन के लिए नया था ना ही विश्व के लिए l पर धीरे धीरे यश की खीज बढ़ रही थी l ऐसे में हाफ टाइम होता है l स्कोर था विश्व ग्रुप 48 और लेनिन ग्रुप 36 l हाफ टाइम में विश्व के पास यश आता है l विश्व देखता है यश बहुत थका थका लग रहा है l
यश - यह क्या विश्व.. तुम्हारा स्कोर हमसे ज्यादा है...
विश्व - यह सेकंड हाफ में मेक अप हो जाएगा... पर मैंने तुमसे पहले ही कहा था... तुमको बाहर देखने वालों में होना चाहिए था... एक काम करो... तुम सबस्टीच्युट लेलो और बाहर बैठ जाओ...
यश - अभी हाफ टाइम हुआ है... और आधा खेल बाकी है... मैंने बड़बोलेपन से सही तुम्हें हराने की बात कह दी थी... अब इज़्ज़त का सवाल है... प्लीज विश्वा हार जाओ...
विश्व - ठीक है... सेकंड हाफ में... मैं शांत हो जाता हूँ... तुम्हें स्कोर मेक अप करने में तकलीफ़ नहीं होगी... ठीक आखिरी मोमेंट में... तुम्हारे पास मौका होगा... स्कोर उपर ले जाने के लिए...
यश - ठीक है...
इतना कह कर यश बाथरूम चला जाता है l उसके आने के बाद फ़िर से खेल शुरु हो जाता है l इस बार स्कोर विश्व के 70 और लेनिन के 72 हो चुका है l अब विश्व के साइड में विश्व के साथ और एक बंदा है पर लेनिन के साइड में सिर्फ यश और दो बंदे हैं l अंतिम दौर शुरू होती है, विश्व अब कबड्डी कबड्डी रटते हुए आगे बढ़ता है l यश विश्व के पैरों पर छलांग लगा कर उसे गिरा देता है, फिर विश्व के उपर आकर विश्व के गले में बांह की फाँस बना कर कसने लगता है l विश्व की साँसे घुटने लगती हैं l
यश - (दांतों को चबा चबा कर विश्व के कानों में) विश्व... यार आज तु मेरे हाथों से मर जा... क्यूंकि लेनिन मेरे लिए आदमी इसी शर्त पर देने वाला है... तुझे मारने के लिए... मैंने स्टेरॉयड और ड्रग्स ली है... आज मेरे फंदे से तु बच नहीं पाएगा... तेरा एहसान होगा मुझ पर... तु अगर मर गया... तो वादा करता हूँ... तेरा बदला... मेरा बदला... मैं उन क्षेत्रपालों को तेरा नाम ले लेकर बरबाद करुंगा... इसलिए आज मेरे हाथों से... तु... कुत्ते की मौत मर जा...
विश्व - (आवाज़ को मुस्किल से हलक से निकालते हुए) मैं जानता हूँ... हराम जादे... पर आज मेरी नहीं... तेरी मौत होगी... और नर्क में... क्षेत्रपालों का इंतजार करना... तेरे पीछे पीछे मैं ही उन्हें भेजूंगा...
कह कर विश्व अपने बाएं हाथ को वहाँ लेता है जहाँ यश ने ग्रीप बनाया था I फिर किसी तरह उसके हाथ की छोटी उंगली पकड़ उल्टा मोड़ देता है l यश चिल्ला कर ग्रीप लूज कर देता है ऐसे में विश्व लकीर की ओर घिसटते हुए आगे बढ़ने लगता है, यश विश्व को पकड़ कर पलट जाता है l अब यश नीचे पीठ के बल और विश्व पीठ के बल उसके ऊपर, पर यश और जोर से अपनी बांह कस लेता है और चिल्लाता है
- लेनिन... आओ पकड़ लो इसे... मेरे पकड़.... छूट रहा है... यह... छूट गया तो.. तू गया...
लेनिन और उसके साथी सब एक साथ दोनों के उपर छलांग लगा देते हैं l ऐन वक़्त पर विश्व घुम जाता है l जब सब लोग उन दोनों पर गिरते हैं तब विश्व नीचे होता है और यश ऊपर होता है l इसे फाउल करार देकर दास व्हीसल बजाता है l सभी लाइन मेन और दुसरे कैदी आकर लेनिन और उसके साथियों को उन दोनों के ऊपर से हटाते हैं l पर दो लोग वैसे ही पड़े रहते हैं l नीचे मुहँ के विश्व और उसके ऊपर यश l दास मुस्किल से यश के हाथों को विश्व के गले से अलग करता है l यश का शरीर बेज़ान हो चुका है और वह एक तरफ लुढ़क जाता है l उसके होंठ और नाक के पास खुन आकर जमा हुआ है l पर विश्व वैसे ही मुहँ के बल पड़ा हुआ है l दास उसे पलटता है, विश्व की सांस देखता है, विश्व के चेहरे पर थप्पड़ पर थप्पड़ मारने लगता है l फिर अचानक से एक गहरी सांस लेते हुए विश्व उठाता है और खांसने लगता है l फिर खांसते खांसते अपने बगल में देखता है यश मरा पड़ा है l
खान अपनी बात को यहीं रोक देता है, चुप हो कर दोनों को देखने लगता है l
प्रतिभा - हाँ तो इसमे हत्या कहाँ है... यह तो हादसा हुआ ना... आपने कहाँ और कैसे ऑब्जर्व कर लिया...
खान - उस मैदान में उस दिन जो हुआ... वहाँ सिर्फ दो लोग ही जानते थे... वह हादसा नहीं मर्डर था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... चूंकि जिस वक़्त सारे खिलाड़ी विश्व को मारने के लिए उस पर कुदे थे... तभी विश्व पलट गया था... उसकी कोहनी ठीक यश के छाती के नीचे खड़ा कर रखा था... जब सभी उस पर गिरे तो यश की पसलियाँ टुट गईं थीं... जिसके कारण उसकी सांस रुक गई... और यश दम तोड़ दिया l
तापस - तुमने अभी भी जो कहा... वह एक्सीडेंट ही है... मर्डर नहीं... उल्टा यश विश्व का गला दबा कर मारने कोशिश किया था...
खान - हाँ... वीडियो रिकॉर्डिंग में तो यही जाहिर हुआ... यश के पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट में... रेस्ट्रीक्टेड ड्रग्स और स्टेरॉयड की ओवर डोज मिला था... जिसके वजह से वह खेल के दौरान वायलेंट हो गया था... यह सब उसके बाप ने उसे मुहैया कराया था... जब वह मिलने आया था... पर यह सब लेने का आइडिया यश को इनडायरेक्टली... विश्व और उसके जासूसों ने दिया था... यश जिस तरह से विश्व का गला दबाया था... उसे फाइट रिंग में चोक कहते हैं... डैनी ने उसे पक्का सिखाया होगा... चोक से कैसे बचा जाए...
तापस - फिर भी तुम अंदाजा लगा रहे हो... साबित कुछ नहीं कर सकते...
खान - मैंने कहा था.. मैं लॉजिक बिठा रहा हूँ...
तापस - हत्या कहने की वजह...
खान - जैसा कि मैंने पहले ही कहा था... उस दिन सिर्फ दो लोगों को ही मालुम था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... उस दिन के बाद लेनिन विश्व से दूर रहने लगा... और रिहा होने के बाद फिर कभी भुवनेश्वर में नहीं दिखा.... यश एक राज नेता का बेटा था... बॉर्न वीथ गोल्डेन स्पून इन माउथ... उसने कभी लाइफ में रॉफ पैचेस नहीं देखे थे... इसलिए जैल में उसकी सोचने समझने की काबलियत को विश्व ने हाइजैक कर लिया था.... यश वही सब करता गया... जो विश्व ने उससे करवाया... विश्व ने उसका पैसा पकड़वाया... उसकी फार्मास्यूटिकल्स कंपनी पर रैड भी करवाया....
तापस - रैड ना तो विश्व ने करवाया ना ही हमने... यह तुक्का तुम्हारा गलत है....
खान - ठीक है... पर उस वक़्त जो भी हुआ... वह विश्व के मुताबिक और यश के खिलाफ होता गया.... लेनिन के बाद इसे कत्ल जानने और समझने वाले... तीसरे शख्स थी भाभीजी...
प्रतिभा - (बिदक कर) यह... यह आप कैसे कह सकते हैं... खान भाई साहब...
तापस - खान तुम बेवजह अंधेरे में तीर चला रहे हो... और वक़्त खामखा बर्बाद कर रहे हो...
खान - दिल्ली में आपको खबर मिलती है... यश की जान चली गई है... सेनापति सारी डिटेल्स दास से लेकर भुवनेश्वर आते हो.... तब भाभीजी विश्व से अकेले में मिलती हैं...
फ्लैशबैक में
लाइब्रेरी में
प्रतिभा विश्व के हाथ अपने सर पर रख कर
प्रतिभा - तु मेरी कसम खा कर बोल... यश कैसे मरा...
विश्व अपने हाथ खिंच लेता है l जिससे प्रतिभा को गुस्सा आता है और वह एक चांटा मार देती है l
प्रतिभा - तुने यह सिला दिया... मैंने तुझे अपने दिल से बेटा माना है.. पर लगता है... तुने मुझे दिल से माँ नहीं माना...
विश्व - (प्रतिभा के दोनों हाथों को पकड़ लेता है) ऐसी बात मत करो माँ... चाहो तो और मार लो... मगर यह गाली मत दो...
प्रतिभा - उसे मारते वक़्त तुझे... जयंत सर याद नहीं आए... अरे उन्होंने तुझे कानून की राह पकड़ने के लिए अपनी पूंजी तेरे हवाले कर दी... ताकि तु बदले की आग में कभी... कानून की राह ना छोड़े... आज उनकी आत्मा को कितनी तकलीफ़ पहुंची होगी सोचा भी है तुमने...
विश्व - क्या करूँ माँ... काश के उस वक्त तुम मेरे पास होती... साथ होती... तो शायद यह हरगिज नहीं होता...पर जब जब उसे देखता था... मैं तड़प उठता था... कैसे जयंत सर भरी अदालत में चल बसे... कैसे प्रत्युष हमारे बीच नहीं है... बस बर्दास्त नहीं हुआ... तब डैनी भाई की एक बात याद आई... दिखाओ कुछ... लोग देखें कुछ... बताओ कुछ... लोग समझें कुछ... करवाओ कुछ... और हो जाए कुछ... जिस कानून और सिस्टम को उसने अपनी करनी से बेबस कर दिया था... उसी बेबस कानून और सिस्टम को उसकी मौत का गवाह बना दिया...
प्रतिभा - (अपनी जबड़े भींच लेती है)
विश्व - माँ.. तुम कुछ भी सजा दे दो माँ... प्लीज मुझसे बात करो... प्लीज (विश्व के आँखों में आँसू आ जाती है)
प्रतिभा - ठीक है... मुझे वचन दे... तु... चाहे किसी से भी बदला लेगा तब भी... खुदको कानून की दायरे में रख कर... उसे कानून की सजा देगा... वचन दे...
विश्व - (प्रतिभा के सर पर हाथ रख कर) मैं वचन देता हूँ... अब जिसे भी सजा देनी होगी... उसे कानून की सजा कानून से दिलवाउंगा...
फ्लैशबैक खतम
प्रतिभा - यह... यह बात आपको कैसे मालुम हुआ... यह तो मेरे और प्रताप के बीच की बातेँ थीं...
खान - एक दिन मैं.... अपने पुलिस हॉस्टल में विश्व की फाइल को ले जा कर.... उसकी प्रोफाइल चेक कर रहा था... उस दिन जगन मेरे साथ था... मेरे मुहँ से निकल गया कि... यह जैल से निकलने के बाद भी... क्रिमिनल बनेगा... तब जगन ने कहा था... की विश्व ने आपसे से वादा किया है... कभी क्राइम नहीं करेगा... मैंने पूछा कब... जगन ने कहा था दो साल पहले... इसलिए मैं सभी लॉजिक बिठा पाया...
इतना कह कर खान चुप हो जाता है l प्रतिभा और तापस भी चुप हो जाते हैं l कुछ देर ख़ामोशी के बाद
तापस - तुम अब क्या करोगे खान...
खान - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं... क्यूंकि भाभी जी ने उसे अपनी कसम दे कर कानून के खिलाफ जाने से रोका है... इसलिए मैंने कुछ कहा नहीं और तुमने कुछ सुना नहीं....
प्रतिभा और तापस के चेहरे पर रौनक आ जाती है l खान अपनी जेब से विश्व का AIBE एक्जाम एंट्रेंस की एडमिट कार्ड और लेटर निकाल कर प्रतिभा की ओर बढ़ाता है l प्रतिभा उसे ले लेती है l
खान - भाभी यह रहा आपके बेटे का AIBE एंट्रेंस लेटर... आप फिक्र ना करें... आपने एक बेटा खोया है... तो एक अच्छा बेटा पाया भी है... प्रत्युष सिर्फ़ शरीर के रोगों का इलाज कर सकता था... पर आपका प्रताप तो समाज के रोगों का इलाज करने वाला है... आप यूँ समझ लीजिए... आपका बेटा अभी उसके मामा के यहाँ मेहमान है... अगले शनिवार सुबह आकर अपने प्रताप को पेरोल में ले जाइए... और इतवार शाम को लौटा दीजियेगा...
प्रतिभा - (खुशी से चहकते हुए) शुक्रिया.. शुक्रिया खान भाई... शुक्रिया...
सारे कैदी खाना खा रहे हैं l अचानक टीवी पर न्यूज स्क्रोलींग चलने लगा -
ब्रेकिंग न्यूज - आज शाम धउली गिरी के पास एडवोकेट श्री xxxxx और एक गैंगस्टर xxxxx के बीच दस करोड़ रुपये की लेन देन होते हुए दर दबोचे गए l अब मिली हुई रकम को ईडी ने अपने कब्जे में लेकर पूछताछ कर रही है l
यह खबर सुनकर यश के हाथों से थाली छुट जाता है l थाली के गिरने से सबका ध्यान यश के तरफ हो जाता है l यश खुद को संभालता है और अपनी थाली उठा कर वॉश रूम चला जाता है l वहाँ अपना हाथ मुहँ को बार बार धोने लगता है l फिर वह डायनिंग हॉल में नजर घुमाता है तो देखता है लेनिन उसे गुस्से से घूर रहा है l वह फिर विश्व को ढूंढने लगता है I विश्व उसे एक कोने में अपना खाना खाते दिखता है l यश उसके सामने बैठ जाता है l
यश - अब तो... किस्मत भी दगा कर रहा है... विश्वा मैं क्या करूं अब...
विश्व - (खाना खाते हुए) तुम्हारे पास टाइम अभी कुछ और है... फिरसे कोशिश कर सकते हो...
यश - तुम समझ नहीं रहे हो... (तभी वहाँ पर लेनिन आकर बैठ जाता है) यह केस अब ईडी के हाथ चला गया है... (वह लेनिन को देखने लगता है)
लेनिन - (विश्व से) देखा विश्वा भाई.... कैसा लोचा हो गया...
विश्व - पहली बात... इस टेबल पर कोई सीन नहीं होनी चाहिए.... दुसरी बात... यश बाबु... जो रकम जप्त की गई है... वह आपकी दौलत की दरिया का छोटी सी बूंद भी नहीं है.... और लेनिन... तेरा आदमी पकड़ा गया है... तो वजह कुछ और भी हो सकता है... इसके लिए कोई हल्ला नहीं... क्यूंकि वहाँ कोई... बेकसूर गिरफ्तार नहीं हुआ है...
यश - विश्वा तुम समझ नहीं रहे हो... अब ईडी पैसों की सोर्स का पता लगाएगी... तब मैं और भी मुश्किल में आ जाऊँगा... मुझे अब हर हाल में बाहर जाना होगा... नहीं तो कुछ भी ठीक नहीं होगा... मैं बाहर जाते ही सब संभाल सकता हूँ...
विश्व - तुमसे संभला नहीं... तभी तो अंदर आए हो... वैसे भी तुम अरब या खरब पति हो... बहुत बड़े बिजनेसमैन हो... फिर किस सोर्स की बात कर रहे हो...
यश - ( जेब से एक च्वींगम निकाल कर चबाने लगता है) विश्व... (एक हल्का सा सांस लेता है) पैसा हमेशा एक ही सोर्स से नहीं आता... जरा सोचो... किसीके कहने पर दस करोड़ रुपये सामने लाया गया... कैसे... कहाँ से... यहीं पर सब पेच है... जितना व्हाइट मनी... उसके बैकअप के लिए उससे कहीं ज्यादा ब्लैक मनी....
लेनिन - मतलब... तुम्हारे पास पैसों का झाड़ होगा... हिलाओ तो झड़ने लगेगा...
यश - (चुप रहता है)
विश्व - पैसा... दुनिया में जिनके पास पैसे नहीं होते... वह लोग.. हाय पैसा.. हाय पैसा करते-करते मरते हैं... और जिनके पास पैसा ही पैसा होता है... वह लोग उफ पैसा.. ओह पैसा... कर मर रहे हैं... पैसों की भुख... कितना कमा लो... फिर भी... पैसों की भुख मरने के वजाए बढ़ती ही जा रही है...
यश - (होठों पर हल्की सी हँसी झलकती है) पैसा है ही ऐसा... कम हो... मन नहीं भरता और ज्यादा हो तो दिल नहीं भरता... पैसा खुदा ना सही पर खुदा से कम भी तो नहीं है....
विश्व - और पैसा जहां जरूरत से ज्यादा होता है... वहाँ पैसा अपना इज़्ज़त खो देता है... वरना पैसा खुदा के बराबर हो सकता है... खैर अब जो भी है... वह तुम लोगों को... करनी है... (यश से) तुमको बाहर बस (लेनिन को दिखा कर) यही आदमी निकाल सकता है... (लेनिन से) तुम्हारे पैसों की जरूरत (यश को दिखा कर) यही पूरा कर सकता है... इसलिए तुम दोनों अब एक हो कर सोचो.... कहाँ गलती हो गई... कहाँ तुम चूक गए... तभी तुम क़ामयाब हो सकते हो...
विश्व यह कह कर वहाँ से अपना थाली उठा कर वॉशरुम चला जाता है l यश और लेनिन वहीँ पर बैठे रह जाते हैं l
अगले दिन
सेंट्रल जैल की स्किल डिवेलपमेंट सेंटर में
विश्व एक गाड़ी की इंजिन में लगा हुआ है l तभी उसके पीछे यश आकर खड़ा होता है l विश्व बिना पीछे मुड़े ही
विश्व - क्या है यश बाबु... कैसे आना हुआ...
यश - आज मैंने अपने दुसरे कॉन्टेक्ट के जरिए... रिमांड और सात दिन बढ़ाने के लिए कह दिया है...
विश्व - हम्म... क्यूँ बढ़ाया अपना रिमांड...
यश - इसलिए के तुम झूठे ना हो जाओ....
विश्व - कैसा झूठ...
यश - यही... के तुमने कहा था... की यह स्टे... मेरा आखिरी स्टे होगा...
विश्व - हाँ पहले तो थैंक्स... मुझे तुमने झूठा होने से बचा लिया... और सॉरी... पुलिस ने तुम्हारी किस्मत पर भाजी मारी...
यश - इटस् ओके... मेरी फ्रस्ट्रेशन लेवल बढ़ती जा रही है... दिमाग में आइडियास् आ नहीं रहे हैं... (कह कर एक च्वींगम का पैकेट फाड़ कर उनमें से चार पाँच च्वींगम एक साथ चबाने लगता है) क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा है...
विश्व - क्या तुम जब भी नर्वस होते हो... ऐसे ही च्वींगम चबाते हो...
यश - हाँ... यह मुझे शांत रखते हैं...
विश्व - यह च्वींगम पहली बार देख रहा हूँ...
यश - यह मार्केट के लिए नहीं है... यह मेरे लिए है... इसे मैंने बनाया है...
विश्व - जब खतम हो जाएगी...
यश - मेरे पास पहुँचा दिया जाएगा...
विश्व - अच्छा... तुम अपने पिताजी के जरिए... बाहर मांडवाली क्यूँ नहीं करते...
यश - अभी इलेक्शन नजदीक है... मेरी गिरफ्तारी पर जोश जोश में कह दिया था... इसमें किसी प्रकार की... इंटरफेरेंश नहीं करेंगे... अब वह अगर इस मामले में घुसे... और मीडिया में तूल पकड़ा... तो हो सकता है... उनको टिकट भी ना मिले... इसलिए... वह चाहते हैं... की इलेक्शन खतम होने तक मैं रिमांड में रहूँ.... पर... मैं जैल में नहीं रह सकता... बिल्कुल भी नहीं...
विश्व - ह्म्म्म्म... क्या नसीब है... जब जरूरत पड़ी... ना बाप काम आ रहा है... ना पैसा... जब कि दोनों ही पास मौजूद हैं... पर साथ नहीं...
यश - (और एक च्वींगम चबाता है) वह एक कहावत है.... जब तकदीर हो गांडु... तब क्या करेगा पाण्डु...
विश्व - तो अब तुमने क्या डिसाइड किया...
यश - अब मैं पैसे के लिए... किसके पास संदेशा भेजना चाहता हूँ...
विश्व - तो भेजो...
यश - पर कैसे... किसके जरिए....
विश्व - देखो इस मामले में... लेनिन ही तुम्हारा मदत कर सकता है... मैंने तुम दोनों को मिला दिया है... तुम भी जानते हो... बाहर का नेटवर्क लेनिन अपनी जेब में रखता है...
यश - ठीक है... अगर मैं मदत के लिए तुम्हारे आया... तो...
विश्व - मैं अपनी जुबान दी है... तुम यहाँ से अबकी बार जो जाओगे... फिर कभी लौट कर ना आओगे...
यश - थैंक्स... दोस्त थैंक्स...
विश्व अपनी पलकें झपका कर यश का थैंक्स स्वीकार करता है l यश वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद एक संत्री विश्व के पास पहुंचता है
संत्री - विश्वा...
विश्व - जी कहिए... कैसे आना हुआ...
संत्री - वह कपड़े साफ करते हुए... बालू का पैर फ़िसल गया है... उसने खबर भिजवाया है... क्या तुम...
विश्व - (बीच में टोक कर) हाँ हाँ क्यूँ नहीं...
फिर विश्व संत्री के साथ चल कर कपड़े साफ करने वाली पानी की टंकी के नीचे पहुँचता है l वहाँ बालू को एक संत्री और उसके दो चेले उठा कर ले जा रहे हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर बचे हुए कपड़े धोने के लिए पत्थर के पास पहुँचता है l वहाँ पर जिलु पहले से ही कपड़े निचोड़ रहा है l
विश्व - संत्री जी आप जाइए... मैं जिलु के साथ कपड़े धो दूँगा...
संत्री - पक्का...
विश्व - आप जानते हैं... संत्री जी...
संत्री - आरे मैं तो मजाक कर रहा था... मैं आधे घंटे बाद आता हूँ...
विश्व - जी... (संत्री के जाते ही, जिलु से) यह तुमने किया...
जिलु - हाँ विश्व भाई.. मैंने ही बालू को गिरा दिया... बेचारा जान नहीं पाया....
विश्व - ह्म्म्म्म....(कपड़ा उठा कर पत्थर पर पटकता है) तो फिर बोलो क्या खबर है...
जिलु - जैसा आपने कहा था... सीलु ने उनके दिमाग में.. वैसा ही बो दिया है...
विश्व - अच्छा... पर बड़ा मासूम बन कर मेरे पास आया था... वह यश...
जिलु - हाँ गया होगा... आपको शीशे में उतारने के लिए...
विश्व - तो अब वह लोग क्या करने वाले हैं...
जिलु - वह तो मालुम नहीं... पर जब सीलु ने यह कहा कि... उनका पैसा पकड़े जाने के पीछे विश्व हो सकता है... तब से आपसे बदला लेने के लिए... दोनों कोई ना कोई खिचड़ी पकाने वाले हैं...
विश्व - गुड... बहुत अच्छे...
जिलु - अब आगे क्या करना है....
विश्व - करना उन्हें है... मुझे साथ देना है...
जिलु - ठीक है भाई... बेस्ट ऑफ लक...
उसी दिन शाम को
डायनिंग हॉल डिनर के वक़्त और एक बुरी खबर आती है l सभी थाली लेकर हॉल में बैठ कर खाना खा रहे होते हैं तभी नभ वाणी न्यूज चैनल में रिपोर्टर प्रवीण रथ कहता है - मेरे राज्य वासियों... हमारी युवा पीढ़ी... जिसे यूथ आईकॉन समझ कर पुज रहा है... असल में वह अपने पिता की राजनीतिक पदवी का दुरूपयोग कर यहाँ तक पहुँचे हैं... चूँकि स्वस्थ्य व्यवस्था उनके आधीन आता है... इसीलिए बाप और बेटा मिलकर स्वस्थ्य का व्यापार और स्वस्थ से खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया... हाँ दोस्तों मैं किसी और की नहीं... राज्य के स्वस्थ्य मंत्री श्री ओंकार चेट्टी और उनके सुपुत्र यश वर्धन चेट्टी जी के विषय में कह रहा हूँ... अभी हमारे हाथ में वाइआइसी फार्मास्युटिकल के दवाओं की सरकारी जाँच रिपोर्ट है... जिसमें साफ लिखा है कि उनके द्वारा वितरित किए गए दवाओं में.... प्रतिबंधित दवाओं का मात्र मिला है... जी हाँ दर्शकों आपने ठीक सुना है...विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा प्रतिबंधित दवाओं का मिश्रण पाया गया है... इस खबर और रिपोर्ट की पुष्टि होते ही... फूड सैफटी एंड ड्रग्स अथॉरिटी वालों से तुरंत कारवाई करते हुए.... वाइआइसी फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को सीज कर दिया है...
यह ख़बर सुनने के बाद सारे कैदी यश के तरफ देखने लगते हैं l यश वहाँ से उठ कर अपने सेल की ओर चला जाता है l सारे कैदी अब यश के खिलाफ खुसुर-पुसुर करने लगते हैं l विश्व सब सुनता है और मन ही मन अपने आप से यह कहते हुए हँसने लगता है
"वाह रे ऊपर वाले... तेरे खेल गजब और निराले... यह कैद खाना एक हमाम है... सब कैदी यहाँ नंगे हैं... फिरभी जो पहले उठा... उँगलियाँ उस पर उठाई गई.... वह देखो... वह हमसे ज्यादा नंगा है भाई...
अगले दिन
सेंट्रल जैल के लाइब्रेरी में विश्व अपनी किताबों में खोया हुआ है l उसे एहसास हो जाता है के दरवाजे पर यश खड़ा है l
विश्व - आइए यश बाबु... आइए...
यश - (अंदर आते हुए) क्यूँ विश्वा... पहले दिन तु जा... फिर तुम आओ... आज आइए... हाँ भाई... तुम भी ताने मार लो...
विश्व - कपड़े उतारे जाने पर नंगा पन का एहसास होता है.... पर असली नंगा पन यही होता है... कपड़ों से भी ढका नहीं जा सकता है... मैं इस दौर से गुजर चुका हूँ...
यश - ह्म्म्म्म... तब तो तुम मेरे दर्द को समझ सकते हो...
विश्व - (अपनी किताबें रख देता है और यश को बैठने के लिए इशारा करता है) कहिए... मैं अब आपके लिया क्या कर सकता हूँ... जब कि मैं अच्छी तरह से जानता हूँ... की आप भी अच्छी तरह से जानते हैं... मैं आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकता....
यश - नहीं विश्वा नहीं... (गिड़गिड़ाते हुए) तुम मेरी आखिरी उम्मीद हो... जानते हो... उस दिन जब मेरा वकील और लेनिन का आदमी पकड़े गए... तो वह लड़का... क्या नाम है उसका... हाँ सीलु.. सीलु ने लेनिन के कान भरे थे... के.. हो ना हो... उन पैसों के पकड़े जाने के पीछे तुम्हारा ही हाथ है...
विश्व - व्हाट... और लेनिन ने मान लिया... और तुम...
यश - ना... मुझे पहले भी तुम पर भरोसा था.. और अब भी है...
विश्व - पर अब मैं आपके किस काम आ सकता हूँ..
यश - सिर्फ तुम ही आ सकते हो...
विश्व - क्या... क्या काम आ सकता हूँ...
यश - देखो विश्वा... अब मेरे अकाउंट सब फ्रिज कर दिया गया है... मेरे वकील अब ईडी के रेडार पर है... इसलिए मैं अब लेनिन के लिए पैसा भी अरेंज नहीं कर सकता...
विश्व - किस्मत कैसे पलट गया देखो.... ऊफ पैसा से... हाय पैसा तक के सफर पर पहुँचा दिया... पर यश बाबु... पैसे तो मेरे पास नहीं है...
यश - बात पैसे की नहीं है....
विश्व - तो...
यश - देखो विश्व... मुझे सिर्फ़ लेनिन ही मदत कर सकता है... यह तो मानते हो ना तुम...
विश्व - हाँ...
यश - तो उसने मुझसे एक... काम करने के लिए कहा है....
विश्व - तो करो...
यश - एक्चुएली... वह तुमसे एक बार...
विश्व - (चेयर पर सीधा हो कर बैठता है) हाँ मुझसे... एक बार... क्या..
यश - देखो.... मैं यह... घुमा फिरा कर बात नहीं कर सकता... वह तुम्हें एक बार हराना चाहता है...
विश्व - ओ... तो वह... मुझे...... हराना चाहता है... हम्म... क्या फाइट में...
यश - नहीं...
विश्व - तो फिर... किसमें...
यश - वह... हँसना मत...
विश्व - नहीं.. बिल्कुल नहीं...
यश - कबड्डी में...
विश्व - क्या... क्या मैंने सही सुना...
यश - हाँ... कबड्डी में...
विश्व - अच्छा... तो अकेले अकेले में कबड्डी मैच खेलेगा मुझसे....
यश - नहीं... लेनिन की टीम... वर्सेस... विश्वा की टीम...
विश्व - और तुम क्या... रेफरी बनोगे...
यश - नहीं... मैं भी टीम में हूँ... पर लेनिन के...
विश्व - ओ... तो तुम लोगों ने... टीम भी बना लिया है...
यश - हाँ... मेरे उसके टीम में होने से... उसको जितने का ग्यारंटी मिल जाएगा...
विश्व - अच्छा ऐसा क्यूँ...
यश - चूंकि मैं तुम्हारे अगेंस्ट खेलुंगा... तो तुम मुझे हारने नहीं दोगे...
विश्व - ह्म्म्म्म ऐसा तुमने सोच लिया... या...
यश - नहीं... यह मैंने सोचा है...
विश्व - ठीक है... पर पहले बताओ... कभी पहले भी कबड्डी खेला है...
यश - नहीं... पर कालेज बहुत बार... रग्बी खेला है... और मेरे हिसाब से... कबड्डी रग्बी का देशी वर्जन है...
विश्व - वाह... क्या बात है.... चलो यह बात आज मुझे पता चला... की कबड्डी... रग्बी का देशी वर्जन है... खैर उनकी बात छोड़ो... क्या तुम खेल पाओगे... इसमे सांस पर बहुत कंट्रोल करना पड़ता है... ताकत के साथ साथ स्टेमिना और स्फूर्ति की जरूरत पड़ती है... तुम्हारा फील्ड में क्या काम... कम से कम तुम खुद को... इस खेल से दूर रखना चाहिए...
यश - (अपनी दाँतों को चबा कर) तुम मुझे बहुत कम आंक रहे हो...
विश्व - जाहिर सी बात है... चौबीसों घंटे ऐसी में रहने वाले... कभी भी पसीना ना बहाने वाले... वह क्या कहते हैं.... अरे हाँ... ना बेटा...(खिल्ली उड़ाते हुए) तुमसे ना हो पाएगा...
यश - (अपने चेयर से उठ खड़ा होता है) तुमने मुझे बहुत कम आंका है... इसका ज़वाब तुम्हें मैदान में दूँगा... (फ़िर खुद को संभाल कर) देखो दोस्त तैस में आकर कह दिया... दिल पर मत ले लेना... हार जरूर जाना... प्लीज....
विश्व - ठीक है... जाओ तैयारी करो...
यश - थैंक्स...
कह कर वापस मुड़ जाता है, और लाइब्रेरी से बाहर निकल कर जाने लगता है l उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है पर वह नहीं देख पाया विश्व के चेहरे पर भी वैसी ही मुस्कान आकर गायब हो जाती है l यश लाइब्रेरी से निकल कर गेम हॉल में पहुँचता है l गेम हॉल में लेनिन और उसके पट्ठे कैरम खेल रहे हैं l उसके पास ही सीलु और जिलु खड़े होकर खेल देख रहे हैं l यश को देख कर दोनों उसे चीयर करते हैं l यश एक स्टूल खिंच कर वहाँ बैठ जाता है l लेनिन उसे देखता है तो यश अपना सर हिला कर हाँ में इशारा करता है l लेनिन मुस्कराते हुए एक शॉट मारता है लाल गोटी गिर जाता है l सब ताली बजाते हैं l
लेनिन - देखा... आखिर लाल गोटी गिर गया ना...
सीलु - कैसे नहीं गिरेगा लेनिन भाई... आखिर बॉस ने उसे शीशे में उतार जो लिया है..
यश - पर... लेनिन... यह कैसा शर्त... उसके साथ कबड्डी खेलना है... क्यूँ...
लेनिन - यश बाबु... तुम जानते नहीं हो... विश्वा ग़ज़ब का फाइटर है... हमेशा अकेला रहता है... किसी से उसकी दोस्ती नहीं है... दुश्मनी से घबराता नहीं है... इस जैल में हम जैसा... जो भी आता है... वह बाप बनने की कोशिश करता है... पर विश्वा सबका बाप बना हुआ है...और है भी... मैंने उसे चैलेंज किया था... सिर्फ़ एक मिनट... पूरा महीना लगा था.. ठीक होने में... सिर्फ़ एक मिनट में... मैं नीचे गिरा पड़ा था... तब से उसे टपकाने कई प्लान किया... पर बहुत ही ढीठ जान है उसकी....
यश - तुम मुझे बाहर भेज कर भी पैसे ले सकते थे...
लेनिन - हाँ... पर वह कहावत है ना... यह मुहँ और मसूर की दाल... (लेनिन यश की और देखता है, यश के जबड़े सख्त हो गए हैं) तुम्हारे पास सिर्फ फटा हुआ ढोल ही होगा... क्यूंकि.. (एक शॉट मारते हुए) तुम्हारे सारे अकाउंट तो फ्रिज हैं... तुम पैसे लाओगे कहाँ से...
यश - मेरे पास दुसरे भी सोर्स हैं...
लेनिन - हाँ तुम्हारा वह वकील... अभी भी... अंदर ही है ना... (यश कुछ नहीं कहता, बस कसमसा कर रह जाता है, यशकी हालत देख कर) अच्छा छोड़ो यह बात... क्या क्या बातें हुई... यह तो बताओ...
यश बताता है कैसे उसने विश्व को तैयार किया l सब सुनने के बाद लेनिन कुछ सोचने लगता है l उसे सोचता देख कर यश पूछता है
यश - किस सोच में पड़ गए...
लेनिन - बात तो उसने सही कहा है... तुम क्या उसी ताकत और स्टेमिना लेकर खेल सकते हो...
लेनिन - तुम ही जबरदस्ती मुझे खेलने के लिए कह रहे हो...
लेनिन - ऑए... कबड्डी का आइडिया मेरा नहीं था... यह तेरा चमचा सीलु... इसी ने आइडिया दिया था... पर मेरे को भा गया... मेरा बदला पुरा हो सकता है... तुझे अपना इंश्योरेंस बना कर अपनी टीम में रखा है... तु रहेगा तो... मेरे इरादों पर विश्व को शक़ नहीँ होगा....
यश - गुस्सा क्यूँ हो रहे हो... हम एक दूसरे के काम तो आ रहे हैं ना... पर अगर मैं पूरी ताकत से ना खेला तो प्रॉब्लम क्या है...
लेनिन - पहली बात... विश्व को थोड़ा थकाना है... तब अपना प्लान को काम में लाना है... तुमको थोड़ा दम लगा कर खेलना होगा... क्यूंकि देखने वालों की हूटिंग और ताने सुनने पड़ेंगे... बर्दास्त कर सको तो कोई बात नहीं...
जिलु - हाँ बॉस... दो चार च्वींगम मुहँ में ठूँस लेना... फिर दम लगा देना बॉस...
सीलु - हाँ भाई... मेरा मतलब है बॉस... आप आप नर्वस फिल मत करना...
यश - हूँ... (कुछ सोचते हुए अपना सर हिलाता है) ठीक है... तो मैं ऐसे खेलुंगा के विश्व भी हैरान रह जाएगा... (खड़ा हो जाता है) घबराओ मत.... अब टाइम आ गया है... असली यश को बाहर लाने की... (लेनिन को देख कर) मैच कब रखेंगे....
लेनिन - तीन दिन बाद....
दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन में घुस पर सैल्यूट देता है और पूछता है
दास - आपने मुझे बुलाया सर...
अशोक बेहरा टेंपररी इनचार्ज अपना सर उठा कर देखता है और कहता है
बेहरा - हाँ दास... देखो मैं यहाँ टेंपररी इनचार्ज हूँ... इस जैल के बारे में और यहाँ के कैदियों के बारे में तुम मुझसे ज्यादा जानते हो... अभी अभी यश वर्धन चेट्टी आया था... तीन दिन बाद इस जैल में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन के लिए कह रहा था...
दास - सर अचानक... कबड्डी... कुछ समझ में नहीं आ रहा...
बेहरा - मैंने भी यश से यही सवाल किया... पर जवाब में उसने कहा कि... यह उसका लास्ट स्टे है... इसे यादगार बना कर जाना चाहता है...
दास - क्या सर आप भी... वह रिमांड पर है... अगर कंवीक्शन प्रुव हुआ तो परमानेंटली यहीं रहेगा...
बेहरा - आरे यार उसे हमें क्या लेना देना... अगर नहीं राजी हुए... तो कल उसका बाप यहाँ पर ड्रामा करेगा...
दास - धमकी दी है क्या उसने...
बेहरा - दी तो नहीं पर... कल उसका बाप आ रहा है... यश से मिलने... कहीं बखेड़ा ना खड़ा कर दे...
दास - ओ.. तो यह बात है... सर अगर यश प्रपोजल दिया है... तो क्या टीम भी बना लिया है...
बेहरा - हाँ... दो टीम... यह देखो...
कह कर एक काग़ज़ दास की ओर बढ़ा देता है l दास देखता है पहली टीम में लेनिन, यश और लेनिन के पाँच हट्टे कट्टे आदमी l दुसरी टीम में सिर्फ़ विश्व और उसके साथ औने-पौने छह आदमी l टीम देख कर दास को हैरानी होती है l
दास - (काग़ज़ लौटाते हुए) ठीक है सर... हमें क्या करना है...
बेहरा - तैयारी.. हमें.. कैदियों के मनोरंजन के लिए... तैयारी करनी है... तुम कुछ स्टाफस् को रेडी करो रेफरी और लाइन मैन बानो...
दास - ओके.. ओके सर...
सैल्यूट मार कर दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन से निकल कर अपनी घड़ी देखता है फिर जगन को भेज कर विश्व को अपने कैबिन में बुलाने को कहता है I दास अपने कैबिन में विश्व का इंतजार कर रहा है l थोड़ी देर बाद विश्व उसके कैबिन में पहुँच जाता है l
दास - यह क्या है विश्व... तुम एक टीम लेकर लेनिन और यश के खिलाफ कबड्डी में उतरोगे...
विश्व - यश अपनी विदाई को यादगार बनाना चाहता है... इसलिए मुझसे कबड्डी मैच के लिए कहा... मैंने भी हाँ कर दिया...
दास - पता नहीं क्यूँ मुझे... उसके और लेनिन के इंटेंशन मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं... ऐसा लगता है... उनके मन में कुछ और ही चल रहा है...
विश्व - अच्छा... तो आपको ऐसा लग रहा है.... मतलब हर कोई अपने मन में अपनी अपनी इंटेंशन पाले हुए हैं... पर दास सर... यह खेल है... यहाँ टाइमिंग और टेक्निक मायने रखते हैं... जो खेल गया... वह जीत गया...
दास - ह्म्म्म्म... कह तो तुम ठीक रहे हो.... पर... खैर... मैं वहाँ रेफरी बन कर साथ रहूँगा... (हाथ बढ़ाता है) ऑल द बेस्ट...
विश्व - थैंक्यू सर... (हाथ मिला कर)
उसी दिन शाम को डिनर के समय डायनिंग हॉल में
यश सीलु और जिलु के साथ अंदर आता है l विश्व वहाँ अपनी रेगुलर कोने में बैठा खाना खा रहा है l वहीँ दुसरे कोने में लेनिन अपने पट्ठों के बीच बैठा खाना खा रहा है l जैसे ही लेनिन यश को देखता है अपना सर हिला कर इशारे से कुछ कहता है l यश भी अनुरूप अपना सर हिला कर इशारे से जवाब देता है l ठीक उसी समय विश्व सीलु को अपना बायाँ भवां उठा कर हल्का इशारा करता है, ज़वाब में सीलु अपने दाएँ हाथ की अंगूठे से नाक खुजा कर इशारा करता है l यश डायनिंग हॉल के बीच में एक टेबल पर खड़ा हो जाता है और कहना शुरू करता है
यश - सुनो.. सुनो... यहाँ पर जो भी हैं गौर से सुनो... आज से तीन दिन बाद हमारे जैल के ग्राउंड में... एक कबड्डी मैच का आयोजन किया गया है.... एक टीम है... लेनिन पोद्दार की... और दुसरी टीम है... विश्व प्रताप महापात्र की... हमारे पास तैयारी के लिए दो दिन है... सो कलसे हम जमकर तैयारी करेंगे और प्रैक्टिस करेंगे...
यह घोषणा सुन कर सब एक दुसरे के मुहँ ताकने लगते हैं l यह देख कर सीलु सबसे पहले ताली मारता है l उसके देखा देखी सभी ताली बजाने लगते हैं l
यश - सो दोस्तों इस मैच को... मेरा फ़ेरवेल समझ कर... सब देखने जरूर आयें... पहली बार विश्वा हारेगा... (सब की ताली रुक जाती है) हाँ.. हा हा हा... हाँ हाँ हाँ... आपका विश्वा भाई... इसबार हारने वाला है... सो फॉर नाउ एंजॉय द नाइट...
कह कर विश्व को आँख मारते हुए यश अपना थाली लेने काउन्टर पर जाता है l सब कैदी विश्व के तरफ चोर नजर से देखने लगते हैं l विश्व किसी की ओर ध्यान दिए वगैर अपना खाना जारी रखता है l
तीन दिन बाद गेम हॉल से सटे ग्राउंड में सारे कैदी आयताकार में जमे हुए हैं l पहली बार ऐसा खेल हो रहा था इसलिए एक ट्रायपड पर दास अपनी मोबाइल को मैच की रिकॉर्डिंग के लिए सेट कर दिया है l दास खुद रेफरी बना हुआ है और चार संत्री लाइन मेन बने हुए हैं l दोनों तरफ बारह बारह प्लेयरस् चुने गए हैं l जज के रूप में खुद अशोक बेहरा बैठा हुआ है l
मैदान में दोनों ग्रुप के सात सात खिलाड़ी उतरते हैं l दास खेल शुरु करा देता है l खेल ज्यूं ज्यूं आगे बढ़ने लगती है खिलाडियों के साथ साथ दर्शकों का भी खुन गरमाने लगती है l दर्शक भी अब दो हिस्सों में बंट चुके हैं l जब कोई स्कोर करता है पक्ष के दर्शक चीयर करने लगते हैं और विपक्ष के दर्शक चिढ़ाने लगते हैं l ऐसा माहौल ना लेनिन के लिए नया था ना ही विश्व के लिए l पर धीरे धीरे यश की खीज बढ़ रही थी l ऐसे में हाफ टाइम होता है l स्कोर था विश्व ग्रुप 48 और लेनिन ग्रुप 36 l हाफ टाइम में विश्व के पास यश आता है l विश्व देखता है यश बहुत थका थका लग रहा है l
यश - यह क्या विश्व.. तुम्हारा स्कोर हमसे ज्यादा है...
विश्व - यह सेकंड हाफ में मेक अप हो जाएगा... पर मैंने तुमसे पहले ही कहा था... तुमको बाहर देखने वालों में होना चाहिए था... एक काम करो... तुम सबस्टीच्युट लेलो और बाहर बैठ जाओ...
यश - अभी हाफ टाइम हुआ है... और आधा खेल बाकी है... मैंने बड़बोलेपन से सही तुम्हें हराने की बात कह दी थी... अब इज़्ज़त का सवाल है... प्लीज विश्वा हार जाओ...
विश्व - ठीक है... सेकंड हाफ में... मैं शांत हो जाता हूँ... तुम्हें स्कोर मेक अप करने में तकलीफ़ नहीं होगी... ठीक आखिरी मोमेंट में... तुम्हारे पास मौका होगा... स्कोर उपर ले जाने के लिए...
यश - ठीक है...
इतना कह कर यश बाथरूम चला जाता है l उसके आने के बाद फ़िर से खेल शुरु हो जाता है l इस बार स्कोर विश्व के 70 और लेनिन के 72 हो चुका है l अब विश्व के साइड में विश्व के साथ और एक बंदा है पर लेनिन के साइड में सिर्फ यश और दो बंदे हैं l अंतिम दौर शुरू होती है, विश्व अब कबड्डी कबड्डी रटते हुए आगे बढ़ता है l यश विश्व के पैरों पर छलांग लगा कर उसे गिरा देता है, फिर विश्व के उपर आकर विश्व के गले में बांह की फाँस बना कर कसने लगता है l विश्व की साँसे घुटने लगती हैं l
यश - (दांतों को चबा चबा कर विश्व के कानों में) विश्व... यार आज तु मेरे हाथों से मर जा... क्यूंकि लेनिन मेरे लिए आदमी इसी शर्त पर देने वाला है... तुझे मारने के लिए... मैंने स्टेरॉयड और ड्रग्स ली है... आज मेरे फंदे से तु बच नहीं पाएगा... तेरा एहसान होगा मुझ पर... तु अगर मर गया... तो वादा करता हूँ... तेरा बदला... मेरा बदला... मैं उन क्षेत्रपालों को तेरा नाम ले लेकर बरबाद करुंगा... इसलिए आज मेरे हाथों से... तु... कुत्ते की मौत मर जा...
विश्व - (आवाज़ को मुस्किल से हलक से निकालते हुए) मैं जानता हूँ... हराम जादे... पर आज मेरी नहीं... तेरी मौत होगी... और नर्क में... क्षेत्रपालों का इंतजार करना... तेरे पीछे पीछे मैं ही उन्हें भेजूंगा...
कह कर विश्व अपने बाएं हाथ को वहाँ लेता है जहाँ यश ने ग्रीप बनाया था I फिर किसी तरह उसके हाथ की छोटी उंगली पकड़ उल्टा मोड़ देता है l यश चिल्ला कर ग्रीप लूज कर देता है ऐसे में विश्व लकीर की ओर घिसटते हुए आगे बढ़ने लगता है, यश विश्व को पकड़ कर पलट जाता है l अब यश नीचे पीठ के बल और विश्व पीठ के बल उसके ऊपर, पर यश और जोर से अपनी बांह कस लेता है और चिल्लाता है
- लेनिन... आओ पकड़ लो इसे... मेरे पकड़.... छूट रहा है... यह... छूट गया तो.. तू गया...
लेनिन और उसके साथी सब एक साथ दोनों के उपर छलांग लगा देते हैं l ऐन वक़्त पर विश्व घुम जाता है l जब सब लोग उन दोनों पर गिरते हैं तब विश्व नीचे होता है और यश ऊपर होता है l इसे फाउल करार देकर दास व्हीसल बजाता है l सभी लाइन मेन और दुसरे कैदी आकर लेनिन और उसके साथियों को उन दोनों के ऊपर से हटाते हैं l पर दो लोग वैसे ही पड़े रहते हैं l नीचे मुहँ के विश्व और उसके ऊपर यश l दास मुस्किल से यश के हाथों को विश्व के गले से अलग करता है l यश का शरीर बेज़ान हो चुका है और वह एक तरफ लुढ़क जाता है l उसके होंठ और नाक के पास खुन आकर जमा हुआ है l पर विश्व वैसे ही मुहँ के बल पड़ा हुआ है l दास उसे पलटता है, विश्व की सांस देखता है, विश्व के चेहरे पर थप्पड़ पर थप्पड़ मारने लगता है l फिर अचानक से एक गहरी सांस लेते हुए विश्व उठाता है और खांसने लगता है l फिर खांसते खांसते अपने बगल में देखता है यश मरा पड़ा है l
खान अपनी बात को यहीं रोक देता है, चुप हो कर दोनों को देखने लगता है l
प्रतिभा - हाँ तो इसमे हत्या कहाँ है... यह तो हादसा हुआ ना... आपने कहाँ और कैसे ऑब्जर्व कर लिया...
खान - उस मैदान में उस दिन जो हुआ... वहाँ सिर्फ दो लोग ही जानते थे... वह हादसा नहीं मर्डर था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... चूंकि जिस वक़्त सारे खिलाड़ी विश्व को मारने के लिए उस पर कुदे थे... तभी विश्व पलट गया था... उसकी कोहनी ठीक यश के छाती के नीचे खड़ा कर रखा था... जब सभी उस पर गिरे तो यश की पसलियाँ टुट गईं थीं... जिसके कारण उसकी सांस रुक गई... और यश दम तोड़ दिया l
तापस - तुमने अभी भी जो कहा... वह एक्सीडेंट ही है... मर्डर नहीं... उल्टा यश विश्व का गला दबा कर मारने कोशिश किया था...
खान - हाँ... वीडियो रिकॉर्डिंग में तो यही जाहिर हुआ... यश के पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट में... रेस्ट्रीक्टेड ड्रग्स और स्टेरॉयड की ओवर डोज मिला था... जिसके वजह से वह खेल के दौरान वायलेंट हो गया था... यह सब उसके बाप ने उसे मुहैया कराया था... जब वह मिलने आया था... पर यह सब लेने का आइडिया यश को इनडायरेक्टली... विश्व और उसके जासूसों ने दिया था... यश जिस तरह से विश्व का गला दबाया था... उसे फाइट रिंग में चोक कहते हैं... डैनी ने उसे पक्का सिखाया होगा... चोक से कैसे बचा जाए...
तापस - फिर भी तुम अंदाजा लगा रहे हो... साबित कुछ नहीं कर सकते...
खान - मैंने कहा था.. मैं लॉजिक बिठा रहा हूँ...
तापस - हत्या कहने की वजह...
खान - जैसा कि मैंने पहले ही कहा था... उस दिन सिर्फ दो लोगों को ही मालुम था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... उस दिन के बाद लेनिन विश्व से दूर रहने लगा... और रिहा होने के बाद फिर कभी भुवनेश्वर में नहीं दिखा.... यश एक राज नेता का बेटा था... बॉर्न वीथ गोल्डेन स्पून इन माउथ... उसने कभी लाइफ में रॉफ पैचेस नहीं देखे थे... इसलिए जैल में उसकी सोचने समझने की काबलियत को विश्व ने हाइजैक कर लिया था.... यश वही सब करता गया... जो विश्व ने उससे करवाया... विश्व ने उसका पैसा पकड़वाया... उसकी फार्मास्यूटिकल्स कंपनी पर रैड भी करवाया....
तापस - रैड ना तो विश्व ने करवाया ना ही हमने... यह तुक्का तुम्हारा गलत है....
खान - ठीक है... पर उस वक़्त जो भी हुआ... वह विश्व के मुताबिक और यश के खिलाफ होता गया.... लेनिन के बाद इसे कत्ल जानने और समझने वाले... तीसरे शख्स थी भाभीजी...
प्रतिभा - (बिदक कर) यह... यह आप कैसे कह सकते हैं... खान भाई साहब...
तापस - खान तुम बेवजह अंधेरे में तीर चला रहे हो... और वक़्त खामखा बर्बाद कर रहे हो...
खान - दिल्ली में आपको खबर मिलती है... यश की जान चली गई है... सेनापति सारी डिटेल्स दास से लेकर भुवनेश्वर आते हो.... तब भाभीजी विश्व से अकेले में मिलती हैं...
फ्लैशबैक में
लाइब्रेरी में
प्रतिभा विश्व के हाथ अपने सर पर रख कर
प्रतिभा - तु मेरी कसम खा कर बोल... यश कैसे मरा...
विश्व अपने हाथ खिंच लेता है l जिससे प्रतिभा को गुस्सा आता है और वह एक चांटा मार देती है l
प्रतिभा - तुने यह सिला दिया... मैंने तुझे अपने दिल से बेटा माना है.. पर लगता है... तुने मुझे दिल से माँ नहीं माना...
विश्व - (प्रतिभा के दोनों हाथों को पकड़ लेता है) ऐसी बात मत करो माँ... चाहो तो और मार लो... मगर यह गाली मत दो...
प्रतिभा - उसे मारते वक़्त तुझे... जयंत सर याद नहीं आए... अरे उन्होंने तुझे कानून की राह पकड़ने के लिए अपनी पूंजी तेरे हवाले कर दी... ताकि तु बदले की आग में कभी... कानून की राह ना छोड़े... आज उनकी आत्मा को कितनी तकलीफ़ पहुंची होगी सोचा भी है तुमने...
विश्व - क्या करूँ माँ... काश के उस वक्त तुम मेरे पास होती... साथ होती... तो शायद यह हरगिज नहीं होता...पर जब जब उसे देखता था... मैं तड़प उठता था... कैसे जयंत सर भरी अदालत में चल बसे... कैसे प्रत्युष हमारे बीच नहीं है... बस बर्दास्त नहीं हुआ... तब डैनी भाई की एक बात याद आई... दिखाओ कुछ... लोग देखें कुछ... बताओ कुछ... लोग समझें कुछ... करवाओ कुछ... और हो जाए कुछ... जिस कानून और सिस्टम को उसने अपनी करनी से बेबस कर दिया था... उसी बेबस कानून और सिस्टम को उसकी मौत का गवाह बना दिया...
प्रतिभा - (अपनी जबड़े भींच लेती है)
विश्व - माँ.. तुम कुछ भी सजा दे दो माँ... प्लीज मुझसे बात करो... प्लीज (विश्व के आँखों में आँसू आ जाती है)
प्रतिभा - ठीक है... मुझे वचन दे... तु... चाहे किसी से भी बदला लेगा तब भी... खुदको कानून की दायरे में रख कर... उसे कानून की सजा देगा... वचन दे...
विश्व - (प्रतिभा के सर पर हाथ रख कर) मैं वचन देता हूँ... अब जिसे भी सजा देनी होगी... उसे कानून की सजा कानून से दिलवाउंगा...
फ्लैशबैक खतम
प्रतिभा - यह... यह बात आपको कैसे मालुम हुआ... यह तो मेरे और प्रताप के बीच की बातेँ थीं...
खान - एक दिन मैं.... अपने पुलिस हॉस्टल में विश्व की फाइल को ले जा कर.... उसकी प्रोफाइल चेक कर रहा था... उस दिन जगन मेरे साथ था... मेरे मुहँ से निकल गया कि... यह जैल से निकलने के बाद भी... क्रिमिनल बनेगा... तब जगन ने कहा था... की विश्व ने आपसे से वादा किया है... कभी क्राइम नहीं करेगा... मैंने पूछा कब... जगन ने कहा था दो साल पहले... इसलिए मैं सभी लॉजिक बिठा पाया...
इतना कह कर खान चुप हो जाता है l प्रतिभा और तापस भी चुप हो जाते हैं l कुछ देर ख़ामोशी के बाद
तापस - तुम अब क्या करोगे खान...
खान - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं... क्यूंकि भाभी जी ने उसे अपनी कसम दे कर कानून के खिलाफ जाने से रोका है... इसलिए मैंने कुछ कहा नहीं और तुमने कुछ सुना नहीं....
प्रतिभा और तापस के चेहरे पर रौनक आ जाती है l खान अपनी जेब से विश्व का AIBE एक्जाम एंट्रेंस की एडमिट कार्ड और लेटर निकाल कर प्रतिभा की ओर बढ़ाता है l प्रतिभा उसे ले लेती है l
खान - भाभी यह रहा आपके बेटे का AIBE एंट्रेंस लेटर... आप फिक्र ना करें... आपने एक बेटा खोया है... तो एक अच्छा बेटा पाया भी है... प्रत्युष सिर्फ़ शरीर के रोगों का इलाज कर सकता था... पर आपका प्रताप तो समाज के रोगों का इलाज करने वाला है... आप यूँ समझ लीजिए... आपका बेटा अभी उसके मामा के यहाँ मेहमान है... अगले शनिवार सुबह आकर अपने प्रताप को पेरोल में ले जाइए... और इतवार शाम को लौटा दीजियेगा...
प्रतिभा - (खुशी से चहकते हुए) शुक्रिया.. शुक्रिया खान भाई... शुक्रिया...
सारे कैदी खाना खा रहे हैं l अचानक टीवी पर न्यूज स्क्रोलींग चलने लगा -
ब्रेकिंग न्यूज - आज शाम धउली गिरी के पास एडवोकेट श्री xxxxx और एक गैंगस्टर xxxxx के बीच दस करोड़ रुपये की लेन देन होते हुए दर दबोचे गए l अब मिली हुई रकम को ईडी ने अपने कब्जे में लेकर पूछताछ कर रही है l
यह खबर सुनकर यश के हाथों से थाली छुट जाता है l थाली के गिरने से सबका ध्यान यश के तरफ हो जाता है l यश खुद को संभालता है और अपनी थाली उठा कर वॉश रूम चला जाता है l वहाँ अपना हाथ मुहँ को बार बार धोने लगता है l फिर वह डायनिंग हॉल में नजर घुमाता है तो देखता है लेनिन उसे गुस्से से घूर रहा है l वह फिर विश्व को ढूंढने लगता है I विश्व उसे एक कोने में अपना खाना खाते दिखता है l यश उसके सामने बैठ जाता है l
यश - अब तो... किस्मत भी दगा कर रहा है... विश्वा मैं क्या करूं अब...
विश्व - (खाना खाते हुए) तुम्हारे पास टाइम अभी कुछ और है... फिरसे कोशिश कर सकते हो...
यश - तुम समझ नहीं रहे हो... (तभी वहाँ पर लेनिन आकर बैठ जाता है) यह केस अब ईडी के हाथ चला गया है... (वह लेनिन को देखने लगता है)
लेनिन - (विश्व से) देखा विश्वा भाई.... कैसा लोचा हो गया...
विश्व - पहली बात... इस टेबल पर कोई सीन नहीं होनी चाहिए.... दुसरी बात... यश बाबु... जो रकम जप्त की गई है... वह आपकी दौलत की दरिया का छोटी सी बूंद भी नहीं है.... और लेनिन... तेरा आदमी पकड़ा गया है... तो वजह कुछ और भी हो सकता है... इसके लिए कोई हल्ला नहीं... क्यूंकि वहाँ कोई... बेकसूर गिरफ्तार नहीं हुआ है...
यश - विश्वा तुम समझ नहीं रहे हो... अब ईडी पैसों की सोर्स का पता लगाएगी... तब मैं और भी मुश्किल में आ जाऊँगा... मुझे अब हर हाल में बाहर जाना होगा... नहीं तो कुछ भी ठीक नहीं होगा... मैं बाहर जाते ही सब संभाल सकता हूँ...
विश्व - तुमसे संभला नहीं... तभी तो अंदर आए हो... वैसे भी तुम अरब या खरब पति हो... बहुत बड़े बिजनेसमैन हो... फिर किस सोर्स की बात कर रहे हो...
यश - ( जेब से एक च्वींगम निकाल कर चबाने लगता है) विश्व... (एक हल्का सा सांस लेता है) पैसा हमेशा एक ही सोर्स से नहीं आता... जरा सोचो... किसीके कहने पर दस करोड़ रुपये सामने लाया गया... कैसे... कहाँ से... यहीं पर सब पेच है... जितना व्हाइट मनी... उसके बैकअप के लिए उससे कहीं ज्यादा ब्लैक मनी....
लेनिन - मतलब... तुम्हारे पास पैसों का झाड़ होगा... हिलाओ तो झड़ने लगेगा...
यश - (चुप रहता है)
विश्व - पैसा... दुनिया में जिनके पास पैसे नहीं होते... वह लोग.. हाय पैसा.. हाय पैसा करते-करते मरते हैं... और जिनके पास पैसा ही पैसा होता है... वह लोग उफ पैसा.. ओह पैसा... कर मर रहे हैं... पैसों की भुख... कितना कमा लो... फिर भी... पैसों की भुख मरने के वजाए बढ़ती ही जा रही है...
यश - (होठों पर हल्की सी हँसी झलकती है) पैसा है ही ऐसा... कम हो... मन नहीं भरता और ज्यादा हो तो दिल नहीं भरता... पैसा खुदा ना सही पर खुदा से कम भी तो नहीं है....
विश्व - और पैसा जहां जरूरत से ज्यादा होता है... वहाँ पैसा अपना इज़्ज़त खो देता है... वरना पैसा खुदा के बराबर हो सकता है... खैर अब जो भी है... वह तुम लोगों को... करनी है... (यश से) तुमको बाहर बस (लेनिन को दिखा कर) यही आदमी निकाल सकता है... (लेनिन से) तुम्हारे पैसों की जरूरत (यश को दिखा कर) यही पूरा कर सकता है... इसलिए तुम दोनों अब एक हो कर सोचो.... कहाँ गलती हो गई... कहाँ तुम चूक गए... तभी तुम क़ामयाब हो सकते हो...
विश्व यह कह कर वहाँ से अपना थाली उठा कर वॉशरुम चला जाता है l यश और लेनिन वहीँ पर बैठे रह जाते हैं l
अगले दिन
सेंट्रल जैल की स्किल डिवेलपमेंट सेंटर में
विश्व एक गाड़ी की इंजिन में लगा हुआ है l तभी उसके पीछे यश आकर खड़ा होता है l विश्व बिना पीछे मुड़े ही
विश्व - क्या है यश बाबु... कैसे आना हुआ...
यश - आज मैंने अपने दुसरे कॉन्टेक्ट के जरिए... रिमांड और सात दिन बढ़ाने के लिए कह दिया है...
विश्व - हम्म... क्यूँ बढ़ाया अपना रिमांड...
यश - इसलिए के तुम झूठे ना हो जाओ....
विश्व - कैसा झूठ...
यश - यही... के तुमने कहा था... की यह स्टे... मेरा आखिरी स्टे होगा...
विश्व - हाँ पहले तो थैंक्स... मुझे तुमने झूठा होने से बचा लिया... और सॉरी... पुलिस ने तुम्हारी किस्मत पर भाजी मारी...
यश - इटस् ओके... मेरी फ्रस्ट्रेशन लेवल बढ़ती जा रही है... दिमाग में आइडियास् आ नहीं रहे हैं... (कह कर एक च्वींगम का पैकेट फाड़ कर उनमें से चार पाँच च्वींगम एक साथ चबाने लगता है) क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा है...
विश्व - क्या तुम जब भी नर्वस होते हो... ऐसे ही च्वींगम चबाते हो...
यश - हाँ... यह मुझे शांत रखते हैं...
विश्व - यह च्वींगम पहली बार देख रहा हूँ...
यश - यह मार्केट के लिए नहीं है... यह मेरे लिए है... इसे मैंने बनाया है...
विश्व - जब खतम हो जाएगी...
यश - मेरे पास पहुँचा दिया जाएगा...
विश्व - अच्छा... तुम अपने पिताजी के जरिए... बाहर मांडवाली क्यूँ नहीं करते...
यश - अभी इलेक्शन नजदीक है... मेरी गिरफ्तारी पर जोश जोश में कह दिया था... इसमें किसी प्रकार की... इंटरफेरेंश नहीं करेंगे... अब वह अगर इस मामले में घुसे... और मीडिया में तूल पकड़ा... तो हो सकता है... उनको टिकट भी ना मिले... इसलिए... वह चाहते हैं... की इलेक्शन खतम होने तक मैं रिमांड में रहूँ.... पर... मैं जैल में नहीं रह सकता... बिल्कुल भी नहीं...
विश्व - ह्म्म्म्म... क्या नसीब है... जब जरूरत पड़ी... ना बाप काम आ रहा है... ना पैसा... जब कि दोनों ही पास मौजूद हैं... पर साथ नहीं...
यश - (और एक च्वींगम चबाता है) वह एक कहावत है.... जब तकदीर हो गांडु... तब क्या करेगा पाण्डु...
विश्व - तो अब तुमने क्या डिसाइड किया...
यश - अब मैं पैसे के लिए... किसके पास संदेशा भेजना चाहता हूँ...
विश्व - तो भेजो...
यश - पर कैसे... किसके जरिए....
विश्व - देखो इस मामले में... लेनिन ही तुम्हारा मदत कर सकता है... मैंने तुम दोनों को मिला दिया है... तुम भी जानते हो... बाहर का नेटवर्क लेनिन अपनी जेब में रखता है...
यश - ठीक है... अगर मैं मदत के लिए तुम्हारे आया... तो...
विश्व - मैं अपनी जुबान दी है... तुम यहाँ से अबकी बार जो जाओगे... फिर कभी लौट कर ना आओगे...
यश - थैंक्स... दोस्त थैंक्स...
विश्व अपनी पलकें झपका कर यश का थैंक्स स्वीकार करता है l यश वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद एक संत्री विश्व के पास पहुंचता है
संत्री - विश्वा...
विश्व - जी कहिए... कैसे आना हुआ...
संत्री - वह कपड़े साफ करते हुए... बालू का पैर फ़िसल गया है... उसने खबर भिजवाया है... क्या तुम...
विश्व - (बीच में टोक कर) हाँ हाँ क्यूँ नहीं...
फिर विश्व संत्री के साथ चल कर कपड़े साफ करने वाली पानी की टंकी के नीचे पहुँचता है l वहाँ बालू को एक संत्री और उसके दो चेले उठा कर ले जा रहे हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर बचे हुए कपड़े धोने के लिए पत्थर के पास पहुँचता है l वहाँ पर जिलु पहले से ही कपड़े निचोड़ रहा है l
विश्व - संत्री जी आप जाइए... मैं जिलु के साथ कपड़े धो दूँगा...
संत्री - पक्का...
विश्व - आप जानते हैं... संत्री जी...
संत्री - आरे मैं तो मजाक कर रहा था... मैं आधे घंटे बाद आता हूँ...
विश्व - जी... (संत्री के जाते ही, जिलु से) यह तुमने किया...
जिलु - हाँ विश्व भाई.. मैंने ही बालू को गिरा दिया... बेचारा जान नहीं पाया....
विश्व - ह्म्म्म्म....(कपड़ा उठा कर पत्थर पर पटकता है) तो फिर बोलो क्या खबर है...
जिलु - जैसा आपने कहा था... सीलु ने उनके दिमाग में.. वैसा ही बो दिया है...
विश्व - अच्छा... पर बड़ा मासूम बन कर मेरे पास आया था... वह यश...
जिलु - हाँ गया होगा... आपको शीशे में उतारने के लिए...
विश्व - तो अब वह लोग क्या करने वाले हैं...
जिलु - वह तो मालुम नहीं... पर जब सीलु ने यह कहा कि... उनका पैसा पकड़े जाने के पीछे विश्व हो सकता है... तब से आपसे बदला लेने के लिए... दोनों कोई ना कोई खिचड़ी पकाने वाले हैं...
विश्व - गुड... बहुत अच्छे...
जिलु - अब आगे क्या करना है....
विश्व - करना उन्हें है... मुझे साथ देना है...
जिलु - ठीक है भाई... बेस्ट ऑफ लक...
उसी दिन शाम को
डायनिंग हॉल डिनर के वक़्त और एक बुरी खबर आती है l सभी थाली लेकर हॉल में बैठ कर खाना खा रहे होते हैं तभी नभ वाणी न्यूज चैनल में रिपोर्टर प्रवीण रथ कहता है - मेरे राज्य वासियों... हमारी युवा पीढ़ी... जिसे यूथ आईकॉन समझ कर पुज रहा है... असल में वह अपने पिता की राजनीतिक पदवी का दुरूपयोग कर यहाँ तक पहुँचे हैं... चूँकि स्वस्थ्य व्यवस्था उनके आधीन आता है... इसीलिए बाप और बेटा मिलकर स्वस्थ्य का व्यापार और स्वस्थ से खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया... हाँ दोस्तों मैं किसी और की नहीं... राज्य के स्वस्थ्य मंत्री श्री ओंकार चेट्टी और उनके सुपुत्र यश वर्धन चेट्टी जी के विषय में कह रहा हूँ... अभी हमारे हाथ में वाइआइसी फार्मास्युटिकल के दवाओं की सरकारी जाँच रिपोर्ट है... जिसमें साफ लिखा है कि उनके द्वारा वितरित किए गए दवाओं में.... प्रतिबंधित दवाओं का मात्र मिला है... जी हाँ दर्शकों आपने ठीक सुना है...विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा प्रतिबंधित दवाओं का मिश्रण पाया गया है... इस खबर और रिपोर्ट की पुष्टि होते ही... फूड सैफटी एंड ड्रग्स अथॉरिटी वालों से तुरंत कारवाई करते हुए.... वाइआइसी फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को सीज कर दिया है...
यह ख़बर सुनने के बाद सारे कैदी यश के तरफ देखने लगते हैं l यश वहाँ से उठ कर अपने सेल की ओर चला जाता है l सारे कैदी अब यश के खिलाफ खुसुर-पुसुर करने लगते हैं l विश्व सब सुनता है और मन ही मन अपने आप से यह कहते हुए हँसने लगता है
"वाह रे ऊपर वाले... तेरे खेल गजब और निराले... यह कैद खाना एक हमाम है... सब कैदी यहाँ नंगे हैं... फिरभी जो पहले उठा... उँगलियाँ उस पर उठाई गई.... वह देखो... वह हमसे ज्यादा नंगा है भाई...
अगले दिन
सेंट्रल जैल के लाइब्रेरी में विश्व अपनी किताबों में खोया हुआ है l उसे एहसास हो जाता है के दरवाजे पर यश खड़ा है l
विश्व - आइए यश बाबु... आइए...
यश - (अंदर आते हुए) क्यूँ विश्वा... पहले दिन तु जा... फिर तुम आओ... आज आइए... हाँ भाई... तुम भी ताने मार लो...
विश्व - कपड़े उतारे जाने पर नंगा पन का एहसास होता है.... पर असली नंगा पन यही होता है... कपड़ों से भी ढका नहीं जा सकता है... मैं इस दौर से गुजर चुका हूँ...
यश - ह्म्म्म्म... तब तो तुम मेरे दर्द को समझ सकते हो...
विश्व - (अपनी किताबें रख देता है और यश को बैठने के लिए इशारा करता है) कहिए... मैं अब आपके लिया क्या कर सकता हूँ... जब कि मैं अच्छी तरह से जानता हूँ... की आप भी अच्छी तरह से जानते हैं... मैं आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकता....
यश - नहीं विश्वा नहीं... (गिड़गिड़ाते हुए) तुम मेरी आखिरी उम्मीद हो... जानते हो... उस दिन जब मेरा वकील और लेनिन का आदमी पकड़े गए... तो वह लड़का... क्या नाम है उसका... हाँ सीलु.. सीलु ने लेनिन के कान भरे थे... के.. हो ना हो... उन पैसों के पकड़े जाने के पीछे तुम्हारा ही हाथ है...
विश्व - व्हाट... और लेनिन ने मान लिया... और तुम...
यश - ना... मुझे पहले भी तुम पर भरोसा था.. और अब भी है...
विश्व - पर अब मैं आपके किस काम आ सकता हूँ..
यश - सिर्फ तुम ही आ सकते हो...
विश्व - क्या... क्या काम आ सकता हूँ...
यश - देखो विश्वा... अब मेरे अकाउंट सब फ्रिज कर दिया गया है... मेरे वकील अब ईडी के रेडार पर है... इसलिए मैं अब लेनिन के लिए पैसा भी अरेंज नहीं कर सकता...
विश्व - किस्मत कैसे पलट गया देखो.... ऊफ पैसा से... हाय पैसा तक के सफर पर पहुँचा दिया... पर यश बाबु... पैसे तो मेरे पास नहीं है...
यश - बात पैसे की नहीं है....
विश्व - तो...
यश - देखो विश्व... मुझे सिर्फ़ लेनिन ही मदत कर सकता है... यह तो मानते हो ना तुम...
विश्व - हाँ...
यश - तो उसने मुझसे एक... काम करने के लिए कहा है....
विश्व - तो करो...
यश - एक्चुएली... वह तुमसे एक बार...
विश्व - (चेयर पर सीधा हो कर बैठता है) हाँ मुझसे... एक बार... क्या..
यश - देखो.... मैं यह... घुमा फिरा कर बात नहीं कर सकता... वह तुम्हें एक बार हराना चाहता है...
विश्व - ओ... तो वह... मुझे...... हराना चाहता है... हम्म... क्या फाइट में...
यश - नहीं...
विश्व - तो फिर... किसमें...
यश - वह... हँसना मत...
विश्व - नहीं.. बिल्कुल नहीं...
यश - कबड्डी में...
विश्व - क्या... क्या मैंने सही सुना...
यश - हाँ... कबड्डी में...
विश्व - अच्छा... तो अकेले अकेले में कबड्डी मैच खेलेगा मुझसे....
यश - नहीं... लेनिन की टीम... वर्सेस... विश्वा की टीम...
विश्व - और तुम क्या... रेफरी बनोगे...
यश - नहीं... मैं भी टीम में हूँ... पर लेनिन के...
विश्व - ओ... तो तुम लोगों ने... टीम भी बना लिया है...
यश - हाँ... मेरे उसके टीम में होने से... उसको जितने का ग्यारंटी मिल जाएगा...
विश्व - अच्छा ऐसा क्यूँ...
यश - चूंकि मैं तुम्हारे अगेंस्ट खेलुंगा... तो तुम मुझे हारने नहीं दोगे...
विश्व - ह्म्म्म्म ऐसा तुमने सोच लिया... या...
यश - नहीं... यह मैंने सोचा है...
विश्व - ठीक है... पर पहले बताओ... कभी पहले भी कबड्डी खेला है...
यश - नहीं... पर कालेज बहुत बार... रग्बी खेला है... और मेरे हिसाब से... कबड्डी रग्बी का देशी वर्जन है...
विश्व - वाह... क्या बात है.... चलो यह बात आज मुझे पता चला... की कबड्डी... रग्बी का देशी वर्जन है... खैर उनकी बात छोड़ो... क्या तुम खेल पाओगे... इसमे सांस पर बहुत कंट्रोल करना पड़ता है... ताकत के साथ साथ स्टेमिना और स्फूर्ति की जरूरत पड़ती है... तुम्हारा फील्ड में क्या काम... कम से कम तुम खुद को... इस खेल से दूर रखना चाहिए...
यश - (अपनी दाँतों को चबा कर) तुम मुझे बहुत कम आंक रहे हो...
विश्व - जाहिर सी बात है... चौबीसों घंटे ऐसी में रहने वाले... कभी भी पसीना ना बहाने वाले... वह क्या कहते हैं.... अरे हाँ... ना बेटा...(खिल्ली उड़ाते हुए) तुमसे ना हो पाएगा...
यश - (अपने चेयर से उठ खड़ा होता है) तुमने मुझे बहुत कम आंका है... इसका ज़वाब तुम्हें मैदान में दूँगा... (फ़िर खुद को संभाल कर) देखो दोस्त तैस में आकर कह दिया... दिल पर मत ले लेना... हार जरूर जाना... प्लीज....
विश्व - ठीक है... जाओ तैयारी करो...
यश - थैंक्स...
कह कर वापस मुड़ जाता है, और लाइब्रेरी से बाहर निकल कर जाने लगता है l उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है पर वह नहीं देख पाया विश्व के चेहरे पर भी वैसी ही मुस्कान आकर गायब हो जाती है l यश लाइब्रेरी से निकल कर गेम हॉल में पहुँचता है l गेम हॉल में लेनिन और उसके पट्ठे कैरम खेल रहे हैं l उसके पास ही सीलु और जिलु खड़े होकर खेल देख रहे हैं l यश को देख कर दोनों उसे चीयर करते हैं l यश एक स्टूल खिंच कर वहाँ बैठ जाता है l लेनिन उसे देखता है तो यश अपना सर हिला कर हाँ में इशारा करता है l लेनिन मुस्कराते हुए एक शॉट मारता है लाल गोटी गिर जाता है l सब ताली बजाते हैं l
लेनिन - देखा... आखिर लाल गोटी गिर गया ना...
सीलु - कैसे नहीं गिरेगा लेनिन भाई... आखिर बॉस ने उसे शीशे में उतार जो लिया है..
यश - पर... लेनिन... यह कैसा शर्त... उसके साथ कबड्डी खेलना है... क्यूँ...
लेनिन - यश बाबु... तुम जानते नहीं हो... विश्वा ग़ज़ब का फाइटर है... हमेशा अकेला रहता है... किसी से उसकी दोस्ती नहीं है... दुश्मनी से घबराता नहीं है... इस जैल में हम जैसा... जो भी आता है... वह बाप बनने की कोशिश करता है... पर विश्वा सबका बाप बना हुआ है...और है भी... मैंने उसे चैलेंज किया था... सिर्फ़ एक मिनट... पूरा महीना लगा था.. ठीक होने में... सिर्फ़ एक मिनट में... मैं नीचे गिरा पड़ा था... तब से उसे टपकाने कई प्लान किया... पर बहुत ही ढीठ जान है उसकी....
यश - तुम मुझे बाहर भेज कर भी पैसे ले सकते थे...
लेनिन - हाँ... पर वह कहावत है ना... यह मुहँ और मसूर की दाल... (लेनिन यश की और देखता है, यश के जबड़े सख्त हो गए हैं) तुम्हारे पास सिर्फ फटा हुआ ढोल ही होगा... क्यूंकि.. (एक शॉट मारते हुए) तुम्हारे सारे अकाउंट तो फ्रिज हैं... तुम पैसे लाओगे कहाँ से...
यश - मेरे पास दुसरे भी सोर्स हैं...
लेनिन - हाँ तुम्हारा वह वकील... अभी भी... अंदर ही है ना... (यश कुछ नहीं कहता, बस कसमसा कर रह जाता है, यशकी हालत देख कर) अच्छा छोड़ो यह बात... क्या क्या बातें हुई... यह तो बताओ...
यश बताता है कैसे उसने विश्व को तैयार किया l सब सुनने के बाद लेनिन कुछ सोचने लगता है l उसे सोचता देख कर यश पूछता है
यश - किस सोच में पड़ गए...
लेनिन - बात तो उसने सही कहा है... तुम क्या उसी ताकत और स्टेमिना लेकर खेल सकते हो...
लेनिन - तुम ही जबरदस्ती मुझे खेलने के लिए कह रहे हो...
लेनिन - ऑए... कबड्डी का आइडिया मेरा नहीं था... यह तेरा चमचा सीलु... इसी ने आइडिया दिया था... पर मेरे को भा गया... मेरा बदला पुरा हो सकता है... तुझे अपना इंश्योरेंस बना कर अपनी टीम में रखा है... तु रहेगा तो... मेरे इरादों पर विश्व को शक़ नहीँ होगा....
यश - गुस्सा क्यूँ हो रहे हो... हम एक दूसरे के काम तो आ रहे हैं ना... पर अगर मैं पूरी ताकत से ना खेला तो प्रॉब्लम क्या है...
लेनिन - पहली बात... विश्व को थोड़ा थकाना है... तब अपना प्लान को काम में लाना है... तुमको थोड़ा दम लगा कर खेलना होगा... क्यूंकि देखने वालों की हूटिंग और ताने सुनने पड़ेंगे... बर्दास्त कर सको तो कोई बात नहीं...
जिलु - हाँ बॉस... दो चार च्वींगम मुहँ में ठूँस लेना... फिर दम लगा देना बॉस...
सीलु - हाँ भाई... मेरा मतलब है बॉस... आप आप नर्वस फिल मत करना...
यश - हूँ... (कुछ सोचते हुए अपना सर हिलाता है) ठीक है... तो मैं ऐसे खेलुंगा के विश्व भी हैरान रह जाएगा... (खड़ा हो जाता है) घबराओ मत.... अब टाइम आ गया है... असली यश को बाहर लाने की... (लेनिन को देख कर) मैच कब रखेंगे....
लेनिन - तीन दिन बाद....
दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन में घुस पर सैल्यूट देता है और पूछता है
दास - आपने मुझे बुलाया सर...
अशोक बेहरा टेंपररी इनचार्ज अपना सर उठा कर देखता है और कहता है
बेहरा - हाँ दास... देखो मैं यहाँ टेंपररी इनचार्ज हूँ... इस जैल के बारे में और यहाँ के कैदियों के बारे में तुम मुझसे ज्यादा जानते हो... अभी अभी यश वर्धन चेट्टी आया था... तीन दिन बाद इस जैल में कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन के लिए कह रहा था...
दास - सर अचानक... कबड्डी... कुछ समझ में नहीं आ रहा...
बेहरा - मैंने भी यश से यही सवाल किया... पर जवाब में उसने कहा कि... यह उसका लास्ट स्टे है... इसे यादगार बना कर जाना चाहता है...
दास - क्या सर आप भी... वह रिमांड पर है... अगर कंवीक्शन प्रुव हुआ तो परमानेंटली यहीं रहेगा...
बेहरा - आरे यार उसे हमें क्या लेना देना... अगर नहीं राजी हुए... तो कल उसका बाप यहाँ पर ड्रामा करेगा...
दास - धमकी दी है क्या उसने...
बेहरा - दी तो नहीं पर... कल उसका बाप आ रहा है... यश से मिलने... कहीं बखेड़ा ना खड़ा कर दे...
दास - ओ.. तो यह बात है... सर अगर यश प्रपोजल दिया है... तो क्या टीम भी बना लिया है...
बेहरा - हाँ... दो टीम... यह देखो...
कह कर एक काग़ज़ दास की ओर बढ़ा देता है l दास देखता है पहली टीम में लेनिन, यश और लेनिन के पाँच हट्टे कट्टे आदमी l दुसरी टीम में सिर्फ़ विश्व और उसके साथ औने-पौने छह आदमी l टीम देख कर दास को हैरानी होती है l
दास - (काग़ज़ लौटाते हुए) ठीक है सर... हमें क्या करना है...
बेहरा - तैयारी.. हमें.. कैदियों के मनोरंजन के लिए... तैयारी करनी है... तुम कुछ स्टाफस् को रेडी करो रेफरी और लाइन मैन बानो...
दास - ओके.. ओके सर...
सैल्यूट मार कर दास सुपरिटेंडेंट के कैबिन से निकल कर अपनी घड़ी देखता है फिर जगन को भेज कर विश्व को अपने कैबिन में बुलाने को कहता है I दास अपने कैबिन में विश्व का इंतजार कर रहा है l थोड़ी देर बाद विश्व उसके कैबिन में पहुँच जाता है l
दास - यह क्या है विश्व... तुम एक टीम लेकर लेनिन और यश के खिलाफ कबड्डी में उतरोगे...
विश्व - यश अपनी विदाई को यादगार बनाना चाहता है... इसलिए मुझसे कबड्डी मैच के लिए कहा... मैंने भी हाँ कर दिया...
दास - पता नहीं क्यूँ मुझे... उसके और लेनिन के इंटेंशन मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं... ऐसा लगता है... उनके मन में कुछ और ही चल रहा है...
विश्व - अच्छा... तो आपको ऐसा लग रहा है.... मतलब हर कोई अपने मन में अपनी अपनी इंटेंशन पाले हुए हैं... पर दास सर... यह खेल है... यहाँ टाइमिंग और टेक्निक मायने रखते हैं... जो खेल गया... वह जीत गया...
दास - ह्म्म्म्म... कह तो तुम ठीक रहे हो.... पर... खैर... मैं वहाँ रेफरी बन कर साथ रहूँगा... (हाथ बढ़ाता है) ऑल द बेस्ट...
विश्व - थैंक्यू सर... (हाथ मिला कर)
उसी दिन शाम को डिनर के समय डायनिंग हॉल में
यश सीलु और जिलु के साथ अंदर आता है l विश्व वहाँ अपनी रेगुलर कोने में बैठा खाना खा रहा है l वहीँ दुसरे कोने में लेनिन अपने पट्ठों के बीच बैठा खाना खा रहा है l जैसे ही लेनिन यश को देखता है अपना सर हिला कर इशारे से कुछ कहता है l यश भी अनुरूप अपना सर हिला कर इशारे से जवाब देता है l ठीक उसी समय विश्व सीलु को अपना बायाँ भवां उठा कर हल्का इशारा करता है, ज़वाब में सीलु अपने दाएँ हाथ की अंगूठे से नाक खुजा कर इशारा करता है l यश डायनिंग हॉल के बीच में एक टेबल पर खड़ा हो जाता है और कहना शुरू करता है
यश - सुनो.. सुनो... यहाँ पर जो भी हैं गौर से सुनो... आज से तीन दिन बाद हमारे जैल के ग्राउंड में... एक कबड्डी मैच का आयोजन किया गया है.... एक टीम है... लेनिन पोद्दार की... और दुसरी टीम है... विश्व प्रताप महापात्र की... हमारे पास तैयारी के लिए दो दिन है... सो कलसे हम जमकर तैयारी करेंगे और प्रैक्टिस करेंगे...
यह घोषणा सुन कर सब एक दुसरे के मुहँ ताकने लगते हैं l यह देख कर सीलु सबसे पहले ताली मारता है l उसके देखा देखी सभी ताली बजाने लगते हैं l
यश - सो दोस्तों इस मैच को... मेरा फ़ेरवेल समझ कर... सब देखने जरूर आयें... पहली बार विश्वा हारेगा... (सब की ताली रुक जाती है) हाँ.. हा हा हा... हाँ हाँ हाँ... आपका विश्वा भाई... इसबार हारने वाला है... सो फॉर नाउ एंजॉय द नाइट...
कह कर विश्व को आँख मारते हुए यश अपना थाली लेने काउन्टर पर जाता है l सब कैदी विश्व के तरफ चोर नजर से देखने लगते हैं l विश्व किसी की ओर ध्यान दिए वगैर अपना खाना जारी रखता है l
तीन दिन बाद गेम हॉल से सटे ग्राउंड में सारे कैदी आयताकार में जमे हुए हैं l पहली बार ऐसा खेल हो रहा था इसलिए एक ट्रायपड पर दास अपनी मोबाइल को मैच की रिकॉर्डिंग के लिए सेट कर दिया है l दास खुद रेफरी बना हुआ है और चार संत्री लाइन मेन बने हुए हैं l दोनों तरफ बारह बारह प्लेयरस् चुने गए हैं l जज के रूप में खुद अशोक बेहरा बैठा हुआ है l
मैदान में दोनों ग्रुप के सात सात खिलाड़ी उतरते हैं l दास खेल शुरु करा देता है l खेल ज्यूं ज्यूं आगे बढ़ने लगती है खिलाडियों के साथ साथ दर्शकों का भी खुन गरमाने लगती है l दर्शक भी अब दो हिस्सों में बंट चुके हैं l जब कोई स्कोर करता है पक्ष के दर्शक चीयर करने लगते हैं और विपक्ष के दर्शक चिढ़ाने लगते हैं l ऐसा माहौल ना लेनिन के लिए नया था ना ही विश्व के लिए l पर धीरे धीरे यश की खीज बढ़ रही थी l ऐसे में हाफ टाइम होता है l स्कोर था विश्व ग्रुप 48 और लेनिन ग्रुप 36 l हाफ टाइम में विश्व के पास यश आता है l विश्व देखता है यश बहुत थका थका लग रहा है l
यश - यह क्या विश्व.. तुम्हारा स्कोर हमसे ज्यादा है...
विश्व - यह सेकंड हाफ में मेक अप हो जाएगा... पर मैंने तुमसे पहले ही कहा था... तुमको बाहर देखने वालों में होना चाहिए था... एक काम करो... तुम सबस्टीच्युट लेलो और बाहर बैठ जाओ...
यश - अभी हाफ टाइम हुआ है... और आधा खेल बाकी है... मैंने बड़बोलेपन से सही तुम्हें हराने की बात कह दी थी... अब इज़्ज़त का सवाल है... प्लीज विश्वा हार जाओ...
विश्व - ठीक है... सेकंड हाफ में... मैं शांत हो जाता हूँ... तुम्हें स्कोर मेक अप करने में तकलीफ़ नहीं होगी... ठीक आखिरी मोमेंट में... तुम्हारे पास मौका होगा... स्कोर उपर ले जाने के लिए...
यश - ठीक है...
इतना कह कर यश बाथरूम चला जाता है l उसके आने के बाद फ़िर से खेल शुरु हो जाता है l इस बार स्कोर विश्व के 70 और लेनिन के 72 हो चुका है l अब विश्व के साइड में विश्व के साथ और एक बंदा है पर लेनिन के साइड में सिर्फ यश और दो बंदे हैं l अंतिम दौर शुरू होती है, विश्व अब कबड्डी कबड्डी रटते हुए आगे बढ़ता है l यश विश्व के पैरों पर छलांग लगा कर उसे गिरा देता है, फिर विश्व के उपर आकर विश्व के गले में बांह की फाँस बना कर कसने लगता है l विश्व की साँसे घुटने लगती हैं l
यश - (दांतों को चबा चबा कर विश्व के कानों में) विश्व... यार आज तु मेरे हाथों से मर जा... क्यूंकि लेनिन मेरे लिए आदमी इसी शर्त पर देने वाला है... तुझे मारने के लिए... मैंने स्टेरॉयड और ड्रग्स ली है... आज मेरे फंदे से तु बच नहीं पाएगा... तेरा एहसान होगा मुझ पर... तु अगर मर गया... तो वादा करता हूँ... तेरा बदला... मेरा बदला... मैं उन क्षेत्रपालों को तेरा नाम ले लेकर बरबाद करुंगा... इसलिए आज मेरे हाथों से... तु... कुत्ते की मौत मर जा...
विश्व - (आवाज़ को मुस्किल से हलक से निकालते हुए) मैं जानता हूँ... हराम जादे... पर आज मेरी नहीं... तेरी मौत होगी... और नर्क में... क्षेत्रपालों का इंतजार करना... तेरे पीछे पीछे मैं ही उन्हें भेजूंगा...
कह कर विश्व अपने बाएं हाथ को वहाँ लेता है जहाँ यश ने ग्रीप बनाया था I फिर किसी तरह उसके हाथ की छोटी उंगली पकड़ उल्टा मोड़ देता है l यश चिल्ला कर ग्रीप लूज कर देता है ऐसे में विश्व लकीर की ओर घिसटते हुए आगे बढ़ने लगता है, यश विश्व को पकड़ कर पलट जाता है l अब यश नीचे पीठ के बल और विश्व पीठ के बल उसके ऊपर, पर यश और जोर से अपनी बांह कस लेता है और चिल्लाता है
- लेनिन... आओ पकड़ लो इसे... मेरे पकड़.... छूट रहा है... यह... छूट गया तो.. तू गया...
लेनिन और उसके साथी सब एक साथ दोनों के उपर छलांग लगा देते हैं l ऐन वक़्त पर विश्व घुम जाता है l जब सब लोग उन दोनों पर गिरते हैं तब विश्व नीचे होता है और यश ऊपर होता है l इसे फाउल करार देकर दास व्हीसल बजाता है l सभी लाइन मेन और दुसरे कैदी आकर लेनिन और उसके साथियों को उन दोनों के ऊपर से हटाते हैं l पर दो लोग वैसे ही पड़े रहते हैं l नीचे मुहँ के विश्व और उसके ऊपर यश l दास मुस्किल से यश के हाथों को विश्व के गले से अलग करता है l यश का शरीर बेज़ान हो चुका है और वह एक तरफ लुढ़क जाता है l उसके होंठ और नाक के पास खुन आकर जमा हुआ है l पर विश्व वैसे ही मुहँ के बल पड़ा हुआ है l दास उसे पलटता है, विश्व की सांस देखता है, विश्व के चेहरे पर थप्पड़ पर थप्पड़ मारने लगता है l फिर अचानक से एक गहरी सांस लेते हुए विश्व उठाता है और खांसने लगता है l फिर खांसते खांसते अपने बगल में देखता है यश मरा पड़ा है l
खान अपनी बात को यहीं रोक देता है, चुप हो कर दोनों को देखने लगता है l
प्रतिभा - हाँ तो इसमे हत्या कहाँ है... यह तो हादसा हुआ ना... आपने कहाँ और कैसे ऑब्जर्व कर लिया...
खान - उस मैदान में उस दिन जो हुआ... वहाँ सिर्फ दो लोग ही जानते थे... वह हादसा नहीं मर्डर था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... चूंकि जिस वक़्त सारे खिलाड़ी विश्व को मारने के लिए उस पर कुदे थे... तभी विश्व पलट गया था... उसकी कोहनी ठीक यश के छाती के नीचे खड़ा कर रखा था... जब सभी उस पर गिरे तो यश की पसलियाँ टुट गईं थीं... जिसके कारण उसकी सांस रुक गई... और यश दम तोड़ दिया l
तापस - तुमने अभी भी जो कहा... वह एक्सीडेंट ही है... मर्डर नहीं... उल्टा यश विश्व का गला दबा कर मारने कोशिश किया था...
खान - हाँ... वीडियो रिकॉर्डिंग में तो यही जाहिर हुआ... यश के पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट में... रेस्ट्रीक्टेड ड्रग्स और स्टेरॉयड की ओवर डोज मिला था... जिसके वजह से वह खेल के दौरान वायलेंट हो गया था... यह सब उसके बाप ने उसे मुहैया कराया था... जब वह मिलने आया था... पर यह सब लेने का आइडिया यश को इनडायरेक्टली... विश्व और उसके जासूसों ने दिया था... यश जिस तरह से विश्व का गला दबाया था... उसे फाइट रिंग में चोक कहते हैं... डैनी ने उसे पक्का सिखाया होगा... चोक से कैसे बचा जाए...
तापस - फिर भी तुम अंदाजा लगा रहे हो... साबित कुछ नहीं कर सकते...
खान - मैंने कहा था.. मैं लॉजिक बिठा रहा हूँ...
तापस - हत्या कहने की वजह...
खान - जैसा कि मैंने पहले ही कहा था... उस दिन सिर्फ दो लोगों को ही मालुम था... पहला विश्व और दुसरा लेनिन... उस दिन के बाद लेनिन विश्व से दूर रहने लगा... और रिहा होने के बाद फिर कभी भुवनेश्वर में नहीं दिखा.... यश एक राज नेता का बेटा था... बॉर्न वीथ गोल्डेन स्पून इन माउथ... उसने कभी लाइफ में रॉफ पैचेस नहीं देखे थे... इसलिए जैल में उसकी सोचने समझने की काबलियत को विश्व ने हाइजैक कर लिया था.... यश वही सब करता गया... जो विश्व ने उससे करवाया... विश्व ने उसका पैसा पकड़वाया... उसकी फार्मास्यूटिकल्स कंपनी पर रैड भी करवाया....
तापस - रैड ना तो विश्व ने करवाया ना ही हमने... यह तुक्का तुम्हारा गलत है....
खान - ठीक है... पर उस वक़्त जो भी हुआ... वह विश्व के मुताबिक और यश के खिलाफ होता गया.... लेनिन के बाद इसे कत्ल जानने और समझने वाले... तीसरे शख्स थी भाभीजी...
प्रतिभा - (बिदक कर) यह... यह आप कैसे कह सकते हैं... खान भाई साहब...
तापस - खान तुम बेवजह अंधेरे में तीर चला रहे हो... और वक़्त खामखा बर्बाद कर रहे हो...
खान - दिल्ली में आपको खबर मिलती है... यश की जान चली गई है... सेनापति सारी डिटेल्स दास से लेकर भुवनेश्वर आते हो.... तब भाभीजी विश्व से अकेले में मिलती हैं...
फ्लैशबैक में
लाइब्रेरी में
प्रतिभा विश्व के हाथ अपने सर पर रख कर
प्रतिभा - तु मेरी कसम खा कर बोल... यश कैसे मरा...
विश्व अपने हाथ खिंच लेता है l जिससे प्रतिभा को गुस्सा आता है और वह एक चांटा मार देती है l
प्रतिभा - तुने यह सिला दिया... मैंने तुझे अपने दिल से बेटा माना है.. पर लगता है... तुने मुझे दिल से माँ नहीं माना...
विश्व - (प्रतिभा के दोनों हाथों को पकड़ लेता है) ऐसी बात मत करो माँ... चाहो तो और मार लो... मगर यह गाली मत दो...
प्रतिभा - उसे मारते वक़्त तुझे... जयंत सर याद नहीं आए... अरे उन्होंने तुझे कानून की राह पकड़ने के लिए अपनी पूंजी तेरे हवाले कर दी... ताकि तु बदले की आग में कभी... कानून की राह ना छोड़े... आज उनकी आत्मा को कितनी तकलीफ़ पहुंची होगी सोचा भी है तुमने...
विश्व - क्या करूँ माँ... काश के उस वक्त तुम मेरे पास होती... साथ होती... तो शायद यह हरगिज नहीं होता...पर जब जब उसे देखता था... मैं तड़प उठता था... कैसे जयंत सर भरी अदालत में चल बसे... कैसे प्रत्युष हमारे बीच नहीं है... बस बर्दास्त नहीं हुआ... तब डैनी भाई की एक बात याद आई... दिखाओ कुछ... लोग देखें कुछ... बताओ कुछ... लोग समझें कुछ... करवाओ कुछ... और हो जाए कुछ... जिस कानून और सिस्टम को उसने अपनी करनी से बेबस कर दिया था... उसी बेबस कानून और सिस्टम को उसकी मौत का गवाह बना दिया...
प्रतिभा - (अपनी जबड़े भींच लेती है)
विश्व - माँ.. तुम कुछ भी सजा दे दो माँ... प्लीज मुझसे बात करो... प्लीज (विश्व के आँखों में आँसू आ जाती है)
प्रतिभा - ठीक है... मुझे वचन दे... तु... चाहे किसी से भी बदला लेगा तब भी... खुदको कानून की दायरे में रख कर... उसे कानून की सजा देगा... वचन दे...
विश्व - (प्रतिभा के सर पर हाथ रख कर) मैं वचन देता हूँ... अब जिसे भी सजा देनी होगी... उसे कानून की सजा कानून से दिलवाउंगा...
फ्लैशबैक खतम
प्रतिभा - यह... यह बात आपको कैसे मालुम हुआ... यह तो मेरे और प्रताप के बीच की बातेँ थीं...
खान - एक दिन मैं.... अपने पुलिस हॉस्टल में विश्व की फाइल को ले जा कर.... उसकी प्रोफाइल चेक कर रहा था... उस दिन जगन मेरे साथ था... मेरे मुहँ से निकल गया कि... यह जैल से निकलने के बाद भी... क्रिमिनल बनेगा... तब जगन ने कहा था... की विश्व ने आपसे से वादा किया है... कभी क्राइम नहीं करेगा... मैंने पूछा कब... जगन ने कहा था दो साल पहले... इसलिए मैं सभी लॉजिक बिठा पाया...
इतना कह कर खान चुप हो जाता है l प्रतिभा और तापस भी चुप हो जाते हैं l कुछ देर ख़ामोशी के बाद
तापस - तुम अब क्या करोगे खान...
खान - कुछ नहीं... कुछ भी नहीं... क्यूंकि भाभी जी ने उसे अपनी कसम दे कर कानून के खिलाफ जाने से रोका है... इसलिए मैंने कुछ कहा नहीं और तुमने कुछ सुना नहीं....
प्रतिभा और तापस के चेहरे पर रौनक आ जाती है l खान अपनी जेब से विश्व का AIBE एक्जाम एंट्रेंस की एडमिट कार्ड और लेटर निकाल कर प्रतिभा की ओर बढ़ाता है l प्रतिभा उसे ले लेती है l
खान - भाभी यह रहा आपके बेटे का AIBE एंट्रेंस लेटर... आप फिक्र ना करें... आपने एक बेटा खोया है... तो एक अच्छा बेटा पाया भी है... प्रत्युष सिर्फ़ शरीर के रोगों का इलाज कर सकता था... पर आपका प्रताप तो समाज के रोगों का इलाज करने वाला है... आप यूँ समझ लीजिए... आपका बेटा अभी उसके मामा के यहाँ मेहमान है... अगले शनिवार सुबह आकर अपने प्रताप को पेरोल में ले जाइए... और इतवार शाम को लौटा दीजियेगा...
प्रतिभा - (खुशी से चहकते हुए) शुक्रिया.. शुक्रिया खान भाई... शुक्रिया...