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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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👉सत्तावनवां अपडेट
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XXXXX कॉलेज
बुधवार

कॉलेज अभी शुरू नहीं हुआ है l अभी तक कोई नहीं आया है l पर असेंबली हॉल के स्टेज पर रॉकी अपने दोस्तों के साथ लकी ड्रॉ निकालने वाली ग्लोब नुमा जालीदार बॉल को चेक कर रहा है l

रॉकी - सुशील... क्या यह अब ठीक है...
सुशील - (खीज कर) अबे ऑए.. मजनू की छटी औलाद... सुबह सुबह हमारी नींद खराब कर यहाँ लेकर आया है... कमीने हमें कुली की तरह लगया हुआ है... साले कमीने आशिकी तेरी... पर नींद और चैन हमारी खराब है....
रॉकी - तो क्या हुआ कमीने... बदले में खाने पीने की पार्टी भी तो देता हूँ.... वह भी अपने होटल के रॉयल शूट में...
सुशील - उसकी कीमत भी तो वसूल करता है... हमे गधे की तरह दौड़ा कर काम करवा कर....
रॉकी - ठीक है... ठीक है.. वक़्त जाया ना करो... बोलो कहाँ तक यह प्लान वर्क आउट करेगा...
सुशील - अबे जब प्लान आशीष का है... तो काम उससे ही लेना चाहिए था...
आशीष - ऑए... कब से बड़बड़ कर रहा है... काम पुरा कर अपना...
रवि - हाँ यार सुबह से लगा हुआ है... पर उखड़ा उससे कुछ भी नहीं...
सुशील - अबे तुम सब काओं काओं बंद करो... लो यह अब हो गया...
सब - क्या... हो गया...
सुशील - हाँ... हो गया..
रॉकी - चलो डेमो दिखाओ...

सुशील - यह देखो... इसमें कुछ काग़ज़ के चिट डालेंगे.... ऐसे (काग़ज़ के चिट डालते हुए) अब मैं स्विच ऑन करता हूँ...

स्विच ऑन करते ही वह ग्लोब आढ़ा टेढ़ा सीधा उल्टा हो कर घूमने लगता है फिर उसमें से एक चिट बाहर निकालता है l रॉकी वह चिट उठा कर देखता है उसमें नंदिनी का नाम लिखा हुआ है l यह देख कर सभी ताली बजाते हैं l

आशीष - फ़िर भी एक लोचा है...
सब - क्या...
आशीष - बीएससी फर्स्ट ईयर बैच के स्टूडेंट्स के बीच यह कंपटीशन है... क्या सभी अपना नाम चिट पर लिख कर डालेंगे...
रवी - हाँ.. यह एक पॉइंट है...
रॉकी - ठीक है... एक तरकीब लगाऊंगा... प्रिन्सिपल से करवाऊंगा...
राजु - क्या तेरा तरकीब... काम करेगा... वह रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल है...
रॉकी - मुझे तो लगता है... जरूर करेगी... पहले से ही हम जानते हैं... वह अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में है... इसलिए मेरा दिल कहता है... वह ज़रूर करेगी...
रवि - लो कर लो बात... दिल कह रहा है इसका...
आशीष - हाँ उसके दिल के हिसाब से चलते हैं... आखिर यह तो मानना ही पड़ेगा... लड़की अपने हीरो से अभी अभी इम्प्रेस तो हुई है...
सब - ह्म्म्म्म... तो फिर ठीक है...
रॉकी - कोई दुसरा पॉइंट भी है क्या...
आशीष - हाँ... वह खुद को रूप कहलाना पसंद नहीं करती... तो उसकी चिट में वह अपना क्या नाम लिखेगी... रूप नंदिनी.. या सिर्फ़ नंदिनी...
रवि - वह जो भी लिखे... नाम तो उसका ही आना है ना...
सुशील - लो लग गए लौड़े.... अबे तो अब तक मैं क्या यहाँ झक् मार रहा था... (रॉकी के तरफ देख कर) आशीष सही बोल रहा है हीरो... लड़की पहले ही दिन से अपने नाम पर सबको कंफ्यूज कर रखा है...
रॉकी - हाँ यह भी पॉइंट है...
आशीष - और एक बात... चिट निकलने के बाद... अगर लड़की ने यह कहा कि... चिट उसकी नहीं है... तो...
रॉकी - ह्म्म्म्म... फ़िर...
राजु - फ़िर क्या... उसका भाई वीर सिंह और विक्रम सिंह... हमारी ही हाथों से... हमारी मैयत उठवाएंगे...
रॉकी - हम्म्म....
सभी - देख रॉकी... हम कहीं जोश जोश में... लोचा कर गए... तो लेने के देने पड़ जाएंगे...
रॉकी - ठीक है... देखो अपना सिस्टम तैयार है... बाकी उन लड़कियों की बैच.... कैसे इनवल्व होगी... मैं प्रिन्सिपल से मिलकर कोई रास्ता बनाता हूँ....

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ESS ऑफिस

वीर अपनी कैबिन में चहल कदम कर रहा है l उसे एक कोने से दुसरे कोने तक चहल कदम करते हुए अनु अपने दाएं हाथ की नाखुन को दांतों तले दबा कर देख रही है I वीर अपनी दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ की हथेली पर मारते हुए घूमना शुरू कर देता है l यह देख कर अनु घबराते हुए अपनी वैनिटी पर्स से स्माइली बॉल्स झट से निकाल कर वीर को देखने लगती है l जब वीर उसे नहीं देखता तो धीरे से अनु वीर को आवाज देती है

अनु - राज कुमार जी... (वीर नहीं सुनता) अहेम... अहेम... (वीर फिर भी नहीं सुनता) राजकुमार जी... (थोड़ी ऊँची आवाज़ में)
वीर - (अनु की ओर देखते हुए) क्या हुआ अनु जी...
अनु - (रुक रुक कर) वह.. आप... कुछ... त.. तनाव में दिख रहे हैं... (बॉल दिखा कर) यह.. यह लीजिए...
वीर - (उसे देखने लगता है, क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आता) हूँ... (बस इतना ही कह पाता है)
अनु - लीजिए ना...
वीर - (थोड़ा मुस्कराते हुए) अनु.. जी.. मैं एक दिन बॉल पकड़ुंगा... पर अभी टाइम नहीं आया है... जब आएगा... जमके पकड़ुंगा... कसके पकड़ुंगा और दबाके पकड़ुंगा.... वादा रहा... पर अब मैं कुछ और सोच रहा हूँ...
अनु - क्या.. आप और क्या सोच रहे हैं...
वीर - मैं यह सोच रहा हूँ... की कौनसा भेष बदलुं... और कितने बजे जाऊँ... सब को चेक करने के लिए...
अनु - (अपना सिर हिलाते हुए) ओ... ह्म्म्म्म...

तभी टेबल पर रखी वीर की मोबाइल बजने लगती है l अनु जाती है और मोबाइल फोन लाकर वीर को देती है l

वीर - अरे अनु जी... आप हमारी पीए हैं... आप रीसीव लीजिए... और बात कीजिए... पूछिए कौन है... क्या काम है... सब समझने के बाद... हमे दीजिए...
अनु - जी... (तब तक रिंग बंद हो जाती है) ओह... लगता है फोन कट गया...
वीर - कोई नहीं... मोबाइल पर नाम दिखा तो होगा ना...
अनु - हाँ... महांती कमीना... ऐसा कुछ लिखा था...
वीर - (फौरन अनु की हाथ से मोबाइल ले लेता है) देखो अनु... अब मैं जो कहूँ... उसे ध्यान से सुनना और याद रखना... महांती, युवराज और छोटे राजा नाम दिखे तो सीधे फोन को मुझे दे देना... बाकी जिसकी भी आए... तो तुम ही उठाना... बात करना... समझना और मुझे समझा कर दे देना... समझी...

अनु अपना सिर हिला कर हाँ कहती है, फोन फिर से बजने लगती है, इसबार भी डिस्प्ले में महांती कमीना दिखता है l अनु वीर को मोबाइल बढ़ा देती है l

वीर - (मोबाइल लेते हुए) गुड... (महांती का कॉल उठाते हुए) हाँ महांती बोल... क्या बात है...
महांती - एक बहुत बड़ी इंफॉर्मेशन हाथ लगी है... मेयर साहब... मेरा मतलब छोटे राजाजी पर आज हमला हो सकता है... युवराज जी को फोन लगा रहा हूँ पर पर वह मिल नहीं रहे हैं... वह कहाँ हैं...
वीर - हाँ वह... छोटे राजा जी के साथ पार्टी मीटिंग अटेंड करने... पुरी में स्थित पार्टी ऑफिस गए हैं... वह छोटे राजाजी के साथ हैं...
महांती - छोटे राजा जी पर हमला हो सकता है... उन लोगों ने स्पॉट देख ली है... रूट पर वह लोग थोड़े कंफ्यूज हैं... यह बात युवराज जी का जानना जरूरी है...
वीर - ठीक है... वह लोग पार्टी मीटिंग में होंगे... इसलिए उनके फोन शायद रीसेप्शन में डिपोजिट होंगे... मैं मैसेज किए देता हूँ... आप भी कर कीजिए...
महांती - क्या हम पार्टी ऑफिस में मैसेज कर दें...
वीर - नहीं... नहीं हो सकता है... कोई वहाँ पर उनकी रेकी कर रहा हो... मैं मैसेज कर देता हूँ... और कोशिश करता हूँ... वहाँ मीटिंग में पहुंचने की...
महांती - हाँ यह बढ़िया है... पर जल्दबाजी में मत जाइएगा... हो सकता है.... आपकी जल्दबाजी देख कर वह अपना प्लान बदल दें... एक काम लीजिए... आप पूरी कनाल रोड पर जाइए.... मैं ओल्ड भुवनेश्वर रोड से पूरी जाता हूँ...
वीर - ठीक है...(फोन काट देता है, और अनु को देखते हुए) तुम यहाँ पर रुको... और फोन वगैरह आए तो अटेंड करो... ठीक है...
अनु - जी ठीक है...

वीर वहाँ से हल्दी में निकल जाता है l

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XXX पार्टी ऑफिस
मीटिंग खतम हो जाता है l उसके बाद पिनाक सिंह और विक्रम सिंह रीसेप्शन में जमा किए हुए अपने फोन वापस लेते हैं l विक्रम अपने फोन पर देखता है महांती और वीर के बहुत से मिस कॉल हैं l विक्रम महांती को फोन लगाता है l

महांती - (फोन उठाकर) हैलो युवराज जी...
विक्रम - हाँ महांती... इतने मिस कॉल...
महांती - सर... उन्होंने... अपना स्पॉट चुन लिया है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... एक मिनट... पहले मैं गाड़ी में पहुँच जाऊँ... (विक्रम अपनी गाड़ी में आ जाता है) हाँ अब बोलो...
महांती - मैं यह कह रहा था... उन लोगों ने स्पॉट फिक्स कर लिया है...
विक्रम - कौनसे रूट पर...
महांती - वे लोग दो रूट पर... घात लगाएंगे... पहला पुरी कनाल रोड पर... दुसरी भुवनेश्वर पुरी रोड पर...
विक्रम - मतलब... छोटे राजा जी के पुरी से आते वक़्त... हमला हो सकता है...(मोबाइल पर वीर की कॉल आ रहा है) यह राजकुमार भी बार बार फोन कर रहे हैं...
महांती - वह आप ही के पास जा रहे हैं... मैं भी ऑन द रोड हूँ...
विक्रम - ठीक है... मैं उन्हें भी कंफेरेंश में ले लेता हूँ.... (वीर को कंफेरेंश में ऐड करने के बाद) हाँ राजकुमार जी...
वीर - क्या आपकी महांती से बात हो गई...
विक्रम - हाँ हो रहा है... और आप अभी कांफ्रेंस में हैं...
वीर - ठीक है... फिर आप छोटे राजा जी को... कांफ्रेंस में ले लीजिए... हम भी अपना प्लान सेट करते हैं...
विक्रम - ओके... लाइन पर रहीए... (विक्रम पिनाक को कंफेरेंश में लेने की कोशिश करता है पर उसका फोन बिजी आता है) शीट...
महांती और वीर - क्या हुआ...
विक्रम - उनका फोन बिजी आ रहा है...
महांती - ठीक है... आप तो उनके साथ हैं ना...
विक्रम - हाँ.. पर दुसरे गाड़ी में...
महांती - ठीक है... अब हमें मालूम है क्या होने वाला है... वह लोग हमारे सर्विलांस में हैं... अब बताइए हमे क्या करना है...
विक्रम - महांती... हम उन्हें इसबार फैल करते हैं....
वीर - फैल करते हैं मतलब...
विक्रम - इस बार हम उन्हें नहीं दबोचेंगे... बल्कि हम रास्ता बदल देंगे...
महांती - कौनसा रास्ता लेंगे फिर...
विक्रम - पुरी रामेश्वर रोड पर... हम रामेश्वर रोड से जा कर एनएच पर निकलेंगे...
वीर - इससे फायदा...
विक्रम - हमारा दुश्मन एक घोस्ट है... वह कौन है... उसकी प्लानिंग क्या है... हम नहीं जानते... जैसा कि महांती ने पहले ही बता चुका है... वह घोस्ट, अपने ही आदमियों से भी छुपा हुआ है... उसके एक दो प्लान ऐसे फैल कर देने से... वह बौखलाएगा... बिलबिलाएगा... तब वह गलती करेगा...
महांती - तब शायद वह बाहर भी निकल सकता है...
विक्रम - हाँ...
वीर - बढ़िया... तो अब हम क्या करें...
विक्रम - एक मिनट छोटे राजा जी का कॉल आ रहा है... मैं उन्हें कांफ्रेंस में लेता हूँ... (कांफ्रेंस में लेने के बाद) छोटे राजा जी... आज आप पर दोबारा हमला होने वाला है...
पिनाक - तो चलो धर दबोच कर नर्क दिखाते हैं उन्हें...
विक्रम - नहीं छोटे राजा जी... हमे उस हराम खोर के चमचों के बारे में पता है... पर उस अदृश्य दुश्मन के बारे में नहीं... हम उसका प्लान फैल कर देते हैं...
पिनाक - नहीं ऐसा नहीं हो सकता... अगर उसे मालुम हुआ तो खिल्ली उड़ाएगा...
विक्रम - नहीं उड़ाएगा... हम एक रुटीन प्रोसिजर बना कर रूट बदलेंगे... आज उसका प्लान फैल हुआ तो... वह चिढ़ जाएगा... तब शायद कोई गलती भी करेगा... हो सकता है... उसे सामने आना पड़े...
पिनाक - ठीक है युवराज... चाहे कुछ भी हो... मुझ पर भगोड़ा का छाप लगनी नहीं चाहिए...
विक्रम - नहीं लगेगा... आप अपने ड्राइवर से कहिए... वह गाड़ी को रामेश्वर रोड पर ले जाए... और राजकुमार... आप वापस ऑफिस जाओ... महांती तुम भी पहुंचो... हम रामेश्वर रोड पर छोटे राजा जी को लेकर ऑफिस पहुँचते हैं....
दोनों - ओके...

विक्रम फोन काट देता है l पिनाक सिंह अपने ड्राइवर को रामेश्वर रोड पर ले जाने को बोलता है l ड्राइवर भी अपनी गाड़ी को रामेश्वर रोड की ओर मोड़ देता है l

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कॉलेज की कैन्टीन में छटी गैंग मस्ती कर रही है l तभी कैन्टीन की माइक पर प्रिन्सिपल की आवाज गूंजने लगती है l

प्रिन्सिपल - हैलो स्टूडेंट्स... मैं आपका प्रिन्सिपल बोल रहा हूँ... बीएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स आप लोग तुरंत असेंबली हॉल में पहुंचे... आपके पास सिर्फ़ दस मिनट है... जो नहीं आयेंगे... उनको पनीश्मेंट दी जाएगी... सो डोंट बी लेट... बी हर्री...
बनानी - व्हाट... लो फ्रेंड्स... ब्रेक का सत्यानाश हो गया...
दीप्ति - कुछ भी हो... जाना तो पड़ेगा ही... वरना पता नहीं बुढ़उ ने क्या पनीश्मेंट सोचा होगा...
तब्बसुम - हाँ यार... बुड्ढे को सिर्फ बनानी को ही शॉक से उबार ने का प्लान बनाना चाहिए था... क्यूँ के शॉक तो उसे लगा था ना...
बनानी - अपना मुहँ बंद रख... यह मत भूलो... मेरे साथ तुम सभी भी शॉक्ड थे...
भाश्वती - पर फायदा क्या... चिट में तो किसी एक का नाम आएगा... कितना अच्छा होता ना... अगर हम सब मिलकर एफएम में टास्क पुरा करते...
इतिश्री - कमाल है... हम सब तब से चपड़ चपड़ करते जा रहे हैं... पर राजकुमारी जी हैं कि चुप्पी साधे हुए हैं...
नंदिनी - (इतिश्री की हाथ में जोर से चिकोटी काटते हुए) कमीनी अगर फिर कभी नंदिनी के वजाए...
इतिश्री - आ... आ... ह्ह्ह्... (चिल्लाने लगती है)
नंदिनी - राजकुमारी कहा तो... तेरी ऐसी कुटाई करूंगी के तुझे तेरी छटी का दुध याद आ जाएगी...(छोड़ देती है)
इतिश्री - उई माँ... (अपने हाथ को मलते हुए) डायन कहीं की... थोड़ी देर और ऐसे ही रहती तो... मांस ही बाहर आ जाती...
बनानी - ओह ओ... अब छोड़ो भी यह सब... इससे पहले कि प्रिन्सिपल दोबारा माइक पर भोंकने लगे... हमें असेंबली हॉल में पहुँच जाना चाहिए...
दीप्ति - हाँ हाँ... जल्दी चलो... देखें तो सही वहाँ होता क्या है...
नंदिनी - ठीक है.. चलो... अपनी पंचायत हम कल बिठायेंगे...
सब - हाँ हाँ चलो चलो...

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सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी

दास एक अर्दली के साथ अंदर आता है l अर्दली के हाथ में खाने की थाली है वह विश्व के पास थाली रखते कर बाहर चला जाता है l विश्व एक नजर दास को देखता है फ़िर किताबों में घुस जाता है l

दास - विश्व... खाना खा लो यार...
विश्व - (किताबों से सिर बाहर निकाल कर) दास बाबु... जो आप कहने आए हैं... वह कह दीजिए... मैं बाद में खा लूँगा...
दास - तुम्हें कैसे मालुम हुआ... मैं कुछ कहने आया हूँ...
विश्व - रोज आप अर्दली के साथ चले जाते थे... आज आप रुक गए हैं...
दास - तकल्लुफ मत करो... तुम खाना खा लो... मैं... मैं यहाँ इंतजार कर लेता हूँ...
विश्व - दास बाबु... बात तकल्लुफ की ही है... साथ खाना खाने बैठे होते... तो बात अलग थी... मैं खाना खाऊँ और आप खड़े हो कर देखते रहें... मुझे ऐंबार्समेंट फील होगा... प्लीज... आप ही का जैल है... और मैं यहाँ कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ...
दास - हमारे संस्कार में... मेहमान का दर्जा जानते हो ना...
विश्व - गलती हो गई... खुद को मेहमान कह गया... मुहँ से निकल गया... फिर भी... खाना बाद में हो जाएगा... आप पहले क्या कहने आए थे... यह बताइए...
दास - ओके... तुम जीते मैं हारा... (कह कर विश्व के सामने बैठ जाता है)
विश्व - अब तो कह ही दीजिए... बात क्या है...
दास - यह... आज... हमारा... आखिरी मुलाकात है...
विश्व - क्यूँ... आपका कहीं ट्रांसफ़र हो गया क्या....
दास - हाँ... मैंने पहले भी... सेनापति सर जी से मना किया था... पर उन्होंने मेरे बारे में कुछ रिपोर्ट बना कर... डीपीसी भेज दिया था...
विश्व - डीपीसी... यह डीपीसी क्या होता है...
दास - डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी...
विश्व - ओ... तो... आप प्रमोशन में जा रहे हैं...
दास - हाँ... डबल प्रमोशन... आईआईसी बन जाऊँगा... कल ही मुझे अंगुल ट्रेनिंग ऑफिस में तीन महीने ट्रेनिंग के लिए रिपोर्ट करना है... और जब ट्रेनिंग खतम होगी... पता नहीं फिर कहाँ पर पोस्टिंग होगी... फिर मिलना होगा या नहीं... इसलिए...
विश्व - ओ.. वाव... कंग्रेचुलेशन दास सर... यह तो खुशी की बात है...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - (उसे देख कर) क्यूँ आपको यह प्रोमोशन नहीं चाहिए था क्या...
दास - नहीं ऐसी बात नहीं... मुझे यह थोड़ी देर बाद मिलता तो अच्छा लगता...
विश्व - (अपना सिर थोड़ा पीछे लेता फिर आगे कर हँसते हुए कहता है) दास बाबु... थैंक्यू... थैंक्यू वेरी मच...
दास - किस बात के लिए थैंक्यू...
विश्व - दास बाबु... आपने मुझे अपना दोस्त समझा इसलिए...
दास - (अपना सिर नीचे कर लेता है)
विश्व - सच पूछिये तो आप जैसा ईमानदार, साहसी लोग.. समाज के उन हिस्सों में होना चाहिए... जहां... लोग पुलिस के बारे में चुटकुले बनाने के वजाए...या गाली देने के वजाए.. उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ें...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - आप तो जानते हैं ना दास बाबु... सैनिकों को प्रथम पंक्ति के सुरक्षा बल कहा जाता है... क्यूंकि वह लोग देश की सीमा व अखंडता का रक्षा करते हैं... और पुलिस को द्वितीय पंक्ति के सुरक्षा बल... क्यूंकि वह आंतरिक धर्म, विश्वास व न्याय की रक्षा करते हैं... जरा सोचिए अगर राजगड़ में एक ऑफिसर आप जैसा होता... तो... आज विश्व कभी यहाँ विश्वा भाई ना होता...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - जानते हैं... मुझे दीदी हमेशा एक बात कहा करती थी... हम जिस समाज का हिस्सा हैं... वह समाज भले ही हमें छोड़ दे... पर उस समाज को हम छोड़ नहीं सकते... खास कर तब.. जब समाज को हमारी जरूरत हो... पर यह निर्णय समाज को नहीं हमे खुद करना चाहिए...
दास - ठीक है ... ठीक है... अगर ज्यादा देर यहाँ बैठा... तो तुम्हारा भाषण बंद नहीं होगा... मैं चलता हूँ... मैं बस यह कहने आया था... की मैं कहीं भी रहूँ... किसी तरह की काम पड़ जाए... तो हिचकिचाना मत... (आवाज़ भर्रा जाता है)

बड़ी कोशिशों के बावजूद दास अपनी आँखों से आंसू नहीं रोक पाता इसलिए जल्दी से उठ कर वहाँ से जाने लगता है l विश्व अपनी जगह से उठ कर दास के बैठे हुए जगह पर जाता है l वहाँ टेबल पर कुछ आँसुओं के बूंद दिखाई देती है l विश्व उन बूँदों पर अपना हाथ फेरते हुए

विश्व - एक मिनट दास बाबु... (दास रुक जाता है) आप का मैं आभारी रहूँगा...
दास - (बिना पीछे मुड़े) वह क्यूँ...
विश्व - आप चौथे व्यक्ति हैं... जो मेरे लिए दिल से आँसू बहाए हैं...

दास ना कुछ कहता है ना ही कुछ सुनता है l बिना पीछे मुड़े बिना विश्व को देखे उस लाइब्रेरी से निकल जाता है l

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असेंबली हॉल,
स्टेज पर माइक पर प्रिन्सिपल खड़ा है और स्टेज के बीचों-बीच रॉकी एंड ग्रुप खड़े हैं l उनके सामने एक बड़ा सा ग्लोब जैसा जाली नुमा बॉल एक स्टैंड के साथ अटैच है l

प्रिन्सिपल - वेलकम टु ऑल... अब एक काम कीजिए... मेरे बाएँ तरफ सभी लड़के आ जाएं... और मेरे दाएँ तरफ सभी लड़कियाँ आ जाएं...

हॉल में मौजूद सभी स्टूडेंट्स वही करते हैं l लड़के एक तरफ आ जाते हैं और लड़किया एक तरफ हो जाती हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप सबको वल्युंटीयर्स एक एक चिट देंगे... आप सब अपने अपने दोस्त का नाम लिखें... और हाँ जो भी यहाँ मौजूद है उनके नाम की चिट हमारे पास मिलनी चाहिए... अगर नहीं मिली... तो उनको पनीश किया जाएगा...

स्टेज से राजू और सुशील काग़ज़ लेकर सभी स्टूडेंट्स को देने लगते हैं l

आशीष - तो यह तेरा प्लान था... जाहिर सी बात है उसके दोस्त उसका नाम जो लिखेंगे... तुमको खबर हो जाएगा...
रॉकी - (हँसते हुए) हाँ...
आशीष - अगर उसकी चिट गायब हो गई तो...
रॉकी - नहीं होगी...
आशीष - कैसे....
रॉकी - तु बस देखता जा...

राजु और सुशील सारे चिट बांट कर वापस स्टेज पर पहुँच जाते हैं l

प्रिन्सिपल - अब सब अपने अपने दोस्त के नाम लिखो... और ध्यान रहे जिसका नाम नहीं मिलेगा... उसको पनीश्मेंट मिलेगा...

ल़डकियों के बीच
तब्बसुम - चलो चलो हम में से डिसाइड करो... कौन किसका नाम लिखेगा...
दीप्ति - हाँ... हम छह हैं... पर हमे तीन जोड़ी में बंट जाना है...
नंदिनी - ठीक है... मैं बनानी का नाम लिखती हूँ... बनानी मेरा नाम लिखेगी... तब्बसुम दीप्ति का नाम लिखेगी और दीप्ति तब्बसुम का नाम... और फाइनली.. भाश्वती इतिश्री का नाम और इतिश्री भाश्वती का नाम...
सभी - ओके

लड़कियाँ अपनी अपनी चिट लिख कर फ़ोल्ड कर देते हैं l

प्रिन्सिपल - अब उन चिट को... ल़डकियों के तरफ से नंदिनी कलेक्ट करेंगी... और लड़कों के तरफ से xxxxx कलेक्ट करेंगे... इसलिए आप सब उन्हें अपनी अपनी चिट दें....

नंदिनी पहले हैरान हो जाती है फिर खुशी से सबकी चिट कलेक्ट करती है l दोनों ग्रुप की चिट कलेक्शन हो जाने के बाद नंदिनी और xxxxx स्टेज पर आते हैं l रॉकी उस ग्लोब का ढक्कन खोल देता है l और सारे चिट्स उसमें डालने को कहता है l दोनों वही करते हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप दोनों अपने दोस्तों के पास जा कर बैठ जाएं... (दोनों स्टेज से उतर कर अपने अपने दोस्तों के पास चले जाते हैं) आज इन चिट्स के बीच एक नाम को लकी ड्रॉ के जरिए एफएम रेडियो के जॉकी सुरेश साहब निकलेंगे... (सभी स्टूडेंट्स तालियां बजाने लगते हैं) आइए सुरेश साहब...

सुरेश स्टेज पर आता है l और उस सिस्टम को ऑन करता है जिसमें वह ग्लोब अटैच था l ग्लोब थोड़ी देर घूमने के बाद एक चिट बाहर गिरती है l सुरेश वह चिट प्रिन्सिपल को दे देता है l

प्रिन्सिपल - हाँ तो इस चिट में जिनका नाम आया है... मैं उनको पहले बधाई देता हूँ... आप हैं... मिस रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल...

सभी स्टूडेंट्स तालियाँ बजाने लगते हैं l स्टेज पर मौजूद सभी लोग और प्रिन्सिपल भी ताली बजाने लगते हैं l लड़कियाँ सभी नंदिनी को बधाई देते हैं और चीयर करने लगते हैं l

नंदिनी अपना नाम सुन कर पहले से ही शॉक थी l उस पर सब उसे जिस तरह से बधाई दे रहे हैं l वह नर्वस फिल करने लगती है l

प्रिन्सिपल - आइए नंदिनी जी... स्टेज पर आइए...

नंदिनी बड़ी नर्वस नेस के साथ स्टेज पर जाति है l स्टेज पर पहुंचते ही उसके सारे दोस्त चीयर करते हुए हूटिंग करते हैं l

प्रिन्सिपल - मिस. नंदिनी.. क्या आप नर्वस फिल कर रही हैं...
नंदिनी - जी.. जी सर...
प्रिन्सिपल - जीवन में कई चुनौतियाँ आयेंगी... इससे भी बड़े बड़े... इसे आप स्वीकार करने का साहस करें... फिर सभी आसान हो जाएगा...
नंदिनी - जी...
प्रिन्सिपल - तो आपको आज टास्क सुरेश जी देंगे... और इन दो दिनों में यहाँ पर एक टेंपोररी साउंड प्रूफ़ स्टूडियो बनाया जाएगा... आप लोग यहाँ पर लाइव देख व सुन सकें... (सभी स्टूडेंट्स फिर से तालियां बजाने लगते हैं) (प्रिन्सिपल हाथ दिखा कर इशारे से ताली रोकने को कहता है, ताली रुक जाती है) हाँ... तो सुरेश साहब... दीजिए इन्हें एक टास्क...(माइक से हट जाता है)
सुरेश - (माइक पर आकर) पहली बात... नंदिनी जी आप घबराएँ नहीं... यह टास्क ही सही... पर यह एक एक्सपोजर भी है... आप अपने भीतर एक नए व्यक्तित्व को ढूंढेंगी... सो प्लीज बी नॉर्मल... शांत हो जाइए...
नंदिनी - जी... जी मैं.. ठीक हुँ...
सुरेश - गुड... तो क्या मैं आपको टास्क दूँ...
नंदिनी - श्योर...
सुरेश - तो दोस्तों... मैं आज आपके सामने मिस नंदिनी जी को... एक टास्क दे रहा हूँ... वह शनिवार को बारह बजे के बाद... रेडियो एफएम 97 में... मेरे साथ लाइव रहेंगी... और उस दिन वह प्रेजेंट करेंगी एक विषय
"HUMAN EVOLUTION TWENTY FIRST CENTURY AND THE WOMEN"
यानी मानव क्रमिक विकास, इक्कीसवीं सदी और औरत...

कुछ देर के लिए हॉल में सन्नाटा पसर जाता है l पहले प्रिन्सिपल ताली बजाता है फिर सभी लोग ताली बजाने लगते हैं l पुरा का पुरा हॉल तालियों से गूंजने लगती है l

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ESS ऑफिस
कंफेरेंश रूम में महांती, विक्रम, वीर और पिनाक बैठे हुए हैं l पिनाक सिंह अपनी मुट्ठी को टेबल पर धीरे धीरे ठोक रहा है l

विक्रम - आप इतना खीज क्यूँ रहे हैं...
पिनाक - आप समझ नहीं रहे हैं युवराज... ऐसा लग रहा है... जैसे हम अपना रास्ता इसलिए बदल दिया... वह भी किसीके डर से...
विक्रम - हम चाहे कितने भी सहरी क्यूँ ना हो जाये... हम हैं तो जंगली ही... यह खेल शिकार और शिकारी वाला है... हमारा शिकार छुपा हुआ है... वह हमे छकाये हुए है... बस एक बार वह बाहर निकल जाए... फिर ऐसा शिकार होगा कि उसके पुश्तों तक के रूह कांप उठेगी...
पिनाक - खेल अगर शिकार और शिकारी वाला है... तो हमें उसे मौका देना चाहिए था... हम उसे बाहर निकालने के लिए चारा बनने के लिए तैयार हैं... पर बेचारा बन कर नहीं रह सकते...
महांती - गुस्ताखी माफ छोटे राजा जी... शेर भी कभी कभी शिकार करने से पहले दो कदम पीछे जाता ही है... हम डर कर नहीं... बल्कि उसे बौखलाने के लिए रास्ता बदला है... वह आपको ज़रूर फोन करेगा... आप बस उसे एहसास मत होने दीजियेगा... के हमें उसके प्लान का अंदाजा हो चुका था... वह आपको उसकायेगा... पर आप शांत रहें... आपका शांत रहना उसे और भी बौखलाएगा... और बौखलाहट उससे गलती करवाएगा...
वीर - हाँ... बहुत ही बढ़िया प्लान है... महांती बिल्कुल सही कह रहा है...
पिनाक - बस महफ़िल में आप ही की कमी थी... अच्छा हुआ... उगल दिए आपने वरना बदहजमी हो जाती आपको...
वीर - ओ... मेरे कुछ कहने से आपको अगर पसंद नहीं आ रहा... तो मेरा यहाँ रुकना बेकार है...
पिनाक - मैं नहीं हम कहिए... आप राजकुमार हैं...
वीर - हम का दम तब भरते... जब बंदे का इज़्ज़त हो...
विक्रम - राजकुमार... आप आपे से बाहर हो रहे हैं...
वीर - नहीं... अपने आप में आ रहे हैं... सॉरी

वीर वहाँ पर सबको बैठा छोड़ कर कांफ्रेंस रूम से निकल जाता है l

विक्रम - (पिनाक सिंह से) आखिर आप अपनी खीज... राजकुमार पर उतार ही दिया...
महांती - हाँ छोटे राजा जी... खबर मिलते ही... राजकुमार जी फौरन पुरी के लिए निकल पड़े थे...
पिनाक - वह हम थोड़ा... सॉरी... हम बाद में उनसे बात कर लेंगे...

तभी पिनाक सिंह की मोबाइल बजने लगता है l पिनाक मोबाइल के डिस्प्ले पर अन नोन कॉल देखता है l उस पर कोई नंबर नहीं दिखता है वह उस डिस्प्ले को विक्रम और महांती को दिखाता है l दोनों इशारे में बात करते रहने के लिए कहते हैं I

पिनाक - हैलो...
-X- क्या बात है... फोन उठाने में इतनी देरी... क्यूँ फट रही थी क्या...
पिनाक - फट तो तेरी रही है हरामजादे... सामने नहीं आ रहा है...
-X- बहुत जल्दी है मुझसे मिलने की... जिस देखेगा... उस दिन आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा...
पिनाक - अब एक बात का कंफर्म हो गया... तु ज़रूर किसी फटीचर सर्कस में जोकर रहा होगा... सिर्फ़ जोक मारने के सिवा कुछ भी नहीं आता तुझे...
-X- उस दिन की गोली बारी मजाक लग रहा है तुझे... याद है ना... गाड़ी बदली थी तुने... हाँ यह बात और है... घर जा कर चड्डी भी बदला होगा तुने... जो न्यूज वालों ने बताया नहीं किसी को...
पिनाक - तो भोषड़ी के... फिर हमला क्यूँ नहीं करवा रहा है... कौनसे बिल में छुप कर भौंक रहा है....
-X- भौंक नहीं रहा हूँ... दहाड़ रहा हूँ... बहुत जल्द... सारा सहर देखेगा... तु रोड पर जान बचा कर भाग रहा होगा.... और कसम से टीवी पर यह लाइव चल रहा होगा...
पिनाक - क्षेत्रपाल से बात कर रहा है... मादरचोद क्षेत्रपाल से... बस एक बार मेरे सामने आजा... तुझे तेरी ही जुबान से फांसी पर टांग ना दिया... तो हम क्षेत्रपाल नहीं...
-X- ठीक है फिर बहुत जल्द तेरे सामने आऊँगा... पहचानना तो दूर तु जान भी नहीं पाएगा... तेरी ऐसी गांड मार कर जाऊँगा...
पिनाक - ठीक है आजा फिर...
-X- अरे वाह... बड़ी जल्दी है... मुझसे मरवाने की...
पिनाक - (चिल्लाता है) हरामजादे.... (फोन कट हो जाता है) तु बस एक बार सामने आ... हैलो.. हैलो...
विक्रम - क्या पता चला महांती....
महांती - यह एक इंटेरनेट कॉल था... बहुत चालाक है.... ना सिर्फ़ इसकी लोकेशन हर दस सेकंड में बाउंस कर रहा था... बल्कि उलझाने के लिए अपनी कॉल को हर नेटवर्क पर बारी बारी से शिफ्ट कर रहा था...
विक्रम - तो क्या हम उसे ट्रेस नहीं कर सकते...
महांती - क्यूँ नहीं कर सकते... अगली बार कॉल करेगा तो... उसकी एक्जाक्ट लोकेशन मिल जाएगी...
पिनाक - ठीक है... महांती... तुम बस उसका लोकेशन का पता लगाओ... फ़िर हम उसकी वह हश्र करेंगे... वह हश्र करेंगे....

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वीर गुस्सा और नाराज होकर कांफ्रेंस रूम से निकल कर अपने कैबिन में आ कर बैठा हुआ है l कुछ देर बाद उसके कमरे में अनु कॉफी की कप लेकर अंदर आती है और वीर के सामने रख देती है l वीर के मन में पिनाक की कही बातें चल रही है l इसलिए उसे ध्यान नहीं रहता की उसके टेबल पर अनु ने कॉफी रख दिया है l अनु को एहसास होता है, वीर का मन ठीक नहीं है इसलिए वह फिर से अपनी पर्स से स्माइली बॉल निकाल कर वीर देखती है l उसे समझ में नहीं आता कि कैसे उन बॉल्स को वीर के हाथों में दे l इसलिए टेंशन में वह बॉल्स को दबाने लगती है l
कुछ देर बाद वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है तो अनु को स्माइली बॉल्स को दबाते हुए देखता है l

वीर - यह तुम क्या कर रही हो...
अनु - जी (अपने हाथ में बॉल देख कर) जी यह.. मैं वह.. आप.. कैसे...
वीर - क्या कह रही हो...
अनु - जी...मु.. मम्म्म्म.. मुझे समझ में नहीं आया.. यह बॉल कब और क.. कैसे.. आपके हाथ में दूँ...
वीर - (चेहरे पर मुस्कान आ जाती है) लाओ बॉल दो... (अनु दे देती है)(वीर बॉल्स दबाने लगता है) तुम अभी दबा रही थी ना... क्यूँ...
अनु - वह आपको टेंशन में देख कर... मेरे समझ में नहीं आया मैं क्या करूं...
वीर - (बॉल्स को दबाते हुए) अच्छा जब मैं यहाँ नहीं था... कुछ फोन वगैरह आया था...
अनु - जी.. जी नहीं... नहीं आया था...
वीर - (बॉल्स अनु को देते हुए) ह्म्म्म्म यह लो... रख लो... (अनु बॉल्स रख लेती है) अच्छा अनु... तुम मेरी क्या हो...
अनु - जी मैं आपकी... पीएस और पीए दोनों हूँ..
वीर - अच्छा.. तुम मेरे लिए यहाँ क्या करती हो...
अनु - जी आपके खाने पीने से लेकर वह सभी काम... जो आप मुझसे कहते हैं...
वीर - और छुट्टी के दिन...
अनु - छुट्टी के दिन तो छुट्टी होता है ना...
वीर - हाँ होता तो है... पर जानती हो... जो पर्सनल सेक्रेटरी या पर्सनल अस्सिटेंट होते हैं... वह चौबीस घंटे ड्यूटी पर होते हैं...
अनु - (हैरान हो कर) हे भगवान... तो फिर वह लोग खाते पीते सोते कब होंगे...
वीर - सब उनके बॉस के साथ ही करते हैं...
अनु - क्या...(और भी हैरान हो जाती है) सब उनके बॉस के साथ करते हैं...
वीर - अरे मेरा मतलब है... जब वह लोग अपने बॉस के साथ होते हैं... तो खयाल रखते हैं... और जब साथ नहीं होते तो फोन पर बात करते हुए खयाल रखते हैं...
अनु - ओ.. अच्छा... पर मेरे पास तो फोन है ही नहीं...
वीर - (अपनी टेबल का ड्रयर खिंचता है उसमे से एक मोबाइल निकाल कर अनु को देता है) यह लो... यह कंपनी के तरफ से... अपने बॉस के साथ चौबीसों घंटे टच में रहने के लिए...
अनु - (झिझकते हुए फोन लेती है) वह... असल में... मुझे मोबाइल चलानी नहीं आती...
वीर - क्या... तुम मेरी असिस्टेंट हो... सेक्रेटरी हो... तुम को यह सब नहीं आती...
अनु - (अपना सिर हिला कर ना कहती है)
वीर - व्हाट... तुम्हारा पनीश्मेंट में एक और पनीश्मेंट ऐड हुआ...
अनु - (रुआँसी हो जाती है)
वीर - (उसकी रुआँसी सुरत देख कर) ठीक है ठीक है... मैं इसबार माफ करता हूँ... यहाँ मेरे पास आकर बैठो... मैं तुम्हें मोबाइल चलाना सीखा देता हूँ... आओ यहाँ...

वीर अनु के हाथ खिंच कर अपनी कुर्सी के आर्म रेस्ट पर बिठा देता है और अनु के हाथ में मोबाइल थमा कर उसे चैटिंग और कॉल करने के बारे में समझाने लगता है
ये नया दुश्मन विश्व है, डैनी है या सेनापति है, isme thoda असमंजस है। तो नंदिनी का शक रॉकी के लिए सही था, आखिर उसने अपना प्लान चला ही दिया, लगता है रॉकी कुत्ते की मौत मरना चाहता है क्षेत्रपाल के हाथो। विश्व कभी अपनो के बीच में भी पराया था और आज परायों के बीच में भी अपने मिल रहे है।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,178
23,289
159
👉सत्तावनवां अपडेट
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XXXXX कॉलेज
बुधवार

कॉलेज अभी शुरू नहीं हुआ है l अभी तक कोई नहीं आया है l पर असेंबली हॉल के स्टेज पर रॉकी अपने दोस्तों के साथ लकी ड्रॉ निकालने वाली ग्लोब नुमा जालीदार बॉल को चेक कर रहा है l

रॉकी - सुशील... क्या यह अब ठीक है...
सुशील - (खीज कर) अबे ऑए.. मजनू की छटी औलाद... सुबह सुबह हमारी नींद खराब कर यहाँ लेकर आया है... कमीने हमें कुली की तरह लगया हुआ है... साले कमीने आशिकी तेरी... पर नींद और चैन हमारी खराब है....
रॉकी - तो क्या हुआ कमीने... बदले में खाने पीने की पार्टी भी तो देता हूँ.... वह भी अपने होटल के रॉयल शूट में...
सुशील - उसकी कीमत भी तो वसूल करता है... हमे गधे की तरह दौड़ा कर काम करवा कर....
रॉकी - ठीक है... ठीक है.. वक़्त जाया ना करो... बोलो कहाँ तक यह प्लान वर्क आउट करेगा...
सुशील - अबे जब प्लान आशीष का है... तो काम उससे ही लेना चाहिए था...
आशीष - ऑए... कब से बड़बड़ कर रहा है... काम पुरा कर अपना...
रवि - हाँ यार सुबह से लगा हुआ है... पर उखड़ा उससे कुछ भी नहीं...
सुशील - अबे तुम सब काओं काओं बंद करो... लो यह अब हो गया...
सब - क्या... हो गया...
सुशील - हाँ... हो गया..
रॉकी - चलो डेमो दिखाओ...

सुशील - यह देखो... इसमें कुछ काग़ज़ के चिट डालेंगे.... ऐसे (काग़ज़ के चिट डालते हुए) अब मैं स्विच ऑन करता हूँ...

स्विच ऑन करते ही वह ग्लोब आढ़ा टेढ़ा सीधा उल्टा हो कर घूमने लगता है फिर उसमें से एक चिट बाहर निकालता है l रॉकी वह चिट उठा कर देखता है उसमें नंदिनी का नाम लिखा हुआ है l यह देख कर सभी ताली बजाते हैं l

आशीष - फ़िर भी एक लोचा है...
सब - क्या...
आशीष - बीएससी फर्स्ट ईयर बैच के स्टूडेंट्स के बीच यह कंपटीशन है... क्या सभी अपना नाम चिट पर लिख कर डालेंगे...
रवी - हाँ.. यह एक पॉइंट है...
रॉकी - ठीक है... एक तरकीब लगाऊंगा... प्रिन्सिपल से करवाऊंगा...
राजु - क्या तेरा तरकीब... काम करेगा... वह रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल है...
रॉकी - मुझे तो लगता है... जरूर करेगी... पहले से ही हम जानते हैं... वह अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में है... इसलिए मेरा दिल कहता है... वह ज़रूर करेगी...
रवि - लो कर लो बात... दिल कह रहा है इसका...
आशीष - हाँ उसके दिल के हिसाब से चलते हैं... आखिर यह तो मानना ही पड़ेगा... लड़की अपने हीरो से अभी अभी इम्प्रेस तो हुई है...
सब - ह्म्म्म्म... तो फिर ठीक है...
रॉकी - कोई दुसरा पॉइंट भी है क्या...
आशीष - हाँ... वह खुद को रूप कहलाना पसंद नहीं करती... तो उसकी चिट में वह अपना क्या नाम लिखेगी... रूप नंदिनी.. या सिर्फ़ नंदिनी...
रवि - वह जो भी लिखे... नाम तो उसका ही आना है ना...
सुशील - लो लग गए लौड़े.... अबे तो अब तक मैं क्या यहाँ झक् मार रहा था... (रॉकी के तरफ देख कर) आशीष सही बोल रहा है हीरो... लड़की पहले ही दिन से अपने नाम पर सबको कंफ्यूज कर रखा है...
रॉकी - हाँ यह भी पॉइंट है...
आशीष - और एक बात... चिट निकलने के बाद... अगर लड़की ने यह कहा कि... चिट उसकी नहीं है... तो...
रॉकी - ह्म्म्म्म... फ़िर...
राजु - फ़िर क्या... उसका भाई वीर सिंह और विक्रम सिंह... हमारी ही हाथों से... हमारी मैयत उठवाएंगे...
रॉकी - हम्म्म....
सभी - देख रॉकी... हम कहीं जोश जोश में... लोचा कर गए... तो लेने के देने पड़ जाएंगे...
रॉकी - ठीक है... देखो अपना सिस्टम तैयार है... बाकी उन लड़कियों की बैच.... कैसे इनवल्व होगी... मैं प्रिन्सिपल से मिलकर कोई रास्ता बनाता हूँ....

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ESS ऑफिस

वीर अपनी कैबिन में चहल कदम कर रहा है l उसे एक कोने से दुसरे कोने तक चहल कदम करते हुए अनु अपने दाएं हाथ की नाखुन को दांतों तले दबा कर देख रही है I वीर अपनी दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ की हथेली पर मारते हुए घूमना शुरू कर देता है l यह देख कर अनु घबराते हुए अपनी वैनिटी पर्स से स्माइली बॉल्स झट से निकाल कर वीर को देखने लगती है l जब वीर उसे नहीं देखता तो धीरे से अनु वीर को आवाज देती है

अनु - राज कुमार जी... (वीर नहीं सुनता) अहेम... अहेम... (वीर फिर भी नहीं सुनता) राजकुमार जी... (थोड़ी ऊँची आवाज़ में)
वीर - (अनु की ओर देखते हुए) क्या हुआ अनु जी...
अनु - (रुक रुक कर) वह.. आप... कुछ... त.. तनाव में दिख रहे हैं... (बॉल दिखा कर) यह.. यह लीजिए...
वीर - (उसे देखने लगता है, क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आता) हूँ... (बस इतना ही कह पाता है)
अनु - लीजिए ना...
वीर - (थोड़ा मुस्कराते हुए) अनु.. जी.. मैं एक दिन बॉल पकड़ुंगा... पर अभी टाइम नहीं आया है... जब आएगा... जमके पकड़ुंगा... कसके पकड़ुंगा और दबाके पकड़ुंगा.... वादा रहा... पर अब मैं कुछ और सोच रहा हूँ...
अनु - क्या.. आप और क्या सोच रहे हैं...
वीर - मैं यह सोच रहा हूँ... की कौनसा भेष बदलुं... और कितने बजे जाऊँ... सब को चेक करने के लिए...
अनु - (अपना सिर हिलाते हुए) ओ... ह्म्म्म्म...

तभी टेबल पर रखी वीर की मोबाइल बजने लगती है l अनु जाती है और मोबाइल फोन लाकर वीर को देती है l

वीर - अरे अनु जी... आप हमारी पीए हैं... आप रीसीव लीजिए... और बात कीजिए... पूछिए कौन है... क्या काम है... सब समझने के बाद... हमे दीजिए...
अनु - जी... (तब तक रिंग बंद हो जाती है) ओह... लगता है फोन कट गया...
वीर - कोई नहीं... मोबाइल पर नाम दिखा तो होगा ना...
अनु - हाँ... महांती कमीना... ऐसा कुछ लिखा था...
वीर - (फौरन अनु की हाथ से मोबाइल ले लेता है) देखो अनु... अब मैं जो कहूँ... उसे ध्यान से सुनना और याद रखना... महांती, युवराज और छोटे राजा नाम दिखे तो सीधे फोन को मुझे दे देना... बाकी जिसकी भी आए... तो तुम ही उठाना... बात करना... समझना और मुझे समझा कर दे देना... समझी...

अनु अपना सिर हिला कर हाँ कहती है, फोन फिर से बजने लगती है, इसबार भी डिस्प्ले में महांती कमीना दिखता है l अनु वीर को मोबाइल बढ़ा देती है l

वीर - (मोबाइल लेते हुए) गुड... (महांती का कॉल उठाते हुए) हाँ महांती बोल... क्या बात है...
महांती - एक बहुत बड़ी इंफॉर्मेशन हाथ लगी है... मेयर साहब... मेरा मतलब छोटे राजाजी पर आज हमला हो सकता है... युवराज जी को फोन लगा रहा हूँ पर पर वह मिल नहीं रहे हैं... वह कहाँ हैं...
वीर - हाँ वह... छोटे राजा जी के साथ पार्टी मीटिंग अटेंड करने... पुरी में स्थित पार्टी ऑफिस गए हैं... वह छोटे राजाजी के साथ हैं...
महांती - छोटे राजा जी पर हमला हो सकता है... उन लोगों ने स्पॉट देख ली है... रूट पर वह लोग थोड़े कंफ्यूज हैं... यह बात युवराज जी का जानना जरूरी है...
वीर - ठीक है... वह लोग पार्टी मीटिंग में होंगे... इसलिए उनके फोन शायद रीसेप्शन में डिपोजिट होंगे... मैं मैसेज किए देता हूँ... आप भी कर कीजिए...
महांती - क्या हम पार्टी ऑफिस में मैसेज कर दें...
वीर - नहीं... नहीं हो सकता है... कोई वहाँ पर उनकी रेकी कर रहा हो... मैं मैसेज कर देता हूँ... और कोशिश करता हूँ... वहाँ मीटिंग में पहुंचने की...
महांती - हाँ यह बढ़िया है... पर जल्दबाजी में मत जाइएगा... हो सकता है.... आपकी जल्दबाजी देख कर वह अपना प्लान बदल दें... एक काम लीजिए... आप पूरी कनाल रोड पर जाइए.... मैं ओल्ड भुवनेश्वर रोड से पूरी जाता हूँ...
वीर - ठीक है...(फोन काट देता है, और अनु को देखते हुए) तुम यहाँ पर रुको... और फोन वगैरह आए तो अटेंड करो... ठीक है...
अनु - जी ठीक है...

वीर वहाँ से हल्दी में निकल जाता है l

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XXX पार्टी ऑफिस
मीटिंग खतम हो जाता है l उसके बाद पिनाक सिंह और विक्रम सिंह रीसेप्शन में जमा किए हुए अपने फोन वापस लेते हैं l विक्रम अपने फोन पर देखता है महांती और वीर के बहुत से मिस कॉल हैं l विक्रम महांती को फोन लगाता है l

महांती - (फोन उठाकर) हैलो युवराज जी...
विक्रम - हाँ महांती... इतने मिस कॉल...
महांती - सर... उन्होंने... अपना स्पॉट चुन लिया है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... एक मिनट... पहले मैं गाड़ी में पहुँच जाऊँ... (विक्रम अपनी गाड़ी में आ जाता है) हाँ अब बोलो...
महांती - मैं यह कह रहा था... उन लोगों ने स्पॉट फिक्स कर लिया है...
विक्रम - कौनसे रूट पर...
महांती - वे लोग दो रूट पर... घात लगाएंगे... पहला पुरी कनाल रोड पर... दुसरी भुवनेश्वर पुरी रोड पर...
विक्रम - मतलब... छोटे राजा जी के पुरी से आते वक़्त... हमला हो सकता है...(मोबाइल पर वीर की कॉल आ रहा है) यह राजकुमार भी बार बार फोन कर रहे हैं...
महांती - वह आप ही के पास जा रहे हैं... मैं भी ऑन द रोड हूँ...
विक्रम - ठीक है... मैं उन्हें भी कंफेरेंश में ले लेता हूँ.... (वीर को कंफेरेंश में ऐड करने के बाद) हाँ राजकुमार जी...
वीर - क्या आपकी महांती से बात हो गई...
विक्रम - हाँ हो रहा है... और आप अभी कांफ्रेंस में हैं...
वीर - ठीक है... फिर आप छोटे राजा जी को... कांफ्रेंस में ले लीजिए... हम भी अपना प्लान सेट करते हैं...
विक्रम - ओके... लाइन पर रहीए... (विक्रम पिनाक को कंफेरेंश में लेने की कोशिश करता है पर उसका फोन बिजी आता है) शीट...
महांती और वीर - क्या हुआ...
विक्रम - उनका फोन बिजी आ रहा है...
महांती - ठीक है... आप तो उनके साथ हैं ना...
विक्रम - हाँ.. पर दुसरे गाड़ी में...
महांती - ठीक है... अब हमें मालूम है क्या होने वाला है... वह लोग हमारे सर्विलांस में हैं... अब बताइए हमे क्या करना है...
विक्रम - महांती... हम उन्हें इसबार फैल करते हैं....
वीर - फैल करते हैं मतलब...
विक्रम - इस बार हम उन्हें नहीं दबोचेंगे... बल्कि हम रास्ता बदल देंगे...
महांती - कौनसा रास्ता लेंगे फिर...
विक्रम - पुरी रामेश्वर रोड पर... हम रामेश्वर रोड से जा कर एनएच पर निकलेंगे...
वीर - इससे फायदा...
विक्रम - हमारा दुश्मन एक घोस्ट है... वह कौन है... उसकी प्लानिंग क्या है... हम नहीं जानते... जैसा कि महांती ने पहले ही बता चुका है... वह घोस्ट, अपने ही आदमियों से भी छुपा हुआ है... उसके एक दो प्लान ऐसे फैल कर देने से... वह बौखलाएगा... बिलबिलाएगा... तब वह गलती करेगा...
महांती - तब शायद वह बाहर भी निकल सकता है...
विक्रम - हाँ...
वीर - बढ़िया... तो अब हम क्या करें...
विक्रम - एक मिनट छोटे राजा जी का कॉल आ रहा है... मैं उन्हें कांफ्रेंस में लेता हूँ... (कांफ्रेंस में लेने के बाद) छोटे राजा जी... आज आप पर दोबारा हमला होने वाला है...
पिनाक - तो चलो धर दबोच कर नर्क दिखाते हैं उन्हें...
विक्रम - नहीं छोटे राजा जी... हमे उस हराम खोर के चमचों के बारे में पता है... पर उस अदृश्य दुश्मन के बारे में नहीं... हम उसका प्लान फैल कर देते हैं...
पिनाक - नहीं ऐसा नहीं हो सकता... अगर उसे मालुम हुआ तो खिल्ली उड़ाएगा...
विक्रम - नहीं उड़ाएगा... हम एक रुटीन प्रोसिजर बना कर रूट बदलेंगे... आज उसका प्लान फैल हुआ तो... वह चिढ़ जाएगा... तब शायद कोई गलती भी करेगा... हो सकता है... उसे सामने आना पड़े...
पिनाक - ठीक है युवराज... चाहे कुछ भी हो... मुझ पर भगोड़ा का छाप लगनी नहीं चाहिए...
विक्रम - नहीं लगेगा... आप अपने ड्राइवर से कहिए... वह गाड़ी को रामेश्वर रोड पर ले जाए... और राजकुमार... आप वापस ऑफिस जाओ... महांती तुम भी पहुंचो... हम रामेश्वर रोड पर छोटे राजा जी को लेकर ऑफिस पहुँचते हैं....
दोनों - ओके...

विक्रम फोन काट देता है l पिनाक सिंह अपने ड्राइवर को रामेश्वर रोड पर ले जाने को बोलता है l ड्राइवर भी अपनी गाड़ी को रामेश्वर रोड की ओर मोड़ देता है l

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कॉलेज की कैन्टीन में छटी गैंग मस्ती कर रही है l तभी कैन्टीन की माइक पर प्रिन्सिपल की आवाज गूंजने लगती है l

प्रिन्सिपल - हैलो स्टूडेंट्स... मैं आपका प्रिन्सिपल बोल रहा हूँ... बीएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स आप लोग तुरंत असेंबली हॉल में पहुंचे... आपके पास सिर्फ़ दस मिनट है... जो नहीं आयेंगे... उनको पनीश्मेंट दी जाएगी... सो डोंट बी लेट... बी हर्री...
बनानी - व्हाट... लो फ्रेंड्स... ब्रेक का सत्यानाश हो गया...
दीप्ति - कुछ भी हो... जाना तो पड़ेगा ही... वरना पता नहीं बुढ़उ ने क्या पनीश्मेंट सोचा होगा...
तब्बसुम - हाँ यार... बुड्ढे को सिर्फ बनानी को ही शॉक से उबार ने का प्लान बनाना चाहिए था... क्यूँ के शॉक तो उसे लगा था ना...
बनानी - अपना मुहँ बंद रख... यह मत भूलो... मेरे साथ तुम सभी भी शॉक्ड थे...
भाश्वती - पर फायदा क्या... चिट में तो किसी एक का नाम आएगा... कितना अच्छा होता ना... अगर हम सब मिलकर एफएम में टास्क पुरा करते...
इतिश्री - कमाल है... हम सब तब से चपड़ चपड़ करते जा रहे हैं... पर राजकुमारी जी हैं कि चुप्पी साधे हुए हैं...
नंदिनी - (इतिश्री की हाथ में जोर से चिकोटी काटते हुए) कमीनी अगर फिर कभी नंदिनी के वजाए...
इतिश्री - आ... आ... ह्ह्ह्... (चिल्लाने लगती है)
नंदिनी - राजकुमारी कहा तो... तेरी ऐसी कुटाई करूंगी के तुझे तेरी छटी का दुध याद आ जाएगी...(छोड़ देती है)
इतिश्री - उई माँ... (अपने हाथ को मलते हुए) डायन कहीं की... थोड़ी देर और ऐसे ही रहती तो... मांस ही बाहर आ जाती...
बनानी - ओह ओ... अब छोड़ो भी यह सब... इससे पहले कि प्रिन्सिपल दोबारा माइक पर भोंकने लगे... हमें असेंबली हॉल में पहुँच जाना चाहिए...
दीप्ति - हाँ हाँ... जल्दी चलो... देखें तो सही वहाँ होता क्या है...
नंदिनी - ठीक है.. चलो... अपनी पंचायत हम कल बिठायेंगे...
सब - हाँ हाँ चलो चलो...

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सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी

दास एक अर्दली के साथ अंदर आता है l अर्दली के हाथ में खाने की थाली है वह विश्व के पास थाली रखते कर बाहर चला जाता है l विश्व एक नजर दास को देखता है फ़िर किताबों में घुस जाता है l

दास - विश्व... खाना खा लो यार...
विश्व - (किताबों से सिर बाहर निकाल कर) दास बाबु... जो आप कहने आए हैं... वह कह दीजिए... मैं बाद में खा लूँगा...
दास - तुम्हें कैसे मालुम हुआ... मैं कुछ कहने आया हूँ...
विश्व - रोज आप अर्दली के साथ चले जाते थे... आज आप रुक गए हैं...
दास - तकल्लुफ मत करो... तुम खाना खा लो... मैं... मैं यहाँ इंतजार कर लेता हूँ...
विश्व - दास बाबु... बात तकल्लुफ की ही है... साथ खाना खाने बैठे होते... तो बात अलग थी... मैं खाना खाऊँ और आप खड़े हो कर देखते रहें... मुझे ऐंबार्समेंट फील होगा... प्लीज... आप ही का जैल है... और मैं यहाँ कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ...
दास - हमारे संस्कार में... मेहमान का दर्जा जानते हो ना...
विश्व - गलती हो गई... खुद को मेहमान कह गया... मुहँ से निकल गया... फिर भी... खाना बाद में हो जाएगा... आप पहले क्या कहने आए थे... यह बताइए...
दास - ओके... तुम जीते मैं हारा... (कह कर विश्व के सामने बैठ जाता है)
विश्व - अब तो कह ही दीजिए... बात क्या है...
दास - यह... आज... हमारा... आखिरी मुलाकात है...
विश्व - क्यूँ... आपका कहीं ट्रांसफ़र हो गया क्या....
दास - हाँ... मैंने पहले भी... सेनापति सर जी से मना किया था... पर उन्होंने मेरे बारे में कुछ रिपोर्ट बना कर... डीपीसी भेज दिया था...
विश्व - डीपीसी... यह डीपीसी क्या होता है...
दास - डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी...
विश्व - ओ... तो... आप प्रमोशन में जा रहे हैं...
दास - हाँ... डबल प्रमोशन... आईआईसी बन जाऊँगा... कल ही मुझे अंगुल ट्रेनिंग ऑफिस में तीन महीने ट्रेनिंग के लिए रिपोर्ट करना है... और जब ट्रेनिंग खतम होगी... पता नहीं फिर कहाँ पर पोस्टिंग होगी... फिर मिलना होगा या नहीं... इसलिए...
विश्व - ओ.. वाव... कंग्रेचुलेशन दास सर... यह तो खुशी की बात है...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - (उसे देख कर) क्यूँ आपको यह प्रोमोशन नहीं चाहिए था क्या...
दास - नहीं ऐसी बात नहीं... मुझे यह थोड़ी देर बाद मिलता तो अच्छा लगता...
विश्व - (अपना सिर थोड़ा पीछे लेता फिर आगे कर हँसते हुए कहता है) दास बाबु... थैंक्यू... थैंक्यू वेरी मच...
दास - किस बात के लिए थैंक्यू...
विश्व - दास बाबु... आपने मुझे अपना दोस्त समझा इसलिए...
दास - (अपना सिर नीचे कर लेता है)
विश्व - सच पूछिये तो आप जैसा ईमानदार, साहसी लोग.. समाज के उन हिस्सों में होना चाहिए... जहां... लोग पुलिस के बारे में चुटकुले बनाने के वजाए...या गाली देने के वजाए.. उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ें...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - आप तो जानते हैं ना दास बाबु... सैनिकों को प्रथम पंक्ति के सुरक्षा बल कहा जाता है... क्यूंकि वह लोग देश की सीमा व अखंडता का रक्षा करते हैं... और पुलिस को द्वितीय पंक्ति के सुरक्षा बल... क्यूंकि वह आंतरिक धर्म, विश्वास व न्याय की रक्षा करते हैं... जरा सोचिए अगर राजगड़ में एक ऑफिसर आप जैसा होता... तो... आज विश्व कभी यहाँ विश्वा भाई ना होता...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - जानते हैं... मुझे दीदी हमेशा एक बात कहा करती थी... हम जिस समाज का हिस्सा हैं... वह समाज भले ही हमें छोड़ दे... पर उस समाज को हम छोड़ नहीं सकते... खास कर तब.. जब समाज को हमारी जरूरत हो... पर यह निर्णय समाज को नहीं हमे खुद करना चाहिए...
दास - ठीक है ... ठीक है... अगर ज्यादा देर यहाँ बैठा... तो तुम्हारा भाषण बंद नहीं होगा... मैं चलता हूँ... मैं बस यह कहने आया था... की मैं कहीं भी रहूँ... किसी तरह की काम पड़ जाए... तो हिचकिचाना मत... (आवाज़ भर्रा जाता है)

बड़ी कोशिशों के बावजूद दास अपनी आँखों से आंसू नहीं रोक पाता इसलिए जल्दी से उठ कर वहाँ से जाने लगता है l विश्व अपनी जगह से उठ कर दास के बैठे हुए जगह पर जाता है l वहाँ टेबल पर कुछ आँसुओं के बूंद दिखाई देती है l विश्व उन बूँदों पर अपना हाथ फेरते हुए

विश्व - एक मिनट दास बाबु... (दास रुक जाता है) आप का मैं आभारी रहूँगा...
दास - (बिना पीछे मुड़े) वह क्यूँ...
विश्व - आप चौथे व्यक्ति हैं... जो मेरे लिए दिल से आँसू बहाए हैं...

दास ना कुछ कहता है ना ही कुछ सुनता है l बिना पीछे मुड़े बिना विश्व को देखे उस लाइब्रेरी से निकल जाता है l

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असेंबली हॉल,
स्टेज पर माइक पर प्रिन्सिपल खड़ा है और स्टेज के बीचों-बीच रॉकी एंड ग्रुप खड़े हैं l उनके सामने एक बड़ा सा ग्लोब जैसा जाली नुमा बॉल एक स्टैंड के साथ अटैच है l

प्रिन्सिपल - वेलकम टु ऑल... अब एक काम कीजिए... मेरे बाएँ तरफ सभी लड़के आ जाएं... और मेरे दाएँ तरफ सभी लड़कियाँ आ जाएं...

हॉल में मौजूद सभी स्टूडेंट्स वही करते हैं l लड़के एक तरफ आ जाते हैं और लड़किया एक तरफ हो जाती हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप सबको वल्युंटीयर्स एक एक चिट देंगे... आप सब अपने अपने दोस्त का नाम लिखें... और हाँ जो भी यहाँ मौजूद है उनके नाम की चिट हमारे पास मिलनी चाहिए... अगर नहीं मिली... तो उनको पनीश किया जाएगा...

स्टेज से राजू और सुशील काग़ज़ लेकर सभी स्टूडेंट्स को देने लगते हैं l

आशीष - तो यह तेरा प्लान था... जाहिर सी बात है उसके दोस्त उसका नाम जो लिखेंगे... तुमको खबर हो जाएगा...
रॉकी - (हँसते हुए) हाँ...
आशीष - अगर उसकी चिट गायब हो गई तो...
रॉकी - नहीं होगी...
आशीष - कैसे....
रॉकी - तु बस देखता जा...

राजु और सुशील सारे चिट बांट कर वापस स्टेज पर पहुँच जाते हैं l

प्रिन्सिपल - अब सब अपने अपने दोस्त के नाम लिखो... और ध्यान रहे जिसका नाम नहीं मिलेगा... उसको पनीश्मेंट मिलेगा...

ल़डकियों के बीच
तब्बसुम - चलो चलो हम में से डिसाइड करो... कौन किसका नाम लिखेगा...
दीप्ति - हाँ... हम छह हैं... पर हमे तीन जोड़ी में बंट जाना है...
नंदिनी - ठीक है... मैं बनानी का नाम लिखती हूँ... बनानी मेरा नाम लिखेगी... तब्बसुम दीप्ति का नाम लिखेगी और दीप्ति तब्बसुम का नाम... और फाइनली.. भाश्वती इतिश्री का नाम और इतिश्री भाश्वती का नाम...
सभी - ओके

लड़कियाँ अपनी अपनी चिट लिख कर फ़ोल्ड कर देते हैं l

प्रिन्सिपल - अब उन चिट को... ल़डकियों के तरफ से नंदिनी कलेक्ट करेंगी... और लड़कों के तरफ से xxxxx कलेक्ट करेंगे... इसलिए आप सब उन्हें अपनी अपनी चिट दें....

नंदिनी पहले हैरान हो जाती है फिर खुशी से सबकी चिट कलेक्ट करती है l दोनों ग्रुप की चिट कलेक्शन हो जाने के बाद नंदिनी और xxxxx स्टेज पर आते हैं l रॉकी उस ग्लोब का ढक्कन खोल देता है l और सारे चिट्स उसमें डालने को कहता है l दोनों वही करते हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप दोनों अपने दोस्तों के पास जा कर बैठ जाएं... (दोनों स्टेज से उतर कर अपने अपने दोस्तों के पास चले जाते हैं) आज इन चिट्स के बीच एक नाम को लकी ड्रॉ के जरिए एफएम रेडियो के जॉकी सुरेश साहब निकलेंगे... (सभी स्टूडेंट्स तालियां बजाने लगते हैं) आइए सुरेश साहब...

सुरेश स्टेज पर आता है l और उस सिस्टम को ऑन करता है जिसमें वह ग्लोब अटैच था l ग्लोब थोड़ी देर घूमने के बाद एक चिट बाहर गिरती है l सुरेश वह चिट प्रिन्सिपल को दे देता है l

प्रिन्सिपल - हाँ तो इस चिट में जिनका नाम आया है... मैं उनको पहले बधाई देता हूँ... आप हैं... मिस रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल...

सभी स्टूडेंट्स तालियाँ बजाने लगते हैं l स्टेज पर मौजूद सभी लोग और प्रिन्सिपल भी ताली बजाने लगते हैं l लड़कियाँ सभी नंदिनी को बधाई देते हैं और चीयर करने लगते हैं l

नंदिनी अपना नाम सुन कर पहले से ही शॉक थी l उस पर सब उसे जिस तरह से बधाई दे रहे हैं l वह नर्वस फिल करने लगती है l

प्रिन्सिपल - आइए नंदिनी जी... स्टेज पर आइए...

नंदिनी बड़ी नर्वस नेस के साथ स्टेज पर जाति है l स्टेज पर पहुंचते ही उसके सारे दोस्त चीयर करते हुए हूटिंग करते हैं l

प्रिन्सिपल - मिस. नंदिनी.. क्या आप नर्वस फिल कर रही हैं...
नंदिनी - जी.. जी सर...
प्रिन्सिपल - जीवन में कई चुनौतियाँ आयेंगी... इससे भी बड़े बड़े... इसे आप स्वीकार करने का साहस करें... फिर सभी आसान हो जाएगा...
नंदिनी - जी...
प्रिन्सिपल - तो आपको आज टास्क सुरेश जी देंगे... और इन दो दिनों में यहाँ पर एक टेंपोररी साउंड प्रूफ़ स्टूडियो बनाया जाएगा... आप लोग यहाँ पर लाइव देख व सुन सकें... (सभी स्टूडेंट्स फिर से तालियां बजाने लगते हैं) (प्रिन्सिपल हाथ दिखा कर इशारे से ताली रोकने को कहता है, ताली रुक जाती है) हाँ... तो सुरेश साहब... दीजिए इन्हें एक टास्क...(माइक से हट जाता है)
सुरेश - (माइक पर आकर) पहली बात... नंदिनी जी आप घबराएँ नहीं... यह टास्क ही सही... पर यह एक एक्सपोजर भी है... आप अपने भीतर एक नए व्यक्तित्व को ढूंढेंगी... सो प्लीज बी नॉर्मल... शांत हो जाइए...
नंदिनी - जी... जी मैं.. ठीक हुँ...
सुरेश - गुड... तो क्या मैं आपको टास्क दूँ...
नंदिनी - श्योर...
सुरेश - तो दोस्तों... मैं आज आपके सामने मिस नंदिनी जी को... एक टास्क दे रहा हूँ... वह शनिवार को बारह बजे के बाद... रेडियो एफएम 97 में... मेरे साथ लाइव रहेंगी... और उस दिन वह प्रेजेंट करेंगी एक विषय
"HUMAN EVOLUTION TWENTY FIRST CENTURY AND THE WOMEN"
यानी मानव क्रमिक विकास, इक्कीसवीं सदी और औरत...

कुछ देर के लिए हॉल में सन्नाटा पसर जाता है l पहले प्रिन्सिपल ताली बजाता है फिर सभी लोग ताली बजाने लगते हैं l पुरा का पुरा हॉल तालियों से गूंजने लगती है l

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ESS ऑफिस
कंफेरेंश रूम में महांती, विक्रम, वीर और पिनाक बैठे हुए हैं l पिनाक सिंह अपनी मुट्ठी को टेबल पर धीरे धीरे ठोक रहा है l

विक्रम - आप इतना खीज क्यूँ रहे हैं...
पिनाक - आप समझ नहीं रहे हैं युवराज... ऐसा लग रहा है... जैसे हम अपना रास्ता इसलिए बदल दिया... वह भी किसीके डर से...
विक्रम - हम चाहे कितने भी सहरी क्यूँ ना हो जाये... हम हैं तो जंगली ही... यह खेल शिकार और शिकारी वाला है... हमारा शिकार छुपा हुआ है... वह हमे छकाये हुए है... बस एक बार वह बाहर निकल जाए... फिर ऐसा शिकार होगा कि उसके पुश्तों तक के रूह कांप उठेगी...
पिनाक - खेल अगर शिकार और शिकारी वाला है... तो हमें उसे मौका देना चाहिए था... हम उसे बाहर निकालने के लिए चारा बनने के लिए तैयार हैं... पर बेचारा बन कर नहीं रह सकते...
महांती - गुस्ताखी माफ छोटे राजा जी... शेर भी कभी कभी शिकार करने से पहले दो कदम पीछे जाता ही है... हम डर कर नहीं... बल्कि उसे बौखलाने के लिए रास्ता बदला है... वह आपको ज़रूर फोन करेगा... आप बस उसे एहसास मत होने दीजियेगा... के हमें उसके प्लान का अंदाजा हो चुका था... वह आपको उसकायेगा... पर आप शांत रहें... आपका शांत रहना उसे और भी बौखलाएगा... और बौखलाहट उससे गलती करवाएगा...
वीर - हाँ... बहुत ही बढ़िया प्लान है... महांती बिल्कुल सही कह रहा है...
पिनाक - बस महफ़िल में आप ही की कमी थी... अच्छा हुआ... उगल दिए आपने वरना बदहजमी हो जाती आपको...
वीर - ओ... मेरे कुछ कहने से आपको अगर पसंद नहीं आ रहा... तो मेरा यहाँ रुकना बेकार है...
पिनाक - मैं नहीं हम कहिए... आप राजकुमार हैं...
वीर - हम का दम तब भरते... जब बंदे का इज़्ज़त हो...
विक्रम - राजकुमार... आप आपे से बाहर हो रहे हैं...
वीर - नहीं... अपने आप में आ रहे हैं... सॉरी

वीर वहाँ पर सबको बैठा छोड़ कर कांफ्रेंस रूम से निकल जाता है l

विक्रम - (पिनाक सिंह से) आखिर आप अपनी खीज... राजकुमार पर उतार ही दिया...
महांती - हाँ छोटे राजा जी... खबर मिलते ही... राजकुमार जी फौरन पुरी के लिए निकल पड़े थे...
पिनाक - वह हम थोड़ा... सॉरी... हम बाद में उनसे बात कर लेंगे...

तभी पिनाक सिंह की मोबाइल बजने लगता है l पिनाक मोबाइल के डिस्प्ले पर अन नोन कॉल देखता है l उस पर कोई नंबर नहीं दिखता है वह उस डिस्प्ले को विक्रम और महांती को दिखाता है l दोनों इशारे में बात करते रहने के लिए कहते हैं I

पिनाक - हैलो...
-X- क्या बात है... फोन उठाने में इतनी देरी... क्यूँ फट रही थी क्या...
पिनाक - फट तो तेरी रही है हरामजादे... सामने नहीं आ रहा है...
-X- बहुत जल्दी है मुझसे मिलने की... जिस देखेगा... उस दिन आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा...
पिनाक - अब एक बात का कंफर्म हो गया... तु ज़रूर किसी फटीचर सर्कस में जोकर रहा होगा... सिर्फ़ जोक मारने के सिवा कुछ भी नहीं आता तुझे...
-X- उस दिन की गोली बारी मजाक लग रहा है तुझे... याद है ना... गाड़ी बदली थी तुने... हाँ यह बात और है... घर जा कर चड्डी भी बदला होगा तुने... जो न्यूज वालों ने बताया नहीं किसी को...
पिनाक - तो भोषड़ी के... फिर हमला क्यूँ नहीं करवा रहा है... कौनसे बिल में छुप कर भौंक रहा है....
-X- भौंक नहीं रहा हूँ... दहाड़ रहा हूँ... बहुत जल्द... सारा सहर देखेगा... तु रोड पर जान बचा कर भाग रहा होगा.... और कसम से टीवी पर यह लाइव चल रहा होगा...
पिनाक - क्षेत्रपाल से बात कर रहा है... मादरचोद क्षेत्रपाल से... बस एक बार मेरे सामने आजा... तुझे तेरी ही जुबान से फांसी पर टांग ना दिया... तो हम क्षेत्रपाल नहीं...
-X- ठीक है फिर बहुत जल्द तेरे सामने आऊँगा... पहचानना तो दूर तु जान भी नहीं पाएगा... तेरी ऐसी गांड मार कर जाऊँगा...
पिनाक - ठीक है आजा फिर...
-X- अरे वाह... बड़ी जल्दी है... मुझसे मरवाने की...
पिनाक - (चिल्लाता है) हरामजादे.... (फोन कट हो जाता है) तु बस एक बार सामने आ... हैलो.. हैलो...
विक्रम - क्या पता चला महांती....
महांती - यह एक इंटेरनेट कॉल था... बहुत चालाक है.... ना सिर्फ़ इसकी लोकेशन हर दस सेकंड में बाउंस कर रहा था... बल्कि उलझाने के लिए अपनी कॉल को हर नेटवर्क पर बारी बारी से शिफ्ट कर रहा था...
विक्रम - तो क्या हम उसे ट्रेस नहीं कर सकते...
महांती - क्यूँ नहीं कर सकते... अगली बार कॉल करेगा तो... उसकी एक्जाक्ट लोकेशन मिल जाएगी...
पिनाक - ठीक है... महांती... तुम बस उसका लोकेशन का पता लगाओ... फ़िर हम उसकी वह हश्र करेंगे... वह हश्र करेंगे....

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वीर गुस्सा और नाराज होकर कांफ्रेंस रूम से निकल कर अपने कैबिन में आ कर बैठा हुआ है l कुछ देर बाद उसके कमरे में अनु कॉफी की कप लेकर अंदर आती है और वीर के सामने रख देती है l वीर के मन में पिनाक की कही बातें चल रही है l इसलिए उसे ध्यान नहीं रहता की उसके टेबल पर अनु ने कॉफी रख दिया है l अनु को एहसास होता है, वीर का मन ठीक नहीं है इसलिए वह फिर से अपनी पर्स से स्माइली बॉल निकाल कर वीर देखती है l उसे समझ में नहीं आता कि कैसे उन बॉल्स को वीर के हाथों में दे l इसलिए टेंशन में वह बॉल्स को दबाने लगती है l
कुछ देर बाद वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है तो अनु को स्माइली बॉल्स को दबाते हुए देखता है l

वीर - यह तुम क्या कर रही हो...
अनु - जी (अपने हाथ में बॉल देख कर) जी यह.. मैं वह.. आप.. कैसे...
वीर - क्या कह रही हो...
अनु - जी...मु.. मम्म्म्म.. मुझे समझ में नहीं आया.. यह बॉल कब और क.. कैसे.. आपके हाथ में दूँ...
वीर - (चेहरे पर मुस्कान आ जाती है) लाओ बॉल दो... (अनु दे देती है)(वीर बॉल्स दबाने लगता है) तुम अभी दबा रही थी ना... क्यूँ...
अनु - वह आपको टेंशन में देख कर... मेरे समझ में नहीं आया मैं क्या करूं...
वीर - (बॉल्स को दबाते हुए) अच्छा जब मैं यहाँ नहीं था... कुछ फोन वगैरह आया था...
अनु - जी.. जी नहीं... नहीं आया था...
वीर - (बॉल्स अनु को देते हुए) ह्म्म्म्म यह लो... रख लो... (अनु बॉल्स रख लेती है) अच्छा अनु... तुम मेरी क्या हो...
अनु - जी मैं आपकी... पीएस और पीए दोनों हूँ..
वीर - अच्छा.. तुम मेरे लिए यहाँ क्या करती हो...
अनु - जी आपके खाने पीने से लेकर वह सभी काम... जो आप मुझसे कहते हैं...
वीर - और छुट्टी के दिन...
अनु - छुट्टी के दिन तो छुट्टी होता है ना...
वीर - हाँ होता तो है... पर जानती हो... जो पर्सनल सेक्रेटरी या पर्सनल अस्सिटेंट होते हैं... वह चौबीस घंटे ड्यूटी पर होते हैं...
अनु - (हैरान हो कर) हे भगवान... तो फिर वह लोग खाते पीते सोते कब होंगे...
वीर - सब उनके बॉस के साथ ही करते हैं...
अनु - क्या...(और भी हैरान हो जाती है) सब उनके बॉस के साथ करते हैं...
वीर - अरे मेरा मतलब है... जब वह लोग अपने बॉस के साथ होते हैं... तो खयाल रखते हैं... और जब साथ नहीं होते तो फोन पर बात करते हुए खयाल रखते हैं...
अनु - ओ.. अच्छा... पर मेरे पास तो फोन है ही नहीं...
वीर - (अपनी टेबल का ड्रयर खिंचता है उसमे से एक मोबाइल निकाल कर अनु को देता है) यह लो... यह कंपनी के तरफ से... अपने बॉस के साथ चौबीसों घंटे टच में रहने के लिए...
अनु - (झिझकते हुए फोन लेती है) वह... असल में... मुझे मोबाइल चलानी नहीं आती...
वीर - क्या... तुम मेरी असिस्टेंट हो... सेक्रेटरी हो... तुम को यह सब नहीं आती...
अनु - (अपना सिर हिला कर ना कहती है)
वीर - व्हाट... तुम्हारा पनीश्मेंट में एक और पनीश्मेंट ऐड हुआ...
अनु - (रुआँसी हो जाती है)
वीर - (उसकी रुआँसी सुरत देख कर) ठीक है ठीक है... मैं इसबार माफ करता हूँ... यहाँ मेरे पास आकर बैठो... मैं तुम्हें मोबाइल चलाना सीखा देता हूँ... आओ यहाँ...

वीर अनु के हाथ खिंच कर अपनी कुर्सी के आर्म रेस्ट पर बिठा देता है और अनु के हाथ में मोबाइल थमा कर उसे चैटिंग और कॉल करने के बारे में समझाने लगता है

ये नया दुश्मन विश्व तो नहीं है - वो कानून हाथ मे नहीं लेगा। फिर कौन है? बढ़िया गति से बढ़ रही है कथा!!👍
और, होली महोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं मित्र 🙏
 

Kala Nag

Mr. X
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ये नया दुश्मन विश्व है, डैनी है या सेनापति है, isme thoda असमंजस है। तो नंदिनी का शक रॉकी के लिए सही था, आखिर उसने अपना प्लान चला ही दिया, लगता है रॉकी कुत्ते की मौत मरना चाहता है क्षेत्रपाल के हाथो। विश्व कभी अपनो के बीच में भी पराया था और आज परायों के बीच में भी अपने मिल रहे है।
आपके विश्लेषण के लिए धन्यबाद
हर कोई अपनी अपनी करनी को भागेंगे
 

Kala Nag

Mr. X
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ये नया दुश्मन विश्व तो नहीं है - वो कानून हाथ मे नहीं लेगा। फिर कौन है? बढ़िया गति से बढ़ रही है कथा!!👍
और, होली महोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं मित्र 🙏
बस और कुछ अपडेट्स
दुश्मन सामने हो होगा
आपको भी होली की शुभकामनाएं
 

Jaguaar

Well-Known Member
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👉सत्तावनवां अपडेट
----------------------
XXXXX कॉलेज
बुधवार

कॉलेज अभी शुरू नहीं हुआ है l अभी तक कोई नहीं आया है l पर असेंबली हॉल के स्टेज पर रॉकी अपने दोस्तों के साथ लकी ड्रॉ निकालने वाली ग्लोब नुमा जालीदार बॉल को चेक कर रहा है l

रॉकी - सुशील... क्या यह अब ठीक है...
सुशील - (खीज कर) अबे ऑए.. मजनू की छटी औलाद... सुबह सुबह हमारी नींद खराब कर यहाँ लेकर आया है... कमीने हमें कुली की तरह लगया हुआ है... साले कमीने आशिकी तेरी... पर नींद और चैन हमारी खराब है....
रॉकी - तो क्या हुआ कमीने... बदले में खाने पीने की पार्टी भी तो देता हूँ.... वह भी अपने होटल के रॉयल शूट में...
सुशील - उसकी कीमत भी तो वसूल करता है... हमे गधे की तरह दौड़ा कर काम करवा कर....
रॉकी - ठीक है... ठीक है.. वक़्त जाया ना करो... बोलो कहाँ तक यह प्लान वर्क आउट करेगा...
सुशील - अबे जब प्लान आशीष का है... तो काम उससे ही लेना चाहिए था...
आशीष - ऑए... कब से बड़बड़ कर रहा है... काम पुरा कर अपना...
रवि - हाँ यार सुबह से लगा हुआ है... पर उखड़ा उससे कुछ भी नहीं...
सुशील - अबे तुम सब काओं काओं बंद करो... लो यह अब हो गया...
सब - क्या... हो गया...
सुशील - हाँ... हो गया..
रॉकी - चलो डेमो दिखाओ...

सुशील - यह देखो... इसमें कुछ काग़ज़ के चिट डालेंगे.... ऐसे (काग़ज़ के चिट डालते हुए) अब मैं स्विच ऑन करता हूँ...

स्विच ऑन करते ही वह ग्लोब आढ़ा टेढ़ा सीधा उल्टा हो कर घूमने लगता है फिर उसमें से एक चिट बाहर निकालता है l रॉकी वह चिट उठा कर देखता है उसमें नंदिनी का नाम लिखा हुआ है l यह देख कर सभी ताली बजाते हैं l

आशीष - फ़िर भी एक लोचा है...
सब - क्या...
आशीष - बीएससी फर्स्ट ईयर बैच के स्टूडेंट्स के बीच यह कंपटीशन है... क्या सभी अपना नाम चिट पर लिख कर डालेंगे...
रवी - हाँ.. यह एक पॉइंट है...
रॉकी - ठीक है... एक तरकीब लगाऊंगा... प्रिन्सिपल से करवाऊंगा...
राजु - क्या तेरा तरकीब... काम करेगा... वह रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल है...
रॉकी - मुझे तो लगता है... जरूर करेगी... पहले से ही हम जानते हैं... वह अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में है... इसलिए मेरा दिल कहता है... वह ज़रूर करेगी...
रवि - लो कर लो बात... दिल कह रहा है इसका...
आशीष - हाँ उसके दिल के हिसाब से चलते हैं... आखिर यह तो मानना ही पड़ेगा... लड़की अपने हीरो से अभी अभी इम्प्रेस तो हुई है...
सब - ह्म्म्म्म... तो फिर ठीक है...
रॉकी - कोई दुसरा पॉइंट भी है क्या...
आशीष - हाँ... वह खुद को रूप कहलाना पसंद नहीं करती... तो उसकी चिट में वह अपना क्या नाम लिखेगी... रूप नंदिनी.. या सिर्फ़ नंदिनी...
रवि - वह जो भी लिखे... नाम तो उसका ही आना है ना...
सुशील - लो लग गए लौड़े.... अबे तो अब तक मैं क्या यहाँ झक् मार रहा था... (रॉकी के तरफ देख कर) आशीष सही बोल रहा है हीरो... लड़की पहले ही दिन से अपने नाम पर सबको कंफ्यूज कर रखा है...
रॉकी - हाँ यह भी पॉइंट है...
आशीष - और एक बात... चिट निकलने के बाद... अगर लड़की ने यह कहा कि... चिट उसकी नहीं है... तो...
रॉकी - ह्म्म्म्म... फ़िर...
राजु - फ़िर क्या... उसका भाई वीर सिंह और विक्रम सिंह... हमारी ही हाथों से... हमारी मैयत उठवाएंगे...
रॉकी - हम्म्म....
सभी - देख रॉकी... हम कहीं जोश जोश में... लोचा कर गए... तो लेने के देने पड़ जाएंगे...
रॉकी - ठीक है... देखो अपना सिस्टम तैयार है... बाकी उन लड़कियों की बैच.... कैसे इनवल्व होगी... मैं प्रिन्सिपल से मिलकर कोई रास्ता बनाता हूँ....

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ESS ऑफिस

वीर अपनी कैबिन में चहल कदम कर रहा है l उसे एक कोने से दुसरे कोने तक चहल कदम करते हुए अनु अपने दाएं हाथ की नाखुन को दांतों तले दबा कर देख रही है I वीर अपनी दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ की हथेली पर मारते हुए घूमना शुरू कर देता है l यह देख कर अनु घबराते हुए अपनी वैनिटी पर्स से स्माइली बॉल्स झट से निकाल कर वीर को देखने लगती है l जब वीर उसे नहीं देखता तो धीरे से अनु वीर को आवाज देती है

अनु - राज कुमार जी... (वीर नहीं सुनता) अहेम... अहेम... (वीर फिर भी नहीं सुनता) राजकुमार जी... (थोड़ी ऊँची आवाज़ में)
वीर - (अनु की ओर देखते हुए) क्या हुआ अनु जी...
अनु - (रुक रुक कर) वह.. आप... कुछ... त.. तनाव में दिख रहे हैं... (बॉल दिखा कर) यह.. यह लीजिए...
वीर - (उसे देखने लगता है, क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आता) हूँ... (बस इतना ही कह पाता है)
अनु - लीजिए ना...
वीर - (थोड़ा मुस्कराते हुए) अनु.. जी.. मैं एक दिन बॉल पकड़ुंगा... पर अभी टाइम नहीं आया है... जब आएगा... जमके पकड़ुंगा... कसके पकड़ुंगा और दबाके पकड़ुंगा.... वादा रहा... पर अब मैं कुछ और सोच रहा हूँ...
अनु - क्या.. आप और क्या सोच रहे हैं...
वीर - मैं यह सोच रहा हूँ... की कौनसा भेष बदलुं... और कितने बजे जाऊँ... सब को चेक करने के लिए...
अनु - (अपना सिर हिलाते हुए) ओ... ह्म्म्म्म...

तभी टेबल पर रखी वीर की मोबाइल बजने लगती है l अनु जाती है और मोबाइल फोन लाकर वीर को देती है l

वीर - अरे अनु जी... आप हमारी पीए हैं... आप रीसीव लीजिए... और बात कीजिए... पूछिए कौन है... क्या काम है... सब समझने के बाद... हमे दीजिए...
अनु - जी... (तब तक रिंग बंद हो जाती है) ओह... लगता है फोन कट गया...
वीर - कोई नहीं... मोबाइल पर नाम दिखा तो होगा ना...
अनु - हाँ... महांती कमीना... ऐसा कुछ लिखा था...
वीर - (फौरन अनु की हाथ से मोबाइल ले लेता है) देखो अनु... अब मैं जो कहूँ... उसे ध्यान से सुनना और याद रखना... महांती, युवराज और छोटे राजा नाम दिखे तो सीधे फोन को मुझे दे देना... बाकी जिसकी भी आए... तो तुम ही उठाना... बात करना... समझना और मुझे समझा कर दे देना... समझी...

अनु अपना सिर हिला कर हाँ कहती है, फोन फिर से बजने लगती है, इसबार भी डिस्प्ले में महांती कमीना दिखता है l अनु वीर को मोबाइल बढ़ा देती है l

वीर - (मोबाइल लेते हुए) गुड... (महांती का कॉल उठाते हुए) हाँ महांती बोल... क्या बात है...
महांती - एक बहुत बड़ी इंफॉर्मेशन हाथ लगी है... मेयर साहब... मेरा मतलब छोटे राजाजी पर आज हमला हो सकता है... युवराज जी को फोन लगा रहा हूँ पर पर वह मिल नहीं रहे हैं... वह कहाँ हैं...
वीर - हाँ वह... छोटे राजा जी के साथ पार्टी मीटिंग अटेंड करने... पुरी में स्थित पार्टी ऑफिस गए हैं... वह छोटे राजाजी के साथ हैं...
महांती - छोटे राजा जी पर हमला हो सकता है... उन लोगों ने स्पॉट देख ली है... रूट पर वह लोग थोड़े कंफ्यूज हैं... यह बात युवराज जी का जानना जरूरी है...
वीर - ठीक है... वह लोग पार्टी मीटिंग में होंगे... इसलिए उनके फोन शायद रीसेप्शन में डिपोजिट होंगे... मैं मैसेज किए देता हूँ... आप भी कर कीजिए...
महांती - क्या हम पार्टी ऑफिस में मैसेज कर दें...
वीर - नहीं... नहीं हो सकता है... कोई वहाँ पर उनकी रेकी कर रहा हो... मैं मैसेज कर देता हूँ... और कोशिश करता हूँ... वहाँ मीटिंग में पहुंचने की...
महांती - हाँ यह बढ़िया है... पर जल्दबाजी में मत जाइएगा... हो सकता है.... आपकी जल्दबाजी देख कर वह अपना प्लान बदल दें... एक काम लीजिए... आप पूरी कनाल रोड पर जाइए.... मैं ओल्ड भुवनेश्वर रोड से पूरी जाता हूँ...
वीर - ठीक है...(फोन काट देता है, और अनु को देखते हुए) तुम यहाँ पर रुको... और फोन वगैरह आए तो अटेंड करो... ठीक है...
अनु - जी ठीक है...

वीर वहाँ से हल्दी में निकल जाता है l

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XXX पार्टी ऑफिस
मीटिंग खतम हो जाता है l उसके बाद पिनाक सिंह और विक्रम सिंह रीसेप्शन में जमा किए हुए अपने फोन वापस लेते हैं l विक्रम अपने फोन पर देखता है महांती और वीर के बहुत से मिस कॉल हैं l विक्रम महांती को फोन लगाता है l

महांती - (फोन उठाकर) हैलो युवराज जी...
विक्रम - हाँ महांती... इतने मिस कॉल...
महांती - सर... उन्होंने... अपना स्पॉट चुन लिया है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... एक मिनट... पहले मैं गाड़ी में पहुँच जाऊँ... (विक्रम अपनी गाड़ी में आ जाता है) हाँ अब बोलो...
महांती - मैं यह कह रहा था... उन लोगों ने स्पॉट फिक्स कर लिया है...
विक्रम - कौनसे रूट पर...
महांती - वे लोग दो रूट पर... घात लगाएंगे... पहला पुरी कनाल रोड पर... दुसरी भुवनेश्वर पुरी रोड पर...
विक्रम - मतलब... छोटे राजा जी के पुरी से आते वक़्त... हमला हो सकता है...(मोबाइल पर वीर की कॉल आ रहा है) यह राजकुमार भी बार बार फोन कर रहे हैं...
महांती - वह आप ही के पास जा रहे हैं... मैं भी ऑन द रोड हूँ...
विक्रम - ठीक है... मैं उन्हें भी कंफेरेंश में ले लेता हूँ.... (वीर को कंफेरेंश में ऐड करने के बाद) हाँ राजकुमार जी...
वीर - क्या आपकी महांती से बात हो गई...
विक्रम - हाँ हो रहा है... और आप अभी कांफ्रेंस में हैं...
वीर - ठीक है... फिर आप छोटे राजा जी को... कांफ्रेंस में ले लीजिए... हम भी अपना प्लान सेट करते हैं...
विक्रम - ओके... लाइन पर रहीए... (विक्रम पिनाक को कंफेरेंश में लेने की कोशिश करता है पर उसका फोन बिजी आता है) शीट...
महांती और वीर - क्या हुआ...
विक्रम - उनका फोन बिजी आ रहा है...
महांती - ठीक है... आप तो उनके साथ हैं ना...
विक्रम - हाँ.. पर दुसरे गाड़ी में...
महांती - ठीक है... अब हमें मालूम है क्या होने वाला है... वह लोग हमारे सर्विलांस में हैं... अब बताइए हमे क्या करना है...
विक्रम - महांती... हम उन्हें इसबार फैल करते हैं....
वीर - फैल करते हैं मतलब...
विक्रम - इस बार हम उन्हें नहीं दबोचेंगे... बल्कि हम रास्ता बदल देंगे...
महांती - कौनसा रास्ता लेंगे फिर...
विक्रम - पुरी रामेश्वर रोड पर... हम रामेश्वर रोड से जा कर एनएच पर निकलेंगे...
वीर - इससे फायदा...
विक्रम - हमारा दुश्मन एक घोस्ट है... वह कौन है... उसकी प्लानिंग क्या है... हम नहीं जानते... जैसा कि महांती ने पहले ही बता चुका है... वह घोस्ट, अपने ही आदमियों से भी छुपा हुआ है... उसके एक दो प्लान ऐसे फैल कर देने से... वह बौखलाएगा... बिलबिलाएगा... तब वह गलती करेगा...
महांती - तब शायद वह बाहर भी निकल सकता है...
विक्रम - हाँ...
वीर - बढ़िया... तो अब हम क्या करें...
विक्रम - एक मिनट छोटे राजा जी का कॉल आ रहा है... मैं उन्हें कांफ्रेंस में लेता हूँ... (कांफ्रेंस में लेने के बाद) छोटे राजा जी... आज आप पर दोबारा हमला होने वाला है...
पिनाक - तो चलो धर दबोच कर नर्क दिखाते हैं उन्हें...
विक्रम - नहीं छोटे राजा जी... हमे उस हराम खोर के चमचों के बारे में पता है... पर उस अदृश्य दुश्मन के बारे में नहीं... हम उसका प्लान फैल कर देते हैं...
पिनाक - नहीं ऐसा नहीं हो सकता... अगर उसे मालुम हुआ तो खिल्ली उड़ाएगा...
विक्रम - नहीं उड़ाएगा... हम एक रुटीन प्रोसिजर बना कर रूट बदलेंगे... आज उसका प्लान फैल हुआ तो... वह चिढ़ जाएगा... तब शायद कोई गलती भी करेगा... हो सकता है... उसे सामने आना पड़े...
पिनाक - ठीक है युवराज... चाहे कुछ भी हो... मुझ पर भगोड़ा का छाप लगनी नहीं चाहिए...
विक्रम - नहीं लगेगा... आप अपने ड्राइवर से कहिए... वह गाड़ी को रामेश्वर रोड पर ले जाए... और राजकुमार... आप वापस ऑफिस जाओ... महांती तुम भी पहुंचो... हम रामेश्वर रोड पर छोटे राजा जी को लेकर ऑफिस पहुँचते हैं....
दोनों - ओके...

विक्रम फोन काट देता है l पिनाक सिंह अपने ड्राइवर को रामेश्वर रोड पर ले जाने को बोलता है l ड्राइवर भी अपनी गाड़ी को रामेश्वर रोड की ओर मोड़ देता है l

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कॉलेज की कैन्टीन में छटी गैंग मस्ती कर रही है l तभी कैन्टीन की माइक पर प्रिन्सिपल की आवाज गूंजने लगती है l

प्रिन्सिपल - हैलो स्टूडेंट्स... मैं आपका प्रिन्सिपल बोल रहा हूँ... बीएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स आप लोग तुरंत असेंबली हॉल में पहुंचे... आपके पास सिर्फ़ दस मिनट है... जो नहीं आयेंगे... उनको पनीश्मेंट दी जाएगी... सो डोंट बी लेट... बी हर्री...
बनानी - व्हाट... लो फ्रेंड्स... ब्रेक का सत्यानाश हो गया...
दीप्ति - कुछ भी हो... जाना तो पड़ेगा ही... वरना पता नहीं बुढ़उ ने क्या पनीश्मेंट सोचा होगा...
तब्बसुम - हाँ यार... बुड्ढे को सिर्फ बनानी को ही शॉक से उबार ने का प्लान बनाना चाहिए था... क्यूँ के शॉक तो उसे लगा था ना...
बनानी - अपना मुहँ बंद रख... यह मत भूलो... मेरे साथ तुम सभी भी शॉक्ड थे...
भाश्वती - पर फायदा क्या... चिट में तो किसी एक का नाम आएगा... कितना अच्छा होता ना... अगर हम सब मिलकर एफएम में टास्क पुरा करते...
इतिश्री - कमाल है... हम सब तब से चपड़ चपड़ करते जा रहे हैं... पर राजकुमारी जी हैं कि चुप्पी साधे हुए हैं...
नंदिनी - (इतिश्री की हाथ में जोर से चिकोटी काटते हुए) कमीनी अगर फिर कभी नंदिनी के वजाए...
इतिश्री - आ... आ... ह्ह्ह्... (चिल्लाने लगती है)
नंदिनी - राजकुमारी कहा तो... तेरी ऐसी कुटाई करूंगी के तुझे तेरी छटी का दुध याद आ जाएगी...(छोड़ देती है)
इतिश्री - उई माँ... (अपने हाथ को मलते हुए) डायन कहीं की... थोड़ी देर और ऐसे ही रहती तो... मांस ही बाहर आ जाती...
बनानी - ओह ओ... अब छोड़ो भी यह सब... इससे पहले कि प्रिन्सिपल दोबारा माइक पर भोंकने लगे... हमें असेंबली हॉल में पहुँच जाना चाहिए...
दीप्ति - हाँ हाँ... जल्दी चलो... देखें तो सही वहाँ होता क्या है...
नंदिनी - ठीक है.. चलो... अपनी पंचायत हम कल बिठायेंगे...
सब - हाँ हाँ चलो चलो...

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सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी

दास एक अर्दली के साथ अंदर आता है l अर्दली के हाथ में खाने की थाली है वह विश्व के पास थाली रखते कर बाहर चला जाता है l विश्व एक नजर दास को देखता है फ़िर किताबों में घुस जाता है l

दास - विश्व... खाना खा लो यार...
विश्व - (किताबों से सिर बाहर निकाल कर) दास बाबु... जो आप कहने आए हैं... वह कह दीजिए... मैं बाद में खा लूँगा...
दास - तुम्हें कैसे मालुम हुआ... मैं कुछ कहने आया हूँ...
विश्व - रोज आप अर्दली के साथ चले जाते थे... आज आप रुक गए हैं...
दास - तकल्लुफ मत करो... तुम खाना खा लो... मैं... मैं यहाँ इंतजार कर लेता हूँ...
विश्व - दास बाबु... बात तकल्लुफ की ही है... साथ खाना खाने बैठे होते... तो बात अलग थी... मैं खाना खाऊँ और आप खड़े हो कर देखते रहें... मुझे ऐंबार्समेंट फील होगा... प्लीज... आप ही का जैल है... और मैं यहाँ कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ...
दास - हमारे संस्कार में... मेहमान का दर्जा जानते हो ना...
विश्व - गलती हो गई... खुद को मेहमान कह गया... मुहँ से निकल गया... फिर भी... खाना बाद में हो जाएगा... आप पहले क्या कहने आए थे... यह बताइए...
दास - ओके... तुम जीते मैं हारा... (कह कर विश्व के सामने बैठ जाता है)
विश्व - अब तो कह ही दीजिए... बात क्या है...
दास - यह... आज... हमारा... आखिरी मुलाकात है...
विश्व - क्यूँ... आपका कहीं ट्रांसफ़र हो गया क्या....
दास - हाँ... मैंने पहले भी... सेनापति सर जी से मना किया था... पर उन्होंने मेरे बारे में कुछ रिपोर्ट बना कर... डीपीसी भेज दिया था...
विश्व - डीपीसी... यह डीपीसी क्या होता है...
दास - डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी...
विश्व - ओ... तो... आप प्रमोशन में जा रहे हैं...
दास - हाँ... डबल प्रमोशन... आईआईसी बन जाऊँगा... कल ही मुझे अंगुल ट्रेनिंग ऑफिस में तीन महीने ट्रेनिंग के लिए रिपोर्ट करना है... और जब ट्रेनिंग खतम होगी... पता नहीं फिर कहाँ पर पोस्टिंग होगी... फिर मिलना होगा या नहीं... इसलिए...
विश्व - ओ.. वाव... कंग्रेचुलेशन दास सर... यह तो खुशी की बात है...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - (उसे देख कर) क्यूँ आपको यह प्रोमोशन नहीं चाहिए था क्या...
दास - नहीं ऐसी बात नहीं... मुझे यह थोड़ी देर बाद मिलता तो अच्छा लगता...
विश्व - (अपना सिर थोड़ा पीछे लेता फिर आगे कर हँसते हुए कहता है) दास बाबु... थैंक्यू... थैंक्यू वेरी मच...
दास - किस बात के लिए थैंक्यू...
विश्व - दास बाबु... आपने मुझे अपना दोस्त समझा इसलिए...
दास - (अपना सिर नीचे कर लेता है)
विश्व - सच पूछिये तो आप जैसा ईमानदार, साहसी लोग.. समाज के उन हिस्सों में होना चाहिए... जहां... लोग पुलिस के बारे में चुटकुले बनाने के वजाए...या गाली देने के वजाए.. उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ें...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - आप तो जानते हैं ना दास बाबु... सैनिकों को प्रथम पंक्ति के सुरक्षा बल कहा जाता है... क्यूंकि वह लोग देश की सीमा व अखंडता का रक्षा करते हैं... और पुलिस को द्वितीय पंक्ति के सुरक्षा बल... क्यूंकि वह आंतरिक धर्म, विश्वास व न्याय की रक्षा करते हैं... जरा सोचिए अगर राजगड़ में एक ऑफिसर आप जैसा होता... तो... आज विश्व कभी यहाँ विश्वा भाई ना होता...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - जानते हैं... मुझे दीदी हमेशा एक बात कहा करती थी... हम जिस समाज का हिस्सा हैं... वह समाज भले ही हमें छोड़ दे... पर उस समाज को हम छोड़ नहीं सकते... खास कर तब.. जब समाज को हमारी जरूरत हो... पर यह निर्णय समाज को नहीं हमे खुद करना चाहिए...
दास - ठीक है ... ठीक है... अगर ज्यादा देर यहाँ बैठा... तो तुम्हारा भाषण बंद नहीं होगा... मैं चलता हूँ... मैं बस यह कहने आया था... की मैं कहीं भी रहूँ... किसी तरह की काम पड़ जाए... तो हिचकिचाना मत... (आवाज़ भर्रा जाता है)

बड़ी कोशिशों के बावजूद दास अपनी आँखों से आंसू नहीं रोक पाता इसलिए जल्दी से उठ कर वहाँ से जाने लगता है l विश्व अपनी जगह से उठ कर दास के बैठे हुए जगह पर जाता है l वहाँ टेबल पर कुछ आँसुओं के बूंद दिखाई देती है l विश्व उन बूँदों पर अपना हाथ फेरते हुए

विश्व - एक मिनट दास बाबु... (दास रुक जाता है) आप का मैं आभारी रहूँगा...
दास - (बिना पीछे मुड़े) वह क्यूँ...
विश्व - आप चौथे व्यक्ति हैं... जो मेरे लिए दिल से आँसू बहाए हैं...

दास ना कुछ कहता है ना ही कुछ सुनता है l बिना पीछे मुड़े बिना विश्व को देखे उस लाइब्रेरी से निकल जाता है l

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असेंबली हॉल,
स्टेज पर माइक पर प्रिन्सिपल खड़ा है और स्टेज के बीचों-बीच रॉकी एंड ग्रुप खड़े हैं l उनके सामने एक बड़ा सा ग्लोब जैसा जाली नुमा बॉल एक स्टैंड के साथ अटैच है l

प्रिन्सिपल - वेलकम टु ऑल... अब एक काम कीजिए... मेरे बाएँ तरफ सभी लड़के आ जाएं... और मेरे दाएँ तरफ सभी लड़कियाँ आ जाएं...

हॉल में मौजूद सभी स्टूडेंट्स वही करते हैं l लड़के एक तरफ आ जाते हैं और लड़किया एक तरफ हो जाती हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप सबको वल्युंटीयर्स एक एक चिट देंगे... आप सब अपने अपने दोस्त का नाम लिखें... और हाँ जो भी यहाँ मौजूद है उनके नाम की चिट हमारे पास मिलनी चाहिए... अगर नहीं मिली... तो उनको पनीश किया जाएगा...

स्टेज से राजू और सुशील काग़ज़ लेकर सभी स्टूडेंट्स को देने लगते हैं l

आशीष - तो यह तेरा प्लान था... जाहिर सी बात है उसके दोस्त उसका नाम जो लिखेंगे... तुमको खबर हो जाएगा...
रॉकी - (हँसते हुए) हाँ...
आशीष - अगर उसकी चिट गायब हो गई तो...
रॉकी - नहीं होगी...
आशीष - कैसे....
रॉकी - तु बस देखता जा...

राजु और सुशील सारे चिट बांट कर वापस स्टेज पर पहुँच जाते हैं l

प्रिन्सिपल - अब सब अपने अपने दोस्त के नाम लिखो... और ध्यान रहे जिसका नाम नहीं मिलेगा... उसको पनीश्मेंट मिलेगा...

ल़डकियों के बीच
तब्बसुम - चलो चलो हम में से डिसाइड करो... कौन किसका नाम लिखेगा...
दीप्ति - हाँ... हम छह हैं... पर हमे तीन जोड़ी में बंट जाना है...
नंदिनी - ठीक है... मैं बनानी का नाम लिखती हूँ... बनानी मेरा नाम लिखेगी... तब्बसुम दीप्ति का नाम लिखेगी और दीप्ति तब्बसुम का नाम... और फाइनली.. भाश्वती इतिश्री का नाम और इतिश्री भाश्वती का नाम...
सभी - ओके

लड़कियाँ अपनी अपनी चिट लिख कर फ़ोल्ड कर देते हैं l

प्रिन्सिपल - अब उन चिट को... ल़डकियों के तरफ से नंदिनी कलेक्ट करेंगी... और लड़कों के तरफ से xxxxx कलेक्ट करेंगे... इसलिए आप सब उन्हें अपनी अपनी चिट दें....

नंदिनी पहले हैरान हो जाती है फिर खुशी से सबकी चिट कलेक्ट करती है l दोनों ग्रुप की चिट कलेक्शन हो जाने के बाद नंदिनी और xxxxx स्टेज पर आते हैं l रॉकी उस ग्लोब का ढक्कन खोल देता है l और सारे चिट्स उसमें डालने को कहता है l दोनों वही करते हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप दोनों अपने दोस्तों के पास जा कर बैठ जाएं... (दोनों स्टेज से उतर कर अपने अपने दोस्तों के पास चले जाते हैं) आज इन चिट्स के बीच एक नाम को लकी ड्रॉ के जरिए एफएम रेडियो के जॉकी सुरेश साहब निकलेंगे... (सभी स्टूडेंट्स तालियां बजाने लगते हैं) आइए सुरेश साहब...

सुरेश स्टेज पर आता है l और उस सिस्टम को ऑन करता है जिसमें वह ग्लोब अटैच था l ग्लोब थोड़ी देर घूमने के बाद एक चिट बाहर गिरती है l सुरेश वह चिट प्रिन्सिपल को दे देता है l

प्रिन्सिपल - हाँ तो इस चिट में जिनका नाम आया है... मैं उनको पहले बधाई देता हूँ... आप हैं... मिस रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल...

सभी स्टूडेंट्स तालियाँ बजाने लगते हैं l स्टेज पर मौजूद सभी लोग और प्रिन्सिपल भी ताली बजाने लगते हैं l लड़कियाँ सभी नंदिनी को बधाई देते हैं और चीयर करने लगते हैं l

नंदिनी अपना नाम सुन कर पहले से ही शॉक थी l उस पर सब उसे जिस तरह से बधाई दे रहे हैं l वह नर्वस फिल करने लगती है l

प्रिन्सिपल - आइए नंदिनी जी... स्टेज पर आइए...

नंदिनी बड़ी नर्वस नेस के साथ स्टेज पर जाति है l स्टेज पर पहुंचते ही उसके सारे दोस्त चीयर करते हुए हूटिंग करते हैं l

प्रिन्सिपल - मिस. नंदिनी.. क्या आप नर्वस फिल कर रही हैं...
नंदिनी - जी.. जी सर...
प्रिन्सिपल - जीवन में कई चुनौतियाँ आयेंगी... इससे भी बड़े बड़े... इसे आप स्वीकार करने का साहस करें... फिर सभी आसान हो जाएगा...
नंदिनी - जी...
प्रिन्सिपल - तो आपको आज टास्क सुरेश जी देंगे... और इन दो दिनों में यहाँ पर एक टेंपोररी साउंड प्रूफ़ स्टूडियो बनाया जाएगा... आप लोग यहाँ पर लाइव देख व सुन सकें... (सभी स्टूडेंट्स फिर से तालियां बजाने लगते हैं) (प्रिन्सिपल हाथ दिखा कर इशारे से ताली रोकने को कहता है, ताली रुक जाती है) हाँ... तो सुरेश साहब... दीजिए इन्हें एक टास्क...(माइक से हट जाता है)
सुरेश - (माइक पर आकर) पहली बात... नंदिनी जी आप घबराएँ नहीं... यह टास्क ही सही... पर यह एक एक्सपोजर भी है... आप अपने भीतर एक नए व्यक्तित्व को ढूंढेंगी... सो प्लीज बी नॉर्मल... शांत हो जाइए...
नंदिनी - जी... जी मैं.. ठीक हुँ...
सुरेश - गुड... तो क्या मैं आपको टास्क दूँ...
नंदिनी - श्योर...
सुरेश - तो दोस्तों... मैं आज आपके सामने मिस नंदिनी जी को... एक टास्क दे रहा हूँ... वह शनिवार को बारह बजे के बाद... रेडियो एफएम 97 में... मेरे साथ लाइव रहेंगी... और उस दिन वह प्रेजेंट करेंगी एक विषय
"HUMAN EVOLUTION TWENTY FIRST CENTURY AND THE WOMEN"
यानी मानव क्रमिक विकास, इक्कीसवीं सदी और औरत...

कुछ देर के लिए हॉल में सन्नाटा पसर जाता है l पहले प्रिन्सिपल ताली बजाता है फिर सभी लोग ताली बजाने लगते हैं l पुरा का पुरा हॉल तालियों से गूंजने लगती है l

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ESS ऑफिस
कंफेरेंश रूम में महांती, विक्रम, वीर और पिनाक बैठे हुए हैं l पिनाक सिंह अपनी मुट्ठी को टेबल पर धीरे धीरे ठोक रहा है l

विक्रम - आप इतना खीज क्यूँ रहे हैं...
पिनाक - आप समझ नहीं रहे हैं युवराज... ऐसा लग रहा है... जैसे हम अपना रास्ता इसलिए बदल दिया... वह भी किसीके डर से...
विक्रम - हम चाहे कितने भी सहरी क्यूँ ना हो जाये... हम हैं तो जंगली ही... यह खेल शिकार और शिकारी वाला है... हमारा शिकार छुपा हुआ है... वह हमे छकाये हुए है... बस एक बार वह बाहर निकल जाए... फिर ऐसा शिकार होगा कि उसके पुश्तों तक के रूह कांप उठेगी...
पिनाक - खेल अगर शिकार और शिकारी वाला है... तो हमें उसे मौका देना चाहिए था... हम उसे बाहर निकालने के लिए चारा बनने के लिए तैयार हैं... पर बेचारा बन कर नहीं रह सकते...
महांती - गुस्ताखी माफ छोटे राजा जी... शेर भी कभी कभी शिकार करने से पहले दो कदम पीछे जाता ही है... हम डर कर नहीं... बल्कि उसे बौखलाने के लिए रास्ता बदला है... वह आपको ज़रूर फोन करेगा... आप बस उसे एहसास मत होने दीजियेगा... के हमें उसके प्लान का अंदाजा हो चुका था... वह आपको उसकायेगा... पर आप शांत रहें... आपका शांत रहना उसे और भी बौखलाएगा... और बौखलाहट उससे गलती करवाएगा...
वीर - हाँ... बहुत ही बढ़िया प्लान है... महांती बिल्कुल सही कह रहा है...
पिनाक - बस महफ़िल में आप ही की कमी थी... अच्छा हुआ... उगल दिए आपने वरना बदहजमी हो जाती आपको...
वीर - ओ... मेरे कुछ कहने से आपको अगर पसंद नहीं आ रहा... तो मेरा यहाँ रुकना बेकार है...
पिनाक - मैं नहीं हम कहिए... आप राजकुमार हैं...
वीर - हम का दम तब भरते... जब बंदे का इज़्ज़त हो...
विक्रम - राजकुमार... आप आपे से बाहर हो रहे हैं...
वीर - नहीं... अपने आप में आ रहे हैं... सॉरी

वीर वहाँ पर सबको बैठा छोड़ कर कांफ्रेंस रूम से निकल जाता है l

विक्रम - (पिनाक सिंह से) आखिर आप अपनी खीज... राजकुमार पर उतार ही दिया...
महांती - हाँ छोटे राजा जी... खबर मिलते ही... राजकुमार जी फौरन पुरी के लिए निकल पड़े थे...
पिनाक - वह हम थोड़ा... सॉरी... हम बाद में उनसे बात कर लेंगे...

तभी पिनाक सिंह की मोबाइल बजने लगता है l पिनाक मोबाइल के डिस्प्ले पर अन नोन कॉल देखता है l उस पर कोई नंबर नहीं दिखता है वह उस डिस्प्ले को विक्रम और महांती को दिखाता है l दोनों इशारे में बात करते रहने के लिए कहते हैं I

पिनाक - हैलो...
-X- क्या बात है... फोन उठाने में इतनी देरी... क्यूँ फट रही थी क्या...
पिनाक - फट तो तेरी रही है हरामजादे... सामने नहीं आ रहा है...
-X- बहुत जल्दी है मुझसे मिलने की... जिस देखेगा... उस दिन आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा...
पिनाक - अब एक बात का कंफर्म हो गया... तु ज़रूर किसी फटीचर सर्कस में जोकर रहा होगा... सिर्फ़ जोक मारने के सिवा कुछ भी नहीं आता तुझे...
-X- उस दिन की गोली बारी मजाक लग रहा है तुझे... याद है ना... गाड़ी बदली थी तुने... हाँ यह बात और है... घर जा कर चड्डी भी बदला होगा तुने... जो न्यूज वालों ने बताया नहीं किसी को...
पिनाक - तो भोषड़ी के... फिर हमला क्यूँ नहीं करवा रहा है... कौनसे बिल में छुप कर भौंक रहा है....
-X- भौंक नहीं रहा हूँ... दहाड़ रहा हूँ... बहुत जल्द... सारा सहर देखेगा... तु रोड पर जान बचा कर भाग रहा होगा.... और कसम से टीवी पर यह लाइव चल रहा होगा...
पिनाक - क्षेत्रपाल से बात कर रहा है... मादरचोद क्षेत्रपाल से... बस एक बार मेरे सामने आजा... तुझे तेरी ही जुबान से फांसी पर टांग ना दिया... तो हम क्षेत्रपाल नहीं...
-X- ठीक है फिर बहुत जल्द तेरे सामने आऊँगा... पहचानना तो दूर तु जान भी नहीं पाएगा... तेरी ऐसी गांड मार कर जाऊँगा...
पिनाक - ठीक है आजा फिर...
-X- अरे वाह... बड़ी जल्दी है... मुझसे मरवाने की...
पिनाक - (चिल्लाता है) हरामजादे.... (फोन कट हो जाता है) तु बस एक बार सामने आ... हैलो.. हैलो...
विक्रम - क्या पता चला महांती....
महांती - यह एक इंटेरनेट कॉल था... बहुत चालाक है.... ना सिर्फ़ इसकी लोकेशन हर दस सेकंड में बाउंस कर रहा था... बल्कि उलझाने के लिए अपनी कॉल को हर नेटवर्क पर बारी बारी से शिफ्ट कर रहा था...
विक्रम - तो क्या हम उसे ट्रेस नहीं कर सकते...
महांती - क्यूँ नहीं कर सकते... अगली बार कॉल करेगा तो... उसकी एक्जाक्ट लोकेशन मिल जाएगी...
पिनाक - ठीक है... महांती... तुम बस उसका लोकेशन का पता लगाओ... फ़िर हम उसकी वह हश्र करेंगे... वह हश्र करेंगे....

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वीर गुस्सा और नाराज होकर कांफ्रेंस रूम से निकल कर अपने कैबिन में आ कर बैठा हुआ है l कुछ देर बाद उसके कमरे में अनु कॉफी की कप लेकर अंदर आती है और वीर के सामने रख देती है l वीर के मन में पिनाक की कही बातें चल रही है l इसलिए उसे ध्यान नहीं रहता की उसके टेबल पर अनु ने कॉफी रख दिया है l अनु को एहसास होता है, वीर का मन ठीक नहीं है इसलिए वह फिर से अपनी पर्स से स्माइली बॉल निकाल कर वीर देखती है l उसे समझ में नहीं आता कि कैसे उन बॉल्स को वीर के हाथों में दे l इसलिए टेंशन में वह बॉल्स को दबाने लगती है l
कुछ देर बाद वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है तो अनु को स्माइली बॉल्स को दबाते हुए देखता है l

वीर - यह तुम क्या कर रही हो...
अनु - जी (अपने हाथ में बॉल देख कर) जी यह.. मैं वह.. आप.. कैसे...
वीर - क्या कह रही हो...
अनु - जी...मु.. मम्म्म्म.. मुझे समझ में नहीं आया.. यह बॉल कब और क.. कैसे.. आपके हाथ में दूँ...
वीर - (चेहरे पर मुस्कान आ जाती है) लाओ बॉल दो... (अनु दे देती है)(वीर बॉल्स दबाने लगता है) तुम अभी दबा रही थी ना... क्यूँ...
अनु - वह आपको टेंशन में देख कर... मेरे समझ में नहीं आया मैं क्या करूं...
वीर - (बॉल्स को दबाते हुए) अच्छा जब मैं यहाँ नहीं था... कुछ फोन वगैरह आया था...
अनु - जी.. जी नहीं... नहीं आया था...
वीर - (बॉल्स अनु को देते हुए) ह्म्म्म्म यह लो... रख लो... (अनु बॉल्स रख लेती है) अच्छा अनु... तुम मेरी क्या हो...
अनु - जी मैं आपकी... पीएस और पीए दोनों हूँ..
वीर - अच्छा.. तुम मेरे लिए यहाँ क्या करती हो...
अनु - जी आपके खाने पीने से लेकर वह सभी काम... जो आप मुझसे कहते हैं...
वीर - और छुट्टी के दिन...
अनु - छुट्टी के दिन तो छुट्टी होता है ना...
वीर - हाँ होता तो है... पर जानती हो... जो पर्सनल सेक्रेटरी या पर्सनल अस्सिटेंट होते हैं... वह चौबीस घंटे ड्यूटी पर होते हैं...
अनु - (हैरान हो कर) हे भगवान... तो फिर वह लोग खाते पीते सोते कब होंगे...
वीर - सब उनके बॉस के साथ ही करते हैं...
अनु - क्या...(और भी हैरान हो जाती है) सब उनके बॉस के साथ करते हैं...
वीर - अरे मेरा मतलब है... जब वह लोग अपने बॉस के साथ होते हैं... तो खयाल रखते हैं... और जब साथ नहीं होते तो फोन पर बात करते हुए खयाल रखते हैं...
अनु - ओ.. अच्छा... पर मेरे पास तो फोन है ही नहीं...
वीर - (अपनी टेबल का ड्रयर खिंचता है उसमे से एक मोबाइल निकाल कर अनु को देता है) यह लो... यह कंपनी के तरफ से... अपने बॉस के साथ चौबीसों घंटे टच में रहने के लिए...
अनु - (झिझकते हुए फोन लेती है) वह... असल में... मुझे मोबाइल चलानी नहीं आती...
वीर - क्या... तुम मेरी असिस्टेंट हो... सेक्रेटरी हो... तुम को यह सब नहीं आती...
अनु - (अपना सिर हिला कर ना कहती है)
वीर - व्हाट... तुम्हारा पनीश्मेंट में एक और पनीश्मेंट ऐड हुआ...
अनु - (रुआँसी हो जाती है)
वीर - (उसकी रुआँसी सुरत देख कर) ठीक है ठीक है... मैं इसबार माफ करता हूँ... यहाँ मेरे पास आकर बैठो... मैं तुम्हें मोबाइल चलाना सीखा देता हूँ... आओ यहाँ...

वीर अनु के हाथ खिंच कर अपनी कुर्सी के आर्म रेस्ट पर बिठा देता है और अनु के हाथ में मोबाइल थमा कर उसे चैटिंग और कॉल करने के बारे में समझाने लगता है
Jabardastt Updateee

Mujhe aisa kyo lag raha hai yeh rocky Nandini se pyaar nhi karta balki uske baap bhai aur chacha ke karmo ka badla lena chahta hai.

Dekhte hai Nandini ko diya hua task kaise complete hota hai. Aur Nandini Vishwa se kaise milti hai.
 

Kala Nag

Mr. X
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Jabardastt Updateee

Mujhe aisa kyo lag raha hai yeh rocky Nandini se pyaar nhi karta balki uske baap bhai aur chacha ke karmo ka badla lena chahta hai.

Dekhte hai Nandini ko diya hua task kaise complete hota hai. Aur Nandini Vishwa se kaise milti hai.
वाह आपकी सिक्स्थ सेंस बहुत जबरदस्त है और सटीक भी है
👍👌👍👌👍
मैं फ़िलहाल अभी चुप ही रहूँगा
 
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सबसे पहले तो आपको और इस थ्रीड के सभी रीडर्स को होली की हार्दिक बधाई ।

क्षेत्रपाल का यह दुश्मन तो सच में बहुत ही डेयरिंग है । लेकिन यह है कौन ? यह तो श्योर है कि उसकी एंट्री पहले ही इस कहानी में हो चुकी है ।
जितना साधन संपन्न वो लग रहा है उससे शक यश के फादर पर ही जा रहा है । ऐसी हरकतें कोई आम इंसान नहीं कर सकता ।

राॅकी का नंदिनी को इम्प्रैश करने के लिए रेडियो एफ एम ९७ वाला प्लान भी मेरे समझ से परे है । आखिर वो करना क्या चाहता है ? नंदिनी को " मानव क्रमिक विकास - २१ वीं सदी और औरत " पर अपनी राय रखनी है । इससे क्या भला होने वाला है राॅकी को ?

वैसे सबके मजेदार वीर और अनू की केमिस्ट्री है ।
वीर का कहना है कि वो फुर्सत में बाॅल को जम के पकड़ेगा , अच्छी तरह से दबाकर पकड़ेगा , कसकर पकड़ेगा । वो किस बाॅल की बातें कर रहा है ? कहीं वो वही तो नहीं करने वाला है जो मैं सोच रहा हूं । अगर ऐसा है तो कोई बात नहीं । थोड़ा बहुत इरोटिक सीन भी पढ़ने को मिल जायेगा । :D
वो अनू के भोलेपन का मजा उड़ा रहा है वो । पता नही अनू सच में इतनी ज्यादा भोली भाली है या भोली बनने की एक्टिंग कर रही है !

दास सर की प्रोमोशन हो गई। मुझे लगता है आगे चलकर वो भी विश्व के तरकस में अनेक तीरों में से एक तीर होंगे जिसका प्रयोग क्षेत्रपाल के खिलाफ किया जायेगा ।

दोनों अपडेट्स बहुत ही बेहतरीन थे ब्लैक नाग भाई ।
हमेशा की तरह ।‌‌ आउटस्टैंडिंग ।
 

Kala Nag

Mr. X
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सबसे पहले तो आपको और इस थ्रीड के सभी रीडर्स को होली की हार्दिक बधाई ।

क्षेत्रपाल का यह दुश्मन तो सच में बहुत ही डेयरिंग है । लेकिन यह है कौन ? यह तो श्योर है कि उसकी एंट्री पहले ही इस कहानी में हो चुकी है ।
जितना साधन संपन्न वो लग रहा है उससे शक यश के फादर पर ही जा रहा है । ऐसी हरकतें कोई आम इंसान नहीं कर सकता ।

राॅकी का नंदिनी को इम्प्रैश करने के लिए रेडियो एफ एम ९७ वाला प्लान भी मेरे समझ से परे है । आखिर वो करना क्या चाहता है ? नंदिनी को " मानव क्रमिक विकास - २१ वीं सदी और औरत " पर अपनी राय रखनी है । इससे क्या भला होने वाला है राॅकी को ?

वैसे सबके मजेदार वीर और अनू की केमिस्ट्री है ।
वीर का कहना है कि वो फुर्सत में बाॅल को जम के पकड़ेगा , अच्छी तरह से दबाकर पकड़ेगा , कसकर पकड़ेगा । वो किस बाॅल की बातें कर रहा है ? कहीं वो वही तो नहीं करने वाला है जो मैं सोच रहा हूं । अगर ऐसा है तो कोई बात नहीं । थोड़ा बहुत इरोटिक सीन भी पढ़ने को मिल जायेगा । :D
वो अनू के भोलेपन का मजा उड़ा रहा है वो । पता नही अनू सच में इतनी ज्यादा भोली भाली है या भोली बनने की एक्टिंग कर रही है !

दास सर की प्रोमोशन हो गई। मुझे लगता है आगे चलकर वो भी विश्व के तरकस में अनेक तीरों में से एक तीर होंगे जिसका प्रयोग क्षेत्रपाल के खिलाफ किया जायेगा ।

दोनों अपडेट्स बहुत ही बेहतरीन थे ब्लैक नाग भाई ।
हमेशा की तरह ।‌‌ आउटस्टैंडिंग ।
क्यूँ और किसलिए यह तो आनेवाले अपडेटस में धीरे धीरे खुलासा होगा l कुछ कंनफ्युजन पाठकों के मन में होनी चाहिए l आशा है अगला अपडेट आपको पसंद आएगा, क्यूंकि रुप अपना टास्क पुरा करेगी और विश्व पेरोल पर बाहर होगा I
 

Kala Nag

Mr. X
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वैसे सबके मजेदार वीर और अनू की केमिस्ट्री है ।
वीर का कहना है कि वो फुर्सत में बाॅल को जम के पकड़ेगा , अच्छी तरह से दबाकर पकड़ेगा , कसकर पकड़ेगा । वो किस बाॅल की बातें कर रहा है ? कहीं वो वही तो नहीं करने वाला है जो मैं सोच रहा हूं । अगर ऐसा है तो कोई बात नहीं । थोड़ा बहुत इरोटिक सीन भी पढ़ने को मिल जायेगा । :D
वो अनू के भोलेपन का मजा उड़ा रहा है वो । पता नही अनू सच में इतनी ज्यादा भोली भाली है या भोली बनने की एक्टिंग कर रही है !
मेरे खयाल से वीर और अनु की लव ट्रैक सबसे बढ़िया ट्रैक होगा
रही बॉल्स की बात तो इरोटिक / रोमांटिक भी हो सकती है
😜😜😜
 

parkas

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👉सत्तावनवां अपडेट
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XXXXX कॉलेज
बुधवार

कॉलेज अभी शुरू नहीं हुआ है l अभी तक कोई नहीं आया है l पर असेंबली हॉल के स्टेज पर रॉकी अपने दोस्तों के साथ लकी ड्रॉ निकालने वाली ग्लोब नुमा जालीदार बॉल को चेक कर रहा है l

रॉकी - सुशील... क्या यह अब ठीक है...
सुशील - (खीज कर) अबे ऑए.. मजनू की छटी औलाद... सुबह सुबह हमारी नींद खराब कर यहाँ लेकर आया है... कमीने हमें कुली की तरह लगया हुआ है... साले कमीने आशिकी तेरी... पर नींद और चैन हमारी खराब है....
रॉकी - तो क्या हुआ कमीने... बदले में खाने पीने की पार्टी भी तो देता हूँ.... वह भी अपने होटल के रॉयल शूट में...
सुशील - उसकी कीमत भी तो वसूल करता है... हमे गधे की तरह दौड़ा कर काम करवा कर....
रॉकी - ठीक है... ठीक है.. वक़्त जाया ना करो... बोलो कहाँ तक यह प्लान वर्क आउट करेगा...
सुशील - अबे जब प्लान आशीष का है... तो काम उससे ही लेना चाहिए था...
आशीष - ऑए... कब से बड़बड़ कर रहा है... काम पुरा कर अपना...
रवि - हाँ यार सुबह से लगा हुआ है... पर उखड़ा उससे कुछ भी नहीं...
सुशील - अबे तुम सब काओं काओं बंद करो... लो यह अब हो गया...
सब - क्या... हो गया...
सुशील - हाँ... हो गया..
रॉकी - चलो डेमो दिखाओ...

सुशील - यह देखो... इसमें कुछ काग़ज़ के चिट डालेंगे.... ऐसे (काग़ज़ के चिट डालते हुए) अब मैं स्विच ऑन करता हूँ...

स्विच ऑन करते ही वह ग्लोब आढ़ा टेढ़ा सीधा उल्टा हो कर घूमने लगता है फिर उसमें से एक चिट बाहर निकालता है l रॉकी वह चिट उठा कर देखता है उसमें नंदिनी का नाम लिखा हुआ है l यह देख कर सभी ताली बजाते हैं l

आशीष - फ़िर भी एक लोचा है...
सब - क्या...
आशीष - बीएससी फर्स्ट ईयर बैच के स्टूडेंट्स के बीच यह कंपटीशन है... क्या सभी अपना नाम चिट पर लिख कर डालेंगे...
रवी - हाँ.. यह एक पॉइंट है...
रॉकी - ठीक है... एक तरकीब लगाऊंगा... प्रिन्सिपल से करवाऊंगा...
राजु - क्या तेरा तरकीब... काम करेगा... वह रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल है...
रॉकी - मुझे तो लगता है... जरूर करेगी... पहले से ही हम जानते हैं... वह अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में है... इसलिए मेरा दिल कहता है... वह ज़रूर करेगी...
रवि - लो कर लो बात... दिल कह रहा है इसका...
आशीष - हाँ उसके दिल के हिसाब से चलते हैं... आखिर यह तो मानना ही पड़ेगा... लड़की अपने हीरो से अभी अभी इम्प्रेस तो हुई है...
सब - ह्म्म्म्म... तो फिर ठीक है...
रॉकी - कोई दुसरा पॉइंट भी है क्या...
आशीष - हाँ... वह खुद को रूप कहलाना पसंद नहीं करती... तो उसकी चिट में वह अपना क्या नाम लिखेगी... रूप नंदिनी.. या सिर्फ़ नंदिनी...
रवि - वह जो भी लिखे... नाम तो उसका ही आना है ना...
सुशील - लो लग गए लौड़े.... अबे तो अब तक मैं क्या यहाँ झक् मार रहा था... (रॉकी के तरफ देख कर) आशीष सही बोल रहा है हीरो... लड़की पहले ही दिन से अपने नाम पर सबको कंफ्यूज कर रखा है...
रॉकी - हाँ यह भी पॉइंट है...
आशीष - और एक बात... चिट निकलने के बाद... अगर लड़की ने यह कहा कि... चिट उसकी नहीं है... तो...
रॉकी - ह्म्म्म्म... फ़िर...
राजु - फ़िर क्या... उसका भाई वीर सिंह और विक्रम सिंह... हमारी ही हाथों से... हमारी मैयत उठवाएंगे...
रॉकी - हम्म्म....
सभी - देख रॉकी... हम कहीं जोश जोश में... लोचा कर गए... तो लेने के देने पड़ जाएंगे...
रॉकी - ठीक है... देखो अपना सिस्टम तैयार है... बाकी उन लड़कियों की बैच.... कैसे इनवल्व होगी... मैं प्रिन्सिपल से मिलकर कोई रास्ता बनाता हूँ....

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ESS ऑफिस

वीर अपनी कैबिन में चहल कदम कर रहा है l उसे एक कोने से दुसरे कोने तक चहल कदम करते हुए अनु अपने दाएं हाथ की नाखुन को दांतों तले दबा कर देख रही है I वीर अपनी दाएं हाथ की मुट्ठी को बाएं हाथ की हथेली पर मारते हुए घूमना शुरू कर देता है l यह देख कर अनु घबराते हुए अपनी वैनिटी पर्स से स्माइली बॉल्स झट से निकाल कर वीर को देखने लगती है l जब वीर उसे नहीं देखता तो धीरे से अनु वीर को आवाज देती है

अनु - राज कुमार जी... (वीर नहीं सुनता) अहेम... अहेम... (वीर फिर भी नहीं सुनता) राजकुमार जी... (थोड़ी ऊँची आवाज़ में)
वीर - (अनु की ओर देखते हुए) क्या हुआ अनु जी...
अनु - (रुक रुक कर) वह.. आप... कुछ... त.. तनाव में दिख रहे हैं... (बॉल दिखा कर) यह.. यह लीजिए...
वीर - (उसे देखने लगता है, क्या कहे उसे कुछ समझ में नहीं आता) हूँ... (बस इतना ही कह पाता है)
अनु - लीजिए ना...
वीर - (थोड़ा मुस्कराते हुए) अनु.. जी.. मैं एक दिन बॉल पकड़ुंगा... पर अभी टाइम नहीं आया है... जब आएगा... जमके पकड़ुंगा... कसके पकड़ुंगा और दबाके पकड़ुंगा.... वादा रहा... पर अब मैं कुछ और सोच रहा हूँ...
अनु - क्या.. आप और क्या सोच रहे हैं...
वीर - मैं यह सोच रहा हूँ... की कौनसा भेष बदलुं... और कितने बजे जाऊँ... सब को चेक करने के लिए...
अनु - (अपना सिर हिलाते हुए) ओ... ह्म्म्म्म...

तभी टेबल पर रखी वीर की मोबाइल बजने लगती है l अनु जाती है और मोबाइल फोन लाकर वीर को देती है l

वीर - अरे अनु जी... आप हमारी पीए हैं... आप रीसीव लीजिए... और बात कीजिए... पूछिए कौन है... क्या काम है... सब समझने के बाद... हमे दीजिए...
अनु - जी... (तब तक रिंग बंद हो जाती है) ओह... लगता है फोन कट गया...
वीर - कोई नहीं... मोबाइल पर नाम दिखा तो होगा ना...
अनु - हाँ... महांती कमीना... ऐसा कुछ लिखा था...
वीर - (फौरन अनु की हाथ से मोबाइल ले लेता है) देखो अनु... अब मैं जो कहूँ... उसे ध्यान से सुनना और याद रखना... महांती, युवराज और छोटे राजा नाम दिखे तो सीधे फोन को मुझे दे देना... बाकी जिसकी भी आए... तो तुम ही उठाना... बात करना... समझना और मुझे समझा कर दे देना... समझी...

अनु अपना सिर हिला कर हाँ कहती है, फोन फिर से बजने लगती है, इसबार भी डिस्प्ले में महांती कमीना दिखता है l अनु वीर को मोबाइल बढ़ा देती है l

वीर - (मोबाइल लेते हुए) गुड... (महांती का कॉल उठाते हुए) हाँ महांती बोल... क्या बात है...
महांती - एक बहुत बड़ी इंफॉर्मेशन हाथ लगी है... मेयर साहब... मेरा मतलब छोटे राजाजी पर आज हमला हो सकता है... युवराज जी को फोन लगा रहा हूँ पर पर वह मिल नहीं रहे हैं... वह कहाँ हैं...
वीर - हाँ वह... छोटे राजा जी के साथ पार्टी मीटिंग अटेंड करने... पुरी में स्थित पार्टी ऑफिस गए हैं... वह छोटे राजाजी के साथ हैं...
महांती - छोटे राजा जी पर हमला हो सकता है... उन लोगों ने स्पॉट देख ली है... रूट पर वह लोग थोड़े कंफ्यूज हैं... यह बात युवराज जी का जानना जरूरी है...
वीर - ठीक है... वह लोग पार्टी मीटिंग में होंगे... इसलिए उनके फोन शायद रीसेप्शन में डिपोजिट होंगे... मैं मैसेज किए देता हूँ... आप भी कर कीजिए...
महांती - क्या हम पार्टी ऑफिस में मैसेज कर दें...
वीर - नहीं... नहीं हो सकता है... कोई वहाँ पर उनकी रेकी कर रहा हो... मैं मैसेज कर देता हूँ... और कोशिश करता हूँ... वहाँ मीटिंग में पहुंचने की...
महांती - हाँ यह बढ़िया है... पर जल्दबाजी में मत जाइएगा... हो सकता है.... आपकी जल्दबाजी देख कर वह अपना प्लान बदल दें... एक काम लीजिए... आप पूरी कनाल रोड पर जाइए.... मैं ओल्ड भुवनेश्वर रोड से पूरी जाता हूँ...
वीर - ठीक है...(फोन काट देता है, और अनु को देखते हुए) तुम यहाँ पर रुको... और फोन वगैरह आए तो अटेंड करो... ठीक है...
अनु - जी ठीक है...

वीर वहाँ से हल्दी में निकल जाता है l

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XXX पार्टी ऑफिस
मीटिंग खतम हो जाता है l उसके बाद पिनाक सिंह और विक्रम सिंह रीसेप्शन में जमा किए हुए अपने फोन वापस लेते हैं l विक्रम अपने फोन पर देखता है महांती और वीर के बहुत से मिस कॉल हैं l विक्रम महांती को फोन लगाता है l

महांती - (फोन उठाकर) हैलो युवराज जी...
विक्रम - हाँ महांती... इतने मिस कॉल...
महांती - सर... उन्होंने... अपना स्पॉट चुन लिया है...
विक्रम - ह्म्म्म्म... एक मिनट... पहले मैं गाड़ी में पहुँच जाऊँ... (विक्रम अपनी गाड़ी में आ जाता है) हाँ अब बोलो...
महांती - मैं यह कह रहा था... उन लोगों ने स्पॉट फिक्स कर लिया है...
विक्रम - कौनसे रूट पर...
महांती - वे लोग दो रूट पर... घात लगाएंगे... पहला पुरी कनाल रोड पर... दुसरी भुवनेश्वर पुरी रोड पर...
विक्रम - मतलब... छोटे राजा जी के पुरी से आते वक़्त... हमला हो सकता है...(मोबाइल पर वीर की कॉल आ रहा है) यह राजकुमार भी बार बार फोन कर रहे हैं...
महांती - वह आप ही के पास जा रहे हैं... मैं भी ऑन द रोड हूँ...
विक्रम - ठीक है... मैं उन्हें भी कंफेरेंश में ले लेता हूँ.... (वीर को कंफेरेंश में ऐड करने के बाद) हाँ राजकुमार जी...
वीर - क्या आपकी महांती से बात हो गई...
विक्रम - हाँ हो रहा है... और आप अभी कांफ्रेंस में हैं...
वीर - ठीक है... फिर आप छोटे राजा जी को... कांफ्रेंस में ले लीजिए... हम भी अपना प्लान सेट करते हैं...
विक्रम - ओके... लाइन पर रहीए... (विक्रम पिनाक को कंफेरेंश में लेने की कोशिश करता है पर उसका फोन बिजी आता है) शीट...
महांती और वीर - क्या हुआ...
विक्रम - उनका फोन बिजी आ रहा है...
महांती - ठीक है... आप तो उनके साथ हैं ना...
विक्रम - हाँ.. पर दुसरे गाड़ी में...
महांती - ठीक है... अब हमें मालूम है क्या होने वाला है... वह लोग हमारे सर्विलांस में हैं... अब बताइए हमे क्या करना है...
विक्रम - महांती... हम उन्हें इसबार फैल करते हैं....
वीर - फैल करते हैं मतलब...
विक्रम - इस बार हम उन्हें नहीं दबोचेंगे... बल्कि हम रास्ता बदल देंगे...
महांती - कौनसा रास्ता लेंगे फिर...
विक्रम - पुरी रामेश्वर रोड पर... हम रामेश्वर रोड से जा कर एनएच पर निकलेंगे...
वीर - इससे फायदा...
विक्रम - हमारा दुश्मन एक घोस्ट है... वह कौन है... उसकी प्लानिंग क्या है... हम नहीं जानते... जैसा कि महांती ने पहले ही बता चुका है... वह घोस्ट, अपने ही आदमियों से भी छुपा हुआ है... उसके एक दो प्लान ऐसे फैल कर देने से... वह बौखलाएगा... बिलबिलाएगा... तब वह गलती करेगा...
महांती - तब शायद वह बाहर भी निकल सकता है...
विक्रम - हाँ...
वीर - बढ़िया... तो अब हम क्या करें...
विक्रम - एक मिनट छोटे राजा जी का कॉल आ रहा है... मैं उन्हें कांफ्रेंस में लेता हूँ... (कांफ्रेंस में लेने के बाद) छोटे राजा जी... आज आप पर दोबारा हमला होने वाला है...
पिनाक - तो चलो धर दबोच कर नर्क दिखाते हैं उन्हें...
विक्रम - नहीं छोटे राजा जी... हमे उस हराम खोर के चमचों के बारे में पता है... पर उस अदृश्य दुश्मन के बारे में नहीं... हम उसका प्लान फैल कर देते हैं...
पिनाक - नहीं ऐसा नहीं हो सकता... अगर उसे मालुम हुआ तो खिल्ली उड़ाएगा...
विक्रम - नहीं उड़ाएगा... हम एक रुटीन प्रोसिजर बना कर रूट बदलेंगे... आज उसका प्लान फैल हुआ तो... वह चिढ़ जाएगा... तब शायद कोई गलती भी करेगा... हो सकता है... उसे सामने आना पड़े...
पिनाक - ठीक है युवराज... चाहे कुछ भी हो... मुझ पर भगोड़ा का छाप लगनी नहीं चाहिए...
विक्रम - नहीं लगेगा... आप अपने ड्राइवर से कहिए... वह गाड़ी को रामेश्वर रोड पर ले जाए... और राजकुमार... आप वापस ऑफिस जाओ... महांती तुम भी पहुंचो... हम रामेश्वर रोड पर छोटे राजा जी को लेकर ऑफिस पहुँचते हैं....
दोनों - ओके...

विक्रम फोन काट देता है l पिनाक सिंह अपने ड्राइवर को रामेश्वर रोड पर ले जाने को बोलता है l ड्राइवर भी अपनी गाड़ी को रामेश्वर रोड की ओर मोड़ देता है l

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कॉलेज की कैन्टीन में छटी गैंग मस्ती कर रही है l तभी कैन्टीन की माइक पर प्रिन्सिपल की आवाज गूंजने लगती है l

प्रिन्सिपल - हैलो स्टूडेंट्स... मैं आपका प्रिन्सिपल बोल रहा हूँ... बीएससी फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स आप लोग तुरंत असेंबली हॉल में पहुंचे... आपके पास सिर्फ़ दस मिनट है... जो नहीं आयेंगे... उनको पनीश्मेंट दी जाएगी... सो डोंट बी लेट... बी हर्री...
बनानी - व्हाट... लो फ्रेंड्स... ब्रेक का सत्यानाश हो गया...
दीप्ति - कुछ भी हो... जाना तो पड़ेगा ही... वरना पता नहीं बुढ़उ ने क्या पनीश्मेंट सोचा होगा...
तब्बसुम - हाँ यार... बुड्ढे को सिर्फ बनानी को ही शॉक से उबार ने का प्लान बनाना चाहिए था... क्यूँ के शॉक तो उसे लगा था ना...
बनानी - अपना मुहँ बंद रख... यह मत भूलो... मेरे साथ तुम सभी भी शॉक्ड थे...
भाश्वती - पर फायदा क्या... चिट में तो किसी एक का नाम आएगा... कितना अच्छा होता ना... अगर हम सब मिलकर एफएम में टास्क पुरा करते...
इतिश्री - कमाल है... हम सब तब से चपड़ चपड़ करते जा रहे हैं... पर राजकुमारी जी हैं कि चुप्पी साधे हुए हैं...
नंदिनी - (इतिश्री की हाथ में जोर से चिकोटी काटते हुए) कमीनी अगर फिर कभी नंदिनी के वजाए...
इतिश्री - आ... आ... ह्ह्ह्... (चिल्लाने लगती है)
नंदिनी - राजकुमारी कहा तो... तेरी ऐसी कुटाई करूंगी के तुझे तेरी छटी का दुध याद आ जाएगी...(छोड़ देती है)
इतिश्री - उई माँ... (अपने हाथ को मलते हुए) डायन कहीं की... थोड़ी देर और ऐसे ही रहती तो... मांस ही बाहर आ जाती...
बनानी - ओह ओ... अब छोड़ो भी यह सब... इससे पहले कि प्रिन्सिपल दोबारा माइक पर भोंकने लगे... हमें असेंबली हॉल में पहुँच जाना चाहिए...
दीप्ति - हाँ हाँ... जल्दी चलो... देखें तो सही वहाँ होता क्या है...
नंदिनी - ठीक है.. चलो... अपनी पंचायत हम कल बिठायेंगे...
सब - हाँ हाँ चलो चलो...

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सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी

दास एक अर्दली के साथ अंदर आता है l अर्दली के हाथ में खाने की थाली है वह विश्व के पास थाली रखते कर बाहर चला जाता है l विश्व एक नजर दास को देखता है फ़िर किताबों में घुस जाता है l

दास - विश्व... खाना खा लो यार...
विश्व - (किताबों से सिर बाहर निकाल कर) दास बाबु... जो आप कहने आए हैं... वह कह दीजिए... मैं बाद में खा लूँगा...
दास - तुम्हें कैसे मालुम हुआ... मैं कुछ कहने आया हूँ...
विश्व - रोज आप अर्दली के साथ चले जाते थे... आज आप रुक गए हैं...
दास - तकल्लुफ मत करो... तुम खाना खा लो... मैं... मैं यहाँ इंतजार कर लेता हूँ...
विश्व - दास बाबु... बात तकल्लुफ की ही है... साथ खाना खाने बैठे होते... तो बात अलग थी... मैं खाना खाऊँ और आप खड़े हो कर देखते रहें... मुझे ऐंबार्समेंट फील होगा... प्लीज... आप ही का जैल है... और मैं यहाँ कुछ ही दिनों का मेहमान हूँ...
दास - हमारे संस्कार में... मेहमान का दर्जा जानते हो ना...
विश्व - गलती हो गई... खुद को मेहमान कह गया... मुहँ से निकल गया... फिर भी... खाना बाद में हो जाएगा... आप पहले क्या कहने आए थे... यह बताइए...
दास - ओके... तुम जीते मैं हारा... (कह कर विश्व के सामने बैठ जाता है)
विश्व - अब तो कह ही दीजिए... बात क्या है...
दास - यह... आज... हमारा... आखिरी मुलाकात है...
विश्व - क्यूँ... आपका कहीं ट्रांसफ़र हो गया क्या....
दास - हाँ... मैंने पहले भी... सेनापति सर जी से मना किया था... पर उन्होंने मेरे बारे में कुछ रिपोर्ट बना कर... डीपीसी भेज दिया था...
विश्व - डीपीसी... यह डीपीसी क्या होता है...
दास - डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी...
विश्व - ओ... तो... आप प्रमोशन में जा रहे हैं...
दास - हाँ... डबल प्रमोशन... आईआईसी बन जाऊँगा... कल ही मुझे अंगुल ट्रेनिंग ऑफिस में तीन महीने ट्रेनिंग के लिए रिपोर्ट करना है... और जब ट्रेनिंग खतम होगी... पता नहीं फिर कहाँ पर पोस्टिंग होगी... फिर मिलना होगा या नहीं... इसलिए...
विश्व - ओ.. वाव... कंग्रेचुलेशन दास सर... यह तो खुशी की बात है...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - (उसे देख कर) क्यूँ आपको यह प्रोमोशन नहीं चाहिए था क्या...
दास - नहीं ऐसी बात नहीं... मुझे यह थोड़ी देर बाद मिलता तो अच्छा लगता...
विश्व - (अपना सिर थोड़ा पीछे लेता फिर आगे कर हँसते हुए कहता है) दास बाबु... थैंक्यू... थैंक्यू वेरी मच...
दास - किस बात के लिए थैंक्यू...
विश्व - दास बाबु... आपने मुझे अपना दोस्त समझा इसलिए...
दास - (अपना सिर नीचे कर लेता है)
विश्व - सच पूछिये तो आप जैसा ईमानदार, साहसी लोग.. समाज के उन हिस्सों में होना चाहिए... जहां... लोग पुलिस के बारे में चुटकुले बनाने के वजाए...या गाली देने के वजाए.. उसकी तारीफ़ में कसीदे पढ़ें...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - आप तो जानते हैं ना दास बाबु... सैनिकों को प्रथम पंक्ति के सुरक्षा बल कहा जाता है... क्यूंकि वह लोग देश की सीमा व अखंडता का रक्षा करते हैं... और पुलिस को द्वितीय पंक्ति के सुरक्षा बल... क्यूंकि वह आंतरिक धर्म, विश्वास व न्याय की रक्षा करते हैं... जरा सोचिए अगर राजगड़ में एक ऑफिसर आप जैसा होता... तो... आज विश्व कभी यहाँ विश्वा भाई ना होता...
दास - (चुप रहता है)
विश्व - जानते हैं... मुझे दीदी हमेशा एक बात कहा करती थी... हम जिस समाज का हिस्सा हैं... वह समाज भले ही हमें छोड़ दे... पर उस समाज को हम छोड़ नहीं सकते... खास कर तब.. जब समाज को हमारी जरूरत हो... पर यह निर्णय समाज को नहीं हमे खुद करना चाहिए...
दास - ठीक है ... ठीक है... अगर ज्यादा देर यहाँ बैठा... तो तुम्हारा भाषण बंद नहीं होगा... मैं चलता हूँ... मैं बस यह कहने आया था... की मैं कहीं भी रहूँ... किसी तरह की काम पड़ जाए... तो हिचकिचाना मत... (आवाज़ भर्रा जाता है)

बड़ी कोशिशों के बावजूद दास अपनी आँखों से आंसू नहीं रोक पाता इसलिए जल्दी से उठ कर वहाँ से जाने लगता है l विश्व अपनी जगह से उठ कर दास के बैठे हुए जगह पर जाता है l वहाँ टेबल पर कुछ आँसुओं के बूंद दिखाई देती है l विश्व उन बूँदों पर अपना हाथ फेरते हुए

विश्व - एक मिनट दास बाबु... (दास रुक जाता है) आप का मैं आभारी रहूँगा...
दास - (बिना पीछे मुड़े) वह क्यूँ...
विश्व - आप चौथे व्यक्ति हैं... जो मेरे लिए दिल से आँसू बहाए हैं...

दास ना कुछ कहता है ना ही कुछ सुनता है l बिना पीछे मुड़े बिना विश्व को देखे उस लाइब्रेरी से निकल जाता है l

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असेंबली हॉल,
स्टेज पर माइक पर प्रिन्सिपल खड़ा है और स्टेज के बीचों-बीच रॉकी एंड ग्रुप खड़े हैं l उनके सामने एक बड़ा सा ग्लोब जैसा जाली नुमा बॉल एक स्टैंड के साथ अटैच है l

प्रिन्सिपल - वेलकम टु ऑल... अब एक काम कीजिए... मेरे बाएँ तरफ सभी लड़के आ जाएं... और मेरे दाएँ तरफ सभी लड़कियाँ आ जाएं...

हॉल में मौजूद सभी स्टूडेंट्स वही करते हैं l लड़के एक तरफ आ जाते हैं और लड़किया एक तरफ हो जाती हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप सबको वल्युंटीयर्स एक एक चिट देंगे... आप सब अपने अपने दोस्त का नाम लिखें... और हाँ जो भी यहाँ मौजूद है उनके नाम की चिट हमारे पास मिलनी चाहिए... अगर नहीं मिली... तो उनको पनीश किया जाएगा...

स्टेज से राजू और सुशील काग़ज़ लेकर सभी स्टूडेंट्स को देने लगते हैं l

आशीष - तो यह तेरा प्लान था... जाहिर सी बात है उसके दोस्त उसका नाम जो लिखेंगे... तुमको खबर हो जाएगा...
रॉकी - (हँसते हुए) हाँ...
आशीष - अगर उसकी चिट गायब हो गई तो...
रॉकी - नहीं होगी...
आशीष - कैसे....
रॉकी - तु बस देखता जा...

राजु और सुशील सारे चिट बांट कर वापस स्टेज पर पहुँच जाते हैं l

प्रिन्सिपल - अब सब अपने अपने दोस्त के नाम लिखो... और ध्यान रहे जिसका नाम नहीं मिलेगा... उसको पनीश्मेंट मिलेगा...

ल़डकियों के बीच
तब्बसुम - चलो चलो हम में से डिसाइड करो... कौन किसका नाम लिखेगा...
दीप्ति - हाँ... हम छह हैं... पर हमे तीन जोड़ी में बंट जाना है...
नंदिनी - ठीक है... मैं बनानी का नाम लिखती हूँ... बनानी मेरा नाम लिखेगी... तब्बसुम दीप्ति का नाम लिखेगी और दीप्ति तब्बसुम का नाम... और फाइनली.. भाश्वती इतिश्री का नाम और इतिश्री भाश्वती का नाम...
सभी - ओके

लड़कियाँ अपनी अपनी चिट लिख कर फ़ोल्ड कर देते हैं l

प्रिन्सिपल - अब उन चिट को... ल़डकियों के तरफ से नंदिनी कलेक्ट करेंगी... और लड़कों के तरफ से xxxxx कलेक्ट करेंगे... इसलिए आप सब उन्हें अपनी अपनी चिट दें....

नंदिनी पहले हैरान हो जाती है फिर खुशी से सबकी चिट कलेक्ट करती है l दोनों ग्रुप की चिट कलेक्शन हो जाने के बाद नंदिनी और xxxxx स्टेज पर आते हैं l रॉकी उस ग्लोब का ढक्कन खोल देता है l और सारे चिट्स उसमें डालने को कहता है l दोनों वही करते हैं l

प्रिन्सिपल - अब आप दोनों अपने दोस्तों के पास जा कर बैठ जाएं... (दोनों स्टेज से उतर कर अपने अपने दोस्तों के पास चले जाते हैं) आज इन चिट्स के बीच एक नाम को लकी ड्रॉ के जरिए एफएम रेडियो के जॉकी सुरेश साहब निकलेंगे... (सभी स्टूडेंट्स तालियां बजाने लगते हैं) आइए सुरेश साहब...

सुरेश स्टेज पर आता है l और उस सिस्टम को ऑन करता है जिसमें वह ग्लोब अटैच था l ग्लोब थोड़ी देर घूमने के बाद एक चिट बाहर गिरती है l सुरेश वह चिट प्रिन्सिपल को दे देता है l

प्रिन्सिपल - हाँ तो इस चिट में जिनका नाम आया है... मैं उनको पहले बधाई देता हूँ... आप हैं... मिस रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल...

सभी स्टूडेंट्स तालियाँ बजाने लगते हैं l स्टेज पर मौजूद सभी लोग और प्रिन्सिपल भी ताली बजाने लगते हैं l लड़कियाँ सभी नंदिनी को बधाई देते हैं और चीयर करने लगते हैं l

नंदिनी अपना नाम सुन कर पहले से ही शॉक थी l उस पर सब उसे जिस तरह से बधाई दे रहे हैं l वह नर्वस फिल करने लगती है l

प्रिन्सिपल - आइए नंदिनी जी... स्टेज पर आइए...

नंदिनी बड़ी नर्वस नेस के साथ स्टेज पर जाति है l स्टेज पर पहुंचते ही उसके सारे दोस्त चीयर करते हुए हूटिंग करते हैं l

प्रिन्सिपल - मिस. नंदिनी.. क्या आप नर्वस फिल कर रही हैं...
नंदिनी - जी.. जी सर...
प्रिन्सिपल - जीवन में कई चुनौतियाँ आयेंगी... इससे भी बड़े बड़े... इसे आप स्वीकार करने का साहस करें... फिर सभी आसान हो जाएगा...
नंदिनी - जी...
प्रिन्सिपल - तो आपको आज टास्क सुरेश जी देंगे... और इन दो दिनों में यहाँ पर एक टेंपोररी साउंड प्रूफ़ स्टूडियो बनाया जाएगा... आप लोग यहाँ पर लाइव देख व सुन सकें... (सभी स्टूडेंट्स फिर से तालियां बजाने लगते हैं) (प्रिन्सिपल हाथ दिखा कर इशारे से ताली रोकने को कहता है, ताली रुक जाती है) हाँ... तो सुरेश साहब... दीजिए इन्हें एक टास्क...(माइक से हट जाता है)
सुरेश - (माइक पर आकर) पहली बात... नंदिनी जी आप घबराएँ नहीं... यह टास्क ही सही... पर यह एक एक्सपोजर भी है... आप अपने भीतर एक नए व्यक्तित्व को ढूंढेंगी... सो प्लीज बी नॉर्मल... शांत हो जाइए...
नंदिनी - जी... जी मैं.. ठीक हुँ...
सुरेश - गुड... तो क्या मैं आपको टास्क दूँ...
नंदिनी - श्योर...
सुरेश - तो दोस्तों... मैं आज आपके सामने मिस नंदिनी जी को... एक टास्क दे रहा हूँ... वह शनिवार को बारह बजे के बाद... रेडियो एफएम 97 में... मेरे साथ लाइव रहेंगी... और उस दिन वह प्रेजेंट करेंगी एक विषय
"HUMAN EVOLUTION TWENTY FIRST CENTURY AND THE WOMEN"
यानी मानव क्रमिक विकास, इक्कीसवीं सदी और औरत...

कुछ देर के लिए हॉल में सन्नाटा पसर जाता है l पहले प्रिन्सिपल ताली बजाता है फिर सभी लोग ताली बजाने लगते हैं l पुरा का पुरा हॉल तालियों से गूंजने लगती है l

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ESS ऑफिस
कंफेरेंश रूम में महांती, विक्रम, वीर और पिनाक बैठे हुए हैं l पिनाक सिंह अपनी मुट्ठी को टेबल पर धीरे धीरे ठोक रहा है l

विक्रम - आप इतना खीज क्यूँ रहे हैं...
पिनाक - आप समझ नहीं रहे हैं युवराज... ऐसा लग रहा है... जैसे हम अपना रास्ता इसलिए बदल दिया... वह भी किसीके डर से...
विक्रम - हम चाहे कितने भी सहरी क्यूँ ना हो जाये... हम हैं तो जंगली ही... यह खेल शिकार और शिकारी वाला है... हमारा शिकार छुपा हुआ है... वह हमे छकाये हुए है... बस एक बार वह बाहर निकल जाए... फिर ऐसा शिकार होगा कि उसके पुश्तों तक के रूह कांप उठेगी...
पिनाक - खेल अगर शिकार और शिकारी वाला है... तो हमें उसे मौका देना चाहिए था... हम उसे बाहर निकालने के लिए चारा बनने के लिए तैयार हैं... पर बेचारा बन कर नहीं रह सकते...
महांती - गुस्ताखी माफ छोटे राजा जी... शेर भी कभी कभी शिकार करने से पहले दो कदम पीछे जाता ही है... हम डर कर नहीं... बल्कि उसे बौखलाने के लिए रास्ता बदला है... वह आपको ज़रूर फोन करेगा... आप बस उसे एहसास मत होने दीजियेगा... के हमें उसके प्लान का अंदाजा हो चुका था... वह आपको उसकायेगा... पर आप शांत रहें... आपका शांत रहना उसे और भी बौखलाएगा... और बौखलाहट उससे गलती करवाएगा...
वीर - हाँ... बहुत ही बढ़िया प्लान है... महांती बिल्कुल सही कह रहा है...
पिनाक - बस महफ़िल में आप ही की कमी थी... अच्छा हुआ... उगल दिए आपने वरना बदहजमी हो जाती आपको...
वीर - ओ... मेरे कुछ कहने से आपको अगर पसंद नहीं आ रहा... तो मेरा यहाँ रुकना बेकार है...
पिनाक - मैं नहीं हम कहिए... आप राजकुमार हैं...
वीर - हम का दम तब भरते... जब बंदे का इज़्ज़त हो...
विक्रम - राजकुमार... आप आपे से बाहर हो रहे हैं...
वीर - नहीं... अपने आप में आ रहे हैं... सॉरी

वीर वहाँ पर सबको बैठा छोड़ कर कांफ्रेंस रूम से निकल जाता है l

विक्रम - (पिनाक सिंह से) आखिर आप अपनी खीज... राजकुमार पर उतार ही दिया...
महांती - हाँ छोटे राजा जी... खबर मिलते ही... राजकुमार जी फौरन पुरी के लिए निकल पड़े थे...
पिनाक - वह हम थोड़ा... सॉरी... हम बाद में उनसे बात कर लेंगे...

तभी पिनाक सिंह की मोबाइल बजने लगता है l पिनाक मोबाइल के डिस्प्ले पर अन नोन कॉल देखता है l उस पर कोई नंबर नहीं दिखता है वह उस डिस्प्ले को विक्रम और महांती को दिखाता है l दोनों इशारे में बात करते रहने के लिए कहते हैं I

पिनाक - हैलो...
-X- क्या बात है... फोन उठाने में इतनी देरी... क्यूँ फट रही थी क्या...
पिनाक - फट तो तेरी रही है हरामजादे... सामने नहीं आ रहा है...
-X- बहुत जल्दी है मुझसे मिलने की... जिस देखेगा... उस दिन आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा...
पिनाक - अब एक बात का कंफर्म हो गया... तु ज़रूर किसी फटीचर सर्कस में जोकर रहा होगा... सिर्फ़ जोक मारने के सिवा कुछ भी नहीं आता तुझे...
-X- उस दिन की गोली बारी मजाक लग रहा है तुझे... याद है ना... गाड़ी बदली थी तुने... हाँ यह बात और है... घर जा कर चड्डी भी बदला होगा तुने... जो न्यूज वालों ने बताया नहीं किसी को...
पिनाक - तो भोषड़ी के... फिर हमला क्यूँ नहीं करवा रहा है... कौनसे बिल में छुप कर भौंक रहा है....
-X- भौंक नहीं रहा हूँ... दहाड़ रहा हूँ... बहुत जल्द... सारा सहर देखेगा... तु रोड पर जान बचा कर भाग रहा होगा.... और कसम से टीवी पर यह लाइव चल रहा होगा...
पिनाक - क्षेत्रपाल से बात कर रहा है... मादरचोद क्षेत्रपाल से... बस एक बार मेरे सामने आजा... तुझे तेरी ही जुबान से फांसी पर टांग ना दिया... तो हम क्षेत्रपाल नहीं...
-X- ठीक है फिर बहुत जल्द तेरे सामने आऊँगा... पहचानना तो दूर तु जान भी नहीं पाएगा... तेरी ऐसी गांड मार कर जाऊँगा...
पिनाक - ठीक है आजा फिर...
-X- अरे वाह... बड़ी जल्दी है... मुझसे मरवाने की...
पिनाक - (चिल्लाता है) हरामजादे.... (फोन कट हो जाता है) तु बस एक बार सामने आ... हैलो.. हैलो...
विक्रम - क्या पता चला महांती....
महांती - यह एक इंटेरनेट कॉल था... बहुत चालाक है.... ना सिर्फ़ इसकी लोकेशन हर दस सेकंड में बाउंस कर रहा था... बल्कि उलझाने के लिए अपनी कॉल को हर नेटवर्क पर बारी बारी से शिफ्ट कर रहा था...
विक्रम - तो क्या हम उसे ट्रेस नहीं कर सकते...
महांती - क्यूँ नहीं कर सकते... अगली बार कॉल करेगा तो... उसकी एक्जाक्ट लोकेशन मिल जाएगी...
पिनाक - ठीक है... महांती... तुम बस उसका लोकेशन का पता लगाओ... फ़िर हम उसकी वह हश्र करेंगे... वह हश्र करेंगे....

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वीर गुस्सा और नाराज होकर कांफ्रेंस रूम से निकल कर अपने कैबिन में आ कर बैठा हुआ है l कुछ देर बाद उसके कमरे में अनु कॉफी की कप लेकर अंदर आती है और वीर के सामने रख देती है l वीर के मन में पिनाक की कही बातें चल रही है l इसलिए उसे ध्यान नहीं रहता की उसके टेबल पर अनु ने कॉफी रख दिया है l अनु को एहसास होता है, वीर का मन ठीक नहीं है इसलिए वह फिर से अपनी पर्स से स्माइली बॉल निकाल कर वीर देखती है l उसे समझ में नहीं आता कि कैसे उन बॉल्स को वीर के हाथों में दे l इसलिए टेंशन में वह बॉल्स को दबाने लगती है l
कुछ देर बाद वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है तो अनु को स्माइली बॉल्स को दबाते हुए देखता है l

वीर - यह तुम क्या कर रही हो...
अनु - जी (अपने हाथ में बॉल देख कर) जी यह.. मैं वह.. आप.. कैसे...
वीर - क्या कह रही हो...
अनु - जी...मु.. मम्म्म्म.. मुझे समझ में नहीं आया.. यह बॉल कब और क.. कैसे.. आपके हाथ में दूँ...
वीर - (चेहरे पर मुस्कान आ जाती है) लाओ बॉल दो... (अनु दे देती है)(वीर बॉल्स दबाने लगता है) तुम अभी दबा रही थी ना... क्यूँ...
अनु - वह आपको टेंशन में देख कर... मेरे समझ में नहीं आया मैं क्या करूं...
वीर - (बॉल्स को दबाते हुए) अच्छा जब मैं यहाँ नहीं था... कुछ फोन वगैरह आया था...
अनु - जी.. जी नहीं... नहीं आया था...
वीर - (बॉल्स अनु को देते हुए) ह्म्म्म्म यह लो... रख लो... (अनु बॉल्स रख लेती है) अच्छा अनु... तुम मेरी क्या हो...
अनु - जी मैं आपकी... पीएस और पीए दोनों हूँ..
वीर - अच्छा.. तुम मेरे लिए यहाँ क्या करती हो...
अनु - जी आपके खाने पीने से लेकर वह सभी काम... जो आप मुझसे कहते हैं...
वीर - और छुट्टी के दिन...
अनु - छुट्टी के दिन तो छुट्टी होता है ना...
वीर - हाँ होता तो है... पर जानती हो... जो पर्सनल सेक्रेटरी या पर्सनल अस्सिटेंट होते हैं... वह चौबीस घंटे ड्यूटी पर होते हैं...
अनु - (हैरान हो कर) हे भगवान... तो फिर वह लोग खाते पीते सोते कब होंगे...
वीर - सब उनके बॉस के साथ ही करते हैं...
अनु - क्या...(और भी हैरान हो जाती है) सब उनके बॉस के साथ करते हैं...
वीर - अरे मेरा मतलब है... जब वह लोग अपने बॉस के साथ होते हैं... तो खयाल रखते हैं... और जब साथ नहीं होते तो फोन पर बात करते हुए खयाल रखते हैं...
अनु - ओ.. अच्छा... पर मेरे पास तो फोन है ही नहीं...
वीर - (अपनी टेबल का ड्रयर खिंचता है उसमे से एक मोबाइल निकाल कर अनु को देता है) यह लो... यह कंपनी के तरफ से... अपने बॉस के साथ चौबीसों घंटे टच में रहने के लिए...
अनु - (झिझकते हुए फोन लेती है) वह... असल में... मुझे मोबाइल चलानी नहीं आती...
वीर - क्या... तुम मेरी असिस्टेंट हो... सेक्रेटरी हो... तुम को यह सब नहीं आती...
अनु - (अपना सिर हिला कर ना कहती है)
वीर - व्हाट... तुम्हारा पनीश्मेंट में एक और पनीश्मेंट ऐड हुआ...
अनु - (रुआँसी हो जाती है)
वीर - (उसकी रुआँसी सुरत देख कर) ठीक है ठीक है... मैं इसबार माफ करता हूँ... यहाँ मेरे पास आकर बैठो... मैं तुम्हें मोबाइल चलाना सीखा देता हूँ... आओ यहाँ...

वीर अनु के हाथ खिंच कर अपनी कुर्सी के आर्म रेस्ट पर बिठा देता है और अनु के हाथ में मोबाइल थमा कर उसे चैटिंग और कॉल करने के बारे में समझाने लगता है
Nice and beautiful update.. ..
 
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