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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Kala Nag

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Awesome Updateee

Lagta hai Vishwa Nandini aur Subhra ke upar hone wale humle se unhe bachayega. Dekhte hai aage kya hota hai.
प्रशंसा के लिए धन्यबाद
अगली कड़ी एक धमाकेदार कड़ी होने वाली है
बस इतना ही कह सकता हूँ
 

Vickyabhi

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Awesome fantastic update bhai
 
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Kala Nag

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Awesome fantastic update bhai
थैंक्स भाई
बस आप साथ बने रहें और देते रहें
फिर से धन्यबाद व आभार
 
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parkas

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👉उनसठवां अपडेट
--------------------
XXXX कॉलेज
असेंबली हॉल
नंदिनी चुप हो जाती है और वह महसूस करती है उसके आसपास का माहौल एक दम खामोश है I असेंबली हॉल में मौजूद सभी लेक्चरर, सभी स्टूडेंट्स, सब, यहाँ तक सुरेश भी स्तब्ध हो गए हैं l इतनी ख़ामोशी पसरी हुई है कि अगर एक सुई भी गिर जाए तो उसकी भी आवाज़ जोर से सुनाई देगा l फिर सुरेश अपनी जगह पर खड़ा हो जाता है और ताली बजाने लगता है l उसके बाद सभी ताली बजाने लगते हैं l पूरा का पूरा असेंबली हॉल तालियों के गड़गड़ाहट से थर्राने लगता है l बनानी अपनी दोस्तों के साथ चिल्लाने लगती है l

बनानी - थ्री चियर्स फॉर नंदिनी... हिप हिप
सभी - हुर्रे...
बनानी - हिप हिप
सभी - हुर्रे...
बनानी - हिप हिप
सभी - हुर्रे...

उधर रॉकी के सभी दोस्त जोर जोर से ताली बजा रहे हैं पर रॉकी ऐसे हैरान और खामोश है जैसे कोई अद्भुत देख लिया हो l एक तरह से रॉकी शॉक्ड था जैसे उसके कल्पना से परे कुछ और हो गया है l

रवि - वाव... क्या बात है रॉकी... जो तु चाहता था... जैसा तु चाहता था.. वही और वैसे ही हो गया...
आशीष - हाँ यार... तूने तो उसे लाइम लाइट दे दिया यार... तुने उसको.. उसके भीतर के एक नए शख्सियत से मुलाकात कराया है... कुछ नहीं तो... कम से कम दोस्ती तो पक्की...
सुशील - नहीं नहीं... पहले इम्प्रेस थी... अब अपना यार उसके दिल दिमाग पर छा जाएगा... (रॉकी को खामोश देख कर) क्या बात है हीरो... किन खयालों में खोया है...
रॉकी - क.. कु.. कुछ नहीं...

जब ताली बजना बंद होता है तो सबको पता चलता है कि वहाँ पर नंदिनी है ही नहीं l सबको असेंबली हॉल में छोड़ कर नंदिनी बाहर जा कर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है l

नंदिनी - (ड्राइवर से) गुरु काका....
गुरु - जी... बेटी जी...
नंदिनी - मेरा यहाँ दम घुट रहा है... मुझे इस कैंपस से बाहर ले चलिए...
गुरु - बाहर मतलब कहाँ... बेटी जी...
नंदिनी - ओहो.... पहले इस कैपस से तो निकालिए...
गुरु - जी.... जी बेटी जी...

गुरु गाड़ी को कैंपस से बाहर निकाल कर रोड पर ले जाता है l

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

ओरायन मॉल में फ़ूड कोर्ट हो या ड्रेस बुटीक हर जगह जैसे ही नंदिनी की प्रेजेंटेशन खतम हुई मॉल में मौजूद सभी लोग भी ताली बजाने लगे l पुरी की पुरी मॉल तालियों से गुंजने लगी l अनु भी सबको ताली बजाते देख वह भी ताली बजाने लगती है l अनु देखती है वीर किन्हीं ख़यालों में खोया हुआ है l वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर वीर की हाथों को हिलाती है l वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है देखता है वहाँ पर मौजूद सभी लोग ताली बजा रहे हैं, अनु भी इधर उधर देख कर ताली बजा रही है I अनु इशारे से ताली बजाने को कहती है, वीर अपने चेहरे पर एक मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए ताली बजाने लगता है l

बुटीक में भी जितने कस्टमर थे सेल्स मेन व गर्ल्स के साथ साथ विश्व और प्रतिभा भी ताली बजाने हैं l सबकी ताली रुक जाने के बाद

विश्व - वाव... माँ यह नंदिनी जो भी हैं... कितनी खूबी से और आसानी से.... समाज को आईना दिखा दिया...
प्रतिभा - हाँ बेटा... वाकई... छोटी सी कहानी में... कितना कुछ कह दिया... समाज और सभ्यता को...
विश्व - कभी मौका मिला तो उनसे मिलना जरूर चाहूँगा...
प्रतिभा - क्यूँ...(भवें नचा कर) प्रपोज करेगा...
विश्व - ओह माँ... तुमसे कुछ भी कहना.... छोड़ो... यहाँ पर काम खतम हुआ... अब कहीं और चलें...
प्रतिभा - हाँ रुक... पहले मैं पेमेंट तो कर लूँ...
विश्व - तब तक मैं... ड्रेस चेंज कर लेता हूँ...
प्रतिभा - अरे... क्यूँ... अब दिन भर इसी में रह... घर जाकर बदलना...
विश्व - पर यह तो आपने कल के लिए खरीदा है ना...
प्रतिभा - तो क्या हुआ... घर जाकर देख लेंगे... (चहकते हुए) अभी इन कपड़ों में कितना अच्छा दिख रहा है... ऐसे ही रह...
विश्व - (हथियार डालने वाले अंदाज में) ठीक है माँ... आप पेमेंट तो कर लो...

प्रतिभा काउंटर पर जा कर पेमेंट कर देती है और एक रसीद ले लेती है l वहीँ काउंटर पर विश्व की पुराने कपड़े बाद में लेंगे बोल कर पैकेट में रखवा देती है l उसके बाद बुटीक से विश्व को लेकर उसी फ्लोर पर एक बड़े शू स्टोर की ओर जाती है l प्रतिभा विश्व को देखती है, विश्व अपना सिर हिलाते हुए कुछ सोच रहा है l

प्रतिभा - क्या सोच रहा है...
विश्व - कुछ नहीं माँ... पहली बार... अपने से कम उम्र के... किसीके विचारों से प्रभावित हुआ हूँ... बार बार वह रेडियो वाली नंदिनी की बातेँ मेरे कानों में गूँज रही है... अगर कभी उनसे मिलना हुआ तो... (विश्व रुक जाता है)
प्रतिभा - तो... (अपनी भवें नचा कर)
विश्व - ओह माँ... तुम भी ना... फ़िर से शुरू मत हो जाना... मैं यह कह रहा था... अगर कभी उन नंदिनी जी से मिलना हुआ... तो मैं उन्हें... एप्राइज करूंगा... एप्रीसिएट करूंगा...
प्रतिभा - हाँ हाँ... जरूर करना... पर एक बड़ा सा फ्लॉवर बुके देते हुए करना...
विश्व - हाँ.... (फिर अचानक चौंकते हुए) क्या.... क्यूँ...
प्रतिभा - हा हा हा हा...
विश्व - ओह... माँ... तुम्हारे पास ना... किसी लड़की का जिक्र करना मतलब...
प्रतिभा - हाँ... मतलब...
विश्व - यह लीजिए... शू स्टोर आ गया...
प्रतिभा - तुने मतलब बताया नहीं (विश्व कुछ जवाब नहीं देता, स्टोर में घुस जाता है) अरे सुन तो...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

गुरु एक पार्क देख कर गाड़ी रोक देता है l गुरु देखता है नंदिनी की आँखे डबडबाई हुई हैं l

गुरु - क्या हुआ बेटी जी...
नंदिनी - (खुद को संभालते हुए) कुछ नहीं काका... मन थोड़ा भारी लग रहा है... (गाड़ी से उतर कर) मैं यहीं पर थोड़ा चहल कदम कर रही हूँ... आप इंतजार कीजिए...
गुरु - पर बेटी जी...
नंदिनी - घबराईए नहीं काका... मैं आपकी नजरों से दूर नहीं हूँ... मैं (सामने दिखाते हुए) पार्क के बाहर वाली बेंच पर थोड़ी देर के लिए बैठना चाहती हूँ...
गुरु - ठीक है बेटी जी...

नंदिनी जाकर उस बेंच पर बैठ जाती है l उसकी आँखे फिरसे नम हो जाती है l अपनी आँखों को पोछते हुए वह शुभ्रा को फोन लगाती है

शुभ्रा - (फोन पीक अप करते ही) वाह मेरी शेरनी वाह... आज तो तुमने मैदान मार ली... वाव क्या प्रेजेंटेशन दिया... माइंड ब्लोइंग... तुमने आज ना जाने कितनों को स्पेलबउंड कर दिया...
नंदिनी - (भर्राते हुए) छो... छोड़िए ना भाभी...
शुभ्रा - रूप... तुम रो क्यूँ रही हो...
नंदिनी - मैं नहीं जानती भाभी... बस रोना आ रहा है... प्लीज भाभी... आप आ जाओ... मुझे इस वक़्त आपकी सख्त जरूरत है...
शुभ्रा - अच्छा अच्छा आ रही हूँ... तुम अभी हो कहाँ पर...
नंदनी - वह मैं यहाँ xxxx पार्क के बाहर बेंच पर बैठी हूँ...
शुभ्रा - ओके ओके... तुम वहीँ पर रुको... मैं अभी दस मिनट में पहुँच रही हूँ....
नंदिनी - हाँ भाभी... मैं यहाँ पर आपका इंतजार कर रही हूँ...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

ESS ऑफिस

विक्रम अपने कैबिन में बैठा कुछ सोच रहा है l तभी उसका मोबाइल फोन बजने लगती है l डिस्प्ले में शुभ्रा का नाम देख कर उसे अंदर ही अंदर एक खुशी महसुस होती है l वह फोन उठाता है

विक्रम - (खुशी और झिझक के साथ) हैलो...
शुभ्रा - जी मैं राजकुमारी जी को लेकर... यहीं आसपास किसी मॉल में जा रही हूँ...
विक्रम - मॉल... पर क्यूँ.. आपके और उनके लिए हर सामान पहुँचा दिया जाएगा... आप उन्हें लेकर क्यूँ जाना चाहती हैं...
शुभ्रा - सुनिए... औरतों के कुछ चीजें... अगर वही खरीदारी करें तो ठीक रहती है... आप समझने की कोशिश करें... यह औरतों वाली बातेँ हैं...
विक्रम - ओ... ठीक है... पर कौनसे मॉल...
शुभ्रा - शायद ओरायन...
विक्रम - ठीक है... सू (फोन कट जाती है)...


विक्रम मायूस हो जाता है और अपनी आँखे मूँद लेता है l दरवाजे पर दस्तक होती है l विक्रम दरवाजे की तरफ देखता है तो उसे महांती दिखता है

विक्रम - क्या हुआ महांती...
महांती - सर कुछ इंफॉर्मेशन हाथ लगे हैं...
विक्रम - अंदर आओ... (महांती अंदर आता है) तुम यहाँ पार्टनर हो... बॉस भी हो... मेरे कैबिन में आने के लिए कम से कम तुम्हें मेरी परमिशन की ज़रूरत नहीं...
महांती - (बैठते हुए) युवराज जी... कुछ भी हो... मैं उम्र में भले ही आपसे बड़ा हूँ... पर मेरे गॉड फादर तो आप ही हैं...
विक्रम - लीव इट... अभी वह बताओ... जो कहने आए हो...
महांती - सर... छोटे राजा जी पर जो हमले हुए हैं... वह हमले में कुछ तथ्य सामने आए हैं...

यह सुन कर विक्रम अपनी कुर्सी पर सीधा हो कर बैठ जाता है,

विक्रम - क्या पता चला है... कौन है इसके पीछे
महांती - सर इसके पीछे कौन है... यह तो अभी तक पता नहीं चला है... लेकिन जो भी पता चला है... हम शायद किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... आगे बोलो...
महांती - सर वह जो शूट आउट हुआ था... तब उनका मेन मोटीव कत्ल तो था नहीं...
विक्रम - पर फोन पर कहा था कि...
महांती - यही के इतना डरायेगा... इतना मज़बूर कर देगा... की छोटे राजा जी खुद अपने लिए मौत मांगेंगे...
विक्रम - हाँ...
महांती - इसका मतलब यह हुआ... वह पहले सनसनी फैलाना चाहता है... फिर दहशत भर देना चाहता है...
विक्रम - हूँ...
महांती - इस काम के लिए उसने बाहर से चार शुटर बुलवाया है...
विक्रम - हूँ....
महांती - पर उन्हें सपोर्ट लोकल मिल रहा है...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी सर... और जिनसे सपोर्ट मिल रहा है... उनका स्टाइल ऑफ वर्क कुछ कुछ हमारे जैसे हैं...
विक्रम - (उछल पड़ता है) व्हाट...
महांती - पर वह लोग हमारे आदमी नहीं हैं...
विक्रम - देखो महांती... अब तुम मुझे कंफ्यूज कर रहे हो...
महांती - नहीं सर...
विक्रम - ठीक है... अब बिना रुके पुरी बात बताओ...
महांती - सर... पहली बात... जो भी है... वह अभी भी बीहाइंड द स्क्रीन है... पर हम सबके दुश्मनों को इकट्ठा कर रहा है... और उन्हें ऑपरेट कर रहा है...
विक्रम - मतलब...
महांती - रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस याद है...
विक्रम - एक मिनट... तुम कहना चाहते हो कि रॉय इसके पीछे है...
महांती - नहीं... वह भी एक मोहरा है... क्यूंकि हमने उसे बर्बाद कर दिया है... इसलिए उनके साथ हो लिया है... इसलिए तो मैंने कहा... उनका स्टाइल कुछ कुछ हमारे जैसे है... क्यूंकि वहाँ पर... गार्ड्स को ट्रेनिंग मैं ही दिया करता था...
विक्रम - ओ... तो अब...
महांती - सर मैंने पिछले कुछ दिनों से... स्टडी कर रहा था... कुछ फैक्ट्स सामने आए हैं... आपको सुरा याद है... जो केके को धमकी दिया करता था... अपने उसे और उसकी माशुका को रंग महल भेज दिया था...
विक्रम - हाँ...
महांती - सर मैंने पता लगाया है... उसका बड़ा भाई कुछ दिन हुए भुवनेश्वर में है... केशव... केशव नाम है उसका...
विक्रम - और तुम यह कहोगे... वह भी मोहरा है...
महांती - यस सर... अभी भी जो असली खिलाड़ी है.. वह... पर्दे के पीछे है... और सबसे खास बात...
विक्रम - क्या...
महांती - वह लोग अब सिर्फ़ छोटे राजा साहब की रेकी नहीं कर रहे हैं... बल्कि भुवनेश्वर में आपके परिवार के सभी लोगों पर नजर रखे हुए हैं... रेकी कर रहे हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी सर...

विक्रम की आँखों में खुन उतर आता है l और गुस्से भरे नजरों से महांती के ओर देखता है l

महांती - सर डोंट वरी... इफ दे आर स्मार्ट... देन वी आर मच स्मार्टर देन देम...
विक्रम - तो हम किसका इंतजार कर रहे हैं...
महांती - सर अगर हम एक्शन लेंगे... तो वह जो पर्दे के पीछे से ऑपरेट कर रहा है... उसका सिर्फ नेटवर्क ही बर्बाद होगा... पर वह सामने नहीं आएगा... वह फिरसे अपना नेट वर्क सेट कर लेगा... सर मैं कहता हूँ थोड़ा और इंतजार करते हैं....
विक्रम - पर महांती... तुमने अभी अभी कहा... उसके आदमी हमारे फॅमिली के हर सदस्य पर नजर रखे हुए हैं...
महांती - सर वह लोग हमारे नजरों में हैं...
विक्रम - हमारी बात तो ठीक है.. पर घर के औरतों पर... इसका मतलब यह हुआ... उसने क्षेत्रपाल परिवार के पुरूषार्थ को ललकारा है...
महांती - युवराज जी... आप... इतने इमोशनल ना होइए...
विक्रम - महांती... अभी अभी युवराणी और राजकुमारी दोनों वह क्या है.... हाँ ओरायन... ओरायन मॉल को जाने वाले हैं...
महांती - सर प्लीज... डोंट बी पैनीक... उस मॉल की सिक्युरिटी हमारे ही अंडर है...
विक्रम - अच्छा महांती... राजकुमार कहाँ हैं... वह दिखाई नहीं दे रहे हैं...
महांती - सर... वह भी ओरायन मॉल में हैं...
विक्रम - क्या... वह और मॉल...
महांती - सर उनके साथ एक लड़की भी है...
विक्रम - लड़की... कौन लड़की...
महांती - सर वही लड़की... जिसे उन्होंने खुद रिक्रूट किया था...

विक्रम मन ही मन सोचने लगता है - हूँ... छोटे राजा जी ठीक कह रहे थे... वह अपना दिल बहलाने के लिए किसी लड़की को साथ लेगा... हम्म... अब क्या होगा उस लड़की का....

महांती - ( विक्रम को कुछ सोचते देख) सर आप फिक्र ना करें.... आपकी फॅमिली के हर मेंबर हमारे निगरानी में हैं... कोई गड़बड़ नहीं होगी...

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अनु देखती है जब से रेडियो पर नंदिनी नाम की लड़की को सुना है तभी से वीर कुछ सोच में डुबा हुआ है, खोया खोया सा है l

अनु - क्या हुआ राजकुमार जी...
वीर - (ध्यान टुटता है) हम्म... नहीं... कुछ नहीं..
अनु - क्या आप... अपने पहचाने जाने से डर रहे हैं.... सच कहती हूँ... मुझे शायद कोई पहचान ले... पर आप बिल्कुल भी पहचाने नहीं जा रहे हैं...
वीर - (अनु की बात सुनकर थोड़ा हँसते हुए) नहीं... मैं उस लड़की... नंदिनी की कही हर बात को याद कर रहा हूँ... या यूँ कहूँ... मैं महसूस कर रहा हूँ...

तभी वही दो लड़के वीर और अनु के पास आते हैं l वीर और अनु उन दोनों को देखते हैं l

वीर - क्या हुआ
एक लड़का - वह... हम... आप दोनों से माफी मांगने आए हैं...
वीर - (उन्हें घुरता है पर कुछ नहीं कहता है)
दुसरा लड़का - वह आपने हमे कहा था... की हम चांस मार रहे थे... वह सच था...
पहला लड़का - वह रेडियो में... सुनने के बाद... हमें जिम्मेदारी और मौका में फर्क़ समझ में आ गया...
दोनों लड़के - सॉरी.. (अनु से) सॉरी... (कह कर वह लड़के चले जाते हैं)
अनु - (उनके जाते ही) वाह... उन नंदिनी जी को मानना पड़ेगा... कितना असरदार है उनकी बातें... उनके परिवार वालों को भी मानना पड़ेगा... कितनी क्रांतिकारी विचार व संस्कार दिए हैं अपनी बेटी को... जरूर उनके भाई होंगे जो मजबुत और नेक इरादों वाले होंगे... हाथ जोड़ कर नमस्कार करना पड़ेगा...
वीर - (हल्के से खांसने लगता है) अब चलें...
अनु - कहाँ...
वीर - कुछ खरीदारी करते हैं...
अनु - ठीक है चलिए...

वीर अनु के साथ जूस मार्ट से निकलता है और इधर उधर देखने लगता है l उसे एक खिलौने की दुकान दिखता है l वह अनु को लेकर वहाँ जाने लगता है l जब दोनों उस दुकान पर पहुँचते हैं कुछ छोटे छोटे बच्चे उनके पास एक रेडक्रॉस डोनेशन बॉक्स लेकर आते हैं l उन बच्चों में से एक छोटी लड़की डोनेशन बॉक्स को वीर के सामने कर देती है l

लड़की - भैया.. कुछ डोनेशन दीजिए ना...

अनु बड़ी उत्सुकता से वीर की ओर देखती है, वीर भी अनु के चेहरे को देखता है l इससे पहले वह कुछ रिएक्ट करती वीर अपना पर्स अनु के हाथ में रख देता है l अनु वीर को हैरान हो कर देखती है l

वीर - (अनु के कान में) घबराओ मत... दे दो... तुम मेरी पीएस हो... मेरी सेक्रेटरी हो... इसलिए ऐसे काम के लिए मेरी पर्स निकाल कर पैसे दे सकती हो... आखिर मेरी इज़्ज़त तुम्हारी इज़्ज़त है....

अनु एक नजर वीर को देखती है और कांपते हुए हाथ से एक दो हजार का नोट निकाल कर बच्चों की डोनेशन बॉक्स में डाल देती है l बच्चे खुशी से उछल कर ताली बजाने लगते हैं l
वह छोटी लड़की खुशी के मारे अनु को खिंच कर नीचे बिठा देती है और अनु के गाल पर किस करती है और अनु भी उसके गालों पर किस करती है l फिर वह लड़की वीर को नीचे खींचती है और वीर को भी किस करती है फिर धीरे से वीर के कान में
- भैया... भाभी बहुत अच्छी हैं... और मीठी भी...

वीर यह सुन कर स्तब्ध हो कर खड़ा हो जाता है l बच्चे वहाँ से दुसरी और चले जाते हैं l वीर अनु से झेंपने लगता है और नजरें नहीं मिला पाता l अनु इशारे से पूछती है l वीर हँसने की कोशिश करते हुए सिर ना में हिलाता है l तभी वह लड़की ऊंची आवाज में पुकारती है
- भैया....

वीर और अनु उस लड़की की तरफ देखते हैं, वह लड़की अपने हाथ के अंगूठे और तर्जनी से ओ बना कर इशारा करती है और फिर हाथ हिला कर बाय कहती है l वीर फ़िर से झेंप जाता है l पर बदले में अनु मुस्कराते हुए उस लड़की को हाथ हिला कर बाय करती है l वीर भी हाथ हिला कर बाय करता है के तभी आगे की ओर से वीर को शुभ्रा और रुप अंदर दाखिल होते हुए दिखते हैं l वह झटपट अनु के हाथ पकड़ कर उसे खिंचते हुए दुसरी तरफ एक्जिट की ओर चला जाता है l

अनु - हम कहीं जाने वाले हैं क्या...
वीर - हाँ... नहीं... आज का काम खतम हो गया... चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर छोड़ दूँ...
अनु - इन कपड़ों में... नहीं... मैं घर इन कपड़ों में नहीं जा सकती...
वीर - ठीक है... तुम्हारे कपड़े उसी दुकान पर होंगी... वहाँ पर चेंज कर लेना...
अनु - जी बढ़िया...
वीर - तो चलो फिर...

वीर अनु के हाथ थाम कर खिंचते हुए बाहर ले जाता है l उधर शुभ्रा रूप को लेकर वहीँ फूड एंड रिफ्रेशमेंट फ्लोर आती है l

शुभ्रा - चलो अभी पहले पार्टी करते हैं...
रूप - भाभी... थैंक्स... अच्छा हुआ आप अकेली गाड़ी लेकर आईं... और गुरु काका को वापस भेज दिया...
शुभ्रा - कैसे नहीं आती... जब मुझे मेहसूस हुआ कि तुम्हें मेरी सख्त जरूरत है... तो क्यूँ नहीं आती... आखिर रेडियो पर तुमने मुझे... माँ, सहेली गुरु... नजाने क्या क्या कहा...
रूप - पर मैंने जो भी कहा सच ही तो कहा था... वैसे भाभी... क्या आप अकेली कभी आती हैं... यहाँ पर...
शुभ्रा - अरे नहीं... शादी के बाद...पहली बार आई हूँ... वह भी अपनी ननद के साथ...
रूप - क्या...
शुभ्रा - हूँ...
रूप - तो अब हम जा कहाँ रहे हैं...
शुभ्रा - आइसक्रीम पार्लर...

दोनों एक आइसक्रीम पार्लर में आते हैं और एक खाली टेबल देख कर बैठ जाते हैं l एक वेटर आता है तो शुभ्रा उस पार्लर की सैटर डे स्पेशल दो आइसक्रीम ऑर्डर कर देती है l

शुभ्रा - अच्छा यह बताओ... तुम्हारा प्रोग्राम सबसे बेस्ट प्रेजेंटेशन था... तुम्हें एप्रीसिएशन भी मिला होगा ना...
रुप - बहुतों ने फोन किया.. पर मैंने किसीका फोन नहीं उठाया...
शुभ्रा - क्यूँ...
रुप - भाभी... मैं अंदर से ऐसी एक्सपोजर के लिए तैयार नहीं थी... एक चैलेंज था... इसलिए पार्टीसीपेट किया... वरना...
शुभ्रा - पर क्यूँ रुप... तुमने छोटी सी कहानी में इतना कुछ कह दिया.... मैं चैलेंज के साथ कह सकती हूँ... चाहे देखने वाले हों.. या सुनने वाले... हर कोई स्पेलबउंड हुआ होगा... रॉकी ने भले ही तिकड़म लगाया... पर तुमने भी अपना मौका सही तरीके भुनाया है... रॉकी के लिए इनाम तो बनता ही है...
रुप - आपने सही कहा भाभी... इनाम तो बनता है... और डेफिनेटली मिलेगा... वैसे भाभी...(पार्लर में बैठे सारे कपल्स को देख कर) इन लोगों को देख कर नहीं लगता... इन इवन लोगों के बीच हम ऑड लोग बैठ गए हैं... कोई कोई हमें देख रहे हैं और... घूर भी रहे हैं...
शुभ्रा - हाँ... हैं तो हम ऑड... आखिर यहाँ सब लव बर्ड्स जो बैठे हुए हैं... लेकिन ऑड हम नहीं हैं... सारे लड़के तुम्हारी तरफ देख रहे हैं... और इसलिए लड़कियाँ तुम्हें देख कर जल रही हैं...
रूप - क्या भाभी... यह बात तो आप पर भी लागू होती है...
शुभ्रा - हाँ कह सकती हो... पर ऑड वाला थ्योरी.. वह देख ( एक अधेड़ औरत अपने साथ एक नौजवान के हाथ पकड़ कर खिंचते हुए पार्लर में दाखिल होती है ) बुढ़ी घोड़ी... लाल लगाम... मतलब जवान घोड़ा...
रुप - (उन दोनों को देख कर) भाभी... यह अपने कैसे सोच लिया... के वे लोग भी... लव बर्ड्स हैं... कुछ और भी... मेरा मतलब है कि माँ बेटे भी तो हो सकते हैं ना...
शुभ्रा - नहीं.. बिल्कुल नहीं हो सकते... अगर माँ बेटे होते भी... उन्हें क्या जरूरत पड़ी है... यहाँ पर आने की... तुम जानती हो रुप... मैं तुम्हारे भैया के साथ पार्टियों में क्यूँ नहीं जाती...
रुप - (अपनी गर्दन हिला कर मना करती है)
शुभ्रा - उन पार्टियों में... हाई क्लास सोसाईटी की जो भी औरतें आती हैं.... उनमें एक होड़ लगी रहती है... एक दुसरे से उम्र में कम दिखने की और कम बताने की... कभी कभी लगेगा जैसे अभी अभी पैदा हो कर हस्पताल से आए हैं... उनके बीच डिस्कशन में.. साड़ीयों के प्राइस पर... स्टाइल पर.. गहनों के डिजाईन पर... कीमत पर... होती रहती है... चलो वहाँ तक भी ठीक है... पर शादीशुदा होने के बावजूद... अपने पैसों के दम पर... वह लोग कितनी कम उम्र लड़के के साथ संबंध बनाए... यह सब उनके बीच हॉट टॉपिक होते हैं...
रूप - (हैरान हो कर सुन रही थी) इइइयय... क्या सच में ऐसा होता है...
शुभ्रा - हाँ... और वह औरतें बड़ी बेशरमी के साथ... वह बातें कहते हैं..
रूप - व्हाट....

वह अधेड़ औरत उस नौजवान के हाथ पकड़ कर इन दोनों के बगल वाली एक खाली टेबल पर बैठ जाती है

शुभ्रा - और नहीं तो...(धीरे से) उस औरत को देख कर मुझे तो यही लगता है... वह जरूर हाई सोसाइटी की होगी... और वह लड़का जरूर पैसों के चक्कर में उससे फंसा होगा...
रूप - ह्म्म्म्म... शायद आप ठीक कह रहे हैं...

वेटर दो बड़े कप में आइसक्रीम लाकर रख देता है l दोनों खाना शुरु करते हैं l तभी उसी वेटर को वह अधेड़ औरत आवाज देती है l वेटर उनके पास जाता है l

औरत - (नौजवान से) कहो क्या खाओगे...
नौजवान - कुछ भी... मुझे इन सब पर कोई भी आइडिया नहीं है...
औरत - अरे... कैसे लड़के हो.. आइसक्रीम के बारे में आइडिया नहीं है... कोई नहीं (वेटर से) जाओ बेटे... आज का स्पेशल ले आओ... आज हमारा डेट है भाई..

वेटर उनकी बात सुन कर हँसते हुए चला जाता है l रुप डेट शब्द सुन कर खांसने लगती है l शुभ्रा उसके सिर पर धीरे धीरे चपत लगाती है l

रुप - सुना भाभी...(धीरे से) डेट...

शुभ्रा भी अपनी पलकें झुका कर हामी भरती है l पर तभी

नौजवान - ओ हो.... माँ.. कहीं भी कुछ भी... कभी माँ और बेटे डेट पर जाते हैं क्या... वह वेटर और दुसरे लोग क्या सोचेंगे...

नौजवान की बात सुन कर शुभ्रा को खांसी आ जाती है l रुप उठ कर शुभ्रा के सिर पर धीरे धीरे चपत लगाती है l शुभ्रा थोड़ा गिल्टी फिल करती हुई रूप को देखती है l रुप भी पलकें झपका कर आश्वासन देती है l तभी वह अधेड़ औरत अपनी चेयर से उठ कर पार्लर में सभी लोगों से मुखातिब हो कर

औरत - सुनिए सुनिए सुनिए... अटेंशन प्लीज... यह नौजवान... मेरा बेटा है... ताड़ के पेड़ जितना लंबा हो गया... पर दिमाग खिसक कर इसके घुटने पर आ गया... कह रहा है... माँ बेटे कभी डेट करते हैं क्या... अरे... डेट का मतलब क्या है... दो लोग एक दूसरे को समय देने को ही तो डेट कहते हैं... हैं ना...
कुछ जोड़े - जी हाँ...
औरत - तो अब मैं अपने बेटे के साथ किसी ख़ुशनुमा माहौल में पल दो पल बिताने आई हूँ... क्या गलत है...
सभी - नहीं... बिल्कुल नहीं...
औरत - क्या यह डेट नहीं है...
सभी - जी.. बिल्कुल है...

तभी कुछ ल़डकियों ने उस औरत को पूछते हैं l
- आंटी... वैसे आपके बेटे का नाम क्या है... बड़ा हैंडसम है...

औरत अपने बेटे को खड़ा करती है और उसे गले से लगा कर
- है ना बड़ा हैंडसम... यह मेरा बेटा है... नाम है प्रताप... कैसा है...
लड़कियाँ - वाव... आंटी.. झकास...
प्रताप - (विश्व भी गले लगाते हुए) और यह मेरी माँ...
प्रतिभा - (अलग होते हुए) बस... बस.... चल बैठ...
प्रताप - आपका इंट्रोडक्शन खतम हो गया ना...
प्रतिभा - हाँ...
प्रताप - माँ.. लेकिन इस वक़्त आइसक्रीम खाना बकवास नहीं लग रहा... अभी अगर आइसक्रीम खाए... तो भूक मर जाएगी... फिर खाने के टाइम ठीक से खा भी नहीं पाएंगे... (तभी वेटर आइसक्रीम कप रख देता है)
प्रतिभा - एक कप आइसक्रीम खा लेने से कहाँ भूक मर जाएगी... खाने के टाइम में भी हम जम कर खाएंगे...

दोनों आइसक्रीम खाना चालू करते हैं l शुभ्रा और रुप आइसक्रीम जल्दी जल्दी खतम कर बिल दे कर पार्लर के बाहर चले जाते हैं l

रुप - एक बात तो है भाभी... किसीको देख कर ओपीनियन बना लेना नहीं चाहिए...
शुभ्रा - सच कहा... मैं अपनी कड़वे अनुभवों को आधार बनाकर... माँ बेटे की रिश्ते पर उंगली उठा दी... छी...
रूप - कोई बात नहीं भाभी... पर माँ बेटे की जोड़ी बहुत जबरदस्त थी ना... देख कर मन खुश हो गया...
शुभ्रा - हाँ.... वाकई... अनोखी जोड़ी है..

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

वीरअपनी गाड़ी के बाहर इंतजार कर रहा है l अनु उसी दुकान में गई है अपनी सुबह वाली ड्रेस पहनने के लिए l थोड़ी देर बाद अनु अपनी सुबह वाली ड्रेस में वापस आती है l वीर को अब उसकी सादगी में भी अनु बहुत खूबसूरत लगती है l अनु एक पैकेट वीर को देती है l

वीर - यह क्या है अनु...
अनु - जी वह कपड़े... जिससे मैंने भेष बदले थे...
वीर - रख लो...
अनु - नहीं नहीं... दादी पूछेगी तो क्या कहूँगी...
वीर - कुछ भी कह लेना...
अनु - नहीं... मैं नहीं ले सकती...
वीर - हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ता है) ठीक है... गाड़ी में डाल दो...

अनु बैक सीट पर वह ड्रेस का पैकेट रख देती है और वीर के बगल में बैठ जाती है l वीर अनु को उसी जगह पर उतार देता है जहाँ से पीक अप किया था l अनु उतर कर जाने लगती है

वीर - अनु... (अनु पीछे मुड़ कर देखती है, वीर वह पैकेट हाथ में लिया हुआ है) ले लोना... प्लीज...

अनु वीर की चेहरे को देखती है फिर धीरे से पास आकर पैकेट ले लेती है और तुरंत मुड़ कर जाने लगती है l

वीर - अनु... (फिर से पीछे मुड़ कर देखती है) फोन पर... खैरियत पूछती रहना...

अनु एक दमकती मुस्कराहट के साथ अपना सिर हिला कर हाँ कहती है l

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शबरी क्रास कॉफी स्टॉल पर रुप बैठी हुई है l शुभ्रा कॉफी लेने काउंटर पर गई है l रुप जिस टेबल पर बैठी है ठीक उसके पीछे वाली टेबल पर रुप की ओर पीठ करके विश्व आकर बैठता है और उसके बगल दाएँ वाली सीट पर प्रतिभा बैठ जाती है l

प्रतिभा - अच्छा अब बता... इतने देर से मॉल में हैं... कोई पसंद आई..
विश्व - माँ... क्यूँ मज़ाक कर रही हो... जो कभी होना ही नहीं है... तुम उसकी उम्मीद क्यूँ पाल रही हो...
प्रतिभा - क्यूँ.. क्यूँ ना पालुँ... मेरी खुशियाँ जिसमें है... उसकी ख्वाहिश भी ना करूँ...
विश्व - पर.... माँ... कोई भी हो... उसे क्या कह कर मेरे लिए तैयार करोगी... (प्रतिभा कुछ नहीं कह पाती) देखा... तुम्हारे पास भी कोई जवाब नहीं है...
प्रतिभा - ठीक है मेरी गलती है... माफ कर दे मुझे...
विश्व - (प्रतिभा की हाथ को पकड़ कर) माँ... मेरी अच्छी माँ... मेरी भोली माँ... मेरी प्यारी माँ... मन छोटा ना करो... वह सेनापति सर... कभी कभी कहते हैं ना... जब जब जो जो होना है... तब तब सो सो होता है...
प्रतिभा - (विश्व की कान को खिंच कर) तु मुझे मनाने में माहिर हो गया है...
विश्व - आह... माँ कान मत खिंचो... लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे...
(इनकी बातचीत सुन कर रुप मन ही मन हँसने लगती है) (प्रतिभा विश्व की कान छोड़ देती है)
प्रतिभा - अच्छा... एक बात बता... हम दोनों कई बार कई जगह गए हैं... ना जाने कितने लड़कियों को देखा है तुने... क्या कभी भी कोई.. तेरे आँखों को भी अच्छी नहीं लगी...
विश्व - माँ... फिर बात को घुमा कर वहीँ ला रही हो...
प्रतिभा - नहीं तो...
विश्व - तो अब क्या कर रही हो....
प्रतिभा - मैंने तुझे इसलिए पुछा... के मान ले... अगर... वह रेडियो वाली नंदिनी कहीं मिली... तो तब... तु क्या करेगा... (रूप अपने बारे में सुन कर कान खड़े कर लेती है)
विश्व - (थोड़ा हँसते हुए) माँ वह रेडियो वाली... अरे माँ... मैं उसे पहचानुंगा कैसे...
प्रतिभा - मान ले... अगर मिल गई.. तो...
विश्व - तो... मैं उनको.. उनके विचार धारा के लिए... साधुवाद दूँगा... उनको... कहूँगा के वह अपनी विचार धारा को कभी ना छिड़े.... और... और... बस इतना ही..
प्रतिभा - बस... इतना ही...
विश्व - हाँ... और क्या करूँगा...
प्रतिभा - हे भगवान... इस लड़के से कुछ नहीं होगा... उठा ले...उठा ले रे देवा... मुझे उठा ले... मगर उससे पहले... मुझे पोते पोतीयों का मुहँ दिखा दे...

यह सुन कर रुप बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी को रोकती है

विश्व - माँ... मैं जा रहा हूँ...
प्रतिभा - कहाँ...
विश्व - काउंटर पर... कुछ ऑर्डर कर ले आऊँ.. तुम्हारे पास बैठा रहा तो पागल हो जाऊँगा..

विश्व मन मन बड़बड़ाते हुए काउंटर पर जाता है, वहाँ शुभ्रा अपनी ऑर्डर की प्रतीक्षा कर रही है l शुभ्रा विश्व को देखते ही झेंप जाती है और एक किनारे हो जाती है l विश्व को बड़बड़ाते देख शुभ्रा उत्सुकता वश विश्व से पूछती है

शुभ्रा - आप किसी को गाली दे रहे हैं क्या..
विश्व - नहीं... नहीं बहनजी नहीं... सॉरी ...अगर आपको ऐसा लगा तो.. उधर देखिए..(शुभ्रा उस तरफ देखती है) वह मेरी माँ है... आपको क्या लगता है... कितनी उम्र होगी उनकी...
शुभ्रा - (प्रतिभा को देख कर, हँसते हुए ) होगी वह कोई पैंतालीस या पचास की...
विश्व - नहीं वह बाहर से ऐसी दिखती है... असल में वह पाँच या छह साल की हैं...
शुभ्रा - (हिचकिचाते हुए) कोई मेंटल डीस-ऑर्डर है क्या...
विश्व - नहीं नहीं... वह अपनी सोसायटी की बड़ी रीनॉउन पर्सन हैं... बस मैं कभी कभी इनके पास आता हूँ... और जब भी आता हूँ... ना जगह देखती हैं ना वक़्त... उनकी बचपना शुरू हो जाती है...
शुभ्रा - हा हा हा.. सॉरी.. बट.. यु बोथ आर ठु गुड...

उधर विश्व के जाने के बाद रुप उन माँ बेटे की बात याद करते हँसी को दबाने की कोशिश में उसकी पर्स गीर जाती है तो पीछे से प्रतिभा वह पर्स उठा कर रुप को वापस देती है l

रुप - थैंक्यू... आंटी..
प्रतिभा - इसमे थैंक्यू की क्या बात है बेटी... क्या अकेली आई हो...
रुप - जी... जी नहीं आंटी...
प्रतिभा - ओ... अपने किसी दोस्त के साथ आई हो...
रूप - नहीं आंटी... मैं अपनी भाभी के साथ आई हूँ...
प्रतिभा - ओ... अच्छा... क्या नाम है तुम्हारा बेटा...
रुप - (कुछ पल के लिए सोच में पड़ जाती है, फ़िर) जी... जी.. मेरा नाम... नंदिनी है...
प्रतिभा - (बहुत खुश होते हुए) क्या... नंदिनी... रेडियो वाली...
रूप - जी.... जी नहीं... आंटी... मैं... कोई रेडियो वाली नहीं हूँ...
प्रतिभा - ओह... कोई बात नहीं बेटा... वह (विश्व को दिखाते हुए) मेरा बेटा है... प्रताप... आज रेडियो में... नंदिनी को सुन कर... बहुत इम्प्रेस हुआ है... इसलिए एक्साइटमेंट पुछ बैठी... बुरा मत मानना...
रूप - जी... जी नहीं आंटी...

फिर रूप सामने की ओर पलट जाती है और देखती है जैसे ही शुभ्रा ऑर्डर किए कॉफी हाथ में लेती है रुप उठ कर वहाँ चली जाती है और इशारे से एक ओर बुलाती है l शुभ्रा रुप के पास चली जाती है l

शुभ्रा - क्या हुआ...
रूप - भाभी... मैं थोड़ी देर वहाँ बैठती तो... वह आंटी है ना... मुझे अपनी बहु बना कर ही दम लेती... एक दम पागल है... पता नहीं उन्हें उनका बेटा कैसे झेलता है...
शुभ्रा - हाँ ठीक कहा... उनका बेटा अभी अभी काउंटर पर मिला था... मैंने उससे... उसकी माँ के बारे में बात की... वह भी उसकी माँ की पागलपन से परेसान है... अब तुम्हारी बात सुन कर उस बेचारे पर तरस आ रहा है... हा हा हा...

रूप भी शुभ्रा के साथ हँसने लगती है l तभी शुभ्रा की मोबाइल बजने लगती है l शुभ्रा अपनी कॉफी ग्लास रुप को थमा कर देखती है विक्रम का कॉल है l

शुभ्रा - हैलो...
विक्रम - आप मॉल पर ही रुकी रहिए... हम थोड़ी ही देर में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - क्यूँ कोई प्रॉब्लम है क्या...
विक्रम - हाँ... है.. हमारे दुश्मन आप लोगों की रेकी कर रहे थे... अब शायद घेराबंदी कर रहे हैं... पिछली बार छोटे राजा जी पर हमला हुआ था... इसलिए हम कोई रिस्क नहीं ले सकते... हम आ रहे हैं... आप और राजकुमारी हमारी ही ऐसकॉट में घर जाएंगी...
Nice and beautiful update...
 

Kala Nag

Mr. X
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Nice and beautiful update...
Thanks brother
Stay connected with the story
Next update will be a power pack update
 
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Mastmalang

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👉उनसठवां अपडेट
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XXXX कॉलेज
असेंबली हॉल
नंदिनी चुप हो जाती है और वह महसूस करती है उसके आसपास का माहौल एक दम खामोश है I असेंबली हॉल में मौजूद सभी लेक्चरर, सभी स्टूडेंट्स, सब, यहाँ तक सुरेश भी स्तब्ध हो गए हैं l इतनी ख़ामोशी पसरी हुई है कि अगर एक सुई भी गिर जाए तो उसकी भी आवाज़ जोर से सुनाई देगा l फिर सुरेश अपनी जगह पर खड़ा हो जाता है और ताली बजाने लगता है l उसके बाद सभी ताली बजाने लगते हैं l पूरा का पूरा असेंबली हॉल तालियों के गड़गड़ाहट से थर्राने लगता है l बनानी अपनी दोस्तों के साथ चिल्लाने लगती है l

बनानी - थ्री चियर्स फॉर नंदिनी... हिप हिप
सभी - हुर्रे...
बनानी - हिप हिप
सभी - हुर्रे...
बनानी - हिप हिप
सभी - हुर्रे...

उधर रॉकी के सभी दोस्त जोर जोर से ताली बजा रहे हैं पर रॉकी ऐसे हैरान और खामोश है जैसे कोई अद्भुत देख लिया हो l एक तरह से रॉकी शॉक्ड था जैसे उसके कल्पना से परे कुछ और हो गया है l

रवि - वाव... क्या बात है रॉकी... जो तु चाहता था... जैसा तु चाहता था.. वही और वैसे ही हो गया...
आशीष - हाँ यार... तूने तो उसे लाइम लाइट दे दिया यार... तुने उसको.. उसके भीतर के एक नए शख्सियत से मुलाकात कराया है... कुछ नहीं तो... कम से कम दोस्ती तो पक्की...
सुशील - नहीं नहीं... पहले इम्प्रेस थी... अब अपना यार उसके दिल दिमाग पर छा जाएगा... (रॉकी को खामोश देख कर) क्या बात है हीरो... किन खयालों में खोया है...
रॉकी - क.. कु.. कुछ नहीं...

जब ताली बजना बंद होता है तो सबको पता चलता है कि वहाँ पर नंदिनी है ही नहीं l सबको असेंबली हॉल में छोड़ कर नंदिनी बाहर जा कर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है l

नंदिनी - (ड्राइवर से) गुरु काका....
गुरु - जी... बेटी जी...
नंदिनी - मेरा यहाँ दम घुट रहा है... मुझे इस कैंपस से बाहर ले चलिए...
गुरु - बाहर मतलब कहाँ... बेटी जी...
नंदिनी - ओहो.... पहले इस कैपस से तो निकालिए...
गुरु - जी.... जी बेटी जी...

गुरु गाड़ी को कैंपस से बाहर निकाल कर रोड पर ले जाता है l

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ओरायन मॉल में फ़ूड कोर्ट हो या ड्रेस बुटीक हर जगह जैसे ही नंदिनी की प्रेजेंटेशन खतम हुई मॉल में मौजूद सभी लोग भी ताली बजाने लगे l पुरी की पुरी मॉल तालियों से गुंजने लगी l अनु भी सबको ताली बजाते देख वह भी ताली बजाने लगती है l अनु देखती है वीर किन्हीं ख़यालों में खोया हुआ है l वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर वीर की हाथों को हिलाती है l वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है देखता है वहाँ पर मौजूद सभी लोग ताली बजा रहे हैं, अनु भी इधर उधर देख कर ताली बजा रही है I अनु इशारे से ताली बजाने को कहती है, वीर अपने चेहरे पर एक मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए ताली बजाने लगता है l

बुटीक में भी जितने कस्टमर थे सेल्स मेन व गर्ल्स के साथ साथ विश्व और प्रतिभा भी ताली बजाने हैं l सबकी ताली रुक जाने के बाद

विश्व - वाव... माँ यह नंदिनी जो भी हैं... कितनी खूबी से और आसानी से.... समाज को आईना दिखा दिया...
प्रतिभा - हाँ बेटा... वाकई... छोटी सी कहानी में... कितना कुछ कह दिया... समाज और सभ्यता को...
विश्व - कभी मौका मिला तो उनसे मिलना जरूर चाहूँगा...
प्रतिभा - क्यूँ...(भवें नचा कर) प्रपोज करेगा...
विश्व - ओह माँ... तुमसे कुछ भी कहना.... छोड़ो... यहाँ पर काम खतम हुआ... अब कहीं और चलें...
प्रतिभा - हाँ रुक... पहले मैं पेमेंट तो कर लूँ...
विश्व - तब तक मैं... ड्रेस चेंज कर लेता हूँ...
प्रतिभा - अरे... क्यूँ... अब दिन भर इसी में रह... घर जाकर बदलना...
विश्व - पर यह तो आपने कल के लिए खरीदा है ना...
प्रतिभा - तो क्या हुआ... घर जाकर देख लेंगे... (चहकते हुए) अभी इन कपड़ों में कितना अच्छा दिख रहा है... ऐसे ही रह...
विश्व - (हथियार डालने वाले अंदाज में) ठीक है माँ... आप पेमेंट तो कर लो...

प्रतिभा काउंटर पर जा कर पेमेंट कर देती है और एक रसीद ले लेती है l वहीँ काउंटर पर विश्व की पुराने कपड़े बाद में लेंगे बोल कर पैकेट में रखवा देती है l उसके बाद बुटीक से विश्व को लेकर उसी फ्लोर पर एक बड़े शू स्टोर की ओर जाती है l प्रतिभा विश्व को देखती है, विश्व अपना सिर हिलाते हुए कुछ सोच रहा है l

प्रतिभा - क्या सोच रहा है...
विश्व - कुछ नहीं माँ... पहली बार... अपने से कम उम्र के... किसीके विचारों से प्रभावित हुआ हूँ... बार बार वह रेडियो वाली नंदिनी की बातेँ मेरे कानों में गूँज रही है... अगर कभी उनसे मिलना हुआ तो... (विश्व रुक जाता है)
प्रतिभा - तो... (अपनी भवें नचा कर)
विश्व - ओह माँ... तुम भी ना... फ़िर से शुरू मत हो जाना... मैं यह कह रहा था... अगर कभी उन नंदिनी जी से मिलना हुआ... तो मैं उन्हें... एप्राइज करूंगा... एप्रीसिएट करूंगा...
प्रतिभा - हाँ हाँ... जरूर करना... पर एक बड़ा सा फ्लॉवर बुके देते हुए करना...
विश्व - हाँ.... (फिर अचानक चौंकते हुए) क्या.... क्यूँ...
प्रतिभा - हा हा हा हा...
विश्व - ओह... माँ... तुम्हारे पास ना... किसी लड़की का जिक्र करना मतलब...
प्रतिभा - हाँ... मतलब...
विश्व - यह लीजिए... शू स्टोर आ गया...
प्रतिभा - तुने मतलब बताया नहीं (विश्व कुछ जवाब नहीं देता, स्टोर में घुस जाता है) अरे सुन तो...

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गुरु एक पार्क देख कर गाड़ी रोक देता है l गुरु देखता है नंदिनी की आँखे डबडबाई हुई हैं l

गुरु - क्या हुआ बेटी जी...
नंदिनी - (खुद को संभालते हुए) कुछ नहीं काका... मन थोड़ा भारी लग रहा है... (गाड़ी से उतर कर) मैं यहीं पर थोड़ा चहल कदम कर रही हूँ... आप इंतजार कीजिए...
गुरु - पर बेटी जी...
नंदिनी - घबराईए नहीं काका... मैं आपकी नजरों से दूर नहीं हूँ... मैं (सामने दिखाते हुए) पार्क के बाहर वाली बेंच पर थोड़ी देर के लिए बैठना चाहती हूँ...
गुरु - ठीक है बेटी जी...

नंदिनी जाकर उस बेंच पर बैठ जाती है l उसकी आँखे फिरसे नम हो जाती है l अपनी आँखों को पोछते हुए वह शुभ्रा को फोन लगाती है

शुभ्रा - (फोन पीक अप करते ही) वाह मेरी शेरनी वाह... आज तो तुमने मैदान मार ली... वाव क्या प्रेजेंटेशन दिया... माइंड ब्लोइंग... तुमने आज ना जाने कितनों को स्पेलबउंड कर दिया...
नंदिनी - (भर्राते हुए) छो... छोड़िए ना भाभी...
शुभ्रा - रूप... तुम रो क्यूँ रही हो...
नंदिनी - मैं नहीं जानती भाभी... बस रोना आ रहा है... प्लीज भाभी... आप आ जाओ... मुझे इस वक़्त आपकी सख्त जरूरत है...
शुभ्रा - अच्छा अच्छा आ रही हूँ... तुम अभी हो कहाँ पर...
नंदनी - वह मैं यहाँ xxxx पार्क के बाहर बेंच पर बैठी हूँ...
शुभ्रा - ओके ओके... तुम वहीँ पर रुको... मैं अभी दस मिनट में पहुँच रही हूँ....
नंदिनी - हाँ भाभी... मैं यहाँ पर आपका इंतजार कर रही हूँ...

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ESS ऑफिस

विक्रम अपने कैबिन में बैठा कुछ सोच रहा है l तभी उसका मोबाइल फोन बजने लगती है l डिस्प्ले में शुभ्रा का नाम देख कर उसे अंदर ही अंदर एक खुशी महसुस होती है l वह फोन उठाता है

विक्रम - (खुशी और झिझक के साथ) हैलो...
शुभ्रा - जी मैं राजकुमारी जी को लेकर... यहीं आसपास किसी मॉल में जा रही हूँ...
विक्रम - मॉल... पर क्यूँ.. आपके और उनके लिए हर सामान पहुँचा दिया जाएगा... आप उन्हें लेकर क्यूँ जाना चाहती हैं...
शुभ्रा - सुनिए... औरतों के कुछ चीजें... अगर वही खरीदारी करें तो ठीक रहती है... आप समझने की कोशिश करें... यह औरतों वाली बातेँ हैं...
विक्रम - ओ... ठीक है... पर कौनसे मॉल...
शुभ्रा - शायद ओरायन...
विक्रम - ठीक है... सू (फोन कट जाती है)...


विक्रम मायूस हो जाता है और अपनी आँखे मूँद लेता है l दरवाजे पर दस्तक होती है l विक्रम दरवाजे की तरफ देखता है तो उसे महांती दिखता है

विक्रम - क्या हुआ महांती...
महांती - सर कुछ इंफॉर्मेशन हाथ लगे हैं...
विक्रम - अंदर आओ... (महांती अंदर आता है) तुम यहाँ पार्टनर हो... बॉस भी हो... मेरे कैबिन में आने के लिए कम से कम तुम्हें मेरी परमिशन की ज़रूरत नहीं...
महांती - (बैठते हुए) युवराज जी... कुछ भी हो... मैं उम्र में भले ही आपसे बड़ा हूँ... पर मेरे गॉड फादर तो आप ही हैं...
विक्रम - लीव इट... अभी वह बताओ... जो कहने आए हो...
महांती - सर... छोटे राजा जी पर जो हमले हुए हैं... वह हमले में कुछ तथ्य सामने आए हैं...

यह सुन कर विक्रम अपनी कुर्सी पर सीधा हो कर बैठ जाता है,

विक्रम - क्या पता चला है... कौन है इसके पीछे
महांती - सर इसके पीछे कौन है... यह तो अभी तक पता नहीं चला है... लेकिन जो भी पता चला है... हम शायद किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... आगे बोलो...
महांती - सर वह जो शूट आउट हुआ था... तब उनका मेन मोटीव कत्ल तो था नहीं...
विक्रम - पर फोन पर कहा था कि...
महांती - यही के इतना डरायेगा... इतना मज़बूर कर देगा... की छोटे राजा जी खुद अपने लिए मौत मांगेंगे...
विक्रम - हाँ...
महांती - इसका मतलब यह हुआ... वह पहले सनसनी फैलाना चाहता है... फिर दहशत भर देना चाहता है...
विक्रम - हूँ...
महांती - इस काम के लिए उसने बाहर से चार शुटर बुलवाया है...
विक्रम - हूँ....
महांती - पर उन्हें सपोर्ट लोकल मिल रहा है...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी सर... और जिनसे सपोर्ट मिल रहा है... उनका स्टाइल ऑफ वर्क कुछ कुछ हमारे जैसे हैं...
विक्रम - (उछल पड़ता है) व्हाट...
महांती - पर वह लोग हमारे आदमी नहीं हैं...
विक्रम - देखो महांती... अब तुम मुझे कंफ्यूज कर रहे हो...
महांती - नहीं सर...
विक्रम - ठीक है... अब बिना रुके पुरी बात बताओ...
महांती - सर... पहली बात... जो भी है... वह अभी भी बीहाइंड द स्क्रीन है... पर हम सबके दुश्मनों को इकट्ठा कर रहा है... और उन्हें ऑपरेट कर रहा है...
विक्रम - मतलब...
महांती - रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस याद है...
विक्रम - एक मिनट... तुम कहना चाहते हो कि रॉय इसके पीछे है...
महांती - नहीं... वह भी एक मोहरा है... क्यूंकि हमने उसे बर्बाद कर दिया है... इसलिए उनके साथ हो लिया है... इसलिए तो मैंने कहा... उनका स्टाइल कुछ कुछ हमारे जैसे है... क्यूंकि वहाँ पर... गार्ड्स को ट्रेनिंग मैं ही दिया करता था...
विक्रम - ओ... तो अब...
महांती - सर मैंने पिछले कुछ दिनों से... स्टडी कर रहा था... कुछ फैक्ट्स सामने आए हैं... आपको सुरा याद है... जो केके को धमकी दिया करता था... अपने उसे और उसकी माशुका को रंग महल भेज दिया था...
विक्रम - हाँ...
महांती - सर मैंने पता लगाया है... उसका बड़ा भाई कुछ दिन हुए भुवनेश्वर में है... केशव... केशव नाम है उसका...
विक्रम - और तुम यह कहोगे... वह भी मोहरा है...
महांती - यस सर... अभी भी जो असली खिलाड़ी है.. वह... पर्दे के पीछे है... और सबसे खास बात...
विक्रम - क्या...
महांती - वह लोग अब सिर्फ़ छोटे राजा साहब की रेकी नहीं कर रहे हैं... बल्कि भुवनेश्वर में आपके परिवार के सभी लोगों पर नजर रखे हुए हैं... रेकी कर रहे हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी सर...

विक्रम की आँखों में खुन उतर आता है l और गुस्से भरे नजरों से महांती के ओर देखता है l

महांती - सर डोंट वरी... इफ दे आर स्मार्ट... देन वी आर मच स्मार्टर देन देम...
विक्रम - तो हम किसका इंतजार कर रहे हैं...
महांती - सर अगर हम एक्शन लेंगे... तो वह जो पर्दे के पीछे से ऑपरेट कर रहा है... उसका सिर्फ नेटवर्क ही बर्बाद होगा... पर वह सामने नहीं आएगा... वह फिरसे अपना नेट वर्क सेट कर लेगा... सर मैं कहता हूँ थोड़ा और इंतजार करते हैं....
विक्रम - पर महांती... तुमने अभी अभी कहा... उसके आदमी हमारे फॅमिली के हर सदस्य पर नजर रखे हुए हैं...
महांती - सर वह लोग हमारे नजरों में हैं...
विक्रम - हमारी बात तो ठीक है.. पर घर के औरतों पर... इसका मतलब यह हुआ... उसने क्षेत्रपाल परिवार के पुरूषार्थ को ललकारा है...
महांती - युवराज जी... आप... इतने इमोशनल ना होइए...
विक्रम - महांती... अभी अभी युवराणी और राजकुमारी दोनों वह क्या है.... हाँ ओरायन... ओरायन मॉल को जाने वाले हैं...
महांती - सर प्लीज... डोंट बी पैनीक... उस मॉल की सिक्युरिटी हमारे ही अंडर है...
विक्रम - अच्छा महांती... राजकुमार कहाँ हैं... वह दिखाई नहीं दे रहे हैं...
महांती - सर... वह भी ओरायन मॉल में हैं...
विक्रम - क्या... वह और मॉल...
महांती - सर उनके साथ एक लड़की भी है...
विक्रम - लड़की... कौन लड़की...
महांती - सर वही लड़की... जिसे उन्होंने खुद रिक्रूट किया था...

विक्रम मन ही मन सोचने लगता है - हूँ... छोटे राजा जी ठीक कह रहे थे... वह अपना दिल बहलाने के लिए किसी लड़की को साथ लेगा... हम्म... अब क्या होगा उस लड़की का....

महांती - ( विक्रम को कुछ सोचते देख) सर आप फिक्र ना करें.... आपकी फॅमिली के हर मेंबर हमारे निगरानी में हैं... कोई गड़बड़ नहीं होगी...

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अनु देखती है जब से रेडियो पर नंदिनी नाम की लड़की को सुना है तभी से वीर कुछ सोच में डुबा हुआ है, खोया खोया सा है l

अनु - क्या हुआ राजकुमार जी...
वीर - (ध्यान टुटता है) हम्म... नहीं... कुछ नहीं..
अनु - क्या आप... अपने पहचाने जाने से डर रहे हैं.... सच कहती हूँ... मुझे शायद कोई पहचान ले... पर आप बिल्कुल भी पहचाने नहीं जा रहे हैं...
वीर - (अनु की बात सुनकर थोड़ा हँसते हुए) नहीं... मैं उस लड़की... नंदिनी की कही हर बात को याद कर रहा हूँ... या यूँ कहूँ... मैं महसूस कर रहा हूँ...

तभी वही दो लड़के वीर और अनु के पास आते हैं l वीर और अनु उन दोनों को देखते हैं l

वीर - क्या हुआ
एक लड़का - वह... हम... आप दोनों से माफी मांगने आए हैं...
वीर - (उन्हें घुरता है पर कुछ नहीं कहता है)
दुसरा लड़का - वह आपने हमे कहा था... की हम चांस मार रहे थे... वह सच था...
पहला लड़का - वह रेडियो में... सुनने के बाद... हमें जिम्मेदारी और मौका में फर्क़ समझ में आ गया...
दोनों लड़के - सॉरी.. (अनु से) सॉरी... (कह कर वह लड़के चले जाते हैं)
अनु - (उनके जाते ही) वाह... उन नंदिनी जी को मानना पड़ेगा... कितना असरदार है उनकी बातें... उनके परिवार वालों को भी मानना पड़ेगा... कितनी क्रांतिकारी विचार व संस्कार दिए हैं अपनी बेटी को... जरूर उनके भाई होंगे जो मजबुत और नेक इरादों वाले होंगे... हाथ जोड़ कर नमस्कार करना पड़ेगा...
वीर - (हल्के से खांसने लगता है) अब चलें...
अनु - कहाँ...
वीर - कुछ खरीदारी करते हैं...
अनु - ठीक है चलिए...

वीर अनु के साथ जूस मार्ट से निकलता है और इधर उधर देखने लगता है l उसे एक खिलौने की दुकान दिखता है l वह अनु को लेकर वहाँ जाने लगता है l जब दोनों उस दुकान पर पहुँचते हैं कुछ छोटे छोटे बच्चे उनके पास एक रेडक्रॉस डोनेशन बॉक्स लेकर आते हैं l उन बच्चों में से एक छोटी लड़की डोनेशन बॉक्स को वीर के सामने कर देती है l

लड़की - भैया.. कुछ डोनेशन दीजिए ना...

अनु बड़ी उत्सुकता से वीर की ओर देखती है, वीर भी अनु के चेहरे को देखता है l इससे पहले वह कुछ रिएक्ट करती वीर अपना पर्स अनु के हाथ में रख देता है l अनु वीर को हैरान हो कर देखती है l

वीर - (अनु के कान में) घबराओ मत... दे दो... तुम मेरी पीएस हो... मेरी सेक्रेटरी हो... इसलिए ऐसे काम के लिए मेरी पर्स निकाल कर पैसे दे सकती हो... आखिर मेरी इज़्ज़त तुम्हारी इज़्ज़त है....

अनु एक नजर वीर को देखती है और कांपते हुए हाथ से एक दो हजार का नोट निकाल कर बच्चों की डोनेशन बॉक्स में डाल देती है l बच्चे खुशी से उछल कर ताली बजाने लगते हैं l
वह छोटी लड़की खुशी के मारे अनु को खिंच कर नीचे बिठा देती है और अनु के गाल पर किस करती है और अनु भी उसके गालों पर किस करती है l फिर वह लड़की वीर को नीचे खींचती है और वीर को भी किस करती है फिर धीरे से वीर के कान में
- भैया... भाभी बहुत अच्छी हैं... और मीठी भी...

वीर यह सुन कर स्तब्ध हो कर खड़ा हो जाता है l बच्चे वहाँ से दुसरी और चले जाते हैं l वीर अनु से झेंपने लगता है और नजरें नहीं मिला पाता l अनु इशारे से पूछती है l वीर हँसने की कोशिश करते हुए सिर ना में हिलाता है l तभी वह लड़की ऊंची आवाज में पुकारती है
- भैया....

वीर और अनु उस लड़की की तरफ देखते हैं, वह लड़की अपने हाथ के अंगूठे और तर्जनी से ओ बना कर इशारा करती है और फिर हाथ हिला कर बाय कहती है l वीर फ़िर से झेंप जाता है l पर बदले में अनु मुस्कराते हुए उस लड़की को हाथ हिला कर बाय करती है l वीर भी हाथ हिला कर बाय करता है के तभी आगे की ओर से वीर को शुभ्रा और रुप अंदर दाखिल होते हुए दिखते हैं l वह झटपट अनु के हाथ पकड़ कर उसे खिंचते हुए दुसरी तरफ एक्जिट की ओर चला जाता है l

अनु - हम कहीं जाने वाले हैं क्या...
वीर - हाँ... नहीं... आज का काम खतम हो गया... चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर छोड़ दूँ...
अनु - इन कपड़ों में... नहीं... मैं घर इन कपड़ों में नहीं जा सकती...
वीर - ठीक है... तुम्हारे कपड़े उसी दुकान पर होंगी... वहाँ पर चेंज कर लेना...
अनु - जी बढ़िया...
वीर - तो चलो फिर...

वीर अनु के हाथ थाम कर खिंचते हुए बाहर ले जाता है l उधर शुभ्रा रूप को लेकर वहीँ फूड एंड रिफ्रेशमेंट फ्लोर आती है l

शुभ्रा - चलो अभी पहले पार्टी करते हैं...
रूप - भाभी... थैंक्स... अच्छा हुआ आप अकेली गाड़ी लेकर आईं... और गुरु काका को वापस भेज दिया...
शुभ्रा - कैसे नहीं आती... जब मुझे मेहसूस हुआ कि तुम्हें मेरी सख्त जरूरत है... तो क्यूँ नहीं आती... आखिर रेडियो पर तुमने मुझे... माँ, सहेली गुरु... नजाने क्या क्या कहा...
रूप - पर मैंने जो भी कहा सच ही तो कहा था... वैसे भाभी... क्या आप अकेली कभी आती हैं... यहाँ पर...
शुभ्रा - अरे नहीं... शादी के बाद...पहली बार आई हूँ... वह भी अपनी ननद के साथ...
रूप - क्या...
शुभ्रा - हूँ...
रूप - तो अब हम जा कहाँ रहे हैं...
शुभ्रा - आइसक्रीम पार्लर...

दोनों एक आइसक्रीम पार्लर में आते हैं और एक खाली टेबल देख कर बैठ जाते हैं l एक वेटर आता है तो शुभ्रा उस पार्लर की सैटर डे स्पेशल दो आइसक्रीम ऑर्डर कर देती है l

शुभ्रा - अच्छा यह बताओ... तुम्हारा प्रोग्राम सबसे बेस्ट प्रेजेंटेशन था... तुम्हें एप्रीसिएशन भी मिला होगा ना...
रुप - बहुतों ने फोन किया.. पर मैंने किसीका फोन नहीं उठाया...
शुभ्रा - क्यूँ...
रुप - भाभी... मैं अंदर से ऐसी एक्सपोजर के लिए तैयार नहीं थी... एक चैलेंज था... इसलिए पार्टीसीपेट किया... वरना...
शुभ्रा - पर क्यूँ रुप... तुमने छोटी सी कहानी में इतना कुछ कह दिया.... मैं चैलेंज के साथ कह सकती हूँ... चाहे देखने वाले हों.. या सुनने वाले... हर कोई स्पेलबउंड हुआ होगा... रॉकी ने भले ही तिकड़म लगाया... पर तुमने भी अपना मौका सही तरीके भुनाया है... रॉकी के लिए इनाम तो बनता ही है...
रुप - आपने सही कहा भाभी... इनाम तो बनता है... और डेफिनेटली मिलेगा... वैसे भाभी...(पार्लर में बैठे सारे कपल्स को देख कर) इन लोगों को देख कर नहीं लगता... इन इवन लोगों के बीच हम ऑड लोग बैठ गए हैं... कोई कोई हमें देख रहे हैं और... घूर भी रहे हैं...
शुभ्रा - हाँ... हैं तो हम ऑड... आखिर यहाँ सब लव बर्ड्स जो बैठे हुए हैं... लेकिन ऑड हम नहीं हैं... सारे लड़के तुम्हारी तरफ देख रहे हैं... और इसलिए लड़कियाँ तुम्हें देख कर जल रही हैं...
रूप - क्या भाभी... यह बात तो आप पर भी लागू होती है...
शुभ्रा - हाँ कह सकती हो... पर ऑड वाला थ्योरी.. वह देख ( एक अधेड़ औरत अपने साथ एक नौजवान के हाथ पकड़ कर खिंचते हुए पार्लर में दाखिल होती है ) बुढ़ी घोड़ी... लाल लगाम... मतलब जवान घोड़ा...
रुप - (उन दोनों को देख कर) भाभी... यह अपने कैसे सोच लिया... के वे लोग भी... लव बर्ड्स हैं... कुछ और भी... मेरा मतलब है कि माँ बेटे भी तो हो सकते हैं ना...
शुभ्रा - नहीं.. बिल्कुल नहीं हो सकते... अगर माँ बेटे होते भी... उन्हें क्या जरूरत पड़ी है... यहाँ पर आने की... तुम जानती हो रुप... मैं तुम्हारे भैया के साथ पार्टियों में क्यूँ नहीं जाती...
रुप - (अपनी गर्दन हिला कर मना करती है)
शुभ्रा - उन पार्टियों में... हाई क्लास सोसाईटी की जो भी औरतें आती हैं.... उनमें एक होड़ लगी रहती है... एक दुसरे से उम्र में कम दिखने की और कम बताने की... कभी कभी लगेगा जैसे अभी अभी पैदा हो कर हस्पताल से आए हैं... उनके बीच डिस्कशन में.. साड़ीयों के प्राइस पर... स्टाइल पर.. गहनों के डिजाईन पर... कीमत पर... होती रहती है... चलो वहाँ तक भी ठीक है... पर शादीशुदा होने के बावजूद... अपने पैसों के दम पर... वह लोग कितनी कम उम्र लड़के के साथ संबंध बनाए... यह सब उनके बीच हॉट टॉपिक होते हैं...
रूप - (हैरान हो कर सुन रही थी) इइइयय... क्या सच में ऐसा होता है...
शुभ्रा - हाँ... और वह औरतें बड़ी बेशरमी के साथ... वह बातें कहते हैं..
रूप - व्हाट....

वह अधेड़ औरत उस नौजवान के हाथ पकड़ कर इन दोनों के बगल वाली एक खाली टेबल पर बैठ जाती है

शुभ्रा - और नहीं तो...(धीरे से) उस औरत को देख कर मुझे तो यही लगता है... वह जरूर हाई सोसाइटी की होगी... और वह लड़का जरूर पैसों के चक्कर में उससे फंसा होगा...
रूप - ह्म्म्म्म... शायद आप ठीक कह रहे हैं...

वेटर दो बड़े कप में आइसक्रीम लाकर रख देता है l दोनों खाना शुरु करते हैं l तभी उसी वेटर को वह अधेड़ औरत आवाज देती है l वेटर उनके पास जाता है l

औरत - (नौजवान से) कहो क्या खाओगे...
नौजवान - कुछ भी... मुझे इन सब पर कोई भी आइडिया नहीं है...
औरत - अरे... कैसे लड़के हो.. आइसक्रीम के बारे में आइडिया नहीं है... कोई नहीं (वेटर से) जाओ बेटे... आज का स्पेशल ले आओ... आज हमारा डेट है भाई..

वेटर उनकी बात सुन कर हँसते हुए चला जाता है l रुप डेट शब्द सुन कर खांसने लगती है l शुभ्रा उसके सिर पर धीरे धीरे चपत लगाती है l

रुप - सुना भाभी...(धीरे से) डेट...

शुभ्रा भी अपनी पलकें झुका कर हामी भरती है l पर तभी

नौजवान - ओ हो.... माँ.. कहीं भी कुछ भी... कभी माँ और बेटे डेट पर जाते हैं क्या... वह वेटर और दुसरे लोग क्या सोचेंगे...

नौजवान की बात सुन कर शुभ्रा को खांसी आ जाती है l रुप उठ कर शुभ्रा के सिर पर धीरे धीरे चपत लगाती है l शुभ्रा थोड़ा गिल्टी फिल करती हुई रूप को देखती है l रुप भी पलकें झपका कर आश्वासन देती है l तभी वह अधेड़ औरत अपनी चेयर से उठ कर पार्लर में सभी लोगों से मुखातिब हो कर

औरत - सुनिए सुनिए सुनिए... अटेंशन प्लीज... यह नौजवान... मेरा बेटा है... ताड़ के पेड़ जितना लंबा हो गया... पर दिमाग खिसक कर इसके घुटने पर आ गया... कह रहा है... माँ बेटे कभी डेट करते हैं क्या... अरे... डेट का मतलब क्या है... दो लोग एक दूसरे को समय देने को ही तो डेट कहते हैं... हैं ना...
कुछ जोड़े - जी हाँ...
औरत - तो अब मैं अपने बेटे के साथ किसी ख़ुशनुमा माहौल में पल दो पल बिताने आई हूँ... क्या गलत है...
सभी - नहीं... बिल्कुल नहीं...
औरत - क्या यह डेट नहीं है...
सभी - जी.. बिल्कुल है...

तभी कुछ ल़डकियों ने उस औरत को पूछते हैं l
- आंटी... वैसे आपके बेटे का नाम क्या है... बड़ा हैंडसम है...

औरत अपने बेटे को खड़ा करती है और उसे गले से लगा कर
- है ना बड़ा हैंडसम... यह मेरा बेटा है... नाम है प्रताप... कैसा है...
लड़कियाँ - वाव... आंटी.. झकास...
प्रताप - (विश्व भी गले लगाते हुए) और यह मेरी माँ...
प्रतिभा - (अलग होते हुए) बस... बस.... चल बैठ...
प्रताप - आपका इंट्रोडक्शन खतम हो गया ना...
प्रतिभा - हाँ...
प्रताप - माँ.. लेकिन इस वक़्त आइसक्रीम खाना बकवास नहीं लग रहा... अभी अगर आइसक्रीम खाए... तो भूक मर जाएगी... फिर खाने के टाइम ठीक से खा भी नहीं पाएंगे... (तभी वेटर आइसक्रीम कप रख देता है)
प्रतिभा - एक कप आइसक्रीम खा लेने से कहाँ भूक मर जाएगी... खाने के टाइम में भी हम जम कर खाएंगे...

दोनों आइसक्रीम खाना चालू करते हैं l शुभ्रा और रुप आइसक्रीम जल्दी जल्दी खतम कर बिल दे कर पार्लर के बाहर चले जाते हैं l

रुप - एक बात तो है भाभी... किसीको देख कर ओपीनियन बना लेना नहीं चाहिए...
शुभ्रा - सच कहा... मैं अपनी कड़वे अनुभवों को आधार बनाकर... माँ बेटे की रिश्ते पर उंगली उठा दी... छी...
रूप - कोई बात नहीं भाभी... पर माँ बेटे की जोड़ी बहुत जबरदस्त थी ना... देख कर मन खुश हो गया...
शुभ्रा - हाँ.... वाकई... अनोखी जोड़ी है..

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वीरअपनी गाड़ी के बाहर इंतजार कर रहा है l अनु उसी दुकान में गई है अपनी सुबह वाली ड्रेस पहनने के लिए l थोड़ी देर बाद अनु अपनी सुबह वाली ड्रेस में वापस आती है l वीर को अब उसकी सादगी में भी अनु बहुत खूबसूरत लगती है l अनु एक पैकेट वीर को देती है l

वीर - यह क्या है अनु...
अनु - जी वह कपड़े... जिससे मैंने भेष बदले थे...
वीर - रख लो...
अनु - नहीं नहीं... दादी पूछेगी तो क्या कहूँगी...
वीर - कुछ भी कह लेना...
अनु - नहीं... मैं नहीं ले सकती...
वीर - हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ता है) ठीक है... गाड़ी में डाल दो...

अनु बैक सीट पर वह ड्रेस का पैकेट रख देती है और वीर के बगल में बैठ जाती है l वीर अनु को उसी जगह पर उतार देता है जहाँ से पीक अप किया था l अनु उतर कर जाने लगती है

वीर - अनु... (अनु पीछे मुड़ कर देखती है, वीर वह पैकेट हाथ में लिया हुआ है) ले लोना... प्लीज...

अनु वीर की चेहरे को देखती है फिर धीरे से पास आकर पैकेट ले लेती है और तुरंत मुड़ कर जाने लगती है l

वीर - अनु... (फिर से पीछे मुड़ कर देखती है) फोन पर... खैरियत पूछती रहना...

अनु एक दमकती मुस्कराहट के साथ अपना सिर हिला कर हाँ कहती है l

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शबरी क्रास कॉफी स्टॉल पर रुप बैठी हुई है l शुभ्रा कॉफी लेने काउंटर पर गई है l रुप जिस टेबल पर बैठी है ठीक उसके पीछे वाली टेबल पर रुप की ओर पीठ करके विश्व आकर बैठता है और उसके बगल दाएँ वाली सीट पर प्रतिभा बैठ जाती है l

प्रतिभा - अच्छा अब बता... इतने देर से मॉल में हैं... कोई पसंद आई..
विश्व - माँ... क्यूँ मज़ाक कर रही हो... जो कभी होना ही नहीं है... तुम उसकी उम्मीद क्यूँ पाल रही हो...
प्रतिभा - क्यूँ.. क्यूँ ना पालुँ... मेरी खुशियाँ जिसमें है... उसकी ख्वाहिश भी ना करूँ...
विश्व - पर.... माँ... कोई भी हो... उसे क्या कह कर मेरे लिए तैयार करोगी... (प्रतिभा कुछ नहीं कह पाती) देखा... तुम्हारे पास भी कोई जवाब नहीं है...
प्रतिभा - ठीक है मेरी गलती है... माफ कर दे मुझे...
विश्व - (प्रतिभा की हाथ को पकड़ कर) माँ... मेरी अच्छी माँ... मेरी भोली माँ... मेरी प्यारी माँ... मन छोटा ना करो... वह सेनापति सर... कभी कभी कहते हैं ना... जब जब जो जो होना है... तब तब सो सो होता है...
प्रतिभा - (विश्व की कान को खिंच कर) तु मुझे मनाने में माहिर हो गया है...
विश्व - आह... माँ कान मत खिंचो... लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे...
(इनकी बातचीत सुन कर रुप मन ही मन हँसने लगती है) (प्रतिभा विश्व की कान छोड़ देती है)
प्रतिभा - अच्छा... एक बात बता... हम दोनों कई बार कई जगह गए हैं... ना जाने कितने लड़कियों को देखा है तुने... क्या कभी भी कोई.. तेरे आँखों को भी अच्छी नहीं लगी...
विश्व - माँ... फिर बात को घुमा कर वहीँ ला रही हो...
प्रतिभा - नहीं तो...
विश्व - तो अब क्या कर रही हो....
प्रतिभा - मैंने तुझे इसलिए पुछा... के मान ले... अगर... वह रेडियो वाली नंदिनी कहीं मिली... तो तब... तु क्या करेगा... (रूप अपने बारे में सुन कर कान खड़े कर लेती है)
विश्व - (थोड़ा हँसते हुए) माँ वह रेडियो वाली... अरे माँ... मैं उसे पहचानुंगा कैसे...
प्रतिभा - मान ले... अगर मिल गई.. तो...
विश्व - तो... मैं उनको.. उनके विचार धारा के लिए... साधुवाद दूँगा... उनको... कहूँगा के वह अपनी विचार धारा को कभी ना छिड़े.... और... और... बस इतना ही..
प्रतिभा - बस... इतना ही...
विश्व - हाँ... और क्या करूँगा...
प्रतिभा - हे भगवान... इस लड़के से कुछ नहीं होगा... उठा ले...उठा ले रे देवा... मुझे उठा ले... मगर उससे पहले... मुझे पोते पोतीयों का मुहँ दिखा दे...

यह सुन कर रुप बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी को रोकती है

विश्व - माँ... मैं जा रहा हूँ...
प्रतिभा - कहाँ...
विश्व - काउंटर पर... कुछ ऑर्डर कर ले आऊँ.. तुम्हारे पास बैठा रहा तो पागल हो जाऊँगा..

विश्व मन मन बड़बड़ाते हुए काउंटर पर जाता है, वहाँ शुभ्रा अपनी ऑर्डर की प्रतीक्षा कर रही है l शुभ्रा विश्व को देखते ही झेंप जाती है और एक किनारे हो जाती है l विश्व को बड़बड़ाते देख शुभ्रा उत्सुकता वश विश्व से पूछती है

शुभ्रा - आप किसी को गाली दे रहे हैं क्या..
विश्व - नहीं... नहीं बहनजी नहीं... सॉरी ...अगर आपको ऐसा लगा तो.. उधर देखिए..(शुभ्रा उस तरफ देखती है) वह मेरी माँ है... आपको क्या लगता है... कितनी उम्र होगी उनकी...
शुभ्रा - (प्रतिभा को देख कर, हँसते हुए ) होगी वह कोई पैंतालीस या पचास की...
विश्व - नहीं वह बाहर से ऐसी दिखती है... असल में वह पाँच या छह साल की हैं...
शुभ्रा - (हिचकिचाते हुए) कोई मेंटल डीस-ऑर्डर है क्या...
विश्व - नहीं नहीं... वह अपनी सोसायटी की बड़ी रीनॉउन पर्सन हैं... बस मैं कभी कभी इनके पास आता हूँ... और जब भी आता हूँ... ना जगह देखती हैं ना वक़्त... उनकी बचपना शुरू हो जाती है...
शुभ्रा - हा हा हा.. सॉरी.. बट.. यु बोथ आर ठु गुड...

उधर विश्व के जाने के बाद रुप उन माँ बेटे की बात याद करते हँसी को दबाने की कोशिश में उसकी पर्स गीर जाती है तो पीछे से प्रतिभा वह पर्स उठा कर रुप को वापस देती है l

रुप - थैंक्यू... आंटी..
प्रतिभा - इसमे थैंक्यू की क्या बात है बेटी... क्या अकेली आई हो...
रुप - जी... जी नहीं आंटी...
प्रतिभा - ओ... अपने किसी दोस्त के साथ आई हो...
रूप - नहीं आंटी... मैं अपनी भाभी के साथ आई हूँ...
प्रतिभा - ओ... अच्छा... क्या नाम है तुम्हारा बेटा...
रुप - (कुछ पल के लिए सोच में पड़ जाती है, फ़िर) जी... जी.. मेरा नाम... नंदिनी है...
प्रतिभा - (बहुत खुश होते हुए) क्या... नंदिनी... रेडियो वाली...
रूप - जी.... जी नहीं... आंटी... मैं... कोई रेडियो वाली नहीं हूँ...
प्रतिभा - ओह... कोई बात नहीं बेटा... वह (विश्व को दिखाते हुए) मेरा बेटा है... प्रताप... आज रेडियो में... नंदिनी को सुन कर... बहुत इम्प्रेस हुआ है... इसलिए एक्साइटमेंट पुछ बैठी... बुरा मत मानना...
रूप - जी... जी नहीं आंटी...

फिर रूप सामने की ओर पलट जाती है और देखती है जैसे ही शुभ्रा ऑर्डर किए कॉफी हाथ में लेती है रुप उठ कर वहाँ चली जाती है और इशारे से एक ओर बुलाती है l शुभ्रा रुप के पास चली जाती है l

शुभ्रा - क्या हुआ...
रूप - भाभी... मैं थोड़ी देर वहाँ बैठती तो... वह आंटी है ना... मुझे अपनी बहु बना कर ही दम लेती... एक दम पागल है... पता नहीं उन्हें उनका बेटा कैसे झेलता है...
शुभ्रा - हाँ ठीक कहा... उनका बेटा अभी अभी काउंटर पर मिला था... मैंने उससे... उसकी माँ के बारे में बात की... वह भी उसकी माँ की पागलपन से परेसान है... अब तुम्हारी बात सुन कर उस बेचारे पर तरस आ रहा है... हा हा हा...

रूप भी शुभ्रा के साथ हँसने लगती है l तभी शुभ्रा की मोबाइल बजने लगती है l शुभ्रा अपनी कॉफी ग्लास रुप को थमा कर देखती है विक्रम का कॉल है l

शुभ्रा - हैलो...
विक्रम - आप मॉल पर ही रुकी रहिए... हम थोड़ी ही देर में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - क्यूँ कोई प्रॉब्लम है क्या...
विक्रम - हाँ... है.. हमारे दुश्मन आप लोगों की रेकी कर रहे थे... अब शायद घेराबंदी कर रहे हैं... पिछली बार छोटे राजा जी पर हमला हुआ था... इसलिए हम कोई रिस्क नहीं ले सकते... हम आ रहे हैं... आप और राजकुमारी हमारी ही ऐसकॉट में घर जाएंगी...
किसी नये विलेन की आहट है
 

Mastmalang

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👉उनसठवां अपडेट
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XXXX कॉलेज
असेंबली हॉल
नंदिनी चुप हो जाती है और वह महसूस करती है उसके आसपास का माहौल एक दम खामोश है I असेंबली हॉल में मौजूद सभी लेक्चरर, सभी स्टूडेंट्स, सब, यहाँ तक सुरेश भी स्तब्ध हो गए हैं l इतनी ख़ामोशी पसरी हुई है कि अगर एक सुई भी गिर जाए तो उसकी भी आवाज़ जोर से सुनाई देगा l फिर सुरेश अपनी जगह पर खड़ा हो जाता है और ताली बजाने लगता है l उसके बाद सभी ताली बजाने लगते हैं l पूरा का पूरा असेंबली हॉल तालियों के गड़गड़ाहट से थर्राने लगता है l बनानी अपनी दोस्तों के साथ चिल्लाने लगती है l

बनानी - थ्री चियर्स फॉर नंदिनी... हिप हिप
सभी - हुर्रे...
बनानी - हिप हिप
सभी - हुर्रे...
बनानी - हिप हिप
सभी - हुर्रे...

उधर रॉकी के सभी दोस्त जोर जोर से ताली बजा रहे हैं पर रॉकी ऐसे हैरान और खामोश है जैसे कोई अद्भुत देख लिया हो l एक तरह से रॉकी शॉक्ड था जैसे उसके कल्पना से परे कुछ और हो गया है l

रवि - वाव... क्या बात है रॉकी... जो तु चाहता था... जैसा तु चाहता था.. वही और वैसे ही हो गया...
आशीष - हाँ यार... तूने तो उसे लाइम लाइट दे दिया यार... तुने उसको.. उसके भीतर के एक नए शख्सियत से मुलाकात कराया है... कुछ नहीं तो... कम से कम दोस्ती तो पक्की...
सुशील - नहीं नहीं... पहले इम्प्रेस थी... अब अपना यार उसके दिल दिमाग पर छा जाएगा... (रॉकी को खामोश देख कर) क्या बात है हीरो... किन खयालों में खोया है...
रॉकी - क.. कु.. कुछ नहीं...

जब ताली बजना बंद होता है तो सबको पता चलता है कि वहाँ पर नंदिनी है ही नहीं l सबको असेंबली हॉल में छोड़ कर नंदिनी बाहर जा कर अपनी गाड़ी में बैठ जाती है l

नंदिनी - (ड्राइवर से) गुरु काका....
गुरु - जी... बेटी जी...
नंदिनी - मेरा यहाँ दम घुट रहा है... मुझे इस कैंपस से बाहर ले चलिए...
गुरु - बाहर मतलब कहाँ... बेटी जी...
नंदिनी - ओहो.... पहले इस कैपस से तो निकालिए...
गुरु - जी.... जी बेटी जी...

गुरु गाड़ी को कैंपस से बाहर निकाल कर रोड पर ले जाता है l

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ओरायन मॉल में फ़ूड कोर्ट हो या ड्रेस बुटीक हर जगह जैसे ही नंदिनी की प्रेजेंटेशन खतम हुई मॉल में मौजूद सभी लोग भी ताली बजाने लगे l पुरी की पुरी मॉल तालियों से गुंजने लगी l अनु भी सबको ताली बजाते देख वह भी ताली बजाने लगती है l अनु देखती है वीर किन्हीं ख़यालों में खोया हुआ है l वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर वीर की हाथों को हिलाती है l वीर अपनी ख़यालों से बाहर आता है देखता है वहाँ पर मौजूद सभी लोग ताली बजा रहे हैं, अनु भी इधर उधर देख कर ताली बजा रही है I अनु इशारे से ताली बजाने को कहती है, वीर अपने चेहरे पर एक मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए ताली बजाने लगता है l

बुटीक में भी जितने कस्टमर थे सेल्स मेन व गर्ल्स के साथ साथ विश्व और प्रतिभा भी ताली बजाने हैं l सबकी ताली रुक जाने के बाद

विश्व - वाव... माँ यह नंदिनी जो भी हैं... कितनी खूबी से और आसानी से.... समाज को आईना दिखा दिया...
प्रतिभा - हाँ बेटा... वाकई... छोटी सी कहानी में... कितना कुछ कह दिया... समाज और सभ्यता को...
विश्व - कभी मौका मिला तो उनसे मिलना जरूर चाहूँगा...
प्रतिभा - क्यूँ...(भवें नचा कर) प्रपोज करेगा...
विश्व - ओह माँ... तुमसे कुछ भी कहना.... छोड़ो... यहाँ पर काम खतम हुआ... अब कहीं और चलें...
प्रतिभा - हाँ रुक... पहले मैं पेमेंट तो कर लूँ...
विश्व - तब तक मैं... ड्रेस चेंज कर लेता हूँ...
प्रतिभा - अरे... क्यूँ... अब दिन भर इसी में रह... घर जाकर बदलना...
विश्व - पर यह तो आपने कल के लिए खरीदा है ना...
प्रतिभा - तो क्या हुआ... घर जाकर देख लेंगे... (चहकते हुए) अभी इन कपड़ों में कितना अच्छा दिख रहा है... ऐसे ही रह...
विश्व - (हथियार डालने वाले अंदाज में) ठीक है माँ... आप पेमेंट तो कर लो...

प्रतिभा काउंटर पर जा कर पेमेंट कर देती है और एक रसीद ले लेती है l वहीँ काउंटर पर विश्व की पुराने कपड़े बाद में लेंगे बोल कर पैकेट में रखवा देती है l उसके बाद बुटीक से विश्व को लेकर उसी फ्लोर पर एक बड़े शू स्टोर की ओर जाती है l प्रतिभा विश्व को देखती है, विश्व अपना सिर हिलाते हुए कुछ सोच रहा है l

प्रतिभा - क्या सोच रहा है...
विश्व - कुछ नहीं माँ... पहली बार... अपने से कम उम्र के... किसीके विचारों से प्रभावित हुआ हूँ... बार बार वह रेडियो वाली नंदिनी की बातेँ मेरे कानों में गूँज रही है... अगर कभी उनसे मिलना हुआ तो... (विश्व रुक जाता है)
प्रतिभा - तो... (अपनी भवें नचा कर)
विश्व - ओह माँ... तुम भी ना... फ़िर से शुरू मत हो जाना... मैं यह कह रहा था... अगर कभी उन नंदिनी जी से मिलना हुआ... तो मैं उन्हें... एप्राइज करूंगा... एप्रीसिएट करूंगा...
प्रतिभा - हाँ हाँ... जरूर करना... पर एक बड़ा सा फ्लॉवर बुके देते हुए करना...
विश्व - हाँ.... (फिर अचानक चौंकते हुए) क्या.... क्यूँ...
प्रतिभा - हा हा हा हा...
विश्व - ओह... माँ... तुम्हारे पास ना... किसी लड़की का जिक्र करना मतलब...
प्रतिभा - हाँ... मतलब...
विश्व - यह लीजिए... शू स्टोर आ गया...
प्रतिभा - तुने मतलब बताया नहीं (विश्व कुछ जवाब नहीं देता, स्टोर में घुस जाता है) अरे सुन तो...

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गुरु एक पार्क देख कर गाड़ी रोक देता है l गुरु देखता है नंदिनी की आँखे डबडबाई हुई हैं l

गुरु - क्या हुआ बेटी जी...
नंदिनी - (खुद को संभालते हुए) कुछ नहीं काका... मन थोड़ा भारी लग रहा है... (गाड़ी से उतर कर) मैं यहीं पर थोड़ा चहल कदम कर रही हूँ... आप इंतजार कीजिए...
गुरु - पर बेटी जी...
नंदिनी - घबराईए नहीं काका... मैं आपकी नजरों से दूर नहीं हूँ... मैं (सामने दिखाते हुए) पार्क के बाहर वाली बेंच पर थोड़ी देर के लिए बैठना चाहती हूँ...
गुरु - ठीक है बेटी जी...

नंदिनी जाकर उस बेंच पर बैठ जाती है l उसकी आँखे फिरसे नम हो जाती है l अपनी आँखों को पोछते हुए वह शुभ्रा को फोन लगाती है

शुभ्रा - (फोन पीक अप करते ही) वाह मेरी शेरनी वाह... आज तो तुमने मैदान मार ली... वाव क्या प्रेजेंटेशन दिया... माइंड ब्लोइंग... तुमने आज ना जाने कितनों को स्पेलबउंड कर दिया...
नंदिनी - (भर्राते हुए) छो... छोड़िए ना भाभी...
शुभ्रा - रूप... तुम रो क्यूँ रही हो...
नंदिनी - मैं नहीं जानती भाभी... बस रोना आ रहा है... प्लीज भाभी... आप आ जाओ... मुझे इस वक़्त आपकी सख्त जरूरत है...
शुभ्रा - अच्छा अच्छा आ रही हूँ... तुम अभी हो कहाँ पर...
नंदनी - वह मैं यहाँ xxxx पार्क के बाहर बेंच पर बैठी हूँ...
शुभ्रा - ओके ओके... तुम वहीँ पर रुको... मैं अभी दस मिनट में पहुँच रही हूँ....
नंदिनी - हाँ भाभी... मैं यहाँ पर आपका इंतजार कर रही हूँ...

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ESS ऑफिस

विक्रम अपने कैबिन में बैठा कुछ सोच रहा है l तभी उसका मोबाइल फोन बजने लगती है l डिस्प्ले में शुभ्रा का नाम देख कर उसे अंदर ही अंदर एक खुशी महसुस होती है l वह फोन उठाता है

विक्रम - (खुशी और झिझक के साथ) हैलो...
शुभ्रा - जी मैं राजकुमारी जी को लेकर... यहीं आसपास किसी मॉल में जा रही हूँ...
विक्रम - मॉल... पर क्यूँ.. आपके और उनके लिए हर सामान पहुँचा दिया जाएगा... आप उन्हें लेकर क्यूँ जाना चाहती हैं...
शुभ्रा - सुनिए... औरतों के कुछ चीजें... अगर वही खरीदारी करें तो ठीक रहती है... आप समझने की कोशिश करें... यह औरतों वाली बातेँ हैं...
विक्रम - ओ... ठीक है... पर कौनसे मॉल...
शुभ्रा - शायद ओरायन...
विक्रम - ठीक है... सू (फोन कट जाती है)...


विक्रम मायूस हो जाता है और अपनी आँखे मूँद लेता है l दरवाजे पर दस्तक होती है l विक्रम दरवाजे की तरफ देखता है तो उसे महांती दिखता है

विक्रम - क्या हुआ महांती...
महांती - सर कुछ इंफॉर्मेशन हाथ लगे हैं...
विक्रम - अंदर आओ... (महांती अंदर आता है) तुम यहाँ पार्टनर हो... बॉस भी हो... मेरे कैबिन में आने के लिए कम से कम तुम्हें मेरी परमिशन की ज़रूरत नहीं...
महांती - (बैठते हुए) युवराज जी... कुछ भी हो... मैं उम्र में भले ही आपसे बड़ा हूँ... पर मेरे गॉड फादर तो आप ही हैं...
विक्रम - लीव इट... अभी वह बताओ... जो कहने आए हो...
महांती - सर... छोटे राजा जी पर जो हमले हुए हैं... वह हमले में कुछ तथ्य सामने आए हैं...

यह सुन कर विक्रम अपनी कुर्सी पर सीधा हो कर बैठ जाता है,

विक्रम - क्या पता चला है... कौन है इसके पीछे
महांती - सर इसके पीछे कौन है... यह तो अभी तक पता नहीं चला है... लेकिन जो भी पता चला है... हम शायद किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं...
विक्रम - ह्म्म्म्म... आगे बोलो...
महांती - सर वह जो शूट आउट हुआ था... तब उनका मेन मोटीव कत्ल तो था नहीं...
विक्रम - पर फोन पर कहा था कि...
महांती - यही के इतना डरायेगा... इतना मज़बूर कर देगा... की छोटे राजा जी खुद अपने लिए मौत मांगेंगे...
विक्रम - हाँ...
महांती - इसका मतलब यह हुआ... वह पहले सनसनी फैलाना चाहता है... फिर दहशत भर देना चाहता है...
विक्रम - हूँ...
महांती - इस काम के लिए उसने बाहर से चार शुटर बुलवाया है...
विक्रम - हूँ....
महांती - पर उन्हें सपोर्ट लोकल मिल रहा है...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी सर... और जिनसे सपोर्ट मिल रहा है... उनका स्टाइल ऑफ वर्क कुछ कुछ हमारे जैसे हैं...
विक्रम - (उछल पड़ता है) व्हाट...
महांती - पर वह लोग हमारे आदमी नहीं हैं...
विक्रम - देखो महांती... अब तुम मुझे कंफ्यूज कर रहे हो...
महांती - नहीं सर...
विक्रम - ठीक है... अब बिना रुके पुरी बात बताओ...
महांती - सर... पहली बात... जो भी है... वह अभी भी बीहाइंड द स्क्रीन है... पर हम सबके दुश्मनों को इकट्ठा कर रहा है... और उन्हें ऑपरेट कर रहा है...
विक्रम - मतलब...
महांती - रॉय ग्रुप सिक्युरिटी सर्विस याद है...
विक्रम - एक मिनट... तुम कहना चाहते हो कि रॉय इसके पीछे है...
महांती - नहीं... वह भी एक मोहरा है... क्यूंकि हमने उसे बर्बाद कर दिया है... इसलिए उनके साथ हो लिया है... इसलिए तो मैंने कहा... उनका स्टाइल कुछ कुछ हमारे जैसे है... क्यूंकि वहाँ पर... गार्ड्स को ट्रेनिंग मैं ही दिया करता था...
विक्रम - ओ... तो अब...
महांती - सर मैंने पिछले कुछ दिनों से... स्टडी कर रहा था... कुछ फैक्ट्स सामने आए हैं... आपको सुरा याद है... जो केके को धमकी दिया करता था... अपने उसे और उसकी माशुका को रंग महल भेज दिया था...
विक्रम - हाँ...
महांती - सर मैंने पता लगाया है... उसका बड़ा भाई कुछ दिन हुए भुवनेश्वर में है... केशव... केशव नाम है उसका...
विक्रम - और तुम यह कहोगे... वह भी मोहरा है...
महांती - यस सर... अभी भी जो असली खिलाड़ी है.. वह... पर्दे के पीछे है... और सबसे खास बात...
विक्रम - क्या...
महांती - वह लोग अब सिर्फ़ छोटे राजा साहब की रेकी नहीं कर रहे हैं... बल्कि भुवनेश्वर में आपके परिवार के सभी लोगों पर नजर रखे हुए हैं... रेकी कर रहे हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी सर...

विक्रम की आँखों में खुन उतर आता है l और गुस्से भरे नजरों से महांती के ओर देखता है l

महांती - सर डोंट वरी... इफ दे आर स्मार्ट... देन वी आर मच स्मार्टर देन देम...
विक्रम - तो हम किसका इंतजार कर रहे हैं...
महांती - सर अगर हम एक्शन लेंगे... तो वह जो पर्दे के पीछे से ऑपरेट कर रहा है... उसका सिर्फ नेटवर्क ही बर्बाद होगा... पर वह सामने नहीं आएगा... वह फिरसे अपना नेट वर्क सेट कर लेगा... सर मैं कहता हूँ थोड़ा और इंतजार करते हैं....
विक्रम - पर महांती... तुमने अभी अभी कहा... उसके आदमी हमारे फॅमिली के हर सदस्य पर नजर रखे हुए हैं...
महांती - सर वह लोग हमारे नजरों में हैं...
विक्रम - हमारी बात तो ठीक है.. पर घर के औरतों पर... इसका मतलब यह हुआ... उसने क्षेत्रपाल परिवार के पुरूषार्थ को ललकारा है...
महांती - युवराज जी... आप... इतने इमोशनल ना होइए...
विक्रम - महांती... अभी अभी युवराणी और राजकुमारी दोनों वह क्या है.... हाँ ओरायन... ओरायन मॉल को जाने वाले हैं...
महांती - सर प्लीज... डोंट बी पैनीक... उस मॉल की सिक्युरिटी हमारे ही अंडर है...
विक्रम - अच्छा महांती... राजकुमार कहाँ हैं... वह दिखाई नहीं दे रहे हैं...
महांती - सर... वह भी ओरायन मॉल में हैं...
विक्रम - क्या... वह और मॉल...
महांती - सर उनके साथ एक लड़की भी है...
विक्रम - लड़की... कौन लड़की...
महांती - सर वही लड़की... जिसे उन्होंने खुद रिक्रूट किया था...

विक्रम मन ही मन सोचने लगता है - हूँ... छोटे राजा जी ठीक कह रहे थे... वह अपना दिल बहलाने के लिए किसी लड़की को साथ लेगा... हम्म... अब क्या होगा उस लड़की का....

महांती - ( विक्रम को कुछ सोचते देख) सर आप फिक्र ना करें.... आपकी फॅमिली के हर मेंबर हमारे निगरानी में हैं... कोई गड़बड़ नहीं होगी...

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अनु देखती है जब से रेडियो पर नंदिनी नाम की लड़की को सुना है तभी से वीर कुछ सोच में डुबा हुआ है, खोया खोया सा है l

अनु - क्या हुआ राजकुमार जी...
वीर - (ध्यान टुटता है) हम्म... नहीं... कुछ नहीं..
अनु - क्या आप... अपने पहचाने जाने से डर रहे हैं.... सच कहती हूँ... मुझे शायद कोई पहचान ले... पर आप बिल्कुल भी पहचाने नहीं जा रहे हैं...
वीर - (अनु की बात सुनकर थोड़ा हँसते हुए) नहीं... मैं उस लड़की... नंदिनी की कही हर बात को याद कर रहा हूँ... या यूँ कहूँ... मैं महसूस कर रहा हूँ...

तभी वही दो लड़के वीर और अनु के पास आते हैं l वीर और अनु उन दोनों को देखते हैं l

वीर - क्या हुआ
एक लड़का - वह... हम... आप दोनों से माफी मांगने आए हैं...
वीर - (उन्हें घुरता है पर कुछ नहीं कहता है)
दुसरा लड़का - वह आपने हमे कहा था... की हम चांस मार रहे थे... वह सच था...
पहला लड़का - वह रेडियो में... सुनने के बाद... हमें जिम्मेदारी और मौका में फर्क़ समझ में आ गया...
दोनों लड़के - सॉरी.. (अनु से) सॉरी... (कह कर वह लड़के चले जाते हैं)
अनु - (उनके जाते ही) वाह... उन नंदिनी जी को मानना पड़ेगा... कितना असरदार है उनकी बातें... उनके परिवार वालों को भी मानना पड़ेगा... कितनी क्रांतिकारी विचार व संस्कार दिए हैं अपनी बेटी को... जरूर उनके भाई होंगे जो मजबुत और नेक इरादों वाले होंगे... हाथ जोड़ कर नमस्कार करना पड़ेगा...
वीर - (हल्के से खांसने लगता है) अब चलें...
अनु - कहाँ...
वीर - कुछ खरीदारी करते हैं...
अनु - ठीक है चलिए...

वीर अनु के साथ जूस मार्ट से निकलता है और इधर उधर देखने लगता है l उसे एक खिलौने की दुकान दिखता है l वह अनु को लेकर वहाँ जाने लगता है l जब दोनों उस दुकान पर पहुँचते हैं कुछ छोटे छोटे बच्चे उनके पास एक रेडक्रॉस डोनेशन बॉक्स लेकर आते हैं l उन बच्चों में से एक छोटी लड़की डोनेशन बॉक्स को वीर के सामने कर देती है l

लड़की - भैया.. कुछ डोनेशन दीजिए ना...

अनु बड़ी उत्सुकता से वीर की ओर देखती है, वीर भी अनु के चेहरे को देखता है l इससे पहले वह कुछ रिएक्ट करती वीर अपना पर्स अनु के हाथ में रख देता है l अनु वीर को हैरान हो कर देखती है l

वीर - (अनु के कान में) घबराओ मत... दे दो... तुम मेरी पीएस हो... मेरी सेक्रेटरी हो... इसलिए ऐसे काम के लिए मेरी पर्स निकाल कर पैसे दे सकती हो... आखिर मेरी इज़्ज़त तुम्हारी इज़्ज़त है....

अनु एक नजर वीर को देखती है और कांपते हुए हाथ से एक दो हजार का नोट निकाल कर बच्चों की डोनेशन बॉक्स में डाल देती है l बच्चे खुशी से उछल कर ताली बजाने लगते हैं l
वह छोटी लड़की खुशी के मारे अनु को खिंच कर नीचे बिठा देती है और अनु के गाल पर किस करती है और अनु भी उसके गालों पर किस करती है l फिर वह लड़की वीर को नीचे खींचती है और वीर को भी किस करती है फिर धीरे से वीर के कान में
- भैया... भाभी बहुत अच्छी हैं... और मीठी भी...

वीर यह सुन कर स्तब्ध हो कर खड़ा हो जाता है l बच्चे वहाँ से दुसरी और चले जाते हैं l वीर अनु से झेंपने लगता है और नजरें नहीं मिला पाता l अनु इशारे से पूछती है l वीर हँसने की कोशिश करते हुए सिर ना में हिलाता है l तभी वह लड़की ऊंची आवाज में पुकारती है
- भैया....

वीर और अनु उस लड़की की तरफ देखते हैं, वह लड़की अपने हाथ के अंगूठे और तर्जनी से ओ बना कर इशारा करती है और फिर हाथ हिला कर बाय कहती है l वीर फ़िर से झेंप जाता है l पर बदले में अनु मुस्कराते हुए उस लड़की को हाथ हिला कर बाय करती है l वीर भी हाथ हिला कर बाय करता है के तभी आगे की ओर से वीर को शुभ्रा और रुप अंदर दाखिल होते हुए दिखते हैं l वह झटपट अनु के हाथ पकड़ कर उसे खिंचते हुए दुसरी तरफ एक्जिट की ओर चला जाता है l

अनु - हम कहीं जाने वाले हैं क्या...
वीर - हाँ... नहीं... आज का काम खतम हो गया... चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर छोड़ दूँ...
अनु - इन कपड़ों में... नहीं... मैं घर इन कपड़ों में नहीं जा सकती...
वीर - ठीक है... तुम्हारे कपड़े उसी दुकान पर होंगी... वहाँ पर चेंज कर लेना...
अनु - जी बढ़िया...
वीर - तो चलो फिर...

वीर अनु के हाथ थाम कर खिंचते हुए बाहर ले जाता है l उधर शुभ्रा रूप को लेकर वहीँ फूड एंड रिफ्रेशमेंट फ्लोर आती है l

शुभ्रा - चलो अभी पहले पार्टी करते हैं...
रूप - भाभी... थैंक्स... अच्छा हुआ आप अकेली गाड़ी लेकर आईं... और गुरु काका को वापस भेज दिया...
शुभ्रा - कैसे नहीं आती... जब मुझे मेहसूस हुआ कि तुम्हें मेरी सख्त जरूरत है... तो क्यूँ नहीं आती... आखिर रेडियो पर तुमने मुझे... माँ, सहेली गुरु... नजाने क्या क्या कहा...
रूप - पर मैंने जो भी कहा सच ही तो कहा था... वैसे भाभी... क्या आप अकेली कभी आती हैं... यहाँ पर...
शुभ्रा - अरे नहीं... शादी के बाद...पहली बार आई हूँ... वह भी अपनी ननद के साथ...
रूप - क्या...
शुभ्रा - हूँ...
रूप - तो अब हम जा कहाँ रहे हैं...
शुभ्रा - आइसक्रीम पार्लर...

दोनों एक आइसक्रीम पार्लर में आते हैं और एक खाली टेबल देख कर बैठ जाते हैं l एक वेटर आता है तो शुभ्रा उस पार्लर की सैटर डे स्पेशल दो आइसक्रीम ऑर्डर कर देती है l

शुभ्रा - अच्छा यह बताओ... तुम्हारा प्रोग्राम सबसे बेस्ट प्रेजेंटेशन था... तुम्हें एप्रीसिएशन भी मिला होगा ना...
रुप - बहुतों ने फोन किया.. पर मैंने किसीका फोन नहीं उठाया...
शुभ्रा - क्यूँ...
रुप - भाभी... मैं अंदर से ऐसी एक्सपोजर के लिए तैयार नहीं थी... एक चैलेंज था... इसलिए पार्टीसीपेट किया... वरना...
शुभ्रा - पर क्यूँ रुप... तुमने छोटी सी कहानी में इतना कुछ कह दिया.... मैं चैलेंज के साथ कह सकती हूँ... चाहे देखने वाले हों.. या सुनने वाले... हर कोई स्पेलबउंड हुआ होगा... रॉकी ने भले ही तिकड़म लगाया... पर तुमने भी अपना मौका सही तरीके भुनाया है... रॉकी के लिए इनाम तो बनता ही है...
रुप - आपने सही कहा भाभी... इनाम तो बनता है... और डेफिनेटली मिलेगा... वैसे भाभी...(पार्लर में बैठे सारे कपल्स को देख कर) इन लोगों को देख कर नहीं लगता... इन इवन लोगों के बीच हम ऑड लोग बैठ गए हैं... कोई कोई हमें देख रहे हैं और... घूर भी रहे हैं...
शुभ्रा - हाँ... हैं तो हम ऑड... आखिर यहाँ सब लव बर्ड्स जो बैठे हुए हैं... लेकिन ऑड हम नहीं हैं... सारे लड़के तुम्हारी तरफ देख रहे हैं... और इसलिए लड़कियाँ तुम्हें देख कर जल रही हैं...
रूप - क्या भाभी... यह बात तो आप पर भी लागू होती है...
शुभ्रा - हाँ कह सकती हो... पर ऑड वाला थ्योरी.. वह देख ( एक अधेड़ औरत अपने साथ एक नौजवान के हाथ पकड़ कर खिंचते हुए पार्लर में दाखिल होती है ) बुढ़ी घोड़ी... लाल लगाम... मतलब जवान घोड़ा...
रुप - (उन दोनों को देख कर) भाभी... यह अपने कैसे सोच लिया... के वे लोग भी... लव बर्ड्स हैं... कुछ और भी... मेरा मतलब है कि माँ बेटे भी तो हो सकते हैं ना...
शुभ्रा - नहीं.. बिल्कुल नहीं हो सकते... अगर माँ बेटे होते भी... उन्हें क्या जरूरत पड़ी है... यहाँ पर आने की... तुम जानती हो रुप... मैं तुम्हारे भैया के साथ पार्टियों में क्यूँ नहीं जाती...
रुप - (अपनी गर्दन हिला कर मना करती है)
शुभ्रा - उन पार्टियों में... हाई क्लास सोसाईटी की जो भी औरतें आती हैं.... उनमें एक होड़ लगी रहती है... एक दुसरे से उम्र में कम दिखने की और कम बताने की... कभी कभी लगेगा जैसे अभी अभी पैदा हो कर हस्पताल से आए हैं... उनके बीच डिस्कशन में.. साड़ीयों के प्राइस पर... स्टाइल पर.. गहनों के डिजाईन पर... कीमत पर... होती रहती है... चलो वहाँ तक भी ठीक है... पर शादीशुदा होने के बावजूद... अपने पैसों के दम पर... वह लोग कितनी कम उम्र लड़के के साथ संबंध बनाए... यह सब उनके बीच हॉट टॉपिक होते हैं...
रूप - (हैरान हो कर सुन रही थी) इइइयय... क्या सच में ऐसा होता है...
शुभ्रा - हाँ... और वह औरतें बड़ी बेशरमी के साथ... वह बातें कहते हैं..
रूप - व्हाट....

वह अधेड़ औरत उस नौजवान के हाथ पकड़ कर इन दोनों के बगल वाली एक खाली टेबल पर बैठ जाती है

शुभ्रा - और नहीं तो...(धीरे से) उस औरत को देख कर मुझे तो यही लगता है... वह जरूर हाई सोसाइटी की होगी... और वह लड़का जरूर पैसों के चक्कर में उससे फंसा होगा...
रूप - ह्म्म्म्म... शायद आप ठीक कह रहे हैं...

वेटर दो बड़े कप में आइसक्रीम लाकर रख देता है l दोनों खाना शुरु करते हैं l तभी उसी वेटर को वह अधेड़ औरत आवाज देती है l वेटर उनके पास जाता है l

औरत - (नौजवान से) कहो क्या खाओगे...
नौजवान - कुछ भी... मुझे इन सब पर कोई भी आइडिया नहीं है...
औरत - अरे... कैसे लड़के हो.. आइसक्रीम के बारे में आइडिया नहीं है... कोई नहीं (वेटर से) जाओ बेटे... आज का स्पेशल ले आओ... आज हमारा डेट है भाई..

वेटर उनकी बात सुन कर हँसते हुए चला जाता है l रुप डेट शब्द सुन कर खांसने लगती है l शुभ्रा उसके सिर पर धीरे धीरे चपत लगाती है l

रुप - सुना भाभी...(धीरे से) डेट...

शुभ्रा भी अपनी पलकें झुका कर हामी भरती है l पर तभी

नौजवान - ओ हो.... माँ.. कहीं भी कुछ भी... कभी माँ और बेटे डेट पर जाते हैं क्या... वह वेटर और दुसरे लोग क्या सोचेंगे...

नौजवान की बात सुन कर शुभ्रा को खांसी आ जाती है l रुप उठ कर शुभ्रा के सिर पर धीरे धीरे चपत लगाती है l शुभ्रा थोड़ा गिल्टी फिल करती हुई रूप को देखती है l रुप भी पलकें झपका कर आश्वासन देती है l तभी वह अधेड़ औरत अपनी चेयर से उठ कर पार्लर में सभी लोगों से मुखातिब हो कर

औरत - सुनिए सुनिए सुनिए... अटेंशन प्लीज... यह नौजवान... मेरा बेटा है... ताड़ के पेड़ जितना लंबा हो गया... पर दिमाग खिसक कर इसके घुटने पर आ गया... कह रहा है... माँ बेटे कभी डेट करते हैं क्या... अरे... डेट का मतलब क्या है... दो लोग एक दूसरे को समय देने को ही तो डेट कहते हैं... हैं ना...
कुछ जोड़े - जी हाँ...
औरत - तो अब मैं अपने बेटे के साथ किसी ख़ुशनुमा माहौल में पल दो पल बिताने आई हूँ... क्या गलत है...
सभी - नहीं... बिल्कुल नहीं...
औरत - क्या यह डेट नहीं है...
सभी - जी.. बिल्कुल है...

तभी कुछ ल़डकियों ने उस औरत को पूछते हैं l
- आंटी... वैसे आपके बेटे का नाम क्या है... बड़ा हैंडसम है...

औरत अपने बेटे को खड़ा करती है और उसे गले से लगा कर
- है ना बड़ा हैंडसम... यह मेरा बेटा है... नाम है प्रताप... कैसा है...
लड़कियाँ - वाव... आंटी.. झकास...
प्रताप - (विश्व भी गले लगाते हुए) और यह मेरी माँ...
प्रतिभा - (अलग होते हुए) बस... बस.... चल बैठ...
प्रताप - आपका इंट्रोडक्शन खतम हो गया ना...
प्रतिभा - हाँ...
प्रताप - माँ.. लेकिन इस वक़्त आइसक्रीम खाना बकवास नहीं लग रहा... अभी अगर आइसक्रीम खाए... तो भूक मर जाएगी... फिर खाने के टाइम ठीक से खा भी नहीं पाएंगे... (तभी वेटर आइसक्रीम कप रख देता है)
प्रतिभा - एक कप आइसक्रीम खा लेने से कहाँ भूक मर जाएगी... खाने के टाइम में भी हम जम कर खाएंगे...

दोनों आइसक्रीम खाना चालू करते हैं l शुभ्रा और रुप आइसक्रीम जल्दी जल्दी खतम कर बिल दे कर पार्लर के बाहर चले जाते हैं l

रुप - एक बात तो है भाभी... किसीको देख कर ओपीनियन बना लेना नहीं चाहिए...
शुभ्रा - सच कहा... मैं अपनी कड़वे अनुभवों को आधार बनाकर... माँ बेटे की रिश्ते पर उंगली उठा दी... छी...
रूप - कोई बात नहीं भाभी... पर माँ बेटे की जोड़ी बहुत जबरदस्त थी ना... देख कर मन खुश हो गया...
शुभ्रा - हाँ.... वाकई... अनोखी जोड़ी है..

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वीरअपनी गाड़ी के बाहर इंतजार कर रहा है l अनु उसी दुकान में गई है अपनी सुबह वाली ड्रेस पहनने के लिए l थोड़ी देर बाद अनु अपनी सुबह वाली ड्रेस में वापस आती है l वीर को अब उसकी सादगी में भी अनु बहुत खूबसूरत लगती है l अनु एक पैकेट वीर को देती है l

वीर - यह क्या है अनु...
अनु - जी वह कपड़े... जिससे मैंने भेष बदले थे...
वीर - रख लो...
अनु - नहीं नहीं... दादी पूछेगी तो क्या कहूँगी...
वीर - कुछ भी कह लेना...
अनु - नहीं... मैं नहीं ले सकती...
वीर - हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ता है) ठीक है... गाड़ी में डाल दो...

अनु बैक सीट पर वह ड्रेस का पैकेट रख देती है और वीर के बगल में बैठ जाती है l वीर अनु को उसी जगह पर उतार देता है जहाँ से पीक अप किया था l अनु उतर कर जाने लगती है

वीर - अनु... (अनु पीछे मुड़ कर देखती है, वीर वह पैकेट हाथ में लिया हुआ है) ले लोना... प्लीज...

अनु वीर की चेहरे को देखती है फिर धीरे से पास आकर पैकेट ले लेती है और तुरंत मुड़ कर जाने लगती है l

वीर - अनु... (फिर से पीछे मुड़ कर देखती है) फोन पर... खैरियत पूछती रहना...

अनु एक दमकती मुस्कराहट के साथ अपना सिर हिला कर हाँ कहती है l

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शबरी क्रास कॉफी स्टॉल पर रुप बैठी हुई है l शुभ्रा कॉफी लेने काउंटर पर गई है l रुप जिस टेबल पर बैठी है ठीक उसके पीछे वाली टेबल पर रुप की ओर पीठ करके विश्व आकर बैठता है और उसके बगल दाएँ वाली सीट पर प्रतिभा बैठ जाती है l

प्रतिभा - अच्छा अब बता... इतने देर से मॉल में हैं... कोई पसंद आई..
विश्व - माँ... क्यूँ मज़ाक कर रही हो... जो कभी होना ही नहीं है... तुम उसकी उम्मीद क्यूँ पाल रही हो...
प्रतिभा - क्यूँ.. क्यूँ ना पालुँ... मेरी खुशियाँ जिसमें है... उसकी ख्वाहिश भी ना करूँ...
विश्व - पर.... माँ... कोई भी हो... उसे क्या कह कर मेरे लिए तैयार करोगी... (प्रतिभा कुछ नहीं कह पाती) देखा... तुम्हारे पास भी कोई जवाब नहीं है...
प्रतिभा - ठीक है मेरी गलती है... माफ कर दे मुझे...
विश्व - (प्रतिभा की हाथ को पकड़ कर) माँ... मेरी अच्छी माँ... मेरी भोली माँ... मेरी प्यारी माँ... मन छोटा ना करो... वह सेनापति सर... कभी कभी कहते हैं ना... जब जब जो जो होना है... तब तब सो सो होता है...
प्रतिभा - (विश्व की कान को खिंच कर) तु मुझे मनाने में माहिर हो गया है...
विश्व - आह... माँ कान मत खिंचो... लोग देखेंगे तो क्या सोचेंगे...
(इनकी बातचीत सुन कर रुप मन ही मन हँसने लगती है) (प्रतिभा विश्व की कान छोड़ देती है)
प्रतिभा - अच्छा... एक बात बता... हम दोनों कई बार कई जगह गए हैं... ना जाने कितने लड़कियों को देखा है तुने... क्या कभी भी कोई.. तेरे आँखों को भी अच्छी नहीं लगी...
विश्व - माँ... फिर बात को घुमा कर वहीँ ला रही हो...
प्रतिभा - नहीं तो...
विश्व - तो अब क्या कर रही हो....
प्रतिभा - मैंने तुझे इसलिए पुछा... के मान ले... अगर... वह रेडियो वाली नंदिनी कहीं मिली... तो तब... तु क्या करेगा... (रूप अपने बारे में सुन कर कान खड़े कर लेती है)
विश्व - (थोड़ा हँसते हुए) माँ वह रेडियो वाली... अरे माँ... मैं उसे पहचानुंगा कैसे...
प्रतिभा - मान ले... अगर मिल गई.. तो...
विश्व - तो... मैं उनको.. उनके विचार धारा के लिए... साधुवाद दूँगा... उनको... कहूँगा के वह अपनी विचार धारा को कभी ना छिड़े.... और... और... बस इतना ही..
प्रतिभा - बस... इतना ही...
विश्व - हाँ... और क्या करूँगा...
प्रतिभा - हे भगवान... इस लड़के से कुछ नहीं होगा... उठा ले...उठा ले रे देवा... मुझे उठा ले... मगर उससे पहले... मुझे पोते पोतीयों का मुहँ दिखा दे...

यह सुन कर रुप बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी को रोकती है

विश्व - माँ... मैं जा रहा हूँ...
प्रतिभा - कहाँ...
विश्व - काउंटर पर... कुछ ऑर्डर कर ले आऊँ.. तुम्हारे पास बैठा रहा तो पागल हो जाऊँगा..

विश्व मन मन बड़बड़ाते हुए काउंटर पर जाता है, वहाँ शुभ्रा अपनी ऑर्डर की प्रतीक्षा कर रही है l शुभ्रा विश्व को देखते ही झेंप जाती है और एक किनारे हो जाती है l विश्व को बड़बड़ाते देख शुभ्रा उत्सुकता वश विश्व से पूछती है

शुभ्रा - आप किसी को गाली दे रहे हैं क्या..
विश्व - नहीं... नहीं बहनजी नहीं... सॉरी ...अगर आपको ऐसा लगा तो.. उधर देखिए..(शुभ्रा उस तरफ देखती है) वह मेरी माँ है... आपको क्या लगता है... कितनी उम्र होगी उनकी...
शुभ्रा - (प्रतिभा को देख कर, हँसते हुए ) होगी वह कोई पैंतालीस या पचास की...
विश्व - नहीं वह बाहर से ऐसी दिखती है... असल में वह पाँच या छह साल की हैं...
शुभ्रा - (हिचकिचाते हुए) कोई मेंटल डीस-ऑर्डर है क्या...
विश्व - नहीं नहीं... वह अपनी सोसायटी की बड़ी रीनॉउन पर्सन हैं... बस मैं कभी कभी इनके पास आता हूँ... और जब भी आता हूँ... ना जगह देखती हैं ना वक़्त... उनकी बचपना शुरू हो जाती है...
शुभ्रा - हा हा हा.. सॉरी.. बट.. यु बोथ आर ठु गुड...

उधर विश्व के जाने के बाद रुप उन माँ बेटे की बात याद करते हँसी को दबाने की कोशिश में उसकी पर्स गीर जाती है तो पीछे से प्रतिभा वह पर्स उठा कर रुप को वापस देती है l

रुप - थैंक्यू... आंटी..
प्रतिभा - इसमे थैंक्यू की क्या बात है बेटी... क्या अकेली आई हो...
रुप - जी... जी नहीं आंटी...
प्रतिभा - ओ... अपने किसी दोस्त के साथ आई हो...
रूप - नहीं आंटी... मैं अपनी भाभी के साथ आई हूँ...
प्रतिभा - ओ... अच्छा... क्या नाम है तुम्हारा बेटा...
रुप - (कुछ पल के लिए सोच में पड़ जाती है, फ़िर) जी... जी.. मेरा नाम... नंदिनी है...
प्रतिभा - (बहुत खुश होते हुए) क्या... नंदिनी... रेडियो वाली...
रूप - जी.... जी नहीं... आंटी... मैं... कोई रेडियो वाली नहीं हूँ...
प्रतिभा - ओह... कोई बात नहीं बेटा... वह (विश्व को दिखाते हुए) मेरा बेटा है... प्रताप... आज रेडियो में... नंदिनी को सुन कर... बहुत इम्प्रेस हुआ है... इसलिए एक्साइटमेंट पुछ बैठी... बुरा मत मानना...
रूप - जी... जी नहीं आंटी...

फिर रूप सामने की ओर पलट जाती है और देखती है जैसे ही शुभ्रा ऑर्डर किए कॉफी हाथ में लेती है रुप उठ कर वहाँ चली जाती है और इशारे से एक ओर बुलाती है l शुभ्रा रुप के पास चली जाती है l

शुभ्रा - क्या हुआ...
रूप - भाभी... मैं थोड़ी देर वहाँ बैठती तो... वह आंटी है ना... मुझे अपनी बहु बना कर ही दम लेती... एक दम पागल है... पता नहीं उन्हें उनका बेटा कैसे झेलता है...
शुभ्रा - हाँ ठीक कहा... उनका बेटा अभी अभी काउंटर पर मिला था... मैंने उससे... उसकी माँ के बारे में बात की... वह भी उसकी माँ की पागलपन से परेसान है... अब तुम्हारी बात सुन कर उस बेचारे पर तरस आ रहा है... हा हा हा...

रूप भी शुभ्रा के साथ हँसने लगती है l तभी शुभ्रा की मोबाइल बजने लगती है l शुभ्रा अपनी कॉफी ग्लास रुप को थमा कर देखती है विक्रम का कॉल है l

शुभ्रा - हैलो...
विक्रम - आप मॉल पर ही रुकी रहिए... हम थोड़ी ही देर में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - क्यूँ कोई प्रॉब्लम है क्या...
विक्रम - हाँ... है.. हमारे दुश्मन आप लोगों की रेकी कर रहे थे... अब शायद घेराबंदी कर रहे हैं... पिछली बार छोटे राजा जी पर हमला हुआ था... इसलिए हम कोई रिस्क नहीं ले सकते... हम आ रहे हैं... आप और राजकुमारी हमारी ही ऐसकॉट में घर जाएंगी...
क्या प्रताप नंदनी की लव स्टोरी बनेगी
 
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