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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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Mastmalang

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👉साठवां अपडेट
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रूप हाथों में कॉफी लिए शुभ्रा को फोन पर बातेँ करते हुए सुन रही थी l उसे शुभ्रा के चेहरे पर चिंताएं दिखने लगती हैं l

शुभ्रा - य... यह आप क्या कह रहे हैं...
विक्रम - आप घबराइए नहीं... मॉल के बाहर वह लोग पोजिशन बना रहे हैं... मॉल के अंदर हमारी सिक्युरिटी सर्विस है.... इसलिए आप घबराए नहीं...
शुभ्रा - अच्छा ठीक है... तो अब हम क्या... क्या करें...
विक्रम - आप किसी रेस्तरां में जाकर कुछ देर के लिए बैठ जाइए... वहाँ पर टाइम स्पेंट कीजिए... हम आ रहे हैं...
शुभ्रा - आप... कब तक पहुँचेंगे....
विक्रम - हम निकल चुके हैं... ट्रैफिक बहुत है... फ़िर भी ज्यादा से ज्यादा एक घंटा लगेगा... आप फिक्र ना करें... हम पहुँचते ही आपको कॉन्टेक्ट करेंगे...
शुभ्रा - (अपना सिर हिलाते हुए) ठीक है...

फोन कट हो जाती है l शुभ्रा को चिंतित देख कर रुप पूछती है

रुप - क्या हुआ भाभी... आप फोन पर बात करते हुए परेशान दिखीं... कोई बड़ी बात...
शुभ्रा - चलो किसी रेस्तरां में बैठते हैं... वहीँ पर आराम से बात करते हैं...
रुप - ठीक है... चलते हैं...

फिर दोनों उसी फ्लोर पर एक रेस्तरां में चले जाते हैं l उधर विक्रम की गाड़ी ट्रैफिक में रेंग रही है l गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठे बैठे विक्रम चिढ़ने लगा था l बगल में बैठा महांती फोन पर बात कर रहा है l बात खतम कर विक्रम से

महांती - सर... मुझे लगता है आप ज्यादा स्ट्रेस ले रहे हैं... वहाँ पर सिर्फ़ तीन लोग एक पॉइंट पर असेंबल होते दिखे हैं... पर वह लोग कोई एक्शन करेंगे... मुझे नहीं लगता...
विक्रम - तो फ़िर एक ही जगह पर इकट्ठे हो कर क्यूँ बार बार स्कैटर्ड हो रहे हैं.... पोजीशन बदल रहे हैं... क्यूँ... और तुमने ही कहा था... वह लोग हम सबकी रेकी कर रहे हैं...
महांती - हाँ पर मुझे लगता है... वह लोग हमे स्टडी कर रहे हैं...
विक्रम - किस लिए...
महांती - सर कुछ लोग उनमें ऐसे हैं... जो मेरे पेरेंट् सिक्युरिटी सर्विस से जुड़े थे... इत्तेफ़ाक से वह लोग भी एक्स सर्विस मेन हैं... इसलिए मैं अपनी एक्सपेरियंस से कह रहा हूँ... कुछ और हो रहा है...
विक्रम - जो भी हो महांती... तुम जानते हो... युवराणी हमारे लिए क्या मायने रखती हैं... हम उन्हें कभी भी चारा बनने नहीं दे सकते... अगर वह खतरे में हैं... तो समझ लो हमारी दुनिया खतरे में है...

महांती कुछ नहीं कहता है l वह सिर्फ अपना सिर हिला कर खिड़की से बाहर देखने लगता है l विक्रम थोड़ी स्पेस मिलते ही गाड़ी को भगाने की कशिश कर रहा है पर ट्रैफ़िक के वजह से वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है l

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उधर कॉफी के दो ग्लास लेकर विश्व प्रतिभा के पास पहुँचता है l टेबल पर ग्लास रख कर

विश्व - यह लो माँ.. यह भी आज की स्पेशल कॉफी है...
प्रतिभा - (बेमन से कॉफी लेती है) हूँ...
विश्व - क्या हुआ... तुम्हारा मुहँ क्यूँ लटका हुआ है... किसी ने कुछ कहा क्या...
प्रतिभा - नहीं.... कुछ भी नहीं... यही तो ग़म है... किसीने कुछ कहा नहीं...
विश्व - फ़िर... कहीं... सेनापति सर की याद तो नहीं आ रही है...(भवें नचा कर चिढ़ाते हुए)
प्रतिभा - चुप कर... उनकी क्यूँ याद आयेगी मुझे... मैं किसी और बात को लेकर सोच में हूँ...
विश्व - अच्छा.. तो बताओ ना माँ... क्या बात है...
प्रतिभा - मैं ना...(खुश होते हुए) अभी अभी... कुछ देर पहले नंदिनी से मिली थी...
विश्व - (हैरान हो कर) क्या... तुम सच कह रही हो...
प्रतिभा - (अब हँसने लगती है) हा हा हा... ओ हो... नंदिनी का नाम लिया तो चेहरा कैसे खिल गया... देखो तो लौंडे को...
विश्व - (हकलाते हुए) न.. नहीं ए.. ऐसा कुछ नहीं है माँ... म.. मैंने पहले भी तुमसे कहा है... मैं उनसे प्रभावित हुआ हूँ... पर तुम उनका नाम लेकर आज दिन भर में ना जाने कितनी बार... मेरा पोपट बना रही हो.....
प्रतिभा - अरे मैं सच कह रही हूँ... नंदिनी से मिली थी अभी कुछ देर पहले... हाँ यह बात और है... वह रेडियो वाली नंदिनी नहीं थी...
विश्व - तो फिर...
प्रतिभा - मैं ना... उससे दोस्ती करने के लिए बातेँ बढ़ा रही थी... पर वह कब चली गई मुझे मालुम ही नहीं पड़ा...
विश्व - (हँसने लगता है)हा हा हा... मुझे मालुम है... तुम क्यूँ दोस्ती करना चाहती थी... और... मुझे शक़ है... उसे भी अंदाजा हो गया होगा... इसलिए वह भाग गई.. (हा हा हा हा)
प्रतिभा - (मुहँ बनाते हुए) उड़ाले उड़ाले.. मेरा मजाक उड़ाले...
विश्व - (प्रतिभा के हाथ को पकड़ लेता है) माँ... जितनी ख्वाहिशें भी ना थी इस जिंदगी से.... जिंदगी ने उससे ज्यादा दे दिया है... वैसे भी मेरे आचार्य जी कहा करते थे... वक़्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसीको कुछ भी हासिल नहीं होता...
प्रतिभा - यह मत भूल... तु होने वाला एडवोकेट है... कोर्ट में यह फिलासफी बातेँ अमान्य होतीं हैं...
विश्व - जानता हूँ माँ... पर यही बातेँ... जिंदगी में तो मायने रखते हैं ना...
प्रतिभा - क्या करूँ मैं... तु आता भी है तो जुगनू की चमक की तरह... ठहरता भी तो नहीं... और जब एक महीने के बाद सज़ा पुरी हो जाएगी... तब भी... सिर्फ़ एक महीने के लिए ही मेरे पास रुकेगा... (प्रतिभा विश्व की हाथों को पकड़ कर) वादा कर.... गांव जाने के बाद भी... तु आता जाता रहेगा...
विश्व - माँ... इस बारे में हमने कई बार बातेँ की है... हमेशा मैंने तुमसे वादा किया है... क्या मेरे वादे पर विश्वास नहीं...
प्रतिभा - (थोड़ा उदास हो कर) ऐसी बात नहीं है... माँ हूँ... मन नहीं भरता... क्यूंकि किस्मत पर भरोसा जो नहीं है...
विश्व - तो ठीक है माँ... मैं फिर से अपना वादा दोहराता हूँ... मैं छूटने के बाद पुरे एक महीने के लिए तुम्हारे पास रूकुंगा... फिर अपनी जीवन की सबसे बड़ी मकसद को पुरा करने जाऊँगा... इस बीच हर हफ्ते दस दिन में आता रहूँगा... तुमसे मिलने... और जब मकसद हासिल हो जाएगी... मैं हमेशा के लिए तुम्हारे पास लौट आऊंगा... यह वादा करता हूँ... (प्रतिभा मुस्करा देती है) पर तुम भी एक वादा करो...
प्रतिभा - कुछ भी मांग ले... (विश्व कहने को होता है) रुक पूरी बात तो सुन ले...(विश्व चुप हो जाता है) मैं बहु ढूंढना नहीं छोड़ने वाली... हाँ...
विश्व - लो... (प्रतिभा की हाथ को छोड़ते हुए) पहले से ही मेरे जुबान पर ताला मार दिया तुमने... अब क्या ख़ाक वादा मांगूंगा...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... अपनी माँ से चालाकी... आँ..
विश्व - अच्छा माँ...(हाथ जोड़ कर) गलती हो गई... अब खाना खाने चलें या ऐसे ही...
प्रतिभा - हाँ हाँ चलो... इसी फ्लोर पर एक रेस्तरां है... बढ़िया खाना मिलता है वहाँ... चल पेट भर कर खाना खाते हैं... फिर घर चलते हैं...
विश्व - (उठते हुए)हाँ तो चलो फिर...

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मॉल पहुँचने के लिए देरी होता देख विक्रम वीर को फोन लगाता है l वीर तब तक घर पहुँच चुका था और अपने बेड पर लेटा हुआ था I वीर आधी नींद में फोन उठाता है

विक्रम - हैलो राजकुमार...
वीर - जी कहिए युवराज...
विक्रम - क्या... आप सोये हुए लग रहे हैं... आप हैं कहाँ पर...
वीर - (नींद भरे आवाज में) अपने कमरे में...
विक्रम - क्या... आप घर पर कब आए...
वीर - कुछ ही देर हुए हैं... बस जरा सा आँख लग गई थी कि (उबासी लेते हुए) आपका फोन आगया....
विक्रम - ओ अच्छा...
वीर - क्या है युवराज जी...
विक्रम - कुछ नहीं... आप आराम कीजिए... बाद में बात करते हैं...
वीर - ठीक है....

विक्रम फोन काट देता है l और महांती को देखने लगता है तो महांती कहता है

महांती - युवराज आप मुझसे पूछ लेते... मुझे नहीं पता था कि आपने राजकुमार जी को फोन लगाया था... मेरे पास इंफॉर्मेशन थी... जब युवराणी और राजकुमारी मॉल के अंदर गईं थीं.... उसके थोड़ी देर बाद राजकुमार वहाँ से लड़की को साथ लेकर वापस चले गए...
विक्रम - सॉरी महांती... यु नो.. युवराणी मिन्स व्हाट टु मि... इसलिए हमसे ऐसी बेवकूफ़ी भरी हरकतें हो रहे हैं...
महांती - कोई बात नहीं सर... उन्हें कुछ नहीं होगा....
विक्रम - थैंक्यू... महांती.. थैंक्यू...

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मॉल के फुड कोर्ट में एक रेस्तरां है जिसका नाम है डालमा रेस्तरां l उस रेस्तरां के एक कॉर्नर टेबल पर शुभ्रा और रुप स्टार्टर के साथ साथ सुप पी रहे हैं l

रूप - हम अगर अपनी गाड़ी से चले गए होते... तो शायद अब तक घर पर पहुँच गए होते... उससे क्या कोई प्रॉब्लम हो जाता...
शुभ्रा - पता नहीं... रुप तुम अच्छी तरह से जानती हो... भले ही तुम कॉलेज जा रही हो... पर सच्चाई भी यही है कि... तुम हो या मैं.... हम हमेशा तुम्हारे बड़े भैया के निगरानी में हैं... अगर वह खुद आ रहे हैं... मतलब कुछ तो सीरियस बात होगी...
रुप - हाँ भाभी आप ठीक कह रही हो.... यह राजगड़ तो नहीं है...
शुभ्रा - हाँ... और कभी हो भी नहीं सकता... यहाँ पर सब अपने अपने इगो को भाव देते रहते हैं और बढ़ाते रहते हैं... अगर दुश्मनी हो.... तो घात लगाने के लिए ताक में रहते हैं... लगता है इन सात सालों की सफर में... किसीके इगो को जबरदस्त ठेस पहुँची है... जिसके वजह से वह... क्षेत्रपाल के अहंकार पर शायद प्रतिघात करने के लिए घात लगा रहा है...
रुप - (एक फीकी मुस्कान के साथ) राजगड़ में... अपनों के वजह से... बाहर नहीं निकल पा रही थी.... और यहाँ किसी और के वजह से कहीं बाहर निकालना बंद ना हो जाए...
शुभ्रा - हूँ... मुझे तुम्हारे लिए बुरा तो लगेगा... अगर तुम्हारा कॉलेज आना जाना बंद हो गया तो...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ कर) और कितनी देर भाभी...
शुभ्रा - पता नहीं... तुम्हारे भैया जब तक यहाँ ना पहुँचे तब तक तो नहीं....
रुप - उई माँ.. (कहकर मेन्यू कार्ड अपने चेहरे के सामने कर लेती है)
शुभ्रा - क्या... क्या हुआ रुप...
रुप - पता नहीं भाभी... आज मेरी कुंडली में यह माँ बेटे क्यूँ... राहु केतु की तरह जब देखो टपक रहे हैं...

शुभ्रा घुम कर पीछे देखती है प्रतिभा और विश्व अंदर आकर एक वेटर से बात कर रहे हैं l वह वेटर उन्ही के तरफ एक खाली टेबल की ओर इशारा करता है l यह देख

रुप - भाभी आप एक काम करो प्लीज...
शुभ्रा - क्या...
रुप - आप मेरी जगह आ जाओ... मैं आपकी जगह पर बैठ जाती हूँ...(कह कर उठ जाती है और शुभ्रा के पास पहुँच जाती है, शुभ्रा भी हँसते हुए जगह बदल देती है)
शुभ्रा - (हँसते हुए) बाप रे... इतना डर...(रुप इतने में अपनी जुड़ा खोल देती है) अरे... यह अपने बाल क्यूँ खुला छोड़ रही हो...
रुप - यह आज कल की स्टाइल है भाभी...
शुभ्रा - हाँ... हाँ... हाँ... यह क्यूँ नहीं कहती अपनी चेहरा छुपा रही हो...
रुप - आप जानती हो ना... फ़िर क्यूँ पुछ रही हो...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए, धीरे से) वैसे रुप... तुम मानो या ना मानो.... लड़का... है तुम्हारे टक्कर का...
रुप - (अपनी आँख दिखाते हुए) भाभी...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए) क्यूँ क्या गलत कह दिया...
रुप - (अपनी दांत चबाते हुए धीरे से) आप सब कुछ देख कर भी... समझ नहीं पा रही हैं...
शुभ्रा - क्या... क्या समझ नहीं पा रही हूँ...
रुप - वह प्रताप अभी भी... ममास् बॉय है... उसकी माँ उसे इन माहौल में ढालने की कोशिश कर रही हैं... पर उसमें... ना झिझक कम हो रहा है ना शर्म टुट रहा है...
शुभ्रा - हूँ.. म्म्म.. अच्छा जज किया है तुमने... पर फिर भी... तुमको उसे नजर भर देखना चाहिए... क्या गजब का सेक्स अपील है यार... उसकी पर्सनालिटी में...
रुप - (हैरानी से अपनी आँखे बड़ी करते हुए) हाँ..आँ... भाभी आप.. यह कैसी बात कर रही हैं...
शुभ्रा - ओह कॉम ऑन.. मैं तुम्हारे लिए कह रही हूँ...
रुप - भाभी... पहली बात... यु नो वेरी वेल... आई एम फिक्स्ड... कुछ इधर की उधर हुई तो...(मायूसी भरी आवाज़ में) आप अच्छे से जानते हो क्या हो सकता है... क्षेत्रपाल के अहं के नीचे रौंद दिए जाएंगे... यह और उसकी फॅमिली... वैसे भी क्षेत्रपाल के आँखों में आँख डालने वाला... अगर इस स्टेट में नहीं... तो शायद ... इस दुनिया में कहीं हो... पर कम से कम यह तो नहीं... (हँसने की कोशिश करते हुए) बात बात पर झिझकने वाला... शर्माने वाला... (अपना सिर को ना में हिलाते हुए) कतई नहीं...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म... (अपना सिर हिलाते हुए) हूँ..
रुप - क्या हम्म.. क्या हूँ..
शुभ्रा - (एक दिलासा देने वाली हँसी के साथ रुप के हाथों पर हाथ रखते हुए) तुम्हारे अंदर एक उम्मीद मैंने देख ली है... तुमको किसीका इंतजार तो है... जो तुम्हें इस क्षेत्रपाल नाम की की पिंजरे से ले उड़े...

रुप अपना सिर झुका लेती है और चुप भी हो जाती है l उधर प्रतिभा और विश्व के टेबल पर ऑर्डर किया हुआ खाना पहुँच जाता है l

विश्व - एक बात कहूँ माँ..
प्रतिभा - हाँ बोल...
विश्व - हमे आज बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए था...
प्रतिभा - क्यूँ....
विश्व - माँ... कल शाम तक ही आपके पास रूक रहा हूँ... इसलिए आपको मुझे अपनी हाथों से खाना बना कर खिलाना चाहिए था...
प्रतिभा - हाँ मानती हूँ... मेरी इच्छा भी यही थी... पर सुबह तेरी अवतार देख कर... तुझे सलून ले जाना बहुत जरूरी था... ऊपर से मैं तेरे लिए खरीदारी भी तो करना चाहती थी... इसलिए हमें यहाँ पर लंच करना पड़ रहा है...
विश्व - तो लंच के बाद सीधे घर को ही जायेंगे ना...
प्रतिभा - बिल्कुल...
विश्व - ठीक है फिर...

उनकी बातेँ हल्की हल्की मगर साफ सुनाई देती थी l उनकी बातेँ सुनने के बाद

शुभ्रा - ओ... तो यह जनाब प्रताप... कहीं बाहर रहता है... शायद किसी काम से भुवनेश्वर आया है... अब अपनी माँ से मिल लिया है... और कल शाम को वापस चला जाएगा....
रुप - यह आपने... कैसे समझ लिया...
शुभ्रा - कॉफी स्टॉल पर उससे जितनी बातेँ हुई थी... और अब इनकी बातेँ सुनने के बाद मुझे सब समझ में आ गया...
रुप - ओ...
शुभ्रा - चूंकि यह लड़का बाहर रहता है... इसलिए इसकी माँ जल्द से जल्द शादी करा देना चाहती है...
रुप - हम्म... शायद आप सही हो...

उधर विश्व खाना खा रहा है और उसे प्रतिभा मुस्कराते हुए खाना खाते हुए देख रही है l विश्व जब देखता है कि प्रतिभा उसे एक टक देखे जा रही है l

विश्व - अरे माँ... तुम खाना क्यूँ नहीं खा रही हो...
प्रतिभा - तुझे खाना खाते देख... मेरा पेट और मन दोनों भरे जा रहे हैं...

विश्व अपना थाली लेकर प्रतिभा के पास जाकर बैठ जाता है और खाने के कोर बना कर प्रतिभा को खिलाता है l यह दृश्य शुभ्रा देखती है और वह इशारे से रुप को उस तरफ देखने को कहती है l रुप अपना चेहरा को कंधे से नीचे ले कर पीछे मुड़कर देखती है फिर आगे देखने लगती है l

शुभ्रा - कुछ भी हो रुप... माँ बेटे में प्यार मगर बहुत है...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - हम शायद झेल ना पाएँ... उन माँ बेटे को... क्यूंकि उनके बीच कोई पागलपन नहीं है... प्यार ममता और वात्सल्य है... जो हमे पागलपन लगा...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - तुम चुप क्यूँ हो गई...
रुप - (आँखों में पानी आ जाती है) माँ जैसी चाची तो थी मेरे पास... उन्होंने प्यार और ममता लुटाने में भी... कोई कंजूसी नहीं की... पर माँ... माँ नहीं थी मेरे पास... शायद इसलिए उस औरत के प्यार को... अपने बेटे के लिए, पागलपन समझ बैठी...
शुभ्रा - हूँ... खैर जो भी कहो... यह माँ बेटे हैं यूनीक....

रुप मुस्कराकर अपनी सिर को हिला कर और पलकें झपका कर अपनों हामी जाहिर करती है l उधर विश्व के हाथों से प्रतिभा को खाना खाते हुए रेस्तरां में मौजूद सभी लोग उत्सुकता से देख रहे थे l थोड़ी देर बाद उनका खाना खतम हो जाता है, दोनों लेमन बाउल में हाथ धो लेने के बाद, प्रतिभा बिल पेमेंट कर देती है और दोनों रेस्तरां से बाहर निकलने को होते हैं कि उन्हें एक बुढ़े उम्र दराज़ जोड़ा सामने से आकर रोक देते हैं l उन जोड़े में से बुढ़ी औरत विश्व के सामने आकर विश्व के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरती है l विश्व और प्रतिभा स्तब्ध हो कर उन दोनों को देखने लगते हैं l उस बुढ़ी औरत की पति विश्व और प्रतिभा से कहता है
- हमारे तीन औलादें हैं... पर हमारे पास कोई नहीं हैं... वह लोग बहुत खुश हैं... बिजी हैं... इतने बिजी हैं... के हमारे लिए.. उनके पास वक़्त ही नहीं है... इसलिए हम एक दुसरे के साथ सुख दुख के लम्हें निकाल कर आपस में बांट लेते हैं... (प्रतिभा से) आप वाकई बहुत भाग्यवान हैं... (प्रतिभा मुस्कराते हुए अपना सिर गर्व से हिला कर हाँ कहती है)

विश्व यह सुन कर उस बुढ़ी औरत को गले से लगा लेता है l यह दृश्य रेस्तरां में बैठे सभी देख रहे थे l रुप से रहा नहीं जाता एक्साइटमेंट में ताली बजाने लगती है l उसे ताली बजाते देख वहाँ पर सभी लोग भी ताली बजाने लगते हैं l सबको ताली बजाते देख विश्व शर्मा कर उस औरत से अलग हो जाता है और प्रतिभा के हाथ पकड़ कर रेस्तरां से बाहर निकल जाता है l शुभ्रा रुप के हाथ को पकड़ कर ताली बजाने से रोक देती है l

शुभ्रा - वाह.... आख़िर लड़का इम्प्रेस कर ही दिया तुम्हें...
रुप - हाँ... पर मैं इम्प्रेस हुई हूँ उसकी नेक काम के वजह से ... ना कि उससे... इस काम के लिए... उसे एप्रीसिएशन तो मिलनी ही चाहिए...
शुभ्रा - वाह क्या बात है... आज लड़का तुमसे इम्प्रेस था... तुम्हें एप्रीसिएशन देना चाहता था... और अब... तुम उसे एप्रीसिएशन देना चाहती हो.... क्या बात है... वाह... दोनों के एप्रीसिएशन एक दुसरे के लिए बाकी रह गई... बचा के रखना हाँ... बाद में काम आएगा... हा हा...
रुप - भाभी... क्या हम इस टॉपिक से बाहर नहीं निकल सकते...
शुभ्रा - हाँ हाँ क्यूँ नहीं...

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विक्रम की गाड़ी मॉल से कुछ ही दुर पर पहुँचती है l तभी महांती की फोन बजने लगती है l

महांती - हैलो...
- XXXX
महांती - व्हाट...
- XXXX
महांती - ओके...
- XXXX
महांती - युवराज जी...
विक्रम - क्या बात है महांती...
महांती - छोटे राजा...
विक्रम - (गाड़ी रोक कर) क्या हुआ... क्या हुआ उन्हें...
महांती - जी... जी वह... घ... घायल हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी...
विक्रम - कैसे... कहाँ पर हमला हुआ...
महांती - म्युनिसिपलटी ऑफिस में...
विक्रम - (चुप रहता है, बड़ी बेबसी से महांती को देखता है)
महांती - यह.... एक डाइवर्जन था... मतलब हम उनके चाल में फंस गए...
विक्रम - अभी... छोटे राजा जी की कैसी हालत है...
महांती - सीरियस नहीं है... पर... हस्पताल में एडमिट हैं...
विक्रम - कैसे... कैसे हुआ यह सब...
महांती - युवराज जी... अब उनसे बात करने के बाद ही सब मालुम हो पाएगा... सिर्फ़ छोटा सा घाव लगा है...

विक्रम की मुट्ठी स्टीयरिंग पर भींच जाती है l वह अपना सिर स्टियरिंग पर पीट देता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए महांती से

विक्रम - महांती एक काम करो.... तुम छोटे राजा जी के पास जाओ... जब यहाँ तक आ गए हैं तो हम युवराणी और राजकुमारी जी को घर पर पहुँचा कर... उनसे मिलने जाएंगे...
महांती - ठीक है युवराज जी... मैं यहाँ अपनी कंपनी के सर्विस गाड़ी लेकर चला जाता हूँ... आप युवराणी और राजकुमारी जी को छोड़ कर पहुँचे...

महांती गाड़ी से उतर जाता है और फोन कर ESS सर्विस गाड़ी से अलग दिशा में चला जाता है l विक्रम शुभ्रा को फोन लगाता है l

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पार्किंग में पहुँचते ही प्रतिभा अपने सिर पर हाथ रखकर खड़ी हो जाती है और कहती है

प्रतिभा - है भगवान...
विश्व - क्या हुआ माँ... कुछ भुल गई क्या...
प्रतिभा - हाँ... (अपनी पर्स से दो रसीद निकाल कर विश्व को देती है) यह ले... यह कपड़ों की रसीद है और यह जुते की... जाकर ले आ...
विश्व - क्या माँ... वह पुराने कपड़े हैं... और जुता भी पुराना है... रहने दो ना...
प्रतिभा - सुन... दुकान पर पुराने चीजें छोड़ नहीं सकते.... हमारे जो काम ना आए... उसे हम किसी और को दे सकते हैं... जिनके वह काम आएगा... इसलिए जा ले कर आ...
विश्व - ठीक है माँ... तुम गाड़ी के पास जाओ... मुझे पाँच सात मिनट लगेंगे...
प्रतिभा - ठीक है...

विश्व लिफ्ट की ओर तेजी से भागता है और प्रतिभा अपनी गाड़ी के पास जाती है l उधर रुप और शुभ्रा रेस्तरां में अभी भी बैठे हुए बातेँ कर रहे हैं, तभी शुभ्रा को विक्रम का फोन आता है

शुभ्रा - हैलो
विक्रम - आप लोग पार्किंग में पहुँचे... हम भी पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... अभी हम निकलते हैं...
विक्रम - कितने नंबर की पार्किंग एरिया में हमे पहुँचना है...
शुभ्रा - जी ट्वेल्व नंबर पार्किंग में...
विक्रम - ठीक है... हम पाँच मिनट में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... (फोन काट देती है) चलो रुप... तुम्हारे भैया हमे लेने आए हैं...
रुप - ठीक है भाभी... चलिए.... पेमेंट क्लीयर कर निकलते हैं...

दोनों काउंटर पर जाते हैं, और पेमेंट करने लगते हैं l उधर विश्व रसीद लेकर पहले बुटीक पर पहुँचता है l जैसे ही वह काउंटर पर रसीद देता है काउंटर पर बैठा मैनेजर विश्व को छह पैकेट थमा देता है l

विश्व - अरे... यह क्या... आप मुझे इतने सारे पैकेट क्यूँ दे रहे हैं....

मैनेजर - जी... इनमें वह पांच जोड़ी कपड़े हैं... जिन्हें आपने ट्रायल किया था... और एक... जो आप पहन कर आए थे...... वह भी इन पैकेट्स में है... आपकी माता जी ने सबकी पेमेंट कर दी है...
विश्व - (यह सुन कर हैरान हो जाता है और फिर मुस्करा देता है)
मैनेजर - क्या हुआ सर...
विश्व - कुछ नहीं भाई... मेरी माँ ने भूलने का अच्छा बहाना बनाया... कितनी प्यार करती हैं मुझसे... एक जोड़ी बता कर पाँच जोड़ी खरीद लिया... और मुझे पता ना चले इसलिए चुपचाप पेमेंट भी कर दिया... अब मुझे यहाँ भेज कर... मुझे ख़ुश कर रही हैं... मुझे खुशी देते वह थकती नहीं हैं... क्यूंकि वह मेरी खुशी में ही... अपनी खुशी देखती हैं...
मैनेजर - सर एक बात कहूँ... आप बहुत लकी हो सर...
विश्व - हाँ... सो तो हूँ... कोई शक़...

फिर विश्व वहाँ से निकल कर शू स्टोर में पहुँचता है l वहाँ पर भी रसीद दिखाने पर उसे और छह जोड़ी जुतों की पैकेट मिलता है l विश्व इस बार दुकान दार से कुछ नहीं कहता l कपड़े और जुतों का पैकेट ले कर लिफ्ट के तरफ भाग कर जाता है l वहाँ पहुँच कर लिफ्ट का बटन दबाता है l लिफ्ट आकर रुकता है और दरवाजा खुल जाता है l लिफ्ट के अंदर दो लड़कियाँ थी l विश्व उन्हें देख कर अंदर जाने के वजाए रुक जाता है और इधर उधर देखने लगता है l ना वह कहीं जा पाता है ना ही अंदर l वहीँ खड़े खड़े हिचकिचाता रहता है, झिझकने लगता है l लिफ्ट के अंदर वह लड़कियाँ कोई और नहीं बल्कि रुप और शुभ्रा हैं l विश्व को हिचकिचाते देख

शुभ्रा - आइए प्रताप भैया... हम भी नीचे पार्किंग में जा रहे हैं... आप चाहें तो आ सकते हैं... (विश्व अंदर आ जाता है, और दोनों की तरफ पीठ करके खड़ा हो जाता है)
विश्व - (बिना उन्हें देखे) बुरा ना मानिये बहन जी... आपको मेरा नाम कैसे मालुम है...
शुभ्रा - अरे भैया... आपकी इंट्रोडक्शन तो आपकी माताजी ने... आइसक्रीम पार्लर में दे दी थी... और आप इतनी जल्दी भुल गए... घंटे भर पहले आप मुझसे कॉफी स्टॉल पर बात भी की थी...
विश्व - जी...(हैरान हो कर) जी... (फिर याद करते हुए) जी जी...
शुभ्रा - वैसे प्रताप भैया... आप ल़डकियों से शर्माते हैं या डरते हैं..
विश्व - जी... (बिना पीछे मुड़े) म... मालुम नहीं...

रुप - हम लड़की हैं... पर हमे नाजुक समझने की भुल ना कीजिएगा... हम बहुत खतरनाक भी हैं.... (यह सुन कर शुभ्रा रुप को कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी मैं एक लड़का हूँ... जो भी हूँ... जैसा भी हूँ... पर खतरनाक बिल्कुल नहीं हूँ....

विश्व की यह बात सुनने के बाद रुप शर्मा जाती है और शर्म से उसके गालों पर लाली छा जाती है l

शुभ्रा - हमारी गाड़ी ट्वेलव नंबर पार्किंग पर खड़ी है... और आपकी... (अब रुप उसे कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी हमारी गाड़ी नाइन नंबर पार्किग एरिया में है..

पार्किंग फ्लोर पर लिफ्ट पहुँचती है, दरवाजा खुलते ही विश्व जल्दी से निकल भागता है l शुभ्रा और रुप विश्व को भागते देख हँसने लगते हैं और अपनी गाड़ी की ओर जाने लगते हैं l वहीँ नौ नंबर पार्किंग में अपनी गाड़ी के पास प्रतिभा टहल रही है l उसी वक़्त विक्रम की ऐसकॉट और उसके पीछ गार्ड्स की दो गाड़ीयाँ तेजी से पार्किंग में घुसती है और तेजी से बारह नंबर पार्किंग की बढ़ती है l प्रतिभा के पास से पहले गार्ड वाली गाड़ी तेजी से गुजरता है फ़िर ऐसकॉट तेजी से गुजर जाता है जिससे प्रतिभा की साड़ी की आंचल थोड़ी उड़ने लगती है तभी पीछे से आ रही गार्ड्स की दुसरी गाड़ी के बम्पर गार्ड में प्रतिभा की साड़ी की आँचल फंस जाती है जिसके वजह से प्रतिभा गाड़ी के पीछे घिसटने लगती है l प्रतिभा चिल्लाने लगती है l
विश्व जैसे ही देखता है प्रतिभा की साड़ी एक गाड़ी में फंस गई है और गाड़ी प्रतिभा को घिसटते हुए लिए जा रही है l

विश्व - (हाथ से पैकेट फेंक कर चिल्लाता है) माँ..... (गाड़ी के पीछे भागता है)

वह गाड़ी थोड़ी ही दुर जा कर रुक जाती है l विश्व प्रतिभा के पास पहुँच कर देखता है सिर पर चोट लगने के कारण थोड़ा खून बह रहा है, दोनों कोहनी छील गए हैं और साड़ी घिसककर खराब हो गई है l
विश्व - (आँखों में आँसु आ जाते हैं) माँ...आँ..
प्रतिभा - (कराहते हुए) ओह... ओ... माँ...


प्रतिभा की दर्द के मारे बहुत बुरा हाल था, वह दर्द से कराह रही थी l गार्ड्स अपने गाड़ी से उतर कर विश्व और प्रतिभा को देखते हैं और ड्राइविंग साइड पर बैठा गार्ड प्रतिभा की साड़ी को गाड़ी की बम्पर से निकाल कर प्रतिभा के ओर फेंकते हुए

गार्ड - साली बुढ़िया... मरने के लिए तुझे कोई और गाड़ी नहीं मिली...

विश्व उस ड्राइवर और उन गार्ड्स को देखता है, फिर अपनी जेब से रुमाल निकाल कर प्रतिभा के माथे पर बांध देता है l और प्रतिभा को अपनी बाहों में उठा कर गाड़ी के पास घुटने के ऊँचाई बराबर एक वॉल पर पिलर के सहारे बिठा देता है l

विश्व - माँ... तुम यहीँ पर बैठी रहो... मैं अभी थोड़ी देर में आया..
प्रतिभा - रुक प्रताप...(दर्द से कराहते हुए) तु जा कहाँ रहा है...
विश्व - तुम्हारे लिए...(दाँतों को चबाते हुए) फर्स्ट ऐड लेकर आ रहा हूँ....
प्रतिभा - रुक ना...

पर विश्व प्रतिभा को वहीँ पर छोड़ कर उन गार्ड्स के तरफ चला जाता है l
उधर ऐसकॉट में शुभ्रा और रुप बैठ चुके हैं l विक्रम गार्ड्स को तैयार होने के लिए कहता है और खुद ड्राइविंग सीट की ओर जाता है l तीन गाडियों में पहली गार्ड वाली कार चलने लगती है l विश्व गाड़ियों को स्टार्ट होते देख इधर उधर देखने लगता है l उसे फायर अलार्म के पर एक लोहे का हामर दिखता है l विश्व भाग कर वह हामर निकाल लेता है l जैसे ही गालियों की काफिला चलने लगती है विश्व उस रास्ते पर सामने आकर हामर को फेंक मारता है l हामर ड्राइवर के सामने की काँच पर लगती है और काँच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l तो ड्राइवर गाड़ी की स्टीयरिंग मोड़ देता है और गाड़ी एक पिलर से टकरा जाती है l उसके पीछे आने वाली विक्रम की गाड़ी और दुसरी गार्ड्स वाली गाड़ी रुक जाती हैं l एक्सीडेंट वाली गाड़ी से सभी चार गार्ड्स उतर जाते हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर उस गार्ड को जिसने प्रतिभा की साड़ी को निकाल कर फेंका था उसे अपने तरफ खिंचता है और उसपर झन्नाटेदार थप्पड़ों की बारिश कर देता है, उस गार्ड को बचने का फुर्सत भी नहीं मिलता थप्पड़ खा खा कर वह गार्ड नीचे गिर जाता है, दुसरे गार्ड्स विश्व को हैरान हो कर मुहँ फाड़े देखे जा रहे थे l उनमें से एक विश्व के पास आकर विश्व की कलर पकड़ने की कोशिश करता है l विश्व भी उसे कोई मौका दिए वगैर थप्पड़ पर थप्पड़ मारे जाता है l वह भी नीचे गिर जाता है l बाकी दो गार्ड्स में से एक
गार्ड - अरे पागल हो गया क्या... क्यूँ मारे जा रहे हो...


विश्व उसे देखता है, फ़िर उसे पकड़ कर थप्पड़ मारने लगता है l यह सब ऐसकॉट में बैठा ना सिर्फ़ विक्रम बल्कि शुभ्रा और रुप भी देख रहे थे l विश्व जिस तरह से विक्रम के गार्ड्स को थप्पड़ों से ट्रीट कर रहा था उसे देख रुप की हँसी निकल जाती है जिसे विक्रम सुन लेता है l विक्रम गुस्से से पीछे मुड़ कर देखता है तो रुप अपनी भाभी के पीछे दुबक जाती है l इतने में पीछे वाली गाड़ी से बाकी चार गार्ड्स आ पहुँचते हैं I विक्रम अपनी गाड़ी की खिड़की की काँच उतारते हुए l

विक्रम - क्या हो रहा है वहाँ... कौन है वह.. क्या प्रॉब्लम हुआ है...
एक गार्ड - सर... इसी लड़के की माँ की साड़ी.. फंस गई थी हमारी गाड़ी में...
विक्रम - व्हाट... इस बात के लिए वह हमारे लोगों को मारेगा... तुम लोग ESS के ट्रैंन्ड कमांडोज हो... जाओ अपने स्टाइल से इसे सॉल्व करो...
गार्ड्स - यस सर....

फिर एक गार्ड जो विक्रम के पास खड़ा था वह अचानक विश्व के तरफ भाग कर एक फ्लाइंग किक मारता है l विश्व उसके लिए तैयार नहीं था l किक लगते ही विश्व कुछ दूर जा कर गिरता है l

वह गार्ड - ऐ... उठो रे सब.. हम.. ESS के कमांडोज हैं.... कोई ऐरा गैरा नथु खैरा नहीं हैं... चलो इसको सबक सीखते हैं...
यह सुन कर सभी गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l विश्व भी उसकी बातेँ सुन कर खड़ा होता है l वह गार्ड जिसने विश्व को फ्लाइंग किक मारा था वह फ़िर से विश्व की ओर भागता है विश्व भी उसके तरफ भागता है l गार्ड जम्प लगा कर फ्लाइंग बैक किक मारता है जवाब में विश्व भी उसी समय फ्लाइंग राउन्ड हाउस किक मारता है l गार्ड की किक लगने से पहले विश्व की किक लगती है और वह गार्ड हवा में ही किक के इम्पैक्ट से साइड में खड़े एक कार पर गिरता है जिससे उस कार की सिक्युरिटी अलार्म बजने लगता है l उस गार्ड के गिरते ही बाकी गार्ड्स विश्व को हैरानी भरे नजरों से देखने लगते हैं l विक्रम भी अपनी गाड़ी से उतर जाता है l

बाकी बचे सातों गार्ड एक दुसरे को इशारा करते हुए विश्व को घेरते हैं और पोजिशन लेते हैं l

विश्व - (उन गार्ड्स से चिल्ला कर) तुमने जिसे बुढ़िया कहा और अपनी गाड़ी के पीछे घसीटा है... वह मेरी माँ है... बेहतर यही होगा... तुम सब उनके पैरों पर गिर माफी मांग लो... चलो...
उन गार्ड्स में से एक - नहीं तो....
विश्व - नहीं तो... तुम लोग अपने गाड़ी से नहीं... एम्बुलेंस से बाहर निकलोगे...

सभी गार्ड्स जो विश्व को घेरे हुए थे उनमे से एक विश्व को पीछे से किक उठा कर हमला करता है l विश्व आसानी से डॉज करते हुए बच जाता है और घुटने पर बैठ कर फ़ॉन्ट हाउस किक मारता है जिसे वह गार्ड पीठ के बल गिरता है l उसके बाद दुसरा सामने वाला पुश किक मारता है विश्व लोअर डाउन वार्ड डॉज करता है फिर एक जाब पंच उसके पसलियों पर मारता है l तीसरा गार्ड साइड किक मारता है उससे बचते हुए एक फ़ॉन्ट हूकींग किक गार्ड के ठुड्डी पर मारता है l चौथा गार्ड विश्व के चेहरे पर पंच मारने वाला होता है विश्व घुम कर एक क्रॉस एलबॉ मारता है जो उसके चेहरे पर लगता है l फिर विश्व झुक कर घुटनों के बल स्किड करते हुए पाँचवे गार्ड के पास खड़े हो कर एक अपर कट पंच मार देता है l छटा गार्ड विश्व पर छलांग लगाता है विश्व थोड़ा झुक कर उसे हवा में ही उठाकर फेंक देता है और सातवें को घूम कर दोनों हाथों का डबल हामर पंच मारता है l सब के सब नीचे गिरे पड़े हैं l

विक्रम हैरान हो कर विश्व को देखता है l यही हालत रुप और शुभ्रा की भी है l क्यूँ के जो भी हुआ सब कुछ सेकेंड में हो गया था l ESS के हाईली ट्रेंड आठ कमांडोज कुछ ही सेकंड में धुल चाट रहे थे l विश्व एक गार्ड को उठाता है और उसके कलर पकड़ कर घसीटते हुए लेकर जाने लगता है l

विक्रम - ऑए... (चिल्ला कर) ऑए लड़के... यह क्या हो रहा... वह हमारा आदमी है... छोड़ो उसे...
विश्व - (उस गार्ड को पकड़े हुए रुक जाता है) यह मेरी माँ का गुनहगार है... जब तक माफी नहीं मांग लेता... तब तक यह कहीं नहीं जा सकता है...
विक्रम - ऑए...(गुर्राते हुए) जानता है किससे बात कर रहा है... किसके आदमियों से पंगा ले रहा है... छोड़ दे उसे...
विश्व - (उस गार्ड को उठाकर दो और थप्पड़ मार देता है) अगर यह तेरे दम पर मेरी माँ से बत्तमीजी की है... तो माफी माँगना अब तेरा बनता है.... या तो यह माफी मांगेगा या फिर तु... फैसला कर लो...
विक्रम - क्या... माफी.. वह भी हम... हम कुछ मांगते नहीं है... या तो देते हैं... या फिर छिनते हैं... लगता है तेरी मौत तुझसे बुलवा रहा है...

विश्व - फैसला कर ले... या तो यह... या फिर तु...

तभी कुछ गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l उनमे से एक


गार्ड - सर हम इसे देख लेंगे... आप... आप गाड़ी में बैठिए...
विक्रम - (उन गार्ड्स से) उठो... संभलो... इसे पकड़ कर इतना मारो... के फिर कभी किसीसे जुबान लड़ाने पहले... सौ बार सोचेगा...


विक्रम के इतने कहते ही सातों गार्ड्स अपनी पुरी ताकत लगा कर विश्व को पकड़ने भागते हैं l विश्व जिस गार्ड को पकड़ा हुआ था उसके कनपटी पर एक घुसा जड़ देता है l वह गार्ड वहीँ नीचे ढेर हो जाता है l इतने में विश्व को बाकी बचे सात गार्ड्स आकर फिरसे घेर लेते हैं l विश्व अब अपने सामने वाले को छकाकर पीछे खड़े गार्ड को एक बैक राउंड हाउस किक मारता है फिर सामने वाले को फ़ॉन्ट थ्रॉस्ट किक फिर तीसरे के पेट में पंच फिर घूम कर कोहनी गाल के ऊपर आँख के नीचे l चौथा जिस तेजी से विश्व की ओर आता है विश्व उसीकी तेजी को इस्तमाल करके उठा कर फेंक देता है फिर बाएं घुटने पर बैठ कर दाएं पैर की लोअर स्पिन टर्न किक मारता है जिससे पांचवां पीठ के बल गिर जाता है l विश्व उठकर छटे पर छलांग लगा कर घुटना मोड़ कर सीने पर मारता है l फिर पलट कर एक साइड किक पांचवे को, इतने में सातवां विश्व को घुसा मारता है विश्व पीठ को पीछे की ओर मोड़ कर बचता है फिर वह जैसे वह सातवां विश्व की ओर मुड़ता है विश्व एक जबरदस्त हामर पंच उसके नाक पर जड़ देता है जिससे उस सातवें गार्ड की नाक कचूमर बन जाता है और वह नीचे गिर कर छटपटाने लगता है l पुरा कर पुरा दृश्य एक्शन रीप्ले की तरह ही दिखा कुछ ही सेकंड में सभी ढेर, फिर विश्व पहले से अधमरे हो चुके सभी गार्ड्स को विक्रम के सामने किसी खिलौने की तरह उठा कर सबको बारी बारी से पटक देता है l इतने में विक्रम एक फ्लाइंग किक मारता है, किक विश्व के चेहरे पर लगती है और विश्व दूर छिटक कर गिरता है l विश्व उसके लिए तैयार बिल्कुल नहीं था विक्रम के देखते हुए विश्व खड़ा होता है l विक्रम विश्व के पास आकर रिवर्स फ़ॉन्ट राउन्ड हाउस किक मारता है l पर इस बार विश्व अपनी जगह से हिलता भी नहीं है l विक्रम तरह तरह से पंच किक आजमाने लगता है विश्व सबको आसानी से और फुर्ती से डॉज करने लगता है फिर एक मंकी ब्लॉक लेकर विक्रम के पेट में एक ताकत भरा पंच मार देता है l विक्रम कुछ दूर स्कीड हो कर गीर जाता है l थोड़ी देर बार वापस खड़े हो कर पोजीशन बनाने की कोशिश करता है कि तभी विश्व उसके तरफ दौड़ कर जम्प लगा देता है और दायां घुटने को मोड़ कर शॉट हिट करता है जो सीधा विक्रम के चेहरे पर लगती है और विक्रम उड़ते हुए अपनी ही ऐसकॉट पर गिरता है l गाड़ी के भीतर यह देख कर शुभ्रा और रुप डर जाते हैं l विश्व अब बेकाबु हो चुका था वह विक्रम को मारने के लिए दौड़ लगाने वाला ही था कि उसके कानों में प्रतिभा की आवाज पड़ती है

प्रतिभा - प्र.. ता....प...(विश्व रुक जाता है l और पीछे मुड़ कर देखता है) बस बेटा... बहुत हो गया... जाने दे...
विश्व - नहीं माँ...(अपनी दांतों को चबाते हुए) जब तक यह कंजर्फ तुमसे माफी नहीं मांगेगा... मैं इसे नहीं छोडूंगा...
प्रतिभा - तु... (कराहते हुए) तु मेरी बात... नहीं मानेगा...

विश्व कुछ नहीं कहता सिर झुका कर विक्रम और उन गार्ड्स सबको उन्हीं के हाल में छोड़ कर प्रतिभा की ओर जाने लगता है l विक्रम के लिए यह बर्दास्त के बाहर था वह गाड़ी के ऊपर से लुढ़क कर विश्व पर चिल्लाता है

विक्रम - ऑए... कमीने... हराम जादे... तुने किससे पंगा लिया है... नहीं जानता है तु...

विश्व उसे मुड़ कर देखता है l प्रतिभा विश्व को फ़िर से आवाज देती है (नहीं प्रताप नहीं...) l इसलिए विश्व वापस प्रतिभा की ओर जाने लगता है l

विक्रम - आज... तुने किसकी हुकूमत से टकराया है... जानता है तु.... नहीं जानता है ना...

विश्व पीछे मुड़ कर नहीं देखता और सीधे प्रतिभा के पास पहुँच जाता है l

विक्रम - तुने अपनी मौत को छेड़ा है... जानता है... मेरा बाप कौन है
विश्व - (मूड जाता है और कहता है) क्यूँ... तु नहीं जानता... तेरा बाप कौन है... तो जा... जाकर अपनी माँ से पुछ... वह बताएगी तेरा बाप कौन है... (कह कर मूड जाता है और प्रतिभा के साथ जाने लगता है)
विक्रम - (यह सुन कर शुन हो जाता है) (फिर होश में आता है) या.... आ... आ.. (चिल्लाता है) भैरव सिंह क्षेत्रपाल.... मेरे बाप का नाम... अब तु अपनी जिंदगी के दिन गिनना शुरू कर दे... हराम जादे...


विश्व यह नाम सुनते ही रुक जाता है, उसके आँखों में खुन उतर आता है, उसके सारे जिस्म थर्राने लगता है, प्रतिभा भी उसके चेहरे को देख कर डरने लगती है l विश्व जल्दी से पीछे मुड़ता है और विक्रम के पास पहुँच कर एक जोरदार फ्रंट थ्रस्ट किक विक्रम के सीने पर मारता है l इसबार विक्रम अपनी गाड़ी के कांच के उपर गिरता है l कांच पुरी तरह से टूटती तो नहीं पर कांच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l विश्व जम्प लगा कर गाड़ी की बोनेट पर चढ़ जाता है और विक्रम के कलर पकड़ कर जैसे ही पंच मारने को होता है शुभ्रा गाड़ी से उतर कर

शुभ्रा - भैया.... प्रताप भैया... (अपनी मंगलसूत्र को दिखाते हुए) प्लीज भैया... (गिड़गिड़ाते हुए) प्लीज...(रोने लगती है)
विश्व - (शुभ्रा को देख कर और उसकी बिनती के वजह से अपना हाथ रोक देता है, पर विक्रम से) सुन बे क्षेत्रपाल के चुजे... तेरा हर काम.. वह क्षेत्रपाल ही करेगा क्या... फ़िर तु क्या करेगा... या फिर तुझसे कुछ होता नहीं... इसलिए कुछ करने के लिए... तुझे क्षेत्रपाल टैग चाहिए... हाँ... (विक्रम के मुहँ से नाक से खुन बह रहा है, गहरी गहरी सांसे लेते हुए गुस्से से विश्व को देखते हुए) तुम लोगों ने मेरी माँ के साथ जो बत्तमीजी की... उसके लिए... कायदे से जान से मार देना चाहिए था... पर (शुभ्रा को दिखाते हुए) इन्हें अनजाने में सही बहन कहा है... इनके साथ उस रिश्ते का लिहाज करते हुए तुम लोगों को छोड़ रहा हूँ...
क्षन्नाटेदार अपडेट
Mind blowing
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,190
23,415
159
👉साठवां अपडेट
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रूप हाथों में कॉफी लिए शुभ्रा को फोन पर बातेँ करते हुए सुन रही थी l उसे शुभ्रा के चेहरे पर चिंताएं दिखने लगती हैं l

शुभ्रा - य... यह आप क्या कह रहे हैं...
विक्रम - आप घबराइए नहीं... मॉल के बाहर वह लोग पोजिशन बना रहे हैं... मॉल के अंदर हमारी सिक्युरिटी सर्विस है.... इसलिए आप घबराए नहीं...
शुभ्रा - अच्छा ठीक है... तो अब हम क्या... क्या करें...
विक्रम - आप किसी रेस्तरां में जाकर कुछ देर के लिए बैठ जाइए... वहाँ पर टाइम स्पेंट कीजिए... हम आ रहे हैं...
शुभ्रा - आप... कब तक पहुँचेंगे....
विक्रम - हम निकल चुके हैं... ट्रैफिक बहुत है... फ़िर भी ज्यादा से ज्यादा एक घंटा लगेगा... आप फिक्र ना करें... हम पहुँचते ही आपको कॉन्टेक्ट करेंगे...
शुभ्रा - (अपना सिर हिलाते हुए) ठीक है...

फोन कट हो जाती है l शुभ्रा को चिंतित देख कर रुप पूछती है

रुप - क्या हुआ भाभी... आप फोन पर बात करते हुए परेशान दिखीं... कोई बड़ी बात...
शुभ्रा - चलो किसी रेस्तरां में बैठते हैं... वहीँ पर आराम से बात करते हैं...
रुप - ठीक है... चलते हैं...

फिर दोनों उसी फ्लोर पर एक रेस्तरां में चले जाते हैं l उधर विक्रम की गाड़ी ट्रैफिक में रेंग रही है l गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठे बैठे विक्रम चिढ़ने लगा था l बगल में बैठा महांती फोन पर बात कर रहा है l बात खतम कर विक्रम से

महांती - सर... मुझे लगता है आप ज्यादा स्ट्रेस ले रहे हैं... वहाँ पर सिर्फ़ तीन लोग एक पॉइंट पर असेंबल होते दिखे हैं... पर वह लोग कोई एक्शन करेंगे... मुझे नहीं लगता...
विक्रम - तो फ़िर एक ही जगह पर इकट्ठे हो कर क्यूँ बार बार स्कैटर्ड हो रहे हैं.... पोजीशन बदल रहे हैं... क्यूँ... और तुमने ही कहा था... वह लोग हम सबकी रेकी कर रहे हैं...
महांती - हाँ पर मुझे लगता है... वह लोग हमे स्टडी कर रहे हैं...
विक्रम - किस लिए...
महांती - सर कुछ लोग उनमें ऐसे हैं... जो मेरे पेरेंट् सिक्युरिटी सर्विस से जुड़े थे... इत्तेफ़ाक से वह लोग भी एक्स सर्विस मेन हैं... इसलिए मैं अपनी एक्सपेरियंस से कह रहा हूँ... कुछ और हो रहा है...
विक्रम - जो भी हो महांती... तुम जानते हो... युवराणी हमारे लिए क्या मायने रखती हैं... हम उन्हें कभी भी चारा बनने नहीं दे सकते... अगर वह खतरे में हैं... तो समझ लो हमारी दुनिया खतरे में है...

महांती कुछ नहीं कहता है l वह सिर्फ अपना सिर हिला कर खिड़की से बाहर देखने लगता है l विक्रम थोड़ी स्पेस मिलते ही गाड़ी को भगाने की कशिश कर रहा है पर ट्रैफ़िक के वजह से वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है l

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उधर कॉफी के दो ग्लास लेकर विश्व प्रतिभा के पास पहुँचता है l टेबल पर ग्लास रख कर

विश्व - यह लो माँ.. यह भी आज की स्पेशल कॉफी है...
प्रतिभा - (बेमन से कॉफी लेती है) हूँ...
विश्व - क्या हुआ... तुम्हारा मुहँ क्यूँ लटका हुआ है... किसी ने कुछ कहा क्या...
प्रतिभा - नहीं.... कुछ भी नहीं... यही तो ग़म है... किसीने कुछ कहा नहीं...
विश्व - फ़िर... कहीं... सेनापति सर की याद तो नहीं आ रही है...(भवें नचा कर चिढ़ाते हुए)
प्रतिभा - चुप कर... उनकी क्यूँ याद आयेगी मुझे... मैं किसी और बात को लेकर सोच में हूँ...
विश्व - अच्छा.. तो बताओ ना माँ... क्या बात है...
प्रतिभा - मैं ना...(खुश होते हुए) अभी अभी... कुछ देर पहले नंदिनी से मिली थी...
विश्व - (हैरान हो कर) क्या... तुम सच कह रही हो...
प्रतिभा - (अब हँसने लगती है) हा हा हा... ओ हो... नंदिनी का नाम लिया तो चेहरा कैसे खिल गया... देखो तो लौंडे को...
विश्व - (हकलाते हुए) न.. नहीं ए.. ऐसा कुछ नहीं है माँ... म.. मैंने पहले भी तुमसे कहा है... मैं उनसे प्रभावित हुआ हूँ... पर तुम उनका नाम लेकर आज दिन भर में ना जाने कितनी बार... मेरा पोपट बना रही हो.....
प्रतिभा - अरे मैं सच कह रही हूँ... नंदिनी से मिली थी अभी कुछ देर पहले... हाँ यह बात और है... वह रेडियो वाली नंदिनी नहीं थी...
विश्व - तो फिर...
प्रतिभा - मैं ना... उससे दोस्ती करने के लिए बातेँ बढ़ा रही थी... पर वह कब चली गई मुझे मालुम ही नहीं पड़ा...
विश्व - (हँसने लगता है)हा हा हा... मुझे मालुम है... तुम क्यूँ दोस्ती करना चाहती थी... और... मुझे शक़ है... उसे भी अंदाजा हो गया होगा... इसलिए वह भाग गई.. (हा हा हा हा)
प्रतिभा - (मुहँ बनाते हुए) उड़ाले उड़ाले.. मेरा मजाक उड़ाले...
विश्व - (प्रतिभा के हाथ को पकड़ लेता है) माँ... जितनी ख्वाहिशें भी ना थी इस जिंदगी से.... जिंदगी ने उससे ज्यादा दे दिया है... वैसे भी मेरे आचार्य जी कहा करते थे... वक़्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसीको कुछ भी हासिल नहीं होता...
प्रतिभा - यह मत भूल... तु होने वाला एडवोकेट है... कोर्ट में यह फिलासफी बातेँ अमान्य होतीं हैं...
विश्व - जानता हूँ माँ... पर यही बातेँ... जिंदगी में तो मायने रखते हैं ना...
प्रतिभा - क्या करूँ मैं... तु आता भी है तो जुगनू की चमक की तरह... ठहरता भी तो नहीं... और जब एक महीने के बाद सज़ा पुरी हो जाएगी... तब भी... सिर्फ़ एक महीने के लिए ही मेरे पास रुकेगा... (प्रतिभा विश्व की हाथों को पकड़ कर) वादा कर.... गांव जाने के बाद भी... तु आता जाता रहेगा...
विश्व - माँ... इस बारे में हमने कई बार बातेँ की है... हमेशा मैंने तुमसे वादा किया है... क्या मेरे वादे पर विश्वास नहीं...
प्रतिभा - (थोड़ा उदास हो कर) ऐसी बात नहीं है... माँ हूँ... मन नहीं भरता... क्यूंकि किस्मत पर भरोसा जो नहीं है...
विश्व - तो ठीक है माँ... मैं फिर से अपना वादा दोहराता हूँ... मैं छूटने के बाद पुरे एक महीने के लिए तुम्हारे पास रूकुंगा... फिर अपनी जीवन की सबसे बड़ी मकसद को पुरा करने जाऊँगा... इस बीच हर हफ्ते दस दिन में आता रहूँगा... तुमसे मिलने... और जब मकसद हासिल हो जाएगी... मैं हमेशा के लिए तुम्हारे पास लौट आऊंगा... यह वादा करता हूँ... (प्रतिभा मुस्करा देती है) पर तुम भी एक वादा करो...
प्रतिभा - कुछ भी मांग ले... (विश्व कहने को होता है) रुक पूरी बात तो सुन ले...(विश्व चुप हो जाता है) मैं बहु ढूंढना नहीं छोड़ने वाली... हाँ...
विश्व - लो... (प्रतिभा की हाथ को छोड़ते हुए) पहले से ही मेरे जुबान पर ताला मार दिया तुमने... अब क्या ख़ाक वादा मांगूंगा...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... अपनी माँ से चालाकी... आँ..
विश्व - अच्छा माँ...(हाथ जोड़ कर) गलती हो गई... अब खाना खाने चलें या ऐसे ही...
प्रतिभा - हाँ हाँ चलो... इसी फ्लोर पर एक रेस्तरां है... बढ़िया खाना मिलता है वहाँ... चल पेट भर कर खाना खाते हैं... फिर घर चलते हैं...
विश्व - (उठते हुए)हाँ तो चलो फिर...

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मॉल पहुँचने के लिए देरी होता देख विक्रम वीर को फोन लगाता है l वीर तब तक घर पहुँच चुका था और अपने बेड पर लेटा हुआ था I वीर आधी नींद में फोन उठाता है

विक्रम - हैलो राजकुमार...
वीर - जी कहिए युवराज...
विक्रम - क्या... आप सोये हुए लग रहे हैं... आप हैं कहाँ पर...
वीर - (नींद भरे आवाज में) अपने कमरे में...
विक्रम - क्या... आप घर पर कब आए...
वीर - कुछ ही देर हुए हैं... बस जरा सा आँख लग गई थी कि (उबासी लेते हुए) आपका फोन आगया....
विक्रम - ओ अच्छा...
वीर - क्या है युवराज जी...
विक्रम - कुछ नहीं... आप आराम कीजिए... बाद में बात करते हैं...
वीर - ठीक है....

विक्रम फोन काट देता है l और महांती को देखने लगता है तो महांती कहता है

महांती - युवराज आप मुझसे पूछ लेते... मुझे नहीं पता था कि आपने राजकुमार जी को फोन लगाया था... मेरे पास इंफॉर्मेशन थी... जब युवराणी और राजकुमारी मॉल के अंदर गईं थीं.... उसके थोड़ी देर बाद राजकुमार वहाँ से लड़की को साथ लेकर वापस चले गए...
विक्रम - सॉरी महांती... यु नो.. युवराणी मिन्स व्हाट टु मि... इसलिए हमसे ऐसी बेवकूफ़ी भरी हरकतें हो रहे हैं...
महांती - कोई बात नहीं सर... उन्हें कुछ नहीं होगा....
विक्रम - थैंक्यू... महांती.. थैंक्यू...

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मॉल के फुड कोर्ट में एक रेस्तरां है जिसका नाम है डालमा रेस्तरां l उस रेस्तरां के एक कॉर्नर टेबल पर शुभ्रा और रुप स्टार्टर के साथ साथ सुप पी रहे हैं l

रूप - हम अगर अपनी गाड़ी से चले गए होते... तो शायद अब तक घर पर पहुँच गए होते... उससे क्या कोई प्रॉब्लम हो जाता...
शुभ्रा - पता नहीं... रुप तुम अच्छी तरह से जानती हो... भले ही तुम कॉलेज जा रही हो... पर सच्चाई भी यही है कि... तुम हो या मैं.... हम हमेशा तुम्हारे बड़े भैया के निगरानी में हैं... अगर वह खुद आ रहे हैं... मतलब कुछ तो सीरियस बात होगी...
रुप - हाँ भाभी आप ठीक कह रही हो.... यह राजगड़ तो नहीं है...
शुभ्रा - हाँ... और कभी हो भी नहीं सकता... यहाँ पर सब अपने अपने इगो को भाव देते रहते हैं और बढ़ाते रहते हैं... अगर दुश्मनी हो.... तो घात लगाने के लिए ताक में रहते हैं... लगता है इन सात सालों की सफर में... किसीके इगो को जबरदस्त ठेस पहुँची है... जिसके वजह से वह... क्षेत्रपाल के अहंकार पर शायद प्रतिघात करने के लिए घात लगा रहा है...
रुप - (एक फीकी मुस्कान के साथ) राजगड़ में... अपनों के वजह से... बाहर नहीं निकल पा रही थी.... और यहाँ किसी और के वजह से कहीं बाहर निकालना बंद ना हो जाए...
शुभ्रा - हूँ... मुझे तुम्हारे लिए बुरा तो लगेगा... अगर तुम्हारा कॉलेज आना जाना बंद हो गया तो...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ कर) और कितनी देर भाभी...
शुभ्रा - पता नहीं... तुम्हारे भैया जब तक यहाँ ना पहुँचे तब तक तो नहीं....
रुप - उई माँ.. (कहकर मेन्यू कार्ड अपने चेहरे के सामने कर लेती है)
शुभ्रा - क्या... क्या हुआ रुप...
रुप - पता नहीं भाभी... आज मेरी कुंडली में यह माँ बेटे क्यूँ... राहु केतु की तरह जब देखो टपक रहे हैं...

शुभ्रा घुम कर पीछे देखती है प्रतिभा और विश्व अंदर आकर एक वेटर से बात कर रहे हैं l वह वेटर उन्ही के तरफ एक खाली टेबल की ओर इशारा करता है l यह देख

रुप - भाभी आप एक काम करो प्लीज...
शुभ्रा - क्या...
रुप - आप मेरी जगह आ जाओ... मैं आपकी जगह पर बैठ जाती हूँ...(कह कर उठ जाती है और शुभ्रा के पास पहुँच जाती है, शुभ्रा भी हँसते हुए जगह बदल देती है)
शुभ्रा - (हँसते हुए) बाप रे... इतना डर...(रुप इतने में अपनी जुड़ा खोल देती है) अरे... यह अपने बाल क्यूँ खुला छोड़ रही हो...
रुप - यह आज कल की स्टाइल है भाभी...
शुभ्रा - हाँ... हाँ... हाँ... यह क्यूँ नहीं कहती अपनी चेहरा छुपा रही हो...
रुप - आप जानती हो ना... फ़िर क्यूँ पुछ रही हो...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए, धीरे से) वैसे रुप... तुम मानो या ना मानो.... लड़का... है तुम्हारे टक्कर का...
रुप - (अपनी आँख दिखाते हुए) भाभी...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए) क्यूँ क्या गलत कह दिया...
रुप - (अपनी दांत चबाते हुए धीरे से) आप सब कुछ देख कर भी... समझ नहीं पा रही हैं...
शुभ्रा - क्या... क्या समझ नहीं पा रही हूँ...
रुप - वह प्रताप अभी भी... ममास् बॉय है... उसकी माँ उसे इन माहौल में ढालने की कोशिश कर रही हैं... पर उसमें... ना झिझक कम हो रहा है ना शर्म टुट रहा है...
शुभ्रा - हूँ.. म्म्म.. अच्छा जज किया है तुमने... पर फिर भी... तुमको उसे नजर भर देखना चाहिए... क्या गजब का सेक्स अपील है यार... उसकी पर्सनालिटी में...
रुप - (हैरानी से अपनी आँखे बड़ी करते हुए) हाँ..आँ... भाभी आप.. यह कैसी बात कर रही हैं...
शुभ्रा - ओह कॉम ऑन.. मैं तुम्हारे लिए कह रही हूँ...
रुप - भाभी... पहली बात... यु नो वेरी वेल... आई एम फिक्स्ड... कुछ इधर की उधर हुई तो...(मायूसी भरी आवाज़ में) आप अच्छे से जानते हो क्या हो सकता है... क्षेत्रपाल के अहं के नीचे रौंद दिए जाएंगे... यह और उसकी फॅमिली... वैसे भी क्षेत्रपाल के आँखों में आँख डालने वाला... अगर इस स्टेट में नहीं... तो शायद ... इस दुनिया में कहीं हो... पर कम से कम यह तो नहीं... (हँसने की कोशिश करते हुए) बात बात पर झिझकने वाला... शर्माने वाला... (अपना सिर को ना में हिलाते हुए) कतई नहीं...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म... (अपना सिर हिलाते हुए) हूँ..
रुप - क्या हम्म.. क्या हूँ..
शुभ्रा - (एक दिलासा देने वाली हँसी के साथ रुप के हाथों पर हाथ रखते हुए) तुम्हारे अंदर एक उम्मीद मैंने देख ली है... तुमको किसीका इंतजार तो है... जो तुम्हें इस क्षेत्रपाल नाम की की पिंजरे से ले उड़े...

रुप अपना सिर झुका लेती है और चुप भी हो जाती है l उधर प्रतिभा और विश्व के टेबल पर ऑर्डर किया हुआ खाना पहुँच जाता है l

विश्व - एक बात कहूँ माँ..
प्रतिभा - हाँ बोल...
विश्व - हमे आज बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए था...
प्रतिभा - क्यूँ....
विश्व - माँ... कल शाम तक ही आपके पास रूक रहा हूँ... इसलिए आपको मुझे अपनी हाथों से खाना बना कर खिलाना चाहिए था...
प्रतिभा - हाँ मानती हूँ... मेरी इच्छा भी यही थी... पर सुबह तेरी अवतार देख कर... तुझे सलून ले जाना बहुत जरूरी था... ऊपर से मैं तेरे लिए खरीदारी भी तो करना चाहती थी... इसलिए हमें यहाँ पर लंच करना पड़ रहा है...
विश्व - तो लंच के बाद सीधे घर को ही जायेंगे ना...
प्रतिभा - बिल्कुल...
विश्व - ठीक है फिर...

उनकी बातेँ हल्की हल्की मगर साफ सुनाई देती थी l उनकी बातेँ सुनने के बाद

शुभ्रा - ओ... तो यह जनाब प्रताप... कहीं बाहर रहता है... शायद किसी काम से भुवनेश्वर आया है... अब अपनी माँ से मिल लिया है... और कल शाम को वापस चला जाएगा....
रुप - यह आपने... कैसे समझ लिया...
शुभ्रा - कॉफी स्टॉल पर उससे जितनी बातेँ हुई थी... और अब इनकी बातेँ सुनने के बाद मुझे सब समझ में आ गया...
रुप - ओ...
शुभ्रा - चूंकि यह लड़का बाहर रहता है... इसलिए इसकी माँ जल्द से जल्द शादी करा देना चाहती है...
रुप - हम्म... शायद आप सही हो...

उधर विश्व खाना खा रहा है और उसे प्रतिभा मुस्कराते हुए खाना खाते हुए देख रही है l विश्व जब देखता है कि प्रतिभा उसे एक टक देखे जा रही है l

विश्व - अरे माँ... तुम खाना क्यूँ नहीं खा रही हो...
प्रतिभा - तुझे खाना खाते देख... मेरा पेट और मन दोनों भरे जा रहे हैं...

विश्व अपना थाली लेकर प्रतिभा के पास जाकर बैठ जाता है और खाने के कोर बना कर प्रतिभा को खिलाता है l यह दृश्य शुभ्रा देखती है और वह इशारे से रुप को उस तरफ देखने को कहती है l रुप अपना चेहरा को कंधे से नीचे ले कर पीछे मुड़कर देखती है फिर आगे देखने लगती है l

शुभ्रा - कुछ भी हो रुप... माँ बेटे में प्यार मगर बहुत है...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - हम शायद झेल ना पाएँ... उन माँ बेटे को... क्यूंकि उनके बीच कोई पागलपन नहीं है... प्यार ममता और वात्सल्य है... जो हमे पागलपन लगा...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - तुम चुप क्यूँ हो गई...
रुप - (आँखों में पानी आ जाती है) माँ जैसी चाची तो थी मेरे पास... उन्होंने प्यार और ममता लुटाने में भी... कोई कंजूसी नहीं की... पर माँ... माँ नहीं थी मेरे पास... शायद इसलिए उस औरत के प्यार को... अपने बेटे के लिए, पागलपन समझ बैठी...
शुभ्रा - हूँ... खैर जो भी कहो... यह माँ बेटे हैं यूनीक....

रुप मुस्कराकर अपनी सिर को हिला कर और पलकें झपका कर अपनों हामी जाहिर करती है l उधर विश्व के हाथों से प्रतिभा को खाना खाते हुए रेस्तरां में मौजूद सभी लोग उत्सुकता से देख रहे थे l थोड़ी देर बाद उनका खाना खतम हो जाता है, दोनों लेमन बाउल में हाथ धो लेने के बाद, प्रतिभा बिल पेमेंट कर देती है और दोनों रेस्तरां से बाहर निकलने को होते हैं कि उन्हें एक बुढ़े उम्र दराज़ जोड़ा सामने से आकर रोक देते हैं l उन जोड़े में से बुढ़ी औरत विश्व के सामने आकर विश्व के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरती है l विश्व और प्रतिभा स्तब्ध हो कर उन दोनों को देखने लगते हैं l उस बुढ़ी औरत की पति विश्व और प्रतिभा से कहता है
- हमारे तीन औलादें हैं... पर हमारे पास कोई नहीं हैं... वह लोग बहुत खुश हैं... बिजी हैं... इतने बिजी हैं... के हमारे लिए.. उनके पास वक़्त ही नहीं है... इसलिए हम एक दुसरे के साथ सुख दुख के लम्हें निकाल कर आपस में बांट लेते हैं... (प्रतिभा से) आप वाकई बहुत भाग्यवान हैं... (प्रतिभा मुस्कराते हुए अपना सिर गर्व से हिला कर हाँ कहती है)

विश्व यह सुन कर उस बुढ़ी औरत को गले से लगा लेता है l यह दृश्य रेस्तरां में बैठे सभी देख रहे थे l रुप से रहा नहीं जाता एक्साइटमेंट में ताली बजाने लगती है l उसे ताली बजाते देख वहाँ पर सभी लोग भी ताली बजाने लगते हैं l सबको ताली बजाते देख विश्व शर्मा कर उस औरत से अलग हो जाता है और प्रतिभा के हाथ पकड़ कर रेस्तरां से बाहर निकल जाता है l शुभ्रा रुप के हाथ को पकड़ कर ताली बजाने से रोक देती है l

शुभ्रा - वाह.... आख़िर लड़का इम्प्रेस कर ही दिया तुम्हें...
रुप - हाँ... पर मैं इम्प्रेस हुई हूँ उसकी नेक काम के वजह से ... ना कि उससे... इस काम के लिए... उसे एप्रीसिएशन तो मिलनी ही चाहिए...
शुभ्रा - वाह क्या बात है... आज लड़का तुमसे इम्प्रेस था... तुम्हें एप्रीसिएशन देना चाहता था... और अब... तुम उसे एप्रीसिएशन देना चाहती हो.... क्या बात है... वाह... दोनों के एप्रीसिएशन एक दुसरे के लिए बाकी रह गई... बचा के रखना हाँ... बाद में काम आएगा... हा हा...
रुप - भाभी... क्या हम इस टॉपिक से बाहर नहीं निकल सकते...
शुभ्रा - हाँ हाँ क्यूँ नहीं...

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विक्रम की गाड़ी मॉल से कुछ ही दुर पर पहुँचती है l तभी महांती की फोन बजने लगती है l

महांती - हैलो...
- XXXX
महांती - व्हाट...
- XXXX
महांती - ओके...
- XXXX
महांती - युवराज जी...
विक्रम - क्या बात है महांती...
महांती - छोटे राजा...
विक्रम - (गाड़ी रोक कर) क्या हुआ... क्या हुआ उन्हें...
महांती - जी... जी वह... घ... घायल हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी...
विक्रम - कैसे... कहाँ पर हमला हुआ...
महांती - म्युनिसिपलटी ऑफिस में...
विक्रम - (चुप रहता है, बड़ी बेबसी से महांती को देखता है)
महांती - यह.... एक डाइवर्जन था... मतलब हम उनके चाल में फंस गए...
विक्रम - अभी... छोटे राजा जी की कैसी हालत है...
महांती - सीरियस नहीं है... पर... हस्पताल में एडमिट हैं...
विक्रम - कैसे... कैसे हुआ यह सब...
महांती - युवराज जी... अब उनसे बात करने के बाद ही सब मालुम हो पाएगा... सिर्फ़ छोटा सा घाव लगा है...

विक्रम की मुट्ठी स्टीयरिंग पर भींच जाती है l वह अपना सिर स्टियरिंग पर पीट देता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए महांती से

विक्रम - महांती एक काम करो.... तुम छोटे राजा जी के पास जाओ... जब यहाँ तक आ गए हैं तो हम युवराणी और राजकुमारी जी को घर पर पहुँचा कर... उनसे मिलने जाएंगे...
महांती - ठीक है युवराज जी... मैं यहाँ अपनी कंपनी के सर्विस गाड़ी लेकर चला जाता हूँ... आप युवराणी और राजकुमारी जी को छोड़ कर पहुँचे...

महांती गाड़ी से उतर जाता है और फोन कर ESS सर्विस गाड़ी से अलग दिशा में चला जाता है l विक्रम शुभ्रा को फोन लगाता है l

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पार्किंग में पहुँचते ही प्रतिभा अपने सिर पर हाथ रखकर खड़ी हो जाती है और कहती है

प्रतिभा - है भगवान...
विश्व - क्या हुआ माँ... कुछ भुल गई क्या...
प्रतिभा - हाँ... (अपनी पर्स से दो रसीद निकाल कर विश्व को देती है) यह ले... यह कपड़ों की रसीद है और यह जुते की... जाकर ले आ...
विश्व - क्या माँ... वह पुराने कपड़े हैं... और जुता भी पुराना है... रहने दो ना...
प्रतिभा - सुन... दुकान पर पुराने चीजें छोड़ नहीं सकते.... हमारे जो काम ना आए... उसे हम किसी और को दे सकते हैं... जिनके वह काम आएगा... इसलिए जा ले कर आ...
विश्व - ठीक है माँ... तुम गाड़ी के पास जाओ... मुझे पाँच सात मिनट लगेंगे...
प्रतिभा - ठीक है...

विश्व लिफ्ट की ओर तेजी से भागता है और प्रतिभा अपनी गाड़ी के पास जाती है l उधर रुप और शुभ्रा रेस्तरां में अभी भी बैठे हुए बातेँ कर रहे हैं, तभी शुभ्रा को विक्रम का फोन आता है

शुभ्रा - हैलो
विक्रम - आप लोग पार्किंग में पहुँचे... हम भी पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... अभी हम निकलते हैं...
विक्रम - कितने नंबर की पार्किंग एरिया में हमे पहुँचना है...
शुभ्रा - जी ट्वेल्व नंबर पार्किंग में...
विक्रम - ठीक है... हम पाँच मिनट में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... (फोन काट देती है) चलो रुप... तुम्हारे भैया हमे लेने आए हैं...
रुप - ठीक है भाभी... चलिए.... पेमेंट क्लीयर कर निकलते हैं...

दोनों काउंटर पर जाते हैं, और पेमेंट करने लगते हैं l उधर विश्व रसीद लेकर पहले बुटीक पर पहुँचता है l जैसे ही वह काउंटर पर रसीद देता है काउंटर पर बैठा मैनेजर विश्व को छह पैकेट थमा देता है l

विश्व - अरे... यह क्या... आप मुझे इतने सारे पैकेट क्यूँ दे रहे हैं....

मैनेजर - जी... इनमें वह पांच जोड़ी कपड़े हैं... जिन्हें आपने ट्रायल किया था... और एक... जो आप पहन कर आए थे...... वह भी इन पैकेट्स में है... आपकी माता जी ने सबकी पेमेंट कर दी है...
विश्व - (यह सुन कर हैरान हो जाता है और फिर मुस्करा देता है)
मैनेजर - क्या हुआ सर...
विश्व - कुछ नहीं भाई... मेरी माँ ने भूलने का अच्छा बहाना बनाया... कितनी प्यार करती हैं मुझसे... एक जोड़ी बता कर पाँच जोड़ी खरीद लिया... और मुझे पता ना चले इसलिए चुपचाप पेमेंट भी कर दिया... अब मुझे यहाँ भेज कर... मुझे ख़ुश कर रही हैं... मुझे खुशी देते वह थकती नहीं हैं... क्यूंकि वह मेरी खुशी में ही... अपनी खुशी देखती हैं...
मैनेजर - सर एक बात कहूँ... आप बहुत लकी हो सर...
विश्व - हाँ... सो तो हूँ... कोई शक़...

फिर विश्व वहाँ से निकल कर शू स्टोर में पहुँचता है l वहाँ पर भी रसीद दिखाने पर उसे और छह जोड़ी जुतों की पैकेट मिलता है l विश्व इस बार दुकान दार से कुछ नहीं कहता l कपड़े और जुतों का पैकेट ले कर लिफ्ट के तरफ भाग कर जाता है l वहाँ पहुँच कर लिफ्ट का बटन दबाता है l लिफ्ट आकर रुकता है और दरवाजा खुल जाता है l लिफ्ट के अंदर दो लड़कियाँ थी l विश्व उन्हें देख कर अंदर जाने के वजाए रुक जाता है और इधर उधर देखने लगता है l ना वह कहीं जा पाता है ना ही अंदर l वहीँ खड़े खड़े हिचकिचाता रहता है, झिझकने लगता है l लिफ्ट के अंदर वह लड़कियाँ कोई और नहीं बल्कि रुप और शुभ्रा हैं l विश्व को हिचकिचाते देख

शुभ्रा - आइए प्रताप भैया... हम भी नीचे पार्किंग में जा रहे हैं... आप चाहें तो आ सकते हैं... (विश्व अंदर आ जाता है, और दोनों की तरफ पीठ करके खड़ा हो जाता है)
विश्व - (बिना उन्हें देखे) बुरा ना मानिये बहन जी... आपको मेरा नाम कैसे मालुम है...
शुभ्रा - अरे भैया... आपकी इंट्रोडक्शन तो आपकी माताजी ने... आइसक्रीम पार्लर में दे दी थी... और आप इतनी जल्दी भुल गए... घंटे भर पहले आप मुझसे कॉफी स्टॉल पर बात भी की थी...
विश्व - जी...(हैरान हो कर) जी... (फिर याद करते हुए) जी जी...
शुभ्रा - वैसे प्रताप भैया... आप ल़डकियों से शर्माते हैं या डरते हैं..
विश्व - जी... (बिना पीछे मुड़े) म... मालुम नहीं...

रुप - हम लड़की हैं... पर हमे नाजुक समझने की भुल ना कीजिएगा... हम बहुत खतरनाक भी हैं.... (यह सुन कर शुभ्रा रुप को कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी मैं एक लड़का हूँ... जो भी हूँ... जैसा भी हूँ... पर खतरनाक बिल्कुल नहीं हूँ....

विश्व की यह बात सुनने के बाद रुप शर्मा जाती है और शर्म से उसके गालों पर लाली छा जाती है l

शुभ्रा - हमारी गाड़ी ट्वेलव नंबर पार्किंग पर खड़ी है... और आपकी... (अब रुप उसे कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी हमारी गाड़ी नाइन नंबर पार्किग एरिया में है..

पार्किंग फ्लोर पर लिफ्ट पहुँचती है, दरवाजा खुलते ही विश्व जल्दी से निकल भागता है l शुभ्रा और रुप विश्व को भागते देख हँसने लगते हैं और अपनी गाड़ी की ओर जाने लगते हैं l वहीँ नौ नंबर पार्किंग में अपनी गाड़ी के पास प्रतिभा टहल रही है l उसी वक़्त विक्रम की ऐसकॉट और उसके पीछ गार्ड्स की दो गाड़ीयाँ तेजी से पार्किंग में घुसती है और तेजी से बारह नंबर पार्किंग की बढ़ती है l प्रतिभा के पास से पहले गार्ड वाली गाड़ी तेजी से गुजरता है फ़िर ऐसकॉट तेजी से गुजर जाता है जिससे प्रतिभा की साड़ी की आंचल थोड़ी उड़ने लगती है तभी पीछे से आ रही गार्ड्स की दुसरी गाड़ी के बम्पर गार्ड में प्रतिभा की साड़ी की आँचल फंस जाती है जिसके वजह से प्रतिभा गाड़ी के पीछे घिसटने लगती है l प्रतिभा चिल्लाने लगती है l
विश्व जैसे ही देखता है प्रतिभा की साड़ी एक गाड़ी में फंस गई है और गाड़ी प्रतिभा को घिसटते हुए लिए जा रही है l

विश्व - (हाथ से पैकेट फेंक कर चिल्लाता है) माँ..... (गाड़ी के पीछे भागता है)

वह गाड़ी थोड़ी ही दुर जा कर रुक जाती है l विश्व प्रतिभा के पास पहुँच कर देखता है सिर पर चोट लगने के कारण थोड़ा खून बह रहा है, दोनों कोहनी छील गए हैं और साड़ी घिसककर खराब हो गई है l
विश्व - (आँखों में आँसु आ जाते हैं) माँ...आँ..
प्रतिभा - (कराहते हुए) ओह... ओ... माँ...


प्रतिभा की दर्द के मारे बहुत बुरा हाल था, वह दर्द से कराह रही थी l गार्ड्स अपने गाड़ी से उतर कर विश्व और प्रतिभा को देखते हैं और ड्राइविंग साइड पर बैठा गार्ड प्रतिभा की साड़ी को गाड़ी की बम्पर से निकाल कर प्रतिभा के ओर फेंकते हुए

गार्ड - साली बुढ़िया... मरने के लिए तुझे कोई और गाड़ी नहीं मिली...

विश्व उस ड्राइवर और उन गार्ड्स को देखता है, फिर अपनी जेब से रुमाल निकाल कर प्रतिभा के माथे पर बांध देता है l और प्रतिभा को अपनी बाहों में उठा कर गाड़ी के पास घुटने के ऊँचाई बराबर एक वॉल पर पिलर के सहारे बिठा देता है l

विश्व - माँ... तुम यहीँ पर बैठी रहो... मैं अभी थोड़ी देर में आया..
प्रतिभा - रुक प्रताप...(दर्द से कराहते हुए) तु जा कहाँ रहा है...
विश्व - तुम्हारे लिए...(दाँतों को चबाते हुए) फर्स्ट ऐड लेकर आ रहा हूँ....
प्रतिभा - रुक ना...

पर विश्व प्रतिभा को वहीँ पर छोड़ कर उन गार्ड्स के तरफ चला जाता है l
उधर ऐसकॉट में शुभ्रा और रुप बैठ चुके हैं l विक्रम गार्ड्स को तैयार होने के लिए कहता है और खुद ड्राइविंग सीट की ओर जाता है l तीन गाडियों में पहली गार्ड वाली कार चलने लगती है l विश्व गाड़ियों को स्टार्ट होते देख इधर उधर देखने लगता है l उसे फायर अलार्म के पर एक लोहे का हामर दिखता है l विश्व भाग कर वह हामर निकाल लेता है l जैसे ही गालियों की काफिला चलने लगती है विश्व उस रास्ते पर सामने आकर हामर को फेंक मारता है l हामर ड्राइवर के सामने की काँच पर लगती है और काँच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l तो ड्राइवर गाड़ी की स्टीयरिंग मोड़ देता है और गाड़ी एक पिलर से टकरा जाती है l उसके पीछे आने वाली विक्रम की गाड़ी और दुसरी गार्ड्स वाली गाड़ी रुक जाती हैं l एक्सीडेंट वाली गाड़ी से सभी चार गार्ड्स उतर जाते हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर उस गार्ड को जिसने प्रतिभा की साड़ी को निकाल कर फेंका था उसे अपने तरफ खिंचता है और उसपर झन्नाटेदार थप्पड़ों की बारिश कर देता है, उस गार्ड को बचने का फुर्सत भी नहीं मिलता थप्पड़ खा खा कर वह गार्ड नीचे गिर जाता है, दुसरे गार्ड्स विश्व को हैरान हो कर मुहँ फाड़े देखे जा रहे थे l उनमें से एक विश्व के पास आकर विश्व की कलर पकड़ने की कोशिश करता है l विश्व भी उसे कोई मौका दिए वगैर थप्पड़ पर थप्पड़ मारे जाता है l वह भी नीचे गिर जाता है l बाकी दो गार्ड्स में से एक
गार्ड - अरे पागल हो गया क्या... क्यूँ मारे जा रहे हो...


विश्व उसे देखता है, फ़िर उसे पकड़ कर थप्पड़ मारने लगता है l यह सब ऐसकॉट में बैठा ना सिर्फ़ विक्रम बल्कि शुभ्रा और रुप भी देख रहे थे l विश्व जिस तरह से विक्रम के गार्ड्स को थप्पड़ों से ट्रीट कर रहा था उसे देख रुप की हँसी निकल जाती है जिसे विक्रम सुन लेता है l विक्रम गुस्से से पीछे मुड़ कर देखता है तो रुप अपनी भाभी के पीछे दुबक जाती है l इतने में पीछे वाली गाड़ी से बाकी चार गार्ड्स आ पहुँचते हैं I विक्रम अपनी गाड़ी की खिड़की की काँच उतारते हुए l

विक्रम - क्या हो रहा है वहाँ... कौन है वह.. क्या प्रॉब्लम हुआ है...
एक गार्ड - सर... इसी लड़के की माँ की साड़ी.. फंस गई थी हमारी गाड़ी में...
विक्रम - व्हाट... इस बात के लिए वह हमारे लोगों को मारेगा... तुम लोग ESS के ट्रैंन्ड कमांडोज हो... जाओ अपने स्टाइल से इसे सॉल्व करो...
गार्ड्स - यस सर....

फिर एक गार्ड जो विक्रम के पास खड़ा था वह अचानक विश्व के तरफ भाग कर एक फ्लाइंग किक मारता है l विश्व उसके लिए तैयार नहीं था l किक लगते ही विश्व कुछ दूर जा कर गिरता है l

वह गार्ड - ऐ... उठो रे सब.. हम.. ESS के कमांडोज हैं.... कोई ऐरा गैरा नथु खैरा नहीं हैं... चलो इसको सबक सीखते हैं...
यह सुन कर सभी गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l विश्व भी उसकी बातेँ सुन कर खड़ा होता है l वह गार्ड जिसने विश्व को फ्लाइंग किक मारा था वह फ़िर से विश्व की ओर भागता है विश्व भी उसके तरफ भागता है l गार्ड जम्प लगा कर फ्लाइंग बैक किक मारता है जवाब में विश्व भी उसी समय फ्लाइंग राउन्ड हाउस किक मारता है l गार्ड की किक लगने से पहले विश्व की किक लगती है और वह गार्ड हवा में ही किक के इम्पैक्ट से साइड में खड़े एक कार पर गिरता है जिससे उस कार की सिक्युरिटी अलार्म बजने लगता है l उस गार्ड के गिरते ही बाकी गार्ड्स विश्व को हैरानी भरे नजरों से देखने लगते हैं l विक्रम भी अपनी गाड़ी से उतर जाता है l

बाकी बचे सातों गार्ड एक दुसरे को इशारा करते हुए विश्व को घेरते हैं और पोजिशन लेते हैं l

विश्व - (उन गार्ड्स से चिल्ला कर) तुमने जिसे बुढ़िया कहा और अपनी गाड़ी के पीछे घसीटा है... वह मेरी माँ है... बेहतर यही होगा... तुम सब उनके पैरों पर गिर माफी मांग लो... चलो...
उन गार्ड्स में से एक - नहीं तो....
विश्व - नहीं तो... तुम लोग अपने गाड़ी से नहीं... एम्बुलेंस से बाहर निकलोगे...

सभी गार्ड्स जो विश्व को घेरे हुए थे उनमे से एक विश्व को पीछे से किक उठा कर हमला करता है l विश्व आसानी से डॉज करते हुए बच जाता है और घुटने पर बैठ कर फ़ॉन्ट हाउस किक मारता है जिसे वह गार्ड पीठ के बल गिरता है l उसके बाद दुसरा सामने वाला पुश किक मारता है विश्व लोअर डाउन वार्ड डॉज करता है फिर एक जाब पंच उसके पसलियों पर मारता है l तीसरा गार्ड साइड किक मारता है उससे बचते हुए एक फ़ॉन्ट हूकींग किक गार्ड के ठुड्डी पर मारता है l चौथा गार्ड विश्व के चेहरे पर पंच मारने वाला होता है विश्व घुम कर एक क्रॉस एलबॉ मारता है जो उसके चेहरे पर लगता है l फिर विश्व झुक कर घुटनों के बल स्किड करते हुए पाँचवे गार्ड के पास खड़े हो कर एक अपर कट पंच मार देता है l छटा गार्ड विश्व पर छलांग लगाता है विश्व थोड़ा झुक कर उसे हवा में ही उठाकर फेंक देता है और सातवें को घूम कर दोनों हाथों का डबल हामर पंच मारता है l सब के सब नीचे गिरे पड़े हैं l

विक्रम हैरान हो कर विश्व को देखता है l यही हालत रुप और शुभ्रा की भी है l क्यूँ के जो भी हुआ सब कुछ सेकेंड में हो गया था l ESS के हाईली ट्रेंड आठ कमांडोज कुछ ही सेकंड में धुल चाट रहे थे l विश्व एक गार्ड को उठाता है और उसके कलर पकड़ कर घसीटते हुए लेकर जाने लगता है l

विक्रम - ऑए... (चिल्ला कर) ऑए लड़के... यह क्या हो रहा... वह हमारा आदमी है... छोड़ो उसे...
विश्व - (उस गार्ड को पकड़े हुए रुक जाता है) यह मेरी माँ का गुनहगार है... जब तक माफी नहीं मांग लेता... तब तक यह कहीं नहीं जा सकता है...
विक्रम - ऑए...(गुर्राते हुए) जानता है किससे बात कर रहा है... किसके आदमियों से पंगा ले रहा है... छोड़ दे उसे...
विश्व - (उस गार्ड को उठाकर दो और थप्पड़ मार देता है) अगर यह तेरे दम पर मेरी माँ से बत्तमीजी की है... तो माफी माँगना अब तेरा बनता है.... या तो यह माफी मांगेगा या फिर तु... फैसला कर लो...
विक्रम - क्या... माफी.. वह भी हम... हम कुछ मांगते नहीं है... या तो देते हैं... या फिर छिनते हैं... लगता है तेरी मौत तुझसे बुलवा रहा है...

विश्व - फैसला कर ले... या तो यह... या फिर तु...

तभी कुछ गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l उनमे से एक


गार्ड - सर हम इसे देख लेंगे... आप... आप गाड़ी में बैठिए...
विक्रम - (उन गार्ड्स से) उठो... संभलो... इसे पकड़ कर इतना मारो... के फिर कभी किसीसे जुबान लड़ाने पहले... सौ बार सोचेगा...


विक्रम के इतने कहते ही सातों गार्ड्स अपनी पुरी ताकत लगा कर विश्व को पकड़ने भागते हैं l विश्व जिस गार्ड को पकड़ा हुआ था उसके कनपटी पर एक घुसा जड़ देता है l वह गार्ड वहीँ नीचे ढेर हो जाता है l इतने में विश्व को बाकी बचे सात गार्ड्स आकर फिरसे घेर लेते हैं l विश्व अब अपने सामने वाले को छकाकर पीछे खड़े गार्ड को एक बैक राउंड हाउस किक मारता है फिर सामने वाले को फ़ॉन्ट थ्रॉस्ट किक फिर तीसरे के पेट में पंच फिर घूम कर कोहनी गाल के ऊपर आँख के नीचे l चौथा जिस तेजी से विश्व की ओर आता है विश्व उसीकी तेजी को इस्तमाल करके उठा कर फेंक देता है फिर बाएं घुटने पर बैठ कर दाएं पैर की लोअर स्पिन टर्न किक मारता है जिससे पांचवां पीठ के बल गिर जाता है l विश्व उठकर छटे पर छलांग लगा कर घुटना मोड़ कर सीने पर मारता है l फिर पलट कर एक साइड किक पांचवे को, इतने में सातवां विश्व को घुसा मारता है विश्व पीठ को पीछे की ओर मोड़ कर बचता है फिर वह जैसे वह सातवां विश्व की ओर मुड़ता है विश्व एक जबरदस्त हामर पंच उसके नाक पर जड़ देता है जिससे उस सातवें गार्ड की नाक कचूमर बन जाता है और वह नीचे गिर कर छटपटाने लगता है l पुरा कर पुरा दृश्य एक्शन रीप्ले की तरह ही दिखा कुछ ही सेकंड में सभी ढेर, फिर विश्व पहले से अधमरे हो चुके सभी गार्ड्स को विक्रम के सामने किसी खिलौने की तरह उठा कर सबको बारी बारी से पटक देता है l इतने में विक्रम एक फ्लाइंग किक मारता है, किक विश्व के चेहरे पर लगती है और विश्व दूर छिटक कर गिरता है l विश्व उसके लिए तैयार बिल्कुल नहीं था विक्रम के देखते हुए विश्व खड़ा होता है l विक्रम विश्व के पास आकर रिवर्स फ़ॉन्ट राउन्ड हाउस किक मारता है l पर इस बार विश्व अपनी जगह से हिलता भी नहीं है l विक्रम तरह तरह से पंच किक आजमाने लगता है विश्व सबको आसानी से और फुर्ती से डॉज करने लगता है फिर एक मंकी ब्लॉक लेकर विक्रम के पेट में एक ताकत भरा पंच मार देता है l विक्रम कुछ दूर स्कीड हो कर गीर जाता है l थोड़ी देर बार वापस खड़े हो कर पोजीशन बनाने की कोशिश करता है कि तभी विश्व उसके तरफ दौड़ कर जम्प लगा देता है और दायां घुटने को मोड़ कर शॉट हिट करता है जो सीधा विक्रम के चेहरे पर लगती है और विक्रम उड़ते हुए अपनी ही ऐसकॉट पर गिरता है l गाड़ी के भीतर यह देख कर शुभ्रा और रुप डर जाते हैं l विश्व अब बेकाबु हो चुका था वह विक्रम को मारने के लिए दौड़ लगाने वाला ही था कि उसके कानों में प्रतिभा की आवाज पड़ती है

प्रतिभा - प्र.. ता....प...(विश्व रुक जाता है l और पीछे मुड़ कर देखता है) बस बेटा... बहुत हो गया... जाने दे...
विश्व - नहीं माँ...(अपनी दांतों को चबाते हुए) जब तक यह कंजर्फ तुमसे माफी नहीं मांगेगा... मैं इसे नहीं छोडूंगा...
प्रतिभा - तु... (कराहते हुए) तु मेरी बात... नहीं मानेगा...

विश्व कुछ नहीं कहता सिर झुका कर विक्रम और उन गार्ड्स सबको उन्हीं के हाल में छोड़ कर प्रतिभा की ओर जाने लगता है l विक्रम के लिए यह बर्दास्त के बाहर था वह गाड़ी के ऊपर से लुढ़क कर विश्व पर चिल्लाता है

विक्रम - ऑए... कमीने... हराम जादे... तुने किससे पंगा लिया है... नहीं जानता है तु...

विश्व उसे मुड़ कर देखता है l प्रतिभा विश्व को फ़िर से आवाज देती है (नहीं प्रताप नहीं...) l इसलिए विश्व वापस प्रतिभा की ओर जाने लगता है l

विक्रम - आज... तुने किसकी हुकूमत से टकराया है... जानता है तु.... नहीं जानता है ना...

विश्व पीछे मुड़ कर नहीं देखता और सीधे प्रतिभा के पास पहुँच जाता है l

विक्रम - तुने अपनी मौत को छेड़ा है... जानता है... मेरा बाप कौन है
विश्व - (मूड जाता है और कहता है) क्यूँ... तु नहीं जानता... तेरा बाप कौन है... तो जा... जाकर अपनी माँ से पुछ... वह बताएगी तेरा बाप कौन है... (कह कर मूड जाता है और प्रतिभा के साथ जाने लगता है)
विक्रम - (यह सुन कर शुन हो जाता है) (फिर होश में आता है) या.... आ... आ.. (चिल्लाता है) भैरव सिंह क्षेत्रपाल.... मेरे बाप का नाम... अब तु अपनी जिंदगी के दिन गिनना शुरू कर दे... हराम जादे...


विश्व यह नाम सुनते ही रुक जाता है, उसके आँखों में खुन उतर आता है, उसके सारे जिस्म थर्राने लगता है, प्रतिभा भी उसके चेहरे को देख कर डरने लगती है l विश्व जल्दी से पीछे मुड़ता है और विक्रम के पास पहुँच कर एक जोरदार फ्रंट थ्रस्ट किक विक्रम के सीने पर मारता है l इसबार विक्रम अपनी गाड़ी के कांच के उपर गिरता है l कांच पुरी तरह से टूटती तो नहीं पर कांच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l विश्व जम्प लगा कर गाड़ी की बोनेट पर चढ़ जाता है और विक्रम के कलर पकड़ कर जैसे ही पंच मारने को होता है शुभ्रा गाड़ी से उतर कर

शुभ्रा - भैया.... प्रताप भैया... (अपनी मंगलसूत्र को दिखाते हुए) प्लीज भैया... (गिड़गिड़ाते हुए) प्लीज...(रोने लगती है)
विश्व - (शुभ्रा को देख कर और उसकी बिनती के वजह से अपना हाथ रोक देता है, पर विक्रम से) सुन बे क्षेत्रपाल के चुजे... तेरा हर काम.. वह क्षेत्रपाल ही करेगा क्या... फ़िर तु क्या करेगा... या फिर तुझसे कुछ होता नहीं... इसलिए कुछ करने के लिए... तुझे क्षेत्रपाल टैग चाहिए... हाँ... (विक्रम के मुहँ से नाक से खुन बह रहा है, गहरी गहरी सांसे लेते हुए गुस्से से विश्व को देखते हुए) तुम लोगों ने मेरी माँ के साथ जो बत्तमीजी की... उसके लिए... कायदे से जान से मार देना चाहिए था... पर (शुभ्रा को दिखाते हुए) इन्हें अनजाने में सही बहन कहा है... इनके साथ उस रिश्ते का लिहाज करते हुए तुम लोगों को छोड़ रहा हूँ...
हा हा हा!! विश्व ने तो विक्रम की दुकान ही तोड़ दी 😂😂
 

Lib am

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👉साठवां अपडेट
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रूप हाथों में कॉफी लिए शुभ्रा को फोन पर बातेँ करते हुए सुन रही थी l उसे शुभ्रा के चेहरे पर चिंताएं दिखने लगती हैं l

शुभ्रा - य... यह आप क्या कह रहे हैं...
विक्रम - आप घबराइए नहीं... मॉल के बाहर वह लोग पोजिशन बना रहे हैं... मॉल के अंदर हमारी सिक्युरिटी सर्विस है.... इसलिए आप घबराए नहीं...
शुभ्रा - अच्छा ठीक है... तो अब हम क्या... क्या करें...
विक्रम - आप किसी रेस्तरां में जाकर कुछ देर के लिए बैठ जाइए... वहाँ पर टाइम स्पेंट कीजिए... हम आ रहे हैं...
शुभ्रा - आप... कब तक पहुँचेंगे....
विक्रम - हम निकल चुके हैं... ट्रैफिक बहुत है... फ़िर भी ज्यादा से ज्यादा एक घंटा लगेगा... आप फिक्र ना करें... हम पहुँचते ही आपको कॉन्टेक्ट करेंगे...
शुभ्रा - (अपना सिर हिलाते हुए) ठीक है...

फोन कट हो जाती है l शुभ्रा को चिंतित देख कर रुप पूछती है

रुप - क्या हुआ भाभी... आप फोन पर बात करते हुए परेशान दिखीं... कोई बड़ी बात...
शुभ्रा - चलो किसी रेस्तरां में बैठते हैं... वहीँ पर आराम से बात करते हैं...
रुप - ठीक है... चलते हैं...

फिर दोनों उसी फ्लोर पर एक रेस्तरां में चले जाते हैं l उधर विक्रम की गाड़ी ट्रैफिक में रेंग रही है l गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठे बैठे विक्रम चिढ़ने लगा था l बगल में बैठा महांती फोन पर बात कर रहा है l बात खतम कर विक्रम से

महांती - सर... मुझे लगता है आप ज्यादा स्ट्रेस ले रहे हैं... वहाँ पर सिर्फ़ तीन लोग एक पॉइंट पर असेंबल होते दिखे हैं... पर वह लोग कोई एक्शन करेंगे... मुझे नहीं लगता...
विक्रम - तो फ़िर एक ही जगह पर इकट्ठे हो कर क्यूँ बार बार स्कैटर्ड हो रहे हैं.... पोजीशन बदल रहे हैं... क्यूँ... और तुमने ही कहा था... वह लोग हम सबकी रेकी कर रहे हैं...
महांती - हाँ पर मुझे लगता है... वह लोग हमे स्टडी कर रहे हैं...
विक्रम - किस लिए...
महांती - सर कुछ लोग उनमें ऐसे हैं... जो मेरे पेरेंट् सिक्युरिटी सर्विस से जुड़े थे... इत्तेफ़ाक से वह लोग भी एक्स सर्विस मेन हैं... इसलिए मैं अपनी एक्सपेरियंस से कह रहा हूँ... कुछ और हो रहा है...
विक्रम - जो भी हो महांती... तुम जानते हो... युवराणी हमारे लिए क्या मायने रखती हैं... हम उन्हें कभी भी चारा बनने नहीं दे सकते... अगर वह खतरे में हैं... तो समझ लो हमारी दुनिया खतरे में है...

महांती कुछ नहीं कहता है l वह सिर्फ अपना सिर हिला कर खिड़की से बाहर देखने लगता है l विक्रम थोड़ी स्पेस मिलते ही गाड़ी को भगाने की कशिश कर रहा है पर ट्रैफ़िक के वजह से वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है l

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उधर कॉफी के दो ग्लास लेकर विश्व प्रतिभा के पास पहुँचता है l टेबल पर ग्लास रख कर

विश्व - यह लो माँ.. यह भी आज की स्पेशल कॉफी है...
प्रतिभा - (बेमन से कॉफी लेती है) हूँ...
विश्व - क्या हुआ... तुम्हारा मुहँ क्यूँ लटका हुआ है... किसी ने कुछ कहा क्या...
प्रतिभा - नहीं.... कुछ भी नहीं... यही तो ग़म है... किसीने कुछ कहा नहीं...
विश्व - फ़िर... कहीं... सेनापति सर की याद तो नहीं आ रही है...(भवें नचा कर चिढ़ाते हुए)
प्रतिभा - चुप कर... उनकी क्यूँ याद आयेगी मुझे... मैं किसी और बात को लेकर सोच में हूँ...
विश्व - अच्छा.. तो बताओ ना माँ... क्या बात है...
प्रतिभा - मैं ना...(खुश होते हुए) अभी अभी... कुछ देर पहले नंदिनी से मिली थी...
विश्व - (हैरान हो कर) क्या... तुम सच कह रही हो...
प्रतिभा - (अब हँसने लगती है) हा हा हा... ओ हो... नंदिनी का नाम लिया तो चेहरा कैसे खिल गया... देखो तो लौंडे को...
विश्व - (हकलाते हुए) न.. नहीं ए.. ऐसा कुछ नहीं है माँ... म.. मैंने पहले भी तुमसे कहा है... मैं उनसे प्रभावित हुआ हूँ... पर तुम उनका नाम लेकर आज दिन भर में ना जाने कितनी बार... मेरा पोपट बना रही हो.....
प्रतिभा - अरे मैं सच कह रही हूँ... नंदिनी से मिली थी अभी कुछ देर पहले... हाँ यह बात और है... वह रेडियो वाली नंदिनी नहीं थी...
विश्व - तो फिर...
प्रतिभा - मैं ना... उससे दोस्ती करने के लिए बातेँ बढ़ा रही थी... पर वह कब चली गई मुझे मालुम ही नहीं पड़ा...
विश्व - (हँसने लगता है)हा हा हा... मुझे मालुम है... तुम क्यूँ दोस्ती करना चाहती थी... और... मुझे शक़ है... उसे भी अंदाजा हो गया होगा... इसलिए वह भाग गई.. (हा हा हा हा)
प्रतिभा - (मुहँ बनाते हुए) उड़ाले उड़ाले.. मेरा मजाक उड़ाले...
विश्व - (प्रतिभा के हाथ को पकड़ लेता है) माँ... जितनी ख्वाहिशें भी ना थी इस जिंदगी से.... जिंदगी ने उससे ज्यादा दे दिया है... वैसे भी मेरे आचार्य जी कहा करते थे... वक़्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसीको कुछ भी हासिल नहीं होता...
प्रतिभा - यह मत भूल... तु होने वाला एडवोकेट है... कोर्ट में यह फिलासफी बातेँ अमान्य होतीं हैं...
विश्व - जानता हूँ माँ... पर यही बातेँ... जिंदगी में तो मायने रखते हैं ना...
प्रतिभा - क्या करूँ मैं... तु आता भी है तो जुगनू की चमक की तरह... ठहरता भी तो नहीं... और जब एक महीने के बाद सज़ा पुरी हो जाएगी... तब भी... सिर्फ़ एक महीने के लिए ही मेरे पास रुकेगा... (प्रतिभा विश्व की हाथों को पकड़ कर) वादा कर.... गांव जाने के बाद भी... तु आता जाता रहेगा...
विश्व - माँ... इस बारे में हमने कई बार बातेँ की है... हमेशा मैंने तुमसे वादा किया है... क्या मेरे वादे पर विश्वास नहीं...
प्रतिभा - (थोड़ा उदास हो कर) ऐसी बात नहीं है... माँ हूँ... मन नहीं भरता... क्यूंकि किस्मत पर भरोसा जो नहीं है...
विश्व - तो ठीक है माँ... मैं फिर से अपना वादा दोहराता हूँ... मैं छूटने के बाद पुरे एक महीने के लिए तुम्हारे पास रूकुंगा... फिर अपनी जीवन की सबसे बड़ी मकसद को पुरा करने जाऊँगा... इस बीच हर हफ्ते दस दिन में आता रहूँगा... तुमसे मिलने... और जब मकसद हासिल हो जाएगी... मैं हमेशा के लिए तुम्हारे पास लौट आऊंगा... यह वादा करता हूँ... (प्रतिभा मुस्करा देती है) पर तुम भी एक वादा करो...
प्रतिभा - कुछ भी मांग ले... (विश्व कहने को होता है) रुक पूरी बात तो सुन ले...(विश्व चुप हो जाता है) मैं बहु ढूंढना नहीं छोड़ने वाली... हाँ...
विश्व - लो... (प्रतिभा की हाथ को छोड़ते हुए) पहले से ही मेरे जुबान पर ताला मार दिया तुमने... अब क्या ख़ाक वादा मांगूंगा...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... अपनी माँ से चालाकी... आँ..
विश्व - अच्छा माँ...(हाथ जोड़ कर) गलती हो गई... अब खाना खाने चलें या ऐसे ही...
प्रतिभा - हाँ हाँ चलो... इसी फ्लोर पर एक रेस्तरां है... बढ़िया खाना मिलता है वहाँ... चल पेट भर कर खाना खाते हैं... फिर घर चलते हैं...
विश्व - (उठते हुए)हाँ तो चलो फिर...

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मॉल पहुँचने के लिए देरी होता देख विक्रम वीर को फोन लगाता है l वीर तब तक घर पहुँच चुका था और अपने बेड पर लेटा हुआ था I वीर आधी नींद में फोन उठाता है

विक्रम - हैलो राजकुमार...
वीर - जी कहिए युवराज...
विक्रम - क्या... आप सोये हुए लग रहे हैं... आप हैं कहाँ पर...
वीर - (नींद भरे आवाज में) अपने कमरे में...
विक्रम - क्या... आप घर पर कब आए...
वीर - कुछ ही देर हुए हैं... बस जरा सा आँख लग गई थी कि (उबासी लेते हुए) आपका फोन आगया....
विक्रम - ओ अच्छा...
वीर - क्या है युवराज जी...
विक्रम - कुछ नहीं... आप आराम कीजिए... बाद में बात करते हैं...
वीर - ठीक है....

विक्रम फोन काट देता है l और महांती को देखने लगता है तो महांती कहता है

महांती - युवराज आप मुझसे पूछ लेते... मुझे नहीं पता था कि आपने राजकुमार जी को फोन लगाया था... मेरे पास इंफॉर्मेशन थी... जब युवराणी और राजकुमारी मॉल के अंदर गईं थीं.... उसके थोड़ी देर बाद राजकुमार वहाँ से लड़की को साथ लेकर वापस चले गए...
विक्रम - सॉरी महांती... यु नो.. युवराणी मिन्स व्हाट टु मि... इसलिए हमसे ऐसी बेवकूफ़ी भरी हरकतें हो रहे हैं...
महांती - कोई बात नहीं सर... उन्हें कुछ नहीं होगा....
विक्रम - थैंक्यू... महांती.. थैंक्यू...

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मॉल के फुड कोर्ट में एक रेस्तरां है जिसका नाम है डालमा रेस्तरां l उस रेस्तरां के एक कॉर्नर टेबल पर शुभ्रा और रुप स्टार्टर के साथ साथ सुप पी रहे हैं l

रूप - हम अगर अपनी गाड़ी से चले गए होते... तो शायद अब तक घर पर पहुँच गए होते... उससे क्या कोई प्रॉब्लम हो जाता...
शुभ्रा - पता नहीं... रुप तुम अच्छी तरह से जानती हो... भले ही तुम कॉलेज जा रही हो... पर सच्चाई भी यही है कि... तुम हो या मैं.... हम हमेशा तुम्हारे बड़े भैया के निगरानी में हैं... अगर वह खुद आ रहे हैं... मतलब कुछ तो सीरियस बात होगी...
रुप - हाँ भाभी आप ठीक कह रही हो.... यह राजगड़ तो नहीं है...
शुभ्रा - हाँ... और कभी हो भी नहीं सकता... यहाँ पर सब अपने अपने इगो को भाव देते रहते हैं और बढ़ाते रहते हैं... अगर दुश्मनी हो.... तो घात लगाने के लिए ताक में रहते हैं... लगता है इन सात सालों की सफर में... किसीके इगो को जबरदस्त ठेस पहुँची है... जिसके वजह से वह... क्षेत्रपाल के अहंकार पर शायद प्रतिघात करने के लिए घात लगा रहा है...
रुप - (एक फीकी मुस्कान के साथ) राजगड़ में... अपनों के वजह से... बाहर नहीं निकल पा रही थी.... और यहाँ किसी और के वजह से कहीं बाहर निकालना बंद ना हो जाए...
शुभ्रा - हूँ... मुझे तुम्हारे लिए बुरा तो लगेगा... अगर तुम्हारा कॉलेज आना जाना बंद हो गया तो...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ कर) और कितनी देर भाभी...
शुभ्रा - पता नहीं... तुम्हारे भैया जब तक यहाँ ना पहुँचे तब तक तो नहीं....
रुप - उई माँ.. (कहकर मेन्यू कार्ड अपने चेहरे के सामने कर लेती है)
शुभ्रा - क्या... क्या हुआ रुप...
रुप - पता नहीं भाभी... आज मेरी कुंडली में यह माँ बेटे क्यूँ... राहु केतु की तरह जब देखो टपक रहे हैं...

शुभ्रा घुम कर पीछे देखती है प्रतिभा और विश्व अंदर आकर एक वेटर से बात कर रहे हैं l वह वेटर उन्ही के तरफ एक खाली टेबल की ओर इशारा करता है l यह देख

रुप - भाभी आप एक काम करो प्लीज...
शुभ्रा - क्या...
रुप - आप मेरी जगह आ जाओ... मैं आपकी जगह पर बैठ जाती हूँ...(कह कर उठ जाती है और शुभ्रा के पास पहुँच जाती है, शुभ्रा भी हँसते हुए जगह बदल देती है)
शुभ्रा - (हँसते हुए) बाप रे... इतना डर...(रुप इतने में अपनी जुड़ा खोल देती है) अरे... यह अपने बाल क्यूँ खुला छोड़ रही हो...
रुप - यह आज कल की स्टाइल है भाभी...
शुभ्रा - हाँ... हाँ... हाँ... यह क्यूँ नहीं कहती अपनी चेहरा छुपा रही हो...
रुप - आप जानती हो ना... फ़िर क्यूँ पुछ रही हो...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए, धीरे से) वैसे रुप... तुम मानो या ना मानो.... लड़का... है तुम्हारे टक्कर का...
रुप - (अपनी आँख दिखाते हुए) भाभी...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए) क्यूँ क्या गलत कह दिया...
रुप - (अपनी दांत चबाते हुए धीरे से) आप सब कुछ देख कर भी... समझ नहीं पा रही हैं...
शुभ्रा - क्या... क्या समझ नहीं पा रही हूँ...
रुप - वह प्रताप अभी भी... ममास् बॉय है... उसकी माँ उसे इन माहौल में ढालने की कोशिश कर रही हैं... पर उसमें... ना झिझक कम हो रहा है ना शर्म टुट रहा है...
शुभ्रा - हूँ.. म्म्म.. अच्छा जज किया है तुमने... पर फिर भी... तुमको उसे नजर भर देखना चाहिए... क्या गजब का सेक्स अपील है यार... उसकी पर्सनालिटी में...
रुप - (हैरानी से अपनी आँखे बड़ी करते हुए) हाँ..आँ... भाभी आप.. यह कैसी बात कर रही हैं...
शुभ्रा - ओह कॉम ऑन.. मैं तुम्हारे लिए कह रही हूँ...
रुप - भाभी... पहली बात... यु नो वेरी वेल... आई एम फिक्स्ड... कुछ इधर की उधर हुई तो...(मायूसी भरी आवाज़ में) आप अच्छे से जानते हो क्या हो सकता है... क्षेत्रपाल के अहं के नीचे रौंद दिए जाएंगे... यह और उसकी फॅमिली... वैसे भी क्षेत्रपाल के आँखों में आँख डालने वाला... अगर इस स्टेट में नहीं... तो शायद ... इस दुनिया में कहीं हो... पर कम से कम यह तो नहीं... (हँसने की कोशिश करते हुए) बात बात पर झिझकने वाला... शर्माने वाला... (अपना सिर को ना में हिलाते हुए) कतई नहीं...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म... (अपना सिर हिलाते हुए) हूँ..
रुप - क्या हम्म.. क्या हूँ..
शुभ्रा - (एक दिलासा देने वाली हँसी के साथ रुप के हाथों पर हाथ रखते हुए) तुम्हारे अंदर एक उम्मीद मैंने देख ली है... तुमको किसीका इंतजार तो है... जो तुम्हें इस क्षेत्रपाल नाम की की पिंजरे से ले उड़े...

रुप अपना सिर झुका लेती है और चुप भी हो जाती है l उधर प्रतिभा और विश्व के टेबल पर ऑर्डर किया हुआ खाना पहुँच जाता है l

विश्व - एक बात कहूँ माँ..
प्रतिभा - हाँ बोल...
विश्व - हमे आज बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए था...
प्रतिभा - क्यूँ....
विश्व - माँ... कल शाम तक ही आपके पास रूक रहा हूँ... इसलिए आपको मुझे अपनी हाथों से खाना बना कर खिलाना चाहिए था...
प्रतिभा - हाँ मानती हूँ... मेरी इच्छा भी यही थी... पर सुबह तेरी अवतार देख कर... तुझे सलून ले जाना बहुत जरूरी था... ऊपर से मैं तेरे लिए खरीदारी भी तो करना चाहती थी... इसलिए हमें यहाँ पर लंच करना पड़ रहा है...
विश्व - तो लंच के बाद सीधे घर को ही जायेंगे ना...
प्रतिभा - बिल्कुल...
विश्व - ठीक है फिर...

उनकी बातेँ हल्की हल्की मगर साफ सुनाई देती थी l उनकी बातेँ सुनने के बाद

शुभ्रा - ओ... तो यह जनाब प्रताप... कहीं बाहर रहता है... शायद किसी काम से भुवनेश्वर आया है... अब अपनी माँ से मिल लिया है... और कल शाम को वापस चला जाएगा....
रुप - यह आपने... कैसे समझ लिया...
शुभ्रा - कॉफी स्टॉल पर उससे जितनी बातेँ हुई थी... और अब इनकी बातेँ सुनने के बाद मुझे सब समझ में आ गया...
रुप - ओ...
शुभ्रा - चूंकि यह लड़का बाहर रहता है... इसलिए इसकी माँ जल्द से जल्द शादी करा देना चाहती है...
रुप - हम्म... शायद आप सही हो...

उधर विश्व खाना खा रहा है और उसे प्रतिभा मुस्कराते हुए खाना खाते हुए देख रही है l विश्व जब देखता है कि प्रतिभा उसे एक टक देखे जा रही है l

विश्व - अरे माँ... तुम खाना क्यूँ नहीं खा रही हो...
प्रतिभा - तुझे खाना खाते देख... मेरा पेट और मन दोनों भरे जा रहे हैं...

विश्व अपना थाली लेकर प्रतिभा के पास जाकर बैठ जाता है और खाने के कोर बना कर प्रतिभा को खिलाता है l यह दृश्य शुभ्रा देखती है और वह इशारे से रुप को उस तरफ देखने को कहती है l रुप अपना चेहरा को कंधे से नीचे ले कर पीछे मुड़कर देखती है फिर आगे देखने लगती है l

शुभ्रा - कुछ भी हो रुप... माँ बेटे में प्यार मगर बहुत है...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - हम शायद झेल ना पाएँ... उन माँ बेटे को... क्यूंकि उनके बीच कोई पागलपन नहीं है... प्यार ममता और वात्सल्य है... जो हमे पागलपन लगा...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - तुम चुप क्यूँ हो गई...
रुप - (आँखों में पानी आ जाती है) माँ जैसी चाची तो थी मेरे पास... उन्होंने प्यार और ममता लुटाने में भी... कोई कंजूसी नहीं की... पर माँ... माँ नहीं थी मेरे पास... शायद इसलिए उस औरत के प्यार को... अपने बेटे के लिए, पागलपन समझ बैठी...
शुभ्रा - हूँ... खैर जो भी कहो... यह माँ बेटे हैं यूनीक....

रुप मुस्कराकर अपनी सिर को हिला कर और पलकें झपका कर अपनों हामी जाहिर करती है l उधर विश्व के हाथों से प्रतिभा को खाना खाते हुए रेस्तरां में मौजूद सभी लोग उत्सुकता से देख रहे थे l थोड़ी देर बाद उनका खाना खतम हो जाता है, दोनों लेमन बाउल में हाथ धो लेने के बाद, प्रतिभा बिल पेमेंट कर देती है और दोनों रेस्तरां से बाहर निकलने को होते हैं कि उन्हें एक बुढ़े उम्र दराज़ जोड़ा सामने से आकर रोक देते हैं l उन जोड़े में से बुढ़ी औरत विश्व के सामने आकर विश्व के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरती है l विश्व और प्रतिभा स्तब्ध हो कर उन दोनों को देखने लगते हैं l उस बुढ़ी औरत की पति विश्व और प्रतिभा से कहता है
- हमारे तीन औलादें हैं... पर हमारे पास कोई नहीं हैं... वह लोग बहुत खुश हैं... बिजी हैं... इतने बिजी हैं... के हमारे लिए.. उनके पास वक़्त ही नहीं है... इसलिए हम एक दुसरे के साथ सुख दुख के लम्हें निकाल कर आपस में बांट लेते हैं... (प्रतिभा से) आप वाकई बहुत भाग्यवान हैं... (प्रतिभा मुस्कराते हुए अपना सिर गर्व से हिला कर हाँ कहती है)

विश्व यह सुन कर उस बुढ़ी औरत को गले से लगा लेता है l यह दृश्य रेस्तरां में बैठे सभी देख रहे थे l रुप से रहा नहीं जाता एक्साइटमेंट में ताली बजाने लगती है l उसे ताली बजाते देख वहाँ पर सभी लोग भी ताली बजाने लगते हैं l सबको ताली बजाते देख विश्व शर्मा कर उस औरत से अलग हो जाता है और प्रतिभा के हाथ पकड़ कर रेस्तरां से बाहर निकल जाता है l शुभ्रा रुप के हाथ को पकड़ कर ताली बजाने से रोक देती है l

शुभ्रा - वाह.... आख़िर लड़का इम्प्रेस कर ही दिया तुम्हें...
रुप - हाँ... पर मैं इम्प्रेस हुई हूँ उसकी नेक काम के वजह से ... ना कि उससे... इस काम के लिए... उसे एप्रीसिएशन तो मिलनी ही चाहिए...
शुभ्रा - वाह क्या बात है... आज लड़का तुमसे इम्प्रेस था... तुम्हें एप्रीसिएशन देना चाहता था... और अब... तुम उसे एप्रीसिएशन देना चाहती हो.... क्या बात है... वाह... दोनों के एप्रीसिएशन एक दुसरे के लिए बाकी रह गई... बचा के रखना हाँ... बाद में काम आएगा... हा हा...
रुप - भाभी... क्या हम इस टॉपिक से बाहर नहीं निकल सकते...
शुभ्रा - हाँ हाँ क्यूँ नहीं...

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विक्रम की गाड़ी मॉल से कुछ ही दुर पर पहुँचती है l तभी महांती की फोन बजने लगती है l

महांती - हैलो...
- XXXX
महांती - व्हाट...
- XXXX
महांती - ओके...
- XXXX
महांती - युवराज जी...
विक्रम - क्या बात है महांती...
महांती - छोटे राजा...
विक्रम - (गाड़ी रोक कर) क्या हुआ... क्या हुआ उन्हें...
महांती - जी... जी वह... घ... घायल हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी...
विक्रम - कैसे... कहाँ पर हमला हुआ...
महांती - म्युनिसिपलटी ऑफिस में...
विक्रम - (चुप रहता है, बड़ी बेबसी से महांती को देखता है)
महांती - यह.... एक डाइवर्जन था... मतलब हम उनके चाल में फंस गए...
विक्रम - अभी... छोटे राजा जी की कैसी हालत है...
महांती - सीरियस नहीं है... पर... हस्पताल में एडमिट हैं...
विक्रम - कैसे... कैसे हुआ यह सब...
महांती - युवराज जी... अब उनसे बात करने के बाद ही सब मालुम हो पाएगा... सिर्फ़ छोटा सा घाव लगा है...

विक्रम की मुट्ठी स्टीयरिंग पर भींच जाती है l वह अपना सिर स्टियरिंग पर पीट देता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए महांती से

विक्रम - महांती एक काम करो.... तुम छोटे राजा जी के पास जाओ... जब यहाँ तक आ गए हैं तो हम युवराणी और राजकुमारी जी को घर पर पहुँचा कर... उनसे मिलने जाएंगे...
महांती - ठीक है युवराज जी... मैं यहाँ अपनी कंपनी के सर्विस गाड़ी लेकर चला जाता हूँ... आप युवराणी और राजकुमारी जी को छोड़ कर पहुँचे...

महांती गाड़ी से उतर जाता है और फोन कर ESS सर्विस गाड़ी से अलग दिशा में चला जाता है l विक्रम शुभ्रा को फोन लगाता है l

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पार्किंग में पहुँचते ही प्रतिभा अपने सिर पर हाथ रखकर खड़ी हो जाती है और कहती है

प्रतिभा - है भगवान...
विश्व - क्या हुआ माँ... कुछ भुल गई क्या...
प्रतिभा - हाँ... (अपनी पर्स से दो रसीद निकाल कर विश्व को देती है) यह ले... यह कपड़ों की रसीद है और यह जुते की... जाकर ले आ...
विश्व - क्या माँ... वह पुराने कपड़े हैं... और जुता भी पुराना है... रहने दो ना...
प्रतिभा - सुन... दुकान पर पुराने चीजें छोड़ नहीं सकते.... हमारे जो काम ना आए... उसे हम किसी और को दे सकते हैं... जिनके वह काम आएगा... इसलिए जा ले कर आ...
विश्व - ठीक है माँ... तुम गाड़ी के पास जाओ... मुझे पाँच सात मिनट लगेंगे...
प्रतिभा - ठीक है...

विश्व लिफ्ट की ओर तेजी से भागता है और प्रतिभा अपनी गाड़ी के पास जाती है l उधर रुप और शुभ्रा रेस्तरां में अभी भी बैठे हुए बातेँ कर रहे हैं, तभी शुभ्रा को विक्रम का फोन आता है

शुभ्रा - हैलो
विक्रम - आप लोग पार्किंग में पहुँचे... हम भी पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... अभी हम निकलते हैं...
विक्रम - कितने नंबर की पार्किंग एरिया में हमे पहुँचना है...
शुभ्रा - जी ट्वेल्व नंबर पार्किंग में...
विक्रम - ठीक है... हम पाँच मिनट में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... (फोन काट देती है) चलो रुप... तुम्हारे भैया हमे लेने आए हैं...
रुप - ठीक है भाभी... चलिए.... पेमेंट क्लीयर कर निकलते हैं...

दोनों काउंटर पर जाते हैं, और पेमेंट करने लगते हैं l उधर विश्व रसीद लेकर पहले बुटीक पर पहुँचता है l जैसे ही वह काउंटर पर रसीद देता है काउंटर पर बैठा मैनेजर विश्व को छह पैकेट थमा देता है l

विश्व - अरे... यह क्या... आप मुझे इतने सारे पैकेट क्यूँ दे रहे हैं....

मैनेजर - जी... इनमें वह पांच जोड़ी कपड़े हैं... जिन्हें आपने ट्रायल किया था... और एक... जो आप पहन कर आए थे...... वह भी इन पैकेट्स में है... आपकी माता जी ने सबकी पेमेंट कर दी है...
विश्व - (यह सुन कर हैरान हो जाता है और फिर मुस्करा देता है)
मैनेजर - क्या हुआ सर...
विश्व - कुछ नहीं भाई... मेरी माँ ने भूलने का अच्छा बहाना बनाया... कितनी प्यार करती हैं मुझसे... एक जोड़ी बता कर पाँच जोड़ी खरीद लिया... और मुझे पता ना चले इसलिए चुपचाप पेमेंट भी कर दिया... अब मुझे यहाँ भेज कर... मुझे ख़ुश कर रही हैं... मुझे खुशी देते वह थकती नहीं हैं... क्यूंकि वह मेरी खुशी में ही... अपनी खुशी देखती हैं...
मैनेजर - सर एक बात कहूँ... आप बहुत लकी हो सर...
विश्व - हाँ... सो तो हूँ... कोई शक़...

फिर विश्व वहाँ से निकल कर शू स्टोर में पहुँचता है l वहाँ पर भी रसीद दिखाने पर उसे और छह जोड़ी जुतों की पैकेट मिलता है l विश्व इस बार दुकान दार से कुछ नहीं कहता l कपड़े और जुतों का पैकेट ले कर लिफ्ट के तरफ भाग कर जाता है l वहाँ पहुँच कर लिफ्ट का बटन दबाता है l लिफ्ट आकर रुकता है और दरवाजा खुल जाता है l लिफ्ट के अंदर दो लड़कियाँ थी l विश्व उन्हें देख कर अंदर जाने के वजाए रुक जाता है और इधर उधर देखने लगता है l ना वह कहीं जा पाता है ना ही अंदर l वहीँ खड़े खड़े हिचकिचाता रहता है, झिझकने लगता है l लिफ्ट के अंदर वह लड़कियाँ कोई और नहीं बल्कि रुप और शुभ्रा हैं l विश्व को हिचकिचाते देख

शुभ्रा - आइए प्रताप भैया... हम भी नीचे पार्किंग में जा रहे हैं... आप चाहें तो आ सकते हैं... (विश्व अंदर आ जाता है, और दोनों की तरफ पीठ करके खड़ा हो जाता है)
विश्व - (बिना उन्हें देखे) बुरा ना मानिये बहन जी... आपको मेरा नाम कैसे मालुम है...
शुभ्रा - अरे भैया... आपकी इंट्रोडक्शन तो आपकी माताजी ने... आइसक्रीम पार्लर में दे दी थी... और आप इतनी जल्दी भुल गए... घंटे भर पहले आप मुझसे कॉफी स्टॉल पर बात भी की थी...
विश्व - जी...(हैरान हो कर) जी... (फिर याद करते हुए) जी जी...
शुभ्रा - वैसे प्रताप भैया... आप ल़डकियों से शर्माते हैं या डरते हैं..
विश्व - जी... (बिना पीछे मुड़े) म... मालुम नहीं...

रुप - हम लड़की हैं... पर हमे नाजुक समझने की भुल ना कीजिएगा... हम बहुत खतरनाक भी हैं.... (यह सुन कर शुभ्रा रुप को कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी मैं एक लड़का हूँ... जो भी हूँ... जैसा भी हूँ... पर खतरनाक बिल्कुल नहीं हूँ....

विश्व की यह बात सुनने के बाद रुप शर्मा जाती है और शर्म से उसके गालों पर लाली छा जाती है l

शुभ्रा - हमारी गाड़ी ट्वेलव नंबर पार्किंग पर खड़ी है... और आपकी... (अब रुप उसे कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी हमारी गाड़ी नाइन नंबर पार्किग एरिया में है..

पार्किंग फ्लोर पर लिफ्ट पहुँचती है, दरवाजा खुलते ही विश्व जल्दी से निकल भागता है l शुभ्रा और रुप विश्व को भागते देख हँसने लगते हैं और अपनी गाड़ी की ओर जाने लगते हैं l वहीँ नौ नंबर पार्किंग में अपनी गाड़ी के पास प्रतिभा टहल रही है l उसी वक़्त विक्रम की ऐसकॉट और उसके पीछ गार्ड्स की दो गाड़ीयाँ तेजी से पार्किंग में घुसती है और तेजी से बारह नंबर पार्किंग की बढ़ती है l प्रतिभा के पास से पहले गार्ड वाली गाड़ी तेजी से गुजरता है फ़िर ऐसकॉट तेजी से गुजर जाता है जिससे प्रतिभा की साड़ी की आंचल थोड़ी उड़ने लगती है तभी पीछे से आ रही गार्ड्स की दुसरी गाड़ी के बम्पर गार्ड में प्रतिभा की साड़ी की आँचल फंस जाती है जिसके वजह से प्रतिभा गाड़ी के पीछे घिसटने लगती है l प्रतिभा चिल्लाने लगती है l
विश्व जैसे ही देखता है प्रतिभा की साड़ी एक गाड़ी में फंस गई है और गाड़ी प्रतिभा को घिसटते हुए लिए जा रही है l

विश्व - (हाथ से पैकेट फेंक कर चिल्लाता है) माँ..... (गाड़ी के पीछे भागता है)

वह गाड़ी थोड़ी ही दुर जा कर रुक जाती है l विश्व प्रतिभा के पास पहुँच कर देखता है सिर पर चोट लगने के कारण थोड़ा खून बह रहा है, दोनों कोहनी छील गए हैं और साड़ी घिसककर खराब हो गई है l
विश्व - (आँखों में आँसु आ जाते हैं) माँ...आँ..
प्रतिभा - (कराहते हुए) ओह... ओ... माँ...


प्रतिभा की दर्द के मारे बहुत बुरा हाल था, वह दर्द से कराह रही थी l गार्ड्स अपने गाड़ी से उतर कर विश्व और प्रतिभा को देखते हैं और ड्राइविंग साइड पर बैठा गार्ड प्रतिभा की साड़ी को गाड़ी की बम्पर से निकाल कर प्रतिभा के ओर फेंकते हुए

गार्ड - साली बुढ़िया... मरने के लिए तुझे कोई और गाड़ी नहीं मिली...

विश्व उस ड्राइवर और उन गार्ड्स को देखता है, फिर अपनी जेब से रुमाल निकाल कर प्रतिभा के माथे पर बांध देता है l और प्रतिभा को अपनी बाहों में उठा कर गाड़ी के पास घुटने के ऊँचाई बराबर एक वॉल पर पिलर के सहारे बिठा देता है l

विश्व - माँ... तुम यहीँ पर बैठी रहो... मैं अभी थोड़ी देर में आया..
प्रतिभा - रुक प्रताप...(दर्द से कराहते हुए) तु जा कहाँ रहा है...
विश्व - तुम्हारे लिए...(दाँतों को चबाते हुए) फर्स्ट ऐड लेकर आ रहा हूँ....
प्रतिभा - रुक ना...

पर विश्व प्रतिभा को वहीँ पर छोड़ कर उन गार्ड्स के तरफ चला जाता है l
उधर ऐसकॉट में शुभ्रा और रुप बैठ चुके हैं l विक्रम गार्ड्स को तैयार होने के लिए कहता है और खुद ड्राइविंग सीट की ओर जाता है l तीन गाडियों में पहली गार्ड वाली कार चलने लगती है l विश्व गाड़ियों को स्टार्ट होते देख इधर उधर देखने लगता है l उसे फायर अलार्म के पर एक लोहे का हामर दिखता है l विश्व भाग कर वह हामर निकाल लेता है l जैसे ही गालियों की काफिला चलने लगती है विश्व उस रास्ते पर सामने आकर हामर को फेंक मारता है l हामर ड्राइवर के सामने की काँच पर लगती है और काँच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l तो ड्राइवर गाड़ी की स्टीयरिंग मोड़ देता है और गाड़ी एक पिलर से टकरा जाती है l उसके पीछे आने वाली विक्रम की गाड़ी और दुसरी गार्ड्स वाली गाड़ी रुक जाती हैं l एक्सीडेंट वाली गाड़ी से सभी चार गार्ड्स उतर जाते हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर उस गार्ड को जिसने प्रतिभा की साड़ी को निकाल कर फेंका था उसे अपने तरफ खिंचता है और उसपर झन्नाटेदार थप्पड़ों की बारिश कर देता है, उस गार्ड को बचने का फुर्सत भी नहीं मिलता थप्पड़ खा खा कर वह गार्ड नीचे गिर जाता है, दुसरे गार्ड्स विश्व को हैरान हो कर मुहँ फाड़े देखे जा रहे थे l उनमें से एक विश्व के पास आकर विश्व की कलर पकड़ने की कोशिश करता है l विश्व भी उसे कोई मौका दिए वगैर थप्पड़ पर थप्पड़ मारे जाता है l वह भी नीचे गिर जाता है l बाकी दो गार्ड्स में से एक
गार्ड - अरे पागल हो गया क्या... क्यूँ मारे जा रहे हो...


विश्व उसे देखता है, फ़िर उसे पकड़ कर थप्पड़ मारने लगता है l यह सब ऐसकॉट में बैठा ना सिर्फ़ विक्रम बल्कि शुभ्रा और रुप भी देख रहे थे l विश्व जिस तरह से विक्रम के गार्ड्स को थप्पड़ों से ट्रीट कर रहा था उसे देख रुप की हँसी निकल जाती है जिसे विक्रम सुन लेता है l विक्रम गुस्से से पीछे मुड़ कर देखता है तो रुप अपनी भाभी के पीछे दुबक जाती है l इतने में पीछे वाली गाड़ी से बाकी चार गार्ड्स आ पहुँचते हैं I विक्रम अपनी गाड़ी की खिड़की की काँच उतारते हुए l

विक्रम - क्या हो रहा है वहाँ... कौन है वह.. क्या प्रॉब्लम हुआ है...
एक गार्ड - सर... इसी लड़के की माँ की साड़ी.. फंस गई थी हमारी गाड़ी में...
विक्रम - व्हाट... इस बात के लिए वह हमारे लोगों को मारेगा... तुम लोग ESS के ट्रैंन्ड कमांडोज हो... जाओ अपने स्टाइल से इसे सॉल्व करो...
गार्ड्स - यस सर....

फिर एक गार्ड जो विक्रम के पास खड़ा था वह अचानक विश्व के तरफ भाग कर एक फ्लाइंग किक मारता है l विश्व उसके लिए तैयार नहीं था l किक लगते ही विश्व कुछ दूर जा कर गिरता है l

वह गार्ड - ऐ... उठो रे सब.. हम.. ESS के कमांडोज हैं.... कोई ऐरा गैरा नथु खैरा नहीं हैं... चलो इसको सबक सीखते हैं...
यह सुन कर सभी गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l विश्व भी उसकी बातेँ सुन कर खड़ा होता है l वह गार्ड जिसने विश्व को फ्लाइंग किक मारा था वह फ़िर से विश्व की ओर भागता है विश्व भी उसके तरफ भागता है l गार्ड जम्प लगा कर फ्लाइंग बैक किक मारता है जवाब में विश्व भी उसी समय फ्लाइंग राउन्ड हाउस किक मारता है l गार्ड की किक लगने से पहले विश्व की किक लगती है और वह गार्ड हवा में ही किक के इम्पैक्ट से साइड में खड़े एक कार पर गिरता है जिससे उस कार की सिक्युरिटी अलार्म बजने लगता है l उस गार्ड के गिरते ही बाकी गार्ड्स विश्व को हैरानी भरे नजरों से देखने लगते हैं l विक्रम भी अपनी गाड़ी से उतर जाता है l

बाकी बचे सातों गार्ड एक दुसरे को इशारा करते हुए विश्व को घेरते हैं और पोजिशन लेते हैं l

विश्व - (उन गार्ड्स से चिल्ला कर) तुमने जिसे बुढ़िया कहा और अपनी गाड़ी के पीछे घसीटा है... वह मेरी माँ है... बेहतर यही होगा... तुम सब उनके पैरों पर गिर माफी मांग लो... चलो...
उन गार्ड्स में से एक - नहीं तो....
विश्व - नहीं तो... तुम लोग अपने गाड़ी से नहीं... एम्बुलेंस से बाहर निकलोगे...

सभी गार्ड्स जो विश्व को घेरे हुए थे उनमे से एक विश्व को पीछे से किक उठा कर हमला करता है l विश्व आसानी से डॉज करते हुए बच जाता है और घुटने पर बैठ कर फ़ॉन्ट हाउस किक मारता है जिसे वह गार्ड पीठ के बल गिरता है l उसके बाद दुसरा सामने वाला पुश किक मारता है विश्व लोअर डाउन वार्ड डॉज करता है फिर एक जाब पंच उसके पसलियों पर मारता है l तीसरा गार्ड साइड किक मारता है उससे बचते हुए एक फ़ॉन्ट हूकींग किक गार्ड के ठुड्डी पर मारता है l चौथा गार्ड विश्व के चेहरे पर पंच मारने वाला होता है विश्व घुम कर एक क्रॉस एलबॉ मारता है जो उसके चेहरे पर लगता है l फिर विश्व झुक कर घुटनों के बल स्किड करते हुए पाँचवे गार्ड के पास खड़े हो कर एक अपर कट पंच मार देता है l छटा गार्ड विश्व पर छलांग लगाता है विश्व थोड़ा झुक कर उसे हवा में ही उठाकर फेंक देता है और सातवें को घूम कर दोनों हाथों का डबल हामर पंच मारता है l सब के सब नीचे गिरे पड़े हैं l

विक्रम हैरान हो कर विश्व को देखता है l यही हालत रुप और शुभ्रा की भी है l क्यूँ के जो भी हुआ सब कुछ सेकेंड में हो गया था l ESS के हाईली ट्रेंड आठ कमांडोज कुछ ही सेकंड में धुल चाट रहे थे l विश्व एक गार्ड को उठाता है और उसके कलर पकड़ कर घसीटते हुए लेकर जाने लगता है l

विक्रम - ऑए... (चिल्ला कर) ऑए लड़के... यह क्या हो रहा... वह हमारा आदमी है... छोड़ो उसे...
विश्व - (उस गार्ड को पकड़े हुए रुक जाता है) यह मेरी माँ का गुनहगार है... जब तक माफी नहीं मांग लेता... तब तक यह कहीं नहीं जा सकता है...
विक्रम - ऑए...(गुर्राते हुए) जानता है किससे बात कर रहा है... किसके आदमियों से पंगा ले रहा है... छोड़ दे उसे...
विश्व - (उस गार्ड को उठाकर दो और थप्पड़ मार देता है) अगर यह तेरे दम पर मेरी माँ से बत्तमीजी की है... तो माफी माँगना अब तेरा बनता है.... या तो यह माफी मांगेगा या फिर तु... फैसला कर लो...
विक्रम - क्या... माफी.. वह भी हम... हम कुछ मांगते नहीं है... या तो देते हैं... या फिर छिनते हैं... लगता है तेरी मौत तुझसे बुलवा रहा है...

विश्व - फैसला कर ले... या तो यह... या फिर तु...

तभी कुछ गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l उनमे से एक


गार्ड - सर हम इसे देख लेंगे... आप... आप गाड़ी में बैठिए...
विक्रम - (उन गार्ड्स से) उठो... संभलो... इसे पकड़ कर इतना मारो... के फिर कभी किसीसे जुबान लड़ाने पहले... सौ बार सोचेगा...


विक्रम के इतने कहते ही सातों गार्ड्स अपनी पुरी ताकत लगा कर विश्व को पकड़ने भागते हैं l विश्व जिस गार्ड को पकड़ा हुआ था उसके कनपटी पर एक घुसा जड़ देता है l वह गार्ड वहीँ नीचे ढेर हो जाता है l इतने में विश्व को बाकी बचे सात गार्ड्स आकर फिरसे घेर लेते हैं l विश्व अब अपने सामने वाले को छकाकर पीछे खड़े गार्ड को एक बैक राउंड हाउस किक मारता है फिर सामने वाले को फ़ॉन्ट थ्रॉस्ट किक फिर तीसरे के पेट में पंच फिर घूम कर कोहनी गाल के ऊपर आँख के नीचे l चौथा जिस तेजी से विश्व की ओर आता है विश्व उसीकी तेजी को इस्तमाल करके उठा कर फेंक देता है फिर बाएं घुटने पर बैठ कर दाएं पैर की लोअर स्पिन टर्न किक मारता है जिससे पांचवां पीठ के बल गिर जाता है l विश्व उठकर छटे पर छलांग लगा कर घुटना मोड़ कर सीने पर मारता है l फिर पलट कर एक साइड किक पांचवे को, इतने में सातवां विश्व को घुसा मारता है विश्व पीठ को पीछे की ओर मोड़ कर बचता है फिर वह जैसे वह सातवां विश्व की ओर मुड़ता है विश्व एक जबरदस्त हामर पंच उसके नाक पर जड़ देता है जिससे उस सातवें गार्ड की नाक कचूमर बन जाता है और वह नीचे गिर कर छटपटाने लगता है l पुरा कर पुरा दृश्य एक्शन रीप्ले की तरह ही दिखा कुछ ही सेकंड में सभी ढेर, फिर विश्व पहले से अधमरे हो चुके सभी गार्ड्स को विक्रम के सामने किसी खिलौने की तरह उठा कर सबको बारी बारी से पटक देता है l इतने में विक्रम एक फ्लाइंग किक मारता है, किक विश्व के चेहरे पर लगती है और विश्व दूर छिटक कर गिरता है l विश्व उसके लिए तैयार बिल्कुल नहीं था विक्रम के देखते हुए विश्व खड़ा होता है l विक्रम विश्व के पास आकर रिवर्स फ़ॉन्ट राउन्ड हाउस किक मारता है l पर इस बार विश्व अपनी जगह से हिलता भी नहीं है l विक्रम तरह तरह से पंच किक आजमाने लगता है विश्व सबको आसानी से और फुर्ती से डॉज करने लगता है फिर एक मंकी ब्लॉक लेकर विक्रम के पेट में एक ताकत भरा पंच मार देता है l विक्रम कुछ दूर स्कीड हो कर गीर जाता है l थोड़ी देर बार वापस खड़े हो कर पोजीशन बनाने की कोशिश करता है कि तभी विश्व उसके तरफ दौड़ कर जम्प लगा देता है और दायां घुटने को मोड़ कर शॉट हिट करता है जो सीधा विक्रम के चेहरे पर लगती है और विक्रम उड़ते हुए अपनी ही ऐसकॉट पर गिरता है l गाड़ी के भीतर यह देख कर शुभ्रा और रुप डर जाते हैं l विश्व अब बेकाबु हो चुका था वह विक्रम को मारने के लिए दौड़ लगाने वाला ही था कि उसके कानों में प्रतिभा की आवाज पड़ती है

प्रतिभा - प्र.. ता....प...(विश्व रुक जाता है l और पीछे मुड़ कर देखता है) बस बेटा... बहुत हो गया... जाने दे...
विश्व - नहीं माँ...(अपनी दांतों को चबाते हुए) जब तक यह कंजर्फ तुमसे माफी नहीं मांगेगा... मैं इसे नहीं छोडूंगा...
प्रतिभा - तु... (कराहते हुए) तु मेरी बात... नहीं मानेगा...

विश्व कुछ नहीं कहता सिर झुका कर विक्रम और उन गार्ड्स सबको उन्हीं के हाल में छोड़ कर प्रतिभा की ओर जाने लगता है l विक्रम के लिए यह बर्दास्त के बाहर था वह गाड़ी के ऊपर से लुढ़क कर विश्व पर चिल्लाता है

विक्रम - ऑए... कमीने... हराम जादे... तुने किससे पंगा लिया है... नहीं जानता है तु...

विश्व उसे मुड़ कर देखता है l प्रतिभा विश्व को फ़िर से आवाज देती है (नहीं प्रताप नहीं...) l इसलिए विश्व वापस प्रतिभा की ओर जाने लगता है l

विक्रम - आज... तुने किसकी हुकूमत से टकराया है... जानता है तु.... नहीं जानता है ना...

विश्व पीछे मुड़ कर नहीं देखता और सीधे प्रतिभा के पास पहुँच जाता है l

विक्रम - तुने अपनी मौत को छेड़ा है... जानता है... मेरा बाप कौन है
विश्व - (मूड जाता है और कहता है) क्यूँ... तु नहीं जानता... तेरा बाप कौन है... तो जा... जाकर अपनी माँ से पुछ... वह बताएगी तेरा बाप कौन है... (कह कर मूड जाता है और प्रतिभा के साथ जाने लगता है)
विक्रम - (यह सुन कर शुन हो जाता है) (फिर होश में आता है) या.... आ... आ.. (चिल्लाता है) भैरव सिंह क्षेत्रपाल.... मेरे बाप का नाम... अब तु अपनी जिंदगी के दिन गिनना शुरू कर दे... हराम जादे...


विश्व यह नाम सुनते ही रुक जाता है, उसके आँखों में खुन उतर आता है, उसके सारे जिस्म थर्राने लगता है, प्रतिभा भी उसके चेहरे को देख कर डरने लगती है l विश्व जल्दी से पीछे मुड़ता है और विक्रम के पास पहुँच कर एक जोरदार फ्रंट थ्रस्ट किक विक्रम के सीने पर मारता है l इसबार विक्रम अपनी गाड़ी के कांच के उपर गिरता है l कांच पुरी तरह से टूटती तो नहीं पर कांच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l विश्व जम्प लगा कर गाड़ी की बोनेट पर चढ़ जाता है और विक्रम के कलर पकड़ कर जैसे ही पंच मारने को होता है शुभ्रा गाड़ी से उतर कर

शुभ्रा - भैया.... प्रताप भैया... (अपनी मंगलसूत्र को दिखाते हुए) प्लीज भैया... (गिड़गिड़ाते हुए) प्लीज...(रोने लगती है)
विश्व - (शुभ्रा को देख कर और उसकी बिनती के वजह से अपना हाथ रोक देता है, पर विक्रम से) सुन बे क्षेत्रपाल के चुजे... तेरा हर काम.. वह क्षेत्रपाल ही करेगा क्या... फ़िर तु क्या करेगा... या फिर तुझसे कुछ होता नहीं... इसलिए कुछ करने के लिए... तुझे क्षेत्रपाल टैग चाहिए... हाँ... (विक्रम के मुहँ से नाक से खुन बह रहा है, गहरी गहरी सांसे लेते हुए गुस्से से विश्व को देखते हुए) तुम लोगों ने मेरी माँ के साथ जो बत्तमीजी की... उसके लिए... कायदे से जान से मार देना चाहिए था... पर (शुभ्रा को दिखाते हुए) इन्हें अनजाने में सही बहन कहा है... इनके साथ उस रिश्ते का लिहाज करते हुए तुम लोगों को छोड़ रहा हूँ...
भई वाह मजा आ गया, विश्व ने पहले अपने व्यवहार से फिर अपनी ताकत से रूप को इंप्रेस कर ही दिया। विक्रम और उसके चूजों को उनकी औकात भी दिला दी। लगता है अब रूप भी विश्व मैं इंट्रेस्ट लेगी। देखते है विक्रम इस बेइज्जती का बदला कैसे लेगा। झकास अपडेट।
 

parkas

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👉साठवां अपडेट
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रूप हाथों में कॉफी लिए शुभ्रा को फोन पर बातेँ करते हुए सुन रही थी l उसे शुभ्रा के चेहरे पर चिंताएं दिखने लगती हैं l

शुभ्रा - य... यह आप क्या कह रहे हैं...
विक्रम - आप घबराइए नहीं... मॉल के बाहर वह लोग पोजिशन बना रहे हैं... मॉल के अंदर हमारी सिक्युरिटी सर्विस है.... इसलिए आप घबराए नहीं...
शुभ्रा - अच्छा ठीक है... तो अब हम क्या... क्या करें...
विक्रम - आप किसी रेस्तरां में जाकर कुछ देर के लिए बैठ जाइए... वहाँ पर टाइम स्पेंट कीजिए... हम आ रहे हैं...
शुभ्रा - आप... कब तक पहुँचेंगे....
विक्रम - हम निकल चुके हैं... ट्रैफिक बहुत है... फ़िर भी ज्यादा से ज्यादा एक घंटा लगेगा... आप फिक्र ना करें... हम पहुँचते ही आपको कॉन्टेक्ट करेंगे...
शुभ्रा - (अपना सिर हिलाते हुए) ठीक है...

फोन कट हो जाती है l शुभ्रा को चिंतित देख कर रुप पूछती है

रुप - क्या हुआ भाभी... आप फोन पर बात करते हुए परेशान दिखीं... कोई बड़ी बात...
शुभ्रा - चलो किसी रेस्तरां में बैठते हैं... वहीँ पर आराम से बात करते हैं...
रुप - ठीक है... चलते हैं...

फिर दोनों उसी फ्लोर पर एक रेस्तरां में चले जाते हैं l उधर विक्रम की गाड़ी ट्रैफिक में रेंग रही है l गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठे बैठे विक्रम चिढ़ने लगा था l बगल में बैठा महांती फोन पर बात कर रहा है l बात खतम कर विक्रम से

महांती - सर... मुझे लगता है आप ज्यादा स्ट्रेस ले रहे हैं... वहाँ पर सिर्फ़ तीन लोग एक पॉइंट पर असेंबल होते दिखे हैं... पर वह लोग कोई एक्शन करेंगे... मुझे नहीं लगता...
विक्रम - तो फ़िर एक ही जगह पर इकट्ठे हो कर क्यूँ बार बार स्कैटर्ड हो रहे हैं.... पोजीशन बदल रहे हैं... क्यूँ... और तुमने ही कहा था... वह लोग हम सबकी रेकी कर रहे हैं...
महांती - हाँ पर मुझे लगता है... वह लोग हमे स्टडी कर रहे हैं...
विक्रम - किस लिए...
महांती - सर कुछ लोग उनमें ऐसे हैं... जो मेरे पेरेंट् सिक्युरिटी सर्विस से जुड़े थे... इत्तेफ़ाक से वह लोग भी एक्स सर्विस मेन हैं... इसलिए मैं अपनी एक्सपेरियंस से कह रहा हूँ... कुछ और हो रहा है...
विक्रम - जो भी हो महांती... तुम जानते हो... युवराणी हमारे लिए क्या मायने रखती हैं... हम उन्हें कभी भी चारा बनने नहीं दे सकते... अगर वह खतरे में हैं... तो समझ लो हमारी दुनिया खतरे में है...

महांती कुछ नहीं कहता है l वह सिर्फ अपना सिर हिला कर खिड़की से बाहर देखने लगता है l विक्रम थोड़ी स्पेस मिलते ही गाड़ी को भगाने की कशिश कर रहा है पर ट्रैफ़िक के वजह से वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है l

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उधर कॉफी के दो ग्लास लेकर विश्व प्रतिभा के पास पहुँचता है l टेबल पर ग्लास रख कर

विश्व - यह लो माँ.. यह भी आज की स्पेशल कॉफी है...
प्रतिभा - (बेमन से कॉफी लेती है) हूँ...
विश्व - क्या हुआ... तुम्हारा मुहँ क्यूँ लटका हुआ है... किसी ने कुछ कहा क्या...
प्रतिभा - नहीं.... कुछ भी नहीं... यही तो ग़म है... किसीने कुछ कहा नहीं...
विश्व - फ़िर... कहीं... सेनापति सर की याद तो नहीं आ रही है...(भवें नचा कर चिढ़ाते हुए)
प्रतिभा - चुप कर... उनकी क्यूँ याद आयेगी मुझे... मैं किसी और बात को लेकर सोच में हूँ...
विश्व - अच्छा.. तो बताओ ना माँ... क्या बात है...
प्रतिभा - मैं ना...(खुश होते हुए) अभी अभी... कुछ देर पहले नंदिनी से मिली थी...
विश्व - (हैरान हो कर) क्या... तुम सच कह रही हो...
प्रतिभा - (अब हँसने लगती है) हा हा हा... ओ हो... नंदिनी का नाम लिया तो चेहरा कैसे खिल गया... देखो तो लौंडे को...
विश्व - (हकलाते हुए) न.. नहीं ए.. ऐसा कुछ नहीं है माँ... म.. मैंने पहले भी तुमसे कहा है... मैं उनसे प्रभावित हुआ हूँ... पर तुम उनका नाम लेकर आज दिन भर में ना जाने कितनी बार... मेरा पोपट बना रही हो.....
प्रतिभा - अरे मैं सच कह रही हूँ... नंदिनी से मिली थी अभी कुछ देर पहले... हाँ यह बात और है... वह रेडियो वाली नंदिनी नहीं थी...
विश्व - तो फिर...
प्रतिभा - मैं ना... उससे दोस्ती करने के लिए बातेँ बढ़ा रही थी... पर वह कब चली गई मुझे मालुम ही नहीं पड़ा...
विश्व - (हँसने लगता है)हा हा हा... मुझे मालुम है... तुम क्यूँ दोस्ती करना चाहती थी... और... मुझे शक़ है... उसे भी अंदाजा हो गया होगा... इसलिए वह भाग गई.. (हा हा हा हा)
प्रतिभा - (मुहँ बनाते हुए) उड़ाले उड़ाले.. मेरा मजाक उड़ाले...
विश्व - (प्रतिभा के हाथ को पकड़ लेता है) माँ... जितनी ख्वाहिशें भी ना थी इस जिंदगी से.... जिंदगी ने उससे ज्यादा दे दिया है... वैसे भी मेरे आचार्य जी कहा करते थे... वक़्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसीको कुछ भी हासिल नहीं होता...
प्रतिभा - यह मत भूल... तु होने वाला एडवोकेट है... कोर्ट में यह फिलासफी बातेँ अमान्य होतीं हैं...
विश्व - जानता हूँ माँ... पर यही बातेँ... जिंदगी में तो मायने रखते हैं ना...
प्रतिभा - क्या करूँ मैं... तु आता भी है तो जुगनू की चमक की तरह... ठहरता भी तो नहीं... और जब एक महीने के बाद सज़ा पुरी हो जाएगी... तब भी... सिर्फ़ एक महीने के लिए ही मेरे पास रुकेगा... (प्रतिभा विश्व की हाथों को पकड़ कर) वादा कर.... गांव जाने के बाद भी... तु आता जाता रहेगा...
विश्व - माँ... इस बारे में हमने कई बार बातेँ की है... हमेशा मैंने तुमसे वादा किया है... क्या मेरे वादे पर विश्वास नहीं...
प्रतिभा - (थोड़ा उदास हो कर) ऐसी बात नहीं है... माँ हूँ... मन नहीं भरता... क्यूंकि किस्मत पर भरोसा जो नहीं है...
विश्व - तो ठीक है माँ... मैं फिर से अपना वादा दोहराता हूँ... मैं छूटने के बाद पुरे एक महीने के लिए तुम्हारे पास रूकुंगा... फिर अपनी जीवन की सबसे बड़ी मकसद को पुरा करने जाऊँगा... इस बीच हर हफ्ते दस दिन में आता रहूँगा... तुमसे मिलने... और जब मकसद हासिल हो जाएगी... मैं हमेशा के लिए तुम्हारे पास लौट आऊंगा... यह वादा करता हूँ... (प्रतिभा मुस्करा देती है) पर तुम भी एक वादा करो...
प्रतिभा - कुछ भी मांग ले... (विश्व कहने को होता है) रुक पूरी बात तो सुन ले...(विश्व चुप हो जाता है) मैं बहु ढूंढना नहीं छोड़ने वाली... हाँ...
विश्व - लो... (प्रतिभा की हाथ को छोड़ते हुए) पहले से ही मेरे जुबान पर ताला मार दिया तुमने... अब क्या ख़ाक वादा मांगूंगा...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... अपनी माँ से चालाकी... आँ..
विश्व - अच्छा माँ...(हाथ जोड़ कर) गलती हो गई... अब खाना खाने चलें या ऐसे ही...
प्रतिभा - हाँ हाँ चलो... इसी फ्लोर पर एक रेस्तरां है... बढ़िया खाना मिलता है वहाँ... चल पेट भर कर खाना खाते हैं... फिर घर चलते हैं...
विश्व - (उठते हुए)हाँ तो चलो फिर...

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मॉल पहुँचने के लिए देरी होता देख विक्रम वीर को फोन लगाता है l वीर तब तक घर पहुँच चुका था और अपने बेड पर लेटा हुआ था I वीर आधी नींद में फोन उठाता है

विक्रम - हैलो राजकुमार...
वीर - जी कहिए युवराज...
विक्रम - क्या... आप सोये हुए लग रहे हैं... आप हैं कहाँ पर...
वीर - (नींद भरे आवाज में) अपने कमरे में...
विक्रम - क्या... आप घर पर कब आए...
वीर - कुछ ही देर हुए हैं... बस जरा सा आँख लग गई थी कि (उबासी लेते हुए) आपका फोन आगया....
विक्रम - ओ अच्छा...
वीर - क्या है युवराज जी...
विक्रम - कुछ नहीं... आप आराम कीजिए... बाद में बात करते हैं...
वीर - ठीक है....

विक्रम फोन काट देता है l और महांती को देखने लगता है तो महांती कहता है

महांती - युवराज आप मुझसे पूछ लेते... मुझे नहीं पता था कि आपने राजकुमार जी को फोन लगाया था... मेरे पास इंफॉर्मेशन थी... जब युवराणी और राजकुमारी मॉल के अंदर गईं थीं.... उसके थोड़ी देर बाद राजकुमार वहाँ से लड़की को साथ लेकर वापस चले गए...
विक्रम - सॉरी महांती... यु नो.. युवराणी मिन्स व्हाट टु मि... इसलिए हमसे ऐसी बेवकूफ़ी भरी हरकतें हो रहे हैं...
महांती - कोई बात नहीं सर... उन्हें कुछ नहीं होगा....
विक्रम - थैंक्यू... महांती.. थैंक्यू...

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मॉल के फुड कोर्ट में एक रेस्तरां है जिसका नाम है डालमा रेस्तरां l उस रेस्तरां के एक कॉर्नर टेबल पर शुभ्रा और रुप स्टार्टर के साथ साथ सुप पी रहे हैं l

रूप - हम अगर अपनी गाड़ी से चले गए होते... तो शायद अब तक घर पर पहुँच गए होते... उससे क्या कोई प्रॉब्लम हो जाता...
शुभ्रा - पता नहीं... रुप तुम अच्छी तरह से जानती हो... भले ही तुम कॉलेज जा रही हो... पर सच्चाई भी यही है कि... तुम हो या मैं.... हम हमेशा तुम्हारे बड़े भैया के निगरानी में हैं... अगर वह खुद आ रहे हैं... मतलब कुछ तो सीरियस बात होगी...
रुप - हाँ भाभी आप ठीक कह रही हो.... यह राजगड़ तो नहीं है...
शुभ्रा - हाँ... और कभी हो भी नहीं सकता... यहाँ पर सब अपने अपने इगो को भाव देते रहते हैं और बढ़ाते रहते हैं... अगर दुश्मनी हो.... तो घात लगाने के लिए ताक में रहते हैं... लगता है इन सात सालों की सफर में... किसीके इगो को जबरदस्त ठेस पहुँची है... जिसके वजह से वह... क्षेत्रपाल के अहंकार पर शायद प्रतिघात करने के लिए घात लगा रहा है...
रुप - (एक फीकी मुस्कान के साथ) राजगड़ में... अपनों के वजह से... बाहर नहीं निकल पा रही थी.... और यहाँ किसी और के वजह से कहीं बाहर निकालना बंद ना हो जाए...
शुभ्रा - हूँ... मुझे तुम्हारे लिए बुरा तो लगेगा... अगर तुम्हारा कॉलेज आना जाना बंद हो गया तो...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ कर) और कितनी देर भाभी...
शुभ्रा - पता नहीं... तुम्हारे भैया जब तक यहाँ ना पहुँचे तब तक तो नहीं....
रुप - उई माँ.. (कहकर मेन्यू कार्ड अपने चेहरे के सामने कर लेती है)
शुभ्रा - क्या... क्या हुआ रुप...
रुप - पता नहीं भाभी... आज मेरी कुंडली में यह माँ बेटे क्यूँ... राहु केतु की तरह जब देखो टपक रहे हैं...

शुभ्रा घुम कर पीछे देखती है प्रतिभा और विश्व अंदर आकर एक वेटर से बात कर रहे हैं l वह वेटर उन्ही के तरफ एक खाली टेबल की ओर इशारा करता है l यह देख

रुप - भाभी आप एक काम करो प्लीज...
शुभ्रा - क्या...
रुप - आप मेरी जगह आ जाओ... मैं आपकी जगह पर बैठ जाती हूँ...(कह कर उठ जाती है और शुभ्रा के पास पहुँच जाती है, शुभ्रा भी हँसते हुए जगह बदल देती है)
शुभ्रा - (हँसते हुए) बाप रे... इतना डर...(रुप इतने में अपनी जुड़ा खोल देती है) अरे... यह अपने बाल क्यूँ खुला छोड़ रही हो...
रुप - यह आज कल की स्टाइल है भाभी...
शुभ्रा - हाँ... हाँ... हाँ... यह क्यूँ नहीं कहती अपनी चेहरा छुपा रही हो...
रुप - आप जानती हो ना... फ़िर क्यूँ पुछ रही हो...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए, धीरे से) वैसे रुप... तुम मानो या ना मानो.... लड़का... है तुम्हारे टक्कर का...
रुप - (अपनी आँख दिखाते हुए) भाभी...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए) क्यूँ क्या गलत कह दिया...
रुप - (अपनी दांत चबाते हुए धीरे से) आप सब कुछ देख कर भी... समझ नहीं पा रही हैं...
शुभ्रा - क्या... क्या समझ नहीं पा रही हूँ...
रुप - वह प्रताप अभी भी... ममास् बॉय है... उसकी माँ उसे इन माहौल में ढालने की कोशिश कर रही हैं... पर उसमें... ना झिझक कम हो रहा है ना शर्म टुट रहा है...
शुभ्रा - हूँ.. म्म्म.. अच्छा जज किया है तुमने... पर फिर भी... तुमको उसे नजर भर देखना चाहिए... क्या गजब का सेक्स अपील है यार... उसकी पर्सनालिटी में...
रुप - (हैरानी से अपनी आँखे बड़ी करते हुए) हाँ..आँ... भाभी आप.. यह कैसी बात कर रही हैं...
शुभ्रा - ओह कॉम ऑन.. मैं तुम्हारे लिए कह रही हूँ...
रुप - भाभी... पहली बात... यु नो वेरी वेल... आई एम फिक्स्ड... कुछ इधर की उधर हुई तो...(मायूसी भरी आवाज़ में) आप अच्छे से जानते हो क्या हो सकता है... क्षेत्रपाल के अहं के नीचे रौंद दिए जाएंगे... यह और उसकी फॅमिली... वैसे भी क्षेत्रपाल के आँखों में आँख डालने वाला... अगर इस स्टेट में नहीं... तो शायद ... इस दुनिया में कहीं हो... पर कम से कम यह तो नहीं... (हँसने की कोशिश करते हुए) बात बात पर झिझकने वाला... शर्माने वाला... (अपना सिर को ना में हिलाते हुए) कतई नहीं...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म... (अपना सिर हिलाते हुए) हूँ..
रुप - क्या हम्म.. क्या हूँ..
शुभ्रा - (एक दिलासा देने वाली हँसी के साथ रुप के हाथों पर हाथ रखते हुए) तुम्हारे अंदर एक उम्मीद मैंने देख ली है... तुमको किसीका इंतजार तो है... जो तुम्हें इस क्षेत्रपाल नाम की की पिंजरे से ले उड़े...

रुप अपना सिर झुका लेती है और चुप भी हो जाती है l उधर प्रतिभा और विश्व के टेबल पर ऑर्डर किया हुआ खाना पहुँच जाता है l

विश्व - एक बात कहूँ माँ..
प्रतिभा - हाँ बोल...
विश्व - हमे आज बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए था...
प्रतिभा - क्यूँ....
विश्व - माँ... कल शाम तक ही आपके पास रूक रहा हूँ... इसलिए आपको मुझे अपनी हाथों से खाना बना कर खिलाना चाहिए था...
प्रतिभा - हाँ मानती हूँ... मेरी इच्छा भी यही थी... पर सुबह तेरी अवतार देख कर... तुझे सलून ले जाना बहुत जरूरी था... ऊपर से मैं तेरे लिए खरीदारी भी तो करना चाहती थी... इसलिए हमें यहाँ पर लंच करना पड़ रहा है...
विश्व - तो लंच के बाद सीधे घर को ही जायेंगे ना...
प्रतिभा - बिल्कुल...
विश्व - ठीक है फिर...

उनकी बातेँ हल्की हल्की मगर साफ सुनाई देती थी l उनकी बातेँ सुनने के बाद

शुभ्रा - ओ... तो यह जनाब प्रताप... कहीं बाहर रहता है... शायद किसी काम से भुवनेश्वर आया है... अब अपनी माँ से मिल लिया है... और कल शाम को वापस चला जाएगा....
रुप - यह आपने... कैसे समझ लिया...
शुभ्रा - कॉफी स्टॉल पर उससे जितनी बातेँ हुई थी... और अब इनकी बातेँ सुनने के बाद मुझे सब समझ में आ गया...
रुप - ओ...
शुभ्रा - चूंकि यह लड़का बाहर रहता है... इसलिए इसकी माँ जल्द से जल्द शादी करा देना चाहती है...
रुप - हम्म... शायद आप सही हो...

उधर विश्व खाना खा रहा है और उसे प्रतिभा मुस्कराते हुए खाना खाते हुए देख रही है l विश्व जब देखता है कि प्रतिभा उसे एक टक देखे जा रही है l

विश्व - अरे माँ... तुम खाना क्यूँ नहीं खा रही हो...
प्रतिभा - तुझे खाना खाते देख... मेरा पेट और मन दोनों भरे जा रहे हैं...

विश्व अपना थाली लेकर प्रतिभा के पास जाकर बैठ जाता है और खाने के कोर बना कर प्रतिभा को खिलाता है l यह दृश्य शुभ्रा देखती है और वह इशारे से रुप को उस तरफ देखने को कहती है l रुप अपना चेहरा को कंधे से नीचे ले कर पीछे मुड़कर देखती है फिर आगे देखने लगती है l

शुभ्रा - कुछ भी हो रुप... माँ बेटे में प्यार मगर बहुत है...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - हम शायद झेल ना पाएँ... उन माँ बेटे को... क्यूंकि उनके बीच कोई पागलपन नहीं है... प्यार ममता और वात्सल्य है... जो हमे पागलपन लगा...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - तुम चुप क्यूँ हो गई...
रुप - (आँखों में पानी आ जाती है) माँ जैसी चाची तो थी मेरे पास... उन्होंने प्यार और ममता लुटाने में भी... कोई कंजूसी नहीं की... पर माँ... माँ नहीं थी मेरे पास... शायद इसलिए उस औरत के प्यार को... अपने बेटे के लिए, पागलपन समझ बैठी...
शुभ्रा - हूँ... खैर जो भी कहो... यह माँ बेटे हैं यूनीक....

रुप मुस्कराकर अपनी सिर को हिला कर और पलकें झपका कर अपनों हामी जाहिर करती है l उधर विश्व के हाथों से प्रतिभा को खाना खाते हुए रेस्तरां में मौजूद सभी लोग उत्सुकता से देख रहे थे l थोड़ी देर बाद उनका खाना खतम हो जाता है, दोनों लेमन बाउल में हाथ धो लेने के बाद, प्रतिभा बिल पेमेंट कर देती है और दोनों रेस्तरां से बाहर निकलने को होते हैं कि उन्हें एक बुढ़े उम्र दराज़ जोड़ा सामने से आकर रोक देते हैं l उन जोड़े में से बुढ़ी औरत विश्व के सामने आकर विश्व के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरती है l विश्व और प्रतिभा स्तब्ध हो कर उन दोनों को देखने लगते हैं l उस बुढ़ी औरत की पति विश्व और प्रतिभा से कहता है
- हमारे तीन औलादें हैं... पर हमारे पास कोई नहीं हैं... वह लोग बहुत खुश हैं... बिजी हैं... इतने बिजी हैं... के हमारे लिए.. उनके पास वक़्त ही नहीं है... इसलिए हम एक दुसरे के साथ सुख दुख के लम्हें निकाल कर आपस में बांट लेते हैं... (प्रतिभा से) आप वाकई बहुत भाग्यवान हैं... (प्रतिभा मुस्कराते हुए अपना सिर गर्व से हिला कर हाँ कहती है)

विश्व यह सुन कर उस बुढ़ी औरत को गले से लगा लेता है l यह दृश्य रेस्तरां में बैठे सभी देख रहे थे l रुप से रहा नहीं जाता एक्साइटमेंट में ताली बजाने लगती है l उसे ताली बजाते देख वहाँ पर सभी लोग भी ताली बजाने लगते हैं l सबको ताली बजाते देख विश्व शर्मा कर उस औरत से अलग हो जाता है और प्रतिभा के हाथ पकड़ कर रेस्तरां से बाहर निकल जाता है l शुभ्रा रुप के हाथ को पकड़ कर ताली बजाने से रोक देती है l

शुभ्रा - वाह.... आख़िर लड़का इम्प्रेस कर ही दिया तुम्हें...
रुप - हाँ... पर मैं इम्प्रेस हुई हूँ उसकी नेक काम के वजह से ... ना कि उससे... इस काम के लिए... उसे एप्रीसिएशन तो मिलनी ही चाहिए...
शुभ्रा - वाह क्या बात है... आज लड़का तुमसे इम्प्रेस था... तुम्हें एप्रीसिएशन देना चाहता था... और अब... तुम उसे एप्रीसिएशन देना चाहती हो.... क्या बात है... वाह... दोनों के एप्रीसिएशन एक दुसरे के लिए बाकी रह गई... बचा के रखना हाँ... बाद में काम आएगा... हा हा...
रुप - भाभी... क्या हम इस टॉपिक से बाहर नहीं निकल सकते...
शुभ्रा - हाँ हाँ क्यूँ नहीं...

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विक्रम की गाड़ी मॉल से कुछ ही दुर पर पहुँचती है l तभी महांती की फोन बजने लगती है l

महांती - हैलो...
- XXXX
महांती - व्हाट...
- XXXX
महांती - ओके...
- XXXX
महांती - युवराज जी...
विक्रम - क्या बात है महांती...
महांती - छोटे राजा...
विक्रम - (गाड़ी रोक कर) क्या हुआ... क्या हुआ उन्हें...
महांती - जी... जी वह... घ... घायल हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी...
विक्रम - कैसे... कहाँ पर हमला हुआ...
महांती - म्युनिसिपलटी ऑफिस में...
विक्रम - (चुप रहता है, बड़ी बेबसी से महांती को देखता है)
महांती - यह.... एक डाइवर्जन था... मतलब हम उनके चाल में फंस गए...
विक्रम - अभी... छोटे राजा जी की कैसी हालत है...
महांती - सीरियस नहीं है... पर... हस्पताल में एडमिट हैं...
विक्रम - कैसे... कैसे हुआ यह सब...
महांती - युवराज जी... अब उनसे बात करने के बाद ही सब मालुम हो पाएगा... सिर्फ़ छोटा सा घाव लगा है...

विक्रम की मुट्ठी स्टीयरिंग पर भींच जाती है l वह अपना सिर स्टियरिंग पर पीट देता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए महांती से

विक्रम - महांती एक काम करो.... तुम छोटे राजा जी के पास जाओ... जब यहाँ तक आ गए हैं तो हम युवराणी और राजकुमारी जी को घर पर पहुँचा कर... उनसे मिलने जाएंगे...
महांती - ठीक है युवराज जी... मैं यहाँ अपनी कंपनी के सर्विस गाड़ी लेकर चला जाता हूँ... आप युवराणी और राजकुमारी जी को छोड़ कर पहुँचे...

महांती गाड़ी से उतर जाता है और फोन कर ESS सर्विस गाड़ी से अलग दिशा में चला जाता है l विक्रम शुभ्रा को फोन लगाता है l

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पार्किंग में पहुँचते ही प्रतिभा अपने सिर पर हाथ रखकर खड़ी हो जाती है और कहती है

प्रतिभा - है भगवान...
विश्व - क्या हुआ माँ... कुछ भुल गई क्या...
प्रतिभा - हाँ... (अपनी पर्स से दो रसीद निकाल कर विश्व को देती है) यह ले... यह कपड़ों की रसीद है और यह जुते की... जाकर ले आ...
विश्व - क्या माँ... वह पुराने कपड़े हैं... और जुता भी पुराना है... रहने दो ना...
प्रतिभा - सुन... दुकान पर पुराने चीजें छोड़ नहीं सकते.... हमारे जो काम ना आए... उसे हम किसी और को दे सकते हैं... जिनके वह काम आएगा... इसलिए जा ले कर आ...
विश्व - ठीक है माँ... तुम गाड़ी के पास जाओ... मुझे पाँच सात मिनट लगेंगे...
प्रतिभा - ठीक है...

विश्व लिफ्ट की ओर तेजी से भागता है और प्रतिभा अपनी गाड़ी के पास जाती है l उधर रुप और शुभ्रा रेस्तरां में अभी भी बैठे हुए बातेँ कर रहे हैं, तभी शुभ्रा को विक्रम का फोन आता है

शुभ्रा - हैलो
विक्रम - आप लोग पार्किंग में पहुँचे... हम भी पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... अभी हम निकलते हैं...
विक्रम - कितने नंबर की पार्किंग एरिया में हमे पहुँचना है...
शुभ्रा - जी ट्वेल्व नंबर पार्किंग में...
विक्रम - ठीक है... हम पाँच मिनट में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... (फोन काट देती है) चलो रुप... तुम्हारे भैया हमे लेने आए हैं...
रुप - ठीक है भाभी... चलिए.... पेमेंट क्लीयर कर निकलते हैं...

दोनों काउंटर पर जाते हैं, और पेमेंट करने लगते हैं l उधर विश्व रसीद लेकर पहले बुटीक पर पहुँचता है l जैसे ही वह काउंटर पर रसीद देता है काउंटर पर बैठा मैनेजर विश्व को छह पैकेट थमा देता है l

विश्व - अरे... यह क्या... आप मुझे इतने सारे पैकेट क्यूँ दे रहे हैं....

मैनेजर - जी... इनमें वह पांच जोड़ी कपड़े हैं... जिन्हें आपने ट्रायल किया था... और एक... जो आप पहन कर आए थे...... वह भी इन पैकेट्स में है... आपकी माता जी ने सबकी पेमेंट कर दी है...
विश्व - (यह सुन कर हैरान हो जाता है और फिर मुस्करा देता है)
मैनेजर - क्या हुआ सर...
विश्व - कुछ नहीं भाई... मेरी माँ ने भूलने का अच्छा बहाना बनाया... कितनी प्यार करती हैं मुझसे... एक जोड़ी बता कर पाँच जोड़ी खरीद लिया... और मुझे पता ना चले इसलिए चुपचाप पेमेंट भी कर दिया... अब मुझे यहाँ भेज कर... मुझे ख़ुश कर रही हैं... मुझे खुशी देते वह थकती नहीं हैं... क्यूंकि वह मेरी खुशी में ही... अपनी खुशी देखती हैं...
मैनेजर - सर एक बात कहूँ... आप बहुत लकी हो सर...
विश्व - हाँ... सो तो हूँ... कोई शक़...

फिर विश्व वहाँ से निकल कर शू स्टोर में पहुँचता है l वहाँ पर भी रसीद दिखाने पर उसे और छह जोड़ी जुतों की पैकेट मिलता है l विश्व इस बार दुकान दार से कुछ नहीं कहता l कपड़े और जुतों का पैकेट ले कर लिफ्ट के तरफ भाग कर जाता है l वहाँ पहुँच कर लिफ्ट का बटन दबाता है l लिफ्ट आकर रुकता है और दरवाजा खुल जाता है l लिफ्ट के अंदर दो लड़कियाँ थी l विश्व उन्हें देख कर अंदर जाने के वजाए रुक जाता है और इधर उधर देखने लगता है l ना वह कहीं जा पाता है ना ही अंदर l वहीँ खड़े खड़े हिचकिचाता रहता है, झिझकने लगता है l लिफ्ट के अंदर वह लड़कियाँ कोई और नहीं बल्कि रुप और शुभ्रा हैं l विश्व को हिचकिचाते देख

शुभ्रा - आइए प्रताप भैया... हम भी नीचे पार्किंग में जा रहे हैं... आप चाहें तो आ सकते हैं... (विश्व अंदर आ जाता है, और दोनों की तरफ पीठ करके खड़ा हो जाता है)
विश्व - (बिना उन्हें देखे) बुरा ना मानिये बहन जी... आपको मेरा नाम कैसे मालुम है...
शुभ्रा - अरे भैया... आपकी इंट्रोडक्शन तो आपकी माताजी ने... आइसक्रीम पार्लर में दे दी थी... और आप इतनी जल्दी भुल गए... घंटे भर पहले आप मुझसे कॉफी स्टॉल पर बात भी की थी...
विश्व - जी...(हैरान हो कर) जी... (फिर याद करते हुए) जी जी...
शुभ्रा - वैसे प्रताप भैया... आप ल़डकियों से शर्माते हैं या डरते हैं..
विश्व - जी... (बिना पीछे मुड़े) म... मालुम नहीं...

रुप - हम लड़की हैं... पर हमे नाजुक समझने की भुल ना कीजिएगा... हम बहुत खतरनाक भी हैं.... (यह सुन कर शुभ्रा रुप को कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी मैं एक लड़का हूँ... जो भी हूँ... जैसा भी हूँ... पर खतरनाक बिल्कुल नहीं हूँ....

विश्व की यह बात सुनने के बाद रुप शर्मा जाती है और शर्म से उसके गालों पर लाली छा जाती है l

शुभ्रा - हमारी गाड़ी ट्वेलव नंबर पार्किंग पर खड़ी है... और आपकी... (अब रुप उसे कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी हमारी गाड़ी नाइन नंबर पार्किग एरिया में है..

पार्किंग फ्लोर पर लिफ्ट पहुँचती है, दरवाजा खुलते ही विश्व जल्दी से निकल भागता है l शुभ्रा और रुप विश्व को भागते देख हँसने लगते हैं और अपनी गाड़ी की ओर जाने लगते हैं l वहीँ नौ नंबर पार्किंग में अपनी गाड़ी के पास प्रतिभा टहल रही है l उसी वक़्त विक्रम की ऐसकॉट और उसके पीछ गार्ड्स की दो गाड़ीयाँ तेजी से पार्किंग में घुसती है और तेजी से बारह नंबर पार्किंग की बढ़ती है l प्रतिभा के पास से पहले गार्ड वाली गाड़ी तेजी से गुजरता है फ़िर ऐसकॉट तेजी से गुजर जाता है जिससे प्रतिभा की साड़ी की आंचल थोड़ी उड़ने लगती है तभी पीछे से आ रही गार्ड्स की दुसरी गाड़ी के बम्पर गार्ड में प्रतिभा की साड़ी की आँचल फंस जाती है जिसके वजह से प्रतिभा गाड़ी के पीछे घिसटने लगती है l प्रतिभा चिल्लाने लगती है l
विश्व जैसे ही देखता है प्रतिभा की साड़ी एक गाड़ी में फंस गई है और गाड़ी प्रतिभा को घिसटते हुए लिए जा रही है l

विश्व - (हाथ से पैकेट फेंक कर चिल्लाता है) माँ..... (गाड़ी के पीछे भागता है)

वह गाड़ी थोड़ी ही दुर जा कर रुक जाती है l विश्व प्रतिभा के पास पहुँच कर देखता है सिर पर चोट लगने के कारण थोड़ा खून बह रहा है, दोनों कोहनी छील गए हैं और साड़ी घिसककर खराब हो गई है l
विश्व - (आँखों में आँसु आ जाते हैं) माँ...आँ..
प्रतिभा - (कराहते हुए) ओह... ओ... माँ...


प्रतिभा की दर्द के मारे बहुत बुरा हाल था, वह दर्द से कराह रही थी l गार्ड्स अपने गाड़ी से उतर कर विश्व और प्रतिभा को देखते हैं और ड्राइविंग साइड पर बैठा गार्ड प्रतिभा की साड़ी को गाड़ी की बम्पर से निकाल कर प्रतिभा के ओर फेंकते हुए

गार्ड - साली बुढ़िया... मरने के लिए तुझे कोई और गाड़ी नहीं मिली...

विश्व उस ड्राइवर और उन गार्ड्स को देखता है, फिर अपनी जेब से रुमाल निकाल कर प्रतिभा के माथे पर बांध देता है l और प्रतिभा को अपनी बाहों में उठा कर गाड़ी के पास घुटने के ऊँचाई बराबर एक वॉल पर पिलर के सहारे बिठा देता है l

विश्व - माँ... तुम यहीँ पर बैठी रहो... मैं अभी थोड़ी देर में आया..
प्रतिभा - रुक प्रताप...(दर्द से कराहते हुए) तु जा कहाँ रहा है...
विश्व - तुम्हारे लिए...(दाँतों को चबाते हुए) फर्स्ट ऐड लेकर आ रहा हूँ....
प्रतिभा - रुक ना...

पर विश्व प्रतिभा को वहीँ पर छोड़ कर उन गार्ड्स के तरफ चला जाता है l
उधर ऐसकॉट में शुभ्रा और रुप बैठ चुके हैं l विक्रम गार्ड्स को तैयार होने के लिए कहता है और खुद ड्राइविंग सीट की ओर जाता है l तीन गाडियों में पहली गार्ड वाली कार चलने लगती है l विश्व गाड़ियों को स्टार्ट होते देख इधर उधर देखने लगता है l उसे फायर अलार्म के पर एक लोहे का हामर दिखता है l विश्व भाग कर वह हामर निकाल लेता है l जैसे ही गालियों की काफिला चलने लगती है विश्व उस रास्ते पर सामने आकर हामर को फेंक मारता है l हामर ड्राइवर के सामने की काँच पर लगती है और काँच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l तो ड्राइवर गाड़ी की स्टीयरिंग मोड़ देता है और गाड़ी एक पिलर से टकरा जाती है l उसके पीछे आने वाली विक्रम की गाड़ी और दुसरी गार्ड्स वाली गाड़ी रुक जाती हैं l एक्सीडेंट वाली गाड़ी से सभी चार गार्ड्स उतर जाते हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर उस गार्ड को जिसने प्रतिभा की साड़ी को निकाल कर फेंका था उसे अपने तरफ खिंचता है और उसपर झन्नाटेदार थप्पड़ों की बारिश कर देता है, उस गार्ड को बचने का फुर्सत भी नहीं मिलता थप्पड़ खा खा कर वह गार्ड नीचे गिर जाता है, दुसरे गार्ड्स विश्व को हैरान हो कर मुहँ फाड़े देखे जा रहे थे l उनमें से एक विश्व के पास आकर विश्व की कलर पकड़ने की कोशिश करता है l विश्व भी उसे कोई मौका दिए वगैर थप्पड़ पर थप्पड़ मारे जाता है l वह भी नीचे गिर जाता है l बाकी दो गार्ड्स में से एक
गार्ड - अरे पागल हो गया क्या... क्यूँ मारे जा रहे हो...


विश्व उसे देखता है, फ़िर उसे पकड़ कर थप्पड़ मारने लगता है l यह सब ऐसकॉट में बैठा ना सिर्फ़ विक्रम बल्कि शुभ्रा और रुप भी देख रहे थे l विश्व जिस तरह से विक्रम के गार्ड्स को थप्पड़ों से ट्रीट कर रहा था उसे देख रुप की हँसी निकल जाती है जिसे विक्रम सुन लेता है l विक्रम गुस्से से पीछे मुड़ कर देखता है तो रुप अपनी भाभी के पीछे दुबक जाती है l इतने में पीछे वाली गाड़ी से बाकी चार गार्ड्स आ पहुँचते हैं I विक्रम अपनी गाड़ी की खिड़की की काँच उतारते हुए l

विक्रम - क्या हो रहा है वहाँ... कौन है वह.. क्या प्रॉब्लम हुआ है...
एक गार्ड - सर... इसी लड़के की माँ की साड़ी.. फंस गई थी हमारी गाड़ी में...
विक्रम - व्हाट... इस बात के लिए वह हमारे लोगों को मारेगा... तुम लोग ESS के ट्रैंन्ड कमांडोज हो... जाओ अपने स्टाइल से इसे सॉल्व करो...
गार्ड्स - यस सर....

फिर एक गार्ड जो विक्रम के पास खड़ा था वह अचानक विश्व के तरफ भाग कर एक फ्लाइंग किक मारता है l विश्व उसके लिए तैयार नहीं था l किक लगते ही विश्व कुछ दूर जा कर गिरता है l

वह गार्ड - ऐ... उठो रे सब.. हम.. ESS के कमांडोज हैं.... कोई ऐरा गैरा नथु खैरा नहीं हैं... चलो इसको सबक सीखते हैं...
यह सुन कर सभी गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l विश्व भी उसकी बातेँ सुन कर खड़ा होता है l वह गार्ड जिसने विश्व को फ्लाइंग किक मारा था वह फ़िर से विश्व की ओर भागता है विश्व भी उसके तरफ भागता है l गार्ड जम्प लगा कर फ्लाइंग बैक किक मारता है जवाब में विश्व भी उसी समय फ्लाइंग राउन्ड हाउस किक मारता है l गार्ड की किक लगने से पहले विश्व की किक लगती है और वह गार्ड हवा में ही किक के इम्पैक्ट से साइड में खड़े एक कार पर गिरता है जिससे उस कार की सिक्युरिटी अलार्म बजने लगता है l उस गार्ड के गिरते ही बाकी गार्ड्स विश्व को हैरानी भरे नजरों से देखने लगते हैं l विक्रम भी अपनी गाड़ी से उतर जाता है l

बाकी बचे सातों गार्ड एक दुसरे को इशारा करते हुए विश्व को घेरते हैं और पोजिशन लेते हैं l

विश्व - (उन गार्ड्स से चिल्ला कर) तुमने जिसे बुढ़िया कहा और अपनी गाड़ी के पीछे घसीटा है... वह मेरी माँ है... बेहतर यही होगा... तुम सब उनके पैरों पर गिर माफी मांग लो... चलो...
उन गार्ड्स में से एक - नहीं तो....
विश्व - नहीं तो... तुम लोग अपने गाड़ी से नहीं... एम्बुलेंस से बाहर निकलोगे...

सभी गार्ड्स जो विश्व को घेरे हुए थे उनमे से एक विश्व को पीछे से किक उठा कर हमला करता है l विश्व आसानी से डॉज करते हुए बच जाता है और घुटने पर बैठ कर फ़ॉन्ट हाउस किक मारता है जिसे वह गार्ड पीठ के बल गिरता है l उसके बाद दुसरा सामने वाला पुश किक मारता है विश्व लोअर डाउन वार्ड डॉज करता है फिर एक जाब पंच उसके पसलियों पर मारता है l तीसरा गार्ड साइड किक मारता है उससे बचते हुए एक फ़ॉन्ट हूकींग किक गार्ड के ठुड्डी पर मारता है l चौथा गार्ड विश्व के चेहरे पर पंच मारने वाला होता है विश्व घुम कर एक क्रॉस एलबॉ मारता है जो उसके चेहरे पर लगता है l फिर विश्व झुक कर घुटनों के बल स्किड करते हुए पाँचवे गार्ड के पास खड़े हो कर एक अपर कट पंच मार देता है l छटा गार्ड विश्व पर छलांग लगाता है विश्व थोड़ा झुक कर उसे हवा में ही उठाकर फेंक देता है और सातवें को घूम कर दोनों हाथों का डबल हामर पंच मारता है l सब के सब नीचे गिरे पड़े हैं l

विक्रम हैरान हो कर विश्व को देखता है l यही हालत रुप और शुभ्रा की भी है l क्यूँ के जो भी हुआ सब कुछ सेकेंड में हो गया था l ESS के हाईली ट्रेंड आठ कमांडोज कुछ ही सेकंड में धुल चाट रहे थे l विश्व एक गार्ड को उठाता है और उसके कलर पकड़ कर घसीटते हुए लेकर जाने लगता है l

विक्रम - ऑए... (चिल्ला कर) ऑए लड़के... यह क्या हो रहा... वह हमारा आदमी है... छोड़ो उसे...
विश्व - (उस गार्ड को पकड़े हुए रुक जाता है) यह मेरी माँ का गुनहगार है... जब तक माफी नहीं मांग लेता... तब तक यह कहीं नहीं जा सकता है...
विक्रम - ऑए...(गुर्राते हुए) जानता है किससे बात कर रहा है... किसके आदमियों से पंगा ले रहा है... छोड़ दे उसे...
विश्व - (उस गार्ड को उठाकर दो और थप्पड़ मार देता है) अगर यह तेरे दम पर मेरी माँ से बत्तमीजी की है... तो माफी माँगना अब तेरा बनता है.... या तो यह माफी मांगेगा या फिर तु... फैसला कर लो...
विक्रम - क्या... माफी.. वह भी हम... हम कुछ मांगते नहीं है... या तो देते हैं... या फिर छिनते हैं... लगता है तेरी मौत तुझसे बुलवा रहा है...

विश्व - फैसला कर ले... या तो यह... या फिर तु...

तभी कुछ गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l उनमे से एक


गार्ड - सर हम इसे देख लेंगे... आप... आप गाड़ी में बैठिए...
विक्रम - (उन गार्ड्स से) उठो... संभलो... इसे पकड़ कर इतना मारो... के फिर कभी किसीसे जुबान लड़ाने पहले... सौ बार सोचेगा...


विक्रम के इतने कहते ही सातों गार्ड्स अपनी पुरी ताकत लगा कर विश्व को पकड़ने भागते हैं l विश्व जिस गार्ड को पकड़ा हुआ था उसके कनपटी पर एक घुसा जड़ देता है l वह गार्ड वहीँ नीचे ढेर हो जाता है l इतने में विश्व को बाकी बचे सात गार्ड्स आकर फिरसे घेर लेते हैं l विश्व अब अपने सामने वाले को छकाकर पीछे खड़े गार्ड को एक बैक राउंड हाउस किक मारता है फिर सामने वाले को फ़ॉन्ट थ्रॉस्ट किक फिर तीसरे के पेट में पंच फिर घूम कर कोहनी गाल के ऊपर आँख के नीचे l चौथा जिस तेजी से विश्व की ओर आता है विश्व उसीकी तेजी को इस्तमाल करके उठा कर फेंक देता है फिर बाएं घुटने पर बैठ कर दाएं पैर की लोअर स्पिन टर्न किक मारता है जिससे पांचवां पीठ के बल गिर जाता है l विश्व उठकर छटे पर छलांग लगा कर घुटना मोड़ कर सीने पर मारता है l फिर पलट कर एक साइड किक पांचवे को, इतने में सातवां विश्व को घुसा मारता है विश्व पीठ को पीछे की ओर मोड़ कर बचता है फिर वह जैसे वह सातवां विश्व की ओर मुड़ता है विश्व एक जबरदस्त हामर पंच उसके नाक पर जड़ देता है जिससे उस सातवें गार्ड की नाक कचूमर बन जाता है और वह नीचे गिर कर छटपटाने लगता है l पुरा कर पुरा दृश्य एक्शन रीप्ले की तरह ही दिखा कुछ ही सेकंड में सभी ढेर, फिर विश्व पहले से अधमरे हो चुके सभी गार्ड्स को विक्रम के सामने किसी खिलौने की तरह उठा कर सबको बारी बारी से पटक देता है l इतने में विक्रम एक फ्लाइंग किक मारता है, किक विश्व के चेहरे पर लगती है और विश्व दूर छिटक कर गिरता है l विश्व उसके लिए तैयार बिल्कुल नहीं था विक्रम के देखते हुए विश्व खड़ा होता है l विक्रम विश्व के पास आकर रिवर्स फ़ॉन्ट राउन्ड हाउस किक मारता है l पर इस बार विश्व अपनी जगह से हिलता भी नहीं है l विक्रम तरह तरह से पंच किक आजमाने लगता है विश्व सबको आसानी से और फुर्ती से डॉज करने लगता है फिर एक मंकी ब्लॉक लेकर विक्रम के पेट में एक ताकत भरा पंच मार देता है l विक्रम कुछ दूर स्कीड हो कर गीर जाता है l थोड़ी देर बार वापस खड़े हो कर पोजीशन बनाने की कोशिश करता है कि तभी विश्व उसके तरफ दौड़ कर जम्प लगा देता है और दायां घुटने को मोड़ कर शॉट हिट करता है जो सीधा विक्रम के चेहरे पर लगती है और विक्रम उड़ते हुए अपनी ही ऐसकॉट पर गिरता है l गाड़ी के भीतर यह देख कर शुभ्रा और रुप डर जाते हैं l विश्व अब बेकाबु हो चुका था वह विक्रम को मारने के लिए दौड़ लगाने वाला ही था कि उसके कानों में प्रतिभा की आवाज पड़ती है

प्रतिभा - प्र.. ता....प...(विश्व रुक जाता है l और पीछे मुड़ कर देखता है) बस बेटा... बहुत हो गया... जाने दे...
विश्व - नहीं माँ...(अपनी दांतों को चबाते हुए) जब तक यह कंजर्फ तुमसे माफी नहीं मांगेगा... मैं इसे नहीं छोडूंगा...
प्रतिभा - तु... (कराहते हुए) तु मेरी बात... नहीं मानेगा...

विश्व कुछ नहीं कहता सिर झुका कर विक्रम और उन गार्ड्स सबको उन्हीं के हाल में छोड़ कर प्रतिभा की ओर जाने लगता है l विक्रम के लिए यह बर्दास्त के बाहर था वह गाड़ी के ऊपर से लुढ़क कर विश्व पर चिल्लाता है

विक्रम - ऑए... कमीने... हराम जादे... तुने किससे पंगा लिया है... नहीं जानता है तु...

विश्व उसे मुड़ कर देखता है l प्रतिभा विश्व को फ़िर से आवाज देती है (नहीं प्रताप नहीं...) l इसलिए विश्व वापस प्रतिभा की ओर जाने लगता है l

विक्रम - आज... तुने किसकी हुकूमत से टकराया है... जानता है तु.... नहीं जानता है ना...

विश्व पीछे मुड़ कर नहीं देखता और सीधे प्रतिभा के पास पहुँच जाता है l

विक्रम - तुने अपनी मौत को छेड़ा है... जानता है... मेरा बाप कौन है
विश्व - (मूड जाता है और कहता है) क्यूँ... तु नहीं जानता... तेरा बाप कौन है... तो जा... जाकर अपनी माँ से पुछ... वह बताएगी तेरा बाप कौन है... (कह कर मूड जाता है और प्रतिभा के साथ जाने लगता है)
विक्रम - (यह सुन कर शुन हो जाता है) (फिर होश में आता है) या.... आ... आ.. (चिल्लाता है) भैरव सिंह क्षेत्रपाल.... मेरे बाप का नाम... अब तु अपनी जिंदगी के दिन गिनना शुरू कर दे... हराम जादे...


विश्व यह नाम सुनते ही रुक जाता है, उसके आँखों में खुन उतर आता है, उसके सारे जिस्म थर्राने लगता है, प्रतिभा भी उसके चेहरे को देख कर डरने लगती है l विश्व जल्दी से पीछे मुड़ता है और विक्रम के पास पहुँच कर एक जोरदार फ्रंट थ्रस्ट किक विक्रम के सीने पर मारता है l इसबार विक्रम अपनी गाड़ी के कांच के उपर गिरता है l कांच पुरी तरह से टूटती तो नहीं पर कांच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l विश्व जम्प लगा कर गाड़ी की बोनेट पर चढ़ जाता है और विक्रम के कलर पकड़ कर जैसे ही पंच मारने को होता है शुभ्रा गाड़ी से उतर कर

शुभ्रा - भैया.... प्रताप भैया... (अपनी मंगलसूत्र को दिखाते हुए) प्लीज भैया... (गिड़गिड़ाते हुए) प्लीज...(रोने लगती है)
विश्व - (शुभ्रा को देख कर और उसकी बिनती के वजह से अपना हाथ रोक देता है, पर विक्रम से) सुन बे क्षेत्रपाल के चुजे... तेरा हर काम.. वह क्षेत्रपाल ही करेगा क्या... फ़िर तु क्या करेगा... या फिर तुझसे कुछ होता नहीं... इसलिए कुछ करने के लिए... तुझे क्षेत्रपाल टैग चाहिए... हाँ... (विक्रम के मुहँ से नाक से खुन बह रहा है, गहरी गहरी सांसे लेते हुए गुस्से से विश्व को देखते हुए) तुम लोगों ने मेरी माँ के साथ जो बत्तमीजी की... उसके लिए... कायदे से जान से मार देना चाहिए था... पर (शुभ्रा को दिखाते हुए) इन्हें अनजाने में सही बहन कहा है... इनके साथ उस रिश्ते का लिहाज करते हुए तुम लोगों को छोड़ रहा हूँ...
Bahut hi shaandar update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and lovely update.....
 

Jaguaar

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रूप हाथों में कॉफी लिए शुभ्रा को फोन पर बातेँ करते हुए सुन रही थी l उसे शुभ्रा के चेहरे पर चिंताएं दिखने लगती हैं l

शुभ्रा - य... यह आप क्या कह रहे हैं...
विक्रम - आप घबराइए नहीं... मॉल के बाहर वह लोग पोजिशन बना रहे हैं... मॉल के अंदर हमारी सिक्युरिटी सर्विस है.... इसलिए आप घबराए नहीं...
शुभ्रा - अच्छा ठीक है... तो अब हम क्या... क्या करें...
विक्रम - आप किसी रेस्तरां में जाकर कुछ देर के लिए बैठ जाइए... वहाँ पर टाइम स्पेंट कीजिए... हम आ रहे हैं...
शुभ्रा - आप... कब तक पहुँचेंगे....
विक्रम - हम निकल चुके हैं... ट्रैफिक बहुत है... फ़िर भी ज्यादा से ज्यादा एक घंटा लगेगा... आप फिक्र ना करें... हम पहुँचते ही आपको कॉन्टेक्ट करेंगे...
शुभ्रा - (अपना सिर हिलाते हुए) ठीक है...

फोन कट हो जाती है l शुभ्रा को चिंतित देख कर रुप पूछती है

रुप - क्या हुआ भाभी... आप फोन पर बात करते हुए परेशान दिखीं... कोई बड़ी बात...
शुभ्रा - चलो किसी रेस्तरां में बैठते हैं... वहीँ पर आराम से बात करते हैं...
रुप - ठीक है... चलते हैं...

फिर दोनों उसी फ्लोर पर एक रेस्तरां में चले जाते हैं l उधर विक्रम की गाड़ी ट्रैफिक में रेंग रही है l गाड़ी के ड्राइविंग सीट पर बैठे बैठे विक्रम चिढ़ने लगा था l बगल में बैठा महांती फोन पर बात कर रहा है l बात खतम कर विक्रम से

महांती - सर... मुझे लगता है आप ज्यादा स्ट्रेस ले रहे हैं... वहाँ पर सिर्फ़ तीन लोग एक पॉइंट पर असेंबल होते दिखे हैं... पर वह लोग कोई एक्शन करेंगे... मुझे नहीं लगता...
विक्रम - तो फ़िर एक ही जगह पर इकट्ठे हो कर क्यूँ बार बार स्कैटर्ड हो रहे हैं.... पोजीशन बदल रहे हैं... क्यूँ... और तुमने ही कहा था... वह लोग हम सबकी रेकी कर रहे हैं...
महांती - हाँ पर मुझे लगता है... वह लोग हमे स्टडी कर रहे हैं...
विक्रम - किस लिए...
महांती - सर कुछ लोग उनमें ऐसे हैं... जो मेरे पेरेंट् सिक्युरिटी सर्विस से जुड़े थे... इत्तेफ़ाक से वह लोग भी एक्स सर्विस मेन हैं... इसलिए मैं अपनी एक्सपेरियंस से कह रहा हूँ... कुछ और हो रहा है...
विक्रम - जो भी हो महांती... तुम जानते हो... युवराणी हमारे लिए क्या मायने रखती हैं... हम उन्हें कभी भी चारा बनने नहीं दे सकते... अगर वह खतरे में हैं... तो समझ लो हमारी दुनिया खतरे में है...

महांती कुछ नहीं कहता है l वह सिर्फ अपना सिर हिला कर खिड़की से बाहर देखने लगता है l विक्रम थोड़ी स्पेस मिलते ही गाड़ी को भगाने की कशिश कर रहा है पर ट्रैफ़िक के वजह से वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है l

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उधर कॉफी के दो ग्लास लेकर विश्व प्रतिभा के पास पहुँचता है l टेबल पर ग्लास रख कर

विश्व - यह लो माँ.. यह भी आज की स्पेशल कॉफी है...
प्रतिभा - (बेमन से कॉफी लेती है) हूँ...
विश्व - क्या हुआ... तुम्हारा मुहँ क्यूँ लटका हुआ है... किसी ने कुछ कहा क्या...
प्रतिभा - नहीं.... कुछ भी नहीं... यही तो ग़म है... किसीने कुछ कहा नहीं...
विश्व - फ़िर... कहीं... सेनापति सर की याद तो नहीं आ रही है...(भवें नचा कर चिढ़ाते हुए)
प्रतिभा - चुप कर... उनकी क्यूँ याद आयेगी मुझे... मैं किसी और बात को लेकर सोच में हूँ...
विश्व - अच्छा.. तो बताओ ना माँ... क्या बात है...
प्रतिभा - मैं ना...(खुश होते हुए) अभी अभी... कुछ देर पहले नंदिनी से मिली थी...
विश्व - (हैरान हो कर) क्या... तुम सच कह रही हो...
प्रतिभा - (अब हँसने लगती है) हा हा हा... ओ हो... नंदिनी का नाम लिया तो चेहरा कैसे खिल गया... देखो तो लौंडे को...
विश्व - (हकलाते हुए) न.. नहीं ए.. ऐसा कुछ नहीं है माँ... म.. मैंने पहले भी तुमसे कहा है... मैं उनसे प्रभावित हुआ हूँ... पर तुम उनका नाम लेकर आज दिन भर में ना जाने कितनी बार... मेरा पोपट बना रही हो.....
प्रतिभा - अरे मैं सच कह रही हूँ... नंदिनी से मिली थी अभी कुछ देर पहले... हाँ यह बात और है... वह रेडियो वाली नंदिनी नहीं थी...
विश्व - तो फिर...
प्रतिभा - मैं ना... उससे दोस्ती करने के लिए बातेँ बढ़ा रही थी... पर वह कब चली गई मुझे मालुम ही नहीं पड़ा...
विश्व - (हँसने लगता है)हा हा हा... मुझे मालुम है... तुम क्यूँ दोस्ती करना चाहती थी... और... मुझे शक़ है... उसे भी अंदाजा हो गया होगा... इसलिए वह भाग गई.. (हा हा हा हा)
प्रतिभा - (मुहँ बनाते हुए) उड़ाले उड़ाले.. मेरा मजाक उड़ाले...
विश्व - (प्रतिभा के हाथ को पकड़ लेता है) माँ... जितनी ख्वाहिशें भी ना थी इस जिंदगी से.... जिंदगी ने उससे ज्यादा दे दिया है... वैसे भी मेरे आचार्य जी कहा करते थे... वक़्त से पहले और तकदीर से ज्यादा किसीको कुछ भी हासिल नहीं होता...
प्रतिभा - यह मत भूल... तु होने वाला एडवोकेट है... कोर्ट में यह फिलासफी बातेँ अमान्य होतीं हैं...
विश्व - जानता हूँ माँ... पर यही बातेँ... जिंदगी में तो मायने रखते हैं ना...
प्रतिभा - क्या करूँ मैं... तु आता भी है तो जुगनू की चमक की तरह... ठहरता भी तो नहीं... और जब एक महीने के बाद सज़ा पुरी हो जाएगी... तब भी... सिर्फ़ एक महीने के लिए ही मेरे पास रुकेगा... (प्रतिभा विश्व की हाथों को पकड़ कर) वादा कर.... गांव जाने के बाद भी... तु आता जाता रहेगा...
विश्व - माँ... इस बारे में हमने कई बार बातेँ की है... हमेशा मैंने तुमसे वादा किया है... क्या मेरे वादे पर विश्वास नहीं...
प्रतिभा - (थोड़ा उदास हो कर) ऐसी बात नहीं है... माँ हूँ... मन नहीं भरता... क्यूंकि किस्मत पर भरोसा जो नहीं है...
विश्व - तो ठीक है माँ... मैं फिर से अपना वादा दोहराता हूँ... मैं छूटने के बाद पुरे एक महीने के लिए तुम्हारे पास रूकुंगा... फिर अपनी जीवन की सबसे बड़ी मकसद को पुरा करने जाऊँगा... इस बीच हर हफ्ते दस दिन में आता रहूँगा... तुमसे मिलने... और जब मकसद हासिल हो जाएगी... मैं हमेशा के लिए तुम्हारे पास लौट आऊंगा... यह वादा करता हूँ... (प्रतिभा मुस्करा देती है) पर तुम भी एक वादा करो...
प्रतिभा - कुछ भी मांग ले... (विश्व कहने को होता है) रुक पूरी बात तो सुन ले...(विश्व चुप हो जाता है) मैं बहु ढूंढना नहीं छोड़ने वाली... हाँ...
विश्व - लो... (प्रतिभा की हाथ को छोड़ते हुए) पहले से ही मेरे जुबान पर ताला मार दिया तुमने... अब क्या ख़ाक वादा मांगूंगा...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... अपनी माँ से चालाकी... आँ..
विश्व - अच्छा माँ...(हाथ जोड़ कर) गलती हो गई... अब खाना खाने चलें या ऐसे ही...
प्रतिभा - हाँ हाँ चलो... इसी फ्लोर पर एक रेस्तरां है... बढ़िया खाना मिलता है वहाँ... चल पेट भर कर खाना खाते हैं... फिर घर चलते हैं...
विश्व - (उठते हुए)हाँ तो चलो फिर...

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मॉल पहुँचने के लिए देरी होता देख विक्रम वीर को फोन लगाता है l वीर तब तक घर पहुँच चुका था और अपने बेड पर लेटा हुआ था I वीर आधी नींद में फोन उठाता है

विक्रम - हैलो राजकुमार...
वीर - जी कहिए युवराज...
विक्रम - क्या... आप सोये हुए लग रहे हैं... आप हैं कहाँ पर...
वीर - (नींद भरे आवाज में) अपने कमरे में...
विक्रम - क्या... आप घर पर कब आए...
वीर - कुछ ही देर हुए हैं... बस जरा सा आँख लग गई थी कि (उबासी लेते हुए) आपका फोन आगया....
विक्रम - ओ अच्छा...
वीर - क्या है युवराज जी...
विक्रम - कुछ नहीं... आप आराम कीजिए... बाद में बात करते हैं...
वीर - ठीक है....

विक्रम फोन काट देता है l और महांती को देखने लगता है तो महांती कहता है

महांती - युवराज आप मुझसे पूछ लेते... मुझे नहीं पता था कि आपने राजकुमार जी को फोन लगाया था... मेरे पास इंफॉर्मेशन थी... जब युवराणी और राजकुमारी मॉल के अंदर गईं थीं.... उसके थोड़ी देर बाद राजकुमार वहाँ से लड़की को साथ लेकर वापस चले गए...
विक्रम - सॉरी महांती... यु नो.. युवराणी मिन्स व्हाट टु मि... इसलिए हमसे ऐसी बेवकूफ़ी भरी हरकतें हो रहे हैं...
महांती - कोई बात नहीं सर... उन्हें कुछ नहीं होगा....
विक्रम - थैंक्यू... महांती.. थैंक्यू...

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मॉल के फुड कोर्ट में एक रेस्तरां है जिसका नाम है डालमा रेस्तरां l उस रेस्तरां के एक कॉर्नर टेबल पर शुभ्रा और रुप स्टार्टर के साथ साथ सुप पी रहे हैं l

रूप - हम अगर अपनी गाड़ी से चले गए होते... तो शायद अब तक घर पर पहुँच गए होते... उससे क्या कोई प्रॉब्लम हो जाता...
शुभ्रा - पता नहीं... रुप तुम अच्छी तरह से जानती हो... भले ही तुम कॉलेज जा रही हो... पर सच्चाई भी यही है कि... तुम हो या मैं.... हम हमेशा तुम्हारे बड़े भैया के निगरानी में हैं... अगर वह खुद आ रहे हैं... मतलब कुछ तो सीरियस बात होगी...
रुप - हाँ भाभी आप ठीक कह रही हो.... यह राजगड़ तो नहीं है...
शुभ्रा - हाँ... और कभी हो भी नहीं सकता... यहाँ पर सब अपने अपने इगो को भाव देते रहते हैं और बढ़ाते रहते हैं... अगर दुश्मनी हो.... तो घात लगाने के लिए ताक में रहते हैं... लगता है इन सात सालों की सफर में... किसीके इगो को जबरदस्त ठेस पहुँची है... जिसके वजह से वह... क्षेत्रपाल के अहंकार पर शायद प्रतिघात करने के लिए घात लगा रहा है...
रुप - (एक फीकी मुस्कान के साथ) राजगड़ में... अपनों के वजह से... बाहर नहीं निकल पा रही थी.... और यहाँ किसी और के वजह से कहीं बाहर निकालना बंद ना हो जाए...
शुभ्रा - हूँ... मुझे तुम्हारे लिए बुरा तो लगेगा... अगर तुम्हारा कॉलेज आना जाना बंद हो गया तो...
रुप - (एक गहरी सांस छोड़ कर) और कितनी देर भाभी...
शुभ्रा - पता नहीं... तुम्हारे भैया जब तक यहाँ ना पहुँचे तब तक तो नहीं....
रुप - उई माँ.. (कहकर मेन्यू कार्ड अपने चेहरे के सामने कर लेती है)
शुभ्रा - क्या... क्या हुआ रुप...
रुप - पता नहीं भाभी... आज मेरी कुंडली में यह माँ बेटे क्यूँ... राहु केतु की तरह जब देखो टपक रहे हैं...

शुभ्रा घुम कर पीछे देखती है प्रतिभा और विश्व अंदर आकर एक वेटर से बात कर रहे हैं l वह वेटर उन्ही के तरफ एक खाली टेबल की ओर इशारा करता है l यह देख

रुप - भाभी आप एक काम करो प्लीज...
शुभ्रा - क्या...
रुप - आप मेरी जगह आ जाओ... मैं आपकी जगह पर बैठ जाती हूँ...(कह कर उठ जाती है और शुभ्रा के पास पहुँच जाती है, शुभ्रा भी हँसते हुए जगह बदल देती है)
शुभ्रा - (हँसते हुए) बाप रे... इतना डर...(रुप इतने में अपनी जुड़ा खोल देती है) अरे... यह अपने बाल क्यूँ खुला छोड़ रही हो...
रुप - यह आज कल की स्टाइल है भाभी...
शुभ्रा - हाँ... हाँ... हाँ... यह क्यूँ नहीं कहती अपनी चेहरा छुपा रही हो...
रुप - आप जानती हो ना... फ़िर क्यूँ पुछ रही हो...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए, धीरे से) वैसे रुप... तुम मानो या ना मानो.... लड़का... है तुम्हारे टक्कर का...
रुप - (अपनी आँख दिखाते हुए) भाभी...
शुभ्रा - (अपनी हँसी को दबाते हुए) क्यूँ क्या गलत कह दिया...
रुप - (अपनी दांत चबाते हुए धीरे से) आप सब कुछ देख कर भी... समझ नहीं पा रही हैं...
शुभ्रा - क्या... क्या समझ नहीं पा रही हूँ...
रुप - वह प्रताप अभी भी... ममास् बॉय है... उसकी माँ उसे इन माहौल में ढालने की कोशिश कर रही हैं... पर उसमें... ना झिझक कम हो रहा है ना शर्म टुट रहा है...
शुभ्रा - हूँ.. म्म्म.. अच्छा जज किया है तुमने... पर फिर भी... तुमको उसे नजर भर देखना चाहिए... क्या गजब का सेक्स अपील है यार... उसकी पर्सनालिटी में...
रुप - (हैरानी से अपनी आँखे बड़ी करते हुए) हाँ..आँ... भाभी आप.. यह कैसी बात कर रही हैं...
शुभ्रा - ओह कॉम ऑन.. मैं तुम्हारे लिए कह रही हूँ...
रुप - भाभी... पहली बात... यु नो वेरी वेल... आई एम फिक्स्ड... कुछ इधर की उधर हुई तो...(मायूसी भरी आवाज़ में) आप अच्छे से जानते हो क्या हो सकता है... क्षेत्रपाल के अहं के नीचे रौंद दिए जाएंगे... यह और उसकी फॅमिली... वैसे भी क्षेत्रपाल के आँखों में आँख डालने वाला... अगर इस स्टेट में नहीं... तो शायद ... इस दुनिया में कहीं हो... पर कम से कम यह तो नहीं... (हँसने की कोशिश करते हुए) बात बात पर झिझकने वाला... शर्माने वाला... (अपना सिर को ना में हिलाते हुए) कतई नहीं...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म... (अपना सिर हिलाते हुए) हूँ..
रुप - क्या हम्म.. क्या हूँ..
शुभ्रा - (एक दिलासा देने वाली हँसी के साथ रुप के हाथों पर हाथ रखते हुए) तुम्हारे अंदर एक उम्मीद मैंने देख ली है... तुमको किसीका इंतजार तो है... जो तुम्हें इस क्षेत्रपाल नाम की की पिंजरे से ले उड़े...

रुप अपना सिर झुका लेती है और चुप भी हो जाती है l उधर प्रतिभा और विश्व के टेबल पर ऑर्डर किया हुआ खाना पहुँच जाता है l

विश्व - एक बात कहूँ माँ..
प्रतिभा - हाँ बोल...
विश्व - हमे आज बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए था...
प्रतिभा - क्यूँ....
विश्व - माँ... कल शाम तक ही आपके पास रूक रहा हूँ... इसलिए आपको मुझे अपनी हाथों से खाना बना कर खिलाना चाहिए था...
प्रतिभा - हाँ मानती हूँ... मेरी इच्छा भी यही थी... पर सुबह तेरी अवतार देख कर... तुझे सलून ले जाना बहुत जरूरी था... ऊपर से मैं तेरे लिए खरीदारी भी तो करना चाहती थी... इसलिए हमें यहाँ पर लंच करना पड़ रहा है...
विश्व - तो लंच के बाद सीधे घर को ही जायेंगे ना...
प्रतिभा - बिल्कुल...
विश्व - ठीक है फिर...

उनकी बातेँ हल्की हल्की मगर साफ सुनाई देती थी l उनकी बातेँ सुनने के बाद

शुभ्रा - ओ... तो यह जनाब प्रताप... कहीं बाहर रहता है... शायद किसी काम से भुवनेश्वर आया है... अब अपनी माँ से मिल लिया है... और कल शाम को वापस चला जाएगा....
रुप - यह आपने... कैसे समझ लिया...
शुभ्रा - कॉफी स्टॉल पर उससे जितनी बातेँ हुई थी... और अब इनकी बातेँ सुनने के बाद मुझे सब समझ में आ गया...
रुप - ओ...
शुभ्रा - चूंकि यह लड़का बाहर रहता है... इसलिए इसकी माँ जल्द से जल्द शादी करा देना चाहती है...
रुप - हम्म... शायद आप सही हो...

उधर विश्व खाना खा रहा है और उसे प्रतिभा मुस्कराते हुए खाना खाते हुए देख रही है l विश्व जब देखता है कि प्रतिभा उसे एक टक देखे जा रही है l

विश्व - अरे माँ... तुम खाना क्यूँ नहीं खा रही हो...
प्रतिभा - तुझे खाना खाते देख... मेरा पेट और मन दोनों भरे जा रहे हैं...

विश्व अपना थाली लेकर प्रतिभा के पास जाकर बैठ जाता है और खाने के कोर बना कर प्रतिभा को खिलाता है l यह दृश्य शुभ्रा देखती है और वह इशारे से रुप को उस तरफ देखने को कहती है l रुप अपना चेहरा को कंधे से नीचे ले कर पीछे मुड़कर देखती है फिर आगे देखने लगती है l

शुभ्रा - कुछ भी हो रुप... माँ बेटे में प्यार मगर बहुत है...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - हम शायद झेल ना पाएँ... उन माँ बेटे को... क्यूंकि उनके बीच कोई पागलपन नहीं है... प्यार ममता और वात्सल्य है... जो हमे पागलपन लगा...
रुप - हूँ...
शुभ्रा - तुम चुप क्यूँ हो गई...
रुप - (आँखों में पानी आ जाती है) माँ जैसी चाची तो थी मेरे पास... उन्होंने प्यार और ममता लुटाने में भी... कोई कंजूसी नहीं की... पर माँ... माँ नहीं थी मेरे पास... शायद इसलिए उस औरत के प्यार को... अपने बेटे के लिए, पागलपन समझ बैठी...
शुभ्रा - हूँ... खैर जो भी कहो... यह माँ बेटे हैं यूनीक....

रुप मुस्कराकर अपनी सिर को हिला कर और पलकें झपका कर अपनों हामी जाहिर करती है l उधर विश्व के हाथों से प्रतिभा को खाना खाते हुए रेस्तरां में मौजूद सभी लोग उत्सुकता से देख रहे थे l थोड़ी देर बाद उनका खाना खतम हो जाता है, दोनों लेमन बाउल में हाथ धो लेने के बाद, प्रतिभा बिल पेमेंट कर देती है और दोनों रेस्तरां से बाहर निकलने को होते हैं कि उन्हें एक बुढ़े उम्र दराज़ जोड़ा सामने से आकर रोक देते हैं l उन जोड़े में से बुढ़ी औरत विश्व के सामने आकर विश्व के सिर पर बड़े प्यार से हाथ फेरती है l विश्व और प्रतिभा स्तब्ध हो कर उन दोनों को देखने लगते हैं l उस बुढ़ी औरत की पति विश्व और प्रतिभा से कहता है
- हमारे तीन औलादें हैं... पर हमारे पास कोई नहीं हैं... वह लोग बहुत खुश हैं... बिजी हैं... इतने बिजी हैं... के हमारे लिए.. उनके पास वक़्त ही नहीं है... इसलिए हम एक दुसरे के साथ सुख दुख के लम्हें निकाल कर आपस में बांट लेते हैं... (प्रतिभा से) आप वाकई बहुत भाग्यवान हैं... (प्रतिभा मुस्कराते हुए अपना सिर गर्व से हिला कर हाँ कहती है)

विश्व यह सुन कर उस बुढ़ी औरत को गले से लगा लेता है l यह दृश्य रेस्तरां में बैठे सभी देख रहे थे l रुप से रहा नहीं जाता एक्साइटमेंट में ताली बजाने लगती है l उसे ताली बजाते देख वहाँ पर सभी लोग भी ताली बजाने लगते हैं l सबको ताली बजाते देख विश्व शर्मा कर उस औरत से अलग हो जाता है और प्रतिभा के हाथ पकड़ कर रेस्तरां से बाहर निकल जाता है l शुभ्रा रुप के हाथ को पकड़ कर ताली बजाने से रोक देती है l

शुभ्रा - वाह.... आख़िर लड़का इम्प्रेस कर ही दिया तुम्हें...
रुप - हाँ... पर मैं इम्प्रेस हुई हूँ उसकी नेक काम के वजह से ... ना कि उससे... इस काम के लिए... उसे एप्रीसिएशन तो मिलनी ही चाहिए...
शुभ्रा - वाह क्या बात है... आज लड़का तुमसे इम्प्रेस था... तुम्हें एप्रीसिएशन देना चाहता था... और अब... तुम उसे एप्रीसिएशन देना चाहती हो.... क्या बात है... वाह... दोनों के एप्रीसिएशन एक दुसरे के लिए बाकी रह गई... बचा के रखना हाँ... बाद में काम आएगा... हा हा...
रुप - भाभी... क्या हम इस टॉपिक से बाहर नहीं निकल सकते...
शुभ्रा - हाँ हाँ क्यूँ नहीं...

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विक्रम की गाड़ी मॉल से कुछ ही दुर पर पहुँचती है l तभी महांती की फोन बजने लगती है l

महांती - हैलो...
- XXXX
महांती - व्हाट...
- XXXX
महांती - ओके...
- XXXX
महांती - युवराज जी...
विक्रम - क्या बात है महांती...
महांती - छोटे राजा...
विक्रम - (गाड़ी रोक कर) क्या हुआ... क्या हुआ उन्हें...
महांती - जी... जी वह... घ... घायल हैं...
विक्रम - व्हाट...
महांती - जी...
विक्रम - कैसे... कहाँ पर हमला हुआ...
महांती - म्युनिसिपलटी ऑफिस में...
विक्रम - (चुप रहता है, बड़ी बेबसी से महांती को देखता है)
महांती - यह.... एक डाइवर्जन था... मतलब हम उनके चाल में फंस गए...
विक्रम - अभी... छोटे राजा जी की कैसी हालत है...
महांती - सीरियस नहीं है... पर... हस्पताल में एडमिट हैं...
विक्रम - कैसे... कैसे हुआ यह सब...
महांती - युवराज जी... अब उनसे बात करने के बाद ही सब मालुम हो पाएगा... सिर्फ़ छोटा सा घाव लगा है...

विक्रम की मुट्ठी स्टीयरिंग पर भींच जाती है l वह अपना सिर स्टियरिंग पर पीट देता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए महांती से

विक्रम - महांती एक काम करो.... तुम छोटे राजा जी के पास जाओ... जब यहाँ तक आ गए हैं तो हम युवराणी और राजकुमारी जी को घर पर पहुँचा कर... उनसे मिलने जाएंगे...
महांती - ठीक है युवराज जी... मैं यहाँ अपनी कंपनी के सर्विस गाड़ी लेकर चला जाता हूँ... आप युवराणी और राजकुमारी जी को छोड़ कर पहुँचे...

महांती गाड़ी से उतर जाता है और फोन कर ESS सर्विस गाड़ी से अलग दिशा में चला जाता है l विक्रम शुभ्रा को फोन लगाता है l

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पार्किंग में पहुँचते ही प्रतिभा अपने सिर पर हाथ रखकर खड़ी हो जाती है और कहती है

प्रतिभा - है भगवान...
विश्व - क्या हुआ माँ... कुछ भुल गई क्या...
प्रतिभा - हाँ... (अपनी पर्स से दो रसीद निकाल कर विश्व को देती है) यह ले... यह कपड़ों की रसीद है और यह जुते की... जाकर ले आ...
विश्व - क्या माँ... वह पुराने कपड़े हैं... और जुता भी पुराना है... रहने दो ना...
प्रतिभा - सुन... दुकान पर पुराने चीजें छोड़ नहीं सकते.... हमारे जो काम ना आए... उसे हम किसी और को दे सकते हैं... जिनके वह काम आएगा... इसलिए जा ले कर आ...
विश्व - ठीक है माँ... तुम गाड़ी के पास जाओ... मुझे पाँच सात मिनट लगेंगे...
प्रतिभा - ठीक है...

विश्व लिफ्ट की ओर तेजी से भागता है और प्रतिभा अपनी गाड़ी के पास जाती है l उधर रुप और शुभ्रा रेस्तरां में अभी भी बैठे हुए बातेँ कर रहे हैं, तभी शुभ्रा को विक्रम का फोन आता है

शुभ्रा - हैलो
विक्रम - आप लोग पार्किंग में पहुँचे... हम भी पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... अभी हम निकलते हैं...
विक्रम - कितने नंबर की पार्किंग एरिया में हमे पहुँचना है...
शुभ्रा - जी ट्वेल्व नंबर पार्किंग में...
विक्रम - ठीक है... हम पाँच मिनट में पहुँच रहे हैं...
शुभ्रा - जी... (फोन काट देती है) चलो रुप... तुम्हारे भैया हमे लेने आए हैं...
रुप - ठीक है भाभी... चलिए.... पेमेंट क्लीयर कर निकलते हैं...

दोनों काउंटर पर जाते हैं, और पेमेंट करने लगते हैं l उधर विश्व रसीद लेकर पहले बुटीक पर पहुँचता है l जैसे ही वह काउंटर पर रसीद देता है काउंटर पर बैठा मैनेजर विश्व को छह पैकेट थमा देता है l

विश्व - अरे... यह क्या... आप मुझे इतने सारे पैकेट क्यूँ दे रहे हैं....

मैनेजर - जी... इनमें वह पांच जोड़ी कपड़े हैं... जिन्हें आपने ट्रायल किया था... और एक... जो आप पहन कर आए थे...... वह भी इन पैकेट्स में है... आपकी माता जी ने सबकी पेमेंट कर दी है...
विश्व - (यह सुन कर हैरान हो जाता है और फिर मुस्करा देता है)
मैनेजर - क्या हुआ सर...
विश्व - कुछ नहीं भाई... मेरी माँ ने भूलने का अच्छा बहाना बनाया... कितनी प्यार करती हैं मुझसे... एक जोड़ी बता कर पाँच जोड़ी खरीद लिया... और मुझे पता ना चले इसलिए चुपचाप पेमेंट भी कर दिया... अब मुझे यहाँ भेज कर... मुझे ख़ुश कर रही हैं... मुझे खुशी देते वह थकती नहीं हैं... क्यूंकि वह मेरी खुशी में ही... अपनी खुशी देखती हैं...
मैनेजर - सर एक बात कहूँ... आप बहुत लकी हो सर...
विश्व - हाँ... सो तो हूँ... कोई शक़...

फिर विश्व वहाँ से निकल कर शू स्टोर में पहुँचता है l वहाँ पर भी रसीद दिखाने पर उसे और छह जोड़ी जुतों की पैकेट मिलता है l विश्व इस बार दुकान दार से कुछ नहीं कहता l कपड़े और जुतों का पैकेट ले कर लिफ्ट के तरफ भाग कर जाता है l वहाँ पहुँच कर लिफ्ट का बटन दबाता है l लिफ्ट आकर रुकता है और दरवाजा खुल जाता है l लिफ्ट के अंदर दो लड़कियाँ थी l विश्व उन्हें देख कर अंदर जाने के वजाए रुक जाता है और इधर उधर देखने लगता है l ना वह कहीं जा पाता है ना ही अंदर l वहीँ खड़े खड़े हिचकिचाता रहता है, झिझकने लगता है l लिफ्ट के अंदर वह लड़कियाँ कोई और नहीं बल्कि रुप और शुभ्रा हैं l विश्व को हिचकिचाते देख

शुभ्रा - आइए प्रताप भैया... हम भी नीचे पार्किंग में जा रहे हैं... आप चाहें तो आ सकते हैं... (विश्व अंदर आ जाता है, और दोनों की तरफ पीठ करके खड़ा हो जाता है)
विश्व - (बिना उन्हें देखे) बुरा ना मानिये बहन जी... आपको मेरा नाम कैसे मालुम है...
शुभ्रा - अरे भैया... आपकी इंट्रोडक्शन तो आपकी माताजी ने... आइसक्रीम पार्लर में दे दी थी... और आप इतनी जल्दी भुल गए... घंटे भर पहले आप मुझसे कॉफी स्टॉल पर बात भी की थी...
विश्व - जी...(हैरान हो कर) जी... (फिर याद करते हुए) जी जी...
शुभ्रा - वैसे प्रताप भैया... आप ल़डकियों से शर्माते हैं या डरते हैं..
विश्व - जी... (बिना पीछे मुड़े) म... मालुम नहीं...

रुप - हम लड़की हैं... पर हमे नाजुक समझने की भुल ना कीजिएगा... हम बहुत खतरनाक भी हैं.... (यह सुन कर शुभ्रा रुप को कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी मैं एक लड़का हूँ... जो भी हूँ... जैसा भी हूँ... पर खतरनाक बिल्कुल नहीं हूँ....

विश्व की यह बात सुनने के बाद रुप शर्मा जाती है और शर्म से उसके गालों पर लाली छा जाती है l

शुभ्रा - हमारी गाड़ी ट्वेलव नंबर पार्किंग पर खड़ी है... और आपकी... (अब रुप उसे कोहनी मारती है)
विश्व - (बिना पीछे मुड़े) जी हमारी गाड़ी नाइन नंबर पार्किग एरिया में है..

पार्किंग फ्लोर पर लिफ्ट पहुँचती है, दरवाजा खुलते ही विश्व जल्दी से निकल भागता है l शुभ्रा और रुप विश्व को भागते देख हँसने लगते हैं और अपनी गाड़ी की ओर जाने लगते हैं l वहीँ नौ नंबर पार्किंग में अपनी गाड़ी के पास प्रतिभा टहल रही है l उसी वक़्त विक्रम की ऐसकॉट और उसके पीछ गार्ड्स की दो गाड़ीयाँ तेजी से पार्किंग में घुसती है और तेजी से बारह नंबर पार्किंग की बढ़ती है l प्रतिभा के पास से पहले गार्ड वाली गाड़ी तेजी से गुजरता है फ़िर ऐसकॉट तेजी से गुजर जाता है जिससे प्रतिभा की साड़ी की आंचल थोड़ी उड़ने लगती है तभी पीछे से आ रही गार्ड्स की दुसरी गाड़ी के बम्पर गार्ड में प्रतिभा की साड़ी की आँचल फंस जाती है जिसके वजह से प्रतिभा गाड़ी के पीछे घिसटने लगती है l प्रतिभा चिल्लाने लगती है l
विश्व जैसे ही देखता है प्रतिभा की साड़ी एक गाड़ी में फंस गई है और गाड़ी प्रतिभा को घिसटते हुए लिए जा रही है l

विश्व - (हाथ से पैकेट फेंक कर चिल्लाता है) माँ..... (गाड़ी के पीछे भागता है)

वह गाड़ी थोड़ी ही दुर जा कर रुक जाती है l विश्व प्रतिभा के पास पहुँच कर देखता है सिर पर चोट लगने के कारण थोड़ा खून बह रहा है, दोनों कोहनी छील गए हैं और साड़ी घिसककर खराब हो गई है l
विश्व - (आँखों में आँसु आ जाते हैं) माँ...आँ..
प्रतिभा - (कराहते हुए) ओह... ओ... माँ...


प्रतिभा की दर्द के मारे बहुत बुरा हाल था, वह दर्द से कराह रही थी l गार्ड्स अपने गाड़ी से उतर कर विश्व और प्रतिभा को देखते हैं और ड्राइविंग साइड पर बैठा गार्ड प्रतिभा की साड़ी को गाड़ी की बम्पर से निकाल कर प्रतिभा के ओर फेंकते हुए

गार्ड - साली बुढ़िया... मरने के लिए तुझे कोई और गाड़ी नहीं मिली...

विश्व उस ड्राइवर और उन गार्ड्स को देखता है, फिर अपनी जेब से रुमाल निकाल कर प्रतिभा के माथे पर बांध देता है l और प्रतिभा को अपनी बाहों में उठा कर गाड़ी के पास घुटने के ऊँचाई बराबर एक वॉल पर पिलर के सहारे बिठा देता है l

विश्व - माँ... तुम यहीँ पर बैठी रहो... मैं अभी थोड़ी देर में आया..
प्रतिभा - रुक प्रताप...(दर्द से कराहते हुए) तु जा कहाँ रहा है...
विश्व - तुम्हारे लिए...(दाँतों को चबाते हुए) फर्स्ट ऐड लेकर आ रहा हूँ....
प्रतिभा - रुक ना...

पर विश्व प्रतिभा को वहीँ पर छोड़ कर उन गार्ड्स के तरफ चला जाता है l
उधर ऐसकॉट में शुभ्रा और रुप बैठ चुके हैं l विक्रम गार्ड्स को तैयार होने के लिए कहता है और खुद ड्राइविंग सीट की ओर जाता है l तीन गाडियों में पहली गार्ड वाली कार चलने लगती है l विश्व गाड़ियों को स्टार्ट होते देख इधर उधर देखने लगता है l उसे फायर अलार्म के पर एक लोहे का हामर दिखता है l विश्व भाग कर वह हामर निकाल लेता है l जैसे ही गालियों की काफिला चलने लगती है विश्व उस रास्ते पर सामने आकर हामर को फेंक मारता है l हामर ड्राइवर के सामने की काँच पर लगती है और काँच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l तो ड्राइवर गाड़ी की स्टीयरिंग मोड़ देता है और गाड़ी एक पिलर से टकरा जाती है l उसके पीछे आने वाली विक्रम की गाड़ी और दुसरी गार्ड्स वाली गाड़ी रुक जाती हैं l एक्सीडेंट वाली गाड़ी से सभी चार गार्ड्स उतर जाते हैं l विश्व वहाँ पहुँच कर उस गार्ड को जिसने प्रतिभा की साड़ी को निकाल कर फेंका था उसे अपने तरफ खिंचता है और उसपर झन्नाटेदार थप्पड़ों की बारिश कर देता है, उस गार्ड को बचने का फुर्सत भी नहीं मिलता थप्पड़ खा खा कर वह गार्ड नीचे गिर जाता है, दुसरे गार्ड्स विश्व को हैरान हो कर मुहँ फाड़े देखे जा रहे थे l उनमें से एक विश्व के पास आकर विश्व की कलर पकड़ने की कोशिश करता है l विश्व भी उसे कोई मौका दिए वगैर थप्पड़ पर थप्पड़ मारे जाता है l वह भी नीचे गिर जाता है l बाकी दो गार्ड्स में से एक
गार्ड - अरे पागल हो गया क्या... क्यूँ मारे जा रहे हो...


विश्व उसे देखता है, फ़िर उसे पकड़ कर थप्पड़ मारने लगता है l यह सब ऐसकॉट में बैठा ना सिर्फ़ विक्रम बल्कि शुभ्रा और रुप भी देख रहे थे l विश्व जिस तरह से विक्रम के गार्ड्स को थप्पड़ों से ट्रीट कर रहा था उसे देख रुप की हँसी निकल जाती है जिसे विक्रम सुन लेता है l विक्रम गुस्से से पीछे मुड़ कर देखता है तो रुप अपनी भाभी के पीछे दुबक जाती है l इतने में पीछे वाली गाड़ी से बाकी चार गार्ड्स आ पहुँचते हैं I विक्रम अपनी गाड़ी की खिड़की की काँच उतारते हुए l

विक्रम - क्या हो रहा है वहाँ... कौन है वह.. क्या प्रॉब्लम हुआ है...
एक गार्ड - सर... इसी लड़के की माँ की साड़ी.. फंस गई थी हमारी गाड़ी में...
विक्रम - व्हाट... इस बात के लिए वह हमारे लोगों को मारेगा... तुम लोग ESS के ट्रैंन्ड कमांडोज हो... जाओ अपने स्टाइल से इसे सॉल्व करो...
गार्ड्स - यस सर....

फिर एक गार्ड जो विक्रम के पास खड़ा था वह अचानक विश्व के तरफ भाग कर एक फ्लाइंग किक मारता है l विश्व उसके लिए तैयार नहीं था l किक लगते ही विश्व कुछ दूर जा कर गिरता है l

वह गार्ड - ऐ... उठो रे सब.. हम.. ESS के कमांडोज हैं.... कोई ऐरा गैरा नथु खैरा नहीं हैं... चलो इसको सबक सीखते हैं...
यह सुन कर सभी गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l विश्व भी उसकी बातेँ सुन कर खड़ा होता है l वह गार्ड जिसने विश्व को फ्लाइंग किक मारा था वह फ़िर से विश्व की ओर भागता है विश्व भी उसके तरफ भागता है l गार्ड जम्प लगा कर फ्लाइंग बैक किक मारता है जवाब में विश्व भी उसी समय फ्लाइंग राउन्ड हाउस किक मारता है l गार्ड की किक लगने से पहले विश्व की किक लगती है और वह गार्ड हवा में ही किक के इम्पैक्ट से साइड में खड़े एक कार पर गिरता है जिससे उस कार की सिक्युरिटी अलार्म बजने लगता है l उस गार्ड के गिरते ही बाकी गार्ड्स विश्व को हैरानी भरे नजरों से देखने लगते हैं l विक्रम भी अपनी गाड़ी से उतर जाता है l

बाकी बचे सातों गार्ड एक दुसरे को इशारा करते हुए विश्व को घेरते हैं और पोजिशन लेते हैं l

विश्व - (उन गार्ड्स से चिल्ला कर) तुमने जिसे बुढ़िया कहा और अपनी गाड़ी के पीछे घसीटा है... वह मेरी माँ है... बेहतर यही होगा... तुम सब उनके पैरों पर गिर माफी मांग लो... चलो...
उन गार्ड्स में से एक - नहीं तो....
विश्व - नहीं तो... तुम लोग अपने गाड़ी से नहीं... एम्बुलेंस से बाहर निकलोगे...

सभी गार्ड्स जो विश्व को घेरे हुए थे उनमे से एक विश्व को पीछे से किक उठा कर हमला करता है l विश्व आसानी से डॉज करते हुए बच जाता है और घुटने पर बैठ कर फ़ॉन्ट हाउस किक मारता है जिसे वह गार्ड पीठ के बल गिरता है l उसके बाद दुसरा सामने वाला पुश किक मारता है विश्व लोअर डाउन वार्ड डॉज करता है फिर एक जाब पंच उसके पसलियों पर मारता है l तीसरा गार्ड साइड किक मारता है उससे बचते हुए एक फ़ॉन्ट हूकींग किक गार्ड के ठुड्डी पर मारता है l चौथा गार्ड विश्व के चेहरे पर पंच मारने वाला होता है विश्व घुम कर एक क्रॉस एलबॉ मारता है जो उसके चेहरे पर लगता है l फिर विश्व झुक कर घुटनों के बल स्किड करते हुए पाँचवे गार्ड के पास खड़े हो कर एक अपर कट पंच मार देता है l छटा गार्ड विश्व पर छलांग लगाता है विश्व थोड़ा झुक कर उसे हवा में ही उठाकर फेंक देता है और सातवें को घूम कर दोनों हाथों का डबल हामर पंच मारता है l सब के सब नीचे गिरे पड़े हैं l

विक्रम हैरान हो कर विश्व को देखता है l यही हालत रुप और शुभ्रा की भी है l क्यूँ के जो भी हुआ सब कुछ सेकेंड में हो गया था l ESS के हाईली ट्रेंड आठ कमांडोज कुछ ही सेकंड में धुल चाट रहे थे l विश्व एक गार्ड को उठाता है और उसके कलर पकड़ कर घसीटते हुए लेकर जाने लगता है l

विक्रम - ऑए... (चिल्ला कर) ऑए लड़के... यह क्या हो रहा... वह हमारा आदमी है... छोड़ो उसे...
विश्व - (उस गार्ड को पकड़े हुए रुक जाता है) यह मेरी माँ का गुनहगार है... जब तक माफी नहीं मांग लेता... तब तक यह कहीं नहीं जा सकता है...
विक्रम - ऑए...(गुर्राते हुए) जानता है किससे बात कर रहा है... किसके आदमियों से पंगा ले रहा है... छोड़ दे उसे...
विश्व - (उस गार्ड को उठाकर दो और थप्पड़ मार देता है) अगर यह तेरे दम पर मेरी माँ से बत्तमीजी की है... तो माफी माँगना अब तेरा बनता है.... या तो यह माफी मांगेगा या फिर तु... फैसला कर लो...
विक्रम - क्या... माफी.. वह भी हम... हम कुछ मांगते नहीं है... या तो देते हैं... या फिर छिनते हैं... लगता है तेरी मौत तुझसे बुलवा रहा है...

विश्व - फैसला कर ले... या तो यह... या फिर तु...

तभी कुछ गार्ड्स उठ खड़े होते हैं l उनमे से एक


गार्ड - सर हम इसे देख लेंगे... आप... आप गाड़ी में बैठिए...
विक्रम - (उन गार्ड्स से) उठो... संभलो... इसे पकड़ कर इतना मारो... के फिर कभी किसीसे जुबान लड़ाने पहले... सौ बार सोचेगा...


विक्रम के इतने कहते ही सातों गार्ड्स अपनी पुरी ताकत लगा कर विश्व को पकड़ने भागते हैं l विश्व जिस गार्ड को पकड़ा हुआ था उसके कनपटी पर एक घुसा जड़ देता है l वह गार्ड वहीँ नीचे ढेर हो जाता है l इतने में विश्व को बाकी बचे सात गार्ड्स आकर फिरसे घेर लेते हैं l विश्व अब अपने सामने वाले को छकाकर पीछे खड़े गार्ड को एक बैक राउंड हाउस किक मारता है फिर सामने वाले को फ़ॉन्ट थ्रॉस्ट किक फिर तीसरे के पेट में पंच फिर घूम कर कोहनी गाल के ऊपर आँख के नीचे l चौथा जिस तेजी से विश्व की ओर आता है विश्व उसीकी तेजी को इस्तमाल करके उठा कर फेंक देता है फिर बाएं घुटने पर बैठ कर दाएं पैर की लोअर स्पिन टर्न किक मारता है जिससे पांचवां पीठ के बल गिर जाता है l विश्व उठकर छटे पर छलांग लगा कर घुटना मोड़ कर सीने पर मारता है l फिर पलट कर एक साइड किक पांचवे को, इतने में सातवां विश्व को घुसा मारता है विश्व पीठ को पीछे की ओर मोड़ कर बचता है फिर वह जैसे वह सातवां विश्व की ओर मुड़ता है विश्व एक जबरदस्त हामर पंच उसके नाक पर जड़ देता है जिससे उस सातवें गार्ड की नाक कचूमर बन जाता है और वह नीचे गिर कर छटपटाने लगता है l पुरा कर पुरा दृश्य एक्शन रीप्ले की तरह ही दिखा कुछ ही सेकंड में सभी ढेर, फिर विश्व पहले से अधमरे हो चुके सभी गार्ड्स को विक्रम के सामने किसी खिलौने की तरह उठा कर सबको बारी बारी से पटक देता है l इतने में विक्रम एक फ्लाइंग किक मारता है, किक विश्व के चेहरे पर लगती है और विश्व दूर छिटक कर गिरता है l विश्व उसके लिए तैयार बिल्कुल नहीं था विक्रम के देखते हुए विश्व खड़ा होता है l विक्रम विश्व के पास आकर रिवर्स फ़ॉन्ट राउन्ड हाउस किक मारता है l पर इस बार विश्व अपनी जगह से हिलता भी नहीं है l विक्रम तरह तरह से पंच किक आजमाने लगता है विश्व सबको आसानी से और फुर्ती से डॉज करने लगता है फिर एक मंकी ब्लॉक लेकर विक्रम के पेट में एक ताकत भरा पंच मार देता है l विक्रम कुछ दूर स्कीड हो कर गीर जाता है l थोड़ी देर बार वापस खड़े हो कर पोजीशन बनाने की कोशिश करता है कि तभी विश्व उसके तरफ दौड़ कर जम्प लगा देता है और दायां घुटने को मोड़ कर शॉट हिट करता है जो सीधा विक्रम के चेहरे पर लगती है और विक्रम उड़ते हुए अपनी ही ऐसकॉट पर गिरता है l गाड़ी के भीतर यह देख कर शुभ्रा और रुप डर जाते हैं l विश्व अब बेकाबु हो चुका था वह विक्रम को मारने के लिए दौड़ लगाने वाला ही था कि उसके कानों में प्रतिभा की आवाज पड़ती है

प्रतिभा - प्र.. ता....प...(विश्व रुक जाता है l और पीछे मुड़ कर देखता है) बस बेटा... बहुत हो गया... जाने दे...
विश्व - नहीं माँ...(अपनी दांतों को चबाते हुए) जब तक यह कंजर्फ तुमसे माफी नहीं मांगेगा... मैं इसे नहीं छोडूंगा...
प्रतिभा - तु... (कराहते हुए) तु मेरी बात... नहीं मानेगा...

विश्व कुछ नहीं कहता सिर झुका कर विक्रम और उन गार्ड्स सबको उन्हीं के हाल में छोड़ कर प्रतिभा की ओर जाने लगता है l विक्रम के लिए यह बर्दास्त के बाहर था वह गाड़ी के ऊपर से लुढ़क कर विश्व पर चिल्लाता है

विक्रम - ऑए... कमीने... हराम जादे... तुने किससे पंगा लिया है... नहीं जानता है तु...

विश्व उसे मुड़ कर देखता है l प्रतिभा विश्व को फ़िर से आवाज देती है (नहीं प्रताप नहीं...) l इसलिए विश्व वापस प्रतिभा की ओर जाने लगता है l

विक्रम - आज... तुने किसकी हुकूमत से टकराया है... जानता है तु.... नहीं जानता है ना...

विश्व पीछे मुड़ कर नहीं देखता और सीधे प्रतिभा के पास पहुँच जाता है l

विक्रम - तुने अपनी मौत को छेड़ा है... जानता है... मेरा बाप कौन है
विश्व - (मूड जाता है और कहता है) क्यूँ... तु नहीं जानता... तेरा बाप कौन है... तो जा... जाकर अपनी माँ से पुछ... वह बताएगी तेरा बाप कौन है... (कह कर मूड जाता है और प्रतिभा के साथ जाने लगता है)
विक्रम - (यह सुन कर शुन हो जाता है) (फिर होश में आता है) या.... आ... आ.. (चिल्लाता है) भैरव सिंह क्षेत्रपाल.... मेरे बाप का नाम... अब तु अपनी जिंदगी के दिन गिनना शुरू कर दे... हराम जादे...


विश्व यह नाम सुनते ही रुक जाता है, उसके आँखों में खुन उतर आता है, उसके सारे जिस्म थर्राने लगता है, प्रतिभा भी उसके चेहरे को देख कर डरने लगती है l विश्व जल्दी से पीछे मुड़ता है और विक्रम के पास पहुँच कर एक जोरदार फ्रंट थ्रस्ट किक विक्रम के सीने पर मारता है l इसबार विक्रम अपनी गाड़ी के कांच के उपर गिरता है l कांच पुरी तरह से टूटती तो नहीं पर कांच में मकड़ी की जाल की तरह क्रैक्स पड़ जाते हैं l विश्व जम्प लगा कर गाड़ी की बोनेट पर चढ़ जाता है और विक्रम के कलर पकड़ कर जैसे ही पंच मारने को होता है शुभ्रा गाड़ी से उतर कर

शुभ्रा - भैया.... प्रताप भैया... (अपनी मंगलसूत्र को दिखाते हुए) प्लीज भैया... (गिड़गिड़ाते हुए) प्लीज...(रोने लगती है)
विश्व - (शुभ्रा को देख कर और उसकी बिनती के वजह से अपना हाथ रोक देता है, पर विक्रम से) सुन बे क्षेत्रपाल के चुजे... तेरा हर काम.. वह क्षेत्रपाल ही करेगा क्या... फ़िर तु क्या करेगा... या फिर तुझसे कुछ होता नहीं... इसलिए कुछ करने के लिए... तुझे क्षेत्रपाल टैग चाहिए... हाँ... (विक्रम के मुहँ से नाक से खुन बह रहा है, गहरी गहरी सांसे लेते हुए गुस्से से विश्व को देखते हुए) तुम लोगों ने मेरी माँ के साथ जो बत्तमीजी की... उसके लिए... कायदे से जान से मार देना चाहिए था... पर (शुभ्रा को दिखाते हुए) इन्हें अनजाने में सही बहन कहा है... इनके साथ उस रिश्ते का लिहाज करते हुए तुम लोगों को छोड़ रहा हूँ...
Awesome Updateeee

Maza aagaya padh kee. Vikram ko achha dhoya Vishwa ne. Maza aagaya padhke. Vikram jis naam ke upar uchalta tha usi naam ko chott pahonchaya hai Vishwa ne.

Vishwa ke iss karnaame se koi aur toh nhi Roop jarur impress hogi aur bahot jyaada impress hogi. Aakhir uski nazar mein koi pehli baar aaya hai jo Chetrapal se takra sakta hai.
 

Kala Nag

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क्षन्नाटेदार अपडेट
Mind blowing
धन्यबाद Mastmalang भाई
आपको पसंद आया है
आप इसी तरह मेरे साथ जुड़े रहें
 

Kala Nag

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Jabardast action wala update
Vickyabhi आपका बहुत बहुत शुक्रिया
विश्व अपने असल व्यक्तित्व सामने लाएगा ही
 
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Kala Nag

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हा हा हा!! विश्व ने तो विक्रम की दुकान ही तोड़ दी 😂😂
avsji भाई विक्रम एक अच्छा फाइटर है पर अहं और भरम में डुबा हुआ
विश्व ने उसे असलीयत दिखा दिया है
जाहिर सी बात है विश्व से उसकी जानी दुश्मनी होनी ही है
 
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