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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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*Index *
 
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Kala Nag

Mr. X
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👉बारहवां अपडेट
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सुबह का अखबार लिए तापस अपने बैठक में बैठा ख़बर पढ़ रहा था l
तापस - अरे जान.... सुनती हो....
प्रतिभा - xxxx
तापस - जान...
प्रतिभा - हूं....
तापस - क्या हुआ मेरे यार को... बेजार से लग रहे हैं...
प्रतिभा - (अपने आपको सम्हालते हुए) हाँ... क्या चाहिए आपको...
तापस - (उसके चेहरे को गौर से देखता है, और गाते हुए ) मुझे तेरी हाथ का चाय मिल जाए तो क्या बात हो...
प्रतिभा - (बिना कोई प्रतिक्रिया दिए) अभी लाती हूँ....
प्रतिभा किचन के अंदर चली जाती है, उसे जाते हुए देख तापस कुछ सोच में पड़ जाता है l थोड़ी देर बाद उसका ध्यान टूटता है जब प्रतिभा चाय का कप बढ़ाती है और वहीँ खड़ी रहती है, तापस उससे चाय ले लेता है l
तापस - क्या हुआ....
प्रतिभा - नहीं तो... कुछ भी तो नहीं हुआ....
तापस-(प्रतिभा का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाता है) क्या बात है... जब से वैदेही को छोड़ कर आई हो... खोई खोई सी रहती हो.... कहाँ है... मेरी जान...
प्रतिभा....
प्रतिभा तापस को देखती है और कहती है - सेनापति जी क्या हम आज पूरी चलें.... जगन्नाथ जी के दर्शन को...
तापस - अभी या शाम को....
प्रतिभा - क्यूँ आपका कुछ काम था क्या....
तापस - अरे वही अपना नो ड्यू और एन ओ सी लाने जैल जाना है और जगन का काम हो गया है... उसे भी उसका लेटर देना है...
प्रतिभा - क्या यह सब काम दोपहर के बाद हो नहीं सकता...
तापस - हाँ हो सकता है... पर अभी भी तुमने वजह नहीं बताई...
प्रतिभा - मुझे भगवान से माफी मंगनी है.... और दुआ मन्नत भी करनी है...
तापस - दुआ और मन्नत...
प्रतिभा - हाँ सेनापति जी... प्लीज आप जाकर तैयार हो जाइए ना...
तापस - एक शर्त है....
प्रतिभा - क्या...
तापस - मुझे मेरी जान मिल जाए तो आपकी हर हुकुम सिर आँखों पर...
प्रतिभा मुस्कराने की कोशिश करती है पर मुस्करा नहीं पाती l
तापस - (प्रतिभा का हाथ पकड़ कर) क्या हुआ बताओ... दिल में कुछ भी मत रखो...
प्रतिभा, तापस के गले लग जाती है और सुबकने लगती है
तापस - क्या हुआ प्रतिभा.... (उसके सर पर हाथ रखते हुए)
प्रतिभा - (खुदको सम्हालते हुए) व वो वैदेही की कहानी जानने के बाद दिल बहुत भारी हो गया है....
इसलिए भगवान के पास जाना चाहती हूँ...
फिर वैदेही की कहानी जितनी सुनी थी सब तापस को बता देती है l तापस सब सुनने के बाद एक गहरी सांस लेता है
तापस - हूँ... पर तुम मंदिर क्यूँ जाना चाहती हो...
प्रतिभा - जानते हैं सेनापति जी.... जब जब दुखों का पहाड़ टूटा हम पर... भगवान पर मेरा विश्वास डगमगाया... पर वह फूल सी जान जिस पर दुखों का ज़लज़ला टूटा है... उसका विश्वास भगवान से जरा भी नहीं हिला... डॉक्टर बनना था उसको... किस्मत ने उसे क्या बना दिआ... फिर भी आज वह अपने लिए नहीं बल्कि आज भी वह अपनों के लिए भगवान से दुआ मांगती है... वह भी अटूट श्रद्धा और आस्था के साथ...
तापस - यही तो फर्क़ है उनमें और हम में... बेशक वह डॉक्टर नहीं बन पाई... पर आज भी वह अपने समाज की बीमारी से लड़ रही है... और ठीक कहा तुमने... हमे उसकी इस लड़ाई के लिए दुआ मन्नत करनी चाहिए...
तुम रुको अभी मैं तैयार हो कर आता हूँ...

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

कॉलेज में...

रॉकी टेंशन में है,वह छत पर एक कोने से दूसरे कोने तक चहल कदम कर रहा है, राजू उसे इस तरह से इधर उधर होते हुए देख रहा है,
रॉकी - अबे... और कितना टाइम लगेगा... उस रवि को यहाँ आने के लिए...
राजू - अब मुझे क्या पता... कितना टाइम लगेगा... आता ही होगा.. अभी क्लास भी कहाँ शुरू हुआ है... सो चील...
रॉकी - अबे तेरा चील गया तेल लेने... साला सर पर कौवे मंडरा रहे हैं.... और इन कमीनों का अब तक कोई खबर भी नहीं है....
इतने में आशीष, सुशील और रवि आकर पहुंचते हैं,
रवि - क्या हुआ... इतना टेंशन में क्यूँ है...
रॉकी - देख प्लान तूने बनाया है.... अब मुझे बिट टू बिट बता...
रवि - आ बैठ.... बताता हूं...
सब पानी के टंकी के छाँव में आकर बैठ जाते हैं
रवि - देख हमको उस छटी गैंग का गुरुवार को होने वाली हर मूवमेंट मालूम हो चुका है..... इसलिए हमे भी अपना प्लान परफेक्ट रूप से एक्जिक्युट करना है... जरा सी गलती.... जानते हो सब क्या हो सकता है....(सब ने अपना अपना सर हिलाया)
रवि - देखो हम जो करने जा रहे हैं.... वह सिर्फ छटी गैंग को लपेटे में लेने के लिए नहीं... बल्कि पूरे कॉलेज को यकीन दिलाने के लिए भी.....(रवि हाथ बढ़ाता है) देखो ना तो हम प्रोफेशनल हैं... और ना ही क्रिमिनलस हैं..... हम स्टूडेंट्स हैं... इसलिए वन फॉर ऑल एंड ऑल फॉर वन... (सब उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हैं)
रवि - देखो उनका प्लान था सिर्फ़ गिफ्ट देने की.. पर फ़िर टाइमिंग का प्रॉब्लम हुआ इसलिए उन्होंने गिफ्ट को केक के साथ जोड़ दिया... मतलब उनको केक के साथ गिफ्ट डिलीवर होगा....
रॉकी - अच्छा तो उनका टाइमिंग क्या है...
रवि - ठीक दो बजे... डिलिवरी लेने नंदिनी और दीप्ति दोनों प्रिन्सिपल के ऑफिस जाएंगे...
रॉकी - ह्म्म्म्म....
रवि - बनानी उस वक्त लैब के वश रूम में होगी... बाहर क्या हो रहा है उसे मालुम भी नहीं होगी... सबका प्लान है उसे चौकाने के लिए... पर वह चौकेगी जरूर... हम उसे चौकाएंगे....
रॉकी - यही तो... कब और कैसे...
रवि - देखो मैंने मनोज से पता लगा लिया है... पहला तो टोटल लैब इंश्योरड् है..
आशीष - अब यह मनोज कौन है...
रवि - अबे ओ गजनी की औलाद.... भूल गया क्या... लैब असिस्टेंट...
आशीष - ओ... हाँ..
रॉकी - लैब का कितना नुकसान हो सकता है...
रवि - क्यूँ...
तू इंश्योरेंस एजेंट है क्या.....
रॉकी - अबे मैं इसलिए पूछा.. अगर आग ज्यादा फैल गया तो रिस्क बहुत ज्यादा होगा....
रवि - तु उसकी फ़िकर ना कर... प्लान में इंप्रोवाइजेशन परफेक्ट हुआ है... ज्यादा नुकसान नहीं होगा... सिर्फ कंसेंट्रेटेड् लिक्विड सोल्यूशन जलेगा... बस तुझे उस के ऊपर अग्निपथ के अमिताभ बच्चन की तरह भाग कर बनानी तक पहुंचना होगा... और अपनी बाहों में उठा कर उसे बाहर लाना होगा.... उसे हस्पताल या नर्सिंग होम लेना या ना ले जाना कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन पर छोड़ देंगे....
सब - क्यूँ...
रवि - ज्यादा सीन बनाने से शक़ कर सकते हैं... और हाँ फ़िर से रिमाइंड कर रहा हूँ... तू उस दिन अपने सर पर जेल लगा कर मस्त हेर स्टाइल में आना...
रॉकी - वह क्यूँ....
रवि - क्यूंकि आग के लपटों में तेरा चेहरा और बाल खराब हो सकता है... इसी लिए अगर उस दिन सर पे जेल लगा कर आएगा.. तो तुझे अनफ्लेमेबल जेल लगाने पर कोई शक नहीं कर पाएगा... और सुन तेरा हीरोइजम सिर्फ छटी गैंग के इम्प्रेस करने के लिए नहीं... बल्कि पूरे कॉलेज को चुतिआ बनाने के लिए भी होगा... इसलिए कोई गलती नहीं...
सुशील - देख रॉकी हम सब जोश में तो हाँ कह दिए.... पर अब सब तेरे हाथ में है... यहाँ अपना फ्यूचर और कैरियर दोनों दाव पर लगी हुई है...
रॉकी - अबे डरा मत... कुछ लफड़ा हुआ तो मैं अपने उपर सब ले लूँगा... हाँ रवि अब पूरा सीन समझा...

रवि - हाँ तो सीन यह है... जब नंदिनी को खबर मिलेगी कि उसका पार्सल आया है... तब वे लोग बनानी को किसी तरह से वश रूम भेज देंगे.... बनानी के वश में जाते ही नंदिनी और दीप्ति भागते हुए प्रिन्सिपल के ऑफिस जाएंगे.... उनके नीचे जाते ही अपना रॉकी लिफ्ट से लैब तक पहुंचेगा.. पर तुझे लिफ्ट के अंदर यह जेल(एक जेल की शीशी दिखा कर)...... अपने चेहरे और बालों पर लगा लेगा...आग ठीक दो बज कर पांच मिनिट पर लगेगी.... दो बज कर सात मिनिट में आग आग चिल्ला कर सारे ल़डकियों को मनोज बाहर निकाल देगा...
रॉकी - तो क्या बनानी बाहर नहीं आ पाएगी.... क्यूँ की आवाज तो बनानी भी सुन पाएगी...
रवि - नहीं एक कंसेंट्रेटेड सोल्यूशन लैब में वश रूम के एंट्रेंस तक फैली होगी.... वह वश रूम में फंस जाएगी... तुझे बाहर तेरे लिए पहले तैयार एप्रन जो मनोज पहना होगा उसे ले लेना....उसे पहन कर अंदर जा कर बनानी तक पहुंच जाना...बनानी को अपनी दोनों हाथो से उठा कर जब बाहर निकलेगा तब तेरे एप्रन में आग लगेगी तेरे बाहर आते ही फायर एष्टींगुसर से मनोज तुझ पे लगी आग बुझा देगा... तू बनानी को छोड़ कर सीधे जेन्ट्स वश रूम को भागेगा... वहां कपड़ों के साथ वश ले लेगा और एप्रन वहीँ उतार फेंक बाहर निकल कर सीधे घर चला जाएगा... तेरे जाते ही नंदिनी और दीप्ति पहुंच जाएंगी.... अगले दिन तू अपने बाल छोटे कर पहुंच जाना.... ताकि सबको लगे के तुने अपने जले हुए बालों के वजह से बाल छोटे किए हैं...
इतना कह कर रवि चुप हो जाता है l सब ख़ामोशी से आंखें फाड़ रवि को सुन लेने के बाद सबका मुँह खुला रह गया l
रॉकी - क्या दिमाग है बे तेरा... बोले तो एकदम झकास...
राजू - साला पुलिस भी चकरा जाएगा...
सुशील - वाव... कमीना.. साला शैतान का दिमाग रखा है बे तूने..
रवि - अबे कमीनों... बस भी करो... इतने प्लानिंग में ही डीसेंट्री हो गई है... सालों मरवाओगे क्या...
रॉकी - वन फॉर ऑल... ऑल फॉर वन...
सब फ़िर से अपने हाथ मिलाते हैं

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

कैन्टीन में छटी गैंग अपनी मस्ती में मजा कर रहा है l तभी कैन्टीन के अंदर वीर सिंह आता है l जिसे देख कर सिर्फ छटी गैंग को छोड़ कर सभी टेबल खाली कर चले जाते हैं l
नंदिनी - खबरदार तुम में से कोई यहां से हिला तो... मैं अभी उसे भगा कर आती हूँ...
नंदिनी अपनी टेबल से उठ कर वीर सिंह के पास जाती है l
वीर - कैसी हैं राज कुमारी जी...
नंदिनी - अच्छी हूँ...
वीर - तो दोस्त बन गए आपके...
नंदिनी - जी...
वीर - हमसे पहचान नहीं करवायेंगी...
नंदिनी - जी नहीं.... सब आपको आपसे बेहतर जानते हैं...
वीर - माय कंप्लीमेंट...
नंदिनी - आप यहाँ से शीघ्र जाएं...
वीर - हमे भगाने की जल्दी है आपको...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... हम नहीं चाहते हमारे कोई दोस्त हमसे इसलिए दोस्ती तोड़ दें... क्यूंकि आप हमारे भाई हैं...
वीर - ओ... तो बात ऐसी है... मतलब आपके लिए दोस्त आपके भाई से ज्यादा महत्व रखते हैं...
नंदिनी - हाँ... फ़िलहाल.. इस वक्त तो हाँ...
वीर सिंह मुस्कराता हुआ बाहर निकल जाता है l नंदिनी एक गहरी सांस छोड़ती है और रिलैक्स फिल् करती है, और अपने टेबल पर हंसते हुए वापस आती है l
उधर वीर सिंह अपने क्लास में पहुंचता है l जहां एक लेक्चरर सोशलिज्म पर पढ़ा रहा है l जैसे ही वीर सिंह को देखते है लेक्चरर समेत सारे छात्र खड़े हो जाते हैं l
वीर - क्या बात है सर... आप आज समाजवाद पर पढ़ा रहे हैं... वाह बहुत अच्छा विषय है..
लेक्चरर - कहिए राजकुमार जी... कैसे आना हुआ...
वीर - मैं आया हूँ... तो मेरा अटेंडेंश कंफर्म कर दीजिए....
लेक्चरर - जी राज कुमार जी...
वीर - गुड... अच्छा मैं चलता हूँ..
इतना कह कर वीर निकल जाता है, उसके जाते ही लेक्चरर अपना लेक्चर शुरू करने वाला होता है कि तब एक छात्र खड़ा हो जाता है और कहता है - सर.... मेरा एक सवाल है सर....
लेक्चरर - येस...
छात्र - आप सोशलिज्म पर पढ़ा रहे हैं... पर आप मॉनार्की के आगे सर झुकाते हैं...
लेक्चरर - वेरी गुड.. बहुत अच्छा सवाल है... मैं इसका ज़वाब अवश्य दूँगा.... अगली बार जब वीर सिंह यहां आए तब उसके सामने यह सवाल करना... मैं ज़वाब वीर सिंह के सामने ही देना चाहूंगा....
छात्र अपना मुहँ बना कर बैठ जाता है l और लेक्चरर अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाता है l

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

खान अपने चैम्बर में कुछ फाइलें चेक कर साइन कर रहा है l
मे आई कम इन.... एक आवाज़
अपने चश्मे को सही करते खान कुर्सी से उठ कर,
खान - अरे... सेनापति... क्या मज़ाक कर रहे हो... अमा यार यह तुम्हारा ही ऑफिस है...
तापस - ऊँ हूं... यह अब तुम्हारी ऑफिस है... और मैंने तुम्हें हैंड ओवर कर दिआ है... वैसे भी.. सरकार ने मेरी VRS को मंजूरी दे दी है....
खान - चलो... तुम्हारी ना सही... अपने दोस्त की ऑफिस समझ कर आ जाओ यार...
तापस हंसते हुए अंदर आता है और खान अपने चेयर से उठ कर तापस के पास जाकर उसे गले लगा लेता है l
खान - नजरें तरस गईं राह तकतें तकतें
बहुत देर कर दी हजूर आते आते
तापस - हा हा हा... अभी भी शायरी....
खान - हाँ यार... ना तुमने मज़ाक छोड़ा.. ना हमने शायरी... आ बैठ..
दोनों अपने अपने जगह पर बैठ जाते हैं l खान बेल बजाता है l जगन दौड़ कर आता है l जगन भीतर आकर दोनों को बड़े जोश के साथ सैल्यूट देता है l खान के कुछ कहने से पहले एक ठंडा पानी का ग्लास तापस के आगे रख देता है l
तापस - कैसे हो जगन...
जगन - सब आपकी कृपा है...
तापस - अरे यार... हमे इंसान ही रहने दो... (इतना कह कर अपने जेब से एक लिफाफा निकाल कर) यह लो तुम्हारा हेल्पर कांस्टेबल पोस्ट पर कमिश्नरेट से क्लीयरेंस...
जगन लेटर हाथ में लिए तापस के पैरों में गिर जाता है l तापस उसे उठा कर कहता है - देखो मैंने तुमसे वादा किया था l और यह क्या.... जब भी वर्दी में हो.. किसीके पैरों में गिर मत जाना... सैल्यूट तक ही रहना... समझे... (आँखों में धन्यबाद के आंसू लिए जगन हाँ में सर हिलाता है) और अगले महीने तुम तीन महीनों के लिए नयागड़ ट्रेनिंग के लिए जा रहे हो l सो तैयार हो जाओ...
खान - आख़िर तुमने अपना किया हुआ वादा पुरा कर दिआ....
तापस - हाँ यार... यही एक बोझ था... लो उतर गया... लाओ यार मेरा नो ड्यू और एन ओ सी...
खान - जगन जाओ और दास से कहो सेनापति के फाइल ले कर यहाँ आए..
जगन - जी सर.... सैल्यूट दे कर जगन बाहर चला जाता है l थोड़ी देर बाद दास एक फाइल ले कर अंदर आता है l
दास दोनों को सैल्यूट करता है और फाइल को खान के टेबल पर रख देता है l
खान - थैंक यु दास... (तापस की तरफ फाइल बढ़ा कर) यह लो साइन करो...
सेनापति साइन करदेता है l खान भी एक साइन कर देता है फ़िर एक काग़ज़ सेनापति को दे देता है l
खान, दास को इशारा करता है l दास वह फाइल ले कर चला जाता है l
खान - लो भाई हमने भी अपना काम कर दिआ...
तापस - हाँ.. यार.. बहुत बहुत धन्यबाद... अच्छा अब मुझे इजाज़त दो..
खान - अमा यार कभी दावत पर भी बुलाओ... अर्सा हो गया है... भाभी जी के हाथों का जाफ्रानी पुलाव खाए हुए...
तापस - क्यूँ नहीं... इस इतवार को... छुट्टी भी होगा और मौका भी, दस्तूर भी...
खान - तो ठीक है... तुम्हारे VRS की खुशी में...
तापस - डन....
अपना काग़ज़ लेकर तापस चला जाता है l खान उसे जाते हुए देखता रहता है l

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

वीर सिंह ESS ऑफिस आता है l गेट के बाहर उसे अनु दिखती है
वीर - अरे तुम यहाँ... इस वक्त...
अनु - जी वह आपने इसी ऑफिस को आने के लिए बोला था..
वीर - हाँ... पर कल आने को बोला था ना... कल क्यूँ नहीं आयी..
अनु - हाँ पर कल रवि वार था ना..
वीर - तो... तो.. क्या हुआ...
अनु - क्या रवि वार को भी ऑफिस खुला रहती है क्या..
वीर - हाँ... एक मिनिट.. हम बाहर क्यूँ बात कर रहे हैं... चलो अंदर..
दोनों ऑफिस के अंदर आते हैं, और वीर एक चैम्बर में घुस जाता है, उसके पीछे पीछे अनु भी घुस जाती है
वीर पहले तो हैरान हो जाता है, फिर वह मुस्करा देता है
वीर - चलो ठीक है... पर सुबह जॉइन ना कर अब तक क्या कर रही थी...
अनु - वह नौकरी मुझे आप देंगे बोले थे... इसलिए आपकी इंतजार कर रही थी..
वीर - अच्छा...
अनु - आपने बताया नहीं... यहाँ सातों दिन काम होता है क्या.
वीर - यहाँ ऑफिस सातों दिन खुला रहता है.... पर ड्यूटी के दिन छह दिन ही होते हैं.. और एक दिन छुट्टी..
अनु - हाँ... तब तो ठीक है... अच्छा.. मुझे पैसे कितने मिलेंगे..
वीर - तुम ही बताओ... तुम्हें कितना चाहिए..
अनु - (हकलाते हुए) अ.. अठारह .... ह.. जार..
वीर - अठारह.. हजार..
अनु- ज्यादा है..
वीर - जानती हो अठारह हजार के लिए तुम्हें यहां पर तीन तीन नौकरी करनी पड़ेगी....
अनु - (हैरान होते हुए) तीन, तीन....
वीर - हाँ...
अनु - तो मैं घर कब जाऊँगी...
वीर - अरे... ऑफिस के टाइम में ही तुम्हें तीनों के काम करने होंगे....
अनु अपनी दाहिनी हाथ की नाखुन चबाती है... और कुछ सोच में पड़ जाती है l
अनु - क्या क्या करना पड़ेगा...
वीर - अरे कुछ नहीं... तुम्हारे लिए ज्यादा काम नहीं होगा...
अनु - फिर भी मुझे क्या करना होगा....
वीर - देखो, यह सेक्योरिटी सर्विस है तो तुम्हारा पहला काम यहां पर गार्ड बनना... तुम्हारे लिए आसान कर देता हूँ.. तुम मेरी इसी ऑफिस की कमरे को ही गार्ड करोगी ठीक है......
अनु-(खुशी से चहकते हुए) आ... ह... और... एक नौकरी...
वीर - और दो...
अनु - हाँ मेरा मतलब है... दुसरी...
वीर - हाँ दुसरी... मेरी पर्सनल असिस्टेंट की...
अनु - उसमें क्या करना होगा...
वीर - उसमें (एक डायरी को बढ़ाते हुए) यह डायरी लेना और मैं जिसे फोन लगाने को बोलूँ... उसे लगा देना...
अनु - क्यूँ.. आपके मोबाइल फोन में... यह सब नंबर नहीं हैं क्या...
वीर - मैं तुम्हें तीन तीन नौकरी तुम्हारी सहूलियत के लिए दे रहा हूँ... तुम मुझे काम समझा रही हो...
अनु - (घबराते हुए) नहीं नहीं मेरा यह मतलब नहीं था...
वीर - ठीक है.. ठीक है..यह दुसरी नौकरी मंजुर है...
अनु - जी जी.. हाँ... जी... और तीसरी...
वीर - वह मेरी पर्सनल सेक्रेटरी की....
अनु - सेक्रेटरी की.... वाव... उसमे क्या करना पड़ता है...
वीर - पड़ता है....
अनु - मेरा मतलब... क्या करना पड़ेगा...
वीर - कुछ नहीं..(ड्रॉयर से दो स्माइली बॉल निकालता है) आज कल इतना काम बढ़ गया है कि... मुझे इस उम्र में ही BP की शिकायत होने लगी है... तो यह दो बॉल अपने पास रखना... जब मुझे गुस्सा आ जाए... या ज्यादा पसीना आ जाए... तब यह दोनों मुझे दे देना.. ताकि मैं इसे दबाता रहूँ... ऐसे दबाना ही मेरी दवा है... कभी इसे खो मत देना... क्युकी मुझे अगर दबाने को कुछ ना मिला तो मैं पागल सा हो जाऊँगा...
अनु - ओह...
वीर - क्या तुम कर पाओगी...
अनु - हाँ हाँ क्यूँ नहीं... मैं यह तीनों काम सम्हाल सकती हूँ
वीर - शाबाश..
वीर इंटरकॉम पर किसीको ऑर्डर किया
एक एपइंटमेंट लेटर में जॉब डेसक्रिपशन का कॉलम और सैलरी कॉलम खाली रख कर मेरे पास लाओ l
कुछ देर बाद एक लड़की चुइंगम चबाते हुए एक फॉर्म लाकर वीर को देती है और एक नजर अनु पर डालती है और मुस्कराकर बाहर निकल जाती है l
वीर उस फॉर्म को भर देता है, और अनु को उस पर साइन करने को कहा l अनु चहकते हुए अपना नाम साइन करने फॉर्म मांगती है, लेकिन फॉर्म को वीर पकड कर कहाँ साइन करना है दिखाता है l अनु साइन अपने सीट से उठती है और जैसे ही साइन करने के लिए झुकती है उसके बड़े बड़े चुचें उसकी कुर्ती से वैसे ही उछलकर झांकने लगते हैं l यह देख कर वीर सिंह का पूरा जबड़ा खुल जाता है l वह थूक निगल कर उस आठवें अजूबे को आँखे फाड़ कर घूरने लगता है और टेबल पर रखे स्माइली बॉल को जोर जोर से दबाने लगता है l
अनु उसे बॉल यूँ दबाते देख कर - राज कुमार जी क्या हुआ आपको..
वीर - क.. कुछ.. नहीं... तुम साइन करते रहो...
सारे कागजात पर साइन करने के बाद वीर सिंह को काग़ज़ वापस कर देती है l
वीर - वाह... कितनी अच्छी सिग्नेचर है... जी करता है... अब सारे ऑफिस के कागजात साइन करने के लिए तुम्हें दे दूँ.... (बॉल और जोर से दबाने लगा)
अनु - राजकुमार जी यह मेरे किस हिस्से में आएगा...
वीर - पर्सनल असिस्टेंट..
अनु - ठीक है... मैं कर दिआ करूंगी...
वीर - गुड़.... आरे... तुम तो बहुत अच्छी हो... जाओ कल से ड्यूटी पर आ जाना...
अनु - राजकुमार जी... धन्यबाद...
वीर - यह लो.... यह दोनों बॉल अपने पास रखो....
अनु - जी.. (वह दोनों बॉल ले लेती है) और बाहर अपनी कुल्हे मटकाते निकल जाती है l
वीर - एक चुत... साला एक चुत... आदमी को हरामी बना देता है...
 

Jaguaar

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सुबह का अखबार लिए तापस अपने बैठक में बैठा ख़बर पढ़ रहा था l
तापस - अरे जान.... सुनती हो....
प्रतिभा - xxxx
तापस - जान...
प्रतिभा - हूं....
तापस - क्या हुआ मेरे यार को... बेजार से लग रहे हैं...
प्रतिभा - (अपने आपको सम्हालते हुए) हाँ... क्या चाहिए आपको...
तापस - (उसके चेहरे को गौर से देखता है, और गाते हुए ) मुझे तेरी हाथ का चाय मिल जाए तो क्या बात हो...
प्रतिभा - (बिना कोई प्रतिक्रिया दिए) अभी लाती हूँ....
प्रतिभा किचन के अंदर चली जाती है, उसे जाते हुए देख तापस कुछ सोच में पड़ जाता है l थोड़ी देर बाद उसका ध्यान टूटता है जब प्रतिभा चाय का कप बढ़ाती है और वहीँ खड़ी रहती है, तापस उससे चाय ले लेता है l
तापस - क्या हुआ....
प्रतिभा - नहीं तो... कुछ भी तो नहीं हुआ....
तापस-(प्रतिभा का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाता है) क्या बात है... जब से वैदेही को छोड़ कर आई हो... खोई खोई सी रहती हो.... कहाँ है... मेरी जान...
प्रतिभा....
प्रतिभा तापस को देखती है और कहती है - सेनापति जी क्या हम आज पूरी चलें.... जगन्नाथ जी के दर्शन को...
तापस - अभी या शाम को....
प्रतिभा - क्यूँ आपका कुछ काम था क्या....
तापस - अरे वही अपना नो ड्यू और एन ओ सी लाने जैल जाना है और जगन का काम हो गया है... उसे भी उसका लेटर देना है...
प्रतिभा - क्या यह सब काम दोपहर के बाद हो नहीं सकता...
तापस - हाँ हो सकता है... पर अभी भी तुमने वजह नहीं बताई...
प्रतिभा - मुझे भगवान से माफी मंगनी है.... और दुआ मन्नत भी करनी है...
तापस - दुआ और मन्नत...
प्रतिभा - हाँ सेनापति जी... प्लीज आप जाकर तैयार हो जाइए ना...
तापस - एक शर्त है....
प्रतिभा - क्या...
तापस - मुझे मेरी जान मिल जाए तो आपकी हर हुकुम सिर आँखों पर...
प्रतिभा मुस्कराने की कोशिश करती है पर मुस्करा नहीं पाती l
तापस - (प्रतिभा का हाथ पकड़ कर) क्या हुआ बताओ... दिल में कुछ भी मत रखो...
प्रतिभा, तापस के गले लग जाती है और सुबकने लगती है
तापस - क्या हुआ प्रतिभा.... (उसके सर पर हाथ रखते हुए)
प्रतिभा - (खुदको सम्हालते हुए) व वो वैदेही की कहानी जानने के बाद दिल बहुत भारी हो गया है....
इसलिए भगवान के पास जाना चाहती हूँ...
फिर वैदेही की कहानी जितनी सुनी थी सब तापस को बता देती है l तापस सब सुनने के बाद एक गहरी सांस लेता है
तापस - हूँ... पर तुम मंदिर क्यूँ जाना चाहती हो...
प्रतिभा - जानते हैं सेनापति जी.... जब जब दुखों का पहाड़ टूटा हम पर... भगवान पर मेरा विश्वास डगमगाया... पर वह फूल सी जान जिस पर दुखों का ज़लज़ला टूटा है... उसका विश्वास भगवान से जरा भी नहीं हिला... डॉक्टर बनना था उसको... किस्मत ने उसे क्या बना दिआ... फिर भी आज वह अपने लिए नहीं बल्कि आज भी वह अपनों के लिए भगवान से दुआ मांगती है... वह भी अटूट श्रद्धा और आस्था के साथ...
तापस - यही तो फर्क़ है उनमें और हम में... बेशक वह डॉक्टर नहीं बन पाई... पर आज भी वह अपने समाज की बीमारी से लड़ रही है... और ठीक कहा तुमने... हमे उसकी इस लड़ाई के लिए दुआ मन्नत करनी चाहिए...
तुम रुको अभी मैं तैयार हो कर आता हूँ...

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

कॉलेज में...

रॉकी टेंशन में है,वह छत पर एक कोने से दूसरे कोने तक चहल कदम कर रहा है, राजू उसे इस तरह से इधर उधर होते हुए देख रहा है,
रॉकी - अबे... और कितना टाइम लगेगा... उस रवि को यहाँ आने के लिए...
राजू - अब मुझे क्या पता... कितना टाइम लगेगा... आता ही होगा.. अभी क्लास भी कहाँ शुरू हुआ है... सो चील...
रॉकी - अबे तेरा चील गया तेल लेने... साला सर पर कौवे मंडरा रहे हैं.... और इन कमीनों का अब तक कोई खबर भी नहीं है....
इतने में आशीष, सुशील और रवि आकर पहुंचते हैं,
रवि - क्या हुआ... इतना टेंशन में क्यूँ है...
रॉकी - देख प्लान तूने बनाया है.... अब मुझे बिट टू बिट बता...
रवि - आ बैठ.... बताता हूं...
सब पानी के टंकी के छाँव में आकर बैठ जाते हैं
रवि - देख हमको उस छटी गैंग का गुरुवार को होने वाली हर मूवमेंट मालूम हो चुका है..... इसलिए हमे भी अपना प्लान परफेक्ट रूप से एक्जिक्युट करना है... जरा सी गलती.... जानते हो सब क्या हो सकता है....(सब ने अपना अपना सर हिलाया)
रवि - देखो हम जो करने जा रहे हैं.... वह सिर्फ छटी गैंग को लपेटे में लेने के लिए नहीं... बल्कि पूरे कॉलेज को यकीन दिलाने के लिए भी.....(रवि हाथ बढ़ाता है) देखो ना तो हम प्रोफेशनल हैं... और ना ही क्रिमिनलस हैं..... हम स्टूडेंट्स हैं... इसलिए वन फॉर ऑल एंड ऑल फॉर वन... (सब उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हैं)
रवि - देखो उनका प्लान था सिर्फ़ गिफ्ट देने की.. पर फ़िर टाइमिंग का प्रॉब्लम हुआ इसलिए उन्होंने गिफ्ट को केक के साथ जोड़ दिया... मतलब उनको केक के साथ गिफ्ट डिलीवर होगा....
रॉकी - अच्छा तो उनका टाइमिंग क्या है...
रवि - ठीक दो बजे... डिलिवरी लेने नंदिनी और दीप्ति दोनों प्रिन्सिपल के ऑफिस जाएंगे...
रॉकी - ह्म्म्म्म....
रवि - बनानी उस वक्त लैब के वश रूम में होगी... बाहर क्या हो रहा है उसे मालुम भी नहीं होगी... सबका प्लान है उसे चौकाने के लिए... पर वह चौकेगी जरूर... हम उसे चौकाएंगे....
रॉकी - यही तो... कब और कैसे...
रवि - देखो मैंने मनोज से पता लगा लिया है... पहला तो टोटल लैब इंश्योरड् है..
आशीष - अब यह मनोज कौन है...
रवि - अबे ओ गजनी की औलाद.... भूल गया क्या... लैब असिस्टेंट...
आशीष - ओ... हाँ..
रॉकी - लैब का कितना नुकसान हो सकता है...
रवि - क्यूँ...
तू इंश्योरेंस एजेंट है क्या.....
रॉकी - अबे मैं इसलिए पूछा.. अगर आग ज्यादा फैल गया तो रिस्क बहुत ज्यादा होगा....
रवि - तु उसकी फ़िकर ना कर... प्लान में इंप्रोवाइजेशन परफेक्ट हुआ है... ज्यादा नुकसान नहीं होगा... सिर्फ कंसेंट्रेटेड् लिक्विड सोल्यूशन जलेगा... बस तुझे उस के ऊपर अग्निपथ के अमिताभ बच्चन की तरह भाग कर बनानी तक पहुंचना होगा... और अपनी बाहों में उठा कर उसे बाहर लाना होगा.... उसे हस्पताल या नर्सिंग होम लेना या ना ले जाना कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन पर छोड़ देंगे....
सब - क्यूँ...
रवि - ज्यादा सीन बनाने से शक़ कर सकते हैं... और हाँ फ़िर से रिमाइंड कर रहा हूँ... तू उस दिन अपने सर पर जेल लगा कर मस्त हेर स्टाइल में आना...
रॉकी - वह क्यूँ....
रवि - क्यूंकि आग के लपटों में तेरा चेहरा और बाल खराब हो सकता है... इसी लिए अगर उस दिन सर पे जेल लगा कर आएगा.. तो तुझे अनफ्लेमेबल जेल लगाने पर कोई शक नहीं कर पाएगा... और सुन तेरा हीरोइजम सिर्फ छटी गैंग के इम्प्रेस करने के लिए नहीं... बल्कि पूरे कॉलेज को चुतिआ बनाने के लिए भी होगा... इसलिए कोई गलती नहीं...
सुशील - देख रॉकी हम सब जोश में तो हाँ कह दिए.... पर अब सब तेरे हाथ में है... यहाँ अपना फ्यूचर और कैरियर दोनों दाव पर लगी हुई है...
रॉकी - अबे डरा मत... कुछ लफड़ा हुआ तो मैं अपने उपर सब ले लूँगा... हाँ रवि अब पूरा सीन समझा...

रवि - हाँ तो सीन यह है... जब नंदिनी को खबर मिलेगी कि उसका पार्सल आया है... तब वे लोग बनानी को किसी तरह से वश रूम भेज देंगे.... बनानी के वश में जाते ही नंदिनी और दीप्ति भागते हुए प्रिन्सिपल के ऑफिस जाएंगे.... उनके नीचे जाते ही अपना रॉकी लिफ्ट से लैब तक पहुंचेगा.. पर तुझे लिफ्ट के अंदर यह जेल(एक जेल की शीशी दिखा कर)...... अपने चेहरे और बालों पर लगा लेगा...आग ठीक दो बज कर पांच मिनिट पर लगेगी.... दो बज कर सात मिनिट में आग आग चिल्ला कर सारे ल़डकियों को मनोज बाहर निकाल देगा...
रॉकी - तो क्या बनानी बाहर नहीं आ पाएगी.... क्यूँ की आवाज तो बनानी भी सुन पाएगी...
रवि - नहीं एक कंसेंट्रेटेड सोल्यूशन लैब में वश रूम के एंट्रेंस तक फैली होगी.... वह वश रूम में फंस जाएगी... तुझे बाहर तेरे लिए पहले तैयार एप्रन जो मनोज पहना होगा उसे ले लेना....उसे पहन कर अंदर जा कर बनानी तक पहुंच जाना...बनानी को अपनी दोनों हाथो से उठा कर जब बाहर निकलेगा तब तेरे एप्रन में आग लगेगी तेरे बाहर आते ही फायर एष्टींगुसर से मनोज तुझ पे लगी आग बुझा देगा... तू बनानी को छोड़ कर सीधे जेन्ट्स वश रूम को भागेगा... वहां कपड़ों के साथ वश ले लेगा और एप्रन वहीँ उतार फेंक बाहर निकल कर सीधे घर चला जाएगा... तेरे जाते ही नंदिनी और दीप्ति पहुंच जाएंगी.... अगले दिन तू अपने बाल छोटे कर पहुंच जाना.... ताकि सबको लगे के तुने अपने जले हुए बालों के वजह से बाल छोटे किए हैं...
इतना कह कर रवि चुप हो जाता है l सब ख़ामोशी से आंखें फाड़ रवि को सुन लेने के बाद सबका मुँह खुला रह गया l
रॉकी - क्या दिमाग है बे तेरा... बोले तो एकदम झकास...
राजू - साला पुलिस भी चकरा जाएगा...
सुशील - वाव... कमीना.. साला शैतान का दिमाग रखा है बे तूने..
रवि - अबे कमीनों... बस भी करो... इतने प्लानिंग में ही डीसेंट्री हो गई है... सालों मरवाओगे क्या...
रॉकी - वन फॉर ऑल... ऑल फॉर वन...
सब फ़िर से अपने हाथ मिलाते हैं


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कैन्टीन में छटी गैंग अपनी मस्ती में मजा कर रहा है l तभी कैन्टीन के अंदर वीर सिंह आता है l जिसे देख कर सिर्फ छटी गैंग को छोड़ कर सभी टेबल खाली कर चले जाते हैं l
नंदिनी - खबरदार तुम में से कोई यहां से हिला तो... मैं अभी उसे भगा कर आती हूँ...
नंदिनी अपनी टेबल से उठ कर वीर सिंह के पास जाती है l
वीर - कैसी हैं राज कुमारी जी...
नंदिनी - अच्छी हूँ...
वीर - तो दोस्त बन गए आपके...
नंदिनी - जी...
वीर - हमसे पहचान नहीं करवायेंगी...
नंदिनी - जी नहीं.... सब आपको आपसे बेहतर जानते हैं...
वीर - माय कंप्लीमेंट...
नंदिनी - आप यहाँ से शीघ्र जाएं...
वीर - हमे भगाने की जल्दी है आपको...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... हम नहीं चाहते हमारे कोई दोस्त हमसे इसलिए दोस्ती तोड़ दें... क्यूंकि आप हमारे भाई हैं...
वीर - ओ... तो बात ऐसी है... मतलब आपके लिए दोस्त आपके भाई से ज्यादा महत्व रखते हैं...
नंदिनी - हाँ... फ़िलहाल.. इस वक्त तो हाँ...
वीर सिंह मुस्कराता हुआ बाहर निकल जाता है l नंदिनी एक गहरी सांस छोड़ती है और रिलैक्स फिल् करती है, और अपने टेबल पर हंसते हुए वापस आती है l
उधर वीर सिंह अपने क्लास में पहुंचता है l जहां एक लेक्चरर सोशलिज्म पर पढ़ा रहा है l जैसे ही वीर सिंह को देखते है लेक्चरर समेत सारे छात्र खड़े हो जाते हैं l
वीर - क्या बात है सर... आप आज समाजवाद पर पढ़ा रहे हैं... वाह बहुत अच्छा विषय है..
लेक्चरर - कहिए राजकुमार जी... कैसे आना हुआ...
वीर - मैं आया हूँ... तो मेरा अटेंडेंश कंफर्म कर दीजिए....
लेक्चरर - जी राज कुमार जी...
वीर - गुड... अच्छा मैं चलता हूँ..
इतना कह कर वीर निकल जाता है, उसके जाते ही लेक्चरर अपना लेक्चर शुरू करने वाला होता है कि तब एक छात्र खड़ा हो जाता है और कहता है - सर.... मेरा एक सवाल है सर....
लेक्चरर - येस...
छात्र - आप सोशलिज्म पर पढ़ा रहे हैं... पर आप मॉनार्की के आगे सर झुकाते हैं...
लेक्चरर - वेरी गुड.. बहुत अच्छा सवाल है... मैं इसका ज़वाब अवश्य दूँगा.... अगली बार जब वीर सिंह यहां आए तब उसके सामने यह सवाल करना... मैं ज़वाब वीर सिंह के सामने ही देना चाहूंगा....
छात्र अपना मुहँ बना कर बैठ जाता है l और लेक्चरर अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाता है l


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खान अपने चैम्बर में कुछ फाइलें चेक कर साइन कर रहा है l
मे आई कम इन.... एक आवाज़
अपने चश्मे को सही करते खान कुर्सी से उठ कर,
खान - अरे... सेनापति... क्या मज़ाक कर रहे हो... अमा यार यह तुम्हारा ही ऑफिस है...
तापस - ऊँ हूं... यह अब तुम्हारी ऑफिस है... और मैंने तुम्हें हैंड ओवर कर दिआ है... वैसे भी.. सरकार ने मेरी VRS को मंजूरी दे दी है....
खान - चलो... तुम्हारी ना सही... अपने दोस्त की ऑफिस समझ कर आ जाओ यार...
तापस हंसते हुए अंदर आता है और खान अपने चेयर से उठ कर तापस के पास जाकर उसे गले लगा लेता है l
खान - नजरें तरस गईं राह तकतें तकतें
बहुत देर कर दी हजूर आते आते
तापस - हा हा हा... अभी भी शायरी....
खान - हाँ यार... ना तुमने मज़ाक छोड़ा.. ना हमने शायरी... आ बैठ..
दोनों अपने अपने जगह पर बैठ जाते हैं l खान बेल बजाता है l जगन दौड़ कर आता है l जगन भीतर आकर दोनों को बड़े जोश के साथ सैल्यूट देता है l खान के कुछ कहने से पहले एक ठंडा पानी का ग्लास तापस के आगे रख देता है l
तापस - कैसे हो जगन...
जगन - सब आपकी कृपा है...
तापस - अरे यार... हमे इंसान ही रहने दो... (इतना कह कर अपने जेब से एक लिफाफा निकाल कर) यह लो तुम्हारा हेल्पर कांस्टेबल पोस्ट पर कमिश्नरेट से क्लीयरेंस...
जगन लेटर हाथ में लिए तापस के पैरों में गिर जाता है l तापस उसे उठा कर कहता है - देखो मैंने तुमसे वादा किया था l और यह क्या.... जब भी वर्दी में हो.. किसीके पैरों में गिर मत जाना... सैल्यूट तक ही रहना... समझे... (आँखों में धन्यबाद के आंसू लिए जगन हाँ में सर हिलाता है) और अगले महीने तुम तीन महीनों के लिए नयागड़ ट्रेनिंग के लिए जा रहे हो l सो तैयार हो जाओ...
खान - आख़िर तुमने अपना किया हुआ वादा पुरा कर दिआ....
तापस - हाँ यार... यही एक बोझ था... लो उतर गया... लाओ यार मेरा नो ड्यू और एन ओ सी...
खान - जगन जाओ और दास से कहो सेनापति के फाइल ले कर यहाँ आए..
जगन - जी सर.... सैल्यूट दे कर जगन बाहर चला जाता है l थोड़ी देर बाद दास एक फाइल ले कर अंदर आता है l
दास दोनों को सैल्यूट करता है और फाइल को खान के टेबल पर रख देता है l
खान - थैंक यु दास... (तापस की तरफ फाइल बढ़ा कर) यह लो साइन करो...
सेनापति साइन करदेता है l खान भी एक साइन कर देता है फ़िर एक काग़ज़ सेनापति को दे देता है l
खान, दास को इशारा करता है l दास वह फाइल ले कर चला जाता है l
खान - लो भाई हमने भी अपना काम कर दिआ...
तापस - हाँ.. यार.. बहुत बहुत धन्यबाद... अच्छा अब मुझे इजाज़त दो..
खान - अमा यार कभी दावत पर भी बुलाओ... अर्सा हो गया है... भाभी जी के हाथों का जाफ्रानी पुलाव खाए हुए...
तापस - क्यूँ नहीं... इस इतवार को... छुट्टी भी होगा और मौका भी, दस्तूर भी...
खान - तो ठीक है... तुम्हारे VRS की खुशी में...
तापस - डन....
अपना काग़ज़ लेकर तापस चला जाता है l खान उसे जाते हुए देखता रहता है l

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वीर सिंह ESS ऑफिस आता है l गेट के बाहर उसे अनु दिखती है
वीर - अरे तुम यहाँ... इस वक्त...
अनु - जी वह आपने इसी ऑफिस को आने के लिए बोला था..
वीर - हाँ... पर कल आने को बोला था ना... कल क्यूँ नहीं आयी..
अनु - हाँ पर कल रवि वार था ना..
वीर - तो... तो.. क्या हुआ...
अनु - क्या रवि वार को भी ऑफिस खुला रहती है क्या..
वीर - हाँ... एक मिनिट.. हम बाहर क्यूँ बात कर रहे हैं... चलो अंदर..
दोनों ऑफिस के अंदर आते हैं, और वीर एक चैम्बर में घुस जाता है, उसके पीछे पीछे अनु भी घुस जाती है
वीर पहले तो हैरान हो जाता है, फिर वह मुस्करा देता है
वीर - चलो ठीक है... पर सुबह जॉइन ना कर अब तक क्या कर रही थी...
अनु - वह नौकरी मुझे आप देंगे बोले थे... इसलिए आपकी इंतजार कर रही थी..
वीर - अच्छा...
अनु - आपने बताया नहीं... यहाँ सातों दिन काम होता है क्या.
वीर - यहाँ ऑफिस सातों दिन खुला रहता है.... पर ड्यूटी के दिन छह दिन ही होते हैं.. और एक दिन छुट्टी..
अनु - हाँ... तब तो ठीक है... अच्छा.. मुझे पैसे कितने मिलेंगे..
वीर - तुम ही बताओ... तुम्हें कितना चाहिए..
अनु - (हकलाते हुए) अ.. अठारह .... ह.. जार..
वीर - अठारह.. हजार..
अनु- ज्यादा है..
वीर - जानती हो अठारह हजार के लिए तुम्हें यहां पर तीन तीन नौकरी करनी पड़ेगी....
अनु - (हैरान होते हुए) तीन, तीन....
वीर - हाँ...
अनु - तो मैं घर कब जाऊँगी...
वीर - अरे... ऑफिस के टाइम में ही तुम्हें तीनों के काम करने होंगे....
अनु अपनी दाहिनी हाथ की नाखुन चबाती है... और कुछ सोच में पड़ जाती है l
अनु - क्या क्या करना पड़ेगा...
वीर - अरे कुछ नहीं... तुम्हारे लिए ज्यादा काम नहीं होगा...
अनु - फिर भी मुझे क्या करना होगा....
वीर - देखो, यह सेक्योरिटी सर्विस है तो तुम्हारा पहला काम यहां पर गार्ड बनना... तुम्हारे लिए आसान कर देता हूँ.. तुम मेरी इसी ऑफिस की कमरे को ही गार्ड करोगी ठीक है......
अनु-(खुशी से चहकते हुए) आ... ह... और... एक नौकरी...
वीर - और दो...
अनु - हाँ मेरा मतलब है... दुसरी...
वीर - हाँ दुसरी... मेरी पर्सनल असिस्टेंट की...
अनु - उसमें क्या करना होगा...
वीर - उसमें (एक डायरी को बढ़ाते हुए) यह डायरी लेना और मैं जिसे फोन लगाने को बोलूँ... उसे लगा देना...
अनु - क्यूँ.. आपके मोबाइल फोन में... यह सब नंबर नहीं हैं क्या...
वीर - मैं तुम्हें तीन तीन नौकरी तुम्हारी सहूलियत के लिए दे रहा हूँ... तुम मुझे काम समझा रही हो...
अनु - (घबराते हुए) नहीं नहीं मेरा यह मतलब नहीं था...
वीर - ठीक है.. ठीक है..यह दुसरी नौकरी मंजुर है...
अनु - जी जी.. हाँ... जी... और तीसरी...
वीर - वह मेरी पर्सनल सेक्रेटरी की....
अनु - सेक्रेटरी की.... वाव... उसमे क्या करना पड़ता है...
वीर - पड़ता है....
अनु - मेरा मतलब... क्या करना पड़ेगा...
वीर - कुछ नहीं..(ड्रॉयर से दो स्माइली बॉल निकालता है) आज कल इतना काम बढ़ गया है कि... मुझे इस उम्र में ही BP की शिकायत होने लगी है... तो यह दो बॉल अपने पास रखना... जब मुझे गुस्सा आ जाए... या ज्यादा पसीना आ जाए... तब यह दोनों मुझे दे देना.. ताकि मैं इसे दबाता रहूँ... ऐसे दबाना ही मेरी दवा है... कभी इसे खो मत देना... क्युकी मुझे अगर दबाने को कुछ ना मिला तो मैं पागल सा हो जाऊँगा...
अनु - ओह...
वीर - क्या तुम कर पाओगी...
अनु - हाँ हाँ क्यूँ नहीं... मैं यह तीनों काम सम्हाल सकती हूँ
वीर - शाबाश..
वीर इंटरकॉम पर किसीको ऑर्डर किया
एक एपइंटमेंट लेटर में जॉब डेसक्रिपशन का कॉलम और सैलरी कॉलम खाली रख कर मेरे पास लाओ l
कुछ देर बाद एक लड़की चुइंगम चबाते हुए एक फॉर्म लाकर वीर को देती है और एक नजर अनु पर डालती है और मुस्कराकर बाहर निकल जाती है l
वीर उस फॉर्म को भर देता है, और अनु को उस पर साइन करने को कहा l अनु चहकते हुए अपना नाम साइन करने फॉर्म मांगती है, लेकिन फॉर्म को वीर पकड कर कहाँ साइन करना है दिखाता है l अनु साइन अपने सीट से उठती है और जैसे ही साइन करने के लिए झुकती है उसके बड़े बड़े चुचें उसकी कुर्ती से वैसे ही उछलकर झांकने लगते हैं l यह देख कर वीर सिंह का पूरा जबड़ा खुल जाता है l वह थूक निगल कर उस आठवें अजूबे को आँखे फाड़ कर घूरने लगता है और टेबल पर रखे स्माइली बॉल को जोर जोर से दबाने लगता है l
अनु उसे बॉल यूँ दबाते देख कर - राज कुमार जी क्या हुआ आपको..
वीर - क.. कुछ.. नहीं... तुम साइन करते रहो...
सारे कागजात पर साइन करने के बाद वीर सिंह को काग़ज़ वापस कर देती है l
वीर - वाह... कितनी अच्छी सिग्नेचर है... जी करता है... अब सारे ऑफिस के कागजात साइन करने के लिए तुम्हें दे दूँ.... (बॉल और जोर से दबाने लगा)
अनु - राजकुमार जी यह मेरे किस हिस्से में आएगा...
वीर - पर्सनल असिस्टेंट..
अनु - ठीक है... मैं कर दिआ करूंगी...
वीर - गुड़.... आरे... तुम तो बहुत अच्छी हो... जाओ कल से ड्यूटी पर आ जाना...
अनु - राजकुमार जी... धन्यबाद...
वीर - यह लो.... यह दोनों बॉल अपने पास रखो....
अनु - जी.. (वह दोनों बॉल ले लेती है) और बाहर अपनी कुल्हे मटकाते निकल जाती है l
वीर - एक चुत... साला एक चुत... आदमी को हरामी बना देता है...
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parkas

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सुबह का अखबार लिए तापस अपने बैठक में बैठा ख़बर पढ़ रहा था l
तापस - अरे जान.... सुनती हो....
प्रतिभा - xxxx
तापस - जान...
प्रतिभा - हूं....
तापस - क्या हुआ मेरे यार को... बेजार से लग रहे हैं...
प्रतिभा - (अपने आपको सम्हालते हुए) हाँ... क्या चाहिए आपको...
तापस - (उसके चेहरे को गौर से देखता है, और गाते हुए ) मुझे तेरी हाथ का चाय मिल जाए तो क्या बात हो...
प्रतिभा - (बिना कोई प्रतिक्रिया दिए) अभी लाती हूँ....
प्रतिभा किचन के अंदर चली जाती है, उसे जाते हुए देख तापस कुछ सोच में पड़ जाता है l थोड़ी देर बाद उसका ध्यान टूटता है जब प्रतिभा चाय का कप बढ़ाती है और वहीँ खड़ी रहती है, तापस उससे चाय ले लेता है l
तापस - क्या हुआ....
प्रतिभा - नहीं तो... कुछ भी तो नहीं हुआ....
तापस-(प्रतिभा का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाता है) क्या बात है... जब से वैदेही को छोड़ कर आई हो... खोई खोई सी रहती हो.... कहाँ है... मेरी जान...
प्रतिभा....
प्रतिभा तापस को देखती है और कहती है - सेनापति जी क्या हम आज पूरी चलें.... जगन्नाथ जी के दर्शन को...
तापस - अभी या शाम को....
प्रतिभा - क्यूँ आपका कुछ काम था क्या....
तापस - अरे वही अपना नो ड्यू और एन ओ सी लाने जैल जाना है और जगन का काम हो गया है... उसे भी उसका लेटर देना है...
प्रतिभा - क्या यह सब काम दोपहर के बाद हो नहीं सकता...
तापस - हाँ हो सकता है... पर अभी भी तुमने वजह नहीं बताई...
प्रतिभा - मुझे भगवान से माफी मंगनी है.... और दुआ मन्नत भी करनी है...
तापस - दुआ और मन्नत...
प्रतिभा - हाँ सेनापति जी... प्लीज आप जाकर तैयार हो जाइए ना...
तापस - एक शर्त है....
प्रतिभा - क्या...
तापस - मुझे मेरी जान मिल जाए तो आपकी हर हुकुम सिर आँखों पर...
प्रतिभा मुस्कराने की कोशिश करती है पर मुस्करा नहीं पाती l
तापस - (प्रतिभा का हाथ पकड़ कर) क्या हुआ बताओ... दिल में कुछ भी मत रखो...
प्रतिभा, तापस के गले लग जाती है और सुबकने लगती है
तापस - क्या हुआ प्रतिभा.... (उसके सर पर हाथ रखते हुए)
प्रतिभा - (खुदको सम्हालते हुए) व वो वैदेही की कहानी जानने के बाद दिल बहुत भारी हो गया है....
इसलिए भगवान के पास जाना चाहती हूँ...
फिर वैदेही की कहानी जितनी सुनी थी सब तापस को बता देती है l तापस सब सुनने के बाद एक गहरी सांस लेता है
तापस - हूँ... पर तुम मंदिर क्यूँ जाना चाहती हो...
प्रतिभा - जानते हैं सेनापति जी.... जब जब दुखों का पहाड़ टूटा हम पर... भगवान पर मेरा विश्वास डगमगाया... पर वह फूल सी जान जिस पर दुखों का ज़लज़ला टूटा है... उसका विश्वास भगवान से जरा भी नहीं हिला... डॉक्टर बनना था उसको... किस्मत ने उसे क्या बना दिआ... फिर भी आज वह अपने लिए नहीं बल्कि आज भी वह अपनों के लिए भगवान से दुआ मांगती है... वह भी अटूट श्रद्धा और आस्था के साथ...
तापस - यही तो फर्क़ है उनमें और हम में... बेशक वह डॉक्टर नहीं बन पाई... पर आज भी वह अपने समाज की बीमारी से लड़ रही है... और ठीक कहा तुमने... हमे उसकी इस लड़ाई के लिए दुआ मन्नत करनी चाहिए...
तुम रुको अभी मैं तैयार हो कर आता हूँ...

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कॉलेज में...

रॉकी टेंशन में है,वह छत पर एक कोने से दूसरे कोने तक चहल कदम कर रहा है, राजू उसे इस तरह से इधर उधर होते हुए देख रहा है,
रॉकी - अबे... और कितना टाइम लगेगा... उस रवि को यहाँ आने के लिए...
राजू - अब मुझे क्या पता... कितना टाइम लगेगा... आता ही होगा.. अभी क्लास भी कहाँ शुरू हुआ है... सो चील...
रॉकी - अबे तेरा चील गया तेल लेने... साला सर पर कौवे मंडरा रहे हैं.... और इन कमीनों का अब तक कोई खबर भी नहीं है....
इतने में आशीष, सुशील और रवि आकर पहुंचते हैं,
रवि - क्या हुआ... इतना टेंशन में क्यूँ है...
रॉकी - देख प्लान तूने बनाया है.... अब मुझे बिट टू बिट बता...
रवि - आ बैठ.... बताता हूं...
सब पानी के टंकी के छाँव में आकर बैठ जाते हैं
रवि - देख हमको उस छटी गैंग का गुरुवार को होने वाली हर मूवमेंट मालूम हो चुका है..... इसलिए हमे भी अपना प्लान परफेक्ट रूप से एक्जिक्युट करना है... जरा सी गलती.... जानते हो सब क्या हो सकता है....(सब ने अपना अपना सर हिलाया)
रवि - देखो हम जो करने जा रहे हैं.... वह सिर्फ छटी गैंग को लपेटे में लेने के लिए नहीं... बल्कि पूरे कॉलेज को यकीन दिलाने के लिए भी.....(रवि हाथ बढ़ाता है) देखो ना तो हम प्रोफेशनल हैं... और ना ही क्रिमिनलस हैं..... हम स्टूडेंट्स हैं... इसलिए वन फॉर ऑल एंड ऑल फॉर वन... (सब उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हैं)
रवि - देखो उनका प्लान था सिर्फ़ गिफ्ट देने की.. पर फ़िर टाइमिंग का प्रॉब्लम हुआ इसलिए उन्होंने गिफ्ट को केक के साथ जोड़ दिया... मतलब उनको केक के साथ गिफ्ट डिलीवर होगा....
रॉकी - अच्छा तो उनका टाइमिंग क्या है...
रवि - ठीक दो बजे... डिलिवरी लेने नंदिनी और दीप्ति दोनों प्रिन्सिपल के ऑफिस जाएंगे...
रॉकी - ह्म्म्म्म....
रवि - बनानी उस वक्त लैब के वश रूम में होगी... बाहर क्या हो रहा है उसे मालुम भी नहीं होगी... सबका प्लान है उसे चौकाने के लिए... पर वह चौकेगी जरूर... हम उसे चौकाएंगे....
रॉकी - यही तो... कब और कैसे...
रवि - देखो मैंने मनोज से पता लगा लिया है... पहला तो टोटल लैब इंश्योरड् है..
आशीष - अब यह मनोज कौन है...
रवि - अबे ओ गजनी की औलाद.... भूल गया क्या... लैब असिस्टेंट...
आशीष - ओ... हाँ..
रॉकी - लैब का कितना नुकसान हो सकता है...
रवि - क्यूँ...
तू इंश्योरेंस एजेंट है क्या.....
रॉकी - अबे मैं इसलिए पूछा.. अगर आग ज्यादा फैल गया तो रिस्क बहुत ज्यादा होगा....
रवि - तु उसकी फ़िकर ना कर... प्लान में इंप्रोवाइजेशन परफेक्ट हुआ है... ज्यादा नुकसान नहीं होगा... सिर्फ कंसेंट्रेटेड् लिक्विड सोल्यूशन जलेगा... बस तुझे उस के ऊपर अग्निपथ के अमिताभ बच्चन की तरह भाग कर बनानी तक पहुंचना होगा... और अपनी बाहों में उठा कर उसे बाहर लाना होगा.... उसे हस्पताल या नर्सिंग होम लेना या ना ले जाना कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन पर छोड़ देंगे....
सब - क्यूँ...
रवि - ज्यादा सीन बनाने से शक़ कर सकते हैं... और हाँ फ़िर से रिमाइंड कर रहा हूँ... तू उस दिन अपने सर पर जेल लगा कर मस्त हेर स्टाइल में आना...
रॉकी - वह क्यूँ....
रवि - क्यूंकि आग के लपटों में तेरा चेहरा और बाल खराब हो सकता है... इसी लिए अगर उस दिन सर पे जेल लगा कर आएगा.. तो तुझे अनफ्लेमेबल जेल लगाने पर कोई शक नहीं कर पाएगा... और सुन तेरा हीरोइजम सिर्फ छटी गैंग के इम्प्रेस करने के लिए नहीं... बल्कि पूरे कॉलेज को चुतिआ बनाने के लिए भी होगा... इसलिए कोई गलती नहीं...
सुशील - देख रॉकी हम सब जोश में तो हाँ कह दिए.... पर अब सब तेरे हाथ में है... यहाँ अपना फ्यूचर और कैरियर दोनों दाव पर लगी हुई है...
रॉकी - अबे डरा मत... कुछ लफड़ा हुआ तो मैं अपने उपर सब ले लूँगा... हाँ रवि अब पूरा सीन समझा...

रवि - हाँ तो सीन यह है... जब नंदिनी को खबर मिलेगी कि उसका पार्सल आया है... तब वे लोग बनानी को किसी तरह से वश रूम भेज देंगे.... बनानी के वश में जाते ही नंदिनी और दीप्ति भागते हुए प्रिन्सिपल के ऑफिस जाएंगे.... उनके नीचे जाते ही अपना रॉकी लिफ्ट से लैब तक पहुंचेगा.. पर तुझे लिफ्ट के अंदर यह जेल(एक जेल की शीशी दिखा कर)...... अपने चेहरे और बालों पर लगा लेगा...आग ठीक दो बज कर पांच मिनिट पर लगेगी.... दो बज कर सात मिनिट में आग आग चिल्ला कर सारे ल़डकियों को मनोज बाहर निकाल देगा...
रॉकी - तो क्या बनानी बाहर नहीं आ पाएगी.... क्यूँ की आवाज तो बनानी भी सुन पाएगी...
रवि - नहीं एक कंसेंट्रेटेड सोल्यूशन लैब में वश रूम के एंट्रेंस तक फैली होगी.... वह वश रूम में फंस जाएगी... तुझे बाहर तेरे लिए पहले तैयार एप्रन जो मनोज पहना होगा उसे ले लेना....उसे पहन कर अंदर जा कर बनानी तक पहुंच जाना...बनानी को अपनी दोनों हाथो से उठा कर जब बाहर निकलेगा तब तेरे एप्रन में आग लगेगी तेरे बाहर आते ही फायर एष्टींगुसर से मनोज तुझ पे लगी आग बुझा देगा... तू बनानी को छोड़ कर सीधे जेन्ट्स वश रूम को भागेगा... वहां कपड़ों के साथ वश ले लेगा और एप्रन वहीँ उतार फेंक बाहर निकल कर सीधे घर चला जाएगा... तेरे जाते ही नंदिनी और दीप्ति पहुंच जाएंगी.... अगले दिन तू अपने बाल छोटे कर पहुंच जाना.... ताकि सबको लगे के तुने अपने जले हुए बालों के वजह से बाल छोटे किए हैं...
इतना कह कर रवि चुप हो जाता है l सब ख़ामोशी से आंखें फाड़ रवि को सुन लेने के बाद सबका मुँह खुला रह गया l
रॉकी - क्या दिमाग है बे तेरा... बोले तो एकदम झकास...
राजू - साला पुलिस भी चकरा जाएगा...
सुशील - वाव... कमीना.. साला शैतान का दिमाग रखा है बे तूने..
रवि - अबे कमीनों... बस भी करो... इतने प्लानिंग में ही डीसेंट्री हो गई है... सालों मरवाओगे क्या...
रॉकी - वन फॉर ऑल... ऑल फॉर वन...
सब फ़िर से अपने हाथ मिलाते हैं


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कैन्टीन में छटी गैंग अपनी मस्ती में मजा कर रहा है l तभी कैन्टीन के अंदर वीर सिंह आता है l जिसे देख कर सिर्फ छटी गैंग को छोड़ कर सभी टेबल खाली कर चले जाते हैं l
नंदिनी - खबरदार तुम में से कोई यहां से हिला तो... मैं अभी उसे भगा कर आती हूँ...
नंदिनी अपनी टेबल से उठ कर वीर सिंह के पास जाती है l
वीर - कैसी हैं राज कुमारी जी...
नंदिनी - अच्छी हूँ...
वीर - तो दोस्त बन गए आपके...
नंदिनी - जी...
वीर - हमसे पहचान नहीं करवायेंगी...
नंदिनी - जी नहीं.... सब आपको आपसे बेहतर जानते हैं...
वीर - माय कंप्लीमेंट...
नंदिनी - आप यहाँ से शीघ्र जाएं...
वीर - हमे भगाने की जल्दी है आपको...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... हम नहीं चाहते हमारे कोई दोस्त हमसे इसलिए दोस्ती तोड़ दें... क्यूंकि आप हमारे भाई हैं...
वीर - ओ... तो बात ऐसी है... मतलब आपके लिए दोस्त आपके भाई से ज्यादा महत्व रखते हैं...
नंदिनी - हाँ... फ़िलहाल.. इस वक्त तो हाँ...
वीर सिंह मुस्कराता हुआ बाहर निकल जाता है l नंदिनी एक गहरी सांस छोड़ती है और रिलैक्स फिल् करती है, और अपने टेबल पर हंसते हुए वापस आती है l
उधर वीर सिंह अपने क्लास में पहुंचता है l जहां एक लेक्चरर सोशलिज्म पर पढ़ा रहा है l जैसे ही वीर सिंह को देखते है लेक्चरर समेत सारे छात्र खड़े हो जाते हैं l
वीर - क्या बात है सर... आप आज समाजवाद पर पढ़ा रहे हैं... वाह बहुत अच्छा विषय है..
लेक्चरर - कहिए राजकुमार जी... कैसे आना हुआ...
वीर - मैं आया हूँ... तो मेरा अटेंडेंश कंफर्म कर दीजिए....
लेक्चरर - जी राज कुमार जी...
वीर - गुड... अच्छा मैं चलता हूँ..
इतना कह कर वीर निकल जाता है, उसके जाते ही लेक्चरर अपना लेक्चर शुरू करने वाला होता है कि तब एक छात्र खड़ा हो जाता है और कहता है - सर.... मेरा एक सवाल है सर....
लेक्चरर - येस...
छात्र - आप सोशलिज्म पर पढ़ा रहे हैं... पर आप मॉनार्की के आगे सर झुकाते हैं...
लेक्चरर - वेरी गुड.. बहुत अच्छा सवाल है... मैं इसका ज़वाब अवश्य दूँगा.... अगली बार जब वीर सिंह यहां आए तब उसके सामने यह सवाल करना... मैं ज़वाब वीर सिंह के सामने ही देना चाहूंगा....
छात्र अपना मुहँ बना कर बैठ जाता है l और लेक्चरर अपनी पढ़ाई आगे बढ़ाता है l


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खान अपने चैम्बर में कुछ फाइलें चेक कर साइन कर रहा है l
मे आई कम इन.... एक आवाज़
अपने चश्मे को सही करते खान कुर्सी से उठ कर,
खान - अरे... सेनापति... क्या मज़ाक कर रहे हो... अमा यार यह तुम्हारा ही ऑफिस है...
तापस - ऊँ हूं... यह अब तुम्हारी ऑफिस है... और मैंने तुम्हें हैंड ओवर कर दिआ है... वैसे भी.. सरकार ने मेरी VRS को मंजूरी दे दी है....
खान - चलो... तुम्हारी ना सही... अपने दोस्त की ऑफिस समझ कर आ जाओ यार...
तापस हंसते हुए अंदर आता है और खान अपने चेयर से उठ कर तापस के पास जाकर उसे गले लगा लेता है l
खान - नजरें तरस गईं राह तकतें तकतें
बहुत देर कर दी हजूर आते आते
तापस - हा हा हा... अभी भी शायरी....
खान - हाँ यार... ना तुमने मज़ाक छोड़ा.. ना हमने शायरी... आ बैठ..
दोनों अपने अपने जगह पर बैठ जाते हैं l खान बेल बजाता है l जगन दौड़ कर आता है l जगन भीतर आकर दोनों को बड़े जोश के साथ सैल्यूट देता है l खान के कुछ कहने से पहले एक ठंडा पानी का ग्लास तापस के आगे रख देता है l
तापस - कैसे हो जगन...
जगन - सब आपकी कृपा है...
तापस - अरे यार... हमे इंसान ही रहने दो... (इतना कह कर अपने जेब से एक लिफाफा निकाल कर) यह लो तुम्हारा हेल्पर कांस्टेबल पोस्ट पर कमिश्नरेट से क्लीयरेंस...
जगन लेटर हाथ में लिए तापस के पैरों में गिर जाता है l तापस उसे उठा कर कहता है - देखो मैंने तुमसे वादा किया था l और यह क्या.... जब भी वर्दी में हो.. किसीके पैरों में गिर मत जाना... सैल्यूट तक ही रहना... समझे... (आँखों में धन्यबाद के आंसू लिए जगन हाँ में सर हिलाता है) और अगले महीने तुम तीन महीनों के लिए नयागड़ ट्रेनिंग के लिए जा रहे हो l सो तैयार हो जाओ...
खान - आख़िर तुमने अपना किया हुआ वादा पुरा कर दिआ....
तापस - हाँ यार... यही एक बोझ था... लो उतर गया... लाओ यार मेरा नो ड्यू और एन ओ सी...
खान - जगन जाओ और दास से कहो सेनापति के फाइल ले कर यहाँ आए..
जगन - जी सर.... सैल्यूट दे कर जगन बाहर चला जाता है l थोड़ी देर बाद दास एक फाइल ले कर अंदर आता है l
दास दोनों को सैल्यूट करता है और फाइल को खान के टेबल पर रख देता है l
खान - थैंक यु दास... (तापस की तरफ फाइल बढ़ा कर) यह लो साइन करो...
सेनापति साइन करदेता है l खान भी एक साइन कर देता है फ़िर एक काग़ज़ सेनापति को दे देता है l
खान, दास को इशारा करता है l दास वह फाइल ले कर चला जाता है l
खान - लो भाई हमने भी अपना काम कर दिआ...
तापस - हाँ.. यार.. बहुत बहुत धन्यबाद... अच्छा अब मुझे इजाज़त दो..
खान - अमा यार कभी दावत पर भी बुलाओ... अर्सा हो गया है... भाभी जी के हाथों का जाफ्रानी पुलाव खाए हुए...
तापस - क्यूँ नहीं... इस इतवार को... छुट्टी भी होगा और मौका भी, दस्तूर भी...
खान - तो ठीक है... तुम्हारे VRS की खुशी में...
तापस - डन....
अपना काग़ज़ लेकर तापस चला जाता है l खान उसे जाते हुए देखता रहता है l

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वीर सिंह ESS ऑफिस आता है l गेट के बाहर उसे अनु दिखती है
वीर - अरे तुम यहाँ... इस वक्त...
अनु - जी वह आपने इसी ऑफिस को आने के लिए बोला था..
वीर - हाँ... पर कल आने को बोला था ना... कल क्यूँ नहीं आयी..
अनु - हाँ पर कल रवि वार था ना..
वीर - तो... तो.. क्या हुआ...
अनु - क्या रवि वार को भी ऑफिस खुला रहती है क्या..
वीर - हाँ... एक मिनिट.. हम बाहर क्यूँ बात कर रहे हैं... चलो अंदर..
दोनों ऑफिस के अंदर आते हैं, और वीर एक चैम्बर में घुस जाता है, उसके पीछे पीछे अनु भी घुस जाती है
वीर पहले तो हैरान हो जाता है, फिर वह मुस्करा देता है
वीर - चलो ठीक है... पर सुबह जॉइन ना कर अब तक क्या कर रही थी...
अनु - वह नौकरी मुझे आप देंगे बोले थे... इसलिए आपकी इंतजार कर रही थी..
वीर - अच्छा...
अनु - आपने बताया नहीं... यहाँ सातों दिन काम होता है क्या.
वीर - यहाँ ऑफिस सातों दिन खुला रहता है.... पर ड्यूटी के दिन छह दिन ही होते हैं.. और एक दिन छुट्टी..
अनु - हाँ... तब तो ठीक है... अच्छा.. मुझे पैसे कितने मिलेंगे..
वीर - तुम ही बताओ... तुम्हें कितना चाहिए..
अनु - (हकलाते हुए) अ.. अठारह .... ह.. जार..
वीर - अठारह.. हजार..
अनु- ज्यादा है..
वीर - जानती हो अठारह हजार के लिए तुम्हें यहां पर तीन तीन नौकरी करनी पड़ेगी....
अनु - (हैरान होते हुए) तीन, तीन....
वीर - हाँ...
अनु - तो मैं घर कब जाऊँगी...
वीर - अरे... ऑफिस के टाइम में ही तुम्हें तीनों के काम करने होंगे....
अनु अपनी दाहिनी हाथ की नाखुन चबाती है... और कुछ सोच में पड़ जाती है l
अनु - क्या क्या करना पड़ेगा...
वीर - अरे कुछ नहीं... तुम्हारे लिए ज्यादा काम नहीं होगा...
अनु - फिर भी मुझे क्या करना होगा....
वीर - देखो, यह सेक्योरिटी सर्विस है तो तुम्हारा पहला काम यहां पर गार्ड बनना... तुम्हारे लिए आसान कर देता हूँ.. तुम मेरी इसी ऑफिस की कमरे को ही गार्ड करोगी ठीक है......
अनु-(खुशी से चहकते हुए) आ... ह... और... एक नौकरी...
वीर - और दो...
अनु - हाँ मेरा मतलब है... दुसरी...
वीर - हाँ दुसरी... मेरी पर्सनल असिस्टेंट की...
अनु - उसमें क्या करना होगा...
वीर - उसमें (एक डायरी को बढ़ाते हुए) यह डायरी लेना और मैं जिसे फोन लगाने को बोलूँ... उसे लगा देना...
अनु - क्यूँ.. आपके मोबाइल फोन में... यह सब नंबर नहीं हैं क्या...
वीर - मैं तुम्हें तीन तीन नौकरी तुम्हारी सहूलियत के लिए दे रहा हूँ... तुम मुझे काम समझा रही हो...
अनु - (घबराते हुए) नहीं नहीं मेरा यह मतलब नहीं था...
वीर - ठीक है.. ठीक है..यह दुसरी नौकरी मंजुर है...
अनु - जी जी.. हाँ... जी... और तीसरी...
वीर - वह मेरी पर्सनल सेक्रेटरी की....
अनु - सेक्रेटरी की.... वाव... उसमे क्या करना पड़ता है...
वीर - पड़ता है....
अनु - मेरा मतलब... क्या करना पड़ेगा...
वीर - कुछ नहीं..(ड्रॉयर से दो स्माइली बॉल निकालता है) आज कल इतना काम बढ़ गया है कि... मुझे इस उम्र में ही BP की शिकायत होने लगी है... तो यह दो बॉल अपने पास रखना... जब मुझे गुस्सा आ जाए... या ज्यादा पसीना आ जाए... तब यह दोनों मुझे दे देना.. ताकि मैं इसे दबाता रहूँ... ऐसे दबाना ही मेरी दवा है... कभी इसे खो मत देना... क्युकी मुझे अगर दबाने को कुछ ना मिला तो मैं पागल सा हो जाऊँगा...
अनु - ओह...
वीर - क्या तुम कर पाओगी...
अनु - हाँ हाँ क्यूँ नहीं... मैं यह तीनों काम सम्हाल सकती हूँ
वीर - शाबाश..
वीर इंटरकॉम पर किसीको ऑर्डर किया
एक एपइंटमेंट लेटर में जॉब डेसक्रिपशन का कॉलम और सैलरी कॉलम खाली रख कर मेरे पास लाओ l
कुछ देर बाद एक लड़की चुइंगम चबाते हुए एक फॉर्म लाकर वीर को देती है और एक नजर अनु पर डालती है और मुस्कराकर बाहर निकल जाती है l
वीर उस फॉर्म को भर देता है, और अनु को उस पर साइन करने को कहा l अनु चहकते हुए अपना नाम साइन करने फॉर्म मांगती है, लेकिन फॉर्म को वीर पकड कर कहाँ साइन करना है दिखाता है l अनु साइन अपने सीट से उठती है और जैसे ही साइन करने के लिए झुकती है उसके बड़े बड़े चुचें उसकी कुर्ती से वैसे ही उछलकर झांकने लगते हैं l यह देख कर वीर सिंह का पूरा जबड़ा खुल जाता है l वह थूक निगल कर उस आठवें अजूबे को आँखे फाड़ कर घूरने लगता है और टेबल पर रखे स्माइली बॉल को जोर जोर से दबाने लगता है l
अनु उसे बॉल यूँ दबाते देख कर - राज कुमार जी क्या हुआ आपको..
वीर - क.. कुछ.. नहीं... तुम साइन करते रहो...
सारे कागजात पर साइन करने के बाद वीर सिंह को काग़ज़ वापस कर देती है l
वीर - वाह... कितनी अच्छी सिग्नेचर है... जी करता है... अब सारे ऑफिस के कागजात साइन करने के लिए तुम्हें दे दूँ.... (बॉल और जोर से दबाने लगा)
अनु - राजकुमार जी यह मेरे किस हिस्से में आएगा...
वीर - पर्सनल असिस्टेंट..
अनु - ठीक है... मैं कर दिआ करूंगी...
वीर - गुड़.... आरे... तुम तो बहुत अच्छी हो... जाओ कल से ड्यूटी पर आ जाना...
अनु - राजकुमार जी... धन्यबाद...
वीर - यह लो.... यह दोनों बॉल अपने पास रखो....
अनु - जी.. (वह दोनों बॉल ले लेती है) और बाहर अपनी कुल्हे मटकाते निकल जाती है l
वीर - एक चुत... साला एक चुत... आदमी को हरामी बना देता है...
Nice and excellent update...
 

Kala Nag

Mr. X
4,253
16,460
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👉तेरहवां अपडेट
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ESS के यूनीफॉर्म में अनु वीर के कैबिन में आती है और वीर को एक जोरदार सैल्यूट देती है l वीर उसे गौर से देखता है, एक हाई नेक कुर्ती अनु के जिस्म से पुरी तरह से चिपकी हुई है, अनु के जिस्म की हर कटाव को जैसे उकेर के सामने ला रही है l वीर की आंखे अनु के जिस्म के हर हिस्से पर घूम रही है l अनु की चेहरे को देखता है, बहुत ही क्यूट लग रही है, साँवली सूरत में भी ग़ज़ब का आकर्षण, सफेद आँखों से झाँकती हुई कत्थई पुतलियां अनु के चेहरे को और भी आकर्षण दे रहे हैं.... जैसे शिशिर की बूंदे फूलों को l वीर के शरीर में एक मीठा सा सिहरन दौड़ गई l अपने शरीर को झटका दे कर खुद को अनु के आकर्षण से बाहर लता है l
वीर - अरे.. अनु... तुम पर यह यूनीफॉर्म बहुत जंच रही है... वाकई...
अनु - राजकुमार जी जानते हैं.... पहले ना हमारे मौहल्ले में... कुछ लड़के, यहाँ तक कुछ अंकल टाइप के लोग भी गंदी गंदी फबतीयाँ कसते थे, मुझे सुनाते थे... दादी यह सब सुन कर कभी कभी उनसे लड़ जाती थी... पर जिस दिन से यह यूनीफॉर्म पहन कर ड्यूटी आ रही हूँ.... तब से कोई भी मुझ पर फबतीयाँ नहीं कस रहे हैं... आज कर दादी भी बहुत खुश है... आप यकीन नहीं करोगे... इन तीन दिनों में दादी की सेहत में काफी सुधार हुआ है..... (एक कृतज्ञता भरी दृष्टि से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया....
वीर उसकी बातेँ सुन कर मुस्कुराया l अनु की बातेँ, जैसे कोई मीठी चासनी में घुले हुए हैं, जो वीर के कानो से गुजर कर उसके जिस्म को गुदगुदा रहे हैं l
वीर फिरसे खुद को इस खयाल से खुद को बाहर लाता है l
वीर मन ही मन बुदबुदाने लगता है (यह मैं बार बार डिस्टर्ब क्यूँ हो रहा हूँ)
वीर - एक काम करोगी....
अनु - जी कहिए....
वीर - मेरे लिए एक कप कॉफी.. लाओगी...
अनु - जी... अभी लाई...
अनु इतना कह कर मुड़ती है और तेजी से बाहर निकल जाती है l उसके जाते ही वीर उसके बारे में सोचने लगता है " क्या ग़ज़ब की दिखती हो... जैसे कोणार्क की मुर्ति हो... किसी कारीगर की कल्पना हो या कुदरत की करामात हो... यह तेरे जिस्म को कुदरत ने कुछ इसतरह से तरासा है... खुद कुदरत भी हैरान हो जाए ऐसा तेरे जिस्म का हर हिस्सा है...

कौन कहता है... खूबसूरती के लिए रंग जरूरी है... साँवली सलोनी तू वन की हिरनी, सावन में झूमती मोरनी, तेरे बिन रंग ही स्वयं में अधुरी है..
तु कल कल बहती चंचल शीतल झरना है
यह प्यास बुझे या ना बुझे मुझे तेरे किनारे पर ही मरना है...
वीर ऐसा सोच सोच कर अपने आप मुस्करा रहा है, कि उसे लगता है कोई उसे देख रहा है l वीर की खयाल टूटता है और अपने पास देखता है तो टेबल पर कॉफी का कप रखा हुआ है और कुछ दूर हाथों में स्माइली बॉल लिए कुछ घबराहट और परेसानी भरी नजर से अनु वीर को घूर रही है l वीर अपनी आँखों के इशारे से पूछता है "क्या हुआ"
अनु - वह राजकुमार जी... मैं जब कॉफी ले कर आयी तो देखा... आप अपने मन में कभी मुस्करा रहे हैं.. और कभी आपके चेहरे से मुस्कराहट गायब भी हो रही है... इसलिए मैंने यह बॉल निकाल ली... पर समझ में नहीं आया कि आपको बॉल जरूरत है या नहीं...
वीर - हा हा हा हा... ओह... अनु... तुम वाकई.. मेरा खयाल करती हो.... हा हा हा.... जानती हो... मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे होते हुए... शायद मुझे इन बॉल्स की जरूरत नहीं पड़ेगी...
अनु - तो इन बॉल्स का क्या करूँ....
वीर - अपने पास ही रखो... मैंने कहा शायद... जिस दिन तुम्हें लगे... की मुझे इन बॉल्स की जरूरत नहीं पड़ेगी.... उस दिन फेंक देना....
अनु - (मुस्कराते हुए) जी बहुत अच्छा.... (कह कर बॉल्स को अपने पर्स में रख लेती है, और एक मासूमियत भरी स्माइल से वीर को देखने लगती है l वीर भी उसकी खूबसूरती को निहारता रहता है l

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राजभवन मार्ग से राजमहल स्क्वेयर की एक फॉरचुनर गाड़ी दौड़ रही है l गाड़ी के भीतर पिनाक सिंह बैठा अपने टेबलेट में कुछ देख रहा है कि तब उसका मोबाइल बजने लगता है l वह मोबाइल उठा कर देखता है तो स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर लिखा दिख रहा है l पिनाक फोन उठाता है - हैलो...
फोन - हैलो... कैसे हो मेयर साहब...
पिनाक - हैलो... कौन बोल रहा है...
फोन - अरे.. भोषड़ी के... इतना जल्दी भूल गया...
पिनाक - यू... ब्लडी.. मॉरॉन... बास्टर्ड.... कौन है बे तु...
फोन - हाँ... अब तूने मुझे सही पहचाना...
पिनाक - कमीने... हराम के पिल्लै... बोल कौन है तु...
फोन - क्या ज़माना आ गया... हरामियों को अपना इंट्रोडक्सन देना पड़ रहा है... अबे मादरचोद मैं बोल रहा हूँ... मैं... यानी तेरी मौत... पर तु इतनी जल्दी नहीं मरेगा... धीरे धीरे... हौले हौले... आहिस्ता आहिस्ता... रोज थोड़ा थोड़ा कर मरेगा...
पिनाक गुस्से से अपना फोन बंद कर देता है l तभी गाड़ी की साइड मिरर टूट कर गिर जाता है l तो ड्राइवर गाड़ी रोक देता है l तभी गाड़ी के एक टायर ब्रस्ट होता है, उसके बाद दुसरा, तीसरा फिर चौथा l
ड्राइवर - सर हमारे चारों टायर्स ब्रस्ट हुए हैं, लगता है किसी ने गोली चला कर ऐसा किया है l
जल्दी ही पिनाक की सुरक्षा में तैनात ESS के तीन गाड़ी पिनाक की गाड़ी को घेर लेते हैं l और कुछ गार्ड्स गाड़ी से उतर कर चारो ओर नजर दौड़ने लगते हैं और कुछ गार्ड्स पोलिस और ESS हेड क्वार्टर को VHF से हादसे की इन्फॉर्मेशन देते हैं और पिनाक को गाड़ी से ना उतरने के लिए कहते हैं l पिनाक गाड़ी के भीतर बैठा हुआ होता है कि फिर से उसकी फोन बजने लगती है l पिनाक स्क्रीन पर देखता है प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा है l पिनाक फोन उठाता है - हैलो..
फोन - क्या बात है... गरमी उतरी या नहीं...
पिनाक - कुत्ते... हरामी... छुप कर क्यूँ खेल रहा है... सामने आ कर वार कर....
फोन - अले.. अले... ले.. कितना मासूम है ले... तुम कौनसे सामने से अपना जुर्म कर रहे हो... कानून के पीछे छुपे हुए हो... और मुझे सामने आने के लिए ललकार रहे हो... अबे मेयर के बच्चे मैं सामने आ गया.. तो तेरी पतलून आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा..
पिनाक - बस कुत्ते बस... तु.. चाहे जहाँ भी छुपा हो... तुझे ढूंढ निकालूँगा और सुवर की मौत मरूंगा...
फोन - हा हा हा हा हा.. अबे तु मुझे ढूंढ निकालेगा... अबे हिजड़े पहले अपनी गाड़ी से तो निकल.... हा हा हा हा..
यह सुन कर पिनाक गुस्से से अपनी गाड़ी से निकलने की कोशिश करता है, ऐसे में उसके मोबाइल वाला हाथ गाड़ी के छत के ऊपर रख और दूसरा हाथ गाड़ी की दरवाजे पर रख गाड़ी से उतरने लगा कि उसकी मोबाइल पर गोली लगी, मोबाइल पिनाक के हाथों से छूट कर दूर गिरती है l पर इस बार पिनाक गाड़ी के अंदर नहीं जाता l अपने गाड़ी से उतर कर चारों ओर नजर घुमाता है l तभी और एक दूसरी गाड़ी आती है l जिसमें बैठ कर पिनाक निकल जाता है l


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वीर - (अपने कैबिन में) अनु.... बॉल्स कहाँ है....
अनु - जी.. जी वह...मैं आज घर पर भूल आई....
वीर - आ... आ.. ह... तुम जानती हो मेरा स्ट्रेस कम करने के लिए.... डॉक्टर ने वह बॉल्स दबाते रहने को कहा है....
अनु - अब.... क्या... और कुछ दबा कर काम नहीं चला सकते....
वीर - (अपने चेयर पर बैठते हुए) ओ.. ह... मेरा सर..... मेरा सर फटा जा रहा है...
अनु - राजकुमार जी.... प्लीज... बोलिए मैं क्या करूं....
वीर - अनु... क्या तुम चाहती हो.... मेरा सर दर्द कम हो जाए....
अनु - जी...
वीर - तो मेरे गोद में बैठ जाओ.... प्लीज...
अनु - जी... जी... क्या...
वीर - हाँ अनु... प्लीज... आह... मेरा सर... प्लीज...
अनु आकर वीर के गोद में पीठ करके बैठ जाती है l वीर उसके कमर के इर्द गिर्द अपना हाथ लपेट लेता है और अपना गाल अनु के पीठ पर रगड़ने लगता है l अनु थोड़ा अनकंफर्टेबल फ़ील् करती है l फिर वीर के हाथ अनु के कमर से फिसल कर अनु के चुचीयों पर हाथ रख देता है l अनु के अनछुए चुची पर वीर के हाथ लगते ही, अनु के मुहँ से आह निकल जाती है l जैसे ही अनु की आह सुनता है, वीर जोर से उसकी चुचीयों को दबाने लगता है l
अनु - आ.. ह... र र राज.. कु.. मार जी... आ.. ह इतना जोर से ना द.. दबाइए... दुख रहा है...
वीर - बस थोड़ी देर और... मेरी जान.... मेरा सर दर्द कम हो जाएगा... और तुम्हें मजा आएगा.... (कह कर और जोर से दबा देता है) क्या बॉडी है... क्या बम्पर है... आगे से दबाओ... या पीछे से दबाओ... कहीं से भी दबाओ जी...
वीर आहें भरने लगता है.... मदहोशी में कराहने लगता है..
फ़िर वीर अपनी आँखे खोलता है, तो अपनी नजर पहले कैबिन में दौड़ाता है, फिर अपनी हालत पर गौर करता है, वह अपनी ही रिवल्वींग कुर्सी पर लंबा हो कर लेटा हुआ है, वीर समझ जाता है... की अब तक वह अपने ख़यालों में खोया हुआ था l अपने ऊपर हंसता है और कुर्सी पर ठीक से बैठ कर घूमता है, सामने अनु को देख कर हड़ बड़ा जाता है, क्यूंकि अनु के हाथ में उसके स्माइली बॉल दिखते हैं l अनु वह स्माइली बॉल हाथ में लिए वीर को मुहँ फाड़े हैरानी और घबराहट भरी नजरों से घूर रही है l
वीर - अरे... अनु... क्या हुआ....
अनु - जी... आपको क्या हुआ...
वह आप अभी कराह रहे थे... म मुझे लगा... आपको दौरा पड़ा है... इसलिए बॉल निकाल कर आपके पास आ ही रही थी के आपको होश आ गया....
वीर - हाँ.... वह.. कभी कभी मुझे ऐसे दौरे पड़ने लगे हैं..... यह स्ट्रेस लेवल हाई होने की वजह है...
अनु - अच्छा... अब कैसा... फिल् हो रहा है.... मेरा मतलब है कि मैं इन बॉल्स का क्या करूँ....
वीर - अच्छा लगा जान कर के तुम्हें मेरी इतनी फ़िकर है.... अब एक काम करो इन बॉल्स को अपने पास रख दो....
अनु उन दोनों बॉल्स को अपने पर्स में रख लेती है l तभी टेबल पर रखी लैंड लाइन फोन बजने लगती है l अनु फोन उठाती है,
अनु - हैलो...
फोन - *****
अनु - जी...
इतना कह कर वीर को फोन बढ़ाती है l वीर फोन का स्पीकर अन कर क्रैडल को वापस रख देता है l
फोन पर विक्रम था - हैलो राजकुमार..
वीर - जी युवराज जी
विक्रम - छोटे राजा जी के कार पर हमला हुआ है...
वीर - क्या....
विक्रम - हाँ... इसलिए.. आप अभी के अभी ESS के कॉन्फ्रेंस हॉल में सेक्यूरिटी इमर्जेंसी मीटिंग बुलाओ.... हम सब थोड़ी ही देर बाद पहुंचेंगे....
वीर - जी... ठीक है....
फोन कट जाता है l वीर सामने देखता है तो समझ जाता है l विक्रम से हुई बातों को अनु बिल्कुल भी समझ नहीं पाई l
वीर - देखो अनु उपर कॉन्फ्रेंस हॉल में एक हाई लेवल सिक्युरिटी मीटिंग होगी....
तुम बस यहीँ रहोगी... मेरा जो भी फोन आयेगी... तुम रिसीव कर लेना... और डायरी में नोट कर लेना...
और हाँ इस कमरे से बाहर मत निकलना....
ठीक है.....
अनु किसी आज्ञाकारी छात्रा की तरह अपना सर हिलती है l
फिर वीर अपने कैबिन से बाहर निकल जाता है l


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नंदिनी और दीप्ति भाग कर प्रिन्सिपल के ऑफिस तक पहुंचते हैं l पिओन उन्हें देख कर डिलीवरी बॉय के तरफ इशारा करता है l दोनों उस डिलीवरी बॉय के पास जाते हैं l डिलीवरी बॉय OTP मांगता है l नंदिनी उसे OTP दे कर उससे गिफ्ट और केक ले लेती है l दोनों दोस्त बहुत खुश हो कर मुड़ते हैं, तो उन्हें प्रिन्सिपल को भागते हुए देखते हैं l उन्हें माजरा कुछ समझ में नहीं आता l एक स्टूडेंट भाग कर जा रहा था तो नंदिनी उसे रोक कर वजह पूछती है l वह स्टूडेंट बताता है कि साइंस स्ट्रीम के केमिकल लैब में आग लगी हुई है l यह सुनते ही दोनों के होश उड़ जाते हैं l दोनों अब लैब की ओर भागते हैं l सीढियों पर चढ़ कर जब वहाँ पहुँचते हैं तो देखते हैं सारे स्टूडेंट लैब के बाहर खड़े हैं aurप्रिन्सिपल लैब असिस्टेंट से कुछ पुछ रहा है l
प्रिन्सिपल - तुम कहाँ थे...
असिस्टेंट - सर मैं यहीं था....
प्रिन्सिपल - तो शुरू से बताओ क्या हुआ....
असिस्टेंट - सर एक्जाट क्या हुआ बताना तो मुस्किल है...
प्रिन्सिपल - ठीक है... तुमने जो देखा वह बताओ....
असिस्टेंट - सर ट्यूब लाइट की चोक ब्लास्ट हुआ जिससे इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट हुआ.... उस ब्लास्ट के वजह से लैब के अंदर अफरा-तफरी हो गई.... इतने में नौ नंबर टेबल पर रखी कंशेंट्रेट एल्कोहल का जारकिन था जो गिर गया... और ब्लास्ट के वजह से जो शॉर्ट सर्किट हुआ उसके स्पार्क से एल्कोहल ने आग पकड़ लिया.....
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... अंदर कौन फंस गया था...
असिस्टेंट - सर (बनानी लैब के बाहर एक स्टूल पर बैठी हुई थी, डरी हुई लग रही थी, उसके तरफ इशारा करते हुए) यह लड़की अंदर रह गई थी.... असल में उस वक़्त वह वश रूम में थी और आग वश रूम के करीब फैल गया था इसलिए यह बाहर नहीं निकल पाई...
"नहीं" इतना सुनते ही नंदिनी की चीख निकल जाती है l और दौड़ कर बनानी के पास पहुंच जाती है l
प्रिन्सिपल - तो... यह बाहर कैसे और निकली.....
असिस्टेंट - यह निकल नहीं पाई.... इसे निकाला गया है...
प्रिन्सिपल - मतलब... किसने निकाला...
असिस्टेंट - सर... वह... कॉमर्स स्ट्रीम का लड़का है... नाम रॉकी....
प्रिन्सिपल - (हैरानी से) कॉमर्स स्ट्रीम का लड़का... यहाँ क्या कर रहा था...
असिस्टेंट - वह सर... मेरा उससे पर्सनल काम था.... इसलिए मैंने सबको उनके एसाइनमेंट दे कर उसे बुलाया था....
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... वह लड़का कहाँ है इस वक्त....
असिस्टेंट - सर... (बनानी को दिखाते हुए) इस लड़की को बचाते वक्त उसके कपड़ों में आग लग गई थी.... तो मैंने सिज फायर, फायर एस्टींगुइसर से उस पर लगे आग को बुझाया.... फिर वह जेन्ट्स वश रूम में खुद को कपड़े समेत भिगोया और लिफ्ट से उतर कर... शायद अभी किसी हस्पताल गया होगा...
प्रिन्सिपल - व्हाट..... ह्म्म्म्म... वेरी ब्रेव बॉय...
फिर प्रिन्सिपल सारे स्टूडेंट्स की ओर देख कर पूछता है - सो किड्स यहाँ एक थ्रिल मोमेंट हुआ है.... किसी के पास कोई रिकॉर्डिंग है....
कुछ लड़कियाँ एक्साइटमेंट में प्रिन्सिपल को अपना अपना मोबाइल दिखाने लगे l
प्रिन्सिपल - अब सब वह वीडियो अपने अपने मोबाइल से डिलीट कर दो.....
सारे लड़कियाँ एक साथ - सर...
प्रिन्सिपल - देखो बच्चों... तुम लोगों को अगर अपने कॉलेज से प्यार है तो... वह वीडियो डिलीट कर दो... अगर यह वीडियो वाइरल हुआ... तो कॉलेज के साथ साथ इस लड़की और उस लड़के की जिंदगी प्रॉब्लम में आ जाएगी.... और मैं यह रिक्वेस्ट कर रहा हूँ... आप लोग इसे अपना मॉरल रेस्पांसिबल समझ कर डिलीट करें.....
सभी लड़कियाँ - ओक सर...
फिर प्रिन्सिपल नंदिनी की ओर देखते हुए - ह्म्म्म्म तो... किसकी बर्थ डे थी आज....
नंदिनी - थी नहीं सर.... है.... इसकी... मिस. बनानी मोहंती की...
प्रिन्सिपल - ओह... अच्छा चलो इस लड़की का बर्थ डे हम अभी यहीं मनाते हैं....
सब हैरान हो जाते हैं और एक साथ - सर...
प्रिन्सिपल - अरे... अभी अभी शॉक से निकली है... उसे शॉक से निकालो... हादसे यादें नहीं बननी चाहिए.... उत्साह, उल्लास और उत्सव को यादें बनाओ... लाओ केक काटो और जनम दिन मुबारक हो...
सभी स्टूडेंट्स ताली मारते हैं l नंदिनी बनानी को खड़ी कर देती है और उसी स्टूल पर केक निकाल कर रख देती है l बनानी केक काटती है, सभी स्टूडेंट्स और प्रिन्सिपल मिलकर "हैप्पी बर्थ डे टू यु" गाते हैं l प्रिन्सिपल बनानी को आशीर्वाद दे कर चला जाता है l बनानी के सारे दोस्त उसे जनम दिन की बधाई देते हैं l छटी गैंग की लड़कियों की तरफ से दीप्ति बनानी को गिफ्ट देती है l बनानी सबको धन्यबाद करती है l
क्यूंकि लैब बंद हो चुकी थी, इसलिए सारे स्टूडेंट्स धीरे धीरे चले गए l सिर्फ वहीँ पर छटी गैंग रुक गई l
नंदिनी अभी तक खुद को सम्भाले हुई थी l सबके जाते ही रोने लगती है l उसे रोते देख,
बनानी - क्या हुआ नंदिनी....
नंदिनी - मुझे माफ कर दे... बनानी... मुझे माफ कर दे... तु जब मुसीबत में थी... मैं तेरे पास नहीं थी....
बनानी - अरे... आज तो तुम लोगों ने मेरा दिन बना दिया है... और तुझे थोड़े ना पता था.. के ऐसा कोई हादसा हो सकता है....
नंदिनी - आज सुबह से तेरा मुड़ हमने बिगाड़ के रखा था.... ताकि तुझे सरप्राइज दे सकें....
बनानी - हाँ... मुझे मालूम था...
दीप्ति - ऐ.... झूट क्यूँ बोल रही है....
बनानी - अरे मैं सच कह रही हूँ...
नंदिनी - (अपनी आँसू पोछते हुए) कैसे...
बनानी - देखो तुम सबको मेरी कसम है उसे... कुछ कहा तो...
इतिश्री - क्या तुझे किसीने बताया था...
बनानी - हाँ.... मुझे... तबस्सुम ने बताया...
सारे लड़कियाँ - व्हाट...
तबस्सुम- (अपना जीभ अपने दांतों तले दबाते हुए) देखो मुझसे बनानी का टॉर्चर होते हुए देखा नहीं गया.... इसलिए मैंने भंडा फोड़ दी....
नंदिनी - कमीनी... थोड़ी देर के लिए चुप नहीं रह सकती थी....
बनानी - नंदिनी... यह सब तेरा प्लान था ना.... यह ले.... (केक उसके मुहँ पर पोत दी)
नंदिनी - आ... आ.. ह तेरा बर्थ डे है कमीनी रुक.... (फिर नंदिनी बचे हुए केक के टुकड़े से बनानी के मुहँ पर पोत देती)
सारे लड़कियाँ खुशी से चिल्लाते हैं l बनानी और नंदिनी एक दूसरे के गले लग जाते हैं l और सभी उनके इर्द गर्द चिपक जाते हैं

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आज साढ़े बारह बजे के आस पास राज भवन से लौट रहे भुवनेश्वर सहर के मेयर श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी के ऊपर कुछ आततायियों ने गोली चला कर हमला किया l इस हमले से श्री क्षेत्रपाल बाल बाल बच गए l इस हादसे के वजह से समूचा राज्य स्तब्ध व चकित हो गया है l लोग इस घटना पर तरह तरह से अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं l कुछ आपसी या राजनीतिक रंजिश बता रहे हैं और कुछ लोगों का मानना है कि अपने सक्त रवैये के कारण माफ़िया के आँखों मे किरकिरी बने हुए थे इसलिए हो सकता है उनपर हमले के वजह अंडरवर्ल्ड से ताल्लुक हो और कुछ सूत्र ऐसे भी दर्शा रहे हैं शायद सहर में आतंकवादी भय फैलाने का वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं l हमारे सम्वाददाता श्री क्षेत्रपाल जी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया और इस मामले में पुलिस भी चुप्पी बनाए हुए है l
विक्रम सिंह रिमोट से टीवी बंद कर देता है और हॉल में बैठे सभी को देखने लगता है l सब खामोश हैं l सबकी ख़ामोशी तोड़ते हुए विक्रम कहना शुरू करता है - अब यह हादसे पर कहानियाँ बनने लगी है l अब यह शुरू कहाँ से और कब हुआ... बात करें...
महांती - युवराज जी पिछले शनिवार को... मेयर साहब जी को एक फोन आया था कि... उनपर एक जान लेवा हमला होगा.... और आज हुआ...
विक्रम सिंह, पिनाक सिंह को देखता है l
पिनाक - हाँ ऐसा कॉल आया था.... मुझे लगा शायद कोई प्रांक कॉल होगा....
वीर - पर उस दिन... मैंने आपको चेताया था.... शायद वो प्रांक कॉल ना हो...
विक्रम - महांती तुम्हें कैसे मालुम हुआ... की छोटे राजा जी को कोई ऐसा कॉल आया था...
महांती - आज जब यह हादसा हुआ.... उसके बाद राजकुमार जी ने मुझे वह कॉल ट्रेस करने के लिए कहा...
विक्रम - तो.... नतीज़ा...
महांती - जीरो.... वह एक प्राइवेट नंबर से आया था जो हिडन था पर था एक कंप्यूटराइज कॉल..... जो हर तीस सेकेंड के बाद लोकेशन बदलता रहता है...
विक्रम - क्या लगता है.... आपको छोटे राजा जी.....
पिनाक - वह जो भी है.... वह मुझसे अपना खुन्नस निकाल रहा है....
कॉन्फ्रेंस हॉल के टेबल पर लैंडलाइन बजने लगता है l वीर उसकी स्पीकर ऑन कर देता है l
फोन - हा हा हा हा हा हा हा..... क्या बात है पिनाक साहब.... वाह क्या बात है.... मैं तो समझा था के तुम दुम दबा कर भाग जाओगे.... पर तुम तो बड़े हिम्मत वाले निकले.... मोबाइल पर गोली लगने पर भी गाड़ी में छुपे नहीं.....
पिनाक - हम छुपते नहीं हैं.... तु छुपा हुआ है...
फोन - तु छुपता नहीं है.... पर छुपाता बहुत है..
पिनाक - हरामजादे तु चाहता क्या है....
फोन - वेरी सिम्पल... मैं तुझे जिंदा देखना नहीं चाहता....
पिनाक - तो हरामजादे गोली मारते वक़्त हाथ कांपने लगा क्या....
फोन - ना ना ना.... तु अपनी जिंदगी से ऊब जाएगा... और मौत मांगेगा... तब तुझे गोली भीक में दे दूँगा.... यह पक्का वाला वादा है....
पिनाक - तो मैं भी तुझसे वादा करता हूँ.... जब तु मेरे हाथ लगेगा..... उस दिन तेरे जीते जी मैं तेरी खाल उधेड दूँगा....

फोन - मैं जब हाथ लगूंगा.... तब देख लेना.... फ़िलहाल सहर में चर्चा है.... किसीने क्षेत्रपाल की पीछे से मार ली..... बेचारे क्षेत्रपाल को मालूम भी नहीं हो पाया.... हा हा हा हा
पिनाक - यू......
फोन - चु... चु.... चु.... कितना मजा आ रहा है.... अगले हफ्ते और एक सरप्राइज के लिए तैयार रहना....

फोन कट जाता है l फिर हॉल में सब कुछ शांत हो जाता है l विक्रम गहरी सोचमें है l
पिनाक - यह जो भी है... मुझे चाहिए... मैं इसे अपनी हाथों से मारना चाहता हूँ...
वीर - फ़िलहाल हम अभी अंधेरे में हैं...
पिनाक - तो क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे....
विक्रम - महांती.... यह क्या है.... कोई हमारी रेकी कर... इस हादसे को अंजाम दे दिया... और हमे भनक तक नहीं लगा....
महांती - युवराज जी.... रेकी की बात गलत है....
विक्रम - कैसे...
महांती - छोटे राजा जी कोई मामुली शख्सियत नहीं हैं...
उनकी आवाजाही की खबर हर पार्टी मेंबर से लेकर पार्टी से जुड़े हर साधारण आदमी को भी मालूम है....
वीर - फ़िर भी... एक तरफ वह फोन से बात करते हुए.... गोली चलाए.... मतलब छोटे राजा जी को वह लाइव देख रहा हो जैसे....
महांती - जी राजकुमार जी..... वह लाइव ही देख रहा था....
वीर - व्हाट.....
महांती - राजमहल स्कोयेर के सीसी टीवी हैक किया था.... छोटे राजा जी की मूवमेंट को देख रहा था... और जहां पर उसने पहले से... अपने स्नाइपरों को छुपा रखा था... यह हादसा वहीँ हुआ....
वीर - वह तो ठीक है.... पर उसे कैसे मालूम हुआ कि हम कांफ्रेंस हॉल में हैं....
महांती - अंदाजा लगाया होगा... और दुसरा.... फोन लाइन हैक...
विक्रम - (पिनाक से) आपको कुछ अंदाजा है... ऐसा कौन दुश्मन हो सकता है....
पिनाक - हमारे या तो मुलाजिम हो सकते हैं.... या फिर दुश्मन.... हमारे कोई दोस्त नहीं होते हैं... युवराज....
विक्रम - तो महांती... फाइनल...
महांती - युवराज जी.... वह जो भी है... फ़िलहाल वह अपनी पूरी तैयारी के साथ है.... और छुपा हुआ है.... अब हमे अपनी तैयारी करनी होगा.....
विक्रम - ह्म्म्म्म.... अब खेल शिकार और शिकारी का हो गया है....
वीर - यहाँ शिकारी कौन है.... और शिकार कौन है....
विक्रम - शिकारी हम हैं और वह शिकार....
पिनाक - पर वह हमें चौंका रहा है....
विक्रम - बाघ अगर आदम खोर हो जाए... फ़िर भी शिकार हो सकता है... पर अगर तेंदुआ आदम खोर हो जाए.... तो उसका शिकार सबसे मुश्किल होता है..... क्यूंकि तेंदुआ... छिपने में माहिर होता है.... लेकिन मारता आखिर में तेंदुआ ही है..... फ़िलहाल हमारा तेंदुआ छुपा हुआ है.....
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,170
23,201
159
बहुत बढ़िया! बहुत ही बढ़िया!
एक लम्बे समय के बाद इस फोरम पर कोई ढंग की कहानी पढ़ रहा हूँ।
और संभवतः, ओड़िशा की पृष्ठभूमि पर आधारित, मैंने ये पहली कहानी पढ़ी है।
क्षेत्रपाल खानदान की लम्पटता और आतंक बढ़िया दर्शाया है आपने। लेकिन, बस ये रॉकी वाला 'पापड़ बेलना' पल्ले नहीं पड़ा।
लड़की को इम्प्रेस करने के कई सारे तरीके हैं। सच कहूँ, तो मुझे उसके चरित्र पर संदेह है। खैर!
मैं बिना वजह का विश्लेषण नहीं करना चाहता, लेकिन वाकई थ्रिल बहुत अच्छा आ रहा है!
आप लिखते बहुत बढ़िया हैं, और भाषा और लय के कारण रस बना हुआ रहता है।
कल सारे पुराने अपडेट पढ़े, और आज ये नया वाला! बस, इतना ही कहना है कि आनंद आ गया!

साधुवाद! :)
 

Kala Nag

Mr. X
4,253
16,460
144
बहुत बढ़िया! बहुत ही बढ़िया!
एक लम्बे समय के बाद इस फोरम पर कोई ढंग की कहानी पढ़ रहा हूँ।
और संभवतः, ओड़िशा की पृष्ठभूमि पर आधारित, मैंने ये पहली कहानी पढ़ी है।
क्षेत्रपाल खानदान की लम्पटता और आतंक बढ़िया दर्शाया है आपने। लेकिन, बस ये रॉकी वाला 'पापड़ बेलना' पल्ले नहीं पड़ा।
लड़की को इम्प्रेस करने के कई सारे तरीके हैं। सच कहूँ, तो मुझे उसके चरित्र पर संदेह है। खैर!
मैं बिना वजह का विश्लेषण नहीं करना चाहता, लेकिन वाकई थ्रिल बहुत अच्छा आ रहा है!
आप लिखते बहुत बढ़िया हैं, और भाषा और लय के कारण रस बना हुआ रहता है।
कल सारे पुराने अपडेट पढ़े, और आज ये नया वाला! बस, इतना ही कहना है कि आनंद आ गया!

साधुवाद! :)
बहुत बहुत धन्यबाद मित्र, मुझे आपकी लिखी मंगलसूत्र बहुत पसंद आया था....
मैं तब एक मूक पाठक था अभी कुछ ही दिन हुए हैं अपना थ्रेड सबके सामने लाए हुए
 
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Reactions: mashish and avsji
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