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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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parkas

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ESS के यूनीफॉर्म में अनु वीर के कैबिन में आती है और वीर को एक जोरदार सैल्यूट देती है l वीर उसे गौर से देखता है, एक हाई नेक कुर्ती अनु के जिस्म से पुरी तरह से चिपकी हुई है, अनु के जिस्म की हर कटाव को जैसे उकेर के सामने ला रही है l वीर की आंखे अनु के जिस्म के हर हिस्से पर घूम रही है l अनु की चेहरे को देखता है, बहुत ही क्यूट लग रही है, साँवली सूरत में भी ग़ज़ब का आकर्षण, सफेद आँखों से झाँकती हुई कत्थई पुतलियां अनु के चेहरे को और भी आकर्षण दे रहे हैं.... जैसे शिशिर की बूंदे फूलों को l वीर के शरीर में एक मीठा सा सिहरन दौड़ गई l अपने शरीर को झटका दे कर खुद को अनु के आकर्षण से बाहर लता है l
वीर - अरे.. अनु... तुम पर यह यूनीफॉर्म बहुत जंच रही है... वाकई...
अनु - राजकुमार जी जानते हैं.... पहले ना हमारे मौहल्ले में... कुछ लड़के, यहाँ तक कुछ अंकल टाइप के लोग भी गंदी गंदी फबतीयाँ कसते थे, मुझे सुनाते थे... दादी यह सब सुन कर कभी कभी उनसे लड़ जाती थी... पर जिस दिन से यह यूनीफॉर्म पहन कर ड्यूटी आ रही हूँ.... तब से कोई भी मुझ पर फबतीयाँ नहीं कस रहे हैं... आज कर दादी भी बहुत खुश है... आप यकीन नहीं करोगे... इन तीन दिनों में दादी की सेहत में काफी सुधार हुआ है..... (एक कृतज्ञता भरी दृष्टि से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया....
वीर उसकी बातेँ सुन कर मुस्कुराया l अनु की बातेँ, जैसे कोई मीठी चासनी में घुले हुए हैं, जो वीर के कानो से गुजर कर उसके जिस्म को गुदगुदा रहे हैं l
वीर फिरसे खुद को इस खयाल से खुद को बाहर लाता है l
वीर मन ही मन बुदबुदाने लगता है (यह मैं बार बार डिस्टर्ब क्यूँ हो रहा हूँ)
वीर - एक काम करोगी....
अनु - जी कहिए....
वीर - मेरे लिए एक कप कॉफी.. लाओगी...
अनु - जी... अभी लाई...
अनु इतना कह कर मुड़ती है और तेजी से बाहर निकल जाती है l उसके जाते ही वीर उसके बारे में सोचने लगता है " क्या ग़ज़ब की दिखती हो... जैसे कोणार्क की मुर्ति हो... किसी कारीगर की कल्पना हो या कुदरत की करामात हो... यह तेरे जिस्म को कुदरत ने कुछ इसतरह से तरासा है... खुद कुदरत भी हैरान हो जाए ऐसा तेरे जिस्म का हर हिस्सा है...

कौन कहता है... खूबसूरती के लिए रंग जरूरी है... साँवली सलोनी तू वन की हिरनी, सावन में झूमती मोरनी, तेरे बिन रंग ही स्वयं में अधुरी है..
तु कल कल बहती चंचल शीतल झरना है
यह प्यास बुझे या ना बुझे मुझे तेरे किनारे पर ही मरना है...
वीर ऐसा सोच सोच कर अपने आप मुस्करा रहा है, कि उसे लगता है कोई उसे देख रहा है l वीर की खयाल टूटता है और अपने पास देखता है तो टेबल पर कॉफी का कप रखा हुआ है और कुछ दूर हाथों में स्माइली बॉल लिए कुछ घबराहट और परेसानी भरी नजर से अनु वीर को घूर रही है l वीर अपनी आँखों के इशारे से पूछता है "क्या हुआ"
अनु - वह राजकुमार जी... मैं जब कॉफी ले कर आयी तो देखा... आप अपने मन में कभी मुस्करा रहे हैं.. और कभी आपके चेहरे से मुस्कराहट गायब भी हो रही है... इसलिए मैंने यह बॉल निकाल ली... पर समझ में नहीं आया कि आपको बॉल जरूरत है या नहीं...
वीर - हा हा हा हा... ओह... अनु... तुम वाकई.. मेरा खयाल करती हो.... हा हा हा.... जानती हो... मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे होते हुए... शायद मुझे इन बॉल्स की जरूरत नहीं पड़ेगी...
अनु - तो इन बॉल्स का क्या करूँ....
वीर - अपने पास ही रखो... मैंने कहा शायद... जिस दिन तुम्हें लगे... की मुझे इन बॉल्स की जरूरत नहीं पड़ेगी.... उस दिन फेंक देना....
अनु - (मुस्कराते हुए) जी बहुत अच्छा.... (कह कर बॉल्स को अपने पर्स में रख लेती है, और एक मासूमियत भरी स्माइल से वीर को देखने लगती है l वीर भी उसकी खूबसूरती को निहारता रहता है l

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राजभवन मार्ग से राजमहल स्क्वेयर की एक फॉरचुनर गाड़ी दौड़ रही है l गाड़ी के भीतर पिनाक सिंह बैठा अपने टेबलेट में कुछ देख रहा है कि तब उसका मोबाइल बजने लगता है l वह मोबाइल उठा कर देखता है तो स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर लिखा दिख रहा है l पिनाक फोन उठाता है - हैलो...
फोन - हैलो... कैसे हो मेयर साहब...
पिनाक - हैलो... कौन बोल रहा है...
फोन - अरे.. भोषड़ी के... इतना जल्दी भूल गया...
पिनाक - यू... ब्लडी.. मॉरॉन... बास्टर्ड.... कौन है बे तु...
फोन - हाँ... अब तूने मुझे सही पहचाना...
पिनाक - कमीने... हराम के पिल्लै... बोल कौन है तु...
फोन - क्या ज़माना आ गया... हरामियों को अपना इंट्रोडक्सन देना पड़ रहा है... अबे मादरचोद मैं बोल रहा हूँ... मैं... यानी तेरी मौत... पर तु इतनी जल्दी नहीं मरेगा... धीरे धीरे... हौले हौले... आहिस्ता आहिस्ता... रोज थोड़ा थोड़ा कर मरेगा...
पिनाक गुस्से से अपना फोन बंद कर देता है l तभी गाड़ी की साइड मिरर टूट कर गिर जाता है l तो ड्राइवर गाड़ी रोक देता है l तभी गाड़ी के एक टायर ब्रस्ट होता है, उसके बाद दुसरा, तीसरा फिर चौथा l
ड्राइवर - सर हमारे चारों टायर्स ब्रस्ट हुए हैं, लगता है किसी ने गोली चला कर ऐसा किया है l
जल्दी ही पिनाक की सुरक्षा में तैनात ESS के तीन गाड़ी पिनाक की गाड़ी को घेर लेते हैं l और कुछ गार्ड्स गाड़ी से उतर कर चारो ओर नजर दौड़ने लगते हैं और कुछ गार्ड्स पोलिस और ESS हेड क्वार्टर को VHF से हादसे की इन्फॉर्मेशन देते हैं और पिनाक को गाड़ी से ना उतरने के लिए कहते हैं l पिनाक गाड़ी के भीतर बैठा हुआ होता है कि फिर से उसकी फोन बजने लगती है l पिनाक स्क्रीन पर देखता है प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा है l पिनाक फोन उठाता है - हैलो..
फोन - क्या बात है... गरमी उतरी या नहीं...
पिनाक - कुत्ते... हरामी... छुप कर क्यूँ खेल रहा है... सामने आ कर वार कर....
फोन - अले.. अले... ले.. कितना मासूम है ले... तुम कौनसे सामने से अपना जुर्म कर रहे हो... कानून के पीछे छुपे हुए हो... और मुझे सामने आने के लिए ललकार रहे हो... अबे मेयर के बच्चे मैं सामने आ गया.. तो तेरी पतलून आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा..
पिनाक - बस कुत्ते बस... तु.. चाहे जहाँ भी छुपा हो... तुझे ढूंढ निकालूँगा और सुवर की मौत मरूंगा...
फोन - हा हा हा हा हा.. अबे तु मुझे ढूंढ निकालेगा... अबे हिजड़े पहले अपनी गाड़ी से तो निकल.... हा हा हा हा..
यह सुन कर पिनाक गुस्से से अपनी गाड़ी से निकलने की कोशिश करता है, ऐसे में उसके मोबाइल वाला हाथ गाड़ी के छत के ऊपर रख और दूसरा हाथ गाड़ी की दरवाजे पर रख गाड़ी से उतरने लगा कि उसकी मोबाइल पर गोली लगी, मोबाइल पिनाक के हाथों से छूट कर दूर गिरती है l पर इस बार पिनाक गाड़ी के अंदर नहीं जाता l अपने गाड़ी से उतर कर चारों ओर नजर घुमाता है l तभी और एक दूसरी गाड़ी आती है l जिसमें बैठ कर पिनाक निकल जाता है l


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वीर - (अपने कैबिन में) अनु.... बॉल्स कहाँ है....
अनु - जी.. जी वह...मैं आज घर पर भूल आई....
वीर - आ... आ.. ह... तुम जानती हो मेरा स्ट्रेस कम करने के लिए.... डॉक्टर ने वह बॉल्स दबाते रहने को कहा है....
अनु - अब.... क्या... और कुछ दबा कर काम नहीं चला सकते....
वीर - (अपने चेयर पर बैठते हुए) ओ.. ह... मेरा सर..... मेरा सर फटा जा रहा है...
अनु - राजकुमार जी.... प्लीज... बोलिए मैं क्या करूं....
वीर - अनु... क्या तुम चाहती हो.... मेरा सर दर्द कम हो जाए....
अनु - जी...
वीर - तो मेरे गोद में बैठ जाओ.... प्लीज...
अनु - जी... जी... क्या...
वीर - हाँ अनु... प्लीज... आह... मेरा सर... प्लीज...
अनु आकर वीर के गोद में पीठ करके बैठ जाती है l वीर उसके कमर के इर्द गिर्द अपना हाथ लपेट लेता है और अपना गाल अनु के पीठ पर रगड़ने लगता है l अनु थोड़ा अनकंफर्टेबल फ़ील् करती है l फिर वीर के हाथ अनु के कमर से फिसल कर अनु के चुचीयों पर हाथ रख देता है l अनु के अनछुए चुची पर वीर के हाथ लगते ही, अनु के मुहँ से आह निकल जाती है l जैसे ही अनु की आह सुनता है, वीर जोर से उसकी चुचीयों को दबाने लगता है l
अनु - आ.. ह... र र राज.. कु.. मार जी... आ.. ह इतना जोर से ना द.. दबाइए... दुख रहा है...
वीर - बस थोड़ी देर और... मेरी जान.... मेरा सर दर्द कम हो जाएगा... और तुम्हें मजा आएगा.... (कह कर और जोर से दबा देता है) क्या बॉडी है... क्या बम्पर है... आगे से दबाओ... या पीछे से दबाओ... कहीं से भी दबाओ जी...
वीर आहें भरने लगता है.... मदहोशी में कराहने लगता है..
फ़िर वीर अपनी आँखे खोलता है, तो अपनी नजर पहले कैबिन में दौड़ाता है, फिर अपनी हालत पर गौर करता है, वह अपनी ही रिवल्वींग कुर्सी पर लंबा हो कर लेटा हुआ है, वीर समझ जाता है... की अब तक वह अपने ख़यालों में खोया हुआ था l अपने ऊपर हंसता है और कुर्सी पर ठीक से बैठ कर घूमता है, सामने अनु को देख कर हड़ बड़ा जाता है, क्यूंकि अनु के हाथ में उसके स्माइली बॉल दिखते हैं l अनु वह स्माइली बॉल हाथ में लिए वीर को मुहँ फाड़े हैरानी और घबराहट भरी नजरों से घूर रही है l
वीर - अरे... अनु... क्या हुआ....
अनु - जी... आपको क्या हुआ...
वह आप अभी कराह रहे थे... म मुझे लगा... आपको दौरा पड़ा है... इसलिए बॉल निकाल कर आपके पास आ ही रही थी के आपको होश आ गया....
वीर - हाँ.... वह.. कभी कभी मुझे ऐसे दौरे पड़ने लगे हैं..... यह स्ट्रेस लेवल हाई होने की वजह है...
अनु - अच्छा... अब कैसा... फिल् हो रहा है.... मेरा मतलब है कि मैं इन बॉल्स का क्या करूँ....
वीर - अच्छा लगा जान कर के तुम्हें मेरी इतनी फ़िकर है.... अब एक काम करो इन बॉल्स को अपने पास रख दो....
अनु उन दोनों बॉल्स को अपने पर्स में रख लेती है l तभी टेबल पर रखी लैंड लाइन फोन बजने लगती है l अनु फोन उठाती है,
अनु - हैलो...
फोन - *****
अनु - जी...
इतना कह कर वीर को फोन बढ़ाती है l वीर फोन का स्पीकर अन कर क्रैडल को वापस रख देता है l
फोन पर विक्रम था - हैलो राजकुमार..
वीर - जी युवराज जी
विक्रम - छोटे राजा जी के कार पर हमला हुआ है...
वीर - क्या....
विक्रम - हाँ... इसलिए.. आप अभी के अभी ESS के कॉन्फ्रेंस हॉल में सेक्यूरिटी इमर्जेंसी मीटिंग बुलाओ.... हम सब थोड़ी ही देर बाद पहुंचेंगे....
वीर - जी... ठीक है....
फोन कट जाता है l वीर सामने देखता है तो समझ जाता है l विक्रम से हुई बातों को अनु बिल्कुल भी समझ नहीं पाई l
वीर - देखो अनु उपर कॉन्फ्रेंस हॉल में एक हाई लेवल सिक्युरिटी मीटिंग होगी....
तुम बस यहीँ रहोगी... मेरा जो भी फोन आयेगी... तुम रिसीव कर लेना... और डायरी में नोट कर लेना...
और हाँ इस कमरे से बाहर मत निकलना....
ठीक है.....
अनु किसी आज्ञाकारी छात्रा की तरह अपना सर हिलती है l
फिर वीर अपने कैबिन से बाहर निकल जाता है l


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नंदिनी और दीप्ति भाग कर प्रिन्सिपल के ऑफिस तक पहुंचते हैं l पिओन उन्हें देख कर डिलीवरी बॉय के तरफ इशारा करता है l दोनों उस डिलीवरी बॉय के पास जाते हैं l डिलीवरी बॉय OTP मांगता है l नंदिनी उसे OTP दे कर उससे गिफ्ट और केक ले लेती है l दोनों दोस्त बहुत खुश हो कर मुड़ते हैं, तो उन्हें प्रिन्सिपल को भागते हुए देखते हैं l उन्हें माजरा कुछ समझ में नहीं आता l एक स्टूडेंट भाग कर जा रहा था तो नंदिनी उसे रोक कर वजह पूछती है l वह स्टूडेंट बताता है कि साइंस स्ट्रीम के केमिकल लैब में आग लगी हुई है l यह सुनते ही दोनों के होश उड़ जाते हैं l दोनों अब लैब की ओर भागते हैं l सीढियों पर चढ़ कर जब वहाँ पहुँचते हैं तो देखते हैं सारे स्टूडेंट लैब के बाहर खड़े हैं aurप्रिन्सिपल लैब असिस्टेंट से कुछ पुछ रहा है l
प्रिन्सिपल - तुम कहाँ थे...
असिस्टेंट - सर मैं यहीं था....
प्रिन्सिपल - तो शुरू से बताओ क्या हुआ....
असिस्टेंट - सर एक्जाट क्या हुआ बताना तो मुस्किल है...
प्रिन्सिपल - ठीक है... तुमने जो देखा वह बताओ....
असिस्टेंट - सर ट्यूब लाइट की चोक ब्लास्ट हुआ जिससे इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट हुआ.... उस ब्लास्ट के वजह से लैब के अंदर अफरा-तफरी हो गई.... इतने में नौ नंबर टेबल पर रखी कंशेंट्रेट एल्कोहल का जारकिन था जो गिर गया... और ब्लास्ट के वजह से जो शॉर्ट सर्किट हुआ उसके स्पार्क से एल्कोहल ने आग पकड़ लिया.....
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... अंदर कौन फंस गया था...
असिस्टेंट - सर (बनानी लैब के बाहर एक स्टूल पर बैठी हुई थी, डरी हुई लग रही थी, उसके तरफ इशारा करते हुए) यह लड़की अंदर रह गई थी.... असल में उस वक़्त वह वश रूम में थी और आग वश रूम के करीब फैल गया था इसलिए यह बाहर नहीं निकल पाई...
"नहीं" इतना सुनते ही नंदिनी की चीख निकल जाती है l और दौड़ कर बनानी के पास पहुंच जाती है l
प्रिन्सिपल - तो... यह बाहर कैसे और निकली.....
असिस्टेंट - यह निकल नहीं पाई.... इसे निकाला गया है...
प्रिन्सिपल - मतलब... किसने निकाला...
असिस्टेंट - सर... वह... कॉमर्स स्ट्रीम का लड़का है... नाम रॉकी....
प्रिन्सिपल - (हैरानी से) कॉमर्स स्ट्रीम का लड़का... यहाँ क्या कर रहा था...
असिस्टेंट - वह सर... मेरा उससे पर्सनल काम था.... इसलिए मैंने सबको उनके एसाइनमेंट दे कर उसे बुलाया था....
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... वह लड़का कहाँ है इस वक्त....
असिस्टेंट - सर... (बनानी को दिखाते हुए) इस लड़की को बचाते वक्त उसके कपड़ों में आग लग गई थी.... तो मैंने सिज फायर, फायर एस्टींगुइसर से उस पर लगे आग को बुझाया.... फिर वह जेन्ट्स वश रूम में खुद को कपड़े समेत भिगोया और लिफ्ट से उतर कर... शायद अभी किसी हस्पताल गया होगा...
प्रिन्सिपल - व्हाट..... ह्म्म्म्म... वेरी ब्रेव बॉय...
फिर प्रिन्सिपल सारे स्टूडेंट्स की ओर देख कर पूछता है - सो किड्स यहाँ एक थ्रिल मोमेंट हुआ है.... किसी के पास कोई रिकॉर्डिंग है....
कुछ लड़कियाँ एक्साइटमेंट में प्रिन्सिपल को अपना अपना मोबाइल दिखाने लगे l
प्रिन्सिपल - अब सब वह वीडियो अपने अपने मोबाइल से डिलीट कर दो.....
सारे लड़कियाँ एक साथ - सर...
प्रिन्सिपल - देखो बच्चों... तुम लोगों को अगर अपने कॉलेज से प्यार है तो... वह वीडियो डिलीट कर दो... अगर यह वीडियो वाइरल हुआ... तो कॉलेज के साथ साथ इस लड़की और उस लड़के की जिंदगी प्रॉब्लम में आ जाएगी.... और मैं यह रिक्वेस्ट कर रहा हूँ... आप लोग इसे अपना मॉरल रेस्पांसिबल समझ कर डिलीट करें.....
सभी लड़कियाँ - ओक सर...
फिर प्रिन्सिपल नंदिनी की ओर देखते हुए - ह्म्म्म्म तो... किसकी बर्थ डे थी आज....
नंदिनी - थी नहीं सर.... है.... इसकी... मिस. बनानी मोहंती की...
प्रिन्सिपल - ओह... अच्छा चलो इस लड़की का बर्थ डे हम अभी यहीं मनाते हैं....
सब हैरान हो जाते हैं और एक साथ - सर...
प्रिन्सिपल - अरे... अभी अभी शॉक से निकली है... उसे शॉक से निकालो... हादसे यादें नहीं बननी चाहिए.... उत्साह, उल्लास और उत्सव को यादें बनाओ... लाओ केक काटो और जनम दिन मुबारक हो...
सभी स्टूडेंट्स ताली मारते हैं l नंदिनी बनानी को खड़ी कर देती है और उसी स्टूल पर केक निकाल कर रख देती है l बनानी केक काटती है, सभी स्टूडेंट्स और प्रिन्सिपल मिलकर "हैप्पी बर्थ डे टू यु" गाते हैं l प्रिन्सिपल बनानी को आशीर्वाद दे कर चला जाता है l बनानी के सारे दोस्त उसे जनम दिन की बधाई देते हैं l छटी गैंग की लड़कियों की तरफ से दीप्ति बनानी को गिफ्ट देती है l बनानी सबको धन्यबाद करती है l
क्यूंकि लैब बंद हो चुकी थी, इसलिए सारे स्टूडेंट्स धीरे धीरे चले गए l सिर्फ वहीँ पर छटी गैंग रुक गई l
नंदिनी अभी तक खुद को सम्भाले हुई थी l सबके जाते ही रोने लगती है l उसे रोते देख,
बनानी - क्या हुआ नंदिनी....
नंदिनी - मुझे माफ कर दे... बनानी... मुझे माफ कर दे... तु जब मुसीबत में थी... मैं तेरे पास नहीं थी....
बनानी - अरे... आज तो तुम लोगों ने मेरा दिन बना दिया है... और तुझे थोड़े ना पता था.. के ऐसा कोई हादसा हो सकता है....
नंदिनी - आज सुबह से तेरा मुड़ हमने बिगाड़ के रखा था.... ताकि तुझे सरप्राइज दे सकें....
बनानी - हाँ... मुझे मालूम था...
दीप्ति - ऐ.... झूट क्यूँ बोल रही है....
बनानी - अरे मैं सच कह रही हूँ...
नंदिनी - (अपनी आँसू पोछते हुए) कैसे...
बनानी - देखो तुम सबको मेरी कसम है उसे... कुछ कहा तो...
इतिश्री - क्या तुझे किसीने बताया था...
बनानी - हाँ.... मुझे... तबस्सुम ने बताया...
सारे लड़कियाँ - व्हाट...
तबस्सुम- (अपना जीभ अपने दांतों तले दबाते हुए) देखो मुझसे बनानी का टॉर्चर होते हुए देखा नहीं गया.... इसलिए मैंने भंडा फोड़ दी....
नंदिनी - कमीनी... थोड़ी देर के लिए चुप नहीं रह सकती थी....
बनानी - नंदिनी... यह सब तेरा प्लान था ना.... यह ले.... (केक उसके मुहँ पर पोत दी)
नंदिनी - आ... आ.. ह तेरा बर्थ डे है कमीनी रुक.... (फिर नंदिनी बचे हुए केक के टुकड़े से बनानी के मुहँ पर पोत देती)
सारे लड़कियाँ खुशी से चिल्लाते हैं l बनानी और नंदिनी एक दूसरे के गले लग जाते हैं l और सभी उनके इर्द गर्द चिपक जाते हैं

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आज साढ़े बारह बजे के आस पास राज भवन से लौट रहे भुवनेश्वर सहर के मेयर श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी के ऊपर कुछ आततायियों ने गोली चला कर हमला किया l इस हमले से श्री क्षेत्रपाल बाल बाल बच गए l इस हादसे के वजह से समूचा राज्य स्तब्ध व चकित हो गया है l लोग इस घटना पर तरह तरह से अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं l कुछ आपसी या राजनीतिक रंजिश बता रहे हैं और कुछ लोगों का मानना है कि अपने सक्त रवैये के कारण माफ़िया के आँखों मे किरकिरी बने हुए थे इसलिए हो सकता है उनपर हमले के वजह अंडरवर्ल्ड से ताल्लुक हो और कुछ सूत्र ऐसे भी दर्शा रहे हैं शायद सहर में आतंकवादी भय फैलाने का वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं l हमारे सम्वाददाता श्री क्षेत्रपाल जी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया और इस मामले में पुलिस भी चुप्पी बनाए हुए है l
विक्रम सिंह रिमोट से टीवी बंद कर देता है और हॉल में बैठे सभी को देखने लगता है l सब खामोश हैं l सबकी ख़ामोशी तोड़ते हुए विक्रम कहना शुरू करता है - अब यह हादसे पर कहानियाँ बनने लगी है l अब यह शुरू कहाँ से और कब हुआ... बात करें...
महांती - युवराज जी पिछले शनिवार को... मेयर साहब जी को एक फोन आया था कि... उनपर एक जान लेवा हमला होगा.... और आज हुआ...
विक्रम सिंह, पिनाक सिंह को देखता है l
पिनाक - हाँ ऐसा कॉल आया था.... मुझे लगा शायद कोई प्रांक कॉल होगा....
वीर - पर उस दिन... मैंने आपको चेताया था.... शायद वो प्रांक कॉल ना हो...
विक्रम - महांती तुम्हें कैसे मालुम हुआ... की छोटे राजा जी को कोई ऐसा कॉल आया था...
महांती - आज जब यह हादसा हुआ.... उसके बाद राजकुमार जी ने मुझे वह कॉल ट्रेस करने के लिए कहा...
विक्रम - तो.... नतीज़ा...
महांती - जीरो.... वह एक प्राइवेट नंबर से आया था जो हिडन था पर था एक कंप्यूटराइज कॉल..... जो हर तीस सेकेंड के बाद लोकेशन बदलता रहता है...
विक्रम - क्या लगता है.... आपको छोटे राजा जी.....
पिनाक - वह जो भी है.... वह मुझसे अपना खुन्नस निकाल रहा है....
कॉन्फ्रेंस हॉल के टेबल पर लैंडलाइन बजने लगता है l वीर उसकी स्पीकर ऑन कर देता है l
फोन - हा हा हा हा हा हा हा..... क्या बात है पिनाक साहब.... वाह क्या बात है.... मैं तो समझा था के तुम दुम दबा कर भाग जाओगे.... पर तुम तो बड़े हिम्मत वाले निकले.... मोबाइल पर गोली लगने पर भी गाड़ी में छुपे नहीं.....
पिनाक - हम छुपते नहीं हैं.... तु छुपा हुआ है...
फोन - तु छुपता नहीं है.... पर छुपाता बहुत है..
पिनाक - हरामजादे तु चाहता क्या है....
फोन - वेरी सिम्पल... मैं तुझे जिंदा देखना नहीं चाहता....
पिनाक - तो हरामजादे गोली मारते वक़्त हाथ कांपने लगा क्या....
फोन - ना ना ना.... तु अपनी जिंदगी से ऊब जाएगा... और मौत मांगेगा... तब तुझे गोली भीक में दे दूँगा.... यह पक्का वाला वादा है....
पिनाक - तो मैं भी तुझसे वादा करता हूँ.... जब तु मेरे हाथ लगेगा..... उस दिन तेरे जीते जी मैं तेरी खाल उधेड दूँगा....

फोन - मैं जब हाथ लगूंगा.... तब देख लेना.... फ़िलहाल सहर में चर्चा है.... किसीने क्षेत्रपाल की पीछे से मार ली..... बेचारे क्षेत्रपाल को मालूम भी नहीं हो पाया.... हा हा हा हा
पिनाक - यू......
फोन - चु... चु.... चु.... कितना मजा आ रहा है.... अगले हफ्ते और एक सरप्राइज के लिए तैयार रहना....

फोन कट जाता है l फिर हॉल में सब कुछ शांत हो जाता है l विक्रम गहरी सोचमें है l
पिनाक - यह जो भी है... मुझे चाहिए... मैं इसे अपनी हाथों से मारना चाहता हूँ...
वीर - फ़िलहाल हम अभी अंधेरे में हैं...
पिनाक - तो क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे....
विक्रम - महांती.... यह क्या है.... कोई हमारी रेकी कर... इस हादसे को अंजाम दे दिया... और हमे भनक तक नहीं लगा....
महांती - युवराज जी.... रेकी की बात गलत है....
विक्रम - कैसे...
महांती - छोटे राजा जी कोई मामुली शख्सियत नहीं हैं...
उनकी आवाजाही की खबर हर पार्टी मेंबर से लेकर पार्टी से जुड़े हर साधारण आदमी को भी मालूम है....
वीर - फ़िर भी... एक तरफ वह फोन से बात करते हुए.... गोली चलाए.... मतलब छोटे राजा जी को वह लाइव देख रहा हो जैसे....
महांती - जी राजकुमार जी..... वह लाइव ही देख रहा था....
वीर - व्हाट.....
महांती - राजमहल स्कोयेर के सीसी टीवी हैक किया था.... छोटे राजा जी की मूवमेंट को देख रहा था... और जहां पर उसने पहले से... अपने स्नाइपरों को छुपा रखा था... यह हादसा वहीँ हुआ....
वीर - वह तो ठीक है.... पर उसे कैसे मालूम हुआ कि हम कांफ्रेंस हॉल में हैं....
महांती - अंदाजा लगाया होगा... और दुसरा.... फोन लाइन हैक...
विक्रम - (पिनाक से) आपको कुछ अंदाजा है... ऐसा कौन दुश्मन हो सकता है....
पिनाक - हमारे या तो मुलाजिम हो सकते हैं.... या फिर दुश्मन.... हमारे कोई दोस्त नहीं होते हैं... युवराज....
विक्रम - तो महांती... फाइनल...
महांती - युवराज जी.... वह जो भी है... फ़िलहाल वह अपनी पूरी तैयारी के साथ है.... और छुपा हुआ है.... अब हमे अपनी तैयारी करनी होगा.....
विक्रम - ह्म्म्म्म.... अब खेल शिकार और शिकारी का हो गया है....
वीर - यहाँ शिकारी कौन है.... और शिकार कौन है....
विक्रम - शिकारी हम हैं और वह शिकार....
पिनाक - पर वह हमें चौंका रहा है....
विक्रम - बाघ अगर आदम खोर हो जाए... फ़िर भी शिकार हो सकता है... पर अगर तेंदुआ आदम खोर हो जाए.... तो उसका शिकार सबसे मुश्किल होता है..... क्यूंकि तेंदुआ... छिपने में माहिर होता है.... लेकिन मारता आखिर में तेंदुआ ही है..... फ़िलहाल हमारा तेंदुआ छुपा हुआ है.....
Nice and beautiful update...
 

Jaguaar

Well-Known Member
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ESS के यूनीफॉर्म में अनु वीर के कैबिन में आती है और वीर को एक जोरदार सैल्यूट देती है l वीर उसे गौर से देखता है, एक हाई नेक कुर्ती अनु के जिस्म से पुरी तरह से चिपकी हुई है, अनु के जिस्म की हर कटाव को जैसे उकेर के सामने ला रही है l वीर की आंखे अनु के जिस्म के हर हिस्से पर घूम रही है l अनु की चेहरे को देखता है, बहुत ही क्यूट लग रही है, साँवली सूरत में भी ग़ज़ब का आकर्षण, सफेद आँखों से झाँकती हुई कत्थई पुतलियां अनु के चेहरे को और भी आकर्षण दे रहे हैं.... जैसे शिशिर की बूंदे फूलों को l वीर के शरीर में एक मीठा सा सिहरन दौड़ गई l अपने शरीर को झटका दे कर खुद को अनु के आकर्षण से बाहर लता है l
वीर - अरे.. अनु... तुम पर यह यूनीफॉर्म बहुत जंच रही है... वाकई...
अनु - राजकुमार जी जानते हैं.... पहले ना हमारे मौहल्ले में... कुछ लड़के, यहाँ तक कुछ अंकल टाइप के लोग भी गंदी गंदी फबतीयाँ कसते थे, मुझे सुनाते थे... दादी यह सब सुन कर कभी कभी उनसे लड़ जाती थी... पर जिस दिन से यह यूनीफॉर्म पहन कर ड्यूटी आ रही हूँ.... तब से कोई भी मुझ पर फबतीयाँ नहीं कस रहे हैं... आज कर दादी भी बहुत खुश है... आप यकीन नहीं करोगे... इन तीन दिनों में दादी की सेहत में काफी सुधार हुआ है..... (एक कृतज्ञता भरी दृष्टि से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया....
वीर उसकी बातेँ सुन कर मुस्कुराया l अनु की बातेँ, जैसे कोई मीठी चासनी में घुले हुए हैं, जो वीर के कानो से गुजर कर उसके जिस्म को गुदगुदा रहे हैं l
वीर फिरसे खुद को इस खयाल से खुद को बाहर लाता है l
वीर मन ही मन बुदबुदाने लगता है (यह मैं बार बार डिस्टर्ब क्यूँ हो रहा हूँ)
वीर - एक काम करोगी....
अनु - जी कहिए....
वीर - मेरे लिए एक कप कॉफी.. लाओगी...
अनु - जी... अभी लाई...
अनु इतना कह कर मुड़ती है और तेजी से बाहर निकल जाती है l उसके जाते ही वीर उसके बारे में सोचने लगता है " क्या ग़ज़ब की दिखती हो... जैसे कोणार्क की मुर्ति हो... किसी कारीगर की कल्पना हो या कुदरत की करामात हो... यह तेरे जिस्म को कुदरत ने कुछ इसतरह से तरासा है... खुद कुदरत भी हैरान हो जाए ऐसा तेरे जिस्म का हर हिस्सा है...

कौन कहता है... खूबसूरती के लिए रंग जरूरी है... साँवली सलोनी तू वन की हिरनी, सावन में झूमती मोरनी, तेरे बिन रंग ही स्वयं में अधुरी है..
तु कल कल बहती चंचल शीतल झरना है
यह प्यास बुझे या ना बुझे मुझे तेरे किनारे पर ही मरना है...
वीर ऐसा सोच सोच कर अपने आप मुस्करा रहा है, कि उसे लगता है कोई उसे देख रहा है l वीर की खयाल टूटता है और अपने पास देखता है तो टेबल पर कॉफी का कप रखा हुआ है और कुछ दूर हाथों में स्माइली बॉल लिए कुछ घबराहट और परेसानी भरी नजर से अनु वीर को घूर रही है l वीर अपनी आँखों के इशारे से पूछता है "क्या हुआ"
अनु - वह राजकुमार जी... मैं जब कॉफी ले कर आयी तो देखा... आप अपने मन में कभी मुस्करा रहे हैं.. और कभी आपके चेहरे से मुस्कराहट गायब भी हो रही है... इसलिए मैंने यह बॉल निकाल ली... पर समझ में नहीं आया कि आपको बॉल जरूरत है या नहीं...
वीर - हा हा हा हा... ओह... अनु... तुम वाकई.. मेरा खयाल करती हो.... हा हा हा.... जानती हो... मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारे होते हुए... शायद मुझे इन बॉल्स की जरूरत नहीं पड़ेगी...
अनु - तो इन बॉल्स का क्या करूँ....
वीर - अपने पास ही रखो... मैंने कहा शायद... जिस दिन तुम्हें लगे... की मुझे इन बॉल्स की जरूरत नहीं पड़ेगी.... उस दिन फेंक देना....
अनु - (मुस्कराते हुए) जी बहुत अच्छा.... (कह कर बॉल्स को अपने पर्स में रख लेती है, और एक मासूमियत भरी स्माइल से वीर को देखने लगती है l वीर भी उसकी खूबसूरती को निहारता रहता है l

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राजभवन मार्ग से राजमहल स्क्वेयर की एक फॉरचुनर गाड़ी दौड़ रही है l गाड़ी के भीतर पिनाक सिंह बैठा अपने टेबलेट में कुछ देख रहा है कि तब उसका मोबाइल बजने लगता है l वह मोबाइल उठा कर देखता है तो स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर लिखा दिख रहा है l पिनाक फोन उठाता है - हैलो...
फोन - हैलो... कैसे हो मेयर साहब...
पिनाक - हैलो... कौन बोल रहा है...
फोन - अरे.. भोषड़ी के... इतना जल्दी भूल गया...
पिनाक - यू... ब्लडी.. मॉरॉन... बास्टर्ड.... कौन है बे तु...
फोन - हाँ... अब तूने मुझे सही पहचाना...
पिनाक - कमीने... हराम के पिल्लै... बोल कौन है तु...
फोन - क्या ज़माना आ गया... हरामियों को अपना इंट्रोडक्सन देना पड़ रहा है... अबे मादरचोद मैं बोल रहा हूँ... मैं... यानी तेरी मौत... पर तु इतनी जल्दी नहीं मरेगा... धीरे धीरे... हौले हौले... आहिस्ता आहिस्ता... रोज थोड़ा थोड़ा कर मरेगा...
पिनाक गुस्से से अपना फोन बंद कर देता है l तभी गाड़ी की साइड मिरर टूट कर गिर जाता है l तो ड्राइवर गाड़ी रोक देता है l तभी गाड़ी के एक टायर ब्रस्ट होता है, उसके बाद दुसरा, तीसरा फिर चौथा l
ड्राइवर - सर हमारे चारों टायर्स ब्रस्ट हुए हैं, लगता है किसी ने गोली चला कर ऐसा किया है l
जल्दी ही पिनाक की सुरक्षा में तैनात ESS के तीन गाड़ी पिनाक की गाड़ी को घेर लेते हैं l और कुछ गार्ड्स गाड़ी से उतर कर चारो ओर नजर दौड़ने लगते हैं और कुछ गार्ड्स पोलिस और ESS हेड क्वार्टर को VHF से हादसे की इन्फॉर्मेशन देते हैं और पिनाक को गाड़ी से ना उतरने के लिए कहते हैं l पिनाक गाड़ी के भीतर बैठा हुआ होता है कि फिर से उसकी फोन बजने लगती है l पिनाक स्क्रीन पर देखता है प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा है l पिनाक फोन उठाता है - हैलो..
फोन - क्या बात है... गरमी उतरी या नहीं...
पिनाक - कुत्ते... हरामी... छुप कर क्यूँ खेल रहा है... सामने आ कर वार कर....
फोन - अले.. अले... ले.. कितना मासूम है ले... तुम कौनसे सामने से अपना जुर्म कर रहे हो... कानून के पीछे छुपे हुए हो... और मुझे सामने आने के लिए ललकार रहे हो... अबे मेयर के बच्चे मैं सामने आ गया.. तो तेरी पतलून आगे से गिला और पीछे से पीला हो जाएगा..
पिनाक - बस कुत्ते बस... तु.. चाहे जहाँ भी छुपा हो... तुझे ढूंढ निकालूँगा और सुवर की मौत मरूंगा...
फोन - हा हा हा हा हा.. अबे तु मुझे ढूंढ निकालेगा... अबे हिजड़े पहले अपनी गाड़ी से तो निकल.... हा हा हा हा..
यह सुन कर पिनाक गुस्से से अपनी गाड़ी से निकलने की कोशिश करता है, ऐसे में उसके मोबाइल वाला हाथ गाड़ी के छत के ऊपर रख और दूसरा हाथ गाड़ी की दरवाजे पर रख गाड़ी से उतरने लगा कि उसकी मोबाइल पर गोली लगी, मोबाइल पिनाक के हाथों से छूट कर दूर गिरती है l पर इस बार पिनाक गाड़ी के अंदर नहीं जाता l अपने गाड़ी से उतर कर चारों ओर नजर घुमाता है l तभी और एक दूसरी गाड़ी आती है l जिसमें बैठ कर पिनाक निकल जाता है l


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वीर - (अपने कैबिन में) अनु.... बॉल्स कहाँ है....
अनु - जी.. जी वह...मैं आज घर पर भूल आई....
वीर - आ... आ.. ह... तुम जानती हो मेरा स्ट्रेस कम करने के लिए.... डॉक्टर ने वह बॉल्स दबाते रहने को कहा है....
अनु - अब.... क्या... और कुछ दबा कर काम नहीं चला सकते....
वीर - (अपने चेयर पर बैठते हुए) ओ.. ह... मेरा सर..... मेरा सर फटा जा रहा है...
अनु - राजकुमार जी.... प्लीज... बोलिए मैं क्या करूं....
वीर - अनु... क्या तुम चाहती हो.... मेरा सर दर्द कम हो जाए....
अनु - जी...
वीर - तो मेरे गोद में बैठ जाओ.... प्लीज...
अनु - जी... जी... क्या...
वीर - हाँ अनु... प्लीज... आह... मेरा सर... प्लीज...
अनु आकर वीर के गोद में पीठ करके बैठ जाती है l वीर उसके कमर के इर्द गिर्द अपना हाथ लपेट लेता है और अपना गाल अनु के पीठ पर रगड़ने लगता है l अनु थोड़ा अनकंफर्टेबल फ़ील् करती है l फिर वीर के हाथ अनु के कमर से फिसल कर अनु के चुचीयों पर हाथ रख देता है l अनु के अनछुए चुची पर वीर के हाथ लगते ही, अनु के मुहँ से आह निकल जाती है l जैसे ही अनु की आह सुनता है, वीर जोर से उसकी चुचीयों को दबाने लगता है l
अनु - आ.. ह... र र राज.. कु.. मार जी... आ.. ह इतना जोर से ना द.. दबाइए... दुख रहा है...
वीर - बस थोड़ी देर और... मेरी जान.... मेरा सर दर्द कम हो जाएगा... और तुम्हें मजा आएगा.... (कह कर और जोर से दबा देता है) क्या बॉडी है... क्या बम्पर है... आगे से दबाओ... या पीछे से दबाओ... कहीं से भी दबाओ जी...
वीर आहें भरने लगता है.... मदहोशी में कराहने लगता है..
फ़िर वीर अपनी आँखे खोलता है, तो अपनी नजर पहले कैबिन में दौड़ाता है, फिर अपनी हालत पर गौर करता है, वह अपनी ही रिवल्वींग कुर्सी पर लंबा हो कर लेटा हुआ है, वीर समझ जाता है... की अब तक वह अपने ख़यालों में खोया हुआ था l अपने ऊपर हंसता है और कुर्सी पर ठीक से बैठ कर घूमता है, सामने अनु को देख कर हड़ बड़ा जाता है, क्यूंकि अनु के हाथ में उसके स्माइली बॉल दिखते हैं l अनु वह स्माइली बॉल हाथ में लिए वीर को मुहँ फाड़े हैरानी और घबराहट भरी नजरों से घूर रही है l
वीर - अरे... अनु... क्या हुआ....
अनु - जी... आपको क्या हुआ...
वह आप अभी कराह रहे थे... म मुझे लगा... आपको दौरा पड़ा है... इसलिए बॉल निकाल कर आपके पास आ ही रही थी के आपको होश आ गया....
वीर - हाँ.... वह.. कभी कभी मुझे ऐसे दौरे पड़ने लगे हैं..... यह स्ट्रेस लेवल हाई होने की वजह है...
अनु - अच्छा... अब कैसा... फिल् हो रहा है.... मेरा मतलब है कि मैं इन बॉल्स का क्या करूँ....
वीर - अच्छा लगा जान कर के तुम्हें मेरी इतनी फ़िकर है.... अब एक काम करो इन बॉल्स को अपने पास रख दो....
अनु उन दोनों बॉल्स को अपने पर्स में रख लेती है l तभी टेबल पर रखी लैंड लाइन फोन बजने लगती है l अनु फोन उठाती है,
अनु - हैलो...
फोन - *****
अनु - जी...
इतना कह कर वीर को फोन बढ़ाती है l वीर फोन का स्पीकर अन कर क्रैडल को वापस रख देता है l
फोन पर विक्रम था - हैलो राजकुमार..
वीर - जी युवराज जी
विक्रम - छोटे राजा जी के कार पर हमला हुआ है...
वीर - क्या....
विक्रम - हाँ... इसलिए.. आप अभी के अभी ESS के कॉन्फ्रेंस हॉल में सेक्यूरिटी इमर्जेंसी मीटिंग बुलाओ.... हम सब थोड़ी ही देर बाद पहुंचेंगे....
वीर - जी... ठीक है....
फोन कट जाता है l वीर सामने देखता है तो समझ जाता है l विक्रम से हुई बातों को अनु बिल्कुल भी समझ नहीं पाई l
वीर - देखो अनु उपर कॉन्फ्रेंस हॉल में एक हाई लेवल सिक्युरिटी मीटिंग होगी....
तुम बस यहीँ रहोगी... मेरा जो भी फोन आयेगी... तुम रिसीव कर लेना... और डायरी में नोट कर लेना...
और हाँ इस कमरे से बाहर मत निकलना....
ठीक है.....
अनु किसी आज्ञाकारी छात्रा की तरह अपना सर हिलती है l
फिर वीर अपने कैबिन से बाहर निकल जाता है l


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नंदिनी और दीप्ति भाग कर प्रिन्सिपल के ऑफिस तक पहुंचते हैं l पिओन उन्हें देख कर डिलीवरी बॉय के तरफ इशारा करता है l दोनों उस डिलीवरी बॉय के पास जाते हैं l डिलीवरी बॉय OTP मांगता है l नंदिनी उसे OTP दे कर उससे गिफ्ट और केक ले लेती है l दोनों दोस्त बहुत खुश हो कर मुड़ते हैं, तो उन्हें प्रिन्सिपल को भागते हुए देखते हैं l उन्हें माजरा कुछ समझ में नहीं आता l एक स्टूडेंट भाग कर जा रहा था तो नंदिनी उसे रोक कर वजह पूछती है l वह स्टूडेंट बताता है कि साइंस स्ट्रीम के केमिकल लैब में आग लगी हुई है l यह सुनते ही दोनों के होश उड़ जाते हैं l दोनों अब लैब की ओर भागते हैं l सीढियों पर चढ़ कर जब वहाँ पहुँचते हैं तो देखते हैं सारे स्टूडेंट लैब के बाहर खड़े हैं aurप्रिन्सिपल लैब असिस्टेंट से कुछ पुछ रहा है l
प्रिन्सिपल - तुम कहाँ थे...
असिस्टेंट - सर मैं यहीं था....
प्रिन्सिपल - तो शुरू से बताओ क्या हुआ....
असिस्टेंट - सर एक्जाट क्या हुआ बताना तो मुस्किल है...
प्रिन्सिपल - ठीक है... तुमने जो देखा वह बताओ....
असिस्टेंट - सर ट्यूब लाइट की चोक ब्लास्ट हुआ जिससे इलेक्ट्रिक शॉर्ट सर्किट हुआ.... उस ब्लास्ट के वजह से लैब के अंदर अफरा-तफरी हो गई.... इतने में नौ नंबर टेबल पर रखी कंशेंट्रेट एल्कोहल का जारकिन था जो गिर गया... और ब्लास्ट के वजह से जो शॉर्ट सर्किट हुआ उसके स्पार्क से एल्कोहल ने आग पकड़ लिया.....
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... अंदर कौन फंस गया था...
असिस्टेंट - सर (बनानी लैब के बाहर एक स्टूल पर बैठी हुई थी, डरी हुई लग रही थी, उसके तरफ इशारा करते हुए) यह लड़की अंदर रह गई थी.... असल में उस वक़्त वह वश रूम में थी और आग वश रूम के करीब फैल गया था इसलिए यह बाहर नहीं निकल पाई...
"नहीं" इतना सुनते ही नंदिनी की चीख निकल जाती है l और दौड़ कर बनानी के पास पहुंच जाती है l
प्रिन्सिपल - तो... यह बाहर कैसे और निकली.....
असिस्टेंट - यह निकल नहीं पाई.... इसे निकाला गया है...
प्रिन्सिपल - मतलब... किसने निकाला...
असिस्टेंट - सर... वह... कॉमर्स स्ट्रीम का लड़का है... नाम रॉकी....
प्रिन्सिपल - (हैरानी से) कॉमर्स स्ट्रीम का लड़का... यहाँ क्या कर रहा था...
असिस्टेंट - वह सर... मेरा उससे पर्सनल काम था.... इसलिए मैंने सबको उनके एसाइनमेंट दे कर उसे बुलाया था....
प्रिन्सिपल - ह्म्म्म्म... वह लड़का कहाँ है इस वक्त....
असिस्टेंट - सर... (बनानी को दिखाते हुए) इस लड़की को बचाते वक्त उसके कपड़ों में आग लग गई थी.... तो मैंने सिज फायर, फायर एस्टींगुइसर से उस पर लगे आग को बुझाया.... फिर वह जेन्ट्स वश रूम में खुद को कपड़े समेत भिगोया और लिफ्ट से उतर कर... शायद अभी किसी हस्पताल गया होगा...
प्रिन्सिपल - व्हाट..... ह्म्म्म्म... वेरी ब्रेव बॉय...
फिर प्रिन्सिपल सारे स्टूडेंट्स की ओर देख कर पूछता है - सो किड्स यहाँ एक थ्रिल मोमेंट हुआ है.... किसी के पास कोई रिकॉर्डिंग है....
कुछ लड़कियाँ एक्साइटमेंट में प्रिन्सिपल को अपना अपना मोबाइल दिखाने लगे l
प्रिन्सिपल - अब सब वह वीडियो अपने अपने मोबाइल से डिलीट कर दो.....
सारे लड़कियाँ एक साथ - सर...
प्रिन्सिपल - देखो बच्चों... तुम लोगों को अगर अपने कॉलेज से प्यार है तो... वह वीडियो डिलीट कर दो... अगर यह वीडियो वाइरल हुआ... तो कॉलेज के साथ साथ इस लड़की और उस लड़के की जिंदगी प्रॉब्लम में आ जाएगी.... और मैं यह रिक्वेस्ट कर रहा हूँ... आप लोग इसे अपना मॉरल रेस्पांसिबल समझ कर डिलीट करें.....
सभी लड़कियाँ - ओक सर...
फिर प्रिन्सिपल नंदिनी की ओर देखते हुए - ह्म्म्म्म तो... किसकी बर्थ डे थी आज....
नंदिनी - थी नहीं सर.... है.... इसकी... मिस. बनानी मोहंती की...
प्रिन्सिपल - ओह... अच्छा चलो इस लड़की का बर्थ डे हम अभी यहीं मनाते हैं....
सब हैरान हो जाते हैं और एक साथ - सर...
प्रिन्सिपल - अरे... अभी अभी शॉक से निकली है... उसे शॉक से निकालो... हादसे यादें नहीं बननी चाहिए.... उत्साह, उल्लास और उत्सव को यादें बनाओ... लाओ केक काटो और जनम दिन मुबारक हो...
सभी स्टूडेंट्स ताली मारते हैं l नंदिनी बनानी को खड़ी कर देती है और उसी स्टूल पर केक निकाल कर रख देती है l बनानी केक काटती है, सभी स्टूडेंट्स और प्रिन्सिपल मिलकर "हैप्पी बर्थ डे टू यु" गाते हैं l प्रिन्सिपल बनानी को आशीर्वाद दे कर चला जाता है l बनानी के सारे दोस्त उसे जनम दिन की बधाई देते हैं l छटी गैंग की लड़कियों की तरफ से दीप्ति बनानी को गिफ्ट देती है l बनानी सबको धन्यबाद करती है l
क्यूंकि लैब बंद हो चुकी थी, इसलिए सारे स्टूडेंट्स धीरे धीरे चले गए l सिर्फ वहीँ पर छटी गैंग रुक गई l
नंदिनी अभी तक खुद को सम्भाले हुई थी l सबके जाते ही रोने लगती है l उसे रोते देख,
बनानी - क्या हुआ नंदिनी....
नंदिनी - मुझे माफ कर दे... बनानी... मुझे माफ कर दे... तु जब मुसीबत में थी... मैं तेरे पास नहीं थी....
बनानी - अरे... आज तो तुम लोगों ने मेरा दिन बना दिया है... और तुझे थोड़े ना पता था.. के ऐसा कोई हादसा हो सकता है....
नंदिनी - आज सुबह से तेरा मुड़ हमने बिगाड़ के रखा था.... ताकि तुझे सरप्राइज दे सकें....
बनानी - हाँ... मुझे मालूम था...
दीप्ति - ऐ.... झूट क्यूँ बोल रही है....
बनानी - अरे मैं सच कह रही हूँ...
नंदिनी - (अपनी आँसू पोछते हुए) कैसे...
बनानी - देखो तुम सबको मेरी कसम है उसे... कुछ कहा तो...
इतिश्री - क्या तुझे किसीने बताया था...
बनानी - हाँ.... मुझे... तबस्सुम ने बताया...
सारे लड़कियाँ - व्हाट...
तबस्सुम- (अपना जीभ अपने दांतों तले दबाते हुए) देखो मुझसे बनानी का टॉर्चर होते हुए देखा नहीं गया.... इसलिए मैंने भंडा फोड़ दी....
नंदिनी - कमीनी... थोड़ी देर के लिए चुप नहीं रह सकती थी....
बनानी - नंदिनी... यह सब तेरा प्लान था ना.... यह ले.... (केक उसके मुहँ पर पोत दी)
नंदिनी - आ... आ.. ह तेरा बर्थ डे है कमीनी रुक.... (फिर नंदिनी बचे हुए केक के टुकड़े से बनानी के मुहँ पर पोत देती)
सारे लड़कियाँ खुशी से चिल्लाते हैं l बनानी और नंदिनी एक दूसरे के गले लग जाते हैं l और सभी उनके इर्द गर्द चिपक जाते हैं

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आज साढ़े बारह बजे के आस पास राज भवन से लौट रहे भुवनेश्वर सहर के मेयर श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी के ऊपर कुछ आततायियों ने गोली चला कर हमला किया l इस हमले से श्री क्षेत्रपाल बाल बाल बच गए l इस हादसे के वजह से समूचा राज्य स्तब्ध व चकित हो गया है l लोग इस घटना पर तरह तरह से अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं l कुछ आपसी या राजनीतिक रंजिश बता रहे हैं और कुछ लोगों का मानना है कि अपने सक्त रवैये के कारण माफ़िया के आँखों मे किरकिरी बने हुए थे इसलिए हो सकता है उनपर हमले के वजह अंडरवर्ल्ड से ताल्लुक हो और कुछ सूत्र ऐसे भी दर्शा रहे हैं शायद सहर में आतंकवादी भय फैलाने का वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं l हमारे सम्वाददाता श्री क्षेत्रपाल जी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया और इस मामले में पुलिस भी चुप्पी बनाए हुए है l
विक्रम सिंह रिमोट से टीवी बंद कर देता है और हॉल में बैठे सभी को देखने लगता है l सब खामोश हैं l सबकी ख़ामोशी तोड़ते हुए विक्रम कहना शुरू करता है - अब यह हादसे पर कहानियाँ बनने लगी है l अब यह शुरू कहाँ से और कब हुआ... बात करें...
महांती - युवराज जी पिछले शनिवार को... मेयर साहब जी को एक फोन आया था कि... उनपर एक जान लेवा हमला होगा.... और आज हुआ...
विक्रम सिंह, पिनाक सिंह को देखता है l
पिनाक - हाँ ऐसा कॉल आया था.... मुझे लगा शायद कोई प्रांक कॉल होगा....
वीर - पर उस दिन... मैंने आपको चेताया था.... शायद वो प्रांक कॉल ना हो...
विक्रम - महांती तुम्हें कैसे मालुम हुआ... की छोटे राजा जी को कोई ऐसा कॉल आया था...
महांती - आज जब यह हादसा हुआ.... उसके बाद राजकुमार जी ने मुझे वह कॉल ट्रेस करने के लिए कहा...
विक्रम - तो.... नतीज़ा...
महांती - जीरो.... वह एक प्राइवेट नंबर से आया था जो हिडन था पर था एक कंप्यूटराइज कॉल..... जो हर तीस सेकेंड के बाद लोकेशन बदलता रहता है...
विक्रम - क्या लगता है.... आपको छोटे राजा जी.....
पिनाक - वह जो भी है.... वह मुझसे अपना खुन्नस निकाल रहा है....
कॉन्फ्रेंस हॉल के टेबल पर लैंडलाइन बजने लगता है l वीर उसकी स्पीकर ऑन कर देता है l
फोन - हा हा हा हा हा हा हा..... क्या बात है पिनाक साहब.... वाह क्या बात है.... मैं तो समझा था के तुम दुम दबा कर भाग जाओगे.... पर तुम तो बड़े हिम्मत वाले निकले.... मोबाइल पर गोली लगने पर भी गाड़ी में छुपे नहीं.....
पिनाक - हम छुपते नहीं हैं.... तु छुपा हुआ है...
फोन - तु छुपता नहीं है.... पर छुपाता बहुत है..
पिनाक - हरामजादे तु चाहता क्या है....
फोन - वेरी सिम्पल... मैं तुझे जिंदा देखना नहीं चाहता....
पिनाक - तो हरामजादे गोली मारते वक़्त हाथ कांपने लगा क्या....
फोन - ना ना ना.... तु अपनी जिंदगी से ऊब जाएगा... और मौत मांगेगा... तब तुझे गोली भीक में दे दूँगा.... यह पक्का वाला वादा है....
पिनाक - तो मैं भी तुझसे वादा करता हूँ.... जब तु मेरे हाथ लगेगा..... उस दिन तेरे जीते जी मैं तेरी खाल उधेड दूँगा....

फोन - मैं जब हाथ लगूंगा.... तब देख लेना.... फ़िलहाल सहर में चर्चा है.... किसीने क्षेत्रपाल की पीछे से मार ली..... बेचारे क्षेत्रपाल को मालूम भी नहीं हो पाया.... हा हा हा हा
पिनाक - यू......
फोन - चु... चु.... चु.... कितना मजा आ रहा है.... अगले हफ्ते और एक सरप्राइज के लिए तैयार रहना....

फोन कट जाता है l फिर हॉल में सब कुछ शांत हो जाता है l विक्रम गहरी सोचमें है l
पिनाक - यह जो भी है... मुझे चाहिए... मैं इसे अपनी हाथों से मारना चाहता हूँ...
वीर - फ़िलहाल हम अभी अंधेरे में हैं...
पिनाक - तो क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे....
विक्रम - महांती.... यह क्या है.... कोई हमारी रेकी कर... इस हादसे को अंजाम दे दिया... और हमे भनक तक नहीं लगा....
महांती - युवराज जी.... रेकी की बात गलत है....
विक्रम - कैसे...
महांती - छोटे राजा जी कोई मामुली शख्सियत नहीं हैं...
उनकी आवाजाही की खबर हर पार्टी मेंबर से लेकर पार्टी से जुड़े हर साधारण आदमी को भी मालूम है....
वीर - फ़िर भी... एक तरफ वह फोन से बात करते हुए.... गोली चलाए.... मतलब छोटे राजा जी को वह लाइव देख रहा हो जैसे....
महांती - जी राजकुमार जी..... वह लाइव ही देख रहा था....
वीर - व्हाट.....
महांती - राजमहल स्कोयेर के सीसी टीवी हैक किया था.... छोटे राजा जी की मूवमेंट को देख रहा था... और जहां पर उसने पहले से... अपने स्नाइपरों को छुपा रखा था... यह हादसा वहीँ हुआ....
वीर - वह तो ठीक है.... पर उसे कैसे मालूम हुआ कि हम कांफ्रेंस हॉल में हैं....
महांती - अंदाजा लगाया होगा... और दुसरा.... फोन लाइन हैक...
विक्रम - (पिनाक से) आपको कुछ अंदाजा है... ऐसा कौन दुश्मन हो सकता है....
पिनाक - हमारे या तो मुलाजिम हो सकते हैं.... या फिर दुश्मन.... हमारे कोई दोस्त नहीं होते हैं... युवराज....
विक्रम - तो महांती... फाइनल...
महांती - युवराज जी.... वह जो भी है... फ़िलहाल वह अपनी पूरी तैयारी के साथ है.... और छुपा हुआ है.... अब हमे अपनी तैयारी करनी होगा.....
विक्रम - ह्म्म्म्म.... अब खेल शिकार और शिकारी का हो गया है....
वीर - यहाँ शिकारी कौन है.... और शिकार कौन है....
विक्रम - शिकारी हम हैं और वह शिकार....
पिनाक - पर वह हमें चौंका रहा है....
विक्रम - बाघ अगर आदम खोर हो जाए... फ़िर भी शिकार हो सकता है... पर अगर तेंदुआ आदम खोर हो जाए.... तो उसका शिकार सबसे मुश्किल होता है..... क्यूंकि तेंदुआ... छिपने में माहिर होता है.... लेकिन मारता आखिर में तेंदुआ ही है..... फ़िलहाल हमारा तेंदुआ छुपा हुआ है.....
Awesomeee Updateee

Insab ki yeh jhoothi shaan aur hadd se jyaada over confidence hi inko le doobega.
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
4,170
23,201
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बहुत बहुत धन्यबाद मित्र, मुझे आपकी लिखी मंगलसूत्र बहुत पसंद आया था....
मैं तब एक मूक पाठक था अभी कुछ ही दिन हुए हैं अपना थ्रेड सबके सामने लाए हुए

धन्यवाद भाई। लिखते रहें 😊
 

Kala Nag

Mr. X
4,253
16,460
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👉चौदहवां अपडेट
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पिनाक पर हुए हमले को एक दिन हो चुका है l सभी अखबार व सभी न्यूज चैनलों में इस हादसे को लेकर कॉलम लिखे गए हैं और डिबेट भी हो रहे हैं l
वीर गाड़ी चला रहा है कि उसका मोबाइल बजने लगता है l गाड़ी के डिस्प्ले में छोटे राजा जी का नाम दिखता है, वीर अपने स्टेयरिंग मैं फोन रिसीव स्विच ऑन करता है l
वीर - हैलो....
पिनाक - कहाँ हो राज कुमार जी....
वीर - जी ऑफिस जा रहा हूँ.....
पिनाक - आज शाम तक राजा साहब भुवनेश्वर पहुंच रहे हैं....
वीर - क्या.... पर क्यूँ... जो भी हुआ.... उसे युवराज जी सम्भाल लेंगे.... फिर इस बात का स्ट्रेस राजा साहब जी क्यूँ ले रहे हैं.....
पिनाक - पहले बात सुनो.... फ़िर उस पर अपना कोई मंतव्य रखो...
वीर - जी कहिए....
पिनाक - आज रात एकाम्र रिसॉर्ट का मालिकाना हक ट्रांसफ़र होगा.... KK सारे कागजात हमे सौंपेगा... इसलिए आज रात अगर तुम्हारा कोई कार्यक्रम हो तो उसे रद्द कर देना....
वीर - जी...
पिनाक - बहुत अच्छे.... (इतना कह कर पिनाक फोन काट देता है)
इतने में वीर की गाड़ी ESS दफ्तर के पार्किंग में पहुंच जाती है l वीर गाड़ी से उतर कर पास खड़े एक गार्ड को चाबी देता है l गार्ड सैल्यूट कर वीर से गाड़ी की चाबी ले लेता है l वीर जैसे ही ऑफिस की सीढ़ी चढ़ने को होता है उधर से महांती सीढ़ी उतरते हुए - गुड मॉर्निंग राजकुमार जी....
वीर - गुड मॉर्निंग महांती....
महांती - राजकुमार जी एक बात कहाना चाहूँगा.... अगर आप बुरा ना माने तो...
वीर - आप उगल ही दो... वरना तुम्हें आज बदहजमी रहेगी दिन भर...
महांती - सर कल ही छोटे राजा जी के उपर हमला हुआ है... आप को ड्राइवर के साथ-साथ सेक्यूरिटी भी ले कर चलना चाहिए....
वीर - वह जिसकी गांड में सुलेमानी कीड़ा कुलबुला रहा है... उससे डर कर मैं अपना लाइफ स्टाइल बदल दूँ.... क्यूँ भई.... उसे चूल मची है... इसलिए छोटे राजा जी के पीछे लगा है... मेरे पीछे तो नहीं है ना...
महांती - मैं वही तो समझा रहा हूँ.... उसकी दुश्मनी छोटे राजाजी से है.... और आप उनके बेटे हैं.... क्यूंकि अब वह छोटे राजा जी के सेक्यूरिटी को देख कर समझ चुका होगा... उन्हें अब छेड़ नहीं सकता है.... तो कहीं आप को वह टार्गेट ना कर दे...
वीर - थैंक्यू... महांती.... मेरे लिए इतना सोचने के लिए... पर यकीन मानों... मैं भी दिल से चाहता हूँ... की वह मेरे पीछे आए... साला लाइफ में चूल और चील तो है पर थ्रिल मिसींग है... वैसे तुम यहाँ आए किस लिए थे...
महांती - आज राजा साहब आ रहे हैं... उनके लिए सेक्योरिटी सेक्यूर करना है... इसलिए प्लान का ब्लू प्रिंट लेकर युवराज जी के पास जा रहा हूँ....
वीर - ओ...
महांती - और महीना खतम हो रहा है... सबका एटेंडेंस और ड्यूटी रोस्टर चेक करने आया था....
वीर - तो सब चेक कर लिए...
महांती - जी...
वीर - ठीक है... जाओ युवराज जी आपका इंतजार कर रहे होंगे...
महांती वहाँ से चला जाता है

वीर मन ही मन बुदबुदाता है ("साला बाहर ही खड़े खड़े पका दिआ" ) और अंदर जाता है l अंदर उसे अनु दिखती है जो किसी से हंस हंस कर बात कर रही है l वीर l अनु का हंसता हुआ चेहरा देख कर वीर के चेहरे पर अपने आप मुस्कान आ जाती है l वह अनु के तरफ बढ़ने लगता है कि उसे लगता है कि अनु किसी लड़के से बात कर रही है l वीर के चेहरे पर जो मुस्कान आई थी वह गायब हो जाता है l वीर पास आ कर देखता है के वह लड़का जिससे अनु बात कर रही है, वह ESS का ही एक गार्ड है l वीर के पास पहुंचते ही वह लड़का वीर को सैल्यूट करता है l उसकी देखा देखी अनु भी वीर को सैल्यूट करती है l
वीर - कौन हो तुम... और यहाँ क्या कर रहे हो...
लड़का - राजकुमार जी आपने मुझे पहचाना नहीं...
वीर ना मे सर हिलाता है
लड़का - राजकुमार जी मैं आपके घर गया था जॉब के लिए... और आपने मुझे एक लेटर दे कर ESS ऑफिस में जॉइन करने के लिए भेजा था...
वीर - तो तुम्हें नौकरी मिल गया है ना.. फिर प्रॉब्लम क्या है तुम्हारा... एक मिनिट तुम गदाधर नायक के बेटे हो ना...
लड़का - जी राजकुमार जी... मैं... उनका बेटा मृत्युंजय नायक...
वीर - हाँ.... और तुम्हारी माँ और बहन कैसी हैं...
मृत्युंजय - सब आपकी कृपा है... राजकुमार जी..
वीर - तुम यहाँ.... इस वक्त...
मृत्युंजय - जी.. वह... मैं... असल में अपना ड्यूटी रोस्टर थोड़ा बदलवाना चाहता था... इसलिए महांती सर से अनुरोध करने आया था... तो महांती सर ने आपसे बात करने के लिए कहा...
वीर - ह्म्म्म्म... चलो अंदर चल कर बात करते हैं....
तीनों कैबिन के अंदर आते हैं l वीर अपनी चेयर पर बैठ जाता है l दोनों खड़े रहे हैं l
वीर - हाँ... अब बोलो...
मृत्युंजय - वह राज कुमार जी.... मैं जब से नौकरी में जॉइन किया हूँ... तब से मुझे "सॉफ्ट कंप्यू सॉल्यूशन" कॉल सेंटर में नाइट् शिफ्ट की ड्यूटी दी गई है l
वीर - हाँ इसलिए ना... ताकि तुम दिन भर अपने घर पर ध्यान दे सको और अपनी पढ़ाई कर सको.... और रात में ड्यूटी कर सको....
मृत्युंजय - जी राज कुमार जी... तब चूंकि नौकरी नई नई थी इसलिए मैं सब में राजी हो गया था..
वीर - अच्छा तो अब पुराने हो गए हो...
मृत्युंजय - जी ऐसी बात नहीं है राजकुमार जी....
वीर - फिर कैसी बात है....
मृत्युंजय - रात भर ड्यूटी के बाद दिन में सो जाता हूँ... इसलिए ना तो ठीक से पढ़ाई हो पा रहा है... और ना ही घर की ध्यान...
वीर - ह्म्म्म्म तो... तुम ही बताओ... तुम्हारी ड्यूटी कब लगानी चाहिए....
मृत्युंजय - वह....
वीर - हाँ... हाँ.... बोलो...
मृत्युंजय - अगर मेरी ड्यूटी बी शिफ्ट यानी दिन के तीन बजे से ले कर रात ग्यारह बजे तक लगा देते... तो...
वीर - अच्छा जाओ... मैं देखता हूँ... क्या हो सकता है...
मृत्युंजय वीर को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है l वीर अनु को घूरता है l
अनु वीर को अपने तरफ ऐसे घूरते हुए देख कर अनु थोड़ी नर्वस हो जाती है l
अनु - क.. क्या.. ह... हुआ राज कुमार जी...

वीर - यह तुम उस मृत्युंजय को पहले से जानती हो...
अनु - नहीं... नहीं.. तो... क्यूँ... क्या हुआ...
वीर - तो फिर... तुम उसके साथ इस तरह से हंस हंस कर बात क्यूँ कर रही थी... जैसे बरसों को पहचान हो...
अनु - वह तो अभी आया... और हम दोनों आपके ही बारे में बात कर रहे थे... मुझे मेरे कम पढ़े लिखे होने के बावजूद नौकरी दी...
वीर - ह्म्म्म्म.... तो तुम... क्या चाहती हो....
अनु - म.. मे.. मैं क्या चाहती हूँ मतलब....
वीर - मुझे... उस लड़के... हाँ.. मृत्युंजय के लिए क्या करना चाहिए....
अनु - जी... बात उसके परिवार की है... वह रात भर बाहर रहता है... उसे.. अपनी माँ और बहन की चिंता होती होगी.... पर नौकरी की मजबूरी भी है.... आप दाता हैं... आपकी जो मर्जी...
वीर - तुम क्या चाहती हो...
अनु - (वीर को देखती है) आप उसके परिवार के ख़ातिर मृत्युंजय की बात रख लीजिए...
वीर - अगर मैं उसकी बात रख लूँ.... तो तुम्हें खुशी होगी...
अनु - जी...(मुस्कराते हुए)
वीर - तुम खुश किसके लिए होगी....क्या मृत्युंजय के लिए
अनु - (अपना सर ना में हिलाते हुए) इसलिए कि मैंने आपके बारे में जो भी कहा है... वह सच है... इसलिए...
वीर - चलो मैं तुम्हारा मन रख लेता हूँ....
अनु खुश हो जाती है और मुस्करा कर पूछती है - मैं कॉफी लाऊँ...
वीर हाँ में अपना सर हिलाता है l अनु चहकते हुए कॉफी लेने बाहर निकल जाती है l वीर मन ही मन सोचता है "कितनों को अपने नीचे लिटाया है...परवाह किसीकी नहीं की....तुझ में ऐसा क्या खास है.. के तेरी एक मुस्कान के लिए मैंने दगा अपनी उसूलों कर ली...
तभी वीर की मोबाइल बजने लगी l वीर मोबाइल के स्क्रीन पर युवराज देखता है l
वीर - हैलो...
विक्रम - आप कहाँ हो राजकुमार....
वीर - ऑफिस में...
विक्रम - (हैरान हो कर) ऑफिस को लेकर तुम कबसे इतने सिरीयस होने लगे...
वीर - कहीं पर तो सिरीयस होना पड़ेगा....
वैसे इस टाइम पर आपने मुझे कैसे याद किया...
विक्रम - तुमने नास्ता किए बगैर इतनी जल्दी घर से निकल गए...
वीर - हाँ मैं यहीं नास्ता कर लूँगा.... पर आपने बताया नहीं किसलिए याद किया...
विक्रम - हाँ आज राजा साहब आ रहे हैं...
वीर - हाँ मालूम है... मुझे छोटे राजा जी ने बताया है... और अभी अभी यहाँ पर महांती ने बताया... और वह शायद आप से ही मिलने गया होगा..
विक्रम - ओह अच्छा.
ठीक है... आज शाम को वक़्त पर पहुंच जाना...
वीर - जी युवराज...

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विक्रम फोन रख कर अपने कमरे से बाहर निकल कर डायनिंग हॉल में आता है l डायनिंग टेबल पर शुभ्रा और नंदिनी बैठ कर अपना नास्ता कर रहे हैं l विक्रम आ कर डायनिंग टेबल बैठ जाता है, थोड़ा खरास लेता है l शुभ्रा और नंदिनी उसे देखते हैं l
विक्रम - वो आज रात... एकाम्र रिसॉर्ट की ओनर शिप राजा साहब जी को ट्रांसफर होने वाली है... इसलिए आज वहीं पर रात पार्टी है... सहर के जानेमाने लोग आये होंगे... आप लोग चलेंगे तो अच्छा होगा....
शुभ्रा - मुझे पार्टियों में बोर लगती है... इसलिए मैं जाना नहीं चाहती... हाँ राजकुमारी जाना चाहें तो उन्हें आप ले जा सकते हैं...
विक्रम - यह आप कैसी बातेँ कर रही हैं... यह हमारे परिवार की फंक्शन है... और हम ही ना रहे वहां पर... ठीक नहीं लगेगा...
शुभ्रा - यह हम का क्या मतलब.....
विक्रम - हम मतलब हम... मतलब आप, राजकुमारी जी और मैं ...
शुभ्रा - और हम किसलिए जाएं....
विक्रम - हमारे परिवार की फंक्शन है... इसलिए...
शुभ्रा - युवराज जी... परिवार...? इस घर में चार लोग रह रहे हैं... आप, राजकुमार, राजकुमारी और मैं.... हम चारों में आपस में क्या सम्बंध है... युवराज जी...
विक्रम - यह आप कैसी बातेँ कर रहे हैं... आप इस परिवार की बहू हैं... हमारी अर्धांगिनी हैं... राजकुमारी जी और राजकुमार जी की भाभी हैं...
शुभ्रा - क्या मैं अपने देवर को कभी देवर जी बुलाया है, क्या आप अपनी बहन को बहन बुलाया है... क्या आप अपने पिता जी को पिताजी कह कर बुलाया है... क्षेत्रपाल परिवार के सभी पुरुष बाहर जिस परिचय लिए परिचित हैं... वे उसी परिचय लिए परिवार वालों के साथ रहते हैं... हम घर में हैं या बाहर हैं यह मालूम नहीं पड़ता..... यह
रिश्ते, यह नाते वास्तव में आपकी राजसी रुतबे के नीचे दब कर दम तोड़ चुकी हैं... इसलिए उन रिश्तों का हवाला मत दीजिए... क्यूंकि ऐसी खोखली रुतबों को ढ़ो कर आपके उस हाई सोसाइटी में मुझे दम घुटने लगती है.... इसलिए आप ही वह पार्टी अटेंड कीजिए... मुझे माफ करें... और आपके उस पार्टी में आने वाली बड़े घरों की औरतों... पार्टी में फैशन परेड करने आती हैं ना कि कोई पार्टी अटेंड करने.... मुझे किसीको देखने या दिखाने नहीं जाना है....
विक्रम खामोश रहता है l वह नंदिनी की तरफ देखता है l नंदिनी बेफिक्री से अपना नास्ता कर रही है l
विक्रम - राज कुमारी जी... क्या आप जाना नहीं चाहेंगी...
नंदिनी - जी नहीं.. युवराज जी...
विक्रम - क्यूँ...
नंदिनी - वह जिनके पार्टी में जाने की बात कर रहे हैं... क्या उन्होंने कोई न्योता भेजा है...
विक्रम - वह हमारे पिता राजा साहब हैं...
नंदिनी - हमारे...? वह सिर्फ हमारे नहीं... बल्कि पूरे स्टेट के राजा साहब हैं.... और जैसा कि भाभी ने कहा राजसी रुतबे, जरूरतें रिश्तों को अपने नीचे दबा कर खत्म कर चुकी हैं.... इसलिए रिश्तों की आड़ में उन राजसी ढकोसलों को ढोने की बात ना करें... वैसे भी हमारे लिए कोई नियम बदला नहीं है... ना राजगड़ में ना भुवनेश्वर में...
इतना कह कर नंदिनी वहाँ से उठ कर चली जाती है l शुभ्रा भी विक्रम को बिना देखे वहाँ से उठ कर चली जाती है l विक्रम मन मसोस कर रहा जाता है l तभी एक नौकर आकर महांती की आने की खबर करता है l विक्रम बिना खाए वहाँ से उठ कर चला जाता है l
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खान फाइलों पर झुक कर बड़े ध्यान से कुछ पढ़ कर पास रखे डायरी में नोट बना कर लिख रहा है l
"मे आई कम इन सर" सुनकर खान दरवाजे के तरफ देखता है l
खान - आओ दास आओ.. कुछ खास....
दास - जी सर... (एक लिफाफा टेबल पर रखते हुए) इसे देखिए.... शायद आपको इंट्रेस्ट हो...
खान दास को देखते हुए लिफाफा अपने हाथ में लेता है l पाने वाले के नाम "विश्व प्रताप महापात्र" और भेजने वाली संस्थान का नाम पढ़ते ही खान की आँखे बड़ी हो जाती हैं और भौवें तन जाती हैं l
खान - दास यह आदमी क्या है.... मैं जितना सोचता हूँ के इसे समझ गया... हर दूसरे पल यह आदमी उतना ही मुझे चौंका देता है....
दास - xxxxxxxx
खान बेल बजाता है l एक संत्री अंदर आ कर सलामी देता है l
खान - विश्वा को जानते हो....
संत्री - जी सर....
खान - ह्म्म्म्म मैं भी यही सोच रहा था... जाओ उसे कहो... इसके काम की एक खत मेरे पास आया है.... आकर मुझसे ले ले....
संत्री - जी सर.... (इतना कह कर वह संत्री चला जाता है)
दास - एसक्युज मी सर, आई मैं लिव नाउ...
खान - ओह येस.... एंड थैंक्यू....
दास सैल्यूट दे कर बाहर निकल जाता है l खान उस लिफ़ाफ़े को देख कर सोच में डूब जाता है l
कुछ देर बाद "क्या मैं अंदर आ सकता हूँ"
खान - हाँ विश्व प्रताप आइए.... और बिना कोई तकल्लुफ के बैठ जाईए....
विश्वा बिना कोई विरोध किए खान के सामने बैठ जाता है l
विश्वा कुछ नहीं कहता है, खान भी चुप रहता है l जब विश्वा ना खान से लिफाफा मांगता है ना कुछ बात करता है, तो खान विश्वा को देखने लगता है l विश्वा के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखता है l खान को उसकी ख़ामोशी कचोटती है, तो रह नहीं पता, इसलिए ख़ामोशी तोड़ते हुए - जानते हैं विश्व बाबु... मैंने आपको क्यूँ बुलाया है....
विश्वा - जी...
खान - क्या.... सच में...
विश्वा - आपके पास मेरा AIBE की एंट्रेस एडमिट कार्ड आया होगा...
खान - हाँ... म.. मतलब... कैसे...
विश्वा - जो भी वकालत करता है.... AIBE उसका अगला पड़ाव होता है...
खान - हाँ.... पर... तुम सजायाफ्ता हो... आई मिन.. यू आर कंवीक्टेड...
विश्वा - स्टेट बार काउंसिल के जरिए रजिस्ट्रेशन और रिकॉमेंडेशन से...
और आप ने उस एडमिट कार्ड में ऐनेक्सचर जो अटैच है उसमें टर्मस एंड कंडीशन में साफ लिखा है......शायद पढ़ा नहीं है...
खान - ओह...
विश्वा - सर अगर आप ने इसी लेटर के लिए बुलाया था तो एक फेवर कर दीजिए...
खान - हाँ... क्या...
विश्वा - इस एडमिट कार्ड को... सेनापति सर जी तक पहुंचा दीजिए... बाकी वह देख लेंगे...
खान - हाँ.. जरूर... (थोड़ा सा हंसी आ गई) मुझे पच्चीस साल से ज्यादा हो गए कानून को सेवा देते हुए.... पर कानून की इतनी बारीकीयों से पुरी तरह से अनजान रहा....
विश्वा - यह भारतीय संविधान व कानून व्यवस्था है.... जिसके छेद में चूहा भले ही ना निकल पाए मगर हाती जरूर निकल जाता है....
खान - तुम्हें कानून की डिग्री हासिल किया कौनसे छेद की तलाश में ... और तुम कौन हो... चूहा या हाती...
विश्वा - कानून की डिग्री इसलिए हासिल की... ताकि उन छेदों को बंद कर दूँ जिससे ना चूहे निकल सके ना हाती... और रही मेरी बात तो अब मैं शिकारी बन गया हूँ...

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होटल ब्लू इन की छत पर रॉकी खुशी से चिल्ला रहा है,उछल रहा है, नाच रहा है, कूद रहा है, गाना गा रहा है l
उसके सारे दोस्त उसे देख रहे हैं l
रॉकी - आ.. ह.... हा हा हा... हो हो हो ओ...
राजू - बस रॉकी बस...
रवि - अरे यार इसे पकड़ लो.... इसकी खुशी बेकाबू हो गई है... पागल हो गया है...
सुशील और आशीष रॉकी को पकड़ लेते हैं l उसे पकड़ कर बिठा देते हैं l
राजू - अबे तुझे क्या हो गया है.... यार खुद को सम्भाल... क्यूँ हमे डरा रहा है...
रॉकी - ऑए राजू... प्यार तुम करियो... मत डरियो... यह प्यार बड़ा मजा देता है...
रवि - ऑए पागल... होश में आ... एक तो बुलाया है और हमे डरा भी रहा है...
आशीष - हाँ यार... प्लान के मुताबिक... हमे तो कल इकट्ठे होना चाहिए था... अचानक एक दिन पहले क्यूँ...
रॉकी - ऑए.. मित्रों.. कमीनों... आज मुझे उड़ना है... यारों मैं आज बहुत खुश हूँ...
रॉकी रवि को खिंच कर उसके गाल पर एक लंबा चुम्मा लेता है l रवि उससे छूटने की कोशिश करता है l
रवि - अबे छोड़.. छी.. छी.. छोड़ मुझे...
सुशील - अबे सब धीरे से खिसक लो... साला पागल हो गया है...
रवि - चिल्लाता है... बचाओ...
रॉकी उसे छोड़ देता है l
रॉकी - चील यारों चील...
मेरे दिल, जिगर, फेफड़ों के टुकड़ों तुम जियो हज़ारों साल यह दुआ है मेरी...
रवि - ऑए... बता ना फिर क्या हुआ....
रॉकी - जैसा कि पहले प्लान सेट था... मैंने अपना काम कर दिआ था... तुम लोगों जो भविष्य वाणी की थी वह सच हो गया था...
अरे यार... मेरे हीरो गिरी के चर्चे घर तक पहुंच गया था... कल ही प्रिन्सिपल बुढ़ोउ ने पापा को फोन पर बता दिआ था... और जैसे कि प्लान के मुताबिक.. मैं हेयर कट कर घर पहुंचा..... पहले तो गालियों की बौछार हुई... फिर टिपीकल इंडियन मॉम की एंट्री.... थोड़े आँसू.. थोड़े रोने के बाद.... पापा ने मुझे शाबासी दी...... फिर पापा बोले कि कल यानी आज कॉलेज में पहले प्रिन्सिपल से मिल लूँ...
मैं आज सुबह तैयार हो कर प्रिन्सिपल के ऑफिस गया था... ऑए होय.... क्या बताऊँ मित्रों.... प्रिन्सिपल ने मेरी इतनी तारीफ की... मुझे बहुत शर्म आने लगी.... खैर... फिर प्रिन्सिपल ने कहा कि उन्हें मालूम है कि उनके मना करने के बावजूद वह अग्नि कांड का विडिओ वायरल हो चुका है.... वेल कॉलेज के रेपुटेशन पर कोई आंच तो नहीं आई.... पर तरह तरह की गॉसिपींग हो रही है.... क्यूंकि तुम आज के जेनरेशन के हो तो कुछ ऐसा करो की लोग वह गॉसिपींग को भूल जाएं.... मैंने भी जोश में आकर कहा ठीक है सर मनडे को मैं आपके सामने एक प्लान ले कर आऊंगा... अगर आपको पसंद आए तो उस पर हम आगे बढ़ेंगे.... इतना सुन कर बुड्ढा बहुत खुश हुआ और मुझे बेस्ट ऑफ लक बोल कर मुझे जाने को कहा.... मैं भी अपनी खुशी को दबाये बाहर आया.... ऑए यारों अब मैं क्या कहूँ.... प्रिन्सिपल ऑफिस के बाहर ही छटी गैंग मेरा इंतजार कर रही थी.... मुझे देखते ही सब मेरे पास आए और मुझे सबने थैंक्स कहा... फिर सबने मुझसे हाथ भी मिलाया.... और जाने जिगर के छल्लो मुझसे नंदिनी भी हाथ मिलाई.... आह.... यारों मैं तब से सिर्फ उड़ ही रहा हूँ....
राजू - चल अब तक सब सही गया है... अच्छा रवि तूने मनोज को पैसे दे दिए...
रवि - हाँ उसे पांच लाख रुपये दे दिए......
सुशील - ह्म्म्म्म तो.. रॉकी साहब.... अब आप प्रिन्सिपल को कौनसी टोपी पहनाने वाले हो...
रॉकी - यह मुझे क्या पता.... यारों तुम लोगों को बुलाया भी इसीलिए है...
सब - क्या..... क्या मतलब है तेरा....
रॉकी - देखो पहला स्टेप था उनके ग्रुप में किसीको सेट करना सो हो गया.... दूसरा स्टेप था उनके नजर में आना... वह भी इम्प्रेशन के साथ... वह भी हो गया....
आरे मित्रों, बंधुओं अब प्रिन्सिपल ने हमे मौका दे रहा है.... इस मौके को भुनाना है... हम कुछ ऐसा करते हैं कि हमारे इस प्रोग्राम में वह छटी गैंग भी सामिल हो जाए...
आशीष - अबे ऑए येड़े.... यह मन ही मन पेड़े खाना छोड़... साले इतने में ही हमारे ब्लड प्रेशर इधर की उधर हो गई...
राजू - और नहीं तो क्या.... तुझे इतनी जल्दी किस बात की है.... अबे हम पहले भी बता चुके हैं.... रेस में तू अकेला है...
रवि - भई... अब मेरा दिमाग शुन्य हो चुका है.... मुझे माफ करो....
रॉकी - क्या यार... अब मौका खुद किस्मत दे रहा है... और तुम लोग कुछ कर नहीं रहे हो...
आशीष - वैसे मेरे पास एक प्लान तो है....
सब - क्या...
आशीष - हाँ... है तो.. पर पता नहीं... प्रिन्सिपल को पसंद आएगा या नहीं....
रॉकी - तो बोल ना... अगर हम सबको पसंद आ गया.. तो प्रिन्सिपल तक पहुंचा देंगे...
आशीष - देख... मेरा चचेरा भाई है... जो एफएम 97 में रेडियो जॉकी है...
रवि - हाँ तो...
आशीष - देखो अब मेरी प्लान ध्यान से सुनो.... मेरा कजीन सुरेश नाम है उसका.... वह एक थ्रिलींग मोमेंट को सब के पास पहुंचाना चाहता है... मतलब एफ एम स्टूडियो को बाहर लोगों के बीच लाना चाहता है पब्लिक में से किसी एक को रैंडमली सिलेक्टेड कोई सब्जेक्ट चुन कर एक दिन की मोहलत देते हैं प्रेजेंटेशन के लिए.... तो क्यूँ ना हम अगले हफ्ते उसे बुलाए..... ऐसा किसी भी कॉलेज में नहीं हुआ है.... हमारी कॉलेज में पहली बार होगा.. तो यह भी टॉक ऑफ द यूथ होगा....
रॉकी - वाह क्या बात है... सालों दिमाग रखे हो या सुपर कंप्युटर...
राजू - इसमें हम उन ल़डकियों को कैसे सामिल करेंगे... और किसे और कैसे मौका देंगे....
सुशील - हाँ... यह पॉइंट है...
आशीष - उन ल़डकियों को सामिल कराने का जिम्मा... रवि की गर्ल फ्रेंड की है.....
रवि - अबे... यह क्या बोल रहा है...
रॉकी - हाँ... आशीष... ठीक कह रहा है....
आशीष - तो इसबार टॉपिक कोई भी हो रेडियो एफ एम पर नंदिनी प्रेजेंटेशन देगी...
रवि - कैसे...
आशीष - सारे स्टूडेंट्स से कहा जाएगा कि वे सब अपना नाम एक चिट पर लिख कर हमें दें... हम उसकी नामकी लॉटरी निकलेंगे...क्यूंकि रूल यही है कि जिसका नाम आयेगा... वही प्रेजेंटेशन देगा... सिम्पल...
रॉकी - वाव तो इसबार.... नंदिनी का नाम आयेगा... वाह... पर अगर प्रोग्राम फ्लॉप हो गया तो...
आशीष - अगर फ्लॉप रहा तो नंदिनी का दिल टुटेगा... और उसकी टुटे हुए दिल को सहारा दे देना.... और प्रोग्राम हिट हुआ... तो चिकने.... वह तुझे फिरसे थैंक्स कहेगी और हाथ भी मिलाएगी....
रॉकी - वाव... ओ.... हो... हो
 
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पिनाक पर हुए हमले को एक दिन हो चुका है l सभी अखबार व सभी न्यूज चैनलों में इस हादसे को लेकर कॉलम लिखे गए हैं और डिबेट भी हो रहे हैं l
वीर गाड़ी चला रहा है कि उसका मोबाइल बजने लगता है l गाड़ी के डिस्प्ले में छोटे राजा जी का नाम दिखता है, वीर अपने स्टेयरिंग मैं फोन रिसीव स्विच ऑन करता है l
वीर - हैलो....
पिनाक - कहाँ हो राज कुमार जी....
वीर - जी ऑफिस जा रहा हूँ.....
पिनाक - आज शाम तक राजा साहब भुवनेश्वर पहुंच रहे हैं....
वीर - क्या.... पर क्यूँ... जो भी हुआ.... उसे युवराज जी सम्भाल लेंगे.... फिर इस बात का स्ट्रेस राजा साहब जी क्यूँ ले रहे हैं.....
पिनाक - पहले बात सुनो.... फ़िर उस पर अपना कोई मंतव्य रखो...
वीर - जी कहिए....
पिनाक - आज रात एकाम्र रिसॉर्ट का मालिकाना हक ट्रांसफ़र होगा.... KK सारे कागजात हमे सौंपेगा... इसलिए आज रात अगर तुम्हारा कोई कार्यक्रम हो तो उसे रद्द कर देना....
वीर - जी...
पिनाक - बहुत अच्छे.... (इतना कह कर पिनाक फोन काट देता है)
इतने में वीर की गाड़ी ESS दफ्तर के पार्किंग में पहुंच जाती है l वीर गाड़ी से उतर कर पास खड़े एक गार्ड को चाबी देता है l गार्ड सैल्यूट कर वीर से गाड़ी की चाबी ले लेता है l वीर जैसे ही ऑफिस की सीढ़ी चढ़ने को होता है उधर से महांती सीढ़ी उतरते हुए - गुड मॉर्निंग राजकुमार जी....
वीर - गुड मॉर्निंग महांती....
महांती - राजकुमार जी एक बात कहाना चाहूँगा.... अगर आप बुरा ना माने तो...
वीर - आप उगल ही दो... वरना तुम्हें आज बदहजमी रहेगी दिन भर...
महांती - सर कल ही छोटे राजा जी के उपर हमला हुआ है... आप को ड्राइवर के साथ-साथ सेक्यूरिटी भी ले कर चलना चाहिए....
वीर - वह जिसकी गांड में सुलेमानी कीड़ा कुलबुला रहा है... उससे डर कर मैं अपना लाइफ स्टाइल बदल दूँ.... क्यूँ भई.... उसे चूल मची है... इसलिए छोटे राजा जी के पीछे लगा है... मेरे पीछे तो नहीं है ना...
महांती - मैं वही तो समझा रहा हूँ.... उसकी दुश्मनी छोटे राजाजी से है.... और आप उनके बेटे हैं.... क्यूंकि अब वह छोटे राजा जी के सेक्यूरिटी को देख कर समझ चुका होगा... उन्हें अब छेड़ नहीं सकता है.... तो कहीं आप को वह टार्गेट ना कर दे...
वीर - थैंक्यू... महांती.... मेरे लिए इतना सोचने के लिए... पर यकीन मानों... मैं भी दिल से चाहता हूँ... की वह मेरे पीछे आए... साला लाइफ में चूल और चील तो है पर थ्रिल मिसींग है... वैसे तुम यहाँ आए किस लिए थे...
महांती - आज राजा साहब आ रहे हैं... उनके लिए सेक्योरिटी सेक्यूर करना है... इसलिए प्लान का ब्लू प्रिंट लेकर युवराज जी के पास जा रहा हूँ....
वीर - ओ...
महांती - और महीना खतम हो रहा है... सबका एटेंडेंस और ड्यूटी रोस्टर चेक करने आया था....
वीर - तो सब चेक कर लिए...
महांती - जी...
वीर - ठीक है... जाओ युवराज जी आपका इंतजार कर रहे होंगे...
महांती वहाँ से चला जाता है

वीर मन ही मन बुदबुदाता है ("साला बाहर ही खड़े खड़े पका दिआ" ) और अंदर जाता है l अंदर उसे अनु दिखती है जो किसी से हंस हंस कर बात कर रही है l वीर l अनु का हंसता हुआ चेहरा देख कर वीर के चेहरे पर अपने आप मुस्कान आ जाती है l वह अनु के तरफ बढ़ने लगता है कि उसे लगता है कि अनु किसी लड़के से बात कर रही है l वीर के चेहरे पर जो मुस्कान आई थी वह गायब हो जाता है l वीर पास आ कर देखता है के वह लड़का जिससे अनु बात कर रही है, वह ESS का ही एक गार्ड है l वीर के पास पहुंचते ही वह लड़का वीर को सैल्यूट करता है l उसकी देखा देखी अनु भी वीर को सैल्यूट करती है l
वीर - कौन हो तुम... और यहाँ क्या कर रहे हो...
लड़का - राजकुमार जी आपने मुझे पहचाना नहीं...
वीर ना मे सर हिलाता है
लड़का - राजकुमार जी मैं आपके घर गया था जॉब के लिए... और आपने मुझे एक लेटर दे कर ESS ऑफिस में जॉइन करने के लिए भेजा था...
वीर - तो तुम्हें नौकरी मिल गया है ना.. फिर प्रॉब्लम क्या है तुम्हारा... एक मिनिट तुम गदाधर नायक के बेटे हो ना...
लड़का - जी राजकुमार जी... मैं... उनका बेटा मृत्युंजय नायक...
वीर - हाँ.... और तुम्हारी माँ और बहन कैसी हैं...
मृत्युंजय - सब आपकी कृपा है... राजकुमार जी..
वीर - तुम यहाँ.... इस वक्त...
मृत्युंजय - जी.. वह... मैं... असल में अपना ड्यूटी रोस्टर थोड़ा बदलवाना चाहता था... इसलिए महांती सर से अनुरोध करने आया था... तो महांती सर ने आपसे बात करने के लिए कहा...
वीर - ह्म्म्म्म... चलो अंदर चल कर बात करते हैं....
तीनों कैबिन के अंदर आते हैं l वीर अपनी चेयर पर बैठ जाता है l दोनों खड़े रहे हैं l
वीर - हाँ... अब बोलो...
मृत्युंजय - वह राज कुमार जी.... मैं जब से नौकरी में जॉइन किया हूँ... तब से मुझे "सॉफ्ट कंप्यू सॉल्यूशन" कॉल सेंटर में नाइट् शिफ्ट की ड्यूटी दी गई है l
वीर - हाँ इसलिए ना... ताकि तुम दिन भर अपने घर पर ध्यान दे सको और अपनी पढ़ाई कर सको.... और रात में ड्यूटी कर सको....
मृत्युंजय - जी राज कुमार जी... तब चूंकि नौकरी नई नई थी इसलिए मैं सब में राजी हो गया था..
वीर - अच्छा तो अब पुराने हो गए हो...
मृत्युंजय - जी ऐसी बात नहीं है राजकुमार जी....
वीर - फिर कैसी बात है....
मृत्युंजय - रात भर ड्यूटी के बाद दिन में सो जाता हूँ... इसलिए ना तो ठीक से पढ़ाई हो पा रहा है... और ना ही घर की ध्यान...
वीर - ह्म्म्म्म तो... तुम ही बताओ... तुम्हारी ड्यूटी कब लगानी चाहिए....
मृत्युंजय - वह....
वीर - हाँ... हाँ.... बोलो...
मृत्युंजय - अगर मेरी ड्यूटी बी शिफ्ट यानी दिन के तीन बजे से ले कर रात ग्यारह बजे तक लगा देते... तो...
वीर - अच्छा जाओ... मैं देखता हूँ... क्या हो सकता है...
मृत्युंजय वीर को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है l वीर अनु को घूरता है l
अनु वीर को अपने तरफ ऐसे घूरते हुए देख कर अनु थोड़ी नर्वस हो जाती है l
अनु - क.. क्या.. ह... हुआ राज कुमार जी...

वीर - यह तुम उस मृत्युंजय को पहले से जानती हो...
अनु - नहीं... नहीं.. तो... क्यूँ... क्या हुआ...
वीर - तो फिर... तुम उसके साथ इस तरह से हंस हंस कर बात क्यूँ कर रही थी... जैसे बरसों को पहचान हो...
अनु - वह तो अभी आया... और हम दोनों आपके ही बारे में बात कर रहे थे... मुझे मेरे कम पढ़े लिखे होने के बावजूद नौकरी दी...
वीर - ह्म्म्म्म.... तो तुम... क्या चाहती हो....
अनु - म.. मे.. मैं क्या चाहती हूँ मतलब....
वीर - मुझे... उस लड़के... हाँ.. मृत्युंजय के लिए क्या करना चाहिए....
अनु - जी... बात उसके परिवार की है... वह रात भर बाहर रहता है... उसे.. अपनी माँ और बहन की चिंता होती होगी.... पर नौकरी की मजबूरी भी है.... आप दाता हैं... आपकी जो मर्जी...
वीर - तुम क्या चाहती हो...
अनु - (वीर को देखती है) आप उसके परिवार के ख़ातिर मृत्युंजय की बात रख लीजिए...
वीर - अगर मैं उसकी बात रख लूँ.... तो तुम्हें खुशी होगी...
अनु - जी...(मुस्कराते हुए)
वीर - तुम खुश किसके लिए होगी....क्या मृत्युंजय के लिए
अनु - (अपना सर ना में हिलाते हुए) इसलिए कि मैंने आपके बारे में जो भी कहा है... वह सच है... इसलिए...
वीर - चलो मैं तुम्हारा मन रख लेता हूँ....
अनु खुश हो जाती है और मुस्करा कर पूछती है - मैं कॉफी लाऊँ...
वीर हाँ में अपना सर हिलाता है l अनु चहकते हुए कॉफी लेने बाहर निकल जाती है l वीर मन ही मन सोचता है "कितनों को अपने नीचे लिटाया है...परवाह किसीकी नहीं की....तुझ में ऐसा क्या खास है.. के तेरी एक मुस्कान के लिए मैंने दगा अपनी उसूलों कर ली...
तभी वीर की मोबाइल बजने लगी l वीर मोबाइल के स्क्रीन पर युवराज देखता है l
वीर - हैलो...
विक्रम - आप कहाँ हो राजकुमार....
वीर - ऑफिस में...
विक्रम - (हैरान हो कर) ऑफिस को लेकर तुम कबसे इतने सिरीयस होने लगे...
वीर - कहीं पर तो सिरीयस होना पड़ेगा....
वैसे इस टाइम पर आपने मुझे कैसे याद किया...
विक्रम - तुमने नास्ता किए बगैर इतनी जल्दी घर से निकल गए...
वीर - हाँ मैं यहीं नास्ता कर लूँगा.... पर आपने बताया नहीं किसलिए याद किया...
विक्रम - हाँ आज राजा साहब आ रहे हैं...
वीर - हाँ मालूम है... मुझे छोटे राजा जी ने बताया है... और अभी अभी यहाँ पर महांती ने बताया... और वह शायद आप से ही मिलने गया होगा..
विक्रम - ओह अच्छा.
ठीक है... आज शाम को वक़्त पर पहुंच जाना...
वीर - जी युवराज...

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विक्रम फोन रख कर अपने कमरे से बाहर निकल कर डायनिंग हॉल में आता है l डायनिंग टेबल पर शुभ्रा और नंदिनी बैठ कर अपना नास्ता कर रहे हैं l विक्रम आ कर डायनिंग टेबल बैठ जाता है, थोड़ा खरास लेता है l शुभ्रा और नंदिनी उसे देखते हैं l
विक्रम - वो आज रात... एकाम्र रिसॉर्ट की ओनर शिप राजा साहब जी को ट्रांसफर होने वाली है... इसलिए आज वहीं पर रात पार्टी है... सहर के जानेमाने लोग आये होंगे... आप लोग चलेंगे तो अच्छा होगा....
शुभ्रा - मुझे पार्टियों में बोर लगती है... इसलिए मैं जाना नहीं चाहती... हाँ राजकुमारी जाना चाहें तो उन्हें आप ले जा सकते हैं...
विक्रम - यह आप कैसी बातेँ कर रही हैं... यह हमारे परिवार की फंक्शन है... और हम ही ना रहे वहां पर... ठीक नहीं लगेगा...
शुभ्रा - यह हम का क्या मतलब.....
विक्रम - हम मतलब हम... मतलब आप, राजकुमारी जी और मैं ...
शुभ्रा - और हम किसलिए जाएं....
विक्रम - हमारे परिवार की फंक्शन है... इसलिए...
शुभ्रा - युवराज जी... परिवार...? इस घर में चार लोग रह रहे हैं... आप, राजकुमार, राजकुमारी और मैं.... हम चारों में आपस में क्या सम्बंध है... युवराज जी...
विक्रम - यह आप कैसी बातेँ कर रहे हैं... आप इस परिवार की बहू हैं... हमारी अर्धांगिनी हैं... राजकुमारी जी और राजकुमार जी की भाभी हैं...
शुभ्रा - क्या मैं अपने देवर को कभी देवर जी बुलाया है, क्या आप अपनी बहन को बहन बुलाया है... क्या आप अपने पिता जी को पिताजी कह कर बुलाया है... क्षेत्रपाल परिवार के सभी पुरुष बाहर जिस परिचय लिए परिचित हैं... वे उसी परिचय लिए परिवार वालों के साथ रहते हैं... हम घर में हैं या बाहर हैं यह मालूम नहीं पड़ता..... यह
रिश्ते, यह नाते वास्तव में आपकी राजसी रुतबे के नीचे दब कर दम तोड़ चुकी हैं... इसलिए उन रिश्तों का हवाला मत दीजिए... क्यूंकि ऐसी खोखली रुतबों को ढ़ो कर आपके उस हाई सोसाइटी में मुझे दम घुटने लगती है.... इसलिए आप ही वह पार्टी अटेंड कीजिए... मुझे माफ करें... और आपके उस पार्टी में आने वाली बड़े घरों की औरतों... पार्टी में फैशन परेड करने आती हैं ना कि कोई पार्टी अटेंड करने.... मुझे किसीको देखने या दिखाने नहीं जाना है....
विक्रम खामोश रहता है l वह नंदिनी की तरफ देखता है l नंदिनी बेफिक्री से अपना नास्ता कर रही है l
विक्रम - राज कुमारी जी... क्या आप जाना नहीं चाहेंगी...
नंदिनी - जी नहीं.. युवराज जी...
विक्रम - क्यूँ...
नंदिनी - वह जिनके पार्टी में जाने की बात कर रहे हैं... क्या उन्होंने कोई न्योता भेजा है...
विक्रम - वह हमारे पिता राजा साहब हैं...
नंदिनी - हमारे...? वह सिर्फ हमारे नहीं... बल्कि पूरे स्टेट के राजा साहब हैं.... और जैसा कि भाभी ने कहा राजसी रुतबे, जरूरतें रिश्तों को अपने नीचे दबा कर खत्म कर चुकी हैं.... इसलिए रिश्तों की आड़ में उन राजसी ढकोसलों को ढोने की बात ना करें... वैसे भी हमारे लिए कोई नियम बदला नहीं है... ना राजगड़ में ना भुवनेश्वर में...
इतना कह कर नंदिनी वहाँ से उठ कर चली जाती है l शुभ्रा भी विक्रम को बिना देखे वहाँ से उठ कर चली जाती है l विक्रम मन मसोस कर रहा जाता है l तभी एक नौकर आकर महांती की आने की खबर करता है l विक्रम बिना खाए वहाँ से उठ कर चला जाता है l
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खान फाइलों पर झुक कर बड़े ध्यान से कुछ पढ़ कर पास रखे डायरी में नोट बना कर लिख रहा है l
"मे आई कम इन सर" सुनकर खान दरवाजे के तरफ देखता है l
खान - आओ दास आओ.. कुछ खास....
दास - जी सर... (एक लिफाफा टेबल पर रखते हुए) इसे देखिए.... शायद आपको इंट्रेस्ट हो...
खान दास को देखते हुए लिफाफा अपने हाथ में लेता है l पाने वाले के नाम "विश्व प्रताप महापात्र" और भेजने वाली संस्थान का नाम पढ़ते ही खान की आँखे बड़ी हो जाती हैं और भौवें तन जाती हैं l
खान - दास यह आदमी क्या है.... मैं जितना सोचता हूँ के इसे समझ गया... हर दूसरे पल यह आदमी उतना ही मुझे चौंका देता है....
दास - xxxxxxxx
खान बेल बजाता है l एक संत्री अंदर आ कर सलामी देता है l
खान - विश्वा को जानते हो....
संत्री - जी सर....
खान - ह्म्म्म्म मैं भी यही सोच रहा था... जाओ उसे कहो... इसके काम की एक खत मेरे पास आया है.... आकर मुझसे ले ले....
संत्री - जी सर.... (इतना कह कर वह संत्री चला जाता है)
दास - एसक्युज मी सर, आई मैं लिव नाउ...
खान - ओह येस.... एंड थैंक्यू....
दास सैल्यूट दे कर बाहर निकल जाता है l खान उस लिफ़ाफ़े को देख कर सोच में डूब जाता है l
कुछ देर बाद "क्या मैं अंदर आ सकता हूँ"
खान - हाँ विश्व प्रताप आइए.... और बिना कोई तकल्लुफ के बैठ जाईए....
विश्वा बिना कोई विरोध किए खान के सामने बैठ जाता है l
विश्वा कुछ नहीं कहता है, खान भी चुप रहता है l जब विश्वा ना खान से लिफाफा मांगता है ना कुछ बात करता है, तो खान विश्वा को देखने लगता है l विश्वा के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखता है l खान को उसकी ख़ामोशी कचोटती है, तो रह नहीं पता, इसलिए ख़ामोशी तोड़ते हुए - जानते हैं विश्व बाबु... मैंने आपको क्यूँ बुलाया है....
विश्वा - जी...
खान - क्या.... सच में...
विश्वा - आपके पास मेरा AIBE की एंट्रेस एडमिट कार्ड आया होगा...
खान - हाँ... म.. मतलब... कैसे...
विश्वा - जो भी वकालत करता है.... AIBE उसका अगला पड़ाव होता है...
खान - हाँ.... पर... तुम सजायाफ्ता हो... आई मिन.. यू आर कंवीक्टेड...
विश्वा - स्टेट बार काउंसिल के जरिए रजिस्ट्रेशन और रिकॉमेंडेशन से...
और आप ने उस एडमिट कार्ड में ऐनेक्सचर जो अटैच है उसमें टर्मस एंड कंडीशन में साफ लिखा है......शायद पढ़ा नहीं है...
खान - ओह...
विश्वा - सर अगर आप ने इसी लेटर के लिए बुलाया था तो एक फेवर कर दीजिए...
खान - हाँ... क्या...
विश्वा - इस एडमिट कार्ड को... सेनापति सर जी तक पहुंचा दीजिए... बाकी वह देख लेंगे...
खान - हाँ.. जरूर... (थोड़ा सा हंसी आ गई) मुझे पच्चीस साल से ज्यादा हो गए कानून को सेवा देते हुए.... पर कानून की इतनी बारीकीयों से पुरी तरह से अनजान रहा....
विश्वा - यह भारतीय संविधान व कानून व्यवस्था है.... जिसके छेद में चूहा भले ही ना निकल पाए मगर हाती जरूर निकल जाता है....
खान - तुम्हें कानून की डिग्री हासिल किया कौनसे छेद की तलाश में ... और तुम कौन हो... चूहा या हाती...
विश्वा - कानून की डिग्री इसलिए हासिल की... ताकि उन छेदों को बंद कर दूँ जिससे ना चूहे निकल सके ना हाती... और रही मेरी बात तो अब मैं शिकारी बन गया हूँ...

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होटल ब्लू इन की छत पर रॉकी खुशी से चिल्ला रहा है,उछल रहा है, नाच रहा है, कूद रहा है, गाना गा रहा है l
उसके सारे दोस्त उसे देख रहे हैं l
रॉकी - आ.. ह.... हा हा हा... हो हो हो ओ...
राजू - बस रॉकी बस...
रवि - अरे यार इसे पकड़ लो.... इसकी खुशी बेकाबू हो गई है... पागल हो गया है...
सुशील और आशीष रॉकी को पकड़ लेते हैं l उसे पकड़ कर बिठा देते हैं l
राजू - अबे तुझे क्या हो गया है.... यार खुद को सम्भाल... क्यूँ हमे डरा रहा है...
रॉकी - ऑए राजू... प्यार तुम करियो... मत डरियो... यह प्यार बड़ा मजा देता है...
रवि - ऑए पागल... होश में आ... एक तो बुलाया है और हमे डरा भी रहा है...
आशीष - हाँ यार... प्लान के मुताबिक... हमे तो कल इकट्ठे होना चाहिए था... अचानक एक दिन पहले क्यूँ...
रॉकी - ऑए.. मित्रों.. कमीनों... आज मुझे उड़ना है... यारों मैं आज बहुत खुश हूँ...
रॉकी रवि को खिंच कर उसके गाल पर एक लंबा चुम्मा लेता है l रवि उससे छूटने की कोशिश करता है l
रवि - अबे छोड़.. छी.. छी.. छोड़ मुझे...
सुशील - अबे सब धीरे से खिसक लो... साला पागल हो गया है...
रवि - चिल्लाता है... बचाओ...
रॉकी उसे छोड़ देता है l
रॉकी - चील यारों चील...
मेरे दिल, जिगर, फेफड़ों के टुकड़ों तुम जियो हज़ारों साल यह दुआ है मेरी...
रवि - ऑए... बता ना फिर क्या हुआ....
रॉकी - जैसा कि पहले प्लान सेट था... मैंने अपना काम कर दिआ था... तुम लोगों जो भविष्य वाणी की थी वह सच हो गया था...
अरे यार... मेरे हीरो गिरी के चर्चे घर तक पहुंच गया था... कल ही प्रिन्सिपल बुढ़ोउ ने पापा को फोन पर बता दिआ था... और जैसे कि प्लान के मुताबिक.. मैं हेयर कट कर घर पहुंचा..... पहले तो गालियों की बौछार हुई... फिर टिपीकल इंडियन मॉम की एंट्री.... थोड़े आँसू.. थोड़े रोने के बाद.... पापा ने मुझे शाबासी दी...... फिर पापा बोले कि कल यानी आज कॉलेज में पहले प्रिन्सिपल से मिल लूँ...
मैं आज सुबह तैयार हो कर प्रिन्सिपल के ऑफिस गया था... ऑए होय.... क्या बताऊँ मित्रों.... प्रिन्सिपल ने मेरी इतनी तारीफ की... मुझे बहुत शर्म आने लगी.... खैर... फिर प्रिन्सिपल ने कहा कि उन्हें मालूम है कि उनके मना करने के बावजूद वह अग्नि कांड का विडिओ वायरल हो चुका है.... वेल कॉलेज के रेपुटेशन पर कोई आंच तो नहीं आई.... पर तरह तरह की गॉसिपींग हो रही है.... क्यूंकि तुम आज के जेनरेशन के हो तो कुछ ऐसा करो की लोग वह गॉसिपींग को भूल जाएं.... मैंने भी जोश में आकर कहा ठीक है सर मनडे को मैं आपके सामने एक प्लान ले कर आऊंगा... अगर आपको पसंद आए तो उस पर हम आगे बढ़ेंगे.... इतना सुन कर बुड्ढा बहुत खुश हुआ और मुझे बेस्ट ऑफ लक बोल कर मुझे जाने को कहा.... मैं भी अपनी खुशी को दबाये बाहर आया.... ऑए यारों अब मैं क्या कहूँ.... प्रिन्सिपल ऑफिस के बाहर ही छटी गैंग मेरा इंतजार कर रही थी.... मुझे देखते ही सब मेरे पास आए और मुझे सबने थैंक्स कहा... फिर सबने मुझसे हाथ भी मिलाया.... और जाने जिगर के छल्लो मुझसे नंदिनी भी हाथ मिलाई.... आह.... यारों मैं तब से सिर्फ उड़ ही रहा हूँ....
राजू - चल अब तक सब सही गया है... अच्छा रवि तूने मनोज को पैसे दे दिए...
रवि - हाँ उसे पांच लाख रुपये दे दिए......
सुशील - ह्म्म्म्म तो.. रॉकी साहब.... अब आप प्रिन्सिपल को कौनसी टोपी पहनाने वाले हो...
रॉकी - यह मुझे क्या पता.... यारों तुम लोगों को बुलाया भी इसीलिए है...
सब - क्या..... क्या मतलब है तेरा....
रॉकी - देखो पहला स्टेप था उनके ग्रुप में किसीको सेट करना सो हो गया.... दूसरा स्टेप था उनके नजर में आना... वह भी इम्प्रेशन के साथ... वह भी हो गया....
आरे मित्रों, बंधुओं अब प्रिन्सिपल ने हमे मौका दे रहा है.... इस मौके को भुनाना है... हम कुछ ऐसा करते हैं कि हमारे इस प्रोग्राम में वह छटी गैंग भी सामिल हो जाए...
आशीष - अबे ऑए येड़े.... यह मन ही मन पेड़े खाना छोड़... साले इतने में ही हमारे ब्लड प्रेशर इधर की उधर हो गई...
राजू - और नहीं तो क्या.... तुझे इतनी जल्दी किस बात की है.... अबे हम पहले भी बता चुके हैं.... रेस में तू अकेला है...
रवि - भई... अब मेरा दिमाग शुन्य हो चुका है.... मुझे माफ करो....
रॉकी - क्या यार... अब मौका खुद किस्मत दे रहा है... और तुम लोग कुछ कर नहीं रहे हो...
आशीष - वैसे मेरे पास एक प्लान तो है....
सब - क्या...
आशीष - हाँ... है तो.. पर पता नहीं... प्रिन्सिपल को पसंद आएगा या नहीं....
रॉकी - तो बोल ना... अगर हम सबको पसंद आ गया.. तो प्रिन्सिपल तक पहुंचा देंगे...
आशीष - देख... मेरा चचेरा भाई है... जो एफएम 97 में रेडियो जॉकी है...
रवि - हाँ तो...
आशीष - देखो अब मेरी प्लान ध्यान से सुनो.... मेरा कजीन सुरेश नाम है उसका.... वह एक थ्रिलींग मोमेंट को सब के पास पहुंचाना चाहता है... मतलब एफ एम स्टूडियो को बाहर लोगों के बीच लाना चाहता है पब्लिक में से किसी एक को रैंडमली सिलेक्टेड कोई सब्जेक्ट चुन कर एक दिन की मोहलत देते हैं प्रेजेंटेशन के लिए.... तो क्यूँ ना हम अगले हफ्ते उसे बुलाए..... ऐसा किसी भी कॉलेज में नहीं हुआ है.... हमारी कॉलेज में पहली बार होगा.. तो यह भी टॉक ऑफ द यूथ होगा....
रॉकी - वाह क्या बात है... सालों दिमाग रखे हो या सुपर कंप्युटर...
राजू - इसमें हम उन ल़डकियों को कैसे सामिल करेंगे... और किसे और कैसे मौका देंगे....
सुशील - हाँ... यह पॉइंट है...
आशीष - उन ल़डकियों को सामिल कराने का जिम्मा... रवि की गर्ल फ्रेंड की है.....
रवि - अबे... यह क्या बोल रहा है...
रॉकी - हाँ... आशीष... ठीक कह रहा है....
आशीष - तो इसबार टॉपिक कोई भी हो रेडियो एफ एम पर नंदिनी प्रेजेंटेशन देगी...
रवि - कैसे...
आशीष - सारे स्टूडेंट्स से कहा जाएगा कि वे सब अपना नाम एक चिट पर लिख कर हमें दें... हम उसकी नामकी लॉटरी निकलेंगे...क्यूंकि रूल यही है कि जिसका नाम आयेगा... वही प्रेजेंटेशन देगा... सिम्पल...
रॉकी - वाव तो इसबार.... नंदिनी का नाम आयेगा... वाह... पर अगर प्रोग्राम फ्लॉप हो गया तो...
आशीष - अगर फ्लॉप रहा तो नंदिनी का दिल टुटेगा... और उसकी टुटे हुए दिल को सहारा दे देना.... और प्रोग्राम हिट हुआ... तो चिकने.... वह तुझे फिरसे थैंक्स कहेगी और हाथ भी मिलाएगी....
रॉकी - वाव... ओ.... हो... हो
Nice and excellent update...
 

Jaguaar

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👉चौदहवां अपडेट
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पिनाक पर हुए हमले को एक दिन हो चुका है l सभी अखबार व सभी न्यूज चैनलों में इस हादसे को लेकर कॉलम लिखे गए हैं और डिबेट भी हो रहे हैं l
वीर गाड़ी चला रहा है कि उसका मोबाइल बजने लगता है l गाड़ी के डिस्प्ले में छोटे राजा जी का नाम दिखता है, वीर अपने स्टेयरिंग मैं फोन रिसीव स्विच ऑन करता है l
वीर - हैलो....
पिनाक - कहाँ हो राज कुमार जी....
वीर - जी ऑफिस जा रहा हूँ.....
पिनाक - आज शाम तक राजा साहब भुवनेश्वर पहुंच रहे हैं....
वीर - क्या.... पर क्यूँ... जो भी हुआ.... उसे युवराज जी सम्भाल लेंगे.... फिर इस बात का स्ट्रेस राजा साहब जी क्यूँ ले रहे हैं.....
पिनाक - पहले बात सुनो.... फ़िर उस पर अपना कोई मंतव्य रखो...
वीर - जी कहिए....
पिनाक - आज रात एकाम्र रिसॉर्ट का मालिकाना हक ट्रांसफ़र होगा.... KK सारे कागजात हमे सौंपेगा... इसलिए आज रात अगर तुम्हारा कोई कार्यक्रम हो तो उसे रद्द कर देना....
वीर - जी...
पिनाक - बहुत अच्छे.... (इतना कह कर पिनाक फोन काट देता है)
इतने में वीर की गाड़ी ESS दफ्तर के पार्किंग में पहुंच जाती है l वीर गाड़ी से उतर कर पास खड़े एक गार्ड को चाबी देता है l गार्ड सैल्यूट कर वीर से गाड़ी की चाबी ले लेता है l वीर जैसे ही ऑफिस की सीढ़ी चढ़ने को होता है उधर से महांती सीढ़ी उतरते हुए - गुड मॉर्निंग राजकुमार जी....
वीर - गुड मॉर्निंग महांती....
महांती - राजकुमार जी एक बात कहाना चाहूँगा.... अगर आप बुरा ना माने तो...
वीर - आप उगल ही दो... वरना तुम्हें आज बदहजमी रहेगी दिन भर...
महांती - सर कल ही छोटे राजा जी के उपर हमला हुआ है... आप को ड्राइवर के साथ-साथ सेक्यूरिटी भी ले कर चलना चाहिए....
वीर - वह जिसकी गांड में सुलेमानी कीड़ा कुलबुला रहा है... उससे डर कर मैं अपना लाइफ स्टाइल बदल दूँ.... क्यूँ भई.... उसे चूल मची है... इसलिए छोटे राजा जी के पीछे लगा है... मेरे पीछे तो नहीं है ना...
महांती - मैं वही तो समझा रहा हूँ.... उसकी दुश्मनी छोटे राजाजी से है.... और आप उनके बेटे हैं.... क्यूंकि अब वह छोटे राजा जी के सेक्यूरिटी को देख कर समझ चुका होगा... उन्हें अब छेड़ नहीं सकता है.... तो कहीं आप को वह टार्गेट ना कर दे...
वीर - थैंक्यू... महांती.... मेरे लिए इतना सोचने के लिए... पर यकीन मानों... मैं भी दिल से चाहता हूँ... की वह मेरे पीछे आए... साला लाइफ में चूल और चील तो है पर थ्रिल मिसींग है... वैसे तुम यहाँ आए किस लिए थे...
महांती - आज राजा साहब आ रहे हैं... उनके लिए सेक्योरिटी सेक्यूर करना है... इसलिए प्लान का ब्लू प्रिंट लेकर युवराज जी के पास जा रहा हूँ....
वीर - ओ...
महांती - और महीना खतम हो रहा है... सबका एटेंडेंस और ड्यूटी रोस्टर चेक करने आया था....
वीर - तो सब चेक कर लिए...
महांती - जी...
वीर - ठीक है... जाओ युवराज जी आपका इंतजार कर रहे होंगे...
महांती वहाँ से चला जाता है

वीर मन ही मन बुदबुदाता है ("साला बाहर ही खड़े खड़े पका दिआ" ) और अंदर जाता है l अंदर उसे अनु दिखती है जो किसी से हंस हंस कर बात कर रही है l वीर l अनु का हंसता हुआ चेहरा देख कर वीर के चेहरे पर अपने आप मुस्कान आ जाती है l वह अनु के तरफ बढ़ने लगता है कि उसे लगता है कि अनु किसी लड़के से बात कर रही है l वीर के चेहरे पर जो मुस्कान आई थी वह गायब हो जाता है l वीर पास आ कर देखता है के वह लड़का जिससे अनु बात कर रही है, वह ESS का ही एक गार्ड है l वीर के पास पहुंचते ही वह लड़का वीर को सैल्यूट करता है l उसकी देखा देखी अनु भी वीर को सैल्यूट करती है l
वीर - कौन हो तुम... और यहाँ क्या कर रहे हो...
लड़का - राजकुमार जी आपने मुझे पहचाना नहीं...
वीर ना मे सर हिलाता है
लड़का - राजकुमार जी मैं आपके घर गया था जॉब के लिए... और आपने मुझे एक लेटर दे कर ESS ऑफिस में जॉइन करने के लिए भेजा था...
वीर - तो तुम्हें नौकरी मिल गया है ना.. फिर प्रॉब्लम क्या है तुम्हारा... एक मिनिट तुम गदाधर नायक के बेटे हो ना...
लड़का - जी राजकुमार जी... मैं... उनका बेटा मृत्युंजय नायक...
वीर - हाँ.... और तुम्हारी माँ और बहन कैसी हैं...
मृत्युंजय - सब आपकी कृपा है... राजकुमार जी..
वीर - तुम यहाँ.... इस वक्त...
मृत्युंजय - जी.. वह... मैं... असल में अपना ड्यूटी रोस्टर थोड़ा बदलवाना चाहता था... इसलिए महांती सर से अनुरोध करने आया था... तो महांती सर ने आपसे बात करने के लिए कहा...
वीर - ह्म्म्म्म... चलो अंदर चल कर बात करते हैं....
तीनों कैबिन के अंदर आते हैं l वीर अपनी चेयर पर बैठ जाता है l दोनों खड़े रहे हैं l
वीर - हाँ... अब बोलो...
मृत्युंजय - वह राज कुमार जी.... मैं जब से नौकरी में जॉइन किया हूँ... तब से मुझे "सॉफ्ट कंप्यू सॉल्यूशन" कॉल सेंटर में नाइट् शिफ्ट की ड्यूटी दी गई है l
वीर - हाँ इसलिए ना... ताकि तुम दिन भर अपने घर पर ध्यान दे सको और अपनी पढ़ाई कर सको.... और रात में ड्यूटी कर सको....
मृत्युंजय - जी राज कुमार जी... तब चूंकि नौकरी नई नई थी इसलिए मैं सब में राजी हो गया था..
वीर - अच्छा तो अब पुराने हो गए हो...
मृत्युंजय - जी ऐसी बात नहीं है राजकुमार जी....
वीर - फिर कैसी बात है....
मृत्युंजय - रात भर ड्यूटी के बाद दिन में सो जाता हूँ... इसलिए ना तो ठीक से पढ़ाई हो पा रहा है... और ना ही घर की ध्यान...
वीर - ह्म्म्म्म तो... तुम ही बताओ... तुम्हारी ड्यूटी कब लगानी चाहिए....
मृत्युंजय - वह....
वीर - हाँ... हाँ.... बोलो...
मृत्युंजय - अगर मेरी ड्यूटी बी शिफ्ट यानी दिन के तीन बजे से ले कर रात ग्यारह बजे तक लगा देते... तो...
वीर - अच्छा जाओ... मैं देखता हूँ... क्या हो सकता है...
मृत्युंजय वीर को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है l वीर अनु को घूरता है l
अनु वीर को अपने तरफ ऐसे घूरते हुए देख कर अनु थोड़ी नर्वस हो जाती है l
अनु - क.. क्या.. ह... हुआ राज कुमार जी...

वीर - यह तुम उस मृत्युंजय को पहले से जानती हो...
अनु - नहीं... नहीं.. तो... क्यूँ... क्या हुआ...
वीर - तो फिर... तुम उसके साथ इस तरह से हंस हंस कर बात क्यूँ कर रही थी... जैसे बरसों को पहचान हो...
अनु - वह तो अभी आया... और हम दोनों आपके ही बारे में बात कर रहे थे... मुझे मेरे कम पढ़े लिखे होने के बावजूद नौकरी दी...
वीर - ह्म्म्म्म.... तो तुम... क्या चाहती हो....
अनु - म.. मे.. मैं क्या चाहती हूँ मतलब....
वीर - मुझे... उस लड़के... हाँ.. मृत्युंजय के लिए क्या करना चाहिए....
अनु - जी... बात उसके परिवार की है... वह रात भर बाहर रहता है... उसे.. अपनी माँ और बहन की चिंता होती होगी.... पर नौकरी की मजबूरी भी है.... आप दाता हैं... आपकी जो मर्जी...
वीर - तुम क्या चाहती हो...
अनु - (वीर को देखती है) आप उसके परिवार के ख़ातिर मृत्युंजय की बात रख लीजिए...
वीर - अगर मैं उसकी बात रख लूँ.... तो तुम्हें खुशी होगी...
अनु - जी...(मुस्कराते हुए)
वीर - तुम खुश किसके लिए होगी....क्या मृत्युंजय के लिए
अनु - (अपना सर ना में हिलाते हुए) इसलिए कि मैंने आपके बारे में जो भी कहा है... वह सच है... इसलिए...
वीर - चलो मैं तुम्हारा मन रख लेता हूँ....
अनु खुश हो जाती है और मुस्करा कर पूछती है - मैं कॉफी लाऊँ...
वीर हाँ में अपना सर हिलाता है l अनु चहकते हुए कॉफी लेने बाहर निकल जाती है l वीर मन ही मन सोचता है "कितनों को अपने नीचे लिटाया है...परवाह किसीकी नहीं की....तुझ में ऐसा क्या खास है.. के तेरी एक मुस्कान के लिए मैंने दगा अपनी उसूलों कर ली...
तभी वीर की मोबाइल बजने लगी l वीर मोबाइल के स्क्रीन पर युवराज देखता है l
वीर - हैलो...
विक्रम - आप कहाँ हो राजकुमार....
वीर - ऑफिस में...
विक्रम - (हैरान हो कर) ऑफिस को लेकर तुम कबसे इतने सिरीयस होने लगे...
वीर - कहीं पर तो सिरीयस होना पड़ेगा....
वैसे इस टाइम पर आपने मुझे कैसे याद किया...
विक्रम - तुमने नास्ता किए बगैर इतनी जल्दी घर से निकल गए...
वीर - हाँ मैं यहीं नास्ता कर लूँगा.... पर आपने बताया नहीं किसलिए याद किया...
विक्रम - हाँ आज राजा साहब आ रहे हैं...
वीर - हाँ मालूम है... मुझे छोटे राजा जी ने बताया है... और अभी अभी यहाँ पर महांती ने बताया... और वह शायद आप से ही मिलने गया होगा..
विक्रम - ओह अच्छा.
ठीक है... आज शाम को वक़्त पर पहुंच जाना...
वीर - जी युवराज...

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विक्रम फोन रख कर अपने कमरे से बाहर निकल कर डायनिंग हॉल में आता है l डायनिंग टेबल पर शुभ्रा और नंदिनी बैठ कर अपना नास्ता कर रहे हैं l विक्रम आ कर डायनिंग टेबल बैठ जाता है, थोड़ा खरास लेता है l शुभ्रा और नंदिनी उसे देखते हैं l
विक्रम - वो आज रात... एकाम्र रिसॉर्ट की ओनर शिप राजा साहब जी को ट्रांसफर होने वाली है... इसलिए आज वहीं पर रात पार्टी है... सहर के जानेमाने लोग आये होंगे... आप लोग चलेंगे तो अच्छा होगा....
शुभ्रा - मुझे पार्टियों में बोर लगती है... इसलिए मैं जाना नहीं चाहती... हाँ राजकुमारी जाना चाहें तो उन्हें आप ले जा सकते हैं...
विक्रम - यह आप कैसी बातेँ कर रही हैं... यह हमारे परिवार की फंक्शन है... और हम ही ना रहे वहां पर... ठीक नहीं लगेगा...
शुभ्रा - यह हम का क्या मतलब.....
विक्रम - हम मतलब हम... मतलब आप, राजकुमारी जी और मैं ...
शुभ्रा - और हम किसलिए जाएं....
विक्रम - हमारे परिवार की फंक्शन है... इसलिए...
शुभ्रा - युवराज जी... परिवार...? इस घर में चार लोग रह रहे हैं... आप, राजकुमार, राजकुमारी और मैं.... हम चारों में आपस में क्या सम्बंध है... युवराज जी...
विक्रम - यह आप कैसी बातेँ कर रहे हैं... आप इस परिवार की बहू हैं... हमारी अर्धांगिनी हैं... राजकुमारी जी और राजकुमार जी की भाभी हैं...
शुभ्रा - क्या मैं अपने देवर को कभी देवर जी बुलाया है, क्या आप अपनी बहन को बहन बुलाया है... क्या आप अपने पिता जी को पिताजी कह कर बुलाया है... क्षेत्रपाल परिवार के सभी पुरुष बाहर जिस परिचय लिए परिचित हैं... वे उसी परिचय लिए परिवार वालों के साथ रहते हैं... हम घर में हैं या बाहर हैं यह मालूम नहीं पड़ता..... यह
रिश्ते, यह नाते वास्तव में आपकी राजसी रुतबे के नीचे दब कर दम तोड़ चुकी हैं... इसलिए उन रिश्तों का हवाला मत दीजिए... क्यूंकि ऐसी खोखली रुतबों को ढ़ो कर आपके उस हाई सोसाइटी में मुझे दम घुटने लगती है.... इसलिए आप ही वह पार्टी अटेंड कीजिए... मुझे माफ करें... और आपके उस पार्टी में आने वाली बड़े घरों की औरतों... पार्टी में फैशन परेड करने आती हैं ना कि कोई पार्टी अटेंड करने.... मुझे किसीको देखने या दिखाने नहीं जाना है....
विक्रम खामोश रहता है l वह नंदिनी की तरफ देखता है l नंदिनी बेफिक्री से अपना नास्ता कर रही है l
विक्रम - राज कुमारी जी... क्या आप जाना नहीं चाहेंगी...
नंदिनी - जी नहीं.. युवराज जी...
विक्रम - क्यूँ...
नंदिनी - वह जिनके पार्टी में जाने की बात कर रहे हैं... क्या उन्होंने कोई न्योता भेजा है...
विक्रम - वह हमारे पिता राजा साहब हैं...
नंदिनी - हमारे...? वह सिर्फ हमारे नहीं... बल्कि पूरे स्टेट के राजा साहब हैं.... और जैसा कि भाभी ने कहा राजसी रुतबे, जरूरतें रिश्तों को अपने नीचे दबा कर खत्म कर चुकी हैं.... इसलिए रिश्तों की आड़ में उन राजसी ढकोसलों को ढोने की बात ना करें... वैसे भी हमारे लिए कोई नियम बदला नहीं है... ना राजगड़ में ना भुवनेश्वर में...
इतना कह कर नंदिनी वहाँ से उठ कर चली जाती है l शुभ्रा भी विक्रम को बिना देखे वहाँ से उठ कर चली जाती है l विक्रम मन मसोस कर रहा जाता है l तभी एक नौकर आकर महांती की आने की खबर करता है l विक्रम बिना खाए वहाँ से उठ कर चला जाता है l
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खान फाइलों पर झुक कर बड़े ध्यान से कुछ पढ़ कर पास रखे डायरी में नोट बना कर लिख रहा है l
"मे आई कम इन सर" सुनकर खान दरवाजे के तरफ देखता है l
खान - आओ दास आओ.. कुछ खास....
दास - जी सर... (एक लिफाफा टेबल पर रखते हुए) इसे देखिए.... शायद आपको इंट्रेस्ट हो...
खान दास को देखते हुए लिफाफा अपने हाथ में लेता है l पाने वाले के नाम "विश्व प्रताप महापात्र" और भेजने वाली संस्थान का नाम पढ़ते ही खान की आँखे बड़ी हो जाती हैं और भौवें तन जाती हैं l
खान - दास यह आदमी क्या है.... मैं जितना सोचता हूँ के इसे समझ गया... हर दूसरे पल यह आदमी उतना ही मुझे चौंका देता है....
दास - xxxxxxxx
खान बेल बजाता है l एक संत्री अंदर आ कर सलामी देता है l
खान - विश्वा को जानते हो....
संत्री - जी सर....
खान - ह्म्म्म्म मैं भी यही सोच रहा था... जाओ उसे कहो... इसके काम की एक खत मेरे पास आया है.... आकर मुझसे ले ले....
संत्री - जी सर.... (इतना कह कर वह संत्री चला जाता है)
दास - एसक्युज मी सर, आई मैं लिव नाउ...
खान - ओह येस.... एंड थैंक्यू....
दास सैल्यूट दे कर बाहर निकल जाता है l खान उस लिफ़ाफ़े को देख कर सोच में डूब जाता है l
कुछ देर बाद "क्या मैं अंदर आ सकता हूँ"
खान - हाँ विश्व प्रताप आइए.... और बिना कोई तकल्लुफ के बैठ जाईए....
विश्वा बिना कोई विरोध किए खान के सामने बैठ जाता है l
विश्वा कुछ नहीं कहता है, खान भी चुप रहता है l जब विश्वा ना खान से लिफाफा मांगता है ना कुछ बात करता है, तो खान विश्वा को देखने लगता है l विश्वा के चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखता है l खान को उसकी ख़ामोशी कचोटती है, तो रह नहीं पता, इसलिए ख़ामोशी तोड़ते हुए - जानते हैं विश्व बाबु... मैंने आपको क्यूँ बुलाया है....
विश्वा - जी...
खान - क्या.... सच में...
विश्वा - आपके पास मेरा AIBE की एंट्रेस एडमिट कार्ड आया होगा...
खान - हाँ... म.. मतलब... कैसे...
विश्वा - जो भी वकालत करता है.... AIBE उसका अगला पड़ाव होता है...
खान - हाँ.... पर... तुम सजायाफ्ता हो... आई मिन.. यू आर कंवीक्टेड...
विश्वा - स्टेट बार काउंसिल के जरिए रजिस्ट्रेशन और रिकॉमेंडेशन से...
और आप ने उस एडमिट कार्ड में ऐनेक्सचर जो अटैच है उसमें टर्मस एंड कंडीशन में साफ लिखा है......शायद पढ़ा नहीं है...
खान - ओह...
विश्वा - सर अगर आप ने इसी लेटर के लिए बुलाया था तो एक फेवर कर दीजिए...
खान - हाँ... क्या...
विश्वा - इस एडमिट कार्ड को... सेनापति सर जी तक पहुंचा दीजिए... बाकी वह देख लेंगे...
खान - हाँ.. जरूर... (थोड़ा सा हंसी आ गई) मुझे पच्चीस साल से ज्यादा हो गए कानून को सेवा देते हुए.... पर कानून की इतनी बारीकीयों से पुरी तरह से अनजान रहा....
विश्वा - यह भारतीय संविधान व कानून व्यवस्था है.... जिसके छेद में चूहा भले ही ना निकल पाए मगर हाती जरूर निकल जाता है....
खान - तुम्हें कानून की डिग्री हासिल किया कौनसे छेद की तलाश में ... और तुम कौन हो... चूहा या हाती...
विश्वा - कानून की डिग्री इसलिए हासिल की... ताकि उन छेदों को बंद कर दूँ जिससे ना चूहे निकल सके ना हाती... और रही मेरी बात तो अब मैं शिकारी बन गया हूँ...

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होटल ब्लू इन की छत पर रॉकी खुशी से चिल्ला रहा है,उछल रहा है, नाच रहा है, कूद रहा है, गाना गा रहा है l
उसके सारे दोस्त उसे देख रहे हैं l
रॉकी - आ.. ह.... हा हा हा... हो हो हो ओ...
राजू - बस रॉकी बस...
रवि - अरे यार इसे पकड़ लो.... इसकी खुशी बेकाबू हो गई है... पागल हो गया है...
सुशील और आशीष रॉकी को पकड़ लेते हैं l उसे पकड़ कर बिठा देते हैं l
राजू - अबे तुझे क्या हो गया है.... यार खुद को सम्भाल... क्यूँ हमे डरा रहा है...
रॉकी - ऑए राजू... प्यार तुम करियो... मत डरियो... यह प्यार बड़ा मजा देता है...
रवि - ऑए पागल... होश में आ... एक तो बुलाया है और हमे डरा भी रहा है...
आशीष - हाँ यार... प्लान के मुताबिक... हमे तो कल इकट्ठे होना चाहिए था... अचानक एक दिन पहले क्यूँ...
रॉकी - ऑए.. मित्रों.. कमीनों... आज मुझे उड़ना है... यारों मैं आज बहुत खुश हूँ...
रॉकी रवि को खिंच कर उसके गाल पर एक लंबा चुम्मा लेता है l रवि उससे छूटने की कोशिश करता है l
रवि - अबे छोड़.. छी.. छी.. छोड़ मुझे...
सुशील - अबे सब धीरे से खिसक लो... साला पागल हो गया है...
रवि - चिल्लाता है... बचाओ...
रॉकी उसे छोड़ देता है l
रॉकी - चील यारों चील...
मेरे दिल, जिगर, फेफड़ों के टुकड़ों तुम जियो हज़ारों साल यह दुआ है मेरी...
रवि - ऑए... बता ना फिर क्या हुआ....
रॉकी - जैसा कि पहले प्लान सेट था... मैंने अपना काम कर दिआ था... तुम लोगों जो भविष्य वाणी की थी वह सच हो गया था...
अरे यार... मेरे हीरो गिरी के चर्चे घर तक पहुंच गया था... कल ही प्रिन्सिपल बुढ़ोउ ने पापा को फोन पर बता दिआ था... और जैसे कि प्लान के मुताबिक.. मैं हेयर कट कर घर पहुंचा..... पहले तो गालियों की बौछार हुई... फिर टिपीकल इंडियन मॉम की एंट्री.... थोड़े आँसू.. थोड़े रोने के बाद.... पापा ने मुझे शाबासी दी...... फिर पापा बोले कि कल यानी आज कॉलेज में पहले प्रिन्सिपल से मिल लूँ...
मैं आज सुबह तैयार हो कर प्रिन्सिपल के ऑफिस गया था... ऑए होय.... क्या बताऊँ मित्रों.... प्रिन्सिपल ने मेरी इतनी तारीफ की... मुझे बहुत शर्म आने लगी.... खैर... फिर प्रिन्सिपल ने कहा कि उन्हें मालूम है कि उनके मना करने के बावजूद वह अग्नि कांड का विडिओ वायरल हो चुका है.... वेल कॉलेज के रेपुटेशन पर कोई आंच तो नहीं आई.... पर तरह तरह की गॉसिपींग हो रही है.... क्यूंकि तुम आज के जेनरेशन के हो तो कुछ ऐसा करो की लोग वह गॉसिपींग को भूल जाएं.... मैंने भी जोश में आकर कहा ठीक है सर मनडे को मैं आपके सामने एक प्लान ले कर आऊंगा... अगर आपको पसंद आए तो उस पर हम आगे बढ़ेंगे.... इतना सुन कर बुड्ढा बहुत खुश हुआ और मुझे बेस्ट ऑफ लक बोल कर मुझे जाने को कहा.... मैं भी अपनी खुशी को दबाये बाहर आया.... ऑए यारों अब मैं क्या कहूँ.... प्रिन्सिपल ऑफिस के बाहर ही छटी गैंग मेरा इंतजार कर रही थी.... मुझे देखते ही सब मेरे पास आए और मुझे सबने थैंक्स कहा... फिर सबने मुझसे हाथ भी मिलाया.... और जाने जिगर के छल्लो मुझसे नंदिनी भी हाथ मिलाई.... आह.... यारों मैं तब से सिर्फ उड़ ही रहा हूँ....
राजू - चल अब तक सब सही गया है... अच्छा रवि तूने मनोज को पैसे दे दिए...
रवि - हाँ उसे पांच लाख रुपये दे दिए......
सुशील - ह्म्म्म्म तो.. रॉकी साहब.... अब आप प्रिन्सिपल को कौनसी टोपी पहनाने वाले हो...
रॉकी - यह मुझे क्या पता.... यारों तुम लोगों को बुलाया भी इसीलिए है...
सब - क्या..... क्या मतलब है तेरा....
रॉकी - देखो पहला स्टेप था उनके ग्रुप में किसीको सेट करना सो हो गया.... दूसरा स्टेप था उनके नजर में आना... वह भी इम्प्रेशन के साथ... वह भी हो गया....
आरे मित्रों, बंधुओं अब प्रिन्सिपल ने हमे मौका दे रहा है.... इस मौके को भुनाना है... हम कुछ ऐसा करते हैं कि हमारे इस प्रोग्राम में वह छटी गैंग भी सामिल हो जाए...
आशीष - अबे ऑए येड़े.... यह मन ही मन पेड़े खाना छोड़... साले इतने में ही हमारे ब्लड प्रेशर इधर की उधर हो गई...
राजू - और नहीं तो क्या.... तुझे इतनी जल्दी किस बात की है.... अबे हम पहले भी बता चुके हैं.... रेस में तू अकेला है...
रवि - भई... अब मेरा दिमाग शुन्य हो चुका है.... मुझे माफ करो....
रॉकी - क्या यार... अब मौका खुद किस्मत दे रहा है... और तुम लोग कुछ कर नहीं रहे हो...
आशीष - वैसे मेरे पास एक प्लान तो है....
सब - क्या...
आशीष - हाँ... है तो.. पर पता नहीं... प्रिन्सिपल को पसंद आएगा या नहीं....
रॉकी - तो बोल ना... अगर हम सबको पसंद आ गया.. तो प्रिन्सिपल तक पहुंचा देंगे...
आशीष - देख... मेरा चचेरा भाई है... जो एफएम 97 में रेडियो जॉकी है...
रवि - हाँ तो...
आशीष - देखो अब मेरी प्लान ध्यान से सुनो.... मेरा कजीन सुरेश नाम है उसका.... वह एक थ्रिलींग मोमेंट को सब के पास पहुंचाना चाहता है... मतलब एफ एम स्टूडियो को बाहर लोगों के बीच लाना चाहता है पब्लिक में से किसी एक को रैंडमली सिलेक्टेड कोई सब्जेक्ट चुन कर एक दिन की मोहलत देते हैं प्रेजेंटेशन के लिए.... तो क्यूँ ना हम अगले हफ्ते उसे बुलाए..... ऐसा किसी भी कॉलेज में नहीं हुआ है.... हमारी कॉलेज में पहली बार होगा.. तो यह भी टॉक ऑफ द यूथ होगा....
रॉकी - वाह क्या बात है... सालों दिमाग रखे हो या सुपर कंप्युटर...
राजू - इसमें हम उन ल़डकियों को कैसे सामिल करेंगे... और किसे और कैसे मौका देंगे....
सुशील - हाँ... यह पॉइंट है...
आशीष - उन ल़डकियों को सामिल कराने का जिम्मा... रवि की गर्ल फ्रेंड की है.....
रवि - अबे... यह क्या बोल रहा है...
रॉकी - हाँ... आशीष... ठीक कह रहा है....
आशीष - तो इसबार टॉपिक कोई भी हो रेडियो एफ एम पर नंदिनी प्रेजेंटेशन देगी...
रवि - कैसे...
आशीष - सारे स्टूडेंट्स से कहा जाएगा कि वे सब अपना नाम एक चिट पर लिख कर हमें दें... हम उसकी नामकी लॉटरी निकलेंगे...क्यूंकि रूल यही है कि जिसका नाम आयेगा... वही प्रेजेंटेशन देगा... सिम्पल...
रॉकी - वाव तो इसबार.... नंदिनी का नाम आयेगा... वाह... पर अगर प्रोग्राम फ्लॉप हो गया तो...
आशीष - अगर फ्लॉप रहा तो नंदिनी का दिल टुटेगा... और उसकी टुटे हुए दिल को सहारा दे देना.... और प्रोग्राम हिट हुआ... तो चिकने.... वह तुझे फिरसे थैंक्स कहेगी और हाथ भी मिलाएगी....
रॉकी - वाव... ओ.... हो... हो
Jabardast update bhaii maza aagaya padh ke
 
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बंधू , आप ने सच में ही कहानी में चार चांद लगा दिए हैं । एक तरफ वैदेही की मर्म स्पर्शी कथा सुनकर इमोशनल भाव ला दिया वहीं दूसरी तरफ राॅकी और उसके साथियों का नंदिनी को इम्प्रेश करने का तरीका देखकर लाजबाव कर दिया ।

सिर्फ यही नहीं राजकुमार वीर और अनु की कहानी इरोटिका का एहसास करा गई वहीं अज्ञात शख्स द्वारा पिनाक को धमकाने एवं उस पर हमले करवा कर कहानी में रोमांच ला खड़ा कर दिया । एक बढ़िया सस्पेंस क्रिएट कर दिया आपने ।

विश्व प्रताप अब बाॅर काउंसिल का मेम्बर भी बनने वाला है । इसका मतलब उसका बदला कानूनी रूप से भी अख्तियार करने वाला हो सकता है । दिमाग का इस्तेमाल कर के भैरव सिंह का किला ध्वस्त करने वाला है वो ।

सबसे बेहतर लगा मुझे कि कहानी में उपमा और रूपक अलंकार का भी प्रयोग किया गया है । शब्दावली भी निःसंदेह उच्च श्रेणी का चयन किया है आपने ।

कहानी का कथानक और जगह का चयन बिल्कुल ही ओर्जिनल लगता है । खास तौर पर जगह का । उड़िसा के जिन जिन जगहों का कहानी में उल्लेख किया गया है वो सभी जगह मेरे जाने पहचाने है ।
जैसे कि इस इलाके में जब भी साइक्लोन आता है तब उसका केंद्र बिंदु पारादीप ही अधिकतर रहता है । प्रतिभा और सेनापति जी की कहानी भी काफी दर्द भरी दास्तां थी । वैसे मुझे लगता है उनका एक बच्चा शायद जीवित है ।

प्रत्येक अपडेट नहले पर दहला थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग ।
 

Kala Nag

Mr. X
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बंधू , आप ने सच में ही कहानी में चार चांद लगा दिए हैं । एक तरफ वैदेही की मर्म स्पर्शी कथा सुनकर इमोशनल भाव ला दिया वहीं दूसरी तरफ राॅकी और उसके साथियों का नंदिनी को इम्प्रेश करने का तरीका देखकर लाजबाव कर दिया ।

सिर्फ यही नहीं राजकुमार वीर और अनु की कहानी इरोटिका का एहसास करा गई वहीं अज्ञात शख्स द्वारा पिनाक को धमकाने एवं उस पर हमले करवा कर कहानी में रोमांच ला खड़ा कर दिया । एक बढ़िया सस्पेंस क्रिएट कर दिया आपने ।

विश्व प्रताप अब बाॅर काउंसिल का मेम्बर भी बनने वाला है । इसका मतलब उसका बदला कानूनी रूप से भी अख्तियार करने वाला हो सकता है । दिमाग का इस्तेमाल कर के भैरव सिंह का किला ध्वस्त करने वाला है वो ।

सबसे बेहतर लगा मुझे कि कहानी में उपमा और रूपक अलंकार का भी प्रयोग किया गया है । शब्दावली भी निःसंदेह उच्च श्रेणी का चयन किया है आपने ।

कहानी का कथानक और जगह का चयन बिल्कुल ही ओर्जिनल लगता है । खास तौर पर जगह का । उड़िसा के जिन जिन जगहों का कहानी में उल्लेख किया गया है वो सभी जगह मेरे जाने पहचाने है ।
जैसे कि इस इलाके में जब भी साइक्लोन आता है तब उसका केंद्र बिंदु पारादीप ही अधिकतर रहता है । प्रतिभा और सेनापति जी की कहानी भी काफी दर्द भरी दास्तां थी । वैसे मुझे लगता है उनका एक बच्चा शायद जीवित है ।

प्रत्येक अपडेट नहले पर दहला थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग ।
आपका बहुत बहुत धन्यबाद
मुझे प्रतीक्षा थी किसीकी रिव्यू की
आपने मुझे गद गद करदिया है
मेरी पूरी कोशिस रहेगी भावनाओं के साथ साथ रोमांच की अनुभूति हो सभी पाठकों को
फिरसे हृदय की अंतर से बहुत बहुत धन्यबाद
 
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