सोलहवां अपडेट
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खान - क्षेत्रपाल परिवार का इतिहास, राजगड़, और विश्वा और वर्तमान... आपस में जुड़े हुए हैं...
तापस - हाँ.... और.. विश्वा.. इतिहास को एक नई दिशा देगा.... भूगोल भी बदल जाएगा....
प्रतिभा अब बैठक में आती है, एक थाली को चम्मच से बजते हुए
प्रतिभा - सॉरी फर इंट्रेपशन.... खाना तैयार है... अब जो भी कहना सुनना है... सब खाने के बाद....
खान - हाँ.. हाँ... क्यूँ नहीं....
प्रतिभा - वैसे खान भाई साहब.... आज रात का खाना खा कर ही जाइएगा....
खान - क्यूं...
प्रतिभा - क्यूंकि आप के सारे सवालों का ज़वाब मिलते मिलते रात हो जायेगी....
तापस - हाँ भाई... खाने के टेबल पर भी... बात चित हो सकती है... चलो...
प्रतिभा - नहीं बिलकुल नहीं..... खाना खाने के बाद....
तापस - जैसी आपकी आज्ञा देवी जी.....
प्रतिभा - हाँ... हो गया.... चलो यार... खाना न मिलने से अच्छा है... की पहले पेट भर लेते हैं....
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रॉकी - (फोन पर) अरे... यार... यह बीच बीच में सन डे क्यूँ आता है यार....
आशीष - (फोन पर) अबे साले रोमियो की औलाद.... तूने अपनी जिंदगी बर्बाद करने की ठानी है.... तो ठीक है.... कमीने हमे भी उसमें घसीट कर..... हमारा रात, दिन, दिमाग और टाइम भी बर्बाद कर रहा है.....
रॉकी - ऑए... मुझे रोमियो ना बुलाईयो.... अबे रोमियो तो विदेशी है.... अपन... फूल टुस देसी... समझा क्या....
आशीष - अबे मैं तो समझ गया.... पर देसी लवर ऐसा कौन है बे... जिसने इश्क़ के मैदान में झंडे गाड़े हों....
रॉकी - अबे... तू कम्बख्त है, बदबख्त है... कमीने... हर मिट्टी की अपनी प्यार कहानी होती है.... उसमें सिर्फ प्यार, प्यार और प्यार की खुशबु होती है....
आशीष - हाँ तो बोल ना... अपनी ओड़िशा के मिट्टी में कौनसी प्रेम कहानी की खुशबु तैर रही है....
रॉकी - अबे... तुम जैसों को तो गोली मार देनी चाहिए.... अपनी मिट्टी की अमर प्रेम कहानी है केदार गौरी की....
आशीष - ठीक है ठीक है... तो आशिक केदार की औलाद... आज तू मेरा दिन खराब क्यूँ कर रहा है.... अबे साले हफ्ते में एक ही तो दिन आता है... जब जितना मर्जी हम सो सकते हैं... मेरा यह दिन क्यूँ बर्बाद कर रहा है....
रॉकी - अबे... सुनना...
आशीष - नहीं.. बिल्कुल.. नहीं... मैं फोन स्विच ऑफ कर रहा हूँ... अगर कुछ काम आए तो... मेरे घर पहुंच जाईयो....
इतना कह कर आशीष अपना फोन ऑफ कर देता है, जैसे ही आशीष फोन काट देता है, रॉकी अपना मुहँ बना कर फोन रख देता है
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विक्रम तैयार हो कर डायनिंग टेबल पर आता है, देखता है कोई नहीं है वहाँ
विक्रम - (एक नौकर से) आज लंच के लिए अभी तक कोई आया क्यूँ नहीं है....
नौकर - जी युवराज जी.... मालकिन अपनी और राजकुमारी जी के लिए खाना... बेड रूम में ही मंगवा लिया है....
विक्रम - ओह.....
नौकर टेबल पर प्लेट लगाता है तो विक्रम उसे पूछता है
विक्रम - अच्छा.... वो राज कुमार जी... उन्होंने खाना खा लिया क्या...
नौकर - जी.... अभी तक वह भी नहीं आये हैं....
विक्रम - अच्छा तुम अभी प्लेट मत लगाओ.... मैं राजकुमार जी को बुला कर लता हूँ...
नौकर - जी... आप क्यूँ... तकलीफ कर रहे हैं... युवराज जी... मैं उन्हें आपका सन्देशा दे दूँगा...
विक्रम - अरे नहीं.... अपने ही घर में... अपने ही भाई को बुलाने जा रहा हूँ.... तुम रुको थोड़ी देर....
इधर शुभ्रा के कमरे में एक टेबल पर शुभ्रा और नंदिनी दोनों बैठ कर खाना खा रहे हैं
शुभ्रा - हाँ तो रूप... कहो कैसे चल रही है आपकी कॉलेज लाइफ...
नंदिनी - भाभी... आप मुझे नंदिनी बुलाने की आदत डाल लो ना....
शुभ्रा - ठीक है नंदिनी जी... कहिए... आज कल...
नंदिनी - अच्छी चल रही है... भाभी... एकदम मस्त.....
शुभ्रा - वह.... तुम्हारे कॉलेज का हीरो कैसा है....
नंदिनी - अच्छा ही होगा....
शुभ्रा - अच्छा ही होगा मतलब...
नंदिनी - क्या मतलब....
शुभ्रा - अरे आज कल तुम्हारे पीछे... मंडराता है या नहीं....
नंदिनी - भाभी... आप कहाना क्या चाहते हो...
शुभ्रा - अरे अब वह कॉलेज का हीरो है... और हमारी नंदिनी कॉलेज की सबसे खूब सूरत लड़की...
नंदिनी - भाभी... ऐसा कुछ नहीं है..... हाँ...
शुभ्रा - क्यूँ...
नंदिनी - भाभी... अब वास्तव में आयें.... मेरी शादी राजा साहब ने तय कर दिया है... इसलिए मैं अपनी आँखों में इस तरह के सपने और दिल में ख्वाहिशों को पलने नहीं दे रही....
शुभ्रा - ह्म्म्म्म....
नंदिनी - रॉकी... अच्छा लड़का है.... शायद कोई भी आम लड़की उसे पाना चाहेगी.... पर वह मेरे टाइप का नहीं है....
शुभ्रा - और तेरे टाइप का कौन है......
नंदिनी - पता नहीं क्यूंकि इस विषय में... मैं कोई आम लड़की नहीं हूँ... मैं खास हूँ....
शुभ्रा - (हंस कर) याद है... पिछले हफ्ते हम क्यूँ खास हैं... आम क्यूँ नहीं है... इस बात पर तु कितनी अपसेट थी....
नंदिनी - पर सच्चाई यही है... की मैं आम लड़की नहीं हूँ.... और मेरी शादी तय हो चुकी है....
शुभ्रा - अच्छा... फ़र्ज़ कर तुझे किसीसे प्यार हो जाए.... मतलब अगर तुझे तेरे टाइप का मिल गया तो...
नंदिनी - भाभी... ऐसा शायद... कोई है नहीं....
शुभ्रा - क्यूँ.....
नंदिनी - मुझे इम्प्रेस कर सके ऐसा मर्द कोई नहीं है...
शुभ्रा - क्यूँ.... तुझे अपनी जीवन साथी के लिए किस तरह का मर्द होना चहिये ....
नंदिनी - कोई ऐसा जो मेरे बाप राजा साहब के आँखों में... आँखे डाल कर बात कर सके... जिसके आगे मेरे बाप की अकड़ घुटने टेक् दे...
शुभ्रा - ह्म्म्म्म तब तो रॉकी ही क्या... कोई भी नहीं होगा...
नंदिनी - तभी तो मैंने कहा.... मैं ऐसी ख्वाहिशों को ना अपने दिल में पलने देती हूँ और ना ही आँखों में सपनों को इजाजत देती हूँ..
इधर वीर अपने बेड पर लेटा हुआ मोबाइल की स्क्रीन को स्क्रोल कर रहा है और चिढ़ रहा है उधर विक्रम वीर के कमरे के बाहर आकर खड़ा होता है l कुछ सोचने के बाद दरवाजे पर दस्तक देता है l अंदर से
वीर - कौन है...
विक्रम - मैं हूँ...
वीर - कौन....
विक्रम - राजकुमार जी मैं हूँ...
वीर दरवाजा खोलता है, सामने विक्रम को देख कर
वीर - अरे युवराज जी आप... यहाँ...
विक्रम - हाँ.. वो... तुम खाना खाने नीचे नहीं आए तो... बुलाने आ गया....
वीर - आप बुलाने आए हैं....
विक्रम - हाँ... क्यूँ तुम्हें अच्छा नहीं लगा....
वीर - नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है... पर.. शायद हम आज तक परिवार के हर सदस्य तक ख़बरें पहुंचाई है..... कभी ख़बर लेकर नहीं गए किसीके पास....
विक्रम - हाँ... शायद इसलिए हम एक ही छत के नीचे... एक दूसरे से अजनबी ही रहे हैं... अबतक..... क्या तुम... चलोगे डायनिंग टेबल पर मेरा साथ देने....
वीर - हाँ हाँ क्यों नहीं.....
वीर अपने कमरे से निकल कर विक्रम के साथ चल देता है l दोनों डायनिंग टेबल पर पहुंचते हैं l नौकर दोनों के लिए प्लेट लगाता है और खाना परोसता है l
विक्रम - राजकुमार लगता है... किसी बात की कोई खीज है आपके मन में....
वीर - ऐसी बात नहीं... युवराज जी.... सोच रहा था... की कल मुझे भी आपके ही तरह पी कर लुढ़क जाना चाहिए था....
विक्रम - ऐसा क्यूँ....
वीर - मुझे इतनी जल्दी उठने की आदत नहीं थी... पिछले कुछ दिनों से यह आदत पड़ गई.... कास कल शनिवार था यह याद होता.... तो मैं भी पी कर अभी तक सोया रहता...
विक्रम - जल्दी उठना अच्छी आदत है...
वीर-मेरे लिए नहीं... वक्त बर्बाद होता है... टाइम स्पेंड ही नहीं होता..
विक्रम - तो इसलिए खीज गए थे....
वीर - जी युवराज जी... फोन पर इतने नंबर हैं... पर बातेँ करने लायक कोई नहीं... सब या तो नौकर चाकर हैं या फिर हमारे मुलाजिम....
विक्रम - ठीक कहा आपने... हमारे या तो नौकर, चाकर, मुलाजिम हो सकते हैं या फिर दुश्मन... कोई दोस्त नहीं है... या फिर हमने बनाए नहीं....
इतने में एक नौकर आकर वहां खड़ा होता है,
विक्रम - क्या हुआ...
नौकर - जी महांती बाबु आए हैं... कह रहे थे.. कुछ जानकारी हाथ लगे हैं...
विक्रम - उन्हें बिठाओ खाने को पूछो और ठंडा गरम पूछो... हम पहुंच रहे हैं....
बैठक में महांती अपने हाथ में फाइल लिए बैठा हुआ है, बार बार अपनी घड़ी देख रहा है, नौकर आकर खाने पीने के लिए पूछता है तो वह मना कर देता है l नौकर के जाते ही महांती उस बड़े से बैठक में टहलता रहता है l फिर टहलते टहलते एक बड़े से तस्वीर के सामने आकर खड़ा हो जाता है l वह फोटो भैरव सिंह की एक आदमकद तस्वीर है, जिसमें भैरव सिंह एक सिंहासन पर बैठा हुआ है और उसके पैरों के नीचे एक बड़ा सा बाघ लेटा हुआ है l महांती उस तस्वीर में खोया हुआ है कि उसे उस तस्वीर में दो अक्स की छाया दिखती है l महांती मुड़ कर देखता है विक्रम और वीर दोनों आकर सोफा पर बैठ चुके हैं l
महांती - गुड आफ्टर नून युवराज जी... गुड आफ्टर नून राजकुमार जी....
विक्रम - गुड आफ्टर नून महांती.... तुमने खाने से मना कर दिया...
महांती - जी वो मैं खा कर ही निकला था....
विक्रम - ठीक है... अब बताओ.... क्या जानकारी लाए हो....
महांती विक्रम के सामने पड़ी छोटे टेबल पर अपना फाइल रखता है और उसमें से चार फोटो निकाल कर टेबल पर रख देता है l
महांती - यह वही लोग हैं... जो गुरुवार को छोटे राजा जी पर हादसे को अंजाम दिया था....
वीर तुरंत उन फोटो पर झुक जाता है और महांती से - महांती तुम्हें उनके लाशें लानी चाहिए थी... ना कि यह फोटोज..
महांती - राजकुमार जी यह लोग ट्रेस हो गए हैं... और हमारे सर्विलांस पर हैं.... हम जब चाहें इन्हें दबोच सकते हैं... पर युवराज जी ने कहा था कि पता लगा कर नजर रखने के लिए.... इसलिए... हमने उन्हें छोड़ रखा है....
विक्रम - राजकुमार जी... महांती सही कह रहा है.... जो आदमी छोटे राजा जी पर हमला करवाया है... वह इतनी आसानी से सामने नहीं आएगा.... हाँ तो महांती कैसे खोजा इन्हें तुमने और क्या पता लगाया है इनके बारे में...
महांती - युवराज... उस दिन की हादसे को देख कर... हमे इतना तो मालूम हो गया था की उन्होंने हादसे के लिए उसी जगह को पहले से ही मुकर्रर कर लीआ था..... और हमले के लिए जरूर रेकी की होगी.... इसलिए हम हमले के दिन व हमले के एक महीने पहले तक के.... उस एरिया के सारे सीसीटीवी फूटेज हासिल कर ली... वह चार सनाइपर्स हैं... प्रोफेशनल हैं... पैसा उठा कर किसी का भी गेम कर सकते हैं...
विक्रम - सबूत कुछ छोड़ा था क्या...
महांती - नहीं... उनके हिसाब से तो नहीं...
वीर - फिर... तुमने कैसे पता लगा लिया.....
महांती - क्यूँ की... हम अपने काम में प्रोफेशनल हैं...
विक्रम - शाबाश... महांती... अब बताओ कैसे पता लगाया...
महांती - चारों अपनी अपनी जगह चुन लेने के बाद... वहाँ पहुंचने के लिए कोई जोमाटो डिलिवरी बॉय, कोई इलेक्ट्रिसियन तो कोई टेलीफोन रिपैरींग वाला बन कर गए थे.... चूंकि महीने भर से किसी ना किसी रूप में जगह की रेकी कर रहे थे... इसलिए बारीकी से चेक करने पर नजर में आ गए...
वीर - महांती.... अगर वो प्रोफेशनल थे... फिर इतनी आसानी से कैसे तुम्हारे नजर में आ गए...
महांती - आसानी से कहाँ... राजकुमार जी... वे बहुत ही चालाक थे.... वह अपनी अपनी जगह के लिए दूसरों से रेकी कारवाई थी.... अगर हमने महीने भर की फुटेज चेक ना किया होता तो उनको ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल था.....
विक्रम - (ताली बजाते हुए) वाव महांती वाव... गुड जॉब...
महांती - थैंक्यू युवराज जी... अब आगे क्या करना है....
विक्रम - उन्हें हाथ मत लगाओ.... बस उनकी अगले स्टेप की इंतजार करते हैं....
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लंच खतम हो चुका है l प्रतिभा ने सारे बर्तन समेट कर किचन चली गई l अब सोफ़े पर दो मित्र आकर बैठ जाते हैं l
खान - क्षेत्रपाल परिवार का इतना क्रुर इतिहास रहा है....
तापस - अभी खतम कहाँ हुई है... इतिहास को और थोड़ा क्रूरता देखना बाकी था....
खान - क्या मतलब...
तापस - चूंकि सौरभ सिंह की हार और लंबोदर पाइकराय की जीत का उत्सव दिन में मनाया गया था... और उसकी सदमें में सौरभ सिंह दिन में आत्म हत्या की थी.... इसलिए रुद्र सिंह ने घोषणा की के राजगड़ में आम जनता कभी भी दिन में उत्सव या मातम नहीं मना पाएंगे..... उस दिन के बाद राजगड़ में आज तक शादी, जन्म दिन या शव का दाह संस्कार सब आधी रात के समय की जाती है... और बहुत ही कम लोगों की उपस्थिति में.....
खान - व्हाट...
तापस - हाँ... और एक वक़्त दहशत इतनी थी लोगों में की लड़की की माहवारी की उम्र शुरू होती थी... तब से लड़की को घर में बंद कर रख देते थे और यहाँ तक लड़की को काले रंग लगा कर छुपा कर रखते थे....
खान - इंपसिबल... ऐसा हुआ था... या तुम बढ़ा चढ़ा के पेश कर रहे हो....
तापस - मैं... तुम्हें कोई कोरी बकवास नहीं सुना रहा हूँ... आज जब हम सिक्स्थ जेनेरेशन की तकनीक से खुद को विकसित कर रहे हैं..... वहीँ हमारे देश में एक ऐसा प्रांत है... जिसे देख कर लगता है.. जैसे वह प्रांत हमारे ग्रह की है ही नहीं.....
खान - क्या कभी किसी सरकार ने सुध नहीं ली....
तापस - यहीं पर क्षेत्रपाल परिवार चालाकी कर गई.... रुद्र सिंह दूर की सोच कर... किंग् मेकर बनने का प्लान बनाया....
उसकी दहशत इस कदर लोगों के मन में घर कर गई..... के रुद्र सिंह का फरमान ही काफी होता था... किसीको वोट देने के लिए...
इस तरह सरकार व सरकारी संस्थाओं में अपनी पैठ ज़माने लगा... इस परंपरा को रुद्र सिंह के बाद नागेंद्र सिंह और नागेंद्र सिंह के बाद अब भैरव सिंह आगे बढ़ा रहा है.... वैसे नागेंद्र सिंह जिंदा है... पर पैरालाइज है....
खान - खैर... दोस्त..विश्वा की केस हिस्ट्री में.... कहीं पर भी क्षेत्रपाल परिवार का जिक्र नहीं आता....
तापस - कैसे आएगा.... जब सारे संस्थान क्षेत्रपाल के उंगलियों पर नाच रहें हो... खान... यार जरा सोचो... एक एक इक्कीस वर्ष का नौजवान.... जो सिर्फ इंटर तक पढ़ा है... वह भी अव्वल नम्बरों से और राजगड़ पंचायत का सरपंच बनता है और तो और सिर्फ़ एक ही वर्ष में इतना क़ाबिल हो जाता है कि वह दो सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर पुरे यश पुर कस्बे में खर्च होने वाले पांच साल की राशि साढ़े सात सौ करोड़ रुपए गवन कर देता है... क्या तुम इस फैब्रिकेटेड थ्योरी को मान सकते हो...
खान सोच में पड़ जाता है और चुप रहता है l
तापस - देखा... हो गए ना लाज़वाब.... सच पूछो तो मैं भी... मैं क्या प्रतिभा भी इस झूट को सच ही मान कर चले थे... पर हमारे जीवन में जो भूचाल आया... तो मैंने अपने तरफ से पर्सनल एंक्वेरी की... तब हाती का वह दांत दिखा... जिसे छुपाया गया था....
खान - हाँ... तुम्हारे... थ्योरी में दम तो है.... सच कहूँ तो... विश्वा की केस फाइल देख कर लग ही नहीं रहा था... पर अब वाकई मैं लाज़वाब हूँ....
तापस - विश्वा... क्षेत्रपाल के ट्रैप में फंस गया था.... लेकिन विश्वा अपनी पर्सनल लड़ाई के चलते भैरव सिंह से नहीं टकराया था.... वह लड़ाई भी राजगड़ के लोगों की थी... जिसमें वह अभिमन्यु बन गया...
खान - एक बात मेरे समझ में नहीं आया....
खान का इसतरह बीच में पूछे जाने पर तापस उसे सवालिया नजर से देखता है
खान - रुद्र सिंह और नागेंद्र सिंह के परंपरा को..... आगे बढ़ाते हुए अगर भैरव सिंह उसी दहशत को कायम रखा.... फिर ऐसी क्या वजह हुई कि क्षेत्रपाल परिवार को... राजनीति में सीधे आना पड़ा....
तापस - उसका सिर्फ एक ही ज़वाब है..... विश्वा....
खान - विश्वा.... कैसे...
तापस - साढ़े सात सौ करोड़ कोई मामुली रकम नहीं है.... उसे डकार ने के लिए अपना दायरा राजगड़ से बाहर राजधानी भुवनेश्वर तक लाना जरूरी था....
और विश्वा एक साधारण आदमी हो कर भी जिस तरह से भैरव सिंह को कानून की चपेट में लाने की कोशिश की.... फ्यूचर सैफटी के लिए क्षेत्रपाल परिवार को सीधे राजनीति से जुड़ना मजबूरी बन गया.....
खान - ओह.... विश्वा.. का कानून पढ़ने की वजह यह है....
तापस - हाँ भी और नहीं भी...
खान - तुम मुझे कंफ्यूज कर रहे हो.....
तापस - नहीं... जब हमारी कहानी जान जाओगे.... तब तुम्हारी सारी कंफ्यूजन दूर हो जाएगी....
खान - तो फिर बताओ... विश्वा की कहानी....
तापस - ना... विश्वा के राजगड़ वाली कहानी नहीं बता सकता... सच कहूँ तो... उसकी कहानी हमने कभी विश्वा से पूछा ही नहीं.... इसलिए मैं सिर्फ विशु का विश्वा बनना.... और कैसे विश्वा हमारे जीवन में आया,... हमसे जुड़ कर हमारा हिस्सा बन गया.... यही बता सकता हूँ...
खान - तो फिर तुम... इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँचे.... के विश्वा बेकसूर है....
तापस - तुम खुद समझ जाओगे....
अब कहानी फ्लैश बैक में जाएगी l बेशक फ्लैश बैक को प्रस्तुति तापस की है पर यह कहानीकार की नजरिए से प्रस्तुत होगा l
सात साल पहले..
तापस को भुवनेश्वर जैल की चार्ज लेते हुए दो साल हो चुके हैं l उसकी सरकारी क्वार्टर में एक दिन सुबह,
प्रतिभा एक कमरे में आती है, उस कमरे में बेड पर एक लड़का सोया हुआ है जिसे प्रतिभा हिला कर उठाने की कोशिश करती है l
प्रतिभा - उठिए डॉक्टर साहब... आज कॉलेज नहीं जाना है क्या...
लड़का - माँ.... थोड़ी देर और सोने दो ना....
प्रतिभा - क्या... अररे.. डॉक्टर साहब आप ऐसे सो जाएंगे तो आगे चलकर आपके पास कोई मरीज़ नहीं आएगा...
"प्रत्युष" बाहर एक कड़क आवाज आती है l जिसे सुनते ही वह लड़का बेड छोड़ कर सीधे अपने रूम के अटैच बाथ रूम में घुस जाता है l प्रतिभा उसकी यह हालत देख कर हंसती हुई बाहर आती है l
बाहर तापस बैठ कर अखबार पढ़ते हुए चाय की चुस्की ले रहा है l
तापस - देखा जान.... सिर्फ़ एक ही आवाज़ से बेटा एकदम फुर्तीला हो गया...
प्रतिभा - आप भी ना उसे बेवजह डराते रहते हो....
तापस - अरे कहाँ... तुम उसे दब्बू बना रही थी... मैं उसमें स्पाइडर मैन की चुस्ती भर दिया...
प्रतिभा - हाँ.. हाँ... आप सुपर मैन जो ठहरे...
तापस - क्यूँ.. झूट बोल रही हो... तुम माँ बेटे दोनों... मुझे मेरे पीठ के पीछे हिटलर कहते हो.... तुम क्या समझती हो... मुझे कुछ नहीं पता...
प्रतिभा - हाँ... तो... क्या झूट... बोलते हैं हम... जब देखो मेरे मेरे बच्चे के पीछे पड़े रहते हो.... जैल में चोर डाकू शायद आपसे संभलते नहीं... इसलिए चले हैं मेरे बेटे पर... अपना रौब झाड़ने...
तापस - हाँ... हाँ... वह तो बस आपका ही बेटा है... हमारा कुछ भी नहीं....
"गुड मॉर्निंग डैड" दोनों की बहस के बीच यह आवाज़ सुनाई देता है l
तापस - गुड मॉर्निंग बेटा... चलो मुझे जॉइन करो नाश्ते में...
प्रत्युष - जी...
प्रतिभा - अरे वाह... शुरू हो गए बाप बेटे... और मुझ दुखियारी को किनारे कर दिया...
प्रत्युष - ओह माँ... आप से ही सुबह शुभ होती है... उम्म्म्म्म (कह कर प्रतिभा के गाल को चूम लेता है)
प्रतिभा - जगन...
जगन - जी माजी...
प्रतिभा - चलो सबका प्लेट लगा दो...
जगन - जी माजी... अभी लगाता हूँ...
सभी डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं l जगन सबको नाश्ता परोस देता है l
तापस - अरे जगन... टीवी जरा लगा दो....नाश्ता करते वक्त न्यूज सुनने का मजा ही कुछ और है...
प्रतिभा - हाँ जगन लगा दे टीवी.... इनकी बड़बड़ सुनने से अच्छा है... देश दुनिया की खबर जान लेना...
जगन टीवी ऑन कर उसमें एक न्यूज चैनल लगा देता है l सुबह सुबह उस न्यूज चैनल में ब्रेकिंग न्यूज चल रही है
"आज की बड़ी खबर... राजगड़ में बहुत ही बड़ी पैसों की हेरा फेरी सामने आई है l पिछ्ले कुछ वर्षों से मनरेगा और ब्लॉक उन्नयन के लिए सरकार की ओर से नियमित दिआ जा रहा पैसों को कुछ सरकारी अधिकारियों के मिली भगत से दबा कर रखा गया था l राजगड़ के नए सरपंच श्री विश्व प्रताप महापात्र के साथ मिल कर करीब साढ़े साथ सौ करोड़ रुपये गवन कर लिए l हमारे संवाददाता के अनुसार यह भेद खुलते ही कुछ अधिकारी भाग गए हैं l पर पुलिस की सूझ बुझ से सरपंच विश्व प्रताप धर लिए गए हैं l राजगड़ के एक पुलिस अधिकारी ने हमारे संवाददाता बताया है कि श्री विश्व प्रताप अपने सहयोगियों के साथ भाग रहे थे, इसलिए मजबूरन पुलिस को गोली चलानी पड़ी l सारे सहयोगी तो भाग गए पर गोली पांव में लगने के वजह से विश्व प्रताप पुलिस के हाथ लगे l अब मुख्य मंत्री जी ने इस केस को सीधे हाई कोर्ट में चलाने का निर्देश दिया है l
हमसे जुड़े रहें, ब्रेक के बाद हम इस केस से जुड़े तथ्यों को आगे और बतायेंगे"
यह देखकर प्रत्युष - टीवी पर वह सरपंच मेरे ही उम्र का लग रहा है.. है ना माँ...
प्रतिभा - है भगवान... इतना बड़ा जुर्म वो भी इतनी छोटी उम्र में... वैसे तेरे डैड की तो लॉटरी लग गई...
तापस - क्यूँ भई... इसमें लॉटरी लगने वाली बात कहाँ से आ गई....
प्रतिभा - अरे चीफ मिनिस्टर जी कहा है कि... इस केस की सुनवाई हाई कोर्ट में हो... तो इसका मतलब तो यह हुआ ना... वह मुजरिम आपका मेहमान होगा....
तापस - अरे यार... तुम कहाँ की बाते कहाँ जोड़ रही हो... जब फील्ड में था... मुज़रिमों से मेरा कड़क व्यवहार के चलते... मुझे तीन तीन ऑफिसीयल वॉर्निंग के बाद जब मैं सुधर ना पाया..... तो जैल में पोस्टिंग कर दी... ताकि मेरी BP हमेशा अब नॉर्मल रहे...
सब जानते हैं... मुझे मुज़रिमों से कितना चिढ़ है... पर डिपार्टमेंट की नजाने मुझसे कौनसी दुश्मनी है कि मुझे सीधे जैल में पोस्टिंग कर दिए...
यह सुनते ही माँ बेटे दोनों हंस देते हैं l फिर अपना नाश्ता खतम करने के बाद,
प्रत्युष - ओके माँ.. ओके डैड... मैं कॉलेज के लिए निकालता हूँ...
प्रतिभा - रुक ना मैं उसी रास्ते से जाऊँगी... तुझे छोड़ दूंगी...
प्रत्युष - ना माँ.. आप जब भी मुझे कॉलेज में छोड़ती हो... सब मुझे ममास् बॉय कह कर चिढ़ाते हैं.... वैसे भी बड़ा हो रहा हूँ... बच्चा तो नहीं हूँ... चला जाऊँगा...
प्रतिभा - अच्छा वो चिढ़ाते हैं.... तो तुझे बुरा लगता है.... अररे मैदान ए जंग में माई का लाल को चैलेंज दिआ जाता है... समझा... और ममास् बॉय को हिंदी में क्या कहते हैं... बता जरा...
प्रत्युष - (हाथ जोड़ कर) मेरी वकील माँ... मुझसे बड़ी गलती हो गई... अब मुझे बक्स दो.. और मुझे अपने दोस्तों के साथ जाने दो ना प्लीज l
तापस - ठीक ही तो कह रहा है.... उसे अपने दोस्तों के साथ एंजॉय करने दो... जाओ... बेटे.. एंजॉय योर डे..
प्रत्युष - ओह थैंक्स डैड...
इतना कह कर प्रत्युष निकल जाता है l उसके जाते ही
प्रतिभा - ऐसे मौकों पर.. हमेशा आप उसके साथ देते हैं...
तापस - ओह कॉम ऑन... इस उम्र में... बच्चों को अपने दोस्तों का साथ बहुत अच्छा लगता है.. यू नो इट... तुमने भी तो कॉलेज लाइफ एंजॉय किया है...
प्रतिभा मुहँ फूला कर बैठ जाती है l उसका मुहँ बुलाना देख कर तापस हंस देता है
तापस हंसता देख कर प्रतिभा अपनी आँखे सिकुड़ कर गुस्से से देखती है l तापस को वहाँ से खिसकने में ही अपनी भलाई दिखी l वह धीरे से निकलने लगता है कि उसका मोबाइल बजने लगता है l
तापस - (अपना मोबाइल उठाता है, एक अंजान नंबर देखता है ) हैलो,...
फोन - सुपरिटेंडेंट सेनापति जी बोल रहे हैं...
तापस - जी... आप कौन...
फोन - मैं... इंस्पेक्टर राजगड़ से.... हम कटक के ××××× हस्पताल से बोल रहा हूँ..
तापस - कहिये... मुझे क्यूँ फोन किया...
फोन - आपके हवाले एक सरकारी मुजरिम करना है... यह प्रोटोकोल है... इसलिए आपको फोन किया है...
तापस - कहीं.. वो साढ़े सात सौ करोड़ फ्रॉड केस वाला तो नहीं...
फोन - जी... वही है..
तापस - ठीक है... मुझे पहुंचते पहुंचते दुपहर हो जाएगी....
फोन - जी ठीक है... हम इंतजार कर लेंगे.... जय हिंद..
तापस - जी बेहतर... जय हिंद....
तापस एक गहरी सांस लेकर सोफ़े पर बैठ जाता है, प्रतिभा अब तक उसे देख रही थी और फोन पर हुए तापस की बातों से उसे अंदाजा हो गया था, तापस को अब सरकारी फरमान के वजह से अब वो करना है जो तापस को बिल्कुल पसंद नहीं है l
तापस सोफ़े पर अपनी आँखे मूँद कर बैठा हुआ है, प्रतिभा उसके पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखती है l
प्रतिभा - एक काम करते हैं... हम मिलकर कटक जाते हैं... जब तक आप उसे रिसीव कर लेंगे.. मैं अपना काम निपटा लुंगी.. फ़िर हम मिलकर वापस आ जाएंगे....
तापस अपना सर हिला कर हामी भरता है, और फोन कर के ऑफिस से गाड़ी के लिए कह देता है और तैयार होने के लिए अंदर चला जाता है l
थोड़ी देर बाद घर के सामने एक कार आ कर रुकती है l दोनों पति पत्नी अपने अपने कर्म मय जीवन के लिबास में आ कर गाड़ी में बैठ जाते हैं l गाड़ी कटक की और दौड़ती है l पहले हाई कोर्ट में प्रतिभा उतर जाती है और फ़िर गाड़ी ×××××× हस्पताल में आकर रुकती है l
तापस गाड़ी से उतर कर फोन पर राजगढ़ के इंस्पेक्टर को फोन लगाता है l
तापस - जी आप कहाँ पर हैं...
फोन - कैजुअलटी में ग्यारह नंबर की बेड के पास....
तापस फोन काट कर अपने सिपाहीयों के साथ कैजुअलटी वर्ड में पहुंचता है l इंस्पेक्टर तापस की वर्दी देख कर पहचान लेता है और उसके साथ उसके सारे सिपाही तापस को सैल्यूट करते हैं l
तापस - कहाँ है आपका मुज़रिम...
इंस्पेक्टर - वह सिर्फ हमारा ही नहीं पूरे ओड़िशा का, पूरे भारत का और पूरे कानून व संविधान का मुज़रिम है.....
तापस - जस्ट इन्फॉर्मेशन मांगा.... किसी राजनेता का भाषण नहीं....
इंस्पेक्टर - सॉरी...
तापस - कहाँ है....
इंस्पेक्टर अपनी हाथों से इशारा करते हुए एक बेड की तरफ दिखाता है