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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
Prime
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*Index *
 
Last edited:

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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👉अठारहवां अपडेट
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तापस डॉ. विजय से विश्व की फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के बाद सीधे विश्व जिस वार्ड में था, उसी वार्ड में आकर पहुंच जाता है l
अंदर विश्व एक कैजुअल पहनावे के साथ खड़ा हुआ था l
तापस - तो विश्व तैयार हो....
विश्व - जी सुपरिटेंडेंट साहब.... पर मुझ जैसे कैदी को लेने आप जैसे पदाधिकारी....
तापस - आई बी अलर्ट है.... तुम पर हमला हो सकता है.... जब से मीडिया मैं.... न्यूज चल रहा है... आज तुम्हारी पहली, पेशी है... तब से कटक में जमावाड़ा बढ़ गया है....
विश्व- आप फिक्र ना करें.... सुपरिटेंडेंट साहब.... वे लोग कुछ भी कर सकते हैं.... पर मेरी जान नहीं लेंगे.... या फिर यूँ कहूँ कि उन लोगों को मुझे हानि पहुंचाने की इजाजत तो है पर जान से मारने की नहीं.....
तापस - व्हाट.... यह तुम किस बिना पर कह सकते हो....
विश्व - अगर उन्हें मारना ही होता... तो मुझे राजगड़ में ही मार सकते थे....
तापस - हो सकता है... भीड़ को उकसा कर मरवाने का प्लान हो उनका....
विश्व - नहीं... सुपरिटेंडेंट साहब.... मैं अगर मर गया तो.... वह हार जाएगा....
तापस - कौन...
विश्व - वही जिसने यह खेल रचा है.... जिसकी मंसा यह थी के मेरी बाकी की जिंदगी.... राजगड़ के गालियों में लंगड़ाते हुए... भीख मांगते हुए गुजर जाएगी.... पर आपने उसकी पहली मंसूबे पर पानी फ़ेर दिया है.... मेरी टांग बचा कर....
तापस - ओह तो फिर.....
विश्व - चलिए चलते हैं.... आगे क्या होगा बस आप देखते जाइए....
तापस मन ही मन में सोचने लगा "यह इतना शांत लग रहा है, कोई डर भी नहीं है.... क्या पता इस उम्र में प्रोफेशनल की तरह बात कर रहा है.... हो सकता है... जो भी इल्ज़ाम लगे हैं.... शायद सच हो..."
तापस और विश्व एक जालीदार वैन में बैठ कर कोर्ट की ओर निकल जाते हैं l तापस देखता है बहुत सारे मीडिया चैनल वाले उनके पीछे लगे हुए हैं l आख़िर कार वैन कोर्ट में पहुंच जाते हैं l तापस गाड़ी से उतर कर विश्व की तरफ वाली दरवाजा की ओर बढ़ रहा है कि एक पेट्रोल बॉम्ब उस गाड़ी के छत पर आकर गिरता है, तो गाड़ी के छत पर आग लग जाती है l आग लगते ही आस पास खड़े लोगों में अफरा-तफरी मच जाती है l अफरा-तफरी के बीच तापस विश्व को किसी तरह से कोर्ट के भीतर ले जा कर जज के सामने खड़ा कर देता है, और विश्व
की मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट प्रतिभा के हाथों से जज तक पहुंचाता है, विश्व की सर्टिफिकेट देखने के बाद कोर्ट की कारवाई में,
जज - अभियोजन पक्ष की तैयारी पूरी है... पर अभियुक्त पक्ष की तैयारी अधूरी है... अभियुक्त पक्ष को एक माह का समय दिया जाता है.... ताकि वे अपनी तैयारी पूरी कर आयें.... अगली सुनवाई **** तारीख को होगी.... तब तक आरोपी श्री विश्व प्रताप महापात्र को केंद्रीय कारागृह में रखा जाए...
यह सुन कर वैदेही दुखी हो कर वहीं बैठ जाती है l विश्व को जैल ले जाने के लिए संत्री विश्व के हाथों में हथकड़ी डाल कर बाहर ले जाते हैं l वैदेही बाहर दौड़ कर आती है l विश्व के साथ साथ गाड़ी तक जाते हुए,
विश्व - दीदी... आप क्यूँ यहाँ आई हो... मुझे मेरे हाल पर छोड़ क्यूँ नहीं देती....
वैदेही - (रोते हुए) चुप कर... जिस उम्र में लड़कियां खिलौने से खेलती हैं... उस उम्र में मैंने तुझे माँ बन कर पाला है... बड़ा किया है... तुझे ऐसे कैसे इस हाल में छोड़ दूँ....
विश्व - दीदी... मेरी तो सिर्फ इज़्ज़त दाव पर लगी है.... जब कि उस क्षेत्रपाल की दौलत, ताकत और रुतबा दाव पर लगी हुई है....
वैदेही - हाँ जानती हूँ शायद इसलिए कोई वकील तेरा केस नहीं ले रहा है.....
विश्व - दीदी... इसलिए कह रहा हूँ.... आप गांव चली जाओ.... इस केस में मुझे फांसी नहीं होगी.... हाँ कुछ सालों के लिए... जैल होगी...
वैदेही - नहीं मैं पूरी कोशिश करूंगी....
विश्व गाड़ी में चढ़ जाता है l वैदेही वहीँ नीचे खड़ी रह जाती है l गाड़ी में बैठने के बाद विश्व अपना चेहरा घुमा लेता है और कोर्ट छोड़ने तक पीछे मुड़ कर नहीं देखता है l वैदेही रो रो कर वहीं नीचे बैठ जाती है l
यह सब ख़ामोशी से देखते हुए तापस सोचने लगता है "आख़िर माजरा क्या है.... यह क्षेत्रपाल कहाँ से आ गया..... खैर मुझे क्या...."
गाड़ी जैल के मुख्य फाटक से गुजर कर भीतर पहुंचता है l विश्व गाड़ी से उतरता है l फौरन एक संत्री आकर उसे ऑफिस के भीतर ले जाता है और दास के सामने खड़ा कर देता है l

दास - विश्व अपने साथ जो भी यहाँ ले कर आए हो... वह सब यहाँ पर जमा कर दो....
विश्व - मेरे पर मेरे इन्हीं कपड़ों के सिवा कुछ और नहीं है....
दास - ठीक है उस कमरे में जाओ.... अपने कपड़े उतार कर यह कपड़े पहन कर आओ....
विश्व दास के दिए जैल के यूनीफॉर्म लेकर एक छोटे से कमरे में आता है और अपने सारे कपड़े उतार कर जैल के कपड़े पहन लेता है और अपने कपड़े लेकर दास के पास आता है l दास एक काग़ज़ पर उसके दसों उँगलियों के निशान लेता है l फ़िर उसे एक स्लेट थमा देता है और एक सफ़ेद पर्दे के सामने खड़ा कर देता हैदास उस स्लेट पर 511 लिख देता है l उसके बाद एक फोटो ग्राफर कुछ फोटो ले लेता है l फोटो उठा लेने के बाद विश्व दास के पास जाता है l दास उससे स्लेट ले लेता है और विश्व को एक बाल्टी, एक मग, एक कंबल और एक चादर देता है l उसके बाद पास खड़े संत्री को कहता है
दास - इसे बैरक नंबर 3 के ग्यारह नंबर के सेल में ले जाओ....
संत्री - (सैल्यूट दे कर) जी सर...
विश्व उस संत्री के साथ चला जाता है l रास्ते में उसे कई तरह के कैदी दिखाई देते हैं l कुछ कैदी उस पर तंज कसते हैं
एक - ऑए होय... क्या चिकना है रे...
दूसरा - अबे यह लंगड़ा क्यूँ रहा है....
एक - लगता है आपने मामू लोगों के साथ भांगडा करते करते लंगड़ा गया....
तीसरा - अबे मुझे तो कुछ और लग रहा है....
एक - क्या....
तीसरा - किसीने बिना चड्डी उतारे पीछे से लेली इसकी.... इसलिए लंगड़ा रहा है....
सारे कैदी एक साथ - हा हा हा हा हा हा....
चौथा - पर इसकी ली किसने होगी....
तीसरा - जरूर किसी हिजड़े ने ली होगी.....
सारे - हा हा हा हा....
संत्री विश्व को उसके सेल में पहुंचा देता है l विश्व सेल के अंदर जाता है, उसके अंदर जाते ही संत्री बाहर ताला लगा कर चल देता है l विश्व उस आठ बाई दस की कोठरी को देखता है l एक कोने में संढास है, और एक कोने में वश बेसिन के साथ पानी का टाप भी है और उस पर एक आईना भी लगा हुआ है l छत पर एक पंखा और दीवार एक बल्ब भी है l यह सब देखकर विश्व एक गहरी सांस लेता है और अपने साथ लाए हुए सारी चीजों को एक कोने में ले जा कर रख देता है, फिर दीवार से सट कर बैठ जाता है l फिर अचानक से रोने लगता है, रोते रोते वह फर्श पर लेट कर छत की ओर देखने लगता है l

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अपनी गाड़ी में तापस और प्रतिभा सज धज कर कहीं जा रहे हैं l
प्रतिभा - आज रात की पार्टी में हम दोनों इंवाइटेड हैं.... पर अलग अलग जरिए से... पर क्यूँ
तापस - हाँ.... मुझे शाम को अचानक कमिश्नर जी का फोन आया... और कहा कि सेनापति अटॉर्नी जनरल यहाँ आज पार्टी है और आप विशेष निमंत्रित अतिथि हो.... इसलिए आठ बजने से पहले पहुंच जाना..... मैं समझ नहीं पाया के अटॉर्नी जनरल जी को मुझसे क्या काम पड़ गया है...
प्रतिभा - मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है.... आज बार काउंसिल में हम बैठ कर कुछ विषयों पर चर्चा कर रहे थे कि तभी मुझे भी फोन आया... की मैं आज रात आठ बजे अटॉर्नी जनरल के यहाँ पहुंच जाऊँ..... जब कारण पुछा तो मुझे सिर्फ इतना बताया गया.... जो लोग न्याय व कानून व्यवस्था से जुड़े हुए हैं.... उन्हीं लोगों के साथ उनकी खास मीटिंग है....
ताप - वही तो.... ज़रूर कोई इमर्जेंसी होगी.... या तो राज्य के लिए... या फिर किसी और विषय में जो राज्य के तंत्र व प्रशासन से संबंधित हो.....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... हम सिर्फ़ अनुमान ही लगा रहे हैं.... असली बात तो वहाँ पहुँचते ही मालुम पड़ेगा....
तापस - हाँ देखते हैं....
उधर एक बड़ी सी रोल्स रॉयस कार में नागेंद्र सिंह, भैरव सिंह और पिनाक सिंह तीनों आमने सामने बैठे हुए हैं l
पिनाक - यह हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ क्यूँ जा रहे हैं.....
भैरव - हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ पार्टी रखी है... इसलिए जा रहे हैं....
पिनाक - क्या उसके यहाँ पार्टी रखने की क्या जरूरत थी..... हम होटल अशोका या और किसी बड़े रिसॉर्ट में भी रख सकते थे....
नागेंद्र - (थोड़े खांसते हुए) छोटे राजा जी.... थोड़ा धीरज रखें.... राजा जी ने बड़ी दूर की सोची है....(थोड़ी देर के लिए चुप हो गया)
नागेंद्र - यह (खरास लेते हुए) सपोला विश्व... कम्बख्त बड़ा खेल गया.... यह तो जानते ही हैं....(थोड़ी गहरी सांस लेते हुए)
भैरव - (टोकते हुए) बड़े राजा जी.... आप मुझे इजाजत दें.... मैं छोटे राजा जी को विस्तार से बताता हूँ.....
नागेंद्र - (खांसते हुए, और भैरव को हाथ दिखाते हुए) कितनी बार कहे हैं.... खुद को मैं नहीं... हम कहा कीजिए.... और अपनों को तुम नहीं आप कहा कीजिए....
भैरव - जी आगे से हम ध्यान रखेंगे....
नागेंद्र हाथ के इशारे से बात को आगे बढ़ाने के लिए कहता है l
भैरव - हाँ तो छोटे राजाजी.... वह हराम का जना... विश्व हमारे विरुद्ध सात जगहों पर शिकायत लिख कर भेजा था... यह तो आप जानते ही होंगे....
पिनाक - हाँ.... हम जानते हैं.....
भैरव - तो यूँ समझिए.... विश्व ने अब हमें अपनी मांद से निकलने के लिए मजबूर कर दिया....
पिनाक - अच्छा..... तो फ़िर उस हराम जादे को सारी रकम में क्यूँ नहीं लपेट लिए.... सिर्फ साढ़े सात सौ करोड़ रुपए की मामूली रकम में ही लपेट लिए....
भैरव - आप पागल तो नहीं हो गए..... एक मामूली सा सरपंच.... के लिए साढ़े सात सौ करोड़... बहुत बड़ी रकम होता है.... पूरा का पूरा रकम अगर हम सामने लाते तो.... एजेंसीस् को हम पर भी शक़ हो जाता...
पिनाक - ठीक है... पर इसके लिए हमे भुवनेश्वर कूच करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - हाँ अब हम सिर्फ खुदको राजगड़ में सिमित नहीं रख सकते.... एक कुए की मेंढक की तरह..... अब यह पूरा राज्य हमारा जागीर होगा.... इस राज्य का सिस्टम पानी और.... हम.... हम इस पानी के मगरमच्छ....
पिनाक - ओ...
भैरव - हाँ इसके लिए अब हमें प्रत्यक्ष राजनीति में आना होगा...
पिनाक - क्या....
भैरव - हाँ छोटे राजा.... हाँ...
पिनाक - इसका मतलब... हम किसीके आगे झुकेंगे....
नागेंद्र - हम ने आपको धीरज धरने के लिए कहा था....
पिनाक - क्षमा... कीजिए...
नागेंद्र - (भैरव को रोक कर) अब आप रुकिए... हम समझाते हैं छोटे राजा जी को....(पिनाक को देखते हुए) हम जहां भी जाएंगे या रहेंगे... अपना गुरुर नहीं छोड़ेंगे.... आप अभी फ़िलहाल पार्टी जॉइन कर रहे हैं.... और अगले दो वर्ष बाद आप भुवनेश्वर में मेयर के पदवी पर आसीन होंगे.... एक मेयर अपने शहर का राजा ही होता है.... और यह यह राजधानी है... और इस राजधानी के राजा आप होंगे.... क्यूंकि यह शहर अब फैल रहा है... बढ़ रहा है.... राक्षस बन चुका है.... यह आस पास के इलाकों को संप्रसारण व विकास के नाम पर निगल रहा है.... यहाँ बेहिसाब दौलत की बारिस हो रही है... जिसे अब आपको आपने दोनों हाथों से बटोरना है...
पिनाक - फिर राजगड़....
नागेंद्र - राजगड़.... राजगड़ वैसे ही हमारे शासन में रहेगी... जहां किसीकी भी दखल नहीं होगी.... जिसकी जिम्मेदारी राजा जी की होगी.... याद रहे.... जो अपनी जमीन या जड़ से उखड़ गया.... वह कहीं भी नहीं ठहर सकता....
पिनाक - जी बेहतर...
नागेन्द्र - देखिए.... और याद रखिए..... राज या हुकूमत करने के लिए किसी के पास या तो बेहिसाब दौलत होनी चाहिए या फिर बेहिसाब ताकत.... यह दोनों हमारे पास है... और इसको बढ़ाते जाना है....
पिनाक - जी....
नागेंद्र - राजा जी...
भैरव - जी बड़े राजा जी...
नागेंद्र - अब समय की मांग है.... युवराज और राजकुमार.... दोनों को इस शहर में राज करने योग्य बनाएं...
भैरव - पर वे दोनों तो कलकत्ता में पढ़ रहे हैं....
नागेंद्र - तो उन दोनों को यहां पर बुलाइये और.... अपना दबदबा कायम लीजिए .... उन दोनों को हथियार बनाएं.... और समय आने पर यह राज पाठ उनके हवाले कर सकें
भैरव - जैसी आपकी इच्छा....
फिर गाड़ी में सब शांत हो जाते हैं, और गाड़ी कटक की और बड़ी जोर से भाग रही है l
इधर अटॉर्नी जनरल के घर पर पहुंचने के बाद तापस व प्रतिभा दोनों देखते हैं कि राजनीति व कानून से जुड़े बहुत से शख्सियतों का जमावड़ा है l तभी कमिश्नर उनके पास आता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति आइए....
कमिश्नर को देख कर जहां तापस सैल्यूट करता है वहीँ प्रतिभा कमिश्नर को हाथ जोड़ कर नमस्कार करती है l फिर कमिश्नर उन्हें पार्टी के एक टेबल के पास लाकर छोड़ देता है l
अटॉर्नी जनरल भी वहाँ उनके पास पहुंचता है और दोनों का अभिवादन करता है l दोनों पति पत्नी अपनी अपनी तरीके से उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए प्रति अभिवादन करते हैं l
पार्टी के बीचों-बीच एक पंडाल में एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी लगी हुई है जिसमें सात उनसठ बजे हुए हैं l अटॉर्नी जनरल तभी पंडाल पर आकर अपने हाथ में माइक लेता है और कहता है - देवियों और सज्जनों... मेरे अचानक बुलाने पर आप सबके यहाँ पर उपस्थित होने के लिए धन्यबाद..... आज हमारे मध्य एक ऐसा परिवार उपस्थित होने जा रहे हैं जिनके बारे में उनके अपने प्रांत में कहा जाता है के वे समय के साथ नहीं चलते हैं बल्कि समय को अपने साथ लिए चलते हैं.... जिसका जीता जागता उदाहरण आप ठीक कुछ सेकंड बाद देख पाएंगे...
इतना कह कर अटॉर्नी जनरल माइक को दे देता है और पार्टी एरिया के सारे लाइट बुझा दिए जाते हैं l एक स्पॉट लाइट ठीक एंट्रेंस गेट पर पड़ती है l सबकी नजरें उस गेट पर टिक जाती है l एक बड़ी रॉल्स रॉयस गाड़ी भीतर आकर रुकती है l बड़े बड़े अधिकारी व कुछ नेता भाग कर उस गाड़ी के पास जाते हैं l गाड़ी से नागेंद्र, भैरव, और पिनाक उतरते हैं l तीनों पर फूलों की बरसात होती है, और वहाँ पर मौजूद सभी लोग ताली मार कर स्वागत करते हैं l अटॉर्नी जनरल तीनों को एक राजकीय साज सज्जा में सजी हुई एक टेबल के पास बिठाता है l फिर सारे लाइट जल उठती हैं, अटॉर्नी जनरल पंडाल पर आकर माइक संभालता है l
अ.ज - यहाँ पर उपस्थित सज्जन मंडली... इस पार्टी के मुख्य आकर्षण हमारे मध्य विराजमान हैं l उनके स्वागत के लिए आप सब से ज़ोरदार तालियों की उम्मीद कर रहा हूँ....
पूरा माहौल तालियों से गूंज जाती है l
अ.ज - यह सच है कि आज अपना राज्य पूरे देश में एक विशेष कारण से चर्चित है.... पर किसी गर्व या गौरव के क्षण के लिए नहीं.... महात्मा गांधी जी के नाम पर गरीब तबके और बेरोजगार लोगों को साल भर में कम से कम सौ दिन की रोज़गार ग्यारंटी मिले, उस मनरेगा योजना के पैसों की हेर-फेर के लिए चर्चित है... पर अब उचित न्याय होगा और जनता के पैसों का हिसाब होगा.....
यह घटना कितनी दुखदायी है.... के उस प्रांत के राज परिवार को बाध्य कर दिया के वे जनता को न्याय दिलाने के लिए.... राजधानी का रुख करें..... यह राज परिवार जनता को न्याय दिलाने के लिए कितना जागरूक व सजग है.... मैं आज आपको बताने जा रहा हूँ....
विश्व प्रताप महापात्र के सरपंच बनने के छह महीने बाद.... गांव के एक साधारण नागरिक ने आदरणीय श्री भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी से मेरा मतलब है कि राजा साहब जी से गुहार लगाई के विश्व प्रताप पैसों का हेर-फेर कर रहा है.... तब राजा साहब ने माननीय मुख्यमंत्री जी से दरख्वास्त की इस बारे में.... संज्ञान लेने के लिए....
मुख्यमंत्री जी राजा साहब जी का मान रखते हुए.... तीन महीने पहले एक SIT (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) का गठन किया था.... उस टीम के रिपोर्ट को आधार बनाकर जब पुलिस ने विश्व व उसके टीम को गिरफ्तार करने पहुंची... तब पहले से खबर पा कर उसके दो साथी अपने परिवार समेत फरार हो गए..... सूत्र बताते हैं कि वे लोग सपरिवार विदेश भाग गए......
हाँ यह हमारी लचर कानून व्यवस्था की लापरवाही कहा जा सकता है..... पर ह्युमन एरर तो हर जगह होती है.... इंसानी गलतियां... जिसका खामियाजा आज कानून को भी चुकाना पड़ा.... लेकिन संतोष की बात यह है कि... कम से कम एक अपराधी हाथ तो लगा...
अब उसे सजा देना कानून व समाज का कर्त्तव्य है....
यहाँ आप सब लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस केस से जुडे हुए हैं.... इसलिए मैंने यहाँ आपको बुलाया है..... और उस विश्व को सजा दिलवाने की चेष्टा कर कानून व राज्य को गौरवांवित करें.... धन्यबाद.....
सब इतने बड़े भाषण सुनने के बाद सब कुछ देर खामोश रहे l सबको खामोश देख कर अटॉर्नी जनरल खुद ताली बजाता है l उसे ताली बजाता देख बाकी सब लोग भी ताली बजाते हैं l
कमिश्नर तापस और प्रतिभा के पास आता है और दोनों से मुखातिब हो कर कहता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति... आप से राजा साहब जी मिलना चाहते हैं.....
प्रतिभा - हम से..... पर क्यूँ....
कमिश्नर - अररे... आज आप दोनों ही इस पार्टी के स्पेशल गेस्ट जो हैं...
तापस और प्रतिभा एक दूसरे को देखते हैं l फिर अपने जगह से उठ कर कमिश्नर के पीछे चल देते हैं l
तापस और प्रतिभा कमिश्नर के साथ क्षेत्रपाल बाप बेटों के पास पहुंचते हैं l
प्रतिभा सबको नमस्कार करती है l तापस पहले नागेंद्र को नमस्कार करता है और भैरव सिंह के तरफ अपना हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है, पर भैरव सिंह हाथ मिलाने के वजाए अपने दोनों हाथ अपने जेब में रख कर वैसे ही खड़ा रहता है और तापस को अजीब सी नजरों से घूरता है l
कमिश्नर - अरे तापस... यह क्या कर रहे हो.... यह राजा साहब हैं.... वे सिर्फ अपने दोस्तों को छोड़ किसीसे हाथ नहीं मिलते हैं....
तापस - ओह सॉरी... राजा क्षेत्रपाल जी.... मुझे यह बात नहीं मालुम था...
कमिश्नर - राजा साहब जी.... यह हैं तापस सेनापति.... इन्हीं के जैल में वह विश्व कैद है.... और यह हैं प्रतिभा सेनापति जो विश्व को जैल के सलाखों के पीछे पहुंचाएगी..... यह हाई कोर्ट में सरकारी वकील हैं....
तापस - कमिश्नर साहब ने एक गलत बात कह दी..... विश्व मेरे जैल में नहीं है.... बल्कि सरकारी जैल में है... और उस जैल का मैं सरकारी पदाधिकारी हूँ....
भैरव - हूँ... तो मोहतरमा जी... क्या कमिश्नर ने आपका परिचय सटीक दिया है.... या आप भी कुछ कहेंगी....
प्रतिभा - जी नहीं राजा साहब.... मेरे बारे में कमिश्नर साहब ने सटीक बात कही है....
पिनाक - तो अब तक उस चोर के बारे में... क्या सोचा है...
प्रतिभा - सोचा है मतलब....
पिनाक - मेरा मतलब है.... क्या तैयारी की है आपने....
प्रतिभा - मैंने तो अपनी पूरी तैयारी कर ली है.... पर जब तक डिफेंस लॉयर केस नहीं सम्हालते तब तक कुछ कहना संभव नहीं है.....
भैरव - और जैलर... तुम बताओ... जैल में कैसा है विश्व...
भैरव सिंह जैसा अपरिचित व्यक्ति तापस को तुम कहना, तापस को बुरा लगा l
तापस - आज ही वह जैल पहुंचा है.... अब अगर सजा बढ़ी तो तब मालूम होगा उसका हाल चाल...
भैरव - ठीक है... आप दोनों दंपति से निवेदन है.... उस पर जरा भी रहम ना करें.... कानून के किताब में इस अपराध के लिए.... जितनी कड़ी से कड़ी सजा हो दिलवाईये.... हम आपके साथ हैं....
और तापस जैल के भीतर इतना खयाल रखना की जब वह राजगड़ में वापस आए तो भीख के लिए भी दर दर की ठोकरे खाता रहे....
तापस - अगर वह अदालत में... निर्दोष करार दिया गया... तो
भैरव - वह कभी निर्दोष करार नहीँ दिया जा सकता.... आप बस जैल में जितनी मेहनत करवा सकें तो कीजिए....
तापस - जी... मैं याद रखूँगा....

उधर जैल में रात के खाने की घंटी बजती है l जैल की इस रूटीन से बेख़बर विश्वा अपने सेल में लेटा हुआ है l कुछ देर बाद एक संत्री आता है और कहता है - नंबर 511....
विश्वा यह सुन कर उसके तरफ देखता है,
संत्री - रात के खाने का टाइम हो गया है... चलो खा कर आ जाओ...(इतना कह कर संत्री सेल की दरवाज़ा खोल देता है)
विश्वा बाहर निकल कर देखता है उसके बैरक में से कैदी निकल कर सब एक और जा रहे हैं l विश्वा भी उनके साथ हो लेता है l
एक बड़े से डायनिंग हॉल में सारे कैदी लाइन में लगे हुए हैं l बहुत से जिंक के डायनिंग टेबल पड़े हुए हैं l हर टेबल पर आठ लोगों की बैठने की व्यवस्था है l शायद पचास या साठ कैदी होंगे l सब खाना लेकर डायनिंग टेबल पर बैठ कर खा रहे हैं l विश्व भी लाइन में लग जाता है l अचानक उसे पीछे से धक्का लगता है तो विश्व आगे वाले कैदी से टकरा जाता है l आगे वाला कैदी पीछे मुड़ कर विश्व को घूर के देखता है l
विश्व - ज.. ज. जी म म माफ कर दीजिए... म म मुझे क क किसीने पीछे से धक्का दिया था...
वह कैदी विश्व के पीछे जितने खड़े थे उनको घूरता है l उनमें से एक कहता है - डैनी भाई... यह आज नवा नवा आया है... और झूठ बोल रहा है... इसीने आपको धक्का दिया.... और हम पर इल्ज़ाम लगा रहा है....
डैनी विश्व को गौर से देखता है और विश्व को अपने आगे खड़ा कर देता है l विश्व अपना थाली लेने के बाद एक खाली डायनिंग टेबल पर जा कर बैठ कर खाना शुरू करता है l कुछ देर बाद उसके टेबल पर डैनी अपना थाली लिए बैठता है l
विश्व - (डैनी को देखते हुए) धन्यबाद....
डैनी - वह किसलिए...
विश्व - वह आपने मेरा विश्वास किया... और उनसे तंग होने से बचाया इसलिए....
डैनी - देख बे... अखरोट... तु जिस तरह से हकलाया... मेरे को लगा ही था कि तुने जान बुझ कर मेरे को धक्का दिआ.... पर दुनिया देखी है मैंने.... मेरे को तेरे आँखों में मासूमियत और सच्चाई दिख गई... इसलिए तेरे को छोड़ दिआ.... समझा...
विश्व ने हाँ में अपना सर हिलाया l फिर दोनों खाना खतम कर अपना थाली धो कर डायनिंग हॉल में जमा कर चल दिए l विश्व अपने सेल की ओर जा रहा था कि उसे किसीने टंगड़ी मार दी l विश्व मुँह के बल गिर जाता है l तभी दो लोग उसके पीठ पर घुटना लगा कर बैठ जाते हैं और उसके दोनों हाथों को मोड़ कर कब्जा कर देते हैं l उनमें से एक विश्व के मुहँ पर हाथ रख देता है, ताकि विश्व चिल्ला ना पाए l एक और आदमी विश्व की पजामा के साथ लंगोट भी खिंच देता है और बोलता है,
- वाह क्या चिकना गांड है बे तेरी...
जो दो लोग उसे पकड़े हुए थे हंसने लगते हैं l
विश्व छटपटाने लगता है और चिल्लाने की कोशिश करता है l वे तीन लोग हंसते हैं l
- अरे घबरा मत.... आज तेरी गांड नहीं मारेंगे रे.... तु अपनी किए जुर्म के लिए बहुत लंबा जाने वाला है... मालुम है हम को... और हम पहले से ही लंबे हो कर पड़े हुए हैं...तु जब जैल से जाएगा तो तेरी रोज़गार की व्यवस्था हो जाएगा.... तुने राजा जी की मारने की सोची... और राजा साहब ने तेरी रोज मरवा ने के लिए हमें इस जैल में भिजवाया है... तु फ़िकर मत कर.... तु जब जैल से निकलेगा तो राजगड़ में गांडु महापात्र के नाम से जाना जाएगा....
फिर विश्व के गांड पर हाथ फेरते हुए - आह क्या चिकना गांड है... तेरी इतनी मारेंगे की तु जैल से निकल कर अपनी रोजी रोटी के लिए तेरे पास सिर्फ गांड मरवाना ही रह जाएगा पर कोई नहीं मारेगा... इतना चौड़ा कर देंगे....
सब मिलकर हंसते हैं फ़िर विश्व को अपने पिछवाड़े पर गरम पानी गिरता हुआ महसुस करता है l उस पानी की बदबू से विश्व समझ जाता है कि वह गरम पानी पेशाब है l फिर वह तीनों आदमी विश्व को वैसे ही हाल में छोड़ कर चले जाते हैं l विश्व अपना पजामा और लंगोट उठा कर नंगा ही अपने सेल की ओर बढ़ जाता है l सेल के बाहर संत्री उसे उस हालत में देख कर रोकता है और कहता है,
- छी... यह क्या... छी.. पेशाब कर दिए.... कितने गंदे हो तुम...
इतना कहकर संत्री विश्व को देखता है तो पाता है विश्व की आंखे व चेहरा आंसुओं से भीगे हुए हैं और अपमान से उसका चेहरा आग के मानिंद जलता हुआ लग रहा है l उसकी ऐसी हालत देख कर संत्री एक तरफ हट जाता है l विश्व अपने सेल के अंदर जा कर संढास में घुस जाता है और अपने ऊपर पानी डाल कर नहाता है l

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घर पर पहुंच कर तापस धप कर सोफ़े पर बैठता है l उसकी ऐसी हालत देख कर प्रतिभा भाग कर किचन जाती है और एक ग्लास पानी लाकर तापस को देती है l तापस पानी लेने से अपना सर हिला कर मना कर देता है l
प्रतिभा - क्या हुआ आपको....
तापस - जान... (प्रतिभा की और देखते हुए) कहीं हम अनजाने में किसी कंस्पिरेसी में मेरे मतलब है... की कहीं अनजाने में... अनचाहे किसी षड्यंत्र में शामिल तो नहीं हो रहे हैं.....
प्रतिभा - (टी पोए पर ग्लास रखते हुए) आप ऐसा क्यूँ सोच रहे हैं....
तापस - जान एक साधारण आदमी के लिए... सात सौ पचास करोड़ बहुत होते हैं... पर भारत में इससे कई गुना पैसों की हेरा फेरी हुई है.... पर इस केस को जिस तरह से उछाला जा रहा है... प्रशासन और राजनयिक गलियारों में बड़े बड़े दिग्गज जिस तरह से इस केस में इंट्रेस्ट ले रहे हैं.... और जिस तरह से घड़ी घड़ी मीडिया ट्रायल हो रहा है.... मेरे कानों में वैदेही की वह बात रह रह गूंज रही है... के कुछ सफ़ेद पोश लोगों ने मिलकर विश्व को फंसाया है... कहीं अगर विश्व को सजा हो गई और कुछ सालों बाद हमे मालूम पड़ा के विश्व निर्दोष था.... तब हम पर क्या गुजरेगा....
प्रतिभा - हो गया.... सेनापति जी.... आपने वहाँ पर सुना ना... तीन महीने पहले से ही राज्य सरकार जे तरफ से एस आई टी का गठन किया जा चुका था..... और सारे एजेंसी ने विश्व को दोषी पाया है.... हम शक़ करें तो किस पर... किसकी मंशा पर सवाल उठाएं... वैसे भी मैं विश्व के खिलाफ़ सरकारी वकील मुक़र्रर हुई हूँ... और अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूँ.... वह दोषी है.... और मैं कोशिश भी करूंगी उसे कठोर से कठोर सजा दी जाए....
तापस - तुम्हारी नजरिए से तुम सही हो... पर सोचो.... गिरफ्तारी हुई, सरकार ने इसे गम्भीरता लीआ है.... ऐसा मीडिया में आया.... पर एस आई टी के बारे आज अटॉर्नी जनरल ने बताया.... पर पब्लिकली नहीं....
प्रतिभा - यह उन लोगों की स्ट्रैटिजी हो..... खैर... हमे क्या... आई एम डैम श्योर... विश्व प्रताप महापात्र हंड्रेड पर्सेंट गिल्टी एंड विल बी कंविक्टेड शुन एट कोर्ट
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ANUJ KUMAR

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सुधांशु मिश्र धीरे धीरे अपनी आँखे खोलता है l चेहरा भिगा हुआ उसे मेहसूस हो रहा है, नजर उठा कर देखता है तो देखा कि भीमा उसे टवेल दे रहा है l मिश्र जो हुआ उसे समझने की कोशिश करता है कि जो वह देखा सपना था या सच...
वह अपना नजर घुमा कर देखता है राजा साहब अपने कुर्सी पर बैठे हुए बालकनी के बाहर देख रहे हैं, उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं है l बाकी सारे लोग उसकी तरफ देख ऐसे रहे हैं जैसे उसने रंग में भंग डाल दिया l वह झटपट उठ कर बालकनी से नीचे झांकता है तो पाता है कि स्वीमिंग पुल का पानी लाल दिख रहा है और स्विमिंग पुल के दूसरी तरफ का फर्श भी लाल ही लाल दिख रहा है l मिश्र के चेहरे पर डर और पसीने के साथ साथ उभर आते हैं l वह भैरव सिंह के तरफ देखता है पर भैरव सिंह निर्विकार हो कर बालकनी के नीचे देख रहा होता है l
मिश्र चिल्लाता है - यह.... यह क... क्या था...
विक्रम - यही तो था हमारा आखेट....
मिश्र - आ आ आखेट...?
वीर - हाँ रे आखेट, साला बेहोश हो कर सारा मज़ा किरकिरा कर दिआ....
मिश्र - म.....म मुझे जाने दीजिए प्लीज...
पिनाक - यशपुर में आपका स्वागत है नये BDO साहब.... यहाँ आना इंसीडेंट या एक्सीडेंट हो सकता है पर यहाँ से जाना राजा साहब की मर्जी से होता है...
मिश्र -(हाथ जोड़ कर घुटनों पर बैठ कर) राजा साहब मैं अपनी औकात भूल कर गुस्ताख़ी कर बैठा मुझे माफ कर दीजिए मैं यशपुर छोड़ कर चला जाउंगा...
विक्रम यह सुन कर जोर जोर से हंसने लगा l उसकी हंसी मिश्र की जान निकाल रही थी l
विक्रम - यह समूचा स्टेट क्षेत्रपाल परिवार की मिल्कियत है, इस स्टेट का सिस्टम पानी है और हम इस पानी के मगरमच्छ......
पिनाक - तु जानना नहीं चाहता वह कौन था क्या था...
मिश्र - नहीं नहीं मुझे नहीं जानना...
वीर - फिर भी हम तुझे बताएंगे l तुने नभ वाणी न्यूस चैनल सुना है... यह उसका असिस्टैंट एडीटर था "प्रवीण कुमार रथ" l इसके रिपोर्टिंग से नभ वाणी के TRP आसमान छुते थे l
पिनाक - तो इसने सोचा क्षेत्रपाल के परिवार की करतूतों को दुनिया को दिखाएगा....
विक्रम - उसे मालुम नहीं था कि पुरा सिस्टम हमारी है... तो उसको हमारे सिस्टम के जरिए ही उसकी बीवी साथ उठा लाए..
वीर - उसके आँखों के सामने सबसे पहले हमने उसकी बीवी की बारी बारी से ऐसी कोई छेद नहीं जिसको हमने फाड़ा नहीं
विक्रम - और जब हमारे मन भर गया तो इन सभी ऑफिसरांन के हवाले इनके मन भरने उसकी बीवी को करदिया .... सबने जी भरके उसकी बीवी के चुत में अपना योगदान दिया पर इस इंस्पेक्टर का मन भरा ही नहीं क्यूँ बे....

वह इंस्पेक्टर शर्मा रहा था और बत्तीसी निकाल कर हंस रहा था
वीर - हा हा हा अबे बोल कितनी बार ली है
इंस्पेक्टर - (शर्माते हुए) जी ग्यारह बार...
वीर ताली मारते हुए - देखा फ़िर भी कमीने का मन नहीं भरा... हा हा हा
अब कड़कती आवाज़ गुंजी भैरव सिंह की - अब उनका दिन भर गया तो हमने आखेट के हवाले कर दिआ l जंगल में लकड़बग्घे और पानी में मगरमच्छ गजब के जानवर होते हैं हड्डीयां तक नहीं छोड़ते हैं..
अब महल में उनकी जगह खाली पड़ी है... अरे हाँ तेरी बीवी भुवनेश्वर DPS में फिजीक्स पढ़ाती है न ह्म्म्म्म....
मिश्र - नहीं राजा साहब नहीं मुझे बक्स दीजिए... (अपना जुता निकालता है) मैं अपना जुता अपने मुहँ पर मारता हूँ.. (खुद के चेहरे पर मारते हुए) मुझे पागल कुत्ते ने काटा था जो गुस्ताखी कर बैठा...(गिड़गिड़ाते हुए) मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं अब बस आपके लिए काम करूंगा... (रोते हुए) मुझे माफ कर दीजिए राजा साहब...
भैरव - ह्म्म्म्म पहले अपना प्लान बताओ अगर पसंद आया तो तु यहाँ से जिंदा वापस जाएगा और अगर तेरी प्लान पसंद नहीं आया तो समझले तु जान से गया और जहान से गया...

मिश्र बड़ी मुश्किल से खुद को काबु किया फिर सबको प्लान बताने लगा l
भैरव - प्रधान तुम्हारा क्या राय है मुझे प्लान पसंद आया....
प्रधान - परफेक्ट.. बढ़िया है... हमारा टीम वर्क के आगे सारे एजेंसी फैल हो जाएंगे...

भैरव सिंह - बढ़िया फिर सुन बे चिरगोजे... जो तुझे दिआ जाए उसे आशीर्वाद समझ कर ले लेना l ज्यादा की कभी सोचना भी मत वरना उस रंग महल के पिंजरे में तु फड़फड़ाएगा और तेरी बीवी हम सबकी बिस्तर होगी और हम उसके चादर...
पिनाक - तो इसके साथ आज का कार्यक्रम समाप्त हुए l जाओ सब अपने अपने ठिकाने को जाओ l
यह सुनते ही सब ऐसे निकले जैसे गधे के सिर से सिंग l
भैरव सिंह- छोटे राजा पुरे स्टेट में ढूंढो किसकी हमारे खिलाफ खुजली हो रही है... रंग महल ऐसे खाली नहीं रहना चाहिए ...
पिनाक - जी राजा साहब
भैरव - युवराज आज आप रूप को लेकर भुवनेश्वर जाएंगे...

विक्रम - जी राजा साहब

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उधर भुवनेश्वर में रात को खाने के टेबल पर तापस - क्या बात है वकील साहिबा आज आपकी और वैदेही की मीटिंग कैसी रही...

प्रतिभा - कुछ नहीं आप कभी नभ वाणी न्यूस देखते हैं..
तापस - हाँ देखता था पर उसका एक न्यूज प्रेजेंटर प्रवीण न्यूस चैनल छोड़ दिया है तबसे उस चैनल की क्वालिटी उतनी रही नहीं इसलिए आज कल नहीं देख रहा हूँ....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म मुझे आज वैदेही के बातों से ऐसा लगा कि शायद प्रवीण क्षेत्रपाल के अहं का भेट चढ़ गया है...
तापस - व्हाट यह तुम किस बिना पर कह सकती हो
प्रतिभा - आज वैदेही ने कहा कि ढाई महीने पहले प्रवीण राजगड़ गया था... और गौर करो तब से वह गायब है... वैदेही कह रही थी उसका परिवार भी गायब है...
तापस - ह्म्म्म्म इसका मतलब वह सच में क्षेत्रपाल के अहं का शिकार हो गया है..
प्रतिभा - सुनिए आप इस केस को निजी तौर पर तहकीकात कीजिए ना..
तापस-देखिए मिसेज सेनापति जी मैं अब वुड बी रिटायर्ड जैल सुपरिटेंडेंट होने वाला हूँ l मुझे सिर्फ कैदियों का देख भाल आता है... यह तहकीकात...
प्रतिभा - नहीं करना चाहते हो बोल दीजिए ना.. बहाना क्यूँ बना रहे हैं... आप पहले थाने में ही ड्युटी करते थे यह मत भूलिए..
तापस-ऐ मेरी जानेमन
तुमको इस डिनर की कसम
रूठा ना करो रूठा ना करो...
तापस-चलिए आपके लिए मिसेज सेनापति जी हम पर्सनली इस केस की तह तक जाएंगे...
अब तो हंस दीजिए..
प्रतिभा मुस्करा देती है...


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अगली सुबह भुवनेश्वर xxx कॉलेज

कैम्पस में एक जगह कुछ लड़के बात कर रहे हैं I
ल 1- अब बोलो, कहा था ना मैंने ऑस्ट्रेलिया हॉकी जीतेगी l
ल 2- हाँ फ़िर भी साउथ अफ्रीका ने जबरदस्त टक्कर दी थी वह तो पेनल्टी शूट आउट में साउथ अफ्रीका चूक गई l
L3- अरे छोड़ो ना यार परसों इंडिया और पाकिस्तान का मैच है उस पर बैट लगाते हैं l
L1 - यू नो गयस रॉकी ऑलवेज करेक्ट... आइ एम डैम श्योर इंडिया ही जीतेगी l
L2- यह तो कोई भी कह सकता है... बैट लगानी है तो बोलो गोल कितने होंगे या कौन गोल करेगा l
L2- हाँ यह होती है बैट क्या कहते हो रॉकी...
रॉकी - ओके आज क्लास खतम होते ही हम बैट करेंगे
सभी - ठीक है
तभी सबकी नजर मैन गेट की तरफ जाती है l कुछ कारों का काफ़िला आ कर कॉलेज में रुकती है l सबसे बीच वाले कार में अध्यक्ष XXX युवा मोर्चा लिखा हुआ था l उस कार से विक्रम और वीर उतरते हैं l फ़िर रूप उतरती है l जैसे ही रूप उतरती है सभी लड़के चोर नजर से रूप को देख रहे हैं l उनमें रॉकी सामिल है l
रॉकी - वाव क्या आइटॉम है बाप.... पर यह वीर के साथ क्या कर रही है...
L3- यह इनकी बहन है रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल..
रॉकी - तुझे कैसे मालुम है बे राजू....
राजु - क्यूंकि कभी हम भी राजगड़ में रहते थे l आगे की पढ़ाई के लिए हमे गांव व घर बार छोड़ना पड़ा l
रॉकी - दोनों भाई अपनी बहन को लेकर अपनी कॉलेज में क्यूँ आए हैं... कहीं एडमिशन के लिए तो नहीं... अगर ऐसा हो जाए तो मजा आ जाएगा l
राजु - पता नहीं अगर तुम्हारी बात सच है तो भाई मैं तेरे गैंग से आउट...
रॉकी - क्यूँ बे फट्टु फट गई तेरी...
राजु - तु मेरी बात छोड़... तु अपना बता वीर के सामने तेरी चलती है क्या...
रॉकी - अपन थोड़े उससे डरता है..
राजु - रहने दे... रहने दे... यह क्षेत्रपाल परिवार क्या है तु अच्छी तरह से जानता है...
इनके सामने कोई आँखे उठाकर बात नहीं कर पाता है और उनके घर की बेटी से आँख लड़ेयेगा.. चल रहने दे

रॉकी - अबे वह तो बाद में देखा जाएगा पहले पता तो चले यह क्षेत्रपाल तिकड़ी यहाँ आई क्यूँ है......
कॉलेज प्रिन्सिपल के चैम्बर में
प्रिन्सिपल खड़ा हुआ है और तीनों भाई बहन उसके सामने बैठे हुए हैं
वीर कहता है - राजा साहब ने बता दिआ होगा... इसलिए एडमिशन की फर्मोंलिटि पूरी कर इन्हें सीधे क्लास तक एस्कॉट करते हुए ले जाओ और हाँ तुरंत सबको ख़बर हो जानी चाहिए कि राजा साहब की बेटी, वीर की बहन इस कॉलेज में पढ़ रही हैं l सब उसके साथ अदब से पेश आयें... बाकी कहने की कोई जरूरत नहीं समझे..
प्रिन्सिपल - जी जी
विक्रम व वीर उठते हैं l
विक्रम - रूप आपके लिए एक गाड़ी व ड्राइवर छोड़े जा रहे हैं l अब से वह कार आपकी है... हर रोज ड्राइवर आपको लाएगा और ले जाएगा l
रूप - जी युवराज

वीर - जाओ और अपना क्लास एंजॉय करो
प्रिन्सिपल - आइए राज कुमारी जी मैं आपको आपके क्लास तक पहुंचाता हूँ...

रूप - जी सर
रूप प्रिन्सिपल के साथ क्लास चली जाती है और विक्रम व वीर भी अपने गाड़ी से बाहर चले जाते हैं l
प्रिन्सिपल को बीच रास्ते में रोक कर रूप कहती है - सर
प्रिन्सिपल - जी राज कुमारी जी
रूप - देखिए सर पहली बात आप मुझे राजकुमारी ना कहें और मेरी असली परिचय किसी को ना बताएं l
प्रिन्सिपल - यह कैसे हो सकता है राज कुमारी जी... अगर राज कुमार जी को मालुम पड़ा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे...
रूप - अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं राजा साहब से सीधे आपके खिलाफ शिकायत करूंगी l
प्रिन्सिपल - नहीं नहीं ऐसा न कहिए... क्या करूँ एक तरफ खाई है दूसरी तरफ कुआं..
रूप - देखिए सर राजकुमार कभी कभी कॉलेज आते हैं... इसलिए उन्हें मैं सम्भाल लुंगी, बस आप मेरी बात मान कर मेरा साथ दीजिए...
आप मेरा परिचय नंदिनी कहकर दीजिएगा... कहीं पर भी आप मेरी पारिवारिक परिचय मत दीजियेगा... और हाँ आप भी मुझे राज कुमारी मत बुलाएंगे...
प्रिन्सिपल - ठीक है.. अब आपके हवाले मैं और मेरा परिवार है...

रूप - चलिए सर आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेवारी है.......

प्रिन्सिपल रूप को लेकर BSc फर्स्ट ईयर के क्लास में पहुंचा और पढ़ा रहे लेक्चरर व सारे स्टूडेंट्स से रूप का परिचय कराते हुए - गुड मॉर्निंग बच्चों...

सबने कहा - गुड मॉर्निंग..
प्रिन्सिपल - यह हैं रु... मेरा मतलब है नंदिनी सिंह... आपकी नई दोस्त व सहपाठी..
और मिस नंदिनी जी यह आपकी क्लास...
इतना कह कर प्रिन्सिपल वहाँ से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी से निकल गया l
फिर लेक्चरर ने नंदिनी को बैठ जाने को कहा l नंदिनी बीच के रो में एक लड़की के पास बैठ गई l
लड़की - हाय मैं बनानी महांती..
नंदिनी - मैं नंदिनी सिंह...
बनानी - ऐसे मिड सेशन में कैसे जॉइन किया तुमने...
नंदिनी - एक्चुआली मैं बीमार थी इसलिए शुरू में जॉइन नहीं हो पाई थी पर जब हेल्थ ठीक है तो जॉइन कर ली
लेक्चरर - साईलेंस प्लीज...
दोनों चुप हो गए और नंदिनी यादों में खो गई
******--------*****-----****
घर में शुभ्रा और रूप आज सुबह सुबह बातेँ कर रही हैं
शुभ्रा-क्या बात है रूप..
रूप - भाभी मैं क्षेत्रपाल सरनेम से यहां किसीसे पहचान या दोस्ती नहीं करना चाहती...
शुभ्रा - ऐसे कैसे हो सकता है... मत भूल कॉलेज में वीर भी है और यह सरनेम तुझे कॉलेज के लोफरों से भी बचाएगी...
रूप - नहीं भाभी मैं इस सरनेम के बगैर इस दुनिया का अनुभव लेना चाहती हूँ चाहे अच्छी हो या बुरी...
शुभ्रा - देखो रूप तु फ़िर से सोच ले...
रूप - भाभी मुझसे क्षेत्रपाल सरनेम जुड़ा रहा तो कोई मुझसे दोस्ती नहीं करेगा अगर यह सरनेम नहीं रहा तो मुझे दोस्त जरूर मील जाएंगे..
शुभ्रा - ठीक है कोशिश कर के देख ले... और शाम को घर आकर बताना क्या हुआ...
तभी क्लास खतम होने की बेल बजती है और रूप अतीत से बाहर आती है l
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उधर प्रतिभा और तापस चलते हुए जैल की और जा रहे हैं l प्रतिभा साड़ी में थी और तापस अपने जैल सुपरिटेंड के वर्दी में l दोनों सेंट्रल जैल के मुख्य द्वार पर आ पहुँचे l तापस संत्री से प्रवेश द्वार खोलने के लिए कहता है l संत्री चाबी लेने पास के की स्टैंड तक जाता है l इतने में
प्रतिभा - और कितनी देर लगेगी
तापस- जी देवीजी बस उतनी ही देर जितनी मुझे रोज ऑफिस जाते वक़्त लगता है...
प्रतिभा - (अपनी मुहँ को सिकुड़ते हुए) हो गया
तापस - जी बिल्कुल हो गया...
संत्री द्वार खोल देता है l तापस संत्री से विजिटर रजिस्टर लाने को कहता है l संत्री रजिस्टर लता है प्रतिभा उसमें अपना दस्तखत कर कारण लिख देती है l तापस संत्री से कहता है - इन्हें मीटिंग रूम में पहुंचा दो और कैदी नंबर छह सौ आठ से मिलवा दो......
संत्री साल्युट मार कर प्रतिभा को अपने साथ ले कर मीटिंग रूम में इंतजार करने को कहा l
थोड़ी देर वाद एक कैदी उस कमरे में आता है प्रतिभा उसे देख कर बहुत खुश हो जाती है और पूछती है - कैसा है प्रताप...
प्रताप - सच कहूँ तो सुबह से आपको ही याद कर रहा था l
प्रतिभा - चल चल झूट मत बोल.... तुझे आज वैदेही की भेजी रखी कि इंतजार था....
प्रताप - पर रखी आपके सिवा लाएगा ही कौन....
प्रतिभा - इसी बहाने तुझसे मिलने भी तो आ जाती हूँ...
प्रताप - आपका आना भी मेरे लिए किसी पर्व से कम है क्या.....
प्रतिभा - बाप रे कितना बोलने लग गया है तु....
प्रताप - सब आपकी महिमा है मैया..
प्रतिभा - अब तु भी मुझे उनकी तरह छेड़ने लगा.....
प्रताप- अरे माँ दस बाई आठ के कमरे से जब भी बाहर निकल कर आपके सामने आता हूँ तो जी करता है आपसे मन भरने तक बात करूँ....
प्रतिभा - तो फिर मेरे बच्चे ढाई महीने बाद रिहा हो कर मेरे पास ही क्यूँ नहीं रुक जाता...
प्रताप का चेहरा थोड़ा उदास हो जाता है - माँ मुझ पर रिश्तों की कर्ज व बोझ है.... जब तक मैं उन सबको निभा कर कर्ज़ मुक्त नहीं हो जाता तब तक मुझसे कोई वादा मत माँगों.... प्लीज...
प्रतिभा - ठीक है बेटा इस माहौल को ग़मगीन मत करो चलो यह राखी पहन लो...
प्रताप अपना हाथ बढ़ा देता है तो राखी प्रतिभा बांधती है
प्रताप - बुरा लगा....
प्रतिभा - नहीं...
प्रताप - माँ मैं पहले भी कह चुका हूँ... आज फिर से कह रहा हूं... मेरा मक़सद पुरा होते ही मैं पुरी तरह से आपका हो जाऊँगा...

प्रतिभा - (राखी बांधने के बाद) मैं जानती हूँ पर दिल थोड़े मानता भी तो नहीं....अच्छा यह बता वह तेरे साथ कैसे हैं....
प्रताप- तुम प्यार जताते थकती नहीं हो और वह जुड़ाव, लगाव रखते बहुत हैं मगर जताते या दिखाते नहीं हैं..
दोनों हंस पड़ते हैं l प्रतिभा थोड़ी गम्भीर हो जाती है और प्रताप के चेहरे को दोनों हाथों से झुका कर माथे को चूमती है l
प्रतिभा - अच्छा बेटा चलती हूँ... अपना खयाल रखना....
प्रताप - आप भी अपना और अपने उनका खयाल रखियेगा...
इतना कहकर प्रताप अंदर चला जाता है l उसके जाते ही प्रतिभा कमरे से बाहर निकालती है l दरवाजे से थोड़ी दूर आ कर रुक जाती है और बिना पीछे मुड़े पीछे की ओर कहती है - छुपकर सुनने से अच्छा होता कि आप भी हम माँ बेटे के साथ थोड़ा वक़्त बिताते और दो बातेँ भी कर लेते....
दरवाजे के ओट में छिपा तापस बाहर निकलता है और कहता है - दरअसल मेरा पेन यहाँ गिर गया था... वह ढूंढ कर निकाल रहा था कि तुम बाहर निकल आई....
प्रतिभा - हो गया....
तापस - हाँ हो गया देवी जी हो गया...
प्रतिभा - तो चलिए मुझे बाहर तक छोड़ दीजिए...
तापस- चलिए...

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उधर तीसरा क्लास खतम होते ही लंच ब्रेक की बेल बजती है

बनानी - अच्छा नंदिनी क्यूँ ना अभी हम कैन्टीन चलें..

नंदिनी - हाँ हाँ चलो चलते हैं...
फिर दोनों क्लास से निकल कर कैन्टीन चल देते हैं l
कैन्टीन में रॉकी अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ था l जैसे नंदिनी कैन्टीन में आती है वैसे ही सबकी नजर उसकी तरफ घुम जाती है l नंदिनी व बनानी दोनों जा कर एक टेबल पर बैठ जाते हैं l तभी रॉकी अपने जगह से उठता है और नंदिनी के तरफ आकर पूछता है - न्यू जॉइनींग
नंदिनी - येस...
रॉकी- आपका नाम जान सकता हूँ..
नंदिनी - क्यूँ नहीं.... मेरा नाम नंदिनी सिंह है..
रॉकी - (हाथ बढ़ाता है) हाय मैं राकेश पाढ़ी और दोस्त सभी मुझे रॉकी कहते हैं...
नंदिनी - (उससे हाथ मिलती है) ओके रॉकी..
हाथ मिलाते ही रॉकी शुन हो जाता है और नंदिनी की हाथ को वैसे ही पकड़े रहता है l नंदिनी अपनी हाथ छुड़ा कर पूछती है - ओ हैलो क्या हुआ..
रॉकी - क क कुछ नहीं अच्छा तुम कौन से स्ट्रीम में हो
नंदिनी - साइंस....
रॉकी - ओह मैं कॉमर्स फाइनल ईयर... अच्छा नंदिनी बाद में मिलते... हैं..

नंदिनी - ओके श्योर...
रॉकी नंदिनी को देखते हुए अपने पट्ठो के पास वापस जा रहा होता है,के तभी प्रिन्सिपल ऑफिस के पीओन आ कर नंदिनी को पूछता है - क्या आप मिस नंदिनी हैं....
नंदिनी - जी मैं ही हूँ...
पीओन - आपको प्रिन्सिपल जी ने बुलाया है...
नंदिनी - अच्छा बनानी मैं प्रिन्सिपल सर से मिलकर आती हूँ..

बनानी - ओके तो फ़िर हम क्लास में मिलते हैं...
उधर रॉकी अपने पट्ठों के साथ बैठा हुआ है और अपने हाथ को देख रहा है l
एक बंदा पूछता है - क्या बात है रॉकी अपने हाथ को ऐसे क्या घुर रहे हो...
रॉकी - अबे क्या बताऊँ यार कितने नरम हाथ थे उस नंदिनी के.... साला लंड अकेला नहीं खड़ा हो रहा है साला साथ साथ मैं रोयां रोयां भी खड़े हो गए...
सारे बंदे रॉकी को ऐसे घूरते हैं जैसे कोई बम फोड़ दिआ हो l
उधर प्रिन्सिपल के रूम में
प्रिन्सिपल - देखिए नंदिनी जी अपने जैसा कहा मैंने वैसा किया है पर आपके ID कार्ड में नाम तो पुरा और सही लिखना पड़ेगा...
नंदिनी - सर आपने मुझे इतना फेवर किया है तो एक छोटा सा और कर दीजिए...
प्रिन्सिपल - (अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपना चेहरा पोछता है) देखा आपने ऐसी रूम में भी कितना पसीना निकल रहा है.... अगर आपके भाईयों को जरा सा भी भान हुआ तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा (कहकर हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी - अरे अरे सर यह आप क्या कर रहे हैं.... सर आप पर कुछ नहीं आएगा... यह मेरा वादा है...
प्रिन्सिपल - ठीक है बताइए...
नंदिनी - मुझे आप दो ID कार्ड इशू कीजिए.... एक मेरी असली पहचान की और दुसरी वह जिसे मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूँ...
प्रिन्सिपल - ठीक है कॉलेज खतम होते ही ऑफिस से ले लीजियेगा... और इतनी कृपा बनाए रखियेगा के मेरे ऑफिस में जितना हो सके उतना कम आइयेगा... (कह कर वह अपने कुर्सी से उठ खड़ा होता है और हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी को थोड़ा बुरा लगता है और बिना पीछे मुड़े अपनों क्लास के तरफ निकल जाती है...
उधर कैन्टीन में रॉकी को वही बंदा पूछता है - अबे मरवायेगा क्या.... सुबह राजु ने उसके बारे में तुझे बताया तो था....
रॉकी - हाँ तो क्या हुआ अबे तूने देखा नहीं उसने मुझसे हाथ भी मिलाया और फिर से मिलने की बात पर हाँ भी कहा....
समझा कर आशीष..
आशीष - फ़िर भी एक मुलाकात मैं इतना आगे मत बढ़... अगर कहीं लेने के देने पड़ जाएं...
रॉकी थोड़ी देर सोचता है और अपने पास बैठे सारे दोस्तों को देखता है, वहाँ राजु नहीं था, फिर मन में कुछ सोचता है और सबसे पूछता है- सुनो बे चड्डी बड्डी कमीनों क्या करना है आईडीआ दो सालों...
आशीष - देख बे सुबह राजु ने खाली क़िताब का कवर दिखाया है पर मेरा मान कुछ टाइम ले थोड़ा अवजरभ कर कम से कम एक हफ्ते के लिए.... फिर मिलकर सोचते हैं क्या किया जाए....
रॉकी - चलो तुम लोगों की बात मान लेता हूँ.... छोकरी की कुंडली इतिहास व भूगोल के बारे में सब पता लगाता हूँ....
पर कमीनों किसी महापुरुष ने कहा था की इतिहास गवाह है इंसान या तो बेहिसाब दौलत के लिए या फिर बेहद खूबसूरत लड़की के लिए... अपनी जान की बाजी लगा देता है...और राजू की बताई डिटेल्स अगर सही है तो यह जितनी खूबसूरत है इसके बाप के पास उतनी ही ज्यादा दौलत है...तो अबसे "मिशन नंदिनी" शुरू और ऐसे समय में बड़े बड़े कमीने कह गये हैं नो रिस्क नो गैन....
Super fantastic update
 

Kala Nag

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Super fantastic update
आपका स्वागत है मेरे कल्पना की तिलिस्म में
आपका विचार मेरे लिए अनमोल है
अनुरोध है आप इसी तरह जुड़े रहें
धन्यबाद
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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मैं हमेशा वक्त के साथ चलता हूँ.... और मैं यह भी जनता हूँ... वक्त को आप अपने साथ लिए चलते हैं.... या यूँ कहूँ... वक्त आपके साथ चलता है....

इसको कहते हैं the perfect weathercock :)
आज कल तो ऐसे ही लोग दिख रहे हैं चहुंओर!

हाँ ऐसा समाज मुमकिम हो सकता है.... बशर्ते वहां सिर्फ़ इंसान ही बसते हों.

बहुत बढ़िया भाई साहेब!

अगर नियति को यही मंजूर है..... तो यही सही.... वह भोला और मासूम बना रहा... इसलिए आज उसकी यह हालत है.... अगर वह भोला और मासूम ना होता तो कहानी कुछ और ही होती ना सर

बढ़िया! सीधा, और सरल होना दोष है, ऐसे समाज में।

खौफ और इज़्ज़त के बीच एक पतली सी लाइन होनी चाहिए

इस बात का दो तीन बार इस्तेमाल हुआ है! बहुत बढ़िया!

थ्योरी के हिसाब से बात दिल की होती है.... पर लोग प्रैक्टिकल में लोग गांड की बात करते हैं.

हा हा हा!! :) सही है!

शायद जैल में एक खूनी मंज़र देखने को मिले

वो जेल में बाद में जो दंगा फसाद हुआ है, शायद इसी कारण से?


एक से बढ़ कर एक नगीने हैं इस बार तो भाई! बहुत उम्दा! बहुत उम्दा!
 

ANUJ KUMAR

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सुधांशु मिश्र धीरे धीरे अपनी आँखे खोलता है l चेहरा भिगा हुआ उसे मेहसूस हो रहा है, नजर उठा कर देखता है तो देखा कि भीमा उसे टवेल दे रहा है l मिश्र जो हुआ उसे समझने की कोशिश करता है कि जो वह देखा सपना था या सच...
वह अपना नजर घुमा कर देखता है राजा साहब अपने कुर्सी पर बैठे हुए बालकनी के बाहर देख रहे हैं, उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं है l बाकी सारे लोग उसकी तरफ देख ऐसे रहे हैं जैसे उसने रंग में भंग डाल दिया l वह झटपट उठ कर बालकनी से नीचे झांकता है तो पाता है कि स्वीमिंग पुल का पानी लाल दिख रहा है और स्विमिंग पुल के दूसरी तरफ का फर्श भी लाल ही लाल दिख रहा है l मिश्र के चेहरे पर डर और पसीने के साथ साथ उभर आते हैं l वह भैरव सिंह के तरफ देखता है पर भैरव सिंह निर्विकार हो कर बालकनी के नीचे देख रहा होता है l
मिश्र चिल्लाता है - यह.... यह क... क्या था...
विक्रम - यही तो था हमारा आखेट....
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वीर - हाँ रे आखेट, साला बेहोश हो कर सारा मज़ा किरकिरा कर दिआ....
मिश्र - म.....म मुझे जाने दीजिए प्लीज...
पिनाक - यशपुर में आपका स्वागत है नये BDO साहब.... यहाँ आना इंसीडेंट या एक्सीडेंट हो सकता है पर यहाँ से जाना राजा साहब की मर्जी से होता है...
मिश्र -(हाथ जोड़ कर घुटनों पर बैठ कर) राजा साहब मैं अपनी औकात भूल कर गुस्ताख़ी कर बैठा मुझे माफ कर दीजिए मैं यशपुर छोड़ कर चला जाउंगा...
विक्रम यह सुन कर जोर जोर से हंसने लगा l उसकी हंसी मिश्र की जान निकाल रही थी l
विक्रम - यह समूचा स्टेट क्षेत्रपाल परिवार की मिल्कियत है, इस स्टेट का सिस्टम पानी है और हम इस पानी के मगरमच्छ......
पिनाक - तु जानना नहीं चाहता वह कौन था क्या था...
मिश्र - नहीं नहीं मुझे नहीं जानना...
वीर - फिर भी हम तुझे बताएंगे l तुने नभ वाणी न्यूस चैनल सुना है... यह उसका असिस्टैंट एडीटर था "प्रवीण कुमार रथ" l इसके रिपोर्टिंग से नभ वाणी के TRP आसमान छुते थे l
पिनाक - तो इसने सोचा क्षेत्रपाल के परिवार की करतूतों को दुनिया को दिखाएगा....
विक्रम - उसे मालुम नहीं था कि पुरा सिस्टम हमारी है... तो उसको हमारे सिस्टम के जरिए ही उसकी बीवी साथ उठा लाए..
वीर - उसके आँखों के सामने सबसे पहले हमने उसकी बीवी की बारी बारी से ऐसी कोई छेद नहीं जिसको हमने फाड़ा नहीं
विक्रम - और जब हमारे मन भर गया तो इन सभी ऑफिसरांन के हवाले इनके मन भरने उसकी बीवी को करदिया .... सबने जी भरके उसकी बीवी के चुत में अपना योगदान दिया पर इस इंस्पेक्टर का मन भरा ही नहीं क्यूँ बे....

वह इंस्पेक्टर शर्मा रहा था और बत्तीसी निकाल कर हंस रहा था
वीर - हा हा हा अबे बोल कितनी बार ली है
इंस्पेक्टर - (शर्माते हुए) जी ग्यारह बार...
वीर ताली मारते हुए - देखा फ़िर भी कमीने का मन नहीं भरा... हा हा हा
अब कड़कती आवाज़ गुंजी भैरव सिंह की - अब उनका दिन भर गया तो हमने आखेट के हवाले कर दिआ l जंगल में लकड़बग्घे और पानी में मगरमच्छ गजब के जानवर होते हैं हड्डीयां तक नहीं छोड़ते हैं..
अब महल में उनकी जगह खाली पड़ी है... अरे हाँ तेरी बीवी भुवनेश्वर DPS में फिजीक्स पढ़ाती है न ह्म्म्म्म....
मिश्र - नहीं राजा साहब नहीं मुझे बक्स दीजिए... (अपना जुता निकालता है) मैं अपना जुता अपने मुहँ पर मारता हूँ.. (खुद के चेहरे पर मारते हुए) मुझे पागल कुत्ते ने काटा था जो गुस्ताखी कर बैठा...(गिड़गिड़ाते हुए) मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं अब बस आपके लिए काम करूंगा... (रोते हुए) मुझे माफ कर दीजिए राजा साहब...
भैरव - ह्म्म्म्म पहले अपना प्लान बताओ अगर पसंद आया तो तु यहाँ से जिंदा वापस जाएगा और अगर तेरी प्लान पसंद नहीं आया तो समझले तु जान से गया और जहान से गया...

मिश्र बड़ी मुश्किल से खुद को काबु किया फिर सबको प्लान बताने लगा l
भैरव - प्रधान तुम्हारा क्या राय है मुझे प्लान पसंद आया....
प्रधान - परफेक्ट.. बढ़िया है... हमारा टीम वर्क के आगे सारे एजेंसी फैल हो जाएंगे...

भैरव सिंह - बढ़िया फिर सुन बे चिरगोजे... जो तुझे दिआ जाए उसे आशीर्वाद समझ कर ले लेना l ज्यादा की कभी सोचना भी मत वरना उस रंग महल के पिंजरे में तु फड़फड़ाएगा और तेरी बीवी हम सबकी बिस्तर होगी और हम उसके चादर...
पिनाक - तो इसके साथ आज का कार्यक्रम समाप्त हुए l जाओ सब अपने अपने ठिकाने को जाओ l
यह सुनते ही सब ऐसे निकले जैसे गधे के सिर से सिंग l
भैरव सिंह- छोटे राजा पुरे स्टेट में ढूंढो किसकी हमारे खिलाफ खुजली हो रही है... रंग महल ऐसे खाली नहीं रहना चाहिए ...
पिनाक - जी राजा साहब
भैरव - युवराज आज आप रूप को लेकर भुवनेश्वर जाएंगे...

विक्रम - जी राजा साहब

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उधर भुवनेश्वर में रात को खाने के टेबल पर तापस - क्या बात है वकील साहिबा आज आपकी और वैदेही की मीटिंग कैसी रही...

प्रतिभा - कुछ नहीं आप कभी नभ वाणी न्यूस देखते हैं..
तापस - हाँ देखता था पर उसका एक न्यूज प्रेजेंटर प्रवीण न्यूस चैनल छोड़ दिया है तबसे उस चैनल की क्वालिटी उतनी रही नहीं इसलिए आज कल नहीं देख रहा हूँ....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म मुझे आज वैदेही के बातों से ऐसा लगा कि शायद प्रवीण क्षेत्रपाल के अहं का भेट चढ़ गया है...
तापस - व्हाट यह तुम किस बिना पर कह सकती हो
प्रतिभा - आज वैदेही ने कहा कि ढाई महीने पहले प्रवीण राजगड़ गया था... और गौर करो तब से वह गायब है... वैदेही कह रही थी उसका परिवार भी गायब है...
तापस - ह्म्म्म्म इसका मतलब वह सच में क्षेत्रपाल के अहं का शिकार हो गया है..
प्रतिभा - सुनिए आप इस केस को निजी तौर पर तहकीकात कीजिए ना..
तापस-देखिए मिसेज सेनापति जी मैं अब वुड बी रिटायर्ड जैल सुपरिटेंडेंट होने वाला हूँ l मुझे सिर्फ कैदियों का देख भाल आता है... यह तहकीकात...
प्रतिभा - नहीं करना चाहते हो बोल दीजिए ना.. बहाना क्यूँ बना रहे हैं... आप पहले थाने में ही ड्युटी करते थे यह मत भूलिए..
तापस-ऐ मेरी जानेमन
तुमको इस डिनर की कसम
रूठा ना करो रूठा ना करो...
तापस-चलिए आपके लिए मिसेज सेनापति जी हम पर्सनली इस केस की तह तक जाएंगे...
अब तो हंस दीजिए..
प्रतिभा मुस्करा देती है...


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अगली सुबह भुवनेश्वर xxx कॉलेज

कैम्पस में एक जगह कुछ लड़के बात कर रहे हैं I
ल 1- अब बोलो, कहा था ना मैंने ऑस्ट्रेलिया हॉकी जीतेगी l
ल 2- हाँ फ़िर भी साउथ अफ्रीका ने जबरदस्त टक्कर दी थी वह तो पेनल्टी शूट आउट में साउथ अफ्रीका चूक गई l
L3- अरे छोड़ो ना यार परसों इंडिया और पाकिस्तान का मैच है उस पर बैट लगाते हैं l
L1 - यू नो गयस रॉकी ऑलवेज करेक्ट... आइ एम डैम श्योर इंडिया ही जीतेगी l
L2- यह तो कोई भी कह सकता है... बैट लगानी है तो बोलो गोल कितने होंगे या कौन गोल करेगा l
L2- हाँ यह होती है बैट क्या कहते हो रॉकी...
रॉकी - ओके आज क्लास खतम होते ही हम बैट करेंगे
सभी - ठीक है
तभी सबकी नजर मैन गेट की तरफ जाती है l कुछ कारों का काफ़िला आ कर कॉलेज में रुकती है l सबसे बीच वाले कार में अध्यक्ष XXX युवा मोर्चा लिखा हुआ था l उस कार से विक्रम और वीर उतरते हैं l फ़िर रूप उतरती है l जैसे ही रूप उतरती है सभी लड़के चोर नजर से रूप को देख रहे हैं l उनमें रॉकी सामिल है l
रॉकी - वाव क्या आइटॉम है बाप.... पर यह वीर के साथ क्या कर रही है...
L3- यह इनकी बहन है रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल..
रॉकी - तुझे कैसे मालुम है बे राजू....
राजु - क्यूंकि कभी हम भी राजगड़ में रहते थे l आगे की पढ़ाई के लिए हमे गांव व घर बार छोड़ना पड़ा l
रॉकी - दोनों भाई अपनी बहन को लेकर अपनी कॉलेज में क्यूँ आए हैं... कहीं एडमिशन के लिए तो नहीं... अगर ऐसा हो जाए तो मजा आ जाएगा l
राजु - पता नहीं अगर तुम्हारी बात सच है तो भाई मैं तेरे गैंग से आउट...
रॉकी - क्यूँ बे फट्टु फट गई तेरी...
राजु - तु मेरी बात छोड़... तु अपना बता वीर के सामने तेरी चलती है क्या...
रॉकी - अपन थोड़े उससे डरता है..
राजु - रहने दे... रहने दे... यह क्षेत्रपाल परिवार क्या है तु अच्छी तरह से जानता है...
इनके सामने कोई आँखे उठाकर बात नहीं कर पाता है और उनके घर की बेटी से आँख लड़ेयेगा.. चल रहने दे

रॉकी - अबे वह तो बाद में देखा जाएगा पहले पता तो चले यह क्षेत्रपाल तिकड़ी यहाँ आई क्यूँ है......
कॉलेज प्रिन्सिपल के चैम्बर में
प्रिन्सिपल खड़ा हुआ है और तीनों भाई बहन उसके सामने बैठे हुए हैं
वीर कहता है - राजा साहब ने बता दिआ होगा... इसलिए एडमिशन की फर्मोंलिटि पूरी कर इन्हें सीधे क्लास तक एस्कॉट करते हुए ले जाओ और हाँ तुरंत सबको ख़बर हो जानी चाहिए कि राजा साहब की बेटी, वीर की बहन इस कॉलेज में पढ़ रही हैं l सब उसके साथ अदब से पेश आयें... बाकी कहने की कोई जरूरत नहीं समझे..
प्रिन्सिपल - जी जी
विक्रम व वीर उठते हैं l
विक्रम - रूप आपके लिए एक गाड़ी व ड्राइवर छोड़े जा रहे हैं l अब से वह कार आपकी है... हर रोज ड्राइवर आपको लाएगा और ले जाएगा l
रूप - जी युवराज

वीर - जाओ और अपना क्लास एंजॉय करो
प्रिन्सिपल - आइए राज कुमारी जी मैं आपको आपके क्लास तक पहुंचाता हूँ...

रूप - जी सर
रूप प्रिन्सिपल के साथ क्लास चली जाती है और विक्रम व वीर भी अपने गाड़ी से बाहर चले जाते हैं l
प्रिन्सिपल को बीच रास्ते में रोक कर रूप कहती है - सर
प्रिन्सिपल - जी राज कुमारी जी
रूप - देखिए सर पहली बात आप मुझे राजकुमारी ना कहें और मेरी असली परिचय किसी को ना बताएं l
प्रिन्सिपल - यह कैसे हो सकता है राज कुमारी जी... अगर राज कुमार जी को मालुम पड़ा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे...
रूप - अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं राजा साहब से सीधे आपके खिलाफ शिकायत करूंगी l
प्रिन्सिपल - नहीं नहीं ऐसा न कहिए... क्या करूँ एक तरफ खाई है दूसरी तरफ कुआं..
रूप - देखिए सर राजकुमार कभी कभी कॉलेज आते हैं... इसलिए उन्हें मैं सम्भाल लुंगी, बस आप मेरी बात मान कर मेरा साथ दीजिए...
आप मेरा परिचय नंदिनी कहकर दीजिएगा... कहीं पर भी आप मेरी पारिवारिक परिचय मत दीजियेगा... और हाँ आप भी मुझे राज कुमारी मत बुलाएंगे...
प्रिन्सिपल - ठीक है.. अब आपके हवाले मैं और मेरा परिवार है...

रूप - चलिए सर आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेवारी है.......

प्रिन्सिपल रूप को लेकर BSc फर्स्ट ईयर के क्लास में पहुंचा और पढ़ा रहे लेक्चरर व सारे स्टूडेंट्स से रूप का परिचय कराते हुए - गुड मॉर्निंग बच्चों...

सबने कहा - गुड मॉर्निंग..
प्रिन्सिपल - यह हैं रु... मेरा मतलब है नंदिनी सिंह... आपकी नई दोस्त व सहपाठी..
और मिस नंदिनी जी यह आपकी क्लास...
इतना कह कर प्रिन्सिपल वहाँ से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी से निकल गया l
फिर लेक्चरर ने नंदिनी को बैठ जाने को कहा l नंदिनी बीच के रो में एक लड़की के पास बैठ गई l
लड़की - हाय मैं बनानी महांती..
नंदिनी - मैं नंदिनी सिंह...
बनानी - ऐसे मिड सेशन में कैसे जॉइन किया तुमने...
नंदिनी - एक्चुआली मैं बीमार थी इसलिए शुरू में जॉइन नहीं हो पाई थी पर जब हेल्थ ठीक है तो जॉइन कर ली
लेक्चरर - साईलेंस प्लीज...
दोनों चुप हो गए और नंदिनी यादों में खो गई
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घर में शुभ्रा और रूप आज सुबह सुबह बातेँ कर रही हैं
शुभ्रा-क्या बात है रूप..
रूप - भाभी मैं क्षेत्रपाल सरनेम से यहां किसीसे पहचान या दोस्ती नहीं करना चाहती...
शुभ्रा - ऐसे कैसे हो सकता है... मत भूल कॉलेज में वीर भी है और यह सरनेम तुझे कॉलेज के लोफरों से भी बचाएगी...
रूप - नहीं भाभी मैं इस सरनेम के बगैर इस दुनिया का अनुभव लेना चाहती हूँ चाहे अच्छी हो या बुरी...
शुभ्रा - देखो रूप तु फ़िर से सोच ले...
रूप - भाभी मुझसे क्षेत्रपाल सरनेम जुड़ा रहा तो कोई मुझसे दोस्ती नहीं करेगा अगर यह सरनेम नहीं रहा तो मुझे दोस्त जरूर मील जाएंगे..
शुभ्रा - ठीक है कोशिश कर के देख ले... और शाम को घर आकर बताना क्या हुआ...
तभी क्लास खतम होने की बेल बजती है और रूप अतीत से बाहर आती है l
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उधर प्रतिभा और तापस चलते हुए जैल की और जा रहे हैं l प्रतिभा साड़ी में थी और तापस अपने जैल सुपरिटेंड के वर्दी में l दोनों सेंट्रल जैल के मुख्य द्वार पर आ पहुँचे l तापस संत्री से प्रवेश द्वार खोलने के लिए कहता है l संत्री चाबी लेने पास के की स्टैंड तक जाता है l इतने में
प्रतिभा - और कितनी देर लगेगी
तापस- जी देवीजी बस उतनी ही देर जितनी मुझे रोज ऑफिस जाते वक़्त लगता है...
प्रतिभा - (अपनी मुहँ को सिकुड़ते हुए) हो गया
तापस - जी बिल्कुल हो गया...
संत्री द्वार खोल देता है l तापस संत्री से विजिटर रजिस्टर लाने को कहता है l संत्री रजिस्टर लता है प्रतिभा उसमें अपना दस्तखत कर कारण लिख देती है l तापस संत्री से कहता है - इन्हें मीटिंग रूम में पहुंचा दो और कैदी नंबर छह सौ आठ से मिलवा दो......
संत्री साल्युट मार कर प्रतिभा को अपने साथ ले कर मीटिंग रूम में इंतजार करने को कहा l
थोड़ी देर वाद एक कैदी उस कमरे में आता है प्रतिभा उसे देख कर बहुत खुश हो जाती है और पूछती है - कैसा है प्रताप...
प्रताप - सच कहूँ तो सुबह से आपको ही याद कर रहा था l
प्रतिभा - चल चल झूट मत बोल.... तुझे आज वैदेही की भेजी रखी कि इंतजार था....
प्रताप - पर रखी आपके सिवा लाएगा ही कौन....
प्रतिभा - इसी बहाने तुझसे मिलने भी तो आ जाती हूँ...
प्रताप - आपका आना भी मेरे लिए किसी पर्व से कम है क्या.....
प्रतिभा - बाप रे कितना बोलने लग गया है तु....
प्रताप - सब आपकी महिमा है मैया..
प्रतिभा - अब तु भी मुझे उनकी तरह छेड़ने लगा.....
प्रताप- अरे माँ दस बाई आठ के कमरे से जब भी बाहर निकल कर आपके सामने आता हूँ तो जी करता है आपसे मन भरने तक बात करूँ....
प्रतिभा - तो फिर मेरे बच्चे ढाई महीने बाद रिहा हो कर मेरे पास ही क्यूँ नहीं रुक जाता...
प्रताप का चेहरा थोड़ा उदास हो जाता है - माँ मुझ पर रिश्तों की कर्ज व बोझ है.... जब तक मैं उन सबको निभा कर कर्ज़ मुक्त नहीं हो जाता तब तक मुझसे कोई वादा मत माँगों.... प्लीज...
प्रतिभा - ठीक है बेटा इस माहौल को ग़मगीन मत करो चलो यह राखी पहन लो...
प्रताप अपना हाथ बढ़ा देता है तो राखी प्रतिभा बांधती है
प्रताप - बुरा लगा....
प्रतिभा - नहीं...
प्रताप - माँ मैं पहले भी कह चुका हूँ... आज फिर से कह रहा हूं... मेरा मक़सद पुरा होते ही मैं पुरी तरह से आपका हो जाऊँगा...

प्रतिभा - (राखी बांधने के बाद) मैं जानती हूँ पर दिल थोड़े मानता भी तो नहीं....अच्छा यह बता वह तेरे साथ कैसे हैं....
प्रताप- तुम प्यार जताते थकती नहीं हो और वह जुड़ाव, लगाव रखते बहुत हैं मगर जताते या दिखाते नहीं हैं..
दोनों हंस पड़ते हैं l प्रतिभा थोड़ी गम्भीर हो जाती है और प्रताप के चेहरे को दोनों हाथों से झुका कर माथे को चूमती है l
प्रतिभा - अच्छा बेटा चलती हूँ... अपना खयाल रखना....
प्रताप - आप भी अपना और अपने उनका खयाल रखियेगा...
इतना कहकर प्रताप अंदर चला जाता है l उसके जाते ही प्रतिभा कमरे से बाहर निकालती है l दरवाजे से थोड़ी दूर आ कर रुक जाती है और बिना पीछे मुड़े पीछे की ओर कहती है - छुपकर सुनने से अच्छा होता कि आप भी हम माँ बेटे के साथ थोड़ा वक़्त बिताते और दो बातेँ भी कर लेते....
दरवाजे के ओट में छिपा तापस बाहर निकलता है और कहता है - दरअसल मेरा पेन यहाँ गिर गया था... वह ढूंढ कर निकाल रहा था कि तुम बाहर निकल आई....
प्रतिभा - हो गया....
तापस - हाँ हो गया देवी जी हो गया...
प्रतिभा - तो चलिए मुझे बाहर तक छोड़ दीजिए...
तापस- चलिए...

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उधर तीसरा क्लास खतम होते ही लंच ब्रेक की बेल बजती है

बनानी - अच्छा नंदिनी क्यूँ ना अभी हम कैन्टीन चलें..

नंदिनी - हाँ हाँ चलो चलते हैं...
फिर दोनों क्लास से निकल कर कैन्टीन चल देते हैं l
कैन्टीन में रॉकी अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ था l जैसे नंदिनी कैन्टीन में आती है वैसे ही सबकी नजर उसकी तरफ घुम जाती है l नंदिनी व बनानी दोनों जा कर एक टेबल पर बैठ जाते हैं l तभी रॉकी अपने जगह से उठता है और नंदिनी के तरफ आकर पूछता है - न्यू जॉइनींग
नंदिनी - येस...
रॉकी- आपका नाम जान सकता हूँ..
नंदिनी - क्यूँ नहीं.... मेरा नाम नंदिनी सिंह है..
रॉकी - (हाथ बढ़ाता है) हाय मैं राकेश पाढ़ी और दोस्त सभी मुझे रॉकी कहते हैं...
नंदिनी - (उससे हाथ मिलती है) ओके रॉकी..
हाथ मिलाते ही रॉकी शुन हो जाता है और नंदिनी की हाथ को वैसे ही पकड़े रहता है l नंदिनी अपनी हाथ छुड़ा कर पूछती है - ओ हैलो क्या हुआ..
रॉकी - क क कुछ नहीं अच्छा तुम कौन से स्ट्रीम में हो
नंदिनी - साइंस....
रॉकी - ओह मैं कॉमर्स फाइनल ईयर... अच्छा नंदिनी बाद में मिलते... हैं..

नंदिनी - ओके श्योर...
रॉकी नंदिनी को देखते हुए अपने पट्ठो के पास वापस जा रहा होता है,के तभी प्रिन्सिपल ऑफिस के पीओन आ कर नंदिनी को पूछता है - क्या आप मिस नंदिनी हैं....
नंदिनी - जी मैं ही हूँ...
पीओन - आपको प्रिन्सिपल जी ने बुलाया है...
नंदिनी - अच्छा बनानी मैं प्रिन्सिपल सर से मिलकर आती हूँ..

बनानी - ओके तो फ़िर हम क्लास में मिलते हैं...
उधर रॉकी अपने पट्ठों के साथ बैठा हुआ है और अपने हाथ को देख रहा है l
एक बंदा पूछता है - क्या बात है रॉकी अपने हाथ को ऐसे क्या घुर रहे हो...
रॉकी - अबे क्या बताऊँ यार कितने नरम हाथ थे उस नंदिनी के.... साला लंड अकेला नहीं खड़ा हो रहा है साला साथ साथ मैं रोयां रोयां भी खड़े हो गए...
सारे बंदे रॉकी को ऐसे घूरते हैं जैसे कोई बम फोड़ दिआ हो l
उधर प्रिन्सिपल के रूम में
प्रिन्सिपल - देखिए नंदिनी जी अपने जैसा कहा मैंने वैसा किया है पर आपके ID कार्ड में नाम तो पुरा और सही लिखना पड़ेगा...
नंदिनी - सर आपने मुझे इतना फेवर किया है तो एक छोटा सा और कर दीजिए...
प्रिन्सिपल - (अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपना चेहरा पोछता है) देखा आपने ऐसी रूम में भी कितना पसीना निकल रहा है.... अगर आपके भाईयों को जरा सा भी भान हुआ तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा (कहकर हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी - अरे अरे सर यह आप क्या कर रहे हैं.... सर आप पर कुछ नहीं आएगा... यह मेरा वादा है...
प्रिन्सिपल - ठीक है बताइए...
नंदिनी - मुझे आप दो ID कार्ड इशू कीजिए.... एक मेरी असली पहचान की और दुसरी वह जिसे मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूँ...
प्रिन्सिपल - ठीक है कॉलेज खतम होते ही ऑफिस से ले लीजियेगा... और इतनी कृपा बनाए रखियेगा के मेरे ऑफिस में जितना हो सके उतना कम आइयेगा... (कह कर वह अपने कुर्सी से उठ खड़ा होता है और हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी को थोड़ा बुरा लगता है और बिना पीछे मुड़े अपनों क्लास के तरफ निकल जाती है...
उधर कैन्टीन में रॉकी को वही बंदा पूछता है - अबे मरवायेगा क्या.... सुबह राजु ने उसके बारे में तुझे बताया तो था....
रॉकी - हाँ तो क्या हुआ अबे तूने देखा नहीं उसने मुझसे हाथ भी मिलाया और फिर से मिलने की बात पर हाँ भी कहा....
समझा कर आशीष..
आशीष - फ़िर भी एक मुलाकात मैं इतना आगे मत बढ़... अगर कहीं लेने के देने पड़ जाएं...
रॉकी थोड़ी देर सोचता है और अपने पास बैठे सारे दोस्तों को देखता है, वहाँ राजु नहीं था, फिर मन में कुछ सोचता है और सबसे पूछता है- सुनो बे चड्डी बड्डी कमीनों क्या करना है आईडीआ दो सालों...
आशीष - देख बे सुबह राजु ने खाली क़िताब का कवर दिखाया है पर मेरा मान कुछ टाइम ले थोड़ा अवजरभ कर कम से कम एक हफ्ते के लिए.... फिर मिलकर सोचते हैं क्या किया जाए....
रॉकी - चलो तुम लोगों की बात मान लेता हूँ.... छोकरी की कुंडली इतिहास व भूगोल के बारे में सब पता लगाता हूँ....
पर कमीनों किसी महापुरुष ने कहा था की इतिहास गवाह है इंसान या तो बेहिसाब दौलत के लिए या फिर बेहद खूबसूरत लड़की के लिए... अपनी जान की बाजी लगा देता है...और राजू की बताई डिटेल्स अगर सही है तो यह जितनी खूबसूरत है इसके बाप के पास उतनी ही ज्यादा दौलत है...तो अबसे "मिशन नंदिनी" शुरू और ऐसे समय में बड़े बड़े कमीने कह गये हैं नो रिस्क नो गैन....
Super fantastic update
👉पांचवां अपडेट
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एक आलीशान बंगलों में एक बड़ी सी गाड़ी आती है l एक आदमी शूट बूट पहने उतरता है l वह उस बंगले में लगे नाम का फलक देखता है जिसमें लिखा है *THE HELL" वह आदमी एक गहरी सांस छोड़ता है और वहाँ खड़े एक गार्ड से पूछता है - युवराज विक्रम सिंह क्षेत्रपाल जी हैं....
गार्ड - हाँ हैँ अपने जीम में व्यस्त हैं....
आदमी - जीम कहाँ पर है....
गार्ड हाथ उठाकर एक तरफ दिखाता है l वह आदमी तेजी से जीम के तरफ भागता हुआ जाता है l
जैसे ही वह जीम के भीतर आता है तो देखता है विक्रम सिंह एक पंच बैग पर किक बॉक्सिंग प्रेक्टिस कर रहा है l पास एक कुर्सी पर वीर बैठकर जूस पी रहा है l और कुछ दूर दस से बारह गार्ड्स खड़े हुए हैं l
उस आदमी को देखते ही वीर - अरे क्या बात है.... कंस्ट्रक्शन किंग्स KK... यहाँ कैसे आना हुआ....
KK - वह युवराज जी से काम है...
विक्रम - क्या काम है....
KK- वह कुछ दिन हुए हैं... एक गुंडा मुझे.... परेशान कर रहा है...
विक्रम - क्या कर रहा है...?
KK- रेत की ख़ुदाई की टेंडर इस बार ना डालने के लिए दबाव बना रहा था.... मैंने सोचा कि मैं उससे निपट लूँगा... पर लगता है वह किसी की संरक्षण में ऐसा कर रहा है... क्यूंकि अब NH Bybass टेंडर भी ना डालने को बोल रहा है...
मैंने उसे आपके बारे में आगाह किया था... पर उसने उल्टा आपको देख लेने की....
इतना ही कहा था KK विक्रम के पंच व किकस में तेजी और ताकत बढ़ गया l
विक्रम - और कुछ....
KK - हाँ अगर मैंने इसबार टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया तो वह मेरी बेटी को उठा लेगा... ऐसा बोला...
विक्रम - तुम क्या चाहते हो...
KK - मैं तो आपका सेवक हूँ... मैं क्या चाह सकता हूँ...(दोनों हाथ जोड़ कर) मेरी बिजनैस आपकी कृपा छाया में फल फुल रहा है.... मैं जानता हूँ यह सब आइकॉन ग्रुप्स वालों की है जो ओड़िशा में आपके पैरालल ताकत बनने की कोशिश में हैं...
विक्रम अब अपनी पुरी ताकत से पंच मारता है l अब वह गार्ड्स से टवेल ले कर अपना चेहरा साफ करता है और पास पड़ी एक कुर्सी पर बैठता है और KK को पूछता है - भोषड़ी के मैंने पूछा तू क्या चाहता है...
KK - थूक निगल कर युवराज जी आप मुझे इस मुसीबत से निकाल दीजिए...... बदले में आप मुझसे कुछ भी मांग लीजिए...
विक्रम गुस्से से कुर्सी से उठता है और KK को अपने हाथ से एक धक्का लगाता है, पास पड़े एक बड़े से आर्म चेयर में KK गिरता है l विक्रम अपना दाहिना पैर उठा का सीधे KK के टट्टों पर रख देता है l KK की आंखें दर्द से बड़ी हो जाती हैं l
विक्रम - पहली बात जो पूछा जाए उसका जबाव दे..... (KK के टट्टों पर दबाव और बढ़ाता है, KK चिल्ला नहीं रहा है,पर असहनीय दर्द चेहरे पर झलकता है) भोषड़ी के हम क्षेत्रपाल हैं.... जिस क्षेत्र में पाँव रख दें वह क्षेत्र हमारा हो जाता है....... हम पैसों के लिए नहीं अपनी अहंकार के लिए जीते हैं... और हम इसके बदले सरकार व लोगों से टैक्स लेते हैं...... (गोटियों पर दबाव बढ़ाते हुए) हमारा हाथ कभी आसमान नहीं देखता है.... हमारा हाथ हमेशा ज़मीन की और देखता है....

हम किसीसे मांगते नहीं है..... हम या तो दे देते हैं या फिर छीन लेते हैं.....
साले दो टके का इंसान मुझे मांगने को बोल रहा है....

KK - (दर्द से कराहते हुए) गलती हो गई युवराज..... माफ़ कर दीजिए.....
विक्रम अपना पैर उठा देता है और पास खड़े एक गार्ड को - ऐ जूस पीला रे इसको....
गार्ड तुरंत KK को जूस बढ़ाता है पर KK मना कर देता है l हाथ जोड़ कर विक्रम को देखता है l विक्रम पूछता है - क्या नाम था उस गुंडे का....
KK- सुरा....

विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड भागते हुए पंच बैग तक जाता है और पंच बैग का जिप खोल देता है l KK की आँखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है l पंच बैग के अंदर एक अधमरा आदमी गिरता है l
KK- ये... य... यह तो सुरा है....
वीर - हाँ तो.... तू क्षेत्रपाल के राज में क्षेत्रपाल के शरण में है... बच्चा तुझ पर कैसे कोई आपदा आ सकती है...
क्यूँकी क्षेत्रपाल के भक्तों के लिए युवराज सदैव आपदा प्रबंधन का भार सम्भाले हुए रहते हैं....
KK - मुझे माफ कर दीजिए... थोड़ा डर गया था...
विक्रम - लोग डर के मारे औकात भूल जाते हैं यह पहली बार देखा....
KK - सॉरी अब आप हुकुम कीजिए....

वीर - हाँ तो बारंग और आठगड़ रोड पर तेरा जो एकाम्र रिसॉर्ट है वह राजा साहब भैरव सिंह क्षेत्रपाल के नाम कर दे.....
KK - पर वह तो दो सौ करोड़ की है...
विक्रम उसे घूरता है
KK - ठीक है ठीक है मैं उसका कागजात बनवा देता हूँ...
अंदर उसी समय आते हुए पिनाक - और बहुत जल्द करना.... राजा साहब दो तीन दिन में भुवनेश्वर आने वाले हैं....
KK पिनाक को देखते ही सर झुका कर नमस्कार करता है और सबसे इजाज़त लेकर वहाँ से निकल जाता है....
विक्रम - कहिए छोटे राजा जी... कैसे आना हुआ
पिनाक - यह याद है ना रंग महल खाली रहे यह राजा साहब को पसंद नहीं
विक्रम एक गार्ड को इशारा करता है तो वह गार्ड एक फाइल को लाकर विक्रम के हाथ में देता है l विक्रम वह फाइल पिनाक के हाथ में देता है l पिनाक वह फाइल हाथ ले कर खोलता है तो उस में एक खूबसूरत लड़की की फोटो दिखती है l

पिनाक - यह कौन है.... यह इस सुरा की महबूबा है.... एक बी ग्रेड की मॉडल और म्यूजिक वीडियोज़ में कमर हिलाती है...
पिनाक - अच्छी है... चलो राजा साहब खुश हो जाएं बस..
वीर - (गार्ड्स को इशारा कर कहता है) अरे इसको देखो यह जिंदा है या नहीं...
गार्ड्स उसे चेक कर कहते हैं जिंदा है पर हालत बहुत खराब है.
विक्रम - इसे और इसकी महबूबा दोनों को राजगड़ पार्सल कर दो...
कुछ गार्ड्स सुरा को स्ट्रैचर पर डाल कर ले जाते हैं l उनके जाते ही एक गार्ड अंदर आकर वीर के कान कुछ कहता है l
वीर - (उस गार्ड को कहता है) जाओ बुलाओ उसे....
गार्ड बाहर जा कर एक लड़के को लेकर वापस आता है l वीर उसे एक चिट्ठी दे कर कहता है - जाओ ESS ऑफिस जाओ वहाँ पर तुम्हें भर्ती कर लेंगे...

वह लड़का यह सुन कर वीर के पैरों में गिर जाता है l वीर उसे दिलासा दे कर गार्ड के साथ भेज देता है l विक्रम और पिनाक उसे सवालिया दृष्टि से देखते हैं तो वह कहता है
वीर - वह हमारी पार्टी का एक कार्यकर्ता का बेटा है.... बिचारा अनाथ हो गया उसकी एक विधवा माँ है और एक छोटी बहन है.... इसलिए मैंने उसे नौकरी में लगा दिआ....

पिनाक - सच सच बोलो राज कुमार आपको किसी का डर है क्या...
वीर - क्या बात कर रहे हैं... मुझे किसका दर वह तो एक कार्यकर्ता था दिन रात पार्टी के सेवा में लगा हुआ था एक दिन अपना घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी बीवी मेरे साथ लगी हुई थी l बेचारा मुझे बहुत गाली दिआ... मुझे उसका दुख देखा नहीं गया..... तब उसने अपने आपको फांसी लगा ली... मेरा मतलब है कि मैंने उसके दुख को महसुस कर उसे पंखे से टांग कर मुक्ति दे दी...
पिनाक - ह्म्म्म्म मतलब उसकी बीवी बहुत कड़क है क्या....
वीर - मैं आपकी स्टेनो, सेक्रेटरी के बारे में कभी नहीं पूछा है....
पिनाक - वह पर्सनल है....
वीर - यह भी पर्सनल है और वह कोई रंग महल की नहीं.....
विक्रम - ठीक है... अब बहस बंद कीजिए....
दोनों चुप हो जाते हैं, फिर पिनाक कहता है - अच्छा मैं जाता हूँ पार्टी के काम से l

इतना कह कर पिनाक निकल जाता है और दोनों भाई घर के भीतर चले जाते हैं, और ड्रॉइंग रूम में आकर कुछ बात कर रहे होते हैं कि कॉलेज से नंदिनी घर के अंदर पहुंचती है तो पाती है ड्रॉइंग हॉल में विक्रम वीर के साथ बैठ कर कुछ डिस्कस कर रहा है l नंदिनी को देखते ही - कैसा रहा आज का पहला दिन...
नंदिनी - बहुत ही अच्छा... जैसा सोचा था उससे कहीं बेहतर...
वीर - अच्छा कोई दोस्त वोस्त बनाए की नहीं....?
नंदिनी उन दोनों को गौर से देखती है और फिर कहती है - क्षेत्रपाल परिवार से दोस्ती कौन कर सकता है युवराज जी.... सब हम से ऐसी दूरी बना रहे हैं जैसे समाज में लोग अछूतों से रखता है....
वीर - बहुत बढ़ीआ यह लोग बहुत छोटे व ओछे होते हैं... तभी तो प्रिन्सिपल से कहा कि आपका परिचय सिर्फ़ स्टूडेंट्स तक ही नहीं बल्कि सभी लेक्चरर को भी दे देने के लिए....
ताकि कोई अपना औकात ना भूले...
नंदिनी - जी राजकुमार जी... क्या अब मैं अंदर जाऊँ....
वीर - हाँ हाँ जाइए.... और पढ़ाई में ध्यान दे या ना दें आप पास तो आप हो ही जाएंगी... बस अपना एटिट्यूड बनाएं रखें....
नंदिनी - जी जरूर...
इतना कह कर नंदिनी घर के अंदर चली जाती है l
विक्रम - तुम्हें क्या लगता है राजकुमार... नंदिनी सच कह रही है..
वीर - वह झूठ क्यूँ बोलेगी... वैसे भी मैंने सुबह प्रिन्सिपल को अच्छे से समझा दिया है.....
विक्रम - हाँ वह तो है... फिर भी अपनी तसल्ली के लिए हर दस पंद्रह दिन में एक बार कॉलेज का चक्कर लगाते रहना...
वीर - जी युवराज...
नंदिनी शुभ्रा के रूम में आती है l शुभ्रा विस्तर पर बैठ कर कोई मैगाजिन पढ़ रही थी l शुभ्रा को देख कर खुशी से झूमती हुई नाचते हुए शुभ्रा के पास आती है
नंदिनी - आ हा आह भाभी क्या बताऊँ आज कॉलेज में कितना मजा आया...
शुभ्रा - वह तो तुझे देखते ही पता चल गया है.... अच्छा बता आज कॉलेज में क्या क्या हुआ...
नंदिनी आज कॉलेज में क्या क्या हुआ सब बता देती है l सब सुनने के बाद शुभ्रा - यह रॉकी कुछ ज्यादा ही तेज है
नंदिनी - हाँ अपनी गाड़ी बिना ब्रेक के दौड़ा रहा है...

शुभ्रा- नंदिनी के चेहरे को गौर से देखती है जैसे खुशी के मारे एक तेज नुर झलक रही थी l उसके गालों को हाथों में ले कर कहती है - रुप कितनी खुश है तु... पर ध्यान रखना अपना..... पहली बार तु सही मायनों में घर से बाहर निकली है.... बाहर की दुनिया जितनी अच्छी दिखती या लगती है... उतनी ही छलावे होती हैं....
नंदिनी - भाभी मैंने रुप बन कर जितना देखा देख लीआ.... आज नंदिनी बन कर देखा जिंदगी में रुप ने कितना कुछ खोया है...जितना नंदिनी ने एक दिन में पाया है..... और रही दुनिया की बात तो वह मुझे तोल ने दीजिए... और आप तो मेरे साथ हो ना मेरी सबसे अच्छी सहेली....
यह सुन कर शुभ्रा उसे गले से लगा लेती है l
इसी तरह पंद्रह दिन ऐसे ही गुजर जाते हैं l
जैल के ऑफिस में तापस अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ है तभी एक संत्री एक लेटर ला कर देता है l लेटर पढ़ते ही संत्री को कहता है - अरे जाओ उन्हें अंदर लाओ... कलसे तुम लोगों को उन्ही की ड्यूटी बजानी है...
संत्री तापस को सैल्यूट कर बाहर निकल जाता है और एक पचास वर्षीय आदमी के साथ अंदर आता है l
तापस उस आदमी को देख कर बहुत खुश होता है और उसे सैल्यूट करता है बदले में वह आदमी भी उसे सैल्यूट करता है और कहता है - जान निसार खान रिपोर्टिंग सर...
फ़िर सैल्यूट तोड़ कर दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं l
तापस-क्या बात है खान बहुत दिनों बाद मिले... कैसे हो मेरे दोस्त... आओ बैठो यार...

खान - हाँ बहुत दिनों बाद मिले तो है (बैठते हुए) पर यह क्या.... (हैरानी से) तुम अभी से VRS ले रहे हो...
तापस - अरे यार अब नौकरी में रह कर क्या करूंगा l पुस्तैनी घर और जमीन को कब तक किसी और के भरोसे देख भाल में छोड़ सकते हैं l
खान - क्या यार मुझसे भी छुपा रहा है... हाँ बताना नहीं चाहता तो बात अलग है....
तापस - देख... हम पति पत्नी बहुत कमाया है पर हमारी कमाई खाने वाला कोई है ही नहीं.....मैं इसलिए उब गया हूँ नौकरी बजाते बजाते... मुझसे अब आगे हो नहीं पाएगा दोस्त....
खान - यार सेनापति हम पुलिस ट्रेनिंग समय से दोस्त हैं.... और जितना मैं तुझे जानता था.... तु कभी इतना कमज़ोर तो नहीं था....
तापस- उम्र मेरे दोस्त उम्र... मैं और मेरी पत्नी जिसके लिए इतना कमाया वह हमारे जीवन से चला गया हमे बेसहारा कर.... अब घर और जीवन में हम पति पत्नी एक दुसरे के सहारा बने हुए हैं.... ना अब अपनी नौकरी खिंच पा रहा हूँ और ना ही प्रतिभा अपनी वकालत नामा....
खान - समझ सकता हूँ यार... सॉरी अगर दिल दुखा तो...
तापस - छोड़ यार.... अच्छा क्यूँ न तु एक राउंड ले ले मैं तब तक चार्ज हैंड ओवर फाइल तैयार कर लेता हूँ...
खान - (हंसते हुए) तुझे चार्ज हैंड ओवर करने की जल्दी पड़ी है...
तापस - अरे यार आज मैं जल्दी घर जाना चाहता हूँ.... इतने वर्षो बाद मुझे लगना चाहिए कि घर जैल सुपरिटेंडेंट नहीं जैल से छूट कर तापस सेनापति जा रहा है....
दोनों साथ हंसते हैं l तापस बेल बजता है तो उसका अर्दली आता है l तापस उसे कहता है - तुम्हारे नए साहब को राउंड पर ले जाओ....
खान - अच्छा मैं राउंड से आता हूँ..... फ़िर बात करते हैं....
खान और अर्दली बाहर निकल जाते हैं और तापस फाइल बनाने में लग जाता है l
उधर कॉलेज की कैन्टीन में नंदिता अपनी कुछ दोस्तों के साथ बैठी थी l अब उसके सिर्फ बनानी ही नहीं बल्कि और तीन दोस्त बन चुके हैं l सारे के सारे कैन्टीन में मजे से बात कर रहे हैं l कैन्टीन में जितने भी लड़के थे सब बड़ी आशा भरी नजर से नंदिता को देख रहे हैं कि कास इस हसीना की नजरें इनायत हो जाए l तभी वीर कैन्टीन आता है जिसे देख कर जितने भी स्टूडेंट्स थे सभी धीरे धीरे खिसक गए, नंदिता के दोस्त भी l वीर आकर सीधे नंदिता के सामने बैठता है और पूछता है - कहिए राज कुमारी जी पढ़ाई कैसी चल रही है l
नंदिता - अच्छी चल रही है...
वीर - ह्म्म्म्म कुछ दोस्त बनालिए हैं तुमने l
नंदिता - सिर्फ़ चार दोस्त वह भी मैंने बनाएं हैं l वरना मुझसे दोस्ती कोई कर ही नहीं रहा है यहां पर l
वीर - हाँ तो दोस्त बनाने की जरूरत ही क्या है...आप अपनी पढ़ाई एंजॉय करो...
नंदिता - सुबह नौ बजे से दो पहर तीन बजे तक अकेले.... छह घंटे तक अकेले किसी से बात ना करूँ सिर्फ लेक्चर सुनूँ या लाइब्रेरी में बैठूं...
वीर - अच्छा चलो ठीक है... पर दोस्ती इतनी रखो की तुम्हें कोई अपने घर ना बुलाए....
नंदिता - जी...
वीर - ह्म्म्म्म अच्छा कोई लड़का तुमसे दोस्ती नहीं की है अब तक....
नंदिता - किसी में इतनी हिम्मत नहीं है कि कोई मुझसे दोस्ती करे... बात करने से ही कन्नी काट कर निकल जाते हैं...
वीर - (अपनी भौवें उठा कर) क्यूँ तुम्हें लड़कों से बात करने की क्यूँ जरूरत पड़ रही है....
नंदिता - जरूरत.... कैन्टीन में, लाइब्रेरी में या क्लास में किसी को अगर साइड देने को कहते ही ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग...
वीर - हा हा हा हा... अच्छी बात है... अच्छा मैं चलता हूँ... कोई तकलीफ़ हो तो मुझे फोन कर देना...
इतना कह कर वीर चला जाता है l वैसे कॉलेज में सबको यह मालुम था कि यह लड़की ज़रूर खास है जिसे विक्रम सिंह क्षेत्रपाल व वीर सिंह क्षेत्रपाल छोड़ने आए थे l बहुतों ने कोशिस की पता लगाने की पर क्यूंकि नंदिता ने प्रिन्सिपल के ज़रिए सेट कर दिया था इसलिए किसको ज्यादा कुछ पता लगा नहीं l वीर के जाने के बाद भी जब कैन्टीन में कोई नहीं आया तो नंदिता बिल दे कर क्लास की और निकल पड़ी l
उधर जैल के अंदर खान अर्दली के साथ राउंड ले रहा था l सारे बैरक घुम लेने के बाद स्किल डेवलपमेंट वर्क शॉप पहुंचा जहां सरकार द्वारा कैदी सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत क़ैदियों को काम सिखाया जाता है l खान ने देखा एक कैदी कुछ क़ैदियों को कारपेंटरी के बारे में सीखा रहा है l
खान - यह कौन है.. जगन..
अर्दली उर्फ़ जगन - साहब यह विश्वा है...
खान - कितने सालों से है...
जगन - सात सालों से... और दो महीने बाद रिहाई है उसकी...
खान - कैदी सुधार कार्यक्रम को बड़े अच्छे से निभा रहा है....
जगन - सर यह बहुत ही अच्छा आदमी है....
खान - क्या बात है... एक कैदी की इतनी तारीफ....
जगन - वैसी बात नहीं है सर... मैंने तो सच ही कहा है...
खान - अच्छा यह बताओ अर्दली को घर में होना चाहिए तुम यहाँ क्या कर रहे हो
जगन - वह सर उनके बेटे के देहांत के बाद सेनापति सर क्वार्टर में दो ही कमरे इस्तमाल करते हैं... उन्होंने कहा कि मैं उनके कुछ काम सिर्फ ऑफिस मैं ही कर दिआ करूँ......
खान - ह्म्म्म्म वैसे तुम्हारी नौकरी यहाँ पर कैसे लगी
जगन - मेरे पिता हेल्पर कांस्टेबल थे ड्यूटी के दौरान उनकी देहांत हुई तो कंपेसेसन के तहत सेनापति सर ने ही मुझे यहाँ लगवा दिया था और मुझसे कहा भी था के जाने से पहले मुझे हेल्पर कांस्टेबल बना कर ही जायेंगे....
खान - अगर सेनापति ने कहा है तो वह जरूर तुम्हारे लिए जरूर करेगा.... वैसे विश्वा की और क्या खासियत है....
जगन - सर विश्वा ने इसी जैल में रहकर अपना ग्रैजुएशन खतम किया और अपनी वकालत भी जैल में रहकर पुरी की है...
खान - क्या.... ह्म्म्म्म... इंट्रेस्टिंग... जैल में रह कर वकालत किया है...
जगन - अब क्या बताऊँ सर बस आदमी बहुत अच्छा है और सबकी मदत को हमेशा तैयार रहता है...
खान - इतना ही अच्छा है तो यहाँ चक्की पीसने आया क्यूँ... ह्म्म्म्म
जगन - किस्मत साहब किस्मत
खान - क्या मतलब है तुम्हारा....
जगन - सर अच्छे बर्ताव के लिए विश्वा का नाम सिफारिश किया जाने वाला था... जब विश्वा को मालुम हुआ तो सेनापति सर को ऐसा करने से मना कर दिया... सेनापति सर ने वज़ह पुछा तो विश्वा ने कहा कि उसे कानून से इंसाफ़ चाहिए ना रहम ना एहसान या हमदर्दी...
खान - ओह.... ह्म्म्म्म... अच्छा यह बताओ के यह तुम्हें कैसे मालूम हुआ जगन - एक बार सर जी के घर गया था तो उन्हें मैडम जी से कहते सुना था....
खान - अच्छा आपके सेनापति सर वक्त से पहले रिटायर्मेंट क्यूँ ले रहे हैं....
जगन -पता नहीं पर मुझे लगता है उसकी वजह भी विश्वा है सर....
खान का मुहँ खुला रह जाता है l जैसे जगन ने कोई बम फोड़ दिया हो l
खान - क.. का... क्या.....
जगन - जी सर विश्वा चूँकि दो महीने बाद जैल से छुट रहा है.... तो प्लान करके सेनापति सर रिटायर्मेंट ले रहे हैं... ऐसा मुझे लगता है..
खान - क्यूँ... मेरा मतलब.. आख़िर क्यूँ... विश्वा से क्या संबंध...
जगन - सेनापति सर बेवजह उससे लगाव नहीं रखे हैं...
खान सवालिया नजरों से देखता है
जगन - विश्वा ने जैल में एक बड़ा कांड होने से पहले सेनापति सर को आगाह किया था और फ़िर जब उससे भी बड़ा कांड हुआ तब सेनापति सर ही नहीं बहुत से पुलिस वालों की जान भी बचाया था... इसलिए विश्वा से उनका बहुत लगाव भी है और जुड़ाव भी...
खान आपनी आँखे सिकुड़ कर जगन को ऐसे देख रहा था, जैसे जगन कोई झूठ बोल रहा हो, पर जगन बिना कोई शिकन चेहरे पर लाए कहने लगा
जगन - सर आप जान कर हैरान रह जाएंगे विश्वा को सजा कराने वाली कोई और नहीं... बल्कि सेनापति सर की पत्नी ही थीं.. जिन्होंने विश्वा के खिलाफ़ मुकद्दमा लड़ा और उसे सजा दिलाई...
खान - अरे रुको यार... झटके पर झटके दिए जा रहे हो... एक दिन में इतना सब कुछ हज़म नहीं हो सकता है भाई...
चलो पहले सेनापति को रिलीव करते हैं...
फिर दोनों ऑफिस के तरफ चल पड़ते हैं l
उधर कॉलेज कैन्टीन में रॉकी आ पहुंचता है देखता है कैन्टीन पूरा खाली पड़ा है l तो वह वहाँ के एक वेटर से पूछता है - क्यूँ रे गोलू.. यह कैन्टीन ऐसे खाली खाली क्यूँ लग रहा है... अपना कोई बंदा भी नहीं दिख रहा है....
गोलू - रॉकी भाई... वह प्रेसिडेंट वीर सिंह जी आए थे... इसलिए सभी उठ कर चले गए..
रॉकी - अच्छा... वह क्यूँ आया था यहाँ...
गोलू - क्या पता क्यूँ आया था... वह बस उस नए लड़की से बात कर रहा था... एक बात बोलूँ भाई... वीर सिंह से बात करते सबकी फटती है.. पर क्या लड़की थी वह वीर सिंह के आंखों में आंखें डाल कर बात कर रही थी....
रॉकी - ह्म्म्म्म...
गोलू - मेरे को तो लगता है.... कि वह जरूर वीर सिंह की कोई आइटम होगी....
रॉकी - अबे मुहँ सम्भाल अपना... वीर सिंह की पहचान की है वह.... वीर उसे अपना बहन मानता है... समझा और हाँ यह राज अपने अंदर ही रख किसीको बोला... तो वीर सिंह तुझे बीच से फाड़ देगा...
गोलू अपना हाथ अपने मुहँ पर ले कर चुप रहने के लिए अपना सर हिलाता है l
रॉकी - कैन्टीन से बाहर आ कर सब दोस्तों को फोन पर कॉन्फ्रेंसिंग में लेकर कहता है - मेरे चड्डी बड्डी कमीनों... आज शाम हमारे होटल में मेरी प्राइवेट शूट में तुम सालों के लिए पार्टी है.. आ जाना....मिशन नंदिनी को ऑपरेट करना है...
इतना कह कर अपना फोन जेब में रखता है और अपनी गाड़ी से बाहर निकल जाता है l उधर जैसे ही क्लास में नंदिनी आती है सारे स्टूडेंट्स एक दम से चुप हो जाते हैं l नंदिनी देखती है बनानी के आखों में भी डर है l नंदिनी चुप चाप अपनी सीट पर बैठ जाती है l थोड़ी देर बाद एक लेक्चरर आता है और पढ़ाना शुरू करता है l नंदिनी इस बार देखती है कि लेक्चरर भी नजरें मिलने से कतरा रहा है l किसी तरह क्लास खतम होता है तो लेक्चरर के साथ सारे स्टूडेंट्स जल्दी जल्दी क्लास रूम से निकल जाते हैं l क्लास में नंदिनी अकेली बैठी हुई है, उसे बुरा भी लग रहा है, वह सर उठाकर अपनी चारों और देखती है और कुछ सोच में डुब जाती है, उधर रॉकी आज रात की पार्टी में अपने दोस्तों के साथ मिशन नंदिनी को कैसे आगे बढाए उस प्लान के बारे में सोच रहा है और जैल से तापस जा चुका है और उसकी कुर्सी पर अब खान बैठा हुआ है l चार्ज हैंड ओवर के बाद तापस तुरंत निकल गया l अब जगन ने खान के मन में क्युरोसिटी जगा दिया था कि सेनापति को एक कैदी से इतना जुड़ाव हो गया है कि उसकी रिहाई के चलते सेनापति अपनी नौकरी से VRS ले लिया है, और उसी कैदी को सज़ा भी सेनापति की बीवी ने करवाया था l
खान - या आल्हा पता लगाना पड़ेगा माजरा क्या है....
यह कह कर अपनी सोच में गुम हो जाता है
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ANUJ KUMAR

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नंदिनी घर पहुंच कर सीधे अपनी भाभी शुभ्रा के पास जाती है l शुभ्रा देखती है कि आज नंदिनी का चेहरा थोड़ा उतरा हुआ है l
शुभ्रा - क्या बात है ननद जी, आज आपका चेहरा उतरा क्यूँ है....
नंदिनी - आज... वीर भैया कॉलेज आए थे...
शुभ्रा - ओह तो यह बात है.... ह्म्म्म्म मतलब आज तेरे दोस्त तुझसे दूर भाग गए होंगे....
नंदिनी - (अपनी भाभी के गोद में अपना सर रख कर) हाँ.... भाभी(थोड़ा उखड़े हुए) बड़ी मुस्किल से मैंने ना चार दोस्त बनाए थे....
शुभ्रा - ह्म्म्म्म तुम्हारे राजकुमार भाई के जाने से सब बिगड़ गया ह्म्म्म्म...
नंदिनी अपना सिर हिला कर हाँ कहती है....
शुभ्रा - (शरारत करते हुए) तो अब क्या होगा मेरी ननद जी का... जानेंगे ब्रेक के बाद...
नंदिनी - भा.... भी... उहन् हूं...
शुभ्रा -(हा हा हा) अब तू ही बता अब हम क्या कर सकते हैं....
नंदिनी - भाभी.... भाई साहब की इमेज क्या इतना खराब है...
शुभ्रा - (हंसती है, और कहती है) यह इमेज क्या होती है.... इसे चरित्र कहते हैं...
नंदिनी - उं... हुँ... हूँ अब मैं क्या करूं भाभी...
शुभ्रा - अगर मेरी माने तो, तु अपने दोस्तों को सब सच बता दे.... उन्हें अगर तेरी फिलिंगस का कदर होगी... तो वे... अपनी दोस्ती जरूर निभाएंगे.... बरकरार रखेंगे....
नंदिनी -(चुप रहती है)
शुभ्रा - ऐ... क्या हुआ... बहुत दुख हो रहा है...
नंदिनी - नहीं भाभी थोड़ा बुरा लग रहा है... पर दुख नहीं हो रहा है.... क्यूंकि ऐसा तो बचपन से ही मेरे साथ होता आ रहा है... फिर अब क्या नया हो गया....
शुभ्रा नंदिनी के बालों को प्यार से सहला देती है l नंदिनी उसके गोद से अपना चेहरा उठाती है और शुभ्रा को देख कर पूछती है l
नंदिनी - भाभी आप बुरा ना मानों... तो... एक बात पूछूं l
शुभ्रा - ह्म्म्म्म पुछ..
नंदिनी - आप और विक्रम भैया में कुछ...
शुभ्रा - (शुभ्रा झट से खड़ी हो जाती है) रूप कुछ बातेँ बहुत दर्द देते हैं....
नंदिनी - सॉरी भाभी...
शुभ्रा - देख तूने पूछा है तो तुझे बताऊंगी जरूर.... लेकिन फिर कभी.... आज नहीं...
और इस घर में तेरे सिवा मेरा है ही कौन....
नंदिनी उसके पास जाती है और उसके गले लग जाती है l

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होटल BLUE Inn..
कमरा नंबर 504 में हल्का अंधेरा है और अंधेरे में रॉकी और उसके चार दोस्त सब महफ़िल ज़माये हुए हैं, सारे मॉकटेल की मस्ती में महफ़िल जमाए हुए हैं, सिवाय रॉकी के, म्यूजिक भी बज रहा है और सब धुन के साथ थिरक रहे हैं l कमरे के बीचों-बीच एक व्हाइट बोर्ड रखा हुआ है l सब अपना अपना ड्रिंक खतम करते हैं तो रॉकी जाकर लाइट्स ऑन करता है l जैसे ही कमरे में उजाला होता है तो सबका थिरकना बंद हो जाता है l सब रॉकी को देखते हैं तो रॉकी सबको चीयर करते हुए उनके बीच से जाते हुए म्यूजिक भी बंद कर देता है l

रॉकी - तो भाई लोग... अपना जिगर मजबुत कर लो और अपने जिगरी यार के लिए एक मिशन है जिसको पूरा करना है.....
सब चुप रहते हैं l सब को चुप देख कर रॉकी कहता है - अरे पहले अपना अपना पिछवाड़ा तो सोफा पर रख लो यारों...
सब बैठ जाते हैं, सबके बैठते ही रॉकी एक मार्कर पेन लेकर व्हाइट बोर्ड तक पहुंचता है, और बोर्ड में एक सर्कल बनाता है l
रॉकी - मित्रों यह है नंदिनी.... तो इससे पहले कि हम यह मिशन आरंभ करें.... यह मेरा दोस्त, मेरा यार, मेरा दिलदार मेरा जिगर मेरे फेफड़ा राजु कुछ तथ्यों पर रौशनी डालेगा....
राजू - हाँ तो मित्रों मैं इससे पहले इस पागल के पागलपन में साथ देना नहीं चाहता था..... पर इस मरदूत ने मुझे इतना मजबूर कर दिया..... कहा कि मैं इसका बड़ा चड्डी वाला बड्डी हूँ क्यूँ के तुम सब इसके छोटे चड्डी वाले बड्डी हो..... बस यह जान के मैं इसका काम करने को तैयार हो गया....

राजू की बात खतम होते ही सब हंसते हुए ताली मारते हैं l
रॉकी - (सबको हाथ दिखा कर) अरे रुको यारों रुको..... यहां छोटे मतलब बचपन और बड़ा मतलब इंटर कॉलेज... हाँ अब राजु आगे बढ़....
रॉकी की बात खतम होते ही राजु व्हाइट बोर्ड के पास पहुंचता है और मार्कर पेन लेकर रॉकी के बनाये उस सर्कल के पास कुछ लकीरें खिंचता है और कहता है - जैसा कि मैंने पहले ही बताया था कि नंदिनी विक्रम व वीर की बहन है l तीन पीढ़ियों के बाद क्षेत्रपाल परिवार में लड़की हुई है.... पर रूप नंदिनी जब चार साल की थी तब उसकी माँ का देहांत हुआ था l अब इसपर भी कुछ विवाद है हमारे राजगड में दबे स्वर में कुछ बुजुर्ग आज भी कहते हैं कि रूप कि माँ ने आत्महत्या की थी.... खैर अब वह इस दुनियां में नहीं हैं और रूप के पिता भैरव सिंह क्षेत्रपाल दूसरी शादी भी नहीं की..... अब क्यूँ नहीं की... वेल यह उनका निजी मामला है.....
तो अब परिवार में रूप के दादा जी नागेंद्र सिंह हैं पर वह अब पैरालाइज हैं... ना चल फिर सकते हैं ना ही किसीको कुछ कह पाते हैं...
फिर आते हैं उनके पिता भैरव सिंह पर.... तो यह शख्स पूरे स्टेट में किंग व किंग् मेकर की स्टेटस रखते हैं.... या यूँ कहें कि भैरव सिंह पुरे राज्य में एक पैरलल सरकार हैं....
फिर आते हैं रूप नंदिनी जी के चाचाजी पिनाक सिंह जी के पास...

फ़िलहाल यह महानुभव भुवनेश्वर के मेयर हैं...
इनकी पत्नी श्रीमती सुषमा सिंह जो सिर्फ राजगढ़ महल में ही रहती हैं....
फिर विक्रम सिंह, रूप के सगे भाई व बड़े भाई यह अब भुवनेश्वर में रूलिंग पार्टी के युवा मंच के अध्यक्ष हैं और इनकी पत्नी हैं शुभ्रा सिंह.... इनसे विक्रम सिंह की प्रेम विवाह हुआ है... पर इनके विवाह पर भी लोग तरह तरह की कहानियाँ कह रहे हैं.... खैर अब आते हैं रूप जी के चचेरे भाई वीर सिंह जी...
यह हमारे कालेज के छात्रों के अपराजेय अध्यक्ष हैं...
अब आगे हमारे रॉकी साहब कहेंगे....
इतना कह कर राजू चुप हो जाता है l अब रॉकी अपने जगह से उठता है और अपने सारे दोस्तों को कहता है - यारों सब दुआ करो..
मिलके फ़रियाद करो...
दिल जो चला गया है....
उसे आबाद करो... यारो तुम मेरा साथ दो जरा....
आशीष - बस रॉकी बस ... हम यहाँ तेरे दोस्त इसी लिए ही तो आए हुए हैं और तेरी धुलाई की सोच कर मेरा मतलब है कि तुझे नंदिनी तक पहुंचने की रास्ता बताने वाले हैं.....
पर यार भले ही वह क्षेत्रपाल बहुत पैसे वाले हैं पर यार तु भी तो कम नहीं है....
ठीक हैं पार्टी से जुड़े हुए हैं इसलिए रुतबा बहुत है.... पर समाज में तुम्हारा खानदान का भी बहुत बड़ा नाम है.....
चल माना रूप बहुत सुंदर है..... पर सुंदरता रूप पर खतम हो जाए ऐसा तो नहीं...
तुझे रूप से भी ज्यादा खूबसूरत लड़की मिल सकती है....
पर तुझ पर यह कैसा पागलपन है और क्यूँ है..... के तु... रूप को हासिल करना चाहता है....
देख दोस्त सब सच सच बताना क्यूंकि हम तेरे साथ थे हैं पर कल को अगर कुछ गडबड हुआ तो यह भी सच है कि हमारे जान पर भी आएगा....
आशीष के इतना कहते ही रॉकी अपने अतीत को याद करने लगता है

फ्लैश बैक........

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पांच साल पहले जब रॉकी इंटर में पढ़ना शुरू किया था l तब एक दिन घरसे कॉलेज जाने के लिए कार में बैठा l कार की खिड़की से अपनी मम्मी को हाथ हिला कर बाइ कह खिड़की का कांच उठा दिया l ड्राइवर गाड़ी घर से निकाल कर कॉलेज के रोड पर दौड़ा दिया l कुछ देर बाद म्यूनिसिपाल्टी के लोग रास्ता खोदते दिखे तो ड्राइवर दिशा बदल कर गाड़ी ले जाने लगा l गाड़ी के भीतर रॉकी अपने धुन में मस्त, आई-पॉड से गाने सुन रहा था l जब गाड़ी एक सुनसान सड़क पर जा रही थी तभी एक एम्बुलेंस सामने आकर रुकी तो ड्राइवर ने तुरंत ब्रेक लगा कर गाड़ी रोक दिआ l ड्राइवर एम्बुलेंस के ड्राइवर पर चिल्लाने लगा l गाड़ी के ऐसे रुकते ही और ड्राइवर के चिल्लाते ही रॉकी का भी ध्यान टूटा और उसने देखा कुछ लोग एक स्ट्रेचर लेकर कार की बढ़ रहे हैं l इससे पहले कुछ समझ पाता ड्राइवर के मुहं पर रूमाल डाल कर बेहोश कर दिए और इससे पहले रॉकी कुछ और सोच पाता वैसा ही हाल रॉकी का भी हुआ l रॉकी जब आँखे खोल कर देखा तो अपने आप को एक बिस्तर पर पाया l पास एक आदमी जो काले लिबास में एक चेयर पर बैठ कर कोई फ़िल्मी मैग्जीन देख रहा था l रॉकी अचानक से बेड पर उठ कर बैठ गया l
रॉकी -(डरते हुए) त....त.... तुम... लोग... कौन हो l
वह आदमी - अरे हीरो.... होश आ गया तेरे को...... वाह.... हम लोग तेरे फैन हैं.... हम लोगों ने तेरे नाम पर एक बहुर बड़ा फैन क्लब बनाए हैं.... और तेरे फैन लोग बहुत सोशल सर्विस करते रहते हैं... इसलिए तेरे बाप से उस क्लब के लिए डोनेशन मांगने वाले हैं....
तब रॉकी इतना तो समझदार हो गया था और वह समझ गया कि उसका किडनैप हुआ है और बदले में उसके बाप से पैसा वसूला जाएगा l
वह आदमी उठा और बाहर जा कर दरवाजा बंद कर दिआ l फिर रॉकी चुप चाप उसी बिस्तर पर लेट गया l थोड़ी देर बाद वह आदमी और उसके साथ तीन और आदमी अंदर आए l
(पहला वाला आदमी को आ 1, और वैसे ही सारे लोगों की क्रमिक संख्या दे रहा हूँ)
आ 1- सुन बे हीरो... तेरी उम्र इतनी तो है के... तु अब तक समझ गया होगा कि तु यहाँ क्यूँ है...
रॉकी ने हाँ में सर हिलाया l
आ 2- गुड.... चल अब बिना देरी किए अपना बाप का पर्सनल नंबर बता.....
रॉकी - 98XXXXXXXX
आ 1- (और दोनों से) हीरो को खाना दे दो...
और हीरो खाना खा और चुपचाप सो जा....
दो दिन बाद तुझे तेरे फॅमिली के हवाले कर दिया जाएगा l
रॉकी अपना सर हिला कर हाँ कहा, तो सब उस कमरे से बाहर चले गए और कुछ देर बाद उनमें से एक आदमी एक थाली और एक पार्सल दे कर चला गया l रॉकी ने इधर उधर पानी के लिए नजर घुमाया तो देखा वश बेसिन के ऊपर अक्वागार्ड लगा हुआ है l इसलिए रॉकी चुप चाप खाना खाया और बिस्तर पर सोने की कोशिश करने लगा l ऐसे ही दो दिन बीत गए l तीसरे दिन शाम को रॉकी के आँखों में पट्टी बांध कर उसे कहीं ले गए l जब एक जगह उसकी आँखों से पट्टी खुली तो खुदको एक अंजान कंस्ट्रक्शन साइट् पर पाया l उसने गौर किया तो देखा कि असल में वह चार आदमियों की गैंग नहीं थी बल्कि एक बीस पच्चीस लोगों की गैंग थी l सबके हाथों में एसएलआर(Self Loaded Rifle) गनस् थे l थोड़ी देर बाद जिसने रॉकी से उसके बाप का फोन नंबर मांगा था शायद वह उस गिरोह का लीडर था वह बदहवास भागता हुआ आ रहा था और उसके पीछे एक आदमी शिकारी के ड्रेस में चला आ रहा था l गैंग लीडर - (चिल्ला कर) कोई गोली मत चलाओ, कोई गोली मत चलाओ
सब के हाथों में गनस् होने के बावज़ूद उनका लीडर किससे डर कर भाग कर आ रहा है, यह सोच कर गैंग के लोग एक दूसरे को देख रहे हैं l
तभी गैंग लीडर आ कर रुक जाता है और पिछे मुड़ता है l पीछे शिकारी के ड्रेस में काला चश्मा पहने हुए वह शख्स दोनों हाथ जेब में डाले खड़ा हो जाता है l तभी उस गैंग का एक आदमी उस शिकारी के पैरों के पास गोलियां बरसाने लगता है l पर वह शिकारी बिना किसी डर के वहीं खड़ा रहता है l गैंग का लीडर उस गोली चलाने वाले को अपनी जेब से माउजर निकाल कर शूट कर देता है और घुटनों पर बैठ जाता कर अपना सर झुका लेता है l
शिकारी - कल तक तुम लोग क्या करते थे मुझे कोई मतलब नहीं...
पर आज से और अभी से यह हमारा इलाक़ा है... और हमारे इलाके में...
गैंग लीडर - हमे मालुम नहीं था युवराज जी हम आपके इलाके से फिर कभी नजर नहीं आयेंगे...
शिकारी - बहुत अच्छे...
चल छोकरे चल मेरे साथ...
रॉकी उस शिकारी के साथ निकल गया और पीछे वह गुंडे वैसे के वैसे ही रह जाते हैं l
रॉकी उस शिकारी के साथ एक गाड़ी में बैठ जाता है l गाड़ी चलती जा रही थी और रॉकी एक टक उस शिकारी को देखे जा रहा था और सोच रहा था क्या ताव है, गोलियों से भी डरता नहीं, एक अकेला आया उस गिरोह के बीच से उसे कितनी आसानी से लेकर आ गया l
रॉकी उस शिकारी की पर्सनैलिटी से काफ़ी इम्प्रेस हो चुका था l कुछ देर बाद रॉकी का घर आया l दोनों अंदर गए तो रॉकी के पिता सिंहाचल पाढ़ी उस शिकारी के सामने घुटनों के बल पर बैठ गए l तब वहाँ पर बैठे दुसरे शख्स ने कहा - अब कोई फ़िकर नहीं पाढ़ी बाबु... आप क्षेत्रपाल जी के संरक्षण में हैं...
सिंहाचल- युवराज विक्रम सिंह जी.... कहिए मुझे क्या करना होगा...
विक्रम सिंह - आप जब तक हमें प्रोटेक्शन टैक्स देते रहेंगे...... तब तक...
इस सहर ही नहीं इस राज्य में भी आपकी तकलीफ़ हमारी तकलीफ़....
इतना कह कर विक्रम और वह आदमी चले जाते हैं l
रात भर रॉकी विक्रम के बारे में सोचता रहा और उसकी चाल, बात और ताव से इम्प्रेस जो था l
अगले दिन वह कॉलेज में मालुम हुआ वह जो दुसरा आदमी उसके घर में था वह राजकुमार वीर सिंह था l
रॉकी की उम्र जितना बढ़ता जा रहा था उतना ही विक्रम उसके दिलों दिमाग पर छाया हुआ था l
जब बी-कॉम के साथ साथ अपने पिता की बिजनैस में ध्यान देने लगा, तब उसे यह एहसास होने लगा किसी भी फील्ड में हुकुमत करनी है तो आदमी के पास या तो बेहिसाब दौलत होनी चाहिए या फिर बेहिसाब ताकत, क्षेत्रपाल के परिवार के पास दोनों ही था l एक तरह से रॉकी के मन में इंफेरिअर कॉम्प्लेक्स बढ़ रहा था l हमेशा उसके मन में एक ख्वाहिश पनप रहा था कास ऐसी ताव ऐसी रुतबा उसके पास होता l
ऐसे में उसे रूप दिखती है और उसके बारे में जानते ही वह एक फ़ैसला करता है, अगर कैसे भी वह रूप के जरिए क्षेत्रपाल परिवार से जुड़ जाए तो वह भी ऐसा ही रौब रुतबा मैंटैंन कर पाएगा l

रॉकी.... हे.... रॉकी..... आशीष उसे जगाता है तो रॉकी अपनी फ्लैश बैक से बाहर निकालता है l

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रॉकी - ओह... असल में कैसे कहूँ समझ में नहीं आ रहा है..... ह्म्म्म्म.... ठीक है.... सुनो दोस्तों... आप चाहें जैसे भी हो... आपके जीवन में एक लड़की ऐसी आती है जो आपके जीने की मायने बदल जाते हैं... जब जिंदगी उसके बगैर जिंदगी नहीं लगती..
.. जिसके लिए... जान भी कोई कीमत नहीं रखती...

मेरे जीवन में रूप नंदिनी वही लड़की है जिसके प्यार में मैं मीट जाना चाहता हूँ....
अगर तुम सबको मेरे भावनाओं में सच्चाई दिखे और उसका कद्र हो तो मेरी मदत करो और मेरी राह बनाओ.....

सब चुप रहते हैं

राजु - देख अगर तेरी भावनाएँ सच में रूप के लिए इतनी गहरी है तो..... ठीक है हम तेरी मदत करेंगे...... तेरे लिए हम रास्ता बनाएंगे और तुझे उस पर अमल करना होगा... समझ ले एक रियलिटी गेम है.... तु कंटेस्टेंट है और हम जज जो तुझे पॉइंट्स देते रहेंगे और हर लेवल पर इंप्रुवमेंट के लिए बोलते रहेंगे,.. ताकि ..... तुझे... तेरे हर ऐक्ट पर स्कोर मालुम होता रहे....
"यीये......" सारे दोस्त उसे चीयर्स करते हैं l
रॉकी व्हाइट बोर्ड पर जो भी लिखा था सब मिटाता है और बोर्ड पर मिशन नंदिनी लिखता है l
रॉकी - आशीष पहले तु बता..
आशीष - देखो मुझे जो लगा.... या राजू से जितना मैंने समझा....
नंदिनी अपने पारिवारिक पहचान से दूरी बनाए रखना चाहती है क्यूंकि उसकी पारिवारिक पहचान से उसे दोस्त नहीं मिल रहे हैं l
रॉकी - करेक्ट..
अब... सुशील तु बोल..
सुशील - देख तुझे उसकी बात जानने के लिए उसकी दोस्तों के ग्रुप में एक लड़की स्पाय डेप्लॉय करना होगा...
रॉकी - करेक्ट... पर वह लड़की कौन होगी..
सुशील - रवि की गर्ल फ्रेंड... और कौन...
रवि - क्यों तुम सब रंडवे हो क्या....
सुशील - भोषड़ी के रंडवे नहीं हैं हम.... पर तेरी वाली साइंस मैं है इसलिए...
रवि - ठीक है...
रॉकी - ह्म्म्म्म फिर उसके बाद
राजु - ऑए जरा धीरे... जल्दबाजी मत करियो.... देख कॉलेज में सब जानते हैं कि वह क्षेत्रपाल परिवार से ताल्लुक रखती है...... इसलिए तेरी राह में कोई ट्रैफिक नहीं है... क्यूंकि कोई कंपटीटर नहीं है...
रवि - हाँ यह बात तो है...
रॉकी - अब करना क्या है...
राजु - अबे बोला ना धीरे... जिस तेजी से गाड़ी दौड़ा रहा है ना ब्रेक लगा तु... अबे पुरे स्टेट में जिसके आगे कोई सर भी नहीं उठाता उसकी बेटी है वह.... जिसकी मर्जी से भुवनेश्वर में कंस्ट्रक्शन से लेकर कोई नये प्रोजेक्ट तक हो रहे हैं उसकी भतीजी है वह.... जिसके आगे सारे गुंडे पानी भरते हैं उसकी बहन है वह... और यह मत भूल इस कॉलेज के अनबिटेबल प्रेसिडेंट वीर सिंह भी उसका भाई है....
अगर वह तुझे सिद्दत से चाहेगी तो तब तेरे लिए अपने बाप व भाई से टकराएगी....लड़ जाएगी....
तुझे सिर्फ दोस्ती नहीं करनी है बल्कि तुझे उसके दिल, उसके आत्मा में उतरना है... बसना है...
जल्दबाज़ी बहुत ही घातक सिद्ध होगा....

आशीष - राजु बिल्कुल सही कह रहा है.... बेशक क्षेत्रपाल परिवार की ल़डकी है ... शायद तेरे लिए ही तीन पीढ़ीयों बाद आयी हो.....
तेरा बेड़ा पार वही लगाएगी.... मगर तब जब वह तुझे सिद्दत से चाहेगी...
रवि - हाँ अब तक हमने जितना एनालिसिस किया है... उससे इतना तो मालुम हो गया है कि उसके परिवार के रौब के चलते रूप भी ऐसे मामलों से सावधानी बरतती होगी....
राजु - इसलिए पहला काम यह कर के उसके आस पास अपना कोई स्पाय डेप्लॉय कर... जब उसके कुछ पसंद व ना पसंद मालुम पड़ेगा...
हम अगला कदम उसी के हिसाब से उठाना होगा..
रॉकी सबको शांति से सुन रहा था l उसे सबकी बात सही लगी l
रॉकी - ठीक है दोस्तों अब से हर शनिवार यहाँ पर मॉकटेल पार्टी और मिशन नंदिनी की एनालिसिस...

सारे के सारे जो उस कमरे में थे सब अंगूठा दिखा कर उसके बातों का समर्थन किया l
Amazing update
 

Kala Nag

Mr. X
Prime
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इसको कहते हैं the perfect weathercock :)
आज कल तो ऐसे ही लोग दिख रहे हैं चहुंओर!



बहुत बढ़िया भाई साहेब!



बढ़िया! सीधा, और सरल होना दोष है, ऐसे समाज में।



इस बात का दो तीन बार इस्तेमाल हुआ है! बहुत बढ़िया!



हा हा हा!! :) सही है!



वो जेल में बाद में जो दंगा फसाद हुआ है, शायद इसी कारण से?


एक से बढ़ कर एक नगीने हैं इस बार तो भाई! बहुत उम्दा! बहुत उम्दा!
बस क्या कहूँ बंधु लाज़वाब कर दिया आपने
 
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