तो आख़िरकार रोणा के अंत की शुरुवात हो ही गई!
सच में - यह इतना गिरा हुआ पात्र है कि भैरव सिंह से भी अधिक घिन आती है इसके बारे में पढ़ कर। अपने चरित्र के मुताबिक ही उसका अंजाम होने वाला है।
हाँ विश्व चाहता तो रोणा को अपने हाथों से खत्म कर सकता था l पर उसे उसके ही मालिक के हाथों खत्म करवा रहा है l इसके पीछे भी विश्वा का एक फ्युचर प्लान है l
लेकिन ये उदय का क्या सीन है? रावण की लंका में विभीषण का रोल अदा करने वाला है क्या ये? खेत्रपालों का हितैषी तो ये कत्तई नहीं है।
उदय के बारे में पहले से ही थोड़ा थोड़ा कर बताता रहा हूँ l उदय वह चरित्र है जिसे राजगड़ में रोणा ने विश्व की जासूसी करने के लिए लगाया था l जैसे लेनिन की राज खुला ठीक उसी तरह आगे चलकर उदय का भी राज खुलेगा l
होली को ले कर जो दाँव इसने चला है, वो बड़ा ही शातिर है। रोणा का अंत भी हो जाएगा, और भैरव का रसूख़ भी सलामत रह जाएगा।
हाँ यह बात तो फ़िलहाल के लिए सही लग रहा है पर आगे चलकर इसकी प्रतिक्रिया होने वाली है
विश्व की पैठ राजमहल में इतनी गहरी है - यह पता नहीं था। राजकुमारी की मुख्य परिचारिका सेबती उसके हाथों में है, देख कर अच्छा लगा।
भाई साहब आप भूल रहे हैं विश्व ही एक मात्र पुरुष था जिसका आवा गमन क्षेत्रपाल मर्दों के अतिरिक्त अंतर्महल में हो रहा था l बाकी आगे चलकर धीरे धीरे जानेंगे
उधर शुभ्रा और विक्रम - वो दोनों उस काम में लिप्त हो गए हैं, जो उनको अवश्य ही करना चाहिए। उन दोनों के सूने जीवन में खुशियों के आने की आवश्यकता है।
हाँ यह कहानी का एक महत्वपूर्ण भावनात्मक अंश है l आगे चलकर इसकी आवश्यकता मालूम पड़ेगी l
कम से कम इसी बहाने दोनों को ही कोई सकारात्मक दिशा तो मिलेगी! इसलिए बढ़िया!
जी
avsji भाई
अब आप बताइए भाई - आप कैसे हैं? कैसी रही छुट्टियाँ?
बहुत ही बढिय़ा l बस खा खा कर जी उकता गया है l बच्चों ने तो जमकर मजे किए l हम इकत्तीस की रात को टिकरपड़ा में थे l बस कल शाम को ही घर पहुँचा हूँ l और आप बताइए आपका नव वर्ष संध्या और रात्री कैसे गुजरी l सबसे अहम बात आपका नन्हा हीरो कैसा है l
आज से फिर से कर्म मय जीवन की रूटीन शुरु
अंत में धन्यबाद और नव वर्ष की हार्दिक अभिनंदन