करप्ट और वहशी पुलिसिया का अंततः अंजाम वही हुआ जिसका वह हकदार था । आधा शरीर लकवाग्रस्त हो गया , एक जिंदा लाश बना और अब चंद समय मे ही उसका शरीर होलिका दहन मे समर्पित कर दिया जाएगा।
वल्लभ को उसके इस खौफनाक अंजाम से सहानुभूति होना सही ही था । आखिर दोनो दोस्त ही तो थे ।
लेकिन यह सब होलिका दहन पर्व की आड़ मे किया जाना था जो भैरव सिंह के उसूलों के बिल्कुल खिलाफ था ।
ये आइडिया भैरव के ही एक नौकर उदय का दिया हुआ था । यह सब देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब जो कुछ हो रहा है , वह विश्व के स्क्रिप्ट अनुसार हो रहा है ।
हंड्रेड पर्सेंट उदय विश्व का ही एक वफादार आदमी है और होलिका दहन का आइडियाज भी विश्व का ही था।
जब होलिकोत्सव पर्व आयोजन होना ही था तो आधे अधूरे ही क्यों ! पुरी तरह क्यों नही !
वल्लभ ने इंस्पेक्टर रोणा को बचाने के लिए क्षमतानुसार पैरवी की । इसके लिए उसने रोणा के पुलिस थाने मे गुमशदगी की रिपोर्ट और न जाने क्या क्या दलीलें दी । और यह हम सभी जानते है कि भैरव सिंह प्रशासन को किस तरह अपने जूते की नोक पर रखता है ।
यही दलील उदय ने भी दी और साथ मे होलिका दहन के आड़ मे रोणा को मार देने की बात जोड़ दी । यह गले नही उतरता है कि भैरव सिंह इस दलील के चलते प्रशासन से भय खा जायेगा । हंड्रेड पर्सेंट भैरव सिंह के दिमाग को विश्व ने हाईजैक कर लिया है ।
खैर जो हुआ वह अच्छा ही हुआ । बुरे का मुंह काला होना ही चाहिए , भले ही किसी भी तरीके से हो ।
विक्रम द्वारा शुभ्रा को मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए कहना फ्यूचर मे होने वाले किसी दुखद घटना का संदेश देता है । शायद शुभ्रा ही उस वक्त जीवन रक्षक साबित हो।
बहुत ही खूबसूरत अपडेट
Kala naag भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।