Muniuma
सरयू सिंह
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Rekha ji
agar aapko mere सुझाव से आपके हौसले में जरा भी कमी आई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं
लेकिन क्या करू एक अच्छे पाठक के नाते मुझे आपको सलाह देना धर्म लगता है
आप कहानी को कैसा भी चित्रण करे लेकिन वो चित्रण समय और स्थान के अनुकूल हो तो सच्ची लगेगी वर्ना काल्पनिक।।
अब आपको फैसला करना है की पाठको को कहानी सच्ची लगे या काल्पनिक ।
एक शायरी याद आता है मुझे।
जिंदगी से बड़ी कोई सजा ही नही
और क्या जुर्म है पता ही नही
सत्य जरा सा हिले तो सच, सच न रहे।
और झूट का कोई अता पता ही नही।।।
गुजारिश है
जारी रखे ।।
agar aapko mere सुझाव से आपके हौसले में जरा भी कमी आई हो तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं
लेकिन क्या करू एक अच्छे पाठक के नाते मुझे आपको सलाह देना धर्म लगता है
आप कहानी को कैसा भी चित्रण करे लेकिन वो चित्रण समय और स्थान के अनुकूल हो तो सच्ची लगेगी वर्ना काल्पनिक।।
अब आपको फैसला करना है की पाठको को कहानी सच्ची लगे या काल्पनिक ।
एक शायरी याद आता है मुझे।
जिंदगी से बड़ी कोई सजा ही नही
और क्या जुर्म है पता ही नही
सत्य जरा सा हिले तो सच, सच न रहे।
और झूट का कोई अता पता ही नही।।।
गुजारिश है
जारी रखे ।।
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