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Thriller शतरंज की चाल

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Yahin tak to pichhli update me padha tha :D

Tab bhi katil ka sirf naam pata tha... Chehra nahin
Aur ab bhi bittu nahin dikha 😂
Sir ji kuch or bhi miss lag raha hai mujhe
Ab samj aaya itna late update Q se rhe hai Riky007 bhai hamare 😉😉
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#अपडेट २३


अब तक आपने पढ़ा -


मैं अपनी कार वाल्ट से कुछ दूर लगा कर पैदल ही वाल्ट की ओर चल दिया। अभी तक कुछ भी संदिग्ध नहीं दिख रहा था। बाहर सब सामान्य ही था। मुझे भरोसा था कि अगर जो वो लोग कुछ भी गलत करेंगे तो पास वाले थाने में अलार्म जरूर बजेगा।


मैं गेट के सामने मौजूद बस स्टैंड के पास खड़ा हो कर देखने लगा, तभी एक सफेद स्कॉर्पियो मेरे सामने आ कर रुकी और उसका दरवाजा खुला....


अब आगे -


सामने समर बैठा था, और उसने मुझे अंदर आने को कहा। मैं चुपचाप उसके साथ बीच वाली रो में बैठ गया।


"अपना ही वाल्ट लूटवा रहे हो भाई?"


"क्या मतलब, और क्या अलार्म बजा है?" मैने आश्चर्य से पूछा।


"नहीं, अभी कोई अलार्म नहीं बजा, और सीसीटीवी फुटेज भी आनी बंद हो गई है थाने में।"


"फिर तुमको कैसे पता?"


"तुम क्या हम पुलिस वालों को बेवकूफ समझते हो? जब तुमने लाश वाली बात बताई थी तभी से मुझे शक हो गया था और इसीलिए तुम्हारा फोन तब से सर्विलांस पर लगा है। और हमें सब मालूम है कि तुमको ब्लैकमेल किया जा रहा है।"


"पर तुमने ही तो कहा था कि मुझे नींद के कारण हेल्यूसिनेशन हुआ होगा।"


"वो तुमको रिलैक्स करने के लिए कहा था, ताकि किडनैपर के शक की कोई गुंजाइश न हो।"

"पर तुमको कैसे पता कि मैने झूठ बोला?"

"अगर जो तुमको हेल्यूसिनेशन भी हुआ तो डिक्की से तो कोई सामान निकलने गए थे न, वो तो होना चाहिए था डिक्की में, और नहीं था तो भी तुमने कोई रिएक्ट नहीं किया। बस इसीलिए मुझे लगा मेरा दोस्त कुछ तो मुसीबत में है, पर इतनी बड़ी? मुझे बता नहीं सकता था?" वो कुछ गुस्से से बोला।


"सॉरी यार, वो नेहा की जान का खतरा था इसीलिए.." मैं शर्मिंदा होते हुए बोला।


"तुमको अभी भी नेहा की पड़ी है, तुम्हारी पूरी कंपनी, तुम्हारी खुद की इज्जत दांव पर लगी है। और मुझे तो लग रहा है कि नेहा खुद इनमें इंवॉल्व है और वो तुमको फंसा रही है इसमें।"


"ऐसा कैसे कह सकते हो तुम?" मैं थोड़ा गुस्से से उसे देखते हुए कहा।


"अभी वो छोड़ो, पहले इस सिचुएशन से कैसे निकलोगे ये देखो? उन लोग ने वाल्ट का अलार्म, सीसीटीवी और जैमर सब बंद कर दिया लगता है। क्या करोगे अब?"


मैं सोच में पड़ गया, "मेरे पास एक ऐसा सिक्योरिटी अपडेट है जिससे वो लोग वहीं बंद हो जाएंगे जब तक मैं चाहूं।"


"सच कह रहे हो?"


"हां, ये अपडेट अभी ही डाला है मैने, किसी को भी नहीं पता मेरे अलावा। मैं कहीं से भी वाल्ट को पूरी तरह से लॉक कर सकता हूं।"


"ह्म्म्म पर उसके पहले इनका नेटवर्क बंद करना होगा। क्योंकि जो भी है, इनका मास्टरमाइंड पक्का बाहर ही होगा जो इनके टच में होगा। और उसे ये नहीं पता चलना चाहिए कि वो अंदर बंद हो गए हैं, इससे वो तुमको कॉल करेंगे, और अगर जो थोड़ी ज्यादा देर तक लाइन पर रहे तो पक्का हम लोकेशन इंटरसेप्ट कर लेंगे उनकी।" उसने कुछ सोचते हुए कहा।


"जी सर, मुझे बस 15 मिनिट चाहिए।" पीछे बैठ एक व्यक्ति बोल पड़ा, जिसने अपने कान में एक हेडफोन लगाया था और एक लैपटॉप ले कर बैठा था।


"तो ठीक है, तुम जा कर वाल्ट के ऊपर जैमर लगाओ।" समर ने मुझे एक पोर्टेबल जैमर देते हुए कहा।

"मेरा लैपटॉप मेरी कार से मंगवा लो।" मैने भी उसे अपने कार की चाभी देते हुए कहा।


लैपटॉप आते ही मैं उस जैमर को अपने बैग में छुपा कर गाड़ी से उतर गया, और वाल्ट की ओर चला गया। अंदर जा कर मैं सिक्योरिटी वालों से कुछ बात करके ऊपर से ही थोड़ा अंदर की ओर गया और मौका देख कर वो जैमर को ठीक वाल्ट के ऊपर रख कर ऑन कर दिया। और वापस से समर की गाड़ी में आ गया। आते ही मैने अपना लैपटॉप निकाल कर कुछ इंस्ट्रक्शन रन करके पूरे वाल्ट को लॉक कर दिया, अब कोई वहां से न बाहर निकल सकता था न ही अंदर आ सकता था जब तक मैं न चाहूं।


ये सब करते ही किडनैपर का फोन बजने लगा।


समर ने मुझे इशारे से फोन उठाने कहा।


"हेलो, काम हो गया क्या तुम्हारा?" मैने पूछा।


"क्या किया है तुमने? देखो ज्यादा होशियार बनने की कोशिश मत करो वरना पता है न मैं नेहा के साथ कुछ भी कर सकता हूं।"


अब तक पीछे बैठ हुआ व्यक्ति ड्राइवर के बगल में बैठ गया था, और मैं समर के साथ बीच में था। समर के कान में भी एक हेडफोन लगा था और वो भी मेरी बात सुन रहा था।


"जब ये बात मुझे पता ही है तो मैं क्या कर सकता हूं भला, ये बताओ?" मैने भी थोड़ी खीज के साथ बोला।


"फिर उधर नेटवर्क काम क्यों नहीं कर रहा?"


"जैमर लगा है वाल्ट में उसका नहीं पता क्या तुमको, जब इतनी जानकारी है तो ये भी पता होगा?" इस बार मैने ही उससे उल्टा सवाल पूछ लिया।


"पता है, मगर उसे हमारे आदमियों ने बंद कर दिया था। लेकिन फिर भी अभी मेरी बात नहीं हो पा रही है।"


"दो मिनिट लाइन पर रुको, मैं वहां पर सिक्योरिटी वालों को फोन लगाता हूं अपने दूसरे फोन से।" ये बोल कर मैने उसको कुछ देर होल्ड पर रखा। अब तक हमारी गाड़ी चल पड़ी थी, और वो लैपटॉप वाला ऑफिसर ड्राइवर को इशारे से इंस्ट्रक्शन दे रहा था। गाड़ी साउंडफ्रूफ थी, इसीलिए बाहर के ट्रैफिक की कोई आवाज अंदर नहीं आ रही थी।


कुछ समय मैने उसको होल्ड करवा कर कहा, "सिक्योरिटी में भी किसी का मोबाइल नहीं मिल रहा शायद वहां पर नेटवर्क की कोई प्रॉब्लम हुई हो।"


"ऐसा कैसे हो सकता है?"


"अब मुझे कैसे पता होगा, मैने तो अपने हर आदमी को वहां पर कॉल लगाने की कोशिश की, पर किसी का नहीं लगा। वैसे तुम लोग वाल्ट में कर क्या रहे हो? देखो पता है न कि वो वाल्ट में अलार्म भी है, कुछ भी गड़बड़ होने पर पुलिस आ जाएगी 5 मिनिट में ही।" मैने उसे बातों में उलझने की कोशिश की।



अब तक हमारी गाड़ी शहर के बाहरी इलाके में आ गई थी, और इधर कुछ फॉर्महाउस थे। आगे बैठे ऑफिसर के चेहरे पर एक मुस्कान आई, और उसने पीछे मुड़ कर समर को अंगूठे का इशारा करके बताया कि उसने एग्जैक्ट लोकेशन ट्रेस कर ली है। सामने एक फॉर्महाउस था....
Dekho yahan Samad ko bhi pata hai ki *Neha* bhi involved hai par Manish ko ab tak samajh nahi aaya hai, kya Samar aur Manish ko farmhouse par kuchh milega let's see.

Nice and wonderful update brother.
 

dhalchandarun

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#अपडेट २४

अब तक आपने पढ़ा -

अब तक हमारी गाड़ी शहर के बाहरी इलाके में आ गई थी, और इधर कुछ फॉर्महाउस थे। आगे बैठे ऑफिसर के चेहरे पर एक मुस्कान आई, और उसने पीछे मुड़ कर समर को अंगूठे का इशारा करके बताया कि उसने एग्जैक्ट लोकेशन ट्रेस कर ली है। सामने एक फॉर्महाउस था....

अब आगे -

"पुलिस नहीं आएगी। अलार्म तो बंद है।"

"अच्छा देखो शायद कुछ देर में नेटवर्क सही हो जाय।" समर के इशारे पर मैने अब फोन काट दिया। हमारी गाड़ी के पीछे एक और स्कॉर्पियो थी, जिसमें शादी ड्रेस में हथियार बंद पुलिस वाले बैठे थे। समर ने उनको, और जो ऑफिसर हमारे साथ आगे बैठा था उसको, फार्म हाउस को घेरने के इंस्ट्रक्शन दिए।

"वाल्ट का लॉक खोल दो, पुलिस पहुंच चुकी है वहां पर।" समर ने मुझे कहा, तो मैने अपने लैपटॉप से वाल्ट को खोल दिया। इधर पीछे की गाड़ी में बैठे लोग फार्म हाउस की ओर बढ़ने लगे।

वो लोग अभी कुछ ही दूर पहुंचे होंगे कि उधर से गोलियां चलने लगी, हमारी गाड़ी फार्म हाउस के गेट के आगे लगी थी, और दूसरी वाली पीछे की ओर। गोलियां आते ही जो लोग नीचे उतरे थे वो पोजीशन ले कर बैठ गए और समर ने बैकअप भी मंगवा लिया।

हम चूंकि सुरक्षित दूरी पर थे और गाड़ी में ही बैठे थे तो हमारी नजर फार्म हाउस की तरफ ही थी। तभी उस बिल्डिंग के पीछे के हिस्से में कुछ हलचल सी दिखी। २ लोग काले कपड़ों में एक मोटरसाइकिल की ओर भागते दिखे। दोनो के सर पर हेलमेट था जो काले शीशे का था, जिस कारण उनको पहचानना मुश्किल था। देखते ही देखते वो फार्म हाउस के दूसरे गेट की ओर मोटरसाइकिल से भागने लगे। ये गेट हमारी गाड़ी के थोड़ा आगे ही था। ये देखते ही समर ने अपने ड्राइव को गाड़ी उस ओर ले चलने को कहा। मगर जब तक हम उस गेट तक पहुंचते, मोटरसाइकिल गेट से निकल कर रोड पर आगे भागने लगी, रोड थोड़ी खराब थी जिस कारण बाइक तो कुछ तेजी में निकल गई, मगर गाड़ी को तेजी पकड़ने में थोड़ा समय लग गया।

ये रोड सामने दिख रही पहाड़ी पर बने किले की ओर जाती थी, और आगे जा कर रास्ता और सकरा हो जाता था, जिसपर गाड़ी जाने में दिक्कत होती। समर ने जैसे ही ये भांपा, उसने मोटर साइकिल पर निशाना ले कर अपनी रिवॉल्वर से फायर करने लगा। मगर मोटरसाइकिल चलने वाला बचने में कामयाब हो रहा था।

तभी सकरा रास्ता आ गया, ये देखते ही समर ने टायर छोड़ मोटरसाइकिल वाले को निशाने पर लिया और फायर कर दिया। गोली पीछे बैठे हुए व्यक्ति के कमर को छूती हुई निकल गई, और वो मोटरसाइकिल से छिटक कर नीचे गिरा। ये देखते ही आगे वाले ने मोटरसाइकिल रोक दी।

हमारी गाड़ी अभी भी कुछ पीछे थी। मोटरसाइकिल रोकते ही उसने गिरे हुए को हाथ से कर उठाया और ऊपर बैठा लिया। वो बैठ तो गया था मगर उसका कमर का हिस्सा खून से गीला हो चुका था। इतनी देर में हमारी गाड़ी भी वहां पर लगभग पहुंच ही गई थी। मगर आगे वाले व्यक्ति ने हमारी ओर दो तीन गोली चला दी जिससे ड्राइवर को एकदम से ब्रेक लगने पड़े, और एक गोली टायर में भी लग गई इसी बीच, और उधर उसने फिर से अपनी मोटरसाइकिल दौड़ दी।

अब गाड़ी से आगे जाना नामुमकिन था, इसीलिए समर ने ड्राइवर को गाड़ी के साथ छोड़ कर आगे जाने का फैसला किया। क्योंकि गाड़ी की जरूरत पड़ने पर उसका सही होना भी जरूरी था। चूंकि समर अकेला था, इसीलिए मैने भी उसके साथ चलने को कहा और उसने मुझे पीछे आने का इशारा किया।

कुछ ही आगे जा कर सीढ़ियां शुरू हो गई, वहीं पर वो मोटरसाइकिल पार्क दिखी। ऊपर देखा तो वो दोनों सीढ़ी चढ़ रहे थे, मगर शायद दूसरे वाले को सही से चला नहीं जा रहा था तो उनकी चाल कुछ धीमी थी। मगर हमारे बीच दूरी काफी थी, इसीलिए हम भी तेजी से सीढ़ियां चढ़ने लगे।

वो दोनों सीढ़ी के अंत तक पहुंच चुके थे, इसके बाद किले की दिवाल शुरू हो जाती है और कोई 100 मीटर बाद उसका दरवाजा था। अभी यह पर कोई भी नहीं दिख रहा था। वैसे भी जल्दी कोई इस ओर आता नहीं था।

हम भी लगभग आधी सीढ़ियों चढ़ चुके थे और वो ऊपर पहुंच गए थे। मगर तभी जिसे गोली लगी थी, वो गिर पड़ा। उसके गिरने से एक चीख सुनाई दी, जो एक लड़की की लग रही थी। ये देख दूसरा उसे अपनी गोद में उठा कर दौड़ पड़ा। हालांकि घायल व्यक्ति उसको शायद अकेले भागने को कह रहा था, मगर फिर भी वो उसको अपने कंधे पर उठा कर भाग निकला।

हम भी फौरन ही ऊपर पहुंच गए, मगर वो लोग शायद किले के अंदर जा चुके थे। हम जैसे ही दरवाजे के पास पहुंचे, एक फायर हमारी ओर आया। मैं तो झोंक में अंदर ही जा रहा था। मगर समर ने पहले ही ये भांपते हुए, मुझे पीछे खींच लिया।

अब हम सावधानी से अंदर घुसे। सामने एक छोटा सा बगीचा जैसा था जिसमें कुछ बड़े दरख़्त भी लगे हुए थे। अंदर जाते ही हम एक दरख़्त के पीछे छिप गए और आस पास देखने लगे। तभी आगे के एक दरख़्त के पीछे हमें कुछ हलचल देखी। वो दोनों ही वहां छुपे थे। जिसे गोली लगी थी वो जमीन पर था और दूसरा खड़ा हो कर हमारी हरकतें देख रहा था। जमीन पर बैठ हुए व्यक्ति ने हेलमेट उतर दिया था, और उसके लंबे बाल हमें दिख रहे थे, जो उसके लड़की होने की गवाही दे रहे थे। शायद दोनो में कोई बहस चल रही थी, दूरी ज्यादा होने से हमे कुछ सुनाई तो नहीं पड़ रहा था मगर ऐसा लग रहा था जैसे घायल हुआ व्यक्ति दूसरे को वहां से जाने को कह रहा था।

समर उनको उलझा देख, मुझे वहीं छोड़ कर छिप कर आगे बढ़ने लगा। इधर शायद नीचे बैठे हुए को ये अहसास हो गया और उसने अपने साथी को उसकी ओर इशारा कर दिया और उसने समर की ओर गोली चला दी। लेकिन समर भी तब तक एक पेड़ की ओट में ही गया था।

समर को आगे बढ़ता देख इस बार शायद खड़ा हुआ व्यक्ति भागने को तैयार हो गया। उसने अपनी पिस्तौल उस लड़की को थमा दी और पीछे की ओर जाने लगा, वो लड़की लगभग घसीटते हुए आगे को आई और समर को कवर करने लगी।


इसी समय मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी और
Manish ki nazar ladki par padi aur wo surprise rah gayi hogi, kyonki wo ladki Neha hi hogi lag toh aisa hi raha hai,
bahut achhe Riky bhai har update suspense ke sath hi end hua hai.

Nice and beautiful update.
 

dhalchandarun

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#अपडेट २५


अब तक आपने पढ़ा -


समर को आगे बढ़ता देख इस बार शायद खड़ा हुआ व्यक्ति भागने को तैयार हो गया। उसने अपनी पिस्तौल उस लड़की को थमा दी और पीछे की ओर जाने लगा, वो लड़की लगभग घसीटते हुए आगे को आई और समर को कवर करने लगी।


इसी समय मेरी नजर उसके चेहरे पर पड़ी और....


अब आगे -


कुछ समय तक तो मेरी सोचने समझने की शक्ति ही चली गई, जो मैने अपने सामने देखा।


नेहा, मेरी नेहा? अपने हाथों में पिस्तौल थामे समर की ओर गोलियां चला रही थी? नहीं ये नहीं है मेरी नेहा नहीं है।


दिमाग जो देख रहा था, दिल उसे मानने को तैयार नहीं था।


मेरे मुंह से एक जोर की आवाज निकली, "नेहा ये क्या कर रही हो तुम?"


सबकी नजर मेरे ऊपर पड़ी, और मैं जहां छुपा हुआ था उससे बाहर आ चुका था। ये देख कर नेहा ने अपनी पिस्तौल मेरी ओर घुमा दी।


"समर उसे जाने दो वरना मैं मनीष को गोली मार दूंगी।"


"मनीष, तुम बाहर क्यों आए।" समर ने मुझसे गुस्से में पूछा।


"समर, मेरी बात मानो, वरना।" ये बोल कर उसने एक फायर किया, जो मुझसे कुछ दूर गया।


"नेहा रुक जाओ, मनीष को कुछ मत करना, मैं गोली नहीं चलाऊंगा।" ये बोल कर समर ने अपनी पिस्तौल को अपने सामने पेड़ पर रख दिया।


ये देख कर वो दूसरा व्यक्ति किले के दूसरी ओर भाग निकला।


"नेहा ये क्या कर रही हो तुम?" मैने फिर से नेहा से पूछा, मेरी आंखों में आंसु आ चुके थे।


"मनीष मैं जो भी कर रही हूं अपने प्यार की खातिर कर रही हूं।"


"पर तुम तो मुझसे प्यार करती थी न नेहा? और मैने कब तुमसे ऐसा करने को कहा।" मैने कतर स्वर में उससे पूछा।


"मनीष मैने कभी तुमसे प्यार नहीं किया, जो भी किया बस अपने प्यार की खातिर किया मनीष, हां तुम इसके लिए मुझे गलत मान सकते हो, मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं।"


"क्या, तुमने मुझसे कभी प्यार नहीं किया? और वो सब क्या था नेहा, जो इतने दिन से हमारे बीच चल रहा था?"


"मैने कहा न जो भी किया अपने प्यार की खातिर किया, और अब भी जो कर रही हूं बस उसी प्यार के लिए कर रही हूं।"


तभी समर ने अपनी पिस्तौल उठा कर बाहर आते हुए कहा, "नेहा अब तो वो भाग गया, तुम भी ज्यादा देर ऐसे नहीं रह सकती। पिस्तौल फेक दो। हम तुम्हारा इलाज भी करवा देंगे और कोशिश करेंगे कि तुमको इसमें न फंसने दे।"


"समर, अपने ये पुलिस वाले पैंतरे मेरे सामने मत चलाओ, मुझे खुद को बचा कर उसे पकड़वाना ही होता तो मैं उसको क्यों भगाती?"


"पर नेहा ऐसे तो तुम खुद की जान खतरे में डाल रही हो। प्लीज अपनी पिस्तौल फेक दो, मैंने एम्बुलेंस बुला ली है, कुछ ही देर में आती होगी वो। तब तक हम कुछ फर्स्ट एड तो दे सकें तुम्हे।" समर ने कुछ बात घूमने की कोशिश की।


"समर, मेरा जो होना है, वो मुझे मालूम है। बस इस बात की खुशी है कि जिसे प्यार किया उसे बचा लिया है मैने, और उसके बचे रहने के लिए मेरा मारना ही जरूरी है।" ये बोल कर उसने पिस्तौल अपने सीने पर रख ली, और मेरी ओर देखते हुए नम आंखों से कहा, "मनीष, मैं तुम्हारी गुनाहगार हूं, हो सके तो मुझे माफ कर देना।" ये बोलते ही नेहा ने पिस्तौल का ट्रिगर दबा दिया।


मैं और समर तुरंत उसकी ओर लपके। मैने उसका सर उठा कर अपनी गोद में रखा।


"नेहा क्या तुम्हे एक बार भी मेरा ख्याल नहीं आया जो ये किया तुमने?"


"मनीष, मुझे बस अपने प्यार का ही ख्याल है। तुम.... बहुत अच्छे इंसान हो,.... मैने हर कदम तुमको... धोखा दिया है मनीष" उसने हाथ जोड़ते हुए कहा, "... बस हो सके तो मुझे माफ कर देना..." और इसी।के साथ उसका पूरा शरीर ढीला पड़ गया।


"नेहा§§" मैं चीख उठा। और उसके बाद रोने लगा।



समर ने कुछ देर मुझे रोने दिया। फिर मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोला, "मनीष, अब संभालो खुद को, नेहा ने जो किया वो तुम्हारे सामने है। लेकिन अब इसके बाद अगर जो तुम ऐसे रहोगे तो जो वाल्ट में हुआ उसे मुझे संभालने में दिक्कत आ जाएगी, और फिर तुम्हारे और मित्तल सर के सपने का क्या?"


मित्तल सर और वाल्ट का जिक्र आते ही मैं होश में आया। नेहा भले ही मेरी जिन्दगी में पहली इंसान थी जिसके दैहिक आकर्षण में मैं पड़ा था, पर मेरा दिल हमेशा मेरे आदर्श और मेरे भगवान मित्तल सर के लिए ही था, और उससे मैं कोई समझौता नहीं कर सकता था। मैने खुद को शांत किया, और वहां से उठ खड़ा हुआ।


इतने ही में एंबुलेंस और पुलिस की कुछ गाड़ियां भी वहां पहुंच गई थी। समर ने मुझे अभी शांत रहने का इशारा किया और आगे की कमान उसने खुद सम्हाली।


फॉर्महाउस में भी मुठभेड़ खत्म हो गई थी, और वहां से भी कोई जिंदा नहीं पकड़ में आया था, 3 आदमी मारे गए थे वहां। वाल्ट में भी गोली बारी हुई थी, और वहां से 5 में से 2 आदमी जिंदा पकड़े गए थे।


समर ने शाम होने से पहले ही मुझे घर भेज दिया और ऐसा दिखाया कि मैं उस जगह मौजूद ही नहीं था। शाम होते ही वाल्ट में डकैती की कोशिश का समाचार सारे न्यूज चैनल में सुर्खियों के साथ चलने लगी थी। जिसमें बताया जा रहा था कि एक दिल्ली के लुटेरों की गैंग ने, जिसका सरगना कोई माइकल नाम का इनामी गुंडा था, किसी तरह से एक पास निकलने में कामयाब हो गए थे, जिसके लिए नेहा को किडनैप किया गया था, मगर वाल्ट के सिक्योरिटी सिस्टम के चलते वो प्राइवेट वाल्ट तक ही पहुंच पाए और सरकारी वाल्ट में उन्होंने कदम भी नहीं रख पाए। और बाहर निकलते ही पुलिस से उनकी मुठभेड़ हो गई, और जहां नेहा को कैद किया गया था वहां पर भी पुलिस ने समय पर रेड किया और सबको मार गिराया, इसी गोलीबारी में नेहा को भी लुटेरों की गोली लग गई, और उसकी भी मौत हो गई।


समर ने बताया था कि वाल्ट के अंदर पहुंचे लुटेरों को हथियार अंदर ही किसी वाल्ट से मिले, और उनके पास से वाल्ट का ब्लू प्रिंट भी मिला था, इन दोनों बातों को दबा दिया गया।



समाचार देखते देखते मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी, और मेरा दिल कर रहा था कि मित्तल सर को जा कर मैं सब कुछ बता दूं। इसी उधेड़बुन में शाम ढल गई और मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी....
Chalo Manish ka pichha chhut gaya Neha Rani se jise Manish apna pyar samajh kar sab kuchh karta raha aur wo apne pyar ke liye Manish ke niche hi so gayi aur last mein khud mar gayi par apne pyar ko jeevit bhagane mein safal rahi hai.

Kya baat hai Neha Rani apne pyar ke liye apna jism aur jaan dono hi kurban kar di, thoda tarif ke kabil toh Neha jarur hai bas Manish ke liye galat sabit ho gayi.

Wonderful update brother.
 

dhalchandarun

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#अपडेट २६


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समर ने बताया था कि वाल्ट के अंदर पहुंचे लुटेरों को हथियार अंदर ही किसी वाल्ट से मिले, और उनके पास से वाल्ट का ब्लू प्रिंट भी मिला था, इन दोनों बातों को दबा दिया गया।


समाचार देखते देखते मेरे मन में बहुत तेज हलचल मची हुई थी, और मेरा दिल कर रहा था कि मित्तल सर को जा कर मैं सब कुछ बता दूं। इसी उधेड़बुन में शाम ढल गई और मेरे फ्लैट की डोर बेल बजी....


अब आगे -


ये समर था, मैने उसे अंदर आने दिया। वो भी काफी थका दिख रहा था।


कुछ देर ऐसे ही बात करके वो चला गया। उसने बताया कि वाल्ट के अंदर ही एक हैंडबैग में हथियार रखे मिले उन लोग को। फार्म हाउस में जो मारे गए माइकल उनमें से ही एक था। और जो लोग पकड़े गए हैं उनका एकमात्र कॉन्टेक्ट प्वाइंट माइकल ही था तो अभी तो फिलहाल कोई भी तरीका नहीं दिख रहा है उस मास्टरमाइंड तक पहुंचने का।


उसके जाने के बाद भी मैं उधेड़बुन में था कि मित्तल सर को बताऊं या नहीं। यही सोचते सोचते मैं सोफे पर ही सो गया। अगली सुबह ऑफिस जाने पर दिन भर पुलिस की इन्वेस्टिगेशन और लोगों की इंक्वायरी ही चलती रही। इस घटना के बाद शेयर मार्केट में भी कंपनी के शेयर को एक तगड़ा झटका लगा था। हालांकि मित्तल सर ने अपने कॉन्टेक्ट द्वारा सरकार से प्रेस नोट निकलवा दिया कि सरकार का सोना पूरी तरह से सुरक्षित है और सरकार भी इसकी सिक्योरिटी से संतुष्ट है। इससे बाजार में मची अफरा तफरी कुछ कम हुई। शाम को मैं एक बार मित्तल सर के बारे में पता किया तो वो शायद घर को निकल गए थे। इसीलिए उनसे मिले बिना मैं अपने फ्लैट पर आ गया।


मेरे फोन पर करण का फोन आया, और उसे किसी फाइल पर साइन लेने थे, पर आज की अफरा तफरी के कारण नहीं ले पाया था, इसीलिए मैने उसे अपने फ्लैट पर ही बुला लिया था। करीब 6 बजे वो मेरे घर आया। मैने उसे बैठा कर फाइल पर साइन किए और उसे ड्रिंक का पूछा, जिसपर वो तैयार हो गया। मैं अपने कमरे में व्हिस्की की बोतल और ग्लास लेने चला गया।


जब मैं बाहर आया तो करण सोफे से उठा हुआ था और कुछ बेचैन लग रहा था। मेरे बाहर आते ही उसने कहा, "सर, आज रहने दीजिए, अभी पापा का कॉल था, वो लोग यहीं है आज कल, और मां की तबियत कुछ सही नहीं है। इसीलिए थोड़ा जल्दी घर पहुंचना है।"


मैने उसे जाने की इजाजत दे दी। और खुद अकेले ही एक पैग बना कर बैठ गया। पीते पीते भी मैं यही सोच रहा था कि क्या सर को सब बता दूं, फिर एकदम से मैं उठा कर कार की चाभी ली और मित्तल मेंशन की ओर चल दिया।


मैं कोई आधे घंटे बाद मित्तल मेंशन के बाहर था, एक मिनिट को गाड़ी रोक कर मैं गेट के बाहर फिर से विचार किया कि सर को बताना चाहिए या नहीं, पर इस बार मन पक्का कर लिया और फिर एंट्री करवा कर अंदर चल गया।


पार्किंग में बाहर की तरफ गाड़ी लगा कर मैं अंदर गया, हॉल खाली था, कोई था नहीं वहां पर, फिर मैं सीधे अंदर की ओर बढ़ गया, नीचे सबसे पहले श्रेय का कमरा पड़ता था जो इस समय अंदर से बंद था। और उसी के पास से सीढ़ी थी ऊपर के फ्लोर पर जाने के लिए। रजत सर का परिवार ऊपर ही रहता था और महेश अंकल का नीचे। मैं सीढ़ी से ऊपर पहुंचा और सामने ही मित्तल सर की स्टडी थी, जिसकी लाइट जल रही थी। इसका मतलब वो अभी स्टडी में ही थे।


मैंने एक बार दरवाजा खटखटाया, मगर अंदर से कोई जवाब नहीं आया, तो मैने हल्के से दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुल गया। अंदर मुझे कोई नहीं दिखा, मगर मुझे कुछ अजीब सा अहसास हुआ तो मैं अंदर की ओर बढ़ा। अंदर सर के की चेयर टेबल के पीछे गिरी हुई थी। ये देख मैं और आगे बढ़ा तो नीचे टेबल और गेस्ट चेयर के बीच कुछ गिरा हुआ था। मैने झुक कर उसे उठाया, और वो एक रिवॉल्वर थी। मैं उसे उठा कर जैसे ही सीधा हुआ टेबल के उस पार मित्तल सर औंधे मुंह गिरे हुए थे।


ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"



उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....
Wow Mittal sir ko hi kisi ne shoot kar diya hai par jaise itni security hone ke baad bhi ye almost impossible lag raha hai, bahut bada game chal raha hai lagta hai idhar, lagta hai ghar ko koi aur bhi involved hai in sabke pichhe Shrey ke alawa par dekhna interesting hoga kaun???
 

dhalchandarun

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#अपडेट २७


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ये देखते ही मैने दौड़ कर उनको पलटा, उनके पेट और सीने में गोलियां लगी थी। जैसे ही मैने उनको पलटा, वैसे ही प्रिया उस स्टडी में आई और, मुझे और मित्तल सर को देखते ही वो चिल्लाई, "पापा... मनीष ये तुमने क्या किया??"


उसके इस सवाल को सुनते ही मेरा ध्यान अपने हाथ पर गया और उसमें रिवॉल्वर थी....


अब आगे -


"प्रिया, ये मैने नहीं किया।" ये बोलते हुए मैं खड़ा हुआ और वो रिवॉल्वर वहीं पर फेक दी।


लेकिन तब तक प्रिया स्टडी से बाहर जा कर चिल्लाने लगी थी, स्टडी साउंड प्रूफ बनी थी तो आवाज बाहर नहीं जाती थी। प्रिया की आवाज सुन कर साथ वाले कमरे से प्रिया की मां भी बाहर आ गई थी। सिचुएशन मेरे हाथ से बाहर जा चुकी थी, और ऐसे में बस मुझे एक ही ख्याल आया, "भागो।"


और मैंने बाहर को दौड़ लगा दी। प्रिया को किनारे करके मैं सीधे नीचे जाने लगा, मगर श्रेय ऊपर आ रहा था। उसने मुझे देखते ही पकड़ने की कोशिश की, मगर मैने उसे धक्का देते हुए कहा, "श्रेय मैने कुछ भी नहीं किया, मेरी बात मानो प्लीज।" मगर पीछे से प्रिया की लगातार आवाज आ रही थी, "मनीष ने पापा को गोली मार दी।"


मेरे धक्के से श्रेय थोड़ा लड़खड़ाया और मैने भागने का मौका देख फिर से बाहर को दौड़ लगा दी।


बाहर से गार्ड मुख्य दरवाजे से अंदर आ रहे थे, ये देख मैं पार्किंग वाले दरवाजे की ओर मूड गया, वहां कोई नहीं था। बाहर निकल कर मैं सीधा अपनी कार में गया, जो सबसे आगे खड़ी थी, और स्टार्ट करके मैं गेट की ओर निकल गया। घर के अंदर मचे हंगामे के कारण सारे गार्ड गेट छोड़ कर अंदर की ओर जा चुके थे, मगर अब वो बाहर की ओर आने लगे, पर तब तक मैने अपनी कार दौड़ा दी थी।


मित्तल मेंशन की रोड से मुख्य सड़क तक आते हुए मुझे एंबुलेंस भी आती हुई दिख गई। मगर मैं अब सीधे अपने अपार्टमेंट की ओर चल पड़ा, और तेज रफ्तार से अंदर चल गया और सीधे अपने फ्लैट में आ कर ही रुका।


कुछ सांस लेने के बाद मैने सीधे समर को फोन लगाया।


"हेलो समर?"


"ये क्या किया भाई तूने?"


"मैने नहीं किया यार। वैसे मित्तल सर क्या?"


"पता है मुझे कि ऐसा काम और वो भी मित्तल साहब के साथ तू तो नहीं ही करेगा। मित्तल सर को अभी तो हॉस्पिटल ले जाया गया है, क्रिटिकल हैं पर जिंदा हैं अभी। तू है कहां?"


"अपने फ्लैट पर।"


"अरे यार, पुलिस निकल चुकी है वहां के लिए। एक काम कर, किसी तरह बिना नजरों में आए बिल्डिंग के पीछे की ओर पहुंच, मैं अभी वहां आता हूं।"


फोन रख कर मैं अपने फ्लैट से बाहर निकला, वैसे ही मुझे पुलिस के सायरन की आवाज आई जो बहुत ही करीब से थी, शायद वो लोग अंदर आ चुके थे। अब मुझे किसी भी हाल में बिना किसी की नजर में आए बिल्डिंग से निकलना था, इसीलिए मैने थोड़ी हिम्मत जुटा कर वापस से अपने फ्लैट में गया और अंदर से लॉक करके बालकनी में पहुंचा, मेरा फ्लैट पांचवे माले पर था। बालकनी के साइड से ड्रेनेज पाइप निकला हुआ था, जिसे आसानी से पकड़ा जा सकता था। मगर ऊंचाई बहुत थी, इसीलिए मुझे पहले डर लगा, पर मेरे कानो में अभी भी पुलिस सायरन के आवाज आ रही थी, जिसे सुन मेरा सारा डर दूर भाग गया और मैने उस पाइप को पकड़ कर नीचे की ओर धीरे धीरे फिसलने लगा।


कुछ देर में मैं नीचे था। उसी साइड बिल्डिंग का पिछला गेट था जो ज्यादातर समय बंद रहता था, मगर कभी कभी खुला भी मिल जाता था। किस्मत से इस समय वो खुला भी था, और रात होने के कारण किसी ने मुझे देखा भी नहीं था। मैं गेट से बाहर चला गया। कुछ ही देर में मेरे पास एक ब्लैक स्कॉर्पियो आ कर रुकी।


ये समर था, उसने मुझे जल्दी से गाड़ी में बैठाया और फौरन गाड़ी भगा दी। कुछ ही देर में हम शहर के बाहर बायपास पर थे।


समर, "मनीष, यहां से अभी कई जगह जाने की बस निकालेगी, तू पहले कहीं ऐसी जगह निकल जहां तू कुछ दिन पुलिस से बच कर रह सके। वरना एक बार तू अरेस्ट हो गया फिर मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। और ये ले कुछ पैसे रख।" ये बोल कर उसने मुझे कुछ 500 के नोट दिए।


"इसकी जरूरत नहीं है भाई, atm से निकल लूंगा।"


"पागल है क्या, अभी तेरी हर मूवमेंट चेक की जाएगी। कोई ट्रेस मत छोड़, और अपना फोन भी यहीं फेक दे।" ये बोल कर उसने मेरा फोन ले कर स्विच ऑफ करके झाड़ियों में फेक दिया।


"अब मैं चलता हूं, आगे तुमको खुद अपना ख्याल रखना है, शायद कुछ देर में हर जगह ही तुम्हारी तलाश होने लगे तो बहुत देख भाल कर ही कोई ट्रेन या बस पकड़ना। और हां मुझसे कॉन्टेक्ट जरूर करना, जब खुद को सेफ कर लो तब।" ये बोल कर वो निकल गया, और मैं बस का इंतजार करने लगा।


थोड़ी ही देर में अहमदाबाद की बस आ गई और मैं उसमें बैठ कर अहमदाबाद के लिए निकल गया। सुबह 4 बजे के आस पास मैं अहमदाबाद में उतर चुका था, समर के निर्देश के अनुसार मैं चौकन्ना था। और अहमदाबाद स्टेशन के पास ही एक एजेंट से दिल्ली की एक टिकट निकलवा ली, ट्रेन भी कुछ ही देर में थी तो मैं छुपते छुपाते ट्रेन में जा कर बैठ गया।


स्टेशन के टीवी में मित्तल सर की न्यूज ही चल रही थी, जिसमें मित्तल सर की नाजुक हालत के बारे और उन पर हुए हमले के बारे में बताया गया, और मुझे हमलावर बताया जा रहा था। और साथ में उसमें कई और फोटो आ रही थी, मेरी और नेहा की, शिमला वाली, मेरे फ्लैट वाली, और भी एक दो जगह की। मतलब हर जगह की फोटो निकाली गई है थी हम दोनो की। तभी एक बात मेरे दिमाग में आई, जब भी नेहा और मेरा संभोग होता था, उससे पहले नेहा थोड़ा समय अकेले में बिताती थी और जहां वो समय बिताती थी, संभोग भी वहीं होता था। मतलब ये सारी फोटो और शायद वीडियो भी उसी ने कैमरा लगा कर बनाए। इन सब के साथ ये न्यूज चल रही थी कि मैं पहले वाल्ट में लूट करवाना चाहता था, जिसमें नेहा मेरे साथ थी, और उसमें फेल होने के कारण मैने मित्तल सर को गोली मार दी



आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखाने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....
Kya kya khel ho raha hai ye Manish ke sath aaj ek ajnabi bankar use rahna padega, Manish ne jahan se apni journey start kiya tha ek baar phir se wahin aa gaya hai apna Delhi ka dhaba!!
Ise kahte hain kismat, kismat hume kya kya rang dikhati hai koi bhi nahi janta hai.

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dhalchandarun

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#अपडेट २८


अब तक आपने पढ़ा -


आने वाले दिन मुझे क्या क्या दिखने वाले थे इन सब की चिंता करते हुए मैं नई दिल्ली स्टेशन पहुंच चुका था। अब मुझे बस इतना पता था कि मेरी मदद बस बाबूजी ही कर सकते हैं, इसलिए मैं सीधा उनके ढाबे पर पहुंच गया....


अब आगे -


मैं दिल्ली रात के करीब 8 बजे पहुंचा था, और मुझे ये तो पता था कि अब तक मेरी न्यूज और फोटो लगभग सब कोई देख चुका होगा, इसीलिए मैने ज्यादा रिस्क न लेते हुए, साइकिल रिक्शा से, वो भी बदल बदल कर वहां पहुंचा, इन सब में लगभग 2 घंटे लग गए और ये समय ढाबे को बढ़ाने का था। पर फिर भी मैने पूरा एहतियात रखते हुए ढाबे से कुछ दूर ही रिक्शा छोड़ कर छुपते हुए उधर बढ़ा। दुनिया में अभी मुझे किसी पर कोई विश्वास नहीं था, सिवाय बाबूजी के।


बाबूजी और जॉली भैया बाहर ही बैठे कुछ बातें करते दिख गए मुझे। आस पास के वातावरण को देख कर ऐसा नहीं लगा कि पुलिस मुझे यहां पर ढूंढने आई है। मैं हिम्मत करके उन दोनों के सामने पहुंचा।


"बाबूजी?" आंखों में आंसु भरे हुए मैं उनके सामने जा कर खड़ा हो गया।


"मेरे बच्चे।" इतना बोल कर उन्होंने मुझे गले से लगा लिया। उनकी आंखे भी भरी हुई थी।


जॉली भैया, "बाबूजी, मनीष। मेरे पीछे आओ आप लोग।"


जॉली भैया अपनी दुकान की ओर मुझे और बाबूजी को ले कर चल दिए। उनकी दुकान के पीछे से एक सीढ़ी ऊपर के माले पर जाती थी, उससे हो कर हम ऊपर पहुंचे, यहां भी कुछ दुकानें बनी थी, पर सब बंद थी, शायद इनको गोदाम बना कर रखा गया था। एक दुकान का ताला खोल कर जॉली भैया ने हमको अंदर बुलाया। येp गोदाम ही था, जिसमें कुछ पुराने प्रिंटर, कंप्यूटर का कुछ सामान और कुछ फर्नीचर था। हमारे अंदर आते ही उन्होंने दरवाजा बंद किया और पीछे की ओर एक और दरवाजा खोल कर हमें बुलाया। यहां पर फिर एक सीढ़ी थी, पर ये लोहे की थी, और ऊपर एक और कमरा जैसा था। देखने से ये दुछत्ती जैसा लग रहा था। ऊपर एक अच्छा कमरा था, जिसमें एक बिस्तर लगा था, और कमरे में एक आदमी की जरूरत का सारा सामान था। एक कोने में एक कंप्यूटर भी लगा था।


"आप यहीं रुको, मैं अभी आया।" हमें वहां छोड़ कर जॉली भैया नीचे चले गए।


"बाबूजी, मैने कुछ नहीं किया।"


"जनता हूं मेरे बच्चे, अब तू कुछ नहीं बोलेगा अभी। बस आराम कर।"


तभी जॉली भैया एक थाली में खाना लेकर आ गए, साथ में एक 15 16 साल का लड़का भी था, जो पानी ले कर आया था।


"चल खाना खा, और आराम कर, ये कमरा जॉली ने खुद के लिए बनाया है, कभी कभी उसे रात भर भी काम करना होता है, इसीलिए।"


मैं चुपचाप खाना खाता रहा, कोई भी किसी से कुछ नहीं बोला। मेरे खाना खाते ही वो लड़का थाली ले कर चला गया।


"अब आराम कर पुत्तर, हम सुबह आते हैं, तुम यहां फिलहाल सबसे सुरक्षित जगह पर हो।"


ये बोल कर दोनों चले गए, और दरवाजा बाहर से ही लॉक कर दिया। कमरे में ही अटैच बाथरूम था तो फिलहाल सुबह तक तो यहां रुका जा सकता था।


बिस्तर पर लेट कर मैं सोने की कोशिश करने लगा, पर मित्तल सर की वो हालत बार बार मुझे परेशान कर रही थी, अब तक जो भी हुआ मैं उसी के बारे में सोचता हुआ नींद के आगोश में आ गया।


सुबह बाबूजी के जगाने से मेरी नींद खुली। वो मेरे लिए कुछ कपड़े ले कर आए थे। और मुझे फ्रेश होने के लिए बोला। मैं भी नहा कर उनके लाय कपड़े पहन कर बाथरूम से बाहर आया, तब तक जॉली भैया भी आ चुके थे और उन्होंने नाश्ता भी मंगवा लिया था।


नाश्ते के बाद बाबूजी ने मुझसे कहा, "अब बोल बच्चे ये सब कैसे हो गया?"


मैं नेहा के आने से ले कर अब तक का सारा वाकया उन दोनों को बता दिया।


"दिमाग कहां गया था तेरा?" बाबूजी मुझे डांटते हैं।


"दार जी, कभी कभी दिमाग नहीं चलता। क्या करिएगा? आप भी नेहा से मिले हैं, वो गलत लगी क्या आपको?" जॉली भैया ने बाबूजी से कहा।


उनकी बात सुन कर बाबूजी के तेवर कुछ नर्म हुए, "चलो फिलहाल तो तुम यहीं रहो जब तक बाहर का माहौल सही नहीं हो जाता।"


"जी बाबूजी।" मैने सर झुकाए हुए कहा।


जॉली भैया मेरे पास आए और एक फोन मुझे देते हुए कहा, "इसे रख अपने पास, और देख कौन है जो वहां तेरी मदद कर सकता है। क्योंकि जो भी है वो मित्तल साहब के घर के अंदर का है या बहुत ही करीबी है वो, इसलिए उनसे तो दूर ही रहना।"


ये एक कीपैड वाला फोन था। उनके जाने के बाद मैने समर को फोन लगाया।


दो रिंग के बाद ही उसने फोन उठाया, "हेलो?"


"मैं हूं, सुरक्षित जगह पहुंच गया हूं।"


"रॉन्ग नंबर।" ये बोल कर उसने फोन काट दिया।


कुछ देर बाद मेरे फोन पर एक नए नंबर से कॉल आया। पहले तो मैं डर गया उसे उठाने में, फिर हिम्मत करके मैने उसे उठाया।


"ह.. हेलो।"


"समर बोल रहा हूं, वो फोन ड्यूटी वाला है, इसीलिए इससे बात कर रहा हूं। ठीक से पहुंच गया न भाई?" उसकी आवाज में चिंता थी।


"हां, और अभी सुरक्षित हूं। और..."


मैं कुछ आगे बोलता उससे पहले ही समर ने कहा, "जगह का नाम बताने की जरूरत नहीं है। बस जगह सुरक्षित होनी चाहिए तुम्हारे लिए।"


"हां यार, एकदम सुरक्षित जगह है फिलहाल। तुम बताओ, वहां क्या हाल है? मित्तल सर कैसे हैं?"


"यहां हाल बेहाल है भाई। अभी संजीव की लाश भी मिली है, शहर के बाहर वाले बीच पर, पत्थरों के बीच में थी, बदबू आने पर पता चला। उसको भी गोली से ही मारा गया है। और मित्तल सर और संजीव दोनों को एक ही रिवॉल्वर की गोली लगी है। और वो तुम्हारी रिवॉल्वर है। वही रिवॉल्वर मित्तल सर की study से बरामद हुई, जिस पर तुम्हारी ही उंगलियों के निशान हैं। Study में ही तुम्हारी और नेहा की कई अंतरंग फोटो, और वो पास वाला एनवेलप मोटरसाइकिल की डिक्की में रखते हुए फोटो, और संजीव पर पिस्तौल तानते हुए फोटो भी है, इन सबसे लूट में तुम्हारा और नेहा का कनेक्शन बताया जा रहा है, और मित्तल सर को ये बात पता चल गई इसीलिए तुमने उनको मारने की कोशिश की।"


ये सुन कर मेरे होश फिर से एक बार उड़ गए। जहां तक मुझे याद था, study में सर की टेबल पर या और आस पास कहीं कोई फोटो या जगह नहीं दिखा था मुझे।


"मित्तल सर अभी भी बेहोश हैं, शायद कोमा में चले गए हैं। अब तो भगवान से दुआ करो कि वो बच जाएं। गोली उनके दिल को छूती हुई निकली है। Excessive blood loss से अभी भी होश में नहीं आए हैं।"


"यार, किन चक्करों में फंस गया हूं मैं।"


"जो भी है, अब वहां बैठ कर दिमाग लगा और कोशिश कर कि कहां से इसका कोई सिरा मिलता है। चल भाई अब रखता हूं। मैं ही कॉल करूंगा अब से, तुम मत करना। क्योंकि की जरूरी नहीं इसी नंबर से ही बात करूं आगे।" ये बोल कर उसने फोन रख दिया।


मैं बेहद पसोपेश में था, पूरी घटनाओं को बार बार याद करके सोच रहा था कि कैसे कोई सिरा मिल सकता है। तभी मेरे कमरे में जॉली भैया आ जाते हैं।


"मनीष, तुझे कुछ दिखना है मुझे।" उन्होंने कहा और साइड में रखा कंप्यूटर ऑन कर दिया।


उसके चालू होने के बाद उन्होंने फेसबुक खोला और मुझसे कहा, "देख मुझे गलत मत समझना, पर मैं जब भी किसी से मिलता हूं तो मेरी आदत है कि सोशल मीडिया पर उससे कनेक्ट होने की। इसी कारण उस दिन तुम्हारे जाने के बाद मैं नेहा को फेसबुक पर ढूंढा तो मुझे ये मिला।" बोल कर उन्होंने एक प्रोफाइल मेरे सामने खोल दी।


प्रोफाइल में नेहा वर्मा का नाम था, और उसकी एक बहुत पुरानी फोटो, लगभग 7 8 साल पहले की थी। उसमें कुछ ज्यादा पोस्ट तो नहीं मिले, जो भी थे वो कुछ सस्ती शायरी टाइप थे, जो उस समय sms से भेजी जाती थी एक दूसरे को। न कोई फोटो थी ऊपर में। तो मुझे कुछ ज्यादा समझ नहीं आया। फिर जॉली भैया ने प्रोफाइल में एक एल्बम खोला जो my love के नाम से बना था। और उसमें भी 3 4 फोटो ही थी। एक में एक टेडी बियर था, जिसके नीचे लिखा था, first gift of my love. और एक कार्ड की फोटो थी। उसको खोलने पर एक प्रोपोज कार्ड था, और उसमें अंदर में एक दिल बना कर उसमें Neha loves Bittu लिखा था। एक दो ऐसे ही और कार्ड की फोटो थी उसमें। ये सारी फोटो लगभग 7 8 साल पहले ही अपलोड की ही थी। ये देख कर मुझे एक झटका लगा, क्योंकि अगर जो ये बिट्टू ही संजीव था, तो उससे तो वो 5 साल पहले ही मिली थी। तो फिर ये था कौन?


"मैं तुझे इस बारे में बताना चाहता था, लेकिन फिर मुझे याद आया कि नेहा की तो पहले ही शादी हो चुकी थी, इसीलिए मैने फिर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पर आज फिर से मुझे इसकी याद आ गई तो सोचा तुम्हे बता दूं, शायद कुछ काम आ जाय।"


"थैक्यू जॉली भैया, पर नेहा ने इस बिट्टू के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया था। खैर देखता हूं, ये कभी न कभी तो काम आएगा ही।"


फिर कुछ इधर उधर की बात करके जॉली भैया भी चले गए। दिन ऐसे ही बीतने लगे।


देखते ही देखते लगभग एक महीना बीत गया। मैं कमरे से बाहर नहीं निकलता था। खाना पीना समय पर आ जात था, सुबह शाम बाबूजी और जॉली भैया भी मुझसे मिलने आते थे। जॉली भैया ने उसी कंप्यूटर में टीवी का कनेक्शन भी लगवा दिया जिससे मुझे कुछ खबरें भी मिलने लगी। समर से भी बीच बीच में बात होती रहती थी। उसने बताया कि उसे इस केस से हटा दिया गया है, और इसमें मित्तल परिवार का ही हाथ है, क्योंकि वो लोग जानते हैं कि समर और मैं दोस्त हैं। फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली थी पुलिस को। और अभी इस केस को दूसरे SP, अमरकांत लीड कर रहे थे। वो बहुत कड़क पुलिस वाला था। और समर ने बताया कि वो थोड़ा ख़ाऊ टाइप भी है। मतलब रिश्वत वगैरा भी लेता है। समर और उनकी बहुत ज्यादा बनती भी नहीं थी। मित्तल सर की हालत अभी भी वैसी ही थी।


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखता थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...
Wow wow wow pura ek mahina ek hi kamre mein bita chuka hai Manish, khair ye toh pahle se hi pata lag raha hai ki Mittal sir ko shoot kisi apne ne hi Kiya hai par dekhna ye hai ki wo Shrey hai ya phir koi aur??
Waise mujhe thoda thoda Priya par bhi doubt ho raha hai use ek baar Manish ki baat Sunni toh chahiye thi par usne sunne ki koshish hi nahi ki aisa tab hota hai jab koi khud crime kar kisi ko Bali ka bakra(scapegoat) banana chahta ho ya phir use samne wale bande par bharosa na ho,
Let's see ye Amarkant kaun si pareshani lekar aata hai Manish ki life mein.

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dhalchandarun

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#अपडेट २९


अब तक आपने पढ़ा -


न्यूज में से अब इस केस पर से धीरे धीरे लोग का इंटरेस्ट कम होने लगा था, और न्यूज वाले भी अब इस न्यूज को ज्यादा नहीं दिखते थे। शेयर मार्केट में भी मित्तल ग्रुप के शेयर अब स्टेबल हो रहे थे। श्रेय और महेश अंकल ने अब कुछ पकड़ बना ली थी कंपनी पर।


दिन ऐसे ही बीत रहे थे...


अब आगे -


एक दिन बाबूजी मेरे पास आए और ऐसे ही बातों बातों में मुझसे कहा कि दाढ़ी वगैरा बनवा लो, अच्छा नहीं लगता है। तभी उनको देख कर मेरे दिमाग में एक ख्याल आया और जॉली भैया को बुलवा कर मैने उनसे कुछ कहा, वो बोले थोड़ा टाइम दो। उसके कुछ समय बाद वो एक आदमी के साथ आए। वो उनका बहुत खास जानने वाला था। एक मेकअप आर्टिस्ट। उसने मेरे हुलिया को थोड़ा दुरुस्त करके एक पग पहना दी। फिर जॉली भैया और बाबूजी ने मुझे देख कर बहुत खुश हुए और मेरे सामने आईना कर दिया, एक बार तो मैं खुद को ही नहीं पहचान पाया। इन दिनों मेरा वजन भी कुछ कम हो गया था तो मैं थोड़ा दुबला भी हो गया था। और इस हुलिए में मैं एक 20 21 साल के सिख युवक की तरह दिखने लगा था।


जॉली भैया ने उससे पूछा, "रमेश ये मेकअप कितनी देर रहेगा?"


"अरे जॉली भैया, ये कोई मेकअप नहीं है, ये तो इनकी नेचुरल दाढ़ी मूंछ है, तो ये जब तक इस पग को लगाए रहेंगे तो ऐसे ही दिखते रहेंगे।"


"मतलब ये कितनी भी देर तक ऐसा रह सकता है?"


"हां बस जब नहाएंगे तो मैं कुछ क्रीम देता हूं वो जरूर लगा लेंगे, जिससे स्किन का कलर जरा बदला सा रहेगा।" ये बोल कर उस आदमी ने दो तरह की क्रीम मुझे दी और उसे लगाने का तरीका भी बता दिया।


मैं फिर भी बहुत कॉन्फिडेंट नहीं था ऐसे निकलने में, तो बाबूजी ने मुझे अपने साथ लिया और अपने ढाबे के गल्ले पर बैठा दिया। एक दो लोग ने मेरे बारे में पूछा तो मुझे अपना भतीजा बता दिया। कुछ देर वहां बिताने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आया और मैं अकेले ही पूरी मार्केट घूम आया।


शाम तक वैसे ही रहने के बाद मुझे कुछ कॉन्फिडेंस आ गया, और मैने बाबूजी और जॉली भैया से वापस जाने की बात की।

जॉली भैया ने मुझे कुछ दिन और रुकने कहा, और वो मेरी एक दो फोटो भी खींच कर ले गए। बाबूजी ने मुझसे समर से बात करने कहा। मेरे भी दिमाग में था कि किसी तरह से नेहा के मां पिताजी से मिला जाय, क्योंकि ये गुत्थी बस वही सुलझा सकते थे कि ये बिट्टू कौन है।


रात को समर ने फोन किया, वो हर 2 4 दिन में मुझे अलग अलग नंबरों से कॉल करता था। ये उसकी खुद की सुरक्षा के लिए भी जरूरी था।


"हां मनीष कैसा है भाई?"


"कैसा होऊंगा? अच्छा एक बात बता, क्या किसी तरह से मैं नेहा के मां बाप से मिल कर बात कर सकता हूं?"


"क्यों मिलना है उनसे? और कैसे मिलोगे भाई, तुम्हारी तलाश पुलिस को आज भी है।"


"देखो समर, इसके पीछे जो भी है, वो नेहा से ही जुड़ा है। तो नेहा का पूरा पास्ट आना जरूरी है हमारे सामने, तभी कुछ गुत्थी सुलझाने के आसार बनेंगे। ऐसे यहां बैठे बैठे पूरी जिंदगी तो नहीं निकाल सकता न भाई। और अपने ऊपर आए दाग को भी हटाना जरूरी है।"


"बिल्कुल, पर कहां मिलोगे और कैसे मिलोगे?"


"वापी में बुला सकता है उनको?"


"तुम वापी आओगे?"


"हां आना ही पड़ेगा।"


"लेकिन?"


"बिना रिस्क लिए तो कुछ भी सही नहीं होगा न?"


"हां वो तो है। अच्छा एक काम करता हूं, नेहा के पापा का नंबर है मेरे पास, वो जब नेहा की बॉडी क्लेम करने आए थे तब उनसे लिया था। उन्होंने कहा था कि कोई संजीव की बॉडी न क्लेम करे तो उनको बताने। पर मुझे उस केस से ही हटा दिया तो मेरे दिमाग से भी उतर गया। चल बात करके बताता हूं तुझको, फिर उनके हिसाब से प्लान बना। और भाई सावधान रहना।"


" हां भाई, देख भाल कर ही आऊंगा।"


अगले दिन जॉली भईया ने मुझे मेरी नई पहचान के कुछ दस्तावेज बना कर दे दिए। वो इन सब का ही काम करते थे तो जाली दस्तावेज बनाना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं था। अब मैं 22 साल का हरप्रीत सिंह था और दिल्ली के प्रीतमपुरा का रहने वाला था।


दो दिन बार समर ने मुझे कॉल करके बताया कि नेहा के पिताजी एक सप्ताह बाद वापी आ कर संजीव का क्रियाकर्म कर देंगे। उसने बताया कि उनका यही अंदाजा था कि कोई संजीव की बॉडी क्लेम करने नहीं आएगा उसके परिवार से, वैसे भी उसका बस एक ही भाई था,और वो भी लंदन में था।


जॉली भैया ने मेरे लिए नए नाम से ट्रेन में रिजर्वेशन करवा दिया वापी जाने के लिए, उनके पहुंचने के एक दिन पहले ही मैं वहां पहुंच गया। रास्ते भर मुझे अपने पहचाने जाने का डर था, मगर इस घटना को लगभग 2 महीने बीत गए थे, और न्यूज वालों ने इतने दिनों में बहुत मसाला दे दिया था लोगों को, मेरे साथ हुई दुर्घटना को भूलने का।


सुबह वापी पहुंच कर मैं होटल अशोक में चला गया जिसे जॉली भैया ने ही मेरे नाम से ऑनलाइन बुक किया था। ये एक मिडिल बजट का अच्छा होटल था। मैं अपने रूम में पहुंच कर फ्रेश हुआ, और नीचे उतर कर मार्केट के एक रेस्टोरेंट में नाश्ता करने पहुंचा। असल में मेरे और समर की मीटिंग यहीं होनी थी। मैने पहुंच कर देखा तो समर पहले से ही एक टेबल पर था, वहां भीड़ ज्यादा थी तो लोग टेबल शेयर कर रहे थे। मैं भी एक अजनबी की तरह ही उसके टेबल पर बैठ गया, और अपना ऑर्डर दे दिया। कुछ देर रुकने के बाद जब हमने देखा किसी की नजर हमपर नहीं है तो समर और मैने कुछ बात की।


उसने कहा कि वो कल शाम को नेहा के पिताजी को मेरे ही होटल में लेकर आएगा, और वहीं कमरे में ही हम दोनो बात करेंगे।


अगले दिन मुझे कुछ काम नहीं था तो मैं ऐसे ही मित्तल सर के हॉस्पिटल की ओर चला गया। ये वापी का सबसे बड़ा प्राइवेट हॉस्पिटल था, और बहुत भीड़ रहती थी यहां पर।


वहां मैं कुछ देर बाहर खड़े हो कर नजर रख रहा था, तभी मुझे श्रेय की कार अंदर जाती दिखी तो मैं भी अंदर चला गया।


मेरे सामने लिफ्ट से श्रेय और शिविका ऊपर जाने वाले थे, लिफ्ट में और लोग भी थे, तो मैं भी उसी में चल गया। किस्मत से मैं और शिविका एक दूसरे के अगल बगल ही खड़े थे, मैं सामने देख रहा था, और उसकी नजर मुझ पर पड़ी, और वो मुझे ही देखती रही। फिर हम सब एक फ्लोर पर उतरे, ये हॉस्पिटल का आईसीयू फ्लोर था, इसमें दो तरफ आईसीयू यूनिट बने थे, दाईं तरफ जनरल आईसीयू, जहां साधारण लोग भर्ती होते थे, और बाएं तरफ VIP ward था, उसी में मित्तल सर को रखा गया था। उस तरफ पुलिस का पहरा था। मैं जनरल वार्ड की तरफ बढ़ गया। शिविका की नजर अभी भी मुझ पर ही थी।


जनरल वार्ड का वेटिंग हॉल सामने ही था, और वहां बैठ कर VIP वार्ड पर नजर रखी जा सकती थी। मैं ऐसी जगह देख कर बैठ गया जहां से मेरी नजर पूरे वार्ड पर रहती।


श्रेय और शिविका अंदर का चुके थे, मित्तल सर का कमरा सामने ही था। उनके कमरे के बाहर ही दो कांस्टेब तैनात थे और वो सबकी तलाशी ले कर ही अंदर जाने देते। श्रेय और शिविका की भी तलाशी हुई, ये मुझे कुछ अजीब लगा।


मैं वहां दोपहर तक बैठा रहा, श्रेय और शिविका आधे घंटे बाद चले गए थे। शिविका जाते समय भी इधर उधर सबको देख रही, शायद किसी को ढूंढ रही थी।



शायद मुझे?


दोपहर को मैं वहां से बाहर चला गया और खाना खा कर अपने होटल में जा कर आराम करने लगा। शाम 5 बजे मुझे समर ने फोन करके बताया कि वो नेहा के पापा को लेकर आ रहा है मेरे पास।


अंशुमान वर्मा, नेहा के पिता एक रिटायर सरकारी बैंक कर्मी थे। कोई 3 साल पहले ही वो रिटायर हुए थे, मतलब नेहा की शादी के एक साल बाद। समर मुझे उनसे एक दोस्त के रूप में, जो एक जर्नलिस्ट है, मिलवाने वाला था, ये बोलकर कि मैं इस घटना पर एक स्टोरी कर रहा हूं, उसी के सिलसिले में कुछ सवाल करने हैं।


एक घंटे बाद समर, अंशुमान वर्मा को लेकर मेरे रूम पर आ गया। मैने सबके लिए चाय का ऑर्डर किया, और कुछ देर इधर उधर की बात करने के बाद मैने उनसे ऐसे ही पूछ लिया


"सर, नेहा और संजीव की शादी तो आपकी मर्जी के खिलाफ हुई थी, फिर भी आप संजीव का अंतिम संस्कार करने क्यों आए।"


"किसने कहा कि संजीव और नेहा की शादी मेरी मर्जी के खिलाफ हुई?".....
Shivika lagta hai Manish se itni prem karti hai ki uske bhesh badle jane par bhi sayad uska dil Manish ko pahchan gaya ho.

Anshuman se dekhte hoga Manish ko kaun kaun se raaz pata chalta hai Neha ka, ye Neha starting se hi hamesha Manish se jhuth bolti aa rahi thi yahan tak usne Manish ko ye bhi bata rakha tha ki uski shadi uske dad ke namanjuri se huyi hai. Ye Neha badi kaam ki cheez hai es story ke liye. Neha ki dagabaazi ne story mein char chand lagane ka kaam kiya hai wahin Manish ko phir se ek simple vyakti bana diya.

Wonderful update brother.
 
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