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Incest शहजादी सलमा

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मेनका अपने कक्ष में पहुंच गई और अपनी सांसों को ठीक करने लगी! मेनका को समझा नही आ रहा था कि उसे अचानक से क्या हुआ जो वो इतनी ज्यादा घबरा गई थी और शर्म से लाल हो गई थी! एक मां का बेटे के सामने ऐसा हो जाना इतनी ज्यादा बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन फिर भी मर्यादा के लिहाज से ये बिलकुल भी सही नही था! अजय के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब विक्रम से इतना ज्यादा शर्माना उसे अजीब लग रहा था लेकिन मेनका ने सोच लिया कि अब वो ऐसा कुछ भी नही होने देगी!

अजय के साथ अब अपनी मर्यादा से गिरी जरूर थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से पवित्र थी! मेनका ने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि अब वो हर हाल मे अपनी मर्यादा को बरकरार रखेगी और महाराज विक्रम से उचित दूरी बनाकर रखेगी ताकि फिर से ऐसी किसी अनचाही स्थिति का सामना न करना पड़े!

वही दूसरी तरफ विक्रम भी महल मे आ गया था और अपने कक्ष में लेटा हुआ रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि वो सुल्तानपुर जा सके! सलमा के लिए उसने कोई संदेश नही भेजा था क्योंकि वो आज सलमा को बिना बताए जाकर उसे आश्चर्य चकित कर देना चाहता था! विक्रम को आज पार्क में हुई घटना याद आ गई तो उसे ध्यान आया कि उसकी माता मेनका आज कितना ज्यादा शर्मा गई थी! आमतौर पर देखा जाए तो इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन मेनका का शर्माना इस बात का सुबूत था कि ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी! विक्रम समझ नही पा रहा था कि इतनी ज्यादा लज्जा करने वाली स्त्री अपने पुत्र के साथ उस हद तक कैसे जा सकती थी! क्या अजय ने उसके साथ जबरदस्ती की थी या फिर कोई और वजह रही होगी! ये सोचकर विक्रम की आंखो के आगे उस रात का दृश्य आ गया जब मेनका ऊपर से पूरी नंगी हुई अजय की गोद में बैठी हुई थी तो विक्रम को यकीन हो गया कि जबरदस्ती तो ऐसे कोई किसी की गोद में नही बैठ सकती तो निश्चित रूप से दोनो की ही इसमें इच्छा रही होगी! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी आंखो के आगे फिर से अजय की गोद में बैठी हुई मेनका आ गई और विक्रम को याद आया कि सच में मेनका की कमर कितनी ज्यादा भरी हुई और मजबूत है थी! हल्की भारी जरूर थी लेकिन किसी भी तरह से लटकी हुई या ठुलथुल नही थी! विक्रम ने आज तक सिर्फ दो ही औरतों की नंगी कमर को देखा था और विक्रम मन ही मन सलमा के अपनी माता की कमर की तुलना करने लगा तो जीत उसकी माता की ही हुई! विक्रम को लगा कि शायद ये उसका मन का वहम हैं और मातृ भाव के कारण वो अपनी माता की तरफ झुक रहा हैं! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखो को बंद किया और फिर से सलमा और मेनका की तुलना करने लगा! इस बार वो मेनका को सिर्फ को एक स्त्री के तौर पर ही सोच रहा था और दोनो की कमर के उभार, कटाव खूबसूरती और मजबूती को देखने के बाद उसकी आंखो के आगे दोनो की छातियां भी आ गई! हालाकि सलमा की चुचियों को उसने पूरी तरह से नंगा देखा था, मसला था और मुंह से आनंद भी लिया था जबकि मेनका की छातियों की मात्र उसने एक झलक देखी थी वो सिर्फ जब वो उसकी माता के ब्लाउस में कैद थी! लेकिन विक्रम ने जो गहराई और कसाव मेनका के ब्लाउस में महसूस किया था उससे वो निश्चित था कि उसकी माता की छातियां सलमा से बढ़कर है! विक्रम को सलमा की चूत याद आई तो उसके माथे पर पसीना छलक उठा क्योंकि उसके मन में अगला विचार आया कि क्या मेनका की चूत भी सलमा से बेहतर होगी और ये सोचते ही विक्रम को लगा कि नही नही ये सब पाप है! मुझे अपनी माता की चूत के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए! अगले ही पल उसके मन में दूसरा विचार आया कि जब कमर और चुचियों के बारे में सोच सकता हैं तो चूत और गांड़ के बारे मे क्यों नही सोच सकता!


विक्रम का पापी मन अब मेनका की चूत के साथ साथ उसकी गांड़ तक पहुंच गया था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई थी ओ लंड में तनाव आ गया था! विक्रम ने सोचा कि सलमा को चूत और गांड़ को तो मैने देखा है और मेनका की चूत और गांड़ देखे बिना सही तुलना कैसे हो सकती है! ये सोचते ही विक्रम का लंड जोरदार झटका लगाया कि तुलना के लिए मुझे पहले मेनका की चूत और गांड़ को देखना होगा! विक्रम ने अपना अंतिम निर्णय लिया कि एक स्त्री के तौर निश्चित रूप से कमर और चुचियों के आधार पर उसकी माता मेनका सलमा से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक महिला है!

रात के 10 बज चुके थे और विक्रम धीरे से राज महल से निकला और उसके बाद अपने घोड़े पर सवार होकर नदी में किनारे सड़क पर जाते हुए खंडहर के अंदर घुस गया! अपने घोड़े को उसने कुछ समझाया और उसके बाद वो कुंवे में उतर गया और गुफा के अंदर से होते हुए सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा! अंदर गुफा ज्यादा चौड़ी नही थी लेकिन एक साथ तीन चार आदमी आराम से चल सकते थे! करीब एक घंटा पैदल चलने के साथ गुफा उपर की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते विक्रम सुल्तानपुर के अंदर पहुंच गया और थोड़ा सा चलने के बाद गुफा तीन रास्तों में बंट गई और विक्रम जानता था कि उसे किस रास्ते का चुनाव करना हैं और विक्रम ने दाई दिशा में बढ़ने का फैसला किया और करीब पांच मिनट चलने के बाद वो राजमहल के अंदर पहुंच गया था और ताकत से उसने दरवाजे को हटाया और महल के अंदर दाखिल होकर फिर से दरवाजे को लगा दिया! सावधानी से इधर उधर देखने के बाद वो आगे बढ़ा और रजिया के कक्ष के सामने से होता हुआ वो दाई तरफ मुड़ गया और अब वो सलमा के कक्ष के सामने पहुंचा और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर जागी हुई सलमा को लगा कि उसकी अम्मी रजिया आई है तो उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक चौड़े और मजबूत हाथ ने उसके मुंह और आंखो को ढकते हुए दूसरे हाथ से उसे गोद में उठा लिया और अंदर जेडकक्ष में घुस गया! सलमा दर्द और डर से घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उस शख्स ने उसे बेड पर लिटाया और उसे आजाद किया तो सलमा उसे पहचानते ही खुद ही उससे लिपट गई और उसका चूमते हुए बोली:"

" ओहो मेरे युवराज! ये तो आपने मुझे पूरी तरह से आश्चर्य चकित ही कर दिया! बता तो सकते थे आने से पहले आप!

विक्रम ने भी सलमा को अपनी बांहों में समेट लिया और उसका माथा चूमते हुए बोले:"

" बता देता तो ये खुशी जो आपके चेहरे पर अभी हैं ये देखने के लिए नही मिलती मुझे!

सलमा उससे और ज्यादा कसकर लिपट गई और उसका गाल जोर से चूमते हुए बोली:"

" सच में मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज! लेकिन आप अंदर आए कैसे ?

विक्रम ने दोनो हाथो में भर कर सलमा की गांड़ को जोर से मसल दिया और बोले:"

" मत भूलो कि मेरे पास आपके बाप हैं जिन्हे राजमहल के बारे में आपसे भी ज्यादा पता है!

सलमा गांड़ मसले जाने से जोर से सिसक उठी और उसकी बांहों में मचलते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या मुझे युवराज! ओह इसका मतलब एक और गुप्त रास्ता!

विक्रम ने सलमा को गोद में उठाया और बेड पर चढ़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया आई और उसके होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा! सलमा ने भी अपनी मखमली बांहों का हार उसके गले में डाल दिया और वो भी उसके होंठो को चूसने लगी! सलमा को अपनी जांघो के बीच में फंसे हुए विक्रम के लंड का तनाव आज किसी कठोर पत्थर की तरह महसूस हुआ तो सलमा को यकीन हो गया कि युवराज आज बहुत ज्यादा उत्तेजित हैं और अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ी तो आज विक्रम उसे कली से फूल बनाकर ही दम लेंगे तो विक्रम ने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ घुसानी चाही तो सलमा ने अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम की जीभ सलमा के मुंह में घुस गई और दोनो की जीभ एक दूसरे को चूमने चाटने लगी!

जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ी तो विक्रम ने होठों को अलग करते हुए लंड का दबाव उसकी चूत पर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए बोली:"

" आहह युवराज! आज क्या हुआ है आपको ? पूरे पत्थर बने हुए हो! इतना ज्यादा जोश और जुनून?

विक्रम की आंखो के आगे पल भर के लिए मेनका का चेहरा नाच उठा लेकिन अगले ही पल वो मेनका के होंठ चूसते हुए बोला:"

" ओह मेरी जान शहजादी सलमा! आज मैं आपको पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूं!

सलमा ने अपनी बांहों का हार उसके गले में पूरी तरह से कस दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली:"

" मैं तो पूरी तरह से सिर्फ आपकी ही हू युवराज वो भी मरते दम तक! लेकिन अपनी मर्यादा से बाहर जाने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूंगी!

विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोले:" ऐसे अशुभ बाते नही करते सलमा! मुझे क्षमा करना अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो!

सलमा:" नही युवराज बुरा नही लगा! मैं खुद भी पूरी तरह से आपकी होना चाहती हू! लेकिन रीति रिवाज के अनुसार! आप भी ये जानते हैं कि मेरे अब्बा और अम्मी आपको शादी के लिए कभी इनकार नही करेंगे!

विक्रम:" वो तो मैं भी जानता हूं बस आज अपने जज्बात काबू नही कर पाया मैं!

सलमा:" जज़बातो को काबू में रखिए महराज! मत भूलिए कि अजय और आपके पिता के कातिल अभी जिंदा हैं! आपको जब्बार और पिंडाला से बदला लेना हैं! एक योद्धा होने के नाते वही आपका सबसे बड़ा कर्तव्य है न कि महबूबा की बांहों में सुकून तलाश करना!

विक्रम को अपनी गलत का एहसास हुआ और वो खुद ही सलमा के ऊपर से हट गया और उसका माथा चूम कर बोला:"

" मुझे सही राह दिखाने के लिए आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मैं भी कसम खाता हूं कि जब तक जब्बार और पिंडाला को मौत के घाट नही उतार दूंगा आपको हाथ तक नहीं लगाऊंगा! ये एक महराज का वचन हैं आपसे!

सलमा ने आगे बढ़कर उसका हाथ चूम लिया और बोली:"

" वादा रहा महराज जिस दिन आप सभी दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर वापिस आओगे उसी दिन सलमा आपको अपनी बांहों में सुलायेगी!

दोनो के वादे के तौर पर एक दूसरे से हाथ मिलाया और उसके बाद विक्रम ने सलमा को बताया था कि अब वो महराज हैं! अजय उसका सगा भाई था और उसके बाद विक्रम सलमा को ये गुप्त रास्ता बताकर महल से बाहर निकल गया! सलमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही और जैसे ही विक्रम गुफा के अंदर दाखिल हुआ तो सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कुराहट नाच उठी मानो वो अपने मकसद की ओर बढ़ रही थी!
 

Suryasexa

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मेनका अपने कक्ष में पहुंच गई और अपनी सांसों को ठीक करने लगी! मेनका को समझा नही आ रहा था कि उसे अचानक से क्या हुआ जो वो इतनी ज्यादा घबरा गई थी और शर्म से लाल हो गई थी! एक मां का बेटे के सामने ऐसा हो जाना इतनी ज्यादा बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन फिर भी मर्यादा के लिहाज से ये बिलकुल भी सही नही था! अजय के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब विक्रम से इतना ज्यादा शर्माना उसे अजीब लग रहा था लेकिन मेनका ने सोच लिया कि अब वो ऐसा कुछ भी नही होने देगी!

अजय के साथ अब अपनी मर्यादा से गिरी जरूर थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से पवित्र थी! मेनका ने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि अब वो हर हाल मे अपनी मर्यादा को बरकरार रखेगी और महाराज विक्रम से उचित दूरी बनाकर रखेगी ताकि फिर से ऐसी किसी अनचाही स्थिति का सामना न करना पड़े!

वही दूसरी तरफ विक्रम भी महल मे आ गया था और अपने कक्ष में लेटा हुआ रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि वो सुल्तानपुर जा सके! सलमा के लिए उसने कोई संदेश नही भेजा था क्योंकि वो आज सलमा को बिना बताए जाकर उसे आश्चर्य चकित कर देना चाहता था! विक्रम को आज पार्क में हुई घटना याद आ गई तो उसे ध्यान आया कि उसकी माता मेनका आज कितना ज्यादा शर्मा गई थी! आमतौर पर देखा जाए तो इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन मेनका का शर्माना इस बात का सुबूत था कि ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी! विक्रम समझ नही पा रहा था कि इतनी ज्यादा लज्जा करने वाली स्त्री अपने पुत्र के साथ उस हद तक कैसे जा सकती थी! क्या अजय ने उसके साथ जबरदस्ती की थी या फिर कोई और वजह रही होगी! ये सोचकर विक्रम की आंखो के आगे उस रात का दृश्य आ गया जब मेनका ऊपर से पूरी नंगी हुई अजय की गोद में बैठी हुई थी तो विक्रम को यकीन हो गया कि जबरदस्ती तो ऐसे कोई किसी की गोद में नही बैठ सकती तो निश्चित रूप से दोनो की ही इसमें इच्छा रही होगी! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी आंखो के आगे फिर से अजय की गोद में बैठी हुई मेनका आ गई और विक्रम को याद आया कि सच में मेनका की कमर कितनी ज्यादा भरी हुई और मजबूत है थी! हल्की भारी जरूर थी लेकिन किसी भी तरह से लटकी हुई या ठुलथुल नही थी! विक्रम ने आज तक सिर्फ दो ही औरतों की नंगी कमर को देखा था और विक्रम मन ही मन सलमा के अपनी माता की कमर की तुलना करने लगा तो जीत उसकी माता की ही हुई! विक्रम को लगा कि शायद ये उसका मन का वहम हैं और मातृ भाव के कारण वो अपनी माता की तरफ झुक रहा हैं! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखो को बंद किया और फिर से सलमा और मेनका की तुलना करने लगा! इस बार वो मेनका को सिर्फ को एक स्त्री के तौर पर ही सोच रहा था और दोनो की कमर के उभार, कटाव खूबसूरती और मजबूती को देखने के बाद उसकी आंखो के आगे दोनो की छातियां भी आ गई! हालाकि सलमा की चुचियों को उसने पूरी तरह से नंगा देखा था, मसला था और मुंह से आनंद भी लिया था जबकि मेनका की छातियों की मात्र उसने एक झलक देखी थी वो सिर्फ जब वो उसकी माता के ब्लाउस में कैद थी! लेकिन विक्रम ने जो गहराई और कसाव मेनका के ब्लाउस में महसूस किया था उससे वो निश्चित था कि उसकी माता की छातियां सलमा से बढ़कर है! विक्रम को सलमा की चूत याद आई तो उसके माथे पर पसीना छलक उठा क्योंकि उसके मन में अगला विचार आया कि क्या मेनका की चूत भी सलमा से बेहतर होगी और ये सोचते ही विक्रम को लगा कि नही नही ये सब पाप है! मुझे अपनी माता की चूत के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए! अगले ही पल उसके मन में दूसरा विचार आया कि जब कमर और चुचियों के बारे में सोच सकता हैं तो चूत और गांड़ के बारे मे क्यों नही सोच सकता!


विक्रम का पापी मन अब मेनका की चूत के साथ साथ उसकी गांड़ तक पहुंच गया था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई थी ओ लंड में तनाव आ गया था! विक्रम ने सोचा कि सलमा को चूत और गांड़ को तो मैने देखा है और मेनका की चूत और गांड़ देखे बिना सही तुलना कैसे हो सकती है! ये सोचते ही विक्रम का लंड जोरदार झटका लगाया कि तुलना के लिए मुझे पहले मेनका की चूत और गांड़ को देखना होगा! विक्रम ने अपना अंतिम निर्णय लिया कि एक स्त्री के तौर निश्चित रूप से कमर और चुचियों के आधार पर उसकी माता मेनका सलमा से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक महिला है!

रात के 10 बज चुके थे और विक्रम धीरे से राज महल से निकला और उसके बाद अपने घोड़े पर सवार होकर नदी में किनारे सड़क पर जाते हुए खंडहर के अंदर घुस गया! अपने घोड़े को उसने कुछ समझाया और उसके बाद वो कुंवे में उतर गया और गुफा के अंदर से होते हुए सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा! अंदर गुफा ज्यादा चौड़ी नही थी लेकिन एक साथ तीन चार आदमी आराम से चल सकते थे! करीब एक घंटा पैदल चलने के साथ गुफा उपर की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते विक्रम सुल्तानपुर के अंदर पहुंच गया और थोड़ा सा चलने के बाद गुफा तीन रास्तों में बंट गई और विक्रम जानता था कि उसे किस रास्ते का चुनाव करना हैं और विक्रम ने दाई दिशा में बढ़ने का फैसला किया और करीब पांच मिनट चलने के बाद वो राजमहल के अंदर पहुंच गया था और ताकत से उसने दरवाजे को हटाया और महल के अंदर दाखिल होकर फिर से दरवाजे को लगा दिया! सावधानी से इधर उधर देखने के बाद वो आगे बढ़ा और रजिया के कक्ष के सामने से होता हुआ वो दाई तरफ मुड़ गया और अब वो सलमा के कक्ष के सामने पहुंचा और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर जागी हुई सलमा को लगा कि उसकी अम्मी रजिया आई है तो उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक चौड़े और मजबूत हाथ ने उसके मुंह और आंखो को ढकते हुए दूसरे हाथ से उसे गोद में उठा लिया और अंदर जेडकक्ष में घुस गया! सलमा दर्द और डर से घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उस शख्स ने उसे बेड पर लिटाया और उसे आजाद किया तो सलमा उसे पहचानते ही खुद ही उससे लिपट गई और उसका चूमते हुए बोली:"

" ओहो मेरे युवराज! ये तो आपने मुझे पूरी तरह से आश्चर्य चकित ही कर दिया! बता तो सकते थे आने से पहले आप!

विक्रम ने भी सलमा को अपनी बांहों में समेट लिया और उसका माथा चूमते हुए बोले:"

" बता देता तो ये खुशी जो आपके चेहरे पर अभी हैं ये देखने के लिए नही मिलती मुझे!

सलमा उससे और ज्यादा कसकर लिपट गई और उसका गाल जोर से चूमते हुए बोली:"

" सच में मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज! लेकिन आप अंदर आए कैसे ?

विक्रम ने दोनो हाथो में भर कर सलमा की गांड़ को जोर से मसल दिया और बोले:"

" मत भूलो कि मेरे पास आपके बाप हैं जिन्हे राजमहल के बारे में आपसे भी ज्यादा पता है!

सलमा गांड़ मसले जाने से जोर से सिसक उठी और उसकी बांहों में मचलते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या मुझे युवराज! ओह इसका मतलब एक और गुप्त रास्ता!

विक्रम ने सलमा को गोद में उठाया और बेड पर चढ़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया आई और उसके होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा! सलमा ने भी अपनी मखमली बांहों का हार उसके गले में डाल दिया और वो भी उसके होंठो को चूसने लगी! सलमा को अपनी जांघो के बीच में फंसे हुए विक्रम के लंड का तनाव आज किसी कठोर पत्थर की तरह महसूस हुआ तो सलमा को यकीन हो गया कि युवराज आज बहुत ज्यादा उत्तेजित हैं और अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ी तो आज विक्रम उसे कली से फूल बनाकर ही दम लेंगे तो विक्रम ने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ घुसानी चाही तो सलमा ने अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम की जीभ सलमा के मुंह में घुस गई और दोनो की जीभ एक दूसरे को चूमने चाटने लगी!

जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ी तो विक्रम ने होठों को अलग करते हुए लंड का दबाव उसकी चूत पर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए बोली:"

" आहह युवराज! आज क्या हुआ है आपको ? पूरे पत्थर बने हुए हो! इतना ज्यादा जोश और जुनून?

विक्रम की आंखो के आगे पल भर के लिए मेनका का चेहरा नाच उठा लेकिन अगले ही पल वो मेनका के होंठ चूसते हुए बोला:"

" ओह मेरी जान शहजादी सलमा! आज मैं आपको पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूं!

सलमा ने अपनी बांहों का हार उसके गले में पूरी तरह से कस दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली:"

" मैं तो पूरी तरह से सिर्फ आपकी ही हू युवराज वो भी मरते दम तक! लेकिन अपनी मर्यादा से बाहर जाने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूंगी!

विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोले:" ऐसे अशुभ बाते नही करते सलमा! मुझे क्षमा करना अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो!

सलमा:" नही युवराज बुरा नही लगा! मैं खुद भी पूरी तरह से आपकी होना चाहती हू! लेकिन रीति रिवाज के अनुसार! आप भी ये जानते हैं कि मेरे अब्बा और अम्मी आपको शादी के लिए कभी इनकार नही करेंगे!

विक्रम:" वो तो मैं भी जानता हूं बस आज अपने जज्बात काबू नही कर पाया मैं!

सलमा:" जज़बातो को काबू में रखिए महराज! मत भूलिए कि अजय और आपके पिता के कातिल अभी जिंदा हैं! आपको जब्बार और पिंडाला से बदला लेना हैं! एक योद्धा होने के नाते वही आपका सबसे बड़ा कर्तव्य है न कि महबूबा की बांहों में सुकून तलाश करना!

विक्रम को अपनी गलत का एहसास हुआ और वो खुद ही सलमा के ऊपर से हट गया और उसका माथा चूम कर बोला:"

" मुझे सही राह दिखाने के लिए आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मैं भी कसम खाता हूं कि जब तक जब्बार और पिंडाला को मौत के घाट नही उतार दूंगा आपको हाथ तक नहीं लगाऊंगा! ये एक महराज का वचन हैं आपसे!

सलमा ने आगे बढ़कर उसका हाथ चूम लिया और बोली:"

" वादा रहा महराज जिस दिन आप सभी दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर वापिस आओगे उसी दिन सलमा आपको अपनी बांहों में सुलायेगी!

दोनो के वादे के तौर पर एक दूसरे से हाथ मिलाया और उसके बाद विक्रम ने सलमा को बताया था कि अब वो महराज हैं! अजय उसका सगा भाई था और उसके बाद विक्रम सलमा को ये गुप्त रास्ता बताकर महल से बाहर निकल गया! सलमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही और जैसे ही विक्रम गुफा के अंदर दाखिल हुआ तो सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कुराहट नाच उठी मानो वो अपने मकसद की ओर बढ़ रही थी!
Bahut hi badiya update bhai sab....
 

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मेनका अपने कक्ष में पहुंच गई और अपनी सांसों को ठीक करने लगी! मेनका को समझा नही आ रहा था कि उसे अचानक से क्या हुआ जो वो इतनी ज्यादा घबरा गई थी और शर्म से लाल हो गई थी! एक मां का बेटे के सामने ऐसा हो जाना इतनी ज्यादा बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन फिर भी मर्यादा के लिहाज से ये बिलकुल भी सही नही था! अजय के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब विक्रम से इतना ज्यादा शर्माना उसे अजीब लग रहा था लेकिन मेनका ने सोच लिया कि अब वो ऐसा कुछ भी नही होने देगी!

अजय के साथ अब अपनी मर्यादा से गिरी जरूर थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से पवित्र थी! मेनका ने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि अब वो हर हाल मे अपनी मर्यादा को बरकरार रखेगी और महाराज विक्रम से उचित दूरी बनाकर रखेगी ताकि फिर से ऐसी किसी अनचाही स्थिति का सामना न करना पड़े!

वही दूसरी तरफ विक्रम भी महल मे आ गया था और अपने कक्ष में लेटा हुआ रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि वो सुल्तानपुर जा सके! सलमा के लिए उसने कोई संदेश नही भेजा था क्योंकि वो आज सलमा को बिना बताए जाकर उसे आश्चर्य चकित कर देना चाहता था! विक्रम को आज पार्क में हुई घटना याद आ गई तो उसे ध्यान आया कि उसकी माता मेनका आज कितना ज्यादा शर्मा गई थी! आमतौर पर देखा जाए तो इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन मेनका का शर्माना इस बात का सुबूत था कि ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी! विक्रम समझ नही पा रहा था कि इतनी ज्यादा लज्जा करने वाली स्त्री अपने पुत्र के साथ उस हद तक कैसे जा सकती थी! क्या अजय ने उसके साथ जबरदस्ती की थी या फिर कोई और वजह रही होगी! ये सोचकर विक्रम की आंखो के आगे उस रात का दृश्य आ गया जब मेनका ऊपर से पूरी नंगी हुई अजय की गोद में बैठी हुई थी तो विक्रम को यकीन हो गया कि जबरदस्ती तो ऐसे कोई किसी की गोद में नही बैठ सकती तो निश्चित रूप से दोनो की ही इसमें इच्छा रही होगी! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी आंखो के आगे फिर से अजय की गोद में बैठी हुई मेनका आ गई और विक्रम को याद आया कि सच में मेनका की कमर कितनी ज्यादा भरी हुई और मजबूत है थी! हल्की भारी जरूर थी लेकिन किसी भी तरह से लटकी हुई या ठुलथुल नही थी! विक्रम ने आज तक सिर्फ दो ही औरतों की नंगी कमर को देखा था और विक्रम मन ही मन सलमा के अपनी माता की कमर की तुलना करने लगा तो जीत उसकी माता की ही हुई! विक्रम को लगा कि शायद ये उसका मन का वहम हैं और मातृ भाव के कारण वो अपनी माता की तरफ झुक रहा हैं! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखो को बंद किया और फिर से सलमा और मेनका की तुलना करने लगा! इस बार वो मेनका को सिर्फ को एक स्त्री के तौर पर ही सोच रहा था और दोनो की कमर के उभार, कटाव खूबसूरती और मजबूती को देखने के बाद उसकी आंखो के आगे दोनो की छातियां भी आ गई! हालाकि सलमा की चुचियों को उसने पूरी तरह से नंगा देखा था, मसला था और मुंह से आनंद भी लिया था जबकि मेनका की छातियों की मात्र उसने एक झलक देखी थी वो सिर्फ जब वो उसकी माता के ब्लाउस में कैद थी! लेकिन विक्रम ने जो गहराई और कसाव मेनका के ब्लाउस में महसूस किया था उससे वो निश्चित था कि उसकी माता की छातियां सलमा से बढ़कर है! विक्रम को सलमा की चूत याद आई तो उसके माथे पर पसीना छलक उठा क्योंकि उसके मन में अगला विचार आया कि क्या मेनका की चूत भी सलमा से बेहतर होगी और ये सोचते ही विक्रम को लगा कि नही नही ये सब पाप है! मुझे अपनी माता की चूत के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए! अगले ही पल उसके मन में दूसरा विचार आया कि जब कमर और चुचियों के बारे में सोच सकता हैं तो चूत और गांड़ के बारे मे क्यों नही सोच सकता!


विक्रम का पापी मन अब मेनका की चूत के साथ साथ उसकी गांड़ तक पहुंच गया था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई थी ओ लंड में तनाव आ गया था! विक्रम ने सोचा कि सलमा को चूत और गांड़ को तो मैने देखा है और मेनका की चूत और गांड़ देखे बिना सही तुलना कैसे हो सकती है! ये सोचते ही विक्रम का लंड जोरदार झटका लगाया कि तुलना के लिए मुझे पहले मेनका की चूत और गांड़ को देखना होगा! विक्रम ने अपना अंतिम निर्णय लिया कि एक स्त्री के तौर निश्चित रूप से कमर और चुचियों के आधार पर उसकी माता मेनका सलमा से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक महिला है!

रात के 10 बज चुके थे और विक्रम धीरे से राज महल से निकला और उसके बाद अपने घोड़े पर सवार होकर नदी में किनारे सड़क पर जाते हुए खंडहर के अंदर घुस गया! अपने घोड़े को उसने कुछ समझाया और उसके बाद वो कुंवे में उतर गया और गुफा के अंदर से होते हुए सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा! अंदर गुफा ज्यादा चौड़ी नही थी लेकिन एक साथ तीन चार आदमी आराम से चल सकते थे! करीब एक घंटा पैदल चलने के साथ गुफा उपर की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते विक्रम सुल्तानपुर के अंदर पहुंच गया और थोड़ा सा चलने के बाद गुफा तीन रास्तों में बंट गई और विक्रम जानता था कि उसे किस रास्ते का चुनाव करना हैं और विक्रम ने दाई दिशा में बढ़ने का फैसला किया और करीब पांच मिनट चलने के बाद वो राजमहल के अंदर पहुंच गया था और ताकत से उसने दरवाजे को हटाया और महल के अंदर दाखिल होकर फिर से दरवाजे को लगा दिया! सावधानी से इधर उधर देखने के बाद वो आगे बढ़ा और रजिया के कक्ष के सामने से होता हुआ वो दाई तरफ मुड़ गया और अब वो सलमा के कक्ष के सामने पहुंचा और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर जागी हुई सलमा को लगा कि उसकी अम्मी रजिया आई है तो उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक चौड़े और मजबूत हाथ ने उसके मुंह और आंखो को ढकते हुए दूसरे हाथ से उसे गोद में उठा लिया और अंदर जेडकक्ष में घुस गया! सलमा दर्द और डर से घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उस शख्स ने उसे बेड पर लिटाया और उसे आजाद किया तो सलमा उसे पहचानते ही खुद ही उससे लिपट गई और उसका चूमते हुए बोली:"

" ओहो मेरे युवराज! ये तो आपने मुझे पूरी तरह से आश्चर्य चकित ही कर दिया! बता तो सकते थे आने से पहले आप!

विक्रम ने भी सलमा को अपनी बांहों में समेट लिया और उसका माथा चूमते हुए बोले:"

" बता देता तो ये खुशी जो आपके चेहरे पर अभी हैं ये देखने के लिए नही मिलती मुझे!

सलमा उससे और ज्यादा कसकर लिपट गई और उसका गाल जोर से चूमते हुए बोली:"

" सच में मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज! लेकिन आप अंदर आए कैसे ?

विक्रम ने दोनो हाथो में भर कर सलमा की गांड़ को जोर से मसल दिया और बोले:"

" मत भूलो कि मेरे पास आपके बाप हैं जिन्हे राजमहल के बारे में आपसे भी ज्यादा पता है!

सलमा गांड़ मसले जाने से जोर से सिसक उठी और उसकी बांहों में मचलते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या मुझे युवराज! ओह इसका मतलब एक और गुप्त रास्ता!

विक्रम ने सलमा को गोद में उठाया और बेड पर चढ़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया आई और उसके होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा! सलमा ने भी अपनी मखमली बांहों का हार उसके गले में डाल दिया और वो भी उसके होंठो को चूसने लगी! सलमा को अपनी जांघो के बीच में फंसे हुए विक्रम के लंड का तनाव आज किसी कठोर पत्थर की तरह महसूस हुआ तो सलमा को यकीन हो गया कि युवराज आज बहुत ज्यादा उत्तेजित हैं और अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ी तो आज विक्रम उसे कली से फूल बनाकर ही दम लेंगे तो विक्रम ने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ घुसानी चाही तो सलमा ने अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम की जीभ सलमा के मुंह में घुस गई और दोनो की जीभ एक दूसरे को चूमने चाटने लगी!

जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ी तो विक्रम ने होठों को अलग करते हुए लंड का दबाव उसकी चूत पर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए बोली:"

" आहह युवराज! आज क्या हुआ है आपको ? पूरे पत्थर बने हुए हो! इतना ज्यादा जोश और जुनून?

विक्रम की आंखो के आगे पल भर के लिए मेनका का चेहरा नाच उठा लेकिन अगले ही पल वो मेनका के होंठ चूसते हुए बोला:"

" ओह मेरी जान शहजादी सलमा! आज मैं आपको पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूं!

सलमा ने अपनी बांहों का हार उसके गले में पूरी तरह से कस दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली:"

" मैं तो पूरी तरह से सिर्फ आपकी ही हू युवराज वो भी मरते दम तक! लेकिन अपनी मर्यादा से बाहर जाने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूंगी!

विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोले:" ऐसे अशुभ बाते नही करते सलमा! मुझे क्षमा करना अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो!

सलमा:" नही युवराज बुरा नही लगा! मैं खुद भी पूरी तरह से आपकी होना चाहती हू! लेकिन रीति रिवाज के अनुसार! आप भी ये जानते हैं कि मेरे अब्बा और अम्मी आपको शादी के लिए कभी इनकार नही करेंगे!

विक्रम:" वो तो मैं भी जानता हूं बस आज अपने जज्बात काबू नही कर पाया मैं!

सलमा:" जज़बातो को काबू में रखिए महराज! मत भूलिए कि अजय और आपके पिता के कातिल अभी जिंदा हैं! आपको जब्बार और पिंडाला से बदला लेना हैं! एक योद्धा होने के नाते वही आपका सबसे बड़ा कर्तव्य है न कि महबूबा की बांहों में सुकून तलाश करना!

विक्रम को अपनी गलत का एहसास हुआ और वो खुद ही सलमा के ऊपर से हट गया और उसका माथा चूम कर बोला:"

" मुझे सही राह दिखाने के लिए आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मैं भी कसम खाता हूं कि जब तक जब्बार और पिंडाला को मौत के घाट नही उतार दूंगा आपको हाथ तक नहीं लगाऊंगा! ये एक महराज का वचन हैं आपसे!

सलमा ने आगे बढ़कर उसका हाथ चूम लिया और बोली:"

" वादा रहा महराज जिस दिन आप सभी दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर वापिस आओगे उसी दिन सलमा आपको अपनी बांहों में सुलायेगी!

दोनो के वादे के तौर पर एक दूसरे से हाथ मिलाया और उसके बाद विक्रम ने सलमा को बताया था कि अब वो महराज हैं! अजय उसका सगा भाई था और उसके बाद विक्रम सलमा को ये गुप्त रास्ता बताकर महल से बाहर निकल गया! सलमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही और जैसे ही विक्रम गुफा के अंदर दाखिल हुआ तो सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कुराहट नाच उठी मानो वो अपने मकसद की ओर बढ़ रही थी!
Jabarjast update Bhai
 

parkas

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मेनका अपने कक्ष में पहुंच गई और अपनी सांसों को ठीक करने लगी! मेनका को समझा नही आ रहा था कि उसे अचानक से क्या हुआ जो वो इतनी ज्यादा घबरा गई थी और शर्म से लाल हो गई थी! एक मां का बेटे के सामने ऐसा हो जाना इतनी ज्यादा बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन फिर भी मर्यादा के लिहाज से ये बिलकुल भी सही नही था! अजय के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब विक्रम से इतना ज्यादा शर्माना उसे अजीब लग रहा था लेकिन मेनका ने सोच लिया कि अब वो ऐसा कुछ भी नही होने देगी!

अजय के साथ अब अपनी मर्यादा से गिरी जरूर थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से पवित्र थी! मेनका ने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि अब वो हर हाल मे अपनी मर्यादा को बरकरार रखेगी और महाराज विक्रम से उचित दूरी बनाकर रखेगी ताकि फिर से ऐसी किसी अनचाही स्थिति का सामना न करना पड़े!

वही दूसरी तरफ विक्रम भी महल मे आ गया था और अपने कक्ष में लेटा हुआ रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि वो सुल्तानपुर जा सके! सलमा के लिए उसने कोई संदेश नही भेजा था क्योंकि वो आज सलमा को बिना बताए जाकर उसे आश्चर्य चकित कर देना चाहता था! विक्रम को आज पार्क में हुई घटना याद आ गई तो उसे ध्यान आया कि उसकी माता मेनका आज कितना ज्यादा शर्मा गई थी! आमतौर पर देखा जाए तो इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन मेनका का शर्माना इस बात का सुबूत था कि ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी! विक्रम समझ नही पा रहा था कि इतनी ज्यादा लज्जा करने वाली स्त्री अपने पुत्र के साथ उस हद तक कैसे जा सकती थी! क्या अजय ने उसके साथ जबरदस्ती की थी या फिर कोई और वजह रही होगी! ये सोचकर विक्रम की आंखो के आगे उस रात का दृश्य आ गया जब मेनका ऊपर से पूरी नंगी हुई अजय की गोद में बैठी हुई थी तो विक्रम को यकीन हो गया कि जबरदस्ती तो ऐसे कोई किसी की गोद में नही बैठ सकती तो निश्चित रूप से दोनो की ही इसमें इच्छा रही होगी! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी आंखो के आगे फिर से अजय की गोद में बैठी हुई मेनका आ गई और विक्रम को याद आया कि सच में मेनका की कमर कितनी ज्यादा भरी हुई और मजबूत है थी! हल्की भारी जरूर थी लेकिन किसी भी तरह से लटकी हुई या ठुलथुल नही थी! विक्रम ने आज तक सिर्फ दो ही औरतों की नंगी कमर को देखा था और विक्रम मन ही मन सलमा के अपनी माता की कमर की तुलना करने लगा तो जीत उसकी माता की ही हुई! विक्रम को लगा कि शायद ये उसका मन का वहम हैं और मातृ भाव के कारण वो अपनी माता की तरफ झुक रहा हैं! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखो को बंद किया और फिर से सलमा और मेनका की तुलना करने लगा! इस बार वो मेनका को सिर्फ को एक स्त्री के तौर पर ही सोच रहा था और दोनो की कमर के उभार, कटाव खूबसूरती और मजबूती को देखने के बाद उसकी आंखो के आगे दोनो की छातियां भी आ गई! हालाकि सलमा की चुचियों को उसने पूरी तरह से नंगा देखा था, मसला था और मुंह से आनंद भी लिया था जबकि मेनका की छातियों की मात्र उसने एक झलक देखी थी वो सिर्फ जब वो उसकी माता के ब्लाउस में कैद थी! लेकिन विक्रम ने जो गहराई और कसाव मेनका के ब्लाउस में महसूस किया था उससे वो निश्चित था कि उसकी माता की छातियां सलमा से बढ़कर है! विक्रम को सलमा की चूत याद आई तो उसके माथे पर पसीना छलक उठा क्योंकि उसके मन में अगला विचार आया कि क्या मेनका की चूत भी सलमा से बेहतर होगी और ये सोचते ही विक्रम को लगा कि नही नही ये सब पाप है! मुझे अपनी माता की चूत के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए! अगले ही पल उसके मन में दूसरा विचार आया कि जब कमर और चुचियों के बारे में सोच सकता हैं तो चूत और गांड़ के बारे मे क्यों नही सोच सकता!


विक्रम का पापी मन अब मेनका की चूत के साथ साथ उसकी गांड़ तक पहुंच गया था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई थी ओ लंड में तनाव आ गया था! विक्रम ने सोचा कि सलमा को चूत और गांड़ को तो मैने देखा है और मेनका की चूत और गांड़ देखे बिना सही तुलना कैसे हो सकती है! ये सोचते ही विक्रम का लंड जोरदार झटका लगाया कि तुलना के लिए मुझे पहले मेनका की चूत और गांड़ को देखना होगा! विक्रम ने अपना अंतिम निर्णय लिया कि एक स्त्री के तौर निश्चित रूप से कमर और चुचियों के आधार पर उसकी माता मेनका सलमा से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक महिला है!

रात के 10 बज चुके थे और विक्रम धीरे से राज महल से निकला और उसके बाद अपने घोड़े पर सवार होकर नदी में किनारे सड़क पर जाते हुए खंडहर के अंदर घुस गया! अपने घोड़े को उसने कुछ समझाया और उसके बाद वो कुंवे में उतर गया और गुफा के अंदर से होते हुए सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा! अंदर गुफा ज्यादा चौड़ी नही थी लेकिन एक साथ तीन चार आदमी आराम से चल सकते थे! करीब एक घंटा पैदल चलने के साथ गुफा उपर की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते विक्रम सुल्तानपुर के अंदर पहुंच गया और थोड़ा सा चलने के बाद गुफा तीन रास्तों में बंट गई और विक्रम जानता था कि उसे किस रास्ते का चुनाव करना हैं और विक्रम ने दाई दिशा में बढ़ने का फैसला किया और करीब पांच मिनट चलने के बाद वो राजमहल के अंदर पहुंच गया था और ताकत से उसने दरवाजे को हटाया और महल के अंदर दाखिल होकर फिर से दरवाजे को लगा दिया! सावधानी से इधर उधर देखने के बाद वो आगे बढ़ा और रजिया के कक्ष के सामने से होता हुआ वो दाई तरफ मुड़ गया और अब वो सलमा के कक्ष के सामने पहुंचा और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर जागी हुई सलमा को लगा कि उसकी अम्मी रजिया आई है तो उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक चौड़े और मजबूत हाथ ने उसके मुंह और आंखो को ढकते हुए दूसरे हाथ से उसे गोद में उठा लिया और अंदर जेडकक्ष में घुस गया! सलमा दर्द और डर से घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उस शख्स ने उसे बेड पर लिटाया और उसे आजाद किया तो सलमा उसे पहचानते ही खुद ही उससे लिपट गई और उसका चूमते हुए बोली:"

" ओहो मेरे युवराज! ये तो आपने मुझे पूरी तरह से आश्चर्य चकित ही कर दिया! बता तो सकते थे आने से पहले आप!

विक्रम ने भी सलमा को अपनी बांहों में समेट लिया और उसका माथा चूमते हुए बोले:"

" बता देता तो ये खुशी जो आपके चेहरे पर अभी हैं ये देखने के लिए नही मिलती मुझे!

सलमा उससे और ज्यादा कसकर लिपट गई और उसका गाल जोर से चूमते हुए बोली:"

" सच में मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज! लेकिन आप अंदर आए कैसे ?

विक्रम ने दोनो हाथो में भर कर सलमा की गांड़ को जोर से मसल दिया और बोले:"

" मत भूलो कि मेरे पास आपके बाप हैं जिन्हे राजमहल के बारे में आपसे भी ज्यादा पता है!

सलमा गांड़ मसले जाने से जोर से सिसक उठी और उसकी बांहों में मचलते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या मुझे युवराज! ओह इसका मतलब एक और गुप्त रास्ता!

विक्रम ने सलमा को गोद में उठाया और बेड पर चढ़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया आई और उसके होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा! सलमा ने भी अपनी मखमली बांहों का हार उसके गले में डाल दिया और वो भी उसके होंठो को चूसने लगी! सलमा को अपनी जांघो के बीच में फंसे हुए विक्रम के लंड का तनाव आज किसी कठोर पत्थर की तरह महसूस हुआ तो सलमा को यकीन हो गया कि युवराज आज बहुत ज्यादा उत्तेजित हैं और अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ी तो आज विक्रम उसे कली से फूल बनाकर ही दम लेंगे तो विक्रम ने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ घुसानी चाही तो सलमा ने अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम की जीभ सलमा के मुंह में घुस गई और दोनो की जीभ एक दूसरे को चूमने चाटने लगी!

जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ी तो विक्रम ने होठों को अलग करते हुए लंड का दबाव उसकी चूत पर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए बोली:"

" आहह युवराज! आज क्या हुआ है आपको ? पूरे पत्थर बने हुए हो! इतना ज्यादा जोश और जुनून?

विक्रम की आंखो के आगे पल भर के लिए मेनका का चेहरा नाच उठा लेकिन अगले ही पल वो मेनका के होंठ चूसते हुए बोला:"

" ओह मेरी जान शहजादी सलमा! आज मैं आपको पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूं!

सलमा ने अपनी बांहों का हार उसके गले में पूरी तरह से कस दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली:"

" मैं तो पूरी तरह से सिर्फ आपकी ही हू युवराज वो भी मरते दम तक! लेकिन अपनी मर्यादा से बाहर जाने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूंगी!

विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोले:" ऐसे अशुभ बाते नही करते सलमा! मुझे क्षमा करना अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो!

सलमा:" नही युवराज बुरा नही लगा! मैं खुद भी पूरी तरह से आपकी होना चाहती हू! लेकिन रीति रिवाज के अनुसार! आप भी ये जानते हैं कि मेरे अब्बा और अम्मी आपको शादी के लिए कभी इनकार नही करेंगे!

विक्रम:" वो तो मैं भी जानता हूं बस आज अपने जज्बात काबू नही कर पाया मैं!

सलमा:" जज़बातो को काबू में रखिए महराज! मत भूलिए कि अजय और आपके पिता के कातिल अभी जिंदा हैं! आपको जब्बार और पिंडाला से बदला लेना हैं! एक योद्धा होने के नाते वही आपका सबसे बड़ा कर्तव्य है न कि महबूबा की बांहों में सुकून तलाश करना!

विक्रम को अपनी गलत का एहसास हुआ और वो खुद ही सलमा के ऊपर से हट गया और उसका माथा चूम कर बोला:"

" मुझे सही राह दिखाने के लिए आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मैं भी कसम खाता हूं कि जब तक जब्बार और पिंडाला को मौत के घाट नही उतार दूंगा आपको हाथ तक नहीं लगाऊंगा! ये एक महराज का वचन हैं आपसे!

सलमा ने आगे बढ़कर उसका हाथ चूम लिया और बोली:"

" वादा रहा महराज जिस दिन आप सभी दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर वापिस आओगे उसी दिन सलमा आपको अपनी बांहों में सुलायेगी!

दोनो के वादे के तौर पर एक दूसरे से हाथ मिलाया और उसके बाद विक्रम ने सलमा को बताया था कि अब वो महराज हैं! अजय उसका सगा भाई था और उसके बाद विक्रम सलमा को ये गुप्त रास्ता बताकर महल से बाहर निकल गया! सलमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही और जैसे ही विक्रम गुफा के अंदर दाखिल हुआ तो सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कुराहट नाच उठी मानो वो अपने मकसद की ओर बढ़ रही थी!
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....
Nice and beautiful update....
 
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rajeshsurya

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Nice update
 

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शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



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मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
 
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विक्रम के राजतिलक में राज दरबार खचाखच भरा हुआ था और चारो और विक्रम की जय जयकार के नारे गूंज रहे थे! महल को चारो ओर से लोगो की भीड़ ने घेर रखा था और सभी के चेहरे पर खुशी साफ दिखाई दे रही थी जो इस बात का सुबूत थी कि मंत्री गण ने विक्रम को राजा बनाकर कोई गलती नही की थी!

राज गद्दी पर बैठे हुए विक्रम के माथे पर एक तेज था और उसकी आंखो में आत्म विश्वास साफ तौर पर झलक रहा था और जैसे ही प्रजा जोर जोर से उसकी जय जयकार करने लगी तो विक्रम खड़ा हुआ और हाथ से सभी को शांत रहने का इशारा किया तो पूरा राज दरबार में बिलकुल शांति हो गई और विक्रम बोला:"

" आज आप सबने मुझे राजा नही बल्कि अपना गुलाम बना लिया हैं! मुझे सौगंध हैं खून की हर उस बूंद की जो उदयगढ़ वालो के जिस्म से बही हैं मैं जब तक जब्बार और पिंडारियो को शमशान नही पहुंचा दूंगा तब तक चैन की सांस नही लूंगा!

सभी ने एक बार फिर से विक्रम की जय जयकार करी और उसके बाद धीरे धीरे प्रजा महल से बाहर निकलने लगी! मेनका के चेहरे पर भी आज एक अलग ही खुशी दमक रही थी क्योंकि अजय के जाने के बाद उसकी खुशियां ही उखड़ गई थी और अब विक्रम के आ जाने से उसकी दुनिया फिर से न केवल आबाद हो गई थी बल्कि उसका पुत्र अब उदयगढ़ के सर्वोच्च सिंहासन पर विराजमान था!

मेनका अपनी सीट से खड़ी हुई और बोली:" अच्छा महराज मुझे अब जाने की आज्ञा दीजिए!

विक्रम ने हैरानी से अपनी माता को देखा और बोला:" नही महाराज नही आपके लिए तो मैं सदैव आपका पुत्र ही रहूंगा माता!

मेनका:" बेशक आप मेरे पुत्र हो लेकिन आप अभी महराज के पद पर विराजमान हो तो पूरी प्रजा के साथ साथ मेरा भी कर्तव्य बनता हैं कि मैं भी राज धर्म का पालन करू!

विक्रम कुछ नही बोला और मेनका इतना कहकर बाहर की तरफ चल पड़ी और विक्रम उसको जाते हुए देखता रहा! तभी मंत्री गण के बीच आपस में आंखो ही आंखो में कुछ बात हुई और भीमा सिंह बोले:"

" वैसे तो महाराज आप हैं लेकिन अगर आपकी इजाजत हो तो हम सभी मंत्री दल के लोग आपके बड़े बुजुर्ग होने के नाते एक निर्णय और लेना चाहते हैं!

विक्रम:" आप सब मुझे उम्र में बड़े हैं और निसंदेह आप सभी उदयगढ़ के शुभ चिंतक हैं तो मेरी तरफ से आपको पूरी आजाद हैं और आपका ये फैसला भी मेरे लिए मान्य होगा!

भीमा सिंह:" ठीक हैं महाराज फिर हम सब लोगो ने मिलकर ये फैसला किया है कि आपका माताश्री मेनका देवी की राजमाता का पद दिया जाए!

विक्रम ने हैरानी से सबकी तरफ देखा और दरवाजे का पास पहुंच चुकी मेनका के भी बढ़ते कदम रुक गए और विक्रम बोला:"

" लेकिन क्या ऐसा करना उचित होगा क्योंकि मेरे बारे में तो राजमाता ने भी फैसला लिया था लेकिन मेरी माता को राजमाता का पद देना क्या नियमो का उल्लंघन नही हैं ?

सतपाल सिंह:" कोई उल्लंघन नही हैं महराज क्योंकि महराज की माता ही राजमाता होती हैं और इस समय महराज आप हैं और यही उदयगढ़ का विधान हैं! इसमें कुछ भी गलत नही है!

मेनका: लेकिन मैं खुद को इस पद के लायक नही समझती हु और मेरी महराज से विनती है कि इस आदेश को तुरंत निरस्त करने का कष्ट करे!

विक्रम के समझ नही आ रहा था तो क्या फैसला करे तो भीमा सिंह बीच में ही बोला:"

" महाराज तो अब अपने वचन से बंधे हुए हैं और चाहकर भी इस फैसले को चुनौती नही दे सकते! हम सभी उदयगढ़ के शुभ चिंतक और आपके बुजुर्ग हैं! आप हमारे फैसले के विरुद्ध जाकर हम सबके अपमान का दोषी बन रही हैं !

मेनका के चेहरे पर उदासी दिखी और बोली:" ऐसा न कहे क्योंकि मैं सपने में ऐसा नहीं सोच सकती! आप सभी मेरे लिए आदरणीय हैं लेकिन राजमाता का पद स्वीकार न करना मेरी अपनी मजबूरी हैं!

सतपाल सिंह:" क्या आप उदयगढ़ के विधान में विश्वास रखती है और एक सच्ची और वफादार हैं ?

मेनका:" निश्चित रूप से मैं विधान में विश्वास रखती हूं और अपनी अंतिम सांस तक उदयगढ़ की नीतियों और परंपरा के लिए दृढ़ संकल्प रखती हु!

भीमा सिंह:" फिर महाराज की माता को राजमाता का दर्जा जाना भी तो उदयगढ़ का विधान और परंपरा है तो आप इससे कैसे इनकार कर सकती हो ?

मेनका कुछ नही बोली और विक्रम की तरफ नजरे खड़ाकर देखा मानो महाराज की अनुमति मांग रही हो और विक्रम बोला:"

" मेरी इच्छा तो यही थी कि मेरे माता को राजमाता का पद न मिले लेकिन आप सबके विरुद्ध और विधान और परंपरा के खिलाफ जाना भी अनुचित होगा इसलिए आप सबकी सहमति मे ही मेरी भी सहमति हैं!

देखते ही देखते भीमा ने मेनका को राजमाता की गद्दी ग्रहण कराई और मेनका की आंखो से आंसू छलक पड़े जिन्हे बड़ी मुश्किल से वो रोक पाई! दोहपर का समय होने के कारण सभी लोग निकल गए और विक्रम के साथ साथ मेनका भी विश्राम गृह की और प्रवेश कर गई और उसके पीछे दासियों की एक लंबी कतार लग गई थी और मेनका हैरानी से चलती हुई विश्राम कक्ष में आ गई तो एक दासी जिसका नाम बिंदिया था बोली:"

" राजमाता आपके स्नान के लिए सब तैयार हैं! आप चाहे तो स्नान कर सकती हैं!

मेनका को भला क्या आपत्ति होती तो दासिया उसे लेकर स्नानगृह की और चल पड़ी और देखते ही देखते वो स्नानगृह पहुंच गए और एक एक करके सभी दासिया रुक गई और बिंदिया बोली:"

" आप स्नान कीजिए! तब तक मैं बाहर आपकी प्रतीक्षा करूंगी!

इतना कहकर बिंदिया भी बाहर निकल गई और मेनका धीरे धीरे अन्दर आ गई और देखा कि अब उसके आस पास कोई नही था तो मेनका ने स्नानग्रह पर एक भरपूर नजर डाली और उसकी आंखो में चमक उभर आई क्योंकि स्नानगढ के जल से उठती हुई सुगंध उसके तन मन को तरंगित कर गई थी और स्नानगृह के पानी में हल्दी दूध और चंदन के साथ केसर का मिश्रण था! पानी में तैरती हुई गुलाब की पत्तियां उसकी शोभा को और बढ़ा रही थी जिसे देखकर मेनका का मन मयूर नाच उठा! मेनका धीरे से चलती हुई इठलाती हुई जैसे ही पानी के अंदर पांव डाली तो उसके तन बदन में सिरहन सी दौड़ गई और देखते ही देखते मेनका पानी के अंदर खुश गई और पानी अब उसके पेट आ रहा था और मेनका उसमे खुशी खुशी अठखेलियां कर रही थी! कभी वो पानी को हाथ में भरती तो कभी गुलाब की पत्तियों की सुगंध का आनंद लेती! खुशी और उत्तेजना के मारे मेनका की सांसे तेज हो गई थी और मेनका ने गुलाब के एक फूल को हाथ में ले लिया और उसकी अद्भुत सुगंध का आनंद लेने लगी! जैसे ही केसर और चंदन से युक्त गुलाब की पत्तियों की मादक सुगंध मेनका की सांसों में घुली तो मेनका ने अपने होंठो से जीभ को बाहर निकाला और उसकी जीभ गुलाब की पत्तियों को चूमने लगी और मेनका की आंखे उस अद्भुत एहसास से बंद हो गई और मेनका ने गुलाब की पत्तियों को अपने मुंह में भर लिया और चूस चूस कर खाने लगी! मेनका अब पूरी तरह से मदहोश हो गई थी और अब वो बिल्कुल स्नानगृह के बीच में आ गई थी जिससे पानी अब उसकी गर्दन तक आ रहा था और मेनका दोनो गोल मटोल भारी भरकम चूंचियां पानी में समा गई थी! मेनका ने जब गुलाब का पूरा फूल खा लिया तब ही उसे सुकून मिला और उसकी सांसे अब सुगंधित होकर महक उठी थी!

मेनका चूंकि आज पहली ही बार स्नानगृह में नहा रही थी तो उसने अपने कपड़े उतारना सही नही समझा और मेनका ने अब पानी के अंदर एक डुबकी लगाई तो मन में खुशी ही लहर दौड़ गई और देखते ही वो पानी में किसी छोटी बच्ची की तरह डुबकियां लगाने लगी जिससे उसकी सांसे अब काफी तेज हो गई थी और उसकी चुचियों में अब उछाल आ रहा था और मेनका ने अब इधर उधर देखा और जब थोड़ा निश्चित हुई कि आस पास कोई नही देखा रहा हैं तो उसने अपनी ब्रा में हाथ डालकर दोनो चुचियों को अच्छे से पानी से रगड़ रगड़ कर साफ किया जिससे उसकी चुचियों के चुचुक अकड़ कर तन गए और मेनका के बदन में अब उत्तेजना ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था और उसकी आंखे सुर्ख लाल हो गई थी! मेनका ने पानी में करीब आधे घंटे तक स्नान किया और उसके बाद उसने बिंदिया को आवाज लगाई तो बिंदिया उसके लिए वस्त्र लिए आ गई और फिर वापसी चली गई! मेनका ने देखा कि ये एक सफेद साड़ी थी जो उसे विधवा होने कारण दी गई थी और राजमाता भी खुद ऐसे ही कपड़े पहनती थी!

मेनका ने साड़ी को अपने जिस्म पर लपेट लिया और उसके बाद वो अपने कक्ष की और चल पड़ी! मेनका ने कक्ष में जाकर कक्ष का निरीक्षण किया और कक्ष की सुंदरता देखकर वो मंद मंद मुस्कुरा उठी! मेनका ने कक्ष की एक दीवार पर टंगे हुए परदे। को हटाया तो उसे हैरानी हुई कि कक्ष की एक दीवार का पर्दा हटाते ही पूरी शीशे की दीवार आ गई और जिसमे मेनका सिर से लेकर पांव तक अपना अक्श देख सकती थी! मेनका अभी देख ही रही थी तभी बिंदिया की आवाज आई

" राजमाता महाराज भोजन के लिए आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं!

मेनका बिना वक्त गंवाए बाहर आ गई और देखा कि एक बड़ी सी सुंदर टेबल और एक से बढ़कर एक पकवान और मेवे के साथ साथ ताजे रसीले फल रखे हुए थे और मेनका ने देखा कि विक्रम बैठे हुए थे और बोले:"

" बड़ा वक्त लगाया आपने राजमाता आने में ? हम कबसे आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे?

मेनका ने अपने बेटे के मुंह से राजमाता सुना तो वो खुद भी सम्मानपूर्वक बोली:"

" हम नहाने के लिए चले गए थे! चूंकि हमारा राजमहल में आज पहला ही दिन हैं तो इसलिए देर हो गई इसलिए हम आपसे क्षमा चाहते हैं!

विक्रम:" नही राजमाता क्षमा मांगकर आप हमे लज्जित मत कीजिए! धीरे धीरे आप राजमहल के बारे में सब कुछ जान जायेगी!

मेनका:" जी महराज ! निसंदेह जल्दी ही महल देख लेंगे और सारे तौर तरीके भी सीख लेंगे!

विक्रम ने देखा कि मेनका के चेहरे पर एक तेज था और उसकी आंखो की चमक उसकी खुशी के साथ साथ आत्म विश्वास को भी बयान कर रही थीं और बोला:"

" हमे आप पर पूरा विश्वास है राजमाता! चलिए अब भोजन ग्रहण करते हैं क्योंकि हमें बहुत जोरो से भूख लगी है!

उसके बाद दोनो मा बेटे ने भोजन ग्रहण किया और मेनका ने एक फल उठाया और बोली:"

" ये कौन सा फल है महाराज ? हमने पहले कभी नहीं देखा!

विक्रम:" ये मालभोग है और इसे पहाड़ी इलाकों से सिर्फ राज परिवार के लिए ही मंगाया जाता हैं! इसके साथ साथ आप और भी कुछ अद्भुत फलों के साथ मेवे का भी आनंद लेंगी!

मेनका:" ये तो सचमुच बड़े ही सौभाग्य की बात है महराज जो हमे आपके साथ रहकर ऐसे अद्भुत फलों और मेंवो का आनंद लेने का सौभाग्य प्राप्त होगा!

इतना कहकर मेनका ने उस फल को आधा मुंह में लिया और जैसे ही दांतो से हल्का सा दबाया तो मधुर मीठे रस की धार बह निकली और सीधे विक्रम के मुंह पर पड़ी तो मेनका शर्म से दोहरी हो गई तो विक्रम अपनी जगह से खड़े हुए और मेनका के पास आकर बोले:"

" रुकिए राजमाता ये माल भोग को खाने का सही तरीका नही हैं क्योंकि अत्यधिक रसीला होने के कारण ये आपके सभी कपड़े खराब कर देगा!

इतना सुनकर मेनका ने माल भोग को मुंह से बाहर निकाला और विक्रम की तरफ बढ़ा दिया! विक्रम ने माल भोग को हाथ में लिया और फिर तेज धारदार चाकू से उसके छोटे छोटे टुकड़े किए और टुकड़े को अपने मुंह से रखा और धीरे धीरे खाते हुए बोला:" ऐसे धीरे धीरे चबाते हुए इस फल का आनंद लिया जाता हैं राजमाता!

मेनका ने भी धीरे से एक टुकड़ा उठाया और धीरे धीरे खाने लगी तो सच में उसे बेहद स्वादिष्ट लगा और बोली:" महराज ये तो सच मे बेहद स्वादिष्ट हैं!

विक्रम:" बिलकुल राजमाता! इसे खाने के बाद आप अच्छे से पल्लू धक कर जाना और अपने कपड़े बदल लेना नही तो दासिया पता नही क्या क्या बाते करेंगी!

मेनका:" सच में आप हमारा कितना ध्यान रख रहे हैं! मैं तो आपके जैसा पुत्र पाकर धन्य हो गई महाराज! मन करता है कि अपनी सारा ममता आप पर लूटा दू मैं !

इतना कहकर मेनका ने अपनी बांहों को फैलाया तो विक्रम भी उसके सीने से आ लगा और मेनका ने अपने महाराज पुत्र को अपने आगोश मे समेट लिया तो विक्रम बोला:"

" मैं तो आपकी ममता के लिए तरसा हू माता! सच में आपके आंचल में कितना सुकून हैं!

मेनका ने उसे और ज़ोर से कस लिया और उसके माथे को चूमते हुए बोली:" अब और नही तरसने दूंगी आपको पुत्र ! मेरे ये जीवन आज से आपको समर्पित है!

मेनका के गले से लगे हुए विक्रम को मेनका के बदन से उठती हुई चंदन केसर और गुलाब की सुगंध बेहद लुभावनी लग रही थी और और विक्रम ने अपनी मजबूत शक्तिशाली भुजाओं का दबाव डाला तो मेनका कसमसाते हुए बोली:" ओहो महाराज मेरे पुत्र मुझ पर इतनी जोर आजमाइश मत कीजिए! मेरी इतनी हिम्मत नहीं कि आपकी शक्तिशाली भुजाओं का दबाव सह सकू!

विक्रम को अब अपनी गलती का एहसास हुआ और अपनी बांहों का दबाव कम करते हुए बोला:"

" क्षमा कीजिए माताश्री! दरअसल हम आपकी ममतामई भावनाओ में बह गए थे!

मेनका:" क्षमा मांगकर हमें शर्मिंदा न करे महराज! बस इतने भी भावनाओ में मत बह जाना कि हमारे नाजुक बदन की हड्डियां ही तोड़ डालो आप!

विक्रम:" ऐसा कभी नही होगा राजमाता क्योंकि आपकी सुरक्षा हमारा फर्ज है एक महराज होने के नाते भी और एक पुत्र होने के नाते भी!

मेनका ने एक बार फिर से उसका माथा चूम लिया और बोली:"

" हमे आप पर पूर्ण विश्वास है महाराज मेरे वीर पुत्र! अच्छा मैं अब चलती हु!

इतना कहकर मेनका ने अपने पल्लू को ठीक किया और अपने कक्ष की और बढ़ गई तो वही विक्रम भी अपने कक्ष की और बढ़ गया!

शाम धीरे धीरे गहराने लगी और विश्राम के बाद मेनका करीब छह बजे उठ गई और फिर से कक्ष की सुंदरता को निहारने लगी जो अपने आप में अदभुत थी! उसके कदमों की आहत सुनकर बिंदिया ने दरवाजे पर दस्तक दी तो मेनका ने उसे अंदर आने के लिए कहा तो बिंदिया गेट पर से ही बोली:"

" राजमाता हम दासियों को कक्ष के अंदर आने की इजाजत नही होती! इसलिए मुझे क्षमा कीजिए लेकिन आप जो भी आदेश करेगी मैं बाहर से ही उसे पूर्ण करूंगी!

मेनका को आश्चर्य हुआ कि साए की साथ रहने वाली और हर एक सुविधा का ध्यान रखने वाली बिंदिया को अंदर आने की इजाजत क्यों नही हैं तो वो बोली:"

" बिंदिया ये राज आदेश हैं कि आप अभी अंदर आइए!

इतना सुनकर घबराती हुई बिंदिया दरवाजे पर आ खड़ी हुई लेकिन अंदर आने की हिम्मत नही हुई और बोली

" क्षमा चाहती हू राजमाता लेकिन मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही हैं कि अंदर आ सकू और दुख भी हैं कि आपका आदेश नही मान पा रही हूं!

मेनका खुद चलती हुई दरवाजे पर आई और परदे को हटाकर बिंदिया का हाथ पकड़ कर उसे अंदर खीच लिया और बिंदिया बिना कुछ बोले अंदर आ गई और मेनका बोली:"

" बिंदिया तुम मेरे लिए छोटी बहन जैसी हो इसलिए मेरी बात मान लिया करो! समझी कुछ ?

बिंदिया ने बस हां में गर्दन को हिला दिया और बोली:" जैसी आपकी आज्ञा राजमाता! आपके लिए खाने में क्या बनाऊं आज ?

मेनका को समझ नहीं आया कि क्या जवाब दे इसलिए कुछ सोचते हुए बोली:"

" इसके लिए एक बार महराज से बात कर लीजिए! जो उन्हे पसंद हो वही आप बना लीजिए!

बिंदिया ने सहमति में सिर हिलाया और नजरे नीचे रखे हुए ही बाहर निकल गई! बिंदिया के अंदर कक्ष का निरीक्षण करने की भी हिम्मत नहीं थी और उसकी नजरे नीचे ही झुकी रही लेकिन नीचे से कक्ष की सुंदरता देखकर वो समझ गई थी सच में बेहद खूबसूरत कक्ष था!

विक्रम को अब सलमा की याद आ रही थीं और उसने सुल्तानपुर जाने का फैसला किया लेकिन उसके सामने समस्या थी कि अंदर कैसे प्रवेश किया जाए! कुछ योजनाएं थी लेकिन काफी कठिन थी और खतरो से भरी हुई और महाराज नही चाहते थे कि वो अपने साथ साथ सैनिकों को खतरे में डाले! विक्रम ने इसलिए अकेले ही जाने का निश्चय किया क्योंकि वो सलमा से प्यार करते है ये बात अभी से सबको पता चल जाए ये भी सही नही था!

विक्रम ने जाने से पहले एक बात सुलतान से मिलने का निश्चय किया और सुलतान से मिलने पहुंचे तो सुलतान उन्हे देखते हुए खुश हुए और बोले:"

" राजतिलक मुबारक हो महाराज आपको! मेरी दुवाएं आपके साथ हमेशा रहेगी!

विक्रम ने सुलतान का हाथ पकड़ लिया और अपने सिर पर रखते हुए बोले:" आप बड़ो का प्यार और आशीर्वाद हमेशा साथ रहना ही चाहिए! अभी आप काफी बेहतर हो गए हैं पहले से!

सुलतान:" हान महाराज, अब अब तो मेरे हाथ तलवार उठाने के लिए मचल रहे हैं !

विक्रम:" बस थोड़ा सा और धीरज रखिए! अच्छा मैं कुछ जरूरी काम के लिए सुल्तानपुर जाना चाहता हु! क्या कोई मदद कर सकते हैं आप क्योंकि पहरा आजकल बहुत ज्यादा बढ़ गया हैं सीमा पर !

सुलतान ने थोड़ी देर सोचा और बोले:" सीनी नदी के किनारे सड़क गई हैं! उस सड़क पर आगे जाकर एक खंडहर मिलेगा जिसमे एक कुआं हैं जो ढका हुआ है, पत्थर हटाकर उसमे धीरे से उतर जाना और गुफा से होते हुए सीधे आप राजमहल के अंदर ही निकलोगे ! लेकिन ध्यान रहे मेरे लिए इस रास्ते का सिर्फ आपको पता होगा! मेरे परिवार के लोग भी इस रास्ते को नही जानते हैं! आप सलमा और रजिया दोनो को भी इस रास्ते के बारे मे बता देना ताकि जरूरत पड़ने पर वो बच सके!

विक्रम:" आप मुझे पर भरोसा रखिए! मैं इसका कभी गलत इस्तेमाल नही करूंगा! अच्छा आप अपना ध्यान रखिए और मुझे अभी राज महल में कुछ काम होगा!

इतना कहकर विक्रम आ गया और खाने के लिए आया तो देखा कि मेनका पहले से ही बैठी हुई थी और बोली:"

" हम आपकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे पुत्र! बड़ी जोर से भूख भी लगी है हमे!

विक्रम:" क्षमा कीजिए थोड़ा कार्य था जिसके चलते विलंब हुआ! चलिए अब भोजन शुरू करते हैं!

दोनो के उसके बाद पेटभर कर खाना खाया और उसके बाद मेनका बोली:"

" पुत्र कभी कभी लगता हैं कि ऐसे हम जिस ऐश्वर्य में जी रहे हैं उसके लिए उपयुक्त नही हैं और हमे ये सब त्याग देना चाहिए!

विक्रम:" माता आप ठीक कहते हैं लेकिन एक बात हमे ध्यान रखना चाहिए कि ये हमे जिम्मेदारी मिली हैं और इसे निभाना हमारा कर्तव्य है! बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमे आगे बढ़ना होगा!

मेनका:" आपकी बात से सहमत हु लेकिन फिर भी मेरा दिल नही मानता हैं पुत्र!

विक्रम:" आप सोचिए कि पूरे राज्य में से सिर्फ हमको ही क्यों चुना गया क्योंकि हमने राज्य के लिए ढेर सारे बलिदान दिए हैं! इतना कुछ खोने के बाद किसी वारिस के ना होने के बाद हमे जो मिला हैं उसका उपयोग करना चाहिए! क्या आपको लगता है कि हमारे परिवार से ज्यादा किसी ने बलिदान दिया हैं आज तक ?

मेनका:" नही किसी ने नही दिया हैं ! मैं आपकी बात से सहमत हु!

विक्रम:" फिर हो कुछ हो रहा है वो सब भाग्य के भरोसे छोड़ दीजिए और जो मिला हैं उसका भोग कीजिए! मैं थोड़ी देर आपको महल के बगीचे में घुमा कर लाऊंगा!


इतना कहकर विक्रम निकल गया और मेनका ने एक सुंदर सफेद रंग की साड़ी पहनी और ऊपर से पल्लू को ठीक करने के बाद विक्रम के पास आ गई और दोनो धीरे धीरे चलते हुए बगीचे में आ गए और मेनका बगीचे की खूबसूरती देखते ही खुशी से झूम उठी और बोली:"

" सच में शाही बगीचा तो बेहद खूबसूरत हैं और रंग बिरंगे फूल इसकी शोभा बढ़ा रहे हैं!

विक्रम:" सच में ये खूबसूरत हैं माता! आप चाहे तो सुबह शाम दोनो समय इस घूमने के लिए आ सकती हैं!

मेनका:" मुझे फूल बेहद पसंद हैं महाराज और खासतौर से गुलाब के लाल सुर्ख फूलो में तो मेरी जान बसती हैं!

विक्रम:" ये तो आपने बड़ी अच्छी बात बताई! मैं कल माली को बोलकर पूरे बगीचे को गुलाब के लाल सुर्ख पौधो के भरवा दूंगा! और क्या क्या पसंद हैं आपको ?

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुराई और बोली:" फूलो पर मंडराती हुई खूबसूरत तितलियां और उड़ते हुए आजाद पंछी ये सब मुझे बेहद आकर्षक लगते हैं महाराज!

विक्रम:" आप जो भी कहेगी आपकी वही इच्छा आपका पुत्र पूरी करेगा! बस आप बोलती रहिए!

मेनका धीरे धीरे पार्क में घूम रही थी और बोली:"

" धन्यवाद पुत्र आपका! वैसे आपको क्या क्या पसंद हैं ?

विक्रम:" मुझे तो सब कुछ अच्छा लगता हैं! बस आप खुश रहे इसमें ही मेरी खुशी हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और आगे बढ़ गई और देखा कि बेहद खूबसूरत गुलाब के लाल सुर्ख फूल खिलकर महक रहे थे तो मेनका खुद को नही रोक पाई और फूल तोड़ने के लिए झुक गई लेकिन जैसे ही आगे झुकी तो उसकी साड़ी का पल्लू कांटो में फंस गया और जैसे वो फूल तोड़कर पीछे हुई तो उसका पल्लू खीच गया और पूरी तरह से कांटो में फंस गया और मेनका भी छातियां की गहरी रेखा खुलकर विक्रम के सामने आ गई और मेनका शर्म से दोहरी हो उठी और जल्दी से अपने पल्लू को खींचा लेकिन पल्लू जैसे फंस सा गया था और मेनका ने जैसे ही जोर लगाया तो उसका पल्लू बीच में से फट गया और मेनका का मुंह शर्म से लाल होकर झुक गया !


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मेनका के गोरे गोरे कंधे नुमाया हो उठे और उसकी भारी भरकम चूंचियां अपना आकार साफ दिखा रही थी जिन्हे देखकर विक्रम की आंखे खुली की खुली रह गई! विक्रम ने अब से पहले सलमा की चुचियों को देखा था और उनका आनंद लिया था लेकिन उसे मेनका की चुचियों की गहरी खाई इस बात का प्रमाण थी कि उसकी चूचियां सलमा से कई गुना बेहतर है! विक्रम थोड़ा सा आगे बढ़ा और बोला:" अगर आपको फूल ही चाहिए था तो मुझे बोल देती ! चलिए अभी तो जो होना था हो गया!

मेनका शर्म से पानी पानी हो रही थी और धीरे से बोली:" मुझे पता नहीं था कि ये पल्लू फंसकर फट जायेगा!

विक्रम:" शाही बगीचे में गुलाब के पौधो में कांटे ज्यादा बड़े होते हैं इस कारण आपकी साड़ी फटी है! आप फिक्र मत कीजिए यहां कोई नही आएगा!

मेनका ने मन ही मन सोचा कि क्यों नही आयेगा तो ठीक हैं लेकिन आप भी तो एक मर्द है और आपके सामने ऐसी हालत में रखना मुझे शर्मशार कर रहा हैं! विक्रम मेनका की हालत समझ गया और सोचने लगा कि क्या ये ही वह मेनका हैं जिसे मैंने उसे दिन अजय के साथ देखा था! फिर विक्रम ने अपनी पगड़ी को खोला और उसमे से कपड़ा निकाल कर मेनका को दिया तो मेनका ने उसे अपनी छाती पर ढक लिया और बिना कुछ बोले तेजी से अपने विश्राम कक्ष की और बढ़ गई! मेनका के कदमों की गति बता रही थी कि उसकी क्या हालत हैं और कितनी ज्यादा वो पानी पानी हो गई थी!
Bahot badhiya shaandar update
Vikram ka rajtilak ho gaya saath menika ko rajmata ka darja de dia gaya badhiya h
 

Pk8566

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शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



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मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
Kya bat hai jabarjast update
 

Naik

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मेनका अपने कक्ष में पहुंच गई और अपनी सांसों को ठीक करने लगी! मेनका को समझा नही आ रहा था कि उसे अचानक से क्या हुआ जो वो इतनी ज्यादा घबरा गई थी और शर्म से लाल हो गई थी! एक मां का बेटे के सामने ऐसा हो जाना इतनी ज्यादा बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन फिर भी मर्यादा के लिहाज से ये बिलकुल भी सही नही था! अजय के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब विक्रम से इतना ज्यादा शर्माना उसे अजीब लग रहा था लेकिन मेनका ने सोच लिया कि अब वो ऐसा कुछ भी नही होने देगी!

अजय के साथ अब अपनी मर्यादा से गिरी जरूर थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से पवित्र थी! मेनका ने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि अब वो हर हाल मे अपनी मर्यादा को बरकरार रखेगी और महाराज विक्रम से उचित दूरी बनाकर रखेगी ताकि फिर से ऐसी किसी अनचाही स्थिति का सामना न करना पड़े!

वही दूसरी तरफ विक्रम भी महल मे आ गया था और अपने कक्ष में लेटा हुआ रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि वो सुल्तानपुर जा सके! सलमा के लिए उसने कोई संदेश नही भेजा था क्योंकि वो आज सलमा को बिना बताए जाकर उसे आश्चर्य चकित कर देना चाहता था! विक्रम को आज पार्क में हुई घटना याद आ गई तो उसे ध्यान आया कि उसकी माता मेनका आज कितना ज्यादा शर्मा गई थी! आमतौर पर देखा जाए तो इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन मेनका का शर्माना इस बात का सुबूत था कि ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी! विक्रम समझ नही पा रहा था कि इतनी ज्यादा लज्जा करने वाली स्त्री अपने पुत्र के साथ उस हद तक कैसे जा सकती थी! क्या अजय ने उसके साथ जबरदस्ती की थी या फिर कोई और वजह रही होगी! ये सोचकर विक्रम की आंखो के आगे उस रात का दृश्य आ गया जब मेनका ऊपर से पूरी नंगी हुई अजय की गोद में बैठी हुई थी तो विक्रम को यकीन हो गया कि जबरदस्ती तो ऐसे कोई किसी की गोद में नही बैठ सकती तो निश्चित रूप से दोनो की ही इसमें इच्छा रही होगी! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी आंखो के आगे फिर से अजय की गोद में बैठी हुई मेनका आ गई और विक्रम को याद आया कि सच में मेनका की कमर कितनी ज्यादा भरी हुई और मजबूत है थी! हल्की भारी जरूर थी लेकिन किसी भी तरह से लटकी हुई या ठुलथुल नही थी! विक्रम ने आज तक सिर्फ दो ही औरतों की नंगी कमर को देखा था और विक्रम मन ही मन सलमा के अपनी माता की कमर की तुलना करने लगा तो जीत उसकी माता की ही हुई! विक्रम को लगा कि शायद ये उसका मन का वहम हैं और मातृ भाव के कारण वो अपनी माता की तरफ झुक रहा हैं! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखो को बंद किया और फिर से सलमा और मेनका की तुलना करने लगा! इस बार वो मेनका को सिर्फ को एक स्त्री के तौर पर ही सोच रहा था और दोनो की कमर के उभार, कटाव खूबसूरती और मजबूती को देखने के बाद उसकी आंखो के आगे दोनो की छातियां भी आ गई! हालाकि सलमा की चुचियों को उसने पूरी तरह से नंगा देखा था, मसला था और मुंह से आनंद भी लिया था जबकि मेनका की छातियों की मात्र उसने एक झलक देखी थी वो सिर्फ जब वो उसकी माता के ब्लाउस में कैद थी! लेकिन विक्रम ने जो गहराई और कसाव मेनका के ब्लाउस में महसूस किया था उससे वो निश्चित था कि उसकी माता की छातियां सलमा से बढ़कर है! विक्रम को सलमा की चूत याद आई तो उसके माथे पर पसीना छलक उठा क्योंकि उसके मन में अगला विचार आया कि क्या मेनका की चूत भी सलमा से बेहतर होगी और ये सोचते ही विक्रम को लगा कि नही नही ये सब पाप है! मुझे अपनी माता की चूत के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए! अगले ही पल उसके मन में दूसरा विचार आया कि जब कमर और चुचियों के बारे में सोच सकता हैं तो चूत और गांड़ के बारे मे क्यों नही सोच सकता!


विक्रम का पापी मन अब मेनका की चूत के साथ साथ उसकी गांड़ तक पहुंच गया था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई थी ओ लंड में तनाव आ गया था! विक्रम ने सोचा कि सलमा को चूत और गांड़ को तो मैने देखा है और मेनका की चूत और गांड़ देखे बिना सही तुलना कैसे हो सकती है! ये सोचते ही विक्रम का लंड जोरदार झटका लगाया कि तुलना के लिए मुझे पहले मेनका की चूत और गांड़ को देखना होगा! विक्रम ने अपना अंतिम निर्णय लिया कि एक स्त्री के तौर निश्चित रूप से कमर और चुचियों के आधार पर उसकी माता मेनका सलमा से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक महिला है!

रात के 10 बज चुके थे और विक्रम धीरे से राज महल से निकला और उसके बाद अपने घोड़े पर सवार होकर नदी में किनारे सड़क पर जाते हुए खंडहर के अंदर घुस गया! अपने घोड़े को उसने कुछ समझाया और उसके बाद वो कुंवे में उतर गया और गुफा के अंदर से होते हुए सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा! अंदर गुफा ज्यादा चौड़ी नही थी लेकिन एक साथ तीन चार आदमी आराम से चल सकते थे! करीब एक घंटा पैदल चलने के साथ गुफा उपर की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते विक्रम सुल्तानपुर के अंदर पहुंच गया और थोड़ा सा चलने के बाद गुफा तीन रास्तों में बंट गई और विक्रम जानता था कि उसे किस रास्ते का चुनाव करना हैं और विक्रम ने दाई दिशा में बढ़ने का फैसला किया और करीब पांच मिनट चलने के बाद वो राजमहल के अंदर पहुंच गया था और ताकत से उसने दरवाजे को हटाया और महल के अंदर दाखिल होकर फिर से दरवाजे को लगा दिया! सावधानी से इधर उधर देखने के बाद वो आगे बढ़ा और रजिया के कक्ष के सामने से होता हुआ वो दाई तरफ मुड़ गया और अब वो सलमा के कक्ष के सामने पहुंचा और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर जागी हुई सलमा को लगा कि उसकी अम्मी रजिया आई है तो उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक चौड़े और मजबूत हाथ ने उसके मुंह और आंखो को ढकते हुए दूसरे हाथ से उसे गोद में उठा लिया और अंदर जेडकक्ष में घुस गया! सलमा दर्द और डर से घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उस शख्स ने उसे बेड पर लिटाया और उसे आजाद किया तो सलमा उसे पहचानते ही खुद ही उससे लिपट गई और उसका चूमते हुए बोली:"

" ओहो मेरे युवराज! ये तो आपने मुझे पूरी तरह से आश्चर्य चकित ही कर दिया! बता तो सकते थे आने से पहले आप!

विक्रम ने भी सलमा को अपनी बांहों में समेट लिया और उसका माथा चूमते हुए बोले:"

" बता देता तो ये खुशी जो आपके चेहरे पर अभी हैं ये देखने के लिए नही मिलती मुझे!

सलमा उससे और ज्यादा कसकर लिपट गई और उसका गाल जोर से चूमते हुए बोली:"

" सच में मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज! लेकिन आप अंदर आए कैसे ?

विक्रम ने दोनो हाथो में भर कर सलमा की गांड़ को जोर से मसल दिया और बोले:"

" मत भूलो कि मेरे पास आपके बाप हैं जिन्हे राजमहल के बारे में आपसे भी ज्यादा पता है!

सलमा गांड़ मसले जाने से जोर से सिसक उठी और उसकी बांहों में मचलते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या मुझे युवराज! ओह इसका मतलब एक और गुप्त रास्ता!

विक्रम ने सलमा को गोद में उठाया और बेड पर चढ़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया आई और उसके होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा! सलमा ने भी अपनी मखमली बांहों का हार उसके गले में डाल दिया और वो भी उसके होंठो को चूसने लगी! सलमा को अपनी जांघो के बीच में फंसे हुए विक्रम के लंड का तनाव आज किसी कठोर पत्थर की तरह महसूस हुआ तो सलमा को यकीन हो गया कि युवराज आज बहुत ज्यादा उत्तेजित हैं और अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ी तो आज विक्रम उसे कली से फूल बनाकर ही दम लेंगे तो विक्रम ने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ घुसानी चाही तो सलमा ने अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम की जीभ सलमा के मुंह में घुस गई और दोनो की जीभ एक दूसरे को चूमने चाटने लगी!

जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ी तो विक्रम ने होठों को अलग करते हुए लंड का दबाव उसकी चूत पर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए बोली:"

" आहह युवराज! आज क्या हुआ है आपको ? पूरे पत्थर बने हुए हो! इतना ज्यादा जोश और जुनून?

विक्रम की आंखो के आगे पल भर के लिए मेनका का चेहरा नाच उठा लेकिन अगले ही पल वो मेनका के होंठ चूसते हुए बोला:"

" ओह मेरी जान शहजादी सलमा! आज मैं आपको पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूं!

सलमा ने अपनी बांहों का हार उसके गले में पूरी तरह से कस दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली:"

" मैं तो पूरी तरह से सिर्फ आपकी ही हू युवराज वो भी मरते दम तक! लेकिन अपनी मर्यादा से बाहर जाने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूंगी!

विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोले:" ऐसे अशुभ बाते नही करते सलमा! मुझे क्षमा करना अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो!

सलमा:" नही युवराज बुरा नही लगा! मैं खुद भी पूरी तरह से आपकी होना चाहती हू! लेकिन रीति रिवाज के अनुसार! आप भी ये जानते हैं कि मेरे अब्बा और अम्मी आपको शादी के लिए कभी इनकार नही करेंगे!

विक्रम:" वो तो मैं भी जानता हूं बस आज अपने जज्बात काबू नही कर पाया मैं!

सलमा:" जज़बातो को काबू में रखिए महराज! मत भूलिए कि अजय और आपके पिता के कातिल अभी जिंदा हैं! आपको जब्बार और पिंडाला से बदला लेना हैं! एक योद्धा होने के नाते वही आपका सबसे बड़ा कर्तव्य है न कि महबूबा की बांहों में सुकून तलाश करना!

विक्रम को अपनी गलत का एहसास हुआ और वो खुद ही सलमा के ऊपर से हट गया और उसका माथा चूम कर बोला:"

" मुझे सही राह दिखाने के लिए आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मैं भी कसम खाता हूं कि जब तक जब्बार और पिंडाला को मौत के घाट नही उतार दूंगा आपको हाथ तक नहीं लगाऊंगा! ये एक महराज का वचन हैं आपसे!

सलमा ने आगे बढ़कर उसका हाथ चूम लिया और बोली:"

" वादा रहा महराज जिस दिन आप सभी दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर वापिस आओगे उसी दिन सलमा आपको अपनी बांहों में सुलायेगी!

दोनो के वादे के तौर पर एक दूसरे से हाथ मिलाया और उसके बाद विक्रम ने सलमा को बताया था कि अब वो महराज हैं! अजय उसका सगा भाई था और उसके बाद विक्रम सलमा को ये गुप्त रास्ता बताकर महल से बाहर निकल गया! सलमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही और जैसे ही विक्रम गुफा के अंदर दाखिल हुआ तो सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कुराहट नाच उठी मानो वो अपने मकसद की ओर बढ़ रही थी!
Badhiya shaandar update
Vikram ki niyat kharab ho gayi menika ki jawani ki jhalak dekh ker achche achche menka naam ki ladki ke diwane ho jaate h tow Vikram bhala kaise rok pata khud ko
Tow gupt raste se jakaer Salma se mil Aaye or Salma ne bhi yaad dila dia ki uska filhal meni maqsad kia hona chahiye
Salma ke honto per yeh vijayi muskan kia liye Aayi bhala kia soch Rahi h woh
Dekhte h aage kia hota h I
Badhiya zabardast shaandar update
 
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