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मेनका अपने कक्ष में पहुंच गई और अपनी सांसों को ठीक करने लगी! मेनका को समझा नही आ रहा था कि उसे अचानक से क्या हुआ जो वो इतनी ज्यादा घबरा गई थी और शर्म से लाल हो गई थी! एक मां का बेटे के सामने ऐसा हो जाना इतनी ज्यादा बड़ी बात भी नहीं थी लेकिन फिर भी मर्यादा के लिहाज से ये बिलकुल भी सही नही था! अजय के साथ इतना सब कुछ होने के बाद अब विक्रम से इतना ज्यादा शर्माना उसे अजीब लग रहा था लेकिन मेनका ने सोच लिया कि अब वो ऐसा कुछ भी नही होने देगी!
अजय के साथ अब अपनी मर्यादा से गिरी जरूर थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से पवित्र थी! मेनका ने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि अब वो हर हाल मे अपनी मर्यादा को बरकरार रखेगी और महाराज विक्रम से उचित दूरी बनाकर रखेगी ताकि फिर से ऐसी किसी अनचाही स्थिति का सामना न करना पड़े!
वही दूसरी तरफ विक्रम भी महल मे आ गया था और अपने कक्ष में लेटा हुआ रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि वो सुल्तानपुर जा सके! सलमा के लिए उसने कोई संदेश नही भेजा था क्योंकि वो आज सलमा को बिना बताए जाकर उसे आश्चर्य चकित कर देना चाहता था! विक्रम को आज पार्क में हुई घटना याद आ गई तो उसे ध्यान आया कि उसकी माता मेनका आज कितना ज्यादा शर्मा गई थी! आमतौर पर देखा जाए तो इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन मेनका का शर्माना इस बात का सुबूत था कि ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी! विक्रम समझ नही पा रहा था कि इतनी ज्यादा लज्जा करने वाली स्त्री अपने पुत्र के साथ उस हद तक कैसे जा सकती थी! क्या अजय ने उसके साथ जबरदस्ती की थी या फिर कोई और वजह रही होगी! ये सोचकर विक्रम की आंखो के आगे उस रात का दृश्य आ गया जब मेनका ऊपर से पूरी नंगी हुई अजय की गोद में बैठी हुई थी तो विक्रम को यकीन हो गया कि जबरदस्ती तो ऐसे कोई किसी की गोद में नही बैठ सकती तो निश्चित रूप से दोनो की ही इसमें इच्छा रही होगी! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी आंखो के आगे फिर से अजय की गोद में बैठी हुई मेनका आ गई और विक्रम को याद आया कि सच में मेनका की कमर कितनी ज्यादा भरी हुई और मजबूत है थी! हल्की भारी जरूर थी लेकिन किसी भी तरह से लटकी हुई या ठुलथुल नही थी! विक्रम ने आज तक सिर्फ दो ही औरतों की नंगी कमर को देखा था और विक्रम मन ही मन सलमा के अपनी माता की कमर की तुलना करने लगा तो जीत उसकी माता की ही हुई! विक्रम को लगा कि शायद ये उसका मन का वहम हैं और मातृ भाव के कारण वो अपनी माता की तरफ झुक रहा हैं! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखो को बंद किया और फिर से सलमा और मेनका की तुलना करने लगा! इस बार वो मेनका को सिर्फ को एक स्त्री के तौर पर ही सोच रहा था और दोनो की कमर के उभार, कटाव खूबसूरती और मजबूती को देखने के बाद उसकी आंखो के आगे दोनो की छातियां भी आ गई! हालाकि सलमा की चुचियों को उसने पूरी तरह से नंगा देखा था, मसला था और मुंह से आनंद भी लिया था जबकि मेनका की छातियों की मात्र उसने एक झलक देखी थी वो सिर्फ जब वो उसकी माता के ब्लाउस में कैद थी! लेकिन विक्रम ने जो गहराई और कसाव मेनका के ब्लाउस में महसूस किया था उससे वो निश्चित था कि उसकी माता की छातियां सलमा से बढ़कर है! विक्रम को सलमा की चूत याद आई तो उसके माथे पर पसीना छलक उठा क्योंकि उसके मन में अगला विचार आया कि क्या मेनका की चूत भी सलमा से बेहतर होगी और ये सोचते ही विक्रम को लगा कि नही नही ये सब पाप है! मुझे अपनी माता की चूत के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए! अगले ही पल उसके मन में दूसरा विचार आया कि जब कमर और चुचियों के बारे में सोच सकता हैं तो चूत और गांड़ के बारे मे क्यों नही सोच सकता!
विक्रम का पापी मन अब मेनका की चूत के साथ साथ उसकी गांड़ तक पहुंच गया था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई थी ओ लंड में तनाव आ गया था! विक्रम ने सोचा कि सलमा को चूत और गांड़ को तो मैने देखा है और मेनका की चूत और गांड़ देखे बिना सही तुलना कैसे हो सकती है! ये सोचते ही विक्रम का लंड जोरदार झटका लगाया कि तुलना के लिए मुझे पहले मेनका की चूत और गांड़ को देखना होगा! विक्रम ने अपना अंतिम निर्णय लिया कि एक स्त्री के तौर निश्चित रूप से कमर और चुचियों के आधार पर उसकी माता मेनका सलमा से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक महिला है!
रात के 10 बज चुके थे और विक्रम धीरे से राज महल से निकला और उसके बाद अपने घोड़े पर सवार होकर नदी में किनारे सड़क पर जाते हुए खंडहर के अंदर घुस गया! अपने घोड़े को उसने कुछ समझाया और उसके बाद वो कुंवे में उतर गया और गुफा के अंदर से होते हुए सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा! अंदर गुफा ज्यादा चौड़ी नही थी लेकिन एक साथ तीन चार आदमी आराम से चल सकते थे! करीब एक घंटा पैदल चलने के साथ गुफा उपर की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते विक्रम सुल्तानपुर के अंदर पहुंच गया और थोड़ा सा चलने के बाद गुफा तीन रास्तों में बंट गई और विक्रम जानता था कि उसे किस रास्ते का चुनाव करना हैं और विक्रम ने दाई दिशा में बढ़ने का फैसला किया और करीब पांच मिनट चलने के बाद वो राजमहल के अंदर पहुंच गया था और ताकत से उसने दरवाजे को हटाया और महल के अंदर दाखिल होकर फिर से दरवाजे को लगा दिया! सावधानी से इधर उधर देखने के बाद वो आगे बढ़ा और रजिया के कक्ष के सामने से होता हुआ वो दाई तरफ मुड़ गया और अब वो सलमा के कक्ष के सामने पहुंचा और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर जागी हुई सलमा को लगा कि उसकी अम्मी रजिया आई है तो उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक चौड़े और मजबूत हाथ ने उसके मुंह और आंखो को ढकते हुए दूसरे हाथ से उसे गोद में उठा लिया और अंदर जेडकक्ष में घुस गया! सलमा दर्द और डर से घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उस शख्स ने उसे बेड पर लिटाया और उसे आजाद किया तो सलमा उसे पहचानते ही खुद ही उससे लिपट गई और उसका चूमते हुए बोली:"
" ओहो मेरे युवराज! ये तो आपने मुझे पूरी तरह से आश्चर्य चकित ही कर दिया! बता तो सकते थे आने से पहले आप!
विक्रम ने भी सलमा को अपनी बांहों में समेट लिया और उसका माथा चूमते हुए बोले:"
" बता देता तो ये खुशी जो आपके चेहरे पर अभी हैं ये देखने के लिए नही मिलती मुझे!
सलमा उससे और ज्यादा कसकर लिपट गई और उसका गाल जोर से चूमते हुए बोली:"
" सच में मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज! लेकिन आप अंदर आए कैसे ?
विक्रम ने दोनो हाथो में भर कर सलमा की गांड़ को जोर से मसल दिया और बोले:"
" मत भूलो कि मेरे पास आपके बाप हैं जिन्हे राजमहल के बारे में आपसे भी ज्यादा पता है!
सलमा गांड़ मसले जाने से जोर से सिसक उठी और उसकी बांहों में मचलते हुए बोली:"
" अह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या मुझे युवराज! ओह इसका मतलब एक और गुप्त रास्ता!
विक्रम ने सलमा को गोद में उठाया और बेड पर चढ़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया आई और उसके होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा! सलमा ने भी अपनी मखमली बांहों का हार उसके गले में डाल दिया और वो भी उसके होंठो को चूसने लगी! सलमा को अपनी जांघो के बीच में फंसे हुए विक्रम के लंड का तनाव आज किसी कठोर पत्थर की तरह महसूस हुआ तो सलमा को यकीन हो गया कि युवराज आज बहुत ज्यादा उत्तेजित हैं और अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ी तो आज विक्रम उसे कली से फूल बनाकर ही दम लेंगे तो विक्रम ने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ घुसानी चाही तो सलमा ने अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम की जीभ सलमा के मुंह में घुस गई और दोनो की जीभ एक दूसरे को चूमने चाटने लगी!
जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ी तो विक्रम ने होठों को अलग करते हुए लंड का दबाव उसकी चूत पर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए बोली:"
" आहह युवराज! आज क्या हुआ है आपको ? पूरे पत्थर बने हुए हो! इतना ज्यादा जोश और जुनून?
विक्रम की आंखो के आगे पल भर के लिए मेनका का चेहरा नाच उठा लेकिन अगले ही पल वो मेनका के होंठ चूसते हुए बोला:"
" ओह मेरी जान शहजादी सलमा! आज मैं आपको पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूं!
सलमा ने अपनी बांहों का हार उसके गले में पूरी तरह से कस दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली:"
" मैं तो पूरी तरह से सिर्फ आपकी ही हू युवराज वो भी मरते दम तक! लेकिन अपनी मर्यादा से बाहर जाने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूंगी!
विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोले:" ऐसे अशुभ बाते नही करते सलमा! मुझे क्षमा करना अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो!
सलमा:" नही युवराज बुरा नही लगा! मैं खुद भी पूरी तरह से आपकी होना चाहती हू! लेकिन रीति रिवाज के अनुसार! आप भी ये जानते हैं कि मेरे अब्बा और अम्मी आपको शादी के लिए कभी इनकार नही करेंगे!
विक्रम:" वो तो मैं भी जानता हूं बस आज अपने जज्बात काबू नही कर पाया मैं!
सलमा:" जज़बातो को काबू में रखिए महराज! मत भूलिए कि अजय और आपके पिता के कातिल अभी जिंदा हैं! आपको जब्बार और पिंडाला से बदला लेना हैं! एक योद्धा होने के नाते वही आपका सबसे बड़ा कर्तव्य है न कि महबूबा की बांहों में सुकून तलाश करना!
विक्रम को अपनी गलत का एहसास हुआ और वो खुद ही सलमा के ऊपर से हट गया और उसका माथा चूम कर बोला:"
" मुझे सही राह दिखाने के लिए आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मैं भी कसम खाता हूं कि जब तक जब्बार और पिंडाला को मौत के घाट नही उतार दूंगा आपको हाथ तक नहीं लगाऊंगा! ये एक महराज का वचन हैं आपसे!
सलमा ने आगे बढ़कर उसका हाथ चूम लिया और बोली:"
" वादा रहा महराज जिस दिन आप सभी दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर वापिस आओगे उसी दिन सलमा आपको अपनी बांहों में सुलायेगी!
दोनो के वादे के तौर पर एक दूसरे से हाथ मिलाया और उसके बाद विक्रम ने सलमा को बताया था कि अब वो महराज हैं! अजय उसका सगा भाई था और उसके बाद विक्रम सलमा को ये गुप्त रास्ता बताकर महल से बाहर निकल गया! सलमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही और जैसे ही विक्रम गुफा के अंदर दाखिल हुआ तो सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कुराहट नाच उठी मानो वो अपने मकसद की ओर बढ़ रही थी!
अजय के साथ अब अपनी मर्यादा से गिरी जरूर थी लेकिन अभी तक पूरी तरह से पवित्र थी! मेनका ने अपने मन में अंतिम निर्णय किया कि अब वो हर हाल मे अपनी मर्यादा को बरकरार रखेगी और महाराज विक्रम से उचित दूरी बनाकर रखेगी ताकि फिर से ऐसी किसी अनचाही स्थिति का सामना न करना पड़े!
वही दूसरी तरफ विक्रम भी महल मे आ गया था और अपने कक्ष में लेटा हुआ रात होने का इंतजार कर रहा था ताकि वो सुल्तानपुर जा सके! सलमा के लिए उसने कोई संदेश नही भेजा था क्योंकि वो आज सलमा को बिना बताए जाकर उसे आश्चर्य चकित कर देना चाहता था! विक्रम को आज पार्क में हुई घटना याद आ गई तो उसे ध्यान आया कि उसकी माता मेनका आज कितना ज्यादा शर्मा गई थी! आमतौर पर देखा जाए तो इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन मेनका का शर्माना इस बात का सुबूत था कि ये उसके लिए बहुत बड़ी बात थी! विक्रम समझ नही पा रहा था कि इतनी ज्यादा लज्जा करने वाली स्त्री अपने पुत्र के साथ उस हद तक कैसे जा सकती थी! क्या अजय ने उसके साथ जबरदस्ती की थी या फिर कोई और वजह रही होगी! ये सोचकर विक्रम की आंखो के आगे उस रात का दृश्य आ गया जब मेनका ऊपर से पूरी नंगी हुई अजय की गोद में बैठी हुई थी तो विक्रम को यकीन हो गया कि जबरदस्ती तो ऐसे कोई किसी की गोद में नही बैठ सकती तो निश्चित रूप से दोनो की ही इसमें इच्छा रही होगी! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखे बंद कर ली तो उसकी आंखो के आगे फिर से अजय की गोद में बैठी हुई मेनका आ गई और विक्रम को याद आया कि सच में मेनका की कमर कितनी ज्यादा भरी हुई और मजबूत है थी! हल्की भारी जरूर थी लेकिन किसी भी तरह से लटकी हुई या ठुलथुल नही थी! विक्रम ने आज तक सिर्फ दो ही औरतों की नंगी कमर को देखा था और विक्रम मन ही मन सलमा के अपनी माता की कमर की तुलना करने लगा तो जीत उसकी माता की ही हुई! विक्रम को लगा कि शायद ये उसका मन का वहम हैं और मातृ भाव के कारण वो अपनी माता की तरफ झुक रहा हैं! विक्रम ने एक बार फिर से अपनी आंखो को बंद किया और फिर से सलमा और मेनका की तुलना करने लगा! इस बार वो मेनका को सिर्फ को एक स्त्री के तौर पर ही सोच रहा था और दोनो की कमर के उभार, कटाव खूबसूरती और मजबूती को देखने के बाद उसकी आंखो के आगे दोनो की छातियां भी आ गई! हालाकि सलमा की चुचियों को उसने पूरी तरह से नंगा देखा था, मसला था और मुंह से आनंद भी लिया था जबकि मेनका की छातियों की मात्र उसने एक झलक देखी थी वो सिर्फ जब वो उसकी माता के ब्लाउस में कैद थी! लेकिन विक्रम ने जो गहराई और कसाव मेनका के ब्लाउस में महसूस किया था उससे वो निश्चित था कि उसकी माता की छातियां सलमा से बढ़कर है! विक्रम को सलमा की चूत याद आई तो उसके माथे पर पसीना छलक उठा क्योंकि उसके मन में अगला विचार आया कि क्या मेनका की चूत भी सलमा से बेहतर होगी और ये सोचते ही विक्रम को लगा कि नही नही ये सब पाप है! मुझे अपनी माता की चूत के बारे में ऐसा नहीं सोचना चाहिए! अगले ही पल उसके मन में दूसरा विचार आया कि जब कमर और चुचियों के बारे में सोच सकता हैं तो चूत और गांड़ के बारे मे क्यों नही सोच सकता!
विक्रम का पापी मन अब मेनका की चूत के साथ साथ उसकी गांड़ तक पहुंच गया था जिससे उसकी सांसे तेज हो गई थी ओ लंड में तनाव आ गया था! विक्रम ने सोचा कि सलमा को चूत और गांड़ को तो मैने देखा है और मेनका की चूत और गांड़ देखे बिना सही तुलना कैसे हो सकती है! ये सोचते ही विक्रम का लंड जोरदार झटका लगाया कि तुलना के लिए मुझे पहले मेनका की चूत और गांड़ को देखना होगा! विक्रम ने अपना अंतिम निर्णय लिया कि एक स्त्री के तौर निश्चित रूप से कमर और चुचियों के आधार पर उसकी माता मेनका सलमा से कहीं ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक महिला है!
रात के 10 बज चुके थे और विक्रम धीरे से राज महल से निकला और उसके बाद अपने घोड़े पर सवार होकर नदी में किनारे सड़क पर जाते हुए खंडहर के अंदर घुस गया! अपने घोड़े को उसने कुछ समझाया और उसके बाद वो कुंवे में उतर गया और गुफा के अंदर से होते हुए सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा! अंदर गुफा ज्यादा चौड़ी नही थी लेकिन एक साथ तीन चार आदमी आराम से चल सकते थे! करीब एक घंटा पैदल चलने के साथ गुफा उपर की तरफ बढ़ने लगी और देखते ही देखते विक्रम सुल्तानपुर के अंदर पहुंच गया और थोड़ा सा चलने के बाद गुफा तीन रास्तों में बंट गई और विक्रम जानता था कि उसे किस रास्ते का चुनाव करना हैं और विक्रम ने दाई दिशा में बढ़ने का फैसला किया और करीब पांच मिनट चलने के बाद वो राजमहल के अंदर पहुंच गया था और ताकत से उसने दरवाजे को हटाया और महल के अंदर दाखिल होकर फिर से दरवाजे को लगा दिया! सावधानी से इधर उधर देखने के बाद वो आगे बढ़ा और रजिया के कक्ष के सामने से होता हुआ वो दाई तरफ मुड़ गया और अब वो सलमा के कक्ष के सामने पहुंचा और धीरे से दरवाजे पर दस्तक दी तो अंदर जागी हुई सलमा को लगा कि उसकी अम्मी रजिया आई है तो उसने जैसे ही दरवाजा खोला तो एक चौड़े और मजबूत हाथ ने उसके मुंह और आंखो को ढकते हुए दूसरे हाथ से उसे गोद में उठा लिया और अंदर जेडकक्ष में घुस गया! सलमा दर्द और डर से घबरा गई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन जैसे ही उस शख्स ने उसे बेड पर लिटाया और उसे आजाद किया तो सलमा उसे पहचानते ही खुद ही उससे लिपट गई और उसका चूमते हुए बोली:"
" ओहो मेरे युवराज! ये तो आपने मुझे पूरी तरह से आश्चर्य चकित ही कर दिया! बता तो सकते थे आने से पहले आप!
विक्रम ने भी सलमा को अपनी बांहों में समेट लिया और उसका माथा चूमते हुए बोले:"
" बता देता तो ये खुशी जो आपके चेहरे पर अभी हैं ये देखने के लिए नही मिलती मुझे!
सलमा उससे और ज्यादा कसकर लिपट गई और उसका गाल जोर से चूमते हुए बोली:"
" सच में मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज! लेकिन आप अंदर आए कैसे ?
विक्रम ने दोनो हाथो में भर कर सलमा की गांड़ को जोर से मसल दिया और बोले:"
" मत भूलो कि मेरे पास आपके बाप हैं जिन्हे राजमहल के बारे में आपसे भी ज्यादा पता है!
सलमा गांड़ मसले जाने से जोर से सिसक उठी और उसकी बांहों में मचलते हुए बोली:"
" अह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या मुझे युवराज! ओह इसका मतलब एक और गुप्त रास्ता!
विक्रम ने सलमा को गोद में उठाया और बेड पर चढ़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया आई और उसके होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा! सलमा ने भी अपनी मखमली बांहों का हार उसके गले में डाल दिया और वो भी उसके होंठो को चूसने लगी! सलमा को अपनी जांघो के बीच में फंसे हुए विक्रम के लंड का तनाव आज किसी कठोर पत्थर की तरह महसूस हुआ तो सलमा को यकीन हो गया कि युवराज आज बहुत ज्यादा उत्तेजित हैं और अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ी तो आज विक्रम उसे कली से फूल बनाकर ही दम लेंगे तो विक्रम ने जैसे ही उसके मुंह में अपनी जीभ घुसानी चाही तो सलमा ने अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम की जीभ सलमा के मुंह में घुस गई और दोनो की जीभ एक दूसरे को चूमने चाटने लगी!
जैसे ही दोनो की सांसे उखड़ी तो विक्रम ने होठों को अलग करते हुए लंड का दबाव उसकी चूत पर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके लंड को अपनी चूत पर महसूस करते हुए बोली:"
" आहह युवराज! आज क्या हुआ है आपको ? पूरे पत्थर बने हुए हो! इतना ज्यादा जोश और जुनून?
विक्रम की आंखो के आगे पल भर के लिए मेनका का चेहरा नाच उठा लेकिन अगले ही पल वो मेनका के होंठ चूसते हुए बोला:"
" ओह मेरी जान शहजादी सलमा! आज मैं आपको पूरी तरह से हासिल करना चाहता हूं!
सलमा ने अपनी बांहों का हार उसके गले में पूरी तरह से कस दिया और उसके होंठो को चूमकर बोली:"
" मैं तो पूरी तरह से सिर्फ आपकी ही हू युवराज वो भी मरते दम तक! लेकिन अपनी मर्यादा से बाहर जाने से बेहतर मैं मर जाना पसंद करूंगी!
विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोले:" ऐसे अशुभ बाते नही करते सलमा! मुझे क्षमा करना अगर मेरी बात बुरी लगी हो तो!
सलमा:" नही युवराज बुरा नही लगा! मैं खुद भी पूरी तरह से आपकी होना चाहती हू! लेकिन रीति रिवाज के अनुसार! आप भी ये जानते हैं कि मेरे अब्बा और अम्मी आपको शादी के लिए कभी इनकार नही करेंगे!
विक्रम:" वो तो मैं भी जानता हूं बस आज अपने जज्बात काबू नही कर पाया मैं!
सलमा:" जज़बातो को काबू में रखिए महराज! मत भूलिए कि अजय और आपके पिता के कातिल अभी जिंदा हैं! आपको जब्बार और पिंडाला से बदला लेना हैं! एक योद्धा होने के नाते वही आपका सबसे बड़ा कर्तव्य है न कि महबूबा की बांहों में सुकून तलाश करना!
विक्रम को अपनी गलत का एहसास हुआ और वो खुद ही सलमा के ऊपर से हट गया और उसका माथा चूम कर बोला:"
" मुझे सही राह दिखाने के लिए आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मैं भी कसम खाता हूं कि जब तक जब्बार और पिंडाला को मौत के घाट नही उतार दूंगा आपको हाथ तक नहीं लगाऊंगा! ये एक महराज का वचन हैं आपसे!
सलमा ने आगे बढ़कर उसका हाथ चूम लिया और बोली:"
" वादा रहा महराज जिस दिन आप सभी दुश्मनों को मौत की नींद सुलाकर वापिस आओगे उसी दिन सलमा आपको अपनी बांहों में सुलायेगी!
दोनो के वादे के तौर पर एक दूसरे से हाथ मिलाया और उसके बाद विक्रम ने सलमा को बताया था कि अब वो महराज हैं! अजय उसका सगा भाई था और उसके बाद विक्रम सलमा को ये गुप्त रास्ता बताकर महल से बाहर निकल गया! सलमा उसे दूर तक जाते हुए देखती रही और जैसे ही विक्रम गुफा के अंदर दाखिल हुआ तो सलमा के होंठो पर विजयी मुस्कुराहट नाच उठी मानो वो अपने मकसद की ओर बढ़ रही थी!