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Incest शहजादी सलमा

Naik

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शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



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मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
Bahot zabardast shaandar
Kamukta bharpoor update
Maza aa gaya
Ab Vikram ko thodi so mehnat kerni padegi or menka Vikram ke neeche hogi
Dekhte h kab yeh samay aata h dono ke liye
Badhiya shaandar update
 
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Badhiya shaandar update
Vikram ki niyat kharab ho gayi menika ki jawani ki jhalak dekh ker achche achche menka naam ki ladki ke diwane ho jaate h tow Vikram bhala kaise rok pata khud ko
Tow gupt raste se jakaer Salma se mil Aaye or Salma ne bhi yaad dila dia ki uska filhal meni maqsad kia hona chahiye
Salma ke honto per yeh vijayi muskan kia liye Aayi bhala kia soch Rahi h woh
Dekhte h aage kia hota h I
Badhiya zabardast shaandar update
अपने विचारो के लिए धन्यवाद! सलमा विक्रम से प्यार करती हैं या किसी मकसद के लिए उसका इस्तेमाल कर रही हैं आगे जाकर पता चल जायेगा! बाकी मेनका आई विक्रम एक दूसरे की तरफ आकर्षित होने लगे हैं!
 
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मेनका की कमजोरी रंगीन कपड़े हैं और राजमहल में उसकी ये कमजोरी उस पर बड़ी भारी पड़ने वाली हैं!
 

pussylover1

Milf lover.
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शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



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मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
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शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



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मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
Bahut lajawab Bhai ........
Next update jaldi dena Bhai 👍❤️❤️
 

Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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शाही बगीचे से घूम कर आने के बाद मेनका अपने विश्राम कक्ष में लेटी हुई थी और विचारो मे डूबी हुई थी कि तभी दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई तो मेनका के पूछने पर बाहर से बिंदिया बोली:"

" राजमाता मैं बिंदिया! आपसे पूछने आई थी कि क्या आपके सोने का प्रबंध कर दिया जाए!

मेनका को लगा था कि शायद उसे यहीं विश्राम कक्ष मे ही सोना होगा लेकिन अभी समझ गई थी कि राजमाता के सोने के लिए अलग से शयन कक्ष होता हैं तो मेनका बोली:"

" ठीक हैं मैं भी थक ही गई थी! अब सोना चाहती हू!

बिंदिया:" ठीक हैं राजमाता आप बस मुझे पांच मिनट दीजिए!

इतना कहकर बिंदिया चली गई और मेनका के मन में बेचैनी थी कि जरूर शयन कक्ष बेहद आरामदायक और सुंदर होगा! मेनका अपनी सोच में डूबी हुई थी कि तभी फिर से मेनका की आवाज़ आई

" आइए राजमाता! मैं आपको आपके शयन कक्ष ले जाने के लिए आई हु!

मेनका खुशी खुशी बाहर आ गई और मेनका के पीछे करीब पांच से छह दासिया चल पड़ी और मेनका अगले ही पल एक बेहद खूबसूरत और आलीशान कक्ष के सामने खड़ी थी जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! बिंदिया ने आगे बढ़कर दरवाजे को खोला तो एक बेहद सुगंधित खुशबू का एहसास मेनका को हुआ और मेनका दरवाजे पर पड़े हुए रेशमी परदे को हटाती हुई अंदर प्रवेश कर गई और बिंदिया बोली:"

" हमे अब आज्ञा दीजिए राजमाता! सुबह फिर से हम सब आपकी सेवा में हाजिर होगी! रात में किसी भी समय कोई भी दिक्कत होने पर आप आवाज देकर हमे बुला सकती हैं!

मेनका तो कब से शयन कक्ष को अंदर से देखने के लिए मचल रही थी इसलिए उसने अपनी गर्दन स्वीकृति में हिलाकर उन्हे जाने का आदेश दिया और फिर पर्दे को वापिस दरवाजे पर खींच कर अंदर घुस गई और जैसे ही शयन कक्ष का निरीक्षण किया तो उसकी आंखे खुली की खुली रह गई! अदभुत अकल्पनीय सुंदरता , दीवारों पर चांदी और सोने से हुआ आकर्षक रंग, रेशामी और चमकीले सुंदर पर्दे!
मेनका परदे हटाते हुए अंदर घुसती चली गई और अब जाकर उसे एक बेहद खूबसूरत बेड दिखाई दिया जिसके चारो और हल्के काले रंग के पारदर्शी परदे लगे हुए थे और बेड पर बिछी पर लाल रंग की मखमली चादर बेड की शोभा बढ़ा रही थी! मेनका ने पहली बार इतना बड़ा और सुंदर बेड देखा था और बेड के सिरहाने पर बनी हुई आकृति देखकर वो खुशी से झूम उठी! मेनका बेड के करीब गई और बेड पर हाथ फेरकर चादर की कोमलता का स्पर्श किया तो उसका मन मयूर नृत्य कर उठा और मेनका एक झटके के साथ बेड पर बैठ गई और गद्दा उसके वजन के साथ करीब चार नीचे गया और अगले ही पल वापिस ऊपर उछल आया तो मेनका की आंखे आश्चर्य से खुली की खुली रह गई! करीब बेड उसके एक बार बैठने से ही तीन चार उपर नीचे हुआ और अंत में जाकर अपनी सामान्य स्थिति में आया तो मेनका ने सुकून की सांस ली! तभी मेनका की नजर सामने एक बड़े से पर्दे पर गई तो मेनका खड़ी हो गईं और जैसे ही उसने परदे को हटाया तो सामने रखी हुई खूबसूरत और बड़ी बड़ी अलमारियों देखकर मेनका ने एक अलमारी को खोला तो उसमें सोने और हीरे के ढेर सारे कीमती आभूषण देखकर वो हतप्रभ रह गई! मेनका ने पहली बार जिंदगी में इतने सारे और आकर्षक आभूषण एक साथ देखे थे ! मेनका ने उत्साह से दूसरी अलमारी को खोला तो उसकी आंखे इस बार और ज्यादा हैरानी से खुल गई क्योंकि अलमारी के अंदर एक से एक बढ़कर रंग बिरंगे रेशमी और खूबसूरत वस्त्र भरे हुए थे और मेनका ने जैसे ही एक मखमल के वस्त्र को छुआ तो मेनका उसकी चिकनाहट और नर्माहट को महसूस करते ही मचल उठी! मेनका ने अगली अलमारी को खोला तो वो खुशबू और मादक पदार्थों से भरी हुई थी!

मेनका को यकीन नहीं हो रहा था कि राजमाता इतनी ऐश्वर्य भरी और आलीशान जिंदगी जीती थी और ये सब अब मुझे नसीब होगा! लेकिन अगले ही पल उसके अरमानों पर पानी फिर गया क्योंकि वो तो एक विधवा हैं और वो इनका उपयोग नही कर सकती हैं क्योंकि समाज उसे इसकी अनुमति कभी नहीं देगा! ये सोचकर मेनका थोड़ा उदास हो गई लेकिन अगले ही पल उसने सोचा कि वो पहले भी तो रंगीन वस्त्र धारण कर चुकी है और किसी ने नही देखा था सिवाय उसके पुत्र अजय के और फिर यहां तो मेरे कक्ष में बिना मेरी अनुमति के परिंदा भी पर नही मार सकता हैं तो किसी को पता चलने का कोई मतलब ही नही है! ये सोचते ही मेनका का चेहरा खिल उठा और उसने हिम्मत करके एक लाल रंग की साड़ी अलमारी से निकाल ली और अपने सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से नंगी हो गई! मेनका की सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और आंखे उत्तेजना से लाल होना शुरू हो गई थी! मेनका ने अपनी दोनो पपीते के आकार की नंगी चूचियों को अपने हाथों में थाम लिया तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूचियां अब पहले से ज्यादा भारी हो गई है! मेनका ने प्यार से एक बार दोनो चुचियों को सहलाया और फिर उसकी नजर उसकी जांघो के बीच में गई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत के आस पास बेहद घना जंगल उग आया था! मेनका ने वैसे भी अजय के जाने के बाद अपनी चूत की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया था जिस कारण उसके झांट के बाल इतना ज्यादा बढ़ गए थे!

मेनका ने एक खूबसूरत ज्वेलरी को अपने गले में धारण किया और और हाथो में सोने के कंगन और चूड़ियां पहन ली! उसके बाद मेनका ने एक सुनहरे रंग का ब्लाउस लिया और उसे पहनने लगी! मेनका का शरीर गायत्री देवी की तुलना में थोड़ा भारी था जिससे ब्लाउस उसे काफ़ी ज्यादा कसकर आया और उसकी चूचियां पूरी तरह से तनकर खड़ी हो गई! अब मेनका ने सुनहरे और लाल रंग की साड़ी को लिया और पहनने लगी! मेनका ने साड़ी को बेहद आकर्षक और कामुक तरीके से बांध दिया ! अब उसका गोरा आकर्षक भरा हुआ पेट पूरी से नंगा था और उसकी गहरी सुंदर चिकनी नाभि उसके गोल मटोल पेट को बहुत ज्यादा कामुक बना रही थी!

मेनका ने उसके बाद गहरे सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक उठाई और अपने रसीले होंठों को सजाने लगी! मेनका ने अपनी बड़ी बड़ी आंखों में गहरा काला काजल लगाया और उसके बाद हल्का सा मेक अप करने के बाद उसका चेहरा पूरी तरह से खिल उठा! मेनका ने अलमारी से रानी का एक मुकुट निकाला और उसे अपने माथे पर सजा लिया! मेनका अब खुद को शीशे में निहारने लगी और खुद ही अपने रूप सौंदर्य पर मोहित होती चली गई!

मेनका आज पूरी तरह से खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी और उसकी आंखो में उत्तेजना अब साफ नजर आ रही थी! मेनका कभी अपनी गोल मटोल चुचियों पर नज़र डालती तो अगले ही पल वो पलटकर अपने लुभावने पिछवाड़े को निहारती! मेनका को कुछ समझ नही आ रहा था कि उसका पिछवाड़ा ज्यादा कामुक और उत्तेजक हैं या उसकी चूचियां! मेनका पर अब वासना पूरी तरह से चढ़ गई थी और मस्ती से अपनी चुचियों को हल्का हल्का सहला रही थी तो कभी मटक मटक कर अपनी गांड़ को हिला रही थी! मेनका ने अब एक कदम और आगे बढ़ते हुए अलमारी से एक मदिरा की बॉटल को निकाल लिया और उसे मुंह से लगाकर एक जोरदार घूंट भरा तो उसका मुंह कड़वा हो उठा और मेनका ने बॉटल को वापिस रख दिया और अपने कक्ष की और मस्ती से झूमती हुई बढ़ने लगी! मेनका जैसे ही बेड के पास पहुंची तो जान बूझकर जोर से बेड पर उछल कर गिरी और मेनका का जिस्म गद्दे की वजह से ऊपर नीचे उछलने लगा जिससे मेनका के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम गुप्त रास्ते से राजमहल आ गया था और उसी गुप्त रास्ते से होते हुए वो अपने शयन कक्ष की तरफ बढ़ रहा था कि अचानक उसे एक आह सुनाई दी तो उसके कदम ठिठक गए और वो जानता था कि ये आह राजमाता के शयन कक्ष से आई तो उसे लगा कि शायद मेनका नई होने के कारण किसी मुसीबत में न फंस जाए इसलिए उसने एक बार मेनका से मिलने का सोचा और और उसके कदम मेनका के शयन कक्ष की और बढ़ गए! मेनका कक्ष देखने की जल्दबाजी के कारण दरवाजा बंद करना भूल गई थीं तो विक्रम पर्दे हटाकर अंदर जाने लगा तो उसे मेनका की आवाजे साफ सुनाई दे रही थी जिससे उसे एहसास हुआ कि ये तो दर्द भरी आह तो बिलकुल नहीं है! विक्रम के पैर धीमे हो गए और जैसे ही उसने परदे हटाकर अंदर बेड पर झांका तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसकी माता मेनका लाल और सुनहरे रंग के कपड़े पहने बिलकुल किसी रानी की तरह सजी हुई थी और बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! पहले से ही उत्तेजित मेनका पर अब मदिरा अपना असर दिखा रही थी और मेनका के हाथ उसके जिस्म को सहला रहे थे! मेनका का ये कामुक अवतार देखकर विक्रम को मानो यकीन नहीं हो रहा था कि मेनका इतनी ज्यादा आकर्षक और कामुक भी हो सकती हैं! मेनका की सांसे तेज होने के कारण उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों का आकार साफ दिखाई दे रहा था और विक्रम को अब पूरा यकीन हो गया था सलमा की चूंचियां उसकी माता मेनका की चुचियों के आगे फीकी थी! मेनका ने अपने जिस्म को सहलाते हुए एक पलटा खाया और उसका पिछवाड़ा पूरी तरह से उभर कर सामने आ गया और मेनका अपनी दोनो टांगो को उठा कर एक पैर से दूसरे पैर की उंगलियों को सहलाने लगी जिससे विक्रम ने उसके पिछवाड़े का आकार बिलकुल ध्यान से देखा और मेनका की शारीरिक बनावट का कायल हो उठा! मदहोशी में डूबी हुई मेनका के रूप सौंदर्य का आनंद लेती हुई विक्रम की आंखो का असर उसके लंड पर भी व्यापक रूप से पड़ा और उसके लंड मे फिर से अकड़न पैदा हो गई और देखते ही देखते लंड अपने पूरे उफान पर आ गया!

मेनका अपनी चुचियों को बेड पर रगड़ने लगी जिससे उसके मुंह से आह निकलने लगी और विक्रम को उसकी हिलती हुई गांड़ हल्के कपड़ो में नजर आ रही थी! विक्रम को मेनका अब सिर्फ एक प्यासी महारानी नजर आ रही थी! तभी मस्ती में मेनका ने जोरदार झटका बेड पर खाया तो एक झटके के साथ वो बेड से नीचे गिर पड़ी और उसके मुंह से एक भरी आह निकल पड़ी! अपनी माता का दर्द देखकर विक्रम से नही रहा गया और उसने तेजी से दौड़कर मेनका को उठा कर खड़ा किया तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!



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मेनका को काटो तो खून नहीं! उसका मन किया कि धरती फट जाए और वो उसमे समा जाए! शर्म और उत्तेजना के मारे मेनका की आंखे झुक गई तो उसे अपनी उठती गिरती चूचियां नजर आई और मेनका शर्म से दोहरी होकर जमीन में गड़ी जा रही थी! विक्रम ने उसे सिर से लेकर पांव तक पहली बार करीब से देखा और उसे यकीन हुआ कि उसकी माता का नाम मेनका बिलकुल सही रखा गया था! विक्रम ने आगे बढ़कर मेनका के नंगे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से बोला:"

" आप ठीक तो हैं राजमाता! आपको ज्यादा चोट तो नही आई!

मेनका अपने नंगे कंधे पर विक्रम के मजबूत मर्दाना हाथ का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उसे समझ नही आया कि क्या जवाब दे और चुपचाप खड़ी रही तो विक्रम फिर से बोला;"

" बोलिए न राजमाता! आप ठीक तो हैं ना !

विक्रम ने फिर से पूछा तो मेनका ने बस स्वीकृति में गर्दन को हिला दिया तो विक्रम को एहसास हो गया कि मेनका शर्म से पानी पानी हुई जा रही है तो उसने अपने शयन कक्ष में जाने का फैसला किया और फिर धीरे से बोला:"

" अगली बार आप जब भी ऐसा अद्भुत और आकर्षक रूप धारण करें तो अपने दरवाजे जरूर बंद कीजिए! वो तो अच्छा हुआ कि हम इधर से गुजर रहे थे वरना अगर कोई और होता तो आप किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहती!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो मेनका ने हिम्मत करके कहा:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! हम बहक गए थे! लेकिन आगे से हम अपने आप पर काबू रखेंगे!

विक्रम उसकी बात सुनकर पलटा और उसके करीब आकर बोला:" जो आपको अच्छा लगे कीजिए! आप अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिए! हमे कोई आपत्ति नहीं है आखिर कार अब आप राजमाता हैं तो आपको हमसे क्षमा मांगने की भी जरूरत नहीं है राजमाता!

मेनका उसकी बातो से थोड़ा सहज महसूस कर रही थी और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:"

" हान लेकिन फिर भी ये सब हमें शोभा नहीं देता है! हम आपको शिकायत का कोई मौका नहीं देंगे

विक्रम के ऊपर मेनका का रूप सौंदर्य जादू कर रहा था और विक्रम उसके थोड़ा और करीब हुआ और मेनका के बदन में सिरहन सी दौड़ गई! विक्रम ने हिम्मत करके मेनका के कंधे को फिर से थाम लिया और बोला:"

" हमे आपसे सच मे कोई शिकायत नहीं है राजमाता! सच कहूं तो आप ऐसे कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रही हो! दरअसल गलती हमारी ही है जो बिना आज्ञा आपके कक्ष में आए और आपके आनंद में हमारी वजह से खलल पड़ गया!
हम सही कह रहे हैं न राजमाता!

इतना कहकर विक्रम ने उसके कंधे को हल्का सा सहला दिया तो मेनका कांप उठी और धीरे से बोली:" बस भी कीजिए महाराज! आप महाराज हैं कभी भी आ जा सकते हैं क्योंकि पूरा महल आपका ही हैं!

मेनका को एहसास हुआ कि विक्रम को इज्जत देने के लिए बातो ही बातो मे वो क्या बोल गई है उसके शरीर में कंपकपाहट सी हुई और विक्रम उसके कंधे पर अपनी उंगलियों का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मतलब हम आगे भी आपके कक्ष में बिना आपकी आज्ञा के अंदर आ सकते हैं राजमाता!

मेनका को जिसका डर था वही हुआ और मेनका शर्म के मारे दोहरी हो गई और मुंह नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" मेरा वो मतलब नहीं था महाराज!अब जाने भी दीजिए हम पहले से ही लज्जित हैं!

विक्रम अब मेनका के बिलकुल करीब आ गया था और उसके कंधे पर अपनी उंगलियां फेरते हुए बोला:"

" ऐसा न कहे राजमाता! आप जैसी अदभुत अकल्पनीय सुंदरता को लज्जित होना कतई शोभा नहीं देता!

मेनका अपनी सुन्दरता की तारीफ सुनकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी और नजरे नीचे किए हुए ही बोली:"

" महाराज हम इतनी भी सुंदर नही है! आप बस हमारा दिल रखने के लिए मेरी तारीफ किए जा रहे हैं!

विक्रम को मेनका की बात से एहसास हुआ कि उसकी लज्जा धीरे धीरे कम हो रही है तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर ले जाने लगा तो मेनका का समूचा वजूद कांप उठा कि पता नहीं विक्रम उसके साथ क्या करने वाला हैं और वो उसके साथ खींचती चली गई! विक्रम उसे लेकर शीशे के सामने पहुंच गया और इसी बात उसके दूसरे कंधे पर से भी साड़ी का पल्लू सरक गया जिसका अब मेनका को भी एहसास नही था! विक्रम ने उसे शीशे के सामने खड़ा किया और खुद उसके दोनो कंधो पर अपने मजबूत हाथ जमाते हुए मेनका के ठीक पीछे खड़ा हो गया और बोला:"

" ध्यान से देखिए आप खुद को राजमाता! आप सिर्फ नाम की नही बल्कि सचमुच की मेनका हो! बल्कि मेनका से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत बिलकुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी!

विक्रम के हाथो का अपने दोनो नंगे कंधो पर सख्त मर्दाना स्पर्श महसूस करके मेनका का दिल जोरो से धड़क उठा उसकी सांसे अब तेजी से चलने लगी थी जिससे उसकी चुचियों की गहराई में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका अंदर ही अंदर मुस्काते हुए मुंह नीचे किए ही कांपती हुई आवाज में बोली:"

" बस भी कीजिए महाराज! सच मे हमे अब बेहद ज्यादा शर्म आ रही है आपकी बाते सुनकर!

विक्रम मेनका की कांपती हुई आवाज और तेज सांसों से समझ गया कि मेनका को उसकी बाते पसंद आ रही है तो उसके पहली बार पूरे कंधो को अपनी चौड़ी हथेली में भरते हुए बोला:"

" शर्माना तो औरते तो गहना होता हैं राजमाता और फिर शर्माने से आप कहीं से आकर्षक और मन मोहिनी लग रही हो !! एक बार खुद को पहले देखिए तो सही आप राजमाता!

मेनका विक्रम के मजबूत हाथो में अपने कंधे जाते ही उत्तेजना से सिहर उठी और एक कदम पीछे हट गई जिससे उसका पीठ अब विक्रम की छाती के बिलकुल करीब हो गई और मेनका अब विक्रम के स्पर्श से पिघलने लगी थी और कसमसाते हुए बोली:"

" नही महराज! हमे शर्म आती हैं खुद को ऐसे नही देख सकते हैं!
अब हमे जाने दीजिए आप!

इतना कहकर मेनका मेनका थोड़ा सा आगे को जाने के नीचे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कंधो से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मेनका की पीठ अब पूरी तरह से विक्रम की चौड़ी कठोर मज़बूत छाती से टकरा गई और मेनका के मुंह से आह निकलते निकलते बची! दिन भर से उत्तेजित विक्रम का लंड भी अब अपना सिर उठाने लगा था विक्रम ने अब मेनका को पूरी मजबूती से उसके कंधो से थाम सा लिया था और प्यार से बोला:"

" हम जानते है राजमाता नारी को शर्मीली होना स्वाभाविक हैं लेकिन जब तक आपको खुद को शीशे मे नही देखेगी आपको अपनी खूबसूरती का एहसास नही होगा और इतने तक हम आपको कहीं नही जाने देंगे!

मेनका विक्रम की मजबूत पकड़ में पूरी तरह से फंस गई थी और पीछे से विक्रम का खड़ा होता हुआ लंड उसकी सांसों की गति को बढ़ा रहा था जिससे मेनका की चूचियां अब ऊपर नीचे होकर उसे बेहद कामुक बना रही थी और मेनका पल पल उत्तेजित होती जा रही थी! मेनका धीरे से बुदबुदाई:"

" महाराज हमे बेहद शर्म आती हैं! हम अपनी गर्दन भी नही उठा पा रहे हैं तो खुद को कैसे देख पाएंगे! आप हमारी हालत समझने की कोशिश कीजिए! हमे जाने दीजिए ना !!

इतना कहकर मेनका एक कदम आगे बढ़ी तो विक्रम ने उसे कस लिया और इस बार विक्रम के हाथ मेनका के कंधो पर नही बल्कि उसके पेट पर बंध गए थे और उसका खड़ा पूरा खड़ा सख्त लिंग अब मेनका की गांड़ की गोलाईयों में घुसा गया था अब मेनका पूरी तरह से विक्रम की बांहों में थी और थर थर कांप रही थी! मेनका की सांसे अब तेज रफ्तार से चल रही थी जिससे उसकी चूचियां अब ऊपर नीचे होकर विक्रम को ललचा रही थी! मेनका की नजरे झुकी हुई होने के कारण विक्रम अच्छे से उसकी चूचियां देख पा रहा था और विक्रम ने अपने मुंह को उसकी गर्दन पर टिका दिया और एक हाथ से मेनका के सुंदर मुख को पकड़ कर ऊपर किया और धीरे से प्यार से उसकी गर्दन पर अपनी गर्म सांसे छोड़ते हुए फुसफुसाया:"

" लीजिए राजमाता! उठ गई आपकी गर्दन ! अब तो खुद को देख लीजिए एक बार कि अब सच में मेनका से भी कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हो!

मेनका ने एक पल के लिए खुद को शीशे में देखा और खुद को अपने पुत्र की बाहों में मचलती हुई देखकर शर्म से से उसकी आंखे बंद हो गई! मेनका की सांसे अब किसी धौंकनी की तरह चल रही थी और उसकी चूत में भी गीलापन आना शुरू हो गया था जिससे वो पिघलती जा रही थी और विक्रम का एक हाथ अब उसके पेट पर आ गया और सहलाते हुए बोला:"

" ये क्या राजमाता! आपने अपनी आंखे बंद क्यों कर ली अब ? देखिए ना आप कितनी खूबसूरत लग रही है!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी गोल गहरी नाभि में अपनी उंगली को घुसा दिया तो मेनका जोर से कसमसा उठी और उसकी टांगे थोड़ा सा खुल गई जिससे विक्रम का मोटा तगड़ा विशालकाय लंड उसकी दोनो टांगो के बीच से बीच से होते हुए उसकी चूत तक आ गया और मेनका इस बार न चाहते हुए भी जोर से सिसक पड़ी और मेनका की सिसकी से विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से पिघल गई है तो विक्रम ने अब मेनका को दोनो हाथों से पूरी मजबूती से कसकर अपनी बांहों में कस लिया! विक्रम समझ गया था शर्म के कारण मेनका इतनी आसानी से आंखे खोलने वाली नही हैं तो विक्रम प्यार से उसके कान में फुसफुसाया:"

" मेनका मेरी प्यारी कामुक आकर्षक राजमाता अपनी आंखे खोलिए! ये राज आदेश हैं!

मेनका ने न चाहते हुए भी अपनी आंखे खोल दी और खुद को विक्रम की बांहों में मचलती हुई देखकर वो उछल सी पड़ी और विक्रम ने उसे अपनी बांहों में ही थाम लिया जिससे अब मेनका के पैर जमीन पर नही बल्कि विक्रम के पैरो पर रखे हुए थे और मेनका की गर्म पिघलती हुई चूत अब विक्रम के लंड पर रखी हुई थी! मेनका जानती थी कि इस समय उसकी चूत उसके बेटे के विशालकाय लंड पर टिकी हुई हैं जो उसके चूतड़ों के बीच से होते हुए करीब चार इंच आगे निकला हुआ था जिससे लंड की लंबाई की कल्पना मेनका को पूरी तरह से पागल बना रही थी! मेनका के उछलने से विक्रम के दोनो हाथ उसकी छातियों पर आ गए थे और विक्रम ने उसकी छातियों पर अपनी हथेली जमा दी थी और लंड का दबाव बढ़ाते हुए बोला:"

" मेरी सुंदर राजमाता अब एक बार आंखे उठा कर खुद को देखिए तो सही तभी तो आपको एहसास होगा कि आप इस ब्रह्माण्ड में सबसे ज्यादा कामुक स्त्री हो मेरी माता!

लंड का सुपाड़ा चूत पर कपड़ो के उपर से स्पर्श होते ही और खुद को ब्रह्मांड सुंदरी सुनकर मेनका की चूत के होंठ खुले और चूत से रस टपक पड़ा और उसकी आंखे और मुंह एक साथ खुल पड़े! मुंह से मादक शीत्कार छूट गई और आंखे पूरी तरह से खुलकर विक्रम की आंखो से टकरा गई और मेनका की नजरे इस बार झुकी नही! भले ही उसकी चूचियां अकड़ रही थी, होंठ कांप रहे थे, चूत पिघलकर बह रही थी लेकिन मेनका की नजरे नही झुकी और विक्रम ने उसे खुद को देखने का इशारा किया तो मेनका ने एक नजर खुद को निहारा और अपनी मचलती हुई चुचियों पर विक्रम के हाथ देखकर मेनका की चूत में कम्पन सा हुआ और मेनका ने एक जोरदार आह के साथ अपने बदन को पूरी तरह से ढीला छोड़ दिया और विक्रम समझ गया कि मेनका अब पूरी तरह से काम वासना के अधीन हो गई है तो विक्रम ने उसकी चुचियों पर हल्का सा दबाव दिया और लंड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ते हुए धीरे से बोला:"

" कैसी लगी राजमाता! मैं सच कह रहा हूं ना आपको आप सच में ब्रह्मांड सुंदरी हो ! आपको देखकर अभी लग रहा है अभी आप सच में राजमाता बनी हो!

मेनका लंड के सुपाड़े की गोलाई और मोटाई महसूस करके पिघल गई अपने बेटे के मुंह से मीनू शब्द सुनकर मेनका एक जोरदार झटके के साथ पलटकर विक्रम से लिपटती चली गई और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को मेनका की गांड़ पर टिकाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया और मेनका ने अपनी बांहों का हार उसके गले में डालते हुए अपनी दोनो टांगो को विक्रम की कमर पर कस दिया जिससे लंड का सुपाड़ा सीधे उसकी पिघलती हुई चूत से टकराया और तो मेनका ने पूरी ताकत से विक्रम को कस दिया तो विक्रम ने भी अब दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर मसलना शुरू कर दिया! मेनका की आंखे मस्ती से बंद हो गई थी और मेनका की मस्ती भरी सिसकियां हल्की हल्की गूंज रही थी! विक्रम अब खुलकर लंड के धक्के साड़ी के उपर से मेनका की चूत में लगा रहा था और मेनका भी पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई अपनी चूत पर लंड की रगड़ का मजा ले रही थी और मेनका की चूत पूरी तरह से रसीली होकर टप टप कर रही थी! विक्रम की आंखे शीशे की तरफ थी और वो अपनी बांहों में मचलती सिसकती हुई मेनका को देखकर और ज्यादा मदहोश होता जा रहा था! मेनका आंखे बंद किए कामुक भाव चेहरे पर लिए सिसक रही थी! कभी वो अपने होठों पर जीभ फेरती तो कभी होंठो को दांतो से काट रही थी और विक्रम मेनका के चेहरे के कामुक अंदाज देखकर जोर जोर से मेनका की गांड़ को मसलते हुए धक्के लगाने लगा तो मेनका सिसकते हुए उससे लिपटी रही और सालो से तड़प रही मेनका की चूत में कम्पन होना शुरू हो गया तो मेनका ने अपने नाखून विक्रम की कमर मे गड़ा दिए और पूरी ताकत से एक जोरदार आह भरती हुई उससे कसकर लिपट गई ! एक जोरदार सिसकी लेती हुई मेनका की चूत ने अपना रस छोड़ दिया और मेनका ने लंड को अपनी जांघो के बीच कसते हुए दबोच सा लिया और उसकी बांहों में पूरी तरह से झूल सी गई! मेनका की चूत से रस की बौछारें खत्म हुई तो मेनका की जांघो का दबाव कम हुआ और विक्रम ने चैन की सांस ली क्योंकि मेनका ने जांघो में उसका लंड बुरी तरह से कस लिया था जिसे वो चाहकर भी नही निकाल पाया था!

स्खलन के बाद मेनका को अपनी स्थिति का एहसास हुआ तो वो शर्म से पानी पानी होती गई और विक्रम ने उसे बांहों में कसे हुए धीरे से उसके कान में कहा:"

" आप इतनी कमजोर भी नही हो राजमाता जितनी मैं आपको समझता था! सच में आपकी जांघो में बहुत ज्यादा ताकत है!

विक्रम की बात सुनकर मेनका चुप ही रही और शर्म के मारे एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और तेजी से अपने बेड की तरफ बढ़ गई और पर्दा डालकर धीरे से बोली:"

" रात्रि बहुत हो गई है महराज! अभी आप जाकर आराम कीजिए!

विक्रम भी जानता था कि अभी इस स्थिति में मेनका से बात करना ठीक नहीं होगा इसलिए वो बिना कुछ बोले अपने खड़े लंड के साथ निकल गया!

मेनका बिस्तर पर पड़ी हुई थी और उसे नींद नही आ रही थी बल्कि जो कुछ हुआ उसे सोच सोच कर उसकी हालत खराब होती जा रही थी! ये क्या हो गया ये सब नहीं होना चाहिए क्योंकि ये सब मर्यादा के खिलाफ था! अगले ही पल उसे विक्रम के लंड की याद आई तो मेनका को ध्यान आया कि विक्रम का लंड सच में बेहद सख्त और बड़ा था! अजय के लंड से भी कहीं ज्यादा शक्तिशाली और मोटा!

नही नही मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए चाहे वो छोटा हो या मोटा मुझे इससे फर्क नही पड़ना चाहिए! मुझे कौन सा अपनी चूत में लेना हैं जो मैं ये सब सोचने लगी! चूत का ध्यान आते ही मेनका का एक हाथ अपनी चूत पर चला गया तो उसने देखा कि उसकी चूत अभी तक पानी पानी हुई पड़ी हुई थी! मेनका ने उसे अपनी मुट्ठी मे भरकर मसल दिया और सिसकते हुए बोली:"

"कमीनी कहीं की! सारी समस्या की जड़ यही हैं! मुझे खुद ही इसका कुछ इलाज सोचना पड़ेगा!

और ऐसा सोचकर मेनका मन ही मन मुस्कुरा उठी और उसके बाद धीरे धीरे नींद के आगोश में चली गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम भी अपने कक्ष में आ गया और उसकी आंखो के आगे अभी तक मेनका का वही कामुक अवतार घूम रहा था! विक्रम को एक बात पूरी तरह से साफ हो गई थी मेनका सलमा के मुकाबले कहीं ज्यादा आकर्षक और कामुक हैं! मेनका शर्म और विधवा होने के कारण थोड़ा संकोच महसूस करती है जिस कारण खुलकर अपनी जिंदगी का आनंद नही ले पा रही है! मुझे उसके अंदर की आग को हवा देनी पड़ेगी तभी जाकर मुझे असली मेनका का अवतार देखने के लिए मिलेगा! आज सिर्फ हल्की सी सजी संवरी मेनका को देखकर विक्रम को यकीन हो गया था कि जब मेनका पूरी तरह से सज धज कर अपने असली स्वरूप में आयेगी तो जीती जागती कयामत होगी!

अगले दिन सुबह नाश्ते के लिए विक्रम समय पर पहुंच गए जबकि आधे घंटे के बाद भी मेनका नही आई तो विक्रम ने बिंदिया को भेजा तो बिंदिया ने आकर बताया कि राजमाता की तबियत ठीक नहीं है जिस कारण वो नही आ पाई है!

विक्रम सब कहानी समझ गया और उसने राजमाता से मिलने का निश्चय किया!
वाह
 
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