Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....विक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली
" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?
विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?
मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"
" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!
विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"
" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?
मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!
विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"
" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !
मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"
" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!
विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!
मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"
" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!
विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!
मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"
" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!
मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"
" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !
मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"
" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!
मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"
" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!
विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!
मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"
" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!
विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:
" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!
मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"
" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!
मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!
विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !
मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"
" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!
बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"
" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!
मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!
बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!
मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"
" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!
बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!
बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!
विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!
विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!
अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!
विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!
अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!
विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!
अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!
उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!
मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"
" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!
मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"
" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?
विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?
मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"
" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!
विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!
मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"
" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?
मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"
" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!
मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!
विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!
विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"
" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!
मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"
" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!
मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!
मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई
" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!
मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!
विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!
मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"
" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!
मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"
" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !
विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"
" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!
विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"
" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!
मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!
विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !
मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"
" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!
मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"
" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?
विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!
मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"
" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!
मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"
" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?
विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!
मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"
" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!
मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"
" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!
विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!
धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"
" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?
मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!
विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?
मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"
" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?
मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"
" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?
विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"
" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!
विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!
विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!
मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"
" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!
मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला
" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!
इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"
" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!
विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"
" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !
विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"
" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!
मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"
" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?
मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"
" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?
विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं
इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"
" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!
विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"
" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!
मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"
" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"
" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!
विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!
विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"
" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?
मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"
" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"
" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?
मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"
" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!
विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!
मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"
" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?
विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"
" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"
" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!
विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"
" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!
रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"
" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!
विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!
मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली
:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"
विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"
" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?
विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"
" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?
मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"
" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!
मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"
" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!
दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"
" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!
विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"
" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!
मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"
" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!
विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"
" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!
लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!
मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!
मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"
" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"
" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!
इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!
विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली
" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!
विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"
" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?
विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"
" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!
अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!
इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!
" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!
विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!
इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली
" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!
विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"
" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!
मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"
" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!
विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"
" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!
मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी
" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!
विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"
" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!
मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया
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जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली
"अह्ह्ह्ह पुत्र!
दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!
विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"
" क्या हुआ माता?
मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!
विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"
" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!
मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?
विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"
" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?
मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!
मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!
विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"
" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!
मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
विक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली
" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?
विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?
मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"
" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!
विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"
" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?
मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!
विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"
" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !
मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"
" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!
विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!
मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"
" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!
विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!
मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"
" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!
मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"
" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !
मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"
" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!
मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"
" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!
विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!
मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"
" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!
विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:
" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!
मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"
" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!
मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!
विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !
मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"
" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!
बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"
" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!
मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!
बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!
मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"
" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!
बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!
बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!
विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!
विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!
अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!
विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!
अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!
विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!
अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!
उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!
मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"
" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!
मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"
" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?
विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?
मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"
" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!
विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!
मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"
" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?
मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"
" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!
मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!
विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!
विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"
" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!
मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"
" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!
मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!
मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई
" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!
मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!
विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!
मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"
" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!
मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"
" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !
विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"
" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!
विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"
" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!
मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!
विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !
मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"
" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!
मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"
" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?
विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!
मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"
" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!
मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"
" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?
विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!
मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"
" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!
मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"
" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!
विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!
धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"
" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?
मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!
विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?
मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"
" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?
मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"
" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?
विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"
" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!
विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!
विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!
मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"
" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!
मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला
" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!
इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"
" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!
विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"
" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !
विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"
" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!
मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"
" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?
मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"
" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?
विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं
इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"
" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!
विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"
" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!
मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"
" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"
" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!
विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!
विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"
" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?
मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"
" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"
" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?
मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"
" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!
विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!
मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"
" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?
विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"
" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"
" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!
विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"
" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!
रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"
" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!
विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!
मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली
:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"
विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"
" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?
विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"
" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?
मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"
" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!
मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"
" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!
दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"
" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!
विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"
" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!
मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"
" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!
विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"
" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!
लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!
मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!
मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"
" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"
" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!
इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!
विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली
" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!
विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"
" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?
विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"
" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!
अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!
इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!
" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!
विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!
इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली
" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!
विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"
" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!
मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"
" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!
विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"
" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!
मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी
" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!
विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"
" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!
मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया
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जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली
"अह्ह्ह्ह पुत्र!
दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!
विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"
" क्या हुआ माता?
मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!
विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"
" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!
मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?
विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"
" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?
मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!
मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!
विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"
" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!
मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
awesome update bro.maza aa gya plz aane wale updates me jab dono ki chudai dikhaiega to usme gifs bhi daliega achi achi aur 1-2 pose aise bhi jisme vikram menka ko godi me uthake chode khade khade.plz bro its a request from ur fanविक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली
" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?
विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?
मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"
" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!
विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"
" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?
मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!
विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"
" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !
मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"
" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!
विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!
मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"
" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!
विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!
मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"
" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!
मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"
" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !
मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"
" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!
मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"
" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!
विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!
मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"
" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!
विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:
" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!
मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"
" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!
मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!
विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !
मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"
" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!
बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"
" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!
मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!
बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!
मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"
" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!
बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!
बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!
विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!
विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!
अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!
विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!
अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!
विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!
अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!
उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!
मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"
" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!
मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"
" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?
विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?
मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"
" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!
विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!
मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"
" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?
मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"
" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!
मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!
विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!
विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"
" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!
मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"
" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!
मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!
मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई
" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!
मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!
विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!
मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"
" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!
मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"
" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !
विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"
" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!
विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"
" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!
मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!
विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !
मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"
" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!
मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"
" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?
विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!
मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"
" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!
मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"
" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?
विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!
मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"
" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!
मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"
" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!
विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!
धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"
" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?
मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!
विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?
मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"
" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?
मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"
" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?
विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"
" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!
विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!
विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!
मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"
" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!
मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला
" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!
इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"
" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!
विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"
" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !
विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"
" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!
मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"
" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?
मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"
" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?
विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं
इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"
" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!
विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"
" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!
मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"
" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"
" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!
विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!
विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"
" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?
मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"
" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"
" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?
मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"
" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!
विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!
मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"
" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?
विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"
" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"
" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!
विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"
" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!
रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"
" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!
विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!
मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली
:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"
विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"
" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?
विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"
" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?
मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"
" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!
मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"
" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!
दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"
" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!
विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"
" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!
मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"
" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!
विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"
" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!
लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!
मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!
मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"
" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"
" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!
इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!
विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली
" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!
विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"
" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?
विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"
" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!
अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!
इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!
" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!
विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!
इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली
" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!
विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"
" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!
मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"
" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!
विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"
" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!
मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी
" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!
विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"
" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!
मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया
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जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली
"अह्ह्ह्ह पुत्र!
दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!
विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"
" क्या हुआ माता?
मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!
विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"
" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!
मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?
विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"
" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?
मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!
मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!
विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"
" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!
मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
main jese -2 apki kahaani padh rha hu fir chahe ye ya baki ke pehle wale apke writing skill ka fan Ho gya hu... Khas kar Tab jab romance sex se Jude scene dikhate Ho.. Thank you itne ache kahaaniyo ke liye.. Thank youविक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली
" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?
विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?
मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"
" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!
विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"
" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?
मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!
विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"
" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !
मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"
" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!
विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!
मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"
" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!
विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!
मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"
" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!
मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"
" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !
मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"
" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!
मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"
" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!
विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!
मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"
" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!
विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:
" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!
मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"
" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!
मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!
विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !
मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"
" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!
बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"
" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!
मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!
बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!
मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"
" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!
बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!
बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!
विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!
विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!
अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!
विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!
अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!
विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!
अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!
उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!
मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"
" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!
मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"
" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?
विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?
मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"
" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!
विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!
मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"
" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?
मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"
" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!
मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!
विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!
विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"
" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!
मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"
" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!
मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!
मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई
" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!
मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!
विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!
मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"
" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!
मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"
" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !
विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"
" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!
विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"
" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!
मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!
विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !
मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"
" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!
मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"
" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?
विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!
मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"
" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!
मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"
" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?
विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!
मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"
" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!
मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"
" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!
विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!
धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"
" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?
मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!
विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?
मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"
" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?
मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"
" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?
विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"
" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!
विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!
विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!
मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"
" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!
मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला
" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!
इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"
" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!
विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"
" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !
विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"
" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!
मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"
" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?
मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"
" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?
विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं
इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"
" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!
विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"
" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!
मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"
" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"
" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!
विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!
विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"
" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?
मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"
" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"
" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?
मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"
" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!
विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!
मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"
" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?
विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"
" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"
" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!
विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"
" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!
रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"
" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!
विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!
मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली
:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"
विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"
" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?
विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"
" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?
मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"
" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!
मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"
" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!
दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"
" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!
विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"
" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!
मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"
" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!
विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"
" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!
लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!
मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!
मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"
" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"
" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!
इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!
विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली
" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!
विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"
" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?
विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"
" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!
अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!
इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!
" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!
विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!
इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली
" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!
विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"
" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!
मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"
" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!
विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"
" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!
मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी
" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!
विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"
" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!
मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया
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जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली
"अह्ह्ह्ह पुत्र!
दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!
विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"
" क्या हुआ माता?
मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!
विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"
" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!
मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?
विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"
" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?
मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!
मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!
विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"
" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!
मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
Adbhut update...विक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली
" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?
विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?
मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"
" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!
विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"
" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?
मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!
विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"
" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !
मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"
" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!
विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!
मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"
" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!
विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!
मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"
" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!
मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"
" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !
मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"
" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!
मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"
" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!
विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!
मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"
" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!
विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:
" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!
मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"
" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!
मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!
विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !
मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"
" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!
बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"
" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!
मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!
बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"
" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!
मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"
" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!
बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!
बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!
विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!
विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!
अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!
विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!
अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!
विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!
अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!
उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!
मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"
" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!
मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"
" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?
विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?
मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"
" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!
विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!
मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"
" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?
मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"
" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!
मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!
विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!
विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"
" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!
मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"
" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!
मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!
मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई
" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!
मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!
विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!
मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"
" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!
मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"
" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !
विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"
" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!
विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"
" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!
मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!
विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !
मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"
" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!
मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"
" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?
विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!
मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"
" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!
मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"
" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?
विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!
मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"
" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!
मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"
" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!
विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!
धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"
" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?
मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!
विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?
मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"
" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?
मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"
" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?
विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"
" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!
विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!
विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!
मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"
" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!
मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला
" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!
इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"
" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!
विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"
" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !
विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"
" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!
मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"
" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?
मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"
" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?
विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं
इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"
" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!
विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"
" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!
मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"
" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"
" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!
विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!
विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"
" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?
मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"
" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"
" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?
मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"
" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!
विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"
" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!
मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"
" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?
विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"
" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"
" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!
विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"
" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!
रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"
" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!
विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!
मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली
:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"
विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"
" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?
विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"
" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?
मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"
" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!
मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"
" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!
दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"
" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!
विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"
" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!
मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"
" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!
विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"
" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!
लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!
मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!
मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"
" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!
मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"
" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!
इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!
विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली
" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!
विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"
" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?
विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"
" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!
अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!
इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!
" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!
विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!
इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली
" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!
विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"
" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!
मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"
" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!
विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"
" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!
मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी
" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!
विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"
" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!
मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया
gintama gif
जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली
"अह्ह्ह्ह पुत्र!
दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!
विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"
" क्या हुआ माता?
मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!
विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"
" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!
मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?
विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!
मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"
" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?
मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?
विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!
मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!
विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"
" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!
विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"
" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!
मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए