विक्रम उदयगढ़ पहुंचा तो उसे देखते ही राजमाता गायत्री देवी ने चैन की सांस ली क्योंकि रात से सभी लोगो की यही चिंता सताए जा रही थी कि युवराज कहां गायब हो गए हैं!
राजमाता:" पुत्र मैं बता नहीं सकती आपको देखकर मुझे कितनी खुशी हुई हैं! बिना बताए कहां चले गए थे आप ?
विक्रम किस मुंह से बताता कि रात वो अपनी शहजादी सलमा के पास था तो बात को घुमाते हुए बोला:" राज्य में ही था राजमाता, बस देख रहा था कि सब ठीक तो चल रहा है न!
राजमाता:" हमने आपको हर जगह ढूढने की कोशिश करी लेकिन आप कहीं नहीं मिले! आगे से आप प्रतिज्ञा कीजिए कि हमे बिना बताए कहीं नही जायेंगे!
विक्रम:" राजमाता हम कहीं नहीं गए थे बस नदी के किनारे घूमने गए थे! आपको तो पता हैं कि हमे नदी के किनारे घूमना कितना पसंद हैं!
राजमाता:" कोई बात नही बेटा! बस आगे से जाओ तो हमे बता देना ताकि आपकी सुरक्षा के लिए सैनिकों को भेजा जा सके!
विक्रम ने उनकी हां में सिर हिलाया और फिर अपने कक्ष में चला गया और नहाने के बाद थोड़ा कुछ खाकर नींद के आगोश में चला गया! शाम को करीब चार बजे उठा और पता चला कि आज नदी के किनारे हर साल लगने वाला मेला लगा हुआ हैं तो उसने अजय से कहा:"
" अजय ये मेला अच्छा लगता हैं न ? मैने सुना है कि सभी राज्यों के लोग यहां आते हैं !
अजय:" बिलकुल युवराज नदी के किनारे बसे सभी राज्य इस मेले में शामिल होते हैं क्योंकि नदी के पानी से ही सभी राज्यों में खेती होती हैं ! वैसे युवराज अगर आपकी आज्ञा हो तो एक बात पूछना चाहता हूं!
विक्रम:" कहो अजय ?
अजय:" आपने राजमाता को तो बता दिया कि रात आप नदी के किनारे आए थे लेकिन मैं खुद आपको कम से कम 5 बार नदी के किनारे देखने आया था लेकिन आप नही थे यहां!
विक्रम ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोला:"
" हमारी बात का यकीन करो अजय! हम झूठ क्यों बोलने लगे भला आपसे?
अजय:" माफी चाहता हूं युवराज लेकिन एक मां के ममतामई दिल को आप ऐसा बोल के तसल्ली दे सकते हो लेकिन मुझे नही!
विक्रम ने कुछ नही कहा और थोड़ी देर चुप रहा! अजय ने भी अपनी तरफ से कुछ नही बोला और विक्रम बोला:"
" अजय हमारे साथ शाम को मेला देखने चलोगे न?
अजय:" बिलकुल युवराज! आपका हुक्म सिर आंखों पर!
उसके बाद करीब शाम को छह बजे दोनो घोड़ों पर सवार होकर मेला देखने के लिए पहुंच गए! मेला काफी दौर दूर तक लगा हुआ था और काफी सारी मिठाई और चाट की दुकान के साथ साथ झूले भी लगे हुए थे! अजय विक्रम के साथ उसके साए की तरह उसकी सुरक्षा में था,वैसे तो मेले में कोई लड़ाई नही होती थी लेकिन फिर भी कभी कभी कोई दुश्मनी निकालने के लिए कुछ भी कर सकता था!
विक्रम की नजरे सलमा को तलाश रही थी कि कहीं वो भी तो मेला देखने के लिए नही आई हुई है और उसे निराशा ही हाथ लग रही थी! रात के करीब 10 बज गए थे और विक्रम कुश्ती के अखाड़े में पहुंच गया और देखा कि एक बेहद काला मोटा तगड़ा राक्षस जैसा दिखने वाला पहलवान जिसका नाम सगोला था और सभी पहलवानों को हरा दिया था और अभी एक पहलवान को खिलौने की तरह पटक रहा था! विक्रम सगोला की ताकत से काफी प्रभावित हुआ और बोला :"
" अजय क्यों न इसे अपनी सेना में भर्ती किया जाए!
अजय:" नामुमकिन है युवराज! सच तो हैं कि ये पिंडारी समुदाय से हैं और बेहद ताकत होने के साथ साथ खूंखार भी हैं! ये अब तक अखाड़े में उदयगढ़ के करीब 12 पहलवानों की रीढ की हड्डी तोड़ चुका हैं!
विक्रम:" इसकी इतनी हिम्मत! हम इसे अभी धूल चटा देंगे!
अजय:" नही युवराज, अभी सही समय नही आया हैं! इससे जरूर बदला लिया जायेगा!
विक्रम ने उसकी बात सुनकर कुछ नही कहा और खामोशी से इधर उधर देखने लगा और तभी एक बड़ी सी बग्गी आकर रूकी और विक्रम ने जैसे ही उसमे सीमा को देखा तो उसकी आंखे खुशी से चमक उठी और उसे यकीन हो गया कि शहजादी भी आज मेला देखने के लिए आई हुई है! वही सागोला ने एक दूसरे पहलवान को भी पटक दिया था और सब लोग सगोला की जय कर रहे थे और सलमा जैसे ही पहलवान को देखने के लिए बाहर झांकी तो उसकी एक झलक मिलते ही विक्रम का दिल खुशी से उछल पड़ा ! सीमा की नजर विक्रम पर पड़ी तो उसने शहजादी को विक्रम के बारे में बताया तो शहजादी ने भी विक्रम को तरफ देखा और जैसे ही दोनो को नजरे मिली तो शहजादी ने उसे बेहद प्यारी मुस्कान दी !
दोनो की नजरे बार बार आपस में टकरा रही थी और एक दूसरे से इशारों ही इशारों में काफी बाते हो रही थी! सागोला की जय जयकार के नारे शहजादी को बिलकुल भी अच्छे नही लग रहे थे क्योंकि दुनिया की हर औरत चाहती हैं कि उसका पति दुनिया का सबसे खूबसूरत और ताकतवर इंसान हो और फिर शहजादी खुद जीती जागती कयामत थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने विक्रम को सगोला से कुश्ती लड़ने का इशारा किया !!
विक्रम ने अजय से कहा:"
" अजय मैं आज इस सगोला को सबक सिखा कर ही रहूंगा! मेरे होते हुए इसकी जय जयकार मेरे कानो को पीड़ा दे रही है!
अजय:" युवराज अगर ऐसी बात है तो ठीक हैं फिर मैं इससे कुश्ती करता हु!
विक्रम:" नही अजय, एक युवराज होने के नाते हमारा फर्ज बनता है कि हम कुश्ती लड़े और इसके अपराधो की सजा इसे दे!
अजय:" मेरे होते हुए आपको इसकी जरूरत नहीं है युवराज! आप फिक्र मत कीजिए इसे मैं सजा दूंगा!
विक्रम ने अब गुस्से से अजय के देखा और कहा:" अजय क्या आपको ऐसा लगता हैं कि हम इससे कमजोर हैं ?
अजय:" माफ कीजिए युवराज मैं ऐसा नहीं सोच रहा बस मेरे होते हुए आपको कष्ट न हो बस इसलिए कह रहा था!
विक्रम:" हम इससे कुश्ती करेंगे और ये आपके युवराज का हुक्म हैं पालन किया जाए!
अजय ने हैरानी से अब विक्रम की तरफ देखा और बोला:" जैसी आपकी आज्ञा युवराज! मैं सब प्रबंध करता हूं!
थोड़ी ही देर बाद विक्रम अखाड़े में सागोला के सामने खड़ा हुआ था और सागोला उसे देखकर मुस्कुरा रहा था मानो उसे बेहद आसान शिकार मिल गया हो क्योंकि युवराज देखने में बेहद खूबसूरत था!
सलमा बग्गी से टकटकी लगाए सांसे थामे विक्रम को देख रही थी और सागोला ने विक्रम पर दांव लगाया और विक्रम ने उसका दांव बचा लिया और फिर तेजी से एक झटका सागोला को दिया जिससे वो जमीन पर गिर पड़ा और शहजादी के होंठो पर मुस्कान आ गई वहीं अजय दिल थामे इस मुकाबले को देख रहा था!
किसी जंगली भैंसे की तरह गुस्से से सागोला खड़ा और सीधे विक्रम की छाती पर हमला किया जिससे उसके सीने पर पड़ी हुई कमीज फट गई और उसका चौड़ा ताकतवर सीना पूरी तरह से नंगा हो गया क्या जिस पर हल्के से सागोला के नाखूनों के निशान भी पड़ गए थे! सागोला ने फिर से विक्रम पर हमला किया और झटके के साथ विक्रम को पटक दिया और उसके ऊपर सवार हो गया और उसके दोनो कंधो को जमीन से मिलाने की कोशिश करने लगा लेकिन विक्रम भी अब अपनी पूरी ताकत लगा रहा था जिससे उसकी भुजाए मछली की तरह फूल गई थी और उसके हाथ की नसे खून भर जाने के कारण पूरी तरह से अकड़ कर तन गई थी! सागोला दांत भींचे पूरी ताकत लगा रहा था और विक्रम ने एक नजर सलमा की तरफ देखा और फिर पूरी ताकत से सागोला को पकड़ लिया और उसकी भुजाए इतनी ज्यादा फूल गई थी कि उसकी भुजा पर बंधी हुई मोतियों की माला टूट का बिखर गई और विक्रम ने अपनी बाजुओं में भरी हुई ताकत का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए सागोला को दूर उछाल फेंका और उसके बाद सागोला खड़ा नही हो सका और भीड़ अब विक्रम की जय जयकार कर रही थी और सलमा के चेहरे पर मानो सारी दुनिया की खुशी उमड़ आई थी और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर विक्रम से लिपट जाए लेकिन मर्यादा के चलते मजबूर थी! अजय भी बेहद खुश था और विक्रम अखाड़े से निकल आया तो अजय ने उसे बधाई और विक्रम बोला:"
" मित्र हमारे लिए थोड़े पानी का प्रबंध तो कीजिए!
अजय पानी लेने के लिए गया और विक्रम तेजी से सीमा की तरफ बढ़ गया और उसे पीछे आने का इशारा किया तो सीमा मौका देखकर आ गई और उसे देखते ही हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"
" आपने कमाल कर दिया युवराज!
विक्रम उतावला सा होते हुए बोला:" सीमा सलमा से बोलो कि मैं उससे मिलना चाहता हूं!
सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके बोली:"लेकिन ये मुश्किल होगा युवराज क्योंकि उसके साथ में सैनिक और कुछ और लोग भी हैं युवराज!
विक्रम:" किसी तरह शहजादी को संदेश दीजिए कि मैं उनसे मिलना चाहता हूं! मैं यही इस झूले के पीछे उनका इंतजार करूंगा!
सीमा:" मैं कोशिश करूंगी युवराज, लेकिन ये काम काफी मुश्किल भरा होगा!
विक्रम:" आप बस सलमा तक मेरा पैगाम पहुंचा दीजिए! वो मुश्किल को खुद आसान कर लेगी सीमा!
सीमा चली गई और विक्रम झूले के पीछे की तरफ चला गया जहां हल्का अंधेरा था ! सीमा सलमा के पास बग्गी में पहुंच गई और ये बात सलमा को बताई और सलमा विक्रम की झलक पाने के लिए तड़प उठी और बोली:"
" सीमा हम जरूरी जायेंगे! तुम एक काम करो जल्दी से हमारा ये हिजाब पहन लो और अपना सूट हमे दो!
सीमा उसकी सब योजना समझ गई और बोली:" लेकिन शहजादी ये काम बहुत सावधानी से करना! फंस गए तो बहुत दिक्कत हो जाएगी!
सलमा:" आप फिक्र न करें सीमा! हम बस युवराज की एक झलक देखकर वापिस आ जायेंगे!
सीमा उसका हाथ पकड़कर बोली:"अगर झलक ही देखनी है तो वो तो आप बग्गी से भी देख ही ली है शहजादी!
सलमा:" मुझे ज्यादा ज्ञान मत दो! इतने अंधेरे में दूर से भला कैसे अच्छे से देख पाऊंगी!
सीमा ने अपना सूट उतारकर उसे दे दिया और उसके कपड़े पहन लिए! सलमा ने उसका सूट पहना तो उसके जिस्म पर फंस गया क्योंकि सीमा उसके मुकाबले थोड़ी सी दुबली थी! सूट पूरी तरह से सलमा के जिस्म पर कस गया था और उसके जिस्म के शानदार कटाव उतार चढ़ाव साफ नजर आ रहे थे! सलमा ने अपने जिस्म पर एक चादर लपेटी और बग्गी झूले की तरफ चल पड़ी तो सीमा बोली:"
" सिर्फ देखना ही शहजादी युवराज को! ये मर्द बड़े तेज होते हैं कहीं आपको युवराज पकड़कर गले से न लगा ले अपने!
सलमा उसकी बात सुनकर शर्मा गई और बोली:" चुप बेशर्म, कुछ भी बोल देती हैं जो मुंह में आता है तेरे सीमा! विक्रम ऐसे नही है
सीमा:" अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात हुई भला और मैं जानती हु सारे मर्द एक जैसे होते हैं! देखना अगर मौका मिला तो तुझे गले लगाए बिना आने नही देंगे वो!
सीमा की बाते सुन कर सलमा को रोमांच मेहसूस हो रहा था और सलमा बोलो:" थोड़ी सी शर्म कर सीमा! इतनी बेहयाई अच्छी नही होती!
तभी बग्गी झूले के सामने आ गई और सलमा मौका देखकर खुले से उतर गई और ध्यान पूर्वक उधर इधर देखते ही भीड़ में गुम हो गई! सलमा लोगो की भीड़ में विक्रम को तलाश कर रही थी और थोड़ी ही देर बाद वो झूले के पीछे के हिस्से में पहुंच गई जहां विक्रम खड़ा हुआ था! विक्रम को देखते ही उसके दिल को बड़ा सुकून मिला और उसके पास चली गई तो विक्रम ने जैसे ही उसे पहचाना तो एक झटके के साथ उसका हाथ पकड़ा और बिलकुल झूले के टेंट के पीछे पहुंच गया जहां किसी के आने की संभावना बेहद कम थी! चोरी छिपे मिलने में सलमा को भी अजीब सा रोमांच मेहसूस हो रहा था और विक्रम ने अपनी बांहे फैलाई तो सलमा उसके सीने से लग गई और दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपट पड़े मानो सैकड़ों सालों के बाद मिल रहे हो! दोनो एक दूसरे को और ज्यादा जोर से अपने अंदर समेटने का प्रयास कर रहे थे और विक्रम ने सलमा के चेहरे को दोनो हाथों में भरा और उसके गाल को चूमने लगा तो सलमा ने उसके हाथ को चूमा और उसकी कमीज हटाकर उसकी छाती पर हाथ फेर कर देखा और बोली:
" आपको चोट तो नही आई न युवराज!
विक्रम उसकी नाजुक कोमल नर्म उंगलियों का एहसास अपनी छाती पर महसूस करके रोमांच से भर गया और बोला:"
" बहुत ज्यादा चोट आई है शहजादी! थोड़ा सहला दीजिए ना आप अच्छा लगेगा मुझे!
सलमा उसकी छाती पर प्यार से उंगलियां फेरती हुई बोली:"
" जब उसने आपको पटका तो मैं तो डर ही गई थी युवराज एक पल के लिए!
विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" क्यों आपको मेरी ताकत पर भरोसा नहीं था क्या सलमा?
सलमा ने उसकी छाती को चूम लिया और फिर बोली:" भरोसा न होता तो लड़ने के लिए क्यों बोलती आपको! अच्छा मैं चलती हूं युवराज किसी ने देख लिया तो गजब हो जायेगा!
विक्रम ने फिर से उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा तो सलमा का दुपट्टा उसके हाथ में आ गया और सलमा पहली बार उसके सामने बिना दुपट्टे के आ गई और विक्रम की अपनी नजरे उसके गोल गोल गुंबदों की गहराई नापने लगी तो सलमा ने अपने दोनो हाथों को अपनी गहराई पर रख दिया और शर्म के मारे पलट गई! विक्रम आगे बढ़ा और सलमा को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और अपने पेट पर बंधे विक्रम के हाथो को अपने हाथो से ढक दिया तो विक्रम ने अपनी पूरी जीभ को लंबाई में उसकी चिकनी खूबसूरत गर्दन पर फिराया तो शहजादी की सांसे उखड़ गई और विक्रम से छूटने की कोशिश करते हुए बोली:"
" अअह्ह्ह विक्रम! खुदा के लिए मुझे जाने दीजिए! किसी ने देख लिया तो मैं फंस जाऊंगी!
विक्रम ने अपनी उंगलियों में सूट के ऊपर से ही उसके चिकने मुलायम सपाट पेट को सहला दिया और बोला:
" पहले वादा करो कि कल जब मैं मिलने आऊंगा तो बुर्का नही पहनोंगी!
सलमा अपने पेट पर उसकी उंगलियों का स्पर्श महसूस करके मचल उठी और तड़प कर बोली:" " आप बहुत बिगड़ते जा रहे हो युवराज! मैं नही मिलूंगी आपसे कल!
विक्रम ने उसके पेट को नाजुक मखमली त्वचा को अपनी हथेलियों में भर लिया और हल्का हल्का मसलते हुए उसकी कान की लौ सहला कर बोला:"
" फिर तो मैं आपको जाने ही नहीं दूंगा सलमा! आज ही जी भरकर आपको प्यार करूंगा!
सलमा उसकी हरकते से पिघल रही थी और तड़पते हुए बोली:"
" ऐसा जुल्म मत कीजिए युवराज! हमारी मजबूरी समझिए! हमे जाने दीजिए ना
विक्रम ने एक झटके के साथ उसे पलट दिया और दोनो हाथों को सीधे उसकी भारी भरकम उभरी हुई गांड़ पर रखकर उसके गाल चूम कर बोला:"
" पहले वादा करो कल सूट पहन कर मिलने आओगी!
इतना कहकर विक्रम ने बिना उसके कुछ बोलने से पहले ही उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा! शहजादी सलमा भी अपने महबूब की मजबूत बांहों में पिघल गई और उसके होठों को चूसने लगी! तभी झूले के पीछे किसी के कदमों की आहत हुई तो सलमा एक झटके से किस खत्म करी और धीरे से बोली:"
" बस कीजिए युवराज! जाने दीजिए हमे, कोई आ रहा है शायद इधर ही!
विक्रम:" पहले आप वादा कीजिए, जब तक वादा नही करेगी तो मैं आपको ऐसे ही प्यार करता रहूंगा!
विक्रम ने उसकी गांड़ की गोलाईयों को थोडा सख्ती से मसल दिया तो शहजादी के मुंह से आह निकलते निकलते बची और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो विक्रम ने थोड़ा सा झुकते हुए उसके गोल गोल गुम्बद के बीच की गहराई को चूम लिया तो सलमा बेचैन हो गई और बोली:"
" अच्छा ठीक है अब तो जाने दीजिए ना मुझे!
कदमों की आहत बिलकुल पास आ गई थी तो विक्रम ने जल्दी से उसका गाल चूम कर हाथ छोड़ दिया और सलमा तेजी से लगभग दौड़ती हुई निकल गई,!!
सलमा बग्गी में पहुंच गई और फिर वापिस सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ी! वही अजय पानी लेकर आ गया था और विक्रम ने पानी पिया और उसके बाद वापिस उदयगढ़ लौट पड़ा!
रात को अजय ने खाना खाया और सोने के लिए अपने कक्ष में आ गया लेकिन उसे नींद नही आ रही थी तो वो थोड़ा टहलने के लिए छत पर गया तो उसने देखा कि उसकी मां पहले से ही छत पर मौजूद थी और चांद को निहार रही थी!
अजय उसके पास पहुंच गया और बोला:" क्या हुआ माता ? आपकी तबियत तो ठीक है जो इतनी रात को छत पर टहल रही हो आप ?
मेनका;" हान ठीक हु मैं तो! बस नींद नही आ रही थी तो छत पर घूमने आ गई! आपको भी नींद नही आ रही हैं क्या अजय ?
अजय:" हान माता बस नींद नही आ रही थी तो थोड़ा घूमने आया तो आपको देखा यहां!
छत पर काफी चांदनी फैली हुई थी और मेनका अपनी विधवा वाली सफेद रंग की साड़ी में भी बेहद आकर्षक लग रही थी क्योंकि वो अद्वितीय सुंदरी थी और उसके रूप सौंदर्य में अजीब सा आकर्षण था जिसकी तरफ मर्द खींचे चले आते थे! अजय ने आज तक कभी अपनी मां को नजर भर कर भी देखा था क्योंकि उसकी मां उसके लिए वो देवी थी जिसने उसे कभी पिता की कमी भी महसूस नही होने दी और फिर अजय एक बेहद संस्कारी लड़का था जिसने आज तक किसी भी लड़की को गलत नजर से नही देखा था और फिर मेनका एक उसकी माता थी!
मेनका:" बस यही देखने आई थी कि चांद अभी कितना पूरा होना बाकी हैं क्योंकि फिर मैं आपको वो जादुई तलवार देना चाहती हू जिसके आप हकदार हो !
अजय: मैने भी जबसे उसके बारे में सुना हैं तो मैं खुद उसे ग्रहण करने के लिए उत्सुक हु!
मेनका:" बस बेटा आज की बात और हैं! कल मैं आपको विधि पूर्वक ही तलवार दूंगी! अच्छा बेटा एक बात बताओ आपको खुशी तो हो रही हैं इस तलवार के बारे में सोचकर ?
अजय:* माता सच कहूं तो मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा है! मैं तड़प रहा हूं अपने पूर्वजों की निशानी को ग्रहण करने के लिए!
मेनका ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"
" आप एक बहादुर पुत्र हो! मैं आपको पुत्र के रूप में पाकर धन्य हो गई अजय!
अजय भी अपनी मां के आगोश में लिपट गया और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि पता नही कितने सालों के बाद वो ऐसे अपनी मां के आंचल में आया था! मेनका वही छत पर पड़े हुए एक बेड पर बैठ गई और अजय उसकी गोद में सिर रखकर लेट गया तो मेनका उसके बालो में उंगली फेरते हुए बोली:"
" पुत्र आपको कोई दिक्कत तो नही हो रही हैं न ?
अजय अपनी आखें बंद किए हुए ही बोला:" आज आपने पता नही कितने सालों के बाद मुझ पर अपनी ममता लुटाई हैं! सच में आपको माता के रूप में पकड़ मैं धन्य हो गया!
इतना कहकर अजय ने आंखे खोली और मेनका की तरफ देखा और मेनका बोली:"
" बेटा आपको नींद आ रही होगी, नीचे चलते हैं क्योंकि रात भी बहुत ज्यादा हो गई है!
अजय अपनी मां की गोद से उठने लगा और जैसे ही उसकी नजरे नीचे आई तो उसकी नजरे पहली बार अपने आप उसकी सीने की गोलाईयों के बीच चली गई जहां काफी गहरी लकीर बनी हुई थी! अजय की नजरे जितनी गति से अपनी मां के सीने पर पड़ी उससे कहीं ज्यादा गति से हट गई और अजय अपनी मां की गोद से उठ गया और फिर दोनो मा बेटे अपने कक्ष में आकर नींद के आगोश में चले गए!
अगले दिन शाम को करीब 7 बजे शहजादी सलमा ने देखा कि सीमा के साथ सपना नही कोई दूसरी लड़की आई है जिसकी शक्ल थोड़ी सीमा से मिल रही थी तो उसने पूछा:"
" सपना नही आई क्या आज और ये आपके साथ कौन है?
सीमा:" शहजादी सपना अपनी मां के साथ कहीं बाहर गई है और कुछ दिन बाद आयेगी! तब तक आपकी देखभाल मैं और मेरी बहन राधिका मिलकर करेंगे!
सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"
" अच्छा ये आपकी बहन हैं, तभी तो मैं सोचु कि इसकी शक्ल आपसे इतनी क्यों मिल रही हैं!
राधिका आगे आती हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:"
" वो हम दोनो सगी बहनें हैं न बिल्कुल एक ही मां बाप की औलाद इसलिए शक्ल मिल गई!
उसकी बात सुनकर सभी हंस पड़े और सीमा बोली:"
" बहुत जुबान चलती है तेरी, जा जाके शहजादी के लिए नहाने का पानी गर्म कर दे! शाम के समय शहजादी हल्के गुनगुने पानी से नहाती है!
राधिका वहां से चली गई तो सीमा बोली:" ये बहुत नटखट और चंचल है शहजादी! उसकी बातो का आप बुरा मत मानना!
सलमा:" कोई बात नहीं थोड़ा चंचल तो होना भी चाहिए,! वैसे एक बात बताओ इसे कुछ बताया तो नही न मेरे बारे में?
सीमा:" ऐसी गलती तो मैं कभी नही कर सकती! ये तो सबसे बड़ी ढोल हैं शहजादी! कोई भी बात इसके पेट में नही पचती और इसके सपने तो आसमान को छूते हैं! कहती हैं कि किसी राजकुमार से ही शादी करूंगी!
सलमा:" अच्छा फिर तो उससे बचकर ही रहना होगा! अच्छा किया तुमने बता दिया मुझे!
सीमा:" वैसे बुरा न मान तो एक बात पूछूं?
शहजादी:" हान बोलो ना सीमा?
सीमा:" उस दिन आप मेरे में जब विक्रम से मिली तो कैसा लगा था आपको?
सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" चल बेशर्म कहीं की, ये सब बातें भी बताने की होती हैं क्या!
सीमा उसकी शर्म हया देखकर समझ गई कि सलमा को ये सब अच्छा लग रहा है और वैसे भी अपने आशिक के बारे में बात करके किसी अच्छा नही लगता हैं! सीमा ने सलमा का हाथ पकड़ लिया और बोली:"
" चलिए मत बताते आप लेकिन आपके शर्मो हया और गालों की लाली पता रहीं हैं कि आपको कितना अच्छा लगा होगा!
सलमा ने उसकी तरफ आंखे निकाली और बोली:"
" तुझे ज्यादा मजा आता है क्या मुझसे छेड़छाड़ करने में?
सीमा:" मुझे तो इतना नही आता जितना विक्रम को आया होगा आपसे छेड़छाड़ करने में!
सलमा उसकी बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा उठी और बोली:"
" चल पागल, कुछ भी बोल देती हैं युवराज ने मेरे साथ कोई छेड़छाड़ नही करी! वो तो मुझसे बेहद प्रेम करते हैं!
सीमा:" अच्छा तो फिर प्रेम ही किया होगा आपको अपनी बांहों में समेट कर शहजादी क्योंकि आपकी सुंदरता ने उन्हें बहका दिया होगा!
सलमा अपनी तारीफ सुनकर खुश हुई और उसे भी सीमा की बाते अच्छी लग रही थी जिस कारण उसकी सांसे काफी तेज हो गई थी और बोली;"
" तुम न अब मार खाओगी मुझसे सलमा!
सीमा:" फिर आपकी सांसे क्यों बढ़ गई है शहजादी, क्यों झूठा गुस्सा दिखा रही हो! बोल दो ना कि युवराज की बांहों में मजा आया था आपको!
सलमा उसकी बात सुनकर अब छिड़ते हुए बोली:"
" हान आया था मजा मुझे, तुझे भी युवराज के गले लगना था क्या सीमा की बच्ची?
सीमा:" हाय मेरी कहां ऐसी किस्मत, मुझे तो विक्रम ने बहन बना लिया नही तो इतने सुंदर ताकतवर राजकुमार पर अपनी जान लूटा देती! आप सच में बेहद खुश नसीब हो शहजादी!
सलमा को अब उसकी बातो में पूरा आनंद आ रहा था और सलमा भी उसके रंग में रंगते हुई बोली:" अच्छा जी ऐसा क्या खास है आपके युवराज में ?
सीमा सलमा के हाथ को सहलाती हुई बोली:" जीता जागता युगपुरुष हैं वो शहजादी! सुंदर इतना और उसके चौड़े मजबूत कंधे औरचौड़ी बलशाली भुजाए उफ्फ जिनमे वो अकसर किसी को कस लें तो छूट नही पाए! आपको कैसा लगा था शहजादी उसकी मजबूत भुजाओं में कसकर ?
सलमा अब पूरी तरह से उसकी बातो से मदहोश हो गई थी और उसके गले लगती हुई बोली:"
" अअह्ह्ह्ह सीमा पूछ मत कितना अच्छा लगा था!
सीमा उसकी हरकत से जोश में आ गई और उसकी पीठ सहलाते हुए बोली:"
" सच में शहजादी आपका ये मदहोश खूबसूरत बदन विक्रम की बांहों के लिए ही बना है! उसकी शेर के जैसी चौड़ी छाती उसकी मर्दानगी की जीती जागती मिसाल है शहजादी!
सलमा ने अब जोश में आकर सीमा का गाल चूम लिया और तभी राधिका की आवाज आई:"
" सीमा दीदी आपको बेगम साहिबा बुला रही हैं!
सीमा उसकी बात सुनकर धीरे से सलमा के कान में बोली:"
" मुझे चूमने से ज्यादा मजा आपको विक्रम को चूमने में आयेगा! अपना ये प्यार उनके लिए बचाकर रखिए! आज रात के मेले में आपको फिर से युवराज से मिलवा दूंगी!
इतना कहकर वो चली गई और राधिका अंदर आती हुई बोली:"
" शहजादी आपका पानी गर्म हो गया है! आइए आप नहा लीजिए!
सलमा ने राधिका को जाने का इशारा किया और और तेज तेज सांसे लेती हुई देखते ही देखते एक बेहद खूबसूरत बड़े बाथ टब मे बैठ गई और अपने जिस्म से सारे कपड़ों को उतार कर सिर्फ एक चादर को अपने नंगे जिस्म पर लपेट लिया और बाथटब में लेट गई तो पानी से उसके जिस्म पर लिपटा कपड़ा भीग गया और उसकी चूचियां काफी हद तक साफ नजर आ रही थी! सलमा का ध्यान राधिका की तरफ नही था और राधिका धीरे धीरे चलती हुई उसके पीछे आ गई और उसकी चुचियों को देखने लगी और मन ही मन उसे शहजादी से बेहद जलन हुई क्योंकि उसकी चूचियां शहजादी के मुकाबले आधी भी नहीं थी और सबसे बड़ी बात कि शहजादी की चूचियां बिलकुल गोल गोल गुम्बद के जैसी और ठोस थी! निप्पल बिलकुल तने हुए मानो उन्हे अपनी अभिमान हो रहा हो कि हम दुनिया की सबसे सख्त और गद्देदार चुचियों के शिखर पर विराजमान हैं!
शहजादी कोई मधुर गीत गुनगुनाते हुए नहा रही थी और राधिका का मन शहजादी को छुने के लिए मचल रहा था क्योंकि उसे जब्बार की बात याद थी कि शहजादी की वासना को हवा देनी है तो राधिका थोड़ा पीछे चली गई और बोली:"
" शहजादी साहिबा मेरी कोई जरूरत हो तो बताएगा आप,!
सलमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली,:"
" भला नहाने में आपकी क्या जरूरत पड़ेगी, मैं तो रोज खुद ही तो नहा लेती हूं!
राधिका:" शहजादी आप कमर के हिस्से को अच्छे से साफ नही कर पाती होंगी और वैसे भी मैं मालिश अच्छा कर लेती हु!
सलमा उसकी बात सुनकर बोली:" ये बात तो सच कही राधिका कि कमर तक हाथ ठीक से नही जा पाता है! चल अच्छा एक काम कर आजा मेरे पास!
राधिका अपनी चाल में कामयाब हुई और सलमा के पास आ गई और उसके बराबर में बैठते हुए बोली:"
" हाय मैं सदके जावा आप पर शहजादी! आपको मेरी जी नजर न लग जाए! आप जितनी ज्यादा सुंदर हो उससे कहीं ज्यादा आपका बदन सुंदर है!
शहजादी पहले से ही थोड़ी तेज तेज सांसे ले रही थी क्योंकि सीमा ने विक्रम की बाते करके उसे मचलने पर मजबूर कर दिया था और अब ये राधिका तो उससे भी आगे बढ़ रही थी! सलमा ने मुस्कुरा कर उसे देखा और बोली
" अच्छा बड़ी जानकारी हैं तुझे औरत के जिस्म की ! चल इधर आकर मेरी कमर साफ कर!
इतना कहकर शहजादी ने उसकी तरफ करवट ली और राधिका ने अपने हाथ को उसकी कमर पर टिका दिया और कमर साफ करने के बहाने उसकी कमर को सहलाने लगी तो सलमा को बेहद अच्छा लगने लगा और राधिका बोली:"
" शहजादी आपकी कमर बेहद चिकनी ओर मुलायम हैं! क्या लगाती है आप ?
सलमा उसकी बातो से अब पूरा आनंद ले रही थी और उसकी तरफ अपनी कमर को पूरी तरह से उभार दिया और बोली:"
" कुछ भी नहीं लगाती! क्या सच मे मेरी कमर अच्छी हैं राधिका!
कमर के साथ ही साथ सलमा की गांड़ भी पीछे को उभर आई और राधिका की आंखे फटी की फटी रह गई और बोली:"
" शहजादी आप की कमर बेहद जानलेवा है! बुरा न माने तो एक बात कहूं आपको ?
इतना कहकर राधिका ने उसकी कमर को अच्छे से अपनी उंगलियों में भर लिया और सहलाने लगी! सलमा को उसकी उंगलियां बेहद मजा दे रही थी और सलमा बोली:"
" आपकी सिर्फ कमर ही नही बल्कि आपका पूरा जिस्म ही लाजवाब है शहजादी!
उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसे अपने ऊपर अभिमान हुआ क्योंकि एक औरत होने के बाद भी राधिका जिस तरह से उसकी तारीफ कर रही थी वो उसके नारीत्व के लिए बेहद गर्व की बात थी! सलमा उसकी बातो में डूब गई और बोली:"
" अच्छा राधिका, वो कैसे भला?
राधिका ने अब अपने हाथ का दायरा थोड़ा सा बढ़ाया और उसकी उंगलियां सलमा की चुचियों की गोलाई के आस पास छूने लगी और राधिका बोली:"
" आपका पतली कमर पर आपका उठा हुआ तनी हुई मदमस्त जवानी और मछली की तरह कटावदार आपकी चिकनी कमर जो नीचे आती हुई आपके नितम्बो के पास एकदम से इतनी चौड़ी होकर उभर गई है यकीन नहीं होता कि आपकी पतली सी कमर आपके भारी भरकम नितम्बो का भार उठा सकती हैं!
सलमा उसकी बात सुनकर पूरी तरह से मचल उठी और उसके बदन मे कंपकपी सी छूट गई और हल्का सा राधिका की तरफ पलटते हुए बोली:"
" तुम सच कह रही हो ना राधिका? क्या सच मे मेरा जिस्म ऐसा ही हैं!
सलमा के पलटने से उसकी चूचियां राधिका की उंगलियों के और करीब हो गई और राधिका ने अब अपनी उंगलियों को उसकी चुचियों तक पहुंचा दिया और हल्का सा सहलाते हुए बोली:"
" सच शहजादी, मां की कसम! आपके जैसी हसीन शहजादी के लिए दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द होना चाहिए!
राधिका की बात सुनकर सलमा की आंखे बंद हो गई और उसकी आंखो के आगे विक्रम का चेहरा आ गया और सलमा के होंठो पर मधुर मुस्कान आ गई और राधिका की उंगलियां अब उसकी चुचियों की आधी गोलाई तक सहलाने लगी और राधिका बोली:"
" लगता हैं शहजादी कल्पना कर रही है कि दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द कैसा दिखता होगा!
उसकी बात सुनकर सलमा मन ही मन मुस्कुरा उठी और तभी सीमा के आने की आहत हुई तो राधिका पीछे हट गई और शहजादी ने सुकून की सांस ली ! जिस तरह से राधिका उसके बदन को छू रही थी उससे सलमा के अंग अंग में मीठी मीठी गुदगुदी हो रही थी और वो अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ती हुई पानी में पड़ी हुई मचल रही थी!
करीब आधे घंटे के बाद शहजादी बाहर निकल आई और अपने कपड़ो को पहन लिया! सीमा के साथ उसने थोडा सा खाना खाया और फिर सीमा के साथ साथ राधिका भी उसके कक्ष से बाहर चली गई! रात के करीब 10 बज गए थे और शहजादी बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी क्योंकि उसे अपने प्रियतम के आने का इंतजार था और आज उसकी सांसे कल के मुकाबले ज्यादा महक रही थी!
सलमा बेड से उठी और अपने आपको शीशे में देखने लगी और फिर उसने गहरा काला काजल निकाला और अपनी बड़ी बड़ी गोल गोल नशीली आंखों को और कामुक बनाने लगी!
काजल लगाने के बाद वो अब बेहद खूबसूरत लग रही थी मानो उसकी सुंदरता मे चार चांद लग गए थे! सलमा ने हल्का सा मेक अप किया और फिर अपने होंठो पर लगाने के लिए लिपिस्टिक उठाई और उसके मन में कुछ आया और वो मुस्कुरा उठी और लिपिटिक को एक तरफ रख दिया और अलमारी से उसने खोलकर एक लाल सुर्ख कश्मीरी निकाली और अपने होंठो पर फेरने लगी और उसके बाद उसे मुंह में भर कर चूस लिया!
सलमा के होंठ अब बेहद कामुक होकर रसीले हो गए थे और सलमा ने हल्का सा बेरी को दांतो से काटा तो उसका रस उसके होंठो पर पूरी तरह से आ गया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी! सलमा को उसका बदन बेहद हल्का और हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ और उसके घुटने कमजोर पड़ने लगे तो सलमा बेड पर चढ़ गई और तेज तेज सांसे लेने लगी क्योंकि वो जानती थी कुछ ही मिनटों बाद वो विक्रम की मजबूत बांहों में होगी और ये सोचकर सलमा के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और उसकी छातियां अब उसकी सांसों के साथ ताल से ताल मिला रही थी!
दूसरी तरफ विक्रम भी सलमा से मिलने के लिए बेहद बेताब था और मेला होने के कारण सुल्तानपुर की सीमा पूरी रात के लिए खुली हुई थी तो कोई खतरा भी नही था! रात के करीब 10:30 बजे विक्रम आराम से मौका देखकर राजमहल के गुप्त रास्ते से बाहर निकल गया और घोड़े पर सवार होकर सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा,!