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Incest शहजादी सलमा

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विक्रम अपने राज्य उदयगढ़ वापिस लौट आया और उसे उदास देखकर उसके दोस्त अजय ने पूछा:"

" क्या हुआ राजकुमार ? बड़े उदास लग रहे हो ?

विक्रम ने उसकी तरफ निराशा से देखा और बोला:"

" मत पूछो मेरे मित्र! सच कहूं तो किसी के कहने के काबिल नही बचा कुछ !

अजय ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला:" ऐसा न कहो मेरे मित्र, मेरे भाई ! कोई समस्या हो तो आप मुझसे कहिए ? कुछ न कुछ उपाय करेंगे!

विक्रम:" भाई आज मेरा घोड़ा पवन गलती से सुल्तानपुर की सीमा में चला गया और वहां की शहजादी ने पकड़ लिया और सबसे बड़ी बात घोड़ा मेरे पास आने की बजाय उसके साथ ही चला गया! बस यही मेरे लिए का विषय हैं मेरे भाई!

उसकी बात सुनकर अजय को मानो सांप सा सूंघ गया और बोला:" क्या आप सच कह रहे हो राजकुमार ? मुझे यकीन नही हो रहा है! आप सुल्तानपुर गए थे क्या?

विक्रम:" हान भाई गया था मैं अपने घोड़े के लिए! लेकिन कुछ हासिल नहीं कर पाया! लेकिन शहजादी ने मुझे वचन दिया हैं कि मैं जब मन करे घोड़े से मिलने आ सकता हु !

अजय ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला:" आप बाहर ही पले बढे और कुछ दिन पहले ही वापिस आए हैं! क्या आपको पता हैं कि सुल्तानपुर से हमारे रिश्ते कैसे हैं ?

विक्रम ने आंखो में हैरानी लिए उसकी तरफ देखा और बोला:"

" हमारे रिश्ते तो सबके साथ अच्छे ही है अजय और फिर किसकी इतनी हिम्मत हैं कि उदयगढ़ के भावी राजा के सामने आंख उठा सके !!

अजय:" राजकुमार आप मुझसे एक वादा कीजिए कि आप आज के बाद सुल्तानपुर नही जायेंगे!

विक्रम थोड़ा गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए बोला:"क्यों नहीं जायेंगे हमारा पवन हैं वहां ! जब तक वो वापिस नहीं आएगा हम चैन से नहीं बैठ सकते!

अजय ने दोनो हाथ उसके आगे जोड़ दिए और बोला:"

" राजुकमार आपको मेरी दोस्ती की कसम कि आज के बाद आप सुल्तानपुर नही जायेंगे! पवन को किसी भी कीमत पर मैं वापिस लेकर आऊंगा!

विक्रम ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और बोला:" ये हमें किस बंधन में बांध रहे हो मित्र? आखिर वहां जाने में दिक्कत क्या हैं क्योंकि शहजादी ने हमे खुद वचन दिया हैं!! कोई बात है तो हम बताए आप

अजय ने उसके सामने दोनों हाथों को जोड़ दिया और बोला

" मैं विवश हु राजकुमार! चाह कर भी आपको कुछ नही बता सकता! बस मेरा यकीन कीजिए कि वहां जाना आपके लिए ठीक नहीं होगा!

विक्रम ने जोर से एक मुक्का बराबर में खड़े पेड़ पर गुस्से से मारा और वो मजबूत पेड़ बीच से टूट गया और विक्रम जोर से भड़का:"

" तुम्हे मेरे कसम है अजय! या तो हमे बताओ नही तो हमे सुल्तानपुर जाने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक पाएगी!

अजय:" नही राजकुमार हमे धर्म संकट में मत डालिए आप! हमने राजमाता को वचन दिया हैं कि मर जायेंगे लेकिन हमारी जुबान नही खुलेगी!

विक्रम गुस्से से लगभग दहाड़ा और बोला:"

" अगर आप हमारी कसम नही मानते तो दुनिया की कोई ताकत हमें सुल्तानपुर जाने से नही रोक पाएगी और आपकी कसम भी नहीं अजय!!

इतना कहकर विक्रम ने अपनी तलवार को हवा में लहराया मानो अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा हो और अजय उसके कदमों में गिर पड़ा और बोला:"

" राजकुमार आपको सुल्तानपुर जाने के लिए मेरी लाश पर से गुजरना पड़ेगा!!

विक्रम को मानो उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अजय तुम होश में तो हो ? आपको पता है कि क्या आप क्या कह रहे हो?

अजय ने हाथ से विक्रम की तलवार पकड़ी और अपनी गर्दन पर टिका दी और बोला:"

" जब तक मेरे जिस्म में आखिरी सांस होगी आप सुलतानपुर नही जा पाएंगे! आप मेरी गर्दन काटकर ही जा सकते हैं!!

विक्रम ने अपनी तलवार को वापिस म्यान में रख लिया और तभी किसी के आने की आहट हुई तो दोनो चुप हो गए और अजय ने देखा कि राजमाता गायत्री देवी उधर की आ रही है तो उसने इशारे से विक्रम की मना किया कि राजमाता से कोई सवाल न करे! राजमाता उनके पास आ गई और बोली:"

" क्या बाते कर रहे थे दोनो जो मुझे देखते ही चुप हो गए?

विक्रम:" कुछ भी नही राजमाता! बस अजय बता रहा था कि हमे अपने राज्य की सुरक्षा बढ़ानी पड़ेगी क्योंकि सर्दी आने वाली है!


राजमाता:" बिलकुल सही बात हैं! सर्दी में कभी कभी चोर डाकू अंदर घुस आते हैं और लूटपाट का खतरा हो सकता है!

विक्रम:" जी राजमाता फिर मेरे विचार से आपको पूरे राज्य की सुरक्षा अजय के हाथ में ही से देनी चाहिए!

राजमाता:" सोच तो मैं भी यही रही हु बस इस बार जब मंत्री दल की बैठक होगी तो ये घोषणा भी कर दी जाएगी! क्यों अजय तुम्हे कोई दिक्कत तो नही!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता, अपने खून की आखिरी बूंद तक उदयगढ़ की रक्षा करूंगा!

राजमाता:" शाबाश, तुम जैसे युवा नौजवान ही उदयगढ़ को ऊंचाई पर लेकर जाएंगे! आपकी मम्मी कैसी हैं अभी ?

अजय थोड़ा उदास हो गया और बोला:" बस पहले से थोड़ी अच्छी हैं, पिताजी की याद में अक्सर रोती रहती है! आप ही उन्हें एक दिन अच्छे से समझा दीजिए ना!

राजमाता:" मुझसे बेहतर भला पति को खोने का दर्द कौन समझ सकता है, ठीक है मैं बात करूंगी! और कोई जरूरत हो तो बताना मुझे!

अजय:" जी राजमाता!

राजमाता:" अच्छा मैं अब चलती हु, वैसे भी अब मेरी पूजा का समय हो गया है!

इतना कहकर राजमाता चली गई और अजय भी विक्रम से इजाजत लेकर अपने घर की तरफ लौट चला और विक्रम के दिमाग में सवालों का तूफान मचा हुआ था कि उसे सुल्तानपुर क्यों नहीं जाना चाहिए! आखिर ऐसी क्या बात है जो उससे छुपाई गई हैं ! जरूर कुछ तो हैं जिसका मुझे पता करना हो होगा!

विक्रम जानता था कि उसे ये सब कहां से पता चल सकता है और वो उसी दिशा में आगे बढ़ गया और अब वो राज वैद्य शक्ति सिंह के घर के सामने खड़ा हुआ था और वो जानता था कि शक्ति सिंह उसके सामने हर हाल में अपना मुंह खोल देगा क्योंकि अभी तीन पहले भी उसने शक्ति सिंह को उसके बेटे की बहु मीनू के साथ संभोग करते देख लिया था जब वो उसके घर आया था! शक्ति सिंह ने राजकुमार से माफी मांगी थी और जीवन भर उसका वफादार बनने का वादा किया था! विक्रम को अपने घर देखकर शक्ति सिंह हैरान हुआ और बोला:"

" युवराज आपने क्यों आने का कष्ट किया मुझे महल बुला लिया होता आपने!

विक्रम:" हम एक मुश्किल में फंस गए हैं वैद्य जी और आप ही हमारी मदद कर सकते हैं!

वैद्य:" मेरी किस्मत होगी! आज्ञा दीजिए आप!


विक्रम:" सुल्तानपुर और उदयगढ़ की क्या कहानी है!

ये सुनते ही वैद्य जी के चेहरे का रंग उतर गया और हकलाते हुए बोले:"

" मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता राजकुमार!

विक्रम:" फिर आपकी जुबान लड़खड़ा क्यों रही है वैद्य जी? बेहतर होगा कि मेरे सवालों का जवाब दो!

वैद्य:" मेरी आजकल तबियत ठीक नहीं रहती वो शायद इसलिए ऐसा हो गया और मेरी उम्र भी तो हो गई हैं!!

विक्रम ने अपनी गुस्से से लाल आंखो से उसे घूरा और बोला:"

" अच्छा तो ये बात हैं! खैर छोड़िए एक बात बताओ मीनू नही दिख रही है? कहीं गई हैं क्या वो आज ?

वैद्य के चेहरे पर कई रंग आए और गए और वो विक्रम के आगे हाथ जोड़कर बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए युवराज! मैं मजबूर हू आपको चाह कर भी कुछ नहीं बता सकता!

विक्रम ने उसे अच्छे से देखा और मुस्कुरा कर हुए बोला:"

" कोई बात नही वैद्य जी लेकिन याद रखिए कि मैं मजबूर नही हु आपकी तरह से! अच्छा मैं अब चलता हु!

विक्रम चलने लगा तो वैद्य जी ने उसके पैर पकड़ लिए और बोले:"

" युवराज मुझे माफ कर दीजिए, मैं सब इज्जत मिट्टी में मिल जायेगी! मैं आपको सब बताने के लिए तैयार हु!

युवराज विक्रम वही बेड पर बैठ गया और वैद्य जी ने बोलना शुरू किया:"

" अब से 10 साल पहले दोनो राज्य बेहद सम्पन्न थे और आपस मे आज की तरह कोई दुश्मनी नहीं थी! फिर एक दिन सुलतान पुर पर पिंडारियो ने हमला कर दिया और पड़ोसी होने के नाते आपके पिता महेंद्र सिंह मदद के लिए गए लेकिन आज तक कभी वापिस नही आए और लोग कहते हैं कि सुल्तानपुर के लोगो ने पिंडारियो से समझौता कर लिया था और आपके पिताजी को पिंडारियों ने मार दिया था और उनकी लाश हमे सुल्तानपुर के जंगल से मिली थी! उसके दिन के बाद से हम सुल्तानपुर के लोगो पर यकीन नहीं करते!

विक्रम को अपने कानो पर मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोला:"

" लेकिन राजमाता तो बताती है कि शिकार पर घायल शेरनी के हमले से पिताजी की मौत हुई थी तो क्या ये सच नहीं हैं ?

वैद्य:" बिलकुल भी सच नही हैं! आपसे सब सच्चाई छुपाई गई है ताकि आप भी इस दुश्मनी का हिस्सा न बन सके!

विक्रम गुस्से से भर उठा और उसकी आंखो से लाल चिंगारिया सी निकलने लगी और बोला:"

" वो कौन है वैद्य जी जिसने मेरे पिताजी को धोखा दिया ? उसके इतने टुकड़े करूंगा कि पूरा सुल्तानपुर नही गिन पायेगा!

वैद्य:" बेटा तो सुल्तानपुर के राजा मीर जाफर थे लेकिन जिंदगी ने उसे भी उसकी औकात दिखा दी और वो भी पिंडारियो के हाथो मारा गया था!

विक्रम के चेहरे पर ये सुनकर एक अजीब सा सुकून मिला तो आंखो मे निराशा भी दिखी और बोला:"

" काश मैं उसे अपने हाथो से मार पाता तो मुझे कितनी खुशी होती! अभी वैसे सुल्तानपुर का राजा कौन हैं ?

वैद्य:" युवराज कहने के लिए तो सुलतान का बेटा राज्य संभालता हैं लेकिन वो मानसिक रूप से बीमार हैं और सबसे बड़ी बात वो लड़की और शराब से बाहर नही निकल पाता है! राज्य की देखभाल पूरी तरह से सेनापति जब्बार खान के हाथ में हैं जो एक बेहद क्रूर और निर्दयी इंसान हैं!


विक्रम:" तो क्या राजा के परिवार में और कोई नही हैं क्या जो राज्य को संभाल सके ?

वैद्य:" राजा की बेटी शहजादी सलमा बेहद खूबसूरत होने के साथ साथ एक बहादुर और तेज दिमाग वाली लड़की हैं लेकिन उसकी एक नही चल पाती क्योंकि वो हमेशा सेनापति के खिलाफ होती हैं!

विक्रम को सलमा के नाम से याद आया कि उसका घोड़ा पवन तो सुल्तानपुर में ही छूट गया है और बोला:"

" जब सलमा शहजादी हैं तो वो अपनी ताकत का इस्तेमाल क्यों नही करती हैं?

वैद्य:" राज नियमो के अनुसार जब तक बेटा जिंदा हो तो बेटी को गद्दी नही मिलती हैं! राजा के बेटे सलीम को जब्बार ने अंधेरे में रखा हुआ है कि राज्य में सब ठीक चल रहा है जबकि सच्चाई वो नही जानता हैं! बेटे की जिद के आगे सलमा की अम्मी रजिया भी मजबूर हैं और चाह कर भी कुछ नही कर पाती!

विक्रम:" मतलब राज्य पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर नाच रहा है और सब कुछ उसकी मर्जी से हो रहा है!

वैद्य:" आप बिलकुल ठीक समझे युवराज! लेकिन ये बात कभी राजमाता को पता नहीं चलनी चाहिए कि मैने आपको ये सब बताया है!

विक्रम ने वैद्य जी का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा और बोले:"

" आप चिंता मुक्त रहिए! मैं आपको वचन देता हूं!

उसके बाद विक्रम राजमहल की तरफ चल पड़ा और अब उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती किसी भी हाल में पवन को वापिस लाना था क्योंकि जो कुछ उसे वैद्य ने बताया था वो सब जानने के बाद वो किसी भी कीमत पर अपने घोड़े को नही छोड़ सकता था!!
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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विक्रम महल वापिस आ गया और राजमाता गायत्री के साथ बैठा हुआ खाना खा रहा था और बोला:"

" राजमाता आज आपने अजय को सुरक्षा प्रमुख बनाने के मेरे फैसले को एकदम से सहमति दी है मुझे बहुत अच्छा लगा!

गायत्री उसे देखकर मुस्कुराई और बोली:" बेटे हमने आपकी बात का मान रखा और फिर आपने बिलकुल सही फैसला किया हैं! आप शायद नही जानते हो कि अजय के पापा प्रमोद भी हमारे सुरक्षा प्रमुख थे और युद्ध में उन्होंने आखिरी सांस तक आपके पिता का साथ दिया था और फिर पिछली कुछ पीढ़ियों का इतिहास उठाकर देखिए तो सुरक्षा प्रमुख अजय के ही पूर्वज रहे हैं!

विक्रम:" फिर तो ये तो बहुत अच्छी बात हैं और अजय भी अपना काम ईमानदारी से करेगा और राज्य की सुरक्षा में कोई चूक नही होने देगा!

राजमाता:" लेकिन एक दिक्कत हैं कि अभी सुरक्षा प्रमुख के पद पर तैनात शक्ति सिंह को हटाना क्या सही होगा ?

विक्रम:" मुझे तो इसमें कोई दिक्कत नजर नही आती, फिर सबके मन में राज्य की सेवा का भाव होना चाहिए पद चाहे कोई भी हो क्या फर्क पड़ता है

राजमाता:" बिलकुल सही कहा विक्रम आपने! राज्य की सेवा ही सबसे ऊपर होनी चाहिए! मैं कल भैरव बाबा के मंदिर जाऊंगी दर्शन के लिए, आप चाहो तो मेरे साथ चल सकते हो!

विक्रम उसकी बात सुनकर मन ही मन खुशी से भर उठा और बोला:" देखता हू राजमाता, वैसे तो मुझे कल कुछ काम होंगे लेकिन अगर फ्री रहा तो आपके साथ जरूर चलूंगा!

अगले दिन सुबह राजमाता मंदिर जाने के लिए तैयार हो गई तो विक्रम ने सुरक्षा की सारी जिम्मेदारी अजय को दी और बोला:"

" अजय आप राजमाता की मंदिर यात्रा की सुरक्षा आपके हाथ में होगी और यही से आपकी कार्य कुशलता का भी पता चल जायेगा!

अजय:" आप निश्चित रहे युवराज! मैं किसी तरह की कोई कमी नही आने दूंगा!

थोड़ी देर बाद राजमाता मंदिर के लिए रवाना हो गई और अजय के पास अब सुनहरा मौका था सुल्तानपुर जाने का ताकि वो पवन को वापिस ला सके!

विक्रम पहली बार अनजाने में गया था लेकिन इस बार वो जान बूझकर जा रहा था तो उसने एक भिखारी का भेष बनाया और एक दूसरे घोड़े पर सवार होकर चल पड़ा! अपने घोड़े को उसने सुल्तानपुर की सीमा के बाहर ही छोड़ दिया और पैदल ही राज्य की सीमा में घुस गया और उस पर किसी का ध्यान भी नही गया और वो लोगो से भीख मांगने लगा और उसका पूरा ध्यान इस बात पर था कि कोई उस पर शक तो नही कर रहा है! राज्य के रास्तों से होता हुआ वो राज परिवार की जय जयकार करता हुआ आगे बढ़ रहा था और देख रहा था कि राज्य सच में बेहद खूबसूरत था और आम लोगो के आलीशान महल जैसे घर राज्य की संपन्नता की कहानी कह रहे थे! थोड़ी देर में ही उसे अच्छी खासी भीख भी मिल गई थी और वो मुस्कुरा उठा और दोपहर होने को आई लेकिन अभी तक उसे कोई मौका नहीं मिला था कि वो पवन को देख रहे या पता कर सके कि वो कहां पर रखा हुआ था!

एक दुकान पर उसने थोड़ा सा खाना खाने लगा और खाना देने वाले से बोला:"

" अरे भाई साहब आपका खाना तो बेहद लजीज और खुशबू से महक रहा है!

आदमी खुश हो गया और बोला:"

" अरे भिखारी ये सुल्तानपुर हैं और यहां का हर आदमी अमीर हैं और अपने आप में सुलतान हैं तो खाना तो अच्छा बनेगा ही! यहां पहली बार आए हो लगता हैं!

विक्रम:" हान जी सुलतान साहब! मेरे तो किस्मत खुल गई जो यहां भीख मांगने चला आया! इतना तो उदयगढ़ मे मुझे महीने मे नही मिला था जितना यहां आधे दिन में ही मिल गया!

आदमी अपने लिए सुलतान साहब सुनकर खुश हुआ औरजोर से हंसा और बोला:"

" अरे वो तो भिखारियों का राज्य हैं! भला उसकी और हमारी क्या बराबरी!

विक्रम मन ही मन हंसा और उसकी हान में हान मिलाते हुए बोला:" बिलकुल सही कहा आपने! अच्छा ये राज महल किधर हैं ?

आदमी:" अच्छा समझ गया तू जरूर शाही परिवार से भीख पाना चाहता हैं!

विक्रम:" मैं तो बस यहां की महारानी रजिया के दर्शन करना चाहता हूं! उनकी दरियादिली के बेहद किस्से सुने हैं मैंने!

आदमी:" क्यों घुमा फिरा कर बात करते हो? मतलब वो वही हैं ना! सुन ओए भिखारी के बच्चे तू मुझे 50 मोहरे देगा तो तुझे सब बता दूंगा कि कैसे मिल सकता हैं और वैसे भी तुझे भीख में इससे ज्यादा ही मिल गया होगा!

विक्रम ने तुरंत जेब से 50 मोहरे निकाली और उस आदमी को दी और वो बोला:"

" देख तीन बजे के आस पास राजमहल के अंदर जाने की कोशिश करना क्योंकि उस समय सेनापति जब्बार नही होता! अगर वो तुझे मिला तो समझ लेना कि तू जिंदा नही बचेगा!

विक्रम:" ऐसा क्यों भाई? क्या वो महारानी से भी बड़ा हैं ?

आदमी:" अरे धीरे बोल पागल आदमी! सारा राज्य ही उसके कब्जे मे हैं और मुझे तो ये भी सुनने में आया हैं कि वो शहजादी सलमा से शादी करके राजा बनना चाहता है!

विक्रम की आंखे हैरानी से फैली और बोला:" उसे कोई कुछ बोलता नही है क्या ? मैने सुना हैं कि शहजादा सलीम राज्य की देख रेख करते हैं!

आदमी:" अबे वो सिर्फ नाम का शहजादा है, उसे तो औरतों के अलग कुछ नजर नहीं आता, मदिरा पीकर इतना कमजोर हो गया है कि तलवार तक नहीं उठा सकता है अब वो!

विक्रम:" अरे भाई ये क्या कह रहे हो? क्या सच मे ऐसा ही हैं?

आदमी:" और नही तो क्या,जब राजा मरे तो बेचारे छोटे से सलीम को जब्बार की देख रेख़ में दिया गया और उसने सलीम को जान बूझकर ऐसा बना दिया!

विक्रम:" अच्छा ये राजा मीर जाफर की मौत कैसे हुई थी?

आदमी:" बेड़ा गर्क हो इन उदयगढ़ वालो का जिन्होंने सुलतान को धोखे से मारा, उनके जैसा नेक इंसान कोई नही था!

विक्रम को उस पर गुस्सा तो बहुत आया लेकिन ये सुनकर कि मीर जाफर को उदयगढ़ वालो ने मारा है तो उसे बेहद हैरानी हुई और बोला:"

" लेकिन मैंने तो सुना हैं कि सुलतान को पिंडारियो ने मारा था!

आदमी:" अरे ये सब तो उदयगढ़ वालो की बेकार की कहानी हैं! सच बात तो ये है कि पिंडारी और उदयगढ़ एक दूसरे के साथ हैं! बेचारे मीर जाफर पर पहले पिंडारियो के साथ मिलकर हमला किया और बाद में उसे मार दिया!
तुम जाओ अब और भीख में कुछ अच्छा मिले तो मुझे भी हिस्सा देना! पकड़े गए तो खुदा के लिए मेरा नाम मत लेना!

विक्रम ने उसे वादा किया कि वो उसका नाम नही लेगा और राज महल की तरफ चल पड़ा!

विक्रम को कुछ समझ नही आ रहा था कि ये आदमी ऐसा क्यों बोल रहा है कि उदयगढ़ वालो ने राजा को मारा जबकि वैद्य जी ने तो उसे कुछ और ही बताया था और वैद्य जी झूठ नही बोल रहे थे इतना तो वो जानता था और ये भी उसने महसूस किया था कि ये दुकान वाला भी झूठ नही बोल रहा था! आखिर सच क्या हैं ये उसे अब पता लगाना ही था!

धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए विक्रम को सड़क के दोनो ओर बेहद आलीशान घर नजर आ रहे थे जो इस बात का सुबूत थे कि आगे जल्दी ही महल उसके सामने होगा! विक्रम को मुख्य दरवाजे से वैसे भी महल में जाना ही नही था और न राजमाता से मिलना था! उसे तो सिर्फ ये पता लगाना था कि पवन कहां पर हैं और उसे कैसे निकाल सकता था!

जल्दी ही उसकी नजरो के सामने एक बेहद खूबसूरत और आलीशान महल था जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही थी! संगमरमर से बना हुआ बेहद खूबसूरत जितनी तारीफ की जाए उतनी कम! महल के ऊंचे गोल गोल गुम्बद उसकी भव्यता की कहानी अपने आप बयान कर रहे हैं और महल के दरवाजे के दोनो तरफ बने हुए सुनहरे हाथी महल की सुंदरता मे चार चांद लगा रहे थे! विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती की तारीफ करता रहा और तभी एक सैनिक उससे बोला:"

" ओय भिखारी भाग यहां से क्यों बिना मौत मरना चाहता हैं?

विक्रम बिना कुछ कहे दूसरी तरफ मुड़ गया और उसने देखा कि महल की छत पर चारो तरफ सैनिक तैनात थे और वो जानता था कि ये सब सुरक्षा जरूर जब्बार की लगाई हुई होगी और इसमें उसके काफी सारे आदमी होंगे! अब विक्रम के सामने चुनौती थी कि महल के अंदर कैसे घुसे!महल के पिछले हिस्से में दलदल थी जिस कारण उधर सुरक्षा कम थी क्योंकि वहां से किसी का आना असम्भव ही था! विक्रम ने चारो तरफ देखा और अपनी जेब से एक मजबूत रस्सी निकाली और उसका एक सिरा उसने लोहे के शिकंजे में बांधा और उसने एक पेड़ की तरफ पूरी ताकत से उछाल दिया और उसकी किस्मत अच्छी थी कि वो पहली ही बार में पेड़ पर फंस गया और विक्रम अब दलदल से होते हुए अपनी जान हथेली पर रखकर रस्सी के सहारे आगे बढ़ गया और उसने जैसे तैसे करके दलदल को पार कर लिया और उसने देखा एक बड़ा सा पेड़ था जो महल की दीवार से सटा हुआ था तो विक्रम धीरे से उस पेड़ पर चढ़ा और जैसे ही देखा कि पहरा देने वाला थोड़ा दूर गया है तो जल्दी से कूद कर महल की छत पर आ गया और एक बड़ी सी दीवार के पीछे छिप गया! जैसे ही वो पहरा देने वाला सैनिक उधर से आया तो विक्रम ने मौका देखकर उस पर हमला कर दिया और जल्दी ही उसे बेहोश करके नीचे फेंक दिया और उसकी जगह खुद पहरेदारी करने लगा और करीब दो चार चक्कर लगाने के बाद उसे एहसास हो गया कि करीब पूरी छत पर अभी 50 के आस पास सुरक्षा सैनिक थे!

विक्रम ने दूसरी छत पर पहरा दे रहे सैनिक को बाथरूम जाने का इशारा किया और महल में अंदर घुस गया और सावधानी से इधर उधर देखते ही रजिया के महल के सामने था और चोरी छिपे वो खिड़की पर पहुंच गया तो देखा कि अंदर दो औरते और एक आदमी मौजूद था! विक्रम को एक औरत जो करीब 47 साल की थी वो और लड़का जो करीब 22 साल का था दोनो नजर आ रहे थे जबकि एक दूसरी औरत का सिर्फ पीछे का हिस्सा नजर आ रहा था! विक्रम ने अनुमान लगाया कि ये जरूर रजिया और उसका राज परिवार हैं! रजिया बेहद खूबसूरत थी और सोने के आभूषणों से लदे होने के कारण इस उम्र में भी बेहद आकर्षक और कामुक नजर आ रही थी जबकि सलीम देखने में सुंदर जरूर था लेकिन बेहद कमजोर नजर आ रहा था मानो हफ्ते में सिर्फ एक ही बार खाना नसीब हो रहा था उसे!

रजिया:" बेटा सलीम अपनी सेहत का ध्यान रखा करो! आखिर क्यों दिन पर दिन कमजोर होते जा रहे हो मुझे फिक्र होती हैं आपकी!

सलीम:" अम्मी सुलतान ये आपका प्यार हैं जिसके कारण हम आपको कमजोर नजर आते हैं नही तो हम तो पहले जैसे ही ताकतवर हैं!

सलमा:" भाई जान आपको एहसास नही हैं कि आप सच में बेहद कमजोर होते जा रहे हो! आखिर कब तक आप अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहोगे?

सलीम:" हमसे थोड़ा तहजीब से बात किया करो सलमा क्योंकि हम होने वाले सुलतान हैं! हम किसी से कमजोर नहीं है समझी आप!

सलमा ने गुस्से से हवा में अपना हाथ लहराया और बोली:"

" सुलतान हो तो सुलतान की तरह ताकतवर और जिम्मेदार बनो! अगर अपनी ताकत पर इतना ही भरोसा हैं तो हो जाए दो दो हाथ मेरे साथ!

सलमा का हाथ हवा में लहरा रहा था और यकीनन विक्रम ने पहली बार जिंदगी में इतना खूबसूरत और हसीन गोरा चिट्टा हाथ देखा था तो मन ही मन सलमा की खूबसूरती का कायल हो गया और उसकी हिम्मत तो वो उस दिन देख ही चुका था कि किस तरह से उसके उसके बिगड़ैल और जिद्दी घोड़े पवन को काबू में कर लिया था और आज तो उसने एक और बड़ा नमूना अपनी ताकत का पेश किया था विक्रम मन ही मन उसकी खूबसूरती के साथ साथ उसकी बहादुरी का भी कायल हो गया!

सलीम ने अपना हाथ आगे नही बढ़ाया और बोला:"

" वो क्या हैं कि आज कल मेरी तबियत थोड़ी ठीक नही हैं, एक हफ्ते रुक जा फिर तेरी सारी गलतफहमी दूर कर दूंगा!

सलमा हंस पड़ी और बोली:"

" भाई कब तक बहाने बनाते रहोगे? मेरी बात मानो और अपनी अय्याशी बंद करके अपने खाने पीने का ध्यान रखो और जनता का ध्यान रखो!

सलीम:" जनता का ध्यान तो जब्बार अच्छे से रख ही रहा हैं! वो हमे सारी जानकारी दे ही रहा हैं और वैसे भी राज्य में सब ठीक ही चल रहा है! अच्छा सुना हैं तुमने दो दिन पहले कोई घोड़ा पकड़ा हैं!

सलमा:" अच्छा वो काला घोड़ा गलती से हमारे राज्य में घुस गया था तो हमने उसे काबू कर लिया और अब वो मेरे पास ही हैं! सच में वो बेहद कमाल का घोड़ा हैं ऐसी रफ्तार हमने आज तक नही देखी!

सलीम:" अच्छा फिर तो उसकी हमे भी सवारी करनी चाहिए!

सलमा:" उसे काबू करना बच्चो का काम नही हैं! जिस दिन मुझे हरा दोगे उस दिन आपको वो घोड़ा सवारी के लिए मिल जाएगा!!

इतना कहकर सलमा पलटी और पहली बार विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे का दीदार किया और उसकी आंखे मानो फट सी गई क्योंकि उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कोई इतना भी खबूसरत कैसे हो सकता है!!


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काले रंग के हिजाब में लिपटी हुई शहजादी बेहद खूबसूरत लग रही थी! चांद सा खूबसूरत चेहरा, उसकी बड़ी बड़ी गोल आंखे बिलकुल झील की तरह गहरी और नशीली और चिकने लाल हल्की लालिमा लिए हुए मानो दूध में हल्का सा सिंदूर मिलाने पर जो रंग आए बिलकुल वही रंगत लिए हुए, पतले पतले मुलायम नरम रसीले होंठ जो लाल रंग की लिपिस्टिक में बेहद रसीले लग रहे थे और हल्के कसे हुए कपड़ो में सलमा का भरा पूरा बदन खिल कर निखर रहा था जो इस बात की गवाही दे रहा था कि वो सिर्फ नाम की ही नही बल्कि अपने जिस्म से भी शहजादी हैं!

सलमा:" अच्छा मैं चलती हु अब उस घोड़े की सवारी करने के लिए! आप खायो और ताकत बनाओ।

इतना कहकर सलमा बाहर की तरफ जाने लगी तो विक्रम थोड़ा सा साइड में हो गया और बाहर की तरफ निकल गया और जैसे ही सलमा बाहर आई तो उसके मुंह पर नकाब लगा हुआ था और वो अब अस्तबल की तरफ बढ़ गई और विक्रम भी उसके पीछे पीछे पीछे सावधानी से चल रहा था और अस्तबल में पहुंची तो वहां मौजूद सैनिकों ने उसे झुककर सलाम किया और उसके बाद थोड़ी देर बाद ही वो घोड़े का लगाम पकड़कर बाहर निकल गई और जैसे ही बाहर निकल कर मुख्य रास्ते पर आई तो विक्रम उसके पीछे पीछे बाहर आ गया और जैसे ही वो राजमहल से बाहर निकलने वाले रास्ते पर थी तो वो अदा के साथ घोड़े की पीठ पर सवार हो गई और उसे अपने सामने विक्रम खड़ा दिखाई दिया और बोली:"

" तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई कि तुम राजमहल में घुस आए ?

विक्रम:" शहजादी आपने ही तो मुझे इजाजत दी थी कि मैं अपने घोड़े से मिलने के लिए आ सकता हूं कभी कभी!

सलमा ने उसे घूर कर देखा और बोली:" लेकिन राजमहल के अंदर आने की इजाजत नही दी थी मैने! तुम्हे किसी ने रोका नही क्या ?

विक्रम:" आंधियों को रोक पाना किसी के बस की बात नही होती हैं वो तो आ आकर ही रहती हैं!

सलमा:" बड़ा गुरुर है आपको अपनी ताकत पर ?

विक्रम ने अपनी मूछों पर ताव दिया और बोला:"

" ताकत ही एक मर्द की पहचान होती हैं शहजादी और मेरी रगों में उबलता हुआ खून मेरी ताकत ही पहचान हैं!

सलमा:" वक्त आने पर हर किसी का गुरुर मिट्टी में मिल जाता हैं!

विक्रम:" जब आप चाहो जैसे चाहो मुझे आजमा लेना!

सलमा:" मैं चाहु तो अभी मेरे इशारे पर आपको जिंदगी भर के लिए बंदी बना लिया जायेगा!

विक्रम:" आज तक किसी मां ने वो लाल पैदा नही किया जो मेरी मर्जी के बिना मुझे छू भी सके!

सलमा के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोली:"

" बाते तो बड़ी बड़ी करते हो लगता हैं अभी किसी से पाला नही पड़ा है आपका! मत भूलो कि आप अभी सुल्तानपुर के राजमहल में खड़े हो और मैं क्या कर सकती हू आप सोच भी नहीं सकते!

विक्रम बात को बढ़ाना नही चाहता था तो बोला:"

" मैने तो सुना था कि सुल्तानपुर में लोगो की जुबान की कीमत होती हैं और आप मुझे इजाजत देकर अब धमकी दे रही हो?

सलमा:" धमकी इसलिए क्योंकि हमने आपको राजमहल में घुसने की इजाजत नहीं थी सिर्फ राज्य में आकर अपने घोड़े से मिलने की इजाजत दी थी!

विक्रम:" मैं मानता हु कि मुझे राजमहल के अंदर नही घुसना चाहिए था लेकिन मुझे कैसे पता चलता कि पवन कहां पर हैं और मैं उससे कैसे मिल सकता था! महल में आकर मैंने जो गुस्ताखी करी है उसके लिए आपसे क्षमा चाहता हूं!

विक्रम की बात सुनकर सलमा थोड़ा नरम पड़ी और बोली:"

" ठीक हैं लेकिन आपको पहले ये बताना पड़ेगा कि आप राजमहल तक कैसे पहुंचे? अगर आप पहुंच सकते हो कोई दुश्मन भी पहुंच सकता हैं और क्या पता कल आप ही दुश्मन बन जाए !

विक्रम:"अगर सवाल आपकी सुरक्षा का हैं तो मैं जरूर बताऊंगा! लेकिन मेरा एक वादा हैं कि जिंदगी में आपका दुश्मन बनने से अच्छा अपनी जान देना पसंद करूंगा!

सलमा उसकी बात सुनकर घोड़े से नीचे उतर गई और बोली:"

" हम पर इस मेहरबानी की कोई खास वजह?

विक्रम पवन के पास पहुंच गया और उसकी पीठ पर हाथ फेरा तो घोड़े ने पूंछ हिलाकर अपना प्यार दिखाया और विक्रम सलमा की तरफ पलट कर बोला:"

" वजह तो एक ये भी है कि पवन अब आपका दोस्त बन गया है और फिर मेरा दोस्त तो वो है ही पहले से! दोस्त के दोस्त का दुश्मन कैसे बन सकता हु भला! वैसे पवन की सवारी आपको कैसी लगी?

सलमा:" पवन जैसा ताकतवर और मजबूत घोड़ा मैने आज तक नही देखा! दौड़ता है तो लगता हैं मानो हवा से बाते कर रहा है!

विक्रम:" ताकतवर तो होगा ही आखिर घोड़ा किसका है!

सलमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी हंस पड़ी और बोली:"

" चलो फिर किसी दिन आपकी ताकत भी देख ली जाएगी! अब पहले ये बताओ कि राज महल तक कैसे पहुंचे?

विक्रम ने उसे सब कुछ बता दिया और सलमा को मन ही मन हैरानी हुई कि इस आदमी ने 250 मीटर दूर तक लोहे के हुक वाली रस्सी को कैसे फेंक दिया यकीनन ये बेहद ताकतवर और बहादुर है! सलमा उससे बोली:"

" ये आपने हमे अच्छी बात बताई! हम जरूरी उस दिशा में अब सुरक्षा का इंतजाम करेंगे! हम आपके आभारी रहेंगे!

विक्रम:" आप चाहे तो ये आभार उतार भी सकती हैं!

सलमा;" वो कैसे भला?

विक्रम:" कभी दिनों से मैने पवन की सवारी नही करी है! अगर आप मुझे आज पवन की सवारी करने दे तो!

सलमा:" ठीक हैं लेकिन उसके लिए आप हमे राज्य के बाहर मिलिए नदी के किनारे वाले मैदान पर! लेकिन आप राज्य से बाहर निकलेंगे कैसे?

विक्रम:" वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए! मैं आपको आधे घंटे बाद वही मिलता हु!

इतना कहकर विक्रम सैनिक वेश भूषा में ही महल से बाहर निकल गया और बाहर निकलते ही उसने फिर से भिखारी का भेष बनाया और उस दुकान वाले के पास पहुंचा और बताया कि आज उसकी महारानी से मुलाकात नही हुई और बाद में कभी आएगा, साथ ही साथ विक्रम ने उस आदमी को जिसका नाम रहीम था 50 सोने की मोहरे दी और फिर सुल्तानपुर से बाहर निकल गया और फिर से भेष बदलकर नदी की तरफ चल पड़ा!

वही दूसरी तरफ उसके जाने के बाद शहजादी सलमा ने अपनी दो खास सहेलियों सीमा और सपना को साथ में लिया और नदी की तरफ चल पड़ी!
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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Bahut lajawab update bhai.....


Please Next update dijiye ❤️❤️❤️
 

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विक्रम नदी के किनारे सलमा का इंतजार कर रहा था और वही सलमा भी घोड़े पर सवार होकर निकल गई थी और उसके साथ सीमा और सपना दोनो थी! सीमा सलमा से बोली:"

" शहजादी क्या इस तरह से बिना सुरक्षा के हमारा घूमना सही हैं ?

सलमा:" मत भूलो कि तुम सलमा के साथ हो और फिर ये हमारा राज्य हैं जहां किसी की हिम्मत नहीं है कि आंख उठा कर हमे देख सके!

सपना:" लेकिन फिर भी अचानक से आप बिना सुरक्षा के ऐसे शाम के समय आ गई जरूर कोई तो बात जरूर होगी!

सलमा:" बात तो जरूर हैं सपना, दरअसल इस घोड़े का असली मालिक एक बार इससे मिलना चाहता हैं और उसकी सवारी करना चाहता है तो हमने भी उसे वादा कर दिया था! बस ये बात है

सीमा:" अच्छा अगर इतनी सी ही बात हैं तो फिर तो ठीक हैं शहजादी साहिबा!

विक्रम बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था और थोड़ी ही देर बाद उसे घोड़ों की टापो की गूंज सुनाई पड़ी और और अगले ही उसकी आंखो के आगे पवन पर बैठी हुई सलमा नजर आई जिसके साथ सीमा और सपना दोनो थी और विक्रम के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई और सलमा ने घोड़े की लगाम को धीरे धीरे खींच दिया और ठीक विक्रम के सामने आ गई और घोड़े से नीचे उतर कर उसके पास पहुंच गई! सीमा और सपना ने अपना घोड़ा थोड़ा पीछे ही रोक दिया और आपस में बातें करने लगी ! सलमा ने हमेशा की तरह अपने मुंह पर नकाब लगाया हुआ था और ये नकाब सोने की लड़ियों से बना हुआ था जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी और सबसे बड़ी बात नकाब की लड़ियों के उधर इधर हिलने से उसका चेहरा भी थोड़ा थोड़ा नजर आ रहा था जिसे विक्रम नजर भर कर देख रहा था!

सलमा ने घोड़े की लगाम को पकड़ा और विक्रम के सामने आकर खड़ी हो गई और बोली:"


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" लीजिए विक्रम ये रहा आपका घोड़ा, जैसे चाहे सवारी कीजिए!

विक्रम ने घोड़े की पीठ पर हाथ फेरा और बोला:"

" आपकी इस दरियादिली के लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे!

सलमा:" ठीक हैं बाते ही करते रहेंगे या इसकी सवारी भी करेंगे आप?

विक्रम घोड़े की पीठ पर सवार हो गया और बोला:"

" ठीक हैं आप रुकिए तब मैं थोड़ा आगे से घूम कर आता हु!

इतना कहकर विक्रम ने घोड़े को चलने का इशारा दिया और देखते ही देखते घोड़ा हवा से बाते करने लगा और सीमा और सपना अब सलमा के पास आ गई और बोली

" शहजादी ये विक्रम साहब हैं कौन? क्या आप इन्हे जानती है?

सलमा:" नही ये तो मैने कभी सोचा ही नहीं, बस इतना ही जानती हूं कि उसका घोड़ा मैने पकड़ लिया था और आज ये अपने घोड़े से मिलने के लिए आया हैं!

सपना:" अच्छा ही किया शहजादी! वैसे ही ज्यादा जान पहचान अच्छी नही होती खासतौर से जवान मर्दों के साथ!

सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कुराई और बोली:"

" तुम भी ना बस सपना, जब देखो उल्टी सीधी बात करती रहती हो!

सीमा:" सपना तुम्हे कितनी बार कहा है कि शहजादी को मत परेशान किया करो!

सपना:" लो जी कर लो बात, अब भला इसमें मैने क्या गलत कह दिया! शहजादी के भले के लिए हो तो कहा हैं!

उनकी बाते चल ही रही थी कि तभी उत्तर दिशा से अचानक कुछ घुड़सवार तेजी से आए और देखते ही देखते उन्हे घेर लिया! सलमा समझ गई कि वो खतरे में पड़ गई हैं और उसने सीमा और सपना को इशारा किया और देखते ही देखते उनके हाथो मे तलवार नजर आई और नदी का खाली पड़ा हुआ मैदान युद्ध के मैदान में तब्दील हो गया! सलमा ने अपनी तलवार को मयान से बाहर निकाला और दुश्मनों पर टूट पड़ी!


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सलमा और उसकी सहेलियां बेहद बहादुरी से लड़ रही थी लेकिन देखते ही देखते दुश्मनों की संख्या बढ़ गई और और सपना और सीमा दोनो घायल हो गई और आखिर सलमा को पकड़ लिया गया और कुछ आदमी उसे घसीटते हुए एक घोड़ा बग्गी की तरफ ले चले जिसमे उनका सरदार बैठा हुआ था! युद्ध करते हुए सलमा का नकाब खुल गया था और उसकी खूबसूरती अपने शबाब पर थी और उसे देखते ही सरदार बोला:"

" क्या अद्भुत सुंदर राजकुमारी हाथ लगी हैं! सच में लगता हैं जैसे कोई हूर जन्नत से उतर आई है इसके रूप में! उठा लो इन्हे और डाल तो रथ में पीछे हाथ पैर बांधकर इनके!

सलमा जानती थी कि अगर वो और उसकी सहेली इन काबिलाई लोगो के हाथ लग गई तो जिंदगी मौत से बदतर हो जायेगी! वो मदद के लिए इधर उधर देख रही थी लेकिन दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था! तभी तीन चार आदमी उसे उठाने के लिए आगे बढ़े और तभी एक सर्रर के आवाज के साथ तीर आया और रथ पर बैठे हुए सरदार की छाती में घुस गया और उसके मुंह से दर्द भरी चींख निकली और जमीन पर गिर पड़ा! सलमा ने देखा कि सामने घोड़े पर सवार विक्रम तेजी से उधर ही आ रहा था जिसके हाथ में तीर कमान था!


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देखते ही देखते उसने कुछ तीर और चलाए और कुछ और दुश्मन मौत के घाट उतर गए! मौके की नजाकत को देखते हुए सलमा ने अपने पास पड़ी हुई एक तलवार को उठा लिया और दुश्मनों पर टूट पड़ी! विक्रम और सलमा के साथ साथ अब सपना और सीमा भी मैदान में कूद पड़ी और देखते ही देखते दुश्मनों की लाश के ढेर लगने लगे! विक्रम पूरी ताकत और बहादुरी से लड़ रहा था और सलमा लड़ते लड़ते भी उस पर ध्यान रख रही थी! तभी विक्रम पर एक आदमी ने वार किया और विक्रम ने अपनी डाल पर उसे रोक लिया और उसकी तलवार बिजली की गति से लहराई और उस दुश्मन की गर्दन जमीन पर गिर पड़ी! विक्रम की तलवार अब जादुई रफ्तार से चल रही थी और एक के बाद एक दुश्मन हलाक होते चले जा रहे थे!

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विक्रम का ऐसा रौद्र रुप देखकर बचे हुए दुश्मन भाग खड़े हुए और सलमा ने सुकून की सांस ली! वो विक्रम की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी विक्रम के पास पड़े हुए एक सैनिक ने तलवार का वार विक्रम पर किया और उसके पैर से खून की धार बह निकली और सलमा ने तेजी से तलवार का वार किया और उस सैनिक की गर्दन उड़ा दी! विक्रम दर्द के मारे नीचे जमीन पर बैठ गया और सलमा बोली:"

" सपना सीमा जल्दी से पानी लेकर आओ!

दोनो नदी की तरफ दौड़ गई और सलमा ने अपने दुपट्टे को फाड़कर उसके पैर पर लपेट दिया और उसका जख्मी पैर देखकर बोली:"

" मेरे लिए खुद को खतरे में डालने की जरूरत क्या थी?

विक्रम बेशक दर्द से कराह रहा था लेकिन उसके माथे पर दर्द की एक लकीर तक नहीं थी और बोला:"

" शहजादी आप मेरे बुलावे पर यहां आई थी और आपकी हिफाजत करना मेरा फर्ज था!

ना चाहते हुए भी विक्रम के मुंह से एक दर्द भरी आह निकल पड़ी और सलमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और रोते हुए बोली:"

" मेरी वजह से आपका ये हाल हो गया है! मुझे माफ कर दीजिए आप खुदा के लिए!

इतना कहकर उसने उसने अपने दोनो हाथो को अपने मुंह पर रख लिया और रो पड़ी!


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सलमा के आंसू देखकर विक्रम बोला:" शहजादी सलमा आप रोते हुए बेहद बुरी लगती हैं, आप जैसी हसीना की आंखो में आंसू अच्छे नहीं लगते!

विक्रम की बात सुनकर सुनकर सलमा को अपने बेनकाब होने का एहसास हुआ और वो अपना हिजाब ठीक करने लगी तो विक्रम में उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" हम और और जुल्म मत कीजिए शहजादी! आपका ये खूबसूरत चेहरा देखकर मुझे दर्द में भी सुकून मिल रहा है!

किसी जवान मर्द ने पहली और उसकी तारीफ करी थी और शहजादी सलमा अपनी नाजुक कलाई पर विक्रम के कठोर उंगलियों का एहसास महसूस करके बेचैन हो उठी और और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली:"

" हमारा हाथ छोड़िए विक्रम! ये ठीक नहीं है!

विक्रम ने उसका हाथ हाथ नही छोड़ा और उसकी तरफ देखता रहा तो शहजादी कसमसा उठी और बोली:"

" हम पर ऐसा जुल्म मत कीजिए विक्रम! कोई देख लेगा तो हम किसी को मुंह दिखाने लायक नही रहेंगे!

इतना कहकर सलमा पूरी ताकत से अपना हाथ पीछे खींचने लगी लेकिन विक्रम की ताकत के आगे उसकी एक न चली और और विक्रम बोला:"

" हमे यूं न तड़पाए सलमा! कोई नही देखा रहा और वैसे भी आपके बदनाम होने से पहले हम मौत को गले लगाना पसंद करेंगे!

उसकी बात सुनकर सलमा ने अपने दूसरे हाथ की उंगली को उसके होंठो पर रख दिया मानो उसकी बात से नाराज हो और कुछ नही बोली! तभी दूर से उसे सपना और सीमा आती हुई दिखाई दी तो सलमा कांप उठी और बोली:"

" खुदा के लिए अब रहम कीजिए! वो दोनो आ रही हैं अगर हमें देख लिया तो गजब हो जायेगा!

विक्रम:" ठीक हैं छोड़ दूंगा लेकिन वादा कीजिए आप कल हमसे यही फिर मिलने आएंगी!

सलमा उसकी तरफ देखकर कसमसा उठी और आंखे दिखाते हुए बोली:"

" आप पहले आराम कीजिए एक हफ्ता! आज ही के दिन मै आपका इंतजार करूंगी यही तब तक आपके जख्म भी ठीक हो जाएंगे!

विक्रम:" हमे ऐसे न तड़पाए! एक हफ्ता हम आपके बिना नहीं जी पायेंगे! आपकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम राजमहल में ही आपसे मिलने आयेंगे!

सलमा:" ऐसा गजब मत करना! पकड़े गए तो मारे जाओगे! महल में हर बार घुसना आसान नही होगा !

विक्रम:" उसकी बात आप चिंता मत करो! मैं खुद जा जाऊंगा!

सलमा:" मैं आज के ही दिन शाम को सात बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी और वहां कोई सैनिक भी नही होगा!

विक्रम:" ये तो बहुत अच्छी बात हैं! मैं जरूर आऊंगा शहजादी!

तभी सपना और सीमा पास आने वाली थी तो सलमा बोली:"

" ठीक है मैं इंतजार करूंगी! लेकिन खुदा के लिए अभी मेरा हाथ छोड़ दीजिए! उन्होंने देख दिया तो गजब जायेगा!

विक्रम थोड़ा सा आगे को झुका और सलमा का हाथ चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम ने उसका हाथ छोड़ दिया और सलमा अपना नकाब ठीक करते हुए उसे गुस्से से देख रही थी और तभी सीमा और सपना आ गई और सलमा ने विक्रम के जख्म को पानी से धो दिया और उसके बाद पट्टी करी और बोली:"

" विक्रम अब हमे इजाजत दीजिए! राजमहल में हम नही पहुंचे तो दिक्कत हो जाएगी!

इतना कहकर सलमा खड़ी हुई और घोड़े पर सवार होने लगी तो सीमा और सपना विक्रम से बोली:"

" हमारी जान बचाने के लिए आपका शुक्रिया! आप बेहद ताकतवर और बहादुर है!

उसके बाद सपना और सीमा भी अपने घोड़े पर सवार होने लगी और उन दोनों की बात सुनकर सलमा को उन पर गुस्सा आ रहा था लेकिन कुछ नही बोली और देखते ही देखते सीमा और सपना अपने घोड़े पर सवार होकर आगे बढ़ गई और सलमा वही खड़ी हुई अब भी विक्रम को देख रही थी! मुंह पर नकाब लगाए हुए अपनी मदभरी मस्तानी आंखो से लगातार विक्रम को देख रही थी, सलमा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान और उसकी बड़ी बड़ी काली गोल आंखे मानो विक्रम पर कयामत बनकर टूट रही थी!


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विक्रम भी बिना पलके झुकाए उसे ही देख रहा था और धीरे से बोला:"

" जाना जरूरी है क्या शहजादी?

सलमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" मेरी मजबूरी है विक्रम!

विक्रम:" आप मेरी जान लेकर रहोगी शहजादी! अच्छा जाने से पहले एक बार अपना अपना खूबसूरत चांद सा चेहरा मुंह दिखा दीजिए! आपको मेरी कसम हैं शहजादी!

सलमा अपना हाथ अपने नकाब पर ले गई और उसे खोल दिया जिससे एक बार फिर से उसका खूबसूरत चांद सा रोशन चेहरा पूरी तरह से बेपर्दा हो गया


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नकाब के हटते ही ऐसा लगा जैसे चांद बादलों के बीच से निकल आया हो और विक्रम अपने होश खो बैठा और बोला:"

" अदभुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय रूप से सुंदर हो आप सलमा!

सलमा ने फिर से अपना नकाब लगाया और विक्रम की आंखे में देखते हुए अपने घोड़े को आगे बढ़ा दिया और देखते ही देखते विक्रम की आंखो से ओझल होती चली गई! विक्रम उसे तक तक देखता रहा जब तक वो दिखती रही और उसके बाद घोड़े पर सवार होकर अपने राज्य वापिस लौट गया और सीधे वैद्य के पास गया और वैद्य उसका जख्म देखकर परेशान हुए और बोले:"

" अपना ध्यान रखा कीजिए आप युवराज! मैने इलाज कर दिया है तो तीन चार दिन के अंदर आपका जख्म पूरी तरह से भर जायेगा!

विक्रम:" आपका बहुत बहुत धन्यवाद वैद्य जी! लेकिन ध्यान रखना इस बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि मुझे चोट लगी हुई हैं!

वैद्य ने उससे वादा किया और विक्रम महल की तरफ लौट आया और उसकी आंखो के आगे अभी भी सलमा का खूबसूरत चेहरा घूम रहा था!

वहीं दूसरी तरफ सलमा सीमा और सपना के पास पहुंच गई और बोली:"

" आज जो हुआ उसका महल में किसी को पता नहीं चलना चाहिए नही तो दिक्कत होगी!

सीमा:" आप फिकर ना करे राजकुमारी लेकिन वो तो भला हो उस बेचारे राजकुमार का नही तो पता नहीं क्या गजब हो जाता!

सपना:" सच में उसने जी आज हम सबको बचाया है! जितना बहादुर है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत हैं! ऐसे राजुकमार पर तो कोई भी सुंदरी मर मिटे!

सलमा उनकी बाते सुन कर मन ही मन खुश हो रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो राज के अंदर घुस गए और दोनो अपने घर लौट गई और सलमा राजमहल में चली गई जहां उसकी अम्मी रजिया उसके लिए परेशान हो रही थी और सलमा को देखकर उन्होंने चैन की सांस ली और बोली:"

" कहां चली गई थी आप बिना बताए ? आपको एहसास है कि मुझे आपकी कितनी चिंता हो रही थी?

सलमा:" हम बस थोड़ा घूमने के लिए निकल गए थे! हमे माफ कर दीजिए अम्मी आगे से ऐसी गलती नहीं होगी!

रजिया ने उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली

" कहीं भी जाओ बस बता कर जाया करो! चलो जल्दी से नहाकर आ जाओ फिर भी खाना खायेंगे!

सलमा बहाने के बाद खाने kr दस्तर खान पर बैठ गई लेकिन उसका मन तो कहीं और ही लगा हुआ था और अनमने ढंग से थोड़ा कुछ खाया तो रजिया उससे बोली:

"क्या हुआ शहजादी, आपकी तबियत तो ठीक है ना ?

सलमा:" हां अम्मी, बस आज ज्यादा भूख नही है, अच्छा हम सोने के लिए चलते हैं!

इतना कहकर वो अपने कक्ष की और चल पड़ी और बेड पर लेट गई और विक्रम के बारे में ही सोचने लगी कि सच में वो कितना अच्छा इंसान हैं और कितना प्यारा भी! सलमा को लगा कि उसे उसके बारे में ज्यादा नही सोचना चाहिए क्योंकि ये गलत है! लेकिन जब उसने मेरा हाथ पकड़ा तो कैसे मेरा रोम रोम कांप उठा और उसका हाथ कितना ज्यादा कठोर था! ये सब सोचकर सलमा ने अपनी आंखे बंद ली और तभी उसे एक पल का एहसास हुआ जब विक्रम ने उसके हाथ को चूमा था तो सलमा की सांसे तेज हो गई और उसने उसने अपने हाथ को वही पर चूम लिया जहां विक्रम के होंठो ने उसे छुआ था और ऐसा करते ही सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी " आह्ह्ह विक्रम!!

सलमा को महसूस हो रहा था कि विक्रम के गर्म दहकते हुए होंठो पर का एहसास उसे अभी भी अपने हाथ पर हो रहा था और उत्तेजना में सलमा की नाजुक नर्म, गर्म पतली रसीली जीभ बाहर निकली और उस जगह को चूसने लगीं और जोर से अपनी जांघो को एक दूसरे से कस लिया और उसकी चूचियां इस कदर उछल रही थी मानो बाहर निकल आने के लिए लिए फड़फड़ा रही थी! सलमा ने बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाया और जैसे तैसे करके सोने की कोशिश करने लगी!!

वही दूसरी तरफ विक्रम की हालत भी सलमा से कुछ जुदा नहीं थी! बड़ी मुश्किल से थोड़ा सा खाना खाया और अपने कक्ष में आराम करने लगा और वो एक पल के लिए भी सलमा को नही भूल पा रहा था!

वही दूसरी तरफ राजमाता ने अजय को बताया था कि जल्दी ही एक शुभ अवसर पर राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसके हवाले कर दी जाएगी! आज वो जाकर अपनी मां को ये बात बताए ताकि उसकी मां उसे इस प्रथा और जिम्मेदारी के लिए बता सके! अजय राजमाता के पैर छूकर अपने घर की तरफ चल पड़ा जहां उसकी माता मेनका उसका इंतजार कर रही थी!
बहुत ही गजब और खुबसुरत अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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मेनका की एक झलक


अजय का महल के पास ही एक बेहद बड़ा खूबसूरत का घर या कहिए एक शानदार छोटे महल जैसा ही घर बना हुआ था जिसकी सुंदरता दूर से ही देखते बन रही थी! अजय ने अपने घोड़े को बाहर अस्तबल में खड़ा किया और उसके बाद अंदर प्रवेश किया और उसकी मां मेनका ने उसे देखकर हमेशा की तरह एक बेहद मुस्कान दी और बोली:"

" आओ पुत्र, हम आपका ही इंतजार का रहे थे!

अजय आगे बढ़ा और मेनका के पैर छू लिए और बोला:"

" देरी के लिए क्षमा कीजिए माताश्री, कहिए मैं आपके किस काम आ सकता हूं?

मेनका ने उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया और बोली:" जुग जुग जियो मेरे लाल , अभी आए तो थक गए होंगे, पहले कुछ खा लो तो उसके बाद बात करते हैं!

अजय ने अपनी मां की आज्ञा का पालन किया और नहाकर धोकर केसर बादाम वाला दूध पिया और उसके बाद अपनी में कक्ष में आ गया और बोला:"

" आप मुझसे कुछ जरूरी बात करने वाली थी माताश्री!

मेनका अकसर साड़ी ही पहनती थी और आज भी साड़ी ही उसने पहनी हुई थी जिसमे वो सच में बेहद खूबसूरत लग रही थी! मेनका ने एक लंबी सांस ली और बोली:" बेटा आज राजमाता ने मुझे संदेश दिया था कि जल्दी ही वो आपको सारे राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंप देगी तो मुझे बेहद खुशी हुई! दरअसल ये एक प्रथा है कि सदियों से उदयगढ़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारे ही पूर्वज निभाते रहे हैं और हमारे पूर्वजों ने अपने जिस्म की आखिरी बूंद बलिदान करके भी उदयगढ़ की रक्षा करी है दुश्मन कमजोर हो या भले ही आज की सबसे ताकतवर प्रजाति पिंडारी रहे हो सबके सामने सबसे पहले हमारी तलवार खड़ी हुई है!
आपका सौभाग्य है कि जल्दी ही ये अवसर आपको मिलेगा कि आप पीढ़ियों से चली आ रही इस प्रथा को और ज्यादा गौरवान्वित कर सके!

अजय को अपने इतिहास के बारे में जाकर बेहद खुशी हुई और बोला:" माता मैं सदैव आपका आभारी रहूंगा कि आपने मुझे इस काबिल समझा!

मेनका ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और बोली:"

" जीते रहो मेरे शेर बेटे, आज मैं आपको हमारे पूर्वजों की एक ऐसी अनमोल धरोहर दूंगी जिसे पाकर आप खुद को दुनिया में सबसे ताकतवर महसूस करोगे!

अजय उसकी बाते सुनकर थोड़ा अधीर हो उठा और जल्दी से बोला:"

" जो भी है जल्दी से दीजिए, ऐसी अनमोल धरोहर के बारे में विलम्ब करके हमारे धैर्य की परीक्षा न लीजिए माता!

मेनका ने उसका हाथ पकड़ा और अपने साथ अंदर ले गई और कमरे में जाकर एक तस्वीर को हटाया तो एक खिड़की जितना रास्ता नजर आया और अजय की हैरानी की कोई सीमा नहीं थी! खिड़की से दोनो अंदर घुस गए और नीचे एक गुफा थी जिसमें वो आज पहली बार घुस रहा था ! अंदर जाकर मेनका ने एक दिया जला दिया तो गुफा में हल्की सी रोशनी हो गई और उसके बाद मेनका ने कक्ष में रखे हुए एक अंगीछे से चाबी निकाली और फिर एक बड़ी सी पेटी जो बेड के नीचे रखी हुई थी उसे खोल दिया और उसमें एक बेहद मजबूत, खूबसूरत और घातक तलवार नजर आई और मेनका ने अजय को वो तलवार उठाने का इशारा किया और अजय ने आगे बढ़कर फूल की तरह उस भारी भरकम तलवार को उठा लिया और मेनका बोली:"

" बेटा ये कोई मामूली तलवार नही हैं बल्कि हमारे पूर्वजों को एक लंबी साधना के बाद प्राप्त हुई तलवार हैं! इस तलवार की सबसे बड़ी विशेषता है कि जिसके हाथ में भी ये तलवार होती हैं उसे दुनिया की कोई ताकत नही हरा सकती! आज के बाद ये तलवार आपकी हुई और इसे भूलकर भी खुद से अलग मत करना!

अजय ने एक बार फिर से अपनी मां के पैर छुए और बोला:"

" आप चिंता न करे माता! मैं आपकी बात का पालन करूंगा!

मेनका:" एक बात और मैं तुम्हे बताना भूल गई कि इस तलवार का उपयोग सिर्फ उदयगढ़ की भलाई के लिए ही मान्य होगा, अगर आपने भूले से भी उदयगढ़ के खिलाफ या राज परिवार के खिलाफ इसका प्रयोग किया तो इसकी सारी शक्तियां काम नही करेगी!

अजय:" आप निश्चित रहे माता, मैं आपकी बात का हमेशा पालन करूंगा!

मेनका:" एक बात और इस तलवार को सिर्फ हमारे ही परिवार के लोग उठा पाते हैं और उसके अलावा दुनिया मे इसे कोई भी हाथ में नही ले सकता! याद रहे ये तलवार सिर्फ बुराई का नाश करने के लिए बनी हैं!

अजय:" आप निश्चित रहे माता, मैं भूले से भी इसका गलत इस्तेमाल नहीं करूंगा!

मेनका:" ठीक हैं अब एक काम करो कि इसे वापिस रख दो! कल पूर्णिमा हैं तो कल मैं रात को जब पूरी चांदनी होगी तो एक रीति रिवाज के साथ ये तलवार आपके हवाले कर दूंगी!

अजय ने अपनी मां की बात का पालन किया और तलवार को वापिस रख दिया और मेनका ने लैंप को बंद किया और उसके बाद अजय के साथ उस गुफा से बाहर निकल कर अपने घर में आ गई और उसके बाद दोनो मा बेटे ने भोजन किया और फिर सोने के लिए चले गए!


सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और बेड पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी! उसे विक्रम की बहुत याद आ रही थी और उसका मन कर रहा था कि उड़कर विक्रम के पास चली जाए लेकिन ये संभव नहीं था! सलमा को अब अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि विक्रम तो कल ही आने के लिए कह रहा था लेकिन मेरी ही किस्मत खराब थी जो उसे एक हफ्ते बाद आने के लिए कह दिया, काश मैंने उसे कल ही आने के लिए कह दिया होता तो कितना अच्छा होता! अब ये एक हफ्ता मेरी जान लेकर ही रहेगा, पता नहीं कैसे ये हफ्ता गुजरेगा! सलमा बार बार अपने हाथ को चूम रही थी जहां विक्रम ने चूमा था और बेहद बेचैन हो रही थी! सच में कोई तो बात थी विक्रम मे जो उसे उसकी तरफ किसी चुंबक की ताकत से खींच रही थी! सलमा बेचैनी से करवट बदलती रही और रात का दूसरा पहर शुरू हो गया और जैसे तैसे करके बेचैनी के आलम में वो सो गई!

विक्रम की हालत भी सलमा से अलग नही थी और वो तो यकीन नही कर पा रहा था कि सलमा जैसी खूबसूरत शहजादी उसे पसंद कर बैठी हैं! सच में विक्रम ने कभी सपने में भी नही सोचा कोई इतनी खूबसूरत भी हो सकती हैं जितनी सलमा हैं!

विक्रम की आंखो के आगे अभी भी सलमा का वही चांद सा खूबसूरत चमकता नूर से रोशन जगमगाता मुखड़ा हटाए नही हट रहा था और विक्रम ने बड़ी मुश्किल से अपनी आंखे बंद करी थी तो उसे उस पल का एहसास हुआ जब उसने सलमा के हाथ को चूम लिया था! उफ्फ कितने नाजुक नर्म मुलायम थे उसके हाथ बिलकुल रेशम की तरह! पता नही इतने कोमल नर्म हाथो से सलमा ने तलवार कैसे उठाई थी वो यकीन नही कर पा रहा था! विक्रम को अच्छे से याद था कि जब उसने सलमा के हाथ को चूमा था तो उसे बेहद उत्तेजना महसूस हुई थी क्योंकि सलमा का हाथ बेहद गर्म था मानो गर्मी से तप रहा हो किसी जलते रेगिस्तान की तरह बिलकुल गर्म! विक्रम ने आज तक किसी को भी ऐसे नही छुआ था लेकिन रक्षा बंधन पर उसे जरूर कुछ लड़कियों ने राखी बांधी थी तो उनके हाथ में कभी भी उसे गर्मी महसूस नही हुई और फिर वो तो अभी विदेश से पढ़कर आया था जहां पर हाथ मिलाना एक सभ्यता हैं लेकिन किसी भी लड़की के हाथ में उसे इतनी गर्मी महसूस नही हुई थी!

अगर सलमा का हाथ इतना गर्म था तो उसका जिस्म कितना तपता हुआ, उफ्फ मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए क्योंकि ऐसा सोचना भी पाप होगा क्योंकि मैं तो सलमा से दिल से प्यार करता हु! अब जब भी मिलेगी तो कसकर गले लगा लूंगा उसे तब कहीं जाकर मेरे बेचैन दिल को करार मिलेगा! हाय री मेरी किस्मत, उसने तो मुझे एक हफ्ते बाद मिलने के लिए बुलाया हैं लेकिन क्या मैंने एक हफ्ते तक खुद को रोक पाऊंगा!

मुझे तो लगता हैं कि मैं उसके बिना एक हफ्ते नही जी पाऊंगा! अगर सलमा भी मेरे लिए ऐसे ही तड़प रही होगी तो निश्चित रूप से वो मुझसे एक हफ्ते से पहले ही मिलने के लिए बेकरार होगी! ये सब सोचते सोचते उसे नींद आ गई और वो अपने गले से तकिए को लगाकर सो गया!


सुल्तानपुर में जब्बार के घर पर शहजादा सलीम नंगा लेटा हुआ था और जब्बार की बीवी शमा उसका पांच इंच लम्बा लंड मुंह में लेकर चूस रही थी और सलीम मजे से सिसकियां ले रहा था ! शमा एक बेहद तंदुरुस्त और हट्टी कट्टी महिला थी और सलीम जोर जोर से उसके मुंह में लंड घुसा रहा था और देखते ही देखते सलीम के मुंह से तेज तेज सिसकियां निकली और उसने शमा के मुंह को अपने वीर्य से भर दिया और बोला:"

" मेरी जान सैकड़ों के साथ सेक्स कर चुका हूं लेकिन लंड सिर्फ तुम ही चूसती हो मेरा! कमाल कर देती हो तुम शमा!

शमा ने अपने मुंह की साफ किया और बोली:" ये तो मेरी खुशकिस्मती है कि होने वाले सुलतान का लंड मेरे चूत और मुंह दोनो में घुसता है!

सलीम:" बस मेरी जान एक बार मैं राजा बन गया तो तुम्हे मालामाल कर दूंगा!

शमा:" दौलत मुझे नही चाहिए, बस आप बादशाह बन जायेंगे मेरे लिए यही खुशी की बात होगी!

सलीम ने उसकी नंगी गांड़ पर हाथ फेर दिया और बोला:"

" आज तो मुझे अपनी ये मखमली गांड़ दे दो शमा आखिर कब तक मुझे ऐसे तड़पाती रहोगी?

शमा ने शर्माने का नाटक किया और बोली:" ऐसा भी कहीं नहीं होता हैं, आपको कितनी बार समझाऊं कि पीछे वाली जगह ये सब करने के लिए नही होती हैं!

सलीम:" होती हैं मेरी दिलरुबा होती हैं, मुझे एक बेहद कीमती किताब हाथ लगी थी जिसमे मैने देखा था कि आज कल ये सब भी होता हैं बस तुम मान जाओ ना!

शमा:" आप जिद कर रहे हो तो ठीक हैं लेकिन आज नही, जिस दिन आप बादशाह बनोगे उस दिन आपको मैं अपनी तरफ से आपको ये तोहफा दूंगी!

सलीम:" इतने तक मैं कैसे बर्दाश्त कर पाऊंगा! आप मेरी थोड़ी भी फिक्र नही करती हो!

शमा:" माफ कीजिए शहजादे लेकिन इतना सब्र तो आपको करना ही पड़ेगा!

सलीम ने शमा की गांड़ पर एक चिकोटी काट ली और शमा दर्द से कराह उठी और शमा ने अपने सूट को उठाया और पहनने लगी क्योंकि वो जानती थी कि अब चाह कर भी सलीम का लंड पूरी रात खड़ा नही हो पाएगा! सलीम आराम से उसे कपड़े पहनते हुए देखता रहा और बाद में वो भी अपने कपड़े पहन कर राजमहल की तरफ चल पड़ा!

सलीम के जाने के बाद जब्बार आया और शमा ने उसे सारी बात बता दी तो जब्बार खुशी से भर उठा और बोला:"

" आप का जवाब नही शमा मेरी बेगम, आप ऐसे ही इस गधे को अपने शीशे में उतार कर रखो और फिर वो दिन दूर नही जब आप सुल्तानपुर की रानी बनोगी और मैं आपका राजा!

शमा ने उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके सीने में घुसती हुई बोली:"

" हमारा ख्वाब जल्दी ही पूरा होगा बस अब आप मेरा कुछ कीजिए ना, सलीम तो ठीक से गर्म भी नही पाया मुझे अब आप ही कुछ कीजिए मेरे सरताज!

जब्बार ने उसे बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और देखते ही देखते दोनो नंगे होकर गुत्थमगुत्था होने लगे और जब्बार ने अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी चूत में घुसा दिया तो रोज चुदने वाली शमा भी दर्द से कराह उठी और जोर जोर से दर्द भरी सिसकियां लेती हुई उससे चुदने लगी! करीब आधे तक कक्ष में उनकी सिसकियां गूंजती रही और अंत में दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गए!
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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उदयगढ़ में अगले दिन राजसभा लगी हुई थी! सभी मंत्री और विशेष गण अपने स्थान पर विराजमान थे! राजमाता गायत्री देवी लोगो की समस्या सुन रही थी और उनका समाधान भी कर रही थी! करीब 11 बजे के आस पास सभा समाप्त हुई और राजमाता ने अजय से कहा:"

" अजय ये राजकुमार विक्रम आज सभा में क्यों नहीं आए हैं ? उनका स्वास्थ्य तो ठीक हैं न?

अजय:" आप निश्चित रहे राजमाता मैं पता करके आता हु!

गायत्री देवी" ठीक हैं आप जाइए तब मैं मंत्री दल के साथ एक अहम बैठक करती हू!

अजय वहां से चला गया और राजमाता गायत्री देवी राज कुर्सी पर विराजमान हो गई और बोली:"

" जैसा कि संपूर्ण राज्य जानता है कि आदिकाल से राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी अजय के परिवार की रही हैं और इनकी न जाने कितनी पीढियों ने अपने प्राणों की बलि देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं और उदयगढ़ के इतिहास में इनका अभुपूर्व योगदान हैं! अजय भी अब बड़ा हो गया है और जिम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं! आप सब की क्या राय हैं ?

भीमा सिंह:" मैं आपकी बात से सहमत हु राजमाता! ये तो एक ऐसी प्रथा हैं जिसके बारे में सभी उदयगढ़ वासी अच्छे जानते हैं!

मानसिंह:" बिलकुल राजमाता आपकी बात सत्य हैं! अजय के पुरखो ने अपना बलिदान देकर राज्य की सुरक्षा करी हैं! अजय के पिता तो महाराज को बचाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे ये मैंने खुद अपनी आंखो से देखा हैं राजमाता!

कुशल सिंह:" ये तो सम्पूर्ण उदयगढ़ के लिए गौरव का पल हैं कि राज्य के सबसे वफादार परिवार को फिर से उनकी जिम्मेदारी दी जा रही है! शुभ अवसर देखकर आप इस कार्य को पूर्ण कीजिए!

सेनापति शक्ति सिंह:" राजमाता आपका हुक्म और मंत्री गण का फैसला मेरे लिए सर्वोपरि हैं लेकिन मैं ये जानना चाहता हूं कि आखिर मुझसे राज्य की सुरक्षा में कोई चूक हुई है या मैने अपना काम सच्चाई और बहादुरी से नही किया हैं क्या ?

थोड़ी देर के लिए राजसभा में पूरी शांति छाई रही और अंत में राजमाता गायत्री देवी ने ही इस चुप्पी को तोड़ा और बोली:"

" आपने अपनी कर्तव्य को पूरी लगन और मेहनत के साथ पूर्ण किया हैं और निसंदेह आप उदयगढ़ के सबसे बहादुर योद्धा में से एक हो! लेकिन जैसा कि सभी जानते हैं कि ये प्रथा हमारे पूर्वजों के काल से चली आ रही है तो इसे निभाने के लिए हम वचनबद्ध हैं शक्ति! लेकिन आप निश्चित रहे आपकी निष्ठा को देखते हुए आपको जल्दी ही एक अहम जिम्मेदारी के साथ साथ 100 गांवों की एक जागीर दी जायेगी! फिर भी आपको कोई आपत्ति हैं तो हम आपसे क्षमा चाहते हैं शक्ति सिंह क्योंकि हम चाहकर भी कुछ नही कर सकते!

सभी मंत्री गण ने राजमाता के इस निर्णय का ताली बजाकर स्वागत किया और शक्ति सिंह बिना कुछ कहे राजमाता के आगे सम्मान में सिर झुका कर अपनी जगह बैठ गया!

राजमाता:" ठीक हैं भीमा फिर आप पुरोहित जी से एक शुभ मुहूर्त निकलवा लीजिए और उसी दिन मुहूर्त पर अजय को विधिपूर्वक ये जिम्मेदारी प्रदान की जायेगी!

भीमा अपने स्थान पर खड़ा हुआ और राजमाता के आगे सम्मान में झुकते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! मै आज ही पुरोहित जी से मिलकर मुहूर्त निकलवा लूंगा!

राजमाता:" ठीक है फिर आज की सभा यहीं समाप्त होगी और आप सभी अपना काम देखिए! मैं चलती हू क्योंकि मुझे मंदिर जाना होगा!

उसके बाद राजमाता मंदिर चली गई और दूसरी तरफ विक्रम अपने बिस्तर पर ही लेटा हुआ था और सुबह से कुछ खाया भी नही था! उसे देखकर लग रहा था कि मानो किसी गंभीर बीमारी का प्रकोप हुआ है!

अजय उसके कक्ष में पहुंचा और बोला:" क्या मुझे होने वाले महाराज के कक्ष में आने की अनुमति हैं ?

विक्रम ने एक बार उसकी तरफ देखा और बिना मुंह से कुछ भी बोले अपनी गर्दन को हिला दिया और अजय उसके पास जाकर खड़ा हो गया और बोला:"

" क्या हुआ युवराज? आपकी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है मुझे?

विक्रम ने उदास नजरो से उसे देखा और फिर शायरी वाले अंदाज में बोला:"

" आपकी हालत का एहसास नही मुझको, मैने औरों से सुना हैं कि मैं परेशान हु!!

विक्रम की शायरी का दर्द महसूस करके अजय उसके बिलकुल पास पहुंच गया और बोला:"

" आप चिंता न कीजिए युवराज, मेरे होते आपको कोई कष्ट हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार हैं!

विक्रम ने उसे अपने पास बैठने का इशारा किया तो अजय अपनी जगह से नही हिला और बोला:"

" मैं इस लायक तो नही हु कि होने वाले महाराज के बेड पर बैठ सकू! आप बस हुक्म कीजिए

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर बेड पर खींच लिया और बोला:"

" अजय तुम मेरे लिए मेरे सच्चे दोस्त हो बिलकुल मेरे छोटे भाई जैसे! फिर हमारे बीच ये महाराज वाला रिश्ता तो नही होना चाहिए वो भी कम से कम मेरे कक्ष में तो किसी भी दशा पर नही!

विक्रम का अपनापन देखकर अजय का रोम रोम उसका कर्जदार हो गया और बोला:"

" हमे इतना मान और प्यार देने के लिए आपका दिल से धन्यवाद युवराज! जब आपने मुझे छोटा भाई कहा हैं तो फिर मुझे बड़े भाई के कष्ट को दूर करने का एक मौका दीजिए!

विक्रम:" जरूर दिया जाएगा अजय लेकिन अभी उसके लिए सही समय नही आया हैं! जब आपकी जरूरत होगी तो हम आपको जरूर अपनी ये समस्या बताएंगे मेरे भाई!

अजय:" ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी! फिर भी आपको कष्ट में देखकर मेरा दिल तार तार हो रहा हैं युवराज! आप अगर बताएंगे तो आपके लिए जीवन भी बलिदान कर दूंगा!

विक्रम ने उसके कंधे पर एक हाथ रखा और धीरे से बोला:"

" अपना ये जज्बा और जुनून बचाकर रखिए अजय क्योंकि जल्दी ही आपको राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिलने वाली है तो आप अपना ध्यान अभी सी तरफ ही लगाए!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा युवराज! लेकिन पहले आप नहा लीजिए तब मैं आपके लिए थोड़ा खाने का प्रबंध कर देता हू!

इतना कहकर अजय बाहर आ गया और विक्रम अनमने ढंग से नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर उसने अजय के साथ बैठकर थोड़ा सा कुछ खाया और उसके बाद अजय उससे आज्ञा लेकर बाहर निकल आया!

शाम को राजमाता गायत्री देवी विक्रम के कक्ष में आई और विक्रम का हाल देखा और बोली:"

" उदयगढ़ के होने वाले महाराज को क्या कष्ट हैं जो उनके चेहरे पर इतना दर्द दिखाई पड़ता हैं

विक्रम ने अपनी नजरो को नीचा किया और बोला:"

" कुछ नही राजमाता बस कल घोड़े से थोड़ा गिर पड़ा था तो पैर में हल्की सी चोट आई हैं बस इसलिए आराम ही कर रहा था!

राजमाता गायत्री:" आपकी बात मुझे हैरान कर रही है युवराज क्योंकि हमारे शाही खून में तो ताकत होती हैं घोड़े उसे चाहकर भी गिरा सकता!

विक्रम उसकी बात सुनकर झेंप सा गया और बोला:" दरअसल वो हमे घोड़े से ऐसी उम्मीद नहीं थी तो इसलिए बस गिर पड़े! आप मेरा विश्वास कीजिए राजमाता!

राजमाता ने एक बार गौर से उसे देखा और बोली:"

" आप कहते हैं तो विश्वास तो करना ही पड़ेगा! आज से आपके लिए वैद्य जी को बोलकर एक शाही नुस्खा तैयार करवाना पड़ेगा ताकि आप फिर से ऐसे हादसे का शिकार न होने पाएं!

विक्रम के पास कोई उपाय नहीं था तो बोला:"

" जैसे आपको ठीक लगे राजमाता!

उसके बाद बिक्रम ने अपनी माता के साथ थोड़ा सा खाना खाया और फिर छत पर घूमने लगा और राजकुमारी की याद उसे भुलाए नहीं भूल रही थी!!

वही दूसरी तरफ शहजादी सलमा भी पूरे दिन उदास सी ही रही और जैसे तैसे करके दिन कटा तो रात की तनहाई ने उसे आ घेरा और बिस्तर पर पड़ी हुई सलमा की आंखो से नींद कोसों दूर थी और मखमल सा नर्म मुलायम बिस्तर भी आज उसके जिस्म को सुकून नही दे रहा था! सलमा को खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि क्या वो सच में विक्रम से इतना प्यार कर बैठी जो उसके सिवा कुछ याद ही नहीं रह रहा हैं उसे! सच मे प्यार में ऐसी दीवानगी भी होती हैं उसे एहसास न था क्योंकि उसकी जान पर बन आई थी! विक्रम ने जहां उसके हाथ को चूमा था वो जगह को वो इतना चूम चुकी थी कि गिनती करने की बात हो छोड़ो उसके हाथ का वो हिस्सा चूमने की वजह से लाल पड़ गया था!

धीरे धीरे रात गहराने लगी और सलमा की बचैनी और ज्यादा बढ़ती चली गई! रात के दूसरे पहर बड़ी मुश्किल से सलमा की आंख लगी तो उसे बेहद हसीन ख्वाब दिया और उसने देखा कि वो अपने कक्ष में बेड पर लेटी थी और विक्रम उसके माथे को चूम रहा था तो सलमा ने उसे बड़े प्यार से देखा और विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसके गले में बांहे डाले उससे लिपटी हुई थी! विक्रम सलमा को गोद में लिए हुए महल की छत पर आ गया और सामने चांद की दुधिया रोशनी उनके जिस्म पर पड़ रही थी और सलमा उसके चौड़े मजबूत सीने से लिपटी हुई थी और विक्रम बड़े प्यार से उसके खूबसूरत चेहरे को देखा रहा था और प्यार से बोला;"

" शहजादी सलमा एक बार अपनी आंखो को खोलिए न!

सलमा ने अपनी आंखो को बड़े प्यार से धीरे धीरे खोला और दोनो की आंखे एक दूसरे से मिल गई ! दोनो प्यार से एक दूसरे की आंखो में देख रहे थे मानो सारी दुनिया भूल गए हो! चांदनी रात में सलमा का नूरानी चेहरा और भी ज्यादा हसीन लग रहा था और विक्रम को सलमा पर बेहद प्यार आ रहा था क्योंकि काली बडी बडी गोल आंखो में लगी हुई स्याही उसकी आंखो को बेहद खूबसूरत बना रही थी और विक्रम धीरे धीरे शहजादी के चेहरे की तरफ हल्का हल्का झुकने लगा तो सलमा को अपनी सांसे उखड़ती हुई महसूस और पूरा बदन कांप उठा और सलमा ने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया! विक्रम का चेहरा अब सलमा के चेहरे के ठीक सामने आ गया था और सलमा के लाल अब शर्म के मारे गुलाबी हो गए थे और होंठ उसके होंठ थरथरा रहे थे! विक्रम सलमा की आंखो में देखता हुआ उसके चेहरे पर लगभग पूरी तरह से झुक गया और सलमा ने अपनी बांहों का दबाव उसकी गर्दन पर बढ़ा दिया तो विक्रम ने झुककर उसके एक गाल को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ उसकी आंख खुल पड़ी और सलमा को यकीन हुआ कि वो तो सिर्फ सपना देख रही थी तो वो उठ कर बैठ गई और उसे एहसास हुआ कि उसकी सांसे बेहद तेज हो गईं थीं और पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था!

सलमा के सपने में पहली बार कोई राजकुमार आया था और वो उसका चहेता विक्रम तो सलमा को अब उदासी हो रही थी कि विक्रम सच में कोई नही आया! जब सच में आएगा तो क्या वो ऐसे ही उसका गाल चूम लेगा क्या जैसे सपने में चूमा था ये सब सोचकर सलमा शर्म से दोहरी होती चली गई क्योंकि उसकी छातियां बेहद जोर जोर से उछल उछल पड़ रही थी और सलमा ने तकिए को उठाकर अपनी छाती से चिपका लिया मानो अपनी गोलाईयों को उछलने से रोक रही हो! बड़ी मुश्किल से सलमा ने अपने जिस्म पर काबू किया और उठकर वही आकर खड़ी हो गई जहां वो सपने में विक्रम की गोद में सिमटी हुई थी और चांद को निहारने लगी! रात का तीसरा पहर शुरू हुआ और सलमा आखिरकार अपने बिस्तर आ गई और विक्रम के बारे में सोचते सोचते वो आखिरकार नींद के आगोश मे समा गई!!

जब्बार एक औरत के साथ नंगा ही पड़ा हुआ और दोनो अभी अभी चुदाई के साथ अपने सांसे संयत कर रहे थे और वो औरत जिसका नाम राधिका था बोली:"

" आपने तो मेरे जिस्म को पूरा निचोड़ कर रख दिया आज! सच में आपके जैसा मजबूत मर्द मैने आज तक नही देखा!

जब्बार ने अपनी तारीफ सुनी तो उसकी चूची को सहलाते हुए कहा:" मेरी जान तुम भी तो कुछ कम नहीं हो, जितनी खूबसूरत हो उससे ज्यादा तेज दिमाग हो!

राधिका:" अच्छा एक बात पूछूं?

जब्बार:" बोलो ना मेरी रानी?

राधिका:" क्या आप सच में मुझे सुल्तानपुर की महारानी बनाओगे ?

जब्बार ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट लिया और उसकी चूत पर अपने आधे खड़े हुए लंड को रगड़ते हुए बोला:"

" बिलकुल बनाऊंगा मेरी जान, सिर्फ सुल्तानपुर ही नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान की महारानी बनाऊंगा!

दो बार हुई दमदार चुदाई से राधिका के बदन का रेशा रेशा टूट रहा था लेकिन अब ना चाहते हुए भी उसके बदन मे फिर से उत्तेजना दौड़ना शुरू हो गई थी और वो जब्बार के गले में अपनी बांहे डालकर उससे लिपट गई और बोली:"

" फिर आपकी बीवी शमा का क्या होगा मेरे जहांपनाह?

जब्बार ने उसकी गोल गद्देदार गांड़ को अपनी हथेलियों में भर लिया और मसलते हुए बोला:"

" तुम तो जानती हो कि मैं शमा को पसंद नही करता! बस उसे शहजादे सलीम को फंसाए रखने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं क्योंकि सलीम ही मेरे रास्ते में सबसे बड़ी दिक्कत बन सकता हैं आगे चलकर!

इतना कहकर उसने राधिका को एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसका पूरा सख्त हो गया लंड उसकी चूत से टकरा गया तो राधिका के मुंह से आह निकल पड़ी और उसके होंठो को चूम कर बोली:"

" तो फिर कर लीजिए ना सुल्तानपुर पर कब्जा आप क्योंकि सब कुछ तो अब आपके हाथ में ही है!

जब्बार एक झटके के साथ राधिका के उपर आ गया और राधिका ने अपनी टांगो को पूरा फैला दिया और लंड चूत के रसीले छेद पर जा लगा और जब्बार दोनो हाथों से उसकी चूचियां मसलते हुए बोला:"

" ऐसे महाराज बना तो प्रजा विद्रोह कर देगी! तुम्हे मेरा एक काम करना होगा राधिका!

इतना कहकर जब्बार ने उसकी चूत पर एक जोरदार धक्का लगाया और आधा लंड राधिका की चूत में घुस गया तो राधिका दर्द से कराह उठी और उससे पूरी ताकत से लिपट गई और बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह मेरे आका, बताए ना मुझे क्या करना होगा!!

जब्बार ने लंड को जोर से बाहर की तरफ खींचा और उसके कंधो को थाम कर पूरी ताकत से एक धक्का लगाया तो लंड जड़ तक उसकी चूत में समा गया और राधिका दर्द से तड़प उठी और उसकी पीठ को नाखूनों से रगड़ती हुई बोली:"

" आआह्हह्ह मार डाला मुझे! बोलो ना प्लीज मेरी जान क्या करना होगा मुझे!

जब्बार ने उसकी चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए तो राधिका मस्ती से बेहाल हो गई और जब्बार उसकी चुचियों को मसलते हुए बोला:"

" मुझे शहजादी सलमा को कुछ भी करके फंसाना होगा अपने जाल में क्योंकि अगर वो फंस गई तो मुझे प्रजा खुशी खुशी महाराज स्वीकार कर लेगी!

इतना कहकर जब्बार ने एक तगड़ा धक्का लगाया और राधिका दर्द से कराह उठी औरउसकी बात सुनकर राधिका ने उसे गुस्से से घूरती हुई बोली:"

" फिर मेरा क्या होगा? शहजादी के बाद मुझे तो भूल ही जाओगे न तुम !!

जब्बार उसकी चूत में जोर जोर से चोदते हुए बोला:"

" शादी के बाद एक षडयंत्र में फंसाकर सलमा को मौत के घाट उतार देने और ऐसे पूरा राजपरिवार खत्म हो जाएगा और आप मेरी महारानी बन जाओगे!

राधिका उसकी बात सुनकर होश में आ गई और नीचे से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर चुदने लगी और सिसकी:"

" अअह्ह्ह्ह जब्बार मेरे यार! चोद दे मुझे अह्ह्ह्, चोद ना अपनी महारानी राधिका को!

जब्बार ने उसको अब पूरी ताकत से चोदना शुरु कर दिया और पूरे कक्ष में राधिका की दर्द भरी सिसकियां गूंजने लगी और जब्बार बोला:"

" एक काम करना, तेरी एक बहन सीमा राजकुमारी के साथ रहती हैं तो तुम उसके साथ शहजादी के करीब जाओ और मालिश के नाम पर उसकी उत्तेजना को पूरी तरह से भड़का दो ताकि शहजादी जिस्म की आग में जल उठे और फिर मौका देखकर हम उसे अपने जाल में फंसा लेंगे और एक बार अगर वो मेरे लंड से चुद गई तो जिंदगी भर मेरी गुलाम बन जायेगी वो !!

दर्द से कराहती सिसकती हुई राधिका पूरी ताकत से अपनी चूत को लंड पर उछाल रही थी बोली:"

" आह्ह्ह्ह मेरे महराज! इस लंड की मार जिस चूत पर पड़ेगी वो जिंदगी भर आपकी गुलाम बन जायेगी! अह्ह्ह्हह मेरे राजा बजाओ मेरा बाजा!

उसके बाद चुदाई का दौर चल पड़ा और धीरे धीरे जब्बार राधिका पर भारी पड़ने लगा तो राधिका दर्द से तड़पती, कराहती हुई उसके नीचे चुदाती रही और आखिर में एक दमदार चुदाई के बाद जब्बार ने उसकी चूत को लबालब भर दिया!!

अगले दिन सुबह अजय उठा तो उसकी माता मेनका बोली:"

"पुत्र अजय ठीक दो दिन बाद पूरी चांदनी रात होगी और मैं आपको विधिपूर्वक ये अद्भुत तलवार दूंगी!

अजय:" ठीक हैं माता! बताए उसके लिए मुझे क्या क्या करना होगा?

मेनका:" हम दोनो पवित्र नदी के पास आज एक विधि को पूर्ण करेंगे! आप बस मेरे साथ चलना सब कुछ मैं खुद व्यवस्था कर लूंगी!

अजय:" जैसी आपकी इच्छा! मैं आपके साथ चलूंगा और अपनी तरफ से पूरा योगदान दूंगा!

मेनका:" ठीक हैं पुत्र! अब आप राज सभा में जाओ और अपना कार्य देखो!

वहीं दूसरी तरफ सलमा बेहद उदास थी तो उसकी उदासी सीमा से नही देखी गई और आखिकार उसने पूछा ही लिया:"

" क्या हुआ शहजादी आप बेहद उदास क्यों जान पड़ती हो? कई दिन से देख रही हूं कि आप ना ठीक से खा पा रही हैं और पूरे दिन बुझी बुझी सी रहती है, आखिर क्या हुआ हैं आपको, पहले तो आप ऐसी बिलकुल न थी शहजादी!

सलमा:" कुछ भी तो नही हुआ हैं हमें,बस आजकल तबियत थोड़ी ठीक नही लगती!

सीमा:" ठीक हैं फिर मैं दाई मा को बुलाकर ले आती हूं ताकि वो आपको देख सके और आपका उपचार कर सके!

इतना कहकर सीमा जाने लगी तो सलमा ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" कहीं जाने की जरूरत नही हैं तुम्हे, यहीं बैठो मेरे पास!

सीमा ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" फिर आपकी तबियत कैसी ठीक होगी शहजादी?

सलमा ने उसे पकड़कर अपने पास बिठा लिया और उसके कंधे पर अपना सिर रखते हुए बोली:

" हर बीमारी का इलाज दाई मा के पास नही होता सीमा, कुछ ऐसी बीमारी भी होती हैं जो लाइलाज होती हैं!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी का हाथ अपने हाथ में लिया और बोली:" ये आप कैसी अजीब अजीब सी बाते कर रही है, भला बीमारी का इलाज दाई मा नही करेगी तो कौन करेगा!

सलमा को समझ नहीं आ रहा था कैसे वो सीमा को अपने दिल का हाल बताए क्योंकि उसके अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने मुंह से ये बात कह सके और फिर अगर गलती से भी सीमा ने किसी के सामने कुछ कह दिया तो वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नही बचेगी इसलिए वो खामोश ही रही तो सीमा फिर से बोली:"

" बताए ना शहजादी,आपकी ये हालत हमसे देखी नही जाती, पीड़ा आपके चेहरे पर हैं और दिल मेरा टूट रहा है!

सीमा की बात का सलमा पर गहरा असर हुआ और ऐसे ही उसके कंधे पर सिर रखे हुए बोली:"

" क्या मैं तुझ पर पूरा यकीन कर सकती हूं ना सीमा?

सीमा के दिल को उसकी बात सुनकर ठेस पहुंची और बोली:"

" आपने यकीन वाली बात कहकर आपके लिए मेरी निष्ठा को ठेस पहुंचाई है शहजादी! शायद आप मुझे ठीक से समझ ही नहीं पाई है आज तक!

सलमा ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" ऐसा न कहो सीमा, तुम पर तो मुझे अपने आप से ज्यादा भरोसा है तभी तो अपनी हर बात तुम्हे बताती हूं मैं!

सलमा की बात सुनकर सीमा के मन को सुकून पहुंचा और वो शहजादी के रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली:"

" फिर आपने ये बात कही है तो इसका मतलब जरूर कोई बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है!

सलमा उसका अपनापन देखकर पिघल गई और बोली:"

" बस ऐसा ही कुछ समझ लो सीमा, कुछ बाते ऐसी होती है जिन्हे इंसान अपने साए से कहते हुए डरता है!

सीमा ने हिम्मत करके शहजादी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे हिम्मत देती हुई बोली:"

" आप मुझसे कहिए जो भी आपका दर्द हैं और मेरा वादा है आपसे कि मेरे और आपके सिवा ये बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी!

सलमा तो खुद चाह रही थी कि वो दर्द किसी से कहे और आखिरकार सीमा के रूप में उसे उसकी सच्ची सहेली और हमदर्द मिल गई तो उसने सब कुछ बताने का फैसला किया लेकिन अब दुविधा ये थी कि कैसे कहे क्योंकि चाह कर वो कुछ नहीं बोल पा रही थी तो सीमा बोली:"

" अब बोल भी दीजिए ना शहजादी

सलमा का बदन कांप उठा और सीमा उसके हाथ को प्यार से सहलाते हुए बोली:

" अरे आप तो बोलने से पहले ही कांप रही है, आखिर ऐसी क्या समस्या हो गई है जिसने हमारी शहजादी का ऐसा हाल कर दिया है आखिर?

सीमा की बात सुनकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और उसके बदन मे एक तेज झुरझुरी सी दौड़ गई तो सीमा ने उसके कंधे को जोर से पकड़ लिया और बोली:"

" इतना ज्यादा शर्माएगी तो आप बोल कैसे पाएगी शहजादी? जरा हम भी जाने आखिर हमारी खूबसूरत शहजादी का ऐसा हाल क्यों हो रहा है?

सीमा की बाते सलमा की बेचैनी को और बढ़ा रही थी और सलमा हिम्मत करके बोल पड़ी:"

" हमे आजकल रातों को नींद नहीं आती, रात को चांद को निहारना अच्छा लगता हैं सीमा!

सलमा ने बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके कहा और सीमा उसकी समस्या को थोड़ा थोड़ा समझ गई लेकिन वो खुद से नही बोलना चाहती थी क्योंकि अगर उसका अनुमान गलत हुआ तो वो जिंदगी भर शहजादी से नजरे नही मिला पाएगी इसलिए सीमा बोली:"

" चांदनी रातों में नींद थोड़ा कम ही आती हैं तो आप थोड़ा जल्दी सोने की कोशिश कीजिए इससे आपको आराम मिलेगा शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर झुंझला सी उठी और उसका हाथ दबाते हुए बोली:"

" आप समझती क्यों नहीं है? मेरी जान पर बनी हुई हैं!

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके मन ही मन मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" आप बोलेंगी तभी तो मैं कुछ जान पाऊंगी! आप कहिए ना

मचलती हुई सलमा ने अपने नाखून को उसकी हथेली में चुभा दिया और बोली:"

" हमे दिन में भी कुछ भी अच्छा नहीं लगता और न ही कुछ खाने को मन करता है!

सीमा उसकी बात सुनकर अब हल्की सी मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" ये तो पड़ी अजीब बीमारी है शहजादी! आखिर कब से हुई है आपको ये बीमारी?

सलमा की सांसे उखड़ सी गई और उसकी उछलती हुई चुचियों की गति इतनी बढ़ गई थी कि वे अब सीमा से टकरा रही थी! सलमा का पूरा मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया था और आंखे शर्म के मारे बंद हो गई थी और सलमा ने जोर से सीमा की उंगलियों को अपनी उंगलियों में फंसा लिया और हिम्मत करके धीरे से बोली:"

" जब से हम उस दिन नदी पर से वापिस आए हैं!

इतना कहकर वो उत्तेजना से कांपती हुई सीमा की गोद में गिर पड़ी और अपना चेहरा छिपा लिया तो सीमा उसके बालो में प्यार से उंगलियां चलाती हुई बोली:"

" अच्छा तो ये बात है हमारी शहजादी घोड़े वाले राजकुमार से दिल लगा बैठी है!

सीमा की बात सुनकर सलमा के मुंह से आह निकलते निकलते बची और वो उसकी गोद में पड़ी हुई कांपती रही तो सीमा ने फिर से पूछा:"

" अरे नाम क्या था उस राजकुमार का मैं तो भूल ही गई!

मचलती हुई कांपती हुई सलमा उसकी गोद में पड़े पड़े ही धीरे से
फुसफुसाई:"

" वि.. वि.. विक्रम!

इतना कहकर सलमा ने थोड़ा से सीमा का हाथ दबा दिया और सीमा उसकी पीठ प्यार से सहलाते हुए बोली:"

" अच्छा तो हालत शहजादी की विक्रम की वजह से हुई हैं लगता हैं आप बेहद मोहब्बत करने लगी हैं उस विक्रम से!

इतना कहकर सीमा ने उसे पकड़ कर अपनी गोद से उठा दिया तो सीमा शर्म से लाल हो गई और आंखे नीची झुक गई तो सीमा बोली:"

" अब आप मुझे बताए मैं आपकी क्या मदद कर सकूंगी? वैसे भी जहां तक मुझे पता है ये बीमारी तो दीदार ए महबूब से ही ठीक होती हैं न शहजादी!

सलमा ने नजरे नीचे किए हुए अपने गर्दन को हां में हिला दिया और धीरे से बोली:"

" मेरा एक काम करेगी क्या सीमा?

सीमा:" आप बोलकर देखिए शहजादी जान भी कुर्बान कर दूंगी आपके लिए!

सलमा नजरे नीचे किए हुए ही धीरे से बोली:"

" क्या तुम विक्रम तक मेरा एक पैगाम पहुंचा सकती हो?

सीमा:" आप निश्चित रहे शहजादी! आप अपना पैगाम मुझे दीजिए मैं खुद उन्हे देकर आऊंगी! लेकिन इतना बता दीजिए कि वो रहते कहां हैं ?

सलमा अब फिर से निराश हो गई क्योंकि उसने विक्रम से कभी पूछा ही नही था कि वो कहां पर रहता हैं और बोली:"

" ये तो बड़ी कठिन समस्या हो गई! मैने विक्रम से कभी पूछा ही नहीं कि वो कहां रहते हैं!

सीमा:" एक उपाय है मेरे पास! अगर वो आपसे प्यार करते होंगे तो जरूर नदी के पास तो आयेंगे जहां से आपकी मोहब्बत की शुरुवात हुई हैं!

सलमा:" ऐसा न बोल सीमा, वो मुझसे जरूर मोहब्बत करते होंगे! मैने उनकी आंखों में देखा हैं और मेरी आंखे धोखा नही खा सकती!

सीमा:" ठीक हैं फिर आप अपना पैगाम मुझे लिखकर दीजिए! मैं आज ही नदी के किनारे जाऊंगी!

सलमा:" लेकिन अपना ध्यान रखना और एक काम करना पवन को लेकर जाना क्योंकि इस घोड़े मे वो रफ्तार हैं कि इसे कोई छू भी नहीं सकता!

सीमा:" हान पवन कमाल का घोड़ा हैं और तेज रफ्तार से दौड़ता है बिलकुल अपने युवराज की तरह देखो ना कैसे एक ही बार में हमारी शहजादी को हमसे छीन लिया उन्होंने!

सलमा हंस पड़ी और फिर उसने अपना पैगाम लिखा और उसे एक लिफाफे में बंद कर दिया और सीमा को देते हुए बोली:"

" इसे युवराज तक पहुंचा देना सीमा! मुझे यकीन नही हैं कि इसमें लिखे मेरे दिल के हाल को तुम पढ़ोगी नही!

सीमा: आप निश्चित रहे शहजादी! आपका पैगाम युवराज के सिवा कभी कोई नही जान पाएगा!

उसके बाद सलमा ने सीमा को गले लगाया और उसके माथे को चूम कर बोली:"

" जाओ सीमा ! हम आपका इंतजार करेंगे


उसके बाद सीमा वहां से निकल गई और थोड़ी ही देर बाद नदी पर पहुंच गई लेकिन उसे दूर दूर तक कोई नजर नही आया तो उसका दिल बैठ सा गया क्योंकि उसकी उम्मीद के मुताबिक विक्रम को वहां होना चाहिए था! धीरे धीरे शाम ढलने लगी और सीमा की उम्मीद भी डूबते हुए सूरज के साथ डूबती जा रही थी! धीरे धीरे सब तरफ अंधेरा होने लगा और सीमा ने उदास मन से वापिस जाने का फैसला किया और पवन पर सवार होकर चल पड़ी लेकिन तभी उसे पीछे से घोड़े की टापो की आवाज सुनाई पड़ी तो उत्सुकता में रुक गई और उसने देखा कि कोई नदी के किनारे अपने घोड़े पर से उतर रहा था! सीमा ने पवन को उसी दिशा में घुमा दिया और धीरे धीरे आगे बढ़ती चली गई और उसने गौर से उस आदमी को देखा तो उसकी जान में जान आ गई क्योंकि ये तो विक्रम ही था! हान सच में विक्रम ही था और सीमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और उसकी खुशी देखकर लग रहा था मानो सलमा का नही उसका महबूब मिलने के लिए आया था!

दबे पांव वो घोड़े से उतरकर धीरे से उसके पीछे पहुंच गई और देखा कि विक्रम भी काफी उदास लग रहा था और ऐसा लग रहा था मानो उसका कुछ खो गया हो! नदी के पास बैठकर वो उदास मन से वो पत्थर उठा उठा कर नदी में फेंक रहा था और सीमा ने उसे उसके पास जाकर बैठ गई तो विक्रम को एहसास हुआ कि कोई लड़की उसके पास आई हैं तो उसने ध्यान से देखा और बोला:"

" अगर मैं गलत नही हु तो आप शहजादी सलमा की सहेली हैं न जो उस दिन उसके साथ आई थी

सीमा मुस्कुराई और बोली:"

" आप ठीक पहचाना मुझे युवराज, मैं सलमा की सहेली ही हु और काफी देर से आपका इंतजार कर रही थी!

विक्रम के होंठो पर मुस्कान आ गई और बेचैन होकर बोला:"

" कैसी हैं शहजादी ? उनकी तबियत तो ठीक हैं न ? क्या कर रही थी वो? उन्हे कोई दिक्कत तो नही है न ?

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके समझ गई कि आज दोनो तरफ बराबर लगी है और बोली:"

" एकदम इतने सारे सवाल युवराज, मेरे पास आपके किसी भी सवाल का जवाब नही हैं!

सीमा उसे थोड़ा छेड़ते हुए बोली और विक्रम निराश होते हुए बोला:"ऐसा न कहो सीमा मेरा दिल ये मानने के लिए तैयार नहीं है कि ऐसा भी हो सकता हैं!

सीमा ने अपनी जेब से वो पैगाम निकाला और उसे युवराज को देते हुए बोली:" ये लीजिए शहजादी ने आपके लिए भेजा हैं!

विक्रम के चेहरे की खुशी देखते ही बनती थी और उसने धीरे से लिफाफे को चूम लिया और उसे खोलने लगा तो सीना बोली:"

" एक मिनट युवराज, ये खास आपके लिए हैं तो आप पढ़ लीजिए!

इतना कहकर वो थोड़ा पीछे हो गई और विक्रम ने खत को खोला और पढ़ने लगा

" प्रिय विक्रम पता नही आपने क्या जादू कर दिया है मुझ पर, हर समय आपके बारे में ही सोचती रहती हूं, ना खाने को मन करता है और न ही दिल किसी काम में लगता है! मैं आज रात 10 बजे महल की छत पर आपका इंतजार करूंगी!

आपके दर्शन की अभिलाषी:"

" शहजादी सलमा!!

विक्रम ने जैसे ही खत पढ़ा तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नही रहा और उसने बार बार खत को चूमा और उसके बस सीमा को अपने पास बुलाया और बोला:"

" आप जाकर सलमा से कहिएगा कि मैने खत पढ़ लिया हैं और शहजादी की बात मैने मान ली हैं!

इतना कहकर उसने अपने गले में पड़ी हुई एक बेशकीमती हीरे की माला को निकाला और सीमा को देते हुए बोला:"

" लीजिए सीमा मेरे तरफ से आपके लिए एक बेशकीमती तोहफा!


सीमा ने उसे लेने से इन्कार कर दिया और बोली:"

" मेरी वफादारी की कीमत लगाने की भूल कभी मत करना युवराज!

विक्रम को लगा कि जल्दी बाजी मे उसने गलती कर दी है और बोला:" ऐसा मत समझिए सीमा! प्यार और वफादारी की कोई कीमत हो ही नही सकती! क्या आप मेरी छोटी बहन बनेगी? मेरी कोई भी बहन नही हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर खुश हुई और बोली:"

" ठीक हैं युवराज! आज से आप मेरे भाई हुए!

युवराज ने फिर से माला को लिया और सीमा के गले में डालते हुए बोला:" अब आप मुझे मना नही कर सकती हैं मेरी बहन!

सीमा उसकी बात सुनकर बस मुस्कुरा दी और बोली:"

" अच्छा अब आप मुझे जाने की इजाजत दीजिए! देरी हुई तो फिर मुझे दिक्कत होगी!

विक्रम:" आप फिकर ना करे मेरी बहन! आपके भाई के होते हुए आपको कोई दिक्कत हो तो मेरे जीवन पर धिक्कार होगा! चलिए मैं आपको सुल्तानपुर की सीमा तक छोड़कर आता हु!

उसके बाद विक्रम सीमा के साथ चल पड़ा और उसे सुल्तानपुर की सीमा में छोड़ कर अपने राज्य की तरफ खुशी खुशी चल पड़ा! वो अपने राज्य पहुंच गया तो उसने देखा कि करीब सात बजे गए थे और उसे एक घंटे बाद वापिस निकलना होगा फिर से सुल्तानपुर जाने के लिए! विक्रम बेहद खुश था क्योंकि आज उसकी महबूबा से उसकी पहली मुलाकात होने वाली थी!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 
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सीमा सुल्तानपुर की सीमा में घुसने के बाद राजमहल पहुंच गई जहां बड़ी बेताबी से दिल थामकर सलमा उसका इंतजार कर रही थी और सीमा के चेहरे की चमक देखते ही वो उसके होंठो पर मुस्कान फैल गई और बोली:"

" क्या हुआ सीमा? बताओ मुझे

सीमा खुश होती हुई बोली:" आपकी बीमारी का इलाज हो गया है शहजादी सलमा, युवराज विक्रम आए थे और मैने उन तक आपका पैगाम पहुंचा दिया है!

सलमा खुशी से उछल पड़ी और सीमा को गले लगाकर उसका मुंह चूमते हुए बोली:"

" तुम सच कह रही हो ना सीमा? मैं बता नहीं सकती मुझे कितनी खुशी हो रही है!

सीमा उसकी बेचैनी देखकर हंस पड़ी और बोली:" मैं भला झूठ क्यों बोलने लगी आपसे ! और आप अपना ये प्यार अपने महबूब के लिए बचाकर रखिए!

सीमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और और बोली:"

" चुप बेशर्म, जो मन में आए बोल देती है! अच्छा ये बता युवराज ने क्या कहा ?

सीमा:" युवराज ने कहा है कि शहजादी को जाकर कहना कि मुझे उनका पैगाम कुबूल हैं!

सलमा ने उसे फिर से कसकर गले लगा लिया और बोली:" अच्छा और क्या क्या बाते हुई?

सीमा:" वो तो बस आपके जी बारे मे पूछ रहे थे, इतने सारे सवाल कर दिए कि जवाब देना मुश्किल हो रहा था! और उन्होंने मुझे अपनी बहन भी बना लिया हैं और अपनी तरफ से मुझे ये तोहफा भी दिया हैं!

सीमा ने मोतियों की माला उसे दिखाई तो सलमा बेहद खुश हुई और बोली:"

" अच्छा ये बता तुम्हे युवराज कैसे लगे ?

सीमा:" मुझे तो बेहद अच्छे लगे, जितने खूबसूरत और जवान हैं उससे कहीं ज्यादा ताकतवर हैं! दिल के बहुत अच्छे हैं जानती हो मुझे वो सुल्तानपुर की सीमा तक वापिस छोड़कर गए हैं!

सलमा:" ये तो बहुत अच्छी हैं आखिर अब आप उनकी बहन बन गई हो तो भाई को ध्यान तो रखना ही पड़ेगा! चलो अब एक काम करो मुझे बेहद तेज भूख लगी हैं जल्दी से कुछ खाने के लिए लेकर आओ!

सीमा:" ये हुई न बात! देखो मैं बोलती थी न कि दिल की बेकरारी तो महबूब की चाहत से हो दूर होती हैं! मैं अभी आती हु!

इतना कहकर सीमा चली गई और सलमा शीशे के सामने एक बार खुद को निहारने लगी ! अपने प्रियतम से उसकी आज पहली मुलाकात थी और दुनिया की हर औरत ऐसे मौके पर सबसे सुंदर दिखना चाहती है ! थोड़ी देर बाद सीमा खाना लेकर आ गई और सलमा ने दो दिन के बाद आज अच्छे से खाना खाया! उसके बाद सीमा बोली:"

" मेरे लिए अब क्या हुक्म है शहजादी?

सलमा:" कुछ नही आप जाओ और आराम करना! कल बात करेंगे आराम से!

सीमा उसके कक्ष से बाहर चली गई और सलमा मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि उसका प्रियतम जो आ रहा था! सलमा ने अपने लिए अपना पसंदीदा सूट सलवार निकाला और उसे पहन लिया! वो काले रंग का सूट उसके गोरे चिट्टे बदन पर बेहद खूबसूरत लग रहा था! उसके बाद सलमा ने अच्छे से अपना मेकअप किया और वो अब बेहद खूबसूरत लग रही थी! उसकी काली बडी बडी आंखे गहरा काला काजल लगाने से बेहद आकर्षक लग रही थी और सुर्ख लाल रंग की लिपिस्टिक से सजे उसके होंठ बेहद रसीले हो गए थे! सलमा ने एक बेहद मादक परफ्यूम लगाया और उसके बदन से मीठी मीठी खुशबू आ रही थी!


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सलमा ने खुद को शीशे में निहारा और अपने ही आप से शर्मा गई और फिर उसने हिजाब पहना और मुंह पर नकाब लगाकर धड़कते दिल के साथ घड़ी को देखने लगी! अभी 10 बजने में 30 मिनट बाकी थी और सलमा से इंतजार के ये पल काटे नही कट रहे थे! बार बार उसका बदन कांप रहा था और पूरे जिस्म में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी! सलमा ने अपनी मां ररजिया के कमरे को देखा तो पाया कि उसके कमरे की लाइट बंद थी तो उसने अंदाजा लगा लिया कि रजिया सो गई है और वो जानती थी रोज की तरह सलीम महल में नही होगा तो उसे उसकी कोई फिक्र ही नही थी! सलमा ने अपने हिजाब को अपने मुंह पर लगाया और महल की छत पर घूमने के लिए जाने लगी तो रास्ते में खड़े पहरा दे रहे सैनिकों ने सिर झुकाकर उसका अभिवादन किया और सलमा बोली:"

" आप सब दूसरी तरफ पहरा दीजिए! थोड़ी देर हम चांद को निहारना चाहते हैं!

सलमा के हुक्म देते ही वो सभी सैनिक छत पर से दूसरी तरफ चले गए और अब छत पर सिर्फ सलमा खड़ी थी जो बेचैनी से विक्रम का इंतजार कर रही थी!

विक्रम ने भी अपने आपको अच्छे से तैयार किया और आठ बजे के पहले ही महल से निकल गया और जैसे ही सुल्तानपुर की सीमा में घुसा तो उसने फिर से भिखारी का भेष बनाया और सुल्तानपुर के मुख्य दरवाजे पर पहुंच गया तो सैनिक उससे बोला:"

" अरे कौन हो तुम? क्यों राज्य में घुसना चाहते हो?

विक्रम:" मंत्री जी वो एक मेरा दोस्त हैं आपके राज्य में रहीम जो खाने की दुकान चलाता हैं! बस उससे ही मिलने के लिए आया हु!

सैनिक:" ठीक हैं लेकिन बिना हमे खुश किए तुम अंदर नही जा सकते हो!

विक्रम ने अपने जेब से कुछ चांदी की मुद्रा निकाली और उस सैनिक के हवाले कर दी और उसके बाद राज्य में घुस गया तो उसकी खुशी का ठिकाना नही था! अब उसका और सलमा का मिलन होने से कोई नही रोक सकता था!

विक्रम सावधानी से इधर उधर देखते हुए रहीम की दुकान के सामने से निकला और उसका हाल चाल पूछने के बाद आगे बढ़ गया और अब वो महल के उत्तरी हिस्से में आ गया था जहां से वो उस दिन महल में घुसा था! विक्रम जैसे ही उस दलदल के पास पहुंचा तो उसने रस्सी निकाली और इससे पहले कि वो रस्सी फेंकता उसे छत पर सलमा दिखाई पड़ा और जैसे ही दोनो ने एक दूसरे को देखा तो दोनो के होंठ मुस्कुरा दिए और सलमा ने विक्रम को रस्सी फेंकने से मना किया और थोड़ा पीछे जाने का इशारा किया तो विक्रम थोड़ा पीछे गया जहां पर कुछ बड़े बड़े पत्थर पड़े हुए थे! सलमा ने उसे पत्थर हटाने का इशारा किया और पत्थर हटते ही विक्रम हैरान हो गया क्योंकि उसे एक गुफा नजर आई और सलमा ने उसे अंदर घुसने का इशारा किया तो विक्रम गुफा के अंदर घुस गया और उसने देखा कि गुफा के अंदर थोड़ी थोड़ी दूरी पर कुछ दीपक जल रहे थे तो विक्रम समझ गया कि जरूर सलमा ने जलाए होंगे ताकि मुझे अंदर आने में कोई दिक्कत न हो! विक्रम जैसे ही गुफा के अंतिम छोर पर पहुंचा तो उसे सामने सलमा खड़ी हुई नजर आई और दोनो की आंखे एक दूसरे से टकराई और दोनो बस एक दूसरे को देखते रहे! कुछ पल ऐसे ही बीत गए और दोनो को कोई होश ही नहीं था बस मदहोश होकर एक दूसरे को देख रहे थे! विक्रम के होठों पर मुस्कान आ गई और बोला:"

" शहजादी आपने हमे बुलाया और हम चले आए!

सलमा के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आई और उसके आंखे शर्म से झुक गई तो विक्रम उसके करीब पहुंचा और बोला:"

" क्या आपको अभी भी हिजाब मुझसे पर्दा करने की जरूरत है शहजादी? क्या मुझे मेरा चांद देखने का हक नहीं है?

सलमा ने कुछ जवाब नहीं दिया और बस हल्की सी मुस्कान दी तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसके नक़ाब को पीछे से खोल दिया तो सलमा का नूरानी चेहरा विक्रम की आंखे के सामने आ गया और विक्रम उसकी तारीफ करते हुए बोला:"

" अदभुत अकल्पनीय रूप सौंदर्य हैं आपका शहजादी! लगता हैं जैसे खुदा ने गलती से जन्नत से किसी हूर को मेरे लिए जमीन पर भेज दिया है !

अपनी ऐसी तारीफ सुनकर सलमा शर्म से लाल हो गई और नजरे नीची किए खड़ी रही तो विक्रम ने अपना हाथ आगे बढाकर उसके खूबसूरत चेहरे को ऊपर की तरफ उठाया और बोला:"

" मेरी तरफ देखिए ना शहजादी! आप खुश नहीं है क्या मेरे आने से


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दोनो की आंखे टकराई और सलमा सलमा ने शर्म से फिर से अपनी नजरो को झुका लिया और विक्रम का हाथ पकड़ कर बोली:"

" ऐसा न कहे युवराज! आपके आने से मुझे सारे जमाने की खुशी मिल गई है!

सलमा की पहल से विक्रम ने भी उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो सलमा अपने आप किसी चुंबक की तरह खींची चली आई और विक्रम को अपनी बांहों में भर लिया! दोनो ने एक दूसरे को कसकर गले लगा लिया और खुशी खुशी में दोनो के आंसू निकल गए और सलमा ने अपनी बांहों को पूरी ताकत से उसकी पीठ पर कस दिया!।।


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सलमा खुशी से सिसकती हुई बोली:" युवराज हम आपके बिना जी नहीं पाएंगे! आज के बाद मेरा सब कुछ आप हो!

विक्रम की आंखे भी भर आई थी और उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला:" मैं भी आपके बिना जी नहीं पाऊंगा मेरी शहजादी सलमा!

दोनो ऐसे ही एक दूसरे की बांहों में खड़े और एक दूसरे से आंसू साफ करते रहे! सलमा को होश आया कि वहां वो सुरक्षित नही हैं और कोई भी आ सकता है तो वो धीरे से विक्रम की बांहों से निकली! सलमा ने गुफा का दरवाजा बंद किया और विक्रम का हाथ पकड़ कर चल पड़ी!

सलमा सावधानी से इधर उधर देखती हुई आगे बढ़ती रही और जल्दी ही वो अपने कक्ष में पहुंच गई तो जोर से पलट कर फिर से विक्रम को अपनी बांहों में भर लिया और उससे किसी अमरबेल की तरह लिपट गई और विक्रम ने भी उसे अपने मजूबत बहुपाश में बांध लिया! खिड़की से आती चांद की रोशनी कमरे मे पड़ रही थी और माहौल को और ज्यादा कामुक बना रही थी! दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहे और शहजादी के बदन में अब सिरहन सी दौड़ना शुरू हो गई थी क्योंकि अब उसकी सांसे तेज होने लगी थी!

विक्रम उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला:" क्या हुआ शहजादी आप ऐसे क्यों कांप रही हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और उसकी एक जोरदार कंपकपी छूट गई और बोली:"

" हमसे कुछ न पूछिए विक्रम! बस ऐसे ही अपने सीने में छुपाए रखिए हमें!

विक्रम ने उसे अपनी बाहों मे कसे रखा और अब शहजादी सलमा की सांसे इतनी ज्यादा उखड़ गई थी कि उसके सीने के भारी भरकम गोल गोल गुम्बद विक्रम के सीने पर अपना दबाव डाल रहे थे और शहनाज मदहोशी में उससे हर पल और ज्यादा जोर से लिपटने की कोशिश कर रही थी मानो उसके जिस्म के अंदर घुसना चाहती हो! विक्रम ने धीरे से उसके कान में फुसफुसाया:"

" शहजादी आप मेरी बांहों में तो मौत भी आ जाए तो कोई गम नही होगा!

सलमा ने उसके होंठो पर अपनी उंगली रख दी तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" आह्ह्ह् विक्रम!!

सलमा शर्म के मारे उससे अलग हो गई और बोली:"

" आइए न बैठिए युवराज! सुलतानपुर की शहजादी के कक्ष में आपका स्वागत है! आइए मेरे शाही बेड पर बैठिए!

उसकी बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा पड़ा और बोला:"

" जरूर बैठेंगे लेकिन मेरी भी एक शर्त है शहजादी!

शहजादी ने उसकी तरफ देखा और बोली:" हमे आपकी हर शर्त खुशी खुशी मंजूर है युवराज! बस ऐसा कुछ मत मांग लेना जो मेरी मान मर्यादा के खिलाफ हो!

विक्रम का दिल तड़प उठा और बोला:" आपका ऐसा सोचना भी मेरे प्यार का अपमान है शहजादी!

शहजादी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो फौरन उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" मेरी बात से आपको ठेस पहुंची हो तो माफ कीजिए मुझे! बताए ना क्या शर्त है आपकी?

विक्रम ने उसे एक झटके से अपनी तरफ खींच लिया और उसके चेहरे को ऊपर उठाकर अपने सामने करके उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" जो मैं मांगूंगा आप दे पाएंगी क्या शहजादी?

सलमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" आप जान मांग देख लीजिए युवराज!

विक्रम ने उसे पूरी ताकत से अपनी तरफ खींचा कर फिर से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:" ठीक हैं फिर जब तक मैं यहां हु आप मेरी गोद में बैठी रखेगी शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर जोर से कांप उठी और उसकी पकड़ से आजाद होकर बोली:"

" बेशर्म कहीं के ! आप इतने शैतान होंगे देखकर लगता तो न था मुझे!

विक्रम:" सब आपकी खूबसूरती का कमाल है शहजादी! मैं चाहकर भी खुद को आपसे दूर नही रख पा रहा हूं!

इतना कहकर उसने सलमा को आगे बढ़कर फिर से बांहों में भर लिया और गोद में उठाकर बेड की तरफ ले चला तो सलमा ने भी खुशी खुशी उसके गले में अपनी बांहों का हार पहना दिया और जैसे ही युवराज उसे लेकर बेड पर चढ़ा तो गद्दा करीब एक फीट अन्दर घुस गया और फिर अपने एक झटके के साथ उपर आ गया और ये देखकर विक्रम मुस्कुराते हुए बोला:"

" कमाल का बेड हैं आपका शहजादी! बिलकुल नर्म मुलायम और गद्देदार!

अब सलमा बेड के बीचों बीच उसकी गोद में बैठी हुई थीं और बोली:" ये सुल्तानपुर का बेड हैं युवराज तो कमाल तो होगा ही!

विक्रम की छाती अब शहजादी की कमर से लगी हुई थी और विक्रम बोला:" वैसे मानना पड़ेगा सुल्तानपुर को, सच में यहां की हर एक चीज बेहद कमाल की हैं शहजादी सलमा!

इतना कहकर उसने जोर से शहजादी का हाथ दबा दिया तो सलमा उसकी बात का मतलब समझते ही मुस्कुरा उठी और बोली:" विक्रम मैने कभी नही सोचा था कि मुझे इतना ज्यादा हो जायेगा आपसे! आप मेरी जिंदगी बन गए हो! मैं इतना तड़प रही थी आपके लिए कि इंतजार नही पाई और सीमा को भेज दिया!

विक्रम:" आप ही मेरा सब कुछ हो सलमा! अच्छा ही किया आपने जो सीमा को भेज दिया वरना हम दोनो ऐसे ही तड़पते रहते!

सलमा;" हान विक्रम! आपको पता है मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था आपके बिना! न ठीक से खा रही थी और न ही सो पा रही थी विक्रम!

विक्रम ने अपने एक हाथ की उंगलियों में सलमा की उंगलियों को फंसा लिया और बोला:"

" मेरा भी यही हाल था शहजादी! इतना समझ लीजिए कि जिंदा नही था बस सांसे चल रही थी! वैसे अभी कैसा लग रहा है आपको?

सलमा उसकी बात सुनकर झूम उठी और अपनी उंगलियों का दबाव उसकी उंगलियों पर देते हुए बोली:"

" लग रहा है जैसे सब कुछ मिल गया है मुझे! आपकी गोद में बेहद सुकून मिल रहा है मुझे!

विक्रम ने शहजादी के बालो से उठती हुई खुशबू को सूंघा और बोला :" आपके बाल बेहद घने और खूबसूरत हैं बिलकुल रेशम जैसे शहजादी इनसे उठती हुई खुशबू मुझे मदहोश कर रही है!

इतना कहकर उसने अपना मुंह उसके रेशमी बालों में घुसा दिया तो सलमा मचल उठी और बोली:"

" आप काबू अपने दिल पर नही रख पा रहे हैं और इल्जाम मेरे बालो पर लगा रहे हैं! बहाने बनाना से कोई आपसे सीखे!

विक्रम अपने दूसरे हाथ को उसके सिर पर ले गया और उसके बालो के जूडे को पकड़ते हुए बोला:"

" आपके बाल खुल दू क्या शहजादी? खुले बालो में आप रात को बेहद हसीन लगोगी!

सलमा उसकी बाते सुनकर मचल रही थी और उसके दिल में अरमान थे कि उसका प्रेमी उसके बालो को सहलाए, उनसे खेले तो सलमा ने अपनी गर्दन हिला कर उसे सहमति दे दी और विक्रम ने उसके बालो को खोल दिया जिससे बाल उसके खूबसूरत चेहरे के चारो ओर फैल गए और बोला:"

" आपको मेरी नजर न लगे राजकुमारी! लगता हैं आप मेरी जान लेकर ही रहोगी आज!

सलमा का खूबसूरत चेहरा बालो से घिर गया और सलमा उसकी मस्तानी बातो से धीरे धीरे पिघल रही थी और उसने फिर से अपनी उंगली को विक्रम के होठों पर रख दिया तो विक्रम ने इस बार अपने मुंह को खोला और उसकी ऊंगली को मुंह में भर लिया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी

" हाय विक्रम!! उफ्फ क्या गजब करते हो! ये जुल्म मत कीजिए

विक्रम ने दूसरे हाथ को सलमा के पेट पर बांध कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और उसकी उंगली को अपनी गर्म तपती हुई जीभ से चूसने लगा तो सलमा मस्ती से बेहाल हो गई और उसकी बांहों में पिघलती चली गई! अब तक सलमा ने अपनी उंगली को उसके मुंह से निकालने की कोई कोशिश नही करी थी और विक्रम मजे से उसकी उंगली को किसी कुल्फी की तरह चूस रहा था और सलमा का पूरा बदन अब जोर जोर से कांप रहा था और विक्रम ने उत्तेजना से मदहोश होकर उसकी उंगली में दांत गडा दिए तो सलमा मीठे मीठे दर्द से कराह उठी और विक्रम ने उसकी ऊंगली को छोड़ दिया और उसकी गर्दन पर अपनी गर्म तपती हुई सांसे छोड़ते हुए बोला:"

" आप बेहद रसीली हो मेरी जान सलमा! मैं तो धन्य हो गया!

सलमा उसकी गर्म सांसे अपनी गर्दन पर महसूस करके और ज्यादा मदहोश हो गई और सिसकते हुए बोली:"

" बस कीजिए मेरी जान, मेरे प्रियतम, हम बहक जायेंगे!

विक्रम ने उसकी सिसकी सुनकर अपने हाथ का दबाव उसके पेट पर बढ़ा दिया और उसके बालो गर्दन के बिलकुल पास अपनी गर्म तपती सांसे छोड़ते हुए धीरे से बेहद कामुक अंदाज में बुदबुदाया

" तो बहक जाइए न मेरी शहजादी सलमा! मैं हूं ना आपको संभालने के लिए!

सलमा पूरी तरह मदहोश हो गई थी और उसने अपने सिर को पीछे करते हुए उसके कंधे पर टिका दिया तो विक्रम का हौसला बढ़ गया और उसने अपनी गर्म जीभ को शहजादी सलमा की गर्दन पर लहरा दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम के हाथ को जोर से कस लिया तो विक्रम ने अब अपना मुंह खोलते हुए शहजादी की गर्दन को अपने दांतों में दबोच लिया और हल्का हल्का काटने लगा तो सलमा उत्तेजना से कांपती हुई जोर से थरथरा उठी और विक्रम ने जोर से उसकी गर्दन को चूस लिया!

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सलमा मस्ती से सिसक उठी विक्रम धीरे से उसके कान में फुसफुसाया"

:"आप एक काम कीजिए ना मेरी तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठिए न मेरी जान सलमा!

इतना कहकर विक्रम ने उसे हल्का सा उठाया और सलमा किसी रिमोट से चलने वाली मशीन की तरह उसकी गोद में बैठ गई और दोनो की आंखे टकरा गई तो विक्रम ने देखा कि सलमा का चेहरा पूरी तरह से शर्म और उत्तेजना से लाल हुआ था और उसकी आंखे थोड़ी सी फैल गई थी जिसमे लाल रंग के कामुक डोरे साफ नजर आ रहे थे ! विक्रम ने उसे अपने करीब कर लिया और विक्रमउसकी आंखो मे देखते हुए बोला:"

" सलमा आपको कुछ बुरा तो नही लग रहा है न मेरी जान!

प्रियतम की गोद में बैठी मचलती हुई सलमा को भला क्या बुरा लग सकता था तो सलमा उससे कसकर लिपट गई और बोली:"

" विक्रम आप बहुत प्यारे हो मेरी जान! मुझे कसकर समेट लीजिए अपनी बांहों में !!

विक्रम ने उसकी कमर पर अपने दोनो हाथो को लपेट दिया और उसे पूरी तरह से अपने सीने में घुसा सा लिया और बोला

" अगर आपकी इजाजत हो तो आपका बुर्का निकाल दू क्या शहजादी सलमा!

सलमा पर मदहोशी का ऐसा सुरूर चढ़ा था कि उसने कुछ भी कहना जरूरी नहीं समझा और अपनी टांगो को फैला कर विक्रम की कमर पर लपेट दिया तो विक्रम ने अपने हाथो को उसकी गर्दन पर ले जाकर बुर्के की चैन को खोल दिया और सलमा का उपरी हिस्सा अब सिर्फ एक बेहद कसे हुए सूट विक्रम की आंखो के आगे आ गया और विक्रम को अब सलमा की गोल गोल गुम्बद की गोलाई और मोटाई का सही एहसास हुआ और उसने सलमा को जोर से अपनी बांहों में कस लिया तो बेकरार सलमा ने आपको ढीला छोड़ दिया तो एक झटके के साथ दोनो बेड पर लुढ़क गए और अब सलमा के उपर विक्रम पूरी तरह से चढ़ा हुआ था और मदहोश सलमा उसकी कमर में अपनी बांहों को लपेटे हुए पड़ी थी! कमाल की जोड़ी थी दोनो की लंबाई चौड़ाई बिलकुल बराबर थी एकदम सिर से लेकर पांव तक! सलमा की जोर जोर से चलती हुई सांसों के कारण विक्रम को अपने सीने में उसकी गोलाईयों का सख्त एहसा हो रहा था और विक्रम ने अब उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया तो सलमा जोर जोर से कांपने लगी जिससे उसका पूरा बदन हिलने लगा तो विक्रम ने उसकी टांगो को अब अपनी टांगो में जोर से कस लिया और पूरी लंबाई में अपनी जीभ निकाल कर सलमा की पतली सुराहीदार गर्दन को चूसने लगा तो सलमा मछली की तरह मचलती हुई उसकी पीठ में अपने नाखून गड़ा दी और विक्रम ने उसकी गर्दन को अपने दांतों में भरकर हल्का हल्का काटना शुरू हो दिया और सलमा से अब बर्दाश्त नहीं हुआ और सिसकते हुए बोली:"

" आआआह्हह मत कीजिए मेरे प्रियतम! आज मर जाऊंगी मैं!

विक्रम ने अपने जलते हुए होठों को अब उसके गाल पर रख दिया और चूमकर मदहोशी से बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह् मत रोकिए मुझे शहजादी! आह्ह मेरी सलमा आपके गाल कितने ज्यादा मीठे और नर्म मुलायम हैं!

इतना कहकर विक्रम ने फिर से उसके एक गाल को इस बार मुंह में भर लिया और चूसने लगा तो सलमा का जिस्म उत्तेजना के मारे झटके खाने लगा और गद्देदार बिस्तर के कारण दोनो का जिस्म उपर नीचे होने लगा मानो चुदाई हो रही हो और ये सोचते ही सलमा के गोल गोल गुम्बद पूरी तरह से तनकर अकड़ गए और उसकी चूत में गीलापन आ गया तो सलमा ने तड़पते हुए दोनो हाथों से विक्रम के चेहरे को पकड़ा और उसके एक गाल को चूम लिया तो विक्रम ने बेकाबू होकर अपने जलते हुए होठों को सीधे सलमा के नर्म मुलायम नाजुक रसीले होंठों से जोड़ दिया और दोनो ही बेकाबू होकर एक दूसरे के होंठ चूसने लगे! विक्रम कभी उपर वाले होंठ को चूसता कभी कभी नीचे वाले होंठ को! सलमा भी मदहोशी से आंखे बंद किए अपने होंठ चुसवा रही थी और देखते ही देखते सलमा ने मदहोश होकर अपना मुंह खोल दिया और विक्रम की जीभ उसकी जीभ से मिल गई और विक्रम ने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और सलमा ने मस्ती से अपनी रसीली लसलसी जीभ को बाहर निकाल दिया और विक्रम उसकी जीभ को चूसने लगा और सलमा के मजे की कोई सीमा नही थी!।।



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।विक्रम उसकी जीभ को कभी होंठो से चूसता तो कभी अपनी जीभ से उसका रस चूसता! सलमा के होंठो और जीभ से बेहद रसीला और मादक रस निकल रहा था और विक्रम किसी प्यासे भंवरे की तरह उसका रस चूस रहा था! दोनो की सांसे बुरी तरह से फूल गई थी लेकिन कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं था और खासतौर से विक्रम क्योंकि सलमा के होंठ और जीभ उसके मुंह में स्पंजी रसगुल्ले की तरह घुल रहे थे! आखिरकार करीब पांच मिनट के बाद दोनो की किस टूट ही गई और सलमा शर्म ने आंखे बंद किए पड़ी रही और विक्रम ने फिर से उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और शहजादी सलमा भी कहां पीछे रहने वाली थी और फिर से दोनो की जीभ एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगी और विक्रम अपने पैर की उंगलियों से उसके पैर की उंगलियों को सहला रहा था और दोनो किस कर ही रहे थे कि शहजादी के कक्ष पर उसकी एक नौकरानी ने दस्तक दी और बोली:"

" आपके उठने का समय हो गया है शहजादी ! आपके नहाने का गर्म पानी शाही हमाम में पहुंचा दिया गया है!

आवाज सुनकर दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और किस फिर से टूट गई और सलमा ने देखा कि घड़ी मे सुबह के पांच गए थे तो उसे हैरानी हुई कि इतनी जल्दी पूरी रात कैसे निकल गई उसे पता ही नही चला!

सलमा:" मुझे नहाने जाना होगा विक्रम! आप यहीं रुकिए मैं आती हु थोड़ी देर बाद!

विक्रम:" मुझे जाने दीजिए शहजादी नही तो देर हो जायेगी बहुत!!

सलमा:" आप ऐसे दिन में उस रास्ते से नही निकल सकते युवराज! मैं आती हूं उसके बाद बात करते हैं!

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने गले लगाते हुए बोला:"

" मैं भी चलू क्या आपके साथ नहाने के लिए शहजादी?

सलमा ने उसका गाल चूम लिया और फिर उसे बेड पर धक्का देते हुए बोली:" बहुत शैतान हो गए हो आप एक ही रात में! चलो बेड पर आराम करो!

इतना कहकर वो मुस्कुराती हुई बाहर निकल गई और विक्रम बेड पर लेटकर उसके आने का इंतजार करने लगा!

थोड़ी देर बाद सलमा के कक्ष का दरवाजा खुला और सलमा एक खूबसूरत राजसी गाउन में नजर आई और नहाने के बाद वो बेहद आकर्षक लग रही थी बिलकुल खिले हुए गुलाब की तरह! वो चलती हुई विक्रम के पास आई और विक्रम आंखे फाड़कर बस उसे ही देखता रहा!


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विक्रम ने सलमा को पहली बार बुर्के के बिना देखा था और आज पहली बार उसे सलमा के शरीर की सही बनावट का अंदाजा हुआ और वो उसकी खूबसूरती में खोया हुआ था वो सलमा उसके ठीक सामने खड़ी हो गई और बोली:"

" कहां खो गए युवराज?

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" बस देख रहा था कि शहजादी सलमा बुर्के के बिना ज्यादा खूबसूरत लगती हैं!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसके गले लगाकर बोली:" आप न अपनी छेड़छाड़ से बाज नहीं आते विक्रम!

विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में समेट दिया और इस बार उसे सलमा के बदन के स्पर्श का बेहद अच्छे से एहसास हो रहा था और विक्रम ने सलमा का एक गाल चूम लिया और बोला:"

" सलमा आप मेरे सामने ऐसे ही अब बिना बुर्के के आया करना जब भी मैं आपसे मिलने के लिए आऊं!

सलमा उसके बालो को सहलाते हुए बोली:" सब समझती हूं मैं आपकी बाते क्यों आप ऐसा बोल रहे हों मुझे!

विक्रम ने उसके खूबसूरत चेहरे को दोनो हाथों में भर लिया और बोला:" अच्छा जी जरा हमे भी तो बताओ क्या समझ में आया आपको शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:"

" जाइए मैं आपसे बात नही करती विक्रम!

विक्रम ने एक हाथ उसके सिर के पीछे ले जाकर उसके खुले बालो को पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठा दिया और अपने होंठो को फिर से उसके होंठो से चिपका दिया और सलमा मदहोश होकर उससे लिपट पड़ी और विक्रम ने उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया और देखते ही देखते दोनो की जीभ फिर से गुत्थम गुत्था हो गई और विक्रम के हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए हुए नीचे की तरफ बढ़ गए तो सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो पूरी कसकर युवराज से लिपट गई और मस्ती से उसकी जीभ को चूसने लगीं तो विक्रम ने अपनी जीभ को सलमा के मुंह के अंदर डाल दिया और सलमा ने उसकी जीभ को चूसना शुरू कर दिया और विक्रम के हाथ उसके चौड़े, गुदाज और ठोस पिछवाड़े की गोलाई पर आ गए और जैसे ही विक्रम ने उसके नितंबों को सहलाया तो सलमा ने अपने आपको उसकी बांहों में ढीला छोड़ दिया और उसकी जीभ को पूरी बेशर्मी दिखाते हुए चूसने लगी और विक्रम ने अब खड़े खड़े ही सलमा को गोद में उठा लिया और सलमा की गांड़ के उभारों को जोर से मसल दिया तो सलमा ने पूरी तरह से बेकाबू होकर अपनी टांगो को उसकी कमर में लपेट दिया जिससे उसका गाउन उसकी गांड़ पर से हट गया और विक्रम ने जैसे ही उसकी नंगी गांड़ को अपने हाथों में भरा तो सलमा का बचा हुआ धैर्य भी जवाब दे गया और उसने विक्रम की जीभ को अपने दांतों में दबा लिया और दोनो के मुंह से एक साथ मस्ती भरी आह निकल पड़ी और सलमा एक झटके के साथ उसकी गोद से उतर गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी! उसकी उठती गिरती हुई चूचियां अपने पूरे शबाब पर थी और विक्रम उसकी तरफ बढ़ा तो फिर से दरवाजे पर दस्तक हुई तो सलमा विक्रम की आंखो में देखते हुए बोली:"

" क्या हुआ?

महिला सैनिक:" आपका नाश्ता तैयार हो गया है! इजाजत हो तो मैं खाने की मेज पर लगा दू क्या?

सलमा ने आगे बढ़कर विक्रम का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" आज मैं अपने कक्ष में ही नाश्ता करूंगी! लाओ मुझे यही दे दो!

इतना कहकर सलमा ने विक्रम को एक पर्दे के पीछे किया और बाहर जाकर नाश्ता लेकर अंदर आ गई और फिर विक्रम को अपने हाथों से खिलाया और उसके बाद विक्रम बोला:"

" अब हमे इजाजत दीजिए शहजादी!

सलमा:" आपका ऐसे जाना सही नही होगा युवराज! हम खुद आपको अपने साथ लेकर जाएंगे!

विक्रम:" अच्छा जी भला वो कैसे शहजादी?

सलमा ने जोर से ताली को बजाया और बाहर से आवाज आई:" हुक्म करो शहजादी?

सलमा:" हम थोड़ी देर बाद नदी के किनारे घूमने जायेंगे! हमारे लिए एक घोड़ा बग्गी का इंतजाम किया जाए!

उसके बाद सलमा विक्रम से बोली:"आप पहली बार हमसे मिलने आए हैं विक्रम तो हमारे साथ शान से बग्गी में जायेंगे!

इतना कहकर सलमा अपना बुर्का पहनने लगी और जाने के लिए तैयार हो गई तो विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में कस लिया और उसके बाद सलमा सावधानी से विक्रम को अपने साथ लेकर अस्तबल की तरफ चल पड़ी और विक्रम को वहां खड़ी घोड़ा बग्गी में छुपा दिया और थोड़ी देर बाद ही सैनिक और सीमा भी आ गई और शहजादी बग्गी के अंदर बैठ गई और विक्रम ने बिना मौका गंवाए उसे अपनी बांहों में समेट लिया और सलमा भी उससे लिपटती चली गई और विक्रम अब प्यार से कभी उसके हाथ को चूमता तो कभी उसके बालो को संवारता! वही सलमा भी कभी उसके गाल को चूम लेती तो कभी उसके माथे को चूम रही थी! बग्गी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी और आगे पीछे सैनिक घोड़े पर सवार होकर चल रहे थे! जल्दी ही बग्गी सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकल गई और नदी का किनारा आने ही वाला था तो सलमा की आंखे भर आई और बोली:

" जाना जरूरी है क्या युवराज?

विक्रम ने उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और बोला:"

" मन तो मेरा भी नही कर रहा शहजादी लेकिन मैं जल्दी ही फिर आऊंगा!

सलमा उसकी आंखो मे देखते हुए बोली:" मैं इंतजार करूंगी आपका धड़कते दिल के साथ विक्रम!

विक्रम ने उसके एक गाल को मुंह में भर कर चूस लिया और बोला:"

" ज्यादा दिल मत धड़काना शहजादी अपना नही तो बहुत कुछ धड़क जायेगा!


उसकी बात का मतलब समझकर शहजादी सलमा मुस्कुरा उठी और उसका गाल चूमते हुए बोली:" अह्ह्ह्ह क्या करू आपका!! मैं परसो महल के पीछे बने हुए शाही पार्क में आप का फिर से इंतजार करूंगी विक्रम!

विक्रम:" मैं आऊंगा शहजादी लेकिन एक वादा करो कि मुझे बिना बुर्के के मिलोगी!!


सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम से कसकर लिपट गई और बोली:"

" ज्यादा छेड़छाड़ तो नही करोगे ना मेरे साथ!

विक्रम ने उसके होंठो को चूम लिया और बोला:" मेरी इतनी हिम्मत कहां जो शहजादी सलमा के साथ छेड़ छाड़ कर सकू!

दोनो बात कर ही रहे थे कि बग्गी नदी किनारे रुक गई और सलमा बोली:" मैं अब नदी की तरफ जाऊंगी और सब सैनिक मेरे साथ जाएंगे! आप आराम से पीछे से चले जाना युवराज!

विक्रम ने उसे प्यार से उसका मुंह चूम लिया और बोला:"

" सलमा आपका साथ गुजारी ये रात मुझे मरते दम तक याद रहेगी!

सलमा ने उसकी बात सुनकर उसके होंठो पर उंगली को रख दिया तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूस लिया और सलमा बोली:"

" भूलना मत विक्रम! मैं परसो रात 11 बजे आपका इंतजार करूंगी!

इतना कहकर वो विक्रम का हाथ चूमकर बग्गी से बाहर निकल गई और सारे सैनिक उसके पीछे चल पड़े और विक्रम बग्गी से उतरा और उदयगढ़ की तरस चल पड़ा!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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विक्रम उदयगढ़ पहुंचा तो उसे देखते ही राजमाता गायत्री देवी ने चैन की सांस ली क्योंकि रात से सभी लोगो की यही चिंता सताए जा रही थी कि युवराज कहां गायब हो गए हैं!

राजमाता:" पुत्र मैं बता नहीं सकती आपको देखकर मुझे कितनी खुशी हुई हैं! बिना बताए कहां चले गए थे आप ?

विक्रम किस मुंह से बताता कि रात वो अपनी शहजादी सलमा के पास था तो बात को घुमाते हुए बोला:" राज्य में ही था राजमाता, बस देख रहा था कि सब ठीक तो चल रहा है न!

राजमाता:" हमने आपको हर जगह ढूढने की कोशिश करी लेकिन आप कहीं नहीं मिले! आगे से आप प्रतिज्ञा कीजिए कि हमे बिना बताए कहीं नही जायेंगे!

विक्रम:" राजमाता हम कहीं नहीं गए थे बस नदी के किनारे घूमने गए थे! आपको तो पता हैं कि हमे नदी के किनारे घूमना कितना पसंद हैं!

राजमाता:" कोई बात नही बेटा! बस आगे से जाओ तो हमे बता देना ताकि आपकी सुरक्षा के लिए सैनिकों को भेजा जा सके!

विक्रम ने उनकी हां में सिर हिलाया और फिर अपने कक्ष में चला गया और नहाने के बाद थोड़ा कुछ खाकर नींद के आगोश में चला गया! शाम को करीब चार बजे उठा और पता चला कि आज नदी के किनारे हर साल लगने वाला मेला लगा हुआ हैं तो उसने अजय से कहा:"

" अजय ये मेला अच्छा लगता हैं न ? मैने सुना है कि सभी राज्यों के लोग यहां आते हैं !

अजय:" बिलकुल युवराज नदी के किनारे बसे सभी राज्य इस मेले में शामिल होते हैं क्योंकि नदी के पानी से ही सभी राज्यों में खेती होती हैं ! वैसे युवराज अगर आपकी आज्ञा हो तो एक बात पूछना चाहता हूं!

विक्रम:" कहो अजय ?

अजय:" आपने राजमाता को तो बता दिया कि रात आप नदी के किनारे आए थे लेकिन मैं खुद आपको कम से कम 5 बार नदी के किनारे देखने आया था लेकिन आप नही थे यहां!

विक्रम ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर बोला:"

" हमारी बात का यकीन करो अजय! हम झूठ क्यों बोलने लगे भला आपसे?

अजय:" माफी चाहता हूं युवराज लेकिन एक मां के ममतामई दिल को आप ऐसा बोल के तसल्ली दे सकते हो लेकिन मुझे नही!

विक्रम ने कुछ नही कहा और थोड़ी देर चुप रहा! अजय ने भी अपनी तरफ से कुछ नही बोला और विक्रम बोला:"

" अजय हमारे साथ शाम को मेला देखने चलोगे न?

अजय:" बिलकुल युवराज! आपका हुक्म सिर आंखों पर!

उसके बाद करीब शाम को छह बजे दोनो घोड़ों पर सवार होकर मेला देखने के लिए पहुंच गए! मेला काफी दौर दूर तक लगा हुआ था और काफी सारी मिठाई और चाट की दुकान के साथ साथ झूले भी लगे हुए थे! अजय विक्रम के साथ उसके साए की तरह उसकी सुरक्षा में था,वैसे तो मेले में कोई लड़ाई नही होती थी लेकिन फिर भी कभी कभी कोई दुश्मनी निकालने के लिए कुछ भी कर सकता था!

विक्रम की नजरे सलमा को तलाश रही थी कि कहीं वो भी तो मेला देखने के लिए नही आई हुई है और उसे निराशा ही हाथ लग रही थी! रात के करीब 10 बज गए थे और विक्रम कुश्ती के अखाड़े में पहुंच गया और देखा कि एक बेहद काला मोटा तगड़ा राक्षस जैसा दिखने वाला पहलवान जिसका नाम सगोला था और सभी पहलवानों को हरा दिया था और अभी एक पहलवान को खिलौने की तरह पटक रहा था! विक्रम सगोला की ताकत से काफी प्रभावित हुआ और बोला :"

" अजय क्यों न इसे अपनी सेना में भर्ती किया जाए!

अजय:" नामुमकिन है युवराज! सच तो हैं कि ये पिंडारी समुदाय से हैं और बेहद ताकत होने के साथ साथ खूंखार भी हैं! ये अब तक अखाड़े में उदयगढ़ के करीब 12 पहलवानों की रीढ की हड्डी तोड़ चुका हैं!

विक्रम:" इसकी इतनी हिम्मत! हम इसे अभी धूल चटा देंगे!

अजय:" नही युवराज, अभी सही समय नही आया हैं! इससे जरूर बदला लिया जायेगा!

विक्रम ने उसकी बात सुनकर कुछ नही कहा और खामोशी से इधर उधर देखने लगा और तभी एक बड़ी सी बग्गी आकर रूकी और विक्रम ने जैसे ही उसमे सीमा को देखा तो उसकी आंखे खुशी से चमक उठी और उसे यकीन हो गया कि शहजादी भी आज मेला देखने के लिए आई हुई है! वही सागोला ने एक दूसरे पहलवान को भी पटक दिया था और सब लोग सगोला की जय कर रहे थे और सलमा जैसे ही पहलवान को देखने के लिए बाहर झांकी तो उसकी एक झलक मिलते ही विक्रम का दिल खुशी से उछल पड़ा ! सीमा की नजर विक्रम पर पड़ी तो उसने शहजादी को विक्रम के बारे में बताया तो शहजादी ने भी विक्रम को तरफ देखा और जैसे ही दोनो को नजरे मिली तो शहजादी ने उसे बेहद प्यारी मुस्कान दी !




दोनो की नजरे बार बार आपस में टकरा रही थी और एक दूसरे से इशारों ही इशारों में काफी बाते हो रही थी! सागोला की जय जयकार के नारे शहजादी को बिलकुल भी अच्छे नही लग रहे थे क्योंकि दुनिया की हर औरत चाहती हैं कि उसका पति दुनिया का सबसे खूबसूरत और ताकतवर इंसान हो और फिर शहजादी खुद जीती जागती कयामत थी तो उससे बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने विक्रम को सगोला से कुश्ती लड़ने का इशारा किया !!


विक्रम ने अजय से कहा:"

" अजय मैं आज इस सगोला को सबक सिखा कर ही रहूंगा! मेरे होते हुए इसकी जय जयकार मेरे कानो को पीड़ा दे रही है!

अजय:" युवराज अगर ऐसी बात है तो ठीक हैं फिर मैं इससे कुश्ती करता हु!

विक्रम:" नही अजय, एक युवराज होने के नाते हमारा फर्ज बनता है कि हम कुश्ती लड़े और इसके अपराधो की सजा इसे दे!

अजय:" मेरे होते हुए आपको इसकी जरूरत नहीं है युवराज! आप फिक्र मत कीजिए इसे मैं सजा दूंगा!

विक्रम ने अब गुस्से से अजय के देखा और कहा:" अजय क्या आपको ऐसा लगता हैं कि हम इससे कमजोर हैं ?

अजय:" माफ कीजिए युवराज मैं ऐसा नहीं सोच रहा बस मेरे होते हुए आपको कष्ट न हो बस इसलिए कह रहा था!

विक्रम:" हम इससे कुश्ती करेंगे और ये आपके युवराज का हुक्म हैं पालन किया जाए!

अजय ने हैरानी से अब विक्रम की तरफ देखा और बोला:" जैसी आपकी आज्ञा युवराज! मैं सब प्रबंध करता हूं!

थोड़ी ही देर बाद विक्रम अखाड़े में सागोला के सामने खड़ा हुआ था और सागोला उसे देखकर मुस्कुरा रहा था मानो उसे बेहद आसान शिकार मिल गया हो क्योंकि युवराज देखने में बेहद खूबसूरत था!

सलमा बग्गी से टकटकी लगाए सांसे थामे विक्रम को देख रही थी और सागोला ने विक्रम पर दांव लगाया और विक्रम ने उसका दांव बचा लिया और फिर तेजी से एक झटका सागोला को दिया जिससे वो जमीन पर गिर पड़ा और शहजादी के होंठो पर मुस्कान आ गई वहीं अजय दिल थामे इस मुकाबले को देख रहा था!

किसी जंगली भैंसे की तरह गुस्से से सागोला खड़ा और सीधे विक्रम की छाती पर हमला किया जिससे उसके सीने पर पड़ी हुई कमीज फट गई और उसका चौड़ा ताकतवर सीना पूरी तरह से नंगा हो गया क्या जिस पर हल्के से सागोला के नाखूनों के निशान भी पड़ गए थे! सागोला ने फिर से विक्रम पर हमला किया और झटके के साथ विक्रम को पटक दिया और उसके ऊपर सवार हो गया और उसके दोनो कंधो को जमीन से मिलाने की कोशिश करने लगा लेकिन विक्रम भी अब अपनी पूरी ताकत लगा रहा था जिससे उसकी भुजाए मछली की तरह फूल गई थी और उसके हाथ की नसे खून भर जाने के कारण पूरी तरह से अकड़ कर तन गई थी! सागोला दांत भींचे पूरी ताकत लगा रहा था और विक्रम ने एक नजर सलमा की तरफ देखा और फिर पूरी ताकत से सागोला को पकड़ लिया और उसकी भुजाए इतनी ज्यादा फूल गई थी कि उसकी भुजा पर बंधी हुई मोतियों की माला टूट का बिखर गई और विक्रम ने अपनी बाजुओं में भरी हुई ताकत का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए सागोला को दूर उछाल फेंका और उसके बाद सागोला खड़ा नही हो सका और भीड़ अब विक्रम की जय जयकार कर रही थी और सलमा के चेहरे पर मानो सारी दुनिया की खुशी उमड़ आई थी और उसका मन कर रहा था कि अभी जाकर विक्रम से लिपट जाए लेकिन मर्यादा के चलते मजबूर थी! अजय भी बेहद खुश था और विक्रम अखाड़े से निकल आया तो अजय ने उसे बधाई और विक्रम बोला:"

" मित्र हमारे लिए थोड़े पानी का प्रबंध तो कीजिए!

अजय पानी लेने के लिए गया और विक्रम तेजी से सीमा की तरफ बढ़ गया और उसे पीछे आने का इशारा किया तो सीमा मौका देखकर आ गई और उसे देखते ही हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"

" आपने कमाल कर दिया युवराज!

विक्रम उतावला सा होते हुए बोला:" सीमा सलमा से बोलो कि मैं उससे मिलना चाहता हूं!

सीमा उसकी बेचैनी महसूस करके बोली:"लेकिन ये मुश्किल होगा युवराज क्योंकि उसके साथ में सैनिक और कुछ और लोग भी हैं युवराज!

विक्रम:" किसी तरह शहजादी को संदेश दीजिए कि मैं उनसे मिलना चाहता हूं! मैं यही इस झूले के पीछे उनका इंतजार करूंगा!

सीमा:" मैं कोशिश करूंगी युवराज, लेकिन ये काम काफी मुश्किल भरा होगा!

विक्रम:" आप बस सलमा तक मेरा पैगाम पहुंचा दीजिए! वो मुश्किल को खुद आसान कर लेगी सीमा!

सीमा चली गई और विक्रम झूले के पीछे की तरफ चला गया जहां हल्का अंधेरा था ! सीमा सलमा के पास बग्गी में पहुंच गई और ये बात सलमा को बताई और सलमा विक्रम की झलक पाने के लिए तड़प उठी और बोली:"

" सीमा हम जरूरी जायेंगे! तुम एक काम करो जल्दी से हमारा ये हिजाब पहन लो और अपना सूट हमे दो!

सीमा उसकी सब योजना समझ गई और बोली:" लेकिन शहजादी ये काम बहुत सावधानी से करना! फंस गए तो बहुत दिक्कत हो जाएगी!

सलमा:" आप फिक्र न करें सीमा! हम बस युवराज की एक झलक देखकर वापिस आ जायेंगे!

सीमा उसका हाथ पकड़कर बोली:"अगर झलक ही देखनी है तो वो तो आप बग्गी से भी देख ही ली है शहजादी!

सलमा:" मुझे ज्यादा ज्ञान मत दो! इतने अंधेरे में दूर से भला कैसे अच्छे से देख पाऊंगी!

सीमा ने अपना सूट उतारकर उसे दे दिया और उसके कपड़े पहन लिए! सलमा ने उसका सूट पहना तो उसके जिस्म पर फंस गया क्योंकि सीमा उसके मुकाबले थोड़ी सी दुबली थी! सूट पूरी तरह से सलमा के जिस्म पर कस गया था और उसके जिस्म के शानदार कटाव उतार चढ़ाव साफ नजर आ रहे थे! सलमा ने अपने जिस्म पर एक चादर लपेटी और बग्गी झूले की तरफ चल पड़ी तो सीमा बोली:"

" सिर्फ देखना ही शहजादी युवराज को! ये मर्द बड़े तेज होते हैं कहीं आपको युवराज पकड़कर गले से न लगा ले अपने!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्मा गई और बोली:" चुप बेशर्म, कुछ भी बोल देती हैं जो मुंह में आता है तेरे सीमा! विक्रम ऐसे नही है

सीमा:" अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात हुई भला और मैं जानती हु सारे मर्द एक जैसे होते हैं! देखना अगर मौका मिला तो तुझे गले लगाए बिना आने नही देंगे वो!

सीमा की बाते सुन कर सलमा को रोमांच मेहसूस हो रहा था और सलमा बोलो:" थोड़ी सी शर्म कर सीमा! इतनी बेहयाई अच्छी नही होती!

तभी बग्गी झूले के सामने आ गई और सलमा मौका देखकर खुले से उतर गई और ध्यान पूर्वक उधर इधर देखते ही भीड़ में गुम हो गई! सलमा लोगो की भीड़ में विक्रम को तलाश कर रही थी और थोड़ी ही देर बाद वो झूले के पीछे के हिस्से में पहुंच गई जहां विक्रम खड़ा हुआ था! विक्रम को देखते ही उसके दिल को बड़ा सुकून मिला और उसके पास चली गई तो विक्रम ने जैसे ही उसे पहचाना तो एक झटके के साथ उसका हाथ पकड़ा और बिलकुल झूले के टेंट के पीछे पहुंच गया जहां किसी के आने की संभावना बेहद कम थी! चोरी छिपे मिलने में सलमा को भी अजीब सा रोमांच मेहसूस हो रहा था और विक्रम ने अपनी बांहे फैलाई तो सलमा उसके सीने से लग गई और दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपट पड़े मानो सैकड़ों सालों के बाद मिल रहे हो! दोनो एक दूसरे को और ज्यादा जोर से अपने अंदर समेटने का प्रयास कर रहे थे और विक्रम ने सलमा के चेहरे को दोनो हाथों में भरा और उसके गाल को चूमने लगा तो सलमा ने उसके हाथ को चूमा और उसकी कमीज हटाकर उसकी छाती पर हाथ फेर कर देखा और बोली:

" आपको चोट तो नही आई न युवराज!

विक्रम उसकी नाजुक कोमल नर्म उंगलियों का एहसास अपनी छाती पर महसूस करके रोमांच से भर गया और बोला:"

" बहुत ज्यादा चोट आई है शहजादी! थोड़ा सहला दीजिए ना आप अच्छा लगेगा मुझे!

सलमा उसकी छाती पर प्यार से उंगलियां फेरती हुई बोली:"

" जब उसने आपको पटका तो मैं तो डर ही गई थी युवराज एक पल के लिए!

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" क्यों आपको मेरी ताकत पर भरोसा नहीं था क्या सलमा?

सलमा ने उसकी छाती को चूम लिया और फिर बोली:" भरोसा न होता तो लड़ने के लिए क्यों बोलती आपको! अच्छा मैं चलती हूं युवराज किसी ने देख लिया तो गजब हो जायेगा!

विक्रम ने फिर से उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा तो सलमा का दुपट्टा उसके हाथ में आ गया और सलमा पहली बार उसके सामने बिना दुपट्टे के आ गई और विक्रम की अपनी नजरे उसके गोल गोल गुंबदों की गहराई नापने लगी तो सलमा ने अपने दोनो हाथों को अपनी गहराई पर रख दिया और शर्म के मारे पलट गई! विक्रम आगे बढ़ा और सलमा को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूम लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और अपने पेट पर बंधे विक्रम के हाथो को अपने हाथो से ढक दिया तो विक्रम ने अपनी पूरी जीभ को लंबाई में उसकी चिकनी खूबसूरत गर्दन पर फिराया तो शहजादी की सांसे उखड़ गई और विक्रम से छूटने की कोशिश करते हुए बोली:"

" अअह्ह्ह विक्रम! खुदा के लिए मुझे जाने दीजिए! किसी ने देख लिया तो मैं फंस जाऊंगी!

विक्रम ने अपनी उंगलियों में सूट के ऊपर से ही उसके चिकने मुलायम सपाट पेट को सहला दिया और बोला:

" पहले वादा करो कि कल जब मैं मिलने आऊंगा तो बुर्का नही पहनोंगी!

सलमा अपने पेट पर उसकी उंगलियों का स्पर्श महसूस करके मचल उठी और तड़प कर बोली:" " आप बहुत बिगड़ते जा रहे हो युवराज! मैं नही मिलूंगी आपसे कल!

विक्रम ने उसके पेट को नाजुक मखमली त्वचा को अपनी हथेलियों में भर लिया और हल्का हल्का मसलते हुए उसकी कान की लौ सहला कर बोला:"

" फिर तो मैं आपको जाने ही नहीं दूंगा सलमा! आज ही जी भरकर आपको प्यार करूंगा!

सलमा उसकी हरकते से पिघल रही थी और तड़पते हुए बोली:"

" ऐसा जुल्म मत कीजिए युवराज! हमारी मजबूरी समझिए! हमे जाने दीजिए ना

विक्रम ने एक झटके के साथ उसे पलट दिया और दोनो हाथों को सीधे उसकी भारी भरकम उभरी हुई गांड़ पर रखकर उसके गाल चूम कर बोला:"

" पहले वादा करो कल सूट पहन कर मिलने आओगी!

इतना कहकर विक्रम ने बिना उसके कुछ बोलने से पहले ही उसके होंठो को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा! शहजादी सलमा भी अपने महबूब की मजबूत बांहों में पिघल गई और उसके होठों को चूसने लगी! तभी झूले के पीछे किसी के कदमों की आहत हुई तो सलमा एक झटके से किस खत्म करी और धीरे से बोली:"

" बस कीजिए युवराज! जाने दीजिए हमे, कोई आ रहा है शायद इधर ही!

विक्रम:" पहले आप वादा कीजिए, जब तक वादा नही करेगी तो मैं आपको ऐसे ही प्यार करता रहूंगा!

विक्रम ने उसकी गांड़ की गोलाईयों को थोडा सख्ती से मसल दिया तो शहजादी के मुंह से आह निकलते निकलते बची और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी तो विक्रम ने थोड़ा सा झुकते हुए उसके गोल गोल गुम्बद के बीच की गहराई को चूम लिया तो सलमा बेचैन हो गई और बोली:"

" अच्छा ठीक है अब तो जाने दीजिए ना मुझे!

कदमों की आहत बिलकुल पास आ गई थी तो विक्रम ने जल्दी से उसका गाल चूम कर हाथ छोड़ दिया और सलमा तेजी से लगभग दौड़ती हुई निकल गई,!!

सलमा बग्गी में पहुंच गई और फिर वापिस सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ी! वही अजय पानी लेकर आ गया था और विक्रम ने पानी पिया और उसके बाद वापिस उदयगढ़ लौट पड़ा!

रात को अजय ने खाना खाया और सोने के लिए अपने कक्ष में आ गया लेकिन उसे नींद नही आ रही थी तो वो थोड़ा टहलने के लिए छत पर गया तो उसने देखा कि उसकी मां पहले से ही छत पर मौजूद थी और चांद को निहार रही थी!

अजय उसके पास पहुंच गया और बोला:" क्या हुआ माता ? आपकी तबियत तो ठीक है जो इतनी रात को छत पर टहल रही हो आप ?

मेनका;" हान ठीक हु मैं तो! बस नींद नही आ रही थी तो छत पर घूमने आ गई! आपको भी नींद नही आ रही हैं क्या अजय ?

अजय:" हान माता बस नींद नही आ रही थी तो थोड़ा घूमने आया तो आपको देखा यहां!

छत पर काफी चांदनी फैली हुई थी और मेनका अपनी विधवा वाली सफेद रंग की साड़ी में भी बेहद आकर्षक लग रही थी क्योंकि वो अद्वितीय सुंदरी थी और उसके रूप सौंदर्य में अजीब सा आकर्षण था जिसकी तरफ मर्द खींचे चले आते थे! अजय ने आज तक कभी अपनी मां को नजर भर कर भी देखा था क्योंकि उसकी मां उसके लिए वो देवी थी जिसने उसे कभी पिता की कमी भी महसूस नही होने दी और फिर अजय एक बेहद संस्कारी लड़का था जिसने आज तक किसी भी लड़की को गलत नजर से नही देखा था और फिर मेनका एक उसकी माता थी!

मेनका:" बस यही देखने आई थी कि चांद अभी कितना पूरा होना बाकी हैं क्योंकि फिर मैं आपको वो जादुई तलवार देना चाहती हू जिसके आप हकदार हो !

अजय: मैने भी जबसे उसके बारे में सुना हैं तो मैं खुद उसे ग्रहण करने के लिए उत्सुक हु!

मेनका:" बस बेटा आज की बात और हैं! कल मैं आपको विधि पूर्वक ही तलवार दूंगी! अच्छा बेटा एक बात बताओ आपको खुशी तो हो रही हैं इस तलवार के बारे में सोचकर ?

अजय:* माता सच कहूं तो मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा है! मैं तड़प रहा हूं अपने पूर्वजों की निशानी को ग्रहण करने के लिए!

मेनका ने आगे बढ़कर उसे गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" आप एक बहादुर पुत्र हो! मैं आपको पुत्र के रूप में पाकर धन्य हो गई अजय!

अजय भी अपनी मां के आगोश में लिपट गया और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि पता नही कितने सालों के बाद वो ऐसे अपनी मां के आंचल में आया था! मेनका वही छत पर पड़े हुए एक बेड पर बैठ गई और अजय उसकी गोद में सिर रखकर लेट गया तो मेनका उसके बालो में उंगली फेरते हुए बोली:"

" पुत्र आपको कोई दिक्कत तो नही हो रही हैं न ?

अजय अपनी आखें बंद किए हुए ही बोला:" आज आपने पता नही कितने सालों के बाद मुझ पर अपनी ममता लुटाई हैं! सच में आपको माता के रूप में पकड़ मैं धन्य हो गया!

इतना कहकर अजय ने आंखे खोली और मेनका की तरफ देखा और मेनका बोली:"

" बेटा आपको नींद आ रही होगी, नीचे चलते हैं क्योंकि रात भी बहुत ज्यादा हो गई है!

अजय अपनी मां की गोद से उठने लगा और जैसे ही उसकी नजरे नीचे आई तो उसकी नजरे पहली बार अपने आप उसकी सीने की गोलाईयों के बीच चली गई जहां काफी गहरी लकीर बनी हुई थी! अजय की नजरे जितनी गति से अपनी मां के सीने पर पड़ी उससे कहीं ज्यादा गति से हट गई और अजय अपनी मां की गोद से उठ गया और फिर दोनो मा बेटे अपने कक्ष में आकर नींद के आगोश में चले गए!


अगले दिन शाम को करीब 7 बजे शहजादी सलमा ने देखा कि सीमा के साथ सपना नही कोई दूसरी लड़की आई है जिसकी शक्ल थोड़ी सीमा से मिल रही थी तो उसने पूछा:"

" सपना नही आई क्या आज और ये आपके साथ कौन है?

सीमा:" शहजादी सपना अपनी मां के साथ कहीं बाहर गई है और कुछ दिन बाद आयेगी! तब तक आपकी देखभाल मैं और मेरी बहन राधिका मिलकर करेंगे!

सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"

" अच्छा ये आपकी बहन हैं, तभी तो मैं सोचु कि इसकी शक्ल आपसे इतनी क्यों मिल रही हैं!

राधिका आगे आती हल्की सी मुस्कान के साथ बोली:"

" वो हम दोनो सगी बहनें हैं न बिल्कुल एक ही मां बाप की औलाद इसलिए शक्ल मिल गई!

उसकी बात सुनकर सभी हंस पड़े और सीमा बोली:"

" बहुत जुबान चलती है तेरी, जा जाके शहजादी के लिए नहाने का पानी गर्म कर दे! शाम के समय शहजादी हल्के गुनगुने पानी से नहाती है!

राधिका वहां से चली गई तो सीमा बोली:" ये बहुत नटखट और चंचल है शहजादी! उसकी बातो का आप बुरा मत मानना!

सलमा:" कोई बात नहीं थोड़ा चंचल तो होना भी चाहिए,! वैसे एक बात बताओ इसे कुछ बताया तो नही न मेरे बारे में?

सीमा:" ऐसी गलती तो मैं कभी नही कर सकती! ये तो सबसे बड़ी ढोल हैं शहजादी! कोई भी बात इसके पेट में नही पचती और इसके सपने तो आसमान को छूते हैं! कहती हैं कि किसी राजकुमार से ही शादी करूंगी!

सलमा:" अच्छा फिर तो उससे बचकर ही रहना होगा! अच्छा किया तुमने बता दिया मुझे!

सीमा:" वैसे बुरा न मान तो एक बात पूछूं?

शहजादी:" हान बोलो ना सीमा?

सीमा:" उस दिन आप मेरे में जब विक्रम से मिली तो कैसा लगा था आपको?

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और बोली:" चल बेशर्म कहीं की, ये सब बातें भी बताने की होती हैं क्या!

सीमा उसकी शर्म हया देखकर समझ गई कि सलमा को ये सब अच्छा लग रहा है और वैसे भी अपने आशिक के बारे में बात करके किसी अच्छा नही लगता हैं! सीमा ने सलमा का हाथ पकड़ लिया और बोली:"

" चलिए मत बताते आप लेकिन आपके शर्मो हया और गालों की लाली पता रहीं हैं कि आपको कितना अच्छा लगा होगा!

सलमा ने उसकी तरफ आंखे निकाली और बोली:"

" तुझे ज्यादा मजा आता है क्या मुझसे छेड़छाड़ करने में?

सीमा:" मुझे तो इतना नही आता जितना विक्रम को आया होगा आपसे छेड़छाड़ करने में!

सलमा उसकी बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा उठी और बोली:"

" चल पागल, कुछ भी बोल देती हैं युवराज ने मेरे साथ कोई छेड़छाड़ नही करी! वो तो मुझसे बेहद प्रेम करते हैं!

सीमा:" अच्छा तो फिर प्रेम ही किया होगा आपको अपनी बांहों में समेट कर शहजादी क्योंकि आपकी सुंदरता ने उन्हें बहका दिया होगा!

सलमा अपनी तारीफ सुनकर खुश हुई और उसे भी सीमा की बाते अच्छी लग रही थी जिस कारण उसकी सांसे काफी तेज हो गई थी और बोली;"

" तुम न अब मार खाओगी मुझसे सलमा!

सीमा:" फिर आपकी सांसे क्यों बढ़ गई है शहजादी, क्यों झूठा गुस्सा दिखा रही हो! बोल दो ना कि युवराज की बांहों में मजा आया था आपको!

सलमा उसकी बात सुनकर अब छिड़ते हुए बोली:"

" हान आया था मजा मुझे, तुझे भी युवराज के गले लगना था क्या सीमा की बच्ची?

सीमा:" हाय मेरी कहां ऐसी किस्मत, मुझे तो विक्रम ने बहन बना लिया नही तो इतने सुंदर ताकतवर राजकुमार पर अपनी जान लूटा देती! आप सच में बेहद खुश नसीब हो शहजादी!

सलमा को अब उसकी बातो में पूरा आनंद आ रहा था और सलमा भी उसके रंग में रंगते हुई बोली:" अच्छा जी ऐसा क्या खास है आपके युवराज में ?

सीमा सलमा के हाथ को सहलाती हुई बोली:" जीता जागता युगपुरुष हैं वो शहजादी! सुंदर इतना और उसके चौड़े मजबूत कंधे औरचौड़ी बलशाली भुजाए उफ्फ जिनमे वो अकसर किसी को कस लें तो छूट नही पाए! आपको कैसा लगा था शहजादी उसकी मजबूत भुजाओं में कसकर ?

सलमा अब पूरी तरह से उसकी बातो से मदहोश हो गई थी और उसके गले लगती हुई बोली:"

" अअह्ह्ह्ह सीमा पूछ मत कितना अच्छा लगा था!

सीमा उसकी हरकत से जोश में आ गई और उसकी पीठ सहलाते हुए बोली:"

" सच में शहजादी आपका ये मदहोश खूबसूरत बदन विक्रम की बांहों के लिए ही बना है! उसकी शेर के जैसी चौड़ी छाती उसकी मर्दानगी की जीती जागती मिसाल है शहजादी!

सलमा ने अब जोश में आकर सीमा का गाल चूम लिया और तभी राधिका की आवाज आई:"

" सीमा दीदी आपको बेगम साहिबा बुला रही हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर धीरे से सलमा के कान में बोली:"

" मुझे चूमने से ज्यादा मजा आपको विक्रम को चूमने में आयेगा! अपना ये प्यार उनके लिए बचाकर रखिए! आज रात के मेले में आपको फिर से युवराज से मिलवा दूंगी!

इतना कहकर वो चली गई और राधिका अंदर आती हुई बोली:"

" शहजादी आपका पानी गर्म हो गया है! आइए आप नहा लीजिए!


सलमा ने राधिका को जाने का इशारा किया और और तेज तेज सांसे लेती हुई देखते ही देखते एक बेहद खूबसूरत बड़े बाथ टब मे बैठ गई और अपने जिस्म से सारे कपड़ों को उतार कर सिर्फ एक चादर को अपने नंगे जिस्म पर लपेट लिया और बाथटब में लेट गई तो पानी से उसके जिस्म पर लिपटा कपड़ा भीग गया और उसकी चूचियां काफी हद तक साफ नजर आ रही थी! सलमा का ध्यान राधिका की तरफ नही था और राधिका धीरे धीरे चलती हुई उसके पीछे आ गई और उसकी चुचियों को देखने लगी और मन ही मन उसे शहजादी से बेहद जलन हुई क्योंकि उसकी चूचियां शहजादी के मुकाबले आधी भी नहीं थी और सबसे बड़ी बात कि शहजादी की चूचियां बिलकुल गोल गोल गुम्बद के जैसी और ठोस थी! निप्पल बिलकुल तने हुए मानो उन्हे अपनी अभिमान हो रहा हो कि हम दुनिया की सबसे सख्त और गद्देदार चुचियों के शिखर पर विराजमान हैं!

शहजादी कोई मधुर गीत गुनगुनाते हुए नहा रही थी और राधिका का मन शहजादी को छुने के लिए मचल रहा था क्योंकि उसे जब्बार की बात याद थी कि शहजादी की वासना को हवा देनी है तो राधिका थोड़ा पीछे चली गई और बोली:"

" शहजादी साहिबा मेरी कोई जरूरत हो तो बताएगा आप,!

सलमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली,:"

" भला नहाने में आपकी क्या जरूरत पड़ेगी, मैं तो रोज खुद ही तो नहा लेती हूं!

राधिका:" शहजादी आप कमर के हिस्से को अच्छे से साफ नही कर पाती होंगी और वैसे भी मैं मालिश अच्छा कर लेती हु!

सलमा उसकी बात सुनकर बोली:" ये बात तो सच कही राधिका कि कमर तक हाथ ठीक से नही जा पाता है! चल अच्छा एक काम कर आजा मेरे पास!

राधिका अपनी चाल में कामयाब हुई और सलमा के पास आ गई और उसके बराबर में बैठते हुए बोली:"

" हाय मैं सदके जावा आप पर शहजादी! आपको मेरी जी नजर न लग जाए! आप जितनी ज्यादा सुंदर हो उससे कहीं ज्यादा आपका बदन सुंदर है!

शहजादी पहले से ही थोड़ी तेज तेज सांसे ले रही थी क्योंकि सीमा ने विक्रम की बाते करके उसे मचलने पर मजबूर कर दिया था और अब ये राधिका तो उससे भी आगे बढ़ रही थी! सलमा ने मुस्कुरा कर उसे देखा और बोली

" अच्छा बड़ी जानकारी हैं तुझे औरत के जिस्म की ! चल इधर आकर मेरी कमर साफ कर!

इतना कहकर शहजादी ने उसकी तरफ करवट ली और राधिका ने अपने हाथ को उसकी कमर पर टिका दिया और कमर साफ करने के बहाने उसकी कमर को सहलाने लगी तो सलमा को बेहद अच्छा लगने लगा और राधिका बोली:"

" शहजादी आपकी कमर बेहद चिकनी ओर मुलायम हैं! क्या लगाती है आप ?

सलमा उसकी बातो से अब पूरा आनंद ले रही थी और उसकी तरफ अपनी कमर को पूरी तरह से उभार दिया और बोली:"

" कुछ भी नहीं लगाती! क्या सच मे मेरी कमर अच्छी हैं राधिका!


कमर के साथ ही साथ सलमा की गांड़ भी पीछे को उभर आई और राधिका की आंखे फटी की फटी रह गई और बोली:"

" शहजादी आप की कमर बेहद जानलेवा है! बुरा न माने तो एक बात कहूं आपको ?

इतना कहकर राधिका ने उसकी कमर को अच्छे से अपनी उंगलियों में भर लिया और सहलाने लगी! सलमा को उसकी उंगलियां बेहद मजा दे रही थी और सलमा बोली:"

" आपकी सिर्फ कमर ही नही बल्कि आपका पूरा जिस्म ही लाजवाब है शहजादी!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसे अपने ऊपर अभिमान हुआ क्योंकि एक औरत होने के बाद भी राधिका जिस तरह से उसकी तारीफ कर रही थी वो उसके नारीत्व के लिए बेहद गर्व की बात थी! सलमा उसकी बातो में डूब गई और बोली:"

" अच्छा राधिका, वो कैसे भला?

राधिका ने अब अपने हाथ का दायरा थोड़ा सा बढ़ाया और उसकी उंगलियां सलमा की चुचियों की गोलाई के आस पास छूने लगी और राधिका बोली:"

" आपका पतली कमर पर आपका उठा हुआ तनी हुई मदमस्त जवानी और मछली की तरह कटावदार आपकी चिकनी कमर जो नीचे आती हुई आपके नितम्बो के पास एकदम से इतनी चौड़ी होकर उभर गई है यकीन नहीं होता कि आपकी पतली सी कमर आपके भारी भरकम नितम्बो का भार उठा सकती हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर पूरी तरह से मचल उठी और उसके बदन मे कंपकपी सी छूट गई और हल्का सा राधिका की तरफ पलटते हुए बोली:"

" तुम सच कह रही हो ना राधिका? क्या सच मे मेरा जिस्म ऐसा ही हैं!

सलमा के पलटने से उसकी चूचियां राधिका की उंगलियों के और करीब हो गई और राधिका ने अब अपनी उंगलियों को उसकी चुचियों तक पहुंचा दिया और हल्का सा सहलाते हुए बोली:"

" सच शहजादी, मां की कसम! आपके जैसी हसीन शहजादी के लिए दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द होना चाहिए!

राधिका की बात सुनकर सलमा की आंखे बंद हो गई और उसकी आंखो के आगे विक्रम का चेहरा आ गया और सलमा के होंठो पर मधुर मुस्कान आ गई और राधिका की उंगलियां अब उसकी चुचियों की आधी गोलाई तक सहलाने लगी और राधिका बोली:"

" लगता हैं शहजादी कल्पना कर रही है कि दुनिया का सबसे ताकतवर मर्द कैसा दिखता होगा!

उसकी बात सुनकर सलमा मन ही मन मुस्कुरा उठी और तभी सीमा के आने की आहत हुई तो राधिका पीछे हट गई और शहजादी ने सुकून की सांस ली ! जिस तरह से राधिका उसके बदन को छू रही थी उससे सलमा के अंग अंग में मीठी मीठी गुदगुदी हो रही थी और वो अपनी टांगो को एक दूसरे से रगड़ती हुई पानी में पड़ी हुई मचल रही थी!

करीब आधे घंटे के बाद शहजादी बाहर निकल आई और अपने कपड़ो को पहन लिया! सीमा के साथ उसने थोडा सा खाना खाया और फिर सीमा के साथ साथ राधिका भी उसके कक्ष से बाहर चली गई! रात के करीब 10 बज गए थे और शहजादी बिस्तर पर पड़ी हुई करवट बदल रही थी क्योंकि उसे अपने प्रियतम के आने का इंतजार था और आज उसकी सांसे कल के मुकाबले ज्यादा महक रही थी!

सलमा बेड से उठी और अपने आपको शीशे में देखने लगी और फिर उसने गहरा काला काजल निकाला और अपनी बड़ी बड़ी गोल गोल नशीली आंखों को और कामुक बनाने लगी!


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काजल लगाने के बाद वो अब बेहद खूबसूरत लग रही थी मानो उसकी सुंदरता मे चार चांद लग गए थे! सलमा ने हल्का सा मेक अप किया और फिर अपने होंठो पर लगाने के लिए लिपिस्टिक उठाई और उसके मन में कुछ आया और वो मुस्कुरा उठी और लिपिटिक को एक तरफ रख दिया और अलमारी से उसने खोलकर एक लाल सुर्ख कश्मीरी निकाली और अपने होंठो पर फेरने लगी और उसके बाद उसे मुंह में भर कर चूस लिया!

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सलमा के होंठ अब बेहद कामुक होकर रसीले हो गए थे और सलमा ने हल्का सा बेरी को दांतो से काटा तो उसका रस उसके होंठो पर पूरी तरह से आ गया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी! सलमा को उसका बदन बेहद हल्का और हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ और उसके घुटने कमजोर पड़ने लगे तो सलमा बेड पर चढ़ गई और तेज तेज सांसे लेने लगी क्योंकि वो जानती थी कुछ ही मिनटों बाद वो विक्रम की मजबूत बांहों में होगी और ये सोचकर सलमा के बदन ने एक जोरदार झटका खाया और उसकी छातियां अब उसकी सांसों के साथ ताल से ताल मिला रही थी!


2021-04-06-1

दूसरी तरफ विक्रम भी सलमा से मिलने के लिए बेहद बेताब था और मेला होने के कारण सुल्तानपुर की सीमा पूरी रात के लिए खुली हुई थी तो कोई खतरा भी नही था! रात के करीब 10:30 बजे विक्रम आराम से मौका देखकर राजमहल के गुप्त रास्ते से बाहर निकल गया और घोड़े पर सवार होकर सुल्तानपुर की तरफ चल पड़ा,!
बहुत ही खुबसुरत और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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जैसे ही 11 बजने में कुछ मिनट थे तो सलमा अपने बेड से उठ खड़ी हुई और इधर उधर देखती हुई बाहर निकल गई और विक्रम तालाब के पास पहुंचा और महल की छत पर देखा और उसके बाद सावधानी से गुप्त रास्ते में दाखिल हो गया और अंदर की तरफ चल पड़ा! विक्रम जैसे ही गुफा के अंतिम छोर पर पहुंचा तो उसे सामने खड़ी हुई शहजादी सलमा नजर आई और देखते ही दोनो की आंखे टकरा गई और एक साथ दोनो के होंठ मुस्कुरा उठे! सलमा तेजी से अपने कक्ष की तरफ चल पड़ी और विक्रम उसके पीछे पीछे खींचा चला आया! शहजादी अपने कक्ष में आ गई! जैसे ही विक्रम अंदर घुसा तो विक्रम ने कक्ष के दरवाजे को बंद किया और कक्ष पर एक नज़र डाली तो उसे बेहद खुशी हुई क्योंकि आज शहजादी ने कक्ष को अच्छे से गुलाब के फूलों से सजा दिया था और विक्रम आगे बढ़ा और सलमा के करीब पहुंच गया और सलमा की सांसे और तेज होने लगी! विक्रम ने उसका हाथ पकड़ा तो शहजादी से शर्म से अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया और विक्रम ने एक झटके के साथ उसे अपनी तरफ खींचा तो सलमा किसी डोर की मानिंद खींची चली आई और उसके सीने से जा लगी और अपना चेहरा छिपा लिया तो विक्रम ने उसके कंधो को पकड़ा और बोला:"

" आप नही जानते थे कि हम आपको देखने के लिए कितना तड़प रहे थे शहजादी! मेरे इस खूबसूरत चांद को निहारने का हक हमसे मत छीनिये सलमा!

इतना कहकर विक्रम ने उसका चेहरा ऊपर उठा लिया तो कांपती हुई लरजती हुई सलमा की आंखे शर्म से बंद हो गई और विक्रम ने जी भरकर अपने चांद का दीदार किया और फिर बोला:"

" आप सच में बेहद खूबसूरत हैं शहजादी और आज तो आप के रूप सौंदर्य में गजब का आकर्षण है शहजादी! एक बार अपनी आंखो को खोलिए न आप

अपने हुस्न की सुबह से तारीफ सुन रही सलमा को अब अपने महबूब से अपनी तारीफ सुनकर सुकून मिला और उसने अपनी आंखों को खोल दिया और विक्रम ने उसकी आंखो को चूम लिया और बोला:"

" आपकी आंखे बेहद खूबसूरत हैं शहजादी! इनमे डूबकर मर जाने को जी चाहता है!

सलमा उसकी बात सुनकर तड़प उठी और उसके होंठो पर अपनी उंगली को रख दिया तो विक्रम ने सलमा की उंगली को मुंह में भर कर चूस लिया तो सलमा उससे कसकर लिपट गई! विक्रम उसकी उंगली को चूसता रहा और सलमा भी मजे से उसकी लिपटी रही और अपनी उंगली को उसके मुंह में डाले रखा ! विक्रम ने अपने हाथो को पीछे ले जाकर उसकी कमर को थाम लिया और सहलाने लगा तो सलमा एक झटके के साथ उसे अलग हो गई और गहरी गहरी सांसे लेने लगी और सोचने लगी कि क्यों मैं विक्रम से दूर हो गई! विक्रम फिर से आगे बढ़ा और सलमा के पास जाकर बोला:"

" वैसे शहजादी हम आपसे नाराज हैं!

सलमा ने उदास निगाहों से उसकी तरफ देखा और बोली:"

" ऐसा न कहे युवराज! हमारी जान निकल रही हैं ! कहिए तो क्या खता हो गई हमसे ?

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर फिर से अपनी तरफ खींच लिया और बांहों में समेट कर बोला:"

" आपने वादा किया था कि बुर्का नही पहनोगी सलमा!

सलमा ने उसका गाल चूम लिया और उसकी छाती में सिमट गई और बोली:

" ओहो विक्रम, मेरी तो जान ही निकाल दी थी आपने!

विक्रम ने उसके दोनो कंधो को थामा और उसके बुर्के की चैन को खोल दिया तो सलमा उससे पूरी ताकत से कसकर लिपट गई और विक्रम ने उसे पल भर के लिए अपने से अलग किया और बुर्के को पूरी तरह से खोलकर उसके जिस्म से उतार दिया और सलमा तेज तेज सांसे लेती हुई खुद ही उससे लिपट गई और उसकी छाती चूम कर बोली:"

" आप बहुत शैतान होते जा रहे हो युवराज!

विक्रम ने अब उसे थोड़ा कसकर अपनी बांहों में समेट लिया तो सलमा कसमसा उठी और उसके कान में फुसफुसाकर बोली:"

" अह्ह्ह्हह विक्रम! मार डालना चाहते हो क्या अपनी शहजादी को आज

विक्रम ने अपने हाथो को उसके नितंबों पर ले गया और सहलाते हुए उसकी गर्दन चूमकर बोला:

" अह्ह्ह्ह्ह मेरी शहजादी, बस प्यार करना चाहता हूं!

सलमा अपने नितंबों पर उसका हाथ महसूस करके उत्तेजित हो गई और अपनी तेजी से उछलती हुई छातियों से उसके सीने में वार करती हुई मदहोशी से बोली:

" अअह्ह्ह्ह विक्रम मेरे युवराज उफ्फ ऐसे ताकत से भला कौन प्यार करता है!

विक्रम ने अपनी हथेलियों को पूरा खोलते हुए उसकी गोल गोल गद्देदार गांड़ की गोलाईयों को पूरा भर लिया और थोड़ा कर सहला दिया और बोला:"

" अ हायअह्ह्ह्हह शहजादी! आपको अच्छा नही लग रहा है क्या सलमा!

सलमा दर्द और मजे से कराह उठी और उसके सीने को जोर से चूम लिया और सिसकते हुए बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह अच्छा तो लग रहा है मेरे युवराज! मर जाऊंगी मैं

विक्रम ने अपनी जीभ को बाहर निकाल कर सलमा की चिकनी खूबसूरत गर्दन पर फेर दिया तो सलमा का पूरा बदन कांप उठा और वो एक झटके के साथ आह्ह्ह्ह् करती हुई विक्रम की बांहों से निकल गई और गहरी गहरी सांसे लेती हुई विक्रम को देखने लगी और विक्रम ने आगे बढ़कर फिर से मचलती हुई कांपती हुई सलमा को पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया

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विक्रम कभी उसकी गर्दन को चूम रहा था तो कभी उसके गाल को चूम रहा था और विक्रम के होंठ सलमा के पूरे चेहरे पर चुंबनो की बरसात कर रहे थे और सलमा मचलती हुई कांपती हुई उससे लिपट रही थी और विक्रम ने एक हाथ पीछे ले जाकर उसके सूट मे घुसा दिया और उसकी नंगी कमर को सहला कर उसके कान में फुसफुसाया:"

" आह्ह्ह्ह मेरी शहजादी, आपके ये अमृत भरे मधु रस होंठो किसके लिए हैं!

सलमा से अब बर्दाश्त नही हुआ और आंखे बंद करते हुए विक्रम के होंठो से अपने होंठों को चिपका दिया और दोनो मदहोश होकर एक दूसरे के होठों को चूसने लगे! सलमा ने अपने आपको पूरी तरह से उसकी बांहों में ढीला छोड़ दिया और उसके होंठो को चूसने लगी! विक्रम से ज्यादा आज सलमा उसके होंठो को चूस रही थी और सलाम ने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया तो विक्रम के सब्र का बांध टूट पड़ा और जोर जोर से उसकी जीभ को चूसने लगा, दोनो ही एक दूसरे से ज्यादा जोर से होंठो को चूस रहे थे और सलमा की हालत पूरी तरह से खराब हो गई थी और विक्रम ने जैसे ही हाथ ऊपर ले जाकर उसकी ब्रा की स्ट्रिप को छुआ तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और कांपती हुई सलमा एक झटके के साथ फिर से उससे अलग हो गई! सलमा की सांसे इतनी ज्यादा तेज हो गई थी उसकी उछलती हुई भारी भरकम छातियां विक्रम को पागल कर रही थी ! विक्रम आगे बढ़ा और सलमा के पीछे जाकर उसे जोर से अपनी तरफ खींचा और सलमा एक झटके के साथ फिर से उससे आ लगी और सलमा की पीठ अब विक्रम की छाती से मिल गई और विक्रम ने उसकी गर्दन चूमते हुए दोनो हाथों को सीधे उसकी मचलती हुई छातियों पर रख लिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और सलमा पलटकर उससे कसकर लिपट गई! विक्रम ने अपने हाथो को उसके कंधो पर रखा और उसके सूट को उसके कंधो से सरका दिया तो अपने जलते हुए होठों को उसके नंगे चिकने कंधो पर रख लिया और चुसने लगा तो सलमा के मुंह से मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी और विक्रम ने बिना देर किए उसके सूट को पीछे से खोल दिया और सलमा की पूरी नंगी चिकनी कमर को अपने हाथों में भर कर उसके कंधो को चूमने लगा तो सलमा बेकाबू होकर उससे लिपट कर और विक्रम ने उसके सूट को उतार कर फेंक दिया और सलमा की गोल गोल गुम्बद जैसी ठोस मदमस्त चूचियां एक सफेद रंग की ब्रा में कसी हुई उसके सामने आ गई और सलमा तड़पते हुए उसके गले लग गई!

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विक्रम ने सलमा की नंगी कमर को कसकर अपने हाथो से सहला दिया तो सलमा मस्ती से सिसक उठी और विक्रम के सीने में शर्म के मारे छिप गई और विक्रम उसकी कड़क चुचियों की छुवन अपने सीने में महसूस करके जोश में आ गया और सलमा के नाजुक रसीले होंठो को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा और सलमा भी कांपती हुई उसके होंठो को चूसने लगीं! विक्रम कभी उसके नीचे के होंठ को मुंह में भर कर जोर जोर से चूस रहा था तो कभी नीचे वाले होंठ को अपने दांतों से काटते हुए चूस रहा था और सलमा पूरी ताकत से उससे लिपटी हुई उसके होंठो को चूस रही थी!

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सलमा की चूचियां पूरी तरह से अकड़ गई थी और उसकी जांघो के बीच में चिपचिपा रसीला कामरस आ गया था जिससे सलमा पूरी तरह से मदहोश हो गई और उसने अपने दोनो हाथों को विक्रम के गले में डाल दिया और उसकी बांहों में खुल गई क्योंकि उत्तेजना और मस्ती की वजह से उसके पैरो ने जवाब दे दिया और विक्रम ने सलमा को अपनी बांहों में थाम लिया और सलमा का इशारा समझकर उसे बेड की तरफ ले चला! विक्रम ने बेड कक्ष के चारो और फैले खूबसूरत पर्दो को हटा दिया और अंदर घुसा तो फिर से गुलाबी रंग के परदे आ गए और विक्रम ने सलमा का मुंह चूमते हुए उन्हे भी हटा दिया और फिर सलमा को बेड पर लिटा और ज़ोर ज़ोर से सांसे लेती हुई सलमा बेड पर लेट गई और उछल पड़ी क्योंकि बेड बहुत ही ज्यादा गद्देदार था! सलमा बेड पर हल्की हल्की उछलती हुई कामुक नजरो से अपनी ब्रा में कैद उछलती हुई चुचियों के साथ विक्रम को देख रही थी और विक्रम बिना देर किए बेड पर चढ़ गया और कांपती हुई सलमा के उपर चढ़ गया और उसके होंठो को चूसने लगा और सलमा भी उसके होंठो को चूसने लगी और विक्रम ने नीचे आते हुए उसकी ब्रा में कैद चुचियों को हाथ में भर लिया और सहलाने लगा तो सलमा अपनी चुचियों पर उसका कठोर मर्दाना एहसास पाकर मस्ती से सिसक उठी और उसके सिर को अपने हाथो से थाम लिया और अपने सीने पर दबाने लगी तो विक्रम ने अपने होठों को उसके पेट पर लगा दिया और उसकी गोल गोल गहरी नाभि में अपनी जीभ डाल कर चूसने लगा तो सलमा अपने पैरो को पटकते हुए अपने दोनो हाथो से बेडशीट को मसलने लगी और उसकी सांसे इतनी तेजी से चल रही थी मानो उसकी चूचियां उसकी ब्रा फाड़कर बाहर निकल आना चाह रही हो!


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विक्रम उसकी नाभि को चूसता हुआ उपर की तरफ बढ़ चला और सलमा अपने जिस्म को जोर जोर से बिस्तर पर पटक रही थी और विक्रम ने अब उसकी ब्रा में कैद चुचियों को चूमना शुरू कर दिया तो शहजादी मस्ती से सिसक उठी और बेकाबू होकर अपने जिस्म को बेड पर पटक पटक रही थी तो विक्रम ने उसके पैरो को अपने पैरों में फंसा लिया और उसकी चुचियों पर अपनी जीभ को फेर दिया तो सलमा मस्ती से सिसक उठी

" अह्ह्ह्हह युवराज! मत करो उफ्फ अम्मी!

विक्रम ने उसके मुंह में अपनी एक उंगली को घुसा दिया और सलमा बेकाबू होकर उसकी उंगली को चूसने लगी और विक्रम उसकी चुचियों को ब्रा से ही अपने मुंह में भर कर चूसने लगा तो सलमा की चूचियां उछलने लगे और विक्रम ने अपने उंगली को उसके मुंह से निकाला और उसके चेहरे पर फिरते हुए उसके होंठो पर आया तो सलमा ने उसकी उंगली को जीभ निकाल कर चूम लिया और विक्रम के हाथ उसकी ब्रा की तनियो पर आए और उन्हे सलमा के कंधो पर से सरका दिया और उसके साथ ही सलमा की चूचियां नंगी होकर एक झटके के साथ उछलती हुई बाहर आ गई

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सलमा के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी और उसने शर्म से अपनी आंखे बंद करके हुए अपनी दोनो चुचियों को अपने हाथों से ढक लिया और अपने जिस्म को किसी जंगली घोड़ी की तरह बेड पर पटकने लगी और विक्रम ने उसके होंठो को चूमते उसके उसके हाथो को अपने हाथों में भर लिया और उसकी उंगलियों के बीच अपनी उंगलियों को घुसा दिया और उसकी चुचियों को मसलने लगा तो उसके मर्दाना सख्त हाथो का एहसास करके ही सलमा ने अपनी जीभ को उसके मुंह में घुसा दिया तो विक्रम ने सलमा के हाथो को जबरदस्ती उसकी चुचियों पर से हटाया और अपने दोनो हाथों में उसकी सख्त तनी हुईं चुचियों को भर लिया और सलमा ने विक्रम के मुंह में अपनी जीभ को पूरी तरह से घुसाते हुए उसकी जीभ से मिला दिया और विक्रम सलमा की जीभ को चूसते हुए उसकी चुचियों को सहलाने लगा और दोनो को बेहद मस्ती आ रही है! सलमा की चूचियां विक्रम के हाथो में उछल उछल पड़ रही थी मानो उसे उकसा रही हो कि आ और दाब हमे! विक्रम ने उसकी चुचियों की चुनौती को स्वीकार किया और जोर से कसकर मसल दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और लंबी लंबी सांसे लेती हुई कामुक नजरो से विक्रम की तरफ देखने लगी और विक्रम ने आगे झुककर उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और सलमा के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी

" अअह्ह्ह्हह हायय्य सीईईईईईईईई अअह्ह्ह्ह् क्या कर दिया मुझे मेरे युवराज !

विक्रम ने उसकी चूची को जोर से चूसना शुरु कर दिया और सलमा अब पूरी तरह से बेकाबू होकर अपनी जांघो को पूरा खोलते जीभ निकल कर जोर जोर से सिसकियां लेने लगी और विक्रम ने उसकी एक चूची को हाथ में भरा और दूसरी को मसलना शुरू कर दिया और सलमा ने अपनी जीभ निकालकर उसे दिखाई तो विक्रम उसके ऊपर चढ़ उसके होंठो को चूसने लगा और सलमा बेकबू होकर अपना मुंह खोलते हुए उसके होंठो को चूसने लगीं


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विक्रम की छाती पूरी नंगी थी और अब पूरी तरह से सलमा के ऊपर चढ़ा हुआ था और होंठो को चूसते चूसते ही विक्रम ने सलमा की सलवार के नाडे को पकड़ा और सलमा ने उसके हाथ को पकड़ लिया मानो मना कर रही हो लेकिन विक्रम ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए नाडे को खोलना चाहा और शहजादी उसे रोकने की कोशिश कर रही थी और बेचारे नाडा कमजोर पड़ा और टूट गया और नाडे के टूटते ही सलमा ने पागल सी हो गई और अपनी टांगो को उसकी टांगों में फंसा लिया तो विक्रम ने सलमा के दोनो हाथो को ऊपर उठाते हुए उसकी ब्रा को निकाल फेंका तो उसकी चौड़ी छाती सलमा की नंगी चूचियों से मिल गई और सलमा ने जोर से सिसक कर अपने दोनो हाथों को उसकी कमर पर लपेट दिया और विक्रम उसकी चुचियों के कड़क निप्पल को अपनी छाती से मसलते हुए धीरे धीरे उसकी सलवार को सरका दिया और सलमा के जिस्म पर अब सिर्फ पेंटी ही बच गई जो पूरी तरह से भीग गई थी! विक्रम ने अपने हाथ नीचे लाते हुए अपने पायजामें को उतार दिया और सलमा बेडशीट को हाथो से मसलती हुई लंबी लंबी सांसे लेती हुई उत्तेजना से अपने जिस्म को बिस्तर में पटक रही थी जिससे उसकी चूचियां उछल उछल पड़ रही थी!


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विक्रम का फौलादी लंड अपने विकराल रूप में आ गया था और एक अंडर वियर में सलमा की पेंटी की को रगड़ रहा था और विक्रम उसकी चूत पर धक्के मारते हुए उसकी चुचियों को मसल रहा था और शहजादी उसे चूमते हुए सिसक रही थी! विक्रम की गति बढ़ती गई और सलमा की सिसकियां तेज होने लगी और हर बार उसका मुंह मस्ती से खुल रहा था और विक्रम के मुंह से भी आह निकल पड़ी! सलमा भी अपने नितंबों को नीचे से उठा उठा कर सहयोग कर रही थी जिससे धक्कों में बहुत तेजी आ गई थी और उसने सलमा को पूरी ताकत से कस लिया और जोर से धक्का लगाया और सलमा के मुंह की चूम लिया विक्रम के साथ साथ सलमा के मुंह से भी एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी इसके साथ ही दोनो एक साथ झड़ते चले गए और विक्रम उसकी गर्दन चूमते हुए उसकी चुचियों पर गिर पडा!


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दोनो एक दूसरे को चूमते हुए अपनी सांसे दुरुस्त कर रहे थे और शहजादी सलमा विक्रम के गले में अपनी बांहों का हार डाले हुए उससे लिपटी हुई और थोड़ी देर के बाद दोनो की सांसे थोड़ा संयत हुई तो सलमा को अपनी हालत का एहसास हुआ और शर्म के मारे विक्रम के सीने में अपना मुंह छुपा लिया और विक्रम ने उसकी हालत समझते हुए एक चादर को दोनो के जिस्म पर खींच लिया और बोला:"

" शहजादी आपकों कोई तकलीफ तो नही हुई हैं ना!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और उसके सीने में अपने मुंह को छिपाए हुए इनकार में गर्दन को हिला तो विक्रम ने उसके गाल को चूम लिया और प्यार से उसके बालो को सहलाते हुए बोला:"

" आपको मजा आया ना शहजादी!

सलमा इस बार उसकी बात सुनकर कांप उठी और कसकर उससे लिपट गई और उसका मुंह चूम लिया तो विक्रम ने भी उसकी नंगी कमर में हाथ डालकर उसे अपने बदन से चिपका लिया और कभी उसके बालो को सहलाता तो कभी प्यार से उसका मुंह चूमता! सलमा को बेहद अच्छा लग रहा था क्योंकि विक्रम उसका ध्यान बेहद अच्छे से रख रहा था और सलमा बोली:"

" युवराज आज आपने जिस तरह से सागोला को हराया मैं आपकी कायल हो गई !

विक्रम अपनी उंगलियों को उसकी नंगी कमर पर कामुक अंदाज में फेरते हुए बोला:" अच्छा जी! वैसे सागोला का घमंड तो मुझे तोड़ना ही था! मैं खुद ही उससे लड़ना चाहता था लेकिन मेरे मित्र अजय ने मुझे रोक दिया था लेकिन आपके इशारे पर मैं उससे लड़ा!

सलमा अपनी नंगी कमर में उसकी उंगलियां महसूस करके फिर से अपने बदन में उत्तेजना महसूस कर रही थी और उसकी छाती चूम कर बोली:"

" ओह आपके मित्र आपसे नाराज तो नही हो जायेंगे न!

विक्रम:" नही शहजादी अजय हमसे कभी नाराज हो ही नहीं सकता! जिस तरह से आपकी जिंदगी में सीमा हैं उसी तरह से अजय मेरा दोस्त हैं! लेकिन मैने उसे अपने और आपको रिश्ते के बारे में नही बताया!

सलमा की चूचियां फिर से फूलना शुरू हो गई थी और बदन ने सिरहन सी दौड़ना शुरू हो गई तो वो विक्रम से कसकर लिपट गई और बोली:"

" अच्छा युवराज आपने कभी बताया नही कि आप किस राज्य के युवराज हैं?

विक्रम उसका सवाल सुनकर मन ही मन डर गया क्योंकि वो शहजादी से झूठ नही बोल सकता था और सच कहने की उसकी हिम्मत नहीं थी तो विक्रम शहजादी की आंखो मे देखते हुए बोला:" सलमा मैं आज आपसे सबसे ज्यादा प्यार करता हूं और मेरी बात को समझने की कोशिश करना जो मैं कहने जा रहा हूं!

सलमा की उसकी बात सुनकर हैरानी हुई और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" मैं भी आपसे बेहद प्यार करती हूं विक्रम! बोलिए आप!

विक्रम:" शहजादी सच कड़वा हैं और वो ये है कि मैं उदयगढ़ का युवराज हु!

सलमा के सीने में उसकी ये बात जहरीले तीर की तरह चुभी और वो विक्रम को झटका देती हुई उसकी बांहों से ऐसे आजाद हुई मानो ज़हरीले सांप से लिपटी हुई थी और खड़ी होकर अपने जिस्म को ढकने लगी! विक्रम धीरे से खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़ कर बोला:"

" ये सच है कि मैं उदयगढ़ से हु लेकिन शहजादी.....

इससे पहले कि विक्रम आगे कुछ बोलता सलमा ने झन्नाटेदार थप्पड़ उसे जड़ दिया और अपना हाथ छुड़ा कर गुस्से से बोली:"

" दूर हो जाओ मेरी नजरो के सामने से, मैं आपकी सूरत भी नहीं देखना चाहती!

विक्रम का मुंह थप्पड़ से लाल हो गया और सलमा का हाथ पकड़ कर बोला:"

" पहले मेरी बात सुनो शहजादी...

इससे पहले की विक्रम की बात पूरी होती सलमा ने विक्रम के हाथ में अपने दांत गडा दिए तो विक्रम दर्द से कराह उठा और सलमा बोली:"

" विक्रम तुमने मुझे धोखा दिया है, मेरे दिल को दर्द दिया है, बेहतर यही होगा कि आप चले जाओ और कभी अपनी शक्ल मुझे मत दिखाना!

विक्रम दर्द से कराह कर बोला:"

" उदयगढ़ और सुल्तानपुर की दुश्मनी जब से चल रही है तब मैं छोटा बच्चा था शहजादी! इसमें मेरा क्या दोष है मैने तो सच्चे मन से आपसे प्यार किया हैं!

सलमा की आंखे भर आई और उसकी तरफ देखकर बोली:"

" विक्रम मुझे कोई बात नही सुननी, मैं अपने बाबा से बहुत प्यार करती थी और आपके पापा की वजह से वो मारे गए! मुझे घिन आती हैं अपने आपसे कि मैने आपसे प्यार किया!

इतना कहकर सलमा जोर जोर से फफक फफक कर रो पड़ी और विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ा तो शहजादी ने झटके से उसका हाथ पटक पटक तो विक्रम ने उसका हाथ कर उसे दीवार से अड़ा दिया और बोला:"

" मेरी बात समझ क्यों नही रही हो शहजादी? उसमे मेरी कोई गलती नहीं हैं !

सलमा की आंखो से आंसू निकल पड़े और रोते हुए बोली:"

" विक्रम आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे! अपना शक्ल मुझे भूल से भी मत दिखाना! शराफत से चलो जाओ इससे पहले कि मैं आपको धक्के देकर निकाल दू!

इतना कहकर सलमा ने अपना हाथ छुड़ा लिया और विक्रम ने गुस्से से उसका हाथ छोड़ दिया! सलमा रो रही थी और उसका पूरा चेहरा आंसुओं से भीग गया

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सलमा ने विक्रम का हाथ पकड़ लिया और उसे अपने कक्ष से बाहर निकाल दिया और गुप्त रास्ते के दरवाजे पर लाकर छोड़ दिया और बोली:"

" मैने प्यार में आपको महल के गुप्त रास्ते दिखा दिए हैं! अगर आपने मुझसे थोड़ी भी मोहब्बत करी हैं तो इनका इस्तेमाल कभी मत करना! आज के बाद सुल्तानपुर में दिखाई दिए तो जिंदा वापिस नही जाओगे ये सलमा का वादा हैं युवराज!

इतना कहकर सलमा वापिस चल पड़ी और विक्रम के मुंह से शब्द नही निकल पा रहे थे और वो भरी हुई निगाहों से सलमा को दूर तक जाते हुए देखता रहा और फिर न चाहते हुए भी गुफा के अंदर घुस गया क्योंकि वो जानता कि सलमा अब उसकी कोई बात नही सुनने वाली! विक्रम अपनी आंखो में आंसू लिए रात के करीब एक बजे वापिस उदयगढ़ की तरफ चल पड़ा!!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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