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Incest शहजादी सलमा

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विक्रम अपनी भीगी आंखों से वापिस उदयगढ़ आ गया और बेचैनी से इधर उधर टहल रहा था! उसने सपने में भी नही सोचा था कि सलमा उसके हाथ ऐसा व्यवहार करेगी! जब सलमा ने उसे थप्पड़ मारा तो उसका मन किया था कि उसका मुंह तोड़ दे लेकिन अपनी मोहब्बत की वजह से खामोश रहा और जिस तरह से सलमा ने उसे बेइज्जत करके अपने कक्ष से निकाला था उससे उसका दिल बुरी तरह से टूट गया था और विक्रम को अब बिलकुल भी सुकून नही मिल रहा था! जिस सलमा के लिए उसने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी और अपनी जान से ज्यादा प्यार किया उसने ही उसने धमकी दी कि सुल्तानपुर की सीमा में दिखे तो जिंदा वापिस नही जाओगे ये सब सोचकर उसे रोना आ रहा था!

बेचैनी से इधर उधर टहलते हुए विक्रम को पूरी रात हो गई और जैसे ही सुबह हुई तो वो अजय उसके पास आया और उसकी लाल आंखे देखकर बोला:"

" क्या हुआ युवराज ? आपकी आंखे बड़ी लाल हो रही हैं जैसे आप पूरी रात सोए नही हो!

विक्रम के चेहरे पर छाई उदासी उसकी हालत बयान कर रही थी और विक्रम बोला:"

" ऐसा कुछ नही हैं बस आंखे दर्द कर रही थी तो इसलिए नींद नही आई मुझे!

अजय:" माफ कीजिए युवराज लेकिन आपके चेहरे पर छाई उदासी मुझे कुछ और ही संकेत दे रही हैं !

विक्रम थोड़ी देर चुप रहा और बोला:" अजय ऐसा कुछ भी नहीं है, बस कल कुश्ती के बाद नींद नही आई तो इसलिए सो नही पाया मैं अच्छे से!

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:" युवराज एक बार मुझे अपनी समस्या बताकर तो देखिए, मुझे आपके काम आकर खुशी होगी!

अजय ने उसकी तरफ ध्यान से देखा और फिर कुछ सोचते हुए बोला:" ठीक हैं अजय, सही समय आने पर आपसे सब बाते साझा करूंगा!

अजय:" मैं बेताबी से उस पल का इंतजार करूंगा युवराज! चलिए आप नहा लीजिए फिर आपको राजमाता ने बुलाया हैं!

विक्रम नहाने के लिए अंदर चला गया और थोड़ी देर बाद दोनो राजमाता के सामने खड़े हुए थे और राजमाता गायत्री देवी विक्रम को देखकर बोली:"

" क्या हुआ युवराज? आपके चेहरे पर ये पीड़ा किसलिए ?

विक्रम जानता था कि वो चाह कर अपनी मां की नजरों से नही बच सकता लेकिन सच कह पाने की हिम्मत उसमें नही थी और बोला:"

" तबियत थोड़ी ठीक नही है मेरी बस इसलिए ऐसा लग रहा है आपको!

राजमाता:" सिर्फ ये ही बात हैं या कुछ और भी वजह हैं युवराज?

अजय नही चाहता था कि विक्रम को राजमाता के और सवालों का सामना करना पड़े इसलिए विषय को बदलते हुए बोला:"

" राजमाता कल युवराज ने सागोला को कुश्ती में हरा दिया! सागोला ने हमारे राज्य के कई पहलवानों की रीढ की हड्डी तोड़ दी थी!

राजमाता ने आगे बढ़कर विक्रम का माथा चूम लिया और बोली:"

" शाबाश मेरे शेर बेटे! ऐसे ही दुश्मनों के हौसलों को तबाह करते रहे और उन्हें धूल चटाते रहो आप!

उसके बाद राजमाता बोली:"

" कल अजय का उदयगढ़ का सेनापति बनाया जायेगा इसलिए आप उत्सव की तैयारी में जुट जाएं युवराज! मुझे अजय से कुछ बात करनी है आप !

विक्रम उसकी बात सुनकर बोला:" जो आज्ञा राजमाता!

इतना कहकर वो बाहर निकल गया और उसके जाने के बाद राजमाता अजय से बोली:

" अजय पता करने की कोशिश करो कि विक्रम को क्या हुआ हैं ? उसके चेहरे की पीड़ा हमसे देखी नही जा रही है!

अजय:" आप चिंता मत करिए राजमाता! मैं युवराज की समस्या और समाधान दोनो ढूंढ लूंगा!

गायत्री:"मुझे आप पर पूरा भरोसा हैं अजय! मेरी कोई भी सहायता चाहिए तो बता देना!

अजय:" जी राजमाता! मैं भी घर जाऊंगा और उसके बाद कुछ तलवारों और तीरों का मुआयना करना है मुझे ताकि जरूरत पड़ने पर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके!

राजमाता: वैसे तो आप आस ऐसा कोई राज्य हैं नही जो उदयगढ़ की तरफ नजर उठा कर देख सके! बस हमें पिंडारियो के हमले से बचने की जरूरत हैं क्योंकि उन्हें हराना बेहद मुश्किल हैं और वो राज्य का खजाना और खूबूसरत जवान औरतों को उठाकर ले जाते हैं!

अजय:" आप चिंता न करे राजमाता, मैं सौगंध खाता हूं कि उदयगढ़ की तरफ बुरी नजर डालने वाले हर दुश्मन को नर्क में पहुंचा दूंगा चाहे तो पिंडारी हो या फिर कोई दूसरा!

राजमाता:" हमे आप पर पूरा भरोसा है अजय! आप जाकर अपने काम कीजिए!

उसके बाद अजय राजमाता के कक्ष से निकल गया और अपने कामों में लग गया! वहीं दूसरी तरफ मेनका को समझ नहीं आ रहा था कि वो आज रात होने वाली विधि के लिए अजय को कैसे समझाए क्योंकि जो रूप उसे धारण करना था वो समाज के नियमो के खिलाफ था लेकिन तलवार सौंपने की विधि की पहली और अंतिम सबसे जरूरी शर्त वही थी!

दूसरी तरफ विक्रम के जाने के बाद सलमा अपने बेड पर गिर पड़ी और लंबी लंबी सांसे लेने लगी! उसका दिल ये मानने के लिए तैयार ही नहीं था कि विक्रम उसके साथ इतना बड़ा धोखा कर सकता है उसे अपनी सच्चाई नही बताई और उसके साथ प्यार करता रहा! सलमा की बार बार आंखे भर भर आ रही थी और उसे अपने आपसे नफरत हो रही थी कि उसने जिंदगी मे उस आदमी से प्यार किया जिसके पिता ने उसके अब्बा की हत्या कर दी और उन्हें धोखा दिया! सलमा को अपने आप पर बाद गुस्सा आ रहा था कि कैसे वो खुद अपने जिस्म को विक्रम के हवाले कर बैठी थी!

पूरी रात ऐसे ही कट गई और अगले दिन सीमा और राधिका दोनो आ गए और राधिका शहजादी के लिए पानी गर्म करने चली गई तो सीमा उसकी हालत देखकर बोली:"

" क्या हुआ शहजादी ? आप बड़ी परेशान लग रही है!

सलमा ने उसकी तारीफ उदास नजरो से देखा और कोई जवाब नही दिया तो सीमा उसके करीब बैठ गई और बोली:"

" बताओ ना शहजादी? मुझसे आपकी ये हालत नही देखी जाती!

सलमा का दिल भर आया और वो बोली:"

" आपको पता है कि विक्रम कहां का युवराज हैं?

सीमा ने इंकार में उसकी तरफ सिर हिलाया तो सलमा बोली:"

" उदयगढ़ का! उसी उदयगढ़ का जिनकी वजह से हमारे अब्बा की मौत हुई थी!

सीमा की आंखे उसकी बात सुनकर खुली की खुली रह गई और थोड़ी देर शांति छाई रही तो सलमा बोली:"

" हमने उससे इतना प्यार किया और उसने हमने धोखे में रखा और हमसे अपनी सच्चाई छुपाई! आज के बाद हम किसी से प्यार करना का सच भी नहीं सकते!

इतना कहकर सलमा ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया और रो पड़ी! सीमा उसे थपथपाती रही और फिर उसके आंसू साफ करते हुए बोली:

" उसने गलत किया आपके साथ! उसे सच्चाई बता देना चाहिए थी आपको!

इतने में राधिका कक्ष में आ गई तो दोनो चुप हो गई लेकिन शहजादी की लाल आंखे राधिका से छुपी ना रह सकी लेकिन उसने कुछ नही कहा और सलमा बोझल कदमों से नहाने के लिए चली पड़ी! नहाकर आने के बाद उसने जबरदस्ती सीमा के जोर देने पर थोड़ा सा कुछ खाया और उसके बाद आराम से अपने कक्ष में ही लेट गई!

रात के करीब आठ बज गए थे और मेनका को समझ नही आ रहा था कि वो अजय को कैसे समझाए कि आज रात वो किस रूप में उसके सामने आयेगी तो उसने आखिर कार उससे बात करने का निर्णय लिया और उसके कक्ष की और चल पड़ी! अजय बैठा हुआ कुछ काम कर रहा था और मेनका को देखते ही खड़ा हुआ और बोला:"

" माता आप यहां? मुझे भी बुला लिया होता आपने आने का कष्ट क्यों किया ?

मेनका उसके पास पहुंच गई और बोली;" इतनी भी कमजोर नही हुई अभी कि चलकर आपके कक्ष तक न आ सकू पुत्र!

अजय बेड से उठ गया और खड़े होते हुए बोला:" मेरा वो मतलब नहीं था माता, आप तो अभी बिलकुल स्वस्थ जान पड़ती हैं! आइए बैठिए आप!

मेनका बेड पर बैठ गई और उसका हाथ पकड़ कर अजय को भी अपने पास बैठा लिया और बोली:" पुत्र आज मैं आपके पूर्वजों की निशानी भेंट करूंगी! लेकिन उसके लिए कुछ नियम हैं जो हम सदियों से मानते आ रहे हैं और मुझे भी उनका पालन करना ही होगा!

अजय:" हमारे पूर्वजों की परंपरा हमे माननी ही चाहिए ये तो बहुत अच्छी बात है!

मेनका को उसकी बात सुनकर थोड़ी हिम्मत मिली और बोली:

" बेटा तलवार को देने के लिए एक विधवा औरत अपशकुन मानी गई है! और मैं एक विधवा औरत हु तो मैं चाह कर भी आपको तलवार नही दे सकती है और हमारे परिवार के सिवा और कोई वो तलवार उठा नही सकता!

अजय उसकी बात सुनकर थोड़ा हैरान हुआ और फिर बोला:"

" लेकिन फिर दूसरा कोई तरीका तो होगा न माता!

मेनका ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:" एक ही तरीका हैं और वो ये हैं कि मुझे विधवा का रूप नही बल्कि एक सुहागन स्त्री का रूप धारण करके आपको तलवार देना होगी!

अजय ने हैरानी से अपनी माता की तरफ देखा और बोला:"

" लेकिन क्या ये समाज के नियमो के खिलाफ नही होगा कि आप एक विधवा होते हुए सुहागन स्त्री का रूप धारण करे! समाज क्या कहेगा ?

मेनका उसकी बात सुनकर उसकी तरफ देखती हुई बोली:"

" देखो बेटा हमारे पूर्वजों ने जो नियम बनाए हैं वो हमे मानने ही होंगे और फिर इसमें किसी को कुछ नही पता चलेगा तो समाज क्या कहेगा इसकी चिन्ता आप छोड़ दो! मैं सुहागन का रूप नीचे गुफा में धारण करूंगी और फिर उसी रूप में आपके साथ नदी तक घोड़ा बग्गी के अंदर जाऊंगी और वही आपके हवाले ये तलवार करूंगी!

अजय:" ठीक हैं माता! जैसे आपको ठीक लगे! आप बड़ी हैं तो जो भी करेगी सोच समझकर ही करेगी!

मेनका:" अजय पुत्र आपने मेरी बहुत बड़ी समस्या हल कर दी हैं! मैं अब चलती हु और 10 बजे ठीक आप नीचे गुफा में आ जाना!

इतना कहकर वो चल पड़ी और अजय उसे जाते हुए देखता रहा! मेनका ने अच्छे से नहाकर खुद को स्वच्छ किया और फिर गुफा के अंदर पहुंच गई! उसने कमरे को खोला और उसके बाद संदूक को खोल दिया जिसने तलवार रखी हुई थी और उसे बाहर निकाल लिया! उसके बाद उसने संदूक से एक बेहद खूबसूरत साड़ी निकाली और आभूषण के साथ साथ सौंदर्य प्रसाधन का सामान भी निकाल लिया जो सदियों पुराना था लेकिन अदभुत था! मेनका ने सब सामान निकालने के बाद सबसे पहले अपने जिस्म से चादर को हटाया और उसके बाद उसने एक काले रंग की बेहद आकर्षक रत्न जड़ित ब्रा पेंटी को अपने हाथ में लिया तो मेनका उसे देखती ही रह गई क्योंकि ये बेहद खूबसूरत और मुलायम थी! मेनका ने सामने दीवार पर पड़े हुए परदे को हटाया तो एक सामने एक बड़ा सा दर्पण नजर आया और मेनका की नजर जैसे ही खुद पर पड़ी तो वो खुद से ही शर्मा गई! उसे बड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि पिछले 15 साल से सिर्फ सफेद साड़ी पहनने वाली मेनका के हाथ में काले रंग की ब्रा पेंटी थी! मेनका ने शीशे में देखते हुए ब्रा को अपनी चुचियों पर रखा और उसकी स्ट्रिप को अपने कंधे पर से होते हुए पीछे ले गई और हुक लगाने की कोशिश करने लगी लेकिन कामयाब न हुई क्योंकि उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चुचियों बेहद कसी हुई थी जिस कारण उसे हुक लगाने में दिक्कत हो रही थी और मेनका ने अपनी चुचियों को जबरदस्ती ब्रा में ज़ोर से ठूंस दिया और फिर हुक लगा दिया और उसके बाद पेंटी पहन कर अपने जिस्म ब्लाउस को पहन कर साड़ी को बांध लिया!

कपड़े पहन कर मेनका ने अपनी आंखो में वो दुर्लभ काजल लगाया और उसके बाद उसने लिपिस्टिक निकाली जो सदियों पुरानी विधि से बनाई गई थी और बेहद लाल सुर्ख थी! मेनका ने अपने होंठो पर लिपिस्टिक को लगाया और उसके बाद शीशे में खुद को निहारने लगी!


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मेनका अपने आपको शीशे में देख कर अपने रूप सौंदर्य पर मंत्र मुग्ध सी हो गई और बिना पलके झुकाए खुद को निहारती रही! मेनका ने देखा कि उसकी कमर अभी की बेहद आकर्षक थी और बस पिछले कुछ सालों में उसकी कमर की चर्बी थोड़ी सी बढ़ गई थी जिस कारण वो और ज्यादा मादक हो गई थी! मेनका ने अपने बालो को खोल दिया और काले बालो में उसका खूबसूरत चेहरा और भी सुंदर नजर आ रहा था! अपने बालो को अपनी उंगलियों से सहलाती हुई मेनका के होंठो पर मुस्कान आ गई थी और वो पलट कर खुद को देखने लगी और तभी उसे किसी के कदमों की आहत सुनाई पड़ी तो उसने देखा कि अजय कमरे में आ गया था और मेनका को ही देख रहा था और और मेनका आज पहली बार अपने बेटे के सामने खुद को असहज महसूस करती हुई बोली:

" पुत्र आओ मैं आपका ही इंतजार कर रही थी! मुझे ऐसे सुर्ख कपड़ो में देखकर नाराज तो नही हो ना ?

अजय ये तो जानता था कि उसकी मां मेनका सुंदर है लेकिन लाल सुर्ख कपड़ो में ऐसी अप्सरा लगेगी उसे उम्मीद नही थी इसलिए बोला:"

"मैं भला क्यों बुरा मानने लगा! लेकिन आप बुरा ना माने तो एक बात कहूं आपसे?

मेनका चलती हुई उसके करीब आई और बोली:

" मैं भला क्यों आपकी बात का बुरा मानने लगी! कहो ना पुत्र?

अजय ने एक नजर अपनी माता पर फिर से डाली और बोला:" अदभुत, अकल्पनीय सौंदर्य हैं आपका माता! सच में आप स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही हो!

मेनका को अपने बेटे से ऐसी प्रसंशा की उम्मीद ना थी लेकिन वो अब अब कर भी क्या सकती थी क्योंकि वो जानती थी कि उसका रूप सौंदर्य सच मे बेहद कमाल का हैं और उसका बेटा भी आखिर एक जवान मर्द हैं तो वो कुछ नहीं बोली और अजय को अपने पास आने का इशारा किया तो अजय चलता हुआ उसके पास आया तो मेनका ने उसे एक पटरी पर खड़ा किया और फिर एक थाली में जलते हुए दीपक रखकर उसकी आरती उतारने लगी और जलते हुए दीपकों की मध्यम रोशनी अब उसके चेहरे को और आकर्षक बना रही थी और आरती उतारने के बाद मेनका ने अजय के माथे पर तिलक लगाया और उसके बाद थाली को एक तरफ रख दिया और बोली:

" अजय अब हम दोनो इसी गुफा से बाहर जायेंगे और नदी के किनारे बाकी बची हुई विधियां करने के बाद तलवार आपके हवाले कर दूंगी!

मेनका ने उसके बाद तलवार को उठाया और दोनो मां बेटे गुफा के अंदर के अंदर चल दिए! गुफा में हल्का हल्का प्रकाश था जिस कारण दोनो को कोई दिक्कत नहीं हो रही थी! चलते चलते दोनो गुफा के अंतिम छोर तक पहुंच गए और तभी मेनका का पैर गुफा में पड़े हुए पत्थर से टकराया और वो फिसल पड़ी और उसकी साड़ी का पल्लू उसके सीने से सरक गया! पल्लू के सरकने से उसकी गोल गोल चुचियों के बीच की गहरी खाई नजर आ गई और अजय उसके पास आया और उसकी नजर पहली बार अपनी मां के सीने पर पड़ी और दोनो चुचियों के बीच झांकती हुई गहरी खाई को देखकर उसकी आंखे खुली की खुली रह गई और उसने अपनी माता की तरफ हाथ बढ़ाया और मेनका उसका हाथ पकड़कर धीरे धीरे खड़ी होने लगी जिसकी उसकी चुचियों का उभार और ज्यादा बाहर को छलक पड़ा! अजय के उपर मानो कयामत टूट पड़ी थी और अजय ना चाहते हुए भी अपनी सगी मां की चुचियों को देख रहा था और जैसे ही मेनका खड़ी हुई थी तो उसे अपने बेटे की नजरो का एहसास हुआ और उसकी आंखे शर्म से झुक गई!

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मेनका को समझ नही आया कि क्या करे और थोड़ी देर के लिए आंखे नीचे किए खड़ी रही और अजय ने उसका हाथ पकड़े हुए मौके का फायदा उठाते हुए जी भरकर उसकी चुचियों के उभार को निहारा और उसके बाद अजय ने होश में आते हुए जमीन पर पड़े हुए उसकी साड़ी के पल्लू को उठाया और उसके कंधे पर रख दिया तो मेनका ने अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक किया!


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अजय:" माता आप ठीक तो हैं न ? आपको चोट तो नही आई ?

मेनका ने अपना हाथ उससे छुड़ाया और फिर से तलवार को उठाते हुए बोली:"

" हम ठीक हैं पुत्र! आपने हमे बचा लिया!

उसके बाद दोनो गुफा से बाहर निकल गए और बाहर खड़ी हुई बग्गी में बैठकर नदी की तरफ चल पड़े! अजय बग्गी को चला रहा था और मेनका अंदर परदे में बैठी हुई थी और उसे अपने आप पर शर्म आ रही थी कि थोड़ी देर पहले कैसे उसके बेटे के सामने उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया गया और उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ गया था! मेनका अभी तक यकीन नही कर पा रही थी कि क्या सच में अजय उसकी गोलाईयों को देख रहा था या ये मात्र उसका वहम था! मेनका ने जान बूझकर अपने पल्लू को सरका दिया और अपनी चुचियों के उभार को देखने लगी कि क्या सच मे उसकी चूचियां अभी भी इतनी आकर्षक हैं और उनके बीच की कसी हुई गहरी खाई को देखते ही मेनका को अपने ऊपर अभिमान हुआ और उसने एक हथेली को अपनी एक चूची के उपर रख दिया और छूकर देखने लगी मानो उसकी सख्ती को महसूस करना चाहती हो और मेनका की सांसे तेज हो गईं! मेनका को एहसास हो गया था कि उसकी चूचियां अभी भी आश्चर्यजनक रूप से सख्त हैं या फिर कहीं मुझे सच में भरम तो नही हो रहा है! ये विचार उसके मन में आते ही उसका दिल तेजी से धड़का और उसने खिड़की से झांक कर अपने बेटे की तरफ देखा जो बग्गी चलाने में व्यस्त था और मेनका ने पर्दे को खिड़की पर टांग दिया और फिर अपने एक हाथ को अपनी ब्रा में घुसा दिया और अपनी अपनी नंगी चूची को हाथ में भर लिया जिससे उसके मुंह से आह निकल गई! मेनका की बड़ी गोल मटोल चूची उसके हाथ में ठीक से समा नही रही थी और मेनका उसे धीरे धीरे सहला कर उसकी कठोरता का जायजा लेने लगी और बदन मे कंपकपी सी आ गई क्योंकि उसकी आश्चर्यजनक रूप से कसी हुई थी ! मेनका अपनी चूची को दबा ही रही थी कि बग्गी रुक गई और मेनका ने पर्दा हटा कर देखा तो नदी आ गई थी और अजय बग्गी से नीचे उतर गया और बोला:"

" हम नदी पर आ गए हैं माता! आप बाहर आ सकती हैं!

मेनका ने अपने हाथ को अपनी ब्रा से बाहर निकाला और अपनी हालत को ठीक करती हुई खड़ी हुई और बग्गी से नीचे उतर गई! मेनका अपनी उत्तेजना से लाल सुर्ख आंखो के साथ अपनी तेज गति से चल रही सांसों को संभालने का प्रयास करने लगी और अजय उसकी अजीब सी हालत देखकर बोला:"

" क्या हुआ माता? आप ठीक तो है न?

अपने बेटे की बात सुनकर मेनका का दिल तेजी से धड़क उठा और बोली: मैं ठीक हु पुत्र! आओ हम आगे की विधि पूर्ण कर लेते हैं!

इतना कहकर मेनका तलवार लेकर नदी में उतर गई और अजय उसके साथ साथ चल पड़ा! मेनका अब नदी के बीच में खड़ी हुई थी और तलवार को मयान से बाहर निकाल कर एक डुबकी लगाई और उपर आ गई और बोली:

" लो पुत्र, पवित्र नदी और अपने पूर्वजों को ध्यान में रखते हुए डुबकी लगाओ!

अजय ने तलवार को हाथ में लिया और पानी में डुबकी लगाई और फिर मेनका ने उसे तलवार को वापिस लिया और फिर से डुबकी लगाई! दोनो ने इसी तरह तीन तीन डुबकियां लगाई और और उसके बाद मेनका ने तलवार को अजय को दिया और फिर दोनो हाथो में जल लेकर आंखे बंद करते हुए कुछ बुदबुदाने लगी! मेनका के कपड़े पानी से भीग जाने के कारण उसके जिस्म से चिपक गए थे जिस कारण उसकी काली ब्रा अब साफ नजर आ रही थी और ब्रा में फड़फड़ा रही उसकी चुचियों का सम्पूर्ण आकार देखकर अजय मंत्र मुग्ध सा हो गया और एक बार फिर से अपनी मां की चुचियों को घूरने लगा! मेनका ने अपनी आंखे खोली और जल को नदी में गिरा दिया और अजय को भी वैसा ही करने के लिए कहा तो अजय ने तलवार मेनका को दी और हाथो में जल भरकर क्रिया को दोहराने लगा! मेनका की नजर अपने आप पर पड़ी तो उसे अपनी सांसे रुकती हुई सी महसूस हुई क्योंकि कपड़े भीग जाने के कारण ब्रा में कैद उसकी चूंचियां अपने सम्पूर्ण आकार में अपनी अनौखी छटा बिखेर रही थी! मेनका को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे क्योंकि अब उसके अंदर अपने बेटे की नजरो का सामना करने की हिम्मत नहीं बची हुई थी! अजय ने पानी को नदी में अर्पण किया और अब मेनका की बारी थी तो मेनका अंदर ही अंदर कांप उठी और हिम्मत करके उसने जल को दोनो हाथों में लिया और आंखे बंद करके ध्यानमग्न हो गई और अजय की नजरे उसकी चुचियों पर आ टिकी और मेनका ने धीरे से अपनी आंखो को हल्का सा खोला और समझ गई कि उसका बेटा उसकी चुचियों को टकटकी लगाए देख रहा था तो उसकी आंखे तेज हो गईं! मेनका ने अपनी विधि को पूर्ण किया और उसके बाद अजय ने विधि को पूर्ण किया!

उसके बाद मेनका नदी के किनारे की तरफ चल पड़ी और यही उससे भूल हो गई क्योंकि उसकी भीगी हुई साड़ी उसके नितंबों के उभार से पूरी तरह से चिपक गई थी और उसकी भारी भरकम पिछवाड़े की गोलाई और मोटाई देखकर अजय को दूसरा झटका लगा और मेनका के चलने से उसकी गांड़ तराजू के पलड़े की तरह उछल रही थी! मेनका चलती हुई बाहर आ गई और बग्गी में बैठ गई तो अजय ने बग्गी को अपने घर की तरफ दौड़ा दिया! गुफा के पास पहुंच कर उसने बग्गी को रोक दिया और उसके बाद दोनो मा गुफा में घुस गए! अजय और मेनका दोनो साथ चल रहे थे और मेनका बोली:

" बेटा आज अच्छे से सारी विधियां पूर्ण हो गई है! अब बस मैं आपको तलवार दूंगी!

अजय:" माता आपने मेरे लिए इतना कुछ किया! सच में आप महान हो! समाज के नियमो को ताक पर रख दिया!

मेनका ने उसका हाथ पकड़ा और बोली:" वो मेरा दायित्व हैं पुत्र! मैं समाज की परवाह नही करती बल्कि आपकी खुशी मेरे लिए मायने रखती हैं!

अजय:" सच माता मैं धन्य हु जो आप जैसी माता मिली!

उसके बाद दोनो फिर से कक्ष में आ गए और मेनका ने अपने पूर्वजों की तस्वीर के आगे तलवार को निकालकर अजय के हाथ में दिया और बोली:सी

" आज से अपने पूर्वजों को साक्षी मानकर मैं ये तलवार आपके हवाले कर रही हूं! ध्यान रखना कि इस तलवार का उपयोग सिर्फ धर्म और न्याय की रक्षा के लिए ही करना! जान देकर भी अपने पूर्वजों के वचन की रक्षा करना आपकी जिन्दगी का लक्ष्य होगा!

अजय ने तलवार को हाथ में लिया तो उसका समूचा बदन कांप उठा और अजय बोला:"

" मैं आपके सिर की कसम खाता हु कि अपने प्राणों का बलिदान देने से भी पीछे नहीं हटूंगा! मुझे आशीर्वाद दीजिए माता!

इतना कहकर अजय उसके कदमों में झुका तो मेनका ने उसे आशीर्वाद देते हुए गले लगा लिया और माथा चूम कर बोली:

" मेरा आशीर्वाद सदैव आपके साथ है पुत्र! जुग जुग जियो मेरे लाल!


उसके बाद अजय और मेनका दोनो उस कक्ष से निकल कर अपने घर में आ गए और रात का करीब एक बज गया था तो अजय सोने के लिए अपने कक्ष में चला गया और मेनका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी! वही लाल सुर्ख दुल्हन का जोड़ा पहने हुए और जैसे ही उसकी नजर खुद के कपड़ो पर गई तो वो खुद को ना रोक पाई और शीशे के सामने फिर से खड़ी हो गईं और खुद को निहारने लगी! मेनका ने देखा कि उसकी मांगा का सिंदूर भीग कर हल्का सा फ़ैल गया था जिससे वो अब और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी! मेनका के भीगे हुए बाल पहले से ज्यादा आकर्षक लग रहे थे और मेनका ने अपने गले में पड़े हुए मंगल सूत्र को देखा तो उसे अपने पति की याद आ गई और उसकी आंखे भर आई! मेनका ने अपने मंगल सूत्र को पकड़ा और उसे उतारने लगी तो उसके हाथ कांप उठे क्योंकि उसे याद आया कि अब वो चाहकर भी जिंदगी भर इस मंगल सूत्र को नही उतार सकती क्योंकि ऐसा करना उसके बेटे के लिए अपशकुन होगा! मेनका ने मंगल सूत्र को अपने कपड़ो के अंदर छुपा लिया और फिर वापिस अपने बेड पर आ गई! वो चाहती थी तो अपने कपड़े उतार कर दूसरे कपड़े पहन सकती थी लेकिन वो खुद को इन कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक महसूस कर रही थी जिस कारण उसका मन नहीं हुआ और उन्ही कपड़ों को पहने हुए अपने कक्ष में आ गई और फिर थोड़ी देर के बाद गहरी नींद में चली गई!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और जबरदस्त अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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राधिका बिस्तर पर पड़ी हुई लंबी लंबी सांसे ले रही थी क्योंकि अभी वो जब्बार के साथ एक दमदार चुदाई करके हटी थी! जब्बार भी उसके पास ही लेटा हुआ था और बोला:"

" राधिका सलमा का क्या हुआ? तुम्हे तो काम दिया कुछ आगे। बढ़ा क्या ?

राधिका उसकी तरफ सरकी और उसकी छाती चूमती हुई बोली:"

" सलमा को मैने अपने शीशे में उतारना शुरू कर दिया हैं! सच में कमाल का जिस्म हैं उसका! लेकिन पिछले दो दिन से कुछ दुखी और परेशान सी लग रही है वो! कुछ न कुछ बात तो हुई हैं!

जब्बार उसकी बात सुनकर बोला:" पता लगाने की कोशिश करो कि क्या हुआ है?

राधिका:" मुझे सलमा ज्यादा भाव नहीं देती क्योंकि उसकी सीमा से ज्यादा बनती हैं और दोनो आपस में ही गुपचुप बाते करती है!

जब्बार के होंठो पर मुस्कान आ गई और बोला:" फिर एक काम करता हु कि सीमा को भी उसके पास से हटा देता हूं और कल से सिर्फ तुम सलमा के सब काम करोगे तो फिर वो मजबूरी में तुझे ही अपना राजदार बनाएगी!

राधिका:" हान ये भी ठीक लेकिन सीमा को कैसे उससे अलग करोगे क्योंकि सलमा उसे अपने पास से जाने नही देगी!

जब्बार:" उसकी चिंता मत करो, वो मेरा काम हैं! तुम बस सलमा पर नजर बनाए रखो!

राधिका:" ठीक हैं लेकिन बताओ तो सीमा का क्या करोगे?

जब्बार:" ध्यान से मेरी बात समझने की कोशिश करना, सीमा के सिर चोरी का इल्जाम लगाकर थोड़े दिन के लिए उसे जेल में डाल देंगे और फिर बाद में जब सब राज्य मेरे हाथ में आ जाएगा तो सीमा को बाहर कर देंगे!

राधिका उसकी बात सुनकर थोड़ी परेशान होती हुई बोली:"

" नही ये तरीका ठीक नहीं है, कोई दूसरा बताओ, सीमा कभी चोरी कर ही नहीं सकती और फिर इससे मेरे मां बाप को बेहद दुख होगा! कोई दूसरा तरीका सोचो!

जब्बार:" राधिका तुम चिंता मत करो और मुझ पर भरोसा रखो! कुछ ही दिन की बात हैं फिर सब ठीक हो जाएगा और आप देखना कैसे सब लोग आपके सिर झुकाकर सलाम करेंगे!


राधिका उसकी बात सुनकर थोड़ी देर के लिए सोच में पड़ गई और बोली:" लेकिन मेरी बहन को बाद में कोई दिक्कत तो नही होगी ना?

जब्बार:" मेरे होते हुए चिंता मत करो, मैं उसे कोई दिक्कत नही होने दूंगा!


राधिका जब्बार से लिपट गई और बोली:" ठीक हैं लेकिन अपना वादा याद रखना! वो मेरी सगी बहन हैं!

जब्बार ने उसे एक बार चोदना शुरु कर दिया और राधिका भी उछल उछल कर चुदने लगी!!

अगले दिन सुबह सलमा उठी तो उसने देखा कि सिर्फ राधिका ही आई है और सीमा नही दिख रही है तो बोली:"

" राधिका ये सीमा क्यों नहीं आई आज ?

राधिका का चेहरा उदास हो गया और बोली:" शहजादी बेहद बुरी खबर है कि सीमा को जेल में भेज दिया गया है चोरी के इल्जाम में!

सलमा उसकी बात सुनकर चिल्ला उठी:" ये क्या बकवास कर रही हो तुम? सीमा कभी चोरी कर ही नहीं सकती,किसकी हिम्मत हुई उसे जेल भेजने की?

राधिका सलमा का गुस्सा देखकर एक पल के लिए कांप उठी और बोली:" वो उसके पास से शाही गहने मिले हैं! जब्बार ने उसको अभी जेल भेज दिया है जिस पर सुनवाई होगी आज!

सलमा उसकी बात चिढ़ गई और बोली:" सीमा को जेल भेजने वाला जब्बार होता कौन है? जाओ और सीमा को आजाद करो ये सलमा का शाही फरमान हैं राधिका!

राधिका:" माफ कीजिए शहजादी, सीमा मेरी भी बहन हैं लेकिन जब तक वो राज सभा में निर्दोष साबित नहीं होती तब तक मैं कुछ नहीं कर सकती!

उसकी बात सुनकर सलमा गुस्से से पैर पटकती हुई रजिया के कक्ष में आ गई और उसे सारी बात बताई और बोली:"

" हमे किसी भी कीमत पर सीमा बाहर चाहिए अम्मी! जब्बार का कुछ सोचिए वो अपनी मन मर्जी ज्यादा कर रहा हैं आजकल!

रजिया:" तुम फिक्र मत करो, मैं सीमा को छुड़ाने की कोशिश करूंगी!

उसके बाद करीब आधे घंटे बाद सभा लगी हुई थी और सीमा बेड़ियों में बंधी खड़ी हुई थी जिसका मुंह लाल हो गया था और आंखो से आंसू निकल रहे थे! उसकी हालत सलमा का दिल भर आया लेकिन चुप ही रही!

राज सभा पूरी भर चुकी थी और सभी लोग सुनवाई का इंतजार कर रहे थे क्योंकि सीमा का परिवार राज परिवार का सबसे वफादार रहा है! रजिया सभा में आई तो सभी ने झुककर सलाम किया और रजिया अपने सिंहासन पर बैठ गई और बोली:"

" आज की कार्यवाही शुरू की जाए!

दरबान:" महारानी शहजादी सलमा के साथ रहने वाली सीमा पर आरोप हैं कि उसने राज परिवार के शाही गहने चुराए हैं और कल्लू सुनार की दुकान पर बेचने के लिए गई तो राज परिवार के वफादार और ईमानदार कल्लू ने वो बात सेनापति जब्बार को बताई !

रजिया:" सीमा क्या कहना चाहती हो आप ?

सीमा:" रानी साहिबा ये सब कुछ हैं मैने कोई गहने नही चुराए हैं! मेरे खिलाफ जरूरी कोई साजिश हुई हैं!

राजमाता;" कल्लू सुनार आप क्या कहना चाहेंगे? कल ये सच बोल रही है?

कल्लू:" ये लड़की ही मेरे पास गहने लेकर आई थी और मुझे बेचना चाह रही थी!

सीमा बुरी तरह से फंस गई थी क्योंकि सारे सुबूत और उसके गवाह उसके खिलाफ थे! शाही गहने सुबूत के तौर पर सभा में पेश हुए और रजिया चाहते हुए भी सीमा को नही बचा सकती थी तो और बोली:"

" सीमा अगर तुम सच बोल दोगी तो हम तुम्हारी सजा कम कर सकते हैं!

सीमा की आंखो से आंसू छलक पड़े और बोली:" मेरा यकीन कीजिए राजमाता! मैने चोरी नही करी है! में बेकसूर हु!

सलमा समझ गई थी कि सीना बुरी तरह से फंस गई और अगर एक बार भी वो जेल गई तो जिन्दगी भर बाहर नही आयेगी और जेल में उसकी जिंदगी जहन्नुम बन जाएगी क्योंकि जेल पूरी तरह से जब्बार के इशारों पर चलती थी! रजिया कुछ बोलती उससे पहले ही सलमा बोल पड़ी:"

" सीमा ने कोई चोरी नही करी हैं बल्कि जो कुछ हुआ है उसके जिम्मेदार हम हैं! हमे खबर मिली थी कि कल्लू सुनार चोरी के गहने खरीदता हैं तो हम उसे उसकी सच्चाई जानने के लिए गहने देकर सीमा की उसके पास भेजा था! सीमा की कोई गलती नही है बल्कि असली गुनाहगार हम हैं क्योंकि हमने कल्लू पर शक किया लेकिन वो ईमानदार निकला! उसकी ईमानदारी के इनाम के तौर ये शाही गहने कल्लू के दे दिए जाए और आप हमे हो चाहे सजा दे सकती हैं!

राजसभा में पूरा सन्नाटा छाया रहा! जब्बार और राधिका की नजरे मिली तो दोनो को समझ नही आया कि क्या करे और वही कल्लू समझ गया था कि उसे इनाम तो जरूर मिलने वाला हैं लेकिन अब उसकी शामत आने वाली है क्योंकि सलमा उसे छोड़ने वाली नही थी!

रजिया:" शहजादी सलमा आप आगे से ध्यान रखना कि बिना हमे बताए ऐसा कोई कदम न उठाए नही तो आपके खिलाफ कार्यवाही होगी और कल्लू को ये सब गहने इनाम में दिए जाए!

कल्लू के तो वारे न्यारे हो गए क्योंकि पहले से जब्बार उसे झूठ बोलने के लिए काफी मोटा माल दे चुका और अब शाही गहने मिलने से तो उसकी किस्मत ही बदल जानी तय थी!

कल्लू गहने लेकर अपने घर आ गया और सीमा सलमा के साथ आ गई और उससे लिपट कर रोने लगी और बोली:"

" हमे माफ कर दीजिए शहजादी कि हमारी वजह से आपको नीचा देखना पड़ा लेकिन मेरा यकीन कीजिए मैने कोई चोरी नही की है

सलमा:" हमे तुम पर पूरा विश्वास है सीमा तभी तो तुम्हे बचाया है! आपके खिलाफ ये साजिश जरूरी कोई बहुत बड़ी चाल का हिस्सा हो सकता हैं!

सीमा:" मैं आपका ये उपकार कभी नहीं भूल सकती! लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा है कि गहने मेरे पास कैसे पहुंचे?

सलमा:" तुम ज्यादा मत सोचिए मैं खुद पता लगा लूंगी! कुछ खाओ और अपना ध्यान रखो!

सलमा के लिए एक के बाद एक समस्या खड़ी हो रही थी! पहले तो विक्रम ने उसे धोखा दिया और अब सीमा के खिलाफ साजिश जरूर उसके लिए खतरे का संकेत था जिसे वो भली भांति समझ रही थी! धीरे धीरे रात होने लगी और सलमा को विक्रम ki याद आ रही थी लेकिन एक बार प्यार नही बल्कि गुस्सा था!

रात के करीब 11 बजे सलमा अपने कक्ष में बेचैनी से टहल रही थी और तभी उसे किसी के कदमों की आहत हुई तो उसने चौंक कर देखा तो सामने विक्रम खड़ा हुआ था और सलमा को अपनी आंखो पर यकीन नही हुआ तो उसने फिर से ध्यान से देखा तो विक्रम ही था जो उसकी तरफ आ रहा था और उसे देखते ही सलमा की आंखे गुस्से से लाल हो गई और बोली:"

" तुम्हारी हिम्मत कैसी हुई राजमहल के अंदर कदम रखने की विक्रम?

विक्रम उसके करीब आ गया और बोला:" सलमा मेरी बात समझने की कोशिश करो,ध्यान से मेरी बात सुनो!

सलमा:" विक्रम अगर अपनी जिंदगी से प्यार हैं तो वापिस चले जाओ नही तो जिंदा नही बच पाओगे!

विक्रम ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:" सलमा पहले मेरी बात तो सुन लीजिए आप! इतना बेइज्जत होने के बाद भी आपके पास इसलिए आया हु कि क्योंकि मैं आपसे प्यार करता हूं और आपको खोना नही चाहता!

सलमा ने गुस्से से उसका हाथ झटक दिया और बोली:" खबरदार जो मुझे छुआ तो मुझसे बुरा कोई नही होगा! मैं आखिरी बार कह रही हु कि वापिस चले जाओ नही तो मुझे सैनिकों को बुलाना पड़ेगा!

विक्रम:" मैं जानता हूं कि आप ऐसा नही कर सकती क्योंकि आप मुझे प्यार करती हो!

सलमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" प्यार करती थी विक्रम लेकिन अब सिर्फ नफरत करती हू! मैं आखिरी बार कह रही हु खुदा के लिए चले जाओ नही है मुझे मजबूरी में सैनिकों को बुलाना ही पड़ेगा!

विक्रम उसके बेड पर बैठ गया और हल्की सी मुस्कान देते हुए बोला:" सलमा आप ऐसा नही कर सकती क्योंकि आप मुझसे प्यार करती है!

सलमा ने तभी गुस्से से वही पड़े हथौड़े को जोर से सायरन पर मारा और एक तेज आवाज पूरे महल में गूंज उठी और देखते ही देखते चारो तरफ भाग दौड़ मच गई! विक्रम यकीन नहीं कर पा रहा था कि सलमा सच मे ऐसा कर सकती हूं और उसका भरम भी टूट गया कि सलमा उससे प्यार करती है! विक्रम ने जान बूझकर अपनी तलवार को सलमा के कदमों में रख दिया और बोला:"

" अगर मेरी मौत से ही आपको खुशी मिलेगी तो हमें खुशी खुशी ये मौत भी कुबूल है!

देखते ही देखते सैनिकों ने कक्ष को चारो ओर से घेर लिया और विक्रम ने पूरी तरह से हाथ खड़े कर दिए और उसे बंदी बना लिया गया! विक्रम जंजीरों में बंधा हुआ था और सैनिक उसे घसीटते हुए जेल में ले गए और अंदर बंद कर दिया!!
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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सैनिकों ने विक्रम को बुरी तरह से मारा और देखते ही देखते ये बात आग की तरह फैल गई को कोई चोर राजमहल में घुसने की कोशिश कर रहा था और पकड़ा गया! सीमा तक भी ये बात पहुंची तो वो हैरान हो गई और सलमा से मिलने के लिए रात को ही आ गई और बोली:"

" आप सुरक्षित तो हैं ना? सुना हैं राजमहल में कोई चोर घुस आया था और आपके कक्ष तक पहुंच गया था वो!

सलमा थोड़ी देर चुप रही तो सीमा बोली:" बोलिए न शहजादी? मैं आपसे ही बात कर रही हूं!

सलमा:" वो चोर और कोई नहीं बल्कि युवराज विक्रम हैं जो हमसे मिलने आया था!

सीमा उसकी बात सुनकर हैरानी से उछल पड़ी और बोली:"

" क्या बात कर रही हो आप ? विक्रम आपसे मिलने से लिए अपनी जान हथेली पर रखकर राजमहल तक पहुंच गए!

सलमा: हान वो आ गया था और हमने ही सैनिकों को बुला कर उसे कैद करवा दिया है!

सीमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और उसे घूरती हुई बोली:"

" ये आपने क्या गजब कर दिया शहजादी? विक्रम को कुछ हो गया तो आप अपने आपको कभी माफ नहीं कर पाएगी क्योंकि ऐसा सच्चा प्यार करने वाले किस्मत से मिलते हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर बोली:" मत भूलो सीमा कि उसके बाप ने हमारे अब्बा का खून किया है! हमे नही चाहिए ऐसी मोहब्बत जिसके हाथ खून से रंगे हुए हो!

सीमा:" और आप क्या कर रही है! आप भी तो अपने हाथ खून से ही रंग रही है शहजादी! एक बेगुनाह को सजा दे रही है आप! विक्रम ने तो आपके अब्बा का खून नहीं किया!

सलमा उसकी बातो को सुनकर थोड़ा शांत हुई और बोली:"

"सीमा अपनो को खोने का दर्द आप कभी नहीं समझ सकती!

सीमा उसका हाथ पकड़कर उसे झंझोड़ती हुई बोली: आप फिर से ये दर्द सहन करने के लिए तैयार रहो क्योंकि विक्रम भी आपका अपना ही तो हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर कांप उठी और बोली:" उदयगढ़ का कोई भी आदमी कभी मेरा नही हो सकता सीमा!

सीमा:" तो फिर क्या आपने विक्रम से प्यार नही किया था ? मानती हु कि उसने आपसे छिपाया लेकिन आपके पुछने पर तो नही बोला वो!

सलमा:" हान प्यार किया था लेकिन वो सब सच जानता था तो मुझे पहले क्यों नहीं बताया?

सीमा:" क्योंकि वो जानता था कि आप नाराज हो जाएगी और शायद वो आपको खोना नहीं चाहता था! मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी शहजादी!

सलमा के पास अब कोई जवाब नहीं था और चुप रही तो सीमा बोली:" आपको बता हैं कि दोनो राज्य पहले से ही दुश्मनी की आग में जल रहे हैं और आप देखना कि सुबह जब्बार विक्रम को मार देगा और उसके बाद जो तबाही और बर्बादी होगी उसकी जिम्मेदार सिर्फ आप होगी!

सलमा का चेहरा पूरी तरह से सपाट हो गया था और उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे! सीमा ने उसका हाथ पकड़ा और बोली:" अगर आप इस बर्बादी को रोकना चाहती हैं तो विक्रम को सुरक्षित भेज दीजिए चाहे आप उससे प्यार करे या न करे ये आपकी अपनी मर्जी है लेकिन दोनो राज्यों की भलाई के लिए आपको ये करना ही पड़ेगा!

सलमा:" लेकिन कैसे? विक्रम तो अब जेल में कैद हो चुका है और जेल तो पूरी तरह से जब्बार और उसके साथी रमन के हाथ में है!

सीमा:" कुछ भी करके विक्रम को बचाना ही पड़ेगा! मैं कुछ सोचती हु क्या करना होगा!

सलमा:" एक तरीका है कि किसी तरह विक्रम को जेल से निकालकर पवन तक पहुंचा दिया जाए फिर वो किसी के हाथ नही आयेंगे!

सीमा:" आप चिंता मत करिए! मैं विक्रम को छुड़ाने का इंतजाम करती हू!

वहीं दूसरी तरफ जेल में विक्रम को अलग ही कमरे में डाल दिया गया था और उसका बेहद बेहद दर्द कर रहा था क्योंकि उसके जिस्म पर काफी सारे घाव थे! विक्रम को अब सलमा से नफ़रत हो गई थी क्योंकि उसने साबित कर दिया था कि वो उससे प्यार नही करती है! विक्रम के लिए सबसे बड़ी चुनौती जेल से आजाद होना था और विक्रम ने आस पास देखा तो एहसास हुआ कि पूरी तरह से कमरे में अंधेरा था और बस एक खिड़की से हल्की सी रोशनी आ रही थी! विक्रम हिम्मत करके खिड़की तक पहुंचा और ताकत लगाते हुए उसे उखाड़ दिया और धीरे से खिड़की से बाहर निकलने लगा!

विक्रम एक चौड़े रास्ते पर आ गया जहां काफी रोशनी थी और सामने ही सैनिक पहरा दे रहे थे तो विक्रम वापिस मूड गया और एक तहखाने में घुस गया जहां काफी सारा सामान भरा हुआ था और बदबू फैली हुई थी!

तभी उसे किसी के आने की आहत हुई तो उसे सावधान हो गया और एक तरफ छुप गया! सामने से कुछ सैनिक निकले और जैसे ही दूर गए तो विक्रम दांई तारीफ मुड गया और सावधानी से आगे बढ़ने लगा! विक्रम अब एक हाल में खड़ा हुआ था और जैसे तैसे करके खिड़की के सहारे छत तक पहुंचा और छत की जाली को उखाड़ दिया और छत पर चढ़ गया! पहरा दे रहे एक सैनिक की नजर उस पर पड़ी और विक्रम ने उसे मौत के घाट उतार दिया और आगे बढ़ गया! छत पर काफी सारे सैनिक थे और उधर से निकलना आसान नही था! विक्रम थोड़ी देर ऐसे ही सोच में पडा रहा और तभी उसे लगा कि कोई उसी तरफ आ रहा है तो वो सावधानी से छिप गया और उसने देखा कि कोई दया उसकी तरफ आ रहा हैं है तो विक्रम छुपा रहा और जैसे ही उसके करीब से गुजरा तो विक्रम ने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए अपनी तरफ खींच कर और उसकी गर्दन पर तलवार रख दी तो वो साया बोला:"

" विक्रम मैं सीमा हु!

ये सुनकर विक्रम ने उसे छोड़ दिया और सीमा बोली:"

" घबराओ मत! मैं आपको यहां से सुरक्षित स्थान तक पहुंचा दूंगी!

उसके बाद सीमा उसे अपने साथ लेकर चल पड़ी और थोड़ी देर बाद विक्रम जेल से बहुत दूर आ गया था और सीमा से बोला:

" मुझे बचाने के लिए आपका आभार मेरी बहन!

सीमा: भाई की रक्षा बहन नही करेगी तो फिर कौन करेगा! लेकिन आप जानते हैं कि मुझे आपको बचाने के लिए शहजादी ने ही भेजा हैं!

विक्रम सलमा का नाम सुनते ही गुस्से से लाल हो गया और बोला:"

" उस मतलबी और धोखेबाज और मतलबी का नाम मत लो मेरे सामने! मुझे बचाना ही होता तो फांसती क्यों मुझे!

सीमा:" ऐसा न कहो भाई! वो मतलबी नही है बस हालत को ठीक से समझ नही पाई! एक मर्द कभी नहीं समझ सकता कि एक लड़की की जिंदगी में उसके बाप की क्या अहमियत होती है!

विक्रम उसकी बात सुनकर बोला:" लेकिन सलमा सच मे बेहद बुरे दिल की हैं और उससे कहना कि आज के बाद उसे मेरी परछाई भी नहीं दिखेगी!

सीमा उसका हाथ पकड़कर उसे बताया कि किस तरह से वो चोरी में फंस गई थी और सलमा ने उसे बचाया! सीमा उसे समझाते हुए बोली:" भाई सलमा तो बेचारी मासूम हैं और बेहद साफ और अच्छे दिल की हैं! उसके खिलाफ तो पहले ही बहुत सारी साजिश रची गई है और आपको उसका साथ देना चाहिए न कि उससे मुंह मोड़ना चाहिए!

विक्रम:" लेकिन उसने जो मेरे साथ किया क्या वो सही है?

सीमा:" ठीक हैं उसने गलत किया लेकिन उसने सब कुछ ठीक से समझा नही इसलिए उससे गलती हुई है! लेकिन आपको तो सब पता है और फिर आप तो उससे सच्चा प्यार करते हो! उसका साथ मत छोड़ना विक्रम मुझे वचन दो आप!

विक्रम को समझ नही आ रहा था कि क्या करे लेकिन सीमा ने पहली बार उससे कुछ मांगा था तो बोला:"

" ठीक है लेकिन मैं आज के बाद जब तक उससे नही मिलूंगा तब तक वो खुद मुझसे मिलना नही चाहेगी! उसे कोई भी दिक्कत हो तो मुझे संदेश पहुंचा देना मैं आ जाऊंगा!

सीमा ने उसका हाथ चूम लिया और बोली:" पवन आपका इंतजार कर रहा है! उस पर सवार होकर आप सुरक्षित निकल जाइए! अपना ध्यान रखना

विक्रम पवन पर बैठा और देखते ही देखते पवन दौड़ चला और हवा से बातें करते सुल्तानपुर की सीमा से बाहर निकल गया!

सीमा सलमा के पास पहुंच गई जहां सलमा बेचैनी से इधर उधर घूम रही थी और सीमा को देखते ही बोली:

"क्या हुआ सीमा? विक्रम बच गए हैं ना!

सीमा उसका हाथ पकड़ कर बैठ गई और बोली:" आपने ही तो उन्हे फंसाया था तो आपको अब उनकी इतनी चिंता क्यों हो रही है शहजादी?

सलमा की नजरे शर्म से झुक गई और बोली:" वो मेरी गलती थी और मैं बदले की आग से पागल हो गई थी इसलिए ऐसा कर दिया लेकिन जब तुमने समझाया तो मुझे सब कुछ समझ आया! बताओ ना अब मुझे ? ज्यादा मत तड़पाओ नही तो मेरी जान निकल जायेगी !

सीमा:" विक्रम सुरक्षित सुल्तानपुर से बाहर चले गए हैं! लेकिन उनके जिस्म पर कई जगह जख्म के निशान थे!

सलमा ये सुनकर तड़प उठी और बोली: जख्म और विक्रम के जिस्म पर ! नाम बताओ मुझे उसका हाथ तोड़ दूंगी जिसने ये सब किया हैं!

सीमा उसकी बात सुनकर उसकी आंखो में देखती हुई बोली:"

" सब कुछ आपने ही तो किया हैं! फिर किसी को क्यों दोषी ठहरा रही हो आप !

सलमा थोड़ी देर चुप रही और बोली:" मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई सीमा! क्या विक्रम मुझे माफ कर देंगे ?

सीमा:" पता नही ये तो विक्रम ही जाने लेकिन वो आपसे नाराज बहुत ज्यादा है!

सलमा की आंखे उसकी बात सुनकर भर आई और बोली:"

" सीमा मुझे ऐसा नही करना चाहिए था! मैं विक्रम से मिलना चाहती हूं! एक काम करो उदयगढ़ जाने की तैयारी करो!

सीमा उसकी बात सुनकर उछल पड़ी और बोली:" ये क्या बोल रही हो आप ? हम उदयगढ़ नही जा सकते आप ये जानती हैं न!

सलमा बेड से खड़ी हुई और बोली:" हम कहीं भी जा सकते हैं सीमा! अगर विक्रम हमसे मिलने अपनी जान हथेली पर लेकर आ सकता हैं तो हम भी उसकी खातिर उदयगढ़ जाएंगे!

उसके बाद सलमा ने उसे अपना प्लान बताया और सीमा की आंखे हैरानी से खुल गई और उसने शहजादी का साथ देने का फैसला किया!

करीब आधे घंटे के बाद सलमा रजिया से बोली:" अम्मी जान हम मेला देखने के लिए जायेंगे लेकिन सच कहे तो शहजादी होना हमारे लिए अब दिक्कत बन गया है! जिधर भी जाते है सैनिक साथ में चलते हैं! हम ऐसी जिंदगी से तंग आ चुके हैं!

रजिया उसकी बात सुनकर उसके सिर पर हाथ फेरती हुई बोली:"

" बेटी वो सब आपकी सुरक्षा के लिए है! आपकी रक्षा करना उनका फर्ज है!

सलमा:" लेकिन मेले में तो कोई खतरा नहीं होता क्योंकि यहां तो सब लड़ाई भूल जाते हैं!

रजिया:" बात ठीक हैं बेटी लेकिन बिना सुरक्षा के जाना ठीक नहीं होगा!

सलमा:" आप हम पर भरोसा रखिए! हम इतने कमजोर भी नहीं है कि अपनी रक्षा ना कर सके अपने दम पर!

रजिया:" लेकिन बेटी...


सलमा उसकी बात बीच में काटते हुए बोली:" बस अब आप हमे जाने की इजाजत दीजिए! मैं और सीमा दोनो साथ में जायेंगे!

रजिया ने उसका माथा चूम लिया और बोली:" अपना ध्यान रखना और ज्यादा देर तक मत घूमना!

सलमा खुशी से चहक उठी और बोली:" अम्मी हम बता नही सकते आज हम कितने खुश हैं! सच में आप दुनिया की सबसे प्यारी अम्मी हैं!

उसके बाद सलमा और सीमा ने अपना भेष बदला और शाम को करीब चार बजे मेले में जाने के लिए निकल गए! मेले के बहाने दोनो उदयगढ़ की तरफ चल पड़े और चूंकि मेले के कारण राज्य की सीमाएं खुली हुई थी तो उन्हे ज्यादा दिक्कत नहीं हुई और दोनो उदयगढ़ के अंदर घुस गई और देखा कि उदयगढ़ भी संपन्नता में कम नही था! चारो ओर बनी बड़ी बड़ी इमारतें इसकी गवाही दे रही थी! अब सबसे बड़ी समस्या थी कि विक्रम को कैसे ढूंढा जाए तो इसके लिए दोनो ने थोड़ी देर महल के बाहर ही रुकने का इंतजार किया ताकि विक्रम आ जाए और दोनो उससे मिल सके लेकिन निराशा ही हाथ लगी! करीब सात बजे सलमा और सीमा दोनो ने मजल के अंदर घुसने का फैसला किया लेकिन कैसे जाए ये सबसे बड़ी दुविधा थी! फिर सलमा को एक तरीका सूझा और उसने सीमा को कुछ समझाया तो सीमा ने गेट पर मौजूद एक दरबान को सीमा ने इशारे से अपने पास बुलाया और उसे विक्रम की दी हुई माला को दिखाती हुई बोली:"

" मुझे युवराज विक्रम ने अपने पास आने के लिए बोला था कि महल में कुछ काम देंगे! बोला था कि गेट पर मेरी ये माला दिखा देना तो मुझसे मुलाकात हो जायेगी!

दरबान ने माला को पहचान लिया और बोला:" आप अंदर आकर बैठिए, मैं युवराज तक आपका संदेश पहुंचा देता हू!

सीमा और सलमा महल के अंदर बैठ गई और एक दूसरा सैनिक माला लेकर अंदर चला गया और जैसे ही विक्रम ने माला देखी तो समझ गया कि सीमा का कोई संदेश आया होगा और बाहर की तरफ आ गया और जैसे ही उसने सीमा के साथ साथ सलमा को देखा तो उसका दिल खुशी से उछल पड़ा और अगले ही पल खामोश होते हुए बोला:"

" आइए आप मेरे साथ अंदर आइए!

सीमा और सलमा दोनो उसके साथ महल के अंदर जाने लगी और युवराज ने महल के अंदर बने एक आलीशान कक्ष में दोनो को बैठने के लिए कहा और बोला:"

" आप थोड़ी देर यहीं बैठिए! मैं आपके लिए कुछ लेकर आता हूं!

इतना कहकर विक्रम जाने लगा तो सीमा खड़ी होती हुई बोली:"

" युवराज मुझे पहले आप बाथरूम किधर है ये बता दीजिए!

विक्रम उसे अपने साथ ले गया और थोड़ी ही दूरी पर बने बाथरूम के पास छोड़ दिया तो सीमा बोली:"

" युवराज शहजादी आपसे मिलने के आई है! मैने तो मना किया था लेकिन नही मानी! आप उनसे बात कीजिए!

इतना कहकर सीमा बाथरूम के अंदर घुस गई और विक्रम सलमा के कक्ष में आया तो उसे देखते ही सलमा की आंखे भर आई और उसके करीब आई और बोली:"

" युवराज कैसे हैं आप ? सीमा ने बताया कि आप जख्मी हुए हैं!

विक्रम:" मेरे जख्म से आपको क्या फर्क पड़ता है शहजादी? वैसे भी ऐसे जख्म से कोई मरता नही हैं!

सलमा ने आगे बढ़कर उसके होंठो पर उंगली को रख दिया और बोली:" खुदा के लिए ऐसी मनहूस बाते मुंह से न निकालिए युवराज! समझ नही आता कि कैसे और किन शब्दों में आपसे माफी मांगू?

विक्रम:" माफी की जरूरत नहीं है सलमा आपको! मेरी ही गलती थी जो आपके कहने पर समझ नही सका!!

सलमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी भीगी हुई आंखो से उसकी आंखो में देखती हुई बोली:" मुझे भी समझना चाहिए था युवराज! मैने जो आपके साथ किया वो कोई अपने दुश्मन के साथ भी नही करता जब वो आपके घर आया हुआ हो! मैं आपकी गुनहगार हु विक्रम, मुझे जो चाहे सजा दीजिए!

इतना कहकर सलमा जोर जोर से सिसक उठी और विक्रम का दिल भी उसकी आंखो में आंसू देखकर तार तार हो गया और उसके आंसू साफ करते हुए बोला:"

" रोइए मत शहजादी आप! आपकी खूबसूरत आंखो में आंसू अच्छे नहीं लगते! गलती हम दोनो की ही है मुझे पहले ही दिन आपको बता देना चाहिए था कि मैं उदयगढ़ से हु लेकिन मैं आपको खोना नही चाहता था बस इसलिए नही बोल पाया!

सलमा उसकी बात सुनकर जोर जोर से बिलख उठी और उससे लिपट गई और बोली:"

" लेकिन आपने मेरे पूछने पर सच बताया युवराज! आप चाहते तो झूठ भी बोल सकते थे लेकिन आपने ऐसा नही किया!

विक्रम ने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके आंसू साफ करते हुए बोला:"

" बस कीजिए शहजादी! आपको मेरी कसम हैं अब आपकी आंखों से आंसू नहीं आना चाहिए!

इतना कहकर विक्रम ने अपना मुंह आगे करके उसका गाल चूम लिया और न चाहते हुए भी सलमा की आंसू से फिर से आंसू टपक पड़े!

2021-04-06-2


विक्रम ने उसके आंसुओं को साफ किया और उसकी कमर थपथपाते हुए उसे तसल्ली देता रहा और धीरे धीरे सलमा की हिचकियां रुक गई तो विक्रम बोला:"

" मुझे सीमा बता रही थी कि आपके खिलाफ राजमहल में कुछ साजिश हो रही हैं! सीमा को चोरी के इल्जाम में आपने बचाया ये तो बहुत अच्छा किया! सीमा आपके लिए अपनी जान दे देगी लेकिन आपको कभी धोखा नही देगी!

सलमा उसकी बांहों में खुद को सुरक्षित महसूस कर रही थी और बोली:" पता नही कौन हैं लेकिन हो ना हो ये सब जब्बार का किया धरा हो सकता हैं! सलीम भाई तो दिन भर नशे में रहते हैं और उन्हें राज्य और कामों से कोई मतलब है नही!

उसके बाद सलमा थोड़ी देर चुप रही और फिर अपने दिल के सभी राज विक्रम के सामने रख दिए कि आज कल सुल्तानपुर में क्या चल रहा हैं तो उसकी बात सुनकर विक्रम बोला:"

" आप चिन्ता मत कीजिए शहजादी! मेरे होते हुए कोई आपका कुछ नही बिगाड़ सकता!

सलमा ने उसका मुंह चूम लिया और बोली:" हम आप पर भरोसा हैं युवराज तभी तो आपको सब कुछ बता दिया हैं!

विक्रम उसे अपनी बांहों में लिए खड़ा रहा और बोला:"

" आपने बड़ी हिम्मत करी जो हमसे मिलने के लिए उदयगढ़ ही चली आई! मानना पड़ेगा आपको शहजादी!

सलमा:" आप मुझसे मिलने आ सकते हो अपनी जान हथेली पर रखकर तो क्या मैं भी नही आ सकती हू आपसे मिलने के लिए! मैं भी आपसे बेहद प्यार करती हू युवराज!

विक्रम:" सच में मैं बेहद किस्मत वाला हु जो आपके जैसी खुबसूरत और दिलवाली महबूबा मिली मुझे!

उसकी बात सुनकर सलमा मुस्करा उठी और बोली:"

" अच्छा ये दिखाओ आपको कहां कहां जख्म आया हैं मेरी वजह से युवराज?

विक्रम:" कहीं भी नही शहजादी! मैं तो बिलकुल ठीक हु!

सलमा समझ गई कि विक्रम ऐसे नही मानने वाला तो सलमा ने उसकी बात सुनकर एक झटके के साथ उसके जिस्म पर पड़ी हुई चादर को खींच दिया और विक्रम की छाती पूरी नंगी हो गई और सलमा ने देखा कि उसकी छाती पर कई जगह घाव हुए थे और लाल लाल निशान पड़ गए थे तो सलमा का दिल दर्द से बैठ गया और फिर सलमा पलटकर उसकी कमर देखने लगी और उसकी कमर पर लगे हुए जख्मों को हाथ से छूकर देखने लगी!

2021-04-12

सलमा का दिल अंदर ही अंदर रो रहा था और फिर वो पलट कर विक्रम के सामने आ गई और बोली:" विक्रम मुझसे सच में बेहद बड़ी गलती हो गई है! मैं तो माफी के भी काबिल नही हु आपकी!

विक्रम ने उसे अपने गले से लगा लिया और उसका माथा चूम कर बोला:" आप कुछ मत सोचिए शहजादी! सब कुछ भूलकर एक नई शुरुआत करते हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर खुश हो गई और उससे कसकर लिपट गई! विक्रम ने भी उसे अपनी बाहों मे कस लिया और दोनो ऐसे ही खड़े हुए एक दूसरे के दिल की धड़कन सुनते रहे और फिर सलमा को सीमा की याद आई तो बोली:"

" युवराज सीमा बाथरूम से नही आई अभी तक!

विक्रम उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठा और बोला:"

" कितनी भोली हो आप सलमा, वो तो जान बूझकर हमे अकेला छोड़कर गई हैं ताकि हम आराम से बात कर सके!

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और कसमसा कर बोली:"

" हाय अल्लाह वो क्या सोच रही होंगी मेरे बारे में!!

विक्रम ने पहली बार अपने हाथो का दबाव उसकी कमर पर बढ़ा दिया और बोला:"

" यही कि सलमा अपने महबूब की बांहों में होगी!

सलमा उसकी बात सुनकर कांप उठी और उसकी पकड़ से आजाद होती हुईं बोली:"

" जाइए उसे बुला लीजिए आप!

सलमा की बात सुनकर विक्रम कमरे से बाहर निकल गया और सीमा उसे बराबर के कमरे में बैठी हुई मिल गई और बोली:"

" हो गई क्या आपकी सुलह?

विक्रम उसकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुराया और बोला:"

" हान जब आप जैसी बहन हो तो भला क्यों नही होगी! शहजादी आपको बुला रही हैं!

उसके बाद सीमा उसके साथ आ गई और बोली:"

" क्या युवराज आपने अभी तक हमे पानी तक नहीं पिलाया? कैसी मेहमाननवाजी करते हैं आप उदयगढ़ वाले, शहजादी पहली बार अपनी ससुराल आई है और आप हैं कि कोई फिक्र ही नहीं हैं आपको!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और आंखो को नीचे कर लिया तो विक्रम बोला:"

" बस आप पांच मिनट दीजिए मुझे!

उसके बाद विक्रम गया और सलमा सीमा को डांटती हुई बोली:"

" कुछ भी बोल देती हो, बड़ी बेशर्म हो गई हो सीमा!

सीमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली:" हाय रब्बा देखो तो ससुराल के नाम पर कैसे शर्मा गई आप शहजादी!!

सलमा का दिल उसकी बाते सुनकर तेजी से धड़का उठा और उसका पूरा बदन कांप उठा और वो सीमा को डांटते हुए बोली:"

" एक बार महल चलो फिर तुम्हे अच्छे से सबक सिखा दूंगी!

दोनो की बाते चल ही रही थी कि विक्रम आ गया और उसके हाथ में एक ट्रे थी जिसमे खाने के लिए काफी सारे सूखे मेवे और जूस था और उसने बेड पर सब रख दिया और उसके बाद सब मिलकर खाने लगे लेकिन सलमा थोड़ा संकोच कर रही थी तो विक्रम बोला:"

" शहजादी आप पहली बार उदयगढ़ आई हैं तो बिना किसी संकोच के खाइए नही तो बाद में कहेगी कि हमने आपका ध्यान नहीं रखा!

सीमा:" बेचारी पहली बार ससुराल आई हैं तो इसलिए शर्मा रही है युवराज!

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह लाल हो गया और उसने घूरकर सीमा की तरफ देखा तो सीमा बोली:"

" नाराज क्यों होती हैं आप? क्या मैं झूठ बोल रही हूं क्या ?

सलमा:" एक बार तुम सुल्तानपुर चलो फिर जाकर आपको सबक सिखाती हु अच्छे से!

उसकी बात सुनकर सीमा और विक्रम मुस्कुरा दिए! तीनों ने अच्छे से खाया और उसके बाद सीमा बोली:"

"ओहो लगता हैं कि फिर से बाथरूम जाना पड़ेगा आज पेट में कुछ ज्यादा ही दिक्कत हैं!

इतना कहकर उसने सलमा को आंख मार दी और बाहर की तरफ चल पड़ी! उसके जाते हो सलमा की सांसे तेज हो गई क्योंकि अब कमरे में वो और विक्रम दोनो अकेले हो गए थे! विक्रम उसके पास आ गया और उसे अपनी बांहों में भर लिया तो सलमा कसमसा उठी और बोली:"

" आह्ह्ह्ह क्या करते हो युवराज कोई देख लेगा!

विक्रम ने उसका मुंह चूम लिया और बोला:" डरती क्यों हो शहजादी! कोई नही आयेगा यहां!

इतना कहकर उसने शहजादी को अपनी बांहों मे कस लिया तो सलमा भी उससे लिपट गई और विक्रम ने उसका मुंह उपर उठाया तो सलमा की आंखे शर्म से झुक गई और विक्रम ने उसका गाल चूम लिया और बोला:"

" शहजादी आप मुझे मिल गई सब कुछ मिल गया! अब मुझे मौत भी आ जाए तो कोई गम नही होगा!

उसकी बात सुनकर सलमा ने अपनी उंगली को उसके होठों पर रख दिया और विक्रम उसकी उंगली को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा तो सलमा की सांसे तेज हो गई और विक्रम से कसकर किसी अमरबेल की तरह लिपट गई!

विक्रम ने अपने हाथो को उसकी गांड़ के उभार पर रखा और उसके उंगली को जोर जोर से चूसने लगा और तभी सीमा के आने की आहट हुई तो दोनो न चाहते हुए भी अलग हो गए और सीमा अंदर आ गई और बोली:"

" शहजादी हमें अब जाना होगा क्योंकि रात के 11 बज गए हैं और आपको डांट पड़ेगी!

सीमा की बात सुनकर सलमा का ध्यान समय की तरफ गया और बोली:" ठीक हैं हम चलते हैं सीमा! मैं एक मिनट बाद आई मुझे युवराज से कुछ बात करनी हैं जरूरी!

उसकी बात सुनकर सीमा बाहर चली गई और सलमा एक बार फिर से विक्रम से कस कर लिपट गई और उसके होंठ चूसने लगी तो विक्रम भी बेकाबू होकर सलमा के होंठ चूसने लगा और सलमा किस तोड़कर धीरे से उसके कान में बोली:"

" आप मुझसे मिलने के लिए परसो 11 बजे आ जाना! युवराज मैं आपका इंतजार करूंगी !

इतना कहकर उसने जोर से विक्रम के गाल को चूस लिया तो विक्रम ने उसकी गांड़ को कसकर दबा दिया और सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और एक झटके के साथ विक्रम से अलग हुई और कक्ष से बाहर निकल गई!

सीमा और सलमा दोनो विक्रम के साथ राजमहल से बाहर आ गई और उसके बाद विक्रम ने उन्हें सुरक्षा के साथ सुल्तानपुर की सीमा में छोड़ दिया और सलमा खुशी खुशी अपने राज्य वापिस लौट पड़ी !!
बडा ही सुंदर लाजवाब और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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रात के करीब 10 बज गए थे और मेनका अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी! नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी और उसकी नजरे बीच बीच मे अपने गले में पड़े हुए मंगल सूत्र पर जा रही थी जो मेनका को इस बात का एहसास दिला रहा था कि वो शादी शुदा हैं! मेनका चाहकर भी अपना मंगल सूत्र नही उतार सकती थी क्योंकि ये अपशकुन समझा जाता और इससे अजय की जिंदगी पर व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता! मेनका की आंखो के आगे बार बार वही अपना दुल्हन वाला रूप घूम रहा था जिसमे वो बेहद खूबसूरत लग रही थी! दुनिया की हर औरत खूबसूरत दिखना चाहती हैं और मेनका इसका अपवाद नहीं थी!

मेनका को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे क्योंकि इसका दिल एक बार फिर से खुद को दुल्हन के लिबास में देखने के लिए तड़प रहा था! काफी सोच समझ कर उसने फैसला किया कि वो फिर से आज साड़ी पहनेगी और घर के नीचे बने तहखाने में उसे कोई देख भी नही पाएगा! आखिरकार मेनका अपने बेड से उठी और धीरे धीरे चलती हुई अजय के कक्ष तक पहुंच गई क्योंकि वो ये निश्चित करना चाहती थी कि अजय सोया हैं या नहीं और उसने देखा कि अजय सो गया था तो वो फिर से अपने कमरे में आई और अलमारी तक पहुंची और एक बेहद खूबसूरत साड़ी उठा ली और तभी उसके मन में एक विचार आया तो उसने कांपते हाथों से अपनी गुलाबी रंग की ब्रा पेंटी को भी उठा लिया बाहर निकल गई! मेनका धीरे धीरे चलती हुई तहखाने तक पहुंच गई और उसने फिर से खुद को शीशे में देखते हुए साड़ी पहनना शुरू कर दिया! कल मेनका के साड़ी पहनने और आज पहनने में जमीन आसमान का अंतर था क्योंकि कल उसने अपने पूर्वजों की परंपरा के तौर पर पहनी थी और आज अपनी खुशी के लिए पहन रही थी! मेनका ने एक बार खुद को शीशे में देखा और जैसे ही खुद से उसकी नजरे मिली तो बरबस ही उसके होंठो पर मुस्कान आ गई !

मेनका ने अपने जिस्म पर से सफेद रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ को हटा दिया तो तो वो ऊपर से नंगी हो गई और उसने अपनी गोल गोल चुचियों को देखा तो उसकी आंखो मे चमक आ गई क्योंकि मेनका का वजन थोडा सा बढ़ गया था जिससे उसकी चुचियों अब पहले के मुकाबले और ज्यादा भर गई थी! मेनका ने बदन में सिरहन सी दौड़ गई और उसके बाद उसने अपने लहंगे को उतार दिया तो मेनका पूरी तरह से नंगी हो गई और खुद को शीशे में निहारने लगी! सच में उसका बदन किसी अजंता की मूरत की तरह तराशा हुआ था और मेनका की नजर अपनी टांगो के बीच में गई तो उसकी आंखे शर्म से झुक गई क्योंकि उसकी चूत बिल्कुल चिकनी चमेली की तरह बिलकुल साफ थी! मेनका को याद आया कि कल उसने सुहागन बनने के लिए किस तरह से अपनी चूत को साफ़ किया था वरना उसकी चूत के आस पास बालो का एक पूरा जंगल उगा था जिसमे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था! मेनका अपने जिस्म को लेकर कितनी लापरवाह हो गई थी इसका अंदाजा इसी बात से उसे हुआ था कि उसकी झांटे उसकी पेंटी से निकलकर उसकी जांघो तक आ गई थी! मेनका ने गुलाबी रंग की अपनी ब्रा को को उठाया और शीशे में देखते हुए अपने अमृत कलशो को बंद कर लिया और उसके बाद उसने पैंटी को हाथ में लिया और जैसे ही एक टांग को थोड़ा ऊपर उठाया तो उसकी चूत के होंठ हल्के से खुले और मेनका का समूचा वजूद कांप उठा! मेनका ने बड़ी मुश्किल से अपनी जांघो को बंद किया और उसके बाद पेंटी को पहन लिया और एक सुकून की सांस ली!


मेनका ने लहंगे को पहन लिया और उसके बाद अपनी रेशमी साड़ी को पहनने लगी और
देखते ही देखते वो फिर से एक बार दुल्हन के लिबास में आ गई और बेहद आकर्षक लग रही थी! मेनका बार बार अपने आपको शीशे में देख रही थी और आनंदित महसूस कर रही थी! लेकिन कल के मुकाबले उसे आज कुछ कमी महसूस हुई और वो थी मेक अप की कमी तो उसने फिर से वही पुरानी मेक अप किट निकालने का फैसला किया!

वहीं दूसरी तरफ अजय अपने कमरे में लेटा हुआ था और युवराज विक्रम के बारे में ही सोच रहा था कि आज वो दिन भर कितने परेशान थे जरूर कोई तो बात हैं जिसका मुझे पता लगाना पड़ेगा! अजय ने अपनी तलवार की तरफ देखा जो बेड पर रखी हुई थी और उसे बेहद खुशी हुई! अजय उठा और तलवार को अपने माथे से लगाकर चूमते हुए म्यान में रख दिया और उसके बाद उसे दीवार पर टांग दिया! अजय को नींद नहीं आ रही थी तो उसने थोड़ा छत पर टहलने का सोचा और छत की तरफ चल पड़ा! उसने देखा कि उसके मां के कक्ष में एक भी दीया नही जल रहा है तो उसे बड़ी हैरानी हुई और वो उसके कक्ष में घुस गया लेकिन कक्ष में मेनका पाकर वो हैरान हो गया और उसे अपनी माता की चिंता हुई तो वो तेजी से छत पर गया लेकिन छत पर भी उसे मेनका नही मिली तो उसका दिल घबरा गया और तभी उसके मन में विचार आया कि एक बार उसे नीचे तहखाने में देखना चाहिए लेकिन उसे उम्मीद कम थी क्योंकि रात के करीब 12 बजे उसकी माता तहखाने में क्यों जायेगी लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है और उसने नीचे जाने का फैसला किया! वो अपनी मां के कक्ष में घुसा और दीये को जलाया तो उसे उसकी मां की अलमारी खुली नज़र आई और अजय सावधानी से तहखाने में उतरने लगा!

अजय नीचे उतर गया तो उसे अंदर प्रकाश नजर आया तो उसके अंदर उत्सुकता जाग उठी कि उसकी माता इतनी रात को यहां कर रही है तो वो धीरे से आगे बढ़ा और जैसे ही उसने अंदर झांका तो उसे मेनका नजर आई जो आज फिर से दुल्हन बनी हुई थी और आज कल के मुकाबले कहीं ज्यादा खूबसूरत लग रही थी क्योंकि आज वो अपनी मर्जी से और अपने तरीके से तैयार हुई थी! मेनका अपने होंठो को गोलाकार किए हुए थी और उन पर लिपिस्टिक लगा रही थी और ये सब देख कर अजय की आंखे फटी की फटी रह गई! उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर उसकी विधवा मां ये सब क्यों कर रही है आज फिर से!

लिपिस्टिक लगाकर मेनका मुस्कुरा उठी और अजय ने एक नजर सिर से लेकर पैर तक अपनी माता मेनका पर डाली! मेनका के दूध से गोरे खूबसूरत पैर और पैरो की छोटी छोटी मन मोहक उंगलियां, मेनका के पैरो में बंधी हुई पतली सी पायल, हरे रंग की बेहद आकर्षक रेशमी साड़ी और उसके हाथो में साड़ी से मिलती हुई हरे रंग की सुंदर कांच की चूड़ियां बेहद हसीन लग रही थी! मेनका का चेहरा बेहद खूबसूरत लग रहा था और उसके होंठो पर मंद मंद मुस्कान फैली थी! उसके काले घने रेशमी बाल उसके गले में स्टाइल के साथ पड़े हुए थे और उसकी सोने की चैन को ढकने का प्रयास कर रहे थे! मेनका के लाल सुर्ख होंठ उसके मुस्कुराने की वजह से और ज्यादा लरज रहे थे जिससे मेनका की खूबसूरती जानलेवा साबित हो रही थी!


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अजय बिना पलके झुकाए वो अदभुत सुंदरता को निहारता रहा और फिर मेनका खड़ी हो गईं और शीशे में खुद को निहारने लगी! मेनका के खड़े होने से उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया था जिससे उसकी चुचियों का उभार साफ़ नजर आ रहा था और मेनका अपने बालो से खेलती हुई खुद को शीशे में निहार रही थी और एक हल्की सी बेहद कामुक मुस्कान उसके होंठो पर फैली हुई थी! मेनका कभी अपनी आवारा लटो को संभालती तो कभी पलट कर अपने पीछे के हिस्से को देखती और खुद पर ही मोहित होती जा रही थी!


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भले ही मेनका उसकी मां थी लेकिन अजय को उसके रूप में साक्षात स्वर्गलोक की मेनका नजर आ रही थी जिससे वो कभी का भूल गया था कि सामने खड़ी हुई खुद से अठखेलियां कर रही औरत उसकी सगी मां है और नारी स्वभाव और सुंदरता से अपरिचित अजय अब उसकी कामुक अदाओं को देखकर आनंदित महसूस कर रहा था! दूसरी तरफ मेनका तो मानो आज आसमान में उड़ रही थी क्योंकि वो जिंदगी में पहली बार खुलकर अपनी खूबसूरती को निहार रही थी और मस्त हुई जा रही थी! कभी वो अपने होंठो को गोलाकार करती तो कभी खोल देती और कभी कामुक अंदाज में सिकोड़ सा लेती मानो सीटी बजाना चाहती हो!

मेनका ने अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने बालो को पूरा खोल दिया और उसके बालो ने उसके खूबसूरत चेहरे को पूरा ढक लिया और मेनका ने एक झटके के साथ अपने बालो को पीछे को झटक दिया तो अजय को आज एहसास हुआ कि वास्तव में चांद बदली से कैसे निकलता है और अजय ने अपने दांतो तले उंगली दबा ली! मेनका की सांसे अब तेज हो गई थी जिससे उसका बदन मचल रहा था और उसकी छातियों में कम्पन होना शुरू हो गया था! मेनका आज खुद पर ही मोहित हो गई थी और शीशे में देखते हुए उसने अपने बदन को हिलाना शुरु कर दिया तो मेनका को अद्भुत सुख मिला और वो अपने दोनो कंधो को एक एक करके उचकाने लगी जिससे उसकी चूचियां एक दूसरे को चिढ़ाती हुई उपर नीचे होना शुरू हो गई! मेनका अपने दोनो हाथो में अपने बालो को भरती और फिर से उन्हे खुला छोड़ते हुए अपने चेहरे पर फैला देती! मेनका की सांसे अब उखड़ गई थी और उसकी छातियों में तेज गति से कम्पन होना शुरू हो गया था!


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मेनका अब पूरी तरह से मदहोश हो गई थी और उसके पैर जवाब देने लगे तो वो हिरनी की तरह लहराती हुई बेड की तरफ चल पड़ी जिससे उसका बड़ा भारी भरकम पिछवाड़ा अजय के सामने करतब करने लगा और अजय बिना पलके झुकाए अपनी मां के इस अदभुत अवतार का नयन सुख ले रहा था! मेनका बेड पर चढ़ गई और अपने जिस्म से खेलने लगी! कभी वो अपनी टांगो को फैला देती तो कभी उन्हे पूरा सिकोड़ लेती और मेनका ने अपनी एक उंगली को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं और बेताबी से अपनी जांघो को एक दूसरे से रगड़ रही थी! मेनका की आंखे वासना से लाल सुर्ख होकर दहक रही है और उसका एक हाथ धीरे धीरे उसकी दोनो चूचियों को सहला रहा था! मेनका अपने जिस्म को बिस्तर पर मस्ती से बिस्तर पर पटक रही थी और काम वासना से भरी हुई मेनका ने एक करवट ली और अब उसकी गांड़ उभर आई और अपनी दोनो चुचियों को वो बेड शीट पर जोर जोर से रगड़ती हुई बेड शीट को हाथो से मरोड़ रही थी और उसकी साड़ी उसकी जांघो तक आ गई थी जिससे उसकी गोरी चिकनी जांघें साफ नजर आ रही थी और अजय पागल सा हुआ देखे जा रहा था कि उसकी माता कितनी कामुक हैं!

मेनका ने जोर जोर से अपने जिस्म को बिस्तर पर पटकना शुरू कर दिया और उसकी जीभ खुद ही बेकाबू होकर उसके होंठो को चूसने लगी तो अजय बेचैन हो गया और अच्छे से देखने के लिए अपनी जगह से थोड़ा सा हिला और यही उससे चूक हो गई! अजय के हिलने से उसकी परछाई का प्रतिबिम्ब शीशे पर पड़ा और मेनका को एहसास हो गया कि कमरे में कोई हैं जो उसे देख रहा है और वो जानती थी कि ये अजय के सिवा कोई और नहीं हो सकता क्योंकि तहखाने को सिर्फ वही जानता था! मेरा बेटा मेरी हरकतों को देख रहा है ये सब सोचकर मेनका शर्म से पानी पानी पानी हो गई और उसकी उंगली उसके मुंह से बाहर निकल आई और मेनका सीधी बिस्तर पर लेट गई मानो सोने का प्रयास कर रही हो! अजय को समझ नही आया कि अचानक से उसकी माता की क्या हुआ, कहीं उन्हे पता तो नही चल गया कि मैं उन्हें देख रहा हूं ! ये सोचकर अजय की नजर सामने शीशे पर पड़ी और उसे अपनी गलती का एहसास हुआ लेकिन अब तो तीर कमान से निकल गया था!

अजय जानता था कि अब कुछ नहीं होगा इसलिए वो वो उपर आ गया और मेनका समझ गई कि अजय चला गया है तो वो थोड़ी देर लेटी रही और अपने अपनी उत्तेजना को काबू करने का प्रयास करती रही
लेकिन उसका जिस्म अब उसके काबू में नहीं रहा था और उसकी चूचियां कड़ी हो गई थी जिससे मेनका चाहकर भी अपनी सांसे संयत नही कर पा रही थी,
लेकिन यहां कब लेटी रहूंगी मुझे अपने कमरे मे जाना ही होगा ये सोचकर वो धीरे धीरे उठी और उसी सुहागन के रूप में तहखाने से बाहर आ गई! चलते हुए उसके पैर कांप रहे थे और वो मन ही मन दुआ कर रही थी कि उसका बेटा उसके सामने न आए इसलिए मेनका धीरे धीरे संभल कर चल रही थी और अजय तो जैसे उसके लिए ही खड़ा हुआ था ! रात के करीब दो बज गए थे और घर में काफी अंधेरा था जिससे मेनका थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए अपने कक्ष की ओर जा रही थी कि उसे अजय की आवाज सुनाई पड़ी:"

" माता आप इतनी रात जाग रही है आपकी तबियत तो ठीक है?

मेनका उसकी आवाज सुनकर कांप उठी और उसका मन किया कि जल्दी से अन्दर घुस जाए लेकिन आवाज की दिशा में देखा और बोली:"

" हान बस नींद नही आ रही थी कि तो इसलिए तहखाने में चली गई थी!

अजय थोड़ा सा आगे बढ़ा और अब अजय और मेनका दोनो एक दूसरे के सामने आ गए थे और अंधेरे के कारण एक दूसरे का चेहरा नही देख पा रहे थे तो अजय बोला:"

" ऐसे रात रात भर जागेगी तो आपकी तबियत खराब हो जायेगी!

मेनका उसकी बात सुनकर उसका मतलब समझ गई और उसकी सांसे फिर से तेज होना शुरू हो गई और अंधेरे का फायदा उठाकर अपने कामुक खड़ी चुचियों को शांत करने के लिए उन पर हाथ रख कर बोली:"

" नही पुत्र, आज पहली बार ऐसा हुआ है कि इतनी रात को नींद नहीं आई मुझे!

अजय जानता था कि उसकी माता कभी झूठ नहीं बोलती ओर अजय उसके थोड़ा सा और करीब हुआ और बोला:"

" ऐसा किसलिए हुआ है माता कि आपकी नींद उड़ गई है! क्या कोई कष्ट हैं आपको?

मेनका उसकी बात सुनकर कांप उठी और दूसरा उसकी चूचियां शांत होने के बजाय ज्यादा उछल पड़ी और मेनका सोचने लगी कि कष्ट इसे कैसे बता सकती हू और बोली:"

" नही पुत्र कष्ट तो कुछ नही है, बस कभी कभी इंसान पर उसके अतीत की यादें भारी पड़ जाती हैं तो ऐसा हो जाता हैं!

दोनो एक दूसरे को नही देख पा रहे थे जिससे उन्हें काफी हिम्मत मिल रही थी और शर्म कम आ रही थी! मेनका की तेज गति से चलती हुई सांसों को अजय साफ महसूस कर रहा था और उसके थोड़ा और करीब हो गया जिससे दोनो अब बिल्कुल एक दूसरे से सामने खड़े खड़े हुए थे और अजय ने हिम्मत करके अपने हाथ को उसके कंधे पर रख दिया और बोला:".

" मुझे नीचे तहखाने में नही जाना चाहिए था माता! मेरी वजह से आपको परेशानी हुई!

अपने कंधे पर अपने बेटे का हाथ महसूस करके मेनका के बदन में एक तेज सिरहन सी दौड़ गई और खामोश रही तो अजय उसके थोड़ा और करीब हो गया और मेनका की तेज सांसों के साथ उठती गिरती हुई चूचियां हल्की सी उससे टकरा रही थी और मेनका का पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था और अजय ने अपने दूसरे हाथ को भी उसके कंधे पर रख दिया और सहलाते हुए बोला:"

" आप इतना कांप क्यों रही हैं माता ! आपकी सांसे भी तेज हो गई है !!

पल्लू सरक जाने से मेनका के दोनो कंधे नंगे हो गए थे और अपने बेटे के सख्त हाथो की छूवन महसूस करके मेनका जिस्म मचल उठा और उसके होंठ अब बुरी तरह से थरथरा रहे थे! मेनका ने कसकर अपनी जांघो को भींच लिया उसकी चूत से सालो के बाद न चाहते हुए भी काम रस की एक बूंद टपक पड़ी तो उसके मुंह से आह निकल गई और मदहोशी में उसके पैर जवाब दे गए तो मेनका उसकी बांहों में झूल सी गई और अजय ने उसे कसकर अपनी बांहों में भर लिया और जैसे ही उसकी छातियां अजय के चौड़े मजबूत सीने से टकराई तो मेनका का धैर्य और शर्म सब टूट गया और वो भी किसी प्यासी अमरबेल की तरह अजय से लिपट गई! दोनो एक दूसरे को और ज्यादा जोर से कसने का प्रयास कर रहे थे और मेनका ने मदहोशी में अपनी दोनो आंखे बंद किए उसके गले में अपनी संगमरमरी बांहों का हार पहना दिया!

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दोनो ही एक दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे मानो एक ही जिस्म हो और अजय के गर्म दहकते होंठ कभी कभी उसकी खूबसूरत पतली गर्दन को चूम रहे थे तो कभी उसकी कान की लौ को सहला रहे थे जिससे मेनका अपने होशो हवास खोती जा रही थी और अजय के हाथ अब उसकी कमर से लिपट कर उसकी चिकनी नंगी कमर को सहला रहे थे और मेनका मस्ती से अपनी चुचियों का वार उसके सीने में कर रही थी और उसने अपने गर्म दहकते अंगारों जैसे होंठो को अजय के गाल पर रखा और चूम लिया तो अजय उसके होंठो की तपिश महसूस करके जोश में आ गया और उसने दोनो हाथों से उसका चांद सा खूबसूरत चेहरा अपने हाथो मे भर लिया और दोनो की सांसे एक दूसरे से टकराने लगी और अजय ने होंठ उसके गालों को चूमते हुए उसके होंठो की तरफ बढ़ने लगे!


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जैसे ही दोनो के होंठ आपस में टकराए तो मेनका के जिस्म में बिजली सी दौड़ गई और वो एक झटके के साथ अजय से अलग हुई और तेजी से चलती हुई अपने कक्ष में जाने लगी और उसकी चूड़ियों और पायल की छन छन छन खन खन खन करती हुई आवाज गूंज उठी और मेनका अपने कक्ष में आकर लेट गई और सोचने लगी कि उससे बड़ी भारी गलती हो गई है आज!

मेनका अपनी सांसों के संयत करते हुए सोने की कोशिश करने लगी वहीं दूसरी तरफ अजय भी समझ नही पा रहा था कि जो हुआ क्या वो सच था! अजय अपने कक्ष में आ गया और सोने का प्रयास करने लगा लेकिन नींद उसकी आंखो से कोसो दूर थी!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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शहजादी सलमा वापिस महल पहुंच गई और उसे देखते ही उसकी मां ने सुकून की सांस ली और बोली:"

" अच्छा हुआ बेटी आप आ गई, मुझे आपकी चिंता होने लगी थी!

सलमा बेहद खुश थी क्योंकि वो पहली बार अपनी ससुराल जो घूम कर आई थी और वो रजिया के गले लग गई और उसका मुंह चूम लिया और बोली:"

" हम बता नही सकते आज हम कितनी खुश हैं, सालो के बाद हमने आज खुलकर अपनी जिंदगी को जिया हैं अम्मी!

अनुभवी रजिया उसके द्वारा अपना गाल चूमे जाने से मुस्कुरा उठी और उसके कान खींचती हुई बोली:" लगता हैं मेरी शहजादी अब जवान हो गई है! कोई शहजादा देखना पड़ेगा आपके लिए!!

रजिया की बात सुनकर सलमा शर्म से लाल हो गई और अपने मुंह को हाथो से छुपा लिया और विक्रम के बारे मे सोचकर मुस्कुरा उठी और बोली:"

" अम्मी आप भी ना बस मुझे परेशान करने लगी है! ऐसे कोई बोलता है क्या अपनी बेटी को!

रजिया प्यार से उसके सिर में हाथ फेरती हुई बोली:

" बेटी जवान और खूबसूरत हो तो समझाना पड़ता है सलमा! चलो अब जल्दी से खाना खा लो!

सलमा ने अपनी मां के साथ खाना खाया और फिर सोने के लिए अपने कक्ष में जाने लगी और बोली:

" अम्मी कल तो मेला खत्म हो ही जायेगा! आपकी इजाजत हो तो कल फिर से मेला देख आऊ क्या सीमा को साथ लेकर!

राजिया ने मुस्कुरा कर सहमति दे दी और सलमा का दिल खुशी से झूम उठा और वो अपने कक्ष की तरफ बढ़ गई!

अगले दिन सुबह उदयगढ़ में बेहद खुशी का दिन था क्योंकि आज राजमाता ने अजय को तलवार देने के बाद उसे राज्य का सेनापति बनाने का उत्सव था!
चारो तरफ खुशी का माहौल था और पूरा उदयगढ़ दुल्हन की तरह सजा हुआ था! विक्रम भी बेहद खुश था और वो चाहता था कि किसी तरह सलमा भी आज के उत्सव का हिस्सा बने तो बहुत अच्छा रहेगा!

मेनका सोकर उठी और अपने आपको रेशमी साड़ी में लिपटी हुई देखकर उसकी आंखों के आगे रात की घटनाएं घूमने लगी और वो शर्म से गड़ी जा रही थी कि रात उसने उत्तेजना में क्या कर डाला! अब वो अजय से नजरे कैसे मिला पाएगी ये सब सोचकर वो बेहद परेशान हो रही थी जिस कारण आज उत्सव की खुशी में भी उसे सुकून नही मिल रहा था और मेनका नहाने के लिए बाथरूम में चली गई और रोज की तरह उसने सफेद साड़ी को पहन लिया और तैयार होने लगी! अजय भी उठा गया और नहाकर तैयार होने लगा! मेनका ने उसके खाने के लिए कुछ ताजे फल और पराठे लिए और हॉल में टेबल पर रख दिए जहां अजय पहले से ही उसका इंतजार कर रहा था और दोनो बिना कुछ बोले नाश्ता करने लगे और मेनका की नजरे शर्म से झुका हुई थी! अजय की नजरे बीच बीच में उसके चेहरे को देखती और अजय सोच रहा था कि उसकी मां के चेहरे पर कितनी मासूमियत और शराफत है! उसे यकीन नही हो पा रहा था कि रात वो काम वासना से उबलती हुई यही उसकी मां मेनका थी या कोई दूसरी औरत लेकिन वो सच्चाई से मुंह नही मोड़ सकता था!

अजय ने आखिरकार चुप्पी तोड़ते हुए कहा:" मम्मी आज तो आपके लिए बेहद खुशी का दिन हैं क्योंकि आपका बेटा सेनापति बनाने जा रहा है और आप ऐसे उदास बैठी हुई है!

उसकी बात सुनकर मेनका को थोड़ी हिम्मत मिली और नजरे नीचे किए हुए बोली:"

" हान बेटा मैं बहुत खुश हूं और ईश्वर से प्रार्थना है कि आपको खूब ताकत और हिम्मत दे ताकि आप अपना कर्तव्य निभा सके!

अजय खड़ा और मेनका की तरफ बढ़ा तो मेनका कांप उठी कि पता नहीं क्या होगा लेकिन अजय उसके कदमों में बैठ गया और उसके पैर छूकर बोला:"

" माता मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए बस! फिर आप देखना मैं कैसे उदयगढ़ की तरफ उठने वाली हर नजर को झुका दूंगा!

मेनका ने चैन की सांस ली और उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद देती हुई बोली:"

" पुत्र मेरा आशीर्वाद आपके साथ है हमेशा! ईश्वर आपको शक्ति दे!

उसका बाद अजय वापिस अपनी शीट पर आ गया और नाश्ता करने के बाद अजय जाने लगा तो मेनका ने उसे पीछे से आवाज दी:" रुको पुत्र, ऐसे नही जाते हैं!


अजय रुक गया और थोड़ी ही देर में मेनका आरती की थाली लेकर आ गई और उसने अजय की आरती उतारी और बोली:"

" ईश्वर आपको हर जंग में विजयी बनाए अजय!

उसके बाद उसने अजय को एक हीरे की अंगूठी दी और उसकी उंगली में पहनाते हुए बोली:"

" आप आपके खास दिन पर आपके लिए मेरे तरफ से छोटा सा तोहफा पुत्र!

अजय गदगद हो उठा और बोला:" माता आज आपने मेरा जीवन सफल कर दिया! आपके जैसी माता मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात हैं!

उसके बाद अजय वहां से निकल गया और उत्सव की तैयारी में लग गया! धीरे धीरे शाम होने लगी और उत्सव का शुभ मुहूर्त करीब ही था लेकिन युवराज विक्रम महल से गायब थे और गायत्री देवी को उनकी चिंता हो रही थी कि ऐसे वो बिना बताए कहां चला गया और युवराज तो मेले में इस उम्मीद में घूम रहा था कि सलमा आए तो उसे भी उत्सव में शामिल किया जा सके! सलमा कल की तरह फिर से सीमा के साथ निकली और मेले में पहुंच गई और सीमा के साथ घूमने लगी तो सीमा बोली:"

" क्या हुआ शहजादी? लगता हैं आप फिर से आज विक्रम को ढूंढ रही हैं मेले में! कल बोलकर आई थी क्या उन्हे?

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा पड़ी और बोली:"

" बोलकर तो नही आई थी लेकिन क्या पता वो भी आए और हमे मिल ही जाए!

सीमा:"इतना ज्यादा प्यार करने लगी है आप कि बिना देखे सुकून नही मिल रहा है!

सलमा उसका हाथ पकड़कर बोली" सारा संसार एक तरफ और यार का दीदार एक तरफ !

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" इतनी बेताबी और बेचैनी भी अच्छी नही होती शहजादी! कल ही तो आप मिलकर आई हो ना!

सलमा उसकी बात सुनकर आंखो में प्यार लिए हुए बोली:"

" इस बेताबी का भी अपना अलग ही मजा है सीमा! तुम क्या जानो अपने महबूब की मजबूत बांहों में जो सुकून आनंद मिलता है वो कहीं नहीं मिलता!

उसकी बात सुनकर सीमा हंस पड़ी तो सलमा को एहसास हुआ कि उसके मुंह से क्या निकल गया है तो वो उसका मुंह लाल हो गया और सीमा उसे छेड़ते हुए बोली:"

" ओहो तो ये बात है हमारी शहजादी विक्रम की बांहों में समाने में लिए तड़प रही है!

सलमा की नजरे शर्म से झुक गई और उसकी सांसे तेज होने लगी और बोली;" चल बेशर्म कुछ भी बोल देती हैं!

सीमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसकी सांसों के साथ कम्पन कर रही छातियों को देखते हुए बोली:" वैसे आप कब लग गई विक्रम के गले! थोड़ा बचकर ही रहना कहीं पकड़ कर मसल ना दे आपको अपनी मजबूत बांहों में!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और सोचने लगी कि तुम्हे क्या मालूम है कि मैं युवराज के साथ पूरी पूरी उसकी बांहों में रह चुकी हूं और मुंह नीचे किए हुए ही बोली:" कल जब हम मिलने गए थे तो युवराज ने मुझे कस लिया था अपनी बांहों में!

सीमा:" अच्छा जी आप तो बड़ी तेज निकली शहजादी! अच्छा कैसा लगा था आपको!

सीमा की बात सुनकर सलमा ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका और बोली:

" कुछ मत पूछ सीमा! मर्द की बांहों में जो सुकून मिलता है वो कहीं नहीं मिलता!

सीमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और उसके कंधो को पकड़ कर बोली:"

" सिर्फ बांहों में भरा ही था या और भी कुछ किया था शहजादी?

सलमा उसकी बात सुनकर कांप उठी और बोली:"

" कितनी बेशर्म हो गई आप ? युवराज ऐसे नही है सीमा! वो तो बेहद अच्छे और प्यारे है!

सीमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और उसका हाथ पकड़ कर बोली:" मुझे पता है कि मर्द कैसे होते हैं, देखना अगली बार आपको कैसे रगड़ देंगे युवराज अपनी बांहों में भर कर!

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और बोली:" रुक जरा तुझे अभी तमीज सिखाती हूं!

इतना कहकर उसने सीमा का हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचने लगी तो उसे एक आवाज सुनाई पड़ी

" क्यों बेचारी सीमा के पीछे पड़ी हो शहजादी! ऐसा क्या कर दिया इसने?

इस आवाज को सलमा नींद में भी पहचान सकती थी क्योंकि ये प्रियतम विक्रम की आवाज थी और सीमा बोली:

" देखो ना युवराज कैसे सलमा मुझ मासूम पर जुल्म करती है!


सलमा ने उसे जोर से अपनी तरफ खींचा और बोली:"

" मासूम और तुम! आज मैं तुझे छोड़ने वाली नही हु!

विक्रम:" जरा हम भी तो जाने कि इसने ऐसा क्या गुनाह कर दिया?

विक्रम की बात सुनकर सलमा शर्मा गई क्योंकि वो कैसे युवराज से बोलती कि सीमा का रही थी कि युवराज आपको अपनी मजबूत बांहों में भर कर रगड़ देंगे और ये सोचकर सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और सीमा उसका मजा लेती हुई बोली:"

" पूछिए ना युवराज इनसे?

विक्रम के कुछ बोलने से पहले ही सलमा ने उसका हाथ छोड़ और बोली:" घर जाकर तुझे सबक सिखा दूंगी ध्यान रखना! ।।

विक्रम उनकी बाते सुन कर हंस पड़ा और बोला:" अच्छा सुनो आज उदयगढ़ में उत्सव है क्योंकि मेरे प्यारे मित्र को सेनापति बनाया जा रहा हैं! मैं आपको ही ढूंढ रहा था आइए मेरे साथ इस उत्सव में चलिए!

सीमा और सलमा दोनो उसके साथ चल पड़ी और राज दरबार लगा हुआ था और हॉल भीड़ से खचाखच भरा हुआ था और युवराज को देखते ही प्रजा उसकी जय जयकार करने लगी तो विक्रम बोला:"

" मेरी नही बल्कि सेनापति अजय की जय जयकार कीजिए आप!

विक्रम आगे बढ़ कर कुर्सी पर बैठ गया और सीमा और सलमा के लिए विक्रम ने भीड़ के बीच ही कुर्सी की व्यवस्था कर दी थी और सलमा और विक्रम बीच बीच मे एक दूसरे को निहार रहे थे और सलमा मंद मंद मुस्कुरा रही थी!

दरबान:" आप सबकी उपस्थिति में महाबली अजय को उदयगढ़ का सेनापति बनाया जा रहा हैं और इसके लिए राजमाता गायत्री देवी उन्हे मुकुट पहना कर इस परंपरा का मुहूर्त करेगी!

गायत्री देवी ने अपनी सीट से खड़ी हुई तो विक्रम और सलमा की आंखे मिली मानो पूछ रही हो कि क्या यही हमारी माता हैं तो विक्रम ने इशारे से सहमति दे दी और सलमा खुश हो गई! अजय आगे बढ़ा और राजमाता ने एक मुकुट उसके सिर पर पहना दिया तो जनता अजय जी जय जयकार करने लगी और अजय ने झुककर राजमाता के पैर छुए तो बोला:" मैं अपने कर्तव्य का पालन करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटूंगा!

उसके बाद राजमाता ने उसे आशीर्वाद दिया और अजय ने अपनी माता मेनका के पैर छुए तो मेनका ने उसे आशीर्वाद दिया और थोड़ी देर के बाद उत्सव खाने पीने का दौर चल पड़ा और सीमा और सलमा दोनो को विक्रम ने अच्छे से खाना खिलाया और उसके बाद करीब रात के 10 बजे दोनो वापिस सुल्तानपुर की तरफ लौट पड़ी! विक्रम उन्हे छोड़ने के लिए सुल्तानपुर की सीमा तक आया और उसके बाद दोनो महल में आ गई तो सीमा बोली:"

" आपको कैसा लगा उत्सव शहजादी ?

सलमा:" अच्छा था और नए सेनापति को जिम्मेदारी देना बड़ी बात है क्योंकि उसकी आंखो उम्र अभी बेहद कम है!

सीमा:" उम्र कम हैं तो क्या हुआ लेकिन आप उसके इरादे देखिए कितने बुलंद हैं! मुझे तो अच्छा लगा बहुत, लोग बाते कर रहे थे कि अजय का परिवार राज परिवार का सबसे वफादार परिवार रहा है!

सलमा:" हान ये बात तो हैं! मैने भी उसके पूर्वजों के बारे मे सुना हैं और अच्छा लगा! जैसे उदयगढ़ में अजय का परिवार हैं तो वैसे ही यहां आप हो सीमा ! हमेशा मेरा साथ देती हो ठीक वैसे ही जैसे अजय युवराज का साथ देता हैं हर मुश्किल में!

सीमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान दी और बोली:"

" मुझे वफादार बोलने के लिए सच मे आपका बेहद धन्यवाद शहजादी! मेरा ये जीवन आपको समर्पित है और मेरी मृत्यु भी आपके लिए ही होगी!

सलमा:" ऐसी बाते नही बोलते! हम दोनो जिदंगी भर ऐसे ही अच्छे सहेलियां बनकर साथ रहेंगे और एक अच्छा सा लड़का देखकर तेरी शादी भी करवा दूंगी समझी कुछ!

सलमा की बात सुनकर सीमा की आंखो के आगे अजय का चेहरा आ गया और बोली:"

" जी शहजादी! अच्छा चलो अब आप आराम करो, रात बहुत हो गई है!

इतना कहकर सीमा इसके कक्ष से बाहर निकल गई और सलमा सोचने लगी कि कल वो कल्लू सुनार को से पता करेगी कि कौन है जो सीमा के खिलाफ साजिश कर रहा है!

दूसरी तरफ जब्बार और राधिका बिस्तर पर पड़े हुए थे और राधिका बोली:"

" सीमा को फसाने वाला प्लान काम नही आया! हमे कुछ दूसरा तरीका सोचना होगा!

जब्बार:" तुम चिंता मत करो, मेरे पास आदमी और तरीको की कमी नहीं है!

राधिका:" जब ऐसा हैं तो आप राज गद्दी पर क्यों नहीं बैठ जाते हो ? आपका विरोध करने वाला कोई नहीं है राज्य में अब!

जब्बार:" बात ठीक हैं लेकिन जो काम प्यार से हो जाए उसके लिए खून खराबा ठीक नहीं होगा, फिर अभी राज्य में कई ऐसे वफादार योद्धा हैं हो हमेशा राज परिवार के वफादार रहेंगे! हम उन्हे खोना नहीं चाहते क्योंकि आगे चलकर वही हमारे काम आयेंगे!

राधिका:" लेकिन आगे चलकर वही आपके खिलाफ हो गए तो फिर क्या होगा?

जब्बार: " कुछ नही होगा क्योंकि मेरे पास एक ऐसा मोहरा हैं जो वक्त आने पर इस्तेमाल करूंगा और उसके बाद राज परिवार खुद ही राजा राजपाठ मुझे दे देगा!

राधिका को उसकी बात सुनकर हैरानी हुई और बोली:"

" आप तो बड़े तेज हो, मतलब शतरंज के सारे मोहरे आपके इशारों पर काम कर रहे है! कौन है वो आपका मोहरा ?

जब्बार:" इतनी जल्दी ठीक नही होती, सही वक्त आने पर सबको पता चल जायेगा!

राधिका कुछ नही बोली और थोड़ी देर के बाद दोनो एक दूसरे से गुत्थम गुत्था होने लगे! वहीं सलीम रोज की तरह जब्बार की बीवी शमा के साथ था और शमा ने आज फिर से उसका लंड चूसकर उसे मजा दिया था और सलीम को पूरी तरह से अपने बस में किया हुआ था! सलीम इतना भोग विलासी बन गया था कि उससे शमा के अलावा कुछ नजर नही आता था जिसका फायदा जब्बार जमकर उठा रहा था और एक एक अपने विश्वास पात्रों को राज्य में महत्त्वपूर्ण पद दे रहा था ताकि जरूरत पड़ने पर उनकी मदद से तख्ता पलट सके!
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Naik

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विक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली

" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?

विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?

मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!

विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"

" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?

मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!

विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"

" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !

मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"

" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!

विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!

मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"

" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!

विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"

" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!

मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"

" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !

मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"

" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!

मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"

" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!

विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!

मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"

" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!

विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:

" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!

मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"

" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!

मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!

विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !

मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"

" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!

बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"

" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!

मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!

बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"

" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!

बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!

बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!

विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!

विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!

अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!

विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!

अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!

विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!

अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!

उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!

मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"

" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!

मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"

" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?

विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?

मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"

" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!

विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!

मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"

" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?

मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"

" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!

मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!

विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!

विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"

" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!

मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"

" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!

मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!

मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई

" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!

मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!

विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!

मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"

" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!

मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"

" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !

विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"

" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!

विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"

" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!

मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!

विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !

मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"

" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!

मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"

" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?

विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!

मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"

" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!

मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"

" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?

विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!

मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"

" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!

मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"

" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!

विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!

धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"

" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?

मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!

विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?

मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"

" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?

मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"

" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?

विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"

" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!

विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!

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विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!

मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"

" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!

मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला

" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!

इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"

" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!

विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"

" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !

विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"

" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!

मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"

" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?

मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"

" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?

विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं

इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"

" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!

विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"

" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!

मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"

" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!

विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!

विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"

" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?

मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"

" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"

" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?

मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"

" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!

विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!

मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"

" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?

विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"

" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"

" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!

विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"

" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!

रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"

" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!

विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!

मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली

:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"

विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"

" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?

विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"

" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?

मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"

" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!

मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"

" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!

दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!

विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"

" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!

मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"

" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!

विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"

" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!

लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!

मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!

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मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"

" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"

" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!

इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!



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विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली

" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!

विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"


" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?

विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"

" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!

अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!

इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!

" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!

विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!

इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली

" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!

विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"

" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!

मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!

विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"

" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!

मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी

" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!

विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"

" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!

मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया

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जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली

"अह्ह्ह्ह पुत्र!

दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!

विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"

" क्या हुआ माता?

मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!

विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!

मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?

विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"

" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?

मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!

मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!

विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"

" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!

मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
Bahot behtareen zabardast shaandar update
Romance se bharpoor
Tow aakhir Vikram ne menka ko mana lia
Ab dekhte h kia menka Vikram khuwaish poori kerti h
Lajawab update bhai
 

maakaloda

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विक्रम मेनका के कक्ष पर पहुंचा और धीरे से दस्तक दी तो मेनका ने दरवाजा खोला और विक्रम को आमने देखते ही उसका चेहरा शर्म से नीचे झुक गया और बोली

" महाराज आप इस समय मेरे कक्ष मे ? सब ठीक तो हैं ?

विक्रम:" अंदर आने के लिए नही कहोगी क्या राजमाता हमे ?

मेनका दरवाजे का सामने से हट गई और धीरे से बोली:"

" हमे क्षमा कीजिए महाराज! अंदर पधारिए आप!

विक्रम अंदर आ गया और मेनका को बेड पर बैठने का इशारा किया तो मेनका धीरे से बैठ गई और विक्रम बोला:"

" आज आप नाश्ते के लिए नही तो बिंदिया ने बताया कि आपकी तबियत ठीक नहीं है! क्या हुआ है आपको राजमाता?

मेनका:" हान दरअसल बात ऐसी है कि हमारा बस मन नही था!

विक्रम सब समझ गया था कि मेनका रात हुई घटना के बाद से उसकी नजरो का सामना नहीं करना चाहती है तो विक्रम बोला"

" देखिए ना राजमाता आपका मन नही था तो हमे भी भूख नही लगी !

मेनका को बुरा लगा कि मेरी वजह से मेरा पुत्र भी भूखा है तो हिम्मत करके बोली:"

" आपको भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए था महराज!

विक्रम:" माता के भूखे पेट होते हुए पुत्र को भोजन करना शोभा नहीं देता है! अब तो हम आपके साथ ही भोजन ग्रहण करेंगे!

मेनका जानती थीं कि विक्रम उसके बिना भोजन ग्रहण नही करेगा इसलिए बोली:"

" आप एक महाराज हैं और आपका भूखा रहना शोभा नहीं देता! आपके पास करने के लिए ढेरों सारे काम होंगे!

विक्रम मेनका के पास बेड पर बैठ गया और बोला:" मेरी प्यारी माता मैं महराज होने के साथ साथ एक पुत्र भी हु और माता के भूखा होते हुए पुत्र को भोजन ग्रहण करना शोभा देगा क्या!

मेनका कुछ नही बोली और चुपचाप नीचे देखती रही तो विक्रम आगे बोला:"

" देखिए राजमाता आपके मन मे कोई भी बात, कोई भी डर या चिंता हो तो निसंकोच हम कह दीजिए! हम आपकी हर समस्या का निदान करेंगे!

मेनका को समझ नही आ रहा थी कि कैसे अपनी बात कहे इसलिए वो चुप ही रही तो विक्रम बोला:"

" आपकी चुप्पी का कारण हम समझते हैं राजमाता! लेकिन रात की बात हम कब की भूल गए हैं !

मेनका ने सुकून की सांस ली और चेहरे पर आत्म विश्वास दिखाई दिया तो विक्रम आगे बोला:"

" हमारे होते हुए आप किसी भी चीज की चिंता मत कीजिए! और वैसे भी राजमाता आपने कुछ गलत नही किया रात! आपके कक्ष में रखे हुए सभी गहने, वस्त्र राजमाता के लिए ही हैं और अब उन्हें अगर आप नही पहनेंगे तो फिर कौन पहनेगा!

मेनका ने पहली बार विक्रम की तरफ देखा और धीरे से बोली:"

" लेकिन पुत्र रात जो कुछ भी हुआ वो मर्यादित नही था!

विक्रम:" लगता हैं कि आपने कोई सपना देख लिया हैं! रात कुछ भी तो नही हुआ ! मैं आपके रूम में आया और आपको महारानी की ड्रेस पहने देखा और उसके बाद वापिस अपने रूम में चला गया! बस इतनी सी बात थी और आप पता नही क्या क्या सोचने लगी!!

मेनका ने अब पूरी तरह से सुकून की सांस ली और बोली:"

" और कितनी देर भूखा रखोगे मुझे ? भूख लगी हैं मुझे अब बड़ी जोर से पुत्र!

विक्रम खड़ा हुआ और मेनका का हाथ पकड़ते हुए बोला:

" चलिए न राजमाता हम तो खुद आपके हाथ से खाने के लिए तरस रहे हैं!

मेनका विक्रम के साथ टेबल पर आ गई और मेनका ने अपने हाथ से विक्रम को खाना खिलाया तो विक्रम बोला:"

" राजमाता आपके हाथ से खाना खाने से खाना का स्वाद कई गुना बढ़ गया है आज!

मेनका हल्की सी मुस्कुरा दी और बोली:" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे महाराज!

विक्रम:" नही राजमाता सच में खाना आज बेहद स्वादिष्ट लगा !

मेनका उसे फिर से एक और निवाला खिलाते हुए बोली:"

" वो ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मा के प्यार का एहसास हो मिल गया है महराज!

बिंदिया पास ही खड़ी हुई थी और धीरे से बोली:"

" अगर आपकी आज्ञा हो तो मैं कुछ विनती करना चाहती हू!!

मेनका:" बिंदिया आपको आज्ञा की जरूरत नही बल्कि पूरा अधिकार हैं!

बिंदिया ने मेनका के सामने हाथ जोड़ दिए और बोली:"

" हम सब तो राजसेवक हैं राजमाता! लेकिन आज पहली बार हम लोगो सालो के बाद राजमहल में इतनी खुशियां देखी और एक मां बेटे का प्यार देखा तो मन प्रसन्न हो गया! मेरी ईश्वर से विनती हैं आप ऐसे ही खुश रहिए ! आपकी खुशियों को किसी की नजर न लगे!

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और बोली:"

" बिंदिया तुम बाते बड़ी अच्छी करती हो! मैं वादा करती हू कि मैं कोशिश करूंगी कि ये खुशियां हमेशा बनी रहे!

बिंदिया:" आप बड़ी सौभाग्यशाली हो राजमाता जो आपको महराज विक्रम जैसे पुत्र मिले! आपको पता हैं आपके बिना इन्होंने खाने की तरफ देखा तक नहीं और आखिर कार आपको बीमारी में भी लेकर ही आ गए!

बिंदिया की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा दिया तो मेनका भी मन ही मन मुस्कुराये बिना न रह सकी क्योंकि वो जानती थी कि उसे तो कोई बीमारी थी ही नहीं! खाना खाने के बाद विक्रम राजदरबार में चला गया और मेनका बिंदिया के साथ रसोई का कुछ जरूरी सामान देखने लगी!

विक्रम ने मंत्री दल के साथ बैठक करी जिसमे राज्य के हालातो पर चर्चा हुई और आगामी युद्ध की तैयारी देखने के लिए वो सेनापति अकरम खान के साथ महल से निकल गए और हथियार खाने पहुंच गए!

विक्रम:" अकरम हमे पिंडारियो को अपने पास आने से पहले ही मारना होगा! शारीरिक शक्ति के आधार पर उनसे हमारे सैनिक कभी भी मुकाबला नही कर सकते है!

अकरम:" फिर तो महाराज हमे ऐसे हथियारों का प्रयोग करना पड़ेगा जिनसे पिंडारियो को दूर से ही खत्म किया जा सके ! इसलिए लिए तीर कमान सबसे बेहतर उपाय हैं!

विक्रम:" तीर को ढाल से रोका जा सकता है! और अगर आधे भी पिंडारी बच गए तो जंग जीतना बेहद मुश्किल हो जायेगा!

अकरम:" फिर तो कोई दूसरा ही उपाय सोचना पड़ेगा!

विक्रम:" सोचो अकरम और हमें बताओ क्या तरीका सही रहेगा। क्योंकि हम और ज्यादा इंतजार नही कर सकते हैं!

अकरम:" आप निश्चित रहिए महराज! मैं एक दो दिन के अंदर ही कोई ठोस रणनीति पर आपसे चर्च करूंगा!

उसके बाद अंधेरा घिर आया तो विक्रम महल की तरफ लौट आए और थोड़ी देर बाद ही राजमाता के साथ खाने की टेबल पर हुए थे और खाना खाने के बाद मेनका अपने कक्ष की तरफ जाने लगी तो विक्रम भी उसके साथ ही चल दिए तो मेनका को भला क्या आपत्ति होती!

मेनका और विक्रम दोनो बेड पर एक साथ बैठ गए तो गदगदे के कारण बेड चार पांच बार ऊपर नीचे हुआ तो मेनका के होंठो पर हल्की सी मुस्कान आ गई जिसे वो अगले ही पल छुपा ली लेकिन विक्रम की पारखी नजरो से न बच सकी और विक्रम उस मुस्कुराहट का मतलब भली भांति जानता था इसलिए धीरे से बोला:"

" आजकल आप मन ही मन बड़ा मुस्कुराती रहती हैं राजमाता!

मेनका समझ गई कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन अपने आपको संभालते हुए बोली:"

" ऐसे ही बस हंसी आ जाती हैं बेटा कभी कभी! क्या आपको मेरे मुस्कुराने पर भी आपत्ति हैं महराज ?

विक्रम:" नही राजमाता ऐसा न कहे! हमे तो आपत्ति नही वरन खुशी होती हैं जब आप मुस्कुराती है! वैसे आपको शयन कक्ष का ये बेड कैसा लगा ?

मेनका को विक्रम से सीधे ऐसे सवाल की उम्मीद नही थी इसलिए वो एकदम से झेंप सी गई और जल्दी से बोली:"

" अच्छा हैं! सबके जैसा ही हैं!

विक्रम:" सबके जैसा नही हैं राजमाता! महल के अंदर सिर्फ एक राजमाता का यानी सिर्फ आपका ही बेड ऐसी अच्छी गुणवत्ता का हैं! इसका गद्दा खासतौर से विलायत से मंगवाया गया है जो बेहद आरामदायक और गद्देदार हैं! एक बार आप आराम से भी बैठेंगी तो कई बार आप उछलती ही रहेगी!

मेनका के मुंह पर शर्म की लाली आ गई और उसे समझा आया कि एक सेक्स में एक धक्का लगाओ तो कई धक्कों का मजा आता हैं और ये सोचते ही मेनका का बदन हल्का सा कांप उठा और विक्रम समझ गया कि मेनका पर उसकी बाते असर कर रही है तो आगे बोला:"

" क्या आप नही जानना चाहेंगी कि सिर्फ राजमाता के बेड पर ही क्यों इतना मुलायम और गद्देदार रेशमी गद्दा लगाया है?

मेनका ने विक्रम का मन रखने के लिए एक ऊपर नजर उठाई और तरफ देखते हुए आगे बताने का इशारा किया! मेनका का शर्म से लाल चेहरा देखकर विक्रम की हिम्मत बढ़ गई और बोला:"

" वो इसलिए राजमाता क्योंकि आपका शरीर बेहद नर्म और फूलो सा नाजुक मुलायम हैं!

मेनका उसकी बात शर्म से पानी पानी हो गई और हिम्मत करके बोली:" इतनी कमजोर भी नही हैं हम महराज जितना आप हमे समझ रहे हैं!

विक्रम को मेनका ने मौका दिया और विक्रम चौका मरते हुए बोला:" आपकी जांघो ताकत तो रात हम महसूस कर ही चुके हैं राजमाता!

विक्रम के बोलते ही मेनका का बदन जोर से कांप उठा और उसने विक्रम को शिकायती नजरो से देखा और अगले ही पल उसकी नजरे शर्म से गड़ गई! विक्रम समझ गया था कि उसका काम हो गया है तो विक्रम बोला:"

" नाराज मत होइए राजमाता! मैं तो बस आपकी तारीफ ही कर रहा था ! अच्छा राजमाता शाही बगीचे में घूमने का समय हो गया है!

मेनका बेड से खड़ी हुई तो विक्रम बोला:"

" राजमाता गायत्री देवी ने बागीचे में घूमने के लिए कुछ सफेद रंग के फ्रॉक तैयार कराए थे! आप चाहे तो उन्हे भी पहन सकती है!

मेनका ने अपनी स्वीकृति में गर्दन हिलाई और फिर अलमारी में कपड़े देखने लगी और उसे जल्दी ही कुछ सफेद रंग की साड़िया और फ्रॉक मिल गए! सभी एक से बढ़कर एक सुंदर और आकर्षक!

मेनका ने उनमें से एक को पसंद किया और परदे के पीछे जाकर उसने पहन लिया तो वो उसे काफी कसी हुई महसूस हुई और उसने खुद को शीशे में देखा तो उसे खुद पर अभिमान हुआ क्योंकि सच में ये वस्त्र उस पर बेहद आकर्षक लग रहे थे! मेनका ने देखा कि उसकी चूचियां पूरी तरह से कसकर फ्रॉक के अंदर आई हुई थी और बेहद खूबसूरत तरीके से अपना आकार दिखा रही थी! मेनका को ये देखकर शर्म का भी एहसास हुआ कि वो इन कपड़ो में विक्रम के सामने कैसे जाए और फिर बाहर तो सब उसे देख ही लेंगे तो उसके लिए समस्या थी! मेनका को समझ नहीं आया कि क्या करे क्योंकि फ्रॉक में वो बिलकुल किसी महारानी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी और अपना ये रूप उसे खुद ही बेहद लुभावना और आकर्षक लग रहा था! तभी विक्रम की बाहर से आवाज आई

" राजमाता आपने कपड़े पहन लिए हो तो बगीचे में चला जाए क्योंकि अभी समय काफी हो गया है!

मेनका हिम्मत करते हुए बोली:" "
महाराज कपड़े तो हमने पहन लिए हैं! लेकिन गायत्री देवी जी के कपड़े हमे कुछ ज्यादा ही कसे हुए आ रहे हैं! हमे शर्म आ रही है इन कपड़ो में बहुत ज्यादा! किसी ने बाहर हमे देख लिया तो क्या सोचेगा!

विक्रम:" आप व्यर्थ चिंता न करे राजमाता क्योंकि शाही बगीचे में किसी जो जाने की इजाजत नही होती हैं! इसलिए आप निश्चिंत होकर आइए! बाहर कोई न देखे इसलिए थोड़ी देर बाद जायेंगे!

मेनका ने फ्रॉक के ऊपर एक चादर ली और उसे छाती पर ढक कर बाहर आ गई तो विक्रम ने उसे देखा और वो उसे बेहद खूबसूरत लगी! मेनका की छातियां चादर के नीचे भी अपना आकार और कठोरता साफ प्रदर्शित कर रही थी और विक्रम बोला:"

" राजमाता फ्रॉक के साथ चादर नही पहनी जाती! चादर के बिना आप और ज्यादा आकर्षक लगेगी!

मेनका जानती थीं कि विक्रम सही बोल रहा है लेकिन चादर हटाने से उसकी चूचियां काफी हद तक नंगी हो जाती और रात मेनका कल रात की तरह गलती नही करना चाहती थीं तो बोली:"

" चादर ठीक हैं! आजकल मौसम भी बदल रहा हैं !

विक्रम ने भी इस विषय में कुछ बोलना जरूरी नही समझा और मेनका उसके पास ही बैठ गई और बोली:"

" हम अभी राजमहल के बाहर में ज्यादा नही जानते हैं! बेहतर होगा कि आप हमे सब कुछ बताए और एक राजमाता के क्या क्या कर्तव्य होते हैं वो भी हमें समझाए!

विक्रम राजमाता को महल के बारे में बताने लगा और मेनका ध्यान से उसकी बात सुनती रही और अंत में विक्रम उसे राजमाता के कर्तव्य बताने लगा:"

" राज्य में सबका ध्यान रखना और महराज अगर कुछ गलत निर्णय ले तो उन पर अंकुश लगाना! सारी प्रजा का ध्यान रखना और सबसे बड़ी महाराज को बेहद प्यार करना!

मेनका की बात सुनकर मुस्कराई और बोली:" बेटे को प्यार करना राजमाता का नही बल्कि एक माता का कर्तव्य होता हैं महराज! आप निश्चित रहे पुत्र क्योंकि आपके सिवा मेरा कोई और तो हैं नही! इसलिए मैं सारी ममता की दौलत आप पर लूटा दूंगी!

विक्रम:" हमे यकीन हैं आप पर माता! आइए मैं आपको आपका शयन कक्ष अच्छे से दिखा देता हू एक बार !

मेनका उसके पीछे पीछे चल पड़ी और विक्रम ने मेनका को रंग बिरंगे कपड़ो और सोने चांदी के गहनों से भरी हुई कुछ गुप्त अलमारियां भी दिखाई जो वो रात नही देख पाई थी! विक्रम ने अलमारी में रखी हुई कुछ मदिरा की बॉटल मेनका को दिखाई और बोला:"

" ये गायत्री देवी की पसंदीदा मदिरा थी! ये बेहद ताकतवर और रसीली मदिरा हैं! इसे पीने से शरीर को अच्छा लगता हैं और जवानी बरकरार रहती हैं!

मेनका ये सब सुनकर हैरानी हुई और बोली:"

" अच्छा सच में क्या ऐसी भी मदिरा होती हैं ?

विक्रम:" हान मैंने कई बार राजमाता गायत्री देवी के साथ इसका सेवन किया हैं! उनकी आदत थी कि वो शाही बगीचे मे जाने से पहले एक बार मदिरा जरूर पीती थी!

मेनका को लगा कि उसे भी राजमाता भी परंपरा का पालन करना चाहिए लेकिन विक्रम के सामने कैसे मदिरा पीने के लिए कहती तो चुप ही रही लेकिन उसके चेहरे के भाव विक्रम ने पढ़ लिए और बोला:"

" आप चाहे तो आप भी गायत्री देवी की तरह इसे पीकर ही शाही बगीचे में जाय!

मेनका उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखती हुई बोली:"

" ज्यादा नशा तो नही होता हैं न इससे पुत्र ?

विक्रम:" उससे हल्का नशा होगा और मन को सब अच्छा लगता है! आप एक बार पीकर देखिए क्योंकि अभी शाही बगीचे में हम थोड़ी देर बाद ही जायेंगे!

मेनका ने अपनी गर्दन को स्वीकृति में हिला दिया और विक्रम ने सोने का ज़ार और दो ग्लास निकाले और उन्हे भरने लगा तो मेनका ध्यान से उसे देखती रही! विक्रम ने दोनो ग्लासो को भरा और एक ग्लास मेनका की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"

" लीजिए राजमाता मेनका देवी! अपने प्रिय पुत्र के हाथो से मदिरा पान कीजिए!

मेनका ने हल्की मुस्कान देते हुए ग्लास हाथ में लिया और थाली पर रखे हुए स्वादिष्ट सूखे मेवे का आनंद लेते हुए एक घूंट पीकर बोली:"

" अदभुत हैं महाराज! मैने सुना था मदिरा से बदबू आती हैं और कड़वी होती है! लेकिन ये तो बेहद स्वादिष्ट लग रही हैं बिलकुल फलों की तरह और बदबू का कोई नामोनिशान नहीं!

विक्रम:" माता ये शाही मदिरा है और इसकी बात ही अलग हैं! आप को बेहद पसंद आयेगी!

धीरे धीरे दोनो ने ग्लास खाली किया और विक्रम ने फिर से ग्लासों को भर दिया और दोनो एक बार फिर से पीने लगे तो विक्रम बोला:"

" राजमाता एक बात पूछूं आपसे अगर आप बुरा ना माने तो ?

मेनका को अपना शरीर अब बेहद हल्का लग रहा था क्योंकि मदिरा अपना असर दिखाने लगी थी! मेनका एक घूंट भरते हुए बोली:" बोलिए ना महराज आपको हमसे आज्ञा लेने की कोई जरूरत नहीं है!

विक्रम समझ गया कि मदिरा अपना असर अब कर रही है तो बोला:" आपने रात भी मदिरा का सेवन किया था न ?

मेनका रात की रात याद आते ही शर्मा गई लेकिन उसकी नजरे झुकी नही थी और फिर से धीरे से बोली:"

" हान महाराज आप सत्य कहते हैं हमने एक घूंट पिया था! लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" वो हमने बॉटल का ढक्कन खुला हुआ देखा जो रात आपने पी थी तो अंदाजा हुआ! खैर बताए कैसी लगी आपको ये आज मदिरा ?

मदिरा का असर अपना पूरा रंग दिखा रहा था और मेनका ने एक जोरदार घूंट को भरकर ग्लास को खाली कर दिया और विक्रम की तरफ देखते हुए बोली:"

" बेहद स्वादिष्ट और आनंदमयी !
पार्क में घूमने के लिए चले क्या महाराज अब ?

विक्रम ने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो रात के 12 बजने के करीब थे और विक्रम जानता था कि इस समय कोई नहीं मिलेगा तो वो बोला:"

" बेशक हम चल सकते है क्योंकि आधी रात का समय हो गया है!

विक्रम ने बॉटल और ग्लास लिए और एक झटके के साथ बेड पर से खड़ा हुआ तो गद्दा ऊपर आया और फिर कई बार नीचे गया तो मेनका बेड पर ही कई बार उछलते हुए ऊपर नीचे हुई और उसकी चादर उसके जिस्म पर से सरक गई जिसका मेनका को अब बिलकुल भी ध्यान नहीं था! मेनका अब जाने के लिए उठ खड़ी हुई और जैसे ही विक्रम की नजर मेनका पर पड़ी तो मेनका कुछ ऐसी लग रही थी!

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विक्रम आंखे खोले बस मेनका को देखता ही रह गया क्योंकि मेनका सचमुच मेनका ही लग रही थी! खूबसूरत चेहरा, दोनो नंगे कंधे और बेहद सख्त, गोल मटोल उठी हुई चुचियों का कामुक उभार बिलकुल किसी महल की गोल गोल गुम्बद की तरह विक्रम को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे थे! मेनका का कसा हुआ गोल पेट और उभरे हुए चौड़े मजबूत कूल्हे ड्रेस में अपना आकार साफ दिखा रहे थे

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:" अविश्वनीय और अकल्पनीय सुंदरता! सच में ये फ्रॉक आपके लिए ही बना था राजमाता!

मेनका ने बार खुद को देखा तो उसे हल्की सी शर्म महसूस हुई और उसने बेड पर पड़ी हुई अपनी चादर को उठाया और अपनी छातियों पर डालने लगी लेकिन उसके नशे में कांपते हुए हाथो से चादर नीचे गिर गई ! मेनका ने फिर से कई बार प्रयास किया और चादर गिरती रही तो विक्रम बोला:"

" चादर खुद भी आपकी खूबसूरती को ढकना नही चाहती तो रहने दीजिए ना राजमाता! वैसे भी इस समय कोई होगा तो नही बाहर!

मेनका का मन किया कि बोल दे कि महाराज आपसे भी तो हमे शर्म आती हैं लेकिन चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाई और विक्रम के साथ चलने के लिए खड़ी हो गईं! विक्रम ने एक टेबल पर कुछ बेहद खूबसूरत चमेली के फूलो का गजरा देखा और बोला

" राजमाता ये गजरा आपके बालो में बेहद खूबसूरत लगेगा!

इतना कहकर उसने गजरा उठा लिया और राजमाता देखने लगी और बोली:"

" ठीक हैं पुत्र लेकिन हमें तो गजरा पहनना नही आता है क्योंकि हमने कभी गजरा पहना ही नहीं है!

विक्रम ने राजमाता का हाथ पकड़ा और उसे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और उसके पीछे बिलजुल करीब आते हुए बोला:"

" अपने पुत्र के होते आप चिंता मत कीजिए राजमाता! आपको गजरा तो पहना ही सकता हु !

विक्रम ने राजमाता के बालो को एक झटके के साथ खोल दिया और उसके बालो में हाथ फेरते हुए बोला:"

" आपके बाल कितने रेशमी और काले लंबे हैं राजमाता!

मेनका कुछ नहीं बोली बस उसके रसीले होंठों पर मुस्कान आ गई जो शीशे में खड़े हुए विक्रम ने देख ली और समझ गया कि हर नारी की तरह मेनका भी अपनी तारीफ पर खुश हो रही है तो विक्रम ने चमेली के फूलो को उसके बालो के बीच में लगा दिया और बालो को ठीक से लगाने लगा और थोड़ा सा आगे हो गया तो जिससे वो मेनका से बिलकुल सट गया और उसके खड़े हुए लंड का एहसास मेनका को फिर से अपने पिछवाड़े पर हुआ तो मेनका के तन मन में तेज सिरहन दौड़ गई और चुपचाप खड़ी रही! विक्रम उसके बालो में गजरा लगाते हुए उसके चेहरे के भावों को देखता रहा और जैसे ही गजरा लगा तो विक्रम ने उसके बालो को ठीक करते हुए लंड को अच्छे से उसकी गांड़ पर रगड़ दिया और मेनका का मुंह शर्म से लाल हो गया और विक्रम उससे बोला:"

" देख लीजिए राजमाता! कैसा लग रहा है आपके बालो में गजरा ?

मेनका ने पलट कर गजरे को देखा और बोली:"

" सच में बेहद खूबसूरत लग रहा है! कहां से सीखा आपने ऐसा गजरा लगाना महराज ?

विक्रम को सलमा की याद आ गई और बोला:" ऐसे ही बस कोशिश करी तो हो गया राजमाता! आइए अब चलते हैं

इतना कहकर दोनो बाहर निकल गए और राजमाता अब पूरी तरह से मदहोश हुई विक्रम के साथ चली जा रही थी और दूर दूर तक कोई नही था तो मेनका विक्रम की तरफ देखकर बोली:"

" सच कहा था आपने महराज! यहां तो दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा है हमे!

विक्रम उसके चलने से हिलती हुई चूचियां देख रहा था तो ये देखकर मेनका शर्मा गई तो विक्रम बोला:"

" आधी रात हो गई है राजमाता! अब भला इतनी रात को यहां कोई नहीं है सिवाय आपके और मेरे राजमाता! हमारी मर्जी के बिना तो यहां परिंदा भी आ सकता!

मेनका ने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचने लगी कि सच मे उन दोनो के सिवा वहां कोई नहीं था! दोनो चलते हुए शाही बगीचे के अंदर आ गए और तो मेनका हल्की सी मन ही मन घबरा उठी क्योंकि अब बिल्कुल पूरी से अकेली थी और यहां तो परिंदा भी पर नही मार सकता था ! विक्रम उसके साथ ही चलते हुए बोला:"

" चांदनी रात में आपकी सुंदरता कई गुना बढ़ गई है राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" देख रही हूं पुत्र कि आजकल आप हमारी बड़ी तारीफ कर रहे हों!

विक्रम:" सच कहूं राजमाता तो रात आपको रंगीन कपड़ो में देखने के बाद एहसास हुआ कि आपसे ज्यादा सुन्दर कोई हो ही नहीं सकती!

विक्रम ने जान बूझकर रात की बात शुरू कर दी और अब मस्ती से झूमती हुई मेनका बोली:"

" क्यों इन कपड़ो में मैं आपको सुंदर नही लग रही हु क्या महाराज विक्रम सिंह ?

मेनका इतना कहकर उसकी तरफ घूमकर खड़ी हो गई! मेनका ने जान बूझकर विक्रम सिंह कहा और विक्रम ने मेनका को एक बार फिर से ऊपर से लेकर नीचे तक देखा और उसकी चुचियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बोला:"

" बेहद सुंदर राजमाता सच पूछिए तो बिलकुल किसी कामदेवी की तरह!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोला:"

" आपको रंगीन कपड़े बहुत पसंद हैं न राजमाता ?

मेनका खड़ी खड़ी कांप उठी और उसकी सांसे तेज होना शुरू गई अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई बोली:"

" हमे नही पता! हमारा हाथ छोड़िए ना महाराज!

विक्रम ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" पहले हमारे सवाल का जवाब दीजिए राजमाता!

मेनका ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाना चाहा लेकिन कामयाब नही हो पाई तो बोली:"

" महराज हम पर इतनी ताकत न दिखाए! हमारी नाजुक कलाई टूट गई तो ?

विक्रम अब उसके थोड़ा ज्यादा करीब आ गया और उसके गजरे की महक सूंघते हुए बोला:"

" इतनी भी नाजुक नही हो आप राजमाता! रात हम आपकी मजबूत जांघो की ताकत का नमूना देख चुके हैं!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने अपने दूसरे हाथ से शर्म से अपना मुंह छुपा लिया और छातियां तेज सांसों के साथ उपर नीचे करती हुई मेनका बोली:"

" क्यों हमारी जान लेना चाहते हों महराज विक्रम सिंह आप? किसी ने देख लिया तो हम मुंह दिखाने के काबिल नही रहेंगे!

विक्रम समझ गया कि मेनका लोक लाज और शर्मीले स्वभाव के कारण उसकी बात का जवाब नही दे रही है तो बोले:"

" आपकी जान नही लेना चाहते बल्कि आपको हर खुशी देना चाहते हैं हम! ये शाही बगीचे में परिंदा भी हमारी मर्जी के बिना नहीं आ सकता! आप एक बार बस बताओ तो क्या आपको रंगीन कपड़े पसंद आते हैं? हम आपके लिए पूरी अलमारियां भर देंगे राजमाता!

रंगीन कपड़ो की लालची मेनका विक्रम के प्रस्ताव से पिघल गई और झट से बोल पड़ी:"

" हान हान हमे पसंद है रंगीन कपड़े बेहद ज्यादा पसंद है
बस डरते हैं कि कोई देख न ले हमे!

विक्रम ने मर्दानगी दिखाते हुए मेनका का हाथ चूम लिया और बोला:" आपके लिए हम सारी दुनिया के रंगीन कपड़े मंगा कर आपके शयन कक्ष में भर देंगे! कोई नही देखेगा आपको राजमाता बस सिर्फ महराज विक्रम सिंह देखेंगे!

मेनका ने एक झटके के साथ अपना हाथ छुड़ा लिया और उससे दूर भागती हुई बोली

:"ओह नही विक्रम सिंह ये पाप होगा!!"

विक्रम ने मेनका के मुंह से अपने लिए सिर्फ विक्रम सिंह सुना तो उसकी हिम्मत कई गुना बढ़ गई और उसने तेजी से झपटकर मेनका को पकड़ने लगे तो दूर भाग गई और हसने लगी तो विक्रम उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले:"

" देखता हूं कब तक बचती हो मेरे हाथ से मेनका ?

विक्रम ने भी सिर्फ मेनका कहा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़े! मेनका कभी इधर कभी उधर उछल रही थी और विक्रम ने उस पर जोर का झपट्टा लगाया लेकिन मेनका एक झटके के साथ दूर हट गई और विक्रम को देखकर जोर जोर से हंसने लगी तो विक्रम को हल्का गुस्सा आया और तेजी से दौड़कर आखिरकार मेनका को एक झटके से पकड़ लिया और सीधे मेनका का गाल चूम लिया और बोले:"

" बोलो पहनोगी न मेरे लिए रंगीन वस्त्र राजमाता ?

मेनका गाल चूमे जाने से उत्तेजना से भर गई! मेनका थर थर कांप उठी छूटने का प्रयास करते हुए बोली"

" अह्ह्ह्ह विक्रम छोड़ दीजिए हमे! ये पाप होगा पुत्र!

मेनका ने उसे जोर से कस लिया और उसका दूसरा गाल चूमते हुए बोले:"

" ओहो मेनका पाप पुण्य हम कुछ नहीं समझते बस हम तो आपको खुश रखना चाहते हैं!

दौड़ने से मेनका की चूचियां उछल उछल पड़ रही थी और विक्रम के सीने बार बार टक्कर मार रही थीं तो उसकी बांहों में कसमसा उठी और अपने आपको छुड़ाने की पूरी कोशिश करते हुए बोली:"

" आह्ह्ह्ह्ह महराज क्या गजब करते हो,! किसी ने देख लिया तो हम मर जायेंगे!

विक्रम ने उसके दोनो नंगे कंधो को अपनी मजबूत हथेलियों में भर लिया और फिर से उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोले:"

" ओह मेनका देखो ना दौड़ने से आपकी कामुकता और ज्यादा बढ़ गई है!! यहां कोई परिंदा भी नही आयेगा!

मेनका ने अपनी चुचियों को देखा तो शर्म से पानी पानी हो गई और तभी उसकी नज़र सामने पेड़ पर पड़ी जहां दो खूबसूरत कबूतरों का जोड़ा बैठे हुए आपस मे चोंच लड़ा रहा था और मेनका बोली:"

" ओहो विक्रम सिंह वो देखिए परिंदे कैसे आपके शाही बगीचे मे अपनी चोंच लड़ा रहे हैं!

विक्रम ने पेड़ पर देखा और तभी कबूतर एक झटके के साथ कबूतरी के उपर चढ़ गया और विक्रम ने मेनका को जोर से कसते हुए जोरदार एक धक्का उसकी टांगों के बीच में लगाया और बोले:"

" चोंच नही लड़ा रहे हैं बल्कि अपने जिस्म मिलाकर आनंद उठा रहे हैं!

लंड का जोरदार धक्का पड़ते ही मेनका कसमसा उठी और एक पल के लिए अपनी बांहे उसके गले में डाल कर उससे कसकर लिपट गई! दोनो के लंड चूत आपस में मिल गए थे और दोनो एक साथ कबूतरी और कबूतर की रासलीला देख रहे थे! जैसे ही कबूतर नीचे उतरा देखा तो विक्रम ने जोर से मेनका की गांड़ को मसल दिया और मेनका जोर से सिसकते हुए उसकी बांहों से आजाद हो कर भागी और विक्रम उसके पीछे भागा! नशे में लड़खड़ाती हुई मेनका तालाब के किनारे दौड़ने लगी और विक्रम उसके पीछे पीछे! विक्रम जैसे ही जोर से उसकी तरफ उछला तो मेनका भागती हुई तालाब में गिर पड़ी और विक्रम उसे जोर जोर से हंसने लगा तो मेनका जैसे ही तालाब में पानी के उपर आई विक्रम की हंसी सुनकर उसे अपमान महसूस हुआ और उसने विक्रम को भी पानी में गिराने का फैसला किया और वो जानती थी कि इसके लिए उसे क्या करना होगा तो मेनका ने फिर से पानी के अन्दर एक डुबकी लगाई और जैसे ही उपर आई तोउसकी फ्रॉक पूरी तरह से खुल गई और मेनका की चूचियां अब सिर्फ सफेद रंग की ब्रा में थी जो पूरी तरह से भीग गई थी और नीचे सिर्फ सफेद रंग का कपड़ा लिपटा हुआ था!

मेनका ने विक्रम की तरफ देखा और फिर अपनी जांघो से लेकर पेट पर हाथ फेरती हुई उपर की तरफ ले जाने लगी और अपनी ब्रा में कैद चुचियों पर फेरते हुए शर्माकर अपनी दोनो आंखो पर रख लिए और अपना चेहरा ढक लिया!

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मतवाले विक्रम पर मेनका का जादू चल गया और उसकी इस लुभावनी अदा पर मस्ती से भर उठा और बोला:"

" पानी में गिरकर आप पहले से ज्यादा कामुक और आकर्षक हो गई हो राजमाता!

मेनका उसकी बात सुनकर अपना मूंह दूसरी तरफ घुमा लिया और गुस्सा करते हुए बोली:"

" जाइए मैं बात नही करती आपसे! आपने मुझे पानी में गिरा दिया!

इतना कहकर मेनका अपने दोनो हाथो को अपने सिर पर ले गई और अपने बालो को खोलते हुए एक जोरदार अंगड़ाई ली जिससे उसकी चूचियां पूरी तरह से उभर आई और मेनका ने अपने दोनो हाथो को अपनी छाती पर टिका दिया!



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विक्रम से अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेनका को पकड़ने के लिए तालाब में कूद पड़ा! जैसे ही विक्रम तालाब में कूदा तो मेनका एक झटके के साथ तालाब से बाहर निकल आई और खड़ी होकर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली

" अब आनंद आया हमे! आपका और हमारा हिसाब बराबर हुआ पुत्र!

विक्रम को मेनका की चाल का अंदाजा अब हुआ और गुस्सा करते हुए बोला:"


" हिसाब बराबर नही हुआ बल्कि अभी शुरू होगा राजमाता! देखता हु कौन बचाएगा आज आपको मुझसे ?

विक्रम बाहर निकल आया और मेनका फिर से एक बार भाग चली! कभी इधर कभी उधर, कभी पेड़ के पीछे छिपती तो कभी दीवार के लेकिन विक्रम हर बार उसे देख लेता ! दौड़ते दौड़ते मेनका की सांस पूरी तरह से फूल गई थी और अब उसके अंदर हिम्मत नहीं बची तो उसकी रफ्तार कम हुई और आखिरकार विक्रम ने उसे दबोच ही लिया और बोला:"

" बहुत नखरे कर रही थीं आप! आखिर पकड़ी ही गई ना!

अब मेनका सिर्फ ब्रा पहने अपने बेटे की बांहों में मचलती हुई बोली:" आआह्ह हमे छोड़ दीजिए महराज! हम तो बस मजाक कर रहे थे!

इतना कहकर राजमाता ने छूटने के लिए विक्रम के पेट में गुदगुदी कर दी तो विक्रम की पकड़ ढीली हुई और जैसे ही मेनका भागी तो विक्रम ने जोर से पकड़ा और इसी छीना झपटी में मेनका नीचे गिरी और विक्रम उसके ऊपर गिर पड़ा और मेनका के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी!

" अह्ह्ह्ह विक्रम सिंह! मार डाला हमे !!

विक्रम ने उसे अपने नीचे दबा लिया और उसके दोनो हाथो को अपने हाथों से कसकर पकड़ते हुए उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" आखिर पकड़ी गई न आप! बहुत सताया है आपने हमे! अब सारे बदले लूंगा आपसे!

इतना कहकर विक्रम ने उसके गाल को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो मेनका उसे अपने ऊपर से धकेलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली

" हाय महराज विक्रम सिंह!! अह्ह्ह्ह मान जाओ ना! उठ जाओ ना मेरे ऊपर से , हमे वजन लग रहा है!

विक्रम ने उसे उसकी दोनो टांगो को अपनी टांगो के बीच में कस लिया तो मेनका की जांघों के बीच विक्रम का लंड घुस गया और विक्रम उसके दूसरे गाल को चूसते हुए बोला:"

" इतनी भी कमजोर नही हो आप माता कि मेरा वजन न सह सको! आपकी ये चौड़ी छाती और मजबूत कूल्हे हमे झेल सकने में पूरी तरह से सक्षम है!

मेनका लंड चूत से छूते ही कांप उठी और सिसकते हुए बोली:"

" अह्ह्ह्ह पुत्र!! आपको अपनी माता से ऐसी अश्लील बाते शोभा नहीं देती हैं!

विक्रम ने मेनका के गाल को जोर से चूसते हुए उस पर दांत गडा दिए और लंड को उसकी चूत पर रगड़ते हुए बोला:"

" हाय मेरी मेनका मेरी माता शोभा देती है आपके जैसी कामुक माता हो तो सब शोभा देती है!

मेनका मस्ती से कराह उठी और अपने दोनो हाथो को उसकी कमर पर लपेट दिया और उससे कसकर लिपटते हुए सिसकी

" आह्ह्ह्ह विक्रम! ऐसी स्थिति में कोई देख लेगा तो हम मर जायेंगे मेरे पुत्र!

विक्रम ने खड़ा होते हुए मेनका को अपनी गोद में उठा लिया तो मेनका उससे लिपट गई और विक्रम उसे एक घने पेड़ के नीचे ले आया और मेनका के गाल को चूमते हुए बोले:"

" हम आपसे बेहद प्रेम करते हैं मेरी माता!

मेनका ने भी जवाब में विक्रम का गाल चूम लिया तो विक्रम ने उसकी नंगी कमर में हाथ डाल दिए और मेनका ने आह्ह्ह्ह भरते हुए अपनी चुचियों को उसकी छाती में घुसा दी! विक्रम ने मेनका की आंखो में देखा और अपने होंठो को उसके होंठो की तरफ बढ़ा दिया तो मेनका ने आंखे बंद करते हुए अपने होंठो को खोल दिया और विक्रम ने मेनका के होंठो को अपने होंठो में भरते हुए चूसना शुरू कर दिया और मेनका भी पूरी तरह से मदमस्त हुई उसके होंठो को चूसने लगी! देखते ही देखते मेनका ने अपनी दोनो टांगो को पूरी तरह से फैलाते हुए विक्रम की कमर में लपेट दिया और मेनका के कपड़े पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गए जिससे विक्रम के खड़े लंड का जोरदार एहसास उसे अपनी चूत पर हो रहा था और मेनका का मुंह खुलता चला गया और विक्रम ने बिना देर किए अपनी जीभ को उसके मुंह में सरका दिया

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जैसे ही दोनो की जीभ आपस मे टकराई तो मेनका की चूत से मदन रस टपक पड़ा और वो बेसब्री होकर विक्रम की जीभ को चूसने लगी तो विक्रम ने अपने दोनो हाथो में उसकी गांड़ को भरकर उपर उठाया जिससे फ्रॉक पूरी तरह से हट गई और अब सिर्फ पेंटी में कैद चूत लंड के सुपाड़े के बिलकुल सामने आ गई थी और विक्रम ने लंड का जोरदार धक्का लगाया तो सुपाड़ा सीधे चूत के मुंह पर लगा और का मुंह खुल गया और उसने विक्रम की आंखो में देखा और सिसकते हुए बोली

"अह्ह्ह्ह पुत्र!

दोनो एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और मेनका ने मस्त होकर फिर से उसके होंठो को चूस लिया तो विक्रम उसकी कमर चूमते हाथ ले गया और ब्रा की पट्टी को सहलाने लगा तो मेनका ने एक झटके से अपनी आंखे खोल दी और उसकी गोद से उतर खड़ी हो गई और लंबी लंबी सांसे लेने लगी!

विक्रम ने उसे फिर से पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसके कान में प्यार से बोला:"

" क्या हुआ माता?

मेनका धीरे से बोली:" रात बहुत हो गई है! हम अपने शयन कक्ष में जाना चाहते हैं!

विक्रम ने उसे गोद में उठा लिया और चलते हुए बोला:"

" जो आज्ञा राजमाता! चलिए हम आपको आपके कक्ष में छोड़ देते हैं!

मेनका धीरे से मुस्कुराते हुए बोली:" किसी ने हमे ऐसे अधनंगी आपकी गोद में देख लिया तो?

विक्रम मेनका के होंठ चूम कर बोला:" प्यार करने वाले डरते नही है राजमाता! अधनंगी क्या मैं तो आपको अपनी गोद में पूरी नंगी भी रखूंगा जैसे अजय आपको रखता था!

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई और नजरे झुक गई तो विक्रम उसका बोला:"

" एक बात बताओ अजय आपके लिए लाल रंग की साड़ी और चूड़ियां लाया था न ?

मेनका ने उसे हैरानी से देखा और बोली:" हान लेकिन आपको कैसे पता चला?

विक्रम:" हमने उसे खरीदते हुए देखा था! लेकिन ये अंदाजा नहीं था कि ये आपके लिए होगा!

मेनका:" हान वो भी हमसे प्रेम करने लगा था! उसने हमे रंगीन वस्त्रों में देखा तो हमारी और आकर्षित हो गया था! लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और हमारा प्रेम अधूरा ही रह गया!

विक्रम समझ गया कि मेनका और अजय कभी सेक्स नहीं कर पाए तो विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" लेकिन आपका और मेरा प्रेम पूरा होगा माता जल्दी ही आपके शयन कक्ष में हमारा मिलन होगा!

विक्रम की बात सुनकर मेनका ने शर्म के मारे दोनो हाथों से अपने चहरे को ढक लिया और विक्रम उसे लिए हुए उसके शयन कक्ष के दरवाजे पर आया तो मेनका उसकी गोद से उतर गई और अंदर जाने लगी तो विक्रम ने उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो मेनका पलटकर उससे लिपट गई और फिर से दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे! एक जोरदार किस के बाद दोनो अलग हुए तो विक्रम बोला:"

" जाइए अंदर जाइए और विश्राम कीजिए! कल मुझे राजमाता नही बल्कि मेरी माता मेनका चाहिए वो भी पूरी तरह से लाल सुर्ख रंगीन कपड़े पहने हुए बिलकुल मेनका के जैसी!

मेनका उसकी सुनकर मुस्कुरा उठी और अंदर चली गई! रात के दो बज चुके थे तो दोनो अपने अपने कक्ष में गहरी नींद में चले गए
Bahut kamuk
 

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धीरे धीरे शाम गहराने लगी और अजय दिन भर राज्य के काम देखने के बाद अपने घर पहुंच गया तो उसकी माता मेनका बोली:"

" कैसा रहा पहला दिन पुत्र ?

अजय आराम से बेड पर बैठ गया और बोला:" अच्छा रहा माता, बस दिन भर लोगो से मुलाकात करी और अभी की सुरक्षा पद्धति का जायजा लिया ताकि आगे इसमें जरूरी बदलाव कर सकू!

मेनका:" ये तो बहुत अच्छा किया आपने! काफी थक गए होंगे मैं आपके लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हु!

इतना कहकर मेनका चली गई और थोड़ी देर बाद एक दूध का ग्लास लेकर आ गई और अजय तो दिया तो अजय दूध पीते हुए बोला:"

" माता मेरे सेनापति बनने के बाद मैने आपको कोई तोहफा नही दिया है ! आपको बुरा तो नही लगा ना?

मेनका:" नही पुत्र, तुम सेनापति बन गए हो यही मेरे लिए असली तोहफा है!

अजय ने दूध का ग्लास खाली करके एक तरफ रख दिया और अपने बैग को खोलते हुए बोला:"

" माता मैं आपके लिए कुछ तोहफा लेकर आया हु! उम्मीद हैं आपको पसंद आयेगा!

इतना कहकर उसने बैग को खोला और एक बड़े से पैकेट को मेनका की तरफ बढ़ा दिया जिसे मेनका ने उत्सुकता से थाम किया और बोली:"

" पुत्र वैसे तो तोहफे की जरूरत नही थी! लेकिन ले आए हो तो ठुकराना सही नही होगा!

इतना कहकर वो पैकेट को खोलने लगी और जैसे ही पैकेट खुला तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि उसमे दो बेहद आकर्षक और रंगीन साडिया थी! मेनका थोड़ी देर तक अजीब सी नजरो से साडिया देखती रही और फिर बोली:"

" पुत्र ये सब मेरे लिए नही हैं! मुझे माफ करना लेकिन मैं ये तोहफा नही ले सकती!

अजय उसकी बात सुनकर बेड से खड़ा हुआ और उसका हाथ पकड़ कर बोला:"

" ऐसा न कहे माता! क्या आपको पसंद नहीं आया क्या ?

मेनका उसके द्वारा अपना हाथ पकड़े जाने से कांप उठी और बोली:" बात पसंद की नही है पुत्र, रंगीन कपड़े अब मेरी जिदंगी का हिस्सा नही हैं!

अजय:" लेकिन माता आपको समझना चाहिए कि रंगीन कपड़ो में आप बेहद आकर्षक लगती हैं! क्या मैं झूठ बोल रहा हूं!

मेनका ने उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली:" बात वो नही हैं कि मैं कैसी लगती हूं बात ये है कि समाज मुझे इसकी इजाजत नही देता!

अजय उसके ठीक सामने आ गया और बोला:" लेकिन आपने जब मुझे तलवार देने के लिए रंगीन कपड़े पहने तो तब आपको समाज की चिंता नहीं हुई ?

मेनका ने एक बार उसकी तरफ देखा और बोली:" वो सब मैने परंपरा को निभाने के लिए किया ये तुम अच्छे से जानते हो!

मेनका: ठीक हैं लेकिन आपको वो रंगीन कपड़े पहन कर खुशी नही हुई थी क्या ?

मेनका एक पल के लिए खामोश हो गई और फिर कुछ अपनी नजरे नीचे करके कुछ सोचते हुए बोली:" नही बिलकुल नही हुई थी पुत्र, मुझे कोई खुशी नही हुई थी!

अजय ने उसका झूठ साफ पकड़ लिया और बोला:" तो फिर आप नजरे चुरा क्यों रही हैं ? हिम्मत हैं तो मेरी आंखो मे आंखे डालकर कहिए कि खुशी नही हुई थीं!

मेनका का पूरा बदन काम कांप उठा और नजरे नीचे किए हुए ही बोली: रात होने लगी हैं मुझे खाना बनाना होगा!

इतना कहकर वो जाने लगी तो अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला:" ये कोई बात नहीं हुई माता! ये मेरे सवाल का जवाब नही हैं! पहले मेरे सवाल का जवाब दीजिए आप!

मेनका कुछ नही बोली और अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन अजय की मजबूत पकड़ से आजाद नही हुई और बोली:"

" अजय मुझे कोई खुशी नही हुई थी बस अब खुश हो ना! अब मेरा हाथ छोड़ो!

अजय ने उसका हाथ पकड़े रखा और बोला:" अगर खुशी नही हुई तो फिर आप कल रात को फिर से नीचे रंगीन कपड़े क्यों पहने हुई थी माता?

अजय की बात सुनकर मेनका का दिल तेजी से धड़क उठा और उसका मुंह शर्म से लाल हो गया और कुछ नही बोली तो अजय फिर से बोला:"

" जवाब दीजिए ना माता आप! मैं आपसे ही पूछ रहा हूं!

मेनका ने झुकी हुई नजरो से बस इतना ही कहा:" मुझे कुछ नही पता पुत्र!

अजय जानता था और उसकी मां सच बोलने के हिम्मत नही जुटा पा रही है तो बोला:"

" मैं जानता हूं माता कि आप खुद को रंगीन कपड़ो में देखना पसंद करती हूं! आप ही क्या दुनिया की हर नारी को खुद को खूबसूरत देखना अच्छा लगता हैं! बस इसलिए मैं आपके लिए रंगीन साड़िया ले आया था ताकि आपको थोड़ी खुशी से सकू!

मेनका उसकी बात सुनकर चुप खड़ी रही तो अजय आगे बोला:"

" माता मैं ये साड़ी आपकी अलमारी में रख दूंगा! जब आपका मन करे पहन लेना! आपकी खुशी में ही मेरी खुशी हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर थोड़ा मायूस होती हुई बोली:"

" लेकिन बेटा मेरी मजबूरी समझने की कोशिश करो, ये समाज के नियमो के खिलाफ हैं!

अजय ने उसका चेहरा अपने हाथ से ऊपर किया और बोला:"

" लेकिन इससे आपको खुशी मिलती हैं मेरे लिए इतना बहुत हैं माता! समाज और उसके नियम मेरे लिए मायने नहीं रखते

अजय की बात सुनकर उसे थोड़ी हिम्मत मिली लेकिन अभी भी मेनका का चेहरे लाल हुआ था और आंखे शर्म से झुका हुई थी और बोली:"

" लेकिन पुत्र किसी ने मुझे ऐसे कपड़ो में देख लिया तो समाज मुझे जीने नही देगा!

अजय उसकी बात सुनकर समझ गया कि उसकी माता उसकी बात को समझ रही थी तो अजय ने एक हाथ अब उसके कंधे पर रख दिया और बोला:"

" कोई नही देखेगा, आप बस आराम से नीचे कमरे में जाकर पहन लेना और अपनी खुशी पूरी करना!

अजय की बात सुनकर मेनका को कल रात की बात याद आ गई कि कैसे कल वो खुद को देखकर बेकाबू हो गई थी और अजय ने भी उसे देख लिया था तो ये सोचकर मेनका का पूरा बदन कांप उठा और बोली:

" लेकिन पुत्र फिर भी ये सही नही है, मुझे ऐसा नही करना चाहिए!

अजय अब थोड़ा सा उसके करीब आया और उसके दोनो कंधो को थामते हुए बोला:"

" आपको रंगीन कपड़ो में खुद को देखकर खुशी मिलती है या नहीं?

मेनका थोड़ी देर चुप रही तो अजय ने उसके कंधे को हल्का सा दबाया और बोला:

" बताए ना माता? मैं आपसे ही बात कर रहा हूं! आपको मेरी कसम हैं!

उसकी कसम वाली बात सुनकर मेनका ने अपनी गर्दन को इकरार में हिला दिया तो अजय समझ गया कि उसकी मां झिझक महसूस कर रही है तो उसने उसके कंधो को हल्का सा दबाते हुए कहा:"

" ऐसे नही मुंह से बोलिए न माता आप!

उसकी बात सुनकर मेनका ने फिर से शर्म से मुंह खुला लिया और धीरे से हिम्मत करके बोली:"

" हान मुझे खुशी मिलती है!

मेनका की बात सुनकर अजय खुशी से भर उठा और कंधो को थोड़ा सख्ती से सहलाते हुए बोला:" ऐसे नही माता, ये बताओ कि क्या करके खुशी मिलती है?

मेनका उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसे गुस्से से घूरकर देखने लगी तो अजय बोला;" ऐसे घूरने से काम नहीं चलेगा माता, बताए ना क्या करके खुशी मिलती है!

अजय की बात सुनकर मेनका अंदर तक कांप उठी और उसका दिल अब तेजी से धड़क रहा था और उसने अपनी गर्दन को इसके कंधे पर टिका दिया और बोली:

" मु मु... मु.. मुझे रंगीन कपड़े पहन कर बेहद खुशी मिलती है!

इतना कहकर मेनका ने शर्म से पानी पानी होकर अपना मुंह नीचे पूरी तरह से उसके कंधे पर टिका दिया और खड़ी खड़ी कांपने लगीं तो अजय ने हिम्मत करके उसकी कमर पर अपने हाथ बांध दिए और मेनका शर्म से लजाती हुई उससे कसकर लिपट गई तो अजय ने भी उसे अपनी मजबूत बांहों में भर लिया और बोला:"

" मेरे द्वारा लाई हुई रंगीन साडिया आपको पसंद आई है ना माता ?

अजय की बात सुनकर मेनका का बदन मचल पड़ा और मेनका ने अपना मुंह शर्म से उसकी चौड़ी छाती में छुपा लिया तो अजय ने पहली बार बिना किसी डर और शर्म के उसके खूबसूरत चेहरे को अपने दोनो हाथो में भर लिया और दोनो की नजरे आपस मे टकरा गई और अजय उसकी आंखो में देखते हुए बोला;"

" बताए ना माता आपको पसंद आई रंगीन साडिया या नहीं ?

मेनका अब चाह कर भी अपना चेहरा नीचे नही कर सकती थी इसलिए हिम्मत करके उसकी आंखो में देखते हुए धीरे से बोली:"

" हान पसंद आई, मुझे बेहद ज्यादा पसंद आई!

मेनका के मुंह से पूर्ण स्वीकृति मिलते ही अजय की हिम्मत बढ़ गई और अजय अपने अंगूठे को उसके कांपते हुए होंठो पर फेरते हुए बोला:"

" आप इन्हे खुशी खुशी पहनोगी न माता?

अजय के सख्त अंगूठे के अपने नाजुक होंठो को छूते ही मेनका का धैर्य जवाब दे गया और उससे कसकर लिपटते हुए बोली:"

" हान पहनूंगी, जरूर पहनुगी!

अजय ने भी अब मेनका को अपनी बांहों में कस लिया और दोनो मां बेटे एक दूसरे से लिपट पड़े! ऐसे ही काफी देर तक दोनो एक दूसरे की बांहों में खड़े रहे और फिर मेनका बोली:"

" अच्छा अब छोड़ो मुझे, खाना बनाना होगा!

उसकी बात सुनकर अजय ने उसे अपनी बाहों से आजाद कर दिया और मेनका ने साड़ीया उठाई और फिर अपने कक्ष की ओर चल पड़ी! जैसे ही वो बाहर जाने वाली थी तो अजय पीछे से बोला:"

" माता कल दिन में मैं नीचे कक्ष में आपके लिए नए बड़े बड़े शीशे लगवा दूंगा ताकि आपको और ज्यादा खुशी मिले!

उसकी बात सुनकर मेनका पलटी और उसे थप्पड़ मारने का इशारा करके बाहर निकल गई तो अजय के होंठो पर मुस्कान आ गई!

वहीं दूसरी तरफ विक्रम करीब 10 बजे महल से निकला और सुल्तानपुर में दाखिल हो गया! पहरेदार को उसने बताया कि वो रहीम से मिलने के लिए जा रहा है तो उसने मुझे जाने की इजाजत दे दी और उसके बाद विक्रम कल्लू सुनार की दुकान पर पहुंच गया और बोला;"

" मुझे कुछ कीमती अंगूठियां चाहिए थी!

कल्लू जो कि अपनी दुकान बंद की करने वाला था एक अजनबी ग्राहक को देखकर हैरान हुआ लेकिन खुश होते हुए बोला:"

" ठीक है आपको को मैं कुछ नायब चीज दिखाता हु!

कल्लू अपनी अलमारी से अंगूठियां निकालने लगा और विक्रम ने मौका देखकर उसे पीछे से दबोच लिया और थोड़ी ही देर बाद वो बेहोश उसकी बांहों में झूल रहा था! विक्रम ने दुकान को अंदर से बंद कर दिया और इंतजार करने लगा! 11 बजे के आस पास उसने सावधानी से दरवाजा खोला और इधर उधर देखते हुए दुकान को बंद किया और फिर कल्लू को अपने कंधे पर डालकर महल के पीछे के हिस्से में आ गया और सावधानी से इधर उधर देखते हुए गुफा में दाखिल हो गया और गुफा के मुंह को बंद करके अंदर की तरफ चल पड़ा!

वहीं दूसरी तरफ आज सलमा बेहद खुश थी क्योंकि दो दिन के बाद विक्रम उससे मिलने आ रहा था और सलमा के तन बदन में सिरहन दौड़ रही थी,सलमा बार बार शीशे में खुद को निहार रही थी और सीमा से बोली;"

" सीमा हमारे लिए चमेली के फूलो का गजरा ले आई हो ना ?


सीमा उसकी बात सुनकर हल्की सी मुस्कान देती हुई बोली:"

" जी शहजादी देखिए ये रहा लेकिन रात को गजरा लगाकर कहां जाने वाली हो आप ?

सलमा उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली "

" कहीं नहीं, बस ऐसे ही पहनने का मन किया था तो पहन लिया!

सीमा:" पहेलियां ना बुझाए शहजादी, आपके चेहरे की खुशी कुछ ओर ही बयान कर रही है!

सलमा उसकी बात सुनकर मचल उठी और बोली:" बहुत बाते करती हो तुम, चलो जल्दी से ये गजरा मेरे बालो में लगा दो!

उसकी बात सुनकर सीमा उसके बालो में चमेली के फूलो का गजरा लगाती हुई बोली:

" क्या युवराज विक्रम से मिलने वाली हो आप आज? मुझे बता देंगी तो मैं कुछ मदद ही कर दूंगी आपकी!

उसकी बात सुनकर सलमा के चेहरे पर शर्म की लाली दौड़ गई और बोली:" नही नही, ऐसा कुछ नही है सीमा!

सीमा उसके बालो में गजरा लगाकर बोली:" लेकिन आपकी आंखों की चमक, चेहरे की खुशी, होंठो की कंपकपाहट और बढ़ती हुई दिल की धड़कन कुछ और ही कह रही है शहजादी!

सलमा उसकी बात सुनकर बुरी तरह से शर्म गई और बोली:"

" बाते बनाना तो कोई तुमसे सीखे!

इतना कहकर सलमा शीशे के सामने अपने बालो में लगे गजरे को देखते लगी और सीमा उसके करीब आकर खड़ी हो गई और बोली:" आपके गजरे के फूलो की महक बेहद सुगंधित हैं शहजादी! विक्रम तो आज गए काम से !

सलमा उसकी बात सुनकर फिर से शर्मा गई और उसे थप्पड़ दिखाती हुई बोली:

" बेशर्म कहीं की, कुछ भी बोलती रहती हो!

सीमा ने उसके कंधे पर अपना हाथ रख दिया और उसे छेड़ते हुए बोली:" हाय देखो तो कैसे शर्म आ रही है हमारी शहजादी को और जब विक्रम आयेंगे तो उनके गले लग जाओगी!

सलमा को उसकी बाते सुनकर मस्ती आ रही थीं और उसका जिस्म अंदर ही अंदर मचल रहा था, उछल रहा था लेकिन वो दिखावे के साथ सीमा को डांटती हुई उसके कान खींचती हुई बोली:" तेरे जैसी बेशर्म मैने आज तक नही देखी!

सीमा उसे तिरछी नजरों से देखते हुए मुस्कुरा कर बोली:"

" थोड़ी देर बाद जब विक्रम की गोद में बैठी हुई होगी तब सोचना कौन ज्यादा बेशर्म हैं!

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह बेहद शर्म से लाल हो गया और वो पानी पानी हो गई जिससे उसकी सांसे बेहद तेज हो गई थी फिर उसने सीमा को खींचकर बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर उसके दोनो को पकड़ते हुए बोली:"

" कितनी बार कहूं कि कोई नही आ रहा है! मेरा यकीन करो सीमा!

सीमा उसके नीचे दबी हुई हंसती हुई उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए बोली:"

" ठीक है शहजादी, लेकिन आप की ये बेकरारी और बढ़ी हुई सांसे कुछ और ही बयान कर रही है मानो किसी के आने का बेताबी से इंतजार कर रही है!

सलमा उसकी बात सुनकर हल्की सी शर्मा गई और फिर जोर से उसके हाथ मोड़ते हुए बोली:"

" लगता हैं तुम ऐसे नही मानोगी! अभी ठीक करती हू तुम्हे!

सलमा की ताकत के आगे सीमा मजबूर हो गई और चाहकर भी अपने हाथ नही छुड़ा सकी तो फिर से सलमा को छेड़ते हुए बोली:" लगता हैं हमारे शहजादी भी खूब ताकत वाली हैं मतलब विक्रम को आसानी से कुछ भी मिलने वाला नही हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर फिर से शर्म गई और तभी उसकी नज़र घड़ी पर पड़ी तो उसके हाथ छोड़कर बोली:"

" चल बहुत हो गया मजाक, अब रात बहुत हो गई है तो मुझे सोने दो!

सीमा जानती थी कि आज जरूर कोई न कोई बात तो हैं लेकिन वो जानती थी कि सलमा उसे खुद ही बाद में सब बता देगी तो खड़ी हुई और बोली:"

" अच्छा शहजादी मैं चलती हु अपना ध्यान रखना!

इतना कहकर सीमा चल पड़ी और सलमा भी कक्ष के दरवाजे तक उसके साथ आई और सीमा उसे शरारती मुस्कान देकर चली गई और उसके जाने के बाद सलमा ने दरवाजे को बंद किया और अपने कपड़े ठीक करने लगी ! उसने एक बार खुद को शीशे में देखा और फिर धड़कते हुए दिल के साथ विक्रम का इंतजार करने लगी!!

विक्रम गुफा में घुस गया था और कल्लू को अपने कंधे पर डाले आगे बढ़ रहा था! जैसे ही वो गुफा के अंत में पहुंचा तो उसने कल्लू को नीचे फेंक दिया और उसके हाथ पैर बांध कर जैसे ही गुफा के बाहर सावधानी से कदम रखा तो उसे सामने ही सलमा खड़ी नजर आई! अंधेरा काफी था क्योंकि जान बूझकर सलमा ने सभी मशाल बुझा दिए थे ताकि विक्रम को को देख न सके!

सलमा धीरे धीरे आगे बढ़ती हुई और उसके करीब आई और देखते ही देखते उसकी बांहों में समा गई और दोनो ने एक दूसरे को पूरी ताकत से अपनी बांहों में कस लिया और सलमा बोली:"

" आपको आने में कोई दिक्कत तो नही हुई न युवराज!

विक्रम ने उसका माथा चूम लिया और बोला:" कोई दिक्कत नहीं हुई शहजादी! वैसे भी आपका चेहरा देखकर मेरी हर दिक्कत अपने आप दूर हो जाती हैं!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और उसका हाथ पकड़ कर अपनी साथ आने का इशारा किया तो विक्रम ने शहजादी का हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और बोला:"

" आपके लिए एक गिफ्ट लेकर आया हु! पहले आप देख लीजिए एक बार!

सलमा उसकी बात सुनकर हैरान हो गई और विक्रम उसका हाथ पकड़ कर गुफा में फिर से वापिस घुस गया और हल्के अंधेरे मे भी कल्लू सुनार को देखते ही सलमा हैरान हो गई और बोली:"

" आप इसे कहां से उठा लाए युवराज? आपको किसी ने देखा तो नही!

विक्रम:" नही किसी ने नहीं देखा! मौका देखकर इसकी दुकान से ही उठा लिया! अब ये सारी सच्चाई आपके सामने बोल देगा!

विक्रम ने कल्लू सुनार के मुंह पर पानी की कुछ बूंदे डाली तो उसे होश आ गया और अपने आपको अनजान गुफा में पाकर इधर उधर देखने लगा और जैसे ही उसकी नजर सलमा पर पड़ी तो उसके पैर पकड़ लिए और बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए शहजादी! मुझे बहुत बड़ी गलती हो गई है!

सलमा ने उसकी तरफ नफरत से देखा और बोली:" किसके कहने पर तुमने सीमा को फंसाया था ?

कल्लू सुनार को काटो तो खून नहीं, उसे समझा नही आया कि क्या कहे तो वो सलमा के पैर पकड़ कर रोने लगा और बोला:"

" वो मुझे मार डालेगा शहजादी! मुझे माफ कर दीजिए और जाने दीजिए!

सलमा उसकी बात समझ गई और बोली:" ठीक हैं अगर तुम नही बताओगे तो मैं तुम्हे मार डालूंगी! लेकिन अगर बता दोगे तो मदद करूंगी और कुछ नही होने दूंगी!

कल्लू जानता था कि सलमा अपने वादे की पक्की हैं तो वो थोड़ा सुकून महसूस करते हुए बोला:" मेरे पास जब्बार का भाई जुबेर आया था और उनके साथ मंत्री प्रकाश भी था! मैने मना किया तो मेरे परिवार को मारने की धमकी देने लगे जिस कारण मुझे मजबूरी में ये सब करना पड़ा! मुझे माफ कर दीजिए!

इतना कहकर वो सलमा के पैर पकड़ कर फूट फूट का रो पड़ा तो सलमा ने उसे उठाया और विक्रम से बोली:"

" युवराज इस सारे मामले की असली जड़ जब्बार ही हैं! इस बेचारे का कोई दोष नही हैं! आप इसे जाने दीजिए!

विक्रम ने हैरानी से शहजादी की तरफ देखा और सलमा के साथ उसे गुफा के बाहर तक छोड़ने के लिए चल पड़ा! विक्रम ने सलमा को कुछ इशारों में समझाया तो सलमा खामोश हो गई! चलते हुए कल्लू बोला:"

" आप कौन हैं ? आपको पहली बार देखा हैं यहां!

विक्रम ने एक बार सलमा की तरफ देखा और बोला:" मैं उदयगढ़ का युवराज विक्रम हु और शहजादी सलमा से प्रेम करता हु! शहजादी की तरफ उठने वाली हर आंख को मैं फोड़ दूंगा!

सलमा को हैरानी हुई कि विक्रम ने कल्लू के सामने सब सच क्यों बता दिया क्योंकि कल्लू उनके लिए बड़ा खतरा बन सकता था लेकिन चुप रही! जैसे ही दोनो गुफा के अंत में पहुंचे तो विक्रम ने कल्लू का मुंह फिर से बांध दिया और उसका हाथ पकड़कर सावधानी से आगे बढ़ गया और सलमा उन्हे जाते हुए देख रही थी लेकिन उसे समझ नही आ रहा था कि विक्रम उसके साथ बाहर क्यों जा रहा है और शहजादी की आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि अचानक से विक्रम ने कल्लू को उठाकर दलदल के अंदर फेंक दिया और मुंह बंधा होने के कारण कल्लू चीख भी नही सका और देखते ही देखते दलदल के अंदर समा गया!

विक्रम फिर से वापिस गुफा के अंदर आ गया और सलमा उसे हैरानी से देखते हुए बोली:"

" ये आपने क्या गजब कर दिया युवराज? हमने उसे वादा किया था कि उसकी मदद करेंगे!

विक्रम ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया और अंदर चलते हुए बोला:"

" आप बहुत भोली हो सलमा, ये सब कुछ जाकर जब्बार को बता देता और उसके बाद आप समझ सकती हो कि क्या हो सकता था!

सलमा उसकी बात सुनकर सब समझा गई और चलती हुई बोली:" ये तो मैने सोचा ही नही था! अच्छा किया आपने जो उसे मार दिया, बाद में इसके घर वालो को मैं मदद कर दूंगी!

दोनो उसके बाद एक दूसरे का हाथ थामे अंदर की तरफ चल पड़े और अचानक सलमा किसी चीज से टकराकर गिरने को हुई तो विक्रम ने उसे अपनी बांहों में थाम लिया तो सलमा खुद को उसकी बांहों में सुरक्षित पाकर खुश हो गई और बोली:"

" आपने हमे बचा लिया युवराज! हल्के अंधेरे में हम शायद पत्थर से टकरा गए थे!

सलमा की बात सुनकर विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया तो सलमा हैरान होते हुए बोली:"

" अरे आपने हमे गोद में क्यों उठा लिया युवराज! हम कोई छोटी बच्ची नही हैं!

विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी भारी भरकम गांड़ के नीचे लगाकर उसे अच्छे से संभाल लिया और बोला:"

" आप अंधेरे में गिर गई तो चोट आयेगी और मेरे होते आपको चोट आए ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता सलमा!

विक्रम की बात सुनकर सलमा ने उसका गाल चूम लिया और अपनी दोनो बांहों का हार उसके गले में पहना दिया और विक्रम उसे लेकर आगे बढ़ गया! गुफा से बाहर निकल कर विक्रम उसे गोद में लिए हुए ही उसके कक्ष तक पहुंच गया और कक्ष में पहुंचते ही रोशनी में उसने सलमा को देखा और उसका गाल चूम लिया तो सलमा शर्म गई और उसकी गोद से उतरकर अपने कक्ष का दरवाजा अच्छे से बंद किया और फिर विक्रम की तरफ पलट कर मुस्कुराने लगी!


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सलमा और विक्रम दोनो ही एक दूसरे की तरफ धीरे धीरे बढ़ने लगे और दोनो की बांहे अपने आप खुल गई और एक दूसरे की बाहों में समा गए और कसकर लिपट गए! विक्रम ने अपने दोनो हाथों को उसकी कमर में लपेट लिया और बोला:"

" अह्ह्ह सलमा मेरी शहजादी! अब जाकर दिल को सुकून मिला! आपको बता नही सकता कि मैं कितना बेचैन था आपको देखने के लिए सलमा!

सलमा भी उससे कसकर लिपटी हुई थी और उसके हाथो को अपनी कमर पर महसूस करके उसके कानो में मिश्री सी घोलती हुई बोली:

" हमे भी युवराज! आपके बिना हमे भी कुछ अच्छा नही लगता! आप आ गए हो तो लगता हैं सब कुछ मिल गया!

विक्रम उसकी कमर हल्के हल्के सहलाते हुए बोला:"

" क्या कहूं शहजादी आप मेरी बांहों में हो तो लगता हैं सारी दुनिया मेरी बांहों में सिमट आई हैं

सलमा उसकी बात सुनकर खुश हो गई और उसकी गर्दन पर अपने हाथो की पकड़ मजबूत करते हुए बोली:"

" ओह मेरे युवराज! सच में इतना ज्यादा प्यार करते हो मुझसे?

विक्रम उसकी आंखो में देखते हुए प्यार से विश्वास के साथ बोला:"

" इससे भी कहीं ज्यादा सलमा! चाहो तो मुझे आजमा कर जान मांग लो मेरी!

सलमा ने उसकी बात सुनकर प्यार से अपनी उंगली को उसके होंठो पर रख दिया तो विक्रम ने उसकी उंगली को चूम लिया तो सलमा बोली:"

" जान नही चाहिए क्योंकि मेरी जान तो आप हो युवराज! उस दिन जब आपने सैनिकों के सामने तलवार छोड़ दी थी तभी मैं समझ गई थी कि आप मुझसे कितना प्यार करते हो! क्या आप मुझे मेरी उस गलती के लिए दिल से माफ कर दोगे युवराज?

इतना कहकर सलमा की आंखे भर आई तो विक्रम ने उसे अपनी बांहों में पूरी ताकत से समेट लिया और बोला:"

" खुदा के लिए उस बात को भूल जाए शहजादी! आओ जो पल हमे मिले हैं बस इनमे अपनी खुशी ढूंढते हैं!

सलमा ने उसकी बात सुनकर उसका गाल चूम लिया और विक्रम ने एक के बाद एक चुंबन की उसके गालों पर झड़ी सी लगा दी और सलमा शर्म से उसकी छाती में सिमट गई! विक्रम ने दोनो हाथों से उसका खूबसूरत चेहरा अपने हाथों में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए मुस्कुरा दिया तो सलमा भी उसकी आंखो मे आंखे डालकर मुस्कुरा उठी और दोनो बिना पलके झुकाए ऐसे ही एक दूसरे की आंखो में देखते रहे और आखिर कार सलमा की आंखे शर्म से झुक गई तो विक्रम ने उसे फिर से अपनी बांहों में कस लिया और उसके सिर पर बंधे हिजाब से उसकी उंगलियां टकरा गई तो सलमा की सांसे तेज हो गई और विक्रम की बांहों में खुद को ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसका इशारा समझते हुए उसकी हिजाब को खोल दिया और सलमा का सिर पूरी तरह से नंगा हो गया और उसके बालो में सफेद चमेली के फूलो का खूबसूरत महकदार गजरा नजर आया और विक्रम ने मदहोश होकर उसे जोर से अपनी बांहों में कस लिया तो सलमा उसकी बांहों में सिसक उठी और बोली:" अह्ह्ह्ह थोड़ा प्यार से युवराज, मेरी हड्डियां तोड़ डालोगे क्या आज !

विक्रम ने अपने मुंह को उसके गजरे के पास किया और उसके गजरे से उठती हुई खुशबू सूंघकर मदमस्त हो गया और प्यार से उसके कंधे थामकर बोला:"

" आपका गजरा बेहद आकर्षक और खुशबूदार है सलमा! इससे उठती हुई खुशबू हमे मदहोश कर रही है शहजादी!

सलमा अपने गजरे की तारीफ सुनकर उससे दीवानी सी होकर लिपट गई और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई:"

" आपके लिए ही पहना हैं मेरे युवराज! मेरी खुशकिस्मती कि आपको पसंद आया!

विक्रम ने अब अपने हाथो को उसकी कमर में लपेट लिया उसकी कमर में उंगली गड़ाते हुए और उसके गाल चूमते हुए बोला:"

" शुक्रिया मेरी शहजादी! लेकिन लगता हैं कि आप हमसे कुछ नाराज हैं!

सलमा उसकी बात सुनकर तड़प उठी और उसका मुंह चूम कर बोली:" ऐसा न कहे युवराज! हमारी जान निकल जायेगी, क्या खता हो गई मुझसे?

विक्रम ने उसके बुर्के पर हाथ रख दिया और बोला:" आप अभी भी हमसे शर्माती है शहजादी! क्या आपको इतने कपड़े की जरूरत है सच में?

सलमा उसकी बात का मतलब समझकर कांप उठी क्योंकि वो जान गई थी कि विक्रम उसके बुर्के को उतारने की बात कर रहा है तो सलमा धीरे से उसके कान में बोली:"

" हम अपना कजरा आपसे छिपाकर रखना चाहते थे, बस इसलिए पहना लिया था!

सलमा की बात सुनकर विक्रम ने उसके बुर्के की चैन पर हाथ रख दिया और उसके रसीले होंठों पर अपनी उंगली फेरते हुए बोला:"

" आपका कजरा तो हमने देख ही लिया शहजादी! अगर आपकी इजाजत हो तो क्या हम आपका बुर्का उतार दे ?

विक्रम की बात सुनकर सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो जोर से विक्रम के गाल चूम कर बोली:" कुबूल है कुबूल है कुबूल है!!

उसकी इस अदा पर विक्रम मर मिटा और उसने बिना देर किए उसके बुर्के की चैन को खोल कर उसे उतार दिया और सलमा ने भी अपने हाथ उठाकर उसका सहयोग लिया और सलमा अब बिना बुर्के के सिर्फ एक कसे हुए सूट सलवार में उसके सामने खड़ी हुई थी और विक्रम ने एक नजर उसके जिस्म पर डाली और उसकी नजर सलमा की गोल गोल ठोस चुचियों के उभार पर पड़ी जो सूट से झांक रही थी और ये देखते ही विक्रम बोला:"

" आप बिना बुर्के के ज्यादा खूबसूरत लगती है शहजादी!


सलमा उसकी बात का मतलब समझकर शर्मा गई और बेड की तरफ चल पड़ी तो विक्रम ने आगे बढ़कर उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा तो शहजादी सलमा उसके गर्म तपते होंठ अपनी गर्दन पर महसूस करते ही पिघल गई और मदहोशी से सिसकी:"

" अह्ह्ह्ह्ह युवराज! छोड़ दीजिए ना हमे! ऐसे मत छेड़िए हमे!

सलमा की सिसकी सुनकर विक्रम को उसकी मदहोशी का अंदाजा हो गया और विक्रम ने अपने दोनो हाथो को उसकी चुचियों पर रखा और हल्के हल्के सहलाते हुए उसके गजरे की महक सूंघ कर बोला:"

" ओह मेरी सलमा, आपके गजरे की महक हमे बहका रही है, खुदा ने आपको बस मेरे लिए बनाया हैं मेरी शहजादी!

इतना कहकर विक्रम ने उसकी चुचियों को हल्का हल्का मसलना शुरू कर दिया और सलमा के मुंह से मस्ती भरी आह निकलने लगी और विक्रम ने जैसे ही उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चूस लिया तो सलमा के मुंह से एक जोरदार मस्ती भरी आह निकल पड़ी और वो पलट कर विक्रम से कसकर लिपट गई तो विक्रम ने अपने होठों को उसके कांप रहे होंठो पर टिका दिया और चूसने लगा तो सलमा भी उसके होंठ चूसने लगी और देखते ही देखते दोनो की जीभ एक बार से टकरा पड़ी और सलमा ने खुद को विक्रम की बांहों में ढीला छोड़ दिया तो विक्रम ने उसे अपनी गोद में उठा लिया और सलमा उसकी गर्दन में बांहे डाले लिपटी हुई उसके होंठो को चूसती रही! विक्रम ने उसे गोद में लिए हुए बेड पर आ गया और उसके उपर चढकर उसके होंठो को चूसने लगा सलमा विक्रम को उपर उपर चढ़ा देखकर उत्तेजित होने लगी और अपनी टांगो को पूरा खोल दिया तो विक्रम ने उसकी टांगो को अपनी टांगो में जोर से कस लिया और अपनी जीभ को सलमा के मुंह में घुसा दिया तो सलमा ने उसकी लसलसी जीभ को लपक लिया और जोर जोर से उसकी जीभ चूसने लगी!


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सलमा के हाथ अब विक्रम की गांड़ पर जम गए थे और मदहोशी में सलमा उसकी गांड़ को सहला रही थी! सलमा की सांसे बुरी तरह से उखड़ गई थी और उसकी चूचियों के सख्त तने हुए निप्पल कपड़ो के उपर से ही विक्रम की छाती में घुसने का प्रयास कर रहे थे! एक किस के बाद दोनो के होंठ अलग हुए तो विक्रम ने उसके सूट को उठा दिया और सलमा ने मदहोशी में अपने दोनो हाथों को उठा लिया और विक्रम ने उसके सूट को उतार कर फेंक दिया और सलमा की मस्तानी चूचियां एक सफेद रंग की ब्रा में विक्रम के सामने आ गई और विक्रम ने उसकी चुचियों को देखा तो सलमा शर्म से पानी पानी हो गई और विक्रम ने हाथ आगे बढाया और उसकी चुचियों को ब्रा के उपर से ही अपने हाथो में भर लिया और कस कस कर दबाने लगा तो सलमा के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी और विक्रम की आंखो मे देखते हुए अपने हाथो को उसके हाथो पर टिका दिया और विक्रम ने जोश में आकर उसकी चुचियों को रगड़ना शुरू कर दिया और सलमा के मुंह से दर्द और मस्ती भरी सीत्कार निकलने लगी

" अअह्ह्ह्ह सीईईईईईई नहीईईईईई, अअह्ह्ह्ह धीरे ईईईईई विक्रम दर्द होता हैंईईईईईईईईईई

सलमा की सिसकियां सुनकर विक्रम पूरे जोश में आ गया और कस कस कर उसकी चूचियों को मसलने लगा मानो उसकी छातियों को सपाट कर देना चाहता हो और सलमा की घमंडी चूचियां वो जितनी जोर से दबाता वो उससे कहीं ज्यादा जोर से उछल कर उसके हाथो में फिर से समा जाती!


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विक्रम का लंड अपनी पूरी सख्ती में खड़ा हो गया था और सलमा की जांघो में ठोकर मार रहा था जिससे सलमा पूरी तरह से उत्तेजित हुई जा रही थी और सलमा खुद ही अपनी गांड़ उठा उठा कर लंड पर रगड़ने लगी तो विक्रम ने उसकी ब्रा के कप हटाकर उसकी चुचियों को आजाद कर दिया तो सलमा के मुंह से आह निकल पड़ी और विक्रम ने उसकी दोनो नंगी चूचियों को अब पूरी तरह से अपनी चौड़ी हथेली में भर लिया तो सलमा को यकीन हो गया कि उसकी चूचियां विक्रम के लिए ही खुदा से बनाई है तो सलमा अपनी गर्दन उचकाकर उसके होंठो को चूसने लगी जिससे उसकी चूचियां उभर कर विक्रम के हाथो में आ गई और विक्रम ने कसकर उसकी नंगी चुचियों को रगड़ना शुरू कर दिया तो सलमा से उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और उसका जिस्म बेड पर पड़े पड़े उछलने लगा तो विक्रम ने उसे अपने नीचे कस लिया और उसके होंठो को चूसने हुए उसकी चुचियों की अकड़ कम करने की कोशिश करने लगा और सलमा उत्तेजना से कभी उससे जोर से लिपटती तो कभी अपने हाथो से बेडशीट को कसकर दबोच लेती! दोनो को सांस लेने में दिक्कत हुई तो विक्रम ने उसके होंठो को आजाद करते हुए उसकी एक चूची को मुंह में भर लिया और सलमा के पेट को सहलाते हुए नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसकी सलवार का नाड़ा पकड़ लिया तो सलमा के बदन में सिरहन सी दौड़ गई और वो बेड पर ही जोर से उछल पड़ी वो उसकी आधे से ज्यादा चूची विक्रम के मुंह से समा गई और विक्रम ने उसे जोर से चूस लिया और एक झटके के साथ उसकी सलवार का नाड़ा खुल गया तो सलमा के मुंह से मस्ती भरी सीत्कार निकल पड़ी

" अह्ह्ह्ह ये क्या कर दियाआआ यूईईईईईईईई अम्म्मीईईईईईई ! हाय उफफ्फफ्फ, अअह्ह्ह्ह्ह युवराज मैं मर जाऊंगीगिईईईई

विक्रम ने उसके मुंह को चूम लिया और सलमा की दोनो चुचियों को मस्ती से सहलाते हुए सिसक उठा:"

" अह्ह्ह्ह् मेरी शहजादीईईईईईई, कुछ नही होगाआआआआआ, अअह्ह्ह्ह कैसा लग रहा है मेरी जान सलमाआआआआआआ

इतना कहकर विक्रम ने उसकी सलवार को नीचे सरकाना शुरू कर दिया और सलमा मदहोश सी पड़ी हुई अपनी सलवार उतरने दे रही थी और विक्रम ने उसकी टांगो को उसकी सलवार से आजाद कर दिया तो सलमा बावली सी होकर उससे कसकर लिपट गई और बिस्तर भी अपने जिस्म को पटकते हुए जोर जोर से सिसकियां भरने लगी तो विक्रम ने सलमा को अपने नीचे कस लिया और उसके बालो में लगे हुए गजरे को खोल दिया और सलमा की काले बादल जैसी जुल्फे लहरा उठी और विक्रम को सलमा और ज्यादा कामुक नजर आई और उसने उसके होठों को चूसते हुए अपने कपड़ो को भी उतार दिया और अब विक्रम अब अंडर वियर में सलमा के उपर चढ़ा हुआ था और उसका भारी भरकम शक्तिशाली लंड सलमा की भीगी हुई पेंटी से छू रहा था जिससे सलमा पागल सी हुई जा रही थी और उसने अपने टांगो को विक्रम की टांगो में कस लिया और जोर जोर से उसकी कमर को अपनी चूत पर दबाने लगी! सलमा पूरी तरह से बेकाबू हो गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से चिकनी होकर उसकी पैंटी को पूरा गीला कर चुकी थी जिस पर विक्रम का लंड टकराने से फच फच की आवाज आ रही और सलमा विक्रम की आंखो मे देखते हुए अपनी गांड़ को पूरी ताकत से उठा उठा कर पटक रही थी और विक्रम गजरे की महक से पागल सा हो गया और गजरे को सलमा की आंखो के सामने किया और उसकी चूत पर लंड के जोरदार धक्के मारते हुए मदहोशी से सिसक उठा:"

" मेरी शहजादी का महकता गजरा, हाय सलमा आपके गजरे ने मुझे बेहाल कर दिया है मेरी जान!

इतना कहकर विक्रम ने गजरे को चूम लिया तो सलमा ने भी गजरे को चूम लिया और अपनी गांड़ उठाकर उसके धक्कों का जवाब देती हुई सिसक उठी

" अअह्ह्ह्ह्ह् युवराज! मेरे सरताज आपकी जान सलमा का गजरा !

विक्रम ने जोश में आकर गजरे में से एक फूल की पत्ती को तोड़ दिया और अपनी जीभ पर रखकर सलमा के मुंह में घुसा दिया तो सलमा पागलों के जैसे उसकी जीभ चूसने लगी और पूरी ताकत से अपनी चूत को उसके लंड पर उछालने लगी क्योंकि उसकी चूत में उसे अदभुत सिरहन का एहसास होना शुरू हो गया था और दोनो की एक दूसरे के होंठो को चूसते हुए एक दूसरे के धक्को का शक्तिशाली जवाब दे रहे


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सलमा की गोल गोल गुम्बद जैसी ठोस चूचियां अब विक्रम पूरी सख्ती से मसल रहा था, रगड़ रहा था कस कस कर दबा रहा था और विक्रम ने जोर का धक्का लगाया तो सलमा की पेंटी उसकी चूत पर से हट गई और उसकी पूरी चिकनी एक दम नंगी होकर लंड के सामने आ गई और जैसे ही सलमा ने जोर से अपनी गांड़ को उछाला तो पतले से अंडर वियर में लंड ने उसकी चूत पर जबरदस्त टक्कर मारी और सलमा की चूत और मुंह से एक साथ मस्ती फूट पड़ी

" अह्ह्ह्ह मेरे युवराजजजज ईईईईईई सीईईईईईईई यूईईईईईई हयय्यय क्या कर दिया मुझे ईईईईईईई

सलमा ने मस्ती से बेकाबू होकर गजरे को अपने दांतों से काटने लगी और अपनी पूरी ताकत से अपनी गांड़ उठाकर उठाकर लंड के धक्के अपनी नंगी चूत पर खाने लगी और विक्रम ने भी उसकी चूचियां को छोड़कर उसकी गर्दन में हाथ को लपेट लिया और कस कसकर धक्के लगाने लगा! दोनो ही एक दूसरे की आंखो में देखते हुए गजरे को खा रहे थे मसल रहे थे और अब दोनो की गति इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि मजबूत बेड भी चूं चूं करके चरमरा रहा था मानो उसके उपर दो शक्तिशाली पहलवान कुश्ती कर रहे हो! विक्रम के लंड में तनाव हर पल बढ़ता जा रहा था और उसके धक्के भी हर पल तेज होते जा रहे थे और सलमा भी उसके धक्के का ताकत से जवाब देती हुई गजरे के फूलो को मसलती हुई उसकी आंखो मे देखती हुई उसे उकसा रही थी! कक्ष मे तूफान सा आया हुआ था और दोनो की मादक सिसकियां गूंज रही थी जो हर पल तेज और ज्यादा तेज होती जा रहीं थी और सलमा की चूत में इतनी ज्यादा सनसनाहट बढ़ गई थी कि उसने बेकाबू होकर विक्रम का हाथ अपनी चूत पर रख दिया और विक्रम ने जैसे ही उसकी नाजुक मखमली रेशम चूत के होंठो को छुआ तो सलमा के मुंह से एक जोरदार आह निकल पड़ी और सलमा ने पूरी ताकत से अपनी जांघो को कसते हुए विक्रम के लंड को अपनी चूत पर दबोच सा लिया और सलमा की चूत ने एक जोरदार झटके के साथ अपना रस छोड़ने लगी तो विक्रम का लंड भी जवाब दे गया और उसने अपनी पूरी ताकत लगाते हुए लंड को उसकी जांघो की पकड़ से बाहर निकाला और एक जोरदार धक्के के साथ उसकी जांघो में घुसा दिया और सलमा की चूत के होंठो पर तगड़ी टक्कर पड़ी तो सलमा पहली बार दर्द से कराह उठी

" अअह्ह्ह्ह अम्मी ईईईईईआई मार डाला युवराज!!!


विक्रम उसका मुंह चूमते हुए अपने वीर्य की पिचकारी मारने लगा! दोनो एक दूसरे को पूरी ताकत से कस लिया और एक दूसरे से लिपटकर झड़ने लगे! दोनो बेताबी से एक दूसरे को चूम रहे थे चाट रहे थे और विक्रम के नीचे दबी हुई सलमा लंबी लंबी सांसे लेती हुई झड़ रही थी जिससे उसकी चूत का गाढ़ा चिकना रस विक्रम के लंड के आस पास फैल गया था और विक्रम के लंड से निकल कर वीर्य सलमा की चूत के रस से मिल रहा था!

करीब एक मिनट तक दोनो का स्खलन चलता रहा और अंत में दोनो के जिस्म जैसे ही शांत हुए तो दोनो आंखे बंद करके एक दूसरे से लिपटे हुए अपनी सांसों को संभालने की कोशिश करने लगे! करीब पांच मिनट के बाद दोनो सामान्य हुए और सलमा ने शर्म से उसकी छाती में अपना मुंह छुपा लिया तो विक्रम उसकी पीठ सहलाते हुए बोला:"

" इतना सब होने के बाद भी शर्माना तो क्या शर्माना!

उसकी बात सुनकर सलमा के चेहरे पर मुस्कान आ गई और कुछ नहीं बोली बस ऐसे ही उससे लिपटी रही! दोनो ऐसे ही लेटे हुए बाते करते रहे और मीठे मीठे सपने संजोते रहे!

करीब पांच बजे सीमा के सलमा के कक्ष पर दस्तक तो सलमा और विक्रम दोनो को दिन के निकलने का एहसास हुआ और सलमा बोली:"

" कब रात गुजार गई पता ही नहीं चला! लगता हैं सीमा आ गई है, अब आप कैसे जाओगे?

विक्रम:" आप फिक्र न करें, मैं मौका देखकर निकल जाऊंगा!

सलमा अपने कपड़े ठीक करते हुए बोली:" ठीक हैं मुझे कक्ष का दरवाजा खोलना पड़ेगा! आप पर्दे के पीछे छिप जाए!

विक्रम उठा और परदे के पीछे छिप गया और सलमा ने दरवाजा खोला तो सीमा अंदर आ गई और बोली:" शहजादी एक बेहद अहम खबर हैं कि रात से कल्लू सुनार नही मिल रहा है, उनकी बीवी ने रात ही सूचना दी थी!

सलमा उसकी बात सुनकर जान बूझकर चौंक उठी और बोली:"

" अच्छा क्यों कहां चला गया वो? जरूर किसी उल्टे सीधे काम में गया होगा!

सीमा:" ये तो नही पता कि कहां गया हैं लेकिन कुछ न कुछ तो जरूर हुआ हैं! मुझे तो लगता है कि ये जब्बार ने ही किया होगा कि कहीं वो अपना मुंह न खोल दे और वो फंस जाए!

सलमा:" अच्छा तुझे क्यों लगा कि ये जब्बार ने किया होगा ?

सीमा:" क्योंकि सारे उल्टे सीधे काम वही तो करता हैं! चलो मैं तो कहती हूं कि मर ही गया हो वो कल्लू सुनार हरामजादा!

सलमा:" मर ही गया होगा लेकिन मुझे नही लगता कि उसे जब्बार ने मारा होगा क्योंकि जब्बार अपने आदमियों को कभी नही मारता!

सीमा: आप देखना आज काफी हंगामा होगा राज्य की सुनवाई के दौरान! एक तो पहले ही युवराज विक्रम के भागने वाला मामला फंसा हुआ हैं और अब ये दूसरा मामला और हो गया है!

सलमा:" अच्छा ये बात भी हैं! पानी गर्म हो गया है क्या ?

सीमा:" हान पानी तो गर्म हो गया है शहजादी! आप जाइए नहा लीजिए!

सलमा जाने लगी और सीमा को अपने साथ के जाने के लिए कोई बहाना सोच ही रही थी कि सीमा की नजर नीचे फर्श पर पड़े हुए सलमा के गजरे पर पड़ी तो सीमा को बड़ी हैरानी हुई और बोली:"

" शहजादी आपका गजरा फर्श पर कैसे गिर पड़ा?

सीमा की बात सुनकर सलमा डर और शर्म के मारे कांप उठी! उसे ऐसा लगा मानो वो चोरी करती हुई रंगे हाथों पकड़ी गई हो और उसका मुंह शर्म से लाल सुर्ख हो गया और फिर खुद को संभालते हुए बोली:"

" पता नहीं कैसे गिरा, नींद में शायद गिर गया होगा! चल आ मेरे साथ चल बाथरूम!

सीमा उसकी हालत देखकर समझ गई कि दाल में कुछ तो जरूर काला हैं और बोली:

" बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे, मतलब अब गजरे के भी हाथ पैर लग गए हैं जो कहीं भी गिर जाएगा! देखो तो आपके बेड पर कितने ज्यादा सलवटे आई हुई है!

सलमा का दिल फिर से उसकी बात सुनकर धड़क उठा और जानती थी कि सीमा मुंहफट है और कुछ भी बोल सकती है और विक्रम सब कुछ सुन ही रहा है तो सलमा बोली:"

" तुझे कैसे समझाऊं कि नींद में गिर गया होगा! चल अब मेरे साथ!

सलमा ने उसका हाथ पकड़ लिया और बाहर की तरफ खींचने की कोशिश करने लगी तो सीमा उसके साथ चलती हुई इधर उधर नजर डालते हुए बोली:"

" कब तक सच छुपाओगी शहजादी! बोल क्यों नहीं देती कि विक्रम आए थे आपसे मिलने के लिए रात ?

उसकी बात सुनकर सलमा का मुंह शर्म से लाल हो गया और सबसे बड़ी बात सीमा की इधर उधर दौड़ती नजर से वो घबरा गई क्योंकि अगर सीमा ने विक्रम को देख लिया तो सीमा उसका जीना मुहाल कर देगी ये वो अच्छे से समझ रही थीं ! दूसरी तरफ विक्रम के होंठो पर भी उसकी बात सुनकर मुस्कान आ गई और खुद को पर्दे के पीछे अच्छे से छिपा लिया लेकिन पर्दा हिल गया और सीमा की नजरे पड़ी वो उसे नीचे से विक्रम के जूते नजर आए और सीमा का शक यकीन में बदल गया और सलमा उसका हाथ पकड़कर बाहर खींचती हुई बोली:"

" कितनी बार कहूं कि कोई नही आया था! चल मुझे देर हो रही है

सीमा अब उसे जान बूझकर छेड़ती हुई बोली:"

" फिर आप इतनी क्यों शर्मा रही हो और आपकी गर्दन देखो कैसे लाल हो गई है!

सलमा की नजरे अपनी गर्दन पर पड़ी जो सच में हल्की सी लाल हो गई थी और सलमा लगा कि आज वो बुरी फंस गई है तो बोली:

" ऐसे ही नींद में हो गई है! चल आ मुझे देर हो रही है!

इतना कहकर वो पूरी ताकत से जबरदस्ती सीमा को बाहर खींचने लगी क्योंकि शर्म से पानी पानी हो गई थी विक्रम के सामने सीमा की ऐसी बाते सुन कर और सबसे बड़ी बात कि आगे पता नहीं क्या बोल देगी ये उसकी सबसे बड़ी दुविधा थी! सीमा बाहर जाने से खुद को रोकती हुई बोली:"

" बिस्तर की हालत देखकर तो लग रहा था कि रात में युवराज ने आपकी अच्छे से खबर ली होगी लेकिन आपकी ये जबरदस्ती देखकर तो लग रहा है कि कुछ कसर बाकी बच...

सीमा कुछ बोलती उससे पहले ही सलमा ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली:"

" हद होती है बेशर्मी की सीमा, कुछ भी बोले जा रही हो! आओ चलो मेरे साथ!

सीमा ने एक झटके से उससे अपना हाथ छुड़ा लिया और बेड के पास आते हुए बोली:"

" आप जाओ और नहाकर आ जाओ! मैं यहीं बैठी हु!

सलमा उसके पीछे तेजी से अंदर आई और बोली:" क्यों परेशान कर रही है मुझे सीमा! आओ ना मुझे मदद चाहिए तुम्हारी नहाने में कुछ आज!

सीमा:" रोज तो आप खुद ही नहाती हो तो मैं क्या करूंगी आपके साथ जाकर!

सलमा:" मैं तेरे आगे हाथ जोड़ती हूं चल ना तुझे मेरी कसम!

उसकी बात सुनकर सीमा खड़ी हो गईं और बोली:" आप इतना कह रही हु तो चलती हु लेकिन आपको मेरे साथ नही बल्कि युवराज के साथ नहाने की जरूरत हैं!

सलमा ने उसका हाथ पकड़ा और तेजी से अपने साथ बाहर ले गई और वहीं विक्रम भी उसकी बाते सुनकर अंदर ही अंदर मुस्कुरा उठा कि ये सीमा सच में शहजादी को बेहद ज्यादा तंग करती हैं! सलमा बहाने के बाद अपने कक्ष में आ गई और दरवाजा बंद कर लिया तो विक्रम ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और बोला:

" शहजादी अकेले अकेले नहाकर आ गई हो आप! लगता हैं आप सीमा की बात नही मानती है!

सलमा उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:" सीमा बहुत ज्यादा शैतान है! मुझे ही पता है बस मुझे कितना छेड़ती है आपका नाम लेकर ! अच्छा ये बताओ अगली बार कब मिलने आओगी मुझसे?

विक्रम ने अपने हाथो हाथो को उसकी चुचियों पर रख दिया और सहलाते हुए बोला:" जब आप कहो मेरी शहजादी बस चादर ऐसी बिछाना जिसमे सलवटे कम पड़े सलमा!

उसकी बात सुनकर सलमा शर्मा गई और बोली:" छोड़ूंगी नही इस सीमा की बच्ची को आज मैं, देखना आपके जाने के बाद उसकी अच्छे से खबर लूंगी!

सलमा की बात सुनकर विक्रम ने थोड़ा कसकर उसकी चुचियों को मसल दिया और बोला:"

" खबर तो आपकी मैं अच्छे से लूंगा मेरी शहजादी ताकि सीमा की शिकायत दूर हो सके कि मैं आपकी अच्छे से खबर नहीं लेता

चुचियों को जोर से मसले जाने से सलमा जोर से सिसक उठी और दर्द से कराहती हुई बोली:"

" अह्ह्ह्ह्ह दर्द होता हैं मेरे प्रियतम! ऐसा हैं तो मैं अगली बार आपसे मिलूंगी ही नहीं!

विक्रम ने सलमा का मुंह अपनी तरफ घुमा लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोला:"

" अच्छा जी ये ही बात मेरी आंखों में देख कर कहो एक बार कि मिलूंगी नही!

विक्रम की बात सुनकर शर्म से सलमा की आंखे झुक गई और वो उससे कसकर लिपट गई लेकिन बोली कुछ नहीं तो विक्रम उसकी कमर सहलाते हुए बोला:"

" बताओ ना शहजादी मिलेगी न मुझसे ?

सलमा ने उसकी छाती को चूम लिया और अपनी गर्दन को इकरार में हिला दिया तो विक्रम ने सलमा की गांड़ को अपनी हथेलियों में भर कर जोर से मसल सिसक दिया और उसकी गर्दन पर अपनी जीभ फेरते हुए बोला:"

" सोच लो एक बार फिर से शहजादी सलमा क्योंकि फिर बाद मे मुझे दोष मत देना आप कि मैं ज्यादा छेड़छाड़ करता हु!

गांड़ मसले जाने से सलमा जोर से चिहुंक उठी और फिर से उसकी छाती को चूम लिया! विक्रम उसकी गांड़ को सख्ती से मसलते हुए कहा:"

" हयय्य मेरी शहजादी! आपकी गांड़ कितनी सख्त और गद्देदार जबरदस्त है! बताओ ना कब मिलोगी आप?

सलमा अपनी गांड़ मसले जाने से उत्तेजित होने लगी थी और उसके मुंह से आह निकल पड़ी:"

" आआआह्हह्ह विक्रम मिलूंगी शनिवार की रात मिलूंगी!

विक्रम ने उसका मुंह चूम लिया और बोला:" मेरे साथ नहाओगी ना सलमा?

सलमा उसकी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसके होंठ चूसने लगीं! दोनो की किस दो मिनट तक चली और उसके बाद विक्रम मौका देखकर आराम से निकल गया और उदयगढ़ की तरफ लौट पड़ा!
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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अगले दिन सुल्तानपुर का राजदरबार लगा हुआ था और बेगम रजिया सुनवाई कर रही थीं और मुद्दा राज्य की सुरक्षा को लेकर था क्योंकि पिछले कुछ दिनों से दो घटना घट गई थीं और उसी के बारे में बात हो रही थी

रजिया:" दो दिन पहले कोई राजमहल में सलमा के कक्ष तक पहुंच गया और शहजादी ने उसे गिरफ्तार करवा दिया लेकिन उसके बाद भी वो बच कर भाग निकला और कल से कल्लू सुनार नही मिल रहा है! आखिर ये सब चल क्या रहा है जब्बार ?

रजिया की बात सुनकर सलमा मन ही मन मुस्कुरा रही थी क्योंकि वो जानती थी कि आज पूरी सभा में जब्बार की अच्छे से बेइज्जती होने वाली हैं लेकिन जब्बार अपनी सीट से खड़ा हुआ और बोला:" ये जो भी हुआ है बेहद गलत हैं लेकिन एक बात ध्यान देने वाली है कि ये दोनो घटनाए शहजादी सलमा से ही ही जुड़ी हुई हैं! इसका मतलब साफ हैं कि जो कोई भी साजिश कर रहा है उसके निशाने पर शहजादी हो सकती हैं इसलिए सबसे पहले तो हमे शहजादी की सुरक्षा बढ़ानी होगी ताकि उन्हें वो सुरक्षित रहे!

सलमा ने उसकी बात सुनकर घूर कर उसे देखा क्योंकि सलमा जानती थीं कि सुरक्षा बढ़ने से वो कैद सी होकर रह जायेगी और अपनी मर्जी से कहीं नही जा सकेगी! जब्बार की बात का सभी में समर्थन किया और रजिया बोली:" ठीक हैं सलमा की जान राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं और उसकी सुरक्षा बढ़ाई जाएगी लेकिन जो हुआ हैं उसके लिए कौन जिम्मेदार है?

जब्बार:" जो आदमी उस दिन कैद से निकलकर भागा वो जरूर राजमहल के अंदर पहले भी आया होगा या फिर ऐसा हो सकता हैं कि कोई उससे मिला हुआ हो क्योंकि एक अजनबी आदमी इस तरह से बचकर तो नही भाग सकता!

जब्बार की बात पूरी तरह से सही थी आई और रजिया बोली:"

" ठीक हैं जब्बार उसकी पहचान की जाएगी और उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी! लेकिन कल्लू सुनार कहां है?

जब्बार:" कल्लू सुनार की खोज में रात से ही सैनिक लगे हुए हैं और जल्दी ही उसकी जानकारी सामने आ जायेगी! साथ ही साथ आज से राज्य में बाहरी आदमियों का आना पूरी तरह से बंद होना चाहिए क्योंकि ऐसी भी संभावना हैं कि बाहर से कोई आया हो और उसने ही कल्लू को गायब किया हो किसी दुश्मनी के चलते!

रजिया:" बाहर से अगर कोई आता तो उसे जरूर पहरी पकड़ लेते! ये जरूरी राज्य के ही किसी आदमी का काम हैं!

जब्बार:" आप चिंता न करे जब तक मैं सच्चाई का पता नहीं कर लूंगा चैन से नहीं बैठने वाला! साथ ही साथ आज से बाहरी आदमियों का राज्य में प्रवेश पूरी तरह से बंद रहेगा!

रजिया:" ठीक हैं जब्बार लेकिन इस बार कोई चूक नही होनी चाहिए!

जब्बार:" आप निश्चित रहे, मैं अपनी तरफ से आपको कोई मौका शिकायत का नही दूंगा!

इसके बाद राज्य की कार्यवाही खत्म हुई और सलमा को का फूल सा चेहरा उदास हो गया था क्योंकि उसकी सुरक्षा में आदमी बढ़ने से उसकी आजादी छिनने वाली थी और दूसरी बात रात में बाहरी लोगो के ना आने से विक्रम उससे मिलने कैसे आएगा ये उसकी सबसे बड़ी समस्या थी!

वही दूसरी तरफ उदयगढ़ में भी दरबार लगा हुआ था और राजमाता गायत्री देवी भी बड़ी मुश्किल में थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों से राज्य के दूर के एक गांव से शादी शुदा औरते और लड़कियां गायब हुई थी और उनका कुछ पता नहीं चल रहा था तो राजमाता बोली:"

" सेनापति अजय और विक्रम दोनो जाओ और पता करो कि किसकी मौत आई हैं जो उसने उदयगढ़ की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश करी हैं!

अजय:" मेरा सौभाग्य राजमाता जो आपने मुझे इसके लिए चुना! मैं आज ही रवाना हो जाऊंगा और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दूंगा!

विक्रम:" बिलकुल अजय और मै भी इसमें आपको पूरा सहयोग दूंगा!

राजमाता:" मुझे आप दोनो पर पूरा भरोसा हैं और आपके लिए तो ये एक तरह से इम्तिहान हैं क्योंकि सेनापति बनने के बाद आपको आपकी बहादुरी दिखाने का पहला मौका मिला हैं!

अजय:" आप फिक्र न करे राजमाता, मैं हर हाल में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दूंगा!

उसके बाद सभा समाप्त हो गई और अजय और विक्रम दोनो सफर की तैयारी करने लगी और शाम को करीब आठ बजे उन्हे निकलना था तो अजय अपनी मां मेनका से बोला:"

" मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए माता क्योंकि पहली बार मुझे राजमाता ने कोई काम दिया हैं और आपके पुत्र की ये पहली परीक्षा हैं!


मेनका :" मेरा आशिर्वाद आपके हाथ है पुत्र! जाओ और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दो!
मैं तुम्हारे लिए कुछ बना देती हु!

इतना कहकर मेनका रसोई में चली गई और अजय अपनी जाने की तैयारी करने लगा! मेनका अंदर ही अंदर बेहद खुश थी क्योंकि वो जानती थी कि अजय के जाने के बाद वो पूरी तरह से आजाद होगी क्योंकि उसके अलावा दूसरा कोई भी नीचे कक्ष में कभी नहीं जा सकता और वो आराम से साड़ी और रंगीन कपड़े पहन कर खुद को जी भर कर निहारेगी ! ये सब सोच सोच कर उसके जिस्म में उत्तेजना आ रही थी और जैसे ही खाना तैयार हुआ तो उसने अजय को दिया और दोनो मां बेटे ने साथ में खाना खाया और उसके बाद अजय बोला:"

" अच्छा माता मुझे आप अब जाने की इजाजत दीजिए! युवराज मेरी राह देख रहे होंगे!

मेनका ने उसका माथा चूम लिया और अजय राजमहल की तरफ बढ़ गया और विक्रम के साथ कुछ सैनिकों को लेकर अपने गंतव्य की तरफ कूच कर गया! वहीं दूसरी तरफ मेनका आज खुशी से फूली नही समा रही थी क्योंकि आज वो बिलकुल आजाद थी और को चाहे कर सकतीं थी!

उसके बदन में अजीब सी गुदगुदी हो गई थी और वो नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई और थोड़ी देर बाद ही वो चांद की तरह चमक रही थी और अपनी अलमारी से रंगीन साडिया निकालने लगी तभी घर के मुख्य दरवाजे पर दस्तक हुई और मेनका के हाथ रुक गए!

दो दासिया अंदर आ गई और बोली:" आपको राजमाता गायत्री देवी ने राज महल बुलाया हैं!

मेनका का दिल टूट सा गया क्योंकि आज सुनहरा अवसर उसके हाथ से निकल रहा था लेकिन राज हुक्म के चलते मजबूर थी तो बोली:"

" ठीक हैं आप थोड़ी देर रुको मैं आपके साथ चलती हु!

इतना कहकर वो फिर से सफेद कपड़े पहन कर तैयार हो गई और राजमहल की तरफ चल पड़ी! राजमहल जाकर वो गायत्री देवी के पास पहुंच गई और बोली:"

" क्या हुआ राजमाता ? आपने इतनी रात मुझे बुलाया ?

गायत्री:" सब ठीक ही हैं! बस मेरा युवरूज के बिन मन नही लग रहा था तो सोचा तुम्हे अपने पास बुला लू क्योंकि एक मां की हालत दूसरी मां ही बेहतर समझ सकती है, मैं सही कह रही हु ना!

मेनका:" बिलकुल राजमाता! आपने एकदम सत्य कहा!

उसके बाद बातचीत का दौर शुरू हो गया और दोनो एक दूसरे से देर रात तक बात करती करती सो गई! वहीं दूसरी तरफ विक्रम और अजय अपनी मंजिल रघुपुर पहुंच गए थे और सरपंच से मिले तो सरपंच बोला:"

" युवराज पहले इस तरह की कोई दिक्कत न थी लेकिन पिछले एक सप्ताह से औरते अचनाक गायब हो गई है जो काफी ढूंढने के बाद भी नही मिल रही है! आप ही अब कोई मदद कर सकते है! औरतों और लड़कियों ने घर से बाहर निकलना बंद कर दिया है डर के मारे युवराज!

विक्रम:" आप फिक्र नहीं करे, सब ठीक हो जाएगा!

विक्रम और अजय दोनो ने सही से स्थिति का जायजा लिया और उसके बाद दोनो सैनिकों के साथ उन्हे ढूंढने के लिए चल पड़े और रात के दो बजे तक जंगल और आस पास के कबीले की छान बीन करते रहे लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ तो दोनो ने रात्रि विश्राम की योजना बनाई और उसके बाद एक तंबू में दोनो लेटे हुए थे और विक्रम शहजादी के बारे में सोच रहा था कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी हैं जो उसे सलमा जैसी प्रेमिका मिली हैं! तभी अचानक बाहर से कुछ आवाजे आई और देखा कि कुछ लोग हिरणों का शिकार कर रहे थे और ये देखकर अजय और विक्रम दोनो सावधान हो गए क्योंकि उन्हे देखने से साफ अंदाजा हो गया था कि ये लोग पिंडारी हैं और पिंडारी लोग अपनी क्रूरता और बहादुरी के लिए बदनाम थे!

विक्रम ने अजय की तरफ देखा और अजय ने अपनी जादुई तलवार उठाई और उसके बाद दोनो सावधानी से आगे बढ़ गए और देखा कि तीन पिंडारी थे जिन्होंने हिरण का शिकार किया था और उसे कच्चा ही अपने नुकीले दांतो से खाने लगे! विक्रम ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना धनुष बाण चलाया और दो पिंडारियो को मौत के घाट उतार दिया और बचा हुआ एक तलवार लेकर पागलों की तरह इधर उधर देखने लगा और बोला:"

" हिम्मत हैं तो बाहर आओ और मुकाबला करो!

उसकी बात सुनकर अजय तलवार लेकर उसके सामने पहुंच गया और देखते ही देखते एक भयंकर युद्ध छिड़ गया और पिंडारी गजब की बहादुरी से अजय का सामना कर रहा था और विक्रम आराम से युद्ध को देख रहा था और आखिरकार अजय ने उसके हाथ पर वार किया और उसकी तलवार हाथ सहित नीचे गिर पड़ी और वो दर्द के कराह उठा तो अजय ने आगे बढ़कर तलवार को उसकी गर्दन पर टिका दिया और बोला:"

" तुम्हारी उदयगढ़ में घुसने की हिम्मत कैसे हुई?

पिंडारी:" हमसे गलती हो गई, मुझे माफ कर दो आप!

विक्रम:" क्या औरतों और लड़कियों को तुमने उठाया हैं ?

पिंडारी चुप रहा तो अजय ने तलवार की नोक को उसकी गर्दन में चुभो दिया तो खून की बूंदे चमक उठी और वो दर्द से तड़प कर बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह गलती हो गई मुझे छोड़ दो! आज के बाद ऐसा नही होगा!

अजय:" औरते और लड़कियां कहां हैं ये बताओ तो हम तुम्हे छोड़ देंगे!

पिंडारी:" वो सब यहां से चार किमी दूर एक जंगली कबीले में हैं और सुबह उन्हे पिंडारगढ़ ले जाया जाएगा!

अजय:" मुझे वहां लेकर चलो तो जिंदगी ईनाम में मिलेगी तुझे!

पिंडारी मान गया क्योंकि वो जानता था कि वहां करीब 20 के पास पास पिंडारी थे जो इन दोनो को आराम से मार देंगे और उसकी जान बच जायेगी!

पिंडारी उन्हें अपने हाथ लेकर चल पड़ा और जैसे ही दोनो काबिल पहुंचे तो अजय ने पिंडारी की गर्दन एक झटके के साथ उड़ा दी और उसके बाद दोनो के सावधानी से एक एक करके पिंडरियो को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया और देखते हो करीब दस पिंडारी मारे गए और अब उन्हें औरते नजर आ रही थी और करीब 10 पिंडारी वहीं पहरा दे रहे थे! अजय और विक्रम ने बिना देर किए सीधाउन पर धावा बोल दिया और एक भयंकर युद्ध छिड़ गया और तलवारे हवा में लहराने लगी! पिंडारी बेहद चुस्ती और बहादुरी से लड़ रहे थे लेकिन उनका सामना एक तरफ युवराज विक्रम से था जो बेहद जोशीला और ताकतवर होने के साथ तेज दिमाग भी था और दूसरी तरफ अजय जिससे हाथ में जादुई तलवार थी तो पिंडारियो की लाशे गिरने लगी और देखते ही देखते करीब आठ पिंडारी मौत के घाट उतार दिए गए और बाकी दोनो घायल होकर तड़प रहे थे और जान की भीख मांग रहे थे

" हमे मत मारो नही तो पूरे उदयगढ़ को तबाह कर दिया जाएगा!

उनकी बात सुनकर विक्रम की आंखो में खून उतर आया और उसने तलवार का भरपूर वार उसकी गर्दन पर किया और दूसरा पिंडारी डर से कांपता हुआ उसके पैरो में गिर पड़ा और बोला"

" मुझे माफ कर दो! मुझे मत मारो!

अजय:" तुम औरतों और लड़कियों को क्यों उठा रहे थे?

पिंडारी:" सरदार का हुक्म था क्योंकि पिंडारी बिना औरते के जिंदा नही रह सकते! मुझे जाने दीजिए!

अजय ने उसकी गर्दन को भी उड़ा दिया और उसके बाद सभी औरतों और लड़कियों को साथ में लेकर सरदार के हवाले किया और साथ आए सभी सैनिकों को गांव की सुरक्षा में छोड़कर अगले दिन शाम को वापिस राजमहल की तरफ लौट पड़े!

दूसरी तरफ पिंडारियो का सरदार पिंडाला सेक्स से व्याकुल था और उसे किसी भी कीमत पर औरत या लकड़ी चाहिए थी लेकिन उसे सबसे ज्यादा दुख अपने आदमियों की मौत का था और उसने फैसला किया कि वो अपने सभी आदमियों की मौत के बदला लेगा और अपने आदमियों के साथ युद्ध की तैयारी करने लगा लेकिन जैसे ही ये खबर जब्बार तक पहुंची तो जब्बार पिंडरागढ़ पहुंच गया और पिंडाला के सामने सिर झुकाकर बोला:"

" महाराज मैने सुना है कि अजय को उसके पुरखो की जादुई तलवार मिली हुई हैं जिसकी वजह से आपके इतने आदमी मारे गए हैं! अभी युद्ध करना सही नहीं होगा!

पिंडाला:" तो क्या हम सिर्फ एक तलवार की वजह से चुप हो जाए! नही जब्बार नहीं, हम उदयगढ़ में खून की नदिया बहा देंगे आज!

जब्बार:" मुझे आपकी ताकत पर पूरा भरोसा है लेकिन आप जीतकर भी नुकसान में रहोगे क्योंकि आपके आधे से ज्यादा सैनिक मारे जायेंगे लेकिन अगर किसी तरह अजय के हाथ में तलवार न रहे तो हम आराम से जीत जायेंगे जैसे हमने उसके बाप को मारा था ठीक वैसे ही कुछ सोचना पड़ेगा,!


पिंडाला को उसकी बात सही लगी और बोला:" ठीक हैं लेकिन मुझे किसी भी कीमत एक औरत चाहिए मेरे जिस्म की आग मुझे पागल कर रही है!

जब्बार उसकी बात सुनकर मुस्कुराया और बोला:"

" आप चिंता न करें शाम तक एक नही बल्कि दो खूबसूरत हसीना आपके पास पहुंच जायेगी!

उसकी बात सुनकर पिंडाला जोर से हंस पड़ा और बोला :"

" जब्बार सुना है तेरी बीवी शमा ने सलीम को अपना दीवाना बना रखा है पिछले कुछ सालों से! सुना हैं वो मुंह में लेकर चूसती भी है, हमे तो आज तक ऐसी कोई नही मिली !

शमा का नाम सुनते ही जब्बार के शरीर का खून जाम सा हो गया और डरते हुए बोला:"

" ऐसा गजब ना कीजिए महराज, वो मेरी बीवी हैं!

सरदार:" साले जब वो सलीम का लंड चूसती है तब तेरी बीवी नही होती है क्या ? मेरा चूस लेगी तो क्या उसके मुंह में कीड़े पड़ जायेंगे ? दो घंटे के अंदर मुझे शमा चाहिए! नही तो तुम जानते हो कि मैं क्या कर सकता हूं जब्बार!

जब्बार कुछ नहीं बोला और सिर झुकाकर वापिस आ गया और उदास मन से अपने राज्य की तरफ वापस लौट पड़ा! वो अच्छे से जानता था कि शमा को पिंडाला के पास भेजने का मतलब था शमा की बरबादी और उसकी दर्दनाक मौत! पिंडाला सेक्स करते हुए भूखा भेड़िया बन जाता था और उसने बहुत सारी औरतों को जोश और उत्तेजना के कारण मार दिया था!

जब्बार के पास दूसरा कोई उपाय नहीं था तो राज्य वापिस आया और शमा को बोला:"

" आप जल्दी से तैयार हो जाओ हम एक समारोह में जायेंगे!

शमा खुशी से भर गई और जल्दी जल्दी तैयार होने लगी और जब्बार उसे देखकर सोच रहा था कि काश इसे पता होता कि मैं इसे कहां ले जा रहा हूं तो कभी तैयार नहीं होती! शमा को साथ लेकर जब्बार अपनी बग्गी पर निकल गया और पिंडारगढ की तरफ बढ़ गया!
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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शमा खुशी से चहकती हुई बग्गी में जा रही थी और उसे बेहद सुकून मिल रहा था क्योंकि एक लंबे अरसे के बाद जब्बार उसे बाहर घुमाने ले जा रहा था! करीब एक घंटे के बाद बग्गी जंगल से गुजर कर पिंडारियो के इलाके मे दाखिल हो गई तो शमा का माथा ठनका कि ये जब्बार आखिर जा कहां रहा हैं तो बोली:"

" आखिर हम जा कहां रहे हैं? राज्य तो हमसे बहुत पीछे छूट गया है और ये तो खूंखार पिंडारियो का इलाका लगता हैं मुझे जब्बार!

जब्बार:" बस थोड़ी ही देर में हम पहुंचने वाले हैं! डरो मत मैं हु ना तो कोई दिक्कत नही होगी!

शमा को उसकी बात सुनकर थोड़ा सुकून मिला लेकिन उसके दिल में एक डर सा बैठ गया था क्योंकि हवस के भूखे पिंडारी उसे घूरे जा रहे थे और अजीब अजीब सी आवाजें निकाल रहे थे जिससे शमा की हालत खराब हो गई थी और वो कांप रही थी! चलते चलते एक बड़े से महल के सामने बग्गी रुक गई और देखते ही देखते बग्गी को पिंडारियो ने चारो तरफ से घेर लिया तो शमा के मुंह से डर के मारे चींख निकल पड़ी और वो जब्बार से लिपट गई और बोली:" ये कहना बग्गी को रोक दिया जब्बार ? ये लोग हमे जिंदा खा जाएंगे!

पिंडारियो के शरीर से उठती हुई बदबू शमा से सहन नही हुई तो उसने मुंह को पकड़े से बांध लिया और जब्बार को झिंझोड़ते हुए बोली:" आप कुछ बोलते क्यों नहीं हो ? आखिर ये सब क्या हो रहा है यहां?

जब्बार ने उसे चुप रहने का इशारा किया और उसका हाथ पकड़कर बग्गी से उतरा और शमा को चारो तरफ से लोगो ने घेर लिया था और डरती हुई शमा जब्बार के साथ महल के अंदर दाखिल हो गई और बदबू से उसका सिर फटा जा रहा था लेकिन किसी तरह खुद को संभाले हुए थी! जब्बार चलते हुए एक आलीशान कक्ष की तरफ बढ़ गया और शमा बद हवास सी उसके साथ खिंची चली जा रही थी और दोनो अब पिंडाला के सामने खड़े हुए थे और शमा को देखते ही वो उसकी खूबसूरती पर झूम उठा और बोला"

" वाह जब्बार वाह, असली खज़ाना तो तूने अपने घर में छिपा रखा था! मजा आ जायेगा इसके साथ तो पूरा आज!

पिंडाला करीब आठ फीट का चौड़ी डील का राक्षस सा दिखने वाला गंदा और गलीच इंसान था जिसे देखकर शमा को चक्कर से आने लगे थे और उसकी बात सुनकर शमा समझ गई कि जब्बार ने उसे धोखा दिया है वो बेहोश होती चली गई!

करीब एक घंटे के बाद उसे होश आया तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि वो बिलकुल नंगी बेड पर बंधी पड़ी हुई थी और चाहकर हिल भी नहीं सकती थी बस सिर्फ अपनी गर्दन उठा कर इधर उधर देख सकती थी और उसने देखा कि सामने पिंडाला बिलकुल नंगा हुए अपना राक्षसी लंड हिला था जिसे देखकर शमा के मुंह से चींख निकल पड़ी और जोर जोर से चिल्लाने लगी

" जब्बार कहां हो तुम? बचाओ मुझे जब्बार ! तुम मुझे धोखा नही दे सकते!

पिंडाला खड़ा हुआ और उसका लंड उसके घुटनो तक आ गया और चलते हुए उसकी जांघो के बीच आ गया और बोला:"

" जब्बार तुम्हे मेरी रखैल बनाकर चला गया! आज के बाद तुम मरते दम तक पिंडाला के नीचे पड़ी रहोगी!

उसके बाद पिंडाला ने अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और धक्का मार दिया तो शमा गला फाड़कर चींख उठी क्योंकि एक ही बार में संपूर्ण लंड घुस गया और उसके चूत के होंठ फटते चले गए और खून बाहर आने लगा! दर्द से चिल्लाती हुई शमा बेहोश होती चली गई और पिंडाला ने बिना परवाह किए उसकी चूत को फाड़ना शुरू कर दिया और बेहोशी में भी शमा चींखती रही लेकिन पिण्डाला इंसान नही जानवर था और उसकी चूत मे लगा रहा धक्के मारने! चूत से खून निकल कर उसकी जांघो को भिगो दिया था और पिण्डाला उसे चोदता रहा ! बीच बीच में वो होश में आती और फिर से बेहोश हो जाती! आखिरकार करीब एक घंटे की चूत फाड़ चुदाई के बाद पिंडाला ने उसकी चूत को भर दिया और शमा को खोल दिया तो शमा होश में आ गई और खड़ी होने की कोशिश करने लगी लेकिन गिर पड़ी क्योंकि उसकी टांगो में ताकत नही बच गई थी और पिंडाला उसकी जांघों पर फैले खून को अपनी जीभ से चाटने लगा और उसके बाद शमा रोने लगी तो उसने शमा को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया और खुद भी उसमे कूद गया और शमा को पकड़ लिया और शमा चाह कर खुद को नही छुड़ा सकी और पिंडाला ने उसकी टांग को उठाते हुए लंड को घुसा डाला और दर्द से तड़प कर शमा चिल्ला पड़ी लेकिन इंसान हो तो कोई दया आए वो तो शैतान था और उसे चोदता रहा! शमा रोती रही लेकिन पिण्डाला तब तक नही रुका जब तक उसकी चूत को अपने माल से नही भर दिया!

बेहोश शमा को उसने बिस्तर पर पटक दिया और खाना खाने चला गया! उसके एक बूढ़े सेवक ने शमा को थोड़ा पानी पिया और कुछ खाने को दिया तो शमा रोने लगी और बोली:"

" मुझे मार डालो, कम से कम इस दर्द को झेलने से तो बच जाऊंगी!

बूढ़ा:" पिंडाला से चुदना सौभाग्य की बात होती है! तुझे तो खुश होना चाहिए कि तुझे उसका लंड मिला !

शमा ने उसे गुस्से से देखा और बोली:" कितने घटिया इंसान हो तुम सब! एक दिन तुम्हे तुम्हारे किए की सजा जरूर मिलेगी!

बूढ़े ने शमा को अच्छे से साफ किया और शमा का बदन चमक उठा और अंदर आते ही पिण्डाला ने उसकी चूत को चोदना शुरु कर दिया और शमा दर्द से मरने जैसी हालत में पहुंच गई और पूरी रात में करीब पांच बार उसे पिण्डाला ने चोद कर उसकी चूत का कबाड़ा कर दिया! शमा मन ही मन मौत की दुआ मांग रही थी लेकिन इतनी आसानी से उसे मौत भी मिलने वाली नही थी!

दूसरी तरफ अजय और विक्रम चलते हुए एक बाजार से गजरे तो विक्रम ने अजय को रुकने का इशारा किया और दोनो रुक गए और विक्रम बाजार में घूमने लगा! काफी सारी दुकानें लगी हुई थी और विक्रम एक दुकान से ज्वेलरी खरीदने लगा तो अजय ने सोचा कि वो राजमाता के लिए खरीद रहा होगा तो उसने भी अपनी मां मेनका के लिए कुछ खरीदने का सोचा और फिर उसने करीब चार दर्जन सुंदर कांच की चूड़ियां खरीद ली और उसके बाद बाजार में घूमने लगा! विक्रम ने सलमा के लिए ढेर सारा सामान लिया और अजय के पास आ गया और दोनो दोस्त महल की तरफ चल पड़े! रात में करीब दस बजे दोनो महल पहुंचे और राजमाता को सारी जानकारी दी तो राजमाता खुश हुई और बोली:"

" शाबाश मेरे बेटो! आज आप दोनो ने उदयगढ़ का नाम सही में रोशन किया है!

अजय राजमाता के मुंह से अपने लिए बेटा सुनकर गदगद हो गया और मेनका भी मुस्कुरा उठी क्यूंकि ये उसके लिए फख्र की बात थी और बोली:"

" सच में आप दोनो ने जिस तरह से औरतों की इज्जत बचाई हैं वो कबीले तारीफ हैं!

अजय और विक्रम दोनो ने एक दूसरे की तरफ देखा और ग्रह मिलाकर बोले:"

" आप माताओं का प्यार और आशीर्वाद चाहिए बस! किसी भी औरत के साथ कोई अन्याय नहीं होगा!

राजमाता:" हम आपके साथ हैं बेटा, हमेशा! पिंडारियो को मारना आसान काम नहीं है लेकिन तुम दोनो ने किया हैं लेकिन सावधान रहना क्योंकि पिंडारी जरूरी बड़ा हमला करेंगे! क्यों मैं सच कह रही हु ना बहन मेनका ?

मेनका के लिए पहली बार राजमाता ने बहन शब्द का इस्तेमाल किया था और ये सब अजय की बहादुरी के कारण हो रहा था तो मेनका बेहद खुश हुई और बोली:"

" बिलकुल पिंडारी के हमले में हम दोनो भरी जवानी में विधवा हुई थी और आप दोनो को उसका बदला लेना होगा तभी जाकर हमे सुकून मिलेगा!

अजय:" मैं आपकी कसम खाता हूं माता कि आपकी मांग उजाड़ने वालो को दुनिया उजाड़ दूंगा!

विक्रम:" आपके एक आंसू के बदले 1000 आंसुओं का हिसाब होगा राजमाता!

राजमाता:" ईश्वर आप दोनो को कामयाब करे! एक काम करो खाना बन गया है तो आज सब साथ ही खाते हैं!

मेनका उसकी बात सुनकर खुशी से मन ही मन झूम उठी क्योंकि आज पहली बार वो राज खाना खाने जा रही थी लेकिन दिखावे के लिए बोली:"

" आप हमे जाने की इजाजत दीजिए! हम दोनो घर ही खाना खायेंगे!

विक्रम:" नही ऐसा नही होगा आप दोनो हमारे साथ ही खाना खायेंगे बस बात खत्म!

मेनका कुछ न बोली और उसके बाद सबने साथ में खाना खाया और मेनका सच में अपने आपको बेहद खुश नसीब महसूस कर रही थी! आज अजय की इज्जत मेनका की नजरो में कई गुना बढ़ गई थीं क्योंकि उसकी बहादुरी के कारण ही उसे आज का दिन नसीब हुआ था! खाना खाने के बाद राजमाता बोली :"

" अजय आप दोनो आज यही हमारे साथ ही राजमहल में सो जाओ! रात भी काफी हो गई है!

अजय ने मेनका की तरफ देखा तो मेनका ने उसे इशारे से मना कर दिया तो अजय बोला:"

" क्षमा चाहता हूं राजमाता लेकिन मैं अपने घर पर ही सोना पसंद करूंगा!

उसके बाद दोनो मा बेटे अपने घर की तरफ लौट पड़े और घर पहुंच कर मेनका बोली:"

" पुत्र आज तो कमाल हो गया! सच में पहली बार मैने राजमाता के साथ खाना खाया!

अजय:" सच में राजमाता दिल की बहुत अच्छी हैं! ईश्वर उन्हे खुश रखे!

मेनका:" हान बेटा और पता हैं आज उन्होंने मुझे बहन कहके पुकारा है! सच में आपकी वजह से मुझे बेहद इज्जत मिली है पुत्र!


इतना कहकर उसने अजय का माथा चूम लिया और बोली:"

" अच्छा अब आप आराम करो थक गए होंगे दिन दिन से सोए नही हो ना पुत्र!

अजय को अचानक से चूड़ियों की याद आई और बोला:"

" माता मैं तो भूल ही गया कि मैं आपके कुछ लेकर आया हु!

इतना कहकर वो उठा और अलमारी से कांच की चूड़ियां निकाली जो बेहद सुर्ख लाल रंग की थी और मेनका को दिखाते हुए बोला:"

" माता देखो कितनी खूबसूरत चूड़ियां हैं, जब आप लाल रंग की साड़ी के साथ पहनोगी तो बेहद खूबसूरत लगोगी आप!

उसकी बात सुनकर मेनका शर्म से लजा गई और बोली;"

" कुछ तो शर्मा किया करो, कुछ भी बोल देते हो पुत्र आप! इतनी भी सुंदर नही हु मैं !

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया और चूड़ियां उसके हाथ से लगाते हुए बोला:" देखो ना माता कितनी खूबसूरत लगेगी आपके हाथो में ये लाल रंग की बिरंगी चूड़ियां! एक बार पहन कर दिखाए न

मेनका उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी और बोली:" अच्छा ठीक है रुको मैं पहन लेती हूं!

इतना कहकर मेनका चूड़ियां पहनने लगी और अजय भी उसकी मदद करने लगा और देखते ही देखते मेनका के दोनो हाथ चुड़ियो से भर गए और बेहद खूबसूरत लग रहे थे तो अजय उसके हाथो को पकड़कर बोला:"

" कैसी लगी आपको ये चूड़ियां माता?

मेनका ने अपनी कलाइयों को देखा जो बेहद खूबसूरत लग रही थी और बोली:"

" बेहद खूबसूरत! अब खुश हो न आप पुत्र!

अजय:" हान माता खुश हु लेकिन आप जब इनके साथ लाल रंग की साड़ी पहनेगी तब देखना कितनी खूबसूरत जचेगी ये आप पर!

मेनका उसकी बात सुनकर अंदर ही अंदर रोमांच से भर गई और बोली:" अच्छा जी, चलो अब आप आराम कर लो रात काफी हो गई है!

अजय अपने कक्ष में आ गया और रात धीरे धीरे गहराने लगी और दूसरी तरफ मेनका कल से ही बेचैन थी जबसे उसने लाल रंग की साड़ी को देखा था क्योंकि लाल रंग की साड़ी उसकी पसंदीदा हुआ करती थी और वो ये देखने के लिए मरी जा रही थी लाल रंग की साड़ी के साथ ये लाल रंग की चूड़ियां कैसी लगेगी! लेकिन कल राजमाता के द्वारा बुलाए जाने के कारण वो साड़ी नही पहन सकी थी लेकिन आज इसके पास अच्छा मौका था लेकिन बस एक ही दिक्कत थी कि उसे अजय का डर था!

लेकिन मेनका का दिल इसे तसल्ली दे रहा था कि अजय तो दो रात से सोया नही हैं तो आज तो बेड पर गिरते ही नींद के आगोश में चला जायेगा और ये सब सोचते ही उसके होंठ मुस्कुरा पड़े और मेनका रात पूरी तरह से गहराने का इंतजार करने लगी! करीब एक घंटे बाद वो धीरे से अपने कक्ष के परदे हटाकर बाहर आई और अजय के कक्ष में झांका तो उसे अजय के जोरदार खर्राटे सुनाई पड़े और मेनका के होंठो को मुस्कान आ गई और उसके कदम अपने कमरे की तरफ बढ़ गए और कांपते हाथों से उसने धड़कते दिल के साथ साड़ी निकाली और नीचे की तरफ चल पड़ी! मेनका धीरे धीरे नीचे कक्ष में पहुंच गई और शीशे में देखते हुए साड़ी को पहन लिया और उसकी आंखो मे चमक उभर आई! लाल हो की चूड़ियों से मिलती हुई उसकी साड़ी उसके बदन पर बेहद आकर्षक लग रही थी और मेनका खुद पर ही आकर्षित हुई जा रही थी!

मेनका बार बार खुद को कभी दांए से तो कभी बांए से पलट पलट कर देख रहीं थी और उसके तन बदन के अंदर अजीब सी गुदगुदी मची हुई थी और उसके होंठो पर मुस्कान आ गई और उनसे खुशी से झूमना शुरू कर दिया और उसकी बड़ी बड़ी गोल मटोल चूचियां नजर आने लगी और अजय छुपा हुआ ये सब देख रहा था और सोच रहा था कि उसकी मां सच में बेहद खूबसूरत और आकर्षक हैं!

20240115-150506


झूमती हुई मेनका को पर्दा हिलता हुआ महसूस हुआ और वो समझ गई कि अजय उसे छुप कर देख रहा है तो उसे बेहद शर्म आई और झूमना बंद कर दिया लेकिन शीशे के सामने खड़ी रही और खुद को निहारती रही! पिछली बार के मुकाबले आज ये जानकर कि उसका बेटा उसे देख रहा है वो काफी हद तक सहज महसूस कर रही थीं और आखिर में वो उपर की तरफ जाने लगी तो अजय तेजी से उपर आया और गैलरी में खड़ा हो गया और जैसे ही मेनका उसके पास से गुजरी तो मेनका ने उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसका पकड़ कर धीरे से बोली:"

" थोड़ी देर पहले तो बड़ी नींद आ रही थीं और अब यहां छुपे खड़े हुए हो पुत्र आप!

अजय समझ गया कि उसकी चोरी आज फिर पकड़ी गई है तो धीरे से बोला:"

" वो आंख खुल गई तो सुसु करने के लिए आया था!

अजय का साफ झूठ मेनका समझ गई और बोली:"

" मानना पड़ेगा आपको पुत्र, ये जानते हुए भी कि मैं सच जानती हूं फिर भी आप झूठ बोलने की हिम्मत कर सकते हो! मैं जानती हूं कि आप मुझे नीचे देख रहे थे

अजय: वो गलती हो गई मुझसे, क्षमा चाहता हूं! कान छोड़ दीजिए ना आप

मेनका ने उसका कान छोड़ दिया और बोली:" लेकिन आप हमे ऐसे छिप कर क्यों देखते हो पुत्र?

अजय:" माता बात ये है कि आप रंगीन कपड़ो में बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगती है और मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं!

मेनका उसकी बात सुनकर अपनी सुन्दरता पर अभिमानित हुई और बोली:" लेकिन आपको ये ध्यान रखना होगा कि हम आपकी माता हैं और आपको हमे ऐसे देखना शोभा नहीं देता हैं पुत्र!

अजय ने उसका हाथ पकड़ लिया तो उसकी चूड़ियों से मधुर आवाज आई और बोला:"

" माता मैं सब समझता हूं लेकिन चाह कर भी खुद को रोक नहीं पाता हूं ! देखिए आपकी चूड़ियां कितना मधुर खनक रही है!

मेनका ने उसकी बात सुनकर जान बूझकर अपनी चूड़ियों को थोड़ा जोर से खनका दिया और बोली:" लेकिन फिर भी आपको समझना चाहिए कि कोई देखेगा तो क्या सोचेगा?

मेनका को एहसास हुआ है उसने गलत बोल दिया है लेकिन तब तक तीर कमान से निकल गया था और अजय उसके हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फांसते हुए बोला:"

" माता आप निश्चित रहे किसी को कभी पता नहीं चलेगा! जिस तरह से आपको खुद को शीशे में देखना अच्छा लगता है उसी तरह से मुझे आपको देखना अच्छा लगता है माता!

अजय की बात सुनकर मेनका बोली:" लेकिन पुत्र आपको...

अजय ने उसकी बात को बीच में ही काट दिया और बोला:"

" कल दिन में मैं आपके लिए बड़ा शीशा लगा दूंगा माता ताकि आप खुद को अच्छे से देख सके!

मेनका के होंठो पर मुस्कान आ गई लेकिन अंधेरे के कारण अजय नही पाया और मेनका बोली:"

" और आप मुझे छिप कर देख सके इसलिए ये सब कर रहे हो ना पुत्र! चलो रात बहुत हो गई है अब सो जाओ!

इतना कहकर मेनका जाने लगी तो अजय ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और दोनो की छातियां एक दूसरे से टकरा गई और अजय बोला:"

" ज्यादा नींद आ रही है क्या आपको माता?

मेनका का बदन कांप उठा और बोली:" हान नींद आ रही है मुझे जाने दीजिए ना पुत्र आप!

अजय ने उसके एक कंधे को पकड़ लिया और हल्का सा सहलाते हुए बोला:"

" सो जाना आप माता लेकिन बस एक बात बता दीजिए कि माता कल आप जब नए बड़े शीशे के सामने लाल रंग की साड़ी के साथ रंग की चूड़ियां पहनोगी तो मैं आपको देख सकता हूं क्या ?

अजय की बात सुनकर मेनका का पूरा बदन कांप उठा और उसे छेड़ते हुए बोली:"

" नही मैं खुद को नही देखूंगी शीशे के सामने!

अजय ने दूसरा हाथ भी उसके कंधे पर टिका दिया और दोनो अब एक दूसरे के बिलकुल सामने खड़े हुए थे और मेनका की सांसों का शोर अजय को साफ महसूस हो रहा था और बोला:"

" मेरी कसम खाओ आप कि आप खुद को शीशे में नही देखोगी

इतना कहकर अजय ने मेनका का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख दिया तो मेनका ने फौरन अपना हाथ पीछे खींच लिया और धीरे से उसके कान में बोली:

" देखूंगी और आप भी देख लेना पुत्र लेकिन छुपकर नही तो मुझे बेहद शर्म आयेगी!

इतना कहकर उसने अजय के गाल को चूम लिया और अपना हाथ छुड़ा कर अपने कक्ष में घुस गई और अजय ने अपने गाल को छुआ तो उसे अपने गाल पर गीला गीला लगा और उसकी उंगलियां उसकी मां के मुंह की लार से चिकनी हो गई तो उसे एहसास हुआ कि मेनका ने उसे सिर्फ भावावेश में नही बल्कि पूर्ण उत्तेजना के साथ चूमा था और ये सोचते ही अजय खुशी से झूम उठा और और अपने कक्ष में आकर आराम करने लगा!
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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