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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Premkumar65

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वैशाली: "क्यों? तुझे अब तक ऐसा कोई अनुभव नही हुआ क्या??? सच सच बता.. बगैर दबवाये ही तेरे इतने बड़े हो गए क्या?? मुझे तो पक्का डाउट है.. किसी की मदद लिए बगैर इतने आकर्षक और परफेक्ट शेप में ये रह ही नही सकते.. और मौसम.. तेरे बबलों की ताजगी देखकर यही लगता है की तू जरूर किसी से दबवाती होगी.. !!"

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मौसम ने तुरंत ही फाल्गुनी के मासूम स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए उसके गाल पर पप्पी कर दी.. और एक बार उसके गाल को चाट भी लिया.. गाल पर मौसम की जीभ का स्पर्श होते ही फाल्गुनी उत्तेजना से कराहने लगी.. तभी अचानक वो सामने दिख रहे कपल ने अपनी खिड़की बंद कर दी

फाल्गुनी निराश हो गई "खेल खतम और पैसा हजम"

मौसम ने कहा "अरे यार बहोत जल्दी बंद कर दी खिड़की.. थोड़ी देर और खुली रखी होती तो कितना मज़ा आता देखने का.. !!"

वैशाली: "कोई बात नही मौसम.. खिड़की बंद हो गई तो क्या हुआ.. हम तीनों तो एक दूसरे को मजे दे ही सकते है.. चलो बेड पर.. मैं सिखाऊँगी.. बहोत मज़ा आएगा.. " दोनों को कमरे के अंदर लेते हुए वैशाली ने बालकनी का दरवाजा बंद कर दिया.. बिना किसी शर्म या संकोच के वैशाली ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगी होकर बिस्तर पर लेट गई.. और फाल्गुनी से कहा "कम ऑन बेबी.. तू भी अपने कपड़े उतार और मेरे बगल में लेट जा.. चल जल्दी"

फाल्गुनी बहोत शरमा गई और बोली "नही यार.. तू भी क्या कर रही है.. शर्म नाम की कोई चीज है की नही? नंगी होकर लेट गई.. !!"

वैशाली: "अरे ओ डेढ़-सयानी..तेरे बबले तो कब से खुले लटक रहे है.. अब सिर्फ नीचे की लकीर ही तो दिखानी है.. उसमें क्या इतना शर्माना!! चल अब नाटक बंद कर और आजा मेरे पास"

"नही, पहले लाइट बंद करो.. तभी मैं आऊँगी" फाल्गुनी ने आधी सहमति दे दी

मौसम ने तुरंत ही लाइट ऑफ कर दी और उसका रास्ता आसान कर दिया.. अब अंधेरे में भला क्या शर्म?? मौसम और फाल्गुनी अंधेरे का सहारा लेकर पूरी नंगी हो गई और बेड पर वैशाली के साथ लेट गई.. वैशाली अब दोनों कुंवारी चूतों को चुदाई के पाठ सिखाने लगी..

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वैशाली की एक तरफ मौसम और दूसरी तरफ फाल्गुनी लेटी हुई थी और वैशाली कभी मौसम की चूत को तो कभी फाल्गुनी के स्तनों को सहलाते हुए अपनी उत्तेजना सांझा कर रही थी.. फाल्गुनी की चूत पर हाथ फेरते वैशाली को लगा की वो कच्ची कुंवारी तो नही थी.. भले ही वो सेक्स की बात करते हुए डरती हो और ऐसी बातों से दूर ही रहती हो.. पर उसकी चूत का ढीलापन इस बात की गँवाही दे रहा था फाल्गुनी कुंवारी तो नहीं थी..

अचानक वैशाली ने बेड के साइड में पड़ा टेबल-लैम्प ऑन कर दिया.. पूरे कमरे में उजाला छा गया.. अब तक तो अंधेरे में एक दूसरे से नजर बचाते हुए अपनी शर्म को छुपा रहे थे.. पर लाइट चालू होते ही तीनों की नग्नता एक दूसरे के सामने उजागर हो जाने पर मौसम और फाल्गुनी थोड़ी सी सहम गई.. संकोच थोड़ा सा ही हुआ.. क्योंकि थोड़ी देर पहले देखे द्रश्य और वैशाली की हरकतों के कारण फाल्गुनी और मौसम पहले से ही काफी उत्तेजित थी..

कुछ पलों के संकोच के बाद तीनों स्वाभाविक और सामान्य हो गई..

वैशाली ने फाल्गुनी की चूत में अपनी दो उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करते हुए देखा की फाल्गुनी ने न कोई विरोध किया और ना ही कोई पीड़ा का एहसास दिखाया

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वैशाली ने फाल्गुनी से कहा "तू माने या न माने.. जितनी तू लगती है उतनी मासूम तू है नही.. मेरा अंदाजा तो यह कहता है की तू लंड का स्वाद पहले ही चख चुकी है.. "

मौसम तो ये सुनते ही स्तब्ध हो गई "माय गॉड.. वैशाली.. क्या बात कर रही है यार!! फाल्गुनी और सेक्स?? ये लड़की तो किताब में सेक्स शब्द पढ़कर भी थरथर कांपने लगती है.. और तेरा कहना है की उसने सेक्स किया हुआ है?" मौसम ने अपनी सहेली का पक्ष लेते हुए कहा.. आखिर वो उसकी दस साल पुरानी सहेली थी.. दोनों साथ खेल कर बड़ी हुई थी.. एक दूसरे की सभी बातें शेर करती थी.. इसलिए स्वाभाविक था की मौसम फाल्गुनी की साइड लेती

"अरे यार मौसम, तू आजकल की लड़कियों को जानती नही है.. मेरे ससुराल के पड़ोस में एक फॅमिली रहता है.. अठारह साल की उनकी लड़की के सेक्स संबंध उसके सगे बाप के साथ है.. और पिछले आठ साल से दोनों के बीच ये चल रहा है.. खुद वो लड़की ने ही मुझे ये बताया..!!"

वैशाली की बात सुनकर मौसम और फाल्गुनी दोनों बुरी तरह चोंक गए.. "क्या बात कर रही है वैशाली? ऐसा भी कभी होता है क्या? "

वैशाली: "तुम यकीन नही करोगी पर ये हकीकत है.. अभी इतनी रात न हुई होती तो मैं मोबाइल पर तुम दोनों की बात करवाती उस लड़की के साथ" वैशाली ने फाल्गुनी की चूत में उंगली डालते हुए कहा "मुझे भी शोक लगा था जब पहली बार उसके मुंह से ये बात सुनी थी.. और जब मैंने उसकी ये बात को नही माना.. तब उस लड़की ने मुझे रूबरू उन दोनों का सेक्स दिखाया.. !! फिर तो मेरे पास यकीन करने के अलावा और कोई रास्ता ही नही था.. पहले तो उसने अपने बाप के साथ सेक्स करते वक्त वॉइस-रेकॉर्डिंग करके मुझे सुनाया था.. पर उनकी बंगाली भाषा में मुझे कुछ समझ में नही आया.. इसलिए मैंने विश्वास नही किया.. फिर उसने मुझे उन दोनों की चुदाई दिखाई.. तब से मैं ये मानने लगी हूँ की सेक्स में कुछ भी मुमकिन हो सकता है.. ऐसा कभी नही समझना चाहिए की सेक्स में कोई सीमा-रेखा होती है.. मैं फाल्गुनी पर कोई आरोप लगाना नही चाहती पर.. तू खुद ही देख मेरी चुदी हुई चूत को.. !!"

कहते ही वैशाली ने अपने दोनों पैर खोल दिए और अपनी बिना झांटों वाली क्लीन शेव चूत दिखाई..

"ठीक से दिखाई नही दे रहा है.. मैं ट्यूबलाइट ऑन करती हूँ" मौसम ने बड़ी लाइट ऑन कर दी.. पूरा कमरा रोशनी से झगमगा उठा.. और उसके साथ ही तीनों नंगे जिस्मों की उत्तेजना दोगुनी हो गई

वैशाली के मुंह से गंदी और कामुक बातें सुनकर फाल्गुनी ने अपनी गांड ऊपर उठाते हुए एक सिसकी भर ली..

मौसम: "वैशाली, तेरी छातियाँ तो कितनी बड़ी है.. तुझे इसका वज़न नही लगता? कितने बड़े है यार.. !! कम से कम ४० का साइज़ होगा"

हँसते हुए वैशाली ने फाल्गुनी की चूत से उंगली निकाली.. और उंगली पर लगे चूत के गिलेपन को अपने स्तन पर रगड़ दिया.. और अपनी निप्पल खींचते हुए बोली "खुद के ही जिस्म के हिस्सों का वज़न थोड़े ही लगता है कभी!!"

मौसम: "अरे फाल्गुनी.. कुछ दिन पहले कॉलेज से आते हुए याद है हमने क्या देखा था?"

फाल्गुनी: "कब की बात कर रही है? मुझे तो कुछ याद नही आ रहा" वैशाली की उंगली चूत से बाहर निकल जाने की वजह से थोड़ी सी अप्रसन्न थी फाल्गुनी जो उसकी आवाज से साफ झलक रहा था

मौसम: "अरे भूल गई.. !! उस दिन जब हम घर लौट रहे थे तब रोड पर गधा खड़ा था जिसका बड़ा सा पेनिस बाहर लटक रहा था.. !!!"

फाल्गुनी: "हाँ हाँ.. याद आया.. बाप रे.. कितना मोटा और लंबा था !! आते जाते सारे लोग उसे देख रहे थे.. "

मौसम: "उस दिन मैं यही सोच रही थी.. इतना बड़ा पेनिस.. ??"

वैशाली ने मौसम की चूत पर हल्की सी चपत लगाते हुए उसकी बात आधी काट दी और बोली "भेनचोद.. क्या कब से पेनिस पेनिस लगा रखा है!! उसे लंड बोल.. लोडा बोल.. पूरी नंगी होकर मेरे सामने पड़ी है फिर भी बोलने में शरमा रही है.. चल बोलकर दिखा.. "लंड.. !!"

मौसम: "तू जा न यार.. मुझे ये बुलवाकर तुझे क्या काम है?"

फाल्गुनी अब खुद ही अपनी चूत को मसल रही थी.. उसने कहा "मौसम, एक बार बोल ना.. मुझे भी तेरे मुंह से वो शब्द सुनना है.. एक बार तू बोलकर दिखा फिर मैं भी बोलूँगी"

मौसम: "अरे यार तुम दोनों तो बस पीछे ही पड़ गई.. चलो बोल ही देती हूँ.. लंड.. अब खुश?" और फिर शरमाते हुए मौसम ने अपने दोनों हाथों से पूनम के चाँद जैसा सुंदर मुखड़ा छुपा लिया

वैशाली: "अरी मादरचोद.. अपना चेहरा नही.. चूत को ढँक.. चेहरा दिखे तो शर्म की बात नही होती.. पर खुलेआम इस तरह चूत का प्रदर्शन करना ये तो बड़ी शर्मिंदगी वाली बात है.. " मौसम को छेड़ते हुए वैशाली ने उसके स्तन पर चिमटी काट ली और कहा "आज तो तू लंड शब्द बोलने में भी शरमा रही है.. पर एक बार तेरी शादी हो जाएगी और अपने पति के साथ हनीमून पर जाएगी तब इसी लंड को एक सेकंड के लिए भी अपने हाथ से जाने नही देगी.. चल फाल्गुनी.. तेरी बारी.. अब तू बोलकर दिखा"

फाल्गुनी ने तुरंत ही बोल दिया "लंड.. !!" पर बोलते वक्त उसका चेहरा ऐसा हो गया मानों सच में उसके हाथ में असली लंड आ गया हो

शाबाश.. !! हाँ फाल्गुनी.. तू क्या कह रही थी.. गधे के लंड के बारे में??"

फाल्गुनी: "मौसम ने भी उस दिन मुझसे यही सवाल किया था.. इतने बड़े लंड का वज़न नही लगता होगा उसे !! और आज तुम्हारी छातियों के बारे में भी उसने यही बात कही"

"मौसम, तू सिख फाल्गुनी से.. देख कितने आराम से लंड बोल रही है.. !!" वैशाली ने हँसते हुए कहा

मौसम: "वो सब बातें छोड़.. तू अभी यहाँ क्या दिखा रही थी? " मौसम ने वैशाली की चूत की ओर इशारा करते हुए कहा

वैशाली: "ईसे चूत कहते है.. भोस भी कहते है.. बहोत ढीला, बड़ा या ज्यादा चुदा हुआ हो तो भोसड़ा कहते है.. समझी!!" और एक नया पाठ सिखाया वैशाली ने

मौसम: "हाँ बाबा.. चूत.. तो तू क्या दिखा रही थी अपनी चूत में?" अब मौसम ने भी वैशाली के आग्रह से खुली भाषा का स्वीकार कर लिया

वैशाली: "हाँ.. तो मैं ये कहना चाहती थी की चुदी हुई चूत और कच्ची कुंवारी चूत में कितना अंतर होता है तू खुद ही देख.. कितना फरक है तेरी और मेरी चूत में मौसम.. !! और अब फाल्गुनी की चूत देख.. !!"

नंगी उत्तेजक बातें और बीभत्स भाषा के प्रयोग से वैशाली ने मौसम और फाल्गुनी की वासना को इस हद तक भड़का दिया था की दोनों नादान लड़कियां अपनी उत्तेजना को दबाने में असमर्थ हो गई थी.. अपने स्तनों पर वैशाली के हाथों का सुहाना दबाव महसूस करते हुए मौसम बेबस होकर बोली "तू बड़ा मस्त दबाती है वैशाली.. मैं खुद दबाती हूँ तब इतना मज़ा नही आता.. ऐसा क्यों?"

वैशाली: "मुझे क्या पता.. !! पर मुझे लगता है की किसी और का हाथ पड़े तब ज्यादा मज़ा आता है.. अब तू मेरे दबा कर देख.. देखती हूँ कैसा मज़ा आता है" वैशाली जान बूझकर ये खेल खेल रही थी इन लड़कियों के साथ ताकि वह दोनों एकदम खुल जाएँ

वैशाली के पपीते जैसे स्तन मौसम के मुंह के आगे आ गए.. दो घड़ी के लिए मौसम वैशाली के इन तंदूरस्त उरोजों को देखती ही रही और सोच रही थी "बाप रे.. कितने बड़े बड़े है !!"

"देख क्या रही है? दबा ना.. !!" वैशाली ने मौसम को कहा और अपने स्तन को उसके मुंह पर दबा दिया.. "ले.. दबाने का मन ना हो तो चूस ले.. छोटी थी तब अपनी मम्मी की निप्पल चूसती थी ना.. !! वैसे ही चूस.. सच कहूँ मौसम.. जब एक मर्द आपकी निप्पल चूसें तब जो आनंद आता है वो मैं बयान भी नही कर सकती.. उनके स्पर्श में ऐसा जादू होता है.. हम खुद कितना भी मसले या रगड़ें.. पर मर्द के हाथों जैसा मज़ा तो आता ही नही है"

मौसम से पहले फाल्गुनी ने वैशाली का एक स्तन पकड़ लिया और उसके नरम हिस्से को चूम लिया.. फिर वैशाली की गुलाबी निप्पल पर अपनी जीभ फेरी.. और चाटकर बोली "कुछ स्वाद नही आता यार.. ईसे चूसकर क्या फायदा? अगर दूध आता होता तो मज़ा आता"

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वैशाली हंस पड़ी और फाल्गुनी की चूत को सहलाते हुए बोली "मेरी जान.. उसके लिए तो पहले इस चूत में लंड डालकर अच्छे से ठुकवाना पड़ता है.. कितनी रातों तक पैर चौड़े करके अंदर शॉट लगवाने पड़ते है.. मर्द के वीर्य से अपनी चूत भिगोनी पड़ती है.. तब जाकर इन चूचियों में दूध भरता है.. समझी.. !! उँगलियाँ डालने से कुछ नही होता.. असली लंड अंदर घुसता है तब इतना मज़ा आता है की मैं क्या बताऊँ.. मुझे तो अभी अंदर डलवाने का इतना मन हो रहा है की अभी कोई अनजान आदमी भी आकर खड़ा हो जाएँ तो मैं खुशी खुशी अपनी टांगें चौड़ी कर के नीचे लेट जाऊँ"

मौसम भी अब फाल्गुनी की तरह वैशाली का एक स्तन दबाकर चाट रही थी.. और दूसरे स्तन को चूस रही फाल्गुनी के गालों को सहला रही थी.. दोनों लड़कियों को कोई अनुभव नही था.. चुदाई के मामले में उन्हे ट्रेन करने के लिए वैशाली अलग अलग नुस्खे आजमा रही थी.. और ऐसा करने में उसे मज़ा आ रहा था वो अलग..

उसका स्तन चूस रही फाल्गुनी के बालों में हाथ फेरते हुए वैशाली ने पूछा "तुझे लिप किस करना आता है?"

मुंह से निप्पल निकालकर फाल्गुनी ने ऊपर देखा और बोली "थोड़ा थोड़ा आता है"

"ठीक है.. तो अब तू मौसम के होंठों पर किस कर के दिखा.. फिर मैं तुम दोनों को सिखाऊँगी.. ऐसा सिखाऊँगी की तुम्हारे होने वाले पति ऐसा ही समझेंगे की तुम दोनों अनुभवी हो"

"ना बाबा ना.. मुझे नही सीखना.. शादी की शुरुआत में ही हमारे पति हम पर शक करने लगे.. ऐसा नही सीखना मुझे" मौसम घबरा गई

वैशाली: "अरे बेवकूफ.. शादी के पहले मैं अपने मायके में ही चुदकर ससुराल गई थी फिर भी आजतक संजय को पता नही चला.. तू सिर्फ किस करने से घबरा रही है.. !! मर्दों के पास ऐसा कोई मीटर या सेंसर थोड़ी न होता है जिससे उसे पता चलें की शादी के पहले तुमने क्या क्या किया है!! पति को पता ना चले इसलिए कैसे नखरे करने है वो मैं तुम दोनों को सिखाती हूँ"

फाल्गुनी ने आश्चर्य से पूछा "मतलब?? क्या करना है?"

वैशाली ने अब फाल्गुनी की तरफ ध्यान केंद्रित करते हुए कहा "मैं तुझे क्यों सिखाऊँ? तू अपनी निजी बातें मुझे बता नही रही.. फिर मैं तुझे क्यों सिखाऊँ?"

मौसम: "हाँ वैशाली.. सही बात है.. ये कमीनी बहोत कुछ छुपाती है"

फाल्गुनी: "अरे यार.. ऐसा कुछ नही है.. मैंने कब तुझसे कुछ छुपाय है?"

वैशाली: "तो फिर अभी के अभी बता.. तूने किससे चुदवाया है और कितनी बार?"

"सात से आठ बार" आँखें झुकाकर फाल्गुनी ने कहा और फिर खामोश हो गई

सुनते ही मौसम के मुंह से वैशाली की निप्पल छूट गई और वो चोंक कर खड़ी हो गई.. "सात आठ बार?? किसके साथ? कहाँ? मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा.. आज तक मुझे पता कैसे नही चला?? पूरा टाइम या तो तू मेरे साथ कॉलेज होती है या फिर अपने घर पर.."

वैशाली: "मैंने कहा था ना.. फाल्गुनी कुंवारी नही है वो तो मैं उसकी चूत देखकर ही समझ गई थी.. जितनी आसानी से उसकी चूत में मेरी दोनों उँगलियाँ चली गई.. कुंवारी होती तो कितना चिल्लाई होती.. तभी मुझे शक हो गया था.. दो दो उँगलियाँ लेकर भी हमे कहती थी की मैं कुंवारी हूँ.. "

मौसम की गीली हो चुकी चूत में एक उंगली डालते हुए वैशाली ने कहा "मौसम, तू ही बता.. एक उंगली अंदर बाहर करने में भी तुझे दर्द होता है ना.. सोच पूरा का पूरा लोडा अंदर घुस जाएँ तो क्या हाल होगा? औसतन इतना मोटा होता है लंड" ड्रेसिंग टेबल पर पड़े हेंडब्रश का हैन्डल दिखाते हुए वैशाली ने कहा

मौसम: "बाप रे.. इतना मोटा.. मैं तो मर ही जाऊँ अगर कोई इतना बड़ा मेरे छेद में डालेगा तो.. मैंने सिर्फ एक बार पतली सी मोमबत्ती अंदर डालने की कोशिश की थी पर इतना दर्द हुआ था की वापिस निकाल लिया.. वैशाली, तू अपनी चूत में आराम से लंड ले पाती है?"

वैशाली: "हाँ हाँ.. क्यों नही.. अरे इस हैन्डल से भी मोटा है मेरे पति का.. और लंबा भी"

मौसम बार बार उस ब्रश के हैन्डल को देखकर कल्पना करते हुए घबरा रही थी.. वो बिस्तर से खड़ी हुई और हेंडब्रश ले आई.. हाथ में उसका हैन्डल पकड़ते हुए बोली "इससे भी मोटा?? मुझे तो यकीन नही होता.. तुझे डलवाते हुए दर्द नही होता??"

"वो बात बाद में.. पहले तू इस मादरचोद रांड से पूछ.. की किसका लोडा ले रही है? हम दोनों भी उससे चुदवाएंगे.. वैसे भी मुझे लंड की सख्त जरूरत है.. तुझे तो पता है.. मेरे और संजय के बीच की अनबन के बारे में.. "

फाल्गुनी बोल उठी "प्लीज यार.. नाम जानने की जिद ना ही करो तो अच्छा है.. मैं नाम नही बता पाऊँगी.. अगर बता दिया तो बड़ा भूकंप आ जाएगा मेरे जीवन में"

मौसम के हाथ से हेंडब्रश लेकर वैशाली ने उसे फाल्गुनी के स्तन पर हल्के से मारते हुए कहा "क्यों?? नाम बताने में क्या प्रॉब्लेम है तुझे? कहीं कोई बड़ा कांड तो नही कर रही तू? सच सच बता.. मुझे तो कोई बड़ा गंभीर लोचा लगता है.. तू लगती है उतनी भोली और मासूम तू है नही!!"

मौसम: "हाँ हाँ.. बता भी दे हरामखोर.. अब तो नाम जाने बगैर हम तुझे छोड़ेंगे नही.. चल वैशाली.. इस रांड पर टूट पड़ते है.. " मौसम फाल्गुनी के ऊपर लेट गई और उसे अपने शरीर के वज़न तले दबाते हुए उसके दोनों स्तन को मसल दिया.. मौसम और फाल्गुनी दोनों की चूत के हिस्से एक दूसरे से छु रहे थे..

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वैशाली ने अपने होंठ फाल्गुनी के होंठों पर रखकर उन्हें चूसना शुरू कर दिया.. दो दो शरीरों के कामुक स्पर्श से फाल्गुनी बेहद उत्तेजित हो गई.. और वैशाली को किस कने में सहयोग देते हुए मौसम की नंगी पीठ को अपने नाखूनों से कुरेदने लगी

मौसम और फाल्गुनी एक दूसरे को बाहों में भरकर रोमांस कर रहे थे और वैशाली फाल्गुनी के होंठ गीले करने के काम में जुटी हुई थी.. फाल्गुनी अब दोनों को अच्छे से रिस्पॉन्स दे रही थी.. वैसे लिप किस करने के मामले में वो अनाड़ी थी पर फिर भी उस बेचारी को जितना आता था उतना कर रही थी..

वैशाली जब झुककर किस कर रही थी तब उसके स्तन मौसम के कंधों से टकरा रहे थे.. तीनों लड़कियां कामदेव के जादू तले बराबर आ चुकी थी.. वैशाली के होंठ चूसने के कारण फाल्गुनी मौसम से भी अधिक उत्तेजित थी.. और वो अपने ऊपर चढ़ी मौसम की पीठ पर नाखून से वार करती जा रही थी.. मौसम के मन में लगातार एक ही प्रश्न मंडरा रहा था.. सात-आठ बार फाल्गुनी ने किससे करवाया होगा? सुबह से लेकर दोपहर तक कॉलेज में वो मेरे साथ होती है.. घर जाने के बाद तीं बजे हम ट्यूशन जाते है और ७ बजे लौटकर घर जाते है.. तो फाल्गुनी ने किस वक्त ये सब करवाया होगा?? बड़ी शातिर है फाल्गुनी..

मौसम को अपनी चूत पर अनोखे गीले स्पर्श का एहसास हुआ और वो नीचे देखने लगी.. अरे बाप रे.. !! वैशाली उसकी चूत चाटने लगी थी.. ओह नो.. वैशाली ये क्या कर दिया तूने? ऐसा तो मुझे कभी महसूस नही हुआ पहले.. आह्ह आह्ह आह्ह.. मौसम फाल्गुनी की ऊपर चढ़ी हुई थी और उसी अवस्था में कमर ऊपर नीचे करते हुए बोली "माय गॉड.. वैशाली.. चाट यार.. अपनी जीभ डाल अंदर.. बहोत मज़ा आ रहा है यार.. इतना मज़ा पहले कभी नही आया मुझे.. ओह्ह!!"


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मौसम की कुंवारी.. थोड़ी सी झांटों वाली चूत काम रस से गीली होकर रिस रही थी.. वैशाली को भी आज लेस्बियन सेक्स में बहोत मज़ा आ रहा था.. दो दो कुंवारी चूत उसकी पक्कड़ में आ चुकी थी.. मौसम और फाल्गुनी दोनों वैशाली की एक एक हरकत पर आफ़रीन हो रही थी.. उसकी हर बात को आदेश के तौर पर मान रही थी वो दोनों..

तीनों लड़कियां एक दूसरे के साथ बिल्कुल ही खुल गई थी.. वैसे वैशाली की कविता के साथ भी गहरी दोस्ती थी लेकिन उनका संबंध जिस्मानी नही था.. जब की इन दोनों लड़कियों ने इस मामले में कविता को भी पीछे छोड़ दिया था.. जो कुछ भी हो रहा था वो संयोग से ही हो रहा था.. मौसम दोपहर को अपने जीजू के साथ हुए रोमांस को याद करते हुए जबरदस्त उत्तेजना महसूस कर रही थी.. और अब फाल्गुनी और वैशाली के साथ उस उत्तेजना को अपने अंजाम तक पहुंचाने वाली थी..

वैशाली मौसम की चूत चाटने में इतनी मशरूफ़ थी की मौसम की सिसकियों को नजरअंदाज करते हुए वह उसकी गांड के नीचे दोनों हाथ डालकर उसके कडक कूल्हों को अपने अंगूठों से चौड़ा करते हुए अपनी जीभ अंदर तक डाल रही थी.. मौसम के लिए ये प्रथम अनुभव था.. पेशाब करने और पिरियड्स निकालने के छेद में इतना मज़ा छुपा हुआ होगा उसका उसे अंदाजा ही नही था.. मौसम को इस बात का ताज्जुब था की चूत शब्द बोलते ही क्यों उसके चूत में झटके लगने लगते थे !! अब तक रास्ते पर चलते.. पान की या चाय की टपरी पर बैठे लोफ़रों के मुंह से यह गंदा शब्द काफी बार सुना था और तब उसे इस शब्द से ही नफरत थी.. आज उसी शब्द को सुनकर उसे बहोत मज़ा आ रहा था..

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फाल्गुनी के स्तनों को दबाते हुए उसने उसके कानों में कहा "मज़ा आ रहा है ना फाल्गुनी?"

"हाँ यार.. मुझे तो बहोत मज़ा आ रहा है.. और तुझे?"

"अरे मुझे तो इतना मज़ा आ रहा है वैशाली के चाटने से की क्या बताऊँ.. !! तूने कभी अपनी चूत चटवाई है फाल्गुनी?"

ये सुनते ही फाल्गुनी की मुनिया में आग लग गई.. "मौसम प्लीज.. तू भी मेरी चूत में अपनी जीभ डाल यार.. !!" फाल्गुनी उत्तेजना से मौसम के कोमल नाजुक बदन को मसलते हुए बोली

मौसम: "नही यार.. मुझे ये सब नही आता.. मैंने कभी किया भी नही है ऐसा.. " दोनों की बातें सुनते हुए वैशाली मौसम की पुच्ची को चाट रही थी

मौसम: "तूने मेरी बात का जवाब नही दिया फाल्गुनी?"

फाल्गुनी: "कौनसी बात का?"

मौसम: "इससे पहले तूने कभी अपनी चूत चटवाई है?"

फाल्गुनी खामोश रही.. बदले में उसने मौसम के गाल को चूसा और अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी और मौसम की चूत को सहलाने लगी.. सहलाते हुए कभी उसकी उंगली वैशाली की जीभ का स्पर्श करती तो वैशाली उसकी उंगली को भी चाट लेती.. फाल्गुनी की उंगली को गीला करके वैशाली ने उस उंगली को मौसम की चूत के अंदर डाल दिया

"आह्ह.. " फाल्गुनी की उंगली अंदर घुसते ही मौसम की सिसकी निकल गई..

"कितनी गरम गरम है तेरी चूत तो यार.. !!" फाल्गुनी ने कहा.. और तेजी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी..

"आह्ह.. मर गई.. ऊईई.. माँ" मौसम चिल्लाई.. फाल्गुनी ने तुरंत अपने होंठ उसके होंठों पर दबाकर और उसके स्खलित होने से निकली चीख को रोक दिया.. मौसम का पूरा शरीर अकड़ कर बिस्तर से ऊपर उठ गया.. दो सेकंड के लिए उसी अवस्था में थरथराने के बाद वह धम्म से बिस्तर पर गिरी.. तेज सांसें भरते हुए.. ए.सी. कमरे में भी उसे पसीने छूट गए.. फाल्गुनी की उंगली और वैशाली की जीभ, दोनों ने मिलकर मौसम की मुनिया को एक जानदार ऑर्गजम दिया था..

अब वैशाली ने अपनी जीभ से फाल्गुनी की चूत पर हमला कर दिया.. उसकी चूत को चाटते हुए वैशाली एक पल के लिए रुकी और उसने मौसम से कहा "मौसम, अब तेरी बारी.. चल मेरी चूत चाट जल्दी से.. "

अपनी साँसों को नियंत्रित करते हुए मौसम ने कहा "यार, मुझसे नही होगा ये.. !!"

"क्यों? मादरचोद.. चटवाते वक्त तो तुझसे सब कुछ हो रहा था.. अब चाटने की बारी आई तो नखरे कर रही है? चुपचाप चाटना शुरू कर वरना ये हेरब्रश का हेंडल तेरी चूत में घुसेड़कर गुफा बना दूँगी" वैशाली ने गुर्रा कर कहा

"यार, मैंने पहले कभी चाटी नही है वैशाली"

"साली रंडी.. आजा.. तुझे सब सीखा दूँगी.. " कहते हुए वैशाली अपने विशाल स्तनों को खुद ही दबाते हुए खड़ी हुई और मौसम को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया.. वैशाली मौसम के स्तनों पर सवार हो गई और अपनी गुलाबों को दोनों होंठ उंगलियों से चौड़े करके मौसम के होंठों पर रगड़ने लगी.. न चाहते हुए भी मौसम उसकी चुत पर जीभ फेरने के लिए मजबूर हो गई.. यह देख उत्तेजित होकर फाल्गुनी अपनी चूत पर हेरब्रश तेजी से घिसने लगी..

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वैशाली की बेकाबू जवानी हिलोरे ले रही थी.. अनुभवहीन मौसम की जीभ को ट्रेन करते हुए उसने मौसम के सर के नीचे दोनों हाथ डालकर उसे कानों से पकड़ते हुए अपनी चूत से दबाए रखा था.. और अपनी चूत चटवाएं जा रही थी.. मौसम को शुरू शुरू में चूत और उसके पानी की गंध बड़ी ही विचित्र लगी.. पर वैशाली ने उसे ऐसे पकड़ रखा था की छूटना मुश्किल था.. आखिर अपने हथियार डालकर उसने अपनी जीभ को वैशाली के सुराख के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.. थोड़ी ही देर में वह सीख गई.. वैशाली चुत चटवाते हुए अपनी गदराई गांड मौसम के स्तनों पर रगड़ रही थी.. जिससे मौसम नए सिरे से सिहर रही थी.. वैशाली ने मौसम के स्तनों पर घोड़े की तरह सवारी करते हुए अपनी लय प्राप्त कर रही थी.. आगे पीछे हो रही वैशाली के दोनों खरबूजे बड़ी ही अद्भुत तरीके से हिल रहे थे.. दोनों के नरम नरम अंग एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे..

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मौसम की चूत में फिर से खुजली होने लगी.. वो अभी थोड़ी देर पहले ही झड़ी थी.. पर वैशाली की चूत की मादक गंध और बबलों की मजबूत रगड़ाई के कारण उसकी चुनमुनिया फुदकने लगी.. तीन चार मिनट तक चाटते रहने के बाद अब मौसम को भी वैशाली की पनियाई चूत के अंदर जीभ डालने में मज़ा आने लगा था.. उसकी रसीली कामुक चिपचिपी चूत के वर्टिकल होंठ और क्लिटोरिस को अपने मुंह में भरकर वो मस्ती से चूस रही थी.. बगल में लेटी फाल्गुनी हेरब्रश के हेंडल को अपनी चूत पर रगड़े जा रही थी..

तीनों लड़कियां अपनी हवस शांत करने के लिए अलग अलग क्रियाएं करने में व्यस्त थी.. लेकिन उनकी वासना शांत होने के बदले और भड़क रही थी.. रात के डेढ़ बजे का समय हो रहा था.. पर तीनों में से किसी की भी आँखों में नींद का नामोनिशान नही था.. थी तो बस नारी की हवस..

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Wowwww Very erotic update.
 

vakharia

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तीनों लड़कियां अपनी हवस शांत करने के लिए अलग अलग क्रियाएं करने में व्यस्त थी.. लेकिन उनकी वासना शांत होने के बदले और भड़क रही थी.. रात के डेढ़ बजे का समय हो रहा था.. पर तीनों में से किसी की भी आँखों में नींद का नामोनिशान नही था.. थी तो बस नारी की हवस..

आज फाल्गुनी का बिल्कुल नया ही स्वरूप देख रहे थे मौसम और वैशाली.. अचानक वैशाली ने अपनी आगे पीछे होने की गति बधाई.. वो बड़ी ही आक्रामकता से अपनी चूत को मौसम के चेहरे के साथ रगड़ने लगी.. वैशाली के प्रहारों से मौसम बिलबिलाने लगी.. लेकिन वैशाली के जोर के सामने वो ज्यादा कुछ नही कर पाई.. अब मौसम थक चुकी थी.. खुले बालों के साथ हाँफ रही वैशाली का पूरा चेहरा लाल हो गया था.. पसीने से तरबतर हो गई थी उसकी गर्दन.. उसका पसीना दोनों स्तनों के बीच से गुज़रता हुआ उसकी चूत से होकर मौसम के चेहरे पर टपकने लगा था.. फाल्गुनी यह द्रश्य और वैशाली का कामुक स्वरूप देखकर ही झड़ गई.. हेरब्रश का डंडा चूत में डालने की जरूरत ही नही पड़ी..

"ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह्ह मर गई.. चाट जल्दी.. डाल जीभ अंदर.. ऊईई आह्ह.. ओह गॉड.. उफ्फ़.. !!!!" की कामुक आवाजों के साथ वैशाली झड़ गई.. जैसे भूकंप आने से बहुमंजिला इमारत ढह जाती है.. संध्या होते ही दो पर्वतों के बीच सूरज ढल जाता है.. वैसे ही वैशाली भी पस्त होकर गिर पड़ी.. फाल्गुनी की चूत ने झड़ने के बाद काफी पानी निकाला था.. बेड के चद्दर पर बड़ा सा धब्बा हो गया था चूत के रिसे हुए पानी से.. फाल्गुनी और वैशाली दोनों ठंडी हो चुकी थी.. पर मौसम अब फिरसे उत्तेजित हो गई थी.. अब समस्या यह थी की वैशाली या फाल्गुनी दोनों में से कोई भी उसका साथ देने के लिए फिलहाल तैयार नही थे..

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मौसम खड़ी हो गई.. और बालकनी की दीवार के पास खड़ी होकर अपनी चूत को खुजाने लगी.. चारों तरफ अंधकार था.. ठंडी सरसराती हवाएं उसके नंगे बदन को चूमते हुए निकल रही थी.. मौसम की पुच्ची में खुजली का जोर बढ़ता जा रहा था.. उसे अपने पीयूष जीजू की याद आ रही थी.. पीयूष ने कैसे उसके होंठों पर उसके जीवन का प्रथम चुंबन दिया था.. उसके ड्रेस में हाथ डालकर उरोजों को पकड़कर दबाया था.. आह्ह.. !!

मौसम ने पीछे मुड़कर बिस्तर की तरफ देखा.. वैशाली और फाल्गुनी.. एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर.. नवविवाहित जोड़ें की तरह पड़े हुए थे.. फाल्गुनी वैशाली के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी.. और हेरब्रश का हेंडल वैशाली की चुत के अंदर डाल रही थी.. लगभग ६ इंच लंबा हेंडल कैसे वैशाली की चूत के अंदर चला गया ये देखना चाहती थी मौसम.. !! वह वापिस बेड पर आई.. वैशाली के दोनों पैरों को चौड़ा किया और फाल्गुनी के हाथ से हेरब्रश ले लिया..

मौसम: "मुझे सच सच बता.. फाल्गुनी.. तूने जो लंड लिया वो इतना ही लंबा था?"

फाल्गुनी: "इतना लंबा तो नही था"

मौसम: "तो इससे आधा ??"

वैशाली: "मौसम, लगता है तुझे लंड देखने की बड़ी चूल मची है.. एक काम कर.. यहाँ हमारे ग्रुप में से किसी भी एक मर्द को पसंद कर और चुदवा ले.. यहाँ कौन देखने वाला है तुझे!! घर वापिस लौटकर चुदवाना तो छोड़.. लंड देखना भी नसीब नही होगा !!"

फाल्गुनी: "मन तो मेरा भी कर रहा है.. पर किसी को भी कैसे राजी करें? सीधा जाकर ऐसा तो नही बोल सकते की चलो चोदते है!!"

वैशाली: "तुम दोनों मुझे एक बात बताओ.. अगर तुम्हें एक रात के लिए किसी एक मर्द के साथ बिताने का मौका मिले.. तो हमारे ग्रुप में से कीसे चुनोगी?"

सवाल बड़ा ही रोमांचक था.. मौसम और फाल्गुनी दोनों शरमा गई.. नग्न स्त्री या लड़की को शरमाते देखना बड़ा ही मनोहर द्रश्य होता है

मौसम: "पहले तू बता वैशाली.. तुझे कौन पसंद है?"

वैशाली: "मुझे तो सब पसंद है.. अगर मौका मिले तो मैं एक ही रात में सभी मर्दों से चुदवा लूँ.. पर अभी बात मेरी नही, तुम दोनों की हो रही है.. तो बताओ मुझे.. हो सकता है की तुम्हारी पसंद के मर्द के साथ रात गुजारने का मैं ही तुम दोनों के लिए सेटिंग कर दूँ....

फाल्गुनी: "माय गॉड.. तुम तो दलाल जैसी बात कर रही हो.. !!"

मौसम: "यार फाल्गुनी.. मुझे तो लगता है की वैशाली ने इस ग्रुप के किसी मर्द के साथ ऑलरेडी सेक्स कर लिया है.. मुझे तो यकीन है!!"

फाल्गुनी: "अच्छा? तो तेरे हिसाब से वैशाली ने किसके साथ किया होगा? कौन हो सकता है?"

थोड़ी देर सोचने के बाद मौसम ने कहा "हम्म.. एक तो राजेश सर के साथ और दूसरा.. !!"

वैशाली रोमांची होकर बोली "हाँ हाँ बोल ना.. कौन हो सकता है दूसरा!!" वो देखना चाहती थी की मौसम अपने मुंह से पीयूष का नाम लेती है या नही

मौसम: "दूसरा कौन हो सकता है.. ये मुझे पता नही.. फाल्गुनी, तू बता.. तू किसके साथ रात गुजारना चाहेगी?"

फाल्गुनी के स्तन टाइट हो गए.. रात बिताने की कल्पना से ही.. !!

उसने शरमाते हुए कहा "पिंटू के साथ, मौसम। मुझे वो बहोत ही पसंद है.. कितना क्यूट है यार!! कल से उसकी तरफ देखकर लाइन दे रही हूँ.. पर वो कमीना मेरे सामने नजर उठाकर देखता तक नही है!! मुझे लगता है की उसे किसी ओर लड़की में इन्टरेस्ट होगा.. !!"

मौसम अपनी बहन कविता के राज के बारे में थोड़ा बहोत जानती थी.. फाल्गुनी के मुंह से पिंटू का नाम सुनकर वो चोंक गई.. कहीं पिंटू और कविता के बीच अब भी कुछ??? बाप रे.. !! जिस कंपनी में पिंटू जॉब करता हैं, वहीं पर जीजू भी है.. ये कड़ियाँ कहीं न कहीं तो जुड़ ही रही होगी.. मौसम चुपचाप सोचती रही..

फाल्गुनी: "अब तेरी बारी है मौसम.. तू बता"

मौसम उलझन में पड़ गई.. कैसे कहूँ की मैं अपने जीजू पीयूष के साथ रात बिताना चाहती हूँ!!

पीयूष जीजू की याद आते ही मौसम बेचैन हो गई.. जीजू के संग बिताएं वो दो घंटों का सुहाना समय.. उसके जीवन का एक अविस्मरणीय पन्ना था.. पीयूष के साथ बिताएं उन पलों के बाद.. मौसम ज्यादातर उत्तेजित रहती और उसे बार बार अपनी गीली मुनिया में उंगली करने को दिल कर रहा था.. आज से पहले उसे कभी ऐसा एहसास नही हुआ था.. अब तक तो वो दो हफ्तों में.. कभी कभी महीने में एकाध बाद चूत में उंगली करती या टूथब्रश घुसाकर सो जाती.. पर माउंट आबू के इस मदहोश वातावरण में.. पीयूष के संग बिताई उस दोपहर के बाद.. और खास कर उस सेक्स शॉप में हुए अनुभव के बाद.. जैसे उसकी कामुकता को रोके रखने वाला दरवाजा ही टूट गया.. हाय रे जवानी.. !! बालकनी में नंगी खड़ी मौसम.. अपने कुँवारे स्तनों पर लग रही ठंडी ठंडी हवा के स्पर्श का मज़ा लेते हुए पीयूष की लिप किस को याद कर रही थी.. उसने हल्के से अपनी छाती पर हाथ रखा और बालकनी की दीवार पर एक पैर टीकाकर.. मजबूत लंड के धक्के कखाने को बेकरार.. उसकी गुलाबी चूत को सहलाने लगी.. जैसे अपनी चूत को मना रही हो.. उसे ताज्जुब इस बात का हो रहा था की कैसे वैशाली, फाल्गुनी और पीयूष के हाथ उसके जिस्म पर सरककर निकल गए!! वो माउंट आबू की हसीन वादियों का मज़ा लेने आई तब निर्दोष मासूम बच्ची थी.. एक ही दिन में जिंदगी ने ऐसी करवट ली.. की उसकी पूरी सोच ही बदल गई.. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था की उसकी कुंवारी जवानी की धरती पर.. पीयूष नाम का बादल यूं बरस पड़ेगा.. !!

स्तन मर्दन करते हुए उसकी जवानी की भूख इतनी बेकाबू हो चली.. की बार बार उसकी चूत फड़फड़ा उठती.. अपने दिल को उसने बार बार समझाया की शादी के बाद ही ये सारी चीजें हो सकती है.. पर कमबख्त दिल था की मानता ही नही था.. !! क्या करूँ? कैसे समझाऊँ अपने जिस्म को? ये तो अच्छा हुआ की ऐसे वक्त पर मुझे वैशाली और फाल्गुनी का साथ मिल गया.. नहीं तो जरूर मैं कुछ गलती कर बैठती.. !! उसने एक नजर बेड पर लेटी अपनी नंगी सहेलियों की ओर देखा.. एक दूसरे के गले में बाहें डालकर बेफिक्र होकर दोनों लेटी हुई थी..

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मौसम धीरे से बेड की तरफ आई.. ट्यूबलाइट के सफेद प्रकाश में वैशाली की मदमस्त छाती इतनी गदराई और तंदूरस्त नजर आ रही थी.. देखते ही अच्छे अच्छों की नियत खराब हो जाएँ.. मौसम ने फाल्गुनी के स्तनों की ओर देखा.. देखकर पता चलता था की भले ही वैशाली जीतने दबे नही थे पर फाल्गुनी अनछुई भी नही थी.. और अब तो उसने खुद ही इस बात का एकरार कर लिया था.. !! वो खुद ही बता चुकी थी की वो सात से आठ बार चुद चुकी थी.. पर पहली बार जब उसने अपनी नाजुक सी फुद्दी में लंड लिया होगा तब उसे कैसा अनुभव हुआ होगा?? लंड.. लंड.. लंड.. !! बाप रे.. ये शब्द सोचते ही चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लग जाता था.. पता नही चूत के अंदर लेते वक्त क्या होता होगा..!!

वैशाली और फाल्गुनी के बीच पड़ा हेरब्रश मौसम ने उठाया.. और उसे चूम लिया.. पता नही चल रहा था की वो ऐसा क्यों कर रही थी!! एक निर्जीव लकड़ी से बने ब्रश को चूमने पर इतना मज़ा क्यों आ रहा था भला.. !! मौसम को वो रात याद आ गई जब उसके गाने से खुश होकर संजय ने उसे ५०० रुपये दिए थे.. वैशाली का कहना था की उसका पति संजय बहोत ही लोफ़र और दिलफेंक किस्म का आदमी था.. कहीं ५०० रुपये देकर संजय मुझे पटाना तो नही चाहता था.. !!! उस वक्त तो ऐसा कुछ नही लगा था.. और उस वक्त के बाद संजय से मिलना भी तो नही हुआ था.. वैसे संजय दिखने में बड़ा हेंडसम है.. तो फिर वैशाली को उससे इतनी भी क्या दिक्कत होगी??

हेरब्रश को अपनी छाती से रगड़ते हुए मौसम ये सब सोच रही थी.. सारे विचारों को अपने दिमाग से हटाकर मौसम ने फाल्गुनी की नंगी जांघों पर हेरब्रश का डंडा हल्के से रगड़ दिया.. कहीं फाल्गुनी को संजय ने तो नही चोद दिया होगा?? नही नही.. संजय और फाल्गुनी मिले ही एक बार है.. ऐसा होना असंभव था.. गहरी नींद में सो रही फाल्गुनी को अपने शरीर पर किसी चीज का स्पर्श महसूस नही हुआ.. मौसम की नजर फाल्गुनी की चूत पर पड़ी.. उसकी चूत भी जैसे गहरी नींद सो रही थी.. वैशाली द्वारा चटवाने के बाद शांत पड़ी चूत काफी सुस्त लग रही थी.. वैशाली की टांगें थोड़ी सी चौड़ी करके हेरब्रश का डंडा उसकी चुत पर रगड़ा.. वैशाली का सुराख थोड़ा सा चौड़ा था.. पर मेरी चूत तो अब भी कितनी टाइट और कसी हुई है!! शायद इसी वजह से वैशाली को फाल्गुनी पर शक हुआ था की उसका सील टूटा हुआ था.. सील टूटते वक्त कैसा महसूस होता होगा?? अब मौसम वापिस फाल्गुनी की चूत पर हेरब्रश रगड़ने लगी.. सोचते सोचते अनजाने में ही मौसम ने हेरब्रश का हेंडल फाल्गुनी की चूत के अंदर धकेल दिया..

"आह्ह.. !!" फाल्गुनी की आँख एकदम से खुल गई.. उसने बगल में बैठी नग्न मौसम को चूत के अंदर डंडा डालते देख वह अपनी आँखें मलते हुए खड़ी हो गई.. "तू अभी भी जाग रही है.. !! नींद नही आ रही क्या?"

मौसम को हाथ में हेरब्रश पकड़े देखकर उसने आगे पूछा "क्या बात है मौसम? तू क्या करने वाली थी? सच सच बता मुझे"

मौसम: "कुछ नही यार.. मैं ये सोच सोचकर परेशान हो रही हूँ की आखिर तूने इतनी सारी बार सेक्स किया किसके साथ? मैंने दिमाग पर जोर डालकर बहोत सोचा पर कोई नाम नही सुझा मुझे.. मुझे बता न यार!! जब तक मैं ये जान नही लूँगी तब तक मेरे मन को चैन नही पड़ेगा.. तेरा उस व्यक्ति का संपर्क कैसे हुआ था? पहचान कैसे हुई थी? मुझे तूने क्यों कुछ नही बताया? मुझसे छुपाने का क्या कारण था?? इस बात का मुझे दुख हो रहा है ये जाहीर सी बात है.. मैंने आज तक तुझसे मेरी कोई बात नही छुपाई फिर तूने मेरे साथ आखिर ऐसा किया ही क्यों?"

एक ही सांस में मौसम ने कई सवाल दाग दिए फाल्गुनी की ओर.. पूछते पूछते उसने हेरब्रश का चार इंच जितना हिस्सा फाल्गुनी की चूत में डाल दिया था.. और वो उसे हिलाते हुए आगे पीछे भी कर रही थी.. फाल्गुनी को मज़ा आना शुरू हो गया था इसका पता चल रहा था क्योंकि वो मौसम के हाथों की हलचल के साथ तालमेल मिलाते हुए अपने चूतड़ भी हिला रही थी.. !! उसकी कमर और गांड की हलचल से ये साफ प्रतीत हो रहा था की उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी..

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मौसम: "बोल ना फाल्गुनी.. मुझसे क्यों छुपा रही है? क्या तू मुझे अपना नही मानती? ठीक है.. नही बताना है तो मत बता" कहते हुए नाराज होकर उसने हेरब्रश चूत से बाहर निकाल लिया और नाराज होकर फाल्गुनी की बगल में लेट गई

फाल्गुनी: "मौसम, तू समझती क्यों नही है यार!!! मैं नाम नही बता सकती.. अगर बता सकती तो तुझसे छुपाती ही क्यों? अगर मैंने नाम बता दिया तो हाहाकार मच जाएगा.. प्लीज यार.. मुझे नाम बताने के लिए ओर फोर्स मत कर"

नाराज मौसम को देखकर फाल्गुनी सोच में डूब गई.. इस मामले को सुलझाएं कैसे? किसी भी सूरत में अपना ये सीक्रेट मौसम को नही बता सकती थी ये बात तो पक्की थी.. मौसम नाराज होकर करवट बदलकर फाल्गुनी से विरुद्ध दिशा में सो गई.. मौसम की चूत में जबरदस्त खुजली हो रही थी पर साथ ही साथ उसका दिमाग ये सोच रहा था की यही सही वक्त था फाल्गुनी से वो राज उगलवाने का.. अगर वो आज जान नही पाई तो ये राज हमेशा राज बनकर ही रह जाएगा..

मौसम को कंधे से पकड़कर फाल्गुनी ने अपनी और खींचा और बोली "नाराज हो गई यार!! मैंने आज तक तुझसे कोई बात कभी छुपाई है क्या!! वो हरीश मुझे लाइन मारता था वो भी बता दिया था मैंने तुझे!!"

मौसम: "हाँ फाल्गुनी.. तुझे जो लड़का लाइन मार रहा था उसके बारे में तो सब बता दिया था तूने.. पर जो तुझे चोद गया उसके बारे में मुझे कुछ भी नही बता रही.. एक बार को तो ऐसा भी विचार आया मुझे की कहीं उस लफंगे हरीश के साथ तो तूने नही चुदवाया ना?? हो सकता है.. क्यों नही हो सकता.. जो लड़की अपनी सब से खास सहेली से इतनी बड़ी बात छुपा सकती है.. वो कुछ भी कर सकती है"

फाल्गुनी अब बराबर फंस चुकी थी.. उसने एकदम धीमी आवाज में कहा "तूने ऐसा क्यों नही सोचा की मेरे लिए बताना मुमकिन नही होगा तभी नही बताया होगा... वरना मैं क्यों तुझसे कुछ भी छुपाऊँ?? और तुझसे छुपाकर मुझे क्या फायदा?"

मौसम: "क्या फायदा ये तो छुपानेवाला ही बता सकता है.. कुछ तो होगा कारण.. हो सकता है की तुझे लगता हो की अगर मुझे बताएगी तो मैं भी तेरे साथी में हिस्सा मांगूँगी.. !!"

फाल्गुनी: "पागलों जैसी बात मत कर, मौसम!!"

मौसम: "तुझे ये भी विचार नही आया की सात आठ बार मजे लूट लेने के बाद तू मुझे भी मौका देती..!! मुझे पता नही था की तू इतनी स्वार्थी होगी.. अब तक तो हम एकदम खास सहेलियाँ थी.. पर शायद अब तुझे अकेले अकेले ही खाने में मज़ा आने लगा है.. जा.. अब से तेरी कट्टी"

पहाड़ टूट पड़ा फाल्गुनी पर.. मौसम रूठ जाएँ तो कैसे चलेगा.. !! फाल्गुनी अपने माँ बाप के बगैर रह सकती थी पर मौसम के बगैर उसे एक पल नही चलता था.. इतनी गहरी दोस्ती थी दोनों की.. फाल्गुनी को भी मन ही मन गुस्सा आ रहा था.. की मौसम ऐसी बात के लिए उससे रूठ गई!! पर मैं भी क्या करूँ? अगर मौसम को सब सच बता दूँ तो कयामत आ जाएगी.. और नही बताती तो दोस्ती टूट जाएगी.. ओह्ह क्या करूँ?

रात के साढ़े तीन बज रहे थे पर मौसम या फाल्गुनी.. दोनों की नींद उड़ चुकी थी.. वैशाली घोड़े बेचकर सो रही थी.. अपनी चूत शांत करके.. अब वो सच में सो रही थी या ढोंग कर रही थी वो तो उसे पता.. !! पर मौसम और फाल्गुनी के संबंध ऐसे चौराहे पर आकर खड़े हो गई थे की अगर फाल्गुनी सच नही बताती तो दोनों की दोस्ती वहीं खतम होने वाली थी

बहोत उदास हो गई फाल्गुनी.. जिंदगी ऐसे कठिन मोड पर लाकर खड़ा कर देगी ऐसा उसने कभी नही सोचा था.. सोचते सोचते कब दोनों की आँख लग गई उन्हे पता ही नही चला..
 

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बहुत ही शानदार अपडेट भाई पता तो पहले ही था कि क्या होने वाला है पर ये नहीं पता था कि कार में खुल जायेगा मामला लेकिन चेतना बाली बात एक दम यॉर्कर साबित हो गई है अब ना हां ना हूं बाली परिस्थिति में फंस गए हैं दामाद जी ....
Thanks Ben Tennyson bhai :love3:
 
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