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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

pussylover1

Milf lover.
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Shandaar but shirt update
तीनों लड़कियां अपनी हवस शांत करने के लिए अलग अलग क्रियाएं करने में व्यस्त थी.. लेकिन उनकी वासना शांत होने के बदले और भड़क रही थी.. रात के डेढ़ बजे का समय हो रहा था.. पर तीनों में से किसी की भी आँखों में नींद का नामोनिशान नही था.. थी तो बस नारी की हवस..

आज फाल्गुनी का बिल्कुल नया ही स्वरूप देख रहे थे मौसम और वैशाली.. अचानक वैशाली ने अपनी आगे पीछे होने की गति बधाई.. वो बड़ी ही आक्रामकता से अपनी चूत को मौसम के चेहरे के साथ रगड़ने लगी.. वैशाली के प्रहारों से मौसम बिलबिलाने लगी.. लेकिन वैशाली के जोर के सामने वो ज्यादा कुछ नही कर पाई.. अब मौसम थक चुकी थी.. खुले बालों के साथ हाँफ रही वैशाली का पूरा चेहरा लाल हो गया था.. पसीने से तरबतर हो गई थी उसकी गर्दन.. उसका पसीना दोनों स्तनों के बीच से गुज़रता हुआ उसकी चूत से होकर मौसम के चेहरे पर टपकने लगा था.. फाल्गुनी यह द्रश्य और वैशाली का कामुक स्वरूप देखकर ही झड़ गई.. हेरब्रश का डंडा चूत में डालने की जरूरत ही नही पड़ी..

"ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह्ह मर गई.. चाट जल्दी.. डाल जीभ अंदर.. ऊईई आह्ह.. ओह गॉड.. उफ्फ़.. !!!!" की कामुक आवाजों के साथ वैशाली झड़ गई.. जैसे भूकंप आने से बहुमंजिला इमारत ढह जाती है.. संध्या होते ही दो पर्वतों के बीच सूरज ढल जाता है.. वैसे ही वैशाली भी पस्त होकर गिर पड़ी.. फाल्गुनी की चूत ने झड़ने के बाद काफी पानी निकाला था.. बेड के चद्दर पर बड़ा सा धब्बा हो गया था चूत के रिसे हुए पानी से.. फाल्गुनी और वैशाली दोनों ठंडी हो चुकी थी.. पर मौसम अब फिरसे उत्तेजित हो गई थी.. अब समस्या यह थी की वैशाली या फाल्गुनी दोनों में से कोई भी उसका साथ देने के लिए फिलहाल तैयार नही थे..

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मौसम खड़ी हो गई.. और बालकनी की दीवार के पास खड़ी होकर अपनी चूत को खुजाने लगी.. चारों तरफ अंधकार था.. ठंडी सरसराती हवाएं उसके नंगे बदन को चूमते हुए निकल रही थी.. मौसम की पुच्ची में खुजली का जोर बढ़ता जा रहा था.. उसे अपने पीयूष जीजू की याद आ रही थी.. पीयूष ने कैसे उसके होंठों पर उसके जीवन का प्रथम चुंबन दिया था.. उसके ड्रेस में हाथ डालकर उरोजों को पकड़कर दबाया था.. आह्ह.. !!

मौसम ने पीछे मुड़कर बिस्तर की तरफ देखा.. वैशाली और फाल्गुनी.. एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर.. नवविवाहित जोड़ें की तरह पड़े हुए थे.. फाल्गुनी वैशाली के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी.. और हेरब्रश का हेंडल वैशाली की चुत के अंदर डाल रही थी.. लगभग ६ इंच लंबा हेंडल कैसे वैशाली की चूत के अंदर चला गया ये देखना चाहती थी मौसम.. !! वह वापिस बेड पर आई.. वैशाली के दोनों पैरों को चौड़ा किया और फाल्गुनी के हाथ से हेरब्रश ले लिया..

मौसम: "मुझे सच सच बता.. फाल्गुनी.. तूने जो लंड लिया वो इतना ही लंबा था?"

फाल्गुनी: "इतना लंबा तो नही था"

मौसम: "तो इससे आधा ??"

वैशाली: "मौसम, लगता है तुझे लंड देखने की बड़ी चूल मची है.. एक काम कर.. यहाँ हमारे ग्रुप में से किसी भी एक मर्द को पसंद कर और चुदवा ले.. यहाँ कौन देखने वाला है तुझे!! घर वापिस लौटकर चुदवाना तो छोड़.. लंड देखना भी नसीब नही होगा !!"

फाल्गुनी: "मन तो मेरा भी कर रहा है.. पर किसी को भी कैसे राजी करें? सीधा जाकर ऐसा तो नही बोल सकते की चलो चोदते है!!"

वैशाली: "तुम दोनों मुझे एक बात बताओ.. अगर तुम्हें एक रात के लिए किसी एक मर्द के साथ बिताने का मौका मिले.. तो हमारे ग्रुप में से कीसे चुनोगी?"

सवाल बड़ा ही रोमांचक था.. मौसम और फाल्गुनी दोनों शरमा गई.. नग्न स्त्री या लड़की को शरमाते देखना बड़ा ही मनोहर द्रश्य होता है

मौसम: "पहले तू बता वैशाली.. तुझे कौन पसंद है?"

वैशाली: "मुझे तो सब पसंद है.. अगर मौका मिले तो मैं एक ही रात में सभी मर्दों से चुदवा लूँ.. पर अभी बात मेरी नही, तुम दोनों की हो रही है.. तो बताओ मुझे.. हो सकता है की तुम्हारी पसंद के मर्द के साथ रात गुजारने का मैं ही तुम दोनों के लिए सेटिंग कर दूँ....

फाल्गुनी: "माय गॉड.. तुम तो दलाल जैसी बात कर रही हो.. !!"

मौसम: "यार फाल्गुनी.. मुझे तो लगता है की वैशाली ने इस ग्रुप के किसी मर्द के साथ ऑलरेडी सेक्स कर लिया है.. मुझे तो यकीन है!!"

फाल्गुनी: "अच्छा? तो तेरे हिसाब से वैशाली ने किसके साथ किया होगा? कौन हो सकता है?"

थोड़ी देर सोचने के बाद मौसम ने कहा "हम्म.. एक तो राजेश सर के साथ और दूसरा.. !!"

वैशाली रोमांची होकर बोली "हाँ हाँ बोल ना.. कौन हो सकता है दूसरा!!" वो देखना चाहती थी की मौसम अपने मुंह से पीयूष का नाम लेती है या नही

मौसम: "दूसरा कौन हो सकता है.. ये मुझे पता नही.. फाल्गुनी, तू बता.. तू किसके साथ रात गुजारना चाहेगी?"

फाल्गुनी के स्तन टाइट हो गए.. रात बिताने की कल्पना से ही.. !!

उसने शरमाते हुए कहा "पिंटू के साथ, मौसम। मुझे वो बहोत ही पसंद है.. कितना क्यूट है यार!! कल से उसकी तरफ देखकर लाइन दे रही हूँ.. पर वो कमीना मेरे सामने नजर उठाकर देखता तक नही है!! मुझे लगता है की उसे किसी ओर लड़की में इन्टरेस्ट होगा.. !!"

मौसम अपनी बहन कविता के राज के बारे में थोड़ा बहोत जानती थी.. फाल्गुनी के मुंह से पिंटू का नाम सुनकर वो चोंक गई.. कहीं पिंटू और कविता के बीच अब भी कुछ??? बाप रे.. !! जिस कंपनी में पिंटू जॉब करता हैं, वहीं पर जीजू भी है.. ये कड़ियाँ कहीं न कहीं तो जुड़ ही रही होगी.. मौसम चुपचाप सोचती रही..

फाल्गुनी: "अब तेरी बारी है मौसम.. तू बता"

मौसम उलझन में पड़ गई.. कैसे कहूँ की मैं अपने जीजू पीयूष के साथ रात बिताना चाहती हूँ!!

पीयूष जीजू की याद आते ही मौसम बेचैन हो गई.. जीजू के संग बिताएं वो दो घंटों का सुहाना समय.. उसके जीवन का एक अविस्मरणीय पन्ना था.. पीयूष के साथ बिताएं उन पलों के बाद.. मौसम ज्यादातर उत्तेजित रहती और उसे बार बार अपनी गीली मुनिया में उंगली करने को दिल कर रहा था.. आज से पहले उसे कभी ऐसा एहसास नही हुआ था.. अब तक तो वो दो हफ्तों में.. कभी कभी महीने में एकाध बाद चूत में उंगली करती या टूथब्रश घुसाकर सो जाती.. पर माउंट आबू के इस मदहोश वातावरण में.. पीयूष के संग बिताई उस दोपहर के बाद.. और खास कर उस सेक्स शॉप में हुए अनुभव के बाद.. जैसे उसकी कामुकता को रोके रखने वाला दरवाजा ही टूट गया.. हाय रे जवानी.. !! बालकनी में नंगी खड़ी मौसम.. अपने कुँवारे स्तनों पर लग रही ठंडी ठंडी हवा के स्पर्श का मज़ा लेते हुए पीयूष की लिप किस को याद कर रही थी.. उसने हल्के से अपनी छाती पर हाथ रखा और बालकनी की दीवार पर एक पैर टीकाकर.. मजबूत लंड के धक्के कखाने को बेकरार.. उसकी गुलाबी चूत को सहलाने लगी.. जैसे अपनी चूत को मना रही हो.. उसे ताज्जुब इस बात का हो रहा था की कैसे वैशाली, फाल्गुनी और पीयूष के हाथ उसके जिस्म पर सरककर निकल गए!! वो माउंट आबू की हसीन वादियों का मज़ा लेने आई तब निर्दोष मासूम बच्ची थी.. एक ही दिन में जिंदगी ने ऐसी करवट ली.. की उसकी पूरी सोच ही बदल गई.. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था की उसकी कुंवारी जवानी की धरती पर.. पीयूष नाम का बादल यूं बरस पड़ेगा.. !!

स्तन मर्दन करते हुए उसकी जवानी की भूख इतनी बेकाबू हो चली.. की बार बार उसकी चूत फड़फड़ा उठती.. अपने दिल को उसने बार बार समझाया की शादी के बाद ही ये सारी चीजें हो सकती है.. पर कमबख्त दिल था की मानता ही नही था.. !! क्या करूँ? कैसे समझाऊँ अपने जिस्म को? ये तो अच्छा हुआ की ऐसे वक्त पर मुझे वैशाली और फाल्गुनी का साथ मिल गया.. नहीं तो जरूर मैं कुछ गलती कर बैठती.. !! उसने एक नजर बेड पर लेटी अपनी नंगी सहेलियों की ओर देखा.. एक दूसरे के गले में बाहें डालकर बेफिक्र होकर दोनों लेटी हुई थी..

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मौसम धीरे से बेड की तरफ आई.. ट्यूबलाइट के सफेद प्रकाश में वैशाली की मदमस्त छाती इतनी गदराई और तंदूरस्त नजर आ रही थी.. देखते ही अच्छे अच्छों की नियत खराब हो जाएँ.. मौसम ने फाल्गुनी के स्तनों की ओर देखा.. देखकर पता चलता था की भले ही वैशाली जीतने दबे नही थे पर फाल्गुनी अनछुई भी नही थी.. और अब तो उसने खुद ही इस बात का एकरार कर लिया था.. !! वो खुद ही बता चुकी थी की वो सात से आठ बार चुद चुकी थी.. पर पहली बार जब उसने अपनी नाजुक सी फुद्दी में लंड लिया होगा तब उसे कैसा अनुभव हुआ होगा?? लंड.. लंड.. लंड.. !! बाप रे.. ये शब्द सोचते ही चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लग जाता था.. पता नही चूत के अंदर लेते वक्त क्या होता होगा..!!

वैशाली और फाल्गुनी के बीच पड़ा हेरब्रश मौसम ने उठाया.. और उसे चूम लिया.. पता नही चल रहा था की वो ऐसा क्यों कर रही थी!! एक निर्जीव लकड़ी से बने ब्रश को चूमने पर इतना मज़ा क्यों आ रहा था भला.. !! मौसम को वो रात याद आ गई जब उसके गाने से खुश होकर संजय ने उसे ५०० रुपये दिए थे.. वैशाली का कहना था की उसका पति संजय बहोत ही लोफ़र और दिलफेंक किस्म का आदमी था.. कहीं ५०० रुपये देकर संजय मुझे पटाना तो नही चाहता था.. !!! उस वक्त तो ऐसा कुछ नही लगा था.. और उस वक्त के बाद संजय से मिलना भी तो नही हुआ था.. वैसे संजय दिखने में बड़ा हेंडसम है.. तो फिर वैशाली को उससे इतनी भी क्या दिक्कत होगी??

हेरब्रश को अपनी छाती से रगड़ते हुए मौसम ये सब सोच रही थी.. सारे विचारों को अपने दिमाग से हटाकर मौसम ने फाल्गुनी की नंगी जांघों पर हेरब्रश का डंडा हल्के से रगड़ दिया.. कहीं फाल्गुनी को संजय ने तो नही चोद दिया होगा?? नही नही.. संजय और फाल्गुनी मिले ही एक बार है.. ऐसा होना असंभव था.. गहरी नींद में सो रही फाल्गुनी को अपने शरीर पर किसी चीज का स्पर्श महसूस नही हुआ.. मौसम की नजर फाल्गुनी की चूत पर पड़ी.. उसकी चूत भी जैसे गहरी नींद सो रही थी.. वैशाली द्वारा चटवाने के बाद शांत पड़ी चूत काफी सुस्त लग रही थी.. वैशाली की टांगें थोड़ी सी चौड़ी करके हेरब्रश का डंडा उसकी चुत पर रगड़ा.. वैशाली का सुराख थोड़ा सा चौड़ा था.. पर मेरी चूत तो अब भी कितनी टाइट और कसी हुई है!! शायद इसी वजह से वैशाली को फाल्गुनी पर शक हुआ था की उसका सील टूटा हुआ था.. सील टूटते वक्त कैसा महसूस होता होगा?? अब मौसम वापिस फाल्गुनी की चूत पर हेरब्रश रगड़ने लगी.. सोचते सोचते अनजाने में ही मौसम ने हेरब्रश का हेंडल फाल्गुनी की चूत के अंदर धकेल दिया..

"आह्ह.. !!" फाल्गुनी की आँख एकदम से खुल गई.. उसने बगल में बैठी नग्न मौसम को चूत के अंदर डंडा डालते देख वह अपनी आँखें मलते हुए खड़ी हो गई.. "तू अभी भी जाग रही है.. !! नींद नही आ रही क्या?"

मौसम को हाथ में हेरब्रश पकड़े देखकर उसने आगे पूछा "क्या बात है मौसम? तू क्या करने वाली थी? सच सच बता मुझे"

मौसम: "कुछ नही यार.. मैं ये सोच सोचकर परेशान हो रही हूँ की आखिर तूने इतनी सारी बार सेक्स किया किसके साथ? मैंने दिमाग पर जोर डालकर बहोत सोचा पर कोई नाम नही सुझा मुझे.. मुझे बता न यार!! जब तक मैं ये जान नही लूँगी तब तक मेरे मन को चैन नही पड़ेगा.. तेरा उस व्यक्ति का संपर्क कैसे हुआ था? पहचान कैसे हुई थी? मुझे तूने क्यों कुछ नही बताया? मुझसे छुपाने का क्या कारण था?? इस बात का मुझे दुख हो रहा है ये जाहीर सी बात है.. मैंने आज तक तुझसे मेरी कोई बात नही छुपाई फिर तूने मेरे साथ आखिर ऐसा किया ही क्यों?"

एक ही सांस में मौसम ने कई सवाल दाग दिए फाल्गुनी की ओर.. पूछते पूछते उसने हेरब्रश का चार इंच जितना हिस्सा फाल्गुनी की चूत में डाल दिया था.. और वो उसे हिलाते हुए आगे पीछे भी कर रही थी.. फाल्गुनी को मज़ा आना शुरू हो गया था इसका पता चल रहा था क्योंकि वो मौसम के हाथों की हलचल के साथ तालमेल मिलाते हुए अपने चूतड़ भी हिला रही थी.. !! उसकी कमर और गांड की हलचल से ये साफ प्रतीत हो रहा था की उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी..

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मौसम: "बोल ना फाल्गुनी.. मुझसे क्यों छुपा रही है? क्या तू मुझे अपना नही मानती? ठीक है.. नही बताना है तो मत बता" कहते हुए नाराज होकर उसने हेरब्रश चूत से बाहर निकाल लिया और नाराज होकर फाल्गुनी की बगल में लेट गई

फाल्गुनी: "मौसम, तू समझती क्यों नही है यार!!! मैं नाम नही बता सकती.. अगर बता सकती तो तुझसे छुपाती ही क्यों? अगर मैंने नाम बता दिया तो हाहाकार मच जाएगा.. प्लीज यार.. मुझे नाम बताने के लिए ओर फोर्स मत कर"

नाराज मौसम को देखकर फाल्गुनी सोच में डूब गई.. इस मामले को सुलझाएं कैसे? किसी भी सूरत में अपना ये सीक्रेट मौसम को नही बता सकती थी ये बात तो पक्की थी.. मौसम नाराज होकर करवट बदलकर फाल्गुनी से विरुद्ध दिशा में सो गई.. मौसम की चूत में जबरदस्त खुजली हो रही थी पर साथ ही साथ उसका दिमाग ये सोच रहा था की यही सही वक्त था फाल्गुनी से वो राज उगलवाने का.. अगर वो आज जान नही पाई तो ये राज हमेशा राज बनकर ही रह जाएगा..

मौसम को कंधे से पकड़कर फाल्गुनी ने अपनी और खींचा और बोली "नाराज हो गई यार!! मैंने आज तक तुझसे कोई बात कभी छुपाई है क्या!! वो हरीश मुझे लाइन मारता था वो भी बता दिया था मैंने तुझे!!"

मौसम: "हाँ फाल्गुनी.. तुझे जो लड़का लाइन मार रहा था उसके बारे में तो सब बता दिया था तूने.. पर जो तुझे चोद गया उसके बारे में मुझे कुछ भी नही बता रही.. एक बार को तो ऐसा भी विचार आया मुझे की कहीं उस लफंगे हरीश के साथ तो तूने नही चुदवाया ना?? हो सकता है.. क्यों नही हो सकता.. जो लड़की अपनी सब से खास सहेली से इतनी बड़ी बात छुपा सकती है.. वो कुछ भी कर सकती है"

फाल्गुनी अब बराबर फंस चुकी थी.. उसने एकदम धीमी आवाज में कहा "तूने ऐसा क्यों नही सोचा की मेरे लिए बताना मुमकिन नही होगा तभी नही बताया होगा... वरना मैं क्यों तुझसे कुछ भी छुपाऊँ?? और तुझसे छुपाकर मुझे क्या फायदा?"

मौसम: "क्या फायदा ये तो छुपानेवाला ही बता सकता है.. कुछ तो होगा कारण.. हो सकता है की तुझे लगता हो की अगर मुझे बताएगी तो मैं भी तेरे साथी में हिस्सा मांगूँगी.. !!"

फाल्गुनी: "पागलों जैसी बात मत कर, मौसम!!"

मौसम: "तुझे ये भी विचार नही आया की सात आठ बार मजे लूट लेने के बाद तू मुझे भी मौका देती..!! मुझे पता नही था की तू इतनी स्वार्थी होगी.. अब तक तो हम एकदम खास सहेलियाँ थी.. पर शायद अब तुझे अकेले अकेले ही खाने में मज़ा आने लगा है.. जा.. अब से तेरी कट्टी"

पहाड़ टूट पड़ा फाल्गुनी पर.. मौसम रूठ जाएँ तो कैसे चलेगा.. !! फाल्गुनी अपने माँ बाप के बगैर रह सकती थी पर मौसम के बगैर उसे एक पल नही चलता था.. इतनी गहरी दोस्ती थी दोनों की.. फाल्गुनी को भी मन ही मन गुस्सा आ रहा था.. की मौसम ऐसी बात के लिए उससे रूठ गई!! पर मैं भी क्या करूँ? अगर मौसम को सब सच बता दूँ तो कयामत आ जाएगी.. और नही बताती तो दोस्ती टूट जाएगी.. ओह्ह क्या करूँ?

रात के साढ़े तीन बज रहे थे पर मौसम या फाल्गुनी.. दोनों की नींद उड़ चुकी थी.. वैशाली घोड़े बेचकर सो रही थी.. अपनी चूत शांत करके.. अब वो सच में सो रही थी या ढोंग कर रही थी वो तो उसे पता.. !! पर मौसम और फाल्गुनी के संबंध ऐसे चौराहे पर आकर खड़े हो गई थे की अगर फाल्गुनी सच नही बताती तो दोनों की दोस्ती वहीं खतम होने वाली थी


बहोत उदास हो गई फाल्गुनी.. जिंदगी ऐसे कठिन मोड पर लाकर खड़ा कर देगी ऐसा उसने कभी नही सोचा था.. सोचते सोचते कब दोनों की आँख लग गई उन्हे पता ही नही चला..
 

Ajju Landwalia

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तीनों लड़कियां अपनी हवस शांत करने के लिए अलग अलग क्रियाएं करने में व्यस्त थी.. लेकिन उनकी वासना शांत होने के बदले और भड़क रही थी.. रात के डेढ़ बजे का समय हो रहा था.. पर तीनों में से किसी की भी आँखों में नींद का नामोनिशान नही था.. थी तो बस नारी की हवस..

आज फाल्गुनी का बिल्कुल नया ही स्वरूप देख रहे थे मौसम और वैशाली.. अचानक वैशाली ने अपनी आगे पीछे होने की गति बधाई.. वो बड़ी ही आक्रामकता से अपनी चूत को मौसम के चेहरे के साथ रगड़ने लगी.. वैशाली के प्रहारों से मौसम बिलबिलाने लगी.. लेकिन वैशाली के जोर के सामने वो ज्यादा कुछ नही कर पाई.. अब मौसम थक चुकी थी.. खुले बालों के साथ हाँफ रही वैशाली का पूरा चेहरा लाल हो गया था.. पसीने से तरबतर हो गई थी उसकी गर्दन.. उसका पसीना दोनों स्तनों के बीच से गुज़रता हुआ उसकी चूत से होकर मौसम के चेहरे पर टपकने लगा था.. फाल्गुनी यह द्रश्य और वैशाली का कामुक स्वरूप देखकर ही झड़ गई.. हेरब्रश का डंडा चूत में डालने की जरूरत ही नही पड़ी..

"ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह्ह मर गई.. चाट जल्दी.. डाल जीभ अंदर.. ऊईई आह्ह.. ओह गॉड.. उफ्फ़.. !!!!" की कामुक आवाजों के साथ वैशाली झड़ गई.. जैसे भूकंप आने से बहुमंजिला इमारत ढह जाती है.. संध्या होते ही दो पर्वतों के बीच सूरज ढल जाता है.. वैसे ही वैशाली भी पस्त होकर गिर पड़ी.. फाल्गुनी की चूत ने झड़ने के बाद काफी पानी निकाला था.. बेड के चद्दर पर बड़ा सा धब्बा हो गया था चूत के रिसे हुए पानी से.. फाल्गुनी और वैशाली दोनों ठंडी हो चुकी थी.. पर मौसम अब फिरसे उत्तेजित हो गई थी.. अब समस्या यह थी की वैशाली या फाल्गुनी दोनों में से कोई भी उसका साथ देने के लिए फिलहाल तैयार नही थे..

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मौसम खड़ी हो गई.. और बालकनी की दीवार के पास खड़ी होकर अपनी चूत को खुजाने लगी.. चारों तरफ अंधकार था.. ठंडी सरसराती हवाएं उसके नंगे बदन को चूमते हुए निकल रही थी.. मौसम की पुच्ची में खुजली का जोर बढ़ता जा रहा था.. उसे अपने पीयूष जीजू की याद आ रही थी.. पीयूष ने कैसे उसके होंठों पर उसके जीवन का प्रथम चुंबन दिया था.. उसके ड्रेस में हाथ डालकर उरोजों को पकड़कर दबाया था.. आह्ह.. !!

मौसम ने पीछे मुड़कर बिस्तर की तरफ देखा.. वैशाली और फाल्गुनी.. एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर.. नवविवाहित जोड़ें की तरह पड़े हुए थे.. फाल्गुनी वैशाली के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी.. और हेरब्रश का हेंडल वैशाली की चुत के अंदर डाल रही थी.. लगभग ६ इंच लंबा हेंडल कैसे वैशाली की चूत के अंदर चला गया ये देखना चाहती थी मौसम.. !! वह वापिस बेड पर आई.. वैशाली के दोनों पैरों को चौड़ा किया और फाल्गुनी के हाथ से हेरब्रश ले लिया..

मौसम: "मुझे सच सच बता.. फाल्गुनी.. तूने जो लंड लिया वो इतना ही लंबा था?"

फाल्गुनी: "इतना लंबा तो नही था"

मौसम: "तो इससे आधा ??"

वैशाली: "मौसम, लगता है तुझे लंड देखने की बड़ी चूल मची है.. एक काम कर.. यहाँ हमारे ग्रुप में से किसी भी एक मर्द को पसंद कर और चुदवा ले.. यहाँ कौन देखने वाला है तुझे!! घर वापिस लौटकर चुदवाना तो छोड़.. लंड देखना भी नसीब नही होगा !!"

फाल्गुनी: "मन तो मेरा भी कर रहा है.. पर किसी को भी कैसे राजी करें? सीधा जाकर ऐसा तो नही बोल सकते की चलो चोदते है!!"

वैशाली: "तुम दोनों मुझे एक बात बताओ.. अगर तुम्हें एक रात के लिए किसी एक मर्द के साथ बिताने का मौका मिले.. तो हमारे ग्रुप में से कीसे चुनोगी?"

सवाल बड़ा ही रोमांचक था.. मौसम और फाल्गुनी दोनों शरमा गई.. नग्न स्त्री या लड़की को शरमाते देखना बड़ा ही मनोहर द्रश्य होता है

मौसम: "पहले तू बता वैशाली.. तुझे कौन पसंद है?"

वैशाली: "मुझे तो सब पसंद है.. अगर मौका मिले तो मैं एक ही रात में सभी मर्दों से चुदवा लूँ.. पर अभी बात मेरी नही, तुम दोनों की हो रही है.. तो बताओ मुझे.. हो सकता है की तुम्हारी पसंद के मर्द के साथ रात गुजारने का मैं ही तुम दोनों के लिए सेटिंग कर दूँ....

फाल्गुनी: "माय गॉड.. तुम तो दलाल जैसी बात कर रही हो.. !!"

मौसम: "यार फाल्गुनी.. मुझे तो लगता है की वैशाली ने इस ग्रुप के किसी मर्द के साथ ऑलरेडी सेक्स कर लिया है.. मुझे तो यकीन है!!"

फाल्गुनी: "अच्छा? तो तेरे हिसाब से वैशाली ने किसके साथ किया होगा? कौन हो सकता है?"

थोड़ी देर सोचने के बाद मौसम ने कहा "हम्म.. एक तो राजेश सर के साथ और दूसरा.. !!"

वैशाली रोमांची होकर बोली "हाँ हाँ बोल ना.. कौन हो सकता है दूसरा!!" वो देखना चाहती थी की मौसम अपने मुंह से पीयूष का नाम लेती है या नही

मौसम: "दूसरा कौन हो सकता है.. ये मुझे पता नही.. फाल्गुनी, तू बता.. तू किसके साथ रात गुजारना चाहेगी?"

फाल्गुनी के स्तन टाइट हो गए.. रात बिताने की कल्पना से ही.. !!

उसने शरमाते हुए कहा "पिंटू के साथ, मौसम। मुझे वो बहोत ही पसंद है.. कितना क्यूट है यार!! कल से उसकी तरफ देखकर लाइन दे रही हूँ.. पर वो कमीना मेरे सामने नजर उठाकर देखता तक नही है!! मुझे लगता है की उसे किसी ओर लड़की में इन्टरेस्ट होगा.. !!"

मौसम अपनी बहन कविता के राज के बारे में थोड़ा बहोत जानती थी.. फाल्गुनी के मुंह से पिंटू का नाम सुनकर वो चोंक गई.. कहीं पिंटू और कविता के बीच अब भी कुछ??? बाप रे.. !! जिस कंपनी में पिंटू जॉब करता हैं, वहीं पर जीजू भी है.. ये कड़ियाँ कहीं न कहीं तो जुड़ ही रही होगी.. मौसम चुपचाप सोचती रही..

फाल्गुनी: "अब तेरी बारी है मौसम.. तू बता"

मौसम उलझन में पड़ गई.. कैसे कहूँ की मैं अपने जीजू पीयूष के साथ रात बिताना चाहती हूँ!!

पीयूष जीजू की याद आते ही मौसम बेचैन हो गई.. जीजू के संग बिताएं वो दो घंटों का सुहाना समय.. उसके जीवन का एक अविस्मरणीय पन्ना था.. पीयूष के साथ बिताएं उन पलों के बाद.. मौसम ज्यादातर उत्तेजित रहती और उसे बार बार अपनी गीली मुनिया में उंगली करने को दिल कर रहा था.. आज से पहले उसे कभी ऐसा एहसास नही हुआ था.. अब तक तो वो दो हफ्तों में.. कभी कभी महीने में एकाध बाद चूत में उंगली करती या टूथब्रश घुसाकर सो जाती.. पर माउंट आबू के इस मदहोश वातावरण में.. पीयूष के संग बिताई उस दोपहर के बाद.. और खास कर उस सेक्स शॉप में हुए अनुभव के बाद.. जैसे उसकी कामुकता को रोके रखने वाला दरवाजा ही टूट गया.. हाय रे जवानी.. !! बालकनी में नंगी खड़ी मौसम.. अपने कुँवारे स्तनों पर लग रही ठंडी ठंडी हवा के स्पर्श का मज़ा लेते हुए पीयूष की लिप किस को याद कर रही थी.. उसने हल्के से अपनी छाती पर हाथ रखा और बालकनी की दीवार पर एक पैर टीकाकर.. मजबूत लंड के धक्के कखाने को बेकरार.. उसकी गुलाबी चूत को सहलाने लगी.. जैसे अपनी चूत को मना रही हो.. उसे ताज्जुब इस बात का हो रहा था की कैसे वैशाली, फाल्गुनी और पीयूष के हाथ उसके जिस्म पर सरककर निकल गए!! वो माउंट आबू की हसीन वादियों का मज़ा लेने आई तब निर्दोष मासूम बच्ची थी.. एक ही दिन में जिंदगी ने ऐसी करवट ली.. की उसकी पूरी सोच ही बदल गई.. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था की उसकी कुंवारी जवानी की धरती पर.. पीयूष नाम का बादल यूं बरस पड़ेगा.. !!

स्तन मर्दन करते हुए उसकी जवानी की भूख इतनी बेकाबू हो चली.. की बार बार उसकी चूत फड़फड़ा उठती.. अपने दिल को उसने बार बार समझाया की शादी के बाद ही ये सारी चीजें हो सकती है.. पर कमबख्त दिल था की मानता ही नही था.. !! क्या करूँ? कैसे समझाऊँ अपने जिस्म को? ये तो अच्छा हुआ की ऐसे वक्त पर मुझे वैशाली और फाल्गुनी का साथ मिल गया.. नहीं तो जरूर मैं कुछ गलती कर बैठती.. !! उसने एक नजर बेड पर लेटी अपनी नंगी सहेलियों की ओर देखा.. एक दूसरे के गले में बाहें डालकर बेफिक्र होकर दोनों लेटी हुई थी..

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मौसम धीरे से बेड की तरफ आई.. ट्यूबलाइट के सफेद प्रकाश में वैशाली की मदमस्त छाती इतनी गदराई और तंदूरस्त नजर आ रही थी.. देखते ही अच्छे अच्छों की नियत खराब हो जाएँ.. मौसम ने फाल्गुनी के स्तनों की ओर देखा.. देखकर पता चलता था की भले ही वैशाली जीतने दबे नही थे पर फाल्गुनी अनछुई भी नही थी.. और अब तो उसने खुद ही इस बात का एकरार कर लिया था.. !! वो खुद ही बता चुकी थी की वो सात से आठ बार चुद चुकी थी.. पर पहली बार जब उसने अपनी नाजुक सी फुद्दी में लंड लिया होगा तब उसे कैसा अनुभव हुआ होगा?? लंड.. लंड.. लंड.. !! बाप रे.. ये शब्द सोचते ही चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लग जाता था.. पता नही चूत के अंदर लेते वक्त क्या होता होगा..!!

वैशाली और फाल्गुनी के बीच पड़ा हेरब्रश मौसम ने उठाया.. और उसे चूम लिया.. पता नही चल रहा था की वो ऐसा क्यों कर रही थी!! एक निर्जीव लकड़ी से बने ब्रश को चूमने पर इतना मज़ा क्यों आ रहा था भला.. !! मौसम को वो रात याद आ गई जब उसके गाने से खुश होकर संजय ने उसे ५०० रुपये दिए थे.. वैशाली का कहना था की उसका पति संजय बहोत ही लोफ़र और दिलफेंक किस्म का आदमी था.. कहीं ५०० रुपये देकर संजय मुझे पटाना तो नही चाहता था.. !!! उस वक्त तो ऐसा कुछ नही लगा था.. और उस वक्त के बाद संजय से मिलना भी तो नही हुआ था.. वैसे संजय दिखने में बड़ा हेंडसम है.. तो फिर वैशाली को उससे इतनी भी क्या दिक्कत होगी??

हेरब्रश को अपनी छाती से रगड़ते हुए मौसम ये सब सोच रही थी.. सारे विचारों को अपने दिमाग से हटाकर मौसम ने फाल्गुनी की नंगी जांघों पर हेरब्रश का डंडा हल्के से रगड़ दिया.. कहीं फाल्गुनी को संजय ने तो नही चोद दिया होगा?? नही नही.. संजय और फाल्गुनी मिले ही एक बार है.. ऐसा होना असंभव था.. गहरी नींद में सो रही फाल्गुनी को अपने शरीर पर किसी चीज का स्पर्श महसूस नही हुआ.. मौसम की नजर फाल्गुनी की चूत पर पड़ी.. उसकी चूत भी जैसे गहरी नींद सो रही थी.. वैशाली द्वारा चटवाने के बाद शांत पड़ी चूत काफी सुस्त लग रही थी.. वैशाली की टांगें थोड़ी सी चौड़ी करके हेरब्रश का डंडा उसकी चुत पर रगड़ा.. वैशाली का सुराख थोड़ा सा चौड़ा था.. पर मेरी चूत तो अब भी कितनी टाइट और कसी हुई है!! शायद इसी वजह से वैशाली को फाल्गुनी पर शक हुआ था की उसका सील टूटा हुआ था.. सील टूटते वक्त कैसा महसूस होता होगा?? अब मौसम वापिस फाल्गुनी की चूत पर हेरब्रश रगड़ने लगी.. सोचते सोचते अनजाने में ही मौसम ने हेरब्रश का हेंडल फाल्गुनी की चूत के अंदर धकेल दिया..

"आह्ह.. !!" फाल्गुनी की आँख एकदम से खुल गई.. उसने बगल में बैठी नग्न मौसम को चूत के अंदर डंडा डालते देख वह अपनी आँखें मलते हुए खड़ी हो गई.. "तू अभी भी जाग रही है.. !! नींद नही आ रही क्या?"

मौसम को हाथ में हेरब्रश पकड़े देखकर उसने आगे पूछा "क्या बात है मौसम? तू क्या करने वाली थी? सच सच बता मुझे"

मौसम: "कुछ नही यार.. मैं ये सोच सोचकर परेशान हो रही हूँ की आखिर तूने इतनी सारी बार सेक्स किया किसके साथ? मैंने दिमाग पर जोर डालकर बहोत सोचा पर कोई नाम नही सुझा मुझे.. मुझे बता न यार!! जब तक मैं ये जान नही लूँगी तब तक मेरे मन को चैन नही पड़ेगा.. तेरा उस व्यक्ति का संपर्क कैसे हुआ था? पहचान कैसे हुई थी? मुझे तूने क्यों कुछ नही बताया? मुझसे छुपाने का क्या कारण था?? इस बात का मुझे दुख हो रहा है ये जाहीर सी बात है.. मैंने आज तक तुझसे मेरी कोई बात नही छुपाई फिर तूने मेरे साथ आखिर ऐसा किया ही क्यों?"

एक ही सांस में मौसम ने कई सवाल दाग दिए फाल्गुनी की ओर.. पूछते पूछते उसने हेरब्रश का चार इंच जितना हिस्सा फाल्गुनी की चूत में डाल दिया था.. और वो उसे हिलाते हुए आगे पीछे भी कर रही थी.. फाल्गुनी को मज़ा आना शुरू हो गया था इसका पता चल रहा था क्योंकि वो मौसम के हाथों की हलचल के साथ तालमेल मिलाते हुए अपने चूतड़ भी हिला रही थी.. !! उसकी कमर और गांड की हलचल से ये साफ प्रतीत हो रहा था की उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी..

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मौसम: "बोल ना फाल्गुनी.. मुझसे क्यों छुपा रही है? क्या तू मुझे अपना नही मानती? ठीक है.. नही बताना है तो मत बता" कहते हुए नाराज होकर उसने हेरब्रश चूत से बाहर निकाल लिया और नाराज होकर फाल्गुनी की बगल में लेट गई

फाल्गुनी: "मौसम, तू समझती क्यों नही है यार!!! मैं नाम नही बता सकती.. अगर बता सकती तो तुझसे छुपाती ही क्यों? अगर मैंने नाम बता दिया तो हाहाकार मच जाएगा.. प्लीज यार.. मुझे नाम बताने के लिए ओर फोर्स मत कर"

नाराज मौसम को देखकर फाल्गुनी सोच में डूब गई.. इस मामले को सुलझाएं कैसे? किसी भी सूरत में अपना ये सीक्रेट मौसम को नही बता सकती थी ये बात तो पक्की थी.. मौसम नाराज होकर करवट बदलकर फाल्गुनी से विरुद्ध दिशा में सो गई.. मौसम की चूत में जबरदस्त खुजली हो रही थी पर साथ ही साथ उसका दिमाग ये सोच रहा था की यही सही वक्त था फाल्गुनी से वो राज उगलवाने का.. अगर वो आज जान नही पाई तो ये राज हमेशा राज बनकर ही रह जाएगा..

मौसम को कंधे से पकड़कर फाल्गुनी ने अपनी और खींचा और बोली "नाराज हो गई यार!! मैंने आज तक तुझसे कोई बात कभी छुपाई है क्या!! वो हरीश मुझे लाइन मारता था वो भी बता दिया था मैंने तुझे!!"

मौसम: "हाँ फाल्गुनी.. तुझे जो लड़का लाइन मार रहा था उसके बारे में तो सब बता दिया था तूने.. पर जो तुझे चोद गया उसके बारे में मुझे कुछ भी नही बता रही.. एक बार को तो ऐसा भी विचार आया मुझे की कहीं उस लफंगे हरीश के साथ तो तूने नही चुदवाया ना?? हो सकता है.. क्यों नही हो सकता.. जो लड़की अपनी सब से खास सहेली से इतनी बड़ी बात छुपा सकती है.. वो कुछ भी कर सकती है"

फाल्गुनी अब बराबर फंस चुकी थी.. उसने एकदम धीमी आवाज में कहा "तूने ऐसा क्यों नही सोचा की मेरे लिए बताना मुमकिन नही होगा तभी नही बताया होगा... वरना मैं क्यों तुझसे कुछ भी छुपाऊँ?? और तुझसे छुपाकर मुझे क्या फायदा?"

मौसम: "क्या फायदा ये तो छुपानेवाला ही बता सकता है.. कुछ तो होगा कारण.. हो सकता है की तुझे लगता हो की अगर मुझे बताएगी तो मैं भी तेरे साथी में हिस्सा मांगूँगी.. !!"

फाल्गुनी: "पागलों जैसी बात मत कर, मौसम!!"

मौसम: "तुझे ये भी विचार नही आया की सात आठ बार मजे लूट लेने के बाद तू मुझे भी मौका देती..!! मुझे पता नही था की तू इतनी स्वार्थी होगी.. अब तक तो हम एकदम खास सहेलियाँ थी.. पर शायद अब तुझे अकेले अकेले ही खाने में मज़ा आने लगा है.. जा.. अब से तेरी कट्टी"

पहाड़ टूट पड़ा फाल्गुनी पर.. मौसम रूठ जाएँ तो कैसे चलेगा.. !! फाल्गुनी अपने माँ बाप के बगैर रह सकती थी पर मौसम के बगैर उसे एक पल नही चलता था.. इतनी गहरी दोस्ती थी दोनों की.. फाल्गुनी को भी मन ही मन गुस्सा आ रहा था.. की मौसम ऐसी बात के लिए उससे रूठ गई!! पर मैं भी क्या करूँ? अगर मौसम को सब सच बता दूँ तो कयामत आ जाएगी.. और नही बताती तो दोस्ती टूट जाएगी.. ओह्ह क्या करूँ?

रात के साढ़े तीन बज रहे थे पर मौसम या फाल्गुनी.. दोनों की नींद उड़ चुकी थी.. वैशाली घोड़े बेचकर सो रही थी.. अपनी चूत शांत करके.. अब वो सच में सो रही थी या ढोंग कर रही थी वो तो उसे पता.. !! पर मौसम और फाल्गुनी के संबंध ऐसे चौराहे पर आकर खड़े हो गई थे की अगर फाल्गुनी सच नही बताती तो दोनों की दोस्ती वहीं खतम होने वाली थी


बहोत उदास हो गई फाल्गुनी.. जिंदगी ऐसे कठिन मोड पर लाकर खड़ा कर देगी ऐसा उसने कभी नही सोचा था.. सोचते सोचते कब दोनों की आँख लग गई उन्हे पता ही नही चला..


Behad shandar update he vakharia Bhai,

Falguni ka raaz kuch aisa he ki koi apna ya parivar ka sadasay hi use chod raha he...................

Falguni ab fans chuki he................ab use apna raaz mausam ko batana hi padega........

Vaishali ab sach me hi so rahi he ya fir natak kar rahi he.............iska khulasa bhi ab agli update me hi hoga

Keep rocking Bro
 

Sanju@

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रेणुका ने केक काटकर सेलीब्रेशन की शुरुआत की.. सब ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ रेणुका को विश किया.. रेणुका ने राजेश और बाद में सब को केक का छोटा छोटा पीस अपने हाथों से खिलाया.. जब वो केक का टुकड़ा पीयूष को खिलाने गई तब दोनों की आँखें एक हुई.. उस दिन रेणुका के घर जब पीयूष पैसे लेने गया था तब दोनों के बीच जो हुआ उसकी यादें ताज़ा हो गई..

रेणुका के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान खिल उठी.. उसका पल्लू हल्का सा सरक गया और तंग ब्लाउस में कैद उसका रूप.. पीयूष को दिखने लगा.. रेणुका ने तुरंत ही अपना पल्लू ठीक कर लिया.. और पीयूष के मुंह में केक का टुकड़ा डालते हुए.. बिल्कुल धीरे से उसके कानों के पास बोली "हमारा सेलीब्रेशन बाकी रहेगा.. तू मेरे घर आना फिर उसे पूरा करेंगे" कहते हुए वह चली गई.. रेणुका के कूल्हों को देखकर एक पल के लिए पीयूष मौसम को भी भूल गया

renuka

दूर कोने में खड़ी वैशाली यह सारा तमाशा देख रही थी.. पीयूष के साथ कुछ घंटों पहले हुए झटपट सेक्स का नशा अब उतर गया था और वैशाली नए सिरे से उत्तेजित हो गई थी.. अब वो पीयूष के साथ.. एकदम आराम से.. पूरा वक्त लेकर भरपूर चुदाई करने का प्रोग्राम मन ही मन बनाने लगी.. वह सोच रही थी की तसल्ली के साथ चुदवाने के लिए कम से कम डेढ़ घंटे का समय चाहिए.. पर उतनी देर तक अगर वो और पीयूष गायब रहें तो कविता को पक्का शक हो जाएगा.. क्या किया जाए !!! पीयूष के आसपास इतनी गोपियाँ मंडरा रही है की डेढ़ घंटा तो क्या.. डेढ़ मिनट के लिए भी उससे अकेले मिल पाना मुश्किल था..

पीयूष के लंड को याद करते ही वैशाली की चूत में सुरसुरी होने लगी.. इतना मज़ा तो उसे हिम्मत या संजय के साथ भी कभी नही आया था.. आखिर ऐसी कौन सी बात थी पीयूष में.. जो उससे चुदवाने में इतना मज़ा आता था? क्या वो चूत चाटता था इसलिए?? पर वो तो संजय भी चाटता था.. संजय तो एक घंटे तक उसकी चूत चाटता ही रहता था.. पर फिर भी उसके साथ वो मज़ा नही आता था जो पीयूष के संग आता था.. ओह पीयूष.. तेरे बिना जीना अब खाली खाली सा लगता है.. संजय के बर्ताव से जो खलिश उसके दिल में उठ खड़ी हुई थी.. उसे सिर्फ पीयूष ही भर सकता है

संजय.. क्या कर रहा होगा संजय अभी?? एक सेकंड के लिए वैशाली को संजय की याद आ गई.. और क्या कर रहा होगा वो? पक्का किसी रांड को गेस्टहाउस में ले जाकर अपना लंड चुसवा रहा होगा.. और क्या !! संजय की याद आते ही वैशाली का मुंह कड़वा हो गया.. जिंदगी की माँ चोद दी थी संजय ने.. ना ही वो मेरे जज़्बातों को समझ पाया और ना ही मुझे.. एक पत्नी की हमेशा यह मनोकामना होती है की उसका पति उसे समझे.. !! संजय तो जब देखो तब चूत, चुदाई और सेक्स.. बस इन्ही विचारों में डूबा रहता था.. ढेले भर की कमाई नही.. बस सारा दिन पड़े रहो और मौका मिलते ही लंड घुसा दो.. पर जो भी कहो.. संजय चुदाई जबरदस्त करता था.. एक ही बार में शरीर के अंजर-पंजर ढीले कर देता था.. वैशाली की सोच का सिलसिला यूं ही चलता रहा

होटल के मेनेजर ने राजेश से आकर ये कहा की पावर तो अभी भी ऑफ था.. इन्वर्टर से होटल में कनेक्शन दिया गया है.. अगर अगले ४५ मिनट तक बिजली नही आई तो इन्वर्टर भी बंद हो जाएगा.. इसलिए जितनी जल्दी हो सके पार्टी को निपटा लिया जाएँ ताकि किसी को अंधेरे के कारण दिक्कत ना हो..

राजेश ने सब के सामने अनाउन्स किया "हमारी पार्टी चालू रहेगी.. अगर इन्वर्टर की बेटरी डाउन हो जाए तो हम अंधेरे में पार्टी जारी रखेंगे.. सब से विनती है की अंधेरे का गलत उपयोग न करें.. "हँसते हुए उसने कहा "और जिन पर सबकी निगाहें चिपकी हुई है.. वह अपना ध्यान जरूर रखें" कविता के स्तन और मौसम के गालों के डिम्पल की ओर देखते हुए राजेश ने कहा..

सब ने हँसते हँसते तालियों से इस घोषणा का स्वागत किया.. कविता और मौसम शरमा गए.. वैशाली और फाल्गुनी साथ खड़े थे.. वैशाली के हातों में ज्यूस का खाली ग्लास था.. वहाँ से गुजर रहे राजेश ने ये देखा और बोला "मैडम, क्या बात है ?? खाली ग्लास पकड़े पार्टी इन्जॉय कर रही हो? सच सच बताना.. आपके पति को मिस कर रही हो ना.. ??"

वैसे वैशाली संजय को ही याद कर रही थी.. पर उसे मिस करना नही कहा जा सकता.. संजय के प्रति उसके मन में कितनी कड़वाहट थी ये राजेश को बताने का कोई मतलब नही था.. ऐसा समझकर वैशाली ने अपने चेहरे पर नकली मुस्कान धारण कर ली.. और कहा "जी सर.. यहाँ ज्यादातर कपल्स है.. उन्हे देखने के बाद.. जाहीर सी बात है"

राजेश: "ऑफ कोर्स.. ये तो जाहीर सी बात है.. अब आप एक काम कीजिए.. उनके हिस्से का ज्यूस आप पी लीजिए.. वेटर.. मैडम को एक ग्लास दो, प्लीज"

वैशाली: "अरे नही नही सर.. मैं दो ग्लास पहले ही पी चुकी हूँ.. "

राजेश: "अरे.. ये शराब थोड़े ही है.. सिर्फ ज्यूस है.. एक ओर ग्लास तो आराम से पी सकती है आप.. वैसे ज्यूस पीकर कोई कैसे इन्जॉय कर सकता है मेरी तो समझ में नही आ रहा"

वैशाली: "मैं शराब नही पीती सर.. "

राजेश: "और बीयर??"

वैशाली: "कभी कभी.. पर आज मन नही है"

राजेश: "इतनी अच्छी पार्टी चल रही है.. तो आपका मन क्यों नही है?"

वैशाली: "बात वो नही है.. पर बिना कंपनी पीने में मज़ा नही आता मुझे "

राजेश: "हम्म.. तो ये बात है.. क्या आप मेरे साथ बियर पीना चाहोगी? वैसे एक बात बता दूँ.. मैंने आज से पहले कभी बियर नही पी है.. पर आज आप के साथ शुरुआत करने का मन कर रहा है"

वैसे भी वैशाली अकेले अकेले बोर हो रही थी.. क्या पता.. राजेश के साथ बातें कर के थोड़ा अच्छा लगे.. !! राजेश भी वैशाली के उभरे हुए स्तनों को देख रहा था.. पूरी तरह से ढंके हुए स्तन थे.. पर उभार और आकार को वस्त्रों की परतें कहाँ छुपा सकती है!! इतर को ढँककर रखो फिर भी उसकी खुशबू तो आ ही जाती है.. स्त्रीओं के अंग ढंके हुए हो या खुले.. पुरुषों को दोनों ही स्थिति में देखने में मज़ा तो आता ही है.. बस सुंदर साथ होना चाहिए और विचारों में तालमेल होना चाहिए.. फिर ढंके हुए वस्त्रों को उतरने में कहाँ देर लगती है.. !! सिर्फ किसी के पहल करने के ही देर होती है..

वैशाली सोच में पड़ गई.. क्या करू? हाँ कहूँ या मना कर दु? वैसे मुझे पीयूष की कंपनी चाहिए पर वो तो अभी मुमकिन नही है.. वैसे भी अकेले अकेले खड़े रहने का क्या मतलब?? वैशाली को गहरी सोच में डूबा देख.. राजेश इंतज़ार करता रहा.. उसे यकीन था की वैशाली मना नही करेगी

वैशाली ने बीच का रास्ता निकाला.. "सर, क्यों न हम रेणुका जी को भी हमारे साथ शामिल कर ले?"

राजेश: "हाँ जरूर कर सकते है.. पर फिर आपको मज़ा नही आएगा"

राजेश का कहने का मतलब समझकर शरमा गई वैशाली.. उनके कहने के दो मतलब निकलते थे.. कौन सा मतलब निकालना वो वैशाली पर निर्भर करता था..

वैशाली: "वैसे आप कभी शराब पीते नही है.. और यहाँ मेरे साथ पीते हुए देखकर कहीं रेणुका जी कुछ उल्टा-सीधा न सोच लें.. "

राजेश: "उसकी चिंता आप छोड़ दीजिए.. उसके पास अभी भी कुछ भी सोचने का समय नही है.. देखो ना.. कितने सारे लोगों से घिरी हुई है वो!! मुझे तो डाउट है की रात को भी मुझ से मिल पाएगी या नही.. हा हा हा हा.. अब दो ग्लास मँगवा लूँ??"

रोमांचित होकर वैशाली ने हाँ कहते हुए सिर हिलाया.. जैसे बिना पिए ही उसे नशा सा हो रहा था.. वैशाली और राजेश बातें करने में मशरूफ़ थे तभी रेणुका खुद चलकर उनके पास आकर खड़ी हो गई.. और बोली.. "वैशाली डिअर.. तू बियर पीती है ये मुझे कविता से जानने को मिला.. चलो बढ़िया है.. "

वैशाली ने शरमाते हुए कहा " आप कंपनी दो तो जरूर पियूँगी.. आप को पता नही है.. बिना कंपनी ईसे पीओ तो दूसरे दिन हेंगओवर होता है"

रेणुका: "अच्छा ऐसा है? तब तो राजेश ही तुम्हें कंपनी देगा.. मेरा जन्मदिन है आज इसलिए होश में रहना जरूरी है.. लेकिन वादा करती हूँ.. नेक्स्ट टाइम जरूर कंपनी दूँगी.. वैसे मुझे आश्चर्य इस बात का हो रहा है की राजेश पीने के लिए मान कैसे गया? तुझे तो इसकी गंध पसंद नही थी.. खैर जो भी हो.. आप दोनों इन्जॉय करो.. " रेणुका ने जाते जाते राजेश का नाक खींचा.. जवाब में राजेश ने रेणुका को अपनी ओर खींच लिया.. राजेश की छाती से रेणुका के स्तन दब गए.. देखकर वैशाली की आह निकल गई..

दोनों को अकेला छोड़कर रेणुका दूसरे लोगों से मिलने चली गई..

वैशाली को राजेश का सीधा स्वभाव पसंद आ गया... घुमा-फिराकर बात करने वालों में से नही था वो.. इतना अमीर होने के बावजूद जरा सा भी घमंड नही था.. उसका पति संजय.. जेब में ५०० का नोट हो तो भी ऐसे घूमता था जैसे कोई सुल्तान हो..

इस तरफ कविता और पीयूष अब भी एक दूसरे की तरफ देख नही रहे थे.. ऐसे बर्ताव कर रहे थे जैसे एक दूसरे का अस्तित्व ही न हो.. कविता भी बेफिक्र हो कर पीयूष को इग्नोर कर रही थी.. बाहर से खुश दिख रही कविता अंदर ही अंदर घूंट रही थी.. सिर्फ पिंटू ही था जो कविता को ठीक से समझता था.. आखिर प्रेमी था वो कविता का.. और एक सच्चा प्रेमी अपने साथी के मन की हालत बिना बताए ही जान जाता है

राजेश से बातें करते हुए वैशाली धीरे धीरे खुलती जा रही थी

राजेश: "आपके पति क्या करते है? जॉब या बिजनेस?"

वैशाली थोड़ी देर सोचती रही की क्या जवाब दे.. फिर उसने असलियत बता ही दी..

वैशाली: "वो कुछ काम नही करते.. बल्कि ऐसा कह सकते है की वो किसी काम के है ही नही.. पूरा दिन भटकते रहते है.. मुझ में या मेरे जीवन में उन्हे कोई इन्टरेस्ट ही नही है.. हमारा वैवाहिक जीवन एक दुखद वास्तविकता बनकर रह गया है.. इन शॉर्ट, मैं अपनी जिंदगी से.. और अपने पति से बिल्कुल खुश नही हूँ.. " एक ही सांस में अपने जीवन का दुखड़ा सुनाते हुए वैशाली ने ग्लास खतम कर दिया और बोली "एक और ग्लास मँगवा लीजिए सर.. "

वैशाली की आँखों से बहते हुए आंसुओं को देखकर राजेश घबरा गया.. वो सोचने लगा की यह सवाल नही पूछा होता तो अच्छा होता.. !!

राजेश: "अरे वैशाली.. आप तो सीरीअस हो गई.. मुझे लगता है की यह पूछकर मैंने आपको दुखी कर दिया.. आई एम सॉरी.. अब यह मेरी जिम्मेदारी है की मैं आपको खुश करूँ.. क्योंकि आपको दुखी भी मैंने किया है.. " राजेश ने दो ओर ग्लास मँगवाए और एक ग्लास वैशाली को दिया.. दोनों अब पास पड़े एक टेबल और कुर्सी पर बैठ गए.. वेटर ने तले हुए काजू का एक बाउल उनके बीच रख दिया.. दोनों पीते गए और बातें करते गए.. खास कर वैशाली ने ही अपनी बातें बताई.. राजेश बिल्कुल चुपचाप सुनते रहे.. वैशाली को आज तक अपनी बातें इतने इत्मीनान से सुनने वाला कोई नही मिला था..

किसी के कहने पर मौसम ने एक सुरीला गाना छेड़ दिया.. पूरे हॉल में गजब का माहोल छा गया.. शराब, सिगरेट, सौन्दर्य, सेक्स और संगीत का अनोखा मिश्रण जम चुका था.. सब मुग्ध होकर मौसम की ओर देख रहे थे.. आँखें बंद कर गाती हुई मौसम संगीतमय हो चुकी थी.. उसका ध्यान गाने के आराह-अवरोह पर था..

"अजीब दास्तान है ये.. कहाँ शुरू कहाँ खतम.. ये मंज़िलें है कौन सी.. न वोह समझ सकें न हम.. "

गाना सुनने की आड़ में पीयूष मौसम की छातियाँ ताड़ रहा था.. गायकी कितनी मुश्किल चीज है.. बिना इस बात को समझे.. पीयूष बस मौसम के उभारों को और अंगों को नापने में मशरूफ़ था.. मौसम के गाने के बोल सुनते सुनते कविता पिंटू की तरफ देख रही थी.. और दोनों एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे..

पीयूष चलते चलते वैशाली और राजेश सर के पास आया.. अपना सिगरेट का पैकेट खोलकर दोनों को सामने रखा और बोला "बस इसी की कमी है सर.. लीजिए"

राजेश पीयूष की इस पेशकश से थोड़ा सा गुस्सा हो गया.. पीयूष के आते ही वैशाली चुप हो गई

राजेश: "क्या तुझे ये पता नही की आई डॉन्ट स्मोक??"

पीयूष: "सर, वैसे तो आप पीते भी नही हो.. लेकिन आपके हाथ में आज ग्लास भी है.. तो सोचा ये भी ट्राय कर लिया जाएँ.. जो भी है बस आज ही है.. कल किसने देखा है सर.. !!"

राजेश और पीयूष के आश्चर्य के बीच वैशाली ने पैकेट से दो सिगरेट खींच ली.. और उसमें से एक राजेश को देते हुए बोली.. "पी लीजिए सर.. वरना पीयूष बुरा मान जाएगा.. और पीयूष.. बदले में तुझे हमारे साथ बैठकर बियर पीनी पड़ेगी"

"बियर क्या.. तुम कहो तो मैं जहर पीने के लिए भी राजी हूँ.. " हँसते हँसते पीयूष ने पास पड़ी एक कुर्सी खींच ली और इन दोनों के साथ बैठ गया

तीनों बियर और सिगरेट पीने लगे.. तभी मौसम का गाना पूरा हुआ.. वैशाली खड़ी होकर मौसम के पास गई

वैशाली: "अरे वाह.. सुपर्ब.. मेरी एक फरमाइश है.. प्लीज ईसे गा दो.. !!" मौसम और वैशाली के बीच मीठी नोक-झोंक चल रही थी जो राजेश और पीयूष को सुनाई नही दे रही थी.. थोड़ी ही देर में वैशाली वापस लौटी और बोली "अब मौसम मेरी पसंद का गीत पेश करेगी"

मौसम के सुरीले कंठ ने एक और नगमा छेड़ दिया

"जाने क्यों लोग मोहब्बत.. किया करते है.. !! दिल के बदले दर्द-ए-दिल.. लिया करते है"

इतना सुरीला गा रही थी मौसम की सब उसकी आवाज में खो गए.. गीत के हर अंतरे को सुनते हुए वैशाली सिगरेट के कश पर कश लगा रही थी.. जैसे बाहर निकलते धुएं के साथ साथ अपने गम को भी धुआँ कर रही हो..

कविता की फरमाइश पर मौसम ने तीसरा गीत गया

"छोड़ दे.. सारी दुनिया किसी के लिए.. ये मुनासिब नही आदमी के लिए.. प्यार से भी जरूरी कई काम है.. प्यार सब कुछ नही ज़िंदगी के लिए"

यह नगमा पूरा होने तक वैशाली की आँखों से आँसू टपकने लगे.. रो रही वैशाली को कैसे शांत किया जाए ये सोचते हुए एक दूसरे की ओर देख रहे थे पीयूष और राजेश.. आखिर कविता की उन पर नजर पड़ते वो उनके पास आई.. वैशाली की पीठ को सहलाते हुए उसे कहने लगी "शांत हो जा वैशाली.. प्लीज" वैशाली कविता से लिपटकर फुट-फुटकर रोने लगी.. काफी देर तक ऐसे ही रोते रहने के बाद वह चुप हो गई.. रोने से उसका दिल भी हल्का हो गया.. मौसम के गीत के बोल ने वैशाली को रुला दिया था..

वैशाली: "कविता, तू इन्जॉय कर.. अब मैं ठीक हूँ.. पीयूष.. तू भी कविता को कंपनी दे.. कब से वो अकेले घूम रही है.. " वैशाली के कहने पर पीयूष को न चाहते हुए भी कविता के साथ जाना पड़ा..

वैशाली और राजेश फिर से अकेले पड़ गए.. वैशाली के दुखी दिल को डाईवर्ट करने के लिए राजेश अन्य विषयों पर बात करने लगे.. राजेश ने अपने बिजनेस के बारे में.. रेणुका की बारे में.. कई बातें की.. वैशाली अब धीरे धीरे मूड में आने लगी थी.. जैसे जैसे दोनों बातें करते गए.. वैसे वैसे ही उन दोनों के बीच की शर्म और संकोच कम हो रहे थे.. राजेश की बातों में एक अपनापन था.. जो वैशाली को अपनी ओर आकर्षित कर रहा था.. बियर के सिप लेते और सिगरेट के कश लगाते हुए वह दोनों कई अलग अलग विषयों पर बातें कर रहे थे

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तभी मेनेजर ने आकर ये घोषणा की.. पावर आ चुका था.. अब वो लोग जब तक चाहें पार्टी कर सकते थे..

राजेश और वैशाली के ग्लास खतम होते ही.. बिना राजेश से पूछे.. वैशाली ने और दो ग्लास मँगवा लिए.. पहली बार पी रहे राजेश का दिमाग धीरे धीरे नशे की असर में आने लगा था.. राजेश ने वैशाली के करीब आकर पूछा

राजेश: "एक बात पूछूँ वैशाली.. अगर तुम बुरा न मानो तो.. शराब और सिगरेट पीती स्त्री बड़ी ही सुंदर लगती है"

वैशाली: "उसमें कोई बड़ी बात नही है.. आप तो विदेश घूमते रहते है.. वहाँ पर तो ये काफी आम बात है"

राजेश: "ऑफ कोर्स.. पर उन फिरंगी औरतों को ऐसा करता देख कुछ खास महसूस नही होता.. पर पता नही क्यों.. भारतीय स्त्री के हाथों में शराब और सिगरेट देखकर एक अलग ही कीक मिलती है.. "

वैशाली के सर पर भी शराब का सुरूर छा रहा था.. उसकी आवाज भी अब लहराने लगी थी.. बियर का ग्लास आते ही वैशाली ने एक बड़ा घूंट भर लिया.. और नई सिगरेट जलाई.. दोनों पर अब सोमरस का प्रभाव हो रहा था

वैशाली: "सर, आपने तो जीवन में पहली बार शराब पी है.. कैसा रहा ये पहला अनुभव?"

राजेश: "शराब का नशा तो कुछ खास नही है.. हाँ.. तेरी कंपनी का नशा जबरदस्त हो रहा है" नशे में राजेश "आप" से "तू" पर कब आ गया ये पता ही नही चला !!!

वैशाली शरमाते हुए बोली "मैंने कभी सोचा भी नही था की कभी किसी पराए मर्द के साथ बैठकर शराब पीऊँगी.. आज तक मैंने मेरे पति के अलावा किसी के साथ शराब नही पी है.. !!"

राजेश ने हँसते हुए कहा "मैंने तो किसी के भी साथ आज तक नही पी है.. शायद ये हमारे दोनों के बीच एक खास संबंध की शुरुआत हो सकती है"

वैशाली: "मतलब? मैं समझी नही!!!"

राजेश: "वैशाली.. तुम वयस्क हो.. और अभी अभी तुमने बताया की तुम्हारे पति के साथ तुम्हारी ट्यूनिंग कुछ खास नही है.. तुम्हारा पति तुम्हें जो नही दे पा रहा है.. वो देने का मौका मुझे दे सकती हो??"

वैशाली: "सर, मुझे लगता है आपको शराब चढ़ गई है.. " नशे में होने के बावजूद वैशाली सतर्क हो गई..

वैशाली का हाथ पकड़कर राजेश ने कहा "हाँ, मुझे चढ़ गई है वैशाली.. यहाँ सब इन्जॉय कर रहे है.. तो फिर हम भी क्यों इन्जॉय न करें??"

वैशाली: "आप जरूर इन्जॉय कर सकते है.. पर वो रेणुका जी के साथ.. मेरे साथ नही.. ओके??"

राजेश के स्पर्श से वैशाली के पूरे जिस्म में झनझनाहट होने लगी थी.. वैशाली जवान थी.. खूबसूरत थी.. सेक्सी थी.. और माउंट आबू के मदहोश वातावरण में शराब का नशा अपना असर दिखाएं.. फिर कोई कैसे अपने आप को कंट्रोल करेगा!!!

राजेश का हाथ अपने हाथ पर से हटा नही पाई वैशाली.. वैशाली ने सिगरेट जलाने के लिए अपना हाथ खींच लिया तब राजेश ने कहा "वैशाली, जब हम एक ही ब्रांड की सिगरेट पी रहे हो.. तो फिर दो अलग अलग जलाने की क्या जरूरत है? एक सिगरेट से ही पीते है ना.. !!"

वैशाली: "वैसे तो हम बियर भी एक ही ब्रांड की पी रहे है" हँसते हुए उसने कहा

राजेश: "अरे हाँ.. फिर दूसरे ग्लास की जरूरत ही नही है" कहते हुए उसने अपने हाथ का ग्लास छोड़ दिया.. ग्लास जमीन पर जा टकराया और चूर चूर हो गया.. सब की नजर उन दोनों की ओर गई.. उस दौरान रेणुका पीयूष की ओर देखकर मुस्कुरा रही थी.. कविता ये देखकर खुश थी की आखिर वैशाली पीयूष को छोड़ किसी और मर्द से उलझ चुकी थी.. हाँ पीयूष ये देखकर थोड़ा दुखी जरूर था.. पर उसका ज्यादा ध्यान मौसम की ओर था.. एक बार वो हाथ लग जाए फिर वैशाली की क्या जरूरत.. !!!

शराब और राजेश के स्पर्श का ऐसा असर हो रहा था वैशाली पर.. की वो खुद तय नही कर पा रही थी की उसके शरीर के अंदर ये अजीब सी सुरसुरी क्यों हो रही थी.. !! आज तक जीतने मर्दों के संपर्क में वह आई थी वो सामान्य लोग थे.. पहली बार उसे किसी अमीर और सफल बीजनेसमेन से संपर्क करने का मौका मिला था.. वैशाली सोचने लगी "काश संजय भी ऐसा होता" वैसे उसे बड़ी गाड़ी या बंगले की चाह नही थी.. वह तो सिर्फ इतना चाहती थी की संजय सीधी राह पर चलें.. और दोनों खुशी खुशी अपनी ज़िंदगी व्यतीत करें.. पर संजय के लक्षण देखते हुए यह मुमकिन नही लग रहा था..

वैशाली: "आप से एक बात पूछूँ सर?"

राजेश: "अरे वैशाली.. इतनी देर तक साथ बैठने के बाद तू अभी भी मुझे पराया मान रही है?? मैंने तो तुझे अपना समझकर अभी ओफर भी कर दी.. लेकिन तूने ध्यान नही दिया.. हा हा हा हा.. कोई बात नही.. पूछ जो भी पूछना हो"

वैशाली: "मेरा पति संजय जीतने भी बिजनेस करता है उन सब में निष्फल ही रहता है.. बिजनेस की बात छोडो.. किसी नौकरी में भी वो दो महीनों से ज्यादा नही टिकता.. और जब देखों तब वह अपनी निष्फलताओं के लिए दूसरों की ही जिम्मेदार ठहराता है.. ऐसा क्यों? क्या आप मेरी इसमें कोई मदद कर सकते है?"

राजेश के अंदर का बिजनेसमेन सोचने लगा " ऐसा है वैशाली.. तेरी बातों से मुझे ये लगता है की तेरा पति गलत संगत में पड़ गया है.. उसे लाइन पर लाने के लिए सब से पहले उसे उसके नालायक दोस्तों से अलग करना जरूरी है.. उसके बाद ही कुछ सोच सकते है.. अगर तुम चाहो तो मैं उसे अपनी कंपनी में ले सकता हूँ.. पर फिर उसे मेरे स्ट्रिक्ट स्वभाव को झेलना होगा.. मैं काम में कोताही जरा भी बर्दाश्त नही करता हूँ.. और हाँ.. उसके लिए तुम दोनों को कलकता छोड़कर यहाँ शिफ्ट भी होना पड़ेगा.. अगर तुम कलकत्ता रहोगी और वो यहाँ अकेला नौकरी करेगा तो फिर से अपने उलटे धंधे शुरू कर देगा "

राजेश सर की बातें बड़ी ही ध्यान से सुन रही थी वैशाली.. अपनी ज़िंदगी की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने के लिए कुछ करना जरूरी था.. राजेश सर जैसे अच्छे व्यक्ति की संगत में अगर संजय सुधार जाएँ तो पूरा जीवन सुखमय हो जाएगा.. ऐसा सोच रही वैशाली के स्तनों को देखते हुए राजेश मन ही मन उन्हे दबाने की सोच रहा था.. वैसे राजेश हर औरत को ऐसी नजर से देखने वालों में से नही था.. पर वो काफी खुले विचारों वाला था.. बार बार विदेश जाते हुए लोगों को कुछ कुछ बातों के लिए खुली सोच रखना बेहद जरूरी हो जाता है..

राजेश की भूखी नजराओं को अपनी छाती पर महसूस किया वैशाली ने.. अब कुदरत ने भरभरकर सौन्दर्य दिया है तो लोग देखेंगे ही ना!!! और उसने कौन सा अपने स्तनों को खुला रखा था!! कपड़ों से ढंके हुए तो थे उसके स्तन.. अब इससे ज्यादा उन्हे कैसे छुपाती.. !! जवान लड़कियों को शुरू शुरू में अपनी छातियों पर गंदी नजर डालने वालों से सख्त नफरत होती है.. गुस्सा भी बहोत आता है.. शर्म भी!! फिर धीरे धीरे आदत पड़ जाती है.. और काफी को तो वो नजरें अच्छी भी लगने लगती है..

अपने स्तनों को तांक रहे राजेश सर की नज़रों को इग्नोर कर उनकी वाणी और वर्तन पर फोकस कर रही थी वैशाली

"देखो वैशाली.. मेरी बात पर गौर करके देखना.. आपके सास और ससुर से भी डिस्कस कर लेना.. मोम-डेड से भी.. अगर सबको ठीक लगे तो तुम मेरी कंपनी जॉइन कर लो.. इसी बहाने तुम्हारे साथ रहने का मौका भी मिलेगा मुझे.. फ्रेंकली कहूँ तो आई लाइक यॉर कंपनी.. "

वैशाली: "आई लाइक यॉर कंपनी टू.. मैं जरूर इस बारे में सोचूँगी"

राजेश: "वैशाली.. माउंट आबू में हमारी इस मुलाकात को यादगार बनाने के लिए.. हमारी दोस्ती के पहले कदम की ओर जाते हुए.. क्या तुम मुझे एक किस दे सकती हो?"


वैसे तो वैशाली को ऐसा कोई परहेज नही था पर राजेश के साथ वह हर कदम फूँक फूँक कर रखना चाहती थी.. बहोत सी बातें जुड़ी थी राजेश के साथ..
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है राजेश वैशाली पर लाइन मार रहा है लगता है राजेश वैशाली को जरूर चोद पाएगा
 

Sanju@

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राजेश: "वैशाली.. माउंट आबू में हमारी इस मुलाकात को यादगार बनाने के लिए.. हमारी दोस्ती के पहले कदम की ओर जाते हुए.. क्या तुम मुझे एक किस दे सकती हो?"

वैसे तो वैशाली को ऐसा कोई परहेज नही था पर राजेश के साथ वह हर कदम फूँक फूँक कर रखना चाहती थी.. बहोत सी बातें जुड़ी थी राजेश के साथ..

वैशाली: "नो सर.. माफ कीजिए पर आप जो चाहते है वो मैं आपको नहीं दे पाऊँगी.. सॉरी"

राजेश: "कोई बात नहीं.. अगर तुम्हारा मन हो तो ही.. जबरदस्ती तो मैंने आज तक रेणुका से नही की.. डॉन्ट वरी.. कब से अकेले पी रही हो.. क्या तुम भूल गई की हम दोनों एक ही ग्लास से पी रहे है?"

वैशाली: "ओह.. सॉरी सर.. बातों बातों में भूल ही गई.. ये लीजिए ग्लास.. " वैशाली ने जब ग्लास देने के लिए अपना हाथ आगे किया.. तब राजेश ने उसकी हथेली को दबाते हुए कहा "बुरा मत मानना वैशाली.. पर अगर शराब का इतना भी असर न हो तो फिर पीना ही बेकार है.. तुम बहोत सेक्सी हो यार.. मैं अपने आप पर कंट्रोल नही रख पा रहा हूँ.. "

वैशाली को जिस बात का डर था वहीं हो रहा था.. राजेश सर उसकी ओर फिसलते जा रहे थे.. क्या करूँ?? खड़ी होकर चली जाऊँ?? तो उन्हे बुरा लगेगा.. उनकी कंपनी की पार्टी में.. उनके खर्चे पर यहाँ आई हूँ.. सिर्फ हाथ ही तो पकड़ा है.. चलता है.. !!

वैशाली: ओह्ह सर.. मेरे खयालात उतने पुराने भी नही है की आप मेरा हाथ न पकड़ सको.. मुझे भी अच्छा लगा"

दोनों के बीच अब तक ४ ग्लास बियर खतम हो चुकी थी.. और सिगरेट का पूरा एक पैकेट खतम हो चुका था.. और उस दरमियान राजेश वैशाली के हाथ तक पहुँच गया था.. वैशाली के गोरे कोमल हाथ को सहलाते हुए राजेश उसकी आँखों में आँखें डालकर देख रहा था.. वैशाली और ज्यादा देर तक उसका सामना नही कर पाई.. बार बार वह अपनी नजरें झुका लेती थी.. एक अजीब प्रकार का आकर्षण दिख रहा था उसे राजेश की आँखों में..

राजेश: "वाकई वैशाली.. तू बहोत सुंदर है.. तेरा फिगर भी जबरदस्त है.. जो भी देखें वो पागल हो जाएँ.. मैं भी आखिर एक मर्द हूँ.. ऊपर से माउंट आबू का ये मदहोश आलम.. साथ में शराब का नशा.. आज अगर रात को तेरा साथ मिल जाएँ तो हम दोनों की रात रंगीन हो जाएगी"

बियर के नशे में धुत होकर राजेश वैशाली को मना रहा था.. कविता पार्टी में अब भी अपने स्तनों की नुमाइश करते हुए यहाँ वहाँ घूम रही थी.. पीयूष और मौसम के नैन लड़ रहे थे.. फाल्गुनी और रेणुका किसी विषय पर गंभीर चर्चा कर रहे थे..

अपने फिगर की तारीफ सुनकर वैशाली फुली न समाई.. और वो भी किसी ऐरे गैरे इंसान से नही.. राजेश जैसे सफल और अमीर व्यक्ति के मुंह से..

पार्टी अपने पूरे रंग में थी.. हर कोई अपने अपने ढंगे से मजे कर रहा था..
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होटल से निकलकर इनोवा में बैठे ही संजय ने शीला को अपनी बाहों में भर लिया.. और उसके अंगों को अपने हाथों से रौंदने लगा.. शीला के मदमस्त स्तनों पर.. उसकी जांघों पर.. वो जगह जगह अपने हाथ फेर रहा था.. जैसे एक ही बार में वो शीला का पूरा जिस्म भोग लेना चाहता हो..

संजय: "मम्मी जी, यू आर सो हॉट.. आई लव योर सेक्सी बूब्स.. बस गोवा पहुँचने की देरी है.. मैं पूरी दुनिया को अपनी सास के उभार दिखाना चाहता हूँ.. "

शीला ने अपने दामाद के लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया.. और उत्तेजना पूर्वक मसल दिया.. एक ही झटके में उसने पेंट के अंदर से लंड बाहर निकाला और नीचे झुककर चूसने लगी.. संजय के बड़े अंडकोशों को अपनी मुठ्ठी में दबाकर वह उससे खेलती रही और कराहती रही.. ड्राइवर को गाड़ी के करीब आता हुआ देख दोनों ने अपने अंग छुपा लिए और चुपचाप बैठ गए.. और गाड़ी तेजी से गोवा की तरफ जाने लगी

गोवा की सरहद पर पहुंचते ही शीला रोमांचित हो गई.. एक आलीशान होटल में रहने का इंतेजाम किया था संजय ने.. उनके कमरे की बालकनी समंदर के किनारे पर थी.. होटल का अपना प्राइवेट बीच था.. देखती ही शीला का दिल खुश हो गया

संजय: "मम्मी जी, यहाँ हम दोनों अकेले है.. और यहाँ हमे कोई जानता भी नही है.. मैं आपको जबरदस्त आनंद और भरपूर रोमांच का अनुभव करवाना चाहता हूँ.. बस यह सब इन्जॉय करने के लिए आपको थोड़ा सा बिंदास होने की जरूरत है.. तभी आप यहाँ का पूरा आनंद ले पाएगी.. देखिए.. वो सामने खड़ी स्त्री कितनी बिंदास खड़ी है?"

शीला ने उस स्त्री की ओर देखा.. करीब ४० के उम्र की वह स्त्री.. लगभग नंगी सी थी.. उसकी बिकीनी इतनी छोटी थी.. जो केवल उसकी दोनों निप्पल और चूत की लकीर को ही छुपा रही थी.. बाकी सब देखने वालों के लाभ के लिए खुला छोड़ दिया गया था.. उसके हाथ में बियर की बोतल थी.. उसके स्तन की सम्पूर्ण गोलाई खुली नजर आ रही थी.. जैसे पूरी दुनिया को अपने नग्न अंग दिखाने के इरादे से ही उसने वैसी बिकीनी पहनी थी..

शीला बालकनी से जब उस स्त्री को एकटक देख रही थी तभी संजय ने उसे अपने आगोश में खींच लिया और पास की एक कुर्सी पर बैठ गया.. शीला को अपनी गोद में बैठा लिया.. शीला के स्तनों के उभारों पर हाथ फेरते हुए संजय उत्तेजित हो गया.. उसका लंड शीला की गांड पर चुभने लगा.. शीला की काँखों के अंदर से हाथ डालकर संजय ने दोनों स्तनों को मसल दिया.. और शीला का चेहरा मोड कर उसे किस करते हुए कान में कहने लगा "मम्मी जी.. अब तक आपने आपकी रसीली चूत के दर्शन नही करवाए.. खैर अब यहाँ आ ही गए है तो वो भी हो जाएंगे.. मुझे कोई जल्दी नही है.. अभी आप जल्दी से कपड़े चेंज कर लीजिए ताकि हम बीच पर जाकर मजे कर सके.. "

शीला: "पर बेटा.. मैं समंदर पर पहनने लायक कोई कपड़े लेकर ही नही आई हूँ.. मेरे पास तो सारी साड़ियाँ ही है.. मुझे कहाँ पता था की तुम मुझे गोवा ले जा रहे हो.. !! "

संजय: "अगर मैं आपको पहले बता देता की गोवा ले जा रहा हूँ.. तो क्या आप चलते मेरे साथ?" संजय ने अपने पेंट की चैन खोलकर लंड बाहर निकाला.. गोरे सख्त लंड को देखकर शीला के अंदर वासना का बवंडर उठ गया.. शीला संजय की गोद से खड़ी हो गई और बोली

शीला: "अब मैं क्या पहनु? साड़ी ही पहन लेती हूँ.. "

संजय: "साड़ी पहन कर भी कोई कभी बीच पर जाता है क्या!!! चलिए.. पास किसी स्टोर से आपको मस्त कपड़े दिलवाता हूँ"

दोनों बालकनी से चलते चलते समंदर किनारे बने एक छोटे से मार्केट पहुंचे.. चलते हुए शीला संजय से ऐसे चिपकी हुई थी जैसे हनीमून पर आई हो.. ऐसा करने में उसे कोई झिझक भी नही हुई.. आसपास का वातावरण ही कुछ ऐसा था.. अद्भुत और उन्मादक.. कई कपल्स ऐसी ऐसी हरकतें खुले में कर रहे थे.. की शीला काफी खुला खुला महसूस करने लगी.. कोई किस कर रहा था.. तो कोई खुलेआम स्तन दबा रहा था.. एक पेड़ के तने के पीछे खुलेआम लंड चुसाई चल रही थी.. !!!

एक स्टोर से संजय ने शीला के लिए एक मस्त पतला सा लो-कट टॉप और जीन्स की शॉर्ट्स खरीदी.. शॉर्ट्स तो इतनी छोटी थी की शीला की पूरी जांघ ही खुली नजर आयें.. और उसके आधे से ज्यादा चूतड़ बाहर ही लटकते रहे.. इतनी छोटी.. !!

शीला ने कृत्रिम क्रोध के साथ कहा "कैसे कपड़े लिए है बेटा.. ?? मैं क्या ऐसे कपड़े पहनूँगी? शर्म भी नही आती?"

संजय ने हँसते हुए कहा.. "मेरी जान.. तुझे तो मैं पूरे गोवा में नंगा घुमाना चाहता हूँ.. अब तय कर लो.. वैसे घूमना है या ये कपड़े पहनने है??"

शीला के बदन में कामुकता और हवस का बुखार सा चढ़ने लगा.. संजय भी जिस तरह "आप" से "तू" पर आ गया था.. शीला की चूत में अजीब सी चुनचुनी होने लगी थी.. उसके स्तन सख्त होकर तन गए थे.. कान लाल हो गए थे..

संजय: "तू अभी ट्रायलरूम में जाकर ये कपड़े पहन कर आ" उसने शीला को आदेश दिया

थोड़ी सी हिचकिचाहट के बाद शीला को आखिर मानना ही पड़ा.. वह जब ट्रायलरूम के बाहर आई तब देखने लायक द्रश्य था.. गोरा गदराया मांसल चरबीदार जिस्म.. पतला सा टॉप.. जिस में बिना ब्रा के खरबूजे जैसे स्तन साफ साफ दिख रहे थे.. टॉप इतना टाइट था की शीला डर रही थी की उसके स्तन कहीं टॉप को फाड़ न दे.. निप्पल भी उभरकर अपना आकार दिखा रही थी.. स्टोर में और जीतने भी लोग थे सब की नजर शीला पर चुंबक की तरह चिपक गई..

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संजय ने काउन्टर पर बिल के पैसे चुकाये और शीला का हाथ पकड़कर बाहर निकला.. इतने उत्तेजक कपड़े पहनकर शीला आज पहली बार बाहर निकली थी.. उसके मदमस्त बड़े बबले बार बार साथ चल रहे संजय की कुहनी से टकराते हुए उसे उत्तेजित कर रहे थे..

किसी भी प्रकार के मेकअप के बगाई शीला अपने दामाद के साथ चलती जा रही थी.. दोनों की उम्र में करीब २५ वर्ष का फरक था.. देखने वाले सब आश्चर्य से इस जोड़ी को देख रहे थे.. सब सोच रहे थे की यह आखिर किस तरह की जोड़ी है?? अब तक शीला ने भी मन में यह तय कर लिया था की वह अपने दामाद के साथ खुल कर जिएगी.. और गोवा में मिली इस स्वतंत्रता का पूरा आनंद लेगी

शीला: "संजय बेटा.. एक सिगरेट जला कर दो मुझे" एक बंद दुकान के बाहर बैठते हुए उसने संजय से कहा.. शीला के उठते या बैठते उसके स्तन उछल-कूद कर रहे थे.. यह देखकर सामने खड़े एक अंग्रेज ने कहा "ओह वाऊ.. अमैज़िंग.. !!" हाथ में सिगार लिए वह शॉर्ट्स और लूज टीशर्ट पहने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ खड़ा था.. दोनों के जिस्म काफी कसे हुए थे.. और ६ फिट से ज्यादा की लंबाई थी.. २८ के आसपास की उम्र.. शीला और संजय दोनों उनके तरफ देखने लगे.. उसकी फिरंगी गर्लफ्रेंड भी जबरदस्त सेक्सी थी..

"कितना गोरा है वो फिरंगी.. !!" शीला ने कहा..

"हाँ मम्मी जी.. तुम्हारे उछलते बॉल देखकर पागल हो गया.. साथ में जो लड़की है वो कितनी हॉट है.. देखो तो सही.. एकदम कच्चे कुँवारे स्तन है उसके.. कमर भी कितनी पतली है.. साली की चूत में एक धक्के में लंड डाल दु तो जान निकल जाए उसकी.. "

शीला: "बेटा.. उसके हाथ में जो सिगरेट है वो कितनी अलग है.. !!! मोटी सी"

संजय: "वो सिगरेट नही.. सिगार है.. विदेश में लोग ज्यादातर यही पीते है.. "

शीला: "यहाँ कहीं मिलेगी ऐसी सिगार? मुझे ट्राय करनी है"

संजय: "आपको सिगार ट्राय करनी है.. तो मुझे उस लड़की की चूत ट्राय करनी है.. किसी गोरी को एक बार दबाकर चोदने का बहोत मन है मुझे.. " संजय अपने लंड को दबाने लगा.. वह दोनों भी शीला की ओर देख रहे थे.. संजय का लंड उस गोरी के स्तन देखकर सख्त हो चुका था..

शीला: "लगता है की तुम्हारा खड़ा हो गया है.. इतनी पसंद आ गई तुम्हें? जो ओर किसी को ही देखना था तो मुझे साथ क्यों लाया?" शीला को स्त्री सहज ईर्षा होने लगी..

संजय: "आपको तो मैं होटल में ले जाकर अपने अनोखे अंदाज में चोदूँगा.. वो गोरा तुम्हारी चूचियों को देखकर कैसा पागल हो रहा है"

शीला: "यही तो मेरा मुख्य शस्त्र है बेटा.. मर्दों को इन स्तनों से कैसे पागल बनाना मुझे अच्छी तरह आता है.. तुम्हें उस रांड को देखकर जैसी उत्तेजना हो रही है वैसी ही कुछ उस गोरे को मेरे स्तन देखकर हो रही होगी.. अरे देखो.. वो दोनों हमारी तरफ ही आ रहे है.. कितना हेंडसम है ये लड़का.. इसका लंड कितना गोरा होगा.. हाय.. !!! मुझे तो उससे चुदवाने का मन कर रहा है संजु" शीला ने संजय के कंधे पर अपना सर रख दिया..

शीला और संजय दोनों बातें कर रहे थे तब वह जोड़ा उनके पास आ गया..

उस गोरे ने कहा "Hi.. I am John and this is my baby, Charlie.. We are from France.. You both are a nice looking couple.. and madam you are looking gorgeous" जॉन ने शीला के बॉल को नजदीक से देखते हुए अपने होंठ पर जीभ फेरते हुए कहा..

संजय तो चार्ली की कमर को देखकर बावरा हो गया.. पेड़ की पतली शाख जैसी कमर.. छोटे छोटे कूल्हें.. और पतले शरीर के मुकाबले बड़े स्तन.. बनियान जैसा कुछ पहन रखा था चार्ली ने.. साइड से उसके आधे स्तन तो बिना किसी प्रयत्न के ही दिख रहे थे..

संजय ने चार्ली से हाथ मिलाते हुए कहा "Nice to meet you Charlie.. I am Sanjay and this is Shila..She is neither my wife nor my girlfriend..so please don't ask about our relationship.. We are here to enjoy..Would you like to join us?"

चार्ली अपने दोस्त जॉन के सामने देखने लगी.. जॉन की आँखें तो शीला के स्तनों को देखते ही चकाचौंध हो चुकी थी

चार्ली ने जॉन से कहा "John, you remember? I told you about my fantasy!! I think this is a golden chance for me.. I don't want to miss this..Please help me to fulfill it darling..do something!!"

शीला और संजय स्तब्ध होकर उनकी बातें सुनते रहे.. शीला की चूत तो पानी छोड़ने लगी थी जॉन को देखकर.. वह दोनों किस बारे में बात कर रहे थे यह समझने में देर नही लगी संजय को.. पर उनकी अजीब अंग्रेजी को समझने में दिक्कत आ रही थी..

तभी दुकान के पास खड़ा एक आदमी चलते हुए उनके पास आया "साहब.. इनकी अंग्रेजी समझने में हेल्प करूँ आपकी? १०० रुपये लूँगा"

संजय ने तुरंत अपने वॉलेट से १०० का नोट निकालकर उसके हाथ में थमा दिया..

उस आदमी ने उन दोनों के साथ कुछ बात की और फिर कहा "सर, ये कपल आप लोगों के साथ वक्त गुजारना चाहता है.. और चार्ली मैडम का कहना ही की वह एक बार किसी इंडियन आदमी के साथ डेट पर जाना चाहती है.. अगर आप दोनों को एतराज न हो तो ये दोनों आप के साथ एक रात गुजारना चाहते है!!"

संजय को ऐसा लग रहा था जैसे स्वर्ग उतरकर धरती पर आ गया हो

संजय" मम्मी जी.. आप इस गोरे को लपेटना चाहती हो.. और मैं चार्ली को.. मेरा भी जबरदस्त मन कर रहा है विदेशी चूत को चोदने का.. "

शीला सोचने लगी.. ऐसे किसी अनजान आदमी के साथ कैसे चली जाऊँ?? कुछ ऊपर नीचे हो गया तो? मदन को क्या मुंह दिखाऊँगी? एक साथ कई विचार उसके दिमाग में एक साथ चल रहे थे..

तब जॉन उस आदमी से और कुछ बात करने लगा.. उसकी बात सुनकर वह आदमी संजय और शीला के पास आया और बोल

आदमी: "ये जॉन साहब ने मुझे जो कहा वोही मैं आपको बता रहा हूँ.. आप गुस्सा मत करना.. प्लीज.. ये तो मेरा काम है.. "

संजय: "हम बुरा नही मानेंगे.. "

आदमी ने शीला की ओर देखते हुए कहा "ये साहब कह रहे है की अगर आप उसके साथ एक रात गुजारेगी तो वो आपको १००० डॉलर देने के लिए तैयार है"

स्तब्ध हो गई शीला.. उसने संजय से कहा "बेटा.. तू इस लड़की के साथ जा.. मैं इसके साथ जाती हूँ.. ऐसा मौका दोबारा हमें कभी नही मिलेगा"

खुश होकर संजय ने जॉन के सामने ही चार्ली के गालों को सहलाया.. और उसका हाथ पकड़कर कहा "Let's go baby..!!

जॉन शीला के करीब आया.. अपनी सिगार शीला को देते हुए कहा : "Do you smoke?"

शीला ने मुस्कुराकर सिगार अपने हाथ में ली और एक बड़ा सा कश लगाया.. सिगार के धुएं के साथ दोनों ओजल हो गए.. जाते जाते शीला ने मुड़कर देखा.. उसका दामाद बीच बाजार में उस चिड़िया को चूमते हुए उसके स्तन दबा रहा था.. शीला को थोड़ी बहोत अंग्रेजी आती थी.. जॉन ने शीला का हाथ पकड़कर अपनी बगल में खींच लिया.. और चलने लगा.. शीला की गदराई कमर पर हाथ रखकर वह चल रहा था..

शीला और जॉन बारी बारी सिगार फूँक रहे थे.. जॉन शीला की कमर की चर्बी हाथ में पकड़कर उसे उकसा रहा था.. शीला के जिस्म एक अजीब प्रकार का रोमांच और उत्तेजना दौड़ने लगी.. दोनों केवल संभोग करने के इरादे से ही मिले थे.. इसलिए शीला ने सीधा बोल दिया..

शीला: "I don't want to waste time on the road.. so let's go to your room..I want you to take me there"

जॉन: "Oh really!!! You are so fucking hot bitch..!! Let's go honey.. I want to suck your pussy.. I want to taste Indian cunt too"

शीला: "I also want to taste white lund"

जॉन: "What did you say? Lund? What does it mean?"

शीला: "Lund means this...!!" कहते हुए शीला ने जॉन के लंड पर धीरे से चपत लगाई और हंसने लगी

जॉन: "Ohh you mean my dick..that is great.. Your smile is also fucking killer baby.." सिगार शीला के हाथ में थमाते हुए जॉन ने उसे अपने आगोश में खींचा.. चलते चलते वह दोनों एक खाली सड़क पर पहुँच गए.. आसपास कोई था नही.. जो एकाध थे वो कपल में थे और अपनी दुनिया में मस्त थे..

जॉन ने शीला के कंधों पर हाथ रखकर उसके टॉप के अंडर डाल दिया.. पहली बार उसने शीला की नंगी चूचियों का स्पर्श किया.. अंदर ब्रा तो थी नही.. जॉन के हाथ में शीला का अनमोल स्तन आ गया.. जॉन की आह्ह निकल गई.. स्तनों को दबाते हुए उसने कहा

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जॉन: "My god..!! You Indians have such sexy boobies..I like your fucking huge titties..Shila.." अपने टिपिकल अंग्रेजी में वह बोला

शीला खुश हो गई.. सिगार का दम खींचते हुए वह बोली "John.. press my boobs hard..I like your hard touch on my boobs" कहते हुए शीला ने जॉन के अंदर घुसे हाथ को ऊपर से ही दबा दिया.. और बोली "John.. I want to see your cock right now..right here!!"

जॉन: "You mean my lund?"

शीला: "Yes..yes john.. I want to see your lund right here..so please show me now" एक सुमसान गली के कोने में वह जॉन को खींचकर ले गई.. जाते जाते उसने शॉर्ट्स के ऊपर से ही जॉन का लंड पकड़ लिया.. उसने महसूस किया की शॉर्ट्स के अंदर उसने कुछ नही पहना था.. उसका लंड खुला ही लटक रहा था.. शीला के हाथ में सीधा जॉन का डंडा आ गया.. शीला पकड़कर हिलाने लगी

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जॉन: "Ohhh Shila.. you fucking bitch.. You are so hot..aahhhh!!"

उसके सख्त फिरंगी लंड को चड्डी के ऊपर से ही हिलाते हुए शीला इतनी उत्तेजित हो गई की वह ये भी भूल गई की वो लोग बाहर खड़े थे.. उसने चड्डी के अंदर हाथ डालकर जॉन के लंड की नोक पकड़ ली.. और उस फुले हुए सुपाड़े को उंगली से दबा दिया..

जॉन ने शीला को अपनी बाहों में दबोच कर एक जबरदस्त फ्रेंच किस कर दी.. उसकी चूमने की स्टाइल पर शीला फ़ीदा हो गई.. उस अंग्रेज ने बड़े ही आराम से शीला के निचले होंठ को चूसना जारी रखा.. शीला का जोबन अब सिहरने लगा था.. ब्लू फिल्मों को देखकर शीला हमेशा यह सपना देखती थी की कभी कोई गोरा उसे दबोच कर नंगी करके धमाधम चोद दे..आज उसका वो सपना साकार हो रहा था.. जॉन का लंड जबरदस्त सख्त हो गया था.. शीला उत्तेजित होकर उसकी चड्डी में हाथ डालकर उससे खेल रही थी.. शीला ने अब उसके अंडकोशों को भी मुठ्ठी में पकड़कर देखा.. मस्त गोलगप्पे जैसे थे उसके आँड..

"प्लीज जॉन.. बाहर निकालकर मुझे दिखा न.. !!" हिन्दी में बोली शीला.. जॉन को कुछ समझ में नही आया

किस तोड़कर जॉन ने पूछा "What??"

शीला को तब एहसास हुआ की उसे अंग्रेजी में बोलना था "Please, show me your big cock!!"

जॉन: "hey..not here..let's go to my room dear..let's go" हाथ पकड़कर उसने शीला को खींचा

"No John, I can wait anymore..Show me here and now" कहते हुए शीला घुटनों के बल बैठ गई और जॉन की चड्डी की मोरी से लंड को बाहर खींचने लगी.. जैसे बिल से चूहा बाहर निकलता है बिल्कुल वैसे ही जॉन के लंड का सुपाड़ा बाहर निकला.. जॉन की जांघों के बालों को चूमते हुए शीला ने उस सुपाड़े पर अपनी जीभ का स्पर्श किया..

"Ohh.. Shila, please don't do it here.. I can't control anymore" चड्डी के नीचे से हाथ डालकर उसके गोटों को मसल रही शीला से जॉन ने कहा.. पर शीला की हवस की आग इतनी तेज थी की वह अब बेकाबू हो चली थी.. उसने जॉन की बातों को इग्नोर करते हुए चड्डी को थोड़ा सा ओर ऊपर किया.. लगभग साढ़े तीन इंच जितना लंड बाहर निकल आया और बिना एक सेकंड गँवाए शीला ने लंड मुंह में ले लिया.. पीछे से हाथ डालकर उसने जॉन के कूल्हों को भी सहलाना शुरू कर दिया.. कूल्हों पर दबाव बनते ही जॉन शीला की ओर करीब आ गया.. और लंड थोड़ा सा और बाहर निकला.. वह हिस्सा भी शीला ने अपने मुंह के आगोश में भर लिया..

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"Ohh..you fucking bitch..please stop!! Let's go to my room" पर शीला कहाँ सुनने वाली थी!!! जॉन के गोरे कूल्हों और जांघों पर हाथ फेरते हुए वह बदहवास होकर लंड चूस रही थी.. वह उत्तेजना से इतनी बेकाबू हो गई थी की चूसते चूसते एक बार तो उसने लंड पर आपने दांत गाड़ दिए.. जॉन ने अपने जीवन में आज तक इतनी कामुक स्त्री को नहीं देखा था.. वो बावरा होकर इस हिंसक शेरनी जैसी शीला का शिकार बनता रहा.. दंग रह गया वोह.. भारतीय स्त्री इतनी कामुक और उत्तेजित हो सकती है वो उसने सपने में भी नही सोचा था..

जॉन ने शीला को कंधे से पकड़कर खड़ा किया और अपने लंड को उसके मुंह के चूँगाल से छुड़ाया..शीला ने तुरंत अपना टॉप ऊपर करते हुए अपने अद्भुत स्तनों को जॉन की आँखों के सामने उजागर कर दिया.. और जॉन का चेहरा अपने स्तनों पर दबा दिया..

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जॉन शीला के स्तनों की गोलाइयों में ऐसा खो गया की फ्रांस भी भूल गया.. दोनों स्तनों के बीच शीला ने ताकत से जॉन को दबोचे रखा था.. सांस लेने के लिए भी तड़पने लगा जॉन.. उसका लंड शीला के जिस्म की गर्मी के कारण अप-डाउन हो रहा था.. जैसे पानी से बाहर निकाली मछली फुदक रही हो.. शीला ने उसके फुदकते लंड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया और लंड की त्वचा को पीछे सरकाया.. उसका लाल गुलाबी सुपाड़ा बाहर दिखाई देने लगा.. शीला उस सुपाड़े को अपनी जांघों पर रगड़ने लगी.. जॉन लगातार शीला की निप्पलों को चूस रहा था.. इतनी मस्ती से चूस रहा था जैसे उनमें से दूध निकल रहा हो.. उसके लंड की सख्ती ये बता रही थी की उसे शीला की हर हरकत बेहद अच्छी लग रही थी.. शीला जो कुछ भी कर रही थी वह उसके अंदाजे और कल्पना के बाहर था..

अब शीला की चूत में जबरदस्त खुजली होने लगी.. उसकी सहनशक्ति जवाब देने लगी.. दोनों इतने उत्तेजित होकर एक दूसरे पर टूट पड़े थे जैसे खा जाना चाहते हो.. जॉन से कई ज्यादा आक्रामक शीला थी.. एक दीवार की आड़ में खड़े दोनों पूरे खुमार पर थे.. दीवार का सहारा लेकर शीला खड़ी हो गई और जॉन का चेहरा अपने जिस्म पर दबाते हुए बोली

शीला: "Ohh John dear..please suck my choot..I can't bear yaar" "चूत" शब्द का अर्थ तो जॉन नही समझ पाया पर उसे इतना पता चल गया की वह क्या कहना चाहती थी.. वह फिरंगी तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गया और शीला की छोटी सी चड्डी जैसी शॉर्ट्स को नीचे उतारकर उसकी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा.. चूत के दोनों होंठों को अपने होंठों के बीच दबाकर चूसने लगा..


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शीला ने अपना दायाँ पैर ऊपर किया और जॉन के कंधे पर रख दिया.. जॉन के बालों को पकड़कर उसके चेहरे को अपनी चूत पर रौंद दिया.. दोनों एक दूसरे को आनंद देने में व्यस्त थे.. तभी संजय और चार्ली वहाँ से गुजरे.. शीला और जॉन को देखकर वह दोनों तुरंत उनके पास आ खड़े हुए..

जॉन की चुटकी लेते हुए चार्ली ने कहा "Hey John..what are you doing?" वह हंसने लगी

अपने स्तनों को खुद ही मसल रही शीला के पास जाकर संजय ने उसके एक स्तन को अपने कब्जे में ले लिया..

"मम्मी जी, आप तो सड़क पे ही शुरू हो गई!! क्या बात है.. अंग्रेज पसंद आ गया आपको.. " शीला संजय को बालों से खींचकर अपने करीब लाई और चूमने लगी.. शीला के खरबूजों जैसे स्तनों के बड़े आकार को देखकर चार्ली की आँखें फटी की फटी रह गई.. "Madam, you have got huge melons" शीला के दूसरे स्तनों पर हाथ फेरते हुए उसने कहा.. शीला की हवस गजब की थी.. उसकी दो जांघों के बीच जॉन चुसकियाँ लेते हुए चूत चाट रहा था.. शीला के भोसड़े से कामरस का अविरत प्रवाह बह रहा था.. चाट चाट कर थक गया था जॉन.. लेकिन शीला की चूत सूखने का नाम ही नही ले रही थी..

आखिर थककर जॉन ने "प्रोजेक्ट चूत सकिंग" अधूरा छोड़ दिया और खड़ा हो गया..


चार्ली को एक प्यारी किस देते हुए वह बोला "Honey, she is a real bitch..very hot lady..Let's go to room.. I can't bear anymore.. Sanjay, do you want to join us? Let's enjoy four-some! Charlie, I am damn sure you will have a great time with Shila too.. just try her once baby.. she is amazing!!"
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है
संजय चार्ली और शीला जॉन के बीच शानदार चूदाई होने वाली है जॉन शीला की हवस देखकर हैरान था
 

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आखिर थककर जॉन ने "प्रोजेक्ट चूत सकिंग" अधूरा छोड़ दिया और खड़ा हो गया..

चार्ली को एक प्यारी किस देते हुए वह बोला "Honey, she is a real bitch..very hot lady..Let's go to room..I can't bear anymore..Sanjay, do you want to join us? Let's enjoy four-some! Charlie, I am damn sure you will have a great time with Shila too..just try her once baby.. she is amazing!!"

चार्ली जबरदस्त उत्तेजित हो गई "Ohh really..!! Hey Sanjay, lets go and join them.."

कार्यक्रम में मध्यांतर की घोषणा होते ही शीला ने अपनी चड्डी ऊपर की उसकी क्लिप बंद कर दी.. फिर वह जॉन का हाथ पकड़कर चलने लगी.. शीला इतनी उतावली होकर चल रही थी जैसे जॉन के लंड को जल्दी से जल्दी अपनी चूत में गटक लेना चाहती हो.. उसका दामाद संजय और चार्ली पीछे पीछे आ रहे थे..

संजय: "Charlie..just look at her huge hips..It is my wish to bang her with John"

"Ohhh...you mean in both the holes? चार्ली ने हँसते हुए कहा

"Yesss...!!" संजय ने जवाब दिया

"I will fuck her ass the whole night, Charlie!!" शीला के कूल्हों पर थप्पड़ लगाते हुए जॉन ने संजय से कहा

शीला को उनकी बातें ज्यादा समझ नही आ रही थी.. और उससे समझने में दिलचस्पी भी नही थी.. बातें करते हुए.. सिगार फूंकते हुए.. चारों लोग, जॉन और चार्ली की होटल पर पहुंचे.. संजय और शीला की होटल से थोड़ी दूरी पर थी इनकी होटल.. चारों कमरे में गए और दरवाजा अंदर से लोक कर लिया.. दरवाजा बंद होते ही सब की वासना के दरवाजे खुल गए.. चार्ली संजय से लिपट गई और संजय ने बिना वक्त गँवाए उसे तुरंत ही नंगा कर दिया.. शीला चार्ली के स्लिम और दाग रहित गोरे जिस्म को देखती ही रही.. बी.पी. में गोरी लड़कियों की जिस तरह की हरकतें उसने देखी थी वह सब उसकी आँखों के आगे तैरने लगी.. ब्लू फिल्मों में लेस्बियन सीन में चूत चटाई के द्रश्य देखकर अक्सर शीला का मन करता था की वह भी किसी गोरी रांड की चूत को चटकारे लेकर चाटे और अपनी भी उससे चटवाएं.. आज आखिर उस सपने को साकार करने का मौका मिलने वाला था.. शीला ने संजय के कान में कुछ कहा..

"अभी नही मम्मी जी, पहले मुझे ईसे मन भर कर चोद लेने दीजिए.. निवाला मुंह तक आ चुका है अब मैं और इंतज़ार करना नही चाहता.. एक बार तसल्ली से चोद लूँ फिर आप जो चाहो कर लेना इसके साथ" संजय ने कहा

हिन्दी में हो रही बातचीत में जॉन और चार्ली को क्या पता चलता ??? लेकिन तब तक चार्ली ने जॉन की चड्डी उतार दी थी.. जॉन की दोनों जांघों के बीच लटक रहे खूबसूरत फिरंगी गोरे लंड को देखकर शीला जैसे होश ही खो बैठी.. उसके लंड को पहली नजर में देखते ही उसे प्यार हो गया.. !! संजय को छोड़कर वह जॉन की तरफ मुड़ी.. वो जॉन के अर्ध-जागृत लंड को पकड़े इससे पहले चार्ली ने उसे पकड़ लिया.. और मुठ्ठी में पकड़कर हिलाने लगी..

जॉन: "Suck it baby...suck it hard like its your dad's cock.." यह सुनते ही चार्ली नीचे झुक गई और जॉन की आँखों में देखते हुए उसका लंड चूसने लगी.. शीला और संजय आश्चर्यचकित होकर इन दोनों को देखते रहे.. चार्ली ने जॉन के हाथ से सिगार लेकर एक लंबा कश लिया.. फिर बिना धुआँ बाहर निकाले वह लंड चूसने लगी.. थोड़ी ही देर में चार्ली के मुंह से अंदर बाहर निकल रहे लंड के साथ साथ धुआँ भी निकलने लगा.. बड़ा ही अनोखा द्रश्य था.. !!

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चार्ली और जॉन की इन कामुक हरकतों को देखकर शीला अपने आपे से बाहर हो रही थी.. वह चार्ली की बगल में बैठ गई और जॉन के अंडकोशों को सहलाने लगी.. गोरे गोरे सुंदर अंडों से खेलते हुए शीला ने चार्ली की ओर देखा.. दोनों की नजरें एक हुई.. चार्ली को शीला की आँखों में एक अजीब सा आमंत्रण नजर आया.. और चुपचाप उस आमंत्रण का स्वीकार करे हुए वह शीला के सुंदर गालों को सहलाने लगी.. उसके बालों में उँगलियाँ फेरते हुए वह जॉन के लंड को चूसती रही.. चार्ली के एक हाथ में सिगार थी और दूसरे हाथ से वह शीला के अंगों को सहला रही थी.. शीला का बहोत मन कर रहा था जॉन का लंड चूसने को.. पर ये चार्ली छोड़े तब न!!

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शीला की इस तकलीफ को संजय समझ गया.. वह धीरे से चलकर चार्ली के पास आया और अपने लंड से चार्ली का गाल सहलाने लगा.. वैसे संजय का लंड काला तो बिल्कुल नही था.. पर जॉन के लंड के गोरेपन के आगे गेहुआँ नजर आ रहा था.. चार्ली ने तुरंत जॉन का गीला लंड छोड़ दिया और संजय का लंड चूसने लगी.. जॉन के तंदूरस्त गोरे लंड को शीला ने हाथ में लेकर बड़े ध्यान से देखा.. उसके सख्ती की जांच की और फिर उस लोड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी.. जब चार्ली चूस रही थी तब जॉन चुपचाप खड़ा था पर शीला ने जैसे ही मुंह में लिया उसकी सिसकारी निकल गई..

"Ohhhh yess..Ahhh..nice..Suck it baby.." जॉन सिसकने लगा.. शीला ने पहले तो आधा ही लंड चूसकर उसे थोड़ा तड़पाया.. फिर धीरे से उसने बाकी आधा लंड मुंह में लेते हुए उसके आँड दबा दिए.. शीला ने अभी अपने कपड़े उतारे नही थे.. लेकिन टाइट कपड़ों से उसके जिस्म का शानदार भूगोल आसानी से नजर आ रहा था.. टॉप से आधे बाहर लटक रहे उसके अद्भुत स्तन.. जॉन और चार्ली को पागल कर रहे थे.. चार्ली संजय के लंड को मस्ती से चूस रही थी..

शीला ने जॉन के लंड को पूरा चूसकर लाल कर दिया था.. आखिर उसने अपने मुंह की कैद से उस लंड को मुक्त किया.. नोक से लेकर मूल तक पूरा लंड शीला की लार से भीग चुका था.. शीला अब खड़ी होकर खुद ही अपने कपड़े उतारने लगी.. और मादरजात नंगी होकर फर्श पर लेट गई अपनी जांघों को चौड़ी करते हुए.. कमर को उठाकर वह अपने भोसड़े को जॉन के सामने प्रस्तुत कर रही थी..

शीला: "संजय बेटा.. मम्मी जी की चूत कौन पहले चाटेगा? मेरा दामाद या जॉन?" अपनी चिपचिपी चूत के दोनों होंठों को उंगलियों से अलग करते हुए अंदर के गुलाबी हिस्से को दिखाते हुए वह दोनों मर्दों को ललचाने लगी.. अपनी जिस्म की नुमाइश कैसे करनी वह शीला से बेहतर कोई नही जानता था.. जॉन यह देखते ही चीते की तरह शीला के भोसड़े पर झपट पड़ा.. बरसों से किसी अंग्रेज से अपनी चूत चटवाने की ख्वाहिश आज पूरी हो रही थी.. जॉन को कानों से पकड़कर शीला ने खींचा और उसके मुंह को अपनी चुत के एकदम करीब ले आई..


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जॉन भी कारीगर था.. शीला को खुश करने में उसने कोई कसर नही छोड़ी.. जितनी अंदर घुस सकती थी उतनी अंदर जीभ डालकर उसने शीला की चूत को कुरेद दिया.. कभी वह अपनी हथेली में शीला के सम्पूर्ण भोसड़े को पकड़कर दबाता तो कभी वह उसकी क्लिटोरिस को जीभ और होंठों के बीच दबाकर चूसता.. तरह तरह की आवाज़ें निकालते हुए वह शीला की चिकनी चूत के मजे ले रहा था.. शीला अपनी कमर उठा उठा कर जॉन के मुंह से अपनी चूत रगड़ते जा रही थी.. इतने भारी शरीर वाली शीला की चपलता देखने लायक थी.. बेहद उत्तेजित होकर शीला ने जॉन का हाथ खींचकर उसे अपनी ओर ले लिया.. असंतुलित होकर जॉन शीला के नरम तकिये जैसे स्तनों के ऊपर गिर पड़ा.. शीला ने जॉन को अपनी बाहों में भरकर चूम लिया.. जॉन भी भूखे भेड़िये की तरह शीला पर टूट पड़ा..

शीला ने अपना हाथ नीचे डाला और जॉन का लंड पकड़कर अपनी फड़क रही चुत के सेंटर पर लगा दिया.. जॉन धक्का दे उससे पहले शीला ने ही नीचे से कमर उचक कर जॉन के लंड को अपनी चुत की गहरी गुफा में लापता कर दिया.. और फिर जॉन को अपनी बाहों में भरते हुए उसने पलटी मारी.. अब जॉन नीचे फर्श पर लेट गया और शीला उसपर सवार हो गई.. जॉन पर सवार होकर शीला ऐसे चोदने लगी.. जैसे अंग्रेजों की गुलामी का बदला ले रही हो..

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"Ohh..ohhh..stop it you bitch!!" जॉन चिल्लाने लगा.. पर शीला ने शताब्दी एक्स्प्रेस जैसी स्पीड पकड़ ली थी.. चोदते वक्त शीला खूंखार शेरनी का रूप धारण कर लेती थी.. अपना ऑर्गजम पाने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकती थी.. जॉन के चिल्लाने पर ध्यान न देते हुए.. शीला लगातार २० से २५ मिनट तक फूल स्पीड में कूदती ही गई.. जॉन के लंड ने तो कब से इस्तीफा दे दिया था.. क्योंकि जब शीला ठंडी होकर जॉन पर से उतरी तब उसकी गहरी गुफा से जॉन का लंड मरी हुई छिपकली की तरह बाहर निकला.. नीचे उतरते ही शीला जॉन के बगल में लेटकर गहरी सांसें भरते हुए अपनी थकान उतार रही थी.. उसके हांफने से ऊपर नीचे होती हुई उसकी छातियों को देखकर स्तब्ध रह गया जॉन.. उसका दिल तो कर रहा था की वह उसकी चूचियों को मसलें.. पर थोड़ी देर पहले ही शीला ने उसे जिस तरह रीमाँड़ पर लिया था वह देखकर उसे फिर से उत्तेजित करने की हिम्मत नही हो रही थी उसकी..

यह द्रश्य देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था संजय.. उसे अपनी सेक्सी सास पर गर्व महसूस हो रहा था.. चार्ली को काँखों के नीचे से उठाते हुए संजय ने उसे उठा लिया.. और पूरे कमरे में घूमते हुए उसे किस करने लगा.. जॉन के शॉर्ट्स की जेब से शीला ने किंग एडवर्ड सिगार निकाली और उसे जलाकर एक के ऊपर एक दम लगाने लगी.. नशा सा होने लगा उसे.. अलग ही दुनिया में खो गई वो.. उसकी आँखें बंद हो गई.. उसके हाथ से जब जॉन ने सिगार खींच ली तब उसकी आँखें खुली.. संजय की कमर के इर्दगिर्द अपने पैरों की कुंडली लगाए हुए चार्ली छोटे बच्चे की तरह लटकी हुई थी.. उसकी जांघों के ठीक नीचे.. संजय का आठ इंच लंबा विकराल लंड.. चूत की गंध सूंघते हुए छेद ढूंढ रहा था.. चार्ली के स्तन, संजय की मर्दाना छाती से दबकर समोसे से कचौड़ी बन गए थे..

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संजय के गले में बाहें डालकर चार्ली ऐसे झूल रही थी जैसे डाली पर आम लटक रहा हो.. एक दुसरें को कामुक चुम्बन करते हुए वह अलग अलग अंगों को मसल रहे थे.. चार्ली के सुन्दर गोरे कूल्हें संजय के लंड पर ठोकर मार मारकर यह कह रहे थे की जल्दी करो.. अब और सहा नही जाता!!

संजय ने चार्ली को बिस्तर पर पटक दिया.. डनलॉप के नरम गद्दे पर पटकते ही चार्ली एक फिट जितना ऊपर उछली और साथ में उसके स्तन भी!! नजदीक से देख रही शीला ने जॉन को इशारा किया "Let us join them"

"Not now Shila..I will have to take some rest!!"
जॉन ने अपनी असमर्थता जाहीर की

शीला अंगड़ाई लेते हुए खड़ी हुई.. फर्श पर लेते हुए जॉन ने शीला के भरे भरे कटहल जैसे स्तनों को देखा और देखता ही रह गया.. शीला के अद्भुत संगेमरमरी कूल्हें.. स्तम्भ जैसी जांघें.. चरबीदार लचकती कमर और चिड़िया घोंसला बना सके वैसी गहरी नाभि.. शीला खतरनाक मूड में लग रही थी.. दोनों जंघाए चौड़ी कर वो जॉन की चेहरे पर बैठ गई..अपनी चूत के होंठों को अलग करते हुए उसने जॉन के होंठों पर उसे लगा दिया.. चाटने के अलावा जॉन के पास कोई चारा नही था.. दो तीन मिनट तक चूत चटवाने के बाद शीला ने एक नजर जॉन के लंड पर डाली.. पोस्टमॉर्टम रूम में पड़ी लावारिस लाश की तरह जॉन का लंड पड़ा हुआ था..

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शीला का मुंह बिगड़ गया.. वह उठकर बेड पर चली गई.. जहां चार्ली और संजय दोनों एक दूसरे के संग खेल रहे थे.. चार्ली संजय के लंड को हिला रही थी और संजय चार्ली की संकरी चूत में उंगली डालते हुए उसके मम्मे चूस रहा था.. चूत में उंगली डालकर उसे चौड़ी कर रहा था संजय.. ताकि उसके तगड़े लंड को वो झेल सके.. संकरी चुत में दो उंगली जाते ही चार्ली दर्द से सिसक उठी..

शीला ने पहले दोनों का दूर से ही निरीक्षण किया.. वह जॉइन होना चाहती थी पर मौका देखकर.. धीरे से वह चार्ली की बगल में लेट गई.. और चार्ली के मुंह को अपनी ओर खींचकर और गोरे फिरंगी होंठों पर अपने देसी होंठ लगा दिए.. कामुक चुंबन करते हुए शीला चार्ली के जीभ से अपनी जीभ लड़ा रही थी.. कभी चार्ली की जीभ को लंड की तरह चूस लेती.. तो कभी उसके मुंह के भीतर तक अपनी जीभ घुसा देती.. दोनों अब बेहद गरम हो गई थी.. चार्ली ने अपनी हथेली में शीला के एक स्तन को पकड़ने की नाकाम कोशिश करके देखा.. पर पहाड़ जैसी चुची, हथेली में भला कैसे समाती.. !!! शीला के नरम गुदगुदे मांस के गोलों चार्ली बड़ी ही मस्ती से दबाते हुए दूसरे हाथ से संजय के लंड के साथ खेल रही थी..

"Ohh Shila...suck my cunt, please!!" चार्ली ने शीला से कहा

शीला ने संजय का हाथ चार्ली की चिकनी बालरहित बुर से हटा दिया.. और संजय की उंगली पर लगे चार्ली के चुत के गाढ़े अमृतरस को चाटकर अपने दामाद की उंगलियों को संपूर्णतः सेनीटाइज़ कर दिया.. थोड़ा सा ऊपर उठकर उसने अपने दामाद को होंठों को चूम लिया.. एक गजब की कशिश थी शीला के अंदाज में.. शीला के चुंबन से संजय जबरदस्त गरम हो गया.. और आक्रामकता से चार्ली के स्तनों को आटे की तरह गूँदने लगा..

शीला ने चार्ली की दोनों जांघों को जरूरत के हिसाब से चौड़ा किया.. और इसकी गोरी जांघों को चाटने लगी.. संजय का सख्त लंड देखकर उस खूँटे को अपनी चुत में महसूस करने की अदम्य इच्छा हो रही थी शीला के मन में.. पर संजय के लंड के मजे तो वो जब चाहे ले सकती थी.. उसने चार्ली की चुत का अब करीब से निरीक्षण किया.. उसकी गुलाबी क्लिटोरिस को अपनी उंगली से कुरेदा.. होंठों को अलग किया.. और फिर चार्ली की गांड के नीचे तकिया सटा दिया.. चार्ली की चूत वडापाँव की तरह उभर कर बाहर आ गई..

शीला ने पहले तो चार्ली की पूरी चूत को अपने मुंह में भरकर देखा.. चार्ली की आँखें बंद हो गई और उसकी कमर ऊपर उठ गई..

"Ohhh my...you are sucking so good..suck my cunt very hard, Shila..Ohh yes..ohh no..yeah..right there..yes yess..aaahhh!!" चार्ली की इन आवाजों से पूरा कमरा गूंज उठा.. कमर को उठाकर शीला डोगी स्टाइल में सेट होकर चार्ली की चूत चाटने लगी..

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जब वह चाटने में व्यस्त थी तब संजय उठकर शीला के पीछे से आया और उसके गोलमटोल चूतड़ों को चौड़ा कर शीला की गांड और चूत के छेद का निरीक्षण करने लगा.. अपने चूतड़ों पर मर्दाना हाथ का स्पर्श पाते ही शीला की गांड थिरकने लगी.. गोल गोल क्लॉकवाइज़ घुमाने लगी.. अपनी सास के बादामी रंग के गांड के छेद को देखकर संजय को वैशाली के छेद की याद आ गई.. माँ बेटी दोनों के गांड के छेद बिल्कुल एक जैसे ही थे..

वैशाली के विचारों को अपने दिमाग से निकालकर संजय ने शीला की गांड के उस टाइट छेद में.. अपनी गीली उंगली डालने का प्रयास किया.. बेहद टाइट था वो होल.. !! और क्यों न हो!! मदन के जाने के बाद किसी ने शीला के इस छेद को छेड़ा नही था.. !! अपनी गांड में घुसी दामदजी की उंगली आनंद दे रही थी शीला को.. चार्ली से किस कर रही शीला ने उसे मुक्त किया और बोली

"संजय बेटा.. उंगली छोड़.. अंगूठा डाल.. बड़ी तेज खुजली हो रही है अंदर" शीला की इस बात से उत्साहित होकर संजय ने अंगूठा अंदर डाल दिया.. अंगूठा अंदर घुसते ही शीला बेकाबू हो गई और उसने चार्ली की चूत में एक साथ तीन उँगलियाँ डाल दी..

"Ohh my god...it is paining..please remove the fingers, Shila!!" चार्ली की फट गई.. शीला ने उसकी चूत से एक उंगली निकाली और उसकी गांड में डाल दी.. चार्ली की चुत चाटते हुए शीला उसकी नाभि तक पहुँच गई.. और उसके सपाट पेट के गोरे हिस्सों को चाटने लगी.. वह और ऊपर की तरफ आई.. अब दोनों के स्तन एक के ऊपर एक हो गए थे.. निप्पलों के बीच छेड़खानियाँ हो रही थी.. शीला की वासना ज्वार की लहरों की तरह उछलने लगी.. शीला की भरावदार छाती के तले चार्ली के छोटे स्तन दबकर रह गए.. इतना अद्भुत सीन था की देखते ही किसी का भी पानी छूट जाए..

शीला के तंदूरस्त स्तनों का सौन्दर्य.. और चार्ली के जवान सख्त उरोज जब एक हो जाएँ.. तो कितना अनोखा द्रश्य होगा!! संजय ने अब दूसरे हाथ का अंगूठा भी शीला की गांड में डाल दिया था.. दर्द और आनंद के मिश्रण से शीला की गांड गोल गोल घूम रही थी.. शीला फिर से नीचे की ओर आई और अपनी जीभ से चार्ली की नाजुक चुत को टटोलने लगी.. चार्ली की चुत काफी तंग थी.. ज्यादा इस्तेमाल नही हुई थी शायद.. हाथ ऊपर ले जाकर शीला उसके सख्त उरोजों को मसल रही थी.. चार्ली ने भी उत्तेजना से शीला के हाथों को पकड़कर अपने स्तनों आर दबाए रखा था.. संजय अपनी सासुमा के पीछे के छेद को कुरेदने में व्यस्त था.. अपनी सास के इस खास अंग को बड़ी उत्सुकता और उत्तेजना से देखते हुए संजय का लंड झटके कहा रहा था.. इतना सख्त हो चुका था की संजय से रहा नही जा रहा था..

दोनों अंगूठे बाहर निकालकर संजय ने अपने सुपाड़े पर थोड़ा सा थूक लगाया और टोपे को शीला की गांड के छेद पर टीका दिया.. थोड़ी देर तक सुपाड़े से छेद को रगड़ने के बाद उसने बिल्कुल मध्य में रखकर दबाया..

शीला: "आह्ह बेटा.. नही जाएगा अंदर.. !!" संजय ने फिर से थोड़ा सा दबाव दिया.. बड़ी मुसीबत से केवल उसका आधा सुपाड़ा छेद के अंदर जा पाया.. शीला का पूरा बदन कांपने लगा "ओह बेटा.. निकाल दे बाहर.. और आगे डाल दे.. ज्यादा मज़ा आएगा" शीला कराहने लगी

संजय ने एक न सुनी और थोड़ा सा और दबाया.. इस बार उसका टमाटर जैसा सुपाड़ा टाइट छेद के अंदर चला गया

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शीला: "संजु.. आह्ह.. मर गई बेटा.. बहोत दर्द हो रहा है मुझे.. प्लीज बाहर निकाल ले"

संजय: "ओहह मम्मी जी.. कितनी टाइट और मस्त है आपकी गांड.. मेरे लंड पर जबरदस्त दबाव बना रहा है आपका छेद.. बहोत मज़ा आ रहा है.. प्लीज एक बार मुझे आपकी गांड मार लेने दीजिए.. जब जब आपके गदराए जिस्म की याद आती थी तब तब मैं वैशाली की गांड मारकर अपनी इच्छा को शांत कर लेता था.. प्लीज आज मना मत करना.. आपकी चूत से ज्यादा तो गांड में गर्मी है मम्मी जी.. ओहहह आह्ह.. " काफी दबाने के बाद मुश्किल से आधा ही लंड घुसा पाया अंदर

शीला को अब जबरदस्त दर्द हो रहा था.. ए.सी. कमरे में भी उसके पसीने छूट रहे थे..उसके दोनों लटकते हुए स्तन चार्ली के घुटनों से टकरा रहे थे.. शीला ने चार्ली की चुत चाटना छोड़कर अपनी गांद के दर्द पर ही ध्यान केंद्रित किया.. चार्ली शीला के नीचे से निकल कर बाहर आई और सीधे जॉन के पास पहुँच गई.. जॉन तो केवल दर्शक बनकर यह सारा खेल देख रहा था.. संजय और शीला की इस असाधारण मुहिम को बड़ी ही दिलचस्पी से देख रहा था.. धीरे धीरे उसका लंड हरकत करने लगा.. आधे-सख्त हुए उस लंड को चार्ली ने पकड़कर कहा "John, fuck me now.. Shila sucked my cunt really good..I enjoyed like never before..Now I need a cock deep in my pussy..please fuck me hard" कहते हुए वह जॉन के लंड को चूसकर पूरा सख्त करने में जुट गई.. दो ही मिनट में जॉन का लंड कडा हो गया..

चार्ली अब नीचे लेट गई और बोली "Don't waste time..now climb on me..and fuck the shit out of my pussy"

जॉन ने चार्ली के पास से हटकर खड़ा हो गया और बिस्तर पर आ गया.. संजय अपना आधा लंड शीला की गांड में डालकर दर्द कम होने का इंतज़ार कर रहा था.. घोड़ी बनी शीला के नीचे जॉन संभलकर घुस गया और शीला के नीचे अपने आपको सेट कर लिया.. धीरे से उसने अपने लंड को नीचे से ही शीला की चूत के छेद पर सेट किया.. और अपनी कमर उठाकर एक धक्का लगाया.. शीला की चूत तो कब से बेकरार थी.. लंड को एक पल में ही निगल गई.. !!!

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दो दो लंडों के एक साथ हुए हमले से शीला उत्तेजित हो गई.. सिर्फ ब्लू-फिल्मों में ही देखे इस द्रश्य को आज वह वाकई अनुभावित कर रही थी.. संजय अभी भी स्थिर था.. लेकिन जॉन ने नीचे से हुचक हुचक कर शॉट लगाने शुरू कर दिए थे.. चिपचिपे भोसड़े में लंड का स्पर्श इतना सुहाना लग रहा था की शीला सिहरने लगी.. चार्ली भी अब बेड पर आ गई.. और शीला की पीठ पर सवारी करते हुए वह संजय के बिलकूल सामने आ गई.. और संजय को चूमने लगी.. लिप किस करते हुए संजय चार्ली के स्तनों को भी दबाने लगा था.. दबाते हुए वह इतना गरम हो गया की उसने एक जोरदार धक्का लगाते हुए अपना पूरा लंड शीला की गांड में घुसेड़ दिया !!!

शीला: "ओहह माँ.. मर गई.. फट गई मेरी तो.. बाहर निकाल संजय.. ऊईई माँ.. !!" शीला को एक पल के लिए ऐसा लगा की उसकी जान ही निकल गई थी.. इतना दर्द हो रहा था.. लेकिन संजय और जॉन.. शीला की चीखो को नजर अंदाज करते हुए ऐसे शॉट लगा रहे थे जैसे शीला की इस ट्रिप को यादगार बना देना चाहते हो.. एक साथ दो दो जानदार लंडों से युद्ध खेल रही शीला को शुरुआत में भयंकर दर्द हुआ.. पर धीरे धीरे गांड की मांसपेशियाँ ढीली पड़ने लगी और दर्द काम होते ही उसे मज़ा आने लगा.. नीचे चूत में हो रही अंधाधुन चुदाई से मिल रहे आनंद के कारण भी उसका दर्द कम हो रहा था

दोनों लंड एक साथ अंदर डालना कठिन था.. जब संजय गांड में डालता तब जॉन चूत से बाहर निकालता और जब उसके अंदर डालते ही संजय खींच लेता.. एक अनोखी लय बना ली थी दोनों ने शीला को चोदते हुए.. एक उस्ताद तबलची जैसे दोनों तबलों को लय और सुर में एक साथ बजाता है वैसे ही अनुभवी शीला इन दोनों मर्दों के दमदार हथियारों को अपने दोनों छेदों में लेते हुए मस्त होकर चुद रही थी..

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शीला की गांड मारते हुए संजय.. शीला पर घोड़ी बनकर बैठी हुई चार्ली की निप्पलों को चूस रहा था.. चूसचूसकर उन गुलाबी निप्पलों का रंग लाल हो गया था.. चार्ली के स्तनों पर कई जगह संजय के काटने से निशान भी पड़ गए थे.. शीला के नीचे लेटा हुआ जॉन.. आगे पीछे हो रही शीला के हिल रहे मदमस्त चूचों को बस देखता ही जा रहा था.. दोनों हाथों से उन स्तनों को पकड़ना मुमकिन नही था.. इतने गदराए मांसल बड़े बड़े स्तनों को अपने ऊपर झूलता हुआ देख वह वासना की आग में अपने आप को समर्पित कर रहा था

सासुमाँ की चूत चोदने का ख्वाब देख रहे संजय को चुत से पहले उनकी गांड मिल गई.. अपने आप को खुशकिस्मत समझ रहा था वोह.. वैशाली की जब गांड मारने की वह कोशिश करता तब उसे मनाने में ही एक घंटा निकल जाता.. तकिये पर उसका मुंह दबाकर फिर गांड में डालना पड़ता वरना उसकी चीखें सुनकर पूरा मोहल्ला इकठ्ठा हो जाने का डर रहता.. अंदर डालने के बाद एक मिनट से ज्यादा मारने नही देती थी वैशाली.. और एक बार गांड मारने के बाद तीन से चार दिन तक अपने नजदीक भी नही आने देती थी.. और उसकी माँ को देखो.. खुशी खुशी एक साथ गांड और चूत मरवा रही है.. !!

शीला: "अब दर्द एकदम कम हो गया.. जरा जोर से धक्के मार.. आज तो फाड़ ही दे मेरी.. बहोत मज़ा आ रहा है मुझे.. छील रही है मेरी गांड फिर भी मज़ा आ रहा है.. आह्ह ओहह देख क्या रहा है भड़वे.. चोद मेरी गांड.. लगा ताकत!! इतना जल्दी थक गया क्या साले!!" ऑर्गजम करीब आते ही शीला हिंसक होने लगी.. वह ढीले धक्कों को बर्दाश्त नही कर पा रही थी.. नाव को किनारे पर पहुंचना हो तो पतवार तेज लगानी पड़ती है.. थका हुआ माँजी की नाव को किनारे नही लगा सकता..

"ओहह मम्मी जी.. मेरा निकलने को है.. " संजय ने अपना इस्तीफा तैयार कर लिया.. शीला के कूल्हों से संजय की जांघें टकराकर पक्क पक्क की मस्त आवाज़े आ रही थी.. इतना ही नही.. नीचे से धक्के लगा रहे जॉन और संजय के गीले आँड टकराने से भी आवाज आ रही थी.. शीला की गांड में अचानक गरम गरम लावारस छूटा.. संजय ने धक्के लगाना बंद कर दिया.. और एक आखिरी बार जोर लगाते हुए अपने लंड को शीला की गांड की खाई में गाड़ दिया.. संजय ठंडा हो गया.. लेकिन शीला अभी भी पाँवभाजी के तवे की तरह गरम थी..

एक साथ दो तंदूरस्त जानदार लंड के धक्के खाते हुए शीला की हवस उफान पर चढ़ी हुई थी.. उसने कभी नही सोचा था की बी.पी. में देखी हुई हरकतें उसे वाकई अपने जिस्म के साथ करने का मौका मिलेगा.. शीला के भोसड़े की गर्मी से जॉन का लंड ढीला पड़ने लगा था.. उसके धक्कों में अब जान नही बची थी.. गांड में वीर्यस्त्राव हो जाने के बाद वह छेद एकदम लसलसित हो गया था.. संजय अपने आधे मुरझाए लंड से भी आसानी से धक्के लगाए जा रहा था.. शीला भी अपने दामाद के संग गोवा की इस ट्रिप का पूरा लाभ उठा रही थी..

dca
एक घंटे के भीषण एनकाउंटर के बाद.. कमरे में सन्नाटा छा गया था.. जॉन और संजय लाश की तरह बिस्तर की एक तरफ पड़े हुए थे.. चार्ली नाम की चिड़िया.. शीला की पुख्त भुजाओं में सिमटकर छोटे बच्चे की तरह आराम से सो रही थी.. शीला की गांड में जलन हो रही थी.. नजदीक पड़े सिगार का पैकेट खोला तो वह खाली था.. शीला ने.. अकेले ही.. अपने बलबूते पर.. जॉन, संजय, चार्ली और सिगार.. सब को खाली कर दिया था.. आराम करते हुए एकाध घंटा और बीत गया..
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है शीला तो एक नंबर की रण्डी निकली दोनो छेदों में लन्ड मुंह में चार्ली की चूत और एक सिगार का पैकेट खाली कर दिया जॉन चार्ली और संजय थक गए लेकिन शीला अभी तक नही थकी
 

krish1152

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nice update
 

Ek number

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तीनों लड़कियां अपनी हवस शांत करने के लिए अलग अलग क्रियाएं करने में व्यस्त थी.. लेकिन उनकी वासना शांत होने के बदले और भड़क रही थी.. रात के डेढ़ बजे का समय हो रहा था.. पर तीनों में से किसी की भी आँखों में नींद का नामोनिशान नही था.. थी तो बस नारी की हवस..

आज फाल्गुनी का बिल्कुल नया ही स्वरूप देख रहे थे मौसम और वैशाली.. अचानक वैशाली ने अपनी आगे पीछे होने की गति बधाई.. वो बड़ी ही आक्रामकता से अपनी चूत को मौसम के चेहरे के साथ रगड़ने लगी.. वैशाली के प्रहारों से मौसम बिलबिलाने लगी.. लेकिन वैशाली के जोर के सामने वो ज्यादा कुछ नही कर पाई.. अब मौसम थक चुकी थी.. खुले बालों के साथ हाँफ रही वैशाली का पूरा चेहरा लाल हो गया था.. पसीने से तरबतर हो गई थी उसकी गर्दन.. उसका पसीना दोनों स्तनों के बीच से गुज़रता हुआ उसकी चूत से होकर मौसम के चेहरे पर टपकने लगा था.. फाल्गुनी यह द्रश्य और वैशाली का कामुक स्वरूप देखकर ही झड़ गई.. हेरब्रश का डंडा चूत में डालने की जरूरत ही नही पड़ी..

"ओह्ह ओह्ह ओह्ह आह्ह मर गई.. चाट जल्दी.. डाल जीभ अंदर.. ऊईई आह्ह.. ओह गॉड.. उफ्फ़.. !!!!" की कामुक आवाजों के साथ वैशाली झड़ गई.. जैसे भूकंप आने से बहुमंजिला इमारत ढह जाती है.. संध्या होते ही दो पर्वतों के बीच सूरज ढल जाता है.. वैसे ही वैशाली भी पस्त होकर गिर पड़ी.. फाल्गुनी की चूत ने झड़ने के बाद काफी पानी निकाला था.. बेड के चद्दर पर बड़ा सा धब्बा हो गया था चूत के रिसे हुए पानी से.. फाल्गुनी और वैशाली दोनों ठंडी हो चुकी थी.. पर मौसम अब फिरसे उत्तेजित हो गई थी.. अब समस्या यह थी की वैशाली या फाल्गुनी दोनों में से कोई भी उसका साथ देने के लिए फिलहाल तैयार नही थे..

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मौसम खड़ी हो गई.. और बालकनी की दीवार के पास खड़ी होकर अपनी चूत को खुजाने लगी.. चारों तरफ अंधकार था.. ठंडी सरसराती हवाएं उसके नंगे बदन को चूमते हुए निकल रही थी.. मौसम की पुच्ची में खुजली का जोर बढ़ता जा रहा था.. उसे अपने पीयूष जीजू की याद आ रही थी.. पीयूष ने कैसे उसके होंठों पर उसके जीवन का प्रथम चुंबन दिया था.. उसके ड्रेस में हाथ डालकर उरोजों को पकड़कर दबाया था.. आह्ह.. !!

मौसम ने पीछे मुड़कर बिस्तर की तरफ देखा.. वैशाली और फाल्गुनी.. एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर.. नवविवाहित जोड़ें की तरह पड़े हुए थे.. फाल्गुनी वैशाली के होंठों पर अपनी जीभ फेर रही थी.. और हेरब्रश का हेंडल वैशाली की चुत के अंदर डाल रही थी.. लगभग ६ इंच लंबा हेंडल कैसे वैशाली की चूत के अंदर चला गया ये देखना चाहती थी मौसम.. !! वह वापिस बेड पर आई.. वैशाली के दोनों पैरों को चौड़ा किया और फाल्गुनी के हाथ से हेरब्रश ले लिया..

मौसम: "मुझे सच सच बता.. फाल्गुनी.. तूने जो लंड लिया वो इतना ही लंबा था?"

फाल्गुनी: "इतना लंबा तो नही था"

मौसम: "तो इससे आधा ??"

वैशाली: "मौसम, लगता है तुझे लंड देखने की बड़ी चूल मची है.. एक काम कर.. यहाँ हमारे ग्रुप में से किसी भी एक मर्द को पसंद कर और चुदवा ले.. यहाँ कौन देखने वाला है तुझे!! घर वापिस लौटकर चुदवाना तो छोड़.. लंड देखना भी नसीब नही होगा !!"

फाल्गुनी: "मन तो मेरा भी कर रहा है.. पर किसी को भी कैसे राजी करें? सीधा जाकर ऐसा तो नही बोल सकते की चलो चोदते है!!"

वैशाली: "तुम दोनों मुझे एक बात बताओ.. अगर तुम्हें एक रात के लिए किसी एक मर्द के साथ बिताने का मौका मिले.. तो हमारे ग्रुप में से कीसे चुनोगी?"

सवाल बड़ा ही रोमांचक था.. मौसम और फाल्गुनी दोनों शरमा गई.. नग्न स्त्री या लड़की को शरमाते देखना बड़ा ही मनोहर द्रश्य होता है

मौसम: "पहले तू बता वैशाली.. तुझे कौन पसंद है?"

वैशाली: "मुझे तो सब पसंद है.. अगर मौका मिले तो मैं एक ही रात में सभी मर्दों से चुदवा लूँ.. पर अभी बात मेरी नही, तुम दोनों की हो रही है.. तो बताओ मुझे.. हो सकता है की तुम्हारी पसंद के मर्द के साथ रात गुजारने का मैं ही तुम दोनों के लिए सेटिंग कर दूँ....

फाल्गुनी: "माय गॉड.. तुम तो दलाल जैसी बात कर रही हो.. !!"

मौसम: "यार फाल्गुनी.. मुझे तो लगता है की वैशाली ने इस ग्रुप के किसी मर्द के साथ ऑलरेडी सेक्स कर लिया है.. मुझे तो यकीन है!!"

फाल्गुनी: "अच्छा? तो तेरे हिसाब से वैशाली ने किसके साथ किया होगा? कौन हो सकता है?"

थोड़ी देर सोचने के बाद मौसम ने कहा "हम्म.. एक तो राजेश सर के साथ और दूसरा.. !!"

वैशाली रोमांची होकर बोली "हाँ हाँ बोल ना.. कौन हो सकता है दूसरा!!" वो देखना चाहती थी की मौसम अपने मुंह से पीयूष का नाम लेती है या नही

मौसम: "दूसरा कौन हो सकता है.. ये मुझे पता नही.. फाल्गुनी, तू बता.. तू किसके साथ रात गुजारना चाहेगी?"

फाल्गुनी के स्तन टाइट हो गए.. रात बिताने की कल्पना से ही.. !!

उसने शरमाते हुए कहा "पिंटू के साथ, मौसम। मुझे वो बहोत ही पसंद है.. कितना क्यूट है यार!! कल से उसकी तरफ देखकर लाइन दे रही हूँ.. पर वो कमीना मेरे सामने नजर उठाकर देखता तक नही है!! मुझे लगता है की उसे किसी ओर लड़की में इन्टरेस्ट होगा.. !!"

मौसम अपनी बहन कविता के राज के बारे में थोड़ा बहोत जानती थी.. फाल्गुनी के मुंह से पिंटू का नाम सुनकर वो चोंक गई.. कहीं पिंटू और कविता के बीच अब भी कुछ??? बाप रे.. !! जिस कंपनी में पिंटू जॉब करता हैं, वहीं पर जीजू भी है.. ये कड़ियाँ कहीं न कहीं तो जुड़ ही रही होगी.. मौसम चुपचाप सोचती रही..

फाल्गुनी: "अब तेरी बारी है मौसम.. तू बता"

मौसम उलझन में पड़ गई.. कैसे कहूँ की मैं अपने जीजू पीयूष के साथ रात बिताना चाहती हूँ!!

पीयूष जीजू की याद आते ही मौसम बेचैन हो गई.. जीजू के संग बिताएं वो दो घंटों का सुहाना समय.. उसके जीवन का एक अविस्मरणीय पन्ना था.. पीयूष के साथ बिताएं उन पलों के बाद.. मौसम ज्यादातर उत्तेजित रहती और उसे बार बार अपनी गीली मुनिया में उंगली करने को दिल कर रहा था.. आज से पहले उसे कभी ऐसा एहसास नही हुआ था.. अब तक तो वो दो हफ्तों में.. कभी कभी महीने में एकाध बाद चूत में उंगली करती या टूथब्रश घुसाकर सो जाती.. पर माउंट आबू के इस मदहोश वातावरण में.. पीयूष के संग बिताई उस दोपहर के बाद.. और खास कर उस सेक्स शॉप में हुए अनुभव के बाद.. जैसे उसकी कामुकता को रोके रखने वाला दरवाजा ही टूट गया.. हाय रे जवानी.. !! बालकनी में नंगी खड़ी मौसम.. अपने कुँवारे स्तनों पर लग रही ठंडी ठंडी हवा के स्पर्श का मज़ा लेते हुए पीयूष की लिप किस को याद कर रही थी.. उसने हल्के से अपनी छाती पर हाथ रखा और बालकनी की दीवार पर एक पैर टीकाकर.. मजबूत लंड के धक्के कखाने को बेकरार.. उसकी गुलाबी चूत को सहलाने लगी.. जैसे अपनी चूत को मना रही हो.. उसे ताज्जुब इस बात का हो रहा था की कैसे वैशाली, फाल्गुनी और पीयूष के हाथ उसके जिस्म पर सरककर निकल गए!! वो माउंट आबू की हसीन वादियों का मज़ा लेने आई तब निर्दोष मासूम बच्ची थी.. एक ही दिन में जिंदगी ने ऐसी करवट ली.. की उसकी पूरी सोच ही बदल गई.. उसने कभी सपने में भी नही सोचा था की उसकी कुंवारी जवानी की धरती पर.. पीयूष नाम का बादल यूं बरस पड़ेगा.. !!

स्तन मर्दन करते हुए उसकी जवानी की भूख इतनी बेकाबू हो चली.. की बार बार उसकी चूत फड़फड़ा उठती.. अपने दिल को उसने बार बार समझाया की शादी के बाद ही ये सारी चीजें हो सकती है.. पर कमबख्त दिल था की मानता ही नही था.. !! क्या करूँ? कैसे समझाऊँ अपने जिस्म को? ये तो अच्छा हुआ की ऐसे वक्त पर मुझे वैशाली और फाल्गुनी का साथ मिल गया.. नहीं तो जरूर मैं कुछ गलती कर बैठती.. !! उसने एक नजर बेड पर लेटी अपनी नंगी सहेलियों की ओर देखा.. एक दूसरे के गले में बाहें डालकर बेफिक्र होकर दोनों लेटी हुई थी..

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मौसम धीरे से बेड की तरफ आई.. ट्यूबलाइट के सफेद प्रकाश में वैशाली की मदमस्त छाती इतनी गदराई और तंदूरस्त नजर आ रही थी.. देखते ही अच्छे अच्छों की नियत खराब हो जाएँ.. मौसम ने फाल्गुनी के स्तनों की ओर देखा.. देखकर पता चलता था की भले ही वैशाली जीतने दबे नही थे पर फाल्गुनी अनछुई भी नही थी.. और अब तो उसने खुद ही इस बात का एकरार कर लिया था.. !! वो खुद ही बता चुकी थी की वो सात से आठ बार चुद चुकी थी.. पर पहली बार जब उसने अपनी नाजुक सी फुद्दी में लंड लिया होगा तब उसे कैसा अनुभव हुआ होगा?? लंड.. लंड.. लंड.. !! बाप रे.. ये शब्द सोचते ही चूत में ४४० वॉल्ट का झटका लग जाता था.. पता नही चूत के अंदर लेते वक्त क्या होता होगा..!!

वैशाली और फाल्गुनी के बीच पड़ा हेरब्रश मौसम ने उठाया.. और उसे चूम लिया.. पता नही चल रहा था की वो ऐसा क्यों कर रही थी!! एक निर्जीव लकड़ी से बने ब्रश को चूमने पर इतना मज़ा क्यों आ रहा था भला.. !! मौसम को वो रात याद आ गई जब उसके गाने से खुश होकर संजय ने उसे ५०० रुपये दिए थे.. वैशाली का कहना था की उसका पति संजय बहोत ही लोफ़र और दिलफेंक किस्म का आदमी था.. कहीं ५०० रुपये देकर संजय मुझे पटाना तो नही चाहता था.. !!! उस वक्त तो ऐसा कुछ नही लगा था.. और उस वक्त के बाद संजय से मिलना भी तो नही हुआ था.. वैसे संजय दिखने में बड़ा हेंडसम है.. तो फिर वैशाली को उससे इतनी भी क्या दिक्कत होगी??

हेरब्रश को अपनी छाती से रगड़ते हुए मौसम ये सब सोच रही थी.. सारे विचारों को अपने दिमाग से हटाकर मौसम ने फाल्गुनी की नंगी जांघों पर हेरब्रश का डंडा हल्के से रगड़ दिया.. कहीं फाल्गुनी को संजय ने तो नही चोद दिया होगा?? नही नही.. संजय और फाल्गुनी मिले ही एक बार है.. ऐसा होना असंभव था.. गहरी नींद में सो रही फाल्गुनी को अपने शरीर पर किसी चीज का स्पर्श महसूस नही हुआ.. मौसम की नजर फाल्गुनी की चूत पर पड़ी.. उसकी चूत भी जैसे गहरी नींद सो रही थी.. वैशाली द्वारा चटवाने के बाद शांत पड़ी चूत काफी सुस्त लग रही थी.. वैशाली की टांगें थोड़ी सी चौड़ी करके हेरब्रश का डंडा उसकी चुत पर रगड़ा.. वैशाली का सुराख थोड़ा सा चौड़ा था.. पर मेरी चूत तो अब भी कितनी टाइट और कसी हुई है!! शायद इसी वजह से वैशाली को फाल्गुनी पर शक हुआ था की उसका सील टूटा हुआ था.. सील टूटते वक्त कैसा महसूस होता होगा?? अब मौसम वापिस फाल्गुनी की चूत पर हेरब्रश रगड़ने लगी.. सोचते सोचते अनजाने में ही मौसम ने हेरब्रश का हेंडल फाल्गुनी की चूत के अंदर धकेल दिया..

"आह्ह.. !!" फाल्गुनी की आँख एकदम से खुल गई.. उसने बगल में बैठी नग्न मौसम को चूत के अंदर डंडा डालते देख वह अपनी आँखें मलते हुए खड़ी हो गई.. "तू अभी भी जाग रही है.. !! नींद नही आ रही क्या?"

मौसम को हाथ में हेरब्रश पकड़े देखकर उसने आगे पूछा "क्या बात है मौसम? तू क्या करने वाली थी? सच सच बता मुझे"

मौसम: "कुछ नही यार.. मैं ये सोच सोचकर परेशान हो रही हूँ की आखिर तूने इतनी सारी बार सेक्स किया किसके साथ? मैंने दिमाग पर जोर डालकर बहोत सोचा पर कोई नाम नही सुझा मुझे.. मुझे बता न यार!! जब तक मैं ये जान नही लूँगी तब तक मेरे मन को चैन नही पड़ेगा.. तेरा उस व्यक्ति का संपर्क कैसे हुआ था? पहचान कैसे हुई थी? मुझे तूने क्यों कुछ नही बताया? मुझसे छुपाने का क्या कारण था?? इस बात का मुझे दुख हो रहा है ये जाहीर सी बात है.. मैंने आज तक तुझसे मेरी कोई बात नही छुपाई फिर तूने मेरे साथ आखिर ऐसा किया ही क्यों?"

एक ही सांस में मौसम ने कई सवाल दाग दिए फाल्गुनी की ओर.. पूछते पूछते उसने हेरब्रश का चार इंच जितना हिस्सा फाल्गुनी की चूत में डाल दिया था.. और वो उसे हिलाते हुए आगे पीछे भी कर रही थी.. फाल्गुनी को मज़ा आना शुरू हो गया था इसका पता चल रहा था क्योंकि वो मौसम के हाथों की हलचल के साथ तालमेल मिलाते हुए अपने चूतड़ भी हिला रही थी.. !! उसकी कमर और गांड की हलचल से ये साफ प्रतीत हो रहा था की उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी..

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मौसम: "बोल ना फाल्गुनी.. मुझसे क्यों छुपा रही है? क्या तू मुझे अपना नही मानती? ठीक है.. नही बताना है तो मत बता" कहते हुए नाराज होकर उसने हेरब्रश चूत से बाहर निकाल लिया और नाराज होकर फाल्गुनी की बगल में लेट गई

फाल्गुनी: "मौसम, तू समझती क्यों नही है यार!!! मैं नाम नही बता सकती.. अगर बता सकती तो तुझसे छुपाती ही क्यों? अगर मैंने नाम बता दिया तो हाहाकार मच जाएगा.. प्लीज यार.. मुझे नाम बताने के लिए ओर फोर्स मत कर"

नाराज मौसम को देखकर फाल्गुनी सोच में डूब गई.. इस मामले को सुलझाएं कैसे? किसी भी सूरत में अपना ये सीक्रेट मौसम को नही बता सकती थी ये बात तो पक्की थी.. मौसम नाराज होकर करवट बदलकर फाल्गुनी से विरुद्ध दिशा में सो गई.. मौसम की चूत में जबरदस्त खुजली हो रही थी पर साथ ही साथ उसका दिमाग ये सोच रहा था की यही सही वक्त था फाल्गुनी से वो राज उगलवाने का.. अगर वो आज जान नही पाई तो ये राज हमेशा राज बनकर ही रह जाएगा..

मौसम को कंधे से पकड़कर फाल्गुनी ने अपनी और खींचा और बोली "नाराज हो गई यार!! मैंने आज तक तुझसे कोई बात कभी छुपाई है क्या!! वो हरीश मुझे लाइन मारता था वो भी बता दिया था मैंने तुझे!!"

मौसम: "हाँ फाल्गुनी.. तुझे जो लड़का लाइन मार रहा था उसके बारे में तो सब बता दिया था तूने.. पर जो तुझे चोद गया उसके बारे में मुझे कुछ भी नही बता रही.. एक बार को तो ऐसा भी विचार आया मुझे की कहीं उस लफंगे हरीश के साथ तो तूने नही चुदवाया ना?? हो सकता है.. क्यों नही हो सकता.. जो लड़की अपनी सब से खास सहेली से इतनी बड़ी बात छुपा सकती है.. वो कुछ भी कर सकती है"

फाल्गुनी अब बराबर फंस चुकी थी.. उसने एकदम धीमी आवाज में कहा "तूने ऐसा क्यों नही सोचा की मेरे लिए बताना मुमकिन नही होगा तभी नही बताया होगा... वरना मैं क्यों तुझसे कुछ भी छुपाऊँ?? और तुझसे छुपाकर मुझे क्या फायदा?"

मौसम: "क्या फायदा ये तो छुपानेवाला ही बता सकता है.. कुछ तो होगा कारण.. हो सकता है की तुझे लगता हो की अगर मुझे बताएगी तो मैं भी तेरे साथी में हिस्सा मांगूँगी.. !!"

फाल्गुनी: "पागलों जैसी बात मत कर, मौसम!!"

मौसम: "तुझे ये भी विचार नही आया की सात आठ बार मजे लूट लेने के बाद तू मुझे भी मौका देती..!! मुझे पता नही था की तू इतनी स्वार्थी होगी.. अब तक तो हम एकदम खास सहेलियाँ थी.. पर शायद अब तुझे अकेले अकेले ही खाने में मज़ा आने लगा है.. जा.. अब से तेरी कट्टी"

पहाड़ टूट पड़ा फाल्गुनी पर.. मौसम रूठ जाएँ तो कैसे चलेगा.. !! फाल्गुनी अपने माँ बाप के बगैर रह सकती थी पर मौसम के बगैर उसे एक पल नही चलता था.. इतनी गहरी दोस्ती थी दोनों की.. फाल्गुनी को भी मन ही मन गुस्सा आ रहा था.. की मौसम ऐसी बात के लिए उससे रूठ गई!! पर मैं भी क्या करूँ? अगर मौसम को सब सच बता दूँ तो कयामत आ जाएगी.. और नही बताती तो दोस्ती टूट जाएगी.. ओह्ह क्या करूँ?

रात के साढ़े तीन बज रहे थे पर मौसम या फाल्गुनी.. दोनों की नींद उड़ चुकी थी.. वैशाली घोड़े बेचकर सो रही थी.. अपनी चूत शांत करके.. अब वो सच में सो रही थी या ढोंग कर रही थी वो तो उसे पता.. !! पर मौसम और फाल्गुनी के संबंध ऐसे चौराहे पर आकर खड़े हो गई थे की अगर फाल्गुनी सच नही बताती तो दोनों की दोस्ती वहीं खतम होने वाली थी


बहोत उदास हो गई फाल्गुनी.. जिंदगी ऐसे कठिन मोड पर लाकर खड़ा कर देगी ऐसा उसने कभी नही सोचा था.. सोचते सोचते कब दोनों की आँख लग गई उन्हे पता ही नही चला..
Awesome update
 
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