- 5,108
- 12,608
- 174
wow kya masti ho rahi hai gady me baith kar.राजेश सर की इनोवा में, कविता, पिंटू, वैशाली और पीयूष बैठे हुए थे.. पीयूष के दोस्त की कार में मदन, शीला, रेणुका और राजेश थे.. !!
पूरे रास्ते में सब ने बातें करते हुए बहोत मजे किए.. ये ट्रिप, वैशाली के लिए बड़ी ही यादगार थी.. पिंटू से करीबी होते ही वो संजय की कड़वी यादों को भुला रही थी..
मदन और राजेश की बीच भी अच्छी मित्रता हो गई थी.. रात को हाइवे की एक होटल में डिनर के लिए जब दोनों गाड़ियां रुकी.. तब शीला को अपने दामाद संजय और हाफ़िज़ के संग गुजारे हनीमून की याद आ गई.. संजय, हाफ़िज़, जॉन और चार्ली की याद आते ही शीला का भोसड़ा चुनमुनाने लगा..
सब लोग रेस्टोरेंट की तरफ जा रहे थे तब शीला, रेणुका को लेकर टॉइलेट की तरफ गई.. शीला और रेणुका तो पहले से ही बहोत अच्छी सखियाँ थी.. बाथरूम की तरफ जाते हुए, शीला ने अपनी बातों से रेणुका को भी बेहद गरम कर दिया.. उसने गोवा की ट्रिप के बारे में बताया.. पर ये नहीं बताया की वो अपने दामाद के साथ गई थी.. गोवा में कैसे उसने अंग्रेज जॉन का लंड लिया था.. रास्ते में कैसे कार के ड्राइवर ने उसके बबले दबाए थे.. और फिर ऐसी ही एक होटल के बाहर.. अंधेरे में कैसे उसने बाहर चुदवाया था..
मिर्च-मसाला लगाकर उसने सारी बातें रेणुका को बताई.. रेणुका की हालत खराब हो गई, ये सब सुनकर.. !! उसकी दोनों आँखों से हवस टपकने लगी.. !! शीला देखकर ही समझ गई की रेणुका को लंड की भूख सता रही थी.. टॉइलेट में दोनों अलग अलग क्यूबिकल में पेशाब करके बाहर निकली.. वॉशबेज़ीन में रेणुका जब झुककर अपने हाथ धो रही थी.. तब उसके पल्लू के नीचे से.. काँखों की बगल में.. उसके स्तन लटकते हुए नजर आने लगे..
लेडीज टॉइलेट में उन दोनों के अलावा और कोई नहीं था.. शीला भी बहोत उत्तेजित थी.. वो रेणुका के पीछे खड़ी हो गई और अपनी चूत को उसके चूतड़ों पर दबाकर.. दोनों हाथ आगे ले गई.. और उसके दोनों स्तनों को ब्लाउस के अंदर हाथ डालते हुए सख्ती से पकड़ लिए..!! और उसकी निप्पलों को मसलते हुए, मर्द की तरह धक्के लगाने लगी..
अपने हाथ धोकर, रेणुका खड़ी हुई और हाथ पोंछे तब तक शीला उसकी गर्दन पर जीभ फेरते हुए चाटकर उसे उत्तेजित करने लगी थी.. वो शीला की तरफ मुड़ी.. और उसके गदराए जिस्म को बाहों मे भरकर उसके होंठों पर रेणुका ने एक उत्तेजक चुंबन कर दिया... शीला के आवेग भरे आक्रमण के आगे रेणुका ज्यादा देर तक खुद को संभाल नहीं पाई.. और शीला के थूक को चाटते चाटते वो अपनी जीभ को अंदर डाल डालकर चूसने लगी.. दोनों के बड़े बड़े स्तन, एकाकार हो गए थे.. !!
रेणुका: "यार, पहले तो तूने मुझे अपनी बातों से गरम कर दिया.. और अब अपनी इन हरकतों से बेकाबू कर रही है.. !! इरादा क्या है तेरा शीला?? तुझे पता तो है की यहाँ पर कुछ भी ज्यादा कर पाना मुमकिन नहीं है.. !! फिर क्यों उकसा रही है मुझे??"
रेणुका के दोनों बबलों को हाथों से मसलते हुए शीला ने कहा "यार, मुझसे रहा ही नहीं गया.. तू अपने आप पर काबू कर सकती है.. पर मुझे तो एक बार लंड की तलब लग जाएँ फिर मैं कंट्रोल नहीं कर सकती.. मुझे लंड चाहिए ही चाहिए.. !! कैसे भी करके मुझे चुदवाना पड़ेगा.. !! देख तो.. नीचे क्या हालत हो रही है यार.. !!" रेणुका का हाथ पकड़कर अपने घाघरे के नीचे डालते हुए.. पेन्टी के अंदर.. अपनी रस से लसलसित भोसड़े पर दबा दिया..
रेणुका: "हाँ यार.. नीचे तो बवाल मचा हुआ है तेरे.. मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही हो रहा है.. पर अब क्या करें?? यहाँ लंड कहाँ से लाएं??"
शीला: "अब तो और क्या हो सकता है.. !! तू तो घर जाकर.. बड़ी मस्ती से... टांगें फैलाकर.. राजेश के लंड से मस्त होकर चुदवा लेगी.. मुझे तो वैशाली के कारण बहोत कंट्रोल में रहना पड़ता है.. अपने आप को रोकते हुए चुदवाना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता.. अपनी आवाज को रोककर रखना पड़ता है.. कहीं वैशाली सुन न ले.. ऐसे में कहाँ मज़ा आएगा..!! एक काम करते है रेणु.. !!"
शीला के रसद्रवित भोसड़े में तीन तीन उँगलियाँ एक साथ अंदर बाहर करते हुए रेणुका ने कहा "हाँ हाँ .. बोल ना.. !!"
"खाना खाकर.. जब हम वापिस गाड़ी में बैठें.. तब तू पहले से ही राजेश के साथ आगे बैठ जाना.. मैं मदन के साथ पीछे बैठ जाऊँगी.. अंदर तो ले नहीं पाऊँगी.. पर मदन के हाथों मूठ मरवा लूँगी.. !! वो बॉल दबाते दबाते उंगली डालेगा तो मैं जल्दी फ्रेश हो जाऊँगी.. जब पूरी थाली नसीब न हो तब नाश्ते से ही काम चलाना पड़ता है..!!"
रेणुका: "कार में?? राजेश की मौजूदगी में तुझे शर्म नहीं आएगी??"
शीला: "उसका सारा ध्यान तो ड्राइविंग में ही होगा.. तुझे एक और काम करना होगा.. पास बैठे बैठे.. तू राजेश के साथ छेड़खानियाँ करती रहना.. मर्दों को ऐसा सब बहोत पसंद होता है.. तू चुपके से अंधेरे में उसके लंड पर हाथ रखकर सहलाते रहना.. उसका ध्यान फिर कहीं और भटकेगा ही नहीं.. और तुम दोनों की हरकतें देखकर, फिर हम दोनों शुरू हो जाएंगे.. !! जब हमाम में सब नंगे हो फिर भला शर्म कैसी??"
रेणुका: "साली, तू एक नंबर की शातिर है.. !!"
शीला: "और हाँ.. सिर्फ ऊपर ऊपर से ही मत सहलाना.. चैन खोलकर बाहर भी निकालना.. मैं भी तो देखूँ.. किस लंड से तू रोज चुदवाती है.. इसी बहाने राजेश का लंड देखने मिल जाएगा"
रेणुका: "सिर्फ देखने में क्या मज़ा आएगा तुझे.. !! मेरे पति का लंड देखकर तुझे कहाँ संतोष होने वाला है.. !! ये तो ऐसी चीज है जिसे देखकर बेचैनी और बढ़ जाती है.. शीला, अगर सही में मजे करने हो तो.. तू राजेश के साथ बैठ और मैं मदन के साथ बैठती हूँ.. जस्ट फॉर चेंज.. मज़ा आएगा"
हवसखोर शीला, रेणुका की यह बात सुनकर एकदम बेकाबू हो गई
"ओह्ह रेणुका.. ये तूने क्या कह दिया??? मेरा और मदन का बहोत पुराना सपना है.. पार्टनर बदल कर सेक्स करने का.. पर वो आज तक पूरा नहीं हुआ है.." शीला ने सिसकते हुए कहा.. रेणुका के हाथ को अपने भोसड़े पर और सख्ती से दबा दिया उसने
रेणुका: "क्या सच में?? हम दोनों भी ऐसे मौके की तलाश में है.. असल में.. राजेश के कॉन्टेक्ट में एक कपल है.. जो पार्टनर चेंज करने के लिए राजी है.. पर वो लोग बहोत घबरा रहे है.. इसलिए अबतक मिलना नहीं हुआ.. वेबसाइट पर कॉन्टेक्ट हुआ है.. वो लोग रोज मेसेज भेजते है.. राजेश बता रहा था की उस वेबसाइट पर ऐसे पचास से ज्यादा जोड़ों का ग्रुप है.. जो आपस में पार्टनर बदलते रहते है.. यार, मुझे तो सुनकर ही ऐसा मज़ा आ गया था.. पर अब तक कुछ हो नहीं पाया यार.. !!"
शीला: "ओह्ह रेणुका.. तू ऐसी सब बातें मत कर.. आह्ह.. तू एक काम कर.. राजेश को कोने में ले जाकर बता दे.. की वो मेरे साथ ही बैठें.. और वो निःसंकोच होकर मेरे बबले दबाएं.. और उसे जो मर्जी कर्रे मेरे साथ.. मुझे बुरा नहीं लगेगा.. मैं मदन को तैयार करती हूँ.. हम कार में ही पार्टनर बदल लेते है.. मस्त सेटिंग हो जाएगा.. !! अगर राजेश भी मेरे और मदन जैसा खुले विचारों वाला हो तो.. हम एक कमरे में ही ग्रुप सेक्स का सेटिंग कर सकते है.. "
रेणुका: "हाँ यार.. राजेश को वैसे तो कोई प्रॉब्लेम नहीं होना चाहिए.. तभी तो वो उस वेबसाइट पर कपल ढूंढ रहा था.. पर अनजाने लोगों के साथ यह सब करने में बड़ा जोखिम होता है.. इसलिए वो भी थोड़ा सा झिझक रहा था"
शीला: "हाँ, वो तो है.. पर हमारे साथ तो ये प्रॉब्लेम भी नहीं होगा.. किसी को कानोंकान खबर भी नहीं लगेगी.. चल अब चलते है.. कहीं कोई आ गया तो तकलीफ हो जाएगी"
रेणुका: "एक मिनट रुक जा शीला.. मेरे दिमाग में ओर एक आइडिया आ रहा है"
शीला: "अरे यार, जल्दी चल.. सब इंतज़ार कर रहे होंगे हमारा.. जाते जाते बताना तेरा आइडिया.. !!"
रेणुका ने शीला की चूत से उँगलियाँ बाहर निकाली और हाथ धो लिए.. दोनों टॉइलेट से बाहर निकली.. मदन और राजेश बातें कर रहे थे.. वैशाली और कविता भी बातों में उलझी हुई थी.. पीयूष अपने मोबाइल पर लगा हुआ था
चलते चलते शीला ने पूछा "अब बोल, क्या बता रही थी तू?"
रेणुका: "मैं ये सोच रही थी.. हम अभी अपने मर्दों को इस बारे में कुछ नहीं बताएंगे.. हम ऐसे पेश आएंगे जैसे हम खुद ही एक दूसरे के पतिओ को पटा रहे है.. उन्हें बिना कुछ कहें"
शीला: "कार में ये सब कैसे करेंगे?? उससे अच्छा तो बता कर ही करते है"
रेणुका: "मैं जैसे कह रही हूँ वैसा कर.. हम फिलहाल अपने अपने पार्टनर के साथ ही बैठेंगे"
शीला: "ठीक है यार.. जैसा तू कहें.. पर एक दूसरे के पति के साथ बातें तो कर सकते है ना.. !!"
रेणुका: "हाँ कर सकते है.. पर सिर्फ बातें ही करनी है अभी के लिए.. बाकी सब छुप छुपकर करना होगा.. कल से हम फोन पर शुरू करेंगे.. तू राजेश को फोन करना और मैं मदन को फोन करूंगी.. हम दोनों आपस में एक दूसरे को सब बता देंगे.. पर अपने पति को कुछ नहीं बताएंगे.. फिर देखते है.. हमारे मर्द कैसे पेश आते है"
शीला: "यार, गजब का आइडिया सोचा है तूने.. मतलब अब इस उम्र में हमें फ्लर्ट करना होगा.. वो भी एक दूसरे के पति के साथ.. !!"
रेणुका: "अरे यार, फ्लर्ट करने के लिए कोई उम्र थोड़े ही होती है.. !! वो तो कभी भी कर सकते है"
दोनों चलते चलते टेबल के पास आई.. अपने अपने पति के पास बैठ गई.. थोड़ी देर के बाद.. शीला ने कहा "यार यहाँ कोने में मुझे घुटन हो रही है.. रेणुका, तुझे प्रॉब्लेम न हो तो तू यहाँ बैठ जाएगी?" रेणुका तुरंत ही उठ खड़ी हुई और मदन के पास बैठ गई.. मुसकुराते हुए शीला राजेश के पास आकर बैठ गई
पीयूष, कविता, पिंटू और वैशाली एक टेबल पर थोड़े दूर बैठे थे.. उन्हें इन चारों में कोई दिलचस्पी नहीं थी.. कविता को जरा सा भी अंदाजा नहीं था की उसके प्रेमी पिंटू के प्रति, वैशाली आकर्षित हो चुकी थी.. आपस में बातें करते हुए, वैशाली और पिंटू और करीब आते जा रहे थे.. अठारह बीस साल की लड़की, लड़कों के दिखावे से आकर्षित होती थी.. पर तीस की उम्र पार कर चुकी लड़कियां, लड़के के विचार, सद्गुण और सलामती देखकर आकर्षित होती है..
राजेश: "ये तो आप दोनों ने अदला-बदली कर दी.. मेरे साथ शीला जी और मदन के साथ रेणुका.. हा हा हा हा"
रेणुका ने शर्म के मारे आँखें झुका दी..
राजेश: "अरे, मैं तो मज़ाक कर रहा था"
शैतानी मुस्कान के साथ शीला ने कहा "अच्छा मज़ाक था.. !!"
मदन ने चोंककर रेणुका के सामने देखा.. वो कनखियों से मदन को देख रही थी.. उसने अपनी नजरें फेर ली.. और खाना खाने पर ध्यान केंद्रित किया
खाना खाकर सब वापिस अपनी गाड़ियों में बैठ गए.. पीयूष की गाड़ी आगे जाने दी और मदन ड्राइविंग सीट पर बैठ गया..
रेणुका: "अरे राजेश, मदन कब से गाड़ी चला रहा है.. थक गया होगा.. थोड़ी देर तू गाड़ी चला ले"
राजेश" "मैं बस बोलने ही वाला था.. मैं चला लेता हूँ.. !!"
मदन को रेणुका की ये बात बहोत अच्छी लगी "थेंकस रेणुका.. मैं वाकई थक चुका हूँ"
राजेश ड्राइवर सीट पर बैठ गया और रेणुका उसके साथ.. शीला और मदन पीछे की सीट पर बैठ गए
जैसे ही गाड़ी चली.. शीला ने मदन की जांघों पर हाथ रख दिया.. और मदन के सामने देखकर, शैतानी भरी मुस्कान देते हुए आँख मारी.. धीरे से उसके लंड को सहला रही शीला का हाथ पकड़कर मदन ने उसके कान में कहा "यार, क्यों सो रहे सांप को जगा रही है?? ये जाग गया तो फिर शिकार मांगेगा.. "
शीला ने मदन के कान मे कहा "तेरे सांप में अब शिकार करने का दम ही कहाँ है.. !!"
शीला इतनी उत्तेजित थी की उसने मदन की मर्दानगी को ही ललकार दिया.. जब भी उसका भरपूर चुदाई का मन हो तब वो मदन को ऐसा ही कुछ बोलकर उकसाती.. और फिर मदन उसे बेरहमी से चोद देता.. !!
शीला की आँखों से टपकती वासना को देखकर मदन सोच में पड़ गया.. ये साली इस समय गरमाए बैठी हुई है?? यहाँ गाड़ी में, राजेश और रेणुका की मौजूदगी में.. इसे कैसे शांत करूँ.. !!
शीला: "बहोत गर्मी हो रही है यार.. रेणुका, जरा एसी तेज कर दे"
रेणुका ने मुसकुराते हुए कहा "अब तुझे इस उम्र में बड़ी गर्मी चढ़ रही है.. !! देखना.. कहीं घर जाकर मदन को अपनी आग में मत झोंक देना.. तेरी आग के बारे में, मैं अच्छे से जानती हूँ.. एसी की हवा से शांत नहीं होने वाली तू"
शीला: "चुप कर बदमाश.. कुछ भी बोलती रहती है.. वैसे गर्मी तो तेरे अंदर भी कुछ कम नहीं है.. अच्छे अच्छों को पिघलाने का हुनर है तुझ में.. !!"
रेणुका: "अब वो तो महसूस करने वाले को पता.. की मेरे अंदर कितनी गर्मी है.. पर हम भी अपनी गर्मी उन्हीं को दिखाते है जिसमे इस गर्मी को शांत करने की ताकत हो"
रेणुका और शीला, जान बूझकर खुलकर बातें कर रही थी.. उनकी बातें सुनकर मदन और राजेश को भी थोड़ा सा ताज्जुब हुआ.. धीरे धीरे दोनों ज्यादा से ज्यादा खुलने लगी..
ब्लाउस से एक स्तन बाहर निकालकर, ड्राइव कर रहे राजेश का हाथ खींचकर, उसपर रख दिया रेणुका ने.. टाइट ब्लाउस से पूरा स्तन तो बाहर नहीं निकाल पाई.. पर आधे स्तन की उभरी हुई निप्पल पर वो राजेश की हथेली को रगड़ने लगी.. इस हरकत से.. और रेणुका तथा शीला की उत्तेजक बातें सुनकर.. राजेश का लंड पतलून में तंबू बनाकर खड़ा हो गया
रेणुका राजेश का लंड बाहर निकालना चाहती थी.. पर उसके पेंट की चैन खुल ही नहीं रही थी.. शीला की बातें सुनकर राजेश का लंड इतना सख्त होकर अंदर से दबाव बना रहा था की चैन खुलने ही नहीं दे रहा था.. रेणुका ऊपर ऊपर से ही.. उस कचौड़ी जैसे फुले हुए हिस्से को सहलाने लगी.. आखिर राजेश ने ही रेणुका का काम आसान करने के लिए.. अपने पेंट का एक बटन खोल दिया.. बटन खुलते ही.. आधी चैन अपने आप खुल गई.. वी शैप की अन्डरवेर के साइड से सख्त लोडे को बाहर निकालकर, राजेश ने रेणुका के हाथों में सौंप दिया.. जिसे पकड़ते ही रेणुका की आह्ह निकल गई..
रेणुका ने अपना चेहरा राजेश के कान के करीब लाकर.. बिल्कुल धीमे से कहा "माय गॉड.. ये क्या है राजेश!! इतना टाइट तो आज तक कभी नहीं हुआ.. मैं नंगी होकर अपनी चूत फैलाकर तेरे मुंह पर रख देती हूँ तब भी इतना कडक नहीं होता है.. " रेणुका की इन हरकतों को देखकर शीला समझ गई की राजेश का लंड बाहर निकल चुका है.. मदन की मौजूदगी की जरा भी परवाह किए बगैर, शीला ने थोड़ा सा आगे आकर रेणुका के हाथ में जकड़े राजेश के लंड को देखा..
मदन: "क्या देख रही है शीला? शर्म नहीं आती तुझे?"
शीला ने बेधड़क होकर कहा "अच्छा.. अभी तू साइड से.. रेणुका के स्तन को देख रहा था.. तब तुझे शर्म नहीं आई थी?"
शीला ने मदन का लंड बाहर निकाला और झुककर चूसने लगी.. मदन की आँखें बंद हो गई.. शीला के कामुक होंठों ने लंड के इर्दगिर्द ऐसी पकड़ बना ली थी की वो अपने आपे से बाहर हो रहा था.. अपनी जीभ से शीला ऐसा कमाल कर रही थी की मदन से रहा नहीं जा रहा था.. ये तो मदन था जो शीला की इस कामुक चुसाई को बर्दाश्त कर पा रहा था.. और कोई होता तो उसके लंड ने कब का इस्तीफा दे दिया होता.. !!
मदन ने शीला के सर को पकड़े रखा था.. जब वो लंड अंदर लेने के लिए झुकती तब वो अपनी गांड उठाकर उसके मुंह में अंदर तक अपना लंड पेल देता.. शीला के मुंह से विचित्र आवाज़ें निकल रही थी.. शीला जान बूझकर ज्यादा आवाज़ें कर रही थी.. वो चाहती थी की रेणुका और राजेश उसकी आवाजों को सुने.. पर मदन को बहोत शर्म आ रही थी.. शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखते हुए बार बार हंस रही थी..
राजेश ने पीछे देखते हुए कहा : "अरे क्या हो रहा है पीछे?" राजेश को अंदाजा तो लग गया था पर फिर भी उसने पूछा
मदन ने आगे की सीट पर बैठे राजेश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "भाई, कुछ नहीं हो रहा है.. तुम अपना ध्यान ड्राइव करने पर ही रखो..वरना एक्सीडेंट हो जाएगा"
हँसते हुए राजेश ने ड्राइविंग पर ध्यान केंद्रित किया.. पर रेणुका को मदन कैसे रोकता?? वो तो पीछे देखने लगी.. झुकी हुई शीला को..
मदन ने शरमाते हुए कहा "वो जरा शीला सफर के कारण थक गई है इसलिए मेरी गोद में सो रही है.. थोड़ा सा वॉमीट जैसा हो रहा है उसे इसलिए ऐसी आवाज़ें निकाल रही है" वैसे रेणुका को पता ही था की शीला क्या कर रही थी..
रेणुका: "अच्छा.. ?? मुझे तो ऐसी आवाज़ें आई जैसे कोई कुल्फी चूस रहा हो"
राजेश: "कहीं कोई गुड न्यूज़ तो नहीं है ना शीला भाभी..!! मदन, हम सब का मुंह मीठा करवाना पड़ेगा.. इस बार तो पक्का लड़का ही होगा..!!" उसने हँसते हँसते कहा
मदन: "क्या राजेश तू भी?? इस उम्र में अगर तुझे मिठाई खानी हो तो मुझे किसी 20 साल की लड़की से ब्याहना पड़ेगा.. मेरी तलवार में तो अब भी वार करने की ताकत है.. पर तेरी भाभी की म्यान सूख चुकी है.. !!"
अपना सिर ऊपर नीचे करते हुए मदन के लंड को चूस रही शीला को रेणुका देखती ही रही.. मदन शर्म से पानी पानी हो रहा था.. रेणुका ने राजेश के लंड को अपनी मुठ्ठी में दबाकर हिलाते हुए शीला को देखने के लिए पलटी.. तब उसका खुला हुआ गोरा स्तन, मदन की आँखों के बिल्कुल सामने आ गया.. मदन को अपने बबले को तांकते हुए देखकर.. रेणुका ने बिना शरमाये, राजेश के गाल पर किस कर दिया.. और मदन की तरफ देखकर उसे आँख मारी.. और कहा.. "आप दोनों इतना सब कर सकते हो तो हम इतना तो कर ही सकते है ना.. !!" इतनी मादक आवाज में रेणुका ने आमंत्रण भरी आँखों से मदन की ओर देखकर कहा
मदन: "आप को जो करना हो कर सकते हो.. मैंने कब मना किया.. ?? अगर आप को भी वॉमीट होने जैसा हो रहा हो तो आप भी गोद में सो जाइए.. जो करना हो कीजिए.. बस पीछे मत देखिए"
रेणुका : "एक बार शीला का हो जाने दो.. फिर सोचती हूँ"
मदन चोंक गया "मतलब?? मैं मेरी गोद में सुलाने की बात नहीं कर रहा हूँ.. क्या आप भी!!!"
राजेश ड्राइविंग करते करते इन सारी बातों का मज़ा ले रहा था
मदन की गोद में मुंह डालकर चूस रही शीला ने मुंह से लंड निकाला और कहा "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है रेणुका.. तू मदन की गोद में मुंह डालेगी तो मैं भी राजेश की गोद में मुंह डाल दूँगी" इतना कहकर शीला फिर से मदन का लंड चूसने में मशरूफ़ हो गई..
रेणुका को महसूस हुआ.. की जब शीला ने राजेश की गोद में जाने की बात खी.. तब राजेश का लंड और कडा हो गया.. वो इस बारे में राजेश के कान में कुछ कहने ही वाली थी.. चेहरा उसके कान के करीब ले जाकर वो कुछ कहती.. उससे पहले ही मदन ने पीछे से रेणुका के गोरे चिकने गाल पर एक हल्की सी पप्पी कर दी.. रेणुका का पूरा शरीर सिहरने लगा.. सिर्फ आधी सेकंड में ये हो गया.. राजेश और शीला को तो इसके बारे में पता तक नहीं चला क्योंकि राजेश आगे बैठा था और शीला का चेहरा नीचे था.. रेणुका के जिस्म में रोमांच और उत्तेजना की एक लहर सी दौड़ गई.. अपने पति की मौजूदगी में किसी गैर मर्द से चूमे जाने का विचार भी रोमांचित कर देता है..
जैसे कुछ न हुआ हो वैसे रेणुका राजेश के लंड से खेलती रही..
पीछे की सीट पर मदन का पूरा शरीर तंग हो गया.. शीला मुंह से लंड निकालकर उठ गई.. और अपनी टांगों के बीच हाथ डालकर उसने पेन्टी उतारकर पर्स में रख दी.. फिर दोनों हाथों से उसने अपना घाघरा उठाया.. और अपनी नंगी चूत को खुद ही सहलाने लगी.. पूरी कार में शीला के भोसड़े की मादक गंध फैल गई.. आगे की सीट पर बैठा राजेश भी समझ गया की पीछे क्या हो रहा था..
राजेश ने रेणुका से कहा : "अरे यार.. ठीक से बबले बाहर निकाल.. इस तरह आधे आधे में कुछ मज़ा नहीं आ रहा.. पीछे देखकर कुछ तो सीख.. !!"
रेणुका ने तुरंत अपने ब्लाउस के तमाम हुक खोल दीये.. और अपने दोनों खरगोशों को खोल दिया.. "पहले से बोलना चाहिए था ना तुझे.. !! बिना कहें मुझे कैसे पता चलता.. ले दबा ले.. जितना मन करें.. !!" रेणुका जान बूझकर थोड़ी ऊंची आवाज में बोली ताकि मदन को भी सुनाई दे..
राजेश ने भी ऊंची आवाज में.. शीला सुन सके उस तरह कहा "तुझे अपने बबलों को कभी ढंकना ही नहीं चाहिए.. कपड़ों के पीछे ये बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते"
"ऊँहहह.. जरा धीरे धीरे दबा यार.. तोड़ देगा क्या??" अंगड़ाई लेते हुए रेणुका ने कहा.. "और इन्हें जरूरत के समय ही खोल सकते है.. तुम्हारा भी हर वक्त खड़ा थोड़े ही रहता है?? जब जरूरत होती है तभी तो उठता है तुम्हारा.. !!"
"आह्ह रेणु... अब तो रहा नहीं जाता" राजेश ने सिसकते हुए कहा
"आज कुछ ज्यादा ही टाइट हो गया है तेरा.. डार्लिंग, परफ़ॉर्मन्स के टाइम तो इतना सख्त नहीं होता तेरा.. !! आज क्या खास हो गया??"
राजेश: "आज का माहोल ही कुछ ऐसा है जानु.. तू भी आज कितनी खिली खिली लग रही है.. इतना तो बेडरूम में कभी नहीं चमकती.. किसी और बेटसमेन का साथ इनिंग खेलना का मन तो नहीं बना लिया.. हा हा हा हा हा.. !!"
मदन: "नई जगह हो.. और नया क्लाइमेट हो तब खेलने में ज्यादा मज़ा आता है.. राजेश तुझे घास वाली पिच ज्यादा पसंद है या बिना घास की?"
राजेश: "मुझे घास से कोई मतलब नहीं.. हाँ अगर पिच नई मिल जाए तो बेटिंग करने का मज़ा आ जाएँ"
मदन और राजेश क्या बात कर रहे थे वो दोनों महिलायें अच्छी तरह समझ रही थी.. और वो भी मजे ले रही थी
कामुक हरकतें और बातें करते करते वो लोग कब शहर पहुँच गए, पता ही नहीं चला.. !!
राजेश ने रेणुका को एक आखिरी किस देकर कहा "चलो अब बाकी सब घर जाके करना.. हम पहुँच रहे है" राजेश ने अपना लंड रेणुका के हाथ से छुड़ाते हुए कहा और बड़ी मुश्किल से उसे पेंट में फिर से कैद किया..
शीला ने अपना घाघरा नीचे कर दिया.. इतना सब करने के बावजूद वो झड़ नहीं पाई थी.. ऐसे वातावरण में सबके सामने उसका झड़ना मुमकिन भी नहीं था.. उसे चाहिए था तड़कता-भड़कता स्खलन.. चीखते चिल्लाते हुए.. आवाज को रोककर झड़ना उसे बिल्कुल पसंद नहीं था..
चारों एकदम नॉर्मल होकर ठीक से बैठ गए.. शहर के अंदर घुसते ही.. एक होटल के पास, पीयूष गाड़ी खड़ी रखकर इन चारों का इंतज़ार कर रहा था.. राजेश और रेणुका गाड़ी से उतरे.. और अपनी गाड़ी में बैठ गए.. पीयूष, कविता और वैशाली उतरकर दूसरी गाड़ी में बैठ गए.. राजेश अपनी गाड़ी में पिंटू को ले गया.. क्योंकि दूसरी गाड़ी में जगह नहीं बची थी..
सब अपने अपने घर पहुँच गए.. मदन अब कोई नया बिजनेस ढूंढ रहा था.. और वैशाली अपना जीवनसाथी.. !!!
Wah ri Sheela. Ekdam mast.सब अपने अपने घर पहुँच गए.. मदन अब कोई नया बिजनेस ढूंढ रहा था.. और वैशाली अपना जीवनसाथी.. !!!
संजय के साथ जो कुछ भी हुआ उसके बाद, इंस्पेक्टर तपन के कहने पर मदन ने शहर के एक बड़े वकील के द्वारा वैशाली के तलाक का केस दाखिल करवा दिया था.. जब तक ये मामला शांति से निपट नहीं जाता तब तक मदन ने वैशाली को इंतज़ार करने की हिदायत दी हुई थी..
कविता के लौट जाने के बाद, वैशाली पीयूष की कंपनी बहोत मिस कर रही थी.. जब कविता नहीं थी तब दोनों ने साथ में बड़े मजे कीये थे.. पर अब कविता की हाज़री में वो पीयूष से दूर ही रहने लगी थी.. पीयूष को भी इस बात का अंदाजा लग चुका था इसलिए वो भी सब के सामने वैशाली से अंतर बनाकर रखता था
मौसम की शादी की तारीख तय हो चुकी थी.. दीपावली के पंद्रह दिन बाद का मुहूरत था.. सुबोधकान्त और रमिलाबहन शादी की तैयारियों में व्यस्त हो गए थे.. कविता भी, जब मौका मिलता, अपनी बहन की शादी के लिए शॉपिंग करने निकल पड़ती.. और लड़कियों/औरतों को शॉपिंग पसंद भी इतना होती है.. भूख प्यास सब भूल जाते है.. अरे, मोहल्ले में कोई चूड़ी बेचने वाला भी आवाज लगाएं तो सब काम छोड़कर उसे मधूमक्खियों की तरह घेर लेती है.. रोज दोपहर को खाने के बाद, कविता वैशाली को लेकर शॉपिंग के लिए निकल जाती थी.. बहन की शादी थी इसलिए कविता का उत्साहित होना लाज़मी भी था..
पिछले हफ्ते जब कविता मायके में थी तब वो घंटों पिंटू के साथ बातें करती थी.. पर घर लौटने के बाद वो सब बंद हो गया था.. बहोत मिस कर रही थी वो पिंटू को.. पीयूष मौसम को मिस कर रहा था.. पति और पत्नी दोनों के दिलों में उदासी छाई हुई थी.. और उसका असर उनके सहजीवन पर भी पड़ रहा था.. रात को बिस्तर पर लेटकर न कविता सेक्स को याद करती और ना पीयूष याद दिलाता.. कविता को पीयूष का लंड पकड़ने का मन भी नहीं हो रहा था.. और पीयूष, मौसम के साथ गुजारें उन हसीन लम्हों को याद करते हुए कविता के बगल में ही सो जाता.. मौसम अब पराई हो गई थी ये सदमा पीयूष बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था.. अंदर ही अंदर वो तरुण के प्रति ईर्ष्या से जल रहा था..
एक दिन शीला और मदन घर के बाहर बरामदे में झूले पर बैठे हुए थे.. वैशाली अंदर मोबाइल पर चैट कर रही थी.. पिंटू के साथ.. पिंटू अब जैसे उसके जीवन का हिस्सा बन चुका था.. ऑफिस में तो खैर वो दोनों ज्यादा बातें नहीं करते थे.. पर घर पहुँचने के बाद दोनों मोबाइल पर भरपूर चैट करते थे.. चैट पर भी पिंटू ने कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया था.. और उसकी इस बात ने वैशाली को बेहद आकर्षित किया था.. अक्सर कविता उसके सामने पिंटू को बहोत तारीफ करती रहती थी.. और वैशाली ने खुद भी यह अनुभव किया था..
वैशाली ने शीला को भी यह बता दिया था की पिंटू के साथ उसकी अच्छी पटती थी.. शीला और मदन को इस बात से कोई दिक्कत नहीं थी.. उल्टा शीला ने उसे हिदायत देते हुए कहा था की उसका जब भी पिंटू से मिलने का मन करें तब वो दोनों घर पर ही मिलें.. समाज की नज़रों में वैशाली अब भी संजय की पत्नी थी.. वो लोग बाहर कहीं मिलते तो लोग हजार बातें बनाते..
शीला और मदन आराम से झूले पर झूल रहे थे
शीला: "मदन, घर पर बैठे बैठे बोर हो गई मैं तो.. कहीं जाने का मन कर रहा है यार.. सिर्फ हम दोनों.. !!"
मदन समझ गया की शीला का भोसड़ा चुदने के लिए फड़फड़ा रहा था.. इसलिए बेचैन हो रही थी शीला.. लंड लेने के लिए तड़प रही थी.. कुछ करना पड़ेगा.. !! शीला चोदते वक्त इतनी आवाज़ें करती थी की वैशाली दूसरे कमरे में भी आराम से सुन पाती.. इसलिए काफी दिनों से चुदाई का कोई कार्यक्रम नहीं हुआ था
मदन: "सही कहा तूने.. राजेश से बात करते है.. साथ में दो तीन दिनों के लिए कहीं घूम आते है.. फ्रेश हो जाएंगे"
शीला: "पर घूमने जाएंगे तो वैशाली को भी साथ ले जाना पड़ेगा ना.. उसे छोड़कर नहीं जा सकते"
मदन: "फिर तो वही बात हो गई.. !! वैशाली साथ मे होंगी तो फिर क्या फायदा.. !!"
शीला: "हम्म कुछ करना पड़ेगा.. कोई ऐसी जगह ढूँढ़नी पड़ेगी जहां हम दोनों खुलकर मजे कर सकें"
मदन: "अरे शीला.. वो दूधवाले की बीवी हमारी कुछ मदद कर सकती है क्या? उसका घर मिल सकता है क्या?"
शीला: "हम्म.. बात तो तेरी सही है.. पर उससे कैसे कहूँ?? कुछ सेटिंग तो करना पड़ेगा यार.. मैं कुछ करती हूँ.. उसे एक बार घर मिलने बुलाती हूँ.. नहीं तो मैं ही उसके घर मिलने चली जाती हूँ" शीला और मदन दोनों की आँखों मे चमक आ गई.. रूखी के दूध भरे बबलों के बारे मे सोचते ही मदन की आँखों मे सांप लोटने लगे..
शीला: "मुझे पता ही की तुझे वो दूधवाले की बीवी क्यों याद आई.. पर उसके इतने बड़े बड़े है की तेरे हाथ मे भी नहीं आएंगे" मदन की जांघ पर चिमटी काटते हुए शीला ने शरारती अंदाज मे कहा
मदन: "अरे यार, ऐसा नहीं है.. तू किसी और जगह का जुगाड़ कर दे.. मुझे प्रॉब्लेम नहीं है" अपनी चोरी पकड़े जाने पर मदन ने सफाई दी "अरे हाँ शीला.. राजेश के घर पर हो सकता है क्या?"
शीला: "नहीं यार.. अभी अभी उनसे मित्रता हुई है.. ऐसी बातों के लिए उनसे घर मांगने मे झिझक होगी"
मदन: "तो फिर उस दूधवाले के घर के अलावा और कोई चारा नहीं है"
शीला: "देखती हूँ, क्या हो सकता है"
उस रात को, हवस हद से ज्यादा बढ़ जाने पर.. शीला और मदन ने अपनी आवाजों को रोककर चुदाई की.. बगल के कमरे मे वैशाली सो रही थी इसलिए दोनों को चुपचाप चोदना पड़ा.. बिलकुल मज़ा नहीं आया..!!
सुबह साढ़े पाँच बजे, रसिक की साइकिल की घंटी सुनकर, शीला की आँख खुल गई.. शीला उठकर बेडरूम से बाहर आई.. और बेडरूम का दरवाजा बंद कर दिया.. वो बाहर आई और मुख्य दरवाजा खोला.. रसिक सामने ही खड़ा था
रसिक: "पतीला नहीं लाई भाभी?? दूध कैसे लोगी?"
शीला: "रोज सिर्फ दूध ही देगा?? या और कुछ भी है तेरे पास देने के लिए??" शीला ने अपना गाउन ऊपर किया.. अंदर न ब्रा पहनी थी और ना ही पेन्टी.. अपना भोसड़ा दिखाते हुए वो बोली "इसमें दूध लेना है मुझे.. बोल, कब देगा?"
शीला के मदमस्त नंगे बबलों को दोनों हथेलियों से दबाते हुए रसिक ने कहा "मैं तो मार रहा हूँ देने के लिए भाभी.. आप कहो तो अभी घुसा दूँ"
शीला: "मेरी बात ध्यान से सुन.. आज अभी साढ़े दस बजे मैं तेरे घर आऊँगी.. रूखी को कहीं भेज देना एक घंटे के लिए.. किसी को पता नहीं लगना चाहिए.. तेरे माँ बाप तो आगे के कमरे मे रहेंगे.. मैं पीछे के रास्ते अंदर आ जाऊँगी.. तेरा घर तो काफी बड़ा है.. पीछे के कमरे मे करेंगे"
रसिक: "ठीक है भाभी" जाते जाते उसने शीला की निप्पलों को बारी बारी मुँह मे भरकर चूस लिया.. और शीला के हाथ मे अपना लोडा भी पकड़ा दिया.. खूँटे जैसे लंड को पकड़कर शीला थरथराने लगी.. रसिक चला गया
रोज पीयूष के साथ ऑफिस जाती वैशाली... आज पीयूष के चले जाने के बाद अकेले ही ऑफिस जाने निकली.. रास्ते मे उसने पिंटू को फोन किया.. ऑफिस मे तो सब की मौजूदगी के कारण खुलकर बात नहीं हो पाती थी.. काफी दिनों से कविता का भी फोन नहीं आया था इसलिए वैशाली से बातें करना पिंटू को बहोत अच्छा लगता था.. दोनों यहाँ वहाँ की बातें करते थे.. ऑफिस पहुँचने तक वैशाली पिंटू से बात करती रहती.. यह रोज का नित्याक्रम बन चुका था..
वैशाली के जाने के बाद साढ़े नौ बजे, मदन को बताकर, शीला रसिक के घर जाने के लिए तैयार हो गई.. मदन सोच रहा था की शीला घर का सेटिंग करने जा रही है.. हालांकि शीला तो खुद का सेटिंग करने निकली थी
मदन: "हाँ जाकर आ.. तू कहें तो मैं भी साथ चलूँ?"
शीला: "पागल है क्या?? तेरी मौजूदगी मे रूखी से ऐसी बात भला कैसे पूछूँ?"
मदन: "ठीक है.. तू अकेली ही चली जा.. बेस्ट ऑफ लक"
घर से बाहर निकलते निकलते शीला को हंसी आ रही थी.. अब मदन को क्या कहें?? बाहर चुदवाने जा रही बीवी को ये बेवकूफ "बेस्ट ऑफ लक" कह रहा था..
वो फटाफट चलते चलते रसिक के घर की ओर जाने लगी.. रास्ते मे उसने एक कॉल किया.. कॉल खतम करके वो मुसकुराते हुए चल पड़ी.. रसिक के घर पहुंचकर.. वो पीछे के रास्ते चुपके से चली गई.. और दरवाजा खटखटाने लगी.. रसिक ने दरवाजा खोला और शीला को हाथ से पकड़कर अंदर खींच लिया.. और दरवाजा बंद कर उसे दबोच लिया
रसिक की बाहों मे शीला का बदन हवस से तपने लगा... जानबूझकर आज वो बिना ब्रा पहने आई थी.. रसिक के हाथ और उसके बबलों के बीच कुछ नहीं आना चाहिए..
"सब सलामत है ना.. !! कोई आ तो नहीं जाएगा?" शीला ने कहा
"चिंता मत कीजिए.. पीछे के कमरे मे कोई नहीं आता" रसिक ने शीला के बबलों को रौंदना शुरू कर दिया
रसिक का हाथ स्तनों पर फिरते ही शीला की जवानी उछलने लगी..
"यार तू ऊपर सहला रहा है और नीचे से मेरा पानी छूटना शुरू हो गया.. आह रसिक" पाजामे के ऊपर से रसिक का लंड पकड़ते हुए शीला ने कहा "ये तो तैयार ही खड़ा है"
"अरे भाभी, सुबह से.. जब से आपने घर आने का कहा.. तब से ये तैयार है.. !! पर आप एक मिनट रुकिए भाभी" शीला का हाथ अपने लंड से हटाते हुए रसिक खड़ा हो गया
"अब क्या है यार? सारी तैयारी पहले से ही कर लेनी चाहिए तुझे.. इसलिए तो पहले से बताया था.. " चूत की खुजली से परेशान शीला ने कहा
रसिक छोटी से खिड़की को बंद कर रहा था.. पीछे से उसकी विशाल पीठ को देखकर शीला सोच रही थी की.. इसके पूर्वज जरूर असुर योनि से होंगे.. तभी ये इतना हट्टा-कट्टा राक्षस जैसा है.. साला जब ऊपर चढ़ता है तब पूरा जिस्म छील जाता है..
रसिक ने खटिया के सामने एक टेबल लगा दिया और उसपर नाश्ते की डिश सजा दी.. अगर कोई आ भी जाएँ तो दिखाने के लिए..
"अब सब ठीक है.. आप जैसे मर्जी करवा लीजिए.. कोई दिक्कत नहीं होगी"
रसिक की लंगोट मे हाथ डालकर उसके मूसल जैसे लंड को पकड़ते ही शीला के बदन मे सुरसुरी होने लगी.. मदन ने एक बार एक ब्लू फिल्म दिखाई थी जिसमे लड़कियां घोड़े के लंड से खेल रही थी.. घोड़े के चार पैरों के बीच बैठकर.. लड़किया उस विकराल तीन फुट लंबे लंड से विकृति पूर्वक खेल रही थी.. रसिक का लंड पकड़ते ही शीला को वो सीन की याद आ गई.. आँखें बंद कर वो रसिक के लंड को सहलाती रही..
"आह्ह भाभी, जल्दी कीजिए.. बाहर भी निकालिए इसे.. कब तक खेलती रहोगी" रसिक ने बेचैन होकर कहा
शीला ने लंगोट से रसिक के लंड को बाहर निकाला.. आह्ह.. देखते ही शीला सिहर उठी.. विकराल अजगर जैसा रसिक का दमदार लंड.. टमाटर जितना बड़ा सुपाड़ा.. और लंड की फुली हुई नसें.. शीला की कलाई जितना मोटा था रसिक का लंड.. !! शीला की चूत ने रस और गंध छोड़ना शुरू कर दिया था.. जबरदस्त उत्तेजित हो गई थी वो.. उसके स्तन एकदम सख्त हो गए थे.. निप्पलें तनकर खड़ी हो गई थी..
दोनों हाथों से लंड को जड़ से पकड़कर.. शीला ने अपने मुंह मे डाल दीया... आँखें बंद कर उसे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उस ब्लू फिल्म की हीरोइन की तरह वो भी घोड़े का लंड चूस रही है.. वो तब तक चूसती रही जब तक की उसका मुंह दर्द नहीं करने लगा.. रसिक के आँड़ भी अंडे की साइज़ के थे.. शीला उसके लंड और आँड पर टूट पड़ी थी.. कभी लंड को चूमती.. तो कभी आँड़ों को मुंह मे भरकर चूसती.. वैसे तो शीला को मदन का लंड चूसने मे भी मज़ा आता था.. पर रसिक के मूसल की बात ही निराली थी..
शीला की चूत अब बगावत पर उतर आई थी.. इतनी तेज खुजली हो रही थी इस लंड को देखकर.. शीला ने ब्लाउस के हुक खोल दीये.. और अपने नारियल जैसे स्तनों को मुक्त कर दिया.. अत्यंत उत्तेजित होकर उसने अपने दोनों चुचे रसिक के लंड पर रगड़ दीये.. शीला के स्तनों से रगड़ खाकर रसिक का लंड लोहे के गरम सरिये जैसा हो गया था.. शीला ने अपने दोनों विराट स्तनों के बीच रसिक का लंड दबा दिया.. शीला की छातियों का नरम नरम स्पर्श मिलते ही रसिक का लोडा भी फुदकने लगा.. शीला के नखरे रसिक को पागल बना रहे थे..
वो खड़े खड़े.. शीला के दूध जैसे गोरे बबलों को देख रहा था.. दीवार पर अपना सर टीकाकर बैठी शीला का घाघरा पूर्णतः ऊपर की तरफ उठ चुका था.. और शीला जितना हो सकें उतना पैर चौड़े कर.. अपनी भोस खुजाते हुए रसिक के लंड को प्यार करती रही.. उत्तेजित होकर जब रसिक बेकाबू हो जाता तब वो शीला के मुंह को ही चूत समझकर अपने लंड को बड़ी ही ताकत से अंदर धकेल देता.. पीछे दीवार और आगे लंड का आक्रामक हमला.. शीला की हवस संतुष्ट कर सकें उतना लंड उसके मुंह के अंदर दाखिल हो रहा था और रसिक के बड़े बड़े अंडकोश, शीला की ठुड्डी से टकरा रहे थे.. रसिक की धीरज अब जवाब दे रही थी..
पागलों की तरह रसिक का लंड चूस रही शीला को रसिक ने झुककर कहा "बस भाभी.. आप ऐसे ही चूसती रही तो मेरा निकल जाएगा.. और अंदर डालने का मौका ही नहीं मिलेगा.. "
जैसे रसिक की बात सुनी ही न हो वैसे शीला लंड चूसती ही रही.. काफी देर तक चूसने के बाद जब उसका मन तृप्त हुआ तभी उसने मुंह से लंड निकाला.. और रसिक की जांघों के बीच से उठ खड़ी हुई..
शीला के बिखरे हुए बाल.. हवस टपकाती लाल लाल आँखें.. गाल पर चिपका हुआ रसिक का थोड़ा सा वीर्य..!! जबरदस्त लग रही थी शीला..!! रसिक अब शीला के मदमस्त उरोजों पर टूट पड़ा.. और उसके दोनों स्तनों को बेरहमी से मसल दिया.. एक के बाद एक दोनों स्तनों की निप्पलों को चूसते हुए रसिक ने शीला पर धाबा मोल दिया.. एक इंच लंबी निप्पल को काटते ही शीला की सिसकियाँ निकलने लगी.. रसिक शीला को जितना दर्द पहुंचाता उतना ही शीला और हिंसक हो रही थी.. रसिक के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर शीला निचोड़ने लगी.. शीला के मांसल गोलों को रसिक जितनी बेरहमी से दबाता.. शीला की उत्तेजना घटने के बजाए और भड़क जाती..
एक दूसरे की बाहों में बाहें डालकर.. जितना हो सकता था उतनी आक्रामकता से एक दूसरे से शरीर का घर्षण कर रहें थे दोनों.. शीला ने अपना घाघरा उठाकर रसिक के लंड को अपनी चिपचिपी बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया.. चूत की गर्मी का एहसास अपने लंड के सुपाड़े पर होते ही रसिक का लोडा शीला की मुठ्ठी मे ठुमकने लगा..
शीला: "ओह्ह रसिक.. अब और नहीं रहा जाता.. जल्दी से मुझे खटिया पर पटककर चोद दें.. जरा भी रहम मत करना.. मर रही हूँ तेरे लंड से चुदने के लिए!! आज तो फाड़ ही डाल मेरी गुफा.. जल्दी जल्दी कर.. आह्ह.. !!"
रसिक: "हाँ भाभी... आपका बदन देखकर मेरा लोडा अब इतना तन चुका है की अब इसे बिना चोदे चैन नहीं मिलने वाला.. पर मैं दरवाजे की कुंडी ठीक से चेक कर लूँ.. कहीं रूखी बेवक्त न टपक पड़े"
रसिक दरवाजे की कुंडी चेक करने गया पर बेचारे नादान रसिक को कहाँ पता था की...
शीला ने रूखी को अपने घर भेजा था.. मदन के पास..!!! ताकि मदन उसके दूध भरे बबलों का लुत्फ उठा सकें.. और जब तक शीला का मिसकॉल नहीं जाता तब तक वो वापिस लौटने वाली नहीं थी.. वैसे शीला को मदन के साथ सेक्स करने मे उतनी दिक्कत नहीं थी.. रात को वैशाली की मौजूदगी के कारण कंट्रोल रखना पड़ता था.. पर दिन भर तो वैशाली ऑफिस रहती थी.. उस समय दोनों चाहें उतना चोद सकते थे.. लेकिन शीला चाहती ही थी की इसी बहाने रसिक के मूसल से ठुकवा सकें.. और मदन भी रूखी के दूध भरे स्तनों को देखकर होश खो बैठा था.. मदन की हवस को ही सीढ़ी बनाते हुए शीला रसिक के लंड तक पहुँच गई थी.. मदन उसी विश्वास में था की इतनी सुंदर, मॉडर्न और सम्पूर्ण संतुष्ट शीला, किसी मामूली से दूधवाले से थोड़े ही चुदवाएगी.. !! पर ऐसा गलत आत्मविश्वास कभी नहीं रखना चाहिए.. स्त्री कभी भी, कुछ भी कर सकती है
मदन बेचारे को कहाँ पता था की जब वो विदेश में मेरी के बबले चूस रहा था तब शीला रसिक के साथ रंगरेलियाँ मना रही थी.. !!
रसिक के सामने ही अपनी चूत खुजाते हुए शीला खटिया पर बैठ गई और अपने सारे वस्त्र उतार दीये.. कपड़े उसने संभालकर खटिया के बगल में इस तरह रखें की जरूरत पड़ने पर वो तुरंत उन्हें पहन सकें.. शीला के पीछे पीछे रसिक आया.. सामने से चलकर आ रहें रसिक की दोनों जांघों के बीच झूल रहें विकराल लोडे को देखकर.. किसी भी स्त्री की नियत बिगड़ सकती थी.. ऐसा मोटा और तगड़ा था उसका लंड.. शीला को नंगी बैठें देख.. रसिक उत्तेजित सांड की तरह बेकाबू हो गया.. और शीला के सामने अपनी बनियान उतार दी.. चौड़े कंधे.. काले घुँघराले बालों से भरी हुई छाती.. देहाती श्याम रंग.. अलमस्त काया.. और साढ़े छह फिट की ऊंचाई.. बड़ी बड़ी मूछें.. कान में चांदी की बाली.. कम से कम 90 किलो वज़न था रसिक का.. !!
शीला: "बाप रे, रसिक.. !! कितना बड़ा है ये तेरा.. !! किसी जवान लड़की के छेद में अगर तू ये तेरा लंड डालेगा तो उस बेचारी की वहीं जान निकल जाएगी.. "
रसिक को अपनी ओर आते देख.. शीला खटिया पर टांगें फैलाकर लेट गई.. उसने खुद ही अपने चूतड़ों के नीचे तकिया सटाकर रख दिया.. आज वो हफ्तों की भूख शांत करने आई थी..!!
धीरे धीरे रसिक शीला के करीब आया.. और खटिया के कोने पर बैठ गया.. शीला की मांसल गदराई जांघों पर हाथ फेरते हुए उसने कहा "कितनी चिकनी है आपकी जांघें, भाभी। इसपर तो मैं अपना लंड रगड़कर ही पानी गिरा सकता हूँ.. " कहते हुए शीला की भोस तक अपना हाथ ले गया.. शीला के पैर तो पहले से ही चौड़े थे.. इसलिए उसके भोसड़े तक पहुँचने में रसिक को जरा भी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा
खुरदरे हाथों का स्पर्श शीला को और उत्तेजित कर गया.. वो नीचे से अपने चूतड़ उठाकर गोल गोल घुमाने लगी.. "सहलाना बंद कर रसिक.. अंदर चीटीयां काट रही है मुझे.. डाल दे तेरा लंड अंदर.. आह्ह मर गई.. !!"
शीला रूखी के बारे में सोचने लगी.. कितनी किस्मत वाली है वोह.. रोज ऐसे तगड़े लंड से चुदना नसीब हो रहा था उसे.. फिर भी कमीनी जीवा के लंड के पीछे पागल थी.. मायके और ससुराल दोनों में उसके पास उत्कृष्ट कक्षा के तगड़े लंड उपलब्ध थे..
रसिक ने शीला की दोनों जांघों के बीच पोजीशन ले ली.. जिस तरह लड़ाकू विमान टेक-ऑफ के लिए तैयार होते है, बिल्कुल वैसे ही.. रसिक का लंड, शीला की भोसड़े की गंध सूंघकर हिलोरे लेने लगा था..
रसिक ने दोनों हाथों को शीला के घुटनों पर रख दिया.. और दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया.. भोसड़े पर लंड टेककर अंदर डालने की कोशिश की.. पर उस तरह लंड अंदर घुस नहीं पा रहा था.. आखिर शीला ने अपने एक हाथ से स्तन मसलते हुए दूसरे हाथ से रसिक के लंड को हाथ में लिया और अपने गरम भांप छोड़ रहे सुराख पर रख दिया.. हल्के से गांड उचकते ही रसिक का सुपाड़ा अंदर घुस गया.. "अब मार धक्के.. जोर से.. फाड़ दे इसे.. आह्ह"
अब रसिक भी कहाँ पीछे हटने वाला था.. !! उसने दबाकर एक जोरदार धक्का लगाया.. और शीला के भोसड़े को चीरते हुए उसका लंड बच्चेदानी के मुख पर जाकर टकराया..
"ऊईईई माँ... मर गई.. ओह्ह रसिक.. अपना लोडा बाहर निकाल और फिर से इसी तरह एक और धक्का लगा.. आह्ह मज़ा आ गया.. जरा जोर से.. !!" शीला की उत्तेजना बेकाबू हो रही थी.. "कौन जाने क्या खाकर तुझे तेरी माँ ने पैदा किया था.. कितना खूंखार लंड है रे तेरा... अब चोद डाल.. अपनी माँ की चूत समझ कर चोद दे मुझे.. !!"
रसिक ने शीला के पैरों को छोड़ दिया.. और शीला ने उसके कंधों पर दोनों पैरों से कुंडली मार दी.. रसिक ने शीला के दोनों बबलों को अपने हाथों से दबाते हुए.. अपनी अलमस्त काया का पूरा 90 किलो वजन एक साथ ही शीला के ऊपर थोप दिया.. नौ इंच का लंड और नब्बे किलो का वज़न.. बड़े आराम से झेल रही थी शीला.. !!
रसिक के वजनदार धक्कों को शीला ने बड़ी ही आसानी से झेल लिया.. पर खटिया के पैर इसे बर्दाश्त न कर पाएं.. कड़ाके की आवाज के साथ खटिया टूट गई.. "अरे अरे अरे... !!" कहते हुए रसिक शीला को संभालने गया.. पर आखिर न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम की जीत हुई.. काबिल शीला ने इस स्थिति में भी रसिक का लंड बाहर निकलने नहीं दिया.. उसने अपने भोसड़े की मांसपेशियों के बीच रसिक के लोडे को ऐसा दबोच रखा था की उसके बाहर निकलने की कोई गुंजाइश नहीं थी..
टूटी हुई खटिया से उठने की कोशिश कर रहें रसिक को शीला ने अपनी बाहों में भरते हुए.. उसके पसीने से तर कंधों पर काटते हुए कहा "उठ मत.. चालू ही रख.. इसी स्थिति में धक्के लगाना शुरू कर दे.. मज़ा आ रहा है यार.. "
रसिक ने फिर आव देखा न ताव.. धनाधन धक्के लगाना शुरू कर दिया.. उसके प्रत्येक प्रहार से शीला की भूख और खुजली कुछ कुछ संतुष्ट हो रही थी.. रसिक के कूल्हों को अपने नाखूनों से कुरेदते हुए शीला उसे अपने जिस्म से और सख्ती से दबा रही थी.. रसिक बिना रुकें, शीला को पूरे जोश से चोद रहा था और शीला नीचे तृप्ति के महासागर में गोते लगा रही थी.. शीला भी पसीने से तरबतर हो गई थी जीवन के इस सर्वोच्च आनंद को महसूस करते हुए.. रसिक के पसीने की गंध शीला की हवस को ओर भड़का रही थी..
टूटी हुई खटिया में चोदना असुविधाजनक तो था ही.. पर जब इच्छाशक्ति प्रबल हो तब कोई भी समस्या ज्यादा देर तक टिक नहीं पाती..
"आहहह रसिक.. लगा जोर से शॉट.. मार डाल मुझे.. ओह्ह आह्ह.. शाबाश.. और जोर से.. ऊईई माँ.. आह्ह अहह.. स्पीड बढ़ा.. मैं झड़ने वाली हूँ.. आ.. आ.. आ.. आ.. आ.... !!" शीला के स्खलन की अंतिम क्षणों में रसिक भी थककर चूर हो गया.. उसके विकराल लंड ने वीर्य की गरम गरम पिचकारी जब बुर के अंदर तक छोड़ी.. तब शीला ने अपने नाखून रसिक की पीठ पर गाड़ दीये.. रसिक की पीठ पर ऐसे निशान बन गए थे जैसे किसी खूंखार शेरनी ने अपना पंजा मार दिया हो.. !!
शीला के बबले रसिक की छाती के बोझ तले दबकर चपटे हो गए थे.. बबलों की चर्बी का अतिरिक्त हिस्सा.. दोनों बगलों से बाहर झलक रहा था.. टूटी हुई खटिया में.. पैर फैलाकर लेटी शीला तभी शांत हुई जब उसका भोसड़ा पूर्णतः तृप्त हो गया.. रसिक को अपनी बाहों में भींचकर शीला तेजी से हांफने लगी.. बिखरे हुए बाल.. आँखों में तृप्ति के भाव के साथ शीला पड़ी रही.. और उसके ऊपर रसिक ऐसे गिरा हुआ था जैसे एनकाउंटर में मारे गए किसी गुंडे की लावारिस लाश हो..
थोड़ी देर तक दोनों उसी स्थिति में पड़े रहे.. शीला के तकियों जैसे स्तनों पर से उठने का भला कीसे मन होगा.. !! लेकिन रसिक उस स्थिति में भी समय को लेकर चौकन्ना था..
"अब आप मुझे छोड़िए तो मैं खड़ा हो सकूँ.. वैसे मज़ा आ गया आज तो भाभी.. ये रूखी पता नहीं अब तक क्यों नहीं लौटी?? अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था.. !! वैसे देखने जाएँ तो अच्छा ही हुआ की वो अब तक नहीं लौटी.. वरना हमारे रंग में भंग पड़ता.. !!"
शीला: "हाँ हाँ उठ जा.. और अपने लोडे को बाहर निकाल.. अंदर एकदम फिट हो गया है.. कुत्तों की तरह.. तू भी कपड़े पहन ले और मैं भी तैयार हो जाती.. फिर कोई आ जाएँ तो भी प्रॉब्लेम नहीं होगा.. "
दोनों ने उठकर कपड़े पहने
रसिक: "अब इस टूटी हुई खटिया का क्या करूँ? घर में ये एक ही खटिया है.. रूखी तो ये देखकर ही मेरी जान निकाल देगी.. शाम तक इसे ठीक कराना ही होगा.. बेकार में खर्चा हो गया मेरा.. !!"
शीला ने तुरंत अपने पर्स से सौ सौ की तीन नोट निकालकर रसिक को थमा दी.. थोड़े से संकोच के साथ, रसिक ने पैसे ले लिए..
रसिक: "शुक्रिया भाभी.. वैसे आज आपके साथ जो मज़ा आया.. ऐसा मज़ा मुझे रूखी के साथ कभी नहीं आता है.. समझ में नहीं आ रहा की रूखी कहाँ मर गई?? कमीनी किसी ओर के साथ तो खटिया नहीं तोड़ रही होगी??"
शीला खिलखिलाकर हंस पड़ी "सब तेरे जैसे थोड़े ही होते है.. चल अब मैं चलती हूँ.. ज्यादा देर बैठूँगी तो फिर से मन हो जाएगा"
रसिक: "अरे भाभी, थोड़ी देर बैठिए ना.. जी करता है की पूरा दिन आपके सामने बैठकर देखता ही रहूँ.. कितनी सुंदर हो आप"
शीला: "ज्यादा रोमेन्टीक मत बन.. ऐसा तो क्या देख लिया तूने मेरे अंदर?"
रसिक: "एक बात कहूँ.. ?? जब हम कर रहे थे.. तब आपने कहा था की अगर मैं अपना ये लंड किसी जवान खूबसूरत लड़की के अंदर घुसा दूँ तो वो मर जाएगी.. उसी से याद आया.. मेरा बहोत मन कर रहा है.. किसी फेशनेबल जवान लड़की को चोदने का.. आप मेरी कुछ मदद करो ना.. !!"
शीला: "साले, मुझे क्या दलाल समझ रखा है तूने?? और तेरा रूप-रंग तो देख.. !! तुझे नंगा देखकर लड़कियां वहीं बेहोश हो जाएगी.. !!"
रसिक: "क्या भाभी आप भी.. !!!"
शीला: "तेरे लिए तो रूखी की गुफा ही ठीक है.. कागज की कश्ती जैसी नाजुक चूतें, तेरा ये मूसल बर्दाश्त ही नहीं कर पाएगी"
शीला के बबलों को दबाते हुए रसिक ने फिर से विनती की.. "कुछ कीजिए ना भाभी, प्लीज"
शीला: "अरे यार.. तू तो मेरे गले ही पड़ गया.. मैं कहाँ से लाऊँ तेरे लिए जवान फेशनेबल लड़की?? और मिल भी जाएँ तो मैं क्या कहूँ उसे?? की जा इस दूधवाले से चुद जा.. !! नहीं भाई नहीं.. मुझसे ये नहीं होगा"
रसिक: "आप को कहीं ढूँढने नहीं जाना है भाभी... आपको तो सिर्फ मुझे मदद करनी है"
शीला: "अच्छा... तूने ढूंढ भी ली है.. !! बता.. कौन है वो अभागी लड़की??"
कमर पर हाथ रखकर जबरदस्त स्टाइल में खड़ी थी शीला.. जिसे देखकर अच्छे से अच्छे मर्दों को छक्के छूट जाएँ..
रसिक: "भाभी.. अगर आप मुझे सहयोग दें तो बगल के चिमन काका के घर ही मेरा काम हो सकता है"
शीला: "मतलब?? तू कविता की बात कर रहा है??" चोंक उठी वो..
कविता से शीला बराबर परिचित थी.. उतना ही नहीं.. वो रसिक और कविता दोनों के शारीरिक भूगोल से भी वाकिफ थी.. इन दोनों के उम्र से लेकर लंड-चूत के नाप तक.. किसी भी चीज में कोई समानता नहीं थी.. ये तो ऐसा हाल होता जैसे किसी कुत्तिया पर गधा चढ़ने की बात कर रहा हो.. शीला की आँखों के सामने.. फटी हुई चूत के साथ.. लहू-लुहान लेटी हुई बेहोश कविता का द्रश्य आ गया.. बाहर खड़ी हुई एम्बुलेंस और पुलिस की गाड़ी भी दिखाई देने लगी.. शीला ने अगर थोड़ी ओर कल्पना की होती तो उसे रसिक की गिरफ़्तारी समेत और कई द्रश्य भी नजर आ जाते
कांप उठी शीला.. क्योंकि वो अच्छे से जानती थी.. कविता की तितली जैसी शोख चंचल काया.. रसिक नाम का सांड.. एक ही पल में रौंद देगा.. रसिक की बात सुनकर.. शीला का दिमाग.. कंप्यूटर से भी तेज चलने लगा.. वो सोचने लगी.. जब मैं कलकत्ता गई थी तब तो कहीं रसिक ने कविता के ऊपर नजर नहीं डाली होगी.. !! अनुमौसी भी रसिक के लंड की दीवानी है.. कहीं अपना भोसड़ा मरवाने के चक्कर में.. मौसी ने कविता का सौदा तो नहीं कर दिया रसिक के साथ.. !! नहीं नहीं.. ऐसा तो नहीं हुआ होगा.. वरना रसिक मुझे ये सब क्यों बताता.. !! सीधा मौसी के साथ ही कविता का सेटिंग कर लेता..
"क्या सोच रही हो भाभी? मेरी बात का बुरा लगा क्या आपको??" चुपचाप बैठकर सोच रही शीला को देखकर रसिक ने पूछा
शीला: "ऐसा कुछ नहीं है रसिक.. कविता का सेटिंग तो मैं नहीं करवा सकती.. पर अगर कोई नए जमाने की मॉडर्न लड़की का कॉन्टेक्ट होगा तो तुझसे मिलवा दूँगी जरूर.. अभी तो ऐसा कोई मेरे ध्यान में नहीं है.. शहर की लड़कियों को मॉडर्न हेंडसम रोमियो टाइप लड़के पसंद होते है.. उन्हें देसी नारियल के पानी से ज्यादा कोक और पेप्सी पसंद होती है.. शुद्ध घी का हलवा खाने से उनका फिगर खराब हो जाता है पर पीत्ज़ा, बर्गर इत्यादि खाने में उन्हें कोई हर्ज नहीं होता.. सब औरतें या लड़कियां मेरे जैसी नहीं होती.. की जिन्हें असली मर्द की परख हो.. अगर तू भी क्लीनशेव होकर मॉडर्न कपड़े पहन ले तो वो लड़कियां तेरे पीछे भागेगी.. हट्टा-कट्टा तो तू है ही.. आजकल दंभ और दिखावे का ज़माना है.. तेरे पास फूटी कौड़ी भी न हो तो चलेगा पर तुझे दिखावा ऐसा करना होगा की जैसे तू करोड़पति हो.. आज कल तो जहर भी अच्छे पेकिंग में डालकर बेच सकते है.. केसर युक्त गुटखा की तरह.. !!"
रसिक: "अरे भाभी.. मैं ठहरा दूधवाला.. अब सूट-बूट पहनकर दूध बेचने निकलूँगा तो कौन खरीदेगा?? ये तो बस एक मेरी ख्वाहिश थी जो मैंने आप को बताई.. वरना मैं कौन सा यहाँ मरा जा रहा हूँ.. और आप तो हो ही मेरे पास.. आप भी मॉडर्न ही हो.. पर कविता का गन्ने जैसा पतला शरीर देखता हूँ तो मन में खयाल आता है की ऐसी लड़की को चोदने में कितना मज़ा आएगा.. !! लंड घुसाने पर कैसे छटपटाएगी.. !!!"
शीला: "मैं समझ सकती हूँ तेरी बात रसिक.. तेरे लोडे में इतनी ताकत है की कोई भी तेरा लेकर छटपटाएगी..!! पर जरा कविता की चूत के बारे में तो सोच.. तू अंदर डालेगा तो बेचारी की फट के फ्लावर बन जाएगी.. मुश्किल से पच्चीस की है कविता.. तेरे जैसा लंड उसने सपने भी देखा नहीं होगा.. उसकी उम्र या अनुभव अधिक होने दे.. वो खुद-ब-खुद चलकर तेरे पास आएगी.. उसके साथ अच्छे संबंध रख.. अभी तो नहीं पर भविष्य में जरूर कुछ होगा.. " आश्वासन देते हुए शीला ने कहा
"वैसे तूने कभी कविता से इस बारे में कुछ बात की है क्या?" शीला का नार्को टेस्ट शुरू हो गया
"नहीं भाभी.. ऐसा तो कुछ नहीं कहा मैंने"
शीला: "तो फिर कविता तेरे दिमाग में कैसे आ गई एकदम से??"
रसिक: "कविता दूध लेते वक्त काफी मज़ाक मस्ती करती है मेरे साथ.. इसलिए मुझे लगा की....!!"
शीला: "रसिक, कविता ऐसी नहीं है.. कोई भी लड़की या स्त्री ऐसी नहीं होती.. जब तक वह खुद असन्तुष्ट हो... मज़ाक करने का मतलब ये नहीं होता की लड़की कुछ भी करने को तैयार है"
रसिक: "वैसे देखने जाए तो पुरुष भी ऐसा सब हालात के मारे ही तो करता है.. मैं आप से जिद नहीं कर रहा भाभी.. पर कभी कविता सामने से खुद अगर ऐसी कोई बात छेड़ें.. तो आप मुझे जरूर याद करना.. !!"
शीला: "पागलों जैसी बातें मत कर.. कविता कभी इस बात के लिए राजी नहीं होगी... और अगर राजी हो भी गई तो तेरा ये गधे जैसा लंड लेने की उसकी क्षमता ही नहीं है.. दो-तीन धक्कों में तो उसकी चूत फट जाएगी.. और तू फंस जाएगा.. गलती से भी ऐसा कुछ मत करना.. किस्मत में होगा तो वो सामने से आएगी.. पर अगर तू जबरदस्ती करने गया और कुछ उंच-नीच हो गई तो लेने के देने पड़ जाएंगे.. !! चल अब मैं चलती हूँ"
आखिरी बार सलाह देकर शीला खड़ी हो गई.. रसिक को एक किस करते हुए वो निकल गई.. घड़ी में देखा तो चालीस मिनट बीत चुके थे.. उतनी देर भी नहीं हुई थी.. वो तृप्त और खुश होते हुए घर पहुंची.. घर का दरवाजा बंद था.. और बाहर किसी की चप्पल पड़ी हुई थी.. शीला ने दरवाजा खटखटाया.. काफी देर के बाद मदन ने दरवाजा खोला.. मदन का हाल बेहाल था.. अस्त-व्यस्त बाल.. सिलवटों वाले कपड़े.. लाल चेहरा.. शीला बिना कुछ कहें घर के अंदर आ गई.. उसने अंदर जाकर बेडरूम में देखा तो बिस्तर पर रूखी बैठी हुई थी.. उसका रंग-रूप और हावभाव देखकर ये साफ प्रतीत हो रहा था की मदन के साथ गुलछर्रे उड़ा चुकी थी.. बिखरा हुआ बिस्तर इस बात की गँवाही दे रहा था..
Sheela is tooo hot to handle. Kavita ko Rasik ke liye tayyar kar rahi hai.आखिरी बार सलाह देकर शीला खड़ी हो गई.. रसिक को एक किस करते हुए वो निकल गई.. घड़ी में देखा तो चालीस मिनट बीत चुके थे.. उतनी देर भी नहीं हुई थी.. वो तृप्त और खुश होते हुए घर पहुंची.. घर का दरवाजा बंद था.. और बाहर किसी की चप्पल पड़ी हुई थी.. शीला ने दरवाजा खटखटाया.. काफी देर के बाद मदन ने दरवाजा खोला.. मदन का हाल बेहाल था..
अस्त-व्यस्त बाल.. सिलवटों वाले कपड़े.. लाल चेहरा.. शीला बिना कुछ कहें घर के अंदर आ गई.. उसने अंदर जाकर बेडरूम में देखा तो बिस्तर पर रूखी बैठी हुई थी.. उसका रंग-रूप और हावभाव देखकर ये साफ प्रतीत हो रहा था की मदन के साथ गुलछर्रे उड़ा चुकी थी.. बिखरा हुआ बिस्तर इस बात की गँवाही दे रहा था..
"ये क्या है रूखी?" शीला ने गुस्सा करते हुए कहा
"कुछ नहीं भाभी.. मैं तो आप से मिलने आई थी.. पर आप बाहर गई हुई थी इसलिए भैया ने मुझे यहाँ बैठने को कहा.. मैं तो आपका इंतज़ार कर रही थी" रूखी ने जवाब दिया
"तो क्या ये तेरे भैया ने तुझे बिस्तर पर बैठने को कहा था?? और वो भी ब्लाउस के तीन हुक खोलकर??" शीला ने लाल आँख करते हुए मदन की तरफ देखा
वैसे ये शीला का ही प्रपंच था.. रूखी को उसने ही फोन कर यहाँ घर पर बुलाया था.. उसे पक्का यकीन था की रूखी को अकेले पाकर मदन अपने आप को रोक नहीं पाएगा.. और रूखी भी जनम जनम की भूखी थी.. वो जानबूझकर गुस्सा इसलिए जता रही थी ताकि मदन उसके नियंत्रण मे रहे.. दूसरा, जितनी देर तक मदन रूखी के साथ उलझा रहता, उतनी ही ज्यादा देर तक उसे रसिक के मजेदार लंड से चुदने का समय मिलता..
"अरे भाभी, मैं तो सोफ़े पर ही बैठी थी.. पर भैया ने मुझे अंदर बुला लिया.. मैंने सोचा उन्हें कुछ काम होगा.. मुझे कहाँ पता था की भैया मेरे साथ ऐसा कुछ करेंगे.. " रूखी ने ब्लाउस के बटन बंद करते हुए सफाई दी
शीला ने क्रोधित होकर मदन के सामने देखा.. मदन चुपचाप नजरें झुकाएं खड़ा था.. रूखी जल्दबाजी में ब्लाउस के बटन बंद करने गई.. पर बड़े बड़े.. दूध भरे स्तनों को ताकत से ब्लाउस में बंद करते हुए उसकी दोनों निप्पलों से दूध टपक पड़ा.. जिसे देखकर मदन के मुंह से सिसकी निकल गई.. आह्ह!!
शीला रूखी के मदमस्त स्तनों को देखती ही रही.. मदन भी स्तब्ध होकर देख रहा था.. पीले रंग के पतले ब्लाउस की कटोरियों का आगे का हिस्सा दूध निकलने के कारण गीला हो रखा था.. और ब्लाउस गीला होकर पारदर्शक हो गया था.. रूखी की निप्पल ब्लाउस में से भी साफ नजर आने लगी थी.. स्तन को नीचे से दबा रही रूखी.. ढंकने के चक्कर में और दूध बहा रही थी..
"रहने दे रूखी.. अब क्यों छुपा रही है.. जो देखना था वो तो मदन ने सब कुछ देख ही लिया है.. और मैंने भी.. !! अब छुपाने का कोई मतलब नहीं है" शीला ने रूखी से कहा
यह सुनते ही रूखी ने अपने निरर्थक प्रयत्नों पर रोक लगा दी.. और ब्लाउस के हुक को छोड़ दिया.. उसी के साथ.. उसके दोनों स्तन लटक गए.. दो भव्य स्तनों और निप्पलों के ऊपर लगी दूध की बूंदों का सौन्दर्य देखकर जो होना था वहीं हुआ..
रुखी का ये रूप देखकर शीला भी अचंभित हो गई.. वो समझ गई की इसमें बेचारे मदन की कोई गलती नहीं थी.. यह सीन देखकर मिट्टी का पुतला भी उत्तेजित हो जाता.. !!
मदन से रहा नहीं गया.. और शीला की मौजूदगी में ही.. उसकी जरा भी परवाह कीये बगैर.. वो रूखी के करीब गया.. और उसकी एक निप्पल को मुंह में भरकर.. छोटे बच्चे की तरह दूध चूसने लगा..
"ओह्ह भैया.. छोड़ भी दीजिए.. अरे भाभी, आप भैया को कुछ कहिए ना.. !! ये क्या कर रहे हो भैया.. !! भाभी गुस्सा करेगी.. छोड़ दो मुझे.. आह्ह" शीला के सामने ही मदन की इन हरकतों से रूखी शर्म से लाल हो गई.. और मदन को अपने शरीर से दूर धकेलने की कोशिश करने लगी..
पर मदन इस मौके को छोड़ने वाला नहीं था.. वो जानता था की शीला चाहें जितना गुस्सा कर लें.. अभी ये सब देखकर उसकी चूत में चुनचुनी होना शुरू हो जाएगी.. और जैसे मैं रूखी के बबले देखकर तड़प रहा हूँ.. वैसे ही वो लंड लेने के लिए तड़पने लगेगी.. !! और हुआ भी वैसा ही.. शीला आगे बढ़ी और ऐसे खड़ी हो गई जिससे उसे सारा द्रश्य आराम से नजर आए.. तीरछी नज़रों से शीला की ओर देखकर रूखी मुस्करा रही थी और मदन दोनों हाथों से उसके स्तन को दबाकर दूध निकाल रहा था..
शीला बेडरूम से बाहर आई और तसल्ली कर ली की मुख्य दरवाजा ठीक से लॉक था.. और बेडरूम में चली आई.. फिर रूखी को आँख मारते हुए उसने विजयी मुद्रा में अंगूठा दिखाकर आगे बढ़ने की अनुमति दे दी.. और रूखी के सामने ही अपने घाघरे के ऊपर से भोसड़े को खुजाते हुए.. अपने ब्लाउस के तमाम हुक खोल दीये.. और उन दोनों के साथ शरीक हो गई..
मदन के पास शीला की तरफ देखने का भी समय नहीं था.. रूखी के स्तनों को पच-पच की आवाज के साथ चूस रहें मदन की पेंट से शीला ने उसका लंड बाहर निकाला और चूसने लगी.. उसके लंड के स्वाद से वो पिछले तीस साल से परिचित थी.. पर आज उसका स्वाद कुछ अलग ही था.. वो समझ गई की उसके लंड पर रूखी के मदमस्त भोसड़े का शहद लगा हुआ था.. इसलिए स्वाद अलग लग रहा था.. रूखी ने मदन के लंड की तरफ नजर भी नहीं डाली.. ये देखकर ही शीला समझ गई की उसके आने से पहले चुदाई का एक राउन्ड हो चुका था.. मदन की कामुकता को वो बखूबी जानती थी..
शीला को शामिल हुआ देख मदन जोश में आ गया.. और टेंशन-मुक्त होकर उसने रूखी के बदन को सहलाना शुरू कर दिया.. बिस्तर पर लेट चुकी रूखी की दोनों टांगें खोल दी शीला ने.. भरपूर झांटों के जंगल में छुपी हुई चूत खुल गई.. मदन इतना उत्तेजित था की उसे रूखी के अलावा और कुछ नजर ही नहीं आ रहा था.. उसके लंड की सख्ती देखकर ही पता चलता था की आज उसका सुरूर कुछ अलग ही था..
शीला ने मदन को खड़ा किया और रूखी की फैली हुई जांघों के बीच बिठा दिया.. और वो खुद रूखी के मुंह पर अपनी चूत लगाते हुए.. मदन के सामने मुंह रखकर बैठ गई.. मदन ने रूखी की दोनों जांघों को चौड़ा किया.. और एक ही धक्के में अपना पूरा लंड उसके गीले गुलिस्तान में डाल दिया..
धक्के लगाते हुए वो शीला को चूम रहा था.. रूखी नीचे से गांड उछाल उछालकर चुदवा रही थी.. और शीला रूखी से अपनी चूत चटवा रही थी.. मदन के लंड ने रूखी को तृप्त करके ही दम लिया.. और संतोष के भाव रूखी के चेहरे पर छलक उठें.. शीला भी अपना भोसड़ा रगड़ते हुए झड़ गई.. और शीला रूखी के ऊपर से उतर गई..
रूखी अब धीरे से खड़ी हुई.. और कपड़े पहनने लगी.. तैयार होकर वो चुपचाप चली गई.. शीला या मदन से बिना कुछ बात किए.. मदन का लंड मुरझाने के बाद उसे खयाल आया की अब शीला का क्या करें?? आज से पहले दोनों के बीच ऐसी स्थिति नहीं आई थी.. उसे पता था की शीला उसकी कोई सफाई सुनने वाली नहीं थी.. दूध भरे बबलों के प्रति उसका जुनून शीला जानती थी.. पर अब शीला क्या कहेगी वो उसके इंतज़ार में था.. शीला भी मदन की ओर तीखी नज़रों से देख रही थी..
काफी देर तक शीला कुछ नहीं बोली.. फिर मदन की तरफ उसका पतलून फेंकते हुए कहा "ले मदन.. कम से कम पेंट तो पहन ले.. अभी कविता या अनुमौसी मे से कोई आ गया तो उनको देखकर ये तेरी लुल्ली फिर से खड़ी हो जाएगी.. और वो ये सोचेंगे की इसका ऐसा हाल मुझे चोदकर हुआ है.. मेरी चुदाई हुई भी है या नहीं वो उन्हें कहाँ पता चलेगा.. !!"
मदन ने चुपचाप पेंट पहन लिया और धीमे से बोला "सॉरी यार.. पर मुझे ये पता नहीं चला की गुस्सा होने के बावजूद तू हमारे साथ शामिल कैसे हो गई?"
शीला गुस्से से कांपते हुए बोली: "मेरी गांड मरवाने शामिल हुई मैं.. !!! साले चूतिये.. तू और रूखी मजे उड़ाओ.. तो मैं क्या क्या खड़े खड़े देखती रहती.. ?? गुस्सा तो ऐसा आ रहा था.. मन कर रहा था की रसिक को अभी के अभी यहाँ बुलाऊँ.. और तेरे सामने ही उससे मेरा भोसड़ा फड़वा लूँ.. पर हम दोनों की लड़ाई में.. ओह आई एम सॉरी..!! अब तो रूखी भी शामिल हो चुकी है.. हम तीनों की लड़ाई में.. बेकार में रसिक से क्यों चुदवाऊँ.. !! मुझे कोई अपनी मर्जी का मर्द मिलने दे.. फिर देखना.. तेरी आँखों के सामने अगर मैंने अपनी चूत न मरवाई.. तो मेरा नाम बदल देना.. !!"
मदन: "शीलु मेरी जान... यार मुझसे गलती हो गई.. अगर मेरा विश्वास करे तो एक बात कहूँ.. ?? उस रूखी ने आकर मेरे सामने ऐसे ऐसे नखरे कीये.. जैसे मेरा तपोभंग करने आई हो.. झुक झुककर अपने बबले दिखा रही थी.. मैं कितना कंट्रोल करता यार.. !!"
शीला: "तू वहाँ विदेश में जब अपनी मकान-मालकिन के बबले चूस रहा था तब यहाँ मुझे देखकर कितने मर्द अपने लंड खुजाते थे.. तो क्या मैं उन सब के सामने टांगें फैलाकर चुद जाती.. !! एक बार तो एक सांड हमारे घर के बाहर खड़ा था.. इतना बड़ा लंड था उसका.. तो क्या मैं उसके नीचे सो जाती??" शीला जब बोलने बैठती तब कोई उसका मुकाबला नहीं कर सकता था..
मदन: "अरे यार तुम औरत हो.. औरतों में तो कंट्रोल होता है.. मर्द ही कंट्रोल नहीं कर सकते"
शीला: "कुछ भी हो मदन.. पर तूने जो कुछ भी किया वो ठीक नहीं किया.. अभी के अभी मेरी चूत ठंडी करनी है मुझे.. बता कैसे करेगा?? तू तो पिचकारी मारकर शांत हो गया.. उस रूखी की चूत में.. अब मैं क्या करूँ??"
मदन: "आई एम सॉरी यार.. अब छोड़ ना.. वो है ही ऐसी की देखकर लंड तैयार हो गया मेरा.. ऊपर से उसके दूध भरे बबलों की लालच.. तुझे तो पता है मेरी कमजोरी.. "
शीला जानबूझकर गुस्सा कर रही थी और मदन के मजे ले रही थी.. उसी वक्त दस्तक देकर कविता ने घर में प्रवेश किया..
"कैसे हो मदन भैया?" कोयल सी मीठी आवाज में कविता ने कहा
"अरे कविता.. आजा अंदर.. ये देख तेरी भाभी कब से क्लास ले रही है मेरी.. " मदन ने कहा.. कविता के आने से उसने राहत की सांस ली
कविता: "क्या हो गया भाभी? क्यूँ डांट रही हो भैया को?"
शीला ने मुंह बिगाड़कर कहा "अपने भैया से ही पूछ...!!"
मदन: "अरे ऐसी कोई खास बात नहीं है.. बेकार में तू बात का बतंगड़ बना रही है"
कविता: "अरे पर कोई मुझे बताएगा की आखिर बात क्या है?"
शीला और मदन दोनों चुप हो गए.. क्या बताते?? की मदन रूखी के बबले चूसते हुए रंगेहाथों पकड़ा गया.. ??
शीला: "कुछ नहीं है कविता.. ये तो मियां-बीवी की रोज की नोंकझोंक है.. तू बता.. कैसे आना हुआ? कैसी चल रही ही मौसम की शादी की तैयारी?" बोलते बोलते शीला किचन में गई और कविता उसके पीछे पीछे
कविता: "बस चल रही है तैयारी.. मौसम की शादी के लिए पापा ने आपको और भैया को एक हफ्ते पहले से आने के लिए कहा है" फिर अचानक कविता ने कहा "एक मिनट भाभी... आज सुबह सुबह ही रोमांस का मुड़ बन गया था क्या?"
शीला: "क्यों?"
कविता धीरे से शीला के कान में कुछ फुसफुसाई
शीला: "नहीं रे नहीं.. ऐसा तो कुछ नहीं हुआ..पर क्यों पूछा??"
कविता: "आपके पेटीकोट के पीछे ये जो धब्बा है.. देखकर ही पता चलता है.. झूठ क्यों बोल रही हो भाभी.. आप के जितना अनुभव भले ही ना हो.. पर इतना तो मैं समझ ही सकती हूँ की ऐसे धब्बे कब बन जाते है कपड़ों पर"
चोंककर शीला ने अपने पीछे हाथ लगाकर देखा.. गिलेपन का एहसास होते ही वो शरमा गई.. रसिक के लोडे की दमदार पिचकारी से निकला वीर्य.. रह रहकर उसकी चूत से रिसकर पेटीकोट को गीला कर रहा था.. अच्छा हुआ जब वो मदन से झगड़ रही थी तब मदन का ध्यान नहीं गया..
शीला ने कविता को अपने करीब खींचा और उसके कान में कहा "ये धब्बा तुम्हारे भैया की वजह से नहीं बना है"
कविता चोंककर जोर से बोली "क्या??????" आँखें फटी की फटी रह गई उसकी.. और अपने चेहरे को शर्म के मारे हाथों से ढँकते हुए वो बोली "तो फिर किसका है?"
शीला: "वो मैं नहीं बता सकती.. टॉप सीक्रेट है.. जैसे तेरे और पिंटू का सीक्रेट है ना.. वैसा ही कुछ.. "
कविता: "अरे वाह भाभी.. आपने तो पहले कभी बताया ही नहीं.. बताइए ना.. कौन है वो?"
शीला: "अभी चुप मर.. फिर कभी बताऊँगी"
कविता ने शीला के पीछे जाकर फिर से वो धब्बा देखते हुए कहा "इतना बड़ा धब्बा?? मेरे कपड़ों पर तो बस छोटा सा दाग ही होता है.. आप तो जैसे पानी के पोखर में बैठकर आई हो इतना गीला हो गया है.. "
शीला ने कुहनी तक हाथ दिखाकर इशारा करते हुए कहा "इतना बड़ा है उसका.. देखा है कभी इतना बड़ा लंड??" फिर अपने दोनों हथेलियों को जोड़कर बोली "इतना सारा निकला था.. तभी तो बड़ा धब्बा बना हुआ है.. थोड़ी सी पिचकारी से कभी ऐसा धब्बा थोड़े ही बनता है"
"बाप रे भाभी.. क्या आप भी.. !!" "लंड" शब्द सुनकर कविता का गोरा मुखड़ा शर्म से लाल लाल हो गया.. इतना बड़ा लंड कैसे हो सकता है??
अचानक कविता के हावभाव बदल गए.. उसे वो मनहूस रात याद आ गई जब उसकी सास ने आइसक्रीम में दवाई मिलाकर उसे बेहोश करने की कोशिश की थी.. और रसिक के साथ उसके जिस्म का सौदा कर दिया था.. और रसिक ने उसकी चूचियाँ भी दबा दी थी.. आज तक पीयूष और पिंटू के अलावा किसी ने उसके नंगे जिस्म को हाथ नहीं लगाया था.. रसिक का लंड जब उसने देखा तब उसका दिल बैठ गया था.. कितना बड़ा था.. !!! बाप रे बाप.. !! वो शीला को कहना चाहती थी की.. हाँ.. उतना बड़ा लंड मैंने देखा है.. पर फिर आगे क्या बताती?
शीला: "क्या हुआ? चुप क्यों हो गई?? यही सोच रही है ना की इतना बड़ा लंड कैसे हो सकता है.. !! अरे भाई.. तुम आजकल की लड़कियों ने दुनिया देखी ही कहाँ है.. !! गाँव के देसी घी की ताकत का तुम्हें अंदाजा भी नहीं है"
कविता: "भाभी... !! आपने कितनों के देख रखे है??"
शीला: "चुप कर.. अब तू मेरी तहकीकात मत कर.. बात मेरी नहीं हो रही अभी.. बात बड़े लंड की हो रही है.. " मदन घर में मौजूद था इसलिए दोनों चुपके चुपके बात कर रही थी
शीला बड़े लंड का विवरण दे रही थी.. और कविता को शीला के प्रत्येक शब्द सुनकर रसिक का डरावना लंड याद आ रहा था.. देसी घी?? कविता सोच में पड़ गई.. उसकी सास भी रसिक के प्यार में पागल थी.. अब शीला भाभी भी वहीं भाषा में बात कर रही थी.. सासु माँ तो प्यार में ऐसी पागल हो गई थी की मेरे जिस्म का ही सौदा कर बैठी थी रसिक के साथ.. इस बुढ़ापे में इतनी नीच हरकत करने के लिए वो तैयार हो गई.. मतलब कुछ तो खास बात होगी उसमें..
शीला: "तेरे भैया जब बाहर जाए.. तब ये बात याद दिलाना मुझे.. अभी ज्यादा बात करना ठीक नहीं होगा.. !!"
कविता और शीला किचन में बातें कर रही थी उस वक्त.. मदन को राजेश का फोन आया.. बात करने के बाद.. फोन कट करने से पहले उसने राजेश से कहा "मैं शीला को पूछकर अभी दो मिनट में बताता हूँ"
मदन: "शीला, राजेश बिजनेस के काम से चार दिनों के लिए बेंगलोर जा रहा है.. अकेला ही है और मुझे साथ ले जाना चाहता है.. अगर तुझे प्रॉब्लेम न हो तो मैं चला जाऊँ उसके साथ?"
शीला: "कब जाना है?? तू यार एन मौके पर ऐसे प्रोग्राम बनाएगा तो कैसे चलेगा?? फिर मैं यहाँ चार दिन तक क्या करूँ?"
कविता खिलखिलाकर हंस पड़ी.. "चार दिन तक क्या करूँ" इस वाक्य का सही अर्थ वो समझ रही थी
मदन: "अरे यार.. तू गुस्सा मत कर.. मैं मना कर देता हूँ राजेश को.. " थोड़ी नाराजगी के साथ मदन ने कहा
कविता: "अरे भाभी.. प्लान बन रहा है तो जाने दो भैया को.. राजेश सर की कंपनी भी है.. क्या आप भी.. !!"
शीला: "अरे वाह.. बड़ी तरफदारी कर रही है अपने भैया की.." कविता का कान खींचते हुए शीला ने कहा
कविता: "वो इसलिए की अगर मदन भैया नहीं गए.. तो राजेश सर जरूर पीयूष को अपने साथ बेंगलोर ले जाएंगे.. फिर चार दिन तक मैं क्या करूँ??" हँसते हुए कविता ने कहा
शीला: "कमीनी.. एक नंबर की चैप्टर है तू.. ठीक है.. तू कह रही है इसलिए जाने देती हूँ.. वरना इन पतियों को ज्यादा छूट देनी नहीं चाहिए.. वरना साले हमारी आँखों के सामने ही इनकी रास-लीला शुरू हो जाएगी"
मदन ने तुरंत फॉन पर राजेश को बता दिया की वो साथ चलेगा.. राजेश ने मदन को चार बजे उसकी ऑफिस पर पहुँचने के लिए कहा
तुरंत ही मदन ने पेकिंग शुरू कर दी.. कुछ जरूरी सामान लेने वो बाहर गया
कृत्रिम क्रोध के साथ शीला ने कहा "कविता, अब तू मेरे साथ ही रहेगी.. तूने मुझे अकेला कर दिया.. अब मैं भी तुझे पीयूष के साथ नहीं रहने दूँगी.. मेरा उपवास होगा तो तुझे भी खाने नहीं दूँगी मैं.. !!"
कविता: "कोई बात नहीं भाभी.. मैं मम्मीजी को बताकर आती हूँ की आज आपके साथ ही खाना खाऊँगी.. मैं आई दो मिनट में"
कविता गई.. कमर तक लटक रही चोटी को हिलाते हुए.. अपनी पतली कमर मटकाते जा रही कविता को पीछे से देखती रही शीला.. और सोच रही थी.. हे भगवान.. इस पतली सी लड़की पर अगर रसिक चढ़ेगा तो इसका क्या हाल होगा?? कविता की चोटी जितनी लंबी है उतना ही लंबा लोडा है रसिक का..
कविता जल्दी जल्दी घर गई और तुरंत वापिस लौट आई.. दरवाजा अंदर से लॉक करके सोफ़े पर बैठ गई.. खाना तैयार था और दोनों मदन के आने का इंतज़ार करने लगे..
शीला: "दरवाजा क्यों बंद किया?? मदन अभी आता ही होगा? शेविंग क्रीम लेने ही तो गया है"
कविता: "हमारी बातें डिस्टर्ब न हो इसलिए मैंने दरवाजा बंद कर दिया है.. मदन भैया आएंगे तब खोल देंगे.. "
शीला वापिस बड़े लंड की बात शुरू करेगी इस इंतज़ार में कविता थोड़ी देर बैठी रही.. फिर बात की शुरुआत करने के लिए उसने कहा
कविता: "भाभी, मौसम की सगाई के दिन आप बहोत सुंदर लग रही थी"
शीला: "हाँ और तू भी बहोत प्यारी लग रही थी.. जब पिंटू के साथ खड़ी थी"
कविता: "क्या सच में?? हम दोनों की जोड़ी इतनी सुंदर लगती है भाभी?"
शीला: "हाँ बहोत ही अच्छी लग रही थी.. पीयूष से तलाक लेकर पिंटू से शादी कर ले"
कविता ने एक गहरी सांस छोड़ी.. और चुप हो गई
कविता: "रेणुका जी और राजेश सर की जोड़ी भी बहोत मस्त लग रही थी.. हैं ना भाभी?"
शीला: "अरे तेरी बात से मुझे याद आया.. राजेश बिजनेस टूर पर जा रहा है तो रेणुका भी घर पर अकेली होगी.. उसके घर ही चली जाती हूँ.. पर.. फिर वैशाली अकेली हो जाएगी.. रेणुका को ही यहाँ बुला लेती हूँ"
कविता बैठे बैठे टीवी देख रही थी तब शीला ने रेणुका के मोबाइल पर कॉल लगाया.. रेणुका ने तुरंत उठाया
रेणुका: "हाई शीला.. मैं तुझे ही याद कर रही थी.. कितने दिन हो गए हमें मिलें हुए.. तू तो मुझे भूल ही गई है"
शीला: "नहीं यार.. भूल गई होती तो फोन क्यों करती तुझे.. !! बोल क्या कर रही है? अकेली है?"
रेणुका: "दिन के समय तो मैं अकेली ही होती हूँ.. क्यों पूछा.. ?? कोई आया है क्या??" रेणुका का इशारा रसिक की तरफ था
शीला: "नहीं यार.. वैसे कल तेरा क्या प्रोग्राम है?"
रेणुका: "कुछ खास नहीं.. राजेश के साथ मूवी देखने जाने का प्लान है"
शीला: "क्यों?? राजेश बेंगलोर नहीं जाने वाला?? मदन को तो उसने कॉल किया था की वो चार दिनों के लिए जा रहा है और मदन भी उसके साथ जाने वाला है.. अभी खाना खाकर मदन निकलने ही वाला है"
तभी घर की डोरबेल बजी..
रेणुका से बातें करते हुए शीला ने दरवाजा खोला.. मदन के अंदर आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया.. बातें करते करते शीला ने खाना परोसा.. और फिर मदन ने खाना फटाफट खतम किया और अपना बेग लेकर तुरंत निकल गया
शीला: "मतलब तुझे पता ही नहीं है की राजेश बेंगलोर जाने वाला है??"
रेणुका: "वैसे तो मुझे बताकर जाता है.. पर हो सकता है की कोई अर्जेंट काम निकल आया हो" रेणुका काफी मुक्त विचारों वाली थी.. उसे राजेश पर पूरा भरोसा था..
दोनों की बातें चल रही थी तब रेणुका के बेडरूम में किसी ओर मोबाइल की रिंग सुनाई दी
रेणुका: "अरे, राजेश अपना दूसरा मोबाइल घर पर ही भूल गया है.. किसी का कॉल आ रहा है.. तू फोन चालू रख.. " रेणुका ने दूसरे फोन पर बात करते हुए कहा "ओके, थेंकस.. मैं उन्हें बता दूँगी" कहते हुए दूसरा फोन कट कर दिया
रेणुका: "शीला.. यार मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है"
शीला: "क्यों?? क्या हुआ?"
रेणुका: "एक काम कर.. तू मेरे घर आजा.. फिर सब बताती हूँ"
शीला: "अरे यार.. मैं अभी कविता के साथ हूँ.. और शाम को वैशाली भी घर आ जाएगी.. मैं नहीं आ सकती"
रेणुका: "कविता शाम तक थोड़े ही तेरे साथ रहेगी.. !! वो तो पीयूष के आते ही घुस जाएगी उसकी बाहों में.. सर्दी कितनी है.. !! सब को अपना अपना हीटर याद आ जाता है रात को.. तू एक काम कर.. कविता को निपटाकर घर भेज दें.. और तू यहाँ चली आ.. मैं पिंटू को फोन करके बता देती हूँ को वो शाम को वैशाली को यहाँ छोड़ जाएँ.. तीनों साथ डिनर करेंगे.. !!"
शीला: "ठीक है.. मैं एक घंटे में फोन करती हूँ.. तब तक देख.. शायद राजेश तुझे फोन करें.. !!"
रेणुका: "ओके.. ठीक है.. बाय.. मैं इंतज़ार करूंगी तेरा.. !!"
रेणुका ने फोन रख दिया..
कविता और शीला ने एकाध घंटे तक काफी बातें की.. कविता के सवालों में.. देसी घी और बड़े लंड का बार बार जिक्र होता था.. उसकी तमाम बातें कामअग्नि को भड़काने वाली थी..पेट्रोल से आग बुझाने की कोशिश कर रही थी कविता... ऊपर से शीला की गरम बातें उसे और उत्तेजित कर रही थी.. कविता के चेहरे के खुमार को देखकर मन ही मन खुश हो रही थी शीला.. कविता के सवालों का जवाब देते देते शीला भी गरम हो गई थी..
कविता: "भाभी, अब तो मदन भैया भी चले गए.. मैं दरवाजा बंद कर देती हूँ.. अब सारी बातें विस्तार से बताइए मुझे.. मुझे सुनने में बहोत मज़ा आ रहा है"
शीला: "तू अभी नादान है कविता.. तेरी उम्र की थी तब मैं भी ऐसी ही थी.. मैंने खुद ही सेक्स के सारे पाठ पढ़ें.. और ऐसी माहिर हो गई की आज भी मदन को खुश रख पाती हूँ.. हम औरतें पति की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार होते है.. उनको पूरा संतोष मिलें.. उनका दिल ना दुखें.. इसका पूरा पूरा ध्यान रखते है.. पर क्या हम अपनी खुशी के लिए भी कभी जीते है क्या?? सब कुछ वहीं करते है जो पति को पसंद हो.. एक बात बता.. तू पीयूष का लंड चूसती है क्या??"
शीला के इस अचानक सवाल से कविता शर्म से पानी पानी हो गई
"हाँ भाभी.. " कविता ने सिर्फ इतना ही कहा
"कितनी देर तक?"
"थोड़ी देर के लिए ही भाभी"
शीला: "क्यों? ज्यादा देर तक क्यों नहीं चूसती?"
"अच्छा नहीं लगता भाभी.. मुंह दुखने लगता है"
शीला: "मैं तेरे भैया का लंड तब तक चूसती हूँ जब तक की वो हाथ जोड़कर बाहर निकालने के लिए विनती न करें.. ऐसी चुसाई करो तो पति खुश होगा ही होगा.. अरे खुश क्या होगा.. हमारा गुलाम बन कर रहेगा.. अगर ठीक से चूसना आता हो तो.. !! अच्छा.. ये बता.. तुझे अपनी चूत चटवाने में मज़ा आता है?"
कविता: "बहोत मज़ा आता है भाभी.. इतना मज़ा आता है की उसके अंदर डालने से पहले ही मैं झड़ जाती हूँ.. सिर्फ चटवाकर ही मैं पूरी संतुष्ट हो जाती हूँ"
शीला: "अच्छा.. मान ले अगर पीयूष को चाटना पसंद न हो.. तो??"
कविता: "पर उसे तो बहोत पसंद है भाभी.. मुझे इन सब चीजों के बारे में कहाँ पता ही था?? शादी करके आई तब मुझे सिर्फ किस और बूब्स दबाने के अलावा और कुछ पता नहीं था"
शीला: "झूठ मत बोल.. शादी के पहले पिंटू के साथ कुछ नहीं किया था क्या?? उसका देखा तो होगा ही तूने.. !!"
कविता: "देखने में और चूसने में फरक होता है ना भाभी.. !! मेरा पिंटू तो इतना अच्छा है की मेरी कितनी मिन्नतों बाद उसने मुझे अपना लंड दिखाया था.. मैं जबरदस्ती उसका हाथ अपने बूब्स पर रख दूँ तभी वो दबाता था"
शीला: "क्यों भला.. !! उसका खड़ा नहीं होता है क्या?? पिंटू को तुझे चोदने का मन नहीं करता था क्या? तेरे जैसी सुंदर लड़की अकेले में मिल जाएँ तो अच्छे अच्छों की नियत खराब हो जाएँ"
कविता: "खड़ा भी होता था.. और पत्थर जैसा सख्त भी हो जाता था.. कभी कभी मैं जिद करके पेंट के ऊपर से उसका पकड़ लेती थी तब पता चलता था की कितना टाइट हो जाता उसका लंड.. पर थोड़ी देर सहलाने के बाद वो मेरा हाथ हटा देता था"
शीला: "अजीब बात है.. !! मैंने आज तक ऐसा मर्द नहीं देखा.. जो इतने टाइट माल को चोदने से अपने आप को रोक सकें.. !!"
कविता: "मैं भी वहीं कहती थी उसे भाभी.. तो वो बोलता.. की मेरी शादी हो जाएँ उसके बाद हम सब कुछ करेंगे.. वो चाहता था की मुझे पहली बार मेरा पति ही चोदे.. मेरा बहोत मन था की मैं अपना सील पिंटू से तुड़वाऊँ.. पर वो माना ही नहीं.. !!"
शीला: "तूने पहली बार पिंटू का लंड देखा तब कैसा महसूस हुआ था? शादी के आखिरी हफ्ते तक उसने तुझे अपना लंड क्यों नहीं दिखाया?"
कविता: "वो तो दिखाना चाहता ही नहीं था.. पर हमारी किसी बात को लेकर शर्त लगी थी जो मैं जीत गई और बदले में मैंने उसे अपना लंड दिखाने के लिए कहा"
शीला: "पागल.. सिर्फ लंड देखने के लिए क्यों कहा? चुदवा ही लेती.. !!"
कविता: "तब मेरे दिमाग में नहीं आई ये बात.. वरना मज़ा आ जाता भाभी.. "
बात करते करते शीला खड़ी हुई और कविता के करीब आई.. कविता की छाती से उसका पल्लू हटा दिया.. ब्लाउस में कैद अमरूद जैसे उसके स्तनों को पकड़ते हुए.. झुककर उसने अत्यंत कामुकता से कविता के लाल होंठों को चूम लिया..
शीला: "सिर्फ बातें करते करते हम कितनी गरम हो गई.. !! सच बता.. नीचे गीला हो रहा है या नहीं?"
कविता: "ओह भाभी.. जरा जोर से दबाइए ना.. हाँ.. नीचे गीली हो गई है मेरी.. और चूल भी मच रही है.. आपने चाटने की बात की और मेरी वो.. नीचे पानी छोड़ने लगी.. आह्ह.. अभी कोई आकर चाटने को तैयार हो तो मैं अभी अपनी टांगें फैलाकर लेट जाऊँ.."
शीला: "जैसा मन तुझे अभी कर रहा है.. पुरुषों को चौबीसों घंटे होता रहता है.. की काश कोई आकर उनका लंड चूसें.. इसलिए.. लंड चूसने के लिए कभी खुद का मूड नहीं देखना चाहिए.. बस सहूलियत देखनी चाहिए.. उनकी इच्छा तो हमेशा होगी.. और हमारा मूड कभी नहीं होगा.. समझी?? मरने की हालत में पड़े हुए मर्द का लंड अगर कोई चूस ले तो वो तब भी मना नहीं करेगा.. बल्कि बच जाएगा"
कविता ने शीला के खरबूजे जैसे स्तनों पर चेहरा रख दिया.. और उसकी गदराई कमर को दोनों हाथों से लपेट लिया.. शीला के विशाल स्तनों पर अपना गाल रगड़ने लगी कविता
शीला: "जब हमें पता है की हमारे पति को इससे खुशी मिलती है.. फिर उन्हें क्यों उस सुख से वंचित रखना.. !!"
कविता: "पता नहीं भाभी.. पर मुझे लंड चूसना ज्यादा पसंद नहीं है.. हाँ चूत चटवाना बहोत अच्छा लगता है"
शीला ने धीरे से अपने ब्लाउस के दो हुक खोलकर अपना एक स्तन बाहर निकाला.. और कविता के बालों में उँगलियाँ फेरते हुए कहा "ले कविता.. चूस ले इसे.. देख.. बातें करते हुए कितने सख्त हो गए है ये.. मैं जब भी गर्म हो जाती है तब ये सख्त पत्थर जैसे हो जाते है.. मदन होता तो दोनों हाथों से मसल मसलकर इन्हें ढीले कर देता.. आज यह जिम्मेदारी तेरी है.. चल अब तू मदन बन जा.. और इन्हें मसल दे.. फट रही है छातियाँ मेरी.. आह्ह.. जल्दी जल्दी कर यार.. !!"
कविता के मुंह में निप्पल देकर शीला ने बात आगे बढ़ाई..
शीला: "कविता, अभी तू नाजुक है.. तेरी चूत सिर्फ पीयूष का लंड अंदर ले सकें उतनी ही चौड़ी हुई होगी.. पर तुझे पता है.. सब लंड एक जैसे नहीं होते.. अलग अलग रंग.. अलग अलग साइज़.. अलग अलग मोटाई होती है सब की"
शीला की एक इंच लंबी निप्पल को मुंह से निकालकर कविता ने कहा "हाँ भाभी, पीयूष कभी कभी तीन तीन उँगलियाँ एक साथ डाल देता है..तब दर्द होता है.. मैं मुश्किल से दो उँगलियाँ ही अंदर ले पाती हूँ.. पिंटू और पीयूष के लंड की साइज़ एक सी है.. !!"
शीला: "मेरे छेद में तो मदन चार उँगलियाँ डाल दे तो भी कम पड़ जाती है मुझे.. आह्ह कविता.. मोटा तगड़ा लंड अंदर डलवाने में जो मज़ा आता है.. वो मैं बता नहीं सकती.. अंदर ऐसे घुसता है.. चूत की दीवारों से रगड़ खाता हुआ.. आह्ह.. दिल गार्डन गार्डन हो जाता है"
"दर्द नहीं होता आपको??" कविता ने फिर से निप्पल मुंह में लेकर चूसते हुए कहा
शीला ने कविता के सर को अपने स्तनों से दबाते हुए कहा "अरे मेरी जान.. उसी में तो असली मज़ा आता है.. उस दुख में जो सुख है वो ओर किसी में नहीं.. चल अब नीचे भी थोड़ा सा सहला दें.. " कविता का हाथ पकड़कर शीला ने अपने घाघरे के अंदर डालकर.. भोसड़े पर दबा दिया..
"ओह्ह भाभी.. कितनी गरम है आपकी तो.. !! बाप रे.. !!" शीला के भोसड़े के वर्टिकल होंठों पर लगे चिपचिपे प्रवाही को हथेली से पूरी भोस पर रगड़ते हुए कविता ने कहा
"बस बस.. ओर नहीं कविता.. फिर मेरा मन हो गया तो लंड कहाँ से लाएंगे?? प्लीज रहने दे.. !!" शीला ने सिसकते हुए कहा
कविता को बेहद उत्तेजित करने के बाद शीला ने कहा "कविता, अब मुझे रेणुका के घर जाना होगा.. तू अपने घर जा और मैं रेणुका के घर के लिए निकलती हूँ.. इस बारे में हम कभी विस्तार से बात करेंगे.. जब किसी दिन पीयूष और मदन दोनों न हों, तब तू रात को सोने आ जान.. सब समझूँगी.. ठीक है.. !!"
कविता को गर्म करके मजधार में छोड़ दिया शीला ने.. और मन ही मन खुश होते हुए वो कपड़े बदलने गई.. कविता के सामने ही वो कपड़े बदल रही थी.. जब शीला अपने सारे कपड़े उतारकर मादरजात नंगी हो गई तब उसे देखकर कविता का गला सूखने लगा.. बेड के कोने पर एक पैर टिकाकर शीला ने कविता की आँखों के सामने ही.. अपना भोसड़ा दबा दिया.. और तेजी से उंगलियों को अंदर बाहर करते हुए.. भोसड़े का सारा पानी अपनी हथेली में ले लिया..
और फिर कविता के पल्लू से उसे पोंछ दिया.. और कपड़े पहन लिए.. चूत की असन्तुष्ट भूख से परेशान होते हुए कविता अपने घर चली गई.. अच्छा तो शीला को भी नहीं लगा था.. कविता को यूं गर्म कर छोड़ देना.. पर अभी उसकी चूत को ठंडा करने का समय नहीं था.. फिलहाल रेणुका के घर जल्दी पहुंचना जरूरी था.. अगर जल्दी न होती तो वो कविता की चूत को ठंडा जरूर कर देती..
कविता के जाने के बाद, शीला ने वैशाली को फोन कर बता दिया की वो रेणुका के घर जा रही है और उसे भी शाम को ऑफिस से छूटकर वहीं पहुंचना है..
शीला तैयार होकर, अपना पर्स लेकर निकल पड़ी, रेणुका के घर जाने के लिए..
Daring Sheela can do anything.शीला तैयार होकर, अपना पर्स लेकर निकाल पड़ी, रेणुका के घर जाने के लिए..
रेणुका के घर दोनों ने काफी बातें की.. राजेश के दूसरे फोन पर रेणुका ने जो बात की.. जिसके बारे में बताने के लिए ही उसने शीला को खास यहाँ बुलाया था
रेणुका: "याद है उस दिन हमारी बात हुई थी.. वो पार्टनर एक्सचेंज क्लब वाली?? क्लब वालों का फोन आया था.. राजेश ने एक अलग से नंबर ले रखा है उनके लिए.. आज राजेश वो फोन घर पर ही भूल गया था.. और आज ही रिंग बजी.. क्या किस्मत है यार.. !!"
शीला: "अच्छा ये बात है.. !! वो नंबर दे तो मुझे जरा"
रेणुका ने शीला को नंबर दिया.. जो शीला ने अपने फोन में सेव कर लिया.. और रेणुका से कहा "कभी जब हम दोनों के पति शहर से बाहर हो तब हम भी मजे करेंगे"
रेणुका: "नही यार.. ऐसा पोसीबल नहीं है.. ये लोग सिर्फ कपल को ही एंट्री देते है.. और कहीं हमारे पतिओं को पता चल गया तो.. !!"
शीला: "अरे डर मत यार.. कुछ नहीं होगा.. देख अभी मैं क्या करती हूँ"
शीला ने अपने फोन से उस नंबर पर फोन लगाया.. काफी रिंग बजने पर भी किसी ने फोन रिसीव नहीं किया.. उसने फिर से कॉल लगाया.. अब भी नो-रिप्लाय गया.. आखिर त्रस्त होकर उसने कहा "फोन ही नहीं उठा रहा.. अब कहीं ऐसा न हो की तब फोन आए जब मदन मेरे साथ हो"
रेणुका: "देखा.. !!! एक फोन करने में ही मुसीबत हो गई.. अब सामने से कभी भी कॉल आ सकता है.. तेरा नंबर जो चला गया उनके पास.. ध्यान रखना यार.. !!"
शीला: "एक काम करते है.. राजेश के ये दूसरे नंबर से फोन करते है.. शायद फोन उठा ले वो लोग"
रेणुका: "लेकिन राजेश पूछेगा तो क्या जवाब दूँगी की क्यों फोन किया.. !!"
शीला: "अरे पागल.. राजेश को बताने की जरूरत ही क्या है.. !! और वो तो आराम से मदन के साथ घूम रहा होगा.. हम लोग कॉल करने के बाद.. कॉल लॉग को डिलीट कर देंगे.. फिर क्या घंटा पता चलेगा उसे.. !!"
रेणुका: "यार शीला.. बहोत डेरिंग है तुझ में तो.. !!"
शीला: "रेणुका.. मदन जब विदेश था तब दो साल, जो मैं तड़पी हूँ.. तब मुझे ये ज्ञान हुआ.. की अगर चूत की खुजली मिटानी हो तो डेरिंग करनी ही पड़ती है.. जब से मैंने हिम्मत करना शुरू किया तब से मेरे जिस्म और जीवन में नई बहार सी आ गई.. !!"
रेणुका: "वो सब तो ठीक है यार.. पर फिर भी.. मुझे डर लग रहा है"
शीला: "तू मुझे फोन दे.. मैं बात करती हूँ.. लगा फोन और दे मुझे"
रेणुका ने झिझकते हुए फोन लगाया.. सामने से किसी महिला ने फोन उठाया
शीला ने फोन लेकर बात शुरू की "हैलो.. आप कौन बोल रहे है जान सकती हूँ?"
"मेरा नाम रोमा है.. !!"
"नाइस नेम.. मेरा नाम शीला है"
"आप ने फोन क्यों किया ये बताइए.. !!" सामने से जवाब आया.. उसकी आवाज में बेफिक्री थी.. जैसे कुछ पड़ी न हो
शीला: "आप से क्लब के बारे में बात करनी थी"
रोमा: "ओके.. कहिए, क्या सेवा कर सकती हूँ.. वैसे आज आखिरी दिन है.. लास्ट मोमेंट पर आप ग्रुप जॉइन नहीं कर सकतें.. सॉरी.. हाँ आप अगर चाहें तो हमारे अगले सेमीनार के बारे में बात कर सकते है.. जो एक महीने बाद होगा"
शीला: "लास्ट मोमेंट?? आखिरी दिन?? मतलब?? रोमा जी, हमने तो आप की क्लब में एक साल पहले बुकिंग करवाया था.. और आपने हमें इन्फॉर्म भी नहीं किया?? ऐसी कैसी सर्विस है आपकी?" शीला ने अंधेरे में तीर मार दिया
रोमा: "ऐसा नहीं हो सकता.. आप होल्ड कीजिए.. मैं चेक करके बताती हूँ"
थोड़ी देर अपने लैपटॉप पर चेक करके रोमा ने बताया
रोमा: "मैडम, आप को इस नंबर पर एक हफ्ते पहले ही इन्फॉर्म कर दिया गया है.. और कल रात आप के पार्टनर ने कनफर्म भी कर दिया है की वो जॉइन हो रहे है.. शायद आपको सप्राइज़ देना चाहते होंगे.. आप थोड़ा वैट कीजिए.. पार्टी आज रात को दस बजे शुरू होगी.. अभी काफी वक्त है.. और कुछ सेवा कर सकती हूँ मैं आपकी??"
शीला: "नहीं नहीं.. ठीक है.. थेंक यू.. !! और हाँ.. अभी इससे पहले मैंने आपको दूसरे नंबर से फोन किया था.. वो नंबर हमारा ही है.. सेव कर लीजिएगा और आगे से मैं फोन करूँ तो उठाइएगा.. !!"
रोमा: "ठीक है मैडम.. मैं सेव कर लेती हूँ आपका वो नंबर.. बाय मैडम.. हेव फन विथ डिफ्रन्ट टाइप्स ऑफ कॉक्स एंड टिटस"
शीला हंस पड़ी और उसने फोन रख दिया.. रेणुका सोच में डूब गई..
शीला: "तुझे कुछ समझ आया, रेणुका??"
रेणुका: "मुझे तो लगता है की राजेश और मदन हमें छोड़कर उस प्रोग्राम में जाने वाले है"
शीला: "जाने वाले है नहीं.. जा चुके है.. "
रेणुका: "लेकिन राजेश तो बता रहा था की वहाँ सिर्फ कपल को ही एंट्री मिलती है.. तो वो दोनों अकेले कैसे जाएंगे?"
शीला: "अरे मेरी जान.. बाजार में पैसे देने से एक नहीं, हजार रंडियाँ मिल जाती है.. दो रांड ले गए होंगे अपनी पत्नियाँ बनाकर.. !!"
रेणुका: "साले, कमीने कहीं के.. !!"
शीला के दिमाग का प्रोसेसर डबल स्पीड से काम करने लगा.. वो गहरी सोच में डूबी हुई थी..
शीला: "कोई बात नहीं... हमें एक चाल और चलनी होगी.. पर थोड़ी देर के बाद.. "
रेणुका को पता नहीं चला और वो चुप ही रही.. सोचने का काम उसने शीला को सौंप दिया था क्योंकि उसका दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा था
कुछ देर की खामोशी के बाद शीला ने उस नंबर पर वापिस कॉल किया.. पर इस बार अपने फोन से
रोमा: "जी बताइए शीला जी, बताइए.. आप की आवाज बहोत स्वीट है.. हमारे यहाँ रीसेप्शनिस्ट बन जाइए.. सारे कस्टमर्स आप की ही डिमांड करेंगे"
शीला: "थैंक्स डीयर.. मेरा तो सबकुछ स्वीट है.. बस एक बार मैं आप को चख लूँ उसके बाद मैं भी बता पाऊँगी की आप कितनी स्वीट हो"
रोमा: "ओह्ह माय गॉड.. आप तो बड़ी फास्ट निकली.. वैसे तो मैंने भी आप को कहाँ टेस्ट किया है?"
शीला: "वही तो.. बिना टेस्ट कीये आपने कैसे सोच लिया की मैं स्वीट हूँ?"
रोमा: "आप की आवाज से अंदाज लगाया.. कहिए, क्या सेवा कर सकती हूँ मैं?"
शीला: "आप की बात सच निकली.. मेरे पति का अभी अभी फोन आया.. उन्हों ने मुझे सीधे वहाँ पहुँचने के लिए कहा है.. वो मुझे एड्रेस बता ही रहे थे की फोन कट हो गया.. अब उनका फोन नहीं लग रहा.. तो मैंने सोचा आप से ही एड्रेस ले लूँ"
रोमा: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. आप एड्रेस लिख लीजिए.. और हाँ.. अब ये नंबर स्विच ऑफ हो जाएगा.. आप को अगर कुछ इमरजेंसी हो तो हमारे दूसरे नंबर पर कॉल कर सकते है.. यह कॉल कट होते ही आप को वो दूसरा नंबर मेसेज पर मिल जाएगा"
शीला: "ओके रोमा जी.. थेंक यू.. !!"
रेणुका स्तब्ध होकर शीला को आत्मविश्वास से बात करते हुए देखती रही
रेणुका: "शीला, ये जो एड्रेस है.. ये जगह तो यहाँ से सौ किलोमीटर दूर है.. हमें वहाँ पहुंचना हो तो अभी निकलना पड़ेगा..!!"
शीला: "मुझे वो चिंता नहीं है.. मैं यह सोच रही थी की हमारे पास रेजिस्ट्रैशन की कोई डिटेल्स तो हैं नहीं.. फिर वहाँ एंट्री कैसे करेंगे?" गहन सोच में डूबी थी शीला..
रेणुका शीला के दमदार स्तनों को एकटक देख रही थी.. वैशाली भी बिल्कुल शीला पर गई थी.. उसके स्तन भी शीला जैसे ही थे.. और वो भी शीला जैसी ही गोरी-चीट्टी थी.. साड़ी के नीचे दोनों स्तन जहां एक होते थे.. वहाँ दो इंच की लकीर इतनी उत्तेजक लग रही थी.. !!
रेणुका: "हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा ही नहीं.. दूसरी बात यह भी है की राजेश तो उसके रेजिस्ट्रैशन पर घुस जाएगा.. लेकिन मदन को वो कैसे ले जाएगा?? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी नए मेम्बर को एंट्री नहीं दी जाएगी"
शीला: "ऐसा सब बोलते है... पैसे दो तो वो लोग एंट्री भी देंगे.. और पार्टनर भी.. !!!"
रेणुका: "हाँ वो बात तो तेरी सच है.. आखिर ये सब पैसों का ही तो खेल है.. !!"
शीला: "रेणुका, तुझे कुछ याद है की रेजिस्ट्रैशन करवाते वक्त राजेश ने कितने पैसे जमा कीये थे?"
रेणुका: "हाँ मुझे पता है.. एक कपल के दस हजार.. और दो हजार एक्स्ट्रा भी लेते थे.. नेक्स्ट प्रोग्राम मे अगर शामिल न होना हो तो वो दो हजार रिफन्ड मिलेगा.. प्रोग्राम के दौरान अगर पुलिस का कोई चक्कर हुआ तो वो लोग उसी दो हजार का इस्तेमाल कर सब रफा-दफा करने में सहायता करेंगे.. उनका सारा प्लानिंग बड़ा सटीक होता है.. इसी कारण मुझे और राजेश को विश्वास हुआ"
शीला: "ऐसे कामों के लिए प्लानिंग तो ठीक होना ही चाहिए.. अब बस यही सोचना है की हम अंदर घुसेंगे कैसे.. !!"
रेणुका: "शीला, कुछ भी कर यार.. एक बार तो अंदर जाना ही है.. राजेश और मदन को भी तो पता चलें की हम भी कुछ कम नहीं है"
शीला: "कुछ न कुछ रास्ता निकल आएगा.. तू चिंता मत कर.. और गाड़ी निकाल.. !!"
रेणुका: "अरे पर वहाँ जाकर करेंगे क्या?"
शीला: "तू टेंशन मत ले.. ऐसा जबरदस्त मौका हाथ से जाने दूँ उतनी मूर्ख नहीं हूँ मैं.. तू गाड़ी निकाल.. और सोचने का सारा काम मुझ पर छोड़ दे"
रेणुका: "अरे पर.. वैशाली को क्या बताएंगे?? वो आती ही होगी"
शीला: "इसीलिए तो कह रही हूँ.. वैशाली के आने से पहले निकल जाते है.. तू जल्दी कर.. मैं रास्ते में उसे फोन करके कुछ बहाना बना दूँगी"
रेणुका: "पर कपड़े तो बदलने दे यार!!"
शीला: "मेरी प्यारी रांड... कपड़े तो वहाँ जाकर उतर ही जाने वाले है.. और हम हमारे रेग्युलर कपड़े नहीं पहनेंगे.. रास्ते से कुछ खरीद लेते है.. अब तू बोलना बंद कर और निकलने की तैयारी कर.. !!"
रेणुका ने तुरंत गाड़ी निकाली और दोनों निकल गए..
शीला ने रास्ते में वैशाली को फोन कर कह दिया की रेणुका की एक सहेली अमरीका से आ रही थी और वो दोनों उसे रिसीव करने एयरपोर्ट जा रहे है.. रात की तीन बजे की फ्लाइट है और आते आते काफी देर हो जाएगी.. इसलिए वो रेणुका के घर ही सो जाए
वैशाली यह सुनकर ही खुश हो गई.. वो इसलिए खुश थी की पिंटू को मिलने बुलाने की उत्तम जगह मिल गई थी.. रेणुका के घर पर.. काफी दिनों से वो पिंटू के साथ अकेले वक्त गुजारना चाहती थी.. पर जगह और मौका मिल नहीं रहे थे.. आज बढ़िया चांस मिल गया था
शीला के कहने पर रेणुका ने गाड़ी एक बड़ी दुकान पर रोक दी.. दोनों ने एक एक मॉडर्न ड्रेस खरीद लिया.. एक एक काले गॉगल्स भी ले लिए.. पेट्रोल पंप पर जाकर टंकी फूल करवा दी.. पंप पर ही पास खड़े भिखारी को शीला ने पाँच सौ का नोट दिया.. और सामने की दुकान से सिगरेट का एक पैकेट लाने भेजा.. वो तुरंत भागकर ले आया.. बाकी बचे पैसे उसने उस भिखारी को देकर खुश कर दिया..
ड्राइव करते हुए दोनों शहर से बाहर हाइवे पर पहुँच गए.. शीला ने एक सिगरेट सुलगाई और एक गहरा कश खींचा.. रेणुका भी अपने लिए एक सिगरेट निकालने गई पर शीला ने उसे रोक दिया
शीला: "आज हम दोनों एक ही सिगरेट मिलकर पियेंगे.. सब कुछ मिल बांटकर करेंगे.. फिर वो सिगरेट हो या...... !!" कहते हुए हंसकर शीला ने सिगरेट रेणुका को थमा दी
एक दम लगाकर रेणुका ने कहा "पार्टी का माहोल तो यहीं पर बन गया है.. ऊपर के होंठों को सिगरेट मिल गई.. अब नीचे के छेद को भी एक चमड़े से बनी मस्त सिगार मिल जाएँ तो मज़ा आ जाए यार.. !!"
शीला: "उसका भी बंदोबस्त करती हूँ.. एक मिनट गाड़ी रोक.. और रिवर्स ले"
रेणुका: "पर क्यों?"
शीला: "अरे मैंने जितना कहा उतना कर.. गाड़ी रिवर्स ले.. !!"
रेणुका ने गाड़ी थोड़ी सी रिवर्स ली.. रोड के किनारे एक बांका नौजवान लिफ्ट मांग रहा था.. शीला ने खिड़की का कांच उतारा और अपना पल्लू सरकाकर.. बड़े बड़े स्तनों की खाई दिखाते हुए उस नौजवान को पता पूछने लगी.. उस बेचारे की हालत तो ऐसी हो गई की वो खुद अपना पता भूल गया.. शीला के हावभाव और अदाओं से घायल हो गया बेचारा..
उस नौजवान ने शीला से कहा "आपको अगर दिक्कत न हो तो मुझे लिफ्ट देंगे? मैं उसी तरफ जा रहा था और आखिरी बस छूट गई मेरी..!!"
शीला को भी वही तो चाहिए था "हाँ बैठ जाइए पीछे.. !!"
रेणुका ने धीरे से शीला को कहा "अरे यार.. ऐसे किसी अनजान मर्द को लिफ्ट नहीं देनी चाहिए.. क्या पता कौन हो??"
शीला: "डरना हमें नहीं.. उसे चाहिए.. हम दों है और वो अकेला.. गाड़ी भी हमारी है और स्टियरिंग भी हमारे हाथ में है.. फिर डरने की क्या जरूरत!!"
शीला के इस जबरदस्त आत्मविश्वास को देखकर रेणुका खामोश हो गई.. उसके आश्चर्य के बीच.. शीला बाहर उतरी और उस अनजान शख्स के साथ पीछे बैठ गई.. बैठकर उसने सिगरेट सुलगाई.. और रेणुका ने गाड़ी फूल स्पीड पर दौड़ा दी
वह आदमी अचंभित होकर शीला को सिगरेट फूंकते हुए देखता ही रहा.. पूरी गाड़ी सिगरेट की धुएं से भर गई क्योंकि एसी की वजह से खिड़कियों के कांच बंद थे..
"कहाँ जाओगे आप?" बड़ी ही बेफिक्री से धुआँ उड़ाते हुए शीला ने उस शख्स से पूछा
"जी, मुझे खेरदा तक जाना है" सहमते हुए उस शख्स ने कहा..
"हमें जहां जाना है उससे पहले आएगा या बाद में?" शीला ने पूछा
"जी, पहले आएगा.. उसके करीब 20 किलोमीटर बाद आपको जहां जाना है वो जगह आएगी"
शीला समय बिगाड़ना नहीं चाहती थी.. पर ये आदमी कौन था.. उसकी पसंद-नापसंद जाने बगैर शुरुआत कैसे करती.. !! वो आदमी भी जरूरत से ज्यादा कुछ बोल नहीं रहा था इसलिए कुछ पता भी नहीं चल पा रहा था
शीला: "नाम क्या है आपका? मेरा नाम मालती है.. और ये है मेरी सहेली शीतल.."
उस आदमी ने कहा "मेरा नाम रोहित है.. मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ.. दो महीनों से मेरी पत्नी मायके गई है.. उसे लेने जा रहा हूँ"
शीला ने नशीले अंदाज में कहा "हम्म.. मतलब आज बीवी के साथ मजे करोगे.. अच्छा है.. वो भी बेचारी दो महीनों से तड़प रही होगी" हँसते हुए शीला ने कहा
शीला की शरारती हंसी इतनी कातिल थी की अगर सामने वाला आदमी रसिक हो तो उसका हास्य सुनकर ही उत्तेजित हो जाता.. हँसते वक्त आगे की तरफ दिखती उसकी दंत-पंक्तियाँ.. पुराने जमाने की मशहूर अभिनेत्री मौसमी चटर्जी और नीतूसिंह की याद दिलाती थी..
रोहित: "जी सच कहा आपने.. मेरी पत्नी मुझे बहोत चाहती है.. मैं भी उसके बगैर रह नहीं पाता.. !!"
फिर थोड़ी देर खामोश रहने के बाद उसने कहा "माफ करना.. मैं आपको एक पर्सनल सवाल पूछ रहा हूँ.. आप दोनों अकेली ही है? आपके पति नहीं है साथ में?"
शीला: "देखिए मिस्टर रोहित.. आप हमारे लिए बिल्कुल अनजान है.. इसलिए मैं बिना छुपाये आपको सब बताती हूँ.. हम दोनों एकदम खास सहेलियाँ है.. हमारे दोनों के पति फ़ॉरेन ट्रिप पर बिजनेस के काम से गए हुए है.. इसलिए हम दोनों थोड़ी मौज-मस्ती करने बाहर निकली है.. अगर आपको एतराज न हो तो आपका स्टेशन आने तक.. हम थोड़ी मस्ती कर सकते है" इतना कहते ही शीला ने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया.. और हाथ आगे सरकाते हुए उसके लंड तक ले गई.. रोहित सीट से सटकर बैठ गया और उसने अपनी आँखें बंद कर दी.. साफ था की दो महीनों से पत्नी की जुदाई के कारण उसका शरीर भी किसी स्त्री के स्पर्श को तरस रहा था..
कब से दोनों की बातें सुन रही रेणुका ने अपना हाथ पीछे ले जाकर रोहित के चेहरे को सहला दिया.. उसके साथ ही रोहित की बची-कूची शर्म भी नीलाम हो गई.. शीला के स्तनों पर हाथ रखते हुए दबाकर उसने कहा
रोहित: "बहन जी, आपका फिगर गजब का हॉट है.. एकदम जबरदस्त"
शीला हंसकर बोली "बूब्स दबाते हुए मुझे बहन कह रहे हो.. !! मैं तुम्हारा लंड चूसते चूसते, तुम्हें भैया कहकर पुकारूँगी तो तुम्हें कैसा लगेगा??"
एक स्त्री के मुंह से लंड और चुसाई जैसे शब्द सुनकर बेचारे रोहित की तो सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई.. और बिना कुछ कहें.. शीला के चेहरे के करीब जाकर.. उसके मदमस्त होंठों को चूमने लगा.. कुछ ही पलों में शीला ने उसका लंड पेंट से बाहर निकाल दिया.. और उसकी गोद में झुककर चूस भी लिया..
बिल्कुल अनजान आदमी को सिर्फ पंद्रह-बीस मिनटों में सेक्स के लिए तैयार करना असंभव सा है.. और आजकल तो वाकिए भी ऐसे होते है.. जिन्हें सोचकर रोहित बेचारा मन ही मन घबरा रहा था.. पर अब वो कुछ नहीं कर सकता था.. शीला ने उसके मन और तन पर कब्जा जमा लिया था.. ये ट्रिप उसके जीवन की सब से यादगार ट्रिप साबित होने वाली थी या फिर सब से दुर्भाग्यपूर्ण.. वैसे, लंड और किस्मत, कब जाग जाएँ.. और कब मुरझा जाएँ.. ये कोई कह नहीं सकता.. ये दोनों अकेली औरतें उसके साथ क्या करेगी.. ये चाहकर भी वो सोच नहीं पा रहा था..
अपनी किस्मत को ऊपरवाले के भरोसे छोड़कर.. रोहित ने अपना जिस्म, शीला के हवाले कर दिया.. जो फिलहाल उसका लँड, बड़े ही चाव से चूस रही थी.. कार में ये सब करना मतलब.. सोते सोते हारमोनियम बजाने जितना कठिन काम था.. पर जो मिला वो नसीब.. ये सोचकर शीला बड़ी ही मस्ती से रोहित का लंड चूस रही थी..
रेणुका: "अरे मालती.. मुझे भी तो जरा मौका दे.. सब कुछ तू ही हड़प लेगी क्या.. !!"
शीला: "अरे, पहले मुझे तो चूसने दे.. !!"
रोहित के लिए यह शब्द.. स्वर्ग की अनुभूति के बराबर थे.. कोई स्त्री उसका लंड चूस रही हो.. और दूसरी औरत वेटिंग में चूसने के लिए बेकरार हो.. ऐसा तो सिर्फ सपने में ही हो सकता था..!!
रेणुका: "कैसा है रोहित का लंड, मालती?" गाड़ी ड्राइव कर रही रेणुका को ठीक से दिख नहीं रहा था पीछे
शीला: "मस्त है.. थोड़ा पतला है.. पर अच्छा है.. तुझे भी चूसना है? पर कैसे होगा? मुझे गाड़ी चलानी नहीं आती.. क्या करेंगे"
रेणुका: "ऐसा करती हूँ.. कोई अच्छी जगह देखकर गाड़ी रोक देती हूँ.. और फिर पीछे आ जाती हूँ"
सुनकर ही रोहित की गांड फट गई, उसने कहा "नहीं नहीं.. इस सड़क पर ट्राफिक पुलिस घूमती रहती है.. उन्हों ने पकड़ लिया तो आफत आ जाएगी"
रेणुका: "पर मुझे तो चूसना ही है.. मुंह तक आया निवाला, मैं ऐसे ही नहीं जाने दूँगी"
आसपास नजर डालते हुए, रेणुका किसी अच्छा जगह को ढूंढ रही थी.. गाड़ी रोकने के लिए.. एक सुमसान जगह देखकर उसने गाड़ी सड़क के किनारे पार्क कर दी.. पास ही घनी झाड़ियाँ थी.. रेणुका उतरकर वहाँ खड़ी हो गई और बोली "यहाँ आ जा रोहित"
शीला के मुंह से अपना लंड छुड़ाकर रोहित ने पेंट की चैन बंद कर दी.. गाड़ी से उतरकर उसने देखा की रेणुका झाड़ियों के पीछे चली गई थी.. सड़क से झाड़ियों के पीछे का द्रश्य दिखाई नहीं दे रहा था.. वो चुपके से झाड़ियों को पार करते हुए आगे गया तो उसने देखा की एक बबुल के तने को पकड़े हुए.. रेणुका खड़ी थी.. उसने अपनी पेन्टी उतार दी थी.. और पैर फैलाकर अपनी चूत सहला रही थी.. यह द्रश्य देखकर ही रोहित के पसीने छूट गए..
रेणुका: "रोहित, मुझे चूसना नहीं है.. तू नीचे बैठ जा.. और मेरी चाट दे.. जल्दी आ.. " सुलग रही चूत को ठंडा करना चाहती थी रेणुका.. हवस उसकी बर्दाश्त से बाहर हो चुकी थी
रोहित रेणुका के दोनों पैरों के बीच, जमीन पर बैठ गया.. और रेणुका की चूत चाटने लगा.. अत्यंत उत्तेजित होकर रेणुका ने अपनी दोनों हथेलियों से रोहित के सर के बालों को सहलाना शुरू किया.. और जोर जोर से सिसकने लगी.. वो बार बार अपने चूत के होंठों को चौड़ा कर ऐसे दबाती थी की रोहित की जीभ अंदर तक उसके अंदरूनी हिस्सों पर रगड़ने लगी.. रोहित की चटाई ने रेणुका की चूत की भूख को शांत करना शुरू कर दिया था.. जीभ के साथ साथ रोहित ने रेणुका की क्लिटोरिस को भी छेड़ना शुरू कर दिया था.. थोड़ी मिनटों में रेणुका की चूत ने ऑर्गजम की डकार मार दी..
a
रेणुका: "बस अब चाटना बहोत हुआ.. रोहित, अब झटपट अंदर डाल दे" कहते हुए रेणुका घूम गई... और चूतड़ उठाकर.. पैरों को उस तरह चौड़ा किया की उसकी रस झरती बुर की फांक पीछे से नजर आने लगी..
उसके गोरे नितंबों को दोनों हाथों से चौड़ा कर.. रोहित ने पक्ककक से उसका लोडा रेणुका की चूत में उतार दिया... जंगल में मंगल शुरू हो गया..
शीला गाड़ी के पास चौकीदारी कर रही थी.. फिर थककर वो गाड़ी में बैठ गई.. और घाघरे के नीचे हाथ डालकर अपने भोसड़े को उंगलियों से कुरेदते हुए, रेणुका और रोहित का इंतज़ार करने लगी..
रोहित हुमच हुमचकर रेणुका की बुर में अपना लंड पेल रहा था.. करीब दो मिनटों तक धक्कों का दौर चला होगा..
रोहित: "आह्ह.. शीतल जी, मेरा अब निकलने वाला है... ओह्ह.. !!"
रेणुका: "मत निकालना अभी.. रुक, मैं मालती को भेजती हूँ.. उसका अभी बाकी है.. तो उसकी चूत में ही झड़ना.. !!"
रेणुका ने पेन्टी पहनकर.. अपना पेटीकोट ठीक किया.. और अस्तव्यस्त साड़ी को नीचे करके गाड़ी की तरफ आई.. पीछे की सीट पर टांगें फैलाकर अपने भोसड़े में अंधाधुन उँगलियाँ पेलकर ठंडा होने की कोशिश कर रही शीला को उसने उंगलियों से इशारा किया.. शीला गाड़ी से उतरकर झाड़ियों के पीछे गई.. और वहाँ, पेंट घुटनों तक उतारकर खड़े रोहित का चमकता हुआ लंड देखा.. !! रोहित के लंड, रेणुका की चूत के रस से सराबोर था..
देखते ही शीला घुटनों के बल बैठ गई.. और लंड पकड़कर.. उस पर लगा रेणुका के चूत का सारा अमृत चाट लिया..
और फिर वो खड़ी हो गई.. दोनों हाथों से साड़ी और पेटीकोट को एक साथ उठाते हुए.. अपनी पेन्टी को घुटनों तक सरकाकर.. उसने अपने नितंब के बीच की भोसड़े की लकीर.. रोहित के सामने पेश कर दी.. रोहित तैयार ही था.. एक धक्के में उसने शीला के चिपचिपे भोसड़े में अपना लंड ठूंस दिया.. जबरदस्त स्पीड से धक्के मारते हुए उसने शीला की चूत को शांत करने की भरसक कोशिशें शुरू कर दी..
दो दो चूतों को ठोककर.. रोहित के लंड ने शीला की चूत में आखिरी सांस ली.. दो-तीन तेज पिचकारियों से उसने शीला की चूत में अपने वीर्य का अभिषेक किया.. शीला ने अपनी चूत की मांसपेशियों से रोहित के लंड को दबोचकर, वीर्य आखिरी बूंद तक निचोड़ लिया..रोहित ने हांफते हुए लंड बाहर निकाला.. उसके लंड की दशा ऐसी थी.. जैसे रस निकला हुआ गन्ना, कोल्हू से निकला हो..
अपने भोसड़े पर हाथ फेरकर.. अंदर से टपक रहे वीर्य को हथेली से पूरी चूत पर मलकर.. शीला ने पेन्टी पहन ली और साड़ी-पेटीकोट नीचे गिरा दिया.. घूमकर उसने रोहित को एक जानदार किस कर दी.. और धीरे से उसके कानों में फुसफुसाई "अगर मुझे तसल्ली से चोदना चाहते हो.. तो जगह का बंदोबस्त करके मुझे बुला लेना.. मैं आ जाऊँगी.. तेरा नंबर मुझे दे दे.. " रोहित के दोनों हाथों को अपने विशाल स्तनों पर रखते हुए शीला ने बड़े कामुक अंदाज में रोहित का नंबर लिया.. और उसे अपना नंबर भी दिया
दोनों चलकर गाड़ी की तरफ आए.. रोहित अब रेणुका के साथ आगे की सीट पर बैठ गया.. रेणुका ने उसका एक हाथ, अपने ब्लाउस में आवृत्त स्तन पर रख दिया..
सर्दी का समय था.. शाम होते ही अंधेरा जल्दी हो जाता था.. लगभग रात वाला माहोल बन चुका था.. गाड़ी अपनी गति पर दौड़ रही थी.. और रोहित रेणुका के स्तनों को दबाता जा रहा था.. उत्तेजित रेणुका ने अपने ब्लाउस के तीन हुक खोलकर.. दोनों स्तनों को खोल रखा था.. सामने से आती ट्रकों की हेडलाइट के फोकस में.. रेणुका के स्तन चमक रहे थे.. रोहित बड़ी ही मस्तीपूर्वक दोनों स्तनों को बराबर दबा रहा था.. और रेणुका उसके लंड को नापते हुए मध्यम गति से गाड़ी ड्राइव कर रही थी..
पीछे बैठी शीला को इस बात की खुशी थी की रेणुका ने झाड़ियों के पीछे रोहित को झड़ने नहीं दिया और उसके बारे में सोचा.. रेणुका के लिए उसके दिल में इज्जत और बढ़ गई थी.. पर रेणुका ने जल्दी जल्दी चूदवाकर शीला को बुला लिया था.. और खुले खेत में खतरे के बीच चुदवाने में शीला भी तसल्ली से झड़ी नहीं थी.. यह बात तो रेणुका को भी पता थी की शीला ऐसे जल्दबाजी में चुदकर संतुष्ट नहीं होती.. पर जो भी मिला उसे मिल-बांटकर खाया था दोनों ने.. थोड़ा तो थोड़ा.. चूत को लंड के घर्षण का आनंद तो मिला.. !! पेट भर खाना भले ही नसीब नहीं हुआ था.. पर नाश्ते करने में भी काफी मज़ा आया था दोनों को..
झड़कर सुस्त हो चुके रोहित के लंड को हिलाकर, रेणुका उसे होश में लाने की बार बार कोशिश कर रही थी.. और लंड भी अर्ध जागृत अवस्था में.. दो चूतों की यात्रा की थकान उतारकर जागे रहने की कोशिश कर रहा था..
करीब बीस मिनट तक इन छेड़खानियों को बाद रोहित ने कहा "मेरा स्टैन्ड अब आने को है.. मेरा साला मुझे लेने आने वाला है.. आप दोनों के साथ वो मुझे देख लेगा तो आफत आ जाएगी.. आप मुझे यहीं उतार दीजिए.. "
रेणुका ने कार रोक दी और इशारे से रोहित को उतरने के लिए कहा.. जाते जाते रोहित ने रेणुका के गाल पर.. और पीछे बैठी शीला के होंठों पर एक किस दी.. फिर शीला के स्तनों को एक आखिरी बार दबाकर वो चला गया.. शीला आगे आकर बैठ गई.. और रेणुका ने गाड़ी दौड़ा दी..
शीला: "तेरा पानी झड़ गया था क्या वहाँ खेत में??"
रेणुका: "चाहती तो आराम से झड़ सकती थी.. पर वो पिचकारी मारने की कगार पर था.. मैं अगर मेरा काम करने रहती तो तू भूखी मर जाती.. वैसे तुझे तो मज़ा आया होगा.. !!! आखरी पिचकारी तो उसने तेरे अंदर ही मारी थी.. इसलिए तेरा तंदूर तो जरूर ठंडा हो गया होगा.. !!"
शीला: "यार, केवल पिचकारी से काम नहीं बनता ना.. उससे पहले दमदार धक्के भी लगने चाहिए.. वो भी थोड़े बहोत नहीं.. चूत की खाज मिटा दे ऐसे जबरदस्त धक्के लगने चाहिए.. और फिर जब आखिर में पिचकारी छूटें तब कही जाकर मेरी फुलझड़ी शांत होती है.. पर उस बेचारे की उतनी औकात नहीं थी.. हम दोनों को देखकर ही वो आधा झड़ चुका था.."
रेणुका: "हम्म.. मतलब तेरा भी ठीक से नहीं हुआ"
शीला: "यार, तुझे तो पता है.. जल्दबाजी में चुदवाने में मुझे मज़ा नहीं आता.. वो भी उस पेड़ की टहनी पकड़कर.. खुले खेत में.. खतरे के बीच.. मुझे तो आराम से बिस्तर पर मस्त जांघें फैलाकर चूदवाने में ही मज़ा आता है.. पर जो भी था.. कुछ नहीं से थोड़ा बहोत.. हमेशा बेहतर होता है"
रेणुका: "हम थोड़ी देर में पहुँच जाएंगे शीला... अब ये सोच के अंदर एंट्री कैसे लेंगे? होटल में तो शायद रूम मिल जाएगा.. पर उनके प्रोग्राम में शामिल कैसे होंगे?"
शीला: "वो तो मैं भी अभी सोच रही हूँ.. एक बार होटल पहुँच जाते है.. रूम बुक कर लेते है.. फिर आगे की देखी जाएगी.. मान ले अगर उनके प्रोग्राम में एंट्री नहीं मिली.. तो हमारे कमरे में किसी को बुलाकर.. पूरी रात चुदवाएंगे.."
रेणुका: "क्या पागलों जैसी बात कर रही है.. !! ऐसे कैसे किसी को भी बुला लेंगे??"
शीला: "अरे मेरी जान.. यहाँ बीच सड़क पर जुगाड़ कर लिया.. तो होटल में कुछ न कुछ हो ही जाएगा.. कितने सारे वेटर होते है वहाँ.. किसी हट्टे कट्टे जवान को पटाने में देर नहीं लगेगी मुझे.. !!"
रेणुका: "छी.. वेटर से चुदवाएगी तू?? साली रंडी.. !!"
शीला: "जब चूत में खाज उठती है ना.. तब वो मर्द का लेवल नहीं देखती.. अभी भले ही तू मना कर रही है.. रात को जब कुछ नहीं मिलेगा तब तू ही चूतड़ उठा उठाकर वेटर से चुदवाएगी.. देख ना.. !!"
रेणुका: "मुझे इन सब बातों में कुछ समझ में नहीं आता.. तू जो भी करेगी, मैं तेरे साथ हूँ.. ठीक है.. !!"
शीला: "ओके.. " आखिरी कश खींचकर शीला ने सिगरेट खिड़की से बाहर फेंक दी..
गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..
Wowww kya kamaal ki hai sheela.गाड़ी ने शहर में प्रवेश कर लिया था.. अपने कपड़े ठीक-ठाक कर लिए शीला ने.. और पता पूछते पूछते दोनों होटल के एंट्री गेट पर पहुँच गए.. साढ़े सात बज रहे थे..
रेणुका गाड़ी होटल के अंदर ले ही रही थी तब शीला ने उसे रोक लिया
शीला: "यहाँ नहीं.. यहाँ पार्क करेंगे तो राजेश इस गाड़ी को पहचान लेगा.. "
रेणुका: "अरे हाँ यार.. ये तो मैंने सोचा सोचा ही नहीं था"
शीला: "हम यहाँ से थोड़े दूर.. सड़क के किनारे गाड़ी पार्क कर देंगे.. पर उससे पहले मुझे एक बार होटल के अंदर जाकर देख लेने दे.. तू तब तक यहीं बैठ गाड़ी में "
रेणुका के उत्तर की प्रतीक्षा कीये बगैर ही शीला गाड़ी से उतर गई.. और चलते चलते रीसेप्शन पर गई.. काफी देर तक पूछताछ करते हुए रेणुका उसे देखती रही.. वो सोच रही थी की.. गजब की हिम्मत थी शीला मे..!! बिना किसी डर के बड़े ही स्वाभाविक अंदाज मे वो बातें कर रही थी.. पर इतनी देर तक क्या पूछ रही है वो.. !! रेणुका ने देखा की शीला सीढ़ी चढ़कर ऊपर गई.. बड़ी ही महंगी और वैभवशाली होटल थी..
थोड़ी देर बाद, शीला को अपनी ओर आता देख, रेणुका को चैन मिला..
कार में बैठते ही शीला ने रेणुका से कहा.. "गाड़ी को दायीं ओर उस सड़क पर ले जा.. एक किलोमीटर बाद, पे-एंड-पार्क की सुविधा है.. वहाँ गाड़ी पार्क कर देंगे.. फिर टेक्सी में वापीस आ जाएंगे.. मैंने हमारा कमरा भी बुक करवा दिया है.. ऐसा कमरा पसंद किया है की जिसकी खिड़की से.. आने जाने वाले सब लोगों पर हम नजर रख सकेंगे.. !!"
रेणुका: "तूने कमरा भी बुक करवा दिया?? बड़ी तेज है तू.. !!"
शीला: "अरे वो रीसेप्शन पर बैठा जवान.. मेरे जाते ही.. बूब्स को तांकने लगा.. बस उसी का फायदा उठाकर.. मैंने उससे सब से बेस्ट कमरा मांग लिया.. और भी बहोत सारी जानकारियाँ उगलवानी थी.. पर तू यहाँ बैठे बैठे बोर हो जाएगी, ये सोचकर वापिस आ गई.. चल, पहले गाड़ी पार्क कर देते है.. !!"
दोनों थोड़ी ही देर में पार्किंग एरिया में पहुँच गए.. कार पार कर चलते चलते सड़क की तरफ आ रहे थे तभी..!!!!
रेणुका ने चोंक कर कहा "ओह माय गॉड.. अभी सामने से राजेश की गाड़ी गई.. !!"
शीला: "मतलब, वो लोग यहाँ आ चुके है.. !!"
रेणुका: "हम्म.. तो यहाँ होने वाली है उनकी बेंगलोर की बिजनेस ट्रिप.. एक नंबर के चुदक्कड़ है हम दोनों के पति"
शीला ने आँख मारते हुए कहा "तो हम भी कहाँ कम है.. !! वो तो रात को मजे करेंगे.. हमने तो गाड़ी में ही पार्टी की शुरुआत कर दी थी"
रेणुका ने थोड़े डर के साथ कहा "यार, वो दोनों भी अभी कहीं बाहर निकले होंगे, और हमें देख लेंगे तो?? मुझे तो बड़ा डर लग रहा है"
शीला: "एक बात समझ ले रेणुका.. चोरी छिपे वो दोनों आए है यहाँ.. फिर हम क्यों डरे भला?? डरना उनको चाहिए.. बेंगलोर का झूठा बहाना उन दोनों ने बनाया था.. तू इत्मीनान रख.. वो दोनों हमें मिल गयें तो वो लोग कुछ कहें उससे पहले ही, मैं उन दोनों की गांड फाड़ दूँगी.. तू बिंदास चल मेरे साथ.. डरने की जरूरत नहीं है.. आज तो कुछ ऐसा खेल करेंगे की पार्टी में उनकी नज़रों को सामने ही पराए लंड से चुदवाएंगे फिर भी उन्हें पता नहीं चलेगा"
दोनों ने बाहर सड़क पर आकर देखा.. गाड़ी होटल की तरफ जाने की बजाए दूसरी सड़क पर मुड़ गई..
शीला: "लगता है की वो किसी दूसरी होटल में रुके होंगे"
रेणुका: "हाँ, मुझे भी यही लगता है.. !!"
टेक्सी तो नहीं मिली.. ऑटो पकड़कर दोनों होटल पर पहुँच गई.. रीसेप्शन काउंटर पर एक जवान लड़का और लड़की बैठे थे.. लड़की ने चमकीला पतला टॉप पहना था जिसमें से उसके उरोज बाहर झलक रहे थे.. जान बूझकर कर टेबल पर झुककर वो अपने स्तन दिखा रही थी.. शीला ने अपना पल्लू हल्का सा सरकाया.. और टेबल की उस तरफ झुककर जैसे ही अपने विराट स्तनों को प्रदर्शन किया.. देखकर उस लड़की की आँखें फट गई.. और उसके साथ वाला लड़का अपना लंड एडजस्ट करने लगा..
आँखें मटकाते हुए शीला ने अपने कमरे की चाबी मांगी.. पालतू कुत्ते की तरह उस लड़के ने लार टपकाते हुए चाबी निकाली.. और शीला तथा रेणुका को अपने साथ आने को कहा.. वैसे तो चाबी लेकर रूम तक ले जाना, वेटर का काम होता है..
सीढ़ियाँ चढ़कर तीनों पेसेज के अंत में बनी रूम के अंदर गए.. रूम का लोकेशन देखकर रेणुका खुश हो गई.. खिड़की से होटल का एंट्री गेट और रीसेप्शन नजर आ रहे थे.. दूसरी खिड़की से ऊपर के माले का पूरा पेसेज दिख रहा था.. शीला ने बड़ी ही चालाकी से यह रूम पसंद किया था ताकि वो दोनों बंद कमरे से राजेश और मदन पर नजर रख सकें..
शीला: "तुम्हारा नाम क्या है?'
लड़का: "मेरा नाम हेमंत है.. आप मुझे हेमू कह सकती है"
शीला : "ओके माय डीयर हेमू.. हम यहाँ इन्जॉय करने के लिए आए है.. क्या आप के पास कोई ऐसा एजेंट है जो चार्ज लेकर हमें दो मर्द साथी प्रोवाइड कर सकें?"
हेमंत: "मतलब???"
शीला: "नया है क्या?? समझता नहीं है.. सब कुछ साफ साफ बुलवाएगा..!! हम यहाँ मजे मारने आए है.. इसलिए कोई मर्द चाहिए जो पैसे लेकर हमें रात को खुश कर सकें.. कैसे कैसे अनाड़ी लोग रखे है इन होटल वालों ने.. !!"
सुनकर हेमंत का जबड़ा लटक गया..
हेमंत: "नहीं मैडम.. ऐसा तो कोई नहीं है.. अक्सर लोग यहाँ आकर लड़कियों की डिमांड करते है.. मर्द के लिए आज से पहले किसी ने नहीं पूछा... मगर आप जैसी खूबसूरत महिलाओं के लिए यह काम करने कोई भी खुशी खुशी तैयार हो जाएगा.. और पैसे भी नहीं लेगा..!!"
रेणुका: "तो क्या तू तैयार है इसके लिए?"
हेमंत: "जी.. मैं.. वो.. मैडम, क्यों मज़ाक कर रही हो?? कहाँ आप और कहाँ मैं.. !! और वैसे भी मैं ड्यूटी पर हूँ.. तो ऐसा कैसे कर सकता हूँ??"
तब तक तो शीला ने अपना पल्लू हटाकर.. उस लड़के का दिमाग भ्रष्ट कर दिया.. लड़का ज्यादा आनाकानी करता उससे पहले ही रेणुका ने उसे हाथ से पकड़ कर अपनी ओर खींचा.. "ओह्ह जानेमन.. ड्यूटी पर तो डिलीवरी तक हो जाती है.. तुम चुदाई भी नहीं कर सकते?"
"ओह मैडम.. प्लीज छोड़ दीजिए.. मेरी नौकरी का सवाल है" लड़की की गांड फट गई..
शीला उसके करीब आ गई.. लड़के के दोनों हाथ पकड़कर अपने स्तनों पर रखते हुए बोली "पसंद नहीं आए?? फिर दबा ना.. साले तेरी माँ से भी बड़े है ये.. " कहते हुए उसका लंड दबा दिया शीला ने
रेणुका: "देख हेमू.. हम यहाँ चुदवाने आए है.. और तुझे हमें चोदना होगा" जिस तरह बिन बजाकर मदारी सांप को खेल के लिए तैयार करता है उसी तरह रेणुका ने नंगा आमंत्रण देकर हेमंत की मर्दानगी को जगा दिया था
शीला ने हेमंत के लंड को पेंट की ऊपर से ही अपनी मुठ्ठी मे दबा दिया और बोली "ये बता.. यहाँ कौन सा स्पेशल प्रोग्राम होने वाला है आज रात को?"
सुनते ही हेमंत के पसीने छूट गए "प्लीज.. मैं उसके बारे में आपको कुछ नहीं बता सकता" शीला समझ गई की तीर निशाने पर लग चुका था.. अब बस, उस लड़के के ईमान को पिघलाने के लिए थोड़ी और आग लगाने की जरूरत थी
हेमंत को बाहों में जकड़कर उसके होंठों पर बड़ा ही रसीला चुंबन कर दिया शीला ने.. काफी देर तक उसके होंठों को चूसते रहने के बाद.. उसे महसूस हुआ की उस लड़के की झिझक कम हो रही थी और वो अपने आप को शीला के हवाले करता जा रहा था.. काफी देर तक चूमने चाटने के बाद शीला ने उसे अपने मोह-पाश से मुक्त किया..
शीला: "कितना हेंडसम है रे तू.. !! तुझे देखकर ही मेरी चूत पनियाने लगी है.. मैं तो तुझ से ही चुदवाऊँगी आज रात.. दिल आ गया है तुझ पर.. "
रेणुका: "तो फिर मैं क्या करूंगी? बैठे बैठे झुनझुना हिलाऊँ?"
शीला: "तू हम दोनों की चुदाई देखते हुए उंगली कर लेना.. मैं तो अपने इस बेटे को चुदाई के नए नए पाठ सिखाऊँगी आज"
हेमंत का लंड पेंट से बाहर निकाल चुकी थी शीला.. २३ साल के लड़के के जवान फुदकते लंड को देखकर शीला और रेणुका दोनों खुश हो गई.. कच्ची ककड़ी जैसा सख्त लंड देखकर.. दोनों चुदक्कड़ महिलाओं को मन में सांप लोटने लगे..
शीला की कोमल अनुभवी हथेली ने एक ही बार में उस लंड का सारा ब्योरा ले लिया.. और धीमे से फुसफुसाई "मज़ा आएगा इसके साथ"
हेमंत: "मैडम, इफ यु डॉन्ट माइंड.. एक साथ दो दो औरतों के साथ सेक्स करने का मेरा भी बहोत मन है.. हम तीनों आज रात मेरे कमरे में एक ही बेड पर इन्जॉय करेंगे.. मैं आप दोनों को संतुष्ट करने का वादा करता हूँ.. मैं आपको सब को-ऑपरेशन दूंगा.. मेरा लंड एक रात में चार-पाँच बार खड़ा हो सकता है"
शीला अब भी तसल्ली करना चाहती थी की हेमंत पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ जाएँ.. अपने ब्लाउस के हुक खोलकर.. खरबूजों जैसे स्तनों को बाहर निकालकर.. हेमंत के चेहरे को उनके बीच दबाते हुए शीला ने कहा " ले, पहले अपनी माँ का दूध पी ले मेरे बेटे.. माँ को चोदने की ताकत आ जाएगी..!!" कहते हुए शीला ने रेणुका को इशारा किया..
इशारा समझते ही रेणुका घुटनों के बल बैठ गई.. और हेमंत का लंड मुठ्ठी से पकड़कर चूसना शुरू कर दिया.. २३ साल का लड़का.. अपने से दोगुनी उम्र की औरतों के बीच सेंडविच बन चुका था..
रेणुका का गरम मुंह.. हेमंत के लंड को जैसे झुलसा रहा था.. और शीला के स्तनों की गर्माहट.. उसे अजीब सा सुकून दे रही थी.. किसी अलौकिक दुनिया की सफर पर निकल पड़ा वो.. शीला के मदमस्त उरोजों को बारी बारी पकड़कर दबाते हुए.. उसकी एक एक इंच लंबी निप्पल को बड़े ही चाव से चूस रहा था हेमंत..
तीन-चार मिनट तक ये दौर चला.. और हेमंत के लंड ने रेणुका के मुंह में गरम वीर्य का फव्वारा छोड़ दिया.. अब वो रेणुका की चुसाई का कमाल हो.. या शीला के बबलों का.. सिर्फ चार मिनट के अंदर.. हेमंत का हाल.. नर्वस नाइन्टी की बलि चढ़े हुए बेटसमेन जैसा हो गया..
वो समझ गया की जोश में आकर.. उसने इन दोनों चुदासी राँडों को तृप्त करने का वादा तो कर दिया.. पर उसकी तो पाँच मिनट के अंदर ही हवा निकाल दी इन दोनो ने.. !! पता नहीं.. इनके साथ एक रात बिताने के बाद.. कहीं सुबह तक उसके प्राण ही न निकल जाए.. !!
शीला ने जैसे उसके मन के विचारों को पढ़ लिया था.. वो बोली "रेणुका.. यार पागलों की तरह चूसने लगी तू तो.. एकदम से टूट पड़ी.. झड़ गया बेचारा.. डॉन्ट वरी हेमंत.. चल बिस्तर पर चल.. तुझे फिर से तैयार करती हूँ"
हेमंत की फट के फ्लावर हो गई "नहीं नहीं मैडम.. मैं इस कमरे में बेड पर नहीं आऊँगा"
शीला और रेणुका ने चोंककर कहा "क्यों?"
हेमंत खामोश ही रहा.. और आँखें झुकाए खड़ा रहा
शीला की धीरज जवाब दे गई.. "अब बोलेगा भी या तेरी गांड में डंडा डालकर बुलवाऊँ..भेनचोद..!!"
हेमंत: "क्या बताऊँ मैडम.. ये हमारी होटल का टॉप सीक्रेट है.. प्लीज किसी को मत बताइएगा.. वहाँ जो टीवी के बगल में फूलदान है ना.. उसके अंदर एक केमेरा फिट किया हुआ है.. जिससे पूरे बेड का विडिओ सीसीटीवी केमेरा पर नजर आता है.. मालिक हमारे शौकीन है.. सुना ही की वो उन वीडियोज़ को बेचते भी है.. जो भी हो.. मैं तो रात को ये सब देखकर अपनी आँखें सेंक लेता हूँ.. "
रेणुका: "बाप रे.. !! पर ऐसे किसी की प्राइवेट मोमेंट्स का विडिओ बनाना तो गैर-कानूनी है.. !!"
शीला: "रेणुका यहाँ आने वाले लोग भी कौन से शरीफ होते है?? सब यहाँ ऐयाशी करने ही आते होंगे.. फिर ये लोग भी थोड़ा बहोत इन्जॉय कर लेते है.. मेरे हिसाब से तो इसमे कोई बुराई नहीं है" जानते हुए की ये गलत था.. शीला ने हेमंत की तरफदारी की.. क्योंकि उससे अभी और राज भी तो उगलवाने थे..
शीला: "अच्छा हेमू.. सब के वीडियोज़ देखकर, तुझे तो बड़ा मज़ा आता होगा.. हैं ना.. !! हर रोज नए नए माल देखने को मिलते होंगे.. नई नई लड़कियां.. नए नए बबले.. नई नई चूतें.. !!"
रेणुका के मुंह में वीर्यधार करके हेमंत काफी हल्का महसूस कर रहा था.. शीला की बेवाक बातों से वो खुल भी गया था
हेमंत: "अरे आप मानोगे नहीं.. लोग अपनी बेटी से भी कम उम्र की लड़कियों को लेकर यहाँ आते है.. कुछ तो ऐसे बूढ़े होते है.. जो लड़की ले आते है पर फिर कुछ कर ही नहीं पाते.. और फोकट में पैसे बर्बाद करते है.. लड़कियां बेचारी.. उनकी नज़रों के सामने मूठ मारकर अपने आप को ठंडा कर सो जाती है.. मुझे तो देखकर ही गुस्सा आता है.. जब लोड़े में ताकत न हो तो बेकार में क्यों जवान लड़कियों को लेकर आते होंगे?? हम यहाँ चूत की एक झलक को भी तरस जाते है.. !!"
रेणुका: "क्यों?? तुम्हें तो कोई न कोई मिल ही जाती होगी.. तुम्हारे पास तो पूरा कॉन्टेक्ट लिस्ट ही होगा ना इन बाजारू लड़कियों का.. !!"
हेमंत : "होता तो है.. पर मैं उन लड़कियों को मुंह नहीं लगाता.. फिर वो सब गले पड़ जाती है और ब्लैकमेल करती है.. कोई लड़की पट जाएँ और प्यार से दे दें.. तो बात अलग है.. मगर ऐसी रोमियोगिरी करने का टाइम ही नहीं मिलता इस नौकरी के चक्कर मे.. अब देखते है.. एक बूढ़ा है जो हरबार एक जवान लड़की को लेकर आता है.. वो लड़की मुझे लाइक करती है.. पर वो बूढ़ा उसे छोड़ ही नहीं रहा.. देखते है आगे क्या होता है"
शीला: "तुम्हें चुपके से अपना नंबर दे देना चाहिए उसे.. है कौन वो लड़की? वो बूढ़ा उसे लेकर आता है तो चोदता भी होगा.. और उसकी चुदाई तुमने देखी भी होगी"
हेमंत: "स्क्रीन पर चुदाई देख देखकर थक गया हूँ मैडम.. कई बार तो चुदाई चल रही होती है पर देखने का मन नहीं करता.. पर हाँ.. उस लड़की को मैं अक्सर देखता हूँ.. वो मुझे अच्छी लगती है इसलिए.. बाकी तो कुछ खास या अलग होता है तभी मैं देखता हूँ.. कई बार तो जब एक से ज्यादा जोड़ें यहाँ आते है तो उनकी बातों से पता चल जाता है की वो लोग पार्टनर चेंज करेंगे.. वो सब देखने मे मज़ा आता है.. कुछ लड़कियां तो अपने पति से एक साथ दो दो लंड से करवाने की डिमांड करती है"
शीला: "क्या सच मे??
हेमंत: "जी हाँ मैडम.. कोई बड़ा ग्रुप आया तो समझ लो की मजे ही मजे.. क्या क्या नहीं करते वो लोग.. !! आप सोच भी नहीं सकती"
शीला: "हेमू डार्लिंग.. मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए.. बदले मे.. मैं तुम्हारी लाइफ बना दूँगी.. तुमने सोचा भी नहीं होगा इतना मज़ा दूँगी तुझे.. बस तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा" शीला ने शतरंज पर चाल चलनी शुरू कर दी
रेणुका भी हेमंत के मुरझाए लंड को सहलाते हुए शीला की बात को बड़े गौर से सुन रही थी... वो सोच रही थी की शीला इस लड़के का उपयोग कर पार्टी में घुसेगी कैसे? उस रोमा ने तो कहा था की लास्ट मोमेंट पर किसी को एंट्री नहीं दी जाती.. पर उसे यकीन था शीला की काबिलियत पर.. वो कोई न कोई तरीका ढूंढ ही निकालेगी.. अब वो देखना चाहती थी की शीला कौन सी तरकीब लगाती है.. !!
शीला: "हम आज रात की स्पेशल पार्टी का लाइव विडिओ देखना चाहते है.. क्या तुम हमें दिखा सकते हो??"
हेमू घबरा गया "क.. क.. कौन सी पार्टी? मुझे किसी स्पेशल पार्टी के बारे में नहीं पता.. " वो थरथर कांपने लगा.. वो वहाँ से भाग जाना चाहता था.. पर रेणुका ने उसका लंड कसकर पकड़ रखा था..
लंड को खींचकर अपनी बाहों मे जकड़ते हुए रेणुका ने हँसते हुए कहा "कहाँ भाग रहे हो बेटा.. अभी तो तुम्हारे इस लोडे के साथ पूरी रात पार्टी करने है हमें..!!" लंड पकड़कर रेणुका ने ऐसे खींचा की हेमंत की चीख निकल गई..
शीला: "देखो हेमू.. हम पहले भी यहाँ आ चुके है.. और ऐसी पार्टी मे शामिल हो चुके है.. इस बार हमें कोई मर्द पार्टनर नहीं मिला और रेजिस्ट्रैशन मे देरी हो गई इसलिए अलग से आना पड़ा.. तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है.. हम तो सिर्फ पार्टी मे शामिल होने के लिए तुम्हारी हेल्प मांग रहें है.. अगर तुम हमारी हेल्प करोगे तो हम तुम्हें पैसे भी देंगे"
हेमू की जान मे जान आई.. अभी भी वो ठीक से बोल नहीं पा रहा था.. शीला ने उसके लंड पर किस करके उसके बचे-कूचे डर को भगा दिया.. अब हेमंत थोड़ा सा शांत हुआ.. बल्कि उसकी आँखों में एक विचित्र सी चमक भी आ गई.. शीला की निप्पल को प्यार से खींचते हुए वो बोला
हेमंत: "मैडम, आपके बॉल बड़े ही जबरदस्त है.. इतने बड़े तो मैंने आज तक नहीं देखे.. बार बार दबाने का जी चाहता है.. आप को पार्टी जॉइन करनी हो तो मैं करवा सकता हूँ.. मैं आपका पार्टनर बनकर साथ घुस जाऊंगा.. पर यह मैडम का क्या करें?? एक पार्टनर आप को मेनेज करना पड़ेगा.. नहीं तो फिर इस मैडम को यहाँ कमरे मे ही बैठना पड़ेगा.. दूसरी बात यह की.. उस पार्टी मे कोई किसी को भी चोदने के लिए पसंद कर सकता है.. अब मैं तो आपको ही चोदना चाहता हूँ.. अगर किसी और ने पसंद कर लिया तो.. ?? हर कोई आपके पीछे पड़ जाएगा.. आप हो ही ऐसी.. रात भर लोग आपके पीछे पड़ जाएंगे.."
शीला: "ऐसा नहीं होगा.. उससे पहले हम ही एक दूसरे को सिलेक्ट कर लेंगे.. फिर क्या दिक्कत?"
हेमंत: "नहीं.. ऐसा नहीं होता.. रूल्स तो आपको पता ही होंगे ना.. !! की एक बार पार्टी शुरू होते ही सब लोग चेहरे पर मास्क लगा लेते है.. फिर टेबल पर चाबी रख दी जाती है.. फिर हर लड़की/महिला को चाबी उठाने को कहा जाता है.. जिस चाबी को आप उठायेंगे.. उस चाबी की गाड़ी का मालिक आप को ले जाएगा.. और पूरी रात बिताएगा.. !!"
रेणुका हेमंत की बात सुनकर रोमांचित हो गई.. शीला का पूरा बदन सिहरने लगा.. आत्मविश्वास से झूठ बोलते हुए शीला ने इतनी बात तो उगलवा ली.. और बात निकालने के लिए उसने एक और झूठ बोल दिया
"वो तो हम जानते है हेमू.. मगर लास्ट टाइम की पार्टी में नियम अलग थे.. उस वक्त हम जिस मर्द को पसंद करें उसके बगल मे जाकर खड़े हो जाते थे.. और अगर किसी एक मर्द के पास एक से ज्यादा लड़की खड़ी हो जाएँ तो फिर चाबी वाला सिस्टम होता था.. !!"
हेमंत: "अच्छा.. हम तो सीसीटीवी पर देखते है इसलिए शायद पता नहीं चला.. !!"
शीला: "कुछ भी कर हेमू.. एक और पार्टनर का बंदोबस्त कर दे.. कैसे भी"
हेमंत को एक और फायदा था.. रजिस्ट्रेशन के लिए अगर वो एक कपल लाता तो उसे कमीशन के तौर पर ४ हजार मिलते थे.. पर ऐसे मामलों मे खतरा ज्यादा रहता है इसलिए वो अधिक दिलचस्पी नहीं लेता था.. पर शीला के कातिल बदन ने हेमंत को मजबूर कर दिया था.. एक और पार्टनर मिल जाता तो शीला के संग मजे करने मिलता और साथ में तगड़ा कमीशन भी मिलता..
हेमंत: "मैडम, अगर आप आज रात को मुझे नहीं मिल पाई तो प्रोमिस कीजिए की एक बार मेरे साथ सेक्स जरूर करेगी.. तभी मैं आप के लिए पार्टनर का बंदोबस्त करने की कोशिश करूंगा"
शीला: "अरे मेरी जान.. अभी कर लेते है.. बाद में न जाने मौका मिले ना मिले.. !! आजा चल.. हमारी पार्टी अभी से शुरू.. !! तू हमारे लिए बस एक पार्टनर मेनेज कर, मैं अभी तुझे अपने हुस्न के जलवे दिखाती हूँ.. तू भी क्या याद करेगा.. !! कभी देखा न होगा ऐसा हुस्न.. !! ले देख.. हेमू बेटा.. " कहते हुए शीला ने बड़ी ही स्टाइल से अपनी साड़ी उतारी और उछालकर केमेरा लगे फूलदान पर डाल दी.. अब केमेरे से कुछ दिखने वाला नहीं था.. निश्चिंत होकर शीला हेमंत को बेड पर खींचकर ले गई.. और उसके सारे कपड़े उतार दीये.. हेमंत शीला के मस्त बदन से खेल रहा था तब शीला ने अपनी ब्रा और पेन्टी भी उतार दी.. हेमंत का लंड शीला को सलामी दे रहा था..
उस दौरान हेमंत ने अपने फोन से किसी को मिसकॉल किया.. सामने से तुरंत कॉल आया.. हेमंत ने एकदम संक्षिप्त में बात की "आप आ जाइए.. मेनेज हो जाएगा.. जोरदार है सर.. !!" बस इतना कहकर उसने फोन काट दिया..
शीला ने हेमंत को धक्का देकर बेड पर लेटा दिया.. और उसके ऊपर चढ़ बैठी.. उसके लंड पर अपनी गांड रगड़ते हुए शीला ने अपने दोनों भव्य स्तनों के तले उसे दबा दिया.. शीला के भारी भरकम बबलों के नीचे दबकर हेमंत का दम घुटने लगा.. वो तड़पते हुए शीला की नंगी मांसल पीठ पर हाथ फेर रहा था.. शीला अपनी चूचियाँ उसके चेहरे पर रगड़ते हुए.. अपनी चूत से उसके लंड पर हौले हौले मसाज कर रही थी..
"हेमू बेटा... क्या हुआ फिर.. !! मेनेज हो जाएगा ना.. !!" चुदाई के बीच ही शीला ने वसूली चालू कर दी
"चिंता मत कीजिए मैडम.. मैंने एक बार बोल दिया की हो जाएगा.. मतलब हो जाएगा.. आज रात आप मेरे साथ पार्टी जॉइन करोगी.. ये मेरा वादा है.. फोन तो किया है मैडम.. उसने हाँ भी बोला है.. बहुत शौकीन है.. आप को उछाल उछालकर चोदेगा"
रेणुका: "फिर तो उसे मैं ही अपना पार्टनर बनाऊँगी"
हेमंत: "कोई बात नहीं मैडम.. आप उन साहब की बाहों में मजे लूटना.. मैं इस मैडम के साथ इन्जॉय करूंगा.. और आप मेरी कार की चाबी का कीचैन देखकर याद कर लीजिए.. आप इसे ही पसंद करना.. मैं आज रात, आप को मेरी ताकत दिखाना चाहता हूँ"
शीला के चरबीदार जिस्म तले दबे हुए हेमंत ने.. बिस्तर पर पड़ी अपनी पतलून के जेब से गाड़ी की चाबी निकालकर शीला को दिखाई.. चांदी के घोड़े वाला सुंदर कीचैन था.. अब शीला को उसे ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं होगी.. सिर्फ घोड़े को याद रखना था.. फिर वो आसानी से लोड़े तक पहुँच जाएगी.. !!
शीला ने अपने चूतड़ उठायें.. और उल्टा घूम गई.. हेमंत के होंठों पर अपना भोसड़ा रखकर झुकते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया.. साथ ही दोनों अंडकोशों को अपनी हथेली से सहलाते हुए दबाने लगी.. शीला की जीभ हेमंत के आँड़ों पर ऐसे घूमने लगी.. हेमंत को लगा की उसके प्राण ही निकल जाएंगे.. शीला का ये पसंदीदा काम-आसन था.. शीला का बिना बालों वाला सफाचट भोसड़ा देखकर हेमंत का मुंह खुला का खुला रह गया..
"चौड़ी करके अंदर जीभ डाल हेमू.. ये सिर्फ देखते रहने से ठंडी नहीं होगी.. " शीला अब अपने असली रंग में आने लगी थी.. उसके मदमस्त स्तन कठोर हो गए थे और वह आक्रामक होकर हेमंत के लंड पर प्रहार कर रही थी
हेमंत ने शीला के आदेश का पालन किया और उसके मस्त रसदार भोसड़े को उंगलियों से चौड़ा कर.. गहराई तक अपनी जीभ घुसेड़ दी..
"आह्ह हेमू.. यार.. बिल्कुल सटीक निशाने पर जाकर लगी है तेरी जीभ.. ओह यस.. अब चाटना शुरू कर दे.. ऊपर से लेकर नीचे तक.. पूरी दरार को चाट.. !!" शीला के मुख से आनंद की किलकारीयां निकलने लगी.. हेमंत का आखिर जवान खून था.. भर भरकर ऊर्जा थी.. उत्तेजना उछल रही थी.. शीला के मुंह में उसका लंड इतना कठोर हो गया की शीला को भी ताज्जुब होने लगा.. कोई लंड इतना सख्त कैसे हो सकता है?? कहीं इसके लंड की नसें फट न जाएँ.. !!
हेमंत शीला की चूत को रिझाने के यथाशक्ति प्रयत्न कर रहा था.. पर शीला की चुसाई इतनी खतरनाक थी की वो बेचारा बार बार झड़ने की कगार पर आ जाता.. रेणुका बगल में खड़े खड़े शीला और हेमंत के जिस्मों का घमासान देखते हुए एक हाथ से अपना स्तन मसल रही थी और दूसरे हाथ से अपना दाना रगड़ रही थी..
२३ साल के हेमंत के ऊपर.. ५५ साल की शीला की विराट काया तांडव कर रही थी.. !! और उस महाकाय जिस्म की छत्रछाया तले हेमंत अभिभूत होकर अपनी हवस शांत कर रहा था.. इतना वज़न अपने ऊपर होने के बावजूद वो उत्तेजित होकर नीचे से अपने शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था.. और शीला भी ऐसे ऊपर नीचे हो रही थी जैसे ऊंट-सवारी कर रही हो.. !!
बिना थके हेमंत शीला की भोस को बड़ी ही उत्तेजना पूर्वक चाट रहा था.. खेत में रोहित के लंड से संतोष पूर्वक झड़ नहीं पाई थी शीला, हेमंत के लंड से अपनी मंजिल को हासिल करने का भरसक प्रयत्न कर रही थी..
शीला अब हेमंत के ऊपर से उतर गई.. और अपनी मांसल जांघों को फैलाते हुए बिस्तर पर लेट गई.. फिर हेमंत को अपने ऊपर खींच लिया.. शीला के स्तनों को दोनों हाथों से दबाने के बाद, हेमंत ने अपने सुपाड़े को शीला के लसलसित भोसड़े के मुख पर रखकर एक जानदार धक्का लगाया.. शीला ने सिसककर उसका स्वीकार किया.. अद्भुत सख्ती थी उस जवान लंड की.. !! एक अरसा हो गया था जवान लंड को अंदर लिए हुए.. शीला को ऐसा अनुभव हो रहा था जैसे लोहे का गरम सरिया अंदर घुस गया हो.. !! अपने भूखे भोसड़े को संतुष्ट करने के लिए शीला को ऐसे ही लंड की जरूरत थी..
हेमंत का लंड.. इंजन के पिस्टन की तरह.. शीला के छेद के अंदर बाहर होने लगा.. हर धक्के के साथ शीला के स्तन आगे पीछे हो रहे थे.. हेमंत अपने जीवन के सब से यादगार अनुभव से गुजर रहा था.. फुल स्पीड में धक्के लगा रहे हेमंत के बगल में खड़ी रेणुका अपनी निप्पलों को खींचते हुए करीब आई.. और हेमंत के होंठों पर अपने होंठ रख दीये.. शीला की जवानी के साथ रेणुका के जोबन का मिश्रण होते ही हेमंत को धरती पर ही स्वर्ग नजर आने लगा.. अपनी सारी ताकत लगाकर हेमंत शीला को धनाधन चोद रहा था..
देखते ही देखते शीला का पूरा चेहरा सुर्ख लाल हो गया.. "आह्ह हेमू.. मज़ा आ रहा है यार.. और जोर से चोद.. चीर दे मेरी चूत.. कितना दम है रे.. !! जड़ तक हिला कर रख दिया.. मार जोर से.. रुकना मत, मेरे राजा.. !!"
शीला की बातें सुनकर रेणुका अपने आप पर काबू न रख पाई.. और आँखें बंद कर अपनी तीन उँगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगी..
शीला की परीक्षा में हेमंत फैल होना नहीं चाहता था.. अपना सारा जोश लगाकर वो शीला को इतना खुश करना चाहता था की वो उसकी गुलाम बन जाएँ.. शीला उसे इतनी पसंद आ गई थी.. !!
आधे घंटे की भीषण चुदाई के बाद शीला की चूत का फव्वारा छूट गया.. और उसी के साथ.. हेमंत के लंड ने भी वीर्य की जोरदार पिचकारी से शीला का गर्भाशय भर दिया.. रेणुका भी उँगलियाँ डालकर झड़ गई.. कामुक कराहों से जो पूरा कमरा गूंज रहा था.. वो अब शांत हो गया था.. !! तीनों अब आराम से बिस्तर पर लेटकर अपनी थकान उतारने लगे.. लेटे लेटे हेमंत, शीला की लंबी निप्पलों से खेल रहा था..
थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..
Superb gazab sexy updateराजेश और मदन की रसप्रद चर्चा पर.. कॉकटेल और बार्बी के आने से कोई ब्रेक नहीं लगी.. उन्हों ने अपनी बात जारी रखी
राजेश: "मेक.. एक काम करते है.. आज रात हम एक कमरे में ही सोते है.. चुदाई भी साथ में करेंगे"
मदन खुश हो गया "क्या सच में? मज़ा आएगा.. इसी बहाने रीहर्सल भी हो जाएगा.."
शीला और रेणुका के साथ साथ बार्बी भी अब मदन और राजेश के लंड के साथ खेलने लगी..
तभी रोमा ने अपनी पुच्ची में उंगली करते हुए एनाउंस किया "जो जिसके साथ सोना चाहता है वो अब उसे लेकर अपने अपने कमरे में जा सकता है.. इन्जॉय एवरीबड़ी"
मदन और राजेश खड़े थे थे.. वहीं कॉकटेल और बार्बी भी साथ थे.. शीला, रेणुका और बार्बी भी लंड छोड़कर खड़ी हो गई.. तीनों एक दूसरे के कमर में हाथ डालकर चलने लगी.. उस दौरान शीला ने बार्बी के कान में कुछ कहा.. और बार्बी ने जवाब में शीला के गालों को चूम लिया.. वो शीला का हाथ छुड़ाकर चली गई.. और हेमंत को बुला लाई.. हेमंत भी किसी दूसरी पार्टनर के साथ मजे कर रहा था.. मदन और राजेश के लंड मुरझाकर झूल रहे थे..
अब फाइनल जोड़ी बनाकर.. सब अपने अपने कमरे की ओर जाने लगे.. देखते ही देखते हॉल खाली होने लगा..
हॉल में अब सिर्फ इतने लोग बचे थे..
बँटी उर्फ हेमंत और बार्बी..
जो कॉकटेल की बीवी थी और उसका पति उसे स्वेच्छाचार के लिए यहाँ लेकर आया था.. दिखने में मस्त थी.. और शौकीन.. अमरूद जैसी चूचियाँ थी.. खींच मसलकर लंबी की हुई क्लिटोरिस थी.. और मस्त गांड.. कुल मिलाकर चोदने के लिए बढ़िया थी
सुनंदा (शीला) और मेक (मदन)
कामिनी (रेणुका) और कॉकटेल (?)
राजेश अकेला बच गया
परेशान होते हुए राजेश ने कहा "अरे यार.. आप लोगों ने तो मुझे ही बाहर निकाल दिया??" शीला और रेणुका भी अचंभित हो गई.. यहाँ पर सिर्फ कपल को एंट्री थी.. और सब जोड़ियों में बाहर गए थे.. फिर एक चूत कम कैसे पड़ गई?? कहीं कोई ताकतवर लंड दो चूतों को तो साथ नहीं ले गया?? नहीं ऐसा नहीं हो सकता था..
राजेश शर्म से पानी पानी हो रहा था.. क्या करता?? अब पूरी रात खुद ही हिलाना पड़ेगा क्या? इतनी दूर आकर क्या फायदा जब मूठ ही मारना हो..!! निराश हो गया राजेश.. उसका चेहरा देखकर रेणुका को उस पर तरस आ गया.. मेरा पति मूठ मारे और मैं दूसरे कमरे में चुदवाऊँ.. !! ऐसा नहीं हो सकता.. पर करे तो करे क्या.. !! पूरा प्रोग्राम राजेश ने ही बनाया था और अब वही लटक गया.. !! उसका हाल ऐसा हो गया की बाराती सारे बस में बैठ गए और अब दूल्हे के बैठने के लिए ही जगह नहीं बची..
शीला ने सोचा की हेमंत को जरूर पता होगा की कहाँ गड़बड़ हुई है.. उसने तुरंत हेमंत के कान में कहा "भेनचोद.. इसके लिए चूत का बंदोबस्त कर.. नहीं तो ये किसी को चोदने नहीं देगा.. " इतना कहकर शीला वापिस मदन के बगल में आकर खड़ी हो गई.. सब जा चुके थे.. राजेश की वजह से यह छह लोग अटक पड़े थे..
मदन: "तू चिंता मत कर रॉकी.. मेरे साथ चल यार.. इस रांड को तो एक साथ पचास मर्द भी कम पड़ेंगे.. क्यों बेबी..!! ये साथ आए तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ना.. !! हम दोनों सेंडविच स्टाइल में तुझे बीच में दबाकर चोदेंगे.. !! पीछे कभी लिया है पहले?"
शीला ने गर्दन हिलाते हुए "हाँ" का इशारा किया.. एक साथ दो मर्दों से.. और वो भी एक उसका पति और दूसरा राजेश.. इस कल्पना मात्र से ही शीला रोमांचित हो गई.. उसे डर सिर्फ एक ही बात का था.. दोनों से चुदवाते वक्त कहीं उसकी असलियत बाहर न आ जाएँ.. पर अब तो उसने हाँ बोल दिया था.. शीला को सकपकाया देख रेणुका बड़ी खुश हुई.. की चलो आज शीला को राजेश का लंड चखने का अवसर मिल ही जाएगा..
लेकिन किसी की खुश ज्यादा देर तक नहीं टिकी.. थोड़ी सी मोटी.. और ४५ के करीब उम्र वाली औरत उनके पास चलते हुए आई.. और बोली
"हाई.. मेरा नाम स्टेफी है.. माफ कीजिएगा.. कन्फ्यूजन की वजह से मैं बाहर निकल गई थी.. फिर पता चला की साथी चुनना तो बाकी था.. चलिए.. कौन आएगा मेरे साथ?"
चरबीदार जिस्म.. और मध्यम कद के स्तनों वाली वह स्त्री ब्रा और पेन्टी पहने हुए थे.. पारदर्शक ब्रा से उसकी बादामी रंग की निप्पलें साफ नजर आ रही थी..
देखकर उसे समझ आया की केवल राजेश ही था जो अकेला था
उसने राजेश से कहा "अब तो आप अकेले नहीं है.. हमारी जोड़ी बन गई है.. आप किस्मत वाले हो.. जो मैं आपको मिली.. मैंने अब तक अपने पति के अलावा किसी को भी अपने शरीर पर हाथ लगाने नहीं दिया है" राजेश को स्टेफी की जिस्म में वैशाली की झलक नजर आई.. और उसने तुरंत उसके आमंत्रण का स्वीकार कर लिया.. और स्टेफी की कमर में हाथ डाल दिया..
अब प्रॉब्लेम सुलझ चुका था.. सब की जोड़ियाँ बन गई थी.. सारे जोड़ें एक दूसरे के साथ छेड़खानियाँ करते हुए हॉल से बाहर निकलकर लॉबी में आ गए.. बेहद उत्तेजक माहोल था..
मदन: "एक घंटे बाद मेरे कमरे में मिलते है"
राजेश स्टेफी को लेकर मदन के साथ वाले कमरे में घुस गया.. और उसकी तरह बाकी जोड़ें भी अपने अपने कमरे में चले गए
शीला और मदन कमरे के अंदर भी मास्क पहने हुए थे.. और चोदने के लिए उतावले हो रहे थे.. कैसी स्थिति थी.. !!! घर की खिचड़ी से परेशान होकर महंगे रेस्टोरेंट में जाएँ.. और वहाँ कोई अटपटे नाम वाली आइटेम ऑर्डर करने के बाद जब वो आए और पता चले की यह भी खिचड़ी ही है..!! तो क्या हाल होगा.. !! बिल्कुल वही हाल मदन का था पर उसे अभी पता नहीं था.. यहाँ पर भी.. आइटम घर वाली ही थी.. सिर्फ नाम अलग था.. फव्वारे का पानी कितना भी उछल ले.. आखिर गिरता वहीं है जहां से वो निकला था.. राजेश के साथ बेंगलोर जाने का झूठ बोलकर वो इस क्लब में नई चूत चोदने आया था.. काफी पैसे खर्च कर भाड़े की रांड भी साथी बनाकर लाया था.. और आखिर उसके हाथ उसकी पत्नी ही लगी.. !!
सच में.. पति और पत्नी का रिश्ता जनम जनम का होता है.. पत्नी को घर छोड़कर रांड को चोदने गए पति को ये पता नहीं होता की वह सिर्फ अपनी पत्नी के शरीर को ही छोड़कर आया है.. उसके दिल-ओ-दिमाग पर तब भी वही छाई हुई रहती है.. रांड की चूत में धक्के लगाते हुए भी बार बार उसी का खयाल दिमाग में आता है.. प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से.. पत्नी कभी पति का साथ छोड़ती ही नहीं है.. उसी रांड को चोदने के बाद जब पानी निकल जाए तब पति सोचता है, यार बेकार में पाँच हजार ले गई.. !! इसे अच्छा तो घर पर ही पत्नी को चोद लेता.. दो हजार की साड़ी लेकर गया होता तो कितना खुश हो जाती?? यह विचार यही दर्शाते है की पत्नियों का कितना प्रभाव होता है अपने पतियों के दिमाग पर.. और बाहर कितना भी मुंह मार लो.. लौटकर आखिर घर पर ही आना पड़ता है.. कितनी भी आकर्षक वेश्या क्यों न हो.. एक बार पानी निकल जाने के बाद पत्नी की ही याद आती है.. इसे चाहें विचारों का ऑर्गेज़्म ही कह लो.. !!
शीला मन ही मन मुस्कुरा रही थी.. वो सोच रही थी की अभी अगर मैं मास्क उतार दूँ.. तो मदन का चेहरा कैसा हो जाएगा?? पर वो ऐसा करना नहीं चाहती थी.. अभी तो मजे लूटने बाकी थे..
नाइटलैम्प की बारीक रोशनी में वो मदन को सहलाती रही.. और मदन के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर मजबूती से हिलाते रही.. अपने उन्नत स्तनों से उसने मदन का इतना बढ़िया ब्रेस्ट-मसाज किया की मदन के मुंह से निकल गया "तुम बिल्कुल मेरी पत्नी की तरह ही सब हरकतें कर रही हो"
शीला के दिमाग में.. चाबुक जैसे कई सवाल थे.. पर अभी पूछना मुमकिन नहीं था.. इसलिए.. अपने मुंह को बंद रखने के लिए.. मदन का लंड मुंह में ले लिया..
मदन के कूल्हें और जांघों पर शीला काटने लगी.. और उसके आँड़ों को मुठ्ठी में पकड़कर दबाने लगी.. मदन भी शीला की भोस में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा.. शीला को एक उंगली से फिंगर-फकिंग बिल्कुल पसंद नहीं था.. उसके जननांग की गहराई-चौड़ाई को देखते हुए.. उसे कम से कम तीन उँगलियाँ चाहिए थी.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली.. उल्टा वो अपनी सांसें तेज करते हुए ऐसा जताने लगी जैसे उसे बहोत मज़ा आ रहा हो..
मदन अब उत्तेजित होकर शीला के बदन पर टूट पड़ा.. और दोनों अतिशय कामुक होकर आदर्श संभोग में रत हो गए..
उसी दौरान दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. बिना किसी संकोच के मदन नग्नावस्था में ही खड़ा हुआ.. और अपना खड़ा लंड झुलाते हुए दरवाजा खोल दिया.. कॉकटेल और कामिनी (रेणुका) सामने खड़े थे.. और उनके पीछे बँटी(हेमंत) और बार्बी (कॉकटेल की पत्नी) तथा रॉकी (राजेश) और स्टेफी भी खड़े हुए थे.. वह तीनों जोड़ें.. संभोग का एक एक राउन्ड खतम कर.. मदन और शीला के साथ ग्रुप सेक्स के मजे लेने आए थे
मदन ने सब का स्वागत किया.. और सारे लोग अंदर आ गए.. कॉकटेल बेड के साथ लगे सोफ़े पर बैठा.. और नग्न रेणुका उसकी गोद में ही लेट गई.. और उसके मोटे लंड को चाटने लगी.. राजेश भी स्टेफी के गद्देनुमा स्तनों का तकिया बनाकर बैठ गया.. स्टेफी के मांसल स्तन और उसकी गुलाबी निप्पल जबरदस्त लग रहे थे.. स्टेफी भी राजेश के बालों में उँगलियाँ फेरते हुए परिस्थिति का जायजा ले रही थी..
राजेश और मदन अगल बगल में बैठे थे.. राजेश ने शीला के बोल पकड़कर दबाते हुए कहा "यार मेक.. इस सुनंदा के बूब्स बिल्कुल शीला भाभी जैसे है.. कब से बार बार उस पर ही नजर चली जाती है मेरी.. दबा तो सुनंदा के रहा हूँ मगर दिल में खयाल शीला भाभी का ही है.. उफ्फ़ ऐसा लगता जैसे मेरी शीला भाभी के ही बबले मसल रहा हूँ.. "
राजेश की बात सुनकर शीला की चूत और राजेश का लंड दोनों जबरदस्त प्रभावित हुए.. शीला के चूत ने अपना पानी बहाना शुरू कर दिया और पूरे कमरे में उसके चूत के शहद की मस्की गंध फैलने लगी.. ये देखते ही मदन ने शीला की चूत चाटना शुरू कर दिया.. हालांकि मदन को सुनंदा की भोस की गंध काफी जानी-पहचानी सी महसूस हुई.. पर हवस का सुरूर कुछ ऐसे छाया हुआ था की दिमाग उस बारे में ज्यादा सोच ही नहीं रहा था..
शीला और मदन की इन हरकतों को देखकर उत्तेजित हेमंत.. बार्बी के बदन पर टूट पड़ा.. तो इस तरफ रेणुका कॉकटेल के साथ मशरूफ़ थी.. उसे यह भी परवाह नहीं थी की राजेश क्या कर रहा था.. राजेश स्टेफी के कामुक जिस्म पर चढ़कर ग़बागब चोदने लगा.. स्टेफी ने अपने जीवन में ऐसा आनंद कभी महसूस नहीं किया था.. आज तक वो यही सोचती रहती थी की आखिर लोग सेक्स के लिए इतने पैसे क्यों खर्च कर रहे होंगे.. !! आज पता चल गया.. !!
इस रोमांचक माहोल में वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी.. ऐसा नहीं था की उसके जिस्म को सिर्फ राजेश ही छु रहा था.. एक कमरे में चार जोड़ें एक साथ जब संभोग में व्यस्त हो.. तब अन्य लोगों का स्पर्श हो जाना सामान्य था.. अन्य साथी भी मौका मिलते ही स्टेफी के गदराए जिस्म का आनंद ले लेते थे.. मदन और हेमंत अब तक कई बार स्टेफी के स्तन युग्म का मर्दन कर चुके थे.. और कॉकटेल ने नजदीक आकर स्टेफी की गुलाबी निप्पल को मुंह में लेकर चूस लिया था..
अब मदन ने शीला को चार पैरों पर कर दिया.. और अपनी पसंदीदा डोंगी स्टाइल में चोदने के लिए तैयार हो गया.. शीला के विशाल कूल्हों के बीच सेट होकर.. उसने अपने लंड को लार से गीला किया.. फिर अपने सुपाड़े को शीला के भोसड़े के प्रवेशद्वार पर रख दिया.. एक जोरदार धक्का लगाते हुए उसने अपना पूरा लंड अंदर धकेल दिया तब शीला की करारी आह्ह निकल गई.. धनाधन धक्के लगाने लगा मदन.. !! मदन के हर धक्के के साथ शीला के नारियल जैसे स्तन हवा में झूलने लगे..
जैसे जैसे मदन शॉट लगाता जा रहा था.. वैसे वैसे उसका शक बढ़ रहा था की सुनंदा ही शीला थी.. पर उसका दिमाग यह मानने को तैयार ही नहीं था.. ऐसा कैसे हो सकता है भला.. !! शीला यहाँ कैसे आ सकती थी.. !! इसी सोच के वजह से मदन के दिमाग का शक आगे बढ़ नहीं पा रहा था.. ताज्जुब केवल इस बात का था की शीला और सुनंदा में इतनी समानता कैसे हो सकती है?? इस आसन में वो अनगिनत बार शीला को चोद चुका था.. और सुनंदा को उसी स्टाइल में चोदते वक्त.. अविरत ये महसूस हो रहा था की वह शीला ही थी.. !! दिमाग घूम रहा था मदन का.. !!
कॉकटेल के लंड से अपनी अंगूर जैसी क्लिटोरिस को रगड़ते हुए रेणुका.. मदन के लोड़े को शीला के भोसड़े में अंदर बाहर होते हुए देख रही थी.. थप-थप की आवाज़ें गूंज रही थी.. जब मदन का पूरा लंड शीला की भोस में समा जाता.. तब शीला और मदन की जांघें एक दूसरे से टकरा रही थी.. शीला को देखकर.. रेणुका भी डोंगी स्टाइल में तैयार हो गई.. और पलट कर पीछे खड़े कॉकटेल को.. खुद पर आरूढ़ होने का आमंत्रण देने लगी..
शीला और रेणुका के स्तनों को लटकते देख.. हेमंत शीला के नीचे लेट गया.. और उसके मदमस्त स्तनों के तले दबने का अनूठा अनुभव करने लगा.. ये देखकर बार्बी भी रेणुका और शीला के बगल में घोड़ी बनकर रेडी हो गई.. फिर स्टेफी क्यों पीछे रहती.. वह भी आकर इन चारों औरतों को कंपनी देने लगी..
एक ही बिस्तर पर चारों औरतें डोंगी स्टाइल में थी.. शीला और रेणुका के पीछे मदन और कॉकटेल लगे हुए थे.. और बार्बी तथा स्टेफी का गेम बजा रहे थे बँटी(हेमंत) और रॉकी (राजेश)
20 मिनट के भयंकर संभोग के बाद.. सब से पहले बार्बी की चूत में आत्मसमर्पण कर दिया.. वो झड़कर नीचे ढह गई.. पर उसकी चूत में घुसा हुआ हेमंत का लंड अभी भी इस्तीफा देने के मूड में नहीं था.. लेकिन बार्बी अब बेड पर लेट चुकी थी.. और हेमंत का लंड बाहर निकल गया था.. झड़ने के लिए बेकरार हेमंत अपना लंड पकड़कर शीला की अदालत में हाजिर हो गया.. शीला ने बड़े ही प्यार से उसका लंड मुंह में ले लिया और ऐसा चूसा.. जो काम बार्बी की चूत न कर पाई.. वह काम शीला के मुंह ने कर दिखाया.. शीला के मुंह में ही हेमंत के लंड का वीर्य-विसर्जन हो गया.. "आह्ह आह्ह.. " की कराहों के साथ हेमंत थरथराते हुए झड़ रहा था.. आखिर एक दमदार धक्का लगाते हुए हेमंत ने अपना लंड जड़ तक शीला के मुंह में घुसेड़ दिया..
अब शीला ने मदन के लंड को अपनी चूत के होंठों के बीच दबोचे रखा था.. और हेमंत के लंड को आगे के होंठों से मजे दे रही थी.. एक साथ दो दो लंडों का आनंद लूट कर शीला की हवस बेकाबू हो गई.. अपने चूतड़ को उठाते हुए.. वो जितना हो सकें उतना मदन के लंड को गहराई तक अंदर लेने की भरसक कोशिशें कर रही थी..
शीला धीरे धीरे अपने ऑर्गेज़्म की ओर बढ़ रही थी.. अमूमन झड़ने के करीब आते ही.. उसे अनाब-शनाब बकने की आदत थी.. पर आज उसे अपने आप पर काबू रखना पड़ा.. क्यों की अगर वो अपना मुंह गलती से भी खोलती.. तो उसका भांडा फूट जाता.. मदन को झड़ते वक्त.. शीला की अश्लील बातें और गालियां सुनने की आदत थी.. उसके लंड ने पिचकारी तो मारी पर शीला के साथ जो मज़ा आता था वो नहीं आया.. ऑर्गेज़्म अधूरा सा लग रहा था शीला के बगैर.. दूसरी तरफ शीला की हालत भी कुछ खास नहीं थी.. बिना चीखें चिलाएं.. चुदने में उसे कुछ मज़ा नहीं आया था.. वो तो मुक्त गगन में उड़ने वाली पंछी थी.. बंधन में रहना उसे कतई पसंद नहीं था..
बार्बी के बगल में शीला भी पस्त होकर गिर गई.. राजेश का लंड अपनी चूत में लेकर बेहद खुश स्टेफी.. समागम की आखिरी क्षणों में चीखते हुए चुदवा रही थी.. क्योंकि राजेश ने उसकी गांड को टारगेट किया था.. चूत को चोदते वक्त उसने अपना अंगूठा उसकी गांड के छेद में घुसा दिया था और उसे चौड़ा कर रहा था.. पहली बार पराए लंड से चुद रही स्टेफी की गांड में जब राजेश ने उंगली की तब वह उत्तेजना के नए शिखरों पर पहुँच गई.. लेकिन उसके बाद... जिस तरह ये नेता लोग.. शुरू शुरू में काफी विनम्र पेश आते है.. और चुनाव खतम होते ही अपना असली रंग प्रकट करते है.. बिल्कुल वैसे ही.. राजेश ने एक ही धक्के में अपना लंड स्टेफी की गांड में डालकर.. उसकी गांड का हजीरा बना दिया..
बगल में ही कॉकटेल, रेणुका को चोद रहा था.. और राजेश-स्टेफी को देखकर.. उसे भी गांड के टाइट छिद्र का मजे लेने का मन किया.. और थूक लगाकर.. रेणुका की गांड में लंड पेलकर, बेचारी को रुला दिया.. !!
आँख में आँसू आ जाने के बावजूद.. मास्क के कारण अपनी पीड़ा को छुपने में सक्षम रही रेणुका.. !! मुंह से आवाज निकाल नहीं सकती थी वो.. स्टेफी और कामिनी (रेणुका) के दर्द से अनजान.. दोनों पुरुष सांड की तरह उनकी गांड चोद रहे थे.. कहते है ना "दर्द का हद से गुजर जाना.. खुद ही दवा बन जाता है" उसी नाते कुछ देर पश्चात.. दोनों के छेद.. लंड घुसाई से अनुकूल होकर.. मजे लेने लगे.. और दोनों के गांड के छेद में.. आखिर राजेश और कॉकटेल के लंड.. विसर्जित हो गए.. !!
स्खलन के बाद.. लंड गांड के छेद में फंस गए थे.. यह तो अच्छा हुआ की स्खलित होकर दोनों के लंड मुरझा गए थे.. और वीर्य छूटने की वजह से.. छेद गीला हो गया था.. इसलिए उनके लंड आसानी से बाहर निकल आयें.. वरना संभोग-रत कुत्ते और कुत्तिया की तरह दोनों के जननांग चिपक जाते.. लंड तो आसानी से निकल गए.. पर फिर भी.. स्टेफी और रेणुका को गांड की दीवारों पर घर्षण के कारण भयंकर जलन हो रही थी..
एक जबरदस्त चुदाई का राउन्ड सम्पन्न हुआ था.. रात के बारह बज रहे थे.. चारों जोड़ें.. स्खलित होकर ऐसे पस्त पड़े थे.. जैसे प्लेन क्रेश होने के बाद.. जमीन पर लाशें बिखरी पड़ी हो.. !!
लगभग आधे घंटे के विराम के बाद.. कॉकटेल ने सिगरेट सुलगाई.. और फिर बाकी लोगों को भी सिगरेट ओफर की.. सब ने पैकेट से एक एक सिगरेट ली और बिंदास फूंकने लगे.. इन सब में.. केवल राजेश और मदन ही एक दूसरे से बातें कर रहे थे.. शीला और रेणुका के लिए आपस में बात करना.. या फिर बार्बी या स्टेफी से बात करना मुमकिन नहीं था.. क्योंकी उनकी पहचान खुल जाने का पूरा डर था.. और इन सब की मौजूदगी में.. हेमंत ने भी चुप रहना ही ठीक समझा.. क्योंकी वैसे देखने जाए तो.. यह सब इस होटल के कस्टमर थे.. और वो केवल एक मुलाजिम था.. !!
कभी कभी स्टेफी बात कर लेती थी मदन और राजेश से.. पता नहीं क्यों.. पर कॉकटेल भी बिल्कुल खामोश था.. उसका व्यक्तित्व शुरू से ही काफी रहस्यमयी था.. वैसे किसी को उसे जानने में खास दिलचस्पी थी भी नहीं.. केवल रेणुका के सिवा.. वो इस कॉकटेल के बारे में जरूर जानना चाहती थी.. जिसने आज पहली बार उसकी गांड छेद दी थी.. वैसे राजेश ने कई बार उसकी गांड मारने का प्रयास किया था.. पर दर्द के चलते वो दोनों आगे बढ़े नहीं थे.. पर आज उसे ये अनोखे एहसास ने उसकी हिम्मत खोल दी थी.. दर्द बहोत हुआ था पर मज़ा भी आया था.. वैसे देखने जाए तो दर्द और आनंद.. एक ही सिक्के के दो पहलू है.. !!
शीला के लिए गांड मरवाना कोई नई बात नहीं थी.. वो अन्य मर्दों से और मदन से काफी बार मरवा चुकी थी.. वो तो अक्सर मदन से कहती "यार, एक ही छेद पर हमेशा क्यों जुल्म करते रहते हो.. !! सभी छेद को बराबर बराबर इस्तेमाल कर.. तो टाइट भी रहेंगे और ज्यादा मज़ा भी आएगा.. !!" मदन और शीला तो कई बार एनल सेक्स का आनंद लेते थे..
अपनी गांड मरवाने के बाद रेणुका को एहसास हुआ की कॉकटेल का लंड राजेश से मोटा तो था ही.. ऑर्गेज़्म से थक कर सब कमरे में रिलेक्स कर रहे थे.. तभी..
कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!
अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागों... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"
राजेश और मदन की रसप्रद चर्चा पर.. कॉकटेल और बार्बी के आने से कोई ब्रेक नहीं लगी.. उन्हों ने अपनी बात जारी रखी
राजेश: "मेक.. एक काम करते है.. आज रात हम एक कमरे में ही सोते है.. चुदाई भी साथ में करेंगे"
मदन खुश हो गया "क्या सच में? मज़ा आएगा.. इसी बहाने रीहर्सल भी हो जाएगा.."
शीला और रेणुका के साथ साथ बार्बी भी अब मदन और राजेश के लंड के साथ खेलने लगी..
तभी रोमा ने अपनी पुच्ची में उंगली करते हुए एनाउंस किया "जो जिसके साथ सोना चाहता है वो अब उसे लेकर अपने अपने कमरे में जा सकता है.. इन्जॉय एवरीबड़ी"
मदन और राजेश खड़े थे थे.. वहीं कॉकटेल और बार्बी भी साथ थे.. शीला, रेणुका और बार्बी भी लंड छोड़कर खड़ी हो गई.. तीनों एक दूसरे के कमर में हाथ डालकर चलने लगी.. उस दौरान शीला ने बार्बी के कान में कुछ कहा.. और बार्बी ने जवाब में शीला के गालों को चूम लिया.. वो शीला का हाथ छुड़ाकर चली गई.. और हेमंत को बुला लाई.. हेमंत भी किसी दूसरी पार्टनर के साथ मजे कर रहा था.. मदन और राजेश के लंड मुरझाकर झूल रहे थे..
अब फाइनल जोड़ी बनाकर.. सब अपने अपने कमरे की ओर जाने लगे.. देखते ही देखते हॉल खाली होने लगा..
हॉल में अब सिर्फ इतने लोग बचे थे..
बँटी उर्फ हेमंत और बार्बी..
जो कॉकटेल की बीवी थी और उसका पति उसे स्वेच्छाचार के लिए यहाँ लेकर आया था.. दिखने में मस्त थी.. और शौकीन.. अमरूद जैसी चूचियाँ थी.. खींच मसलकर लंबी की हुई क्लिटोरिस थी.. और मस्त गांड.. कुल मिलाकर चोदने के लिए बढ़िया थी
सुनंदा (शीला) और मेक (मदन)
कामिनी (रेणुका) और कॉकटेल (?)
राजेश अकेला बच गया
परेशान होते हुए राजेश ने कहा "अरे यार.. आप लोगों ने तो मुझे ही बाहर निकाल दिया??" शीला और रेणुका भी अचंभित हो गई.. यहाँ पर सिर्फ कपल को एंट्री थी.. और सब जोड़ियों में बाहर गए थे.. फिर एक चूत कम कैसे पड़ गई?? कहीं कोई ताकतवर लंड दो चूतों को तो साथ नहीं ले गया?? नहीं ऐसा नहीं हो सकता था..
राजेश शर्म से पानी पानी हो रहा था.. क्या करता?? अब पूरी रात खुद ही हिलाना पड़ेगा क्या? इतनी दूर आकर क्या फायदा जब मूठ ही मारना हो..!! निराश हो गया राजेश.. उसका चेहरा देखकर रेणुका को उस पर तरस आ गया.. मेरा पति मूठ मारे और मैं दूसरे कमरे में चुदवाऊँ.. !! ऐसा नहीं हो सकता.. पर करे तो करे क्या.. !! पूरा प्रोग्राम राजेश ने ही बनाया था और अब वही लटक गया.. !! उसका हाल ऐसा हो गया की बाराती सारे बस में बैठ गए और अब दूल्हे के बैठने के लिए ही जगह नहीं बची..
शीला ने सोचा की हेमंत को जरूर पता होगा की कहाँ गड़बड़ हुई है.. उसने तुरंत हेमंत के कान में कहा "भेनचोद.. इसके लिए चूत का बंदोबस्त कर.. नहीं तो ये किसी को चोदने नहीं देगा.. " इतना कहकर शीला वापिस मदन के बगल में आकर खड़ी हो गई.. सब जा चुके थे.. राजेश की वजह से यह छह लोग अटक पड़े थे..
मदन: "तू चिंता मत कर रॉकी.. मेरे साथ चल यार.. इस रांड को तो एक साथ पचास मर्द भी कम पड़ेंगे.. क्यों बेबी..!! ये साथ आए तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ना.. !! हम दोनों सेंडविच स्टाइल में तुझे बीच में दबाकर चोदेंगे.. !! पीछे कभी लिया है पहले?"
शीला ने गर्दन हिलाते हुए "हाँ" का इशारा किया.. एक साथ दो मर्दों से.. और वो भी एक उसका पति और दूसरा राजेश.. इस कल्पना मात्र से ही शीला रोमांचित हो गई.. उसे डर सिर्फ एक ही बात का था.. दोनों से चुदवाते वक्त कहीं उसकी असलियत बाहर न आ जाएँ.. पर अब तो उसने हाँ बोल दिया था.. शीला को सकपकाया देख रेणुका बड़ी खुश हुई.. की चलो आज शीला को राजेश का लंड चखने का अवसर मिल ही जाएगा..
लेकिन किसी की खुश ज्यादा देर तक नहीं टिकी.. थोड़ी सी मोटी.. और ४५ के करीब उम्र वाली औरत उनके पास चलते हुए आई.. और बोली
"हाई.. मेरा नाम स्टेफी है.. माफ कीजिएगा.. कन्फ्यूजन की वजह से मैं बाहर निकल गई थी.. फिर पता चला की साथी चुनना तो बाकी था.. चलिए.. कौन आएगा मेरे साथ?"
चरबीदार जिस्म.. और मध्यम कद के स्तनों वाली वह स्त्री ब्रा और पेन्टी पहने हुए थे.. पारदर्शक ब्रा से उसकी बादामी रंग की निप्पलें साफ नजर आ रही थी..
देखकर उसे समझ आया की केवल राजेश ही था जो अकेला था
उसने राजेश से कहा "अब तो आप अकेले नहीं है.. हमारी जोड़ी बन गई है.. आप किस्मत वाले हो.. जो मैं आपको मिली.. मैंने अब तक अपने पति के अलावा किसी को भी अपने शरीर पर हाथ लगाने नहीं दिया है" राजेश को स्टेफी की जिस्म में वैशाली की झलक नजर आई.. और उसने तुरंत उसके आमंत्रण का स्वीकार कर लिया.. और स्टेफी की कमर में हाथ डाल दिया..
अब प्रॉब्लेम सुलझ चुका था.. सब की जोड़ियाँ बन गई थी.. सारे जोड़ें एक दूसरे के साथ छेड़खानियाँ करते हुए हॉल से बाहर निकलकर लॉबी में आ गए.. बेहद उत्तेजक माहोल था..
मदन: "एक घंटे बाद मेरे कमरे में मिलते है"
राजेश स्टेफी को लेकर मदन के साथ वाले कमरे में घुस गया.. और उसकी तरह बाकी जोड़ें भी अपने अपने कमरे में चले गए
शीला और मदन कमरे के अंदर भी मास्क पहने हुए थे.. और चोदने के लिए उतावले हो रहे थे.. कैसी स्थिति थी.. !!! घर की खिचड़ी से परेशान होकर महंगे रेस्टोरेंट में जाएँ.. और वहाँ कोई अटपटे नाम वाली आइटेम ऑर्डर करने के बाद जब वो आए और पता चले की यह भी खिचड़ी ही है..!! तो क्या हाल होगा.. !! बिल्कुल वही हाल मदन का था पर उसे अभी पता नहीं था.. यहाँ पर भी.. आइटम घर वाली ही थी.. सिर्फ नाम अलग था.. फव्वारे का पानी कितना भी उछल ले.. आखिर गिरता वहीं है जहां से वो निकला था.. राजेश के साथ बेंगलोर जाने का झूठ बोलकर वो इस क्लब में नई चूत चोदने आया था.. काफी पैसे खर्च कर भाड़े की रांड भी साथी बनाकर लाया था.. और आखिर उसके हाथ उसकी पत्नी ही लगी.. !!
सच में.. पति और पत्नी का रिश्ता जनम जनम का होता है.. पत्नी को घर छोड़कर रांड को चोदने गए पति को ये पता नहीं होता की वह सिर्फ अपनी पत्नी के शरीर को ही छोड़कर आया है.. उसके दिल-ओ-दिमाग पर तब भी वही छाई हुई रहती है.. रांड की चूत में धक्के लगाते हुए भी बार बार उसी का खयाल दिमाग में आता है.. प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से.. पत्नी कभी पति का साथ छोड़ती ही नहीं है.. उसी रांड को चोदने के बाद जब पानी निकल जाए तब पति सोचता है, यार बेकार में पाँच हजार ले गई.. !! इसे अच्छा तो घर पर ही पत्नी को चोद लेता.. दो हजार की साड़ी लेकर गया होता तो कितना खुश हो जाती?? यह विचार यही दर्शाते है की पत्नियों का कितना प्रभाव होता है अपने पतियों के दिमाग पर.. और बाहर कितना भी मुंह मार लो.. लौटकर आखिर घर पर ही आना पड़ता है.. कितनी भी आकर्षक वेश्या क्यों न हो.. एक बार पानी निकल जाने के बाद पत्नी की ही याद आती है.. इसे चाहें विचारों का ऑर्गेज़्म ही कह लो.. !!
शीला मन ही मन मुस्कुरा रही थी.. वो सोच रही थी की अभी अगर मैं मास्क उतार दूँ.. तो मदन का चेहरा कैसा हो जाएगा?? पर वो ऐसा करना नहीं चाहती थी.. अभी तो मजे लूटने बाकी थे..
नाइटलैम्प की बारीक रोशनी में वो मदन को सहलाती रही.. और मदन के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर मजबूती से हिलाते रही.. अपने उन्नत स्तनों से उसने मदन का इतना बढ़िया ब्रेस्ट-मसाज किया की मदन के मुंह से निकल गया "तुम बिल्कुल मेरी पत्नी की तरह ही सब हरकतें कर रही हो"
शीला के दिमाग में.. चाबुक जैसे कई सवाल थे.. पर अभी पूछना मुमकिन नहीं था.. इसलिए.. अपने मुंह को बंद रखने के लिए.. मदन का लंड मुंह में ले लिया..
मदन के कूल्हें और जांघों पर शीला काटने लगी.. और उसके आँड़ों को मुठ्ठी में पकड़कर दबाने लगी.. मदन भी शीला की भोस में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा.. शीला को एक उंगली से फिंगर-फकिंग बिल्कुल पसंद नहीं था.. उसके जननांग की गहराई-चौड़ाई को देखते हुए.. उसे कम से कम तीन उँगलियाँ चाहिए थी.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली.. उल्टा वो अपनी सांसें तेज करते हुए ऐसा जताने लगी जैसे उसे बहोत मज़ा आ रहा हो..
मदन अब उत्तेजित होकर शीला के बदन पर टूट पड़ा.. और दोनों अतिशय कामुक होकर आदर्श संभोग में रत हो गए..
उसी दौरान दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. बिना किसी संकोच के मदन नग्नावस्था में ही खड़ा हुआ.. और अपना खड़ा लंड झुलाते हुए दरवाजा खोल दिया.. कॉकटेल और कामिनी (रेणुका) सामने खड़े थे.. और उनके पीछे बँटी(हेमंत) और बार्बी (कॉकटेल की पत्नी) तथा रॉकी (राजेश) और स्टेफी भी खड़े हुए थे.. वह तीनों जोड़ें.. संभोग का एक एक राउन्ड खतम कर.. मदन और शीला के साथ ग्रुप सेक्स के मजे लेने आए थे
मदन ने सब का स्वागत किया.. और सारे लोग अंदर आ गए.. कॉकटेल बेड के साथ लगे सोफ़े पर बैठा.. और नग्न रेणुका उसकी गोद में ही लेट गई.. और उसके मोटे लंड को चाटने लगी.. राजेश भी स्टेफी के गद्देनुमा स्तनों का तकिया बनाकर बैठ गया.. स्टेफी के मांसल स्तन और उसकी गुलाबी निप्पल जबरदस्त लग रहे थे.. स्टेफी भी राजेश के बालों में उँगलियाँ फेरते हुए परिस्थिति का जायजा ले रही थी..
राजेश और मदन अगल बगल में बैठे थे.. राजेश ने शीला के बोल पकड़कर दबाते हुए कहा "यार मेक.. इस सुनंदा के बूब्स बिल्कुल शीला भाभी जैसे है.. कब से बार बार उस पर ही नजर चली जाती है मेरी.. दबा तो सुनंदा के रहा हूँ मगर दिल में खयाल शीला भाभी का ही है.. उफ्फ़ ऐसा लगता जैसे मेरी शीला भाभी के ही बबले मसल रहा हूँ.. "
राजेश की बात सुनकर शीला की चूत और राजेश का लंड दोनों जबरदस्त प्रभावित हुए.. शीला के चूत ने अपना पानी बहाना शुरू कर दिया और पूरे कमरे में उसके चूत के शहद की मस्की गंध फैलने लगी.. ये देखते ही मदन ने शीला की चूत चाटना शुरू कर दिया.. हालांकि मदन को सुनंदा की भोस की गंध काफी जानी-पहचानी सी महसूस हुई.. पर हवस का सुरूर कुछ ऐसे छाया हुआ था की दिमाग उस बारे में ज्यादा सोच ही नहीं रहा था..
शीला और मदन की इन हरकतों को देखकर उत्तेजित हेमंत.. बार्बी के बदन पर टूट पड़ा.. तो इस तरफ रेणुका कॉकटेल के साथ मशरूफ़ थी.. उसे यह भी परवाह नहीं थी की राजेश क्या कर रहा था.. राजेश स्टेफी के कामुक जिस्म पर चढ़कर ग़बागब चोदने लगा.. स्टेफी ने अपने जीवन में ऐसा आनंद कभी महसूस नहीं किया था.. आज तक वो यही सोचती रहती थी की आखिर लोग सेक्स के लिए इतने पैसे क्यों खर्च कर रहे होंगे.. !! आज पता चल गया.. !!
इस रोमांचक माहोल में वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी.. ऐसा नहीं था की उसके जिस्म को सिर्फ राजेश ही छु रहा था.. एक कमरे में चार जोड़ें एक साथ जब संभोग में व्यस्त हो.. तब अन्य लोगों का स्पर्श हो जाना सामान्य था.. अन्य साथी भी मौका मिलते ही स्टेफी के गदराए जिस्म का आनंद ले लेते थे.. मदन और हेमंत अब तक कई बार स्टेफी के स्तन युग्म का मर्दन कर चुके थे.. और कॉकटेल ने नजदीक आकर स्टेफी की गुलाबी निप्पल को मुंह में लेकर चूस लिया था..
अब मदन ने शीला को चार पैरों पर कर दिया.. और अपनी पसंदीदा डोंगी स्टाइल में चोदने के लिए तैयार हो गया.. शीला के विशाल कूल्हों के बीच सेट होकर.. उसने अपने लंड को लार से गीला किया.. फिर अपने सुपाड़े को शीला के भोसड़े के प्रवेशद्वार पर रख दिया.. एक जोरदार धक्का लगाते हुए उसने अपना पूरा लंड अंदर धकेल दिया तब शीला की करारी आह्ह निकल गई.. धनाधन धक्के लगाने लगा मदन.. !! मदन के हर धक्के के साथ शीला के नारियल जैसे स्तन हवा में झूलने लगे..
जैसे जैसे मदन शॉट लगाता जा रहा था.. वैसे वैसे उसका शक बढ़ रहा था की सुनंदा ही शीला थी.. पर उसका दिमाग यह मानने को तैयार ही नहीं था.. ऐसा कैसे हो सकता है भला.. !! शीला यहाँ कैसे आ सकती थी.. !! इसी सोच के वजह से मदन के दिमाग का शक आगे बढ़ नहीं पा रहा था.. ताज्जुब केवल इस बात का था की शीला और सुनंदा में इतनी समानता कैसे हो सकती है?? इस आसन में वो अनगिनत बार शीला को चोद चुका था.. और सुनंदा को उसी स्टाइल में चोदते वक्त.. अविरत ये महसूस हो रहा था की वह शीला ही थी.. !! दिमाग घूम रहा था मदन का.. !!
कॉकटेल के लंड से अपनी अंगूर जैसी क्लिटोरिस को रगड़ते हुए रेणुका.. मदन के लोड़े को शीला के भोसड़े में अंदर बाहर होते हुए देख रही थी.. थप-थप की आवाज़ें गूंज रही थी.. जब मदन का पूरा लंड शीला की भोस में समा जाता.. तब शीला और मदन की जांघें एक दूसरे से टकरा रही थी.. शीला को देखकर.. रेणुका भी डोंगी स्टाइल में तैयार हो गई.. और पलट कर पीछे खड़े कॉकटेल को.. खुद पर आरूढ़ होने का आमंत्रण देने लगी..
शीला और रेणुका के स्तनों को लटकते देख.. हेमंत शीला के नीचे लेट गया.. और उसके मदमस्त स्तनों के तले दबने का अनूठा अनुभव करने लगा.. ये देखकर बार्बी भी रेणुका और शीला के बगल में घोड़ी बनकर रेडी हो गई.. फिर स्टेफी क्यों पीछे रहती.. वह भी आकर इन चारों औरतों को कंपनी देने लगी..
एक ही बिस्तर पर चारों औरतें डोंगी स्टाइल में थी.. शीला और रेणुका के पीछे मदन और कॉकटेल लगे हुए थे.. और बार्बी तथा स्टेफी का गेम बजा रहे थे बँटी(हेमंत) और रॉकी (राजेश)
20 मिनट के भयंकर संभोग के बाद.. सब से पहले बार्बी की चूत में आत्मसमर्पण कर दिया.. वो झड़कर नीचे ढह गई.. पर उसकी चूत में घुसा हुआ हेमंत का लंड अभी भी इस्तीफा देने के मूड में नहीं था.. लेकिन बार्बी अब बेड पर लेट चुकी थी.. और हेमंत का लंड बाहर निकल गया था.. झड़ने के लिए बेकरार हेमंत अपना लंड पकड़कर शीला की अदालत में हाजिर हो गया.. शीला ने बड़े ही प्यार से उसका लंड मुंह में ले लिया और ऐसा चूसा.. जो काम बार्बी की चूत न कर पाई.. वह काम शीला के मुंह ने कर दिखाया.. शीला के मुंह में ही हेमंत के लंड का वीर्य-विसर्जन हो गया.. "आह्ह आह्ह.. " की कराहों के साथ हेमंत थरथराते हुए झड़ रहा था.. आखिर एक दमदार धक्का लगाते हुए हेमंत ने अपना लंड जड़ तक शीला के मुंह में घुसेड़ दिया..
अब शीला ने मदन के लंड को अपनी चूत के होंठों के बीच दबोचे रखा था.. और हेमंत के लंड को आगे के होंठों से मजे दे रही थी.. एक साथ दो दो लंडों का आनंद लूट कर शीला की हवस बेकाबू हो गई.. अपने चूतड़ को उठाते हुए.. वो जितना हो सकें उतना मदन के लंड को गहराई तक अंदर लेने की भरसक कोशिशें कर रही थी..
शीला धीरे धीरे अपने ऑर्गेज़्म की ओर बढ़ रही थी.. अमूमन झड़ने के करीब आते ही.. उसे अनाब-शनाब बकने की आदत थी.. पर आज उसे अपने आप पर काबू रखना पड़ा.. क्यों की अगर वो अपना मुंह गलती से भी खोलती.. तो उसका भांडा फूट जाता.. मदन को झड़ते वक्त.. शीला की अश्लील बातें और गालियां सुनने की आदत थी.. उसके लंड ने पिचकारी तो मारी पर शीला के साथ जो मज़ा आता था वो नहीं आया.. ऑर्गेज़्म अधूरा सा लग रहा था शीला के बगैर.. दूसरी तरफ शीला की हालत भी कुछ खास नहीं थी.. बिना चीखें चिलाएं.. चुदने में उसे कुछ मज़ा नहीं आया था.. वो तो मुक्त गगन में उड़ने वाली पंछी थी.. बंधन में रहना उसे कतई पसंद नहीं था..
बार्बी के बगल में शीला भी पस्त होकर गिर गई.. राजेश का लंड अपनी चूत में लेकर बेहद खुश स्टेफी.. समागम की आखिरी क्षणों में चीखते हुए चुदवा रही थी.. क्योंकि राजेश ने उसकी गांड को टारगेट किया था.. चूत को चोदते वक्त उसने अपना अंगूठा उसकी गांड के छेद में घुसा दिया था और उसे चौड़ा कर रहा था.. पहली बार पराए लंड से चुद रही स्टेफी की गांड में जब राजेश ने उंगली की तब वह उत्तेजना के नए शिखरों पर पहुँच गई.. लेकिन उसके बाद... जिस तरह ये नेता लोग.. शुरू शुरू में काफी विनम्र पेश आते है.. और चुनाव खतम होते ही अपना असली रंग प्रकट करते है.. बिल्कुल वैसे ही.. राजेश ने एक ही धक्के में अपना लंड स्टेफी की गांड में डालकर.. उसकी गांड का हजीरा बना दिया..
बगल में ही कॉकटेल, रेणुका को चोद रहा था.. और राजेश-स्टेफी को देखकर.. उसे भी गांड के टाइट छिद्र का मजे लेने का मन किया.. और थूक लगाकर.. रेणुका की गांड में लंड पेलकर, बेचारी को रुला दिया.. !!
आँख में आँसू आ जाने के बावजूद.. मास्क के कारण अपनी पीड़ा को छुपने में सक्षम रही रेणुका.. !! मुंह से आवाज निकाल नहीं सकती थी वो.. स्टेफी और कामिनी (रेणुका) के दर्द से अनजान.. दोनों पुरुष सांड की तरह उनकी गांड चोद रहे थे.. कहते है ना "दर्द का हद से गुजर जाना.. खुद ही दवा बन जाता है" उसी नाते कुछ देर पश्चात.. दोनों के छेद.. लंड घुसाई से अनुकूल होकर.. मजे लेने लगे.. और दोनों के गांड के छेद में.. आखिर राजेश और कॉकटेल के लंड.. विसर्जित हो गए.. !!
स्खलन के बाद.. लंड गांड के छेद में फंस गए थे.. यह तो अच्छा हुआ की स्खलित होकर दोनों के लंड मुरझा गए थे.. और वीर्य छूटने की वजह से.. छेद गीला हो गया था.. इसलिए उनके लंड आसानी से बाहर निकल आयें.. वरना संभोग-रत कुत्ते और कुत्तिया की तरह दोनों के जननांग चिपक जाते.. लंड तो आसानी से निकल गए.. पर फिर भी.. स्टेफी और रेणुका को गांड की दीवारों पर घर्षण के कारण भयंकर जलन हो रही थी..
एक जबरदस्त चुदाई का राउन्ड सम्पन्न हुआ था.. रात के बारह बज रहे थे.. चारों जोड़ें.. स्खलित होकर ऐसे पस्त पड़े थे.. जैसे प्लेन क्रेश होने के बाद.. जमीन पर लाशें बिखरी पड़ी हो.. !!
लगभग आधे घंटे के विराम के बाद.. कॉकटेल ने सिगरेट सुलगाई.. और फिर बाकी लोगों को भी सिगरेट ओफर की.. सब ने पैकेट से एक एक सिगरेट ली और बिंदास फूंकने लगे.. इन सब में.. केवल राजेश और मदन ही एक दूसरे से बातें कर रहे थे.. शीला और रेणुका के लिए आपस में बात करना.. या फिर बार्बी या स्टेफी से बात करना मुमकिन नहीं था.. क्योंकी उनकी पहचान खुल जाने का पूरा डर था.. और इन सब की मौजूदगी में.. हेमंत ने भी चुप रहना ही ठीक समझा.. क्योंकी वैसे देखने जाए तो.. यह सब इस होटल के कस्टमर थे.. और वो केवल एक मुलाजिम था.. !!
कभी कभी स्टेफी बात कर लेती थी मदन और राजेश से.. पता नहीं क्यों.. पर कॉकटेल भी बिल्कुल खामोश था.. उसका व्यक्तित्व शुरू से ही काफी रहस्यमयी था.. वैसे किसी को उसे जानने में खास दिलचस्पी थी भी नहीं.. केवल रेणुका के सिवा.. वो इस कॉकटेल के बारे में जरूर जानना चाहती थी.. जिसने आज पहली बार उसकी गांड छेद दी थी.. वैसे राजेश ने कई बार उसकी गांड मारने का प्रयास किया था.. पर दर्द के चलते वो दोनों आगे बढ़े नहीं थे.. पर आज उसे ये अनोखे एहसास ने उसकी हिम्मत खोल दी थी.. दर्द बहोत हुआ था पर मज़ा भी आया था.. वैसे देखने जाए तो दर्द और आनंद.. एक ही सिक्के के दो पहलू है.. !!
शीला के लिए गांड मरवाना कोई नई बात नहीं थी.. वो अन्य मर्दों से और मदन से काफी बार मरवा चुकी थी.. वो तो अक्सर मदन से कहती "यार, एक ही छेद पर हमेशा क्यों जुल्म करते रहते हो.. !! सभी छेद को बराबर बराबर इस्तेमाल कर.. तो टाइट भी रहेंगे और ज्यादा मज़ा भी आएगा.. !!" मदन और शीला तो कई बार एनल सेक्स का आनंद लेते थे..
अपनी गांड मरवाने के बाद रेणुका को एहसास हुआ की कॉकटेल का लंड राजेश से मोटा तो था ही.. ऑर्गेज़्म से थक कर सब कमरे में रिलेक्स कर रहे थे.. तभी..
कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!
अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागों... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"