sunoanuj
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राजेश और मदन की रसप्रद चर्चा पर.. कॉकटेल और बार्बी के आने से कोई ब्रेक नहीं लगी.. उन्हों ने अपनी बात जारी रखी
राजेश: "मेक.. एक काम करते है.. आज रात हम एक कमरे में ही सोते है.. चुदाई भी साथ में करेंगे"
मदन खुश हो गया "क्या सच में? मज़ा आएगा.. इसी बहाने रीहर्सल भी हो जाएगा.."
शीला और रेणुका के साथ साथ बार्बी भी अब मदन और राजेश के लंड के साथ खेलने लगी..
तभी रोमा ने अपनी पुच्ची में उंगली करते हुए एनाउंस किया "जो जिसके साथ सोना चाहता है वो अब उसे लेकर अपने अपने कमरे में जा सकता है.. इन्जॉय एवरीबड़ी"
मदन और राजेश खड़े थे थे.. वहीं कॉकटेल और बार्बी भी साथ थे.. शीला, रेणुका और बार्बी भी लंड छोड़कर खड़ी हो गई.. तीनों एक दूसरे के कमर में हाथ डालकर चलने लगी.. उस दौरान शीला ने बार्बी के कान में कुछ कहा.. और बार्बी ने जवाब में शीला के गालों को चूम लिया.. वो शीला का हाथ छुड़ाकर चली गई.. और हेमंत को बुला लाई.. हेमंत भी किसी दूसरी पार्टनर के साथ मजे कर रहा था.. मदन और राजेश के लंड मुरझाकर झूल रहे थे..
अब फाइनल जोड़ी बनाकर.. सब अपने अपने कमरे की ओर जाने लगे.. देखते ही देखते हॉल खाली होने लगा..
हॉल में अब सिर्फ इतने लोग बचे थे..
बँटी उर्फ हेमंत और बार्बी..
जो कॉकटेल की बीवी थी और उसका पति उसे स्वेच्छाचार के लिए यहाँ लेकर आया था.. दिखने में मस्त थी.. और शौकीन.. अमरूद जैसी चूचियाँ थी.. खींच मसलकर लंबी की हुई क्लिटोरिस थी.. और मस्त गांड.. कुल मिलाकर चोदने के लिए बढ़िया थी
सुनंदा (शीला) और मेक (मदन)
कामिनी (रेणुका) और कॉकटेल (?)
राजेश अकेला बच गया
परेशान होते हुए राजेश ने कहा "अरे यार.. आप लोगों ने तो मुझे ही बाहर निकाल दिया??" शीला और रेणुका भी अचंभित हो गई.. यहाँ पर सिर्फ कपल को एंट्री थी.. और सब जोड़ियों में बाहर गए थे.. फिर एक चूत कम कैसे पड़ गई?? कहीं कोई ताकतवर लंड दो चूतों को तो साथ नहीं ले गया?? नहीं ऐसा नहीं हो सकता था..
राजेश शर्म से पानी पानी हो रहा था.. क्या करता?? अब पूरी रात खुद ही हिलाना पड़ेगा क्या? इतनी दूर आकर क्या फायदा जब मूठ ही मारना हो..!! निराश हो गया राजेश.. उसका चेहरा देखकर रेणुका को उस पर तरस आ गया.. मेरा पति मूठ मारे और मैं दूसरे कमरे में चुदवाऊँ.. !! ऐसा नहीं हो सकता.. पर करे तो करे क्या.. !! पूरा प्रोग्राम राजेश ने ही बनाया था और अब वही लटक गया.. !! उसका हाल ऐसा हो गया की बाराती सारे बस में बैठ गए और अब दूल्हे के बैठने के लिए ही जगह नहीं बची..
शीला ने सोचा की हेमंत को जरूर पता होगा की कहाँ गड़बड़ हुई है.. उसने तुरंत हेमंत के कान में कहा "भेनचोद.. इसके लिए चूत का बंदोबस्त कर.. नहीं तो ये किसी को चोदने नहीं देगा.. " इतना कहकर शीला वापिस मदन के बगल में आकर खड़ी हो गई.. सब जा चुके थे.. राजेश की वजह से यह छह लोग अटक पड़े थे..
मदन: "तू चिंता मत कर रॉकी.. मेरे साथ चल यार.. इस रांड को तो एक साथ पचास मर्द भी कम पड़ेंगे.. क्यों बेबी..!! ये साथ आए तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ना.. !! हम दोनों सेंडविच स्टाइल में तुझे बीच में दबाकर चोदेंगे.. !! पीछे कभी लिया है पहले?"
शीला ने गर्दन हिलाते हुए "हाँ" का इशारा किया.. एक साथ दो मर्दों से.. और वो भी एक उसका पति और दूसरा राजेश.. इस कल्पना मात्र से ही शीला रोमांचित हो गई.. उसे डर सिर्फ एक ही बात का था.. दोनों से चुदवाते वक्त कहीं उसकी असलियत बाहर न आ जाएँ.. पर अब तो उसने हाँ बोल दिया था.. शीला को सकपकाया देख रेणुका बड़ी खुश हुई.. की चलो आज शीला को राजेश का लंड चखने का अवसर मिल ही जाएगा..
लेकिन किसी की खुश ज्यादा देर तक नहीं टिकी.. थोड़ी सी मोटी.. और ४५ के करीब उम्र वाली औरत उनके पास चलते हुए आई.. और बोली
"हाई.. मेरा नाम स्टेफी है.. माफ कीजिएगा.. कन्फ्यूजन की वजह से मैं बाहर निकल गई थी.. फिर पता चला की साथी चुनना तो बाकी था.. चलिए.. कौन आएगा मेरे साथ?"
चरबीदार जिस्म.. और मध्यम कद के स्तनों वाली वह स्त्री ब्रा और पेन्टी पहने हुए थे.. पारदर्शक ब्रा से उसकी बादामी रंग की निप्पलें साफ नजर आ रही थी..
देखकर उसे समझ आया की केवल राजेश ही था जो अकेला था
उसने राजेश से कहा "अब तो आप अकेले नहीं है.. हमारी जोड़ी बन गई है.. आप किस्मत वाले हो.. जो मैं आपको मिली.. मैंने अब तक अपने पति के अलावा किसी को भी अपने शरीर पर हाथ लगाने नहीं दिया है" राजेश को स्टेफी की जिस्म में वैशाली की झलक नजर आई.. और उसने तुरंत उसके आमंत्रण का स्वीकार कर लिया.. और स्टेफी की कमर में हाथ डाल दिया..
अब प्रॉब्लेम सुलझ चुका था.. सब की जोड़ियाँ बन गई थी.. सारे जोड़ें एक दूसरे के साथ छेड़खानियाँ करते हुए हॉल से बाहर निकलकर लॉबी में आ गए.. बेहद उत्तेजक माहोल था..
मदन: "एक घंटे बाद मेरे कमरे में मिलते है"
राजेश स्टेफी को लेकर मदन के साथ वाले कमरे में घुस गया.. और उसकी तरह बाकी जोड़ें भी अपने अपने कमरे में चले गए
शीला और मदन कमरे के अंदर भी मास्क पहने हुए थे.. और चोदने के लिए उतावले हो रहे थे.. कैसी स्थिति थी.. !!! घर की खिचड़ी से परेशान होकर महंगे रेस्टोरेंट में जाएँ.. और वहाँ कोई अटपटे नाम वाली आइटेम ऑर्डर करने के बाद जब वो आए और पता चले की यह भी खिचड़ी ही है..!! तो क्या हाल होगा.. !! बिल्कुल वही हाल मदन का था पर उसे अभी पता नहीं था.. यहाँ पर भी.. आइटम घर वाली ही थी.. सिर्फ नाम अलग था.. फव्वारे का पानी कितना भी उछल ले.. आखिर गिरता वहीं है जहां से वो निकला था.. राजेश के साथ बेंगलोर जाने का झूठ बोलकर वो इस क्लब में नई चूत चोदने आया था.. काफी पैसे खर्च कर भाड़े की रांड भी साथी बनाकर लाया था.. और आखिर उसके हाथ उसकी पत्नी ही लगी.. !!
सच में.. पति और पत्नी का रिश्ता जनम जनम का होता है.. पत्नी को घर छोड़कर रांड को चोदने गए पति को ये पता नहीं होता की वह सिर्फ अपनी पत्नी के शरीर को ही छोड़कर आया है.. उसके दिल-ओ-दिमाग पर तब भी वही छाई हुई रहती है.. रांड की चूत में धक्के लगाते हुए भी बार बार उसी का खयाल दिमाग में आता है.. प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से.. पत्नी कभी पति का साथ छोड़ती ही नहीं है.. उसी रांड को चोदने के बाद जब पानी निकल जाए तब पति सोचता है, यार बेकार में पाँच हजार ले गई.. !! इसे अच्छा तो घर पर ही पत्नी को चोद लेता.. दो हजार की साड़ी लेकर गया होता तो कितना खुश हो जाती?? यह विचार यही दर्शाते है की पत्नियों का कितना प्रभाव होता है अपने पतियों के दिमाग पर.. और बाहर कितना भी मुंह मार लो.. लौटकर आखिर घर पर ही आना पड़ता है.. कितनी भी आकर्षक वेश्या क्यों न हो.. एक बार पानी निकल जाने के बाद पत्नी की ही याद आती है.. इसे चाहें विचारों का ऑर्गेज़्म ही कह लो.. !!
शीला मन ही मन मुस्कुरा रही थी.. वो सोच रही थी की अभी अगर मैं मास्क उतार दूँ.. तो मदन का चेहरा कैसा हो जाएगा?? पर वो ऐसा करना नहीं चाहती थी.. अभी तो मजे लूटने बाकी थे..
नाइटलैम्प की बारीक रोशनी में वो मदन को सहलाती रही.. और मदन के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर मजबूती से हिलाते रही.. अपने उन्नत स्तनों से उसने मदन का इतना बढ़िया ब्रेस्ट-मसाज किया की मदन के मुंह से निकल गया "तुम बिल्कुल मेरी पत्नी की तरह ही सब हरकतें कर रही हो"
शीला के दिमाग में.. चाबुक जैसे कई सवाल थे.. पर अभी पूछना मुमकिन नहीं था.. इसलिए.. अपने मुंह को बंद रखने के लिए.. मदन का लंड मुंह में ले लिया..
मदन के कूल्हें और जांघों पर शीला काटने लगी.. और उसके आँड़ों को मुठ्ठी में पकड़कर दबाने लगी.. मदन भी शीला की भोस में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा.. शीला को एक उंगली से फिंगर-फकिंग बिल्कुल पसंद नहीं था.. उसके जननांग की गहराई-चौड़ाई को देखते हुए.. उसे कम से कम तीन उँगलियाँ चाहिए थी.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली.. उल्टा वो अपनी सांसें तेज करते हुए ऐसा जताने लगी जैसे उसे बहोत मज़ा आ रहा हो..
मदन अब उत्तेजित होकर शीला के बदन पर टूट पड़ा.. और दोनों अतिशय कामुक होकर आदर्श संभोग में रत हो गए..
उसी दौरान दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. बिना किसी संकोच के मदन नग्नावस्था में ही खड़ा हुआ.. और अपना खड़ा लंड झुलाते हुए दरवाजा खोल दिया.. कॉकटेल और कामिनी (रेणुका) सामने खड़े थे.. और उनके पीछे बँटी(हेमंत) और बार्बी (कॉकटेल की पत्नी) तथा रॉकी (राजेश) और स्टेफी भी खड़े हुए थे.. वह तीनों जोड़ें.. संभोग का एक एक राउन्ड खतम कर.. मदन और शीला के साथ ग्रुप सेक्स के मजे लेने आए थे
मदन ने सब का स्वागत किया.. और सारे लोग अंदर आ गए.. कॉकटेल बेड के साथ लगे सोफ़े पर बैठा.. और नग्न रेणुका उसकी गोद में ही लेट गई.. और उसके मोटे लंड को चाटने लगी.. राजेश भी स्टेफी के गद्देनुमा स्तनों का तकिया बनाकर बैठ गया.. स्टेफी के मांसल स्तन और उसकी गुलाबी निप्पल जबरदस्त लग रहे थे.. स्टेफी भी राजेश के बालों में उँगलियाँ फेरते हुए परिस्थिति का जायजा ले रही थी..
राजेश और मदन अगल बगल में बैठे थे.. राजेश ने शीला के बोल पकड़कर दबाते हुए कहा "यार मेक.. इस सुनंदा के बूब्स बिल्कुल शीला भाभी जैसे है.. कब से बार बार उस पर ही नजर चली जाती है मेरी.. दबा तो सुनंदा के रहा हूँ मगर दिल में खयाल शीला भाभी का ही है.. उफ्फ़ ऐसा लगता जैसे मेरी शीला भाभी के ही बबले मसल रहा हूँ.. "
राजेश की बात सुनकर शीला की चूत और राजेश का लंड दोनों जबरदस्त प्रभावित हुए.. शीला के चूत ने अपना पानी बहाना शुरू कर दिया और पूरे कमरे में उसके चूत के शहद की मस्की गंध फैलने लगी.. ये देखते ही मदन ने शीला की चूत चाटना शुरू कर दिया.. हालांकि मदन को सुनंदा की भोस की गंध काफी जानी-पहचानी सी महसूस हुई.. पर हवस का सुरूर कुछ ऐसे छाया हुआ था की दिमाग उस बारे में ज्यादा सोच ही नहीं रहा था..
शीला और मदन की इन हरकतों को देखकर उत्तेजित हेमंत.. बार्बी के बदन पर टूट पड़ा.. तो इस तरफ रेणुका कॉकटेल के साथ मशरूफ़ थी.. उसे यह भी परवाह नहीं थी की राजेश क्या कर रहा था.. राजेश स्टेफी के कामुक जिस्म पर चढ़कर ग़बागब चोदने लगा.. स्टेफी ने अपने जीवन में ऐसा आनंद कभी महसूस नहीं किया था.. आज तक वो यही सोचती रहती थी की आखिर लोग सेक्स के लिए इतने पैसे क्यों खर्च कर रहे होंगे.. !! आज पता चल गया.. !!
इस रोमांचक माहोल में वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी.. ऐसा नहीं था की उसके जिस्म को सिर्फ राजेश ही छु रहा था.. एक कमरे में चार जोड़ें एक साथ जब संभोग में व्यस्त हो.. तब अन्य लोगों का स्पर्श हो जाना सामान्य था.. अन्य साथी भी मौका मिलते ही स्टेफी के गदराए जिस्म का आनंद ले लेते थे.. मदन और हेमंत अब तक कई बार स्टेफी के स्तन युग्म का मर्दन कर चुके थे.. और कॉकटेल ने नजदीक आकर स्टेफी की गुलाबी निप्पल को मुंह में लेकर चूस लिया था..
अब मदन ने शीला को चार पैरों पर कर दिया.. और अपनी पसंदीदा डोंगी स्टाइल में चोदने के लिए तैयार हो गया.. शीला के विशाल कूल्हों के बीच सेट होकर.. उसने अपने लंड को लार से गीला किया.. फिर अपने सुपाड़े को शीला के भोसड़े के प्रवेशद्वार पर रख दिया.. एक जोरदार धक्का लगाते हुए उसने अपना पूरा लंड अंदर धकेल दिया तब शीला की करारी आह्ह निकल गई.. धनाधन धक्के लगाने लगा मदन.. !! मदन के हर धक्के के साथ शीला के नारियल जैसे स्तन हवा में झूलने लगे..
जैसे जैसे मदन शॉट लगाता जा रहा था.. वैसे वैसे उसका शक बढ़ रहा था की सुनंदा ही शीला थी.. पर उसका दिमाग यह मानने को तैयार ही नहीं था.. ऐसा कैसे हो सकता है भला.. !! शीला यहाँ कैसे आ सकती थी.. !! इसी सोच के वजह से मदन के दिमाग का शक आगे बढ़ नहीं पा रहा था.. ताज्जुब केवल इस बात का था की शीला और सुनंदा में इतनी समानता कैसे हो सकती है?? इस आसन में वो अनगिनत बार शीला को चोद चुका था.. और सुनंदा को उसी स्टाइल में चोदते वक्त.. अविरत ये महसूस हो रहा था की वह शीला ही थी.. !! दिमाग घूम रहा था मदन का.. !!
कॉकटेल के लंड से अपनी अंगूर जैसी क्लिटोरिस को रगड़ते हुए रेणुका.. मदन के लोड़े को शीला के भोसड़े में अंदर बाहर होते हुए देख रही थी.. थप-थप की आवाज़ें गूंज रही थी.. जब मदन का पूरा लंड शीला की भोस में समा जाता.. तब शीला और मदन की जांघें एक दूसरे से टकरा रही थी.. शीला को देखकर.. रेणुका भी डोंगी स्टाइल में तैयार हो गई.. और पलट कर पीछे खड़े कॉकटेल को.. खुद पर आरूढ़ होने का आमंत्रण देने लगी..
शीला और रेणुका के स्तनों को लटकते देख.. हेमंत शीला के नीचे लेट गया.. और उसके मदमस्त स्तनों के तले दबने का अनूठा अनुभव करने लगा.. ये देखकर बार्बी भी रेणुका और शीला के बगल में घोड़ी बनकर रेडी हो गई.. फिर स्टेफी क्यों पीछे रहती.. वह भी आकर इन चारों औरतों को कंपनी देने लगी..
एक ही बिस्तर पर चारों औरतें डोंगी स्टाइल में थी.. शीला और रेणुका के पीछे मदन और कॉकटेल लगे हुए थे.. और बार्बी तथा स्टेफी का गेम बजा रहे थे बँटी(हेमंत) और रॉकी (राजेश)
20 मिनट के भयंकर संभोग के बाद.. सब से पहले बार्बी की चूत में आत्मसमर्पण कर दिया.. वो झड़कर नीचे ढह गई.. पर उसकी चूत में घुसा हुआ हेमंत का लंड अभी भी इस्तीफा देने के मूड में नहीं था.. लेकिन बार्बी अब बेड पर लेट चुकी थी.. और हेमंत का लंड बाहर निकल गया था.. झड़ने के लिए बेकरार हेमंत अपना लंड पकड़कर शीला की अदालत में हाजिर हो गया.. शीला ने बड़े ही प्यार से उसका लंड मुंह में ले लिया और ऐसा चूसा.. जो काम बार्बी की चूत न कर पाई.. वह काम शीला के मुंह ने कर दिखाया.. शीला के मुंह में ही हेमंत के लंड का वीर्य-विसर्जन हो गया.. "आह्ह आह्ह.. " की कराहों के साथ हेमंत थरथराते हुए झड़ रहा था.. आखिर एक दमदार धक्का लगाते हुए हेमंत ने अपना लंड जड़ तक शीला के मुंह में घुसेड़ दिया..
अब शीला ने मदन के लंड को अपनी चूत के होंठों के बीच दबोचे रखा था.. और हेमंत के लंड को आगे के होंठों से मजे दे रही थी.. एक साथ दो दो लंडों का आनंद लूट कर शीला की हवस बेकाबू हो गई.. अपने चूतड़ को उठाते हुए.. वो जितना हो सकें उतना मदन के लंड को गहराई तक अंदर लेने की भरसक कोशिशें कर रही थी..
शीला धीरे धीरे अपने ऑर्गेज़्म की ओर बढ़ रही थी.. अमूमन झड़ने के करीब आते ही.. उसे अनाब-शनाब बकने की आदत थी.. पर आज उसे अपने आप पर काबू रखना पड़ा.. क्यों की अगर वो अपना मुंह गलती से भी खोलती.. तो उसका भांडा फूट जाता.. मदन को झड़ते वक्त.. शीला की अश्लील बातें और गालियां सुनने की आदत थी.. उसके लंड ने पिचकारी तो मारी पर शीला के साथ जो मज़ा आता था वो नहीं आया.. ऑर्गेज़्म अधूरा सा लग रहा था शीला के बगैर.. दूसरी तरफ शीला की हालत भी कुछ खास नहीं थी.. बिना चीखें चिलाएं.. चुदने में उसे कुछ मज़ा नहीं आया था.. वो तो मुक्त गगन में उड़ने वाली पंछी थी.. बंधन में रहना उसे कतई पसंद नहीं था..
बार्बी के बगल में शीला भी पस्त होकर गिर गई.. राजेश का लंड अपनी चूत में लेकर बेहद खुश स्टेफी.. समागम की आखिरी क्षणों में चीखते हुए चुदवा रही थी.. क्योंकि राजेश ने उसकी गांड को टारगेट किया था.. चूत को चोदते वक्त उसने अपना अंगूठा उसकी गांड के छेद में घुसा दिया था और उसे चौड़ा कर रहा था.. पहली बार पराए लंड से चुद रही स्टेफी की गांड में जब राजेश ने उंगली की तब वह उत्तेजना के नए शिखरों पर पहुँच गई.. लेकिन उसके बाद... जिस तरह ये नेता लोग.. शुरू शुरू में काफी विनम्र पेश आते है.. और चुनाव खतम होते ही अपना असली रंग प्रकट करते है.. बिल्कुल वैसे ही.. राजेश ने एक ही धक्के में अपना लंड स्टेफी की गांड में डालकर.. उसकी गांड का हजीरा बना दिया..
बगल में ही कॉकटेल, रेणुका को चोद रहा था.. और राजेश-स्टेफी को देखकर.. उसे भी गांड के टाइट छिद्र का मजे लेने का मन किया.. और थूक लगाकर.. रेणुका की गांड में लंड पेलकर, बेचारी को रुला दिया.. !!
आँख में आँसू आ जाने के बावजूद.. मास्क के कारण अपनी पीड़ा को छुपने में सक्षम रही रेणुका.. !! मुंह से आवाज निकाल नहीं सकती थी वो.. स्टेफी और कामिनी (रेणुका) के दर्द से अनजान.. दोनों पुरुष सांड की तरह उनकी गांड चोद रहे थे.. कहते है ना "दर्द का हद से गुजर जाना.. खुद ही दवा बन जाता है" उसी नाते कुछ देर पश्चात.. दोनों के छेद.. लंड घुसाई से अनुकूल होकर.. मजे लेने लगे.. और दोनों के गांड के छेद में.. आखिर राजेश और कॉकटेल के लंड.. विसर्जित हो गए.. !!
स्खलन के बाद.. लंड गांड के छेद में फंस गए थे.. यह तो अच्छा हुआ की स्खलित होकर दोनों के लंड मुरझा गए थे.. और वीर्य छूटने की वजह से.. छेद गीला हो गया था.. इसलिए उनके लंड आसानी से बाहर निकल आयें.. वरना संभोग-रत कुत्ते और कुत्तिया की तरह दोनों के जननांग चिपक जाते.. लंड तो आसानी से निकल गए.. पर फिर भी.. स्टेफी और रेणुका को गांड की दीवारों पर घर्षण के कारण भयंकर जलन हो रही थी..
एक जबरदस्त चुदाई का राउन्ड सम्पन्न हुआ था.. रात के बारह बज रहे थे.. चारों जोड़ें.. स्खलित होकर ऐसे पस्त पड़े थे.. जैसे प्लेन क्रेश होने के बाद.. जमीन पर लाशें बिखरी पड़ी हो.. !!
लगभग आधे घंटे के विराम के बाद.. कॉकटेल ने सिगरेट सुलगाई.. और फिर बाकी लोगों को भी सिगरेट ओफर की.. सब ने पैकेट से एक एक सिगरेट ली और बिंदास फूंकने लगे.. इन सब में.. केवल राजेश और मदन ही एक दूसरे से बातें कर रहे थे.. शीला और रेणुका के लिए आपस में बात करना.. या फिर बार्बी या स्टेफी से बात करना मुमकिन नहीं था.. क्योंकी उनकी पहचान खुल जाने का पूरा डर था.. और इन सब की मौजूदगी में.. हेमंत ने भी चुप रहना ही ठीक समझा.. क्योंकी वैसे देखने जाए तो.. यह सब इस होटल के कस्टमर थे.. और वो केवल एक मुलाजिम था.. !!
कभी कभी स्टेफी बात कर लेती थी मदन और राजेश से.. पता नहीं क्यों.. पर कॉकटेल भी बिल्कुल खामोश था.. उसका व्यक्तित्व शुरू से ही काफी रहस्यमयी था.. वैसे किसी को उसे जानने में खास दिलचस्पी थी भी नहीं.. केवल रेणुका के सिवा.. वो इस कॉकटेल के बारे में जरूर जानना चाहती थी.. जिसने आज पहली बार उसकी गांड छेद दी थी.. वैसे राजेश ने कई बार उसकी गांड मारने का प्रयास किया था.. पर दर्द के चलते वो दोनों आगे बढ़े नहीं थे.. पर आज उसे ये अनोखे एहसास ने उसकी हिम्मत खोल दी थी.. दर्द बहोत हुआ था पर मज़ा भी आया था.. वैसे देखने जाए तो दर्द और आनंद.. एक ही सिक्के के दो पहलू है.. !!
शीला के लिए गांड मरवाना कोई नई बात नहीं थी.. वो अन्य मर्दों से और मदन से काफी बार मरवा चुकी थी.. वो तो अक्सर मदन से कहती "यार, एक ही छेद पर हमेशा क्यों जुल्म करते रहते हो.. !! सभी छेद को बराबर बराबर इस्तेमाल कर.. तो टाइट भी रहेंगे और ज्यादा मज़ा भी आएगा.. !!" मदन और शीला तो कई बार एनल सेक्स का आनंद लेते थे..
अपनी गांड मरवाने के बाद रेणुका को एहसास हुआ की कॉकटेल का लंड राजेश से मोटा तो था ही.. ऑर्गेज़्म से थक कर सब कमरे में रिलेक्स कर रहे थे.. तभी..
कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!
अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागों... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"
Bahut hee jabardast update diya hai lagta hai ab inko police wale bhi bajayenge !