dirty_thoughts
Monu
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Waaah Bhai haal bigad diyaघड़ी में तीन बज रहे थे.. थकान के उतरते ही वह तीनों फिर से एक दूसरे को छेड़ने लगे.. शीला सिगरेट के कश लगाते हुए धुएं को जीवा और रघु के मुंह पर छोड़ रही थी... सिगरेट की राख को जीवा के लंड पर गिराते हुए उसने कहा "मुझे अब मेरी चुत और गांड में एक साथ लंड डलवाना है.. चलो आ जाओ दोनों.. और लग जाओ काम पर.. अब ज्यादा समय नही है हमारे पास.. जल्दी करो"
पड़ोस में रहती अनु मौसी... रात के इस समय.. शीला के घर की दीवार पर कान रखकर.. सारी बातें सुन रही थी..
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शीला के गले से हल्की सी चीख निकल गई.. "आह्हहहह... !!" पर रघु ने जरा सा भी दयाभाव नही दिखाया.. और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड शीला की गांड में घुसा दिया.. शीला की सेन्डविच बन गई.. और वह तीनों बड़ी ही मस्ती से चोदने लगे.. शीला के मुंह से सिसकियाँ निकल रही थी... और अपने दोनों सुराखों में चुदवाते वक्त उसका सारा ध्यान घड़ी के काँटों पर ही था..
दो दो विकराल लंड के भीषण धक्के खा खा कर शीला की गांड और भोस दोनों ही थक चुके थे.. शीला पसीने से तरबतर हो गई थी.. फिर भी उछल उछल कर चुदवा रही थी.. उसकी उछलने की गति बढ़ने के साथ ही जीवा समझ गया की शीला झड़ने की कगार पर थी.. इसलिए.. जिस तरह धोनी ने २०११ की वर्ल्डकप फाइनल की मेच में सिक्सर लगाई थी... वैसे ही जीवा ने अपने लंड से एक जोरदार शॉट लगाया..
शीला को कमर से कसकर पकड़कर जीवा ने अपने ताकतवर हाथों से शीला को हवा में उठा लिया.. लगभग एक फुट ऊपर.. और वैसे ही उसे हवा में पकड़े रख.. नीचे से जबरदस्त धक्का लगाया शीला की भोसड़े में.. "ओह.. ह.. ह.. ह.. ले मेरी शीला रानी.. आहहहहहह..!!" कहते हुए जीवा ने पिचकारी मार दी.. शीला की चुत में गरम गरम वीर्य गिरते ही वह ठंडी होने लगी.. शीला ने अपनी गांड की मांसपेशियों को बेहद कस लिया और उसी के साथ रघु का लंड भी उसकी गांड के अंदर बर्बाद होते हुए झड़ गया...
तीनों ऐसे हांफ रहे थे जैसे मेरेथॉन दौड़कर आयें हों.. शीला की गांड और चुत दोनों में से वीर्य टपक रहा था.. गांड में अभी भी दर्द हो रहा था फिर भी शीला बहुत खुश थी.. आखिरकार उसका दो मर्दों से चुदने का सपना सच हो गया था..
चार बजने में सिर्फ पाँच मिनट की देरी थी.. और तभी शीला के घर की डोरबेल बजी..
"इसकी माँ का.. रसिक ही होगा, जीवा.. अब क्या करेंगे?" शीला डर गई.. पूरे घर की हालत उसके भोसड़े जैसी ही थी.. सब तहस नहस हो रखा था... अब क्या होगा?
शीला ने तुरंत रघु और जीवा को कहा " तुम दोनों किचन में छुप जाओ.. में रसिक को लेकर बेडरूम में जाऊँगी तब तुम लोग धीरे से निकल जाना.. और हाँ.. बाइक को बिना चालू किए थोड़े दूर ले जाना.. और फिर स्टार्ट करना.. नही तो उस रंडवे को पता चल जाएगा.. जाओ जल्दी से.. "
शीला ने बेडरूम से जीवा और रघु को भगाया.. वह दोनों अपने कपड़े काँख में दबाकर किचन की ओर भागे.. उन दोनों के मुरझाए लटकते लंड देखकर शीला की हंसी निकल गई..
कपड़े पहनने का समय नही था.. और वैसे भी रसिक के अंदर आते ही फिर से उतारने थे.. ऐसा सोचकर शीला ने बिना ब्लाउस और घाघरे के.. अपने नंगे जिस्म पर सिर्फ साड़ी लपेट ली.. और अपने बबलों को साड़ी के नीचे दबाते हुए दरवाजा खोला...
"अरे, कविता तू... ??" शीला बोखला गई.. कपड़ों को ठीक करते हुए उसने पूछा
कविता पड़ोस में रहते अनु मौसी के बेटे पीयूष की पत्नी थी.. ४ महीनों पहले ही उनकी शादी हुई थी। अच्छा हुआ की बहुत अंधेरा था.. नही तो शीला को इस तरह देखकर, पता नही कविता क्या सोचती!!
"शीला भाभी, मेरे मामाजी ससुर को हार्ट-अटेक आया है.. और पीयूष मेरे सास ससुर के साथ उनके शहर गए है.. मम्मीजी ने मुझ से कहा था की अगर अकेले में डर लगे तो आपके घर आकर सो जाऊँ.. २ घंटों की ही बात है.. आपको अगर एतराज न हो तो क्या में आपके घर सो जाऊँ??" निर्दोष भाव से कविता ने इजाजत मांगी
शीला मन ही मन कांप उठी.. आज तो इज्जत का जनाज़ा निकल जाएगा.. माँ चुद जाने वाली थी..
"हाँ हाँ.. क्यों नही.. मैं हूँ ना तेरे साथ.. चिंता मत कर!!" शीला का शैतानी दिमाग काम पर लग गया... अब इस समस्या का कोई हल तो निकालना ही पड़ेगा.. वह सोचने लगी... क्या करूँ!!!!
"कविता, एक काम करते है.. " शीला ने अपने पत्ते बिछाना शुरू किया
"हाँ कहिए ना भाभी!!"
"मेरा बिस्तर हम दोनों के लिए छोटा पड़ेगा.. एक साथ सो नही पाएंगे... ऐसा करते है की तेरे ही घर हम दोनों सो जाते है"
"मैं आपको वही कहने वाली थी पर संकोच हो रहा था की कैसे कहूँ... वैसे भी मुझे अपने बिस्तर के बगैर नींद नही आती.. " कविता ने कहा
"तू अपने घर जा... मैं बाथरूम होकर अभी आती हूँ.. "
"जल्दी आना भाभी... मुझे अकेले में बहोत डर लगता है.. " कविता बोली
"हाँ.. हाँ.. तू जा.. मैं तुरंत पहुँचती हूँ.. "
बच गए!! शीला ने राहत की सांस ली.. वह तुरंत किचन में गई.. जीव और रघु को कहा "जल्दी निकलो तुम दोनों... रसिक नही था.. मेरी पड़ोसन थी.. "
"हाँ... वो तो हमने आप दोनों की बातें सुनी.. हम जा रहे है.. फिर किसी दिन.. बुलाते रहना.. भूल मत जाना" जीवा ने कहा
"कैसे भूल सकती हूँ!! जरूर बुलाऊँगी.. आप दोनों निकलों.. और वह देसी दारू की थैलियाँ लेते जाना.."
रघु वो थैलियाँ लेने अंदर गया तब जीवा ने शीला को बाहों में भरकर चूम लिया.. उसके आगोश में शीला दबकर रह गई.. उसने पतलून के ऊपर से जीवा लंड पकड़ लिया... "गजब का लंड है रे तेरा जीवा.. " जीवा ने शीला के साड़ी में लिपटे स्तनों को मसल दिया और उसके गाल पर हल्के से काटते हुए अपने प्रेम से उसे सराबोर कर दिया.. वापिस आए रघु भी शीला को पीछे से लिपट पड़ा.. शीला ने उसके लंड को भी प्यार से सहलाया..
दोनों गए.. शीला की धड़कनें शांत हो गई.. अब दूसरी समस्या यह थी की रसिक का क्या करें!!
तभी रसिक की साइकिल की घंटी बजने की आवाज आई.. हाथ के इशारे से उसे घर के अंदर आने के लिए कहते हुए शीला अंदर आई.. जैसे ही रसिक घर के अंदर आया.. शीला उससे लिपट पड़ी.. और अपने स्तनों को रसिक की छाती पर रगड़ने लगी..
रसिक का लंड तुरंत ही सख्त हो गया. शीला ने घुटनों पर बैठकर उसका लंड पतलून से निकाला और चूसने लग गई.. काले डंडे जैसा उसका पूरा लंड शीला की लार से लसलसित होकर चमकने लगा..
"रसिक, मुझे आज बहोत ही जल्दी है.. बगल वाले अनु मौसी के घर उसके बेटे की बीवी अकेली है.. उन्हे अचानक शहर के बाहर जाना पड़ा.. तू फटाफट मुझे चोदे दे.. और निकल.. फिर में घर बंद कर भागूँ.. वहाँ कविता मेरा इंतज़ार कर रही है"
"ठीक है भाभी, पर बिस्तर पर चलते है ना!! यहाँ कोई देख लेगा!!" रसिक ने कहा
रसिक का लंड मुठ्ठी में भरकर आगे पीछे करते हुए शीला ने कहा "उतना टाइम नही है रसिक.. जल्दी कर.. पेल दे फटाफट" कहते हुए शीला ने दीवार पर अपने हाथ टेक दिए और साड़ी को ऊपर उठा लिया.. रसिक उसके पीछे आ गया और शीला की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा कर अपने लंड को उसकी चुत में घुसाकर धक्के लगाने लगा.. उसे मज़ा तो नही आ रहा था पर क्या करता!!
"देख रसिक.. जल्दी कर.. और हाँ.. तुरंत घर मत पहुँच जाना वरना रूखी को शक हो जाएगा" शीला का गणित रसिक समझ नही पाया और वह बिना समझे हाँ हाँ करता जा रहा था.. उसके घर पर उसकी बीवी जीवा और रघु से चुदवा रही होगी.. और यहाँ वह शीला की हाँ में हाँ मिलाते चोदे जा रहा था
अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए शीला ने कहा "अरे जल्दी कर न रसिक!! कितनी देर लगा रहा है तू? क्या टेस्ट मेच की तरह खेल रहा है!! देख आज तो में फंसी हुई हूँ.. इसलिए जल्दी करना पड़ रहा है.. पर कल तू जल्दी आ जाना.. फिर इत्मीनान से मजे करेंगे.. ठीक है.. कल चार बजे आ जाना"
"ठीक है भाभी.. " शीला की चुत में लंड अंदर बाहर करते हुए रसिक ने कहा
रसिक ने धक्के लगाने की गति बढ़ा दी.. "वाहह... आह्हह.. मज़ा आ रहा है.. घुसा अंदर तक.. ईशश.. " शीला की सिसकियाँ सुनकर रसिक झड़ गया.. शीला ने तुरंत उसका लंड अपनी चुत से बाहर निकाला.. और रसिक के सामने ही ब्लाउस और घाघरा पहनने लगी..
"भाभी आपने कपड़े नही पहने थे?" रसिक के मन में सवाल उठा
"कितनी गर्मी है.. और वैसे भी तू आने वाला था इसलिए कपड़े उतारकर तैयार बैठी थी.. तू बेकार की बातें बंद कर और निकल यहाँ से!!" शीला ने अपने जूठ को छिपाते हुए कहा
रसिक के निकलते ही शीला ने अपने घर को ताला लगाया.. और अनु मौसी के घर की तरफ दौड़ते हुए गई..
पर तब तक बहोत देर हो गई थी.. कविता ने यह सारा द्रश्य देख लिया था.. !! भाभी अब तक क्यों नही आए!! देखने के लिए वह शीला के घर के तरफ आई.. और शीला को खुले दरवाजे के पास रसिक से चुदवाते हुए देख लिया.. और अपने घर में वापिस आकर अचरज से सोचने लगी.. उसने जो देखा था वह अकल्पनीय था.. शीला भाभी?? एक दूधवाले के साथ? बाप रे.. विश्वास ही नही होता..."
Sheela ka andaaz ufff Kiya kehna
Awesome