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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

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घड़ी में तीन बज रहे थे.. थकान के उतरते ही वह तीनों फिर से एक दूसरे को छेड़ने लगे.. शीला सिगरेट के कश लगाते हुए धुएं को जीवा और रघु के मुंह पर छोड़ रही थी... सिगरेट की राख को जीवा के लंड पर गिराते हुए उसने कहा "मुझे अब मेरी चुत और गांड में एक साथ लंड डलवाना है.. चलो आ जाओ दोनों.. और लग जाओ काम पर.. अब ज्यादा समय नही है हमारे पास.. जल्दी करो"

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पड़ोस में रहती अनु मौसी... रात के इस समय.. शीला के घर की दीवार पर कान रखकर.. सारी बातें सुन रही थी..
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शीला के गले से हल्की सी चीख निकल गई.. "आह्हहहह... !!" पर रघु ने जरा सा भी दयाभाव नही दिखाया.. और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड शीला की गांड में घुसा दिया.. शीला की सेन्डविच बन गई.. और वह तीनों बड़ी ही मस्ती से चोदने लगे.. शीला के मुंह से सिसकियाँ निकल रही थी... और अपने दोनों सुराखों में चुदवाते वक्त उसका सारा ध्यान घड़ी के काँटों पर ही था..

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दो दो विकराल लंड के भीषण धक्के खा खा कर शीला की गांड और भोस दोनों ही थक चुके थे.. शीला पसीने से तरबतर हो गई थी.. फिर भी उछल उछल कर चुदवा रही थी.. उसकी उछलने की गति बढ़ने के साथ ही जीवा समझ गया की शीला झड़ने की कगार पर थी.. इसलिए.. जिस तरह धोनी ने २०११ की वर्ल्डकप फाइनल की मेच में सिक्सर लगाई थी... वैसे ही जीवा ने अपने लंड से एक जोरदार शॉट लगाया..

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शीला को कमर से कसकर पकड़कर जीवा ने अपने ताकतवर हाथों से शीला को हवा में उठा लिया.. लगभग एक फुट ऊपर.. और वैसे ही उसे हवा में पकड़े रख.. नीचे से जबरदस्त धक्का लगाया शीला की भोसड़े में.. "ओह.. ह.. ह.. ह.. ले मेरी शीला रानी.. आहहहहहह..!!" कहते हुए जीवा ने पिचकारी मार दी.. शीला की चुत में गरम गरम वीर्य गिरते ही वह ठंडी होने लगी.. शीला ने अपनी गांड की मांसपेशियों को बेहद कस लिया और उसी के साथ रघु का लंड भी उसकी गांड के अंदर बर्बाद होते हुए झड़ गया...

तीनों ऐसे हांफ रहे थे जैसे मेरेथॉन दौड़कर आयें हों.. शीला की गांड और चुत दोनों में से वीर्य टपक रहा था.. गांड में अभी भी दर्द हो रहा था फिर भी शीला बहुत खुश थी.. आखिरकार उसका दो मर्दों से चुदने का सपना सच हो गया था..

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चार बजने में सिर्फ पाँच मिनट की देरी थी.. और तभी शीला के घर की डोरबेल बजी..

"इसकी माँ का.. रसिक ही होगा, जीवा.. अब क्या करेंगे?" शीला डर गई.. पूरे घर की हालत उसके भोसड़े जैसी ही थी.. सब तहस नहस हो रखा था... अब क्या होगा?

शीला ने तुरंत रघु और जीवा को कहा " तुम दोनों किचन में छुप जाओ.. में रसिक को लेकर बेडरूम में जाऊँगी तब तुम लोग धीरे से निकल जाना.. और हाँ.. बाइक को बिना चालू किए थोड़े दूर ले जाना.. और फिर स्टार्ट करना.. नही तो उस रंडवे को पता चल जाएगा.. जाओ जल्दी से.. "

शीला ने बेडरूम से जीवा और रघु को भगाया.. वह दोनों अपने कपड़े काँख में दबाकर किचन की ओर भागे.. उन दोनों के मुरझाए लटकते लंड देखकर शीला की हंसी निकल गई..

कपड़े पहनने का समय नही था.. और वैसे भी रसिक के अंदर आते ही फिर से उतारने थे.. ऐसा सोचकर शीला ने बिना ब्लाउस और घाघरे के.. अपने नंगे जिस्म पर सिर्फ साड़ी लपेट ली.. और अपने बबलों को साड़ी के नीचे दबाते हुए दरवाजा खोला...

"अरे, कविता तू... ??" शीला बोखला गई.. कपड़ों को ठीक करते हुए उसने पूछा

कविता पड़ोस में रहते अनु मौसी के बेटे पीयूष की पत्नी थी.. ४ महीनों पहले ही उनकी शादी हुई थी। अच्छा हुआ की बहुत अंधेरा था.. नही तो शीला को इस तरह देखकर, पता नही कविता क्या सोचती!!

"शीला भाभी, मेरे मामाजी ससुर को हार्ट-अटेक आया है.. और पीयूष मेरे सास ससुर के साथ उनके शहर गए है.. मम्मीजी ने मुझ से कहा था की अगर अकेले में डर लगे तो आपके घर आकर सो जाऊँ.. २ घंटों की ही बात है.. आपको अगर एतराज न हो तो क्या में आपके घर सो जाऊँ??" निर्दोष भाव से कविता ने इजाजत मांगी

शीला मन ही मन कांप उठी.. आज तो इज्जत का जनाज़ा निकल जाएगा.. माँ चुद जाने वाली थी..

"हाँ हाँ.. क्यों नही.. मैं हूँ ना तेरे साथ.. चिंता मत कर!!" शीला का शैतानी दिमाग काम पर लग गया... अब इस समस्या का कोई हल तो निकालना ही पड़ेगा.. वह सोचने लगी... क्या करूँ!!!!

"कविता, एक काम करते है.. " शीला ने अपने पत्ते बिछाना शुरू किया

"हाँ कहिए ना भाभी!!"

"मेरा बिस्तर हम दोनों के लिए छोटा पड़ेगा.. एक साथ सो नही पाएंगे... ऐसा करते है की तेरे ही घर हम दोनों सो जाते है"

"मैं आपको वही कहने वाली थी पर संकोच हो रहा था की कैसे कहूँ... वैसे भी मुझे अपने बिस्तर के बगैर नींद नही आती.. " कविता ने कहा

"तू अपने घर जा... मैं बाथरूम होकर अभी आती हूँ.. "

"जल्दी आना भाभी... मुझे अकेले में बहोत डर लगता है.. " कविता बोली

"हाँ.. हाँ.. तू जा.. मैं तुरंत पहुँचती हूँ.. "

बच गए!! शीला ने राहत की सांस ली.. वह तुरंत किचन में गई.. जीव और रघु को कहा "जल्दी निकलो तुम दोनों... रसिक नही था.. मेरी पड़ोसन थी.. "

"हाँ... वो तो हमने आप दोनों की बातें सुनी.. हम जा रहे है.. फिर किसी दिन.. बुलाते रहना.. भूल मत जाना" जीवा ने कहा

"कैसे भूल सकती हूँ!! जरूर बुलाऊँगी.. आप दोनों निकलों.. और वह देसी दारू की थैलियाँ लेते जाना.."

रघु वो थैलियाँ लेने अंदर गया तब जीवा ने शीला को बाहों में भरकर चूम लिया.. उसके आगोश में शीला दबकर रह गई.. उसने पतलून के ऊपर से जीवा लंड पकड़ लिया... "गजब का लंड है रे तेरा जीवा.. " जीवा ने शीला के साड़ी में लिपटे स्तनों को मसल दिया और उसके गाल पर हल्के से काटते हुए अपने प्रेम से उसे सराबोर कर दिया.. वापिस आए रघु भी शीला को पीछे से लिपट पड़ा.. शीला ने उसके लंड को भी प्यार से सहलाया..

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दोनों गए.. शीला की धड़कनें शांत हो गई.. अब दूसरी समस्या यह थी की रसिक का क्या करें!!

तभी रसिक की साइकिल की घंटी बजने की आवाज आई.. हाथ के इशारे से उसे घर के अंदर आने के लिए कहते हुए शीला अंदर आई.. जैसे ही रसिक घर के अंदर आया.. शीला उससे लिपट पड़ी.. और अपने स्तनों को रसिक की छाती पर रगड़ने लगी..

रसिक का लंड तुरंत ही सख्त हो गया. शीला ने घुटनों पर बैठकर उसका लंड पतलून से निकाला और चूसने लग गई.. काले डंडे जैसा उसका पूरा लंड शीला की लार से लसलसित होकर चमकने लगा..

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"रसिक, मुझे आज बहोत ही जल्दी है.. बगल वाले अनु मौसी के घर उसके बेटे की बीवी अकेली है.. उन्हे अचानक शहर के बाहर जाना पड़ा.. तू फटाफट मुझे चोदे दे.. और निकल.. फिर में घर बंद कर भागूँ.. वहाँ कविता मेरा इंतज़ार कर रही है"

"ठीक है भाभी, पर बिस्तर पर चलते है ना!! यहाँ कोई देख लेगा!!" रसिक ने कहा

रसिक का लंड मुठ्ठी में भरकर आगे पीछे करते हुए शीला ने कहा "उतना टाइम नही है रसिक.. जल्दी कर.. पेल दे फटाफट" कहते हुए शीला ने दीवार पर अपने हाथ टेक दिए और साड़ी को ऊपर उठा लिया.. रसिक उसके पीछे आ गया और शीला की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा कर अपने लंड को उसकी चुत में घुसाकर धक्के लगाने लगा.. उसे मज़ा तो नही आ रहा था पर क्या करता!!


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"देख रसिक.. जल्दी कर.. और हाँ.. तुरंत घर मत पहुँच जाना वरना रूखी को शक हो जाएगा" शीला का गणित रसिक समझ नही पाया और वह बिना समझे हाँ हाँ करता जा रहा था.. उसके घर पर उसकी बीवी जीवा और रघु से चुदवा रही होगी.. और यहाँ वह शीला की हाँ में हाँ मिलाते चोदे जा रहा था

अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए शीला ने कहा "अरे जल्दी कर न रसिक!! कितनी देर लगा रहा है तू? क्या टेस्ट मेच की तरह खेल रहा है!! देख आज तो में फंसी हुई हूँ.. इसलिए जल्दी करना पड़ रहा है.. पर कल तू जल्दी आ जाना.. फिर इत्मीनान से मजे करेंगे.. ठीक है.. कल चार बजे आ जाना"

"ठीक है भाभी.. " शीला की चुत में लंड अंदर बाहर करते हुए रसिक ने कहा

रसिक ने धक्के लगाने की गति बढ़ा दी.. "वाहह... आह्हह.. मज़ा आ रहा है.. घुसा अंदर तक.. ईशश.. " शीला की सिसकियाँ सुनकर रसिक झड़ गया.. शीला ने तुरंत उसका लंड अपनी चुत से बाहर निकाला.. और रसिक के सामने ही ब्लाउस और घाघरा पहनने लगी..

"भाभी आपने कपड़े नही पहने थे?" रसिक के मन में सवाल उठा

"कितनी गर्मी है.. और वैसे भी तू आने वाला था इसलिए कपड़े उतारकर तैयार बैठी थी.. तू बेकार की बातें बंद कर और निकल यहाँ से!!" शीला ने अपने जूठ को छिपाते हुए कहा

रसिक के निकलते ही शीला ने अपने घर को ताला लगाया.. और अनु मौसी के घर की तरफ दौड़ते हुए गई..


पर तब तक बहोत देर हो गई थी.. कविता ने यह सारा द्रश्य देख लिया था.. !! भाभी अब तक क्यों नही आए!! देखने के लिए वह शीला के घर के तरफ आई.. और शीला को खुले दरवाजे के पास रसिक से चुदवाते हुए देख लिया.. और अपने घर में वापिस आकर अचरज से सोचने लगी.. उसने जो देखा था वह अकल्पनीय था.. शीला भाभी?? एक दूधवाले के साथ? बाप रे.. विश्वास ही नही होता..."
Waaah Bhai haal bigad diya

Sheela ka andaaz ufff Kiya kehna

Awesome 👍
 
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vakharia

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कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!

अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागो... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"

पुलिस...!!!! तीन अक्षर का यह शब्द.. इंसान को हमेशा से डराता आया है.. !!

बाप रे... !!! पुलिस... !!!! मर गए... !!! अब कल के अखबार में.. फ़ोटो के साथ नाम आना तय हो चुका था.. !! सब की गांड फटकर फ्लावर हो रही थी..

हाथ से अपना सर पटकते हुए मदन ने कहा "माँ चुद गई यार.. हम तो घर पर झूठ बोलकर निकले थे.. अब क्या होगा..??? !!"

घबरा रहें कॉकटेल ने कहा "मैंने भी घर पर झूठ बोला है की एक पुराने दोस्त की मृत्यु हो गई है और उसकी अंतिम क्रिया में शामिल होने जा रहा हूँ " पहली बार सब ने कॉकटेल को बोलते हुए सुना.. आवाज जानी पहचानी जरूर लग रही थी.. पर अभी किसी का ध्यान उस ओर गया ही नहीं.. !!

"पुलिस की रैड है.. आप सब लोग अपने अपने कमरे में चले जाइए.. " काफी डरे हुए हेमंत ने कहा.. सब अपने कपड़े ढूँढने लगे.. जिसके हाथ में जो आया वो लेकर अपना शरीर छुपाते हुए.. सब अपने अपने कमरे की ओर भागे.. !!

जल्दबाजी में.. राजेश के कमरे में स्टेफी के बदले रेणुका चली गई.. और स्टेफी कॉकटेल के सामने वाले कमरे में.. उसके साथ घुस गई.. हेमंत और बार्बी अपने कमरे में दुबक कर बैठ गए.. !!

यह कोई अफवाह नहीं थी.. सचमुच पुलिस की रैड पड़ी थी.. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था.. रात के एक बजे पुलिस ने किसी अनजान खबर पर एक्शन लिया और इस बहोत बड़े सेक्स रैकिट का पर्दाफाश कर दिया था.. ज्यादातर सदस्य काफी अमीर और बड़ी बड़ी पहचान वाले थे.. उन सब को यकीन था की वह अपने पैसे के दम पर.. या किसी न किसी की सिफारिश के जोर पर बच जाएंगे.. पर दो ही दिन पहले प्रमोट हुए इंस्पेक्टर खान ने किसी की एक न सुनी.. वो हर कमरे में खुद जाकर तलाशी ले रहे थे.. जिन लोगों ने अपने फर्जी नाम बताकर रूम बुक किए थे.. उन सब को थाने ले जाने का आदेश दिया था इंस्पेकटर ने.. एक के बाद एक कपल.. चुपचाप पुलिस की वैन में बैठने लगे.. ईमानदार इन्स्पेक्टर के आगे.. ना पैसों की गर्मी चली और ना ही किसी की सिफारिश.. !!

होटल के प्रत्येक कमरे में जाकर इन्स्पेक्टर सब की पूछताछ कर रहे थे.. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल भी थे.. शीला और मदन के कमरे के दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. शीला ने इशारे से मदन को बाथरूम में छुप जाने को कहा.. और अपने उत्तेजक शर्ट और मेक्सी की बिना परवाह किए.. मास्क उतारकर.. बड़ी ही बेफिक्री से दरवाजा खोला

"हैलो मैडम.. मेरा नाम इन्स्पेक्टर खान है.. यह एक तहकीकात है.. और आपको हमें सहकार देना होगा"

"आइए सर.. !!" शीला ने जग से पानी भरकर ग्लास इन्स्पेक्टर को देते हुए कहा "बैठिए ना.. !! वैसे बात क्या है?? और इतनी रात गए आप लोग क्यों आए है?? और आप किस प्रकार के सहकार की बात कर रहे है?"

इन्स्पेक्टर: "देखिए मैडम.. बात दरअसल यह है की... !!"

शीला: "जी, मेरा नाम शीला है.. !!"

इन्स्पेक्टर: "थेंकस मिसिस शीला.. आप ये बताइए.. की आप किसके साथ यहाँ रूम में ठहरी हुई है?"

शीला: "जी, मेरे पति के साथ.. हम और हमारे दोस्त.. मिसिस रेणुका और राजेश.. जो बगल के कमरे में ठहरे हुए है.. हम लोग घूमने निकले थे.. पर वापिस आते वक्त हमें मजबूरन यहाँ रुकना पड़ा.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ओह अच्छा.. तो कहाँ है आप के पति?"

शीला: "जी, वो टॉइलेट में है... अभी आ जाएंगे.. दरअसल उन्हें होटल का खाना राज नहीं आता.. इसलिए उन्हें लूज मोशन हो गए है"

उस दौरान शीला ने बड़ी ही चतुराई से रेणुका को कॉल कर.. फोन टेबल पर ही छोड़ दिया.. ताकि रेणुका, उसकी और इन्स्पेक्टर की बातें सुन ले.. और फिर बात करने में कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए

शीला: "सर आपको एतराज न हो तो मैं हमारे दोस्त रेणुका और राजेश को भी यही बुला लूँ?? ताकि आप पूछताछ कर सकें और तसल्ली हो जाए.. आप का समय भी बच जाएगा"

इन्स्पेक्टर: "सॉरी मैडम.. पर ये देखिए.. होटल के रजिस्टर में यह कमरा किसी मिस्टर मेक के नाम से बुक किया गया है"

शीला: "सर, इस बारे में तो मुझे कुछ नहीं पता.. हम तो एक घंटे पहले ही यहाँ पहुंचे है.. और अभी तक हमने चेक-इन की विधि भी नहीं की है.. क्यों की मेरे पति को इतने लूज मोशन हो रहे थे.. की यह सब कार्यवाही का समय ही नहीं था.. वैसे भी रात के बारह बजे थे.. इसलिए हमने सोचा की रजिस्ट्रेशन हम सुबह कर लेंगे.. !!!"

बाहर हो रही बातचीत सुनकर.. मदन को वाकई में पतले दस्त हो गए.. अंदर से आ रही पैखाने की गरजदार आवाज़ें सुनकर.. इन्स्पेक्टर को भी विश्वास हो गया शीला की बातों पर.. कोई इंसान झूठ बोल सकता है.. पर लूज मोशन्स की आवाज़े निकालना मुमकिन नहीं है.. इन्स्पेक्टर की नजरें कब से शीला की मादक क्लीवेज पर चिपक गई थी..

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. आपके पति ठीक से रिलेक्स हो जाए तब तक हम आपके दोस्तों की पूछताछ कर लेते है.. "

शीला: "जी जरूर सर.. वो मेरी सहेली रेणुका.. पुलिस को देखकर बहोत डर जाती है.. आप समझ सकते हो सर.. !!"

इन्स्पेक्टर: "कोई बात नहीं.. चलिए.. हम उनके रूम में चलते है"

शीला: "सर, अगर उन दोनों को यहीं बुला ले तो?? क्या है की मेरे पति की तबीयत के चलते.. मेरा यहाँ रहना जरूरी है..!! इस तरह.. आपकी पूछताछ भी हो जाएगी.. और मेरे पति को किसी चीज की जरूरत पड़ी तो मैं संभाल भी सकूँगी.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. बुलाइए उन दोनों को इधर.. !!"

पुलिस का नाम सुनते ही.. मदन को सच में लूज मोशन हो गए.. उसका दिमाग सुन्न हो गया था.. कुछ सूझ नहीं रहा था.. एक साथ सेंकड़ों सवाल दिमाग में घूमने लगे थे.. उन सब सवालों में.. सब से बड़ा सवाल था.. शीला यहाँ पहुंची कैसे????

इंस्पेक्टर खान ने हवालदार को इशारा करते ही वो दूसरे कमरे से रेणुका और राजेश को बुला लाया.. दोनों बेहद घबराए हुए थे.. इंस्पेक्टर ने एक दो मामूली से सवाल किए जिसके जवाब देने में ही दोनों की फट गई.. तुरंत शीला ने बाजी अपने हाथ में ले ली और मामले को संभाल लिया.. उस दौरान मदन भी टॉइलेट से बाहर निकल आया.. उसके चेहरे का नूर गायब हो चुका था..

एक रात मजे करने की कितनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ रही थी.. !!

थोड़े और सवाल करने के बाद.. इन्स्पेक्टर ने चारों के आइडेंटिटी प्रूफ मांगें.. चेक करने पर उन्हें तसल्ली हो गई की वह वाकई पति पत्नी ही थे..

इन्स्पेक्टर: "आप सब को डिस्टर्ब करने के लिए माफी चाहता हूँ.. पर आप समझ सकते है की यह हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है.. " फिर मदन की ओर मुड़कर उन्हों ने कहा "मिस्टर, आप तुरंत किसी डॉक्टर को ढूंढकर दवाई ले लीजिए.. फूड-पॉइजन का मामला हो सकता है..!!"

इन्स्पेक्टर के जाते ही सब को ऐसा महसूस हुआ जैसे छाती पर से एक टन का वज़न कम हो गया हो..!! राजेश और मदन तो रेणुका-शीला से नजरें तक नहीं मिला पा रहे थे.. चारों गुमसुम थे..

आखिर माहोल को स्वाभाविक बनाने के लिए.. शीला ने टेबल से पैकेट उठाकर सिगरेट जलाई.. और एक कश खींचकर सिगरेट रेणुका के हाथों में थमा दी.. मदन और राजेश की सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई थी.. जैसे पुलिस थाने में उन्हें रिमांड पर लिया गया हो और इंस्पेक्टर थर्ड डिग्री आजमाने की तैयारी में हो.. कुछ ऐसा ही माहोल था..

मदन और राजेश, अपनी बीवियों को पराये मर्दों से चुदते हुए देखने के बावजूद कुछ बोल पाने की स्थिति में न थे.. क्यों की आज अगर शीला और रेणुका यहाँ नहीं होती तो क्या होता.. यह सोचकर ही दोनों कांप उठते थे..!!

अब सारा टेंशन दूर हो चुका था.. पर फिर भी मदन और राजेश बहोत घबराए हुए थे.. पुलिस का टेंशन खत्म हो चुका था.. पर अब बीवियों की अदालत में दोनों की पेशी होने वाली थी..

शीला चलते चलते मदन के सामने खड़ी होकर उसे देखती रही.. बेहद प्रभावशाली लग रही थी शीला.. अभी भी उसने वो गोल्डन शर्ट, बिना ब्रा के पहन रखा था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे.. जिसमें से उसकी नशीली क्लीवेज की झलक नजर आ रहा थी..

शीला: "क्यों राजेश?? तुझे अपने दोस्त की बीवी को नंगा देखने का बड़ा मन था ना.. !!!"

राजेश ने नजरें झुका दी.. वो किसी भी तरह की सफाई देने की स्थिति में न था.. उसने शीला के बारे में जो भी इच्छाएं मदन के सामने जताई थी.. वो सब शीला और रेणुका सुन चुके थे..!! शीला के चमकीले सुनहरे शर्ट के दो खुले बटन से झलक रहे स्तनों के उभार.. और तेज ए.सी. की ठंडी हवा के कारण शर्ट के महीन कपड़े से उभरी हुई निप्पल का नजारा देखते हुए राजेश का गला सूख रहा था.. वो उभार.. वो जोबन.. वो कातिल हुस्न.. नज़ारे को और मादक बनाते हुए शीला ने अपना एक पैर बेड के ऊपर रखकर.. अपनी मेक्सी को जांघों तक उठाए रखा था.. उसका गोरा चमकता हुए घुटना भी बड़ा ही आकर्षक लग रहा था.. सफेद संगेमर्मरी जांघें.. ऐसा नजारा था की देखने वाला सिर्फ उसकी जांघों की सिलवटों पर अपना सुपाड़ा रगड़कर ही अपना पानी गिरा सकता था


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शीला का अर्ध-नग्न बदन अच्छे-अच्छों का खून गरम करने के लिए काफी था.. दो बड़े बड़े वक्षों वाली.. कामुक मादक गदराई औरत... बेफिक्री से सिगरेट फूंकते हुए धुएं के छल्ले बना रही थी.. अद्भुत द्रश्य था.. !! शीला के शर्ट को ध्यान से देखने पर.. वो शर्ट कई जगह से फटा नजर आ रहा था.. सूखे हुए वीर्य के कई धब्बे भी उसपर मौजूद थे.. पार्टी में एक साथ २०-२५ लोगों ने मिलकर उसे रौंदा था.. यह पूरा नजारा देखकर.. राजेश का लंड उसके बरमूडा में हरकत करने लगा.. और उसकी चड्डी में.. सब की नज़रों के सामने ही उभार बनाने लगा.. ऐसी गंभीर स्थिति में भी अपने लंड को नाचते देखकर राजेश को गुस्सा आ रहा था.. वो मन ही मन अपने लंड को कोस रहा था.. साले, तेरे चक्कर में आज इज्जत की मैया चुद जाती.. बाल बाल बचे है.. अब तो शांति से बैठ, मेरे भाई.. !!!

शीला ने रेणुका की ओर देखकर इशारा किया.. दोनों बिना कुछ कहें, उठ खड़े हुए.. और बगल के कमरे में जाकर सो गए.. राजेश और मदन एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे.. दोनों में से किसी को पता नहीं था की उन दोनों ने ऐसा क्यों किया... !!

सर पर हाथ रखकर मदन ने कहा "यार राजेश, मुसीबत खतम होने का नाम ही नहीं ले रही है.. !!"

राजेश का चेहरा भी बासी बासुंदी जैसा हो गया था.. दोनों बैठे बैठे अपनी किस्मत और अपने लंड को गालियां दे रहे थे..

दूसरे कमरे में...

रेणुका: "मुझे समझ नहीं आया शीला, आखिर तुमने वहाँ से निकल जाने के लिए क्यों कहा?? पतियों की अदला-बदली कर चुदवाने का मस्त मौका था यार.. !!

शीला; "नहीं... आज नहीं.. आज तो उन दोनों घोंचूओ को उदास ही पड़े रहने दे.. हम दोनों है ना.. !! एक दूसरे से खेलकर अपनी प्यास बुझा लेंगे आज की रात.. पर वो दोनों क्या करेंगे?? तड़पने दे सालों को.. !!!"

रेणुका: "बाप रे शीला.. बड़ी जालिम है रे तू.. पता है..!! ये तेरे बबले देखकर, राजेश का लंड खड़ा हो गया था.. !!"

शीला: "हाँ, देखा था मैंने.. पर तब अगर मैं उस लंड के मजे लेने जाती.. तो वो दोनों भी मूड में आ जाते.. मैं चाहती हूँ की सिर्फ एक रात के लिए उन दोनों को अपराधभाव से पीड़ित होने दु.. घर जाकर भी आसानी से नहीं मानना है.. एक एक पल तड़पाना है.. ऐसा करना है की वो दोनों हमारे पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाएं.. भीख मांगें.. ऐसा करने से हमारा पक्ष मजबूत होगा.. और फिर हम अपनी मनमानी कर सकेंगे"

शीला और रेणुका बेड पर लेटे लेटे सिगरेट फूँक रही थी.. और साथ ही साथ, एक दूसरे के स्तनों से खेलते हुए बातें कर रही थी.. शीला का शर्ट नीचे कर उसका स्तन बाहर निकालकर.. उसकी निप्पल चूसते हुए रेणुका ने पूछा

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रेणुका: "अरे शीला.. उस रबर के लंड वाली औरत का क्या हुआ होगा फिर??"

शीला: "अरे हाँ यार.. वो तो अपनी कोई लेस्बियन साथी को लेकर आई थी ना.. चल उसे ढूंढते है.. !!"

रेणुका: "अरे यार.. इतनी रात को कहाँ ढूँढेंगे?? एक एक कमरे पर जाकर दस्तक तो नहीं दे सकते है ना..!! और हमारे हक के दो दो लंड बगल के कमरे में पड़े है.. तब उस रबर के लंड से चुदवाने में क्या फायदा??

शीला: "तू चिंता मत कर.. हम दोनों बिना लंड के भी मजे करेंगे.. वैसे भी आज रात हमने कितने लंड देख लिए.. चूस लिए.. और खेल भी लिए.. मुझे थोड़ी जिज्ञासा इस लिए हो रही है क्यों की वो हेमंत कह रहा था की वो रबर के लंड वाली विकृत और काफी आक्रामक है.. देखें तो सही.. वो क्या चीज है.. कुछ नया देखने और जानने को मिलेगा.. चल.. चलते है"

रेणुका: "शीला, मुझे चलने में कोई दिक्कत नहीं है.. मैं बस यही कह रही हूँ की रात के तीन बजे किसी का दरवाजा खटखटाना मुनासिब होगा?"

शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. चल कपड़े पहन ले.. "

अब रेणुका के पास, शीला के साथ जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. उसने तुरंत कपड़े पहन लीये.. और तैयार हो गई..

दोनों कमरे से बाहर निकलें.. रात के तीन बज रहे थे और पूरी लॉबी में नीरव शांति थी.. चार पाँच कमरों के दरवाजे खटखटाते हुए आखिर वह दोनों अपनी मंजिल पर पहुँच ही गई..

दरवाजा खोलने वाली उस औरत ने जल्दबाजी में गाउन पहन लिया था.. और उस पारदर्शी गाउन से रबर का लंड साफ नजर आ रहा था..

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शीला को तो वो देखते ही पहचान गई.. बिना किसी संकोच या औपचारिकता के शीला कमरे के अंदर घुस गई.. रेणुका को अपने पीछे खींचते हुए..!!

फिर तीन बजे से पाँच बजे तक.. चारों औरतों ने मिलकर.. उस रबर के लंड से भरपूर चुदाई कर उसकी धज्जियां उड़ा दी.. अपने भोसड़ों की आग बुझाकर.. रेणुका और शीला चुपचाप कमरे में वापिस लौट आई.. शीला के साहस के कारण रेणुका को इस अनूठे अनुभव का आनंद मिला था और इसलिए अब वह शीला के गहरे प्रभाव के तले दब चुकी थी..

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पूरी रात की इन गतिविधियों के बाद रेणुका बेड पर लेटकर आराम करने जा ही रही थी की तब शीला ने उसका हाथ पकड़कर कहा

शीला: "चल रेणु.. मदन और राजेश के जागने से पहले हमें होटल छोड़ देनी है.. हम उनके साथ बात भी नहीं करेंगे और उन्हें बताएंगे भी नहीं"

आज की रात के अनुभव के बाद, रेणुका इतना तो जान ही गई थी की शीला की बुद्धि उससे सौ गुना ज्यादा तेज थी.. शीला के साथ निरर्थक बहस करने का कोई मतल नहीं था..

दोनों फटाफट बाथरूम में घुसी.. और एक साथ नहाने लगी.. बाहर निकलकर कपड़े पहने.. और चेक-आउट कर दोनों निकल गई.. मदन और राजेश तब अपने कमरे में खर्राटे लेकर सो रहे थे..

सुबह सात बजे राजेश की आँख खुली.. आँखें मलते हुए जब उसका दिमाग थोड़ा जागृत हुआ.. तब कल की डरावनी यादें ताज़ा हो गई.. !! और वो बेड पर स्प्रिंग की तरह उछल गया.. उसने झकझोर कर मदन को जगाया..

राजेश: "अरे यार मदन.. उठ जा यार.. चल यहाँ से जल्दी निकल जाते है.. मुझे तो यहाँ अब एक पल और रहने में भी डर लग रहा है!!"


मदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
 
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Rajizexy

Punjabi Doc
Supreme
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कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!

अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागो... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"

पुलिस...!!!! तीन अक्षर का यह शब्द.. इंसान को हमेशा से डराता आया है.. !!

बाप रे... !!! पुलिस... !!!! मर गए... !!! अब कल के अखबार में.. फ़ोटो के साथ नाम आना तय हो चुका था.. !! सब की गांड फटकर फ्लावर हो रही थी..

हाथ से अपना सर पटकते हुए मदन ने कहा "माँ चुद गई यार.. हम तो घर पर झूठ बोलकर निकले थे.. अब क्या होगा..??? !!"

घबरा रहें कॉकटेल ने कहा "मैंने भी घर पर झूठ बोला है की एक पुराने दोस्त की मृत्यु हो गई है और उसकी अंतिम क्रिया में शामिल होने जा रहा हूँ " पहली बार सब ने कॉकटेल को बोलते हुए सुना.. आवाज जानी पहचानी जरूर लग रही थी.. पर अभी किसी का ध्यान उस ओर गया ही नहीं.. !!

"पुलिस की रैड है.. आप सब लोग अपने अपने कमरे में चले जाइए.. " काफी डरे हुए हेमंत ने कहा.. सब अपने कपड़े ढूँढने लगे.. जिसके हाथ में जो आया वो लेकर अपना शरीर छुपाते हुए.. सब अपने अपने कमरे की ओर भागे.. !!

जल्दबाजी में.. राजेश के कमरे में स्टेफी के बदले रेणुका चली गई.. और स्टेफी कॉकटेल के सामने वाले कमरे में.. उसके साथ घुस गई.. हेमंत और बार्बी अपने कमरे में दुबक कर बैठ गए.. !!

यह कोई अफवाह नहीं थी.. सचमुच पुलिस की रैड पड़ी थी.. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था.. रात के एक बजे पुलिस ने किसी अनजान खबर पर एक्शन लिया और इस बहोत बड़े सेक्स रैकिट का पर्दाफाश कर दिया था.. ज्यादातर सदस्य काफी अमीर और बड़ी बड़ी पहचान वाले थे.. उन सब को यकीन था की वह अपने पैसे के दम पर.. या किसी न किसी की सिफारिश के जोर पर बच जाएंगे.. पर दो ही दिन पहले प्रमोट हुए इंस्पेक्टर खान ने किसी की एक न सुनी.. वो हर कमरे में खुद जाकर तलाशी ले रहे थे.. जिन लोगों ने अपने फर्जी नाम बताकर रूम बुक किए थे.. उन सब को थाने ले जाने का आदेश दिया था इंस्पेकटर ने.. एक के बाद एक कपल.. चुपचाप पुलिस की वैन में बैठने लगे.. ईमानदार इन्स्पेक्टर के आगे.. ना पैसों की गर्मी चली और ना ही किसी की सिफारिश.. !!

होटल के प्रत्येक कमरे में जाकर इन्स्पेक्टर सब की पूछताछ कर रहे थे.. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल भी थे.. शीला और मदन के कमरे के दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. शीला ने इशारे से मदन को बाथरूम में छुप जाने को कहा.. और अपने उत्तेजक शर्ट और मेक्सी की बिना परवाह किए.. मास्क उतारकर.. बड़ी ही बेफिक्री से दरवाजा खोला

"हैलो मैडम.. मेरा नाम इन्स्पेक्टर खान है.. यह एक तहकीकात है.. और आपको हमें सहकार देना होगा"

"आइए सर.. !!" शीला ने जग से पानी भरकर ग्लास इन्स्पेक्टर को देते हुए कहा "बैठिए ना.. !! वैसे बात क्या है?? और इतनी रात गए आप लोग क्यों आए है?? और आप किस प्रकार के सहकार की बात कर रहे है?"

इन्स्पेक्टर: "देखिए मैडम.. बात दरअसल यह है की... !!"

शीला: "जी, मेरा नाम शीला है.. !!"

इन्स्पेक्टर: "थेंकस मिसिस शीला.. आप ये बताइए.. की आप किसके साथ यहाँ रूम में ठहरी हुई है?"

शीला: "जी, मेरे पति के साथ.. हम और हमारे दोस्त.. मिसिस रेणुका और राजेश.. जो बगल के कमरे में ठहरे हुए है.. हम लोग घूमने निकले थे.. पर वापिस आते वक्त हमें मजबूरन यहाँ रुकना पड़ा.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ओह अच्छा.. तो कहाँ है आप के पति?"

शीला: "जी, वो टॉइलेट में है... अभी आ जाएंगे.. दरअसल उन्हें होटल का खाना राज नहीं आता.. इसलिए उन्हें लूज मोशन हो गए है"

उस दौरान शीला ने बड़ी ही चतुराई से रेणुका को कॉल कर.. फोन टेबल पर ही छोड़ दिया.. ताकि रेणुका, उसकी और इन्स्पेक्टर की बातें सुन ले.. और फिर बात करने में कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए

शीला: "सर आपको एतराज न हो तो मैं हमारे दोस्त रेणुका और राजेश को भी यही बुला लूँ?? ताकि आप पूछताछ कर सकें और तसल्ली हो जाए.. आप का समय भी बच जाएगा"

इन्स्पेक्टर: "सॉरी मैडम.. पर ये देखिए.. होटल के रजिस्टर में यह कमरा किसी मिस्टर मेक के नाम से बुक किया गया है"

शीला: "सर, इस बारे में तो मुझे कुछ नहीं पता.. हम तो एक घंटे पहले ही यहाँ पहुंचे है.. और अभी तक हमने चेक-इन की विधि भी नहीं की है.. क्यों की मेरे पति को इतने लूज मोशन हो रहे थे.. की यह सब कार्यवाही का समय ही नहीं था.. वैसे भी रात के बारह बजे थे.. इसलिए हमने सोचा की रजिस्ट्रेशन हम सुबह कर लेंगे.. !!!"

बाहर हो रही बातचीत सुनकर.. मदन को वाकई में पतले दस्त हो गए.. अंदर से आ रही पैखाने की गरजदार आवाज़ें सुनकर.. इन्स्पेक्टर को भी विश्वास हो गया शीला की बातों पर.. कोई इंसान झूठ बोल सकता है.. पर लूज मोशन्स की आवाज़े निकालना मुमकिन नहीं है.. इन्स्पेक्टर की नजरें कब से शीला की मादक क्लीवेज पर चिपक गई थी..

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. आपके पति ठीक से रिलेक्स हो जाए तब तक हम आपके दोस्तों की पूछताछ कर लेते है.. "

शीला: "जी जरूर सर.. वो मेरी सहेली रेणुका.. पुलिस को देखकर बहोत डर जाती है.. आप समझ सकते हो सर.. !!"

इन्स्पेक्टर: "कोई बात नहीं.. चलिए.. हम उनके रूम में चलते है"

शीला: "सर, अगर उन दोनों को यहीं बुला ले तो?? क्या है की मेरे पति की तबीयत के चलते.. मेरा यहाँ रहना जरूरी है..!! इस तरह.. आपकी पूछताछ भी हो जाएगी.. और मेरे पति को किसी चीज की जरूरत पड़ी तो मैं संभाल भी सकूँगी.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. बुलाइए उन दोनों को इधर.. !!"

पुलिस का नाम सुनते ही.. मदन को सच में लूज मोशन हो गए.. उसका दिमाग सुन्न हो गया था.. कुछ सूझ नहीं रहा था.. एक साथ सेंकड़ों सवाल दिमाग में घूमने लगे थे.. उन सब सवालों में.. सब से बड़ा सवाल था.. शीला यहाँ पहुंची कैसे????

इंस्पेक्टर खान ने हवालदार को इशारा करते ही वो दूसरे कमरे से रेणुका और राजेश को बुला लाया.. दोनों बेहद घबराए हुए थे.. इंस्पेक्टर ने एक दो मामूली से सवाल किए जिसके जवाब देने में ही दोनों की फट गई.. तुरंत शीला ने बाजी अपने हाथ में ले ली और मामले को संभाल लिया.. उस दौरान मदन भी टॉइलेट से बाहर निकल आया.. उसके चेहरे का नूर गायब हो चुका था..

एक रात मजे करने की कितनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ रही थी.. !!

थोड़े और सवाल करने के बाद.. इन्स्पेक्टर ने चारों के आइडेंटिटी प्रूफ मांगें.. चेक करने पर उन्हें तसल्ली हो गई की वह वाकई पति पत्नी ही थे..

इन्स्पेक्टर: "आप सब को डिस्टर्ब करने के लिए माफी चाहता हूँ.. पर आप समझ सकते है की यह हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है.. " फिर मदन की ओर मुड़कर उन्हों ने कहा "मिस्टर, आप तुरंत किसी डॉक्टर को ढूंढकर दवाई ले लीजिए.. फूड-पॉइजन का मामला हो सकता है..!!"

इन्स्पेक्टर के जाते ही सब को ऐसा महसूस हुआ जैसे छाती पर से एक टन का वज़न कम हो गया हो..!! राजेश और मदन तो रेणुका-शीला से नजरें तक नहीं मिला पा रहे थे.. चारों गुमसुम थे..

आखिर माहोल को स्वाभाविक बनाने के लिए.. शीला ने टेबल से पैकेट उठाकर सिगरेट जलाई.. और एक कश खींचकर सिगरेट रेणुका के हाथों में थमा दी.. मदन और राजेश की सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई थी.. जैसे पुलिस थाने में उन्हें रिमांड पर लिया गया हो और इंस्पेक्टर थर्ड डिग्री आजमाने की तैयारी में हो.. कुछ ऐसा ही माहोल था..

मदन और राजेश, अपनी बीवियों को पराये मर्दों से चुदते हुए देखने के बावजूद कुछ बोल पाने की स्थिति में न थे.. क्यों की आज अगर शीला और रेणुका यहाँ नहीं होती तो क्या होता.. यह सोचकर ही दोनों कांप उठते थे..!!

अब सारा टेंशन दूर हो चुका था.. पर फिर भी मदन और राजेश बहोत घबराए हुए थे.. पुलिस का टेंशन खत्म हो चुका था.. पर अब बीवियों की अदालत में दोनों की पेशी होने वाली थी..

शीला चलते चलते मदन के सामने खड़ी होकर उसे देखती रही.. बेहद प्रभावशाली लग रही थी शीला.. अभी भी उसने वो गोल्डन शर्ट, बिना ब्रा के पहन रखा था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे.. जिसमें से उसकी नशीली क्लीवेज की झलक नजर आ रहा थी..

शीला: "क्यों राजेश?? तुझे अपने दोस्त की बीवी को नंगा देखने का बड़ा मन था ना.. !!!"

राजेश ने नजरें झुका दी.. वो किसी भी तरह की सफाई देने की स्थिति में न था.. उसने शीला के बारे में जो भी इच्छाएं मदन के सामने जताई थी.. वो सब शीला और रेणुका सुन चुके थे..!! शीला के चमकीले सुनहरे शर्ट के दो खुले बटन से झलक रहे स्तनों के उभार.. और तेज ए.सी. की ठंडी हवा के कारण शर्ट के महीन कपड़े से उभरी हुई निप्पल का नजारा देखते हुए राजेश का गला सूख रहा था.. वो उभार.. वो जोबन.. वो कातिल हुस्न.. नज़ारे को और मादक बनाते हुए शीला ने अपना एक पैर बेड के ऊपर रखकर.. अपनी मेक्सी को जांघों तक उठाए रखा था.. उसका गोरा चमकता हुए घुटना भी बड़ा ही आकर्षक लग रहा था.. सफेद संगेमर्मरी जांघें.. ऐसा नजारा था की देखने वाला सिर्फ उसकी जांघों की सिलवटों पर अपना सुपाड़ा रगड़कर ही अपना पानी गिरा सकता था


SHILA

शीला का अर्ध-नग्न बदन अच्छे-अच्छों का खून गरम करने के लिए काफी था.. दो बड़े बड़े वक्षों वाली.. कामुक मादक गदराई औरत... बेफिक्री से सिगरेट फूंकते हुए धुएं के छल्ले बना रही थी.. अद्भुत द्रश्य था.. !! शीला के शर्ट को ध्यान से देखने पर.. वो शर्ट कई जगह से फटा नजर आ रहा था.. सूखे हुए वीर्य के कई धब्बे भी उसपर मौजूद थे.. पार्टी में एक साथ २०-२५ लोगों ने मिलकर उसे रौंदा था.. यह पूरा नजारा देखकर.. राजेश का लंड उसके बरमूडा में हरकत करने लगा.. और उसकी चड्डी में.. सब की नज़रों के सामने ही उभार बनाने लगा.. ऐसी गंभीर स्थिति में भी अपने लंड को नाचते देखकर राजेश को गुस्सा आ रहा था.. वो मन ही मन अपने लंड को कोस रहा था.. साले, तेरे चक्कर में आज इज्जत की मैया चुद जाती.. बाल बाल बचे है.. अब तो शांति से बैठ, मेरे भाई.. !!!

शीला ने रेणुका की ओर देखकर इशारा किया.. दोनों बिना कुछ कहें, उठ खड़े हुए.. और बगल के कमरे में जाकर सो गए.. राजेश और मदन एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे.. दोनों में से किसी को पता नहीं था की उन दोनों ने ऐसा क्यों किया... !!

सर पर हाथ रखकर मदन ने कहा "यार राजेश, मुसीबत खतम होने का नाम ही नहीं ले रही है.. !!"

राजेश का चेहरा भी बासी बासुंदी जैसा हो गया था.. दोनों बैठे बैठे अपनी किस्मत और अपने लंड को गालियां दे रहे थे..

दूसरे कमरे में...

रेणुका: "मुझे समझ नहीं आया शीला, आखिर तुमने वहाँ से निकल जाने के लिए क्यों कहा?? पतियों की अदला-बदली कर चुदवाने का मस्त मौका था यार.. !!

शीला; "नहीं... आज नहीं.. आज तो उन दोनों घोंचूओ को उदास ही पड़े रहने दे.. हम दोनों है ना.. !! एक दूसरे से खेलकर अपनी प्यास बुझा लेंगे आज की रात.. पर वो दोनों क्या करेंगे?? तड़पने दे सालों को.. !!!"

रेणुका: "बाप रे शीला.. बड़ी जालिम है रे तू.. पता है..!! ये तेरे बबले देखकर, राजेश का लंड खड़ा हो गया था.. !!"

शीला: "हाँ, देखा था मैंने.. पर तब अगर मैं उस लंड के मजे लेने जाती.. तो वो दोनों भी मूड में आ जाते.. मैं चाहती हूँ की सिर्फ एक रात के लिए उन दोनों को अपराधभाव से पीड़ित होने दु.. घर जाकर भी आसानी से नहीं मानना है.. एक एक पल तड़पाना है.. ऐसा करना है की वो दोनों हमारे पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाएं.. भीख मांगें.. ऐसा करने से हमारा पक्ष मजबूत होगा.. और फिर हम अपनी मनमानी कर सकेंगे"

शीला और रेणुका बेड पर लेटे लेटे सिगरेट फूँक रही थी.. और साथ ही साथ, एक दूसरे के स्तनों से खेलते हुए बातें कर रही थी.. शीला का शर्ट नीचे कर उसका स्तन बाहर निकालकर.. उसकी निप्पल चूसते हुए रेणुका ने पूछा

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रेणुका: "अरे शीला.. उस रबर के लंड वाली औरत का क्या हुआ होगा फिर??"

शीला: "अरे हाँ यार.. वो तो अपनी कोई लेस्बियन साथी को लेकर आई थी ना.. चल उसे ढूंढते है.. !!"

रेणुका: "अरे यार.. इतनी रात को कहाँ ढूँढेंगे?? एक एक कमरे पर जाकर दस्तक तो नहीं दे सकते है ना..!! और हमारे हक के दो दो लंड बगल के कमरे में पड़े है.. तब उस रबर के लंड से चुदवाने में क्या फायदा??

शीला: "तू चिंता मत कर.. हम दोनों बिना लंड के भी मजे करेंगे.. वैसे भी आज रात हमने कितने लंड देख लिए.. चूस लिए.. और खेल भी लिए.. मुझे थोड़ी जिज्ञासा इस लिए हो रही है क्यों की वो हेमंत कह रहा था की वो रबर के लंड वाली विकृत और काफी आक्रामक है.. देखें तो सही.. वो क्या चीज है.. कुछ नया देखने और जानने को मिलेगा.. चल.. चलते है"

रेणुका: "शीला, मुझे चलने में कोई दिक्कत नहीं है.. मैं बस यही कह रही हूँ की रात के तीन बजे किसी का दरवाजा खटखटाना मुनासिब होगा?"

शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. चल कपड़े पहन ले.. "

अब रेणुका के पास, शीला के साथ जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. उसने तुरंत कपड़े पहन लीये.. और तैयार हो गई..

दोनों कमरे से बाहर निकलें.. रात के तीन बज रहे थे और पूरी लॉबी में नीरव शांति थी.. चार पाँच कमरों के दरवाजे खटखटाते हुए आखिर वह दोनों अपनी मंजिल पर पहुँच ही गई..

दरवाजा खोलने वाली उस औरत ने जल्दबाजी में गाउन पहन लिया था.. और उस पारदर्शी गाउन से रबर का लंड साफ नजर आ रहा था..

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शीला को तो वो देखते ही पहचान गई.. बिना किसी संकोच या औपचारिकता के शीला कमरे के अंदर घुस गई.. रेणुका को अपने पीछे खींचते हुए..!!

फिर तीन बजे से पाँच बजे तक.. चारों औरतों ने मिलकर.. उस रबर के लंड से भरपूर चुदाई कर उसकी धज्जियां उड़ा दी.. अपने भोसड़ों की आग बुझाकर.. रेणुका और शीला चुपचाप कमरे में वापिस लौट आई.. शीला के साहस के कारण रेणुका को इस अनूठे अनुभव का आनंद मिला था और इसलिए अब वह शीला के गहरे प्रभाव के तले दब चुकी थी..

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पूरी रात की इन गतिविधियों के बाद रेणुका बेड पर लेटकर आराम करने जा ही रही थी की तब शीला ने उसका हाथ पकड़कर कहा

शीला: "चल रेणु.. मदन और राजेश के जागने से पहले हमें होटल छोड़ देनी है.. हम उनके साथ बात भी नहीं करेंगे और उन्हें बताएंगे भी नहीं"

आज की रात के अनुभव के बाद, रेणुका इतना तो जान ही गई थी की शीला की बुद्धि उससे सौ गुना ज्यादा तेज थी.. शीला के साथ निरर्थक बहस करने का कोई मतल नहीं था..

दोनों फटाफट बाथरूम में घुसी.. और एक साथ नहाने लगी.. बाहर निकलकर कपड़े पहने.. और चेक-आउट कर दोनों निकल गई.. मदन और राजेश तब अपने कमरे में खर्राटे लेकर सो रहे थे..

सुबह सात बजे राजेश की आँख खुली.. आँखें मलते हुए जब उसका दिमाग थोड़ा जागृत हुआ.. तब कल की डरावनी यादें ताज़ा हो गई.. !! और वो बेड पर स्प्रिंग की तरह उछल गया.. उसने झकझोर कर मदन को जगाया..

राजेश: "अरे यार मदन.. उठ जा यार.. चल यहाँ से जल्दी निकल जाते है.. मुझे तो यहाँ अब एक पल और रहने में भी डर लग रहा है!!"


मदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
Mza chakha dia Shila aur Renuka ne toh Aaaaaaaahhh cccccccc ssssiiiiiii 💦💦💦💦💦💦💦
 

pussylover1

Milf lover.
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कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!

अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागो... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"

पुलिस...!!!! तीन अक्षर का यह शब्द.. इंसान को हमेशा से डराता आया है.. !!

बाप रे... !!! पुलिस... !!!! मर गए... !!! अब कल के अखबार में.. फ़ोटो के साथ नाम आना तय हो चुका था.. !! सब की गांड फटकर फ्लावर हो रही थी..

हाथ से अपना सर पटकते हुए मदन ने कहा "माँ चुद गई यार.. हम तो घर पर झूठ बोलकर निकले थे.. अब क्या होगा..??? !!"

घबरा रहें कॉकटेल ने कहा "मैंने भी घर पर झूठ बोला है की एक पुराने दोस्त की मृत्यु हो गई है और उसकी अंतिम क्रिया में शामिल होने जा रहा हूँ " पहली बार सब ने कॉकटेल को बोलते हुए सुना.. आवाज जानी पहचानी जरूर लग रही थी.. पर अभी किसी का ध्यान उस ओर गया ही नहीं.. !!

"पुलिस की रैड है.. आप सब लोग अपने अपने कमरे में चले जाइए.. " काफी डरे हुए हेमंत ने कहा.. सब अपने कपड़े ढूँढने लगे.. जिसके हाथ में जो आया वो लेकर अपना शरीर छुपाते हुए.. सब अपने अपने कमरे की ओर भागे.. !!

जल्दबाजी में.. राजेश के कमरे में स्टेफी के बदले रेणुका चली गई.. और स्टेफी कॉकटेल के सामने वाले कमरे में.. उसके साथ घुस गई.. हेमंत और बार्बी अपने कमरे में दुबक कर बैठ गए.. !!

यह कोई अफवाह नहीं थी.. सचमुच पुलिस की रैड पड़ी थी.. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था.. रात के एक बजे पुलिस ने किसी अनजान खबर पर एक्शन लिया और इस बहोत बड़े सेक्स रैकिट का पर्दाफाश कर दिया था.. ज्यादातर सदस्य काफी अमीर और बड़ी बड़ी पहचान वाले थे.. उन सब को यकीन था की वह अपने पैसे के दम पर.. या किसी न किसी की सिफारिश के जोर पर बच जाएंगे.. पर दो ही दिन पहले प्रमोट हुए इंस्पेक्टर खान ने किसी की एक न सुनी.. वो हर कमरे में खुद जाकर तलाशी ले रहे थे.. जिन लोगों ने अपने फर्जी नाम बताकर रूम बुक किए थे.. उन सब को थाने ले जाने का आदेश दिया था इंस्पेकटर ने.. एक के बाद एक कपल.. चुपचाप पुलिस की वैन में बैठने लगे.. ईमानदार इन्स्पेक्टर के आगे.. ना पैसों की गर्मी चली और ना ही किसी की सिफारिश.. !!

होटल के प्रत्येक कमरे में जाकर इन्स्पेक्टर सब की पूछताछ कर रहे थे.. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल भी थे.. शीला और मदन के कमरे के दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. शीला ने इशारे से मदन को बाथरूम में छुप जाने को कहा.. और अपने उत्तेजक शर्ट और मेक्सी की बिना परवाह किए.. मास्क उतारकर.. बड़ी ही बेफिक्री से दरवाजा खोला

"हैलो मैडम.. मेरा नाम इन्स्पेक्टर खान है.. यह एक तहकीकात है.. और आपको हमें सहकार देना होगा"

"आइए सर.. !!" शीला ने जग से पानी भरकर ग्लास इन्स्पेक्टर को देते हुए कहा "बैठिए ना.. !! वैसे बात क्या है?? और इतनी रात गए आप लोग क्यों आए है?? और आप किस प्रकार के सहकार की बात कर रहे है?"

इन्स्पेक्टर: "देखिए मैडम.. बात दरअसल यह है की... !!"

शीला: "जी, मेरा नाम शीला है.. !!"

इन्स्पेक्टर: "थेंकस मिसिस शीला.. आप ये बताइए.. की आप किसके साथ यहाँ रूम में ठहरी हुई है?"

शीला: "जी, मेरे पति के साथ.. हम और हमारे दोस्त.. मिसिस रेणुका और राजेश.. जो बगल के कमरे में ठहरे हुए है.. हम लोग घूमने निकले थे.. पर वापिस आते वक्त हमें मजबूरन यहाँ रुकना पड़ा.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ओह अच्छा.. तो कहाँ है आप के पति?"

शीला: "जी, वो टॉइलेट में है... अभी आ जाएंगे.. दरअसल उन्हें होटल का खाना राज नहीं आता.. इसलिए उन्हें लूज मोशन हो गए है"

उस दौरान शीला ने बड़ी ही चतुराई से रेणुका को कॉल कर.. फोन टेबल पर ही छोड़ दिया.. ताकि रेणुका, उसकी और इन्स्पेक्टर की बातें सुन ले.. और फिर बात करने में कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए

शीला: "सर आपको एतराज न हो तो मैं हमारे दोस्त रेणुका और राजेश को भी यही बुला लूँ?? ताकि आप पूछताछ कर सकें और तसल्ली हो जाए.. आप का समय भी बच जाएगा"

इन्स्पेक्टर: "सॉरी मैडम.. पर ये देखिए.. होटल के रजिस्टर में यह कमरा किसी मिस्टर मेक के नाम से बुक किया गया है"

शीला: "सर, इस बारे में तो मुझे कुछ नहीं पता.. हम तो एक घंटे पहले ही यहाँ पहुंचे है.. और अभी तक हमने चेक-इन की विधि भी नहीं की है.. क्यों की मेरे पति को इतने लूज मोशन हो रहे थे.. की यह सब कार्यवाही का समय ही नहीं था.. वैसे भी रात के बारह बजे थे.. इसलिए हमने सोचा की रजिस्ट्रेशन हम सुबह कर लेंगे.. !!!"

बाहर हो रही बातचीत सुनकर.. मदन को वाकई में पतले दस्त हो गए.. अंदर से आ रही पैखाने की गरजदार आवाज़ें सुनकर.. इन्स्पेक्टर को भी विश्वास हो गया शीला की बातों पर.. कोई इंसान झूठ बोल सकता है.. पर लूज मोशन्स की आवाज़े निकालना मुमकिन नहीं है.. इन्स्पेक्टर की नजरें कब से शीला की मादक क्लीवेज पर चिपक गई थी..

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. आपके पति ठीक से रिलेक्स हो जाए तब तक हम आपके दोस्तों की पूछताछ कर लेते है.. "

शीला: "जी जरूर सर.. वो मेरी सहेली रेणुका.. पुलिस को देखकर बहोत डर जाती है.. आप समझ सकते हो सर.. !!"

इन्स्पेक्टर: "कोई बात नहीं.. चलिए.. हम उनके रूम में चलते है"

शीला: "सर, अगर उन दोनों को यहीं बुला ले तो?? क्या है की मेरे पति की तबीयत के चलते.. मेरा यहाँ रहना जरूरी है..!! इस तरह.. आपकी पूछताछ भी हो जाएगी.. और मेरे पति को किसी चीज की जरूरत पड़ी तो मैं संभाल भी सकूँगी.. !!"

इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. बुलाइए उन दोनों को इधर.. !!"

पुलिस का नाम सुनते ही.. मदन को सच में लूज मोशन हो गए.. उसका दिमाग सुन्न हो गया था.. कुछ सूझ नहीं रहा था.. एक साथ सेंकड़ों सवाल दिमाग में घूमने लगे थे.. उन सब सवालों में.. सब से बड़ा सवाल था.. शीला यहाँ पहुंची कैसे????

इंस्पेक्टर खान ने हवालदार को इशारा करते ही वो दूसरे कमरे से रेणुका और राजेश को बुला लाया.. दोनों बेहद घबराए हुए थे.. इंस्पेक्टर ने एक दो मामूली से सवाल किए जिसके जवाब देने में ही दोनों की फट गई.. तुरंत शीला ने बाजी अपने हाथ में ले ली और मामले को संभाल लिया.. उस दौरान मदन भी टॉइलेट से बाहर निकल आया.. उसके चेहरे का नूर गायब हो चुका था..

एक रात मजे करने की कितनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ रही थी.. !!

थोड़े और सवाल करने के बाद.. इन्स्पेक्टर ने चारों के आइडेंटिटी प्रूफ मांगें.. चेक करने पर उन्हें तसल्ली हो गई की वह वाकई पति पत्नी ही थे..

इन्स्पेक्टर: "आप सब को डिस्टर्ब करने के लिए माफी चाहता हूँ.. पर आप समझ सकते है की यह हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है.. " फिर मदन की ओर मुड़कर उन्हों ने कहा "मिस्टर, आप तुरंत किसी डॉक्टर को ढूंढकर दवाई ले लीजिए.. फूड-पॉइजन का मामला हो सकता है..!!"

इन्स्पेक्टर के जाते ही सब को ऐसा महसूस हुआ जैसे छाती पर से एक टन का वज़न कम हो गया हो..!! राजेश और मदन तो रेणुका-शीला से नजरें तक नहीं मिला पा रहे थे.. चारों गुमसुम थे..

आखिर माहोल को स्वाभाविक बनाने के लिए.. शीला ने टेबल से पैकेट उठाकर सिगरेट जलाई.. और एक कश खींचकर सिगरेट रेणुका के हाथों में थमा दी.. मदन और राजेश की सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई थी.. जैसे पुलिस थाने में उन्हें रिमांड पर लिया गया हो और इंस्पेक्टर थर्ड डिग्री आजमाने की तैयारी में हो.. कुछ ऐसा ही माहोल था..

मदन और राजेश, अपनी बीवियों को पराये मर्दों से चुदते हुए देखने के बावजूद कुछ बोल पाने की स्थिति में न थे.. क्यों की आज अगर शीला और रेणुका यहाँ नहीं होती तो क्या होता.. यह सोचकर ही दोनों कांप उठते थे..!!

अब सारा टेंशन दूर हो चुका था.. पर फिर भी मदन और राजेश बहोत घबराए हुए थे.. पुलिस का टेंशन खत्म हो चुका था.. पर अब बीवियों की अदालत में दोनों की पेशी होने वाली थी..

शीला चलते चलते मदन के सामने खड़ी होकर उसे देखती रही.. बेहद प्रभावशाली लग रही थी शीला.. अभी भी उसने वो गोल्डन शर्ट, बिना ब्रा के पहन रखा था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे.. जिसमें से उसकी नशीली क्लीवेज की झलक नजर आ रहा थी..

शीला: "क्यों राजेश?? तुझे अपने दोस्त की बीवी को नंगा देखने का बड़ा मन था ना.. !!!"

राजेश ने नजरें झुका दी.. वो किसी भी तरह की सफाई देने की स्थिति में न था.. उसने शीला के बारे में जो भी इच्छाएं मदन के सामने जताई थी.. वो सब शीला और रेणुका सुन चुके थे..!! शीला के चमकीले सुनहरे शर्ट के दो खुले बटन से झलक रहे स्तनों के उभार.. और तेज ए.सी. की ठंडी हवा के कारण शर्ट के महीन कपड़े से उभरी हुई निप्पल का नजारा देखते हुए राजेश का गला सूख रहा था.. वो उभार.. वो जोबन.. वो कातिल हुस्न.. नज़ारे को और मादक बनाते हुए शीला ने अपना एक पैर बेड के ऊपर रखकर.. अपनी मेक्सी को जांघों तक उठाए रखा था.. उसका गोरा चमकता हुए घुटना भी बड़ा ही आकर्षक लग रहा था.. सफेद संगेमर्मरी जांघें.. ऐसा नजारा था की देखने वाला सिर्फ उसकी जांघों की सिलवटों पर अपना सुपाड़ा रगड़कर ही अपना पानी गिरा सकता था


SHILA

शीला का अर्ध-नग्न बदन अच्छे-अच्छों का खून गरम करने के लिए काफी था.. दो बड़े बड़े वक्षों वाली.. कामुक मादक गदराई औरत... बेफिक्री से सिगरेट फूंकते हुए धुएं के छल्ले बना रही थी.. अद्भुत द्रश्य था.. !! शीला के शर्ट को ध्यान से देखने पर.. वो शर्ट कई जगह से फटा नजर आ रहा था.. सूखे हुए वीर्य के कई धब्बे भी उसपर मौजूद थे.. पार्टी में एक साथ २०-२५ लोगों ने मिलकर उसे रौंदा था.. यह पूरा नजारा देखकर.. राजेश का लंड उसके बरमूडा में हरकत करने लगा.. और उसकी चड्डी में.. सब की नज़रों के सामने ही उभार बनाने लगा.. ऐसी गंभीर स्थिति में भी अपने लंड को नाचते देखकर राजेश को गुस्सा आ रहा था.. वो मन ही मन अपने लंड को कोस रहा था.. साले, तेरे चक्कर में आज इज्जत की मैया चुद जाती.. बाल बाल बचे है.. अब तो शांति से बैठ, मेरे भाई.. !!!

शीला ने रेणुका की ओर देखकर इशारा किया.. दोनों बिना कुछ कहें, उठ खड़े हुए.. और बगल के कमरे में जाकर सो गए.. राजेश और मदन एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे.. दोनों में से किसी को पता नहीं था की उन दोनों ने ऐसा क्यों किया... !!

सर पर हाथ रखकर मदन ने कहा "यार राजेश, मुसीबत खतम होने का नाम ही नहीं ले रही है.. !!"

राजेश का चेहरा भी बासी बासुंदी जैसा हो गया था.. दोनों बैठे बैठे अपनी किस्मत और अपने लंड को गालियां दे रहे थे..

दूसरे कमरे में...

रेणुका: "मुझे समझ नहीं आया शीला, आखिर तुमने वहाँ से निकल जाने के लिए क्यों कहा?? पतियों की अदला-बदली कर चुदवाने का मस्त मौका था यार.. !!

शीला; "नहीं... आज नहीं.. आज तो उन दोनों घोंचूओ को उदास ही पड़े रहने दे.. हम दोनों है ना.. !! एक दूसरे से खेलकर अपनी प्यास बुझा लेंगे आज की रात.. पर वो दोनों क्या करेंगे?? तड़पने दे सालों को.. !!!"

रेणुका: "बाप रे शीला.. बड़ी जालिम है रे तू.. पता है..!! ये तेरे बबले देखकर, राजेश का लंड खड़ा हो गया था.. !!"

शीला: "हाँ, देखा था मैंने.. पर तब अगर मैं उस लंड के मजे लेने जाती.. तो वो दोनों भी मूड में आ जाते.. मैं चाहती हूँ की सिर्फ एक रात के लिए उन दोनों को अपराधभाव से पीड़ित होने दु.. घर जाकर भी आसानी से नहीं मानना है.. एक एक पल तड़पाना है.. ऐसा करना है की वो दोनों हमारे पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाएं.. भीख मांगें.. ऐसा करने से हमारा पक्ष मजबूत होगा.. और फिर हम अपनी मनमानी कर सकेंगे"

शीला और रेणुका बेड पर लेटे लेटे सिगरेट फूँक रही थी.. और साथ ही साथ, एक दूसरे के स्तनों से खेलते हुए बातें कर रही थी.. शीला का शर्ट नीचे कर उसका स्तन बाहर निकालकर.. उसकी निप्पल चूसते हुए रेणुका ने पूछा

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रेणुका: "अरे शीला.. उस रबर के लंड वाली औरत का क्या हुआ होगा फिर??"

शीला: "अरे हाँ यार.. वो तो अपनी कोई लेस्बियन साथी को लेकर आई थी ना.. चल उसे ढूंढते है.. !!"

रेणुका: "अरे यार.. इतनी रात को कहाँ ढूँढेंगे?? एक एक कमरे पर जाकर दस्तक तो नहीं दे सकते है ना..!! और हमारे हक के दो दो लंड बगल के कमरे में पड़े है.. तब उस रबर के लंड से चुदवाने में क्या फायदा??

शीला: "तू चिंता मत कर.. हम दोनों बिना लंड के भी मजे करेंगे.. वैसे भी आज रात हमने कितने लंड देख लिए.. चूस लिए.. और खेल भी लिए.. मुझे थोड़ी जिज्ञासा इस लिए हो रही है क्यों की वो हेमंत कह रहा था की वो रबर के लंड वाली विकृत और काफी आक्रामक है.. देखें तो सही.. वो क्या चीज है.. कुछ नया देखने और जानने को मिलेगा.. चल.. चलते है"

रेणुका: "शीला, मुझे चलने में कोई दिक्कत नहीं है.. मैं बस यही कह रही हूँ की रात के तीन बजे किसी का दरवाजा खटखटाना मुनासिब होगा?"

शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. चल कपड़े पहन ले.. "

अब रेणुका के पास, शीला के साथ जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. उसने तुरंत कपड़े पहन लीये.. और तैयार हो गई..

दोनों कमरे से बाहर निकलें.. रात के तीन बज रहे थे और पूरी लॉबी में नीरव शांति थी.. चार पाँच कमरों के दरवाजे खटखटाते हुए आखिर वह दोनों अपनी मंजिल पर पहुँच ही गई..

दरवाजा खोलने वाली उस औरत ने जल्दबाजी में गाउन पहन लिया था.. और उस पारदर्शी गाउन से रबर का लंड साफ नजर आ रहा था..

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शीला को तो वो देखते ही पहचान गई.. बिना किसी संकोच या औपचारिकता के शीला कमरे के अंदर घुस गई.. रेणुका को अपने पीछे खींचते हुए..!!

फिर तीन बजे से पाँच बजे तक.. चारों औरतों ने मिलकर.. उस रबर के लंड से भरपूर चुदाई कर उसकी धज्जियां उड़ा दी.. अपने भोसड़ों की आग बुझाकर.. रेणुका और शीला चुपचाप कमरे में वापिस लौट आई.. शीला के साहस के कारण रेणुका को इस अनूठे अनुभव का आनंद मिला था और इसलिए अब वह शीला के गहरे प्रभाव के तले दब चुकी थी..

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पूरी रात की इन गतिविधियों के बाद रेणुका बेड पर लेटकर आराम करने जा ही रही थी की तब शीला ने उसका हाथ पकड़कर कहा

शीला: "चल रेणु.. मदन और राजेश के जागने से पहले हमें होटल छोड़ देनी है.. हम उनके साथ बात भी नहीं करेंगे और उन्हें बताएंगे भी नहीं"

आज की रात के अनुभव के बाद, रेणुका इतना तो जान ही गई थी की शीला की बुद्धि उससे सौ गुना ज्यादा तेज थी.. शीला के साथ निरर्थक बहस करने का कोई मतल नहीं था..

दोनों फटाफट बाथरूम में घुसी.. और एक साथ नहाने लगी.. बाहर निकलकर कपड़े पहने.. और चेक-आउट कर दोनों निकल गई.. मदन और राजेश तब अपने कमरे में खर्राटे लेकर सो रहे थे..

सुबह सात बजे राजेश की आँख खुली.. आँखें मलते हुए जब उसका दिमाग थोड़ा जागृत हुआ.. तब कल की डरावनी यादें ताज़ा हो गई.. !! और वो बेड पर स्प्रिंग की तरह उछल गया.. उसने झकझोर कर मदन को जगाया..

राजेश: "अरे यार मदन.. उठ जा यार.. चल यहाँ से जल्दी निकल जाते है.. मुझे तो यहाँ अब एक पल और रहने में भी डर लग रहा है!!"


मदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
Lagta hai jald hi group sex dekhne ko milega
Good one
 
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