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लेस्बियन औरत मदन की गांड मारते हुएजैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"
पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
रोमा: "वाऊ.. व्हॉट ए सरप्राइज़ .. !! मुझे यह जानना है की बाकी पंद्रह मर्दों ने इस सेक्स बॉम्ब को क्यों नहीं चुना?? यह एक पेचीदा सवाल है.. मुझे भी इसका जवाब जानने में दिलचस्पी है.. !! उन लोगों से मैं गुजारिश करूंगी.. की आप के बाद एक आकर.. मेरे कान में इसका कारण बताएं.. ताकि मैं डिक्लेर कर सकूँ.. और सारी बातें सीक्रेट भी रहेगी"
सभी मर्द एक के बाद एक.. रोमा के कानों में कहकर गए.. रोमा को इतनी हंसी आई की वो अपना पेट पकड़कर लेट गई.. अब सब को यह जानना था की आखिर ऐसे कौन से कारण थे.. !!
अपने आप को संभालकर रोमा ने माइक पर कहा "मेरे प्यारे चुदक्कड़ों.. सभी पंद्रह मर्दों ने जो कारण दीये उसका निष्कर्ष यही निकलता है.. उनका मानना है की इतनी हॉट गदराई माल को बेड पर ले जाकर सेक्स करने से पहले ही उनका डिस्चार्ज हो जाएगा.. और फिर वो बिस्तर पर इस लेडी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचेंगे.. इसी कारणवश उन्हों ने सिलेक्ट नहीं किया.. शाबाश सुनंदा.. !! जलवा है आपका तो.. !!"
तमाम लोगों ने शीला के जोरदार तालियाँ बजाई.. शीला की नजर उस मर्द पर थी.. जिसे वो मदन समझ रही थी.. वह व्यक्ति निरुत्साह होकर खड़ा था.. देखकर शीला को बड़ा ताज्जुब हुआ
रोमा: "चलिए.. बाकी की जोड़ियाँ तो बन गई मगर प्रॉब्लेम यह है की अब इन पैंतीस लोगों के बीच.. सुनंदा का बंटवारा कैसे करें??" थोड़ी देर खामोश रहने के बाद रोमा ने बड़े ही नटखट अंदाज में कहा "एक काम करते है.. हम सुनंदा की बोली लगाते है.. देखते है की कौन सब से ज्यादा पैसे लुटाने के लिए तैयार है इसके बबलों पर.. !! जिसकी जेब में ज्यादा गर्मी होगी.. उसी का लंड लेगी सुनंदा.. आर यू रेडी, सुनंदा??"
शीला ने अपने दोनों हाथों से शर्ट को फाड़कर.. मदमस्त विशाल चूचियों का प्रदर्शन करते हुए सब का अभिवादन किया.. और फिर शर्ट से उन्हें ढँक दिया..
पूरे हॉल में खलबली मच गई..!! सब के सब पागल हुए जा रहे थे.. सब की आँखों के सामने ही.. शीला ने अपनी चूत खुजाई.. और चुटकी में अपनी निप्पल दबाकर खींचते हुए.. सब के सामने देखकर.. मदहोश अंगड़ाई लेते हुए आँख मारी.. !! उसकी इन कामुक हरकतों को देखकर.. सारे लंड उसे सलामी देने लगे.. और सब लोड़ो ने शीला को स्टैन्डींग ओवेशन दिया.. !!
रोमा भी अपने नंगे स्तनों को झुलाते हुए उत्साह में आ गई क्यों की शीला ने आज की पार्टी को चार चाँद लगा दीये थे.. मर्दों को बावरा बना दिया था
रोमा: "सुनंदा के साथ रात गुजारने का मतलब है.. ज़िंदगी की सब से यादगार रात.. !! एक के बाद एक लोग इसके जिस्म की बोली लगाएंगे.. जो ज्यादा पैसे लुटाएगा.. सुनंदा आज रात के लिए उसकी हो जाएगी.. चलिए लगाइए बोली.. शुरुआत होगी एक लाख रुपये से.. !!"
एक के बाद एक बोली लगती गई.. और रकम साढ़े चार लाख पर पहुँच गई.. !!
"पाँच लाख.. !!" कोने में से आवाज आई तब सब चोंक गए.. क्योंकि वह आवाज किसी महिला की थी.. !!
रोमा: "बाप रे.. !! सुनंदा ने तो सिर्फ मर्दों को ही नहीं.. औरतों को भी पागल कर रखा है.. !! मुझे यह जानने में बड़ी दिलचस्पी है की एक औरत हो कर उसने सुनंदा के लिए इतनी बड़ी बोली आखिर क्यों लगाई.. !! जब की सुनंदा के पास.. उसे ठंडा करने के लिए जरूरी औज़ार भी नहीं है.. !!"
बोली लगाने वाली औरत.. बड़े ही आत्मविश्वास के साथ चलते चलते रोमा के पास आई.. रोमा की चुची को दबाकर उसके हाथ से माइक ले लिया और फिर बोली "हाई.. मेरा नाम केटरीना है.. मैं एक लेस्बियन हूँ.. मुझे लोडे की भूख नहीं है.. लोडा तो मैं घर से लेकर आई हूँ.. ये देखिए.. " कहते हुए उसने अपने हाथ में पकड़े सफेद रंग का डिल्डो दिखाया.. "मैं तो सुनंदा के बदन की कायल हो चुकी हूँ.. आज रात को, मैं सुनंदा के गदराए बदन का मज़ा लूटना चाहती हूँ.. उन्हें ये डिल्डो पहनाकर पूरी रात चुदना चाहती हूँ.. अगर उन्हें मंजूर हो तो.. !!"
शीला और रेणुका को तो ये बाद में पता चला की फकिंग क्लब में एंट्री पाने के लिए जोड़ी होना आवश्यक था.. पर जरूरी नहीं था की जोड़ी मर्द और महिला की ही हो.. दो महिला भी जोड़ी बनाकर दाखिल हो सकती थी.. अगर ये पहले पता होता.. तो उन्हें बेकार में ये सारे जुगाड़ न करने पड़ते..
शीला अब असमंजस में थी.. इतने सारे असली लंड छोड़कर.. वो अपनी कमर पर नकली लॅंड बांधकर.. इस औरत को चोदना तो नहीं चाहती थी.. पर पाँच लाख रुपये.. बहोत बड़ी रकम होती है.. शीला को समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करें.. तभी हेमंत उसके पास आया
हेमंत: "मैडम.. ये बड़ी ही बेरहम औरत है.. और बहोत विकृत भी है.. उसके साथ एक रात बिताने वाली लड़की दोबारा उससे नहीं मिलती.. आप उसकी ओफर को ठुकरा दीजिए.. "
अचंभित होकर शीला हेमंत की बात सुनती रही.. अब उसे वाकई उस स्त्री में दिलचस्पी जाग उठी.. पर फिलहाल वो ऐसा जोखिम उठाना नहीं चाहती थी..
शीला ने हेमंत से कहा "मैंने तुझे वो आदमी दिखाया ना.. !! मैं उसी के साथ सोऊँगी.. मुझे और कोई नहीं चाहिए.. !! जाओ उसे तैयार करके मेरे पास ले आओ.. !!"
जाने से पहले हेमंत एक बार फिर शीला के बदन से अजगर की तरह लिपट गया.. और बोला "आप के लिए तो मै कुछ भी करने को राजी हूँ.. !!"
शीला ने हेमंत के लंड को हथेली से सहलाया.. और उसके लाल सुपाड़े को झुककर चूम लिया.. हेमंत ने उत्तेजित होकर.. शीला के भोसड़े में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करते हुए.. उसकी निप्पल को चूस लिया..
रोमा: "मुझे लगता है की सुनंदा जी खुद तय करेगी की उन्हें किसके साथ सोना है.. प्लीज सुनंदा.. यहाँ आओ.. और मुझे बताओ.. की आज रात के लिए तुम कीसे अपना यार बनाना चाहती हो.. !!"
अपने विराट कूल्हों को मटकाते हुए शीला चलकर स्टेज पर आई.. सब से पहले तो उसने रोमा के साथ थोड़ा रोमांस किया.. उसके होंठों को चूमकर.. उसकी चूचियों को दबाया.. और उसका हाथ लेकर अपनी चूत पर दबा दिया.. देखकर ही सारे मर्दों की आह्ह निकल गई..
शीला ने रोमा को चैर पर बिठाया.. और उसके हाथ में माइक थमा दिया.. फिर खुद नीचे बैठकर.. रोमा की टांगें फैलाकर उसकी चूत चाटने लगी.. !! माइक पर रोमा की मादाक सिसकियाँ सुनाई देने लगी.. जैसे जैसे शीला की जीभ चूत के अंदरूनी हिस्सों को कुरेदने लगी.. वैसे वैसे ही रोमा के सर पर पागलपन सवार हो गया.. और वो कुछ भी बड़बड़ाने लगी..
शीला की चूत चटाई.. और रोमा की सिसकियों ने सब का भरपूर मनोरंजन किया.. थोड़ी ही देर में रोमा एक पतली चीख के साथ झड़ गई.. और कुर्सी पर झुककर हांफने लगी.. शीला अब उठकर रोमा के गालों को और कानों को चाट रही थी.. बड़ी ही मुश्किल से रोमा ने अपने आप को संभाला.. और कुर्सी पर ठीक से बैठी.. शीला ने दूर से उंगली का इशारा करते हुए मदन को दिखाया और रोमा से बोली "मुझे उसके साथ सोना है"
रोमा ने चोंककर कहा "सुनंदा मिस्टर मेक के साथ सोना चाहती है.. यार.. आज रात के लिए मैंने भी उसे ही चुना था.. !!"
तो नाम पता चल गया.. मदन का नाम मिस्टर मेक था.. रोमा ने तुरंत उसके नाम की घोषणा माइक पर कर दी
अपना नाम सुनकर मदन चोंक गया.. खुश होकर उसने दूर से ही रोमा को अंगूठा दिखाया.. उसके शरीर के हाव भाव देखकर शीला को पूरी तसल्ली हो गई की वह मदन ही था.. शीला रोमांचित हो उठी.. शीला को यह अफसोस नहीं था की इतना दूर.. इतना जोखिम उठाने के बाद भी वो नया लंड नहीं ले पाई.. बल्कि इस बात की खुशी थी की उससे झूठ बोलकर.. इतने दूर आने के बाद भी मदन को पराई चूत नसीब नहीं होने दी.. इसे कहते है किस्मत का खेल.. !!
शीला और मदन.. दोनों धीरे धीरे करीब आने लगे.. शीला अब स्टेज से उतरकर राजेश उर्फ रॉकी के पास जाकर खड़ी हो गई और उसके लंड से खेलने लगी.. रोमांचित होकर मदन चलते चलते शीला और राजेश के पास आया.. और धीरे से बोला "मुझे सिलेक्ट करने के लिए आपका शुक्रिया.. अगर आप चाहों तो मैं आपका लाइफ पार्टनर भी बनने के लिए तैयार हूँ.. इतनी खूबसूरत हो आप.. !! आप जैसी बीवी मिल जाएँ.. तो ऐसी क्लब जॉइन करने की कोई जरूरत ही नहीं रहेगी.. !!"
सुनकर शीला मन ही मन गुस्से से लाल हो गई.. भोसड़ीवाले.. भड़वे.. मादरचोद.. अभी मेरा मास्क उतारूँगी.. तो एक ही पल में तेरी सारी आशिकी उतर जाएगी.. बड़ा आया रोमांस करने वाला..!! अबे घोंचू, ऐसी पटाखा बीवी घर पर होने की बावजूद यहाँ ऐयाशी करने आया है और अब मुझ ही से यह कह रहा है.. !!
शीला के भारी भरकम खुले बबलों को दोनों हाथों में पकड़कर वज़न चेक करते हुए.. बड़े ही अहोभाव और अचरज से देखते हुए मदन के होश उड़ रहे थे.. मदन को शीला की याद आ गई.. सैम टू सैम शीला जैसे ही बबले है इसके भी.. !!
पति परमेश्वर नहीं.. पत्नी ही परमेश्वर होती है.. अत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त होती है ये भार्या.. रांड के भोसड़े में लंड डालकर उछलते वक्त भी बीवी याद आ जाती है... और आठ पेग पीने के बाद नशे में धूत होने के बाद भी..!! जैसे, सूखा हो या बाढ़.. पानी की याद आती है.. बिलकूल वैसे ही.. !!
शीला कुछ नहीं बोली.. अगर वो बोलती तो उसकी आवाज से मदन पहचान लेता.. और सारा खेल अभी समाप्त हो जाता.. मदन को जवाब न देना पड़े इसलिए उसने आँखें बंद कर ली.. और ऐसे सिहरने का नाटक करने लगी जैसे मदन के स्पर्श ने उसे पागल कर दिया हो.. !! जैसे उसका रोम रोम मदन को देखकर खिल उठा हो.. मदन ने शीला की गर्दन पर अपनी जीभ फेर दी.. शीला के जिस्म में एक ठंडी सुरसुरी दौड़ गई.. ये वही स्पर्श था जो पिछले ३२ सालों से उसके बदन को उत्तेजित और ठंडा करता आया था.. अगर वो चाहती तो बड़ी ही आसानी से किसी अन्य पुरुष के साथ जोड़ी बना सकती थी.. और नए लंड के मजे पूरी रात लूट सकती थी.. पर ऐसा करती तो मदन को भी कोई नई रांड मिल जाती.. और ऐसा वो होने देना नहीं चाहती थी.. !!
रेणुका भी अब शीला, राजेश और मदन के पास आकर खड़ी हो गई.. मदन और राजेश को अब भी कोई अंदाजा नहीं था की वह दोनों अपनी पत्नियों के सामने ही खड़े थे.. अपने पति का लंड शीला के हाथ में देखकर रेणुका बेहद गरम हो गई.. बिना समय गँवाएं.. उसने मदन का लोडा पकड़ लिया.. दोनों ने आपस में ही पति बदल लिए थे फिलहाल..!!
अब दोनों घुटनों के बल बैठ गई.. और एक दूसरे के पतियों के लिंग चूसने लगी.. राजेश और मदन दोनों एक दूसरे के सामने देखकर.. मुसकुराते हुए इस अनोखे मुख-मैथुन का आनंद ले रहे थे..
राजेश: "मज़ा आ रहा है ना तुझे, मेक??"
मदन : "अरे पूछ मत यार.. कुछ भी कहों.. अपनी बीवियों के साथ ऐसा मज़ा कभी नहीं आ सकता.. देख तो सही.. क्या बढ़िया चूस रही है.. !! आह्ह.. आह्ह.. चूसो और अंदर तक लेकर.. !!"
मदन: "साली ये सुनंदा ने सिलेक्ट मुझे किया.. और लोडा तेरा चूस रही है.. "
राजेश: "कसम से यार.. एक रात के लिए अगर इसे चकले पर खड़ा कर दिया जाए.. तो पैसों के ढेर लग जाए.. इतना कमाल का चूसती है यह.. इसकी चुसाई ही इतनी जबरदस्त है की लगता है शायद चुदाई की जरूरत ही न पड़ें.. !!"
मदन: "अरे यार.. उसे मेरे पास भी भेज.. सुनंदा.. बेबी.. मेरा भी चूस दो प्लीज" सिगरेट का कश लेकर धुआँ शीला के नंगे बदन पर छोड़ते हुए मदन ने कहा
मदहोश अंगड़ाई लेते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में.. राजेश के लँड को एक आखिरी बार चूसकर बाहर निकाल दिया शीला ने.. उसकी लार से सने हुए राजेश के लंड को अपने हाथ से मुठियाते हुए शीला मदन के लंड के करीब पहुँच गई.. रेणुका तब मदन के आँड़ों को चाट रही थी.. रेणुका और शीला ने पहले तो मदन को छेडना शुरू किया.. उसका लंड मुंह में लिया है नहीं.. और बारी बारी सिर्फ राजेश का लंड चूसते रहे.. शीला के उन्नत स्तन रेणुका के बबलों से टकराकर दब गए.. उस द्रश्य को देखकर रोमा ने तुरंत कमेन्ट किया इस बारे में..
रोमा की कमेन्ट सुनते ही.. वो लेस्बियन औरत.. जिसने शीला के लिए पाँच लाख की बोली लगाई थी.. वो अपनी कमर पर सफेद डिल्डो बांधकर आ गई.. उसके दोनों पैरों के बीच असली लंड से भी बड़ा लंड झूल रहा था.. सामान्य लंड से दोगुना बड़ा और तीन गुना मोटा था.. वो शीला के करीब लंड झुलाते हुए खड़ी हो गई.. और शीला के बबलों पर उसे रबड़ के लंड से चपेटें मारने लगी.. रेणुका ने राजेश और मदन का लंड शीला के हवाले छोड़.. उस डिल्डो के टोपे को चूम लिया.. दोनों हाथों से पकड़ने के बावजूद वह उस पूरे लंड को पकड़ न पाई.. आँखें बंद कर उस विकराल लंड को रेणुका चाटने लगी.. उसे चाटता देख ऐसा लग रहा था मानों किसी घोड़े का लंड चूस रही हो..
वो लेस्बियन औरत अब मदन और राजेश के बीच खड़ी हो गई.. और अपने बेढंग पिचके हुए स्तन को जबरदस्ती मदन को चूसने देने लगी.. फिर मदन के लंड को पकड़कर बोली "इतना छोटा?? मेरा देख.. कितना बड़ा है.. !!" कहते हुए हंसने लगी.. मदन ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया.. और वो चली गई
शीला बड़ी ही मस्ती से राजेश के गोटों को चाट रही थी.. उसका पति मदन वहीं खड़ा था और इसी कारण उसे चूसने में और मज़ा आ रहा था.. थोड़ी देर के बाद शीला खड़ी हुई और मदन को अपनी बाहों में दबा दिया.. हर बार जब शीला मदन के करीब आती थी तब मदन को कुछ जाना पहचाना एहसास होता और वो सहम जाता.. और फिर वो पार्टी के रंग में फिर से विलीन हो जाता.. अपनी हर हरकत के बाद शीला ये चेक करती की मदन को शक हो रहा है या नहीं.. पर उसके आश्चर्य के बीच.. उसकी पत्नी ने बाहों में भर लिया फिर भी उस बेवकूफ को पता नहीं चला..!!!
शीला के स्तनों का उसकी छाती से घर्षण होने पर इतनी उत्तेजक अवस्था हो गई थी की मदन मदहोश होकर किसी अलौकिक दुनिया में खो सा गया था..
मदन: "रॉकी.. यार दिल करता ही की इस रंडी को अपने साथ घर ले चलूँ.. एकदम घरेलू माल है.. दोनों साथ मिलकर इसे जमकर चोदेंगे..!!"
राजेश: "हाँ यार.. घर पर रेणुका न होती तो जरूर मैं इसे साथ ले जाता.. !!"
मदन: "तो रेणुका को इसके हसबंड के पास भेज दे..!! क्या मज़ा आ जाएगा.. रेणुका को भी नया लंड मिल जाएगा.. यार तेरी बीवी वैसे है बड़ी ही मस्त.. सच में.. मैंने उसे वैसे नजर से पहले कभी देखा नहीं है.. लेकिन एक रात उसका विचार दिमाग में आ गया था.. तब मेरा लोडा इतना टाइट हो गया था की मुझे फिर शीला को दबाकर चोदना पड़ा था.. !!"
राजेश: "साले, अपने दोस्त की बीवी को गंदी नज़रों से देखता है??"
शीला ने रेणुका को कुहना मारकर इशारा किया.. जवाब में रेणुका ने उसे आँख मार दी
राजेश: "तेरा तो केवल टाइट हुआ था.. मेरा तो पानी ही निकाल दिया था तेरी सेक्सी बीवी ने.. !! वैसे तो रेणुका भी काफी मस्त है.. लेकिन तेरी वाइफ में जो सेक्स अपील है उसका कोई जवाब नहीं.. और उसके बॉल तो क्या गजब के बड़े बड़े है.. !!"
मदन: "रॉकी, तूने गौर से देखा.. ?? यह सुनंदा के बबले भी कुछ कुछ शीला जैसे नहीं लग रहे?"
राजेश: "अबे चूतिये.. तूने मुझे भाभीजी के बबले दिखाए ही कब.. ?? जो मुझे पता चलें.. हा साइज़ और शेप काफी मिलते झूलते है.. मुझे तो हिप्स भी उनके जैसे ही लग रहे है"
मदन: "यार, मैं भी कब से हैरान हूँ.. कितना मिलता झूलता फिगर है सुनंदा और शीला का.. ?? इसीलिए तो मैंने उसे पसंद नहीं किया था.. सब इसके पीछे पागल है पर मैं आज किसी अलग टाइप के फिगर का स्वाद लेना चाहता था.. लेकिन इसी ने मुझे चुन लिया.. चलो.. मुझे कोई नुकसान नहीं है.. यह भी कुछ कम नहीं है... साली गजब की चुदक्कड़ पटाखा है.. !!"
राजेश: "मेक, यार एक बार अगर तू राजी हो तो मैं भाभी जी को नंगी देखना चाहता हूँ"
राजेश का लंड चूस रही शीला ने यह सुनकर अपने दांत लंड पर दबा दीये..
राजेश: "ओह्ह क्या किया तूने हरामजादी.. खा जाएगी क्या मेरे लंड को.. जरा धीरे धीरे कर यार.. !!"
फिर मदन की ओर मुड़कर राजेश ने बात आगे बढ़ाई "बदले में.. मैं भी तुझे रेणुका को नंगी दिखाऊँगा"
मदन: "सिर्फ देखने से ही पेट थोड़े ही भरता है रॉकी.. !! देखने के बाद अगर चखने का मन किया तो??"
राजेश: "तो चख लेंगे.. कौन सी बड़ी बात है.. !! हम दोनों के अलावा यह बात कोई और जानेगा नहीं.. मेरी तो कब से पार्टनर चेंज करने की तमन्ना है.. लेकिन किसके साथ करता..!! उसी चक्कर मे तो यह क्लब जॉइन किया था.. !!"
शीला और रेणुका अपने अपने पतियों की इस तैयारी की बातें सुन रही थी.. और साथ ही साथ उनके लंड भी चूस रही थी
मदन: "हाँ यार.. मेरी और शीला की भी एक अधूरी इच्छा है.. जिसकी बातें अक्सर हम चुदाई करते वक्त करते है"
राजेश: "कौन सी इच्छा?"
मदन: "ग्रुप सेक्स करने की.. एक ही कमरे में.. दो कपल साथ में सेक्स करें.. ऐसी इच्छा.. !!"
राजेश: "ओह.. ये तो कुछ भी नहीं है.. रेणुका तो कपल बदलने की बातें भी करती है कभी कभी.. "
मदन: "तो क्या हम आपस में ऐसा कर सकते है?"
रेणुका ने शीला को मदन का लंड दिखाया.. यह सब बातें करते हुए उसका लंड गन्ने जैसा सख्त हो गया था.. शीला ने भी यह महसूस किया की राजेश का लंड पहले के मुकाबले काफी कडक हो गया था..
राजेश: "तूने तो मेरे मुंह की बात छीन ली यार.. मगर हमारी बीवियों को इस बात के लिए कैसे राजी करेंगे??"
मदन: "हाँ यार.. वो तो एक बड़ा प्रॉब्लेम है.. साली गरम होती है तब तो कुछ भी करने को तैयार हो जाती है.. लेकिन ठंडा होते ही तुरंत सति-सावित्री का रूप धारण कर लेती है.. तू रेणुका को तैयार कर पाएगा?"
राजेश: "कोशिश करता हूँ.. वो भी जब एक्साइट होती है तब ऐसी बातों में दिलचस्पी दिखाती है.. लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं.. पर मैंने एक बात नोट की है.. जब जब में उसे चोदते वक्त उसके साथ किसी तीसरे आदमी का जिक्र करता हूँ तब उसकी उत्तेजना आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है.. आई मीन.. आह.. अब तुझे कैसे समझाऊँ यार.. !! अभी परसों हम चुदाई कर रहे थे.. तब मैंने वो पीयूष की बात की तो क्या गजब के झटके खाने लगी.. साली.. मुझे तो शक है की कहीं मुझसे चोरी छुपे उससे चुदवाती न हो.. !! कभी कभी लगता है की वो तैयार है और कभी लगता है की नहीं है"
मदन: "तो फिर क्या करेगा??"
राजेश: "तू ये बता.. तू शीला भाभी को कैसे तैयार करेगा?"
मदन: "वो तो मैं कर लूँगा.. यार मेरा दिल तो हमारी दूध वाली पर आ गया है.. साली क्या माल है यार.. !!"
राजेश: "कौन दूधवाली यार??"
मदन: "अरे है एक गदराई ग्वालिन.. हमारे घर दूध देने आता है उस आदमी की बीवी.. अभी अभी बच्चा पैदा किया है.. लेकिन तू मानेगा नहीं.. ऐसी जालिम कयामत है की क्या बताऊँ.. तुझे पता है.. एक दिन वो घर पर आई तब तेरी भाभी घर पर नहीं थी.. उस वक्त मैंने उसे पकड़ कर चोद डाला था"
राजेश ने चोंककर पूछा "क्या बात कर रहा है यार.. !!! अपने ही घर पर तूने उसे जबरदस्ती चोद दिया??"
मदन: "अभी तूने उसे देखा ही कहाँ है..!! एक बार तू उसे देख ले.. तो खड़े खड़े पानी निकल जाएगा तेरा.. आहाहाहा बड़े बड़े दूध से भरे उसके मम्मे.. ओह.. और जालिम जवानी.. !! मुझे तो लगा था की मेरे घर वो आई ही थी चुदवाने के लिए शायद.. ऐसी पतली सी चोली पहन रखी थी.. और अंदर ब्रा तो पहनती ही नहीं है.. घर पर आई तब अपना जोबन छुपाने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी.. उल्टा सब कुछ उछाल उछालकर मुझे दिखा रही थी.. साली ने मेरा लोडा टाइट कर दिया.. पटक कर वहीं चोद दिया मैंने.. उसने थोड़े बहोत नखरे तो किए.. लेकिन एक बार गरम हो गई उसके बाद.. हुमच हुमचकर चुदवाया साली ने.. एक बार मैंने जबरदस्ती की और दूसरी बार उसने.. !!"
राजेश: "उसने कैसे की?"
मदन: "अरे यार.. तू तो जानता है ना.. एक बार हम लोगों का निकल जाए उसके बाद.. कितनी सुस्ती आ जाती है!! और शीला मार्केट गई थी.. उसके आने का वक्त भी हो गया था तो मैंने कहा की अब वो चली जाएँ.. तो साली मुझ से बोली "बाबूजी..एक बार और कीजिए ना.. एक बार से मन नहीं भरता मेरा.. " मैंने लाख इनकार किया की मादरचोद अभी तेरी माँ यहाँ आ जाएगी तो गांड फाड़ देगी हम दोनों की.. लेकिन वो माने तब ना.. !!"
राजेश: "वेरी इंटरेस्टिंग.. फिर क्या हुआ?"
मदन: "होना क्या था.. वही हुआ जिसका डर था.. तेरी भाभी आ गई और हम दोनों को रंगेहाथों पकड़ लिया.. !!"
राजेश: "अरे बाप रे.. तब तो तेरी गांड फट गई होगी"
मदन: "अरे यार.. बड़ी मुश्किल से समझा पाया उसे.. तुझे पता है ना.. औरतों को समझाना कितना मुश्किल होता है!!
राजेश: "एक बार तेरी इस दूधवाली को देखना पड़ेगा यार.. लेकिन यार.. तू बात को कहाँ से कहाँ ले गया.. !! तू कह रहा था की क इस तरह तू शीला भाभी को राजी करेगा.. !!"
मदन: "यार ट्राय करूंगा.. लेकिन मुझे तो लगता है की शायद तू रेणुका को राजी नहीं कर पाएगा..!!"
राजेश: "यार, मैं भी सिर्फ कोशिश कर सकता हूँ"
मदन: "यार रॉकी.. ये बीवी बदलने की बात सुनकर.. मेरा तो लोडा फटा जा रहा है"
उसी दौरान.. कॉकटेल चलते चलते किसी और औरत को लेकर रेणुका के पास आया और उसकी पहचान कराने लगा.. "ये है मेरी बीवी.. !!" कॉकटेल की अमीरियत देखकर रेणुका पानी पानी हो गई.. कॉकटेल की बीवी ने हंसकर रेणुका को फ्लाइंग किस दी और कहा "हाई.. तुम्हारा साथी जबरदस्त है.. एक काम करो.. तुम मेरा पति ले जाओ और मुझे तुम्हारा पार्टनर दे दो.. !!"
रेणुका सुनकर मुस्कुराने लगी.. और फिर नीचे बैठ गई.. लंड चूसने.. !! कॉकटेल के दोनों हाथों को पकड़कर घुटनों के बल बैठकर उसका लंड चूसते हुए रेणुका ने उसकी घड़ी में समय देखा.. ग्यारह बज रहे थे.. शीला ने तो कॉकटेल की या उसकी बीवी की तरफ देखा तक नहीं.. पर रेणुका ने कॉकटेल की बीवी के कान में कहा "मेरा नाम कामिनी है..!!" जवाब में उसने कहा "नाइस नेम.. आई एम बार्बी.. " देखते ही देखते बार्बी भी रेणुका और शीला के संग जुड़ गई..
राजेश और मदन की रसप्रद चर्चा पर.. कॉकटेल और बार्बी के आने से कोई ब्रेक नहीं लगी.. उन्हों ने अपनी बात जारी रखी
राजेश: "मेक.. एक काम करते है.. आज रात हम एक कमरे में ही सोते है.. चुदाई भी साथ में करेंगे"
मदन खुश हो गया "क्या सच में? मज़ा आएगा.. इसी बहाने रीहर्सल भी हो जाएगा.. शीला और रेणुका के साथ साथ बार्बी भी अब मदन और राजेश के लंड के साथ खेलने लगी..
बहुत ही शानदार और कामुक अपडेट शीला ने सबके खड़े कर दिए हैं! अद्भुत लेखनी है आपकी!थोड़ी देर के बाद तीनों ने कपड़े पहन लिए.. साढ़े आठ बज चुके थे..
हेमंत: "मैडम, अब मुझे इजाजत दीजिए.. काउंटर पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहें होंगे.. आप को किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझे कॉल कीजिएगा.. मैं हाजिर हो जाऊंगा" फिर रेणुका की ओर मुड़कर उसने कहा "मैडम, आपका पार्टनर जैसे ही आएगा.. मैं आपको इन्फॉर्म कर दूंगा.. मगर उसके सामने अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है.. मैं नहीं चाहता की कोई लफड़ा हो.. जब पार्टी जॉइन करेंगे तभी मैं आपको उससे मिलवाऊँगा.. क्या है की कभी कभी लास्ट मोमेंट पर बड़ी मुसीबतें खड़ी हो जाती है.. तब तक आप आराम कीजिए.. और आपको खाने में क्या पसंद है ये बताइए.. मैं खुद ले कर आऊँगा.. और हम तीनों साथ बैठकर खाएंगे"
रेणुका थोड़ी सी घबरा गई "कैसी मुसीबतें??"
हेमंत: "घबराने की कोई बात नहीं है मैडम.. मैं तो पसंद आने न आने की बात कर रहा हूँ.. और कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. और अगर कुछ प्रॉब्लेम हुआ तो मैं हूँ ना आपके साथ.. !!"
शीला और रेणुका ने खाने का ऑर्डर दिया जो हेमंत ने नोट कर लिया.. हेमंत ने जाते हुए दरवाजे पर खड़े होकर कहा "मैडम, आपको तो पता ही होगा.. पार्टी रूम में मास्क पहनकर जाना होता है.. ताकि हर कोई अपनी पहचान गुप्त रख सकें.. हम दोनों साथ एंट्री करेंगे.. और ये मैडम, अपने पार्टनर के साथ.. ठीक है.. !! कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए.. प्लीज.. !!"
शीला: "थेंकस डीयर.. तूने आज हमारी बहोत बड़ी हेल्प की है.. अगर तुम न होते तो इतनी जल्दी रजिस्ट्रेशन कभी नहीं हो पाता.. और हमें यहीं से वापिस लौट जाना पड़ता.. !!"
हेमू ने शीला को आँख मारी और मुस्कुराता हुआ चला गया.. रेणुका और शीला अब निश्चिंत होकर बैठे.. रेणुका ने सिगरेट सुलगाई.. और दोनों बारी बारी उसे फूंकने लगे
रेणुका: "यार शीला.. गजब का कॉन्फिडेंस है तेरा.. बड़े आराम से तू ऐसे पेश आ रही थी जैसे तुझे सब कुछ पहले से ही पता हो.. !!"
शीला ने जवाब नहीं दिया.. सिगरेट का एक लंबा कश लगाते हुए वो गहन विचारों में खो गई.. और आगे की रणनीति के बारे में सोचने लगी
रेणुका: "क्या सोच रही है?"
शीला: "सोच रही हूँ.. की तुझे उस अनजान शख्स के साथ नही जाना चाहिए.. तुझसे कुछ गलती हो गई तो हम दोनों फंस जाएंगे.. उसके साथ मैं ही चली जाऊँगी.. तू हेमंत के साथ मजे करना"
रेणुका: "पर वो तो तेरे पीछे पागल हो पड़ा है.. उसे तो सिर्फ तू ही चाहिए"
शीला: "हम्म.. मैं भी यही सोच रही हूँ.. वो तो देखा जाएगा जो भी होगा.. !!"
आधे घंटे के बाद वेटेर खाना रख गया.. शीला ने तीन प्लेट परोसी और फिर हेमंत को फोन किया.. हेमंत ने फोन कट कर दिया और तुरंत उनके कमरे में पहुँच गया.. दरवाजा अंदर से लॉक करने के बाद, तीनों ने भरपेट खाना खाया..
हेमंत: "देखिए मैडम, आज यहाँ आप जो कुछ भी करेंगे उसे पूरी तरह से पहचान छुपा कर ही करना है.. किसी को आप की पर्सनल इनफ़ोर्मेशन बिल्कुल भी नहीं देनी है.. आज रात का आप का पार्टनर जो कोई भी हो या आप को उसे साथ चाहे कितना भी मज़ा क्यों न आए और वो आप को कितना भी फोर्स क्यों न करे.. आप अपना मोबाइल नंबर, पता या शहर का नाम, कुछ भी नहीं बताएंगे.. अगर फिर भी आप किसी भी प्रकार की जानकारी देते है तो आगे उसके जिम्मेदार आप खुद ही होंगे"
रेणुका: "ठीक है हेमंत.. हम किसी को अपनी कोई जानकारी नहीं देंगे"
हेमंत: "मैं तो कहता हूँ की ज्यादा बात करने के भी जरूरत नहीं है.. जिस काम के लिए मिले है.. वही काम करके निकल जाना चाहिए.. क्या मालूम वो लोग फोन पर रेकॉर्ड कर रहे हो!! आवाज से भी कभी कभी पहचाना जा सकता है.. सो कीप इट टॉप सीक्रेट.. और सिर्फ मजे करने पर ही ध्यान केंद्रित रखना.. ठीक है.. !!"
शीला: "ठीक है हेमू.. हम समझ गए"
हेमंत: "और ये लीजिए.. आप दोनों के लिए मास्क.. इसे पहन कर ही आप को एंट्री मिलेगी.. और हाँ.. पूरा टॉप फ्लोर इस पार्टी के लिए ही बुक किया गया है.. रात दस बजे के बाद किसी अन्य को ऊपर आने की इजाजत नहीं है.. एक बार ऊपर जाने के बाद आप भी नीचे मत उतरिएगा.. और जहां कहीं भी घूमो.. मास्क पहन कर ही घूमना.. टॉइलेट में जाओ तो भी मास्क पहन कर.. बिना मास्क के बिलकूल भी नहीं.. ठीक है.. !! शीला जी, अब थोड़ी देर मे पार्टी शुरू होगी.. आप ड्रिंक्स पर कंट्रोल रखना.. किसी का दिया हुआ ड्रिंक मत पीना.. !! और हाँ एक खास बात तो भूल ही गया.. वहाँ पर एनाउंसमेंट के लिए आपका क्या नाम रखूँ? यहाँ हर कोई अपना नकली नाम ही बताता है"
शीला: "मेरा नाम सुनंदा रखना"
हेमंत ने नोट करते हुए कहा "सुनंदा... ओके.. और रेणुजी.. आप का क्या नाम रहेगा??"
रेणुका ने थोड़ा सोचकर कहा "कामिनी नाम कैसा रहेगा??"
हेमंत: "एकदम सेक्सी नाम है.. कामिनी.. "
शीला और रेणुका की दिल की धड़कनें धीरे धीरे तेज हो रही थी.. पार्टी शुरू होने की उत्तेजना उनके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी.. घड़ी में साढ़े नौ का समय हो चुका था.. हेमंत खड़ा हो गया
"शीला जी, आप मेरी पार्टनर है इसलिए आप मेरे साथ चलिए.. और रेणुकाजी आप....!!" हेमंत आगे कुछ बोलता उससे पहले उसका मोबाइल बजा.. हेमंत ने वो शीला-रेणुका के बगल वाले रूम का नंबर फोन पर बताया.. और उसे वहाँ बैठने के लिए कहा.. और साथ ही उस व्यक्ति को कहा की वो फ्रेश होकर बैठे.. उसका पार्टनर पाँच मिनट में उसके कमरे में पहुँच जाएगा.. उस शख्स ने हेमंत को जो कुछ पूछा और हेमंत ने उसके जो जवाब दीये वो सुनकर रेणुका और शीला वासना से तपकर लाल लाल हो गए..
हेमंत: "जी सर.. आप की चॉइस मैं भलीभाँति जानता हूँ.. एकदम कडक माल है.. घरेलू टाइप.. बाजारू नहीं है.. !!.. जी.. जी.. एकदम गोरी चिकनी है.. मस्त माल है सर..पार्टी के लिए आई थी मगर उनके पार्टनर समय पर पहुँच नहीं सके इसलिए वापिस जा रही थी.. जी.. जी.. उनके मतलब.. वो दो है.. और उनके पार्टनर दूसरे शहर से आने वाले थे.. यस यस सर.. जी उनके साथ उनकी एक फ्रेंड भी है.. दोनों एक साथ आई है.. और उनकी फ्रेंड को भी मैंने आप की तरह किसी ओर के साथ बुक कर दी है... अरे सर.. चिंता मत कीजिए.. मैंने आपकी चॉइस को ध्यान में रखकर ही अच्छी वाली आप के लिए रखी है.. हाँ सर.. जी सर.. बहोत बढ़िया साइज़ है सर.. और एकदम टाइट भी है.. ४० से कम का साइज़ नहीं होगा.. इतने बड़े बड़े है.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"
शीला और रेणुका एक दूसरे के सामने देखने लगे.. वो समझ गए की हेमंत उस आदमी को उनके स्तनों का विवरण दे रहा था.. बात करते करते भी हेमंत रेणुका के स्तनों को मसल रहा था.. तीनों के चेहरे पर उत्तेजक मुस्कान छा गई थी.. ९९ प्रतिशत पुरुषों को स्त्री के बड़े स्तन बेहद पसंद होते है.. सामने से चलकर आ रही किसी भी सुंदर स्तनों वाली स्त्री को केवल नज़रों से ही नाप लेते है..
हेमंत ने उस शख्स के सभी सवालों के संतोषजनक उत्तर दीये.. पर हेमंत के जवाब सुनकर शीला और रेणुका दोनों ही गरम हो रहे थे..
हेमंत: "अरे सर, आप भी कहाँ कम है.. !! आप के पास आके वो भी ट्रेन हो जाएगी सर.. घरेलू है.. इसलिए शायद मुंह में तो नहीं लेगी.. प्रोफेशनल होती तो जरूर लेती.. लेकिन यकीन मानिए.. आप खुश हो जाएंगे सर.. !!"
रेणुका को बाहों में भरकर एक जोरदार लीप किस देते हुए हेमंत ने कहा: "इन्जॉय.. बहुत ही शौकीन है.. खूब चोदेगा आपको.. मजे करना.. आपका पार्टनर आ गया है तो आपकी एंट्री पक्की.." रेणुका ने हेमंत के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा "हेमू.. बड़ा ही मस्त लंड है तेरा.. जाने से पहले एक बार इसे जरूर चखूँगी.. कभी मुझे भी उसी तरह चोदना जैसे शीला जी को चोदा है.. ओके.. !! चोदेगा ना.. !! चलो अब मैं चलती हूँ.. बाय शीला.. बाय हेमू.. !!"
तभी हेमंत ने उसका हाथ पकड़कर याद दिलाया "आप मास्क भूल गई अपना.. !!"
"ओह सॉरी डीयर.. लव यू.. याद दिलाने के लिए शुक्रिया.. !!" चेहरे को पूरी तरह ढँक दे ऐसा मास्क पहन कर रेणुका निकल गई.. उसकी चाल में.. अनजान लंड से चुदने की हवस साफ दिख रही थी..
उसके जाते ही हेमंत ने शीला से कहा "आप कपड़े चेंज कर दीजिए.. हो सके तो आप बिना ब्रा के मेरी शर्ट पहन लीजिए.. इसमें आप के बड़े बड़े बूब्स जबरदस्त हॉट दिखेंगे.. और नीचे मिनी-स्कर्ट कैसा रहेगा? ऊपर करते ही चूत के दर्शन हो जाएंगे.. !!"
शीला: "हेमू तू भी पागल है.. मैं ऐसे कपड़े लाई नहीं हूँ.. जो है उसी से काम चलाना पड़ेगा.. और वैसे यहाँ कपड़े पहनेगा कौन?? एक दो मिनट में तो सब के कपड़े उतर जाने वाले है"
हेमंत: "मैडम.. फर्स्ट इंप्रेशन इस धी लास्ट इंप्रेशन.. पहली नजर में अगर आप मर्दों की नज़रों में बस गई तो देखना फिर आप की डिमांड कैसे बढ़ जाएगी.. !! मैं तो कहता हूँ.. आप ही पार्टी में सब से हॉट लगोगी.. एक सीक्रेट बात है.. जो मैं आप को अभी नहीं बताऊँगा.. पर जब आपको पता चलेगा तो आप जरूर चोंक जाओगी.. बस आप सब से हॉट दिखने की कोशिश कीजिए.. वैसे हॉट तो आप पहले से हो.. थोड़े कपड़े ऐसे पहन लीजिए.. काम हो जाएगा"
शीला: "पर डीयर.. मेरे पास ऐसे कपड़े नहीं है यार.. कह तो रही हूँ.. !!"
हेमंत: "डॉन्ट वरी.. एक मिनट रुकिए.. " हेमंत कमरे से बाहर गया और थोड़ी ही देर में.. एक बॉक्स लेकर वापिस लौटा
शीला को बॉक्स थमाते हुए हेमंत ने कहा "ये देखिए.. यह जोड़ी कैसी रहेगी??"
बॉक्सस खोलते ही.. उसमें से एक चमकीला गोल्डन कलर का शर्ट निकला.. शीला देखकर खुश होगई.. उसे वो शर्ट इतना पसंद आ गया की उसने तुरंत अपनी साड़ी उतारी.. ब्लाउस और पेटीकोट भी उतार दीये.. और हेमंत के सामने बिल्कुल नंगी हो गई..
हेमंत: "माय गॉड.. !! आप ने सच ही कहा था.. हॉट दिखने के लिए आपको कपड़ों की कोई जरूरत नहीं है.. बस कपड़े उतारने की जरूरत है.. " शीला के जोबन को दबाते हुए हेमंत सिर्फ इतना ही बोल सका.. उसका लंड फिर से टाइट हो गया.. पर पार्टी के लिए बचाकर रखा हुआ रिजर्व कवॉटा वो अभी इस्तेमाल कर देता तो फिर पार्टी में उसका लंड खड़ा ही न होता.. इसलिए उसने अपने आप को कंट्रोल किया..
शीला ने शर्ट पहन लिया और अपने आप को मिरर में देखने लगी.. आहाहाहा.. गोल्डन चमकीले शर्ट में.. बिना ब्रा के बड़े बड़े बबले.. क्या लग रहे थे.. !! दोनों पॉकेट पर स्तनों के उभार.. और मध्य में नुकीली निप्पल.. स्पष्ट नजर आ रही थी.. शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दीये शीला ने.. स्तनों की बीच की दरार शीला की कामुकता में चार चाँद लगा रही थी.. बॉक्स में एक मेक्सी भी थी.. जो शीला के घुटनों तक आती थी..
शीला को इस नए रूप में देखकर उत्साहित हेमंत उसके करीब आया.. मेक्सी को उठाकर उसने शीला की कातिल जांघों के मांस को दबा दिया और कहा "शीला जी.. बस इसी दरार को झुककर दिखाना है.. और स्कर्ट को बार बार उठाकर अपनी मादक जांघों के दर्शन देने है पार्टी में.. इन्हें देखते ही सारे लोड़ो की धज्जियां उड़ जाएगी.. देखना.. आज आपको देखकर ही पार्टी जल्दी शुरू हो जाएगी.. "
हेमंत ने शीला को मास्क पहनाया.. और पार्टी के लिए तैयार कर दिया.. अपने इस नए स्वरूप को आँख भरकर एक बार और आईने में देखकर शीला को पक्का यकीन हो गया की मदन या राजेश.. दोनों में से कोई भी उसे पहचान नहीं पाएगा.. अनजाने में ही सही.. हेमंत ने बहोत बड़ी मदद कर दी थी शीला की.. वरना शीला के गदराए बदन का जलवा ही कुछ ऐसा था की लाखों औरतों के बीच भी कोई उसे पहचान लेता.. हेमंत की दीये हुए कपड़े ऐसे थे की जिससे शरीर ढँक गया था पर फिर भी कामुकता बाहर झलक रही थी..
तभी हेमंत के मोबाइल पर एलार्म बजा..
हेमंत: "चलिए चलते है शीला जी.. अब से आप शीला जी नहीं है और मैं हेमंत नहीं हूँ.. अब आप सुनंदा है.. जैसा नाम वैसा ही बदन है.. क्या लग रही हो आप.. देखकर ही किसी का भी पानी निकल जाए" हेमंत नए सिरे से उत्तेजित होकर शीला के गले लग गया और उसके बड़े बड़े स्तनों को रौंद दिया.. वो इतना उत्तेजित था की अभी शीला को चोदना चाहता था.. पर ना ही उतना समय था और ना ही उसमें उतनी ऊर्जा बची थी
शीला और हेमंत.. मास्क लगाकर बाहर निकले.. शीला ने अपना कमरा लॉक किया और हेमंत का हाथ पकड़ कर.. कपल की तरह चलते चलते लिफ्ट से ऊपर जाकर.. लॉबी से गुजरते हुए एक बड़े हॉल की तरफ आगे बढ़े..
उनके आगे ही.. रेणुका एक अनजान मर्द के साथ जा रही थी.. पर हेमंत ने पहले ही हिदायत दी थी.. की पार्टी में ऐसे ही पेश आना है जैसे हम एक दूसरे को जानते न हो.. !!
अपनी जिज्ञासा को बड़ी मुश्किल से दबाया शीला ने.. फिर भी उसके मन में यह उत्कंठा जरूर थी की देखें वो अनजान मर्द कौन था.. कैसा था.. आखिर वो कौन सा नया लंड है जो आज रात रेणुका की पुच्ची को गीला करेगा.. !!
एक अत्यंत विशाल हॉल था.. जिसे बड़े ही आधुनिक ढंग से सजाया गया था.. अंदर बहोत कम लोग थे अभी.. और ज्यादा चहल-पहल भी नहीं थी.. रेणुका-शीला और उनके साथियों के अलावा और कोई नहीं था..
रेणुका और उसके साथी को देखते ही एनाउंसर ने माइक पर कहा "वेलकम टू अवर फर्स्ट कपल.. कामिनी एंड कॉकटेल.. !!" और पीछे शीला और हेमंत को देखकर कहा "एंड ऑलसों वेलकम टू सुनंदा एंड बँटी"
शीला अचंभित होते हुए हॉल में सजाए गए कामुक आर्टिकल्स को देख रही थी.. हॉल की छत.. रंगबिरंगी कोंडम को फुलाकर गुबारों की तरह सजाई गई थी.. सारी दीवारों पर कामुक अंदाज में चुदाई कर रहें जोड़ों की बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थी.. आसपास कई टेबलों पर सेंकड़ों किस्म के डिल्डो और रबर से बनी चूतें रखी हुई थी.. बीचोंबीच संगेमर्मर से बनी एक कलात्मक नग्न मूर्ति थी.. जिसकी दोनों निप्पलों से सफेद रंग का दूधनुमा प्रवाही बह रहा था.. और चूत से पानी टपक रहा था..
दीवार पर लगी कुछ तस्वीरों में.. लड़की एक साथ दस मर्दों के बीच लैटी हुई थी.. एक ने चूत में लंड पेल रखा था तो एक ने गांड में.. एक लंड मुंह में लिया हुआ था और दो लंड हाथ में थे.. साथ ही दो मर्द उसके एक एक स्तन की निप्पलों को चूस रहे थे.. शेरों का समूह.. हिरनी के शिकार को खा रहा हो ऐसा द्रश्य था.. दूसरी तस्वीर में.. ६ से सात लड़कियां एक मर्द पर टूट पड़ी थी.. सारी तस्वीरों में कुछ न कुछ असामान्य था.. ऐसे तस्वीरें थी जिन्हें बार बार देखने का मन हो जाए
उस दौरान एनाउंसर की उत्तेजक कॉमेंट्री चालू थी
शीला की ओर देखकर उसने कहा "क्या कातिल ड्रेसिंग है इस मैडम की.. सारे मर्दों को अपने स्कर्ट में गायब कर देगी आज.. मिस सुनंदा.. आपके बूब्स का साइज़ ४२ या उससे ज्यादा ही होगा.. क्यों ठीक कहा ना मैंने.. !!"
अपने मास्क पहने सर को हिलाते हुए शीला ने "हाँ" कहा
काफी और जोड़े एक के बाद एक.. हॉल में प्रवेश करने लगे..
एनाउंसर: "हैलो एवरीवन.. मेरा नाम रोमा है.. आज रात मैं आप कोगोन को जी भर के इन्जॉय करने की टिप्स दूँगी.. कृपया मेरे एनाउंसमेंट पर ध्यान दीजिएगा.. प्रोमिस करती हूँ.. आप को बहोत मज़ा आएगा और ये रात आपके लिए यादगार बन जाएगी" कहते हुए उसने अपने वन-पीस ड्रेस की गांठ पीछे से खोल दी.. और उसका ड्रेस उतरकर उसके कदमों पर ढेर हो गया.. उसने न ब्रा पहनी थी और ना पेन्टी.. सुंदर कमसिन सेक्सी बदन देखकर.. हॉल में बैठे लोगों की आहें निकल गई..
रोमा : "ये देखिए.. अब मैं आप सब के सामने बिल्कुल नंगी होकर बैठी हूँ.. आप में से जो चाहें मुझे आकर चोद सकता है.. इस वक्त मैं देख रही हूँ की मिस्टर कॉकटेल.. सुनंदा के बड़े बड़े बूब्स को एन्जॉय करना चाहते है.. कब से घूर रहे है.. डरिए मत.. मिस्टर कॉकटेल.. ये सुनंदा भी आपका लँड चूसने के लिए बेकरार है.. जाईए और दबा लीजिए.. उस रंडी के बूब्स.. और हाँ.. जरा जोर से दबाना वरना वो नाराज हो जाएगी"
रोमा की बातें सुनकर शीला रोमांचित हो गई..
रोमा: "इस हॉल में.. कोई भी.. किसी को भी छु सकता है.. जो चाहें कर सकता है.. इस फकिंग क्लब का यह पहला रूल है.. आपका जिस्म.. सब के लिए है..!! आप किसी को मना नहीं कर सकते.. ओके??"
रेणुका का साथी कॉकटेल.. शीला के करीब आकर उसके स्तनों पर हाथ फेरने लगा.. ऊपर के बटनों को खोलकर शीला ने एक स्तन बाहर निकालकर उसे सहूलियत कर दी.. तुरंत ही कॉकटेल ने मास्क में बने छेद से निप्पल को चूसना शुरू कर दिया.. शीला उसके पेंट के ऊपर से ही लंड को नापने लगी.. और फिर उसकी ठुड्डी पकड़कर उसके मुंह से निप्पल छुड़ाते हुए चूम लिया.. शीला ने उस शख्स का हाथ पकड़ कर मेक्सी के अंदर इस तरह डाल दिया की जिससे वो शीला की चूत को महसूस कर सकें.. कॉकटेल ने कलाई पर राडो की अत्यंत महंगी गोल्डन घड़ी पहनी हुई थी.. जो शीला को बेहद पसंद आ गई..
शीला के भोसड़े को कुरेदते हुए कॉकटेल ने उसे जबरदस्त गरम कर दिया.. दूसरी तरफ बैठा हेमंत भी कहाँ कम था.. !! वो पहुँच गया रेणुका के पास.. और उसके स्तनों को दबाने लगा.. एकदम धीमी आवाज में उसने रेणुका के कानों में कहा "कॉकटेल बहुत ही मालदार पार्टी है.. खुश हो गया तो मालामाल कर देगा.. नई नई गिफ्ट्स देने का उसे बहोत शौक है.. उसका एक बार दिल आ गया तो फिर पैसों के सामने नहीं देखता"
रेणुका ने भी उतनी ही धीमी आवाज में हेमंत से कहा "मुझे तो तगड़ा मूसल मिल जाएँ.. वहीं सब से बड़ी गिफ्ट होगी.. और किसी गिफ्ट का मैं क्या करूंगी भला.. !!"
रोमा की कामुक कॉमेंट्री और एक के बाद एक नए मेम्बरो की एंट्री से पार्टी का माहोल जमने लगा था.. रोमा हर नए व्यक्ति की पहचान एनाउंस करते हुए देती.. सब को एक सा महत्व दे रही थी.. जैसे जैसे मेम्बर आते गए वैसे वैसे शीला और रेणुका.. बड़ी ही बेसब्री से अपने पतियों के चेहरे ढूंढ रही थी.. चारों तरफ अब काफी भीड़ सी हो रही थी.. और सारे लोग अस्तव्यस्त खड़े थे.. ऊपर से सब ने मास्क पहन रखा था.. इस जमावड़े में उन दोनों को ढूँढना बेहद कठिन था.. सिर्फ शरीर को देखकर ही अनुमान लगाना था.. हालांकि शीला और रेणुका के अलावा.. कोई भी.. किसी दूसरे को पहचान ने की कोशिश नहीं कर रहा था..
सेंट्रली ए.सी. कॉनफरंस हॉल में अब धीरे धीरे माहोल बनता जा रहा था.. रोमा की शरारती उद्घोषणाएं वातावरण को और रंगीन बना रही थी.. शीला के कपड़े और उसका शरीर सौष्ठव.. सब के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था.. !! कई औरतें ऊपरी वस्त्र के नाम पर.. केवल एक छोटे से रुमाल से अपने स्तन ढँककर आई थी.. पुरुष वर्ग भी रंगबिरंगी कपड़ों में सज्ज था.. काफी लोगों के हाथों में सिगार थी.. क्यूबन सिगार के धुएं की मदहोश खुश्बू सारे हॉल में फैल रही थी.. उन पुरुषों के प्रभावशाली व्यक्तित्व में, आसपास की स्त्रीयों को प्राप्त कर.. भोगने की लालसा स्पष्ट नजर आ रही थी.. तमाम मर्दों को अपनी पत्नी को प्रदर्शित करने में उतनी दिलचस्पी नहीं थी.. जितनी दिलचस्पी वो दूसरों की बीवियों को ताड़ने में दिखा रहे थे.. पराई स्त्री के देह का रसपान करने में सारे मर्द इतने मशरूफ़ हो चलें थे.. की अपनी खुद की पत्नी को कोई दबोचकर चोद दे तो उन्हें पता भी नहीं चलता.. वैसे वो आए भी उसी आशय से थे.. की अपनी पत्नी को किसी और को सौंप सकें.. और खुद किसी और की बीवी की टांगें चौड़ी कर अंदर लंड घुसेड़ सकें.. !!
शीला और रेणुका की उत्तेजना पराकाष्ठा पर थी.. दोनों पार्टी में आए लोगों की हरकतों को देखकर गरमा चुकी थी.. शीला ने देखा.. बगल में खड़े कपल की स्त्री के स्तनों को उसके पति/पुरुषमित्र के सामने ही दूसरा एक मर्द दबाकर चूस रहा था.. वो स्त्री अपने पति की नज़रों के सामने ही उस अनजान शख्स का लंड हिला रही थी.. बीच मैं बने छोटे से स्टेज पर बैठकर.. नग्न रोमा.. चारों और का द्रश्य देखते हुए.. बीभत्स और शरारती कमेंट्स किए जा रही थी..
एक आदमी शीला के बगल में आकर खड़ा हो गया.. शीला की गोरी गर्दन पर हाथ फेरते हुए वो मुस्कुराने लगा.. कॉकटेल को छोड़कर यह पहला व्यक्ति था जसिने शीला के बदन का स्पर्श किया था.. धीमी आवाज में रोमेन्टीक जैज़ म्यूज़िक वातावरण को मदहोश बना रहा था.. शीला के बदन पर अब हवस का खुमार छाने लगा था.. क्योंकि हॉल के सभी मर्दों के लिए.. और कुछ औरतों के लिए भी.. शीला आकर्षण का केंद्र बन चुकी थी.. थोड़ी ही देर में.. शीला के इर्दगिर्द मर्दों का ऐसा जमावड़ा हो गया जैसे मधूमक्खियों का छत्ता हो.. सब मिलकर शीला के अलग अलग अंगों को सहला रहे थे.. शीला को खुद अंदाजा नहीं था की उस व्यक्त कितने लोगों के हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे.. उसके दोनों स्तनों को जैसे सजा-ए-मौत का फरमान मिला हो.. वैसे रोंदा जा रहा था.. एक के बाद एक.. शीला सब के स्पर्श को महसूस करने के लिए तत्पर थी.. क्योंकि वही एक तरीका था जिससे वो मदन को पहचान सकती थी..
शीला ने हेमंत के कानों में कहा "बँटी बेटा.. इन सब लोगों से कह दो की सुनंदा बारी बारी सब का लंड चूसना चाहती है.. सब एक लाइन में खड़े हो जाए"
हेमंत ने तुरंत ही सब को संबोधित करते हुए कहा "हैलो एव्रीबडी.. मैं देख रहा हूँ की आप सब मेरी पत्नी के पीछे पागल हुए जा रहे है.. आई डॉन्ट माइंड.. मुझे तो मज़ा आ रहा है ये सब देखकर.. वो भी चाहती है आप सब के साथ इन्जॉय करना.. वो आप सब के लंड चूसना चाहती है.. प्लीज आप सब एक लाइन में आ जाइए.. ताकि वो एक के बाद एक आप सब के लंड चूस सकें.. एक बार अनुभव कीजिए तब आप को पता चलेगा की मेरी बीवी कितना अच्छा चूसती है.. !!"
यह सुनते ही सारे मर्दों में खुशी की लहर दौड़ उठी.. हेमंत का आमंत्रण सुनते ही सब कतार में खड़े हो गए.. और शीला एक के बाद एक.. उनके लंड बाहर निकालकर चूसने लगी.. सब मिलाकर ५० के करीब पुरुष थे.. बारी बारी लंड चूसते हुए.. शीला ने ४ शकमंदों को तलाश लिया.. जिनका लंड बिल्कुल मदन जैसा था.. अब शीला का ध्यान केवल उन चार पुरुषों पर ही था..
शीला के सुनहरे शर्ट में थिरकता हुआ उसका मदमस्त जोबन.. शर्ट को फाड़ने की तैयारी में था.. इतने सख्त हो गए थे उसके बबले.. !! तमाम मर्द शीला के बबलों का हुस्न देखकर पगला रहे थे... उसका एक स्पर्श पाने के लिए सारे लंड फड़फड़ा रहे थे.. पूरी पार्टी का केंद्र बिन्दु बन चुकी थी शीला.. !! हेमंत ने आसपास नजरें फेरते हुए सारी औरतों के देह-लालित्य पर एक कामुक नजर डाली.. कुछ औरतें आपस में ही एक दूसरे के जिस्म से खेल रही थी.. तो कुछ स्त्रीयां अपने स्तन खोलकर.. खुद ही दबाते हुए पूरे हॉल में घूम रही थी और माहोल की गर्मी को बढ़ा रही थी..
हेमंत एक स्त्री के पास गया और उसके स्तनों को छेड़ने लगा.. तभी उस स्त्री के पार्टनर ने हेमंत के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा "यार, गजब का पटाखा है तेरी बीवी.. किसी भी कीमत पर आज रात को मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. हम आपस में समझौता कर लेते है.. आप मेरी वाइफ को सिलेक्ट कर लो.. और मुझे आप की वाइफ दे दो..!!" शीला की जानकारी के बाहर ही सेटिंग होने लगी थी
हेमंत: "सर, बेशक मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है.. लेकिन इसके लिए आपको मुझ से नहीं.. सुनंदा से ही बात करनी होगी.. क्योंकि आखिर जो होगा उसकी मर्जी से ही होगा.. सिर्फ मेरे चाहने से क्या होगा??"
उस शख्स ने कहा "पर आप तो उसे राजी कर सकते है ना??.. मैं उसे आज रात जी भरकर चोदना चाहता है.. क्या जालिम माल है यार.. !! ऐसी औरत बिस्तर पर साथ नंगी पड़ी हो.. तो जीवन में और कुछ नहीं चाहिए.. !! उसके दोनों बबलों के बीच लंड घुसाकर चोदना है एक बार.. !!" और फिर अपना कडा लंड दिखाते हुए वो बोला "देखो यार.. क्या हाल हो गया है इसका.. आपकी वाइफ को देखकर.. !!"
उसकी पत्नी ने उस शख्स का लंड पकड़ लिया.. और साथ ही हेमंत के लंड को पकड़कर बोली "मुझे तो दो दो लंड से एक साथ करवाना है.. मेरी हमेशा यह फेंटसी रही है की मुझे दो मर्द एक साथ बेरहमी से चोदे.. !!" इतना बोलते ही वो घुटनों के बल बैठकर बारी बारी से दोनों लंड को चूसने लगी..
हेमंत बड़ी मस्ती से लंड चुसाई का आनंद ले रहा था.. उसने शीला की तरफ देखा.. और स्तब्ध हो गया.. शीला के चेहरे का मास्क.. कई मर्दों के वीर्य से भर चुका था.. वीर्य की धाराएं बहकर उसके शर्ट पर भी गिर रही थी.. उसका शर्ट कई जगहों से फट चुका था.. पराकाष्ठा पर पहुंचकर कई मर्द काफी आक्रामक हो जाते है.. एक साथ २० मर्दों के बीच.. शीला उनकी विकृतियों को शांत करने का साधन बने बैठी थी.. उसके हावभाव से प्रतीत हो रहा था की उसे भी बड़ा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि वो जानती थी की ऐसा समय उसके जीवन में फिर दोबारा लौटकर नहीं आने वाला था..
उन चार मर्दों में से.. शीला को एक मर्द पकड़ में आ गया.. जो उसके हिसाब से मदन ही था.. मन ही मन खुश होते हुए वो बार बार उसी मर्द को टारगेट बना रही थी.. और उसके इर्दगिर्द ही घूमती रही.. शीला को शक तो पूरा था.. पर उस शक को यकीन में बदलने के लिए क्या किया जाएँ.. यह उसके दिमाग में नहीं आ रहा था.. मदन ने पार्टी में अपना क्या नाम रखा था.. वो भी उसे पता नहीं था
तभी रेणुका शीला के करीब आई और उसका हाथ पकड़कर कोने में ले गई.. और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई "शीला, मैंने राजेश को ढूंढ लिया है.. देख.. वो सामने खड़ा है" इशारे से रेणुका ने शीला को दिखाया
"पर तुझे कैसे पता चला की वो राजेश ही है?"
रेणुका: "जब भी रोमा का फोन आता था.. तब वह राजेश को रॉकी के नाम से संबोधित करती थी.. यहाँ भी जब वो अंदर आया तब रोमा ने उसे रॉकी के नाम से ही वेलकम किया था"
शीला: "अच्छा.. !! वैसे मैंने भी मदन को लगभग पहचान ही लिया है.. अब मेरी बात सुन.. जिसे मैं मदन समझ रही हूँ.. तू उसके साथ जाकर थोड़ा इन्जॉय कर ले.. तब तक मैं राजेश का लंड चख लेती हूँ.. ठीक है.. !! उन दोनों को पता भी नहीं चलेगा और हम दोनों को एक दूसरे के पति के लंड को चखने का अनमोल मौका मिल जाएगा"
रेणुका: "तेरा आइडिया तो जबरदस्त है यार.. तू जा.. और राजेश के लंड को चेक कर.. अगर उसके सुपाड़े पर छोटा सा तिल हुआ तो वो यकीनन राजेश ही है..!! और हाँ.. मदन भैया के जिस्म पर ऐसी कोई निशानी है क्या?" शीला के गले पर लगे किसी के वीर्य को चाटते हुए रेणुका ने उसे चूम लिया
शीला सोच में पड़ गई और फिर बोली "नहीं यार.. ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा.. पर मुझे पक्का यकीन है की वो मदन ही है"
मदन और राजेश अपनी मस्ती में मस्त थे.. उन्हों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की उनकी पत्नियाँ यहाँ मौजूद थी..
रेणुका घूमते घूमते उस पुरुष के पास पहुँच गई.. जो शीला के हिसाब से.. मदन था.. !! रेणुका ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया.. और अपने स्तनों को उसकी पीठ पर रगड़ते हुए उसके लंड को पकड़कर हिलाने लगी.. उस पुरुष के मुंह से कामुक सिसकी निकल गई.. और उसकी आवाज सुनकर रेणुका को ५० प्रतिशत यकीन हो गया की वो मदन ही था.. अभी पूरी तसल्ली करना बाकी था
शीला भी चलते चलते राजेश के पास पहुँच गई.. उसे देखकर रोमा ने माइक पर कहा "लगता ही की अब सुनंदा रॉकी का लंड चूसने का इरादा बनाकर आई है.. यू आर वेरी लकी रॉकी जी.. !!" यह सुनते ही शीला ने झुककर रॉकी/राजेश के लंड को हाथ में लिया.. जैसा रेणुका ने कहा था बिल्कुल वैसा ही तिल.. उसके फुले हुए सुपाड़े पर नजर आया.. कनफर्म हो गया.. वह राजेश ही था.. रोमांचित होकर शीला ने तुरंत सुपाड़े को अपने मुंह में डाल दिया.. और उत्तेजना से चूसने लगी..
राजेश का लंड चूसते हुए वो यही सोच रही थी.. की अब मदन की पहचान को कैसे कनफर्म करें?? दिमाग को काफी कसने के बाद भी जब कोई रास्ता न सुझा.. तब उसने हेमंत को अपने करीब बुलाया.. और कहा "बँटी.. मेरा दिल उस शख्स पर आ गया है.. तू जा और उससे बात कर.. और मेरी चूत के लिए उसके लंड का जुगाड़ कर"
हेमंत: "मगर सुनंदा.. तुमने तो वादा किया था की रात मेरे साथ गुजारोगी.. !! मैं तुम्हें किसी और को नहीं दूंगा.. आज रात तुम बस मेरे लंड की रानी बनकर रहोगी.. मेरी सुनंदा को मेरी नज़रों के सामने कोई चोदे.. ये मैं होने नहीं दूंगा.. !!"
शीला: "अरे मेरी जान.. मैं तो तुझे मिलूँगी हाइ.. लेकिन आज रात नहीं.. आज रात मुझे मेरी पसंद का लंड लेने डे.. तेरे लंड का तो मैं फुर्सत से हिसाब करूंगी.. !! ठीक है.. !! अब जो मैंने किया है वो कर.. अगर मुझे फिर से पाना चाहता है तो"
हेमंत लाचार था, उसने कहा "ठीक है.. मैं उस आदमी से बात करता हूँ"
जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"
पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
बहुत ही ग़ज़ब की कामुक स्टोरी है ! शीला की जवानी के सब दीवाने हैं पार्टी में !जैसे ही हेमंत उस आदमी के पास जाने लगा.. तभी रोमा ने माइक पर कहा "लेडिज एंड जेन्टलमेन.. अब टाइम आ गया है हम जोड़ियाँ बना ले.. आज तक हम जिस रूल से जोड़ी बनाते आए है.. उस रूल में हमने इसबार थोड़ी सी तबदीली की है.. जैसा की आप सब जानते है.. इस काउंटर पर सभी मर्दों की चाबियाँ है.. सभी लेडिज यहाँ आकर एक के बाद एक चूज़ करती थी और पार्टनर का चयन हो जाता था.. लेकिन हमारे पास कई नए नए सुझाव आए है... जिन में से ज्यादातर लेडिज के थे.. जिनका कहना है की इस तरह उन्हें पसंद करने का योग्य अवसर नहीं मिलता.. और किस्मत से मिलें लंड से.. मतलब की अपने पति से... तो वो पहले ही घर पर चुदवा ही रही है.. तो ऐसा करने से रोमांच कम हो जाता है.. इसलिए हम ने यह फैसला किया है की आज सब से पहले हम आप को पार्टनर चुनने का मौका देंगे.. सब से पहले हर मर्द अपनी पसंदीदा औरतों के पास जाकर खड़ा हो जाएँ.. !!"
पचास में से लगभग पैंतीस पुरुष शीला की बगल में खड़े हो गए..
रोमा: "वाऊ.. व्हॉट ए सरप्राइज़ .. !! मुझे यह जानना है की बाकी पंद्रह मर्दों ने इस सेक्स बॉम्ब को क्यों नहीं चुना?? यह एक पेचीदा सवाल है.. मुझे भी इसका जवाब जानने में दिलचस्पी है.. !! उन लोगों से मैं गुजारिश करूंगी.. की आप के बाद एक आकर.. मेरे कान में इसका कारण बताएं.. ताकि मैं डिक्लेर कर सकूँ.. और सारी बातें सीक्रेट भी रहेगी"
सभी मर्द एक के बाद एक.. रोमा के कानों में कहकर गए.. रोमा को इतनी हंसी आई की वो अपना पेट पकड़कर लेट गई.. अब सब को यह जानना था की आखिर ऐसे कौन से कारण थे.. !!
अपने आप को संभालकर रोमा ने माइक पर कहा "मेरे प्यारे चुदक्कड़ों.. सभी पंद्रह मर्दों ने जो कारण दीये उसका निष्कर्ष यही निकलता है.. उनका मानना है की इतनी हॉट गदराई माल को बेड पर ले जाकर सेक्स करने से पहले ही उनका डिस्चार्ज हो जाएगा.. और फिर वो बिस्तर पर इस लेडी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं बचेंगे.. इसी कारणवश उन्हों ने सिलेक्ट नहीं किया.. शाबाश सुनंदा.. !! जलवा है आपका तो.. !!"
तमाम लोगों ने शीला के जोरदार तालियाँ बजाई.. शीला की नजर उस मर्द पर थी.. जिसे वो मदन समझ रही थी.. वह व्यक्ति निरुत्साह होकर खड़ा था.. देखकर शीला को बड़ा ताज्जुब हुआ
रोमा: "चलिए.. बाकी की जोड़ियाँ तो बन गई मगर प्रॉब्लेम यह है की अब इन पैंतीस लोगों के बीच.. सुनंदा का बंटवारा कैसे करें??" थोड़ी देर खामोश रहने के बाद रोमा ने बड़े ही नटखट अंदाज में कहा "एक काम करते है.. हम सुनंदा की बोली लगाते है.. देखते है की कौन सब से ज्यादा पैसे लुटाने के लिए तैयार है इसके बबलों पर.. !! जिसकी जेब में ज्यादा गर्मी होगी.. उसी का लंड लेगी सुनंदा.. आर यू रेडी, सुनंदा??"
शीला ने अपने दोनों हाथों से शर्ट को फाड़कर.. मदमस्त विशाल चूचियों का प्रदर्शन करते हुए सब का अभिवादन किया.. और फिर शर्ट से उन्हें ढँक दिया..
पूरे हॉल में खलबली मच गई..!! सब के सब पागल हुए जा रहे थे.. सब की आँखों के सामने ही.. शीला ने अपनी चूत खुजाई.. और चुटकी में अपनी निप्पल दबाकर खींचते हुए.. सब के सामने देखकर.. मदहोश अंगड़ाई लेते हुए आँख मारी.. !! उसकी इन कामुक हरकतों को देखकर.. सारे लंड उसे सलामी देने लगे.. और सब लोड़ो ने शीला को स्टैन्डींग ओवेशन दिया.. !!
रोमा भी अपने नंगे स्तनों को झुलाते हुए उत्साह में आ गई क्यों की शीला ने आज की पार्टी को चार चाँद लगा दीये थे.. मर्दों को बावरा बना दिया था
रोमा: "सुनंदा के साथ रात गुजारने का मतलब है.. ज़िंदगी की सब से यादगार रात.. !! एक के बाद एक लोग इसके जिस्म की बोली लगाएंगे.. जो ज्यादा पैसे लुटाएगा.. सुनंदा आज रात के लिए उसकी हो जाएगी.. चलिए लगाइए बोली.. शुरुआत होगी एक लाख रुपये से.. !!"
एक के बाद एक बोली लगती गई.. और रकम साढ़े चार लाख पर पहुँच गई.. !!
"पाँच लाख.. !!" कोने में से आवाज आई तब सब चोंक गए.. क्योंकि वह आवाज किसी महिला की थी.. !!
रोमा: "बाप रे.. !! सुनंदा ने तो सिर्फ मर्दों को ही नहीं.. औरतों को भी पागल कर रखा है.. !! मुझे यह जानने में बड़ी दिलचस्पी है की एक औरत हो कर उसने सुनंदा के लिए इतनी बड़ी बोली आखिर क्यों लगाई.. !! जब की सुनंदा के पास.. उसे ठंडा करने के लिए जरूरी औज़ार भी नहीं है.. !!"
बोली लगाने वाली औरत.. बड़े ही आत्मविश्वास के साथ चलते चलते रोमा के पास आई.. रोमा की चुची को दबाकर उसके हाथ से माइक ले लिया और फिर बोली "हाई.. मेरा नाम केटरीना है.. मैं एक लेस्बियन हूँ.. मुझे लोडे की भूख नहीं है.. लोडा तो मैं घर से लेकर आई हूँ.. ये देखिए.. " कहते हुए उसने अपने हाथ में पकड़े सफेद रंग का डिल्डो दिखाया.. "मैं तो सुनंदा के बदन की कायल हो चुकी हूँ.. आज रात को, मैं सुनंदा के गदराए बदन का मज़ा लूटना चाहती हूँ.. उन्हें ये डिल्डो पहनाकर पूरी रात चुदना चाहती हूँ.. अगर उन्हें मंजूर हो तो.. !!"
शीला और रेणुका को तो ये बाद में पता चला की फकिंग क्लब में एंट्री पाने के लिए जोड़ी होना आवश्यक था.. पर जरूरी नहीं था की जोड़ी मर्द और महिला की ही हो.. दो महिला भी जोड़ी बनाकर दाखिल हो सकती थी.. अगर ये पहले पता होता.. तो उन्हें बेकार में ये सारे जुगाड़ न करने पड़ते..
शीला अब असमंजस में थी.. इतने सारे असली लंड छोड़कर.. वो अपनी कमर पर नकली लॅंड बांधकर.. इस औरत को चोदना तो नहीं चाहती थी.. पर पाँच लाख रुपये.. बहोत बड़ी रकम होती है.. शीला को समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करें.. तभी हेमंत उसके पास आया
हेमंत: "मैडम.. ये बड़ी ही बेरहम औरत है.. और बहोत विकृत भी है.. उसके साथ एक रात बिताने वाली लड़की दोबारा उससे नहीं मिलती.. आप उसकी ओफर को ठुकरा दीजिए.. "
अचंभित होकर शीला हेमंत की बात सुनती रही.. अब उसे वाकई उस स्त्री में दिलचस्पी जाग उठी.. पर फिलहाल वो ऐसा जोखिम उठाना नहीं चाहती थी..
शीला ने हेमंत से कहा "मैंने तुझे वो आदमी दिखाया ना.. !! मैं उसी के साथ सोऊँगी.. मुझे और कोई नहीं चाहिए.. !! जाओ उसे तैयार करके मेरे पास ले आओ.. !!"
जाने से पहले हेमंत एक बार फिर शीला के बदन से अजगर की तरह लिपट गया.. और बोला "आप के लिए तो मै कुछ भी करने को राजी हूँ.. !!"
शीला ने हेमंत के लंड को हथेली से सहलाया.. और उसके लाल सुपाड़े को झुककर चूम लिया.. हेमंत ने उत्तेजित होकर.. शीला के भोसड़े में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करते हुए.. उसकी निप्पल को चूस लिया..
रोमा: "मुझे लगता है की सुनंदा जी खुद तय करेगी की उन्हें किसके साथ सोना है.. प्लीज सुनंदा.. यहाँ आओ.. और मुझे बताओ.. की आज रात के लिए तुम कीसे अपना यार बनाना चाहती हो.. !!"
अपने विराट कूल्हों को मटकाते हुए शीला चलकर स्टेज पर आई.. सब से पहले तो उसने रोमा के साथ थोड़ा रोमांस किया.. उसके होंठों को चूमकर.. उसकी चूचियों को दबाया.. और उसका हाथ लेकर अपनी चूत पर दबा दिया.. देखकर ही सारे मर्दों की आह्ह निकल गई..
शीला ने रोमा को चैर पर बिठाया.. और उसके हाथ में माइक थमा दिया.. फिर खुद नीचे बैठकर.. रोमा की टांगें फैलाकर उसकी चूत चाटने लगी.. !! माइक पर रोमा की मादाक सिसकियाँ सुनाई देने लगी.. जैसे जैसे शीला की जीभ चूत के अंदरूनी हिस्सों को कुरेदने लगी.. वैसे वैसे ही रोमा के सर पर पागलपन सवार हो गया.. और वो कुछ भी बड़बड़ाने लगी..
शीला की चूत चटाई.. और रोमा की सिसकियों ने सब का भरपूर मनोरंजन किया.. थोड़ी ही देर में रोमा एक पतली चीख के साथ झड़ गई.. और कुर्सी पर झुककर हांफने लगी.. शीला अब उठकर रोमा के गालों को और कानों को चाट रही थी.. बड़ी ही मुश्किल से रोमा ने अपने आप को संभाला.. और कुर्सी पर ठीक से बैठी.. शीला ने दूर से उंगली का इशारा करते हुए मदन को दिखाया और रोमा से बोली "मुझे उसके साथ सोना है"
रोमा ने चोंककर कहा "सुनंदा मिस्टर मेक के साथ सोना चाहती है.. यार.. आज रात के लिए मैंने भी उसे ही चुना था.. !!"
तो नाम पता चल गया.. मदन का नाम मिस्टर मेक था.. रोमा ने तुरंत उसके नाम की घोषणा माइक पर कर दी
अपना नाम सुनकर मदन चोंक गया.. खुश होकर उसने दूर से ही रोमा को अंगूठा दिखाया.. उसके शरीर के हाव भाव देखकर शीला को पूरी तसल्ली हो गई की वह मदन ही था.. शीला रोमांचित हो उठी.. शीला को यह अफसोस नहीं था की इतना दूर.. इतना जोखिम उठाने के बाद भी वो नया लंड नहीं ले पाई.. बल्कि इस बात की खुशी थी की उससे झूठ बोलकर.. इतने दूर आने के बाद भी मदन को पराई चूत नसीब नहीं होने दी.. इसे कहते है किस्मत का खेल.. !!
शीला और मदन.. दोनों धीरे धीरे करीब आने लगे.. शीला अब स्टेज से उतरकर राजेश उर्फ रॉकी के पास जाकर खड़ी हो गई और उसके लंड से खेलने लगी.. रोमांचित होकर मदन चलते चलते शीला और राजेश के पास आया.. और धीरे से बोला "मुझे सिलेक्ट करने के लिए आपका शुक्रिया.. अगर आप चाहों तो मैं आपका लाइफ पार्टनर भी बनने के लिए तैयार हूँ.. इतनी खूबसूरत हो आप.. !! आप जैसी बीवी मिल जाएँ.. तो ऐसी क्लब जॉइन करने की कोई जरूरत ही नहीं रहेगी.. !!"
सुनकर शीला मन ही मन गुस्से से लाल हो गई.. भोसड़ीवाले.. भड़वे.. मादरचोद.. अभी मेरा मास्क उतारूँगी.. तो एक ही पल में तेरी सारी आशिकी उतर जाएगी.. बड़ा आया रोमांस करने वाला..!! अबे घोंचू, ऐसी पटाखा बीवी घर पर होने की बावजूद यहाँ ऐयाशी करने आया है और अब मुझ ही से यह कह रहा है.. !!
शीला के भारी भरकम खुले बबलों को दोनों हाथों में पकड़कर वज़न चेक करते हुए.. बड़े ही अहोभाव और अचरज से देखते हुए मदन के होश उड़ रहे थे.. मदन को शीला की याद आ गई.. सैम टू सैम शीला जैसे ही बबले है इसके भी.. !!
पति परमेश्वर नहीं.. पत्नी ही परमेश्वर होती है.. अत्र तत्र सर्वत्र व्याप्त होती है ये भार्या.. रांड के भोसड़े में लंड डालकर उछलते वक्त भी बीवी याद आ जाती है... और आठ पेग पीने के बाद नशे में धूत होने के बाद भी..!! जैसे, सूखा हो या बाढ़.. पानी की याद आती है.. बिलकूल वैसे ही.. !!
शीला कुछ नहीं बोली.. अगर वो बोलती तो उसकी आवाज से मदन पहचान लेता.. और सारा खेल अभी समाप्त हो जाता.. मदन को जवाब न देना पड़े इसलिए उसने आँखें बंद कर ली.. और ऐसे सिहरने का नाटक करने लगी जैसे मदन के स्पर्श ने उसे पागल कर दिया हो.. !! जैसे उसका रोम रोम मदन को देखकर खिल उठा हो.. मदन ने शीला की गर्दन पर अपनी जीभ फेर दी.. शीला के जिस्म में एक ठंडी सुरसुरी दौड़ गई.. ये वही स्पर्श था जो पिछले ३२ सालों से उसके बदन को उत्तेजित और ठंडा करता आया था.. अगर वो चाहती तो बड़ी ही आसानी से किसी अन्य पुरुष के साथ जोड़ी बना सकती थी.. और नए लंड के मजे पूरी रात लूट सकती थी.. पर ऐसा करती तो मदन को भी कोई नई रांड मिल जाती.. और ऐसा वो होने देना नहीं चाहती थी.. !!
रेणुका भी अब शीला, राजेश और मदन के पास आकर खड़ी हो गई.. मदन और राजेश को अब भी कोई अंदाजा नहीं था की वह दोनों अपनी पत्नियों के सामने ही खड़े थे.. अपने पति का लंड शीला के हाथ में देखकर रेणुका बेहद गरम हो गई.. बिना समय गँवाएं.. उसने मदन का लोडा पकड़ लिया.. दोनों ने आपस में ही पति बदल लिए थे फिलहाल..!!
अब दोनों घुटनों के बल बैठ गई.. और एक दूसरे के पतियों के लिंग चूसने लगी.. राजेश और मदन दोनों एक दूसरे के सामने देखकर.. मुसकुराते हुए इस अनोखे मुख-मैथुन का आनंद ले रहे थे..
राजेश: "मज़ा आ रहा है ना तुझे, मेक??"
मदन : "अरे पूछ मत यार.. कुछ भी कहों.. अपनी बीवियों के साथ ऐसा मज़ा कभी नहीं आ सकता.. देख तो सही.. क्या बढ़िया चूस रही है.. !! आह्ह.. आह्ह.. चूसो और अंदर तक लेकर.. !!"
मदन: "साली ये सुनंदा ने सिलेक्ट मुझे किया.. और लोडा तेरा चूस रही है.. "
राजेश: "कसम से यार.. एक रात के लिए अगर इसे चकले पर खड़ा कर दिया जाए.. तो पैसों के ढेर लग जाए.. इतना कमाल का चूसती है यह.. इसकी चुसाई ही इतनी जबरदस्त है की लगता है शायद चुदाई की जरूरत ही न पड़ें.. !!"
मदन: "अरे यार.. उसे मेरे पास भी भेज.. सुनंदा.. बेबी.. मेरा भी चूस दो प्लीज" सिगरेट का कश लेकर धुआँ शीला के नंगे बदन पर छोड़ते हुए मदन ने कहा
मदहोश अंगड़ाई लेते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में.. राजेश के लँड को एक आखिरी बार चूसकर बाहर निकाल दिया शीला ने.. उसकी लार से सने हुए राजेश के लंड को अपने हाथ से मुठियाते हुए शीला मदन के लंड के करीब पहुँच गई.. रेणुका तब मदन के आँड़ों को चाट रही थी.. रेणुका और शीला ने पहले तो मदन को छेडना शुरू किया.. उसका लंड मुंह में लिया है नहीं.. और बारी बारी सिर्फ राजेश का लंड चूसते रहे.. शीला के उन्नत स्तन रेणुका के बबलों से टकराकर दब गए.. उस द्रश्य को देखकर रोमा ने तुरंत कमेन्ट किया इस बारे में..
रोमा की कमेन्ट सुनते ही.. वो लेस्बियन औरत.. जिसने शीला के लिए पाँच लाख की बोली लगाई थी.. वो अपनी कमर पर सफेद डिल्डो बांधकर आ गई.. उसके दोनों पैरों के बीच असली लंड से भी बड़ा लंड झूल रहा था.. सामान्य लंड से दोगुना बड़ा और तीन गुना मोटा था.. वो शीला के करीब लंड झुलाते हुए खड़ी हो गई.. और शीला के बबलों पर उसे रबड़ के लंड से चपेटें मारने लगी.. रेणुका ने राजेश और मदन का लंड शीला के हवाले छोड़.. उस डिल्डो के टोपे को चूम लिया.. दोनों हाथों से पकड़ने के बावजूद वह उस पूरे लंड को पकड़ न पाई.. आँखें बंद कर उस विकराल लंड को रेणुका चाटने लगी.. उसे चाटता देख ऐसा लग रहा था मानों किसी घोड़े का लंड चूस रही हो..
वो लेस्बियन औरत अब मदन और राजेश के बीच खड़ी हो गई.. और अपने बेढंग पिचके हुए स्तन को जबरदस्ती मदन को चूसने देने लगी.. फिर मदन के लंड को पकड़कर बोली "इतना छोटा?? मेरा देख.. कितना बड़ा है.. !!" कहते हुए हंसने लगी.. मदन ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया.. और वो चली गई
शीला बड़ी ही मस्ती से राजेश के गोटों को चाट रही थी.. उसका पति मदन वहीं खड़ा था और इसी कारण उसे चूसने में और मज़ा आ रहा था.. थोड़ी देर के बाद शीला खड़ी हुई और मदन को अपनी बाहों में दबा दिया.. हर बार जब शीला मदन के करीब आती थी तब मदन को कुछ जाना पहचाना एहसास होता और वो सहम जाता.. और फिर वो पार्टी के रंग में फिर से विलीन हो जाता.. अपनी हर हरकत के बाद शीला ये चेक करती की मदन को शक हो रहा है या नहीं.. पर उसके आश्चर्य के बीच.. उसकी पत्नी ने बाहों में भर लिया फिर भी उस बेवकूफ को पता नहीं चला..!!!
शीला के स्तनों का उसकी छाती से घर्षण होने पर इतनी उत्तेजक अवस्था हो गई थी की मदन मदहोश होकर किसी अलौकिक दुनिया में खो सा गया था..
मदन: "रॉकी.. यार दिल करता ही की इस रंडी को अपने साथ घर ले चलूँ.. एकदम घरेलू माल है.. दोनों साथ मिलकर इसे जमकर चोदेंगे..!!"
राजेश: "हाँ यार.. घर पर रेणुका न होती तो जरूर मैं इसे साथ ले जाता.. !!"
मदन: "तो रेणुका को इसके हसबंड के पास भेज दे..!! क्या मज़ा आ जाएगा.. रेणुका को भी नया लंड मिल जाएगा.. यार तेरी बीवी वैसे है बड़ी ही मस्त.. सच में.. मैंने उसे वैसे नजर से पहले कभी देखा नहीं है.. लेकिन एक रात उसका विचार दिमाग में आ गया था.. तब मेरा लोडा इतना टाइट हो गया था की मुझे फिर शीला को दबाकर चोदना पड़ा था.. !!"
राजेश: "साले, अपने दोस्त की बीवी को गंदी नज़रों से देखता है??"
शीला ने रेणुका को कुहना मारकर इशारा किया.. जवाब में रेणुका ने उसे आँख मार दी
राजेश: "तेरा तो केवल टाइट हुआ था.. मेरा तो पानी ही निकाल दिया था तेरी सेक्सी बीवी ने.. !! वैसे तो रेणुका भी काफी मस्त है.. लेकिन तेरी वाइफ में जो सेक्स अपील है उसका कोई जवाब नहीं.. और उसके बॉल तो क्या गजब के बड़े बड़े है.. !!"
मदन: "रॉकी, तूने गौर से देखा.. ?? यह सुनंदा के बबले भी कुछ कुछ शीला जैसे नहीं लग रहे?"
राजेश: "अबे चूतिये.. तूने मुझे भाभीजी के बबले दिखाए ही कब.. ?? जो मुझे पता चलें.. हा साइज़ और शेप काफी मिलते झूलते है.. मुझे तो हिप्स भी उनके जैसे ही लग रहे है"
मदन: "यार, मैं भी कब से हैरान हूँ.. कितना मिलता झूलता फिगर है सुनंदा और शीला का.. ?? इसीलिए तो मैंने उसे पसंद नहीं किया था.. सब इसके पीछे पागल है पर मैं आज किसी अलग टाइप के फिगर का स्वाद लेना चाहता था.. लेकिन इसी ने मुझे चुन लिया.. चलो.. मुझे कोई नुकसान नहीं है.. यह भी कुछ कम नहीं है... साली गजब की चुदक्कड़ पटाखा है.. !!"
राजेश: "मेक, यार एक बार अगर तू राजी हो तो मैं भाभी जी को नंगी देखना चाहता हूँ"
राजेश का लंड चूस रही शीला ने यह सुनकर अपने दांत लंड पर दबा दीये..
राजेश: "ओह्ह क्या किया तूने हरामजादी.. खा जाएगी क्या मेरे लंड को.. जरा धीरे धीरे कर यार.. !!"
फिर मदन की ओर मुड़कर राजेश ने बात आगे बढ़ाई "बदले में.. मैं भी तुझे रेणुका को नंगी दिखाऊँगा"
मदन: "सिर्फ देखने से ही पेट थोड़े ही भरता है रॉकी.. !! देखने के बाद अगर चखने का मन किया तो??"
राजेश: "तो चख लेंगे.. कौन सी बड़ी बात है.. !! हम दोनों के अलावा यह बात कोई और जानेगा नहीं.. मेरी तो कब से पार्टनर चेंज करने की तमन्ना है.. लेकिन किसके साथ करता..!! उसी चक्कर मे तो यह क्लब जॉइन किया था.. !!"
शीला और रेणुका अपने अपने पतियों की इस तैयारी की बातें सुन रही थी.. और साथ ही साथ उनके लंड भी चूस रही थी
मदन: "हाँ यार.. मेरी और शीला की भी एक अधूरी इच्छा है.. जिसकी बातें अक्सर हम चुदाई करते वक्त करते है"
राजेश: "कौन सी इच्छा?"
मदन: "ग्रुप सेक्स करने की.. एक ही कमरे में.. दो कपल साथ में सेक्स करें.. ऐसी इच्छा.. !!"
राजेश: "ओह.. ये तो कुछ भी नहीं है.. रेणुका तो कपल बदलने की बातें भी करती है कभी कभी.. "
मदन: "तो क्या हम आपस में ऐसा कर सकते है?"
रेणुका ने शीला को मदन का लंड दिखाया.. यह सब बातें करते हुए उसका लंड गन्ने जैसा सख्त हो गया था.. शीला ने भी यह महसूस किया की राजेश का लंड पहले के मुकाबले काफी कडक हो गया था..
राजेश: "तूने तो मेरे मुंह की बात छीन ली यार.. मगर हमारी बीवियों को इस बात के लिए कैसे राजी करेंगे??"
मदन: "हाँ यार.. वो तो एक बड़ा प्रॉब्लेम है.. साली गरम होती है तब तो कुछ भी करने को तैयार हो जाती है.. लेकिन ठंडा होते ही तुरंत सति-सावित्री का रूप धारण कर लेती है.. तू रेणुका को तैयार कर पाएगा?"
राजेश: "कोशिश करता हूँ.. वो भी जब एक्साइट होती है तब ऐसी बातों में दिलचस्पी दिखाती है.. लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं.. पर मैंने एक बात नोट की है.. जब जब में उसे चोदते वक्त उसके साथ किसी तीसरे आदमी का जिक्र करता हूँ तब उसकी उत्तेजना आश्चर्यजनक रूप से बढ़ जाती है.. आई मीन.. आह.. अब तुझे कैसे समझाऊँ यार.. !! अभी परसों हम चुदाई कर रहे थे.. तब मैंने वो पीयूष की बात की तो क्या गजब के झटके खाने लगी.. साली.. मुझे तो शक है की कहीं मुझसे चोरी छुपे उससे चुदवाती न हो.. !! कभी कभी लगता है की वो तैयार है और कभी लगता है की नहीं है"
मदन: "तो फिर क्या करेगा??"
राजेश: "तू ये बता.. तू शीला भाभी को कैसे तैयार करेगा?"
मदन: "वो तो मैं कर लूँगा.. यार मेरा दिल तो हमारी दूध वाली पर आ गया है.. साली क्या माल है यार.. !!"
राजेश: "कौन दूधवाली यार??"
मदन: "अरे है एक गदराई ग्वालिन.. हमारे घर दूध देने आता है उस आदमी की बीवी.. अभी अभी बच्चा पैदा किया है.. लेकिन तू मानेगा नहीं.. ऐसी जालिम कयामत है की क्या बताऊँ.. तुझे पता है.. एक दिन वो घर पर आई तब तेरी भाभी घर पर नहीं थी.. उस वक्त मैंने उसे पकड़ कर चोद डाला था"
राजेश ने चोंककर पूछा "क्या बात कर रहा है यार.. !!! अपने ही घर पर तूने उसे जबरदस्ती चोद दिया??"
मदन: "अभी तूने उसे देखा ही कहाँ है..!! एक बार तू उसे देख ले.. तो खड़े खड़े पानी निकल जाएगा तेरा.. आहाहाहा बड़े बड़े दूध से भरे उसके मम्मे.. ओह.. और जालिम जवानी.. !! मुझे तो लगा था की मेरे घर वो आई ही थी चुदवाने के लिए शायद.. ऐसी पतली सी चोली पहन रखी थी.. और अंदर ब्रा तो पहनती ही नहीं है.. घर पर आई तब अपना जोबन छुपाने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी.. उल्टा सब कुछ उछाल उछालकर मुझे दिखा रही थी.. साली ने मेरा लोडा टाइट कर दिया.. पटक कर वहीं चोद दिया मैंने.. उसने थोड़े बहोत नखरे तो किए.. लेकिन एक बार गरम हो गई उसके बाद.. हुमच हुमचकर चुदवाया साली ने.. एक बार मैंने जबरदस्ती की और दूसरी बार उसने.. !!"
राजेश: "उसने कैसे की?"
मदन: "अरे यार.. तू तो जानता है ना.. एक बार हम लोगों का निकल जाए उसके बाद.. कितनी सुस्ती आ जाती है!! और शीला मार्केट गई थी.. उसके आने का वक्त भी हो गया था तो मैंने कहा की अब वो चली जाएँ.. तो साली मुझ से बोली "बाबूजी..एक बार और कीजिए ना.. एक बार से मन नहीं भरता मेरा.. " मैंने लाख इनकार किया की मादरचोद अभी तेरी माँ यहाँ आ जाएगी तो गांड फाड़ देगी हम दोनों की.. लेकिन वो माने तब ना.. !!"
राजेश: "वेरी इंटरेस्टिंग.. फिर क्या हुआ?"
मदन: "होना क्या था.. वही हुआ जिसका डर था.. तेरी भाभी आ गई और हम दोनों को रंगेहाथों पकड़ लिया.. !!"
राजेश: "अरे बाप रे.. तब तो तेरी गांड फट गई होगी"
मदन: "अरे यार.. बड़ी मुश्किल से समझा पाया उसे.. तुझे पता है ना.. औरतों को समझाना कितना मुश्किल होता है!!
राजेश: "एक बार तेरी इस दूधवाली को देखना पड़ेगा यार.. लेकिन यार.. तू बात को कहाँ से कहाँ ले गया.. !! तू कह रहा था की क इस तरह तू शीला भाभी को राजी करेगा.. !!"
मदन: "यार ट्राय करूंगा.. लेकिन मुझे तो लगता है की शायद तू रेणुका को राजी नहीं कर पाएगा..!!"
राजेश: "यार, मैं भी सिर्फ कोशिश कर सकता हूँ"
मदन: "यार रॉकी.. ये बीवी बदलने की बात सुनकर.. मेरा तो लोडा फटा जा रहा है"
उसी दौरान.. कॉकटेल चलते चलते किसी और औरत को लेकर रेणुका के पास आया और उसकी पहचान कराने लगा.. "ये है मेरी बीवी.. !!" कॉकटेल की अमीरियत देखकर रेणुका पानी पानी हो गई.. कॉकटेल की बीवी ने हंसकर रेणुका को फ्लाइंग किस दी और कहा "हाई.. तुम्हारा साथी जबरदस्त है.. एक काम करो.. तुम मेरा पति ले जाओ और मुझे तुम्हारा पार्टनर दे दो.. !!"
रेणुका सुनकर मुस्कुराने लगी.. और फिर नीचे बैठ गई.. लंड चूसने.. !! कॉकटेल के दोनों हाथों को पकड़कर घुटनों के बल बैठकर उसका लंड चूसते हुए रेणुका ने उसकी घड़ी में समय देखा.. ग्यारह बज रहे थे.. शीला ने तो कॉकटेल की या उसकी बीवी की तरफ देखा तक नहीं.. पर रेणुका ने कॉकटेल की बीवी के कान में कहा "मेरा नाम कामिनी है..!!" जवाब में उसने कहा "नाइस नेम.. आई एम बार्बी.. " देखते ही देखते बार्बी भी रेणुका और शीला के संग जुड़ गई..
राजेश और मदन की रसप्रद चर्चा पर.. कॉकटेल और बार्बी के आने से कोई ब्रेक नहीं लगी.. उन्हों ने अपनी बात जारी रखी
राजेश: "मेक.. एक काम करते है.. आज रात हम एक कमरे में ही सोते है.. चुदाई भी साथ में करेंगे"
मदन खुश हो गया "क्या सच में? मज़ा आएगा.. इसी बहाने रीहर्सल भी हो जाएगा.. शीला और रेणुका के साथ साथ बार्बी भी अब मदन और राजेश के लंड के साथ खेलने लगी..
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर खतरनाक अपडेट है भाई मजा आ गयाराजेश और मदन की रसप्रद चर्चा पर.. कॉकटेल और बार्बी के आने से कोई ब्रेक नहीं लगी.. उन्हों ने अपनी बात जारी रखी
राजेश: "मेक.. एक काम करते है.. आज रात हम एक कमरे में ही सोते है.. चुदाई भी साथ में करेंगे"
मदन खुश हो गया "क्या सच में? मज़ा आएगा.. इसी बहाने रीहर्सल भी हो जाएगा.."
शीला और रेणुका के साथ साथ बार्बी भी अब मदन और राजेश के लंड के साथ खेलने लगी..
तभी रोमा ने अपनी पुच्ची में उंगली करते हुए एनाउंस किया "जो जिसके साथ सोना चाहता है वो अब उसे लेकर अपने अपने कमरे में जा सकता है.. इन्जॉय एवरीबड़ी"
मदन और राजेश खड़े थे थे.. वहीं कॉकटेल और बार्बी भी साथ थे.. शीला, रेणुका और बार्बी भी लंड छोड़कर खड़ी हो गई.. तीनों एक दूसरे के कमर में हाथ डालकर चलने लगी.. उस दौरान शीला ने बार्बी के कान में कुछ कहा.. और बार्बी ने जवाब में शीला के गालों को चूम लिया.. वो शीला का हाथ छुड़ाकर चली गई.. और हेमंत को बुला लाई.. हेमंत भी किसी दूसरी पार्टनर के साथ मजे कर रहा था.. मदन और राजेश के लंड मुरझाकर झूल रहे थे..
अब फाइनल जोड़ी बनाकर.. सब अपने अपने कमरे की ओर जाने लगे.. देखते ही देखते हॉल खाली होने लगा..
हॉल में अब सिर्फ इतने लोग बचे थे..
बँटी उर्फ हेमंत और बार्बी..
जो कॉकटेल की बीवी थी और उसका पति उसे स्वेच्छाचार के लिए यहाँ लेकर आया था.. दिखने में मस्त थी.. और शौकीन.. अमरूद जैसी चूचियाँ थी.. खींच मसलकर लंबी की हुई क्लिटोरिस थी.. और मस्त गांड.. कुल मिलाकर चोदने के लिए बढ़िया थी
सुनंदा (शीला) और मेक (मदन)
कामिनी (रेणुका) और कॉकटेल (?)
राजेश अकेला बच गया
परेशान होते हुए राजेश ने कहा "अरे यार.. आप लोगों ने तो मुझे ही बाहर निकाल दिया??" शीला और रेणुका भी अचंभित हो गई.. यहाँ पर सिर्फ कपल को एंट्री थी.. और सब जोड़ियों में बाहर गए थे.. फिर एक चूत कम कैसे पड़ गई?? कहीं कोई ताकतवर लंड दो चूतों को तो साथ नहीं ले गया?? नहीं ऐसा नहीं हो सकता था..
राजेश शर्म से पानी पानी हो रहा था.. क्या करता?? अब पूरी रात खुद ही हिलाना पड़ेगा क्या? इतनी दूर आकर क्या फायदा जब मूठ ही मारना हो..!! निराश हो गया राजेश.. उसका चेहरा देखकर रेणुका को उस पर तरस आ गया.. मेरा पति मूठ मारे और मैं दूसरे कमरे में चुदवाऊँ.. !! ऐसा नहीं हो सकता.. पर करे तो करे क्या.. !! पूरा प्रोग्राम राजेश ने ही बनाया था और अब वही लटक गया.. !! उसका हाल ऐसा हो गया की बाराती सारे बस में बैठ गए और अब दूल्हे के बैठने के लिए ही जगह नहीं बची..
शीला ने सोचा की हेमंत को जरूर पता होगा की कहाँ गड़बड़ हुई है.. उसने तुरंत हेमंत के कान में कहा "भेनचोद.. इसके लिए चूत का बंदोबस्त कर.. नहीं तो ये किसी को चोदने नहीं देगा.. " इतना कहकर शीला वापिस मदन के बगल में आकर खड़ी हो गई.. सब जा चुके थे.. राजेश की वजह से यह छह लोग अटक पड़े थे..
मदन: "तू चिंता मत कर रॉकी.. मेरे साथ चल यार.. इस रांड को तो एक साथ पचास मर्द भी कम पड़ेंगे.. क्यों बेबी..!! ये साथ आए तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं है ना.. !! हम दोनों सेंडविच स्टाइल में तुझे बीच में दबाकर चोदेंगे.. !! पीछे कभी लिया है पहले?"
शीला ने गर्दन हिलाते हुए "हाँ" का इशारा किया.. एक साथ दो मर्दों से.. और वो भी एक उसका पति और दूसरा राजेश.. इस कल्पना मात्र से ही शीला रोमांचित हो गई.. उसे डर सिर्फ एक ही बात का था.. दोनों से चुदवाते वक्त कहीं उसकी असलियत बाहर न आ जाएँ.. पर अब तो उसने हाँ बोल दिया था.. शीला को सकपकाया देख रेणुका बड़ी खुश हुई.. की चलो आज शीला को राजेश का लंड चखने का अवसर मिल ही जाएगा..
लेकिन किसी की खुश ज्यादा देर तक नहीं टिकी.. थोड़ी सी मोटी.. और ४५ के करीब उम्र वाली औरत उनके पास चलते हुए आई.. और बोली
"हाई.. मेरा नाम स्टेफी है.. माफ कीजिएगा.. कन्फ्यूजन की वजह से मैं बाहर निकल गई थी.. फिर पता चला की साथी चुनना तो बाकी था.. चलिए.. कौन आएगा मेरे साथ?"
चरबीदार जिस्म.. और मध्यम कद के स्तनों वाली वह स्त्री ब्रा और पेन्टी पहने हुए थे.. पारदर्शक ब्रा से उसकी बादामी रंग की निप्पलें साफ नजर आ रही थी..
देखकर उसे समझ आया की केवल राजेश ही था जो अकेला था
उसने राजेश से कहा "अब तो आप अकेले नहीं है.. हमारी जोड़ी बन गई है.. आप किस्मत वाले हो.. जो मैं आपको मिली.. मैंने अब तक अपने पति के अलावा किसी को भी अपने शरीर पर हाथ लगाने नहीं दिया है" राजेश को स्टेफी की जिस्म में वैशाली की झलक नजर आई.. और उसने तुरंत उसके आमंत्रण का स्वीकार कर लिया.. और स्टेफी की कमर में हाथ डाल दिया..
अब प्रॉब्लेम सुलझ चुका था.. सब की जोड़ियाँ बन गई थी.. सारे जोड़ें एक दूसरे के साथ छेड़खानियाँ करते हुए हॉल से बाहर निकलकर लॉबी में आ गए.. बेहद उत्तेजक माहोल था..
मदन: "एक घंटे बाद मेरे कमरे में मिलते है"
राजेश स्टेफी को लेकर मदन के साथ वाले कमरे में घुस गया.. और उसकी तरह बाकी जोड़ें भी अपने अपने कमरे में चले गए
शीला और मदन कमरे के अंदर भी मास्क पहने हुए थे.. और चोदने के लिए उतावले हो रहे थे.. कैसी स्थिति थी.. !!! घर की खिचड़ी से परेशान होकर महंगे रेस्टोरेंट में जाएँ.. और वहाँ कोई अटपटे नाम वाली आइटेम ऑर्डर करने के बाद जब वो आए और पता चले की यह भी खिचड़ी ही है..!! तो क्या हाल होगा.. !! बिल्कुल वही हाल मदन का था पर उसे अभी पता नहीं था.. यहाँ पर भी.. आइटम घर वाली ही थी.. सिर्फ नाम अलग था.. फव्वारे का पानी कितना भी उछल ले.. आखिर गिरता वहीं है जहां से वो निकला था.. राजेश के साथ बेंगलोर जाने का झूठ बोलकर वो इस क्लब में नई चूत चोदने आया था.. काफी पैसे खर्च कर भाड़े की रांड भी साथी बनाकर लाया था.. और आखिर उसके हाथ उसकी पत्नी ही लगी.. !!
सच में.. पति और पत्नी का रिश्ता जनम जनम का होता है.. पत्नी को घर छोड़कर रांड को चोदने गए पति को ये पता नहीं होता की वह सिर्फ अपनी पत्नी के शरीर को ही छोड़कर आया है.. उसके दिल-ओ-दिमाग पर तब भी वही छाई हुई रहती है.. रांड की चूत में धक्के लगाते हुए भी बार बार उसी का खयाल दिमाग में आता है.. प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से.. पत्नी कभी पति का साथ छोड़ती ही नहीं है.. उसी रांड को चोदने के बाद जब पानी निकल जाए तब पति सोचता है, यार बेकार में पाँच हजार ले गई.. !! इसे अच्छा तो घर पर ही पत्नी को चोद लेता.. दो हजार की साड़ी लेकर गया होता तो कितना खुश हो जाती?? यह विचार यही दर्शाते है की पत्नियों का कितना प्रभाव होता है अपने पतियों के दिमाग पर.. और बाहर कितना भी मुंह मार लो.. लौटकर आखिर घर पर ही आना पड़ता है.. कितनी भी आकर्षक वेश्या क्यों न हो.. एक बार पानी निकल जाने के बाद पत्नी की ही याद आती है.. इसे चाहें विचारों का ऑर्गेज़्म ही कह लो.. !!
शीला मन ही मन मुस्कुरा रही थी.. वो सोच रही थी की अभी अगर मैं मास्क उतार दूँ.. तो मदन का चेहरा कैसा हो जाएगा?? पर वो ऐसा करना नहीं चाहती थी.. अभी तो मजे लूटने बाकी थे..
नाइटलैम्प की बारीक रोशनी में वो मदन को सहलाती रही.. और मदन के लंड को मुठ्ठी में पकड़कर मजबूती से हिलाते रही.. अपने उन्नत स्तनों से उसने मदन का इतना बढ़िया ब्रेस्ट-मसाज किया की मदन के मुंह से निकल गया "तुम बिल्कुल मेरी पत्नी की तरह ही सब हरकतें कर रही हो"
शीला के दिमाग में.. चाबुक जैसे कई सवाल थे.. पर अभी पूछना मुमकिन नहीं था.. इसलिए.. अपने मुंह को बंद रखने के लिए.. मदन का लंड मुंह में ले लिया..
मदन के कूल्हें और जांघों पर शीला काटने लगी.. और उसके आँड़ों को मुठ्ठी में पकड़कर दबाने लगी.. मदन भी शीला की भोस में उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा.. शीला को एक उंगली से फिंगर-फकिंग बिल्कुल पसंद नहीं था.. उसके जननांग की गहराई-चौड़ाई को देखते हुए.. उसे कम से कम तीन उँगलियाँ चाहिए थी.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली.. उल्टा वो अपनी सांसें तेज करते हुए ऐसा जताने लगी जैसे उसे बहोत मज़ा आ रहा हो..
मदन अब उत्तेजित होकर शीला के बदन पर टूट पड़ा.. और दोनों अतिशय कामुक होकर आदर्श संभोग में रत हो गए..
उसी दौरान दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. बिना किसी संकोच के मदन नग्नावस्था में ही खड़ा हुआ.. और अपना खड़ा लंड झुलाते हुए दरवाजा खोल दिया.. कॉकटेल और कामिनी (रेणुका) सामने खड़े थे.. और उनके पीछे बँटी(हेमंत) और बार्बी (कॉकटेल की पत्नी) तथा रॉकी (राजेश) और स्टेफी भी खड़े हुए थे.. वह तीनों जोड़ें.. संभोग का एक एक राउन्ड खतम कर.. मदन और शीला के साथ ग्रुप सेक्स के मजे लेने आए थे
मदन ने सब का स्वागत किया.. और सारे लोग अंदर आ गए.. कॉकटेल बेड के साथ लगे सोफ़े पर बैठा.. और नग्न रेणुका उसकी गोद में ही लेट गई.. और उसके मोटे लंड को चाटने लगी.. राजेश भी स्टेफी के गद्देनुमा स्तनों का तकिया बनाकर बैठ गया.. स्टेफी के मांसल स्तन और उसकी गुलाबी निप्पल जबरदस्त लग रहे थे.. स्टेफी भी राजेश के बालों में उँगलियाँ फेरते हुए परिस्थिति का जायजा ले रही थी..
राजेश और मदन अगल बगल में बैठे थे.. राजेश ने शीला के बोल पकड़कर दबाते हुए कहा "यार मेक.. इस सुनंदा के बूब्स बिल्कुल शीला भाभी जैसे है.. कब से बार बार उस पर ही नजर चली जाती है मेरी.. दबा तो सुनंदा के रहा हूँ मगर दिल में खयाल शीला भाभी का ही है.. उफ्फ़ ऐसा लगता जैसे मेरी शीला भाभी के ही बबले मसल रहा हूँ.. "
राजेश की बात सुनकर शीला की चूत और राजेश का लंड दोनों जबरदस्त प्रभावित हुए.. शीला के चूत ने अपना पानी बहाना शुरू कर दिया और पूरे कमरे में उसके चूत के शहद की मस्की गंध फैलने लगी.. ये देखते ही मदन ने शीला की चूत चाटना शुरू कर दिया.. हालांकि मदन को सुनंदा की भोस की गंध काफी जानी-पहचानी सी महसूस हुई.. पर हवस का सुरूर कुछ ऐसे छाया हुआ था की दिमाग उस बारे में ज्यादा सोच ही नहीं रहा था..
शीला और मदन की इन हरकतों को देखकर उत्तेजित हेमंत.. बार्बी के बदन पर टूट पड़ा.. तो इस तरफ रेणुका कॉकटेल के साथ मशरूफ़ थी.. उसे यह भी परवाह नहीं थी की राजेश क्या कर रहा था.. राजेश स्टेफी के कामुक जिस्म पर चढ़कर ग़बागब चोदने लगा.. स्टेफी ने अपने जीवन में ऐसा आनंद कभी महसूस नहीं किया था.. आज तक वो यही सोचती रहती थी की आखिर लोग सेक्स के लिए इतने पैसे क्यों खर्च कर रहे होंगे.. !! आज पता चल गया.. !!
इस रोमांचक माहोल में वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी.. ऐसा नहीं था की उसके जिस्म को सिर्फ राजेश ही छु रहा था.. एक कमरे में चार जोड़ें एक साथ जब संभोग में व्यस्त हो.. तब अन्य लोगों का स्पर्श हो जाना सामान्य था.. अन्य साथी भी मौका मिलते ही स्टेफी के गदराए जिस्म का आनंद ले लेते थे.. मदन और हेमंत अब तक कई बार स्टेफी के स्तन युग्म का मर्दन कर चुके थे.. और कॉकटेल ने नजदीक आकर स्टेफी की गुलाबी निप्पल को मुंह में लेकर चूस लिया था..
अब मदन ने शीला को चार पैरों पर कर दिया.. और अपनी पसंदीदा डोंगी स्टाइल में चोदने के लिए तैयार हो गया.. शीला के विशाल कूल्हों के बीच सेट होकर.. उसने अपने लंड को लार से गीला किया.. फिर अपने सुपाड़े को शीला के भोसड़े के प्रवेशद्वार पर रख दिया.. एक जोरदार धक्का लगाते हुए उसने अपना पूरा लंड अंदर धकेल दिया तब शीला की करारी आह्ह निकल गई.. धनाधन धक्के लगाने लगा मदन.. !! मदन के हर धक्के के साथ शीला के नारियल जैसे स्तन हवा में झूलने लगे..
जैसे जैसे मदन शॉट लगाता जा रहा था.. वैसे वैसे उसका शक बढ़ रहा था की सुनंदा ही शीला थी.. पर उसका दिमाग यह मानने को तैयार ही नहीं था.. ऐसा कैसे हो सकता है भला.. !! शीला यहाँ कैसे आ सकती थी.. !! इसी सोच के वजह से मदन के दिमाग का शक आगे बढ़ नहीं पा रहा था.. ताज्जुब केवल इस बात का था की शीला और सुनंदा में इतनी समानता कैसे हो सकती है?? इस आसन में वो अनगिनत बार शीला को चोद चुका था.. और सुनंदा को उसी स्टाइल में चोदते वक्त.. अविरत ये महसूस हो रहा था की वह शीला ही थी.. !! दिमाग घूम रहा था मदन का.. !!
कॉकटेल के लंड से अपनी अंगूर जैसी क्लिटोरिस को रगड़ते हुए रेणुका.. मदन के लोड़े को शीला के भोसड़े में अंदर बाहर होते हुए देख रही थी.. थप-थप की आवाज़ें गूंज रही थी.. जब मदन का पूरा लंड शीला की भोस में समा जाता.. तब शीला और मदन की जांघें एक दूसरे से टकरा रही थी.. शीला को देखकर.. रेणुका भी डोंगी स्टाइल में तैयार हो गई.. और पलट कर पीछे खड़े कॉकटेल को.. खुद पर आरूढ़ होने का आमंत्रण देने लगी..
शीला और रेणुका के स्तनों को लटकते देख.. हेमंत शीला के नीचे लेट गया.. और उसके मदमस्त स्तनों के तले दबने का अनूठा अनुभव करने लगा.. ये देखकर बार्बी भी रेणुका और शीला के बगल में घोड़ी बनकर रेडी हो गई.. फिर स्टेफी क्यों पीछे रहती.. वह भी आकर इन चारों औरतों को कंपनी देने लगी..
एक ही बिस्तर पर चारों औरतें डोंगी स्टाइल में थी.. शीला और रेणुका के पीछे मदन और कॉकटेल लगे हुए थे.. और बार्बी तथा स्टेफी का गेम बजा रहे थे बँटी(हेमंत) और रॉकी (राजेश)
20 मिनट के भयंकर संभोग के बाद.. सब से पहले बार्बी की चूत में आत्मसमर्पण कर दिया.. वो झड़कर नीचे ढह गई.. पर उसकी चूत में घुसा हुआ हेमंत का लंड अभी भी इस्तीफा देने के मूड में नहीं था.. लेकिन बार्बी अब बेड पर लेट चुकी थी.. और हेमंत का लंड बाहर निकल गया था.. झड़ने के लिए बेकरार हेमंत अपना लंड पकड़कर शीला की अदालत में हाजिर हो गया.. शीला ने बड़े ही प्यार से उसका लंड मुंह में ले लिया और ऐसा चूसा.. जो काम बार्बी की चूत न कर पाई.. वह काम शीला के मुंह ने कर दिखाया.. शीला के मुंह में ही हेमंत के लंड का वीर्य-विसर्जन हो गया.. "आह्ह आह्ह.. " की कराहों के साथ हेमंत थरथराते हुए झड़ रहा था.. आखिर एक दमदार धक्का लगाते हुए हेमंत ने अपना लंड जड़ तक शीला के मुंह में घुसेड़ दिया..
अब शीला ने मदन के लंड को अपनी चूत के होंठों के बीच दबोचे रखा था.. और हेमंत के लंड को आगे के होंठों से मजे दे रही थी.. एक साथ दो दो लंडों का आनंद लूट कर शीला की हवस बेकाबू हो गई.. अपने चूतड़ को उठाते हुए.. वो जितना हो सकें उतना मदन के लंड को गहराई तक अंदर लेने की भरसक कोशिशें कर रही थी..
शीला धीरे धीरे अपने ऑर्गेज़्म की ओर बढ़ रही थी.. अमूमन झड़ने के करीब आते ही.. उसे अनाब-शनाब बकने की आदत थी.. पर आज उसे अपने आप पर काबू रखना पड़ा.. क्यों की अगर वो अपना मुंह गलती से भी खोलती.. तो उसका भांडा फूट जाता.. मदन को झड़ते वक्त.. शीला की अश्लील बातें और गालियां सुनने की आदत थी.. उसके लंड ने पिचकारी तो मारी पर शीला के साथ जो मज़ा आता था वो नहीं आया.. ऑर्गेज़्म अधूरा सा लग रहा था शीला के बगैर.. दूसरी तरफ शीला की हालत भी कुछ खास नहीं थी.. बिना चीखें चिलाएं.. चुदने में उसे कुछ मज़ा नहीं आया था.. वो तो मुक्त गगन में उड़ने वाली पंछी थी.. बंधन में रहना उसे कतई पसंद नहीं था..
बार्बी के बगल में शीला भी पस्त होकर गिर गई.. राजेश का लंड अपनी चूत में लेकर बेहद खुश स्टेफी.. समागम की आखिरी क्षणों में चीखते हुए चुदवा रही थी.. क्योंकि राजेश ने उसकी गांड को टारगेट किया था.. चूत को चोदते वक्त उसने अपना अंगूठा उसकी गांड के छेद में घुसा दिया था और उसे चौड़ा कर रहा था.. पहली बार पराए लंड से चुद रही स्टेफी की गांड में जब राजेश ने उंगली की तब वह उत्तेजना के नए शिखरों पर पहुँच गई.. लेकिन उसके बाद... जिस तरह ये नेता लोग.. शुरू शुरू में काफी विनम्र पेश आते है.. और चुनाव खतम होते ही अपना असली रंग प्रकट करते है.. बिल्कुल वैसे ही.. राजेश ने एक ही धक्के में अपना लंड स्टेफी की गांड में डालकर.. उसकी गांड का हजीरा बना दिया..
बगल में ही कॉकटेल, रेणुका को चोद रहा था.. और राजेश-स्टेफी को देखकर.. उसे भी गांड के टाइट छिद्र का मजे लेने का मन किया.. और थूक लगाकर.. रेणुका की गांड में लंड पेलकर, बेचारी को रुला दिया.. !!
आँख में आँसू आ जाने के बावजूद.. मास्क के कारण अपनी पीड़ा को छुपने में सक्षम रही रेणुका.. !! मुंह से आवाज निकाल नहीं सकती थी वो.. स्टेफी और कामिनी (रेणुका) के दर्द से अनजान.. दोनों पुरुष सांड की तरह उनकी गांड चोद रहे थे.. कहते है ना "दर्द का हद से गुजर जाना.. खुद ही दवा बन जाता है" उसी नाते कुछ देर पश्चात.. दोनों के छेद.. लंड घुसाई से अनुकूल होकर.. मजे लेने लगे.. और दोनों के गांड के छेद में.. आखिर राजेश और कॉकटेल के लंड.. विसर्जित हो गए.. !!
स्खलन के बाद.. लंड गांड के छेद में फंस गए थे.. यह तो अच्छा हुआ की स्खलित होकर दोनों के लंड मुरझा गए थे.. और वीर्य छूटने की वजह से.. छेद गीला हो गया था.. इसलिए उनके लंड आसानी से बाहर निकल आयें.. वरना संभोग-रत कुत्ते और कुत्तिया की तरह दोनों के जननांग चिपक जाते.. लंड तो आसानी से निकल गए.. पर फिर भी.. स्टेफी और रेणुका को गांड की दीवारों पर घर्षण के कारण भयंकर जलन हो रही थी..
एक जबरदस्त चुदाई का राउन्ड सम्पन्न हुआ था.. रात के बारह बज रहे थे.. चारों जोड़ें.. स्खलित होकर ऐसे पस्त पड़े थे.. जैसे प्लेन क्रेश होने के बाद.. जमीन पर लाशें बिखरी पड़ी हो.. !!
लगभग आधे घंटे के विराम के बाद.. कॉकटेल ने सिगरेट सुलगाई.. और फिर बाकी लोगों को भी सिगरेट ओफर की.. सब ने पैकेट से एक एक सिगरेट ली और बिंदास फूंकने लगे.. इन सब में.. केवल राजेश और मदन ही एक दूसरे से बातें कर रहे थे.. शीला और रेणुका के लिए आपस में बात करना.. या फिर बार्बी या स्टेफी से बात करना मुमकिन नहीं था.. क्योंकी उनकी पहचान खुल जाने का पूरा डर था.. और इन सब की मौजूदगी में.. हेमंत ने भी चुप रहना ही ठीक समझा.. क्योंकी वैसे देखने जाए तो.. यह सब इस होटल के कस्टमर थे.. और वो केवल एक मुलाजिम था.. !!
कभी कभी स्टेफी बात कर लेती थी मदन और राजेश से.. पता नहीं क्यों.. पर कॉकटेल भी बिल्कुल खामोश था.. उसका व्यक्तित्व शुरू से ही काफी रहस्यमयी था.. वैसे किसी को उसे जानने में खास दिलचस्पी थी भी नहीं.. केवल रेणुका के सिवा.. वो इस कॉकटेल के बारे में जरूर जानना चाहती थी.. जिसने आज पहली बार उसकी गांड छेद दी थी.. वैसे राजेश ने कई बार उसकी गांड मारने का प्रयास किया था.. पर दर्द के चलते वो दोनों आगे बढ़े नहीं थे.. पर आज उसे ये अनोखे एहसास ने उसकी हिम्मत खोल दी थी.. दर्द बहोत हुआ था पर मज़ा भी आया था.. वैसे देखने जाए तो दर्द और आनंद.. एक ही सिक्के के दो पहलू है.. !!
शीला के लिए गांड मरवाना कोई नई बात नहीं थी.. वो अन्य मर्दों से और मदन से काफी बार मरवा चुकी थी.. वो तो अक्सर मदन से कहती "यार, एक ही छेद पर हमेशा क्यों जुल्म करते रहते हो.. !! सभी छेद को बराबर बराबर इस्तेमाल कर.. तो टाइट भी रहेंगे और ज्यादा मज़ा भी आएगा.. !!" मदन और शीला तो कई बार एनल सेक्स का आनंद लेते थे..
अपनी गांड मरवाने के बाद रेणुका को एहसास हुआ की कॉकटेल का लंड राजेश से मोटा तो था ही.. ऑर्गेज़्म से थक कर सब कमरे में रिलेक्स कर रहे थे.. तभी..
कमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!
अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागों... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"
बहुत ही जबरदस्त लाजवाब और अद्भुत मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयाकमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!
अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागो... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"
पुलिस...!!!! तीन अक्षर का यह शब्द.. इंसान को हमेशा से डराता आया है.. !!
बाप रे... !!! पुलिस... !!!! मर गए... !!! अब कल के अखबार में.. फ़ोटो के साथ नाम आना तय हो चुका था.. !! सब की गांड फटकर फ्लावर हो रही थी..
हाथ से अपना सर पटकते हुए मदन ने कहा "माँ चुद गई यार.. हम तो घर पर झूठ बोलकर निकले थे.. अब क्या होगा..??? !!"
घबरा रहें कॉकटेल ने कहा "मैंने भी घर पर झूठ बोला है की एक पुराने दोस्त की मृत्यु हो गई है और उसकी अंतिम क्रिया में शामिल होने जा रहा हूँ " पहली बार सब ने कॉकटेल को बोलते हुए सुना.. आवाज जानी पहचानी जरूर लग रही थी.. पर अभी किसी का ध्यान उस ओर गया ही नहीं.. !!
"पुलिस की रैड है.. आप सब लोग अपने अपने कमरे में चले जाइए.. " काफी डरे हुए हेमंत ने कहा.. सब अपने कपड़े ढूँढने लगे.. जिसके हाथ में जो आया वो लेकर अपना शरीर छुपाते हुए.. सब अपने अपने कमरे की ओर भागे.. !!
जल्दबाजी में.. राजेश के कमरे में स्टेफी के बदले रेणुका चली गई.. और स्टेफी कॉकटेल के सामने वाले कमरे में.. उसके साथ घुस गई.. हेमंत और बार्बी अपने कमरे में दुबक कर बैठ गए.. !!
यह कोई अफवाह नहीं थी.. सचमुच पुलिस की रैड पड़ी थी.. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था.. रात के एक बजे पुलिस ने किसी अनजान खबर पर एक्शन लिया और इस बहोत बड़े सेक्स रैकिट का पर्दाफाश कर दिया था.. ज्यादातर सदस्य काफी अमीर और बड़ी बड़ी पहचान वाले थे.. उन सब को यकीन था की वह अपने पैसे के दम पर.. या किसी न किसी की सिफारिश के जोर पर बच जाएंगे.. पर दो ही दिन पहले प्रमोट हुए इंस्पेक्टर खान ने किसी की एक न सुनी.. वो हर कमरे में खुद जाकर तलाशी ले रहे थे.. जिन लोगों ने अपने फर्जी नाम बताकर रूम बुक किए थे.. उन सब को थाने ले जाने का आदेश दिया था इंस्पेकटर ने.. एक के बाद एक कपल.. चुपचाप पुलिस की वैन में बैठने लगे.. ईमानदार इन्स्पेक्टर के आगे.. ना पैसों की गर्मी चली और ना ही किसी की सिफारिश.. !!
होटल के प्रत्येक कमरे में जाकर इन्स्पेक्टर सब की पूछताछ कर रहे थे.. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल भी थे.. शीला और मदन के कमरे के दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. शीला ने इशारे से मदन को बाथरूम में छुप जाने को कहा.. और अपने उत्तेजक शर्ट और मेक्सी की बिना परवाह किए.. मास्क उतारकर.. बड़ी ही बेफिक्री से दरवाजा खोला
"हैलो मैडम.. मेरा नाम इन्स्पेक्टर खान है.. यह एक तहकीकात है.. और आपको हमें सहकार देना होगा"
"आइए सर.. !!" शीला ने जग से पानी भरकर ग्लास इन्स्पेक्टर को देते हुए कहा "बैठिए ना.. !! वैसे बात क्या है?? और इतनी रात गए आप लोग क्यों आए है?? और आप किस प्रकार के सहकार की बात कर रहे है?"
इन्स्पेक्टर: "देखिए मैडम.. बात दरअसल यह है की... !!"
शीला: "जी, मेरा नाम शीला है.. !!"
इन्स्पेक्टर: "थेंकस मिसिस शीला.. आप ये बताइए.. की आप किसके साथ यहाँ रूम में ठहरी हुई है?"
शीला: "जी, मेरे पति के साथ.. हम और हमारे दोस्त.. मिसिस रेणुका और राजेश.. जो बगल के कमरे में ठहरे हुए है.. हम लोग घूमने निकले थे.. पर वापिस आते वक्त हमें मजबूरन यहाँ रुकना पड़ा.. !!"
इन्स्पेक्टर: "ओह अच्छा.. तो कहाँ है आप के पति?"
शीला: "जी, वो टॉइलेट में है... अभी आ जाएंगे.. दरअसल उन्हें होटल का खाना राज नहीं आता.. इसलिए उन्हें लूज मोशन हो गए है"
उस दौरान शीला ने बड़ी ही चतुराई से रेणुका को कॉल कर.. फोन टेबल पर ही छोड़ दिया.. ताकि रेणुका, उसकी और इन्स्पेक्टर की बातें सुन ले.. और फिर बात करने में कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए
शीला: "सर आपको एतराज न हो तो मैं हमारे दोस्त रेणुका और राजेश को भी यही बुला लूँ?? ताकि आप पूछताछ कर सकें और तसल्ली हो जाए.. आप का समय भी बच जाएगा"
इन्स्पेक्टर: "सॉरी मैडम.. पर ये देखिए.. होटल के रजिस्टर में यह कमरा किसी मिस्टर मेक के नाम से बुक किया गया है"
शीला: "सर, इस बारे में तो मुझे कुछ नहीं पता.. हम तो एक घंटे पहले ही यहाँ पहुंचे है.. और अभी तक हमने चेक-इन की विधि भी नहीं की है.. क्यों की मेरे पति को इतने लूज मोशन हो रहे थे.. की यह सब कार्यवाही का समय ही नहीं था.. वैसे भी रात के बारह बजे थे.. इसलिए हमने सोचा की रजिस्ट्रेशन हम सुबह कर लेंगे.. !!!"
बाहर हो रही बातचीत सुनकर.. मदन को वाकई में पतले दस्त हो गए.. अंदर से आ रही पैखाने की गरजदार आवाज़ें सुनकर.. इन्स्पेक्टर को भी विश्वास हो गया शीला की बातों पर.. कोई इंसान झूठ बोल सकता है.. पर लूज मोशन्स की आवाज़े निकालना मुमकिन नहीं है.. इन्स्पेक्टर की नजरें कब से शीला की मादक क्लीवेज पर चिपक गई थी..
इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. आपके पति ठीक से रिलेक्स हो जाए तब तक हम आपके दोस्तों की पूछताछ कर लेते है.. "
शीला: "जी जरूर सर.. वो मेरी सहेली रेणुका.. पुलिस को देखकर बहोत डर जाती है.. आप समझ सकते हो सर.. !!"
इन्स्पेक्टर: "कोई बात नहीं.. चलिए.. हम उनके रूम में चलते है"
शीला: "सर, अगर उन दोनों को यहीं बुला ले तो?? क्या है की मेरे पति की तबीयत के चलते.. मेरा यहाँ रहना जरूरी है..!! इस तरह.. आपकी पूछताछ भी हो जाएगी.. और मेरे पति को किसी चीज की जरूरत पड़ी तो मैं संभाल भी सकूँगी.. !!"
इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. बुलाइए उन दोनों को इधर.. !!"
पुलिस का नाम सुनते ही.. मदन को सच में लूज मोशन हो गए.. उसका दिमाग सुन्न हो गया था.. कुछ सूझ नहीं रहा था.. एक साथ सेंकड़ों सवाल दिमाग में घूमने लगे थे.. उन सब सवालों में.. सब से बड़ा सवाल था.. शीला यहाँ पहुंची कैसे????
इंस्पेक्टर खान ने हवालदार को इशारा करते ही वो दूसरे कमरे से रेणुका और राजेश को बुला लाया.. दोनों बेहद घबराए हुए थे.. इंस्पेक्टर ने एक दो मामूली से सवाल किए जिसके जवाब देने में ही दोनों की फट गई.. तुरंत शीला ने बाजी अपने हाथ में ले ली और मामले को संभाल लिया.. उस दौरान मदन भी टॉइलेट से बाहर निकल आया.. उसके चेहरे का नूर गायब हो चुका था..
एक रात मजे करने की कितनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ रही थी.. !!
थोड़े और सवाल करने के बाद.. इन्स्पेक्टर ने चारों के आइडेंटिटी प्रूफ मांगें.. चेक करने पर उन्हें तसल्ली हो गई की वह वाकई पति पत्नी ही थे..
इन्स्पेक्टर: "आप सब को डिस्टर्ब करने के लिए माफी चाहता हूँ.. पर आप समझ सकते है की यह हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है.. " फिर मदन की ओर मुड़कर उन्हों ने कहा "मिस्टर, आप तुरंत किसी डॉक्टर को ढूंढकर दवाई ले लीजिए.. फूड-पॉइजन का मामला हो सकता है..!!"
इन्स्पेक्टर के जाते ही सब को ऐसा महसूस हुआ जैसे छाती पर से एक टन का वज़न कम हो गया हो..!! राजेश और मदन तो रेणुका-शीला से नजरें तक नहीं मिला पा रहे थे.. चारों गुमसुम थे..
आखिर माहोल को स्वाभाविक बनाने के लिए.. शीला ने टेबल से पैकेट उठाकर सिगरेट जलाई.. और एक कश खींचकर सिगरेट रेणुका के हाथों में थमा दी.. मदन और राजेश की सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई थी.. जैसे पुलिस थाने में उन्हें रिमांड पर लिया गया हो और इंस्पेक्टर थर्ड डिग्री आजमाने की तैयारी में हो.. कुछ ऐसा ही माहोल था..
मदन और राजेश, अपनी बीवियों को पराये मर्दों से चुदते हुए देखने के बावजूद कुछ बोल पाने की स्थिति में न थे.. क्यों की आज अगर शीला और रेणुका यहाँ नहीं होती तो क्या होता.. यह सोचकर ही दोनों कांप उठते थे..!!
अब सारा टेंशन दूर हो चुका था.. पर फिर भी मदन और राजेश बहोत घबराए हुए थे.. पुलिस का टेंशन खत्म हो चुका था.. पर अब बीवियों की अदालत में दोनों की पेशी होने वाली थी..
शीला चलते चलते मदन के सामने खड़ी होकर उसे देखती रही.. बेहद प्रभावशाली लग रही थी शीला.. अभी भी उसने वो गोल्डन शर्ट, बिना ब्रा के पहन रखा था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे.. जिसमें से उसकी नशीली क्लीवेज की झलक नजर आ रहा थी..
शीला: "क्यों राजेश?? तुझे अपने दोस्त की बीवी को नंगा देखने का बड़ा मन था ना.. !!!"
राजेश ने नजरें झुका दी.. वो किसी भी तरह की सफाई देने की स्थिति में न था.. उसने शीला के बारे में जो भी इच्छाएं मदन के सामने जताई थी.. वो सब शीला और रेणुका सुन चुके थे..!! शीला के चमकीले सुनहरे शर्ट के दो खुले बटन से झलक रहे स्तनों के उभार.. और तेज ए.सी. की ठंडी हवा के कारण शर्ट के महीन कपड़े से उभरी हुई निप्पल का नजारा देखते हुए राजेश का गला सूख रहा था.. वो उभार.. वो जोबन.. वो कातिल हुस्न.. नज़ारे को और मादक बनाते हुए शीला ने अपना एक पैर बेड के ऊपर रखकर.. अपनी मेक्सी को जांघों तक उठाए रखा था.. उसका गोरा चमकता हुए घुटना भी बड़ा ही आकर्षक लग रहा था.. सफेद संगेमर्मरी जांघें.. ऐसा नजारा था की देखने वाला सिर्फ उसकी जांघों की सिलवटों पर अपना सुपाड़ा रगड़कर ही अपना पानी गिरा सकता था
शीला का अर्ध-नग्न बदन अच्छे-अच्छों का खून गरम करने के लिए काफी था.. दो बड़े बड़े वक्षों वाली.. कामुक मादक गदराई औरत... बेफिक्री से सिगरेट फूंकते हुए धुएं के छल्ले बना रही थी.. अद्भुत द्रश्य था.. !! शीला के शर्ट को ध्यान से देखने पर.. वो शर्ट कई जगह से फटा नजर आ रहा था.. सूखे हुए वीर्य के कई धब्बे भी उसपर मौजूद थे.. पार्टी में एक साथ २०-२५ लोगों ने मिलकर उसे रौंदा था.. यह पूरा नजारा देखकर.. राजेश का लंड उसके बरमूडा में हरकत करने लगा.. और उसकी चड्डी में.. सब की नज़रों के सामने ही उभार बनाने लगा.. ऐसी गंभीर स्थिति में भी अपने लंड को नाचते देखकर राजेश को गुस्सा आ रहा था.. वो मन ही मन अपने लंड को कोस रहा था.. साले, तेरे चक्कर में आज इज्जत की मैया चुद जाती.. बाल बाल बचे है.. अब तो शांति से बैठ, मेरे भाई.. !!!
शीला ने रेणुका की ओर देखकर इशारा किया.. दोनों बिना कुछ कहें, उठ खड़े हुए.. और बगल के कमरे में जाकर सो गए.. राजेश और मदन एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे.. दोनों में से किसी को पता नहीं था की उन दोनों ने ऐसा क्यों किया... !!
सर पर हाथ रखकर मदन ने कहा "यार राजेश, मुसीबत खतम होने का नाम ही नहीं ले रही है.. !!"
राजेश का चेहरा भी बासी बासुंदी जैसा हो गया था.. दोनों बैठे बैठे अपनी किस्मत और अपने लंड को गालियां दे रहे थे..
दूसरे कमरे में...
रेणुका: "मुझे समझ नहीं आया शीला, आखिर तुमने वहाँ से निकल जाने के लिए क्यों कहा?? पतियों की अदला-बदली कर चुदवाने का मस्त मौका था यार.. !!
शीला; "नहीं... आज नहीं.. आज तो उन दोनों घोंचूओ को उदास ही पड़े रहने दे.. हम दोनों है ना.. !! एक दूसरे से खेलकर अपनी प्यास बुझा लेंगे आज की रात.. पर वो दोनों क्या करेंगे?? तड़पने दे सालों को.. !!!"
रेणुका: "बाप रे शीला.. बड़ी जालिम है रे तू.. पता है..!! ये तेरे बबले देखकर, राजेश का लंड खड़ा हो गया था.. !!"
शीला: "हाँ, देखा था मैंने.. पर तब अगर मैं उस लंड के मजे लेने जाती.. तो वो दोनों भी मूड में आ जाते.. मैं चाहती हूँ की सिर्फ एक रात के लिए उन दोनों को अपराधभाव से पीड़ित होने दु.. घर जाकर भी आसानी से नहीं मानना है.. एक एक पल तड़पाना है.. ऐसा करना है की वो दोनों हमारे पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाएं.. भीख मांगें.. ऐसा करने से हमारा पक्ष मजबूत होगा.. और फिर हम अपनी मनमानी कर सकेंगे"
शीला और रेणुका बेड पर लेटे लेटे सिगरेट फूँक रही थी.. और साथ ही साथ, एक दूसरे के स्तनों से खेलते हुए बातें कर रही थी.. शीला का शर्ट नीचे कर उसका स्तन बाहर निकालकर.. उसकी निप्पल चूसते हुए रेणुका ने पूछा
रेणुका: "अरे शीला.. उस रबर के लंड वाली औरत का क्या हुआ होगा फिर??"
शीला: "अरे हाँ यार.. वो तो अपनी कोई लेस्बियन साथी को लेकर आई थी ना.. चल उसे ढूंढते है.. !!"
रेणुका: "अरे यार.. इतनी रात को कहाँ ढूँढेंगे?? एक एक कमरे पर जाकर दस्तक तो नहीं दे सकते है ना..!! और हमारे हक के दो दो लंड बगल के कमरे में पड़े है.. तब उस रबर के लंड से चुदवाने में क्या फायदा??
शीला: "तू चिंता मत कर.. हम दोनों बिना लंड के भी मजे करेंगे.. वैसे भी आज रात हमने कितने लंड देख लिए.. चूस लिए.. और खेल भी लिए.. मुझे थोड़ी जिज्ञासा इस लिए हो रही है क्यों की वो हेमंत कह रहा था की वो रबर के लंड वाली विकृत और काफी आक्रामक है.. देखें तो सही.. वो क्या चीज है.. कुछ नया देखने और जानने को मिलेगा.. चल.. चलते है"
रेणुका: "शीला, मुझे चलने में कोई दिक्कत नहीं है.. मैं बस यही कह रही हूँ की रात के तीन बजे किसी का दरवाजा खटखटाना मुनासिब होगा?"
शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. चल कपड़े पहन ले.. "
अब रेणुका के पास, शीला के साथ जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. उसने तुरंत कपड़े पहन लीये.. और तैयार हो गई..
दोनों कमरे से बाहर निकलें.. रात के तीन बज रहे थे और पूरी लॉबी में नीरव शांति थी.. चार पाँच कमरों के दरवाजे खटखटाते हुए आखिर वह दोनों अपनी मंजिल पर पहुँच ही गई..
दरवाजा खोलने वाली उस औरत ने जल्दबाजी में गाउन पहन लिया था.. और उस पारदर्शी गाउन से रबर का लंड साफ नजर आ रहा था..
शीला को तो वो देखते ही पहचान गई.. बिना किसी संकोच या औपचारिकता के शीला कमरे के अंदर घुस गई.. रेणुका को अपने पीछे खींचते हुए..!!
फिर तीन बजे से पाँच बजे तक.. चारों औरतों ने मिलकर.. उस रबर के लंड से भरपूर चुदाई कर उसकी धज्जियां उड़ा दी.. अपने भोसड़ों की आग बुझाकर.. रेणुका और शीला चुपचाप कमरे में वापिस लौट आई.. शीला के साहस के कारण रेणुका को इस अनूठे अनुभव का आनंद मिला था और इसलिए अब वह शीला के गहरे प्रभाव के तले दब चुकी थी..
पूरी रात की इन गतिविधियों के बाद रेणुका बेड पर लेटकर आराम करने जा ही रही थी की तब शीला ने उसका हाथ पकड़कर कहा
शीला: "चल रेणु.. मदन और राजेश के जागने से पहले हमें होटल छोड़ देनी है.. हम उनके साथ बात भी नहीं करेंगे और उन्हें बताएंगे भी नहीं"
आज की रात के अनुभव के बाद, रेणुका इतना तो जान ही गई थी की शीला की बुद्धि उससे सौ गुना ज्यादा तेज थी.. शीला के साथ निरर्थक बहस करने का कोई मतल नहीं था..
दोनों फटाफट बाथरूम में घुसी.. और एक साथ नहाने लगी.. बाहर निकलकर कपड़े पहने.. और चेक-आउट कर दोनों निकल गई.. मदन और राजेश तब अपने कमरे में खर्राटे लेकर सो रहे थे..
सुबह सात बजे राजेश की आँख खुली.. आँखें मलते हुए जब उसका दिमाग थोड़ा जागृत हुआ.. तब कल की डरावनी यादें ताज़ा हो गई.. !! और वो बेड पर स्प्रिंग की तरह उछल गया.. उसने झकझोर कर मदन को जगाया..
राजेश: "अरे यार मदन.. उठ जा यार.. चल यहाँ से जल्दी निकल जाते है.. मुझे तो यहाँ अब एक पल और रहने में भी डर लग रहा है!!"
मदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
Nice updateकमरे के बाहर लॉबी में.. काफी असामान्य चहल-पहल की आवाज़ें सुनाई देने लगी.. !!! और उन आवाजों में डर और व्यग्रता के भाव स्पष्ट रूप से सुनाई पड़ रहे थे.. सब के चेहरे एकदम से गंभीर हो गए.. एक दूसरे की तरफ देखते हुए.. सब की आँखों में बस एक ही प्रश्न था.. की आखिर ऐसा क्या हो गया था.. !!!!
अचानक बाहर से किसी की चिल्लाने की आवाज आई "भागो... पुलिस की रैड पड़ी है.. !!!!"
पुलिस...!!!! तीन अक्षर का यह शब्द.. इंसान को हमेशा से डराता आया है.. !!
बाप रे... !!! पुलिस... !!!! मर गए... !!! अब कल के अखबार में.. फ़ोटो के साथ नाम आना तय हो चुका था.. !! सब की गांड फटकर फ्लावर हो रही थी..
हाथ से अपना सर पटकते हुए मदन ने कहा "माँ चुद गई यार.. हम तो घर पर झूठ बोलकर निकले थे.. अब क्या होगा..??? !!"
घबरा रहें कॉकटेल ने कहा "मैंने भी घर पर झूठ बोला है की एक पुराने दोस्त की मृत्यु हो गई है और उसकी अंतिम क्रिया में शामिल होने जा रहा हूँ " पहली बार सब ने कॉकटेल को बोलते हुए सुना.. आवाज जानी पहचानी जरूर लग रही थी.. पर अभी किसी का ध्यान उस ओर गया ही नहीं.. !!
"पुलिस की रैड है.. आप सब लोग अपने अपने कमरे में चले जाइए.. " काफी डरे हुए हेमंत ने कहा.. सब अपने कपड़े ढूँढने लगे.. जिसके हाथ में जो आया वो लेकर अपना शरीर छुपाते हुए.. सब अपने अपने कमरे की ओर भागे.. !!
जल्दबाजी में.. राजेश के कमरे में स्टेफी के बदले रेणुका चली गई.. और स्टेफी कॉकटेल के सामने वाले कमरे में.. उसके साथ घुस गई.. हेमंत और बार्बी अपने कमरे में दुबक कर बैठ गए.. !!
यह कोई अफवाह नहीं थी.. सचमुच पुलिस की रैड पड़ी थी.. चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था.. रात के एक बजे पुलिस ने किसी अनजान खबर पर एक्शन लिया और इस बहोत बड़े सेक्स रैकिट का पर्दाफाश कर दिया था.. ज्यादातर सदस्य काफी अमीर और बड़ी बड़ी पहचान वाले थे.. उन सब को यकीन था की वह अपने पैसे के दम पर.. या किसी न किसी की सिफारिश के जोर पर बच जाएंगे.. पर दो ही दिन पहले प्रमोट हुए इंस्पेक्टर खान ने किसी की एक न सुनी.. वो हर कमरे में खुद जाकर तलाशी ले रहे थे.. जिन लोगों ने अपने फर्जी नाम बताकर रूम बुक किए थे.. उन सब को थाने ले जाने का आदेश दिया था इंस्पेकटर ने.. एक के बाद एक कपल.. चुपचाप पुलिस की वैन में बैठने लगे.. ईमानदार इन्स्पेक्टर के आगे.. ना पैसों की गर्मी चली और ना ही किसी की सिफारिश.. !!
होटल के प्रत्येक कमरे में जाकर इन्स्पेक्टर सब की पूछताछ कर रहे थे.. उसके साथ चार कॉन्स्टेबल भी थे.. शीला और मदन के कमरे के दरवाजे पर दस्तक पड़ी.. शीला ने इशारे से मदन को बाथरूम में छुप जाने को कहा.. और अपने उत्तेजक शर्ट और मेक्सी की बिना परवाह किए.. मास्क उतारकर.. बड़ी ही बेफिक्री से दरवाजा खोला
"हैलो मैडम.. मेरा नाम इन्स्पेक्टर खान है.. यह एक तहकीकात है.. और आपको हमें सहकार देना होगा"
"आइए सर.. !!" शीला ने जग से पानी भरकर ग्लास इन्स्पेक्टर को देते हुए कहा "बैठिए ना.. !! वैसे बात क्या है?? और इतनी रात गए आप लोग क्यों आए है?? और आप किस प्रकार के सहकार की बात कर रहे है?"
इन्स्पेक्टर: "देखिए मैडम.. बात दरअसल यह है की... !!"
शीला: "जी, मेरा नाम शीला है.. !!"
इन्स्पेक्टर: "थेंकस मिसिस शीला.. आप ये बताइए.. की आप किसके साथ यहाँ रूम में ठहरी हुई है?"
शीला: "जी, मेरे पति के साथ.. हम और हमारे दोस्त.. मिसिस रेणुका और राजेश.. जो बगल के कमरे में ठहरे हुए है.. हम लोग घूमने निकले थे.. पर वापिस आते वक्त हमें मजबूरन यहाँ रुकना पड़ा.. !!"
इन्स्पेक्टर: "ओह अच्छा.. तो कहाँ है आप के पति?"
शीला: "जी, वो टॉइलेट में है... अभी आ जाएंगे.. दरअसल उन्हें होटल का खाना राज नहीं आता.. इसलिए उन्हें लूज मोशन हो गए है"
उस दौरान शीला ने बड़ी ही चतुराई से रेणुका को कॉल कर.. फोन टेबल पर ही छोड़ दिया.. ताकि रेणुका, उसकी और इन्स्पेक्टर की बातें सुन ले.. और फिर बात करने में कहीं कोई गड़बड़ न हो जाए
शीला: "सर आपको एतराज न हो तो मैं हमारे दोस्त रेणुका और राजेश को भी यही बुला लूँ?? ताकि आप पूछताछ कर सकें और तसल्ली हो जाए.. आप का समय भी बच जाएगा"
इन्स्पेक्टर: "सॉरी मैडम.. पर ये देखिए.. होटल के रजिस्टर में यह कमरा किसी मिस्टर मेक के नाम से बुक किया गया है"
शीला: "सर, इस बारे में तो मुझे कुछ नहीं पता.. हम तो एक घंटे पहले ही यहाँ पहुंचे है.. और अभी तक हमने चेक-इन की विधि भी नहीं की है.. क्यों की मेरे पति को इतने लूज मोशन हो रहे थे.. की यह सब कार्यवाही का समय ही नहीं था.. वैसे भी रात के बारह बजे थे.. इसलिए हमने सोचा की रजिस्ट्रेशन हम सुबह कर लेंगे.. !!!"
बाहर हो रही बातचीत सुनकर.. मदन को वाकई में पतले दस्त हो गए.. अंदर से आ रही पैखाने की गरजदार आवाज़ें सुनकर.. इन्स्पेक्टर को भी विश्वास हो गया शीला की बातों पर.. कोई इंसान झूठ बोल सकता है.. पर लूज मोशन्स की आवाज़े निकालना मुमकिन नहीं है.. इन्स्पेक्टर की नजरें कब से शीला की मादक क्लीवेज पर चिपक गई थी..
इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. आपके पति ठीक से रिलेक्स हो जाए तब तक हम आपके दोस्तों की पूछताछ कर लेते है.. "
शीला: "जी जरूर सर.. वो मेरी सहेली रेणुका.. पुलिस को देखकर बहोत डर जाती है.. आप समझ सकते हो सर.. !!"
इन्स्पेक्टर: "कोई बात नहीं.. चलिए.. हम उनके रूम में चलते है"
शीला: "सर, अगर उन दोनों को यहीं बुला ले तो?? क्या है की मेरे पति की तबीयत के चलते.. मेरा यहाँ रहना जरूरी है..!! इस तरह.. आपकी पूछताछ भी हो जाएगी.. और मेरे पति को किसी चीज की जरूरत पड़ी तो मैं संभाल भी सकूँगी.. !!"
इन्स्पेक्टर: "ठीक है मैडम.. बुलाइए उन दोनों को इधर.. !!"
पुलिस का नाम सुनते ही.. मदन को सच में लूज मोशन हो गए.. उसका दिमाग सुन्न हो गया था.. कुछ सूझ नहीं रहा था.. एक साथ सेंकड़ों सवाल दिमाग में घूमने लगे थे.. उन सब सवालों में.. सब से बड़ा सवाल था.. शीला यहाँ पहुंची कैसे????
इंस्पेक्टर खान ने हवालदार को इशारा करते ही वो दूसरे कमरे से रेणुका और राजेश को बुला लाया.. दोनों बेहद घबराए हुए थे.. इंस्पेक्टर ने एक दो मामूली से सवाल किए जिसके जवाब देने में ही दोनों की फट गई.. तुरंत शीला ने बाजी अपने हाथ में ले ली और मामले को संभाल लिया.. उस दौरान मदन भी टॉइलेट से बाहर निकल आया.. उसके चेहरे का नूर गायब हो चुका था..
एक रात मजे करने की कितनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ रही थी.. !!
थोड़े और सवाल करने के बाद.. इन्स्पेक्टर ने चारों के आइडेंटिटी प्रूफ मांगें.. चेक करने पर उन्हें तसल्ली हो गई की वह वाकई पति पत्नी ही थे..
इन्स्पेक्टर: "आप सब को डिस्टर्ब करने के लिए माफी चाहता हूँ.. पर आप समझ सकते है की यह हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है.. " फिर मदन की ओर मुड़कर उन्हों ने कहा "मिस्टर, आप तुरंत किसी डॉक्टर को ढूंढकर दवाई ले लीजिए.. फूड-पॉइजन का मामला हो सकता है..!!"
इन्स्पेक्टर के जाते ही सब को ऐसा महसूस हुआ जैसे छाती पर से एक टन का वज़न कम हो गया हो..!! राजेश और मदन तो रेणुका-शीला से नजरें तक नहीं मिला पा रहे थे.. चारों गुमसुम थे..
आखिर माहोल को स्वाभाविक बनाने के लिए.. शीला ने टेबल से पैकेट उठाकर सिगरेट जलाई.. और एक कश खींचकर सिगरेट रेणुका के हाथों में थमा दी.. मदन और राजेश की सिट्टी-पीट्टी गूम हो गई थी.. जैसे पुलिस थाने में उन्हें रिमांड पर लिया गया हो और इंस्पेक्टर थर्ड डिग्री आजमाने की तैयारी में हो.. कुछ ऐसा ही माहोल था..
मदन और राजेश, अपनी बीवियों को पराये मर्दों से चुदते हुए देखने के बावजूद कुछ बोल पाने की स्थिति में न थे.. क्यों की आज अगर शीला और रेणुका यहाँ नहीं होती तो क्या होता.. यह सोचकर ही दोनों कांप उठते थे..!!
अब सारा टेंशन दूर हो चुका था.. पर फिर भी मदन और राजेश बहोत घबराए हुए थे.. पुलिस का टेंशन खत्म हो चुका था.. पर अब बीवियों की अदालत में दोनों की पेशी होने वाली थी..
शीला चलते चलते मदन के सामने खड़ी होकर उसे देखती रही.. बेहद प्रभावशाली लग रही थी शीला.. अभी भी उसने वो गोल्डन शर्ट, बिना ब्रा के पहन रखा था.. जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे.. जिसमें से उसकी नशीली क्लीवेज की झलक नजर आ रहा थी..
शीला: "क्यों राजेश?? तुझे अपने दोस्त की बीवी को नंगा देखने का बड़ा मन था ना.. !!!"
राजेश ने नजरें झुका दी.. वो किसी भी तरह की सफाई देने की स्थिति में न था.. उसने शीला के बारे में जो भी इच्छाएं मदन के सामने जताई थी.. वो सब शीला और रेणुका सुन चुके थे..!! शीला के चमकीले सुनहरे शर्ट के दो खुले बटन से झलक रहे स्तनों के उभार.. और तेज ए.सी. की ठंडी हवा के कारण शर्ट के महीन कपड़े से उभरी हुई निप्पल का नजारा देखते हुए राजेश का गला सूख रहा था.. वो उभार.. वो जोबन.. वो कातिल हुस्न.. नज़ारे को और मादक बनाते हुए शीला ने अपना एक पैर बेड के ऊपर रखकर.. अपनी मेक्सी को जांघों तक उठाए रखा था.. उसका गोरा चमकता हुए घुटना भी बड़ा ही आकर्षक लग रहा था.. सफेद संगेमर्मरी जांघें.. ऐसा नजारा था की देखने वाला सिर्फ उसकी जांघों की सिलवटों पर अपना सुपाड़ा रगड़कर ही अपना पानी गिरा सकता था
शीला का अर्ध-नग्न बदन अच्छे-अच्छों का खून गरम करने के लिए काफी था.. दो बड़े बड़े वक्षों वाली.. कामुक मादक गदराई औरत... बेफिक्री से सिगरेट फूंकते हुए धुएं के छल्ले बना रही थी.. अद्भुत द्रश्य था.. !! शीला के शर्ट को ध्यान से देखने पर.. वो शर्ट कई जगह से फटा नजर आ रहा था.. सूखे हुए वीर्य के कई धब्बे भी उसपर मौजूद थे.. पार्टी में एक साथ २०-२५ लोगों ने मिलकर उसे रौंदा था.. यह पूरा नजारा देखकर.. राजेश का लंड उसके बरमूडा में हरकत करने लगा.. और उसकी चड्डी में.. सब की नज़रों के सामने ही उभार बनाने लगा.. ऐसी गंभीर स्थिति में भी अपने लंड को नाचते देखकर राजेश को गुस्सा आ रहा था.. वो मन ही मन अपने लंड को कोस रहा था.. साले, तेरे चक्कर में आज इज्जत की मैया चुद जाती.. बाल बाल बचे है.. अब तो शांति से बैठ, मेरे भाई.. !!!
शीला ने रेणुका की ओर देखकर इशारा किया.. दोनों बिना कुछ कहें, उठ खड़े हुए.. और बगल के कमरे में जाकर सो गए.. राजेश और मदन एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे.. दोनों में से किसी को पता नहीं था की उन दोनों ने ऐसा क्यों किया... !!
सर पर हाथ रखकर मदन ने कहा "यार राजेश, मुसीबत खतम होने का नाम ही नहीं ले रही है.. !!"
राजेश का चेहरा भी बासी बासुंदी जैसा हो गया था.. दोनों बैठे बैठे अपनी किस्मत और अपने लंड को गालियां दे रहे थे..
दूसरे कमरे में...
रेणुका: "मुझे समझ नहीं आया शीला, आखिर तुमने वहाँ से निकल जाने के लिए क्यों कहा?? पतियों की अदला-बदली कर चुदवाने का मस्त मौका था यार.. !!
शीला; "नहीं... आज नहीं.. आज तो उन दोनों घोंचूओ को उदास ही पड़े रहने दे.. हम दोनों है ना.. !! एक दूसरे से खेलकर अपनी प्यास बुझा लेंगे आज की रात.. पर वो दोनों क्या करेंगे?? तड़पने दे सालों को.. !!!"
रेणुका: "बाप रे शीला.. बड़ी जालिम है रे तू.. पता है..!! ये तेरे बबले देखकर, राजेश का लंड खड़ा हो गया था.. !!"
शीला: "हाँ, देखा था मैंने.. पर तब अगर मैं उस लंड के मजे लेने जाती.. तो वो दोनों भी मूड में आ जाते.. मैं चाहती हूँ की सिर्फ एक रात के लिए उन दोनों को अपराधभाव से पीड़ित होने दु.. घर जाकर भी आसानी से नहीं मानना है.. एक एक पल तड़पाना है.. ऐसा करना है की वो दोनों हमारे पैरों पर गिरकर गिड़गिड़ाएं.. भीख मांगें.. ऐसा करने से हमारा पक्ष मजबूत होगा.. और फिर हम अपनी मनमानी कर सकेंगे"
शीला और रेणुका बेड पर लेटे लेटे सिगरेट फूँक रही थी.. और साथ ही साथ, एक दूसरे के स्तनों से खेलते हुए बातें कर रही थी.. शीला का शर्ट नीचे कर उसका स्तन बाहर निकालकर.. उसकी निप्पल चूसते हुए रेणुका ने पूछा
रेणुका: "अरे शीला.. उस रबर के लंड वाली औरत का क्या हुआ होगा फिर??"
शीला: "अरे हाँ यार.. वो तो अपनी कोई लेस्बियन साथी को लेकर आई थी ना.. चल उसे ढूंढते है.. !!"
रेणुका: "अरे यार.. इतनी रात को कहाँ ढूँढेंगे?? एक एक कमरे पर जाकर दस्तक तो नहीं दे सकते है ना..!! और हमारे हक के दो दो लंड बगल के कमरे में पड़े है.. तब उस रबर के लंड से चुदवाने में क्या फायदा??
शीला: "तू चिंता मत कर.. हम दोनों बिना लंड के भी मजे करेंगे.. वैसे भी आज रात हमने कितने लंड देख लिए.. चूस लिए.. और खेल भी लिए.. मुझे थोड़ी जिज्ञासा इस लिए हो रही है क्यों की वो हेमंत कह रहा था की वो रबर के लंड वाली विकृत और काफी आक्रामक है.. देखें तो सही.. वो क्या चीज है.. कुछ नया देखने और जानने को मिलेगा.. चल.. चलते है"
रेणुका: "शीला, मुझे चलने में कोई दिक्कत नहीं है.. मैं बस यही कह रही हूँ की रात के तीन बजे किसी का दरवाजा खटखटाना मुनासिब होगा?"
शीला: "वो सब तू मुझ पर छोड़ दे.. चल कपड़े पहन ले.. "
अब रेणुका के पास, शीला के साथ जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. उसने तुरंत कपड़े पहन लीये.. और तैयार हो गई..
दोनों कमरे से बाहर निकलें.. रात के तीन बज रहे थे और पूरी लॉबी में नीरव शांति थी.. चार पाँच कमरों के दरवाजे खटखटाते हुए आखिर वह दोनों अपनी मंजिल पर पहुँच ही गई..
दरवाजा खोलने वाली उस औरत ने जल्दबाजी में गाउन पहन लिया था.. और उस पारदर्शी गाउन से रबर का लंड साफ नजर आ रहा था..
शीला को तो वो देखते ही पहचान गई.. बिना किसी संकोच या औपचारिकता के शीला कमरे के अंदर घुस गई.. रेणुका को अपने पीछे खींचते हुए..!!
फिर तीन बजे से पाँच बजे तक.. चारों औरतों ने मिलकर.. उस रबर के लंड से भरपूर चुदाई कर उसकी धज्जियां उड़ा दी.. अपने भोसड़ों की आग बुझाकर.. रेणुका और शीला चुपचाप कमरे में वापिस लौट आई.. शीला के साहस के कारण रेणुका को इस अनूठे अनुभव का आनंद मिला था और इसलिए अब वह शीला के गहरे प्रभाव के तले दब चुकी थी..
पूरी रात की इन गतिविधियों के बाद रेणुका बेड पर लेटकर आराम करने जा ही रही थी की तब शीला ने उसका हाथ पकड़कर कहा
शीला: "चल रेणु.. मदन और राजेश के जागने से पहले हमें होटल छोड़ देनी है.. हम उनके साथ बात भी नहीं करेंगे और उन्हें बताएंगे भी नहीं"
आज की रात के अनुभव के बाद, रेणुका इतना तो जान ही गई थी की शीला की बुद्धि उससे सौ गुना ज्यादा तेज थी.. शीला के साथ निरर्थक बहस करने का कोई मतल नहीं था..
दोनों फटाफट बाथरूम में घुसी.. और एक साथ नहाने लगी.. बाहर निकलकर कपड़े पहने.. और चेक-आउट कर दोनों निकल गई.. मदन और राजेश तब अपने कमरे में खर्राटे लेकर सो रहे थे..
सुबह सात बजे राजेश की आँख खुली.. आँखें मलते हुए जब उसका दिमाग थोड़ा जागृत हुआ.. तब कल की डरावनी यादें ताज़ा हो गई.. !! और वो बेड पर स्प्रिंग की तरह उछल गया.. उसने झकझोर कर मदन को जगाया..
राजेश: "अरे यार मदन.. उठ जा यार.. चल यहाँ से जल्दी निकल जाते है.. मुझे तो यहाँ अब एक पल और रहने में भी डर लग रहा है!!"
मदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
Superb gazab cocktailमदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
उस दौरान, रेणुका और शीला, बड़े ही आराम से मस्ती करते हुए गाड़ी में अपने शहर की ओर जा रहे थे.. देखते ही देखते दोनों रेणुका के घर पहुँच गए.. शीला ऑटो लेकर घर पहुंची.. तब वैशाली ऑफिस जा चुकी थी.. रेणुका और शीला के बीच.. गाड़ी में जो गुफ्तगू हुई, वो जबरदस्त थी..!!
सुबह के दस बज गए थे.. पिछली रात के संस्मरणों के बारे में सोचते हुए शीला रोजमर्रा के काम में मशरूफ़ हो गई...
दोपहर तीन बजे के करीब मदन घर पहुंचा.. उसका चेहरा इतना उदास था, जैसे कोई उसके गोटे चुराकर भाग गया हो.. !! शीला ने उसका ऐसे स्वागत किया जैसे कल रात कुछ हुआ ही न हो.. एकदम स्वाभाविक व्यवहार दिखाया उसने.. !!
मदन धीरे धीरे चलते हुए सोफ़े पर जा बैठा.. शीला उसके लिए पानी का ग्लास लेकर आई..
यहाँ आने से पहले मन ही मन मदन सोच रहा था की घर पहुंचते ही शीला उसकी बैंड बजा देगी.. पर ये तो बिल्कुल उल्टा ही हो रहा था.. !! हाथ में ग्लास थमाकर शीला कोई गीत गुनगुनाते हुए किचन में चली गई.. थोड़ी देर के बाद अदरख की खुश्बू से पता चला की अंदर मस्त मसालेदार चाय बन रही थी..
हाथ में दो बड़े चाय से भरे मग लेकर शीला बाहर आई.. एक मग मदन को दिया और मदन के करीब सोफ़े पर बैठ गई..
मदन की हालत इतनी खस्ता थी की खिड़की के बाहर अपने बरामदे में झुककर झाड़ू लगा रही कविता के लटकते बबले देखने का भी मन नहीं हो रहा था उसे..
अपनी आँखें मटकाते हुए बड़े ही शरारती अंदाज में शीला ने मदन से पूछा "कैसी रही मीटिंग?"
मदन ने जवाब नहीं दिया..
मदन को इस स्थिति में देखकर शीला बेहद खुश हुई.. सशक्त और प्रभावशाली महिलाएं अपनी शक्ति और प्रभाव को पुरुषों पर हमेशा स्थापित करना चाहती हैं.. ऐसी महिलाएं अपनी स्थिति और अधिकार को तब महसूस करती हैं, जब वे अपने पुरुषों को कमजोर या उनके दायित्वों के तले दबा हुआ देखती हैं.. ऐसे सूरत में, महिलाएं आम तौर पर पुरुषों को नियंत्रण में रखने का आनंद महसूस करती हैं, और यह शक्ति का असमान वितरण उनके आत्म-सम्मान और संतुष्टि का हिस्सा बन जाता है..!!
मदन को ओर उंगली करने के लिए उसने उसे कुहनी मारकर कविता की तरफ इशारा करते हुए कहा "वो देख.. कविता के भी उस बार्बी जैसे ही है.. बुला ले उसे आज रात को.. !! तो क्या है, की तुझे झूठ बोलकर दोबारा इतने दूर जाना नहीं पड़ेगा"
मदन: "प्लीज यार शीला.. कविता के लिए ऐसा मत बोल.. उसमें उस बेचारी का क्या दोष?"
शीला: "बात तो तेरी सही है मदन.. पर क्या करूँ?? घूम फिरकर वही सारी बातें याद आ जाती है.. कल जब रेणुका तेरा लंड चूस रही थी.. तब तेरी उत्तेजना जबरदस्त बढ़ गई थी.. मैंने अपनी आँखों से देखा है इसलिए मुकर मत जाना.. वरना मर गया आज तो.. !!"
रेणुका की बात छेड़कर शीला क्या कहना चाह रही थी इसके बारे में मदन सोचता उससे पहले शीला ने और एक बाउंड्री मार दी..
शीला: "बिना मुझ से पूछे.. तुम दोनों ने आपस में ही बीवियाँ बदलने का तय कैसे कर लिया????"
मदन: "अरे यार.. तू ही तो कहती थी.. की तुझे ग्रुप सेक्स करना है.. बी.पी. देखते हुए तू कितनी गरम हो जाती थी और ऐसी बातें किया करती थी.. !! भूल गई क्या??"
शीला: "मदन, चल अंदर चलकर बात करते है"
मदन: "नहीं.. यही पर ही ठीक है.. " मदन जानता था की अंदर बेडरूम में ले जाने का बाद शीला कुछ भी कर सकती थी.. उसे वो जोखिम लेना ही नहीं था..
चाय खत्म हो गई.. पर दोनों की गरमागरम बातें खत्म नहीं हुई.. बड़ी मुश्किल से मदन ने शीला से अपनी जान छुड़ाते हुए कहा
मदन: "मैं थोड़ी देर बाहर जाकर आता हूँ"
शीला ने उसे रोका नहीं.. और वो चला गया.. शीला सोफ़े पर बैठे बैठे आगे की रणनीति सोच रही थी तभी मदन के फोन की रिंग बजी.. जल्दबाजी में मदन फोन ले जाना ही भूल गया था.. !!
शीला ने फोन हाथ में लिया.. स्क्रीन पर रेणुका का नाम नजर आ रहा था.. शीला ने फोन उठाया और कुछ बात की.. फोन काटकर उसने राजेश को फोन लगाया..
राजेश: "हैलो भाभी जी, कैसी है आप?" बड़ी ही विनम्रता से राजेश ने कहा
शीला: "अरे वाह.. कितने भोले बन रहे हो.. इतने भोले राजेश से मुझे कोई बात नहीं करनी.. रखती हूँ" बड़ी शातिर थी शीला
राजेश: "अरे नहीं नहीं भाभी.. कहिए, क्या काम था? वो तो.. कल रात के बाद.. आप से बात करने में थोड़ा संकोच हो रहा था इसलिए.. वरना आप के सामने भला कौन भोला बनकर रहना चाहेगा.. !!"
शीला ने मुस्कुराकर कहा "अच्छा.. !!! मैं तो समझ रही थी की मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ"
राजेश: "भाभी जी, शराब जितनी पुरानी हो उतना ही ज्यादा मज़ा देती है"
शीला: "तो क्या मैं शराब हूँ? तब तो मुझ पर भी सरकार को रोक लगा देनी चाहिए"
राजेश: "खुलेआम मजे लेने पर तो वैसे भी रोक ही है ना.. फिर वो शराब हो या आप.. !! पर चुपके चुपके क्या कुछ नहीं हो सकता.. !! कल रात को ही आपने सारे नज़ारे देख लिए है"
शीला: "राजेश, एक बात कहूँ.. पर किसी को बताना मत"
राजेश: "हाँ कहिए भाभी.. "
शीला: "नहीं ऐसे नहीं.. पहले वादा करो को आप किसी को नहीं बाताओगे.. रेणुका को भी नहीं.. यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए"
राजेश: "बात क्या है भाभी? कुछ सीक्रेट है क्या? वैसे सीक्रेट बात हो या काम.. दोनों में ही मज़ा आता है.. जल्दी कहिए"
शीला: "पहले वादा करो किसी को नहीं बताओगे"
राजेश: "ठीक है, वादा करता हूँ"
शीला: "कैसे कहूँ... मुझे तो शर्म आती है.. राजेश.. कल तुम बहोत ही हार्ड थे.. तुम्हारा वो... उसकी तस्वीर मेरी आँखों के सामने से हट ही नहीं रही है"
सुनते ही राजेश का लंड ऐसे खड़ा हो गया जैसे अभी अभी वियाग्रा के साथ रेड-बुल के दो टीन पी लिए हो.. !! ऐसी उत्तेजना का अनुभव उसने इससे पहले सिर्फ एक ही बार किया था.. माउंट आबू में बियर पीने के बाद जब टॉइलेट में वैशाली ने उसे अंदर खींचकर उसका लंड पकड़ लिया था..!!
शीला: "राजेश, आप मेरे बारे में कुछ बुरा मत सोचिएगा.. आप दोनों जो अंदर अंदर स्वैपिंग करने की बात कर रहे थे.. उसके लिए रेणुका तैयार हो जाती.. शायद मैं भी तैयार हो जाती.. पर मदन कभी भी तैयार नहीं होगा.. मुझसे इतनी मोहब्बत करता है वो.. मुझे किसी और की बाहों में वो देख ही नहीं पाएगा.. !!"
राजेश: "अरे भाभी.. वो सब बातें तो हम सिर्फ मज़ाक मज़ाक में कर रहे थे.. आप उसे सिरियसली मत लीजिए.. चाहे आप हो या रेणुका.. अपने पति के दोस्त के साथ ऐसा करने की कौन भला सोचेगा??"
शीला: "सोच तो कोई भी सकता है.. कुछ भी नामुमकिन नहीं होता.. पति की जानकारी में ये करना जरूर मुश्किल है.. पर उससे छुपाकर तो हो ही सकता है"
सुनकर राजेश के होश उड़ गए "आप क्या कह रही हो भाभी????"
शीला: "प्लीज राजेश.. ये तो अच्छा हुआ की मदन अपना फोन भूल गया तो मैं उसके फोन से ये बात कह रही हूँ.. वरना मेरी ये इच्छा अधूरी ही रह जाती.. सामने से तो ऐसा कहने की मेरी हिम्मत कभी नहीं होती.. पर आज जब मौका मिल ही गया तो मैं उसे छोड़ना भी नहीं चाहती.. मुझे कहने दीजिए.. जब से मैंने तुमको इतना हार्ड होते हुए देखा है.. तब से मेरे रोम रोम में बस तुम्हारी ही याद बसी हुई है.. जो हरदम मुझे मजबूर कर रही है की उस हार्डनेस का अनुभव किए बगैर मैं रह नहीं पाऊँगी.. सिर्फ एक बार.. प्लीज मुझे चांस दो.. आई लव यू राजेश"
स्तब्ध हो गया राजेश.. !! ये क्या खेल खेल रही थी शीला उसके साथ.. !! शीला ने आई लव यु तक बोल दीया?? कोई इतनी जल्दी कैसे किसी से प्रेम कर सकता है?? शीला जबरदस्त गरम औरत थी उसमें कोई दो राय नहीं थी.. पर जैसे भी थी.. थी तो वो उसके दोस्त की बीवी.. मदन के साथ ऐसा धोखा मैं कैसे कर सकता हूँ??
धोखा..!! यह शब्द याद आते ही राजेश के दिल ने उसे एक मजबूत लात लगाकर मैदान के बाहर फेंक दिया.. धोखा देने में अब बाकी ही क्या बचा था?? और मदन भी तो रेणुका की चूत चाट ही चुका था.. !! वो भी मेरे नज़रों के सामने.. !! तो अब धोखे वाली बात के बारे में सोचने का कोई मतलब ही नहीं था.. और मैं कहाँ शीला पर कोई जबरदस्ती कर रहा हूँ?? या उसे फुसला रहा हूँ? ना ही मैं उसे कोई धोखा दे रहा हूँ.. जब वो ही सामने से चलकर आ रही है तो... !!
शीला: "क्या सोच रहे हो राजेश?? यही ना.. की मैं कितनी गिरी हुई और घटिया किस्म की औरत हूँ.. !!"
राजेश चुप ही रहा
शीला: "अब तुम मुझे घटिया समझो या गिरी हुई समझो.. पर मैं अपनी इच्छा को अधूरी छोड़ने वालों में से नहीं हूँ.. मुझे तो कल रात को ही तुम्हारा हार्ड पेनीस देखकर, उसे अंदर लेने का मन कर रहा था.. पर सच कहूँ तो मदन की मौजूदगी में.. मैं खुलकर मज़ा न ले पाती.. मुझे एकांत चाहिए.. सिर्फ तुम और मैं अकेले.. दुनिया का कोई एक ऐसा कोना जहां पर हम दोनों के अलावा और कोई न हो.. ऐसे माहोल में.. मैं मुक्त होकर तुम्हारे साथ इन्जॉय करना चाहती हूँ.. प्लीज मुझे निराश मत करना.. मैं मर रही हूँ तुम्हारी सख्ती को अपने अंदर महसूस करने के लिए.. !!"
राजेश के पास कहने के लिए शब्द नहीं थे.. शीला ने तो उसे प्रपोज ही कर दिया.. !! अब क्या जवाब दें.. !!
फोन पर बात करते हुए राजेश गाड़ी ड्राइव कर रहा था.. अपने घर की ओर.. वो घर पहुंचकर रेणुका के साथ अपने संबंधों को वापिस दुरस्त करना चाहता था.. दूध फट तो चुका था.. अब उससे जितना जल्दी पनीर बना लिया जाए उतना अच्छा.. !! और इसी बीच शीला का फोन आ गया.. गाड़ी चलाते हुए उसका लंड खड़ा हो गया था.. शीला की बातों ने उसके लंड को फिर बैठने ही नहीं दिया.. ऐसा हाल हो गया की गाड़ी चलाते चलाते ही उसने अपना लंड बाहर निकाला और मूठ लगाने लगा..
राजेश: "ओह्ह भाभी.. अपना तो मेरा हाल कल रात जैसा कर दिया.."
शीला: "तो फिर आ जाओ.. मदन बाहर गया है.. घर पर कोई नहीं है"
राजेश: "और कहीं वो आ गया तो?"
शीला: "एक काम करती हूँ.. उसे फोन करके पूछ लेती हूँ.. की कब लौटने वाला है"
राजेश: "पर कैसे पूछोगी? फोन तो उसका घर पर ही है"
शीला: "जाने दो.. लगता है तुम्हारी हिम्मत नहीं हो रही है"
राजेश: "ऐसा नहीं है भाभी... पर.. !!!"
शीला ने नाराज होकर कहा "मदन लौट आया है" और उसने फोन काट दिया
फोन रखने के बाद शीला को अफसोस हो रहा था की आखिर वासना की बाढ़ में बहकर उसने राजेश से ऐसी बात की ही क्यों?? अब वो क्या सोचेगा मेरे बारे में??
शीला की बातों से बेहद उत्तेजित होकर.. राजेश ने रोड के किनारे गाड़ी पार्क कर दी.. और मूठ लगाते हुए अपने रुमाल में पिचकारी मार ली.. और फिर घर की ओर निकल गया
घर के गंभीर वातावरण को देखते हुए अब वहाँ किसी उत्तेजक घटना के घटने की कोई संभावना नहीं थी.. जैसा राजेश ने सोचा था.. रेणुका मुंह फुलाकर बैठी हुई थी.. और उससे बात करने के मूड में नहीं थी.. और वो स्वाभाविक भी था.. इसलिए राजेश को कोई ताज्जुब नहीं हुआ..
उस रात उन दोनों के बीच कुछ खास नहीं हुआ.. पर बगल में सो रहे दोनों के दिमाग में पिछली रात की घटनाएं घूम रही थी.. रेणुका मदन के लंड को याद कर रही थी.. जब की राजेश के दिमाग में शीला ने आज दोपहर को कही हुई बातें बार बार आ रही थी..
इस तरफ मदन और शीला के हाल भी कुछ ऐसे ही थे.. शीला पार्टी के सारे लंड याद कर रही थी.. जब की मदन के दिमाग में रेणुका का छरहरा बदन घूम रहा था..
राजेश सोते सोते सोच रहा था.. आह्ह.. आज शीला भाभी ने मेरे लंड की तारीफ की.. मुझे खुला निमंत्रण तक दे दिया.. !! याद करते ही राजेश के मुंह से एक सिसकी निकल गई.. जो बगल में लेटकर उत्तेजना से झुलस रही रेणुका ने स्पष्ट रूप से सुना.. पर वह कुछ बोली नहीं.. वो मन ही मन सोच रही थी की अगर कल रात पुलिस की रैड न पड़ी होती.. तो वो और शीला अपनी पहचान अंत तक छुपाने में कामयाब रहते.. और रात का पूरा लुत्फ उठा पाते.. खैर फिर जो हुआ वो कल्पनातीत था.. भला हो शीला का.. जिसने अपनी सही पहचान बताकर सबको बचा लिया.. वरना आज सब के सब जैल की सलाखों के पीछे होते.. बाप रे.. !! समाज में क्या इज्जत रह जाती.. !! हाथ में नाम और पता लिखा हुआ बोर्ड थमाकर पुलिस वाले तस्वीर खींचते और अखबार वाले उसे पहले पन्ने पर छाप देते.. !!!
इस तरफ शीला करवट लेकर अपनी निप्पल को मसल रही थी.. उससे अब यह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी.. हेमंत के जवान ताजे लंड ने उसे जो मजे दीये थे.. उसे याद करते हुए वह बहोत गर्म हो गई.. ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा बदन बुखार से तप रहा हो.. ऊपर से, राजेश को लंड को चूसने पर जो शानदार किक मिली थी वो स्खलित होने के लिए काफी थी.. राजेश के लंड की याद आते ही शीला के भोसड़े में हवस की आग लग गई.. कुछ भी हो जाए.. एक बार तो वो लंड अंदर लेना ही है.. !! पर वो साला एक नंबर का डरपोक है.. क्या किया जाए?? मदन शहर से कहीं बाहर चला जाएँ तो फिर बढ़िया मौके का सेटिंग हो सकता है.. पर वैशाली तो घर पर ही होगी.. उसका क्या करें?? राजेश के घर पर रेणुका हर वक्त रहती थी.. ऑफिस मे पीयूष और पिंटू दोनों उसे पहचानते थे.. और यहाँ घर पर वैशाली और मदन का टेंशन.. ऊपर से.. कविता और अनुमौसी के नज़रों से बचाकर कुछ भी करना नामुमकिन सा था..
सोचते सोचते शीला अपनी चूत को कुरेदती रही.. और ऐसा सोचती रही की जैसे राजेश का लंड अंदर घुस रहा हो.. थोड़ी देर में ही उसकी चूत ने शहद टपका दिया.. और वो सो गई..
दूसरी सुबह, लगभग ग्यारह बजे के आसपास.. मदन पर राजेश का फोन आया.. दोनों ने काफी देर तक लंबी बातचीत की.. शीला बगल मे ही बैठी थी.. पर उस रात की घटना के बाद मदन की हिम्मत नहीं हो रही थी की वो खड़ा होकर, शीला से दूर जाकर बात करें.. उस रात के बारे में अब तक शीला और मदन के बीच खुल कर बात हुई भी नहीं थी.. !! आखिर मदन ने "बाद में बात करते है" कहते हुए फोन रख दिया..
शीला ने कुछ पूछा नहीं.. उसने उठकर डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया.. मदन ने भी चुपचाप पालतू कुत्ते की तरह खाना खा लिया.. और शीला को बिना कुछ बताएं बाहर चला गया.. वो जितना हो सकें.. शीला के वाक्य-बाणों से दूर रहना चाहता था..
मदन ने बाहर निकलते ही राजेश को फोन किया.. और सीधा उसकी ऑफिस पहुँच गया.. पापा को देखकर वैशाली बहुत ही खुश हो गई.. काफी देर तक मदन और वैशाली की बातें चली.. बड़े ही उत्साह से वैशाली ने अपने काम के बारे मे बताया..
मदन ने राजेश की चेम्बर में प्रवेश किया.. राजेश ने बेल बजाकर प्युन को बुलाया और दो कप कॉफी मँगवाई.. और दोनों बातों में मशरूफ़ हो गए
राजेश: "मदन यार.. घर पर सब कैसा है?? मेरी तो वाट लगी पड़ी है.. !!"
मदन: "मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही है.. तेरी भाभी तो मुझसे सीधे मुंह बात भी नहीं करती.. अपने ही घर में बेघर की तरह जी रहा हूँ.. बस खाना खाकर कोने में पड़ा रहता हूँ.. एक रात के मजे की इतनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ेगी ये अंदाजा नहीं था.. बहोत बड़ी गलती हो गई.. तुझे क्या लगता है?"
राजेश: "बिल्कुल सच कहा तूने यार.. पर सोच.. अगर वहाँ हमारी बीवियाँ और पुलिस न आए होते तो कितना मज़ा आता.. !!"
मदन: "वो सब तो ठीक है यार.. पर ये सोच.. हो सकता है पुलिस को अपने सूत्रों से खबर मिली हो और उन्हों ने रैड कर दी.. पर मेरा दिमाग तो यह सोचकर खराब हुआ जा रहा है की हमारी बीवियों को इस बारे में कैसे और कहाँ से पता चला?? और वो दोनों वहाँ पहुंची कैसे??"
राजेश: "तुझे क्या लगता है मदन.. हम जो कुछ भी करते है.. उसका हमारी पत्नियों को पता नहीं चलता.. !! सब पता चलता है.. अगर हम न भी बताएं तो वो हमारी हरकतों से भांप लेती है की कहीं कुछ गलत हो रहा है.. उसे ही तो औरतों की छठी इंद्रिय कहा गया है.. असल मे.. वह लोग बहुत कुछ जानते हुए भी अनजान बने रहते है.. "
मदन: "नहीं यार.. मैं नहीं मानता.. !!"
राजेश: "ऐसा ही होता है मदन.. तू माने या ना मानें.. हकीकत यही है.. जब तक औरतों को अपनी सलामती या इज्जत पर कोई आंच आती न दिखे.. तब तक वो सब कुछ सह लेती है.. पर उन्हें जरा सा भी शक हुआ या डर लगा की मामला बिगड़ रहा है.. वह तुरंत ही सक्रिय हो जाती है.. और फिर वो किस हद तक जा सकती है, वो तो हम दोनों ने अपनी आँखों से देख ही लिया है"
मदन: "हाँ यार.. पर ताज्जुब इस बात का है.. की वो दोनों पुलिस से भी पहले पहुँच चुके थे.. उस हिसाब से उनका नेटवर्क तो पुलिस से भी ज्यादा मजबूत हुआ.. !!"
दोनों बातें कर रहे थे उस वक्त वैशाली कॉफी के तीन कप लेकर चेम्बर के अंदर आई.. राजेश और मदन ने बड़ी ही सफाई से अपनी बात बदल दी और क्रिकेट के बारे में बातें करने लगे..
टेबल पर तीनों कप रखकर वैशाली बैठ गई.. राजेश, मदन की मौजूदगी में ही वैशाली के विशाल तंदूरस्त स्तन-युग्म को देख रहा था.. जिस तरह से वो चलकर अंदर आई.. टाइट टी-शर्ट के अंदर दबी हुई चूचियाँ तालबद्ध लय में ऊपर नीचे हो रही थी.. एक पल के लिए मदन का इमान भी डोल गया पर उसने उस घृणास्पद विचार को रोक लिया..
वैशाली: "सॉरी पापा.. मैं आप लोगों को डिस्टर्ब कर रही हूँ.. पर मुझे आप से कुछ जरूरी बात करनी है.. !!"
मदन: "हाँ बोल न बेटा.. !!"
बाप-बेटी की बातचीत बड़े ध्यान से सुनते हुए राजेश अब भी वैशाली के कटीले बबलों को ताड़ रहा था
वैशाली: "दरअसल अभी मौसम का फोन आया था.. उसने मुझे और कविता को अर्जेंट उसके घर बुलाया है.. दो दिनों के लिए.. वो फोन पर बहोत ही रो रही थी.. !!"
राजेश: "तब तो बात जरूर बहोत गंभीर होगी.. !!"
मदन: "उसने कारण बताया या नहीं?? कुछ ज्यादा गंभीर बात हो तो हम भी चलें तुम लोगों के साथ"
वैशाली: "और तो कुछ नहीं बताया पर इतना बोली की उसके मंगेतर तरुण के बीच बहोत बड़ा प्रॉब्लेम हुआ है.. और तरुण सगाई तोड़ना चाहता है"
यह सुनकर राजेश और मदन दोनों चोंक गए
राजेश: "क्या?? ऐसे कैसे सगाई तोड़ सकता है?? कोई मज़ाक है क्या?? पर कुछ तो हुआ होगा उन दोनों के बीच... कुछ बताया मौसम ने?"
वैशाली: "वो फोन पर कुछ भी बताने को राजी नहीं है.. अब तो वहाँ जाकर ही कुछ पता चलेगा की मामले आखिर क्या है.. !!"
मदन: "ये आजकल के बच्चे भी ना.. सगाई-शादी जैसे गंभीर संबंधों को भी गुड्डे-गुड्डियों का खेल ही समझते है.. जब मर्जी की तब कर लिया.. और मन भर गया तो फेंक कर खड़े हो गए.. अरे भाई.. ऐसे थोड़े ही होता है.. !!"
राजेश: "बिल्कुल सही कहा तूने, मदन.. !! सच में.. मुझे तो अब अभी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा"
मदन: "वैशाली बेटा.. तुझे जाना ही चाहिए.. मौसम की इस स्थिति को सहेलियाँ ही बेहतर समझ सकेगी और अच्छे से हेंडल भी कर सकेगी.. माँ-बाप इसमें ज्यादा कुछ कर नहीं सकते.. उन बेचारों पर तो आसमान टूट पड़ा होगा यह सुनकर... !!"
वैशाली: "ठीक है पापा.. मैं अभी घर को निकलती हूँ.. कविता से भी बात करनी होगी.."
मदन: "ठीक है बेटा.. "
वैशाली ने राजेश की ओर मुड़कर कहा "सर, आज का काम तो मैंने खतम कर दिया है.. अब वापिस आने में एक दो दिन लग सकते है.. तो क्या मैं जा सकती हूँ?"
राजेश: "अरे वैशाली.. यह भी कोई पूछने की बात है?? तू ऑफिस की चिंता मत कर और जा.." राजेश ने ड्रॉअर खोलकर पाँच सौ के दस नोट निकालकर वैशाली को दीये और कहा "ये साथ में रखना.. काम आएंगे"
मदन: "अरे राजेश, क्या कर रहा है यार तू.. उसे जरूरत होगी तो मुझसे ले लेगी.. तू क्यों दे रहा है??"
राजेश: "मुझे पता है की तू उसे दे ही सकता है.. पर अब एक बात समझ ले.. वैशाली को अपने पैरों पर खड़े होना होगा.. और उसमें हम सब उसकी मदद करेंगे.. वो अपनी तनख्वाह से खुद के खर्चे संभालेगी.. हाँ, उसे कभी कुछ भी ज्यादा जरूरत हुई तो हम सब है ना.. !! बाकी उसे अपने हिस्साब से ही जीने दे.. उससे उसका मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ेगा... वैशाली, तुम निकलो.. वहाँ जाकर इस प्रॉब्लेम का सही कारण ढूँढने की कोशिश करना.. और पता चले तो अपने पापा को तुरंत बताना.. हो सकता है हम लोग इसमें कुछ मदद कर सकें.. "
वैशाली: "ओके सर.. थेंकस..!!" कहते हुए वैशाली उठकर चली गई.. मुड़कर जाती हुई वैशाली के मटकते नितंब देखकर राजेश की दिल मे जबरदस्त सुरसुरी सी होने लगी..
वैशाली ने बाहर निकलकर ऑटो पकड़ी और तुरंत घर पहुँच गई.. ऑटो में बैठे बैठे उसने पिंटू को सारी बात फोन पर बता दी.. धीरे धीरे पिंटू अब.. किसी और की हो चुकी कविता से ज्यादा वैशाली के प्रति अपना ध्यान केंद्रित कर रहा था.. पिंटू का टूटा हुआ दिल.. और वैशाली का बर्बाद हो चुका वैवाहिक जीवन.. दोनों एक दूजे के लिए आदर्श विकल्प थे.. पर जब जब पिंटू के दिमाग में कविता का विचार आता.. तब उसे लगता की वो कविता का स्थान और किसी को भी नहीं दे पाएगा.. यही सोचकर वो वैशाली से पर्याप्त दूरी बनाए रखता था.. एक बार तो उसे दिमाग में भी आया.. की वो भी वैशाली के साथ जाएँ.. उसी बहाने वह घर भी जा सकेगा और वैशाली के साथ कुछ समय बिताने का मौका भी मिल जाएगा.. पर जैसे ही उसे पता चला की वैशाली तो कविता के साथ जा रही है.. उसने वो प्लान केन्सल कर दिया.. !!
वैशाली घर पहुंची.. शीला घर पर अकेली थी.. वैशाली को इतना जल्दी घर आया देख उसे ताज्जुब हुआ..
शीला: "क्या हुआ बेटा?? तबीयत तो ठीक है ना तेरी??"
वैशाली: "मम्मी, मुझे कुछ नहीं हुआ है.. तुम कविता को यहाँ बुलाओ.. मुझे काम है उसका.."
शीला: "अरे पर हुआ क्या? क्या काम है उसका? तू ही क्यों नहीं चली जाती उसके घर? सब ठीक तो है ना??"
वैशाली: "कुछ भी ठीक नहीं है मम्मी.. मौसम का फोन था.. तरुण सगाई तोड़ना चाहता है.. बहुत रो रही थी बेचारी.. मुझे और कविता को वहाँ बुला रही है"
शीला स्तब्ध होकर बोली "क्या??? ऐसा कैसे हो सकता है? अभी पंद्रह दिन ही तो हुए है सगाई को.. !!"
वैशाली: "पता नहीं मम्मी.. शायद कविता को कुछ पता हो इसके बारे में.. मौसम ने इतना ही कहा की मैं उसकी दीदी को लेकर तुरंत वहाँ आ जाऊ"
शीला गहरी सोच में पड़ गई.. ऐसा तो क्या हो गया अचानक??
शीला ने फोन करके कविता को बुलाया.. कविता तुरंत आ गई.. उसे तो इस बारे में कुछ मालूम ही नहीं था.. वो तो बेचारी सुनकर ही फुट फुटकर रोने लगी..
शीला और वैशाली ने बड़ी मुश्किल से उसे शांत किया और पानी पिलाया
शीला: "हिम्मत रख कविता.. जो होना था सो हो गया.. अच्छा हुआ की शादी से पहली ही हो गया.. वरना मौसम का हाल भी मेरी वैशाली जैसा हो जाता.. !!" और फिर अचानक शीला को याद आया और उसने वैशाली की ओर मुड़ कर देखा और कहा "अरे हाँ बेटा.. देख ये नोटिस आई है.. २५ तारीख को कोर्ट में सुनवाई है.. तुझे अपने पापा के साथ जाना है.. उससे पहले एक बार देसाई अंकल से मिल लेना"
वैशाली: "२५ तारीख को अभी बहोत देर है मम्मी.. फिलहाल मौसम को संभालना बहोत जरूरी है.. मैं सोच रही हूँ की मैं और कविता वहाँ चले जाते है"
शीला: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है बेटा.. पर तुम दोनों अकेले कैसे जाओगी?"
वैशाली: "क्या मम्मी तुम भी!! दकियानूसी बातें कर रही हो.. हम अपने आप को संभाल सकती है.. "
शीला: "एक बार पापा से पूछ ले"
वैशाली: "मैंने उनसे पूछ लिया है.. वो ऑफिस पर ही थे.. उनसे भी पूछ लिया और राजेश सर की भी पर्मिशन ले ली है.. दोनों ने कहा की मुझे जाना चाहिए"
अब शीला के पास और कोई बहाना नहीं था.. वो बोली "ठीक है.. पर संभाल कर जाना.. ज़माना बहोत खराब है"
कविता उदास होकर घर चली गई.. जब वो आई तब उछलती हुई आई थी.. और जब जा रही थी तब उसके पैरों में से जान ही निकल गई थी
कविता ने घर आकर रोते हुए सारी बात अनुमौसी को बताई.. सुनकर मौसी का पारा सातवे आसमान पर चढ़ गया
अनुमौसी: "उस नालायक में हमारी मौसम को संभालने की ताकत ही नहीं होगी.. वरना क्या कमी है मौसम में?? वही लायक नहीं था मौसम के.."
शाम को पीयूष घर लौटा.. वो पूरा दिन ऑफिस के काम के सिलसिले में बाहर था इसलिए उसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था.. जब कविता ने उसे सारी बात बताई तब वो भी बेहद चोंक गया.. एक पल के लिए तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ..
थोड़ी देर सोचकर पीयूष ने कहा "कल हम दोनों तेरे घर चलते है.. मैं तरुण को समझाऊँगा.. वो पढ़ा लिखा है.. शायद मेरी बात मान जाए.. वैसे मौसम ने तुझे कब बताया इस बारे में? फोन किया था उसने तुझे?"
कविता: "मुझे नहीं.. वैशाली को फोन किया था"
पीयूष: "वैशाली को क्यों फोन किया?? तुझे नहीं कर सकती थी?"
अनुमौसी: "अरे बेटा.. वैशाली को फोन किया हो या कविता को.. क्या फरक पड़ता है?? शायद वो बेचारी कविता को सदमा पहुंचाना न चाहती हो इसलिए वैशाली को फोन किया होगा.. अब तू और कविता वहाँ जाओ.. और हो सके तो उस गधे के बच्चे को समझाओ.. और ना समझे तो कान पकड़कर मेरे पास लेकर आना.. दो चपेड़ लगाकर सीधा कर दूँगी उसे.. !!"
उस रात को बेडरूम में कविता और पीयूष के बीच तरुण और मौसम को लेकर काफी चर्चा हुई.. पीयूष ने मौसम को फोन भी लगाया पर वो बात करने की स्थिति में नहीं थी.. मौसम की माँ, रमिला बहन ने रोते रोते बस इतना ही कहा.. की मौसम ने खाना पीना सब छोड़ दिया है.. बस पूरा दिन रोती रहती है..
वैशाली, कविता और पीयूष दूसरी सुबह बस से मौसम के घर पहुँच गए.. कविता को देखते ही मौसम उसके गले मिलकर बहोत रोई.. पीयूष भी मौसम को गले लगकर सांत्वना देना चाहता था पर माहोल की गंभीरता देखते हुए उसे ऐसा करना योग्य नहीं लगा.. एकाध घंटे के बाद.. सब रोना धोना खत्म करके सब नॉर्मल हुआ.. कविता ने अपनी माँ और मौसम को हिम्मत देकर शांत किया..
शाम को पाँच बजे पीयूष चाय पीने के बहाने बाहर निकला.. तब वैशाली, मौसम और फाल्गुनी, कमरे में बैठकर बातें कर रही थी.. पीयूष का दिल कर रहा था की वो मौसम को भी बाहर ले जाए और प्यारे से सब पूछे.. पर ये मुमकिन न था..
चाय की टपरी पर बैठे बैठे पीयूष बड़ी ही गंभीरता से सोच रहा था.. ऐसा तो क्या हुआ होगा तरुण और मौसम के बीच?? मौसम को पाकर तो तरुण धन्य हो जाना चाहिए था.. कुछ तो कारण होगा.. और उस कारण को जानना बेहद ही जरूरी था..
चाय पीने के बाद सोचते सोचते चलता हुआ पीयूष.. बस अड्डे पर पहुँच गया.. सामने ही बस पड़ी थी.. जिस पर उस शहर का नाम लिखा था जहां तरुण रहता था.. थोड़ा सा सोचकर पीयूष उस बस में चढ़ गया.. !!!
बस की सीट पर बैठते ही पीयूष ने कविता को फोन लगाया
पीयूष: "मैं तरुण से मिलने जा रहा हूँ.. किसी को बताना मत.. कोई मेरे बारे में पूछे तो बताना की कंपनी का अर्जेंट काम निकल गया इसलिए गया है और कल तक लौट आएगा.. वैसे मौसम ने कुछ बताया?? "
कविता: "नहीं यार.. वो तो उस बारे में कुछ बोल ही नहीं रही.. एक ही रट लगाए बैठी है.. की उन दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.. अरे, दोनों के बीच परसों आधी रात तक बात भी हुई थी.. और फिर अचानक क्या हो गया.. दूसरे दिन सुबह दस बजे फोन करके उसने रिश्ता तोड़ दिया"
पीयूष: "ठीक है.. मैं जाकर खुद पूछता हूँ.. तब तक तुम दोनों मौसम और मम्मी जी को संभालना"
कविता: "ओके.. संभलकर जाना"
पीयूष ने फोन रख दिया.. 2 घंटे के सफर के बाद पीयूष तरुण के शहर पहुंचा.. उसने तरुण को फोन लगाया.. तरुण को उसके फोन से कोई खास ताज्जुब नहीं हुआ.. उसने पीयूष को एक रेस्टोरेंट का पता दिया और वहाँ पहुँचने के लिए कहा
ढूंढते ढूंढते एक घंटे के बाद पीयूष उस बताए हुए पते पर पहुंचा..
वहाँ एक टेबल पर बैठे तरुण को देखते ही वो उसके पास पहुंचा.. और खड़े खड़े ही सवाल जवाब शुरू कर दीये
पीयूष: "तरुण, ये मैं क्या सुन रहा हूँ?" पीयूष की आवाज में आश्चर्य, मायूसी और क्रोध का मिश्रण था
तरुण ने जवाब नहीं दिया..
पीयूष: "देख तरुण.. तो इतना पढ़ा लिखा है.. मैं ना तो तुझे कोई सलाह या मशवरा दूंगा या फिर ना ही तुझे अपना निर्णय बदलने के लिए फोर्स करूंगा.. अपनी ज़िंदगी के फैसले खुद से करने का तुझे पूरा हक है.. मैं तो बस सगाई तोड़ने का कारण जानने के लिए आया हूँ.."
तरुण: "पीयूष भैया.. कुछ बातें ऐसी होती है जिसकी चर्चा करने से केवल नफरत और घृणा ही बढ़ती है.. और मैं नहीं चाहता की मैं आप से ऐसी कोई बात करूँ जिसे किसी की ज़िंदगी तबाह हो जाए.. "
पीयूष: "तू मुझे खुलकर बता सकता है.. यकीन मान.. तू जो भी बताएगा वह बात सिर्फ मुझ तक ही रहेगी.. अगर तेरी इच्छा न हो तो असली कारण में किसी को नहीं बताऊँगा.. कोई और ही कारण बताकर सब को मना लूँगा.. सिर्फ यही जानने के लिए मैं इतनी दूर आया हूँ.. इतना तो मुझे जानने का हक है ना.. !!"
तरुण: "अब अगर आप सुनना ही चाहते है तो सुनिए.. !! आपके ससुराल के सभी पात्र चारित्रहीन है.. !!"
सुनकर पीयूष के पैरों तले से धरती खिसक गई.. कहीं ऐसे मेरे और मौसम के संबंधों के बारे में तो नहीं पता चल गया.. !! अपने चेहरे के डर को बड़ी मुश्किल से छुपाते हुए पीयूष ने चकित होने के भाव धारण करते हुए कहा
पीयूष: "क्या बात कर रहा है तू तरुण?? मेरी शादी को इतना समय हो गया पर मुझे तो कभी कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ.. !!"
तरुण: "अब मुझे जो जानने मिला है.. उसे बताने के लिए मेरी जुबान नहीं चलेगी.. इसलिए सारी बातें मैं इस कागज पर लिखकर लाया हूँ" कहते हुए तरुण ने एक फोल्ड किया हुआ कागज पीयूष के हाथ में थमा दिया..
खोलकर पढ़ते ही पीयूष के होश उड गए.. !!!!! अब आगे कुछ भी बोलने-पूछने की आवश्यकता नहीं थी.. वो तरुण से हाथ मिलाकर खड़ा हो गया.. तरुण ने काफी आग्रह किया की वो कुछ खाकर जाए.. पर अब पीयूष के गले से एक निवाला तक उतरना मुमकिन नही था..
जाते जाते पीयूष ने तरुण के कंधे पर हाथ रखकर कहा "तरुण, तेरी और मौसम की जोड़ी बहोत प्यारी लगती है.. किसी और के गुनाह की सजा तू मौसम को दे, ये किस हद तक लाज़मी है?? जो कुछ तुझे जानने को मिला है वह सच ही होगा ऐसा मैं मानता हूँ.. पर इसमें मौसम बेचारी की क्या गलती??"
तरुण: "पीयूष भैया.. परिवार में कुछ भी ऊपर-नीचे या उल्टा-सुलटा हो तो उसका असर सारे सदस्यों पर पड़ता ही है.. ये तो आप भी मानेंगे.. मौसम का दोष सिर्फ इतना ही है की वो ऐसे परिवार की सदस्य है.. आप से हाथ जोड़कर विनती है की मुझे मनाने की कोशिश बिल्कुल मत करना.. मेरे मम्मी-पापा और परिवार के बाकी लोग अब इस रिश्ते के खिलाफ है.. और उन सब को नाराज कर मैं भी सुखी नहीं रह पाऊँगा.. मेरी और से आप मौसम से माफी मांग लेना.. और कहना की तरुण ने तुझे आगे की ज़िंदगी के लिए "ऑल ध बेस्ट" क यहा है.. और अब तरुण तुम्हारी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं है और न कभी होगा.. शायद मौसम मेरी किस्मत में ही नहीं थी.. अब इस बारे में, मैं और बात नहीं करना चाहता भैया.. प्लीज..!!" कहते हुए नम आँखों के साथ तरुण खड़ा होकर रेस्टोरेंट से चला गया.. !!!!
पीयूष स्तब्ध होकर तरुण को जाते हुए देखता रहा.. मायूस होकर वह ऑटो से बस स्टेशन पहुंचा.. अगली बस रात के दस बजे थी.. डॉ घंटों की देरी थी.. अब अनजान शहर मे इतना वक्त खाली बैठे क्या करेगा.. !! बहुत जोरों की भूख लगी थी.. केंटीन में बैठकर उसने भरपेट खाना खाया और फिर बुक-स्टॉल से एक अखबार और एक बुक खरीदकर बैठे बैठे बस का इंतज़ार करने लगा
तभी कविता का फोन आया
फोन उठाकर पीयूष ने कहा "हाँ कविता.. मैं वापिस आ रहा हूँ"
कविता: "मिल भी लिया और बात भी हो गई??"
पीयूष: "हाँ मिल लिया मैंने तरुण से"
कविता: "पाज़िटिव या नेगटिव?" कविता ने इशारे से पूछा
पीयूष ने गहरी सांस छोड़कर कहा "नेगटिव" सच कहने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. आज नहीं तो कल सच सामने आने ही वाला था.. फिर उससे मुंह छुपाकर क्या फायदा.. !!
कविता का मुंह लटक गया.. वो देखकर ही वैशाली समझ गई की पीयूष की मुलाकात का नतीजा क्या निकला होगा.. आदमी का चेहरा ही सब से बेहतरीन आईना होता है.. खुशी, नफरत, गुस्सा, प्रेम या गंभीरता.. इंसान के अंदर के भावों को निष्कर्ष बड़ी खूबी से बता देता है चेहरा.. !! अच्छा हुआ उस वक्त मौसम या उसकी माँ वहाँ मौजूद नहीं थे..
कविता ने आगे कुछ पूछा नहीं और कहा "बस स्टेंड पर उतरकर मुझे फोन करना.. मैं पापा को लेने भेज दूँगी.. आधी रात को तुझे ऑटो नहीं मिलेगा"
पीयूष: "मुझे एक बज जाएगा पहुंचते पहुंचते.. !!"
कविता: "हाँ ठीक है.. तूने खाना खाया?"
पीयूष: "हाँ खा लिया है.. तू मेरी चिंता मत कर..!!"
बस का समय होते ही पीयूष बैठ गया.. और पूरे दिन की थकान के कारण सो गया.. आँख खुली तो स्टेशन आ गया था.. रात का एक बजा था.. और पीयूष कविता को डिस्टर्ब करना नहीं चाहता था.. घर जाकर मौसम को कैसे सांझाए यह सोचते सोचते वो कविता के घर की तरफ चल दिया.. जिस तरुण के लेकर पीयूष के मन में बेहद ईर्ष्या थी.. उसी तरुण पर आज उसे सहानुभूति हो रही थी.. !!
मन की भावनाएं बड़ी विचित्र होती है... कब किसी के लिए कौनसे जज़्बात पैदा हो जाए.. कहा नहीं जा सकता.. फिर वो एक तरफा प्रेम हो.. या नफरत.. ईर्ष्या हो या क्रोध.. !!
सोचते सोचते आधे घंटे बाद वो घर पहुँच गया.. उसने डोरबेल बजाई.. थोड़ी देर के बाद कविता ने दरवाजा खोला.. घर पर सब सो चुके थे
कविता: "तूने फोन क्यों नहीं किया?"
पीयूष: "बेकार में सबके नींद खराब होती.. और वैसे स्टेशन उतना दूर भी नहीं है.. चलते चलते पहुँच गया"
पानी पीने के बाद पीयूष ने कविता को बताया की तरुण का पूरा परिवार अब इस रिश्ते को रखना नहीं चाहता था.. प्रॉब्लेम सिर्फ तरुण और मौसम के बीच होता तो शायद सुलझ भी जाता.. पर बात अब बहोत आगे बढ़ चुकी थी
चोंक उठी कविता ने कहा "अरे पर अचानक बात यहाँ तक कैसे पहुँच गई? दो दिन पहले तक तो सब ठीक था.. वजह बताई की नहीं तरुण ने?"
पीयूष: "हम्म.. न.. नहीं.. कुछ नही बताया" इतने समय से साथ रह रही कविता समझ गई की पीयूष सच नहीं बोल रहा था.. या शायद बोल नहीं पा रहा था.. हो सकता है की पीयूष अभी न बताना चाहता हो.. पर जब दोनों अकेले बेडरूम में होंगे तब वह सच बता ही देगा.. अभी फिलहाल उस पर जबरदस्ती करने का कोई मतलब नहीं था..
कविता: "जो हो गया सो हो गया.. अभी बात करने से हकीकत बदल तो नहीं जाएगी.. !! तू थक गया होगा.. हाथ मुंह धोकर फ्रेश हो जा.. मैं खाना लगाती हूँ.. !!
पीयूष डाइनिंग टेबल पर बैठ गया.. कविता ने खाने की थाली लगा दी.. और अंदर रोटियाँ बेलने लगी.. तभी मौसम ऊपर से उतरकर नीचे आई और पीयूष के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई..
जंग में हारे हुए योद्धा जैसा पीयूष.. मौसम से नजरें नहीं मिला पा रहा था.. बात को बदलने के इरादे से पीयूष ने कहा
पीयूष: "ओ हाय बेबी.. अभी भी जाग रही? नींद नहीं आ रही?"
मौसम ने उदास होकर कहा "कैसी नींद जीजू.. !!"
रोटी का गरम फुल्का लेकर कविता ने पीयूष की प्लेट में रखते हुए कहा " देख मौसम.. तू कितनी भी चिंता कर ले.. कितना भी जाग ले.. इस समस्या का हल अभी तो मिलने नहीं वाला.. चिंता होना जायज है पर चिंता किसी भी प्रॉब्लेम का हल नहीं है.. और मान ले की यह रिश्ता सच में हमेशा के लिए टूट जाता है.. तो इससे तेरी ज़िंदगी रुक थोड़ी न जाएगी??"
पीयूष: "मौसम.. किसी प्रॉब्लेम का जब हल न हो तो उसे वास्तविकता समझ कर स्वीकार लेना चाहिए.. तुझे यह मान लेना होगा की तरुण अब तेरे जीवन का हिस्सा नहीं है.. सदमा लगना स्वाभाविक है.. यह मैं समझ सकता हूँ.. पर अब तुझे ही तय करना है की इस बात को पकड़कर तू हमेशा के लिए दुखी रहना चाहती है या सब कुछ भूलकर आगे बढ़ना चाहती है.. !!"
मौसम: "जीजू.. मैंने तो हकीकत का स्वीकार कर ही लिया है.. की तरुण अब मेरा नहीं है.. मुझे तो सिर्फ यह जानना है की उसे ऐसा कदम आखिर क्यों उठाना पड़ा?? मैं क्या इतनी गई-गुजरी हुई जो वो मुझे बिना कोई वजह बताएं ही रिश्ता तोड़ दें??"
कविता: "वक्त आने पर सब पता चलेगा मौसम.. तू चिंता मत कर.. सच हमेशा सामने आ ही जाता है.. हो सकता है.. तरुण के साथ ही कोई प्रॉब्लेम हुई हो.. जो वो तुझे बता न पा रहा हो"
सुनकर मौसम का गुस्सा थोड़ा ठंडा हुआ.. उसे बस यही जानना था की तरुण के इस कदम के पीछे असली कारण क्या था
मौसम: "जीजू.. मैं यहाँ के वातावरण से तंग आ गई हूँ.. मैं कुछ दिन आपके यहाँ आकर रहना चाहती हूँ.. ताकि मेरे दिमाग से तरुण के विचारों को हटा सकूँ.. यहाँ रहूँगी तो पूरा दिन उसी के बारे में सोचती रहूँगी.. ऊपर से मम्मी का उदास चेहरा मुझसे देखा नहीं जाता.. प्लीज दीदी.. कल हम जितना हो सकें उतना जल्दी निकल जाते है यहाँ से.. !!"
पीयूष: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. वैसा ही करेंगे.. दरअसल मैं सामने से तुझे यह कहने ही वाला था.. तू हमारे साथ चल.. सब ठीक हो जाएगा.. हम सब है ना तेरे साथ.. फिर किस बात की फिक्र.. !!"
मौसम: "ओके जीजू.. थेंकस.. गुड नाइट"
इतना कहते ही मौसम को फिर से रोना आ गया.. और वो भागकर अपने कमरे की और चली गई.. जाते जाते उसके रोने की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी..
कविता: "पीयूष, अब मुझे तो बता.. !! तरुण ने आखिर सगाई क्यों तोड़ दी??" सीधा सवाल किया कविता ने
पीयूष सोच में पड़ गया.. अब क्या बताएं कविता को?
पीयूष: "कविता, जब किसी बात को निकालने पर काफी सारे लोगों का अहित होना हो.. तब उसे न निकालना ही बेहतर होगा.. चल.. कल जल्दी उठना है.. सो जाते है.. सुबह ६ बजे की बस से निकल जाएंगे"
थोड़े घंटों की नींद लेने के बाद.. कविता, वैशाली, मौसम और पीयूष जाने के लिए तैयार हो गए.. सुबोधकांत उन्हें बस स्टेशन तक छोड़ने आए.. पहली बस मे काफी भीड़ थी.. इसलिए दूसरी बस की राह देखने लगी.. दूसरी बस का भी वही हाल था.. आखिर सुबोधकांत ने सब को अपनी गाड़ी में ही छोड़ आने का फैसला किया
कार तेजी से सड़क पर चल रही थी और उतनी ही तेजी से कविता और मौसम के दिमाग में विचार भी चल रहे थे.. गाड़ी चलाते हुए सुबोधकांत एकदम खामोश थे..
२ घंटों के सफर के बाद वो लोग पहुँच गए.. घर के अंदर घुसते ही मौसम अनुमौसी से गले मिलकर रोने लगी.. अनुमौसी ने अपने अनुभवयुक्त शब्दों से उसे सांत्वना दी..
मौसम कविता की मदद करने किचन में गई.. उस दौरान कविता ने उसे तरुण के बारे में.. उनके संबंधों के बारे में काफी कुछ पूछा.. पर उसे ऐसी कोई हिंट न मिली जिससे की वो किसी बात का अंदाजा लगा पाती
दोपहर के बाद पीयूष ऑफिस चला गया.. काम भी देखना जरूरी था..
थोड़ी देर के बाद, शीला और मदन भी मौसी के घर आ गए.. सुबोधकांत से मिलकर दोनों उनके साथ बैठे.. सुबोधकांत ने मौसम और तरुण की सगाई टूटने के बारे में बताया.. जिसके बारे में वह दोनों पहले से ही जानते थे.. थोड़ी देर की बातों के बाद.. सब एकदम चुपचाप बैठे थे
कविता और मौसम चाय लेकर आए..
चाय एक घूंट में खत्म करते ही.. सुबोधकांत ने अपनी घड़ी की ओर देखकर कहा "अब मुझे निकलना चाहिए"
कविता: "पापा, दोपहर तो हो ही चुकी है.. आप खाना खाकर ही जाइए"
सुबोधकांत: "नहीं बेटा.. अचानक यहाँ आना हुआ इसलिए मेरे कई काम रुकें पड़े है.. मुझे जाना ही होगा.. " बार बार अपनी घड़ी की ओर देख रहें सुबोधकांत तो कविता ने और नहीं रोका
अचानक शीला की नजर सुबोधकांत की गोल्डन केस वाली राडो घड़ी पर गई.. और ध्यान से देखते ही उसकी सांसें थम गई.. !!!
याद आते ही बेहद चोंक गई शीला.. अरे बाप रे... ये तो कॉकटेल है.. !! बिल्कुल यही घड़ी कॉकटेल ने भी पहन रखी थी.. ध्यान से देखने पर सुबोधकांत का शरीर, बोल-चाल सब कुछ कॉकटेल से मेल खा रहा था.. उसका लंड भी जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा था वो अब पता चला शीला को.. सुबोधकांत के घर के गराज में एक बार चूस चुकी थी उनका लंड.. इसीलिए जब होटल में वह लंड दोबारा देखा तब हल्की सी भनक तो लगी थी पर याद नहीं आ रहा था.. !! शीला के पूरे बदन में झनझनाहट से छा गई.. हाँ, वो कॉकटेल ही था.. जिसका लंड मैंने और रेणुका दोनों ने दिल खोल कर चूसा था.. हे भगवान.. कहीं सुबोधकांत ने हमें पहचान तो नहीं लिया होगा.. !!!
मदन को वहीं बैठा छोड़कर शीला घबराकर घर वापिस आ गई..
Suspense trill sab h maza aaraha h bhai please keep on updating liked your story a lotमदन तुरंत जाग गया.. दोनों ने कपड़े पहने और बगल वाले कमरे में देखने गए.. वो कमरा खुला था और अंदर कोई नहीं था.. मतलब साफ था.. दोनों निकल चुकी थी.. उदास होकर सामान लेकर दोनों रीसेप्शन पर पहुंचे.. चेक-आउट कर दोनों बाहर निकलें.. गाड़ी में बैठकर दोनों की सांसें तब तक पूर्ववत नहीं हुई जब तक की वो शहर से बाहर नहीं निकल गए..
उस दौरान, रेणुका और शीला, बड़े ही आराम से मस्ती करते हुए गाड़ी में अपने शहर की ओर जा रहे थे.. देखते ही देखते दोनों रेणुका के घर पहुँच गए.. शीला ऑटो लेकर घर पहुंची.. तब वैशाली ऑफिस जा चुकी थी.. रेणुका और शीला के बीच.. गाड़ी में जो गुफ्तगू हुई, वो जबरदस्त थी..!!
सुबह के दस बज गए थे.. पिछली रात के संस्मरणों के बारे में सोचते हुए शीला रोजमर्रा के काम में मशरूफ़ हो गई...
दोपहर तीन बजे के करीब मदन घर पहुंचा.. उसका चेहरा इतना उदास था, जैसे कोई उसके गोटे चुराकर भाग गया हो.. !! शीला ने उसका ऐसे स्वागत किया जैसे कल रात कुछ हुआ ही न हो.. एकदम स्वाभाविक व्यवहार दिखाया उसने.. !!
मदन धीरे धीरे चलते हुए सोफ़े पर जा बैठा.. शीला उसके लिए पानी का ग्लास लेकर आई..
यहाँ आने से पहले मन ही मन मदन सोच रहा था की घर पहुंचते ही शीला उसकी बैंड बजा देगी.. पर ये तो बिल्कुल उल्टा ही हो रहा था.. !! हाथ में ग्लास थमाकर शीला कोई गीत गुनगुनाते हुए किचन में चली गई.. थोड़ी देर के बाद अदरख की खुश्बू से पता चला की अंदर मस्त मसालेदार चाय बन रही थी..
हाथ में दो बड़े चाय से भरे मग लेकर शीला बाहर आई.. एक मग मदन को दिया और मदन के करीब सोफ़े पर बैठ गई..
मदन की हालत इतनी खस्ता थी की खिड़की के बाहर अपने बरामदे में झुककर झाड़ू लगा रही कविता के लटकते बबले देखने का भी मन नहीं हो रहा था उसे..
अपनी आँखें मटकाते हुए बड़े ही शरारती अंदाज में शीला ने मदन से पूछा "कैसी रही मीटिंग?"
मदन ने जवाब नहीं दिया..
मदन को इस स्थिति में देखकर शीला बेहद खुश हुई.. सशक्त और प्रभावशाली महिलाएं अपनी शक्ति और प्रभाव को पुरुषों पर हमेशा स्थापित करना चाहती हैं.. ऐसी महिलाएं अपनी स्थिति और अधिकार को तब महसूस करती हैं, जब वे अपने पुरुषों को कमजोर या उनके दायित्वों के तले दबा हुआ देखती हैं.. ऐसे सूरत में, महिलाएं आम तौर पर पुरुषों को नियंत्रण में रखने का आनंद महसूस करती हैं, और यह शक्ति का असमान वितरण उनके आत्म-सम्मान और संतुष्टि का हिस्सा बन जाता है..!!
मदन को ओर उंगली करने के लिए उसने उसे कुहनी मारकर कविता की तरफ इशारा करते हुए कहा "वो देख.. कविता के भी उस बार्बी जैसे ही है.. बुला ले उसे आज रात को.. !! तो क्या है, की तुझे झूठ बोलकर दोबारा इतने दूर जाना नहीं पड़ेगा"
मदन: "प्लीज यार शीला.. कविता के लिए ऐसा मत बोल.. उसमें उस बेचारी का क्या दोष?"
शीला: "बात तो तेरी सही है मदन.. पर क्या करूँ?? घूम फिरकर वही सारी बातें याद आ जाती है.. कल जब रेणुका तेरा लंड चूस रही थी.. तब तेरी उत्तेजना जबरदस्त बढ़ गई थी.. मैंने अपनी आँखों से देखा है इसलिए मुकर मत जाना.. वरना मर गया आज तो.. !!"
रेणुका की बात छेड़कर शीला क्या कहना चाह रही थी इसके बारे में मदन सोचता उससे पहले शीला ने और एक बाउंड्री मार दी..
शीला: "बिना मुझ से पूछे.. तुम दोनों ने आपस में ही बीवियाँ बदलने का तय कैसे कर लिया????"
मदन: "अरे यार.. तू ही तो कहती थी.. की तुझे ग्रुप सेक्स करना है.. बी.पी. देखते हुए तू कितनी गरम हो जाती थी और ऐसी बातें किया करती थी.. !! भूल गई क्या??"
शीला: "मदन, चल अंदर चलकर बात करते है"
मदन: "नहीं.. यही पर ही ठीक है.. " मदन जानता था की अंदर बेडरूम में ले जाने का बाद शीला कुछ भी कर सकती थी.. उसे वो जोखिम लेना ही नहीं था..
चाय खत्म हो गई.. पर दोनों की गरमागरम बातें खत्म नहीं हुई.. बड़ी मुश्किल से मदन ने शीला से अपनी जान छुड़ाते हुए कहा
मदन: "मैं थोड़ी देर बाहर जाकर आता हूँ"
शीला ने उसे रोका नहीं.. और वो चला गया.. शीला सोफ़े पर बैठे बैठे आगे की रणनीति सोच रही थी तभी मदन के फोन की रिंग बजी.. जल्दबाजी में मदन फोन ले जाना ही भूल गया था.. !!
शीला ने फोन हाथ में लिया.. स्क्रीन पर रेणुका का नाम नजर आ रहा था.. शीला ने फोन उठाया और कुछ बात की.. फोन काटकर उसने राजेश को फोन लगाया..
राजेश: "हैलो भाभी जी, कैसी है आप?" बड़ी ही विनम्रता से राजेश ने कहा
शीला: "अरे वाह.. कितने भोले बन रहे हो.. इतने भोले राजेश से मुझे कोई बात नहीं करनी.. रखती हूँ" बड़ी शातिर थी शीला
राजेश: "अरे नहीं नहीं भाभी.. कहिए, क्या काम था? वो तो.. कल रात के बाद.. आप से बात करने में थोड़ा संकोच हो रहा था इसलिए.. वरना आप के सामने भला कौन भोला बनकर रहना चाहेगा.. !!"
शीला ने मुस्कुराकर कहा "अच्छा.. !!! मैं तो समझ रही थी की मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ"
राजेश: "भाभी जी, शराब जितनी पुरानी हो उतना ही ज्यादा मज़ा देती है"
शीला: "तो क्या मैं शराब हूँ? तब तो मुझ पर भी सरकार को रोक लगा देनी चाहिए"
राजेश: "खुलेआम मजे लेने पर तो वैसे भी रोक ही है ना.. फिर वो शराब हो या आप.. !! पर चुपके चुपके क्या कुछ नहीं हो सकता.. !! कल रात को ही आपने सारे नज़ारे देख लिए है"
शीला: "राजेश, एक बात कहूँ.. पर किसी को बताना मत"
राजेश: "हाँ कहिए भाभी.. "
शीला: "नहीं ऐसे नहीं.. पहले वादा करो को आप किसी को नहीं बाताओगे.. रेणुका को भी नहीं.. यह बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए"
राजेश: "बात क्या है भाभी? कुछ सीक्रेट है क्या? वैसे सीक्रेट बात हो या काम.. दोनों में ही मज़ा आता है.. जल्दी कहिए"
शीला: "पहले वादा करो किसी को नहीं बताओगे"
राजेश: "ठीक है, वादा करता हूँ"
शीला: "कैसे कहूँ... मुझे तो शर्म आती है.. राजेश.. कल तुम बहोत ही हार्ड थे.. तुम्हारा वो... उसकी तस्वीर मेरी आँखों के सामने से हट ही नहीं रही है"
सुनते ही राजेश का लंड ऐसे खड़ा हो गया जैसे अभी अभी वियाग्रा के साथ रेड-बुल के दो टीन पी लिए हो.. !! ऐसी उत्तेजना का अनुभव उसने इससे पहले सिर्फ एक ही बार किया था.. माउंट आबू में बियर पीने के बाद जब टॉइलेट में वैशाली ने उसे अंदर खींचकर उसका लंड पकड़ लिया था..!!
शीला: "राजेश, आप मेरे बारे में कुछ बुरा मत सोचिएगा.. आप दोनों जो अंदर अंदर स्वैपिंग करने की बात कर रहे थे.. उसके लिए रेणुका तैयार हो जाती.. शायद मैं भी तैयार हो जाती.. पर मदन कभी भी तैयार नहीं होगा.. मुझसे इतनी मोहब्बत करता है वो.. मुझे किसी और की बाहों में वो देख ही नहीं पाएगा.. !!"
राजेश: "अरे भाभी.. वो सब बातें तो हम सिर्फ मज़ाक मज़ाक में कर रहे थे.. आप उसे सिरियसली मत लीजिए.. चाहे आप हो या रेणुका.. अपने पति के दोस्त के साथ ऐसा करने की कौन भला सोचेगा??"
शीला: "सोच तो कोई भी सकता है.. कुछ भी नामुमकिन नहीं होता.. पति की जानकारी में ये करना जरूर मुश्किल है.. पर उससे छुपाकर तो हो ही सकता है"
सुनकर राजेश के होश उड़ गए "आप क्या कह रही हो भाभी????"
शीला: "प्लीज राजेश.. ये तो अच्छा हुआ की मदन अपना फोन भूल गया तो मैं उसके फोन से ये बात कह रही हूँ.. वरना मेरी ये इच्छा अधूरी ही रह जाती.. सामने से तो ऐसा कहने की मेरी हिम्मत कभी नहीं होती.. पर आज जब मौका मिल ही गया तो मैं उसे छोड़ना भी नहीं चाहती.. मुझे कहने दीजिए.. जब से मैंने तुमको इतना हार्ड होते हुए देखा है.. तब से मेरे रोम रोम में बस तुम्हारी ही याद बसी हुई है.. जो हरदम मुझे मजबूर कर रही है की उस हार्डनेस का अनुभव किए बगैर मैं रह नहीं पाऊँगी.. सिर्फ एक बार.. प्लीज मुझे चांस दो.. आई लव यू राजेश"
स्तब्ध हो गया राजेश.. !! ये क्या खेल खेल रही थी शीला उसके साथ.. !! शीला ने आई लव यु तक बोल दीया?? कोई इतनी जल्दी कैसे किसी से प्रेम कर सकता है?? शीला जबरदस्त गरम औरत थी उसमें कोई दो राय नहीं थी.. पर जैसे भी थी.. थी तो वो उसके दोस्त की बीवी.. मदन के साथ ऐसा धोखा मैं कैसे कर सकता हूँ??
धोखा..!! यह शब्द याद आते ही राजेश के दिल ने उसे एक मजबूत लात लगाकर मैदान के बाहर फेंक दिया.. धोखा देने में अब बाकी ही क्या बचा था?? और मदन भी तो रेणुका की चूत चाट ही चुका था.. !! वो भी मेरे नज़रों के सामने.. !! तो अब धोखे वाली बात के बारे में सोचने का कोई मतलब ही नहीं था.. और मैं कहाँ शीला पर कोई जबरदस्ती कर रहा हूँ?? या उसे फुसला रहा हूँ? ना ही मैं उसे कोई धोखा दे रहा हूँ.. जब वो ही सामने से चलकर आ रही है तो... !!
शीला: "क्या सोच रहे हो राजेश?? यही ना.. की मैं कितनी गिरी हुई और घटिया किस्म की औरत हूँ.. !!"
राजेश चुप ही रहा
शीला: "अब तुम मुझे घटिया समझो या गिरी हुई समझो.. पर मैं अपनी इच्छा को अधूरी छोड़ने वालों में से नहीं हूँ.. मुझे तो कल रात को ही तुम्हारा हार्ड पेनीस देखकर, उसे अंदर लेने का मन कर रहा था.. पर सच कहूँ तो मदन की मौजूदगी में.. मैं खुलकर मज़ा न ले पाती.. मुझे एकांत चाहिए.. सिर्फ तुम और मैं अकेले.. दुनिया का कोई एक ऐसा कोना जहां पर हम दोनों के अलावा और कोई न हो.. ऐसे माहोल में.. मैं मुक्त होकर तुम्हारे साथ इन्जॉय करना चाहती हूँ.. प्लीज मुझे निराश मत करना.. मैं मर रही हूँ तुम्हारी सख्ती को अपने अंदर महसूस करने के लिए.. !!"
राजेश के पास कहने के लिए शब्द नहीं थे.. शीला ने तो उसे प्रपोज ही कर दिया.. !! अब क्या जवाब दें.. !!
फोन पर बात करते हुए राजेश गाड़ी ड्राइव कर रहा था.. अपने घर की ओर.. वो घर पहुंचकर रेणुका के साथ अपने संबंधों को वापिस दुरस्त करना चाहता था.. दूध फट तो चुका था.. अब उससे जितना जल्दी पनीर बना लिया जाए उतना अच्छा.. !! और इसी बीच शीला का फोन आ गया.. गाड़ी चलाते हुए उसका लंड खड़ा हो गया था.. शीला की बातों ने उसके लंड को फिर बैठने ही नहीं दिया.. ऐसा हाल हो गया की गाड़ी चलाते चलाते ही उसने अपना लंड बाहर निकाला और मूठ लगाने लगा..
राजेश: "ओह्ह भाभी.. अपना तो मेरा हाल कल रात जैसा कर दिया.."
शीला: "तो फिर आ जाओ.. मदन बाहर गया है.. घर पर कोई नहीं है"
राजेश: "और कहीं वो आ गया तो?"
शीला: "एक काम करती हूँ.. उसे फोन करके पूछ लेती हूँ.. की कब लौटने वाला है"
राजेश: "पर कैसे पूछोगी? फोन तो उसका घर पर ही है"
शीला: "जाने दो.. लगता है तुम्हारी हिम्मत नहीं हो रही है"
राजेश: "ऐसा नहीं है भाभी... पर.. !!!"
शीला ने नाराज होकर कहा "मदन लौट आया है" और उसने फोन काट दिया
फोन रखने के बाद शीला को अफसोस हो रहा था की आखिर वासना की बाढ़ में बहकर उसने राजेश से ऐसी बात की ही क्यों?? अब वो क्या सोचेगा मेरे बारे में??
शीला की बातों से बेहद उत्तेजित होकर.. राजेश ने रोड के किनारे गाड़ी पार्क कर दी.. और मूठ लगाते हुए अपने रुमाल में पिचकारी मार ली.. और फिर घर की ओर निकल गया
घर के गंभीर वातावरण को देखते हुए अब वहाँ किसी उत्तेजक घटना के घटने की कोई संभावना नहीं थी.. जैसा राजेश ने सोचा था.. रेणुका मुंह फुलाकर बैठी हुई थी.. और उससे बात करने के मूड में नहीं थी.. और वो स्वाभाविक भी था.. इसलिए राजेश को कोई ताज्जुब नहीं हुआ..
उस रात उन दोनों के बीच कुछ खास नहीं हुआ.. पर बगल में सो रहे दोनों के दिमाग में पिछली रात की घटनाएं घूम रही थी.. रेणुका मदन के लंड को याद कर रही थी.. जब की राजेश के दिमाग में शीला ने आज दोपहर को कही हुई बातें बार बार आ रही थी..
इस तरफ मदन और शीला के हाल भी कुछ ऐसे ही थे.. शीला पार्टी के सारे लंड याद कर रही थी.. जब की मदन के दिमाग में रेणुका का छरहरा बदन घूम रहा था..
राजेश सोते सोते सोच रहा था.. आह्ह.. आज शीला भाभी ने मेरे लंड की तारीफ की.. मुझे खुला निमंत्रण तक दे दिया.. !! याद करते ही राजेश के मुंह से एक सिसकी निकल गई.. जो बगल में लेटकर उत्तेजना से झुलस रही रेणुका ने स्पष्ट रूप से सुना.. पर वह कुछ बोली नहीं.. वो मन ही मन सोच रही थी की अगर कल रात पुलिस की रैड न पड़ी होती.. तो वो और शीला अपनी पहचान अंत तक छुपाने में कामयाब रहते.. और रात का पूरा लुत्फ उठा पाते.. खैर फिर जो हुआ वो कल्पनातीत था.. भला हो शीला का.. जिसने अपनी सही पहचान बताकर सबको बचा लिया.. वरना आज सब के सब जैल की सलाखों के पीछे होते.. बाप रे.. !! समाज में क्या इज्जत रह जाती.. !! हाथ में नाम और पता लिखा हुआ बोर्ड थमाकर पुलिस वाले तस्वीर खींचते और अखबार वाले उसे पहले पन्ने पर छाप देते.. !!!
इस तरफ शीला करवट लेकर अपनी निप्पल को मसल रही थी.. उससे अब यह उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी.. हेमंत के जवान ताजे लंड ने उसे जो मजे दीये थे.. उसे याद करते हुए वह बहोत गर्म हो गई.. ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा बदन बुखार से तप रहा हो.. ऊपर से, राजेश को लंड को चूसने पर जो शानदार किक मिली थी वो स्खलित होने के लिए काफी थी.. राजेश के लंड की याद आते ही शीला के भोसड़े में हवस की आग लग गई.. कुछ भी हो जाए.. एक बार तो वो लंड अंदर लेना ही है.. !! पर वो साला एक नंबर का डरपोक है.. क्या किया जाए?? मदन शहर से कहीं बाहर चला जाएँ तो फिर बढ़िया मौके का सेटिंग हो सकता है.. पर वैशाली तो घर पर ही होगी.. उसका क्या करें?? राजेश के घर पर रेणुका हर वक्त रहती थी.. ऑफिस मे पीयूष और पिंटू दोनों उसे पहचानते थे.. और यहाँ घर पर वैशाली और मदन का टेंशन.. ऊपर से.. कविता और अनुमौसी के नज़रों से बचाकर कुछ भी करना नामुमकिन सा था..
सोचते सोचते शीला अपनी चूत को कुरेदती रही.. और ऐसा सोचती रही की जैसे राजेश का लंड अंदर घुस रहा हो.. थोड़ी देर में ही उसकी चूत ने शहद टपका दिया.. और वो सो गई..
दूसरी सुबह, लगभग ग्यारह बजे के आसपास.. मदन पर राजेश का फोन आया.. दोनों ने काफी देर तक लंबी बातचीत की.. शीला बगल मे ही बैठी थी.. पर उस रात की घटना के बाद मदन की हिम्मत नहीं हो रही थी की वो खड़ा होकर, शीला से दूर जाकर बात करें.. उस रात के बारे में अब तक शीला और मदन के बीच खुल कर बात हुई भी नहीं थी.. !! आखिर मदन ने "बाद में बात करते है" कहते हुए फोन रख दिया..
शीला ने कुछ पूछा नहीं.. उसने उठकर डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दिया.. मदन ने भी चुपचाप पालतू कुत्ते की तरह खाना खा लिया.. और शीला को बिना कुछ बताएं बाहर चला गया.. वो जितना हो सकें.. शीला के वाक्य-बाणों से दूर रहना चाहता था..
मदन ने बाहर निकलते ही राजेश को फोन किया.. और सीधा उसकी ऑफिस पहुँच गया.. पापा को देखकर वैशाली बहुत ही खुश हो गई.. काफी देर तक मदन और वैशाली की बातें चली.. बड़े ही उत्साह से वैशाली ने अपने काम के बारे मे बताया..
मदन ने राजेश की चेम्बर में प्रवेश किया.. राजेश ने बेल बजाकर प्युन को बुलाया और दो कप कॉफी मँगवाई.. और दोनों बातों में मशरूफ़ हो गए
राजेश: "मदन यार.. घर पर सब कैसा है?? मेरी तो वाट लगी पड़ी है.. !!"
मदन: "मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही है.. तेरी भाभी तो मुझसे सीधे मुंह बात भी नहीं करती.. अपने ही घर में बेघर की तरह जी रहा हूँ.. बस खाना खाकर कोने में पड़ा रहता हूँ.. एक रात के मजे की इतनी बड़ी किंमत चुकानी पड़ेगी ये अंदाजा नहीं था.. बहोत बड़ी गलती हो गई.. तुझे क्या लगता है?"
राजेश: "बिल्कुल सच कहा तूने यार.. पर सोच.. अगर वहाँ हमारी बीवियाँ और पुलिस न आए होते तो कितना मज़ा आता.. !!"
मदन: "वो सब तो ठीक है यार.. पर ये सोच.. हो सकता है पुलिस को अपने सूत्रों से खबर मिली हो और उन्हों ने रैड कर दी.. पर मेरा दिमाग तो यह सोचकर खराब हुआ जा रहा है की हमारी बीवियों को इस बारे में कैसे और कहाँ से पता चला?? और वो दोनों वहाँ पहुंची कैसे??"
राजेश: "तुझे क्या लगता है मदन.. हम जो कुछ भी करते है.. उसका हमारी पत्नियों को पता नहीं चलता.. !! सब पता चलता है.. अगर हम न भी बताएं तो वो हमारी हरकतों से भांप लेती है की कहीं कुछ गलत हो रहा है.. उसे ही तो औरतों की छठी इंद्रिय कहा गया है.. असल मे.. वह लोग बहुत कुछ जानते हुए भी अनजान बने रहते है.. "
मदन: "नहीं यार.. मैं नहीं मानता.. !!"
राजेश: "ऐसा ही होता है मदन.. तू माने या ना मानें.. हकीकत यही है.. जब तक औरतों को अपनी सलामती या इज्जत पर कोई आंच आती न दिखे.. तब तक वो सब कुछ सह लेती है.. पर उन्हें जरा सा भी शक हुआ या डर लगा की मामला बिगड़ रहा है.. वह तुरंत ही सक्रिय हो जाती है.. और फिर वो किस हद तक जा सकती है, वो तो हम दोनों ने अपनी आँखों से देख ही लिया है"
मदन: "हाँ यार.. पर ताज्जुब इस बात का है.. की वो दोनों पुलिस से भी पहले पहुँच चुके थे.. उस हिसाब से उनका नेटवर्क तो पुलिस से भी ज्यादा मजबूत हुआ.. !!"
दोनों बातें कर रहे थे उस वक्त वैशाली कॉफी के तीन कप लेकर चेम्बर के अंदर आई.. राजेश और मदन ने बड़ी ही सफाई से अपनी बात बदल दी और क्रिकेट के बारे में बातें करने लगे..
टेबल पर तीनों कप रखकर वैशाली बैठ गई.. राजेश, मदन की मौजूदगी में ही वैशाली के विशाल तंदूरस्त स्तन-युग्म को देख रहा था.. जिस तरह से वो चलकर अंदर आई.. टाइट टी-शर्ट के अंदर दबी हुई चूचियाँ तालबद्ध लय में ऊपर नीचे हो रही थी.. एक पल के लिए मदन का इमान भी डोल गया पर उसने उस घृणास्पद विचार को रोक लिया..
वैशाली: "सॉरी पापा.. मैं आप लोगों को डिस्टर्ब कर रही हूँ.. पर मुझे आप से कुछ जरूरी बात करनी है.. !!"
मदन: "हाँ बोल न बेटा.. !!"
बाप-बेटी की बातचीत बड़े ध्यान से सुनते हुए राजेश अब भी वैशाली के कटीले बबलों को ताड़ रहा था
वैशाली: "दरअसल अभी मौसम का फोन आया था.. उसने मुझे और कविता को अर्जेंट उसके घर बुलाया है.. दो दिनों के लिए.. वो फोन पर बहोत ही रो रही थी.. !!"
राजेश: "तब तो बात जरूर बहोत गंभीर होगी.. !!"
मदन: "उसने कारण बताया या नहीं?? कुछ ज्यादा गंभीर बात हो तो हम भी चलें तुम लोगों के साथ"
वैशाली: "और तो कुछ नहीं बताया पर इतना बोली की उसके मंगेतर तरुण के बीच बहोत बड़ा प्रॉब्लेम हुआ है.. और तरुण सगाई तोड़ना चाहता है"
यह सुनकर राजेश और मदन दोनों चोंक गए
राजेश: "क्या?? ऐसे कैसे सगाई तोड़ सकता है?? कोई मज़ाक है क्या?? पर कुछ तो हुआ होगा उन दोनों के बीच... कुछ बताया मौसम ने?"
वैशाली: "वो फोन पर कुछ भी बताने को राजी नहीं है.. अब तो वहाँ जाकर ही कुछ पता चलेगा की मामले आखिर क्या है.. !!"
मदन: "ये आजकल के बच्चे भी ना.. सगाई-शादी जैसे गंभीर संबंधों को भी गुड्डे-गुड्डियों का खेल ही समझते है.. जब मर्जी की तब कर लिया.. और मन भर गया तो फेंक कर खड़े हो गए.. अरे भाई.. ऐसे थोड़े ही होता है.. !!"
राजेश: "बिल्कुल सही कहा तूने, मदन.. !! सच में.. मुझे तो अब अभी इस बात पर यकीन नहीं हो रहा"
मदन: "वैशाली बेटा.. तुझे जाना ही चाहिए.. मौसम की इस स्थिति को सहेलियाँ ही बेहतर समझ सकेगी और अच्छे से हेंडल भी कर सकेगी.. माँ-बाप इसमें ज्यादा कुछ कर नहीं सकते.. उन बेचारों पर तो आसमान टूट पड़ा होगा यह सुनकर... !!"
वैशाली: "ठीक है पापा.. मैं अभी घर को निकलती हूँ.. कविता से भी बात करनी होगी.."
मदन: "ठीक है बेटा.. "
वैशाली ने राजेश की ओर मुड़कर कहा "सर, आज का काम तो मैंने खतम कर दिया है.. अब वापिस आने में एक दो दिन लग सकते है.. तो क्या मैं जा सकती हूँ?"
राजेश: "अरे वैशाली.. यह भी कोई पूछने की बात है?? तू ऑफिस की चिंता मत कर और जा.." राजेश ने ड्रॉअर खोलकर पाँच सौ के दस नोट निकालकर वैशाली को दीये और कहा "ये साथ में रखना.. काम आएंगे"
मदन: "अरे राजेश, क्या कर रहा है यार तू.. उसे जरूरत होगी तो मुझसे ले लेगी.. तू क्यों दे रहा है??"
राजेश: "मुझे पता है की तू उसे दे ही सकता है.. पर अब एक बात समझ ले.. वैशाली को अपने पैरों पर खड़े होना होगा.. और उसमें हम सब उसकी मदद करेंगे.. वो अपनी तनख्वाह से खुद के खर्चे संभालेगी.. हाँ, उसे कभी कुछ भी ज्यादा जरूरत हुई तो हम सब है ना.. !! बाकी उसे अपने हिस्साब से ही जीने दे.. उससे उसका मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ेगा... वैशाली, तुम निकलो.. वहाँ जाकर इस प्रॉब्लेम का सही कारण ढूँढने की कोशिश करना.. और पता चले तो अपने पापा को तुरंत बताना.. हो सकता है हम लोग इसमें कुछ मदद कर सकें.. "
वैशाली: "ओके सर.. थेंकस..!!" कहते हुए वैशाली उठकर चली गई.. मुड़कर जाती हुई वैशाली के मटकते नितंब देखकर राजेश की दिल मे जबरदस्त सुरसुरी सी होने लगी..
वैशाली ने बाहर निकलकर ऑटो पकड़ी और तुरंत घर पहुँच गई.. ऑटो में बैठे बैठे उसने पिंटू को सारी बात फोन पर बता दी.. धीरे धीरे पिंटू अब.. किसी और की हो चुकी कविता से ज्यादा वैशाली के प्रति अपना ध्यान केंद्रित कर रहा था.. पिंटू का टूटा हुआ दिल.. और वैशाली का बर्बाद हो चुका वैवाहिक जीवन.. दोनों एक दूजे के लिए आदर्श विकल्प थे.. पर जब जब पिंटू के दिमाग में कविता का विचार आता.. तब उसे लगता की वो कविता का स्थान और किसी को भी नहीं दे पाएगा.. यही सोचकर वो वैशाली से पर्याप्त दूरी बनाए रखता था.. एक बार तो उसे दिमाग में भी आया.. की वो भी वैशाली के साथ जाएँ.. उसी बहाने वह घर भी जा सकेगा और वैशाली के साथ कुछ समय बिताने का मौका भी मिल जाएगा.. पर जैसे ही उसे पता चला की वैशाली तो कविता के साथ जा रही है.. उसने वो प्लान केन्सल कर दिया.. !!
वैशाली घर पहुंची.. शीला घर पर अकेली थी.. वैशाली को इतना जल्दी घर आया देख उसे ताज्जुब हुआ..
शीला: "क्या हुआ बेटा?? तबीयत तो ठीक है ना तेरी??"
वैशाली: "मम्मी, मुझे कुछ नहीं हुआ है.. तुम कविता को यहाँ बुलाओ.. मुझे काम है उसका.."
शीला: "अरे पर हुआ क्या? क्या काम है उसका? तू ही क्यों नहीं चली जाती उसके घर? सब ठीक तो है ना??"
वैशाली: "कुछ भी ठीक नहीं है मम्मी.. मौसम का फोन था.. तरुण सगाई तोड़ना चाहता है.. बहुत रो रही थी बेचारी.. मुझे और कविता को वहाँ बुला रही है"
शीला स्तब्ध होकर बोली "क्या??? ऐसा कैसे हो सकता है? अभी पंद्रह दिन ही तो हुए है सगाई को.. !!"
वैशाली: "पता नहीं मम्मी.. शायद कविता को कुछ पता हो इसके बारे में.. मौसम ने इतना ही कहा की मैं उसकी दीदी को लेकर तुरंत वहाँ आ जाऊ"
शीला गहरी सोच में पड़ गई.. ऐसा तो क्या हो गया अचानक??
शीला ने फोन करके कविता को बुलाया.. कविता तुरंत आ गई.. उसे तो इस बारे में कुछ मालूम ही नहीं था.. वो तो बेचारी सुनकर ही फुट फुटकर रोने लगी..
शीला और वैशाली ने बड़ी मुश्किल से उसे शांत किया और पानी पिलाया
शीला: "हिम्मत रख कविता.. जो होना था सो हो गया.. अच्छा हुआ की शादी से पहली ही हो गया.. वरना मौसम का हाल भी मेरी वैशाली जैसा हो जाता.. !!" और फिर अचानक शीला को याद आया और उसने वैशाली की ओर मुड़ कर देखा और कहा "अरे हाँ बेटा.. देख ये नोटिस आई है.. २५ तारीख को कोर्ट में सुनवाई है.. तुझे अपने पापा के साथ जाना है.. उससे पहले एक बार देसाई अंकल से मिल लेना"
वैशाली: "२५ तारीख को अभी बहोत देर है मम्मी.. फिलहाल मौसम को संभालना बहोत जरूरी है.. मैं सोच रही हूँ की मैं और कविता वहाँ चले जाते है"
शीला: "मुझे कोई प्रॉब्लेम नहीं है बेटा.. पर तुम दोनों अकेले कैसे जाओगी?"
वैशाली: "क्या मम्मी तुम भी!! दकियानूसी बातें कर रही हो.. हम अपने आप को संभाल सकती है.. "
शीला: "एक बार पापा से पूछ ले"
वैशाली: "मैंने उनसे पूछ लिया है.. वो ऑफिस पर ही थे.. उनसे भी पूछ लिया और राजेश सर की भी पर्मिशन ले ली है.. दोनों ने कहा की मुझे जाना चाहिए"
अब शीला के पास और कोई बहाना नहीं था.. वो बोली "ठीक है.. पर संभाल कर जाना.. ज़माना बहोत खराब है"
कविता उदास होकर घर चली गई.. जब वो आई तब उछलती हुई आई थी.. और जब जा रही थी तब उसके पैरों में से जान ही निकल गई थी
कविता ने घर आकर रोते हुए सारी बात अनुमौसी को बताई.. सुनकर मौसी का पारा सातवे आसमान पर चढ़ गया
अनुमौसी: "उस नालायक में हमारी मौसम को संभालने की ताकत ही नहीं होगी.. वरना क्या कमी है मौसम में?? वही लायक नहीं था मौसम के.."
शाम को पीयूष घर लौटा.. वो पूरा दिन ऑफिस के काम के सिलसिले में बाहर था इसलिए उसे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था.. जब कविता ने उसे सारी बात बताई तब वो भी बेहद चोंक गया.. एक पल के लिए तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ..
थोड़ी देर सोचकर पीयूष ने कहा "कल हम दोनों तेरे घर चलते है.. मैं तरुण को समझाऊँगा.. वो पढ़ा लिखा है.. शायद मेरी बात मान जाए.. वैसे मौसम ने तुझे कब बताया इस बारे में? फोन किया था उसने तुझे?"
कविता: "मुझे नहीं.. वैशाली को फोन किया था"
पीयूष: "वैशाली को क्यों फोन किया?? तुझे नहीं कर सकती थी?"
अनुमौसी: "अरे बेटा.. वैशाली को फोन किया हो या कविता को.. क्या फरक पड़ता है?? शायद वो बेचारी कविता को सदमा पहुंचाना न चाहती हो इसलिए वैशाली को फोन किया होगा.. अब तू और कविता वहाँ जाओ.. और हो सके तो उस गधे के बच्चे को समझाओ.. और ना समझे तो कान पकड़कर मेरे पास लेकर आना.. दो चपेड़ लगाकर सीधा कर दूँगी उसे.. !!"
उस रात को बेडरूम में कविता और पीयूष के बीच तरुण और मौसम को लेकर काफी चर्चा हुई.. पीयूष ने मौसम को फोन भी लगाया पर वो बात करने की स्थिति में नहीं थी.. मौसम की माँ, रमिला बहन ने रोते रोते बस इतना ही कहा.. की मौसम ने खाना पीना सब छोड़ दिया है.. बस पूरा दिन रोती रहती है..
वैशाली, कविता और पीयूष दूसरी सुबह बस से मौसम के घर पहुँच गए.. कविता को देखते ही मौसम उसके गले मिलकर बहोत रोई.. पीयूष भी मौसम को गले लगकर सांत्वना देना चाहता था पर माहोल की गंभीरता देखते हुए उसे ऐसा करना योग्य नहीं लगा.. एकाध घंटे के बाद.. सब रोना धोना खत्म करके सब नॉर्मल हुआ.. कविता ने अपनी माँ और मौसम को हिम्मत देकर शांत किया..
शाम को पाँच बजे पीयूष चाय पीने के बहाने बाहर निकला.. तब वैशाली, मौसम और फाल्गुनी, कमरे में बैठकर बातें कर रही थी.. पीयूष का दिल कर रहा था की वो मौसम को भी बाहर ले जाए और प्यारे से सब पूछे.. पर ये मुमकिन न था..
चाय की टपरी पर बैठे बैठे पीयूष बड़ी ही गंभीरता से सोच रहा था.. ऐसा तो क्या हुआ होगा तरुण और मौसम के बीच?? मौसम को पाकर तो तरुण धन्य हो जाना चाहिए था.. कुछ तो कारण होगा.. और उस कारण को जानना बेहद ही जरूरी था..
चाय पीने के बाद सोचते सोचते चलता हुआ पीयूष.. बस अड्डे पर पहुँच गया.. सामने ही बस पड़ी थी.. जिस पर उस शहर का नाम लिखा था जहां तरुण रहता था.. थोड़ा सा सोचकर पीयूष उस बस में चढ़ गया.. !!!
बस की सीट पर बैठते ही पीयूष ने कविता को फोन लगाया
पीयूष: "मैं तरुण से मिलने जा रहा हूँ.. किसी को बताना मत.. कोई मेरे बारे में पूछे तो बताना की कंपनी का अर्जेंट काम निकल गया इसलिए गया है और कल तक लौट आएगा.. वैसे मौसम ने कुछ बताया?? "
कविता: "नहीं यार.. वो तो उस बारे में कुछ बोल ही नहीं रही.. एक ही रट लगाए बैठी है.. की उन दोनों के बीच ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है.. अरे, दोनों के बीच परसों आधी रात तक बात भी हुई थी.. और फिर अचानक क्या हो गया.. दूसरे दिन सुबह दस बजे फोन करके उसने रिश्ता तोड़ दिया"
पीयूष: "ठीक है.. मैं जाकर खुद पूछता हूँ.. तब तक तुम दोनों मौसम और मम्मी जी को संभालना"
कविता: "ओके.. संभलकर जाना"
पीयूष ने फोन रख दिया.. 2 घंटे के सफर के बाद पीयूष तरुण के शहर पहुंचा.. उसने तरुण को फोन लगाया.. तरुण को उसके फोन से कोई खास ताज्जुब नहीं हुआ.. उसने पीयूष को एक रेस्टोरेंट का पता दिया और वहाँ पहुँचने के लिए कहा
ढूंढते ढूंढते एक घंटे के बाद पीयूष उस बताए हुए पते पर पहुंचा..
वहाँ एक टेबल पर बैठे तरुण को देखते ही वो उसके पास पहुंचा.. और खड़े खड़े ही सवाल जवाब शुरू कर दीये
पीयूष: "तरुण, ये मैं क्या सुन रहा हूँ?" पीयूष की आवाज में आश्चर्य, मायूसी और क्रोध का मिश्रण था
तरुण ने जवाब नहीं दिया..
पीयूष: "देख तरुण.. तो इतना पढ़ा लिखा है.. मैं ना तो तुझे कोई सलाह या मशवरा दूंगा या फिर ना ही तुझे अपना निर्णय बदलने के लिए फोर्स करूंगा.. अपनी ज़िंदगी के फैसले खुद से करने का तुझे पूरा हक है.. मैं तो बस सगाई तोड़ने का कारण जानने के लिए आया हूँ.."
तरुण: "पीयूष भैया.. कुछ बातें ऐसी होती है जिसकी चर्चा करने से केवल नफरत और घृणा ही बढ़ती है.. और मैं नहीं चाहता की मैं आप से ऐसी कोई बात करूँ जिसे किसी की ज़िंदगी तबाह हो जाए.. "
पीयूष: "तू मुझे खुलकर बता सकता है.. यकीन मान.. तू जो भी बताएगा वह बात सिर्फ मुझ तक ही रहेगी.. अगर तेरी इच्छा न हो तो असली कारण में किसी को नहीं बताऊँगा.. कोई और ही कारण बताकर सब को मना लूँगा.. सिर्फ यही जानने के लिए मैं इतनी दूर आया हूँ.. इतना तो मुझे जानने का हक है ना.. !!"
तरुण: "अब अगर आप सुनना ही चाहते है तो सुनिए.. !! आपके ससुराल के सभी पात्र चारित्रहीन है.. !!"
सुनकर पीयूष के पैरों तले से धरती खिसक गई.. कहीं ऐसे मेरे और मौसम के संबंधों के बारे में तो नहीं पता चल गया.. !! अपने चेहरे के डर को बड़ी मुश्किल से छुपाते हुए पीयूष ने चकित होने के भाव धारण करते हुए कहा
पीयूष: "क्या बात कर रहा है तू तरुण?? मेरी शादी को इतना समय हो गया पर मुझे तो कभी कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ.. !!"
तरुण: "अब मुझे जो जानने मिला है.. उसे बताने के लिए मेरी जुबान नहीं चलेगी.. इसलिए सारी बातें मैं इस कागज पर लिखकर लाया हूँ" कहते हुए तरुण ने एक फोल्ड किया हुआ कागज पीयूष के हाथ में थमा दिया..
खोलकर पढ़ते ही पीयूष के होश उड गए.. !!!!! अब आगे कुछ भी बोलने-पूछने की आवश्यकता नहीं थी.. वो तरुण से हाथ मिलाकर खड़ा हो गया.. तरुण ने काफी आग्रह किया की वो कुछ खाकर जाए.. पर अब पीयूष के गले से एक निवाला तक उतरना मुमकिन नही था..
जाते जाते पीयूष ने तरुण के कंधे पर हाथ रखकर कहा "तरुण, तेरी और मौसम की जोड़ी बहोत प्यारी लगती है.. किसी और के गुनाह की सजा तू मौसम को दे, ये किस हद तक लाज़मी है?? जो कुछ तुझे जानने को मिला है वह सच ही होगा ऐसा मैं मानता हूँ.. पर इसमें मौसम बेचारी की क्या गलती??"
तरुण: "पीयूष भैया.. परिवार में कुछ भी ऊपर-नीचे या उल्टा-सुलटा हो तो उसका असर सारे सदस्यों पर पड़ता ही है.. ये तो आप भी मानेंगे.. मौसम का दोष सिर्फ इतना ही है की वो ऐसे परिवार की सदस्य है.. आप से हाथ जोड़कर विनती है की मुझे मनाने की कोशिश बिल्कुल मत करना.. मेरे मम्मी-पापा और परिवार के बाकी लोग अब इस रिश्ते के खिलाफ है.. और उन सब को नाराज कर मैं भी सुखी नहीं रह पाऊँगा.. मेरी और से आप मौसम से माफी मांग लेना.. और कहना की तरुण ने तुझे आगे की ज़िंदगी के लिए "ऑल ध बेस्ट" क यहा है.. और अब तरुण तुम्हारी ज़िंदगी का हिस्सा नहीं है और न कभी होगा.. शायद मौसम मेरी किस्मत में ही नहीं थी.. अब इस बारे में, मैं और बात नहीं करना चाहता भैया.. प्लीज..!!" कहते हुए नम आँखों के साथ तरुण खड़ा होकर रेस्टोरेंट से चला गया.. !!!!
पीयूष स्तब्ध होकर तरुण को जाते हुए देखता रहा.. मायूस होकर वह ऑटो से बस स्टेशन पहुंचा.. अगली बस रात के दस बजे थी.. डॉ घंटों की देरी थी.. अब अनजान शहर मे इतना वक्त खाली बैठे क्या करेगा.. !! बहुत जोरों की भूख लगी थी.. केंटीन में बैठकर उसने भरपेट खाना खाया और फिर बुक-स्टॉल से एक अखबार और एक बुक खरीदकर बैठे बैठे बस का इंतज़ार करने लगा
तभी कविता का फोन आया
फोन उठाकर पीयूष ने कहा "हाँ कविता.. मैं वापिस आ रहा हूँ"
कविता: "मिल भी लिया और बात भी हो गई??"
पीयूष: "हाँ मिल लिया मैंने तरुण से"
कविता: "पाज़िटिव या नेगटिव?" कविता ने इशारे से पूछा
पीयूष ने गहरी सांस छोड़कर कहा "नेगटिव" सच कहने के अलावा और कोई चारा नहीं था.. आज नहीं तो कल सच सामने आने ही वाला था.. फिर उससे मुंह छुपाकर क्या फायदा.. !!
कविता का मुंह लटक गया.. वो देखकर ही वैशाली समझ गई की पीयूष की मुलाकात का नतीजा क्या निकला होगा.. आदमी का चेहरा ही सब से बेहतरीन आईना होता है.. खुशी, नफरत, गुस्सा, प्रेम या गंभीरता.. इंसान के अंदर के भावों को निष्कर्ष बड़ी खूबी से बता देता है चेहरा.. !! अच्छा हुआ उस वक्त मौसम या उसकी माँ वहाँ मौजूद नहीं थे..
कविता ने आगे कुछ पूछा नहीं और कहा "बस स्टेंड पर उतरकर मुझे फोन करना.. मैं पापा को लेने भेज दूँगी.. आधी रात को तुझे ऑटो नहीं मिलेगा"
पीयूष: "मुझे एक बज जाएगा पहुंचते पहुंचते.. !!"
कविता: "हाँ ठीक है.. तूने खाना खाया?"
पीयूष: "हाँ खा लिया है.. तू मेरी चिंता मत कर..!!"
बस का समय होते ही पीयूष बैठ गया.. और पूरे दिन की थकान के कारण सो गया.. आँख खुली तो स्टेशन आ गया था.. रात का एक बजा था.. और पीयूष कविता को डिस्टर्ब करना नहीं चाहता था.. घर जाकर मौसम को कैसे सांझाए यह सोचते सोचते वो कविता के घर की तरफ चल दिया.. जिस तरुण के लेकर पीयूष के मन में बेहद ईर्ष्या थी.. उसी तरुण पर आज उसे सहानुभूति हो रही थी.. !!
मन की भावनाएं बड़ी विचित्र होती है... कब किसी के लिए कौनसे जज़्बात पैदा हो जाए.. कहा नहीं जा सकता.. फिर वो एक तरफा प्रेम हो.. या नफरत.. ईर्ष्या हो या क्रोध.. !!
सोचते सोचते आधे घंटे बाद वो घर पहुँच गया.. उसने डोरबेल बजाई.. थोड़ी देर के बाद कविता ने दरवाजा खोला.. घर पर सब सो चुके थे
कविता: "तूने फोन क्यों नहीं किया?"
पीयूष: "बेकार में सबके नींद खराब होती.. और वैसे स्टेशन उतना दूर भी नहीं है.. चलते चलते पहुँच गया"
पानी पीने के बाद पीयूष ने कविता को बताया की तरुण का पूरा परिवार अब इस रिश्ते को रखना नहीं चाहता था.. प्रॉब्लेम सिर्फ तरुण और मौसम के बीच होता तो शायद सुलझ भी जाता.. पर बात अब बहोत आगे बढ़ चुकी थी
चोंक उठी कविता ने कहा "अरे पर अचानक बात यहाँ तक कैसे पहुँच गई? दो दिन पहले तक तो सब ठीक था.. वजह बताई की नहीं तरुण ने?"
पीयूष: "हम्म.. न.. नहीं.. कुछ नही बताया" इतने समय से साथ रह रही कविता समझ गई की पीयूष सच नहीं बोल रहा था.. या शायद बोल नहीं पा रहा था.. हो सकता है की पीयूष अभी न बताना चाहता हो.. पर जब दोनों अकेले बेडरूम में होंगे तब वह सच बता ही देगा.. अभी फिलहाल उस पर जबरदस्ती करने का कोई मतलब नहीं था..
कविता: "जो हो गया सो हो गया.. अभी बात करने से हकीकत बदल तो नहीं जाएगी.. !! तू थक गया होगा.. हाथ मुंह धोकर फ्रेश हो जा.. मैं खाना लगाती हूँ.. !!
पीयूष डाइनिंग टेबल पर बैठ गया.. कविता ने खाने की थाली लगा दी.. और अंदर रोटियाँ बेलने लगी.. तभी मौसम ऊपर से उतरकर नीचे आई और पीयूष के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई..
जंग में हारे हुए योद्धा जैसा पीयूष.. मौसम से नजरें नहीं मिला पा रहा था.. बात को बदलने के इरादे से पीयूष ने कहा
पीयूष: "ओ हाय बेबी.. अभी भी जाग रही? नींद नहीं आ रही?"
मौसम ने उदास होकर कहा "कैसी नींद जीजू.. !!"
रोटी का गरम फुल्का लेकर कविता ने पीयूष की प्लेट में रखते हुए कहा " देख मौसम.. तू कितनी भी चिंता कर ले.. कितना भी जाग ले.. इस समस्या का हल अभी तो मिलने नहीं वाला.. चिंता होना जायज है पर चिंता किसी भी प्रॉब्लेम का हल नहीं है.. और मान ले की यह रिश्ता सच में हमेशा के लिए टूट जाता है.. तो इससे तेरी ज़िंदगी रुक थोड़ी न जाएगी??"
पीयूष: "मौसम.. किसी प्रॉब्लेम का जब हल न हो तो उसे वास्तविकता समझ कर स्वीकार लेना चाहिए.. तुझे यह मान लेना होगा की तरुण अब तेरे जीवन का हिस्सा नहीं है.. सदमा लगना स्वाभाविक है.. यह मैं समझ सकता हूँ.. पर अब तुझे ही तय करना है की इस बात को पकड़कर तू हमेशा के लिए दुखी रहना चाहती है या सब कुछ भूलकर आगे बढ़ना चाहती है.. !!"
मौसम: "जीजू.. मैंने तो हकीकत का स्वीकार कर ही लिया है.. की तरुण अब मेरा नहीं है.. मुझे तो सिर्फ यह जानना है की उसे ऐसा कदम आखिर क्यों उठाना पड़ा?? मैं क्या इतनी गई-गुजरी हुई जो वो मुझे बिना कोई वजह बताएं ही रिश्ता तोड़ दें??"
कविता: "वक्त आने पर सब पता चलेगा मौसम.. तू चिंता मत कर.. सच हमेशा सामने आ ही जाता है.. हो सकता है.. तरुण के साथ ही कोई प्रॉब्लेम हुई हो.. जो वो तुझे बता न पा रहा हो"
सुनकर मौसम का गुस्सा थोड़ा ठंडा हुआ.. उसे बस यही जानना था की तरुण के इस कदम के पीछे असली कारण क्या था
मौसम: "जीजू.. मैं यहाँ के वातावरण से तंग आ गई हूँ.. मैं कुछ दिन आपके यहाँ आकर रहना चाहती हूँ.. ताकि मेरे दिमाग से तरुण के विचारों को हटा सकूँ.. यहाँ रहूँगी तो पूरा दिन उसी के बारे में सोचती रहूँगी.. ऊपर से मम्मी का उदास चेहरा मुझसे देखा नहीं जाता.. प्लीज दीदी.. कल हम जितना हो सकें उतना जल्दी निकल जाते है यहाँ से.. !!"
पीयूष: "हाँ हाँ.. क्यों नहीं.. वैसा ही करेंगे.. दरअसल मैं सामने से तुझे यह कहने ही वाला था.. तू हमारे साथ चल.. सब ठीक हो जाएगा.. हम सब है ना तेरे साथ.. फिर किस बात की फिक्र.. !!"
मौसम: "ओके जीजू.. थेंकस.. गुड नाइट"
इतना कहते ही मौसम को फिर से रोना आ गया.. और वो भागकर अपने कमरे की और चली गई.. जाते जाते उसके रोने की आवाज स्पष्ट सुनाई दे रही थी..
कविता: "पीयूष, अब मुझे तो बता.. !! तरुण ने आखिर सगाई क्यों तोड़ दी??" सीधा सवाल किया कविता ने
पीयूष सोच में पड़ गया.. अब क्या बताएं कविता को?
पीयूष: "कविता, जब किसी बात को निकालने पर काफी सारे लोगों का अहित होना हो.. तब उसे न निकालना ही बेहतर होगा.. चल.. कल जल्दी उठना है.. सो जाते है.. सुबह ६ बजे की बस से निकल जाएंगे"
थोड़े घंटों की नींद लेने के बाद.. कविता, वैशाली, मौसम और पीयूष जाने के लिए तैयार हो गए.. सुबोधकांत उन्हें बस स्टेशन तक छोड़ने आए.. पहली बस मे काफी भीड़ थी.. इसलिए दूसरी बस की राह देखने लगी.. दूसरी बस का भी वही हाल था.. आखिर सुबोधकांत ने सब को अपनी गाड़ी में ही छोड़ आने का फैसला किया
कार तेजी से सड़क पर चल रही थी और उतनी ही तेजी से कविता और मौसम के दिमाग में विचार भी चल रहे थे.. गाड़ी चलाते हुए सुबोधकांत एकदम खामोश थे..
२ घंटों के सफर के बाद वो लोग पहुँच गए.. घर के अंदर घुसते ही मौसम अनुमौसी से गले मिलकर रोने लगी.. अनुमौसी ने अपने अनुभवयुक्त शब्दों से उसे सांत्वना दी..
मौसम कविता की मदद करने किचन में गई.. उस दौरान कविता ने उसे तरुण के बारे में.. उनके संबंधों के बारे में काफी कुछ पूछा.. पर उसे ऐसी कोई हिंट न मिली जिससे की वो किसी बात का अंदाजा लगा पाती
दोपहर के बाद पीयूष ऑफिस चला गया.. काम भी देखना जरूरी था..
थोड़ी देर के बाद, शीला और मदन भी मौसी के घर आ गए.. सुबोधकांत से मिलकर दोनों उनके साथ बैठे.. सुबोधकांत ने मौसम और तरुण की सगाई टूटने के बारे में बताया.. जिसके बारे में वह दोनों पहले से ही जानते थे.. थोड़ी देर की बातों के बाद.. सब एकदम चुपचाप बैठे थे
कविता और मौसम चाय लेकर आए..
चाय एक घूंट में खत्म करते ही.. सुबोधकांत ने अपनी घड़ी की ओर देखकर कहा "अब मुझे निकलना चाहिए"
कविता: "पापा, दोपहर तो हो ही चुकी है.. आप खाना खाकर ही जाइए"
सुबोधकांत: "नहीं बेटा.. अचानक यहाँ आना हुआ इसलिए मेरे कई काम रुकें पड़े है.. मुझे जाना ही होगा.. " बार बार अपनी घड़ी की ओर देख रहें सुबोधकांत तो कविता ने और नहीं रोका
अचानक शीला की नजर सुबोधकांत की गोल्डन केस वाली राडो घड़ी पर गई.. और ध्यान से देखते ही उसकी सांसें थम गई.. !!!
याद आते ही बेहद चोंक गई शीला.. अरे बाप रे... ये तो कॉकटेल है.. !! बिल्कुल यही घड़ी कॉकटेल ने भी पहन रखी थी.. ध्यान से देखने पर सुबोधकांत का शरीर, बोल-चाल सब कुछ कॉकटेल से मेल खा रहा था.. उसका लंड भी जाना-पहचाना सा क्यों लग रहा था वो अब पता चला शीला को.. सुबोधकांत के घर के गराज में एक बार चूस चुकी थी उनका लंड.. इसीलिए जब होटल में वह लंड दोबारा देखा तब हल्की सी भनक तो लगी थी पर याद नहीं आ रहा था.. !! शीला के पूरे बदन में झनझनाहट से छा गई.. हाँ, वो कॉकटेल ही था.. जिसका लंड मैंने और रेणुका दोनों ने दिल खोल कर चूसा था.. हे भगवान.. कहीं सुबोधकांत ने हमें पहचान तो नहीं लिया होगा.. !!!
मदन को वहीं बैठा छोड़कर शीला घबराकर घर वापिस आ गई..