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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था

चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!

रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"

फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..

आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..

नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..

मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..

साढ़े दस बज चुके थे..

घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..

वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी

ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!

पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!

वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..

फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..

हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया

कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"

पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"

मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"

तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??

वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..

पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी

उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..

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फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..

उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..


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फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं

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अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..

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थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..

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फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..

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हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..

फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..

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फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..

उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..

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ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..

अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..

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एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..

फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..




चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..

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उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया

मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"

फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"

मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"

फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"

एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई

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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!

बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!

बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..

मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"

ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"

ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!




मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!

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शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..

बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..

अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..




शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..

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वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..

नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया

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मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..

बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!



मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"

शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"

मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..

मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..


शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"

मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!

मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"

शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"

अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा

मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"

शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"

मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!

उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!

मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"

शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..

सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..

बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी

मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"

शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"


बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
Super duper erotic update
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शीला रण्डी तो थी ही अब तो बेलगाम घोड़ी भी बन गई और मदन जो नाम से ही नहीं काम से भी कामदेव था, उसे कुकोल्ड बनाने पर उतारू है
अब मदन को पलटवार का मौका दो, फाल्गुनी भी मदन की हमजोली हो सकती है और रेणुका तो जैकपॉट है
 

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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था

चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!

रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"

फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..

आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..

नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..

मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..

साढ़े दस बज चुके थे..

घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..

वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी

ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!

पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!

वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..

फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..

हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया

कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"

पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"

मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"

तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??

वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..

पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी

उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..




फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..

उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..





फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं





अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..




थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..




फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..




हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..

फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..




फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..

उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..




ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..

अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..



एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..

फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..




चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..



उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया

मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"

फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"

मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"

फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"

एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई

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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!

बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!

बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..

मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"

ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"

ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!



मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!



शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..

बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..

अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..



शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..




वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..

नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया






मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..

बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!


मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"

शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"

मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..

मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..



शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"

मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!

मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"

शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"

अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा

मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"

शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"

मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!

उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!

मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"

शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..

सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..

बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी

मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"

शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"


बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
Shaandaar update
Madan ko kutta bana diya shila ne . Maza nahi aaya kuch jyada ho gya. Shila kon au doodh ki dhuli hai.jo madan ke saath aisa bartav. Kuch aisa ho ki dono saath main maze lay.
 

Premkumar65

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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था

चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!

रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"

फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..

आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..

नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..

मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..

साढ़े दस बज चुके थे..

घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..

वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी

ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!

पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!

वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..

फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..

हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया

कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"

पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"

मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"

तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??

वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..

पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी

उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..




फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..

उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..





फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं





अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..




थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..




फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..




हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..

फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..




फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..

उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..




ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..

अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..



एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..

फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..




चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..



उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया

मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"

फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"

मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"

फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"

एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई

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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!

बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!

बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..

मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"

ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"

ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!



मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!



शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..

बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..

अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..



शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..




वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..

नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया






मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..

बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!


मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"

शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"

मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..

मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..



शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"

मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!

मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"

शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"

अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा

मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"

शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"

मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!

उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!

मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"

शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..

सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..

बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी

मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"

शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"


बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
Very erotic update.
 

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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था

चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!

रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"

फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..

आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..

नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..

मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..

साढ़े दस बज चुके थे..

घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..

वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी

ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!

पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!

वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..

फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..

हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया

कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"

पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"

मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"

तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??

वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..

पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी

उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..






फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..

उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..






फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं





अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..




थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..




फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..




हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..

फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..




फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..

उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..




ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..

अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..



एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..

फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..




चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..



उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया

मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"

फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"

मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"

फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"

एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई

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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!

बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!

बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..

मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"

ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"

ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!



मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!



शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..

बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..

अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..



शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..




वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..

नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया






मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..

बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!


मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"

शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"

मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..

मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..



शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"

मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!

मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"

शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"

अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा

मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"

शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"

मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!

उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!

मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"

शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..

सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..

बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी

मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"

शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"


बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
31 दिसंबर की पार्टी कुछ के लिये आनंद तो कुछ के लिये उदासी ले आयी जैसे वैशाली और पिंटू , विशाल और मौसम के लिये आनंद तो फाल्गुनी के लिये उदासी
उधर शीला राणी मदन को तो जैसे मन में आये वैसे नचा रही हैं
क्या अतृप्त फाल्गुनी और राजेश का जल्दी ही जुगाड होने की संभावना लगती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था

चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!

रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"

फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..

आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..

नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..

मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..

साढ़े दस बज चुके थे..

घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..

वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी

ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!

पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!

वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..

फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..

हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया

कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"

पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"

मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"

तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??

वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..

पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी

उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..






फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..

उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..






फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं





अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..




थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..




फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..




हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..

फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..




फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..

उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..




ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..

अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..



एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..

फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..




चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..



उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया

मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"

फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"

मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"

फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"

एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई

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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!

बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!

बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..

मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"

ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"

ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!



मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!



शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..

बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..

अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..



शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..




वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..

नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया






मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..

बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!


मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"

शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"

मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..

मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..



शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"

मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!

मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"

शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"

अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा

मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"

शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"

मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!

उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!

मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"

शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..

सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..

बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी

मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"

शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"


बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
31 दिसंबर की पार्टी कुछ के लिये आनंद तो कुछ के लिये उदासी ले आयी जैसे वैशाली और पिंटू , विशाल और मौसम के लिये आनंद तो फाल्गुनी के लिये उदासी
उधर शीला राणी मदन को तो जैसे मन में आये वैसे नचा रही हैं
क्या अतृप्त फाल्गुनी और राजेश का जल्दी ही जुगाड होने की संभावना लगती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Napster

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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था

चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!

रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"

फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..

आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..

नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..

मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..

साढ़े दस बज चुके थे..

घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..

वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी

ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!

पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!

वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..

फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..

हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया

कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"

पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"

मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"

तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??

वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..

पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..

फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी

उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..






फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..

उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..






फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं





अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..




थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..




फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..




हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..

फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..




फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..

उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..




ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..

अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..



एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..

फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..




चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..



उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया

मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"

फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"

मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"

फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"

एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई

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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!

बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!

बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..

मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"

ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"

ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!



मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!



शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..

बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..

अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..



शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..




वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..

नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया






मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..

बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!


मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"

शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"

मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..

मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..



शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"

मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!

मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"

शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"

अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा

मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"

शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"

मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!

उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!

मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"

शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..

सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..

बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी

मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"

शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"


बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
31 दिसंबर की पार्टी कुछ के लिये आनंद तो कुछ के लिये उदासी ले आयी जैसे वैशाली और पिंटू , विशाल और मौसम के लिये आनंद तो फाल्गुनी के लिये उदासी
उधर शीला राणी मदन को तो जैसे मन में आये वैसे नचा रही हैं
क्या अतृप्त फाल्गुनी और राजेश का जल्दी ही जुगाड होने की संभावना लगती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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