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चार चूत मिलकर.. बिना लोड़े के.. ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने की तैयारियां कर रही थी.. अंदर बेडरूम में कविता की चूत में उंगली करते हुए ही वैशाली ने अपने और पिंटू के संबंधों के बारे में कविता को बता दिया था.. कविता और पिंटू का पहले से चक्कर था, यह बात तो कविता उसे पहले ही बता चुकी थी.. कविता ने अब वैशाली और पिंटू के संबंधों का मन ही मन स्वीकार लिया था
चारों म्यूज़िक लगाकर झूम रही थी तभी मौसम की माँ, रमिला बहन वहाँ पहुंची.. वैशाली को देखकर वो बहुत खुश हो गई.. उसे गले मिलने पर उन्हें सुबोधकांत की याद आ गई और वो रो पड़ी.. धमाल भरा माहोल एक ही पल में सिरियस हो गया.. आंसुओं में गजब की ताकत होती है..!! अच्छे से अच्छे मौकों को देखते ही देखते मातम में बदल सकते है..!!
रमिलाबहन ने अपने पति को याद कर.. काफी सारे पुराने किस्से कहें.. यह सब सुनकर फाल्गुनी को अंकल की याद बेहद सताने लगी.. उसकी आँखें नम होने लगी.. माहोल को परखते हुए मौसम उसका हाथ पकड़कर दूसरे कमरे में ले गई और कहा "देख फाल्गुनी.. दीदी को तो अभी सिर्फ शक ही है.. तेरे और पापा के अफेर के बारे में.. और मम्मी को तो कुछ पता ही नहीं है.. अगर तू सब के सामने ऐसे जज्बाती हो गई तो बहोत बड़ी मुसीबत हो जाएगी.. प्लीज यार.. कंट्रोल कर.. !!"
फाल्गुनी समझ गई.. उसने तुरंत अपना चेहरा पानी से धो लिया.. और फ्रेश होकर सब के साथ फिर से जॉइन हो गई..
आठ बज रहे थे.. कविता का मूड थोड़ा सा ऑफ था क्योंकी पीयूष ने एन मौके पर आने से मना कर दिया था.. वो तो अच्छा हुआ की वैशाली यहाँ आ गई.. वरना वही घिसी-पिटी सीरियल और न्यू-यर के बकवास कार्यक्रम टीवी पर देखकर नींद का इंतज़ार करना पड़ता..
नौ बजे सब से पहले फोरम आई.. पीयूष की ऑफिस की रीसेप्शनिस्ट.. !! कविता तो उसे जानती भी नहीं थी.. जब उसने आके अपनी पहचान दी तब कविता को पता चला.. उसके पीछे पीछे विशाल आया.. कविता को लगा की वो दोनों साथ आए होंगे.. मतलब की दोनों गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हो सकते है..
मौसम के सामने देखकर विशाल मुस्कुराया और "हाई" कहा.. मौसम ने भी हंसकर जवाब दिया.. पर फोरम और विशाल को साथ आया देख मौसम को अच्छा नहीं लगा.. उसे विशाल पसंद था और वो किसी भी तरह उससे फ्रेंडशिप करना चाहती थी.. इस बात से बेखबर विशाल.. फोरम के साथ मस्ती कर रहा था.. फोरम की उम्र बीस के करीब थी.. नाजुक पतली सुंदर लड़की थी.. जिसके अल्पविकसित अंग उसकी निर्दोषता को व्यक्त कर रहे थे..
साढ़े दस बज चुके थे..
घर में धीरे धीरे सब पर पार्टी का रंग चढ़ने लगा था.. एक के बाद एक अन्य मेहमान आते गए.. और तभी पिंटू की एंट्री हुई.. उसे देखते ही वैशाली का चेहरा खिल उठा और कविता का चेहरा उतर गया.. सबको साथ देखकर पिंटू भी बहोत खुश हो गया.. कविता के दिमाग में पुराने समय की यादें ताज़ा होने लगी.. मन ही मन वो पिंटू से बिछड़ भी गई और उसे वैशाली को सौंप भी दिया..
वैशाली तुरंत पिंटू के पास पहुंची और कविता की दी हुई इस प्रेम भरी सौगात को स्वीकार भी लिया.. कविता के सारे करीबी घर पर मौजूद थे.. बस पीयूष को छोड़कर.. इस बात से बार बार दुखी हो रही थी वो.. पर अपनी उदासी को छटाकर सब के साथ घुल-मिलकर पार्टी में शामिल होने की कोशिश भी कर रही थी
ग्यारह बजे.. कुछ ऐसा हुआ.. जिसके कारण कविता का चेहरा खिलकर कमल हो उठा..!!
पीयूष की एंट्री हुई.. और उसने आते ही कविता के गले में सोने का महंगा मंगलसूत्र पहनाकर.. अपनी मौजूदगी और प्यार... दोनों का प्रमाणपत्र दे दिया.. !!
वैशाली को पिंटू के साथ इतना घुला-मिला देखकर.. पीयूष सब कुछ समझ गया.. वैशाली से जब उसकी आँखें मिलीं तब उसने उसे आँख मारी और थम्बस-अप का इशारा करते हुए अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी व्यक्त की.. वैशाली ने भी स्त्री-सहज कोमल मुस्कान के साथ उस अभिनंदन और शुभेच्छा का स्वीकार किया..
फोरम वापिस जा रही थी.. वो जल्दी घर आ जाएगी उसी शर्त पर उसके पापा ने यह पार्टी में आने की अनुमति दी थी.. उसके जाते ही मौसम खिल उठी.. अब विशाल का सम्पूर्ण ध्यान वो अपनी तरफ खींच पाएगी..
हल्का रोमेन्टीक म्यूज़िक बज रहा था.. तभी पीयूष ने कविता का हाथ पकड़कर कपल डांस करने का न्योता दिया
कविता शरमाकर बोली "नहीं बाबा.. मुझे नहीं आता ऐसा डांस-बांस..!!"
पीयूष: "क्या यार.. कहाँ तुझे कोई स्टेज परफ़ॉर्मन्स देने के लिए कह रहा हूँ.. !!! आता तो मुझे भी नहीं है..!! आज मौका है तो थोड़े से पैर चला लेते है.. मज़ा आएगा.. !!"
मौसम: "हाँ दीदी.. चलिए ना सब डांस करते है.. विशाल को भी डांस करना बहोत अच्छा आता है.. मैंने उसकी फेसबूक पोस्ट पर देखा था.. सब साथ डांस करते है, मज़ा आएगा.. !! वैशाली, तुम भी चलो"
तीनों जोड़ियाँ बनाकर साथ में डांस करने लगे.. कविता-पीयूष, मौसम-विशाल और वैशाली-पिंटू.. !! ऊपर के माले के बाथरूम से हल्का होकर लौट रही फाल्गुनी ने तीनों को नाचते हुए देखा और वही सीढ़ियों पर खड़ी रह गई.. तीनों साथ डांस करते हुए बहोत अच्छे लग रहे थे.. अचानक फाल्गुनी उदास हो गई.. अंकल की याद उसे रह रहकर सता रही थी..वो नीचे जाने मे थोड़ा अजीब सा महसूस कर रही थी.. वो अकेली नीचे जाकर करेगी भी क्या??
वो वापिस सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर आई.. और ऊपर बने गेस्ट-रूम में अंदर जाकर बैठ गई.. वो मोबाइल पर रील्स देख रही थी तभी राजेश का मेसेज आया.. एक नॉन-वेज जोक भेजा था.. पढ़कर फाल्गुनी की हंसी रुक ही नहीं रही थी..
पिछले काफी समय से, रोज रात को राजेश और फाल्गुनी के बीच यह सिलसिला चल रहा था.. जोक के जवाब में फाल्गुनी ने स्माइली भेज दिया..
फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका फाल्गुनी को अंदाजा ही नहीं था.. राजेश ने एक विडिओ क्लिप भेजी.. जिसमे वो बाथरूम मे अपना लंड हिला रहा था.. !! वह क्लिप देखते ही फाल्गुनी की सांसें थम गई.. !! एक बार को तो उसका मन किया की वो क्लिप डिलीट कर दे.. उसने मोबाइल साइड मे रख दिया और आँखें बंद कर तेज साँसे लेने लगी..!! बार बार उसकी आँखों के सामने राजेश का मस्त मोटा लंड ही आ जा रहा था.. जो राजेश अपनी मुठ्ठी में पकड़कर हिला रहा था.. उसका चमकता हुआ गुलाबी सुपाड़ा देखकर फाल्गुनी सिहर उठी
उसने फिर से वो क्लिप चला दी.. रगों मे खून तेजी से दौड़ रहा था.. अनजाने में ही उसका हाथ कब उसके स्कर्ट के अंदर चला गया उसका फाल्गुनी को पता ही नहीं चला.. राजेश के रगों से भरे लंड को देखकर फाल्गुनी अपनी छोटी सी क्लिटोरिस को रगड़ने लगी.. पेन्टी का चूत पर लगा हिस्सा गीला होने लगा..
फाल्गुनी एकदम से उठ खड़ी हुई.. उसने सब से पहले रूम का दरवाजा बंद किया और बिस्तर पर जा बैठी.. अपना स्कर्ट कमर तक उठाकर उसने पेन्टी उतार दी.. टांगें फैलाकर उसने अपनी चूत को गुदगुदाना शुरू कर दिया..
उसकी तनी हुई गुलाबी क्लिट भी बाहर को खड़ी थी.. चूत-रस की कईं धारें चू कर फाल्गुनी की अंदरूनी जाँघों से नीचे बह रही थीं..
फाल्गुनी ने अपनी अँगुलियों को अपनी चूत पे फिराया तो उसे अपनी सख्त क्लिट थिरकती हुई महसूस हुई.. उसने धीरे से सहलाते हुए अपनी अँगुलियाँ चूत के अंदर खिसका दीं.. उसकी चूत में लहरें उठने लगीं और उसके हाथ में और ज़्यादा चूत-रस बह निकला.. वो दोनों हाथों से अपनी चूत रगड़ने लगी.. वो अपनी चूत की गर्मी कम कर लेना चाहती थी.. लेकिन उसकी टाँगें बुरी तरह काँप रही थीं
अपनी ठोस गाँड के नीचे तकिया सटाकर वो मोबाइल पर राजेश वाली क्लिप बार बार प्ले कर रही थी.. उसी पल उसकी चूत में से रस बह कर फाल्गुनी की गाँड के नीचे बेड की चद्दर पर फैल गया.. एक पल के लिए अपनी चूत को बगैर छुए फाल्गुनी ने सारस की तरह अपनी सुराहीदार गर्दन आगे को निकाल कर अपना सिर झुकाया.. फाल्गुनी झड़ने के लिए तड़प रही थी लेकिन फिर भी वो उसे टाल रही थी.. उसे एहसास था कि आज उसका झड़ना बड़ा ही तूफानी और ज़बरदस्त होगा और वो चूदासी लड़की इसी उम्मीद में हवस में मदमस्त हो रही थी..
थोड़ा और नीचे झुक कर फाल्गुनी ने अपनी टाँगों के बीच में फूँक मारी.. उसकी क्लिट धधकने लगी और चूत जलती हुई मालूम हुई जैसे कि उसने सुलगती हुई लकड़ी में अपनी साँस फूँक कर उसमें आग भड़का दी हो.. अपनी चूत की गर्मी का झोंका उसे अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.. अपनी ही चूत की तेज़ खशबू से उसकी नाक फड़क उठी..
फाल्गुनी अपनी गोद में आगे झुकी.. उसकी ज़ुबान उसके निचले होंठ पर आगे-पीछे फिसलने लगी.. उसके मुँह में उसके झागदार थूक के बुलबुले उठने लगे.. फाल्गुनी सोच रही थी कि काश वो इतनी लचकदार होती कि खुद अपनी चूत चाट सकती.. कितना मज़ा आता अगर वो अपनी खुद की चूत चाट सकती और अपनी फड़फड़ाती ज़ुबान पर झड़ सकती.. कितना हॉट होता अगर वो अपनी खुद की ही चूत का गरमागरम रस अपने ही मुँह में बहा सकती.. झड़ते हुए अपनी ही चूत से रिसता हुआ चिपचिपा रस पीने की दोहरी लज़्ज़त कितनी बेमिसाल होती..!! ये ख़याल उसे और उत्तेजित कर रहे थे और साथ ही तड़पा भी रहे थे क्योंकि वो जानती थी कि ये उसके बस की बात नहीं है.. उसने पहले भी कई बार कोशिश कर रखी थी..
हांफते हुए फिर से पीछे हो कर फाल्गुनी अपनी गर्म और गीली अंदरूनी जाँघों पर अपने हाथ फिराने लगी.. वो अपनी गाँड को बिस्तर पर मथ रही थी और उसका पेट ऊपर-नीचे हो रहा था.. उसने अपना एक हाथ चूत पर रखा और उसकी अँगुलियाँ फिसल कर क्लिट को आहिस्ता से सहलाने लगी..
फाल्गुनी ने अपने दूसरे हाथ की दो अंगुलियाँ आपस में जोड़कर लंड की शक्ल में इकट्ठी करीं और धीरे से चूत में अंदर घुसा दीं.. उसकी क्लिट हिलकोरे मारने लगी और चूत से बहुत सारा झाग निकलने लगा..
फाल्गुनी थरथराते हुए सिसकने लगी.. वो एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत को चोद रही थी और दूसरे हाथ से अपनी क्लिट सहला रही थी.. उसकी जाँघें हिलोरे मारते हुए झटक रही थीं.. वो जानती थी कि आज इस आग को बुझाने के लिए उसे एक से ज़्यादा बार झड़ना पड़ेगा..
उसकी पलकें बंद हो गयी और उसके हाथ बड़ी मेहनत से पहले मलाईदार स्खलन पर पहुँचने के लिए प्रयास करने लगे.. उसकी चूत जितनी गर्मी ही उसके दिमाग में भी चढ़ी हुई थी.. राजेश का मस्त लंड उसके दिमाग में पुरजोश नाच रहा था.. बारबार वो क्लिप देख रही थी..
ज़ोर से हिलकोरे मारती हुई एक लहर उसके पेट और चूत में दौड़ गयी.. हांफते हुए फाल्गुनी ने अपनी दोनों अंगुलियाँ पूरी की पूरी अपनी चूत में घुसा दीं.. दूसरे हाथ से अपनी क्लिट को जोर से रगड़ते हुए फाल्गुनी अपनी तरबतर चूत के अंदर दोनों अंगुलियाँ घुमाने लगी..
अचनक ही वो झड़ने लगी.. एक पल वो चरमोत्कर्ष के शिखर पर मंडरा रही थी और दूसरे ही पल उसकी चूत ज्वालमुखी की तरह फट पड़ी..
एक के बाद एक लहर उसके शरीर में हिलोरे मारती हुई दौड़ने लगी और एक के बाद एक सिहरन उसकी चूत और जाँघों को झंझोड़ने लगी.. फाल्गुनी को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसका पूरा जिस्म पिघल रहा है और रगों में चुदासी मस्ती की करोड़ों चिंगारियाँ फूट रही हैं और जैसे उसका दिमाग फट जायेगा..
फाल्गुनी आगे झुकी और फिर कमर पीछे मोड़कर अपनी चूत को अंगुलियों से लगातार चोदते हुए अपनी चूत का रस निकालने लगी और ऑर्गैज़्म की लहरें सिलसिला-वार फूटने लगी.. उसकी चूत का रस उसके पेट के नीचे झाग बनाने लगा और उसकी धारायें टाँगों से नीचे बहने लगी.. उसकी क्लिट में भी बार-बार धमाका होने लगा और हर धमाके के साथ उसकी चूत की गहराइयों से चूत-रस की धार फूट पड़ती..
चूत मे जुनूनी लज़्ज़त की एक जोरदार आखिरी लहर ने उसे झंझोड़ कर रख दिया और फाल्गुनी हाँफती हुई बिस्तर पर पीछे फिसल कर मुस्कुराने लगी.. उसकी अंगुलियाँ अभी भी उसकी चूत को कुरेद रही थी कि कहीं कोई सनसनी ख़ेज़ लहर अंदर ना रह जाये.. उसकी हवस कुछ कम हुई पर जैसे-जैसे उसने अपनी चूत को सहलाना जारी रखा, उसकी क्लिट फिर से तनने लगी.. इतनी बार झड़ने के कुछ ही पलों के बाद वो चुदक्कड़ लड़की फिर से गरम हो रही थी..
उसने एक बार फिर राजेश वाली विडिओ क्लिप देखना शुरू किया ही था.. की मौसम का कॉल उसके मोबाइल पर आया
मौसम: "कहाँ रह गई तू? कब से दिखाई नहीं दे रही?"
फाल्गुनी: "अरे यार.. मेरा पेट थोड़ा खराब था इसलिए टॉइलेट मे थी.. !! आ रही हूँ नीचे"
मौसम: "जल्दी आजा यार.. हम सब डांस कर रहे है.. बहोत मज़ा आ रहा है"
फाल्गुनी: "हाँ, आ रही हूँ.. !!"
एक गहरी सांस छोड़कर फाल्गुनी ने बेड की चद्दर से अपनी चूत को पोंछ लिया.. और कपड़े पहन कर नीचे चली आई
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अपनी सहेलियों के साथ ३१ दिसंबर की पार्टी में जाने से पहले.. शीला ने सोचा की मदन की अच्छी तरह खातिरदारी कर दी जाए.. वैशाली के जाते ही..शीला ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया..!!
बाहर सोफ़े पर बैठकर न्यूज़-पेपर पढ़ रहे मदन को, गिरहबान से पकड़कर खींचते हुए बेडरूम मे ले गई शीला.. चकित होकर मदन पीछे खींचा चला आ रहा था.. उसे पता नहीं चला की शीला आखिर क्या करना चाहती थी..!!
बेडरूम मे पहुंचते ही शीला ने मदन को धक्का देकर बेड पर गिराया.. दरवाजा बंद कर शीला मदन की ओर मुड़ी.. और एक शेतानी मुस्कान के साथ, अपना पल्लू गिराकर ब्लाउज के बटन खोलने लगी..
मदन: "क्या बात है शीला.. !!! आज सुबह सुबह मूड बन गया तेरा.. !!"
ब्लाउज के बटन खोलकर अब ब्रा के हुक निकालते हुए शीला ने कहा "लोग ३१ दिसंबर रात को मनाते है.. हम सुबह सुबह ही शुरुआत कर देते है.. फिर तो मैं चली जाऊँगी मेरी सहेलियों के साथ.. !!"
ब्रा निकलते ही शीला के इतने बड़े बड़े स्तन मुक्त होकर दो दिशा मे झूलने लगे.. मदन ने लेटे लेटे ही अपनी शॉर्ट्स उतार दी.. उसका आधा कडक लंड शीला को अपनी ओर आकर्षित करने लगा.. शीला अब भी अपने बाके के कपड़े उतार रही थी.. पेटीकोट का नाड़ा खिंचकर वो नंगी हो गई.. घर पर पेन्टी तो वो पहनती ही नहीं थी.. !!!
मादरजात नंगी शीला का गदराया चरबीदार मांसल बदन देखकर ही मदन के लंड मे रक्त-संचार होने लगा.. और वो शीला को अपने करीब बुलाने लगा.. !! शीला मटकते हुए मदन के करीब आई.. बेड पर उसके बगल मे लेटते ही उसने मदन के लंड का हवाला ले लिया.. अपनी मुट्ठी में लंड को दबाकर उसने सुपाड़े को उजागर किया.. और फिर झुककर उसने लंड के टोपे को अपने मुंह मे ले लिया.. !!
शीला ने चूसना शुरू किया और मदन तड़फड़ाने लगा.. !!! ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी की एक पल के लिए मदन को लगा की वो अभी झड़ जाएगा.. पर शीला को बिना तृप्त किए अगर वो स्खलित हो जाता तो शीला उसकी गांड फाड़ देती.. शीला अभी भी होटल की उस रात को याद दिलाकर मदन को अपने दबाव मे रखे हुए थी..
बड़ी ही मुश्किल से मदन ने अपने वीर्य का स्त्राव होने से रोकें रखा था.. उसने शीला को अपने लंड से दूर कर दिया ताकि वो झड़ने से बच सकें..
अब शीला मदन के ऊपर सवार हो गई.. मदन की दोनों तरफ अपनी जांघें जमाकर उसने झुककर अपने दोनों स्तनों को मदन के चेहरे के ऊपर दबा दिया.. उसके अलमस्त मदमस्त स्तनों को दोनों हाथों से दबाते हुए मदन अपने चेहरे पर स्तनों को रगड़ने लगा और साथ ही साथ.. अपने लंड को पागलों की तरह हिलाने लगा.. शीला की निप्पलों को मुंह मे भरकर बारी बारी से चूसते हुए उसने शीला के भोसड़े को द्रवित कर दिया..
शीला अपनी क्लिटोरिस को मदन की जीभ पर रगड़ रही थी.. अब उसका तवा गरम हो चुका था..
वो थोड़ा सा पीछे की ओर गई और अपना हाथ नीचे डालकर.. मदन का लंड पकड़कर अपने गरम सुराख पर रखते हुए बैठ गई.. गप्पपप से पूरा लंड उसकी चूत मे समा गया.. आठ-दस सेकंड का विराम लेकर उसने लंड पर कूदना शुरू कर दिया..
नीचे लेटे हुए मदन, शीला की विराट काया को अपने शरीर पर ऊपर नीचे होता देख रहा था.. उसका लंड गपागप अंदर बाहर हो रहा था.. शीला ने तेजी से उछलना शुरू कर दिया
मदन के चेहरे के बदलते हुए हावभाव देखकर वो समझ गई की अब किसी भी वक्त उसकी विकेट गिर सकती थी.. मदन का लंड बस पिचकारी छोड़ने की कगार पर ही था तब शीला ने उछलना बंद कर दिया..और मदन के ऊपर से उतर गई.. मदन बेचारे की हालत ऐसी हो गई जैसे किनारे आकर उसकी कश्ती डूब गई हो..
बिना कुछ कहें.. शीला घोड़ी बनकर तैयार हो गई.. और मदन को सिर्फ आँखों से इशारा किया.. मदन समझ गया.. वो उठकर.. शीला के चूतड़ों पर हाथ रखकर पीछे से पेलने की तैयारी करने लगा.. हाथ डालकर शीला के भोसड़े का छेद ढूंढकर जैसे ही वो अपना लंड डालने गया.. शीला ने अपनी कमर हटाकर उसे रोक लिया.. मदन को समझ मे नहीं आ रहा था की शीला आखिर करना क्या चाहती थी.. !!!
मदन: "अरे यार.. हट क्यों गई.. !! नहीं डलवाना क्या??"
शीला: "डलवाना तो है.. पर जिस छेद मे तू डाल रहा था वहाँ नहीं.. पीछे डाल"
मदन चोंक उठा.. ऐसा नहीं था की उन दोनों ने इससे पहले कभी गुदा-मैथुन नहीं किया था.. पर काफी समय गुजर चुका था उन्हें इसका प्रयोग किए.. दूसरी बात यह की.. होटल वाले कांड के बाद.. शीला मदन को बेहद नियंत्रण मे रखती थी.. उसकी सब हरकतों पर नजर रखती थी.. फोन से लेकर बाहर जाने तक.. सेक्स भी राशन की तरह ही मिलता था उसे.. वो भी जब शीला की मर्जी हो.. और सेक्स के दौरान भी वही होता जो शीला चाहती थी..
मदन ने अपना लंड चूत से हटाकर शीला की गांड के बादामी सुराख पर रखा.. सुपाड़े को छेद पर रखकर वो धक्का देने ही वाला था की तब..
शीला: "बहेनचोद पागल हो गया है क्या???"
मदन अब परेशान हो गया.. !!! शीला आखिर क्या चाहती थी, उसकी समझ के बाहर था..!!
मदन: "यार शीला, तू मुझे कन्फ्यूज मत कर.. पहले तूने कहा की आगे नहीं डालना है.. पीछे डाला तो तू भड़क रही है.. करना क्या चाहती है तू?"
शीला: "अरे बेवकूफ.. गांड मे सूखा ही पेल देगा क्या?? अक्ल घास चरने गई है क्या तेरी?? साले मैं तुझे वो होटल वाली रांड लगती हूँ क्या?? जा, वैसलिन लेकर आ.. ड्रॉअर में होगा.. !!"
अपना सर खुजाते हुए मदन उठा और ड्रॉअर में ढूँढने लगा
मदन: "यहाँ तो कहीं नहीं दिख रही वैसलिन की डब्बी.. !!"
शीला: "तो किचन मे जा और घी या तेल कुछ लेकर आ.. !! पता नहीं किस गधे से पाला पड़ गया है मेरा.. साले ऐसा शाणा बन रहा है जैसे पहली बार चोद रहा हो.. अब मुंह क्या देख रहा है मेरा..!!! किचन मे जा और तेल-घी कुछ लेकर आ.. और वो भी ना मिलें तो वहाँ से बेलन लेकर आ.. और सूखा बेलन ही अपनी गांड में डाल दे..गांडु कहीं का !!"
मदन तो बेचारा सकपकाकर ही रह गया.. उसे पता नहीं चल रहा था की ऐसी कौन सी गंभीर भूल हो गई थी जो शीला उसे, टेबल पर लगी धूल की तरह झाड रही थी.. !!! पिछले एक साल से उसका वही हाल था.. वक्त बेवक्त शीला उसे कुछ भी खरी-खोटी सुनाते रहती.. कभी भी बरस पड़ती.. कभी भी उसे डांट देती..!!! होटल वाले उस कांड के बाद मदन का जीना ही दुसवार हो गया था.. !! इतना समय बीत गया था पर शीला उस वाकिए को भूल ही नहीं रही थी.. !! कैसे भूलती.. यह तो ब्रह्मास्त्र था शीला के हाथ मे.. जो उसे मदन को नियंत्रण में रखने मे मदद कर रहा था.. !! मर्द नियंत्रण मे हो तो औरत अपनी मनमानी कर सकती है.. और शीला तो मनमानी का दूसरा नाम ही था.. !! अपने हिसाब से जीने मे विश्वास रखती थी शीला.. उसकी इच्छाओं को पूरा करने मे आ रही किसी भी अड़चन को बर्दाश्त नहीं करती थी वो.. फिर वो उसका पति ही क्यों न हो.. !!
उतरा हुआ मुंह लेकर हाथ मे घी का डब्बा उठाकर आया मदन.. अपने लंड पर घी लगाने ही जा रहा था.. की तभी उसके ध्यान मे आया.. उसका लंड तो सिकुड़ चुका था.. !! घोड़ी बनकर अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार शीला ने मुड़कर मदन के मुरझाए हुए लंड की तरफ देखा.. मदन शीला की तरफ लाचार नज़रों से देख रहा था.. !!
मदन: "ये तो बैठ गया यार.. !! फिर से खड़ा करना पड़ेगा"
शीला ने गुस्से से चिल्लाते हुए कहा "जो भी करना है वो जल्दी कर.. और तेरा खड़ा न हुआ तो अपनी उंगली डालकर चोद.. अब मैं और देर बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी" शीला इतने जोर से चिल्लाई की मदन कांप उठा.. इतना क्रोधित होते हुए उसने कभी नहीं देखा था.. पर इतने सालो के अनुभव से वो जान चुका था की शीला एक बार गरम हो गई फिर अगर चुदाई न मिले तो वो पागल हो जाती थी..
सब कुछ भूलकर मदन अपना लंड हिलाने लगा.. पर हीनता के भाव से पीड़ित मदन, अपना लंड खड़ा ही नहीं कर पाया.. जब दो-तीन मिनट तक उसका लंड खड़ा नहीं हुआ तब शीला का पारा आसमान छु गया.. !! वो इतनी क्रोधित हो गई की बिस्तर से उठ गई और कपड़े पहनने लगी..!! मदन अब भी अपना लंड खड़ा करने की कोशिश कर रहा था..
बेरुखी से शीला ने सारे कपड़े पहन लिए और बेडरूम से बाहर जाने लगी
मदन: "यार.. थोड़ा मुंह मे ले लेती तो खड़ा हो जाता"
शीला ने गुर्रा कर कहा "एक काम कर.. योगा सीख ले.. शरीर लचीला हो जाएगा.. फिर खुद ही झुककर अपना चूस लेना.. !!"
बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
Hot and sexy update maza aaya bas aab tho rashik ka kuch hona chaiye tab maza aayega rashik aur renuka kaबेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
शीला के जाने के बाद.. अकेले बैठे बैठे मदन का दिमाग खराब होने लगा.. सोच रहा था.. कितना अच्छा चांस था आज.. वैशाली घर पर नहीं थी तो पूरा दिन मस्त चुदाई होती.. बाहर डिनर करने जाते.. कोई अच्छी मूवी साथ देखते.. शीला के जाने से उसके सारे इरादों पर पानी फिर गया.. राजेश भी बीजी था.. अब वो अकेले बैठे बैठे क्या करेगा.. !!
टीवी देख देखकर बोर हो गया वो.. अभी तो सिर्फ दोपहर के दो ही बजे थे.. थोड़ी देर सोने के लिए वो बेडरूम में गया.. लेकिन आज बेडरूम का पंखा कुछ ज्यादा ही आवाज कर रहा था... ठीक करवाना पड़ेगा.. मदन अब वैशाली के कमरे में चला गया ताकि शांति से सो सकें.. अंदर जाते ही उसने देखा की वैशाली का वॉर्डरोब खुला हुआ था.. बंद करने से पहले उसने उत्सुकतावश वॉर्डरोब का ड्रॉअर खोलकर देखा.. उसके आश्चर्य के बीच.. अंदर से एक रबर का डिल्डो निकला.. जो रेणुका ने वैशाली को भेंट दिया था.. !!
मदन चोंक उठा.. वैशाली के पास ये कहाँ से आया?? ऊपर अमरीकन कंपनी का लोगों देखकर उसे और आश्चर्य हुआ.. !! ऐसा इंपोर्टेड डिल्डो वैशाली कहाँ से लेकर आई?? उस रबड़ के लंड को हाथ में पकड़कर मदन देख रहा था तभी डोरबेल बजने की आवाज आई..
मदन ने आनन फानन में वो डिल्डो ड्रॉअर में रखा.. डोरबेल दो-तीन बार और बजी.. हड़बड़ी में उसने ड्रॉर ठीक से बंद भी नहीं किया था.. रबर का लंड बाहर से नजर आ रहा था..
मदन दौड़कर आया और दरवाजा खोला
फिर से चोंक उठा मदन "अरे, तुम यहाँ??" सामने रेणुका खड़ी थी
रेणुका: "कैसे हो मदन?"
मदन अब भी रेणुका को देखकर थोड़ा सा चकरा रहा था, उसने कहा "शीला तो ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने अपनी सहेलियों के साथ गई है.. आप उसके साथ नहीं गए?"
रेणुका: "ओह्ह.. !! शीला नहीं है घर पर.. ?? यार, आज का तो दिन ही खराब है.. किसी के पास टाइम ही नहीं है.. जिसे देखो कहीं न कहीं पार्टी करने में बीजी है.. शीला के साथ थोड़ा वक्त गुजारूँगी, यह सोचकर यहाँ आई तो शीला भी गायब है.. !!"
मदन: "पर तुम राजेश के साथ पार्टी में नहीं गई?"
मुंह बिगाड़ते हुए रेणुका ने कहा "इन पतियों को अपनी बीवियों के लिए फुरसत ही कहाँ होती है.. !! ३१ दिसंबर को तो यह तक भूल जाते है की वो शादी-शुदा है.. गए होंगे अपने दोस्तों के साथ कहीं"
मदन: "वैसे मेरे साथ उल्टा हुआ है.. मेरी तो पत्नी ही मुझे छोड़कर पार्टी करने चली गई.. जैसे तुम अकेले बोर हो रही हो.. वैसी ही कुछ हालत मेरी भी है.. पूरी दुनिया मजे कर रही होगी और मैं अभी सोने जाने की तैयारी कर रहा था"
तभी मदन के मोबाइल की रिंग बजी.. जो वो वैशाली के बेडरूम में छोड़ आया था.. मदन भागकर फोन उठाने गया.. पीछे पीछे रेणुका भी पहुँच गई.. मदन ने फोन उठाया.. कोई क्रेडिट कार्ड बेचने के लिए फोन कर रहा था.. मदन ने एक चुनिंदा गाली देकर फोन काट दिया और मुड़कर देखा तो पीछे रेणुका खड़ी थी..
मदन: "ओह्ह.. माफ करना.. मुझे पता नहीं था की तुम अंदर आ गई हो.. बेवजह आपको गाली सुननी पड़ी.. !!"
रेणुका ने मुस्कुराकर कहा "कोई बात नहीं... हम औरतें भले ही गालियां खुलकर बोलती न हो.. पर सुनने की आदत तो हो ही गई है"
मदन का ध्यान नहीं था.. पर रेणुका को वॉर्डरोब के खुले ड्रॉअर से झाँकता हुआ.. अपना रबर का डिल्डो नजर आ गया.. हाथ डालकर उसने तुरंत वो रबर का लंड बाहर खींच निकाला और हाथ में लेकर शरारती मुस्कान के साथ मदन को पूछने लगी
रेणुका: "ओह.. ये क्या है??"
मदन के पसीने छूट गए.. अरे यार.. !! इसके हाथ में ये कहाँ से आ गया.. !!
मदन: "तुम्हें नहीं पता की यह क्या है?? औरतों और लड़कियों के बड़े काम की चीज है"
रेणुका: "बाप रे.. !!! शीला इसे इस्तेमाल करती है क्या??"
मदन: "अगर करती भी हो तो गलत क्या है.. !! मैं विदेश था तब शीला बेचारी दो साल के लिए अकेली रही थी.. तब मैंने ही वहाँ से भेजा था शीला के लिए.. वैसे ये आप को आज काम आ सकता है.. क्यों की पति की गैर-मौजूदगी में ही इसकी जरूरत पड़ती है.. राजेश है नहीं.. तुम चाहो तो इसे ले जा सकती हो.. !! इसे लेकर घर जाओ और आराम से मजे करो"
रेणुका मन ही मन सोच रही थी.. साले ये मर्द कितनी आसानी से झूठ बॉल लेते है.. !! ये डिल्डो तो मैंने वैशाली को दिया था..
वो मुस्कुराकर बोली "मदन, मैं तो यहाँ शीला को मिलने.. और ३१ दिसंबर उसके साथ गुजारने के इरादे से आई थी.. और तुम अभी से मुझे जाने के लिए कह रहे हो.. ?? और रही बात मजे करने की.. अगर मैं और शीला अकेले होते तो इसे लेकर मजे करते.. लेकिन.. !!"
मदन: "लेकिन क्या.. ??" सुनकर रेणुका ने शरमाने का अभिनय किया.. कहने का मतलब साफ था.. की अगर वो दोनों अकेली होती तभी रबर के लंड की जरूरत पड़ती..
मदन को अपने बूब्स को तांकते हुए देखकर.. बड़ी ही सफाई से अपने स्तनों को उभारते हुए रेणुका ने कहा "मदन, तुम शीला को फोन करके यहाँ बुला लो.."
मदन: "शीला यहाँ अगर वापिस आई.. तो हम दोनों मिलकर ही इन्जॉय करेंगे.. तुम बेवजह कबाब में हड्डी बनोगी.. वो कहते है ना.. टू इस कंपनी बट थ्री इस क्राउड.. इससे अच्छा.. तुम शीला को फोन लगाकर.. वो जहां हो वहीं पहुँच जाओ..!!"
रेणुका ने पर्स से मोबाइल निकालते हुए अपने होंठ को दांतों तले दबाते हुए कहा "मदन, समटाइम्स थ्री इस नोट ए क्राउड.. बट अ चांस फॉर थ्रीसम"
स्पीकर पर फोन रखकर रेणुका ने शीला को फोन लगाया
रेणुका: "अकेले अकेले पार्टी कर रही है??"
शीला: "अरे यार, मुझे लगा.. तेरा राजेश के साथ कोई प्लान होगा इसलिए फोन नहीं किया तुझे.. बोल, कहाँ है तू?"
रेणुका: "मैं तो तेरे घर पहुँच गई.. मदन के साथ बैठी हूँ"
शीला: "ओह ऐसा है.. तो फिर वही उसके साथ ३१ दिसंबर की पार्टी कर ले.. तू और मदन एक साथ..हो सकता है की तुझे देखकर उसका लंड खड़ा हो जाए.. हा हा हा हा.. !!"
रेणुका: " क्या यार कुछ भी बोल रही है.. !! फोन स्पीकर पर है और मदन सुन रहा है"
शीला: "सुनने दे उसे भी.. वैसे भी वो दोनों बीवियाँ बदलने की बात हमारे सामने ही तो कर रहे थे उस रात.. ! अब मज़ाक छोड़ और ये बता की तू असल में कहाँ है??"
अब रेणुका फंस गई.. शीला को मज़ाक लग रहा था.. और वो कुछ भी बोले जा रही थी
शीला: "और तुझे सच में जबरदस्त मजे करने हो तो रसिक के घर चली जा.. ऐसी पार्टी कराएगा की पूरी ज़िंदगी याद रखेगी.. एक हफ्ते तक ठीक से चल भी नहीं पाएगी"
रेणुका: "चुप मर शीला.. नालायक.. एक बार बोला की मैं मदन के साथ हूँ फिर क्या अनाब शनाब बके जा रही है.. !!"
शीला: "अच्छा.. आज मेरे ही मजे ले रही है तू.. अगर उसके साथ है तो बात करा दे मेरी"
रेणुका: "हाँ कराती हूँ बात.. रुक एक मिनट"
रेणुका ने मदन को फोन दिया.. पर मदन भी उस्ताद था.. उसने फोन लेने से इनकार कर दिया और चुपचाप खड़ा रहा.. अब रेणुका बराबर फंस गई.. मदन बात नहीं करेगा तो शीला यही समझती रहेगी की वो मज़ाक कर रही है.. और नए नए भांडे फोड़ती ही जाएगी.. !!
रेणुका: "यार शीला.. मदन फोन पर आने से इनकार कर रहा है"
शीला को यकीन हो गया.. की रेणुका पक्का मज़ाक कर रही थी
शीला: "देख रेणु.. मैं अपने एक पुराने आशिक के साथ हूँ.. हम दोनों एक मस्त रिसॉर्ट मे जा रहे है!!"
शीला ने रिसॉर्ट का नाम और पता बताने लगी.. रेणुका को जलाने के लिए.. वो और ज्यादा कुछ बोलती उससे पहले रेणुका ने फोन काट दिया
मदन ने चोंककर पूछा "पुराना आशिक??"
रेणुका: "अरे वो तो हम दोनों के बीच ऐसे ही मज़ाक का सिलसिला चलता रहता है.. तुमने फोन पर बात नहीं की तो उसे लगा की मैं मज़ाक कर रही हूँ.. इसलीये मुझे तंग करने के लिए उसने भी मेरे साथ मज़ाक किया"
मदन: "हाँ.. मुझे भी ऐसा ही लगा"
रेणुका के संकोच भरे चेहरे के सामने देखकर मदन मुस्कुरा रहा था.. रेणुका के कंधे से पल्लू सरककर नीचे गिर गया और उसे पता भी नहीं चला इतनी परेशान थी वो शीला से बात करने के बाद.. उसके दोनों स्तनों को निहार रहा था मदन
मदन: "यू आर लूकिंग ब्यूटीफुल रेणुका.. तेरी छाती से पल्लू सरकते हुए अचानक मुझे ऐसा एहसास हुआ की मैं अब अकेला नहीं हूँ"
शरमाकर रेणुका ने अपना पल्लू ठीक कर स्तनों को ढँक लिया और बोली "ये सिर्फ राजेश के लिए है मदन.. तुझे तो सिर्फ शीला के ही देखने है"
मदन: "वैसे शीला जिस पुराने आशिक के बारे मैं बता रही थी उसे जानती हो तुम??"
रेणुका ने जवाब नहीं दिया
मदन: "एक बात कहूँ? आज संयोग से हमारा मिलना हुआ है.. तू यहाँ मेरे साथ है वो तो अब शीला को भी पता है.. तो फिर क्यों न हम भी इस चांस पर थोड़ा सा डांस कर ले?? अगर तुम्हें एतराज न हो तो.. हम साथ इन्जॉय कर सकते है.. !!"
रेणुका: "नहीं मदन.. मैं शीला से छुपकर ऐसा कुछ नहीं करूंगी"
मदन: "पर उसी ने तो फोन पर बताया की तुम मेरे साथ इन्जॉय कर सकती हो.. !!"
रेणुका: "अरे वो तो मज़ाक कर रही थी यार.. !"
मदन: "ओके रेणुका.. जैसी तेरी मर्जी.. फिर तो अब एक ही जगह बची है तेरे लिए.. तुझे रसिक के पास ही जाना पड़ेगा.. जैसा शीला ने कहा... पर राजेश को पता चल गया तो.. ??"
रेणुका: "जाने की बात शीला ने कही थी.. मैंने नहीं.. !! और वो तो सिर्फ एक बात कही थी.. मैं गई तो नहीं ना.. !!"
मदन: "वो तो तुम कह रही हो की नहीं गई.. स्त्री को अपना चारित्र केवल लफंगे मर्दों से ही नहीं.. अफवाहों से भी सुरक्षित रखना पड़ता है.. घर से एक दिन के लिए भी भागी लड़की, ये कभी भी साबित नहीं कर पाती की वो कुंवारी है.. अपना सील तोड़कर खून निकालकर दिखा दे तो भी लोग उसका विश्वास नहीं करेंगे.. वहम चीज ही ऐसी है.. सिर्फ हल्की सी हवा लग जाए तो भी लोग जूठी बातों पर तुरंत यकीन कर लेते है.. राजेश के दिमाग में शक का कीड़ा डालने में देर नहीं लगेगी.. मान लो.. अगर मैं राजेश को ऐसा ही कुछ बता दूँ तो राजेश को शक होने लगेगा या नहीं?? और रसिक के साथ जो भी करने वाली हो वो मेरे साथ कर लो.. क्या प्रॉब्लेम है.. !! वैसे भी शीला कल दोपहर तक नहीं लौटने वाली.. मैं अकेला ही हूँ.. तुम साथ दो तो तुम्हारा भी टाइम पास हो जाएगा और मेरा भी.. एक बार फिर से पेशकश कर रहा हूँ.. यह बात केवल हम दोनों के बीच ही रहेगी"
कुछ सोचकर रेणुका ने मदन की आँखों में देखा और शैतानीयत भरी मुस्कान देकर अपनी मर्जी जता दी..
रेणुका की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मदन मूड में आ गया.. वहाँ पड़ा डिल्डो लेकर अपनी दोनों जांघों के बीच लगाते हुए उसने रेणुका से कहा "देखो.. कैसा लग रहा है मेरा रंगीन लंड??"
पहली बार मदन के मुंह से "लंड" सुनकर रेणुका भी मचलने लगी..
रेणुका: "रंग कैसा भी हो.. नकली में असली जैसा मज़ा कभी नहीं आ सकता" मदन को रबर का लंड हिलाते देख रेणुका की बुर में सुरसुरी होने लगी थी
मदन: "हाँ वो तो है.. शीला ने अभी कहा ना फोन पर.. रसिक का ऐसा मोटा है की एक बार करवा लो तो एक हफ्ते तक चलना मुश्किल हो जाए"
मदन की बातें और रसिक के लंड का उल्लेख सुनकर रेणुका की बची कूची झिझक भी नीलाम हो गई
पास पड़ा रुमाल लेकर अपने गले पर बांधकर टपोरी के अंदाज में मदन ने कहा "क्या सोच रही है मेरी जान.. !! चलेगी मेरे साथ?? एक रात का भाव बोल.. कितना लेगी.. ??" शरारत कर उकसाने लगा वो रेणुका को
अब रेणुका पिघल गई.. वो अक्सर राजेश के साथ ऐसा रॉलप्ले करती थी जिसमें वो रंडी बनती और राजेश उसका ग्राहक.. !!
रेणुका ने भी नाटक आगे बढ़ाया
मचलते हुए उसने कहा "पाँच हजार लूँगी"
मदन: "एक्स्ट्रा सर्विस दोगी ना.. ??" मदन के अंदर का ग्राहक जाग उठा.. "मैं पहले से बता रहा हूँ.. पाँच हजार से एक ठेला भी ज्यादा नहीं दूंगा.. !!"
रेणुका ने भी मुसकुराते हुए कहा "सर्विस मिलेगी पर नियमों और शर्तों के आधीन.. !!"
मदन: "मतलब?? कैसे नियम और कैसी शरतें??"
रेणुका: "पाँच हजार में सिर्फ आगे का मज़ा दूँगी... पीछे का चार्ज अलग से देना होगा"
मदन: "हम्म.. पीछे का कितना लोगी??"
रेणुका को इस संवाद में बड़ा ही मज़ा आ रहा था.. अपनी चूत और गांड का सौदा करते हुए उसकी मुनिया गीली हो रही थी.. जैसे उसकी कोई पुरानी विकृत इच्छा संतुष्ट हो रही हो.. मदन को भी बड़ा मज़ा आ रहा था
रेणुका: "पीछे के दो हजार एक्स्ट्रा.. !!"
मदन: "बहोत ज्यादा बोल रही है.. पाँच सौ दूंगा"
रेणुका: "तो किसी और को ढूंढ ले.. !!"
मदन: "ओके ओके.. करते वक्त मेरा मन हुआ तो बता दूंगा"
रेणुका: "नहीं.. पहले ही तय करना होगा.. एक बार गरम होने के बाद बोलेगा तो मैं चार हजार एक्स्ट्रा लूँगी"
मदन: "ठीक है बाबा... " मदन ने हाथ जोड़ लिए
रेणुका को आए हुए एक घंटा हो चुका था.. और उतने समय में ही माहोल इतना गरम और रंगीन हो चुका था.. घर पर दोनों ही अकेले थे.. शीला और राजेश को भनक भी नहीं लगने वाली थी.. अब तक केवल बातें ही चल रही थी.. दोनों में से किसी ने भी एक दूजे का स्पर्श नहीं किया था अब तक..
मदन ने करीब आकर कहा "रेणुका, बता.. ३१ दिसंबर कैसे सेलिब्रेट करना चाहोगी? जैसा तुम कहोगी वैसा ही करेंगे.. राजेश तू छोड़कर पार्टी करने चला गया और शीला मुझे छोड़कर.. अब हम एक दूसरे के साथ इस रात को रंगीन बनाते है.. वैसे भी हम किसी अनजान व्यक्ति के साथ कुछ करें उससे बेहतर होगा की एक दूसरे के साथ करें.. और वैसे भी.. तुम तो मेरा लोडा चूस ही चुकी हो पहले.. " उस रात पार्टी की याद दिलाते हुए मदन ने कहा.. हालांकि तब मदन मेक था और रेणुका कामिनी के किरदार में थी
मदन बिस्तर पर बैठा था और रेणुका कुर्सी लेकर उसके सामने इस तरह बैठ गई की दोनों की टांगों का एक दूसरे से स्पर्श हो.. मदन ने हल्के से रेणुका का पल्लू हटा दिया.. रेणुका ने टांग उठाकर मदन के लंड पर रख दिया.. और पैरों से मसाज करने लगी..
मदन बड़े मजे से मचलने लगा.. रेणुका के पुष्ट स्तनों पर भूखी नजर डालते हुए उसने कहा "३६ का साइज़ लगता है"
रेणुका ने आँख मारकर कहा "३८ का साइज़ है मेरा.. " बोलकर रेणुका ने एक्सिलरेटर पर पैर दबा दिया.. और कहा "६ इंच?"
मदन ने कहा "साढ़े ६ इंच.. !!"
रेणुका: "बस इतना सा..!! राजेश का भी उतना ही है..!!"
मदन: "साइज़ पर मत जाओ मैडम.. परफ़ॉर्मन्स में शिकायत नहीं दूंगा"
दोनों के बीच बातचीत का मस्त दौर चल रहा था तभी घर की डोरबेल बजी..
रेणुका ने आँखें नचाते हुए मदन से कहा "जाओ मदन.. देखो कौन है??"
मदन: "फिलहाल तुम ही मेरी पत्नी हो.. तो एक पत्नी की हेसियत से तुम ही जाकर दरवाजा खोलो.. कोई अनजान हो तो बाहर से ही भगा देना.. मैं जाऊंगा और कोई पहचान वाला निकला तो फंस जाऊंगा.. कोई मेरे लिए पूछे तो कह देना की घर पर नहीं है"
मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई
दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..
बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
शीला के जाने के बाद.. अकेले बैठे बैठे मदन का दिमाग खराब होने लगा.. सोच रहा था.. कितना अच्छा चांस था आज.. वैशाली घर पर नहीं थी तो पूरा दिन मस्त चुदाई होती.. बाहर डिनर करने जाते.. कोई अच्छी मूवी साथ देखते.. शीला के जाने से उसके सारे इरादों पर पानी फिर गया.. राजेश भी बीजी था.. अब वो अकेले बैठे बैठे क्या करेगा.. !!
टीवी देख देखकर बोर हो गया वो.. अभी तो सिर्फ दोपहर के दो ही बजे थे.. थोड़ी देर सोने के लिए वो बेडरूम में गया.. लेकिन आज बेडरूम का पंखा कुछ ज्यादा ही आवाज कर रहा था... ठीक करवाना पड़ेगा.. मदन अब वैशाली के कमरे में चला गया ताकि शांति से सो सकें.. अंदर जाते ही उसने देखा की वैशाली का वॉर्डरोब खुला हुआ था.. बंद करने से पहले उसने उत्सुकतावश वॉर्डरोब का ड्रॉअर खोलकर देखा.. उसके आश्चर्य के बीच.. अंदर से एक रबर का डिल्डो निकला.. जो रेणुका ने वैशाली को भेंट दिया था.. !!
मदन चोंक उठा.. वैशाली के पास ये कहाँ से आया?? ऊपर अमरीकन कंपनी का लोगों देखकर उसे और आश्चर्य हुआ.. !! ऐसा इंपोर्टेड डिल्डो वैशाली कहाँ से लेकर आई?? उस रबड़ के लंड को हाथ में पकड़कर मदन देख रहा था तभी डोरबेल बजने की आवाज आई..
मदन ने आनन फानन में वो डिल्डो ड्रॉअर में रखा.. डोरबेल दो-तीन बार और बजी.. हड़बड़ी में उसने ड्रॉर ठीक से बंद भी नहीं किया था.. रबर का लंड बाहर से नजर आ रहा था..
मदन दौड़कर आया और दरवाजा खोला
फिर से चोंक उठा मदन "अरे, तुम यहाँ??" सामने रेणुका खड़ी थी
रेणुका: "कैसे हो मदन?"
मदन अब भी रेणुका को देखकर थोड़ा सा चकरा रहा था, उसने कहा "शीला तो ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने अपनी सहेलियों के साथ गई है.. आप उसके साथ नहीं गए?"
रेणुका: "ओह्ह.. !! शीला नहीं है घर पर.. ?? यार, आज का तो दिन ही खराब है.. किसी के पास टाइम ही नहीं है.. जिसे देखो कहीं न कहीं पार्टी करने में बीजी है.. शीला के साथ थोड़ा वक्त गुजारूँगी, यह सोचकर यहाँ आई तो शीला भी गायब है.. !!"
मदन: "पर तुम राजेश के साथ पार्टी में नहीं गई?"
मुंह बिगाड़ते हुए रेणुका ने कहा "इन पतियों को अपनी बीवियों के लिए फुरसत ही कहाँ होती है.. !! ३१ दिसंबर को तो यह तक भूल जाते है की वो शादी-शुदा है.. गए होंगे अपने दोस्तों के साथ कहीं"
मदन: "वैसे मेरे साथ उल्टा हुआ है.. मेरी तो पत्नी ही मुझे छोड़कर पार्टी करने चली गई.. जैसे तुम अकेले बोर हो रही हो.. वैसी ही कुछ हालत मेरी भी है.. पूरी दुनिया मजे कर रही होगी और मैं अभी सोने जाने की तैयारी कर रहा था"
तभी मदन के मोबाइल की रिंग बजी.. जो वो वैशाली के बेडरूम में छोड़ आया था.. मदन भागकर फोन उठाने गया.. पीछे पीछे रेणुका भी पहुँच गई.. मदन ने फोन उठाया.. कोई क्रेडिट कार्ड बेचने के लिए फोन कर रहा था.. मदन ने एक चुनिंदा गाली देकर फोन काट दिया और मुड़कर देखा तो पीछे रेणुका खड़ी थी..
मदन: "ओह्ह.. माफ करना.. मुझे पता नहीं था की तुम अंदर आ गई हो.. बेवजह आपको गाली सुननी पड़ी.. !!"
रेणुका ने मुस्कुराकर कहा "कोई बात नहीं... हम औरतें भले ही गालियां खुलकर बोलती न हो.. पर सुनने की आदत तो हो ही गई है"
मदन का ध्यान नहीं था.. पर रेणुका को वॉर्डरोब के खुले ड्रॉअर से झाँकता हुआ.. अपना रबर का डिल्डो नजर आ गया.. हाथ डालकर उसने तुरंत वो रबर का लंड बाहर खींच निकाला और हाथ में लेकर शरारती मुस्कान के साथ मदन को पूछने लगी
रेणुका: "ओह.. ये क्या है??"
मदन के पसीने छूट गए.. अरे यार.. !! इसके हाथ में ये कहाँ से आ गया.. !!
मदन: "तुम्हें नहीं पता की यह क्या है?? औरतों और लड़कियों के बड़े काम की चीज है"
रेणुका: "बाप रे.. !!! शीला इसे इस्तेमाल करती है क्या??"
मदन: "अगर करती भी हो तो गलत क्या है.. !! मैं विदेश था तब शीला बेचारी दो साल के लिए अकेली रही थी.. तब मैंने ही वहाँ से भेजा था शीला के लिए.. वैसे ये आप को आज काम आ सकता है.. क्यों की पति की गैर-मौजूदगी में ही इसकी जरूरत पड़ती है.. राजेश है नहीं.. तुम चाहो तो इसे ले जा सकती हो.. !! इसे लेकर घर जाओ और आराम से मजे करो"
रेणुका मन ही मन सोच रही थी.. साले ये मर्द कितनी आसानी से झूठ बॉल लेते है.. !! ये डिल्डो तो मैंने वैशाली को दिया था..
वो मुस्कुराकर बोली "मदन, मैं तो यहाँ शीला को मिलने.. और ३१ दिसंबर उसके साथ गुजारने के इरादे से आई थी.. और तुम अभी से मुझे जाने के लिए कह रहे हो.. ?? और रही बात मजे करने की.. अगर मैं और शीला अकेले होते तो इसे लेकर मजे करते.. लेकिन.. !!"
मदन: "लेकिन क्या.. ??" सुनकर रेणुका ने शरमाने का अभिनय किया.. कहने का मतलब साफ था.. की अगर वो दोनों अकेली होती तभी रबर के लंड की जरूरत पड़ती..
मदन को अपने बूब्स को तांकते हुए देखकर.. बड़ी ही सफाई से अपने स्तनों को उभारते हुए रेणुका ने कहा "मदन, तुम शीला को फोन करके यहाँ बुला लो.."
मदन: "शीला यहाँ अगर वापिस आई.. तो हम दोनों मिलकर ही इन्जॉय करेंगे.. तुम बेवजह कबाब में हड्डी बनोगी.. वो कहते है ना.. टू इस कंपनी बट थ्री इस क्राउड.. इससे अच्छा.. तुम शीला को फोन लगाकर.. वो जहां हो वहीं पहुँच जाओ..!!"
रेणुका ने पर्स से मोबाइल निकालते हुए अपने होंठ को दांतों तले दबाते हुए कहा "मदन, समटाइम्स थ्री इस नोट ए क्राउड.. बट अ चांस फॉर थ्रीसम"
स्पीकर पर फोन रखकर रेणुका ने शीला को फोन लगाया
रेणुका: "अकेले अकेले पार्टी कर रही है??"
शीला: "अरे यार, मुझे लगा.. तेरा राजेश के साथ कोई प्लान होगा इसलिए फोन नहीं किया तुझे.. बोल, कहाँ है तू?"
रेणुका: "मैं तो तेरे घर पहुँच गई.. मदन के साथ बैठी हूँ"
शीला: "ओह ऐसा है.. तो फिर वही उसके साथ ३१ दिसंबर की पार्टी कर ले.. तू और मदन एक साथ..हो सकता है की तुझे देखकर उसका लंड खड़ा हो जाए.. हा हा हा हा.. !!"
रेणुका: " क्या यार कुछ भी बोल रही है.. !! फोन स्पीकर पर है और मदन सुन रहा है"
शीला: "सुनने दे उसे भी.. वैसे भी वो दोनों बीवियाँ बदलने की बात हमारे सामने ही तो कर रहे थे उस रात.. ! अब मज़ाक छोड़ और ये बता की तू असल में कहाँ है??"
अब रेणुका फंस गई.. शीला को मज़ाक लग रहा था.. और वो कुछ भी बोले जा रही थी
शीला: "और तुझे सच में जबरदस्त मजे करने हो तो रसिक के घर चली जा.. ऐसी पार्टी कराएगा की पूरी ज़िंदगी याद रखेगी.. एक हफ्ते तक ठीक से चल भी नहीं पाएगी"
रेणुका: "चुप मर शीला.. नालायक.. एक बार बोला की मैं मदन के साथ हूँ फिर क्या अनाब शनाब बके जा रही है.. !!"
शीला: "अच्छा.. आज मेरे ही मजे ले रही है तू.. अगर उसके साथ है तो बात करा दे मेरी"
रेणुका: "हाँ कराती हूँ बात.. रुक एक मिनट"
रेणुका ने मदन को फोन दिया.. पर मदन भी उस्ताद था.. उसने फोन लेने से इनकार कर दिया और चुपचाप खड़ा रहा.. अब रेणुका बराबर फंस गई.. मदन बात नहीं करेगा तो शीला यही समझती रहेगी की वो मज़ाक कर रही है.. और नए नए भांडे फोड़ती ही जाएगी.. !!
रेणुका: "यार शीला.. मदन फोन पर आने से इनकार कर रहा है"
शीला को यकीन हो गया.. की रेणुका पक्का मज़ाक कर रही थी
शीला: "देख रेणु.. मैं अपने एक पुराने आशिक के साथ हूँ.. हम दोनों एक मस्त रिसॉर्ट मे जा रहे है!!"
शीला ने रिसॉर्ट का नाम और पता बताने लगी.. रेणुका को जलाने के लिए.. वो और ज्यादा कुछ बोलती उससे पहले रेणुका ने फोन काट दिया
मदन ने चोंककर पूछा "पुराना आशिक??"
रेणुका: "अरे वो तो हम दोनों के बीच ऐसे ही मज़ाक का सिलसिला चलता रहता है.. तुमने फोन पर बात नहीं की तो उसे लगा की मैं मज़ाक कर रही हूँ.. इसलीये मुझे तंग करने के लिए उसने भी मेरे साथ मज़ाक किया"
मदन: "हाँ.. मुझे भी ऐसा ही लगा"
रेणुका के संकोच भरे चेहरे के सामने देखकर मदन मुस्कुरा रहा था.. रेणुका के कंधे से पल्लू सरककर नीचे गिर गया और उसे पता भी नहीं चला इतनी परेशान थी वो शीला से बात करने के बाद.. उसके दोनों स्तनों को निहार रहा था मदन
मदन: "यू आर लूकिंग ब्यूटीफुल रेणुका.. तेरी छाती से पल्लू सरकते हुए अचानक मुझे ऐसा एहसास हुआ की मैं अब अकेला नहीं हूँ"
शरमाकर रेणुका ने अपना पल्लू ठीक कर स्तनों को ढँक लिया और बोली "ये सिर्फ राजेश के लिए है मदन.. तुझे तो सिर्फ शीला के ही देखने है"
मदन: "वैसे शीला जिस पुराने आशिक के बारे मैं बता रही थी उसे जानती हो तुम??"
रेणुका ने जवाब नहीं दिया
मदन: "एक बात कहूँ? आज संयोग से हमारा मिलना हुआ है.. तू यहाँ मेरे साथ है वो तो अब शीला को भी पता है.. तो फिर क्यों न हम भी इस चांस पर थोड़ा सा डांस कर ले?? अगर तुम्हें एतराज न हो तो.. हम साथ इन्जॉय कर सकते है.. !!"
रेणुका: "नहीं मदन.. मैं शीला से छुपकर ऐसा कुछ नहीं करूंगी"
मदन: "पर उसी ने तो फोन पर बताया की तुम मेरे साथ इन्जॉय कर सकती हो.. !!"
रेणुका: "अरे वो तो मज़ाक कर रही थी यार.. !"
मदन: "ओके रेणुका.. जैसी तेरी मर्जी.. फिर तो अब एक ही जगह बची है तेरे लिए.. तुझे रसिक के पास ही जाना पड़ेगा.. जैसा शीला ने कहा... पर राजेश को पता चल गया तो.. ??"
रेणुका: "जाने की बात शीला ने कही थी.. मैंने नहीं.. !! और वो तो सिर्फ एक बात कही थी.. मैं गई तो नहीं ना.. !!"
मदन: "वो तो तुम कह रही हो की नहीं गई.. स्त्री को अपना चारित्र केवल लफंगे मर्दों से ही नहीं.. अफवाहों से भी सुरक्षित रखना पड़ता है.. घर से एक दिन के लिए भी भागी लड़की, ये कभी भी साबित नहीं कर पाती की वो कुंवारी है.. अपना सील तोड़कर खून निकालकर दिखा दे तो भी लोग उसका विश्वास नहीं करेंगे.. वहम चीज ही ऐसी है.. सिर्फ हल्की सी हवा लग जाए तो भी लोग जूठी बातों पर तुरंत यकीन कर लेते है.. राजेश के दिमाग में शक का कीड़ा डालने में देर नहीं लगेगी.. मान लो.. अगर मैं राजेश को ऐसा ही कुछ बता दूँ तो राजेश को शक होने लगेगा या नहीं?? और रसिक के साथ जो भी करने वाली हो वो मेरे साथ कर लो.. क्या प्रॉब्लेम है.. !! वैसे भी शीला कल दोपहर तक नहीं लौटने वाली.. मैं अकेला ही हूँ.. तुम साथ दो तो तुम्हारा भी टाइम पास हो जाएगा और मेरा भी.. एक बार फिर से पेशकश कर रहा हूँ.. यह बात केवल हम दोनों के बीच ही रहेगी"
कुछ सोचकर रेणुका ने मदन की आँखों में देखा और शैतानीयत भरी मुस्कान देकर अपनी मर्जी जता दी..
रेणुका की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मदन मूड में आ गया.. वहाँ पड़ा डिल्डो लेकर अपनी दोनों जांघों के बीच लगाते हुए उसने रेणुका से कहा "देखो.. कैसा लग रहा है मेरा रंगीन लंड??"
पहली बार मदन के मुंह से "लंड" सुनकर रेणुका भी मचलने लगी..
रेणुका: "रंग कैसा भी हो.. नकली में असली जैसा मज़ा कभी नहीं आ सकता" मदन को रबर का लंड हिलाते देख रेणुका की बुर में सुरसुरी होने लगी थी
मदन: "हाँ वो तो है.. शीला ने अभी कहा ना फोन पर.. रसिक का ऐसा मोटा है की एक बार करवा लो तो एक हफ्ते तक चलना मुश्किल हो जाए"
मदन की बातें और रसिक के लंड का उल्लेख सुनकर रेणुका की बची कूची झिझक भी नीलाम हो गई
पास पड़ा रुमाल लेकर अपने गले पर बांधकर टपोरी के अंदाज में मदन ने कहा "क्या सोच रही है मेरी जान.. !! चलेगी मेरे साथ?? एक रात का भाव बोल.. कितना लेगी.. ??" शरारत कर उकसाने लगा वो रेणुका को
अब रेणुका पिघल गई.. वो अक्सर राजेश के साथ ऐसा रॉलप्ले करती थी जिसमें वो रंडी बनती और राजेश उसका ग्राहक.. !!
रेणुका ने भी नाटक आगे बढ़ाया
मचलते हुए उसने कहा "पाँच हजार लूँगी"
मदन: "एक्स्ट्रा सर्विस दोगी ना.. ??" मदन के अंदर का ग्राहक जाग उठा.. "मैं पहले से बता रहा हूँ.. पाँच हजार से एक ठेला भी ज्यादा नहीं दूंगा.. !!"
रेणुका ने भी मुसकुराते हुए कहा "सर्विस मिलेगी पर नियमों और शर्तों के आधीन.. !!"
मदन: "मतलब?? कैसे नियम और कैसी शरतें??"
रेणुका: "पाँच हजार में सिर्फ आगे का मज़ा दूँगी... पीछे का चार्ज अलग से देना होगा"
मदन: "हम्म.. पीछे का कितना लोगी??"
रेणुका को इस संवाद में बड़ा ही मज़ा आ रहा था.. अपनी चूत और गांड का सौदा करते हुए उसकी मुनिया गीली हो रही थी.. जैसे उसकी कोई पुरानी विकृत इच्छा संतुष्ट हो रही हो.. मदन को भी बड़ा मज़ा आ रहा था
रेणुका: "पीछे के दो हजार एक्स्ट्रा.. !!"
मदन: "बहोत ज्यादा बोल रही है.. पाँच सौ दूंगा"
रेणुका: "तो किसी और को ढूंढ ले.. !!"
मदन: "ओके ओके.. करते वक्त मेरा मन हुआ तो बता दूंगा"
रेणुका: "नहीं.. पहले ही तय करना होगा.. एक बार गरम होने के बाद बोलेगा तो मैं चार हजार एक्स्ट्रा लूँगी"
मदन: "ठीक है बाबा... " मदन ने हाथ जोड़ लिए
रेणुका को आए हुए एक घंटा हो चुका था.. और उतने समय में ही माहोल इतना गरम और रंगीन हो चुका था.. घर पर दोनों ही अकेले थे.. शीला और राजेश को भनक भी नहीं लगने वाली थी.. अब तक केवल बातें ही चल रही थी.. दोनों में से किसी ने भी एक दूजे का स्पर्श नहीं किया था अब तक..
मदन ने करीब आकर कहा "रेणुका, बता.. ३१ दिसंबर कैसे सेलिब्रेट करना चाहोगी? जैसा तुम कहोगी वैसा ही करेंगे.. राजेश तू छोड़कर पार्टी करने चला गया और शीला मुझे छोड़कर.. अब हम एक दूसरे के साथ इस रात को रंगीन बनाते है.. वैसे भी हम किसी अनजान व्यक्ति के साथ कुछ करें उससे बेहतर होगा की एक दूसरे के साथ करें.. और वैसे भी.. तुम तो मेरा लोडा चूस ही चुकी हो पहले.. " उस रात पार्टी की याद दिलाते हुए मदन ने कहा.. हालांकि तब मदन मेक था और रेणुका कामिनी के किरदार में थी
मदन बिस्तर पर बैठा था और रेणुका कुर्सी लेकर उसके सामने इस तरह बैठ गई की दोनों की टांगों का एक दूसरे से स्पर्श हो.. मदन ने हल्के से रेणुका का पल्लू हटा दिया.. रेणुका ने टांग उठाकर मदन के लंड पर रख दिया.. और पैरों से मसाज करने लगी..
मदन बड़े मजे से मचलने लगा.. रेणुका के पुष्ट स्तनों पर भूखी नजर डालते हुए उसने कहा "३६ का साइज़ लगता है"
रेणुका ने आँख मारकर कहा "३८ का साइज़ है मेरा.. " बोलकर रेणुका ने एक्सिलरेटर पर पैर दबा दिया.. और कहा "६ इंच?"
मदन ने कहा "साढ़े ६ इंच.. !!"
रेणुका: "बस इतना सा..!! राजेश का भी उतना ही है..!!"
मदन: "साइज़ पर मत जाओ मैडम.. परफ़ॉर्मन्स में शिकायत नहीं दूंगा"
दोनों के बीच बातचीत का मस्त दौर चल रहा था तभी घर की डोरबेल बजी..
रेणुका ने आँखें नचाते हुए मदन से कहा "जाओ मदन.. देखो कौन है??"
मदन: "फिलहाल तुम ही मेरी पत्नी हो.. तो एक पत्नी की हेसियत से तुम ही जाकर दरवाजा खोलो.. कोई अनजान हो तो बाहर से ही भगा देना.. मैं जाऊंगा और कोई पहचान वाला निकला तो फंस जाऊंगा.. कोई मेरे लिए पूछे तो कह देना की घर पर नहीं है"
मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई
दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..
प्रिय वाचक मित्रों,
शीला की लीला ने आज १ मिलियन व्यूज का आंकड़ा पार कर लिया है और यह मेरे लिए एक बड़ा ही खास और भावुक पल है..!! यह सफलता सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह मेरे सभी पाठकों और साथी लेखक व लेखिकाओं के समर्थन का परिणाम है, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने मुझे इस मुकाम तक पहुँचाया.. राजमाता कौशल्यादेवी की कहानी के १ मिलियन व्यूज पूर्ण होने के बाद यह मेरा दूसरा कथा सूत्र है जीसे यह उपलब्धि हासिल हुई है.. मैं इस अवसर पर अपने सभी पाठकों का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूँ..!!
इस माध्यम पर ऐसे कई वरिष्ठ और दिग्गज लेखक लेखिकाएं हैं, जिनकी उपलब्धियों के सामने, यह तो कुछ भी नहीं है.. उनकी कहानियों ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है और मुझे यह समझने का अवसर मिला है कि अच्छा लेखन किस तरह से समय और मेहनत से निखरता है.. हालांकि मैं जानता हूँ कि मेरी कहानी अभी काफी छोटे स्तर पर है और इन वरिष्ठ सर्जकों के काम के सामने नगण्य है, लेकिन फिर भी, यह पड़ाव मेरे लिए इसलिए महत्वपूर्ण रहा क्योंकि मेरी कहानियों के अब तक के सभी पात्रों में, शीला सब से खास रही है.. !!
शीला की कहानी मेरे लिए एक अद्वितीय अनुभव रही है, और इस दौरान मैंने कई ऐसे मूल्यवान सबक सीखे हैं, जिन्हें शायद मैं अन्यथा नहीं समझ पाता..!!
यह सफलता केवल मेरी नहीं है, बल्कि यह उन सभी पाठकों की है, जिन्होंने मेरी कहानी को पढ़ा, उसे पसंद किया और मुझे प्रोत्साहित किया.. आपके प्यार और समर्थन ने मुझे आगे बढ़ने की ताकत दी है.. मैं इस सफलता का पूरा श्रेय आप सभी को देता हूँ, क्योंकि यह बिना आपके निरंतर समर्थन और उत्साह के संभव नहीं होता..
एक बार फिर से आप सभी का धन्यवाद! आपके बिना यह यात्रा अधूरी रहती..!! आशा करता हूँ कि आप आगे भी मुझे इसी तरह अपना आशीर्वाद और प्यार देते रहेंगे..!!
सादर,
वखारिया
Premkumar65 Sanju@ Napster krish1152 Ajju Landwalia Ek number Rajizexy Dirty_mind pussylover1@Rocky9i Dharmendra Kumar Patel Ben Tennyson Delta101 sunoanuj arushi_dayal CHETANSONI SKYESH SONU69@INDORE Luv69 sab ka pyra Raj dulara Kamini sucksena rhyme_boy Rajpoot MS Raja1239 Gauravv Sanjay dham liverpool244 doodhVala kamdev99008@crucer97 Smith_15 sushilk king1969 Bittoo Eternallover012 Motaland2468 rkhedekar Rowdy Hot&sexyboy rrpr Random2022 U.and.me Sushil@10 Monika Singh smash001 remixes Bulbul_Rani komaalrani urc4me
बहोत बहोत शुक्रिया अज्जु शेठDil ki gehraiyo se Shubhkamnaye vakharia Bhai
Welcome ji
प्रिय वाचक मित्रों,
शीला की लीला ने आज १ मिलियन व्यूज का आंकड़ा पार कर लिया है और यह मेरे लिए एक बड़ा ही खास और भावुक पल है..!! यह सफलता सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह मेरे सभी पाठकों और साथी लेखक व लेखिकाओं के समर्थन का परिणाम है, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन ने मुझे इस मुकाम तक पहुँचाया.. राजमाता कौशल्यादेवी की कहानी के १ मिलियन व्यूज पूर्ण होने के बाद यह मेरा दूसरा कथा सूत्र है जीसे यह उपलब्धि हासिल हुई है.. मैं इस अवसर पर अपने सभी पाठकों का दिल से धन्यवाद करना चाहता हूँ..!!
इस माध्यम पर ऐसे कई वरिष्ठ और दिग्गज लेखक लेखिकाएं हैं, जिनकी उपलब्धियों के सामने, यह तो कुछ भी नहीं है.. उनकी कहानियों ने मुझे हमेशा प्रेरित किया है और मुझे यह समझने का अवसर मिला है कि अच्छा लेखन किस तरह से समय और मेहनत से निखरता है.. हालांकि मैं जानता हूँ कि मेरी कहानी अभी काफी छोटे स्तर पर है और इन वरिष्ठ सर्जकों के काम के सामने नगण्य है, लेकिन फिर भी, यह पड़ाव मेरे लिए इसलिए महत्वपूर्ण रहा क्योंकि मेरी कहानियों के अब तक के सभी पात्रों में, शीला सब से खास रही है.. !!
शीला की कहानी मेरे लिए एक अद्वितीय अनुभव रही है, और इस दौरान मैंने कई ऐसे मूल्यवान सबक सीखे हैं, जिन्हें शायद मैं अन्यथा नहीं समझ पाता..!!
यह सफलता केवल मेरी नहीं है, बल्कि यह उन सभी पाठकों की है, जिन्होंने मेरी कहानी को पढ़ा, उसे पसंद किया और मुझे प्रोत्साहित किया.. आपके प्यार और समर्थन ने मुझे आगे बढ़ने की ताकत दी है.. मैं इस सफलता का पूरा श्रेय आप सभी को देता हूँ, क्योंकि यह बिना आपके निरंतर समर्थन और उत्साह के संभव नहीं होता..
एक बार फिर से आप सभी का धन्यवाद! आपके बिना यह यात्रा अधूरी रहती..!! आशा करता हूँ कि आप आगे भी मुझे इसी तरह अपना आशीर्वाद और प्यार देते रहेंगे..!!
सादर,
वखारिया
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सादर,
वखारिया
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