बेडरूम का दरवाजा पटककर बंद किया शीला ने.. और वो घर से निकल गई.. ये कहकर की अब वो दूसरे दिन दोपहर को आएगी.. !! न मदन की हिम्मत हुई पूछने की.. ना शीला ने उसे कुछ बताया की कहाँ जा रही थी.. उस रात की पार्टी पर पुलिस की रैड पड़ने के बाद जो हुआ.. उसके बाद.. मदन की स्थिति नाजुक थी.. और शीला इस बात का पूरा लाभ उठा रही थी.. !! किसी बात को लेकर अगर मदन कुछ ज्यादा पुछताछ करता.. तो तुरंत शीला कहती की वो किसी अनजान व्यक्ति को पार्टनर बनाकर चोदने नहीं जा रही है.. ऐसे जवाब सुन सुनकर मदन ने अब चुप रहने में ही अपनी भलाई समझी..
शीला के जाने के बाद.. अकेले बैठे बैठे मदन का दिमाग खराब होने लगा.. सोच रहा था.. कितना अच्छा चांस था आज.. वैशाली घर पर नहीं थी तो पूरा दिन मस्त चुदाई होती.. बाहर डिनर करने जाते.. कोई अच्छी मूवी साथ देखते.. शीला के जाने से उसके सारे इरादों पर पानी फिर गया.. राजेश भी बीजी था.. अब वो अकेले बैठे बैठे क्या करेगा.. !!
टीवी देख देखकर बोर हो गया वो.. अभी तो सिर्फ दोपहर के दो ही बजे थे.. थोड़ी देर सोने के लिए वो बेडरूम में गया.. लेकिन आज बेडरूम का पंखा कुछ ज्यादा ही आवाज कर रहा था... ठीक करवाना पड़ेगा.. मदन अब वैशाली के कमरे में चला गया ताकि शांति से सो सकें.. अंदर जाते ही उसने देखा की वैशाली का वॉर्डरोब खुला हुआ था.. बंद करने से पहले उसने उत्सुकतावश वॉर्डरोब का ड्रॉअर खोलकर देखा.. उसके आश्चर्य के बीच.. अंदर से एक रबर का डिल्डो निकला.. जो रेणुका ने वैशाली को भेंट दिया था.. !!
मदन चोंक उठा.. वैशाली के पास ये कहाँ से आया?? ऊपर अमरीकन कंपनी का लोगों देखकर उसे और आश्चर्य हुआ.. !! ऐसा इंपोर्टेड डिल्डो वैशाली कहाँ से लेकर आई?? उस रबड़ के लंड को हाथ में पकड़कर मदन देख रहा था तभी डोरबेल बजने की आवाज आई..
मदन ने आनन फानन में वो डिल्डो ड्रॉअर में रखा.. डोरबेल दो-तीन बार और बजी.. हड़बड़ी में उसने ड्रॉर ठीक से बंद भी नहीं किया था.. रबर का लंड बाहर से नजर आ रहा था..
मदन दौड़कर आया और दरवाजा खोला
फिर से चोंक उठा मदन "अरे, तुम यहाँ??" सामने रेणुका खड़ी थी
रेणुका: "कैसे हो मदन?"
मदन अब भी रेणुका को देखकर थोड़ा सा चकरा रहा था, उसने कहा "शीला तो ३१ दिसंबर की पार्टी मनाने अपनी सहेलियों के साथ गई है.. आप उसके साथ नहीं गए?"
रेणुका: "ओह्ह.. !! शीला नहीं है घर पर.. ?? यार, आज का तो दिन ही खराब है.. किसी के पास टाइम ही नहीं है.. जिसे देखो कहीं न कहीं पार्टी करने में बीजी है.. शीला के साथ थोड़ा वक्त गुजारूँगी, यह सोचकर यहाँ आई तो शीला भी गायब है.. !!"
मदन: "पर तुम राजेश के साथ पार्टी में नहीं गई?"
मुंह बिगाड़ते हुए रेणुका ने कहा "इन पतियों को अपनी बीवियों के लिए फुरसत ही कहाँ होती है.. !! ३१ दिसंबर को तो यह तक भूल जाते है की वो शादी-शुदा है.. गए होंगे अपने दोस्तों के साथ कहीं"
मदन: "वैसे मेरे साथ उल्टा हुआ है.. मेरी तो पत्नी ही मुझे छोड़कर पार्टी करने चली गई.. जैसे तुम अकेले बोर हो रही हो.. वैसी ही कुछ हालत मेरी भी है.. पूरी दुनिया मजे कर रही होगी और मैं अभी सोने जाने की तैयारी कर रहा था"
तभी मदन के मोबाइल की रिंग बजी.. जो वो वैशाली के बेडरूम में छोड़ आया था.. मदन भागकर फोन उठाने गया.. पीछे पीछे रेणुका भी पहुँच गई.. मदन ने फोन उठाया.. कोई क्रेडिट कार्ड बेचने के लिए फोन कर रहा था.. मदन ने एक चुनिंदा गाली देकर फोन काट दिया और मुड़कर देखा तो पीछे रेणुका खड़ी थी..
मदन: "ओह्ह.. माफ करना.. मुझे पता नहीं था की तुम अंदर आ गई हो.. बेवजह आपको गाली सुननी पड़ी.. !!"
रेणुका ने मुस्कुराकर कहा "कोई बात नहीं... हम औरतें भले ही गालियां खुलकर बोलती न हो.. पर सुनने की आदत तो हो ही गई है"
मदन का ध्यान नहीं था.. पर रेणुका को वॉर्डरोब के खुले ड्रॉअर से झाँकता हुआ.. अपना रबर का डिल्डो नजर आ गया.. हाथ डालकर उसने तुरंत वो रबर का लंड बाहर खींच निकाला और हाथ में लेकर शरारती मुस्कान के साथ मदन को पूछने लगी
रेणुका: "ओह.. ये क्या है??"
मदन के पसीने छूट गए.. अरे यार.. !! इसके हाथ में ये कहाँ से आ गया.. !!
मदन: "तुम्हें नहीं पता की यह क्या है?? औरतों और लड़कियों के बड़े काम की चीज है"
रेणुका: "बाप रे.. !!! शीला इसे इस्तेमाल करती है क्या??"
मदन: "अगर करती भी हो तो गलत क्या है.. !! मैं विदेश था तब शीला बेचारी दो साल के लिए अकेली रही थी.. तब मैंने ही वहाँ से भेजा था शीला के लिए.. वैसे ये आप को आज काम आ सकता है.. क्यों की पति की गैर-मौजूदगी में ही इसकी जरूरत पड़ती है.. राजेश है नहीं.. तुम चाहो तो इसे ले जा सकती हो.. !! इसे लेकर घर जाओ और आराम से मजे करो"
रेणुका मन ही मन सोच रही थी.. साले ये मर्द कितनी आसानी से झूठ बॉल लेते है.. !! ये डिल्डो तो मैंने वैशाली को दिया था..
वो मुस्कुराकर बोली "मदन, मैं तो यहाँ शीला को मिलने.. और ३१ दिसंबर उसके साथ गुजारने के इरादे से आई थी.. और तुम अभी से मुझे जाने के लिए कह रहे हो.. ?? और रही बात मजे करने की.. अगर मैं और शीला अकेले होते तो इसे लेकर मजे करते.. लेकिन.. !!"
मदन: "लेकिन क्या.. ??" सुनकर रेणुका ने शरमाने का अभिनय किया.. कहने का मतलब साफ था.. की अगर वो दोनों अकेली होती तभी रबर के लंड की जरूरत पड़ती..
मदन को अपने बूब्स को तांकते हुए देखकर.. बड़ी ही सफाई से अपने स्तनों को उभारते हुए रेणुका ने कहा "मदन, तुम शीला को फोन करके यहाँ बुला लो.."
मदन: "शीला यहाँ अगर वापिस आई.. तो हम दोनों मिलकर ही इन्जॉय करेंगे.. तुम बेवजह कबाब में हड्डी बनोगी.. वो कहते है ना.. टू इस कंपनी बट थ्री इस क्राउड.. इससे अच्छा.. तुम शीला को फोन लगाकर.. वो जहां हो वहीं पहुँच जाओ..!!"
रेणुका ने पर्स से मोबाइल निकालते हुए अपने होंठ को दांतों तले दबाते हुए कहा "मदन, समटाइम्स थ्री इस नोट ए क्राउड.. बट अ चांस फॉर थ्रीसम"
स्पीकर पर फोन रखकर रेणुका ने शीला को फोन लगाया
रेणुका: "अकेले अकेले पार्टी कर रही है??"
शीला: "अरे यार, मुझे लगा.. तेरा राजेश के साथ कोई प्लान होगा इसलिए फोन नहीं किया तुझे.. बोल, कहाँ है तू?"
रेणुका: "मैं तो तेरे घर पहुँच गई.. मदन के साथ बैठी हूँ"
शीला: "ओह ऐसा है.. तो फिर वही उसके साथ ३१ दिसंबर की पार्टी कर ले.. तू और मदन एक साथ..हो सकता है की तुझे देखकर उसका लंड खड़ा हो जाए.. हा हा हा हा.. !!"
रेणुका: " क्या यार कुछ भी बोल रही है.. !! फोन स्पीकर पर है और मदन सुन रहा है"
शीला: "सुनने दे उसे भी.. वैसे भी वो दोनों बीवियाँ बदलने की बात हमारे सामने ही तो कर रहे थे उस रात.. ! अब मज़ाक छोड़ और ये बता की तू असल में कहाँ है??"
अब रेणुका फंस गई.. शीला को मज़ाक लग रहा था.. और वो कुछ भी बोले जा रही थी
शीला: "और तुझे सच में जबरदस्त मजे करने हो तो रसिक के घर चली जा.. ऐसी पार्टी कराएगा की पूरी ज़िंदगी याद रखेगी.. एक हफ्ते तक ठीक से चल भी नहीं पाएगी"
रेणुका: "चुप मर शीला.. नालायक.. एक बार बोला की मैं मदन के साथ हूँ फिर क्या अनाब शनाब बके जा रही है.. !!"
शीला: "अच्छा.. आज मेरे ही मजे ले रही है तू.. अगर उसके साथ है तो बात करा दे मेरी"
रेणुका: "हाँ कराती हूँ बात.. रुक एक मिनट"
रेणुका ने मदन को फोन दिया.. पर मदन भी उस्ताद था.. उसने फोन लेने से इनकार कर दिया और चुपचाप खड़ा रहा.. अब रेणुका बराबर फंस गई.. मदन बात नहीं करेगा तो शीला यही समझती रहेगी की वो मज़ाक कर रही है.. और नए नए भांडे फोड़ती ही जाएगी.. !!
रेणुका: "यार शीला.. मदन फोन पर आने से इनकार कर रहा है"
शीला को यकीन हो गया.. की रेणुका पक्का मज़ाक कर रही थी
शीला: "देख रेणु.. मैं अपने एक पुराने आशिक के साथ हूँ.. हम दोनों एक मस्त रिसॉर्ट मे जा रहे है!!"
शीला ने रिसॉर्ट का नाम और पता बताने लगी.. रेणुका को जलाने के लिए.. वो और ज्यादा कुछ बोलती उससे पहले रेणुका ने फोन काट दिया
मदन ने चोंककर पूछा "पुराना आशिक??"
रेणुका: "अरे वो तो हम दोनों के बीच ऐसे ही मज़ाक का सिलसिला चलता रहता है.. तुमने फोन पर बात नहीं की तो उसे लगा की मैं मज़ाक कर रही हूँ.. इसलीये मुझे तंग करने के लिए उसने भी मेरे साथ मज़ाक किया"
मदन: "हाँ.. मुझे भी ऐसा ही लगा"
रेणुका के संकोच भरे चेहरे के सामने देखकर मदन मुस्कुरा रहा था.. रेणुका के कंधे से पल्लू सरककर नीचे गिर गया और उसे पता भी नहीं चला इतनी परेशान थी वो शीला से बात करने के बाद.. उसके दोनों स्तनों को निहार रहा था मदन
मदन: "यू आर लूकिंग ब्यूटीफुल रेणुका.. तेरी छाती से पल्लू सरकते हुए अचानक मुझे ऐसा एहसास हुआ की मैं अब अकेला नहीं हूँ"
शरमाकर रेणुका ने अपना पल्लू ठीक कर स्तनों को ढँक लिया और बोली "ये सिर्फ राजेश के लिए है मदन.. तुझे तो सिर्फ शीला के ही देखने है"
मदन: "वैसे शीला जिस पुराने आशिक के बारे मैं बता रही थी उसे जानती हो तुम??"
रेणुका ने जवाब नहीं दिया
मदन: "एक बात कहूँ? आज संयोग से हमारा मिलना हुआ है.. तू यहाँ मेरे साथ है वो तो अब शीला को भी पता है.. तो फिर क्यों न हम भी इस चांस पर थोड़ा सा डांस कर ले?? अगर तुम्हें एतराज न हो तो.. हम साथ इन्जॉय कर सकते है.. !!"
रेणुका: "नहीं मदन.. मैं शीला से छुपकर ऐसा कुछ नहीं करूंगी"
मदन: "पर उसी ने तो फोन पर बताया की तुम मेरे साथ इन्जॉय कर सकती हो.. !!"
रेणुका: "अरे वो तो मज़ाक कर रही थी यार.. !"
मदन: "ओके रेणुका.. जैसी तेरी मर्जी.. फिर तो अब एक ही जगह बची है तेरे लिए.. तुझे रसिक के पास ही जाना पड़ेगा.. जैसा शीला ने कहा... पर राजेश को पता चल गया तो.. ??"
रेणुका: "जाने की बात शीला ने कही थी.. मैंने नहीं.. !! और वो तो सिर्फ एक बात कही थी.. मैं गई तो नहीं ना.. !!"
मदन: "वो तो तुम कह रही हो की नहीं गई.. स्त्री को अपना चारित्र केवल लफंगे मर्दों से ही नहीं.. अफवाहों से भी सुरक्षित रखना पड़ता है.. घर से एक दिन के लिए भी भागी लड़की, ये कभी भी साबित नहीं कर पाती की वो कुंवारी है.. अपना सील तोड़कर खून निकालकर दिखा दे तो भी लोग उसका विश्वास नहीं करेंगे.. वहम चीज ही ऐसी है.. सिर्फ हल्की सी हवा लग जाए तो भी लोग जूठी बातों पर तुरंत यकीन कर लेते है.. राजेश के दिमाग में शक का कीड़ा डालने में देर नहीं लगेगी.. मान लो.. अगर मैं राजेश को ऐसा ही कुछ बता दूँ तो राजेश को शक होने लगेगा या नहीं?? और रसिक के साथ जो भी करने वाली हो वो मेरे साथ कर लो.. क्या प्रॉब्लेम है.. !! वैसे भी शीला कल दोपहर तक नहीं लौटने वाली.. मैं अकेला ही हूँ.. तुम साथ दो तो तुम्हारा भी टाइम पास हो जाएगा और मेरा भी.. एक बार फिर से पेशकश कर रहा हूँ.. यह बात केवल हम दोनों के बीच ही रहेगी"
कुछ सोचकर रेणुका ने मदन की आँखों में देखा और शैतानीयत भरी मुस्कान देकर अपनी मर्जी जता दी..
रेणुका की ओर से ग्रीन सिग्नल मिलते ही मदन मूड में आ गया.. वहाँ पड़ा डिल्डो लेकर अपनी दोनों जांघों के बीच लगाते हुए उसने रेणुका से कहा "देखो.. कैसा लग रहा है मेरा रंगीन लंड??"
पहली बार मदन के मुंह से "लंड" सुनकर रेणुका भी मचलने लगी..
रेणुका: "रंग कैसा भी हो.. नकली में असली जैसा मज़ा कभी नहीं आ सकता" मदन को रबर का लंड हिलाते देख रेणुका की बुर में सुरसुरी होने लगी थी
मदन: "हाँ वो तो है.. शीला ने अभी कहा ना फोन पर.. रसिक का ऐसा मोटा है की एक बार करवा लो तो एक हफ्ते तक चलना मुश्किल हो जाए"
मदन की बातें और रसिक के लंड का उल्लेख सुनकर रेणुका की बची कूची झिझक भी नीलाम हो गई
पास पड़ा रुमाल लेकर अपने गले पर बांधकर टपोरी के अंदाज में मदन ने कहा "क्या सोच रही है मेरी जान.. !! चलेगी मेरे साथ?? एक रात का भाव बोल.. कितना लेगी.. ??" शरारत कर उकसाने लगा वो रेणुका को
अब रेणुका पिघल गई.. वो अक्सर राजेश के साथ ऐसा रॉलप्ले करती थी जिसमें वो रंडी बनती और राजेश उसका ग्राहक.. !!
रेणुका ने भी नाटक आगे बढ़ाया
मचलते हुए उसने कहा "पाँच हजार लूँगी"
मदन: "एक्स्ट्रा सर्विस दोगी ना.. ??" मदन के अंदर का ग्राहक जाग उठा.. "मैं पहले से बता रहा हूँ.. पाँच हजार से एक ठेला भी ज्यादा नहीं दूंगा.. !!"
रेणुका ने भी मुसकुराते हुए कहा "सर्विस मिलेगी पर नियमों और शर्तों के आधीन.. !!"
मदन: "मतलब?? कैसे नियम और कैसी शरतें??"
रेणुका: "पाँच हजार में सिर्फ आगे का मज़ा दूँगी... पीछे का चार्ज अलग से देना होगा"
मदन: "हम्म.. पीछे का कितना लोगी??"
रेणुका को इस संवाद में बड़ा ही मज़ा आ रहा था.. अपनी चूत और गांड का सौदा करते हुए उसकी मुनिया गीली हो रही थी.. जैसे उसकी कोई पुरानी विकृत इच्छा संतुष्ट हो रही हो.. मदन को भी बड़ा मज़ा आ रहा था
रेणुका: "पीछे के दो हजार एक्स्ट्रा.. !!"
मदन: "बहोत ज्यादा बोल रही है.. पाँच सौ दूंगा"
रेणुका: "तो किसी और को ढूंढ ले.. !!"
मदन: "ओके ओके.. करते वक्त मेरा मन हुआ तो बता दूंगा"
रेणुका: "नहीं.. पहले ही तय करना होगा.. एक बार गरम होने के बाद बोलेगा तो मैं चार हजार एक्स्ट्रा लूँगी"
मदन: "ठीक है बाबा... " मदन ने हाथ जोड़ लिए
रेणुका को आए हुए एक घंटा हो चुका था.. और उतने समय में ही माहोल इतना गरम और रंगीन हो चुका था.. घर पर दोनों ही अकेले थे.. शीला और राजेश को भनक भी नहीं लगने वाली थी.. अब तक केवल बातें ही चल रही थी.. दोनों में से किसी ने भी एक दूजे का स्पर्श नहीं किया था अब तक..
मदन ने करीब आकर कहा "रेणुका, बता.. ३१ दिसंबर कैसे सेलिब्रेट करना चाहोगी? जैसा तुम कहोगी वैसा ही करेंगे.. राजेश तू छोड़कर पार्टी करने चला गया और शीला मुझे छोड़कर.. अब हम एक दूसरे के साथ इस रात को रंगीन बनाते है.. वैसे भी हम किसी अनजान व्यक्ति के साथ कुछ करें उससे बेहतर होगा की एक दूसरे के साथ करें.. और वैसे भी.. तुम तो मेरा लोडा चूस ही चुकी हो पहले.. " उस रात पार्टी की याद दिलाते हुए मदन ने कहा.. हालांकि तब मदन मेक था और रेणुका कामिनी के किरदार में थी
मदन बिस्तर पर बैठा था और रेणुका कुर्सी लेकर उसके सामने इस तरह बैठ गई की दोनों की टांगों का एक दूसरे से स्पर्श हो.. मदन ने हल्के से रेणुका का पल्लू हटा दिया.. रेणुका ने टांग उठाकर मदन के लंड पर रख दिया.. और पैरों से मसाज करने लगी..
मदन बड़े मजे से मचलने लगा.. रेणुका के पुष्ट स्तनों पर भूखी नजर डालते हुए उसने कहा "३६ का साइज़ लगता है"
रेणुका ने आँख मारकर कहा "३८ का साइज़ है मेरा.. " बोलकर रेणुका ने एक्सिलरेटर पर पैर दबा दिया.. और कहा "६ इंच?"
मदन ने कहा "साढ़े ६ इंच.. !!"
रेणुका: "बस इतना सा..!! राजेश का भी उतना ही है..!!"
मदन: "साइज़ पर मत जाओ मैडम.. परफ़ॉर्मन्स में शिकायत नहीं दूंगा"
दोनों के बीच बातचीत का मस्त दौर चल रहा था तभी घर की डोरबेल बजी..
रेणुका ने आँखें नचाते हुए मदन से कहा "जाओ मदन.. देखो कौन है??"
मदन: "फिलहाल तुम ही मेरी पत्नी हो.. तो एक पत्नी की हेसियत से तुम ही जाकर दरवाजा खोलो.. कोई अनजान हो तो बाहर से ही भगा देना.. मैं जाऊंगा और कोई पहचान वाला निकला तो फंस जाऊंगा.. कोई मेरे लिए पूछे तो कह देना की घर पर नहीं है"
मदहोश अंगड़ाई लेकर रेणुका कुर्सी से खड़ी हुई.. और अपने कूल्हे मटकाते हुए बाहर निकलकर दरवाजे की तरफ आई
दरवाजा खोलते ही देखा तो सामने रसिक खड़ा था..